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भारतीय दण्ड संहिता - विकिपीडिया
भारतीय दण्ड संहिता - विकिपीडिया
भारतीय दण्ड संहिता भारत के अन्दर भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कु छ अपराधों की परिभाषा व दण्ड का
प्रावधान करती है। किन्तु यह संहिता भारत की सेना पर लागू नहीं होती। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू एवं कश्मीर में भी
अब भारतीय दण्ड संहिता (IPC) लागू है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860
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संबंधित कानून
भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् 1860 में लागू हुई। इसके बाद इसमे समय-समय पर संशोधन होते रहे (विशेषकर
भारत के स्वतन्त्र होने के बाद)। पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही लागू किया। लगभग इसी रूप में
यह विधान तत्कालीन अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों (बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई आदि) में भी लागू की गयी थी। लेकिन
इसमें अब तक बहुत से संशोधन किये जा चुके है।
अध्याय 1
उद्देशिका
धारा 1 संहिता का नाम और उसके प्रर्वतन का विस्तार
यह अधिनियम भारतीय दण्ड संहिता (IPC) कहलाएगा, और इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर होगा।
अनुच्छेद 370 के हटाए जाने पर भारतीय दंड संहिता संपूर्ण भारत पर लागू होगा जिसमे कें द्र शासित प्रदेश जम्मू और
कश्मीर भी शामिल है |[1] संविधान के अनुसूची 5 के तहत 109 क़ानून अब जम्मू और कश्मीर पर भी लागू होंगे जिसमें
भारतीय दंड संहिता के साथ-साथ हिन्दू विवाह अधिनियम भी सम्मिलित हैं।
धारा 2 भारत के भीतर किए गये अपराधों का दण्ड
हर व्यक्ति इस संहिता के उपबन्धों के प्रतिकू ल हर कार्य या लोप के लिए जिसका वह भारत के भीतर दोषी होगा, इसी संहिता
के अधीन दण्डनीय होगा अन्यथा नहीं ।
धारा 3 भारत से परे किए गये किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दंड
भारत से परे किए गए अपराध के लिए जो कोई व्यक्ति किसी भारतीय विधि के अनुसार विचारण का पात्र हो, भारत से परे किए
गए किसी कार्य के लिए उससे इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार ऐसा बरता जाएगा, मानो वह कार्य भारत के भीतर किया
गया था ।
(1) भारत के बाहर और परे किसी स्थान में भारत के किसी नागरिक द्वारा ;
(2) भारत में रजिस्ट्रीकृ त किसी पोत या विमान पर, चाहे वह कहीं भी हो किसी व्यक्ति द्वारा, किए गए किसी अपराध को भी
लागू है
स्पष्टीकरण - इस धारा में “अपराध” शब्द के अन्तर्गत भारत से बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता है, जो यदि भारत में किया
जाता तो, इस संहिता के अधीन दंडनीय होता ।
दृष्टांत
क. जो भारत का नागरिक है उगांडा में हत्या करता है । वह भारत के किसी स्थान में, जहां वह पाया जाए, हत्या के लिए
विचारित और दोषसिद्द किया जा सकता है ।
अध्याय 2
साधारण स्पष्टीकरणI
धारा 6 संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना
इस संहिता में सर्वत्र, अपराध की हर परिभाषा, हर दण्ड उपबन्ध और हर ऐसी परिभाषा या दण्ड उपबन्ध का हर दृष्टान्त,
“साधारण अपवाद” शीर्षक वाले अध्याय में अन्तर्विष्ट अपवादों के अध्यधीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी
परिभाषा, दण्ड उपबन्ध या दृष्टान्त में दुहराया न गया हो ।
दृष्टांत :
(क) इस संहिता की वे धाराएँ, जिनमें अपराधों की परिभाषाएँ अन्तर्विष्ट हैं, यह अभिव्यक्त नहीं करती कि सात वर्ष से
कम आयु का शिशु ऐसे अपराध नहीं कर सकता, किन्तु परिभाषाएँ उस साधारण अपवाद के अध्यधीन समझी जानी हैं जिसमें
यह उपबन्धित है कि कोई बात, जो सात वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा की जाती है, अपराध नहीं है ।
