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अपरािजत सोच
पराजय जैसी कोई चीज नही
INVINCIBLE THINKING
NOW IN HINDI
रयुहो ओकावा
रयुहो ओकावा
िह दी अनुवाद © है पी साइं स
आई आर एच ेस क पनी िलिमटेड ारा सव थम
“जोशो िशकोऊ” के प म कािशत
सभी काशनाथ सुरि त
अपरािजत सोच
INVINCIBLE THINKING
ISBN 978-81-8495-038-0
इस पु तक का कोई भी अंश काशक से िलिखत अनुमित िलए िबना कसी भी प म या कसी साधन जैसे
इलै ोिनक फोटोकापी समेत यांि क, रका डग या कसी सूचना को टोर कर और पुन: ाि ारा पुन: तुत
या पुन: योग नह कया जायेगा।
िवषय सूची
नये सं करण क भूिमका
भाग एक : अपरािजता के ोत
1.गु के आव यक गुण
2.आ म–िच तन से गु का ज म
3.आ याि मक िवकास के िलए परी ण ज री है
4.अि परी ा से सीख ल
5.बहान क जंदगी न जीएं
6.दृढ़संक प और इ छाशि का माग श त करना
7.अपरािजत बनने के तरीके खोज
8. ि गत सीमा को पार कर
9.सफलता ाि के दो राज
1) मांग का पता लगाएं
2) अिधक िवकास के बारे म सोच
10.िव ीय शि मुसीबत से उबरने क िह मत दान करती है
11.अपने भीतर के अपरािजत त व को पहचान
भाग दो : अपनी सोच म ांितकारी प रवतन लाना
1.नये िवचार को ज म देने का मह व
2.तीसरे िवक प क तलाश
3.सकारा मक सोच के िलए िवपरीत ढंग से सोच
4.असफलता को बचाव नौका के प म योग कर
5.ई र ारा सृिजत िव म कु छ भी बेकार नही
6.अपने कम का सामना सकारा मक रवैये से कर
7.लोग आपको िभ -िभ प म लेते ह
8.एक सौ बीस साल जीने क योजना
9. यास से दीघायु आ जा सकता है
भाग तीन : जीवन और जीत
1.जब त व ान आलोक फै लाता है
2. व थ जीवन कै से जीएं
1) शारी रक दशाएं मि त क को अव कर देती है
2) अपने भौितक शरीर पर िनयं ण करना सीख
3) शरीर क देखभाल खुद करना
4) शरीर और मि त क के बीच संबंध
3.धन दौलत का सृजन
1) धा मक मनोवृित से जुडी सम याएं
2) सुख के साधन प म धन
3) ई या से िसत गरीबी िम या
4) धन सृजन के तीन बुिनयादी िस ांत
4. प ी और घर
1) अपने को आदश मानकर शु कर
2) या आपको अपने जीवन साथी के बारे म गहरा ान है
3) आदश मेल के िलए यास कर
5.संयोग जो आपका भा य बदल दे
1) कसी ‘महान‘ ि से िमलने क आशा
2) जो कु छ कहा जाए उसे यानपूवक व िवन ता से सुन
3) महान दयवान बने
6.एक आ याि मक धरोहर
1) आ याि मक धरोहर के प म ईमानदारी
2) ईमानदारी दो प म आती है
भाग चार : अपरािजत सोच क शि
1.आ म चंतन और गित को जोड़ने वाला िस ांत
2.दृ यमान जगत म अपरािजत सोच क शि
3.अपनी आ मा के िवकास के िलए मुि कल को अपनी ताकत बनाएं
4.अपने व का खुद मािलक बन
5.बांस क शि जो गांठ बनाती है
6. ितकू ल माहौल म वा षक छ ले तैयार करना
7.लंबी दूरी के धावक के समान सोच
8.संिचत भाव
9.भा य का इं तजार करने के बजाय, अगला कदम उठाएं
10. अनुकूल ि थितय म ेम का बीज बोएं
11. एक सोपान ऊपर का ल य िनधा रत कर
12. नमनशील होकर िवचार कर और मुसीबत को लाभ म बदल द
13. दैिनक सफलता को जीवन क ओर
सं मरणीय लेख
लेखक के बारे म
हैपी साइं स या है?
