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Part 2 Interpretation of Statutes
Part 2 Interpretation of Statutes
अ याय
ा या
व धय का
सीखने के प रणाम
इस अ याय के अंत म आप स म ह गे
अ याय सहावलोकन
ासं गक शत का प रचय
क ा या का मह व
व धय
ाथ मक नयम
ा या के नयम
क़ानून कम और द तावेज़
क ा या मा य मक नयम
आंत रक सहायता
ा या म सहायता
बाहरी सहायता
कम और द तावेज क ा या के
नयम
प रचय
यह अ ययन सं व ध काय और द तावेज क ा या से संबं धत है। तो सबसे पहले हम यह समझना होगा क ये श द और कु छ अ य श द या
दशाते ह। यह
क़ानून आम आदमी के लए क़ानून श द का अथ आम तौर पर हर कार के कानून और नयम ह बना इस बात पर वचार कए क वे कस
ोत से नकलते ह।
हालाँ क क़ानून श द को वधा यका क ल खत इ ा के प म प रभा षत कया गया है जसे रा य का कानून बनाने के लए आव यक प
के अनुसार कया गया है। आम तौर पर यह श द वधायी ा धकरण जैसे भारत क संसद ारा अ ध नय मत एक अ ध नयम को दशाता है।
क़ानून क ा या .
सं वधान म क़ानून श द का योग नह कया गया है हालाँ क कई ान पर क़ानून श द का योग पाया जाता है। कानून
श द को कसी भी अ यादे श आदे श उप कानून नयम व नयमन अ धसूचना और इसी तरह क प रभाषा के पम
प रभा षत कया गया है।
द तावेज़ आम तौर पर समझा जाता है क द तावेज़ कसी चीज़ क जानकारी माण या सा य दे ने वाला कागज़ या अ य भौ तक
चीज़ है। कानून द तावेज़ को अ धक तकनीक प म प रभा षत करता है। भारतीय सा य अ ध नयम क धारा म कहा
गया है क द तावेज़ का अथ है कसी भी पदाथ पर अ र अंक या च के मा यम से या उनम से एक से अ धक मा यम ारा
या व णत कोई भी पदाथ जसका उपयोग करने का इरादा हो या जसका उपयोग कया जा सके । उस मामले को रकॉड करने
के उ े य से।
द तावेज के त व
ii रकॉड यह सरा त व पदाथ पर नयो जत कु छ पार रक या यां क उपकरण होना चा हए। यह लेख न अ भ या ववरण
ारा होना चा हए।
iv साधन यह उस त व का त न ध व करता है जसके ारा ऐसा ायी प ा त कया जाता है और वे अ र कोई आकृ त
च तीक हो सकते ह जनका उपयोग दो य के बीच संवाद करने के लए कया जा सकता है।
जैसे कोई समझौता वलेख चाटर या रकॉड जो तकनीक प म तैयार और न पा दत कया गया हो। इसका मतलब एक औपचा रक
कानूनी द तावेज भी है जसका कानूनी भाव होता है या तो दा य व बनाने के प म या इसके सा य के प म। भारतीय टा
अ ध नयम क धारा म कहा गया है क इं टमट म येक द तावेज़ शा मल है जसके ारा कोई भी अ धकार या दा य व
बनाया ानांत रत व ता रत समा त या दज कया जाना है।
क़ानून क ा या .
ा या का वग करण
ा या का सामा य वग करण
कानूनी मत संबंधी
सामा य मामल म यायालय को कानून के अ रशः कानून क भावना के व श और नणायक सा य के प म वीकार करने
म संतु होना चा हए सै मन यायशा वां सं करण पृ. । दोन व धय के बीच मौजूद संबंध को सट कता से
नधा रत करना आव यक है।
कसी क़ानून के नमाण का मु य नयम उसे शा दक प से पढ़ना है जसका अथ वधा यका ारा यु श द को उनका
सामा य ाकृ तक और ाकर णक अथ दे ना है। य द इस तरह पढ़ने से बेतुक ापन पैदा होता है और श द कसी अ य अथ के
लए अ तसंवेदनशील होते ह तो अदालत इसे अपना सकती है। य द ऐसा कोई वैक पक नमाण संभव नह है तो यायालय को
शा दक ा या के सामा य नयम को अपनाना चा हए।
जब क ा या का मु य नयम यह है क य द भाषा सरल और है तो इसे कानून के इरादे के साथ पढ़ा जाना चा हए।
सीड यूट वी.
ीमती मन जलैक ा
ा या और नमाण के बीच अंतर ा या नमाण से भ होती है। ा या कसी भी प के सही अथ का पता लगाना है और
नमाण पाठ क य अभ से परे वषय का स मान करते ए न कष नकालना है। भगवती साद के डया बनाम
सीआईट
जब वधा यका कु छ ऐसे श द का उपयोग करती है ज ह ने समय के साथ एक न त अथ ा त कर लया है तो यह मान लया
जाना चा हए क उन श द का उपयोग वधा यका म कया गया है।
एक ही भाव.
इस कार जहां यायालय वधा यका ारा इ तेमाल क गई भाषा के अथ का पालन करता है यह श द क ा या होगी
ले कन जहां अथ नह है अदालत को यह तय करना होगा क या श दांक न त को कवर करने के लए था अदालत के
सम . यहां अदालत उस चीज़ का सहारा लेगी जसे नमाण कहा जाता है हालां क दो श द ा या और नमाण
क़ानून क ा या .
एक सरे को ओवरलैप करते ह और यह बताना क ठन है क ा या कहां समा त होती है और नमाण कहां शु होता
है।
. हम ा या क आव यकता य है
नमाण
इसम कोई संदेह नह है क आधु नक समय म अ ध नय मत कानून कानूनी वशेष ारा तैयार कए जाते ह फर भी उ ह भाषा
म कया जाता है और कोई भी भाषा इतनी प रपूण नह होती क कोई अ ता न रह जाए। इसके अलावा अपने वभाव
से एक क़ानून वधा यका का एक आदे श होता है और कई बार वधा यका के इरादे को न के वल भाषा से ब क आसपास क
पर तय से भी पता लगाना पड़ता है जो उस समय मौजूद थ जब वह वशेष कानून लागू कया गया था। . य द क़ानून का कोई
ावधान दो ा या के लए खुला है तो यायालय को वह ा या चुननी होगी जो वधा यका के स े इरादे का तनधव
करती है। साथ ही भ व य म उ प होने वाले व वध त य का पूवाभास करना मानवीय श य के अंतगत नह है और य द ऐसा
होता भी है तो उ ह सभी अ ता से मु श द म दान करना संभव नह है। ये सभी पहलू कानून के ावहा रक शासन म
ा या और नमाण के वषय को ब त मुख ता दे ते ह।
यह ठ क ही कहा गया है क क़ानून वधा यका क इ ा है। कसी क़ानून क ा या का मूल नयम यह है क इसक ा या
इसे बनाने वाल क मंशा के अनुसार क जानी चा हए। के श द क तम
बी वे कौन से स ांत ह जो भा षया को उन ासं गक ब पर इरादे इक ा करने म मागदशन करते ह जन पर वधा यका के
बारे म आव यक प से एक राय मानी जाती है ले कन जस पर उसने कोई नह कया है
सभी सामा य मामल म ाकर णक ा या ही वीकाय एकमा प है। यायालय कानून के अ रशः म कोई बदलाव नह कर
सकता या उसे संशो धत नह कर सकता। हालाँ क यह नयम कु छ अपे ा के अधीन है सबसे पहले जहां कानून का अ र
अ ता असंगतता या अपूण ता के कारण ता कक प से दोषपूण है। जहां तक अ ता के दोष का संबंध है यायालय का कत
है क वह कानून के अ र से परे जाकर अ य ोत से वधा यका के वा त वक इरादे का नधारण करे। असंग त के कारण वैधा नक
अभ दोषपूण होने क त म अदालत को कानून क भावना का पता लगाना चा हए। सरे य द
क़ानून क ा या .