(ख) 'क' , एक पुलिस ऑफिसर, वारण्ट के बिना, 'य' को, जिसने हत्या की है, पकड़ लेता है । यहाँ 'क' सदोष परिरोध के
अपराध का दोषी नहीं है, क्योंकि वह 'य' को पकड़ने के लिए विधि द्वारा आबद्ध था, और इसलिए यह मामला उस साधारण
अपवाद के अन्तर्गत आ जाता है, जिसमें यह उपबन्धित है कि “कोई बात अपराध नहीं है जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए
जो उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो ।
धारा 8 लिंग
पुलिंग वाचक शब्द जहाँ प्रयोग किए गए हैं, वे हर व्यक्ति के बारे में लागू हैं, चाहे नर हो या नारी ।
धारा 9 वचन
जब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकू ल प्रतीत न हो, एकवचन द्योतक शब्दों के अन्तर्गत बहुवचन आता है, और बहुवचन द्योतक
शब्दों के अन्तर्गत एकवचन आता है ।
धारा 11 व्यक्ति
कोई भी कम्पनी या संगम, या व्यक्ति निकाय चाहे वह निगमित हो या नहीं, “व्यक्ति” शब्द के अन्तर्गत आता है ।
धारा 12 लोक
लोक का कोई भी वर्ग या कोई भी समुदाय “लोक” शब्द के अन्तर्गत आता है ।
धारा 13 निरसित
“क्वीन” की परिभाषा
विधि अनुकू लन आदेश, 1950 द्वारा निरसित ।
धारा 15 निरसित
ब्रिटिश इण्डिया” की परिभाषा
विधि अनुकू लन आदेश, 1937 द्वारा निरसित ।
धारा 16 निरसित
“गवर्नमेंट आफ इण्डिया” की परिभाषा
भारत शासन (भारतीय विधि अनुकू लन) आदेश, 1937 द्वारा निरसित ।
धारा 17 सरकार
“सरकार” के न्द्रीय सरकार या किसी राज्य की सरकार का द्योतक है ।
धारा 18 भारत
“भारत” से भारत का राज्यक्षेत्र अभिप्रेत है ।
धारा 19 न्यायाधीश
“न्यायाधीश” शब्द न के वल हर ऐसे व्यक्ति का द्योतक है, जो पद रूप से न्यायाधीश अभिहित हो, किन्तु उस हर व्यक्ति का भी
द्योतक है,
जो किसी विधि कार्यवाही में, चाहे वह सिविल हो या दाण्डिक, अन्तिम निर्णय या ऐसा निर्णय, जो उसके विरुद्ध अपील न होने
पर अन्तिम हो जाए या ऐसा निर्णय, जो किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा पुष्ट किए जाने पर अन्तिम हो जाए, देने के लिए विधि द्वारा
सशक्त किया गया हो,
अथवा जो उस व्यक्ति निकाय में से एक हो, जो व्यक्ति निकाय ऐसा निर्णय देने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो ।
दृष्टान्त (क) सन् 1859 के अधिनियम 10 के अधीन किसी वाद में अधिकारिता का प्रयोग करने वाला कलक्टर न्यायाधीश है ।
(ख) किसी आरोप के सम्बन्ध में, जिसके लिए उसे जुर्माना या कारावास का दण्ड देने की शक्ति प्राप्त है, चाहे उसकी अपील
होती हो या न होती हो, अधिकारिता का प्रयोग करने वाला मजिस्ट्रेट न्यायाधीश है ।
धारा 20 न्यायालय
“न्यायालय” शब्द उस न्यायाधीश का, जिसे अके ले ही को न्यायिकत: कार्य करने के
लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, या
उस न्यायाधीश-निकाय का, जिसे एक निकाय के रूप में न्यायिकत: कार्य करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो,
जबकि ऐसा न्यायाधीश या न्यायाधीश-निकाय न्यायिकत: कार्य कर रहा हो, द्योतक है ।
दृष्टान्त :
मद्रास संहिता के सन् 1816 के विनियम 7 के अधीन कार्य करने वाली पंचायत[5], जिसे वादों का विचारण करने और
अवधारण करने की शक्ति प्राप्त है, न्यायालय है ।
अर्थात् :
01 - पहले खण्ड का आलोप किया गया।
03 - हर न्यायाधीश जिसके अन्तर्गत ऐसे कोई भी व्यक्ति आता है जो किन्हीं न्यायनिर्णयिक कॄ त्यों का चाहे स्वयं या व्यक्तियों
के किसी निकाय के सदस्य के रूप में निर्वहन करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो ;]
04 - न्यायालय का हर ऑफिसर (जिसके अन्तर्गत समापक, रिसीवर या कमिश्नर आता है) जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह
कर्तव्य हो कि वह विधि या तथ्य के किसी मामले में अन्वेषण या रिपोर्ट करे, या कोई दस्तावेज बनाए, अधिप्रमाणीकॄ त करे, या
रखे, या किसी सम्पत्ति का भार सम्भाले या उस सम्पत्ति का व्ययन करे, या किसी न्यायिक आदेशिका का निष्पादन करे, या
