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के लए
21 सबक़
मंजुल प ल शग हाउस ारा का शत युवाल नोआ हरारी
क अ य पु तक
से पय स : मानव-जा त का सं त इ तहास
होमो डेयस : आने वाले कल का सं त इ तहास
युवला नोआ हरारी
21 व सद
के लए
21 सबक़
अनुवाद : मदन सोनी
मंजुल प ल शग हाउस
मंजुल प ल शग हाउस
कॉरपोरेट एव संपादक य कायालय
• तीय तल, उषा ीत कॉ ले स, 42 मालवीय नगर, गोपाल-462 003
व य एवं वपणन कायालय
• 7/32 , अंसारी रोड, द रयागंज, नई द ली-110 002
वेबसाइट : www.manjulindia.com
वतरण के
अहमदाबाद, बगलु , भोपाल, कोलकाता, चे ई, हैदराबाद, मु बई , नई द ली, पुणे
मूल अं ेजी सं करण जॉनाथन केप ारा 2018 म का शत
युवाल नोआ हरारी ारा ल खत मूल अ ेजी पु तक
ट् वे ट वन लेस स फ़ॉर द टवे ट फ़ ट से चुरी का ह द अनुवाद
21 Lessons for the 21st Century by Yuval Noah Harari - Hindi Edition
भू मका
भाग I : ौ ो गक य चुनौती
1 . मोहभंग
इ तहास का अ त थ गत हो गया है
2 . काम
जब आप बड़े ह गे, तो हो सकता है आपके पास कोई रोज़गार न हो
3 . आज़ाद
बग डेटा आप पर नगाह रखे ए है
4 . समानता
जनके हाथ म डेटा है, उनके हाथ म भ व य है
भाग IV : स य
15 . अ ानता
आप उससे कम जानते ह, जतना आप सोचते ह क आप जानते ह
16 . याय
हमारा याय-बोध शायद पुराना हो गया है
17 . स य के बाद का युग
कुछ झूठ ख़बर हमेशा के लए बनी रहती ह
18 . व ान-कथा
भ व य वह नह है, जो आप फ़ म म दे खते ह
भाग V : लचीलापन
19 . श ा
प रवतन एकमा थायी चीज़ है
20 . अथ
जीवन कोई कहानी नह है
21 . यान
सफ़ अवलोकन क जए
आभार
भू मका
ौ ो गक य चुनौती
उदारवाद फ़ न स
यह पहली बार नह है, जब उदारवाद क़ से का व ास के संकट से सामना आ है। जब से
इस क़ से ने वै क भाव क़ायम कया है, यानी उ ीसव सद के सरे अ से, तभी से यह
नय मत प से संकट झेलता रहा है। भूम डलीकरण और उदारीकरण के पहले युग का अ त
पहले व यु के र नान के साथ आ था, जब सा ा यवाद स ा क राजनी तय ने
ग त के वै क अ भयान को बीच म ही रोक दया था। सारायेवो म आक ूक ांज़
फ़ दना द क ह या के बाद के दन म पता चला था क महाश याँ उदारवाद से कह यादा
सा ा यवाद म व ास रखती थ , और नया को उ मु और शा तपूण वा ण य के मा यम
से संग ठत करने क बजाय उनका यान नमम बल योग के दम पर संसार का एक बड़ा
ह सा ह थया लेने पर के त था। तब भी उदारवाद इस ांज़ फ़ दना द ण से बच नकला
था और इस बवंडर के भीतर से पहले से यादा श शाली होकर बाहर आ गया था, इस
आ ासन के साथ क ‘यह यु सारे यु को समा त करने वाला यु ’ है। कहा जाता है क
इस अपूव ह याका ड ने मानव जा त को सा ा यवाद क भयावह क़ मत क सीख द थी,
और अब मानव जा त अ ततः वत ता और शा त के स ा त पर आधा रत एक नई
नया रचने के लए तैयार थी।
इसके बाद हटलर ण आया, जब 1930 के दशक म और 1940 के दशक के शु आती
वष म, फ़ासीवाद कुछ समय के लए तरोध से परे तीत होने लगा था। इस ख़तरे पर ई
जीत अगले ख़तरे क शु आत बन गई। 1950 और 1970 के दशक के बीच, चे वारा ण
के दौरान, एक बार फर लगा क उदारवाद अपनी मौत के क़रीब है, और भ व य सा यवाद के
हाथ म है। अ त म यह सा यवाद था, जो धराशायी आ। सुपरमाकट गुलाग से यादा
ताक़तवर सा बत आ। इससे भी यादा मह वपूण बात यह है क उदारवाद क़ सा इसके
कसी भी त के मुक़ाबले यादा लचीला और ग तशील सा बत आ। इसने
सा ा यवाद, फ़ासीवाद और सा यवाद के कुछ े तम वचार और वहार को अपनाते
ए इन पर वजय पाई। ख़ासतौर से उदारवाद क़ से ने सा यवाद से समवेदना के दायरे को
व तार दे ने और वत ता के साथ-साथ समानता को मह व दे ने क सीख ली।
शु आत म, उदारवाद क़ सा मु यतः आज़ाद और म यवग य यूरोपीय पु ष के वशेष
हक़ क च ता करता था, और कामगार वग के लोग , य , अ पसं यक और ग़ैर-प मी
लोग क दशा के त अ धेपन का रवैया अपनाता लगता था। जब 1918 म वजेता टे न
और ांस उ साहपूवक आज़ाद क बात करते थे, तो वे अपने व ापी सा ा य क जा
के बारे म नह सोच रहे होते थे। उदाहरण के लए, वाधीनता क ह ता नय क माँग का
जवाब 1919 के अमृतसर के नरसंहार से दया गया था, जसम अँ ेज़ी सेना ने सैकड़
नह थे दशका रय क सामू हक ह याएँ क थ ।
यहाँ तक क सरे व यु के बाद प म के उदारवा दय को अपने क थत प से
सावभौ मक मू य को ग़ैर-प मी लोग पर लागू करने म भारी क ठनाई पेश आ रही थी।
नतीजतन, जब डच लोग 1945 म पाँच साल ल बे नृशंस नाज़ी क़ ज़े से बाहर नकले, तो
उ ह ने जो लगभग पहला काम कया, वह यह था क उ ह ने एक सेना खड़ी क और उसे
आधी नया पार करते ए इंडोने शया के अपने पूव उप नवेश को फर से ह थयाने के लए
रवाना कर दया। जहाँ 1940 म डच ने चार दन से कुछ ही यादा समय क लड़ाई के बाद
अपनी वाधीनता से हाथ धो लए थे, वह वे इंडोने शयाई वाधीनता को कुचलने के लए
कड़वाहट भरे चार से यादा वष तक लड़ते रहे। आ य क बात नह क नयाभर के
ब त-से रा ीय मु आ दोलन ने अपनी उ मीद प म के आज़ाद के वघो षत सूरमा
क बजाय सा यवाद मॉ को और बी जग पर के त क ।
ले कन धीरे-धीरे उदारवाद क़ सा अपने तज का व तार करता गया, और कम-से-
कम स ा तः नरपवाद प से सारे मनु य क आज़ाद और अ धकार को मू यवान मानने
लगा। जैसे-जैसे आज़ाद का दायरा व तृत होता गया, वैसे-वैसे उदारवाद क़ सा सा यवाद
शैली के क याणकारी काय म के मह व को भी वीकारता गया। आज़ाद तब तक ब त
यादा मायने नह रखती, जब तक क उसे कसी-न- कसी तरह सामा जक सुर ा त से
नह जोड़ा जाता। सोशल-डेमो े टक क याणकारी रा य ने लोकत और मानवा धकार
को रा य- ायो जत श ा और वा य क याण से जोड़ा। यहाँ तक क अ त-पूँजीवाद
संयु रा य अमे रका को भी यह अहसास हो गया है क आज़ाद क हफ़ाज़त कम-से-कम
कुछ सरकारी सेवा क माँग करती है। भूख मरते ब च के पास कोई आज़ाद नह होती।
1990 के दशक के शु आती वष के आते-आते वचारक और राजनेता , दोन ने
समान प से ‘इ तहास के अ त’ क शंसा क और पूरे आ म व ास के साथ दावा कया
क अतीत के सारे राजनी तक और आ थक सवाल के जवाब दए जा चुके ह, और यह क
लोकत , मानवा धकार , मु बाज़ार और शासक य क याणकारी सेवा का नए सरे से
तैयार कया गया उदारवाद पैकेज अब एकमा वक प है। ऐसा लगा था क यह पैकेज
न त प से सारी नया म फैल जाएगा, सारी बाधा को पार कर लेगा, सारी रा ीय
सरहद को पार कर लेगा, और मानव जा त को एक वत वै क समुदाय म बदल दे गा।
ले कन इ तहास का अ त नह आ है, और ांज़ फ़ दना द ण, हटलर ण, और चे
वारा ण के बाद अब हम ख़ुद को प ण म पाते ह। इस बार, ले कन, उदारवाद क़ सा
सा ा यवाद, फ़ासीवाद, या सा यवाद जैसे कसी सुसंगत वचारधारापरक त का
सामना नह कर रहा है। प ण कह यादा शू यवाद ( न ह ल टक) है।
जहाँ बीसव सद के तमाम बड़े आ दोलन के पास समूची मानव जा त को लेकर एक
व आ करता था - वह चाहे वै क वच व का व हो, ा त का हो या मु का हो -
वह डोना ड प के पास ऐसी कोई चीज़ नह है। थ त इसके एकदम वपरीत है। उनका
मु य स दे श है क यह अमे रका क ज़ मेदारी नह है क वह कसी वै क व को
न पत या ो सा हत करे। इसी तरह, तानी े ज़टवा दय के पास अस ब कगडम के
भ व य क कोई योजना नह है- यूरोप का भ व य और नया का भ व य उनक क
प ँच से बाहर है। जन यादातर लोग ने प और े ज़ट के प म मतदान कया था,
उ ह ने उदारवाद पैकेज को उसक स पूणता म नह नकारा था। उ ह ने मु यतः इसक
भूम डलीकारक भू मका म अपनी आ था खो द थी। वे अभी भी लोकत , मु बाज़ार,
मानवा धकार और सामा जक ज़ मेदारी म व ास करते ह, ले कन उनका मानना है क ये
ख़ूबसूरत धारणाएँ सरहद पर ठहर सकती ह। वाक़ई, उनका व ास है क यॉकशायर या
कटक म आज़ाद और समृ का संर ण करने के लए सरहद पर एक द वार खड़ी कर
दे ना, और वदे शय के त अनुदार नी तयाँ अपनाना सबसे अ छा है।
उभरती ई चीनी महाश इसक लगभग आईने म उलट छ व पेश करती है। यह अपनी
घरेलू राजनी त के उदारीकरण को लेकर सावधान है, ले कन इसने बाक़ नया के त
अपे ाकृत उदार रवैया अपनाया आ है। दरअसल, जब मु ापार और अ तररा ीय
सहकार का मसला आता है, तो शी जन पग ओबामा के वा त वक उ रा धकारी जैसे दखते
ह। मा सवाद-ले ननवाद को एक तरफ़ रख चुकने के बाद चीन उदार अ तररा ीय व था से
स ही नज़र आता है।
पुन थानशील स ख़ुद को वै क उदारवाद व था के कह यादा श शाली श ु
के प म दे खता है। य प इसने अपनी सै य श क पुनरचना कर ली है, ले कन यह
वचारधारा मक तर पर दवा लया है। ला दमीर पु तन स और नया के व भ
द णप थी आ दोलन , दोन के बीच न य ही लोक य ह, ले कन उनके पास ऐसी कोई
सावभौ मक व नह है, जो बेरोज़गार पे नय , अस तु ाज़ी लयाइय या कै ज के
अ ावहा रक आशावा दय को आक षत कर सके।
स उदार लोकत का एक वैक पक मॉडल ज़ र पेश करता है, ले कन यह मॉडल
कोई सुसंगत राजनी तक वचारधारा नह है। इसक बजाय, यह एक ऐसी राजनी तक
क़वायद है, जसम दे श क स प और स ा पर मु भर ताक़तवर लोग का एका धकार है,
और जो मी डया पर अपने नय ण का इ तेमाल अपनी ग त व धय को छपाने और अपनी
कूमत को मज़बूत बनाने के लए करते ह। लोकत अ ाहम लकन के इस स ा त पर
आधा रत है क “आप सारे लोग को कुछ समय के लए, और कुछ लोग को सारे समय
बेवकूफ़ बना सकते ह, ले कन आप सारे लोग को सारे समय बेवकूफ़ नह बना सकते।”
अगर कोई सरकार है और लोग के जीवन म सुधार लाने म वफल रहती है, तो पया त
सं या म नाग रक अ ततः इस बात को समझ जाएँगे और सरकार को बदल दगे, ले कन
मी डया पर सरकार का नय ण लकन के तक को न भावी बना दे ता है, य क यह
नाग रक को स चाई को जानने से रोकता है।’ मी डया पर अपने एका धकार के मा यम से
स ाधारी कुलीन वग बार-बार अपनी नाकामया बय को सर के म थे मढ़ सकता है, और
लोग का यान बाहरी ख़तर क दशा म मोड़ सकता है - फर वे ख़तरे वा त वक ह या
का प नक।
जब आप ऐसे मु भर स ाधा रय के अधीन रहते ह, तो हमेशा ऐसा कोई-न-कोई संकट
खड़ा रहता है, जो वा य-सेवा और षण जैसी उबाऊ चीज़ पर ाथ मकता हा सल कर
लेता है। अगर रा कसी बाहरी हमले या कसी शैतानी वनाश के ख़तरे का सामना कर रहा
हो, तो कसके पास इतना समय है क वह इस बात क च ता करता बैठे क अ पताल म
मता से यादा मरीज़ भरे ह और न दयाँ शत हो रही ह? संकट के असमा य सल सले
को गढ़ते ए, मु भर स ाधा रय का यह वग अपनी कूमत को अ तहीन समय तक जारी
रख सकता है।
ले कन ावहा रक तर पर टकाऊ होने के बावजूद मु भर लोग क स ा का यह
मॉडल कसी को आक षत नह करता। उन सरी वचारधारा से भ ,जो गव के साथ
अपनी प रक पना का तपादन करती ह, मु भर स ाधा रय के ये वग अपने आचरण पर
गव नह करते, और वे आपक आँख म धूल झ कने के लए सरी वचारधारा का
इ तेमाल करते ह। इसी मायने म स लोकत का ढ ग रचता है, और उसका नेतृ व
एका धकारवाद क बजाय सी रा वाद और क रप थी ईसाइयत के मू य म न ा का दावा
करता है। ांस और टे न के द णप थी उ वाद शायद स क मदद पर भरोसा कर
सकते ह और पु तन के त सराहना कर सकते ह, ले कन उनके मतदाता भी शायद
उस दे श म रहना पस द नह करगे, जो वा तव म सी मॉडल क नक़ल करता है - एक ऐसा
दे श जहाँ नय मत ाचार और कुचा लत सेवाएँ ह, जहाँ क़ानून का शासन नह है, और
व मत कर दे ने वाली असमानता है। कुछ आकलन के मुता बक़ स नया के सबसे
यादा ग़ैरबराबरी वाले मु क म से एक है, जहाँ 87 % स प 10 : समृ समृ तम लोग के
हाथ म के त है। ं ट नेशनल ( ांस क एक द णप थी लोकलुभावन और रा वाद
पाट ) के कामगार वग के कतने समथक ांस म स प - वभाजन के इस ढाँचे क नक़ल
करना चाहगे?
इंसान कसी जगह जाना या न जाना चाहने के अपने चुनाव क माफ़त कसी चीज़ के
बारे म अपने वचार ज़ा हर करते ह। नयाभर क अपनी या ा के दौरान म ऐसे अन गनत
लोग से मला ँ, जो संयु रा य अमे रका, जमनी, कनाडा या ऑ े लया म जाकर बसने
क इ छा रखते ह। म ऐसे भी कुछ लोग से मला ँ, जो चीन या जापान म बसना चाहते ह,
ले कन अब तक मेरी मुलाक़ात एक भी ऐसे से नह ई है, जो स म जाकर बसने का
सपना दे खता हो।
जहाँ तक ‘वै क इ लाम’ का है, यह मु यतः उन लोग को आक षत करता है, जो
इसक गोद म ज मे थे। जहाँ यह सी रया या इराक़ के कुछ लोग और जमनी तथा टे न के
अलग-थलग पड़े मुसलमान नौजवान तक को लुभा सकता है, वह इस बात क लगभग कोई
स भावना नह है क ीस या द ण अ का अपनी सम या के समाधान के लए कसी
वै क ख़लाफ़त म शरीक होना चाहगे, कनाडा या द ण को रया को तो छोड़ ही द। इस
मामले म भी लोग कसी जगह जाना या न जाना चाहने के अपने चुनाव क माफ़त कसी
चीज़ के बारे म अपने वचार ज़ा हर करते ह। कसी मु लम मज़हबी स तनत के अधीन रहने
म य पूव क या ा पर गए जमनी के येक मुसलमान नौजवान के मुक़ाबले स भवतः म य
पूव के सौ नौजवान ने वपरीत दशा म या ा क होगी, और उदार जमनी म अपनी नई
ज़ दगी क शु आत क होगी।
इसका यह मतलब नकल सकता है क आ था का मौजूदा संकट इसके पहले के संकट
के मुक़ाबले कम च ड है। पछले कुछ वष क घटना से हताशा क थ त म धकेल दए
गए कसी भी उदारवाद को सफ़ इतना याद करना चा हए क 1918, 1938 या 1968 म
हालात कतने बदतर दखाई दे ते थे। हाल के वष म हम जो कुछ दे ख रहे ह, वह उदारवाद
क़ से का स पूण प र याग नह है। इसक बजाय हम ‘तयशुदा ंजन-सूची (मे यू)
कोण’ से हटकर ‘बफ़े मान सकता’ क ओर बढ़ने को ल य कर रहे ह।
मौजूदा घटना म को समझना कसी हद तक इस लए मु कल है, य क उदारवाद का
व प कभी भी एकल नह रहा है। उदारवाद आज़ाद का आन द लेता है, ले कन आज़ाद
के अलग-अलग स दभ म अलग-अलग अथ होते ह। एक के लए उदारवाद का
मतलब वत चुनाव और लोकत ीकरण होता है। सरा सोचता है क उदारवाद का
मतलब है ापा रक सौदे और भूम डलीकरण। तीसरा उदारवाद को समल गक
ववाह और गभपात से जोड़कर दे खता है। उदारवाद आ थक, राजनी तक और नजी े म,
और रा ीय तथा अ तररा ीय, दोन ही तर पर, वहार के लए व वध क़ म के परामश
दे ता है। आगे द गई ता लका उदारवाद के मु य घटक को सं ेप म तुत करती है :
जस उदारवाद क़ से का हाल के वष म नया पर बोलबाला रहा है, उसका तक था
क उपयु छह घटक के बीच मज़बूत और मूलभूत र ते ह। आप एक के बना सरे को
हा सल नह कर सकते, य क एक े क ग त सरे े क ग त को अ नवाय बनाती
है और उ े रत करती है। उदाहरण के लए, मु बाज़ार क सफलता के लए मु चुनाव
अ नवाय ह - लोकत के बना बाज़ार ज द ही मलीभगत और सरकारी ाचार के
शकार हो जाएँगे। इसी तरह, ल गक समानता अ तररा ीय शा त को ो सा हत करती है,
य क यु आम तौर से पतृस ा मक मू य और पु षवाद राजनेता ारा भड़काए जाते
ह। वह वै क आ थक एक करण वत ता और वत उपभो ा के बीच सामंज य क
माँग करता है। अगर म मा 3 रा ीय ा ड क बजाय 100 वै क ा ड म से चुनाव कर
सकता ँ, तो म अ धक वैय क वत ता का उपभोग करता ँ। और इसी तरह सरे
मामल म भी समझा जाना चा हए। नतीजतन, अगर कोई मु क उदारवाद तयशुदा ंजन-
सूची से कसी एक ंजन - मसलन आ थक उदारीकरण- का आन द लेना चाहता है, तो
उसके पास सरे ंजन को न लेने का कोई वक प नह है।
मशीन म मोज़ाट
कम-से-कम अ पका लक तौर पर आ ट फ़ शयल इंटे लजस और रोबो ट स ारा समूचे
उ ोग को ने तनाबूद कर दए जाने क कोई स भावना नह है। ऐसे काम, जो एक ढर म
बँधी ग त व धय के सी मत े म वशेष ता क माँग करते ह, वे वचालीकृत कर दए
जाएँगे, ले कन ऐसे कम बँधे-बँधाए ढर के काम के े म, जो द ता के एक ापक
दायरे के एक साथ इ तेमाल क माँग करते ह, और जनम अ या शत प र थ तय से
नपटने क माँग शा मल होती है, उनम मनु य को मशीन से व था पत करना ब त
मु कल होगा। उदाहरण के लए, वा य-सेवा को ल। यादातर डॉ टर लगभग पूरी तरह
से सूचना क ॉसे सग पर यान के त करते ह : वे च क सा डेटा को लेते ह, उसका
व ेषण करते ह, और फर रोग क पहचान करते ह। उनके वपरीत नस को ददनाक
इंजे शन दे ने, प याँ बदलने, या उ मरीज़ को वश म करने के लए शरीर के अंग और
भावना पर नय ण क द ता भी ज़ री होती है। इस लए हमारे पास एक व सनीय
नस रोबोट हो, उसके दशक पहले स भवतः हमारे माटफ़ोन पर एक एआई पा रवा रक
डॉ टर होगा। पूरी स भावना है क इंसानी प रचया उ ोग, जो जवान और वृ बीमार
क प रचया करता है, ल बे समय तक मनु य का गढ़ बना रहेगा। न य ही, जैसे-जैसे
लोग यादा समय तक जीने लगगे और कम ब चे पैदा करने लगगे, वैसे-वैसे वृ क
प रचया शायद मानवीय म के उपभोग के सबसे तेज़ी से वक सत होते े म शा मल
होगी।
प रचया के साथ-साथ सृजना मकता भी वचालन के सम ख़ासतौर से मु कल
बाधाएँ पेश करती है। हम अब संगीत बेचने वाले मनु य क ज़ रत नह रह गई है। संगीत
हम आइ ू स टोर से सीधे डाउनलोड कर सकते ह, ले कन संगीत के क पोज़र,
संगीतकार, गायक और डीजे अभी भी र -मांस के ह। हम उनक सृजना मकता पर पूरी
तरह से नया संगीत रचने के लए ही नभर नह करते, ब क उपल ध स भावना क
व मयकारी और अक पनीय व वधता के बीच से चुनाव करने के लए भी नभर करते
ह।
तब भी, द घका लक तर पर दे ख, तो कोई भी रोज़गार वचालन से पूरी तरह
सुर त नह रह जाएगा। यहाँ तक क कलाकार को भी चेतावनी द जानी चा हए।
आधु नक नया म कला को आमतौर पर मानवीय भावना से जोड़कर दे खा जाता है।
हम सोचते ह क कलाकार अ द नी मान सक श य को दशा दे ते ह, और कला का
कुल उ े य हम हमारी भावना से जोड़ना या हमारे भीतर कसी नई अनुभू त को
जगाना है। नतीजतन, जब हम कला का मू यांकन करने बैठते ह, तो हम इसे दशक -
ोता पर पड़ने वाले इसके भावना मक भाव के आधार पर परखते ह, ले कन अगर
कला मानवीय भावना से प रभा शत है, तो तब या थ त बन सकती है, जब बाहरी
ऐ ग रदम मानवीय भावना को समझने और नय त करने म शे स पयर, दा
का ो या बेयॉ से के मुक़ाबले यादा स म हो जाएँगे?
आ ख़रकार, भावनाएँ कोई रह यमय व तुएँ नह ह। वे एक जैवरासाय नक या
क उपज ह। इस लए, वह भ व य ब त र नह है, जब कोई मशीन-ल नग ऐ ग रदम
आपक काया के आ त रक ससर से वा हत होते बायोमै क डेटा का व ेषण करने
लग सकता है, आपके व क कृ त और आपक बदलती ई मनः थ त का
नधारण करने लग सकता है। कोई ख़ास गीत, यहाँ तक क कोई ख़ास संगीता मक वर,
आप पर कस तरह का भावना मक भाव डाल सकता है, इसका आकलन करने लग
सकता है।
तमाम कला प म संगीत बग डेटा व ेषण से स भवतः सबसे यादा आसानी से
भा वत होने वाला है, य क इसके नवेश (इनपुट) और प रणाम (आउटपुट), दोन ही
एकदम ठ क-ठ क ग णतीय च ण के उपयु होते ह। नवेश ह व न-तरंग के ग णतीय
पैटन, और प रणाम ह नायु वक झंझावात के व ुतरासाय नक पैटन। कुछ ही दशक के
भीतर कोई ऐ ग रदम लाख संगीता मक अनुभव का परी ण करने के बाद यह सीख
सकता है क कस तरह कुछ ख़ास नवेश कुछ ख़ास प रणाम पैदा करते ह।
मान ली जए क अभी-अभी आपका आपके बॉय ड के साथ भयानक झगड़ा आ
है। आपक व न- णाली का काम दे खने वाला ऐ ग रदम त काल आपक अ द नी
भावना मक उथल-पुथल को पहचान लेगा, और आपके व तथा मानव मनो व ान
क अपनी सामा य जानकारी के आधार पर वह ऐसे गीत बजाना शु कर दे गा, जो इस
तरह बने ह गे क उनका मेल आपक उदासी से बैठता होगा और जो आपके मान सक
स ताप को त व नत करते ह गे। हो सकता है क ये ख़ास गीत सरे लोग के स दभ म
उतने कारगर न ह , ले कन आपक तरह के व के स दभ म एकदम सट क ह ।
आपक उदासी क गहराइय के साथ स पक था पत करने म आपक मदद करने के
बाद, यह ऐ ग रदम नया का वह गीत बजाएगा, जो पूरी स भावना है क आपको
फु लत कर दे । शायद इस लए क आपका अवचेतन इसे बचपन क कसी ऐसी सुखद
मृ त से जोड़ता हो, जसका भान वयं आपको भी न हो। कोई इंसानी डीजे ऐसे कसी
एआई क द ता का मुक़ाबला करने क उ मीद नह कर सकता।
आप आप उठा सकते ह क इस तरह तो एआई अ या शतता को ख़ म कर दे गा
और हम, हमारी पछली पस द और नापस द ारा न मत एक संक ण संगीता मक
खोल के भीतर ब द कर दे गा। नई संगीता मक अ भ चय और शै लय के अ वेषण का
या होगा? कोई सम या नह । आप इस ऐ ग रदम को आसानी से इस तरह ढाल सकगे
क उसके 5 % चुनाव बेतरतीब ह , जनके तहत वह आपके सामने अ या शत ढं ग से
इंडोने शयाई गैमलान कलाकार-समूह, रोसीनी ऑपेरा, या हाल ही लोक य ई के-पॉप
क कोई रकॉ डग उछाल दे । समय गुज़रने के साथ आपक त या का नरी ण
करते ए यह एआई बेतरतीबी के उस आदश तर तक को नधा रत करने म स म हो
सकता है, जो खीझ को टालते ए, और मुम कन है उसक अ या शतता के तर को 3
% घटाते ए या उसको 8 % तशत बढ़ाते ए, अ वेषण को अभी प दे सके।
एक और आप यह हो सकती है क यह बात प नह है क ऐ ग रदम अपने
भावना मक ल य को कस तरह थर कर सकेगा। अगर अभी-अभी आपका आपके
बॉय ड के साथ झगड़ा आ है, तो ऐ ग रदम का ल य आपको उदास करना होगा या
स करना? या वह ‘अ छ ’ भावना और ‘बुरी’ भावना के एक कठोर पैमाने का
अंधाधुंध अनुसरण करेगा? यह भी तो मुम कन है क जीवन म ऐसे व त भी आते ह , जब
उदासी महसूस करना अ छा होता हो? न य ही ठ क यही सवाल इंसानी संगीतकार
और डीजे के स दभ म पूछा जा सकता है, ले कन जहाँ तक ऐ ग रदम का सवाल है, इस
पहेली के ब त-से दलच प समाधान ह।
एक वक प है इसको महज़ ाहक पर छोड़ दे ना। आप अपनी भावना का
मू यांकन अपने मनपस द तरीक़े से कर सकते ह, और ऐ ग रदम आपके नदश का
पालन करेगा। आप चाहे आ मदया म डू बना चाह या आन द से उछलना चाह, ऐ ग रदम
ग़लाम क तरह आपका कहा मानेगा। वाक़ई, यह ऐ ग रदम आपक आकां ा को उस
सूरत म भी पहचानना सीख लेगा, जब क आप ख़ुद भी उनके त प प से सचेत नह
ह गे।
अ य वक प यह है क अगर आपको ख़ुद पर भरोसा नह है, तो आप इस ऐ ग रदम
को उस स मनोवै ा नक क सलाह मानने का नदश दे सकते ह, जस पर आप
भरोसा करते ह। अगर आपका बॉय ड अ ततः आपसे र ता तोड़ दे ता है, तो यह
ऐ ग रदम ःख क पाँच अव था से आपका प रचय था पत करने म आपक मदद
करता आ पहले बॉबी मैकफ़े रन का गीत ‘ड ट वॅरी, बीहै पी’ बजाकर जो कुछ आ है,
उससे इंकार करने म आपक मदद करेगा, इसके बाद एला नस मोरीसे का गीत ‘यू ऑटा
नो’ बजाकर आपके ग़ से को भड़काएगा, जैक़ ेल का गीत ‘ने मे वट पा’ और पॉल
यंग का ‘कम बैक एंड टे ’ बजाकर आपको समझौते के लए ो सा हत करेगा, अडेले का
‘समवन लाइक यू’ और ‘हैलो’ बजाकर अवसाद के ग े म छोड़ दे गा, और अ त म
लो रया गेनर का ‘आइ वल सवाइव’ बजाकर हालात को वीकार करने म आपक मदद
करेगा।
ऐ ग रदम का अगला क़दम है वयं ही गीत और लय को सँवारते ए उनको
आपक सनक के अनु प आकार दे ने के लए यादा-से यादा ह के-से बदलने लगना।
हो सकता है क कसी ऐसे गीत म जो अ यथा ब त अ त है, आपको कोई खास अंश
अ छा न लगता हो। ऐ ग रदम इस बात को जानता है य क जब भी आप उस ह से को
सुनते ह, तो आपका दल धड़कने लगता है और आपके ऑ सीटो सन तर ह के-से गर
जाते ह। ऐ ग रदम इन आ ामक वर का पुनलखन कर सकता है या उनका स पादन
कर सकता है।
द घका लक तर पर ऐ ग रदम मानवीय भावना को पयानो क बोड क तरह
बरतते ए और उनको बजाते ए समूची धुन को रचना सीख सकते ह। आपके
बायोमै क डेटा का इ तेमाल करते ए ऐ ग रदम शायद ऐसी गत राग नयाँ भी रच
सक, जनको सारे व म सफ़ आप ही पस द कर।
अ सर कहा जाता क लोग कला के साथ इस लए र ता बना पाते ह, य क वे ख़ुद
को उसके भीतर पाते ह। अगर कभी ऐसा हो क मान ली जए फ़ेसबुक आपके बारे म
अपनी सारी जानकारी के आधार पर वैय क कला रचना शु कर दे , तो इसके
आ यजनक और कसी क़दर भयावह प रणाम हो सकते ह। अगर आपका बॉय ड
आपको छोड़ दे ता है, तो फ़ेसबुक अडेले या एला नस मोरीसे का दल तोड़ने वाले उस
अ ात क बजाय उस ख़ास के बारे म एक वैय क गीत से आपका दल
बहलाएगा। यह गीत आपको आपके र ते क उन वा त वक घटना तक क याद
दलाएगा, जसके बारे म नया म और कोई नह जानता।
बेशक, वैय क कला कभी लोक य नह हो सकती, य क लोग उन सामा य
लोक य रचना को ाथ मकता दे ना जारी रखगे, जनको हर कोई पस द करता है।
आप कसी ऐसी धुन पर कैसे नाच या गा सकते ह, जसके बारे म आपके अलावा और
कोई नह जानता? ले कन ऐ ग रदम वैय क अनूठ रचना क बजाय वै क तर पर
लोक य हो सकने वाली रचना को तैयार करने के मामले म और भी लचीला सा बत हो
सकता है। लाख लोग से एक वपुल बायोमै क डेटा का इ तेमाल करते ए ऐ ग रदम
यह जान सकेगा क कौन-से जैवरासाय नक बटन दबाने से वह ऐसा व - तरीय
लोक य गीत रच सकता है, जसक धुन पर हर द वाने क तरह झूमने लगेगा।
अगर कला सचमुच मानवीय भावना को उ े रत (या नय त-प रचा लत) करती है,
तो ब त थोड़े-से ही संगीतकार ह गे, अगर ह गे तो, जो इस तरह के ऐ ग रदम के साथ
पधा कर सकगे, य क वे उस मु य वा य को समझने म उस ऐ ग रदम का
मुक़ाबला नह कर सकते, जसको वे बजा रहे होते ह, और वह मु य वा य है, मनु य
का जैवरासाय नक त ।
या इस सबका प रणाम महान कला के प म सामने आएगा? यह कला क
प रभाषा पर नभर करता है। अगर सौ दय का वास सचमुच ही ोता के कान म है, और
अगर ाहक ही हमेशा सही होता है, तो इस बात क पूरी स भावना है क बायोमै क
ऐ ग रदम इ तहास क सव े कला को उ प कर सकता है। अगर कला मानवीय
भावना से यादा गहरी कसी चीज़ से ता लुक़ रखती है, और उसे हमारे
जैवरासाय नक प दन से परे क कसी स चाई को अ भ दे नी चा हए, तो मुम कन
है क जैवरासाय नक ऐ ग रदम ब त अ छे कलाकार न बन सक, ले कन उसी तरह
यादातर मनु य भी अ छे कलाकार नह बन सकते। कला के बाज़ार म वेश करने और
संगीत रचने वाले तथा उसको तुत करने वाले ब त-से इंसानी कलाकार क जगह लेने
के लए ऐ ग रदम को सीधे चाइको क को पीछे छोड़ दे ने के साथ शु आत करने क
ज़ रत नह होगी। अगर वे टनी पयस से भी े सा बत हो सकगे, तो इतना काफ़
होगा।
नए रोज़गार?
कला से लेकर वा य-सेवा तक हर े म ब त-से पार प रक रोज़गार के नुक़सान क
तपू त नए इंसानी रोज़गार को पैदा करने से हो जाएगी। सामा य च क सक क जगह
एआई डॉ टर ारा ले ली जाएगी। सामा य च क सक ात बीमा रय को समझ लेते ह
और उनक जानी-मानी च क साएँ करते ह, ले कन ठ क इसी वज़ह से ा तकारी
अनुस धान करने और नई दवा तथा श य या क नई प तय को वक सत करने के
लए इंसानी डॉ टर और योगशाला-सहायक के लए ब त यादा पैस का भुगतान
करना ज़ री हो जाएगा।
एआई नए इंसानी रोज़गार को पैदा करने म सरी तरह से भी मदद कर सकता है।
बजाय इसके क इंसान एआई के साथ त पधा कर, वे एआई क स व सग करने और
उसक मता बढ़ाने पर यान के त कर सकते ह। उदाहरण के लए, ोन ारा इंसानी
पायलट क जगह ले लए जाने से कुछ रोज़गार समा त हो गए ह, ले कन उसने रख-
रखाव, रमोट कं ोल, डेटा व ेषण और साइबर सुर ा के े म नए अवसर भी उ प
कए ह। संयु रा य अमे रका के सै य बल को सी रया पर उड़ान भरते येक मानव-
र हत डेटर या रीपर ोन को संचा लत करने के लए तीस लोग क ज़ रत पड़ती है।
इससे हा सल क गई सूचना के व ेषण म अ सी और भी लोग लगे होते ह। 2015 म
संयु रा य अमे रका क वायुसेना म ऐसे पया त प से श त इंसान का अभाव था,
जो इन सारे पद को भर सकते, और इस लए वायुसेना को अपने मानव-र हत वमान को
मानव-यु बनाने के वड बनापूण संकट का सामना करना पड़ा था।
अगर ऐसा है, तो ब त स भव है क 2050 म रोज़गार-जगत इंसान और एआई के
बीच त पधा क बजाय इनके आपसी सहयोग के लए जाना जाए। पु लस-कम से
लेकर बक-कम तक फैले े म इंसान और एआई से मलकर बने समूह इंसान और
क यूटर , दोन को मात दे सकते ह। जब 1997 म आईबीएम के शतरंज ो ाम ‘डीप
लू’ ने गैरी का पारोव को हरा दया था, तो उसके बाद इंसान ने शतरंज खेलना ब द नह
कर दया था। इसक बजाय, एआई के श क क बदौलत शतरंज के इंसानी उ ताद
पहले से कह बेहतर बन गए, और कम-से-कम कुछ समय के लए ही सही ‘से टॉस’ के
नाम से स इंसान और एआई क संयु ट म ने शतरंज के खेल म इंसान और
क यूटर , दोन को पीछे छोड़ दया था। एआई इसी तरह इ तहास के े तम जासूस ,
बकक मय और सै नक को तैयार करने म मदद कर सकता है।
इन सारे नए रोज़गार के साथ सम या यह है क वे शायद उ च तरीय वशेष ता क
माँग करगे, और इस लए बेरोज़गार अकुशल मक क सम या का समाधान नह कर
पाएँगे। नए इंसानी रोज़गार क रचना करना जतना आसान सा बत हो सकता है, उतना
इन रोज़गार को वा तव म भरने के लए इंसान को नए सरे से श त करना आसान
शायद नह होगा। वचालन क पछली लहर के दौरान लोग आमतौर पर अ प-द ता
वाले एक रोज़मरा रोज़गार से उसी तरह के सरे रोज़गार म जा सकते थे। 1920 म कृ ष
के या क करण क वज़ह से रोज़गार खो चुका एक खे तहर मज़ र ै टर तैयार करने
वाले कसी कारख़ाने म नया काम हा सल कर सकता था। 1980 म एक बेरोज़गार
फ़ै टरी कामगार कसी सुपरमाकट म कै शयर के प म काम करना शु कर सकता था।
पेश को इस तरह बदल पाना इस लए मुम कन था, य क खेती से फ़ै टरी म चले जाना
या फ़ै टरी से सुपरमाकट म चले जाना सी मत पुन श ण क माँग करता था।
ले कन 2050 म कसी रोबोट के हाथ अपना रोज़गार खो दे ने वाला कै शयर या
कपड़ा मज़ र एक कसर अनुस धानकता के प म, एक ोन-प रचालक के प म, या
बकक मय क कसी इंसान-एआई म डली के ह से के प म काम करने म शायद ही
स म हो सकेगा। उनके पास इन काम के लए अ नवाय द ताएँ नह ह गी। पहले
व यु म लाख क सं या म जबरन भत कए गए अ श त रंग ट को मशीन गन
म बा द भरने के लए भेजना और उनको हज़ार क सं या म मरने दे ना अथ रखता था।
उनक गत द ताएँ ब त कम मायने रखती थ । आज, ोन संचालक और डेटा
व ेषणकता क कमी के बावजूद, संयु रा य अमे रका क वायुसेना वॉलमाट से
बाहर नकाले गए लोग से इन ख़ाली जगह को भरने क इ छु क नह है। आप यह पस द
नह करगे क कोई अनुभवहीन रंग ट अफ़गा न तान म शाद के कसी ज को भूल से
कोई उ च तरीय ता लबान कॉ स समझ बैठे।
नतीजतन, ब त-से नए इंसानी रोज़गार के मौजूद होने के बावजूद, हम एक नया
‘अनुपयोगी’ वग दे खने को मल सकता है। दरअसल, दोन ही नया के बदतर प
हमारे सामने आ सकते ह, जसम एक साथ उ च तरीय बेरोज़गारी और कुशल मज़ र
क कमी होगी। ब त-से लोग क नय त उ ीसव सद के वैगन ाइवर जैसी नह -
ज ह ने टै सयाँ चलाने का रोज़गार अपना लया था - ब क उ ीसव सद के घोड़
जैसी हो जा सकती है, जनको लगातार रोज़गार क नया से ही बाहर धकेला जाता रहा
था।
इसके साथ-साथ, कोई भी बचा आ रोज़गार कभी भी वचालन के भावी ख़तरे से
सुर त नह रह जाएगा, य क मशीन ल नग और रोबो ट स का े नर तर उ त होता
रहेगा। एक चालीस साल क बेरोज़गार वॉलमाट कै शयर, जसने अपने अ तमानवीय
उ म के चलते कसी तरह ोन पायलट के प म नया अवतार लया होगा, उसको दस
साल बाद ख़ुद को एक बार फर से नया अवतार लेना होगा, य क तब तक ोन का
उड़ाया जाना भी वचा लत हो चुका हो सकता है। इस अ थरता के चलते मज़ र संगठन
को तैयार करना और मज़ र के हक़ को सुर त रखना भी यादा मु कल हो जाएगा।
पहले ही आज उ त अथ व था म ब त-से नए रोज़गार के तहत असुर त अ थायी
काम, लां सग और एक नधा रत समय के रोज़गार शा मल होते ह। आप कसी ऐसे
वसाय को मज़ र संगठन के अ तगत कैसे लाएँगे, जो दस साल के भीतर ही मश म
क तरह फैलता है और ग़ायब हो जाता है?
इसी तरह, मनु य और क यूटर क से टॉर ट म के बारे म स भावना यही है क वे
इंसान और क यूटर के बीच आजीवन सहभा गता पर सहमत होने क बजाय दोन के
बीच नर तर र साकशी के लए जानी जाएँग । ऐसी ट म जनम पूरी तरह से - शेरलॉक
हो स और डॉ. वाट् सॅन जैसे - इंसान शा मल होते ह, वे आमतौर पर थायी सोपान म
और न य- नयम वक सत कर लेती ह, ले कन आईबीएम के वाट् सॅन क यूटर स टम
(जो 2011 म संयु रा य अमे रका का ट वी वज़ शो जयोपाड जीतने के बाद स
आ था) से स ब एक इंसानी जासूस पाएगा क हर न य- नयम वधान के लए एक
योता है, और हर सोपान म ा त के लए एक योता है। कल जो सहायक आ करता
था, वह कल के सुप रटडट म पा त रत हो सकता है, और सारी प रपा टयाँ और
नयमाव लय का हर साल नए सरे से लखा जाना ज़ री हो जाएगा।
शतरंज क नया पर एक क़रीबी नगाह डालने से संकेत मल सकता है क
द घका लक तर पर थ तयाँ कस दशा क ओर बढ़ रही ह। यह सही है क ‘डीप लू’
ारा का पारोव को परा जत कए जाने के कई साल बाद शतरंज के े म मनु य और
क यूटर के बीच का सहकार काफ़ वक सत आ। तब भी हाल के वष म क यूटर
शतरंज खेलने म इतने कुशल हो गए ह क उनके इंसानी सहक मय ने अपनी अह मयत
खो द है, और वे ज द ही अ ासं गक हो सकते ह।
7 दस बर 2017 को इ तहास के एक मह वपूण पड़ाव को पार कर लया गया, जब
शतरंज के खेल म कसी क यूटर ने कसी इंसान को परा जत नह कर दया था - वह
ख़बर पुरानी हो चुक है - ब क जब गूगल के अ फ़ाज़ीरो ो ाम ने टॉक फ़श 8 ो ाम
को परा जत कर दया था। टॉक फ़श 8 नया का 2016 का शतरंज चै पयन क यूटर
था। उसक प ँच शतरंज के े म मनु य ारा स दय से सं चत अनुभव के साथ-साथ
दशक ल बे क यूटर के अनुभव तक थी। वह त सेकड शतरंज क 7 करोड़ ूह-
रचना का हसाब लगाने म स म था। इसके वपरीत, अ फ़ाज़ीरो त सेकड ऐसे
सफ़ 80,000 हसाब लगा पाता था, और उसे रचने वाले इंसान ने उसको शतरंज क
रणनी तय क - यहाँ तक क मानक शु आती चाल क भी - कभी कोई श ा नह द
थी। इसक बजाय, अ फ़ाज़ीरो ख़ुद के ख़लाफ़ खेलते ए शतरंज के वतः- श ण के
लए ताज़ातरीन मशीन-ल नग स ा त का इ तेमाल करता था। तब भी, इस नौ स खया
अ फ़ाज़ीरो ने टॉक फ़श के ख़लाफ़ जो सौ मैच खेले, उनम से अ फ़ाज़ीरो ने अ ाइस
मैच जीते और बह र मैच हार-जीत के फ़ैसले के बना समा त कए। वह एक बार भी
परा जत नह आ। चूँ क अ फ़ाज़ीरो ने कभी कसी इंसान से कुछ नह सीखा था,
इस लए जीत दलाने वाली इसक ब त-सी चाल और रणनी तयाँ इंसानी नगाह को
री त- व लगती थ । अगर उनको सवथा जी नयस नह , तो ख़ासी रचना मक तो कहा
ही जा सकता था।
या आप अनुमान लगा सकते ह क अ फ़ाज़ीरो को शतरंज का खेल एकदम शु से
सीखने म, टॉक फ़श के ख़लाफ़ मैच क तैयारी करने म, और अपनी जी नयस सहज
बु को वक सत करने म कतना समय लगा होगा? चार घ टे । इसे छपाई क ग़लती न
समझ। स दय से शतरंज के खेल को मानव-बु के सव च गौरव के प म दे खा जाता
रहा था। अ फ़ाज़ीरो ने बना कसी इंसानी मागदशक क मदद लए मा चार घ टे म
स पूण अ ानता से लेकर सृजना मक महारत तक क री पार कर ली।
अ फ़ाज़ीरो अकेला ऐसा क पनाशील सॉ टवेयर नह है। ऐसे ब त से ो ाम ह, जो
अ सर शतरंज के इंसानी खला ड़य को मात दे ते रहते ह, नता त शु क गणना के तर
पर ही नह , ब क ‘सृजना मकता’ तक म। शतरंज के सफ़ मनु य-के त टू नामट म
नणायक लोग लगातार ऐसे खला ड़य पर नगाह रखते ह, जो गुपचुप तरीक़े से
क यूटर क मदद हा सल कर बेईमानी करने क को शश करते ह। ऐसे बेईमान को
पकड़ने का एक तरीक़ा खला ड़य ारा द शत क जाने वाली मौ लकता के तर पर
नगरानी रखने का होता है। अगर वे कोई असाधारण प से सृजना मक चाल चलते ह,
तो नणायक को अ सर यह स दे ह होता है क वह इंसानी चाल नह हो सकती। वह
न य ही क यूटर चाल होगी। कम-से-कम शतरंज म, सृजना मकता इंसान क बजाय
क यूटर क व श पहचान बन चुक है! इस लए अगर शतरंज हमारे लए उस कनारी
च ड़या क तरह है, जो कोयले क खदान म मौजूद गैस से मरकर हम ख़तरे क चेतावनी
दे ती है, तो हमारे लए यह एक साम यक चेतावनी है क वह च ड़या मर रही है। जो कुछ
आज मनु य-एआई शतरंज ट म के साथ हो रहा है, वही नकट भ व य म पु ल सया कम,
च क सा और ब कग के कम म लगी मनु य-एआई ट म के साथ भी हो सकता है।
नतीजतन, नए रोज़गार पैदा करना और उन रोज़गार को भरने के लए लोग को नए
सरे से श त करना एक बार म नपट जाने वाला उ म नह होगा। एआई ा त कोई
एक ऐसी अकेली नणायक घटना नह होगी, जसके बाद रोज़गार का बाज़ार एक नया
स तुलन हा सल कर लेगा। इसक बजाय, यह उ रो र बड़ा प लेती जाती उथल-पुथल
का एक जल पात होगा। आज पहले ही यह थ त बन चुक है, जब ब त थोड़े-से
कमचारी ह, जो अपनी पूरी ज़ दगी एक ही रोज़गार करते ए बताना चाहते ह । 2050
आते-आते न सफ़ ‘आजीवन एक रोज़गार’ का वचार, ब क ‘आजीवन एक वसाय’
का वचार भी आ दकालीन लगने लग सकता है।
अगर हम लगातार नए रोज़गार ईजाद भी करते रह सकगे और कामगार को हर बार
नए सरे से श त भी करते रह सकगे, तब भी हमारे मन म यह वचार आ सकता है क
या औसत इंसान म इस तरह क अ तहीन उथल-पुथल को सहने लायक़ भावना मक
श होगी। बदलाव हमेशा तनावपूण होता है, और इ क सव सद के शु आती वष क
भागमभाग भरी नया ने तनाव क व तरीय महामारी को ज म दया है। या लोग
रोज़गार के बाज़ार और गत आजी वका क बढ़ती अ थरता के साथ तालमेल बैठा
पाएँगे? हम शायद से पय स के दमाग़ को ढहने से रोकने के लए - यूरोफ़ डबैक के
मा यम से स से लेकर यान तक- तनाव कम करने क कह यादा कारगर तकनीक
क ज़ रत पड़ेगी। 2050 तक आते-आते महज़ रोज़गार के स पूण अभाव या स ब धत
श ा के अभाव क वज़ह से ही नह , ब क सह सकने क अपया त मान सक मता के
अभाव क वज़ह से भी एक ‘अनुपयोगी’ वग उभरकर सामने आ सकता है।
ज़ा हर है क इनम से यादातर बात अनुमान पर आधा रत ह। इन बात को लखे
जाने के समय - 2018 के शु आती महीन म - वचालन ने ब त से उ ोग को तहस-
नहस कर दया है, ले कन इसका प रणाम भीषण बेरोज़गारी के प म सामने नह आया
है। व तुतः, ब त से मु क म, जैसे क संयु रा य अमे रका म ही, बेरोज़गारी क दर
ऐ तहा सक प से कम है। इस बात को प के तौर पर कोई नह समझ सकता क मशीन
ल नग और वचालन भ व य म व भ वसाय पर कस तरह का भाव डालगे, और
ासं गक घटना म का आकलन करना अ य त मु कल है, ख़ासतौर से इस लए क ये
घटना म वशु ौ ो गक य आ व कार पर जतना नभर करते ह, उतना ही
राजनी तक नणय और सां कृ तक पर परा पर भी नभर करते ह। इस लए अगर
वचा लत वाहन इंसानी ाइवर से यादा सुर त और स ते सा बत हो भी जाते ह, तो
भी राजनेता और उपभो ा इस बदलाव म वष , या शायद दशक तक अड़ंगा डाले रह
सकते ह।
ले कन, हम वयं को आ मतु बने रहने क छू ट नह दे सकते। महज़ यह मानकर
चलना ख़तरनाक होगा क इतने पया त नए रोज़गार पैदा हो जाएँगे क वे क ह भी
नुक़सान क भरपाई कर दगे। यह त य क वचालन क पछली लहर के दौरान ऐसा ही
हो चुका है, इस बात क नता त कोई गार ट नह दे ता क ऐसा ही इ क सव सद क
सवथा भ प र थ तय म भी फर से होगा। जन सामा जक और राजनी तक वघटन
क स भावना बनी ई है, वे इस क़दर चेतावनी-भरे ह क अगर व थत सामू हक
बेरोज़गारी क स भावनाएँ कम ह , तो भी हम इसे ग भीरता से लेना चा हए।
उ ीसव सद म औ ो गक ा त ने नई प र थ तय और सम या को ज म दया
था, जनसे नपटने म कोई भी त कालीन सामा जक, आ थक और राजनी तक आदश
कामयाब नह हो सका था। साम तवाद, राजत वाद और पार प रक मज़हब औ ो गक
महानगर , अपनी जड़ से कटे ए लाख कामगार , या आधु नक अथ व था क नर तर
बदलती कृ त को सँभालने के अनु प ढले ए नह थे। इसके प रणाम व प मानव
जा त को पूरी तरह से नए आदश गढ़ने पड़े थे - उदार लोकत , सा यवाद तानाशा हयाँ
और फ़ासीवाद स ाएँ - और इन आदश के साथ योग करने म, गे ँ को चोकर से अलग
करने म, और सव े समाधान को या वत करने म भयानक यु और ा तय से
भरी एक सद से यादा का समय लगा था। डके सयाई कोयला खदान के बाल मक,
थम व यु और 1932-33 का वराट उ े नयाई अकाल उस ूशन फ़ स का ब त
छोटा-सा ह सा थे, जो मानव जा त ने चुकाई थी।
इ क सव सद म सूचना ौ ो गक और जैव ौ ो गक मानव जा त के सामने जो
चुनौ तयाँ पेश कर रही ह, वे तकसंगत ढं ग से उन चुनौ तय के मुक़ाबले ब त बड़ी ह, जो
पछले युग म भाप के इंजन , रेलमाग और बजली ने पेश क थ । और हमारी स यता क
अप र मत वनाशकारी श को दे खते ए हम अब और वफल तं , व यु और
र रं जत ा तय का जो खम उठाने क हालत म नह ह। इस बार, ये वफल तं
परमाणु यु , जने टक ढं ग से गढ़ गई दै यलीला , और जीवम डल के स पूण वंस का
कारण बन सकते ह। इस लए हम उससे बेहतर क़ा ब लयत का प रचय दे ना ज़ री है,
जसका प रचय हमने औ ो गक ा त का सामना करने म दया था।
ौ ै
सावभौ मक या है?
जब लोग सावभौ मक बु नयाद मदद - वह चाहे आय के प म हो या सेवा के - क
बात करते ह, तो आमतौर पर उनका आशय रा ीय बु नयाद मदद से होता है। अब तक
यूबीआई क दशा म उठाए गए सारे क़दम स त प से रा ीय या नगरीय ( यू न सपल)
रहे ह। जनवरी 2017 म फ़नलड ने एक दो वष य योग के तहत फनलड के 2,000
बेरोज़गार को हर महीने 560 यूरो दे ना शु कर दया, इस बात क परवाह कए बना क
वे कोई काम ढूँ ढ पाते ह या नह । इसी तरह के योग कनाडा के टा रयो ा त म,
इता वी नगर लवोन , और हॉलड के कई शहर म जारी ह। (2016 म वट् ज़रलड ने
रा ीय बु नयाद आय योजना तैयार करने को लेकर एक जनमत-सं ह कराया था, ले कन
मतदाता ने इस वचार को नकार दया था।)
इन रा ीय और नगरीय योजना के साथ सम या यह है क ज़ री नह क
वचालन के मु य शकार फ़नलड, टा रयो, लवोन या एम टरडम म रहते ह ।
भूम डलीकरण ने एक मु क के लोग को सरे मु क के बाज़ार पर पूरी तरह से नभर
बना दया है, ले कन वचालन इस भूम डलीय ापा रक ताने-बाने को तार-तार करते ए
सबसे कमज़ोर सू के लए वनाशकारी प रणाम पैदा कर सकता है। बीसव सद म
ाकृ तक संसाधन से वं चत वकासशील दे श ने मु यतः अपने अकुशल मज़ र का
स ता म बेचकर आ थक ग त क थी। आज लाख क तादाद म बां लादे शी कमीज़
तैयार करके और उनको संयु रा य अमे रका के ाहक को बेचकर अपनी आजी वका
कमाते ह, वह बंगलु के लोग कॉल सटर म अमे रक ाहक क शकायत को नपटाते
ए अपनी रोज़ी-रोट कमाते ह।
ले कन एआई, रोबोट और 3-D टर के उदय के साथ स ते अकुशल मज़ र का
ब त कम मह व रह जाएगा। ढाका म कमीज़ बनाकर और उनको जहाज़ म लादकर
संयु रा य अमे रका तक भेजने क बजाय, आप उस शट का कोड अमेज़ॉन से
ऑनलाइन ख़रीद कर यू यॉक म उसे ट कर सकते ह। ़फ़थ एवे यू के ज़ारा और ादा
टोर क जगह ुक लन के 3-D टग सटर ले सकते ह, और कुछ लोग तो अपने घर
तक म एक टर रख सकते ह। इसी के साथ-साथ, अपने टर क शकायत को लेकर
बंगलु क ाहक-सेवा को फ़ोन करने क बजाय आप गूगल लाउड म एक एआई
त न ध से बात कर सकते ह ( जसका उ चारण और आवाज़ का लहज़ा आपक
ाथ मकता के मुता बक़ गढ़ा गया है)। ढाका और बंगलु के ये नए बेरोज़गार
कामगार और कॉल-सटर ऑपरेटर को वह श ा ा त नह है, जसके बूते वे फ़ैशनेबल
कमीज़ तैयार करने या क यूटर कोड लखने का पेशा अपना सक - तब फर वे कैसे
जी वत रहगे?
अगर एआई और 3-D टर सचमुच बां लादे शय और बंगलु वा सय के रोज़गार
पर क़ ज़ा कर लेते ह, तो जो राज व पहले द ण ए शया क ओर वा हत होता था, वह
कै लफ़ो नया के ौ ो गक के े के मु भर महाब लय क तजो रयाँ भरने लगेगा।
सारी नया के आ थक वकास म सुधार लाने वाली प र थ तय क बजाय हम
स लकॉन वैली जैसे हाई-टे क के म अप र मत नई समृ को जमा होते, और इसी के
साथ ब त-से वकासशील दे श को व त होते दे ख सकते ह।
न य ही, कुछ उभरती ई अथ व थाएँ - जनम ह तान और बां लादे श शा मल
ह - इतनी पया त तेज़ी से आगे बढ़ सकती ह क वे वजेता ट म से जा मल। पया त व त
मलने क थ त म, कपड़ा-कामगार और कॉल-सटर ऑपरेटर के ब चे या नाती-पोते
ऐसे इंजी नयर और उ मी बन जाएँ, जो क यूटर और 3-D टर न मत कर सक और ये
चीज़ उनके वा म व म ह , ले कन इस तरह एक अव था से सरी अव था म प ँचने के
लए जस समय क दरकार है, वह तेज़ी से बीतता जा रहा है। अतीत म, स ते अकुशल
म ने वै क आ थक खाइय के बीच सुर त पुल का काम कया था, और अगर कोई
दे श धीमी ग त से भी ग त करता था, तो भी वह अ ततः सुर त थ त म प ँचने क
उ मीद कर सकता था, ले कन अब वह पुल थरथरा रहा है, और ज द ही वह व त हो
सकता है। जो लोग उसको पहले ही पार कर चुके ह - जो अब स ते म से उबरकर उ च-
द ता-यु उ ोग तक प ँच गए ह - वे स भवतः सकुशल ह गे, ले कन जो पीछे घसट
रहे ह, वे इस खाई को पार करने के कसी उपाय से हीन वयं को उसके ग़लत सरे पर
अटक कर रह गया पा सकते ह। जब आपके स ते अकुशल मक क कसी को भी
ज़ रत नह रह जाएगी, और आपके पास अ छ श ा- व था खड़ी करने और उनको
नई द ताएँ सखाने के लए कोई संसाधन नह ह गे, तब आप या करगे? तब इन पीछे
रह जाने वाल क या नय त होगी? अमे रक मतदाता स भवतः इस बात पर राज़ी हो
जाएँ क अमेज़ॉन और गूगल ारा संयु रा य अमे रका म उनके कारोबार के बदले
भुगतान कए गए कर क आय का उपयोग पे स वा नया के बेरोज़गार ख नक और यू
यॉक के बेकार टै सी ाइवर को वज़ीफ़े दे ने के लए कर लया जाए, ले कन या
अमे रक मतदाता इस बात पर भी सहमत ह गे क इन कर से ा त पैस को उन जगह
के बेरोज़गार लोग क मदद के लए भेज दया जाए, जो रा प त प ारा ‘म लन
मु क ’ (‘ शटहोल कं ज’) के प म प रभा शत कए गए ह? अगर आपका ऐसा
व ास है, तो आप शायद यह व ास भी कर रहे हो सकते ह क सा ता लॉज़ और
ई टर बनी सम या को हल कर दगे।
बु नयाद या है?
