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पुिलस अिधिनयम, 1861

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धारा का म
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धाराएं
उ ेिशका ।
1. िनवचन ख ड ।
2. बल का गठन ।
3. रा य सरकार म अधी ण िनिहत होगा ।
4. पुिलस महािनरी क आ द ।
5. महािनरी क क शि तयां । शि तय का योग ।
6. पुिलस अिधका रय को मिज ेट क शि तयां ।
7. अवर अिधका रय क िनयुि त और पद युित इ या द ।
8. पुिलस अिधका रय को माणप ।
माणप का अ यपण ।
9. पुिलस अिधकारी िबना इजाजत या दो मास क सूचना के पद- याग नह करगे ।
10. पुिलस अिधकारी अ य िनयोजन म नह लगगे ।
11. पुिलस अिधवा षक िनिध ।
12. महािनरी क क िनयम बनाने क शि त ।
13. यि तगत खच पर िनयोिजत अित र त पुिलस अिधकारी ।
14. रेल और अ य कम के आसपास अित र त बल क िनयुि त ।
15. िव ु ध या संकटपूण िजल म अित र त पुिलस रखना ।
15क. िनवािसय या भूिम म िहतब यि तय के दुराचरण से पीिड़त को ितकर अिधिनण त करना ।
16. धारा 13, 14, 15 और 15क के अधीन संदय
े धन क वसूली और वसूली होने पर उनका ययन ।
17. िवशेष पुिलस अिधकारी ।
18. िवशेष पुिलस अिधका रय क शि तयां ।
19. िवशेष पुिलस अिधकारी के प म सेवा करने से इ कार ।
20. पुिलस अिधका रय ारा योग कया जाने वाला ािधकार ।
21. ाम पुिलस अिधकारी ।
फोट िविलयम क िसडसी म पुिलस चौक दार ।
22. पुिलस अिधकारी सदैव कत या ढ़ ह गे और िजले के कसी भी भाग म िनयोिजत कए जा सकगे ।
23. पुिलस अिधका रय के कत य ।
24. पुिलस अिधकारी इि ला इ या द कर सकगे ।
25. पुिलस अिधकारी िबना दावे वाली स पि को अपने भारसाधन म लगे और इसके ययन क बाबत मिज टे के आदेश
के अधीन ह गे ।
26. मिज ेट स पि को िन कर सके गा और उद्घोषणा िनकाल सके गा ।
ii

धाराएं
27. य द कोई दावेदार उपसंजात नह होता, तो स पि का अिधहरण ।
28. पुिलस अिधकारी न रहने पर माणप इ या द का प रदान करने से इ कार करने वाले यि त ।
29. कत य इ या द क उपे ा के िलए शाि तयां ।
30. लोक जमाव और जुलूस का िविनयमन और उनके िलए अनु ि त देना ।
30क. अनु ि त क शत का अित मण करने वाले जमाव और जुलूस के स ब ध म शि तयां ।
31. पुिलस लोक सड़क इ या द पर यव था बनाए रखेगी ।
32. ठीक पूववत तीन धारा के अधीन िनकाले गए आदेश क अव ा के िलए शाि त ।
33. िजले के मिज ट
े के िनयं ण क यावृि ।
34. सड़क पर कितपय अपराध के िलए द ड इ या द—पुिलस अिधका रय क शि तयां ।
ढोर वध, बेतहाशा सवारी आ द ।
जीव-ज तु के साथ िनदयता ।
याि य को बाधा प च
ं ाना ।
िव य के िलए व तु को अिभद शत करना ।
माग पर धूल फकना ।
म या बलवा मक पाया जाना ।
शरीर का अिश ट अिभदशन ।
संकटपूण थान के संर ण म उपे ा ।
35. अिधका रता ।
36. अ य िविध के अधीन अिभयोिजत करने क शि तयां भािवत नह ह गी ।
37. मिज ेट ारा अिधरोिपत शाि तय और जुमान क वसूली ।
38. [िनरिसत] ।
39. [िनरिसत] ।
40. [िनरिसत] ।
41. [िनरिसत] ।
42. कायवािहय के िलए प रसीमा ।
अिभतुि ट क िनिवदा ।
43. यह अिभवचन क काय वार ट के अधीन कया गया था ।
44. पुिलस अिधकारी डायरी रखगे ।
45. रा य सरकार िववरिणय का प िविहत कर सके गी ।
46. अिधिनयम क प रिध ।
47. पुिलस के िजला अधी क का ाम पुिलस पर ािधकार ।
1
[पुिलस अिधिनयम, 1861]
(1861 का अिधिनयम सं यांक 5)
[22 माच, 1861]
पुिलस के िविनयमन के िलए
अिधिनयम
उ ेि शका—यत: पुिलस को पुनग ठत करना और अपराध को िनवा रत करने तथा उनका पता लगाने के िलए उसे और
अिधक द उपकरण बनाना समीचीन है; अत: िन निलिखत प म यह अिधिनयिमत कया जाता है :—
1. िनवचन ख ड—जब तक क कोई बात िवषय या स दभ म ऐसे अथा वयन के िव न हो, इस अिधिनयम म
िन निलिखत श द और पद का वही अथ होगा जो उ ह दया गया है, अथात्—
“िजले का मिज ेट” से वह मु य अिधकारी अिभ ेत है िजस पर िजले के कायपािलक शासन का भार है और जो
मिज ेट क शि तय का योग करता है चाहे ऐसे कायपािलक शासन से भा रत मु य अिधकारी कसी भी पदािभदान से
ात हो;
“मिज ेट” श द के अ तगत मिज टे क सब या क ह शि तय का योग करने वाले साधारण पुिलस िजले के सब यि त
आते ह;
“पुिलस” श द के अ तगत वे सब यि त आते ह जो इस अिधिनयम के अधीन भत कए गए ह;

1
संि त नाम, भारतीय संि त नाम अिधिनयम, 1897 (1897 का 14) ारा दया गया है ।
यह अिधिनयम—
संथाल परगना यव थापन िविनयम, 1872 (1872 का 3) क धारा 3 ारा संथाल परगना को,
कलक ा पुिलस अिधिनयम, 1898 (1898 का बंगाल अिधिनयम सं यांक 1) ारा उपा तरण सिहत कलक ा शहर और उसके उपनगर को,
ख डमल िविध िविनयम, 1936 (1936 का 4) क धारा 3 और अनुसूची ारा ख डमल जनपद को,
आंगुल िविध िविनयम, 1936 (1936 का 5) क धारा 3 और अनुसूची ारा आंगुल जनपद को,
उड़ीसा िविध िविनयम, 1936 (1936 का 1) ारा म ास ेिसडे सी से उड़ीसा को अ त रत े को,
लागू कया ।
अनुसूिचत जनपद अिधिनयम, 1874 (1874 का 14) क धारा 3(क) के अधीन अिधसूचना ारा यह घोिषत कया गया है क यह अिधिनयम िन निलिखत
अिधसूिचत जनपद म वृ है, अथात् :—
हजारीबाग जनपद, लोहारडगा (अब रांची जनपद, देिखए कलक ा गजट, 1899, भाग 1, पृ ठ 44) और मानभूम और परगना दालभूम और सहभूम जनपद
म को हन, देिखए गजट आफ इं िडया, 1831, भाग 1, पृ ठ 504, और सहभूम जनपद म पोरहाट ए टेट, देिखए गजट आफ इंिडया, 1897, भाग 1, पृ ठ 1089 ।
उसी अिधिनयम क धारा 5 के अधीन अिधसूचना ारा इसका िव तार कु मायूं और गढ़वाल जनपद को कया गया, देिखए गजट आफ इं िडया, 1891,
भाग 1, पृ ठ 185 और (धारा 5 के अपवाद सिहत) कु म के अनुसूिचत जनपद को, देिखए गजट आफ इं िडया, 1914, भाग 2, पृ ठ 2347 । धारा 15, धारा 15क, धारा 16,
धारा 30, धारा 30क, धारा 31 और धारा 32 को गंजम और िवजगापतनम के अनुसूिचत जनपद म िव ता रत कया गया, देिखए फोट सट जाज गजट, 1898, भाग 1,
पृ ठ 667 और गजट आफ इं िडया, 1898, भाग 1, पृ ठ 873 । स पूण अिधिनयम का िव तार दि णी कनाटक जनपद से संब अमीनदीवी ीप को कया गया, देिखए
फोट सट जाज गजट, 1935, भाग 1, पृ ठ 1202 ।
िवलियत रा य (िविध) अिधिनयम, 1949 (1949 का 59) ारा इसका िव तार िवलियत रा य और भोपाल, िबलासपुर, िहमाचल देश और क छ रा य
को और भाग ग रा य (िविध) अिधिनयम, 1950 (1950 का 30) ारा मिणपुर, ि पुरा और व य देश रा य को कया गया ।
इसे िन निलिखत पर िव ता रत कया गया :—
(1) 1963 के िविनयम 6 क धारा 2 और अनुसूची 1 ारा, 1-7-1965 से दादरा और नागर हवेली म वृ कया गया ।
(2) 1965 के िविनयम 8 क धारा 3 और अनुसूची ारा 1-10-1967 से ल ीप, िमिनकाय और अमीनदीवी ीप म वृ कया गया ।
(3) 1958 के म य देश अिधिनयम सं यांक 23 ारा (अिधसूचना क तारीख से) स पूण म य देश ।
(4) 1962 के िविनयम 12 क धारा 3 और अनुसूची ारा उपा तरण सिहत गोवा, दमण और दीव ।
म ास, मु बई और बंगाल के िन नतर ा त म िवशेष अिधिनयिमितय के वतन और धारा 46 ारा वृ शि त के अधीन इस अिधिनयम के िव तार के
संबंध म, उस धारा क ट पणी देिखए ।
रा य के कितपय भाग म वृ सैिनक, ं टयर या ा य पुिलस के िलए िवशेष अिधिनयिमितय के संबंध म, धारा 8 का पाद ट पण देिखए ।
दो या अिधक ा त के भाग प िवशेष पुिलस, जनपद के सृजन और रा य के कसी भाग म कसी पुिलस बल के सद य क शि त और अिधका रता का
उनके येक भाग म अपवजन के िलए, पुिलस अिधिनयम, 1888 (1888 का 3) देिखए ।
यह अिधिनयम िन निलिखत को लागू करने के िलए—
सी०पी० और बरार को 1937 के सी०पी० और बरार अिधिनयम सं० 3 ारा; म ास को 1948 के म ास अिधिनयम सं० 13; यू०पी० को 1939 के यू०पी०
अिधिनयम सं० 2, 1944 के अिधिनयम सं० 2 और 1952 के अिधिनयम सं० 32 ारा; पंजाब को 1948 के ई०पी० अिधिनयम सं० 30 ारा; पांिडचेरी को 1968 के
पांिडचेरी अिधिनयम सं०7 ारा, पि चमी बंगाल को 1973 के पि चमी बंगाल अिधिनयम सं० 5 ारा; उड़ीसा को 1976 के उड़ीसा अिधिनयम सं० 5 और 1976 के
अिधिनयम सं० 34 ारा; तथा िसि कम को 1980 के िसि कम अिधिनयम सं० 7 ारा, संश ोिधत कया गया ।
यह अिधिनयम बे लारी िजले को लागू होने म 1955 के मैसूर अिधिनयम सं० 14 ारा िनरिसत कया गया ।
2