मानव सुख का अनुसंधान सं थान (हैपी साइं स) रयुहो ओकावा ारा कािशत लै टन पु तक
नये सं करण क भूिमका
रयुहो ओकावा
अय
मानव सुख का अनुसंधान सं थान
भूिमका
अपरािजत सोच एक त व ान है िजसम जीवन म वा तिवक िवजय पाने क शि समािहत है। मेरा यह िवचार
कदािप नह है क सफलता ाि का म कोई बेढंगा तरीका िसखाऊं। इस पु तक म मने एक त व ान तुत
कया है जो क लंग, आयु या रा ीयता से परे सभी से समान प से संबंिधत है। चाहे आप नौजवान ह या बूढ़े,
पु ष ह या मिहला और कसी भी रा के य न ह , य द आप इस पु तक को चुनते ह और इसके िन कष तक
प चॅ ते ह तो म िव ास दलाता ँ क आपके सम सफलता क राह खुलती चली जाएगी।
जीवन एक सुरंग के समान है िजसे पहाड़ खोदकर बनाया गया है, खुदाई म आपको पानी या ठोस च ान
जैसी कई कावट का सामना करना पड़ सकता है। कं तु यहॉ आपक अपरािजत सोच ही उस ठोस च ान को
उड़ाने के िलए डाइनामाइट का काम करती ह और सभी बाधा को पार कर भेदने के िलए तब तक ि ल का
काम करती है जब तक आप अपनी मंिजल नह पा लेत।े
य द आप इस पु तक को पढ़कर इसका रसा वादन कर इसके त व ान को अपनी ताकत बनाते ह तो आप
गव से कह सकगे क आप फर असफल नह ह गे के वल सफलता आपके कदम चूमेगी।
रयुहो ओकावा
अय
मावन सुख का अनुसंधान सं थान
द इं टी ूट फॉर रसच इन यूमन है पीनेस
भाग एक
अपरािजता के ोत
1: अपरािजता के ोत
जीवन और जीत
3: जीवन और जीत
3. धन दौलत का सृजन
(1) धा मक मनोवृि से जुड़ी सम याए।
अगला करण िजस पर म चचा करना चा ग ँ ा | वह है धन दौलत एक करना। ऐसी धा मक मनोवृि के
लोग ब त होते ह जो धन को नग य मानकर धन अ जत करना पाप समझते ह। ये बौ और ईसाई दोनो धम के
अनुयाियय के संबंध म स य है।
यहाँ मह वपूण िवचारणीय बात यह है क ि क गरीबी का तर इस बात पर िनभर करता है क वह
धनाजन को कस हद तक गलत समझता है। जो इस बात पर दृढ़ िव ास करता हो क धनाजन से वे वग म
वेश नह कर पाएंगे वे कभी धनी नह हो सकते। य द उनका यही िव ास है तो यह कोई बड़ी सम या नह है।
कं तु य द वे उनसे ई या करते ह जो धनी ह और उनक आलोचना शु कर देते ह, तो अपने दल को नरक बना
लगे। यह असामंज यता का एक उदाहरण है जो आ म संयम से उ प होता है।
य द आपम धन क या अ य ऐ य संसाधन क कोई इ छा न हो और उनसे कोई लगाव न हो तो एक
स गुण माना जाएगा। कं तु य द आप उनको फटकारना शु कर दे और जो धनाढय ह उनसे कहंगे क उनका
धन उ ह नरक म डाल देगा, तो एक घना कोहरा आपके मि त क को ढक लेगा और आप वयं को नरक बना लगे।
यह अजीब लग सकता है ले कन इसी कार से काय चलता है। एक बार जब आपम दूसर क आलोचना क
वृि शु हो जाएगी तो आप वयं इसका प रणाम देखगे।
इसी कार का एक अ य उदाहरण है िवपरीत से स ारा जिनत सम याएं। धन और िवपरीत से स दोन
ऐसे िवषय ह िजसे धा मक वृि वाले लोग गलत समझते ह। ऐसे भी लोग ह जो यह मानते ह क िववाह करने
पर उ ह वग से िन कािसत कर दया जाएगा और ऐसे भी ह िजनका इस पर पूरा िव ास है। मुझे नह पता क
कौन सी बात सामा य है कं तु ऐसे लोग भी वा तव म िव मान ह।
(3) ई या से त गरीबी िम या
यहाँ म कहना चा गँ ा क आप दूसरे लोग के िस ांत को बदल नह सकते य द आप गरीबी के कारण शु ता पर
िव ास रखते ह तो कोई भी आपका िवरोध नह करे गा। य द आप अपने िस ांत के सहारे जीवन तीत करना