सावभौ मक बु नयाद मदद का मतलब है बु नयाद मानवीय ज़ रत को पूरा करना,
ले कन इसक कोई मा य प रभाषा नह है। अगर वशु जै वक प र े य म दे खा जाए,
तो एक से पय स को ज़ दा बने रहने के लए त दन 1,500-2,500 कैलोरी क
आव यकता होती है। इससे यादा कुछ भी वला सता है, ले कन इस जै वक ग़रीबी-रेखा
से परे इ तहास म हर सं कृ त ने अ त र ज़ रत को ‘बु नयाद ’ ज़ रत के प म
प रभा शत कया है। म ययुगीन यूरोप म चच के अनु ान म भागीदारी को भोजन से भी
यादा मह वपूण माना जाता था, य क वह आपक न र काया क बजाय आपक
शा त आ मा का यान रखती थी। आज के यूरोप म उ कृ श ा और वा य-सेवा
को बु नयाद मानवीय ज़ रत के प म दे खा जाता है, और कुछ लोग का यह भी तक
है क इंटरनेट तक प ँच हर मद, औरत और ब चे के लए अ नवाय है। अगर 2050 म
संयु व सरकार पृ वी के हर इंसान को - ढाका म भी और डे ॉइट म भी - बु नयाद
मदद उपल ध कराने के लए गूगल, अमेज़ॉन, बै और टसट पर कर लगाने पर सहमत हो
जाती है, तो वे ‘बु नयाद ’ को कस प म प रभा शत करगे?
उदाहरण के लए बु नयाद श ा म या- या शा मल है : महज़ पढ़ना और लखना,
या क यूटर कोड रचना और वाय लन बजाना भी? ाथ मक पाठशाला के मा छह साल,
या पीएच.डी तक सब कुछ? और वा य-सेवाएँ? अगर 2050 तक च क सा- व ान के
े क ग तयाँ बूढ़ा होने क या को धीमा कर दे ती ह और मनु य के जीवन-काल म
उ लेखनीय व तार दे दे ती ह, तो या ये नई च क साएँ भू ह के सारे 10 अरब लोग को
सुलभ ह गी, या महज़ कुछ अरबप तय को? अगर जैव ौ ो गक अ भभावक को अपने
ब च को उ त प दे ने म स म बना दे ती है, तो या इसे बु नयाद मानवीय ज़ रत क
तरह दे खा जाएगा, या हम मानव-जा त को व भ जै वक जा तय म वभा जत होता
दे खगे, जनम अमीर अ तमानव ऐसी क़ा ब लयत का मज़ा लूट रहे ह गे, जो नधन होमो
से पय स को ब त पीछे छोड़ दगी?
आप ‘बु नयाद मानवीय ज़ रत ’ को प रभा शत करने का जो भी कोई ढं ग चुन,
जैसे ही आप हर कसी क इन ज़ रत को नःशु क पूरा करते ह, वैसे ही उनको कम
करके आँका जाने लगेगा, और इसके बाद उ सामा जक त पधाएँ और राजनी तक
संघष ग़ैर-बु नयाद वला सता पर के त हो जाएँगे - फर ये वला सताएँ भड़क ली
वचा लत कार ह , आभासी-वा त वकता के पाक म सहज आवाजाही हो, या
जैवइंजी नयरी क माफ़त गढ़ गई उ त कायाएँ ह । इसके प रणाम व प अमीर (टसट
के मैनेजर और गूगल के शेयरधा रय ) और ग़रीब (यानी जो सावभौ मक बु नयाद आय
पर नभर ह गे) के बीच क खाई न केवल चौड़ी हो जाएगी, ब क उसको पार करना
अस भव हो जाएगा।
इस लए अगर सहायता क कोई सावभौ मक योजना 2050 म ग़रीब को आज क
तुलना म बेहतर श ा और वा य-सेवाएँ उपल ध कर दे गी, तो भी ये ग़रीब लोग वै क
ग़ैरबराबरी को लेकर और सामा जक वगा तरण के अभाव से बेहद ख़फ़ा ह गे। लोग को
लगेगा क व था उनके ख़लाफ़ प पाती है, सरकार केवल ध ासेठ का प लेती है,
और यह क भ व य उनके और उनके ब च के लए इससे भी बदतर होगा।
स तु होना होमो से पय स क बनावट म ही नह है। मानवीय सुख व तुपरक
प र थ तय पर कम और हमारी अपे ा पर यादा नभर करता है, ले कन अपे ाएँ
प र थ तय के अनु प ढलने क को शश करती ह, जनम सरे लोग क प र थ त
शा मल होती है। जब थ तयाँ बेहतर हो जाती ह, तो अपे ाएँ गु बारे क तरह फूलने
लगती ह, और इसके प रणाम व प प र थ तय म ज़बरद त सुधार भी हम पहले से
यादा अस तु बना सकता है। अगर सावभौ मक बु नयाद मदद का ल य 2050 म
औसत क व तुपरक दशा म सुधार लाना है, तो इसके कामयाब होने क पूरी
स भावना है, ले कन अगर इसका उ े य यह है क लोग के पास जो कुछ है, उससे वे
न तर पर अ धक स तु ह और उनको सामा जक अस तोष से रोका जा सके,
तो इसक नाकामयाबी क पूरी स भावना है।
सावभौ मक बु नयाद मदद वा तव म अपने ल य हा सल कर सके, इसके लए उसे
अपने साथ - खेल से लेकर मज़हब तक - क ह साथक उ म को जोड़ना होगा।
रोज़गारो र नया म एक स तोष द जीवन जीने के ढं ग को लेकर अब तक का सबसे
कामयाब योग इज़रायल म कया गया है। वहाँ, लगभग 50 % क र पर परावाद य द
मद कभी काम नह करते। वे अपना जीवन प व थ के अ ययन और मज़हबी
अनु ान को पूरा करने म लगाते ह। वे और उनके प रवार भूख नह मरते, आं शक तौर
पर इस लए क उनक बी वयाँ काम करती ह, और आं शक तौर पर इस लए क सरकार
उनको उदारतापूण आ थक मदद और नःशु क सेवाएँ मुहैया कराती है, और सु न त
करती है क उनके जीवन क बु नयाद ज़ रत पूरी होती रह। ये वह सावभौ मक
बु नयाद मदद है, जसक योजना इस सं ा के पहले बनाई गई थी।
हालाँ क वे ग़रीब और बेरोज़गार ह, ले कन एक-के-बाद-एक सव ण म ये क र
पर परावाद य द मद इज़रायली समाज के कसी भी ह से क तुलना म स तु जीवन
का उ चतम तर दशाते रहे ह। ये उनके सामुदा यक स ब ध क वज़ह से तो है ही, इसी
के साथ-साथ इस लए भी है क प व थ के अ ययन और अनु ान के न पादन म वे
गहरी साथकता अनुभव करते ह। तलमूद पर चचा करते य द पु ष से भरे एक कमरे म
शायद उससे यादा आन द, सोहबत और ववेक के वातावरण का अनुभव कया जा
सकता है, जतना कड़ी मेहनत करते कारख़ाने के कामगार से भरे कसी कपड़ा कारख़ाने
के भीतर दे खने को मलता है। आं शक प से इन बेरोज़गार नधन लोग के योगदान क
वज़ह से इज़रायल स तु जीवन के वै क सव ण म लगभग सबसे ऊपर है।
से युलर इज़रायली अ सर इस बात को लेकर तीखी शकायत करते ह क ये क र
पर परावाद समाज के लए पया त योगदान नह करते, सरे लोग क कड़ी मेहनत पर
पलते ह। से युलर इज़रायली यह तक दे ने क को शश भी करते ह क जीवन के इस क र
पर परावाद ढं ग को जारी नह रखा जा सकता, ख़ासतौर से इस लए क इन क र
पर परावाद प रवार म औसतन सात ब चे होते ह। आगे-पीछे रा य इतनी बड़ी तादाद म
बेरोज़गार लोग को सहारा दे ने म स म नह होगा, और इन क र पर परावा दय को
अ ततः काम म लगना होगा, ले कन थ त इसके एकदम उलट भी हो सकती है। जब
रोबोट और एआई इंसान को रोज़गार के बाज़ार से बाहर धकेल दगे, तब ये क र
पर परावाद य द अतीत के जीवा म क तरह दे खे जाने क बजाय भ व य के एक
मानक के प म दे खे जा सकते ह। यह नह क हरेक पर परावाद य द बन
जाएगा और ये शवा म जाकर तलमूद का अ ययन कया करेगा, ले कन तमाम लोग
क ज़ दगी म अथ और सामुदा यक भावना क आकां ा रोज़गार क आकां ा को
न तेज कर दे गी।
अगर हम कसी तरह सावभौ मक आ थक सुर ा जाल को मज़बूत समुदाय और
साथक खोज से जोड़ सक, तो ऐ ग रदम के हाथ अपने रोज़गार का खोना वा तव म
एक वरदान सा बत हो सकता है, ले कन अपने जीवन पर नय ण को खोना कह यादा
डरावना प र य हो सकता है। सामू हक बेरोज़गारी के ख़तरे के बावजूद, जस चीज़ से
हम कह यादा च तत होना चा हए, वह है भु व का मनु य के हाथ से नकलकर
ऐ ग रदम के हाथ म चले जाना, जो क उदारवाद क़ से म रहे-सहे व ास को भी न
कर सकता है और ड जटल तानाशाही के उदय का रा ता खोल सकता है।
3
आज़ाद
बग डेटा आप पर नगाह रखे ए है
ऐ ग रदम क सु नए
य क अनुभू तय और मु चयन म उदारवाद व ास न तो कु़दरती है और न
ब त ाचीन। हज़ार साल तक लोग यह व ास करते आए थे क भुस ा का ोत
मनु य के दय क बजाय दै वीय वधान होते ह, और इस लए हम इंसानी आज़ाद क
बजाय ई र क वाणी को मा य करना चा हए। सफ़ पछली कुछ स दय के दौरान ही
भु व का ोत अलौ कक दे वता क बजाय हाड़-मांस के मनु य बने ह।
भु व का यह ोत ज द ही एक बार फर थाना त रत हो सकता है - मनु य से
ऐ ग रदम म। जस तरह अलौ कक भु व मज़हबी मथक ारा, और मानवीय भु व
उदारवाद क़ से ारा वैधीकृत कया गया था, उसी तरह आगामी ौ ो गक ा त बग
डेटा ऐ ग रदम के भु व को था पत कर सकती है, और वैय क वत ता क धारणा
को खोखला कर सकती है।
जैसा क हमने पछले अ याय म उ लेख कया था क हमारे म त क और शरीर के
काम करने के ढं ग के बारे म वै ा नक अंत याँ यह संकेत करती ह क हमारी
अनुभू तयाँ कोई अनूठे ढं ग क मानवीय आ या मक वशेषताएँ नह ह, और वे कसी
तरह क ‘ वत इ छा’ को त ब बत नह करत । इसक बजाय, अनुभू तयाँ ऐसी
जैवरासाय नक याएँ ह, जनका इ तेमाल सारे तनधारी ाणी और प ी जी वत बने
रहने तथा जनन करते रहने क स भावना का फुत से आकलन करने के लए करते
ह। अनुभू तयाँ सहज बोध, अ तः ेरणा या वत ता पर आधा रत नह होत , ब क वे
आकलन पर आधा रत होती ह।
जब कोई ब दर, चूहा या इंसान साँप को दे खता है, तो भय उ प होता है, य क
म त क के लाख यूरॉन ब त तेज़ी के साथ स ब धत सूचना का आकलन करते ह और
इस नतीजे पर प ँचते ह क मृ यु क आशंका ब त यादा है। काम-वासना क
अनुभू तयाँ तब जागती ह, जब सरे जै वक ऐ ग रदम आकलन करते ह क पास म
मौजूद कामयाब संसग, सामा जक स ब ध, या कसी अ य इ छत ल य को पूरा
करने क भरपूर स भावना से यु है। ोध, अपराध-बोध या मा जैसी नै तक
अनुभू तयाँ उन नायु वक या से उ प होती ह, जो सामू हक सहकार को स म
बनाने के लए वक सत ई थ । ये सारे ऐ ग रदम वकास- या के लाख साल के
दौरान धारदार बने ह। अगर कसी ाचीन पूवज के ज बात ने कोई ग़लती क होती थी,
तो इन ज बात को गढ़ने वाले जी स अगली पीढ़ म थाना त रत नह होते थे। इस तरह
ज बात ता ककता के वलोम नह ह, ब क वे वकासपरक ता ककता को पा यत
करते ह।
हम आमतौर पर इस बात को समझ पाने म चूक जाते ह क ज बात व तुतः आकलन
होते ह, य क आकलन क तेज़ या हमारी सजगता क दे हरी के ब त नीचे घ टत
होती है। हम जी वत बने रहने और जनन करते रहने क स भावना का म त क म
प रकलन (क यू टग) करते लाख यूरॉन को महसूस नह करते, इस लए हम ग़लत ढं ग
से यह व ास कर बैठते ह क साँप को लेकर हमारा भय, सहवास के लए हमारा चयन,
या यूरोपीय यू नयन को लेकर हमारी राय कसी रह यमय ‘ वत इ छा’ का प रणाम ह।
इस लए, य प उदारवाद का यह वचार ग़लत है क हमारे ज बात वत इ छा को
त ब बत करते ह, तब भी आज तक ज बात पर भरोसा एक अ छा ावहा रक
वचार बना रहा है, य क हालाँ क हमारे ज बात म जा ई या वत जैसा कुछ नह
था, तब भी वे इस संसार म इस बात का नणय लेने के लहाज़ से सबसे अ छ व ध थे
क या अ ययन कया जाए, कससे ववाह कया जाए, और कस पाट को वोट दया
जाए। और मेरे ज बात को समझने क उ मीद मुझसे बेहतर कोई भी बाहरी व था नह
कर सकती। यहाँ तक क अगर पे नश इ वीज़ीशन या सो वयत केजीबी ने हर दन हर
म नट मेरी जासूसी क होती, तब भी उनम मेरी आकां ा और चुनाव को गढ़ने वाली
जैवरासाय नक या म घुसपैठ कर उनका पता लगाने के लए ज़ री जीववै ा नक
ान और प रकलन श का अभाव था। बु नयाद तौर पर, यह एक यु संगत तक था
क म वत इ छा रखता ँ, य क मेरी इ छा मु यतः उन आ त रक श य क
पर पर- या ारा गढ़ गई थी, जनको कोई बाहरी दे ख नह सकता था। म यह
म पाले रह सकता था क म अपने गु त आ त रक कम े को नय त करता ँ,
जब क बाहरी लोग वाक़ई कभी इस बात को नह समझ सकते क मेरे अ दर या चल
रहा है और म नणय कैसे लेता ँ।
तदनुसार, उदारवाद ारा लोग को कसी पुरो हत या पाट के वफ़ादार और व र
नेता के नदश का पालन करने क बजाय अपने दय का अनुसरण करने का परामश
दे ना उ चत था, ले कन ज द ही ऐसा व त आएगा, जब क यूटर ऐ ग रदम आपको
इंसानी ज बात क तुलना म बेहतर परामश दे सकगे। जस तरह पे नश इ वीज़ीशन
और केजीबी ने गूगल और बै के सामने घुटने टे क दए, उसी तरह मुम कन है क भ व य
म ‘ वत इ छा’ भी एक मथक के प म उजागर हो जाए और उदारवाद अपनी
ावहा रक उपयो गता को गँवा दे ।
हम इस व त दो वराट ा तय के संगम पर ह। एक ओर जीव व ानी मानव-दे ह,
और वशेष प से म त क और इंसानी ज बात के रह य को सुलझा रहे ह। और इसी
के साथ-साथ क यूटर- व ानी हम डेटा- ॉसे सग क अपूव मता दान कर रहे ह।
जस व त जैव ौ ो गक ा त का सूचना ौ ो गक ा त के साथ वलय हो जाएगा,
तो यह उन बग डेटा ऐ ग रदम को पैदा करेगा, जो मेरे ज बात पर मुझसे बेहतर ढं ग से
नगरानी रख सकगे और मुझसे बेहतर ढं ग से उनको समझ सकगे, और तब भु व मनु य
के हाथ से नकलकर क यूटर के हाथ म आ जाएगा। मेरा सामना जैसे-जैसे त दन
ऐसी सं था , ावसा यक त ान और सरकार क त न ध सं था के साथ होगा,
जो उस े को समझने और प रचा लत करने लगगी, जो अब तक सर क प ँच से परे
मेरा आ त रक े आ करता था, वैसे ही वत इ छा के मेरे म के टू टने क पूरी
स भावना है।
इस बात को सं ेप म रखने के लए हम नीचे अं कत सू का इ तेमाल कर सकते ह :
b*c*d = ahh !
नणय- या का नाटक
जस चीज़ क शु आत च क सा- व ान के े म पहले ही हो रही है, वही अ य े म
होने क स भावना है। सबसे मुख आ व कार है बायोमै क ससर, जसको लोग अपने
शरीर पर या उसके अ दर लगा सकते ह, और जो जै वक या को उस इले ॉ नक
सूचना म बदल दे ता है, जसका सं ह और व ेषण क यूटर कर सकता है। समु चत
बायोमै क डेटा और समु चत संगणन मता के चलते बाहरी डेटा- ॉसे सग- णा लयाँ
आपक सारी आकां ा , नणय और धारणा म घुसपैठ कर सकती ह। वे ठ क-ठ क
यह पता लगा सकती ह क आप कौन ह।
यादातर लोग वयं को ब त अ छ तरह से नह जानते। जब म इ क स साल का
था, तब कई साल तक अपने समल गक होने के त य से इंकार करने के बाद अ ततः मुझे
समझ म आया क म एक समल गक ँ। यह कोई अपवाद नह है। ब त-से समल गक
पु ष अपनी यौनपरक थ त के बारे म अ न त बने रहते ए अपनी सारी कशोराव था
बता दे ते ह। अब ज़रा 2050 क थ त क क पना कर, जब एक ऐ ग रदम कसी भी
कशोर को ठ क-ठ क यह बता सकेगा क समल गक/ वषमल गक प र य म वह कहाँ
पर है (और यहाँ तक क वह थ त कस तरह लचीली है)। हो सकता है क वह
ऐ ग रदम आपको आकषक पु ष और य क तसवीर या वी डयो दखाए, आपक
आँख क भं गमा , र चाप और म त क क ग त व ध का पीछा करे, और पाँच
म नट के भीतर क से केल ( क से केल को वषमल गक-समल गक रे टग केल भी
कहा जाता है। इसका इ तेमाल कसी क यौन- वृ क जाँच करने के लए कया
जाता है। यह जाँच एक न त समय म उस के अनुभव और त या पर
आधा रत होती है।) पर एक न बर द शत कर दे । इसने मुझे कु ठा के कई वष से बचा
लया होता। हो सकता है आप गत तौर पर इस तरह क जाँच न कराना चाहते ह ,
ले कन तब हो सकता है क आप ख़ुद को मशेल क उबाऊ बथडे पाट म शा मल दो त
के समूह म पाएँ, और कोई सलाह दे क आप सब एक-के-बाद एक इस नए तट थ
ऐ ग रदम पर ख़ुद को जाँच (जहाँ हर कोई आपके इद- गद प रणाम दे खने- और उन पर
ट पणी करने खड़ा होगा)। या आप वहाँ से चुपचाप चलते बनगे?
अगर आप ऐसा करते भी ह, और आप ख़ुद से तथा अपने दो त से इस बात को
छपाए रखते ह, तब भी आप अमेज़ॉन, अलीबाबा और ख़ु फ़या पु लस क नगाह से बचे
रहने म कामयाब नह ह गे। आप जैसे ही वेब को सफ़ करगे, यू ूब दे खगे या सोशल
मी डया पर आए स दे श को पढ़गे, ये ऐ ग रदम चुपचाप आप पर नगाह रखगे, आपका
व ेषण करगे, और कोका-कोला से कहगे क अगर वह आपको कोई फे नल पेय बेचना
चाहता है, तो बेहतर होगा क वह आपको बना कमीज़ वाली लड़क क जगह बना
कमीज़ वाले लड़के वाला व ापन दखाए। आपको पता भी नह चलेगा, ले कन उनको
मालूम होगा, और यह जानकारी अरब डॉलर मू य क होगी।
ले कन फर, हो सकता है सब कुछ खुले म आ जाए, और लोग बेहतर परामश हा सल
करने के लए - और अ ततः अपने बारे म ऐ ग रदम को फ़ैसला लेने दे ने के लए - ख़ुशी-
ख़ुशी अपनी जानकारी आपस म साझा करने लग। इसक शु आत साधारण चीज़ के
साथ होती है, जैसे क यह फ़ैसला लेने के साथ क कौन-सी फ़ म दे खी जाए। आप जैसे
ही एक आरामदायक शाम बताने अपने दो त के साथ ट वी के सामने बैठते ह, आपको
सबसे पहले यह चयन करना होता है क या दे खा जाए। पचास साल पहले आपके पास
ऐसा चयन उपल ध नह था, ले कन आज - माँग-पर-दे खो ( ू-ऑन- डमांड) सेवा के
चलते - फ़ म आ द के हज़ार शीषक उपल ध ह। एक राय क़ायम करना ख़ासा मु कल
हो सकता है, य क जहाँ आपको गत प से साइंस- फ़ शन लर पस द ह, वह
जै स को रोमानी कॉमे डयाँ अ छ लगती ह, और जल कला मक ांसीसी फ़ म के
प म है। नतीजतन, हो सकता है क आप कसी औसत दज क बी- ेणी क फ़ म
दे खने पर राज़ी हो जाएँ, जो आप सबको नराश करने वाली नकले।
ऐ ग रदम इसम आपक मदद कर सकता है। आप कह सकते ह क पछली कौन-सी
फ़ म आप सबको पस द आई थी, और तब यह ऐ ग रदम अपने वराट सां यक य
डेटाबेस के आधार पर आपक म डली क च क एकदम सही फ़ म ढूँ ढ नकाले।
बद क़ मती से, इस तरह के एक अप र कृत ऐ ग रदम को आसानी के साथ गुमराह कया
जा सकता है, ख़ासतौर से इस लए क ख़ुद द गई सूचना लोग क स ची ाथ मकता
के स दभ म एक कु यात प से अ व सनीय पैमाना होती है। अ सर ऐसा होता है क
ढे र लोग कसी फ़ म क तारीफ़ करते ए उसको आला दज़ क फ़ म बताते ह, और
इस तारीफ़ को सुनकर हम उस फ़ म को दे खने को मजबूर हो जाते ह, और भले ही हम
आधी फ़ म के दौरान सो जाएँ, ले कन चूँ क हम अ श त नह दखना चाहते, इस लए
हम हर कसी से यही कहते ह क उस फ़ म को दे खना एक अ त अनुभव रहा।
ले कन इस तरह क सम याएँ सुलझाई जा सकती ह, बशत क हम अपनी वयं द
गई स दे हा पद जानकारी पर भरोसा करने क बजाय ऐ ग रदम को गुंजाइश द क जब
भी हम सचमुच फ़ म दे ख रहे ह , तब वह हमारे बारे म रयल-टाइम डेटा एक करे।
पहले क़दम के तौर पर, यह ऐ ग रदम इस चीज़ पर नगाह रख सकता है क हमने कौन-
सी फ़ म पूरी दे ख , और कौन-सी आधी दे खकर छोड़ द । अगर हम सारी नया से
कहते फर क गॉन वद द वड अब तक क सव े फ़ म है, तब भी ऐ ग रदम को यह
बात मालूम होगी क हमने इसे पहले आधे घ टे से आगे कभी नह दे खा, और हमने
अटलांटा ब नग तो कभी दे खी ही नह ।
ले कन ऐ ग रदम इससे भी यादा गहराई म जा सकता है। इंजी नयर इस व त एक
ऐसा सॉ टवेयर तैयार करने म लगे ह, जो हमारी आँख और चेहरे क मांसपे शय क
हरक़त के आधार पर हमारी भावना को पकड़ सकगे। टे ली वज़न के साथ एक अ छा
कैमरा जो ड़ए, और इस तरह का सॉ टवेयर यह जान जाएगा क कस य ने हम
हँसाया, कसने हम उदास कया, और कस य ने हम उबाया। इसके बाद, ऐ ग रदम को
बायोमै क ससर के साथ जो ड़ए, और ऐ ग रदम यह जान जाएगा क कस तरह हर
य ने हमारे दल क धड़कन , हमारे र चाप, और हमारे म त क क ग त व धय पर
भाव डाला। मान ली जए क हम टे र टनो क प प फ़ शन दे खते ह, तो यह ऐ ग रदम
इस बात को दे ख लेगा क बला कार के य ने हमारे भीतर कामो ेजना क एक ऐसी
सनसनी पैदा कर द थी, जसका लगभग हम ख़ुद पता नह चला, इसके बाद जब व सट
अनजाने म मा वन के चेहरे पर गोली मार दे ता है, तो यह घटना हम अपराध-बोध के साथ
हँसा दे ती है, और यह क हम हालाँ क बग का ना बगर के बारे म मज़ाक़ को समझ नह
पाते, तब भी हम हँस दे ते ह, ता क हम बेवकूफ़ न समझ लए जाएँ। जब आप ख़ुद को
जबरन हँसाते ह, तो आप जन म त क-स कट और मांसपे शय का इ तेमाल करते ह, वे
उससे भ होते ह, जनका इ तेमाल आप सचमुच क कसी हा या पद बात पर हँसने के
लए करते ह। इंसान इस फ़क़ को आम तौर से पकड़ नह पाते, ले कन एक बायोमै क
ससर पकड़ सकता है।
Television श द दो श द से मलकर बना है - ीक भाषा के ‘tele ’, जसका
मतलब है ‘ र’, और लै टन के ‘visio ’ जसका मतलब है दशन। इसको मूलतः एक ऐसे
उपकरण के प म दे खा गया था, जो हम ब त र से दे खने क गुंजाइश दे ता है, ले कन
ब त ज द ही यह हम र से दे खे जाने क गुंजाइश दे सकता है। जैसा क जॉज ऑरवेल
ने नाइनट न ऐट -फ़ोर म क पना क थी, जस व त हम टे ली वज़न दे ख रहे ह गे, उसी
व त टे ली वज़न हम दे ख रहा होगा। जब हम टे र टनो क सारी फ़ म दे ख चुके ह गे, तो
हम उनम से यादातर को भूल चुके ह गे, ले कन नैट ल स, या अमेज़ॉन, या जस कसी
के भी पास ट वी ऐ ग रदम होगा, उसको हमारे व- प और इस बात क भी
जानकारी होगी क हमारे ज बाती बटन को कस तरह दबाया जाए। इस तरह के डेटा
नैट ल स और अमेज़ॉन को रह यमय अचूकता के साथ हमारे लए फ़ म का चयन
करने म स म बनाएँगे, ले कन ये उनको हमारी ज़ दगी के बारे म सबसे मह वपूण फ़ैसले
- जैसे क या पढ़ाई कर, कहाँ काम कर, और कससे शाद कर जैसे फ़ैसले - लेने म भी
स म बना सकते ह।
बेशक, अमेज़ान सारे समय सही नह होगा। यह अस भव है। अपया त डेटा, दोषपूण
ो ा मग, ल य क ामक प रभाषा और जीवन क अराजक कृ त के चलते
ऐ ग रदम बार-बार ग़ल तयाँ करगे। ले कन अमेज़ॉन को अचूक होने क ज़ रत नह
होगी। उसको सफ़ हम इंसान क तुलना म औसतन बेहतर होने भर क ज़ रत होगी।
और ये उतना मु कल नह है, य क यादातर लोग ख़ुद को ब त ठ क-से नह समझते,
और यादातर लोग अपनी ज़ दगी के सबसे अहम फ़ैसले लेने के मामले म भयावह
ग़ल तयाँ करते ह। यहाँ तक क ऐ ग रदम से कह यादा इंसान अपया त डेटा, दोषपूण
ो ा मग (जने टक और सां कृ तक, दोन ही तरह क ), ामक प रभाषा , और जीवन
क अराजकता के शकार होते ह।
आप शायद ऐसी ब त-सी सम या क फ़ेह र त तैयार कर सकते ह, जो
ऐ ग रदम को घेरे रहती ह, और यह नतीजा नकाल सकते ह क लोग उन पर कभी
भरोसा नह करगे, ले कन यह लोकत क सारी ु टय क फ़ेह र त तैयार करके यह
नतीजा नकालने जैसा होगा क कोई भी दमाग़ी तौर पर त इस तरह क
णाली को कभी नह चुनेगा। व सट च चल का यह कथन स है क लोकत , बाक़
सरी राजनी तक णा लय के अलावा, नया क सबसे बदतर राजनी तक णाली है।
सही हो या ग़लत, लोग बग डेटा ऐ ग रदम के बारे म भी ऐसा ही नतीजा नकाल सकते
ह : उनम ढे र अड़चन ह, ले कन हमारे पास कोई बेहतर वक प भी नह ह।
जैसे-जैसे वै ा नक हम मनु य के नणय लेने के ढं ग क गहरी समझ हा सल करते
जाएँगे, वैसे-वैसे ऐ ग रदम पर भरोसा करने का लोभ बढ़ते जाने क स भावना है। मनु य
क नणय- या म घुसपैठ बग डेटा ऐ ग रदम को अ धक भरोसे के यो य ही नह
बनाएगी, ब क वह इसी के साथ-साथ मनु य के ज बात को कम व सनीय भी बना
दे गी। जैसे-जैसे सरकार और ापा रक त ान इंसानी काय- णाली ( मन ऑपरे टग
स टम) म घुसपैठ करने म कामयाब होते जाएँगे, वैसे-वैसे सट कता से नद शत
चालबा ज़य , व ापन और चारपरक हथक ड क झड़ी हम चार ओर से घेरती
जाएगी। हमारे वचार और भावना के साथ छल करना इतना आसान हो सकता है क
हम ऐ ग रदम पर उसी तरह भरोसा करने को मजबूर ह गे, जस तरह च कर के दौरे के
शकार पायलट को अपनी ख़ुद क इ य क बात को नज़रअ दाज़ करना और अपना
सारा भरोसा कल-पुज़ा पर के त करना अ नवाय हो जाता है।
कुछ मु क और कुछ प र थ तय म यह भी मुम कन है क लोग को कोई वक प
ही न दए जाएँ, और वे बग डेटा ऐ ग रदम के फ़ैसल को मानने को बा य ह , ले कन
क थत प से मु समाज म भी, ऐ ग रदम भु व हा सल कर सकते ह, य क हम
अपने अनुभव के आधार पर उन पर यादा-से- यादा मु पर भरोसा करना सीखते
जाएँगे, और धीरे-धीरे अपने फ़ैसले वयं लेने क क़ा ब लयत खोते जाएँगे। ज़रा सो चए
क कस तरह मा दो दशक के भीतर अरब लोग ने गूगल सच ऐ ग रदम को एक
सबसे मह वपूण काम क ज़ मेदारी स प द : ासं गक और व सनीय जानकारी क
खोज क ज़ मेदारी। अब हम जानकारी नह खोजते। इसक बजाय, हम गूगल करते ह।
और जैसे-जैसे जवाब के लए गूगल पर हमारा भरोसा बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे वयं
जानकारी तलाशने क हमारी क़ा ब लयत ख़ म होती जाती है। आज पहले ही यह थ त
बन चुक है क ‘स य’ गूगल सच के शीष थ प रणाम से प रभा शत होने लगा है।
यह शारी रक मता के साथ भी होने लगा है, जैसे क रा ता ढूँ ढने के मामले म।
लोग गूगल से आ ह करते ह क वह उनको रा ता दखाए। जब वे कसी चौराहे पर
प ँचते ह, तो उनका मन उनसे ‘बाएँ मुड़ने’ को कह सकता है, ले कन गूगल मै स कहता
है ‘दाएँ मु ड़ए’। पहले वे अपने मन क बात ही सुनते ह, बाएँ मुड़ते ह, ै फ़क जाम म
फँस जाते ह, और एक मह वपूण बैठक म नह प ँच पाते। अगली बार वे गूगल क सुनते
ह, दाएँ मुड़ते ह, और व त पर अपने ग त पर प ँच जाते ह। वे अपने इस अनुभव से
गूगल पर भरोसा करना सीखते ह। एक या दो साल के भीतर गूगल मै स उनसे जो कुछ भी
कहता है, उस पर वे आँख ब द कर भरोसा करने लगते ह, और अगर उनका माटफ़ोन
काम नह करता, तो उनको कुछ नह सूझता।
माच 2012 म ऑ े लया म तीन जापानी पयटक ने समु -तट से र एक छोटे -से
प पर एक दन क सैर करने का नणय लया, और अपनी कार सीधे शा त महासागर
म घुसा द । यूजु नोडा नामक इ क स साल क ाइवर ने बाद म बताया क उसने तो
सफ़ जीपीएस (गूगल पोजीश नग स टम) के नदश का पालन कया था और “उसने
हमसे कहा था क हम वहाँ ाइव कर सकते ह। वह हमसे कहता रहा क वह हम एक
सड़क पर ले जाएगा। हम फँस गए।” इसी तरह क कई घटनाएँ ई ह, जनम लोग ने
प तौर पर जीपीएस के नदश का पालन करते ए कसी तालाब म कार घुसा द , या
कसी टू टे पुल से नीचे जा गरे। रा ता ढूँ ढने क क़ा ब लयत एक मांसपेशी क तरह है -
उसका इ तेमाल क रये या उसे खो द जए। यही बात जीवन-सा थय या वसाय के
चयन पर भी लागू होती है।
हर साल लाख नौजवान को यह नणय लेने क ज़ रत पड़ती है क वे
व व ालय म जाकर या पढ़। यह ब त अहम और ब त मु कल सवाल होता है।
आपके ऊपर आपके अ भभावक , आपके दो त और आपके अ यापक का दबाव होता
है। आपक अपनी जानी-मानी आशंकाएँ और दवा व भी होते ह, जनसे आपको
नपटना होता है। आपका ववेक हॉलीवुड क लोक य फ़ म , घ टया उप यास , और
व ापन क प र कृत मु हम से मत होता है। कोई अ लम द फ़ैसला लेना, ख़ासतौर से
इस लए भी मु कल होता है, य क आपको वाक़ई पता नह होता क व भ वसाय
म कामयाबी क या कुं जयाँ होती ह, और ज़ री नह क आपके पास आपक अपनी
मता और कमज़ो रय क कोई वा त वक तसवीर हो। एक वक ल के प म
कामयाब होने के लए कस तरह क द ता ज़ री है? म दबाव क प र थ त म कस
तरह काम कर सकता ँ? या म एक अ छा ट म-वकर ँ?
एक छा ा क़ानून क पढ़ाई शु कर सकती है, य क उसके पास उसक अपनी
द ता क एक ग़लत तसवीर, और इस बात को लेकर उससे भी यादा वकृत
कोण है क वक ल होने के वा त वक न हताथ या ह (आपको सारे दन सफ़
नाटक य दलील दे ते ए ‘ऑ जे शन, यॉर ऑनर!’ ही नह च लाते रहना होता)। इस
बीच, उसक सहेली अपने बचपन का एक वाब पूरा करने क को शश करती ई पेशेवर
बैले नृ य का अ ययन करने का फ़ैसला करती है, बावजूद इसके क उसके पास इसके
लए आव यक ह य क बनावट या अनुशासन का अभाव होता है। वष बाद, दोन को
अपने इन फ़ैसला को लेकर गहरा पछतावा होता है। भ व य म हम अपने बारे म ऐसे
फ़ैसल के लए गूगल पर नभर कर सकते ह। गूगल मुझे बता सकता है क लॉ कूल म,
या बैले कूल म म अपना व त बबाद कर रही होऊँगी - ले कन म एक कमाल क (और
ब त सुखी) मनोवै ा नक या ल बर बन सकती ँ।
जैसे ही एआई हमारे वसाय और स भवतः हमारे र त के स दभ म हमसे बेहतर
नणय लेने लगेगा, मानवता और जीवन क हमारी अवधारणा को बदलना ज़ री हो
जाएगा। मनु य जीवन को नणय- या के नाटक के प म दे खते रहे ह। उदार
लोकत और मु बाज़ार पूँजीवाद को नया के बारे म नर तर वक प का
चयन करते एक वाय कारक के प म दे खते ह। कलाकृ तयाँ - वे चाहे शे स पयर के
नाटक ह , जेन ऑ ट न के उप यास ह , या हॉलीवुड क स ती कॉमे डयाँ ह - आमतौर
पर एक ऐसे मु य करदार के इद- गद च कर लगाती ह जसे कोई अहम फ़ैसला लेना
होता है। जऊँ या म ँ ? अपनी बीवी क बात सुनूँ और कग डंकन का क़ ल कर ँ , या
अपने अ तःकरण क आवाज़ सुनूँ और उसको ब श ँ ? म टर कॉ लन से शाद क ँ या
म टर डेस से? ईसाई और मु लम धमशा भी इसी तरह नणय- या के नाटक पर
यान के त करते ए यह तक दे ते ह क शा त मु या नक उ चत वक प का चयन
करने पर नभर करते ह।
इस जीवन- का उस व त या ह होगा, जब हम अपने नणय को लेकर
उ रो र एआई पर नभर होते चले जाएँगे? फ़लहाल हम फ़ म क सफ़ा रश के लए
नैट ल स, दाएँ या बाएँ मुड़ने के चयन के लए गूगल मै स पर भरोसा करते ह, ले कन
जैसे ही हम एआई पर इस तरह के फ़ैसल के लए नभर करने लगगे क या पढ़ाई कर,
कहाँ काम कर, और कससे शाद कर, वैसे ही मानव-जीवन नणय- या का नाटक
नह रह जाएगा। लोकता क चुनाव और मु बाज़ार का कोई ख़ास अथ नह रह
जाएगा। यही हाल यादातर मज़हब और कलाकृ तय का होगा। ज़रा उस अ ा कैरे नना
क क पना क जए, जो अपना माटफ़ोन नकालकर फ़ेसबुक ऐ ग रदम से यह पूछ रही
होगी क उसको कैरे नन से शाद करनी चा हए या जोशीले काउंट ो क के साथ भाग
जाना चा हए। या शे स पयर ारा लखे गए आपके य नाटक क क पना क जए,
जसम सारे अहम फ़ैसले गूगल ऐ ग रदम ारा लए जा रहे ह । हैमलेट और मैकबेथ के
जीवन कह यादा आरामदे ह ह गे, ले कन ये जीवन कस तरह के ह गे? या हमारे पास
इस तरह के जीवन के अथ को समझने के कोई मॉडल ह?
जैसे ही भु व मनु य के हाथ से फ़सलकर ऐ ग रदम के हाथ म आ जाएगा, वैसे
ही हम नया को सही वक प को चुनने का संघष करते वाय य के ड़ा- थल
के प म नह दे ख पाएँगे। इसक बजाय हम समूची सृ को डेटा के वाह के प म
समझने लग सकते ह, जीव को जैवरासाय नक ऐ ग रदम से थोड़े-से बेहतर प म
दे खने लग सकते ह, और यह व ास करने लग सकते ह क मनु यता का ा डीय
उ म एक सव ापी डेटा- ॉसे सग णाली को रचना और उसम वलीन हो जाना है।
पहले से ही आज हम एक ऐसी भीमकाय डेटा- ॉसे सग णाली के भीतर क एक छोट -
सी चप बनते जा रहे ह, जसको वा तव म कोई नह समझता। सारे दन म ई-मेल ,
ट् वीट और लेख के माफ़त अ तहीन डेटा बट हण करता ँ, डेटा ॉसेस करता ँ, तथा
और भी ई-मेल , ट् वीट तथा लेख क माफ़त नए बट े शत करता ँ। म सचमुच नह
जानता क सृ क इस महान योजना म मेरी सही जगह कहाँ पर है, और डेटा के मेरे बट
अरब सरे मनु य और क यूटर ारा उ प कए जा रहे बट् स से कस तरह र ता
बनाते ह। यह सब पता लगाने का समय मेरे पास नह है, य क म इन सारे ई-मेल का
जवाब दे ने म ही ब त त ँ।
दाश नक कार
लोग आप उठा सकते ह क ऐ ग रदम हमारे मह वपूण नणय कभी नह ले सकते,
य क मह वपूण नणय म आमतौर पर एक नै तक आयाम शा मल होता है, और
ऐ ग रदम नै तक क समझ नह रखते, ले कन ऐसा मानकर चलने क कोई वज़ह नह है
क ऐ ग रदम नै तक के े म भी मनु य को मात दे ने म स म नह हो पाएँगे। आज
पहले ही यह थ त है क जब माटफ़ोन और वचा लत वाहन जैसे उपकरण उन नणय
को अपने हाथ म लेते ह, जन पर मनु य का एका धकार आ करता था, तो वे उसी तरह
क नै तक सम या का सामना करते ह, जो मनु य को हज़ार साल से सताती रही ह।
उदाहरण के लए, मान ली जए क एक गद का पीछा करते दो ब चे एक वचा लत
कार के सामने कूद पड़ते ह। इस कार को ाइव कर रहा ऐ ग रदम बजली क र तार के
साथ कए जाते अपने आकलन के आधार पर यह न कष नकालता है क इन दो ब च
को ट कर मारने से बचने का एकमा तरीक़ा वपरीत लेन म मुड़ जाना, और सामने से
आते क से टकरा जाना है। ऐ ग रदम आकलन करता है क ऐसे मामल म इस तरह क
70 % स भावना होती है क पछली सीट पर गहरी न द म सोया कार का मा लक मारा
जाए। तब ऐ ग रदम को या करना चाहए?
दाश नक इस तरह क नै तक वधा से स ब धत सम या (‘ ॉली ॉ ल स’)
के बारे म हज़ार साल से बहस करते आ रहे ह (इनको ‘ ाली ॉ ल स’ इस लए कहा
जाता है, य क आधु नक दाश नक बहस म पा पु तक य उदाहरण कसी वचा लत
कार क बजाय रेल क पटरी के समाना तर भागती एक ॉली कार का उदाहरण दया
जाता है)। अब तक इन तक का वा त वक आचरण पर शमनाक ढं ग से ब त कम भाव
पड़ा है, य क संकट क घ ड़य म मनु य यादातर अपने दाश नक कोण को भूल
जाते ह और अपने ज बात और सहज वृ य के मुता बक़ आचरण करते ह।
सामा जक व ान के े म इ तहास का सबसे भयानक योग दस बर 1970 म
टन थयोलॉ जकल से मनरी (य द पुरो हत क पाठशाला) के छा के समूह पर
कया गया था, जनको ेसबाइटे रयन चच के पादरी बनने का श ण दया जा रहा था।
येक छा से ज द से र थत एक ा यान-क म जाकर भले समे रटन क उस
नी तकथा पर एक ा यान दे ने को कहा गया, जसम बताया गया है क कस तरह
य शलम से जे रको के सफ़र पर जाते ए एक य द को अपरा धय ारा लूटा और पीटा
गया था, और इसके बाद उसको सड़क कनारे मरने के लए छोड़ दया गया था।
इस घटना के कुछ दे र बाद एक य द पुरो हत और उसका एक सहयोगी (लीवाइट)
वहाँ से गुज़रे, ले कन दोन ने ही उस आदमी क ओर कोई यान नह दया। इसके
वपरीत, जब एक समे रटन - उस प थ का एक सद य, जससे य द ब त घृणा करते ह
- वहाँ से गुज़रा, तो वह इस असहाय आदमी को दे खकर क गया, उसने उसक सेवा क
और उसक जान बचाई। इस नी त-कथा का स दे श यह है क लोग क अ छाई का
आकलन इस आधार पर नह कया जाना चा हए क वे कस मज़हब से जुड़े ह, ब क
उनके वा त वक आचरण के आधार पर कया जाना चा हए।
से मनरी के वे नौजवान छा भले समे रटन क इस नी त-कथा म न हत नै तक
स दे श क ा या के सबसे अ छे ढं ग पर रा तेभर वचार करते ए उस ा यान-क
क ओर भागे जा रहे थे, ले कन योग करने वाल ने उनक राह म चथड़े पहने एक
आदमी को जानबूझकर छोड़ दया, जो एक दरवाज़े पर क धे झुकाए, सर नीचा कए
और आँख ब द कए बैठा था। जैसे ही इस चाल से अनजान से मनरी का हरेक छा उसके
पास से तेज़ी-से गुज़रता, वह ‘असहाय’ दयनीय ढं ग से खाँसने और कराहने लगता।
यादातर छा तो उस आदमी क मदद करना तो र, उससे यह पूछने के लए के तक
नह क उसको या तकलीफ़ थी। ा यान-क क ओर भागने क हड़बड़ी ने उन छा
म जो भावना मक तनाव पैदा कर दया था, वह तनाव असहाय अजन बय क मदद करने
क उनक ज़ मेदारी पर भारी पड़ा।
ऐसी असं य प र थ तय म मानवीय भावनाएँ दाश नक स ा त पर भारी पड़ती
ह। यह चीज़ नया के नै तक और दाश नक इ तहास को अवसाद से भर दे ने वाला एक
ऐसा क़ सा बना दे ती है, जो अ त आदश और यूनतम आदश आचरण से यु है।
कतने ईसाई ह, जो सचमुच अपना सरा गाल आगे कर दे ते ह, बौ धम के कतने ऐसे
अनुयायी ह, जो अपनी अहंकारी मान सकता से सचमुच ऊपर उठ पाते ह, और कतने
ऐसे य द ह, जो अपने पड़ो सय को सचमुच उतना ही यार करते है, जतना वे ख़ुद को
करते ह? ाकृ तक वरण (नेचुरल सले शन) ने होमो से पय स को इसी तरह ढाला है।
तमाम तनधा रय क ही तरह होमो से पय स भी जीवन और मृ यु के बारे म फुत -से
फ़ैसले लेने के लए भावना का इ तेमाल करते ह। अपने ोध, अपने भय और अपनी
वासना को हमने अपने उन लाख पूवज से वरासत म पाया है, जन सबने ाकृ तक
वरण क गुणव ा- नय ण क क ठनतम परी ा को पास कया है।
बद क़ मती से, जो चीज़ दस लाख साल पहले अ क घास के मैदान म जी वत बने
रहने और जनन करते रहने के लए सही आ करती थी, वह ज़ री नह क इ क सव
सद के मोटरमाग पर ज़ मेदार आचरण के लए सही हो। असावधान, नाराज़ और बेचैन
इंसानी ाइवर यातायात घटना म हर साल दस लाख से यादा लोग को मार डालते
ह। हम इन ाइवर को नै तकता का उपदे श दे ने के लए अपने सारे दाश नक , पैग़ बर
और पुरो हत को भेज सकते ह, ले कन सड़क पर तब भी तनपायी भावनाएँ (मेमे लयन
इमोश स) और घास के मैदान क सहज वृ याँ आगे नकल जाती ह। नतीजतन,
इसी लए हड़बड़ी म भागते से मनरी के छा पी ड़त लोग क उपे ा करते रहगे, और
ाइवर असहाय पैदल को कुचलते ए नकल जाएँगे।
से मनरी और सड़क के बीच का अलगाव नी तशा क सबसे बड़ी सम या म से
एक है। इमानुएल कांट, जॉन टु अट मल और जॉन रॉ स कसी व व ालय के
आरामदायक क म बैठकर कई दन तक नै तक क सै ा तक सम या पर चचा
कर सकते ह, ले कन या उनक इन चचा के न कष को णक आक मकता म
फँसे तनाव त ाइवर ारा या वत कया जाएगा? शायद माइकल शूमाकर (फ़ामूला
वन चै पयन, जनको इ तहास का े तम ाइवर माना जाता है) म कार को दौड़ाते व त
दशनशा के बारे म सोचने क क़ा ब लयत रही हो, ले कन हम म से यादातर लोग
शूमाकर नह ह।
ले कन क यूटर ऐ ग रदम को ाकृ तक वरण के हाथ नह गढ़ा गया है, और उनम
न तो ज बात होते ह, न ही सहज वृ याँ होती ह। इस लए संकट क घ ड़य म वे
नै तक दशा- नदश का पालन मनु य से बेहतर ढं ग से कर सकते ह, बशत क हम ऐसा
कोई तरीक़ा ढूँ ढ ल, जसक मदद से नै तक को सट क सं या और सां यक के
संकेत म कूटब कया जा सके। अगर हम कांट, मल और रॉ स से ये कूट लखने को
कह, तो वे अपनी आरामदे ह योगशाला म सावधानी के साथ वचा लत कार को
ो ाम कर सकते ह, और इस बारे म न त हो सकते ह क वह कार हाइवे पर उनके
नदश का पालन करेगी। जसका मतलब ावहा रक अथ म यह होगा क हर कार
संयु प से माइकल शूमाकर और इमानुएल कांट ारा चलाई जा रही होगी।
इस तरह अगर आप एक वचा लत कार को इस तरह के नदश से लैस कर सक क
वह क कर पी ड़त अजन बय क मदद करे, तो वह कसी भी तरह क मु कल के
बावजूद ऐसा करेगी (बेशक, तभी जब आपने उसम मु कल प र थ तय के लए अपवाद
क कोई शत न डाली हो)। इसी तरह, अगर आपक वचा लत कार रा ते के दो ब च को
बचाने के लए वपरीत लेन म मुड़ने के नदश से लैस है, तो आप प के तौर पर कह
सकते ह क वह वैसा ही करेगी। जसका मतलब है क अपनी वचा लत कार को गढ़ते
समय टोयोटा या टे ला नै तक के दशन क सै ा तक सम या को इंजी नय रग क
ावहा रक सम या म बदल रही ह गी।
मान लया क इस तरह के दाश नक ऐ ग रदम कभी अचूक नह ह गे। चूक तब भी
ह गी, जनके नतीजे ज़ म , मौत और बेहद ज टल क़ म के मुक़दम के प म सामने
आएँगे। (इ तहास म पहली बार, आप कसी दाश नक के स ा त के भा यपूण नतीज
के लए उसक ना लश कर सकगे, य क इ तहास म पहली बार आप दाश नक वचार
और वा त वक जीवन क घटना के बीच कारण-काय स ब ध को सा बत कर पाएँगे।)
ले कन, इंसानी ाइवर क ज़ मेदारी सँभालने के लए ऐ ग रदम को अचूक होना
ज़ री नह होगा। उनको सफ़ इंसान से बेहतर होना भर आव यक होगा। इस त य को
दे खते ए क इंसानी ाइवर हर साल दस लाख से यादा लोग क जान ले लेते ह, यह
कोई मु कल काम नह है। सब कुछ पर वचार करने के बाद, आप अपने आगे क कार
के स दभ म या पस द करगे - या यह क उसे नशे म धु कोई कशोर चला रहा हो, या
यह क उसको शूमाकर-कांट क ट म संचा लत कर रही हो?
यही तक सफ़ ाइ वग पर नह , ब क सरी प र थ तय पर भी लागू होता है।
उदाहरण के लए रोज़गार के आवेदन को ही ले ल। इ क सव सद म, कसी को
नौकरी पर रखने या न रखने का नणय उ रो र ऐ ग रदम ारा लया जाने लगेगा। हम
ासं गक नै तक मानद ड था पत करने के लए मशीन पर भरोसा नह कर सकते - यह
काम करने के लए मनु य क ज़ रत बनी रहेगी, ले कन जैसे ही हम रोज़गार के े म
कोई नै तक मानद ड तय कर लेते ह - जैसे यह क अ ेत या य के त भेदभाव
बरतना ग़लत है - वैसे ही हम इस मानद ड को बेहतर ढं ग से या वत करने के मामले म
इंसान से यादा मशीन पर भरोसा कर सकते ह।
एक इंसानी मैनेजर को यह बात मालूम हो सकती है और वह इस पर सहमत भी हो
सकता है क अ ेत और य के त भेदभाव बरतना अनै तक है, ले कन फर, जब
कोई एक अ ेत ी नौकरी के लए आवेदन करती है, तो वह मैनेजर अवचेतन प से
उसके त भेदभाव बरतता है, और उसको नौकरी पर न रखने का नणय लेता है। अगर
हम एक क यूटर को रोज़गार स ब धी आवेदन का मू यांकन करने क छू ट द, और उस
क यूटर को न ल और लग क पूरी तरह से उपे ा करने के नदश से लैस कर द, तो हम
प के तौर पर मानकर चल सकते ह क क यूटर न य ही इन त य क उपे ा करेगा,
य क क यूटर का कोई अवचेतन नह होता। बेशक, रोज़गार आवेदन का मू यांकन
करने के लए कोड लखना आसान नह होगा, और यह ख़तरा हमेशा बना रहेगा क
इंजी नयर कसी न कसी तरह उस सॉ टवेयर को अपने अवचेतन पूवा ह से लैस कर
दगे। ले कन जैसे ही हम इस चूक का पता चल जाएगा, तो मनु य को उनके न लपरक
और ी े षी पूवा ह से छु टकारा दलाने क बजाय उस सॉ टवेयर क उस चूक को हटा
दे ना यादा आसान होगा।
हमने दे खा क आ ट फ़ शयल इंटे लजस यादातर मनु य को रोज़गार क नया से
बाहर धकेल सकता है, जनम ाइवर और यातायात पु लस शा मल होगी (जब उप वी
मनु य क जगह आ ाकारी ऐ ग रदम ले लगे, तो यातायात पु लस फ़ालतू हो जाएगी),
ले कन, दाश नक के लए रोज़गार के कुछ नए अवसर पैदा हो जाएँगे, य क उनक
द ता क - जो अब तक कसी ख़ास बाज़ार-मू य से वं चत थ - अचानक ब त
यादा माँग होने लगेगी। इस लए अगर आप कसी ऐसे वषय का अ ययन करना चाहते
ह, जो भ व य म अ छे रोज़गार क गारंट दे ता हो, तो दशनशा पर यह दाँव लगाना
यादा बुरा नह होगा।
बेशक, कारवाई क सही दशा को लेकर दाश नक बमु कल ही एकमत होते ह। ऐसी
ब त थोड़ी-सी ‘ ॉली ा ल स’ ह, जनके समाधान से सारे दाश नक स तु ह , और जॉन
टु अट मल जैसे प रणामवाद च तक (जो कसी कृ य के औ च य को उसके प रणाम
के आधार पर परखते ह) इमानुएल कांट जैसे कारणवा दय (जो कृ य को परम मू य के
आधार पर परखते ह) से नता त भ राय रखते ह। या टे ला कसी कार का उ पादन
करने के लए इस तरह के पेचीदा मसल पर वचार करेगी?
ख़ैर, हो सकता है टे ला इसे बाज़ार पर छोड़ दे । टे ला वचा लत कार के दो मॉडल
तैयार करेगी : टे ला परोपकारी (टे ला अ टइ ट) और टे ला आ मोपकारी (टे ला
इगोइ ट)। संकट क प र थ त म टे ला परोपकारी एक महान येय क ख़ा तर अपने
मा लक क ब ल दे दे गी, जब क आ मोपकारी अपने मा लक क र ा म पूरी ताक़त झ क
दे गी, भले ही इसके लए उसे उन दो ब च क जान ही य न लेनी पड़े। इसके बाद ाहक
ख़ुद उस मॉडल को खरीदगे, जो उनके य दाश नक कोण से सबसे अ छ तरह से
मेल खाता होगा। अगर यादा लोग टे ला आ मोपकारी को ख़रीदते ह, तो इसके लए
आप टे ला को दोषी नह ठहरा सकगे। आ ख़रकार ाहक हमेशा सही होता है।
यह मज़ाक़ नह है। 2015 के एक अ गामी अ ययन के तहत लोग के सामने एक
का प नक प र थ त पेश क गई, जसके तहत एक वचा लत कार कई पैदल चलने
वाल को कुचल डालने वाली थी। यादातर लोग का कहना था क इस तरह क
प र थ त म कार को अपने मा लक के मारे जाने क क़ मत पर भी पैदल चलने वाल को
बचाना चा हए। जब उनसे पूछा गया क या वे वयं ऐसी कार ख़रीदना चाहगे, जो एक
महान येय क ख़ा तर अपने मा लक क ब ल दे ने के नदश से लैस हो, तो यादातर
लोग ने इंकार कर दया। अपने लए वे टे ला आ मोपकारी ख़रीदना चाहगे।
ज़रा इस थ त क क पना क जए : आपने एक नई कार ख़रीद है, ले कन कार को
चालू करने से पहले आपको से ट स मे यू म जाकर उसके कई ख़ान म से कसी एक ख़ाने
पर सही का नशान लगाना अ नवाय है। या आप चाहती ह क घटना क दशा म कार
आपक ब ल दे दे , या सरे वाहन म सवार प रवार क जान ले ले? या आप चुनाव करना
भी चाहगी? ज़रा उन बहस के बारे म सो चए जो आपको अपने प त के साथ इस मु े पर
करना पड़गी क कस ख़ाने म सही का नशान लगाया जाए।
तब या मुम कन है क बाज़ार को नय त करने के लए रा य को ह त ेप करना,
और एक ऐसी नै तक सं हता नधा रत करना ज़ री होगा, जो सारी वचा लत कार के
लए ब धनकारी हो? कुछ क़ानून- नमाता न य ही अ ततः ऐसे क़ानून बनाने का अवसर
मलने से रोमां चत ह गे, जनका हमेशा अ रश: पालन कया जाने वाला होगा। सरे
क़ानून- नमाता इस तरह क अपूव और सवस ावाद ज़ मेदारी से चौक े हो उठगे।
आ ख़रकार समूचे इ तहास के दौरान क़ानून के या वयन क मयादाएँ क़ानून- नमाता
के पूवा ह , चूक और अ याचारां पर वागत यो य लगाम लगाती रही ह। यह बेहद
खुश क़ मती क बात थी क समल गकता के ख़लाफ़ और धम ोह के ख़लाफ़ बनाए गए
क़ानून को, आं शक प से ही, अमल म लाया गया। या हम वा तव म एक ऐसी
व था क ज़ रत है, जसम राजनेता के नणय गु वाकषण क तरह अप रहाय बने
रह?
