You are on page 1of 72

अपरािजत सोच

अपरािजत सोच
पराजय जैसी कोई चीज नही
INVINCIBLE THINKING
NOW IN HINDI

रयुहो ओकावा

जयकाे पि ल शंग हाउस


अहमदाबाद बगलाेर भाेपाल चे ई
द ली है ाबाद काेलक ा लखनऊ मु बई
काशक
जयको पि ल शंग हाउस
ए-2 जश चबस, 7-ए सर फरोजशहा महेता रोड
फोट, मुंबई – 400 001
jaicopub@jaicobooks.com
www.jaicobooks.com

रयुहो ओकावा
िह दी अनुवाद © है पी साइं स
आई आर एच ेस क पनी िलिमटेड ारा सव थम
“जोशो िशकोऊ” के प म कािशत
सभी काशनाथ सुरि त

आई आर एच ेस क पनी िलिमटेड के साथ िमलकर कािशत


1-6-7 टोगोशी, िशनागावा-कू
टो यो,142-0041, जापान

अपरािजत सोच
INVINCIBLE THINKING
ISBN 978-81-8495-038-0

थम जयको आवृ ी: 2009


दुसरी जयको आवृ ी: 2010

इस पु तक का कोई भी अंश काशक से िलिखत अनुमित िलए िबना कसी भी प म या कसी साधन जैसे
इलै ोिनक फोटोकापी समेत यांि क, रका डग या कसी सूचना को टोर कर और पुन: ाि ारा पुन: तुत
या पुन: योग नह कया जायेगा।
िवषय सूची
नये सं करण क भूिमका
भाग एक : अपरािजता के ोत
1.गु के आव यक गुण
2.आ म–िच तन से गु का ज म
3.आ याि मक िवकास के िलए परी ण ज री है
4.अि परी ा से सीख ल
5.बहान क जंदगी न जीएं
6.दृढ़संक प और इ छाशि का माग श त करना
7.अपरािजत बनने के तरीके खोज
8. ि गत सीमा को पार कर
9.सफलता ाि के दो राज
1) मांग का पता लगाएं
2) अिधक िवकास के बारे म सोच
10.िव ीय शि मुसीबत से उबरने क िह मत दान करती है
11.अपने भीतर के अपरािजत त व को पहचान
भाग दो : अपनी सोच म ांितकारी प रवतन लाना
1.नये िवचार को ज म देने का मह व
2.तीसरे िवक प क तलाश
3.सकारा मक सोच के िलए िवपरीत ढंग से सोच
4.असफलता को बचाव नौका के प म योग कर
5.ई र ारा सृिजत िव म कु छ भी बेकार नही
6.अपने कम का सामना सकारा मक रवैये से कर
7.लोग आपको िभ -िभ प म लेते ह
8.एक सौ बीस साल जीने क योजना
9. यास से दीघायु आ जा सकता है
भाग तीन : जीवन और जीत
1.जब त व ान आलोक फै लाता है
2. व थ जीवन कै से जीएं
1) शारी रक दशाएं मि त क को अव कर देती है
2) अपने भौितक शरीर पर िनयं ण करना सीख
3) शरीर क देखभाल खुद करना
4) शरीर और मि त क के बीच संबंध
3.धन दौलत का सृजन
1) धा मक मनोवृित से जुडी सम याएं
2) सुख के साधन प म धन
3) ई या से िसत गरीबी िम या
4) धन सृजन के तीन बुिनयादी िस ांत
4. प ी और घर
1) अपने को आदश मानकर शु कर
2) या आपको अपने जीवन साथी के बारे म गहरा ान है
3) आदश मेल के िलए यास कर
5.संयोग जो आपका भा य बदल दे
1) कसी ‘महान‘ ि से िमलने क आशा
2) जो कु छ कहा जाए उसे यानपूवक व िवन ता से सुन
3) महान दयवान बने
6.एक आ याि मक धरोहर
1) आ याि मक धरोहर के प म ईमानदारी
2) ईमानदारी दो प म आती है
भाग चार : अपरािजत सोच क शि
1.आ म चंतन और गित को जोड़ने वाला िस ांत
2.दृ यमान जगत म अपरािजत सोच क शि
3.अपनी आ मा के िवकास के िलए मुि कल को अपनी ताकत बनाएं
4.अपने व का खुद मािलक बन
5.बांस क शि जो गांठ बनाती है
6. ितकू ल माहौल म वा षक छ ले तैयार करना
7.लंबी दूरी के धावक के समान सोच
8.संिचत भाव
9.भा य का इं तजार करने के बजाय, अगला कदम उठाएं
10. अनुकूल ि थितय म ेम का बीज बोएं
11. एक सोपान ऊपर का ल य िनधा रत कर
12. नमनशील होकर िवचार कर और मुसीबत को लाभ म बदल द
13. दैिनक सफलता को जीवन क ओर
सं मरणीय लेख
लेखक के बारे म
हैपी साइं स या है?
मानव सुख का अनुसंधान सं थान (हैपी साइं स) रयुहो ओकावा ारा कािशत लै टन पु तक
नये सं करण क भूिमका

सरल और सुबोधग य प म िलखी यह पु तक जीवन म सफलता ाि के रह य खोलती है। 1989 म जब पहली


बार यह कािशत ई तो अके ले जापान म ही इसक 20 लाख से अिधक ितयां िबक गई और राजनेता और
ापा रक मैनेजर समेत येक े के गु म यह अ यंत लोकि य हो गई। इसका कई भाषा म अनुवाद भी
आ ता क संसार भर के पाठक इनके िवचारा को समझ सक और लाभाि वत हो सक। मानव सुख का अनुसंधान
सं थान िजसक मने थापना क थी जापान का सबसे बड़ा धम बन गया और िनरं तर िवकिसत होते ए िव के
मुख धम म इसने अपनी जगह बना ली।
कं तु, इस समय कई देश िनरं तर राजनैितक और आ थक प से िबखरते जा रहे िजससे लोग म ब त
बेचैनी फै ल रही है । है इस कारण से म इस पु तक का संदश
े फै लाकर क पराजय जैसी कोई चीज-नही, लोग को
साहस और आशा से सराबोर कर देना चाहता ।ँ
इस पु तक का उ े य पाठक को उ कृ गु बनाना है जो क दूसर को सही माग दखला सक। अपरािजत
सोच एक दशन है जो लोग क हर हाल म सफलता ाि म मदद करती है। यह एक वि थत तरीका है
सफलता और िवफलता से सबक लेने और तदनुसार नेतृ व गुण के िवकास करने का। यह एक तरीका है सभी
प रि थितय म सकारा मक सोच और आ म िच तन के संयोग से अपना भिव य संवारने का।

रयुहो ओकावा
अय
मानव सुख का अनुसंधान सं थान
भूिमका

अपरािजत सोच एक त व ान है िजसम जीवन म वा तिवक िवजय पाने क शि समािहत है। मेरा यह िवचार
कदािप नह है क सफलता ाि का म कोई बेढंगा तरीका िसखाऊं। इस पु तक म मने एक त व ान तुत
कया है जो क लंग, आयु या रा ीयता से परे सभी से समान प से संबंिधत है। चाहे आप नौजवान ह या बूढ़े,
पु ष ह या मिहला और कसी भी रा के य न ह , य द आप इस पु तक को चुनते ह और इसके िन कष तक
प चॅ ते ह तो म िव ास दलाता ँ क आपके सम सफलता क राह खुलती चली जाएगी।
जीवन एक सुरंग के समान है िजसे पहाड़ खोदकर बनाया गया है, खुदाई म आपको पानी या ठोस च ान
जैसी कई कावट का सामना करना पड़ सकता है। कं तु यहॉ आपक अपरािजत सोच ही उस ठोस च ान को
उड़ाने के िलए डाइनामाइट का काम करती ह और सभी बाधा को पार कर भेदने के िलए तब तक ि ल का
काम करती है जब तक आप अपनी मंिजल नह पा लेत।े
य द आप इस पु तक को पढ़कर इसका रसा वादन कर इसके त व ान को अपनी ताकत बनाते ह तो आप
गव से कह सकगे क आप फर असफल नह ह गे के वल सफलता आपके कदम चूमेगी।

रयुहो ओकावा
अय
मावन सुख का अनुसंधान सं थान
द इं टी ूट फॉर रसच इन यूमन है पीनेस
भाग एक

अपरािजता के ोत
1: अपरािजता के ोत

(1) गु के िलए आव यक गुण।


लोग िनरं तर यह पता लगाने क कोिशश करते रहे ह क िजस युग म वे रहते ह उसक उ पि कै से ई
होगी। वे वा तिवक मू य और अपने आगे बढ़ने क दशा के बारे म सोचते ह और वे कसी ऐसे ि क तलाश
म रहते ह जो उ ह इनका उ र देकर उनका मागदशन कर सके । अतः एक उ कृ गु बनने के िलए आपम दूसर
को सही राह दखाने क मता होनी चािहए।
इस संसार म अनेक लोग इस संबंध म अिनि त ह क वे अपनी मता , समय और अपने धन का सव म
योग कै से कर। एक गु को भावी वृितय और वतमान म लोग को सही और सटीक प से या करना
चािहए, यह समझने म समथ होना चािहए – यही उनका जीवन–ल य होना चािहए जो वा तव म जाग क ह।
गु बनने के िलए आपको या करना होगा? यही इस पु तक का मूल िवषय है।
गु बनने के िलए कन गुण क आव यकता होती है? सव थम, आपको सदा भिव य देखने म समथ होना
चािहए। आप म दूसर से एक या दो कदम आगे देखने क साम य होनी चािहए। लोग उ ह का आदर करते ह जो
उ कृ प म घटना के िन कष का पुवानुमान लगा सक या िजसम असाधारण यो यता हो। िजस कार से
कोई ब त लंबा ि अ य सभी से काफ आगे तक देखने म समथ होता है उसी कार लोग का िव ास है क
िविश ि सभी चीज को अपने च र क महानता या आ याि मक गुण के कारण साफ–साफ देखने म
समथ होता है। धीरे –धीरे इन गुण वाले ि के इद–िगद लोग उस ि के रह यमयी ि व से आक षत
होने लगते ह और वे छा से उनका अनुसरण करने लगते ह।
जैसा मने पहले कहा भिव य म देखने क मता गु बनने क पहली आव यकता है कं तु इतना ही पया
नह है। य द आप के वल असफलता क संभावना क भिव यवाणी करते ह या सफलता क कमी के उदाहरण देते
ह तो हो सकता है शु –शु म आपको गु माना जाए कं तु ज द ही लोग आपको भूल जाएंगे।
मानव सुख का अनुसंधान सं थान ( हैपी साइं स ), िजसका म अ य हॅू,ं म अनेक लोग एकि त ए और म
समझता क इसके पीछे उनक आशा है क य द वे इस सं थान से जुड़गे तो कु छ अ छा घ टत होगा और कोई
भी उस पानी के जहाज म या ा करना नह चाहेगा िजसके डू बने क संभावना हो। चूं क लोग का पूवानुमान है
क इस आंदोलन से जुड़ने पर उनका कु छ अ छा घ टत होगा और इसीिलए वे इसका िह सा बनना चाहते ह।
अतः गु बनने के िलए दूसरी पूवापे ा है लोग को यह अनुभव कराना क य द वे उनका अनुसरण करते ह और
िनकट संपक म रहते ह तो वे एक उ वल भिव य क आशा कर सकते ह – कु छ अ छा घ टत होगा।
गु बनने क तीसरी पूवापे ा है क उसम न के वल उ वल भिव य के ार खोलने क मता हो वरन्
पया उपलि धयाँ भी हो। ता क दूसर को आपक ित ा का िव ास हो सके ।हाल क इन उपलि धय के िलए
िनयिमत प से े ता के िव यात पुर कार क आव यकता नह है। इससे कोई फक नह पड़ता क आपने कै सा
जीवन तीत कया है लोग देखते ह क आपने कस कार से आनेवाली क ठनाइय का सामना कया है और
इसी से आपके उ कृ नेतृ व गुण का पता चल जाता है।
य द आप महान ऐितहािसक पु ष का जीवन देख तो आप पाएंगे क ब त कम लोग ही साधन संप
घरान से आए ह। य द उनका ज म सुखद प रि थितय म आ भी है तो जीवन क कसी अव था म उनके
िसतारे ग दश म आए और उ ह भारी झटका लगा या िवपि का सामना करना पड़ा। सामा यतः ऐसे ि य
का ज म सुखद माहौल म नह आ था कं तु उ होन वयं के यास से अपने जीवन क बाधा को पारकर अपने
म महान शि िवकिसत क थी। अ य को ऐसे पु ष क संचरण शि म अपार मता नजर आती है।
अब तक मने गु बनने के तीन गुण का िज कया है। इस पु तक म म ‘अपरािजत सोच’ के बारे म
करने जा रहा ,ँ यह एक त व ान है जो इस युग म गु के िलए अप रहाय है। अपरािजत सोच एक वृित है,
आपके जीवन म कु छ भी य न हो जाए आप सदा उसम कु छ सकारा मक पाएंगे और हर ि थित को अपनी
सुिवधानुसार ढाल लगे। य द आप इस त व ान को अपनाते ह तो आप पूणतः िव त हो जाएंगे क संकट या
मुसीबत जैसी कोई चीज नह के वल अवसर क ही एक िनयिमत ृंखला है।

(2) आ म चंतन से गु का आिवभाव


शायद आप सोचते ह गे क कतना अ छा हो य द आपक सारी इ छाएँ साकार हो जाएं और सुगमता से सभी
माग खुल जाएं। कं तु, असल म, आप जीवन के उतार–चढ़ाव क या से गुजरकर ही अिधक सीखते ह।
उदाहरण के िलए वा य को ल, कु छ लोग हमेशा शि और ओजि वता से प रपूण रहते ह, उ ह शायद अपनी
शारी रक दशा के बारे म सोचने का समय नह िमल पाता। कं तु य द आप वंय से पूछ क अ छे वा य के
िवपरीत या बीमारी के वल दुखद लगती है तो आप पाएंगे क इसका जवाब उतना नकारा मक नह है जैसा
आपने सोचा हो।
ऐसा य होता है क लोग समय–समय पर बीमार पड़ जाते ह ? इसके पहले हमेशा एक अव था आती है,
बीमार पड़ने से पूव क ारं िभक अविध जब वे कु छ ऐसे ल ण महसूस करते ह क कु छ न कु छ गलत है। उनके
शरीर म दद होने लगता है, वे अ छा महसूस नह करते या वे पहले क तरह काम नह कर पाते। एक अथ म,
आपको रोकने या आराम के िलए कहने का कृ ित का अपना अनूठा तरीका है। जब लोग त द ती क परवाह
नह करते या तंद ती पर यान नह देते तो उ ह उिचत आराम का तब तक पता नह चलता जब तक वे
बीमार न पड़ जाएं।
जब आप कड़ी मेहनत के बाद ‘थकने लगते ह’ तो कभी–कभी ऐसा होता है क आप बीमार पड़कर अपने
शरीर को िणक आराम देते ह ता क आप अपना पूरा दन ठीक िबता सक और अपना ल य पूरा कर सक।
बीमारी के कारण आपका जीवन व तुतः लंबा हो जाता है। य द आप बीमार नह पड़े होते तो आप ‘थक कर चूर’
हो जाते और समय से पहले काल के मुह म चले जाते। अतः इससे बचने के िलए आपका शरीर टू टने लगता है और
आप वा य लाभ लेने के िलए िववश हो जाते ह।
इस वा य लाभ क मह ा या है ? ये मा शरीर को आराम देने क अविध नह है। यह वह समय है जब
आप अंतमुखी हो जाते ह और आप अपने अंतमन म झांकते ह। जब आप बाहरी जगत क घटना म त हो
जाते ह और बाहरी प रणाम से ही जुड़े रहते ह तो आप अपने अंतमन म झ कना भूल जाते ह।
इसे और सरलतापूवक समझने के िलए चलो कसी कं पनी के िब िवभाग म काय करनेवाले ि का
उदाहरण लेते ह। जब वसाय फल फू ल रहा हो और कई नये खात और ाहक का आगमन हो रहा हो तो या
उसे अपने बारे म यान से सोचने का समय िमलता है? या उसके मि त क म अपने प रवार या अ य लोग का
याल आता है ? अिधकांश मामल म जवाब है, नह । वह हद से हद हर ि थित से उबरने के बारे म सोचता है।
य द उसने एक माह म 15 मोटर कार बेचने का ल य रखा है तो उस ल य क ाि पर उसे ब त खुशी
होगी। वह अपने काम से ब त संतु होगा और शायद अगले माह के िलए 18 मोटर कार का ल य िनधा रत
करे गा। कं तु ऐसे लोग जो के वल पूरी तरह प रणाम पर ही टके होते ह और िजनका मि त क के वल बाहर क
ओर लगा होता है आिखरकार मुि कल का सामना करते ह। य क, अिधकतर मामल म वे अपने ाहक का
यान रखना भूल जाते ह और यह पता लगाने क कोिशश नही करते क उनके ाहक मोटर कार क खरीद से
वाकई खुश ह।
जब सबकु छ ठीक–ठाक चल रहा होता है तो लोग अ य सभी चीज से हटकर अपनी संतुि और सुख म ही
त लीन हो जाते ह, दूसरे श द म, वे दूसरे लोग क भावना पर िवचार नह करते। सही मायन म एक अ छी
िब वह है जो सौदा पूरा होने के बाद भी आपके जीवन म खुिशयाँ लाए। दूसरी ओर, य द से समैन उ पाद क
अपे ा के वल अ कड़ और प रणाम म ही िच रखेगा तो वह कभी यह नह जान सके गा क ाहक अपनी
खरीद से पछता तो नह रहा या असंतु तो नह ह।
चूँ क इस कार के लोग अ यंत ित पधा मक समाज म आगे बढ़ने के िलए संघष करते है वे अ य के बारे म
अिधक परवाह नह करते, वे एक मा मक सकारा मक रवैया अपना लेते ह और सब कु छ प रणाम से तौलते ह।
इनम से एक भी अपने को सफलता क ओर अ सर नह करता और इस बात से अनजान रहते ह क वे एक
िम या जीवन जी रहे ह। ऐसे लोग तब तक कोई ऊचा मुकाम हािसल नह करते जब तक वे जीवन के कसी न
कसी मोड़ पर क ठनाइय का सामना नह करते। ये क ठनाई काय थल पर या बीमारी के प म आ सकती है।
कृ ित आपको हमेशा आ म चंतन के अवसर दान करती है। जब ऐसा होता है तो आप सामा यतः
अ तमुखी हो जाते ह और यह समय वा तव म आपक आ मा के िलए सवािधक मह वपूण होता है। िजन लोग ने
कभी अपने अंतमन म नह झांका या वंय का अ ययन नही कया वे कभी स े गु नह बन सकते।

(3) आ याि मक िवकास के िलए परी ण ज री है


से समैन के उदाहरण पर वापस आते है, क पना कर क दूसर का कोई याल कए िबना भी उसक िब तब
तक लगातार बढ़ती रहती है जब तक वह कं पनी का सव े से समैन नह बन जाता और उसे पुर कार व प
िब मैनेजर के पद पर पदो ित नह ा हो जाती। अब तक वह अपनी चाल से ही काम करता रहता था और
प रणाम के आधार पर ही उसका मू यांकन होता है। कं तु अब वह िब िवभाग का मैनेजर है उसके अधीन
काम करनवाल का या होगा ?
वह अपने टाफ से भी उसके तरीक को अपनाने क अपे ा रखेगा। दूसरे श द म वह के वल िब ल य
क ाि का िनदश देगा और यह क उ ह येक माह कतनी कार बेचनी चािहए। य द वे अपने ल य को पाने
म नाकामयाब रहते ह तो वह उ ह काय करने म अ म मानकर उ ह कं पनी पर बोझ के प म देखेगा। कं तु य द
वे ल य ाि म सफल हो जाते ह तो वह उनका अ छे का मक के प म मू यांकन करे गा। यह एकमा कसौटी है
िजसके ारा वह अपने टाफ का मू यांकन कर सकता है।
उनके िब रकाड देखकर, वह धीरे धीरे हतो सािहत होने लगेगा कय क य िप उसे िव ास है क वह
एक माह म 15 मोटर कार बेच सकता है कं तु उसका टाफ एक महीने म के वल 5 मोटर कार ही बेचने म समथ
है। जहाँ एक अ छा मैनेजर अपने अधीन थ टाफ को एक ओर रख कर चलता है और अिधक आडर हािसल करने
के गुर िसखाता है दूसरे कार का मैनेजर वयं िब करना चाहता है। वह अधीन थ के मुख के पास वयं
जाएगा, ाहक या अ य कं पिनय के मैनेजर से सौदेबाजी के िलए सीधे संपक करे गा। इन अधीन थ का अपने
काम से लगाव ख म हो जाएगा और वे कहगे ‘य द आप वयं कर सकते ह तो आपका वागत है। प रणाम व प
अधीन थ टाफ कु शल िब टाफ नह बन पाएगा। इस खास मैनेजर का इस प से वहार करने का कारण
यह है क उसने सदा अपनी सफलता म ही िच ली है। यही उसने सीखा है, उसने मानव मनोवृित पर अिधक
िच तन नह कया। उसने अपना काय के वल वाथवश, काय बढ़ाने के िलए कया था। असल म िब िवभाग म
बेहतर काय करनेवाले लोग अहंकारी होते ह और आ म िव ेषण म स म नह होते।
इस कार के लोग दूसर से सौदेबाजी करने म ब त खुश होते ह और यह मानकर वसाय करते ह क
सभी उ ह पस द करते ह और हर कोई उनके साथ खुला है। कं तु, असल म, जैसे ही इस कार का ि
कायालय छोड़ता है सभी चैन क सांस लेते ह। इस कार के ि को इसका पता ही नह चलता। क वे कतने
वाथ ह और इस दृढ़ िव ास के साथ िब क पराका ा म पहॅुच ं जाते ह क सभी उनके िम ह। यह ब त आम
बात है।
जो अधीन थ टाफ सतक या संवेदनशील होगा वह कभी भी मैनेजर क तरह िनल ता से काय नह
करे गा। वे उसके दखाए रा ते या िनदश का अनुपालन नह करगे क वे कै से अपना काम कर, अतः वे अपनी
कु शलता का योग कर अपनी मता को संजोएंग।े उदाहरण के िलए वे कोई आदत डाल सकते ह और अपने
ाहक के नजदीक प च ं ने के िलए उसका अपनी बात म इ तेमाल कर सकते ह या िब बढ़ाने के िलए िम ता
पर जोर दे सकते ह। कं तु िब मैनेजर को इस कार का दृि कोण बड़ा िनराशापूण लगेगा।
इस िब मैनेजर के समान लोग को जीवन क कसी न कसी अव था म अपनी अंतरा मा को मारना
पड़ता है, उ ह पुन थान के िलए समय क आव यकता होती है जब के वल वे वयं कसी दुभा य या िवपि का
सामना करते ह तभी वे दूसर क भावना को समझ पाते ह। वे वयं को सामा यत: कं पनी का अिभ अंग
मानते ह और सोचते ह क उनके न रहने पर कं पनी म कु छ नह हो सकता। कं तु जब वे बीमार पड़ते ह और उ ह
पता चलता है क उनक अनुपि थित म काम और ब ढ़या हो रहा है तो उ ह झटका लगता है। सबसे बड़ा झटका
तब लगता है जब उनके सहकम अ पताल म उ ह देखने जाते ह और कहते ह क ‘ऑ फस म सब कु छ ब त
ब ढ़या से चल रहा है अतः काम के बारे म कोई चंता न कर’। वा तव म सां वना के ये श द ऐसे लोग के िलए
ब त क दायी होते ह य क असल म वे ये आशा कर रहे होते ह क उनके सहकम आएंगे और उनसे शी ही
कं पनी म लौटने क गुजा रश करगे ता क सब कु छ फर से ठीक ठाक चलता रहे।
कं तु, इस कार का अनुभव उनक असिलयत को चकनाचूर कर देता है। इस कार के लोग मानो भांड का
काय करते ह, जह वे रोशनी के नीचे अपना ही नृ य करने म पूरी तरह त लीन होते ह उ ह पता ही नह चलता
क सारे दशक जा चुके ह। इस कार के लोग को कसी न कसी कार क अि परी ा से गुजरना चािहए और
यह कोई उलटा कदम नह है वरन् एक अनुभव है जो क ऊचा मुकाम हािसल करने के िलए ज री है।

(4) अि परी ा से सीख ल


जब कु शल ि कोई नया काय करते ह व अपने को िस ह त सािबत करने के िलए काफ समय लगा देता है।
उनका यह वहार ‘ ेम जो देता है’ के ठीक िवपरीत जो क हमारी कं पनी िसखाती है। इसके बजाय ‘ ेम जो
लेता है’ अथात् ेम िजसक लोग शंसा करते ह। इस कार के लोग दूसर से शंसा पाने के िलए लालाियत
रहते ह ओर य द उ ह शंसा नह िमलती तो वे और अिधक यास करते ह। और बड़ी अजीब बात है क िजतनी
वह कोिशश करते ह उ ह आस पास से उतनी ही अिधक िन ु रता िमलती है। उनके िलए इसे समझ पाना अ यंत
क ठन होता है। आपने वयं भी अनुभव कया होगा क आप िजतनी अिधक कोिशश करते ह उतनी ही कम
शंसा िमलती है।
इन अिधक उ सुक लोग को आिखर म पता चलता है क वे असल म सबसे यार पा रहे थे। जब आप लोग
को शंसा और पहचान पाने के िलए कड़ी मेहनत करते ए देखते ह तो आप महसूस करते ह क शंसा देकर आप
कसी न कसी प म खाली हो जाते ह। जब आप कसी ऐसे ि क शंसा करते है िजसने इसके िलए ब त
मेहनत क हो तो आप महसूस करगे क आप कु छ खो रहे ह।
अपने आस पास के लोग के बीच आपको आसानी से पता चल जाएगा क कौन सा ि के वल शंसा
ाि के िलए काय कर रहा है। या आपके र तेदार या सहक मय म ही कोई है जो गु प से िसि या
शंसा क इ छा रखता है? ये सामा यत: वही लोग होते ह िजसक शंसा करने म आपको ब त क ठनाई होती
है और इसीिलए ऐसे लोग और अिधक मेहनत करते ह। यह दु तब तक चलता है जब आिखर म दूसरे लोग
दखावे के िलए इनका हवाला नह देते और यह से धमसंकट शु होता है। ऐसे लोग िनराश हो जाते ह य क
हालाँ क वे सव म काय कर रहे ह कोई उनके यास क सराहना नह करता। फर वे सोचने लगते ह क यह
संसार उ टे लोग से भरा पड़ा है जो दूसर र क शंसा तक नह कर सकते।
व तुत:, जब आप पहचान क कोिशश म लगे होते ह तो आपको दूसर के अ छे काय नजर नह आते। जब
आप के वल अपने ही यास का स मान पाने म लगे होते ह तो आप इसी म म रहते ह क अ य लोग के वल
आपक सहायता के िलए ह। दूसरे श द म जो के वल अपनी सफलता से ही जुड़े होते ह वे दूसर को सुख नह दे
सकते। लोग अ यंत संवेदनशील होते ह। जब वे इस कार के ि से जुड़े होने पर खुशी महसूस नह करते तो वे
दूरी बढ़ाने लगते ह। फर वे आलोचना करने लगते ह, गंभीर हो जाते ह और शंसा पानेवाले ि के बारे म
उलटी– सीधी बात बोलने लगते ह। इस कार से यह ि थित पूरी तरह िबगड़ जाती है, आशा के िवपरीत हो
जाती है।
इसिलए, य द काम के दौरान आपको कोई ध ा लगता है या आपके िसतारे ग दश म हो जाते ह तो इसे
नकारा मक प म न ल। ये आपको अपनी आ मा को सुदढ़ृ करने का मौका देते है साथ ही साथ दूसरे लोग को
अिधक गहराई से समझने का अवसर देते है। आप इतना अिधक आ मके ि त हो चुके होते ह क आप मानने लगते
ह क कं पनी आपके िबना नह चल सकती जब क असल म आपके िबना भी कं पनी ब ढ़या ढंग से चल सकती है।
दुभा य से इसी कार से संसार चलता रहता है।
वसाय म, य द एक ि हट जाता है तो दूसरा ि उसका थान ले लेता है। यह तक क अ य ,
िजसे अिनवाय समझा जाता है, का थान लेने के िलए भी कोई न कोई ि िमल जाता है। दूसरे श द म,
आ फस म के वल कसी एक ि ारा काम नह कया जाता वरन् यह टाफ के सामूिहक काय का प रणाम
होता है। आप दूसर के यास के कारण ही अपनी मता का दशन कर पाते ह। इसे कभी नह भूलना
चािहए।
इसिलए य द आप कसी अवरोध या संकट म फं से ए ह तो अपने िवगत कु छ वष या कु छ दशाि दय पर
नजर डाल। ज च और देख क आपने अपने जीवन को कभी डगमगाने नह दया या आपने के वल अपनी पहचान
बनाने क नह सोची और दूसर के काय को ेय देना नह भूल। म चाहता हॅूं क आप इस पर िवचार कर।
इस कार से अपने अंतमन म झ कना िनहायत ज री है। जीवन म ऐसे अनेक अवसर आते ह जब आपको
आगे बढ़ने का मौका िमलता है और जो स े मन से काय करते ह अव य ही िवगत मुि कल से उबर जाते ह। जो
लोग अपनी मुि कल पर िवजय पा लेते ह और उसे अपनी ताकत बना लेते ह, अंदर से काशमान हो जाते ह,
जब क दूसरे जो संकट म बह जाते ह वे हमेशा के िलए उसी म समा जाते ह और िनराशा से भर जाते ह। आप
कतनी ही मुि कल का सामना य न कर, यह अिधक समय तक नह रहती अतः इसके ारा तुत अवसर का
लाभ उठाएं और इससे सबक ल।

(5) बहान क जंदगी न जीएं


बुरे व से सामना करते समय िनि त हो जाएं और इस सोच म न पड़ क आप अके ले ही ऐसे ि ह िजसे
ऐसी प रि थितय का सामना करना पड़ रहा है। अ य जो बीमार ह वे भी इससे जूझ रहे ह और वे भी अपने
ल य म झटका खाते ह या िवफल हो जाते ह। लोग असल म ये महसूस करने लगते ह क उ ह ही ऐसी ि थित का
सामना य करना पड़ता है। जब संकट आता है, अपनी आंख और दल खुला रख और अपने आस पास के लोग
पर नजर डाल। आप देखगे क सफलता के वल उ ह लोग को नह िमली है जो सदा सौभा यशाली रहे ह। उनम
ऐसे कई लोग ह िज ह ने असफलता या संकट का मुकाबला कया है और अपने अथक यास से अपने दुभा य को
अपनी सफलता क नौका बनाई है।
सोच क ऐसे अ य कतने लोग ह जो आप ही के समान नाव म सवार ए ह। संसार म कई कार क
बीमा रयाँ ह जैसे दय रोग, कसर और अनेक शारी रक रोग। आपक अव था कु छ भी य न हो आप ही इस
बीमारी से पीिड़त नह ह, अनेक मामल म अ य भी ह जो इसी ि थित से गुजर रहे ह।
किलन डी. सवे ट (1882–1945) अमे रका के जाने माने रा पित थे िज ह हीलचेयर म ही अपना
जीवन तीत करना पड़ा। सामा यत: जो लोग यह वहाँ जाने के िलए हीलचेयर पर आि त हो जाते ह वे
सामािजक प से याशील नह रह पाते कं तु अपनी अपंगता के बावजूद उ ह ने रा पित के सभी काय का
बखूबी िनवाह कया। वे महान ि थे य क उ ह ने जीवन म अपनी अपंगता से उबरने का हर संभव यास
कया।
संयु रा य अमे रका से ही एक मिहला का अ य उदाहरण देख जो देश के सव मुकाम तक प च ँ ने म
कामयाब रह । उ ह ने अपनी जवानी म ही अपने पित को खो दया, उनके ब ने उनका साथ छोड़ दया,
गरीबी म पड़कर बुरी तरह बीमार हो गई। इन िवकट प रि थितय के बावजूद वह सरकार म सबसे ऊचा ओहदा
पाने म कामयाब रही।
ऐसे लोग ने ही जीवन म संकट क घिड़य से मह वपूण सबक िलया है। अ यंत गरीबी से भी लोग उठकर
उन ऊचाइय तक प चे ह, जह आम आदमी प च ं ने क सोच भी नह सकता। म आपको बताना चाहता हॅूं क
ऐसे लोग का अ ययन कर मने या पाया। सव थम उ ह ने अपनी मुसीबत को अ य पर नह थोपा। उ होने
इस दोष को दूसर पर नह मढ़ा या अपने भा य को नह कोसा य क वे अ छी तरह जानते थे क इससे उनको
कोई िहत नह होगा। सबसे मह वपूण बात है क भा य या अ य लोग को अपनी कसी िवपि के िलए न कोस।
दूसरे , वे अपने भा य को वीकारते ह। वे इसके िलए कभी िशकायत नह करते, ‘य द ऐसा कभी नह आ
होता’। बजाय इसके वे अपने दुभा य या ितकू ल ि थित को वीकारते ह। इसे मान लेने पर वे इसे वा तिवकता
क दृि से लेते ह और इससे उबरने का यास करते ह। उनम दुभा य को जीवन क स ाई के प म वीकारने
का साहस और दृढ़िन य होता है।
तीसरे , वे कसी भी िवकट ि थित का सामना य न कर वे उससे सदा कोई न कोई सबक लेते ह। वे अपने
आप से पूछते ह क इससे हम या क ठन सबक िमलने वाला है और तब तक इसे खोजते रहते ह जब तक उ ह
जवाब नह िमल जाता। इससे सीखा सबक सुगमता से उनका एक अमू य खजाना बन जाता है जो लंबे समय तक
उनके दल म रहता है।
चौथे, वे दूसर क मदद के भरोसे नह रहते। चाहे वे कतने ही अ म य न ह , वे अके ले ही अपने माग पर
खुले और व छंद जोश के साथ िनकल पड़ते ह और राह म दूसर क सहायता करना नह भूलते। वे अपने भा य
और वतमान ि थित को उसी प म वीकारते ह कं तु यथापूव ि थित नह रहने देते। वे अपनी ताकत पर
भरोसा रखकर अपनी मुि कल का हल िनकालने का यास करते ह। सभी िविश ि इस या से गुजरते
ह।
जो लोग छोटे मोटे भोग िवलास म लीन हो जाते ह वे कभी महान् नह बन पाते और कई भोग िवलास म ही
िल रह जाते ह। कं तु जैसे ही वे दूसर से दया क अपे ा करते ह वे वयं को हमेशा तरस खाने के िलए कोसते
ह। संभवतः तब तक सब कु छ ठीक ठाक चलता है जब तक प रि थितयाँ बदतर नह हो जाती या अचानक आप
शारी रक प से अपंग या बीमार नह हो जाते। ले कन जैसे ही आपके मन म दूसर से मदद मांगने का याल
आता है तो आपक आ मा आपको िध ारने लगती है। बजाय इसके , अपने भा य को सराह और उससे उबरने का
दृढ़संक प कर।