चाहते ह तो िन य ही आगे बढ़, यह जीवन जीने का एक वीकृ त ढंग है। कं तु य द आप इस तरह से जीने का
िनणय लेते ह तो आपको दूसर से ई या न करने का िनणय भी लेना होगा। य द आप अपनी ईमानदारी से भरी
गरीबी के जीवन से संतु ह, तो यह आपका ि गत िनणय है कं तु आप दूसर के िवषय म िनणय नह ले
सकते। सभी लोग के जीने का ढंग िनराला होता है और उनक सोच भी अलग अलग होती है। जब आप गरीबी म
रहना पसंद करते ह तो दूसर से भी ऐसा ही करने क अपे ा न रख। अपनी ई या या जलन कभी न कर –
यह सवािधक मह वपूण है।
य द स ी गरीबी म रहने का आपका िनणय ई या से भरा आ हो तो गरीबी वयं ही नकारा हो जाएगी।
दूसरी ओर य द गरीबी आपको सांसा रक पदाथ म िल नह होने देती और आपके मि त क का पंदन अभी भी
शु है तो यही गरीबी एक गुण बन जाता है। कं तु य द िनधनता अ य के ारा सांसा रक भोग के ित ई या
और जलन पैदा करती है तो आपका दय दूिषत हो जाएगा और िनधनता पाप बन जाएगी।
य द आप इस नकारा मकता को वयं म या अपने आसपास के लोगो म पाते ह तो आपको इसे समा करने
के िलए संघष करना होगा। य द आप गरीबी को इसम कावट समझते ह, य द ये आपके मन को दुःखी करता है
और दूसर के ित िव ष े उ प करता है तो आपको इसे तोड़कर बाहर आने का यास करना चािहए।
कु छ लोग इसिलए चंितत रहते ह क उनके पास पैसा अिधक होता है कं तु उनके मुकाबले िजनके पास धन
नह है या जो ॠण म डू बे ह उनके संबंध म यही कहा जाएगा क वे अपने दन को अिधक बेहतर प म जोड़
पाते ह। ब धा यह कहा जाता है क काफ धन पाना और चंता न करना ही अ छा है और मूलतः म भी इससे
सहमत ।ँ पया धन होने पर भी सबसे िमलकर रहना ेय कर है। य द आप इसे नह वीकारते तो आपका
जीवन ई या और दुःख से भर जाएगा।
अतः य द आप स ी गरीबी म जीवन तीत करना चाहते ह तो दूसर से ई या न कर। य द आप वयं को
ई या से नह रोक पाते तो गरीबी से बाहर िनकलने का यास कर। एक िनि त मा ा म धन अ जत करने के
िलए ल य िनधा रत करना ज री है और फर उन ल य क ाि के िलए यास करना आव यक है।
4. प ी और घर।
(1) अपने को आदश मानकर शु कर।
तीसरे करण के प म, म पित–पि य और घर के िवषय पर िवचार करना चाहता ।ँ म इस बात से शु
क ं गा क आप आदश प ी का चयन कै से कर। कु छ लोग इस संबंध म पांच, दस, यहाँ तक क बीस वष तक
चंितत रहते ह कं तु इसका उ र बड़ा आसान है। आपक आशा के ितकू ल आदश प ी वह नह है िजसे पीछा
करके खोजना पड़े; व तुतः िजतना आप आदश का पीछा करगे आप उतना ही उससे दूर होते जाएंगे।
मने अकसर यह कहते सुना है, “यह सच नह हो सकता, आप सदा यह कहते ह क मेहनत रं ग लाएगी और
जो इ छा रखते ह उ ह को िमलता है। इससे आपका या अिभ ाय है क य द हम पीछा करगे तो वांिछत व तु
दूर चली जाएगी? यह काफ िनराशावादी लगता है।” िन संदह े , “जो मांगते है उ ह को िमलता है।” और
“ यास से ही पुर कार िमलता है।” दोनो स य है, कं तु इस भाग म म िववाह के बारे म बात कर रहा ँ और
इसके िनयम कितपय िभ ह। इस पर यान के ि त करने पर, यह सही है क य द आप म िववाह क इ छा है तो
आप इसे पा सकते ह, य द आप ब त कोिशश करगे और अपने आदश का अनुसरण करगे तो ये आपसे दूर होता
चला जाएगा।
यह वैसा ही है जैसे कु े या िब ली का ब ा अपनी पूंछ को देखकर उसे पकड़ने को दौड़ता है कं तु काफ