कोई शपथ ग्रहण कराए या निर्वचन करे, या न्यायालय में व्यवस्था बनाए रखे और हर व्यक्ति, जिसे ऐसे कर्तव्यों में से किन्हीं का
पालन करने का प्राधिकार न्यायालय द्वारा विशेष रूप से दिया गया हो ;
05 - किसी न्यायालय या लोक सेवक की सहायता करने वाला हर जूरी-सदस्य, असेसर या पंचायत का सदस्य ;
06 - हर मध्यस्थ या अन्य व्यक्ति, जिसको किसी न्यायालय द्वारा, या किसी अन्य सक्षम लोक प्राधिकारी द्वारा, कोई मामला या
विषय, विनिश्चित या रिपोर्ट के लिए निर्देशित किया गया हो ;
07 - हर व्यक्ति जो किसी ऐसे पद को धारण कर्ता हो, जिसके आधार से वह किसी व्यक्ति को परिरोध में करने या रखने के लिए
सशक्त हो ;
08 - सरकार का हर ऑफिसर जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह अपराधों का निवारण करे, अपराधों की
इत्तिला दे , अप्राधियों को न्याय के लिए उपस्थित करे, या लोक के स्वास्थ्य, क्षेम या सुविधा की संरक्षा करे ;
09 - हर ऑफिसर जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह सरकार की ओर से किसी सम्पत्ति को ग्रहण करे, प्राप्त
करे, रखे, व्यय करे, या सरकार की ओर से कोई सर्वेक्षण, निर्धारण या संविदा करे, या किसी राजस्व आदेशिका का निष्पादन
करे, या 8[सरकार] के धन-सम्बन्धी हितों पर प्रभाव डालने वाले किसी मामले में अन्वेषण या रिपोर्ट करे या 8[सरकार] के धन
सम्बन्धी हितों से सम्बन्धित किसी दस्तावेज को बनाए, अधिप्रमाणीकॄ त करे या रखे, या 8[सरकार] 3।।। धन-सम्बन्धी हितों की
संरक्षा के लिए किसी विधि के व्यतिक्रम को रोके ;
10 - हर ऑफिसर, जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह किसी ग्राम, नगर या जिले के किसी धर्मनिरपेक्ष
सामान्य प्रयोजन के लिए किसी सम्पत्ति को ग्रहण करे, प्राप्त करे, रखे या व्यय करे, कोई सर्वेक्षण या निर्धारण करे, या कोई रेट
या कर उद्गॄहीत करे, या किसी ग्राम, नगर या जिले के लोगों के अधिकारों के अभिनिश्चयन के लिए कोई दस्तावेज बनाए,
अधिप्रमाणीकॄ त करे या रखे ;
11 - हर व्यक्ति जो कोई ऐसे पद धारण कर्ता हो जिसके आधार से वह निर्वाचक नामावली तैयार करने, प्रकाशित करने, बनाए
रखने, या पुनरीक्षित करने के लिए या निर्वाचन या निर्वाचन के लिए भाग को संचालित करने के लिए सशक्त हो ;
12 - हर व्यक्ति, जो - (क) सरकार की सेवा या वेतन में हो, या किसी लोक कर्तव्य के पालन के लिए सरकार से फीस या
कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता हो ;
दृष्टांत :
नगरपालिका आयुक्त लोक सेवक है ।
स्पष्टीकरण 1 - ऊपर के वर्णनों में से किसी में आने वाले व्यक्ति लोक सेवक हैं, चाहे वे सरकार द्वारा नियुक्त किए गए हों या नहीं
।
स्पष्टीकरण 2 - जहाँ कहीं “लोक सेवक” शब्द आएँ हैं, वे उस हर व्यक्ति के सम्बन्ध में समझे जाएँगे जो लोक सेवक के पद को
वास्तव में धारण किए हुए हों, चाहे उस पद को धारण करने के उसके अधिकार में कै सी ही विधिक त्रुटि हो ।
स्पष्टीकरण 3 - “निर्वाचन” शब्द ऐसे किसी विधायी, नगरपालिक या अन्य लोक प्राधिकारी के नाते, चाहे वह कै से ही स्वरूप का
हो, सदस्यों के वरणार्थ निर्वाचन का द्योतक है जिसके लिए वरण करने की पद्धति किसी विधि के द्वारा या अधीन निर्वाचन के
रूप में विहित की गई हो ।
अध्याय 3
अध्याय 4
साधारण अपवाद
धारा 76 विधि द्वारा आबद्ध या तथ्य की भूल के कारण अपने आप को विधि द्वारा आबद्ध होने का विश्वास करने वाले
व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य
धारा 77 न्यायिकत: कार्य करने हेतु न्यायाधीश का कार्य
धारा 78 न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कार्य
धारा 79 विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति
द्वारा किया गया कार्य
धारा 80 विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटना
धारा 81 कार्य जिससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय के बिना और अन्य अपहानि के
निवारण के लिये किया गया है