(6) दृढ़ संक प और इ छाशि से माग श त करना


भा य म जो कु छ िलखा है उससे उबरने के आपके दृढ़ संक प का यह अथ नह है क आपको कु छ भारी क
उठाना पड़ेगा। के वल आपको नयी राह खोलने क आव यकता है अपने आसपास से शु करने क ज रत है।
वयं से पूछ क आप या करने म समथ ह और अपनी वतमान ि थित से या हािसल कर सकते ह। य द आपको
लगता है अब तक िवकिसत मता से आप कु छ करने के लायक नह ह तो अपनी दूसरी यो यता का पता
लगाएं।
बचपन म आप म कौन–कौन से गुण थे िजसक शंसा आपके दो त या िश क कया करते थे? संभवतः
आपम कु छ िछपी यो यता हो सकती है िजसे शायद आप वयं भी भूल चुके ह गे। आप ऐसी ही कसी मता का
पता लगाकर अपने िलए भावी पथ खोल सकते ह िजसका आपने अभी तक पूण उपयोग नह कया है।
मुझे याद है क मने िबना हाथ वाले कसी ि के बारे म दूरदशन पर एक वृत िच देखा था जो अपने
पैर से पट करता था। वह अपने पैर के अंगूठ के बीच पट ुश थामकर पेशेवर तर क पे टंग तैयार करता था। म
ब त भािवत आ। वह अपने पैर का इ तेमाल हर चीज के िलए करता था, िजससे पता चलता है क य द हम
अपना हाथ खो बैठ तो हम अपने पैर का इ तेमाल उस सीमा तक कर सकते ह जह तक उनसे हाथ के बदले
काम िलया जा सकता हो। यह कसी क असल जंदगी का उदाहरण है िजसने काफ यास कया है।
ब त से लोग, य द वे अपने हाथ के इ तेमाल म अ म हो जाए, िह मत हार कर बैठ जाते ह और वयं
उठने का यास नह करते और शेष जंदगी दूसर से अपनी देखभाल के िलए आि त हो जाते ह। कं तु, दूरदशन
म दखाए जाने वाला ि अलग था। वह दूसर पर आि त नह होना चाहता था। वह अपनी शेष मता से
दृढ़ िन य के साथ अपना माग ढू ंढने म समथ था। उसे प टंग पसंद थी अतः उसने पैर के इ तेमाल से पे टंग
करना शु कया और अ यास करने लगा। शु म उसे यादा कु छ हािसल नह आ कं तु घीरे –धीरे वह और
यास करने लगा, प रणाम भी अ छे होते चले गए ओर आिखरकार वह िच बनाने म कामयाब हो गया।
िबना हाथ वाला ि पटर बन सकता है, वह अपने पैर से ुश पकड़ने व पट िनचोड़ने म समथ था और
उसने असली िच बनाया। य द यह संभव है तो शारी रक दृि से हर कार से समथ ि अपने मि त क से
कु छ भी हािसल कर सकते ह। आपने संभवतः अपने माता–िपता या अिभभावक क मदद से िश ा ा क होगी
और य द आप शारी रक प से व थ ह तो ऐसा कोई कारण नह है क आप मि त क म िव मान क पना को
साकार प न दे सक।
आज, लोग को अपना मुकाम हािसल करने म शैि क सं थाएँ कई िविभ कार के पा म के ज रए
अनेक यो यताए और कौशल दान कर रही है। लोग बहाना बनाते ह और कहते ह क “म अपनी वतमान
प रि थितय म कु छ नह कर सकता” या “मुझम कोई ितभा नह है” कं तु य द वे वाकई कु छ हािसल करना
चाहते ह तो वे अपने ल य क ओर बढ़ने के िलए आव यक यो यताए ा कर सकते ह। उ ह ने कु छ हािसल नह
कया इसके पीछे कारण यह है क उ होने पया कोिशश नह क या अपने ल य को पाने के िलए उनम
इ छाशि का अभाव था।
आ य क बात है क अपंग ि य ारा कए गए यास और अपने ल य क ाि के िलए अपनायी गई
या काफ अद्भुत लगती है जब आपको पता चलता है क िवजयी होकर उ ह ने या हािसल कया है। अतः
जब आप ऐसे अपंग लोग के बारे म सुनते ह जो ितकू ल प रि थितय के बावजूद आगे बढ़ते ह, तो आप या
करगे? आप जो शि और ऊजा से भरपूर ह उ ह और अिधक मेहनत करनी चािहए और वतमान से कह अिधक
लोग को यार देना चािहए। िन संदह
े यह संभव है। आपक प रि थितयाँ िजतनी अनुकूल ह गी उतने ही अिधक
अवसर आपको दूसर क सेवा के िलए िमलगे। म इससे अिध क इस पर बल नह देना चाहता क इसका सदा
यान रखना कतना ज री होता है।

(7) अपरािजत बनने के तरीके खोज


म वयं हमेशा यह याद रखता ँ क िजतनी अिधक मेरी प रि थितयाँ अनुकूल ह गी म उतना ही अिधक अ य
लोग क मदद कर सकूं गा। य िप म और कड़ी मेहनत करना चाहता ,ँ कभी–कभी म महसूस करता ँ हर
ि क कु छ भी पाने क एक सीमा होती है।
इन सीमा का सामना करते ए म अपरािजत सोच कर सकता । य द मेरी शारी रक सीमाएं मुझे और
अिधक पाने से रोकती है तो मुझे बुि से काम लेना होगा। इसीिलए म और अिधक ाि के िलए नये–नये तरीके
खोजता रहता ।ँ यही आप लोग भी कर सकते ह। रचना मकता या दूसरे श द म आिव कार और खोज
अपरािजत सोच के मह वपूण त व ह। यह कहना सही है क हमारे सं थान का िवकास रचना मक खोज और
आिव कार क शृंखला पर आधा रत है। जब भी हमारे सम कोई दीवार या कावट आ जाती है हम उसे
लापरवाही से आगे नह धके ल देते। वरन्, हम बड़ी सावधानी से अगले कदम के बारे म सोचते ह।
शारी रक सीमा से या अथ है? अपरािजत सोच के आलोक म इसका सामा य अथ है आपके याकलाप
का दायरा सीिमत होना। अतः बुि का योग ज री है। जब आप काम पर कसी सीमा से आगे चले जाते ह?
उदाहरण के िलए, पहले सोच क आपके काय का कोई भाग ऐसा है िजसे आपको वयं करने क ज रत नह ।
या कोई और आपका वह काम कर सकता है ? यह एक दृि कोण है। दूसरा यह क िवशेष काय के िलए दूसर
को िशि त कर। ऐसा होता ही है क जो काम आप नह कर सकते उसके िलए दूसरे लोग को लगाना पड़ता है
और ऐसा करते समय संपूण काय के िवकास म आप सहयोग देते ह।
यह तरीका था कोनोसुके म सुिशता (1894–1989), पैनासॉिनक क खोज करनेवाले मुख जापानी ठे केदार
के काय करने का। उसका वा य अ छा नह रहता था और चूँ क वह सब कु छ अके ले नह कर सकता था उसके
पास अपना कु छ काम दूसर को स पने के अलावा और कोई चारा नह था। फल व प 1930 के शु म उसने
संसार म पहली बार एक िवभागीय णाली, एक वचािलत बंधन णाली क शु आत क । इस णाली म
कं पनी कई भाग म बंटी होती है और येक िनगम भाग का अपना शासन होता है, िजसे आज ावसाियक
शासन म पढ़ाया जाता है। इस तरह से येक िवभाग के मैनेजर को िज मेदारी देकर बड़ी िनगम भी सुचा प
से काय कर सकती ह।
य द कोई िनगम ऊपर से नीचे क बंध व था म काय करती है जह सब कु छ शीष पर बैठे ि ारा
तय कया जाता है अथात् समूचे कायकलाप एक ि क यो यता तक ही सीिमत होते ह तो िनगम का और
िव तार नह होगा और िवकास क जाएगा। कं तु, िवभागीय णाली से येक अनुभाग का लीडर एक छोटी
कं पनी के अ य के समान होता है और िनगम छोटी कं पिनय के समूह के प म काय करता है। इस णाली से
म सुिशता वे प रणाम हािसल करने म कामयाब रहे जो अ यथा असंभव थे।
अपनी शारी रक सीमा के कारण म सुिशता ने यह णाली ईजाद क और अब इसे समूचे िव म अपनाया
जा रहा है। यह अपरािजत सोच का बड़ा अ छा उदाहरण है। चूँ क वह सब कु छ अके ले करने म असमथ था अतः
उसने इसका लाभ उठाया। प रणाम व प अ य को और अिधक करने का मौका िमला और इस कार
म सुिशता ने एक कु शल कायबल तैयार कया। य द िनगम का अ य वयं ही सब कु छ करता तो उसके टाफ
को िवकास का मौका नह िमलता। म सुिशता ने अपने कमचा रय पर स पे गए काय को करने के िलए पूरी तरह
भरोसा कया और उसका काम पूरा होता चला गया। उसने सोचा क येक म मता है और य द वह लोग को
खुली छू ट देगा तो वे अव य ही कु छ न कु छ ब ढ़या बना सकगे। इससे एक बड़ी कं पनी का सृजन आ िजसम
हजार लोग काम करते थे।
यही शाखा–कायालय खोलते समय आ। जब म सुिशता ने मु य कायालय से लगभग 300 मील दूर नयी
शाखा खोलने का िनणय िलया तो वह उस पर सीधे िनयं ण नह रख सका । उसने एक 20 वष के नौजवान से
कहा “मुझे माफ करना, तु हारी मदद के िलए म ेन पकड़ कर नह आ सकता अतः तु हे मेरे िबना ही काम
चलाना होगा”। फर उसने नया कायालय चलाने के िलए नौजवान को भेजा।
अनुभव से, म सुिशता को धीरे –धीरे यह लगने लगा क लोग पर िव ास करके और उनको सब कु छ वयं
करने क छू ट देकर कु शल कारीगर बनाया जा सकता है। इस िमसाल का आप अनुसरण कर सकते ह। आपको
अपनी सीिमत मता के कारण समूचे काय या याकलाप को नह रोक देना चािहए। िज ह लोग सीिमतता
सोचते ह असल म िवचार क कमी है। लोग म काम करने क मता का अभाव नह होता वरन वीणता और
रचना मकता क कमी होती है।
म चाहता ँ क आप इस बारे म िवचार कर। आप वतमान म अपने को सव म प म मान सकते ह कं तु
ऐसा हमेशा नह रहता। जब ि थित अनुकूल नह होगी तो पुराने ढंग से काय करने के बजाय आपको थोड़ा
ककर वयं से पूछना होगा क या ि थित पर काबू पाने के कु छ अ य तरीके भी ह। ऐसा अ सर होता है क
जब भी आप अपने काम का दायरा बढ़ा लेते ह तो आप सब कु छ अके ले नह कर पाते अतः आपको दूसर क मदद
क आव यकता पड़ती है ।

(8) ि गत सीमा को पार कर


एक अ छा िवचार तभी काम करे गा य द आपक कोई मदद करे गा। मान ल क आपका पेशा क से गिलय म
मछली बेचना है य द आप के वल इसी म अपने को संतु मानते ह तो आप पूरी जंदगी मछली बेचते ए ही
िबताएंग।े कं तु य द आपको अपने वसाय का िव तार करना हो तो आप ऐसे तरीके खोजगे क अिधक से
अिधक लोग आपसे मछली खरीद। आप देखगे क कसी खास रहायशी इलाके म शाम 4 से 5 बजे जाने पर
काफ अिधक ाहक िमलते ह। नगर के दूसरे िह से म घूम–घूमकर बेचने क तुलना म उस एक घंटे म आप पांच
गुना अिधक कमा सकते ह। जब एक बार आपका कसी खास थान व समय क िब क संभावना का पता चल
जाता है तो यह वाभािवक है क आप इन समय म रोज जाया करगे।
तब आपको यह भी आ य होगा क या दन का कोई और भी समय है जब मांग अिधक होती है और पता
चलता है क काफ लोग जब घर आते ह तो उ ह पता चलता है क वे कराने का सामान लाना भूल गए ह। जब
एक बार आपको संभािवत मांग का पता चल जाता है तो आप दुकान खोलने के िलए एक उपयु थल क
तलाश शु कर देते ह और ऐसी जगह का पता लगाते ह जहाँ से लोग शाम के एक खास समय पर मछली खरीदने
के िलए आते ह। इस कार आप अिधक िब कर पाएंग,े बजाए इसके क आप पुराने तरीके से गली–गली फर
और लोग का आपके पास आकर मछली खरीदने का इं तजार कर। कु छ समय बाद आप एक सहायक रखने क
ि थित म ह गे। य द आप दो ह गे तो आप एक ही समय म अिधक मछली बेच पाएंगे। य द आप रहायशी
इलाक म जाएं जह काफ सं या म लोग आते ह तो आप अके ले संभाल नह पाएंगे। आपको ाहक को मछली
देना है, िबल जोड़ना है और लोग को खुले पैसे लौटाने ह। य द आप उनसे लंबा इं तजार करवाएंगे तो वे आप के
पास आना छोड़ दगे और अ य दुकान या सुपर माकट से मछली खरीदना अिधक पसंद करगे। कं तु य द आपके
पास सहायक होगा तो आप अपना यान ाहक को बेचने म लगाएंगे जब क आपका सहायक िबल जोड़ेगा और
पैसे लौटाएगा। इस कार आप अपना काम बांटकर अपनी द ता को दुगुना कर सकते ह।
जैसे–जैसे िब बढ़ेगी आप और अिधक लोग रख सकते ह। अब तक आपके पास के वल एक क था फर आप
दूसरा और तीसरा खरीदगे। समय गुजरने के साथ आप येक क म लोग क सं या बढ़ाएंगे और अपना
वसाय तब तक फै लाएंगे जब तक लगभग पांच क आपके िलए काम करने न लग जाएं।
अके ले काय करने पर आप मछली बाजार से हर रोज थोड़ी मा ा म मछली खरीद पाएंगे। कं तु जैसे–जैसे
आपका ापार फै लेगा आप थोक म मछली खरीद पाएंगे अथात आप कम क मत पर बेहतर क म क मछली
खरीद पाएंग।े अके ले म आप ित दन 20 से 30 बाँगड़ा मछली खरीद पाएंगे कं तु ापार फै लने पर आप सौ, दो
सौ यह तक क प च सौ ब गड़ा तक खरीद कर स लायर के साथ लेन देन कर अपनी ि थित मजबूत बना लगे
और क मत कम करवा लगे और चूँ क आप मछली कम दर पर खरीद सकगे तो आप उसे स ता बेच भी सकगे और
अपने ाहक को संतु कर पाएंग।े
जैसे जैसे आपके संगठन का िव तार होगा वह अिधक से अिधक कमचारी रखेगा और अ छी सेवाएं दे सके गा
और अिधक ाहक को संतु कर सके गा। िजतना अिधक बड़ा संगठन होता जाएगा उतना ही अिधक स ता लोग
खरीद सकगे और बेहतर क म का उ पाद खरीद सकगे। इस कार हर कोई खुश रहेगा फर एक सकारा मक
च शु होगा और ि थित और बेहतर होगी। जो कं पिनयाँ शु म कु छ नह थी वे बीस या तीस साल म ही
काफ तेजी से फै ली या िजसक शु आत कु छ कामगार से ई थी, बाद म उनक सं या बढ़कर हजार हो गई,
आ द ऐसे ापार के उदाहरण ह िज ह इस सकारा मक च से लाभ िमला है।
इसक शु आत इस बात से ई क आप संभावना का पता लगा सकते ह या नह । जो लोग िविभ
संभावना का पता नह लगा पाते वे तीस या चालीस साल मछली बेचते ए ही बीता देते ह। जो ब त सोच
िवचारते ह क कह और कब दुकान करना े होगा, ाहक क संतुि के िलए या ज री है और उ ह कै से
बेहतर सेवाएं दी जा सकती ह सकारा मक च से िवकिसत हागे और लाभ उठाएंग।े इन वसाय के िलए सब
कु छ ठीक चलेगा।
यही कारण है क एक ही ापा रक लाईन म एक कं पनी अ छा कर लेती है जब क दूसरी नह । एक ऐसी
ि थित हमेशा आती है जह से रा ता बट जाता है और प रणाम आपके ारा िलए गए अवसर और िन कपट
तरीक पर टक जाता है। िब बढ़ाने म असफल अ सी से न बे ितशत लोग अपनी सीमा के कारण अपने
वसाय क सीमा को भी सीिमत कर लेते ह। ऐसे भी वसाय ह जो एक प रवार म पी ढ़य से और उनम से
कु छ अपनी पूव ि थित कायम रखने तक ही सीिमत रहते ह। जब तक उनका ये रवैया रहता है उनका वसाय
नह फै लता।
मूलतः अिधकांश टोस जैसे कॉफ शाप, सडिवच बार और हैमबगर रे तरां एक ही क म के उ पाद बेचते
ह। कं तु जह कु छ दुकाने िवकिसत होकर रा ीय तर पर अपनी चेन दुकान खोल लेती ह वह दूसरी छोटे
थानीय टोस तक ही सीिमत रह जाती ह। इस अंतर के िनि त कारण ह। स ाई यह है क वे दुकान ही िव तार
करती ह िजनक सृजना मक सोच का इ तेमाल एक ि क मता से परे क ाि के िलए कया जाता है।

(9) सफलता ाि के दो राज।


िपछले भाग म म जो कहना चाहता था वह यह क “अभी तुरंत आप जीवन म आगे बढ़ने म अपने को असमथ
महसूस कर क तु या यही आगे न बढ़ने का एकमा कारण है? एक अके ले ि क उपलि ध क एक सीमा
होती है, अतः य द आप इस संसार म वा तव म सफल होना चाहते ह तो आपको अ य ि य का सहयोग लेना
होगा”। आपको अिधक से अिधक लोग क सहायता लेनी होगी। अिनवायतः सफलता के दो रह य ह।

(1) मांग का पता लगाएं।


पहला रह य सदा लोग क ज रत का पता लगाना है। आपको लोग क ज रत के ित हमेशा सतक और
संवेदनशील रहना होगा। ापार वह से शु होता है जह मांग होती है । तेजी से िवकिसत होनेवाली कं पिनय
क शु आत ऐसे कसी ि ने क होती है िजसने मांग को महसूस कया और उसे पूरा करने म लग गया।
जह मांग होगी वह सदा काम भी होगा। य द आप कड़ी मेहनत करके भी लाभ नह कमा पा रहे ह तो
इसका कारण है आपके ारा स लाई क जानेवाली व तु क कोई मांग नह है। उदाहरण के िलए य द आप िश ा
सं थान चला रहे ह और अिधक छा नह आ रहे ह और आपका गुजारा ब त मुि कल से हो रहा है तो इसक
संभावना अिधक है क पया मांग नह है और आप लोग क आव यकता को पूरा नह कर पा रहे ह। यही
अ य कार के वसाय पर भी लागू होता है। य द आप लाभ नह कमा पा रहे ह तो इसका संभािवत कारण है
क आपके ारा स लाई कए जानेवाला उ पाद थानीय मांग को पूरा नह करता।
एक पारं प रक जापानी के क, इमागावा–याक म मीठी सेम का पे ट होता है और हाल ही म एक के क शाप
ने क टड, चाकलेट और अ य चूण से भरकर नयी क म का के क तैयार कया। फल व प के क शाप काफ अ छा
वसाय कर रही है और अ छा लाभ कमा रही है। अपने मूल प म पारं प रक जापानी मीठी सेम का के क के वल
बजुग और ब को अिधक पसंद था क तु जब मािलक म और चाकलेट से भरी के क तैयार करने लगा तो
अ य उ के लोग भी उ ह खरीदने लगे। के क शाप के इतने अ छे से चलने का कारण ब त आसान है क उसने
अिधक से अिधक लोग क ज रत को पूरा कया।
इस उदाहरण से इस त य का पता चलता है क य द कसी खास व तु के िलए कोई मांग है तो वह काम
कया जाना चािहए। यही स य है चाहे आप वयं के िलए, कं पनी के िलए या घर पर काम कर। घर पर भी आप
अपने प रवार क ज रत का पता लगा सकते ह। य द मांग होगी तो कु छ भी करना साथक होगा। इसी त य को
सदा तलाशना चािहए।

(2) अिधक िवकास के बारे म सोच।


अगला, आपको िवचार करना होगा क या इस मांग का योग गोता–त ता के प म आगे िवकास के िलए
कया जा सकता है। य द आप ऐसा करते ह तो आपको यह जानकर आ य होगा क इसक काफ संभावनाएँ
रहती है।
वािपस उस दुकान का उदाहरण लेते ह िजसने म व चाकलेट से भरे के क तैयार कए थे, ारं िभक सफलता
के बाद के क शाप और अिधक नये उ पाद नह तैयार कर सक और इससे आगे िवकास क गया। मािलक अपनी
िपछली सफलता तक ही सीिमत रह गए और आगे वसाय क संभावना का पता नह लगाया। अब हालां क
वे सफल हो गए ह उ ह इस सफलता का योग और अिधक सफलता ाि के िलए गोता–त ता के प म करना
चािहए था। अगले चरण म बढ़ने क सदा संभावना रहती है।

(10) िव ीय शि मुि कल से उबरने क िह मत दान करती ह।


हाल क आप सोच सकते ह क आपक चंताएं मानिसक ह आ य क बात है क स र से अ सी ितशत
चंता को आ थक ि थरता से हल कया जा सकता है। आपको आ य होगा क यह कै से सच है।
मान ल क एक प रवार क यह िशकायत है क वे हमेशा थका आ महसूस करते ह। य द वे इसका हल ढू ंढे
तो यह बड़ा आसान है। इसका कारण हो सकता है क उनके दैिनक बदलाव म काफ समय लगता है। य क
उनके पास काफ धन नह होता प रवार शहर से दूर घर खरीदते है और फल व प उ ह रोज काफ लंबी दूरी
तय करनी पड़ती है तो यह कोई आ य नह है क वे सदा थके ए महसूस करते ह गे। य द प रवार के पास कु छ
पैसा होता तो वे कई कार के हल ढू ँढ सकते थे। वे कार खरीद सकते थे या कसी से वहाँ छोड़ने के िलए कह
सकते थे। इस कार क सम या के वल धन से दूर हो सकती है। कं तु धन के अभाव म दबकर वे काफ िशकायत
करने लगते ह।
पुनः एक क ठन ि थित फर आ सकती है य द घर म कोई ब ा या माता िपता बीमार पड़ जाए, कं तु इसे
भी कराए पर कसी क मदद लेकर हल कया जा सकता है। दूसरी चंता जो ब त से माता िपता को सता
रही है वह है क उनका ब ा कू ल म ठीक से पढ़ाई नह कर रहा कं तु कु छ मामल म इसका कारण है ब को
उिचत िश ा नह िमल पाना। य द उनके पास अिधक पैसा होता तो वे अपने ब को नामी कू ल म भेज सकते
थे कं तु वे ऐसा नही कर पा रहे ह। उनके ब े अपने भौितक मता का भरपूर िवकास नह कर पा रहे ह। य द
उनके पास अिधक धन होता तो वे अपने बेटे बे टय को ब ढ़या कू ल म भेज सकते थे।
इस आलोक म, हम देखते ह क अिधकांश घरे लू सम या का कारण धन है। यह हाल के वष मे िवशेषकर
स य है। अत: के वल चंता करने के बजाय आपको दशा सुधारने के िलए िवक प और हल को तलाशना होगा।
य द आपके कै रयर म कोई ठहराव आ गया है तो जी एन पी म वृि के साथ आप के वल अपनी आय म वृि क
आशा कर सकते ह या तो आपको उतने म ही संतु रहना होगा या अपनी ि थितयाँ बेहतर करने का तरीका
तलाशना होगा।
मान ल क आप िववािहत ह और आपक मजदूरी बढ़ने क संभावना नह है, शायद आप या आपका साथी
एक गौण आय कमाने का तरीका िनकाल। शायद आपम से कसी म कोई छु पी ितभा हो िजसका योग ि थित
बेहतर करने के िलए कया जा सकता है। ऐसे भी लोग ह िज ह ने खाली समय म पु तक िलख और बाद म उ ह
पता चला क जो कु छ उ ह ने िलखा उसक िब से धन आने लगा। कु छ अ य भी ह िज ह पता चला क उनम
कु छ ऐसी ितभा िछपी थी िजसका उ ह पता ही नह था या उनम खर कौशल था िजसके प रणाम व प उनके
वेतन म अचानक वृि ई। इसिलए कु छ नह कह सकते क खुशहाली कै से भी आ जाए।
अपने से सदा यह पूछना ज री होता है क या कोई ऐसा तरीका है िजसके खुलने से आपका माग श त
हो जाए। अपनी वतमान परे शािनय को अलं य मत मािनए वरन हमेशा आगे बढ़ने का मौका खोिजए और
परे शािनय पर काबू पाने के सरल तरीके खोज। वयं को ितकू ल प रि थितय म बहने मत दीिजए न ही अपनी
ि थित के िलए कोसते रह। बजाय ितकू ल प रि थितय को चुनौती के प म वीकार कर उसका योग आगे
बढ़ने के िलए गोता–त ता के प म कर और अिधक गित कर।

(11) अपने अपरािजत त व को पहचािनए।


या अपनी मता पर लगाम लगाना संभव है ? या अपने भूतकाल से शािसत होना चाहते ह ? या आपके
अपने बारे म द कयानुसी िवचार या धारणाएँ ह ? य द यह ि थित है तो दुभा य से आप उन द कयानुसी िवचार
से ही अपनी पूरी जंदगी समा कर लगे जो लोग वयं को सीिमत कर लेते ह वे अपनी ि थित से िनकलकर आगे
नह बढ़ सकते। अतः हम यह हमेशा िव ास करते ह क आप अपनी वतमान ि थित से बेहतर कर सकते ह। जैसा
मैने बार-बार प कया है क येक मौके पर इ छाशि ब त मह वपूण है। “आप वैसे ही बनते ह जैसा आप
सोचते ह।” यही शा त स य है अतः यह ज री है क आप अब से अपनी इ छाशि का अिधक योग कर।
इ छाशि का एक िवशेष पहलू भी है िजस पर म िवचार करना चाहता ँ । मने िव ीय ि थरता के बारे म
कहा है और मने कहा है क जब आप कसी सम या का सामना कर जो क धन के अभाव से उ प ई हो तो
आपको उससे उबरने क कोिशश करनी चािहए । कं तु अिधकांश लोग को हीन भावना क सम या सताती है जो
क शैि क उपलि धय या िपछली िश ा से संबंिधत है।
शायद ये अभी से आपको परे शान कर रही है। शायद आपके दमाग म दस साल पहले कसी खास हाई कू ल
या िव िव ालय न जा पा सकने का त य सता रहा हो । शायद आपने पूरी जंदगी इसी आड़ म िबता दी हो।
ऐसे कई लोग ह जो अभी भी अपने िपछले बीस या तीस वष क जंदगी के बारे म सोचते रहते ह। कं तु य द
बीस या तीस वष बाद भी आपम हीन भावना आ रही है तो अ य के ारा आपक िपछली िश ा को अ यंत
साधारण मानना वाभािवक है य क आप वयं ही अपने बारे म ऐसा मान रहे ह।
इस संसार म ऐसे कई लोग ह िज ह ने जूिनयर हाई कू ल से ातक के बाद कोई औपचा रक िश ा न पाने
के बावजूद अपने जीवन को सफल बनाया है। मेरा पूण िव ास है क उ ह ने वयं से यह नह कहा होगा, “मै
सीिनयर हाई कू ल इसिलए नह जा सका क माट नह था, अतः म छोटा काम ही कर सकता ।ँ ” एक बड़ी
जापानी िव ापी ापा रक कं पनी म एक ि थे जो सीिनयर हाई कू ल नह गए और इस पर भी वे अंत म
कं पनी के वाइस सीडट बन गए और सारा िव काय संभालने लगे। औपचा रक िश ा के अभाव म भी वे इस
पद तक प च ं गए जो यह दशाता है क अपनी इस ान क कमी को पूरा करने के िलए उ ह ने अ य से एक या
दो बार अिधक यास कए ह गे।
ऐसे भी कई लोग ह जो हीन भावना से िसत ह य क वे अपनी िव िव ालय क पढ़ाई जारी नह रख
सके । आज के लोग म बौि क यो यता के अभाव के कारण हीनभावना आना आम बात हो गई है कं तु य द कु छ
वष पहले ई घटना आज क असफलता का बहाना है तो आप अपने साथ होनेवाले असमान वहार के िलए
दोष नह दे सकते। य क आपके पहले कर सकने और तब से आज तक क उपलि ध ही मह वपूण है।
अिधकांश लोग िव िव ालय म सामा यतः चार साल के िलए पढ़ाई करते ह और वे वहाँ कतनी भी कड़ी
मेहनत य न कर वे इस थोड़ी सी अविध म सीिमत अ ययन ही कर पाते ह। य द आपको पढ़ाई क ठन लगती है
और आप दस वष तक अ ययन करते ह तो आप दस वष म मा टरी हािसल कर सकते ह िजसे अ य ने चार
वष म पाया होगा। य द आप दस वष म इसे पूरी तरह नह समझ पाते तो आप इसे बीस वष म अव य ही
समझ पाएंग।े आपको पढ़ाई कतनी ही क ठन य न लगे य द आप बीस वष तक यासरत रहते ह तो आप
कसी भी िवषय म मा टरी हािसल कर सकते ह।
अतः मह वपूण बात यह है क िश ा ाि के बाद आपने कै सा जीवन तीत कया और या आपने कु छ
ऐसे प रणाम हािसल कए िजससे आपम िव ास भर गया हो। अिधकांश मामल म लोग िश ा ा न करने का
बहाना बनाने लगते ह। कं तु म बताना चा गँ ा क उनक कमजोरी उनक अपया िश ा नह है वरन भूतकाल
म पड़े रहने क उनक सोच है।
य द आप वाकई परे शान ह और मानते ह क आपक िश ा अधूरी है तो उसक भरपाई करना और इसके
िलए समय िनकालना अ यंत ज री है। अिधकांश मामल म य द आप दूसर क अपे ा तीन गुना समय अिधक
लगाते ह तो आप अपना ल य पा लगे। य द कोई दूसरा दो या तीन वष म इसे हािसल करता है तो ऐसा कोई
कारण नह है क आप इसे दस वष म हािसल न कर सक। इसे न पा सकने का कारण यास और दृढ़िन य क
कमी होना है।
हर कोई कसी न कसी हीन भावना से िसत होता है। य द आप अपनी जंदगी अपनी अपया ता म ही
समेटे रहते ह तो अ य आपको अव य ही हीन भावना से िसत मानगे। जब आप अपनी हीन भावना से उबरने के
िलए पया यास करगे तभी इससे िनकल सकते ह। मुझे आशा है क आप इस तरह के याल का सहारा नह
लगे।
औपचा रक िश ा न पा सकनेवाले लोग म एक बात समान होती है वे सबके साथ सामा य नह रह पाते
और पूरी बात नह समझ पाते। आप आ य करगे क ऐसा य होता है। इसका कारण है क वे कू ल छोड़ने के
बाद, वे एक खास क म का काम करने लग जाते ह या उ ह एक ही कार के काय करने का अनुभव है। अिधकांश
मामल म उ ह अपनी िविश ता का ही याल रहता है चूँ क वे बुिनयादी सामा य िश ा से वंिचत होते ह और
उनका ।दृि कोण ापक नह होता। जैसे कसी पेड़ क शाखाएँ िबना तने के नह बढ़ सकती उसी कार
बुिनयादी िश ा के अभाव म वे दूरंदश
े ी नह होते। यही उनक कमजोरी है।
य द आप इस बात से चंितत ह क आपक कमजोरी आपक बुि के कारण ह तो सव थम अपनी मता
को सीिमत मत मािनए। वरन इसको सीखने का यास कर, ापक दृि कोण अपनाएँ और िविभ िवषय को
समझ। एक बार जब आप ऐसा करने म समथ हो जाएंगे तो आप हीन भावना से बाहर िनकल आएंग।े
मानव सुख का अनुसंधान सं थान ( हैपी साइं स ) म हम िविभ चरण म आयोिजत सेमीनार म स य
समझने का मौका िमलता है इसम तीन िभ परी ण होते ह और इन परी ण के प रणाम से ि क शैि क
पृ भूिम का पता नह चलता। ऐसे कई लोग ह िज ह ने कू ल म काफ मेहनत क कं तु समय गुजरने के साथ
उनक कु शा बुि ीण होती चली गई। दूसरी ओर ऐसे भी कई ह जो शु म खर बुि के नह थे कं तु बाद म
वे तेज हो गए। इ ह पता नह चला क वे कब ातक के बाद दस या बीस वष म इतने बुि मान हो गए कं तु
उनसे हािसल प रणाम से यह रह य खुला क कू ल से ातक के बाद कै से उ ह ने अपनी खर बुि को बढ़ाया।
मेरी स े मन से आशा है क आप वयं को अपने तक ही सीिमत नह रखगे और मेरा पूण िव ास है क आप
वैसा ही बनते ह जैसा आप सोचते ह। इसे आज ही अपने जीवन म ढाल और अपने िवचार को आव यक यास
लगाने म बदल। धीरे –धीरे बढ़ते रह, एक–एक कदम, मानो आप सीढ़ी चढ़ रहे ह या एक एक पौढ़ी बढ़ रहे ह ।
लगातार बढ़ते ए मेरा प ा िव ास है क आपके सम एक राह खुल जाएगी और आप वयं को पहचानगे जो
सदा ही िवजयी और अपरािजत होगी।
भाग दो

