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21 व सद

के लए
21 सबक़
मंजुल प ल शग हाउस ारा का शत युवाल नोआ हरारी
क अ य पु तक

से पय स : मानव-जा त का सं त इ तहास
होमो डेयस : आने वाले कल का सं त इ तहास
युवला नोआ हरारी
21 व सद
के लए
21 सबक़
अनुवाद : मदन सोनी

मंजुल प ल शग हाउस
मंजुल प ल शग हाउस
कॉरपोरेट एव संपादक य कायालय
• तीय तल, उषा ीत कॉ ले स, 42 मालवीय नगर, गोपाल-462 003
व य एवं वपणन कायालय
• 7/32 , अंसारी रोड, द रयागंज, नई द ली-110 002
वेबसाइट : www.manjulindia.com
वतरण के
अहमदाबाद, बगलु , भोपाल, कोलकाता, चे ई, हैदराबाद, मु बई , नई द ली, पुणे
मूल अं ेजी सं करण जॉनाथन केप ारा 2018 म का शत
युवाल नोआ हरारी ारा ल खत मूल अ ेजी पु तक
ट् वे ट वन लेस स फ़ॉर द टवे ट फ़ ट से चुरी का ह द अनुवाद

21 Lessons for the 21st Century by Yuval Noah Harari - Hindi Edition

कॉपीराइट © युवाल नोआ हरारी, 2018

ह द अनुवाद कॉपीराइट © 2020 , मंजुल प ल शग हाउस


सवा धकार सुर त

यह ह द सं करण 2020 म पहली बार का शत


ISBN 978-93-89647-31-0
ह द अनुवाद : मदन सोनी
डज़ाइन © सुज़ैन डीन
कवर पे टं ग वी शेयर अवर के म वद द टास, माक वन,
ऑइल ऑन केनवस ंखला से © एवं सौज य माक वन टू डयो
ओ डस ह ली कृत ेव यू व ड से कोटे शन व टे ज ला स स ारा का शत, द रै डम हाउस प
ु ल मटे ड ©
1932 क अनुम त से पुन: मु त
यह पु तक इस शत पर व य क जा रही है क काशक क ल खत पूवानुम त के बना इसे या इसके कसी भी ह से
को न तो पुन: का शत कया जा सकता है और न ही कसी भी अ य तरीक़े से, कसी भी प म इसका ावसा यक
उपयोग कया जा सकता है । य ह कोई ऐसा करता है तो उसके व कानूनी कारवाई क जाएगी।
असीम व ास और तभा के लए मेरे प त इ ज़क के त, हमेशा
दे खभाल करने और सहारा दे ने के लए मेरी माँ नीना के त,
और सदा भरपूर तथा वाथर हत ख़ुशी दे ने के लए मेरी नानी फ़ैनी के
त नेह के साथ सम पत
वषय-सूची

भू मका

भाग I : ौ ो गक य चुनौती
1 . मोहभंग
इ तहास का अ त थ गत हो गया है
2 . काम
जब आप बड़े ह गे, तो हो सकता है आपके पास कोई रोज़गार न हो
3 . आज़ाद
बग डेटा आप पर नगाह रखे ए है
4 . समानता
जनके हाथ म डेटा है, उनके हाथ म भ व य है

भाग II : राजनी तक चुनौती


5 . समुदाय
मनु य के शरीर होते ह
6 . स यता
नया म मा एक ही स यता है
7 . रा वाद
वै क सम याएँ वै क जवाब क माँग करती है
8 . मज़हब
ई र अब रा क सेवा करता है
9 . अ वास
कुछ सं कृ तयाँ सरी सं कृ तय से छोड़ता हो सकती है

भाग III : हताशा और उ मीद


10 . आतंकवाद
घबराइए मत
11 . यु
मनु य क मूखता को कभी भी कम करके मत आँ कए
12 . वनयशीलता
आप नया के के नह ह
13 . ई र
थ ही ई र का नाम न ल
14 . धम नरपे ता
अपनी परछा को वीकार क जए

भाग IV : स य
15 . अ ानता
आप उससे कम जानते ह, जतना आप सोचते ह क आप जानते ह
16 . याय
हमारा याय-बोध शायद पुराना हो गया है
17 . स य के बाद का युग
कुछ झूठ ख़बर हमेशा के लए बनी रहती ह
18 . व ान-कथा
भ व य वह नह है, जो आप फ़ म म दे खते ह

भाग V : लचीलापन
19 . श ा
प रवतन एकमा थायी चीज़ है
20 . अथ
जीवन कोई कहानी नह है
21 . यान
सफ़ अवलोकन क जए

आभार
भू मका

अ ासं गक सूचना के सैलाब म डू बी इस नया म प ता एक बड़ी श है। स ा ततः,


मनु यता के भ व य क बहस म कोई भी ह सा ले सकता है, ले कन एक प
बनाए रखना ब त मु कल है। अ सर तो इस ओर हमारा यान तक नह जाता क कोई
बहस चल रही है, या यह क नणायक मह व के सवाल या ह। जाँच-पड़ताल क
वला सता पालना हम म से अरब लोग के वश क बात नह है, य क इससे कह
यादा ज़ री काम ह, जो हम करने पड़ते ह : हम अपने काम पर जाना होता है, ब च
का पालन-पोषण करना होता है, या अपने बूढ़े माँ-बाप क दे खभाल करनी होती है।
बद क़ मती से, इ तहास कोई छू ट नह दे ता। अगर मनु यता के भ व य का फ़ैसला
आपक ग़ैरमौजूदगी म होता है, य क आप अपने ब च का पेट भरने और तन ढँ कने के
काम म बेहद त ह, तो इसका मतलब यह नह क आप और वे इसके नतीज से बचे
रहगे। यह ब त ही अ याय क बात है, ले कन कौन कहता है क इ तहास यायपूण होता
है?
एक इ तहासकार के प म म लोग को भोजन और व मुहैया नह करा सकता,
ले कन म थोड़ी-ब त सु प ता क पेशकश करने क को शश ज़ र कर सकता ँ, और
इस तरह एक ऐसी वै क प र थ त रचने म मदद कर सकता ँ, जसम सभी के लए
समान अवसर ह । अगर इससे मु भर अ त र लोग भी हमारी जा त के भ व य क
बहस म शा मल होने म स म हो पाते ह, तो म अपने कत को पूरा आ समझूँगा।
मेरी पहली पु तक से पय स ने मानव के अतीत का सव ण करते ए इस बात का
परी ण कया था क एक नहायत ही मामूली-सा वानर कस तरह पृ वी ह का शासक
बन गया।
मेरी सरी पु तक होमो डेयस जीवन के सुद घ भ व य क पड़ताल करती ई इस
स भावना पर वचार करती है क कस तरह मनु य अ ततः दे वता बन सकता है, और
बु तथा चेतना क नय त अ तम प से या हो सकती है।
इस पु तक म म ल बी अव ध के प र य को खोए बना अभी को यादा क़रीब से
दे खना चाहता ँ। र थ भूतकाल और र थ भ व य के बारे म हमारी अ त याँ वतमान
ासं गक घटना और मानव समाज क ता का लक वधा का अथ समझने म
हमारी मदद कैसे कर सकती ह? ठ क इस व त या हो रहा है? आज क सबसे बड़ी
चुनौ तयाँ और वक प या ह? हम कस चीज़ पर यान के त करना चा हए? हम
अपने ब च को या पढ़ाना चा हए?
न य ही, 7 अरब लोग के पास 7 अरब एजडे ह, और जैसा पहले ही कहा जा चुका
है क एक बड़े प र य के बारे म सोचना एक अपे ाकृत लभ वला सता है। मु बई क
झु गी म दो ब च को पाल रही एक अकेली माँ का यान अगले जून के भोजन के
इ तज़ाम पर लगा आ है, भूम य सागर के बीच नाव म सवार शरणाथ ज़मीन के कसी
संकेत क तलाश म तज पर टकटक लगाए ए ह, और मता से यादा लोग से भरे
ल दन के एक अ पताल म मरता आ आदमी एक और साँस लेने क ख़ा तर अपनी बची-
खुची सारी ताक़त लगा दे ता है। इन सबके सामने भूम डल के बढ़ते ए तापमान या उदार
लोकत के संकट के मुक़ाबले कह यादा ता का लक सम याएँ ह। कोई भी पु तक इस
सबके साथ याय नह कर सकती, और इस तरह क प र थ तय म फँसे लोग को
सखाने लायक़ कोई सबक़ मेरे पास नह ह। म सफ़ उनसे सीखने क ही उ मीद कर
सकता ँ।
मेरी कायसूची यहाँ वै क है। मेरी नगाह उन बड़ी श य पर है, जो सारी नया म
हमारे समाज को आकार दे ती ह, और जनके ारा कुल मलाकर हमारे ह के भ व य
पर भाव डाले जाने क स भावना है। जो लोग जीवन-मृ यु के संकट के बीच फँसे ह,
जलवायु प रवतन उनके सरोकार से ब त र क चीज़ हो सकती है, ले कन यह चीज़
अ ततः मु बई क झु गय को रहने के लहाज़ से असुर त बना सकती है, भूम य सागर
के पार शरणा थय क वशाल नई लहर पैदा कर सकती है, और वा य-सेवा के े
म व ापी संकट का कारण बन सकती है।
वा त वकता ब त से धाग से मलकर बुनी गई होती है, और यह पु तक, प रपूण होने
का दावा कए बग़ैर, हमारी वै क संकटाव था के व भ प को समेटने क को शश
करती है। से पय स और होमो डेयस से भ , इस पु तक के पीछे मेरा इरादा इसे एक
ऐ तहा सक आ यान क श ल दे ने का नह , ब क सीख के एक चयन क श ल दे ने का
है। ये सबक़ न कष के तौर पर क ह आसान जवाब के साथ समा त नह होते। इनका
उ े य इससे आगे के सोच- वचार को उ े रत करना, और हमारे व त क कुछ मह वपूण
चचा म भागीदार बनने म पाठक को मदद प ँचाना है।
यह पु तक वा तव म जनता के साथ वातालाप क या म लखी गई थी। इसके
कई अ याय उन सवाल के जवाब के तौर पर लखे गए थे, जो मुझसे पाठक , प कार
और मेरे सहक मय ने पूछे थे। कुछ ह स के शु आती सं करण व भ प म पहले ही
का शत हो चुके थे, जससे मुझे पाठक क त याएँ जानने और अपने तक को पैना
करने का अवसर मला। कुछ ह से ौ ो गक (टे नॉलॉजी) पर, कुछ राजनी त पर, कुछ
मज़हब पर, और कुछ कला पर के त ह। कुछ अ याय मानवीय ा का उ सव मनाते
ह, तो कुछ सरे अ याय इंसानी मूखता क नणायक भू मका को रेखां कत करते ह,
ले कन सबसे मह वपूण सवाल वही का वही है : आज क नया म या हो रहा है, और
इन घटना का गहरा अथ या है?
डोना ड प का उ थान कस चीज़ क ओर संकेत करता है? झूठ ख़बर क
महामारी से हम कैसे नपट सकते ह? उदार लोकत संकट म य है? या दे वता लौट
आए ह? या नया व यु हमारी ओर बढ़ रहा है? वह कौन-सी स यता है, जसका
नया पर बोलबाला है - प मी, चीनी, इ लामी? या यूरोप को बाहर से आने वाले लोग
के लए अपने दरवाज़े खुले रखना चा हए? या रा वाद ग़ैरबराबरी और जलवायु-
प रवतन क सम या को सुलझा सकता है? आतंकवाद से हम कस तरह नपटना
चा हए?
यह पु तक हालाँ क वै क प र े य अपनाती है, ले कन म गत तर को
नज़रअ दाज़ नह करता। इसके वपरीत, म अपने युग क महान ा तय और य
के आ त रक जीवन के बीच के र त पर बल दे ना चाहता ँ। उदाहरण के लए,
आतंकवाद एक वै क राजनी तक सम या भी है और आ त रक मनोवै ा नक या भी
है। आतंकवाद हमारे दमाग़ क गहराई म पैठे भय के बटन को दबाकर और लाख
य क नजी क पना का अपहरण करते ए याशील होता है। इसी तरह, उदार
लोकत का संकट महज़ संसद और मतदान-के म ही नह , ब क यूरॉन और दो
को शका के बीच के नायु म भी घ टत होता है। वैसे तो यह एक ढ़ कथन है क
जो गत होता है, वही राजनी तक भी होता है, ले कन एक ऐसे युग म जब वै ा नक,
ावसा यक त ान और सरकार इंसानी दमाग़ म घुसपैठ (हैक) करना सीख रहे ह, यह
सू आज हमेशा से यादा अशुभ है। इसी लए, यह पु तक य के साथ-साथ समूचे
समाज के आचरण का अवलोकन करती है।
एक भूम डलीय नया हमारे गत आचरण और नै तकता पर अपूव दबाव
डालती है। हम लोग म से हरेक असं य सव ापी मकड़जाल के भीतर उलझा आ है,
जो एक ओर हमारी ग त व धय को सी मत करते ह, ले कन इसी के साथ-साथ हमारी
मामूली-सी हरक़त क सूचना सु र ग त तक प ँचा दे ते ह। हमारी रोज़मरा ग त व धयाँ
आधी नया के लोग और अ य ा णय पर असर डालती ह, और हमारी कुछ गत
चे ाएँ अनपे त प से सारी नया को आग के हवाले कर सकती ह, जैसा क
ूनी शया म मोह मद बोआज़ीज़ी के आ मदाह के मामले म आ था, जसने अरब ंग
क आग भड़का द थी, और जैसा क उन य के मामले म आ था, ज ह ने यौन-
उ पीड़न के अपने क़ स को लोग के साथ साझा कया था और #MeToo आ दोलन
को भड़का दया था।
हमारे नजी जीवन के भूम डलीय आयाम का अथ है क अपने मज़हबी और
राजनी तक पूवा ह , अपने न लपरक और ल गक वशेषा धकार , और सं था नक
उ पीड़न म अनजाने म क गई अपनी भागीदारी को उजागर करना आज हमेशा से कह
यादा मह वपूण हो गया है, ले कन या यह एक ावहा रक उ म है? एक ऐसी नया
म म एक मज़बूत नै तक आधार कैसे पा सकता ँ, जो मेरी बु और संवेदना क सीमा से
परे फैली है, जसक र तार पूरी तरह से मनु य के नय ण से परे है, और जो सारे
दे वता और वचारधारा पर स दे ह करती है?

