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ISBN 978-81-8322-276-1
3. ान ही दौलत है
4. ई र के साथ साझेदारी कर
8. मूत दौलत कै से उ प कर
9. सारा वसाय ई र का है
असीिमत ख़ज़ाना
बा इबल म कहा गया है, म यहाँ इसिलए आया ँ ता क लोग को जीवन िमल सके
और वे इसे यादा संप ता के साथ जी सक। (जॉन 10: 10)
आप यहाँ भरा-पूरा और ख़शहाल जीवन जीने आए ह। आप यहाँ ई र को
मिहमामंिडत करने और उसका िचर आनंद लेने के िलए आए ह। सृि क सारी
आ याि मक, मानिसक और भौितक समृि ई र क देन है। इसीिलए हर कार क
समृि अपने आप म अ छी है तथा उसका अ छा उपयोग कया जा सकता है।
ई र ही सब कु छ देता है और सारे उपहार ई र के दए ए ह; मनु य तो िसफ़
लेता है। ई र मनु य के दय म वास करता है। इसका अथ यह है क असीिमत दौलत
का ख़जाना आपके भीतर तथा चार ओर हमेशा मौजूद है। जब आप मि त क के िनयम
सीख लेते ह तो इसके बाद आप अपने भीतर के असीिमत भंडार से अपनी ज़ रत क
हर वह चीज़ िनकाल सकते ह, िजससे आपको भ , ख़शहाल और समृ जीवन जीने म
मदद िमले।
समृ बनने का िव ान
सृि िनयम के अनुसार चलती है। ऐसे कु छ िनि त िनयम और िस ांत ह, जो हमारे
सारे अनुभव , प रि थितय और जीवन म होने वाली घटना को िनयंि त करते ह।
हर चीज़ के मूल म कारण और प रणाम का िनि त िनयम है। समृ बनने का िव ान
आ था के िनयम पर आधा रत है। य द आप िव ास कर सकते ह, तो िव ासी के िलए
सारी चीज़ संभव ह (माक 9:23)। जीवन का िनयम वा तव म िव ास का िनयम है।
िव ास करने का अथ है कसी चीज़ को सच मानना। संप जीवन, ख़शहाल जीवन,
सफल जीवन म िव ास कर। जब आप सव े क सुखद आशा करगे, तो आपक ओर
हमेशा सव े ही आक षत होगा। मनु य का िव ास ही दौलत या ग़रीबी सफलता या
असफलता और वा य या रोग पैदा करता है। सृि का अकाट् य िनयम है क िवचार
हमेशा अपने समान फल दान करते ह, इसिलए जो ि साहस के साथ असीिमत
ख़ज़ाने क दौलत पर दावा करता है, उसे यह अव य िमलेगी।
अवसर क चुरता
आज आप अंत र युग म ह। आज आप सुपरजेट्स, इले ॉिन स, अंत र या ा तथा
िव ान, कला िच क सा और उ ोग-धंध के े म असं य नवाचार और खोज के
युग म ह। िमसाल के तौर पर, कं यूटर और इले ॉिन स के े अब भी अपने शैशव
काल म ह तथा उनम अनंत उ मी संभावनाएँ मौजूद ह। िवमान या ा - दूसरे ह तक
भी - िन संदह
े एक वृहद उ ोग म बदल रही है और लाख , संभवत: संसार भर के
करोड़ , लोग को रोज़गार दे रही है।
उन ी-पु ष के िलए अवसर क भरमार है, जो जीवन- वाह के साथ बहते ह
और उसके िख़लाफ़ तैरने क कोिशश नह करते ह। अमीरी का िनयम आपके िलए भी
वही है, जो क दूसर के िलए है।
ऐसा कहा गया है क हर साल उ णक टबंधीय वन म िजतने फल ज़मीन पर
िगरकर सड़ जाते ह, वे पूरे संसार का पेट भरने के िलए काफ़ ह। कृ ित उदार है,
आव यकता से ब त अिधक देती है और चुरता से भरी ई है। मनु य को कमी और
अभाव िसफ़ इसिलए होता है, य क वह कृ ित के उदार उपहार का अनुिचत
िवतरण और दु पयोग करता है। अमे रका म मौजूद इमारत बनाने क साम ी पर
नज़र डाल। यहाँ इतनी सारी लकड़ी, प थर, सीमट, लोहा, टील और अ य सामान ह,
िजनसे अमे रका के हर ि के िलए एक महल खड़ा हो सकता है। यहाँ कपड़े बनाने
क इतनी साम ी है क सारी मिहला के िलए महारानी जैसी और सारे पु ष के
िलए महाराजा जैसी पोशाक बनाई जा सकती ह!
सही नज़ रए से देख, तो इतनी यादा आपू त है क इसका भंडार कभी खाली नह
हो सकता। आप जानते ह क असीम ोत कभी ख़ म नह हो सकता। यह वह झरना है,
जो कभी नह सूख सकता। इस सृि क सारी चीज़ एक ही सव ापी, ाचीन त व से
बनी ह। ताँब,े सीसे, सोने, चाँदी, लकड़ी, प थर और आपक कलाई घड़ी के बीच
एकमा अंतर उन इले ॉ स क सं या और गित है, जो एक यूि लयस के चार ओर
घूम रहे ह। पूरा संसार और इसक सारी चीज़ इसी सव ापी ाचीन त व से बनी ई
ह।
आपके भीतर िवचार का जो असीम भंडार है, वह कभी ख़ म नह हो सकता। य द
मनु य को यादा सोने-चाँदी क ज़ रत है, तो वे पहले से मौजूद त व से योगशाला
म बनाए जा सकते ह। असीम बुि आपक आव यकता के अनु प ित या करती
है और इसका थायी वभाव यह है क यह वयं का िव तार करती है और आपके
ज़ रए पूण अिभ ि पाती है।
ग़रीबी एक रोग है
ग़रीबी का अथ है आराम, सुख, संतुलन और चैन का अभाव। अपने चार ओर नज़र
डाल। आपको जीवन के सभी े और सभी कार के वसाय तथा पेश म ऐसे लोग
िमलगे, जो अमीर बन रहे ह और जीवन म अपने ल य हािसल कर रहे ह, जब क बाक़
लोग उनके आस-पास रह रहे ह, वही काम कर रहे ह, उसी पेशे म ह, ले कन इसके
बावजूद ग़रीब ह ख़राब कपड़े पहन रहे ह और स ता, घ टया भोजन कर रहे ह।
य द आपको कोई शारी रक रोग है, तो आपको सम या को त काल सही करने के
िलए डॉ टर के पास जाकर अपनी शारी रक जाँच करानी चािहए। चाहे आप कतने ही
ग़रीब दखते ह , य द आप दौलत, उ ित, िव तार और गित के बारे म सोचने क
आदत डाल ल, तो आपको अपने अवचेतन मन से वत: ही एक उपचारक ित या
िमलेगी, िजससे आपक ख़श क़ मती असं य तरीक़ से कई गुना बढ़ जाएगी।
हो सकता है क आप कज़ म ह और आपके पास पैसा, भाव या मूत संपि न हो,
ले कन य द आप यह दावा करने लग, “ई र क दौलत मेरे जीवन म वािहत हो रही
है और दैवी संप ता हमेशा मौजूद है,” तो आपके जीवन म ज द ही चम कार होने
लगगे!
आप पूँजी पा सकते ह
िवचार ही वह एकमा अमूत और अदृ य शि है, िजसे आप जानते-बूझते ह। आप जो
भी सोचते ह, वही आपके जीवन म साकार होता है, जब तक क आप िवपरीत िवचार
सोचकर उसे िनि य न कर द। आपका िवचार िनि त प से आपके अवचेतन मन
ारा धन-दौलत उ प कर सकता है।
आपका अवचेतन मन आपके िवचार के अनु प ही काय करता है। य द आप
“ग़रीबी” के बारे म सोचते ह, तो आप ग़रीब बनगे - चाहे आप इस व त कतने ही
अमीर य न ह । य द आप दौलत - आ याि मक, मानिसक और भौितक - के बारे म
सोचने क आदत डाल लेते ह, तो साहचय के िनयम के अनुसार आप अमीर बन जाएँगे।
दूसरे श द म, जब आप यह सोचते ह,” अब दौलत मेरी है,” और इस िवचार के ित
आ थावान रहते ह तो आपका अवचेतन मन ित या करे गा और आपके िवचार क
कृ ित के अनुसार ही दौलत दान करे गा।
सभी आिव कार - भवन, शहर और सभी तरह के उपकरण, िजनम सभी मानव-
िन मत तथा ाकृ ितक प व याएँ शािमल ह - आपके भीतर के इसी अदृ य भंडार
से उ प ए ह। जब आप अपनी कु स से िहलने के बारे म सोचते ह, उसके बाद ही आप
िहलते ह। कसी वै ािनक ने आपके घर म विनयाँ और दृ य दखाने के बारे म सोचा;
फल व प टेलीिवज़न का आिव कार आ। इले ॉिनक तरं ग आकार, आवाज़, संगीत
आ द म पांत रत हो ग । आप वाक़ई “िवचार जगत” म रहते ह।
असीम उपि थित ने संसार के बारे म सोचा और सव ापी मि त क उसी िवचार
के अनुसार स य हो गया। इसने एक भौितक, गितशील ांड का प ले िलया। साथ
ही तार , सूय, चं मा व अंत र क अंतहीन आकाशगंगा का तं भी अि त व म आ
गया। यह सब एक असीम िवचारक का सृजन है, जो एक सु वि थत, गिणतीय अंदाज़
म पूरी सटीकता के साथ िवचार कर रहा था।
किव जॉयस क मर ने कहा था, “के वल ई र ही वृ बना सकता है।” चाहे यह
बलूत हो या सेव, वृ का सृजन करते समय असीम िवचारक वृ के बारे म सोचता है
और सव ापी मि त क सभी वृ क कृ ित के अनुसार उ ह साकार करने क
शि य को स य कर देता है। यान रहे, वृ क कृ ित िवकास के िस ांत ारा
िनधा रत है, जो पूरी सृि म िनिहत है।
सब कु छ पया है
प घृणा के साथ अहसास कर क आपके भीतर असीिमत सृजना मक शि है। आप
इस शि के ज रए मनचाहा सृजन कर सकते ह। आप इसका कतना आनंद लेते ह और
कतना अनुभव करते ह, उसक कोई सीमा नह है। आप सारी चीज़ असीिमत ोत से
ले रहे ह, इसिलए आपको कभी चंघृणा करने क ज़ रत नह है क कह आप अपने
िह से से यादा तो नह ले रहे ह। यान रख, असीिमत भंडार कभी ख़ म नह होता।
यह अनंत है। यह कल, आज और हमेशा उतना ही रहघृणा है।
मनु य क ब त बड़ी मूखघृणा यह है क वह यही नह पहचान पाघृणा क उसके
भीतर कतनी स ी दौलत िछपी है और वह अपने मि त क क सृजना मक शि के
बजाय बाहरी व तु , संपि य और प रि थितय को स ी दौलत मानने लगघृणा है।
याद रख, आपको असीिमत भंडार से कतना हण करना है, इसक कोई सीमा
नह है। आपक वा तिवक दौलत यह पहचानने म िनिहत है क चुर धन-संपि का
ोत आपके भीतर ही है। चुर संपि के बारे म सोच, यानी बड़ा सोच। इस बारे म
खुले दल और खुले मन से सोच। इसके बाद आप देखगे क सभी दशा से अ छी
चीज़ आपक ओर आ रही ह, जैसे धन-दौलत और अमीरी क सूचक असं य अ य चीज़।
सवशि मान आपके भीतर ही है, इसिलए आपके पास चुर शि है। आपके पास
अपार शांित, असीम आनंद और पूण सद्भाव पाने क मघृणा है। हर ि अपने मन