वधा यका का मतलब यह नह हो सकता क वह या कहती है यायालय वधा यका क मंशा का ता कक प से अनुमान
लगाकर इस तरह के ग तरोध को हल कर सकता है।
एक बात को लेक र तो ऐसा लगता है क इसम कोई ववाद ही नह है कोई भी क़ानून क़ानूनी प से लागू करने यो य है चाहे वह
कतना भी अनु चत य न हो। यायालय का कत है क वह कानून को उसी प म संचा लत करे जैसा वह है। कानून यायसंगत
है या अनु चत यह दे ख ना उसके अ धकार े म नह है. कानून के औ च य या तकसंगतता का पता लगाना वधा यका का वशेष
े है और वह अके ले ही इसके ारा पा रत कानून म प रवतन या संशोधन पर वचार कर सकता है। जब तक इसम बदलाव या
बदलाव या संशोधन नह कया जाता तब तक अदालत के पास कानून को वैसे ही लागू करने के अलावा कोई वक प नह है।
ा या क इस या म कई सहायता का उपयोग कया जाता है। वे वैधा नक या गैर वैधा नक हो सकते ह। पूव ेण ी
वैधा नक सहायता को जनरल ारा च त कया गया है
खंड अ ध नयम और गत अ ध नयम म न हत व श प रभाषा ारा भी
सामा य कृ त के कु छ ावधान उदाहरण के लए भारतीय दं ड सं हता म न हत ह और दं डा मक अ ध नयम के नमाण के
लए ासं गक ह।
उ रा को ा या के सामा य कानून नयम ा या से संबं धत कु छ अनुमान स हत और क़ानून क ा या से संबं धत
के स कानून ारा भी च त कया गया है।
ा या क या
सामा य धाराएँ
अ ध नयम
वैधा नक ारा स च
गत अ ध नयम म न हत
व श प रभाषाएँ
एड् स
क़ानून क ा या से संबं धत
मामला क़ानून
. ा या नमाण के नयम
समय के साथ ा या नमाण के कु छ नयम को अ तरह से मा यता मल गई है। हालाँ क इन नयम को के वल मागदशक
माना जाता है और ये अन य नह ह। इन नयम को मोटे तौर पर इस कार वग कृ त कया जा सकता है
• शा दक नमाण का नयम
• उ चत नमाण का नयम
• सामंज यपूण नमाण का नयम
ाथ मक नयम
• लाभकारी नमाण का नयम
• उपयोग का भाव
मा य मक
• समझने यो य संब शद
नयम
सामा य ान का ढं ग
ए ाथ मक नयम
क़ानून क ा या .
कभी कभी ऐसे अवसर आते ह जब दो ा या के बीच चयन करना पड़ता है एक संक ण और सरा ापक या बो र।
ऐसी त म य द संक ण ा या कानून के उ े य को ा त करने म वफल होगी तो ापक ा या को अपनाना चा हए।
इसके अलावा वा यांश और वा य का अथ ाकरण के नयम के अनुसार कया जाना चा हए। एसएस रेलवे कं पनी बनाम
वकस यू नयन एआईआर एससी एट के मामले म सु ीम कोट ारा बना कसी अ न त श द के इस पर जोर दया
गया था जब यह कहा गया था क अदालत को वधा यका ारा इ तेमाल क जाने वाली भाषा का शा दक अथ दे ना चा हए जब
तक क भाषा अ है या इसका शा दक अथ कसी वसंग त को ज म दे ता है या कु छ ऐसा प रणाम दे ता है जो अ ध नयम के
उ े य को वफल कर सकता है। वधा यका क मंशा को काया वत करना यायालय का कत है और ऐसा करते समय उसका
पहला संदभ यु श द के शा दक अथ पर होता है। जहां भाषा सरल है और के वल एक ही अथ को वीकार करती है वहां
ा या के लए कोई जगह नह है और के वल उस अथ को लागू कया जाना है भले ही वह बेतुक ा या शरारती हो कहावत है
ए सो यूटा सट टया ए सपो जटर नॉन इं डजेट
इसी तरह जब कोई मामला जो कानून म दान कया जाना चा हए था ले कन नह कया गया है उसे अदालत ारा दान नह
कया जा सकता है य क ऐसा करना कानून क ेण ी म आएगा और नमाण नह होगा।
उदाहरण के लए यूपी जला बोड अ ध नयम क धारा म ावधान है क एक बोड अपने स चव को वशेष ताव
ारा बखा त कर सकता है जसके लए कु छ मामल म ानीय सरकार क मंज ूरी क आव यकता होती है। उसी अ ध नयम क
धारा म स चव को नलं बत करने क श दान क गई अ य बात के साथ साथ कसी भी ा धकारी के आदे श को लं बत
रखते ए जसक मंज ूरी उसक बखा तगी के लए आव यक थी। अ ध नयम क धारा थी
म संशोधन कया गया और तब यह ावधान कया गया क बखा तगी का ताव अपील क अव ध क समा त तक या
अपील के नणय तक भावी नह होगा य द इसे तुत कया गया हो। हालाँ क अ ध नयम क धारा म तदनुसार संशोधन नह
कया गया था। सु ीम कोट ने कहा क यह भा यपूण है क जब वधा यका अ ध नयम क पुरानी धारा म संशोधन करने आई
तो वह धारा के संशोधन के अनु प धारा म संशोधन करना भूल गई। हालां क अदालत ने इस बात पर जोर दया क इसम
कोई संदेह नह है क यह कत है वधा यका ारा पा रत अ ध नयम के व भ ावधान म सामंज य ा पत करने का यास
करने के लए यायालय का कत न त प से कसी अ ध नयम के ावधान म अंतराल या चूक को भरने के लए वधा यका
ारा इ तेमाल कए गए श द को फै लाना नह है।
हालाँ क कभी कभी अदालत उस से टग या संदभ को दे ख सकती ह जसम श द का उपयोग कया जाता है और जन
पर तय म कानून पा रत कया गया है यह तय करने के लए क या वा तव म उपयोग कए गए श द के पीछे कु छ न हत है
जो शा दक अथ को नयं त करेगा जन श द का योग कया गया है। य द कसी उपवा य क दो संभा वत रचनाएँ ह एक
ाकरण के नयम पर आधा रत मा यां क और शा दक रचना और सरी जो उस से टग से उभरती है जसम उपवा य कट
होता है और जन प र तय म यह अ ध नय मत आ और साथ ही उस त से भी। उसम यु श द के आधार पर
अदालत सरी रचना को ाथ मकता दे सकती ह जो भले ही शा दक न हो फर भी बेहतर हो सकती है। अरोड़ा बनाम
उ र दे श रा य एआईआर एससी पर ।
यह सामा य नयम है क चूक का अनुमान लगाने क संभावना नह है। इससे यह एक और नयम सामने आता है क कसी क़ानून
म कु छ भी जोड़ा या हटाया नह जा सकता है जब तक क इस अनुमान को उ चत ठहराने के लए कु छ पया त आधार न ह क
वधा यका का इरादा कु छ ऐसा था जसे उसने करना छोड़ दया। संसद के अ ध नयम म ऐसे श द जोड़ना गलत बात है जो
वहां ह ही नह और आव यकता के अभाव म ऐसा करना भी गलत बात है। य द कसी मामले का क़ानून म ावधान नह
कया गया है। इसे के वल इस लए नह नपटाया जाना चा हए य क ऐसा कोई अ ा कारण नह है क इसे य छोड़ा जाना
चा हए था और प रणाम व प चूक अनजाने म ई तीत होती है।
क़ानून क ा या .