यह पु तक अपनी शु आत ताज़ा राजनी तक और ौ ो गक दशा के सव ण के साथ


करती है। बीसव सद के समापन पर ऐसा तीत होता था क फ़ासीवाद, सा यवाद और
उदारवाद के बीच क वचारधारा मक लड़ाइय का अ त उदारवाद क ज़बरद त जीत के
साथ आ था। लगता था क सारी नया पर लोकता क राजनी त, मानवा धकार, और
मु -बाज़ार पूँजीवाद क वजय सु न त है, ले कन जैसा क होता आया है, इ तहास ने
एक अ या शत मोड़ लया, और फ़ासीवाद तथा सा यवाद के व त हो जाने के बाद अब
उदारवाद मु कल हालात म है। तब हम कस दशा म जा रहे ह?
यह सवाल वशेष प से मा मक है, य क उदारवाद अपनी व सनीयता ठ क उस
व त खो रहा है, जब सूचना ौ ो गक (इ फ़ॉमशन टे नॉलॉजी) और जैव ौ ो गक
(बायोटे नॉलॉजी) क जुड़वाँ ा तयाँ हमारे सामने वे सबसे बड़ी चुनौ तयाँ पेश कर रही
ह, जस तरह क चुनौ तय का सामना हमारी जा त ने कभी नह कया था। सूचना
ौ ो गक और जैव ौ ो गक का मलन ज द ही अरब मनु य को रोज़गार से बाहर
धकेल सकता है और वत ता तथा समानता, दोन का उ मूलन कर सकता है। बग डेटा
ऐ ग रदम एक ऐसी ड जटल तानाशाही क रचना कर सकते ह, जसम सारी श याँ
एक नता त छोटे -से कुलीन वग के हाथ म सी मत ह गी, जब क यादातर लोग शोषण
के नह , ब क उससे भी बदतर चीज़, अ ासं गकता के शकार ह गे।
सूचना ौ ो गक और जैव ौ ो गक के एक- सरे म मल जाने क चचा मने अपनी
पछली पु तक होमो डेयस म व तार से क है, ले कन जहाँ वह पु तक द घका लक
स भावना पर के त थी, जसने स दय ही नह , ब क सह ा दय का प र े य
अपनाया था, वह यह पु तक अ धक ता का लक सामा जक, आ थक और राजनी तक
संकट पर के त है। मेरी दलच पी यहाँ अजै वक जीवन (इनऑग नक लाइफ़) क
स भा वत सृ म कम, और क याणकारी रा य के सम और वशेष प से यूरोपीय
यू नयन जैसी सं था पर मँडराते ख़तरे म यादा है।
यह पु तक नई ौ ो ग कय के सारे भाव को समेटने क को शश नह करती,
हालाँ क ौ ो गक म व मयकारी आ ासन ख़ासतौर से न हत ह, ले कन मेरा इरादा
यहाँ मु यतः उसम न हत आशंका और ख़तर पर ज़ोर दे ने का रहा है। चूँ क जो
ावसा यक त ान और उ मी ौ ो गक य ा त का नेतृ व कर रहे ह, वे वाभा वक
ही अपनी रचना क श तयाँ गाते ह, ले कन समाज व ा नय , दाश नक और मेरे
जैसे इ तहासकार क ज़ मेदारी बनती है क वे चेतावनी द और उन तमाम तरीक़ को
प कर, जनके तहत थ तयाँ भयानक प से ग़लत श ल ले सकती ह।
जन चुनौ तय का हम सामना कर रहे ह, उनका न शा पेश करने के बाद, पु तक के
सरे ह से म हम स भा वत त या क ापक को टय का परी ण करते ह। या
फ़ेसबुक के इंजी नयर आ ट फ़ शयल इंटे लजस (एआई) का इ तेमाल एक ऐसे
भूम डलीय समुदाय के नमाण के लए कर सकते ह, जो मानवीय वत ता और
समानता क हफ़ाज़त कर सकेगा? या यह मुम कन है क इसका जवाब भूम डलीकरण
क या को उलट दे ने म, और रा य को नए सरे से सश बनाने म हो? या यह
स भव है क हम और भी आगे तक वापस लौटने और ाचीन मज़हबी पर परा से
आ था और ववेक हा सल करने क ज़ रत हो?
पु तक के तीसरे ह से म हम दे खते ह क य प ौ ो गक ारा तुत चुनौ तयाँ
अपूव ह, और य प राजनी तक असहम तयाँ ब त तीखी ह, तब भी अगर हम डर को
नय ण म रख और अपने कोण को लेकर कुछ अ धक वन ता बरत, तो मानव
जा त चुनौ तय का सामना कर सकती है। यह ह सा इस बात क पड़ताल करता है क
आतंकवाद क धमक , भूम डलीय यु के ख़तरे और उन पूवा ह और नफ़रत से कैसे
नपटा जाए, जो इस तरह के टकराव को ज म दे ते ह।
चौथा ह सा स य के बाद (पो ट टथ) क धारणा से मुठभेड़ करता है, और सवाल
उठाता है क हम कस हद तक अभी भी भूम डलीय घटना म को समझ सकते ह और
अ याय को याय से अलग करके दे ख सकते ह। या होमो से पय स ने जो नया रची है,
उसका औ च य सा बत कर पाने म वह स म है? या ऐसी कोई प सीमा-रेखा है, जो
वा त वकता को क पना ( फ़ शन) से अलग करती हो?
पाँचव और अ तम ह से म मने व भ सू को एक कया है और स म के एक
उस युग म जीवन पर सामा य पात कया है, जब पुराने क़ से व त हो चुके ह, और
उनक जगह भरने के लए अब तक कोई नया क़ सा सामने नह आया है। हम कौन ह?
हम जीवन म या करना चा हए? हम कस तरह क क़ा ब लयत क ज़ रत है? व ान,
ई र, राजनी त और मज़हब के बारे म हम जो कुछ भी जानते ह और जो कुछ नह
जानते, उसके म े नज़र हम जीवन के अथ के बारे म या कह सकते ह?
यह बात अ तमह वाकां ी तीत हो सकती है, ले कन होमो से पय स इ तज़ार नह
कर सकता। दशन, मज़हब और व ान का समय समा त हो रहा है। लोग जीवन के अथ
को लेकर हज़ार साल तक बहस कर चुके ह। इस बहस को अब हम अन त काल तक
जारी नह रख सकते। सर पर मँडराता पा र थ तक य (इकॉलॉ जकल) संकट, सामू हक
संहार करने वाले ह थयार का बढ़ता आ ख़तरा, और अ व था फैलाने वाली नई
ौ ो ग कयाँ इसक इजाज़त नह दगी। स भवतः सबसे मह वपूण बात यह है क
आ ट फ़ शयल इंटे लजस और जैव ौ ो गक मनु यता को जीवन को नई श ल दे ने और
नए सरे से गढ़ने क श दान कर रहे ह। ब त ज द ही कोई आकर इस बात का
फ़ैसला करेगा क इस श का इ तेमाल कैसे कया जाए, जो जीवन के कसी अ
या क़ से पर आधा रत होगा। दाश नक ब त धैयवान लोग होते ह, ले कन
इंजी नयर म उनक तुलना म ब त कम धीरज होता है, और नवेशक म तो इन सबसे
कम धीरज होता है। अगर आपको इस बात क समझ नह है क जीवन को गढ़ने क इस
श का इ तेमाल कस तरह कया जाए, तो बाज़ार क श याँ आपके जवाब का हज़ार
साल तक इ तज़ार नह करगी। बाज़ार का अ य शकंजा अपना ख़ुद का अ धा जवाब
बलपूवक आप पर थोप दे गा। अगर आप जीवन के भ व य को तमाही राज व रपोट क
दया पर छोड़ने को तैयार नह ह, तो आपके पास जीवन अथ क एक प धारणा का
होना ब त ज़ री है।
अ तम अ याय म इसके पहले क हमारी जा त पर पटा ेप हो और एक सवथा नए
नाटक क शु आत हो, मने एक से पय स के प म सरे से पय स से ब तयाते ए कुछ
गत ट प णयाँ क ह।

इस बौ क या ा पर रवाना होने से पहले, म एक नणायक मह व के मु े को रेखां कत


करना चा ँगा। पु तक का यादातर ह सा उदारवाद व और लोकता क णाली
क ु टय क चचा करता है। ऐसा मने इस लए नह कया है क म ऐसा मानता ँ क
उदार लोकत अनोखे ढं ग से सम यापरक है, ब क इस लए कया है, य क म
समझता ँ क यह आधु नक नया क चुनौ तय से नपटने के लए मनु य ारा अब
तक वक सत कया गया सबसे यादा कामयाब और उपयो गता-ब ल राजनी तक ढाँचा
है। मुम कन है क यह हर समाज के लए वकास के हर सोपान पर उपयु न हो, तब भी
इसने ब त-से समाज और ब त-सी प र थ तय म कसी भी सरे वक प क तुलना म
अपनी सबसे यादा मू यव ा सा बत क है। इस लए अपने सम मौजूद नई चुनौ तय
का परी ण करते ए उदार लोकत क सीमा को समझना, और इस बात का पता
लगाना ज़ री है क हम इसक मौजूदा सं था को कस तरह अपनी ज़ रत के
अनु प बदल सकते ह और उनम सुधार ला सकते ह।
बद क़ मती से, मौजूदा राजनी तक वातावरण म उदारवाद और लोकत के बारे म
कसी भी तरह के आलोचना मक वचार का उन वे छाचारी शासक और व भ
अनुदारवाद आ दोलन ारा अपहरण कया जा सकता है, जनका एकमा उ े य
मनु यता के भ व य के बारे म कसी खुली चचा म शा मल होने क बजाय उदार लोकत
को लां छत करना है। जहाँ वे उदार लोकत क सम या पर बहस करके ब त ख़ुश
होते ह, वह ऐसी कसी आलोचना के त उनम कोई स ह णुता नह है, जसका ख
उनक ओर होता है।
एक लेखक के प म मेरे लए एक मु कल वक प चुनना ज़ री था। या मुझे
अपने मन क बात खुलकर कहनी चा हए, यह जो खम उठाते ए क मेरे श द को स दभ
से हटकर दे खा जा सकता है और उनका इ तेमाल फलती-फूलती तानाशा हय का
औ च य स करने के लए कया जा सकता है? या मुझे ख़ुद को ससर करना चा हए?
अनुदार शासन- व था क यह नशानी है क वे अपनी सरहद के बाहर भी वत
अभ को ब त मु कल बना दे ती ह। इस तरह क शासन- व था के सार क
वज़ह से अपनी जा त के भ व य के बारे म आलोचना मक ढं ग से सोचना उ रो र
ख़तरनाक होता जा रहा है।
कुछ आ म-शोध करने के बाद मने ख़ुद को ससर करने क बजाय मु वमश का
चयन कया। उदारवाद ढाँचे क आलोचना कए बग़ैर हम इसक ु टय को ठ क नह
कर सकते या इसके परे नह जा सकते, ले कन मेहरबानी करके यह यान रख क यह
पु तक सफ़ तभी लखी जा सकती थी, जब लोग अभी भी अपनी च के मुता बक़
सोचने और अपनी इ छानुसार ख़ुद को अ भ करने के लए अपे ाकृत वत ह।
अगर आप इस पु तक क इ ज़त करते ह, तो आपको अ भ क वत ता क भी
इ ज़त करनी चा हए।
I

ौ ो गक य चुनौती

मानव जा त उस उदारवाद क़ से म अपनी आ था खोती जा रही है, जसका हाल के


दशक म भूम डल क राजनी त पर बोलबाला रहा है, और यह ठ क उस व त हो रहा
है, जब जैव ौ ो गक और सूचना ौ ो गक का पर पर वलय हमारे सामने वे सबसे
बड़ी चुनौ तयाँ पेश कर रहा है, जनका सामना मानव जा त ने अब तक नह कया था।
1
मोहभंग
इ तहास का अ त थ गत हो गया है