“साधारण पुिलस िजला” म कोई 1 ेिसडे सी, रा य या थान या कसी ेिसडे सी, रा य या थान का कोई भाग आता है,
िजसम इस अिधिनयम को भावी करने के िलए आदेश दया गया है;
2[“िजलाअधी क” और “िजला पुिलस अधी क” श द के अ तगत सहायक िजला अधी क या अ य यि त आता है िजसे
कसी िजले म िजला पुिलस अधी क के सब कत य या उनम से कसी का पालन करने के िलए इस अिधिनयम के अधीन रा य सरकार
के साधारण या िवशेष आदेश ारा िनयु त कया गया है;]
“स पि ” श द के अ तगत कोई जंगम स पि , धन या मू यवान ितभूित आती है;
3
* * * * *
“ यि त” श द के अ तगत क पनी या िनगम आता है;
“मास” श द से कले डर मास अिभ ेत है;
4
“ढोर” श द के अ तगत सीग वाले ढोर के अित र त हाथी, ऊंट, घोड़े, गधे, ख चर, भेड, बक रयां और सूअर आते ह ।
5
[पुिलस बल क अधीन थ पंि तय के ित िनदश का अथ यह लगाया जाए क वे िनदश उस बल के उपअधी क क पंि त
के नीचे वाले सद य के ित ह ।]
6
2. बल का गठन—इस अिधिनयम के योजनाथ रा य सरकार के अधीन सम त पुिलस थापन एक 7पुिलस बल समझा
जाएगा और रीितत: भत कया जाएगा और वह अिधका रय और पुिलसजन क ऐसी सं या से िमलकर बनेगा और ऐसी रीित से
ग ठत होगा 8*** जैसा 9*** रा य सरकार समय-समय पर आदेश करे ।
5
[इस अिधिनयम के उपब ध के अधीन रहते ए, कसी पुिलस बल क अधीन थ पंि त के सद य का वेतन और सेवा क
अ य सब शत वे ह गी, जो रा य सरकार अवधा रत करे ।]
3. रा य सरकार म अधी ण िनिहत होगा—साधारण पुिलस िजले म सव , पुिलस का अधी ण, उस रा य सरकार म,
िजसके अधीन ऐसा िजला हो, िनिहत होगा और 9*** उसके ारा योग कया जाएगा; और इस अिधिनयम के उपब ध के अधीन जैसा
ािधकृ त हो उसके िसवाय कोई यि त, अिधकारी, या यायालय रा य सरकार ारा कसी पुिलस कमचारी को 10*** अिति ठत या
िनयंि त करने के िलए सश त नह कया जाएगा ।
4. पुिलस महािनरी क आ द—11साधारण पुिलस िजले म सव पुिलस का शासन एक अिधकारी म, जो पुिलस
महािनरी क कहलाएगा और ऐसे महािनरी क और सहायक महािनरी क म िज ह रा य सरकार ठीक समझे, िनिहत होगा ।
िजले के मिज ेट क थानीय अिधका रता म सव पुिलस का शासन, ऐसे मिज ेट के साधारण िनयं ण और िनदेशन के
अधीन एक िजला अधी क और ऐसे सहायक िजला अधी क म िज ह रा य सरकार आव यक समझे, िनिहत होगा ।
12
* * * * *
5. महािनरी क क शि तयां । शि तय का योग—साधारण पुिलस िजले म सव पुिलस महािनरी क को मिज ेट क
स पूण शि तयां ा त ह गी क तु वह उन शि तय का योग रा य सरकार ारा समय-समय पर अिधरोिपत मयादा के अधीन
करेगा ।
6. [पुिलस अिधका रय को मिज ेट क शि तयां ।]—द ड या संिहता, 1882 (1882 का 10) क धारा 2 और अनुसूची
1(ख) ारा िनरिसत ।

1
के ीय सरकार, पुिलस अिधिनयम, 1888 (1888 का 3) क धारा 2 के अधीन, इस उपब ध के होते ए भी दो या अिधक रा य के भाग को िमलाकर कसी िवशेष
पुिलस िजले का सृजन कर सके गी ।
द ली रा य के िवषय म, देिखए—भारत का राजप , 1912, भाग 1, पृ० 1105 ।
2
1895 के अिधिनयम सं० 8 क धारा 1 ारा अ त: थािपत ।
3
1914 के अिधिनयम सं० 10 क धारा 3 और अनुसूची II ारा “सं या” और “ लग” से संबंिधत प रभाषाएं, िनरिसत क गई ।
4
पशु अितचार अिधिनयम, 1871 (1871 का 1) क धारा 3 म “पशु” क प ट प रभाषा है ।
5
भारत सरकार (भारतीय िविध अनुकूलन) आदेश, 1937 ारा अ त: थािपत ।
6
बंगाल पुिलस अिधिनयम, 1869 (1869 का बंगाल 7) ारा धारा 2 का, जहां तक यह बंगाल के उपरा यपाल के शासनाधीन ा त से संबंिधत था, िनरसन
कया गया ।
7
कु छ थान म पुिलस बल के अ यावेदन के िवषय म धारा 8 के नीचे ट पण देिखए ।
8
भारत शासन (भारतीय िविध अनुकूलन) आदेश, 1937 ारा “और ऐसे बल के सद य ऐसा वेतन ा त करगे” श द का लोप कया गया ।
9
भारत शासन (भारतीय िविध अनुकूलन) आदेश, 1937 ारा कितपय श द का लोप कया गया ।
10
भारत शासन (भारतीय िविध अनुकूलन) आदेश, 1937 ारा “िनयु त” का लोप कया गया ।
11
कलक ा शहर और उसके उपनगर म पुिलस शासन “पुिलस आयु त” म िनिहत ह, देिखए—कलक ा पुिलस अिधिनयम, 1866 (1866 का बंगाल 4) क धारा 3 ।
12
भारत शासन (भारतीय िविध अनुकूलन) आदेश, 1937 ारा लोप कया गया ।
3