उ चत सुधार कसी क़ानून क सामा य शत को ख म करने के लए नह ह। एक नमाण जो कसी क़ानून क भाषा के कसी भी ह से
को अ भावी बना दे गा उसे आम तौर पर अ वीकार कर दया जाएगा।
I ाकृ तक और ाकर णक अथ क़ानून को पहले उनके ाकृ तक सामा य या लोक य अथ म समझा जाना चा हए और उनके
शा दक और ाकर णक अथ के अनुसार समझा जाना चा हए। य द क़ानून के कसी इरादे या घो षत उ े य के
साथ कोई असंगतता है या इसम शा मल है
कसी भी बेतुके पन तकू लता असंगतता ाकर णक अथ को के वल ऐसी असु वधा से बचने के लए संशो धत व ता रत
या सं त कया जाना चा हए ले कन इससे आगे नह । हमाचल दे श रा य बनाम पवन कु मार
II नयम क ा या जब यह कहा जाता है क श द को पहले उनके ाकृ तक सामा य या लोक य अथ म समझा जाना चा हए
तो इसका मतलब यह है क श द को उस ाकृ तक सामा य या लोक य अथ म यो य होना चा हए जो उनका है
वषय व तु के संबंध म जसके संदभ म और जस संदभ म क़ानून म उनका उपयोग कया गया है। कसी श द का
अथ उसके पाठ और संदभ पर नभर करता है। क़ानून के नमाण म संदभ का अथ है सम प से क़ानून और
सम पता म अ य क़ानून जहाँ दो अ ध नयम का एक समान मामले म सामा य उ े य होता है ।
उ चत नमाण का नयम इस नयम के अनुसार कसी क़ानून के श द का अथ यूट रेस मै गस वैलेट वाम पेरेट होना
चा हए जसका अथ है क क़ानून के श द का अथ इस कार लगाया जाना चा हए ता क एक समझदार अथ ा त हो सके ।
आम तौर पर कसी क़ानून के श द या वा यांश को उनका सामा य अथ दया जाना चा हए। कसी क़ानून क ा या इस
कार क जानी चा हए क वह भावी हो सके
क़ानून क ा या .
और ut res Magis valeat quam pereat के स ांत पर काय करता है । इस लए कसी कानून क ा या करते
समय दो अथ संभव ह एक तो क़ानून को ब कु ल अ और अथहीन बनाना और सरा न तता और साथक ा या क
ओर ले जाना ऐसी त म बाद क ा या का पालन कया जाना चा हए। ताप सह बनाम झारखंड रा य
एससीसी
उदाहरण डॉ. एएल मुद लयार बनाम एलआईसी ऑफ इं डया कॉ के स के मामले म । एससी यह माना
गया क कसी कं पनी के मेमोरडम ऑफ एसो सएशन को न प प से पढ़ा जाना चा हए और इसका अथ उस भाषा क
उ चत ा या से ा त होना चा हए जसे वह नयो जत करती है। इसके अलावा यह नधा रत करने के लए क या कोई
लेन दे न कसी कं पनी के उ े य के भीतर है व तु खंड को उ चत प से समझा जाना चा हए न तो कठोरता के साथ और न
ही ढलाई के साथ। वामन लाल छोटनलाल पारेख बनाम.
सामंज यपूण नमाण का नयम जब कसी क़ानून के श द के अथ के बारे म संदेह हो तो उ ह उस अथ म समझा जाना
चा हए जसम वे अ ध नयम के वषय और वधा यका के वचार म व तु के साथ सामंज य ा पत करते ह। उनका अथ भाषा
क कड़ाई से ाकर णक या ुप संबंधी औ च य म या उसके लोक य उपयोग म इतना अ धक नह पाया जाता है
जतना क वषय म या उस अवसर म जस पर उनका उपयोग कया जाता है और जस व तु को ा त कया जाना है।
जहां कसी अ ध नयम म दो या दो से अ धक ावधान ह जनका एक सरे के साथ समाधान नह कया जा सकता है जहां
भी संभव हो उनक ा या इस कार क जानी चा हए जससे वे सभी भावी हो सक। इसे सामंज यपूण नमाण के नयम
के प म जाना जाता है। कसी क़ानून क ा या इस तरह से करने का यास कया जाना चा हए जो क़ानून के उ े य के
अनु प हो।
रा य वधान सभा के लए चुनाव लड़ने वाले उ मीदवार को नामां कत करना या सरा समथन दे ना। यह सामंज य के वल तभी
ा त कया जा सकता है जब अ ध नयम क धारा क ा या सरकारी कमचारी को मतदान के साथ साथ उ मीदवारी
का ताव करने और उसका समथन करने और कसी अ य तरीके से उ मीदवार क सहायता करने से रोकने क श दान
करने के प म क जाती है।
अ ध नयम क धारा म ावधान है क सुलह कायवाही के अलावा नयो ा और कामगार के बीच समझौते से कया गया
समझौता समझौते के प पर बा यकारी होगा।
ऐसे मामले म जहां सरकार ारा काशन से पहले म याया धकरण के पुर कार क ा त के बाद समझौता हो जाता है मु ा
यह था क या सरकार को पुर कार का शत करने के लए धारा के तहत अभी भी आव यक था। इन दोन ावधान
के नमाण पर सु ीम कोट ने कहा क जो समझौता ह ता र क त थ से भावी हो जाता है उससे औ ो गक ववाद समा त
हो जाता है और अ ध नणय अ भावी हो जाता है तथा सरकार इसे का शत नह कर सकती।
यह हमेशा यान म रखना चा हए क एक क़ानून संपूण प से पा रत कया जाता है खंड म नह और इसे एक सामा य उ े य
और इरादे से अनु ा णत माना जा सकता है। य द संभव हो तो यायालय का कत कसी क़ानून के सभी भाग को भावी
बनाना है।
ले कन यह सामा य स ांत वधा यका के इरादे को आगे बढ़ाने म अदालत का मागदशन करने के लए है न क उसे ख म
करने के लए। जब सामा य नयम के कठोर पालन के लए इसके वपरीत संके त क उपे ा क आव यकता होगी तो
इस नयम को लागू कया जाना चा हए।
अनुभाग और उप अनुभाग को एक अ भ अंग के भाग और पर र नभर होने के प म पढ़ा जाना चा हए। इस लए कसी
एक खंड के कसी एक खंड को सरे खंड के ावधान क अनदे ख ी कर मह व नह दया जाना चा हए। य द असंगतता से
बचना असंभव है तो जो ावधान बाद म अ ध नय मत या संशो धत कया गया था उसे लागू होना चा हए।
क़ानून क ा या .
सामंज यपूण नमाण का नयम के वल तभी लागू होता है जब कसी अ ध नयम के ावधान के बीच वा त वक और न के वल
संघष होता है और उनम से एक को सरे के अधीन नह बनाया गया है। जब श द अपने संदभ को समझने के बाद के वल
एक ही अथ दे ने म स म होते ह तो सामंज यपूण नमाण का नयम गायब हो जाता है और उसक जगह शा दक नमाण का
नयम आ जाता है।
लाभकारी नमाण का नयम या हेडन का नयम जहां कसी क़ानून म यु भाषा एक से अ धक ा या करने म स म
है नमाण के लए सबसे मजबूती से ा पत नयम हेडन के मामले म नधा रत स ांत है कं पनी तनध ए
ईआर . यह नयम जसे उ े यपूण नमाण या शरारत नयम के प म भी जाना जाता है एक अ ध नयम क ा या म
चार मामल पर वचार करने म स म बनाता है
उपाय का कारण या है
उदाहरण के लए एक क़ानून जसम कसी भी काय के लए कारवाई क सूचना क आव यकता होती है उसे उस काय क
चूक के प म समझा जाना चा हए जसे कया जाना चा हए और साथ ही एक गलत काय का कमीशन भी शा मल है। जहां
कसी क़ानून के लए कसी ारा कु छ करने क आव यकता होती है वहां आम तौर पर इसका पया त अनुपालन होगा
य द वह काम कसी अ य ारा उसक ओर से और उसके ा धकार ारा कया जाता है य क यह माना जाएगा क
क़ानून का इरादा इसे रोकने का नह है। कानून के सामा य स ांत का अनु योग व फै सट त ए लयम फै सट त
से वह जो सरे के बावजूद काय करता है ।
हालाँ क सव यायालय ारा इस बात पर जोर दया गया है क हेडन के मामले म नयम के वल तभी लागू होता है जब इ तेमाल
कए गए श द अ ह और एक से अ धक अथ दे ने म स म ह सीआईट बनाम सोदरा दे वी एससी ।
इस शरारत नयम के आवेदन का उदाहरण पुर कार तयो गता अ ध नयम क धारा डी के नमाण म भी अ तरह से
पाया जाता है। यह धारा पुर कार तयो गता को कोई भी तयो गता जसम कसी भी सम या के समाधान के लए पुर कार
क पेशकश क जाती है के प म प रभा षत करती है। अ र श द या आकृ तय क नमाण व ा संयोजन या मप रवतन
पर आधा रत पहेली । मु ा यह है क या अ ध नयम उन तयो गता पर लागू होता है जनम पया त कौशल शा मल है और जो
जुए क कृ त म नह ह। सु ीम कोट ने कानून क पछली त उस कानून के तहत जारी कु था और अनु ेद के तहत
व भ रा य के ताव का हवाला दे ते ए संसद को अ ध नयम पा रत करने के लए अ धकृ त कया। यह कहा गया था क कानून
के इ तहास उसके घो षत उ े य और क़ानून के श द को यान म रखते ए हमारी राय है क जन तयो गता को अ ध नयम
ारा नयं त और व नय मत करने क मांग क जाती है वे के वल वे तयो गताएँ ह जनम सफलता मलती है कौशल क कसी
भी पया त ड ी पर नभर नह । आरएमडी चमारबागवाला वी.