धारा 82 सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य
धारा 83 सात वर्ष से ऊपर किन्तु बारह वर्ष से कम आयु अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य
धारा 84 विकृ तिचित्त व्यक्ति का कार्य
धारा 85 ऐसे व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के विरूद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ है
धारा 86 किसी व्यक्ति द्वारा, जो मत्तता में है, किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है
धारा 87 सम्मति से किया गया कार्य जिसमें मृत्यु या घोर उपहति कारित करने का आशय हो और न उसकी सम्भव्यता का
ज्ञान हो
धारा 88 किसी व्यक्ति के फायदे के लिये सम्मति से सदभवनापूर्वक किया गया कार्य जिससे मृत्यु कारित करने का आशय
नहीं है
धारा 89 संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से शिशु या उन्मत्त व्यक्ति के फायदे के लिये सद्भावनापूर्वक किया गया कार्य
धारा 90 सम्मति
उन्मत्त व्यक्ति की सम्मति
शिशु की सम्मति
धारा 91 एसे कार्यों का अपवर्णन जो कारित अपहानि के बिना भी स्वतः अपराध है
धारा 92 सम्मति के बिना किसी ब्यक्ति के फायदे के लिये सदभावना पूर्वक किया गया कार्य
धारा 93 सदभावनापूर्वक दी गयी संसूचना
धारा 94 वह कार्य जिसको करने के लिये कोई ब्यक्ति धमकियों द्वारा विवश किया गया है
धारा 95 तुच्छ अपहानि कारित करने वाला कार्य
निजी प्रतिरक्षा के अधिकार के विषय में
धारा 96 निजी प्रतिरक्षा में दी गयी बातें
धारा 97 शरीर तथा सम्पत्ति पर निजी प्रतिरक्षा का अधिकार
धारा 98 ऐसे ब्यक्ति का कार्य के विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा का अधिकार जो विकृ त आदि हो
धारा 99 कार्य, जिनके विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है इस अधिकार के प्रयोग का विस्तार
धारा 100 शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने पर कब होता है
धारा 101 कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है
धारा 102 शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहना
धारा 103 कब सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने तक का होता है
धारा 104 ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का कब होता है
धारा 105 सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहना
धारा 106 घातक हमले के विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा के अधिकार जबकि निर्दोश व्यक्ति को अपहानि होने की जोखिम है
अध्याय 5
धारा 119 किसी ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना का लोक सेवक दवारा छिपाया जाना, जिसका निवारण करना
उसका कर्तव्य है
यदि अपराध कर दिया जाय
यदि अपराध मृत्यु, आदि से दण्डनीय है
यदि अपराध नहीं किया जाय
धारा 120 कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना
यदि अपराध कर दिया जाए - यदि अपराध नहीं किया जाए
अध्याय 5 क
आपराधिक षडयन्त्र
धारा 120 क आपराधिक षडयंत्र की परिभाषा
धारा 120 ख आपराधिक षडयंत्र का दण्ड
अध्याय 6
अध्याय 7
अध्याय 8
अध्याय 9
अध्याय 9 A
अध्याय १०
अध्याय ११
अध्याय १२
अध्याय १३
अध्याय १४
लोक स्वास्थ्य, सुरक्षा, सुविधा आदि से सम्बन्धित अपराध
धारा २६८ लोक न्यूसेन्स
धारा २६९ उपेक्षापूर्ण कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रमण फै लना संभाव्य हो
धारा २७० परिद्वेषपूर्ण कार्य, जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फै लना संभाव्य हो
धारा २७१ करन्तीन के नियम की अवज्ञा
धारा २७२ विक्रय के लिए आशयित खाद्य या पेय वस्तु का अपमिश्रण।
धारा २७३ अपायकर खाद्य या पेय का विक्रय
धारा २७४ औषधियों का अपमिश्रण
धारा २७५ अपमिश्रित ओषधियों का विक्रय
धारा २७६ ओषधि का भिन्न औषधि या निर्मिति के तौर पर विक्रय
धारा २७७ लोक जल-स्रोत या जलाशय का जल कलुषित करना
धारा २७८ वायुमण्डल को स्वास्थ्य के लिए अपायकर बनाना