म सफलघृणा, िव तार सुधार, गित और रचना मकघृणा के असं य िवचार ला
सकघृणा है। इसके िलए तो आपको बस अपने भीतर िनिहत ई र क असीिमत संपदा
से जुड़ना भर है। “सारी चीज़ तैयार होती ह, बशत मनु य का मन तैयार हो।”
आ थक सम या का सामना कै से कर
अमीर बनने क कला का पहला िस ांत यह महसूस करना है क िवचार ही एकमा
अमूत शि है, जो असीिमत ख़ज़ाने से मूत दौलत उ प कर सकती है।
सृि म आप जो भी देखते ह- हर वह चीज़, आकार और या िजसका सृजन आ
है- वह असीिमत ा के िवचार क साकार अिभ ि है। जब असीिमत ा गित के
बारे म सोचती है, तो िवचार गित का प ले लेघृणा है। जब असीिमत ा कसी
आकृ ित के बारे म सोचती है, तो िवचार आकृ ित का प ले लेघृणा है। इसी तरीक़े से इस
संसार क सारी चीज़ का सृजन आ था। आप िवचार जगत म रहते ह, इसिलए अमीर
बनने तथा अपनी आ थक सम या को सुलझाने के िलए आपको लगाघृणार दौलत,
संपि तथा सफलघृणा के िवचार सोचने ह गे।
सागौन के वृ को अि त व म लाने के िलए असीिमत ा को सागौन के वृ के
बारे म सोचना पड़ा और उस िवचार से वह पेड़ उ प हो गया, हालाँ क हो सकघृणा है
क उसे पूणघृणा तक आने म कई स दयाँ लग गई ह । अब असीिमत िवचारक ने सागौन
के वृ के बारे म सोचा, तो इससे त काल बड़ा वृ नह बन गया। इसने तो बीज म
वत: स य बुि म ा के ज़ रए वृ उ प करने के िलए आव यक सभी शि य को
स य कर दया।
इसी तरह, अगर आप सारी आ थक सम या और ग़रीबी से जुड़ी श मदगी के
समूचे अहसास से मु होना चाहते ह, तो आपको यह समझ लेना चािहए क आप एक
चंतक ह और अपने िवचार , िच योजना तथा उद्दे य को साकार प दे सकते
ह। यही नह , यह भी जान ल क आपके हाथ से बनी सारी चीज़, सारी इमारत और
ए सारे आिव कार पहले आपके दमाग़ म िवचार-िच के प म उ प ए थे।
दरअसल आप इस संसार म कोई चीज़ तब तक बना ही नह सकते, जब तक क आप
पहले अपने मन म उस चीज़ का िवचार न कर ल।
यह पूरी तरह सच है, इसिलए अपने दमाग़ म इस स य को बैठा ल: “मुझे ई र
और सभी अ छी चीज़ पर पूरा िव ास है। म जानघृणा ँ क म कसी भी व त कसी
भी ि थित का मुक़ाबला करने म स म ,ँ य क ई र मेरे िलए आपू त का थायी
ोत है और मुझे सारे आव यक िवचार सही तरीक़े से तथा सही समय पर देघृणा है।
ई र क दौलत हमेशा मेरे जीवन म उ मु घृणा से वािहत हो रही है और हमेशा
दैवी संप घृणा क़ायम रहती है। इन स य को दोहराते समय म जानघृणा ँ क मेरा
मि त क सतत वािहत होने वाली उस दैवी आपू त को पाने के िलए तैयार हो रहा
है।”
जब आप ऊपर दए गए स य को दोहराते ह और अपने दय म उनक
वा तिवकघृणा को महसूस करते ह, तो आप दौलत का मनोभाव िवकिसत कर लगे।
इसके बाद आपक आ थक ि थित संप बनी रहेगी, भले ही शेयर बाज़ार कह भी जा
रहा हो या अ य प रि थितयाँ चाहे जैसी ह । चाहे धन को शि को कोई भी प लेने
क ज़ रत पड़ जाए, आपक आपू त म कभी कमी नह आएगी।
ान ही दौलत है
प जो सबसे बड़ी खोज कर सकते ह, वह इस बारे म जाग क होना है क
ान ार खोल देघृणा है
यूनान म अपोलो के मं दर क या ा के दौरान मुझे एक यूनानी युवती दखी, जो अपनी
बाँह म एक पु तक दबाए थी। मुझे वह पु तक जानी-पहचानी लगी। ग़ौर से देखने पर
मुझे यह सुखद आ य आ क वह पु तक मेरी ही िलखी ई थी: द िमरे कल ऑफ़
माइं ड डायनैिम स।* मने तुरंत अपना प रचय दया और उसने तुरंत सभी कार के
रोचक सवाल क झड़ी लगा दी।
उसक मुख सम या यह थी क वह अमे रका म बसना चाहती थी, ले कन एथस
के अमे रक दूघृणावास म उसे बघृणाया गया क ती ा सूची ब त लंबी है- इतनी
लंबी क उसे वहाँ जाने म कई साल लग जाएँग।े उसने मुझसे कहा, “आपने इस पु तक
म जो तकनीक बघृणाई ह, म उनका इ तेमाल कर रही ।ँ मुझे अपनी सारी ाथना
का फल भी िमल गया है। िसफ़ एक ही ाथना पूरी नह हो पाई है- अमे रका जाकर
रहने क अनुमित िमलना।”
वह सुिनयोिजत और िनयिमत प से यह कथन िव ासपूवक दोहरा रही थी:
“असीिमत ा दैवीय व था म मेरे अमे रक अ वास क राह खोल रही है। जब
मनु य कहघृणा है, ‘कोई रा ता नह है,’ तब ई र कहघृणा है क रा ता है, और म अब
उसी रा ते को वीकार करती ।ँ ”
उसक मदद करने क ख़ाितर मने यूयॉक क एक असाधारण बुि मती मिहला
वक ल को प िलखा, जो साइं स ऑफ़ माइं ड क िव ाथ और मेरी पुरानी िम थी।
मने उसे बघृणाया क इस यूनानी लड़क क बहन यूयॉक म वसायी है और कई
साल से वहाँ रह रही है। वह बीमार है और चाहती है क उसक बहन यूनान से आकर
वसाय सँभालने म उसक मदद करे । उस वक ल ने लगभग तुरंत ही काय शु कर
दया और यूनान म द िमरे कल ऑफ़ माइड डायनेिम स क युवा िव ाथ को प
िलखकर बघृणाया क वह अमे रका म वेश सुिनि त करने के िलए कौन से क़ानूनी
क़दम उठा सकती है।
यह अ याय िलखते व त मुझे एथस क उस युवती का प िमला, िजसने िलखा था,
“आपसे होने वाली मुलाक़ात यूँ ही नह ई थी। जब मने आपको पादरी क पोशाक म
देखा और आपको बोलते सुना, तो म जान गई क आप अमे रका के पादरी ह। म यह भी
जानती थी क आप मुझसे बात करगे और आपके पास मेरे सवाल का कोई न कोई
जवाब होगा।”
म तो के वल एक िनिम था, िजसके मा यम से उसके अवचेतन क असीिमत ा
ने उसक सतत और लगनशील इ छा का जवाब दया। वह कभी नह डगमगाई, कभी
नह लड़खड़ाई और उसने अपनी इ छा के साकार होने क संभावना पर कभी नह
कया। वह तो बस जानती थी क एक जवाब था। उसक लगनशीलघृणा और संक प
क वजह से उसे फ़ायदा आ।
उसक ाथना के जवाब म पहला क़दम तो यह था क एक एयरलाइन हो टेस ने
उसे द िमरे कल ऑफ़ माइं ड डायनैिम स क एक ित उपहार म देते ए कहा, “ इससे
तु हारी अँ ेज़ी काफ़ सुधर जाएगी और अगर तुम इसका सही इ तेमाल करोगी, तो
यक़ नन अमे रका प च ँ जाओगी।”
अवचेतन के तरीक़े ाय: रोचक, आकषक, रोमांचक और मोहक होते ह। आपको
यह एहसास होने लगघृणा है क चम कार कभी ख़ म नह ह गे और “ई र कभी
असफल नह होता।”
आज म अमीर ँ
मने युिनख़, जमनी के एक िनजी घर म एक छोटे समूह के सामने मानिसक िनयम पर
भाषण दया। म िजस युवक का अितिथ था, वह पहाड़ पर क इं ग िसखाने वाला
ब ढ़या िश क था। आ स पवाघृणारोहण के एक अिभयान म उसक एक िव ाथ - जो
उसक मँगेतर भी थी- दुघटनावश एक िहम थलन म लापघृणा हो गई और बाद म
उसक लाश िमली। उस पर मुकदमा चला और दो अदालत ने उसे दोषी ठहराया।
बहरहाल, तीसरी अदालत ने उसे पूरी तरह से िनद ष करार दया। इसके बावजूद
उसके भीतर गहरी लािन और भीषण प ाघृणाप था। इसके अलावा, थानीय
अख़बार म छपने वाली आलोचना मक ट पिणय से भी उसके दल को चोट प च ँ ी
थी।
मने उसे बघृणाया क उसे दूसर के काय या पवघृणारोहण के िनदश क जान-
बूझकर अवहेलना के िलए िज़ मेदार नह ठहराया जा सकघृणा। मने यह भी जोड़ा क
कु छ लोग म मृ यु क चाह और मृ यु ंिथ होती है। इसी कारण वे अचेतन प से ऐसे
दु साहसी काय चुनते ह, िजनसे वे तबाह हो सकते ह। आ म-आलोचना और आ म-
घृणा क वजह से लोग शराब पी-पीकर काल के गाल म समा जाते ह या न द क
गोिलय अथवा कसी अ य ज़हरीले पदाथ क तगड़ी ख़राक़ ले लेते ह। उसे समझ म आ
गया क वह नाहक ही ख़द को सज़ा दे रहा था और इसके बजाय उसे लड़क के िलए
ाथना करनी चािहए तथा उसे ई र क ओर मु कर देना चािहए। वह जान गया क
उसे वयं को और अपनी पूव मँगेतर को मु कर देना चािहए।
मने उसे याद दलाया क इस धरती पर रहने वाले हम सभी लोग एक न एक दन
गुज़र जाएँगे और यह असंभव है क कोई भी अपनी माँ, िपता, बहन, भाई या ि य
ि के साथ पूरे समय रहे। देर-सबेर वह व त आता है, जब हर एक के जाने का
समय हो जाता है। यह संसार का अटल िनयम है। यह सव ापी है और संसार के सभी
ी-पु ष पर लागू होता है। इसिलए हम अपने दय क फु सफु साहट सुननी चािहए
और यह अहसास करना चािहए क हमम से येक के अगले आयाम पर प च ँ ने का
व त ई र ने िनधा रत कर रखा है और यह अ छा ही होगा, वरना ई र ऐसा कभी
नह करता।
ि यजन * के बारे म ण या उदास िवचार रखना भी ग़लत है, य क यह
नकारा मक, उदास नज़ रया उ ह पीछे रोके रखता है। हम उनसे ेम करना चािहए
और यह समझते ए उ ह ई र क ओर मु कर देना चािहए क उनक या ा हमेशा
ऊपर, आगे तथा ई र क ओर होती है। उनके बारे म सोचते समय हम यह अहसास
करना चािहए क उनक आ मा म ई र का ेम भर रहा है।
इस ा या को सुनकर उसक आँख म चमक आ गई और वह बोला, “आज मेरे
मन से एक भारी बोझ उठ गया! अब म मु ।ँ अब म संपूण !ँ ”
ई र के साथ साझेदारी कर
दौलत का िह सा
एथस के पास मोनी टापू पर जोहा सबग, दि ण अ का के एक लेखक से मेरी लंबी
बातचीत ई। उसने कु छ रोचक बात बता और कहा क उसके लेख िनयिमत प से
अ वीकृ त होते थे। उसक पहली पु तक भी काशक ने यह कहकर ठु करा दी, “पढ़ा ही
नह ” और “ िच नह है।” उसके भीतर अ वीकृ ित क ंिथ िवकिसत होने लगी, जब
