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अ याय

ा या
व धय का

सीखने के प रणाम

इस अ याय के अंत म आप स म ह गे

क़ानून क ा या क आव यकता को जान. क़ानून क ा या

के व भ नयम क ा या कर। ा या के लए व भ आंत रक और बा

सहायता के बारे म जान। काय और द तावेज क ा या के नयम को समझ।

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. कॉप रेट और अ य कानून

अ याय सहावलोकन

ासं गक शत का प रचय

क ा या का मह व

व धय

ाथ मक नयम

ा या के नयम
क़ानून कम और द तावेज़
क ा या मा य मक नयम

आंत रक सहायता

ा या म सहायता

बाहरी सहायता

कम और द तावेज क ा या के
नयम

प रचय
यह अ ययन सं व ध काय और द तावेज क ा या से संबं धत है। तो सबसे पहले हम यह समझना होगा क ये श द और कु छ अ य श द या
दशाते ह। यह

इस लए इस तर पर ही हमारे लए क़ानून द तावेज़ इं टमट डीड और ा या श द को समझना मह वपूण होगा।

क़ानून आम आदमी के लए क़ानून श द का अथ आम तौर पर हर कार के कानून और नयम ह बना इस बात पर वचार कए क वे कस
ोत से नकलते ह।

हालाँ क क़ानून श द को वधा यका क ल खत इ ा के प म प रभा षत कया गया है जसे रा य का कानून बनाने के लए आव यक प
के अनुसार कया गया है। आम तौर पर यह श द वधायी ा धकरण जैसे भारत क संसद ारा अ ध नय मत एक अ ध नयम को दशाता है।

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क़ानून क ा या .

सं वधान म क़ानून श द का योग नह कया गया है हालाँ क कई ान पर क़ानून श द का योग पाया जाता है। कानून
श द को कसी भी अ यादे श आदे श उप कानून नयम व नयमन अ धसूचना और इसी तरह क प रभाषा के पम
प रभा षत कया गया है।

सं ेप म क़ानून अ ल खत कानून के वपरीत ल खत कानून का तीक है।

द तावेज़ आम तौर पर समझा जाता है क द तावेज़ कसी चीज़ क जानकारी माण या सा य दे ने वाला कागज़ या अ य भौ तक
चीज़ है। कानून द तावेज़ को अ धक तकनीक प म प रभा षत करता है। भारतीय सा य अ ध नयम क धारा म कहा
गया है क द तावेज़ का अथ है कसी भी पदाथ पर अ र अंक या च के मा यम से या उनम से एक से अ धक मा यम ारा
या व णत कोई भी पदाथ जसका उपयोग करने का इरादा हो या जसका उपयोग कया जा सके । उस मामले को रकॉड करने
के उ े य से।

उदाहरण एक लेख न एक द तावेज़ है कोई भी मु त श द फोटो ख चे गए द तावेज़ ह।

सामा य खंड अ ध नयम क धारा म कहा गया है क द तावेज़ श द म अ र अंक या च के मा यम से या उनम


से एक से अ धक मा यम के मा यम से कसी भी पदाथ पर लखा या व णत कोई भी मामला शा मल होगा। इस मामले को
रकॉड करने के योजन के लए उपयोग करने का इरादा है या जसका उपयोग कया जा सकता है।

आम तौर पर द तावेज म न न ल खत चार त व शा मल होते ह

द तावेज के त व

मामला अ भलेख पदाथ मतलब

i यह पहला त व है। कोई भी श द के साथ इसका योग दशाता है क


द तावेज़ क प रभाषा ापक है.

ii रकॉड यह सरा त व पदाथ पर नयो जत कु छ पार रक या यां क उपकरण होना चा हए। यह लेख न अ भ या ववरण
ारा होना चा हए।

iii यह तीसरा त व है जस पर मान सक या बौ क भाव पड़ता है


त व को ायी प मल जाता है।

iv साधन यह उस त व का त न ध व करता है जसके ारा ऐसा ायी प ा त कया जाता है और वे अ र कोई आकृ त
च तीक हो सकते ह जनका उपयोग दो य के बीच संवाद करने के लए कया जा सकता है।

इं टमट आम बोलचाल क भाषा म इं टमट का मतलब औपचा रक कानूनी द तावेज होता है


जो कसी अ धकार का नमाण या पु करता है या कसी त य को दज करता है। यह कसी भी कार का औपचा रक लेख न है

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. कॉप रेट और अ य कानून

जैसे कोई समझौता वलेख चाटर या रकॉड जो तकनीक प म तैयार और न पा दत कया गया हो। इसका मतलब एक औपचा रक
कानूनी द तावेज भी है जसका कानूनी भाव होता है या तो दा य व बनाने के प म या इसके सा य के प म। भारतीय टा
अ ध नयम क धारा म कहा गया है क इं टमट म येक द तावेज़ शा मल है जसके ारा कोई भी अ धकार या दा य व
बनाया ानांत रत व ता रत समा त या दज कया जाना है।

डीड कानूनी श दावली डीड को ल खत प म एक उपकरण या चमप या कागज पर अ य सुपा त न ध व या श द


के प म प रभा षत करती है जसका उ े य कु छ कानूनी वभाव को भा वत करना है। सरल श द म कह तो कम साधन ह
य प सभी साधन कम नह हो सकते। हालाँ क भारत म साधन और कम के बीच कोई अंतर नह कया जाता है।

ा या ा या से ता पय उस या से है जसके ारा यायालय वधा यका के अथ को उन आ धका रक प के मा यम से


सु न त करना चाहते ह जनम इसे कया गया है। सीधे श द म कह तो ा या वह या है जसके ारा कसी
अ ध नयम या द तावेज़ का वा त वक अथ और इसे अ ध नय मत करने म वधा यका क मंशा या द तावेज़ को न पा दत करने
वाले प क का पता लगाया जाता है। ा या का अथ है गूढ़ श द लेख आ द का अथ बताना उनका अथ नकालना
समझाना न द री त से समझना। कसी को कसी अ ध नयम या कसी द तावेज़ वलेख या उपकरण के कसी अनुभाग
ावधान ीकरण या अनुसूची के उ चत मह व पर बहस करने वरोध करने और ा या करने म सहायता मलती है।

ा या का मह व इस कार ा या काफ मह व क एक प र चत या है।


क़ानून के संबंध म कानून के ोत के प म कानून क अंत न हत कृ त के
कारण ा या मह वपूण है। क़ानून बनाने क या और क़ानून क ा या क या एक सरे से अलग अलग होती है और
दो अलग अलग एज सयां संबं धत होती ह। अ ध नयम क ा या दोन के बीच समझ के पुल का काम करती है।

कानून के के या यक नधारण के लए क कृ त के आधार पर व भ कार क साम य के उपयोग क आव यकता


होती है। वैधा नक ावधान क ा या म उपयोग क गई साम ी म वाभा वक प से एक ती कानूनी च र होगा जो सामा य
सामा य कानून स ांत के अनु योग से अलग होगा जहां इसका च र अ धक फै ला आ हो सकता है। इस लए क़ानून म अ धक
सट कता क आव यकता होती है। ा या क या अ धक कानूनी है और सामा य कानून नयम के अनु योग के वपरीत
वैधा नक ा या म कानूनी तकनीक का अ धक गहन उपयोग करती है।

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क़ानून क ा या .

ा या का वग करण

ा या का सामा य वग करण

कानूनी मत संबंधी

ामा णक साधारण ाकरण का ता कक

जोलो वज़ यायशा पर अपने ा यान सं करण पृ म ा या क बात इस कार करते ह ा या को


आमतौर पर या तो कानूनी या सै ां तक कहा जाता है।
यह कानूनी है जब कानून का कोई वा त वक नयम होता है जो यायाधीश को क़ानून क एक न त ा या करने के लए
बा य करता है। यह सै ां तक है जब इसका उ े य क़ानून के वा त वक और सही अथ क खोज करना है। कानूनी ा या
को ामा णक और सामा य म उप वभा जत कया गया है। यह ामा णक है जब ा या का नयम वयं वधायक से
ा त होता है यह सामा य है जब यह कसी अ य ोत जैसे क टम या के स कानून से आता है। इस कार जब ज ट नयन ने
आदे श दया क उनके कानून से उ प होने वाली सभी क ठनाइय को नणय के लए उनके पास भेज ा जाना चा हए तो वह
ामा णक ा या दान कर रहे थे और इसी तरह शया कोड भी था जब यह नधा रत कया गया था क यायाधीश
को कसी भी मामले क रपोट करनी चा हए सं व ध आयोग के लए इसके अथ पर संदेह कर और उनके फै सले का पालन कर।

सै ां तक ा या को फर से दो े णय म वभा जत कया जा सकता है ाकर णक और ता कक । यह ाकर णक है


जब अदालत क़ानून म यु श द के अथ जानने के लए के वल भाषण के सामा य नयम को लागू करती है। सरी ओर जब
अदालत श द से परे जाकर कसी अ य तरीके से क़ानून के इरादे को खोजने क को शश करती है तो उसे ता कक ा या का
सहारा लेना पड़ता है।

फट् ज रा के अनुसार ा या दो कार क होती है शा दक और काया मक ।


शा दक ा या वह है जो नणायक प से कानून क मौ खक अ भ को मानती है। यह सा ह यवाद से परे नह दखता।
यायालय का कत वधा यका के इरादे का पता लगाना और हर वैध तरीके से उस इरादे क तलाश करना है ले कन सबसे पहले
यु श द और भाषा म।

सरी ओर काया मक ा या वह है जो कानून के अ र से हटकर वधा यका के स े इरादे के कु छ अ य और अ धक


संतोषजनक सा य क तलाश करती है। सरे श द म प के सापे दाव और अ ध नय मत कानून क भावना को नधा रत
करना आव यक है। सभी म

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. कॉप रेट और अ य कानून

सामा य मामल म यायालय को कानून के अ रशः कानून क भावना के व श और नणायक सा य के प म वीकार करने
म संतु होना चा हए सै मन यायशा वां सं करण पृ. । दोन व धय के बीच मौजूद संबंध को सट कता से
नधा रत करना आव यक है।

ा या और नमाण इस तर पर ा या और नमाण के बीच के अंतर पर भी यान दे ना साथक होगा ।

जब क अ धकांशतः इन दो श द का उपयोग वधायी प के अथ को सु न त करने के लए अदालत ारा अपनाई गई या


को दशाने के लए कया जाता है जसम इसे कया जाता है इन दोन श द के अलग अलग अथ होते ह।

कसी क़ानून के नमाण का मु य नयम उसे शा दक प से पढ़ना है जसका अथ वधा यका ारा यु श द को उनका
सामा य ाकृ तक और ाकर णक अथ दे ना है। य द इस तरह पढ़ने से बेतुक ापन पैदा होता है और श द कसी अ य अथ के
लए अ तसंवेदनशील होते ह तो अदालत इसे अपना सकती है। य द ऐसा कोई वैक पक नमाण संभव नह है तो यायालय को
शा दक ा या के सामा य नयम को अपनाना चा हए।

जब क ा या का मु य नयम यह है क य द भाषा सरल और है तो इसे कानून के इरादे के साथ पढ़ा जाना चा हए।
सीड यूट वी.
ीमती मन जलैक ा

कसी क़ानून के नमाण के उ े य से उसे सम प से पढ़ा जाना चा हए।


बहार रा य बनाम सीआईट आईट आर पैट

ा या और नमाण के बीच अंतर ा या नमाण से भ होती है। ा या कसी भी प के सही अथ का पता लगाना है और
नमाण पाठ क य अभ से परे वषय का स मान करते ए न कष नकालना है। भगवती साद के डया बनाम
सीआईट

कसी अ ध नयम के अथ को भावी बनाना अदालत का कत है जब यु श द से अथ समान प से एक कया जा सकता


है। कसी क़ानून म होने वाले कानूनी आयात के श द ज ह ने एक न त और सट क अथ ा त कर लया है उ ह उसी अथ म
समझा जाना चा हए। म ास रा य बनाम गैनन डंक रली कं पनी एआईआर

जब वधा यका कु छ ऐसे श द का उपयोग करती है ज ह ने समय के साथ एक न त अथ ा त कर लया है तो यह मान लया
जाना चा हए क उन श द का उपयोग वधा यका म कया गया है।
एक ही भाव.

इस कार जहां यायालय वधा यका ारा इ तेमाल क गई भाषा के अथ का पालन करता है यह श द क ा या होगी
ले कन जहां अथ नह है अदालत को यह तय करना होगा क या श दांक न त को कवर करने के लए था अदालत के
सम . यहां अदालत उस चीज़ का सहारा लेगी जसे नमाण कहा जाता है हालां क दो श द ा या और नमाण

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क़ानून क ा या .

एक सरे को ओवरलैप करते ह और यह बताना क ठन है क ा या कहां समा त होती है और नमाण कहां शु होता
है।

. हम ा या क आव यकता य है
नमाण
इसम कोई संदेह नह है क आधु नक समय म अ ध नय मत कानून कानूनी वशेष ारा तैयार कए जाते ह फर भी उ ह भाषा
म कया जाता है और कोई भी भाषा इतनी प रपूण नह होती क कोई अ ता न रह जाए। इसके अलावा अपने वभाव
से एक क़ानून वधा यका का एक आदे श होता है और कई बार वधा यका के इरादे को न के वल भाषा से ब क आसपास क
पर तय से भी पता लगाना पड़ता है जो उस समय मौजूद थ जब वह वशेष कानून लागू कया गया था। . य द क़ानून का कोई
ावधान दो ा या के लए खुला है तो यायालय को वह ा या चुननी होगी जो वधा यका के स े इरादे का तनधव
करती है। साथ ही भ व य म उ प होने वाले व वध त य का पूवाभास करना मानवीय श य के अंतगत नह है और य द ऐसा
होता भी है तो उ ह सभी अ ता से मु श द म दान करना संभव नह है। ये सभी पहलू कानून के ावहा रक शासन म
ा या और नमाण के वषय को ब त मुख ता दे ते ह।

वैधा नक ा या क आव यकता पर डे नग एलजे ने या कहा है इस पर यान दे ना उ चत होगा उ प होने वाले त य के


व वध सेट क भ व यवाणी करना मानव श य के भीतर नह है और य द ऐसा होता भी तो उ ह सभी अ ता से मु
शत पर उपल कराना संभव नह है। अं ेज ी भाषा ग णतीय प रशु ता का साधन नह है। य द ऐसा होता तो हमारा सा ह य
ब त अ धक गरीब होता। यह पर संसद के अ ध नयम के ा पकार क अ सर अनु चत आलोचना क गई है। एक यायाधीश
जो खुद को क थत नयम से बंधा आ मानता है क उसे भाषा को दे ख ना चा हए और कु छ नह अफसोस जताता है क ा ट् समैन
ने इसके लए या उसके लए ावधान नह कया है या कु छ या अ य अ ता का दोषी है। य द संसद के अ ध नयम को दै वीय
ववेक और पूण ता के साथ तैयार कया जाए तो यह न त प से यायाधीश क परेशानी से बचाएगा। इसके अभाव म
जब कोई दोष कट होता है तो यायाधीश हाथ जोड़कर ा ट् समैन को दोष नह दे सकता। उसे संसद क मंशा जानने के
रचना मक काय पर काम करना चा हए और उसे ऐसा न के वल क़ानून क भाषा से ब क उन सामा जक प र तय पर भी
वचार करते ए करना चा हए ज ह ने इसे ज म दया और शरारत जसे सुधारने के लए इसे पा रत कया गया था और फर
उसे ल खत श द को पूरक करना होगा ता क वधा यका के इरादे को बल और जीवन दया जा सके ।

