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IPC रामू चौधरी-2 PDF
IPC रामू चौधरी-2 PDF
धारा 4
भारतीय नागररक वारारा भारत से बाहर दकया गया अपराध
भारत में पंजीकृत दकसी पोत या दवमान पर दकया गया अपराध
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नगर आयक्त
ु भी लोक सेवक है ।
धारा 22 जंगम सम्पक्षि (चि सम्पक्षि)
दजसमें मूतण सम्पदर्त् भी आती है ।
भूबद्ध या भूदम से जड ु ी हुयी कोई वस्तु ।
धारा 23- सदोष अक्षभिाभ
अवैध रूप से प्राप्त लाभ
सिोष हादन
दवदधक रूप से हकिार व्यदक्त की हादन।
धारा 24- बेईमानी से
दकसी को सिोष लाभ तथा अतय को हादन।
धारा 25- कपट पूवणक
कपट के आशय से कायण करना।
धारा 26- क्षवश्वास करने का कारर्
प्रयाप्त हेतु रखने वाला व्यदक्त ।
धारा – 27 पत्नी, क्षिक्षपक या सेवक के कब्जे में सम्पक्षि
मादलक की सम्पदर्त् मानी जाती है।
धारा – 28 कूटकरर्
इसके दनम्नदलदखत अवयव है
एक वस्तु को िूसरे के समान बनाना ।
दजससे धोखा हो सके ।
ऐसा कायण धोखा करने का आशय हो ।
कायण वारारा धोखा दिये जाने की संभावना हो ।
धारा 29- दस्तावेज
दकसी दवषय का धोतक है।
इसके समतल्ु य अतय रुप में प्रिदशण त हर वस्तु सम्मदलत है ।
ऐसी सामग्री साक्ष्य के रुप में प्रयोग की जाये ।
धारा 29(क)- इिेक्ट्राक्षनक अक्षभिेख
आंकडा, ररकाडण वारारा प्राप्त की गयी छाया ।
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अवयवः-
कायण ज्ञान तथा आशय से न दकया गया हो ।
गम्भीर चोट न पहुच ुँ ाने के आशय दकया गया हो ।
क्षदत व्यदक्त की सहमदत से की गयी हो ।
सहमदत िेने वाले व्यदक्त की उम्र 18 वषण से अदधक हो ।
स्वेच्छा से िी हो ।
धारा 88 – क्षकसी व्यक्षि के िायदे के क्षिये सम्मक्षत से सदभावपूवणक क्षकया
गया कायण, क्षजससे मत्ृ यु काररत करने का आशय नही है।
अवयवः-
कायण उसके लाभ के दलये दकया गया हो ।
उसकी सहमदत से दकया गया हो ।
सहमदत दववदक्षत या अदभवयक्त हो
सिभावपूवणक दकया गया हो ।
मत्ृ यु काररत करने के आशय से न दकया गया हो ।
अपहादन से मत्ृ यु होनी समभाव्य हो ।
धारा 89– संरिक द्वारा या उसकी सम्मक्षत से क्षशशु या उधमत व्यक्षि के
िायदे के क्षिये सदभावपूवणक क्षकया गया कायणः
अवयवः-
कायण 12 वषण से कम आयु के दशशु या पागल व्यदक्त के लाभ के दलय़े दकया
गया हो।
सद्भावपूवणक दकया गया हो ।
अदभभावक वारारा सहमदत िी गयी हो ।
सहमदत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हो सकती हो ।
धारा 90- सम्मक्षत, क्षजसके संबधं में ज्ञात हो क्षक वह भय या भ्रम के अधीन
दी गयी है
अवयवः-
अपहादन के भय से िी गयी हो ।
तथ्य के भ्रम के कारर् िी गयी हो ।
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यदि तयायालय आिेश के दन्पािन में लोप दकया जाता है- िण्ड 6 माह
तक या 500 रुपये जमु ाण ना या िोनों से ।
धारा 188- िोकसेवक द्वारा सम्यक् रूप से प्रख्याक्षपत आदेश की अवज्ञा
िण्ड- 6 माह तक की या 1000 रुपये जम ु ाण ना यो िोनों से ।
धारा 191- क्षमथ्या साक्ष्य देना
अवयवः
सत्य कथन करने के दलये वैध रुप से आबद्ध हो ।
ऐसा सत्य कथन न दकया गया हो ।
दकसी दवषय पर दमथ्या घोषर्ा करे ।
धारा 192 क्षमथ्या साक्ष्य गढ़ना
अवयव-
दकसी पररदस्थदत को उत्पतन करना ।