ड जटल तानाशाही
एआई लोग को अ सर इस लए भयभीत करती है, य क उनको एआई के आ ाकारी
बने रहने का भरोसा नह होता। हमने ऐसी ब त-सी साइंस- फ़ शन फ़ म दे ख रखी ह,
जनम रोबोट अपने इंसानी मा लक के ख़लाफ़ व ोह कर उठते ह और बेक़ाबू होकर
सड़क पर भागते ए हर कसी को मार डालते ह, ले कन रोबोट के साथ वा त वक
सम या इसके ठ क वपरीत है। हम उनसे इस लए डरना चा हए क वे स भवतः हमेशा
अपने मा लक क आ ा मानगे और कभी व ोह नह करगे।
बेशक, आँख मूँदकर आ ा मानते रहने म तब तक कोई बुराई नह है, जब तक रोबोट
भले और दयालु मा लक क सेवा म लगे रह। यहाँ तक क यु म भी ह यारे रोबोट पर
भरोसा इस बात को सु न त कर सकता है क इ तहास म पहली बार यु के मैदान म
यु के नयम का पालन कया जाएगा। इंसानी सै नक कभी-कभी यु के नयम का
उ लंघन कर ह या, लूटपाट और बला कार करने क अपनी भावना के वशीभूत हो
जाते ह। हम आमतौर पर भावना को क णा, ेम को सहानुभू त से जोड़कर दे खते ह,
ले कन यु के समय जो भावनाएँ नय ण करने लगती ह, वे अ सर भय, घृणा और
ू रता क होती ह। चूँ क रोबोट म कोई भावनाएँ नह होत , उन पर हमेशा भरोसा कया
जा सकता है क वे सै य सं हता के शु क श द से ढ़तापूवक चपके रहगे, और नजी
भय और घृणा से प रचा लत नह ह गे।
16 माच 1968 को अमे रक सै नक क एक टु कड़ी आवेश म भरकर वयतनामी
गाँव माई लाई म घुसी और उसने 400 नाग रक क सामू हक ह याएँ कर द । यह यु -
अपराध उन लोग क थानीय पहल का नतीजा था, जो कई महीन से जंगल म रहकर
गु र ला लड़ाई म लगे थे। इसने कोई रणनी तक हत पूरा नह कया, और संयु रा य
अमे रका क व धसं हता तथा सै य नी त, दोन का उ लंघन कया। यह इंसानी ज बात
क ग़लती थी। अगर संयु रा य अमे रका ने वयतनाम म मारक रोबोट तैनात कए होते,
तो माई लाई का जनसंहार कभी न आ होता।
तब भी, इसके पहले क हम मारक रोबोट को गढ़ने और उनको तैनात करने क
हड़बड़ी मचाएँ, हम ख़ुद को यह याद दलाना ज़ री है क रोबोट हमेशा अपने कोड के
गुण को कट करते ह और उनको व तार दे ते ह। अगर कोड संय मत और दयालु आ,
तो रोबोट स भवतः औसत इंसानी सै नक के मुक़ाबले ब त बड़ा सुधार होगा, ले कन
अगर वह कोड बेरहम और ू र आ, तो नतीजे वनाशकारी ह गे। रोबोट के साथ
वा त वक सम या उनक ख़ुद क कृ म बु (आ ट फ़ शयल इंटे लजस) नह है, ब क
उनके मा लक क कु़दरती मूखता और ू रता है।
जुलाई 1995 म बोस नयाई सब सेना ने े े नका नगर के क़रीब 8,000 से यादा
मुसलमान बो नयाइय का नरसंहार कर दया था। माई लाई के बेतरतीब जनसंहार से
भ यह े नका नरसंहार एक व तीण और सु व थत कारवाई थी, जो बोस नया को
मुसलमान से र करने क ‘ जातीय सफ़ाई’ (एथ नक ली संग) क बोस नया क
सब नी त को त ब बत करता था। अगर 1995 म बोस नयाई सब के पास मारक
रोबोट होते, तो इसने इस ू रता को कमतर बनाने क बजाय बदतर बना दया होता। जो
भी आदे श राबोट को दए गए होते, उनको अंजाम दे ने म एक भी रोबेट ज़रा भी न
हच कचाया होता, और उसने क णा, अ च, या महज़ सु ती क वज़ह से एक भी
मुसलमान को न छोड़ा होता।
इस तरह के मारक रोबोट से लैस कसी नमम तानाशाह को कभी इस बात का भय
नह सताएगा क उसके सै नक उसके ख़लाफ़ बग़ावत कर दगे, भले ही उसके आदे श
कतने ही न ु र और पागलपन से भरे य न ह । एक रोबोट सेना ने शायद ांसीसी
ा त का गला 1789 म उसके पालने म घ ट दया होता, और अगर 2011 म नी
मुबारक के पास मारक रोबोट क एक टु कड़ी होती, तो उ ह ने बग़ावत के ख़ौफ़ के बना
उनको आबाद पर खुला छोड़ दया होता। इसी तरह रोबोट क सेना पर भरोसा करने
वाली एक सा ा यवाद सरकार अलोक य यु छे ड़ सकती है, इस बात क कोई परवाह
कए बना क इसके रोबोट अपने येय से भटक सकते ह, या उनके प रवार वरोध-
दशन कर सकते ह। अगर संयु रा य अमे रका के पास वयतनाम यु के दौरान मारक
रोबोट होते, तो माई लाई नरसंहार को रोका जा सकता था, ले कन वयं यह यु कई और
साल तक घसटता रहता, य क अमे रक सरकार को हतो सा हत सै नक , यु - वरोधी
वशाल दशन , या ‘यु के ख़लाफ़ पूव रोबोट ’ के आ दोलन को लेकर ब त थोड़ी-सी
च ताएँ होत (कुछ अमे रक नाग रक ने तब भी यु का वरोध कया होता, ले कन सेना
म भत कर लए जाने, गत प से अ याचार म शा मल होने क मृ तय , या अपने
कसी यजन को खो दे ने क पीड़ा के अभाव म इन वरोध- दशनका रय क सं या
कम होती और अपने वरोध के त उनक तब ता कम होती)।
इस तरह क सम याएँ वाय असै नक वाहन के स दभ म ब त कम ासं गकता
रखती ह, य क कोई भी कार- नमाता अपने वाहन को भावनापूण ढं ग से इस तरह
लैस नह करेगा क वह लोग को नशाना बनाकर उनक जान ले, ले कन वाय
ह थयार- णा लयाँ एक ऐसा सवनाश है, जो घ टत होने का इ तज़ार कर रहा है, य क
ऐसी सरकार क सं या ब त यादा है, जो अगर पूरी तरह से शैता नयत क ओर नह ,
तो नै तक प से होने क ओर वृ ह।
ख़तरा ह यारी मशीन तक ही सी मत नह है। नगरानी- णा लयाँ भी उतनी ही
जो खमपूण हो सकती ह। कसी सौ य और दयालु सरकार के हाथ म नगरानी करने वाले
श शाली ऐ ग रदम मानव-जा त क अब तक क े तम उपल ध हो सकते ह, ले कन
वही बग डेटा ऐ ग रदम भ व य के कसी बग ॅदर क ताक़त म कुछ इस तरह इज़ाफ़ा
कर सकते ह क हमारा पाला जॉज ऑरवेल के उप यास 1984 क तरह क नगरानी
करने वाली कसी ऐसी कूमत से पड़ सकता है, जसम सारे य पर सारे समय
नगरानी रखी जा रही होगी।
सच तो यह है क हमारा पाला कसी ऐसी चीज़ से पड़ सकता है, जसक क पना
शायद ऑरवेल भी न कर सके होते : स पूण नगरानी रखने वाली एक ऐसी शासन-
व था, जो न सफ़ हमारी बाहरी ग त व धय और उ चारण पर नगाह रखेगी, ब क
जो हमारी चमड़ी को भेदकर हमारे अ द नी अनुभव को भी ताड़ती रह सकती है।
उदाहरण के लए, वचार कर दे खए क उ र को रया म कम क शासन- व था इस नई
ौ ो गक का कस तरह इ तेमाल कर सकती है। भ व य म उ र को रया के हर नाग रक
को एक ऐसा बायोमै क कड़ा पहनना अ नवाय हो सकता है, जो आपक हर करनी और
कथनी पर - साथ ही आपके र चाप और म त क क ग त व ध पर - नगरानी रखेगा।
इंसानी म त क क उ रो र बढ़ती समझ का इ तेमाल करते ए, और मशीन ल नग क
अप र मत श का इ तेमाल करते ए उ र को रयाई शासन- व था इ तहास म पहली
बार इस बात क थाह लेने म स म हो सकती है क हर नाग रक हर ण या सोच रहा
है। अगर आप कम ज ग-उन क तसवीर क ओर दे खगे और बायोमै क ससर आपके
मन म उठ रहे ग़ से के चुग़लख़ोर संकेत (उ च र चाप, ऐ म डाल क बढ़ ई
ग त व धय ) को पकड़ लेते ह, तो अगली सुबह आप गुलाग म ह गे।
माना क अपने अलग-थलग पड़े होने क वज़ह से उ र को रयाई कूमत को अपने
दम पर इस तरह क ौ ो गक वक सत करने म क ठनाई होगी, ले कन इस ौ ो गक
क अगुवाई ौ ो गक म पारंगत सरे मु क ारा क जा सकती है और उ र को रयाई
तथा सरी पछड़ी ई तानाशा हय ारा उसक नक़ल क जा सकती है या उसको
आयात कया जा सकता है। चीन और स, दोन ही अपने नगरानी-उपकरण को
नर तर उ त बनाने म लगे ह, जस तरह संयु रा य अमे रका से लेकर मेरे अपने मु क
इज़रायल तक, ब त-से लोकता क दे श भी कर रहे ह। ‘ टाट-अप-नेशन’ के उपनाम से
स इज़रायल का अपना एक अ य त जोशीला उ च-तकनीक काय- े , और वकास
क उ च अव था म प ँचा आ साइबर-सुर ा उ ोग है। इसी के साथ-साथ यह
फ़ ल ती नय के साथ एक घातक टकराव क थ त म भी है, और जैसे ही कम-से-कम
इसके कुछ नेता , सेना य और नाग रक के हाथ म आव यक ौ ो गक आ जाएगी,
वे शायद ख़ुशी-ख़ुशी प मी तट म एक स पूण नगरानीपरक कूमत खड़ी करके स
ह गे।
आज भी जब कभी फ़ ल तीनी कोई फ़ोन करते ह, फ़ेसबुक पर कुछ पो ट करते ह
या एक शहर से सरे शहर जाते ह, तो स भवतः उन पर इज़रायली माइ ोफ़ोन , कैमर ,
ोन या जासूस सॉ टवेयर ारा नगाह रखी जाती है। इसके बाद इस नगरानी से एक
सूचना का बग डेटा ऐ ग रदम क मदद से व ेषण कया जाता है। इससे इज़रायल के
सुर ा बल को ढे र सै नक को तैनात कए बना ही स भा वत ख़तर का ठ क-ठ क पता
लगाने और बेअसर करने म मदद मलती है। फ़ ल ती नय का प मी तट के कुछ नगर
और गाँव पर शासन हो सकता है, ले कन इज़राय लय का नय ण आकाश, हवाई माग
और साइबर पेस पर है। इसी लए प मी तट के लगभग 2.5 लाख फ़ ल ती नय को
कारगर ढं ग से नय त करने म आ यजनक प से ब त थोड़े-से सै नक क ज़ रत
पड़ती है।
अ टू बर 2017 क एक ासद-हा या पद घटना के तहत एक फ़ ल तीनी मज़ र ने
अपने नजी फ़ेसबुक एकाउंट पर एक बु डोज़र के साथ अपनी एक तसवीर पो ट क थी,
जसम वह अपने काय थल पर काम करते ए दशाया गया था। इस तसवीर के साथ
उसने ‘गुड मॉ नग!’ लखा था। एक वचा लत ऐ ग रदम ने अरबी भाषा के अ र का
ल या तरण करते ए एक छोट -सी ग़लती कर द । इस ऐ ग रदम ने इन अ र को
Ysabechhum !’ ( जसका मतलब ‘गुड मॉ नग’ होता है) क जगह Ydbachhum !’
( जसका मतलब ‘उनको चोट प ँचाओ’ होता है) के प म पहचाना। इज़रायली सुर ा
बल को स दे ह आ क वह आदमी आतंकवाद है, जो लोग पर बु डोज़र चलाना चाहता
है, और इस लए उ ह ने उसको तुर त गर तार कर लया। बाद म जब उनको ऐ ग रदम
क चूक का अहसास आ, तब उसको छोड़ा गया, ले कन उस आ मक फ़ेसबुक पो ट
को तब भी हटा दया गया। भले ही ज़ री न हो, ले कन सावधान तो रहना चा हए।
फ़ ल तीनी आज प मी तट म जो भोग रहे ह, वह उस हालत का महज़ एक ाथ मक
पूव दशन सा बत हो सकता है, जसे अ ततः अरब लोग समूचे ह पर भोगगे।
बीसव सद के बाद के दन म लोकत ने आमतौर पर तानाशा हय को मात दे द
थी, य क लोकत डेटा- ॉसे सग के मामले म बेहतर थे। लोकत सूचना को ॉसेस
करने और नणय लेने क श को ब त-से लोग और सं था के बीच छतरा दे ता है,
जब क तानाशाही सूचना और स ा को एक जगह पर जमा करके रखती है। बीसव सद
क ौ ो गक को दे खते ए ब त अ धक सूचना और स ा को एक जगह पर जमा करके
रखना कारगर नह था। इतनी मता कसी म नह थी क वह सारी क सारी सूचना को
पया त तेज़ी के साथ ॉसेस कर पाता और नणय ले पाता। यही वज़ह थी, जससे
सो वयत संघ ने संयु रा य अमे रका क तुलना म बदतर फ़ैसले लए, और य
सो वयत अथ व था उसके मुक़ाबले पीछे घसटती रही।
ले कन एआई ज द ही पडु लम को वपरीत दशा म मोड़ सकता है। एआई मुम कन
बनाता है क सूचना क अप र मत तादाद को के य तर पर ॉसेस कया जा सके।
दरअसल, एआई के कृत व था को वके त व था के मुक़ाबले कह यादा
कारगर बना सकता है, य क मशीन ल नग जतनी ही यादा सूचना को ॉसेस कर
सकती है, उतना ही बेहतर ढं ग से वह काम कर सकती है। अगर आप गोपनीयता क
तमाम च ता को ताक म रखकर अरब लोग से स ब धत सारी सूचना को एक
डेटाबेस म के त कर दे ते ह, तो आप उससे बेहतर ऐ ग रदम तैयार कर सकते ह,
जतना आप तब कर सकते ह, जब आप वैय क गोपनीयता का स मान करते ए मा
दस लाख लोग क आं शक सूचना अपने डेटाबेस म रखते ह। उदाहरण के लए, अगर
कोई सवस ावाद सरकार अपने सारे नाग रक को अपने-अपने डीएनए कैन कराने और
अपने च क सक य डेटा म कसी के य अ धकरण से साझा करने का आदे श दे ती है, तो
वह जने ट स और च क सा-वै ा नक अनुस धान के े म उन समाज के मुक़ाबले
अप र मत लाभ क थ त म रहेगी, जनम च क सक य डेटा पूरी तरह से गोपनीय होता
है। बीसव सद म सवस ावाद शासन- व था क मु य अ मता - सारी सूचना को
एक थान पर के त करने क को शश - इ क सव सद म उनक नणायक सफलता
बन सकती है।
जैसे ही ऐ ग रदम हम ब त अ छ तरह जानने क थ त म आ जाएँगे, वैसे ही
सवस ावाद सरकार अपने नाग रक पर एकछ नय ण हा सल कर सकती ह, उससे
भी कह यादा जतना नाज़ी जमनी म था, और ऐसी कूमत का तरोध नता त
अस भव हो सकता है। ऐसी कूमत को न सफ़ इस बात क ठ क-ठ क जानकारी होगी
क आप कैसा महसूस करते ह, ब क वह आपको उस तरह महसूस करने पर बा य कर
सकती है, जैसा वह चाहती है। तानाशाह अपने नाग रक को च क सा-सेवा और समानता
भले ही न मुहैया करा सके, ले कन वह उनको बा य कर सकता है क वे उसको ेम कर
और उसके तप य से नफ़रत कर। लोकत अपने वतमान प म जैव ौ ो गक
और सूचना ौ ो गक के वलय के सामने टका नह रह सकता। या तो लोकत को
एक आमूलचूल नए प म अपना सफलतापूण कायाक प करना होगा, या मनु य को
‘ ड जटल तानाशाही’ के अधीन रहने को मजबूर होना होगा।
यह हटलर और ता लन के युग म वापसी नह होगी। ड जटल तानाशाही नाज़ी
जमनी से उतनी ही भ होगी, जतनी नाज़ी जमनी ांस क ओ सयाँ रज़ीम (म ययुगीन
शासन- व था) से भ थी। लुई XIV के करण करने वाला वे छाचारी शासक था,
ले कन उसके पास एक आधु नक सवस ावाद रा य था पत करने के लए कोई
ौ ो गक नह थी। उसको अपनी कूमत के कसी वरोध का सामना नह करना पड़ा
था, तब भी रे डयो, टे लीफ़ोन और े न के अभाव म सु र ेताँ गाँव म रहने वाले कसान ,
या पे रस के बीच -बीच रह रहे नगरीय समाज के रोज़मरा जीवन पर उसका कोई ख़ास
नय ण नह था। कोई सामू हक राजनी तक दल (मास पाट ), नौजवान का कोई
दे श ापी आ दोलन, या कोई रा ीय श ा- णाली वक सत करने क न तो उसक इ छा
थी, न ही इसक क़ा ब लयत उसम थी। ये बीसव सद क नई ौ ो ग कयाँ थ , ज ह ने
हटलर को इस तरह क चीज़ करने क ेरणा और मता दान क थी। जो लोग 1930
के दशक क लड़ाइय को फर लड़ने क तैयारी म लगे ह, वे एक नता त भ दशा से
होने जा रहे हमले से ह का-ब का रह सकते ह।
यहाँ तक क अगर लोकत कसी तरह सामंज य था पत कर ले और जी वत बचा
रहे, तो भी लोग नए तरह के दमन और भेदभाव के शकार ह गे। आज पहले ही यादा से
यादा बक, ावसा यक त ान और सं थाएँ डेटा का व ेषण करने और हमारे बारे
म फ़ैसले लेने के लए ऐ ग रदम का इ तेमाल कर रहे ह। जब आप अपने बक म क़ज़ के
लए आवेदन करते ह, तो इसक पूरी स भावना होती है क आपके उस आवेदन को कसी
इंसान क बजाय एक ऐ ग रदम ारा ॉसेस कया जाए। यह ऐ ग रदम आपके और
लाख सरे लोग के बारे म आँकड़ का व ेषण करता है, और फर फ़ैसला करता है
क या आप इतने भरोसे के क़ा बल ह क आपको क़ज़ दया जा सके। अ सर यह
ऐ ग रदम कसी इंसानी बककम से बेहतर सेवा दे ता है, ले कन सम या यह है क अगर
यह ऐ ग रदम क ह लोग के त अ यायपूवक भेदभाव बरतता है, तो इस बात को
जानना मु कल है। अगर बक आपको क़ज़ दे ने से इंकार कर दे ता है, और आप पूछते ह
क ‘ य ?’, तो बक जवाब दे ता है क ‘ऐ ग रदम ने मना कया है।’ आप पूछते ह,
‘ऐ ग रदम ने मना य कया? मेरी या ग़लती है?’, और बक जवाब दे ता है, ‘हम नह
जानते। इस ऐ ग रदम को कोई इंसान नह समझता, य क यह उ त मशीन ल नग पर
आधा रत है, ले कन हम अपने ऐ ग रदम पर भरोसा करते ह, इस लए हम आपको क़ज़
नह दगे।’
जब इस तरह का भेदभाव क ह पूरे के पूरे समुदाय , जैसे क य या अ ेत - के
ख़लाफ़ बरता जाता है, तो ये समुदाय सामू हक भेदभाव के ख़लाफ़ संग ठत होकर
वरोध दशन कर सकते ह, ले कन आज एक ऐ ग रदम आपके ख़लाफ़ गत तौर
पर भेदभाव बरत सकता है, और आपको कोई इ म नह होता क ऐसा य है। हो सकता
है क उस ऐ ग रदम को आपके डीएनए म, आपके नजी इ तहास म या आपके फ़ेसबुक
एकाउंट म ऐसी कोई चीज़ मली हो, जो उसको पस द न आती हो। यह ऐ ग रदम आपके
त भेदभाव इस लए नह बरतता य क आप एक ी, या एक अ क अमे रक ह,
ब क इस लए क आप आ ख़र आप ह। आप म ही ऐसी कोई ख़ास चीज़ है, जो उस
ऐ ग रदम को पस द नह है। आप नह जानते क वह चीज़ या है, और अगर आप
जानते भी ह , तो आप वरोध जताने के लए सरे लोग के साथ एकजुट नह हो सकते,
य क ऐसे सरे लोग ह ही नह , जो इसी तरह के पूवा ह के शकार ह । ये सफ़ आप
ह। बजाय महज़ सामू हक भेदभाव के, इ क सव सद म हम गत भेदभाव क
बढ़ती ई सम या का सामना कर सकते ह।
भु व के उ चतम तर पर हम शायद नाममा के इंसानी मु खया को बनाए रख
पाएँ, जो हम यह म दे ते रह क ऐ ग रदम तो महज़ सलाहकार ह, और अ तम भुस ा
अभी भी मनु य के हाथ म है। हम जमनी के चांसलर या गूगल के सीईओ के प म
कसी ऐ ग रदम को नयु नह करगे, ले कन चांसलर और सीईओ के फ़ैसले गढ़े जाएँगे
एआई ारा। चांसलर अभी भी ब त-से अलग-अलग वक प म से चुनाव करने म स म
होगा, ले कन ये सारे वक प बग डेटा व ेषण का प रणाम ह गे, और वे नया को
दे खने के इंसानी कोण से यादा एआई कोण को त ब बत करगे।
एक इसी से मलता-जुलता उदाहरण ल, तो आज नयाभर के राजनेता अलग-अलग
तरह क कई आ थक नी तय म से कोई नी त चुन सकते ह, ले कन लगभग हर मामले म
ये सारी उपल ध नी तयाँ अथ व था के बारे म पूँजीवाद नज़ रये को त ब बत करती
ह। राजनेता चयन का म ज़ र बनाए रखते ह, ले कन वा त वक मह वपूण फ़ैसले ब त
पहले ही उन अथशा य , बकक मय और ापा रय ारा लए जा चुके होते ह,
ज ह ने मे यू के व भ वक प को गढ़ा होता है। कुछ ही दशक के भीतर राजनेता वयं
को एआई ारा लखे गए मे यू म से चुनाव करता पाएँगे।
े ी ी ै े ी ई ै
1. चेतना कसी प म जीव क जैवरासाय नक से इस तरह जुड़ी ई है क अ-
जै वक णा लय म चेतना उ प करना कभी स भव नह होगा।
2. चेतना जीव क जैवरासाय नक से जुड़ी ई नह है, ले कन वह बु से कुछ इस
तरह जुड़ी ई है क क यूटर चेतना वक सत कर सकते ह, और अगर क यूटर
बु क एक न त दहलीज़ को पार करना चाहते ह, तो उनको चेतना वक सत
करनी ही होगी।
3. जीव क जैवरासाय नक या बु क उ च अव था के साथ चेतना अ नवायतः
जुड़ी ई नह है। इस लए क यूटर चेतना वक सत कर सकते ह, ले कन
अ नवाय तौर पर नह । वे चेतना-शू य होने के बावजूद अ त-बु मान हो सकते
ह।
पछले कुछ दशक म सारी नया के लोग से कहा जाता रहा था क मानव-जा त
समानता क राह पर है, और भूम डलीकरण तथा नई ौ ो ग कयाँ हम ज द ही वहाँ
प ँचा दगी। हक़ क़त यह है क इ क सव सद इ तहास के सबसे यादा ग़ैरबराबरी वाले
समाज क रचना कर सकती है, हालाँ क, भूम डलीकरण और इंटरनेट मु क के बीच के
अ तराल को पाटते ह, ले कन वे वग के बीच दरार को चौड़ा करने का ख़तरा पैदा करते
ह। जहाँ मानव-जा त भूम डलीय एक करण को हा सल करती तीत होती है, उसी व त
वयं यह जा त व भ जै वक जा तय म वभा जत हो सकती है।
ग़ैरबराबरी पाषाण युग से चली आ रही है। तीस हज़ार साल पहले शकारी-सं हकता
क़बील ने अपने कुछ सद य को हाथीदाँत के मनक , कंगन , ज़ेवर और कला-व तु से
भरी आलीशान क़ म दफ़नाया था, जब क सरे लोग को ज़मीन के एक ख़ाली ग े से
स तोष करना पड़ा था। तब भी, ये ाचीन शकारी-सं हकता क़बीले बाद के कसी भी
मनु य-समाज के मुक़ाबले यादा समतावाद थे, य क उनके पास ब त कम स प
आ करती थी। स प द घकालीन ग़ैरबराबरी क पहली शत है।
कृ ष ा त के बाद स प और उसी के साथ ग़ैरबराबरी भी ब गु णत हो गई। जैसे
ही भू म, मवे शय , वन प तय और औज़ार का वा म व इंसान के हाथ म आया, वैसे
ही कठोर सोपान म (हाइराक ) वाले समाज कट ए, जनम स प और स ा पर
थोड़े-से कुलीन का पीढ़ -दर-पीढ़ एका धकार था पत होता गया। मनु य ने इस
व था को कु़दरती, यहाँ तक क अलौ कक नय त मानकर वीकार कर लया।
सोपान म महज़ मानक नह था, ब क आदश भी था। कुलीन और सामा य जन के
बीच, मद और औरत के बीच, या अ भभावक और ब च के बीच ऊँच-नीच के प
म के बना व था कैसे क़ायम हो सकती है? सारी नया के पुरो हत , दाश नक और
क वय ने धीरज के साथ लोग को समझाया क जस तरह मनु य के शरीर के सारे अंग
बराबरी क है सयत नह रखते, उसी तरह समाज के सारे लोग म बराबरी नह होती। पैर
को सर क आ ा मानना ज़ री होता है। इस लए मानव-समाज म बराबरी अराजकता के
अलावा और कुछ पैदा नह कर सकती।
ले कन आधु नक युग के बाद के दौर म बराबरी लगभग सारे मानव-समाज का
आदश बन गई। आं शक तौर पर इसका कारण सा यवाद और उदारवाद क नई
वचारधारा का उ दत होना था, ले कन एक कारण वह औ ो गक ा त भी थी,
जसने जन-समुदाय को अपूव प से मह वपूण बना दया था। जहाँ औ ो गक
अथ व थाएँ आम कामगार के समूह पर नभर करती थ , वह औ ो गक सेनाएँ आम
सै नक के समूह पर नभर करती थ । लोकत और तानाशा हय , दोन म सरकार
वा य, श ा और जनक याण के काय म पर भारी नवेश करती थ , य क उनको
मब उ पादन के संचालन के लए लाख क सं या म व थ मज़ र और ख दक म
जाकर लड़ने के लए लाख वफ़ादार सै नक क ज़ रत होती थी। नतीजतन, बीसव
सद का इ तहास काफ़ हद तक वग , जा तय और लग के बीच क ग़ैरबराबरी म कमी
लाने के इद- गद घूमता था, हालाँ क, वष 2000 क नया म उ च- न न का म बना
आ था, फर भी वह 1900 क नया के मुक़ाबले कह यादा बराबरी का थल था।
इ क सव सद के आर भक वष म लोग ने अपे ा क थी क समतावाद क या न
सफ़ जारी रहेगी, ब क उसम और भी ग त आएगी। उ ह ने ख़ासतौर से, यह उ मीद क
थी क भूम डलीकरण सारी नया म आ थक समृ को व तार दे गा, और यह क
इसके नतीजे म ह तान और म के लोग को वैसे ही अवसर और सु वधाएँ सुलभ
ह गी, जैसी वे फ़नलड और कनाडा के लोग को सुलभ ह। इस आ ासन पर एक समूची
पीढ़ वक सत ई थी।
अब ऐसा लगता है क यह आ ासन शायद पूरा न हो सके। भूम डलीकरण ने न य
ही मानवता के एक बड़े ह से को लाभ प ँचाया है, ले कन समाज के बीच और उनके
भीतर बढ़ती ई ग़ैरबराबरी के संकेत मौजूद ह। जहाँ कुछ समूह का भूम डलीकरण के
फल पर एका धकार था पत होता गया, वह अरब लोग पीछे छू टते गए ह। पहले से ही
आज नया क आधी स प पर सबसे यादा समृ 1 % लोग का वा म व है। इससे
भी यादा चेतावनी दे ने वाली बात यह है क सबसे यादा समृ कुल सौ लोग के पास
नधनतम 4 अरब लोग से यादा स प है।
यह थ त और भी बदतर हो सकती है। जैसा क पछले अ याय म प कया गया
है, एआई यादातर इंसान के आ थक मू य और राजनी तक श को ख़ म कर सकती
है। इसी के साथ-साथ जैव ौ ो गक के े क ग तयाँ आ थक ग़ैरबराबरी को जै वक
ग़ैरबराबरी म पा त रत करना स भव बना सकती ह। अ त-समृ लोग को वाक़ई
अपनी वशाल स प का कोई उ चत उपयोग करना होगा। जहाँ अभी तक वे त ा के
तीक से थोड़ा यादा कुछ ख़रीद सकते थे, वह वे ज द ही वयं जीवन को ख़रीदने म
स म हो सकते ह। अगर जीवन क अव ध को बढ़ाने वाली, और शारी रक तथा
सं ाना मक क़ा ब लयत को उ त कर सकने वाली नई च क साएँ मँहगी सा बत , तो
मानव-जा त जै वक जा तय म वभा जत हो सकती है।
समूचे इ तहास के दौरान अमीर और कुलीन वग के लोग हमेशा यह क पना करते रहे
थे क उनके पास तमाम सरे लोग क तुलना म े द ताएँ ह, और इसी लए ये सरे
लोग नय ण म रहते ह। जहाँ तक हमारी जानकारी है, यह बात सही नह थी। एक
औसत ूक, औसत कसान से यादा तभाशाली नह था - उसक े ता सफ़
अ यायपूण क़ानूनी और आ थक भेदभाव क वज़ह से थी, ले कन 2100 तक आते-आते
अमीर लोग वाक़ई झु गीवा सय के मुक़ाबले यादा तभाशाली, यादा सृजना मक और
यादा बु मान हो सकते ह। जैसे ही अमीर और ग़रीब के बीच यो यता क वा त वक
खाई पैदा होगी, वैसे उसको पाटना लगभग अस भव हो जाएगा। अगर अमीर लोग अपनी
े यो यता का इ तेमाल ख़ुद को और यादा समृ बनाने के लए करते ह, तथा
अ धक पैसा उनके लए उ त कायाएँ और म त क सुलभ करा सकता है, तो समय
बीतने के साथ यह खाई और यादा चौड़ी ही होगी। 2100 तक आते-आते न सफ़ नया
क यादातर स प , ब क नया क सु दरता, सृजना मकता और वा य पर भी इन
1 % समृ तम लोग का वा म व था पत हो सकता है।
इस लए जैव ौ ो गक के साथ-साथ एआई के वकास क ये दोन याएँ मलकर
अ तमानव के एक छोटे -से वग और होमो से पय स के वशालकाय नचले वग म मानव-
जा त के वभाजन का कारण बन सकती ह। पहले से ही अ न सूचक बन चुक प र थ त
को और भी बदतर बनाने वाली चीज़ यह है क जैसे ही जन-समुदाय अपना आ थक
मह व खो दे ता है, वैसे ही रा य उनके वा य, श ा और क याण पर नवेश करने का
कम-से-कम कुछ उ साह तो खो ही सकता है। फ़ालतू होना ब त ही ख़तरनाक है।
इस लए जन-समुदाय का भ व य छोटे -से भ वग क स द छा पर नभर करेगा। हो
सकता है क यह स द छा कुछ दशक के लए हो, ले कन संकट के व त म - जैसे क
जलवायुपरक वप के व त म - अनाव यक लोग को म खी क तरह नकाल फकना
काफ़ ललचाने वाला और आसान काम होगा।
उदारवाद व ास और क याणकारी-रा यपरक काय- णा लय क द घ पर परा से
यु ांस और यू ज़ीलड जैसे दे श म, मुम कन है क जन-समुदाय क ज़ रत न होने
पर भी कुलीन वग इस समुदाय क दे खभाल जारी रखेगा, ले कन संयु रा य अमे रका
जैसा अ धक पूँजीवाद दे श अमे रक क याणकारी रा य के बचे-खुचे ह से के वघटन के
पहले अवसर का इ तेमाल करना चाह सकता है। ह तान, चीन, द ण अ का और
ाज़ील जैसे वशाल वकासशील दे श के सर पर इससे बड़ी सम या मँडरा रही है। वहाँ,
जैसे ही जन-सामा य अपना आ थक मू य खो दे ता है, ग़ैरबराबरी आसमान छू ने लग
सकती है।
नतीजतन, भूम डलीकरण वै क एकता म फ लत होने क बजाय दरअसल
‘ पी सएशन’ म - व भ जै वक जा तय या व भ जा तय तक म मानव-जा त के
वभेद करण म - फ लत हो सकता है। भूम डलीकरण रा ीय सरहद को मटाते ए
नया का उसके ै तज व तार के तर पर तो एक करण करेगा, ले कन इसी के साथ-
साथ वह मनु यता को उसके अनुल ब तर पर वभा जत कर दे गा। साधारण से पय स के
वशाल समुदाय के ख़लाफ़ एक साझा येय के आधार पर संयु रा य अमे रका से लेकर
स तक व भ मु क के मु भर स ाधारी आपस म मल सकते ह। इस प र े य म,
इस समय के ‘उ च वग’ के लोकलुभावन अस तोष का एक ठोस आधार है। अगर हम
सावधानी नह बरतते, तो स लकॉन वैली के श शाली उ ोगप तय तथा मॉ को के
अरबप तय के पोते-पो तयाँ एपले चयाई दे हा तय और साइबे रयाई ामीण के पोते-
पा तय से े जा त बन सकते ह।
मुम कन है, ल बा समय बीतने पर इस तरह का प र य नया का व-
भूम डलीकरण ( ड- लोबलाइज़) तक कर दे , जसम उ च जा त वघो षत ‘स यता’ के
भीतर एक हो जाए और बाहरी ‘बबर ’ के समूह को अपने से जदा करने के लए चार
ओर द वार खड़ी कर ले और खाइयाँ बछा ले। बीसव सद म औ ो गक स यता स ते
म, क चे माल और बाज़ार के लए इन ‘बबर ’ पर नभर करती थी। इस लए उसने
इनको जीत लया था और अपना लया था, ले कन इ क सव सद म एआई,
जैवइंजी नयरी और नैनोटे नॉलॉजी पर भरोसा करने वाली उ र-औ ो गक स यता कह
यादा आ म नभर और वपोषक हो सकती है। सफ़ सारे के सारे वग ही नह , ब क सारे
के सारे मु क और महा प अ ासं गक हो सकते ह। ोन और रोबोट से संर त
क़लेब दयाँ, जहाँ साइबोग एक- सरे से तक-बम क मदद से लड़ा करगे, इस वघो षत
स य इलाक़े को बबर क उस नया से अलग रख सकती ह, जहाँ अस य मनु य एक-
सरे से चाकु और काला कोव क मदद से लड़गे।
इस पूरी पु तक म मने मानव-जा त के भ व य के बारे म बात करते ए उ म पु ष
ब वचन सवनाम का योग कया है। मने इस बारे म बात क है क ‘हमारी’ सम या के
स दभ म ‘हम’ या करना ज़ री है, ले कन मुम कन है क ऐसा कोई ‘हम’ हो ही नह ।
मुम कन है, ‘हमारी’ एक सबसे बड़ी सम या यह हो क अलग-अलग इंसानी समुदाय के
भ व य पूरी तरह से अलग-अलग ह । मुम कन है क नया के क ह ह स म आपको
अपने ब च को क यूटर कोड लखना सखाना पड़े, जब क सरे ह स म तेज़ी से
रवॉ वर ख चकर सीधे गोली मारना सखाना पड़े।
राजनी तक चुनौती
जमनीवासी और गो र ले
मानव-समुदाय को सरे ा णय क जा तय से अलग करने वाला एक और भी गहरा
अ तर है। जा तयाँ अ सर टू टती ह, ले कन उनका आपस म मलन कभी नह होता।
लगभग 70 लाख साल पहले च पां ज़य और गो र ला के पूवज एक ही आ करते
थे। एकल पूवज वाली ये जा तयाँ दो आबा दय म वभा जत और अ ततः वकास के
दो अलग-अलग रा त पर चल पड़ । एक बार यह होने के बाद कोई वापसी नह ई।
चूँ क अलग-अलग जा तय के मलकर जनन म स म स तान को ज म नह दे
सकते, इस लए जा तय का आपस म कभी मलन नह हो सकता। गो र ला का
च पां ज़य के साथ मलन नह हो सकता, जराफ़ का हा थय के साथ मलन नह हो
सकता, और कु का ब लय के साथ मलन नह हो सकता।
इसके वपरीत, इंसानी क़बीले समय के साथ-साथ उ रो र बड़े समुदाय म एक होते
जाते ह। आधु नक जमन क रचना उन सै सन , शयावा सय , व बयाइय और
बावे रयाइय के आपस म मलने से ई थी, जनको यादा दन नह ए, जब ये एक-
सरे पर थोड़ा भी ेम बबाद नह करते थे। कहा जाता है क ऑटो वॉन ब माक ने
(डा वन क पु तक ऑन द ओ रजन ऑफ़ पशीज़ पढ़ने के बाद) ट पणी क थी क
ऑ याई और मनु य के बीच बावे रयाई छू ट ई कड़ी है। ांसी सय क उ प क,
नॉमन , ेतन , गा कॅन और ोवसल के आपस म मलने से ई थी। उधर, चैनल के उस
पार, टे नवा सय क उ प के लए अँ ेज़, कॉट, वे ज़ और आय रश ( वे छापूवक
या अ न छापूवक) आपस म मले थे। वह भ व य ब त र नह है, जब जमन, ांसीसी
और टे नवासी आपस म मलकर यूरोपीय हो सकते ह।
पर पर वलय हमेशा टकाऊ नह होता, जैसा क ल दन, ए डनबरा और ुसे स के
लोग को इन दन ब त तीखा अहसास है। े ज़ट शायद एक साथ यूनाइटे ड कगडम
और यूरोपीय यू नयन, दोन को बखेरने क शु आत कर सकता है, ले कन द घका लक
तर पर, इ तहास क दशा ब त प होती है। दस हज़ार साल पहले मानव-जा त
असं य अलग-थलग क़बील म बँट थी। हर गुज़रती सह ा द के साथ ये क़बीले
उ रो र बड़े होते समुदाय म वलीन होते गए, और ऐसी स यताएँ रचते गए, जनके बीच
के भेद उ रो र कम होते गए। हाल क पी ढ़य म जो थोड़ी-सी बची ई स यताएँ ह, वे
एक एकल भूम डलीय स यता म घुलने क ओर अ सर ह। राजनी तक, जातीय,
सां कृ तक और आ थक वभाजन बने रहते ह, ले कन वे एकता क बु नयाद को कमज़ोर
नह करते। सच तो यह है क कुछ वभाजन सबको समा हत करने वाली एक साझा
संरचना क वज़ह से ही मुम कन हो पाते ह। उदाहरण के लए, अथ व था म म-
वभाजन तब तक कामयाब नह हो सकता, जब तक क हर एक बाज़ार साझा न
करता हो। एक दे श कार के नमाण या तेल के उ पादन म तब तक वशेष ता हा सल
नह कर सकता, जब तक क वह उन सरे दे श से खा ा ख़रीदने क थ त म नह
होता, जो गे ँ और चावल पैदा करते ह।
मनु य के एक करण क या ने दो अलग-अलग प लए ह : अलग-अलग
समुदाय के बीच स पक-सू था पत करना, और सारे समुदाय के बीच के आचार-
वहार म एक पता लाना। स पक-सू उन समुदाय के बीच तक था पत कए जा
सकते ह, जो ब त अलग-अलग ढं ग से वहार करना जारी रखते ह। सच तो यह है क
क र श ु के बीच तक स पक-सू था पत कए जा सकते ह। वयं यु भी मनु य के
बीच के सबसे मज़बूत र त को उ प कर सकता है। इ तहासकार अ सर यह तक दे ते ह
क भूम डलीकरण अपनी पहली ऊँचाई पर 1913 म प ँचा था, इसके बाद व यु
और शीत यु के युग के दौरान इसम ल बी गरावट आती गई, और फर 1989 म जाकर
ही उसम फर से सुधार आया। आ थक भूम डलीकरण के बारे म यह बात सही हो सकती
है, ले कन इसम सै य भूम डलीकरण क भ , क तु उतनी ही मह वपूण ग तशीलता क
उपे ा न हत है। यु वचार , ौ ो ग कय और लोग को वा ण य के मुक़ाबले कह
यादा तेज़ी के साथ फैलाते ह। 1918 म संयु रा य अमे रका यूरोप से 1913 के
मुक़ाबले यादा क़रीब से जुड़ा आ था, इसके बाद व यु के बीच क अव ध म दोन
के बीच री बढ़ गई, और सरे व यु और शीतयु के मा यम से ही उनक नय तयाँ
आपस म अटू ट प से गुँथ सक ।
यु लोग क एक- सरे के त दलच पी म इज़ाफ़ा भी करता है। संयु रा य
अमे रका शीत यु के दौरान स के जतने नकट स पक म रहा, उतना कभी नह रहा
था, जब मॉ को के ग लयारे म खाँसने क हर आवाज़ पर लोग वॉ शगटन क सी ढ़य पर
तेज़ी-से चढ़ने-उतरने लगते थे। लोग अपने श ु से उससे यादा लगाव रखते ह, जतना
वे अपने ापा रक साझेदार से रखते ह। ताइवान के बारे म अमे रका क हरेक फ़ म के
बदले शायद वयतनाम के बारे म उसक लगभग पचास फ़ म ह गी।
म ययुगीन ओल प स
इ क सव सद क शु आती नया व भ समुदाय के बीच स पक-सू था पत करने
से ब त आगे नकल चुक है। अब सारे भूम डल के लोग न सफ़ एक- सरे के स पक म
ह, ब क एक जैसे व ास और आचार-प तय म उनक आपसी साझेदारी भी
उ रो र बढ़ती जा रही है। एक हज़ार साल पहले, पृ वी ह ने दजन अलग-अलग तरह
के राजनी तक मानक के लए उपजाऊ ज़मीन उपल ध कराई थी। यूरोप म आपको
वत नगर रा य तथा ब त छोटे -छोटे धमत के साथ होड़ करती साम तवाद
रयासत मल सकती थ । मु लम नया क अपनी ख़लाफ़त थ , जो सावभौ मक
स भुता का दावा करती थ , ले कन जो राजत , स तनत और अमीरात के साथ
योग भी करती थ । चीनी सा ा य जहाँ वयं को एकमा जायज़ राजनी तक ह ती के
प म दे खता था, वह उ री और प मी क़बीलाई रा यसंघ पूरे उ लास के साथ एक-
सरे से लड़ते थे। ह तान और द ण पूव ए शया म रा यस ा का एक
कलाइड कोप समा हत था, वह अमे रका, अ का और ऑ े लया क रा य- व थाएँ
छोटे -छोटे शकारी-सं हकता क़बील से लेकर वशालकाय सा ा य तक फैली थ । कोई
आ य क बात नह क पड़ोस के मानव-समुदाय को साझा कूटनी तक कायप तय
तक पर एकमत होने म क ठनाई होती थी, अ तररा ीय क़ानून क बात तो छोड़ ही द।
हर समाज के अपने राजनी तक तमान आ करते थे, और उनको पराई राजनी तक
अवधारणा को समझने और उनका स मान करने म मु कल होती थी।
इसके वपरीत, आज सव एक ही राजनी तक तमान मा य है। पृ वी ह लगभग
200 स भु रा य म वभा जत है, जो आमतौर से एक जैसी कूटनी तक प रपा टय और
साझा अ तररा ीय क़ानून पर सहमत ह। वीडन, नाइज़ी रया, थाईलड और ाज़ील
हमारे एटलस पर एक ही तरह क रंगीन आकृ तय से च त ह। वे सभी संयु रा के
सद य ह, और अपने बेशुमार फ़क़ के बावजूद वे सभी समान अ धकार और
वशेषा धकार से यु स भु रा य के प म मा य ह। सच तो यह है क वे ब त-से
राजनी तक वचार और द तूर को साझा करते ह, जनम त न ध नकाय , राजनी तक
दल , सावभौ मक मता धकार और मानवा धकार म कम-से-कम सांके तक व ास
शा मल ह। तेहरान, मॉ को, केप टाउन, और नई द ली म और ल दन तथा पे रस म संसद
ह। जब इज़रायली और फ़ ल तीनी, सी और उ े नयाई, कुद और तुक वै क जनमत
को अपने प म करने के लए होड़ करते ह, तो वे सब मानवा धकार , रा य क स भुता
और अ तररा ीय क़ानून क एक जैसी भाषा का इ तेमाल करते ह।
नया तरह-तरह के ‘नाकामयाब रा य ’ से भरी हो सकती है, ले कन वह कामयाब
रा य के एक ही तमान को वीकार करती है। नतीजतन, व क राजनी त इस अ ा
कैरे नना उसूल का अनुसरण करती है : सारे सफल रा य एक जैसे होते ह, ले कन हर
वफल रा य अपने नजी ढं ग से वफल होता है, जसके तहत उसम भावशाली
राजनी तक पैकेज के इस या उस अंश का अभाव होता है। इ ला मक टे ट हाल ही म इस
पैकेज के स पूण तर कार, और एक नता त भ क़ म क राजनी तक स ा - एक
सावभौ मक ख़लाफ़त - खड़ी करने क को शश म सबसे अलग खड़ा दखाई दया है,
ले कन ठ क इसी वज़ह से वह नाकामयाब आ है। ब त-सी गो र ला ताक़त और
आतंकवाद संगठन कसी तरह नए मु क क थापना करने या मौजूदा मु क को फ़तह
करने म सफल रहे ह, ले कन उ ह ने ऐसा हमेशा व क राजनी तक व था के
बु नयाद उसूल को वीकार करते ए ही कया है। यहाँ तक क ता लबान ने भी
अफ़गा न तान के स भु मु क क जायज़ कूमत के तौर पर अ तररा ीय मा यता ा त
करने क को शश क थी। वै क राजनी त के उसूल का तर कार करने वाला कोई भी
समुदाय अब तक कसी मह वपूण स ा े पर कोई द घका लक नय ण हा सल नह
कर सका है।
वै क राजनी तक तमान क मता को शायद यु और कूटनी त के अटल
राजनी तक सवाल को यान म रखते ए नह , ब क 2016 के रयो ओल प स जैसी
कसी चीज़ को यान म रखते ए समझा जा सकता है। ज़रा पलभर को वचार क जए
क उसम खेल का संयोजन कस तरह कया गया था। 11,000 खला ड़य के
त न धम डल उनके मज़हब, वग या भाषा के आधार पर नह , ब क उनक रा ीयता
के आधार पर तैयार कए गए थे। उसम कोई बौ त न धम डल, सवहारा
त न धम डल, या अँ ेज़ी-भाषी त न धम डल नह था। मु भर मामल को छोड़कर
- जनम सबसे यादा उ लेखनीय ताइवान और फ़ ल तीन थे - खला ड़य क रा ीयता
का नधारण एक सीधा-सरल मसला था।
5 अग त 2016 के उ ाटन समारोह म इन खला ड़य ने अलग-अलग समूह म
माचपा ट कया, जनम से हर समूह अपने रा ीय वज को फहरा रहा था। जब भी
माइकल फ़े स एक और वण-पदक जीतता था, तो ‘ टार- पग ड बैनर’ (संयु रा य
अमे रका का रा गान) क धुन के साथ टास एंड स (संयु रा य अमे रका के रा -
वज) को ऊँचा उठाया जाता था। जब ए मली अ दे ऑल ने जूडो म वण-पदक जीता, तो
ांसीसी तरंगा फहराया गया और ‘मास लएज़’ ( ांस का रा गान) बजाया गया।
नया के हर दे श का, उसक ज़ रत के मुता बक़, एक रा गान होता है, जो एक ही
सावभौ मक मानक का अनुसरण करता है। लगभग सारे के सारे रा गान ऑक ा पर
तैयार कए गए कुछ म नट ल बे होते ह, वे बीस म नट ल बे उन क तन क तरह नह
होते, जनको सफ़ उन पुरो हत ारा ही तुत कया जा सकता है, जो उनके गायन म
पर परागत प से द होते ह। यहाँ तक क सऊद अरब, पा क तान और कांगो जैसे
मु क ने भी अपने रा गान के लए प मी संगीता मक प रपा टय को अपनाया है।
इनम से यादातर को सुनकर लगता है, जैसे वे बीथोवेन ारा कसी साधारण दन म रची
गई ह । (आप कोई एक शाम अपने दो त के साथ यू ूब पर व भ रा गान को बजाते
ए और यह अनुमान लगाते ए बता सकते ह क उनम से कौन-सा गान कहाँ का है।)
यहाँ तक क इनके श द भी सारी नया म लगभग एक जैसे ह, जो राजनी त और
सामुदा यक न ा क साझा अवधारणा क ओर संकेत करते ह। उदाहरण के लए,
आपके हसाब से नीचे अं कत रा गान कस दे श का है? (मने सफ़ दे श के नाम क
जगह ‘माई कं ’ लख दया है) :
My country, my homeland ,
The land where I have shed my blood ,
It is there I stand ,
To be my motherland’s guard .
My country, my nation ,
My people and my homeland ,
Let us proclaim
‘My country unite !’
Long live my land, long live my state ,
My nation, my homeland, in its entirety .
Build its soul, awaken its body ,
For my great country !
My great country, independent and free
My home and my country which I love .
My great country, independent and free ,
Long live my great country !
जवाब है इंडोने शया, ले कन अगर मने कहा होता क इसका जवाब दरअसल पोलड,
नाइज़ी रया या ाज़ील है, तो या आपको आ य आ होता?
रा ीय झ डे भी इसी तरह क नीरस समानता का प रचय दे ते ह। एक अपवाद को
छोड़कर बाक़ सारे झ डे कपड़े क आयताकार बनावट के होते ह, जन पर अ य त
सी मत मा ा म रंग, प याँ और या मतीय आकृ तयाँ अं कत होती ह। नेपाल एक
नराला दे श है, जसके झ डे म दो भुज ह। (ले कन उसने कभी भी ओल पक पदक
नह जीता।) इंडोने शयाई झ डे म सफ़ेद प पर एक लाल प है। पोलड के झ डे म
लाल प पर एक सफ़ेद प द शत है। मोनाको का झ डा इंडोने शयाई झ डे से
मलता-जुलता है। रंग म भेद करने म अ म कोई बे ज़यम, चाड, आइवरी को ट,
ांस, गनी, आयरलड, इटली, माली और रोमा नया के झ ड म बमु कल ही फ़क़ कर
सकता है। इन सभी म व भ रंग क खड़ी प याँ ह।
इनम से कुछ दे श एक- सरे के साथ कठोर यु करते रहे ह, ले कन अशा त बीसव
सद के दौरान यु क वज़ह से सफ़ तीन ओल पक खेल (1916 ए 1940 और 1944
म) नर त कए गए थे। 1980 म संयु रा य अमे रका और उसके कुछ म रा ने
मॉ को ओल पक का ब ह कार कया था, 1984 म सो वयत खेमे ने लॉस जेलस खेल
का ब ह कार कया था, और कई सरे मौक़ पर ओल पक खेल ने वयं को राजनी तक
अ धड़ के बीच पाया था (इनम सबसे यादा उ लेखनीय मौक़े ह 1936 , जब नाज़ी
जमनी ने इन खेल क मेज़बानी क थी, और 1972 , जब फ़ ल तीनी आतंकवा दय ने
यू नख़ ओल प स के इज़रायली त न धम डल का नरसंहार कर दया था), ले कन
कुल मलाकर, राजनी तक ववाद ने ओल पक प रयोजना को पटरी से नह उतारा है।
अब हम 1,000 साल पहले वापस लौटते ह। मान ली जए क आप 1016 म रयो म
म ययुगीन ओल पक खेल का आयोजन करना चाहते थे। थोड़ी दे र के लए भूल जाइए
क रयो तब ूपी इं डय स का एक छोटा-सा गाँव आ करता था, और यह क
ए शयाइय , अ कय और यूरो पय को अमे रका के अ त व का अहसास तक नह
था। हवाई जहाज़ के अभाव म नया के शीष थ खला ड़य को रयो लाने से जुड़ी
व था-स ब धी सम या को भूल जाइए। इस त य को भी भूल जाइए क ब त थोड़े-
से खेल थे, ज ह सारी नया साझा करती थी, और अगर सारे मनु य दौड़ भी सकते थे,
तो भी दौड़- तयो गता के समान नयम पर हर कोई सहमत नह हो सकता था। अब
आप ख़ुद से पू छए क त पध त न धम डल के समूह कस तरह तैयार कए जाएँ।
आज क अ तररा ीय ओल पक स म त ताइवान और फ़ ल तीनी पर चचा
करने म असं य घ टे बताती है। इनम 10,000 का गुणा क रए, ता क आप उन घ ट
का हसाब लगा सक, जो आपको म ययुगीन ओल प स क राजनी त पर ख़च करने
ह गे।
सबसे पहले, 1016 म चीनी साँग सा ा य पृ वी क कसी भी राजनी तक स ा को
अपने बराबरी के दज़ पर मा य नह करता था। ऐसी दशा म यह एक अक पनीय अपमान
होता, अगर उसके ओल पक त न धम डल को वही है सयत दान क जाती, जो
कोय के को रयाई रा य के त न धम डल या डाइ को वएत के वयतनामी रा य के
त न धम डल को दान क गई होती। समु -पार के आ दम बबर के त न धम डल
का ज़ तो छोड़ ही द।
बग़दाद का ख़लीफ़ा भी सावभौ मक वच व का दावा करता था, और यादातर सु ी
मुसलमान उनको अपना सव च नेता मानते थे, ले कन ावहा रक तर पर, ख़लीफ़ा क
बग़दाद पर नाममा क ही कूमत थी। तब फर सारे के सारे सु ी खलाड़ी एक ही
ख़लाफ़त का ह सा ह गे, या फर वे सु ी नया के कई अमीरात और स तनत के
दजन त न धम डल म वभा जत ह गे? ले कन अमीरात और स तनत पर ही य
का जाए? अरब का रे ग तान ब त-से आज़ाद बे इन क़बील से भरा आ था, जो
अ लाह के सवाय कसी के आ धप य को वीकार नह करते थे। या इनम से हर क़बीले
को तीर दाज़ी या ऊँट दौड़ म त पधा करने के लए एक अलग त न धम डल भेजने
का हक़ होगा? यूरोप आपके लए इसी तरह के कतने ही सरदद पैदा करेगा। आइवरी के
नॉमन नगर का कोई खलाड़ी कसके बैनर तले त पधा म भाग लेगा - आइवरी के
थानीय काउंट के या अपने लॉड ूक ऑफ़ नॉमडी के, या ांस के श हीन राजा के?
इनम से ब त-सी राजनी तक स ाएँ कुछ ही साल के भीतर कट ई थ और ग़ायब
हो गई थ । 1016 के अपने ओल प स क तैया रयाँ करते ए आपको पहले से इस बात
क जानकारी नह हो सकेगी क कौन-सा त न धम डल आएगा, य क कोई भी
प के तौर पर यह बता पाने क थ त म नह होगा क कौन-सी राजनी तक स ा
का वजूद अगले साल तक क़ायम रहेगा। अगर इं लड के रा य ने 1016 के ओल प स म
कोई त न धम डल भेजा होता, तो खला ड़य के अपने पदक के साथ अपने दे श
वापस लौटने तक उनको पता चलता क ल दन पर अभी-अभी डे ज़ ने क़ ज़ा कर लया
था, और इं लड को डेनमाक, नॉव और वीडन के कुछ ह स समेत कग नुट द ेट के
नॉथ सी ए पायर ारा नगला जा रहा था। अगले बीस साल के भीतर वह सा ा य
वघ टत हो गया था, ले कन तीस साल बाद इं लड को ूक ऑफ़ नॉमडी ारा एक बार
फर से जीत लया गया था।
कहने क ज़ रत नह क इन अ पका लक राजनी तक स ा म से यादातर के
पास न तो बजाने के लए कोई रा गान आ करता था, न फहराने के लए कोई वज
आ करता था। बेशक, राजनी तक तीक ब त यादा मह व रखते थे, ले कन यूरोपीय
राजनी त क तीका मक भाषा इंडोने शयाई, चीनी या ूपी राजनी तय क तीका मक
भाषा से ब त अलग आ करती थी। वजय का ज मनाने के लए कसी साझा
ोटोकॉल पर एकमत होना लगभग नामुम कन होता।
इस लए जब आप 2020 म टो यो खेल को दे ख रहे ह , तो यह याद रख क रा के
बीच क यह दखावट त पधा दरअसल, एक व मयकारी वै क सहम त का
त न ध व करती है। कसी दे श के त न धम डल ारा वण-पदक जीतना और उसके
रा ीय वज को ऊँचा उठाया जाना वहाँ के लोग के लए जतना रा ीय गव का वषय है,
उससे यादा गव का वषय यह है क मानव-जा त इस तरह का काय म आयो जत करने
म स म है।
क़ल का नेटवक
जहाँ रा वाद के पास कसी ख़ास दे श को संचा लत करने के बारे म ब त-से अ छे वचार
ह, वह भा य से नया का उसक सम ता म संचा लत करने के बारे म उसके पास
अमल म लाई जा सकने यो य कोई योजना नह है। उदाहरण के लए, तुक रा वाद तुक
के मसल को सँभालने के लए एक उ चत मागदशक हो सकता है, ले कन उसके पास
ऐसा कुछ भी ख़ास नह है, जो वह बाक़ क मनु यता को दे सकता हो। बेशक, तभी तक
जब तक क रा वाद सा ा यवाद का प नह ले लेता, और एक रा ारा समूची नया
को जीत लेने और उस पर कूमत करने का आ ान नह करता। एक सद पहले, कई
रा वाद आ दोलन ने सचमुच ही ऐसी मह वाकां ाएँ पाल रखी थ । आज के रा वाद ,
वे चाहे तुक के ह , स के ह या चीन के, अभी तक व वजय क पैरवी करने से बचते
ह।
बलपूवक एक भूम डलीय सा ा य खड़ा करने क जगह, ट व बेनॉन, व ोर
ऑबन, इता वी सेगा और अँ ेज़ े ज़टवा दय जैसे कुछ रा वाद एक शा तपूण
“रा वाद अ तररा ीयता” (“नेशन ल ट इंटरनेशनल) का वाब दे खते ह। उनका तक है
क सारे रा आज एक ही तरह के श ु का सामना कर रहे ह। भूम डलीकरण,
ब सं कृ तवाद और अ वासन (इ म ेशन) के हौअे सारे रा क पर परा और
पहचान को न कर दे ने का ख़तरा पैदा कर रहे ह। इस लए सारी नया के रा वा दय
को इन वै क ताक़त के वरोध को अपना साझा अ भयान बनाना चा हए। हंगे रयाइय ,
इता वय , तुक और इज़राय लय को द वार खड़ी कर लेनी चा हए, बाड़ लगा लेनी
चा हए और लोग , माल, पैसे और वचार क आवाजाही क र तार को कम करना
चा हए।
तब नया ऐसे व श रा -रा य म वभा जत हो जाएगी, जनम से हर एक क
अपनी प व पहचान और पर पराएँ ह गी। इन अलहदा पहचान के पार प रक स मान के
आधार पर सारे रा ीय-रा य एक- सरे के साथ शा तपूवक सहयोग और ापार कर
सकगे। हंगरी हंगे रयाई होगा, तुक तुक होगा, इज़रायल इज़रायली होगा, और हर कसी
को मालूम होगा क वे कौन ह, और नया म उनक सही जगह या है। यह सरे मु क
से आ बसने वाल से र हत, सावभौ मक मू य से र हत, ब सं कृ तकतावाद से र हत,
और वै क कुलीन वग से र हत नया होगी - ले कन शा तपूण अ तररा ीय स ब ध
और थोड़े-से ापार से यु नया होगी। एक श द म कह तो, ‘रा वाद अ तररा ीयता’
नया क क पना द वार -से- घरी- क तु-दो ताना क़लेब दय के एक ताने-बाने के प
म करती है।
इस प रक पना क मु य सम या यह है क क़लेब दयाँ दो ताना शायद ही कभी
होती ह। हर रा वाद क़ला अपने लए अपने पड़ोसी क क़ मत पर आमतौर से थोड़ी-सी
यादा ज़मीन, थोड़ी-सी यादा सुर ा और थोड़ी-सी यादा समृ चाहता है, और
सावभौ मक मू य तथा वै क संगठन के बना त क़लेब दयाँ क ह भी साझा
नयम पर एकमत नह हो सकत । नया को सु प रा म वभा जत करने क तमाम
पछली को शश यु और जा तसंहार का कारण बन ह।
ले कन अगर आप ख़ासतौर से कसी मज़बूत क़ले, जैसे क संयु रा य अमे रका
या स, के भीतर रह रहे ह , तो आपको च ता करने क या ज़ रत है? कुछ रा वाद
तो सचमुच ही कुछ यादा ही अ त-अलगाववाद रवैया अपनाते ह। वे न तो कसी वै क
सा ा य म व ास करते ह न क़ल के वै क ताने-बाने म व ास करते ह। इसक
बजाय वे कसी भी तरह क वै क व था क ज़ रत से इंकार करते ह। वे कहते ह,
“हमारे क़ले को सफ़ रा ता रोकने वाले पुल खड़े करना चा हए, और बाक़ नया जाए
भाड़ म। हम वदे शी लोग के, वदे शी वचार और वदे शी माल के वेश को रोकना
चा हए, और जब तक हमारी द वार मज़बूत ह और हमारे स तरी वफ़ादार ह, तब तक
वदे शय क परवाह कसे है?”