तक क उसने मानिसक िनयम से संबंिधत एक पु तक नह पढ़ी, िजसने उसक िवचार
या को पूरी तरह बदल दया।
फर वह अपनी क पना का उपयोग अिधक सृजना मक तरीक़े से करने लगा। अपने
उप यास के पा पर िवचार करते व त वह उन िवशेष ि थितय , कथासू तथा
स य के बारे म सोचता था, िज ह वह अिभ करना चाहता था। इसके बाद वह हर
दन सुबह-शाम लगभग आधे घंटे तक यह साहिसक कथन दोहराता था: “ई र क
बुि म ा मेरे मा यम से यह उप यास िलख रही है। मेरी बुि दैदी यमान हो गई है
और म एक ऐसा उप यास िलखता ,ँ जो े रत करता है, भला करता है और जो मानव
जाित के िलए वरदान है।”
उसने कहा, “ ाय: जब म सुबह जागता ,ँ तो पाता ँ क उप यास मेरे ज़ रए
अपने आप िलखा जा रहा है। मेरा चेतन मन भीतर के आदेश का पालन करता है।”
जब से उसने यह िविध अपनाई है, उसक एक भी पु तक या लेख को नह ठु कराया
गया। उसे अपने भीतर भारी ख़ज़ाना िमल गया और उसने अपनी क़लम के मा यम से
मानव आ मा को ऊपर उठाने तथा ग रमामय बनाने के िलए इसका इ तेमाल कया।
उसने खोज िलया क उसका मि त क ई र के सव ापी मि त क का एक िह सा
है। उसने यह भी पाया क जब वह सही तरीक़े से अपने दमाग़ का इ तेमाल करता है,
तो उसका यादा गहरा मि त क ित या करता है। यह लेखक अपनी अिधकांश
आ थक सफलता का ेय बाइबल क इन पंि य म अपने गहरे िव ास को देता है:
य द तुमम से कसी म भी मेधा क कमी है, तो तु ह ई र से माँगना चािहए, जो सभी
लोग को उदारता से देता है और नंदा नह करता है; और मेधा उसे दे दी जाएगी।
(जे स 1:5)
िव ास ही दौलत है
यूनान क या ा का एक अ छा अनुभव के प साउिनयन म िमला, जहाँ समु के देवता
पॉसीडॉन का सफ़े द संगमरमर से िन मत बड़ा ही सुंदर मं दर है। यहाँ से सूया त का
नज़ारा दुलभ आनंद और अवणनीय स दय का दृ य होता है।
यहाँ मिहला गाइड से मेरी लंबी बातचीत ई और उसने मुझे अपनी कहानी बताई।
वह एथस के सबसे ग़रीब इलाक़े म पैदा ई थी और उसम गहरी हीन भावना थी।
लड़कपन म वह देखती थी क पयटक गाइड क सेवाएँ लेकर यूनान के शानदार
ऐितहािसक थल क या ा करते ह। एक दन उसने अपने माता-िपता से कहा क वह
भी ानी और बुि मान बनना चाहती है, ता क वह गाइड बन सके । उ ह ने अपनी
बेटी क िख ली उड़ाई और उसे याद दलाया क िश ा िसफ़ अमीर को िमलती है और
दुभा य से वह ग़रीब घर म पैदा ई है।
बहरहाल, उस लड़क ने अपने िवचार को जकड़ िलया। जब वह बड़ी होकर हाई
कू ल गई, तो उसने ंिसपल से पूछा क या वह पुरात ववे ा बन सकती है। ंिसपल
बोले, “हाँ, अगर तु ह ख़द पर भरोसा हो, तो तुम अव य बन सकती हो। और तु ह
भरोसा तभी होगा, जब तुमम यह आ था होगी क ‘ई र और म यह काम कर सकते
ह।’”
मिहला गाइड ने मुझसे कहा, “मने उस वा य को अपने दल म बसा िलया और
आज म आ कयोलॉजी के थड ईयर म पढ़ रही ।ँ दो साल बाद म पुरात ववे ा बन
जाऊँगी।”
वह जो बनना चाहती थी, वह बनने क अपनी शि म उसे िव ास था। यह
िव ास धन, उ साह, काय के ित ेम, फू त, आकषण और अद्भुत, ख़शिमज़ाज
ि व म बदल गया। बाइबल का उसका ि य उ रण यह है: अतंत: बंधुओ, ई र म
दृढ़ िव ास रखो और उसक शि से शि पाओ। (एफ़े िसय स 6:10)
पुरात ववे ा बनने का िवचार उसके दमाग़ म सबसे ऊपर और सबसे बल था।
इसके बाद उसके अवचेतन मन ने, जो बुि म ा और शि से पूण होता है, इसे दैवीय
योजना के अनु प साकार कर दया।
आप जीत सकते ह
म जमनी के कफ़ट म िजस होटल म ठहरा था, वहाँ मुझे एक युवा डॉ टर िमला।
उसने मुझे बघृणाया क उसने यहाँ-वहाँ काम करके कॉलेज क पढ़ाई पूरी क है और
इसका सारा ख़च ख़द जुटाया है। जब उसने डॉ टरी क परी ा पास कर ली, तो उसके
मन म ये िवचार आए, “तु हारे पास पैसे नह ह। तुम अ छे इलाक़े म लीिनक नह
खोल सकते। तुम अपने ऑ फ़स को ज री उपकरण और औज़ार से लैस नह कर
सकते।”
िच क सा मनोिव ान का अ ययन करने के कारण वह जानता था क ये िसफ़
नकारा मक सुझाव थे, जो उसके दमाग़ पर असर डालने क कोिशश कर रहे थे और
इनक अपने आप म कोई शि नह थी। वह जानता था क उसके अपने िवचार और
भाव ही एकमा सृजना मक शि थे। उसने प रि थितय के झूठे और सीिमत करने
वाले सुझाव पर िव ास करने के बजाय अपने मि त क क सृजना मक शि म
िव ास रखने का िवक प चुना।
उसने अपने मन से बाधा , रोड़ , िवलंब और सम या से संबंिधत सारी
धारणाएँ हटाकर मि त क को साफ़ कर िलया और अपने मि त क क सृजना मक
शि से अपने िलए आदश ऑ फ़स खोलने को कहा। वह लगातार और पूरी चेतना के
साथ यह दृ य देखने लगा क वह एक बेहतरीन ऑ फ़स म बैठा है और अपने पेशे के
सभी नवीनतम उपकरण और यं से िघरा आ है। उसने दावा कया क उसके
अवचेतन मन क असीम ा उसके आ ह पर उसी व त काम कर रही है और दैवीय
योजना के अनु प इसे साकार कर रही है।
कु छ ही समय बाद एक युवती उसके घर अपना इलाज कराने आई। सच तो यह था
क वह घर भी उस युवा डॉ टर का नह था; उसने तो अ थायी प से अपने िपता के
घर पर लीिनक खोला था। युवती गंभीर दद से पीिड़त थी। युवा डॉ टर तुरंत समझ
गया क उसे गंभीर अ ेिडसाइ टस हो गया है। वह उसे फटाफट अ पताल ले गया,
उसने उसका ऑपरे शन कया और युवती उ लेखनीय प से ठीक हो गई।
अंतत: उन दोन म ेम हो गया। युवती ने न िसफ़ उसके िलए एक नया लीिनक
खोलने का ख़च उठाया, बि क उसके िलए एक रॉ स-रॉयस कार भी ख़रीदी, जो उनक
शादी के दन इं लड से उनके घर प च
ं ी। युवती के िपता बेहद दौलतमंद उ ोगपित थे
और वे इस बात पर ख़श थे क उ ह अपने दामाद को िच क सा के सभी आधुिनक
उपकरण से सुसि त लीिनक खोलकर देने का अवसर िमल रहा है।
यह दखाता है क आप प रि थितय के िशकार नह ह। प रि थितय के िशकार
तो आप तब होते ह, जब आप ऐसा मानते ह। ई र क असीिमत बुि म ा को अपने
भीतर वािहत होने क अनुमित द। इससे आपके जीवन क सारी आ थक
प रि थितयाँ बदल जाएँगी- चम का रक प से और तुरंत!
इस युवा डॉ टर क तरह ही आपको भी दरअसल अपनी आंत रक शि को खोजने
और इससे प रिचत होने क ज़ रत है। इस या को आ म-सा ा कार कहा जाता
है। ई र आपके भीतर वास करता है। ले कन इसके बावजूद संसार के करोड़ लोग
बीमार, कुं ठत, परािजत और ग़रीब बने रहते ह। इसका कारण िसफ़ उनका अ ान है।
उ ह यह जानकारी ही नह है क ई र उनके भीतर वास करता है।
आपका और मेरा काम इस दैवीय उपि थित के बारे म जाग क बनना है, ता क
हम सारे अवरोध , हताशा और ग़रीबी से मु हो जाएँ। उससे प रिचत हो जाओ
और शाित से रहो: इससे नेक तु हारे पास आएगी। (जॉब 22:21) अपनी आंत रक
शि य को पहचान लगे, तो आपको ख़शी, समृि और मानिसक शांित का अनुभव
होगा।
आप कलान क झील के पास रहकर भी उतने ही ख़श रह सकते ह, िजतने क
हॉलीवुड बूलेवाड म रहकर। सच तो यह है क थान का आपके वा य, दौलत या
सफलता से कोई संबंध नह है। आप अपनी सफलता, दौलत और समृि का िनमाण
वयं करते ह।
आपका उ तर व प इस पल आपके मा यम से बोल रहा है। यह आपसे आगे,
ऊपर और ई र क ओर बढ़ने का आ ह कर रहा है। ई र हमारी इ छा के ज़ रए
हमम से येक से संवाद करता है। हर इ छा दरअसल ई र क आवाज़ है, जो हमारे
ज़ रए अिभ ि चाहती है।
आप ई र के असीिमत वा यं ह और आप ई र का सुर िनकालने क ख़ाितर
यहाँ आए ह। पूरे उ साह, जोश और िव ास के साथ अपने नए काम, नौकरी या
अ ययन को शु कर, चाहे यह जो भी हो। इस अव था म शु करने पर आप पाएँगे क
वह काम, नौकरी या अ ययन उसी आनंद म ख़ म भी होगा। ई र के ेम के साथ शु
करगे, तो अंत भी अ छाई या ई र के ेम के साथ ही होगा। अपने नए काम को ई र
म आ था और िव ास के साथ शु कर। इससे आपक िवजय और क त सुिनि त
होगी- और िनि त प से आ थक सफलता भी।
उसने कहा क ारं भ और अंत एक ही है
मने एक युवा संगीतकार को कलान , आयरलड म हाप नामक वा यं बजाते सुना।
मेरे साथ मेरी एक बहन भी थी, जो इं लड म रहती है और च ले टन तथा गिणत
पढ़ाती है। मेरी बहन ने ट पणी क , “इतना मधुर संगीत तो मने आज तक नह सुना।
यह लड़क बेहतरीन हाप बजाती है!”
हमने उस युवती को अपनी टेबल पर िडनर के िलए आमंि त कया। उसने बताया,
“हाप बजाने से पहले म इस तरह से ाथना करती :ँ ‘महान संगीतकार ई र मेरे
मा यम से हाप बजाता है। म उसक सेवक ँ और म उसके िलए बजाती ।ँ वह मेरे
ज़ रए अपना ख़द का गीत बजाता है। वह ेम क धुन िनकालता है, य क ई र ेम
है।” इस तरह म शु करती ँ और जीवन का िनयम यह है क ारं भ तथा अंत एक ही
होते ह। म दैवीय चीज़ के ेम, शंसा और आराधना के साथ ारं भ करती ,ँ इसिलए
प रणाम भी उसके ेम, स दय और मिहमा के िच जैसा ही होता है।”
ाथना कर के अमीर कै से बन
रती क गहराइय से आपको असं य संपदाएँ िमल सकती ह, जैसे सोना,
अब आप अमीर ह!