दकसी पस्ु तक अथवा अदभलेख में दमथ्या प्रदवदि करना ।
िस्तावेज रचना ।
तयादयक कायण वाही में प्रस्तुत दकया जाये ।
दजसके आधार पर तयायालय गलत मत बनाये ।
धारा 193- क्षमथ्या साक्ष्य के क्षिए दण्ड
िण्ड-7 वषण तक का कारावास और जम ु ाण ना ।
तयायालय से दभतन मामलों में -िण्ड
3 वषण तक और जम ु ाण ने से ।
धारा 195 क- क्षकसी व्यक्षि को क्षमथ्या साक्ष्य देने के क्षिए धमकाना या
उत्प्रेररत करना
िण्ड- 07 वषण या जम ु ाण ना या िोनो से
धारा 196- उस साक्ष्य को काम में िाना क्षजसका क्षमथ्या होना ज्ञात है
िण्ड-दमथ्या साक्ष्य िेने या गढ़ने के दलए िदण्डत दकया जाएगा ।
धारा 201- अपराध के साक्ष्य का क्षविोपन या अपराधी को प्रक्षतच्छाक्षदत
करने के क्षिए क्षमथ्या इक्षििा देना
मत्ृ यु िण्ड से िण्डनीय है तो िण्ड 7 वषण तक और जम ु ाण ने से ।
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अध्याय-14
धारा 268- िोक धयूसेधस
अवयव-
कायण अवैध लोप वारारा करना ।
दजससे क्षदत संकट या क्षोभ सामातय लोगो को उत्पतन हो ।
सावण जदनक अदधकार के प्रयोग में क्षदत बाधा या संकट उत्पतन करे ।
धारा 269- उपेिापूर्ण कायण क्षजससे जीवन के क्षिए संकटपूर्ण रोग का
संिमर् िैिना सम्भाव्य हो
िण्ड- 6 मास तक या जम ु ाण ना या िोनों से ।
धारा 270- पररद्वेषपूर्ण कायण क्षजससे जीवन के क्षिए संकटपूर्ण रोग का
संिमर् िैिना सम्भाव्य हो
िण्ड- 2 वषण तक या जम ु ाण ना या िोनों से ।
धारा 272- क्षविय के क्षिए आशक्षयत खाद्य या पेय का अपक्षमश्रर्
िण्ड- आजीवन कारावास और जम ु ाण ने से
धारा 273- अपायकर खाद्य या पेय का क्षविय
िण्ड- आजीवन कारावास और जम ु ाण ने से
धारा 274- औषक्षधयों का अपक्षमश्रर्
िण्ड- आजीवन कारावास और जम ु ाण ने से
धारा 275- अपक्षमक्षश्रत औषक्षधयों का क्षविय
िण्ड- आजीवन कारावास और जम ु ाण ने से
धारा 276- औषक्षध का क्षभधन औषक्षध या क्षनक्षमणत के तौर पर क्षविय
िण्ड- आजीवन कारावास और जम ु ाण ने से
धारा 277- िोक जिश्रोत या जिाशय का जि किुक्षषत करना
िण्ड- 3 मास या 500 रुपये जम ु ाण ना या िोनों से
धारा 278- वायुमण्डि को स्वास्थ्य के क्षिए अपायकर बनाना
िण्ड- 500 रुपये जमु ाण ना
धारा 279- िोक मागण पर उताविेपन से वाहन चिाना या हाुँकना
िण्ड- 6 मास या 1000 रुपये जम ु ाण ना या िोनों से ।
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धारा 283- िोक मागण या नौका पररवहन पर् में संकट या बाधा
िण्ड- 200 रुपये जमु ाण ना।
धारा 285- अक्षनन या ज्विनशीि पदार्ण के सम्बधध में उपेिापूर्ण
आचरर्
िण्ड- 6 मास या 1000 रुपये जम ु ाण ना या िोनों से ।
धारा 289- जीव-जधतु के सम्बधध में उपेिापूर्ण आचरर्
िण्ड- 6 मास या 1000 रुपये जम ु ाण ना या िोनों से ।
धारा 292 अश्लीि पुस्तकों आक्षद का क्षविय आक्षद
िण्ड- 2 वषण तक और 2000 रुपये जम ु ाण ना
िूसरी बार िोषदसदद्ध की िशा में 5 वषण तक और 5000 रुपये जम ु ाण ना ।
धारा 293- तरुर् व्यक्षि (क्षजसकी उम्र 20 वषण से कम हो) को अश्लीि
वस्तुओ ं का क्षविय आक्षद
िण्ड- 3 वषण और 2000 रुपये तक का जम ु ाण ना ।
धारा 294- अश्लीि कायण और गाने
िण्ड- 3 माह तक या जम ु ाण ना या िोनों से ।
धारा 295- क्षकसी वगण के धमण का अपमान करने के आशय से उपासना के