धारा २७९ सार्वजनिक मार्ग पर उतावलेपन से वाहन चलाना या हांकना
धारा २८० जलयान का उतावलेपन से चलाना
धारा २८१ भ्रामक प्रकाश, चिन्ह या बोये का प्रदर्शन
धारा २८२ अक्षमकर या अति लदे हुए जलयान में भाड़े के लिए जलमार्ग से किसी व्यक्ति का प्रवहण
धारा २८३ लोक मार्ग या पथ-प्रदर्शन मार्ग में संकट या बाधा कारित करना।
धारा २८४ विषैले पदार्थ के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण
धारा २८५ अग्नि या ज्वलनशील पदार्थ के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
धारा २८६ विस्फोटक पदार्थ के बारे में उपेक्षापूर्ण आचरण
धारा २८७ मशीनरी के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण
धारा २८८ किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण
धारा २८९ जीवजन्तु के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
धारा २९० अन्यथा अनुपबन्धित मामलों में लोक बाधा के लिए दण्ड।
धारा २९१ न्यूसेन्स बन्द करने के व्यादेश के पश्चात् उसका चालू रखना
धारा २९२ अश्लील पुस्तकों आदि का विक्रय आदि।
धारा २९२ क ब्लैकमेल करने के उद्देश्य से अश्लील सामग्री प्रिन्ट करना
धारा २९३ तरुण व्यक्ति को अश्लील वस्तुओ का विक्रय आदि
धारा २९४ अश्लील कार्य और गाने
धारा २९४ क लाटरी कार्यालय रखना
अध्याय १५
अध्याय 16
धारा 324 खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया उपहति कारित करना
धारा 325 स्वेच्छापूर्वक किसी को गंभीर चोट पहुचाने के लिए दण्ड
धारा 326 खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छापूर्वक घोर उपहति कारित करना।
धारा 326 क एसिड हमले
धारा 326 ख एसिड हमला करने का प्रयास
धारा 327 संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए
स्वेच्छापूर्वक चोट पहुँचाना।
धारा 328 अपराध करने के आशय से विष इत्यादि द्वारा क्षति कारित करना।
धारा 329 सम्पत्ति उद्दापित करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित
करना
धारा 330 संस्वीकॄ ति जबरन वसूली करने या विवश करके संपत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया क्षति कारित
करना।
धारा 331 संस्वीकॄ ति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति
कारित करना
धारा 332 लोक सेवक अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचाना
धारा 333 लोक सेवक को अपने कर्तव्यों से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया घोर क्षति कारित करना।
धारा 334 प्रकोपन पर स्वेच्छया क्षति करना
धारा 335 प्रकोपन पर स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना
धारा 336 दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा पहुँचाने वाला कार्य।
धारा 337 किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, चोट पहुँचाना कारित करना
धारा 338 किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, गंभीर चोट पहुँचाना कारित
करना
धारा 339 सदोष अवरोध।
धारा 340 सदोष परिरोध या गलत तरीके से प्रतिबंधित करना।
धारा 341 सदोष अवरोध के लिए दण्ड
धारा 342 ग़लत तरीके से प्रतिबंधित करने के लिए दण्ड।
धारा 343 तीन या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध।
धारा 344 दस या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध।
धारा 345 ऐसे व्यक्ति का सदोष परिरोध जिसके छोड़ने के लिए रिट निकल चुका है
धारा 346 गुप्त स्थान में सदोष परिरोध।
धारा 347 सम्पत्ति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य करने के लिए मजबूर करने के लिए सदोष परिरोध।
धारा 348 संस्वीकॄ ति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन करने के लिए सदोष परिरोध
धारा 349 बल।
धारा 350 आपराधिक बल
धारा 351 हमला।
धारा 352 गम्भीर प्रकोपन के बिना हमला करने या आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए दण्ड
धारा 353 लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