मनु य त य , सं या या समीकरण के मा यम से सोचने क बजाय क़ स के मा यम से


सोचते ह, और यह क़ सा जतना सरल होता है, उतना ही बेहतर होता है। हर ,
समुदाय और रा के अपने क़ से और मथक होते ह, ले कन बीसव सद के दौरान यू यॉक,
ल दन, ब लन और मॉ को म रहने वाले संसार के उ चवग य लोग ने तीन ऐसे भ क़ से
गढ़े , जो सारी नया के समूचे अतीत क ा या करने और उसके भ व य का पूवानुमान
करने का दावा करते थे : फ़ासीवाद क़ सा, सा यवाद क़ सा, और उदारवाद क़ सा।
फ़ासीवाद क़ से ने इ तहास क ा या करते ए उसे व भ रा के बीच संघष के
प म दे खा, और एक ऐसे मानव समुदाय के वच व वाली नया का सपना दे खा, जो बाक़
सारे मानव समुदाय को हसक ढं ग से नय त करता है। सा यवाद क़ से ने इ तहास क
ा या करते ए उसे व भ वग के बीच के संघष के प म दे खा, और एक ऐसी नया
का सपना दे खा, जसम सारे समुदाय उस के कृत सामा जक व था ारा संग ठत होते ह,
जो वत ता तक क क़ मत पर समानता को सु न त करती है। उदारवाद क़ से ने
इ तहास क ा या करते ए उसे आज़ाद और अ याचार के बीच संघष के प म दे खा,
और एक ऐसी नया का सपना दे खा, जसम सारे मनु य मु ढं ग से और शा तपूवक
पर पर सहकार करते ह, और जसम यूनतम के य नय ण है, भले ही इसके लए उसे
कसी हद तक ग़ैरबराबरी क क़ मत भी य न चुकानी पड़ती हो।
इन तीन क़ स के बीच का टकराव अपनी पहली नणायक पराका ा पर प ँचा सरे
व यु म, जसने फा स ट क़ से को ने तनाबूद कर दया। 1940 के दशक के अ तम
वष से लेकर 1980 के दशक के अ तम वष तक नया बाक़ बचे दो क़ स - सा यवाद
और उदारवाद - के बीच क लड़ाई का मैदान बनी रही। इसके बाद सा यवाद क़ सा व त
हो गया, और उदारवाद क़ सा मानव अतीत का भावी मागदशक और नया के भ व य
क अप रहाय नयमावली बन गया - या नया के उ च वग को ऐसा लगा।
उदारवाद क़ सा आज़ाद के मू य और श क सराहना करता है। वह कहता है क
मानव जा त हज़ार साल तक ऐसी दमनकारी शासन- व था के अधीन रही थी, ज ह ने
लोग को ब त थोड़े-से राजनी तक अ धकार , आ थक अवसर या नजी आज़ा दय क
गुंजाइश द थी, और ज ह ने य , वचार और व तु क आवाजाही को बुरी तरह से
सी मत कर रखा था, ले कन लोग ने अपनी वाधीनता के लए संघष कया, और वत ता
धीरे-धीरे मज़बूत थ त म प ँचती गई। लोकता क शासन- व था ने ू र तानाशा हय
क जगह ले ली। मु उ मता ने आ थक बाधा पर वजय पाई। लोग ने धमा ध पुरा हत
और संक ण पर परा का अ धानुसरण करने क बजाय अपने बारे म सोचना और अपने
अ तःकरण क आवाज़ को सुनना सीखा। खुली सड़क , मज़बूत पुल और हलचल से भरे
त हवाई अ ने द वार , ख़ दक़ -परकोट और कँट ले तार क बाड़ क जगह ले ली।
उदारवाद क़ सा इस बात को वीकार करता है क नया म सब कुछ ठ क-ठाक नह
है, और अभी भी ऐसी ब त-सी बाधाएँ ह, ज ह पार कया जाना है। हमारे ह के ब त बड़े
ह से पर आतता यय का वच व है, और सबसे यादा उदारवाद दे श तक म लोग नधनता,
हसा और दमन के शकार ह, ले कन कम-से-कम हम जानते ह क इन सम या पर वजय
पाने के लए हम या करने क ज़ रत है : लोग को और यादा आज़ाद द जाए। हम
मानवा धकार क हफ़ाज़त करने, हर को मता धकार दान करने, मु बाज़ार
वक सत करने और य , वचार तथा व तु को सारी नया म उ मु आवाजाही क
इजाज़त दे ने क ज़ रत है। इस उदारवाद रामबाण के मुता बक़ - जसे मामूली-से फ़क़ के
साथ जॉज ड यू. बुश और बराक ओबामा ारा समान प से वीकार कया गया - अगर
इतना भर कर क अपनी राजनी तक और आ थक व था का उदारीकरण और
भूम डलीकरण जारी रख, तो हम सभी के लए शा त और समृ पैदा कर सकगे।
जो मु क ग त के इस अबाध अ भयान म शा मल ह गे, वे ज द ही शा त और समृ
से पुर कृत ह गे। जो मु क इस अव य भावी ग त को तरोध दे ने क को शश करगे, उनको
तब तक इसके प रणाम भुगतने ह गे, जब तक क वे इसको वीकार नह कर लेते, अपनी
सरहद को नह खोलते और अपने समाज , अपनी राजनी त और अपने बाज़ार का
उदारीकरण नह करते। इसम समय लग सकता है, ले कन अ ततः उ र को रया, इराक़ और
एल स वाडोर डेनमाक या आयोवा जैसे दखने लगगे।
1990 और 2000 के दशक म यह क़ सा वै क म बन गया था। ाज़ील से लेकर
ह तान तक क ब त-सी सरकार ने इ तहास के इस अनवरत अ भयान म शा मल होने
क ख़ा तर उदारवाद नु ख़े अपना लए थे। जो ऐसा करने म वफल रहे, वे बीते ज़माने के
जीवा म जैसे दखते थे। 1997 म संयु रा य अमे रका के रा प त बल लंटन ने
आ म व ास के साथ यह कहकर चीन क सरकार को फटकार लगाई थी क चीनी राजनी त
का उदारीकरण करने से उसके इंकार ने उसे ‘इ तहास क ग़लत दशा’ म लाकर छोड़ दया
है।
ले कन, 2008 के वै क आ थक संकट के बाद से इस उदारवाद क़ से के त सारी
नया के लोग का उ रो र मोहभंग होता चला गया है। द वार और फ़ायरवॉ स फर से
फ़ैशन म वापस आ गए। वदे शय के आकर बसने को लेकर और ापा रक समझौत के
त तरोध बढ़ रहा है। ज़ा हर तौर पर लोकता क सरकार याय- णाली क वाधीनता
क जड़ कुतरती ह, ेस क आज़ाद को सी मत करती ह, और कसी तरह के वरोध को
दे श ोह के प म च त करती ह। तुक और स जैसे दे श के श शाली लोग अनुदार
लोकत और प तानाशा हय क नई क़ म के साथ योग करते ह। आज, ब त थोड़े-से
लोग ह गे, जो पूरे व ास के साथ यह ऐलान कर सक क चीन क क यु न ट पाट इ तहास
क ग़लत दशा म है।
टे न के े ज़ट वोट और संयु रा य अमे रका म डोना ड प के अ युदय से
पहचाने जाने वाले 2016 के साल ने उस ण का संकेत कया था, जब मोहभंग का उमड़ता
आ यह वार प मी यूरोप और उ री अमे रका के उन रा य तक प ँच गया था, जो मूल
प से उदारवाद थे। कुछ वष पहले तक जहाँ अमे रक और यूरोपीय अभी भी इराक़ और
ली बया का ब क़ क नोक पर उदारीकरण करने क को शश म लगे थे, वह अब कटक
और यॉकशायर म ब त-से लोग उदारवाद को या तो अवांछनीय या अ ा य मानने लगे
ह। कुछ लोग ने पुरानी सोपान म-यु नया के त पस द वक सत कर ली है, और वे
अपने न लपरक, रा ीय या ल गक वशेषा धकार को छोड़ने का तैयार नह ह। कुछ सरे ह,
जो (सही या ग़लत) इस नतीजे पर प ँच चुके ह क उदारीकरण और भूम डलीकरण वशाल
जन-समुदाय क क़ मत पर मु -भर उ चवग य लोग को ताक़तवर बनाने वाली वराट
धोखाधड़ी है।
1938 म इंसान से तीन वै क क़ स म से चुनाव करने का ताव कया गया था,
1968 म मा दो क़ स म से, और 1998 म मा एक क़ से का बोलबाला दखाई दे ता था,
2018 म हम शू य पर प ँच चुके ह। आ य क बात नह है क जस उदारवाद कुलीन वग
का हाल के दशक म यादातर नया पर वच व आ करता था, वह सदमे और दशा म
क हालत म प ँच चुका है। एक क़ से का होना सबसे यादा आ त करने वाली थ त
होती है। हर चीज़ एकदम प होती है, ले कन अचानक बना कसी क़ से के रह जाना
भयावह है। अब कसी चीज़ का कोई अथ नह रह गया है। कुछ-कुछ 1980 के दशक के
सो वयत कुलीन वग क तरह ही उदारवा दय को समझ म नह आ रहा है क आ ख़र
इ तहास अपनी नय त के रा ते से कैसे भटक गया, और अब वा त वकता क ा या करने
के लए उनके पास कोई वैक पक म नह है। इस दशा म के चलते वे महा वनाश क
पदावली म सोचने को ववश ह, मानो इ तहास के उसके पूवक पत सुखद अ त पर न प ँच
पाने का अथ यह है क वह तेज़ी के साथ पाप और पु य के अ तम नणायक यु
(अमागेडॉन) क ओर भागा जा रहा है। वा त वक थ त का परी ण कर पाने म असमथ
दमाग़ महा वनाश के प र य का सहारा लेने लगता है। उस क तरह, जो पीड़ादायी
सरदद से ेन ूमर क अ तम अव था क क पना करने लगता है, ब त-से उदारवा दय
को भय है क े ज़ट और डोना ड प का उदय मानवीय स यता के अ त के पूव-संकेत
ह।