ले कन इस तरह का अ तवाद अलगाववाद आ थक वा त वकता से पूरी तरह कटा
होता है। एक वै क ापा रक त के बना - उ र को रया समेत - तमाम रा ीय
अथ व थाएँ धराशायी हो जाएँगी। ब त-से दे श तो बना आयात कए अपना पेट तक
नह भर पाएँगे, और लगभग सारी व तु क क़ मत आसमान छू ने लगगी। जो मेड-इन-
चाइना कमीज़ म पहने ए ँ, वह मुझे लगभग 5 डॉलर म मलती है। अगर यह कमीज़
ग़ैर-मौजूद इज़रायली तेल क ऊजा से संचा लत इज़रायल म बनी मशीन का इ तेमाल
करते ए इज़रायल म पैदा कए गए कपास से इज़रायली कामगार ारा तैयार क गई
होती, तो शायद इसक क़ मत दस गुना होती। इस लए डोना ड प से लेकर ला दमीर
पु तन तक सारे रा वाद नेता भले ही वै क ापा रक त को गा लयाँ दे ते रह, ले कन
इनम से कोई भी अपनी अथ व था को इस त से पूरी तरह से बाहर ले जाने के बारे म
ग भीरता से नह सोचता। और खेल के नयम को नधा रत करने वाली कसी वै क
व था के बना हम वै क ापा रक त को खड़ा नह कर सकते।
इससे भी यादा मह वपूण बात यह है क लोग चाहे इसे पस द कर या न कर, ले कन
मानव-जा त आज तीन ऐसी साझा चुनौ तय का सामना कर रही है,जो सारी रा ीय
सरहद का मज़ाक़ बना रही है, और इन सम या को वै क सहकार क माफ़त ही
सुलझाया जा सकता है।
परमाणु चुनौती
हम बात शु करते ह मानव-जा त के चरप र चत भ मासुर के साथ : परमाणु यु । जब
यूबाई ेपा संकट के दो साल बाद 1964 म जॉनसन के डेज़ी व ापन का सारण
आ था, तब परमाणु संहार का ख़तरा एकदम सर पर मँडरा रहा था। ानी और साधारण
लोग समान प से डरे ए थे क मानव-जा त के पास वनाश को टालने क ा का
अभाव है, और मा समय भर का मसला है, जब शीत यु झुलसा दे ने वाली आग म
बदल जाने वाला है। दरअसल, मानव-जा त ने परमाणु चुनौती का भरपूर सामना कया।
अमे र कय , सो वयत , यूरो पय और और ची नय ने उस ढर को बदल दया, जस पर भू
-राजनी त ( जयोपॉ ल ट स) को सह ा दय से चलाया जा रहा था, जसके नतीजे म
शीत यु ब त थोड़े-से ख़ून-ख़राबे के साथ समा त हो गया, और एक नई अ तररा ीय
व व था ने शा त के एक अपूव युग को बढ़ावा दया। न सफ़ परमाणु यु को टाला
गया, ब क तमाम सरे तरह के यु म गरावट आई। 1945 के बाद खुलेआम
आ ामकता क माफ़त आ यजनक प से ब त थोड़ी-सी सरहद को नए सरे से ख चा
गया, और यादातर दे श ने यु को एक मानक राजनी तक औज़ार क तरह बरतना ब द
कर दया। 2016 म सी रया, उ े न और अनेक सरी संवेदनशील जगह के बावजूद
मोटापे, कार- घटना , या आ मह या के मुक़ाबले ब त कम लोग इंसानी हसा के
शकार होकर मारे गये। यह शायद हमारे व त क सबसे बड़ी राजनी तक और नै तक
उपल ध हो सकती है।
भा य से, अब तक हम इस उपल ध के इतने अ य त हो चुके ह क इसे हम ख़ास
मह व नह दे ते। यही इस बात क आं शक वज़ह है क लोग ख़ुद को आग से खेलने क
छू ट दे ते ह। स और संयु रा य अमे रका ने हाल ही म परमाणु ह थयार क एक नई
दौड़ क शु आत क है, और वे ऐसी अनूठ लयंकारी मशीन का नमाण कर रहे ह, जो
पछले दशक क कड़ी मेहनत से हा सल क गई उपल धय को नरथक बना दे ने और
हम एक बार फर परमाणु वनाश क कगार पर ला खड़ा करने का ख़तरा पैदा कर रही ह।
इस बीच, लोग ने बम क च ता ब द करना और उसको ेम करना सीख लया है (जैसा
क डॉ. जलव म बताया गया है), या फर वे उसके वजूद के बारे म ही भूल चुके ह।
नतीजतन, ब त बड़ी परमाणु श टे न म े ज़ट क सारी बहस अथ व था
और अ वासन के सवाल के इद- गद घूमती रही, जब क यूरोप और व क शा त के
लए यूरोपीय यू नयन के बु नयाद मह व के योगदान को भुला दया गया। स दय के
भयावह र पात के बाद ांसी सय , जमन , इता वय और ता नय ने अ ततः एक
ऐसी व था खड़ी क है, जो महा पीय सामंज य को सु न त करती है, ले कन अँ ेज़
जनता इस चम कारी मशीन को नाकामयाब करने पर तुली है।
एक ऐसी अ तररा ीय शासन-प त का नमाण करना ब त मु कल काम था,
जसने परमाणु यु को रोका और व -शा त क हफ़ाज़त क । इसम कोई स दे ह नह
क हम इस शासन-प त को नया क बदलती ई प र थ तय के अनु प ढालना
ज़ री है, उदाहरण के लए संयु रा य अमे रका पर कम भरोसा करते ए और चीन
तथा ह तान जैसी ग़ैर-प मी श य को यादा बड़ी भू मका स पते ए, ले कन इस
शासन-प त को पूरी तरह से याग दे ना और रा वाद स ा क राजनी त क ओर लौटना
एक ग़ैर ज़ मेदाराना जुआ होगा। यह सही है क उ ीसव सद म दे श ने मानवीय स यता
को न कए बना रा वाद खेल खेला था, ले कन वह हरो शमा-पूव का युग था। उसके
बाद से, परमाणु ह थयार ने जो खम को बढ़ा दया है और यु क राजनी त क
बु नयाद कृ त को बदल दया है। जब तक मनु य को इस बात क जानकारी बनी रहती
है क यूरे नयम और लूटो नयम को कैसे प र कृत कया जाए, तब तक उनका जी वत
बचे रहना कसी रा - वशेष के हत पर परमाणु यु को रोकने को वरीयता दे ने पर नभर
करता है। जो उ साही रा वाद ‘हमारा दे श पहले है!’ क पुकार लगाते ह, उनको ख़ुद से
पूछना चा हए क या उनका दे श, अ तररा ीय सहकार क मज़बूत व था के बना
अपने दम पर नया या ख़ुद को भी परमाणु वनाश से बचा पाएगा।
पा र थ तक य चुनौती
परमाणु यु के अ त र , आने वाले दशक म मानव-जा त एक ऐसे नए अ त वपरक
ख़तरे का सामना करेगी, जो 1964 के राजनी तक राडार पर शायद ही दज़ आ हो :
पा र थ तक य वंस। मनु य ब त सारे मोच पर वै क जीवम डल क थरता को भंग
कर रहे ह। हम पयावरण से यादा-से- यादा संसाधन को ख च रहे ह, जब क उसम
वपुल मा ा म कचरा और ज़हर ठूँ स रहे ह, और इस तरह म , पानी और वातावरण के
संघटन को बदल रहे ह।
यहाँ तक क हम उन अन गनत तरीक़ के त भी जाग क नह , जनसे हम उस
नाजक पा र थ तक य स तुलन को भंग कर रहे ह, जो लाख वष के दौरान गढ़ा गया है।
उदाहरण के लए, खाद के प म फ़ॉसफ़ोरस के इ तेमाल को ही ल। छोट मा ा म यह
पौध क उपज के लए एक अ नवाय पोषक त व है, ले कन अ तशय मा ा म यही
ज़हरीला हो जाता है। आधु नक औ ो गक कृ ष खेत को बड़ी तादाद म फ़ॉसफ़ोरस के
इ तेमाल से उपजाऊ बनाने पर आधा रत है, ले कन खेत से बहकर जाने वाला अ त-
फ़ॉसफ़ोरस अ ततः न दय , झील और महासागर म ज़हर घोल दे ता है, जसका जल-
जीवन पर वनाशकारी असर होता है। आयोवा म म का उपजाने वाला एक कसान इस
तरह अनजाने ही मै सको क खाड़ी क मछ लय को मार रहा होता है।
इस तरह क ग त व धय के नतीजे म ाकृ तक आवास न ए ह, जीव-ज तु और
वन प तयाँ वलु त ई ह और ऑ े लयाई ेट बे रयर रीफ़ और अमेज़ॉन के वषा वन
जैसे पूरे के पूरे पा र थ तक य त तबाह हो गए ह। होमो से पय स हज़ार साल से
पा र थ तक य सी रयल कलर क तरह आचरण करता रहा है, अब यह पा र थ तक
क सामू हक ह या करने वाले क श ल ले रहा है। अगर हमने अपने इस वतमान
सल सले को जारी रखा, तो यह न सफ़ तमाम जीवन- प के एक बड़े तशत के
वनाश का कारण बनेगा, ब क यह मानव स यता क बु नयाद को खोखला कर सकता
है।
इन सबम सबसे यादा ख़तरनाक है जलवायु-प रवतन क स भावना। मनु य सैकड़ -
हज़ार साल से रहते आ रहे ह, और उ ह ने कई हम-युग और ताप के दौर को झेला है,
ले कन कृ ष, नगर और ज टल समाज को अ त व म आए 10,000 वष से यादा नह
ए ह। होलोसीन के नाम से ात इस कालख ड के दौरान पृ वी क जलवायु अपे ाकृत
स तु लत बनी रही है। होलोसीन के मानक से कोई भी वचलन मानव समाज के सामने
ऐसी वशाल चुनौ तयाँ पेश करेगा, जनका उ ह ने इसके पहले कभी सामना नह कया
था। यह अरब इंसान को गनी पग क तरह इ तेमाल करते ए उन पर खुला योग
करने जैसा होगा। अगर मानव-स यता अ ततः वयं को नई प र थ तय के अनु प ढाल
भी लेती है, तब भी कौन जानता है क ढाले जाने क इस या म कतने ऐसे शकार
ह गे, जो मट जाएँगे।
यह भयावह योग पहले ही शु हो चुका है। परमाणु यु से भ - जो क एक
भावी स भावना है - जलवायु-प रवतन एक वतमान वा त वकता है। इस बात पर
वै ा नक सहम त है क मानवीय ग त व धयाँ, ख़ासतौर से काबन डाइऑ साइड जैसी
ीनहाउस गैस का उ सजन, ख़तरनाक र तार से पृ वी के जलवायु-प रवतन का कारण
बन रही ह। कोई नह है, जो ठ क-ठ क इस बात को जानता हो क हम एक अव य भावी
लय को स य कए बना वातावारण म कतना काबन डाइऑ साइड छोड़ सकते ह,
ले कन हमारे े वै ा नक आकलन संकेत करते ह क अगर हम अगले बीस वष म
ीनहाउस गैस के उ सजन म भावशाली ढं ग से कटौती नह करते, तो व का औसत
तापमान 2°C से यादा बढ़ जाएगा, जसका प रणाम रे ग तान के व तार, बफ़ ली
चो टय के लोप, महासागर के जल तर म वृ , और समु तूफ़ान तथा आँ धय जैसी
मौसम-स ब धी चरम आपदा के बार-बार घ टत होने के प म सामने आएगा। ये
बदलाव कृ ष-उ पादन को अ त- त कर दगे, नगर को बहा दगे, नया के यादातर
ह स को रहने लायक़ नह रहने दगे, और करोड़ शरणा थय को नए आवास क तलाश
म भटकने को छोड़ दगे। इसके अ त र , हम ब त तेज़ी के साथ कई ऐसे ख़तरनाक
अ तम छोर पर प ँच रहे ह, जनके परे ीनहाउस गैस उ सजन म भावशाली गरावट
भी मौजूदा झान को पलटने और व ापी ासद को टालने के लए पया त नह होगी।
उदाहरण के लए, जैसे-जैसे भूम डल का बढ़ता आ ताप ुवीय बफ़ क परत को
पघलाता जाता है, वैसे-वैसे सूरज क रोशनी पृ वी ह से पराव तत होकर बाहर क पेस
म कम लौट पाती है। इसका मतलब है क हमारा ह यादा ताप को सोखता है, तापमान
और भी बढ़ता जाता है, और बफ़ और भी तेज़ी से पघलती है। जैसे ही यह कारण-काय-
च (फ़ डबैक लूप) एक नाजक दहलीज़ को पार कर लेगा, वैसे ही वह एक ऐसी र तार
पकड़ लेगा, जसको रोक पाना मुम कन नह होगा, और अगर मनु य कोयला, तेल और
गैस को जलाना तक ब द कर दगे, तब भी ुवीय े क सारी बफ़ पघल जाएगी।
इस लए इतना भर काफ़ नह है क हम उस ख़तरे को पहचान ल, जो हमारे सामने है। यह
अ याव यक है क हम सचमुच अभी ही कुछ कर।
भा य से, अभी 2018 तक ीनहाउस गैस उ सजन म कमी लाने क बजाय व
का यह उ सजन- तर बढ़ता ही जा रहा है। जीवा म धन का इ तेमाल रोकने के लए
मनु यता के पास ब त कम समय बचा है। हम आज ही पुन ार क ज़ मेदारी उठाना
ज़ री है। अगले साल या अगले महीने नह , ब क आज ही। ‘हैलो, म होमो से पय स ँ,
और मुझे जीवा म धन क लत है।’
इस चेतावनी-भरे प र य म रा वाद कहाँ फ़ट बैठता है? या इस पा र थ तक य
धमक का कोई रा वाद जवाब है? या कोई रा , फर वह कतना ही श शाली य न
हो, अकेले दम पर भूम डल के तपने को रोक सकता है? अलग-अलग दे श न य ही कई
तरह क ह रत नी तयाँ अपना सकते ह, जनम से कई नी तयाँ अथ व था के साथ-साथ
पयावरण के लहाज़ से साथक ह। सरकार काबन के उ सजन पर कर लगा सकती ह, तेल
और गैस क क़ मत म औ ो गक प रणाम क क़ मत जोड़ सकती ह, पयावरण से
स ब धत स त नयम अपना सकती ह, षण फैलाने वाले उ ोग के आ थक सहयोग
म कटौती कर सकती ह, और नवीनीकरण यो य ऊजा को अपनाए जाने को ो सा हत
कर सकती ह। वे, एक तरह क पा र थ तक य मैनह न प रयोजना के तहत, पयावरण के
अनुकूल ा तकारी ौ ो ग कय के अनुस धान और वकास पर अ धक धन का नवेश
कर सकती ह। पछले डेढ़ सौ साल क ब त सारी ग तय के लए इ टनल क ब चन
इंजन ध यवाद का पा है, ले कन अगर हम एक थर ाकृ तक और आ थक पयावरण
को बरक़रार रखना चाहते ह, तो इस इंजन को अब तलांज ल दे ना और उसक जगह ऐसी
नई ौ ो ग कय को लाना ज़ री है, जो जीवा म धन का इ तेमाल नह करत ।
नई ौ ो गक य खोज ऊजा के साथ-साथ ब त-से सरे े म भी मददगार हो
सकती ह। उदाहरण के लए, ‘ व छ मांस’ (‘ लीन मीट’) को वक सत करने क
स भावना पर वचार कर। वतमान म मांस उ ोग न सफ़ अरब संवेदनशील ा णय को
अकथनीय यातनाएँ दे ता है, ब क वह भूम डल के तापमान के बढ़ने का एक मु य
कारण, एंट बॉयो ट स और ज़हर का एक मु य उपभो ा, और हवा, भू म तथा पानी को
शत करने वाले सबसे मुख कारक म से एक है। इ ट ूशन ऑफ़ मैके नकल
इंजी नयस क 2013 क एक रपोट के मुता बक़ एक कलो ाम आलू के उ पादन पर
ख़च होने वाले 287 लीटर पानी के मुक़ाबले एक कलो ाम गोमांस के उ पादन म लगभग
15,000 लीटर ताज़ा पानी ख़च होता है।
पयावरण पर पड़ते इस दबाव के और भी बदतर होते जाने क स भावना है, य क
चीन और ाज़ील जैसे दे श म बढ़ती ई समृ करोड़ और भी लोग को नय मत प
से आलू क जगह गोमांस खाने क गुंजाइश दे रही है। अमे र कय और जमन को तो
छोड़ ही द, ची नय और ाज़ी लयन को भी इस बात पर राज़ी करना मु कल है क वे
ट स, है बगर और सॉसेज़ खाना ब द कर द, ले कन अगर इंजी नयर को शका से
मांस पैदा करना सीख ल, तो? अगर आपको है बगर क दरकार है, तो समूची गाय को
पालने और काटने (और उसक लाश को हज़ार कलोमीटर ले जाने) क बजाय सीधे
है बगर उगाइए।
यह चीज़ कसी व ान-कथा जैसी लग सकती है, ले कन नया का पहला व छ
है बगर 2013 म को शका से वक सत कया गया था और खाया गया था। उसक
लागत थी 330,000 डॉलर। चार साल के अनुस धान और वकास ने लागत को घटाकर
11 डॉलर त है बगर पर ला दया। और एक और दशक के भीतर औ ो गक तर पर
पैदा कए गए व छ मांस का बूचड़ख़ाने म उ पा दत मांस से स ता होने क उ मीद है।
यह ौ ो गक य आ व कार अरब जानवर को घृ णत यातना से भरे जीवन से बचा
सकता है, अरब कुपो शत इंसान के उदर-पोषण म सहायक हो सकता है, और इसी के
साथ-साथ पा र थ तक य वघटन को रोकने म मदद कर सकता है।
इस तरह ऐसा ब त कुछ है, जो सरकार, ावसा यक त ान और जलवायु
प रवतन को टालने के लए कर सकते ह, ले कन कारगर होने के लए इन सारे काम का
वै क तर पर कया जाना अ नवाय है। जलवायु के मामले म दे श महज़ स भु नह ह।
वे ह के सरे ह से म लोग ारा क जाने वाली कारवाइय क कृपा पर नभर ह।
क रबाती गणरा य - शा त महासागर का एक प रा - अपने ीनहाउस गैस उ सजन
को घटाकर शू य पर ला सकता है और तब भी अगर सरे दे श उसका अनुसरण नह
करते, तो वह वशाल प लेती महासागर क लहर म समा सकता है। चाड दे श क
येक छत पर सौर ऊजा के पैनल था पत कर सकता है और तब भी वह र बैठे
वदे शय क ग़ैर ज़ मेदाराना पयावरण नी तय क वज़ह से बंजर रे ग तान म बदल
सकता है। यहाँ तक क चीन और जापान जैसे ताक़तवर मु क भी पा र थ तक य से
स भु नह ह। वनाशकारी बाढ़ और तूफ़ान से शंघाई, हांगकांग और टो यो क र ा के
वा ते चीन और जापान के लए यह ज़ री होगा क वे सी और अमे रक सरकार को
‘जैसा चल रहा है, वैसा ही चलने दया जाए’ वाला रवैया यागने के लए राज़ी कर।
रा वाद अलगाववाद जलवायु-प रवतन के स दभ म परमाणु यु से यादा
ख़तरनाक है। स पूण परमाणु यु सारे दे श को न करने का ख़तरा पैदा करता है,
इस लए उसको रोकने म सारे दे श समान प से दाँव पर लगे ह। इसके वपरीत लोबल
व मग का असर स भवतः अलग-अलग दे श पर अलग-अलग तरह का होगा। कुछ दे श,
जनम सबसे यादा उ लेखनीय स है, इससे लाभा वत हो सकते ह। स के पास
समु तट य प रस प याँ अपे ाकृत कम ह, इस लए वह समु के जल- तर म वृ को
लेकर चीन या क रबाती क तुलना म कम च तत है। और जहाँ अ धक तापमान से चाड
के रे ग तान म बदल जाने क स भावना है, वह ये तापमान इसी के साथ-साथ साइबे रया
को नया क रोट क टोकरी म बदल सकते ह। इसके अ त र , सु र उ र म बफ़ के
पघलने से स के भु व वाले आक टक समु माग वै क वा ण य के लए अ य त
उपयोगी सा बत हो सकते ह, और कै चा का नया का चौराहा होने के मामले म सगापुर
क जगह ले सकता है।
इसी तरह जीवा म धन के थान पर अ य ऊजा ( र युएबल एनज ) ोत का
उपयोग कुछ दे श को सरे दे श क तुलना म यादा आक षत कर सकता है। चीन,
जापान और द ण को रया वशाल तादाद म तेल और गैस के आयात पर नभर करते ह।
वे इस बोझ से छु टकारा मलने से ब त ख़ुश ह गे। स, ईरान और सऊद अरब तेल और
गैस के नयात पर नभर करते ह। इस लए अगर तेल और गैस को अचानक सौर तथा वायु
ऊजा के सामने घुटने टे क दे ने पड़ते ह, तो इन दे श क अथ व थाएँ व त हो जाएँगी।
नतीजतन, जहाँ चीन, जापान और क रबाती जैसे दे श ारा वै क काबन उ सजन
को कम कए जाने का भरसक दबाव डाले जाने क स भावना है, वह स और ईरान
जैसे दे श इस मामले म ब त कम उ साह दखा सकते ह। यहाँ तक क लोबल व मग क
वज़ह से जो दे श, जैसे क संयु रा य अमे रका, ब त कुछ गँवा सकते ह, वहाँ के
रा वाद इस ख़तरे को समझने के लहाज़ से ब त यादा अ रदष और आ मलीन
सा बत हो सकते ह। एक छोटा-सा क तु सारग भत उदाहरण जनवरी 2018 म सामने
आया था, जब संयु रा य अमे रका ने अ य ऊजा- ोत को अपनाने क ग त के धीमा
पड़ने क क़ मत पर भी अमे रक सौर ऊजा उ पादक क सहायता को ाथ मकता दे ते
ए सरे दे श म न मत सौर ऊजा पैनल और सौर ऊजा उपकरण पर 30 % सीमा-
शु क लगाया था।
एटम बम एक ऐसा प और ता का लक ख़तरा है क कोई भी उसक उपे ा
नह कर सकता। इसके वपरीत लोबल व मग कह यादा धुँधला तीत होने वाला और
द घका लक ख़तरा है। इस लए जब भी कभी पयावरण से स ब धत द घका लक च ताएँ
कसी तकलीफ़दे ह अ पका लक याग क माँग करती ह, तो रा वाद लोग ता का लक
रा ीय हत को ाथ मकता दे ने के लोभन के शकार हो सकते ह, और ख़ुद को यह
आ ासन दे सकते ह क पयावरण क च ता वे बाद म कर सकते ह, या उसको सरी
जगह के लोग पर छोड़ सकते ह। या फर वे इसे सम या मानने से ही सीधे इंकार कर
सकते ह। यह संयोग नह है क जलवायु-प रवतन के बारे म स दे ह रा वाद अ धकार-
े होने क ओर वृ होता है। आप शायद ही कभी वामप थी समाजवा दय को ट् वीट
करते दे खगे क ‘जलवायु-प रवतन एक चीनी झाँसा है’। चूँ क लोबल व मग क सम या
का कोई रा वाद नदान नह है, कुछ रा वाद यह मानना ही बेहतर समझते ह क यह
सम या है ही नह ।
ौ ो गक य चुनौती
इसी तरह के आचरण इ क सव सद के तीसरे अ त वपरक ख़तरे - ौ ो गक य उथल-
पुथल - के कसी भी रा वाद तकार को बबाद कर सकते ह। जैसा क हमने शु आती
अ याय म दे खा है, सूचना ौ ो गक और जैव ौ ो गक का वलय क़यामत के वपुल
प र य क दशा म ले जाते दरवाज़े को खोलने वाला है, जनके दायरे म ड जटल
तानाशा हय से लेकर वै क तर के एक अनुपयोगी वग क सृ तक के प र य
शा मल ह। या है इन ख़तर का रा वाद जवाब?
इनका कोई रा वाद जवाब नह है। जस तरह जलवायु-प रवतन के मामले म, उसी
तरह ौ ो गक य उथल-पुथल के मामले म भी रा वाद रा य इस ख़तरे का मुक़ाबला
करने के मामले म पूरी तरह से अनुपयु ढाँचा है। चूँ क अनुस धान और वकास पर
कसी भी एक दे श का एका धकार नह है, इस लए संयु रा य अमे रका जैसी महाश
भी अपने दम पर उनक सीमा नधा रत नह कर सकती। अगर संयु रा य अमे रका क
सरकार ूण का जने टक ढं ग से गढ़ा जाना तब धत कर दे ती है, तो यह तब ध
चीनी वै ा नक को वैसा करने से नह रोक सकता। और अगर इसके नतीजे म सामने
आने वाली घटनाएँ चीन को क ह नणायक मह व के आ थक और सै य लाभ उपल ध
कराती ह, तो संयु रा य अमे रका के मन म अपने ही तब ध को हटाने का लोभन
जागेगा। ख़ासतौर से अपनी सफलता के लए कुछ भी करने के लए तैयार वदे शय से
भयभीत नया म, अगर एक दे श अ तशय जो खम से भरी अ तशय उपल धय का
रा ता चुनता है, तो सरे दे श को भी ववश होकर वैसा ही करना पड़ेगा, य क कोई भी
पीछे छू ट जाने का जो खम नह उठा सकता। इस तरह क गला काट त पधा क
थ त को टालने के लए मानव-जा त को स भवतः कसी तरह वै क पहचान और
वफ़ादारी क ज़ रत होगी।
इसके अ त र , जहाँ परमाणु यु और जलवायु-प रवतन मानव-जा त के सामने
सफ़ भौ तक प से जी वत बने रहने से स ब धत ख़तरा पैदा करते ह, वह अ व था
फैलाने वाली ये ौ ो ग कयाँ मानवता क कृ त तक को बदल सकती ह, और इस लए वे
मनु य क गहनतम नै तक और मज़हबी आ था के साथ उलझी ई ह। जहाँ इस बात
पर हर कोई एकमत है क हम परमाणु यु और पा र थ तक य वघटन को टालना
चा हए, वह मनु य को उ त प दे ने के लए जैवइंजी नयरी और आ ट फ़ शयल
इंटे लजस के इ तेमाल के बारे म लोग के ापक तौर पर अलग-अलग कोण ह।
अगर मानव-जा त वै क तर पर वीकाय क ह नै तक दशा- नदश को तैयार करने
और उनको काय प दे ने म वफल रहती है, तो यह डॉ. के ट न के लए मनमानी करने
का खुला अवसर होगा।
जब इस तरह के नै तक दशा- नदश को तैयार करने का सवाल उठता है, तो रा वाद
सबसे यादा क पनाशीलता क वफलता का शकार होता है। रा वाद स दय जारी
रहने वाले े ीय टकराव क पदावली म सोचते ह, जब क इ क सव सद क
ौ ो गक य ा तय को ा डीय पदावली म समझा जाना चा हए। ाकृ तक वरण के
मुता बक़ वक सत ए जै वक अ त व के 4 अरब वष के बाद व ान अब बु म ापूण
आक पन (इंटे लजट डज़ाइन) ारा गढ़े गए अजै वक अ त व के युग म वेश कर रहा
है।
इस या म वयं होमो से पय स के वलु त हो जाने क स भावना है। हम अभी भी
आज होमे नड फ़ै मली के वानर ह। अपनी यादातर का यक संरचना , भौ तक
मता और मान सक यो यता को हम अभी भी नएंडरथल और च पां ज़य से
साझा करते ह। न सफ़ हमारे हाथ, आँख और म त क प तौर पर होमे नड ह, ब क
हमारी काम-वासना, हमारा ेम, ोध और सामा जक ब धन भी होमे नड ह। एक या दो
स दय के भीतर जैव ौ ो गक और एआई का मेल ऐसे का यक, भौ तक और मान सक
ल ण के प म फ लत हो सकता है, जो होमे नड साँचे से पूरी तरह आज़ाद ह गे। कुछ
लोग का व ास है क कसी भी जै वक संरचना से चेतना तक कटकर अलग हो सकती
है, और वह तमाम जै वक और भौ तक ब धन से आज़ाद होकर साइबर पेस म तैरने लग
सकती है। सरी तरफ़, हम चेतना से बु के स पूण वयोग के सा ी हो सकते ह, और
एआई का वकास एक ऐसी नया का कारण बन सकता है, जस पर अ त-बु मान,
क तु पूरी तरह अचेतन स ा का वच व होगा।
इस थ त के बारे म इज़रायली, सी या ांसीसी रा वाद के पास कहने लायक़ या
है? कुछ ख़ास नह । रा वाद इस तर पर वचार नह करता। इसके प रणाम व प
इज़रायली रा वाद का सबसे बड़ा सरोकार इस सवाल को लेकर है क ‘अब से एक सद
बाद य शलम पर इज़राय लय क कूमत होगी या फ़ ल ती नय क ?’, वह इस सवाल
को लेकर उसे कोई परवाह नह है क ‘अब से एक सद बाद पृ वी पर से पय स क
कूमत होगी या साइबोग क ?’। जीवन के भ व य के बारे म ववेकपूण वक प चुनने के
लए हम रा वाद कोण से ब त र जाने और थ तय को न केवल वै क, ब क
ा डीय प र े य म भी दे खने क ज़ रत है। नील नद के तट पर रहने वाले ाचीन
क़बील क तरह, आज सारे रा सूचना, वै ा नक खोज और ौ ो गक य ईजाद क
एक ही वै क नद के तट पर रह रहे ह, जो क हमारी समृ का आधार भी है और
हमारे अ त व के लए एक ख़तरा भी है। इस वै क नद को नय त करने के लए सारे
रा को एक साझा येय तैयार करना आव यक है।
अ त र यान पृ वी
परमाणु यु , पा र थ तक य वंस और ौ ो गक य उथल-पुथल क इन तीन सम या
म से येक सम या मानव-स यता के भ व य को ख़तरा पैदा करने के लए पया त है,
ले कन ये तीन एक साथ मलकर एक अपूव अ त वपरक संकट का कारण बनती ह,
ख़ासतौर से इस लए उनके ारा एक- सरे को सु ढ़ और ज टल बना दए जाने क
स भावना है।
उदाहरण के लए, मानव समाज को जस प म हम जानते ह, पा र थ तक य संकट
उसके उस प म जी वत बने रह पाने के सम य प ख़तरा पैदा करता है, ले कन एआई
और जैवइंजी नयरी के वकास को रोके जाने क कोई स भावना नह है। अगर आप यह
उ मीद लगाए बैठे ह क आप महासागर के बढ़ते ए जल तर, खा ा क घटती ई
आपू त और दे श से सामू हक पलायन जैसी सम याएँ ऐ ग रदम और जीन से हमारा
यान हटा सकगी, तो दोबारा सो चए। पा र थ तक य संकट के गहराने के साथ उ च-
जो खम, उ च-उपल ध यु ौ ो ग कय का वकास स भवतः और यादा र तार ही
पकड़ेगा।
व तुतः, जलवायु-प रवतन शायद वैसी ही भू मका नभा सकता है, जो दो व यु ने
नभाई थी। 1914 और 1918 के बीच, और फर 1939 और 1945 के बीच
ौ ो गक य वकास क र तार ने आसमान को छु आ था, य क पूरी तरह से यु म
संल न रा ने ख़तर और अथ व था क परवाह छोड़कर तमाम तरह क साह सक
और ऊटपटांग प रयोजना पर अप र मत संसाधन का नवेश कया था। इनम से ब त
सारी प रयोजनाएँ नाकामयाब रही थ , ले कन कुछ प रयोजना ने टक , राडार,
ज़हरीली गैस, व न क र तार से भी तेज़ उड़ने वाले जेट वमान, अ तरमहा पीय
ेपा और परमाणु बम को पैदा कया था। इसी तरह, जलवायु-स ब धी उथल-पुथल
का सामना कर रहे दे श अ धाधु ध ौ ो गक य जु म अपनी उ मीद को दाँव पर लगा
सकते ह। एआई और जैवइंजी नयरी को लेकर मानव-जा त क ढे र सारी तकसंगत
च ताएँ ह, ले कन संकट के ण म लोग जो खम-भरे काम करते ह। इन व वंसक
ौ ो ग कय का नयमन करने के बारे म आप जो भी कुछ सोचते ह , ख़ुद से पू छए क
अगर जलवायु प रवतन के प रणाम व प खा ा म वै क तर पर कमी आ जाती है,
सारी नया के नगर म बाढ़ आ जाती ह, और करोड़ शरणाथ सरहद पार करने लगते ह,
तब भी या इन नयम के टके रहने क स भावना होगी।
वह , ौ ो गक य व वंस वै क तनाव म वृ करते ए ही नह , ब क परमाणु
श -स तुलन को अ थर बनाते ए भी सवसंहारक यु के ख़तरे को बढ़ा सकता है।
1950 के दशक से महाश याँ एक- सरे के साथ टकराव को टालती रही ह, य क वे
सभी जानती ह क यु का मतलब पार प रक तौर पर सु न त वनाश होगा, ले कन
जैसे ही नए क़ म के आ ामक और र ा मक ह थयार कट हो जाते ह, वैसे ही एक
उभरती ई ौ ो गक य महाश इस नतीजे पर प ँच सकती है क वह बना कोई
नुक़सान उठाए अपने श ु को न कर सकती है। इसके वपरीत, पतन क ओर जा रही
श को यह भय सता सकता है क उसके पार प रक परमाणु ह थयार ज द ही पुराने
पड़ सकते ह, और इसके पहले क वह इस तरह उनको गँवा दे , बेहतर होगा क वह उनका
इ तेमाल कर ले। पार प रक तौर पर, परमाणु टकराव एक अ त-तकसंगत शतरंज के खेल
से मलते-जुलते ह। उस व त या होगा, जब कोई खलाड़ी अपने त क गो टय
को अपने नय ण म लेने के लए साइबर हमल का सहारा लेगा, जब कोई अ ात तीसरा
प कसी यादे को इस तरह खसकाएगा क कसी को पता भी नह चलेगा क वह चाल
कौन चल रहा रहा है - या जब अ फ़ाज़ीरो साधारण शतरंज से परमाणु शतरंज म बदल
जाएगा?
जस तरह इन व भ चुनौ तय ारा एक- सरे को और भी मु कल बना दए जाने
क स भावना है, ठ क उसी तरह एक चुनौती का मुक़ाबला करने के लए ज़ री स द छा
को सरे मोच क सम या ारा कमज़ोर बना दया जा सकता है। इस बात क कोई
स भावना नह है क ह थयार क होड़ म उलझे दे श एआई के वकास पर रोक लगाने पर
सहमत ह गे, और अपने त य क ौ ो गक य उपल धय को पीछे छोड़ दे ने क
को शश म लगे दे श के लए जलवायु-प रवतन को रोकने क कसी साझा योजना पर
सहमत होना ब त मु कल होगा। जब तक नया त रा म बँट ई है, तब तक
इन सारी चुनौ तय से एक साथ पार पाना ब त मु कल होगा - और कसी एक भी मोच
पर नाकामयाबी वनाशकारी सा बत हो सकती है।
सं ेप म, नया म फैल रही रा वाद लहर, घड़ी क सुइय को वापस घुमाकर 1939
या 1914 पर नह ले जा सकती। ौ ो गक ने ऐसे अनेक व ापी अ त वपरक
ख़तर को पैदा कर हर चीज़ को बदल दया है, जन ख़तर से कोई भी रा अपनी दम पर
नह नपट सकता। एक साझा पहचान गढ़ने के लए एक साझा श ु सबसे अ छा उ ेरक
हो सकता है, और इस समय मानव-जा त के कम-से-कम तीन ऐसे श ु ह - परमाणु यु ,
जलवायु-प रवतन, और ौ ो गक य व वंस। अगर इन साझा ख़तर के बावजूद मनु य
कसी भी सरी चीज़ पर अपनी व श रा ीय वफ़ादा रय को वरीयता दे ने का चुनाव
करते ह, तो इसके नतीजे 1914 और 1939 से कह यादा बदतर ह गे।
एक यादा बेहतर रा ता वह है जसक परेखा यूरोपीय यू नयन के सं वधान के
मसौदे म तुत क गई है, जसम कहा गया है क ‘यूरोप के समाज जहाँ एक ओर
अपनी-अपनी रा ीय पहचान और इ तहास के त गव महसूस करते ह, वह वे अपने
पहले के वभाजन से ऊपर उठने के लए और, पहले से अ धक संग ठत होकर एक साझा
नय त गढ़ने के लए तब ह’। इसका मतलब सारी रा ीय पहचान को मटा दे ना,
सारी थानीय पर परा को याग दे ना, और मनु यता को एक प नीरस ‘गू’ म बदल
दे ना नह है। न ही इसका मतलब रा भ के सारे प का तर कार करना है। वा तव
म, एक महा पीय सेना और आ थक र ा-कवच उपल ध कराते ए यूरोपीय यू नयन ने
लडस, लो बाड , कैटालो नया और कॉटलड जैसी जगह पर थानीय दे शभ को
तकसंगत ढं ग से ो सा हत कया है। एक वाधीन कॉटलड या कैटालो नया था पत
करने का वचार उस दशा म यादा आकषक तीत होता है, जब आपको कसी जमन
आ मण का भय न हो और जब आप लोबल व मग और वै क त ान के ख़लाफ़
एक साझा यूरोपीय मोच पर भरोसा करने क थ त म ह ।
इस लए यूरोपीय रा वाद ख़ुद को यादा सहज थ त म पा रहे ह। रा क वापसी
क तमाम चचा के बावजूद, ब त थोड़े-से यूरोपीय ह, जो वा तव म उसके लए मरने
या मारने को तैयार ह । जब व लयम वॉलेस और रॉबट ूस के ज़माने म कॉट लोग ने
ल दन क पकड़ से आज़ाद होने क को शश क थी, तो इसके लए उनको एक सेना खड़ी
करनी पड़ी थी। इसके वपरीत, 2014 के कॉ टश जनमत-सं ह के दौरान एक भी
नह मारा गया था, और अगर अगली बार कॉटलड के लोग वाधीनता के प म मतदान
करते ह, तो इसक र- र तक कोई स भावना नह है क उनको एक बार फर बैनॅकबन
क लड़ाई लड़नी पड़े। पेन से अलग होने क कैटालान क को शश का नतीजा अ छ
ख़ासी हसा के प म सामने आया है, ले कन वह भी उस ह याका ड से ब त कम है,
जसे बा सलोना ने 1939 या 1714 म भोगा था।
बाक़ नया शायद यूरोप के इस उदाहरण से सीख ले सकती है। यहाँ तक एक
एक कृत ह पर भी उस तरह क दे शभ के लए पया त गुंजाइश बनी रहेगी, जो मेरे
रा के अनूठेपन का ज मनाती है और उसके त मेरे कत पर बल दे ती है। तब भी
अगर हम जी वत बचे रहना चाहते ह और फलना-फूलना चाहते ह, तो मानव-जा त के
पास इस तरह क थानीय वफ़ादा रय को वै क समुदाय के त ठोस कत के साथ
जोड़ने के अलावा और कोई चारा नह है। एक एक साथ अपने प रवार, अपने
पड़ोस, अपने वसाय और अपने रा के त वफ़ादार होता है और उसे होना चा हए -
तब फर इस सूची म मानव-जा त और पृ वी ह को भी य न जोड़ा जाए? सही है, जब
आपक ऐसी ब त-सी वफ़ादा रयाँ होती ह, तो टकराव कभी-कभी अप रहाय हो जाते ह,
ले कन यह कसने कहा है क ज़ दगी सरल होती है? उससे नप टए।
पछले युग म रा ीय अ मताएँ इस लए गढ़ जाती थ , य क तब मनु य को ऐसी
सम या और अवसर का सामना करना पड़ता था, जो थानीय क़बील क प ँच के
दायरे से ब त परे आ करते थे, और यह क दे श ापी सहकार से ही उनके साथ तालमेल
बैठाने क उ मीद क जा सकती थी। इ क सव सद म रा ख़ुद को उसी तरह क
प र थ त म पा रहे ह, जसम ाचीन क़बीले थे : वे अब उस तरह के त नह रह गए ह,
जो इस युग क सबसे मह वपूण चुनौ तय को झेल सक। अब हम एक नई वै क पहचान
क ज़ रत है, य क रा ीय सं थाएँ अपूव वै क संकट से नपटने म असमथ ह। अब
हमारी एक भूम डलीय पा र थ तक , भूम डलीय अथ व था और एक भूम डलीय
व ान है, ले कन हम अभी भी महज़ रा ीय राजनी त म उलझे ए ह। यह बेमेलपन
राजनी तक त को हमारी मु य सम या का कारगर ढं ग से सामना करने से रोकता है।
भावशाली राजनी त के लए हम या तो पा र थ तक , अथ व था और व ान के
अ भयान को व-भूम डलीकृत ( ड- लोबलाइज़) कर दे ना अ नवाय है - या फर हम
अपनी राजनी त का भूम डलीकरण करना अ नवाय है। चूँ क पा र थ तक और व ान
के अ भयान को व-भूम डलीकृत करना अस भव है, और चूँ क अथ व था को व-
भूम डलीकृत करने क लागत ब त यादा होगी, इस लए वा त वक समाधान राजनी त
को भूम डलीकृत करना ही है।
इस तरह के भूम डलीकरण और वदे श- ेम के बीच कोई अ त वरोध नह है।
वदे श- ेम का मतलब वदे शय से नफ़रत करना नह है। वदे श- ेम का मतलब अपने
दे शवा सय के त उ रदा य व क भावना रखना है। और इ क सव सद म अपने
दे शवा सय के कुशल ेम और सुर ा क हफ़ाज़त के लए आपको वदे शय के साथ
सहयोग करना अ नवाय है। इस लए अ छे रा वा दय का अ छा भूम डलवाद होना
ज़ री है।
यह एक ‘भूम डलीय सरकार’ को था पत करने का आ ान नह है, जो क एक
स द ध और अ ावहा रक प रक पना है। इसक बजाय, राजनी त को भूम डलीकृत
करने म यह अ भ ाय न हत है क हम भूम डलीय सम या और हत को कह यादा
मह व दे ने क ज़ रत है। जब अगले चुनाव आएँ, और राजनेता आपसे वनती कर रहे ह
क आप उनको वोट द, तो इन राजनेता से चार सवाल पू छए : अगर आप चुन लए
जाते ह, तो आप परमाणु यु के ख़तरे को कम करने के लए या कारवाई करगे? आप
जलवायु-प रवतन के जो खम को रोकने के लए या कारवाई करगे? आप एआई और
जैवइंजी नय रग जैसी व वंसक ौ ो ग कय का नयमन करने के लए या कारवाई
करगे? और अ त म, े तम स भव प रणाम के प र य क आपक या प रक पना है?
अगर कोई राजनेता इन सवाल को नह समझते, या वे भ व य क कसी साथक
प रक पना का ख़ाका तुत करने म असमथ रहते ए लगातार अतीत के बारे म ही बात
करते रहते ह, तो ऐसे राजनेता को वोट मत द जए।
भा य से, रा ीय हत को लेकर ब त सारे राजनेता का कोण ब त ही संक ण
होता है, और वे वै क सहकार के ख़लाफ़ तीखी त या करते ह। तब या हम नया
को संग ठत करने के लए मानव-जा त क सावभौ मक मज़हबी पर परा पर नभर
करना चा हए? सैकड़ साल पहले ईसाइयत और इ लाम जैसे मज़हब ने थानीय स दभ
म सोचने क बजाय वै क स दभ म सोचा था, और वे महज़ इस या उस रा के
राजनी तक संघष क बजाय हमेशा जीवन के बड़े म गहरी उ सुकता के साथ
दलच पी लेते थे, ले कन या ये पार प रक मज़हब अभी भी ासं गक ह? या उनम
नया को आकार दे ने क साम य बची है, या अब वे अतीत के महज़ जड़ हो चुके
अवशेष-मा रह गए ह, जनको आधु नक रा य , अथ व था और ौ ो ग कय क
बल श य ने यहाँ-वहाँ छतरा दया है?
8
मज़हब
ई र अब रा क सेवा करता है
ी ँ े े े ो ो
1. तकनीक सम याएँ। उदाहरण के लए, शु क दे श के कसान को लोबल व मग
के कारण पैदा ए ग भीर सूखे से कस तरह नपटना चा हए?
2. नी तगत सम याएँ। उदाहरण के लए, सबसे पहले लोबल व मग को रोकने के
लए सरकार को या उपाय करने चा हए?
3. पहचान क सम याएँ। उदाहरण के लए, या मुझे नया के सरे ह स के
कसान क सम या क च ता भी करनी चा हए, या मुझे सफ़ अपने क़बीले
और अपने दे श से जुड़े लोग क च ता करनी चा हए?
रा वाद क नौकरानी
इस लए ौ ो गक का वकास जस कसी भी प म य न हो, हम उ मीद कर सकते ह
क नई ौ ो ग कय के इ तेमाल को भा वत करने के लए मज़हबी पहचान और
अनु ान के बारे म तक दए जाते रहगे, और वे स भवतः नया को लपट के हवाले करने
क श बरक़रार रख सकते ह। सबसे आधु नकतम परमाणु ेपा और साइबर बम
का इ तेमाल म ययुगीन पो थय के बारे म सै ा तक बहस का नपटारा करने के लए
कया जा सकता है। मज़हब, अनु ान और कमका ड तब तक मह वपूण बने रहगे, जब
तक क मानव-जा त क श सामू हक सहकार पर नभर करती रहेगी और जब तक
सामू हक सहकार साझा क पना म व ास पर नभर करता रहेगा।
भा य से, यह सब वा तव म पार प रक मज़हब को मनु यता क सम या का
इलाज नह , ब क उनका ह सा बना दे ता है। मज़हब के पास अभी भी ब त-सी
राजनी तक श है, इस क़दर क वे रा ीय पहचान को मज़बूत बना सकते ह और तीसरे
व यु तक को भड़का सकते ह, ले कन जब इ क सव सद क वै क सम या का
ढे र लगाने का नह , ब क उनके समाधान का सवाल उठता है, तो उनके पास दे ने लायक़
कुछ ख़ास दखाई नह दे ता, हालाँ क, ब त-से पार प रक मज़हब सावभौ मक मू य का
समथन करते ह और ा डीय वैधता का दावा करते ह, ले कन फ़लहाल उनका
इ तेमाल मु यतः रा वाद क नौकरानी क तरह कया जा रहा है - चाहे वह उ र को रया
हो, स हो, ईरान हो या इज़रायल हो। इस लए उ ह ने रा ीय भेद से ऊपर उठना और
परमाणु यु , पा र थ तक य वंस और ौ ो गक य अराजकता जैसे ख़तर का कोई
वै क समाधान ढूँ ढ पाना और भी मु कल बना दया है।
प रणामतः लोबल व मग म वृ या परमाणु सार क सम या से नपटते समय
शया मौलवी ईरा नय को इन सम या को ईरान के संकु चत प र े य से दे खने के लए
ो सा हत करते ह, य द र बी इज़राय लय को मुख प से इज़रायल के हत क
च ता करने को े रत करते ह, और पर परावाद पादरी स से आ ह करते ह क वह
सबसे पहले और सबसे यादा सी हत के बारे म सोचे। न य ही ऐसे भी धा मक स त
ह, जो रा वाद अ तरेक को नापस द करते ह और अपे ाकृत अ धक सावभौ मक
कोण को अपनाते ह। भा य से ऐसे स त के पास इन दन कोई ख़ास राजनी तक
भाव नह है।
ऐसी हालत म हम एक मु कल थ त म फँसे ह, जहाँ एक क ठन फ़ैसला लेना
ज़ री है। मानव-जा त एक एकल स यता है, और परमाणु यु , पा र थ तक य वंस,
और ौ ो गक य अराजकता जैसी सम या को सफ़ वै क तर पर ही सुलझाया जा
सकता है। सरी ओर, रा वाद और मज़हब अभी भी हमारी मानव-स यता को अलग-
अलग और अ सर पर पर श ु खेम म वभा जत करते ह। वै क सम या और
थानीय पहचान के बीच का टकराव वयं को उस संकट म पा यत करता है, जनसे
नया का महानतम ब सां कृ तक योग- यूरोपीय यू नयन - आहत है। सावभौ मक
उदारवाद मू य के आ ासन पर खड़ा यूरोपीय यू नयन एक करण और अ वासन क
मु कल क वज़ह से वघटन क कगार पर खड़ा लड़खड़ा रहा है।
9
अ वास
कुछ सं कृ तयाँ सरी सं कृ तय से छोड़ता हो सकती है
न लवाद से सं कृ तवाद तक
एक सद पहले यूरोपीय इस बात को मानकर चलते थे क कुछ न ल - मु यतः गोरी न ल
- कु़दरती तौर पर सरी सं कृ तय से े होती ह। 1945 के बाद इस तरह के कोण
उ रो र घृणा पद माने जाने लगे। न लवाद को न सफ़ नै तक प से न दनीय माना
जाने लगा, ब क वै ा नक तौर पर भी दवा लया माना जाने लगा। जै वक व ा नय ,
और वशेष प से आनुवं शक - व ा नय ने इस बात के ब त सश वै ा नक माण
उपल ध कराए ह क यूरो पय , अ कय , ची नय और अमे रका के मूल नवा सय के
बीच के जै वक फ़क़ ब त मामूली ह।
ले कन इसी के साथ-साथ मानव व ा नय , समाजशा य , इ तहासकार ,
वहारवाद अथशा य और म त क- व ा नय तक ने मानव सं कृ तय के बीच
मह वपूण भेद के अ त व को लेकर बड़ी तादाद म सूचना का सं ह कया है। वाक़ई,
अगर सारी सं कृ तयाँ मूलतः एक जैसी होत , तो फर हम मानव व ा नय और
इ तहासकार क ज़ रत भी य होती? नग य से भेद के अ ययन पर संसाधन का
नवेश करने क या ज़ रत है? कम से कम हम साउथ पे स फ़क और कालाहारी
रे ग तान म जाकर अ ययन करने के ख़च ले अ भयान पर पैसा लगाना तो ब द कर ही
दे ना चा हए, और ऑ सफ़ोड या बो टन के लोग के अ ययन से ही स तोष कर लेना
चा हए। अगर सां कृ तक भेद मह वहीन ह, तो हावड के नातक के बारे म हम जो भी
जानकारी मलती है, वही कालाहारी के शकारी-सं हकता के बारे म भी सही होनी
चा हए।
सोच- वचार करने के बाद यादातर लोग व भ मानव-सं कृ तय के बीच, यौनपरक
आचार- वचार से लेकर राजनी तक आदत जैसी चीज़ तक कम-से-कम कुछ भेद को तो
वीकार कर ही लेते ह। तब फर हम इन भेद को कस तरह दे खना चा हए? सां कृ तक
सापे तावा दय का तक है क भेद का अ भ ाय सोपान म नह होता, और हम कसी
एक संकृ त को सरी सं कृ त पर ाथ मकता नह दे नी चा हए। मनु य तरह-तरह से सोच
सकते ह और तरह-तरह से आचरण कर सकते ह, ले कन हम इस व वधता क सराहना
करना चा हए, और सारी आ था तथा री त- रवाज को समान मू य दान करना
चा हए। भा य से, इस तरह के उदार रवैये वा त वक परी ा पर खरे नह उतरते। जब
भोजन पकाने क शै लय और क वता का सवाल आता है, तो मानवीय व वधता महान
लग सकती है, ले कन ब त थोड़े-से लोग ह गे, जो डायन को जलाए जाने, बाल-ह या
को या ग़लामी को ऐसी मोहक मानवीय व श ता क तरह दे खगे, जनका भूम डलीय
पूँजीवाद और कोका-उप नवेशवाद के व बचाव कया जाना उ चत ठहराया जा सके।
या उस तरीक़े पर वचार कर, जसके तहत व भ सं कृ तयाँ वदे शय , अ वा सय
और शरणा थय के साथ र ता बनाती ह। इन मामल म सारी सं कृ तयाँ वीकृ त के
समान तर का प रचय दे ने के लए नह जानी जात । जमन सं कृ त इ क सव सद के
आर भक दौर म अजन बय के त यादा स ह णु है, और सऊद अ वा सय को लेकर
यादा वागत का भाव रखती है। कसी मुसलमान का जमनी जाकर बसना, कसी ईसाई
के सऊद अरब म जा बसने से यादा आसान है। वाक़ई, सी रया के कसी मुसलमान
शरणाथ के लए जमनी म जा बसना, सऊद अरब म जा बसने से कह यादा आसान है,
और 2011 से जमनी ने सऊद अरब क तुलना म कई गुना यादा सी रयाई शरणा थय
को जगह द है। इसी तरह, व सनीय सा य संकेत करते ह क आर भक इ क सव
सद म कै लफ़ो नया क सं कृ त जापान क सं कृ त के मुक़ाबले अ वा सय के त
यादा मै ीपूण है। इस लए अगर आप मानते ह क अजन बय के त स ह णु होना और
अ वा सय का वागत करना अ छ बात है, तो या आपको यह भी नह मानना चा हए
क कम-से-कम इस मामले म जमन सं कृ त सऊद सं कृ त से े है, और कै लफ़ो नया
क सं कृ त जापानी सं कृ त से बेहतर है?
इसके अ त र , अगर दो सां कृ तक मानक स ा ततः भी समान प से वैध ह, तो
अ वासन के ावहा रक स दभ म मेहमान सं कृ त को बेहतर मानना तब भी उ चत
ठहराया जा सकता है। जो मानक और मू य एक सं कृ त के स दभ म उपयु होते ह, वे
भ प र थ तय के तहत उतने ठ क से कारगर नह होते। हम एक ठोस उदाहरण पर
बारीक़ -से नज़र डालते ह। सु था पत पूवा ह का शकार होने से बचने के लए हम दो
का प नक दे श को लेते ह: को डया और वामलड। दोन सं कृ तय के बीच ब त-से
सां कृ तक भेद ह, जनम मानवीय र त तथा अ तवय क टकराव को लेकर उनके
रवैये का भेद शा मल है। को डयाइय को बचपन से ही सखाया गया है क अगर कूल
म, काय- थल पर, या आपके प रवार तक म आपक कसी के साथ तक़रार क थ त
पैदा होती है, तो सबसे अ छा यह है क उसे अपने मन म दबाइए। आपको च लाना नह
चा हए, ग़ से का इज़हार नह करना चा हए, या सामने वाले से टकराना नह चा हए
- ोधावेश थ तय को और भी बदतर बना दे ता है। बेहतर यही है क आप थ तय को
ठ डा होने क गुंजाइश दे ते ए अपने ज बात को क़ाबू म रख। इस बीच, स ब धत
से अपने स पक को सी मत रख, और अगर स पक को टाला न जा सकता हो, तो
खे, क तु वन बने रह, और संवेदनशील मु को टाल।
इसके वपरीत वामल डय को बचपन से ही टकराव को मूत प दे ने क सीख द गई
है। अगर आपक कसी के साथ टकराव क थ त पैदा होती है, तो उसको धीरे-धीरे मत
पकने द जए और कसी चीज़ को मन म दबाकर मत र खए। पहला मौक़ा हाथ लगते ही
अपने ज बात को खुलकर बाहर आने क छू ट द जए। ग़ से का इज़हार करने, च लाने
और सामने वाले के बारे म जो भी आप महसूस करते ह, उसे उसके मुँह पर कह
दे ने म कोई बुराई नह है। यह एक ईमानदार और सीधे ढं ग से सम या से नपटने का
एकमा तरीक़ा है। एक दन का च लाना उस टकराव का समाधान कर सकता है, जो
अ यथा साल पकता रह सकता है, और हालाँ क आमने-सामने क मुठभेड़ कभी सुखद
नह होती, ले कन आप बाद म काफ़ बेहतर महसूस करगे।
इन दोन ही तरीक़ क अपनी ख़ू बयाँ और ख़रा बयाँ ह, और यह कहना मु कल है
क इनम से एक हमेशा सरे से बेहतर है, ले कन अगर वामलड का एक नवासी
को डया म जा बसता है और को डया क कसी फ़म म नौकरी पा लेता है, तब या
होगा?