शांित क अव था म रहते ए ख़द से कह, “म अपने अंतमन क गहराई म जाने वाला
,ँ िजससे बेहतर सेवा देने और सफलता हािसल करने के कु छ ज़बद त िवचार कट
ह गे। म जानता ँ क मुझम ऐसे आत रक संसाधन, शि याँ, गुण और यो यताएँ ह,
िजनका मने कभी दोहन नह कया है। म जानता ँ क जैसे ही म अपने आंत रक
ख़ज़ाने का चेतन प से सृजन क ँ गा, असीम ा उ ह मेरे सम तुरंत ही कट कर
देगी।”
आप यह देखकर दंग रह जाएँगे क आपके मन म आने वाले नए िवचार दौलत म
कतनी आसानी से बदल सकते ह। अपने अंदर िछपे ख़ज़ाने को पहचान, अपने िवचार
को वि थत कर और उनके अनु प काय कर।
दान का वा तिवक अथ
दान के वल वह पैसा ही नह है, िजसे आप अपनी मनपसंद धम चारक सं था और
आ याि मक गितिविध क मदद करने के िलए खुले हाथ से देते ह। इसका संबंध तो
आपक मा यता , िव ास , अनुमान और धारणा से भी है, िज ह आप अपने,
दूसर तथा पूरे संसार के बारे म मन ही मन स य मानते ह। आप चेतन प से अपने,
ई र और सृि के बारे म िजसे सच मानते ह और िजस पर िव ास करते ह, वह भी
अवचेतन मन के ख़ज़ाने को दए िनवेश (छाप) ही ह।
याद रख क असीम ा (ई र) आपके िवचार क कृ ित के अनुसार ित या
करती है। ई र आपके वयं के िवचार, क पना और िव ास के अलावा आपके िलए
कु छ नह करे गा। ई र ने आपका सृजन कया है और उसने सृि तथा उसक सभी
चीज़ का सृजन कया है। आप अपने भीतर क शि और बुि म ा का लाभ उठाने के
िलए यहाँ आए ह। आप भरपूर, ख़शहाल और समृ जीवन जीने के िलए यहाँ आए ह।
आप दूसर क दौलत, समृि , सफलता और अ छाई म योगदान देने के िलए भी यहाँ
आए ह।
खुलकर और ख़शी-ख़शी द
ज़ री नह है क दान म दस ितशत धन ही दया जाए। बाइबल म दसव िह से का
जो िज़ है, उसका वा तिवक मतलब है कोई भी िनि त ितशत, िजसे आप अपने मन
म तय करते ह क आप उसे ख़शी-ख़शी और खुलकर देना चाहते ह।
िमसाल के तौर पर, मान ल क आप हर रिववार को अपनी पसंदीदा आ याि मक
गितिविध म पाँच डॉलर दान देते ह। यह रक़म खुलकर, ख़शी के साथ, ेम के साथ और
पूरी उ मु ता से दी जानी चािहए। इसे देते समय आपको यह िव ास होना चािहए क
ई र ही संप ता का शा त ोत है और उसके मा यम से आपक सारी आव यकताएँ
हर समय, हर जगह तुरंत पूरी होती ह। कसी को पाँच डॉलर देते व त अगर आपको
अभाव या कमी का अहसास होता है, तो वह स ा दान नह है। कत या डर के भाव
से देना या मन मारकर देना दान नह है। इसके िवपरीत, इस कार का मानिसक
नज़ रया अभाव को आक षत करे गा।
आप दन भर दान दे सकते ह
दन भर दान देने का अ यास कर। सभी लोग के ित ेम, दयालुता, िम ता, हँसी,
िव ास, उ साह और सद्भाव कर। आप इनका दसवाँ िह सा नह दे सकते। ये
गुण िवभािजत या ब गुिणत नह कए जा सकते; ये तो सव ापी, अजर और असीिमत
ह। आपके भीतर मौजूद ये दैवी गुण और िवशेषताएँ कभी भी बूढ़े नह होते। यही नह ,
ेम, कोमलता, दयालुता, अ छाई, स य, स दय, शांित और ख़शी- ये सभी ई र के ह
और वे शा त, सव ापी तथा अनंत ह। जो चीज़ वा तिवक है, उसे आप ितशत के
आधार पर नह दे सकते- दौलत भी नह । ले कन जब आप सही तरीक़े से दान देते ह,
तो दौलत आपक ओर उसी प रमाण म वािहत हो सकती है।
वग क दौलत दान म द! ो साहन, आ था, आशा, क़ , और कृ त ता द। जब आप
इस तरह से दान देते रहते ह, तो ई र आप पर अपने वरदान क बा रश कर देगा,
िजनम आ थक भौितक वरदान भी शािमल ह।
तुम अपने सारे दान को खिलहान म ले आओ, ता क मेरे घर म भोजन रहे,
मेज़बान के वामी ने कहा, ता क जब म तुम पर वरदान उड़ेलने के िलए वग क
िखड़ कयाँ खोलू,ँ तो उसे पाने के िलए तु हारे पास पया जगह हो। (मलेची 3:10)
दुआ द और अमीर बन
आपक मानिसक अव था ही आपके अभाव क प रि थितय क वजह है। इस बात पर
यक़ न कर और इसे गाँठ बाँध ल क असीिमत ा के सारे संसाधन और दौलत आपके
िलए मौजूद ह तथा आपके ज़ रए अिभ ि चाहते ह।
कई लोग के मन म सबसे बल िवचार यह रहता है क दरअसल उनके पास कु छ
भी नह है और उ ह दौलत के पीछे भागना चािहए, वरना वे इसे गँवा दगे।
उन लोग को दुआ द, िजनक समृि , सफलता और संप ता से आपको िचढ़ या
ई या होती है। िवशेष तौर पर यह िनि त ाथना कर क वे हर संभव दृि से यादा
सफल, यादा अमीर और यादा सुखी ह । ऐसा करके आप अपनी मानिसक अव था
का उपचार कर लगे। जब आप इस तरह ाथना करते ह और स े मन से उन लोग पर
अपनी दुआ और िनयामत क बौछार करते ह, जो जीवन क सीढ़ी पर ऊपर प च ँ
चुके ह और आपसे ब त यादा अमीर ह, तो आप उसक चेतना म वेश कर जाएँगे,
जो सभी चीज़ का वामी है और जो अपनी आंत रक तथा बाहरी संपदा से दूसर को
चुर उपहार देता है।
दूसरे श द म, दूसर को दुआ देने और समृ करने से आप ख़द भी समृ हो जाते
ह। इसीिलए अमीर लोग यादा अमीर बनते जाते ह और ग़रीब लोग यादा ग़रीब
बनते जाते ह। बाद वाले आम तौर पर ई या व नफ़रत से भरे होते ह और ये नकारा मक
भाव आमदनी को यादा नुक़सान प च ँ ाते ह। बद क़ मती नह , बि क आपक यही
मानिसक अव था आपको बबाद करती है।
सव ापी बक
एक से समैन को अपने नए काम के िलए एक कार क ज़ रत थी, ले कन उसे ख़रीदने
के िलए उसके पास पैसे नह थे। बहरहाल, वह अपने मानिसक बक का चेक काटने का
तरीक़ा जानता था।
उसने मुझे बताया क काम िमलने के बाद वह अपने कमरे म गया और उसने अपनी
मनचाही कार का मानिसक िच देखा। उसने िच म देखा क वह कार उसे िमल चुक
है। उसने कहा, “मने दावा कया क वह कार मेरे पास आ चुक है; म ि टय रं ग हील
को महसूस कर सकता था और मने सीट पर अपने हाथ फे रे ।”
अपने अपाटमट हाउस म रहने वाले एक अ य ि से उसक जान-पहचान हो
गई, जो छह महीन के िलए यूरोप जा रहा था। उस ि ने से समैन से कहा, “जब
तक म लौटकर नह आ जाता, आप मेरी कार का इ तेमाल कर। तब तक आप अपनी
ख़द क कार ख़रीदने क ि थित म आ जाएँग।े ”
इस आदमी क कार का मॉडल वही था, िजसका िच उसने अपने मन म देखा था!
िम के यूरोप से लौटने से ब त पहले ही उसने अपनी कार ख़रीदने लायक़ पैसे जोड़
िलए। वह यह बात जानता था क उसके भीतर एक बक है, िजससे वह पैसे िनकाल
सकता है। वह यह भी जानता था क इसक आपू त अंतहीन और असीिमत है... आपका
िपता अपनी ख़शी से आपको सा ा य देता है। ( यूक 12:32)
मूत दौलत कै से उ प कर
कृ ित क संप ता पर सोचते और िनहारते समय हम अहसास होता है क सभी
चीज़ो क चुरता है। कृ ित उदारता, ब तायत और चुरता म देती है। हम जीवन
म कह भी प च ँ जाएँ, हम इस बात क जाग कता अव य होनी चािहए क कृ ित क
िनयामत कतनी यादा ह। जीवन के िनयम हम असीिमत दौलत दान करने के िलए
बनाए गए ह, ता क हम अपनी दैिनक आव यकता से कह यादा पा सक। भजनकार
कहता है, पृ वी ई र क है और इसक प रपूणता भी... (सा म 24: 1)। जहाँ भी कमी
होती है, िसफ़ मनु य के लोभ, वाथ, डर और कपट क वजह से होती है। बहरहाल,
जब कृ ित क दौलत को बढ़ाने और िवत रत करने के िलए बुि म ापूण तथा
यायपूण िविधय का इ तेमाल कया जाता है, तो जीवन क सभी मूत संपि याँ पया
से भी अिधक नज़र आती ह।
िव ास का चम कार
1944 म एक छोटी सी पेिनश लड़क मेरे घर से कु छ दूरी पर रहती थी। म उसके
प रवार को अ छी तरह जानता था और कभी-कभार उसके माता-िपता से िमलने
जाता रहता था। उसक उ लगभग आठ वष थी और वह हर दन थानीय सरकारी
कू ल म पढ़ने जाती थी।
महीन से वह अपने माता-िपता से स ल पाक म सवारी करने के िलए साइकल
माँग रही थी। उसक माँ हमेशा यही जवाब देती थ : “मुझे तंग मत करो। तुम जानती
हो क यु चल रहा है और कोई साइकल उपल ध नह है।” बहरहाल, वह बार-बार
साइकल माँगती रही, िजससे उसके माता-िपता काफ़ खीझ गए। वह छोटी लड़क
लड़क क तरह रहती थी और आस-पड़ोस के लड़क से लड़ती-झगड़ती थी, िजससे उसे
चोट लगती रहती थ ।
एक रात मने छोटी लड़क से कहा “मैरी, तु ह साइकल िमल सकती है और म
जानता ँ क कहाँ।” तुरंत उसक आँख म चमक आ गई। वह उ सुकता से सुनने लगी
और उसने पूछा “कहाँ?” हम दोन के बीच ये बात :
लेखक: “तुरंत अपने िब तर पर जाओ और आँख बंद कर लो। फर एकदम साफ़-
साफ़ क पना करो क तु हारे दो त और सहेिलयाँ स ल पाक म तु हारी साइकल पर
सवारी कर रहे ह और उनक मु कान देखो! ई र चाहता है क तुम िबना साइकल
वाले सािथय को अपनी साइकल चलाने दो, ता क तु हारी वजह से उ ह ख़शी िमल
सके ।”
मैरी: “ओह, ठीक है, अगर ई र मुझसे यह करवाना चाहता है, तो म तैयार ।ँ
ले कन माँ ने कहा है क सांता लॉज़ इस समस पर मुझे साइकल लाकर नह दे
सकता या नह देना चाहता। अब तो समस िसफ़ दो स ाह दूर है!”
लेखक: “वही करो, जो मने तु ह बताया है। जब तुम िब तर पर प च
ँ जाओ, तो
अपनी आँख बंद कर लो और क पना म ख़द को स ल पाक म साइकल चलाते ए
महसूस करो। जैसा मने तु ह बताया है, उसी तरह एक-एक करके अपने िम को उसी
साइकल क सवारी करते देखो। उ ह मु कू राते, हँसते और मज़े लेते ए देखो। तु ह
तु हारी साइकल िमल जाएगी! ई र सांता लॉज़ को बता देगा क वह तु ह साइकल
कै से दे। अब गहरी न द म सो जाओ।”
अगली रात को मैरी शाम को लगभग छह बजे एक वैरायटी टोर म एक दूसरी
लड़क के साथ थी। अचानक मैरी रोने लगी। पास ही खड़ी एक मिहला ने उसे रोते
देखकर नरमी से पूछा, “छोटी ब ी, या बात है? या कसी ने तु ह मारा?”
मैरी ने जवाब दया, “नह , ले कन कल रात को एक आदमी मेरे घर आया था।
उसने मुझसे कहा था क ई र सांता लॉज़ को बता देगा क साइकल कहाँ िमलेगी
और वह मुझे त काल िमल जाएगी। अँधेरा हो रहा है और साइकल मुझे अब तक नह
िमली है।”
यह बात उस मिहला के दल को छू गई और वह बोली, “उस आदमी को तुमसे ऐसा
कहने का कोई हक़ नह था!” वह उस छोटी लड़क को नज़दीक के अपने अपाटमट म ले
गई और उसे अपनी बेटी क साइकल दे दी, जो दो साल पहले गुज़र गई थी। उस
मिहला ने बताया क वह उस साइकल को कसी ऐसी ब ी को देना चाहती थी, जो
ई र से ेम करती हो।
यही िव ास क शि है... आपक आ था के अनु प ही आपके साथ होगा। (मै थू
9:29)
तीन श द ने दौलत उ प क
एक फ़ म अिभने ी ने मुझे बताया क पहले ग़लत िवचार और िनराशावादी मनोदशा
उस पर हावी रहती थी, ले कन इनक सफ़ाई करने से उसे ब त ज़बद त प रणाम
िमले। वह तीन श द दोहराती थी: “ख़शी, दौलत, सफलता।” घर के दैिनक कामकाज
करते व त वह इन तीन श द को मन ही मन दोहराती रहती थी। दस-पं ह िमनट तक
इ ह दोहराने के बाद वह े रत हो जाती थी और उसका दमाग़ ऊँचा उठ जाता था।
जब भी वह पैस और अनुबंध के अभाव को लेकर िनराशा क पुरानी अव था म
फसलती थी, वह तीन श द के इस गाने को तुरंत दोहराने लगती थी।
उसने पाया क इन श द म ज़बद त शि है, य क वे उसके अवचेतन क अदृ य
शि य का ितिनिध व करते ह। उसने इन अमूत िवचार के टापू पर अपने दमाग़ का
लंगर डाल िलया और उनक कृ ित के अनु प प रणाम उसके जीवन म कट हो गए।
उसे एक के बाद एक अनुबंध िमलते चले गए और िपछले आठ वष म वह कभी भी
ख़ाली नह बैठी। वह एक के बाद एक सफलताएँ पाती जा रही है।
उसने एक सामा य सी स ाई जान ली। वह जान गई क उसक िनराश मनोदशा
और चंता ही उसके जीवन क बाहरी ि थितय व प रि थितय का कारण थे। जब
उसने डर, चंता और िनराशा क अपनी मानिसक अव था को बदला, तो बाहरी
प रि थितयाँ अपने आप सही हो ग ।
िवजय के उसके ख़ामोश गीत को आप भी इसी समय गाना शु कर द: “ख़शी।
दौलत। सफलता।” आपके जीवन म चम कार ह गे!