कोिशश करने के बाद भी वह सफल नह होता। कं तु य द इसे वह भूल जाए और आगे बढ़ता रहे तो पूँछ उसके
पीछे–पीछे चलती है। प ी खोजना भी वैसा ही है लोग ायः अपनी प ी को “जीवनसंिगनी” बताते ह और यह
सच भी है क प ी आप ही का एक अंग होती है। य द आप आदश के पीछे भागते ह तो वह दूर चला जाता है
कं तु य द आप वाभािवक प से वहार करते ह और आगे बढ़ते जाते ह तो वह आपका अनुसरण करती है। यह
अजीब लगता है कं तु यह सबसे उपयु पक ह।
म यहाँ सव थम यह कहना चाहता ँ क आप वयं को इस कार के ि के प म तुत कर क आपक
प ी आदश िववाह करना चाहे। आपक आदश साथी के बारे म आपक कई क पनाएं ह गी कं तु सव थम
आपको वयं को बेहतर बनाना होगा ता क जब आपके सपन का साथी आपसे िमले तो उसे या आपको िववाह
करने क इ छा हो।
पहली ाथिमकता बाहर जाकर आदश साथी क खोज नह है। य द आप अपने पित या प ी क सभी
आव यक िवशेषता क सूची भी बना ल और कह, “यही मेरा आदश है म िववाह के िलए ऐसे ही ि क
तलाश म ।ँ ” तो जाइए और ऐसे ि क तलाश क िजए। दुभा यवश आप अपनी खोज म कामयाब नह हो
पाएंगे। बजाए इसके आपको इस पर िवचार करना होगा क आपसे िववाह क इ छा रखनेवाला आपका आदश
साथी आप म कस कस गुण क अपे ा रखेगा। य द आप वयं को उस आदश ि के च र म ढाल सक तो
आपको ज दी ही आपका जीवनसाथी िमल जाएगा।
इसे कहने का मेरा कारण मा यही है क िववाह के समय ज री है क दोन साथी एक दूसरे के िलए आदश
मेल ह । इस समय यह अ यंत ज री है क आपका मेल े हो। अथात् य द आप अपने आदश साथी क मा
क पना कर और आदश क खोज कर तो आप उसे नह पाएंगे। जब तक आप वयं को उस सुमेल आदश ि के
प म तुत नह करते, तब तक आप उससे िमलने पर भी दूसरा ि आपके सामने से उसी कार गुजर
जाएगा जैसे ए स ेस ेन टेशन से तेजी से गुजर जाती है।
आदश क खोज और दमाग म उसक त वीर तक तो ठीक है कं तु आपको सव थम यह सोचना होगा क
य द आपको कभी अपने आदश से िमलना पड़े तो आप उसके स मुख कै से तुत ह गे। मान ल क कसी फ मी
हीरो से िमलने क आपक ती लालसा है और उससे िमलने या बात करने क इ छा हो। आप तब या करगे जब
वह ि आप से बात कर आपके कं धे के इद–िगद अपनी बाह डाल दे ? संभव है आप भाग जाएं और आप इस
कार से वहार करने पर अपने आदश से कभी िववाह नह कर पाएंग।े य द आप भय या झप के कारण भाग
जाएंगे तो आप कभी िनकट नह आ पाएंग।े आपको वयं को सुधारना होगा ता क उस ि से िमलने पर वह
आपको अपना आदश साथी समझे। यह ब त ज री बात है।
िवशेषकर नौजवान के िलए यह ब त ज री है क आप अपने को कसी कै रयर म थािपत कर य क
आप काम से ही ब त कु छ सीख जाएंगे। और िव ीय सफलता क याशा से नौजवान को अपना भिव य प
नजर आने लगता है।
ब त से लोग, इस त य के बावजूद क उनके असं य भावी साथी ह, िववाह नह कर पाते। ऐसे ि
ब धा यह कहते ह क उ ह अपने लायक कोई साथी िमला ही नह था वे अपना आदश साथी नह ढू ंढ़ सके ।
व तुतः सम या यह है क वे िन प प से अपना मू यांकन नह कर पाते। फल व प यथाथ प म अपने को न
अाँक पाने के कारण वे यह नह कह पाते क कस कार का ि उनका उपयु साथी बनेगा। वे अपनी नजर
यहाँ वहाँ दौड़ाते रहते ह और अपना साथी खोजने म लगे रहते ह कं तु आिखर म वे कोई साथी नह ढू ँढ़ पाते।
कं तु य द सही–सही बता सक क उनके वयं क भावी संभावनाएं या ह तो उ ह ज द ही उनके लायक