यह ठ क ही कहा गया है क क़ानून वधा यका क इ ा है। कसी क़ानून क ा या का मूल नयम यह है क इसक ा या
इसे बनाने वाल क मंशा के अनुसार क जानी चा हए। के श द क तम

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. कॉप रेट और अ य कानून

क़ानून अपने आप म सट क और असं द ध होने के कारण के वल उन श द को उनके ाकृ तक और सामा य अथ म ा या करना


आव यक है अब तक और इससे आगे नह ।
ऐसा इस लए है य क ये श द वधा यका क मंशा को प से दशाते ह। ा या का उ े य उस इरादे को समझना है जो
इ तेमाल क गई भाषा ारा प से या न हत प से कया जाता है। य द इरादा हो तो काय के वल मौ खक नमाण
का हो जाता है। ले कन जस को वह ज म दे ता है उस पर क़ानून ारा कए गए कसी इरादे क अनुप त म और फर
भी इसके संबंध म वधा यका के लए कु छ इरादे अ नवाय प से आरो पत कए जाने ह तो ा याकार को इसे कु छ न त आधार
पर अनुमान के आधार पर नधा रत करना होगा। कानूनी स ांत. ऐसे मामले म ा या ऐसी होनी चा हए जो सावज नक लाभ के
अनु प हो। नतीजतन य द कोई क़ानून दं ड ा तकता का प से उ लेख कए बना जुमाना लगाता है तो न हताथ से यह
रा य के अ धका रय के पास जाता है।

इस लए कसी क़ानून क ा या का वषय दो सामा य शीषक के अंतगत आता तीत होता है

ए वे कौन से स ांत ह जो कसी क भाषा के नमाण को नयं त करते ह


संसद का अ ध नयम

बी वे कौन से स ांत ह जो भा षया को उन ासं गक ब पर इरादे इक ा करने म मागदशन करते ह जन पर वधा यका के
बारे म आव यक प से एक राय मानी जाती है ले कन जस पर उसने कोई नह कया है

ा या क या के मा यम से यायालय उन आ धका रक प के मा यम से कानून के अथ को समझना चाहता है जसम इसे


कया गया है।

जैसा क हमने पहले नोट कया है ा या या तो ाकर णक या ता कक हो सकती है।


ाकर णक ा या वशेष प से कानून क मौ खक अ भ से संबं धत है यह कानून के अ र से आगे नह जाती है। सरी
ओर ता कक ा या वधा यका के स े इरादे के अ धक संतोषजनक सा य क तलाश करती है।

सभी सामा य मामल म ाकर णक ा या ही वीकाय एकमा प है। यायालय कानून के अ रशः म कोई बदलाव नह कर
सकता या उसे संशो धत नह कर सकता। हालाँ क यह नयम कु छ अपे ा के अधीन है सबसे पहले जहां कानून का अ र
अ ता असंगतता या अपूण ता के कारण ता कक प से दोषपूण है। जहां तक अ ता के दोष का संबंध है यायालय का कत
है क वह कानून के अ र से परे जाकर अ य ोत से वधा यका के वा त वक इरादे का नधारण करे। असंग त के कारण वैधा नक
अभ दोषपूण होने क त म अदालत को कानून क भावना का पता लगाना चा हए। सरे य द

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क़ानून क ा या .

पाठ ऐसे प रणाम क ओर ले जाता है जो इतना अनु चत है क यह वयं है

वधा यका का मतलब यह नह हो सकता क वह या कहती है यायालय वधा यका क मंशा का ता कक प से अनुमान
लगाकर इस तरह के ग तरोध को हल कर सकता है।

एक बात को लेक र तो ऐसा लगता है क इसम कोई ववाद ही नह है कोई भी क़ानून क़ानूनी प से लागू करने यो य है चाहे वह
कतना भी अनु चत य न हो। यायालय का कत है क वह कानून को उसी प म संचा लत करे जैसा वह है। कानून यायसंगत
है या अनु चत यह दे ख ना उसके अ धकार े म नह है. कानून के औ च य या तकसंगतता का पता लगाना वधा यका का वशेष
े है और वह अके ले ही इसके ारा पा रत कानून म प रवतन या संशोधन पर वचार कर सकता है। जब तक इसम बदलाव या
बदलाव या संशोधन नह कया जाता तब तक अदालत के पास कानून को वैसे ही लागू करने के अलावा कोई वक प नह है।

ा या क इस या म कई सहायता का उपयोग कया जाता है। वे वैधा नक या गैर वैधा नक हो सकते ह। पूव ेण ी
वैधा नक सहायता को जनरल ारा च त कया गया है
खंड अ ध नयम और गत अ ध नयम म न हत व श प रभाषा ारा भी
सामा य कृ त के कु छ ावधान उदाहरण के लए भारतीय दं ड सं हता म न हत ह और दं डा मक अ ध नयम के नमाण के
लए ासं गक ह।
उ रा को ा या के सामा य कानून नयम ा या से संबं धत कु छ अनुमान स हत और क़ानून क ा या से संबं धत
के स कानून ारा भी च त कया गया है।

ा या क या
सामा य धाराएँ
अ ध नयम

वैधा नक ारा स च
गत अ ध नयम म न हत
व श प रभाषाएँ

एड् स

ा या के सामा य कानून नयम

गैर वैधा नक च त ारा

क़ानून क ा या से संबं धत
मामला क़ानून

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. कॉप रेट और अ य कानून

. ा या नमाण के नयम
समय के साथ ा या नमाण के कु छ नयम को अ तरह से मा यता मल गई है। हालाँ क इन नयम को के वल मागदशक
माना जाता है और ये अन य नह ह। इन नयम को मोटे तौर पर इस कार वग कृ त कया जा सकता है

• शा दक नमाण का नयम
• उ चत नमाण का नयम
• सामंज यपूण नमाण का नयम
ाथ मक नयम
• लाभकारी नमाण का नयम

• असाधारण नमाण का नयम


• समान लग का नयम

• उपयोग का भाव
मा य मक
• समझने यो य संब शद
नयम
सामा य ान का ढं ग

ए ाथ मक नयम

शा दक नमाण का नयम यह नमाण का मु य नयम है क कसी क़ानून के श द वा य और वा यांश को उनके


सामा य ाकृ तक और ाकर णक अथ म पढ़ा जाना चा हए ता क वे अपने ापक आयाम म भाव डाल सक। साथ ही
नमाण के ाथ मक नयम को यान म रखना होगा क तकनीक कृ त के श द और वा यांश का उपयोग थम या उनके
तकनीक अथ म य द उनका कोई हो और अ यथा उनके सामा य लोक य अथ म कया जाता है।

जब क़ानून क भाषा और होती है और के वल एक ही अथ को वीकार करती है तो क़ानून के नमाण का कोई सवाल


ही नह उठता य क अ ध नयम वयं अपनी बात कहता है। अथ वधा यका के इरादे से एक कया जाना चा हए यूपी
रा य बनाम वजय आनंद एआईआर एससी । जस श द का कोई न त एवं अथ हो उसक ा या उसी
अथ से क जानी चा हए भले ही उसके प रणाम कु छ भी ह ।

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क़ानून क ा या .

कभी कभी ऐसे अवसर आते ह जब दो ा या के बीच चयन करना पड़ता है एक संक ण और सरा ापक या बो र।
ऐसी त म य द संक ण ा या कानून के उ े य को ा त करने म वफल होगी तो ापक ा या को अपनाना चा हए।

उदाहरण के लए जब हम ता वत ताव के वषय व तु म कसी कं पनी के नदे शक या बंधक क चता या हत क कृ त


व ीय या अ यथा के कट करण क बात करते ह जैसा क कं पनी अ ध नयम क धारा म संद भत है हम इसक
ापक अथ म ा या करनी होगी क कसी भी चता या हत म कोई भी जानकारी और त य ह जो सद य को वसाय क
व तु के अथ दायरे और न हताथ को समझने और उस पर नणय लेने म स म बना सक। जो भी हो बना कसी संदेह या
दमन के पूण और कट करण क आव यकता है उदाहरण के लए जहां कोई बेटा या बेट या पता या मां या भाई या बहन
कसी अनुबंध या मामले म शा मल है तो शेयरधारक को इसके बारे म उ चत प से सू चत कया जाना चा हए और उ ह बताए
गए भौ तक त य। यहां एक तबं धत संक ण ा या कट करण के मूल उ े य को वफल कर दे गी।

इसके अलावा वा यांश और वा य का अथ ाकरण के नयम के अनुसार कया जाना चा हए। एसएस रेलवे कं पनी बनाम
वकस यू नयन एआईआर एससी एट के मामले म सु ीम कोट ारा बना कसी अ न त श द के इस पर जोर दया
गया था जब यह कहा गया था क अदालत को वधा यका ारा इ तेमाल क जाने वाली भाषा का शा दक अथ दे ना चा हए जब
तक क भाषा अ है या इसका शा दक अथ कसी वसंग त को ज म दे ता है या कु छ ऐसा प रणाम दे ता है जो अ ध नयम के
उ े य को वफल कर सकता है। वधा यका क मंशा को काया वत करना यायालय का कत है और ऐसा करते समय उसका
पहला संदभ यु श द के शा दक अथ पर होता है। जहां भाषा सरल है और के वल एक ही अथ को वीकार करती है वहां
ा या के लए कोई जगह नह है और के वल उस अथ को लागू कया जाना है भले ही वह बेतुक ा या शरारती हो कहावत है
ए सो यूटा सट टया ए सपो जटर नॉन इं डजेट

जसका अथ है क एक सरल पूवसग को कसी ा याकार क आव यकता नह है अथात जब आपके पास के वल एक ही ा या


करने म स म श द ह तो उनके लए कसी ीकरण क आव यकता नह है ।

इसी तरह जब कोई मामला जो कानून म दान कया जाना चा हए था ले कन नह कया गया है उसे अदालत ारा दान नह
कया जा सकता है य क ऐसा करना कानून क ेण ी म आएगा और नमाण नह होगा।

उदाहरण के लए यूपी जला बोड अ ध नयम क धारा म ावधान है क एक बोड अपने स चव को वशेष ताव
ारा बखा त कर सकता है जसके लए कु छ मामल म ानीय सरकार क मंज ूरी क आव यकता होती है। उसी अ ध नयम क
धारा म स चव को नलं बत करने क श दान क गई अ य बात के साथ साथ कसी भी ा धकारी के आदे श को लं बत
रखते ए जसक मंज ूरी उसक बखा तगी के लए आव यक थी। अ ध नयम क धारा थी

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. कॉप रेट और अ य कानून

म संशोधन कया गया और तब यह ावधान कया गया क बखा तगी का ताव अपील क अव ध क समा त तक या
अपील के नणय तक भावी नह होगा य द इसे तुत कया गया हो। हालाँ क अ ध नयम क धारा म तदनुसार संशोधन नह
कया गया था। सु ीम कोट ने कहा क यह भा यपूण है क जब वधा यका अ ध नयम क पुरानी धारा म संशोधन करने आई
तो वह धारा के संशोधन के अनु प धारा म संशोधन करना भूल गई। हालां क अदालत ने इस बात पर जोर दया क इसम
कोई संदेह नह है क यह कत है वधा यका ारा पा रत अ ध नयम के व भ ावधान म सामंज य ा पत करने का यास
करने के लए यायालय का कत न त प से कसी अ ध नयम के ावधान म अंतराल या चूक को भरने के लए वधा यका
ारा इ तेमाल कए गए श द को फै लाना नह है।

हालाँ क कभी कभी अदालत उस से टग या संदभ को दे ख सकती ह जसम श द का उपयोग कया जाता है और जन
पर तय म कानून पा रत कया गया है यह तय करने के लए क या वा तव म उपयोग कए गए श द के पीछे कु छ न हत है
जो शा दक अथ को नयं त करेगा जन श द का योग कया गया है। य द कसी उपवा य क दो संभा वत रचनाएँ ह एक
ाकरण के नयम पर आधा रत मा यां क और शा दक रचना और सरी जो उस से टग से उभरती है जसम उपवा य कट
होता है और जन प र तय म यह अ ध नय मत आ और साथ ही उस त से भी। उसम यु श द के आधार पर
अदालत सरी रचना को ाथ मकता दे सकती ह जो भले ही शा दक न हो फर भी बेहतर हो सकती है। अरोड़ा बनाम

उ र दे श रा य एआईआर एससी पर ।

लोक य अथ म यु श द यह आम जनता के संबंध म मामल से संबं धत है क़ानून म श द को उनके लोक य अथ म उपयोग


करने के लए माना जाता है। ले कन कसी वशेष वसाय या लेन दे न से नपटने के लए श द का उपयोग उस वशेष अथ के
साथ कया जाना माना जाता है जसम वे वशेष वसाय म उपयोग और समझे जाते ह। हालाँ क क़ानून म श द को आम तौर
पर उनके लोक य अथ म समझा जाता है न क उनके तकनीक अथ म।

यह सामा य नयम है क चूक का अनुमान लगाने क संभावना नह है। इससे यह एक और नयम सामने आता है क कसी क़ानून
म कु छ भी जोड़ा या हटाया नह जा सकता है जब तक क इस अनुमान को उ चत ठहराने के लए कु छ पया त आधार न ह क
वधा यका का इरादा कु छ ऐसा था जसे उसने करना छोड़ दया। संसद के अ ध नयम म ऐसे श द जोड़ना गलत बात है जो
वहां ह ही नह और आव यकता के अभाव म ऐसा करना भी गलत बात है। य द कसी मामले का क़ानून म ावधान नह
कया गया है। इसे के वल इस लए नह नपटाया जाना चा हए य क ऐसा कोई अ ा कारण नह है क इसे य छोड़ा जाना
चा हए था और प रणाम व प चूक अनजाने म ई तीत होती है।

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क़ानून क ा या .