सारा वसाय ई र का है
स संसार म गितिविध के सभी प ई र के िविवध काय का िह सा है। के वल
इ एक ही सव शि है, जो सभी चीज़ और ि य म सजीव व स य है। आप
गितिविधय को आ याि मक और सांसा रक ेिणय म िवभािजत तो कर सकते
ह, ले कन जब आप अपने काम से ेम करते ह और इसे ई र क मिहमा व गौरव क
ख़ाितर करते ह, तो दरअसल सारा काम आ याि मक होता है।
जो कारीगर शा त िस ांत के अनु प मकान बनाता है, जो अपने काम से ेम
करता है तथा अ छी सेवा देने म आनंद का अनुभव करता है, वह आ याि मक काय कर
रहा होता है, िजस तरह कोई पादरी टेन कमांडमट् स के अथ क ा या करते समय
कर रहा होता है।
मान ल, आप एक बेहतर रे ज़र लेड, शे वंग म, कार या कोई अ य व तु बनाते
ह। आपक इ छा यह रहती है क आप ख़शी-ख़शी दूसर क सेवा कर और उपयोगी व
सृजना मक तरीक़े से मानवता के ित योगदान द। इस तरह काम करते समय य द आप
अपने सभी सौद म व णम िनयम का पालन करते ह, तो आप ई र का काय कर रहे
ह और ई र सदैव आपके साथ है; तो फर आपके िख़लाफ़ कौन खड़ा हो सकता है ?
फर धरती या आकाश क कोई शि आपको वसाय म सफलता और समृि पाने से
नह रोक सकती।
ई र ही स ा िनयो ा है
एक बड़ी यूरोपीय कं पनी म काम करने वाली एक युवती ने बताया था, “म इस नौकरी
से उस नौकरी और एक िनयो ा से दूसरे िनयो ा तक भटकती रहती थी और यादा
पैसे बनाने तथा ख़द को बेहतर बनाने क कोिशश करती थी। जब से मने यह पुि और
अहसास करना शु कया क ई र ही मेरा स ा िनयो ा है और म उसी के िलए काम
कर रही ँ तथा ई र ने मुझे आनंद के िलए सारी िनयामत दी ह, तो उसके बाद मुझे
एक बेहतरीन पद िमल गया है। वहाँ तन वाह भी बेहतरीन है और म छह साल से वह
काम कर रही ।ँ ए ज़ी यू टव वाइस ेिसडट से मेरी सगाई भी हो चुक है। यह
अहसास करना पूरे संसार क सबसे अद्भुत चीज़ है क ई र ही एकमा िनयो ा है
और आप कसी इं सान के िलए नह , बि क ई र के िलए काम कर रहे ह। म अब अपने
कामकाज म हँसती ,ँ गाती ँ और आनं दत होती ।ँ मुझे सुर ा और शांित का
अहसास होता है। यह अद्भुत है!”
स े बॉस को कै से खोज
कु छ साल पहले एक फ़ामिस ट डलास, टे सस म मुझसे िमलने आया। वह िशकायत
करने लगा क उसका बॉस इतना िचड़िचड़ा, झ , झगड़ालू और बदिमज़ाज है क
उसके साथ पटरी बैठाना संभव ही नह है। उसने कहा, “म वहाँ िसफ़ एक ही कारण से
का आ ;ँ तन वाह अ छी है। ले कन म उससे इतना यादा ष े और नफ़रत करता
ँ क म भीतर ही भीतर धधक रहा !ँ यही नह , मेरे बाक़ सािथय को कं पनी म
मोशन िमल चुका है, िसफ़ मुझे ही नह िमला।”
इस युवक ने बल ोध, षे और घृणा के प म अपने दमाग़ म तानाशाह ,
खलनायक और अपरािधय को बैठा िलया था। उसके मन का यह िव वसंक नज़ रया
उसे िनयंि त और शािसत करता था। यह उसके िवचार , भावना और ित या
पर हावी था।
मने उसे बताया क बाहरी प रि थितयाँ हमेशा भीतरी प रि थितय का ित बंब
होती ह। वा तिवकता यह है क वह ख़द को नुक़सान प च ँ ा रहा है तथा अपनी आ थक
और पेशेवर गित म रोड़े डाल रहा है। मने उसे समझाया क अपने ष े और श ुता से
उसे कसी तरह का लाभ नह हो रहा है। वह ज दी ही समझ गया क उसके सोचने के
नज़ रए से ही यह तय होता है क वह अंदर से कै सा महसूस करता है। इसिलए उसने
अपने नज़ रए को उलट दया और अपने मन म सफलता, सद्भाव तथा समृि के
िवचार को थािपत कर िलया। वह इन िवचार के साथ जीने लगा तथा उ ह िनयिमत
और सुिनयोिजत तरीक़े से पोषण देने लगा। उसने उद्दे यपूण और स े तरीक़े से अपने
िनयो ा के ित सद्भाव, शांित तथा ख़शी क कामना क ।
कु छ स ाह बाद उसने पाया क उसका नया नज़ रया उसका स ा बॉस बन गया
था। अब उसके जीवन क बागडोर उसके मन के संहासन पर िवराजमान िवचार के
हाथ म थी। ज द ही उसके ित उसके िनयो ा का नज़ रया बदल गया। उसने उसे
तर क़ दे दी और उसक तन वाह म भारी वृि करके उसे अपने एक टोर म मैनेजर
बना दया। जािहर है नज़ रया बदलने से हर चीज़ बदल गई!
से स लाइन म सफलता का रह य
कु छ समय पहले ही एक युवा से समैन से मेरी बातचीत ई, िजसक औसत वा षक
आमदनी 25,000 डॉलर से अिधक है। उसने संकेत कया क बेचते समय सेवा ही
उसका बुिनयादी िवचार होता है। वह हमेशा अपने ाहक के िलए पैसा बनाने- या
उसका पैसा बचाने- क कोिशश करता है। वह कभी भी, कसी तरह कसी ाहक का
नाजायज़ फ़ायदा नह उठाता है। उसने यह भी घोषणा क क वह कभी भी अपने
ाहक पर वे ॉड स नह “थोपता”, िजनके बारे म उसे महसूस होता है क ख़रीदार
वा तव म उनका उपयोग नह कर सकता या उ ह बेच नह सकता।
उसने बताया क अगर वह कसी ाहक क आव यकता को पूरा नह कर
सकता, तो वह हमेशा कसी दूसरे िनमाता के पास भेज देता है, िजसके पास ाहक क
मनचाही चीज़ होती है। उसने कहा, “यह दरअसल कामकाज के े म व णम िनयम
का पालन है।” उसके सभी ाहक इसके ब त यादा क़ायल ह! इस नज़ रए क वजह
से उसने कई ऑडर गँवा दए, ले कन उनक जगह पर उसे सैकड़ अ य ऑडर िमल
गए। उसक वा षक िब के आँकड़े कं पनी के बाक़ से समैन से अिधक ह।
इस युवक क स ाई, ईमानदारी और सद्भावना उसके ाहक के अवचेतन मन
तक प चँ जाती है, िजससे वे उस पर िव ास करने लगते ह। व णम िनयम का उसका
अ यास ही से समैनिशप म उसक सफलता का रह य है। साथ ही यह ए ज़ी यू टव
तर पर उसके मोशन का रह य भी है।
वा तिवक रह य अपने ाहक के साथ िबलकु ल वैसा ही वहार करना है, जैसा
आप अपने साथ होते देखना चाहगे, बशत भूिमकाएँ उलट जाएँ। अपने सामान, घर या
ज़मीन के ख़रीदार को वह सब बताएँ, जो आप उस सामान, घर या ज़मीन को ख़रीदते
समय सुनना चाहते। अगर आप यह करते ह, तो पूरा संसार और उसके सभी लोग
आपक भलाई करने के िलए बा य हो जाएँगे तथा आप से समैन के प म
अिव सनीय सफलता ा कर लगे।
आपका आज ‘िगरवी’ नह है
य द आप आज अपनी क़ त नह चुका सकते, य द आप पाते ह क आप कु छ िबल
चुकाने म असमथ ह या अगर आपको आज असफलता का अंदश े ा है, तो याद रख क इन
प रि थितय को बदलने के िलए आपको तो बस अपने वतमान िवचार को बदलना है;
इसके बाद प रि थितयाँ अपने आप बदल जाएँगी। आप हर पल जो अनुभव कर रहे ह,
वह आपक मानिसक गितिविध का ही बाहरी िच है। आज आपके साथ जो हो रहा है,
वह आपक वतमान सोच और भावना का फल है।
आज सही तरीक़े से सोच- भिव य हमेशा वतमान का ही िवचार है, जो बाद म
कट होता है। आज अपनी सोच बदल द; आपका वतमान सद्भावनापूण, शांितपूण
और सफल हो जाएगा।
आपक वतमान सम या आपक आज क सोच का प रणाम है। दैवीय मि त क म
समय या थान जैसी कोई चीज़ नह होती। आपक नेक वा तव म यह वतमान पल है।
अतीत एक वतमान िवचार है; भिव य भी एक वतमान िवचार है, य क आप के वल
वतमान पल म ही सोच सकते ह। आप इसी पल को जीते ह। इस पल को बदलकर आप
अपनी क़ मत बदल देते ह! आपके हाथ म िजस एकमा पल का िनयं ण होता है, वह
यही वतमान पल है। इसीिलए ाचीन हंद ू ऋिषय ने कहा था, “ई र (आपक
भलाई) शा त वतमान है।”
ख़रीदने और बेचने का स य
ाय: मुझसे ज़मीन-जायदाद, इमारत और टोस ख़रीदने-बेचने के बारे म परामश
िलया जाता है। वा तव म, यह हर उस सामान पर लागू होता है, िजसे आप ख़रीदना
या बेचना चाहते ह। जब आप बेचना चाहते ह, तो इसका अथ है क आप अपनी
जायदाद या घर कसी दूसरे को ह तांत रत करने को तैयार ह, य क आप बदलना
चाहते ह; इसका यह भी अथ है क कोई दूसरा पाने के िलए तैयार है।
ख़रीदते या बेचते समय यह अहसास कर क आप उसी ण म सही व त पर सही
ख़रीदार या िव े ता के संपक म ह और आपका अवचेतन मन आप दोन को आमने-
सामने ले आएगा। इस तरह आप आकषण के िनयम को स य कर देते ह। कु छ समय म
ही आप ख़द को ऐसे ि के साथ वसाय करता देखगे, जो उस सौदे से पूरी तरह
संतु है। हर चीज़ दैवीय योजना के िहसाब से होगी।
आप जो क़ मत माँग रहे ह, वह हमेशा सही और यायपूण होगी, अगर
प रि थितयाँ उलटने पर आप वयं वही क़ मत चुकाने के इ छु क ह ।
वृि का िनयम
को लेरंिकन
थय स 3:6 म हम पढ़ते ह: मैने पौधा लगाया, अपोलॉस ने पानी दया;
वृि इ र ने दी। वृि ही वह चीज़ है, िजसे संसार भर के सारे ी-पु ष
खोज रहे ह। यह उनके भीतर ई र क ेरणा है, जो उनके जीवन के सभी पहलु म
अिधक पूण अिभ ि चाहती है।
अमीर बनने, िव तार करने और उजागर करने क आपक इ छा आपके अि त व
का बुिनयादी आवेग है। आपम अ छे दो त का अपना दायरा बढ़ाने क इ छा होती है,
आप यादा और बेहतर भोजन, कपड़े, कार व घर और यादा से यादा जीवन क
िवलािसताएँ चाहते ह। यही नह , आप अिधक या ाएँ करना चाहते ह, आंत रक
शि य के बारे म अिधक सीखना चाहते ह और स दय का अिधक से अिधक अनुभव
करना चाहते ह। सं ेप म, आप जीवन को अिधक चुरता और संप ता से जीना चाहते
ह।
आप ज़मीन म गे ँ बोते ह और पानी देते ह, ले कन ई र गे ँ के दान को सौ या
हज़ार गुना करके वृि दान करता है। इसी तरह, आप िवचार, भावना और क पना के
मा यम से अपने दमाग़ म जो बोते ह, वह कई गुना होकर कट होता है।
वृि का अथ है आपक िनयामत का कई गुना होना, आपके मूल िवचार या
योजना का साकार होना। य द कोई काय शु ही न कया जाए, तो ज़ािहर है कोई
वृि नह हो सकती। अपने दमाग़ पर वृि के िवचार क छाप छोड़ना इसी समय
शु कर द। बहरहाल, आप यह काम अके ले नह कर सकते; वृि तो ई र ही दान
करता है।
क पना के िच और संप ता
ने पोिलयन ने एक बार कहा था, “क पना संसार पर राज करती है।” हेनरी वाड
बीचर ने भी इसी अंदाज़ म कहा था, “क पना के िबना आ मा वैसी ही है, जैसे
टेिल कोप के बगैर वेधशाला।”
क पना आपके दमाग़ क मूलभूत शि य म से एक है। इसम आपके िवचार को
िच का प देने और व पहनाने क शि है; उ ह समय के पद पर दखाने क शि
है। क पना वह शि शाली औज़ार है, िजसका उपयोग सभी महान वै ािनक,
कलाकार, भौितक शा ी, आिव कारक, द गज वसायी और लेखक करते ह।
वै ािनक अपनी क पना से वा तिवकता क गहराइय तक प च ँ ते ह, िजससे उ ह
कृ ित के रह य उजागर करने क शि िमलती है।
जब संसार कहता है, “यह असंभव है; इसे नह कया जा सकता,” तो िनयमब ,
िनयंि त और िनदिशत क पना वाला ि कहता है, “यह कया जा चुका है!”