साथी िमल जाएगा। इससे कोई फक नह पड़ता क वे कं पनी के िलए काय करते ह या अपना वसाय करते ह,
वे य द इतना भर भी कह सक क “म अमुक कं पनी के िलए काम करता ,ँ भिव य म म इस कार से उ ित
क ं गा और भिव य म म इतना अजन क ं गा।” य द वे इतना भी कहने म समथ ह और उ सािहत ह तो उ ह
अव य ही उपयु साथी िमल जाएगा।
य द आप सोचते ह क आपका काय नीरस है और आप यथाशी इसे छोड़ना चाहते ह तो मुझे डर है क
आप चाहे कतने ही लोग के संपक म य न आएं, आपको आदश जीवन साथी नह िमलेगा। पुनः य द आप वयं
अपना वतमान पद छोड़ना चाहते ह कं तु आप तब तक इं तजार करते ह जब तक आप िववाह के बंधन म नह बंध
जाते ता क आपके िववाह के अवसर न न हो जाएं, तो मुझे डर है क आपको सही जीवनसाथी नह िमलेगा। यह
अजीब है कं तु जंदगी इसी कार से चलती है।
चाहे आप पु ष ह या मिहला, अंत म िन कष यही िनकलेगा क आपको वयं को अपने आदश साथी क
अपे ानुसार ढालना होगा। यही सबसे मह वपूण है।
6. एक आ याि मक धरोहर
(1) आ याि मक धरोहर के प म ईमानदारी
पांचवे और अंितम करण म म आ याि मक धरोहर के िवषय म चचा करना चा ग ँ ा। पहले भाग म मने “ व थ
जीवन कै से जीएं” पर चचा क दूसरे म धन के सृजन पर िवचार कया और तीसरे म घर और प ी, पर चचा क
और चौथे म उन भेट के िवषय म कहा िजनके कारण आपका भा य बदल जाता है (सौभा यपूण िमलन)। आप
इ ह कस ढंग से पढ़ते ह उसी आधार पर वे आपक सांसा रक सफलता का माग श त करते ह या इस संसार म
आगे कै से बढ़ना है इसे प करते ह।
कं तु इस भाग का शीषक है “जीवन और जीत”, और सांसा रक लोक से परे या है इस पर िवचार कए
िबना इसे प करना असंभव है। यह ज री है क आप सांसा रक सफलता से परे सोच। जब तक आप इसे
सांसा रक सफलता से परे कु छ अ जत करने क नह सोचगे तब तक आप जीवन म सही जीत हािसल करने का
दावा नह कर सकते।
सांसा रक सफलता से बढ़कर या है ? मने सदा कहा है, “दोना लोक म रहनेवाली खुशी” ऐसी खुशी िजसे
आप मरने के बाद भी अपने साथ ले जा सक। यह खुशी कस प म रहती है? यह अ यंत आ याि मक है और इसे
दल पी खजाने के प म कया जा सकता है जो इस लोक का नह है।
दूसरे श द म जो लोग ‘स य के िनयम’ के संपक म आते ह और उसे समझते ह, जीवन म जीत से ता पय
मा लौ कक सफलता से कु छ अिधक है। यह कहना कोई अित योि नह होगी क जब तक आप कु छ महान
काय नह संजोते, अथात् एक आ याि मक धरोहर तो यह नह कह सकते क आपने जीवन म जीत हािसल क है।
मैने अनेक पु तको म अपना यह िवचार तुत कया है और संभवतः आपने इसे पढ़ा भी हो। कं तु म चा ग ँ ा क
आप इसे एक बार और पढ़।
“एक आ याि मक धरोहर” एक कपोल क पना सूि सी तीत होती है, कं तु य द मुझे इसे कु छ और कहना
हो तो इसे म “स यिन ा” क ग ँ ा। यो यता वह गुण है जो आपको ज म से िमलती है इसके बीज इस लोक म
आपके आिवभाव से आ जाते ह। य द आप उ ह पोिषत नह भी करते तो इनम िवकास मता होती है और वह
आप पर िनभर करता है क आप इसे िवकिसत कर। कं तु ईमानदारी ज मजात नह होती इसे आप अपने
जीवनकाल के दौरान इस ि आयामी लोक म ा करते ह यह एक अ जत गुण है। िन संदह े सभी का यह िव ास
है क वा तिवक जगत क देवा माएँ उदाहरण के िलए, सातव आयाम म, काश दूत ब त ईमानदार होते ह कं तु