सही स ांत यह है क श द को उनके संदभ म समझने के बाद और यह पाया जाता है क भाषा के वल एक ही नमाण को वहन
करने म स म है हेडन के मामले म नयम नयं त करना बंद कर दे ता है और सादे अथ नयम को रा ता दे ता है। लॉड साइमन इस
पहलू क ा या करते ए कहते ह क हेडन का मामला दो चरण म उपल है
असाधारण नमाण का नयम असाधारण नमाण का नयम कसी क़ानून म उन क़ानून और श द को हटाने के लए है जो
क़ानून के वा त वक उ े य को वफल करते ह या जनका कोई मतलब नह है। यह और या हो सकता है करेगा और
चा हए श द के नमाण के लए भी है।
ए सामा य ान नयम सामा य नयम के बावजूद क येक श द पर पूण भाव दया जाना चा हए य द कसी श द या वा यांश
के लए कोई समझदार अथ तय नह कया जा सकता है या य द यह अ ध नयम के वा त वक उ े य को वफल कर दे गा
तो इसे कया जाना चा हए सफाया कर दया। कसी क़ानून के श द का अथ इस कार होना चा हए क वे एक प रणाम
दे सक
क़ानून क ा या .
य द संभव हो तो उनके लए समझदार अथ। इनका अथ यू े स मै गस वैलेट वाम पेरेट लगाया जाना चा हए
जसका अथ है क कसी चीज़ का भावहीन होना बेहतर है बजाय इसके क उसे शू य बना दया जाए।
बी संयोजक और वयोजक श द या और या श द सामा यतः संयोजक है और और सामा यतः संयोजक है। हालाँ क
कई बार संदभ से कट वधा यका के इरादे को भावी बनाने के लए उ ह इसके वपरीत के प म पढ़ा जाता
है। ऐसा तब होगा जब श द को शा दक प से पढ़ने से अ या बेतुक ा प रणाम सामने आएगा। ऐसे मामले म
और को या के लए और या को और के लए पढ़ा जा सकता है भले ही श द को संशो धत करने का प रणाम
वषय के लए कम अनुकू ल हो बशत क वधा यका का इरादा अ यथा ब कु ल हो।
जहां हो सकता है श द म दा य व के साथ ववेक शा मल है या जहां यह वषय के सामा य वग को सकारा मक लाभ दान
करता है या जहां एक उपाय आगे बढ़ाया जाएगा और एक शरारत को दबा दया जाएगा या जहां श द को नद शका मह व दे ने से
उसे हरा दया जाएगा अ ध नयम का ब त ही उ े य है तो हो सकता है श द क ा या एक अ नवाय बल को करने के
लए क जानी चा हए। इस कार जहां कसी दा य व के साथ सावज नक ा धकरण को ववेक ा धकार दान कया जाता है
वहां हो सकता है श द का अथ एक आदे श माना जाना चा हए। इसी कार जब सरकार का कोई आदे श या क़ानून कसी
ा धकारी को सावज नक कत के नवहन म श दान करता है और य प ऐसी श के वल अनुमेय तीत होती है तो यह
ज री है क ा धकारी को अपने कत के नवहन म उस श का योग करना चा हए वहां हो सकता है श द अ नवाय बल
हण करता है।
क़ानून क ा या .
ii करेगा श द का योग अपने आप म अ ध नयम के ावधान को अ नवाय नह बना दे गा। इसका अथ उस संदभ के अनु प
होना चा हए जसम इसका उपयोग कया गया है। इस कार सरकार के व क़ानून म उपयोग कए जाने पर करेगा श द को
हो सकता है के प म समझा जाना चा हए जब तक क कोई वपरीत इरादा कट न हो। इस लए कसी आपरा धक क़ानून म
ावधान है क अपराधी को क़ानून म नधा रत अनुसार दं डत कया जाएगा यह आव यक नह है क सरकार कसी अ य लागू
क़ानून के बजाय उस ावधान के तहत मुक दमा चलाने का नदश दे ।
क़ानून क कृ त और डज़ाइन
अ य ावधान का भाव जसका सहारा लेक र गत ावधान के अनुपालन क आव यकता से बचा जा सकता है
जहां अ ध नयम के वशेष ावधान का अनुपालन न करने के लए क़ानून म ही एक व श दं ड का ावधान कया गया है वहां यह
नधा रत करने के लए यायालय के पास कोई ववेक ा धकार नह है क ऐसा ावधान नद शका है या अ नवाय है इसे अ नवाय
के प म लया जाना चा हए।
क़ानून क एक ही धारा म एक मामले के संबंध म करेगा श द का उपयोग और सरे मामले के संबंध म हो सकता है श द का
उपयोग आम तौर पर इस न कष पर प ंचेगा क करेगा श द एक दा य व लगाता है जब क श द मई
एजु डेम जेने रस का नयम एजु डेम जेने रस श द का अथ है एक ही कार या जा त का । सीधे श द म कह तो नयम
का अथ है
i जहां कोई भी अ ध नयम व भ वषय क गणना करता है व श श द के बाद आने वाले सामा य श द को उनके पहले के
श द के संदभ म समझा और समझा जाना चा हए। उन सामा य श द को पहले बताए गए व श श द के समान ही
चीज पर लागू होने के प म लया जाना चा हए जब तक क यह दखाने के लए कु छ न हो क ापक अथ का इरादा
था। इस कार एजु डेम जेने रस के नयम का अथ है क जहां व श श द का उपयोग कया जाता है और उन व श
श द के बाद कु छ सामा य श द का उपयोग कया जाता है सामा य श द पहले इ तेमाल कए गए व श श द से
अपना रंग लगे।
जहां ह थयार गोला बा द या बं क या कसी अ य सामान के आयात पर तबंध था वहां कोई अ य सामान श द
को ह थयार गोला बा द या गन पाउडर एजी बनाम के समान सामान के संदभ म माना गया था ।
ाउन के बी ।
iii हालाँ क हम यह यान रखना चा हए क एजु डेम जेने रस का सामा य स ांत के वल वह लागू होता है जहां व श श द
सभी समान कृ त के होते ह। जब ये अलग अलग ेण ी के होते ह तो सामा य श द का अथ न न ल खत होता है
क़ानून क ा या .