अपनी सोच म ांितकारी प रवतन लाना


2:अपनी सोच म ांितकारी प रवतन लाना।

(1) नये िवचार को ज म देने का मह व।


इस अ याय म, म, हम सबके सोचने के ढंग के मह व के बारे म बात करना चाहता ँ । आपने पहले भी कई
धा मक पु तक का अ ययन कया होगा और पाया होगा क उनम से अिधकांश पु तक अ छे और बुरे, पाप और
पु य, सद्िवचार और दुरिवचार, स काय और बुरे काय और अ य दोहरे पन पर के ि त होती है। हर धम म यह
दोहरे पन क ि थित होती है और मानव जाित के िवषय म बात करने पर वे उ ह इस सीख के साथ अ छे और बुरे
म बाँट देती है क वे अपने अपने काय के अनुसार वग या नरक म जाते ह।
अ या म म िच रखनेवाले लोग ज द ही अ छे और बुरे का अंतर जान लेते ह और इसीिलए वे दो प म
सोचते ह। फल व प, उनम सभी चीज को प प म बांटने क वृि होती है। कु छ तब तक िन ंत नह
होते जब तक वे अपने आस पास के लोग और प रि थितय को अ छी और बुरी चीज म नह ब ट लेत।े खेद है
जब आप संसार को इस नजर से देखते ह तो उन बात या चीज को भूल जाते ह िजनम ब त शि या
संभावनाएं होती ह। यह एक बड़ा नुकसान है।
उदाहरण के िलए मान ल क दूसरे लोक से उड़नखटोले म आनेवाले ाणी कसी देश म बरसात म अवतरण
करते ह। संभवत: वे अपने अंत र यान से उतरकर वयं सोचने लग, “हम इतनी दूरी तय करके आए और इस ह
म कु छ नह के वल बरसात है। यहाँ हमारे िलए कु छ नह है, िजतनी ज दी हो सके यहाँ से चलो।” इस ह से
असंतु होकर वे िबना िवचारे चले जाएंग।े वे संभावना का, पृ वी क मता का या यहाँ अपने लायक
काय को नह जान पाएंग।े कं तु, इस त य के बावजूद क पृ वी पर कभी–कभी बा रश भी होती है और ऐसे भी
मौसम आते ह जब दन ब त सुंदर और उ वल होते ह वे वािपस चले जाते है। यह उठता है या अ य
लोकवािसय को इसका पता है। य द उ ह मनोहर बसंत ऋतु को अनुभव करने का मौका िमले तो वे इस ह को
बुरा नह मानगे और इसे रहने लायक समझगे, कं तु य द वे ऐसे दन अवतरण करते ह जब बा रश हो रही है और
वे सीधे यह मान ल क यह पृ वी रहने लायक नह है तो सारी अगली संभावनाएं धरी क धरी रह जाती है।
अपने पूवकि पत िवचार के साथ वे सभी भावी संभावना को नकार देते ह और अपने अंत र यान से
उड़ जाते ह, एक बार फर अंत र से कसी दूसरी जगह क तलाश करते ह। इसके िलए उ ह काफ यास करना
पड़ता है। य द वे पृ वी पर ही कम से कम एक माह रहते तो बरसात समा हो जाती। कं तु इतना लंबा इं तजार
न करने के कारण वे अंत र म अनेक वष तक या ा करते रहते ह। इस कार का रवैया अनाव यक परे शानी
पैदा करता है।
मने बाहरी लोक के ाणी का एक उदाहरण दया है कं तु मुझे िव ास है क आप भी ऐसा ही करते।
उदाहरण के िलए य द आप िववािहत ह तो या आपने कभी सोचा क य द आपने कसी और से शादी क होती
तो अिधक खुश रहते ? ईमानदारी से जवाब द। मेरा िवचार है क पचास ितशत िववािहत ि सोचते, “ क
काश मेरी प ी कोई दूसरी होती,” या “काश मैने कोई दूसरा पित चुना होता।” हाल क मैने कहा पचास
ितशत से अिधक कं तु हो सकता है अ सी या न बे ितशत से अिधक जोड़े ायः ऐसा ही सोचते ह ।
उ ह पता है क उ ह ऐसा नह सोचना चािहए कं तु अपने दल के कसी कोने म वे महसूस करते ह क काश
वे अपना साथी बदल सकते, या काश य द उ ह ने पहले देखा होता तो वे शायद पूणतः अलग जंदगी का मजा
लेते। वे दशाि दय तक सोचते रहते ले कन कोई फायदा नह होता। हालाँ क वे इसे न जान सक कं तु उनक सोच
ठीक अंत र से आनेवाले ािणय क तरह ही होती है िज ह ने बरसात म पृ वी पर अवतरण कया था।
इस ि थित म अपने नज रए को बदलना ज री है, दूसरे श द म एक नयी सोच अपनाएं। हमेशा अपने आप
से पूछ क या ि थित को देखने का कोई और भी तरीका है। दूसरी मह वपूण बात है ि थित सुधारने के नये
तरीक का पता लगाने के यास करना। इसको अमल म लाकर देखना ज री है।
(2) तीसरे िवक प क तलाश।
अपनी सोच म “ ांितकारी प रवतन लाने” का िवचार काफ क ठन लगे कं तु उसका वा तिवक अथ है काम
करने के नये तरीके खोजना। यह सभी कार के लोग पर लागू होती है।
चलो म आपको बताता ँ क यह कै से लागू होता है । िपछले कु छ वष से जब भी म दशक के सम बोलने
के िलए खड़ा होता ँ तो ऐसा कई बार होता है। इसी दौरान म कताब भी िलखता ।ँ लेखक य द बारं बार
िलखने का खाली थान छोड़कर आगे िलखने क कोिशश करे तो उ ह िलखने म बड़ी क ठनाई होती है। ये बात
सभी लेखक पर लागू होती है इसका सामा य कारण है क वे लेखन के िलए समय नह दे पाते। इसे पूरा करने के
िलए वे ायः पहाड़ क अ य या ा करते ह ता क वे िछप सक या कु छ समय के िलए कही चले जाएं। फर वे
अपने काम म लग सकते ह। जब तक वे सामािजक िज मेदा रय को कम नह करते तब तक वे नह िलख सकते।
अ य के समान ही ये मुझ पर भी उतना ही लागू होता है। म इस उलझन म फं सा ँ क म ा यान दूँ या
लेखन काय क ं । कं तु ि थित को दूसरे नज रए से भी देखा जा सकता है, म वयं से पूछना चाहता था क या ये
दोन याकलाप एक दूसरे के िवपरीत ह या एक दूसरे के अनुकूल। तब मुझे पता चला क दोनो को ा कया
जा सकता है।
आप समझ जाएंगे क यह सब कै से संभव होता है जब म कहता ँ क म ा यान क एक शृंखला पूरी कर
म उनसे एक पु तक तैयार करता हॅू।ं यह पु तक “अपरािजत सोच” मेरे चार ा यान पर आधा रत है। म हर
दो या तीन स ाह म एक ा यान देता ँ और येक बार लगभग एक घंटे बीस िमनट का भाषण देता ।ँ इसके
बाद इन ा यान को एक कर एक पु तक तैयार करवाता ँ । इस तकनीक का योग कर म पु तक का
िनमाण करता ँ और इस कार िलखने के िलए मुझे वयं को एक कमरे म बंद करने क आव यकता नह पड़ती।
इस दुिवधा को समा करने का यह भी एक तरीका है।
आप आ य करते ह गे क या सभी लेखक इसी कार पु तक तैयार करते ह, नही वे ऐसा नह करते।
इसका कारण है उनक मौिखक और िलिखत भाषा एक सी नह होती, इसिलए यह पया नह है क कसी
बातचीत को िल यांत रत कर उसे कागज पर उतारा जाए। लेखक उिचत लेखन शैली का योग करना चाहते ह
ता क वे चुने गए िवशेषण , संयोजक और अंितम वा य से अपनी खास शैली रख सके । जब तक वे इन सब बात
का याल रखगे तब तक वे मौिखक श द को कागज पर नह उतार पाएंगे और वे अपने ा यान को संकिलत
कर पु तक नह तैयार कर पाएंग।े
कं तु इसम भी छू ट के उपाय है, मौिखक भाषा का सव े योग कर और लेखन शैली से लगाव छोड़ द।
ऐसा कोई ज री नह है क कोई पु तक आदश प म ही िलखी जाए। जहाँ तक सरल भाषा म पाठक तक पु तक
क िवषयव तु प च ँ जाए वही काफ है। अ यास से इस प म अ छी पु तक तुत क जा सकती है और
अिधकांश लोग के इसे असंभव मानने का कारण यही है क वे पूरी तरह सािहि यक शैली से िचपके रहते ह। य द
वे इसे छोड़ द तो कोई कारण नह है क जन भाषा और लेखन क भाषा अनुकूल न हो।
िन संदह े , कु छ सीमा तक वीणता होनी चािहए। य द कोई एक ा यान कसी पु तक का अ याय बनता
है, उदाहरण के िलए, मेरे पास डेढ़ घंटे तक लगातार भाषण देने क साम ी है। म प करता ँ क यह कै से
संभव है। अपने िपछले िश ण के फल व प म कसी भी पु तक के येक पृ क कु छ लाइन पढ़कर उस पर
लाल पेन से िनशान लगाकर और िनशान लगे ए सभी लेख को याद कर सकता ।ँ हालाँ क म अिधकांश पाठ
याद नह रख सकूं गा। कं तु पु तक का सार मेरे मि त क म रहेगा िजसे म जब चाहे मरण कर सकता ।ँ इसी
तरह से मेरी याददा त काम करती है।
इसम अपने को अ य त करके म भाषण देते समय मानिसक तौर पर लाल याही वाली पंि य को भी
जोड़ लेता ।ँ इससे मेरा अिभ ाय है म यह बता सकता ँ क पु तक प म िल यंतरण के बाद मेरे भाषण के
कन अंशो को पाठक लाल याही से िचि नत करना चाहगे। य द येक पृ पर ऐसी लगभग दो पंि याँ याद
रखने लायक ह तो एक अ छी पु तक तैयार हो जाएगी और पाठक यह महसूस नह करगे क उ ह ने यह पु तक
पढ़कर अपना समय गंवाया। इस कौशल को िश ण ारा बढ़ाया जा सकता है।
इस तरीके से म अपने जीवनकाल म अपनी सोच म ांितकारी प रवतन ला सका ँ । हाल क आप मेरी
वाली ि थित म नह ह और आपके पास मेरे समान अवसर भी नह है यही दशन है िजसका योग आप भी
अपनी जंदगी म कर सकते ह। य द आप अपने दल म झांक तो आपके भीतर दो अंतः ेरणाएं एक दूसरे के
िवपरीत िमलगी।
मान ल क दो िवक प ए और बी ह य द आप ए करना चाहते ह तो िवक प बी को अलग रखना होगा।
य द आप बी का चयन करते ह तो िवक प ए को छोड़ना होगा। हर कोई इन दुिवधा को झेलता है और इससे
यह काफ चंता का िवषय है। उदाहरण के िलए, मान ल क आप अपने सं थान म कसी सेमीनार म जाना
चाहते ह, कं तु य द आप जाते ह तो आपका साथी पीछे छोड़ जाने पर थोड़ा ाकु ल होगा और इससे घर म
असामंज य हो जाता है। य द आप न जाने का िवचार करते ह तो आपके साथी के साथ आपका संबंध अनुकूल
रहेगा कं तु आप िनराश हो जाएंगे य क आप वाकई जाना चाहते थे। इस कार क कई ि थितय का आपने
सामना कया होगा, इस मामले म, आप अपने साथी को सेमीनार म लेकर जा सकते ह, या इस धमसंकट से
िनकलने का कोई दूसरा िवक प खोज सकते ह।
जब आप इस कार क दो िवपरीत इ छा या आव यकता से अपने आपको िसत पाते ह तो अपने को
उस मोड़ तक प च ँ ने मत दीिजए जह आपको कोई एक चुनना पड़े। वयं सोच क दो िवपरीत त व को एक
साथ लाने का कोई न कोई तरीका है या कोई तीसरा िवक प भी है िजससे आप इस सम या से ही बच सकते ह।
आपको सम या से िनकलने के िलए के वल नये तरीके तलाशने ह गे। य द आप इस सम या पर काबू पाने के िलए
लगातार नये तरीके खोजने का यास करते रह तो िन य ही आपके सामने एक माग खुल जाएगा।
िजतना आप अिधक अ यास करगे उतने ही अिधक नये तरीके आकर आपको इस दुिवधा से उभारगे। इस
कार क दमागी कसरत ज री है और य द इस ढंग से सोचने क आदत डालगे तो आपके मि त क म नाटक य
ढंग से अ छे–अ छे िवचार आने लगगे। ऐसा करते समय आप म अ छा कौशल भी आएगा।
एक बार आपम ये मता आ जाएगी, तो आप जब भी कसी सम या से उलझगे तो आप वयं ही कहगे,
“ठीक है, सम या इसम और इसी म है। दो िवपरीत संभावनाएं होती है कं तु य द म इस सम या पर इस ढंग से
काबू पा लूँ तो सब कु छ ठीक–ठाक हो जाएगा । य द ये काम नह करगे तो म दूसरा िवक प आजमा सकता ।ँ ”
इस कार आप कु छ ही पल म हल िनकाल लगे और आपके पास और सम या नह रहेगी, के वल संभािवत हल
क आशाएं रहगी। य द पहले हल काम नह आता तो आप दूसरा संभािवत हल िनकाल सकते ह और फर
तीसरा। इस कार आिखर म आपको कोई परे शानी नह रहेगी।
य द आप यह दमागी कसरत कर लेते ह तो आपके सम अ छे और गलत प रणाम के बीच चयन का
नह उठे गा, आप जान जाएंगे क आप अपने माहौल और अपने आसपास के संबंिधय म िजस भी सम या का
सामना करगे तो एक िभ दृि कोण से आप उसका हल िनकाल लगे। यह एक रोचक अनुभव है।

(3) सकारा मक सोच के िलए िवपरीत ढंग से सोच।


जब हम दमागी कसरत पर बात कर रहे ह तो म काय थल पर द ता के बारे म िवचार करना चा ग ँ ा। हालाँ क
आप अपने काय थल पर कड़ी मेहनत करते ह कं तु कई बार आप महसूस करते ह क आप अपना सारा काम पूरा
नह कर पा रहे ह। अिधकतर, जो लोग ऐसा सोचते ह वे आदत से मजबूर होते ह और काय थल पर उनक
द ता अ यंत कम हो जाती है।
इस कार के ि नह जान पाते क बैठकर कै से जीवन का मजा लेना है और सामा यतः गम क छु य
नह लेते। संसार के कु छ भाग म ये संबंधो पर असर डालती है। मुझे िव ास है क ऐसे भी लोग ह िज ह अपनी
छु य के दौरान भी काम करना पड़ता है जो ठीक नह है। इस कार के रवैये के कारण यह कोई आ य क बात
नह है क कु छ लोग छु ी नह लेते। वे दूसर को छु ी पर जाने के िलए कह देते ह ले कन वयं ऐसा करना
असंभव मानते ह। ये धीरे –धीरे उनके मि त क म तब तक मवाद क तरह भरता रहता है जब तक ये उनके िलए
सजा नह बन जाता। ऐसे लोग अ य लोग का काम भी करने के िलए त पर रहते ह और फर दुःख झेलते ह।
प रणाम व प वे अपना काम भी पूरी द ता के साथ नह कर पाते।
िवचार क ऐसी ि थित म या होगा य द आपको आगे बढ़कर छु ी लेनी हो। यह तक क कं पिनय म भी
जह तीन दन का अवकाश भी अिधकतम माना जाता है और उससे अिधक छु ी लेने पर िववाद हो जाता है, पूरे
स ाह छु ी लेने क सोचते ह। य द आप पूरे स ाह क छु ी ले लेते ह तो सबसे पहली बात आपके मि त क म यह
उठे गी क आपके डे क पर पूरे स ाह का काम इक ा हो गया होगा जो आपके सहक मय और आपके ाहक
दोनो के िलए मुि कल बढ़ाएगा।
अगली बात आप यह सोचगे क दूसरे आपके बारे म या सोचगे। यही मूल कारण है िजसक वजह से आप
कोई छु ी नह लेते। आप अपने को सु त या वाथ कहलवाना नह चाहते। पुनः आप यह भी सोच सकते ह क
दूसरे चोरी–िछपे आपक िशकायत कर दगे क उ ह अपना काम छोड़कर पहले उनका काम करना पड़ता है अतः
आप िनणय लेते ह क आप कोई छु ी नह ले सकते। मेरे िवचार से यही मु य कारण है क ऐसे लोग छु ी नह
लेते। अंत म वे ब त के आगे झुक जाते ह और के वल दो दन क छु ी से ही संतु हो जाते ह।
कं तु सोचने का एक दूसरा ढंग भी है। य द आप ऐसी ि थित म आ जाते ह तो वयं से पूछ क या कोई
ऐसा भी तरीका है क आप अपने सहक मय पर अिधक बोझ डाले िबना छु ी ले सकते ह और फर भी लाभ म
रहगे। असल म ये संभव है। उदाहरण के िलए, य द आप अग त म छु ी लेना चाहते ह और उससे पहले अपना
सारा काम समा करना चाहते ह। य द आप यास करगे तो आपके िलए ये संभव हो जाएगा। तब तक अपने
आपको लगाए रख जब तक आपके पास कोई काम शेष न रह जाए। जब तक लगे रह जब तक आप अपने आस–
पास देखकर यह न कह, “काम ?मेरे पास तो कोई काम नह है। मने वष के आिखर तक का काम समा कर िलया
है।” इसे पाने के िलए, आपको अगले माह के िलए बड़ी िनपुणता से काम करना होगा। हालाँ क अग त तक आप
अपना सारा काम समा कर लगे ले कन उससे पहले आपको अपनी डे क का काम िनपटा देना होगा। य द आप
समय से पहले भी अपना काम समा कर देते ह तो भी छु ी से वािपस आने पर आपको ई यालु सहक मय क
आलोचना सुननी पड़ सकती है अतः आपको संतबर का भी सारा काम समा करने का यास करना चािहए।
इसका अिभ ाय है आपको पहले ही ब त अिधक काम करना होगा।
एक बार जब आप इसे संभाल लगे आपको पता चल जाएगा क हाल क आप अपने को ब त त समझते
ह और कई महीन तक भी आपके पास काफ काम पड़ा रहता है असल म ये आपका म है। स ाई यह है क
अनजाने ही आप डर गए थे क य द आप कड़ी मेहनत करगे तो चीज आप से बेकाबू हो जाएंगी इसीिलए आप
अपना कु छ काम अलग रख दया करते थे। आप चंितत रहते थे क येक दन आपके पास इतना काम नह
रहेगा क आप त रह। इसिलए आप औसत प से काम करते ह ता क काम चलता रहे। कं तु आप अपना
दमाग लगाएंगे तो आप संभवतः सारा काम समय से पहले ही कर लगे।
कु छ लोग म छु ी पर चले जाने पर अपराध बोध क भावना आ जाती ह कं तु उ ह इस अपराध भाव का
उपयोग और कड़ी मेहनत क ेरणा के प म लेना चािहए। य द आप यह सोचगे क छु ी से वािपस लौटने पर
आपके सहकम आपको िचढ़ाएंगे तो आप और अिधक मेहनत कर। तब न के वल आप वष के अंत तक अपना काम
ख म कर लगे वरन आगामी वष के माच तक आप अपने डे क का काम भी िनपटा लगे। एक बार जब आप यह
सब पूरा कर लगे तो आपको और कसी से कु छ सुनने का डर नह रहेगा। सही रवैया अपनाकर िजसे आपने एक
कावट समझा था उसे और बड़ा काम करने के िलए नौका के प म ेरक मान सकते ह।
छु ी लेने पर एक अ य सम या यह आती है क आप ऐसा सोचने लगते ह क अगर आप नह ह गे तो आपके
सहक मय को अपना काम करने म क ठनाई होगी ले कन आपको इसे यह प करने का अवसर समझना होगा
क आपके या काम ह। संभवतः आप दूसर पर अिधक यान दए िबना अपना काम िनपटाने म समथ ह गे कं तु
य द आप नह जाएंगे तो आप दूसर को यह समझने का प मौका दे दगे। य द कसी और को आपका फोन
सुनना पड़े और आपका काम करना पड़े तो वे आपको वहाँ उपि थत मानकर ही काय कर सकगे।
इसे पाने के िलए आपको एक िनयम पुि तका तैयार करनी होगी जो सब कु छ प और संि पम
समझाए। यह कहने म समथ बन, “इस ि थित को इस तरह से संभाल।” ता क अ य लोग एक झलक म ही बता
सक क आपके काम को पूरा करने के िलए उ ह या करना है। अतः अपनी छु ी पर जाने से पहले सभी चीज क
सूची बना ल और कह, “अभी इस ण हमारे सम ये सम याएं ह, इसे इस ढंग से सुलझाने क कोिशश कर। य द
आप अमुक ि से कोई फोन सुनते ह तो यह कह”, इस ढंग से सब कु छ प हो जाएगा और आप अपनी छु ी
पर जा सकते ह।
कं तु य द आपको इन सब झमेल म नह पड़ना है और बस िबना तैयारी के अपने सहक मय को यह कहकर
छु ी पर चले जाना है, “ओ ! म तो कल से छु ी पर ँ , फर िमलगे।” तो आपके सहकम अव य ही नाराज हो
जाएंग। य द वे आपके कसी ाहक के संबंध म कोई जानकारी हािसल करने के िलए फोन सुनगे िजसके बारे म
आपने पहले से न बताया हो तो बाद म आप उ ह अपने से ई या या िचढ़ रखने का दोषी मानगे। लोग आप पर
िव ास नह करगे और वयं को ही दोष दगे।
आप देख सकते ह क जो आपके अपने काम के िलए हािनकारक या आपक अपनी हैिसयत से मेल नह
खाता, व तुतः आपक द ता या आपके काय का तर बढ़ाने का काम करता है। आप कसी भी े म काम य
न कर रहे ह , यह हमेशा लागू होता है। य द आप कसी टोर म काम करते ह और पूरे दन भर एक के बाद एक
ाहक िनपटाते ह तो आप अपने को त समझ सकते ह और दूसर से िशकायत कर सकते ह क आप कतने
त रहते ह। कं तु य द आप इस मामले पर थोड़ा िवचार कर तो आप जानगे क वा तिवक तता क
अविधय च म आती है। आप सोच सकते ह क आपको भी ऐसा समय िमलता है जब आपके पास कोई काम
नह होता। जब आप पाते ह क आपके काम म मंदी छाई है तो आप अपनी वीणता का योग कर इस समय का
सदुपयोग कु छ और करने के िलए कर सकते ह।
उदाहरण के िलए जो लोग कै फे टे रया या रे तरां म काम करते है वे अपने को त मान सकते ह कं तु
व तुतः वे के वल दोपहर से दो बजे तक ही त होते है। अगली त अविध शाम
के पांच बजे तक शु नह होती। इस दौरान सु ती छाई रहती है। य द उ ह अपना कायभार सही प से
संभालना है तो वे दोपहर म कु छ घंटो के िलए छु ी पर जा सकते ह। जािहर है क य द आप उ ह ये सुझाव दगे
तो वे कहगे क वे शाम क भाग दौड़ से बचने के िलए पूरी दोपहर लगे रहे। संभवत: वे शाम के िलए सुबह तैयारी
करे । पुनः वे आपसे कहगे क सुबह वे दोपहर के काम क तैयारी म लगे थे कं तु असल म अिधकांश ने इस पर कु छ
सोचा नह था। उ ह ने मा ये मान िलया था क इसी तरह से काम कया जा सकता है कं तु एक ही समय म वे
ब त कु छ कर ल तो पूरे दन म उ ह काफ खाली समय िमल जाएगा। ऐसे कई उदाहरण ह और म आप सभी से
क ठन प रि थितय से िनकलने के िलए तरीके खोजने क गुजा रश क ं गा। ऐसा करते ए म चा ग ँ ा क एक
समय म एक बार आप अपने को चंता मु कर ल।

(4) असफलता का योग बचाव नौका के प म कर।


आपके जीवनकाल के दौरान, ऐसे कई ण आएंगे जब आपको आगे बढ़ने या पीछे दाय या बाय ओर के पथ पर
जाने का िनणय लेना पड़े। ऐसे मौक पर, जो लोग के वल हाँ–नह के फे र म पड़ जाते ह वे िनराशा के भवर जाल
म फं स जाते ह और ायः हतो सािहत हो जाते ह। इसिलए अपने िनणय लेने क मता को हॉ या ना िवक प तक
सीिमत रखने के बजाय म चा ग ँ ा क आप तीसरे िवक प के चयन का यास कर। ऐसा अ यंत मह वपूण है और
इस कार से सोचने म स म लोग और इस कार से न सोच पाने के लोग के बीच अंतर काफ अिधक होता है।
“बै टंग औसत” का िवचार जो बेसबाल म होता है उसे आप जीवन म नह अपना सकते, कं तु म कह सकता
ँ क जो लोग तीसरे िवक प को तलाशते ह उनका भी कम से कम तीस ितशत “बै टंग औसत” होता है। या
जीत के ितशत के पक का योग करने पर जो लोग तीस से चालीस ितशत समय जीत लेते ह अथात वे
जीतने से अिधक हारते ह, इस ढंग क सोच को अपनाकर अित र तीस से चालीस ितशत तक अपनी जीत
बढ़ा सकते ह, चाहे वे सौ ितशत समय न जीत पाएं।
हालाँ क अंितम प रणाम आपके आशा के अनुकूल न ह कं तु आपक सोच अगले चरण म आपको अव य
सफलता दान करे गी। उस मौके पर आप असफल हो सकते ह और कह सकते ह, “हाल क अपनी सोच म
ांितकारी प रवतन लाकर मैने अपनी पूरी कोिशश क है, ले कन मेरी आशा के अनुकूल काय संप नह आ।”
कं तु सभी संभािवत िवक प को सोचने म कए गए यास पूरी तरह थ नह जाते जब आप एक वष, दो वष
या प च वष म कसी िभ सम या का सामना करते ह तो आपको दूसरी ि थित म वैकि पक हल िमल जाएंगे।
इस यास का लाभ यह होगा क जब एक बार आप अपने िवचार को प कर लगे तो आप अपने िवचार का
योग अगली बार कर सकते ह।
“अपनी सोच म ांितकारी प रवतन” को दूसरे दृि कोण से भी प कया जा सकता है। इसका अथ है इस
ढंग से सोचना क येक ि थित आपके िहत म रहे, यहॉ तक क असफलता भी। यह एक वृि है जहाँ चाहे कु छ
भी य न हो जाए आप उसे आगे बढ़ने के मौके के प म ले सकते ह। य द आप असफल हो जाएं तो आप िवचार
कर क आप आगे सकारा मक सोच क ाि के िलए इसे लीवर के प म इ तेमाल कर सकते ह। यह एक पहलू
है जब आप अपने नज रए को काय प दे सकते ह। िवचार क आप अपने सभी ोत को कै से अपनी प च ँ के
भीतर रख सकते है। कु छ भी न नह होता, आप अपने जीवन क येक घटना और ि थित का योग कर सकते
ह।
यही लोग पर भी लागू होता है। संसार मे कु छ ऐसे लोग होते ह िज ह आप पसंद करते ह और कु छ को नह ।
जब आप अपने कसी पसंदीदा ि के साथ होते ह तो आप स िच रहते ह। दूसरी ओर जब आप कसी ऐसे
ि के साथ रहते ह िज ह आप नापसंद करते ह तो वे आपके ि गत गु बन जाते ह, य क आप इसे
जानने के िलए िव तृत अ ययन कर सकते ह क आपको उनका ि व इतना ितकू ल य लगता है। अतः
मानव वभाव के बारे म अिधक जानने का अवसर भी िमले तो आप भा यशाली ह। कोिशश कर पता लगाएं क
वे इतनी अिधक गलितय य करते ह, उनका ि व आपको इतना नापसंद य है, वे इतनी खराब बात य
करते ह या हर चीज के िलए उनके िनराशावादी िवचार य ह। य द आप उनके ि व के येक पहलू का
अ ययन करगे तो आप उनसे ब त कु छ सीख पाएंगे।
दूसर के अ ययन से आपके ारा सीखे गए सबक आपके िनजी धरोहर बन जाते ह। अपनी धरोहर को मा
बक म रखा गया धन न मान। अपने ि गत अनुभव व दूसर के िनरी ण से जो कु छ सबक आपने सीख ह और
आ मसात कए ह वे आपक अपनी “धरोहर” ह िजसे आप मौका देखकर इ तेमाल कर सकते ह। िजनके पास यह
“अमानत” िजतनी अिधक होगी वे जीवन म उतना ही सफल ह गे। म इस वृित पर और अिधक बल नह देना
चाहता।