इस लोक म अवत रत होने पर वे इससे संप नह भी हो सकते। कं तु उनम मता होती है। आप मता के
साथ पैदा होते ह कं तु ईमानदारी के साथ नह ।
अपरािजत सोच क शि
4: अपरािजत सोच क शि
8. संिचत भाव।
म समझता ँ क हमारे सं थान के कु छ सद य के िलए स य का अ ययन वा तव म िसरदद है। शायद वे इस
बात से परे शान रहते ह क उनके पास स य क पु तक पढ़ने का समय नह है या सेिमनार म उ ह सीखने म
क ठनाई होती है।
य द आप के वल अ पकाल क दृि से देखगे तो यह सच है लोग म िभ –िभ तर क यो यता होती है।
उदाहरण के िलए य द एक समूह के लोग को एक वष के काल म कसी म महारत हािसल करने को कहा जाए तो
कु छ दूसर क अपे ा इसे ज दी हािसल कर लगे। कं तु एक साल म ही उ तर क जाग कता ा करना ही
ल य नह होना चािहए न ही इस संसार को एक वष के भीतर ही छोड़ने क असली चुनौती होती है आप इस
जीवनकाल म अपनी आ मा को कतना प र कार कर पाते है, वा तिवक जगत म आपक वापसी से पूव आप
अपने च र को कतना सुधार पाते है।
य द आप ज दबाजी करगे और अ पकाल म कु छ ा करना चाहगे तो आपके हारने के मौके यादा ह गे।
कं तु य द आप दीघकाल क दृि से काय करगे तो आप जानगे क चीज पर अ य नज रय से भी सोचा जा
सकता है कसी क उपलि धय या यो यता को मापने के िलए समय क एक साल क अविधय म बांटना बेकार
है। न ही इस ख ड को तीन या चार वष क सीमा म रखना पया होगा। समय सीमा को बढ़ाना ब त ज री है।
य द कु छ लोग कसी िवषय से एक या दो वष म ऊब जाएं और छोड़ दे तो आप वंय से कह सकते है क म तो
अ ययन जारी रखूँगा। इसी कार से आप अपनी सोच को बदल सकते ह।
य द आप ऐसा करते है, तो आप लंबी दौड़ के धावक क तरह सोचते है और धीरे धीरे आप सकारा मक
प रणाम पाते है। अजीब, कं तु आशा के िवपरीत ब त ज द प रणाम ा कर लेते है मान धावक के समान
हो। ऐसा आप संिचत भाव के कारण कर पाते ह। संिचत प रणाम। हालां क आपम कोई एक िवशेष मता नह
है और अपनी ढलाई के िलए भी वंय को कोसते ह, कं तु य द आप यास जारी रखते है तो आप पाएंगे क
संिचत भाव ने काम करना शु कर दया। जब आप कु छ हद तक अनुशासन ा कर लेते ह और कु छ ान
संिचत कर लेते ह तो आप पाते है क पहले िजसे अ जत करने म काफ समय लगता था अब ब त ज द ा हो
जाता है। यह अजीब लगता है कं तु यह इसी कार से काय करता है।
य द आप खमीर (यी ट) और चावल िमलाकर कु छ समय के िलए छोड़ देते ह तो जामन ारा साके
(जापानी शराब) तैयार हो जाती है। इसी कार आप अनुभव को संिचत कर कु छ समय बाद उससे लाभ ा
करने लगते है। यह तब होता है जब इसके बारे म सबसे कम आशा करते ह आगे बढ़ने म अपनी शि लगाते है।
कं तु म आपको सावधान कर दूँ क इस जामन से फल ाि म वष लग जाते ह।
यही प रणाम कई भोजन और पेय पदाथ म देखा जा सकता है, कु छ को उनका असली मू य जानने के िलए
वष तक संजोए रखना पड़ता है। शराब इसका एक बड़ा उदाहरण है कु छ बोतल क क मत उनके अिधक पुराने
होने पर अिधक बढ़ती है। सूखी बोनीटो भी इसी कार क है। य द आप मछली को तुरंत खाना चाहते है तो यह
पूरी ताजी होगी कं तु सूखी मछली के िलए ताजी मछली का कोई काम नही। पहले मछली को सुखाया जाता है
फर इसे मो ड होने के िलए छोड़ दया जाता है। यह मो ड इसके वाद को काफ बढ़ा देता है अतः अंितम
वा द ता के िलए इसे कु छ अिधक लंबे समय के िलए छोड़ दया जाता है। ऐसी भी चीज है िज ह कु छ िनि त