धारा 354 स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
धारा 354 क यौन उत्पीड़न
धारा 354 ख एक औरत नंगा करने के इरादे के साथ कार्य
धारा 354 ग छिप कर देखना
धारा 354 घ पीछा
धारा 355 गम्भीर प्रकोपन होने से अन्यथा किसी व्यक्ति का अनादर करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल
का प्रयोग
धारा 356 हमला या आपराधिक बल प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति द्वारा ले जाई जाने वाली संपत्ति की चोरी का प्रयास।
धारा 357 किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के प्रयत्नों में हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
धारा 358 गम्भीर प्रकोपन मिलने पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
धारा 359 व्यपहरण
धारा 360 भारत में से व्यपहरण।
धारा 361 विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण
धारा 362 अपहरण।
धारा 363 व्यपहरण के लिए दण्ड
धारा 363 क भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए अप्राप्तवय का व्यपहरण का विकलांगीकरण
धारा 364 हत्या करने के लिए व्यपहरण या अपहरण करना।
धारा 364क फिरौती, आदि के लिए व्यपहरण।
धारा 365 किसी व्यक्ति का गुप्त और अनुचित रूप से सीमित / क़ै द करने के आशय से व्यपहरण या अपहरण।
धारा 366 विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को व्यपहृत करना, अपहृत करना या उत्प्रेरित करना।
धारा 366 क अप्राप्तवय लड़की का उपापन
धारा 366 ख विदेश से लड़की का आयात करना
धारा 367 व्यक्ति को घोर उपहति, दासत्व, आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण।
धारा 368 व्यपहृत या अपहृत व्यक्ति को गलत तरीके से छिपाना या क़ै द करना।
धारा 369 दस वर्ष से कम आयु के शिशु के शरीर पर से चोरी करने के आशय से उसका व्यपहरण या अपहरण
धारा 370 मानव तस्करी दास के रूप में किसी व्यक्ति को खरीदना या बेचना।
धारा 371 दासों का आभ्यासिक व्यवहार करना।
धारा 372 वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को बेचना।
धारा 373 वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को खरीदना।
धारा 374 विधिविरुद्ध बलपूर्वक श्रम।
धारा 375 बलात्संग
धारा 376 बलात्कार के लिए दण्ड
धारा 376 क पॄथक् कर दिए जाने के दौरान किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ संभोग्र
धारा 376 ख लोक सेवक द्वारा अपनी अभिरक्षा में की किसी स्त्री के साथ संभोग
धारा 376 ग जेल, प्रतिप्रेषण गॄह आदि के अधीक्षक द्वारा संभोग
धारा 376 घ अस्पताल के प्रबन्ध या कर्मचारिवॄन्द आदि के किसी सदस्य द्वारा उस अस्पताल में किसी स्त्री के साथ
संभोग
धारा 376 (E) पुनरावृति अपराधियों के लिए सजा की व्यवस्था
धारा 377 प्रकॄ ति विरुद्ध अपराध
अध्याय १७
4. धारा ३८१ लिपिक या सेवक द्वारा स्वामी के कब्जे में संपत्ति की चोरी।
5. धारा ३८२ चोरी करने के लिए मॄत्यु, क्षति या अवरोध कारित करने की तैयारी के पश्चात् चोरी करना।
6. धारा ३८३ उद्दापन / जबरन वसूली
12. धारा ३८९ जबरन वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को अपराध का आरोप लगाने के भय में डालना।
13. धारा ३९० लूट
17. धारा ३९४ लूट करने में स्वेच्छापूर्वक किसी को चोट पहुँचाना
20. धारा ३९७ मॄत्यु या घोर आघात कारित करने के प्रयत्न के साथ लूट या डकै ती।
21. धारा ३९८ घातक आयुध से सज्जित होकर लूट या डकै ती करने का प्रयत्न।
27. धारा ४०४ मॄत व्यक्ति की मॄत्यु के समय उसके कब्जे में सम्पत्ति का बेईमानी से गबन / दुरुपयोग।
28. धारा ४०५ आपराधिक विश्वासघात।
32. धारा ४०९ लोक सेवक या बैंक कर्मचारी, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन
35. धारा ४१२ ऐसी संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना जो डकै ती करने में चुराई गई है।
51. धारा ४२८ दस रुपए के मूल्य के जीवजन्तु को वध करने या उसे विकलांग करने द्वारा रिष्टि