(5) ई र ारा सृिजत िव म कु छ भी बेकार नह ।


एक और बात जो म यह प कर देना चाहता ँ वह है अपनी सोच म ांितकारी प रवतन लाना कसी एक
ि क ही चंता का िवषय नह है। हालाँ क यह िवचार आ म ान से संबंिधत है, ये सोच के वल िनजी ल य
ाि या अपने जीवन को सुगमता से जीने तक ही सीिमत नह है। म चाहता ँ क यह बात आप शु म जान
जाएं।
इस सोच का आधार यह िवचार है क परमे र ारा सृिजत इस संसार म कु छ भी फालतू नह है। इस
संसार म मानव प मे लोग िवलाप करते ह, िशकायत करते ह उनक अनेक िभ –िभ इ छाएं होती ह और वे
इस जगत म जीना ब त क ठन मानते ह। कु छ लोग तो यह तक महसूस करते ह क वे अपने िमलनेवाले पर
िव ास नह कर सकते। कं तु अपनी सोच म ांितकारी प रवतन लाने का िवचार इस िव ास पर आधा रत है
क इस कार के नकारा मक िवचार सच नह हो सकते। जब तक आप इसे एक वचन के प म नह लेते तब तक
आप अपनी सोच म ांितकारी प रवतन नह ला सकते।
इस जगत का िनमाण परमे र ारा आ है और उ ह ने इसे इस े इरादे के साथ सृिजत कया है। वे इसे
एक अद्भुत, े , सुंदर और िवशु जगह के प म िन मत करना चाहते थे अ यथा उ ह ने इसका िनमाण ही
नह कया होता। यह स य है क लोग ायः सम या का सामना करते ह और उ ह अपने सम क बुराई का
मुकाबला करना चािहए कं तु परमे र क यह मंशा नह थी।
अपने सं थान क पु तक म आप पढ़गे क िजस जगत म हम रहते ह उसका िनमाण संयोग से ही नह आ
है। ये परमे र क रचना है। आप यह भी पढगे क इसका सृजन परमे र क महान और पिव इ छा से आ है।
अगर ऐसा है, तो हम इस जगत म रहते ए क या दुःख य भोगते ह ? संभवतः इसिलए क परमे र ने इसक
े इरादे से रचना क है। आप शायद यह न समझ पाएं क परमे र ने इसे रहने क े और सुंदर जगह
मानकर िन मत कया। आप इसीिलए क भोगते ह य क आप इस स ाई को गलत अथ म लेते या आपक
धारणाएं िवकृ त ह।
जब आप जगत को इस आलोक म देखगे तो आपक सोच बदल जाएगी। आप जान जाएंगे क अब तक आपने
अपनी दृि से संसार को देखा है और अ य लोग क आलोचना क है। संभवतः आपने भा य को कोसा है और
अपने आस–पास क सभी चीज को अ छा और बुरा मानकर िनणय िलया है और यह िन कष िनकाला है क
इससे मदद क बजाए क ही अिधक िमलते ह। प रणाम व प, आप यह मानने लग जाते ह क यह संसार
अंधकारमय और रहने के िलए बुरी जगह है। कं तु हम अपने ारं िभक बंद ू पर आते ह इस जगत का िनमाण
परमे र ने कया है। यह मान लेना क परमे र ारा सृिजत यह िव रहने क एक सुंदर जगह है, सभी चीज
क शु आत है। आपक गलतफहमी और आपके कु ि सत िवचार ही इस ढंग से आपको सोचने नह देते।
जब एक बार आप ऐसा सोचने लग जाएंगे आप वयं ही पूछने लगगे क या आपके जीवन का नज रया
और आपका रवैया गलत है। संभवतः आप यह सोच क अ य लोग ठीक नह है या इस संसार म अनेक बेईमान
लोग भरे पड़े ह कं तु आप ज द ही यह महसूस करगे क इस कार क सोच सही नह है। य द आप इस बुिनयादी
आधार को मानते ह क इस संसार क नीवं अ छाई पर रखी गई है तो आप अपने आस पास को दोष देने क
वृि छोड़ दगे।
मु य सम या संसार िजसम आप रहते ह और जो आपको िमला है क गलत धारणा के कारण आती है। इस
पृ वी पर जो कु छ है वह भरणपोषण ारा अपनी आ मा को समृ करने के िलए है। एक बार जब आपक सोच
इस कार क हो जाएगी तो आप समझ जाएंगे क इस संसार म कु छ भी बेकार नह है।

(6) अपने कम का सामना सकारा मक रवैये से कर।


बुिनयादी िवचार क इस जगत क रचना परमे र ने क है एक दूसरे िवचार को ज म देती है िजसे आपने
पहले ही सुन रखा है पुनज म का िनयम। य द आप इस िवचार को मानते ह क सभी मनु य अपने आ याि मक
िवकास के िलए इस जगत म बार–बार ज म लेते ह तो आप अपनी वतमान ि थित को प करने म समथ ह गे
िजसे आपने अि परी ा के प म िभ नज रए से देखा होगा। य द आपक अपनी सोच इस त य पर आधा रत
है क आपका जीवन शा त है और आप बार–बार इस पृ वी पर ज म लेते ह तो आपक सोच पूरी तरह नयी
होगी।
आप जान जाएंगे क वतमान म झेलनेवाली मुसीबत आपको बता देती ह क आपको अपने जीवन म कन–
कन चुनौितय को पार करना होगा। जंदगी सम या क एक पु तक है िजसे आपको हल करना है और जो
दुःख आप आज पा रहे ह िवशेषकर गहरे दुःख बता देते है क आपको कस कार का जीवन िमला है। अतः य द
आप यह महसूस करते ह क आप जीवन के भंवरजाल म बहे जा रहे ह तो व तुतः अभी आप अपने जीवन क एक
अ यंत मह वपूण सम या से जूझ रहे ह और आप फलहाल अपने आ याि मक िवकास के िवकट समय से गुजर
रहे ह। यह आपके िलए एक उ ोजना का समय है।
आप आिखरकार खेल के गोले म आ चुके ह। अब तक आपने अपना काफ समय िश ण म गुजारा है और
एक का पिनक िवरोधी से अवा तिवक मु े बाजी क है कं तु अब वह समय समा हो चुका है और खेल शु
होनेवाला है। जब रे फरी मु े बाज को रे ड कानर म जाने को कहता है तो आपको अपना गाउन उतारकर रं ग म
घुसना होता है। जब एक बार आप रं ग म घुस जाते ह तो आप एकबारगी यह सोचने लगते ह क “मुझे पेशाब
करके आना चािहए था,” ले कन काफ देर हो चुक होती है। एक बार बुलाए जाने के बाद आपको रं ग म अपनी
जगह लेनी है और लड़ना है।
य द इस समय आप अपने को कसी मुसीबत के बीच बीच पाते ह तो इसका मतलब है एक माह, दो माह
यह तक क छः माह के िलए भी इस टाइटल मैच का अ यास करने पर कह जाकर आपने इस रं ग म वेश
कया है। इसी ण के िलए आप अब तक इतनी मेहनत कर रहे थे; व तुतः इसके िलए तैयार होने से पूव भी
आपने दशाि दयाँ या कई शताि दय इस ण क तैयारी म लगा दी ह गी। जब आपने अपने को अंदर से मजबूत
पाया होगा तभी आपने धरातल पर उतरकर इस चुनौती को वीकारा है। इस म के िलए तैयार होने म आपने
शताि दय या कु छ मामल म अिधक समय लगा दया होगा। इस बड़े मैच के िश ण म आपने अपना काफ
व लगाया है।
अतः रं ग म घुसने के बाद बहाने बनाने से कोई लाभ नह । एक बार यह आने के बाद आपको पता है क
आपको या करना है। आपके सामने आपका िवरोधी खड़ा है और आपको और कु छ नह सोचना है, आपके सामने
िवरोधी को पटकने के अलावा और कोई चारा नह है। य द आपका िवरोधी कोई ि है तो वह पलटवार कर
सकता है जो काफ क दायी हो सकता है। क तु यह आप िजसका सामना कर रहे ह वह इं सान नह है िजसे
आप अलं य संकट मान रहे ह, वा तव म वह मरीिचका है। ये आपके कम ही आपके सामने सम या या चंता के
प म आ रहे ह। रं ग म आप कसी अ य ि से नह लड़ते ये आपके और आपके कम के बीच क लड़ाई है और
आपको हर ि थित म यह मैच जीतना है। यही आपके वतमान अवतार का येय है।
एक िभ कोण से भी “सोच म ांितकारी प रवतन” को प कया जा सकता है। इस िवचार को साहस
और जोश क दृि से भी प कया जा सकता है। उदाहरण के िलए य द आप रं ग म चढ़ने क सोचते ह, तो
आपको के वल पूरे जोश से चढ़ाई करनी है। आिखरकार इसी मुकाबले के िलए आपको इतना िशि त कया गया
है। अब जब मुकाबले क वह मह वपूण घड़ी आ गई है तो आप यह कहकर बहानेबाजी कर रहे है “य द ब त तेज
नह ँ तो इसम मेरी कोई गलती नह ” या “ये सब मेरी प रि थितय के कारण आ है।” मेरे माता–िपता को
दोष दो “ये मेरे भाई क गलती है।” या “म गरीब ँ इसिलए सफल नह हो सकता।”
आप रं ग म वेश करते ह, रे ड कानर से बाहर आकर अपने द तान को चूमते ह और आपका ित ं ी नीले
कानर म होता है और अब दोन एक दूसरे को देखते ह। इस समय बहाने बनाना उसी कार है मानो यह कहना
“बात दरअसल यह है क मैने हाल ही म कोई िश ण नह िलया है। मेरे पैर थोड़े तने ए ह और मेरा कं धा कल
से दुख रहा है। मेरा कं धा फू ला आ है और म बड़ी क ठनाई से चल पा रहा ँ और मुझम कोई ताकत नह है,
देखो ? मुझमे कोई लड़ने का भी जोश नह है। ये मेरे िश क क गलती है क मुझे सही िश ण नह िमला।
या आप जानते ह जब भी म इस बारे म सोचता ँ तो मुझे इससे कोई फक नह पड़ता क म यह मैच जीतूं या
हा ं । फर भी सभी ये समझते ह क म हा ं गा......” य द आप अपने ित ं ी से ऐसा सुनते ह तो आप समझगे
क सामने वाला कमजोर है और इसके मूँह पर एक तगड़ा पंच मारने क सोचगे।
इस कार का रवैया सही नह है। जब आप एक बार रं ग म घुस जाते ह तो आपको अपनी कमजोरी
िछपाकर एक ब ढ़या दशन करना होता है। िजस ण आपका अपने कम से आमना-सामना होता है तो आपको
िनणय लेना होता है क दृढ़ िन य के साथ आगे बढ़ना है। य द आप हार भी रहे ह तो उसे दशाए नह । अपने
ित ं ी को कोई मौका न द। हालां क आप 140 पाउ ड से अिधक के नह ह तो भी आप अपनी छाती फु ला लगे
और ऐसा वहार करगे मानो आपका भार यादा हो ता क आपका ित ं ी डरे क आप उसे पटक दगे। आपको
सदा सकारा मक सोचना होगा।

(7) लोग आपको िभ -िभ प म लेते ह।


अनेक लोग म अपने शरीर को लेकर हीन भावना होती है। ब त कम सोचते ह क उनका आदश शरीर है।
व तुतः ब त कम लोग का शरीर बेऐब होता है अतः उनक शारी रक कमजो रय के बारे म सोचने क ज रत
नह ।
य द आप उन सभी चीज क सूची बनाते ह जो आपको परे शान करती ह तो अनुमान लगाएं क आपको
कतनी परे शािनय का सामना करना पड़ेगा? मुझे िव ास है क आपक चंता शारी रक और आपके च र से
संबंिधत है कं तु अिधकांश मामल म आप बीस या अिधक से अिधक तीस से अिधक परे शािनय से नह िनकल
पाएंगे। एक या दो सौ परे शािनय से आप तभी उबर सकते ह जब आप ब त ही भावशाली ह । य द आपको
अपनी शारी रक मता से एक सौ चंता से मु होना हो और मानिसक और आ याि मक किमय के कारण
सौ से अिधक चंता से मु होना हो, तो यह काफ भावशाली है। कं तु आपको यह पता लगाना होगा क इन
सबके बारे म आप वाकई िचि तत ह।
कई चीज िज ह आप अपनी जंदगी म नकारा मक पाते ह असल म वे उसके ठीक िवपरीत होती ह और म
चा ग ं ा क आप इस पर यानपूवक िवचार कर। या आपको िव ास है क िजनके बारे म आप चंता करते ह
उनका कु छ न कु छ सकारा मक भाव होता है ?य द आप सकारा मक दृि कोण अपना सकते ह तो उसे अपनाएं
और िवकिसत कर।

(8) एक सौ बीस साल जीने क योजना ।


ब त से लोग इस बात से परे शान रहते ह क वे अिधक चतुर या पया बुि मान नह ह। इस बात से अवगत होते
ए भी क उनम ान क कमी है, वे सामा यतः यह िन कष िनकाल लेते ह क वे कसी काम के नह ह, और वे
अपने आपको नह बदल सकते। कभी–कभी लोग को यह बताना पड़ता है क उनक हद कह तक है, कं तु तब वे
अपने आपसे यह कहने लगते ह “ क इसीिलए तो और यास करने का फायदा नह ।” य द आप म बौि क मता
क कमी है तो आप िनयिमत अ ययन से एक सुखद यास कर सकते ह। आप कतने ही समय तक अ ययन य
न कर, आपको नयी साम ी िमलती रहेगी। सम या को देखने का यह भी एक दृि कोण है।
मने पहले ही सौ से अिधक पु तक िलखी ह – कु छ लोग िवषय व तु को शी पढ़कर समझ जाते ह। एक
अ य पहलू से, मेरी उनके ित पूण संवेदना है य क उनका सुख अ पकालीन होता है। दूसरी ओर, ऐसे भी लोग
ह िजनक सभी पु तक को दस साल म पढ़ने क योजना होती है। िजनक इस कार क लंबी योजना होती है वे
क मतवाले होते ह। येक वष भारी सं या म पु तक का काशन होता है कं तु उन सभी को त काल पढ़ना
संभव नह होता इसिलए उनका नंबर लगा दया जाता है और इस कार उनको पढ़े जाने का नंबर िखसकता
रहता है, इन सब पु तक को पढ़ने के िलए उनके पास लंबे समय तक जीने के िसवाय और कोई चारा नह रहता।
अथात् वे उनसे अिधक भा यशाली होते ह जो ज दी मर जाते ह।
म पचास या साठ वष के लोग से यह अिधक अपे ा रखता ँ िजनका कै रयर समाि पर होता है क वे
अपने जीवन काल के िवषय म एक बार पुनः सोच। या आपको पूण िव ास है क आप यह नह जानते क
आपक मा पांच या दस वष क जंदगी शेष है ? वह दुःखदायी होगा। लोग अपनी जंदगी के ित िनराशावादी
होते ह और कहते ह क य द उ ह मा दस वष ही और जीना है तो एक नये जीवन को ारं भ करने से या लाभ।
कं तु, म आपके जीवन क िमयाद बढ़ाना चाहता ।ँ आप एक सौ बीस साल क उ तक जीने क योजना
बनाए। यह िवशेषकर अधेड़ उ के मामले म स य है। उ ह लगभग एक सौ बीस साल क उ तक जीने क आस
रखनी चािहए। उदाहरण के िलए, य द वे अभी साठ साल के ह तो वे और साठ साल जी सकते ह और इसिलए
उ ह योजना बनानी चािहए क इस अविध के दौरान उ ह या करना है ?
या जीवन म वे िन े य जीना पसंद करगे। य द उ ह साठ साल और जीना पड़े तो यह िशशु प म नया
जीवन शु करने के ही समान होगा। अगले दस वष म, वे कशोर ह गे और फर नौजवान। न बे साल क उ म
वे उस दौर से गुजरगे जब वे अपने जीवन म रोमांस करगे और फर सौ वष .......... सभी कार क घटनाएं अभी
होनी बाक है अतः इसके बारे म अभी से सोचना ज री है। य द वे अपने आ याि मक यौवन म ही गुजर जाते ह
जब वे मा न बे वष के होते ह तो इसम दुख करने का कोई कारण नह है ? कु छ भी नह ।
अतः जो लोग यह सोचते ह क उनका जीवन छोटा है तो उ ह अपनी सोच म ांितकारी प रवतन लाना
होगा और एक सौ बीस साल जीने क योजना बनानी होगी। य द साठ वष क उ म ऐसा करते ह तो इसका
मतलब है क उनके पास जीने के िलए साठ वष और ह। य द योजना म कोई प रवतन नह होता है तो इस धरती
पर मेरा जीवन पचास वष और चलेगा इस कार उनके पास अ ययन के िलए मुझसे दस वष अिधक िमलगे। यह
संसार छोड़ने से पहले वे मेरे सभी ा यान और स य पर मेरी पु तक का अ ययन पूरा करने का सौभा य ा
करगे।
अपनी वतमान आयु पर िवचार कर और फर अिधक लंबे जीवन क योजना बनाएं। म चाहता क आप
अपने भिव य क योजना इसी कार बनाएं।

(9) यास से दीघायु आ जा सकता है।


यह स य है क यास से आप दीघायु हो सकते ह। यह कहा जाता है क लोग के जीवन क िमयाद ि थर है कं तु
यह सौ ितशत सच नह है। आपके जीवन काल म अनेक ऐसे मोड़ आते ह जो आपके जीवन म नयी शु आत
करते ह, ये कसी हद तक पूविनधा रत होते ह। ऐसे कई मोड़ ह जैसे पचपन, स ार, पचह र, अ सी साल और
आगे क उ । कं तु मौसम पूवानुमान क तरह ही इसम भी संभावना घटक होता है। साठ अ सी या संभवत
पचास साठ ितशत तय है कं तु ि थर नह है। य द उ के इस मोड़ पर आप अपनी सोच म कसी कार का
ांितकारी प रवतन लाते ह तो आप अपनी जंदगी दीघायु कर सकते ह।
या आप कोई कारण दे सकते ह क आप इस संसार म य रहना चाहते ह, अपने जीवन को दीघायु य
करना चाहते ह। य द आप नह बता सकते तो आपको छोड़ देना चािहए कं तु य द आप िनयिमत अवि थित का
कोई कारण प कर सकते ह तो आपको इस धरती पर रहना चािहए। अतः य द आप दीघायु होना चाहते ह तो
आपक िनयिमत अवि थित का कोई उ े य होना चािहए। सबसे सामा य उ े य है क आपको अभी कई काम
करने ह ता क आप अपने भिव य क योजना बना सक।
म समझता ँ क जो नवयुवक ह उ ह िश ा देने क ज रत है कं तु य द मुझे यह कहना हो क सवािधक
अिनवाय या है तो िनणय लेना है क आपका जीवन एक सौ बीस साल का हो। य द आप इतनी उ तक जीने
का िनणय लेते ह तो आप पाएंगे क आपके काफ दुःख समा हो गए ह आप जान जाएंगे क आपको वा तव म
या करना है और उसे आप धीरे –धीरे पूरा करने लग जाएंगे। आपको अपनी अधेड़ उ से आगे बढ़ना ज री है
चाहे आपका जीवन रहे या ख म हो जाए।
य द आप अभी बीस वष के ही ह तो आपको ब त सा काम करना है। य द आपक सौ वष क जंदगी बाक
है तो आपको अपने भिव य के िलए सदा काफ योजनाएं बनानी हागी। कसी एक योजना को पूरा करने के िलए
सौ वष क जंदगी ब त होती है अतः नौजवान को अपने जीवन काल म अपनाए जानेवाले अनेक पथ क
योजना बनानी होगी। उ ह सौ वष का आनंद लेने के िलए हर कार क तैयारी करनी होगी।
जीवन एक आितशबाजी खेलने के समान है, य द एक ही कार क आितशबाजी होगी तो जीवन काफ
िनरस लगेगा। आपको दो, तीन, चार कार क आितशबािजय क तैयारी करनी होगी और बीच–बीच म राके ट
छोड़ना भी ब ढ़या होगा। भिव य के िविभ कार क योजनाएं बनाना ब त ज री है। आिखर म तीस,
चालीस, पचास या साठ वष क आयु म आपके जीवन म बहार आनी शु होगी, अतः आपको िविभ बीज बोने
ह गे।
ऐसा कहकर, आपका कद और ऊंचा हो जाएगा और आपके ान और बोध क न व और मजबूत होगी। य द
आप ऐसी जानकारी एक कर लेते ह िजसे तुरंत इ तेमाल कर सकते ह तो इससे भी आपका कद उतना नह
बढ़ेगा य क जीवन काल से गुजरने वाले ण ान के प म नह संजोए जा सकते। आपक आ मा िनयिमत
अ ययन से ही समृ होती है और यह अव य ही आपको स प करे गा चाहे भिव य म यह आपके काम आए या
नह । इस समृ ता ाि के िलए एक ापक जीवन योजना आव यक है।
य द आपका संपूण अ ययन, अनुभव, ान और अ जत िश ा आपके जीवन काल के दौरान सीधे काम न
आए तो कु छ बेकार नह जाता। आपको आ य होगा क जब आप दूसरे लोक म जाएंगे तो अपने साथ या ले
जाएंगे पर म आपको बता सकता ँ आपने अपने जीवन काल के दौरान जो कु छ सीखा है उसे आप अपने साथ ले
जा सकते ह य क ये आपके अंतमन म समािहत है। हालां क आपके अपने जीवन काल के दौरान ये आपके काम
नह आया कं तु दीघकालीन सोच क दृि से यह आपके िलए फायदेमंद होगा क आपने एक ही जीवन म इतना
कु छ सीखा है ।
भाग तीन

जीवन और जीत
3: जीवन और जीत

(1) जब त व ान आलोक फै लाता है।


मैने तीसरे भाग को “जीवन और जीत” का शीषक दया है। इस पु तक “अपरािजत सोच” क एक िवशेषता मा
संि िस ांत ही नह है य क इसका उ े य है क जीवन म िनयिमत जीत कै से हािसल करनी है, कं तु इसका
ावहा रक मागदशन भी होना चािहए।
जब आप कसी क ठन ि थित का सामना करते ह तो संभवतः आप यह जानने क कोिशश करते ह क
ावहा रक प म आपको या करना चािहए। अिधकांश लोग इस का उ र खोजते रहते ह। “मै या क ं ?
म इस सम या को कै से सुलझाऊं?” एक बार आपक सम या हल हो जाने पर आप पाते ह क आपक अिधकांश
चंताएं गायब हो गई ह। और आप अपने िवकास के अगले चरण पर प च ँ गए ह और इस कार आप अपनी
सकारा मक सोच के साथ अपने जीवन म आगे बढ़ रहे ह।
इस उ े य से, ावहा रक धरातल पर म दशन या स य क मिहमा को कम नह आँक रहा ।ँ हालाँ क इस
पु तक का उ े य ावाहा रक और ित ण जीवन से जुड़ा हो सकता है कं तु य द यह लोग को मो और सुख
देता है तभी यह साथक है। के वल दाशिनक तर पर मेरा जोर देने का इरादा नह है; मेरा िव ास है क जब
दशनशा वा तिवक प म काफ लोग को बचाता है तभी वह आलो कत होता है।
पु तक के इस भाग म हम िवचार करगे क जीवन म जीत हािसल करने के िलए कन– कन बाधा को पार
करना और कस हद तक आदश होना होगा। मैने इ हे िन शीषक के अंतगत रखा है : “ व थ जीवन कै से जीएं”
“धन दौलत क उ पि ” “संयोग जो आपका भा य बदल दे” और “एक आ याि मक धरोहर” और म इनका
बारी–बारी से मुकाबला क ँ गा।
हालाँ क ये करण आपको जीवन म जीत क सभी आव यक बात नह िसखाते, मुझे प ा िव ास है क वे
आपको एक ऐसे तर पर प चा देते ह जहाँ आप अिधकांश बुिनयादी सम या से िनजात पा लेते ह। अिधकांश
इस बात पर िनभर करता है क कहाँ तक आप अपने िस ांत को मेरे उदाहरण से, अमल म लाने म कामयाब
ए ह और या आप उ ह मुख तंभ के प म इ तेमाल कर सके ह िजसके चार ओर आप अपने अनुभव को
साकार प देग।

(2) व थ जीवन कै से जीएं।


(1) शारी रक दशाएं मि त क को अव कर देती ह।
म इस करण पर इस प म चचा करना चाहता ँ “ व थ जीवन कै से जीएं।” जीवन म जीत के बारे म
सोचते समय वा य को नह भुलाया जा सकता।
मैने सकड़ ऐसी पु तके िलखी ह िजनम मि त क से संबंिधत सम या पर िभ पहलु से िव े ण कया
गया है। मने ि गत मामले से उठकर ड कॉसमॉस के मि त क पर भी चचा क है।
हालाँ क ऐसे कई महान करण ह जो अिनवायतः एक मानव ाणी से ही ारं भ होते ह । अिनवायतः सभी
मानव ाणी आ याि मक ाणी है, साथ ही साथ हम इस बात से भी इं कार नह कर सकते क हम अब इस तीन
आयामी संसार (यह सृि ) म जी रहे ह । हालां क हम वा तिवक जगत (अ य लोक) के ाणी ह और यही हमारा
वा तिवक प है, फलहाल हम इस संसार के िनवासी ह और इसिलए इस प रम डल म अनुकूल जीवन प
लेना है।
जब म ऐसा कहता ँ मेरा मतलब है क हम अपने को शारी रक दृि से करना है। यहाँ तक क
देवा माएं भी धरती पर आने के दौरान वयं को मानव शरीर (मूत प) ारा ही करती ह। वे अपने को
मा अपने ारा िवक रत आलोक क चमक से नह बता सकती । य द वे काश छोड़ती भी ह तो भी उ ह अपने
मौिखक वचन से सं ेषण करना पड़ता है उनक अाँख हम आक षत करती ह अपनी सोच को वे मि त क के
योग से िलखकर करते ह इसिलए वे भी मूत प म सीिमत होती ह।
यह एक मह वपूण िवषय है। मानव सुख का अनुसंधान सं थान (हैपी साइं स) क िश ाएं मूत प को
अ वीकार नह करती; कं तु हम ये नह कहते क भौितक त व नह है अतः मूत प के बारे म सोचने क ज रत
नह । हमारी वतमान िश ाएं, ि –आयामी जगत और वतमान म मानव को इस धरती पर कै से जीना चािहए, से
संबंिधत है अतः हम भौितक त व से जुड़े िवषय को नजरं दाज नह कर सकते । मि त क के िवषय म िवशेष प
से बात करते समय हम आ याि मक भाव को नह भूल सकते जो हम सभी को एक समान भािवत करता है।
येक ि के िलए नकारा मक आ याि मक भाव से बाहर िनकल पाना एक मु य िवषय है और यह
स य है क आ म िच तन इसक ाि का एक भावशाली तरीका है। कु छ ऐसा भी है िजस पर आ म िच तन से
पूव िवचार करना ज री है और वह है इस त य को जानना क मि त क वतं नह है वरन कई सीमा से
बंधा है।
उनम से एक है मानव शरीर। य द आपका अपने शरीर पर सही िनयं ण नह है तो यह आपके मि त क पर
दबाव डालेगा और उसे गलत दशा म ले जाएगा।

(2) अपने भौितक शरीर पर िनयं ण करना सीख।


आपका शरीर साइ कल क तरह है िजसे आप अ छी तरह चलाना जानते ह। आपको याद है क आप पहली
बार बाईक पर बैठे थे तो आपने कै सा महसूस कया था ? संभवतः तब तक आप यह नह समझते थे क असंतुिलत
जुगत पर कै से चढ़ना है।
जब आप ब े थे मुझे प ा िव ास है क आपने सव थम अ यास पिहय के सहारे साइ कल चलानी सीखी
होगी। ये छोटे पिहए होते ह जो साइ कल के िपछले पिहए के दोन ओर साइ कल को संतुिलत बनाए रखने के
िलए लगे होते ह िजसके कारण साइ कल पर चढ़ने के दौरान ये असंतुिलत नह होते। इन पिहय से यु
साइ कल काफ संतुिलत लगती है। कं तु इस अ यास पिहय को हटाने और आगे पीछे दो पिहय पर ही
साइ कल चलाने पर साइ कल इतनी असंतुिलत लगती है क उस पर चढ़ना असंभव सा लगता है। अपने आप
एक सामा य संतुलन कर पाना भी क ठन होता है कं तु इसी समय आपको पैडल भी मारना होता है ता क
साइ कल आगे बढ़े। यह बात ख म नह हो जाती, आपको दाय–बाय देखना होता है और जब आप कसी चौराहे
पर आते ह तो आपको िनणय लेना होता है क आपको कस दशा म जाना है। जब आप ढलान क तरफ होते ह
तो आपको ऊपर क तरफ ले जाते समय काफ कोिशश करनी पड़ती है और दूसरी ओर उतराई के समय अपनी
गित पर िनयं ण के िलए आपको ेक का इ तेमाल करना होता है।
इस कार से देखने पर यह कोई आ य क बात नह क आप साइ कल को असंतुिलत और सीधी खतरनाक
मशीन समझते थे। कं तु जब ित दन आप इसे एक बार चलाना जान लेते ह तो ये आपके शरीर के िलए मा
खंचाव बन जाता है। मानव शरीर भी इसी के समान है। शु म इन पर िनयं ण करना बेहद मुि कल है और
आ मा अपने आपको ब त सीिमत पाती है। इसके बावजूद जैसे–जैसे शरीर पर आपका िनयं ण होने लगता है तो
िनयं ण क भावना लु हो जाती है। आप पाते ह क आप िजस दशा म भी चाहे जा सकते ह। शरीर धीरे –धीरे
आपके वश म हो जाता है।
यह जानना ब त ज री है क साइ कल के समान जब एक बार आप इस पर चढ़ना सीख जाते ह तो आपका
शरीर इसके उपयोगी हो जाता है कं तु य द कसी कारणवश य द आप इस पर िनयं ण नह रख पाते तो यह
अ यंत खतरनाक भी हो सकता है। यह उसी कार है मानो कसी ब े के ारा बड़ क साइ कल चलाने का
यास करना, यह इतना खतरनाक और असंतुलन से भरा है क ब ा इस पर िनयं ण नह रख पाता। य द ेक
नह लगते या हडलबार झुक जाएं तो यह अ यंत नुकसानदायक हो सकता है। ऐसा ही शरीर के साथ भी होता है।
यहाँ मेरे कहने का मकसद ये है क जो लोग व थ होते ह वे जीवन जीतने क दशा म पहला कदम बढ़ाते
ह। इस संबध म कोई दो राय नह है। एक सीमा तक आप ि गत तर पर अपने वा य देखभाल म कामयाब
होते ह। यह उसी कार है जैसा साइ कल क देखभाल करना, मुड़े ए हडलबार, खराब ेक या चपटे टायर क
जाँच करना, य द आप सतक रहते ह और इसक देखभाल करते रहते ह तो आप इन सब खरािबय से बच सकते
ह। य द कभी आपक साइ कल पंचर हो जाती है तो आप कहते ह, “कोई फक नह पड़ता यह अभी ठीक हो
जाएगी।” आप जान जाएंगे क जब आपको सबसे अिधक ज रत होती है तो आपका काम नह चलता। यही ेक
के साथ भी सच है। आप सोचते ह “आपके आस पास यादा कार नह ह, इसिलए म ठीक ।ँ ” कं तु तब या
होगा जब अचानक कोई कार आपके सामने आ जाए? यही शरीर के साथ भी होता है।