7. अवर अिधका रय क िनयुि त और पद युित इ या द—1[2[संिवधान के अनु छे द 311 के उपब ध के और ऐसे िनयम
के ,] जो रा य सरकार ारा समय-समय पर इस अिधिनयम के अधीन बनाए जाएं, 2[अधीन रहते ए] पुिलस महािनरी क,
उपमहािनरी कगण, सहायक महािनरी कगण, और िजला अधी कगण, कसी समय अधीन थ पंि तय के ऐसे कसी अिधकारी को,
पद युत, िनलि बत या अवनत कर सकगे] िजसे वे अपने कत य के िनवहन म िशिथल या उपे ावान पाएं या जो उस पद के िलए
अयो य समझे जाएं,
3
[या 4[अधीन थ पंि तय के ] ऐसे कसी पुिलस अिधकारी को जो अपने कत य का अनवधानता या उपे ापूण रीित से
िनवहन करता है या जो वकायण अपने कत य के िनवहन के िलए वत: को अयो य कर लेता है, िन न द ड म से कोई एक या अिधक
दे सके गा, अथात् :—
(क) एक मास के वेतन से अनिधक कसी रािश का जुमाना;
(ख) द ड प ि ल, अित र त पहरा, अित म या अ य काय के सिहत या रिहत पं ह दन से अनिधक कालाविध
के िलए वाटर प ररोध;
(ग) सदाचरण वेतन से वंिचत करना;
(घ) िविश ट या िवशेष उपलि ध के कसी पद से हटाना ।]5
8. पुिलस अिधका रय को माणप —6[धारा 4 म व णत अिधकारी से िभ न] येक पुिलस अिधकारी को 7[पुिलस बल म
िनयुि त] पर, महािनरी क या ऐसे अ य अिधकारी क , िजसे महािनरी क िनयु त करे मु ां कत, इस अिधिनयम से उपाब पम
एक माणप िमलेगा िजसके फल व प ऐसे माणप को धारण करने वाले यि त म पुिलस अिधकारी क शि तयां, कृ य और
िवशेषािधकार िनिहत ह गे ।
माणप का अ यपण—8[जब कभी माणप म नािमत यि त कसी कारण से पुिलस अिधकारी नह रहता है तब ऐसा
माणप भावहीन हो जाएगा और उसके अिधकारी न रहने पर उसके ारा माणप ा त करने के िलए सश त अिधकारी को
तुर त अ य पत कया जाएगा ।]
पुिलस अिधकारी अपने पद से िनलि बत होने के कारण पुिलस अिधकारी बने रहने से प रिवरत नह हो जाएगा; ऐसे
िनल बन क अविध म वे शि तयां, कृ य और िवशेषािधकार, जो पुिलस अिधकारी के प म उसम िनिहत ह, ा थिगत रहगे, क तु
वह उ ह उ रदािय व , अनुशासन और शि तय और उ ह ािधका रय के अधीन रहेगा, मानो वह िनलि बत नह आ है ।]
9. पुिलस अिधकारी िबना इजाजत या दो मास क सूचना के पद- याग नह करगे—जब तक िजला अधी क या ऐसी
अनुमित देने के िलए ािधकृ त कोई अ य अिधकारी अिभ य तत: अनु ा न दे दे, कोई पुिलस अिधकारी अपने पद के कत य से अपने
को या त करने के िलए या जब तक वह अपने व र ठ अिधका रय को यागप देने के आशय क िलिखत सूचना दो मास से अ यून
अविध के िलए न दे दे, िबना िजला अधी क क इजाजत के यागप देने के िलए वतं न होगा ।
10. पुिलस अिधकारी अ य िनयोजन म नह लगगे—जब तक महािनरी क ऐसा करने के िलए अिभ य तत: उसे िलिखत प
म अनु ा न दे दे, कोई पुिलस अिधकारी इस अिधिनयम के अधीन वाले अपने कत य से िभ न कसी िनयोजन या पद म नह लगगे ।

1
भारत शासन (भारतीय िविध अनुकूलन) आदेश, 1937 ारा कितपय श द के थान पर ित थािपत ।
2
िविध अनुकूलन आदेश, 1950 (सं०आ० 29 ारा यथासंशोिधत) ारा “ऐसे िनयम के अधीन रहते ए” के थान पर ित थािपत ।
3
1895 के अिधिनयम सं० 8 क धारा 2 ारा कितपय श द के थान पर ित थािपत ।
4
भारत शासन (भारतीय िविध अनुकूलन) आदेश, 1937 ारा अ त: थािपत ।
5
यू०पी० के कु छ थान पर थािपत लागू ख ड (ङ) के थान पर देिखए—1944 का यू०पी० अिधिनयम 2 ।
6
िन निलिखत के अ यावेशन, अनुर ण और अनुशासन और िवषय म :—
(1) (क) अ डमान और िनकोबार ीप समूह म िनयोिजत सेना पुिलस बल, देिखए—अ डमान और िनकोबार ीपसमूह सेना (भंग करना) िविनयम, 1946
(1946 का 3),
(ख) असम म िनयोिजत सेना पुिलस बल, देिखए—असम रायफ स अिधिनयम, 1941 (1941 का 5),
(ग) बंगाल म िनयोिजत सेना पुिलस बल, देिखए—पूव सीमा त राइफ स (बंगाल बटािलयन) अिधिनयम, 1920 (1920 का 2),
(2) पंजाब सीमा त पुिलस अिधकारी, देिखए—पंजाब सीमा त पुिलस अिधकारी िविनयम, 1893 (1893 का 7),
(3) कलक ा और उपनगरीय पुिलस, देिखए—कलक ा पुिलस अिधिनयम, 1866 (1866 का बंगाल 4) और कलक ा उपनगरीय पुिलस अिधिनयम, 1866
(1866 का बंगाल 2);
(4) उ र देश म नगरपािलका े म पुिलस थापन, देिखए—उ र देश नगरपािलका अिधिनयम, 1916 (1916 का यू०पी० 2);
(5) पंजाब म नगरपािलका े म पुिलस थापन, देिखए—पंजाब नगरपािलका अिधिनयम, 1911 (1911 का पंजाब 3);
(6) संथाल परगना म ामीण पुिलस, देिखए—संथाल परगना ामीण पुिलस िविनयम, 1910 (1910 का 4);
(7) छोटा नागपुर ामीण पुिलस, देिखए—छोटा नागपुर ामीण पुिलस अिधिनयम, 1914 (1914 का बी० ए ड ओ० 1);
(8) यू०पी० िवशेष सश पुिलस, देिखए—उ र देश िवशेष सश पुिलस अिधिनयम, 1942 (1942 का यू०पी० 5);
(9) द ली िवशेष पुिलस थापन, देिखए— द ली िवशेष पुिलस थापन अिधिनयम, 1946 (1946 का 25); और
(10) द ली पुिलस, देिखए— द ली पुिलस अिधिनयम, 1978 (1978 का 34) ।
7
भारत शासन (भारतीय िविध अनुकूलन)आदेश, 1937 ारा “िनयु त कया” श द के थान पर ित थािपत ।
8
1895 के अिधिनयम सं० 8 क धारा 3 ारा मूल दूसरे पैरा के थान पर ित थािपत ।
4