जब भी कभी कसी सहकम के साथ तक़रार होती है, तो वामलड का यह नवासी
ज़ोर-से मेज़ पर हाथ पटकता है और पूरे ज़ोर से च लाता है, और उ मीद करता है क
उसक यह हरकत सम या क ओर यान ख चेगी और उसके शी समाधान म मदद
करेगी। कई साल बाद उस फ़म म एक ऊँचा पद ख़ाली होता है। वामलड के इस नवासी
के पास हालाँ क सारी ज़ री यो यताएँ ह, ले कन बॉस एक को डयाई कमचारी को
पदो त दे ने का फ़ैसला करती है। जब उससे पूछा जाता है, तो वह प करती है : “हाँ,
उस वामलडी म ब त-सी क़ा ब लयत ह, ले कन इंसानी र त के मामले म उसक एक
ग भीर सम या भी है। वह ब त गरम मज़ाज है, अपने आस-पास के लोग के साथ
अनाव यक तनाव पैदा करता है, और हमारी ावसा यक सं कृ त म बाधा डालता है।”
यही नय त को डया म आ बसे सरे वामल डयर क होती है। उनम से यादातर छोटे
पद पर बने रहते ह, या उनको कोई रोज़गार ही नह मल पाता, य क मैनेजर लोग
मानकर चलते ह क अगर वे वामलडी ह, तो वे स भवतः गरम मज़ाज ह गे और सम याएँ
खड़ी करने वाले कमचारी सा बत ह गे। चूँ क वामलडी कभी भी ऊँचे पद पर नह प ँच
पाते, इस लए को डयाई ावसा यक सं कृ त को बदल पाना उनके लए मु कल होता
है।
यादातर यही थ त उन को डयाइय के मामले म बनती है, जो वामलड म आ
बसते ह। वामलड क कसी फ़म म काम करना शु करते ए एक को डयाई ज द ही
एक घम डी या शु क होने क या त अ जत कर लेता है, और या तो उसके कोई
दो त ही नह होते या ब त थोड़े-से दो त होते ह। लोग को लगता है क वह कु टल है, या
फर उसम इंसानी र त को नभाने क बु नयाद क़ा ब लयत का अभाव है। वह कभी
भी ऊँचे पद तक नह प ँच पाता, और इस लए उसे ावसा यक सं कृ त को बदलने का
अवसर ही नह मल पाता। वामलड के मैनेजर यह नतीजा नकालते ह क यादातर
को डयाई ग़ैरदो ताना या एका त य होते ह, और ये मैनेजर उनको ऐसे पद पर न रखना
बेहतर समझते ह, जो ाहक से स पक या अ य कमचा रय के साथ क़रीबी सहयोग क
माँग करते ह।
ये दोन ही करण न लवाद क बू लए तीत होते ह, ले कन व तुतः, वे न लवाद
नह ह। वे ‘सं कृ तवाद ’ ह। लोग इस बात क ओर यान दए बना क यु के मोच
बदल चुके ह, पर परागत न लवाद के ख़लाफ़ बहा री के साथ लड़ना जारी रखते ह।
पार प रक न लवाद मुरझा रहा है, ले कन नया अब ‘सं कृ तवा दय ’ से भरी ई है।
पार प रक न लवाद जीववै ा नक स ा त म मज़बूती के साथ जड़ जमाए ए था।
1890 के दशक या 1930 के दशक म टे न, ऑ े लया और संयु रा य अमे रका
जैसे दे श म ापक तौर पर यह माना जाता था क कुछ ऐसे आनुवां शक जै वक ल ण
ह, जो अ क और चीनी लोग को यूरोपीय लोग के मुक़ाबले सहज प से कम
बु मान, कम उ मशील और कम नै तक सा बत करते ह। यह सम या उनके ख़ून म थी।
इन कोण को राजनी तक त ा के साथ-साथ वै ा नक आधार मला आ था।
इसके वपरीत आज जहाँ ब त-से अभी भी इस तरह के न लवाद दावे करते ह,
वह ये दावे अपना सारा वै ा नक आधार और अपनी यादातर राजनी तक त ा खो
चुके ह - बशत क उनको सां कृ तक पदावली म न कया गया हो। यह धारणा अब
मट चुक है क अ ेत लोग म आपरा धक वृ याँ होती ह, य क उनके जी स घ टया
होते ह। यह धारणा अब ब त यादा घर कर चुक है क उनम आपरा धक वृ याँ होती
ह, य क उनका स ब ध वकृत उपसं कृ तय से है।
उदाहरण के लए, संयु रा य अमे रका म कुछ राजनी तक दल और नेता प पाती
नी तय का खुलेआम समथन करते ह और अ क अमे र कय , ला तन और मुसलमान
के बारे म अ सर न दा मक ट प णयाँ करते ह, ले कन वे शायद ही ऐसा कहगे क उनके
डीएनए म ही कुछ गड़बड़ी है। सम या को उनक सं कृ त पर थोपा जाता है। नतीजतन,
जब रा प त प ने हैती, एल स वाडोर और अ का के कुछ ह स को ‘म लन मु क ’
के प म च त कया था, तो वे प तौर पर जनता के सम इन जगह क आनुवं शक
बनावट क बजाय वहाँ क सं कृ त पर अपना च तन पेश कर रहे थे। एक अ य अवसर
पर संयु रा य अमे रका म रह रहे मै सक अ वा सय के बारे म प ने कहा था क
“जब मै सको अपने लोग को भेजता है, तो वे सबसे अ छे लोग को नह भेजते। वे ऐसे
लोग को भेजते ह, जो अपने साथ ढे र सारी सम याएँ लए होते ह और वे उन सम या
को लेकर आए होते ह। वे स लेकर आ रहे ह, वे अपराध लेकर आ रहे ह। वे बला कारी
ह और कुछ, मेरा ख़याल है, अ छे लोग ह।” इस तरह का दावा करना ब त अपमानजनक
है, ले कन यह जैववै ा नक प से अपमानजनक होने क बजाय समाजवै ा नक प से
अपमानजनक दावा है। प का अ भ ाय यह नह है क मै सक ख़ून भलाई को रोकता
है - उनका दावा सफ़ इतना है क अ छे मै सक आमतौर से रयो ांडे के द ण म
रहते ह।
मानव-दे ह - ला तनो दे ह, अ क दे ह, चीनी दे ह - अभी भी बहस के के म है।
चमड़ी का रंग ब त मायने रखता है। अपनी चमड़ी पर ढे र सारा गहरा गे ँआ रंग लए यू
यॉक क सड़क पर चलने का मतलब है क आप कसी भी दशा म य न जा रहे ह ,
पु लस आपको अ त र शक क नगाह से दे खेगी। रा प त प और रा प त ओबामा,
दोन ही तरह के लोग चमड़ी के रंग क अह मयत को सां कृ तक और ऐ तहा सक
पदावली म प करगे। स भवतः ओबामा के खेमे के लोग समझाएँगे क पु लस का यह
पूवा ह ग़लामी जैसे ऐ तहा सक अपराध क एक भा यपूण वरासत है, वह प खेमे
के लोग समझाएँगे क अ ेत क आपरा धकता गोरे उदारवा दय और अ ेत समुदाय
ारा क गई ऐ तहा सक भूल क भा यपूण वरासत है। जो भी हो, अगर आप द ली से
आए एक पयटक भी ह जसको अमे रक इ तहास क कोई जानकारी नह है, तो भी
आपको इ तहास के प रणाम से नपटना होगा।
जै वक से सं कृ त पर यह थाना तरण थ क बकवास के तर का बदलाव नह
है। यह रगामी ावहा रक नतीज से यु एक ग भीर बदलाव है, जनम कुछ अ छे
और कुछ बुरे नतीजे शा मल ह। सबसे पहली चीज़ तो यही है क सं कृ त जै वक के
मुक़ाबले यादा लचीली होती है। इसका मतलब, एक ओर, यह है क आज के ज़माने के
सं कृ तवाद पार प रक न लवा दय क तुलना म यादा स ह णु हो सकते ह - अगर
‘अ य’ हमारी सं कृ त को वीकार भर कर ल, तो हम उनको अपनी बराबरी का मानकर
वीकार कर लगे। सरी ओर, इसका नतीजा ‘अ य ’ पर घुल- मल जाने के कह यादा
सश दबाव के प म, और ऐसा करने म नाकामयाब होने पर कह अ धक कठोर
आलोचना के प म सामने आ सकता है।
आप काली चमड़ी वाले को इस बात के लए शायद ही दोषी ठहरा सकते ह क
वह अपनी चमड़ी को गोरा नह बना रहा है, ले कन लोग अ कय या मुसलमान पर
प मी सं कृ त के मानक और मू य को अपनाने म नाकामयाब होने का आरोप लगा
सकते ह और लगाते ह। इसका मतलब यह कहना नह है क इस तरह के आरोप
अ नवायतः उ चत ह। ब त-से मामल म वच वशाली सं कृ त को अपनाने क कोई ख़ास
वज़ह नह होती, और ब त-से सरे मामल म यह क़रीब-क़रीब एक अस भव मु हम होती
है। झु गय म अ य त नधनतापूण जीवन जीने वाले जो अ क अमे रक वच वशाली
अमे रक सं कृ त से ईमानदारी के साथ तालमेल बैठाने क को शश करते ह, वे अपने
रा ते को सं था नक प पात ारा रोका जाता पा सकते ह, जसका नतीजा अ ततः इस
आरोप के प म सामने आता है क उ ह ने पया त को शश नह क , और इस लए उनक
परेशा नय के लए कोई सरे लोग नह , ब क वे ख़ुद ज़ मेदार ह।
जै वक के बारे म बात करने और सं कृ त के बारे म बात करने के बीच एक सरा
नणायक मह व का अ तर यह है क पार प रक न लपरक जै वक से भ , सं कृ तवाद
तक कभी-कभी समझ म आने लायक़ हो सकते ह, जैसा क वामलड और को डया के
मामले म है। वामल डय और को डयाइय क सं कृ तयाँ न य ही भ ह, जसके
ल ण मानवीय र त क उनक भ शै लय के प म दे खे जा सकते ह। चूँ क मानवीय
स ब ध ब त-से रोज़गार म के य मह व रखते ह, इस लए जब एक वामलडीय फ़म
को डयाइय को उनक अपनी सां कृ तक वरासत के मुता बक़ आचरण करने के लए
द डत करती है, तब या उस फ़म का यह कृ य अनै तक है?
मानव व ानी, समाजशा ी और इ तहासकार इस मु े को लेकर अ य त असहज
महसूस करते ह। एक ओर, यह सब ख़तरनाक प से न लवाद के क़रीब क चीज़ लगती
है। सरी ओर, सं कृ तवाद का न लवाद के मुक़ाबले कह यादा ढ़ वै ा नक आधार है,
और वशेष प से मान वक तथा समाज व ान के अ येता सां कृ तक भेद के वजूद
और मह व से इंकार नह कर सकते।
न य ही, अगर हम कुछ सं कृ तवाद दाव क वैधता को वीकार भी कर लेते ह,
तब भी हम उन सबको वीकार करना ज़ री नह है। ब त-से सं कृ तवाद दावे एक-
जैसी तीन ु टय के शकार होते ह। पहली, सं कृ तवाद अ सर थानीय े ता को
व तु न े ता से मत करते ह। नतीजतन, वामलड के थानीय स दभ म टकराव के
समाधान क वामलड क प त शायद को डयाई प त से े हो सकती है, और उस
थ त म अगर वामलड म काम करने वाली एक वामलडीय फ़म अ तमुखी कमचा रय के
ख़लाफ़ भेदभाव बरतती है (जो को डयाई अ वा सय को असंगत प से द डत
करेगी), तो उसके इस कृ य क उ चत वज़ह ह, ले कन इसका यह मतलब नह क
वामलडीय प त व तु न प से े है। वामलड के लोग को डयाइय से शायद
काफ़ कुछ सीख सकते ह, और अगर प र थ तयाँ बदलती ह, जैसे क वामलड क फ़म
वै क है सयत बना लेती है और व भ दे श म अपनी शाखाएँ खोल लेती है, तो
व वधता अचानक एक ब त बड़ा मू य बन जा सकती है।
सरी, अगर आप कसी पैमाने, कसी समय, और कसी थान को प तौर पर
प रभा शत कर लेते ह, तो सं कृ तवाद दावे शायद अनुभवपरक से खरे सा बत हो
सकते ह, ले कन लोग अ सर ही ब त सामा य क़ म के सं कृ तवाद दावे करते ह, जो
ख़ास मायने नह रखते। इस लए यह कहना क ‘ग़ से के सावज नक इज़हार के त
को डयाई सं कृ त वामलडी सं कृ त के मुक़ाबले कम स ह णु है’ एक तकसंगत दावा है,
ले कन यह कहना ब त ही कम तकसंगत है क ‘मु लम सं कृ त ब त अ धक अस ह णु
है’। यह बाद वाला दावा नहायत ही अ प है। ‘अस ह णु’ से आपका या अ भ ाय है?
कस या कस चीज़ के त अस ह णु? जहाँ कोई सं कृ त धा मक अ पसं यक
के त और असामा य राजनी तक कोण के त अस ह णु हो सकती है, वह वह
इसी के साथ-साथ मोटे लोग या बुजग के त ब त स ह णु हो सकती है। और ‘मु लम
सं कृ त’ से आपका या आशय है? हम कस चीज़ क बात कर रहे ह - सातव सद के
अरब ाय प क ? सोलहव सद के ऑटोमन सा ा य क ? या इ क सव सद के
आर भक दौर के पा क तान क ? अ ततः, मानद ड या है? अगर हम धा मक
अ पसं यक के त स ह णुता क च ता कर, और सोलहव सद के ओटोमन सा ा य
क तुलना सोलहव सद के यूरोप से कर, तो हम इस न कष पर प ँचगे क मु लम
सं कृ त अ य त स ह णु है। अगर हम ता लबान क अधीनता वाले अफ़गा न तान क
तुलना समकालीन डेनमाक से कर, तो हम ब त अलग न कष पर प ँचगे।
ले कन सं कृ तवाद दाव क सबसे बुरी सम या यह है क इनक आँकड़ापरक
कृ त के बावजूद अ सर ही इनका इ तेमाल य के बारे म जाँचे-परखे बना फ़ैसले
दे ने के लए कया जाता है। जब वामलड का एक थानीय नवासी और को डया से
आया एक अ वासी, दोन ही वामलड क कसी फ़म म एक ही पद के लए आवेदन
करते ह, तो मैनेजर वामलड-वासी को ाथ मकता दे सकता है य क ‘को डयाई ब त
ठ डे वभाव वाले और एका त य होते ह’। अगर यह बात आँकड़ के लहाज़ से सही
भी हो, तब भी या यह मुम कन नह है क यह ख़ास को डयाई इस ख़ास वामलडी क
तुलना म वा तव म यादा गमजोश और मलनसार हो? जहाँ सं कृ त मह व रखती है,
वह लोग अपने वंशाणु (जी स) और अपने व श नजी इ तहास से भी गढ़े गए होते
ह। अ सर सां यक य ढ़ धारणा को चुनौती दे ते ह। अगर कोई फ़म क ह
ग़ैर-ज बाती कमचा रय पर मलनसार कमचा रय को ाथ मकता दे ती है, तो यह समझ
म आने वाली बात है, ले कन को डयाइय पर वामल डय को ाथ मकता दे ना समझ से
परे है।
ले कन यह कुल मलाकर पूरे के पूरे सं कृ तवाद को अ व सनीय ठहराए बना कुछ
ख़ास सं कृ तवाद दाव क ढ़ता को ही कम करता है। न लवाद से भ , जो क एक
अवै ा नक पूवा ह है, सं कृ तवाद तक कभी-कभी ख़ासे मज़बूत हो सकते ह। अगर हम
आँकड़ पर यान द और पाएँ क वामलड क फ़म म ब त थोड़े-से को डयाई ऊँचे पद
पर ह, तो यह न लपरक प पात का नह , ब क उ चत आकलन का नतीजा हो सकता
है। या को डयाई अ वा सय को इस थ त से अस तु होना चा हए, और यह दावा
करना चा हए क वामलड अ वासन समझौते से मुकर रहा है? या हम वामलड क फ़म
पर ‘सकारा मक कारवाई’ क़ानून क माफ़त यादा को डयाई मैनेजर को भत करने
का दबाव डालना चा हए, इस उ मीद म क इससे वामलड क गम मज़ाज ावसा यक
सं कृ त म शा त पैदा हो जाएगी? या फर गड़बड़ी कह को डयाई अ वा सय म ही है,
जो थानीय सं कृ त के साथ घुलने- मलने म नाकामयाब रहे ह, और इस लए हम
वामलडीय मानक और मू य को को डयाई ब च के दमाग़ म बैठाने क और यादा
तथा बलशाली को शश करनी चा हए?
इस क पना-जगत से त य क नया म वापस आकर हम दे खते ह क अ वासन के
बारे म यूरोपीय बहस अ छाई और बुराई के बीच क प लड़ाई से ब त र है।
अ वासन क प धरता करने वाले जो लोग अपने सारे त य को अनै तक
न लवा दय के प म दे खते ह, वे ग़लत होते ह, जब क अ वासन का वरोध करने वाले
जो लोग अपने सारे वरो धय को ववेकहीन व ासघा तय के प म च त करते ह, वे
ग़लत होते ह। अ वासन क बहस दो वैध कोण के बीच क बहस है, जसका फ़ैसला
सामा य लोकता क या के मा यम से कया जा सकता है और कया जाना चा हए।
लोकत इसी के लए है।
यह लोकता क या जस कसी भी नतीजे पर प ँचे, दो मुख ब को
दमाग़ म रखना ज़ री है। पहला, यह कसी भी सरकार के लए उ चत नह है क वह
कसी अ न छु क थानीय आबाद पर बलपूवक बड़े पैमाने का अ वासन थोपे। अ वासन
को पचाना एक मु कल द घकालीन या है, और अ वा सय को सफलतापूवक
समा हत करने के लए आपको थानीय आबाद का समथन और सहयोग हा सल करना
अ नवाय है। इस नयम का एक अपवाद यह है क पड़ोसी दे श से मौत से बचकर भागे
शरणा थय के लए अपनी सरहद खोलना सारे दे श का कत है, भले ही थानीय
आबाद इसे पस द करे या न करे।
सरे, य प अ वासन का वरोध करना नाग रक का अ धकार है, ले कन उनको यह
बात समझनी चा हए क तब भी वदे शय के त उनके कत ह। हम एक भूम डलीय
नया म रह रहे ह, और हम इसे पस द कर या न कर, ले कन हमारे जीवन ह के सरे
ह स के लोग के जीवन से गुँथे ए ह। वे हमारा खा ा उपजाते ह, हमारे लए कपड़
का उ पादन करते ह, वे हमारे लए तेल क क़ मत को लेकर लड़ी जाने वाली लड़ाई म
मारे जा सकते ह, और वे पयावरण से स ब धत हमारे ढ ले-ढाले क़ानून के शकार हो
सकते ह। हम लोग के त अपनी नै तक ज़ मेदा रय क उपे ा मा इस आधार पर
नह करनी चा हए क वे ब त र रहते ह।
वतमान म, यह बात र- र तक साफ़ नह है क यूरोप कोई ऐसा म यमाग खोज
पाएगा या नह , जससे वह उसके मू य को साझा न करने वाले लोग के हाथ अ थर
ए बना अजन बय के लए अपने ार खुले रख सके। अगर यूरोप इस तरह का रा ता
हा सल करने म सफल हो जाता है, तो उसके इस नु ख़े का वै क तर पर अनुकरण
कया जा सकता है, ले कन अगर यूरोप इस योजना म वफल रहता है, तो इससे यह
संकेत मलेगा क नया के सां कृ तक टकराव को हल करने के लए और परमाणु यु ,
पा र थ तक य वंस और ौ ो गक य अराजकता क चुनौ तय के सम मानव-जा त
को संग ठत करने के लए वत ता और स ह णुता के उदारवाद मू य म आ था पया त
नह है। अगर ीक और जमन एक साझा नय त पर सहमत नह हो सकते, और अगर 50
करोड़ दौलतम द यूरोपीय कुछ लाख नधन शरणा थय को नह अपना सकते, तो फर
इस बात क या स भावना बच रहती है क मनु य उन कह यादा गहन टकराव पर
वजय ा त कर सकेगा, जो हमारी भूम डलीय स यता को आ ा त कए ए ह?
एक चीज़ जो बेहतर ढं ग से एकजुट होने और सरहद तथा दमाग़ को खुला रखने म
यूरोप और कुल मलाकर नया क मदद कर सकती है, वह है आतंकवाद से स ब धत
ख़ौफ़ के उ माद को कम करके दे खना। अगर आतंकवा दय के ख़ौफ़ को ज़ रत से
यादा तूल दए जाने क वज़ह से वत ता और स ह णुता का यूरोपीय योग असफल
हो जाता है, तो यह बेहद भा यपूण होगा। यह न सफ़ आतंकवा दय के ल य को पूरा
करेगा, ब क इन मु भर मता ध को मानव-जा त के भ व य म भरपूर दख़ल दाज़ी करने
क गुंजाइश भी दे गा। आतंकवाद मनु यता के ब त मामूली और कमज़ोर ह से का
ह थयार है। आ ख़र यह भूम डलीय राजनी त पर इतना भारी कैसे पड़ गया?
III
हताशा और उ मीद
पछले कुछ दशक का समय मानव-इ तहास का सबसे शा तपूण काल रहा है। जहाँ
शु आती दौर के कृ षपरक समाज म इंसानी हसा मनु य क कुल मृ यु के 15 %
ह से का कारण आ करती थी, और बीसव सद म उसके 5 % ह से का कारण आ
करती थी, वह आज वह मा 1 % ह से के लए ज़ मेदार है। तब भी 2008 के वै क
व ीय संकट के समय से अ तररा ीय थ त म तेज़ी-से गरावट आ रही है, यु के
भड़कावे फर से फ़ैशन म ह, और सेना पर कया जाने वाला ख़च गु बारे क तरह फूलता
जा रहा है। जन-साधारण और वशेष , दोन म यह भय ा त है क जस तरह 1914
म एक ऑ याई आक ूक क ह या ने थम व यु के लए चगारी का काम कया
था, उसी तरह 2018 म सी रयाई रे ग तान क कोई घटना या को रयाई ाय प म कोई
अ ववेकपूण क़दम वै क टकराव को भड़का सकता है।
नया म बढ़ते ए तनाव, और वा शगटन, यां यांग और कई सरी जगह के नेता
के व को दे खते ए च ता क वज़ह तो न य ही है। तब भी 2018 और 1914 के
बीच कई मह वपूण फ़क़ ह। ख़ासतौर से, 1914 के यु म नयाभर के कुलीन वग के
लए ब त बड़ा आकषण मौजूद था, य क उनके पास इस बात के ब त-से ठोस
उदाहरण थे क कस तरह यु ने आ थक समृ और राजनी तक श म योगदान
कया था। इसके वपरीत, 2018 के सफल यु वलु त ाय जा त तीत होते ह।
असी रयाइय और चन के ज़माने से वशाल सा ा य हसक वजय क माफ़त
था पत कए जाते रहे थे। 1914 म भी तमाम महाश य क है सयत के पीछे सफल
यु रहे थे। उदाहरण के लए, शाही जापान स और चीन क अपनी जीत क वज़ह से
एक े ीय श बन सका था, ऑ या-हंगरी और ांस पर अपनी जीत के बाद ही
जमनी यूरोप का मु खया बन सका था, और टे न ने समूचे भू ह पर अनेक वैभवशाली
छोटे -छोटे यु के मा यम से ही नया का सबसे बड़ा और समृ सा ा य खड़ा कया
था। 1882 म टे न ने तेल एल-क बर के नणायक यु म म पर हमला कर उसको
जीत लया था और इसम उसको मा स ावन सै नक को खोना पड़ा था। जहाँ हमारे
समय म कसी मु लम मु क पर क़ ज़ा करना प मी ः व का वषय है, वह तेल
एल-क बर के प रणाम व प अँ ेज़ को ब त थोड़े-से सश तरोध का सामना करना
पड़ा था, और उसने छह दशक से यादा समय तक नील घाट और अ य त मह वपूण
सुएज़ नहर को अपने नय ण म रखा था। सरी यूरोपीय श य ने यूरोप का अनुसरण
कया, और जब कभी पे रस, रोम या ुसे स म सरकार वयतनाम, ली बया या कांगो म
फ़ौज भेजने के बारे म सोचती थ , तो उनको एकमा डर यह सताता था क उनसे पहले
कोई सरा वहाँ प ँच सकता है।
यहाँ तक क संयु रा य अमे रका तक महाश क अपनी है सयत अकेले आ थक
उ म के दम पर बना पाने क बजाय सै य कारवाई के बूते ही बना सका। 1846 म उसने
मै सको पर हमला कया, और कै लफ़ो नया, नेवादा, यूटा, अ रज़ोना, यू मै सको और
कोलोराडो, का सास, ो मग तथा ओकलाहोमा के कुछ ह स को जीत लया था।
शा त-स ध ने भी टै सास के पछले अमे रक क़ ज़े क पु क थी। लगभग 13,000
अमे रक सै नक इस यु म मारे गए थे, जसने संयु रा य अमे रका म 23 लाख वग
कलोमीटर के इलाक़े का योगदान कया था (जो ांस, टे न, जमनी, पेन और इटली के
संयु आकार के बराबर था)। यह सह ा द का सबसे स ता सौदा था।
इस लए 1914 म वा शगटन, ल दन और ब लन का कुलीन वग इस बात को ठ क-
ठ क समझता था क एक सफल यु कस तरह का होता है, और हम उससे कतना कुछ
हा सल कर सकते ह। इसके वपरीत, 2018 म वै क कुलीन वग के पास इस बात पर
स दे ह करने क पया त वज़ह है क इस क़ म का यु वलु त हो गया लगता है,
हालाँ क, तीसरी नया के कुछ तानाशाह और गैर-राजक य संगठन अभी भी यु के
मा यम से फलने-फूलने म कामयाब होते ह, ले कन लगता है क बड़ी श याँ अब इस
इ म से वा कफ़ नह ह।
जस महान वजय - सो वयत संघ पर संयु रा य अमे रका क वजय - क मृ त
अभी बनी ई है, वह बना कसी सै य टकराव के हा सल क गई थी। इसके बाद संयु
रा य अमे रका ने पुराने चाल क सै य म हमा का अ थायी वाद पहले खाड़ी यु म चखा
था, ले कन इसने उसको इराक़ और अफ़गा न तान म अपमानजनक सै य नाकामया बय
पर खरब डॉलर ख़च करने के लए ही ललचाया था। इ क सव सद क उभरती ई
श चीन वयतनाम पर कए गए 1979 के वफल हमले के बाद से तमाम सश
टकराव को प र मपूवक टालता रहा है, और उसके उभार के पीछे पूरी तरह से आ थक
कारक ह। इसम उसने 1914 के पहले के दौर के जापानी, जमन और इता वी सा ा य
का नह , ब क 1945 के बाद के दौर के जापानी, जमन और इता वी आ थक चम कार
का अनुसरण कया है। इन सारे करण म आ थक समृ और भूराजनी तक भु व एक
भी गोली दागे बना हा सल कए गए थे।
यहाँ तक क म य पूव म भी - जो क नया क रणभू म है - े ीय ताक़त को यह
समझ नह है क सफल यु कस तरह लड़े जाएँ। ईरान-इराक़ यु के ल बे र पात से
ईरान को कुछ भी हा सल नह आ, और इसके बाद उसने तमाम सीधे सै य टकराव को
टाला। ईरान इराक़ से लेकर यमन तक थानीय आ दोलन को धन और ह थयार मुहैया
कराता है, और उ ह ने सी रया और लेबनान के अपने म क मदद के लए ा तकारी
र क को भेजा है, ले कन वे अब तक कसी भी मु क पर हमला करने के मामले म
सावधानी बरतते रहे ह। ईरान हाल ही म एक वच वशाली े ीय रा बना है, तो यु के
मैदान क कसी भ वजय के बूते पर नह , ब क इस लए बना है, य क और कोई
वक प नह था। इसके दो मु य श ु - संयु रा य अमे रका और इराक़ - एक ऐसे
यु म उलझे, जसने इराक़ और म य पूव दलदल क अमे रक भूख, दोन को तबाह
कर दया, और इस तरह ईरान को इन बबा दय का फ़ायदा उठाने के लए छोड़ दया।
ऐसा ही ब त कुछ इज़रायल के बारे म कहा जा सकता है। इसका आ ख़री सफल
यु 1967 म लड़ा गया था। उसके बाद से इज़रायल अनेक यु के बावजूद नह , ब क
उनक वज़ह से फला-फूला है। इसके ारा क़ ज़े म कए गए यादातर अ धकार- े ने
इसे भारी आ थक बोझ से लाद दया है और इसक राजनी तक ज़ मेदा रय को पंगु बना
दया है। काफ़ कुछ ईरान क ही तरह इज़रायल ने बाद म अपनी भूराजनी तक थ त को
सफल यु लड़कर नह , ब क सै य जो खम को टालकर सुधारा है। जहाँ यु ने इराक़,
सी रया और ली बया म मौजूद इज़रायल के पूव श ु को उजाड़ दया, वह इज़रायल
अलग-थलग बना रहा। सी रयाई गृह यु म न उलझना नेतनया क (माच 2018 तक
क ) उ चत ही सबसे बड़ी राजनी तक उपल ध रही है। अगर इज़रायल के सुर ा बल
चाहते, तो वे डमे कस पर ह ते भर के भीतर क़ ज़ा कर सकते थे, ले कन इससे इज़रायल
को या हा सल होता? इज़रायल के सुर ा बल के लए गाज़ा को जीतना और हमास क
शासन- व था को पद युत कर दे ना इससे भी यादा आसान था, ले कन इज़रायल ऐसा
करने से लगातार इंकार करता रहा। अपनी सारी सै य श और इज़रायली राजनेता
क यु क सारी घ स के बावजूद इज़रायल जानता है क यु से कुछ ख़ास हा सल नह
होगा। संयु रा य अमे रका, चीन, जमनी, जापान और ईरान क ही तरह इज़रायल इस
बात को समझता लगता है क इ क सव सद म सबसे कामयाब रणनी त कसी का प
लए बना सर को आपके लए लड़ने दे ना है।
े े ई े
े म लन से दखाई दे ता नज़ारा
कसी महाश ारा इ क सव सद म कया गया अब तक का सबसे कामयाब क़ ज़ा
मया पर स क वजय का रहा है। फ़रवरी 2014 म सी सेना ने पड़ोसी उ े न
पर हमला कया और मयाई ाय प पर क़ ज़ा कर लया, जसे बाद म स के
अ धकार- े म ले लया गया। कोई ख़ास लड़ाई लड़े बना स ने रणनी तपरक ढं ग से
एक मह वपूण े को ह थया लया, अपने पड़ो सय के दल म दहशत पैदा कर द ,
और वयं को एक बार फर व -श के प म था पत कर लया, ले कन यह जीत
कुछ असाधारण प र थ तय क वज़ह से स भव हो सक थी। स के त न तो
उ े नयाई सेना ने कोई तरोध बरता और न ही थानीय आबाद ने, और वह सरी
श याँ इस संकट म सीधा ह त ेप करने से बचती रह । इन प र थ तय को नया म
कसी भी जगह पैदा करना मु कल होगा। अगर एक सफल यु क पूवशत
आ मणकारी को तरोध दे ने को तैयार शु का न होना है, तो यह थ त उपल ध
अवसर को ग भीर प से सी मत कर दे ती है।
सचमुच ही, जब स ने अपनी इस मयाई सफलता क नक़ल उ े न के सरे
ह स म करने क को शश क , तो उसको ख़ासे स त वरोध का सामना करना पड़ा,
और पूव उ े न का यु नरथक ग तरोध म उलझकर रह गया। इससे भी बदतर बात
(मॉ को के प र े य म) यह ई है क यु से उ े न म स- वरोधी भावनाएँ भड़क चुक
ह और उसने उस दे श को एक दो त क जगह क र मन म बदल दया है। जस तरह
पहले खाड़ी यु क कामयाबी ने संयु रा य अमे रका के मन म इराक़ म असा य
कामयाबी का लालच जगाया था, उसी तरह हो सकता है मया क सफलता ने स के
मन म उ े न म असा य कामयाबी का लालच जगाया हो।
इ क सव सद के शु आती दौर के स के कॉकेसस और उ े न के यु को साथ
रखकर दे खने पर उनको बमु कल ही सफल यु क सं ा द जा सकती है, हालाँ क इन
यु ने स क त ा को महाश के प म बढ़ावा दया है, ले कन उ ह ने स के
त अ व ास और श ुता म भी इज़ाफ़ा कया है, और आ थक से वे घाटे के उ म
सा बत ए ह। मया के पयटक-सैरगाह और लुहा क तथा दोने क के सो वयत-युग
के जजर कारख़ाने यु पर ख़च कए गए धन क क़ मत क भरपाई नह कर पाते, और
वे पूँजी के पलायन तथा अ तररा ीय तब ध के प म चुकाई गई क़ मत क भरपाई
तो न य ही नह कर पाते। सी नी त क सीमा को समझने के लए हम सफ़
शा तपूण चीन क पछले बीस वष क वपुल आ थक ग त क तुलना इसी दौर के
‘ वजेता’ स के आ थक ग तरोध से करने भर क ज़ रत है।
मॉ को के शौयपूण दाव के बावजूद सी कुलीन वग वयं ही स भवतः अपने सै य
कारनाम क वा त वक क़ मत और लाभ को अ छ तरह-से समझता है, और यही वज़ह
है क वह अभी तक इन कारनाम को और अ धक ग त न दे ने के त सावधानी बरतता
रहा है। स कूलयाड-बुली स ा त का अनुसरण करता रहा हैः ‘सबसे कमज़ोर ब चे
को पकड़ो, और इतना यादा मत पीटो क अ यापक को दख़ल दाज़ी करनी पड़े।’ अगर
पु तन ने ता लन, पीटर द ेट या चंगेज़ ख़ाँ क तरह क भावना के साथ यु कए होते,
तो स के टक अगर वारसा और ब लन क ओर नह , तो तेज़ी-से बलीसी और क व क
ओर बढ़ गए होते, ले कन पु तन न तो चंगेज़ ह न ता लन। वे इस बात को कसी भी सरे
के मुक़ाबले बेहतर ढं ग से समझते लगते ह क इ क सव सद म सै य श र तक नह
जा सकती, और एक सफल यु छे ड़ने का अथ सी मत यु छे ड़ना ही है। यहाँ तक क
सी रया म भी, स क ू रतापूण हवाई गोलाबारी के बावजूद, पु तन यह सावधानी बरतते
रहे ह क वे अपने भाव को कम-से-कम बनाए रख, सर को ग भीरतापूवक लड़ने द,
और यु को पड़ोसी दे श म न फैलने द।
सचमुच, स के प र े य दे ख, तो हाल के वष क इसक सारी क थत आ ामक
कारवाइयाँ कसी नए वै क यु क पहल करने वाली रणनी तयाँ नह रही ह, इसक
बजाय वे संवेदनशील मोचाब दय को मज़बूत करने क को शश ही रही ह। सी उ चत
ही इस ओर संकेत कर सकते ह क 1980 के दशक के बाद के वष तथा 1990 के दशक
के शु आती वष म उनक सेना के वापस लौटाने क कारवाइय को परा जत श ु क
तरह दे खा गया था। संयु रा य अमे रका और नाटो (नॉथ अटलां टक ट
ऑगनाइज़ेशन) ने स क कमज़ोरी का फ़ायदा उठाया, और वपरीत आ ासन के
बावजूद नाटो के व तार म पूव यूरोप, और पूव सो वयत गणरा य तक को समेट लया।
प म लगातार म य पूव म स के हत क अनदे खी करता रहा, उसने स दे हा पद
बहान के आधार पर स बया और इराक़ पर हमले कए, और ापक तौर पर स के
सामने यह बात ब त प कर द थी क वह प मी घुसपैठ से अपने भाव- े का
बचाव करने के लए अपनी ख़ुद क सै य-श पर ही भरोसा कर सकता है। इस प र े य
से, हाल के वष क सी कारवाइय के लए जतना ला दमीर पु तन को दोषी ठहराया
जा सकता है, उतना ही बल लंटन और जॉज ड यू बुश को भी ठहराया जा सकता है।
बेशक, जॉ जया, उ े न और सी रया म सी सै य कारवाइयाँ अभी भी कह यादा
बड़े सा ा यवाद अ भयान के आर भक धमाके सा बत हो सकती ह। बावजूद इसके क
पु तन ने अभी तक व वजय क क ह संजीदा योजना के मंसूबे नह पाले ह, तब भी
कामयाबी उनक मह वाकां ा को हवा दे सकती है, ले कन यह याद रखना भी उ चत
होगा क पु तन का स ता लन के यूएसएसआर के मुक़ाबले ब त कमज़ोर है, और जब
तक मसलन चीन जैसे दे श उसके साथ नह हो जाते, तब तक वह पूण वक सत व यु
को तो छोड़ ही द, एक नए शीत यु को भी नह साध सकता। स क आबाद 15
करोड़ है और सकल घरेलू उ पाद (जीडीपी) 4 लयन डॉलर है। यह अपनी आबाद
और उ पादन दोन ही मामल म संयु रा य अमे रका (जहाँ क आबाद 32.5 करोड़
और जीडीपी 19 लयन डॉलर है) और यूरोपीय यू नयन ( जसक कुल आबाद 50
करोड़ और जीडीपी 21 लयन डॉलर है) के सामने बौना पड़ जाता है। संयु रा य
अमे रका और यूरोपीय यू नयन क संयु आबाद स से पाँच गुना यादा है, और
उनका सकल घरेलू उ पाद स से दस गुना यादा है।
हाल ही क ौ ो गक य घटना ने इस अ तराल को उससे यादा बढ़ा दया है,
जतना वह दखाई दे ता है। यूएसएसआर बीसव सद के म य म अपनी पराका ा पर
प ँचा था, जब भारी उ ोग वै क अथ व था क रेल के इंजन आ करते थे, और
सो वयत के कृत व था ने ै टर , क , टक और अ तरमहा पीय ेपा के े
म े ता हा सल कर ली थी। आज सूचना ौ ो गक तथा जैव ौ ो गक भारी उ ोग से
यादा मह वपूण ह, ले कन वह इनम से कसी म भी आगे नह है, हालाँ क इसके पास
साइबर यु क भावशाली मताएँ ह, ले कन उसके पास असै नक आईट से टर का
अभाव है, और इसक अथ व था ज़बरद त ढं ग से ाकृ तक संसाधन , वशेष प से
तेल और गैस पर नभर है। यह सब मु -भर कुलीन को स प बनाने के लए तो पया त
हो सकती ह और पु तन को स ा म बनाए रख सकती ह, ले कन यह ड जटल या
जैव ौ ो गक य ह थयार क होड़ म जीतने के लए नाकाफ़ है।
इससे भी यादा मह वपूण यह है क पु तन के स के पास कसी सावभौ मक
वचारधारा का अभाव है। शीत यु के दौरान यूएसएसआर के पास सा यवाद के वै क
आकषण, और उसी के साथ-साथ रेड आम क वै क प ँच का भरोसा आ करता था।
इसके वपरीत पु तनवाद के पास यूबाइय , वयतना मय या ांसीसी बु जी वय को
दे ने लायक़ लगभग कुछ भी नह है। नरंकुश रा वाद भले ही सचमुच नया म फैल रहा
हो, ले कन यह अपने वभाव से ही आ त रक तौर पर जुड़ सकने वाले क ह खेम को
था पत करने क से अनुकूल नह है। जहाँ पो लश सा यवाद और सी सा यवाद,
दोन कम-से-कम सै ा तक तौर पर, सावभौ मक हत और एक अ तररा ीय कामगार
वग के त वचनब थे, वह पो लश रा वाद और सी रा वाद पा रभा षक तौर पर ही
पर पर- वरोधी हत के त वचनब ह। जैसे ही पु तन का उ थान पो लश रा वाद के
उभार को भड़काएगा, वैसे ही यह चीज़ पोलड को पहले से यादा स- वरोधी बना दे गी।
इस लए स ने हालाँ क नाटो और यूरोपीय यू नयन को तोड़ने के उ े य से झूठ
ख़बर और सा ज़श के एक वै क अ भयान क शु आत क है, ले कन इसक कोई
स भावना दखाई नह दे ती क यह भौ तक वजय के कसी वै क अ भयान क शु आत
करने वाला है। आप उ मीद कर सकते ह - कसी हद तक वा जब उ मीद - क मया
का अ ध हण और जॉ जया तथा उ े न म सी घुसपैठ यु के एक नए दौर के अ त
बनने क बजाय बरले उदाहरण ही बने रहगे।
मूखता को शोभाया ा
आह!, इ क सव सद म यु भले ही घाटे के सौदे बने रह, ले कन इससे हम शा त क
पूरी गारंट मलने वाली नह है। हम मनु य क बेवकूफ़ को कभी भी कम करके नह
आँकना चा हए। मनु य म गत और सामू हक, दोन ही तर पर आ मघाती
ग त व धय म ल त होने क वृ होती है।
1939 म यु धुरी रा (जमनी, इटली और जापान) के लए स भवतः अनु पादक
चाल थी, ले कन उसने नया क र ा नह क । सरे व यु क सबसे यादा च काने
वाली बात ये ह क परा जत श य ने यु के बाद जतनी समृ हा सल क , उतनी
उ ह ने कभी नह क थी। उनक सेना के स पूण वनाश और उनके सा ा य के
नता त व त हो जाने के बीस साल बाद जमन, इता वी और जापानी समृ के अपूव
तर पर जा प ँचे थे। तब फर वे यु म शा मल ही य ए? उ ह ने असं य लाख
लोग को अनाव यक मौत और वनाश म य झ का? यह महज़ एक मूखतापूण भूल थी।
1930 के दशक म जापानी जनरल, एड मरल, अथशा ी और प कार इस बात पर
सहमत थे क अगर को रया, मंचू रया और चीनी तट को नय ण म नह लया जाता, तो
जापान आ थक प से न य हो जाने के लए अ भश त होगा। वे सब ग़लत सोच रहे
थे। व तुतः, जापान के स आ थक चम कार क शु आत ही तब ई थी, जब जापान
ने अपने जीते ए सारे भू-भाग को गँवा दया था।
मनु य क बेवकूफ़ इ तहास क सबसे मह वपूण ताक़त म से एक है, ले कन हम
अ सर इसको ख़ा रज़ करने क ओर वृ होते ह। राजनेता, जनरल और अ येता नया
को शतरंज क एक महान बाज़ी क तरह बरतते ह, जहाँ हर चाल सावधानी के साथ
सोच- वचार कर कए गए आकलन के बाद चली जाती है। यह कसी हद तक उ चत है।
इ तहास के ब त कम नेता ऐसे रहे ह, जनको संकु चत अथ म पागल कहा जा सकता हो,
जो याद और घोड़ को कह भी चल दे ते ह । जनरल ताजो, स ाम सैन और कम
ज ग-इल ने जो भी चाल चल , उनम से हर चाल का उनके पास तकसंगत कारण था।
सम या यह है क नया शतरंज क बसात से कह यादा ज टल चीज़ है, और मनु य
क तकबु वा तव म इसको समझने म स म नह है। इसी लए ब त ववेकशील नेता
भी अ सर मूखतापूण हरक़त कर बैठते ह।
तब हम कसी व यु को लेकर कतना डरना चा हए? सबसे अ छा है क हम दो
अ तय से बच। एक ओर, यु न य ही अप रहाय नह है। शीतयु का शा तपूण
समापन सा बत करता है क जब मनु य सही फ़ैसले लेते ह, तो महाश य के टकराव
को भी शा तपूण ढं ग से सुलझाया जा सकता है। इसके अलावा, यह मानना नहायत ही
ख़तरनाक है क एक नया व यु अप रहाय है। यह वयं काया वत भ व यवाणी होगी।
जैसे ही दे श यह मान बैठते ह क यु अप रहाय है, वैसे ही वे अपनी फ़ौज को मज़बूत
करने लगते ह, तेज़ी के साथ ह थयार क होड़ शु कर दे ते ह, कसी भी टकराव पर
समझौता करने से इंकार कर दे ते ह, और स ावपूण चे ा पर स दे ह करते ए उनको
महज़ जाल म फँसाने क यु य क तरह दे खने लगते ह। इससे यु का भड़क उठना
सु न त हो जाता है।
सरी ओर, यह मानना बचकानापन होगा क यु अस भव है। अगर यु हर कसी
के लए वनाशकारी भी हो, तो भी कोई दे वता और कोई भी कु़दरती नयम मनु य क
बेवकूफ़ से हमारी र ा नह कर सकते।
इंसानी बेवकूफ़ का एक स भा वत इलाज वन ता क एक ख़ुराक है। रा ीय,
मज़हबी और सां कृ तक तनाव इस अहंकारपूण अनुभू त से बदतर प ले लेते ह क मेरा
रा , मेरा मज़हब और मेरी तहज़ीब नया म सबसे यादा मह वपूण ह। इस लए मेरे
हत को कसी भी सरे के हत से, या कुल मलाकर मानव-जा त के हत से ऊपर होना
चा हए। रा , मज़हब और तहज़ीब को हम कुछ यादा ावहा रक और नया म
उनक वा त वक जगह के स दभ म कुछ यादा वन कस तरह बना सकते ह?
12
वनयशीलता
आप नया के के नह ह
ायड क माँ
मेरी पु तक से पय स : अ ीफ़ ह ऑफ़ मनकाइंड इज़रायली जनता के लए मूलतः
ह ू म लखी गई थी। 2011 म इसके ह ू सं करण के काशन के बाद इज़रायली
पाठक ारा जो सबसे आम सवाल मुझसे कया गया, वह यह था क मने मानव जा त
के अपने इस इ तहास म य द मज़हब का कोई ख़ास ज़ य नह कया। मने
ईसाइयत, इ लाम और बौ धम के बारे म तो इतने व तार से लखा, ले कन य द
मज़हब और य द समाज को थोड़े-से श द म य नपटा दया? या मने मानव
इ तहास के लए कए गए उनके योगदान क जानबूझकर उपे ा क है? या म कसी
कु टल राजनी तक योजना से े रत रहा ँ?
इस तरह के सवाल उन इज़रायली य दय के मन म सहज ही पैदा होते ह जनको
कडरगाटन से ही इस तरह सोचने क सीख द गई होती है क य द मज़हब मानव-
इ तहास का सुपर टार है। इज़रायली ब चे आमतौर से व क ऐ तहा सक या क
कोई प तसवीर हा सल कए बना कूली श ा के बारह वष पूरे कर लेते ह। उनको
चीन, ह तान या अ का के बारे म लगभग कुछ नह पढ़ाया जाता, और वे हालाँ क
रोमन सा ा य, ांसीसी ा त और तीय व यु के बारे म पढ़ते ह, ले कन ये एक-
सरे अलग-थलग पहेली के टु कड़े उनको कसी ापक आ यान तक नह ले जाते।
इसक बजाय, इज़रायली श ा- णाली ारा द जाने वाली इ तहास क एकमा सुसंगत
श ा क शु आत ह ू के ओ ड टे टामट से होती है, जो बीच के दौर म इज़रायल से
बाहर रहे व भ य द समुदाय को छोड़ते ए सेकड टै पल ईरा तक जारी रहती है, और
य द वाद, होलोकॉ ट (य दय के वनाश), और इज़रायल रा य क थापना पर जाकर
समा त होती है। यादातर छा इस यक़ न के साथ कूल छोड़ते ह क मनु य के समूचे
क़ से का मु य कथानक न य ही यही होगा, य क जब छा रोमन सा ा य या
ांसीसी ा त के बारे म सुनते भी ह, तो क ा म होने वाली चचा इस पर होती है क
रोमन सा ा य ने य दय के साथ कस तरह बताव कया था या इस पर क ांसीसी
गणरा य म य दय क राजनी तक है सयत या आ करती थी। इस तरह क
ऐ तहा सक ख़ुराक पर पले लोग को इस वचार को पचाने म ब त मु कल पेश आती है
क नया पर य द मज़हब का अपे ाकृत ब त कम भाव पड़ा है।
ले कन स चाई यही है क य द मज़हब ने हमारी जा त के इ तहास म सफ़ मामूली
भू मका ही नभाई है। ईसाइयत, इ लाम और बौ धम से भ य द मज़हब हमेशा से ही
एक क़बीलाई धममत रहा है। इसके यान के के म एक छोटे -से रा क नय त और
थोड़ी-सी ज़मीन ही रही है, और तमाम सरे समाज और सरे दे श क नय त म इसक
ब त कम दलच पी रही है। उदाहरण के लए, यह जापान क घटना या भारतीय
उपमहा प के लोग क कोई ख़ास परवाह नह करता। इस लए यह आ य क बात नह
क इसक ऐ तहा सक भू मका ब त सी मत रही।
यह न य ही सही है क य द मज़हब ने ईसाइयत को ज म दया, और इ लाम के
ज म पर भाव डाला, जो इ तहास के दो सबसे यादा मह वपूण मज़हब ह, ले कन,
ईसाइयत और इ लाम क वै क उपल धय और उ ह के साथ-साथ ब त से गुनाह के
लए उनके अपराध-बोध का ेय य दय को नह , ब क वयं ईसाइय और मुसलमान
को जाता है। जस तरह धमयु के दौरान ई सामू हक ह या के लए य द मज़हब
को दोषी ठहराना नाजायज़ है (इसके लए ईसाइयत 100 % गुनहगार है), उसी तरह कोई
कारण नह है क य द मज़हब को इस मह वपूण ईसाई धारणा के लए ेय दया जाए
क ई र के सम सारे मनु य समान ह (एक ऐसी धारणा जो उस य द क र पर परावाद
के ठ क वपरीत जाती है, जो आज भी इस मा यता पर अ डग है क य द ज मजात प
से तमाम सरे मनु य से े ह)।
मानव-जा त के क़ से म य द मज़हब क भू मका कुछ-कुछ वैसी ही है, जैसी वह
आधु नक प म के इ तहास म ायड क माँ क है। यह ठ क हो या ग़लत, ले कन
आधु नक प म के व ान, सं कृ त, कला और लोक- ा पर ायड का अप र मत
भाव रहा है। यह भी सही है क ायड क माँ के बना हम ायड न मले होते, और
ायड के व, मह वाकां ा और धारणा को गढ़ने म अपनी माँ के साथ ायड
के र त का स भवतः काफ़ हद तक योगदान था - जैसा क उ ह ने ही इस बात को
सबसे पहले वीकार कया था, ले कन जब आधु नक प म का इ तहास लखा जाता है,
तो कोई उ मीद नह करता क उसम ायड क माँ पर एक पूरा अ याय हो। इसी तरह,
य द मज़हब के बना आपको ईसाइयत हा सल न ई होती, ले कन जब नया का
इ तहास लखा जाता है, तो यह त य ख़ास मह व का हक़दार नह होता। असल मु ा यह
है क ईसाइयत ने अपनी य द माँ क वरासत के साथ कया या है?
कहना न होगा क य द कौम व मयकारी इ तहास से यु एक अनूठ कौम है
(हालाँ क, यह यादातर कौम के मामले म सही है)। इसी तरह यह भी कहना न होगा क
य द पर परा गहरी अ त य और गौरवशाली मू य से प रपूण है (हालाँ क यह कुछ
स दे हा पद धारणा , और न लपरक, नारी- े षी और समल गक- े षी वृ य से भी
भरी ई है)। यह भी सच है क य द लोग ने अपनी सं या के अनुपात म पछले 2,000
साल के इ तहास पर ब त अ धक भाव डाला है, ले कन जब आप होमो से पय स के
आ वभाव के 100,000 वष से यादा समय के बाद के हमारे इ तहास क वृहत तसवीर
पर नज़र डालते ह, तो यह बात ज़ा हर होती है क इ तहास म य द लोग का ब त कम
योगदान रहा था। मनु य ने य द मज़हब के वजूद म आने के हज़ार साल पहले समूचे
ह को बसा लया था, कृ ष को अपना लया था, थम नगर क थापना कर ली थी,
और लेखन तथा पैसे का आ व कार कर लया था।
यहाँ तक क पछली दो सह ा दय म, अगर आप इ तहास को ची नय या मूल
नवासी अमे रकन इं डय स के प र े य से दे ख, तो ईसाइय और मुसलमान क
म य थता क माफ़त उनके योगदान के अलावा य दय के कसी बड़े योगदान को ल य
कर पाना मु कल है। नतीजतन, ह ू ओ ड टे टामट अ ततः वै क मानवीय सं कृ त क
आधार शला इस लए बन गया, य क इसे ईसाइयत ने पूरे उ साह से अपनाया और
बाइबल म समा व कया। इसके वपरीत, तलमूद को ईसाइयत ारा नकार दया गया,
हालाँ क उसका मह व य द सं कृ त के लए ओ ड टे टामट से ब त यादा है।
प रणामतः वह एक ऐसी गूढ़ पोथी बना रहा, जो जापा नय और माया का तो कहना ही
या, अरब , पोलडवा सय या डच के लए भी लगभग अ ात बना रहा। (जो क एक
बड़ी ासद है, य क तलमूद ओ ड टे टामट के मुक़ाबले कह अ धक च तनपरक और
क णामय पोथी है।)
या आप कसी ऐसी महान कृ त का नाम ले सकते ह, जो ओ ड टे टामट से े रत
हो? आह! यह आसान हैः माइकल एंजेल का मू त श प डे वड, वद का ऑपेरा नबुको,
से सल बी. डे. मल क फ़ म द टे न कमांडमट् स । या आप ऐसी कसी स कृ त का
नाम बता सकते ह, जो यू टे टामट से भा वत हो? ब त आसान है : लयोनाद का च
ला ट सॅपर, बाख़ क संगीत-रचना सट मै यू पैशॅन, म ट पायथन क फ़ म लाइफ़ ऑफ़
ेन । अब असली परी ा है : या आप कुछ ऐसी महान कलाकृ तय क सूची पेश कर
सकते ह, जो तलमूद से े रत ह ?