अविध के िलए रखा जाता है और फर अचानक एक दन वे पूणतः दूसरी चीज म बदल जाती है।
एक दूसरा उदाहरण ल, कू ल क परी ा म दो कार के छा सफल होते है। एक छा पु तक को शु के
कवर से आिखरी कवर तक िबना एक श द छोड़े पूरा पढ़ता है। दूसरा मह वपूण बंद ु और बात को छाँटकर
उ ह याद कर लेता है। उसे पता होता है क पु तक के कौन से ख ड क परी ा म आने क संभावना है और दूसरे
ख ड पर वह मा सरसरी िनगाह डालता है। अ पकाल म बाद वाली तकनीक कारगर है य क छा मु य
बात को अ पकाल म हण कर लेता है। दूसरी ओर वे है जो अपनी बोधग यता बढ़ाने के िलए अपना काय
बारं बार करते है, तो उनके अ ययन के प रणाम म कई वष लग जाते है। कं तु वष क कड़ी मेहनत से वे
असाधारण प रणाम ा करगे य क वे गहन चंतन के आदी हो चुके होते है।
इस कार का ि जो एक समयाविध म ल य ाि के िलए कड़ी मेहनत करता है ज री नही क वह
ब त चालाक हो। य द वे बीच म ककर अपनी उपलि धय को देख तो वे सोचगे वे सु त िश ु ह और उनम
अ छा करने क मता नह है। य द उ ह आधे रा त पर ही अ ययन छोड़ना पड़े तो वे कु छ हािसल नह कर
पाएंगे। अतः वे कभी बीच म न छोड़। य द वे बीच म अ ययन नही छोड़ते तो वे अ प होने पर भी आिखर म
सफल हो जाएंगे। उनक इ छा शि ही उ ह आगे बढ़ने म सहायक होगी उ ह अपने आप से िनरं तर यह कहना
होगा क वे पूरी तरह डू बे नह है और आिखर म जब वे सतह पर आएंगे तो पाएंगे क वे अपनी मंिजल क ओर
काफ आगे बढ़ चुके है।
सामा यतः िश ा के संबंध म यह सच है िजनके ब े कू ल म है उनके माता–िपता ब क ाइमरी या
जूिनयर हाई कू ल म अ पकालीन शैि क रकाड को देखकर यह िन कष िनकाल लेते है क उनके ब े अ छा
पढ़गे या खराब। कं तु फर भी वे कु छ जानना चाहते ह। य द ब े अ याय क मु य बात को तुरंत हण कर
समय से पहले आगे पढ़ाए जानेवाले अगले अ याय क ओर बढ़ जाते ह तो वे ा अ छे अंक ा करते ह। कं तु
ज री नह है क ऐसे ब े आगे चलकर जीवन म सफल ह ।
जो ब े अपनी शेष क ा से आगे पढ़ लेते है ज द ही िश क क बात को हण कर का जवाब दे देते है।
थम दृि म वे ब त ितभाशाली लगते ह कं तु वे उन लोग के समान ह जो अपनी सारी खरीद े िडट काड से
करते ह। उनके पास नकद नह होता अत: वे सब कु छ अपने काड से लेते है और अपना ॠण मजदूरी या बोनस
िमलने पर चुकाते ह। वे हर कार क चीज खरीदते है कं तु सदा ॠण म डू बे रहते ह।
यह सच है क जो लोग समय से पहले सूचना पा लेते है अ पाविध म ही अ छा कर जाते ह। इसी कार वे
जो अ याय क मु य बात को चुनते ह और इ ह को पढ़ते ह अ छे अंक तभी पाते ह जब परी ा म वही सब कु छ
आए जो उ ह ने पढ़ा है। ये सामा य युि यां है और असल म यही लोग ायः सफलता पी फल का वाद चखते
ह। कं तु म इस बात पर जोर देना चाहता ँ क यह िनि त नह है क उनके पास वा तिवक मता भी हो जो
उनके जीवन म काम आए।
य द उ ह अ छा साथी और काम करनेवाला माहौल िमल जाता है तो वे अ छा कर जाएंगे, वे अपने कै रयर
म सफल हो जाएंगे। कं तु प रणाम ब त अि थर होता है और उसके साथी और उसके माहौल के संयोग पर िनभर
करता है अतः उनक सफलता ब त हद तक भा य पर िनभर करती है। दूसरी ओर ऐसे भी लोग है िजनक
सफलता भा य पर िनभर नह करती। उ ह कोई भी माहौल य न िमले, उ ह कसी के साथ भी काम य न