11. [पुिलस अिधवा षक िनिध ।] िनरसन अिधिनयम, 1874 (1874 का 16) क धारा 1 और अनुसूची, भाग 1 ारा
िनरिसत ।
12. महािनरी क क िनयम बनाने क शि त—पुिलस महािनरी क पुिलस बल के संगठन, वग करण और िवतरण से, उन
थान से, िजनम बल के सद य िनवास करगे, और बल के सद य ारा क जाने वाली िविश ट सेवा से, उनके िनरी ण, उ ह दए
जाने वाले आयुध , साज-स जा और अ य आव यक व तु के वणन से उनके ारा गु त वाता और जानकारी के सं हण और संसूचना से
स ब ऐसे आदेश और िनयम िज ह वह समीचीन समझे, और पुिलस बल से स ब ऐसे सब अ य आदेश और िनयम िज ह
महािनरी क कत य के दु पयोग या उपे ा के िनवारण के िलए, और ऐसे बल को अपने कत य के िनवहन म द बनाने के िलए
समय-समय पर समीचीन समझे, रा य सरकार के पूवानुमोदन के अधीन समय-समय पर बना सकता है ।
13. यि तगत खच पर िनयोिजत अित र त पुिलस अिधकारी—पुिलस महािनरी क या कसी उपमहािनरी क या सहायक
महािनरी क या िजला अधी क के िलए िजले के मिज टे के साधारण िनदेशन के अधीन रहते ए यह िविधपूण होगा क वह उसक
आव यकता द शत करने वाले कसी यि त के आवेदन पर साधारण पुिलस िजले के अ दर कसी थान पर शाि त बनाए रखने के िलए
और ऐसे समय के िलए जो उिचत समझा जाए, पुिलस अिधका रय क कोई अित र त सं या ितिनयु त कर दे । ऐसा बल अन यत:
िजला अधी क के आदेश के अधीन होगा और उसका भार आवेदन करने वाले यि त पर होगा :
पर तु उस यि त के िलए, िजसके आवेदन पर ऐसा ितिनयोजन कया गया है, यह िविधपूण होगा क वह महािनरी क,
उप महािनरी क, या सहायक महािनरी क, या िजला अधी क को एक मास क िलिखत सूचना दे कर यह अपे ा करे क इस कार
ितिनयु त पुिलस अिधकारी या त कए जाएं, और ऐसा यि त ऐसे अित र त बल के भार से ऐसी सूचना के अवसान पर अवमु त
हो जाएगा ।
14. रेल और अ य कम के आसपास अित र त बल क िनयुि त—जब कभी कोई रेल, नहर या अ य लोककम या कोई
िविनमाणशाला या वािणि यक समु थान देश के कसी भाग म चलाया जाए या याशील हो और महािनरी क को यह तीत हो क
ऐसे कम, िविनमाणशाला या समु थान म िनयोिजत यि तय के आचरण या ऐसे आचारण क युि तयु त आशंका के कारण ऐसे थान
म अित र त पुिलस बल का िनयोजन आव यक है, तब महािनदेशक के िलए यह िविधपूण होगा क वह रा य सरकार क सहमित से
ऐसे थान म अित र त बल ितिनयु त कर दे और जब तक ऐसी आव यकता बनी रहे तब तक उसे वहां िनयोिजत रखे और ऐसे कम,
िविनमाणशाला या समु थान को चलाने म यु त िविधय का िनयं ण या अिभर ा िजस यि त के हाथ म है उसे अित र त बल के
िलए जो इस कार आव यक हो गया है, संदाय करने के िलए समय-समय पर आदेश दे, और तदुप र ऐसा यि त तदनुसार संदाय
कराएगा ।
1
[15. िव ु ध या संकटपूण िजल म अित र त पुिलस रखना—(1) रा य सरकार के िलए यह िविधपूण होगा क वह राजप
म अिधसूिचत क जाने वाली उद्घोषणा ारा और ऐसी अ य रीित म िजसे रा य सरकार िन द ट करे , यह घोिषत कर दे क उसके
ािधकार के अधीन कोई े िव ु ध या संकटमय अव था म पाया गया है या ऐसे े के िनवािसय या उनके कसी वग या अनुभाग
के आचारण से यह समीचीन हो गया है क पुिलस क सं या बढ़ाई जाए ।
(2) तदुप र पुिलस महािनरी क या इस िनिम रा य सरकार ारा ािधकृ त अ य ािधकारी के िलए यह िविधपूण होगा क
वह यथापूव त घोषणा म िविन द ट े म रखे जाने के िलए उस िनयत सामा य सं या के अित र त, पुिलस बल रा य सरकार क
मंजूरी से िनयोिजत करे ।
(3) इस धारा क उपधारा (5) के उपब ध के अधीन, ऐसे अित र त पुिलस बल का खच उद्घोषणा म व णत े के
िनवािसय ारा वहन कया जाएगा ।
(4) िजले का मिज टे ऐसी जांच के प चात् जो वह आव यक समझे, ऐसे खच का भाजन उन िनवािसय के बीच करेगा जो
यथापूव त, उसे वहन करने के दािय वाधीन ह और िज ह ठीक उ रवत उपधारा के अधीन छू ट नह दी गई है । ऐसा भाजन ऐसे
िनवािसय के ऐसे े म उनके साधन क बाबत मिज ेट के िनणय के अनुसार कया जाएगा ।
(5) रा य सरकार के िलए यह िविधपूण होगा क वह आदेश ारा ऐसे खच के कसी भाग को वहन करने के दािय व से क ह
यि तय या ऐसे िनवािसय के कसी वग या अनुभाग को छू ट दे ।
(6) इस धारा क उपधारा (1) के अधीन जारी क गई येक उद्घोषणा म वह कालाविध किथत होगी िजसम वह वृ
रहेगी क तु वह कसी भी समय या त क जा सके गी या ऐसी और कालाविध या कालाविधय के िलए समय-समय पर चालू रखी
जा सके गी, िज ह रा य सरकार येक मामले म िन द ट करना ठीक समझे ।
प टीकरण—इस धारा के योजन के िलए “िनवािसय ” के अ तगत वे यि त ह, जो ऐसे े के अ दर भूिम या अ य
थावर स पि वयं या अपने अिभकता या सेवक ारा अिधभोग म रखते ह या धारण करते ह और वे भूधारक ह जो ऐसे े म
सीधे रै यत या अिधभोिगय से वयं या अपने अिभकता या सेवक ारा भाटक संगृहीत करते ह, इस बात के होते ए भी क वे
व तुत: वहां िनवास नह करते ह ।]

1
1895 के अिधिनयम सं० 8 क धारा 4 ारा मूल धारा के थान पर ित थािपत ।
5

1
[15क. िनवािसय या भूिम म िहतब यि तय के दुराचरण से पीिड़त को ितकर अिधिनण त करना—(1) य द ऐसे
कसी े म, िजसक बाबत ठीक पूववत धारा के अधीन अिधसूिचत कोई उद्घोषणा द है, ऐसे े के िनवािसय या उनके कसी
वग या अनुभाग के दुराचरण के कारण या ऐसी कोई मु यृ या घोर उपहित या स पि क हािन या नुकसान उ भूत ई या आ है तो
ऐसे े के िनवासी ऐसे कसी यि त के िलए जो यह दावा करता है क उसे दुराचरण से ित उठानी पड़ी है, ित क तारीख से एक
मास, या ऐसी यूनतर कालाविध के अ दर, जो िविहत क जाए, उस िजले या िजले के उपख ड के , िजसके अ दर ऐसा े ि थत है,
मिज ेट से ितकर के िलए आवेदन करना िविधपूण होगा ।
(2) तदुप र िजले के मिज ेट के िलए यह िविधपूण होगा क वह ऐसी जांच के प चात्, जो वह आव यक समझे, और चाहे
ऐसे े म ठीक पूववत धारा के अधीन कोई अित र त पुिलस बल रखा गया हो या नह , रा य सरकार क मंजूरी से,—
(क) उन यि तय को घोिषत कर दे, िज ह ऐसे दुराचरण से उ भूत, या उसके कारण ित ई है;
(ख) ऐसे यि तय को दी जाने वाली ितकर क रािश, और वह रीित िजसम उसका उनम िवतरण कया जाएगा,
िनयत कर दे; और
(ग) वह अनुपात िनधा रत कर दे िजसम वह रािश आवेदक से िभ न ऐसे े के उन िनवािसय ारा दी जाएगी
िज ह संदाय करने के दािय व से छू ट ठीक प चा वत उपधारा के अधीन नह दी गई है :
पर तु मिज ट
े इस उपधारा के अधीन कोई घोषणा या िनधारण नह करे गा जब तक क उसक यह राय न हो क
यथापूव त ित ऐसे े के अ दर बलवे या िविधिव जमाव से उ प न ई थी और िजन घटना से ऐसी ित ई थी उन
घटना के िवषय म वह यि त, िजसे ित उठानी पड़ी है, दोषरिहत था ।
(3) रा य सरकार के िलए यह िविधपूण होगा क वह आदेश ारा ऐसे ितकर के कसी भाग के संदाय के दािय व से क ह
यि तय या ऐसे िनवािसय के कसी वग या अनुभाग को छू ट दे दे ।
(4) िजले के मिज ट े ारा उपधारा (2) के अधीन क गई येक घोषणा या िनधारण या दया गया आदेश उस ख ड के
आयु त या रा य सरकार के पुनरी ण के अ यधीन होगा क तु यथापूव त के िसवाय वह अि तम होगा ।
(5) ऐसी कसी ित के िलए िजसके िलए इस धारा के अधीन ितकर अिधिनण त आ है िसिवल वाद नह चलेगा ।
(6) प टीकरण—इस धारा म “िनवािसय ” श द का वही अथ है जो ठीक पूववत धारा म है ।]
2
[16. धारा 13, 14, 15 और 15क के अधीन संद ेय धन क वसूली और वसूली होने पर उनका ययन—(1) धारा 13, 14, 15
और 15क के अधीन देय सब धन िजले के मिज टे ारा उस रीित म, जो 3द ड या संिहता, 1882 (1882 का 10) क धारा 386
और 387 ारा जुमान क वसूली के िलए उपबि धत है, या कसी स म यायालय म वाद ारा वसूल कए जा सकगे ।
4
* * * * *
(3) धारा 15क के अधीन संद या वसूल कए गए सब धन, िजले के मिज ेट ारा उन यि तय को, िजनको और उन
अनुपात म, िजनम वे इस धारा के अधीन संदय
े ह, दए जाएंगे ।]
17. िवशेष पुिलस अिधकारी—जब यह तीत हो क कोई िविधिव जमाव या बलवा या शाि त भंग ई है या युि तयु त
प से होने क आशंका है और शाि त के प रर ण के िलए सामा यतया िनयोिजत पुिलस बल उस थान म, जहां ऐसा िविधिव
जमाव या बलवा या शाि त भंग ई है या होने क आशंका है, शाि त के प रर ण के िलए और िनवािसय के संर ण और स पि क
सुर ा के िलए पया त नह है तब िनरी क क पंि त से अिन न पंि त के कसी पुिलस अिधकारी के िलए यह िविधपूण होगा क वह
िनकटतम मिज ेट से यह आवेदन करे क आसपास के इतने िनवासी, िजतने पुिलस अिधकारी अपे ा करे , ऐसे समय के िलए और ऐसी
सीमा के अ दर जैसा क वह आव यक समझे, िवशेष पुिलस अिधका रय के प म काय करने के िलए िनयु त कर दए जाएं और
िजस मिज टे से ऐसा आवेदन कया जाता है वह, जब तक क इसके ितकू ल कारण दखाई न पड़े आवेदन का अनुवतन करे गा ।
18. िवशेष पुिलस अिधका रय क शि तयां—इस कार िनयु त येक िवशेष पुिलस अिधकारी क शि तयां,
िवशेषािधकार और प र ाण पुिलस के सामा य अिधकारी के समान ह गे और वह पुिलस के सामा य अिधकारी के समान वैसे ही
कत का पालन करने के दािय वाधीन होगा और वैसी ही शि तय और वैसे ही अिधका रय के अधीन थ होगा ।
19. िवशेष पुिलस अिधकारी के प म सेवा करने से इ कार—य द कोई यि त यथापूव त िवशेष पुिलस अिधकारी िनयु त
कए जाने पर पया त ितहेतु के िबना ऐसी सेवा करने म या ऐसी िविधपूण आ ा या िनदेश का, जो उसे, उसके कत य के पालन के
िलए कया जाए, अनुवतन करने म उपे ा या इं कार करता है तो वह कसी मिज ेट के सम दोषिसि पर ऐसी येक उपे ा, इ कार
या अव ा करने के िलए पचास पए से अनिधक जुमाने से द डनीय होगा ।