उ चत सुधार कसी क़ानून क सामा य शत को ख म करने के लए नह ह। एक नमाण जो कसी क़ानून क भाषा के कसी भी ह से
को अ भावी बना दे गा उसे आम तौर पर अ वीकार कर दया जाएगा।

उदाहरण के लए य द कोई अ ध नयम प से वाटर स के एक यायालय से सरे यायालय म अपील का अ धकार दे ता है तो


यह माना जाता था क ऐसा ावधान हालां क असाधारण और शायद एक नरी ण है समा त नह कया जा सकता है।

शा दक ा या के इस नयम को न न ल खत शीषक के अंतगत पढ़ा और समझा जा सकता है

शा दक नमाण के लए अलग अलग शीषक


• ाकृ तक और ाकर णक अथ
• ीकरण
• सट क अथ जससे अथ खो जाता है
• तकनीक श द तकनीक अथ म

I ाकृ तक और ाकर णक अथ क़ानून को पहले उनके ाकृ तक सामा य या लोक य अथ म समझा जाना चा हए और उनके
शा दक और ाकर णक अथ के अनुसार समझा जाना चा हए। य द क़ानून के कसी इरादे या घो षत उ े य के
साथ कोई असंगतता है या इसम शा मल है

कसी भी बेतुके पन तकू लता असंगतता ाकर णक अथ को के वल ऐसी असु वधा से बचने के लए संशो धत व ता रत
या सं त कया जाना चा हए ले कन इससे आगे नह । हमाचल दे श रा य बनाम पवन कु मार

उदाहरण अदालत के सम एक म क या पान के प क ब ब कर के अधीन थी। इस मामले म सु ीम कोट ने


कहा क जब सामा य और ाकृ तक अथ और हो तो पान के प को श दकोश तकनीक या वान तक अथ नह
दया जा सकता। रोजमरा के उपयोग का श द होने के नाते इसे इसके लोक य अथ म समझा जाना चा हए जसके ारा लोग
इससे प र चत होते ह और साथ ही उस अथ को भी समझा जाना चा हए जो इस मामले से संबं धत कानून इसे बताता है।
इस लए पान के प क ब पर ब कर लगता था। रामावतार वी. सहायक ब कर अ धकारी एआईआर
एससी

II नयम क ा या जब यह कहा जाता है क श द को पहले उनके ाकृ तक सामा य या लोक य अथ म समझा जाना चा हए
तो इसका मतलब यह है क श द को उस ाकृ तक सामा य या लोक य अथ म यो य होना चा हए जो उनका है

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. कॉप रेट और अ य कानून

वषय व तु के संबंध म जसके संदभ म और जस संदभ म क़ानून म उनका उपयोग कया गया है। कसी श द का
अथ उसके पाठ और संदभ पर नभर करता है। क़ानून के नमाण म संदभ का अथ है सम प से क़ानून और
सम पता म अ य क़ानून जहाँ दो अ ध नयम का एक समान मामले म सामा य उ े य होता है ।

उदाहरण आं दे श सामा य ब कर नयम के अथ म पशुधन श द का अथ है क सभी घरेलू पशु


म लोक य अथ म चूज े शा मल नह ह गे हालां क शा दक अथ म पशु

कसी भी और येक चेतन व तु को नज व व तु से भ दशाता है।


रॉयल हैचरीज़ ाइवेट ल मटे ड बनाम आं दे श रा य एआईआर एससी

III अथहीन के ान पर सट क अथ को ाथ मकता द जाती है शा दक नमाण के नयम के संबंध म यह एक और ब


है क संसद के कसी अ ध नयम म अथ के ान पर सट क अथ को ाथ मकता द जाती है। चूँ क हर श द का एक
गौण अथ भी होता है। इस लए इस नयम को लागू करते समय कसी को सावधान रहना चा हए क तीयक अथ
को ढ ले अथ के साथ न मलाएं। जहां भी तीयक अथ उस अथ क ओर इशारा करता है जो क़ानून का अथ है
ाथ मकता उस तीयक अथ को द जानी चा हए।

उदाहरण ा त श द का सामा य अथ यह है क कसी चीज़ को ा त करने या ा त करने के लए कोई अनुरोध


या यास कया जाता है ले कन इसका तीयक अथ बना कसी यो यता के ा त करना या ा त करना है और य द
कसी क़ानून म तीयक अथ को ाथ मकता द जाती है तो यह नह कहा जा सकता है क ाथ मकता द गई है
अथहीन कर दया गया है।

IV तकनीक श द तकनीक अथ म शा दक नमाण क बात यह है क तकनीक श द तकनीक अथ म ही समझे जाते ह।

उदाहरण के लए सु ीम कोट एडवोके ट् स ए ट म ै टस श द क ा या करते समय यह दे ख ा गया क


कानून के अ यास म आम तौर पर एक वाद प क ओर से अ भनय और वकालत दोन काय का अ यास शा मल
होता है।
जब वधा यका एक वक ल को अदालत म ै टस करने का अ धकार दे ती है तो उस अ भ को उस अदालत म
पेश होने और पैरवी करने के साथ साथ वादका रय क ओर से काय करने के लए अ धकृ त करने के प म समझना
वैध है। अ नी कु मार घोष बनाम अर बद बोस एआईआर एससी

उ चत नमाण का नयम इस नयम के अनुसार कसी क़ानून के श द का अथ यूट रेस मै गस वैलेट वाम पेरेट होना
चा हए जसका अथ है क क़ानून के श द का अथ इस कार लगाया जाना चा हए ता क एक समझदार अथ ा त हो सके ।

आम तौर पर कसी क़ानून के श द या वा यांश को उनका सामा य अथ दया जाना चा हए। कसी क़ानून क ा या इस
कार क जानी चा हए क वह भावी हो सके

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क़ानून क ा या .

और ut res Magis valeat quam pereat के स ांत पर काय करता है । इस लए कसी कानून क ा या करते
समय दो अथ संभव ह एक तो क़ानून को ब कु ल अ और अथहीन बनाना और सरा न तता और साथक ा या क
ओर ले जाना ऐसी त म बाद क ा या का पालन कया जाना चा हए। ताप सह बनाम झारखंड रा य
एससीसी

उदाहरण डॉ. एएल मुद लयार बनाम एलआईसी ऑफ इं डया कॉ के स के मामले म । एससी यह माना
गया क कसी कं पनी के मेमोरडम ऑफ एसो सएशन को न प प से पढ़ा जाना चा हए और इसका अथ उस भाषा क
उ चत ा या से ा त होना चा हए जसे वह नयो जत करती है। इसके अलावा यह नधा रत करने के लए क या कोई
लेन दे न कसी कं पनी के उ े य के भीतर है व तु खंड को उ चत प से समझा जाना चा हए न तो कठोरता के साथ और न
ही ढलाई के साथ। वामन लाल छोटनलाल पारेख बनाम.

स धया ट म ने वटे शन कं पनी ल मटे ड कॉ । कै स. बोम. .

इस कार य द यायालय को लगता है क श द का अथ दे ना उ चत या उ चत नमाण नह होगा तो यह यायालय का


कत बन जाता है क वह श दकोष के अथ से हटकर उस नमाण को अपनाए जो उपचार को आगे बढ़ाएगा और दान क
गई शरारत को दबा दे गा। यायालय को अनुमान या अनुमान का सहारा नह लेना पड़ेगा। क़ानून क नी त एवं उ े य के अनु प
उ चत नमाण अपनाया जाएगा।

सामंज यपूण नमाण का नयम जब कसी क़ानून के श द के अथ के बारे म संदेह हो तो उ ह उस अथ म समझा जाना
चा हए जसम वे अ ध नयम के वषय और वधा यका के वचार म व तु के साथ सामंज य ा पत करते ह। उनका अथ भाषा
क कड़ाई से ाकर णक या ुप संबंधी औ च य म या उसके लोक य उपयोग म इतना अ धक नह पाया जाता है
जतना क वषय म या उस अवसर म जस पर उनका उपयोग कया जाता है और जस व तु को ा त कया जाना है।

जहां कसी अ ध नयम म दो या दो से अ धक ावधान ह जनका एक सरे के साथ समाधान नह कया जा सकता है जहां
भी संभव हो उनक ा या इस कार क जानी चा हए जससे वे सभी भावी हो सक। इसे सामंज यपूण नमाण के नयम
के प म जाना जाता है। कसी क़ानून क ा या इस तरह से करने का यास कया जाना चा हए जो क़ानून के उ े य के
अनु प हो।

उदाहरण राज कृ ण वी. बनोद AIR SC म दए गए त य के अनुसार लोक त न ध व अ ध नयम क


धारा और के बीच वरोधाभास था। धारा म कहा गया है क ए सरकारी कमचारी चुनाव लड़ने वाले
कसी उ मीदवार को नामां कत कर सकता है या उसका समथन कर सकता है जब क धारा म ावधान है क एक
सरकारी कमचारी वोट डालने के अलावा कसी भी तरह से चुनाव म कसी उ मीदवार क सहायता करने का हकदार नह है।
सु ीम कोट ने कहा क इन दोन ावधान क सामंज यपूण ढं ग से ा या क जानी चा हए और माना जाना चा हए क एक
सरकारी कमचारी इसका हकदार है

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. कॉप रेट और अ य कानून

रा य वधान सभा के लए चुनाव लड़ने वाले उ मीदवार को नामां कत करना या सरा समथन दे ना। यह सामंज य के वल तभी
ा त कया जा सकता है जब अ ध नयम क धारा क ा या सरकारी कमचारी को मतदान के साथ साथ उ मीदवारी
का ताव करने और उसका समथन करने और कसी अ य तरीके से उ मीदवार क सहायता करने से रोकने क श दान
करने के प म क जाती है।

उदाहरण औ ो गक ववाद अ ध नयम क धारा और धारा के बीच संघष इसके दो या अ धक ावधान


के बीच संघष को सुसंगत बनाकर सामंज यपूण नमाण के स ांत को लागू करता है। अ ध नयम क धारा म ावधान
है क बोड या अदालत क येक रपोट उसके साथ दज असहम त के कसी भी मनट येक म य ता पुर कार और
म यायालय याया धकरण या रा ीय याया धकरण का येक पुर कार तीस दन क अव ध के भीतर होगा। उपयु
सरकार ारा इसक ा त क तारीख को उस तरीके से का शत कया जाएगा जैसा उ चत सरकार उ चत समझे। जब क उप
धारा म ावधान है क उप धारा के तहत का शत पुर कार अं तम होगा और कसी भी अदालत ारा कसी भी तरह
से उस पर सवाल नह उठाया जाएगा।

अ ध नयम क धारा म ावधान है क सुलह कायवाही के अलावा नयो ा और कामगार के बीच समझौते से कया गया
समझौता समझौते के प पर बा यकारी होगा।

ऐसे मामले म जहां सरकार ारा काशन से पहले म याया धकरण के पुर कार क ा त के बाद समझौता हो जाता है मु ा
यह था क या सरकार को पुर कार का शत करने के लए धारा के तहत अभी भी आव यक था। इन दोन ावधान
के नमाण पर सु ीम कोट ने कहा क जो समझौता ह ता र क त थ से भावी हो जाता है उससे औ ो गक ववाद समा त
हो जाता है और अ ध नणय अ भावी हो जाता है तथा सरकार इसे का शत नह कर सकती।

सर स क ल मटे ड वी. सरकार। आं दे श का AIR SC

यह हमेशा यान म रखना चा हए क एक क़ानून संपूण प से पा रत कया जाता है खंड म नह और इसे एक सामा य उ े य
और इरादे से अनु ा णत माना जा सकता है। य द संभव हो तो यायालय का कत कसी क़ानून के सभी भाग को भावी
बनाना है।
ले कन यह सामा य स ांत वधा यका के इरादे को आगे बढ़ाने म अदालत का मागदशन करने के लए है न क उसे ख म
करने के लए। जब सामा य नयम के कठोर पालन के लए इसके वपरीत संके त क उपे ा क आव यकता होगी तो
इस नयम को लागू कया जाना चा हए।
अनुभाग और उप अनुभाग को एक अ भ अंग के भाग और पर र नभर होने के प म पढ़ा जाना चा हए। इस लए कसी
एक खंड के कसी एक खंड को सरे खंड के ावधान क अनदे ख ी कर मह व नह दया जाना चा हए। य द असंगतता से
बचना असंभव है तो जो ावधान बाद म अ ध नय मत या संशो धत कया गया था उसे लागू होना चा हए।

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क़ानून क ा या .

सामंज यपूण नमाण का नयम के वल तभी लागू होता है जब कसी अ ध नयम के ावधान के बीच वा त वक और न के वल
संघष होता है और उनम से एक को सरे के अधीन नह बनाया गया है। जब श द अपने संदभ को समझने के बाद के वल
एक ही अथ दे ने म स म होते ह तो सामंज यपूण नमाण का नयम गायब हो जाता है और उसक जगह शा दक नमाण का
नयम आ जाता है।

लाभकारी नमाण का नयम या हेडन का नयम जहां कसी क़ानून म यु भाषा एक से अ धक ा या करने म स म
है नमाण के लए सबसे मजबूती से ा पत नयम हेडन के मामले म नधा रत स ांत है कं पनी तनध ए
ईआर . यह नयम जसे उ े यपूण नमाण या शरारत नयम के प म भी जाना जाता है एक अ ध नयम क ा या म
चार मामल पर वचार करने म स म बनाता है

अ ध नयम बनने से पहले कानून या था

वह कौन सी शरारत या दोष था जसके लए कानून म कोई ावधान नह था

अ ध नयम ने या उपाय दान कया है और

उपाय का कारण या है

नयम तब नदश दे ता है क अदालत को उस नमाण को अपनाना चा हए जो शरारत को दबाएगा और उपचार को आगे


बढ़ाएगा।

इस लए ऐसे मामले म भी जहां यु भाषा का सामा य अथ वधा यका के संपूण उ े य से कम पड़ता है श द को अ धक


व ता रत अथ दया जा सकता है बशत वे इसके त काफ संवेदनशील ह । हालाँ क य द प र तयाँ दशाती ह क
अ ध नयम म पदावली का योग उसके सामा य अथ से बड़े अथ म कया गया है तो उसे वह अथ दया जा सकता है। य द
कसी क़ानून का उ े य सावज नक सुर ा है तो उस उ े य को भावी बनाने के लए इसक काय णाली क ापक प से
ा या क जानी चा हए। इस कार मक मुआ वजा अ ध नयम को पा रत करते समय वधा यका का इरादा था क
नधा रत ापार म येक कामगार मुआ वजे का हकदार होना चा हए यह माना गया क अ ध नयम को यथासंभव भावी
बनाया जाना चा हए। इसके ाथ मक ावधान.