ख़द के अमीर और सफल होने क क पना करना भी आपके िलए उतना ही आसान-
और यादा रोचक, आकषक व मनोहारी- है, िजतना क ग़रीब, कं गाल और असफल
होने क क पना करना। य द आप अपनी इ छा या आदश को साकार करना चाहते
ह, तो अपने दमाग़ म इनके साकार होने का मानिसक िच बनाएँ। अपनी इ छा के
साकार होने क सतत क पना कर। इस कार आप उसे सचमुच घ टत होने पर िववश
कर दगे।
आप वा तिवकता के प म िजसक क पना करते ह, वह आपके मि त क म पहले
से ही मौजूद है और य द आप अपने आदश के ित वफ़ादार बने रह, तो एक दन वह
चीज़ अव य साकार होगी। आप अपने दमाग़ पर जो छाप छोड़ते ह, आपके भीतर का
मा टर आ कटे ट पद पर वही दृ य दखा देगा।
रे िग तान म संपि
लगभग दस वष पहले मने ए पल वैली म एक आदमी से कु छ ज़मीन ख़रीदी। उस
आदमी ने मुझे बताया क 1930 के दशक क शु आत म जब मंदी गहरा रही थी, तो
वह अपनी प ी के साथ कार से नेवादा जा रहा था। ए पल वैली से गुज़रते समय, जो
उस व त िवशाल रे िग तान थी, उसने अपनी प ी से कहा, “िनकट भिव य म यहाँ पर
एक क़ बा होगा। कई लोग इस रे िग तान म रहने आएँगे और कू ल, अ पताल, घर
बनाएँगे तथा उ ोग लगाएँग।े यह सरकारी ज़मीन है। म यहाँ पर छह सौ एकड़ ज़मीन
ख़रीदने वाला ।ँ ”
उस व त ज़मीन क क़ मत 2 डॉलर ित एकड़ थी। 2 डॉलर ित एकड़ के िनवेश
से उसने थोड़ी संपि बना ली है। उस ज़मीन क क़ मत अब 400 डॉलर ित एकड़ या
उससे अिधक है। असं य ी-पु ष नेवादा जाते व त उसी इलाक़े से गुज़रे ह गे। उ ह
िसफ़ एक रे िग तान नज़र आया- जब क उस ि ने सौभा य देखा।
बाइबल कहती है... म वीराने म पानी का ताल और सुखी ज़मीन पर पानी के सोते
बनाऊँगा। (इसाइया 41:18)
अमीरी का िव ान
क पना के िव ान म सबसे पहले तो आपको अपनी क पना को अनुशािसत करना
होगा, ता क यह यहाँ-वहाँ अिनयंि त होकर न दौड़ने लगे। िव ान शु ता पर ज़ोर
देता है। य द आप रासायिनक प से शु उ पाद चाहते ह, तो आपको सारे बाहरी
त व के सभी अंश हटाने पड़गे। आपको बाक़ सारे कचरे को दूर फकना होगा।
क पना के िव ान म आप ई या, लोभ, डर, चंता और ष े जैसी सारी मानिसक
अशुि य को हटा देते ह। आपको जीवन के ल य और उद्दे य पर अपना सारा यान
क त करना चािहए। आपको एक अमीर और ख़शहाल जीवन जीने के अपने ल य से
नह भटकना चािहए। आप अपनी इ छा क वा तिवकता म मानिसक प से डू ब
जाएँगे, तो आप अपने संसार म उ ह भौितक प से भी देख लगे।
िजस वसायी का कारोबार समृ हो रहा है, वह ऑ फ़स से घर आता है और
अपने मन म असफलता क फ़ म चलाता है, यानी वह शे फ़ ख़ाली देखता है, क पना
करता है क वह दवािलया हो गया है और उसका बक ख़ाता ख़ाली हो चुका है। वह
यहाँ तक क पना कर लेता है क उसका धंधा बंद हो गया है, जब क वा तिवकता यह है
क उस व त वह समृ हो रहा है। उसके इस नकारा मक मानिसक िच म तिनक भी
स ाई नह है। यह सरासर झूठ है।
दूसरे श द म, िजस चीज़ से वह डरता है, वह उसक दूिषत क पना के िसवाय
कह मौजूद नह है। यह असफलता कभी साकार नह होगी- जब तक क वह भय के
भाव से उस दूिषत िच को ऊजा न देता रहे। य द वह लगातार यही मानिसक िच
देखता रहेगा, तो ज़ािहर है उसे असफलता झेलनी पड़ेगी। उसके पास असफलता और
सफलता दोन का ही िवक प है, ले कन वह असफलता को चुन रहा है।
उन मानिसक िच , िवचार और छिवय को अपने दमाग़ के संहासन पर बैठाएं,
जो आपको व थ कर, आशीष द, समृ कर, े रत कर और शि द। यह सच है क
आप अपनी क पना िजस प म करते ह, आप वैसे ही बन जाते ह। आपक सतत
क पना आपक दुिनया को दोबारा बनाने के िलए पया है। अपने मन के िनयम पर
िव ास कर क वे आपक भलाई को साकार प म कट कर दगे। इस तरह आप
जीवन क सारी िनयामत और अमीरी का अनुभव कर सकते ह।
ऊ वगामी और समृ बन
बा इबल म कहा गया है, अगर मुझे पृ वी से ऊपर उठा दया जाए, तो म सभी लोग
को अपनी ओर आक षत कर लुँगा। (जॉन 12: 32)
बाइबल के अ य कथन क तरह ही यह कथन भी िवशु प से मनोवै ािनक और
आ याि मक है, िजसे आलंका रक भाषा म िलखा गया है। यह हम सभी को बताता है
क हम ख़द को ग़रीबी, रोग, अभाव और सभी तरह क सीमा से ऊपर कै से उठाएँ।
ऊपर उठने वाला या ऊ वगामी बनने के िलए आपको अपनी इ छा को वीकृ ित
के बंद ु तक ऊपर उठाना होता है। इसके बाद कटीकरण अव य होगा। आपक भौितक
इं याँ जो खोज-ख़बर देती ह, वह काफ़ िनराशाजनक है। ऊ वगामी के प म आप
अपने भीतर मौजूद असीिमत उपि थित तथा शि क ओर मुड़ते ह और वहाँ पर अपने
मन का लंगर डाल लेते ह। यह असीिमत उपि थित आपक पुकार पर ित या करती
है। जब आप दैवीय शि को पुकारते ह, तो आपको जवाब अव य िमलेगा। इसके
ज़ रए आप ऐसी आ था, साहस, शि और बुि म ा पा सकते ह, जो सामा य भौितक
इं य से परे होती है। तब आप ऊपर उठ जाते ह, पुरानी अव था मर जाती है और नई
अव था का पुनज म होता है।
आप हताश मनोदशा म िहतकारी चीज़ो को कट नह कर सकते। व देख और
इसक वा तिवकता पर मनन कर। इस तरह आप तमाम बाधा और मुि कल से
ऊपर उठ जाएँगे। जब आप अपने भीतर ई र क उपि थित पर मनन करते ह, तो आप
वयमेव अपने दमाग़ म घुमड़ने वाली सभी डरावनी छाया को िततर-िबतर कर देते
ह।
िनयम यह है क आप महज़ संयोग से समु कनारे कसी को डू बने से बचाकर या
अक मात् ई मुलाक़ात म कसी करोड़पित को आक षत करके झु गी और ग़मनामी से
दौलत, स मान तथा शोहरत तक ऊपर नह उठ सकते। एक सरल स ाई याद रख:
आपको हमेशा अपने च र का दशन करना होगा, य क च र ही भा य है।
ऊँचाइय तक कै से उठ
अपनी ऊजा ,यो यता और गुण को कट कर। अपनी आंत रक शि य के बारे म
अिधक सीखने का उ साह िवकिसत कर। फर आप आ यजनक पवत-िशखर तक
प च
ँ ने म कामयाब हो सकते ह। जो ऊजावान, आ मिव ासी और उ मी ि उिचत
काम म जुटता है, सही चीज़ करता है और व णम िनयम का पालन करता है, वह अपने
जीवन को सफल बना लेगा, चाहे उसे कोई मददगार अजनबी िमले या न िमले, चाहे
वह सही सांसद को जानता हो या न जानता हो; चाहे वह लॉटरी जीत पाए या न जीत
पाए।
आपका च र और मानिसक नज़ रया आपको बनाने या िमटाने का काम करते ह।
यह आपके बारे म िजतना सच है, उतना ही आपके देश, आपके वसाय, आपके चच
या कसी अ य संगठन के बारे म भी सच है।
य द आपके मन म ख़द को ऊपर उठाने और अपना िसर भीड़ के ऊपर रखने क
इ छा है, तो ई र से ख़द को वह देने को कह, िजसक आपको ज़ रत है- और वह ऐसा
अव य करे गा। आपके मन म िजस गुण क इ छा है, उस पर हर दन मनन करके आप
अपने अवचेतन मन म उसका िनमाण कर सकते ह।
च र ही भा य है
हम सभी यहाँ पिहए म अपने कं धे क ताकत से ध ा लगाने आए ह। य द आप िसफ़
एक लंगोट पहन रहे ह, तब भी कसी न कसी ने इसे आपके िलए बनाया था। आप
दूसर के िलए या कर रहे ह? या आप काम कर रहे ह और अपने गुण व यो यता
का योगदान दे रहे ह? कई िभखारी ऐसे भी ह, जो अ छे-खासे शरीर के बावजूद भीख
माँगने को पेशा बना लेते ह। जब तक आप उ ह भीख देते रहगे, वे कभी काम नह
करगे। वे अमरबेल और परजीवी ह। चाहे लंदन हो या यूयॉक या कोई और जगह, उनम
से कु छ ब त दौलतमंद ह तथा उनके पास आलीशान मकान व कार ह।
हर ि के भीतर अनखोजी ितभा , शि य और दौलत का िवशाल ख़जाना
भरा रहता है। हर ि िज मेदार है और लड़क को समाज के ित उनक
िज़ मेदा रय के बारे म जाग क बनाना चािहए। हम सभी जीवन क राह पर
मानवता का िह सा ह। आप यहाँ अपने िह से का काम करने के िलए ह, चाहे यह
पतवार ख चना हो या कार चलाना। जीवन आ था, साहस, सहनशीलता, लगन और
समपण को पुर कृ त करता है तथा इन गुण को बड़ा देता है। बाधा से उबरने म ही
आपके च र का िवकास होता है और च र ही भा य है।
आपका आंत रक आ य
सरकार या लोग पर नह बि क ई र पर िनभर रह। सरकार आपको तब तक कोई
चीज़ नह दे सकती, जब तक क वह पहले उसे आपसे ले न ले। इसके अलावा, कोई भी
सरकार शांित, सद्भाव, स ता, संप ता, सुर ा, बुि म ा, पड़ोसी के ित ेम,
समानता, समृि या अ छाई के िलए कानून नह बना सकती। ये सभी चीज़ आपके
भीतर के आ याि मक संसार से आती ह।
वह परजीवी है, जो अपने नाम, पृ भूिम, खानदान या अ छे चेहरे क बदौलत
चलता रहता है, जब तक क लोग को यह अहसास नह होता क भीतर से वह कतना
खोखला है। फर वह िगर जाता है- य क उसके पास कोई आंत रक सहारा और शि
नह होती।
ई र क दौलत आपक है
बाइबल कहती है, इ र के क़रीब प च ँ ो और वह आपके क़रीब प च ँ ेगा... (जे स 4: 8)
इसका अथ यह है क असीिमत ा आपक ाथना पर ित या करती है और जब
आप पुकारते ह, तो जवाब देती है। म और मेरे िपता एक ह। (जॉन 10:30) आप और
ई र एक ह
ज़मीन-जायदाद, शेयर , सरकार, र तेदार या कसी अ य ि पर िनभर न
रह। ई र क दी गई आंत रक शि पर भरोसा कर क यह हर व त आपको संबल
और सहारा देगी। बाहर देखना बंद कर द। भीतर क ओर देख। य द आप मदद के िलए
बाहर क ओर देखते ह, तो आप भीतर मौजूद ई र क दौलत से इं कार कर रहे होते ह
और ख़द को शि , बुि म ा तथा ान से वंिचत कर रहे होते ह।
िव ास कर क आप भ आ याि मक जीव ह। अपने देव व को पहचान। यही
नह , इस स य पर मनन कर क आप यहाँ पर उस अनूठेपन को मु करने आए ह, जो
भीतर क़ै द है।
आपको सहारा देने वाली एक असीिमत शि है, यह अहसास करके हमेशा
ऊ वगामी बन। वह शि आपको ऊपर उठाएगी, आपका उपचार करे गी, आपको े रत
करे गी, आपके िलए नए ार खोलेगी, आपको नए रचना मक िवचार देगी और आपको
उसम गहरी, थायी सुर ा का अहसास दान करे गी, जो कभी नह बदलता है - जो
कल, आज और हमेशा वही है। आपको तो बस इस उपि थित म िव ास भर करना है;
इसके बाद आपके जीवन म चम कार होने लगगे।
ऊ वगामी ि सम या का सीधा सामना करता है और ख़द से कहता है, “यह
सम या दैवीय समाधान के मुक़ाबले छोटी है। सम या यहाँ पर है, ले कन ई र भी यह
पर है।” फर वह जीत जाता है! वह सभी बाधा , ावसाियक सम या और
इं जीिनय रं ग तथा थान क सम या से आ था, साहस और िव ास के साथ जूझता
है। वह बीमारी, डर और अ ान पर िवजय पाने क ओर बढ़ता है। मनु य कभी भी