1
1895 के अिधिनयम सं० 8 क धारा 5 ारा अ त: थािपत ।
2
1895 के अिधिनयम सं० 8 क धारा 6 ारा मूल धारा के थान पर ित थािपत ।
3
अब द ड या संिहता, 1973 (1974 का अिधिनयम सं० 2) क धाराएं 421 और 422 देिखए ।
4
भारत शासन (भारतीय िविध अनुकूलन) आदेश, 1937 ारा उपधारा (2) का लोप कया गया । तथािप भारत, बमा (अ थायी उपब ध) आदेश, 1937 का पैरा 4 देिखए ।
6

1
20. पुिलस अिधका रय ारा योग कया जाने वाला ािधकार—इस अिधिनयम के अधीन भत कए गए पुिलस
अिधकारी इस अिधिनयम और द ड या को िविनयिमत करने के िलए इसके प चात् पा रत कसी अिधिनयम के अधीन पुिलस
अिधकारी के िलए उपबि धत ािधकार के िसवाय कसी ािधकार का योग नह करगे ।
21. ाम पुिलस अिधकारी—इस अिधिनयम म कोई बात कसी आनुवंिशक या अ य ाम पुिलस अिधकारी को भावी नह
करेगी जब तक क वह अिधकारी इस अिधिनयम के अधीन पुिलस अिधकारी के प म भत नह कया जाए । इस कार भत कए
जाने पर ऐसा अिधकारी ठीक पूववत धारा के उपब ध से आब होगा । कोई आनुवंिशक या अ य ाम पुिलस अिधकारी िबना अपनी
स मित के और िबना उनक स मित के , िज ह नामिनदशन का अिधकार है, भत नह कया जाएगा ।
फोट िविलयम क िसडसी म पुिलस चौक दार—य द 1856 के अिधिनयम 202 के अधीन (बंगाल म फोट िविलयम क
ेिसडे सी म नगर , शहर , टेशन , नगरांचल और बाजार म पुिलस चौक दार को िनयु त करने और बनाए रखने के िलए अिधक
अ छा उपब ध करने के िलए) िनयु त कोई पुिलस अिधकारी उस िजले के बाहर िनयोिजत कया जाता है, िजसके िलए वह उस
अिधिनयम के अधीन िनयु त कया गया है तो उसको उस िजले के िलए उ त अिधिनयम के अधीन उ गृहीत थानीय कर म से संदाय
नह कया जाएगा ।
22. पुिलस अिधकारी सदैव कत या ढ़ ह गे और िजले के कसी भी भाग म िनयोिजत कए जा सकगे— येक पुिलस
अिधकारी इस अिधिनयम म अ त व ट सब योजन के िलए, सदैव कत या ढ़ माना जाएगा और कसी भी समय साधारण पुिलस
िजले के कसी भी भाग म पुिलस अिधकारी के प म िनयोिजत कया जा सके गा ।
23. पुिलस अिधका रय के कत य— येक पुिलस अिधकारी का यह कत य होगा क वह कसी स म ािधकारी ारा उसे
िविधपूणत: जारी कए गए सब आदेश और वार ट का स वर पालन और िन पादन करे, लोक शाि त को भािवत करने वाली गु त
वाता का सं हण और संसूचना करे, अपराध और लोक याय के िलए कए जाने का िनवारण करे , अपरािधय का पता चलाए और
यायालय के सम लाए गए उन सब यि तय को पकड़े, िज ह पकड़ने के िलए वह वैधत: ािधकृ त है और िजनको पकड़ने के िलए
पया त आधार िव मान ह, और येक पुिलस अिधकारी के िलए इस धारा म व णत योजन म से कसी के िलए कसी म दरालय,
जुआघर, या ट या उ छृ खल यि तय के समागम के अ य थान म िबना वार ट वेश करना और उसका िनरी ण करना िविधपूण
होगा ।
24. पुिलस अिधकारी इि ला इ या द कर सकगे— कसी पुिलस अिधकारी के िलए यह िविधपूण होगा क वह कोई इि ला
मिज ेट को दे, और समन, वारंट, तलाशी वार ट या अ य ऐसी िविधक आदेिशका के िलए, जो अपराध करने वाले कसी यि त के
िव िविध के अनुसार िनकाली जा सकती है, आवेदन करे 3*** ।
25. पुिलस अिधकारी िबना दावे वाली स पि को अपने भारसाधन म लगे और इसके ययन क बाबत मिज ेट के आदेश
के अधीन ह गे—और येक पुिलस अिधकारी का यह कत य होगा क वह सब िबना दावे वाली स पि को अपने भारसाधन म ले और
उसक तािलका िजले के मिज टे को दे ।
पुिलस अिधकारी ऐसी स पि के ययन के िवषय म ऐसे आदेश के मागदशन लेकर काय करगे जो उ ह िजले के मिज ेट से
ातह ।
26. मिज टे स पि को िन कर सके गा और उद्घोषणा िनकाल सके गा—(1) िजले का मिज ेट स पि को िन कर
सके गा, और उन व तु का िजनके प म वह है िनदश करते ए और यह अपे ा करते ए उद्घोषणा िनकाल सके गा क कोई यि त
जो उस पर कोई दावा रखता है, ऐसी उद्घोषणा क तारीख से छह मास के अ दर उपसंजात होकर उस पर अपना अिधकार
थािपत करे ।
4
[(2) 5द ड या संिहता, 1882 (1882 का 10) क धारा 525 के उपब ध, इस धारा म िन द ट स पि को लागू ह गे ।]
6
[27. य द कोई दावेदार उपसंजात नह होता, तो स पि का अिधहरण—(1) य द कोई यि त ऐसी स पि पर, या य द
वह बेच दी गई है तो उसके आगम पर, उस कालाविध के अ दर, जो अनु ात क गई है, दावा नह करता है, तो य द वह ठीक पूववत
धारा क उपधारा (2) के अधीन पहले ही बेच नह दी गई है तो वह िजले के मिज टे के आदेश के अधीन बेच दी जाएगी ।