स्र्ान को िक्षत करना या अपक्षवत्र करना या क्षकसी पक्षवत्र वस्तु को नष्ट
कर देना
िण्ड- 2 वषण तक या जम ु ाण ना या िोनों से ।
धारा 295 क- क्षवमक्षशणत और क्षवद्वेषपूर्ण कायण जो क्षकसी वगण धमण या धाक्षमणक
क्षवश्वासो को अपमान करके उसकी धाक्षमणक भावनाओ को आहत करने के
आशय से क्षकये गये हो ।
िण्ड- 3 वषण तक या जम ु ाण ना या िोनों से।
धारा 296- धाक्षमणक जमाव में क्षवघ्न/बाधा करना
िण्ड- 1 वषण तक या जम ु ाण ना या िोनों से।
धारा 297- कक्षिस्तानों आक्षद में अक्षतचार करना
िण्ड- 1 वषण तक या जम ु ाण ना या िोनों से ।
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धारा 362-अपहरर्
अवयव-
बलपूवणक बाध्यता के साथ।
प्रवंचना पूवण उपायो वारारा।
उत्प्रेरर् वारारा।
दकसी स्थान से ले जाने का हो।
धारा 363- व्यपहरर् के क्षिये दण्ड-
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धारा 397- मत्ृ यु या र्ोर उपहक्षत काररत करने के प्रयत्न के सार् िूट या
डकै ती
िण्ड- 07 वषण से कम नही होगा।
धारा 398- र्ातक आयुध से सक्षज्जत होकर िूट या डकै ती करने का
प्रयत्न
िण्ड -07 वषण से कम का नही होगा ।
धारा 399- डकै ती करने के क्षिये तैयारी करना
िण्ड -10 वषण तक और जम ु ाण ने से ।
धारा 401- चोरों की टोिी का होने के क्षिये दण्ड
िण्ड -07 वषण तक और जम ु ाण ने से ।
धारा 402- डकै ती करने के प्रयोजन से एकक्षत्रत होना -
िण्ड -07 वषण तक और जम ु ाण ने से ।
धारा 405- आपराक्षधक धयास भंग -
तयस्त सम्पदर्त् का बेईमानी से िदु वण दनयोग कर लेना।
दववदक्षत या वैध संदविा का अदतक्रमर् करके संपदर्त् का उपयोग करे।
जानबूझकर दकसी अतय व्यदक्त का सहन करे।
बेईमानी पूवणक सम्पदर्त् का उपयोग या व्ययन करे।
धारा 406- आपराक्षधक धयास भंग के क्षिए दण्ड
तीन वषण तक की सजा या जम ु ाण ना या िोनों से
धारा 407- वाहक आक्षद द्वारा आपराक्षधक धयास भंग
िण्ड -07 वषण तक और जम ु ाण ने से ।
धारा 408- क्षिक्षपक या सेवक द्वारा अपराक्षधक धयास भंग
िण्ड -07 वषण तक और जम ु ाण ने से ।
धारा 409- िोक सेवक द्वारा या बैंकर व्यापारी या अक्षभकताण द्वारा
आपराक्षधक धयासभंग
िण्ड –आजीवन कारावास या 10 वषण तक और जम ु ाण ने से ।
धारा 407- वाहक आक्षद द्वारा आपराक्षधक धयास भंग
िण्ड -07 वषण तक और जम ु ाण ने से ।
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10 वषण तक और जमु ाण ने से ।
धारा 456- रात्रौ प्रच्छधन गहृ अक्षतचार या रात्रौ गहृ भेदन के क्षिए दण्ड
03 वषण तक और जम ु ाण ने से ।
धारा 457- कारावास से दण्डनीय अपराध करने के क्षिए रात्रौ प्रच्छधन
गहृ अक्षतचार या रात्रौ गहृ भेदन
05 वषण तक और जम ु ाण ने से ।
चोरी की िशा में 14 वषण तक।
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िो वषण तक या जम ु ाण ना या िोनो से
धमकी, मत्ृ यु या घोरउपहदत की िेने पर 07 वषण तक या जमु ाण ने से या िोनो
से ।
धारा 509- शब्द, अंग क्षविेप या कायण जो क्षकसी स्त्री की िज्जा का
अनादर करने के क्षिए आशक्षयत हैं
03 वषण तक की और जम ु ाण ने से ।
धारा 511- आजीवन कारावास या अधय कारावास से दण्डनीय अपराधो
को करने के प्रयत्न करने के क्षिये दण्ड
आजीवन कारावास या िीघण तम अवदध के आधे से।
धधयवाद
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