करना पड़े वे अनुकूल प रणाम तुत करते ह।
आपके ारा संिचत ान म कु छ ान ऐसा हो सकता है जो जंदगी के िलए पूरी तरह आव यक न हो इसे
‘अनाव यक आव यकता‘ कह सकते ह। इसी कार कू ल म ऐसी जानकारी भी िमलती है जो परी ा म नही
आती। कं तु िजसने सतत सब कु छ अ ययन कया होता है वे उसी भावशीलता के साथ दशन कर सकते ह चाहे
उ ह कसी भी ि थित का सामना य न करना पड़े। यही लोग धीरे –धीरे ऊँचे मुकाम पर प चँ ते ह।
अंत म आप के वल िवषय का सार ढू ँढने का ही यास न कर। अ पकाल म यही आपको सफलता का दोहरा
माग दखा सकती है कं तु दीघकाल म ये आपको वा तिवक िवजय क ओर न ले जाए।
2. संदभ : द टा टग पॉइ ट अॉफ है पीनैस, लेखक : र्युहाे ओकावा (लै टन बु स, 2001), पृ 78-80
3. ह स, बु संचेतना का अंश, समृि और कला का देवता है. ाचीन यूनान म अवत रत होकर इ ह ने कला मक मू य के साथ समृि के िस दा त
का संदश
े दया. संदभ : द गो डन लॉज़, लेखक : र्युहाे ओकावा (लै टन बु स, 2002), पृ 151-153
सं मरणीय लेख
यह पु तक हैपी साइं स के सद य के िलए 1989 म जून से जुलाई के बीच चार सा ािहक दन म आयोिजत
सेिमनार पर आधा रत है । िविभ प र े य से उदाहरण देकर मेरा इरादा यह दखाने का था क आप अपने
दैिनक जीवन म कै से सफल हो सकते ह । इस पु तक को िविभ प म अथात्, सफलता, जीवन, खुशी और
ानोदय के तरीके पर िवचार क तुित क दृि से पढ़ा जा सकता है ।
रयुहो ओकावा
हैपी साइं स
लेखक प रचय
रयुहो ओकावा, हैपी साइं स के सं थापक और आ याि मक गु ह, िज ह ने अपना संपूण जीवन आ याि मक जगत
और मानव सुख के साधन क खोज म सम पत कर दया ।
उनका ज म 1956 म टोकु िशमा, जापान म आ था। टो यो िव िव ालय से ेजुएट करने के बाद उ होने टो यो
ि थत एक मह वपूण ापा रक सं थान म वेश िलया और यूयाक के िसटी िव िव ालय के ेजुएट से टर से
अंतरा ीय िव का अ ययन कया। 1986 म उ ह ने ावसाियक जीवन से स यास ले िलया और हैपी साइं स क
थापना क ।
वे सभी उ के लोग , कशोर से लेकर कायपालक तक के िलए हैपी साइं स आ याि मक कायशाला क रचना
करते रहे ह । उ ह ने लोग को आ याि मक और धा मक तरीके से सोचने और काय करने हेतु िशि त करने म
अपनी बुि म ा, संवेदना और वचनब ता के िलए याित ा क ।
हैपी साइं स के सद य उनके िसखाए रा ते पर चलते ए, उनक िश ा का चार करते ए ज रतमंद लोग
क सेवा करते ह ।
आ म िवकास काय म
येक शाखा कायालय म वीिडयो ा यान और मनन सेिमनार आयोिजत कए जाते ह । सेिमनार म उपि थत
होकर जान पाएंगे :
• जीवन का उ े य ।
• ेम का वा तिवक अथ ।
• सफलता के िनयम ।
• अपनी आ मा के काय करने क णाली को समझना ।
• मनन और प ित क मह ा ।
• मन क शांित कै से पाएं ।
• जीवन क चुनौितय पर कै से िवजय ा कर ।
• उ वल भिव य कै से बनाएं, आ द...............
टो यो
1-2-38 िहगाशी गोटांडा
शीनागावा, टो यो 141-0022, जापान
फ़ोन : 81-3-5437-2777
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उ र अमे रका
यूयॉक
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यूयॉक, एन वाय 10013, यू. एस. ए.
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साउथ बे
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सॅन ांिससको
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