(3) अपने शरीर क देखभाल खुद करना


जब तक आपका जीवन व थ रहता है आपका भौितक शरीर अपने मूल उ े य को पूरा करने के िलए कायरत
रहता है। य द आप अपने शरीर क देखभाल नह करते तो आप दूसर को दोष नह दे सकते, आप ही अपने
शरीर क देखभाल कर सकते ह। अपने शरीर को संभालना आपका ि गत काय है।
जापानी आ मर ा बल म एक सेवािनवृत अफसर ने एक बार मुझसे बताया क उसके सैिनक ने पैराशूट
िश ण कै से ा कया। सव थम जवान पचास फ ट क ऊंचाई से कू दे फर वे सौ फ ट के टॉवर से कू दे उसके
बाद उ ह ने समु तल से हजारो फ ट ऊंचे हवाई जहाज से छलांग लगाई और कु छ ऊंचाई तक नीचे आने पर
उनका पैराशूट खुला। येक सैिनक अपने पैराशूट का ही याल रखता है। य द वह नह खुले तो उसक जंदगी
जा सकती है अतः यह वाभािवक है क वह इसे कसी और के सुपुद नह कर सकता दूसरी ओर पैराशूट न खुलने
के िलए कसी और को िज मेदार नह ठहराया जा सकता और सैिनक इसक िशकायत नह कर सकते।
पैराशूट का यह उदाहरण कु छ अजीब लग सकता है कं तु आप ऐसी ही ि थित म होते ह। य द इसी पैराशूट
के उदाहरण पर और िवचार कर तो आप कह सकते ह क आपक आ मा सैिनक है और आपका शरीर पैराशूट।
य द पैराशूट फट जाए या न खुले तो दुघटना हो सकती है। इसी कार य द शरीर बुरी तरह अपंग हो जाए या
घायल हो जाए तो आ मा पर िवजय पाने के िलए अि परी ा से गुजरना पड़ता है चाहे वह पूवानुमािनत हो या
न हो।
कम से कम आप अपने शरीर को खतरे से बचाने के िलए हर संभव यास करते ह। य द आप नही करते तो
प रणाम व प आपका मि त क नकारा मक प से भािवत होता है और इसके िलए के वल आप ही दोषी होते
ह। इससे कोई फक नह पड़ता क आप का ज म कस आ मा लोक से आ है; यहाँ तक क देवदूत िजनका
पुनज म होता है भी बीमार पड़ जाते ह य द वे अपने शरीर का यान नह रखते यह इस सृि का िन वकार
िनयम है। ठीक उसी कार जैसे टायर म क ल घुसने पर वह पं चर हो जाता है शरीर भी उिचत आराम, पोषण
और देखभाल के अभाव म बीमार पड़ जाता है।
य द कसी पेशेवर बेसबाल िखलाड़ी को हर रोज ओप नंग िपचर के प म काम करना पड़े तो वह चाहे
कतना भी िशि त य न हो अिधक से अिधक एक वष तक ही खेल पाएगा कय क िपचर को य द अपना खेल
जारी रखना है तो येक दो मैच के बीच कम से कम चार दन का आराम ज री होता है। बेसबाल िखलािड़य
के बारे म चचा करते समय इसे समझना काफ आसान है कं तु जब कसी ि िवशेष के संदभ म इसक चचा
क जाती है तो हमम से अिधकांश इससे अनिभ होते ह।
यह जानना ब त क ठन है क आप कतना काम कर सकते ह आपको कतने आराम क ज रत है और अपने
शरीर को सदा बेहतर बनाए रखने के िलए कस चीज क ज रत है। इसे आप कू ल म नह सीख सकते और
मि त क के संबंध म शरीर का अ ययन ि के अपने वश म ही होता है। कई बार प रवार के सद य आपको
व थ रखने म सहायता करते ह कं तु इसका आपको दूसर क मदद िलए िबना ही वयं यान रखना होता है।

(4) शरीर और मि त क के बीच संबंध।


जैसे जैसे लोग बूढ़े होते जाते ह वे अिधक िशकायत करने लगते ह। साठ या स र साल के लोग के साथ ऐसा
अकसर होता है साथ ही वे भिव य के बारे म भी अिधक चंितत होने लगते ह और बीते ए कल के बारे म भी
ब त सोचते ह। आप इसे मि त क क एक सम या के प म ले सकते ह ले कन इसका या कारण है क ऐसा
बूढ़ के साथ ही अिधक होता है ? मु य कारण है क लोग अपने शरीर को पहले क अपे ा अिधक कमजोर पाते
ह।
जैसे जैसे लोग क आयु बढ़ती है उनके पैर कमजोर हो जाते ह और वे पहले जैसे काय करने म स म नह
होते। वे िचड़िचड़े हो जाते ह और उनके आस पास के लोग उनके साथ जीने म अपने आप को ब त क ठन समझते
ह। आिखरकार प रवार के भीतर सम या को ज म देते ह। सम या क जड़ प है। सेवािनवृि के बाद वे
ायाम करने का यान नह रखते और इससे उनके मि त क म सम या पैदा हो जाती है। कं तु यह एक ि
क सम या नह है ये पूरे प रवार क सम या है और अ यंत गंभीर सम या बन जाती है। मूलतः सेवािनवृि के
बाद लोग को अपने शरीर का इ तेमाल करने के अवसर कम िमलते ह और वे इसक अ य तरीक से भरपाई
नह करते। नौजवान लोग भी अपने शरीर को अिधक क नह देते। कु छ ऐसे होते ह जो ब त यादा खाते ह और
कु छ इतने पतले होते ह क वे ुधा अभाव से त होते ह दोन ही ि थितय म कारण यह है क वे संतुिलत
जीवन जीना भूल चुके होते ह। ऐसे भी लोग ह जो के क पसंद करते ह और सोचते ह क दन म दो के क खाना ही
वा तिवक सुख क िनशानी है। वे दूसरा भोजन व आहार कम कर देते ह ता क वे मोटे न हो जाएं, अतः यह कोई
आ य क बात नह है क वे अ व थ होते ह। इसके बावजूद वे ऐसा वहार जारी रखते ह।
म समझ सकता ँ क वे कै सा अनुभव करते ह, पर काश वे अपने को व थ रख पाएं। य द वे इस त य को
जान कर भी नह कते क उ ह ने वयं को बीमार कर िलया है तो भावी घटना के िलए वो वयं ही
िज मेदार ह। लोग के वल के क पर ही जंदा नह रह सकते; उ ह अित र पोषक त व क भी आव यकता होती
है। यही बात उन लोग के संबंध म भी स य है जो चाकलेट छोड़कर कु छ नह खाते जब तक क उनके दांत न
खराब हो जाएं। इसम अ य कसी का दोष नह है; वे भगवान को इसके िलए दोषी नह मान सकते। उनके दांत
िगरने के िलए एकमा वे ही िज मेदार ह िज ह ने ब त अिधक चाकलेट खाया है।
अतः आपको िज मेवारी लेनी होगी और अपने शरीर का यान वयं रखना होगा। यही कसरत के बारे म भी
सच है। कोई भी आपसे अिधक कसरत करने के िलए नह कहेगा। कोई यह नह बताएगा क आप कसरत कै से कर
इसिलए आपको वयं ही अपने शरीर को मू यवान मानकर देखभाल करनी होगी और अपने माहौल के अनुकूल
कसरत करनी होगी। िजतना ताकतवर आपका शरीर होगा उतना ही बलशाली आपका मि त क होगा। य द आप
व थ ह गे तो आपक सोच सकारा मक होगी य द आपका शरीर कमजोर होगा तो आप भी हर चीज के ित
िनराशावादी होते जाएंगे।
अतः जब आप व थ अनुभव कर रहे ह तो सकारा मक सोच रख और जब आप अ व थ ह तो अिधक से
अिधक समय आ म चंतन म िबताएं। सुखाभास म या जब आप उ लास म होते ह तो आ म चंतन क ठन होता है
अतः इस समय सकारा मक सोच पर यान के ि त कर। इसके िवपरीत जब आप थोड़ा उदास होते ह तो आप
अपने कए ए पर मनन कर। तब आप इन दोन तकनीक के योग म अ य त हो जाएंगे – म आपसे वा य क
देखभाल करने के साथ साथ उन पर िवचार करने क भी अपे ा रखूँगा ।

3. धन दौलत का सृजन
(1) धा मक मनोवृि से जुड़ी सम याए।
अगला करण िजस पर म चचा करना चा ग ँ ा | वह है धन दौलत एक करना। ऐसी धा मक मनोवृि के
लोग ब त होते ह जो धन को नग य मानकर धन अ जत करना पाप समझते ह। ये बौ और ईसाई दोनो धम के
अनुयाियय के संबंध म स य है।
यहाँ मह वपूण िवचारणीय बात यह है क ि क गरीबी का तर इस बात पर िनभर करता है क वह
धनाजन को कस हद तक गलत समझता है। जो इस बात पर दृढ़ िव ास करता हो क धनाजन से वे वग म
वेश नह कर पाएंगे वे कभी धनी नह हो सकते। य द उनका यही िव ास है तो यह कोई बड़ी सम या नह है।
कं तु य द वे उनसे ई या करते ह जो धनी ह और उनक आलोचना शु कर देते ह, तो अपने दल को नरक बना
लगे। यह असामंज यता का एक उदाहरण है जो आ म संयम से उ प होता है।
य द आपम धन क या अ य ऐ य संसाधन क कोई इ छा न हो और उनसे कोई लगाव न हो तो एक
स गुण माना जाएगा। कं तु य द आप उनको फटकारना शु कर दे और जो धनाढय ह उनसे कहंगे क उनका
धन उ ह नरक म डाल देगा, तो एक घना कोहरा आपके मि त क को ढक लेगा और आप वयं को नरक बना लगे।
यह अजीब लग सकता है ले कन इसी कार से काय चलता है। एक बार जब आपम दूसर क आलोचना क
वृि शु हो जाएगी तो आप वयं इसका प रणाम देखगे।
इसी कार का एक अ य उदाहरण है िवपरीत से स ारा जिनत सम याएं। धन और िवपरीत से स दोन
ऐसे िवषय ह िजसे धा मक वृि वाले लोग गलत समझते ह। ऐसे भी लोग ह जो यह मानते ह क िववाह करने
पर उ ह वग से िन कािसत कर दया जाएगा और ऐसे भी ह िजनका इस पर पूरा िव ास है। मुझे नह पता क
कौन सी बात सामा य है कं तु ऐसे लोग भी वा तव म िव मान ह।

(2) सुख के साधन प म धन


धन ारा उ प सम या का हल खोजने के िलए आपको वयं से पूछना होगा क संसार म धन य है, “धन” से
अिभ ाय पैसा या अ य संपि से है ले कन ये य िव मान है।
इस संसार म धन क उ पि का कारण “अमीरी” को करने का एक तरीका है जो क वा तिवक जगत
म िव मान है। वा तिवक जगत कोई तु छ थान नह है। धन के अनेक प ह और यह िनयम करता है क
िवशु दय ही मनोवांिछत व तु पाता है। वा तिवक जगत के सभी िनवासी शु ता से रहते ह इसीिलए वे
खुशहाल ह कं तु वा तिवक जगत म दखनेवाला धन तीन आयामी संसार म नह रहता। िन संदह े , धन म पैसा
होना ज री नह है कं तु पैसा उसक अिभ ि का एक प है।
यह है क धन का योग कै से कया जाए। अ य श द म, इस संसार म धन के संबंध म अ छा और बुरा
यो ा के उ े य और इरादे पर िनभर करता है। उदाहरण के िलए य द कोई संगठन हॉल बनाना चाहता है तो
उसे धन क आव यकता होगी; य द हॉल के िनमाण के बाद उसम जन क याण संबंधी स मेलन व बैठक
आयोिजत होती है तो इसे धन का सदुपयोग कहगे। इसका इ तेमाल न करने के दौरान वे इसे दूसर को कराए
पर देकर उ ह एक सुिवधा भी दान करगे। पूँजी जगह कै से उ प करता है यह इसका एक उदाहरण है और ऐसा
करके यह लोग को िविभ गितिविधय के िलए जगह मुहय ै ा कराता है िजससे खुशी और सुख िमलता है। इस
कार जगह बनाकर धन से सुख अ जत कया जा सकता है।
यह बड़े खेद का िवषय है क धन ब त से लोग को डगमगा देता है। य द हम संसार को िवकिसत करना
चाहते ह, तो शु दय वाल को दूसर को धन के सही योग क िश ा देनी चािहए। हम यह िनि त कर लेना
चािहए क धन सही प से अ जत कया गया हो। य द ऐसा हो जाता है तो संसार रहने का एक बेहतर थान है।
मेरा िव ास है क धन का योग पृ वी पर आदश समाज क थापना के िलए कया जाना चािहए। यह ज री है
य क धन बड़ी जनसं या क सुख ाि का साधन है।

(3) ई या से त गरीबी िम या
यहाँ म कहना चा गँ ा क आप दूसरे लोग के िस ांत को बदल नह सकते य द आप गरीबी के कारण शु ता पर
िव ास रखते ह तो कोई भी आपका िवरोध नह करे गा। य द आप अपने िस ांत के सहारे जीवन तीत करना
चाहते ह तो िन य ही आगे बढ़, यह जीवन जीने का एक वीकृ त ढंग है। कं तु य द आप इस तरह से जीने का
िनणय लेते ह तो आपको दूसर से ई या न करने का िनणय भी लेना होगा। य द आप अपनी ईमानदारी से भरी
गरीबी के जीवन से संतु ह, तो यह आपका ि गत िनणय है कं तु आप दूसर के िवषय म िनणय नह ले
सकते। सभी लोग के जीने का ढंग िनराला होता है और उनक सोच भी अलग अलग होती है। जब आप गरीबी म
रहना पसंद करते ह तो दूसर से भी ऐसा ही करने क अपे ा न रख। अपनी ई या या जलन कभी न कर –
यह सवािधक मह वपूण है।
य द स ी गरीबी म रहने का आपका िनणय ई या से भरा आ हो तो गरीबी वयं ही नकारा हो जाएगी।
दूसरी ओर य द गरीबी आपको सांसा रक पदाथ म िल नह होने देती और आपके मि त क का पंदन अभी भी
शु है तो यही गरीबी एक गुण बन जाता है। कं तु य द िनधनता अ य के ारा सांसा रक भोग के ित ई या
और जलन पैदा करती है तो आपका दय दूिषत हो जाएगा और िनधनता पाप बन जाएगी।
य द आप इस नकारा मकता को वयं म या अपने आसपास के लोगो म पाते ह तो आपको इसे समा करने
के िलए संघष करना होगा। य द आप गरीबी को इसम कावट समझते ह, य द ये आपके मन को दुःखी करता है
और दूसर के ित िव ष े उ प करता है तो आपको इसे तोड़कर बाहर आने का यास करना चािहए।
कु छ लोग इसिलए चंितत रहते ह क उनके पास पैसा अिधक होता है कं तु उनके मुकाबले िजनके पास धन
नह है या जो ॠण म डू बे ह उनके संबंध म यही कहा जाएगा क वे अपने दन को अिधक बेहतर प म जोड़
पाते ह। ब धा यह कहा जाता है क काफ धन पाना और चंता न करना ही अ छा है और मूलतः म भी इससे
सहमत ।ँ पया धन होने पर भी सबसे िमलकर रहना ेय कर है। य द आप इसे नह वीकारते तो आपका
जीवन ई या और दुःख से भर जाएगा।
अतः य द आप स ी गरीबी म जीवन तीत करना चाहते ह तो दूसर से ई या न कर। य द आप वयं को
ई या से नह रोक पाते तो गरीबी से बाहर िनकलने का यास कर। एक िनि त मा ा म धन अ जत करने के
िलए ल य िनधा रत करना ज री है और फर उन ल य क ाि के िलए यास करना आव यक है।

(4) धन सृजन के तीन बुिनयादी िस ांत


संसार म धन उ पि के तीन मूल िस ांत ह। पहला िस ांत जो सदा स य है, वह है कफायत अथात िमत यी,
कम खच और फजूलखच रोकना है। यही ारं िभक बंद ू है। य द आप फजूलखच करते ह या असंयम जीवन
जीते ह तो आपके पास कतना भी धन य न हो धीरे –धीरे सब समा हो जाएगा।
एक पुरानी कहावत के अनुसार, “तीसरी पीढ़ी वािपस कारखाने क ओर मुड़ जाएगी। पहली पीढ़ी के लोग
कड़ी मेहनत करगे और उस कारखाने को अपने वािम व म ले लेग िजस पर वे काम करते है, दूसरी पीढ़ी से कोई
उस वसाय को फै लाएगा, तीसरी पीढ़ी म से कोई कं पनी को दवािलया बना देगा और वािपस कारखाने म
जाकर मजदूर बन जाएगा। अिधकांश मामल म ऐसा इसिलए होता है य क तीसरी पीढ़ी के लोग अपनी
जीवन शैली को ऐ यपूण बना लेते ह और मेहनत को भूल जाते ह। प रणाम व प वे अपने धन का अप य
करते ह और वयं को ज द ही बरबाद कर लेते है। यह िनगम और िनजी जीवन दोन के संबंध म सच है और
इसीिलए मैने कहा क कफायत – िमत ियता और कम खच अ यंत मह वपूण है।
कं तु इसका मतलब यह नह है क आप कं जूस हो जाएं। दुभा य से कं जूस भी कभी स ा धन ा नह कर
पाते अतः म आपसे एक–एक पैसा बचाने क िसफा रश नह कर रहा ।ँ म चाहता ँ क आप फजूलखच न
कर। यह ज री है क आप धन का इ तेमाल संयम से कर ता क आपक तकदीर खराब न हो जाएं।
धन क उ पि का दूसरा िस ांत है क धन उ ह के आस पास जुड़ता है जो जानते ह क इसका कै से
इ तेमाल करना है। यह जीवन म म अचानक ही नह टपकता कं तु ये उनके पास आता है जो इसक क मत
जानते ह।
बक म काफ धन होता है और इसका कारण है बक इस धन को अिधक बढ़ाना जानता है। य क वे अपने
पास आनेवाले धन का उपयोग करना जानते ह। यही ि गत तर पर भी सच है, धन उ ह के पास आता है जो
इसका बेहतर उपयोग जानते ह। उदाहरण के िलए, य द आप अपने िलए घर बनाने का िनणय लेते ह तो आप
आव यक िव जुटाने के िलए और कड़ी मेहनत करगे। या, य द आपके ब त ब े ह और आप सभी को
िव िव ालय तर तक पढ़ाना चाहते ह तो इसके िलए आपको अपनी कमाई बढ़ानी होगी।
इस कार धन उ ह के पास आता है जो इसका उपयोग जानते ह अतः य द आप धनवान बनना चाहते ह
तो यह ज री है क सव थम आपका िवचार प होना चािहए क आप इस धन का इ तेमाल कै से करना चाहते
ह। आपको वयं के िलए यह कहने मे समथ होना होगा, “मुझे इस कारण से धन क आव यकता है ता क म और
खुशहाल हो सकूँ । जो लोग यह सोचते ह क उ ह धन क ज रत नह है वे कभी धनी नह हो सकते। य द वे कु छ
िनि त धन क मा ा अ जत कर भी लेते ह तो यह भी सीिमत होती है। वा तिवक धन उ ह को िमलता है जो
प प से जानते ह क उ ह धन क आव यकता कस िलए है।
पूरे िव म धन भरा पड़ा है और उन लोग क तलाश है जो इसका योग जानते ह। य द ऐसे लोग िमल
जाते ह तो धन अपने आप ही उनक ओर चला जाएगा। इसम धन शरीर के र के समान है; जैसे र शरीर के
उन िह स क तरफ वािहत होने लगता है जहाँ इसक सबसे यादा ज रत है। संसार म ब त लोग के पास
धन है कं तु सभी उसका योग करना नह जानते। यही कारण है क जब कोई धन के बेहतर उपयोग के बारे म
अ छी राय तुत करता है तो धन वतः ही उसक ओर वािहत होने लगता है।
इसका एक अ छा उदाहरण है नया कारोबार। जब कोई वसाय ारं भ करता है वे पाते ह क आव यक
पूँजी वयं जुट जाती है। बक पाटनर के प म वसाय म पूँजी िनवेश करते है, कोई आकर कायालय के िलए
जगह उपल ध करा देता है। अतः अलग–अलग दशा से मदद आने लगती है। यह सब कु छ सद्िवचार से शु
होता है जो लोग के दल को े रत करता है; ये िविभ जगह से ऊजा आक षत करता है, बदले म धन क मांग
करता है। दूसरे श द म, धन उन लोग के िवचार और जोश को ख चने लगता है, जो जानते ह क इसका
इ तेमाल कै से करना है।
तीसरा िस ांत “मि त क के िनयम” के समान ही है, जो ये है क “जो लोग लगाते ह वही पाते ह।” य द
आप धन एक करने म सफल हो जाते ह तो इसे अपने तक ही सीिमत रखने क कोिशश न कर। य द आप यास
करगे और योग करग तो धन आपके इद–िगद ज र च र लगाएगा। दूसरे श द म य द आप अपने धन का
योग के वल अपनी खाितर म ही करगे तो यह धीरे –धीरे समा हो जाएगा। कं तु य द आप इसका इ तेमाल
यथासंभव अिधक से अिधक लोग क खाितर करगे तो आप पाएंगे क आपका धन बढ़ते–बढ़ते कई गुना हो
जाएगा।
चलो इसे एक िस अमरीक मोटरकार िनमाता हेनरी फोड के काम के उदाहरण से समझते ह। अपने
जीवनकाल म हेनरी फोड िवशाल स पि एक करने म सफल आ। ऐसा इस कारण संभव आ क उसने एक
ऐसे समय के बारे म सोचा जब सभी, यहाँ तक क आ फस के कमचारी और दहाड़ी मजदूर भी कार खरीदने म
समथ थे। वह ऐसी कार बनाना चाहता था क लोग अपनी मजदूरी से इसे खरीद सक। अपनी एक साल क
कमाई से धीरे –धीरे उसका सपना साकार हो गया।
इस पु तक के भाग एक म मने कोनोसुके म सुिशता, वह ि जो सदा “नल के पानी के िस ांत” का
समथन करता था, के बारे म चचा क थी। हालाँ क पानी िनःशु क उपल ध होना चािहए। य द कोई अजनबी
क कर आपके घर के सामने नल से पानी पीता है तो आप उसे चोर या पानी चुरानेवाला नह कहगे। हांला क
पानी िनःशु क नह है और वह आपक अनुमित के िबना पीता है अतः कानून के कड़े श द म उसे चोर कहा जाना
चािहए। कं तु पानी इतने नाम मा क क मत पर स लाई कया जाता है क हम इसे लगभग िनःशु क समझते ह
अतः पानी पीनेवाले को कोई भी चोर नह बुलाता। हालाँ क उसने िबना पूछे वयं यह सुिवधा ले ली। कोई भी
अपने को इससे लुटा आ नह मानता।
ी म सुिशता का येय उपयोगी घरे लु िबजली के उपकरण का स ता उ पादन करना था ता क लोग इसे
भी पानी क तरह ही नाम मा क क मत का समझ और इसे उ ह ने “नल के पानी का िस ांत” कहा। यह ेम
के िस ांत का ही प है। जैसी उ ह ने आशा क थी उनक कं पनी स ते िबजली के उपकरण के िनमाण म सफल
रही और प रणाम यह आ क उनक वतमान आय ितवष सकड़ो िबलीय स है।
ेम और धन उ ह को िमलता है जो दयावान होते ह; वे इसे संसार म फै लाते ह और इसे देनेवाले को लौटा
देते ह। अतः असीम िवकास के िलए अपने धन को दूसर म उसी कार बाँटना सीख जैसे आप यार बांटना
ज री समझते ह। इसका ये अिभ ाय कदािप नह है क िभखा रय को अपना धन स प द, यह ज री है क आप
इसका इस तरह से योग कर क आप दूसर क िविभ प म सेवा कर सक।
धन ाि के असं य िविभ तरीके ह कं तु, मूलतः तीन तरीके ह। थम अपने धन का योग संयम से कर,
दूसरे धन के योग का प िवचार हो और तीसरे अपने संिचत धन को दूसर क खाितर इ तेमाल करने के िलए
तैयार रह। य द आप ये तीन िस ांत का अनुपालन करते ह तो आपके ारा धनाजन बुरा नह माना जाएगा।
जब तक आप इन िनयम को मानते ह तब तक आपका धन एक दैवीय वरदान है। जब आप धनाजन कर म
चा ग ँ ा क आप यह हमेशा यान रख, और याद रख क धन से अिधक भािवत होना कोई नकारा मक बात नह
है।

4. प ी और घर।
(1) अपने को आदश मानकर शु कर।
तीसरे करण के प म, म पित–पि य और घर के िवषय पर िवचार करना चाहता ।ँ म इस बात से शु
क ं गा क आप आदश प ी का चयन कै से कर। कु छ लोग इस संबंध म पांच, दस, यहाँ तक क बीस वष तक
चंितत रहते ह कं तु इसका उ र बड़ा आसान है। आपक आशा के ितकू ल आदश प ी वह नह है िजसे पीछा
करके खोजना पड़े; व तुतः िजतना आप आदश का पीछा करगे आप उतना ही उससे दूर होते जाएंगे।
मने अकसर यह कहते सुना है, “यह सच नह हो सकता, आप सदा यह कहते ह क मेहनत रं ग लाएगी और
जो इ छा रखते ह उ ह को िमलता है। इससे आपका या अिभ ाय है क य द हम पीछा करगे तो वांिछत व तु
दूर चली जाएगी? यह काफ िनराशावादी लगता है।” िन संदह े , “जो मांगते है उ ह को िमलता है।” और
“ यास से ही पुर कार िमलता है।” दोनो स य है, कं तु इस भाग म म िववाह के बारे म बात कर रहा ँ और
इसके िनयम कितपय िभ ह। इस पर यान के ि त करने पर, यह सही है क य द आप म िववाह क इ छा है तो
आप इसे पा सकते ह, य द आप ब त कोिशश करगे और अपने आदश का अनुसरण करगे तो ये आपसे दूर होता
चला जाएगा।
यह वैसा ही है जैसे कु े या िब ली का ब ा अपनी पूंछ को देखकर उसे पकड़ने को दौड़ता है कं तु काफ
कोिशश करने के बाद भी वह सफल नह होता। कं तु य द इसे वह भूल जाए और आगे बढ़ता रहे तो पूँछ उसके
पीछे–पीछे चलती है। प ी खोजना भी वैसा ही है लोग ायः अपनी प ी को “जीवनसंिगनी” बताते ह और यह
सच भी है क प ी आप ही का एक अंग होती है। य द आप आदश के पीछे भागते ह तो वह दूर चला जाता है
कं तु य द आप वाभािवक प से वहार करते ह और आगे बढ़ते जाते ह तो वह आपका अनुसरण करती है। यह
अजीब लगता है कं तु यह सबसे उपयु पक ह।
म यहाँ सव थम यह कहना चाहता ँ क आप वयं को इस कार के ि के प म तुत कर क आपक
प ी आदश िववाह करना चाहे। आपक आदश साथी के बारे म आपक कई क पनाएं ह गी कं तु सव थम
आपको वयं को बेहतर बनाना होगा ता क जब आपके सपन का साथी आपसे िमले तो उसे या आपको िववाह
करने क इ छा हो।
पहली ाथिमकता बाहर जाकर आदश साथी क खोज नह है। य द आप अपने पित या प ी क सभी
आव यक िवशेषता क सूची भी बना ल और कह, “यही मेरा आदश है म िववाह के िलए ऐसे ही ि क
तलाश म ।ँ ” तो जाइए और ऐसे ि क तलाश क िजए। दुभा यवश आप अपनी खोज म कामयाब नह हो
पाएंगे। बजाए इसके आपको इस पर िवचार करना होगा क आपसे िववाह क इ छा रखनेवाला आपका आदश
साथी आप म कस कस गुण क अपे ा रखेगा। य द आप वयं को उस आदश ि के च र म ढाल सक तो
आपको ज दी ही आपका जीवनसाथी िमल जाएगा।
इसे कहने का मेरा कारण मा यही है क िववाह के समय ज री है क दोन साथी एक दूसरे के िलए आदश
मेल ह । इस समय यह अ यंत ज री है क आपका मेल े हो। अथात् य द आप अपने आदश साथी क मा
क पना कर और आदश क खोज कर तो आप उसे नह पाएंगे। जब तक आप वयं को उस सुमेल आदश ि के
प म तुत नह करते, तब तक आप उससे िमलने पर भी दूसरा ि आपके सामने से उसी कार गुजर
जाएगा जैसे ए स ेस ेन टेशन से तेजी से गुजर जाती है।
आदश क खोज और दमाग म उसक त वीर तक तो ठीक है कं तु आपको सव थम यह सोचना होगा क
य द आपको कभी अपने आदश से िमलना पड़े तो आप उसके स मुख कै से तुत ह गे। मान ल क कसी फ मी
हीरो से िमलने क आपक ती लालसा है और उससे िमलने या बात करने क इ छा हो। आप तब या करगे जब
वह ि आप से बात कर आपके कं धे के इद–िगद अपनी बाह डाल दे ? संभव है आप भाग जाएं और आप इस
कार से वहार करने पर अपने आदश से कभी िववाह नह कर पाएंग।े य द आप भय या झप के कारण भाग
जाएंगे तो आप कभी िनकट नह आ पाएंग।े आपको वयं को सुधारना होगा ता क उस ि से िमलने पर वह
आपको अपना आदश साथी समझे। यह ब त ज री बात है।
िवशेषकर नौजवान के िलए यह ब त ज री है क आप अपने को कसी कै रयर म थािपत कर य क
आप काम से ही ब त कु छ सीख जाएंगे। और िव ीय सफलता क याशा से नौजवान को अपना भिव य प
नजर आने लगता है।
ब त से लोग, इस त य के बावजूद क उनके असं य भावी साथी ह, िववाह नह कर पाते। ऐसे ि
ब धा यह कहते ह क उ ह अपने लायक कोई साथी िमला ही नह था वे अपना आदश साथी नह ढू ंढ़ सके ।
व तुतः सम या यह है क वे िन प प से अपना मू यांकन नह कर पाते। फल व प यथाथ प म अपने को न
अाँक पाने के कारण वे यह नह कह पाते क कस कार का ि उनका उपयु साथी बनेगा। वे अपनी नजर
यहाँ वहाँ दौड़ाते रहते ह और अपना साथी खोजने म लगे रहते ह कं तु आिखर म वे कोई साथी नह ढू ँढ़ पाते।
कं तु य द सही–सही बता सक क उनके वयं क भावी संभावनाएं या ह तो उ ह ज द ही उनके लायक
साथी िमल जाएगा। इससे कोई फक नह पड़ता क वे कं पनी के िलए काय करते ह या अपना वसाय करते ह,
वे य द इतना भर भी कह सक क “म अमुक कं पनी के िलए काम करता ,ँ भिव य म म इस कार से उ ित
क ं गा और भिव य म म इतना अजन क ं गा।” य द वे इतना भी कहने म समथ ह और उ सािहत ह तो उ ह
अव य ही उपयु साथी िमल जाएगा।
य द आप सोचते ह क आपका काय नीरस है और आप यथाशी इसे छोड़ना चाहते ह तो मुझे डर है क
आप चाहे कतने ही लोग के संपक म य न आएं, आपको आदश जीवन साथी नह िमलेगा। पुनः य द आप वयं
अपना वतमान पद छोड़ना चाहते ह कं तु आप तब तक इं तजार करते ह जब तक आप िववाह के बंधन म नह बंध
जाते ता क आपके िववाह के अवसर न न हो जाएं, तो मुझे डर है क आपको सही जीवनसाथी नह िमलेगा। यह
अजीब है कं तु जंदगी इसी कार से चलती है।
चाहे आप पु ष ह या मिहला, अंत म िन कष यही िनकलेगा क आपको वयं को अपने आदश साथी क
अपे ानुसार ढालना होगा। यही सबसे मह वपूण है।

(2) या आपको अपने जीवन साथी के बारे म गहरा ान है ?