वे क़ानून जनम कु छ करने क आव यकता होती है।

उदाहरण के लए एक क़ानून जसम कसी भी काय के लए कारवाई क सूचना क आव यकता होती है उसे उस काय क
चूक के प म समझा जाना चा हए जसे कया जाना चा हए और साथ ही एक गलत काय का कमीशन भी शा मल है। जहां
कसी क़ानून के लए कसी ारा कु छ करने क आव यकता होती है वहां आम तौर पर इसका पया त अनुपालन होगा
य द वह काम कसी अ य ारा उसक ओर से और उसके ा धकार ारा कया जाता है य क यह माना जाएगा क
क़ानून का इरादा इसे रोकने का नह है। कानून के सामा य स ांत का अनु योग व फै सट त ए लयम फै सट त
से वह जो सरे के बावजूद काय करता है ।

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. कॉप रेट और अ य कानून

गत प से काय करने के लए समझा जाता है । ऐसा तब तक होगा जब तक क क़ानून क भाषा या व तु म ऐसा कु छ न हो


जो दशाता हो क के वल गत काय का इरादा था।

हालाँ क सव यायालय ारा इस बात पर जोर दया गया है क हेडन के मामले म नयम के वल तभी लागू होता है जब इ तेमाल
कए गए श द अ ह और एक से अ धक अथ दे ने म स म ह सीआईट बनाम सोदरा दे वी एससी ।

इस शरारत नयम के आवेदन का उदाहरण पुर कार तयो गता अ ध नयम क धारा डी के नमाण म भी अ तरह से
पाया जाता है। यह धारा पुर कार तयो गता को कोई भी तयो गता जसम कसी भी सम या के समाधान के लए पुर कार
क पेशकश क जाती है के प म प रभा षत करती है। अ र श द या आकृ तय क नमाण व ा संयोजन या मप रवतन
पर आधा रत पहेली । मु ा यह है क या अ ध नयम उन तयो गता पर लागू होता है जनम पया त कौशल शा मल है और जो
जुए क कृ त म नह ह। सु ीम कोट ने कानून क पछली त उस कानून के तहत जारी कु था और अनु ेद के तहत
व भ रा य के ताव का हवाला दे ते ए संसद को अ ध नयम पा रत करने के लए अ धकृ त कया। यह कहा गया था क कानून
के इ तहास उसके घो षत उ े य और क़ानून के श द को यान म रखते ए हमारी राय है क जन तयो गता को अ ध नयम
ारा नयं त और व नय मत करने क मांग क जाती है वे के वल वे तयो गताएँ ह जनम सफलता मलती है कौशल क कसी
भी पया त ड ी पर नभर नह । आरएमडी चमारबागवाला वी.

भारत संघ एआईआर एससी ।

सही स ांत यह है क श द को उनके संदभ म समझने के बाद और यह पाया जाता है क भाषा के वल एक ही नमाण को वहन
करने म स म है हेडन के मामले म नयम नयं त करना बंद कर दे ता है और सादे अथ नयम को रा ता दे ता है। लॉड साइमन इस
पहलू क ा या करते ए कहते ह क हेडन का मामला दो चरण म उपल है

i क़ानून का और ाथ मक अथ सु न त करने से पहले और

ii सरे उस चरण म जब अदालत इस न कष पर प ँचती है क वहाँ है


ऐसा कोई अथ नह है.

असाधारण नमाण का नयम असाधारण नमाण का नयम कसी क़ानून म उन क़ानून और श द को हटाने के लए है जो
क़ानून के वा त वक उ े य को वफल करते ह या जनका कोई मतलब नह है। यह और या हो सकता है करेगा और
चा हए श द के नमाण के लए भी है।

इस नयम के कई पहलू ह जैसे

ए सामा य ान नयम सामा य नयम के बावजूद क येक श द पर पूण भाव दया जाना चा हए य द कसी श द या वा यांश
के लए कोई समझदार अथ तय नह कया जा सकता है या य द यह अ ध नयम के वा त वक उ े य को वफल कर दे गा
तो इसे कया जाना चा हए सफाया कर दया। कसी क़ानून के श द का अथ इस कार होना चा हए क वे एक प रणाम
दे सक

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क़ानून क ा या .

य द संभव हो तो उनके लए समझदार अथ। इनका अथ यू े स मै गस वैलेट वाम पेरेट लगाया जाना चा हए
जसका अथ है क कसी चीज़ का भावहीन होना बेहतर है बजाय इसके क उसे शू य बना दया जाए।

बी संयोजक और वयोजक श द या और या श द सामा यतः संयोजक है और और सामा यतः संयोजक है। हालाँ क
कई बार संदभ से कट वधा यका के इरादे को भावी बनाने के लए उ ह इसके वपरीत के प म पढ़ा जाता
है। ऐसा तब होगा जब श द को शा दक प से पढ़ने से अ या बेतुक ा प रणाम सामने आएगा। ऐसे मामले म
और को या के लए और या को और के लए पढ़ा जा सकता है भले ही श द को संशो धत करने का प रणाम
वषय के लए कम अनुकू ल हो बशत क वधा यका का इरादा अ यथा ब कु ल हो।

उदाहरण आ धका रक गोपनीयता अ ध नयम म धारा के अनुसार कोई भी जो मूल अ ध नयम या


इस अ ध नयम के तहत कोई अपराध करने का यास करता है या कसी अ य को अपराध करने के लए
आ ह करता है या उकसाता है या मनाने का यास करता है या सहायता करता है या उकसाता है और कसी अपराध
के घ टत होने क तैयारी के लए कोई काय करता है । यहां बो म और श द को या के प म पढ़ा जाना है।
और को और के प म पढ़ने से अबोधग य एवं बेतुक ा अथ नकलेगा तथा वधा यका क मंशा के व
होगा। आर वी. ओ स

सी मई ज री और करेगा इस पहलू पर चचा करने से पहले अ नवाय और नद शका श द पर यान दे ना


उ चत होगा। ावहा रक प से एक ावधान जो अ नवाय है और जो एक नद शका है के बीच अंतर यह है
क जब यह अ नवाय है तो इसका स ती से पालन कया जाना चा हए जब यह नद शका हो तो यह पया त होगा
क इसका पया त प से अनुपालन कया जाए।

हालाँ क हम सार को दे ख ना होगा न क के वल प को अ नवाय प म एक अ ध नयम काफ हद तक नद शका


हो सकता है और इसके वपरीत नद शका प म एक क़ानून सार प म अ नवाय हो सकता है।

इस लए यह वह पदाथ है जो मायने रखता है और इसे के वल प से अ धक ाथ मकता द जानी चा हए। य द कोई


ावधान कसी कत के साथ श दान करता है तो यह अ नवाय है यह है या नह यह इस तरह के वचार पर
नभर करेगा

जस चीज़ को करने का अ धकार दया गया है उसक कृ त

वह व तु जसके लए यह कया गया है और

वह जसके लाभ के लए श का योग कया जाना है

i मई यह अ तरह से ा पत है क स म श द को अ नवाय माना जाता है जहां भी श का उ े य कानूनी


अ धकार को भावी बनाना है वैधा नक ावधान म मई श द का उपयोग अपने आप म नह होगा। दखाएँ क ावधान
नद शका कृ त का है। कु छ मामल म वधा यका हो सकता है श द का उपयोग कर सकती है

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. कॉप रेट और अ य कानून

शु पारंप रक श ाचार का मामला और फर भी एक अ नवाय बल का इरादा है।


इस लए हो सकता है श द के कानूनी अथ क ा या करने के लए हम व भ कारक पर वचार करना होगा

उदाहरण के लए अ ध नयम का उ े य और योजना संदभ या पृ भू म जसके व श द का उपयोग कया गया है अ ध नयम


के उ े य और लाभ जो इस श द और इसी तरह के उपयोग से ा त कए जाने चा हए।

जहां हो सकता है श द म दा य व के साथ ववेक शा मल है या जहां यह वषय के सामा य वग को सकारा मक लाभ दान
करता है या जहां एक उपाय आगे बढ़ाया जाएगा और एक शरारत को दबा दया जाएगा या जहां श द को नद शका मह व दे ने से
उसे हरा दया जाएगा अ ध नयम का ब त ही उ े य है तो हो सकता है श द क ा या एक अ नवाय बल को करने के
लए क जानी चा हए। इस कार जहां कसी दा य व के साथ सावज नक ा धकरण को ववेक ा धकार दान कया जाता है
वहां हो सकता है श द का अथ एक आदे श माना जाना चा हए। इसी कार जब सरकार का कोई आदे श या क़ानून कसी
ा धकारी को सावज नक कत के नवहन म श दान करता है और य प ऐसी श के वल अनुमेय तीत होती है तो यह
ज री है क ा धकारी को अपने कत के नवहन म उस श का योग करना चा हए वहां हो सकता है श द अ नवाय बल
हण करता है।

हो सकता है श द को अ सर करना या चा हए के प म पढ़ा जाता है जब कए जाने वाले काय क कृ त म कु छ ऐसा


होता है जो उस का कत बनाता है जसे श दान क गई है क वह श का योग करे। यह तय करने के लए कोई
सामा य नयम नह बनाया जा सकता है क या कसी क़ानून म कोई वशेष ावधान अ नवाय है जसका अथ है क उसके गैर
पालन म अमा यता के प रणाम शा मल ह या के वल नद शका यानी एक ववेक जसका पालन न करने पर प रणाम शा मल
नह है अमा यता के अ य कोई भी प रणाम हो सकते ह। ले कन येक मामले म यायालय को वधा यका क मंशा तय करनी
होती है। या वधा यका का यह वैधा नक ावधान बनाने का इरादा था क इसका पालन न करने पर अमा यता होगी या नह इसे
तय करने के लए हम न के वल इ तेमाल कए गए वा त वक श द पर वचार करना होगा ब क क़ानून क योजना जनता को
अपे त लाभ या ावधान से जुड़ा आ और योजना के उ लंघन से जनता को होने वाले भौ तक खतरे पर भी वचार करना होगा।
होगा या हो सकता है अ भ का योग नणायक नह है। संदभ को यान म रखते ए अ भ हो सकता है का
अलग अलग मह व है। एक संदभ म यह पूरी तरह से अनुमेय हो सकता है जब क सरे संदभ म यह एक श दान कर सकता
है और उस पर इसे अ नवाय बना सकता है जसके पास नधा रत श के अनुसार इसका योग करने क श है।
इस लए न संदेह हो सकता है श द का अथ आमतौर पर ज री या होगा नह होता है फर भी वही श द हो सकता है उस
संदभ के आलोक म ज री या चा हए का अथ दे ने म स म है।

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क़ानून क ा या .

ii करेगा श द का योग अपने आप म अ ध नयम के ावधान को अ नवाय नह बना दे गा। इसका अथ उस संदभ के अनु प
होना चा हए जसम इसका उपयोग कया गया है। इस कार सरकार के व क़ानून म उपयोग कए जाने पर करेगा श द को
हो सकता है के प म समझा जाना चा हए जब तक क कोई वपरीत इरादा कट न हो। इस लए कसी आपरा धक क़ानून म
ावधान है क अपराधी को क़ानून म नधा रत अनुसार दं डत कया जाएगा यह आव यक नह है क सरकार कसी अ य लागू
क़ानून के बजाय उस ावधान के तहत मुक दमा चलाने का नदश दे ।

इस लए आम तौर पर कहा जाए तो जब कोई क़ानून करेगा श द का उपयोग करता है तो थम या यह अ नवाय है ले कन


कभी कभी इसक ा या नह क जाती है य द वधा यका का संदभ या इरादा अ यथा मांग करता है। इस कार कु छ
पर तय म अ भ करेगा का अथ हो सकता है होता है। फर भी इस बात पर जोर दया जाना चा हए क करेगा
श द अपने सामा य मह व म अ नवाय है और यायालय आमतौर पर इस श द क ा या करेगा जब तक क ऐसी ा या से
कोई बेतुक ा या असु वधाजनक प रणाम न हो या इरादे से भ न हो। वधा यका के अ ध नयम के अ य भाग से एक कया जाना
है।

वधा यका के वा त वक इरादे का पता लगाने के लए यायालय अ य बात के अलावा न न ल खत पर भी वचार कर


सकता है

क़ानून क कृ त और डज़ाइन

इसका एक या सरे ढं ग से अथ लगाने से जो प रणाम नकलेगा

अ य ावधान का भाव जसका सहारा लेक र गत ावधान के अनुपालन क आव यकता से बचा जा सकता है

यद गत ावधान का अनुपालन नह कया जाता है तो क़ानून म कोई दं ड का ावधान है या नह

य द वचाराधीन ावधान का अनुपालन नह कया जाता है तो या प रणाम मामूली या गंभीर ह गे और

सबसे मह वपूण बात यह है क या कानून का उ े य वफल हो जाएगा


या आगे बढ़ाया गया.

जहां अ ध नयम के वशेष ावधान का अनुपालन न करने के लए क़ानून म ही एक व श दं ड का ावधान कया गया है वहां यह
नधा रत करने के लए यायालय के पास कोई ववेक ा धकार नह है क ऐसा ावधान नद शका है या अ नवाय है इसे अ नवाय
के प म लया जाना चा हए।

क़ानून क एक ही धारा म एक मामले के संबंध म करेगा श द का उपयोग और सरे मामले के संबंध म हो सकता है श द का
उपयोग आम तौर पर इस न कष पर प ंचेगा क करेगा श द एक दा य व लगाता है जब क श द मई

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. कॉप रेट और अ य कानून

एक ववेक ाधीन श दान करता है म आयु एमपीवी बुरहानपुर ता ती मल एआईआर एससी ।

एजु डेम जेने रस का नयम एजु डेम जेने रस श द का अथ है एक ही कार या जा त का । सीधे श द म कह तो नयम
का अथ है

i जहां कोई भी अ ध नयम व भ वषय क गणना करता है व श श द के बाद आने वाले सामा य श द को उनके पहले के
श द के संदभ म समझा और समझा जाना चा हए। उन सामा य श द को पहले बताए गए व श श द के समान ही
चीज पर लागू होने के प म लया जाना चा हए जब तक क यह दखाने के लए कु छ न हो क ापक अथ का इरादा
था। इस कार एजु डेम जेने रस के नयम का अथ है क जहां व श श द का उपयोग कया जाता है और उन व श
श द के बाद कु छ सामा य श द का उपयोग कया जाता है सामा य श द पहले इ तेमाल कए गए व श श द से
अपना रंग लगे।

उदाहरण के लए यु अशां त या कसी अ य कारण के प रणाम व प अ भ म कोई अ य कारण श द पहले


के श द यु अशां त से रंग लगे और इस लए उसी कार के कारण तक सी मत ह गे दो ना मत उदाहरण। इसी तरह
जहां एक अ ध नयम कु ब लय गाय भस और अ य जानवर को रखने क अनुम त दे ता है वहां अ भ
अ य जानवर म शेर और बाघ जैसे जंगली जानवर शा मल नह ह गे ब क इसका मतलब के वल पालतू जानवर जैसे
घोड़े आ द ह गे।

जहां ह थयार गोला बा द या बं क या कसी अ य सामान के आयात पर तबंध था वहां कोई अ य सामान श द
को ह थयार गोला बा द या गन पाउडर एजी बनाम के समान सामान के संदभ म माना गया था ।

ाउन के बी ।

ii य द उपयोग कए गए वशेष श द पूरे जीनस ेण ी को समा त कर दे ते ह तो सामा य श द को एक बड़े जीनस को


कवर करने वाला माना जाएगा।

iii हालाँ क हम यह यान रखना चा हए क एजु डेम जेने रस का सामा य स ांत के वल वह लागू होता है जहां व श श द
सभी समान कृ त के होते ह। जब ये अलग अलग ेण ी के होते ह तो सामा य श द का अथ न न ल खत होता है

वे व श श द अ भा वत रहते ह तब वे सामा य श द पहले के व श श द से रंग नह लगे।

शु क दर शु क और कर अ भ म शु क श द को आगामी श द दर शु क और कर से रंग लेते ए पढ़ा गया


था। यहां सामा य ेण ी व श े णय क गणना से पहले थी और इस लए एजु डेम जेने रस का नयम तकनीक प
से लागू नह था और अदालत ने वा तव म अ धक सामा य नयम नो कटु र ए सो सस को लागू कया और आरोप श द
के अथ को सही ढं ग से सी मत कर दया।

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क़ानून क ा या .