अपनी भौितक झोपड़प ी से तब तक मुि नह पा सकता, जब तक क वह अपनी
मानिसक झोपड़पट् टी से मुि न पा ले।
एक पुरानी कहावत है क व थ मुग कमज़ोर मुग को च च मार-मारकर मार
डालते ह। कू ल जाने वाला जो लड़का कमज़ोर, परािजत, प र य , हीन महसूस
करता है और िजसे दबंग सहपाठी परे शान करते ह, वह भीतर से भी कमज़ोर होता है।
ले कन जब वह दबंग सहपाठी के सामने खड़ा होता है, उसे चुनौती देता है और डटकर
उसका मुक़ाबला करता है, तो तथाकिथत दबंग सहपाठी आम तौर पर पीछे हट जाता
है।
आप सभी प रि थितय से ऊपर उठ सकते ह
ई र के पु के प म अपनी ग रमा और भ ता को महसूस कर। यह अहसास कर क
दूसर के अपमान, आलोचना और बुराई का आप पर असर नह हो सकता, य क आप
ई र म लीन ह। य द आप अपने भीतर ई र क उपि थित को उ त कर लेते ह और
ेम करते ह, तो सभी लोग- आपके तथाकिथत श ु भी- आपक भलाई करने के िलए
वृ हो जाएँगे।
क वीकार करने से इं कार कर द और कभी भी कसी ि थित के सामने घुटने न
टेके। आप एक अलौ कक इं सान ह; आप मानिसक प से सभी ि थितय व
प रि थितय के ऊपर उठ सकते ह।
जब अ ाहम लंकन को जानकारी दी गई क उनके के िबनेट का एक सद य यानी
यु मं ी उनक बुराई कर रहा था और उ ह अ ानी बंदर तक कह रहा था, तो उ ह ने
जवाब दया “उनके िजतना महान यु मं ी इस देश म आज तक दूसरा नह आ।”
कोई भी लंकन को आहत नह कर सकता था और उनके अहं को चोट नह प च ँ ा
सकता था। लंकन जानते थे क उनक शि कहाँ थी। वे जानते थे क उनके ख़द के
दमाग के अलावा कोई भी उ ह नीचे नह िगरा सकता। लंकन ऊ वगामी थे, िजसका
मतलब है क उ ह ने न िसफ़ वयं को ऊपर उठाया, बि क अपने भीतर के ई रीय
व प को भी पहचाना। इससे उ ह पूरे देश को ऊपर उठाने क शि िमली।
ख़द के ित अ छे रह
आप कु छ तथाकिथत भला करने वाल को जानते ह गे, जो ब के शोषक , यौन
अपरािधय और दूसरे ख़तरनाक क़ै दय के िलए पैरोल क िसफ़ा रश करते ह। इस
कार के अपराधी जेल से छू टते ही दोबारा हमला, बला कार और ह या करने लगते ह।
हमारे अख़बार इस कार क ख़बर से भरे रहते ह। इससे पहले क आप दूसर को
ऊपर उठा सक और उनक मदद कर सक, आपको सबसे पहले अपनी बुि म ा तथा
समझ को ऊपर उठाना होगा। आप िसफ़ वही दे सकते ह, जो आपके पास है। अ सर,
तथाकिथत उपदेशक और भला करने वाले लोग दूसर पर अपनी ख़द क किमयाँ व
अपूणताएँ ही आरोिपत करते ह। याद रख, एक अंधा दूसरे अंधे को राह नह दखा
सकता।
आपके िसवा बदलने के िलए कोई दूसरा है ही नह । आपको ख़द के ित अ छा
रहना चािहए; आपका स ा व प ई रीय है। अपने भीतर क इस दैवीय उपि थित
को ऊपर उठाएँ, इसका स मान कर, इसे नमन कर; ऐसा करते व त आप अपने पड़ोसी
को ेम और स मान कर रहे होते ह। पड़ोसी आपके सबसे िनकट होता है; ई र आपका
पड़ोसी है और य द आप ई र से ेम करते ह, तो आप सभी लोग के ित सद्भावना
रखगे।
कृ त दय संप ता को आक षत करता है
यवाद के साथ हम उसक उपि थित म चलते ह। (सा म 95:2)
कृ त ता क तकनीक
एक िपता पढ़ाई पूरी करने के तोहफ़े के प म अपनी बेटी को दुिनया क सैर कराने का
वादा करता है। उस लड़क को अभी सैर के िलए पैसा नह िमला है, न ही वह मण के
िलए गई है, ले कन वह ब त कृ त और ख़श है। वह उतनी ही ख़श है, मानो वह
सचमुच यूरोप और फर एिशया के िलए जाने वाले जहाज़ पर सवार हो। वह जानती है
क िपताजी अपना कया वादा पूरा करगे। वह ब त कृ त है और उसने सुखद आशा
तथा कृ त दय के साथ उपहार को मानिसक प से वीकार कर िलया है।
आप शायद कभी कार ख़रीदने के िलए कसी कार डीलर के यहाँ गए ह गे, हालाँ क
उसके पास उस व त आपक मनचाही कार टॉक म नह होगी। आपने बताया क आप
या चाहते ह और से समैन ने कहा क वे उसका ऑडर कर दगे तथा कार उपल ध करा
दगे। आपने से समैन को ध यवाद दया और िबना कार िलए लौट आए। आपको पूरा
िव ास था क िनकट भिव य म आपको अपने ऑडर के अनु प कार िमल जाएगी,
य क आपको उस डीलर क ईमानदारी पर भरोसा था।
अब ज़रा सोिचए आपको असीम और परम िपता के सृजना मक िनयम पर कतना
यादा भरोसा करना चािहए, जो कभी नह बदलता और जो उसम हमारे िव ास पर
हमेशा ित या करता है!
ध यवाद य द?
... हर चीज़ के िलए ध यवाद द। (1 थेसैलोिनय स 5:18)
आ दमानव क ई र क अवधारणा बचकानी थी और वह उसे ऐसे मानव के प
म देखता था, जो सृि को तानाशाही अंदाज़ म चलाता था। आ दमानव उन दास क
तरह ित या करता था, जो पुराने सामंत के सामने रगते व चापलूसी करते थे, िजन
सामंत के हाथ म दास के जीवन और मृ यु क शि होती थी। इस कार आ दमानव
ई र के सामने लेटकर, भीख माँगकर, िनवेदन करके और िगड़िगड़ाकर उसक कृ पा
हािसल करना चाहता था।
आज मनु य ई र को असीिमत ा के प म देखता है, जो सृजना मक िनयम के
मा यम से काय करता है। यह िनयम अ ि गत है, यह ि य म भेद नह करता
और कभी बदलता भी नह है। यह आज, कल और हमेशा समान रहता है। दैवीय
उपि थित म ि व के सभी त व होते ह, जैसे ेम, ख़शी, शांित, बुि म ा, ान और
सद्भाव। यह उस ि के साथ िनजी तथा अंतरं ग बन जाती है, जो इसके तालमेल म
आता है और सही कार से िनयम पर काम करता है। जब मनु य असीिमत उपि थित
और शि के चम कार , ख़जा़न व ित या को खोजता है, तो उसके भीतर तुरंत ही
ाथना और कृ त ता का भाव उपजता है। उसक आ मा स हो जाती है, जैसे जब
कोई ब ा रसायन शा या कृ ित का कोई रह य खोज लेता है, तो वह रोमांिचत हो
जाता है और ख़शी-ख़शी अपने िपता को इस खोज के बारे म बताता है। वह अपनी
खोज पर ख़श होता है और शंसा चाहता है। दस साल के एक छोटे लड़के ने मुझे एक
एश े भट क , जो उसने कू ल म ख़द बनाई थी। उसने बताया क उसने कस कार
धातु को िलया और उ ह जोड़ा। आप उसक आँख म रोमांच और आ य के भाव
देख सकते थे। इससे लड़के को ेरणा िमलेगी क वह आगे चलकर कू ल क योगशाला
म अिधकािधक रह य खोजे। शंसा और कृ त ता से ई र या िनयम पर फ़क़ नह
पड़ता, ले कन वे हमारे दलो दमाग़ का कायाक प कर देते ह और असं य ोत से
हमारी ओर सभी कार क अ छाई को आक षत करने वाले आ याि मक व मानिसक
चुंबक बन जाते ह, िजसम पैसा भी शािमल है।
आपक कृ त ता, शंसा और ध यवाद, चापलूसी या दासता के नज़ रए से
नह होना चािहए, मानो आप अहसान चाहते ह । इसके बजाय यह तो आपके अवचेतन
मन क गहराइय म एक रोमांचक या ा होनी चािहए, जहाँ आप ई र के िनयम क
समी ा करते ह और उनम गहन िच लेने लगते ह। इस कार आप आनं दत ह गे क
िजन चीज़ो क आपको ज़ रत है और िजन पर आप दावा करते ह, वे सभी सै ांितक
प से आपके भीतर ह तथा इं तज़ार कर रही ह क आप ख़शी से व कृ त दय से उ ह
ा कर।
जब आप जीवन और ई र के सव ापी िस ांत के बारे म जाग क बनते ह तथा
उनक क़ करते ह, िजसने आपको आरं भ से अब तक हर चीज़ दी, तब आप सचमुच
कृ त होते ह और आपका दय शंसा से भरा होता है। “सभी चीज़ तैयार ह, बशत
मि त क तैयार हो।” (शे सिपयर)
“ध यवाद” का चम कार
एक आदमी ने कहा, “िबल का ढेर बढ़ता जा रहा है, मेरे पास पैसे नह ह, मुझे
दवािलएपन का आवेदन करना होगा। म या क ँ ?” मने सुझाव दया क हर सुबह
दो-तीन बार दस-पं ह िमनट के िलए वह शांित से बैठ जाए और साहस के साथ कहे,
“परम िपता, आपक अमीरी के िलए इसी ण ध यवाद।” वह शांत और आरामदेह
अंदाज़ म तब तक रहे, जब तक क कृ त ता क भावना या मानिसक अव था उसके
दमाग़ म बैठ न जाए। वह जानता था क दौलत का िवचार-िच ही उस धन-दौलत
का मूल कारण है, िजसक उसे ज़ रत है। उसका िवचार-भाव दौलत का मूल था, िजस
पर कसी भी कार क पुरानी कं डीश नंग का कोई असर नह हो सकता था।
बार-बार “परम िपता, ध यवाद” दोहराने से उसका दल और दमाग़ वीकृ ित के
बंद ु तक ऊपर उठ गए। जब भी डर के िवचार उसके मन म आते थे, तो वह त काल
“परम िपता, ध यवाद” उतनी बार कहता था िजतनी बार आव यक होता था। वह
जानता था क अगर वह यह कृ त नज़ रया रखेगा, तो वह दौलत के िवचार से अपने
मि त क क दोबारा कं डीश नंग कर देगा। यही आ। वह एक सामािजक समारोह म
एक पूव िनयो ा से िमला, िजसने उसे मैनेजर बना दया और उसे एडवांस म ब त
सारा पैसा दया, िजससे वह अपने सारे िबल का भुगतान कर पाया और कज़ से बाहर
िनकल सका। उसने मुझसे कहा क वह “परम िपता, ध यवाद” के चम कार को कभी
नह भूल पाएगा।
कृ त ता का मह व
कृ त ता आपको असीिमत के तालमेल म रखती है और सृजना मक िनयम के साथ जोड़े
रखती है। कृ त ता का मह व िसफ़ अपनी ओर वरदान आक षत करने तक ही सीिमत
नह है। आपको याद रखना चािहए क य द आपका दय ध यवाद से भरा आ न हो,
तो आप अपनी वतमान ि थितय और प रि थितय के संदभ म असंतु हो जाते ह।
य द आप अपना यान ग़रीबी, अभाव, अके लेपन, गंदगी, घ टयापन और संसार क
मुि कल तथा सम या पर क त करते ह, तो आपका मन इन सभी चीज़ो का प ले
लेता है। यह आकषण के िनयम क बदौलत होता है, जो कहता है क िजस पर आप
यान देते ह, उसका आप अनुभव भी करते ह।
याद रख य द आप अपने मन को अभाव और सीमा पर क त रहने क अनुमित देते
ह, तो आप दुख और हीन चीज़ो से िघर जाएँगे।
अपना यान जीवन म सव और सव े पर क त कर। इससे आपको जीवन म
सव और सव े चीज़ो का अनुभव होगा तथा आप ऐसी ही चीज़ो से िघर जाएँगे।
आपके अवचेतन मन का सृजना मक िनयम आपको उस व तु क छिव और
समानता म ढाल देता है, िजस पर आप मनन करते ह। दरअसल आप वही बन जाते ह,
िजस पर आप मनन करते ह। कृ त ि लगातार और हमेशा जीवन क अ छी चीज़ो
क आशा करता है तथा उसक आशा हमेशा साकार प धारण कर लेती है।
आपको जो भी अ छी चीज़ िमलती ह, उनके िलए के वल कृ त होने क आदत
डालना ही आव यक नह , बि क अिनवाय भी है। दूसरे श द म, लगातार ध यवाद देते
रह।
सभी लोग आपके क याण म योगदान देते ह। इसिलए आपको कृ त ता क अपनी
ाथना म सभी लोग को शािमल करना चािहए। इससे आप सभी क अ छाई के साथ
अवचेतन सं ेषण म प च
ँ जाएँगे और जीवन, पृ वी तथा सभी लोग क दौलत अपने
आप आपक ओर आक षत होने लगेगी।
या आप ख़शहाली क क़ करते ह?