इस संग म दूसरी चचा यो य बात जो िववाह क इ छा रखनेवाले ि के िलए सवािधक मह वपूण पूवापे ा
है, चाहे वह पु ष हो या मिहला, क आप अपने जीवन साथी के संबंध म कतना जानते ह। अ य कई शत भी पूरी
करनी ह गी ले कन यह सव ाथिमकता है।
आप अपने प–रं ग के बारे म चंता कर सकते ह क कोई खूबसूरत है तो कोई बदसूरत, लंबा है या ठगना,
मोटा है या पतला, धनवान है या ानवान। सभी कार के घटक म से चयन करना होता है और प रणाम व प
ब त से लोग नह जानते ह क कस बात पर सवािधक जोर देना है। कोई ि चतुर हो सकता है कं तु गरीब,
खूबसूरत हो सकता है कं तु ठगना, सुंदर हो सकता है कं तु बेबकू फ, अतः लोग नह जान पाते क इसम से कसे
अिधक मह वपूण माना जाए। आप दूसर से इस बारे म सलाह ले सकते ह कं तु आप संभवतः पहले से भी अिधक
उलझ जाएंगे।
कोई कह सकता है क प सवािधक मह वपूण है, दूसरा कहेगा क आप प–रं ग पर मत जाइए उसके
वहार को देिखए, तीसरा कहेगा क ि का ान देखना चािहए चौथा बल देगा क अ छी पृ भूिम सबसे
मह वपूण है। अतः यह िनणय कर पाना अ यंत क ठन है और मुझे दुःख से कहना पड़ रहा है क आपको ऐसा कोई
ि नह िमलेगा जो आपक सभी अपे ा पर खरा उतरे । आपको मानना होगा क हरे क म कोई न कोई कमी
होती है अतः यह उठता है क आप ाथिमकता को कै से रखते ह।
सामा यतः सवािधक मह वपूण ाथिमकता ह ऐसे ि क खोज िजसे आप समझ सक। इससे कोई फक
नह पड़ता क ि के पास कतना धन है य क य द यह सब समा हो जाए तो आपके बीच कु छ नह रहता।
हालाँ क कोई ि ब त सुंदर हो सकता है। कं तु हर दन देखने पर ये आकषण समा हो जाएगा। य िप आप
कसी ऐसे ि से शादी करना चाहते ह िजसका ि व महान हो कं तु एक दन आपको पता चलेगा क
उनम भी कु छ दुगुण है।
अतः आिखर म जो बचता है वह है गहरी आपसी समझ। एक सही आपसी समझ बीस, तीस यहाँ तक क
चालीस वष तक रहती है जब क य द आप बाहरी या व तुगत िवशेषता पर ही यान दगे, तो हालां क िववाह
के कु छ समय तक सब कु छ ठीक–ठाक चलेगा आपके बीच घिन ता धीरे –धीरे टू टने लगेगी और आपके र त म
दरार पड़ जाएगी।
मान ल कोई ी यह सोचे क ि म शैि क यो यता सव प र गुण है और उससे िववाह करती है िजसने
कसी याित ा िव िव ालय से ातक कया हो। हालाँ क बचपन म उसने काफ मन लगाकर पढ़ाई क थी
िव िव ालय से िनकलने पर उसे पीने क , सोमवार से शु वार तक रात भर बाहर रहने क और ब त रात म
चुकंदर क तरह गु से से लाल चेहरा िलए घर आने क लत पड़ सकती है। उसने इसिलए उससे शादी क यो क
उसने एक सव कृ िव िव ालय से पढ़ाई क है, कं तु य द वह पूरा मदहोश होने तक पीता है और िबना िपए
नह रह सकता और सुबह आ फस जाने से पहले भी पीता है तो वह िनराश हो जाएगी। कभी–कभी लोग शादी के
बाद बदल जाते ह।
संभवतः इस मिहला ने उससे शादी इसिलए क होगी य क सोचा होगा क वह बुि मान है; कं तु
दुभा यवश बुि मानी और शैि क उपलि याँ समान नह होती। वा तिवक प से बुि मान ि ज री नह
है क कू ल म अ छा पढ़ते रहे। जहाँ बुि मानी और शैि क यो यता म एक एक संबंध हो सकता है कं तु यह सौ
ितशत नह होता; असल म, अिधकांश मामलो म यह पर पर संबंध साठ से स र ितशत के बीच रहता है।
अंतर ि के झुकाव के कारण आता है। उदाहरण के िलए बौि क वृि का ि इसके बावजूद भी
बुि मान होगा क उसने हाई कू ल तक भी िश ा नह ली। जैसे–जैसे इस कार के लोग क होते जाते ह तीस
या चालीस वष तक धीरे -धीरे वा तिवक बौि क तर को ा कर लेते ह जब क हो सकता है बचपन म िजसे
पढ़ने के िलए जबरद ती भेजा गया हो वह बाद म पढ़ाई से घृणा करे । हालाँ क जबरद ती पढ़नेवाला ि
वा तव म चतुर हो सकता है ले कन वह मेरे पूव उदाहरण के ि के समान ही अपना जीवन तीत करने
लगता है। रोज रात को पीकर आना और अपने कै रयर को लात मारना। हालाँ क बाईस या तेईस वष क आयु म
वह काफ बुि मान था कं तु चालीस तक आते आते वह पूरी तरह से अलग ि बन गया।
िववाह के िनणय के मूल म कई घटक होते ह कं तु य द आप एक पर भी यान द तो आपको देखना चािहए
क आप दूसरे ि को कतना समझते ह। वयं से पूछ या आप अपने जीवन साथी को अ छी तरह समझते ह
या आप उसके जंदगी के नज रए को समान पाते ह। य द आप समझते ह क आपक उसके च र म गहरी पैठ
है तो आपके खुशहाल जंदगी जीने के अवसर अिधक ह।
वयं से पूछ आपका भावी साथी आपके काम या जीवन के ित िवचार को कतना समझता है। या
आपका साथी आपको ऊपरी तौर पर ही समझता है या या आपके साथी क सोच म आपक गहरी अंतदृि है?
य द आप पूरी तरह समझते ह क वह आपको अ छी तरह समझता है और यह समझ पार प रक है तो आगे
बढ़ना और िववाह करना संभवतः सुरि त है।
इस भाग म, आदश प ी ढू ँढने के मैने दो तरीके बताए ह। पहला क िजससे आप शादी करना चाहते ह
उसका पीछा न कर वरन दूसरे ि के आदश के अनु प वयं को बदल। दूसरे मैने समझ पर जोर दया है। आप
म भावी प ी को समझने क यो यता है या नह और वह आपको समझती है या नही यह मह वपूण है।

(3) आदश मेल के िलए यास कर


अगला, म िजस िवषय पर चचा करना चा ग ँ ा वह है िववाह के बाद संबंध बनाए रखना। य िप िववाह के तुरंत
बाद क अविध म पित–प ी खुश हो सकते ह कं तु ऐसे भी लोग ह िजनके संबंध धीरे -धीरे टू टने लगते ह और
तलाक तक क नौबत आ जाती है।
इस कार का नतीजा भुगतनेवाले लोग वे ह जो मानते ह क आदमी और औरत ताले चाबी के समान है
दोना एक दूसरे से आदश प से िमलने चािहए। उनका मानना है क य द वे कसी िवशेष कार के ि से
िववाह करगे तो उ ह खुशी हािसल होगी कं तु य द वे ऐसा नह कर पाते तो वैवािहक जीवन कड़वाहट से भर
जाएगा। जो लोग दूसर को व तु क तरह समझते ह उनका िववाह ायः इसी कार असफल हो जाता है। उनका
िवचार था क य द वे ‘ए’ ि से िववाह करगे तो उ ह स ी खुशी हािसल होगी जब क ‘बी’ से शादी करने पर
नह । य द वे अनुभव करते ह क ‘बी’ से शादी करने पर उनका जीवन बेकार हो गया तो कोई आ य नह क
उनका वैवािहक समय लंबा चले।
लोग को आदश मेल के िलए यास करना ज री है; यह संयोग से नह होता क लोग जंदगी भर सुख चैन
से जीएं। य द जोड़े समझते ह क वे कसी सीमा तक एक साथ चल सकते ह और फर उसके बाद आदश मेल के
िलए उ ह अपने संबंध गाढ़ करने ह गे। अथात इससे पहले क आप कह क आपका साथी आपके लायक नह है
आप वयं से पूछ क या आप इसम कु छ मदद कर सकते ह, या आपने इस बारे म कु छ सोचा है आपम कसी
यास क कमी है।
पु ष और मिहला दोन को अपना साथी समझने के िलए हर संभव यास करने चािहए। कृ पया इस प म
सोच और काय कर। व तुतः ऐसे लोग अिधक नह ह िजसके साथ आप चल न सकते ह । एक तर तक प च ँ ने के
बाद मा यास करना बाक होता है। आपके संबंध म अनेक संकट आ सकते ह कं तु जब वे आपको बरबाद करने
लग तो आपको उन पर काबू पाने के िलए खोजी और सरल दय से तरीके ढू ँढने ह गे। यास करने क इ छा
आपम अव य होनी चािहए।

5. संयोग जो आपका भा य बदल दे।


(1) कसी “महान” ि से िमलने क आशा
चौथा करण िजसके बारे म म बात करना चाहता ँ वह है भा यपूण भट। मेरे पाठक सभी उ के ह और य द
आप बीस वष के ह तो आप के वल एक या दो ऐसे लोग से िमले ह गे िज ह ने आपक जंदगी बदल दी हो, असल
म, अभी आप ब त से िमलगे। कं तु जैसे–जैसे आप बड़े होते जाएंगे और तीस, चालीस या पचास क उ तक
प च ं गे आप ऐसे लोग से िमलगे िजनका आपक जंदगी को बदलने म ब त बड़ा हाथ होगा।
य द आप अपनी िपछली जंदगी पर नजर डाल आप कई बड़े मोड़ पाएंगे, जीवन के येक मोड़ पर कसी न
कसी ने आपका भा य बदलने म मदद क होगी, आप सदा एक ऐसे ि से िमलगे िजसने आपको कसी न
कसी प म भािवत कया होगा। जब भी आप अपने जीवन के चौराहे पर प च ँ जाते ह और आपको बाय मुड़ने
दाय मुड़ने या सीधे जाने का िनणय लेना होता है तो आपको कोई न कोई अव य िमल जाता है जो आपक मदद
करता है। अनेक मामल म आपका भा य भट करनेवाले ि के बताव के अनुसार बदलता है।
िन संदहे ऐसे समय म आप आशा करते ह क कोई हो जो आपका भा य बेहतर कर दे, कं तु होता इसके
िवपरीत है। ऐसे भी लोग ह िज ह पता चलता है क संयोग िमलन से उनक जंदगी कभी–कभी बदतर बन जाती
है। संभवतः वे धोखा खाते ह या कसी के साथ वसाय करने लगते ह और दीवािलये हो जाते ह। संभवतः कू ल
का एक िश क परामश देता है िजसका अनुसरण करने पर िवपि का सामना करना पड़ता है। हालाँ क इस तरह
क दुभा यपूण ि थितयाँ आती है ले कन म यहाँ सकारा मक भट पर िवचार करना चाहता ।ँ जीवन म सफलता
के िलए यह ज री है क आप ऐसे लोग से भट संजोए जो आपको खुशी दे या सौभा यशाली बना द।
चीन म “महान” ि क एक धारणा है और उस देश म सामा य अिभवादन पर पूछते ह “ या हाल ही म
आप कसी ईमानदार, ऊंचे ओहदेवाले, अपने से सुिशि त या धनी ि से िमले ह और कम से कम ऐसे कसी
ि थित पर प च ँ े ह क आप अपना जीवन बेहतर कर सके ह ।” मैने सुना है क लोग ऐसी भट का अपने दैिनक
जीवन म उसी कार इ तेमाल करते ह जैसे हम कसी का वा य या मौजूदा हाल पूछते ह। “महान” ि से
भट ब त ज री है।
मानव सुख का अनुसंधान सं थान (हैपी साइं स) म हम ि गत यास और आ मानुशासन के मह व पर
अिधक बल देते ह कं तु ये दोन एक सीढ़ी के समान है िजस पर एक बार म एक पायदान ऊपर चढ़ सकते ह।
दूसरी ओर “महान” ि से भेट “ वचािलत सीढ़ी” के समान है। जब एक बार आप वचािलत सीढ़ी के एक
पायदान पर अपना पैर रख देते ह तो कई मंिजल तक आप त काल प च ँ जाते ह और जब बाहर आते ह तो अपने
को एक अलग दुिनया म पाते ह। ऐसा आपके जीवन काल के दौरान कई बार होता है।
इसे दूसरे नज रए से देख, हर कोई ऐसे लोग से िमलता है जो उ हे सौभा य क ओर ले जाता है। मेरा दृढ़
िव ास है क आप अव य कसी न कसी ऐसे ि से िमले ह गे िजसने आपके जीवन को पूरी तरह बदल दया
होगा। यह पूणतः सच है क जीवन के येक मोड़ पर कोई न कोई ऐसा होता है िबना सोचे िवचारे या अनजाने
ही कु छ कह देता है जो बाद म आपके िलए पथ दशक के प म काम करता है। वह ि यह घटना भूल चुका
होता है कं तु ऐसा अव य होता है।
अतः ऐसे भी अवसर आते ह जब कोई अचानक आकर आपको भा य क चाबी पकड़ा देता है और ऐसा करते
समय यह ज री है क आप उनक सलाह या िवचार सुन और सही दशा म आगे बढ़। यह कहना असंभव है क
ऐसा ि आपको िमलेगा य क ये भट हर ि के िलए िभ – िभ होती ह कं तु आपको सदा ऐसे संयोग
के िलए तैयार रहना चािहए जो आपका माग श त कर सके । य द आप ऐसी भट संजोए रखगे तो आपको अव य
ही ऐसा ि िमलेगा।
जब आप ऐसे कसी ि से िमल तो आपका जीवन आलौ कत हो उठे गा और आप कोई भी य न ह
आपको प ा िव ास हो जाएगा क आपके जीवन म ये च िधयाने वाला समय अव य आएगा। जो लोग यह
कहते ह क उ ह ऐसे लोग कभी नह िमले वे भा यहीन होते ह या भूल चुके होते ह। यह कई प म आता है अतः
इसके बारे म यानपूवक िवचार कर य क यह वा तव म ही एक बड़ा कदम बढ़ाने म सहायक होगा।
इस कार क भट के िलए आप िजतना तैयार रहगे उतनी ही इसक संभावना अिधक होगी। अतः येक
वष तैयार रह और आशा कर क कोई न कोई आपको अ छी सलाह देगा जो आपको बेहतर दशा क ओर ले
जाएगा और उ वल भिव य खोलेगा, य क य द आप ऐसा सोचगे तो इस कार का ि अव य आएगा।
इस भट के िलए य द आप ितमाह तैयार रहगे तो मानिसक तौर पर ऐसा ि आपसे िमलेगा। ये भट उतनी
ही अिधक ह गी िजतनी बलता से आप उनक आशा करगे।
इसका कारण यह है क य द आप लगातार इस कार क भट क आशा रखगे तो यह आपके सुर ा मक
शि यां (आ माएं) या अ य पथ दशक शि य (आ माएं) को और े रत करे गा क एक न एक भट अव य
होगी। वे सोचने लगगे क ऐसे शंसनीय रवैया रखने के िलए आपको अव य पुर कृ त कया जाना चािहए और वे
ऐसे ि क खोज करगे जो आपको आगे बढ़ने म मदद करे गा। आप ऐसे ि से सीधे िमलकर अपने जीवन के
ऐसे मोड़ पर प च ँ जाएंगे या आपके सुर ा मक शि या (आ माएं) के सहारे अनजाने म ही आपको ऐसे ि
क सहायता ा हो जाएगी। कं तु, कसी भी प म, कु छ न कु छ घ टत अव य होगा। लोग हमेशा आप पर
नजर रखते ह। वे आपसे िभ मौक पर िमलते ह और अिधकांश आपको आगे बढ़ाने के िलए कु छ न कु छ मदद
करने को त पर रहते ह। ऐसे ि से भट क पहली पूव आव यकता है ऐसे िमलन क ती इ छा जागृत होना।

(2) जो कु छ कहा जाए उसे यानपूवक व िवन ता से सुन।


सौभा यपूण भट क दूसरी पूवापे ा है न ता। यह ज री है क आप यह वीकार कर क संसार म ऐसे अनेक
लोग ह जो आप से अिधक बुि मान है और आपक उसम से कसी एक से भी िमलने पर उसे िवन ता से सुनना
चािहए। य द आप नह सुनते तो आप अवसर गंवा देते ह। आपको उनके उन श द क तलाश करनी चािहए जो
आपके अंतमन को बदल दे और ऐसे लोग से भट क आशा कर जो मह वपूण ट पणी कर।
अगले, आप िनि त ह क वे जो कु छ कह आप उसे पूरा हण कर ता क एक मह वपूण भट खराब न जाए।
जब आप महसूस कर, “यह सुख क देवी है, सौभा य क देवी है”, तो आप उसे अपने पास से जाने न द वरन
येक अवसर का लाभ उठाएं। ऐसी सौभा यपूण भट आपके जीवन क मह वपूण घटना म से एक है। यह
वाकई देदी यमान ण है अतः म चा ग ँ ा क आप इसे गंभीरता से ल। यह वह मौका है जब आप भा य के दोराहे
पर खड़े होते ह और सभी कार के लोग आपके जीवन को बदलने के िलए मदद करने को तैयार ह गे। य द आप
मानते ह क आपने अके ले ही सब कु छ अपने यास से ा कया है तो यह आपक भूल है। वयं सब कु छ ा
करना असंभव है अतः म चा ग ँ ा क आप िवन रह और जो कु छ लोग कह उसे यान से सुनना न भूल।
चूँ क इस भाग का शीषक “जीवन और जीत” है आप यह सुनने क आशा करने लगते ह क आपने अपने
यास से उपलि धयाँ हािसल क है कं तु आपक आशा के िवपरीत सही जीत क राह दूसर क मदद पर ही
िनभर करती ह। अवसर तो ब त ारा दए जाते ह। य द ब त से लोग आपका कै रयर बढ़ाने म आपक मदद
करने क कोिशश करते ह तो सफलता ा करना क ठन नह है। दूसरी ओर, य द ब त से लोग आपको सफलता
ाि से रोकने क कोिशश करगे तो आगे बढ़ना क ठन हो जाएगा और जबरद त यास करने क ज रत पड़ेगी।
य द दूसरे आपक मदद करना चाहते ह तो आप उसी बहाव म सफलता ा कर लगे। इसके िलए आपको
अहसानमंद रहना चािहए।
अंत म, लोग के वल अपने यास से ही सफलता ा नह करते। यह यान रखना ज री है क दूसर क
मदद से आप अपने ल य को पाने म कामयाब होते ह।

(3) महान दयवान बने


मै झूठा कहलाऊंगा य द मुझे यह कहना पड़े क मुझे यहाँ तक प च
ँ ने म कोई यास नह करने पड़े कं तु इस पथ
पर चल सकने म समथ होने का कारण है मुझे धरती पर अनेक लोग का साथ और वग से भी सहायता ा ई।
सामा य श द म, इसे “भा य” के प म कया जा सकता है, कं तु मुझ जैसे के िलए, जो वा तिवक जगत
क िव मानता को य मान चुका हो “भा य” श द का योग असंभव है। म जानता ँ क यह उन लोग के
सहयोग का फल है जो दूसरे लोक म रहते ह और उनके वा तिवक काय से ही मुझे यह सौभा य ा आ है।
कृ त ता जािहर करना न भूल।
य द आप अपने भा य म बदलाव चाहते ह तो तीन बात का यान रखना ज री है। पहला अपने भा य म
उ सुकता पूवक और बदलाव क आशा रख। दूसरे सदा िवन रह और यानपूवक सलाह सुन। तीसरे , सदा कृ त
रह। इन िनयम का अनुसरण करने पर मेरा िव ास है क जब आप जीवन के एक मोड़ पर प च ँ गे तो आपका
जीवन सभी का आलौ कत करे गा।

6. एक आ याि मक धरोहर
(1) आ याि मक धरोहर के प म ईमानदारी
पांचवे और अंितम करण म म आ याि मक धरोहर के िवषय म चचा करना चा ग ँ ा। पहले भाग म मने “ व थ
जीवन कै से जीएं” पर चचा क दूसरे म धन के सृजन पर िवचार कया और तीसरे म घर और प ी, पर चचा क
और चौथे म उन भेट के िवषय म कहा िजनके कारण आपका भा य बदल जाता है (सौभा यपूण िमलन)। आप
इ ह कस ढंग से पढ़ते ह उसी आधार पर वे आपक सांसा रक सफलता का माग श त करते ह या इस संसार म
आगे कै से बढ़ना है इसे प करते ह।
कं तु इस भाग का शीषक है “जीवन और जीत”, और सांसा रक लोक से परे या है इस पर िवचार कए
िबना इसे प करना असंभव है। यह ज री है क आप सांसा रक सफलता से परे सोच। जब तक आप इसे
सांसा रक सफलता से परे कु छ अ जत करने क नह सोचगे तब तक आप जीवन म सही जीत हािसल करने का
दावा नह कर सकते।
सांसा रक सफलता से बढ़कर या है ? मने सदा कहा है, “दोना लोक म रहनेवाली खुशी” ऐसी खुशी िजसे
आप मरने के बाद भी अपने साथ ले जा सक। यह खुशी कस प म रहती है? यह अ यंत आ याि मक है और इसे
दल पी खजाने के प म कया जा सकता है जो इस लोक का नह है।
दूसरे श द म जो लोग ‘स य के िनयम’ के संपक म आते ह और उसे समझते ह, जीवन म जीत से ता पय
मा लौ कक सफलता से कु छ अिधक है। यह कहना कोई अित योि नह होगी क जब तक आप कु छ महान
काय नह संजोते, अथात् एक आ याि मक धरोहर तो यह नह कह सकते क आपने जीवन म जीत हािसल क है।
मैने अनेक पु तको म अपना यह िवचार तुत कया है और संभवतः आपने इसे पढ़ा भी हो। कं तु म चा ग ँ ा क
आप इसे एक बार और पढ़।
“एक आ याि मक धरोहर” एक कपोल क पना सूि सी तीत होती है, कं तु य द मुझे इसे कु छ और कहना
हो तो इसे म “स यिन ा” क ग ँ ा। यो यता वह गुण है जो आपको ज म से िमलती है इसके बीज इस लोक म
आपके आिवभाव से आ जाते ह। य द आप उ ह पोिषत नह भी करते तो इनम िवकास मता होती है और वह
आप पर िनभर करता है क आप इसे िवकिसत कर। कं तु ईमानदारी ज मजात नह होती इसे आप अपने
जीवनकाल के दौरान इस ि आयामी लोक म ा करते ह यह एक अ जत गुण है। िन संदह े सभी का यह िव ास
है क वा तिवक जगत क देवा माएँ उदाहरण के िलए, सातव आयाम म, काश दूत ब त ईमानदार होते ह कं तु
इस लोक म अवत रत होने पर वे इससे संप नह भी हो सकते। कं तु उनम मता होती है। आप मता के
साथ पैदा होते ह कं तु ईमानदारी के साथ नह ।

(2) ईमानदारी दो प म आती है।


अतः ईमानदारी आप कै से ा करगे? यह कई दशि दय म धीरे –धीरे िवकिसत होती है कं तु या आप जानते ह
क यह कै से आती है ?
दो तरह क प रि थितय से ईमानदारी अ जत क जा सकती है। एक तो हतो सािहत असफल और ितकू ल
ि थितय म, दूसरे सफलता से, यही वे समय होते ह जब ईमानदारी आसानी से हािसल क जा सकती है।
िन संदह े , जीवन के अ य समय म कम हद तक ईमानदारी हािसल क जा सकती है कं तु पूण ईमानदारी जो
आपके जीवन पय त यादगार प म रहती है दो अनुभव से आती है।
चलो िवचार करते ह क ईमानदारी के वल हतो सािहत, िनराशावादी या ितकू ल ि थितय म ही य
आती है। ितकू ल ि थितय म अपने दुभा य को सभी कोसते ह कं तु जैसा क आप जानते ह क ऐसे भी लोग ह
जो अपने दुभा य के िलए बड़बड़ाते रहते ह और िवलाप करते रहते ह। अिधकांश लोग गलती करने पर अपने
भा य या प रि थितय को कोसते ह। वे दूसर पर भी वयं को नीचा करने का आरोप लगाते ह वे अपने भगवान
पर आरोप लगाते ह कं तु अिधकांश ितकू ल ि थित को नह झेल पाते और िनराश हो जाते ह।
दूसरे जो कु छ अिधक जाग क होते ह वे ितकू ल ि थितय से नह घबराते वरन इसे वीकार कर लेते ह
और सहते रहते ह। जो लोग इस प म दुभा य को सहने क कोिशश करते ह वे औसत लोग से बेहतर होते ह।
इससे ऊपर वे लोग होते ह जो आशावादी जीवन तीत करने म िव ास करते ह, ितकू ल ि थित के बावजूद
सुखी जीवन िबताते ह। ऐसे लोग को जाग कता के उ तर तर के िनचले सोपान पर खड़ा माना जाता है।
कं तु, वे लोग वाकई शंसनीय ह जो सभी ितकू ल ि थितय से िनपटने के िलए अपरािजत सोच का सहारा
लेते ह। मुसीबत के ण म वे इसम ई रीय मंशा को समझ जाते ह और वयं ही इससे िश ा लेने क सोचते ह।
वे अपने बीते ए कल से सीख लेते ह। वे दुदशा का ई रीय मज समझते ह और वयं से पूछते ह क उ ह कस
चीज क आव यकता है, ये ितकू ल ि थित उ ह या सीख दे रही है और फर इसे अपने च र िनमाण के
बुिनयाद या अपने काय के िलए नयी न व रखने के िस ांत के प म लेते ह। जो लोग ऐसा अनुभव करते ह
उनम ईमानदारी होती है। उनम असाधारण शि होती है जो काश फै लाती है।
क या िनराशा सहने क मता अदभूत् है कं तु वा तव म असाधारण लोग ई रीय मज को अपने अनुभव
म लेते ह, अंतमन को टटोलते ह ता क उ ह सफलता के बीज दख और उस बीज को फर पोिषत करते ह।
वा तिवक असाधारण लोग ही इसे हािसल करने म स म होते ह और यह से ईमानदारी आती है।
दूसरे कार क प रि थितयाँ िजनसे ईमानदारी आती है वह है सफलता। इितहास म िजनका नाम अमर हो
जाता है वे ऐसे लोग होते ह िज ह ने अपने जीवन म सफलता ा क होती है। इससे कोई फक नह पड़ता क वे
असं य बार असफल ए ह गे आिखर म उ होने सफलता हािसल क । उदाहरण के िलए अ ाहम लंकन। वे
चुनाव म असफल रहे, उनके ि गत संबंध िवफल हो गए और अपनी ेिमका क मृ यु सिहत उ हाने कई
मुसीबत झेल कं तु आिखर म वे संयु रा य अमे रका के रा पित बन गए और महान उपलि याँ पीछे छोड़ द ।
य द वे रा पित नह होते तो उ ह आज महान ऐितहािसक ि के प म याद नह रखा जाता। अंत मे उ ह
सफलता ा ई।
य द आपको पहले कई क या झटके सहने पड़े हो तो आिखर म बहार आएगी। जब अंत म सफलता आती है
तो उसे आप कै से लेते है, यह ज री है। वयं को सफलता का ेय लेने क कोिशश नह करनी चािहए, वरन वयं
से कह क इसे आपने अपने यास से ही ा नह कया है वरन यह तो ई र क इ छा थी। हालाँ क आपने इस
मन म संजोया, जल से संिचत कया और पोषण कया जब यह के वल अिवकिसत अव था म था ले कन यह के वल
आपके यास से ही िव कसत नह आ। सफलता का फू ल तो बीज प म आपके मन म पहले से ही अवि थत था
और अपने आप यह फु टत आ। आपने मा उसे फलने म पानी देकर और पोषण से मदद क । यही आपको
समझना चािहए।
वयं सारा ेय मत लीिजए; वरन िवचार क हाला क आपने कु छ हद तक इसे फलने म मदद क कं तु यह
देवीय इ छा से आपको िमली है। सफलता को िनजी उपलि ध के प म बदलने क कोिशश न करने का रवैया ही
आपक ईमानदारी बढ़ाता है। य द आप सारा ेय ले लगे और सफलता को अपने ही अथक यास और कौशल
का प रणाम समझगे तो और ईमानदार नह हो सकगे, तो यह अपनी यो यता से सफलता हािसल करने का
अनुभव मा होगा।
य द आप अपनी सफलता का ेय नह लगे, य द आप कहगे क इसके पीछे असं य लोग का हाथ है तो या
होगा ? तब या होगा जब आप यह िव ास करगे क आपक सफलता ई रीय इ छा है क ये आपके सुर ा मक
और देवदूत के फल व प ा ई है ? य द आप सोच क सफलता देवीय इ छा के कारण ा ई है तो आप
कै से काय करगे ? आप अव य ही सुिनि त करगे क आपक सफलता का लाभ अिधक से अिधक लोग को िमले
और इसी से ईमानदारी बढ़ती है।
येक ि अलग जीवन जीता है, कं तु ईमानदारी दो कारण से उ प होती है। यह कु छ ऐसा है िजसे
ा करना ज री है अतः म चा ग ँ ा क आप कु छ न कु छ ईमानदारी चाहे कतनी भी कम य न हो, हािसल
करने के िलए संघष कर ता क दूसरे लोक म लौटने पर इसे आप आ याि मक धरोहर के प म ले जा सक। तभी
आप यह कह सकगे क आपने जीवन म जीत वा तव म हािसल क है। मुझे आशा है क इसे आप अपने जीवन
काल म अनुभव करने म समथ ह गे।
भाग चार

अपरािजत सोच क शि
4: अपरािजत सोच क शि

(1) आ म चंतन और गित को जोड़नेवाला िस ांत


अपने सं थान म, मैने चौहरे माग– ेम, बुि मता, आ म चंतन और गित के सुख के िस ांत के प म शु आत
क है। इस पु तक का मूल िवषय “अपरािजत सोच” एक दशन है जो आ म चंतन और गित को जोड़ता है।
सामा यतः जब लोग क सोच सकारा मक होती है, तो वे सोचने लगते ह क इसके िलए सकारा मक और
रचना मक ढंग से आगे बढ़ना ही काफ है। कं तु हम इसे आ म चंतन, जो क मानव सुख म अनुसंधान सं थान
(हैपी साइं स) क मूल िश ाएं ह, से िमलाकर िवचार करना होगा।
य द लोग से कहा जाए क वे एक दन अपने िवचार और काय पर चंतन कर और फर सकारा मक सोच
के साथ आगे बढ़ तो कु छ तो दोन के बीच डगमगाने लगगे क कस पर यान के ि त कया जाए। अब तक मने
ि को कोई भी प ित अपनाने का िनणय लेने क छू ट दे रखी थी और इससे कु छ म पैदा हो जाता है। इस
कारण से, अपरािजत सोच के िवचार को इन दो िवचार से जोड़ने के प म शु आत क है िजससे यह िस ांत
और प हो जाता है। म चाहता ँ क आप अपरािजत सोच का इ तेमाल तब कर जब आपके पास कसी
सम या को सुलझाने का और कोई उपाय न हो य क ये एक भावशाली दशन ह िजसम आ म चंतन ओर
गित दोना शािमल ह।
सकारा मक सोच अपनाते समय लोग उसक छाया को नह देखते चीज के बुरे प पर नजर नह डालते।
वे के वल काश क ओर उ वल भिव य क ओर देखते ह या चीज पर के वल रचना मक दृि से नजर डालते ह,
हालां क यह दशन ब त कारगर है कं तु य द इस दशा पर के ि त रहगे तो आ म चंतन के िलए इसम कोई
जगह नह है। कं तु आप कतने ही सकारा मक और दूरं देशी बने रहे कई बार समय ठीक नह होता। मुझे िव ास
है आपने पहले भी कई िवफलताएं देखी ह गी। या ऐसे अवसर पर यह ठीक होगा क इसको अनदेखा कर
लापरवाही से आगे बढ जाएं।
संभवतः आपने वयं से कहा हो क जब तक आप आगे बढ़ते रहगे सब कु छ ठीक ठाक चलता रहेगा। बस
आपका रवैया हमेशा सकारा मक होना चािहए। य द आप िगर जाते ह या गलितयाँ कर बैठते ह तो आप संभवतः
कहते ह, “इन चीज क म परवाह नह करता, म के वल काश म रहना चाहता ,ँ आिखरकार एक ि क
वृि अिनवायतः काश क ओर होती है।” जो लोग सकारा मक सोच अपनाते ह वे इसी कार सोचते ह कं तु
या यही सब जीवन है? या लोग क भावनाएं इतनी सरल है ?
मानव जाित का दल और दमाग समझने के बाद मुझे मजबूरन अपने आप से पूछना पड़ा, या इतना ही
काफ है। या लोग को एक ही दशा म आगे बढ़ना, के वल एक कार क ही सोच अपनाना पया है ? नह ,
कदािप नह । लोग के दलो– दमाग गहन भावना और िवचार से भरे पड़े है अतः इस सब पर िवचार करने के
िलए गहरे दशन क भी आव यकता है।

(2) दृ यमान जगत म अपरािजत सोच क शि ।


अपरािजत सोच येक ि का ि गत दशन है। इसके बावजूद मेरा दृढ़ िवचार ह क इसक दशा और
दृि कोण क ा या क ँ िजसे आप अपना सक अतः यहाँ इस प र े य से म अपरािजत सोच क शि पर चचा
करना चाहता ।ँ
यह दशन िस ांत इस िवचार से उ प आ क हर ि गलितयाँ करता है। कोई भी ि इस संसार से
िबना सम या से जूझे तर नह पाता। असिलयत यह है क लोग पहले बाय और फर दाय मुड़ते ह कं तु वे सदा
अपनी जंदगी को और बेहतर और खुशहाल बनाने म लगे रहते ह। इस वा तिवकता के म ेनजर, सफल जीने के
िलए या ज री है ? म चाहता ँ अभी आप इसी पर िवचार कर।
अपरािजत सोच एक दशन िस ांत है जो इस ि आयामी जगत म जहाँ हम रहते व खाते ह रहने के िलए
असीम भाि दान करती है। िन संदह
े कु छ ऐसे भी िस ांत ह जो इस ि –आयामी जगत, उदाहरण के िलए
आ म ान का िनयम, इ छा का िनयम इससे परे है।
वा तिवक जगत म, आप अपनी अंत निहत शि को लगभग सौ ितशत िन िपत कर सकते ह कं तु
ि आयामी जगत म यह ि थित होना ज री नह है। येक ि वयं को एक िभ प म कट करता है।
आलोक का अ त ै वाद िजसके अनुसार, “के वल काश ही चारा ओर है।” उ आयाम म अिधक कारगर ह।
अपरािजत सोच आ याि मक िनयम प करते ह िजसे पूरी तरह नह समझा जाता िवशेषकर इस दृ यमान
जगत के दृि कोण से।