नयम तब लागू होता है जब

क़ानून म व श श द क गणना होती है

गणना के वषय एक वग या ेण ी का नमाण करते ह

वह वग या वग गणना से समा त नह होता

सामा य शत गणना का अनुसरण करती ह और

कसी भ वधायी मंशा का कोई संके त नह है

यह भी यान दया जाना चा हए क अदालत के पास यह ववेक ा धकार है क कसी वशेष मामले म एजु डेम जेने रस
स ांत को लागू कया जाए या नह । उदाहरण के लए यायालय क समापन श य म उ चत और यायसंगत खंड को
पहली पांच तय तक सी मत नह माना जाता है जसम यायालय कसी कं पनी को बंद कर सकता है।

बी ा या के अ य मा य मक नयम।

उपयोग का भाव क़ानून के तहत वक सत उपयोग या अ यास समकालीन राय ारा इसके श द को पहचाने गए अथ
का संके तक है। एक पुराने क़ानून के तहत जारी एक समान कु यात था और उसम संशोधन करने के लए वधा यका क
न यता यह दखाने के लए मह वपूण कारक ह क इस कार अपनाई गई था कानून क सही समझ पर आधा रत थी।
जब उपयोग या अ यास को या यक या वधायी अनुमोदन ा त होता है तो इसे अ त र मह व मलता है।

इस संबंध म हम दो लै टन कहावत को यान म रखना होगा

i ऑ टमा लेगम इंटर ेज़ इ ट कॉ सुए ूड क टम कानून का सबसे अ ा ा याकार है और

ii कं टे े नया ए सपो सटो इ ट ऑ टमा एट फो ट स नया इन लेगे कसी द तावेज़ क ा या करने का सबसे
अ ा तरीका यह है क इसे वैसे ही पढ़ा जाए जैसे इसे बनाते समय पढ़ा गया होगा ।
इस लए कसी क़ानून या कसी अ य द तावेज़ क सबसे अ ा या नमाण वह है जो समकालीन ा धकारी ारा
क गई हो।

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. कॉप रेट और अ य कानून

सीधे श द म कह तो पुराने क़ानून और द तावेज़ क उसी तरह ा या क जानी चा हए जैसी वे उस समय होती
जब वे अ ध नय मत लखे गए थे।

कसी क़ानून के नमाण और उसके तहत बनाए गए वैधा नक उपकरण पर काश डालने वाले समसाम यक आ धका रक
बयान का उपयोग भारत म न के वल ाचीन ब क यहां तक क हाल के क़ानून क ा या करने के लए समकालीन ा या
के प म कया गया है।

उदाहरण तभू त अनुबंध व नयमन अ ध नयम क धारा के तहत अ धसूचना के साथ साथ सरकार ारा
जारी कए गए द तावेज़ का उपयोग अ धसूचना के समसाम यक ववरण के प म कया गया था। दे शबंधु गु ता एंड कं पनी
बनाम द ली टॉक ए सचज एसो सएशन ल मटे ड एआईआर एससी

सामा य ान के तरीके से समझे जाने वाले संब श द जब दो श द या अ भ य को एक साथ जोड़ा जाता है जनम
से एक आम तौर पर सरे को बाहर कर दे ता है तो जा हर तौर पर अ धक सामा य श द का उपयोग व श को छोड़कर एक
अथ म कया जाता है। सरी ओर नो कटु र ए सो शयस यह अपने सहयो गय ारा जाना जाता है क अवधारणा है
यानी कसी श द का अथ उस कं पनी ारा आंक ा जाना चा हए जसे वह रखता है । जब दो या दो से अ धक श द जो अनु प
समान या समानांतर अथ दे ने म स म ह एक साथ जोड़े जाते ह तो उ ह उनके सजातीय अथ म समझा जाना चा हए अथात
मूल कृ त या गुण व ा म समान । वे मानो एक सरे से अपना रंग लेते ह यानी अ धक सामा य को कम सामा य के अनु प
अथ तक सी मत कर दया जाता है। यह एजु डेम जेने रस के नयम से ापक नयम है ब क एजु डेम जेने रस के वल
नो कटु र ए सो सस का एक अनु योग है। यह यान म रखा जाना चा हए क नो सटु र ए सोसाइट सी के वल नमाण का एक
नयम है और यह उन मामल म लागू नह हो सकता है जहां यह है क प रभा षत श द के दायरे को तदनुसार ापक
बनाने के लए ापक श द का जानबूझ कर उपयोग कया गया है।

उदाहरण के लए अ भ म वा ण यक त ान का अथ एक ऐसा त ान है जो कोई वसाय ापार या पेशा


चलाता है श द पेशे को संबं धत श द वसाय और ापार के साथ समझा गया था और यह माना गया था क एक
नजी औषधालय था। प रभाषा के अंतगत नह . दे व एम.

सुरती डॉ. बनाम गुज रात रा य एआईआर एससी एट ।

मनोरंज न श द का योग जब सावज नक जलपान रसॉट और मनोरंज न के लए घर अ भ म कया जाता है तो इसका


अथ नाटक य संगीत या इसी तरह के दशन के आम तौर पर समझे जाने वाले अथ से भ होगा।

इसी कार अ भ सावज नक रसॉट का ान जब सड़क और ग लय के साथ जोड़ा जाता है तो इसका एक अथ


होगा और वही अ भ सावज नक रसॉट का ान जब घर श द के साथ जोड़ा जाता है तो इसका एक अलग अथ
होगा।

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क़ानून क ा या .

सं वधान के अनु ेद म द कसी रा य के वधानमंडल के सदन क श य वशेषा धकार और तर ा क ा या


करते ए सव यायालय ने कहा क श य श द को इसके त काल संबंध म श द से अपना रंग लेना चा हए और यह समझा
जाना चा हए क इसका ता पय वधायी श य से नह ब क सदन क उन श य से है जो उसके कामकाज के संचालन के लए
आव यक ह। कनाटक रा य बनाम भारत संघ एआईआर एससी

. ा या म आंत रक सहायता
नमाण
येक अ ध नयम का अपना शीषक तावना शीषक सीमांत नोट् स प रभाषा अनुभाग खंड च आ द होते ह। इ ह नमाण
के लए आंत रक सहायक के प म जाना जाता है और ये अ ध नयम या उसके कसी भाग क ा या नमाण म अ य धक
सहायक हो सकते ह।

लंबा शीषक
को प ढ़ए
सम प से क़ानून तावना

अनुसू चय शीषक

आंत रक सहायता

नमाण के लए

सीमांत
ीकरण ट प णयाँ

पा रभा षक
नयम
धारा

रेख ांक न

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. कॉप रेट और अ य कानून

ए लंबा शीषक एक अ ध नयम म एक लघु शीषक और एक लंबा शीषक भी होता है। लघु शीषक के वल अ ध नयम क
पहचान करता है और इसे के वल सु वधा के लए चुना जाता है सरी ओर द घ शीषक अ ध नयम का वणन करता है
और के वल इसक पहचान नह करता है।

अब यह तय हो गया है क कसी अ ध नयम का लंबा शीषक अ ध नयम का एक ह सा है। इस लए हम अ ध नयम के


उ े य दायरे और उ े य को सु न त करने के लए इसका उ लेख कर सकते ह और इस लए यह इसके नमाण म
सहायता के प म वीकाय है।

उदाहरण उ तम यायालय के अ धव ा का पूरा पदनाम उ यायालय म ै टस


अ ध नयम न द करता है क यह सव यायालय के अ धव ा को कसी भी उ यायालय म अ धकार के प म अ यास करने
के लए अ धकृ त करने वाला एक अ ध नयम है।

इस लए कसी क़ानून का शीषक अ ध नयम का एक मह वपूण ह सा है और इसे इसके सामा य दायरे का पता लगाने
और इसके नमाण पर काश डालने के उ े य से संद भत कया जा सकता है हालां क यह अ ध नयम के अथ को
ख म नह कर सकता है। अ वनी कु मार घोष बनाम अर बद बोस एआईआर एससी

बी तावना तावना लंबे शीषक क तुलना म अ ध नयम के दायरे उ े य और उ े य को अ धक ापक प से करती


है। तावना म कसी क़ानून को बनाने का आधार और कारण तथा इसके ारा र क जाने वाली बुराई का वणन कया
जा सकता है।

लॉ ग टाइल क तरह कसी क़ानून क तावना अ ध नयम का एक ह सा है और इसे वैध प से समझने के लए


इ तेमाल कया जा सकता है। हालाँ क तावना अ ध नयम के ावधान को ख म नह करती है ले कन य द क़ानून
क श दावली इसके उ चत नमाण के बारे म संदेह पैदा करती है उदाहरण के लए जहां श द या वा यांश के एक से
अ धक अथ ह और संदेह उ प होता है अ ध नयम म दोन म से कस अथ का आशय है उ चत नमाण पर प ंचने के
लए तावना का संदभ लया जाना चा हए।

सं ेप म कसी अ ध नयम क तावना वधा यका के ाथ मक इरादे का खुलासा करती है ले कन इसे के वल नमाण म
सहायता के प म लाया जा सकता है य द क़ानून क भाषा नह है। हालाँ क यह अ ध नयम के ावधान को ख म
नह कर सकता।

उदाहरण ह ववाह अ ध नयम क धारा म हो सकता है श द का उपयोग यह ावधान करता है क ववाह


दो ह के बीच संप हो सकता है... को इस अथ म अ नवाय माना गया है क ववाह के दोन प को ऐसा करना
होगा। अ ध नयम क धारा म प रभा षत अनुसार ह बन। यह माना गया क ह ववाह अ ध नयम के तहत एक
ईसाई पु ष और एक ह म हला के बीच कया गया ववाह शू य था। इस नतीजे पर अ ध नयम क तावना को यान
म रखते ए भी प ंचा गया जसम लखा है संशोधन और सं हताब करने के लए एक अ ध नयम

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क़ानून क ा या .

ह के बीच ववाह से संबं धत कानून गु लीपोली सोव रया राज वी. बंडा पावनी एससीसी

सी कसी अ याय का शीषक और शीषक य द हम कसी भी अ ध नयम पर नजर डालते ह तो हम आम तौर पर पाएंगे क कसी वशेष व तु पर
लागू होने वाले इसके कई खंड एक साथ समूहीकृ त होते ह कभी कभी अ याय के प म शीषक और या शीषक से पहले जुड़े होते ह। .
अनुभाग या अनुभाग के समूह से पहले लगाए गए इन शीषक और शीषक को अ ध नयम या उसके भाग क ा या करने के उ े य
से वैध प से संद भत कया जा सकता है। हालाँ क उ ह दए जाने वाले वेटेज को लेक र मतभेद है। जब क राय का एक वग मानता है
क एक शीषक को इसके अंतगत आने वाले खंड क ा या क कुं जी दे ने वाला माना जाना चा हए और इसे इसके बाद के ावधान
क तावना के प म माना जा सकता है राय का सरा वग इस बात पर ज़ोर दे ता है क इसका सहारा लया जाए शीषक के वल तभी
लया जा सकता है जब अ ध नय मत श द अ ह । इस कोण के अनुसार अनुभाग या अनुभाग के समूह से पहले लगाए गए
शीषक या शीषक को सं द ध अ भ य के नमाण के प म संद भत कया जा सकता है ले कन कसी के सादे श द को तबं धत
करने के लए इसका उपयोग नह कया जा सकता है।

अ ध नयमन.

हालाँ क हम यान दे ना चा हए क अनुभाग के एक समूह के शीषक का उपयोग अनुभाग के सरे समूह क ा या करने के लए नह
कया जा सकता है।

उदाहरण आपरा धक या सं हता म शा मल अ याय को कु छ अपराध का सं ान लेने के लए सीमा के प म पढ़ा जाता


है इसे नयं त करने वाला नह माना गया था और यह माना गया था क उ अ याय म व भ ावधान के संचयी पढ़ने से प से
संके त मलता है क सीमा उसम नधा रत ावधान के वल शकायत दज करने या अ भयोजन शु करने के लए था सं ान लेने के लए
नह । भारत दामोदर काले बनाम आं दे श रा य एयर एससी

डी सीमांत नोट् स हालां क कसी अ ध नयम क ा या करने के लए सीमांत नोट् स का सहारा लेने के संबंध म मतभेद है आम तौर पर माना
जाता है क कसी अनुभाग से जुड़े सीमांत नोट् स का उपयोग अनुभाग को समझने के लए नह कया जा सकता है। सीआईट बनाम
अहमदभाई उमरभाई एंड कं पनी एआईआर एससी एट म पतंज ल शा ी जे. ने घोषणा क थी एक भारतीय
क़ानून म सीमांत नोट

जैसा क कसी अ ध नयम म होता है क़ानून क ा या करने के उ े य से संसद का उ लेख नह कया जा सकता है और कई अ य
मामल म भी यही कोण अपनाया गया है। कई मामल से पता चलता है क कसी क़ानून म कसी अनुभाग क ा या के लए
असाधारण मामल म सीमांत नोट् स का संदभ वीकाय हो सकता है।

द वान सह बनाम. राज पीडी. अरदे वी एससीसी सरबजीत रक सह बनाम।


भारत संघ एससीसी

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. कॉप रेट और अ य कानून

हालाँ क सं वधान के अनु े द से जुड़े सीमांत नोट् स को सं वधान सभा ारा पा रत सं वधान का ह सा माना गया है और इस लए अनु ेद
क ा या करने म उनका उपयोग कया गया है।

उदाहरण सं वधान का अनु ेद थम या तुत करता है अनु े द के अथ और उ े य के बारे म कु छ सुराग बंगाल इ यु नट


कं पनी ल मटे ड बनाम।
बहार रा य AIR SC

ई प रभाषा अनुभाग ा या खंड वधा यका के पास कसी क़ानून म अपनी भाषा क प रभाषा को शा मल करने क श है और क़ानून के
मु य भाग म यु कु छ श द और अ भ य क प रभाषाएँ क़ानून म मलना काफ आम है। . जब कसी श द या चरण को
अ ध नयम म एक वशेष अथ के प म प रभा षत कया जाता है तो अ ध नयम क धारा क ा या करते समय के वल वही अथ दया
जाना चा हए जब तक क संदभ म कु छ भी तकू ल न हो। यायालय वैधा नक प रभाषा को नजरअंदाज नह कर सकता है और वतं प
से अ भ का जो सही अथ मानता है उसे नकालने का यास नह कर सकता है।

प रभाषा खंड का उ े य दो गुना है i अ ध नयम क उ चत ा या के लए एक कुं जी दान करना और ii प रभाषा भाग म न हत


समान श द क पुनरावृ से बचकर अ ध नय मत भाग क भाषा को छोटा करना हर बार वधा यका प रभाषा म न हत अ भ य का
उ लेख करना चाहती है।

प रभाषा भाग म न हत समान श द क


अ ध नयम क उ चत ा या क कुं जी पुनरावृ से बचकर अ भनय भाग
दान करना क भाषा को छोटा करना।

प रभाषा के नमाण को न न ल खत शीषक के अंतगत समझा जा सकता है


तबंधा मक और ापक प रभाषाएँ

ii अ प रभाषाएँ

iii प रभाषाएँ वपरीत स दभ के अधीन ह

i तबंधा मक और ापक प रभाषाएँ कसी श द क प रभाषा

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क़ानून क ा या .