यह भी यान दया जाना चा हए क अदालत के पास यह ववेक ा धकार है क कसी वशेष मामले म एजु डेम जेने रस
स ांत को लागू कया जाए या नह । उदाहरण के लए यायालय क समापन श य म उ चत और यायसंगत खंड को
पहली पांच तय तक सी मत नह माना जाता है जसम यायालय कसी कं पनी को बंद कर सकता है।
बी ा या के अ य मा य मक नयम।
उपयोग का भाव क़ानून के तहत वक सत उपयोग या अ यास समकालीन राय ारा इसके श द को पहचाने गए अथ
का संके तक है। एक पुराने क़ानून के तहत जारी एक समान कु यात था और उसम संशोधन करने के लए वधा यका क
न यता यह दखाने के लए मह वपूण कारक ह क इस कार अपनाई गई था कानून क सही समझ पर आधा रत थी।
जब उपयोग या अ यास को या यक या वधायी अनुमोदन ा त होता है तो इसे अ त र मह व मलता है।
ii कं टे े नया ए सपो सटो इ ट ऑ टमा एट फो ट स नया इन लेगे कसी द तावेज़ क ा या करने का सबसे
अ ा तरीका यह है क इसे वैसे ही पढ़ा जाए जैसे इसे बनाते समय पढ़ा गया होगा ।
इस लए कसी क़ानून या कसी अ य द तावेज़ क सबसे अ ा या नमाण वह है जो समकालीन ा धकारी ारा
क गई हो।
सीधे श द म कह तो पुराने क़ानून और द तावेज़ क उसी तरह ा या क जानी चा हए जैसी वे उस समय होती
जब वे अ ध नय मत लखे गए थे।
कसी क़ानून के नमाण और उसके तहत बनाए गए वैधा नक उपकरण पर काश डालने वाले समसाम यक आ धका रक
बयान का उपयोग भारत म न के वल ाचीन ब क यहां तक क हाल के क़ानून क ा या करने के लए समकालीन ा या
के प म कया गया है।
उदाहरण तभू त अनुबंध व नयमन अ ध नयम क धारा के तहत अ धसूचना के साथ साथ सरकार ारा
जारी कए गए द तावेज़ का उपयोग अ धसूचना के समसाम यक ववरण के प म कया गया था। दे शबंधु गु ता एंड कं पनी
बनाम द ली टॉक ए सचज एसो सएशन ल मटे ड एआईआर एससी
सामा य ान के तरीके से समझे जाने वाले संब श द जब दो श द या अ भ य को एक साथ जोड़ा जाता है जनम
से एक आम तौर पर सरे को बाहर कर दे ता है तो जा हर तौर पर अ धक सामा य श द का उपयोग व श को छोड़कर एक
अथ म कया जाता है। सरी ओर नो कटु र ए सो शयस यह अपने सहयो गय ारा जाना जाता है क अवधारणा है
यानी कसी श द का अथ उस कं पनी ारा आंक ा जाना चा हए जसे वह रखता है । जब दो या दो से अ धक श द जो अनु प
समान या समानांतर अथ दे ने म स म ह एक साथ जोड़े जाते ह तो उ ह उनके सजातीय अथ म समझा जाना चा हए अथात
मूल कृ त या गुण व ा म समान । वे मानो एक सरे से अपना रंग लेते ह यानी अ धक सामा य को कम सामा य के अनु प
अथ तक सी मत कर दया जाता है। यह एजु डेम जेने रस के नयम से ापक नयम है ब क एजु डेम जेने रस के वल
नो कटु र ए सो सस का एक अनु योग है। यह यान म रखा जाना चा हए क नो सटु र ए सोसाइट सी के वल नमाण का एक
नयम है और यह उन मामल म लागू नह हो सकता है जहां यह है क प रभा षत श द के दायरे को तदनुसार ापक
बनाने के लए ापक श द का जानबूझ कर उपयोग कया गया है।
क़ानून क ा या .
. ा या म आंत रक सहायता
नमाण
येक अ ध नयम का अपना शीषक तावना शीषक सीमांत नोट् स प रभाषा अनुभाग खंड च आ द होते ह। इ ह नमाण
के लए आंत रक सहायक के प म जाना जाता है और ये अ ध नयम या उसके कसी भाग क ा या नमाण म अ य धक
सहायक हो सकते ह।
लंबा शीषक
को प ढ़ए
सम प से क़ानून तावना
अनुसू चय शीषक
आंत रक सहायता
नमाण के लए
सीमांत
ीकरण ट प णयाँ
पा रभा षक
नयम
धारा
रेख ांक न
ए लंबा शीषक एक अ ध नयम म एक लघु शीषक और एक लंबा शीषक भी होता है। लघु शीषक के वल अ ध नयम क
पहचान करता है और इसे के वल सु वधा के लए चुना जाता है सरी ओर द घ शीषक अ ध नयम का वणन करता है
और के वल इसक पहचान नह करता है।
इस लए कसी क़ानून का शीषक अ ध नयम का एक मह वपूण ह सा है और इसे इसके सामा य दायरे का पता लगाने
और इसके नमाण पर काश डालने के उ े य से संद भत कया जा सकता है हालां क यह अ ध नयम के अथ को
ख म नह कर सकता है। अ वनी कु मार घोष बनाम अर बद बोस एआईआर एससी
सं ेप म कसी अ ध नयम क तावना वधा यका के ाथ मक इरादे का खुलासा करती है ले कन इसे के वल नमाण म
सहायता के प म लाया जा सकता है य द क़ानून क भाषा नह है। हालाँ क यह अ ध नयम के ावधान को ख म
नह कर सकता।
क़ानून क ा या .
ह के बीच ववाह से संबं धत कानून गु लीपोली सोव रया राज वी. बंडा पावनी एससीसी
सी कसी अ याय का शीषक और शीषक य द हम कसी भी अ ध नयम पर नजर डालते ह तो हम आम तौर पर पाएंगे क कसी वशेष व तु पर
लागू होने वाले इसके कई खंड एक साथ समूहीकृ त होते ह कभी कभी अ याय के प म शीषक और या शीषक से पहले जुड़े होते ह। .
अनुभाग या अनुभाग के समूह से पहले लगाए गए इन शीषक और शीषक को अ ध नयम या उसके भाग क ा या करने के उ े य
से वैध प से संद भत कया जा सकता है। हालाँ क उ ह दए जाने वाले वेटेज को लेक र मतभेद है। जब क राय का एक वग मानता है
क एक शीषक को इसके अंतगत आने वाले खंड क ा या क कुं जी दे ने वाला माना जाना चा हए और इसे इसके बाद के ावधान
क तावना के प म माना जा सकता है राय का सरा वग इस बात पर ज़ोर दे ता है क इसका सहारा लया जाए शीषक के वल तभी
लया जा सकता है जब अ ध नय मत श द अ ह । इस कोण के अनुसार अनुभाग या अनुभाग के समूह से पहले लगाए गए
शीषक या शीषक को सं द ध अ भ य के नमाण के प म संद भत कया जा सकता है ले कन कसी के सादे श द को तबं धत
करने के लए इसका उपयोग नह कया जा सकता है।
अ ध नयमन.
हालाँ क हम यान दे ना चा हए क अनुभाग के एक समूह के शीषक का उपयोग अनुभाग के सरे समूह क ा या करने के लए नह
कया जा सकता है।
डी सीमांत नोट् स हालां क कसी अ ध नयम क ा या करने के लए सीमांत नोट् स का सहारा लेने के संबंध म मतभेद है आम तौर पर माना
जाता है क कसी अनुभाग से जुड़े सीमांत नोट् स का उपयोग अनुभाग को समझने के लए नह कया जा सकता है। सीआईट बनाम
अहमदभाई उमरभाई एंड कं पनी एआईआर एससी एट म पतंज ल शा ी जे. ने घोषणा क थी एक भारतीय
क़ानून म सीमांत नोट
जैसा क कसी अ ध नयम म होता है क़ानून क ा या करने के उ े य से संसद का उ लेख नह कया जा सकता है और कई अ य
मामल म भी यही कोण अपनाया गया है। कई मामल से पता चलता है क कसी क़ानून म कसी अनुभाग क ा या के लए
असाधारण मामल म सीमांत नोट् स का संदभ वीकाय हो सकता है।
हालाँ क सं वधान के अनु े द से जुड़े सीमांत नोट् स को सं वधान सभा ारा पा रत सं वधान का ह सा माना गया है और इस लए अनु ेद
क ा या करने म उनका उपयोग कया गया है।
ई प रभाषा अनुभाग ा या खंड वधा यका के पास कसी क़ानून म अपनी भाषा क प रभाषा को शा मल करने क श है और क़ानून के
मु य भाग म यु कु छ श द और अ भ य क प रभाषाएँ क़ानून म मलना काफ आम है। . जब कसी श द या चरण को
अ ध नयम म एक वशेष अथ के प म प रभा षत कया जाता है तो अ ध नयम क धारा क ा या करते समय के वल वही अथ दया
जाना चा हए जब तक क संदभ म कु छ भी तकू ल न हो। यायालय वैधा नक प रभाषा को नजरअंदाज नह कर सकता है और वतं प
से अ भ का जो सही अथ मानता है उसे नकालने का यास नह कर सकता है।
म
तबंधा मक और ापक प रभाषाएँ
ii अ प रभाषाएँ
क़ानून क ा या .