य प य दय के वे समुदाय, ज ह ने तलमूद का अ ययन कया है, अब नया के
बड़े ह से म फैले ह, ले कन उ ह ने चीनी सा ा य को खड़ा करने, खोज क यूरोपीय
या ा , लोकता क व था को था पत करने, या औ ो गक ा त म कोई
मह वपूण भू मका नह नभाई। स का, व व ालय, संसद, बक, क पास, छापाख़ाना
और भाप का इंजन, सब के सब ग़ैर-य दय ारा आ व कृत कए गए थे।
बाइबल के पहले क नै तक
इज़रायली अ सर ‘तीन महान मज़हब’ पद का इ तेमाल करते ह, तो यह सोचकर करते ह
क ये मज़हब ह, ईसाइयत (2.3 अरब अनुयायी), इ लाम (1.8 अरब अनुयायी) और
य द मज़हब (1.5 करोड़ अनुयायी)। श तो (5 करोड़ अनुयायी) और सख धम (2.5
करोड़ अनुयायी) क बात तो छोड़ ही द, एक अरब आ थावान वाले ह धम, और 50
करोड़ अनुया यय वाले बौ धम भी इस मानक पर खरे नह उतरते। इज़राय लय के मन
म ‘तीन महान मज़हब ’ क इस वकृत अवधारणा का अ भ ाय अ सर यह होता है क
सारी बड़ी मज़हबी और नै तक पर पराएँ य द मज़हब के गभ से उ प ई ह, जो क
सावभौ मक नै तक वधान क श ा दे ने वाला पहला मज़हब था। मानो अ ाहम और
मूसा से पहले के युग म मनु य कसी तरह क नै तक तब ता के बना कृ त क
हॉ सयाई अव था म रहते थे, और मानो सारी-क -सारी समकालीन नै तकता का ोत टे न
कमांडमट् स है। यह एक बेबु नयाद और अहंकारी धारणा है, जो नया क ब त-सी
अ य त मह वपूण नै तक पर परा क उपे ा करती है।
अ ाहम के द सय -हज़ार साल पहले पाषाण युग के शकारी-सं हकता क़बील क
नै तक व ध-सं हताएँ आ करती थ । जब अठारहव सद के बाद के वष म यूरोप के
पहले उप नवेशवाद ऑ े लया प ँचे थे, तो उनका सामना ऐसे मूल- नवासी क़बील से
आ, जनके पास मूसा, ईसा और मोह मद से पूरी तरह अन भ होने के बावजूद एक सु-
वक सत नै तक व थी। यह तक दे ना मु कल होगा क थानीय नवा सय को
हसक ढं ग से बेदख़ल करने वाले ईसाई उप नवेशवा दय ने क ह े नै तक मानद ड
का प रचय दया था।
आज के ज़माने के वै ा नक इस ओर यान दलाते ह क दरअसल, नै तकता क
गहरी वकासपरक जड़ ह, जनका अ त व मानव-जा त के अ युदय से लाख वष पहले
से रहा है। सारे सामा जक तनधा रय , जैसे क भे ड़य , डॉ फ़न और ब दर क नै तक
सं हताएँ ह, जो सामू हक सहकार को ो सा हत करने के लए वकास क या म
अनुकू लत कए गए ह। उदाहरण के लए, जब भे ड़य के शावक एक- सरे के साथ
खेलते ह, तो उनके ‘वा जब खेल’ के नयम होते ह। अगर कोई शावक यादा ज़ोर-से
काट लेता है, या अपने कसी ऐसे त को काटना जारी रखता है, जो अपनी पीठ के
बल लेट गया होता है और आ मसमपण कर चुका होता है, तो सरे शावक उसके साथ
खेलना ब द कर दे ते ह।
च पां ज़य के झु ड म वच वशाली सद य से कमज़ोर सद य के स प के
अ धकार का स मान करने क अपे ा क जाती है। अगर कसी कम उ क मादा
च पांज़ी को एक केला मल जाता है, तो धान नर भी आमतौर से उससे वह केला छ नने
से बचेगा। अगर वह इस नयम को तोड़ता है, तो इस बात क पूरी स भावना होती है क
वह अपनी है सयत खो दे । वानर- जा त के ाणी न सफ़ समूह के कमज़ोर सद य का
नाजायज़ फ़ायदा उठाने से बचते ह, ब क कभी-कभी स य प से उनक मदद भी
करते ह। कडोगो नामक एक बौना च पांज़ी नर, जो म वॉक काउंट च ड़याघर म
रहता था, दय क ग भीर बीमारी का शकार था, जसने उसको अश और स मत
बना दया था। जब वह पहली बार उस च ड़याघर म आया था, तो न तो उसको दशा- ान
था, न ही वह च ड़याघर क दे खभाल करने वाले य के नदश को समझ पाता था।
वे लोग अ सर कडोगो का हाथ पकड़ते थे, और वह जहाँ भी जाना चाहता था, उसको
वहाँ ले जाते थे। अगर कडोगो भटक जाता था, तो वह ऊँची आवाज़ म पुकारकर संकट
म होने के संकेत दे ता था, और कुछ वानर उसक मदद के लए भागते थे।
कडोगो के मु य मददगार म से एक झु ड का सव च ेणी का नर लोडी भी था,
जो कडोगो को न सफ़ मागदशन दे ता था, ब क उसक र ा भी करता था। जहाँ समूह
के लगभग सारे सद य कडोगो के साथ दया से प रपूण वहार करते थे, वह मफ़ नामक
एक कशोर च पांज़ी अ सर उसको बेरहमी के साथ छे ड़ता था। जब लोडी का यान इस
ओर जाता था, तो वह ऐसी गु डागद करने वाले को र खदे ड़ दे ता था, या कडोगो के
बचाव म उसको अपनी बाँह से घेर लेता था।
इससे भी यादा मा मक करण आइवरी को ट के जंगल म घ टत आ था। जब
ऑ कर के नाम से पुकारे जाने वाले एक नौजवान च पांज़ी ने अपनी माँ को खो दया, तो
उसने अपने बूते जी वत बने रहने का संघष कया। कोई भी सरी मादा उसको अपनाने
और पालने को तैयार नह थी, य क उनके सर पर अपने ही ब च पालने का बोझ था।
ऑ कर का वज़न, वा य और ऊजा धीरे-धीरे घटने लगी, ले कन जब कोई रा ता नह
बचा, तो ऑ कर को उस झु ड के मु खया नर, े डी ारा ‘गोद ले लया’ गया। यह
मु खया इस बात का पूरा ख़याल रखता था क ऑ कर ठ क-से खाए- पए, और वह
उसको अपनी पीठ पर बैठाकर घुमाता तक था। आनुवं शक परी ण ने इस बात को
सा बत कया क े डी ऑ कर का र तेदार नह था। हम इस बारे म सफ़ अटकल ही
लगा सकते ह क वह या चीज़ थी, जसने उस कठोर बुजग नेता को इस यतीम ब चे को
पालने के लए ो सा हत कया था, ले कन समझा जाता है क वानर नेता ने दयनीय,
ज़ रतम द और पता-हीन क मदद करने क वृ उसके लाख साल पहले वक सत
कर ली थी, जब बाइबल ने ाचीन इज़रायल-वा सय को नदश दया था क उनको
‘ कसी वधवा या पता-हीन ब चे के साथ वहार’ नह करना चा हए (ए सोडस
22:21 ), और जब पैग़ बर एमॉस ने उस सामा जक कुलीन वग के ख़लाफ़ शकायत क
थी ‘जो ग़रीब का दमन करते ह और ज़ रतम द के लए कुचलते ह’ (एमॉस 4:1 )।
यहाँ तक क ाचीन म यपूव म रहने वाले होमो से पय स के बीच भी बाइबल के
पैग बर अपूव नह थे। ‘आपको ह या नह करनी चा हए’ और ‘आपको चोरी नह करनी
चा हए’ के उपदे श से सुमे रयाई नगर-रा य, फ़ैरो के म और बे बलॉन के सा ा य क
व ध-सं हताएँ और नै तक-सं हताएँ भलीभाँ त प र चत थ । व ाम के नयतका लक
दन का वधान य द सैबथ से पहले से रहा है। पैग़ बर एमॉस ारा इज़रायली कुलीन
वग को उनके दमनशील वहार के लए फटकार लगाए जाने के एक हज़ार साल पहले
बे बलो नयाई राजा ह मूरबी ने प कया था क महान दे वता ने उसको ‘दे श के भीतर
यायपूण वहार करने, बुराई और राचरण का वनाश करने, ताक़तवर को कमज़ोर का
शोषण करने से रोकने का नदश दया था’।
इस बीच म म - मूसा के ज म के स दय पहले - ल पक ने ‘वाचाल कसान क
कहानी’ लख डाली थी, जो उस ग़रीब कसान के बारे म बताती है जसक स प एक
लालची भू मप त ारा छ न ली गई थी। वह कसान अपनी फ़ रयाद लेकर फ़ैरो के
अ धका रय के पास गया, और जब वे उसक र ा करने म वफल रहे, तो उसने उनको
यह समझाना शु कर दया क य उनको इंसाफ़ मुहैया कराना चा हए और ख़ासतौर से
ग़रीब क अमीर से र ा करनी चा हए। एक ब रंगी पक-कथा म, इस म वासी
कसान ने समझाया था क ग़रीब क थोड़ी-सी स प याँ उनक साँस जैसी होती ह, और
सरकारी त का ाचार उनके नथुन को मूँदकर, उनका दम घ ट दे ता है।
बाइबल के ब त-से वधान उन नयम क नक़ल ह, जो इज़रायल म जूडा के रा य
क थापना के स दय ही नह , ब क हज़ार साल पहले मेसोपोटे मया, म और कैनान
म वीकृत थे। अगर बाइबल के य द मज़हब ने इन व धय को कोई अनूठा मोड़ दया,
तो वह यह था क उसने उनको तमाम मनु य पर लागू होने वाले नयम क जगह मु यतः
य द समुदाय पर लागू होने वाली क़बाइली सं हता म बदल दया। य द नै तकता शु
म एक पूरी तरह से क़बाइली मामले के प म गढ़ गई थी, और वह कसी हद तक आज
भी वैसी ही बनी ई है। ओ ड टे टामट, तलमूद और ब त-से (हालाँ क, सभी नह ) र बी
यह मानते थे क एक य द का जीवन कसी ग़ैर-य द के जीवन से यादा मू यवान है,
इसी लए, मसलन, य दय को कसी य द को मौत से बचाने के लए सैबथ को शत
करने क इजाज़त है, ले कन महज़ कसी ग़ैर-य द को बचाने के लए इसक स त
मनाही है (बे बलो नयाई तलमूद, योमा 84:2 )।
कुछ य द स त का तक था क यह सु स धमादे श क ‘अपने पड़ोसी से उसी
तरह नेह करो, जस तरह ख़ुद से करते हो’ तक सफ़ य दय क ओर संकेत करता है,
और ग़ैर-य दय को नेह करने का कोई धमादे श नह है। सचमुच, ले व टकस का मूल
मज़मून कहता है : ‘अपने लोग के बीच कसी तरह क बदले या श ुता क भावना मत
रखो, ब क अपने पड़ोसी को उसी तरह नेह करो जस तरह ख़ुद से करते हो’
(ले व टकस 19:18 ), जससे यह स दे ह पैदा होता है क ‘अपने पड़ोसी’ सफ़ ‘अपने
लोग ’ क ओर संकेत करता है। इस स दे ह को ब त यादा बल इस बात से मला है क
बाइबल य दय को कुछ ख़ास समुदाय , जैसे क अमा लक़ और कना नय का स पूण
वनाश कर दे ने का धमादे श दे ता है : ‘एक भी इंसान को ज़ दा मत छोड़ो’, प व थ
आदे श दे ता है, ‘उनको पूरी तरह न कर दो - हटाइट , अमोराइट , कना नय , पे रज़ाइट ,
हवीइट और जेबुसाइट को - जैसा क मा लक यानी तु हारे ई र ने तु ह धमादे श दया
है’ ( ुटेरॉ नमी 20:16-17 )। ये मानव इ तहास के पहले द तावेज़ीकृत उदाहरण ह,
जहाँ जा तसंहार को एक ब धनकारी मज़हबी कत के प म तुत कया गया था।
ये सफ़ ईसाई ही थे, ज ह ने य द नै तक सं हता के कुछ ह स को चुनकर उनको
सावभौ मक धमादे श म बदल दया और उनको सारी नया म फैला दया। सचमुच,
ईसाइयत ठ क इसी वज़ह से य द मज़हब से अलग ई थी। जहाँ ब त-से य द आज
दन तक ऐसा मानते ह क तथाक थत ‘चु न दा लोग’ सरे रा क तुलना म ई र के
यादा क़रीब ह, वह ईसाइयत के सं थापक सट पॉल द अपासल ने अपने स
इ पसल टु द गैले शय स म त ा क थी क ‘न तो कोई य द है न ग़ैर-य द , न कोई
ग़लाम है न कोई आज़ाद है, और न ही कोई नर या मादा है, य क ईसा मसीह म तुम सब
एक हो’ (गैले शय स 3:28 )।
और हम एक बार फर इस बात पर बल दे ना चा हए क ईसाइयत के अप र मत
भाव के बावजूद, यह पहली बार नह था, जब कसी मनु य ने सावभौ मक नै तकता क
श ा द थी। बाइबल र- र तक मानवीय नै तकता का कु ड नह है (और उसम न हत
ब त-से न लपरक, नारी- े षी और समल गकता-भी वृ य को दे खते ए, यह
सौभा य क बात ही है)। क यू शयस, लाओज़ी, बु और महावीर ने कैनान या
इज़रायल के पैग़ बर के बारे म कसी तरह क जानकारी के बग़ैर पॉल और ईसा के ब त
पहले सावभौ मक नै तक सं हता को था पत कर दया था। क यू शयस ने यह सीख
क हम सर से उसी तरह नेह करना चा हए जस तरह हम वयं को करते ह, उसके
500 साल पहले द थी, जब र बी हलेल द ए डर ने इसे टोरा का मूल त व बताया था।
और जस व त य द मज़हब पशु क ब ल और मनु य क स पूण आबाद के संहार
का अ धकार दे रहा था, तब बु और महावीर अपने अनुया यय को न सफ़ सारे मनु य
को, ब क क ड़ समेत कसी भी चेतन स ा को नुक़सान प ँचाने से बचने का नदश दे
रहे थे। इस लए य द मज़हब और उसक स तान , ईसाइय और मुसलमान को मानवीय
नै तकता क सृ का ेय दे ने का कोई अथ नह है।
धमा धता का ज म
तब फर एके रवाद के बारे म या कहा जाए? या कम-से-कम एकमा ई र म आ था
क अगुवाई करने के लए य द मज़हब वशेष सराहना का पा नह है, एक ऐसा ई र,
जसक नया म अ य कह भी कोई मसाल नह थी (भले ही पृ वी के चार कोन म
इस आ था का चार य दय से यादा ईसाइय और मुसलमान ने कया)? हालाँ क, हम
इसक भी नु ताचीनी कर सकते ह, य क एके रवाद का पहला प माण ईसापूव
1350 के आसपास फ़ैरो अ नातेन क मज़हबी ा त म मलता है, और मसलन मेशा
टे लए नामक शलालेख ( जसे मोआबी स ाट मेशा ने था पत कया था) जैसे द तावेज़
संकेत करते ह क बाइबल-युगीन इज़रायल का मज़हब मोआब जैसे उसके पड़ोसी रा य
के मज़हब से भ नह था। मेशा अपने महान दे वता क मोश का वणन लगभग उस तरह
करता है, जस तरह ओ ड टे टामट यावे का वणन करता है, ले कन य द मज़हब ारा
नया के लए एके रवाद का योगदान कए जाने क धारणा के साथ असल सम या यह
है क यह कोई ऐसी धारणा नह है, जस पर गव कया जाए। नै तक के स दभ म,
एके रवाद न स दे ह मानवीय इ तहास क सबसे नकृ अवधारणा म से एक है।
मनु य के नै तक तर म सुधार लाने के लए एके रवाद ने कोई ख़ास योगदान नह
कया। या आपको वाक़ई लगता है क मुसलमान वाभा वक प से ह से यादा
नै तक ह, महज़ इस लए क मुसलमान एक ई र म व ास करते ह, जब क ह ब त-
से दे वता म व ास करते ह? या ईसाई वजेता अमे रका के मूल नवासी पेगन
क़बील से यादा नै तक थे? जो काम एके रवाद ने न स दे ह कया, वह यह था क
उसने ब त-से लोग को पहले से यादा अस ह णु बनाया, और इस तरह मज़हबी
उ पीड़न और धमयु के व तार म योगदान कया। ब दे ववाद इस बात को पूरी तरह
से वीकाय मानते ह क व भ लोग व भ दे वता क उपासना कर और व भ
अनु ान और कमका ड का पालन कर। उ ह ने महज़ अपनी धा मक आ था क
वज़ह से शायद ही कभी लड़ाइयाँ क ह , अ याचार कए ह , या लोग क ह याएँ क ह ।
इसके वपरीत एके रवाद यह मानते थे क उनका ई र ही एकमा दे वता है, और वह
सावभौ मक आ ाका रता क माँग करता है। प रणामतः, जैसे-जैसे ईसाइयत और इ लाम
सारी नया म फैलते गए, वैसे-वैसे धमयु , जहाद, धमपरी ण और धा मक प पात भी
फैलते गए।
उदाहरण के लए, ईसा पूव तीसरी सद के भारत के स ाट अशोक के रवैये क तुलना
रोमन सा ा य के ईसाई स ाट से कर। स ाट अशोक अन गनत धम , प थ और गु
से भरे सा ा य पर शासन कर रहा था। उसने वयं को ‘दे वानाम यः’ और ‘सब लोग
को य समझने वाला’ क उपा धयाँ दे रखी थ । ईसापूव 250 के आस-पास कभी उसने
स ह णुता का एक शाही फ़रमान जारी कया था, जसम घोषणा क गई थी :
पाँच सौ साल बाद पूव रोमन सा ा य उतना ही व वधता से भरा था, जतना अशोक
का भारत था, ले कन जब ईसाइयत ने उसे सँभाला, तो उसके स ाट ने धम के त
ब कुल भ कोण अपनाया। कॉ टे ट न द ेट और उसके बेटे कॉ टे टयस II के
साथ ही सारे स ाट ने सारे ग़ैर-ईसाई पूजा- थल को ब द करवा दया और तथाक थत
‘पेगन’ अनु ान को व जत करते ए उनके लए मौत क सज़ा का कारण घो षत कर
दया। स ाट थयोडो सयस - जसके नाम का मतलब है ‘ई र- द ’ - के काल म यह
उ पीड़न अपनी पराका ा पर प ँच गया था, जसके ारा 391 म जारी कए गए
थयोडो सयाई फ़रमान ने ईसाइयत और य द मज़हब के अलावा सारे मज़हब को
ग़ैरक़ानूनी घो षत कर दया था (य द मज़हब पर भी कई तरह से अ याचार कए जाते थे,
ले कन उसका पालन क़ानूनी बना रहा)। इन नए क़ानून के मुता बक़ कसी को
अपने घर के भीतर भी यु पटर या म ास क उपासना करने पर मृ युद ड दया जा
सकता था। सा ा य को सारी वधम वरासत से मु करते ए उसका शु करण करने
क इस मु हम के ह से के तौर पर ईसाई स ाट ने ओल पक खेल का भी दमन कया।
एक हज़ार साल से भी यादा समय तक ज के साथ आयो जत कए जाने के बाद
अ तम ाचीन ओल पयाड चौथी सद के आ ख़र म या आर भक पाँचव सद के आस-
पास कभी आयो जत कया गया था।
बेशक, सारे-के-सारे एके रवाद शासक थयोडो सयस जतने अस ह णु नह थे,
जब क ब त-से शासक ने अशोक जैसी उदार नी तय को अपनाए बना ही एके रवाद
को नकार दया था। तब भी, इस बात पर ज़ोर दे ते ए क ‘हमारे ई र के अलावा और
कोई ई र नह है’ एके रवाद वचार धमा धता को ो सा हत करने क ओर वृ आ।
य दय ने इस ख़तरनाक वृ को फैलाने म अपनी भू मका को कम बनाए रखा। उ ह ने
ईसाइय और मुसलमान को इसके लए ज़ मेदार बनने दया।
य द भौ तक , ईसाई जै वक
सफ़ उ ीसव और बीसव स दय म ही हम य दय को, आधु नक व ान म उनक
व तृत भू मका के मा यम से, स पूण मानव-जा त के लए असाधारण योगदान करते
दे खते ह। आइं टाइन और ायड जैसे सु व यात नाम के अ त र नोबेल पुर कार
जीतने वाले सारे वै ा नक म से 20 % वै ा नक य द रहे ह, हालाँ क व क कुल
आबाद का 0.2 % ह सा ही य द है। ले कन इस बात पर ज़ोर दया जाना ज़ री है क
यह एक मज़हब या सं कृ त के प म य द मज़हब का नह , ब क य द य का
योगदान रहा है। पछले 200 वष म सबसे यादा मह वपूण य द वै ा नक य द
मज़हबी े के बाहर स य रहे ह। सच तो यह है क य दय ने व ान के े म
मह वपूण योगदान क शु आत तभी क , जब उ ह ने योगशाला के प म ये शवा
(वे श ा-सं थान, जहाँ मु यतः य द धम थ तलमूद का अ ययन कया जाता है) को
याग दया।
1800 से पहले तक व ान पर य द भाव सी मत था। यह वाभा वक ही है क
चीन म, ह तान म या माया स यता म य दय ने व ान क ग त म कोई ख़ास
उ लेखनीय भू मका नह नभाई। यूरोप और म य पूव म मैमोनाइड् स जैसे कुछ य द
च तक का उनके ग़ैर-य द सहक मय पर ख़ासा भाव रहा, ले कन सम तः य द
भाव कमोबेश उनक जनसं या के अनुपात म ही रहा। सोलहव , स हव और
अठारहव स दय के दौरान य द मज़हब ने वै ा नक ा त के व फोट म कोई ख़ास
भू मका नह नभाई। अगर पनोज़ा को छोड़ द ( जनको उनके ारा पैदा क गई
मु कल क वज़ह से य द समुदाय ारा समाज-ब ह कृत कर दया गया था), तो आप
शायद ही ऐसे कसी एक य द का नाम ले सक, जो आधु नक भौ तक , रसायन-शा ,
जीव व ान या समाज व ान के उदय के स दभ म मह वपूण रहा हो। हम नह जानते क
गैले लयो और यूटन के ज़माने म आइं टाइन के पूवज या कर रहे थे, ले कन पूरी
स भावना है क वे काश का अ ययन करने क बजाय तलमूद का अ ययन करने म
यादा दलच पी लेते रहे ह गे।
महान प रवतन उ ीसव और बीसव स दय म जाकर ही घ टत आ, जब
से युलराइज़ेशन और य द ानोदय क वज़ह से ब त-से य दय ने अपने ग़ैर-य द
पड़ो सय क व और जीवन-शैली अपनाई। इसके बाद ही य दय ने
व व ालय और जमनी, ांस और संयु रा य अमे रका जैसे दे श के अनुस धान-
के म दा ख़ला लेना शु कया। य द अ येता घेटो (य द ब तय ) और टे टल
(य द नगर ) से मह वपूण सां कृ तक वरासत लेकर आए थे। य द वै ा नक क
असाधारण सफलता क मु य वज़ह यह थी क य द सं कृ त म श ा का के य मू य
था। इसके सरे कारक म उ पी ड़त अ पसं यक क अपनी क़ा ब लयत सा बत करने
क आकां ा, और वे अवरोध शा मल थे, ज ह ने तभाशाली य दय को सेना और
रा य- शासन जैसी उन सं था म ग त करने से रोका था, जो यादा य द - वरोधी
रही थ ।
ले कन जहाँ य द वै ा नक ये शवा से अपने साथ ज़बरद त अनुशासन और ान
के मू य म गहरी आ था लेकर आए, वह वे ठोस वचार और अ त य का कोई ऐसा
सामान नह लाए, जो मददगार होता। आइं टाइन य द थे, ले कन सापे ता का स ा त
‘य द भौ तक ’ नह था। टोरा क प व ता म आ था का इस अ त से या स ब ध है
क ऊजा, (मास) के साथ काश क घनाकार ग त के गुणनफल के बराबर होती है?
तुलना क ख़ा तर बात कर तो डा वन एक ईसाई थे और और उ ह ने एं लकन पादरी
बनने के उ े य से कै ज म पढ़ाई तक शु कर द थी, ले कन या इससे यह मतलब
नकलता है क वकासवाद का स ा त एक ईसाई स ा त है? सापे ता के स ा त को
मानव-जा त के लए य द योगदान क तरह दज़ करना उसी तरह हा या पद है, जस
तरह वकासवाद के स ा त का ेय ईसाइयत को दे ना हा या पद है।
इसी तरह, ट् ज़ हैबर (रसायनशा म नोबेल पुर कार, 1918 ) ारा अमो नया
सं ेषण क या के आ व कार म कोई वशेष य द पन दे खना मु कल है, सेलमैन
वॉ समेन ( फ़ ज़योलॉजी या मेडीसन म नोबेल पुर कार, 1952 ) ारा े टोमाइ सन
एंट बॉयो ट स क खोज म कोई वशेष य द पन दे खना मु कल है, या डैन शे मैन
(रसायनशा म नोबेल पुर कार, 2011 ) ारा वासी ट स क खोज म कोई वशेष
य द पन दे खना मु कल है। मान वक और समाज व ान के े के अ येता , जैसे क
ायड के करण म उनक य द वरासत का उनक अ त य पर स भवतः अ धक
गहरा भाव था, ले कन इन करण म भी व छ ता जी वत क ड़य के मुक़ाबले यादा
प है। इंसानी मानस के बारे म ायड के कोण र बी जोसेफ़ कारो या र बी योचनन
बेन ज़काई के कोण से ब त भ थे, और इन लोग ने शुलहन अ ख़ (य द व ध-
सं हता) का बारीक़ -से अनुशीलन करते ए इ डपस कॉ ले स क खोज नह क थी।
सं ेप म, य प ानाजन पर दए गए य दय के बल ने स भवतः य द वै ा नक
क असाधारण सफलता म मह वपूण योगदान कया, ले कन ये ग़ैर-य द च तक ही थे,
ज ह ने आइं टाइन, हैबर, और ायड क उपल धय के लए न व तैयार क । वै ा नक
ा त कोई य द प रयोजना नह थी, और य दय ने इसम अपनी जगह तब बनाई, जब
वे ये शवा से नकलकर व व ालय म गए। सच तो यह है क ाचीन पो थय को
पढ़कर सारे सवाल का जवाब खोजने क य द आदत आधु नक व ान क नया म
य दय के घुलने- मलने म एक अहम कावट रही है, जहाँ जवाब पयवे ण और योग
से हा सल होते ह। अगर वयं य द मज़हब म कोई ऐसी चीज़ होती, जो अ नवायतः
वै ा नक आ व कार क ओर ले जाने वाली होती, तो या कारण है क 1905 और
1933 के बीच दस धम नरपे जमन य दय ने रसायनशा , च क सा- व ान और
भौ तक म नोबेल पुर कार जीते, ले कन इसी अव ध के दौरान एक भी उ -पर परावाद
य द या एक भी बु गा रयाई या यमनवासी य द ने नोबेल पुर कार नह जीता? कह
कह म एक ‘आ म- ध कारी य द ’ या एक य द - वरोधी न मान लया जाऊँ, इस लए म
इस बात पर वशेष ज़ोर दे ना चा ँगा क म यह नह कह रहा ँ क य द मज़हब वशेष
प से बुरा या अ ानपूण मज़हब रहा है। म सफ़ इतना कह रहा ँ क यह मानव-जा त
के इ तहास के लए वशेष प से मह वपूण नह रहा है। य द मज़हब कई स दय तक
एक ऐसे ब त छोटे -से और उ पी ड़त अ पसं यक का मज़हब रहा था, ज ह ने सु र
थत मु क को जीतने और धम ो हय को टे क पर जलाने क बजाय अ ययन-मनन का
वक प चुना था।
य द - वरोधी आमतौर से सोचते ह क य द ब त मह वपूण ह। य द - वरो धय
का ख़याल है क य द नया, या बक- णाली, या कम-से-कम मी डया को नय त
करते ह, और यह क वे ही भूम डल के बढ़ते ताप से लेकर 9/11 हमले तक हर चीज़ के
लए दोषी ह। इस क़ म का य द - वरोधी उ माद उतना ही हा या पद है, जतना
य दय का उ मादपूण आ मअहंकार है। य द ब त दलच प लोग हो सकते ह, ले कन
जब आप बड़े प र य म दे खते ह, तो आपको यह समझना अ नवाय हो जाता है क
नया पर उनका ब त सी मत भाव रहा है।
समूचे इ तहास के दौरान मनु य ने सैकड़ व भ मज़हब और मज़हबी प थ क
रचना है। उनम से थोड़े-से मज़हब - ईसाइयत, इ लाम, ह धम, क यू शय न म और
बु धम ने अरब लोग पर भाव डाला (जो हमेशा े भाव नह रहा)। गत प
से मुझे ू र व वजेता का नह , ब क उन साधारण लोग का वंशज होने का ख़याल
पस द है, जो सरे लोग के मामल म शायद ही कभी दख़ल दे ते ह। ब त-से मज़हब ह,
जो वनयशीलता के मू य क सराहना करते ह, ले कन इसके बाद वे ख़ुद को सृ क
सबसे मह वपूण स चाई के प म भी दे खते ह। वे नजी वन ता के साथ ज़बरद त
सामू हक अहंकार का घालमेल करते ह। भलाई इसी म है क सारे मज़हबी प थ के लोग
वनयशीलता को अ धक ग भीरता के साथ ल।
वनयशीलता के जतने भी प ह, उनम स भवतः सबसे मह वपूण है ई र के सम
वनयशीलता। मनु य जब भी कभी ई र क बात करते ह, वे अ सर ही दयनीय
आ म वलोपन क वकालत करते ह, ले कन वही लोग फर ई र के नाम का इ तेमाल
अपने ही ब धु से अपने को े सा बत करने के लए करते ह।
13
ई र
थ ही ई र का नाम न ल
ई र वहीन नै तक
न य ही ा डीय रह य सामा जक व था के रख-रखाव म हमारी क़तई कोई मदद
नह करता। लोग अ सर यह तक दे ते ह क हम उस ई र म व ास रखना चा हए,
जसने मनु य के लए कुछ अ य त ठोस वधान उपल ध कराए ह, नह तो नै तकता
समा त हो जाएगी और समाज व त होकर आ दम अराजकता क दशा म प ँच जाएगा।
यह न य ही सही है क दे वता म आ था व भ सामा जक व था के लए
ाणवायु क तरह रही है, और कभी-कभी इसके सकारा मक प रणाम नकले ह। वाक़ई,
जो मज़हब कुछ लोग के मन म नफ़रत और क रता के भाव जगाते ह, ठ क वे ही मज़हब
कुछ सरे लोग के मन म ेम और क णा के भाव जगाते ह। उदाहरण के लए, 1960 के
दशक के शु आती वष म मेथॉ ड ट चच के े य पादरी टे ड मे कलवेना अपने समुदाय
के समल गक ी-पु ष , उभयल गक और क र क दशा को लेकर जाग क हो उठे
थे। उ ह ने समाज म समल गक य और पु ष क थ त क छानबीन शु क , और
मई 1964 म कै लफ़ो नया थत ाइट मैमो रयल र ट सटर म पाद रय तथा
समल गकता के प धर कायकता के बीच तीन दवसीय अ गामी संवाद आयो जत
कया। इसके प रणाम व प संवाद के सहभा गय ने ‘काउं सल ऑफ़ रलीजन एंड द
होमोसे शुअल’ (सीआरएच) क थापना क , जसम इन कायकता के अलावा
मेथॉ ड ट, ए प कोपल, लुथे रयन और यूनाइटे ड चच ऑफ़ ाइ ट म न टस भी शा मल
थे। यह पहला अमे रक संगठन था, जसने अ धकृत तौर पर ‘होमोसे शुअल’ श द के
इ तेमाल का साहस कया था।
बाद के वष म सीआरएच कायकता ने वेशभूषा पा टय से लेकर अ यायपूण
प पात और उ पीड़न के ख़लाफ़ क़ानूनी कारवाइयाँ करने तक व भ ग त व धयाँ क ।
सीआरएच कै लफ़ो नया म समल गक अ धकार के आ दोलन का बीज बन गया। ेय
पादरी टे ड मे कलवेना और उनके साथ जुड़े अ य पादरी भी समल गकता के ख़लाफ़
बाइबलपरक नषेध के बारे म भलीभाँ त जाग क थे, ले कन उनका सोचना था क
बाइबल क स त हदायत से यादा ईसा क क णामय भावना के त न ा यादा
मह वपूण है।
दे वता हालाँ क हम क णामय ढं ग से आचरण करने के लए े रत कर सकते ह,
ले कन मज़हबी आ था नै तक आचरण क अ नवाय शत नह है। हम नै तक आचरण क
ेरणा दे ने के लए एक अ त ाकृ तक स ा क ज़ रत है। यह धारणा म इस मा यता म
न हत है क नै तकता म अ ाकृ तक होने जैसा कुछ है, ले कन य ? एक तरह क
नै तकता कु़दरती होती है। च पांज़ी से लेकर चूह तक सारे सामा जक तनधा रय क
नै तक सं हताएँ होती ह, जो चोरी और ह या जैसी चीज़ को सी मत करती ह। मनु य म
नै तकता सारे समाज म मौजूद है, भले ही वे सब समान ई र म, या कसी भी ई र म
व ास नह रखते। ईसाई ह दे वम डली म आ था रखे बना परोपकार क भावना के
साथ कम करते ह, मुसलमान ईसा क द ता से इंकार करने के बावजूद ईमानदारी को
मह व दे ते ह, और डेनमाक तथा चेक गणरा य जैसे धम नरपे दे श ईरान और
पा क तान जैसे धमपरायण मु क से यादा हसक नह ह।
नै तकता का अथ ‘दै वीय वधान का अनुसरण करना’ नह है। इसका अथ है ‘ ःख
म कमी लाना’। इस लए नै तक आचरण करने के लए आपको कसी मथक या क़ से म
व ास करना आव यक नह है। आपको सफ़ ःख के त गहरी समझ वक सत करना
भर ज़ री है। अगर आप सचमुच इस बात को समझ लेते ह क कोई कृ य कस तरह
वयं आपके या सर के लए अनाव यक ःख का कारण बनता है, तो आप न य ही
उस कृ य से परहेज़ करगे। तब भी लोग ह या, बला कार और चोरी करते ह, य क उनम
उस वप क ब त सतही समझ होती है, जो इन कृ य क वज़ह से पैदा होती है। वे
अपनी ता का लक वासना और लोभ को स तु करने के बारे म ही नर तर सोचते ह, इस
बात क परवाह कए बना क सर पर इसका या असर होगा या ख़ुद उन पर उसका
द घका लक असर या होगा। यहाँ तक धमपरी क भी, जो अपने शकार को यथास भव
पीड़ा प ँचाते ह, वे तक आमतौर से ख़ुद को अपने कृ य से र रखने के लए तरह-तरह
क असंवेदनशील और अमानवीय बनाने वाली तकनीक अपनाते ह।
आप आप उठा सकते ह क हर इंसान वाभा वक ही ःख के अहसास से बचने
क को शश करता है, ले कन जब तक कोई ई र ही इसक माँग नह करता, तब तक कोई
भी मनु य सर क पीड़ा क परवाह य करेगा? इसका एक ज़ा हर-सा जवाब है क
मनु य सामा जक ाणी होते ह, इस लए उनका सुख काफ़ हद तक सर के साथ उनके
स ब ध पर नभर करता है। ेम, मै ी और समुदाय के बना कोई सुखी रह सकेगा? अगर
आप एक अकेला आ मके त जीवन जीते ह, तो यह बात लगभग तय है क आप ःखी
ह गे। इस लए सुखी होने के लए आपको हर हाल म अपने प रवार क , अपने दो त क ,
और अपने समुदाय के सद य क च ता करना ज़ री है।
तब उन लोग के बारे म या कहा जाए, जो पूरी तरह से अजनबी होते ह? य न
अजन बय क ह या क जाए और ख़ुद क और अपनी जा त क समृ क ख़ा तर
उनक स प को लूट लया जाए? ब त-से च तक ने व तृत सामा जक स ा त गढ़ते
ए यह समझाया है क य इस तरह का आचरण द घका लक तर पर तकूल भाव
पैदा करने वाला होता है। आप एक ऐसे समाज म नह रहना चाहगे, जहाँ अजन बय को
आए दन लूटा जाता हो और उनक ह याएँ क जाती ह । ऐसे समाज म आप न सफ़
नर तर ख़तरे म रहगे, ब क आप वा ण य जैसी उन चीज़ के लाभ से भी वं चत रहगे,
जो अजन बय के बीच आपसी भरोसे पर ही नभर करती ह। सौदागर आमतौर से गु त
अ और चोर के पास नह जाते। ाचीन युग के चीन से लेकर आधु नक यूरोप तक के
धम नरपे स ा तकार ने इसी तरह इस व णम नयम को उ चत ठहराया है क “ सर
के साथ ऐसा कुछ भी मत करो, जैसा आप उनके ारा आपके साथ कया जाना पस द
नह करगे।”
ले कन सावभौ मक क णा के कु़दरती आधार को हा सल करने के लए हम वा तव
म इस तरह के पेचीदा द घका लक स ा त क आव यकता नह है। वा ण य को थोड़ी
दे र के लए भूल जाइए। एक कह यादा ता का लक तर पर, सर को चोट प ँचाने से
मुझे भी चोट प ँचती है। नया के हर हसक कृ य क शु आत कसी के दमाग़ म हसा
क आकां ा के साथ होती है, जो कसी अ य क शा त और सुख को भंग करने से पहले
वयं उस क शा त और सुख को भंग करती है। इस लए जब तक लोग के मन म
भरपूर लालच और ई या पैदा नह हो जाते, तब तक वे शायद ही चोरी करते ह। लोग
आमतौर से तब तक ह या नह करते, जब तक क उनके भीतर ोध और घृणा के भाव
पैदा नह होते। लालच, ई या, ोध और घृणा जैसी भावनाएँ ब त अ य होती ह। जस
समय आप ोध या ई या से उबल रहे होते ह, उस समय आप आन द और स ब ध क
मधुरता अनुभव नह कर सकते। इस लए कसी क ह या करने से पहले ही आपका ोध
आपक मान सक शा त क ह या कर चुका होता है।
दरअसल, आप अपनी घृणा के पा क वा तव म कभी भी ह या कए बना वष
ोध से उबलते रह सकते ह। उस सूरत म आपने कसी और को नुक़सान नह प ँचाया
होता है, ले कन तब भी आपने ख़ुद को तो नुक़सान प ँचाया ही होता है। इस लए यह
आपका नैस गक आ म हत है, न क कसी ई र का आदे श, जसे आपको अपने ोध
को क़ाबू म लाने के लए े रत करना चा हए। अगर आप ोध से पूरी तरह मु ह गे, तो
आप उससे कह यादा बेहतर महसूस करगे जतना आप कसी घृ णत श ु क ह या
करने पर महसूस करगे।
कुछ लोग के लए अपने ोध पर क़ाबू पाने म कसी ऐसे क णामय ई र म गहरी
आ था मददगार हो सकती है, जो हम आदे श दे ता है क अगर कोई आपके एक गाल पर
तमाचा मारे, तो आप अपना सरा गाल उसके आगे कर द। नया क शा त और
समरसता के लए मज़हबी आ था का यह एक महान योगदान रहा है। भा य से, कुछ
अ य लोग के लए मज़हबी आ था दरअसल उनके ोध को उकसाने और उसको उ चत
ठहराने क भू मका नभाती है, ख़ासतौर से तब, जब कोई उनके ई र का अपमान करता
है या उसक आकां ा क अवहेलना करता है। इस तरह व ध- नमाता ई र का मू य
अ ततः उसके भ के आचरण पर नभर करता है। अगर वे सदाचरण करते ह, तो वे
कसी भी उस चीज़ म आ था रख सकते ह, जो उनको ठ क लगती है। इसी तरह, मज़हबी
अनु ान और प व थल का मू य इन अनु ान और थल ारा उ े रत आचरण पर
नभर करता है। अगर कसी दे वालय म जाने से लोग शा त और सौहाद का अनुभव करते
ह, तो यह ब त ही अ छा है, ले कन अगर कोई दे वालय हसा और टकराव को ज म दे ता
है, तो फर हम उसक या ज़ रत है? वह प तौर पर एक याशील दे वालय है।
जस तरह फल उपजाने क बजाय काँटे उपजाने वाले कसी ण वृ क ख़ा तर लड़ना
नरथक है, उसी तरह कसी ऐसे शत दे वालय क ख़ा तर लड़ना नरथक है, जो
समरसता क बजाय श ुता पैदा करता है।
कसी भी दे वालय म न जाना और कसी भी दे वता म आ था न रखना भी एक मानने-
यो य वक प है। जैसा क पछली कुछ स दय ने सा बत कया है, एक नै तक जीवन
जीने के लए हम कसी ई र के नाम का सहारा लेने क ज़ रत नह है। धम नरपे ता
हम वे सारे मू य उपल ध करा सकती है, जनक हम ज़ रत है।
14
धम नरपे ता
अपनी परछा को वीकार क जए
धम नरपे आदश
तब यह धम नरपे आदश या है? सबसे मह वपूण धम नरपे तब ता स य के त
होती है, जो नरी आ था क बजाय पयवे ण और सा य पर आधा रत होता है।
धम नरपे लोग स य को आ था से मत न करने क को शश करते ह। अगर आप
कसी क़ से म ब त तगड़ी आ था रखते ह, तो यह चीज़ हम आपके मनो व ान के बारे
म, आपके बचपन के बारे म, और आपके म त क क संरचना के बारे म ब त-सी
दलच प बात बता सकती है, ले कन इससे यह सा बत नह हो जाता क वह क़ सा स य
है। (अ सर तगड़ी आ था क ज़ रत पड़ती ही तब है, जब क़ सा सही नह होता।)
इसके अ त र , धम नरपे लोग कसी समुदाय, कसी या कसी थ को इस
तरह प व ीकृत नह करते, मानो स य का एकमा संर क वही है। इसक बजाय, स य
जहाँ कह भी अपने को कट करता है - ाचीन जीवा मीकृत अ थय म, सु र
आकाशगंगा क छ वय म, सां यक य आँकड़ क ता लका म, या व भ मानवीय
पर परा के लेखन म, जहाँ कह भी - धम नरपे लोग उसको वहाँ प व ीकृत करते ह।
स य के त यह तब ता उस आधु नक व ान क बु नयाद तैयार करती है, जसने
मानव-जा त को अणु का वख डन करने म, जीन-समूह के अथ क गु थी सुलझाने म,
जीवन के वकास क या का अनुशीलन करने म, और वयं मानव-जा त के इ तहास
को समझने म स म बनाया है।
धम नरपे लोग क सरी मु य तब ता क णा के त होती है। धम नरपे
नै तक इस या उस ई र के आदे श का पालन करने पर नभर नह करती, ब क इसक
बजाय वह ःख के गहरे बोध पर नभर करती है। उदाहरण के लए, धम नरपे लोग
ह या से परहेज़ करते ह, तो इस लए नह क कसी ाचीन थ म इसका नषेध कया
गया है, ब क इस लए क ह या चेतन ा णय को अप र मत पीड़ा प ँचाती है। जो लोग
ह या से इस लए परहेज़ करते ह य क ‘यह ई र का कहना है’ उन लोग म कोई अ य त
वच लत करने वाली और ख़तरनाक वृ होती है। ऐसे लोग क णा क बजाय
आ ापरायणता से े रत होते ह, और तब वे या करगे, जब उनके मन म यह व ास बैठ
जाएगा क उनका ई र उनको वध मय , डायन , पर ीगमन करने वाल या वदे शय
को मारने का म दे ता है?
बेशक, क ह परम दै वीय वधान के अभाव म, धम नरपे नै तक को अ सर
मु कल वधा का सामना करना पड़ता है। उस व त या होता है, जब एक ही कृ य
कसी एक को त प ँचाता है, जब क सरे के लए सहायक होता है? या
ग़रीब क मदद क ख़ा तर अमीर पर भारी कर थोपना नै तक है? कसी ू र तानाशाह
को हटाने के लए र पात से भरा यु छे ड़ना नै तक है? अपने दे श म असी मत तादाद म
शरणा थय को आने क इजाज़त द जानी चा हए? जब धम नरपे लोग इस तरह क
वधा का सामना करते ह, तो वे यह सवाल नह उठाते क ‘ई र का या आदे श है?’
इसक बजाय, वे सावधानी के साथ तमाम स ब धत लोग क भावना को तौलते ह,
वचार और स भावना के ापक दायरे का परी ण करते ह, और एक ऐसा म यमाग
तलाशते ह, जो कम-से-कम नुक़सान प ँचाने वाला हो।
उदाहरण के लए, यौनकम के त अपनाए जाने वाले ख पर ही वचार कर।
धम नरपे लोग इस बात का फ़ैसला कैसे करते ह क बला कार, समल गकता, पशुगमन,
या सगे स ब धी के साथ यौन-कम का अनुमोदन कया जाए या उसका वरोध कया
जाए? भावना का परी ण करते ए। बला कार ज़ा हरा तौर पर अनै तक है, इस लए
नह क यह कसी दै वीय वधान को भंग करता है, ब क इस लए क यह लोग को
आघात प ँचाता है। इसके वपरीत, दो मद के बीच ेम-स ब ध कसी को नुक़सान नह
प ँचाता, इस लए इस पर तब ध लगाने क कोई वज़ह नह है।
पशुगमन के बारे म या कहा जाए? मने समल गक के ववाह से स ब धत कई
नजी और सावज नक बहस म भाग लया है, और पाया है क अ सर ही कोई अ लम द
आदमी पूछता है क “अगर दो मद के बीच ववाह ठ क है, तो फर कसी मद और कसी
बकरी के बीच ववाह क छू ट भी य न द जाए?” धम नरपे से इसका जवाब
ज़ा हर है। व थ र ते भावना मक, बौ क और यहाँ तक क आ या मक गहराई क
माँग करते ह। इस तरह क गहराई का अभाव आपको कु ठत, अकेला और मनोवै ा नक
प से अ वक सत बना दे गा। जहाँ दो मद न य ही एक- सरे क भावना मक, बौ क
और आ या मक ज़ रत को पूरा कर सकते ह, वह कसी बकरी के साथ र ता ऐसा
नह कर सकता। इस लए अगर आप ववाह को एक ऐसी व था के प म दे खते ह,
जसका ल य मनु य के कुशल ेम म वृ करना है - जैसा क धम नरपे लोग मानते ह
- तो आप इस तरह के अजीबोग़रीब सवाल उठाने का सपना भी नह दे खगे। इस तरह क
बात सफ़ वे ही लोग कर सकते ह, जो ववाह को कसी चम कारपूण अनु ान के प म
दे खते ह।
तब फर एक पता और उसक बेट के बीच यौन-स ब ध के बारे म या कहगे? वे
दोन तो इंसान ह, तब इसम बुराई या है? अनेक मनोवै ा नक अ ययन ने इस बात को
दशाया है क इस तरह के र ते ब चे को अप र मत और आम तौर से अपूरणीय त
प ँचाते ह। इसके अ त र , वे अ भभावक म वनाशकारी वृ य को दशाते ह और
गहराते ह। वकास- या ने से पय स के मानस को कुछ इस तरह गढ़ा है क रोमानी
स ब ध अ भभावक य स ब ध के साथ मेल खाते ही नह ह। इस लए सगे स ब धय के
साथ यौन-संसग का वरोध करने के लए आपको ई र या बाइबल क ज़ रत नह है।
आपको सफ़ इस सल सले म कए गए मनोवै ा नक अ ययन को पढ़ने भर क ज़ रत
है।
यही इस बात क गहरी वज़ह है क धम नरपे लोग वै ा नक स य से ब त यादा
लगाव रखते ह। अपनी ज ासा को शा त करने के लए नह , ब क यह समझने के लए
क नया के ःख को कम करने का सबसे अ छा तरीक़ा या है। व ान के मागदशन के
बना हमारी क णा अ सर अ धी होती है।
स य और क णा के त ये दोहरी तब ताएँ समानता के त तब ता को भी
ज म दे ती ह। य प आ थक और राजनी तक समानता से जुड़े सवाल को लेकर मतभेद
ह, फर भी धम नरपे लोग उ च- न न के पूव नधा रत म को लेकर बु नयाद तौर पर
शंकालु होते ह। ःख, ःख ही होता है, इससे कोई फ़क़ नह पड़ता क उसको कौन
भोगता है, और ान, ान ही होता है, इससे कोई फ़क़ नह पड़ता क उसक खोज
कसने क है। कसी ख़ास रा , वग या लग के अनुभव या उसके ारा क गई खोज को
वरीयता हम असंवेदनशील और अ ानी बना सकती है। धम नरपे लोग न य ही अपने
रा , दे श और सं कृ त क व श ता पर गव करते ह, ले कन वे ‘ व श ता’ को ‘ े ता’ से
मत नह करते। इस लए य प धम नरपे लोग अपने रा और अपने मु क के त
अपने वशेष कत को वीकार करते ह, ले कन वे इन कत को एकमा नह मानते,
और वे उ ह के साथ-साथ समूची मानवता के त भी अपने कत को वीकार करते
ह।
सोचने, पड़ताल करने और योग करने क वत ता के बना हम स य क और
ःख से छु टकारा पाने के तरीक़े क खोज नह कर सकते। इस लए धम नरपे लोग
वत ता के बल आ ही होते ह, और कसी थ, सं था या नेता को स य और शुभ का
परम नणायक मानने से परहेज़ करते ह। मनु य को स दे ह करने, फर से जाँचकर दे खने,
वैक पक मत को सुनने-समझने, और अलग रा ते को आज़माने क वत ता हमेशा
बचाकर रखनी चा हए। धम नरपे लोग गै ल लयो गै लली क सराहना करते ह, जसने
यह सवाल उठाने का साहस कया था क या पृ वी ा ड के के म अचल प से
थत है। वे जनसाधारण के उस समूह क सराहना करते ह, जसने 1789 म बै टले पर
हमला करके लुई XVI क अ याचारी कूमत को ख़ म कर दया था’ और वे रोज़ा पा स
क सराहना करते ह, जसने सफ़ गोरे लोग के लए आर त बस क सीट पर बैठने क
ह मत दखाई थी।
प पात और दमनकारी कूमत के ख़लाफ़ लड़ने के लए ब त सारे साहस क
ज़ रत होती है, ले कन इससे भी यादा साहस क ज़ रत अ ानता को वीकारने और
अ ात म उतरने का जो खम उठाने के लए होती है। धम नरपे श ा हम सीख दे ती है
क अगर ऐसा कुछ है, जो हम नह जानते, तो हम अपनी अ ानता को वीकार करने और
नए सा य क तलाश करने से डरना नह चा हए। यहाँ तक क अगर हम सोचते ह क हम
कुछ जानते ह, तो भी हम अपनी राय पर स दे ह करने और ख़ुद को दोबारा जाँचने से भी
नह डरना चा हए। ब त सारे लोग अ ात से भयभीत होते ह, और सवाल का प जवाब
चाहते ह। अ ात का भय हम उससे यादा पंगु बना दे ता है, जतना कोई आततायी
बनाता है। समूचे इ तहास के दौरान इस बात को लेकर परेशान होते रहे थे क अगर हम
परम उ र के कसी ढाँचे म अपनी आ था नह रखते, तो मानव-समाज चूर-चूर हो
जाएगा। दरअसल, आधु नक इ तहास ने यह दशाया है क अ ानता को वीकारने और
मु कल सवाल उठाने के लए त पर रहने वाले साहसी लोग का समाज न सफ़ ऐसे
समाज क तुलना म यादा समृ , ब क शा तपूण भी होता है, जनम हरेक को कसी
एकमा जवाब को वीकार करना अ नवाय होता है। अपने स य को खो दे ने से डरने वाले
लोग हसा क ओर उन लोग क तुलना म यादा वृ होते ह, जनको नया को ब त-
से अलग-अलग कोण से दे खने क आदत होती है। ऐसे सवाल, जनके जवाब आप
नह दे सकते, अ सर ऐसे जवाब से यादा बेहतर होते ह, जन पर आप सवाल नह उठा
सकते।
अ त म, धम नरपे लोग उ रदा य व के त बल आ ह रखते ह। वे कसी ऐसी
उ चतर श म व ास नह रखते, जो नया क दे खभाल करती है, को द ड दे ती
है, यायपूण लोग को पुर कृत करती है, और महामारी या यु से हमारी र ा करती है।
इस लए हम हाड़-मांस के बने न र इंसान को उन सारे कृ य क पूरी ज़ मेदारी लेनी
चा हए, जो हम करते ह या नह करते ह। अगर नया ःख से भरी ई है, तो उनका
समाधान नकालना हमारा कत है। धम नरपे लोग आधु नक समाज क वपुल
उपल धय , जैसे क महामा रय का इलाज ढूँ ढ लेने, भूख का पेट भरने, और नया के
बड़े ह स म शा त था पत करने पर गव करते ह। इन उपल धय के लए हम कसी
अलौ कक र क को ेय दे ने क ज़ रत नह है। ये उपल धयाँ मनु य ारा अपने ान
और क णा को वक सत करने का प रणाम ह, ले कन ठ क इसी वज़ह से हम
जा तसंहार से लेकर पा र थ तक क अधोग त तक आधु नकता के सारे गुनाह और
नाकामया बय क भी पूरी ज़ मेदारी लेना ज़ री है। चम कार के घ टत होने क ख़ा तर
ाथना करने क बजाय हम यह सवाल उठाना ज़ री है क हम मदद करने के लए या
कर सकते ह।
ये धम नरपे नया के मुख मू य ह। जैसा क पहले कहा जा चुका है, इनम से
कोई भी मू य पूरी तरह से धम नरपे नह है। य द भी स य को मू यवान मानते ह,
ईसाई भी क णा को मू यवान मानते ह, मुसलमान भी समानता को मू यवान मानते ह,
ह भी उ रदा य व को मू यवान मानते ह, आ द, आ द। धम रपे समाज और सं थाएँ
इन सू को सहष वीकार करते ह और मज़हबी य दय , ईसाइय , मुसलमान और
ह को सहष अंगीकार करते ह, बशत क जब धम नरपे सं हता मज़हबी स ा त
से टकराने क थ त म हो, तो मज़हबी स ा त रा ते से हट जाएँ। उदाहरण के लए,
धम नरपे समाज म वीकायता हा सल करने के लए क रप थी य दय से अपे त है
क वे ग़ैर-य दय को अपनी बराबरी का दज़ा द, ईसाइय से अपे त है क वे वध मय
को टे क पर जलाने से परहेज़ कर, मुसलमान से अपे त है क वे अ भ क
वत ता का अ नवायतः स मान कर, और ह से अपे त है क वे अ नवायतः
जा त-आधा रत प पात करना ब द कर।
इसके वपरीत, ऐसी कोई अपे ा नह है क मज़हबी लोग को ई र के अ त व से
इंकार कर दे ना चा हए या पार प रक अनु ान और कमका ड को याग दे ना चा हए।
धम नरपे नया लोग का मू यांकन उनक य वेशभूषा और अनु ान क बजाय
उनके आचरण के आधार पर करती है। कोई वेशभूषा से स ब धत नहायत ही
अजीबोग़रीब क़ म के सा दा यक नयम को अपना सकता है और नता त व च
क़ म के मज़हबी अनु ान का पालन कर सकता है, ले कन इस सब के साथ वह मूलभूत
धम नरपे मू य के अनु प आचरण कर सकता है। नया म ब त-से य द वै ा नक,
ईसाई पयावरणवाद , मुसलमान नारीवाद और ह मानवा धकार कायकता ह। अगर वे
स य के त, क णा के त, समानता और वत ता के त न ा रखते ह, तो वे
धम नरपे नया के पूण सद य ह, इसक नता त कोई वज़ह नह है क उनसे उनके
यामाकाज़ (पर परावाद य दय ारा पहनी जाने वाली टो पयाँ), सलीब, हजाब या
तलक हटाने को कहा जाए।
इसी के चलते, धम नरपे श ा का मतलब एक ऐसा नषेधा मक वचार भी नह है,
जो ब च को ई र म आ था न रखने और कसी तरह के मज़हबी ज म शा मल न होने
क श ा दे ता हो। इसक बजाय, धम नरपे श ा ब च को स य और आ था के बीच
फ़क़ करने, उनको तमाम खय के त क णा वक सत करने, पृ वी के सारे नाग रक
क ा और अनुभव क सराहना करने, अ ात के भय से मु होकर सोचने और अपने
कृ य के त तथा सम नया के त उ रदायी होने क सीख दे ती है।
या ता लन धम नरपे थे?