म छर को मारने से लेकर वचार को मारने तक


द मत होने और आस वनाश का अहसास ौ ो गक य वधान क तेज़ होती र तार
से और भी ती हो गया है। उदारवाद राजनी तक व था औ ो गक युग म भाप के इंजन ,
तेल शोधक कारख़ान और टे ली वज़न सैट क नया को सँभालने के उ े य से गढ़ गई थी।
इसे सूचना ौ ो गक और जैव ौ ो गक के े म जारी ा तय से नपटने म मु कल
पेश आ रही है।
राजनेता और मतदाता, दोन ही बमु कल ही इन ौ ो ग कय को समझ पा रहे ह,
उनक व फोटक स भावना का नयमन करना तो र क बात है। 1990 के दशक से ही
इंटरनेट ने नया को जतना बदल दया है, उतना शायद सरी कसी चीज़ ने नह बदला है,
जब क इंटरनेट क ा त का नदशन राजनी तक दल से यादा इंजी नयर ने कया था।
या आपने कभी इंटरनेट को लेकर मतदान कया था? लोकता क णाली अभी भी इस
बात को समझने का संघष कर रही है क उसको कस चीज़ ने आघात प ँचाया है, और वह
अगले आघात, जैसे क आ ट फ़ शयल इंटे लजस या लॉकचेन ा त को झेलने के लए
बमु कल ही तैयार है।
क यूटर ने आज पहले से ही व ीय णाली को इतना पेचीदा बना दया है क ब त
थोड़े-से मनु य ही इसको समझ सकते ह। जैसे-जैसे आ ट फ़ शयल इंटे लजस उ त होता
जाएगा, वैसे ही हम ज द ही उस मक़ाम पर प ँच सकते ह, जब कोई भी इंसान व -
व था को समझने म स म नह रह जाएगा। राजनी तक या पर इसका या असर
होगा? या आप ऐसी कसी सरकार क क पना कर सकते ह, जो कसी ऐ ग रदम क
वन तापूवक ती ा कर रही हो क वह उसके बजट या उसके नए टै स सुधार का
अनुमोदन कर दे ? इस बीच, कसी के य सवर क माफ़त गुज़रे बना एक क यूटर से सरे
क यूटर तक फैले लैकचेन नेटवक और बट वाइन जैसी टोकर सयाँ मौ क णाली का
इस तरह आमल-चूल नवीकरण कर सकती ह क कर- व था म कोई मूल सुधार अप रहाय
हो जाएँगे। उदाहरण के लए, डॉलर पर कर लगाना अस भव या अ ासं गक हो सकता है,
य क यादातर लेन-दे न, रा ीय मु ा के, या कसी भी तरह क मु ा के सु प ह ता तरण
के बना, मा सूचना के आदान- दान क माफ़त ह गे। ऐसी दशा म सरकार के लए सवथा
नए कर को ईजाद करना ज़ री हो सकता है - स भवतः सूचना-कर जैसा कुछ, जसका
भुगतान सूचना पर और डॉलर क बजाय सूचना के प म करना होगा। या राजनी तक
व था अपना सारा सं चत पैसा गँवा दे ने के पहले इस संकट से नपट पाएगी?
इससे भी यादा मह वपूण यह क सूचना ौ ो गक और जैव ौ ो गक क जुड़वाँ
ा तयाँ महज़ अथ व था और समाज क ही नह , ब क हमारी आपनी काया और
दमाग़ क पुनरचना भी कर सकत ह। अतीत म हम मनु य अपने से बाहर क नया को
नय त करना सीख चुके ह, ले कन अपने अ दर क नया पर हमारा ब त कम नय ण
आ करता था। हम यह तो जानते थे क बाँध कैसे बनाया जाए और नद को बहने से कैसे
रोका जाए, ले कन हम अपनी काया को बूढ़ा होने से रोकना नह जानते थे। हम यह तो जानते
थे क एक सचाई- णाली को कैसे गढ़ा जाए, ले कन एक दमाग़ को गढ़ने को लेकर हम
कोई इ म नह था। अगर हमारे कान म म छर भन भनाते थे और हमारी न द म ख़लल
डालते थे, तो हम जानते थे क म छर को कैसे मारा जाए, ले कन अगर हमारे दमाग़ म कोई
वचार भनभनाता रहता था और वह हम रातभर जागाए रखता था, तो हमम से यादातर
लोग नह जानते थे क उस वचार को कैसे मारा जाए।
जैव ौ ो गक और सूचना ौ ो गक क ा तयाँ हम अपनी अ द नी नया पर
नय ण दान करगी, और हम जीवन को गढ़ने तथा उ पादन करने म स म बनाएँगी। हम
दमाग़ को प दे ना, जीवन को व तार दे ना, और अपनी मनमज़ से वचार को मारना
सीखगे। कोई नह जानता क इसके नतीजे या ह गे। इंसान औज़ार का अ लम द पूण
इ तेमाल करने क बजाय औज़ार को ईजाद करने म यादा मा हर रहे ह। कसी नद पर
बाँध बनाकर उसका मनमाना इ तेमाल करना जतना आसान है, इस कृ य के ापक
पा र थ तक य (इकॉलॉ जकल) णाली पर पड़ने वाले ज टल भाव का पूवानुमान करना
उतना आसान नह है। इसी तरह, अपने दमाग़ के वाह क दशा बदलना जतना आसान
होगा, उतना आसान इस बात का पूवानुमान करना नह होगा क यह कृ य हमारे नजी
मनो व ान या हमारी सामा जक व था के साथ या करेगा।
अतीत म हमने अपने चार ओर क नया से चालाक से काम नकालने और समूचे ह
को नया आकार दे ने क श हा सल कर ली थी, ले कन य क हम भूम डलीय
पा र थ तक क ज टलता को नह समझते थे, इस लए हमने अनजाने म जो बदलाव कए,
उ ह ने समूची पा र थ तक य णाली को तहस-नहस कर दया और अब हम
पा र थ तक य वंस का सामना कर रहे ह। आने वाली सद म जैव ौ ो गक और सूचना
ौ ो गक हम अपनी आ त रक नया को नय त करने और वयं को नई श ल दे ने क
मता दान करगी, ले कन य क हम अपने ही दमाग़ क पेचीद गय को नह समझते,
इस लए हम उसम जो बदलाव लाएँगे, वे हमारी मान सक व था को इस हद तक गड़बड़ा
सकते ह क वह भी न य हो सकती है।
जैव ौ ो गक और सूचना ौ ो गक क ा तयाँ उन इंजी नयर , उ मय और
वै ा नक ारा क गई ह, जो अपने फ़ैसल के राजनी तक न हताथ के त ख़ास जाग क
नह ह, और जो न य ही कसी का भी त न ध व नह करते। या संसद और राजनी तक
दल इस थ त से ख़ुद नपट सकते ह? फ़लहाल तो ऐसा नह लगता। ौ ो गक य
पा तरण राजनी तक कायसूची का सवा धक मह वपूण मु ा तक नह है। नतीजतन,
2016 म संयु रा य अमे रका क रा प त पद क दौड़ म पा तरकारी ौ ो गक का
मु य हवाला हलेरी लंटन के ई-मेल के तबाह हो जाने का था, और रोज़गार क त के
बारे म ई तमाम चचा के बावजूद कसी भी याशी ने वचालन (ऑटोमेशन) के
स भा वत भाव का मु ा नह उठाया। डोना ड प ने मतदाता को चेतावनी द क
मै सक और चीनी लोग उनके रोज़गार छ न लगे, और यह क इस लए उनको मै सको क
सरहद पर द वार खड़ी कर लेनी चा हए। उ ह ने मतदाता को इस बात क चेतावनी कभी
नह द क ऐ ग रदम उनक नौक रयाँ छ न लगे, न ही उ ह ने कै लफ़ो नया से लगी सरहद
पर फ़ायरवॉल खड़ी करने का सुझाव दया।
यह एक (हालाँ क एकमा नह ) वज़ह हो सकती है क य उदारवाद प म के के
थल तक के मतदाता उदारवाद क़ से और लोकता क या म अपना व ास खोते
जा रहे ह। साधारण लोग आ ट फ़ शलय इंटे लजस और जैव ौ ा गक क समझ भले ही न
रखते ह , ले कन वे इस बात को महसूस कर सकते ह क भ व य उनको अनछु ए घ टत हो
रहा है। हो सकता है क 1938 म यूएसएसआर (यू नयन ऑफ़ सो वयत सोश ल ट
रप लक), जमनी या संयु रा य अमे रका के आम क हालत ःखद रही हो, ले कन
उससे नर तर यह कहा जाता था क वह नया क सबसे मह वपूण चीज़ है, और यह क
वह भ व य है (ज़ा हर तौर पर, बशत तभी जब वह एक य द या अ क होने क बजाय
एक ‘साधारण ’ होता था)। वह चार-स ब धी पो टर को दे खता था, जनम आमतौर
पर कोयला मज़ र , फ़ौलाद मज़ र और गृह णय को वीरतापूण मु ा म च त कया गया
होता था। और वहाँ ख़ुद को दे खता था : “म उस पो टर म ँ! म भ व य का हीरो ँ!”
2018 म यह आम अपने को उ रो र अ ासं गक महसूस कर रहा है। टे ड
(ट ईडी = टे नॉलॉजी, एंटरटे नमट, एंड डज़ाइन) वाता , सरकार के थक टक और हाई-
टे क स मेलन म उ साहपूवक ढे र रह यमय श द उछाले जाते ह- भूम डलीकरण, लॉकचेन,
जने टक इंजी नय रग, आ ट फ़ शयल इंटे लजस, मशीन ल नग- और आम आदमी को उ चत
ही यह लग सकता है क इनम से कसी श द का र ता उनसे नह है। उदारवाद क़ सा
जनसाधारण का क़ सा था। साइबोग और पर पर जुड़े ऐ ग रदम के वशाल त क
नया म यह क़ सा ासं गक कैसे बना रह सकता है?
बीसव सद म जन-समुदाय ने शोषण के व ा त क थी, और अथ व था म
अपनी नयामक भू मका को राजनी तक श म पा त रत करने क को शश क थी। अब
जन-समुदाय अ ासं गक हो जाने से डरते ह, और, इसके पहले क ब त दे र हो जाए, वे
अपनी बची-खुची राजनी तक श का इ तेमाल करने को लेकर ह। इस तरह े ज़ट
और प का अ युदय पार प रक समाजवाद ा तय के ेप-पथ के वपरीत ेप-पथ
सा बत हो सकते ह। सी, चीनी और यूबाई ा तयाँ उन लोग ारा लाई गई थ , जो
अथ व था के लए तो अ नवाय मह व रखते थे, ले कन जनके पास राजनी तक श नह
थी। 2016 म प और े ज़ट का उन ब त-से लोग ारा समथन कया गया था, जो अभी
भी राजनी तक श का उपभोग तो कर रहे थे, ले कन जनको भय था क वे अपना आ थक
मू य खोते जा रहे ह। स भवतः इ क सव सद म जनवाद ा तयाँ उस आ थक कुलीन वग
के ख़लाफ़ नह ह गी, जो लोग का शोषण करता है, ब क वे उस आ थक कुलीन वग के
ख़लाफ़ ह गी, जसे अब उनक कोई ज़ रत नह रह गई है। ये शायद एक ऐसी लड़ाई हो
सकती है, जसम पराजय सु न त हो। अ ासं गकता के ख़लाफ़ लड़ना शोषण के ख़लाफ़
लड़ने से यादा मु कल काम है।