यह एक सावभौ मक प से वीकृ त स ांत रहा है क जहां एक अ भ को कसी अ ध नयम म प रभा षत कया गया
है उसे पूरे अ ध नयम म प रभाषा ारा दए गए अथ के समान माना जाना चा हए जब तक क ऐसा करने से वषय या संदभ
म कोई तकू लता पैदा न हो। .
उदाहरण काम ख म होने के बाद कसी मौसमी कमचारी क सेवा समा त करना औ ो गक ववाद अ ध नयम
के अनुसार छं टनी नह है। अ नल बापुराव करासे बनाम कृ णा सहकारी साखर कारखाना एआईआर
एससी । ले कन कसी प रयोजना म लगे दहाड़ी मज र के रोजगार क समा त प रयोजना के
पूरा होने पर छं टनी के समान होगी य द कमचारी को यह नह बताया गया था क कब
iii वपरीत संदभ के अधीन प रभाषाएँ जब कसी श द को कई समावेशी अथ को धारण करने के लए प रभा षत
कया जाता है तो कसी वशेष ावधान म श द का जस अथ म उपयोग कया जाता है उसे अ ध नयम क
योजना भाषा के संदभ से सु न त कया जाना चा हए। ावधान और उससे ा त होने वाले उ े य के बारे म।
क़ानून क ा या .
छ ावधान ावधान का सामा य काय अ ध नयम से बाहर कसी चीज़ को छोड़ना या अ ध नयम म कही गई कसी बात को
यो य बनाना है जो ावधान के न होने पर इसके दायरे म होता। परंतुक का भाव पूववत अ ध नयम को यो य बनाना है
जो उन श द म कया गया है जो ब त सामा य ह। एक सामा य नयम के प म अ ध नयम म जो कु छ है उसे
अहता ा त करने या अपवाद बनाने के लए एक अ ध नयम म एक ावधान जोड़ा जाता है। सामा यतः एक पर तुक
होता है
ऐसा कहा जाता है क परंतु अपवाद या बचत खंड जैसे श द वाले ावधान के बीच अंतर मौजूद है।
मतभेद
ो वज़ो का योग सामा य बचत उपवा य का योग पहले
अपवाद का उ े य अ ध नय मत से मौजूद कु छ अ धकार
अ ध नयमन से वशेष मामल को
खंड को वशेष तक सी मत करना उपचार या वशेषा धकार
हटाने और उनके लए वशेष ावधान
है को न होने से बचाने के
करने के लए कया जाता है
मामल लए कया जाता है
ज ीकरण अनुभाग के पाठ का अथ समझाने के लए कभी कभी अनुभाग म एक ीकरण जोड़ा जाता है। अनुभाग के
भीतर कु छ शा मल करने या इससे कु छ बाहर करने के लए एक ीकरण जोड़ा जा सकता है। एक ीकरण को
आम तौर पर इतना पढ़ा जाना चा हए क वह सुसंगत हो जाए और हो जाए
मु य भाग म कोई अ ता। इसका ऐसा अथ नह लगाया जाना चा हए क अनुभाग का दायरा बढ़ जाए।
सुंदरम प लई बनाम प ा भरामन फज़ल अली जे. म एक वैधा नक ावधान के ीकरण क न न ल खत व तुए ं
एक त क ग
अ ध नयम का अथ और आशय कर
हालाँ क कसी ीकरण को हमेशा उपरो व तु तक सी मत रखना गलत होगा। कसी ीकरण को दया जाने
वाला अथ वा तव म उसक शत पर नभर करेगा न क उसके उ े य के कसी स ांत पर।
i अनुसू चयाँ अनुसू चयाँ एक अ ध नयम का ह सा बनती ह। इस लए नमाण के सभी उ े य के लए उ ह अ ध नयम के साथ
पढ़ा जाना चा हए । हालाँ क अनुसूची म अ भ याँ अ ध नयम म अ भ पर नयं ण या बल नह हो सकती ह।
य द अनुसूची और अ ध नयमन के बीच कोई असंगतता तीत होती है तो अ ध नयम हमेशा भावी रहेगा। उनम अ सर
कानून के अनुभाग म अंत न हत नी त पर काम करने के लए ववरण और फॉम होते ह उदाहरण के लए भारत के
सं वधान म कं पनी अ ध नयम से जुड़ी अनुसू चयां।
क़ानून क ा या .
इसके कई खंड के अथ और येक खंड के श द क ा या इस कार क जानी चा हए क उ ह अ य ावधान के साथ सामंज य म लाया
जा सके य द वह ा या उन अथ के त कोई हसा नह करती है जनके लए वे वाभा वक प से अ तसंवेदनशील ह। और यही कोण
वधा यका ारा पा रत अ ध नयम और नयम के संबंध म भी समान बल के साथ लागू होगा।
ापक सामा य श द के नमाण के लए सबसे सुर त दशा नदश म से एक उसी अ ध नयम या उपकरण म आया तत अ य श द क जांच
करना है ता क यह दे ख ा जा सके क उन पर या सीमाएं लगाई जानी चा हए। य द हम पाते ह क ऐसी कई अ भ य को सीमा और
यो यता के अधीन कया जाना है और ऐसी सीमाएं और यो यताएं एक ही कृ त क ह तो वह प र त ववा दत अ भ को समान
सीमा और यो यता के अधीन करने के लए एक मजबूत तक बनाती है।
. ा या म बा सहायता
नमाण
समाज शू यता म काय नह करता। जो कु छ भी कया जाता है उसके अपने कारण अपनी पृ भू म उस समय च लत वशेष प र तयाँ इ या द होती
ह। ये कारक कसी भी अ ध नयम पर भी लागू होते ह। ये कारक कसी अ ध नयम क ा या ा या करने म ब त मददगार होते ह और इ ह ा या
के लए बाहरी सहायता का सु वधाजनक नामकरण दया गया है। क़ानून के अलावा ऐसे कई मामले ह जन पर क़ानून अ होने पर यान दया जा
सकता है। इन मामल को बा सहायता कहा जाता है। इनम से कु छ कारक क गणना नीचे द गई है
बाहरी सहायता
पहले &
बी कानून और पछले कानून को समे कत करना कई कानून क तावना म पछले कानून को समे कत करने के लए एक
अ ध नयम आ द जैसे भाव शा मल ह। ऐसे मामले म अदालत इस धारणा पर कायम रह सकती ह क इसका उ े य
इसम बदलाव करना नह है। कानून। वे शा दक नमाण को अ वीकार करते ए इरादे म ऐसे अनुमान क सहायता से
क़ानून म सं द ध ब को हल कर सकते ह।
सी उपयोग कसी अ ध नयम को समझने म कभी कभी उपयोग को भी यान म रखा जाता है। कसी क़ानून के तहत कए गए
काय अ सर क़ानून क कुं जी ही दान करते ह। यह सव व दत है क जहां कसी क़ानून म भाषा का अथ सं द ध है तो
उपयोग जस तरह से उस भाषा क ा या क गई है और लंबे समय तक उस पर काय कया गया है उसका वा त वक
अथ नधा रत कर सकता है। इस बात पर जोर दया गया है क जब कई वष से सं द ध अथ के कसी वधायी उपाय को
एक ा या मलती है जस पर आम तौर पर जनता ारा कारवाई क जाती है तो अदालत को उस ा या को बदलने
के लए ब त अ न ु क होना चा हए जब तक क उ ह ऐसा करने के लए ठोस कारण न दख। .
य द दो अ ध नयम को एक साथ पढ़ा जाना है तो येक अ ध नयम के येक भाग को एक सम अ ध नयम म समा हत
माना जाना चा हए। ले कन अगर कु छ वसंग त है तो ऐसी वसंग त के लए यह मानना आव यक हो सकता है क
बाद के अ ध नयम समय के अनुसार ने पहले वाले को संशो धत कया था। हालाँ क इसका मतलब यह नह है क बाद
के अ ध नयम म येक श द क ा या पछले अ ध नयम क तरह ही क जाएगी।
क़ानून क ा या .