(3) अपनी आ मा के िवकास के िलए मुि कल को अपनी ताकत बनाएं।


म इस बात से शु करना चाहता ँ क अपरािजत सोच इस िवचार पर आधा रत है क जीवन म सभी मुसीबत
को आ मा के पोषण म लगा देना चािहए। आपके अपने जीवन काल म कई बाधा असफलता और क ठनाइयाँ
आएंगी कं तु इस संसार म आपके आने के उ े य के प र े य म या आप इनसे मु रह सकते ह ? म चा ग
ँ ा आप
इस पर मनन कर। या आपका ज म उ प होनेवाली क ठनाइय और मुसीबत से बचने के िलए ही आ है ?
इस का जवाब द।
जब आप जंदगी के मायन के बारे म सोचते ह, तो आप पाएंगे क यह आसान नह है। आपका इस धरती
पर ज म येक सौ या कु छ सौ वष के अंतराल म होता है ता क अपनी आ मा के प र कार के िलए आप िविभ
कार के लोग से नई प रि थितय म काम कर । इस धरती पर जीवन अ छे अनुभव से ही भरा नह है वरन
आपके ज म से पूव आप ये सब जानते थे। आप इस धरती पर मा इसिलए नह आए ह क आपके िलए सब कछ
ठीक–ठाक चलता रहे। धरती पर आने का आपका उ े य एक ऊँचा मुकाम हािसल करना और अनेक अलग–अलग
अनुभव को संिचत कर वा तिवक आलोक फै लाना है, इसम कई बार परी ा और ु टय क या आएगी।
य द आप अपने जीवन के उ े य को इस नज रए से देखगे तो आपक मुसीबत और बाधा को नए मायने
िमलगे। यह ान ही अपरािजत सोच क बुिनयाद है।
य द आपक सोच इस त य पर आधा रत होगी क मानव जाित का जीवन शा त है और पुनज म के
मा यम से धरती पर वह बारं बार आता है आप िभ नज रए से इस दृ यमान जगत क सभी घटना और
अनुभव को देखते ह और चाहते ह क ये अनुभव आपके अंतमन को अमू य पोषण दान कर । अपरािजत सोच
का यही आधार है।
जीवन क सबसे बड़ी चुनौती है कै से सवािधक यास , संपूण ान कौशल और िवचार से जीवन म
आनेवाली सम या से िनपटा जाए और जो कु छ अ जत कया है उसे कै से अपनी आ मा क शि बनाया जाए।
अतः कसी सम या से के वल बचने या उसे नकराने से बात नह बनेगी । यही हमारे सं थान क िश ा म
कया जाता है िजसके अनुसार, “जीवन एक अ यास पुि तका है िजसम दी गई सम या का हम िनदान करना
और हरे क को येक सम या सुलझाने का यास करना चािहए।”
यह आपक अपनी सम या क एक अ यास पुि तका है िजसका हल आपको वयं िनकालना है। म चाहता
ँ अपरािजत सोच सीखने क पूवापे ा के प म आप इस पर िवचार कर। आपको अपनी सम या का हल
वयं िनकालना है और एक बार जब आप इनका हल ढॅूढ़ लगे या इ ह हल करने क दहलीज म ह गे तो दूसर का
माग श त करने क भी सोचगे। तब, के वल दूसर क मदद तक ही सीिमत न रह वरन कु छ िवशाल,
सकारा मक उप म थािपत करने के िलए भी यास कर। यही अपरािजत सोच का काय प है।

(4) अपने व का खुद मािलक बन।


अब म चा ग ँ ा क ऐसी सोच बनाएं क जो अपरािजत सोच से वा तिवक शि ा करने म मह वपूण सािबत
हो। मूलतः इसे अद य जोश के प म कहा जा सकता है।
चूॅ क मानव सुख का अनुसंधान सं थान (हैपी साइं स) क थापना से म अनेक लोग के संपक म आया और
िविभ कार क सोच के बारे म सुना। कु छ लोग रोशनी पसंद करते ह तो कु छ को अंधेरा पसंद है, कु छ उ लासी
ह, कु छ िनराशावादी और सभी छोटे–बड़े ि गत नाटक से गुजरते ह। अपने सं थान के याकलाप से संपक
म आने के बाद ब त से लोग के जीवन म बदलाव आया है।
अपने जीवन काल म लोग िविभ समय , रोशनी और अंधेरे, सुख और दुःख, अनुकूल और ितकू ल समय
का अनुभव करते ह। य द लोग का इन प रि थितय के म ेनजर देखा जाए और उनक ित या के अनुसार
उ ह बांटा जाए तो सभी को िन दो समूह म बांटा जा सकता है।
एक कार के लोग वे होते ह जो अपने अनुकूल समय म ब त अ छा करते ह। जब उनके अनुकूल हवा चल
रही होती है तो सब कु छ उनके अनुसार होता है कं तु जैसे ही ितकू ल हवा चलने लगती है वे प रि थित से
समझौता नह कर पाते। हालाँ क वे सही हवा चलने पर नाव सही खेते रहते ह कं तु जैसे ही हवा पलटा खाती है
और िवपरीत चलने लगती है तो वे आगे बढ़ने म वयं को असमथ पाते ह। कई बार तो नाव उलट जाती है। काफ
लोग इसी ेणी म आते ह।
दूसरे कार के लोग वे ह िजनम अद य साहस होता है। वे शु से ही दृढ़ िन कपट इ छा का दशन करते ह
और िनरं तर दृढ़ िन यी होते ह। कभी–कभी ि क इ छा ब त बल होती है कं तु समय गुजरने के साथ ही
इसक स यता क परख होती है।
अपरािजत सोच एक दशन िस ांत है जो आपको आपके समय का उ ताद बनाता है और समय आपके वश
म रहता है। यह देखने के िलए इस दशन को आपने कतना अपनाया है आपको िवचार करना होगा क छः माह,
या एक साल या दो या तीन साल पूव आप कै से थे। इस समय के दौरान आपने या उपलि ध पाई, आप आगे बढ़े
या पीछे, सही पथ से भटके या उस पर चलते रहे यह देखना होगा। इस कार आपको सदा अपने जीवनचया क
जाँच करनी होगी। य द आप अपने पथ पर मुड़कर देख और पाएं क आपने एकल, ि थर पथ पर काफ गित क
है तो इसका अथ है आपको छु ट–पुट घटना से कु छ नुकसान आ है कं तु सम प म आप बड़ा खेल जीतने का
िनरं तर यास करते रहे।
अतः अपरािजत सोच वृ के बढ़ने के समान है। िवकिसत होने के साथ–साथ पेड़ को कई चुनौितय ओर
मुसीबत का सामना करना पड़ता है। तेज हवाएं उसक शाखा और प को उखाड़ सकती है। पेड़ उखड़ने
लगता है इसम पोषण क कमी होती है या इसक जड़ उखड़ जाएंगी। कं तु कु छ भी हो जाए यह और िवशाल
होने के िलए संघषरत रहता है। अपरािजत सोच इस कार के यास पर आधा रत है।

(5) बांस क शि जो गांठ बनाती है।


एक िभ पक के योग व प म बांस का उदाहरण देना चाहता ।ँ संभवतः आपने बांस के पौधे क शंसा क
होगी। आपने इसे बढ़ते ए देखा होगा और तने को देखकर उसके ऊपर तक जाती गांठे देखने पर ऐसा लगता है
मानो गांठ मा एक कार क क म है। कं तु जब म इस पर देखता ँ तो मुझे आ य होता है क बांस को ये गांठ
बनाने म कतनी मेहनत करनी पड़ती होगी।
बांस क गांठ येक आठ से बारह इं च के अंतराल पर होती ह और येक गांठ काफ मजबूत होती है। जड़
क ओर ये गांठ बड़ी और मजबूत होती जाती है और ऊपर तक जाते–जाते ये छोटी और कमजोर होती जाती है
और हवा म झुक होती ह। कं तु समय के साथ पतला और कमजोर भाग मजबूत होकर बड़ी गांठ बन जाता है
और शीष और लंबा हो जाता है। बांस को देखने पर आप पाते ह क यह ख ड ित ख ड बढ़ता जाता है। म इसे
ब त भावशाली मानता ।ँ चाहे ये तीस फ ट या साठ फ ट तक बढ़ जाए इसे इसक गांठे इसे अनोखा बनाती
ह।
बांस हवा का ितरोधी होता है। कतनी ही तेज हवा य न चले, बांस का पौधा आसानी से नह टू टता।
यह मजबूत पौधा नह है कं तु लचीला होने के बावजूद ये इतना कमजोर भी नह है। हवा कै सी भी चले, बा रश
हो, ये उनक परवाह कए िबना बढ़ता रहता है। अपने तने पर अपने िवकास के िनशान छोड़ता जाता है मानो
कह रहा हो, “म कतना बढ़ता रहता ।ँ ” मैने िवचार कया क बांस इन गांठ को बनाने म कै सा महसूस करता
होगा। जैसे–जैसे एक गांठ और जुड़ती जाती है तो यह सोचता होगा, “म अब इतना लंबा और बढ़ चुका ।ँ ” मुझे
िव ास है यह उसक एक बड़ी उपलि ध है।
आप अपने जीवन को िजस कार ढालते ह वह काफ कु छ बांस के पौधे से िमलता जुलता है। आप बांस के
समान ही पतले ह। यहाँ तक क बांस का सबसे बड़ा डंठल के वल आठ से दस इं च बड़ा होता है। वे इससे बड़े नह
होते। जमीन से ऊपर बांस का पौधा अंकुर क तरह होता है फर ये सीधा बढ़ता जाता है। यह अपना शु आती
लचीलापन नह छोड़ता न ही अपनी मजबूती छोड़ता है। लचीलापन और मजबूती दोन एक साथ होते ह और
यही िवकास के िलए ज री है।
दूसरे श द म, िजसे म “अपरािजत सोच” कहता ँ वह एक दशन है जो आपको जीवन के अ छे बुरे समय से
गुजरने म मदद करता है और ये बांस के पौधे के समान है। मूलतः बांस लचीला कं तु मजबूत होता है। वह के वल
एक ही दशा म नह झुकता या झुकता ही नह है। तदु का पेड़ बांस क तरह हवा म लहराते या झुकते नह ह
और आसानी से टू ट जाते ह। बांस चटकता नह है कं तु तदु के पेड़ चटक जाते ह। जैसा क आप जानते ह िभसा
(िवलो) का वृ भी ज दी नह टू टता। जो ब त मजबूत या कड़ा दखता है वा तव म कमजोर होता है और
आसानी से चटक जाता है। कं तु, जो लचीला होता है उसम असली ताकत िछपी होती है और आसानी से नह
टू टती। यही आपका उ े य होना चािहए आपका ये ि आयामी जगत एक तरह का ीनहाउस नह है। यह वह
संसार है जहाँ वषा होती है, हवा चलती है और ओलावृि और अकाल आते ह।
मने बांस के पौधे का योग पक के प म कया है कं तु इस पर िवचार कर क आपका जीवन और भा य
च इसी प म चलता है। म यह नह कहता क येक च कतना लंबा चलता है यह कई वष या कई माह चल
सकता है कं तु एक बात िनि त है क कभी समय अ छा चल रहा होता है तो कभी समय अ छा नह चलता।
मेरा िव ास है क ितकू ल समय म ही कु छ अ छा ज म लेता है। आपके जीवन के मोड़ पर आप अपने माहौल
और आस पास के लोग के साथ मेल नह रख पाते। कं तु य द कोई मुझसे पूछे क या इन समय से गुजरना
बेहतर है तो म क ग ँ ा हाँ य क मुसीबत के ण ही अ छी चीज घ टत होती ह।
इस नज रए से जीवन को देखने पर आप जान पाएंगे क ितकू ल ि थित से घबराने क ज रत नह है।
ितकू ल ि थित म ही आपक आ मा का सवािधक पोषण होता है और आप मह वपूण सबक सीखते ह। यह समय
वैसा ही होता है जब बांस नयी गांठ बनाता है यह आठ से दस इं च ि थर प से तब तक बढ़ता है जब तक क ये
अगली गांठ तक नह प च ं जाता। मेरे िवचार से ये बांस के िलए बड़ा दद भरा समय होता है य क उसने
संभवतः सोचा था क काश वह िबना गांठ बनाए इसी तरह ि थर गित से बढ़ता जाता। उसने शायद व देखा
हो क काश वह िबना कावट के तीस या साठ फू ट तक बढ़ता ही जाए। कं तु उसे गांठ बनाने के िलए हर आठ से
दस इं च पर कना पड़ता है। मुझे िव ास है उसके ऐसा होने पर अव य ितरोध और िन लता क भावना आई
होगी; उसे आ य आ होगा क वह मनचाहा य नह बढ़ सकता उसे कावट का सामना य करना पड़ता है।
बांस के िलए यह बड़ा दद भरा समय होता है य क वह बढ़ने क इ छा रखता है कं तु उसे एक गांठ बनाने
के िलए कना पड़ता है। मुझे लगता है क उसे उलझन होती होगी और कसी बाधा को पार करने जैसा महसूस
करता होगा कं तु शी ही उसम शि आती है और एक गांठ बन जाती है गांठ बनते ही बांस पुनः सामा य प
से बढ़ता जाता है जब तक दूसरी गांठ बनाने का समय नह आता। कसी पौधे के िलए ये गांठ बनाना ब त
क दायी होता है कं तु इ ह के सहारे वह लगातार बढ़ता जाता है हालाँ क वह इसे जान नह पाता। ये गांठ
उसको बढ़ने का आधार दान करती ह।
अंत म यह िन कष िनकलता है क भा य और क मत च म चलते ह। कभी समय अ छा चलता है और
कभी कोई काम नह बनता, अवसर के समय और ितकू ल समय वे होते ह जब आप बढ़कर गांठ बनाते ह।
ितकू ल समय आपके जीवन क गांठ ह और एक गांठ बनाने के बाद आप अगले कदम क ओर बढ़ते ह।
म चाहता ँ क आप अपने िपछले समय को देख जब आपने ब त कु छ सीखा था। मुझे िव ास है क कभी
आपको दुःख आ होगा, आपको दूसर के श द से ठे स लगी होगी, आपको वसाय म क ठनाई आई होगी,
दीवािलए हो गए ह गे या बीमार पड़ गए ह गे। कं तु पांच या दस साल के बाद इन अनुभव को देखने पर आप
पाएंगे यही समय आपक मीठी याद बन जाती ह। अतः जब आपक जंदगी असहनीय हो जाती है, अपने आप से
कह क आप इस समय गांठ बनाने क अव था म ह और फर िवकास माग म अगले चरण क ओर बढ़ जाएं।

(6) ितकू ल माहौल म वा षक छ ले तैयार करना।


िपछले भाग म मने बांस के पौधे के िवकास को जीवन का पक माना था कंं तु सामा य वृ भी इसी कार काय
करता है। बांस के समान अ य वृ म गांठ नह होती कं तु उनम वा षक छ ले आते ह।
जब म देहात म रहता था तो मने कू ड़ा जलाने के िलए िनदाहक बनाया था यह ट और प थर का बना
होता था ता क आग फै लने न पाए। पास ही म एक पेड़ होता था और म सोचता था क आग क गम इस पेड़ को
ख म कर देगी। कं तु मेरी आशा के िवपरीत, ऐसा नह आ; व तुतः यह पहले से और अिधक मजबूत हो गया
और हालाँ क अ य पेड़ मर गए पर यह बढ़ता गया।
जंदगी उस िनदाहक के पास वाले पेड़ के िलए वाकई काफ मुि कल भरी होगी कं तु उसी समय उसके
िवकास म वा षक छ ले आए ह गे। उसका तना और मोटा, और अिधक जीवंत आ होगा। अजीब बात है क
अनुकूल थल पर बढ़नेवाले वृ तूफान म ज द ही उखड़ जाते ह। य द हम इसक मानव जीवन से तुलना कर
तो कहा जा सकता है क अ य पेड़ िविश वग के होते ह जो बड़े िनगम के िलए काय करते ह। वे धनाढ् य
प रवार से होते ह और उ ह ने अपने समूचे जीवन म कभी क नह झेला होता कं तु जैसे ही कोई आंधी आती है
अथात् उ ह अपने कै रयर म कोई झटका लगता है वे उसे झेल पाने म असमथ रहते है।
य द आप महान लोग का जीवनवृत पढ़ तो आप पाएंगे क अनेक मामल म वे काफ क द जीवन जीते
ह। इससे पता चलता है क िबना ितकू ल ि थित से गुजरे वे अपनी आ मा म वा षक छ ले नह बना सकते थे।
अतः जीवनकाल म क ठन ि थितय को सहना अ यंत मह वपूण है। जहाँ तक मेरा सवाल है म लोग के सम
खड़े होकर उ ह जीवन क सम या पर सलाह दे सकता ँ य क म भी इन क ठन समय से गुजरा ।ँ जो कु छ
उस समय सोचा था वह आज मुझम शि प म बदल गया।
जब आपका शरीर और आ मा दुभा यपूण हवा के थपेड़ , दुःख तकलीफ हर कार के दुभा य का मुकाबला
करने म समथ होता है व यह एक कार क ितर ा होती है। फल व प आप जंदगी क सम या से लड़ना
सीख जाते ह। जब एक बार आप इसम िस ह त हो जाते ह आप अपने ही अनुभव से नया ान ले लेते ह और
आपम नये िवचार आते ह। अंत म, आपका येक अनुभव एक सीख बन जाता है जो आपक आ मा को
शि शाली ऊजा दान करता है।

(7) लंबी दूरी के धावक के समान सोच।


अब तक पु तक का यह भाग अद य साहस के बारे म था और अब म इससे जुड़े िवषय पर िवचार करना
चा ग ँ ा, अ पकालीन और दीघकालीन सोच। कसी भी ि थित पर िवचार करने के दो तरीके ह, अ प काल म
और दीघ काल म।
आपको के वल दीघकालीन बात पर ही िवचार नह करना चािहए और वतमान को मह वहीन नह
समझना चािहए। यह कहना उिचत नह है, “म सद म सब कु छ जोड़ लूंगा, अतः अभी म जो चा ँ कर सकता
।ँ ” हालाँ क यह ी मकाल है कं तु अभी भी ब त कु छ करने लायक है। आप अपने दन सु ती से यह सोचकर न
गुजार क आपने सद के िलए काफ लकड़ी और कोयला जोड़ िलया है और आपको अिधक चंता करने क
ज रत नह है। आपको हर मौसम के िलए सब कु छ जोड़ कर रखना चािहए।
कं तु जब आप यागने के बारे म सोचगे ओर िवचारगे क समय आगे और बुरा नह आएगा। तो आप आगे
मुसीबत या क ठनाइयाँ नह झेल सकते। म चा ग ँ ा क आप हमेशा यान रख क आपके जीवन म ये ण
अ पकालीन होते ह। य द आप मा एक या दो लघु वष पर ही यान के ि त करगे तो आप महसूस करगे आपके
मन के अनुकूल ि थितयाँ घ टत नह ई और आप िनराश हो जाएंगे कं तु ऐसे समय म आपको अपनी सोच को
पूरी तरह बदलना होगा।
आप अ पकाल म सफल नह ए इसका मतलब है क आपम धावक क मता नह है। आप सौ गज क तेज
दौड़ को जीतने म भी असमथ ह कं तु इसका यह अथ कदािप नह है क आप म धावक क यो यता नह है। कु छ
सौ गज क दौड़ से लेकर छ बीस मील तक चलनेवाले मैराथन भी होते ह। य द आप दौड़ म ठीक नह ह तो वयं
से पूछ क या आप म लंबी दूरी क दौड़ क ितभा है। कभी–कभी म आपके नज रए को बदलना चाहता ।ँ
म वयं भी कभी अ छा धावक नह रहा कं तु जब म व र उ िव ालय म था, मने एक बार मैराथन म
िह सा िलया और एक संतोषजनक पदवी ा क । लंबी दूरी क दौड़ के इस अनुभव ने मुझे सभी चीज म आ म
संतुि क मह ा िसखाई। जब दौड़ शु ई मैने कु छ लोग को चुना िज ह म अपने समान ही कािबल समझता
था। कं तु कु छ दूरी तक दौड़ने के बाद मेरा शरीर जोश से भर गया और मुझे अ छा लगने लगा ओर मैने पाया क
म कह अ छा दशन कर सकता था। दौड़ के आधे थल से मैने अपनी चाल बढ़ानी शु कर क और मुझे लगा
क मेरे पैर लंबे हो गए ह। म अपनी गित तब तक और बढ़ाता चला गया जब तक मैने उन लोग को नह पछाड़
दया जो हमेशा दौड़ म मुझसे बाजी मार जाते थे।
धावक सामा यतः सही डील–डौल के होते ह और य द वे लंबी दूरी क रे स म गलत चाल से चलगे तो वे
वयं सबके साथ नह चल पाएंगे। य द वे ब त तेज दौड़गे तो वे आधे रा ते पर रह जाएंगे, हाँफने लगगे और
आराम करने के िलए कगे। जब मैने धावक को पीछे छोड़ा तो मैने उनके चेहरे पर आ य देखा और हालाँ क
उ ह ने आगे रहने का भरसक यास कया कं तु वे ऐसा नह कर सके और िपछड़ गए। मुझे िव ास नह आ क
ऐसा आ ये वाकई एक च कानेवाला अनुभव था।
मैने यहां आपके कदम बढ़ाने क मह ा के बारे म चचा क है। आपको अपनी वा तिवक मता का
मू यांकन वंय करना है और उपयु समय का िनधारण करना है जब आप सवािधक यास कर सक ता क लंबी
दौड़ म आप सव े संभािवत प रणाम ा कर सुधार क सदा गुंजाइश रहती है।

8. संिचत भाव।
म समझता ँ क हमारे सं थान के कु छ सद य के िलए स य का अ ययन वा तव म िसरदद है। शायद वे इस
बात से परे शान रहते ह क उनके पास स य क पु तक पढ़ने का समय नह है या सेिमनार म उ ह सीखने म
क ठनाई होती है।
य द आप के वल अ पकाल क दृि से देखगे तो यह सच है लोग म िभ –िभ तर क यो यता होती है।
उदाहरण के िलए य द एक समूह के लोग को एक वष के काल म कसी म महारत हािसल करने को कहा जाए तो
कु छ दूसर क अपे ा इसे ज दी हािसल कर लगे। कं तु एक साल म ही उ तर क जाग कता ा करना ही
ल य नह होना चािहए न ही इस संसार को एक वष के भीतर ही छोड़ने क असली चुनौती होती है आप इस
जीवनकाल म अपनी आ मा को कतना प र कार कर पाते है, वा तिवक जगत म आपक वापसी से पूव आप
अपने च र को कतना सुधार पाते है।
य द आप ज दबाजी करगे और अ पकाल म कु छ ा करना चाहगे तो आपके हारने के मौके यादा ह गे।
कं तु य द आप दीघकाल क दृि से काय करगे तो आप जानगे क चीज पर अ य नज रय से भी सोचा जा
सकता है कसी क उपलि धय या यो यता को मापने के िलए समय क एक साल क अविधय म बांटना बेकार
है। न ही इस ख ड को तीन या चार वष क सीमा म रखना पया होगा। समय सीमा को बढ़ाना ब त ज री है।
य द कु छ लोग कसी िवषय से एक या दो वष म ऊब जाएं और छोड़ दे तो आप वंय से कह सकते है क म तो
अ ययन जारी रखूँगा। इसी कार से आप अपनी सोच को बदल सकते ह।
य द आप ऐसा करते है, तो आप लंबी दौड़ के धावक क तरह सोचते है और धीरे धीरे आप सकारा मक
प रणाम पाते है। अजीब, कं तु आशा के िवपरीत ब त ज द प रणाम ा कर लेते है मान धावक के समान
हो। ऐसा आप संिचत भाव के कारण कर पाते ह। संिचत प रणाम। हालां क आपम कोई एक िवशेष मता नह
है और अपनी ढलाई के िलए भी वंय को कोसते ह, कं तु य द आप यास जारी रखते है तो आप पाएंगे क
संिचत भाव ने काम करना शु कर दया। जब आप कु छ हद तक अनुशासन ा कर लेते ह और कु छ ान
संिचत कर लेते ह तो आप पाते है क पहले िजसे अ जत करने म काफ समय लगता था अब ब त ज द ा हो
जाता है। यह अजीब लगता है कं तु यह इसी कार से काय करता है।
य द आप खमीर (यी ट) और चावल िमलाकर कु छ समय के िलए छोड़ देते ह तो जामन ारा साके
(जापानी शराब) तैयार हो जाती है। इसी कार आप अनुभव को संिचत कर कु छ समय बाद उससे लाभ ा
करने लगते है। यह तब होता है जब इसके बारे म सबसे कम आशा करते ह आगे बढ़ने म अपनी शि लगाते है।
कं तु म आपको सावधान कर दूँ क इस जामन से फल ाि म वष लग जाते ह।
यही प रणाम कई भोजन और पेय पदाथ म देखा जा सकता है, कु छ को उनका असली मू य जानने के िलए
वष तक संजोए रखना पड़ता है। शराब इसका एक बड़ा उदाहरण है कु छ बोतल क क मत उनके अिधक पुराने
होने पर अिधक बढ़ती है। सूखी बोनीटो भी इसी कार क है। य द आप मछली को तुरंत खाना चाहते है तो यह
पूरी ताजी होगी कं तु सूखी मछली के िलए ताजी मछली का कोई काम नही। पहले मछली को सुखाया जाता है
फर इसे मो ड होने के िलए छोड़ दया जाता है। यह मो ड इसके वाद को काफ बढ़ा देता है अतः अंितम
वा द ता के िलए इसे कु छ अिधक लंबे समय के िलए छोड़ दया जाता है। ऐसी भी चीज है िज ह कु छ िनि त
अविध के िलए रखा जाता है और फर अचानक एक दन वे पूणतः दूसरी चीज म बदल जाती है।
एक दूसरा उदाहरण ल, कू ल क परी ा म दो कार के छा सफल होते है। एक छा पु तक को शु के
कवर से आिखरी कवर तक िबना एक श द छोड़े पूरा पढ़ता है। दूसरा मह वपूण बंद ु और बात को छाँटकर
उ ह याद कर लेता है। उसे पता होता है क पु तक के कौन से ख ड क परी ा म आने क संभावना है और दूसरे
ख ड पर वह मा सरसरी िनगाह डालता है। अ पकाल म बाद वाली तकनीक कारगर है य क छा मु य
बात को अ पकाल म हण कर लेता है। दूसरी ओर वे है जो अपनी बोधग यता बढ़ाने के िलए अपना काय
बारं बार करते है, तो उनके अ ययन के प रणाम म कई वष लग जाते है। कं तु वष क कड़ी मेहनत से वे
असाधारण प रणाम ा करगे य क वे गहन चंतन के आदी हो चुके होते है।
इस कार का ि जो एक समयाविध म ल य ाि के िलए कड़ी मेहनत करता है ज री नही क वह
ब त चालाक हो। य द वे बीच म ककर अपनी उपलि धय को देख तो वे सोचगे वे सु त िश ु ह और उनम
अ छा करने क मता नह है। य द उ ह आधे रा त पर ही अ ययन छोड़ना पड़े तो वे कु छ हािसल नह कर
पाएंगे। अतः वे कभी बीच म न छोड़। य द वे बीच म अ ययन नही छोड़ते तो वे अ प होने पर भी आिखर म
सफल हो जाएंगे। उनक इ छा शि ही उ ह आगे बढ़ने म सहायक होगी उ ह अपने आप से िनरं तर यह कहना
होगा क वे पूरी तरह डू बे नह है और आिखर म जब वे सतह पर आएंगे तो पाएंगे क वे अपनी मंिजल क ओर
काफ आगे बढ़ चुके है।
सामा यतः िश ा के संबंध म यह सच है िजनके ब े कू ल म है उनके माता–िपता ब क ाइमरी या
जूिनयर हाई कू ल म अ पकालीन शैि क रकाड को देखकर यह िन कष िनकाल लेते है क उनके ब े अ छा
पढ़गे या खराब। कं तु फर भी वे कु छ जानना चाहते ह। य द ब े अ याय क मु य बात को तुरंत हण कर
समय से पहले आगे पढ़ाए जानेवाले अगले अ याय क ओर बढ़ जाते ह तो वे ा अ छे अंक ा करते ह। कं तु
ज री नह है क ऐसे ब े आगे चलकर जीवन म सफल ह ।
जो ब े अपनी शेष क ा से आगे पढ़ लेते है ज द ही िश क क बात को हण कर का जवाब दे देते है।
थम दृि म वे ब त ितभाशाली लगते ह कं तु वे उन लोग के समान ह जो अपनी सारी खरीद े िडट काड से
करते ह। उनके पास नकद नह होता अत: वे सब कु छ अपने काड से लेते है और अपना ॠण मजदूरी या बोनस
िमलने पर चुकाते ह। वे हर कार क चीज खरीदते है कं तु सदा ॠण म डू बे रहते ह।
यह सच है क जो लोग समय से पहले सूचना पा लेते है अ पाविध म ही अ छा कर जाते ह। इसी कार वे
जो अ याय क मु य बात को चुनते ह और इ ह को पढ़ते ह अ छे अंक तभी पाते ह जब परी ा म वही सब कु छ
आए जो उ ह ने पढ़ा है। ये सामा य युि यां है और असल म यही लोग ायः सफलता पी फल का वाद चखते
ह। कं तु म इस बात पर जोर देना चाहता ँ क यह िनि त नह है क उनके पास वा तिवक मता भी हो जो
उनके जीवन म काम आए।
य द उ ह अ छा साथी और काम करनेवाला माहौल िमल जाता है तो वे अ छा कर जाएंगे, वे अपने कै रयर
म सफल हो जाएंगे। कं तु प रणाम ब त अि थर होता है और उसके साथी और उसके माहौल के संयोग पर िनभर
करता है अतः उनक सफलता ब त हद तक भा य पर िनभर करती है। दूसरी ओर ऐसे भी लोग है िजनक
सफलता भा य पर िनभर नह करती। उ ह कोई भी माहौल य न िमले, उ ह कसी के साथ भी काम य न
करना पड़े वे अनुकूल प रणाम तुत करते ह।
आपके ारा संिचत ान म कु छ ान ऐसा हो सकता है जो जंदगी के िलए पूरी तरह आव यक न हो इसे
‘अनाव यक आव यकता‘ कह सकते ह। इसी कार कू ल म ऐसी जानकारी भी िमलती है जो परी ा म नही
आती। कं तु िजसने सतत सब कु छ अ ययन कया होता है वे उसी भावशीलता के साथ दशन कर सकते ह चाहे
उ ह कसी भी ि थित का सामना य न करना पड़े। यही लोग धीरे –धीरे ऊँचे मुकाम पर प चँ ते ह।
अंत म आप के वल िवषय का सार ढू ँढने का ही यास न कर। अ पकाल म यही आपको सफलता का दोहरा
माग दखा सकती है कं तु दीघकाल म ये आपको वा तिवक िवजय क ओर न ले जाए।