1
कु छ मामल म, िजनम धारा 20 का लागू होना िनबि धत कया गया, देिखए—असम पुिलस अिधकारी िविनयम, 1883 (1883 का 2) और पंजाब सीमा त पुिलस
अिधकारी िविनयम, 1893 (1893 का 7) क धारा 2 ।
2
बंगाल चौकादारी अिधिनयम, 1856 ।
3
1882 का अिधिनयम सं० 10 क धारा 2 और अनुसच ू ी 1(ख) ारा “और ऐसे यि त के , अि तम िनणय तक, अिभयोजनाथ” श द का िनरसन कया गया ।
4
1895 के अिधिनयम सं० 8 क धारा 7 ारा अ त: थािपत ।
5
अब द ड या संिहता, 1973 (1974 का 2) क धारा 459 देिखए ।
6
1895 के अिधिनयम सं० 8 क धारा 8 ारा मूल धारा के थान पर ित थािपत ।
7

(2) पूववत उपधारा के अधीन बेची गई स पि के िव य आगम और धारा 26 के अधीन बेची गई स पि के आगम िजन पर
कोई दावा थािपत नह आ है, 1[रा य सरकार के ययनाधीन ह गे ।]
28. पुिलस अिधकारी न रहने पर माणप इ या द का प रदान करने से इ कार करने वाले यि त—इस अिधिनयम के
अधीन भत कया गया पुिलस अिधकारी न रहने पर येक यि त, जो अपना माणप और व तु, साज-स जा, िनयुि तय और अ य
आव यक व तु को, जो उसे उसके कत य के िन पादन के िलए दाय क गई थी, त काल प रदान नह करता है, मिज ेट के सम
दोषिसि पर दो सौ पए से अनिधक शाि त या छह मास से अनिधक कालाविध के िलए कठोर म सिहत या रिहत कारावास से या
दोन से द डनीय होगा ।
29. कत य इ या द क उपे ा के िलए शाि तयां— येक पुिलस अिधकारी, जो कत य के कसी अित मण या स म
अिधकारी ारा बनाए गए कसी िनयम या िविनयम या दए गए िविधपूण आदेश को जानबूझकर भंग या उपे ा करने का दोषी है या
जो अपने पद के कत य से िबना अनु ा के या िबना दो मास क कालाविध क पूव सूचना दए याहरण करता है 2[या जो छु ी पर
अनुपि थत होने पर ऐसी छु ी के अवसान पर, िबना युि तयु त कारण के कत य पर उपि थत नह होता है] या जो िबना ािधकार के
अपने पुिलस कत य से िभ न कसी िनयोजन म लगता है या जो कायरता का दोषी है या जो अपनी अिभर ा म के कसी यि त के ित
अवैध शारी रक हसा करता है, मिज ेट के सम दोषिसि पर, तीन मास के वेतन से अनिधक शाि त या तीन मास से अनिधक
कालाविध के िलए कठोर म सिहत या रिहत कारावास से या दोन से द डनीय होगा ।
3
[30. लोक जमाव और जुलूस का िविनयमन और उनके िलए अनु ि त देना—(1) पुिलस का िजला अधी क या सहायक
िजला अधी क, लोक सड़क पर या लोक माग पर या आम रा त म सब जमाव और जुलूस के आचरण को अवसर पर यथा अपेि त
प म िन द ट कर सके गा और वे माग िजनसे और वे समय, िजन पर ऐसे जुलूस जा सकगे, िविहत कर सके गा ।
(2) वह, यह समाधान होने पर क क ह यि तय या क ह यि तय के वग का कसी ऐसी सड़क, माग या आम रा त म
ऐसा कोई जमाव बुलाने या एक करने या ऐसा कोई जुलूस बनाने का आशय है, िजसक बाबत िजले के या िजले के उपख ड के
मिज ेट का यह िवचार है क य द वह अिनयंि त रहा तो शांित भंग होने क संभा यता है, साधारण या िवशेष सूचना ारा यह
अपे ा कर सके गा क ऐसे स मेलन को बुलाने या एक करने वाले या ऐसे जुलूस का िनदेशन या सं वतन करने वाले यि त अनु ि त
के िलए आवेदन कर ।
(3) ऐसा आवेदन कए जाने पर वह अनु ि तधारी के नाम को िविन द ट करके और उन शत को प रिनि चत करके , िजन
पर ही ऐसा जमाव करने या ऐसा जुलूस बनाने के िलए अनु ा दी गई है, और उस धारा से अ यथा भावी करने वाली अनु ि त
दे सके गा :
पर तु ऐसी कसी अनु ि त के िलए आवेदन या उसके अनुदान पर कोई फ स नह लगाई जाएगी ।
(4) माग म संगीत—वह यौहार और समारोह के अवसर पर, माग म कतना संगीत हो उसको भी िविनयिमत
कर सके गा ।]
4
[30क. अनु ि त क शत का अित मण करने वाले जमाव और जुलूस के स ब ध म शि तयां—(1) कोई मिज ेट या
पुिलस का िजला अधी क या पुिलस का सहायक िजला अधी क या पुिलस िनरी क, या थाने का भारसाधक पुिलस अिधकारी ऐसे
कसी जुलूस को, जो अि तम पूवगामी धारा के अधीन अनुद कसी अनु ि त क शत का अित मण करता है, रोक सके गा और उसे या
ऐसे कसी जमाव को, जो क ह यथापूव त शत का अित मण करता है, िबखर जाने का आदेश दे सके गा ।
(2) जो कोई जुलूस या जमाव अि तम पूववत उपधारा के अधीन दए गए कसी आदेश के पालन करने म उपे ा करता है या
इ कार करता है वह िविधिव जमाव समझा जाएगा ।]
31. पुिलस लोक सड़क इ या द पर यव था बनाए रखेगी—पुिलस का यह कत य होगा क वह लोक सड़क पर और लोक
माग , आम रा त , घाट और उतरने के थान और लोक समागम के अ य सब थान म यव था बनाए रखे और जमाव और जुलूस
के होने के अवसर पर लोक सड़क और लोक माग म लोक उपासना के समय उपासना थान के आसपास और कसी भी अव था म,
जब कसी सड़क, माग, आम रा ता, घाट या उतरने के थान पर भीड़ हो या उसम बाधा होने क स भा यता हो, बाधा का
िनवारण करे ।
32. ठीक पूववत तीन धारा के अधीन िनकाले गए आदेश क अव ा के िलए शाि त—ठीक पूववत 5[तीन] धारा के
अधीन िनकाले गए आदेश का िवरोध या अव ा करने वाला या संगीत के िलए या जमाव और जुलूस के आचरण के िलए पुिलस के

1
भारत शासन (भारतीय िविध अनुकूलन) आदेश, 1937 ारा “सरकार के ययनाधीन” के थान पर ित थािपत ।
2
1895 का अिधिनयम सं० 8 क धारा 9 ारा अ त: थािपत ।
3
1895 के अिधिनयम सं० 8 क धारा 10 ारा मूल धारा के थान पर ित थािपत ।
4
1895 का अिधिनयम सं० 8 क धारा 11 ारा अ त: थािपत ।
5
1895 का अिधिनयम सं० 8 क धारा 12 ारा “दो” के थान पर ित थािपत ।
8

