You are on page 1of 2

9/25/2020 िनिध - िविकपीिडया

िनिध
मु ानकोश िविकपीिडया से

िह दू धम ों के स भ म कुबेर के कोष (खजाना) का नाम िनिध है िजसम नौ कार की िनिधयाँ ह। 1. प िनिध, 2.


महाप िनिध, 3. नील िनिध, 4. मुकुंद िनिध, 5. नंद िनिध, 6. मकर िनिध, 7. क प िनिध, 8. शंख िनिध और 9. खव या
िम िनिध।

माना जाता है िक नव िनिधयों म केवल खव िनिध को छोड़कर शेष 8 िनिधयां पि नी नामक िव ा के िस होने पर ा हो
जाती ह, लेिकन इ ा करना इतना भी सरल नहीं है ।

नव िनिधयों का िववरण
1. प िनिध

प िनिध के ल णों से संप मनु सा क गुण यु होता है , तो उसकी कमाई गई संपदा भी सा क होती है । सा क
तरीके से कमाई गई संपदा से कई पीिढ़यों को धन-धा की कमी नहीं रहती है । ऐसे सोने-चां दी र ों से संप होते ह
और उदारता से दान भी करते ह।

2. महाप िनिध

महाप िनिध भी प िनिध की तरह सा क है । हालां िक इसका भाव 7 पीिढ़यों के बाद नहीं रहता। इस िनिध से संप
भी दानी होता है और 7 पीिढयों तक सुख ऐ य भोगता है ।

3. नील िनिध

नील िनिध म स और रज गुण दोनों ही िमि त होते ह। ऐसी िनिध ापार ारा ही ा होती है इसिलए इस िनिध से संप
म दोनों ही गुणों की धानता रहती है । इस िनिध का भाव तीन पीिढ़यों तक ही रहता है ।

4. मुकंु द िनिध

मुकुंद िनिध म रजोगुण की धानता रहती है इसिलए इसे राजसी भाव वाली िनिध कहा गया है । इस िनिध से संप
या साधक का मन भोगािद म लगा रहता है । यह िनिध एक पीढ़ी बाद ख हो जाती है ।

5. नंद िनिध

नंद िनिध म रज और तम गुणों का िम ण होता है । माना जाता है िक यह िनिध साधक को लंबी आयु व िनरं तर तर ी दान
करती है । ऐसी िनिध से संप अपनी तारीफ से खुश होता है ।

6. मकर िनिध

मकर िनिध को तामसी िनिध कहा गया है । इस िनिध से संप साधक अ और श को सं ह करने वाला होता है । ऐसे
का राजा और शासन म दखल होता है । वह श ुओं पर भारी पड़ता है और यु के िलए तैयार रहता है । इनकी मृ ु
भी अ -श या दु घटना म होती है ।

7. क प िनिध

क प िनिध का साधक अपनी संपि को छु पाकर रखता है । न तो यं उसका उपयोग करता है , न करने दे ता है । वह सां प
की तरह उसकी र ा करता है । ऐसे धन होते ए भी उसका उपभोग नहीं कर पाता है ।

8. शंख िनिध
ं ि ि ो
https://hi.wikipedia.org/wiki/िनिध ं ी ीि ं औ ं े ी ो ी ै ो ै ेि 1/2
9/25/2020 िनिध - िविकपीिडया

शंख िनिध को ा यं की ही िचंता और यं के ही भोग की इ ा करता है । वह कमाता तो ब त है , लेिकन


उसके प रवार वाले गरीबी म ही जीते ह। ऐसा धन का उपयोग यं के सुख-भोग के िलए करता है , िजससे उसका
प रवार गरीबी म जीवन गुजारता है ।

9. खव िनिध

खव िनिध को िम त िनिध कहते ह। नाम के अनु प ही इस िनिध से संप अ 8 िनिधयों का स ण होती है । इस


िनिध से संप को िमि त भाव का कहा गया है । उसके काय और भाव के बारे म भिव वाणी नहीं की जा
सकती। माना जाता है िक इस िनिध को ा िवकलां ग व घमंडी होता ह, यह मौके िमलने पर दू सरों का धन भी सुख
भी छीन सकता है ।

"https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=िनिध&oldid=4666120" से िलया गया

अ म प रवतन 12:55, 14 अ ैल 2020।

यह साम ी ि येिटव कॉम ऍटी ूशन/शेयर-अलाइक लाइसस के तहत उपल है ; अ शत लागू हो सकती ह। िव ार से जानकारी हे तु दे ख
उपयोग की शत

https://hi.wikipedia.org/wiki/िनिध 2/2

You might also like