52. धारा ४२९ किसी मूल्य के ढोर, आदि को या पचास रुपए के मूल्य के किसी जीवजन्तु का वध करने या उसे विकलांग
करने आदि द्वारा कु चेष्टा।
53. धारा ४३० सिंचन संकर्म को क्षति करने या जल को दोषपूर्वक मोड़ने द्वारा रिष्टि
54. धारा ४३१ लोक सड़क, पुल, नदी या जलसरणी को क्षति पहुंचाकर रिष्टि
55. धारा ४३२ लोक जल निकास में नुकसानप्रद जलप्लावन या बाधा कारित करने द्वारा रिष्टि
56. धारा ४३३ किसी दीपगॄह या समुद्री-चिह्न को नष्ट करके , हटाकर या कम उपयोगी बनाकर रिष्टि
57. धारा ४३४ लोक प्राधिकारी द्वारा लगाए गए भूमि चिह्न के नष्ट करने या हटाने आदि द्वारा रिष्टि
58. धारा ४३५ सौ रुपए का या (कॄ षि उपज की दशा में) दस रुपए का नुकसान कारित करने के आशय से अग्नि या
विस्फोटक पदार्थ द्वारा कु चेष्टा।
59. धारा ४३६ गॄह आदि को नष्ट करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कु चेष्टा।
60. धारा ४३७ किसी तल्लायुक्त या बीस टन बोझ वाले जलयान को नष्ट करने या असुरक्षित बनाने के आशय से कु चेष्टा।
61. धारा ४३८ धारा ४३७ में वर्णित अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा की गई कु चेष्टा के लिए दण्ड।
62. धारा ४३९ चोरी, आदि करने के आशय से जलयान को साशय भूमि या किनारे पर चढ़ा देने के लिए दण्ड।
63. धारा ४४० मॄत्यु या उपहति कारित करने की तैयारी के पश्चात् की गई रिष्टि
64. धारा ४४१ आपराधिक अतिचार।
धारा ४५७ कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करना।
धारा ४५८ क्षति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के करके रात में गॄह-अतिचार।
धारा ४५९ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करते समय घोर उपहति कारित हो
धारा ४६० रात्रौ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या रात्रौ गॄह-भेदन में संयुक्ततः सम्पॄक्त समस्त व्यक्ति दंडनीय हैं, जबकि उनमें से एक
द्वारा मॄत्यु या घोर उपहति कारित हो
धारा ४६१ ऐसे पात्र को, जिसमें संपत्ति है, बेईमानी से तोड़कर खोलना
धारा ४६२ उसी अपराध के लिए दंड, जब कि वह ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया है जिसे अभिरक्षा न्यस्त की गई है।
अध्याय 18
अध्याय १९
अध्याय २०
अध्याय २० क
अ याय २ क
अध्याय 21
मानहानि
धारा 499 मानहानि
धारा 500 मानहानि के लिए दण्ड।
धारा 501 मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित या उत्कीर्ण करना।
धारा 502 मानहानिकारक विषय रखने वाले मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री का बेचना।
अध्याय 22
अध्याय २३
संशोधन
लागू
35 The Government of India (Adaptation of Indian Laws) Order, 1937 1937
नहीं
36 आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 1939 22
The Indian Penal Code and the Code of Criminal Procedure (Amendment)
43 42 1949
Act, 1949
लागू
44 The Adaptation of Laws Order, 1950 1950
नहीं
45 The Repealing and Amending Act, 1950 35
लागू
51 The Adaptation of Laws (No.2) Order, 1956 1956
नहीं
52 The Repealing and Amending Act, 1957 36
53 आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 1958 2
34 सामान आशय –
99 से
व्यक्तिगत प्रतिरक्षा के लिए बल प्रयोग का अधिकार –
106
दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य
110 तीन वर्ष
करता है
120 षडयंत्र रचना –
आजीवन कारावास या
141 विधिविरुद्ध जमाव
जुर्माना
2 वर्ष की सजा/जुर्माना
147 बलवा करना
या दोनों
स्वामी या अधिवासी जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो के अभिकर्ता का
156 (3) आर्थिक दंड
उपद्रव के निवारण के लिए क़ानूनी साधनों का उपयोग न करना।
स्वामी या अधिवासी जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो के अभिकर्ता का
156 आर्थिक दंड
उपद्रव के निवारण के लिए क़ानूनी साधनों का उपयोग न करना।