िजला अधी क या सहायक िजला अधी क ारा अनुद कसी अनु ि त क शत का अित मण करने वाला येक यि त मिज टे
के सम दोषिसि पर दो सौ पए से अनिधक जुमाने से द डनीय होगा ।
33. िजले के मिज ट
े के िनयं ण क यावृि —ठीक पूववत 1[चार ] धारा क कसी बात क बाबत यह न समझा
जाएगा क वह उनम िन द ट मामल पर िजले के मिज ेट के साधारण िनयं ण म ह त ेप है ।
34. सड़क पर कितपय अपराध के िलए द ड इ या द—पुिलस अिधका रय क शि तयां—कोई यि त जो ऐसे कसी शहर
क सीमा के अ दर, िजस पर इस धारा का िव तार रा य सरकार ने िवशेषतया कया है, क सड़क पर या कसी 2[खुले थान या]
माग या आम रा ते म िन न अपराध म से कोई अपराध करता है िजससे 3[िनवािसय या याि य ] को बाधा, असुिवधा, ोभ, जोिखम,
संकट या नुकसान प चं ता है, वह मिज टे के सम दोषिसि पर पचास पए से अनिधक जुमाने या 4[कठोर प र म सिहत या रिहत]
आठ दन से अनिधक कारावास से द डनीय होगा; और कसी पुिलस अिधकारी के िलए यह िविधपूण होगा क वह कसी ऐसे यि त
को जो उसके सामने ऐसे अपराध म से कोई अपराध करता है िबना वार ट के अिभर ा म ले ले, अथात् :—
थम—ढोर वध, बेतहाशा सवारी आ द—कोई यि त जो कसी ढोर का वध करता है या कसी पशु शव को साफ करता है
कोई यि त, जो अ धाधु ध या बेतहाशा कसी ढोर पर सवारी करता है या उसे हांकता है या कसी घोड़े या अ य पशु को फे रता या
िनकालता है ।
ि तीय—जीव-ज तु के साथ िनदयता—कोई यि त जो कसी जीव-ज तु को वै रता या िनदयता से मारता है, दु पयोग
करता है या यातना देता है ।
तृतीय—याि य को बाधा प च ं ाना—कोई यि त जो कसी ढोर या कसी कार के वहण को उस पर माल लादने या उस
पर से माल उतारने या याि य को लाने या उतारने के िलए अपेि त समय से अिधक समय के िलए खड़ा करता है या जो कसी वहण
को इस तरह छोड़ देता है िजससे जनता को असुिवधा होती है या संकट पैदा होता है ।
चतुथ—िव य के िलए व तु को अिभद शत करना—कोई यि त, जो िव य के िलए क ह व तु को अिभद शत
करता है ।
पंचम—माग पर धूल फकना—कोई यि त जो कसी ककट, ग दगी, कू ड़ा या क ह प थर या इमारती साम ी को फकता
या डालता है या जो कसी गौशाला या अ वशाला त सदृश सि नमाण करता है या जो कसी गृह, कारखाने, गोबर या अ य पशु के
मल के ढेर या त सदृश से कोई संतापकारी पदाथ बहाता है ।
प ठ—म या बलवा मक पाया जाना—कोई यि त जो म या बलवा मक पाया जाता है या अपनी स भाल करने म
असमथ है ।
स तम—शरीर का अिश ट अिभदशन—कोई यि त जो जानबूझकर और अिश टता से अपने शरीर को या कसी संतापकारी
अंग िवकार या रोग को अिभद शत करता है या कसी तालाब या जलाशय म, जो उस योजन के िलए पृथक् नह रखा गया है, मलमू
याग, नान या धोने क या ारा यूसे स करता है ।
अ टम—संकटपूण थान के संर ण म उपे ा—कोई यि त जो कु एं, तालाब या अ य संकटपूण थान या संरचना को बाड़
लगाने या स यक् पेण संरि त करने म उपे ा करता है ।
35. अिधका रता—5*** इस अिधिनयम के अधीन कां टेबल क पंि त से ऊपर के पुिलस अिधकारी के िव कसी आरोप
क जांच और अवधारण 6मिज टे क शि तय का योग करने वाले अिधकारी ारा ही कया जाएगा ।
36. अ य िविध के अधीन अिभयोिजत करने क शि तयां भािवत नह ह गी—इस अिधिनयम म अ त व ट कसी बात का
यह अथ नह लगाया जाएगा क वह इस अिधिनयम ारा द डनीय कए गए कसी अपराध के िलए कसी अ य िविनयम या
अिधिनयम के अधीन अिभयोजन कए जाने से या कसी अ य िविनयम या अिधिनयम के अधीन इस अिधिनयम ारा ऐसे अपराध के
िलए उपबि धत से िभ न या उ चतर शाि त या द ड के िलए दािय वाधीन होने से कसी यि त को िनवा रत करती है :
पर तुक—पर तु कोई यि त उसी अपराध के िलए दो बार दि डत नह कया जाएगा ।
7
[37. मिज ट
े ारा अिधरोिपत शाि तय और जुमान क वसूली—भारतीय द ड संिहता, (1860 का 45) क धारा 64 से
70 तक के , दोन धारा सिहत, और 8द ड या संिहता, 1882 (1882 का 10) क धारा 386 से लेकर 389 तक के , दोन धारा

1
1895 का अिधिनयम सं० 8 क धारा 12 ारा “तीन ” के थान पर ित थािपत ।
2
1895 का अिधिनयम सं० 8 क धारा 13 ारा अ त: थािपत ।
3
1895 का अिधिनयम सं० 8 क धारा 13 ारा “िनवासी और या ी” के थान पर ित थािपत ।
4
1903 के अिधिनयम सं० 1 क धारा 3 और अनुसूची 2 ारा अ त: थािपत ।
5
1882 के अिधिनयम सं० 10 क धारा 2 और अनुसूची I(ख) ारा कितपय श द िनरिसत ।
6
जैसे क थम ण े ी के कसी मिज ट े ारा :— देिखए—द ड या संिहता, 1973 (1974 का अिधिनयम सं० 2) क धारा 3(1) ।
7
1895 के अिधिनयम सं० 8 क धारा 14 ारा धारा 37 से 40 के थान पर ित थािपत ।
8
अब देिखए—द ड या संिहता, 1973 (1974 का 2) क धारा 421 से 424 ।
9

सिहत, जुमान से स बि धत उपब ध मिज ेट के सम दोषिसि पर इस अिधिनयम के अधीन अिधरोिपत शाि तय और जुमान को
लागू ह गे :
पर तु थम व णत संिहता क धारा 65 म कसी बात के होते ए भी, इस अिधिनयम क धारा 34 के अधीन जुमाने से
द डा द ट कोई यि त, ऐसे जुमाने के संदाय म यित म करने पर आठ दन से अनिधक कसी कालाविध के िलए कारावािसत कया
जा सके गा ।]
38. [जब तक िववरणी नह दी जाती है तब तक कर थम्-वार ट के िलए या ।] पुिलस अिधिनयम (1861) संशोधन
अिधिनयम, 1895 (1895 का 8) क धारा 14 ारा िनरिसत ।
39. [य द कर थम् पया त नह है तो कारावास ।]—पुिलस अिधिनयम (1861) संशोधन अिधिनयम, 1895 (1895 का 8) क
धारा 14 ारा िनरिसत ।
40. [यूरोपीय ि टश जा से जुमान का उद् हण ।]—पुिलस अिधिनयम (1861) संशोधन अिधिनयम, 1895 (1895 का 8)
क धारा 14 ारा िनरिसत ।
41. [पुिलस और भे दय के इनाम साधारण पुिलस िनिध को संदय
े ।]—भारत शासन (भारतीय िविध अनुकूलन) आदेश,
19371 ारा िनरिसत ।
2
42. कायवािहय के िलए प रसीमा— कसी यि त के िव वे सब कायवािहयां और अिभयोजन, जो इस अिधिनयम के
उपब ध के अधीन क गई या कए जाने के िलए आशियत या एतद् ारा दी गई साधारण पुिलस शि तय के अधीन क गई कसी बात
के िलए, वैधत: कए जा सकते ह, प रवा दत काय के कए जाने के प चात् तीन मास के अ दर न क अ यथा आर भ कए जाएंगे और
ऐसे वाद क , और उसके हेतुक क , िलिखत सूचना ितवादी को या उस िजले के िजसम काय कया गया था, िजला अधी क या सहायक
िजला अधी क को वाद के आर भ से कम से कम एक मास पूव दी जाएगी ।
अिभतुि ट क िनिवदा—ऐसे वाद के चलाए जाने से पूव य द ितवादी के ारा या िनिम पया त अिभतुि ट क िनिवदा क
गई है या य द ऐसे वाद के चलाए जाने के प चात् धन क पया त रािश यायालय म संदाय कर दी गई है तो कोई प रवादी ऐसे कसी
वाद म यु रण रािश नह पाएगा और चाहे कसी ऐसे वाद म प रवाद के प म िड ली गई हो तो भी, जब तक वह यायाधीश,
िजसके सम िवचारण आ है, यह मािणत कर दे क कायवाही को उसका अनुमोदन ा त है ऐसे प रवादी को ितवादी के िव
कोई खचा नह दया जाएगा :
पर तुक—पर तु सदैव यह क उस दशा म कोई कायवाही नह होगी जहां ऐसे अिधका रय का उसी काय के िलए आपरािधक
अिभयोजन हो चुका है ।
43. यह अिभवचन क काय वार ट के अधीन कया गया था—जब कसी पुिलस अिधकारी के िखलाफ कोई कायवाही या
अिभयोजन, अिधकारी क हैिसयत से उसके ारा कए गए कसी काय के िलए चलाया जाए या कोई कायवािहयां क जाएं तो उसके
िलए यह अिभवचन करना िविधपूण होगा क उसने ऐसा काय मिज टे ारा िनकाले गए वार ट के ािधकार के अधीन कया था ।
ऐसा अिभवचन उस काय का िनदेश देने वाला और ऐसे मिज ेट ारा िजसका ह ता रत होना ता प यत है ऐसा वारं ट पेश
करके िस कया जाएगा । और तब ितवादी, ऐसे मिज ेट क अिधका रता म कोई ु ट होने पर भी अपने प म िड पाने का
हकदार होगा, जब तक यायालय को ऐसे मिज टे के ह ता र के असली होने पर शंका का कारण न हो, उसके ह ता र को िस
करना आव यक न होगा :
पर तुक—पर तु सदैव क यह ऐसा वार ट िनकालने वाले ािधकारी के िखलाफ जो कोई उपचार प कार को ा त है वह
इस धारा म अ त व ट कसी बात से भािवत नह होगा ।
44. पुिलस अिधकारी डायरी रखगे— येक पुिलस थाने के भारसाधक पदािधकारी का यह कत य होगा क वह ऐसे प म,
जो रा य सरकार समय-समय पर िविहत करे , एक साधारण डायरी रखे और कए गए सब प रवाद और आरोप को, िगर तार कए
गए सब यि तय के नाम को, प रवा दय के नाम को उनके िव आरोिपत अपराध को, उन आयुध या स पि को, जो उनके
क जे से अ यथा ली गई हो, और उन साि य के नाम को, िजनक परी ा क गई है, उनम अिभिलिखत करे ।
िजले का मिज ेट ऐसी डायरी को मंगवाने और उसका िनरी ण करने के िलए वतं होगा ।
45. रा य सरकार िववरिणय का प िविहत कर सके गी—रा य सरकार यह िनदेश दे सके गी क महािनरी क और अ य
पुिलस अिधकारी ऐसी िववरिणयां भेज, जो रा य सरकार को उिचत तीत ह , और रा य सरकार वह प िविहत कर सके गी िजसम
ऐसी िववरिणयां दी जाएंगी ।