इस लए धम रपे ता म नै तक तब ता या सामा जक उ रदा य व के अभाव का
आरोप लगाते ए उसक आलोचना करना बेबु नयाद है। दरअसल, धम नरपे ता क
सम या इससे ठ क उलट है। वह स भवतः नै तकता के मापद ड को ब त ऊँचा बनाकर
रखती है। यादातर लोग इस तरह क ब त अ धक क माँग करने वाली सं हता पर खरे
नह उतरते, और बड़े समाज स य और क णा क उ मु तलाश के आधार पर संचा लत
नह हो सकते। वशेष प से आपातकालीन पा र थ तय - जैसे क यु या आ थक
संकट के दौरान - समाज को त परता के साथ और सश ढं ग से कारवाई करना
अ नवाय होता है, भले ही वे इस बारे म सु न त न ह क स य या है और ऐसा
सवा धक क णामय कम या है, जसे कया जाना चा हए। उनको प मागदशन क ,
आकषक नार क और यु के उ ेरक आ ान क ज़ रत होती है। चूँ क स दे हा पद
अटकल के आधार पर सै नक को यु पर भेजना या ा तकारी आ थक सुधार को
लागू करना मु कल है, इस लए धम नरपे आ दोलन बार-बार क रप थ म त द ल हो
जाते ह।
उदाहरण के लए, काल मा स ने इस घोषणा के साथ शु आत क थी क सारे
मज़हब दमनकारी धोखे ह, और उ ह ने अपने अनुया यय को वयं ही व व था क
वा त वक कृ त क पड़ताल के लए ो सा हत कया था। बाद के दशक म ा त और
यु के दबाव ने मा सवाद को स त बना दया, और ता लन के आते-आते सो वयत
क यु न ट पाट का अ धकृत वचार यह बन गया क व व था इतनी पेचीदा है क वह
जनसाधारण क समझ से परे है, इस लए हमेशा पाट के ववेक पर भरोसा करना और जो
वह कहे, वही करना ही ेय कर है, भले ही वह गुपचुप तरीक़े से द सय लाख लोग को
क़ैद करती हो और ने तनाबूद कर दे ती हो। यह बात भ लग सकती है, ले कन जैसा क
पाट के वचारधारापर त लोग इस बात को समझाते ए कभी थकते नह ह क ा त
कोई पक नक नह है, और अगर आप ऑमलेट चाहते ह, तो आपको कुछ अ डे फोड़ने
ही पड़गे।
इस लए ता लन को एक धम नरपे नेता के प म दे खना चा हए या नह , यह
मसला इस पर नभर करता है क आप धम नरपे ता को कस तरह से प रभा शत करते
ह। अगर हम यूनतम नकारा मक प रभाषा का इ तेमाल कर - ‘धम नरपे लोग ई र म
आ था नह रखते’ - तो ता लन न य ही धम नरपे था। अगर हम सकारा मक
प रभाषा का इ तेमाल कर - ‘धम नरपे लोग तमाम अवै ा नक मत को ख़ा रज़ करते ह
और स य, क णा और वत ता के त तब होते ह - तो मा स एक धम नरपे
द गज थे, ले कन ता लन क़तई धम नरपे नह था। वह ई र वहीन, क तु अ य त
क र मज़हब ता ल न म का पैग़ बर था।
ता लनवाद कोई अकेला उदाहरण नह है। राजनी तक प र य के सरे छोर पर
पूँजीवाद क शु आत भी एक उदारमन क वै ा नक स ा त के प म ई थी, ले कन
वह धीरे-धीरे एक क र मत के प म ढ़ होता गया। ब त-से पूँजीवाद ज़मीनी
वा त वकता क परवाह कए बना मु बाज़ार और आ थक समृ के म को
दोहराते रहते ह। आधु नक करण, औ ो गक करण या नजीकरण के जो भी डरावने
प रणाम कभी-कभी सामने आते रहते ह, उनको पूँजीवाद म स ची आ था रखने वाले
लोग महज़ ‘ वकासज य पीड़ाएँ’ (‘ ोइंग पे स’) कहकर ख़ा रज़ करते रहते ह, और
आ ासन दे ते रहते ह क थोड़ी-सी और समृ आने पर सब कुछ ठ क हो जाएगा।
म यमाग उदारवाद लोकता क स य और क णा के धम नरपे साधन के त
अपे ाकृत अ धक न ावान रहे ह, ले कन कभी-कभी वे तक इसे सा वना दे ने वाले मत
के प म याग दे ते ह। जैसे क जब ू र तानाशा हय और वफल रा य से उदारवा दय
का सामना होता है, तो वे अ सर आम चुनाव के भावशाली अनु ान म स दे हर हत
आ था कट करते ह। वे यु लड़ते ह और इराक़, अफ़गा न तान और कांगो जैसी जगह
पर अरब डॉलर इस ढ़ व ास के साथ ख़च करते ह क आम चुनाव इन जगह को
जा ई ढं ग से डेनमाक के उ वल सं करण म बदल दगे। यह नर तर वफलता के
बावजूद और इस त य के बावजूद होता है क उन जगह पर भी जहाँ आम चुनाव क
एक सु था पत पर परा है, ये अनु ान कभी-कभी लोकलुभावन सवस ावा दय को स ा
म ले आते ह, और ब सं यक तानाशा हय से यादा बड़ी कसी चीज़ म फ लत नह
होते। अगर आप आम चुनाव के क थत औ च य पर सवाल उठाने क को शश करगे, तो
आपको गुलाग म तो नह भेज दया जाएगा, ले कन इसक पूरी स भावना है क आपको
क रप थी भ सना क तीखी बौछार का सामना करना पड़े।
न य ही, सारे क रवाद मत समान प से नुक़सानदे ह नह होते। जस तरह से कुछ
मज़हबी व ास ने मानवता का हत कया है, उसी तरह कुछ धम नरपे मत ने भी
कया है। यह बात वशेष प से मानवा धकार के स ा त के बारे म सही है। अ धकार
का अ त व जस एकमा जगह पर होता है, वह वे क़ से ह, जनको एक- सरे को
सुनाने के लए मनु य ने ईजाद कया होता है। इन क़ स को मज़हबी क रता और
नरंकुश कूमत के ख़लाफ़ संघष के दौरान वतः स मत के प म त ा पत कया
गया था, हालाँ क यह सही नह है क मनु य को जीवन या वत ता का कु़दरती हक़
मला आ नह है, तब भी इस क़ से म व ास ने सवस ावाद कूमत क श को
नय त कया था, अ पसं यक को नुक़सान से बचाया, और नधनता तथा हसा के
नकृ तम प रणाम से अरब लोग क हफ़ाज़त क । इस तरह इसने मनु यता के सुख
और क याण के लए स भवतः इ तहास के कसी भी अ य स ा त के मुक़ाबले यादा
योगदान कया।
तब भी वह एक स ा त तो है ही। इसी लए मानवा धकार पर संयु रा के
घोषणा-प का अनु छे द 19 कहता है क “हर कसी को अपना मत करने और
अभ क वत ता का अ धकार है।” अगर हम समझते ह क यह एक राजनी तक
माँग है (‘हर कसी को अपना मत करने क वत ता होनी चा हए’ ), तो यह पूरी
तरह से तकसंगत है, ले कन अगर हम यह मानते ह क हर से पय स ‘मत करने के
अ धकार’ से कु़दरती तौर पर स प ह, और इस लए इसम कटौती कसी कु़दरती उसूल
का उ लंघन है, तो हम मनु यता के स य को जानने से चूक रहे होते ह। जब तक आप
वयं को ‘अ व छे नैस गक अ धकार से स प ’ के प म प रभा शत करते
रहगे, आप यह नह जान पाएँगे क आप वा तव म कौन ह, और आप उन ऐ तहा सक
श य को नह समझ पाएँगे, ज ह ने आपके समाज और वयं आपके दमाग़ को
( जसम ‘नैस गक अ धकार ’ म आपका व ास शा मल है) गढ़ा है।
इस तरह क अ ानता शायद बीसव सद म कम मह व रखती थी, जब लोग हटलर
और ता लन से लड़ने म त थे, ले कन यही अ ानता इ क सव सद म घातक सा बत
हो सकती है, य क जैव ौ ो गक और आ ट फ़ शयल इंटे लजस अब मनु यता-मा क
प रभाषा बदलने क को शश कर रहे ह। अगर हम जीवन के अ धकार के त तब ह,
तो या इसका अ भ ाय यह है क हम मृ यु पर वजय ा त करने के लए जैव ौ ो गक
का इ तेमाल करना चा हए? अगर हम आज़ाद के मू य से तब ह, तो या हम उन
ऐ ग रदम को सश बनाना चा हए, जो हमारी छपी ई आकां ा को समझ लेते ह
और उनको स तु कर दे ते ह? अगर सारी मानवता को समान मानवा धकार ा त ह, तो
या अ तमानव को अ तशय अ धकार मलने चा हए? इस तरह के सवाल से उलझने म
धम नरपे लोग को तब तक क ठनाई होगी, जब तक क वे ‘मानवा धकार ’ म क र
आ था से तब बने रहगे।
मानवा धकार का स ा त पछली सद म धमपरी ण, आँ सयाँ रज़ीम, (1789 क
ा त से पहले क ांस क राजनी तक और सामा जक व था), ना ज़य और केकेके
(कू ल स लान यानी गोर क न ल को े मानने वाला अमे रका का न लवाद समूह)
के ख़लाफ़ एक ह थयार के प म गढ़ा गया था। इस लए यह स ा त अ तमानव ,
साइबोग और अ तशय बु मान क यूटर से नपटने म स म नह है। जहाँ
मानवा धकार आ दोलन ने मज़हबी प पात और आततायी इंसान के ख़लाफ़ तक
और बचाव का भावशाली श ागार खड़ा कर रखा है, वह यह श ागार उपभो वाद
अ तचार और ौ ो गक य व लोक के ख़लाफ़ हमारा बचाव शायद ही कर सके।
परछा को पहचान
धम नरपे तावाद को ता लनवाद क रता या प मी सा ा यवाद और बेलगाम
औ ो गक करण क बराबरी पर रखकर नह दे खा जाना चा हए, ले कन यह उनक सारी
ज़ मेदारी से अपने क धे भी नह झाड़ सकता। धम नरपे आ दोलन और वै ा नक
सं था ने प रपूण मानवता के आ ासन और हमारी जा त के हत म भू ह क उदारता
का भरपूर उपयोग करने के आ ासन के साथ अरब लोग को स मो हत कया है। इस
तरह के आ ासन सफ़ महामा रय और अकाल पर वजय पाने के नतीज के प म ही
सामने नह आए ह, ब क वे गुलाग और हम शखर के पघलने के प म भी सामने
आए ह। आप शायद तक दे सकते ह क ये सब उन लोग क ग़ल तयाँ ह, ज ह ने मूलभूत
धम रपे आदश और व ान के वा त वक त य को ग़लत समझा है और उनको वकृत
कया है। और आपका यह कहना एकदम सही होगा, ले कन यह सारे भावशाली
आ दोलन क एक आम सम या है।
उदाहरण के लए, ईसाइयत धमपरी ण , धमयु , सारी नया क मूल सं कृ तय
के दमन, और य को नबल करने जैसे भीषण अपराध के लए ज़ मेदार रही है। कोई
ईसाई इस बात से आहत हो सकता है और मुँहतोड़ जवाब दे ते ए कह सकता है क ये
सारे अपराध ईसाइयत क पूरी तरह से ग़लत समझ के नतीजे थे। ईसा ने तो सफ़ ेम
करने क श ा द थी, और धमपरी ण उनक श ा के भयावह वकृ तकरण पर
आधा रत थे। हम इस दावे के त सहानुभू त रख सकते ह, ले कन ईसाइयत को इन
आरोप से इतनी आसानी से पीछा छु ड़ाने क छू ट दे ना ग़लत होगा। धमपरी ण और
धमयु से त भत ईसाई इन अ याचार से इतनी आसानी से अपने हाथ नह झाड़
सकते। इसक बजाय उनको वयं से कुछ मु कल सवाल पूछने चा हए। आ ख़र उनके
इस ‘ ेम के मज़हब’ ने वयं को इस तरह वकृत हो जाने क छू ट कैसे द , और एक बार
नह , ब क कई-कई बार? जो ोटे टट इस सबका दोष कैथो लक धमा धता के म थे
मढ़ने क को शश करते ह, उनको सलाह द जाती है क वे आयरलड या उ री अमे रका
म ोटे टट उप नवेशवा दय के आचरण के बारे म कोई पु तक पढ़। इसी तरह,
मा सवा दय को वयं से पूछना चा हए क मा स क श ा म ऐसा या था, जसने
गुलाग का माग श त कया, वै ा नक को इस पर वचार करना चा हए क वै ा नक
प रयोजना ने भूम डल के पा र थ तक य त को इतनी आसानी से अ थर बनाने के
लए अपना उपयोग कैसे होने दया, और अनुवां शक वद को वशेष प से उस यु
को एक चेतावनी क तरह लेना चा हए, जसके सहारे ना ज़य ने डा वन के स ा त का
अपहरण कया था।
हरेक मज़हब, वचारधारा और प थ क अपनी परछा होती है, और आप जस
कसी भी प थ का अनुसरण कर, आपको अपनी परछा को वीकार करना चा हए और
इस बचकाने भुलावे से बचना चा हए क ‘यह हमारे साथ नह हो सकता’। धम नरपे
व ान यादातर पार प रक मज़हब के मुक़ाबले कम-से-कम एक मामले म ब त बेहतर
थ त म है, और वह यह है क वह अपनी परछा से भयभीत नह है, और वह अपनी
ग़ल तय तथा अपनी प ँच क सीमा को स ा ततः वीकार करने को त पर होता है।
अगर आप कसी अलौ कक स ा ारा उजागर कए गए कसी परम स य म व ास
करते ह, तो आप ख़ुद को कोई ग़लती वीकार करने क छू ट नह दे सकते, य क यह
चीज़ आपके समूचे क़ से को ही र कर दे गी, ले कन अगर आप ग़ल तयाँ कर सकने वाले
इंसान क स य क ज ासा म व ास करते ह, तो ग भीर भूल को वीकार करना खेल
का वाभा वक अंग है।
यही इस बात क भी वज़ह है क ग़ैर क रप थी धम नरपे आ दोलन अपे ाकृत
संय मत वादे करते ह। अपनी अपूणता के त सजग होने के नाते वे छोटे -छोटे मक
प रवतन को लाने क उ मीद करते ह, जैसे क यूनतम मज़ री म कुछ डॉलर क वृ
या बाल-मृ यु दर म कुछ तशत क कमी लाना। यह क रप थी वचारधारा का ल ण
है क वे अपने अ तशय आ म व ास क वज़ह से अ सर अस भव कुछ कर गुज़रने क
क़सम खाती ह। उनके नेता अ य त मु ढं ग से ‘शा तता’, ‘शु चता’ और ‘मु ’ के बारे
म बात करते ह, मानो कोई क़ानून लागू कर, कोई म दर नमाण कर या कसी रा य का
कोई ह सा जीतकर वे अपने एक ही भ करतब के साथ समूची नया क र ा कर
सकते ह ।
जैसे ही हमारे सामने जीवन के इ तहास म सबसे मह वपूण नणय लेने का सवाल
पैदा होता है, तो म गत प से उन लोग पर यादा भरोसा करता ँ, जो अपनी
अ ानता को वीकार करते ह, बजाय उनके जो अचूकता का दावा करते ह। अगर आप
चाहते ह क आपका मज़हब, वचारधारा या व नया का नेतृ व करे, तो आपसे
मेरा पहला सवाल यह है : “वह कौन-सी सबसे बड़ी भूल है, जो आपके मज़हब,
वचारधारा या व ने क है? उससे या ग़लती ई?” अगर आप कोई संजीदा जवाब
नह दे सकते, तो म तो न य ही आप पर भरोसा नह क ँ गा।
IV
सय
स ा का लैक होल
समूह- च तन और गत अ ानता क सम या केवल साधारण मतदाता और
ाहक का ही नह , ब क रा प तय और चीफ़ ए ज़ी यू टव ऑ फ़सर का भी सरदद
है। उनके पास ढे र सलाहकार और वशाल ख़ु फ़या एज सयाँ हो सकती ह, ले कन ज़ री
नह क इससे थ त बेहतर हो जाती हो। जब आप नया पर कूमत कर रहे ह , तब
स य का पता लगा पाना बेहद मु कल होता है। आप कुछ यादा ही त होते ह।
यादातर राजनी तक मु खया और कारोबारी मुग़ल हमेशा हड़बड़ी म होते ह, ले कन अगर
आप कसी वषय क गहराई म जाना चाहते ह, तो आपको ढे र-सारे व त क ज़ रत
होती है, और वशेष प से आपको व त बबाद करने क वशेष सु वधा का मलना
ज़ री होता है। आपको थ रा त को आज़माने, आपको ब द ग लय क छानबीन
करने, स दे ह और ऊब को गुंजाइश दे ने, और अ त के छोटे -छोटे बीज को फु टत
और फलने-फूलने क गुंजाइश दे ने क ज़ रत होती है। अगर आप इस तरह व त बबाद
करने क थ त म नह ह, तो आप स य को कभी नह जान सकते।
और भी बदतर बात यह है क बड़ी श याँ स य को अप रहायतः वकृत करती ह।
स ा वा त वकता को उसके वा त वक व प म दे खने क बजाय उसको बदलने म
व ास रखती है। जब आपके हाथ म हथौड़ा होता है, तो आपको हर चीज़ एक क ल
जैसी तीत होती है, और जब आपके हाथ म ब त अ धक स ा होती है, तो आपको हर
चीज़ दख़ल दाज़ी के लए एक आम ण जैसी तीत होती है। अगर आप कसी तरह इस
ती इ छा पर क़ाबू पा भी ल, तो जन लोग से आप घरे ह, वे उस हथौड़े को कभी नह
भूलगे, जो आपने थाम रखा है। आपसे बात करने वाले हर के मन म एक
सु वचा रत या अ वचा रत कायसूची होगी, इस लए वे जो कुछ भी कहगे, उसम आप कभी
भी पूरी तरह व ास नह कर पाएँगे। कोई भी सुलतान अपने दरबा रय और मातहत पर
कभी भी इतना भरोसा नह कर सकता क वे उसके सामने सच कह सक।
बड़ी श इस तरह एक ऐसे लैक होल के प म काम करती है, जो अपने आस-
पास के हर पेस को वकृत कर दे ता है। आप उसके जतने ही यादा क़रीब जाते ह, हर
चीज़ उतनी ही तोड़ी-मरोड़ी गई होती जाती है। आपक क ा म वेश करते ही हर श द
को अ त र वज़नदार बना दया गया होता है, और जस कसी भी से आप मलते
ह, वह आपक चाटु का रता करने, आपको ख़ुश करने, आपसे कुछ हा सल करने क
को शश करता है। वे जानते ह क आप उनको दो-एक म नट से यादा व त नह दे
सकते, और वे डरे होते ह क उनक ज़बान से कोई अनु चत या गड़बड़ बात न नकल
जाए, इस लए अ त म वे या तो खोखले नारे लगाते ह या सबसे यादा घसी- पट बात
करने लगते ह।
कुछ साल पहले मुझे इज़रायल के धानम ी बे या मन नेतनया के साथ डनर के
लए आम त कया गया था। मेरे दो त ने मुझे वहाँ न जाने क चेतावनी द थी, ले कन
म अपने लोभ का संवरण नह कर सका। म सोचता था क मुझे ऐसी कुछ बड़ी रह य क
बात सुनने को मलगी, जो ब द दरवाज़ के पीछे केवल मह वपूण कान को ही सुनने को
मलती ह, ले कन वह मुलाक़ात कस क़दर नराशाजनक थी! वहाँ लगभग तीस लोग थे,
और हर कोई उस महान आदमी का यान अपनी ओर आक षत करने, अपनी
हा ज़रजवाबी से उसको भा वत करने, उसक चाटु का रता कर उसका समथन या कुछ
और हा सल करने क को शश म लगा आ था। अगर वहाँ मौजूद क ह लोग को कसी
बड़े रह य क कोई जानकारी थी, तो वे उस रह य को अपने तक सी मत रखने का
अ य त महान काम कर रह थे। इसम नेतनया क शायद ही कोई ग़लती थी, या यूँ कह
क दरअसल कसी क भी ग़लती नह थी। ग़लती थी स ा के गु वाकषण बल क ।
अगर आप स य जानना चाहते ह, तो आपको स ा के लैक होल से र जाने, और
बाहरी सतह पर यहाँ-वहाँ भटकते ए ख़ुद को ढे र सारा समय बबाद करने क गुंजाइश
दे ने क ज़ रत है। ा तकारी ान के के तक प ँच पाना लभ ही होता है, य क
के था पत ान पर खड़ा होता है। स ा के के तक कसक प ँच हो, इसका
नधारण सामा य तौर पर पुरानी व था के रखवाले करते ह, और वे बाधा प ँचाने वाले
अपार प रक वचार के वाहक को नकाल बाहर करने क को शश करते ह। न य ही वे
अप र मत तादाद म कचरे को भी हटा दे ते ह। दावोस व ड इकॉनॉ मक फ़ोरम म
आम त न कया जाना ा क गारंट शायद ही हो। इसी लए आपको बाहरी सतह पर
इतना अ धक समय बबाद करना ज़ री होता है। उनम कुछ वल ण ा तकारी
अ त याँ मौजूद हो सकती ह, ले कन वे यादातर अ ानपूण अनुमान , अपनी क़लई
खो चुके मॉडल , अ ध व ासपूण मत और ष क हा या पद अटकल से भरी होती
ह।
नेतागण इस तरह एक दोहरे ब धन म जकड़े होते ह। अगर वे स ा के के म बने
रहते ह, तो उनको नया क एक अ य त वकृत तसवीर दे खने को मलेगी। अगर वे
हा शय पर भटकते रहते ह, तो वे अपना ब त सारा क़ मती व त बबाद करगे। और
सम या और भी बदतर होती जाएगी। आने वाले दशक म यह नया आज क तुलना म
और भी यादा पेचीदा हो जाने वाली है। इसके नतीजे म अलग-अलग मनु य - वे चाहे
यादे हो या राजा - उन ौ ो गक य य के बारे म, आ थक वृ य के बारे म, और
राजनी तक ग तय के बारे म और भी कम जानते ह गे। जैसा क 2,000 साल से भी
यादा पहले सुकरात ने अवलोकन कया था, इस तरह क प र थ तय म सबसे अ छा
यही है क हम अपनी गत अ ानता को वीकार कर।
ले कन तब नै तकता और याय का या होगा? अगर हम नया को समझ ही नह
सकते, तो फर हम सही और ग़लत के बीच, याय और अ याय के बीच भेद करने क
उ मीद कैसे कर सकते ह?
16
याय
हमारा याय-बोध शायद पुराना हो गया है
न दय को चोरी
एक आ दमकालीन शकारी-सं हकता अ छ तरह से जानती थी क उसका दोपहर का
भोजन कहाँ से आता था (वह उसने ख़ुद ही जुटाया होता था), वह जानती थी क उसक
जू तयाँ कसने बनाई थ (उनको बनाने वाला उससे बीस मीटर क री पर सो रहा होता
था), और वह जानती थी क उसक पशन न ध या कर रही होती थी (वह क चड़ म
खेल रही होती थी। तब लोग क एक ही पशन- न ध आ करती थी - ‘ब चे’ नाम क
पशन- न ध)। म उस शकारी-सं हकता क तुलना म ब त यादा अ ानी ँ। वष का
शोध इस त य को सामने ला सकता है क जस सरकार को मने वोट दया था, वह नया
के सरे छोर पर बैठे कसी स द ध तानाशाह को गुपचुप तरीक़े से ह थयार बेच रही है,
ले कन जब तक मुझे इस बात क जानकारी होती है, उस दौरान म इनसे भी यादा
मह वपूण खोज से वं चत रह गया हो सकता ँ, जैसे क उन चूज़ क नय त से, जनके
अ डे मने डनर म खाए थे।
व था कुछ इस तरह गढ़ ई है क जो लोग जानने का कोई उ म नह करते, वे
परम अ ानता क थ त म बने रह सकते ह, और जो लोग इसके लए उ म करते ह,
उनके लए स चाई को जानना ब त मु कल सा बत हो सकता है। जब वै क आ थक
त अनवरत प से मेरी ओर से और मेरी जानकारी के बना चुराने के काम म लगा हो,
तब चोरी करने से बचना कैसे मुम कन है? इससे अ तर नह पड़ता क आप कम को
उनके फल के आधार पर परखते ह (जैसे क आप सोचते ह क चोरी करना इस लए
ग़लत है, य क इससे चोरी का शकार ःखी होता है), या आप उन नरपे
कत म व ास करते ह, जनका पालन उनके फल क परवाह कए बना कया जाना
चा हए (जैसे क चोरी करना इस लए ग़लत है य क ई र ने ऐसा कहा है)। सम या यह
है क हम वा तव म जो कुछ कर रहे होते ह, वह इतना उलझ चुका है क उसको समझ
पाना मु कल है।
चोरी न करने का ई रीय आदे श उस समय गढ़ा गया था, जब चोरी करने का मतलब
भौ तक प से ख़ुद अपने हाथ से कोई ऐसी चीज़ उठा लेना होता था, जो आपक नह
होती थी, ले कन आज चोरी से स ब धत वा त वक मह वपूण तक नता त भ
प र य से ता लुक़ रखता है। मान ली जए क म एक बड़े पै ोकै मकल कॉप रेशन के
शेयर म 10,000 डॉलर का नवेश करता ँ, जो मुझे मेरे इस नवेश पर सालाना 5 %
रटन उपल ध कराता है। यह कॉप रेशन ब त लाभदायक है, य क उसको
ए सटन टज़ के लए द डत नह होना पड़ता। वह े ीय जल-आपू त, जनता के
वा य, या थानीय व य-जीवन के लए प ँचने वाले नुक़सान क परवाह कए बना
ज़हरीले कचरे को पास क नद म फक दे ता है। वह अपनी दौलत का इ तेमाल कर ऐसे
वक ल क फ़ौज खड़ी करता है, जो हजाने क कसी भी तरह क माँग के ख़लाफ़
उसका बचाव करती है। वह ऐसे लॉ ब ट् स को भी अपने पास बनाए रखता है, जो
पयावरण स ब धी क ह स त क़ानून के नमाण क कसी भी को शश म अड़ंगा डालते
ह।
या हम इस कॉप रेशन पर ‘नद को चुराने’ का आरोप लगा सकते ह? और गत
प से मेरे बारे म या कहा जाएगा? मने कभी कसी के घर का ताला नह तोड़ा या कभी
कसी के बटु ए से एक पया भी नह चुराया। मुझे इस बात क कोई जानकारी नह है क
यह कॉप रेशन अपना मुनाफ़ा कस तरह कमाता है। मुझे तो यह तक ठ क से याद नह है
क मेरे पोटफ़ो लयो का एक ह सा इसम नवे शत है। तब या म चोरी का अपराधी ँ?
जब हमारे पास तमाम ासं गक त य को जानने का कोई उपाय ही नह है, तब हम
नै तक आचरण कैसे कर सकते ह?
आप ‘इराद क नै तकता’ अपनाकर इस सम या से बचने क को शश कर सकते ह।
मह वपूण यह है क मेरा इरादा या था, न क यह क वा तव म म या करता ँ और जो
कुछ करता ँ, उसका फल या होता है, ले कन एक ऐसी नया म जसम हर चीज़
आपस म जुड़ी ई है, जानने क अ नवायता सबसे बड़ी नै तक अ नवायता बन जाती है।
आधु नक इ तहास के सबसे भीषणतम अपराध महज़ घृणा और लालच के नतीजे नह ह,
ब क उनसे यादा वे अ ानता और उदासीनता के नतीजे ह। जन आकषक अँ ेज़
म हला ने अ का या कैरे बया म कभी क़दम भी नह रखे थे, वे ल दन के शेयर बाज़ार
म शेयर और बॉ ड ख़रीदकर अटलां टक ग़लाम ापार को व ीय साधन उपल ध
कराती थ । इसके बाद वे नारक य बाग़ान ( जनके बारे म वे कुछ नह जानती थ ) म पैदा
क गई झ क सफ़ेद शकर क यू स से शाम क अपनी चाय को मीठा करती थ ।
जमनी म 1930 के दशक के आ ख़री वष म थानीय पो ट-ऑ फ़स मैनेजर अपने
कमचा रय के क याण क च ता करने वाला, और ग़ायब हो चुके पासल को खोजने म
परेशान लोग क गत प से मदद करने वाला ईमानदार नाग रक हो सकता था। वह
अपने काम पर सबसे पहले प ँचने वाला और वहाँ से सबसे अ त म जाने वाला
होता था, और बफ़ क आँ धय के दन म भी सु न त करता था क लोग क डाक
समय पर प ँचे। आह! उसका कायकुशल और आ त यपूण पो ट-ऑ फ़स नाज़ी सरकार
के नायु-त क एक मम पष को शका जैसा था। वह न लवाद चार, वेहरमा ट के
भत आदे श , और थानीय एसएस ांच के स त आदे श के समाना तर चला करता था।
उन लोग के इराद म कोई खोट होता है, जो जानने क कोई ईमानदार को शश नह
करते।
ले कन ‘जानने क ईमानदार को शश’ या है? या हर दे श के पो टमा टर को उनके
ारा प ँचाई जाने वाली हर डाक को खोलकर दे खना चा हए, और अगर उनको उनम
कोई सरकारी चार दखाई दे ता है, तो या उनको याग-प दे दे ना चा हए या व ोह कर
दे ना चा हए? 1930 के दशक के नाज़ी जमनी को पूण नै तक न या मकता के भाव से
मुड़कर दे खना आसान है, य क हम जानते ह क कारण-काय क शृंखला कहाँ ले गई
थी, ले कन प चात के लाभ के बना नै तक न या मकता हमारी प ँच से परे हो
सकती है। कड़वी स चाई यह है क हमारे शकारी-सं हकता दमाग़ के लहाज़ से नया
कुछ यादा ही ज टल बन चुक है।
समकालीन नया के यादातर अ याय गत पूवा ह क बजाय बड़े पैमाने के
ढाँचागत प पात का प रणाम होते ह, और हमारे शकारी-सं हकता दमाग़ ढाँचागत
प पात का पता लगा लेने के लए वक सत नह ए ह। इस तरह के कम-से-कम कुछ
प पात म हम सबक भागीदारी है, और उन सबका पता लगाने का न तो हमारे पास
व त है, न ऊजा है। इस पु तक को लखते ए मुझे गत प से सीख मली है।
वै क मु क चचा करते ए म हमेशा व भ वं चत समूह के कोण पर वै क
कुलीन वग के कोण को वरीयता दे ने का ख़तरा उठा रहा होता ँ। यह वै क कुलीन
वग संवाद को नय त करता है, इस लए इसके कोण से चूकना अस भव है। इसके
वपरीत वं चत समूह का मुँह नय मत प से ब द कया जाता रहा है, इस लए उनके बारे
म भूल जाना आसान है - कसी जानी-बूझी भावना क वज़ह से नह , ब क नरी
अ ानता क वज़ह से।
उदाहरण के लए, म त मा नयाई मूल नवा सय के व श कोण और सम या
के बारे म क़तई कुछ भी नह जानता। वाक़ई, म इतना कम जानता ँ क मने अपनी एक
पछली पु तक म यहाँ तक मान लया था क त मा नयाई मूल नवा सय का अब
अ त व तक नह है, य क उनको यूरोपीय उप नवेशवा दय ने पूरी तरह ख़ म कर दया
था। दरअसल, आज हज़ार ऐसे लोग जी वत ह, जो अपनी वंशावली को त मा नया क
मूल नवा सय क आबाद से जोड़कर दे खते ह, और वे ब त-सी व श सम या से
जूझ रहे ह। इनम से एक यह है क उनके अ त व से ायः इंकार कया जाता है, ख़ासतौर
से पढ़े - लखे अ येता ारा।
यहाँ तक क अगर आप गत प से वं चत के कसी समूह से स ब ध रखते ह,
और आपको उसके कोण क गहरी सीधी जानकारी है, तब भी इसका मतलब यह नह
है क आप ऐसे सरे समूह के कोण को भी समझते ह, य क हर समूह और
उपसमूह अलग-अलग तरह क बाधा , दोहरे मापद ड , कूटब अपमान और
प पात का सामना कर रहा है। तीस साल के एक अ क अमे रक पु ष का इस बात
को लेकर तीस साल पुराना अनुभव है क अ क अमे रक पु ष होने का या मतलब
होता है, ले कन एक अ क अमे रक ी होने, बु गा रयाई रोमा होने, एक ने हीन सी
होने या एक चीनी समल गक ी होने का या अथ है, इस बारे म उसका कोई अनुभव
नह है।
बड़े होने के साथ-साथ इस अ क अमे रक पु ष को पु लस ारा बना कसी
ज़ा हर वज़ह के बार-बार रोका गया था और उसक तलाशी ली गई थी, जो एक ऐसा
अनुभव था, जससे उस चीनी समल गक ी को कभी नह गुज़रना पड़ा। इसके वपरीत,
एक अ क अमे रक मोह ले म एक अ क अमे रक प रवार म ज मे होने का मतलब
था क वह अपने ही जैसे उन लोग से घरा रहा, ज ह ने उसको वह सब सखाया, जो
एक अ क अमे रक के प म जी वत बने रहने और फलने-फूलने के लए उसको
सीखना ज़ री था। वह चीनी समल गक ी कसी समल गक पड़ोस म कसी समल गक
प रवार म नह ज मी थी, और मुम कन है क उसको मह वपूण सीख दे ने के लए नया
म कोई न रहा हो। इस लए बा ट मोर म अ ेत के प म बड़ा होना हां ज़ो म एक
समल गक ी के प म बड़े होने के संघष को समझना आसान नह बना दे ता।
पछले युग म यह बात ब त कम मायने रखती थी, य क आप नया के सरे छोर
पर रह रहे लोग क दशा के लए शायद ही ज़ मेदार होते थे। अगर आप अपने कम
सौभा यशाली पड़ो सय के साथ सहानुभू त था पत करने क को शश करते थे, तो इतना
भर आमतौर से काफ़ होता था, ले कन आज जलवायु प रवतन और आ ट फ़ शयल
इंटे लजस जैसी चीज़ के बारे म जारी बड़ी वै क बहस का भाव हर कसी पर पड़ता
है - चाहे वे लोग त मा नया के ह , हां ज़ो के ह या बा ट मोर के ह - इस लए हम सारे
कोण को यान म रखना ज़ री है, ले कन कोई भी यह कैसे कर सकता है?
कोई भी सारी नया म एक- सरे को वभा जत करते हज़ार समूह के बीच के
र त के जाल को कैसे समझ सकता है?
एक ड बे म रहना
जस एक वषय का व ान-कथा ने ब त अ त के साथ योग कया है, उसका
स ब ध मुन य को प रचा लत और नय त करने के लए कए जा रहे ौ ो गक के
उपयोग के ख़तर से है। द मै स एक ऐसी नया का च ण करती है, जसम लगभग
सारे इंसान साइबर पेस म क़ैद ह, और जो कुछ भी वे अनुभव करते ह, वह एक उ ताद
ऐ ग रदम ारा गढ़ा गया है। द टमेन शो एक ऐसे अकेले पर के त है, जो एक
रय लट ट वी शो का बेख़बर टार है। उसक जानकारी के बना, उसके सारे दो त और
प र चत - जनम उसक माँ, उसक प नी और उसका एक सबसे अ छा दो त शा मल है -
सबके सब अ भनेता ह। उसके साथ जो कुछ भी घ टत होता है, वह एक सुघड़ पटकथा के
मुता बक़ घ टत होता है, और वह जो कुछ भी कहता और करता है, उसे एक छपे ए
कैमरे ारा रकॉड कया जाता है और उसको उसके लाख चहेत ारा सुना और दे खा
जाता है।
ले कन, दोन ही फ़ म - अपनी वल णता के बावजूद - अ त म अपने प र य के
स पूण न हताथ से पीछे हट जाती ह। वे मानकर चलती ह क मै स के भीतर फँसे ए
इंसान का एक ामा णक व व है, जो सारे ौ ो गक य छल योग से अछू ता बना रहता
है, और यह क उस मै स के परे एक ामा णक वा त वकता ती ा कर रही है, जस
तक प ँचने के लए अगर हीरो पया त मेहनत कर तो वे वहाँ प ँच सकते ह। मै स
महज़ एक कृ म बाधा है, जो आपके आ त रक ामा णक व व को बा ामा णक
नया से अलग करती है। अनेक आज़माइश और पीड़ा के बाद दोन हीरो - द मै स
का नओ और द टमेन शो का टमेन - चालबा ज़य के उस जाल से बाहर नकलने और
भाग जाने म कामयाब हो जाते ह, अपने ामा णक व व को खोज लेते ह, और उस
ामा णक नया म प ँच जाते ह, जसका उनको आ ासन मला आ था।
आ यजनक प से, यह ामा णक आ त नया तमाम मह वपूण य से गढ़े
गए मै स से मलती-जुलती है। जब टमेन ट वी टु डयो से नकल भागता है, तो वह
हाई- कूल के ज़माने क अपनी ेयसी से फर जा मलना चाहता है, जसको ट वी शो के
नदशक ने नकाल बाहर कर दया है, ले कन अगर टमेन उस रोमानी फ़ तासी को
च रताथ कर ले, तो उसका जीवन ठ क हॉलीवुड के उस वाब जैसा दखने लगेगा, जसे
द टमेन शो ने सारी नया म लाख दशक को बेचा है - साथ ही वह फ़जी म छु याँ
बता सकेगा। यह फ़ म हम इस बात का मामूली-सा संकेत तक नह दे ती क टमेन उस
वा त वक नया म कस तरह का वैक पक जीवन हा सल कर सकता है।
इसी तरह, जब नओ वह स लाल गोली नगलने के बाद उस मै स को तोड़कर
उससे बाहर नकल भागता है, तो उसको पता चलता है क बाहर क वह नया उस
मै स के अ दर क नया से कसी तरह भ नह है। अ दर और बाहर, दोन ही
नया म हसक तक़रार ह और लोग भय, वासना, ेम और ई या से प रचा लत ह।
फ़ म का अ त नओ से यह कहे जाने के साथ होना चा हए था क जस वा त वकता को
उसने हा सल कर लया है, वह महज़ एक और भी बड़ा मै स है, और यह क अगर वह
‘स ची यथाथ नया’ म भागना चाहता है, तो उसको एक बार फर नीली गोली और लाल
गोली के बीच चुनाव करना चा हए।
मौजूदा ौ ो गक य और वै ा नक ा त का अ भ ाय यह नह है क ामा णक
य और ामा णक वा त वकता के साथ ऐ ग रदम और ट वी कैमर ारा
छल योग कए जा सकते ह, ब क उसका अ भ ाय यह है क ामा णकता अपने आप
म एक मथक है। लोग कसी ड बे के भीतर फँस जाने को लेकर भयभीत ह, ले कन
उनको इस बात का अहसास नह है क वे पहले से ही एक ड बे - यानी अपने म त क -
के भीतर फँसे ह, जो उससे भी बड़े एक ड बे के भीतर ब द है - और वह ड बा है अपने
असं य ग प से यु मानव-समाज। जब आप मै स से नकल भागते ह, तो आपको
एक उससे भी बड़े मै स का पता चलता है। जब 1917 म कसान और कामगार ने
ज़ार के ख़लाफ़ व ोह कया था, तो उनका अ त ता लन क अधीनता म आ था, और
जब आप उन अनेक व धय क छानबीन करने चलते ह, जनके सहारे नया आपके
साथ छल-योजना करती है, तो अ त म आपको पता चलता है क आपक मूलभूत
पहचान नायु वक त ारा रचा गया एक पेचीदा म है।
लोग डरते ह क कसी ड बे के भीतर ब द हो जाने से वे नया के सारे व मय से
वं चत रह जाएँगे। जब तक नओ मै स के अ दर फ़ँसा रहेगा, और टमेन ट वी टु डयो
के अ दर फँसा रहेगा, तब तक वे कभी फजी, या पे रस, या माचू पचू नह जा पाएँगे,
ले कन वा त वकता यह है क आप अपने जीवन म कभी जो कुछ भी अनुभव करगे, वह
आपके शरीर और आपके दमाग़ के भीतर है। मै स को तोड़कर बाहर नकलने या
फजी क या ा करने से कोई फ़क़ पड़ने वाला नह है। ऐसा नह है क आपके दमाग़ म
कह कोई एक लोहे का स क़ है जस पर लाल रंग से बड़े-बड़े अ र म यह चेतावनी
अं कत है क ‘ सफ़ फजी म ही खोल!’ और जब आप अ ततः द ण शा त क या ा
कर उस स क़ को खोल, तो आपके मन म वे तमाम भावनाएँ और अहसास जाग उठ, जो
फजी म ही जाग सकते ह । और अगर आप अपने जीवन म कभी फजी न जाएँ, तो आप
इन ख़ास अनुभू तय से हमेशा के लए वं चत रह जाएँ। नह । जो कुछ भी आप फजी म
अनुभव कर सकते ह, वह आप नया म कह भी अनुभव कर सकते ह, यहाँ तक क
मै स के भीतर भी।
हम सब शायद एक वराट क यूटर म याभास, मै स- टाइल के भीतर रह रहे ह।
यह चीज़ हमारे तमाम रा ीय, मज़हबी और वचारधारा मक क़ स का ख डन कर दे गी,
ले कन हमारे मान सक अनुभव तब भी वा त वक ह गे। अगर पता चले क मानव-
इ तहास ज़रकॉन ह पर रहने वाले चूहा वै ा नक ारा एक सुपर-क यूटर पर संचा लत
एक वशाल म याभास है, तो यह बात काल मा स और इ ला मक टे ट के लए क चत
श म दा करने वाली होगी, ले कन तब भी इन चूहा वै ा नक को अम नयाई जनसंहार के
लए और आ व ज़ के लए जवाबदे ह होना होगा। आ ख़र उ ह ने इसे ज़रकॉन
यू नव सट क नी त-स ब धी स म त क बाधा से कस तरह उबार लया? अगर गैस
चै बर महज़ स लकॉन च स के व ुत-संकेत मा भी थे, तो पीड़ा, आतंक और हताशा
के अनुभव उससे ज़रा भी कम यातनादायी नह हो जाते।
पीड़ा पीड़ा है, भय भय है, ेम ेम है - मै स के भीतर भी। इससे कोई फ़क़ नह
पड़ता क जो भय आप महसूस करते ह, वह बाहरी नया के एटम के कसी समूह से
उ े रत है या कसी क यूटर ारा छलयो जत व ुत-संकेत से उ े रत है। भय तब भी
वा त वक है। इस लए अगर आप अपने दमाग़ क वा त वकता का पता लगाना चाहते ह,
तो यह काम आप मै स के भीतर भी कर सकते ह और उसके बाहर भी कर सकते ह।
यादातर व ान-कथा- फ़ म दरअसल एक ब त पुराना क़ सा कहती ह : पदाथ
पर दमाग़ क जीत का क़ सा। तीस हज़ार साल पहले, यह क़ सा इस तरह कहा जाता
था : ‘ दमाग़ एक प थर के चाकू क क पना करता है - हाथ चाकू को गढ़ता है - मनु य
मैमथ को मार डालते ह।’ ले कन स चाई यह है क मनु य ने चाकु का आ व कार
करके और मैमथ को मारकर नया पर उतना क़ाबू नह पाया, जतना इंसानी दमाग़ के
साथ छलयोजना करके पाया है। दमाग़ वह कता (स जे ट) नह है, जो उ मु ढं ग से
ऐ तहा सक कृ य और जै वक वा त वकता को आकार दे ता हो - दमाग़ वह व तु
(ऑ जे ट) है, जसे इ तहास और जै वक ारा आकार दया जा रहा होता है। हमारे
सबसे य आदश - वत ता, ेम, सृजना मकता - तक प थर के उस चाकू क तरह ह,
जनको कसी और ने कसी मैमथ को मारने के लए गढ़ा है। े तम वै ा नक
स ा त और सबसे यादा ताज़ातरीन ौ ो गक य औज़ार के अनुसार दमाग़ कभी भी
छलयोजना से आज़ाद नह होता। ऐसा कोई ामा णक व व नह है, जो इस छलयोजक
खोल से आज़ाद होने का इ तज़ार कर रहा हो।
या आपको कोई अ दाज़ा है क वष के दौरान आपने कतनी फ़ म , उप यास
और क वता का उपभोग कया है, और कस तरह इन कलाकृ तय ने ेम क आपक
धारणा को तराशा और पैना कया है? रोमां टक कॉमे डयाँ ेम के स दभ म वही भू मका
नभाती ह, जो पोन ाफ़ काम-वासना के लए और यु के लए रै बो नभाते ह। और
अगर आप सोचते ह क आप डलीट का कोई बटन दबाकर अपने अवचेतन और ल बक
स टॅ म से हॉलीवुड के सारे नशान को मटा सकते ह, तो आप ख़ुद को धोखा दे रहे ह।
हम यह ख़याल अ छा लगता है क हमने प थर के चाकू गढ़े , ले कन यह ख़याल हम
नह भाता क हम ख़ुद प थर के चाकू ह। इस लए पुराने मैमथ क़ से का मै स ा प
कुछ इस तरह का है : ‘ दमाग़ एक रोबोट क क पना करता है - हाथ रोबोट को रचता है -
रोबोट आतंकवा दय को मार गराता है, ले कन वह दमाग़ को नय त करने क
को शश भी करता है - दमाग़ रोबोट को मार दे ता है।’ ले कन यह एक झूठा क़ सा है।
सम या यह नह है क दमाग़ रोबोट को मारने म स म नह होगा। सम या यह है क
सबसे पहले जस दमाग़ ने रोबोट क क पना क थी, वह और भी पहले क
छलयोजना का नतीजा था। इस लए रोबोट को मार दे ने से हम मु मल जाने वाली
नह है।
लचीलापन
मानव-जा त अपूव ा तय का सामना कर रही है, हमारे सारे पुराने क़ से चूरचूर हो रहे
ह, और उनक जगह लेने के लए कोई नया क़ सा अभी तक सामने नह आया है। इस
तरह के अपूव पा तरण और मूलगामी अ न तता से भरी नया के त हम वयं
को और अपने ब च को कस तरह तैयार कर सकते ह? आज का ज मा शशु 2050 म
तीस के आस-पास का होगा। अगर सब कुछ ठ क-ठाक से चलता रहा, तो वह ब चा
2100 म भी जी वत बना रहेगा, और हो सकता है क तब वह बाइसव सद का स य
नाग रक हो। हम अपने इस ब चे को ऐसा या पढ़ाना चा हए, जो 2050 या बाइसव सद
क नया म उसके जी वत बने रहने और फलने-फूलने म मदद कर सके? उसको रोज़गार
हा सल करने के लए, अपने आस-पास के घटना म को समझने के लए, और जीवन
क भूलभुलैया के बीच अपना रा ता बनाने के लए कस तरह क द ता क ज़ रत
है?
भा य से, चूँ क कोई नह जानता क 2050 म नया क या श ल होगी, तो हम
इन सवाल के जवाब भी नह जानते, ऐसे म 2100 क बात तो छोड़ ही द। न य ही,
मनु य भ व य का पूवानुमान कभी भी ठ क-ठ क ढं ग से नह कर सकते, ले कन आज यह
पहले से कह यादा मु कल हो गया है, य क जैसे ही ौ ो गक हम शरीर , म त क
और दमाग़ को नए सरे से गढ़ने म स म बना दे ती है, वैसे ही हम क ह भी चीज़ के
बारे म प के तौर पर कुछ भी कह पाने क थ त म नह रह जाएँगे। इनम वे चीज़ भी
शा मल ह गी, जो पहले न त और शा त तीत होती थ ।
एक हज़ार साल पहले, 1018 म, भ व य के बारे म ऐसी ब त-सी चीज़ थ , जनके
बारे म लोग जानते नह थे, ले कन तब भी उनको इस बात का यक़ न आ करता था क
मानव-समाज के बु नयाद ल ण म कोई बदलाव आने वाला नह है। अगर आप 1018
म चीन म रहते थे, तो आप जानते थे क 1050 तक सांग सा ा य व त हो सकता है,
उ र दशा से ख़तान आ मण कर सकते ह, और महामारी लाख लोग क जान ले
सकती है, ले कन यह बात आपके सामने प थी क 1050 म भी यादातर लोग
कसान या बुनकर के प म काम कर रहे ह गे। मरान तब भी अपनी फ़ौज और
नौकरशा हय म भत करने के लए इंसान पर नभर ह गे, पु ष का य पर वच व
बना रहेगा, आयु-सीमा तब भी चालीस के आस-पास होगी, और मनु य क काया ठ क
ऐसी-क -ऐसी होगी। इस लए, 1018 म ग़रीब चीनी अ भभावक अपने ब च को चावल
रोपने और स क बुनने क व धयाँ सखाते थे, और यादा स प अ भभावक अपने
लड़क को क यू शयाई ला स स पढ़ने, च - ल प लखने, या घोड़े पर सवार होकर
यु करने क व धयाँ सखाते थे। वे अपनी लड़ कय को वन तथा आ ाकारी गृह णयाँ
बनने क श ा दे ते थे। यह बात ज़ा हर-सी थी क इन द ता क ज़ रत 1050 म भी
पड़ने वाली थी।
इसके वपरीत, आज हम इस बात का कोई अनुमान नह है क 2050 म चीन या
बाक़ नया कस तरह क दखेगी। हम नह जानते क लोग आजी वका के लए या
करगे, हम नह जानते क सेनाएँ या नौकरशा हयाँ कस तरह काम करगी, और हम नह
जानते क ल गक र ते कस तरह के ह गे। कुछ लोग शायद आज क तुलना म यादा
ल बा जीवन जएँगे, और जैवइंजी नयरी और सीधे म त क-क यूटर इंटरफ़ेस क वज़ह
से वयं इंसानी काया म अपूव ा त होगी। इस लए आज ब चे जो कुछ भी सीखते ह,
2050 तक उसम से यादातर के अ ासं गक हो जाने क स भावना है।
वतमान म, ब त सारे कूल सूचना को ठूँ सने पर यान दे ते ह। अतीत म यह चीज़
मायने रखती थी, य क सूचना लभ थी, और मौजूदा सूचना के धीमे रसाव तक को
बार-बार ससर शप के सहारे अव कर दया जाता था। उदाहरण के लए, अगर आप
1800 म मै सको के कसी छोटे -से दे हाती नगर म रहते थे, तो उससे ापक नया के
बारे म यादा कुछ जान पाना आपके लए मु कल था। वहाँ कोई रे डयो, टे ली वज़न,
दै नक अख़बार या सावज नक पु तकालय नह था। अगर आप सा र भी होते और कसी
नजी पु तकालय तक आपक प ँच होती, तब भी सवाय उप यास और मज़हबी
पो थय के वहाँ पढ़ने के लए यादा कुछ नह था। पेनी सा ा य थानीय तर पर मु त
तमाम मज़मून को बुरी तरह ससर कर दया करता था, और सफ़ अ छ तरह से जाँचे-
परखे गए थोड़े-से काशन को बाहर से आया तत करने क छू ट दे ता था। यादातर यही
बात तब भी सही होती, अगर आप स, ह तान, तुक या चीन के कसी दे हाती नगर म
रह रहे होते। जब आधु नक कूल आए, ज ह ने हर ब चे को पढ़ने और लखने तथा
भूगोल, इ तहास और जीव व ान के बु नदायी त य क श ा दे ने क शु आत क , तो
उ ह ने अप र मत सुधार का त न ध व कया।
इसके वपरीत, इ क सव सद म हम सूचना क वपुल मा ा से घरे ए ह, और अब
ससर भी उसको अव करने क को शश नह करते। इसक बजाय, वे ग़लत सूचनाएँ
फैलाने और अ ासं गकता के सहारे हमारा यान भटकाने म त ह। अगर आप
मै सको के कसी दे हाती नगर म रहते ह और आपके पास माटफ़ोन है, तो आप अपने
जीवन का ब त सारा व त वक पी डया पढ़ते ए, टे ड टॉ स दे खते ए, और
ऑनलाइन कोस लेते ए बता सकते ह। कोई भी सरकार उस सूचना को छपाने क
उ मीद नह कर सकती, जो वह नह चाहती। सरी ओर, यह ख़तरनाक प से आसान है
क वे जनता को पर पर वरोधी रपोट और यान भटकाने वाली सूचना से पाट द।
सारी नया के लोग अले पो क गोलीबारी या आक टक के पघलते हम शखर के बारे म
ताज़ातरीन जानकारी से मा एक बटन दबाने भर क री पर ह, ले कन इन सबके बारे म
इतनी पर पर वरोधी जानका रयाँ ह क यह समझ पाना मु कल है क कस पर भरोसा
कया जाए। इसके अलावा, असं य सरी चीज़ भी एक बटन दबाने भर क री पर ह,
जो आपक एका ता को मु कल बना दे ती ह, और जब राजनी त या व ान ब त पेचीदा
लगने लगते ह, तो वहाँ से यान हटकर क ह मज़ेदार कैट वी डयो, से ल ट गॉ सप, या
पोन ाफ़ दे खने का लोभ जागने लगता है।
इस तरह क नया म, कसी अ यापक को अपने छा को और अ धक जानकारी
दे ने क कोई ज़ रत नह रह जाती। यह जानकारी उनके पास पहले से ही भरपूर मा ा म
होती है। इसक बजाय, लोग को सूचना क साथक ा या करने, मह वपूण और ग़ैर-
मह वपूण के बीच फ़क़ करने, और इस सबसे ऊपर सूचना के ढे र अंश को आपस म
मलाकर नया क ापक तसवीर गढ़ने क ज़ रत है।
वा तव म, ये स दय से प म क उदारवाद श ा का आदश रहा है, ले कन अब
तक अ धकांश प मी कूल इस आदश को ा त करने म सु त रहे ह। अ यापक ने ख़ुद
को छू ट द क वे आँकड़े ठूँ सते रह और वह वे छा को ‘ख़ुद ही सोचने’ के लए
ो सा हत करते रहे। तानाशाही के भय के चलते, उदारवाद कूल म महा यान को
लेकर वशेष प से दहशत रही। वे मानकर चलते रहे क जब तक वे छा को ढे र
आँकड़े और क चत आज़ाद उपल ध कराते रहगे, तब तक छा नया क अपनी तरह
क तसवीर रचते रहगे, और अगर यह पीढ़ उन सारे आँकड़ का सं ेषण कर नया का
एक सुसंगत और अथपूण क़ सा गढ़ने म नाकामयाब भी रहती है, तो भ व य म एक
अ छा सं ेषण रचने के लए भरपूर व त होगा। अब हमारे पास वह व त नह बचा है।
आने वाले कुछ दशक म जो फ़ैसले हम लगे, वे वयं जीवन के भ व य को आकार दगे,
और ये फ़ैसले हम अपनी मौजूदा व के आधार पर ही ले सकते ह। अगर इस पीढ़
म ा ड क कसी बोधग य का अभाव आ, तो जीवन का भ व य बेतरतीब ढं ग
से तय होगा।
दबाव ज़बरद त है
सूचना के अलावा, यादातर कूल ब च को पूव नधा रत द ताएँ - जैसे क वभेदक
समीकरण का हल नकालना, C ++ म क यूटर कोड लखना, परखनली म रसायन क
पहचान करना, या चीनी म ब तयाना - उपल ध कराने पर ब त यादा यान दे ते ह,
ले कन चूँ क हम इस बात का कोई अनुमान नह है क 2050 म रोज़गार क नया कैसी
होगी, इस लए हम वा तव म इस बात क कोई जानकारी नह है क वे कौन-सी ख़ास
द ताएँ ह गी, जनक लोग को ज़ रत पड़ेगी। हम ब च को यह सखाने म भरपूर
उ म लगा सकते ह क C ++ म कैसे लखा जाए या चीनी भाषा कैसे बोली जाए, ले कन
मुम कन है क हम पता चले क 2050 तक आ ट फ़ शयल इंटे लजस सॉ टवेयर क
को डग इंसान से बेहतर ढं ग से कर सकता है, और नया गूगल ांसलेट ऐप आपको
मड रन, कटोनीज़ या ह का म लगभग ु टहीन वातालाप करने म स म बना सकता है,
भले ही आपको सफ़ नी हाव (हेलो, कैसे ह) बोलना भर आता हो।
तब हम या पढ़ाना चा हए? अनेक अ यापन- वशेष का तक है क कूल को अब
‘चार Cs ’ पढ़ाने पर यान दे ना चा हए - टकल थ कग ( ववेचना मक च तन),
क यु नकेशन (स ेषण), कोलेबोरेशन (सहकार) और ए ट वट (सृजना मकता)। और
भी ापक तौर पर, कूल को तकनीक द ता को कम मह व दे ना चा हए और
सामा य उ े यपरक जीवन स ब धी द ता पर यादा ज़ोर दे ना चा हए। इनम सबसे
मह वपूण ह गी प रवतन से नपटने, नई चीज़ सीखने, और अ ात प र थ तय म अपना
मान सक स तुलन बनाए रखने क क़ा ब लयत। 2050 क नया के साथ क़दम
मलाकर चलने के लए आपको सफ़ नए वचार और उ पाद ईजाद करना भर ज़ री नह
होगा। इन सबसे ऊपर आपको वयं को बार-बार नए सरे से गढ़ना भी ज़ री होगा।
य क जैसे-जैसे प रवतन क ग त बढ़ती जाएगी, वैसे-वैसे न सफ़ अथ व था म,
ब क ‘मनु य होने’ के अथ-मा म बदलाव आने क स भावना है। 1848 म ही
क यु न ट मेनीफ़े टो ने घोषणा कर द थी क ‘जो कुछ भी ठोस है, वह घुलकर हवा बन
जाता है’, ले कन मा स और ज स मु यतः सामा जक और आ थक संरचना के बारे
म सोच रहे थे। 2048 तक शारी रक और सं ाना मक संरचनाएँ भी घुलकर हवा म, या
डेटा बट् स के बादल म बदल जाएँगी।
1848 म लाख लोग गाँव के खेत के अपने रोज़गार खो रहे थे, और कारख़ान म
काम करने बड़े शहर क ओर जा रहे थे, ले कन बड़े शहर म प ँचने पर इसक कोई
स भावना नह थी क उनको अपना लग बदलने या कोई छठ इ य जोड़ने क ज़ रत
पड़ती। और अगर उनको कसी कपड़ा कारख़ाने म काम मल जाता, तो वे अपने शेष
कामकाजी जीवन म उसी वसाय म बने रहने क उ मीद कर सकते थे।
2048 तक लोग को अ थर ल गक पहचान के साथ, और क यूटर आरोपण ारा
उ प नवीन ऐ य अनुभव के साथ साइबर पेस म थाना त रत हो जाने क थ त से
तालमेल बैठाना पड़ सकता है। अगर वे एक आयामी आभासी वा त वक खेल के लए
ताज़ातरीन फ़ैशन के आक पन म काय और अथ, दोन चीज़ खोज लेते ह, तो दस साल
के भीतर न सफ़ यह ख़ास वसाय, ब क इस तर क कला मक सृजना मकता क
माँग करने वाले सारे काम एआई ारा ह थया लए जाएँगे। इस लए प चीस साल क उ
म आप एक डे टग साइट पर अपना प रचय ‘ल दन म रहने वाली और एक फ़ैशन क
कान पर काम करने वाली प चीस वष य वषमल गक ी’ के प म दे ती ह। पतीस क
उ म आप कहती ह क आप ‘उ के सामंज य क या से गुज़र रहे कसी लग-
वशेष से ता लुक़ न रखने वाली एक ऐसी ी ह, जसक न -कॉ टकल ग त व धय का
े अब मु यतः यू कॉ मॉस आभासी नया है, और जसके जीवन क मु हम वहाँ जाने
क है, जहाँ इसके पहले कोई भी फ़ैशन डज़ाइनर नह गई है’। पतालीस क उ तक
प ँचते-प ँचते डे टग और आ मप रभाषाएँ, दोन ब त पुरानी पड़ जाती ह। आप सफ़
एक ऐसे ऐ ग रदम क ती ा करती ह, जो आपके लए एकदम सट क र ता खोज दे
(या रच दे )। जहाँ तक फ़ैशन डजा़इन क कला से अथ हा सल करने का सवाल है, आप
ऐ ग रदम ारा इस क़दर अटल प से पीछे छोड़ द गई ह गी, क पछले दशक क
अपनी सव े उपल धय क ओर मुड़कर दे खना आपको गव क बजाय श म दगी से
भर दे गा। और पतालीस क उ म भी आपके आगे आमूल-चूल बदलाव लाने वाले कई
दशक पड़े ह गे।
कृपया भ व य क प रक पना को इस तरह न ल क यह श दश: इसी प म घ टत
होगी। जो बदलाव हम दे खने को मलगे, उनका पूवानुमान वा तव म कोई नह कर
सकता। भ व य क कसी भी प रक पना के स चाई से ब त र होने क स भावना है।
अगर आपके सामने कोई म य इ क सव सद क नया का वणन करता है और
वह वणन कसी व ान-कथा जैसा तीत होता है, तो वह स भवतः झूठा है, ले कन फर
अगर कोई आपके सामने म य इ क सव सद क नया का वणन करता है और
वह वणन व ान-कथा जैसा तीत नह होता - तो वह न य ही झूठा है। हम
न या मकता के बारे म न यपूवक कुछ नह कह सकते, ले कन बदलाव अपने आप
म एकमा न या मकता है।
यह ग भीर बदलाव शायद जीवन के बु नयाद ढाँचे को ही बदल दे , और व छ ता
को इसका सबसे मुख ल ण बना दे । जीवन चरकाल से ही दो अनुपूरक ह स म बँटा
रहा था : सीखने का दौर और उसके बाद काम करने का दौर। जीवन के पहले ह से म
आप जानकारी एक करते थे, द ताएँ वक सत करते थे, एक जीवन- रचते थे, और
एक थर पहचान गढ़ते थे। अगर आप प ह साल क उ म भी अपना दन ( कसी
औपचा रक कूल म बताने क बजाय) प रवार के धान के खेत म काम करते ए बताते
थे, तब भी जो सबसे मह वपूण काम आप कर रहे होते थे, वह सीखने का काम होता था :
चावल क खेती कैसे क जाए, कसी बड़े शहर से आए चावल के लालची सौदागर से
मोल-भाव कैसे कया जाए, और ज़मीन तथा पानी को लेकर सरे ामीण के साथ होने
वाली तक़रार को कैसे सुलझाया जाए। जीवन के सरे ह से म आप नया म अपना
रा ता ढूँ ढने के लए, आजी वका कमाने के लए, और समाज म योगदान करने के लए
अपनी एक क गई द ता पर नभर करते थे। बेशक, पचास क उ म भी आप
चावल के बारे म, सौदागर के बारे म, तक़रार के बारे म नई चीज़ सीखना जारी रखते थे,
ले कन ये चीज़ आपक खर द ता म छोटे -मोटे सुधार ही लाती थ ।
इ क सव सद के म य तक तेज़ र तार बदलाव और उ ह के साथ-साथ ल बे
जीवन-काल क वज़ह से यह पार प रक ढाँचा पुराना पड़ जाएगा। जीवन क सीवन उघड़
जाएँगी, और जीवन के व भ कालख ड के बीच नर तरता कम से कमतर होती
जाएगी। ‘म कौन ँ?’ का इस क़दर नणायक और पेचीदा हो जाएगा, जतना वह
कभी नह रहा।
इससे मान सक स ताप और तनाव के तर के ब त अ धक बढ़ जाने क स भावना
है, य क बदलाव हमेशा ही स ताप और तनाव से भरा होता है, और एक ख़ास उ के
बाद यादातर लोग बदलाव चाहते ही नह ह। जब आप प ह के होते ह, आपका समूचा
जीवन बदलाव होता है। आपक काया बढ़ रही होती है, आपका दमाग़ वक सत हो रहा
होता है, आपके र ते गाढ़ हो रहे होते ह। हर चीज़ लगातार बदल रही होती है, और हर
चीज़ नई होती है। आप ख़ुद को आ व कृत करने म त होते ह। ब त-से कशोर इससे
डरे होते ह, ले कन इसी के साथ-साथ यह रोमांचक भी होता है। आपके सामने नई
स भावनाएँ खुल रही होती ह, और जीतने के लए सारी नया आपके सामने मौजूद होती
है।
पचास के होते-होते, आप बदलाव नह चाहते, और यादातर लोग नया को जीतने
क को शश छोड़ चुके होते ह। सब कुछ इस क़दर दे ख-समझ लया है क अब ऊब होने
लगी है। आपको था य व यादा ठ क लगता है। आप अपनी द ता , अपनी
आजी वका, अपनी पहचान और अपनी व म इतना अ धक नवेश कर चुके ह क
आप एक बार फर नए सरे से सब कुछ शु नह करना चाहते। कसी चीज़ को तैयार
करने म आपने जतनी कड़ी मेहनत क होती है, उतना ही मु कल होता है उस चीज़ पर
अपनी पकड़ को ढ ला करना और कसी नई चीज़ के लए गुंजाइश दे ना। आप नए
अनुभव और छोटे -मोटे तालमेल बैठाने म अभी भी आन द लेते ह, ले कन यादातर लोग
पचास क उ म अपनी पहचान और व क गहरी संरचना क आमूल-चूल
मर मत के लए तैयार नह होते।
इसके नायु वक कारण होते ह। य प वय क दमाग़ उससे यादा लचीला और
प रवतनशील होता है, जतना कभी समझा जाता था, तब भी उसम कशोर दमाग़ जैसी
नमनीयता नह होती। नायु और दो नायु वक को शका के बीच के तार को नए
सरे से जोड़ना भयानक मु कल काम है। ले कन इ क सव सद म था य व आपके
लए महँगा पड़ सकता है। अगर आप कसी थायी पहचान, काम या व से चपके
रहना चाहते ह, तो आप यह जो खम उठाते ह क नया आपको पीछे छोड़ती ई आपके
सर पर से गुज़र जाती है। नतीजतन, इस त य के म े नज़र क आयु-सीमा के बढ़ते जाने
क स भावना है, आपको एक अ ानी ढ़वाद के प म दशक गुज़ारने पड़ सकते ह।
ासं गक बने रहने के लए - सफ़ आ थक प से ही नह , ब क सबसे यादा
सामा जक प से ासं गक बने रहने के लए - आपको नर तर सीखते रहने और नए
सरे से गढ़ते रहने क ज़ रत होगी, न य ही पचास साल क युवाव था म।
जैसे ही व च ता नई सामा य अव था बन जाएगी, आपके अतीत के अनुभव, साथ
ही समूची मनु यता के अतीत के अनुभव भी, उतने भरोसेम द मागदशक नह रह जाएँगे।
य के प म इंसान को और सम तौर पर मानव-जा त को उ रो र ऐसी चीज़ से
नपटना पड़ेगा, जनका सामना पहले कभी कसी ने नह कया था, जैसे क अ तशय
बु मान मशीन, या क ढं ग से गढ़ गई कायाएँ, आपक भावना के साथ भयानक
ढं ग से छल-योजना कर सकने वाले ऐ ग रदम, मनु य ारा तेज़ी के साथ पैदा क जा रही
जलवायुपरक उथल-पुथल, और अपने वसाय को हर दस साल बाद बदलने क
ज़ रत। जब आप एक पूरी तरह से अपूव प र थ त का सामना कर रहे ह गे, तब आप
ऐसा या कया करगे, जो सही होगा? जब आप सूचना क वपुल मा ा से भर दए गए
ह गे और जब इस सूचना को आ मसात करने और उस सबका व ेषण करने का कोई
उपाय न होगा, तो आपक कारवाई का या प होगा? ऐसी नया म कस तरह रहा जा
सकेगा, जहाँ अथाह अ न या मकता कोई खोट नह , ब क वह इस नया का एक
ल ण होगी?