उदारवाद फ़ न स
यह पहली बार नह है, जब उदारवाद क़ से का व ास के संकट से सामना आ है। जब से
इस क़ से ने वै क भाव क़ायम कया है, यानी उ ीसव सद के सरे अ से, तभी से यह
नय मत प से संकट झेलता रहा है। भूम डलीकरण और उदारीकरण के पहले युग का अ त
पहले व यु के र नान के साथ आ था, जब सा ा यवाद स ा क राजनी तय ने
ग त के वै क अ भयान को बीच म ही रोक दया था। सारायेवो म आक ूक ांज़
फ़ दना द क ह या के बाद के दन म पता चला था क महाश याँ उदारवाद से कह यादा
सा ा यवाद म व ास रखती थ , और नया को उ मु और शा तपूण वा ण य के मा यम
से संग ठत करने क बजाय उनका यान नमम बल योग के दम पर संसार का एक बड़ा
ह सा ह थया लेने पर के त था। तब भी उदारवाद इस ांज़ फ़ दना द ण से बच नकला
था और इस बवंडर के भीतर से पहले से यादा श शाली होकर बाहर आ गया था, इस
आ ासन के साथ क ‘यह यु सारे यु को समा त करने वाला यु ’ है। कहा जाता है क
इस अपूव ह याका ड ने मानव जा त को सा ा यवाद क भयावह क़ मत क सीख द थी,
और अब मानव जा त अ ततः वत ता और शा त के स ा त पर आधा रत एक नई
नया रचने के लए तैयार थी।
इसके बाद हटलर ण आया, जब 1930 के दशक म और 1940 के दशक के शु आती
वष म, फ़ासीवाद कुछ समय के लए तरोध से परे तीत होने लगा था। इस ख़तरे पर ई
जीत अगले ख़तरे क शु आत बन गई। 1950 और 1970 के दशक के बीच, चे वारा ण
के दौरान, एक बार फर लगा क उदारवाद अपनी मौत के क़रीब है, और भ व य सा यवाद के
हाथ म है। अ त म यह सा यवाद था, जो धराशायी आ। सुपरमाकट गुलाग से यादा
ताक़तवर सा बत आ। इससे भी यादा मह वपूण बात यह है क उदारवाद क़ सा इसके
कसी भी त के मुक़ाबले यादा लचीला और ग तशील सा बत आ। इसने
सा ा यवाद, फ़ासीवाद और सा यवाद के कुछ े तम वचार और वहार को अपनाते
ए इन पर वजय पाई। ख़ासतौर से उदारवाद क़ से ने सा यवाद से समवेदना के दायरे को
व तार दे ने और वत ता के साथ-साथ समानता को मह व दे ने क सीख ली।
शु आत म, उदारवाद क़ सा मु यतः आज़ाद और म यवग य यूरोपीय पु ष के वशेष
हक़ क च ता करता था, और कामगार वग के लोग , य , अ पसं यक और ग़ैर-प मी
लोग क दशा के त अ धेपन का रवैया अपनाता लगता था। जब 1918 म वजेता टे न
और ांस उ साहपूवक आज़ाद क बात करते थे, तो वे अपने व ापी सा ा य क जा
के बारे म नह सोच रहे होते थे। उदाहरण के लए, वाधीनता क ह ता नय क माँग का
जवाब 1919 के अमृतसर के नरसंहार से दया गया था, जसम अँ ेज़ी सेना ने सैकड़
नह थे दशका रय क सामू हक ह याएँ क थ ।
यहाँ तक क सरे व यु के बाद प म के उदारवा दय को अपने क थत प से
सावभौ मक मू य को ग़ैर-प मी लोग पर लागू करने म भारी क ठनाई पेश आ रही थी।
नतीजतन, जब डच लोग 1945 म पाँच साल ल बे नृशंस नाज़ी क़ ज़े से बाहर नकले, तो
उ ह ने जो लगभग पहला काम कया, वह यह था क उ ह ने एक सेना खड़ी क और उसे
आधी नया पार करते ए इंडोने शया के अपने पूव उप नवेश को फर से ह थयाने के लए
रवाना कर दया। जहाँ 1940 म डच ने चार दन से कुछ ही यादा समय क लड़ाई के बाद
अपनी वाधीनता से हाथ धो लए थे, वह वे इंडोने शयाई वाधीनता को कुचलने के लए
कड़वाहट भरे चार से यादा वष तक लड़ते रहे। आ य क बात नह क नयाभर के
ब त-से रा ीय मु आ दोलन ने अपनी उ मीद प म के आज़ाद के वघो षत सूरमा
क बजाय सा यवाद मॉ को और बी जग पर के त क ।
ले कन धीरे-धीरे उदारवाद क़ सा अपने तज का व तार करता गया, और कम-से-
कम स ा तः नरपवाद प से सारे मनु य क आज़ाद और अ धकार को मू यवान मानने
लगा। जैसे-जैसे आज़ाद का दायरा व तृत होता गया, वैसे-वैसे उदारवाद क़ सा सा यवाद
शैली के क याणकारी काय म के मह व को भी वीकारता गया। आज़ाद तब तक ब त
यादा मायने नह रखती, जब तक क उसे कसी-न- कसी तरह सामा जक सुर ा त से
नह जोड़ा जाता। सोशल-डेमो े टक क याणकारी रा य ने लोकत और मानवा धकार
को रा य- ायो जत श ा और वा य क याण से जोड़ा। यहाँ तक क अ त-पूँजीवाद
संयु रा य अमे रका को भी यह अहसास हो गया है क आज़ाद क हफ़ाज़त कम-से-कम
कुछ सरकारी सेवा क माँग करती है। भूख मरते ब च के पास कोई आज़ाद नह होती।
1990 के दशक के शु आती वष के आते-आते वचारक और राजनेता , दोन ने
समान प से ‘इ तहास के अ त’ क शंसा क और पूरे आ म व ास के साथ दावा कया
क अतीत के सारे राजनी तक और आ थक सवाल के जवाब दए जा चुके ह, और यह क
लोकत , मानवा धकार , मु बाज़ार और शासक य क याणकारी सेवा का नए सरे से
तैयार कया गया उदारवाद पैकेज अब एकमा वक प है। ऐसा लगा था क यह पैकेज
न त प से सारी नया म फैल जाएगा, सारी बाधा को पार कर लेगा, सारी रा ीय
सरहद को पार कर लेगा, और मानव जा त को एक वत वै क समुदाय म बदल दे गा।
ले कन इ तहास का अ त नह आ है, और ांज़ फ़ दना द ण, हटलर ण, और चे
वारा ण के बाद अब हम ख़ुद को प ण म पाते ह। इस बार, ले कन, उदारवाद क़ सा
सा ा यवाद, फ़ासीवाद, या सा यवाद जैसे कसी सुसंगत वचारधारापरक त का
सामना नह कर रहा है। प ण कह यादा शू यवाद ( न ह ल टक) है।
जहाँ बीसव सद के तमाम बड़े आ दोलन के पास समूची मानव जा त को लेकर एक
व आ करता था - वह चाहे वै क वच व का व हो, ा त का हो या मु का हो -
वह डोना ड प के पास ऐसी कोई चीज़ नह है। थ त इसके एकदम वपरीत है। उनका
मु य स दे श है क यह अमे रका क ज़ मेदारी नह है क वह कसी वै क व को
न पत या ो सा हत करे। इसी तरह, तानी े ज़टवा दय के पास अस ब कगडम के
भ व य क कोई योजना नह है- यूरोप का भ व य और नया का भ व य उनक क
प ँच से बाहर है। जन यादातर लोग ने प और े ज़ट के प म मतदान कया था,
उ ह ने उदारवाद पैकेज को उसक स पूणता म नह नकारा था। उ ह ने मु यतः इसक
भूम डलीकारक भू मका म अपनी आ था खो द थी। वे अभी भी लोकत , मु बाज़ार,
मानवा धकार और सामा जक ज़ मेदारी म व ास करते ह, ले कन उनका मानना है क ये
ख़ूबसूरत धारणाएँ सरहद पर ठहर सकती ह। वाक़ई, उनका व ास है क यॉकशायर या
कटक म आज़ाद और समृ का संर ण करने के लए सरहद पर एक द वार खड़ी कर
दे ना, और वदे शय के त अनुदार नी तयाँ अपनाना सबसे अ छा है।
उभरती ई चीनी महाश इसक लगभग आईने म उलट छ व पेश करती है। यह अपनी
घरेलू राजनी त के उदारीकरण को लेकर सावधान है, ले कन इसने बाक़ नया के त
अपे ाकृत उदार रवैया अपनाया आ है। दरअसल, जब मु ापार और अ तररा ीय
सहकार का मसला आता है, तो शी जन पग ओबामा के वा त वक उ रा धकारी जैसे दखते
ह। मा सवाद-ले ननवाद को एक तरफ़ रख चुकने के बाद चीन उदार अ तररा ीय व था से
स ही नज़र आता है।
पुन थानशील स ख़ुद को वै क उदारवाद व था के कह यादा श शाली श ु
के प म दे खता है। य प इसने अपनी सै य श क पुनरचना कर ली है, ले कन यह
वचारधारा मक तर पर दवा लया है। ला दमीर पु तन स और नया के व भ
द णप थी आ दोलन , दोन के बीच न य ही लोक य ह, ले कन उनके पास ऐसी कोई
सावभौ मक व नह है, जो बेरोज़गार पे नय , अस तु ाज़ी लयाइय या कै ज के
अ ावहा रक आशावा दय को आक षत कर सके।
स उदार लोकत का एक वैक पक मॉडल ज़ र पेश करता है, ले कन यह मॉडल
कोई सुसंगत राजनी तक वचारधारा नह है। इसक बजाय, यह एक ऐसी राजनी तक
क़वायद है, जसम दे श क स प और स ा पर मु भर ताक़तवर लोग का एका धकार है,
और जो मी डया पर अपने नय ण का इ तेमाल अपनी ग त व धय को छपाने और अपनी
कूमत को मज़बूत बनाने के लए करते ह। लोकत अ ाहम लकन के इस स ा त पर
आधा रत है क “आप सारे लोग को कुछ समय के लए, और कुछ लोग को सारे समय
बेवकूफ़ बना सकते ह, ले कन आप सारे लोग को सारे समय बेवकूफ़ नह बना सकते।”
अगर कोई सरकार है और लोग के जीवन म सुधार लाने म वफल रहती है, तो पया त
सं या म नाग रक अ ततः इस बात को समझ जाएँगे और सरकार को बदल दगे, ले कन
मी डया पर सरकार का नय ण लकन के तक को न भावी बना दे ता है, य क यह
नाग रक को स चाई को जानने से रोकता है।’ मी डया पर अपने एका धकार के मा यम से
स ाधारी कुलीन वग बार-बार अपनी नाकामया बय को सर के म थे मढ़ सकता है, और
लोग का यान बाहरी ख़तर क दशा म मोड़ सकता है - फर वे ख़तरे वा त वक ह या
का प नक।
जब आप ऐसे मु भर स ाधा रय के अधीन रहते ह, तो हमेशा ऐसा कोई-न-कोई संकट
खड़ा रहता है, जो वा य-सेवा और षण जैसी उबाऊ चीज़ पर ाथ मकता हा सल कर
लेता है। अगर रा कसी बाहरी हमले या कसी शैतानी वनाश के ख़तरे का सामना कर रहा
हो, तो कसके पास इतना समय है क वह इस बात क च ता करता बैठे क अ पताल म
मता से यादा मरीज़ भरे ह और न दयाँ शत हो रही ह? संकट के असमा य सल सले
को गढ़ते ए, मु भर स ाधा रय का यह वग अपनी कूमत को अ तहीन समय तक जारी
रख सकता है।
ले कन ावहा रक तर पर टकाऊ होने के बावजूद मु भर लोग क स ा का यह
मॉडल कसी को आक षत नह करता। उन सरी वचारधारा से भ ,जो गव के साथ
अपनी प रक पना का तपादन करती ह, मु भर स ाधा रय के ये वग अपने आचरण पर
गव नह करते, और वे आपक आँख म धूल झ कने के लए सरी वचारधारा का
इ तेमाल करते ह। इसी मायने म स लोकत का ढ ग रचता है, और उसका नेतृ व
एका धकारवाद क बजाय सी रा वाद और क रप थी ईसाइयत के मू य म न ा का दावा
करता है। ांस और टे न के द णप थी उ वाद शायद स क मदद पर भरोसा कर
सकते ह और पु तन के त सराहना कर सकते ह, ले कन उनके मतदाता भी शायद
उस दे श म रहना पस द नह करगे, जो वा तव म सी मॉडल क नक़ल करता है - एक ऐसा
दे श जहाँ नय मत ाचार और कुचा लत सेवाएँ ह, जहाँ क़ानून का शासन नह है, और
व मत कर दे ने वाली असमानता है। कुछ आकलन के मुता बक़ स नया के सबसे
यादा ग़ैरबराबरी वाले मु क म से एक है, जहाँ 87 % स प 10 : समृ समृ तम लोग के
हाथ म के त है। ं ट नेशनल ( ांस क एक द णप थी लोकलुभावन और रा वाद
पाट ) के कामगार वग के कतने समथक ांस म स प - वभाजन के इस ढाँचे क नक़ल
करना चाहगे?
इंसान कसी जगह जाना या न जाना चाहने के अपने चुनाव क माफ़त कसी चीज़ के
बारे म अपने वचार ज़ा हर करते ह। नयाभर क अपनी या ा के दौरान म ऐसे अन गनत
लोग से मला ँ, जो संयु रा य अमे रका, जमनी, कनाडा या ऑ े लया म जाकर बसने
क इ छा रखते ह। म ऐसे भी कुछ लोग से मला ँ, जो चीन या जापान म बसना चाहते ह,
ले कन अब तक मेरी मुलाक़ात एक भी ऐसे से नह ई है, जो स म जाकर बसने का
सपना दे खता हो।
जहाँ तक ‘वै क इ लाम’ का है, यह मु यतः उन लोग को आक षत करता है, जो
इसक गोद म ज मे थे। जहाँ यह सी रया या इराक़ के कुछ लोग और जमनी तथा टे न के
अलग-थलग पड़े मुसलमान नौजवान तक को लुभा सकता है, वह इस बात क लगभग कोई
स भावना नह है क ीस या द ण अ का अपनी सम या के समाधान के लए कसी
वै क ख़लाफ़त म शरीक होना चाहगे, कनाडा या द ण को रया को तो छोड़ ही द। इस
मामले म भी लोग कसी जगह जाना या न जाना चाहने के अपने चुनाव क माफ़त कसी
चीज़ के बारे म अपने वचार ज़ा हर करते ह। कसी मु लम मज़हबी स तनत के अधीन रहने
म य पूव क या ा पर गए जमनी के येक मुसलमान नौजवान के मुक़ाबले स भवतः म य
पूव के सौ नौजवान ने वपरीत दशा म या ा क होगी, और उदार जमनी म अपनी नई
ज़ दगी क शु आत क होगी।
इसका यह मतलब नकल सकता है क आ था का मौजूदा संकट इसके पहले के संकट
के मुक़ाबले कम च ड है। पछले कुछ वष क घटना से हताशा क थ त म धकेल दए
गए कसी भी उदारवाद को सफ़ इतना याद करना चा हए क 1918, 1938 या 1968 म
हालात कतने बदतर दखाई दे ते थे। हाल के वष म हम जो कुछ दे ख रहे ह, वह उदारवाद
क़ से का स पूण प र याग नह है। इसक बजाय हम ‘तयशुदा ंजन-सूची (मे यू)
कोण’ से हटकर ‘बफ़े मान सकता’ क ओर बढ़ने को ल य कर रहे ह।
मौजूदा घटना म को समझना कसी हद तक इस लए मु कल है, य क उदारवाद का
व प कभी भी एकल नह रहा है। उदारवाद आज़ाद का आन द लेता है, ले कन आज़ाद
के अलग-अलग स दभ म अलग-अलग अथ होते ह। एक के लए उदारवाद का
मतलब वत चुनाव और लोकत ीकरण होता है। सरा सोचता है क उदारवाद का
मतलब है ापा रक सौदे और भूम डलीकरण। तीसरा उदारवाद को समल गक
ववाह और गभपात से जोड़कर दे खता है। उदारवाद आ थक, राजनी तक और नजी े म,
और रा ीय तथा अ तररा ीय, दोन ही तर पर, वहार के लए व वध क़ म के परामश
दे ता है। आगे द गई ता लका उदारवाद के मु य घटक को सं ेप म तुत करती है :
जस उदारवाद क़ से का हाल के वष म नया पर बोलबाला रहा है, उसका तक था
क उपयु छह घटक के बीच मज़बूत और मूलभूत र ते ह। आप एक के बना सरे को
हा सल नह कर सकते, य क एक े क ग त सरे े क ग त को अ नवाय बनाती
है और उ े रत करती है। उदाहरण के लए, मु बाज़ार क सफलता के लए मु चुनाव
अ नवाय ह - लोकत के बना बाज़ार ज द ही मलीभगत और सरकारी ाचार के
शकार हो जाएँगे। इसी तरह, ल गक समानता अ तररा ीय शा त को ो सा हत करती है,
य क यु आम तौर से पतृस ा मक मू य और पु षवाद राजनेता ारा भड़काए जाते
ह। वह वै क आ थक एक करण वत ता और वत उपभो ा के बीच सामंज य क
माँग करता है। अगर म मा 3 रा ीय ा ड क बजाय 100 वै क ा ड म से चुनाव कर
सकता ँ, तो म अ धक वैय क वत ता का उपभोग करता ँ। और इसी तरह सरे
मामल म भी समझा जाना चा हए। नतीजतन, अगर कोई मु क उदारवाद तयशुदा ंजन-
सूची से कसी एक ंजन - मसलन आ थक उदारीकरण- का आन द लेना चाहता है, तो
उसके पास सरे ंजन को न लेने का कोई वक प नह है।

उदारवाद तयशुदा ंजन-सूची


रा ीय तर अ तररा ीय तर
आ थक मु बाज़ार, नजीकरण, ह के कर मु ापार, वै क एक करण,
े ह के शु क
राजनी त वत चुनाव, क़ानून का शासन, शा तपूण र ते, ब प ीय सहयोग,
क े अ पसं यक के अ धकार अ तररा ीय क़ानून और संगठन
गत चयन क वत ताएँ, वाद, गत आवाजाही और सरे मु क
े व वधता, ल गक आधार पर समानता म बसने क स लयत