1
देिखए—तथािप, भारत और बमा (अ थायी उपब ध) आदेश, 1937, धारा 41 िन निलिखत प म पढ़ी जाए :—
“पुिलस अिधका रय ” ारा आदेिशका क तामील पर संद सब रकम और सब पुर कार , समपहरण और शाि तय या पुर कार , समपहरण और शाि तय के अंश
का, जो िविध ारा भे दय का संदय
े ह , जब क सूचना कसी पुिलस अिधकारी ारा दी गई है, साधारण पुिलस िनिध म संद कया जा सके गा ।
2
1871 के अिधिनयम सं० 9 क धारा 2 और अनुसूची 1 ारा धारा 42 का, उस सीमा तक (मोटे श द म), जहां तक वाद क प रसीमा से संबंिधत है, िनरसन कया
गया ।
10

1
[46. अिधिनयम क प रिध—(1) यह अिधिनयम अपने ही वतन से कसी 2[ ेिसडे सी] रा य या थान म भावशील नह
होगा । क तु 3[रा य सरकार] राजप म कािशत कए जाने वाले आदेश ारा इस स पूण अिधिनयम या उसके कसी भाग का
िव तार कसी िसडे सी, रा य या थान पर कर सके गी और यह स पूण अिधिनयम या इसका उतना भाग, ऐसे आदेश म िविन द ट
हो, तद तर ऐसी ेिसडे सी, रा य या थान म भावशील होगा ।
(2) जब यह स पूण अिधिनयम या इसका कोई भाग इस कार िव ता रत कर दया जाएगा तब रा य सरकार—
(क) इस अिधिनयम ारा या उसके अधीन उन पर अिधरोिपत कसी कत य के िनवहन म मिज टे और पुिलस
अिधका रय ारा अनुसरण क जाने वाली या को िविनयिमत करने के िलए;
(ख) समय, रीित और उन शत को, िजनके अ दर और िजनके अधीन धारा 15क के अधीन ितकर के िलए दावे
कए जाने ह, ऐसे दाव म कथन क जाने वाली िविशि टय को, वे िजस रीित म स यािपत क जानी ह उसको और उनके
प रणाम व प जो कायवािहयां (िजनके अ तगत, य द आव यक हो तो थानीय जांच है) क जानी ह उ ह िविहत करने के
िलए; और
(ग) साधारणत: इस अिधिनयम के उपब ध को भावी करने के िलए, राजप म अिधसूचना ारा समय-समय पर
इस अिधिनयम से संगत िनयम बना सके गी ।
(3) इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए सब िनयम समय-समय पर रा य सरकार ारा संशोिधत, प रव धत या र कए जा
सकगे ।]
47. पुिलस के िजला अधी क का ाम पुिलस पर ािधकार—रा य सरकार के िलए यह िविधपूण होगा क वह ऐसी रा य
सरकार के अधीन के रा य े के कसी भाग म इस अिधिनयम को भावशील करने म यह घोिषत करे क जो ािधकार िजले का
मिज ेट पुिलस के योजन के िलए कसी ाम चौक दार या अ य ाम पुिलस अिधकारी पर योग करता है या कर सकता है उसे
पुिलस का िजला अधी क िजले के मिज ेट के साधारण िनयं ण के अधीन, योग करेगा ।


(धारा 8 देिखए)
क ख 1861 के अिधिनयम 5 के अधीन पुिलस बल का सद य िनयु त कया गया है और उसम पुिलस अिधकारी क शि तयां,
कृ य और िवशेषािधकार िनिहत कए गए ह ।

_____

1
1895 के अिधिनयम सं० 8 क धारा 15 ारा मूल धारा के थान पर ित थािपत ।
2
म ास और ब बई रा य म िवशेष पुिलस अिधिनयम ह, देिखए म ास िजला पुिलस अिधिनयम, 1859 (1859 का 24) और ब बई िजला पुिलस अिधिनयम, 1867
(1867 का 7) । बंगाल के िनचले ा त म 1869 का बंगाल अिधिनयम 7, 1861 का अिधिनयम 5 के भाग के प म पढ़ा और जाना जाएगा;, देिखए—पूववत
अिधिनयम क धारा 6 ।
इस अिधिनयम का, मूल धारा ारा द शि त के अधीन, िन निलिखत पर िव तार कया गया :—
(1) उ र देश, अजमेर और मेरवाड़ा सिहत जो क त समय उस सरकार के अधीन थे, देिखए—उ र पि चमी ा त का गजट, 1861, पृ०सं०
634 म अिधसूचना सं० 964 ।
[1895 के अिधिनयम सं० 8 क धारा 16 ारा मूल धारा 46 के पैरा 2 (जैसा क उस धारा के पैरा 1 के अधीन स पूण ा त पर
अिधिनयम के िव तारण के प चात् है) के अधीन उ र देश के 27 िजल , हमीरपुर, जालौन, झांसी, लिलतपुर, नैनीताल (तराई परगना सिहत)
और अ मोड़ा तथा गढ़वाल म, अिधिनयम के अ यावेदन के िवषय म आदेश, वृ रहे ।]
(2) अवध, देिखए—उ र पि चमी ा त राजप , 1861, पृ०1758 म अिधसूचना सं० 34 ।
(3) इलाहाबाद और जबलपुर के म य भू-भाग पर कु छ देशी रा य ारा भुस ा का पूणतया प र याग कया गया ।
(4) म य ा त, नागपुर के िजल , रायपुर, भ डारा, चा दा और िछ दवाड़ा, िसर चा, नीमार ।
(5) बंगाल और असम ।
(6) पंजाब म कई िजले, देिखए—कलक ा, राजप तारीख 18 मई, 1861, पृ० 1302, अिधसूचना सं० 971, तारीख 15 मई, 1861 ।
धारा, जैसी क यह 1 अ ैल, 1937 से पहले थी, ारा द शि त के अधीन इसका िव तार िन निलिखत पर कया गया—
(1) म ास; अिधिनयम क धारा 15, 15क, 16, 30, 30क, 31 और 32 का स पूण म ास ेिस डेसी पर िव तार कया गया, देिखए—अिधसूचना
सं० 728, तारीख 31 अ तूबर, 1895, भारत का राजप , 1895, भाग 1, पृ० 876 ।
(2) गौआलपाड़ा िजले म पूव दोआस, देिखए—अिधसूचना सं० 230, भारत का राजप , 1897, भाग 1, पृ० 198 ।
(3) पूव और दि ण लुशाई पहािड़यां और (अब लुशाई पहािड़य के प म जाना जाने वाला) देवनागरी सिहत रतन पुईया गांव के प म जाना
जाने वाला भू-भाग, देिखए—भारत का राजप 1898, भाग 1, पृ० 370 ।
3
भारत शासन (भारतीय िविध अनुकूलन) आदेश, 1937 ारा “सप रषद् गवनर जनरल” के थान पर ित थािपत ।

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