3 वर्ष की सजा/जुर्माना
161 रिश्वत लेना/देना
या दोनों
1 वर्ष की सजा/500
171 चुनाव में घूस लेना/देना
रुपये जुर्माना
6 माह की सजा/1000
177 सरकारी कर्मचारी/पुलिस को गलत सूचना देना
रूपये जुर्माना
3 माह की सजा/500
186 सरकारी काम में बाधा पहुँचाना
रूपये जुर्माना
7 साल तक की सजा व
191 झूठे सबूत देना
जुर्माने का प्रावधान
3/ 7 वर्ष की सजा और
193 न्यायालयीन प्रकरणों में झूठी गवाही
जुर्माना
201 साक्ष्य मिटाना –
217 लोक सेवक होते हुए भी झूठे सबूत देना 2 साल तक की सजा व
जुर्माने का प्रावधान
216 लुटेरे/डाकु ओं को आश्रय देने के लिए दंड 3 साल की सजा
2 वर्ष की सजा/जुर्माना/
224/25 विधिपूर्वक अभिरक्षा से छु ड़ाना
दोनों
7 वर्ष की सजा और
231/32 जाली सिक्के बनाना
जुर्माना
10 वर्ष या आजीवन
255 सरकारी स्टाम्प का कू टकरण
कारावास की सजा
1 वर्ष की सजा/जुर्माना
264 गलत तौल के बांटों का प्रयोग
या दोनों
267 औषधि में मिलावट करना 6 माह की सजा
6 महीने की सजा/1000
272 खाने/पीने की चीजों में मिलावट
रूपये जुर्माना
274
मिलावट की हुई औषधियां बेचना –
/75
6 माह की सजा या
279 सड़क पर उतावलेपन/उपेक्षा से वाहन चलाना
1000 रूपये का जुर्माना
2 वर्ष की सजा और
292 अश्लील पुस्तकों का बेचना
2000 रूपये जुर्माना
1 साल की सजा और
297 कब्रिस्तानों आदि में अतिचार करना
जुर्माना दोनो
1 साल की सजा या
298 किसी दूसरे इंसान की धार्मिक भावनाओं को ठे स पहुंचाना
जुर्माना या दोनों
299 मानव वध –
आजीवन कारावास/मौत
302 हत्या/कत्ल
की सजा
10 वर्ष की सजा और
306 आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण
जुर्माना
308 गैर-इरादतन हत्या की कोशिश 7 वर्ष की सजा और
जुर्माना
1 वर्ष की सजा/जुर्माना/
309 आत्महत्या करने की चेष्टा करना
दोनों
आजीवन कारावास और
310 ठगी करना
जुर्माना
312 गर्भपात करना –
2 वर्ष का कारावास/
354 किसी स्त्री का लज्जा भंग करना
जुर्माना/दोनों
362 अपहरण –
7 वर्ष का कारावास और
363 किसी स्त्री को ले भागना
जुर्माना
366 नाबालिग लड़की को ले भागना –
10 वर्ष/आजीवन
376 बलात्कार करना
कारावास
5 वर्ष की सजा और
377 अप्राकृ तिक कृ त्य अपराध
जुर्माना
3 वर्ष का कारावास /
379 चोरी (सम्पत्ति) करना
जुर्माना/दोनों
392 लूट 10 वर्ष की सजा
10 वर्ष या आजीवन
395 डकै ती
कारावास
396 डकै ती के दौरान हत्या -
3 वर्ष कारावास/जुर्माना/
406 विश्वास का आपराधिक हनन
दोनों
415 छल करना –
3 माह की सजा/जुर्माना/
426 किसी से शरारत करना
दोनों
463 कू ट-रचना/जालसाजी –
10 वर्ष की सजा/
489 जाली नोट बनाना/चलाना
आजीवन कारावास
10 वर्षों की सजा और
493 धोखे से शादी करना
जुर्माना
7 वर्ष की सजा और
494 पति/पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना
जुर्माना
10 साल की सजा और
495 पति/पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना और दोनों रिश्तें चलाना
जुर्माना
07 साल की सजा और
496 बगैर रजामंदी के शादी करना या जबरदस्ती विवाह करना
जुर्माना
5 वर्ष की सजा और
497 जारकर्म करना
जुर्माना
2 साल का कारावास या
498 विवाहित स्त्री को भगाकर ले जाना या धोखे से ले जाना
जुर्माना अथवा दोनों
499 मानहानि –
2 वर्ष की सजा और
500 मान हानि
जुर्माना
506 आपराधिक धमकी देना –
सादा कारावास या
509 स्त्री को अपशब्द कहना/अंगविक्षेप करना
जुर्माना
511 आजीवन कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के प्रयत्न के लिए दंड –
सन्दर्भ
1. "IPC और CrPC सहित 37 कें द्रीय कानून जम्मू-कश्मीर में लागू" (https://ndtv.in/india-news/37-act-includin
g-ipc-and-crpc-implemented-in-jammu-kashmir-2187225) . NDTVIndia. अभिगमन तिथि 17 नवम्बर
2021.
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
"https://hi.wikipedia.org/w/index.php?
title=भारतीय_दण्ड_संहिता&oldid=5647441" से प्राप्त
अंतिम बार 21 दिन पहले 103.180.94.10 द्वारा संपादित किया गया