जहां दो अ ध नयम म से बाद वाला यह ावधान करता है क पहले वाले अ ध नयम को जहां तक संगत है उसके साथ
एक माना जाना चा हए तो बाद के क़ानून म एक अ ध नयम जसम डबचर शा मल नह होना चा हए को पहले के
क़ानून से भी डबचर को बाहर करने के लए आयो जत कया गया था।
पहले के अ ध नयम को बाद के अ ध नयम ारा समझाया गया बाद के अ ध नयम को न के वल पहले के अ ध नयम
के आलोक म समझा जा सकता है ब क यह बाद का अ ध नयम कभी कभी पहले वाले क वधायी ा या
तुत करता है य द यह समतापूण है और य द ले कन के वल तभी जब पछले अ ध नयम के ावधान
अ ह।
कसी अ ध नयम के तहत बनाए गए सामा य नयम और प जो अ ध नय मत करते ह क उनके पास वही
बल होना चा हए जैसे क उ ह इसम शा मल कया गया था उ ह अ ध नयम क ा या के योजन के लए
भी संद भत कया जा सकता है।
नर त अ ध नयम का संदभ जहां कसी अ ध नयम का एक भाग नर त कर दया गया है वह अपनी याशील
श खो दे ता है। फर भी अ ध नयम के ऐसे नर त कए गए ह से को अभी भी गैर नर त कए गए ह से
क ा या के लए यान म रखा जा सकता है। ऐसा इस लए है य क यह नए अ ध नयम के इ तहास का
ह सा है।
ई श दकोश प रभाषाएँ सबसे पहले हम यह पता लगाने के लए संबं धत अ ध नयम का संदभ लेना होगा क या इसम कोई
वशेष श द या अ भ प रभा षत है। जहां हम पाते ह क ए
एफ वदे शी नणय का उपयोग हमारे जैसे ही यायशा णाली का पालन करने वाले और हमारे जैसे कानून पर दए गए
दे श के वदे शी नणय का वैध प से हमारे अपने अ ध नयम को समझने के लए उपयोग कया जा सकता है।
हालाँ क भारतीय क़ानून क भाषा को हमेशा मुख मह व दया जाना चा हए।
इसके अलावा जहां भारतीय नणय से मागदशन ा त कया जा सकता है वदे शी नणय का संदभ अनाव यक हो
सकता है।
सबसे पहली और मह वपूण बात जो यान म रखनी होगी वह यह है क कसी को यह पता लगाना होगा क एक उ चत
जसने कसी काय या द तावेज़ क आसपास क प र तय और उसके दायरे और इराद के बारे म खुद को सू चत करने
का यान रखा है या करेगा। उस वलेख या द तावेज़ म यु श द से समझ।
सुनहरा नयम यह है क संबं धत द तावेज़ काय म सभी श द पर उनके सामा य ाकृ तक अथ म वचार करने के बाद
द तावेज़ के प कार के इरादे का पता लगाया जाए। इस योजन के लए द तावेज़ के ासं गक भाग पर सम प से
वचार करना होगा। उन प र तय को भी यान म रखना होगा जनम वशेष श द का उपयोग कया गया था। अ सर
श द का उपयोग करने वाले प क त और श ण को भी यान म रखना पड़ता है य क समान श द का उपयोग
एक सामा य ारा एक अथ म और एक श त या वशेष ारा कसी अ य वशेष अथ म कया जा सकता
है। इस पर भी वैसा ही वचार करना होगा
क़ानून क ा या .
अनेक श द का योग एक से अ धक अथ म होता है। ऐसा हो सकता है क एक ही अथ म समझा गया एक ही श द वलेख के सभी
खंड को भावी बना दे जब क सरे अथ म लया गया एक या अ धक खंड अ भावी कर दे । ऐसी त म श द को पहले अथ म
समझा जाना चा हए न क बाद वाले अथ म।
ऐसा भी हो सकता है क एक ही द तावेज़ के दो या दो से अ धक खंड के बीच वरोध हो। खंड क ा या करके ववाद को सुलझाने
का यास कया जाना चा हए ता क सभी खंड को भावी बनाया जा सके । हालाँ क य द उन सभी को भावी बनाना संभव नह है
तो यह पहला खंड है जो बाद वाले पर हावी हो जाएगा।
इसी कार य द द तावेज़ का एक भाग सरे भाग के साथ वरोधाभास म है तो य द संभव हो तो द तावेज़ के दोन भाग को
सामंज यपूण ढं ग से पढ़ने का यास हमेशा कया जाना चा हए। य द यह संभव नह है तो पहला भाग बाद वाले पर हावी हो जाएगा
इस लए इसक उपे ा क जानी चा हए।
सारांश
अ ध नय मत कानून अ ध नयम और नयम कानूनी वशेष ारा तैयार कए जाते ह और इस लए यह उ मीद क जाती है क
इ तेमाल क गई भाषा नमाण क ा या के लए ब त कम जगह छोड़ेगी।
क़ानून क ा या या नमाण से क़ानून म दए गए अ श द और अ भ य के अथ खोजने और उनम पड़ी वसंग तय को हल
करने म मदद मलती है। य द क़ानून का कोई ावधान दो ा या के लए खुला है तो यायालय को वह ा या चुननी होगी जो
वधा यका के स े इरादे का त न ध व करती है। क़ानून क सव म ा या नमाण के व भ मागदशक नयम को अपनाने और
क़ानून के नमाण म सहायता से संभव है। अदालत सबसे अ े भा षए ह। वे ढ़ता से ऐसे नमाण के खलाफ झुक ते ह जो क़ानून
को नरथक बना दे ता है। एक क़ानून या उसम मौजूद कसी भी अ ध नय मत ावधान को इस तरह से समझा जाना चा हए क इसे
कहावत म स ांत पर भावी और या वत कया जा सके ut res Magis valeat quam pereat।
अपनी बु जाच
ब वक पीय
. औपचा रक कानूनी द तावेज जो कसी अ धकार का नमाण या पु करता है या कसी त य को दज करता है वह है
एक द तावेज़
बी वलेख
सी क़ानून
डी साधन
सी नमाण का शा दक नयम
डी नमाण का उ चत नयम
बी वह व तु अपने मू य से अ धक मू यवान है
डी समसाम यक दशन
ए उ े यपूण नमाण
बी शरारत नयम
सी हेड स का नयम
D। उपरो सभी
. ा या के लए न न ल खत सहायता म से एक को चुन
ए तावना
बी सीमांत नोट् स
डी उपयोग कर
. नमाण का कौन सा नयम वहां लागू होता है जहां कसी अ ध नयम के ावधान के बीच वा त वक और न के वल वरोधाभास है और
उनम से एक को सरे के अधीन नह बनाया गया है
बी शा दक नमाण का नयम
क़ानून क ा या .
ए ावधान
बी ीकरण
सी अनुसूची
डी रेख ांक न
ए अ ध नयम का शीषक
बी अ याय का शीषक
सी तावना
डी प रभा षक अनुभाग
एमसी यू के उ र
. डी . सी . बी . डी . डी . सी
. बी . सी
सवाल और जवाब
उ र
जहां कसी क़ानून म इ तेमाल क गई भाषा एक से अ धक ा या करने म स म है नमाण के लए सबसे मजबूती से ा पत नयम
हेडन के मामले म नधा रत स ांत है। यह नयम एक के गठन म चार मामल पर वचार करने म स म बनाता है
काय
उपाय का कारण या है
नयम तब नदश दे ता है क अदालत को उस नमाण को अपनाना चा हए जो शरारत को दबाएगा और उपचार को आगे बढ़ाएगा । इस लए
ऐसे मामले म भी जहां
हालाँ क सव यायालय ारा इस बात पर जोर दया गया है क हेडन के मामले म नयम के वल तभी लागू होता है जब
इ तेमाल कए गए श द अ ह और एक से अ धक अथ दे ने म स म ह सीआईट बनाम सोदरा दे वी
आईट आर एससी .