प रभाषा अनुभाग म अ भ या तो अपने सामा य अथ को सी मत कर सकती है या उसी से ापक हो सकती है।

जब कसी श द को अथ के प म प रभा षत कया जाता है तो प रभाषा थम या तबंधा मक और संपूण होती है


हम श द के अथ को प रभाषा अनुभाग म दए गए अथ तक ही सी मत रखना चा हए।

ले कन जहां श द को इस तरह से शा मल करने के लए प रभा षत कया गया है वहां प रभाषा थम या ापक है


यहां प रभा षत श द उसे दए गए अथ तक ही सी मत नह है ब क उसका ापक अथ है जसम उसे दए गए अथ भी
शा मल ह। प रभाषा अनुभाग.

हम यह भी पा सकते ह क एक श द को साधन और स म लत के प म प रभा षत कया जा रहा है यहां फर से


प रभाषा संपूण होगी।

सरी ओर य द श द को लागू करने और शा मल करने के लए प रभा षत कया गया है


प रभाषा को ापक समझा जाता है।

उदाहरण प रभाषा म कोई श द का उपयोग कसी के व तार को दशाता है यह हर ापक अथ वाला श द है और थम


या इसके उपयोग से सीमा समा त हो जाती है।

यह एक सावभौ मक प से वीकृ त स ांत रहा है क जहां एक अ भ को कसी अ ध नयम म प रभा षत कया गया
है उसे पूरे अ ध नयम म प रभाषा ारा दए गए अथ के समान माना जाना चा हए जब तक क ऐसा करने से वषय या संदभ
म कोई तकू लता पैदा न हो। .

उदाहरण टा अ ध नयम क धारा सी के तहत दए गए प े क समावेशी प रभाषा को ापक प से


टा अ ध नयम के योजन के लए लेनदे न को कवर करने के लए माना गया है जो संप के ह तांतरण क धारा के
तहत प े क रा श नह हो सकती है। अ ध नयम . उ राखंड रा य बनाम हरपाल सह रावत एससीसी

उपभो ा संर ण अ ध नयम क धारा एम म क समावेशी प रभाषा शा मल है। यह


माना गया है क इसम एक कं पनी शा मल है हालां क इसम इसका वशेष प से नाम नह है कनाटक
पावर ांस मशन कॉप रेशन बनाम अशोक आयरन व स ाइवेट ल मटे ड। ल मटे ड एससीसी

एक प रभाषा अनुभाग को शा मल माना जाता है भी कहा जा सकता है


जो फर से एक समावेशी या ापक प रभाषा है य क ऐसे श द का उपयोग कानूनी क पना ारा प रभा षत श द के
भीतर कु छ लाने के लए कया जाता है जो इसके सामा य अथ के अनुसार इसम शा मल नह है।

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. कॉप रेट और अ य कानून

उदाहरण के लए य द ए को बी माना जाता है तो ए का अनुपालन बी के साथ कानून का अनुपालन है और ए


का उ लंघन बी का कानूनी उ लंघन है।

ii अ प रभाषाएँ कभी कभी हम पा सकते ह क प रभाषा अनुभाग वयं अ हो सकता है और इस लए इसक


ा या अ ध नयम के अ य ावधान के काश म और प रभा षत श द के सामा य अथ को यान म रखते ए
क जा सकती है। इस कार क प रभाषा को अलग करके नह पढ़ा जाना चा हए। इसे उस वा यांश के संदभ
म पढ़ा जाना चा हए जसे यह प रभा षत करता है यह समझते ए क प रभाषा का काय कसी श द या
वा यांश को सट कता और न तता दे ना है जो अ यथा अ और अ न त होगा ले कन इसका खंडन करना
या इसे पूरी तरह से हटा दे ना नह है।

उदाहरण काम ख म होने के बाद कसी मौसमी कमचारी क सेवा समा त करना औ ो गक ववाद अ ध नयम
के अनुसार छं टनी नह है। अ नल बापुराव करासे बनाम कृ णा सहकारी साखर कारखाना एआईआर
एससी । ले कन कसी प रयोजना म लगे दहाड़ी मज र के रोजगार क समा त प रयोजना के
पूरा होने पर छं टनी के समान होगी य द कमचारी को यह नह बताया गया था क कब

नयो जत है क प रयोजना के पूरा होने पर उसका रोजगार समा त हो जाएगा।


एसएम नलजकरव.टे लीकॉम जला बंधक कनाटक एससीसी ।

iii वपरीत संदभ के अधीन प रभाषाएँ जब कसी श द को कई समावेशी अथ को धारण करने के लए प रभा षत
कया जाता है तो कसी वशेष ावधान म श द का जस अथ म उपयोग कया जाता है उसे अ ध नयम क
योजना भाषा के संदभ से सु न त कया जाना चा हए। ावधान और उससे ा त होने वाले उ े य के बारे म।

एफ च ण हम पाएंगे क कई हालां क सभी नह अनुभाग के साथ च जुड़े ए ह। ये च ण अनुभाग के पाठ का अनुसरण


करते ह और इस लए अनुभाग का ह सा नह बनते ह। हालाँ क ांत क़ानून का एक ह सा बनते ह और अनुभाग के
पाठ क ा या करने म ासं गक और मह वपूण माने जाते ह। हालाँ क च ण अनुभाग क भाषा को संशो धत करने
का भाव नह डाल सकते ह और अनुभाग के दायरे को न तो कम कर सकते ह और न ही व ता रत कर सकते ह।

उदाहरण यह मानते ए क भारतीय अनुबंध अ ध नयम क धारा के वल ऋण को रोकने के लए करता है

तपू त के प म याज दे ने क अनुम त नह दे ती है वी काउं सल ने इस तक को खा रज कर दया क अ ध नयम म


दए गए उदाहरण का उपयोग वपरीत प रणाम पर प ंचने के लए कया जा सकता है। यह दे ख ा गया क न ही एक
च ण उस अनुभाग क भाषा को संशो धत करने का भाव डाल सकता है जो अके ले अ ध नयम बनाता है।

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क़ानून क ा या .

एक मामले म सु ीम कोट ने यह न कष नकालने के लए संप ह तांतरण अ ध नयम क धारा से जुड़े


उदाहरण क सहायता ली क उ ावधान वशेष उ रा धकार के ह तांतरण पर लागू होता है और ह तांतरणकता को
संप पर दावा करने म स म बनाता है बशत क अ य शत लागू ह । अनुभाग संतु ह. वकटराम अ यर जे. ने कहा
क यह आसानी से नह माना जा सकता है क कसी अनुभाग का च ण इसके तकू ल है और इसे अ वीकार कर दया
गया है। जु मा म जद बनाम को डम नयां ा दे वैया एआईआर एससी

छ ावधान ावधान का सामा य काय अ ध नयम से बाहर कसी चीज़ को छोड़ना या अ ध नयम म कही गई कसी बात को
यो य बनाना है जो ावधान के न होने पर इसके दायरे म होता। परंतुक का भाव पूववत अ ध नयम को यो य बनाना है
जो उन श द म कया गया है जो ब त सामा य ह। एक सामा य नयम के प म अ ध नयम म जो कु छ है उसे
अहता ा त करने या अपवाद बनाने के लए एक अ ध नयम म एक ावधान जोड़ा जाता है। सामा यतः एक पर तुक
होता है

सामा य नयम बताते ए इसक ा या नह क गई।

यह ा या का एक मुख नयम है क कसी क़ानून के कसी वशेष ावधान का ावधान के वल उस े को शा मल


करता है जो मु य ावधान के अंतगत आता है।
यह उस मु य ावधान के लए एक अपवाद तुत करता है जसके लए इसे एक परंतुक के प म अ ध नय मत कया
गया है कसी अ य के लए नह । राम नारायण संस ल मटे ड बनाम सहायक ब कर आयु एआईआर एससी

पर तुक अपवाद और र त उपवा य के बीच अंतर

ऐसा कहा जाता है क परंतु अपवाद या बचत खंड जैसे श द वाले ावधान के बीच अंतर मौजूद है।

मतभेद
ो वज़ो का योग सामा य बचत उपवा य का योग पहले
अपवाद का उ े य अ ध नय मत से मौजूद कु छ अ धकार
अ ध नयमन से वशेष मामल को
खंड को वशेष तक सी मत करना उपचार या वशेषा धकार
हटाने और उनके लए वशेष ावधान
है को न होने से बचाने के
करने के लए कया जाता है
मामल लए कया जाता है

ज ीकरण अनुभाग के पाठ का अथ समझाने के लए कभी कभी अनुभाग म एक ीकरण जोड़ा जाता है। अनुभाग के
भीतर कु छ शा मल करने या इससे कु छ बाहर करने के लए एक ीकरण जोड़ा जा सकता है। एक ीकरण को
आम तौर पर इतना पढ़ा जाना चा हए क वह सुसंगत हो जाए और हो जाए

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. कॉप रेट और अ य कानून

मु य भाग म कोई अ ता। इसका ऐसा अथ नह लगाया जाना चा हए क अनुभाग का दायरा बढ़ जाए।

सुंदरम प लई बनाम प ा भरामन फज़ल अली जे. म एक वैधा नक ावधान के ीकरण क न न ल खत व तुए ं
एक त क ग

अ ध नयम का अथ और आशय कर

मु य अ ध नयम को व तु के अनु प बनाने के लए उसम कसी भी


अ ता और अ ता य द कोई हो को कर

अ ध नयम के उ े य को साथक और उ े यपूण बनाने के लए अ त र


सहायता दान कर

उस अंतर को भर जो शरारत को दबाने और अ ध नयम के उ े य को आगे


बढ़ाने के लए ीकरण के उ े य से ासं गक है

कोई वैधा नक अ धकार छ न नह सकते

हालाँ क कसी ीकरण को हमेशा उपरो व तु तक सी मत रखना गलत होगा। कसी ीकरण को दया जाने
वाला अथ वा तव म उसक शत पर नभर करेगा न क उसके उ े य के कसी स ांत पर।

i अनुसू चयाँ अनुसू चयाँ एक अ ध नयम का ह सा बनती ह। इस लए नमाण के सभी उ े य के लए उ ह अ ध नयम के साथ
पढ़ा जाना चा हए । हालाँ क अनुसूची म अ भ याँ अ ध नयम म अ भ पर नयं ण या बल नह हो सकती ह।
य द अनुसूची और अ ध नयमन के बीच कोई असंगतता तीत होती है तो अ ध नयम हमेशा भावी रहेगा। उनम अ सर
कानून के अनुभाग म अंत न हत नी त पर काम करने के लए ववरण और फॉम होते ह उदाहरण के लए भारत के
सं वधान म कं पनी अ ध नयम से जुड़ी अनुसू चयां।

जे क़ानून को सम प से पढ़ यह ाथ मक स ांत है क कसी क़ानून का नमाण उसके सभी ह स को एक साथ मलाकर


कया जाना चा हए न क के वल एक ह से से। लॉड वा टन ने कम के संबंध म बोलते ए कहा था

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क़ानून क ा या .

इस कार कहा गया है स य का पता लगाने के लए वलेख को सम प से पढ़ा जाना चा हए

इसके कई खंड के अथ और येक खंड के श द क ा या इस कार क जानी चा हए क उ ह अ य ावधान के साथ सामंज य म लाया
जा सके य द वह ा या उन अथ के त कोई हसा नह करती है जनके लए वे वाभा वक प से अ तसंवेदनशील ह। और यही कोण
वधा यका ारा पा रत अ ध नयम और नयम के संबंध म भी समान बल के साथ लागू होगा।

ापक सामा य श द के नमाण के लए सबसे सुर त दशा नदश म से एक उसी अ ध नयम या उपकरण म आया तत अ य श द क जांच
करना है ता क यह दे ख ा जा सके क उन पर या सीमाएं लगाई जानी चा हए। य द हम पाते ह क ऐसी कई अ भ य को सीमा और
यो यता के अधीन कया जाना है और ऐसी सीमाएं और यो यताएं एक ही कृ त क ह तो वह प र त ववा दत अ भ को समान
सीमा और यो यता के अधीन करने के लए एक मजबूत तक बनाती है।

उदाहरण के लए य द कसी अ ध नयम के एक खंड म नो टस दए जाने क आव यकता है तो एक


मौ खक नो टस आम तौर पर पया त होगा। ले कन य द कोई अ य धारा यह ावधान करती है क नो टस
को तारीपा दया जाना चा हए या उसके साथ छोड़ दया जाना चा हए या कसी वशेष तरीके या
ान पर तो यह प से इं गत करेगा क एक ल खत नो टस का इरादा था।

. ा या म बा सहायता
नमाण

समाज शू यता म काय नह करता। जो कु छ भी कया जाता है उसके अपने कारण अपनी पृ भू म उस समय च लत वशेष प र तयाँ इ या द होती
ह। ये कारक कसी भी अ ध नयम पर भी लागू होते ह। ये कारक कसी अ ध नयम क ा या ा या करने म ब त मददगार होते ह और इ ह ा या
के लए बाहरी सहायता का सु वधाजनक नामकरण दया गया है। क़ानून के अलावा ऐसे कई मामले ह जन पर क़ानून अ होने पर यान दया जा
सकता है। इन मामल को बा सहायता कहा जाता है। इनम से कु छ कारक क गणना नीचे द गई है

बाहरी सहायता

पहले &

समेक न बाद के अ ध नयम का उपयोग


ऐ तहा सक श दकोष
क़ानून और योग और वदे श
से टग प रभाषाएं
पछला कानून अनु प फै सले
अ ध नयम

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. कॉप रेट और अ य कानून

ए ऐ तहा सक से टग बाहरी प र तय का इ तहास जसके कारण यह अ ध नयम बना कसी भी अ ध नयम क ा या


करने म ब त मह व रखता है। इस उ े य के लए हम उन सभी बाहरी या ऐ तहा सक त य क मदद लेनी होगी जो वषय
व तु और अ ध नयम के दायरे और उ े य को समझने और समझने के लए आव यक ह। सामा य प से इ तहास और
वशेष प से संसद य इ तहास ाचीन क़ानून समकालीन या अ य ामा णक काय और लेख सभी कसी अ ध नयम
क ा या और ा या करने म ासं गक ह। हम इस बात पर भी वचार करना होगा क या वचाराधीन क़ानून का
उ े य कानून म बदलाव करना था या इसे वह छोड़ दे ना था जहां यह पहले था।

बी कानून और पछले कानून को समे कत करना कई कानून क तावना म पछले कानून को समे कत करने के लए एक
अ ध नयम आ द जैसे भाव शा मल ह। ऐसे मामले म अदालत इस धारणा पर कायम रह सकती ह क इसका उ े य
इसम बदलाव करना नह है। कानून। वे शा दक नमाण को अ वीकार करते ए इरादे म ऐसे अनुमान क सहायता से
क़ानून म सं द ध ब को हल कर सकते ह।

सी उपयोग कसी अ ध नयम को समझने म कभी कभी उपयोग को भी यान म रखा जाता है। कसी क़ानून के तहत कए गए
काय अ सर क़ानून क कुं जी ही दान करते ह। यह सव व दत है क जहां कसी क़ानून म भाषा का अथ सं द ध है तो
उपयोग जस तरह से उस भाषा क ा या क गई है और लंबे समय तक उस पर काय कया गया है उसका वा त वक
अथ नधा रत कर सकता है। इस बात पर जोर दया गया है क जब कई वष से सं द ध अथ के कसी वधायी उपाय को
एक ा या मलती है जस पर आम तौर पर जनता ारा कारवाई क जाती है तो अदालत को उस ा या को बदलने
के लए ब त अ न ु क होना चा हए जब तक क उ ह ऐसा करने के लए ठोस कारण न दख। .