जो चीज़ अब सारी नया के लोकलुभावन और रा ीय आ दोलन म समान है, वह यह है


क अगर वे ख़ुद को ‘उदारता- वरोधी’ कहते ह, तो भी उनम कोई उदारतावाद का अ धाधु ध
तर कार नह करता। इसक बजाय वे नधा रत ंजन-सूची प त का तर कार करते ह,
और एक उदारवाद बुफ़े से अपना मनपस द ंजन चुनना चाहते ह। इसी लए प अभी भी
मु बाज़ार और नजीकरण के ब त यादा प म ह, ले कन उनका ख़याल है क वे
ब प ीय सहकार और मु ापार तक को कमज़ोर करते ए इन चीज़ को हा सल कर
सकते ह। चीन मु ापार का समथन करता है, और इसका बे ट-एंड-रोड इनी शए टव
भूम डलीकरण क अब तक प रक पत प रयोजना म सबसे यादा मह वाकां ी
प रयोजना है, ले कन वत चुनाव को लेकर इसम र- र तक कोई उ साह नह है। टे न
के े ज़टवाद लोकत का समथन करते ह और वाद को लेकर उनका कोई वरोध
नह है, ले कन उनको ब प ीय सहयोग और अ तररा ीय संगठन को ब त यादा श
दान करने का वचार रास नह आता। व ोर ऑबान ने अपनी शासन- व था को ‘अनुदार
लोकत ’ के प म प रभा शत करते ए तक दया है क आप हंगरी म अ पसं यक के
अ धकार, व वधता और वाद के त तब ता क घोषणा कए बना वत चुनाव
करा सकते ह।
जो एक ंजन लगभग हर कोई, कम-से-कम स ा ततः, चाहता है, वह है शा तपूण
अ तररा ीय स ब ध। ये उदारवाद बुफ़े का चॉकलेट केक है। इसके वपरीत, जस एक
ंजन - जो क वै क अजवाइन है - क लालसा लगभग कसी को नह है, वह है अ वासन
(अपने दे श म सरे दे श के लोग का आ बसना)। यहाँ तक क लोकत , वाद और
ब प ीय सहयोग के क र समथक भी परदे सय को अपने मु क म आने दे ने को लेकर
न या मक ढं ग से उदासीन हो चुके ह।
ले कन अभी यह दे खना है क या बुफ़े प त कारगर हो सकती है। भोजन क यह
उपमा ब त गुमराह करने वाली हो सकती है। रे ताराँ म तयशुदा ंजन-सूची वत
ंजन का एक मनमाना समागम होता है, ले कन उदारवाद क़ सा हमेशा इस बात पर ज़ोर
दे ता रहा है क उदारवाद णाली पर पर- नभर अंग से न मत एक जी वत ज तु है। जहाँ
आप सूप को डेज़ट से आसानी-से अलग कर सकते ह, वह आप दय को फफड़ से अलग
नह कर सकते। या प वाक़ई संयु रा य अमे रका म वै क तर के मु ापार को
कमज़ोर बनाते ए मु बाज़ार को ो सा हत कर सकते ह? या चीन क क यु न ट पाट
राजनी तक उदारीकरण क दशा म कोई क़दम उठाए बग़ैर आ थक उदारीकरण के फल
चखना जारी रख सकती है? या हंगरीवासी गत आज़ाद के बना लोकत हा सल
कर सकते ह, या ऑबान का ‘अनुदारतावाद लोकत ’ ‘तानाशाही’ कहने का महज़ एक
शालीन ढं ग है? या सरहद पर द वार खड़ी करती और ापा रक यु को ती करती
नया म अ तररा ीय शा त बची रह सकती है? बुफ़े प त का नतीजा स भवतः रा ीय
और अ तररा ीय, दोन ही तर पर उदारवाद व था के धराशायी होने के प म सामने
आ सकता है।
अगर ऐसा होता है, तो वह कौन-सी वैक पक क पना है, जो उदारवाद क़ से क जगह
ले सकती है? एक वक प कसी भी तरह के वै क क़ से को पूरी तरह याग दे ने और
उसक जगह थानीय रा वाद और मज़हबी कहा नय म पनाह ढूँ ढने का हो सकता है।
बीसव सद म, रा वाद आ दोलन ने अ य त मह वपूण राजनी तक भू मकाएँ नभाई थ ,
ले कन उनके पास वत रा ीय रा य म भूम डल के वभाजन का समथन करने के
अलावा भ व य क कसी तरह क सुसंगत क पना का अभाव था। नतीजतन, इंडोने शयाई
रा वाद डच शासन के ख़लाफ़ लड़े, और वयतनामी रा वाद एक वत वयतनाम चाहते
थे, ले कन कोई सम इंडोने शयाई या वयतनामी क़ सा नह था। जब यह प करने का
सवाल उठा क इंडोने शया, वयतनाम और अ य वत रा को एक- सरे के साथ कस
तरह जुड़ना चा हए, और मनु य को परमाणु यु के ख़तरे जैसी वै क सम या से कस
तरह नपटना चा हए, तो सारे-के-सारे रा वाद अपने उदारवाद या सा यवाद वचार का मुँह
जोहने लगे।
ले कन अगर आज उदारवाद और सा यवाद, दोन क साख गर चुक है, तो ब त
मुम कन है क मनु य कसी एकल वै क क़ से का वचार ही याग द? आ ख़रकार, या ये
सारे वै क क़ से - यहाँ तक क सा यवाद भी - प मी सा ा यवाद क पैदाइश नह थे?
वयतनामी ामीण को अर के एक जमन क मान सक स तान और मैनचे टर के
उ ोगप त के त अपनी आ था य सम पत कर दे नी चा हए? या यह मुम कन नह क
हर मु क अपनी ख़ुद क ाचीन पर परा ारा दखाए गए एक अलग व श रा ते को
अपनाए? यहाँ तक क प म के लोग भी नया को संचा लत करने क को शश से वराम
लेकर कुछ नया और दलच प करने के लए अपने ख़ुद के मसल पर यान के त कर?
दे खा जाए, तो सारी नया म आज यही तो हो रहा है क उदारवाद के वंस ने जो र
पैदा क है, उसे ता का लक तौर पर कसी थानीय व णम अतीत क क पना से भरा जा
रहा है। डोना ड प ने अमे रक अलगाववाद के अपने आ ान को ‘अमे रका को एक बार
फर से महान बनाने’ के आ ासन से जोड़ा था - मानो 1980 या 1950 के दशक का संयु
रा य अमे रका ऐसा स पूण समाज रहा हो, जसक पुनरचना अमे र कय को कसी तरह
इ क सव सद म कर लेनी चा हए। े ज़टवाद टे न को एक वाधीन श बनाने का
सपना दे खते ह, मानो वे अभी भी रानी व टो रया के ज़माने म रह रहे ह और मानो इंटरनेट
तथा लोबल व मग के इस युग म ‘वैभवशाली अलगाव’ एक सा य नी त हो। चीन के कुलीन
वग ने अपनी जातीय शाही और क यू शयाई वरासत को उस स द ध मा सवाद
वचारधारा के पूरक, यहाँ तक क वक प के प म ढूँ ढ नकाला है, जस वचारधारा को
उ ह ने प म से आयात कया था। उधर, स म पु तन क अ धकृत क पना मु भर कुलीन
क एक स ा खड़ी करने क नह है, ब क पुराने ज़ारवाद सा ा य का पुन ार करने
क है। बो शे वक ा त क एक सद के बाद, पु तन ाचीन ज़ारवाद वैभव को वापस ले
आने का आ ासन दे रहे ह, जो एक ऐसी नरंकुश सरकार से यु होगा, जो सी रा वाद
और बा टक से लेकर कॉकेसस तक अपने ताप का व तार करती ऑथ डॉ स धम न ा के
बूते अपना सर उठाकर चलेगी।
रा वाद लगाव को मज़हबी पर परा से जोड़ने वाले अतीत मोह से त ऐसे ही सपने
ह तान, पोलड, तुक और ब त-से सरे शासन को सहारा दए ए ह। ये दवा व जस
अ तरं जत तर पर म य पूव म ह, उतने अ य कह नह है, जहाँ इ लामपर त लोग उस
व था का अनुकरण करना चाह रहे ह, जसे 1,400 साल पहले मोह मद पैग़ बर ने मद ना
नगर म था पत कया था, वह इज़रायल के क रप थी य दय ने तो इन इ लामपर त को
भी पीछे छोड़ दया है, और वे 2,500 साल पहले के बाइबल के युग म लौटने का सपना दे ख
रहे ह। इज़रायल क स ाधारी गठब धन सरकार के लोग इज़रायल क सरहद को बाइबल
युग के इज़रायल क सरहद के यादा से यादा क़रीब तक व तार दे ने, बाइबलपरक सं हता
को बहाल करने, और यहाँ तक क य शलम म अल-अ सा म जद क जगह या े ह के
ाचीन उपासनागृह का पुन नमाण करने क अपनी उ मीद का खुलेआम इज़हार करते ह।
उदारवाद कुलीन वग इन घटना म को भया ा त नगाह से दे खता है, और उ मीद
करता है क मनु यता वनाश को टालने के लए उदारवाद रा ते पर मुड़ जाएगी। सत बर
2016 म संयु रा म अपने अ तम भाषण म रा प त ओबामा ने अपने ोता को ‘रा
और क़बीले और न ल और मज़हब के युग पुराने ढर के आधार पर दो-टू क ढं ग से बँट ई,
और अ ततः टकराव क थ त म बनी नया’ क ओर वापस लौटने के ख़लाफ़ चेतावनी द
थी। उ ह ने कहा था क इसक बजाय “खुले बाज़ार तथा उ रदायी शासन, लोकत और
मानवा धकार तथा अ तररा ीय क़ानून के… स ा त को इस सद म मानवीय ग त क
सबसे मज़बूत बु नयाद के प म क़ायम रहना चा हए।”
ओबामा ने ब कुल सही संकेत कया था क उदारवाद पैकेज क ब त सारी ख़ा मय के
बावजूद इसका रकॉड इसके कसी भी वक प के मुक़ाबले ब त अ छा रहा है। यादातर
मनु य ने इ क सव सद के आर भक दौर क उदारवाद व था के तहत जतनी शा त
और समृ का आन द लया है, उतना कभी नह लया था। यह इ तहास म पहली बार आ
है, जब सं ामक बीमा रयाँ पुराने ज़माने के मुक़ाबले ब त थोड़े-से लोग क जान लेती ह,
अकाल उससे कम लोग क जान लेता है, जतन क मोटापा लेता है, और हसा उससे ब त
कम लोग क जान लेती है, जतन क जान घटनाएँ लेती ह।
ले कन उदारवाद के पास उन सबसे बड़ी सम या के कोई प जवाब नह ह, जनका
सामना हम कर रहे ह : पा र थ तक य वंस और ौ ो गक य अराजकता। पार प रक प
से उदारवाद ज टल क़ म के सामा जक और राजनी तक टकराव को जा ई ढं ग से सुलझाने
के लए आ थक वकास पर नभर कया करता था। उदारवाद ने हर कसी को कचौड़ी क
एक बड़ा ह सा मलने का आ ासन दे ते ए सवहारा वग क बू वा वग के साथ,
आ थावान क ना तक के साथ, थानीय नवा सय क परदे स से आ बसे लोग के साथ,
और यूरोपीय लोग क ए शयाइय के साथ सुलह क़ायम क । अपने आकार म लगातार बड़ी
होती कचौड़ी के स दभ म यह मुम कन था, ले कन आ थक वकास व के पा र थ तक य
त क र ा नह कर पाएगा। इसके वपरीत, वह इस पा र थ तक य संकट का कारण है।
और आ थक वकास ौ ो गक य अराजकता का समाधान नह कर पाएगा। वह वयं ही
उ रो र अराजक होती जाती ौ ो ग कय पर आधा रत है।
उदारवाद क़ सा और मु -बाज़ार-पूँजीवाद का तक लोग को महान उ मीद पालने के
लए ो सा हत करता है। बीसव सद के बाद के ह से म हर पीढ़ ने- वह चाहे टन क
रही हो, शंघाई क रही हो, इ तांबूल क रही हो या साओ पाउलो क रही हो - बेहतर श ा,
उ कृ वा य-सेवा और पहले के मुक़ाबले यादा आमद नय का उपभोग कया था, ले कन
आने वाले दशक म ौ ो गक य अराजकता और पा र थ तक य गरावट के संयोग के
प रणाम व प नौजवान पीढ़ अगर यथा थ त म भी बनी रहे, तो यह उसक ख़ुश क़ मती
होगी।
नतीजतन, अब हमारे पास एक ही वक प बच रहता है क हम नया के लए अब तक
का एक अ तन (अपडेटेड) क़ सा गढ़ने के उ म म लग जाएँ। जस तरह औ ो गक ा त
क उथल-पुथल ने बीसव सद क अनूठ वचारधारा को ज म दया था, ठ क उसी तरह
जैव ौ ो गक और सूचना ौ ो गक के े क आगामी ा तयाँ नई क पना क माँग
कर सकती ह। इस लए मुम कन है क अगले दशक सघन आ मानुस धान और नए
सामा जक और राजनी तक मॉडल को गढ़ने के लए जाने जाएँ। या उदारवाद वयं को एक
बार फर नए सरे से गढ़ सकता है, जैसा क उसने 1930 और 1960 के दशक के संकट के
बाद कया था, जब वह पहले के कसी भी समय के मुक़ाबले यादा आकषक होकर सामने
आया था? या पार प रक मज़हब और रा वाद वे जवाब मुहैया करा सकते ह, जनक ओर
उदारवा दय का यान नह जा पा रहा है, और या वे एक अ तन व को तराशने म
ाचीन ा का इ तेमाल कर सकते ह? या कह ऐसा व त तो नह आ गया है, जब अतीत
से पूरी तरह अलग हो जाना ज़ री हो गया हो, और एक ऐसा सवथा नया क़ सा गढ़ना
ज़ री हो गया हो, जो न सफ़ पुराने दे वता और रा , ब क वत ता तथा समानता के
आधु नक मू य के परे जाना वाला हो?
फ़लहाल, मानव जा त इन सवाल को लेकर एकमत होने से ब त र है। हम अभी भी
मोहभंग और नाराज़गी क उस शू य अव था म ह, जहाँ लोग पुराने क़ स म अपनी आ था
खो चुकने के बाद, ले कन कसी नए क़ से को अंगीकार करने के पहले होते ह। तब फर
या कया जाए? पहला क़दम है महा वनाश क भ व यवा णय क अ त और आ ामकता
से बचना, और घबराहट क मनः थ त से हैरानी क मनः थ त म आना। घबराहट शेखी
बघारने का एक प है। वह इस आ मतु से पैदा होता है क मुझे ठ क-ठ क पता है क
नया कस तरफ़ जा रही है - गत म। हैरानी यादा वन होती है, और इस लए उसम चीज़
को दे खने और परखने क अ धक साम य होती है। अगर आपका मन ‘महा वनाश हमारे सर
पर मँडरा रहा है!’ च लाते ए सड़क पर भागने का होता है, तो ख़ुद से यह कहने क
को शश करके दे खए क “नह , ऐसा नह है। स चाई यह है क म समझ भर नह पा रहा ँ
क नया म या हो रहा है।”
आगामी अ याय हमारे सामने मौजूद कुछ हैरान कर दे ने वाली नई स भावना को प
करने क को शश करगे, और इस बात को भी क हमारे अगले क़दम या हो सकते ह, ले कन
मनु यता क दशा के स भा वत समाधान क छानबीन करने से पहले हम उन चुनौ तय
को बेहतर ढं ग से समझना ज़ री है, जो चुनौ तयाँ ौ ो गक हमारे सामने पेश कर रही है।
सूचना ौ ो गक और जैव ौ ो गक क ा तयाँ अभी भी अपनी शैशवाव था म ह, और
यह बात बहस यो य है क वे उदारवाद के मौजूदा संकट के लए कस हद तक ज़ मेदार ह।
ब मघम, इ तांबूल, सट पीटसबग और मु बई के यादातर लोग आ ट फ़ शयल इंटे लजस के
उदय और उनक ज़ द गय पर पड़ सकने वाले उसके स भा वत भाव के बारे म अगर
सचेत ह भी, तो ब त कम सचेत ह, ले कन यह बात अस द ध ढं ग से कही जा सकती है क
ये ौ ो गक य ा तयाँ आने वाले कुछ ही दशक के भीतर र तार पकड़ लगी, और मानव
जा त के सम अब तक क सबसे क ठन अ नपरी ाएँ पेश करगी। मनु यता क न ा
हा सल करने क आकां ा रखने वाला कोई भी क़ सा सबसे पहले सूचना ौ ो गक और
जैव ौ ो गक क इन जुड़वाँ ा तय से नपटने क उस क़ से क क़ा ब लयत से जाँचा
जाएगा। अगर उदारवाद, रा वाद, इ लाम या कोई अ य अनूठा मज़हबी प थ वष 2050 क
नया को आकार दे ने क इ छा रखता है, तो इसे न सफ़ आ ट फ़ शयल इंटे लजस, बग
डेटा ऐ ग रदम और जैव-इंजी नय रग क प समझ का प रचय दे ना होगा, ब क उसे इन
सबको एक नए अथपूण आ यान म समा हत करना भी ज़ री होगा।
इस ौ ो गक य चुनौती क कृ त को समझने के लए शायद यह बेहतर होगा क हम
रोज़गार म डी के साथ बात शु कर। म 2015 से सारी नया का मण करते ए सरकारी
अ धका रय , ापा रय , सामा जक कायकता और कूली ब च से इस इंसानी वप के
बारे म बात करता रहा ँ। जब भी कभी ये लोग आ ट फ़ शयल इंटे लजस, बग डेटा और
जैवइंजी नय रग क इस सारी चचा से उकताने या ऊबने लगते थे, तो उनका यान वापस
मोड़ने के लए मुझे आमतौर से सफ़ एक ही जा ई श द का इ तेमाल करना पड़ता था :
रोज़गार। यह ौ ो गक य ा त ब त ज द अरब इंसान को रोज़गार म डी के बाहर
धकेल सकती है, और एक वशालकाय नया अनुपयोगी वग तैयार करती ई एक ऐसी
सामा जक-राजनी तक उथल-पुथल का कारण बन सकती है, जससे नपटने क समझ
कसी भी मौजूदा वचारधारा के पास नह है। ौ ो गक और वचारधारा के बारे म यह सारी
बातचीत अमूत और र क लग सकती है, ले कन सामू हक बेरोज़गारी - या नजी बेरोज़गारी
- क वा त वक आशंका के त कोई भी उदासीनता नह बरत सकता।
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काम
जब आप बड़े ह गे, तो हो सकता है आपके पास कोई
रोज़गार न हो