उ र
यायालय म स ांत का अनु योग सभी सामा य मामल म ाकर णक ा या ही एकमा वीकाय प है। यायालय कानून
के अ र को हटा या संशो धत नह कर सकता। हालाँ क जहां कानून का अ र अ ता असंगतता या अपूण ता के कारण
ता कक प से दोषपूण है अदालत का कत है क वह कानून के अ र से आगे बढ़े ता क वधा यका के स े इराद को नधा रत
कर सके । ता क कोई क़ानून क़ानूनी तौर पर लागू करने यो य हो चाहे वह कतना भी अनु चत य न हो। यायालय का कत
कानून को उसके उ चत या अनु चत होने के बजाय उसी प म शा सत करना है।
क़ानून क ा या .
ii या कसी अनुभाग म जोड़ा गया ीकरण कसी अनुभाग के दायरे को व तृत करता है
उ र
i आम तौर पर कसी अ ध नयम के कसी खंड म कसी ावधान को उस वशेष खंड म कही गई कसी बात को छोड़ने या
यो य बनाने के लए जोड़ा जाता है जसम इसे जोड़ा जाता है। कसी परंतुक क सामा यतः सामा य नयम के पम
ा या नह क जानी चा हए। कसी वशेष खंड का एक ावधान मु य ावधान के लए एक अपवाद बनाता है
जसके लए इसे एक ावधान के प म अ ध नय मत कया गया है और कोई अ य ावधान नह है। राम नारायण
संस ल मटे ड बनाम। ब कर आयु एआईआर एससी
गौरव टे सटाइल कं पनी ल मटे ड ने एक कं पनी से अनुबंध कया है। आपको अनुबंध के द तावेज़ को पढ़ने और ा या करने
के लए आमं त कया जाता है। ऐसा करते समय आप कम और द तावेज क ा या के कौन से नयम लागू करगे
उ र
सबसे पहली और सबसे मह वपूण बात जो यान म रखनी होगी वह यह है क कसी को यह पता लगाना होगा क एक
समझदार जसने कसी काय या द तावेज़ क आसपास क प र तय और उसके दायरे और इराद के बारे म खुद
को सू चत करने का यान रखा है वह या समझेगा। उस वलेख या द तावेज़ म यु शद ारा।
व णम नयम यह है क संबं धत द तावेज़ काय म सभी श द पर उनके सामा य प से वचार करने के बाद लखत के प
के इरादे का पता लगाया जाए।
ाकृ तक भाव. इस योजन के लए द तावेज़ के ासं गक भाग पर सम प से वचार करना होगा। उन प र तय को भी यान म रखना होगा
जनम वशेष श द का उपयोग कया गया है। ब त बार श द का उपयोग करने वाले प क त और श ण को भी यान म रखना पड़ता है
य क समान श द का उपयोग एक सामा य ारा एक अथ म कया जा सकता है और एक श त या वशेष ारा ब कु ल सरे अथ
और एक वशेष अथ म कया जा सकता है। इस बात पर भी वचार करना होगा क ब त से श द का योग एक से अ धक अथ म होता है। ऐसा हो
सकता है क एक ही अथ म समझा गया एक ही श द वलेख के सभी खंड को भावी बना दे जब क सरे अथ म लया गया एक या अ धक खंड
अ भावी कर दे ।
ऐसा भी हो सकता है क एक ही द तावेज़ के दो या दो से अ धक खंड के बीच वरोधाभास हो। खंड क ा या करके संघष को हल करने के लए
एक भाव बनाया जाना चा हए ता क सभी खंड को भाव दया जा सके । हालाँ क य द उन सभी को भावी बनाना संभव नह है तो यह पहले वाला
खंड है जो बाद वाले को ओवरराइड करेगा।
एक।
i मतलब ii शा मल है
ले कन जहां श द को इस तरह से शा मल करने के लए प रभा षत कया गया है वहां प रभाषा थम या ापक है यहां प रभा षत श द उसे
दए गए अथ तक ही सी मत नह है ब क उसका ापक अथ है जसम उसे दए गए अथ भी शा मल ह। प रभाषा अनुभाग.
क़ानून क ा या .
उदाहरण
नदे शक क प रभाषा कं पनी अ ध नयम क धारा नदे शक का अथ है कसी कं पनी के बोड म नयु
नदे शक। साधन श द व तृत प रभाषा सुझ ाता है।
अ नवाय ावधान को नद शका ावधान से अलग कर। कौन से कारक यह तय करते ह क कोई ावधान नद शका है या
अ नवाय है
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−
काय क कृ त जसे करने का अ धकार दया गया है
−
वह व तु जसके लए यह कया गया है और
−
वह जसके लाभ के लए श का योग कया जाना है।
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वधा यका जो कहती है उसका अथ नह नकाल सकती यायालय वधा यका क मंशा का ता कक प से अनुमान लगाकर इस
तरह के ग तरोध को हल कर सकता है।
इस पर सं त ट पणी लख
म ावधान
ii ीकरण
उ र
i ावधान ावधान का सामा य काय अ ध नयम से बाहर क कसी बात को छोड़ना या अ ध नयम म कही गई कसी बात को
यो य बनाना है जो ावधान के न होने पर उसके दायरे म होती। परंतुक का भाव पूववत अ ध नयम को यो य बनाना है
जो उन श द म कया गया है जो ब त सामा य ह। एक सामा य नयम के प म अ ध नयम म जो कु छ है उसे
अहता ा त करने या अपवाद बनाने के लए एक अ ध नयम म एक ावधान जोड़ा जाता है। आमतौर पर कसी परंतुक
क ा या सामा य नयम बताने के प म नह क जाती है।
ii ीकरण अनुभाग के पाठ का अथ समझाने के लए कभी कभी अनुभाग म एक ीकरण जोड़ा जाता है। अनुभाग के
भीतर कु छ शा मल करने या इससे कु छ बाहर करने के लए एक ीकरण जोड़ा जा सकता है। एक ीकरण को
आम तौर पर इस तरह से पढ़ा जाना चा हए क वह मु य भाग के साथ सामंज य बठा सके और कसी भी अ ता को
र कर सके । इसका ऐसा अथ नह लगाया जाना चा हए क अनुभाग का दायरा बढ़ जाए।
कसी ीकरण को दया जाने वाला अथ वा तव म उसक शत पर नभर करेगा न क उसके उ े य के कसी स ांत
पर।
क़ानून क ा या .
क़ानून क ा या के लए शरारत नयम क ा या कर। साथ ही ऐसे चार मामले भी बताइए जन पर वह कसी अ ध नयम क ा या
करते समय वचार करता है।
उ र
शरारत नयम जहां कसी क़ानून म यु भाषा एक से अ धक ा या करने म स म है हेडन के मामले म नधा रत स ांत
का पालन कया जाता है। इसे उ े यपूण नमाण या शरारत नयम के प म जाना जाता है। नयम तब नदश दे ता है क
अदालत को उस नमाण को अपनाना चा हए जो शरारत को दबाएगा और उपचार को आगे बढ़ाएगा ।
सव यायालय ारा इस बात पर जोर दया गया है क हेडन के मामले म नयम के वल तभी लागू होता है जब इ तेमाल
कए गए श द अ ह और एक से अ धक अथ दे ने म स म ह ।
उपाय का कारण या है
उ र
श दकोश प रभाषाएँ सबसे पहले हम यह पता लगाने के लए संबं धत अ ध नयम का संदभ लेते ह क या इसम कोई वशेष
श द या अ भ प रभा षत है। जहां हम पता चलता है क कसी श द को अ ध नयम म ही प रभा षत नह कया गया है
हम उस सामा य अथ को जानने के लए श दकोश का संदभ ले सकते ह जसम वह श द आमतौर पर समझा जाता है।
हालाँ क कसी श द के कई अथ म से एक का चयन करते समय हम हमेशा उस संदभ को यान म रखना चा हए जसम
अ ध नयम म इसका उपयोग कया गया है। यह मौ लक नयम है क कसी अ ध नयम म यु श द और अ भ य के
अथ उस संदभ से अपना रंग लेना चा हए जसम वे कट होते ह। इसके अलावा समान साम ी म क़ानून क ा या म श द
के अथ नधा रत करने वाले या यक नणय का श दकोश ारा दए गए अथ से अ धक मह व होगा। हालाँ क तकनीक
श द के लए तकनीक श दकोश का संदभ लया जा सकता है।