9. भा य का इं तजार करने क बजाय अगले कदम क तैयारी कर।


यही वसाय म भी सच है। य द आप खुदरा ापार से जुड़े ह तो आप जानते है क अ पकालीन लाभ पाना
अपे ाकृ त अिधक आसान है। उदाहरण के िलए आप कु छ ऐसा बेच सकते है जो दूसरे नह बेच सकते, मु त
उपहार दे सकते ह या नया उ पाद ला सकते है। ऐसे ही कई तरीके ह िजनसे अ पकाल म लाभ कमाया जा सकता
है।
एक उ पाद थोड़े समय के िलए काफ लोकि य हो सकता है कं तु दीघकाल म यह लोकि यता नही रहती।
अिधक िबकने वाले उ पाद से थोड़े समय म काफ धन कमाया जा सकता है कं तु इस तरह का ापार
ित ं दय को आक षत करता है। ऐसे लोग भी होते ह जो आपके ापार क नकल करते है और जैसे जैसे
ित दं ी बढ़ते ह ापार कम होता जाता है। यह थोड़े समय के िलए ठीक है कं तु जैसे–जैसे बाजार म ित द ं ी
आते जाते ह आपका लाभ कम होता जाएगा।
मान ल नगर के बीच बीच आपने एक होटल बनाया है। होटल वसाय म य द काय अनुपात अथात य द
80 ितशत से अिधक कमरे भरे रहते है तो ित द ं ी कं पिनयां बाजार म उतरगी। य द आप अपने अ सी ितशत
से अिधक कमरे भरने म कामयाब हो जाते ह तो इसका मतलब है कमर क मांग है और अ य होटल चेन भी
नजदीक ही अपने भी होटल खोलगे। फल व प हालां क आप ब त त हो जाएंगे ले कन जैसे ही िनकट म नया
होटल खुलेगा आप पाएंगे क आपका वसाय अचानक िगर गया। दूसरी ओर य द स र ितशत से कम कमरे
भरे ह तो वसाय फायदेमंद का नही रहेगा। य द आप अपने कमरे स र ितशत से कम भर पाते है तो आप
घाटे म रहगे जब क य द आप अ सी ितशत से अिधक कमरे भर लेते है तो आप ित द ं ी को आक षत करते है।
अतः आपक कोिशश करके अपने मेहमान क सं या स र और अ सी ितशत के बीच रखनी होगी।
मान ल आपको होटल के िलए एक अ छा थल िमल जाता है जहां आसपास कोई और होटल न हो और
आप सोचते ह, ‘यह एक अ छा थल है। य द म यहां होटल बनाऊं तो मुझे अव य ही लाभ होगा। ‘आप अपनी
प रयोजना के साथ आगे बढ़ते ह और अपने ारं िभक पूवानुमान के अनु प ही काफ धन कमाते है। कं तु जब
आप इस हष उ लास म त होते ह आपका ित द ं ी टपक पड़ता है और आपका ाहक छीन लेता है। य द लाभ
कमाने के नवीन मू य पर ही पूरी तरह टके रहगे तो आपका वसाय अिधक नह चलेगा, यह धीरे धीरे घटने
लगेगा।
यह अ छा है क आप कोई ऐसा नया वसाय शु कर िजसे अ य कसी ने आजमाया न हो कं तु जब आप
सफलता के कसी तर तक प च ँ जाते ह तो आपको कु छ यान रखना होगा। होटल बंधन के मामले म यह
सुिनि त करना ज री है क वही मेहमान वािपस आते रह। आप उ ह ऐसी ब ढ़या सेवाएं और अिधक द क
लोग एक बार रहने के बाद बारं बार आते रह। आप के वल इसिलए उ ह वािपस न जाने द क आसपास कोई और
होटल नह है। य द आप इस कार भारी लाभ कमा भी लेते ह तो आपके मेहमान क सं या धीरे –धीरे कम होती
जाएगी। यह मह वपूण है क आप उ ह ऐसी सेवा दान कर जो उ ह वािपस आने के िलए े रत करे ।
य द आस पास कोई होटल नह है तो आप अ छी सेवाएं दे या न द अ सी से न बे ितशत कमरे भरने म
स म ह गे कं तु आिखर म आपके ित द ं ी आएंगे और आप क असली मता कट हो जाएगी। य द आपका
ित द ं ी बेहतर सेवाएं दान करता है तो आप पाएंगे क उ हाने आपके सारे ाहक छीन िलए और आपके पास
कोई वसाय नह बचा।
कभी–कभी घटनाएं ऐसे घ टत होती है क पहली नजर म ये ब त शुभ, सुिवधाजनक या आपक ाथना क
पुकार लगता है। वा तव म ऐसा कई बार होता है कं तु आप उस पर आि त न रह। जब ये चीज घ टत होती है,
तो आपके िलए उ ह वीकार कर लेना तो ठीक है कं तु ऐसा करने के साथ आप अगले कदम क तैयारी भी शु
कर द। माहौल चाहे अनुकूल हो या ितकू ल अथ व था उ लासपूण हो या िनराशावादी, मूल प म आपक
अ छी उ पाद या अ छी सेवाएं देने क कोिशश करनी होगी ता क आप िनयिमत प से संघषरत रह। यह थोड़ा
उबाऊ लगेगा कं तु यह ब त मह वपूण रवैया है िजसे आपको अपनाना चािहए।

10. जब ि थितयां अनुकूल ह तो ेम के बीज बोएं।


अब तक मैने ितकू ल ि थित पर चचा क है कं तु अ छा समय भी मह वपूण है। जब सब कु छ ठीकठाक चल रहा
हो और सारी सफलताएं आपक आशा के अनुकुल ा हो रही ह तो आप अनुभव करगे क अपरािजत सोच
क अब आव यकता नही रह गई है। आप वयं सोचने लगेग, ‘सब कु छ मेरी योजना के अनुसार चल रहा है, सब
कु छ प रकिलत है – मुझे और कोई सम या नह है।’ कं तु इसी समय आपको िछपे ए फं द को खोजना होगा।
अ छे समय और खराब समय के बारे म इस प म सोचना चािहए, क के समय आपको अपने आप को
देखने के कई अवसर िमलते ह, आप अपने भीतर झांक सकते ह, आप अंतमुखी होकर अपने च र का गहन
अ ययन कर सकते ह। क का समय आपक परी ा क घड़ी होती है।
अतः जब समय ठीक चल रहा हो तो आपको या करना चािहए? अ छे समय म आपको यार बांटना
चािहए। आपको के वल अपने आप को लाभ प च ँ ाने का ही नह सोचना चािहए। बजाए इसके आ याि मक दृि
से िनवेश कर स य के िनयम म िनवेश कर। दूसरे श द म दूसर को यार द।
म लाभ हािन क बात नह कर रहा कं तु अ छे समय म िजतना अिधक आप यार के बीज बोएंगे बुरे समय
म आपका जीवन उतना ही आसान हो जाएगा। जब खराब समय चल रहा हो तो लोग आपक मदद को आएंगे या
नह यह इस पर िनभर होगा क आपने अ छे समय म कतने यार के बीज बोने म सफल रहे थे। सरल श द म,
जब आप मुसीबत म हो तो आप अपने को मजबूत करने म कं जूसी न बरत और जब समय अ छा हो यार के बीज
बोएं। वंय से कह यही वो समय है जब आप उस यार का योग कर। यह एक सरल दशन लगता है कं तु असल
म सफलता कायम रखने का यही राज है।
कं तु लोग बुरे व म उस चीज क लालसा करने लगते है जो उसके पास नह है। वे अपने दुभा य या
िवपि को कोसते ह और मदद के िलए दूसर पर आि त हो जाते है। जब समय अ छा होने लगता है वे घम ड
से भर जाते ह और मानने लगते है क सब कु छ उ ह ने अपने यास से ही हािसल कया है।
वे अंहकारी हो जाते है और उनके िम उ ह छोड़ देते ह। ऐसा ि अ छे समय म सबकु छ ठीकठाक करता
है कं तु जैसे ही प रि थितयां बदतर होने लगती ह वे िगरने लगते है और मदद के िलए कसी को अपने आसपास
नह पाते ह।
जब आप अपने िपछले समय को देखते है तो ऐसे भी कई ण आते ह जब कोई भी आपको तब तक सलाह
या परामश नही देता जब तक आप पर कोई खतरा या मुसीबत न आए? य द आपको ऐसा अनुभव आ है तो
इसका कारण है क आप अ छे समय म ब त घम डी रहे थे। जो लोग ब त घम डी होते ह और अपने तक
सीिमत रहते ह और हमेशा दूसरे से ेम क अपे ा करते है और हमेशा आकषण का के रहना चाहते ह उ ह तब
तक कोई सलाह नह देता जब तक वे भारी असफलता का सामना नह करते। वे लोक िसि के बीच मसखरे के
समान खडे रहते ह। वे सोचते है क वे लोकि य ह कं तु जब वे ककर चारो ओर देखते ह तो पाते है क कोई
अ य देखने के िलए खड़ा नह है। जब वे मुसीबत म होते है और अपने को लाचार पाते है तो वंय से पूछने लगते
है क उनसे कहां गलती ई।
दूसरी ओर जो लोग अ छे समय म दूसर को नही भूलते और यार बांटते चलते है वे मुसीबत म कसी न
कसी को अपने सामने सलाह और मदद के साथ पाते है। इसका कोई अपवाद नह है। स दय ि जो दूसर म
िच दशाता ह ब त को आशा दान करता है साथ ही इसी समय ईमानदारी भी कायम करते ह। य द समय
खराब होने लगता है यह ईमानदारी उस ि के ज रत के समय म मदद करने के िलए दूसर का आ वान
करती है। ऐसा हमेशा होता है अतः इसे कभी न भूल।
जो लोग अपनी सफलता के भावावेश म बह जाते है वे सावधान रह। देख क आप अपनी सफलता से आपा
न खो बैठे या आसानी से संतु न हो जाएं।

11. एक सोपान ऊपर का ल य िनधा रत कर।


एक अ य कार के लोग वे ह जो अ सी ितशत सफलता ाि पर अपना ल य भूल जाते ह और असफल
होने लगते ह। मानो वो कसी ऊंचे पहाड़ का अ सी ितशत भाग चढ़ने के बाद िशखर को काफ िनकट देखकर,
फर फसल जाएं या िगर जाएं। मुझे प ा िव ास है क इस पु तक को पढ़नेवाले कई पाठक म ये सेतु का काम
करे गा।
या कभी आपने ऐसा अनुभव कया है? सफलता ाि से पूव आपको कु छ और आगे बढ़ना होगा कं तु तभी
ऐसा कु छ घ टत होता है जो आपके सपन को चकनाचूर कर देता है। य द आप इनसे उबरना नही जानते तो आप
वा तिवक सफलता कभी ा नह कर सकते।
जो लोग यह समझते ह क वे कसी मुकाम तक प च ँ ने म समथ ह वे पाते है क सफलता जो कई बार
टालमटोल करती है उसम उपलि ध का एक अवचेतन डर समाया रहता है। म चाहता ँ क ऐसे लोग गहन
चंतन कर। सफलता क आशा होते ही वे डर जाते ह और वंय ही अपने पतन का बीज बोने लगते ह। वे ऐसा
इसिलए करते ह य क वे पूण सफलता से डरे रहते है। वे सोचते ह क उ ह ने इसे अ जत नह कया है और वे
चंितत हो जाते ह। प रणाम व प वे हमेशा ऐसा कु छ करते ह क सफलता उनके हाथ से फसलने लगती है।
जब उ ह कु छ थोड़ा ही आगे बढ़ना होता है चीज चरमराने लगती ह और कु छ ऐसा घ टत होता है क उनके सपने
चूर–चूर हो जाते ह। कं तु सम या उनक सफलता क इ छा पर िनभर करती है, वे वयं ही सौ ितशत सफलता
ा करने से डरते ह।
लोग चाहते ह क उनक प ी कं पनी म सफल हो और अिधक से अिधक कमाए। वे चाहते ह क उनक प ी
ए जू यू टव बने कं तु यह उ ह ए जू यू टव पाटनर बना देता है। इससे वे इतना डर जाते ह क वे अपने पाटनर
क ित ा को डू बोने लगते है। उदाहरण के िलए, वे ऐसा कु छ करते ह क अफवाह फै लने लगती है। वे महसूस
करते है य द उनक प ी को मह वपूण बनाएंगे तो वे वयं अ छा नह कर पाएंगे चीज, उनके िलए और मुि कल
होती जाएंगी। प रणाम व प वे अनजाने ही ऐसा कु छ कर जाते ह क वे अपने साथी को आगे बढ़ने से रोकते है।
यह एक सामा य घटना है।
इसका कारण यह त य है क उ ह वा तिवक सफलता का पया अनुभव नह होता िज ह ने कभी सफलता
ा नह क होती वे तब डर जाते है जब उ ह पता लगता है क वे ब त अिधक असफल हो जाएंगे। वे चंितत
हो जाते है क असफल हो जाने पर या होगा और फर इससे भागने लगते ह।
जब वे वयं को ऐसी ि थित म पाते ह तो उ ह सोचना चािहए क इस ण वे िजस पहाड़ का सामना कर
रह है वह कोई माउ ट फू जी नह है मा िग रपीठ है िजसके साथ दूसरा ऊंचा पहाड़ है – वे पहाड़ी दर के आराम
थल तक ही अभी प च ँ े ह।
ऐसे लोग हमेशा मुसीबत म पड़ जाते है जब वे यह सोचते है क वे अपना ल य देख सकते है अतः जब वे
वहां प चँ ते ह तो उ ह उससे भी अिधक ऊंचे ल य क ओर अपने नजर टकानी होती है। इसिलए सदा एक कदम
आगे, अगले ल य क ओर नजर करने क सोच क आदत डालनी होती है। अपने आप से कह क एक के बाद एक
हमेशा एक ऊंचा पहाड़ होता है िजसे पार करना होता है जो ऐसा सोच पाते ह वे कभी असफल नह होते। वे छोटे
मोटे झटके सहते ह कं तु लंबी दौड़ म वे सफल हो जाते ह।
परी ा के उदाहरण पर पुनः नजर डाल – ऐसे भी लोग होते है जो परी ा समा होने पर ब त हलका
महसूस करते है और गुबार िनकालने लगते है िबना िवचारे क वे पास ए है या नह । ऐसे ि ायः
असफलता का सामना करते ह। दूसरी ओर ऐसे लोग भी ह जो परी ा ख म करते ही फर से अ ययन शु कर
अगली परी ा क तैयारी म जुट जाते है। ऐसे ि ज द ही मुसीबत म नही पड़ते जब क दूसरे जो परी ा ख म
होते ही उ लास म बह जाते है बाद म जीवन म ब त उतार चढ़ाव देखते ह। अतः कु छ हािसल करने के बाद म
चाहता ँ आप अपना अगला ल य िनधा रत कर ता क उसक तैयारी म लग सक और उसक ाि म िनयिमत
प से लगने पर िवचार कर सक।

12. नमनशील होकर िवचार कर और मुसीबत को लाभ म पलट द।


अपरािजत सेाच के िवषय म एक िवचारणीय मुददा ् यह है क कई मायन म यह दशन जुडो के िस ांत के समान
है। अपने श ु को जमीन पर पटकने के िलए के वल अपनी ही शि का योग काफ नही है। जैसा मैने बांस के
उदाहरण से प कया है, आप अपनी परे शािनय और मुसीबत का इ तेमाल कर इ ह अपने िलए उपयोगी बना
ल और उनसे कु छ सकारा मक ा कर। अपरािजत सोच से मेरा यही अिभ ाय है।
अके ले आप ब त थोड़ा ा कर पाएंगे कं तु य द अपने फायदे के िलए कु छ बाहरी ताकत का योग करगे
तो कु छ बेहतर कर पाएंगे। यह ब त मह वपूण है अतः म आशा करता ।ँ आपने इसे सही समझा होगा।
जूडो के समान, अपरािजत सोच आपको अपने श ु क मता का उसी के िव इ तेमाल करने म मदद
करता है। जब आप मुसीबत और परे शािनय से िघरे होते है तो उ हे सहना ही काफ नह है। आपको अपने श ु
क मता का योग शीष पर आने के िलए करना चािहए। य द आप हमेशा ऐसा सोचगे तो आप पाएंगे क सब
कु छ िनरं तर बेहतर होता जा रहा है।
अपना अगला पतरा डालने के िलए सदा तैयार रह। वयं से पूछे क अभी आप कस सम या से िघरे है और
एक बार सम या का पता लगने पर उस पर काबू पाने का हल िनकाले। य द आपके कदम आगे रहगे तो आप
पाएंगे क आपका प रणाम सदा सकारा मक होगा।
13. दैिनक सफलता जीवन क ओर।
सुख के ारं िभक बंद ू म मने ‘ ोबाल भाव’ के बारे म िलखा है इसी िवचार पर म यहां चचा करने जा रहा ।ँ
य द कु छ आपके फायदे म प रवतन होता है िन संदहे आपको इसका इ तेमाल करना चािहए कं तु य द यह काम
नह भी करता तो इस पर आप चंतन कर, सबक ल और बड़ी गित के बीज बोने म इसका इ तेमाल कर। कु छ
भी हो इसका योग ोबाल क तरह अपना अनुभव बढ़ाने म कर। य द आप ऐसा कर सकगे तो न के वल अपनी
िज दगी को आनंदमय बना लगे वरन आप एक के बाद एक सफलता भी ा करने लगगे।
इस ण आप िज दगी को एक अलग नज रए से देखते ह जो सकारा मक सोच से िभ होता है कं तु आिखर
म प रणाम समान होता है। सकारा मक सोच बताता है क व तुतः चंता जैसी कोई चीज नह और बुराई जैसी
कोई चीज नह और यह नज रया काश के अ त ै वाद क ओर ले जाता है, वह िवचार जो के वल काशमय होता
है कं तु य द आप समझते है क दृ यमान जगत म जीवन का उ े य सभी अनुभव म उ वल अलोक को
तलाशना है तो और कु छ नह के वल सफलता आपके कदम चूमेगी। अंितम प रणाम सकारा मक सोच के िलए
प रणाम के समान होगा।
य द सकारा मक सोच का अथ त काल उ तर क जाग कता ा करना है हालां क यह दशन आपको
और आगे बढ़ने म मदद कर सकता है आपका मा िवकास ऊपरी होगा। जब आप दैिनक आधार पर िविभ
अि परी ा से गुजरगे तो यह ज री है क आप इ ह अपनी आ मा का ‘बा बल बनाएं और उसको वा तिवक
ताकत म जोड़ द।
य द आप ऐसा करने म कामयाब होते ह तो आप वाकई म एक दृढ़ अटल मि त क िवकिसत कर पाएंगे।
अपरािजत सोच का एक पहलू है अटल मि त क का सृदढ़ होना है। मुसीबत म ये अभे रहता है। जब आप
सम या से िभड़ते ह तो यह उ ह आ मसात कर आ मा के प र कार के उपयोग म ले जाता है। जब आपक
अपरािजत सेाच होती है तो मान आप चार तरफ देखकर मुसीबत या क ठनाइय का सामना करने को तैयार
होते ह और जैसे ही कु छ घ टत होता है आप उसे आ मसात कर अपनी शि बना लेते ह। यह दशन ब त
शि शाली है और यह अटल मि त क का दशन है।
य द कोई आपक शंसा करता है, आपका आभार कट करता है और आपसे कहता है क चूं क आपने
असं य लोग क मदद क थी इसीिलए आप सफल हो सके । इस कामयाबी को के वल अपनी कामयाबी मत
समिझए कं तु सदा िवन रह, सफलता को भगवान और असं य लोग क मदद का फल माने। िजतनी अिधक
उपलि ध आप ा करगे उतना ही िवन बन। दूसरी ओर जब आप मुसीबत का सामना कर तो इसे अपने
िवकास और फल दान करने हेतु पोषण मान। य द आप इस प म सोचगे तो आपको कसी ितकू ल ि थित से
घबराने क ज रत नह । जब क ठनाई आएगी तो आप उसे वे छा से ऐसे समय के प म वीकार करगे जब
आप सबक सीख सकते ह। इस प म िवपि वीकार कर आपको अपनी आ मा के प र कार के िलए शि
िमलेगी और नया आलेाक फै लाएंगे।
जब िवपि आती है, उदाहरण के िलए य द आप पदावनत होते ह, आपक तन वाह कम हो जाती है या
आप कसी ऐसी कं पनी के िलए काम करते है जो दीवािलया हो जाती है तो आप आ मिव ेशी हो जाते ह। अतः
इस समय का भरपूर लाभ उठाएं। दूसरे श द म ऐसे समय जब आप चंतनशील और मननशील होते है तो
आपकाे इस अवसर का योग आ मा के प र कार के िलए करना चािहए। जब ि थितयां अंततः बेहतर जो जाएंगी
तो आप इसे सकारा मक दशा म ले जाने और फल ा करने का यास कर।
इसको दूसरे श द म ऐसे भी तुत कया जा सकता है क आप बु के आ म चंतन के दशन और हेरमेस क
सकारा मकता के दशन का योग कर। जब ि थितयां काफ बदतर हो जाएं तो शा यमुिन बु ारा िशि त
आ म चंतन पर यान के ि त कर और जब समय अ छा आ जाए तो आगे हेरमेस ारा िशि त उ ित और
िवकास ा करने का ल य रख। मानव सुख का अनुसंधान सं थान क िश ा म दोन िवचार–आ म चंतन
और उ ित शािमल है और दोन का कारगर योग कर आप सदा सफल हो सकते ह।
येक वष बढने और िवकास का येय रख। ितकू ल ि थित से िनकल कर आ मा चंतन करना ही काफ
नह है और एक दूसरे को रद्द करने के िलए लाभ और हािन देखना ही काफ नह है। बजाय इसके आनेवाले
तुफान का सामना कर और अपनी शि अ जत कर। के वल तुफान के शांत होने तक का इं तजार न कर तो आप
पहले जैसा प रणाम ही भुगतगे। वरन मुिसबत का सामना करते समय अपने सभी अनुभवज य शि य को
आ मसात कर उसे अपने भीतर क ताकत बनाओ। य द आप एक वष, दो वष तीन वष पूव क अपनी ि थित पर
नजर डालगे तो आप कह सकगे क आपने काफ लंबा सफर तय कया है और आपका कद ऊंचा आ है। म क ग ँ ा
क कभी कभी आप देख क यह आपके िलए स य हो।
य द आप लगातार बांस क तरह बढ़गे तो आप दैिनक आधार पर अपने जीवन म सफलता ा करगे। म
चा ग
ं ा क आप इस पु तक को मेरी इस सलाह के साथ ख म कर। अपने आप को अपरािजत बनाने के िलए
आ म चंतन और उ ित दोन दशन िस ांत का योग कर।

1. संदभ : एन अनशेकेबल माइ ड, लेखक : र्युहाे ओकावा (लै टन बु स, 2003), पृ 25

2. संदभ : द टा टग पॉइ ट अॉफ है पीनैस, लेखक : र्युहाे ओकावा (लै टन बु स, 2001), पृ 78-80

3. ह स, बु संचेतना का अंश, समृि और कला का देवता है. ाचीन यूनान म अवत रत होकर इ ह ने कला मक मू य के साथ समृि के िस दा त
का संदश
े दया. संदभ : द गो डन लॉज़, लेखक : र्युहाे ओकावा (लै टन बु स, 2002), पृ 151-153
सं मरणीय लेख

यह पु तक हैपी साइं स के सद य के िलए 1989 म जून से जुलाई के बीच चार सा ािहक दन म आयोिजत
सेिमनार पर आधा रत है । िविभ प र े य से उदाहरण देकर मेरा इरादा यह दखाने का था क आप अपने
दैिनक जीवन म कै से सफल हो सकते ह । इस पु तक को िविभ प म अथात्, सफलता, जीवन, खुशी और
ानोदय के तरीके पर िवचार क तुित क दृि से पढ़ा जा सकता है ।

य द आप इस पु तक का यानपूवक अ ययन करगे तो मेरा िव ास है क आप जान जाएंगे क दशन के मूल म


आ म चंतन और उ ित के बीच सेतू तैयार करना है, जीवन म गहन अंतदृि डालना और अनुभव से ान ा
करना है ।

यह पु तक हैपी साइं स क िश ा के सार को प करती है और सफलता ाि के इ छु क लोग के िलए


अिनवायतः पढ़ने लायक है ।

रयुहो ओकावा
हैपी साइं स
लेखक प रचय

रयुहो ओकावा, हैपी साइं स के सं थापक और आ याि मक गु ह, िज ह ने अपना संपूण जीवन आ याि मक जगत
और मानव सुख के साधन क खोज म सम पत कर दया ।

उनका ज म 1956 म टोकु िशमा, जापान म आ था। टो यो िव िव ालय से ेजुएट करने के बाद उ होने टो यो
ि थत एक मह वपूण ापा रक सं थान म वेश िलया और यूयाक के िसटी िव िव ालय के ेजुएट से टर से
अंतरा ीय िव का अ ययन कया। 1986 म उ ह ने ावसाियक जीवन से स यास ले िलया और हैपी साइं स क
थापना क ।

वे सभी उ के लोग , कशोर से लेकर कायपालक तक के िलए हैपी साइं स आ याि मक कायशाला क रचना
करते रहे ह । उ ह ने लोग को आ याि मक और धा मक तरीके से सोचने और काय करने हेतु िशि त करने म
अपनी बुि म ा, संवेदना और वचनब ता के िलए याित ा क ।

हैपी साइं स के सद य उनके िसखाए रा ते पर चलते ए, उनक िश ा का चार करते ए ज रतमंद लोग
क सेवा करते ह ।

वे ‘ द लॉज़ अॉफ द सन’, ‘ द गो डन लॉज़, द लॉज़ आफ ईटरिनटी, द एसे स अॉफ बु ा, द टा टग वायंट


अॉफ है पीनेस एंड लव, नचर ए ड फॉरिगव जैसी अनेक पु तक और पि का के लेखक ह । उ ह ने अपने
काय पर आधा रत कई सफल फ चर फ म (एिनमेशन फ म सिहत) का िनमाण कया है ।
हैपी साइं स या है?

हैपी साइं स लोग का एक संगठन है जो अपनी आ मा का प र कार कर अपनी ा को और


बढ़ाना चाहते ह । हैपी साइं स पृ वी पर एक आदश दुिनया यानी आन द लोक थािपत करने के
उ े य से स य का काश फै लाते ह ।
हैपी साइं स क िश ाएं बु क युगचेतना पर आधा रत है । दो मु य तंभ है आ याि मक ान क ाि और
यार बांटना ।
सद य बु के स य (िनयम) का अ ययन कर उनस सीखे स य पर आधा रत रोज आ म चंतन म उसको अपनाते
ह । इस कार से वे जीवन का गहन बोध रखते ह और समाज के िलए गु के गुण िवकिसत करते ह ता क वे
संसार के िवकास म अपना योगदान कर सक ।

आ म िवकास काय म
येक शाखा कायालय म वीिडयो ा यान और मनन सेिमनार आयोिजत कए जाते ह । सेिमनार म उपि थत
होकर जान पाएंगे :
• जीवन का उ े य ।
• ेम का वा तिवक अथ ।
• सफलता के िनयम ।
• अपनी आ मा के काय करने क णाली को समझना ।
• मनन और प ित क मह ा ।
• मन क शांित कै से पाएं ।
• जीवन क चुनौितय पर कै से िवजय ा कर ।
• उ वल भिव य कै से बनाएं, आ द...............

मनन साधना िशिवर

शैि क अवसर उन लोग के िलए ह जो स य क राह पाना चाहते ह । है पी साइ स जापान म


अं ेजी व ा के िलए साधन िशिवर आयोिजत कर रहा है । इससे आप जीवन क सम या का
हल िनकालकर मन क शांित ा कर सकगे ।

अिधक जानकारी के िलए हमारे शाखा कायालय या अपने थानीय े से संपक कर ।


हैपी साइं स

अंतरा ीय धान कायालय

टो यो
1-2-38 िहगाशी गोटांडा
शीनागावा, टो यो 141-0022, जापान
फ़ोन : 81-3-5437-2777
फै स : 81-3-5437-2806
ई-मेल : tokyo@happy-science.org
www.kofuku-no-kagaku.or.jp/en

उ र अमे रका
यूयॉक
79, किलन ीट,
यूयॉक, एन वाय 10013, यू. एस. ए.
फ़ोन : 1-212-343-7972
फै स : 1-212-343-7973
ई-मेल : ny@happy-science.org
www.happyscience-ny.org

लॉस एंजलेस
1590 ई. डेल मार बीलवीडी
पेसाडेना, सीए 91106, यू. एस. ए.
फ़ोन : 1-626-395-7775
फै स : 1-626-395-7776
ई-मेल : la@happy-science.org
www.happyscience-la.org

साउथ बे
2340 सेपुलवेडा , बीलवीडी., #B,
टॉरस, सीए 90501, यू. एस. ए.
फ़ोन : 1-310-539-7771
फै स : 1-310-539-7772
ई-मेल : la@happy-science.org
सॅन ांिससको
525 लंटन एसटी.,
रै डवुड िसटी, सीए 94062, यू. एस. ए.
फ़ोन :/फै स :1-650-363-2777
ई-मेल : sf@happy-science.org
www.happyscience-sf.org

हवाई
1221 के िपओलानी, बीलवीडी वीट 920
होनोलुलु, एचआई 96814, यू. एस. ए.
फ़ोन : 1-808-591-9772
फै स : 1-808-591-9776
ई-मेल : hi@happy-science.org
www.happyscience-hi.org

लाे रडा
ई-मेल : florida@happy-science.org

एलबुकक
ई-मेल : abq@happy-science.org

बो टन
ई-मेल : boston@happy-science.org

िशकागो
ई-मेल : chicago@happy-science.org

अटलांटा
ई-मेल : atlanta@happy-science.org

टोरटो
2420 ए लूर ीट,
वे ट ओ टे रयो, एम6एस 1पी9, के नेडा
फ़ोन : 1-416-551-7467
फै स : 1-905-257-2006
ई-मेल : toronto@happy-science.org

वानकुं वर
ई-मेल : vancouver@happy-science.org
मेि सको
ई-मेल : mexico@happy-science.org

यूरोप :
लंडन
3 मार ेट ीट,
लंडन ड यू आई ड यू 8आरई, यूनाइटेड कं गडम
फ़ोन : 44-20-7323-9255
फै स : 44-20-7323-9344
ई-मेल : eu@happy-science.org
www.happyscience-eu.org

ांस
ई-मेल : france@happy-science.org

जमनी
ई-मेल : germany@happy-science.org

ऑि या
ई-मेल : austria-vienna@happy-science.org

ि वटज़रलै ड
ई-मेल : switzerland@happy-science.org

दि ण अमे रका:
साओ पाउलो वे ट
आ गे डावो, 363 िवला मिशआना
साओ पाउलो, सीईपी 04023-001, ाज़ील
फ़ोन : 55-11-5574-0054
फै स : 55-11-5574-8164
ई-मेल : sp_oeste@happy-science.org

साओ पाउलो ई ट
आ फनानांडो टेवेयस, 124 टेटुएप
साओ पाउलो, सी ई पी 03306-030, ाजील
फ़ोन : 55-11-2295-8500
फै स : 55-11-2295-8505
ई-मेल : sp-leste@happy-science.org
ओशीिनया
िसडनी
वीट 17, 71-77 पे ट ीट िवलौघबी,
एन एस ड यू 2068, अॉ ेिलया
फ़ोन : 61-2-9967-0766
फै स : 61-2-9967-0866
ई-मेल : sydney@happy-science.org
www.happyscience.org.au

मॅलबोन
वीट 4, 1ली मंिज़ल, 269 सटर रोड
बटले, वी आई सी 3204, अॉ ेिलया
फ़ोन : 61-4-3484-1896
ई-मेल : mel@happy-science.org

यूज़ीलै ड
409ए मानुकाओ रोड, एपसॉम
अॉ लै ड 1023, यूज़ीलै ड
फ़ोन : 64-9-630-5677
ई-मेल : newzealand@happy-science.org

एिशया :
िसअॉल
162-17 सडांग-डाँग
डाँगजाक-गु, िसअॉल, को रया
फ़ोन : 82-2-3478-8777
फै स : 82-2-3478-9777
ई-मेल : korea@happy-science.org

डेगु
878-20, मे चॉन 3 डाँग सुसाँग-कु
डेगु ांगयॉक-सी, को रया
फ़ोन : 82-5-3291-3688
ई-मेल : daegu@happy-science.org

तायपी
नं.89, लेन 155, दुन आ एन. रोड
स गशान िडि ट, तायपी िसटी 105, तायवान
फ़ोन : 886-2-2719-9377
फै स : 886-2-2719-5570
ई-मेल : taiwan@happy-science.org
www.happyscience-taiwan.org

हांगकांग
ई-मेल : Email: hongkong@happy-science.org

द ली
ई-मेल : newdelhi@happy-science.org
www.happyscience-india.org
जॉइन है पी साइं स !

जो भी ि मा टर ओकावा के उपदेश का अ ययन एवं पालन करना चाहते ह वे एक सद य के


प म है पी साइं स म शािमल हो सकते ह. इसका उ े य सही अथ म सुख ा करना और दूसर
सुख बांटना है.

इसका सद य बनकर, आपको एक ाथना-पुि तका एवं आविधक ई- यूज़ लैटर भेजा जाएगा,
िजसम मा टर ओकावा के नए और ताज़ा उपदेश ह गे.

इस ाथना-पुि तका म तीन ब त ही भावशाली ाथनाएं शािमल ह ग . इस ाथना का


ित दन गान करने से आप अपनी कृ ित को पिव बना सकते ह, ेरणा ा कर सकते ह और
वयं को आ याि मक प से सुरि त बना सकते ह.

कृ पया अपने नाम पते, ई-मेल पते, टेलीफ़ोन नंबर सिहत स पूण जानकारी ईमेल, फ़ोन या
वेबसाइट के ज रए हम भेज. हम आपको अित र संबंिधत जानकारी और आवेदन फाम भेजगे.

वेबसाइट : http//www.happyscience-india.com

ई-मेल : indiamember@happy-science.org

फ़ोन : 022-30500314

You might also like