हम कोई अनुमान नह है क 2050 म रोज़गार म डी क या श ल होगी। इस पर


आमतौर पर सहम त है क मशीन ल नग (यह आ ट फ़ शयल इंटे लजस का एक
ए लीकेशन है, जो क यूटर को कट तौर पर ो ा ड ए बना वचा लत ढं ग से सीखने
और अनुभव के आधार पर उ त होने म स म बनाता है।) और रोबो ट स - दही बनाने से
लेकर योग सखाने तक - लगभग हर कायप त को बदल दगे, ले कन इस बदलाव क
कृ त को लेकर और यह सब कतनी ज द होगा, इसको लेकर वैचा रक मतभेद ह। कुछ
लोग का मानना है क एक या दो दशक के भीतर अरब लोग आ थक से बेकार हो
जाएँगे। कुछ सरे लोग ह, जो मानते ह क ऑटोमेशन ( वचालन) ल बा समय बीत जाने
के बाद भी नए रोज़गार और सभी के लए यादा समृ उ प करना जारी रखेगा।
तब फर हम कसी भयानक उथल-पुथल क कगार पर ह, या फर इस तरह के
पूवानुमान नराधार लुडाइट ह ट रया (लुडाइट 19 व सद के अँ ेज़ कपड़ा-मज़ र का
एक संगठन था, जनको यह भय था क व उ ोग म मशीन उनक जगह ले लगी। इस
भय के चलते उ ह ने वरोध- व प व नमाण करने वाली मशीन को न कर दया
था।) का एक और उदाहरण ह? कहना मु कल है। वचालन ारा वशालकाय बेरोज़गारी
को ज म दए जाने क आशंकाएँ उ ीसव सद से बनी ई ह, और उ ह ने अब तक कभी
भी मूत प नह लया है। औ ो गक ा त के समय से ही मशीन के हाथ एक रोज़गार
खोए जाने के बदले कम-से-कम एक नया रोज़गार उ प होता रहा था, और औसत
जीवन- तर म ज़बरद त इज़ाफ़ा आ है, ले कन यह सोचने क समु चत वज़ह मौजूद ह
क इस बार थ त भ है, और मशीन ल नग वा त वक ा तकारी बदलाव लाने वाली
सा बत होगी।
मनु य म दो तरह क क़ा ब लयत होती ह - शारी रक और सं ाना मक। अतीत म
मशीन मु यतः अप र कृत भौ तक क़ा ब लयत म ही मनु य के साथ होड़ करती थ ,
जब क मनु य मशीन पर अपनी अप र मत बढ़त बनाए रख पाता था। इस लए जब कृ ष
और उ ोग के े म हाथ से कए जाने वाले काम वचा लत ढं ग से कए जाने लगे, तो वे
नए रोज़गार पैदा हो गए, जो उस तरह क सं ाना मक द ता क माँग करते थे, जैसी
द ताएँ सफ़ मनु य म ही होती ह: सीखना, व ेषण करना, स ेषण करना और इन
सबसे ऊपर इंसानी ज बात को समझना, ले कन आ ट फ़ शयल इंटे लजस अब मनु य
को इन द ता के मामले म उ रो र मात दे ने क शु आत कर रहा है, जनम इंसानी
ज बात क समझ भी शा मल है। हम शारी रक और सं ाना मक ग त व धय से परे
ग त व ध के ऐसे कसी तीसरे े क जानकारी नह है, जहाँ मनु य हमेशा एक सुर त
बढ़त बनाए रख सकगे।
इस बात को समझ लेना ब त अ नवाय है क आ ट फ़ शयल इंटे लजस ा त
क यूटर के काम करने क र तार और द ता म वृ मा से ता लुक़ नह रखती। उसे
जै वक व ान और सामा जक व ान के े म ई नई खोज से भी बल मल रहा है।
जतना ही बेहतर ढं ग से हम इंसानी ज बात , आकां ा और चय को सहारा दे ने
वाली जैवरासाय नक या को समझ लेते ह, उतनी बेहतर भू मका क यूटर मानव
वभाव का व ेषण करने म, मनु य के नणय का पूवानुमान करने म, और इंसानी
ाइवर , बक-क मय और वक ल क जगह लेने म नभा सकता है।
पछले कुछ दशक म त का व ान ( यूरोसाइंस) और वहारपरक अथशा
( बहे वयरल इकॉनॉ म स) के े म ई खोज ने वै ा नक को इंसान को हैक करने,
और वशेष प से इंसान के नणय लेने के ढं ग को समझने क गुंजाइश द है। पता चला
क भोजन से लेकर सहवास तक हर चीज़ के हमारे चयन कसी रह यमय वत इ छा-
श क उपज नह होते, ब क वे णभर के भीतर स भा ता का प रकलन करते
अरब यूरॉन क उपज होते ह। जस ‘मानवीय अ त ’ (‘ मन इनसाइट’) क ज़ रत
से यादा सराहना क जाती है, वह वा तव म ‘ सल सले (पैटन) क पहचान’ है। अ छे
ाइवर , बकक मय और वक ल म यातायात, नवेश या म य थता के बारे म कोई जा ई
अत नह होती - इसक बजाय वे आवत सल सल ( रक रग पैट स) को पहचानते
ए लापरवाही के साथ पैदल चलने वाल , अनाड़ी कज़दार और बेईमान अपरा धय को
पहचान लेते ह और उनसे बच नकलने क को शश करते ह। यह भी पता चला क मानव
म त क के जैवरासाय नक ऐ ग रदम र- र तक अचूक नह होते। वे उन अनुमान ,
जुगाड़ और पुरानी पड़ चुक पगड डय पर नभर करते ह, जो नगरीय जंगल क बजाय
अ क घास के मैदान के अनु प ढली ई ह। आ य क बात नह क अ छे ाइवर,
बककम और वक ल भी कभी-कभी मूखतापूण ग़ल तयाँ कर बैठते ह।
इसका मतलब है क आ ट फ़ शयल इंटे लजस उन उ म तक म मनु य को पीछे
छोड़ सकता है, जनके बारे म माना जाता है क वे ‘अ त ’ क माँग करते ह। अगर
आप सोचते ह क आ ट फ़ शयल इंटे लजस के लए मनु य क आ मा के साथ रह यवाद
अटकल क पदावली म होड़ करने क ज़ रत है, तो यह चीज़ अस भव तीत होती है,
ले कन अगर आ ट फ़ शयल इंटे लजस को स भा ता के प रकलन और सल सल
क पहचान के लए वाक़ई नायु वक त से होड़ करने क ज़ रत है, तो यह चीज़ ब त
कम चुनौतीपूण तीत होती है।
ख़ासतौर से, आ ट फ़ शयल इंटे लजस उन काम के मामले म बेहतर होगा, जो अ य
लोग के बारे म अ त क माँग करते ह। काम के ब त-से े - जैसे क पैदल से भरी
सड़क पर वाहन चलाना, अप र चत य को पैसे उधार दे ना, और कसी ापा रक
सौदे को नपटाना - सरे लोग क भावना और आकां ा को एकदम सही ढं ग से
आँकने क माँग करते ह। या वह ब चा सड़क पर छलांग लगाने वाला है? या वह
सूटधारी आदमी मेरा पैसा लेकर भाग जाने क मंशा रखता है? या वह वक ल धम कय
पर कारवाई करेगा, या फर वह महज़ झाँसा दे रहा है? जब तक यह माना जाता था क
इस तरह क भावनाएँ और आकां ाएँ अमूत अ तःकरण से पैदा होती ह, तब तक यह
बात वाभा वक-सी लगती थी क क यूटर कभी भी इंसानी ाइवर , बकक मय और
वक ल क जगह नह ले सकगे, य क आ ख़र एक क यूटर उस मानवीय अ तःकरण
को कैसे समझ सकता है, जसक रचना अलौ कक ढं ग से ई है? ले कन अगर ये
भावनाएँ और आकां ाएँ व तुतः जैवरासाय नक ऐ ग रदम से यादा कुछ नह ह, तो
कोई कारण नह क क यूटर इन ऐ ग रदम का मतलब न समझ सके - और यह काम
वह होमो से पय स से बेहतर ढं ग से न कर सके।
कसी पैदल चलने वाले के इरादे को भाँपता ाइवर, कसी स भा वत क़ज़ लेने वाले
क व सनीयता को आँकता बककम , और वाता क मेज़ क मनः थ त का अनुमान
लगाता वक ल कसी जा -टोने के भरोसे नह होते। इसक बजाय, उनक जानकारी के
बना ही उनके म त क भाव-भं गमा , आवाज़ के लहज़ और हाथ क मु ा , और
शरीर से उठती ग ध तक को व े षत करते ए जैवरासाय नक पैटन को पहचान लेते
ह। सट क ससर से लैस एक आ ट फ़ शयल इंटे लजस यह सब काम कसी इंसान क
तुलना म कह यादा सही और व सनीय ढं ग से कर सकता है।
इस लए रोज़गार क त का ख़तरा महज़ सूचना ौ ो गक के उदय का नतीजा
नह है। यह सूचना ौ ो गक और जैव ौ ो गक के संगम का नतीजा है।
एफ़एमआरआई कैनर से लेकर म बाज़ार तक का रा ता ल बा और यातनादायी है,
ले कन उसे तब भी कुछ दशक म पार कया जा सकता है। आज म त क-वै ा नक, जो
कुछ ऐ म डाल (म त क के दो ह स म से वह ह सा, जो समृ त, भावना और सूँघने
क इ य से जुड़ा होता है।) और से रबैलम ( सर के पीछे क तरफ़ का म त क का वह
ह सा, जो मांसपे शय क ग त व धय को नय त करता है।) के बारे म सीख रहे ह,
उससे ब त मुम कन है क उस ान का लाभ उठाकर क यूटर 2050 म इंसानी
मनो व ेषक और अंगर क को पीछे छोड़ द।
आ ट फ़ शयल इंटे लजस सफ़ मनु य म घुसपैठ करने और उनको उन द ता के
मामले म पीछे छोड़ दे ने को ही तैयार नह है, जो अब तक अनूठ मानवीय द ताएँ आ
करती थ , ब क उसम अनूठ अ-मानवीय क़ा ब लयत भी ह। इनसे एक आ ट फ़ शयल
इंटे लजस और इंसानी कामगार के बीच का फ़क़ महज़ मा ा के नह , ब क गुणा मक
फ़क़ के प म भी सामने आता है। आ ट फ़ शयल इंटे लजस म ख़ासतौर से जो दो
मह वपूण अ-मानवीय क़ा ब लयत ह, वे ह, पर पर जुड़े होने (कने ट वट ) क और ख़ुद
को नई जानका रय से लैस कर लगातार आधु नक प दे ते रहने (अपडे टए ब लट ) क ।
चूँ क मनु य अपने म वत ह तयाँ (इं ड वजुअ स) ह, इस लए उनको एक- सरे
से जोड़ना और इस बात को सु न त करना मु कल होता है क वे सब नई जानका रय
से यु नर तर आधु नक बने रह। इसके वपरीत, क यूटर वत ह तयाँ नह ह, और
उनको कसी एक लचीले के कृत त (नेटवक) म समा हत करना आसान है। इस लए
जस सम या से हमारा सामना हो रहा है, वह लाख वत रोबोट और क यूटर ारा