डी पहले और बाद के अ ध नयम और अनु प अ ध नयम एक अ ध नयम का दशन


सरे क भाषा

सामा य स ांत यह है क जहां परी म अलग अलग क़ानून ह


मटे रया यानी एक समान मामले म हालां क अलग अलग समय पर बनाए गए या यहां तक क समा त हो गए और
एक सरे का संदभ नह दे ते उ ह एक णाली के प म और एक सरे क ा या के प म एक साथ लया और
समझा जाएगा।

य द दो अ ध नयम को एक साथ पढ़ा जाना है तो येक अ ध नयम के येक भाग को एक सम अ ध नयम म समा हत
माना जाना चा हए। ले कन अगर कु छ वसंग त है तो ऐसी वसंग त के लए यह मानना आव यक हो सकता है क
बाद के अ ध नयम समय के अनुसार ने पहले वाले को संशो धत कया था। हालाँ क इसका मतलब यह नह है क बाद
के अ ध नयम म येक श द क ा या पछले अ ध नयम क तरह ही क जाएगी।

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क़ानून क ा या .

जहां दो अ ध नयम म से बाद वाला यह ावधान करता है क पहले वाले अ ध नयम को जहां तक संगत है उसके साथ
एक माना जाना चा हए तो बाद के क़ानून म एक अ ध नयम जसम डबचर शा मल नह होना चा हए को पहले के
क़ानून से भी डबचर को बाहर करने के लए आयो जत कया गया था।

जहां एक अ ध नयम मान ली जए अ ध नयम ए का एक खंड सरे क़ानून मान ली जए अ ध नयम बी म शा मल


कया गया है इसे उसी अथ म पढ़ा जाना चा हए जो मूल अ ध नयम म न हत है जसके प रणाम व प इसे लया गया है।
उस धारा का या अथ है यह सु न त करने के लए अ ध नयम ए के बाक सभी ह स को संद भत करना वैध होगा
हालां क अके ले एक धारा को नए अ ध नयम अ ध नयम बी म शा मल कया गया है।

मान ली जए क पहले का उप कानून कसी संगठन के अ य क नयु को कु छ यो यता रखने वाले तक


सी मत करता था और बाद का उप कानून कसी भी को संगठन का अ य बनने के लए अ धकृ त करता है। ऐसे
मामले म बाद के उप नयम का अथ इस कार लगाया जाएगा

पहले के उप कानून के साथ सामंज य ा पत कर और टकराव न कर बाद के उप कानून म इ तेमाल क गई


अभ कसी भी का मतलब के वल कसी भी यो य से समझा जाएगा जसके पास पहले के उप
कानून म दान क गई अपे त यो यताएं ह ।

पहले के अ ध नयम को बाद के अ ध नयम ारा समझाया गया बाद के अ ध नयम को न के वल पहले के अ ध नयम
के आलोक म समझा जा सकता है ब क यह बाद का अ ध नयम कभी कभी पहले वाले क वधायी ा या
तुत करता है य द यह समतापूण है और य द ले कन के वल तभी जब पछले अ ध नयम के ावधान
अ ह।

जहां पहले के क़ानून म एक नकारा मक ावधान था ले कन बाद के क़ानून म के वल उस नकारा मक ावधान


को छोड़ दया गया है यह अपने आप म वा त वक पु का प रणाम नह हो सकता है। ऐसी त म यह
दे ख ना ज री होगा क मूल ावधान और उन शत के बना कानून कै से खड़ा होगा जनम नर त धाराएं दोबारा
लागू क जाती ह।

कसी अ ध नयम के तहत बनाए गए सामा य नयम और प जो अ ध नय मत करते ह क उनके पास वही
बल होना चा हए जैसे क उ ह इसम शा मल कया गया था उ ह अ ध नयम क ा या के योजन के लए
भी संद भत कया जा सकता है।

नर त अ ध नयम का संदभ जहां कसी अ ध नयम का एक भाग नर त कर दया गया है वह अपनी याशील
श खो दे ता है। फर भी अ ध नयम के ऐसे नर त कए गए ह से को अभी भी गैर नर त कए गए ह से
क ा या के लए यान म रखा जा सकता है। ऐसा इस लए है य क यह नए अ ध नयम के इ तहास का
ह सा है।

ई श दकोश प रभाषाएँ सबसे पहले हम यह पता लगाने के लए संबं धत अ ध नयम का संदभ लेना होगा क या इसम कोई
वशेष श द या अ भ प रभा षत है। जहां हम पाते ह क ए

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. कॉप रेट और अ य कानून

श द को अ ध नयम म ही प रभा षत नह कया गया है हम उस सामा य अथ को जानने के लए श दकोश का संदभ


ले सकते ह जसम वह श द आमतौर पर समझा जाता है। हालाँ क कसी श द के कई अथ म से एक का चयन करते
समय हम हमेशा उस संदभ को यान म रखना चा हए जसम अ ध नयम म इसका उपयोग कया गया है। यह मौ लक
नयम है क कसी अ ध नयम म यु श द और अ भ य के अथ उस संदभ से अपना रंग लेना चा हए जसम
वे कट होते ह। इसके अलावा पैरी मटे रया म क़ानून क ा या म श द के अथ नधा रत करने वाले या यक
नणय का श दकोश ारा दए गए अथ से अ धक मह व होगा। हालाँ क तकनीक श द के लए तकनीक
श दकोश का संदभ लया जा सकता है।

एफ वदे शी नणय का उपयोग हमारे जैसे ही यायशा णाली का पालन करने वाले और हमारे जैसे कानून पर दए गए
दे श के वदे शी नणय का वैध प से हमारे अपने अ ध नयम को समझने के लए उपयोग कया जा सकता है।
हालाँ क भारतीय क़ानून क भाषा को हमेशा मुख मह व दया जाना चा हए।

इसके अलावा जहां भारतीय नणय से मागदशन ा त कया जा सकता है वदे शी नणय का संदभ अनाव यक हो
सकता है।

. काय एवं द तावेज क ा या नमाण के नयम

सबसे पहली और मह वपूण बात जो यान म रखनी होगी वह यह है क कसी को यह पता लगाना होगा क एक उ चत
जसने कसी काय या द तावेज़ क आसपास क प र तय और उसके दायरे और इराद के बारे म खुद को सू चत करने
का यान रखा है या करेगा। उस वलेख या द तावेज़ म यु श द से समझ।

एक काय क शत को सरे क शत के संदभ म समझना अनु चत है।

इसके अलावा यह अ तरह से ा पत है क एक ही द तावेज़ म एक ही श द के दो अलग अलग अथ नह हो सकते जब


तक क संदभ ऐसे नयम को अपनाने के लए मजबूर न करे।

सुनहरा नयम यह है क संबं धत द तावेज़ काय म सभी श द पर उनके सामा य ाकृ तक अथ म वचार करने के बाद
द तावेज़ के प कार के इरादे का पता लगाया जाए। इस योजन के लए द तावेज़ के ासं गक भाग पर सम प से
वचार करना होगा। उन प र तय को भी यान म रखना होगा जनम वशेष श द का उपयोग कया गया था। अ सर
श द का उपयोग करने वाले प क त और श ण को भी यान म रखना पड़ता है य क समान श द का उपयोग
एक सामा य ारा एक अथ म और एक श त या वशेष ारा कसी अ य वशेष अथ म कया जा सकता
है। इस पर भी वैसा ही वचार करना होगा

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क़ानून क ा या .

अनेक श द का योग एक से अ धक अथ म होता है। ऐसा हो सकता है क एक ही अथ म समझा गया एक ही श द वलेख के सभी
खंड को भावी बना दे जब क सरे अथ म लया गया एक या अ धक खंड अ भावी कर दे । ऐसी त म श द को पहले अथ म
समझा जाना चा हए न क बाद वाले अथ म।

ऐसा भी हो सकता है क एक ही द तावेज़ के दो या दो से अ धक खंड के बीच वरोध हो। खंड क ा या करके ववाद को सुलझाने
का यास कया जाना चा हए ता क सभी खंड को भावी बनाया जा सके । हालाँ क य द उन सभी को भावी बनाना संभव नह है
तो यह पहला खंड है जो बाद वाले पर हावी हो जाएगा।

इसी कार य द द तावेज़ का एक भाग सरे भाग के साथ वरोधाभास म है तो य द संभव हो तो द तावेज़ के दोन भाग को
सामंज यपूण ढं ग से पढ़ने का यास हमेशा कया जाना चा हए। य द यह संभव नह है तो पहला भाग बाद वाले पर हावी हो जाएगा
इस लए इसक उपे ा क जानी चा हए।

सारांश

अ ध नय मत कानून अ ध नयम और नयम कानूनी वशेष ारा तैयार कए जाते ह और इस लए यह उ मीद क जाती है क
इ तेमाल क गई भाषा नमाण क ा या के लए ब त कम जगह छोड़ेगी।
क़ानून क ा या या नमाण से क़ानून म दए गए अ श द और अ भ य के अथ खोजने और उनम पड़ी वसंग तय को हल
करने म मदद मलती है। य द क़ानून का कोई ावधान दो ा या के लए खुला है तो यायालय को वह ा या चुननी होगी जो
वधा यका के स े इरादे का त न ध व करती है। क़ानून क सव म ा या नमाण के व भ मागदशक नयम को अपनाने और
क़ानून के नमाण म सहायता से संभव है। अदालत सबसे अ े भा षए ह। वे ढ़ता से ऐसे नमाण के खलाफ झुक ते ह जो क़ानून
को नरथक बना दे ता है। एक क़ानून या उसम मौजूद कसी भी अ ध नय मत ावधान को इस तरह से समझा जाना चा हए क इसे
कहावत म स ांत पर भावी और या वत कया जा सके ut res Magis valeat quam pereat।

अपनी बु जाच

ब वक पीय
. औपचा रक कानूनी द तावेज जो कसी अ धकार का नमाण या पु करता है या कसी त य को दज करता है वह है

एक द तावेज़

बी वलेख

सी क़ानून

डी साधन

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. कॉप रेट और अ य कानून

. न न ल खत म से कौन सा क़ानून के नमाण का मु य नयम है

ए नमाण का सामंज यपूण नयम

बी नमाण का लाभकारी नयम

सी नमाण का शा दक नयम

डी नमाण का उ चत नयम

. उ चत नमाण का नयम इस कहावत पर आधा रत है

ए पूण अनुप त के लए कसी ा याकार क आव यकता नह होती है

बी वह व तु अपने मू य से अ धक मू यवान है

सी वह जो सरे के मा यम से करता है वह वयं के मा यम से करता है

डी समसाम यक दशन

. लाभकारी नमाण का नयम भी कहा जाता है

ए उ े यपूण नमाण

बी शरारत नयम

सी हेड स का नयम

D। उपरो सभी

. ा या के लए न न ल खत सहायता म से एक को चुन

ए तावना

बी सीमांत नोट् स

सी दान कया गया

डी उपयोग कर

. नमाण का कौन सा नयम वहां लागू होता है जहां कसी अ ध नयम के ावधान के बीच वा त वक और न के वल वरोधाभास है और
उनम से एक को सरे के अधीन नह बनाया गया है

ए लाभकारी नमाण का नयम

बी शा दक नमाण का नयम

सी सामंज यपूण नमाण का नयम

डी असाधारण नमाण का नयम

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क़ानून क ा या .

. एक आंत रक सहायता जसे अनुभाग के भीतर कु छ शा मल करने के लए जोड़ा जा सकता है


या इसम से कु छ को बाहर करने के लए है

ए ावधान

बी ीकरण

सी अनुसूची

डी रेख ांक न

. एक सहायता जो अ ध नयम के दायरे उ े य और उ े य को करती है

ए अ ध नयम का शीषक

बी अ याय का शीषक

सी तावना

डी प रभा षक अनुभाग

एमसी यू के उ र

. डी . सी . बी . डी . डी . सी

. बी . सी

सवाल और जवाब

क़ानून क ा या करते ए एक उदाहरण उ त करते ए लाभकारी नमाण के नयम को समझाइये।

उ र

जहां कसी क़ानून म इ तेमाल क गई भाषा एक से अ धक ा या करने म स म है नमाण के लए सबसे मजबूती से ा पत नयम
हेडन के मामले म नधा रत स ांत है। यह नयम एक के गठन म चार मामल पर वचार करने म स म बनाता है

काय

अ ध नयम बनने से पहले या था कानून

वह कौन सी शरारत या दोष था जसके लए कानून ने ावधान नह कया

अ ध नयम ने या उपाय दान कया है और

उपाय का कारण या है

नयम तब नदश दे ता है क अदालत को उस नमाण को अपनाना चा हए जो शरारत को दबाएगा और उपचार को आगे बढ़ाएगा । इस लए
ऐसे मामले म भी जहां

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. कॉप रेट और अ य कानून

यु भाषा का सामा य अथ वधा यका के संपूण उ े य से कम पड़ता है श द को अ धक व ता रत अथ दया जा सकता है


बशत वे इसके त काफ संवेदनशील ह । य द कसी अ ध नयम का उ े य सावज नक सुर ा है तो उस उ े य को भावी बनाने
के लए इसक काय णाली क ापक प से ा या क जानी चा हए। इस कार मक मुआ वजा अ ध नयम के
मामले म मु य उ े य मक को मुआ वजे का ावधान है यह माना गया क अ ध नयम को यथासंभव इस कार समझा जाना
चा हए ता क इसके ाथ मक ावधान को भावी बनाया जा सके ।

हालाँ क सव यायालय ारा इस बात पर जोर दया गया है क हेडन के मामले म नयम के वल तभी लागू होता है जब
इ तेमाल कए गए श द अ ह और एक से अ धक अथ दे ने म स म ह सीआईट बनाम सोदरा दे वी
आईट आर एससी .