कु छ साल पहले मने थानीय अख़बार म एक ि के बारे म पढ़ा, जो दो वष क उ
से दृि हीन था। उसक एक आँख तो पूरी िनकालनी पड़ी, ले कन बाद म डॉ टर ने
दूसरी आँख का ऑपरे शन कया और पहली चीज़ जो उसने देखी, वह था उसक प ी
का चेहरा। उसके िलए वह ब त सुंदर थी और वह इससे अिधक अद्भुत चीज़ क
क पना नह कर सकता था। वह अपनी प ी के साथ लगभग चालीस साल से रह रहा
था, ले कन उसने उसका चेहरा कभी नह देखा था। या आप अपनी प ी, अपने पित,
अपने प रवार, अपने बीस क क़ करते ह? या आप अपनी आँख , अपने शरीर, ई र
म अपनी दृढ़ आ था तथा सभी अ छी चीज़ो के िलए ध यवाद देते ह?
मा क दौलत
िपछले समस पर मेरी एक आदमी से बातचीत ई। उसने मुझे बताया क बीस साल
से उसने अपने माता-िपता को कोई प नह िलखा और उनके बीच कसी तरह का
संवाद नह आ। उसे एक ग़लतफहमी थी। उसे लगता था क उ ह ने उसके मुक़ाबले
उसके भाई को यादा पैसे और जायदाद दे दी थी। वह ोिधत और ष े पूण बना रहा।
दुकान म काम करने वाले उसके दो सहयोिगय ने कहा, “आप जानते ह, यहाँ सभी
कमचारी समस के दन अपने माता-िपता से िमलने जा रहे ह। माता-िपता का होना
कतना अ छा होता होगा? काश हमारे पास समस पर यह करने का अवसर होता!
हम अनाथ ह। हम अपने माता-िपता के बारे म कु छ नह पता। माता-िपता का होना
कतना ब ढ़या होता है?” यह बात उस आदमी के दल को छू गई। माता-िपता के ित
उसका सारा ोध व श ुता त काल काफू र हो गई और वह उनके िलए उपहार लेकर
समस पर घर गया। उनका पुन मलन बड़ा सुखद रहा। उपहार के तौर पर उसके
माता-िपता ने उसे कु छ मू यवान शेयर दए, िजनका मू य उस रािश से ब त अिधक
था, जो उसके िहसाब से उसके भाई को यादा दी गई थी।
मा करना भी देना है- ेम, शांित और जीवन क सभी िनयामत कसी दूसरे को
देना- और जो आप देते ह, वही आपको िमलता है। यह िलखा आ है: देना पाने से
अिधक ेय कर होता है।
आपके उपचारक श द
“श द मानव जाित ारा यु सबसे शि शाली औषिध ह।” ( डयाड कप लंग)
बाइबल कहती है: उसने अपना श द भेजा, और उनका उपचार कर दया.... (सा म
107:20)
हमम से हर ि उपचारक श द का उपयोग अपने िलए भी कर सकता है और
दूसर के िलए भी। य द हम तुरंत प रणाम नह िमलते ह, तो इसका कारण है हमारी
आ था या िव ास क कृ ित। देिखए, चाहे वह कोई ि यजन हो या िम , हम कसी
दूसरे के िलए उपचारक श द का इ तेमाल इस तरह करना चािहए:
यह महसूस कर क ई र क उपि थित आपके िम को सराबोर कर रही है और
उसके चार ओर है। यह सद्भाव, सेहत और शांित क उपि थित है। महसूस कर क
उस पर दैवीय कृ पादृि है। भले ही सामने वाला इसके बारे म कु छ न जानता हो,
ले कन आप ि गत प से मानते ह क उपचार हो रहा है और आपको वाक़ई इस
पर िव ास है। अगर आप चाह, तो दन म कई बार यह कह सकते ह। आपक आ था
बढ़ती जाती है। उपचार धीरे -धीरे या तुरंत हो सकता है, जो आपके िव ास के अनु प
होगा। यह “अपना श द भेजना” है, यानी कसी दूसरे ि क ओर अपने िवचार और
भावना भेजना।
धमगु इसाइया ने कहा था, “इ र ने मुझे ानी क ज़बान दी है, ता क मुझे पता
रहे क थके ए ि से श द कै से बोला जाए... (इसाइया 50:4)। ो साहन, शंसा,
ेम का एक श द; इसक शि कौन माप सकता है?
िश क का कहना था क लड़का मंदबुि है और कभी कु छ नह सीख सकता।
िश क के अनुसार उससे कोई उ मीद नह थी। बहरहाल, उसक माँ ेम व आ था म
समृ और शि संप थी। हर दन वह बारं बार इस कार का संक प करती थी:
“ई र मेरे लड़के से ेम करता है और उसक परवाह करता है। ई र क ा उसके
भीतर उमड़ती है; ई र क बुि म ा उसके मा यम से काम कर रही है; वह ई र क
आदश अिभ ि है।”
यह लड़का अब सामा य है और कू ल म ब त अ छा दशन कर रहा है। यह आपके
श द क आ याि मक संपि है, बशत वे ेम और समझ से भरे ह । उस मिहला के
श द म सामंज य बनाने और उपचार करने क शि थी।
*देखद अमे जंग लॉज़ ऑफ़ कॉि मक माइं ड पॉवर, जोसेफ़ मफ़ , काशक पाकर
पि ल शंग कं पनी, इं क. वे ट याक, यूयॉक 1965
अ याय पं ह
मौ नतथाई पोषण
र म मि त क का िव ाम है। िजस कार न द शरीर को तरोताज़ा करती है
देती है, उसी कार ई र के साथ संपक से मनु य को पोषण, संबल
तथा ऊजा िमलती है। इमसन ने कहा था, “आइए मौन हो जाएँ, ता क हम देवता क
फु सफु साहट सुन सक।”
मौन अपने यान और इं यगत जाग कता को बाहरी संसार से हटाकर अपने
आदश, ल य या उद्दे य पर क त करने म िनिहत है, जब क आप जानते ह क आपके
अवचेतन मन क असीिमत ा अप रहाय प से ित या करे गी और जवाब कट
करे गी।
हर ि जीिनयस होता है
आप संसार म ई र क सभी शि य और गुण के साथ आए ह। आप ि के प म
सोचने क शि के साथ आए ह। आप सोचते ह, इसिलए आपम सृजन करने और अपनी
मानिसक धारणा तथा िव ास को अपने आस-पास के संसार म आरोिपत करने क
शि है। य द आप अपनी सृजना मक शि के बारे म जाग क ह, तो आप अमीर ह।
आपक अमीरी, यहाँ तक क आपक सुर ा भी, सृजन करने क आपक शि म
िनिहत है।
एक फ़ म िडयो के मण के दौरान मने एक पटकथा लेखक से पूछा, “आप कै से
काम करते ह? जब आप कोई नाटक िलखते ह, तो आप या करते ह?” उसने कु छ इस
तरह का जवाब दया: “म अपने मि त क को शांत तथा िशिथल कर लेता ँ और बस
बहाव म बहने लगता ।ँ म बस इतना जानता ँ क पटकथा का मूल िवचार या है। म
उस िवचार के बारे म सोचता ँ और उसका आनंद लेता ।ँ फर रात को सोने से पहले
अपने मौन म म पु तक पर यान क त करता ।ँ उस व त मुझे पूरा िव ास होता है
क िवषयव तु, पा और िवचार मुझे दे दए जाएँगे। सुबह जब म उठता ,ँ तो मेरे
पास पूरी पटकथा होती है और म बैठकर उसे िलख लेता ।ँ ”
अब वह पटकथा लेखक के मि त क के िसवा कहाँ उ प ई? िजन िवचार पर
उसने रात के मौन म मनन कया, उनक छाप उसके अवचेतन मन पर छू ट गई और
फर उसने वत: ही पु तक के िलए आव यक सभी सृजना मक िवचार के साथ
ित या क ।
आप अपने मि त क म जीते ह। वह पर आप अमीर या ग़रीब, िभखारी या चोर
बनते ह। जब आप जीवन म मनचाही चीज़ो के सृजन म अपने िवचार क शि के बारे
म जान जाते ह, तो आपके पास ब त मू यवान मोती होता है। आपके भीतर क दौलत
और शि याँ कभी ख़ाली नह हो सकत । आपक मानिसक दौलत क कोई सीमा नह
है, िसवाय उन सीमा के , िज ह आप ख़द ही थोपते ह।
वै ािनक और मौन
एक मश र इं जीिनयर और अंत र वै ािनक के सामने जब सम याएँ आती ह, तो वह
अपने रसच ऑ फ़स म अके ला बैठ जाता है और मन ही मन इस कार मनन करता है:
“मुझे इस व त दैवीय समाधान के बारे म जाग क बनाया जा रहा है। ई र जवाब
जानता है और म तथा मेरे िपता एक ह। ई र इसी पल मेरे सामने यह उजागर करता
है।”
वह कहता है क उसे हमेशा जवाब िमल जाता है, कई बार तो उसके दमाग़ म
सहज बोध क एक क ध म या अ सर उसके दमाग़ म एक ाफ के प म, जो सटीक
जवाब होता है। वह अपनी तकनीक को “मौन समाधान” कहना पसंद करता है।
कछ य नह आ
एक मिहला ने मुझे बताया क वह हर दन आधे घंटे तक मौन म बैठी, ले कन इसके
बावजूद उसे कोई प रणाम नह िमला। मुझे पता चला क उसक िविध यह थी क वह
संगीत बजाती थी धूप जलाती थी, और पिव मू तय पर यान क त करती थी। वह
कु छ मु ा म भी बैठती थी, मोमबि याँ जलाती थी, उसने अपने घर म पूजाघर
बनाए और ाथना करते समय पूव दशा क ओर मुँह करके बैठी।
वा तव म वह जीवन क प रिध और बाहरी चीज़ो म ही पूरी तरह संल थी।
उसका पूरा जीवन उथल-पुथल से भरा था। वह िविभ मानिसक असामा यता से
बीमार कुं ठत, अके ली, बोर और परे शान थी। उसका मन मू तय , मोमबि य ,
कमकांड, धूप, संगीत और मु ा पर क त था, जो सभी एक कार क व-स मोहक़
िन ा का प रणाम देती थ । वह पूरी तरह से अपनी पाँच इं य से भरी ई थी और
दैवीय उपि थित से ज़रा भी संपक नह कर रही थी।
उसक बहन ग़ैर-धा मक थी और उसे लगातार िझड़कती रहती थी “तुम हर दन
ाथना करती हो, ले कन इससे तु ह या फ़ायदा होता है? मेरी ओर देखो। म मौन म
एक पल भी नह बैठती ँ और ई र पर भी यक़ न नह करती ,ँ ले कन म
शि संप , जीवंत और समृ ।ँ ” वा तव म, वह मिहला मौन म गई ही नह । वह तो
दृ य , विनय और मू तय म ही उलझी रही। उसने अपनी ऊजा और समय बाहरी
चीज़ो म ही बबाद कर दया। मने उसे इमसन का बुि म ापूण मौन समझाया, िजसका
वह अ यास करने लगी। फल व प उसक मानिसक, शारी रक और आ थक ि थित म
ज़बद त प रवतन आ।
वह आंत रक ि थरता
“तो फर हम आंत रक ि थरता के िलए मेहनत करनी चािहए- एक ि थरता और एक
आंत रक उपचार- वह आदश मौन, जहाँ ह ठ और दय ि थर ह। अब हम अपने अपूण
िवचार और िनरथक राय के बारे म नह सोचते ह। मौन म तो ई र अके ला हमसे
बात करता है और हम दय क एका ता म इं तज़ार करते ह क हम उसक इ छा
मालूम चल सके । अपनी आ मा के मौन म हम उसक इ छा सुनते ह और उसका बताया
काम करते ह।” (लॉ गफ़े लो)