इस तरह क नया म जी वत बने रहने और फलने-फूलने के लए, आपको ब त
यादा मान सक लचीलेपन और भावना मक स तुलन के वशाल संचय क ज़ रत होगी।
आपको बार-बार कुछ ऐसी चीज़ को ख़ा रज़ करते रहना होगा, जनसे आप सबसे अ छ
तरह प र चत ह, अ ात चीज़ के साथ आ मीयता महसूस करनी होगी। भा य से, ब च
को अ ात का वागत करने और अपना मान सक स तुलन बनाए रखने क श ा दे ना,
उनको भौ तक के समीकरण या पहले व यु क वज़ह क श ा दे ने से कह यादा
मु कल काम है। आप कोई पु तक पढ़कर या कोई ा यान सुनकर लचीलापन नह
सीख सकते। श क म ख़ुद ही आमतौर से उस मान सक लचीलेपन का अभाव है,
जसक माँग इ क सव सद करती है, य क वे वयं पुरानी श ा-प त क पैदाइश
ह।
औ ो गक ा त ने हम श ा का मब उ पादन ( ॉड शन-लाइन) का स ा त
वसीयत म स पा है। नगर के बीच एक बड़ी प क इमारत होती है, जसम एक-जैसे ब त-
से कमरे होते ह, और हर कमरा मेज़ और कु सय क क़तार से सुस जत होता है। घ टे
क आवाज़ सुनते ही आप उन तीस और ब च के साथ इनम से कसी एक कमरे म जाते
ह, जो सब उसी साल पैदा ए थे, जस साल आपका ज म आ था। हर घ टे कोई बड़ी
उ का अ दर आता है और बोलना शु कर दे ता है। इस काम के लए उनको
सरकार से पैसे मलते ह। उनम से एक आपको पृ वी क आकृ त के बारे म बताता है,
सरा आपको इंसान के अतीत के बारे म बताता है, तीसरा आपको मनु य के शरीर के बारे
म बताता है। इस ढाँचे का मज़ाक़ उड़ाना आसान है, और लगभग हर कोई इस पर सहमत
है क इसक अतीत क उपल धयाँ जो भी रही ह , ले कन अब यह दवा लया हो चुका
है। इसके बावजूद अब तक हमने कोई अभी या कारगर वक प नह रचा है। न य ही
हमने ऐसा कोई व तारपरक वक प नह रचा है, जसको कै लफ़ो नया के क ह सफ़
स प उपनगर क बजाय मै सको के ामीण इलाक़ म लागू कया जा सके।
मनु य म सध
इस लए मै सको, ह तान या अ बामा म कह कसी पुराने पड़ चुके कूल म अटके
एक प ह-वष य कशोर को जो सबसे अ छ सलाह म दे सकता ँ, वह यह है : वय क
पर ब त यादा भरोसा मत करो। उनम से यादातर के इरादे भले ह, ले कन वे नया को
नह समझते। अतीत म, वय क का अनुसरण करना अपे ाकृत सुर त दाँव आ करता
था, य क वे नया को ब त अ छ तरह से समझते थे, और नया म बदलाव धीमी
ग त से आते थे, ले कन इ क सव सद ब कुल अलग तरह क होने जा रही है। प रवतन
क बढ़ती ई र तार क वज़ह से आप इस बारे म कभी न त नह हो सकते क वय क
लोग आपसे जो कुछ कह रहे ह, वह कालातीत ा क बात है या कोई घसा- पटा
पूवा ह है।
तब फर आप उनक जगह कस चीज़ पर भरोसा कर सकते ह? या शायद
ौ ो गक पर? यह और भी यादा जो खम-भरा दाँव है। ौ ो गक आपक ब त मदद
कर सकती है, ले कन अगर ौ ो गक आपके जीवन पर ब त यादा कूमत हा सल कर
लेती है, तो आप उसक कायसूची के ब धक बनकर रह सकते ह। हज़ार साल पहले
मनु य ने कृ ष का आ व कार कया था, ले कन इस ौ ो गक ने एक ब त छोटे -से
कुलीन-वग को समृ कया, और ब सं यक इंसान को ग़लाम बनाया। यादातर लोग
ने पाया क वे सूय दय से लेकर सूया त तक काम म जुते रहते ए खरपतवार उखाड़ते
रहते ह, पानी से भरी बा टयाँ ढोते रहते ह और सुलगती धूप म म के क फ़सल काटते
रहते ह। ये आपके साथ भी हो सकता है।
ौ ो गक बुरी नह है। अगर आपको मालूम है क आप अपने जीवन म या चाहते
ह, तो ौ ो गक उसको हा सल करने म आपक मदद कर सकती है, ले कन अगर
आपको नह मालूम क आप अपने जीवन म या हा सल करना चाहते ह, तो ौ ो गक
के लए आपके ल य को नधा रत करना और आपके जीवन को नय त करना ब त
आसान होगा। ख़ासतौर से ौ ो गक जैसे-जैसे मनु य को समझने के मामले म बेहतर
होती जाएगी, वैसे-वैसे, बजाय इसके क वह आपक सेवा करे, आप ख़ुद को उसक सेवा
म लगा आ पा सकते ह। या आपने उन नीरस य को दे खा है, जो अपना चेहरा
अपने माटफ़ोन म गड़ाए सड़क पर घूमते रहते ह? आपको या लगता है, वे ौ ो गक
को नय त करते ह, या ौ ो गक उनको नय त करती है?
तब फर या आपको ख़ुद पर भरोसा करना चा हए? यह बात सी मी ट पर या
पुराने चाल क कसी डज़नी फ़ म म ब त बड़ी लगती है, ले कन वा त वक जीवन म
यह उस तरह कारगर नह है। यहाँ तक क यह बात अब डज़नी तक को समझ म आने
लगी है। रली एंडरसन क तरह, यादातर लोग शायद ही ख़ुद को जानते ह, और जब वे
‘अपनी आवाज़ सुनने’ क को शश करते ह, तो वे ब त आसानी से बाहरी छलयोजना
के शकार हो जाते ह। हम अपने सर के भीतर से आती जस आवाज़ को सुनते ह, वह
कभी व ास के क़ा बल नह रही, य क वह जैवरासाय नक खोट के साथ-साथ, हमेशा
सरकारी चार, वचारधारा मक ेनवा शग और वा ण यक व ापन को त व नत
करती है।
जैसे ही जैव ौ ो गक और मशीन ल नग उ त प ले लगे, वैसे ही लोग क
भावना और आकां ा के साथ छलयोजना करना और भी आसान हो जाएगा, और
तब अपने दल क आवाज़ का अनुसरण करना पहले के कसी भी व त के मुक़ाबले
यादा ख़तरनाक हो जाएगा। जब कोका-कोला, अमेज़ॉन, बै या सरकार यह समझ लेगी
क आपके दल क डोर को कैसे ख चा जाए और आपके म त क के बटन को कैसे
दबाया जाए, तक या आप अपने और उनके वपणन वशेष के बीच फ़क़ कर पाएँगे?
इस तरह के चुनौतीपूण उ म म कामयाब होने के वा ते आपको अपने ऑपरे टग
स टम को बेहतर समझने के लए ब त कड़ी मेहनत करने क ज़ रत होगी। यह जानने
के लए क आप या ह, और आप जीवन से या चाहते ह। यह न य ही पोथी म द गई
सबसे पुरानी सलाह है : ख़ुद को जानो। हज़ार साल तक दाश नक और भ व य ा
ने लोग से ख़ुद को जानने क वनती क है, ले कन यह सलाह जस तरह इ क सव सद
म त काल अमल करने यो य बन चुक है, उतनी कभी नह थी, य क लाओज़ी और
सुकरात के ज़माने से भ , आज आप ग भीर त पधा का सामना कर रहे ह। कोका-
कोला, अमेज़ॉन, बै और सरकार सब-के-सब आपके भीतर सध लगाने (आपको हैक
करने) क होड़ कर रहे ह। आपका माटफ़ोन नह , आपका क यूटर नह , आपका बक
खाता नह - वे आपके भीतर और आपके जै वक ऑपरे टग स टम के भीतर सध लगाने
क होड़ कर रहे ह। शायद आपने सुना होगा क हम क यूटर क ह कग के युग म रह रहे
ह, ले कन यह बमु कल आधी स चाई ही है। दरअसल, हम मनु य को हैक कए जाने के
युग म रह रहे ह।
ऐ ग रदम ठ क इस व त भी आप पर नगाह रखे ए ह। वे नगाह रखे ए ह क
आप कहाँ जाते ह, या ख़रीदते ह, कससे मलते ह। ज द ही वे आपके हर क़दम,
आपक सारी साँस , आपके दल क सारी धड़कन पर नगाह रखने लगगे। आपको
यादा-से- यादा बेहतर ढं ग से समझने के लए वे बग डेटा और मशीन ल नग पर भरोसा
कर रहे ह। और जैसे ही ये ऐ ग रदम आपको आपसे बेहतर ढं ग से जानने लगगे, वे
आपको नय त कर सकगे, आपके साथ छल-योजना कर सकगे, और आप इसको
लेकर कुछ ख़ास नह कर पाएँगे। आप मै स के भीतर, या द टमेन शो के भीतर रह रहे
ह गे। अ त म, यह एक साधारण-सा अनुभवपरक मसला होगा : अगर ऐ ग रदम सचमुच
ही इस बात को आपसे बेहतर समझते ह क आपके भीतर या चल रहा है, तो भु व
आपके हाथ से नकलकर उनके हाथ म चला जाएगा।
न य ही, यह मुम कन है क सारा भु व ऐ ग रदम के हाथ म स पकर और आपके
तथा नया के फ़ैसले उनके ज़ मे स पकर, आप पूरी तरह स ह । अगर ऐसा है, तो
चैन क साँस ली जए और सफ़र का आन द उठाइए। फर आपको इस बारे म कुछ भी
करने क ज़ रत नह है। ऐ ग रदम सब कुछ सँभाल लगे, ले कन, अगर आप अपने
अ त व और अपने भावी जीवन पर कुछ नय ण अपने हाथ म बचाए रखना चाहते ह,
तो आपको ऐ ग रदम से, अमेज़ॉन और सरकार से यादा तेज़ र तार से दौड़ना होगा,
और इसके पहले क वे आपको जान, आपको ख़ुद को जानना होगा। चूँ क आपको तेज़
दौड़ना है, इस लए अपने साथ ब त यादा सामान न ले जाएँ। अपने सारे म छोड़कर
जाएँ। वे ब त भारी ह।
20
अथ
जीवन कोई कहानी नह है
जा -म तर और व ास का उ ोग
हम अथ और पहचान उपल ध कराने वाली सारी कहा नयाँ का प नक ह, ले कन इंसान
को उन पर व ास करना ज़ री है। तब फर ऐसा या कया जाए, जससे कहानी स ची
लगे? यह तो ज़ा हर-सी बात है क मनु य कहानी म व ास य करना चाहते ह, ले कन
वे यह व ास कस तरह करते ह? इसका जवाब हज़ार साल पहले पुरो हत और
ओझा ने ढूँ ढ लया था : अनु ान के सहारे। अनु ान वह जा ई कम है, जो अमूत को
मूत और का प नक को वा त वक म बदल दे ता है। अनु ान का सार-त व है जा ई
स मोहन ‘जा -म तर, क है ख!’
ईसा को उनके भ के लए वा त वक कैसे बनाया जाए? मास के अनु ान के दौरान
पादरी ेड का एक टु कड़ा और वाइन का गलास उठाता है, और घोषणा करता है क वह
ेड ईसा का मांस और वाइन ईसा का र है, और उनको खा और पीकर आ थावान लोग
ईसा के साथ एक व हा सल कर लेते ह। ख़ुद अपने मुँह से ईसा का वा त वक वाद चखने
से यादा वा त वक भला और या हो सकता है? पार प रक तौर पर, पादरी ये नभ क
घोषणाएँ लै टन म कया करते थे, जो मज़हब, वधान और जीवन के रह य क ाचीन
भाषा आ करती थी। एक कसान क व मत नज़र के सामने पादरी ेड के टु कड़े को
ऊपर उठाता था और व मय-भरे वर म कहता था ‘Hoc est corpus ’ -‘ये काया है!’ -
और वह ेड क थत प से ईसा क काया बन जाती थी। उन नर र कसान के दमाग़
म, जो लै टन नह बोलते थे, ‘Hoc est corpus ’ का मतलब होता था ‘जा -म तर!’ और
इस तरह उस श शाली स मोहन का ज म आ था, जो कसी मढक को राजकुमार म,
और एक क को रथ म बदल सकता था।
ईसाइयत के ज म के एक हज़ार साल पहले, ाचीन ह भी इसी तरह के करतब का
इ तेमाल करते थे। बृहदार यक उप नषद एक घोड़े क ब ल क ा या ा ड क
समूची कथा क च रताथता के प म करता है। यह थ भी ‘जा -म तर, क ख है’ ढाँचे
का यह कहते ए अनुसरण करता है क ‘ब ल के अ का सर भोर है, उसके ने सूय ह,
उसक जीवनी-श वायु है, उसका खुला आ मुख वै ानर नामक अ न है, और ब ल
के अ क काया वष है… उसके अंग ऋतुएँ ह, उसके स ध- थल महीने और पखवाड़े ह,
उसके पैर दन और रात ह, उसक अ थयाँ न ह, उसका मांस मेघ ह…उसक उबासी
व ुत है, उसक दे ह का क पन झंझावात है, उससे पानी आना वषा है, और उसक
हन हनाहट वर है’ ‘जा -म तर, क है ख!’ इस तरह एक नाचीज़ घोड़ा समूचा ा ड
बन जाता है।
मोमब ी जलाने, घ ट बजाने, या जपमाला के मोती गनने जैसे नता त तु छ-से
कृ य को गहरे मज़हबी अथ दे ते ए कसी भी चीज़ को एक अनु ान म बदला जा सकता
है। यही बात शारी रक भं गमा के स दभ म सही है, जैसे क सर नवाना, सा ांग
द डवत करना, या दोन हाथ जोड़ना। सख पगड़ी से लेकर मु लम हजाब तक सर के
व भ प रधान इस क़दर अथ से भर दए गए ह क उ ह ने स दय तक आवेगपूण संघष
को भड़काया है।
भोजन तक को भी उसके पोषक मू य से परे आ या मक अथव ा से म डत कया
जा सकता है, चाहे वे ई टर के अ डे ह , जो नए जीवन और ईसा के पुन थान के तीक
ह, या वे कड़वी जड़ीबू टयाँ और बे वाद ेड ह , जनको य दय को म क अपनी
ग़लामी और उससे चम कारपूण ढं ग से अपने बच नकलने को याद करने के लए
पासओवर पव पर खाना अ नवाय होता है। नया म शायद ही ऐसा कोई ंजन हो,
जसक कसी चीज़ के तीक के प म ा या नह क गई हो। जैसे क यू ईयस डे पर
मज़हबी य द शहद खाते ह, ता क आने वाला साल मीठा हो। वे मछ लय के सर खाते
ह, ता क वे मछ लय क तरह फलदायी ह और पीछे क ओर जाने क बजाय आगे क
ओर बढ़, और वे अनार खाते ह, ता क उनके स कम अनार के बीज क तरह ब गु णत
होते रह।
इसी से मलते-जुलते अनु ान का उपयोग राजनी तक उ े य के लए भी कया गया
है। हज़ार साल तक राजमुकुट, राज सहासन और राजद ड राजशा हय और सा ा य
का त न ध व करते थे। ‘राजमुकुट’ या ‘राज सहासन’ पर अ धकार को लेकर लड़े गए
नृशंस यु म लाख लोग मरे थे। शाही दरबार ने अ य त व तृत श ाचार तैयार कर रखे
थे, जो सवा धक पेचीदा मज़हबी द तूर से मेल खाते थे। सेना म, अनुशासन और अनु ान
अ भ होते ह, और ाचीन रोम से लेकर आज के ज़माने तक के सै नक एक नधा रत
व यास के अ तगत माच करने म, अपने व र अ धका रय को सलाम करने म, और
अपने जूते चमकाने म अन गनत समय बताते ह। यह बात स है क नेपो लयन का
कहना था क वह एक रंगीन फ़ ते क ख़ा तर पु ष को अपने जीवन का ब लदान करने
को ववश कर सकता था।
अनु ान के राजनी तक मह व को क यू शयस से बेहतर शायद कसी ने नह
समझा था, जसने अनु ान (ली) के स त पालन को सामा जक समरसता और
राजनी तक थरता क कुंजी के प म दे खा था। द बुक ऑफ़ राइट् स, द राइट् स ऑफ़
ाओ और द बुक ऑफ़ ए टक़ेट एंड राइट् स जैसे क यू शयाई गौरव- थ ने कस
राजक य अवसर पर कस अनु ान का न पादन कया जाना चा हए आ द से लेकर
उ सव म इ तेमाल कए जाने वाले पा क सं या, बजाए जाने वाले वा -य के कार
और पहने जाने वाले लबाद के रंग तक को पूरी बारीक़ के साथ दज़ कया था। जब भी
चीन पर कोई संकट आता था, तो क यू शयाई अ येता त काल इसका दोष अनु ान क
उपे ा के म थे मढ़ दया करते थे, उसी तरह जैसे कोई सजट मेजर सेना क पराजय का
दोष उन लापरवाह सै नक के म थे मढ़ता है, ज ह ने अपने जूते नह चमकाए होते।
आधु नक प म म अनु ान के त इस क यू शयाई सनक को अ सर छछलेपन
और पुरातनप थ के संकेत के प म दे खा गया है, ले कन व तुतः, यह स भवतः मानवीय
कृ त क क यू शयस क गहन और कालातीत समझ को मा णत करता है। यह
स भवतः संयोग नह है क क यू शयाई सं कृ तय ने सबसे पहले और सबसे मह वपूण
न सफ़ चीन म, ब क पड़ोसी को रया, वयतनाम और जापान म भी अ य त टकाऊ
सामा जक और राजनी तक ढाँचे तैयार कए। अगर आप जीवन का परम स य जानना
चाहते ह, तो अनु ान और सं कार ब त बड़ी बाधाएँ ह, ले कन अगर आप क यू शयस
क तरह सामा जक था य व और समरसता म दलच पी रखते ह, तो स य जहाँ अ सर
एक बोझ होता है, वह अनु ान और सं कार आपके सबसे अ छे सहयो गय म से होते
ह।
यह बात इ क सव सद म उतनी ही ासं गक है, जतनी वह ाचीन चीन म थी।
‘जा -म तर’ क श हमारी आधु नक औ ो गक नया म अभी भी क़ायम और स य
है। 2018 म ब त से लोग के लए क ल ठ ककर एक- सरे से जोड़ी गई दो छ ड़याँ ई र
ह, द वार पर चपका आ एक रंगीन पो टर ा त है, और हवा म लहराता आ कपड़े
का एक टु कड़ा रा है। आप ांस को न सुन सकते ह न दे ख सकते ह, य क उसका
अ त व सफ़ आपक क पना म है, ले कन आप न य ही तरंगे को दे ख सकते ह और
‘मास लएज़’ ( ांस का रा गान) को सुन सकते ह। इस लए एक रंगीन झ डा फहराकर
और रा गान गाकर आप रा को एक अमूत क़ से से एक इ य- ा वा त वकता म
बदल दे ते ह।
हज़ार साल पहले ह भ घोड़ क ब ल दया करते थे। आज वे महँगे झ ड के
उ पादन म पैसा लगाते ह। भारत के रा ीय झ डे को ‘ तरंगा’ के नाम से जाना जाता है,
य क इसम केस रया, सफ़ेद और हरा तीन रंग ह। 2002 क भारत क वज-सं हता
घोषणा करती है क यह झ डा ‘भारत के लोग क आशा और आकां ा को
त ब बत करता है। यह हमारे रा ीय गौरव का तीक है। पछले पाँच दशक के दौरान
सश बल के सद य समेत ब त-से लोग ने इस तरंगे को उसक पूरी म हमा के साथ
फहराए रखने के लए उदारतापूवक अपने जीवन का ब लदान कया है।’ इसके बाद यह
वज-सं हता भारत के सरे रा प त सवप ली राधाकृ णन को उ त करती है, ज ह ने
कहा था :
ए सनोर म सुपरमाकट
समूचे इ तहास के दौरान लगभग सारे इंसान एक ही व त म कई क़ स म व ास करते
रहे, और उ ह ने इनम से कसी भी एक क़ से क स चाई पर अ तम प से यक़ न नह
कया। इस अ न य क सरसराहट यादातर मज़हब म मौजूद रही है, जो इसी लए
आ था को एक आधारभूत गुण क तरह और स दे ह को यथास भव न दनीय पाप म से
एक पाप क तरह दे खते रहे ह। मानो बना कसी माण के चीज़ म व ास करना सहज
प से अ छ बात हो, ले कन आधु नक सं कृ त के उ व के साथ थ त पूरी तरह बदल
गई। आ था उ रो र मान सक ग़लामी जैसी लगने लगी, जब क स दे ह को वत ता क
ाथ मक शत क तरह दे खा जाने लगा।
1599 और 1602 के बीच कभी व लयम शे स पयर ने द लायन कग के अपने
सं करण का लेखन कया था, जसे हैमलेट के नाम से बेहतर जाना जाता है, ले कन
स बा से भ , हैमलेट जीवन के च को पूरा नह करता। वह अ त तक शंकालु और
वधा त बना रहता है, और कभी नह जान पाता क जीवन का अथ आ ख़र या है,
और कभी यह न य नह कर पाता क होना बेहतर है या न होना। इस मामले म हैमलेट
आधु नक नायक का तमान है। आधु नकता ने उन अन त क़ स को ख़ा रज़ नह कया
था, जो उसको अतीत से वरासत म ा त ए थे। इसक बजाय उसने उनके लए एक
सुपरमाकट खोल दया। आधु नक मनु य उन सबका वाद लेकर जाँचने के लए, और
अपनी च के मुता बक़ उनम से चुनने या उनका कोई म ण तैयार करने के लए वत
है।
कुछ लोग इतनी यादा वत ता और अ न य को बदा त नह कर पाते। फ़ासीवाद
जैसे आधु नक सवस ावाद आ दोलन ने स द ध वचार के सुपरमाकट पर हसक ढं ग
से त या क , और एक एकल क़ से म स पूण आ था क माँग करने के मामले म
पार प रक मज़हब तक को पीछे छोड़ दया, ले कन यादातर आधु नक लोग ने इस
सुपरमाकट के त अपनी पस द वक सत कर ली। जब आपको यह समझ म नह आता
क कुल मलाकर जीवन का अथ या है और कौन-से क़ से पर भरोसा कया जाए, तब
आप या करते ह? तब आप चुनने क साम य-मा को एक प व चीज़ मानने लगते ह।
आप चुनने क श और वत ता से लैस होकर हमेशा के लए इस सुपरमाकट के
ग लयारे म जाकर खड़े हो जाते ह, अपने सामने रखे उ पाद को जाँचते-परखते रहते ह,
और… य ज़, कट। द एंड। पद पर े डट् स क फ़ेह र त।
उदारवाद मथक- व ा के मुता बक़ अगर आप उस वशाल सुपरमाकट म पया त
ल बे समय तक खड़े रहते ह, तो आपको आगे-पीछे उदारवाद द -दशन क अनुभू त
होगी, और जीवन के स चे अथ का बोध हो जाएगा। इस सुपरमाकट के शे फ़ म रखे ए
सारे क़ से नक़ली ह। जीवन का अथ कोई तैयारशुदा उ पाद नह है। कोई अलौ कक
पटकथा नह है, और मुझसे बाहर क कोई चीज़ मेरे जीवन को अथ दान नह कर
सकती। यह म ँ, जो अपने वत चुनाव के मा यम से और अपनी ख़ुद क अनुभू तय
के मा यम से हर चीज़ को अथ से रंगता रहता ँ।
फ़ तासी फ़ म वलो - जॉज लुकास क एक नीरस क़ म क परीकथा - म इसी नाम
का नायक एक साधारण बौना है, जो एक महान जा गर बनने और अ त व के रह य म
महारत हा सल करने का वाब पाले ए है। एक दन ऐसा ही एक जा गर कसी चेले क
तलाश म बौन के उस गाँव से गुज़रता है। वलो और दो अ य उ मीदवार बौने वयं को
उसके सामने पेश करते ह, और वह जा गर इन उ मीदवार से एक छोट -सी परी ा लेता
है। वह अपना दायाँ हाथ आगे करता है, अपनी अंगु लयाँ फैलाता है और योदा-नुमा
आवाज़ म पूछता है, “ नया को नय त करने क ताक़त कस अंगल ु ी म है?” तीन
बौने अलग-अलग अंगु लयाँ पकड़ते ह, ले कन वे तीन ही ग़लत अंगल ु ी चुनते ह। तब भी
जा गर वलो म कोई ख़ास चीज़ ल य करता है, और बाद म उससे पूछता है, “जब मने
अपनी अंगु लयाँ फैलाई थ , तब तु हारे मन म सबसे पहले या भावना पैदा ई थी?”
“वह ब त ही मूखतापूण थी,” वलो ने श म दा होते ए कहा, “मेरी अपनी अंगल ु ी
पकड़ने क ।” “अहा!” जा गर ने वजय के भाव से पुकारते ए कहा, “वह सही जवाब
था! तुमम आ म व ास का अभाव है।” उदारवाद मथक- व ा इस सीख को दोहराते
ए कभी नह थकती।
ये हमारी अपनी अंगु लयाँ ह, ज ह ने बाइबल, कुरान और वेद लखे ह, और यह
हमारा अपना दमाग़ है, जो इन क़ स को श दान करता है। इसम कोई स दे ह नह
क ये सु दर क़ से ह, ले कन इनक सु दरता पूरी तरह से दे खने वाले क आँख म होती
है। य शलम, म का, वाराणसी और बोध गया तीथ- थल ह, ले कन सफ़ उन भावना
क वज़ह से ह, जनको मनु य वहाँ जाने पर अनुभव करते ह। सृ अपने आप म अणु
का गड़बड़झाला है। कोई भी चीज़ सु दर, प व या कामो ेजक नह है, ले कन मनु य क
अनुभू तयाँ उनको वैसा बना दे ती ह। ये केवल मानवीय अनुभू तयाँ ह, जो एक लाल सेब
को स मोहक और मल के टु कड़े को घनौना बनाती ह। अगर आपसे मानवीय भावना
को छ न लया जाए, तो आप अणु (मॉ ल यू स) के एक समूह म बदलकर रह जाएँगे।
हम वयं को सृ के बारे म कसी तैयारशुदा क़ से म फट करके अथ हा सल करने
क उ मीद करते ह, ले कन नया क उदारवाद ा या के मुता बक़, स चाई इसके
एकदम वपरीत है। सृ हम अथ दान नह करती। म सृ को अथ दान करता ँ। यह
मेरा ा डीय उ म है। मेरी कोई तयशुदा नय त या धम नह है। अगर म वयं को
स बा या अजुन जैसी थ त म पाता ँ, तो म कसी रा य के सहासन के लए यु करने
का चुनाव कर सकता ँ, ले कन मुझे ऐसा करने क ज़ रत नह है। म एक घुम तू सकस
म भी शा मल हो सकता ँ, कसी संगीत-ना टका म गाने के लए ॉडवे जा सकता ँ, या
फर स लकॉन वैली म जाकर कसी नई क पनी क शु आत कर सकता ँ। म अपना
ख़ुद का धम रचने के लए आज़ाद ँ।
इस कार, सरे ा डीय क़ स क ही तरह, उदारवाद क़ सा भी एक सृ -
कथा के साथ शु होता है। वह कहता है क सृ हर पल घ टत होती है, और म सृ ा ँ।
तब फर मेरे जीवन का ल य या है? भावना के सहारे, च तन के सहारे, आकां ा
के सहारे, और आ व कार के सहारे अथ क सृ करना। ऐसी कोई भी चीज़ जो महसूस
करने, सोचने, आकां ा करने और आ व कार करने क मानवीय वत ता को सी मत
करती है, वह सृ के अथ को सी मत करती है। इस लए इस तरह क सीमा से
आज़ाद परम आदश है।
ावहा रक पदावली म बात कर, तो जो लोग इस उदारवाद क़ से म व ास करते
ह। वे दो धमादे श का पालन करते ह : रचो, और आज़ाद के लए लड़ो। रचना मकता
क वता लखने, अपनी काम-भावना को अनुभव करने, कसी नई ए लीकेशन का
आ व कार करने, या कसी अ ात रसायन क खोज करने म अपनी अ भ पा
सकती है। आज़ाद क लड़ाई म वह कोई भी चीज़ शा मल है, जो लोग को सामा जक,
जै वक या भौ तक बाधा से मु करती है, वह चाहे ू र तानाशाह के ख़लाफ़ दशन
हो, लड़ कय को पढ़ने क श ा दे ना हो, कसर का इलाज खोजना हो, या कोई अ त र -
यान तैयार करना हो। उदारवाद नायक क दे वम डली म लुई पा र और राइट दस के
साथ-साथ रोज़ा पा स और पा लो पकासो तक शा मल ह।
यह सै ा तक तौर पर ब त उ ेजक और गहरी बात लगती है, ले कन भा य से,
मानवीय वत ता और मानवीय सृजना मकता वे चीज़ नह ह, जनक क पना
उदारवाद क़ सा करता है। हमारी े तम वै ा नक समझ के अनुसार, हमारे चयन और
रचना के पीछे कोई जा नह है। वे जैवरासाय नक संकेत का आदान- दान करते
अरब नायु क उपज ह, और अगर आप मनु य को कैथो लक चच और सो वयत
यू नयन क दासता से आज़ाद कर दे ते ह, तब भी उनके चयन जैवरासाय नक ऐ ग रदम
ारा उतनी ही नममता से नद शत होते रहगे, जतनी नममता से उनको धमपरी ण और
केजीबी नय त करते थे।
उदारवाद क़ सा मुझे अ भ क आजा़द क खोज करने और आ मबोध क
श ा दे ता है, ले कन ‘आ म’ और वत ता, दोन ही ाचीन युग क परीकथा से
उधार ली गई क पनाएँ ह। उदारवाद म ख़ासतौर से ‘ वत इ छाश ’ क ामक
धारण न हत है। ज़ा हर है क मनु य म इ छा होती है, उनम आकां ाएँ होती ह, और वे
कभी-कभी अपनी आकां ा को पूरा करने के लए वत भी होते ह। अगर ‘ वत
इ छाश ’ से आपका अ भ ाय वह करने क वत ता से है, जो आप करना चाहते ह -
तब हाँ, मनु य म वत इ छाश होती है, ले कन अगर ‘ वत इ छाश ’ से
आपका अ भ ाय वह चुनने क वत ता से है, जो आप चाहते ह - तब नह , मनु य क
कोई वत इ छाश नह है।
अगर म पु ष के त काम-आकषण महसूस करता ँ, तो म अपनी क पना को
साकार प दे ने के लए आज़ाद ँ, ले कन म पु ष क जगह य के त आकषण
महसूस करने के लए आज़ाद नह ँ। कुछ मामल म म अपनी काम-भावना को
संय मत करने या ‘यौन-प रवतन’ च क सा कराने तक का नणय ले सकता ँ, ले कन
अपनी काम-भावना क दशा को बदलने क आकां ा-मा एक ऐसी चीज़ है ,जो मुझ पर
मेरे उन नायु ारा डाली गई है, जो शायद सां कृ तक और मज़हबी प पात ारा
उ े रत ह। या कारण है क एक अपनी काम-भावना को लेकर श म दगी महसूस
करता है और उसको बदलना चाहता है, जब क सरा कसी तरह के अपराध-बोध
के बना उ ह काम-भावना का ज मनाता है? आप कह सकते ह क पहले वाले म
सरे के मुक़ाबले बल धा मक भावनाएँ हो सकती ह, ले कन या लोग बल या कमज़ोर
मज़हबी भावनाएँ रखने का चुनाव करने के लए वत ह? एक बार फर, कोई
अपनी कमज़ोर मज़हबी भावना को मज़बूत करने क सचेत को शश के तहत हर
इतवार को चच जाने का फ़ैसला कर सकता है, ले कन ऐसा य है क एक यादा
मज़हबी होने क आकां ा करता है, जब क सरा ना तक बने रहने को लेकर पूरी तरह
ख़ुश होता है? यह कतनी ही सां कृ तक और वंशानुगत वृ य का नतीजा हो सकता
है, ले कन यह ‘ वत इ छाश ’ का प रणाम कभी नह होता।
जो बात काम-आकां ा के बारे म सही है, वही तमाम सरी आकां ा पर, और
वा तव म तमाम अनुभू तय और वचार पर लागू होती है। ज़रा उस अगले ही वचार को
ल, जो आपके दमाग़ म सहसा कट आ है। यह कहाँ से आया? या आपने वत ढं ग
से उसके बारे म सोचने का चुनाव कया था, और उसके बाद ही उसको सोचा था? न य
ही नह । आ मा वेषण क या ब त साधारण-सी चीज़ के साथ शु होती है, और
मश: स त होती जाती है। शु म, हम इस बात का अहसास होता है क अपने से बाहर
क नया को हम नय त नह करते। यह फ़ैसला म नह करता क बा रश कब हो।
इसके बाद हम इस बात का अहसास होता है क जो कुछ भी हमारी काया के भीतर घ टत
होता है, उसको हम नय त नह करते। म अपने र चाप को नय त नह करता।
इसके बाद, हम इस बात को समझते ह क हमारे वयं के म त क पर भी हमारा शासन
नह है। म नायु से यह नह कहता क वे कब उ े जत ह । अ ततः हम इस बात को
समझना ज़ री होता है क हमारा अपनी आकां ा , या इन आकां ा पर अपनी
त या तक पर नय ण नह होता।
इस सबका अहसास हमारी अपनी धारणा को लेकर, अपनी अनुभू तय को लेकर,
और अपनी आकां ा को लेकर हमारी आस को कम करने म मदद कर सकता है।
हमारी कोई वत इ छा-श नह है, ले कन हम अपनी इ छा-श क यातना से कुछ
आज़ाद हो सकते ह। मनु य सामा यतः अपनी आकां ा को इतनी यादा अह मयत
दे ते ह क वे अपनी आकां ा के मुता बक़ सारी नया को नय त करने और आकार
दे ने क को शश करते ह। अपनी लालसा को स तु करने क को शश म मनु य च मा
तक उड़ान भरता है, यु छे ड़ता है, और समूचे पा र थ तक य त को तहस-नहस कर
दे ता है। अगर हम इस बात को समझ लेते ह क हमारी आकां ाएँ वत चयन क जा ई
अभ याँ नह , ब क जैवरासाय नक या क उपज ह (जो याएँ उन
सां कृ तक कारक से भा वत होती ह, जो वयं भी हमारे नय ण से परे ह), तो उनम
हमारी त लीनता कम हो सकती है। बजाय इसके क जो भी दवा व हमारे दमाग़ म
पैदा होते ह, हम उनको साकार करने क को शश कर, उससे बेहतर यह है क ख़ुद को,
अपने दमाग और अपनी आकां ा को समझ।
लोग कभी-कभी ऐसी क पना करने लगते ह क अगर हम वत इ छा-श म
अपना व ास याग दगे, तो हम पूरी तरह से उदासीन हो जाएँगे, और कसी कोने म घुटने
मोड़ बैठे-बैठे भूखे मर जाएँगे। व तुतः, इस म का याग गहन ज ासा उकसाने वाला है।
जब तक आप ख़ुद को अपने दमाग़ म उभरने वाले जन क ह भी वचार और
आकां ा के साथ ढ़तापूवक जोड़े रखते ह, तब तक आपको ख़ुद को जानने क ब त
यादा को शश करने क ज़ रत नह होती। आप सोचते ह आपको तो मालूम ही है क
आप कौन ह, ले कन जब आपको इस बात का अहसास हो जाता है क “अरे, म ये वचार
नह ँ। ये तो महज़ कुछ जैवरासाय नक प दन ह!”, वैसे ही आपको यह बात प हो
जाती है क आपको इसका कोई इ म नह है क आप कौन - या या - ह। यह एक
खोज-अ भयान के ऐसे अ य त रोमांचक सफ़र क शु आत हो सकती है, जस पर कोई
भी इंसान नकल सकता है।
इस सफ़र का एक नणायक क़दम इस बात को क़बूल करना है क ‘ व’ एक ऐसा
का प नक क़ सा है, जसको हमारे दमाग़ क पेचीदा याएँ लगातार गढ़ती रहती ह,
नया प दे ती रहती ह और नए सरे से लखती रहती ह। मेरे दमाग़ म एक कथाकार बैठा
आ है, जो बताता रहता है क म कौन ँ, म कहाँ से आया ँ, म कहाँ जा रहा ँ, और
ठ क इस व त या हो रहा है। श द क कलाबाज़ी म मा हर सरकार के उन लोग क
तरह, जो ताज़ा राजनी तक उथल-पुथल क ा या करते रहते ह, यह अ दर बैठा
कथाकार भी चीज़ को लगातार ग़लत समझता रहता है, ले कन अपनी ग़ल तय को
शायद ही कभी वीकार करता है। और जस तरह सरकार झ ड , तीक और परेड क
मदद से रा ीय मथक गढ़ती रहती है, ठ क उसी तरह मेरा अ द नी चार-त अ य त
मू यवान मृ तय और पोसकर रखे गए सदम क मदद से एक ऐसा नजी मथक गढ़ता
रहता है, जो अ सर स चाई से ब त कम मेल खाता है।
फ़ेसबुक और इ टा ाम के युग म मथक- नमाण क इस या को आप पहले के
कसी भी व त के मुक़ाबले यादा प ढं ग से समझ सकते ह, य क इस या का
कुछ ह सा दमाग़ क जगह क यूटर को स प दया गया है। ऐसे लोग को दे खना
आकषक और भयानक है, जो एक अचूक व व को ऑनलाइन गढ़ने और सँवारने म
अन गनत घ टे बताते ए अपनी ही इस रचना से मो हत होते रहते ह, और इसको अपनी
स चाई समझने क भूल करते रहते ह। यह वह या है, जससे ै फ़क जाम , ु
क़ म के झगड़ और तनावपूण ख़ामो शय से भरा पा रवा रक छु का एक दन
ख़ूबसूरत य , उ म क़ म के डनर और मु कराते चेहर के गु छे म बदल जाता है।
हम जो कुछ भी अनुभव करते ह, उसका 99 % कभी भी व व क कहानी का ह सा
नह बन पाता।
यह वशेष प से उ लेखनीय है क हमारे प रक पत व व म ब त या मक होने
क वृ होती है, जब क हमारे वा त वक अनुभव दै हक होते ह। अपनी प रक पना म
आप अपने मन म या क यूटर- न पर एक य दे खते ह। आप ख़ुद को एक
उ णक टब धीय समु -तट पर खड़ा आ दे खते ह, जहाँ आपके पीछे नीला समु लहर
मार रहा होता है, आपके चेहरे पर बड़ी-सी मु कराहट होती है, आपके एक हाथ म
कॉकटे ल थमा होता है, और सरा हाथ आपके ेमी क कमर को घेरे होता है। वग। यह
य जो चीज़ नह दखाता, वे ह आपके पैर म डंक चुभाती परेशान करती म खी, सड़ी
ई मछली का सूप पीने से आपके पेट म जागती मरोड़ का अहसास, बड़ी मु कराहट का
ढ ग रचने क को शश से आपके जबड़े म पैदा होता तनाव, और वह भ ा झगड़ा जो इस
सुखी युगल के बीच पाँच म नट पहले आ था। काश! हम उस चीज़ को महसूस कर
पाते, जसे तसवीर म दखाई दे ते लोग ने इन तसवीर को लेते समय महसूस कया था!
इस लए अगर आप वा तव म ख़ुद को समझना चाहते ह, तो आपको वयं को अपने
फ़ेसबुक अकाउंट या व व क आ त रक कहानी से जोड़कर नह दे खना चा हए। इसक
बजाय, आपको दे ह और दमाग़ के वा त वक वाह को ल य करना चा हए। तब आप
वचार , भावना और आकां ा को बना कसी ख़ास तक के और आपसे मले कसी
नदश के बना कट और लु त होते दे खगे, ठ क उस तरह जैसे इस या उस दशा से
अलग-अलग हवाएँ बहकर आती ह और आपके बाल बखराकर चली जाती ह। और जस
तरह आप ये हवाएँ नह ह, ठ क उसी तरह आप उन वचार , भावना और आकां ा
का घालमेल नह ह, जनको आप अनुभव करते ह, और आप वह साफ़- व छ बना द गई
कहानी तो नह ही ह, जो आप उनके बारे म बाद म उनको याद करते ए सुनाते ह। आप
उन सबको अनुभव तो करते ह, ले कन आप उनको नय त नह करते, उन पर आपका
वा म व नह होता, और आप वह नह होते, जो वे ह। लोग पूछते ह ‘म कौन ँ?’ और
कोई क़ सा सुनाए जाने क उ मीद करते ह। जो चीज़ आपके लए सबसे पहले जानना
ज़ री है, वह यह है क आप कोई क़ सा नह ह।
कोई क़ सा नह
उदारवाद ने सारे ा डीय नाटक से इंकार करने का ा तकारी क़दम उठाया था,
ले कन मनु य के भीतर उस नाटक क पुनरचना कर द - सृ का कोई कथानक नह है,
इस लए अब यह हम मनु य क ज़ मेदारी है क हम एक कथानक रच, और यही हमारे
उपयु काम है और हमारे जीवन का अथ है। हमारे उदारवाद युग के हज़ार साल पहले
ाचीन बौ धम ने इससे भी आगे जाकर न सफ़ सारे ा डीय नाटक से इंकार कया
था, ब क मानव-र चत आ त रक नाटक से भी इंकार कया था। सृ म कोई अथ नह है,
और मानवीय अनुभू तय म भी कोई अथ नह है। वे कसी महान ा डीय कहानी का
ह सा नह ह - वे महज़ णभंगरु प दन ह, जो बना कसी येय के कट होते ह और
लु त हो जाते ह। यही स य है। इसी पर वजय पाओ।
बृहदार यक उप नषद हमसे कहता है क ‘ब ल के अ का सर भोर है, उसके ने
सूय ह…उसके अंग ऋतुएँ ह, उसके स ध- थल महीने और पखवाड़े ह, उसके पैर दन
और रात ह, उसक अ थयाँ न ह, उसका मांस मेघ है।’ इसके वपरीत, मुख बौ
थ महास तप थान सु ा या करता है क जब कोई मनु य यान करता है, जब वह
सावधानीपूवक अपनी काया का पयवे ण करता है, ल य करता है क ‘इस काया म सर
पर बाल ह, वचा पर बाल ह, नाख़ून ह, दाँत ह, वचा है, मांस है, ऊतक ह, ह याँ ह,
म जा है, गुद ह, दय है… लार है, नाक है… मल और मू है। इस तरह काया को ल य
करता आ उस पर मनन करता है… अब उसक समझ वक सत होती है : “यह है
काया!” बाल, ह याँ या मू कसी चीज़ को ज़ा हर नह करते। वे वही ह, जो ह।
एक-के-बाद-एक अंश म यह थ इस बात क ा या करता चलता है क
यानकता काया या दमाग़ म जस कसी भी चीज़ को ल य करता हो, वह उसको उसके
यथावत प म समझता/समझती है। इस कार जब यानकता साँस लेता है, ‘गहरी साँस
लेता आ वह ठ क-ठ क समझता है क “म गहरी साँस ले रहा ँ।” उथली साँस लेता
आ वह ठ क-ठ क समझता है क “म उथली साँस ले रहा ँ।”’ ल बी साँस ऋतु और
छोट साँस दन का न पण नह करती। वे महज़ काया म होने वाले प दन ह।
बु ने सीख द थी क सृ क तीन आधारभूत वा त वकताएँ ये ह क हर चीज़
नर तर प रवतनशील है, कसी चीज़ म कोई टकाऊ स व नह है, और कोई भी चीज़ पूरी
तरह से स तोष द नह है। आप अपनी काया, या अपने दमाग़ क सु र आकाशगंगा तक
क छानबीन कर डाल, ले कन आपको कभी कोई ऐसी चीज़ नह मलेगी, जो प रव तत न
होती हो, जसम कोई शा त स व हो, और जो आपको पूरी तरह से स तु कर सकती
हो।
ःख इस लए उ प होता है, य क लोग इस त य को वीकार नह कर पाते। उनका
व ास होता है क कह कोई शा त स व है, और अगर वे उसका पता लगा ल और
उससे स ब ध जोड़ ल, तो वे पूरी तरह से स तु हो जाएँगे। इस शा त स व को कभी
ई र के नाम से पुकारा जाता है, कभी रा के नाम से पुकारा जाता है, कभी आ मा के
नाम से पुकारा जाता है, कभी ामा णक व व के नाम से पुकारा जाता है, और कभी
स चे ेम के नाम से पुकारा जाता है - और लोग जतना ही इससे आस होते जाते ह,
उतना ही उसको पाने म नाकामयाब होने क वज़ह से वे नराश और दयनीय होते जाते ह।
इससे भी बदतर यह है क यह आस जतनी ही अ धक होती है, उतनी ही अ धक घृणा
इस तरह के लोग कसी भी उस , समूह या सं था के त वक सत कर लेते ह, जो
उनके और उनके य ल य के आड़े आते तीत होते ह।
इस तरह, बु के अनुसार जीवन म कोई अथ नह है, और लोग को कोई अथ पैदा
करने क ज़ रत नह है। उनको सफ़ इतना भर समझ लेना ज़ री है क कोई अथ नह
है, और इस कार आस य और अथशू य घटना के साथ हमारे जुड़ाव के कारण
पैदा होने वाले ःख से मु पा लेना ज़ री है। “मुझे या करना चा हए?” लोग पूछते ह,
और बु परामश दे ते ह : “कुछ मत करो। ब कुल कुछ भी नह ।” सारी सम या यह है
क हम नर तर कुछ करते रहते ह। ज़ री नह क शारी रक तर पर ही करते ह । हम
घ ट आँख ब द कए थर बैठे रह सकते ह, तब भी मान सक तर पर हम क़ से और
पहचान गढ़ने म, यु लड़ने और जीत हा सल करने म अ य त त रहते ह। सचमुच
कुछ न करने का अथ है क दमाग़ भी कुछ न करे और कुछ न गढ़े ।
भा य से यह भी ब त आसानी से एक महान वीरगाथा म बदल जाता है। अगर आप
आँख मूँदकर बैठ जाते ह और अपनी नाक से आती-जाती साँस को ल य करते रहते ह,
तब भी आप शायद उसके बारे म क़ से गढ़ना शु कर सकते ह। ‘मेरी साँस थोड़ी
अ वाभा वक-सी है, और अगर म और भी शा तपूवक साँस ले सकूँ, तो म और भी व थ
हो जाऊँगा’ या ‘अगर म सफ़ अपनी साँस को ल य करना जारी रखूँ और कुछ भी न
क ँ , तो मुझे बोध क ा त हो जाएगी, और म नया का सबसे अ धक ावान और
सबसे यादा सुखी बन जाऊँगा।’ इसके बाद यह महागाथा व तार लेना शु कर
दे ती है, और लोग न केवल ख़ुद को अपनी अस य से मु करने, ब क सर को भी
वैसा ही करने को तैयार करने के अ भयान पर नकल पड़ते ह। यह वीकार कर लेने के
बाद क जीवन का कोई अथ नह है, मुझे सर को यह बात समझाने, अ व ा सय से
तक करने, स दे हवा दय को भाषण दे ने, मठ के नमाण के लए पैसे का दान करने आ द
म अथ दखाई दे ने लगता है। ‘कोई क़ सा नह ’ भी ब त आसानी से एक और क़ सा
बन सकता है।
बौ धम का इ तहास इस बात के हज़ार ा त उपल ध कराता है क कस तरह
सब कुछ क णभंगरु ता और शू य म, और कसी तरह क आस न रखने के मह व म
व ास करने वाले लोग कसी मु क क कूमत को लेकर, कसी इमारत के वा म व को
लेकर, या कसी श द के अथ तक को लेकर तक़रार और लड़ाई कर सकते ह। सरे लोग
से इस लए लड़ना, य क आप एक शा त ई र क म हमा म व ास रखते ह,
भा यपूण क तु समझ म आने वाली बात है, ले कन सरे लोग से इस लए लड़ना,
य क आप सब कुछ क शू यता म व ास रखते ह, सचमुच व च बात है, ले कन वह
उतनी ही इंसानी भी है।
अठारहव सद म, बमा और पड़ोसी सयाम के राजवंश बु के त अपनी भ पर
नाज़ करते थे, और उ ह ने बौ आ था क र ा कर वैधता हा सल क थी। राजा मठ को
आ थक इमदाद दे ते थे, पैगोडा ( तूपनुमा बौ दे वालय ) का नमाण कराते थे, और हर
स ताह उन ानी भ ु को सुनने जाते थे, जो हर मनु य क पाँच आधारभूत त ा
- ह या, चोरी, भचार, छल, और नशे से परहेज़ - के बारे म भावपूण उपदे श दया करते
थे। तब भी दोन राजवंश नर तर आपस म लड़ते रहे। 7 अ ैल 1767 को बमा के राजा
स यू शन क सेना ल बी घेराब द के बाद सयाम क राजधानी म घुस गई। वजयी
सेना ने ह याएँ क , लूटपाट क , बला कार कए और शायद जहाँ-तहाँ नशे म भी झूमे।
इसके बाद उ ह ने नगर के यादातर ह स को जला दया। इनम महल, मठ, और पैगोडा
तक शा मल थे और वहाँ से हज़ार ग़लाम और सोना तथा जेवरात गा ड़य म लादकर
अपने घर ले आए।
ऐसा नह था क राजा स यू शन बौ धम को ह के-फु के ढं ग से लेता था। अपनी
इस महान वजय के सात साल बाद राजा ने वशाल नद इराव ी के तट क शाही या ा
क , माग के सारे मह वपूण पैगोडा म पूजा-अचना क , और बु से ाथना क क वे
उसक सेना को और भी वजय का आशीवाद दान कर। जब स यू शन रंगन ू प ँचा,
तो वहाँ पर उसने समूचे बमा के सबसे प व दे वालय - ेडागॉन पैगोडा - का पुन ार
और व तार कया। इसके बाद उसने इस वशाल ासाद को अपने वयं के वज़न जतने
सोने से मढ़वाया, और पैगोडा के शखर पर सोने क एक मीनार खड़ी क और उस पर
बेशक़ मती र न जड़वाए (जो शायद सयाम से लूटे गए थे)। इस अवसर का इ तेमाल
करते ए उसने ब धक राजा पेग,ू उसके भाई और बेटे को फाँसी दे द ।
1930 के दशक के जापान के लोग ने तो बौ धम स ा त का म ण रा वाद,
सै यवाद और फ़ासीवाद तक से करने के रा ते ढूँ ढ नकाले थे। न शो इनॉय, इ क क ता
और तनाका चगाकु जैसे ा तकारी बौ च तक का तक था क अपनी अहंकारपूण
आस य को भंग करने के लए लोग को वयं को पूरी तरह से स ाट के त सम पत
कर दे ना चा हए, सारे नजी सोच- वचार से काट लेना चा हए, पूरी तरह से रा के त
वफ़ादार हो जाना चा हए। इस तरह के वचार से अनेक क र रा वाद े रत ए, जनम
एक मता ध सै य संगठन भी शा मल था, जो राजनी तक ह या क मु हम के मा यम से
जापान क अनुदार राजनी तक व था को उखाड़ फकना चाहता था। उ ह ने पूव
व म ी, म सुई कॉपारेशन के महा नदे शक, और अ ततः धानम ी इनुकाई सयोशी
क ह या कर द । इस तरह उन लोग ने सै य तानाशाही म जापान के पा तरण क
या को ग त द । इसके बाद जब सेना ने यु का आगाज़ कया, तो बौ भ ु और
यान के ज़ेन गु ने रा य स ा के त नः वाथ आ ापरायणता का उपदे श दया और
यु के उ म क ख़ा तर आ मब लदान का परामश दया। इसके वपरीत, क णा और
अ हसा क बौ श ा को कसी तरह भुला दया गया, और इन मू य का नान जग,
मनीला या सोल म जापानी सेना पर कोई प भाव दखाई नह दया। आज बौ
यांमार का मानवा धकार रकॉड नया म सबसे ख़राब है, और एक बौ भ ु अ शन
वराथू दे श के मुसलमान- वरोधी आ दोलन का नेता है। उसका दावा है क उसका एकमा
येय यांमार और बौ धम क मुसलमान के जहाद ष से र ा करना है, ले कन
उसके धम पदे श और लेख इतने भड़काऊ होते ह क फ़रवरी 2018 म फ़ेसबुक ने घृणा
फैलाने वाले बयान पर तब ध का हवाला दे ते ए उसके पेज़ को हटा दया था। 2017
म गा जयन को दए गए सा ा कार म उसने उड़ते ए म छर के त भी क णा बरतने
का उपदे श दया था, ले कन जब उसको इन आरोप का सामना करना पड़ा क यांमार
क सेना ारा मुसलमान य के साथ बला कार कए गए ह, तो वह हँस पड़ा और
बोला, “अस भव। उनके शरीर ब त घनौने होते ह।”
इस बात क ब त कम स भावना है क जैसे ही 8 अरब मनु य नय मत प से यान
करने लग जाएँगे, तो सारी नया म शा त और सावभौ मक समरसता था पत हो
जाएगी। अपने बारे म स य को ल य करना ब त मु कल है! अगर आप कसी तरह
यादातर इंसान को इसके लए तैयार कर ल, तो भी हमम से ब त-से लोग ज द ही इस
स य को नायक , खलनायक और श ु से भरे कसी क़ से म वकृत कर दगे, और
यु के लए वाक़ई कोई अ छा बहाना ढूँ ढ लगे।
ी
वा त वकता क परी ा
भले ही ये सारे बड़े क़ से हमारे दमाग़ ारा पैदा क गई क पनाएँ ह , तो भी हताश होने
क कोई वज़ह नह है। वा त वकता तब भी मौजूद है। आप कसी गढ़े ए नाटक म कोई
भू मका नह सकते, ले कन आप ऐसा करना ही य चाहते ह? मनु य के सामने जो बड़ा
सवाल है, वह यह नह है क “जीवन का अथ या है?” ब क यह है क “ ःख से
छु टकारा कैसे पाया जाए?” जब आप सारे मनगढ़ त क़ स को याग दे ते ह, तो आप
वा त वकता को पहले क तुलना म कह यादा प ता के साथ दे ख सकते ह, और अगर
आप वाक़ई अपनी और नया क स चाई को जानते ह, तो ऐसी कोई चीज़ नह जो
आपको ःखी कर सके, ले कन यह कहना जतना आसान है, करना उतना ही क ठन है।
हम मनु य ने का प नक क़ स को गढ़ने और उन पर व ास करने क अपनी
क़ा ब लयत के बूते नया को जीत लया है। इस लए हम वशेष प से क पना और
वा त वकता के बीच के फ़क़ को समझने के मामले म बुरे ह। इस फ़क़ को नज़रअ दाज़
करना हमारे लए जी वत बने रहने का मसला रहा है। इसके बावजूद अगर आप इस फ़क़
को समझना चाहते ह, तो इसक शु आत ःख के थल से करने क ज़ रत है, य क
ःख नया म सबसे यादा वा त वक चीज़ है।
जब आपका सामना कसी महान क़ से से होता है, और आप जानना चाहते ह क
यह क़ सा वा त वक है या क पना क उपज है, तो जो मु य सवाल आपको पूछना
चा हए, वह यह है क या इस क़ से का के य नायक ःख झेल सकता है। उदाहरण
के लए, अगर कोई आपको पो लश रा का क़ सा सुनाता है, तो पलभर ठहर कर
सो चए क या पोलड ःख उठा सकता है। महान रोमां टक क व और आधु नक पो लश
रा वाद के जनक अदम म के वच का वह कथन स है, जसम उ ह ने पोलड को
‘रा का ईसा’ (‘द ाइ ट ऑफ़ नेश स’) कहा था। स, शया और ऑ या म पोलड
के वभाजन के दशक बाद, और 1830 म सय ारा पो लश व ोह के ू रतापूवक
कुचले जाने के कुछ ही समय बाद, 1832 म लखते ए म के वच ने प कया था क
पोलड क भीषण य णा समूची मानवता के प म द गई क़बानी का नतीजा थी, जो
ईसा क क़बानी जैसी थी, और ईसा क ही तरह पोलड भी पुनज वत हो उठे गा।
अपने एक स अंश म म के वच ने लखा था :
पोलड ने (यूरोप के लोग से) कहा था, “जो भी कोई मेरे पास आएगा, वह
आज़ाद और बराबरी का हक़दार होगा, य क म वत ता ँ।” ले कन जब
राजा ने इस बात को सुना, तो उनके दल दहल गए, और उ ह ने पोलड को
सूली पर लटका दया और उसे उसक क़ म डाल दया, यह च लाते ए क
“हमने वत ता का वध कर उसको दफ़ना दया है।” ले कन उनक यह चीख़
मूखतापूण थी… य क पो लश रा मरा नह था…। तीसरे दन आ मा काया म
वापस लौट आएगी, और रा उठ खड़ा होगा और यूरोप के सारे लोग को ग़लामी
से आज़ाद कर दे गा।
या वाक़ई कोई रा यातना भोग सकता है? या कसी रा क आँख, हाथ, इ याँ,
आस याँ और लालसाएँ होती ह? अगर आप उसको काँटा चुभाएँ, तो या उसको ख़ून
नकलेगा? ज़ा हर है, नह । अगर वह यु म परा जत होता है, उसम कोई ा त गँवा दे ता
है, या अपनी वाधीनता भी खो बैठता है, तब भी वह पीड़ा, उदासी या कसी भी सरे
तरह का ःख महसूस नह कर सकता, य क उसक कोई काया, कोई दमाग़ या कसी
तरह के कोई ज बात नह होते। वा तव म वह महज़ एक पक है। सफ़ कुछ इंसान क
क पना म ही पोलड ःख भोगने म स म एक वा त वक स ा है। पोलड बना रहता है,
य क ये इंसान उसको अपनी कायाएँ उधार दे ते ह - सफ़ पोलड क फ़ौज म सै नक के
प म काम करते ए ही नह , ब क रा के सुख और ःख को पा यत करते ए।
जब मई 1831 म ऑ ेलेका क लड़ाई म पोलड क पराजय क ख़बर वारसा प ँची, तो
मनु य के पेट लेश से ठ गए, मनु य क छा तयाँ पीड़ा से भारी हो उठ , मनु य क
आँख छलछला उठ ।
न य ही, यह सब सी आ मण को उ चत नह ठहरा दे ता, न ही यह एक वाधीन
रा क थापना करने और अपने ख़ुद के क़ानून और री त- रवाज का फ़ैसला करने के
पोलडवा सय के हक़ को कमज़ोर करता है। तब भी इसका यह मतलब है क अ ततः
पो लश रा का क़ सा यथाथ नह हो सकता, य क पोलड का अ त व-मा इंसानी
दमाग़ म न मत छ वय पर टका है।
इसके वपरीत, वारसा क उस ी क नय त पर वचार कर, जसको आ मणकारी
सी फ़ौज ारा लूटा गया था और जसके साथ बला कार कया गया था। पो लश रा
क पक यातना से भ , उस ी क यातना ब त वा त वक थी। यह पीड़ा शायद सी
रा वाद, पर परावाद ईसाइयत, और मदाना शूरवीरता जैसे व भ का प नक क़ स म
इंसानी व ास ारा प ँचाई गई थी, जन सबने ब त-से सी राजपु ष और फ़ौ जय
को ेरणा द थी, ले कन इससे पैदा ई यातना तब भी 100 % वा त वक थी।
जब भी कभी राजनेता रह यवाद पदावली म बात करने लग, तो सावधान रह। ब त
मुम कन है क वे वा त वक पीड़ा को समझ से परे भारी-भरकम श द म लपेटते ए
उसको छपाने और उससे मुकरने क को शश कर रहे ह । इन चार श द से वशेष प से
सावधान रह : क़बानी, शा तता, प व ता, पुनः बहाली। अगर आप इनम से कोई भी श द
सुन, तो चेतावनी क घ ट बजाएँ। और अगर आप संयोग से कसी ऐसे मु क म रहते ह ,
जसका नेता नय मत प से इस तरह क बात करता हो क ‘उनक क़बानी हमारे
शा त रा क प व ता को पुनः बहाल करेगी,’ तो समझ ली जए क आप भारी मु कल
म ह। अपने दमाग़ी स तुलन क र ा के लए हमेशा इस तरह क बकवास का वा त वक
पदावली म अनुवाद करने क को शश क जए : कोई सै नक घोर पीड़ा से कराह रहा है,
कसी ी को पीटा जा रहा है और उसके साथ नृशंसता बरती जा रही है, कोई ब चा भय
से काँप रहा है।
इस लए अगर आप सृ का स य जानना चाहते ह, जीवन का अथ जानना चाहते ह,
और अपनी पहचान के बारे म जानना चाहते ह, तो इसक शु आत करने के लए े
थान है ःख को ल य करना और यह छानबीन करना है क वह या है।
इसका जवाब कोई क़ सा नह है।
21
यान
सफ़ अवलोकन क जए