कसी क़ानून क ाकर णक ा या और ता कक ा या के स ांत क ा या कर। इस संबंध म यायालय के या


कत ह

उ र

ाकर णक ा या और ता कक ा या के स ांत कसी भी कानून क़ानून के अथ को सु न त करने के लए ाकर णक


और ता कक ा या के स ांत को लागू कया जाता है ता क कानून के वा त वक अथ और इसे अ ध नय मत करने के पीछे
वधा यका क मंशा का न कष नकाला जा सके ।

अथ ाकर णक ा या वशेष प से कानून क मौ खक अ भ से संबं धत है। यह कानून के अ र से आगे नह जाता है


जब क सरी ओर ता कक ा या वधा यका के स े इरादे के अ धक संतोषजनक सबूत क तलाश करती है।

यायालय म स ांत का अनु योग सभी सामा य मामल म ाकर णक ा या ही एकमा वीकाय प है। यायालय कानून
के अ र को हटा या संशो धत नह कर सकता। हालाँ क जहां कानून का अ र अ ता असंगतता या अपूण ता के कारण
ता कक प से दोषपूण है अदालत का कत है क वह कानून के अ र से आगे बढ़े ता क वधा यका के स े इराद को नधा रत
कर सके । ता क कोई क़ानून क़ानूनी तौर पर लागू करने यो य हो चाहे वह कतना भी अनु चत य न हो। यायालय का कत
कानून को उसके उ चत या अनु चत होने के बजाय उसी प म शा सत करना है।

हालाँ क य द कसी खंड के दो संभा वत नमाण ह तो अदालत उस ता कक नमाण को ाथ मकता दे सकती ह जो उस से टग से


उभरता है जसम खंड कट होता है और जन प र तय म यह अ ध नय मत आ और साथ ही उसम इ तेमाल कए गए श द
से भी।

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क़ानून क ा या .

i परंतुक का भाव या है या यह एक के मु य ावधान को यो य बनाता है


अ ध नयमन

ii या कसी अनुभाग म जोड़ा गया ीकरण कसी अनुभाग के दायरे को व तृत करता है
उ र

i आम तौर पर कसी अ ध नयम के कसी खंड म कसी ावधान को उस वशेष खंड म कही गई कसी बात को छोड़ने या
यो य बनाने के लए जोड़ा जाता है जसम इसे जोड़ा जाता है। कसी परंतुक क सामा यतः सामा य नयम के पम
ा या नह क जानी चा हए। कसी वशेष खंड का एक ावधान मु य ावधान के लए एक अपवाद बनाता है
जसके लए इसे एक ावधान के प म अ ध नय मत कया गया है और कोई अ य ावधान नह है। राम नारायण
संस ल मटे ड बनाम। ब कर आयु एआईआर एससी

ii कभी कभी कसी अ ध नयम के कसी अनुभाग म उस अनुभाग म न हत मु य ावधान को समझाने के उ े य से एक


ीकरण जोड़ा जाता है। य द मु य अनुभाग के ावधान म कु छ अ ता है तो मु य अनुभाग म सामंज य और
ता और अ ता के लए ीकरण डाला गया है। ीकरण डालकर मु य ावधान म कु छ जोड़ा जा सकता
है या कु छ हटाया जा सकता है। ले कन ीकरण का अथ यह नह लगाया जाना चा हए क यह अनुभाग का दायरा
बढ़ा दे गा।

गौरव टे सटाइल कं पनी ल मटे ड ने एक कं पनी से अनुबंध कया है। आपको अनुबंध के द तावेज़ को पढ़ने और ा या करने
के लए आमं त कया जाता है। ऐसा करते समय आप कम और द तावेज क ा या के कौन से नयम लागू करगे

उ र

कम और द तावेज क ा या के संबंध म नयम इस कार ह

सबसे पहली और सबसे मह वपूण बात जो यान म रखनी होगी वह यह है क कसी को यह पता लगाना होगा क एक
समझदार जसने कसी काय या द तावेज़ क आसपास क प र तय और उसके दायरे और इराद के बारे म खुद
को सू चत करने का यान रखा है वह या समझेगा। उस वलेख या द तावेज़ म यु शद ारा।

एक काय क शत को सरे क शत के संदभ म समझना अनु चत है। इसके अलावा यह अ तरह से ा पत है क एक


ही द तावेज़ म एक ही श द के दो अलग अलग अथ नह हो सकते जब तक क संदभ ऐसे नयम को अपनाने के लए मजबूर
न करे।

व णम नयम यह है क संबं धत द तावेज़ काय म सभी श द पर उनके सामा य प से वचार करने के बाद लखत के प
के इरादे का पता लगाया जाए।

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. कॉप रेट और अ य कानून

ाकृ तक भाव. इस योजन के लए द तावेज़ के ासं गक भाग पर सम प से वचार करना होगा। उन प र तय को भी यान म रखना होगा
जनम वशेष श द का उपयोग कया गया है। ब त बार श द का उपयोग करने वाले प क त और श ण को भी यान म रखना पड़ता है
य क समान श द का उपयोग एक सामा य ारा एक अथ म कया जा सकता है और एक श त या वशेष ारा ब कु ल सरे अथ
और एक वशेष अथ म कया जा सकता है। इस बात पर भी वचार करना होगा क ब त से श द का योग एक से अ धक अथ म होता है। ऐसा हो
सकता है क एक ही अथ म समझा गया एक ही श द वलेख के सभी खंड को भावी बना दे जब क सरे अथ म लया गया एक या अ धक खंड
अ भावी कर दे ।

ऐसी त म श द को पहले म समझना चा हए बाद म नह


समझ।

ऐसा भी हो सकता है क एक ही द तावेज़ के दो या दो से अ धक खंड के बीच वरोधाभास हो। खंड क ा या करके संघष को हल करने के लए
एक भाव बनाया जाना चा हए ता क सभी खंड को भाव दया जा सके । हालाँ क य द उन सभी को भावी बनाना संभव नह है तो यह पहले वाला
खंड है जो बाद वाले को ओवरराइड करेगा।

एक।

य द कसी क़ानून म न न ल खत श द का उपयोग कया जाता है तो आप कसी क़ानून म प रभाषा क ा या कै से करगे

i मतलब ii शा मल है

उपरो येक क़ानून के लए उन क़ानून म से एक उदाहरण द जए जनसे आप प र चत ह।


उ र

प रभाषा म साधन और शा मल श द क ा या प रभाषा अनुभाग म कसी श द या अ भ क प रभाषा या तो उसके सामा य अथ


को सी मत कर सकती है या उसी से ापक हो सकती है।

जब कसी श द को अथ के प म प रभा षत कया जाता है तो प रभाषा थम या तबंधा मक और संपूण होती है


हम श द के अथ को प रभाषा अनुभाग म दए गए अथ तक ही सी मत रखना चा हए।

ले कन जहां श द को इस तरह से शा मल करने के लए प रभा षत कया गया है वहां प रभाषा थम या ापक है यहां प रभा षत श द उसे
दए गए अथ तक ही सी मत नह है ब क उसका ापक अथ है जसम उसे दए गए अथ भी शा मल ह। प रभाषा अनुभाग.

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क़ानून क ा या .

उदाहरण

नदे शक क प रभाषा कं पनी अ ध नयम क धारा नदे शक का अथ है कसी कं पनी के बोड म नयु
नदे शक। साधन श द व तृत प रभाषा सुझ ाता है।

पूण का लक नदे शक क प रभाषा कं पनी अ ध नयम क धारा


पूण का लक नदे शक म कं पनी के पूण का लक रोजगार म एक नदे शक शा मल होता है। श द शा मल है ापक प रभाषा
सुझ ाता है। अ य नदे शक को पूण का लक नदे शक क ेण ी म शा मल कया जा सकता है।

अ नवाय ावधान को नद शका ावधान से अलग कर। कौन से कारक यह तय करते ह क कोई ावधान नद शका है या
अ नवाय है
उ र

ावहा रक प से एक ावधान जो अ नवाय है और जो एक नद शका है के बीच अंतर यह है क जब यह अ नवाय है


तो इसका स ती से पालन कया जाना चा हए जब यह नद शका हो तो यह पया त होगा क इसका पया त प से
अनुपालन कया जाए।
हालाँ क हम सार को दे ख ना होगा न क के वल प को अ नवाय प म एक अ ध नयम काफ हद तक नद शका हो सकता
है और इसके वपरीत एक
नद शका प म क़ानून व तुतः अ नवाय हो सकता है। इस लए यह वह पदाथ है जो मायने रखता है और इसे के वल प से
अ धक ाथ मकता द जानी चा हए। य द कोई ावधान कसी कत के साथ श दान करता है तो यह अ नवाय है यह
है या नह यह इस तरह के वचार पर नभर करेगा


काय क कृ त जसे करने का अ धकार दया गया है

वह व तु जसके लए यह कया गया है और

वह जसके लाभ के लए श का योग कया जाना है।

ाकर णक ा या को प रभा षत कर। ाकर णक ा या के अपवाद या ह

उ र

ाकर णक ा या और इसके अपवाद ाकर णक ा या वशेष प से कानून क मौ खक अ भ से संबं धत है


यह कानून के अ र से आगे नह जाती है। सभी सामा य मामल म ाकर णक ा या ही वीकाय एकमा प है।
यायालय कानून के अ रशः म कोई बदलाव नह कर सकता या उसे संशो धत नह कर सकता।

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. कॉप रेट और अ य कानून

हालाँ क यह नयम कु छ अपवाद के अधीन है

i जहां कानून का अ र अ ता असंगतता या अपूण ता के कारण ता कक प से दोषपूण है। जहां तक अ ता के दोष का


संबंध है यायालय का कत है क वह कानून के अ र से परे जाकर अ य ोत से वधा यका के वा त वक इरादे का नधारण
करे। असंग त के कारण वैधा नक अ भ दोषपूण होने क त म अदालत को कानून क भावना का पता लगाना चा हए।

य द पाठ कसी ऐसे प रणाम क ओर ले जाता है जो इतना अनु चत है क वह वयं है

वधा यका जो कहती है उसका अथ नह नकाल सकती यायालय वधा यका क मंशा का ता कक प से अनुमान लगाकर इस
तरह के ग तरोध को हल कर सकता है।

इस पर सं त ट पणी लख

म ावधान

ii ीकरण

क़ानून वलेख और द तावेज़ क ा या के संदभ म।

उ र

i ावधान ावधान का सामा य काय अ ध नयम से बाहर क कसी बात को छोड़ना या अ ध नयम म कही गई कसी बात को
यो य बनाना है जो ावधान के न होने पर उसके दायरे म होती। परंतुक का भाव पूववत अ ध नयम को यो य बनाना है
जो उन श द म कया गया है जो ब त सामा य ह। एक सामा य नयम के प म अ ध नयम म जो कु छ है उसे
अहता ा त करने या अपवाद बनाने के लए एक अ ध नयम म एक ावधान जोड़ा जाता है। आमतौर पर कसी परंतुक
क ा या सामा य नयम बताने के प म नह क जाती है।

यह ा या का एक मुख नयम है क कसी क़ानून के कसी वशेष ावधान का ावधान के वल उस े को शा मल


करता है जो मु य ावधान के अंतगत आता है।

ii ीकरण अनुभाग के पाठ का अथ समझाने के लए कभी कभी अनुभाग म एक ीकरण जोड़ा जाता है। अनुभाग के
भीतर कु छ शा मल करने या इससे कु छ बाहर करने के लए एक ीकरण जोड़ा जा सकता है। एक ीकरण को
आम तौर पर इस तरह से पढ़ा जाना चा हए क वह मु य भाग के साथ सामंज य बठा सके और कसी भी अ ता को
र कर सके । इसका ऐसा अथ नह लगाया जाना चा हए क अनुभाग का दायरा बढ़ जाए।

कसी ीकरण को दया जाने वाला अथ वा तव म उसक शत पर नभर करेगा न क उसके उ े य के कसी स ांत
पर।

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क़ानून क ा या .

क़ानून क ा या के लए शरारत नयम क ा या कर। साथ ही ऐसे चार मामले भी बताइए जन पर वह कसी अ ध नयम क ा या
करते समय वचार करता है।

उ र

शरारत नयम जहां कसी क़ानून म यु भाषा एक से अ धक ा या करने म स म है हेडन के मामले म नधा रत स ांत
का पालन कया जाता है। इसे उ े यपूण नमाण या शरारत नयम के प म जाना जाता है। नयम तब नदश दे ता है क
अदालत को उस नमाण को अपनाना चा हए जो शरारत को दबाएगा और उपचार को आगे बढ़ाएगा ।

सव यायालय ारा इस बात पर जोर दया गया है क हेडन के मामले म नयम के वल तभी लागू होता है जब इ तेमाल
कए गए श द अ ह और एक से अ धक अथ दे ने म स म ह ।

यह कसी अ ध नयम क ा या म चार मामल पर वचार करने म स म बनाता है

अ ध नयम बनने से पहले कानून या था

वह कौन सी शरारत या दोष था जसके लए कानून म कोई ावधान नह था

अ ध नयम ने या उपाय दान कया है और

उपाय का कारण या है

कर क जब क़ानून अ हो तो कसी अ ध नयम क ा या नमाण म श दकोश प रभाषाएँ कै से ब त मददगार हो


सकती ह।

उ र

श दकोश प रभाषाएँ सबसे पहले हम यह पता लगाने के लए संबं धत अ ध नयम का संदभ लेते ह क या इसम कोई वशेष
श द या अ भ प रभा षत है। जहां हम पता चलता है क कसी श द को अ ध नयम म ही प रभा षत नह कया गया है
हम उस सामा य अथ को जानने के लए श दकोश का संदभ ले सकते ह जसम वह श द आमतौर पर समझा जाता है।
हालाँ क कसी श द के कई अथ म से एक का चयन करते समय हम हमेशा उस संदभ को यान म रखना चा हए जसम
अ ध नयम म इसका उपयोग कया गया है। यह मौ लक नयम है क कसी अ ध नयम म यु श द और अ भ य के
अथ उस संदभ से अपना रंग लेना चा हए जसम वे कट होते ह। इसके अलावा समान साम ी म क़ानून क ा या म श द
के अथ नधा रत करने वाले या यक नणय का श दकोश ारा दए गए अथ से अ धक मह व होगा। हालाँ क तकनीक
श द के लए तकनीक श दकोश का संदभ लया जा सकता है।

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