लाख वत इंसानी कामगार क जगह ले लेने क नह है। इसक बजाय, स भावना इन
अलग-अलग मनु य क एक एक कृत त ारा जगह ले लए जाने क है। वचालन के
मसले पर वचार करते ए इसी लए एक इंसानी ाइवर क क़ा ब लयत क तुलना कसी
एक वचा लत कार क क़ा ब लयत से करना, या कसी एक इंसानी डॉ टर क तुलना
कसी एक आ ट फ़ शयल इंटे लजस डॉ टर से करना ग़लत है। इसक बजाय, हम अलग-
अलग इंसान के समूह क क़ा ब लयत क तुलना एक एक कृत त क क़ा ब लयत से
करना चा हए।
उदाहरण के लए, ब त-से ाइवर यातायात के तमाम बदलते ए नयम से
अप र चत होते ह, और वे अ सर उनका उ लंघन करते ह। इसके अ त र , हर वाहन
एक वाय इकाई होता है, इस लए जब दो वाहन एक ही समय म एक ही चौराहे पर
प ँचते ह, तो ये ाइवर अपने इराद का ग़लत ढं ग से संकेत दे सकते ह और वाहन को
टकरा सकते ह। इसके वपरीत, वचा लत कार पूरी तरह से एक- सरे के स पक म हो
सकती ह। जब इस तरह के दो वाहन एक ही चौराहे पर प ँचते ह, तो वे दो एक- सरे से
अलग इकाइयाँ नह होते - वे एक एकल ऐ ग रदम का ह सा होते ह। इस लए इस बात
क ब त कम स भावना रह जाती है क वे ग़लत संकेत दे कर एक- सरे से टकरा जाएँ।
और अगर प रवहन म लय यातायात के कुछ नयम को बदलने का नणय करता है, तो
सारे वचा लत वाहन को आसानी से एक ही समय म इस बदलाव क जानकारी से लैस
कया जा सकता है, और अगर ो ाम म कोई खोट (बग) न आ, तो वे सब-के-सब इन
नए नयम का पूरी तरह से पालन करगे।
इसी तरह, अगर व वा य संगठन को कसी नई बीमारी का पता चल जाता है, या
कोई योगशाला कोई नई दवा तैयार करती है, तो नया के सारे डॉ टर को इन
घटना म क जानकारी से लैस करना लगभग अस भव है। इसके वपरीत, अगर नया
म 10 अरब आ ट फ़ शयल इंटे लजस डॉ टर भी ह - जनम से येक कसी एक इंसान
के वा य क नगरानी कर रहा हो - तो भी आप पलभर के भीतर इन सबको इस
जानकारी से लैस कर सकते ह, और वे इस नई बीमारी या नई दवा के बारे म अपने
अनुभव क सूचना एक- सरे को दे सकते ह। इस पर पर जुड़ाव और ख़ुद को नई
जानका रय से लैस कर लगातार आधु नक प दे ते रहने का स भा वत लाभ इतना
यादा है क काम के कम-से-कम कुछ े म तमाम मनु य क जगह क यूटर से
काम लेना ावहा रक हो सकता है, भले ही कुछ इंसान गत तौर पर मशीन क
तुलना म बेहतर ढं ग से काम कर रहे ह ।
आप एतराज़ कर सकते ह क अलग-अलग इंसान को छोड़कर एक क यूटर नेटवक
क शरण म जाने से हम वैय कता के फ़ायद से वं चत हो सकते ह। उदाहरण के लए,
अगर एक इंसानी डॉ टर कोई ग़लत नतीजा नकालता है, तो वह नया के सारे मरीज़
को नह मार दे ता, और न ही वह सारी क सारी नई च क सा के वकास को अव
कर दे ता है। इसके वपरीत, अगर सारे डॉ टर वा तव म महज़ एक एकल व था ह,
और वह व था कोई ग़लती करती है, तो इसके प रणाम महा वनाशकारी हो सकते ह,
ले कन स चाई यह है क एक एक कृत क यूटर व था वैय कता के फ़ायद को खोए
बना पर पर स ब ता के फ़ायद को अ धकतम सीमा तक ले जा सकती है। आप एक ही
नेटवक पर कई सारे वैक पक ऐ ग रदम को स य कर सकते ह, जससे कसी सु र
जंगल म बसे गाँव का एक मरीज़ अपने माटफ़ोन क माफ़त सफ़ कसी एक
वच वशाली डॉ टर तक ही नह , ब क दरअसल सौ अलग-अलग आ ट फ़ शयल
इंटे लजस डॉ टर तक अपनी प ँच बना सकता है, जनक सापे क कायकुशलता क
नर तर तुलना हो रही होगी। आईबीएम के डॉ टर ने आपसे जो कहा, वह आपको ठ क
नह लगा? कोई सम या नह । अगर आप क लमे जारो (तंज़ा नया थत क लमे जारो
तीन वालामुखीय शंकु से यु अ का का सबसे ऊँचा पवत है, जो समु क सतह से
19,341 फ़ट ऊँचा है।) क ढलान म कह पर फँसे ह, तो भी आप चीनी सच इंजन बै
के डॉ टर ऐप का परामश ले सकते ह।
इससे मानव समाज को अप र मत लाभ मलने क स भावना है। आ ट फ़ शयल
इंटे लजस डॉ टर अरब लोग के लए बेहतर और स ती च क सा-सु वधाएँ उपल ध
करा सकते ह, ख़ासतौर से उन लोग के लए, जनको फ़लहाल कोई च क सा-सु वधाएँ
नह मल रही ह। ल नग ऐ ग रदम और बायोमै क ससर क बदौलत कसी अ वक सत
दे श क एक नधन ामीण ी अपने माटफ़ोन क मदद से उससे बेहतर च क सा-
सु वधा का लाभ ले सकती है, जैसी सु वधा आज नया का सबसे रईस सबसे
उ त नगरीय अ पताल से ा त करता है।
इसी तरह, वचा लत वाहन लोग को यादा बेहतर प रवहन सु वधाएँ उपल ध करा
सकते ह, और ख़ासतौर से यातायात स ब धी घटना से होने वाली मौत को कम कर
सकते ह। आज हर साल क़रीब 12 लाख 50,000 हज़ार लोग यातायात घटना म
मारे जाते ह (जो यु , अपराध और आतंकवाद, तीन से मारे जाने वाले कुल लोग क
सं या से गुनी सं या है)। इनम से 90 % घटनाएँ इंसानी चूँक का नतीजा होती ह :
कोई शराब पीकर ाइ वग कर रहा होता है, कोई ाइ वग करते समय मैसेज लख
रहा होता है, कोई ट य रग ल पर सो जाता है, कोई सड़क पर यान दे ने क बजाय
क ह वाब म डू बा होता है। संयु रा य अमे रका के नेशनल हाइवे ै फ़क से ट
एड म न े शन के आकलन के मुता बक़ 2012 म संयु रा य अमे रका म 31 %
घटनाएँ शराब के पयोग, 30 % घटनाएँ तेज़ र तार, और 21 % घटनाएँ ाइवर
के यान भटकने का नतीजा थ । वचा लत वाहन इस तरह क कोई ग़लती कभी नह
करगे। वे हालाँ क अपनी सम या और सीमा के शकार होते ह, और हालाँ क कुछ
घटनाएँ अप रहाय होती ह, तब भी सारे इंसानी ाइवर क जगह क यूटर से काम लेने
से सड़क पर होने वाली मौत और ज़ म म लगभग 90 % तक कमी आने क स भावना
है। सरे श द म, वचा लत वाहन को अपनाने से हर साल लाख लोग क जान बचने
क स भावना है।
इस लए इंसानी रोज़गार के बचाव के तक से प रवहन और वा य-सेवा जैसे े म
वचालन को रोकना पागलपन होगा। आ ख़रकार, अ ततः हम जनक र ा करनी
चा हए, वे मनु य ह, न क रोज़गार। बेकार हो जाने वाले ाइवर और डॉ टर को महज़
कोई और रोज़गार तलाशना होगा।

मशीन म मोज़ाट
कम-से-कम अ पका लक तौर पर आ ट फ़ शयल इंटे लजस और रोबो ट स ारा समूचे
उ ोग को ने तनाबूद कर दए जाने क कोई स भावना नह है। ऐसे काम, जो एक ढर म
बँधी ग त व धय के सी मत े म वशेष ता क माँग करते ह, वे वचालीकृत कर दए
जाएँगे, ले कन ऐसे कम बँधे-बँधाए ढर के काम के े म, जो द ता के एक ापक
दायरे के एक साथ इ तेमाल क माँग करते ह, और जनम अ या शत प र थ तय से
नपटने क माँग शा मल होती है, उनम मनु य को मशीन से व था पत करना ब त
मु कल होगा। उदाहरण के लए, वा य-सेवा को ल। यादातर डॉ टर लगभग पूरी तरह
से सूचना क ॉसे सग पर यान के त करते ह : वे च क सा डेटा को लेते ह, उसका
व ेषण करते ह, और फर रोग क पहचान करते ह। उनके वपरीत नस को ददनाक
इंजे शन दे ने, प याँ बदलने, या उ मरीज़ को वश म करने के लए शरीर के अंग और
भावना पर नय ण क द ता भी ज़ री होती है। इस लए हमारे पास एक व सनीय
नस रोबोट हो, उसके दशक पहले स भवतः हमारे माटफ़ोन पर एक एआई पा रवा रक
डॉ टर होगा। पूरी स भावना है क इंसानी प रचया उ ोग, जो जवान और वृ बीमार
क प रचया करता है, ल बे समय तक मनु य का गढ़ बना रहेगा। न य ही, जैसे-जैसे
लोग यादा समय तक जीने लगगे और कम ब चे पैदा करने लगगे, वैसे-वैसे वृ क
प रचया शायद मानवीय म के उपभोग के सबसे तेज़ी से वक सत होते े म शा मल
होगी।
प रचया के साथ-साथ सृजना मकता भी वचालन के सम ख़ासतौर से मु कल
बाधाएँ पेश करती है। हम अब संगीत बेचने वाले मनु य क ज़ रत नह रह गई है। संगीत
हम आइ ू स टोर से सीधे डाउनलोड कर सकते ह, ले कन संगीत के क पोज़र,
संगीतकार, गायक और डीजे अभी भी र -मांस के ह। हम उनक सृजना मकता पर पूरी
तरह से नया संगीत रचने के लए ही नभर नह करते, ब क उपल ध स भावना क
व मयकारी और अक पनीय व वधता के बीच से चुनाव करने के लए भी नभर करते
ह।
तब भी, द घका लक तर पर दे ख, तो कोई भी रोज़गार वचालन से पूरी तरह
सुर त नह रह जाएगा। यहाँ तक क कलाकार को भी चेतावनी द जानी चा हए।
आधु नक नया म कला को आमतौर पर मानवीय भावना से जोड़कर दे खा जाता है।
हम सोचते ह क कलाकार अ द नी मान सक श य को दशा दे ते ह, और कला का
कुल उ े य हम हमारी भावना से जोड़ना या हमारे भीतर कसी नई अनुभू त को
जगाना है। नतीजतन, जब हम कला का मू यांकन करने बैठते ह, तो हम इसे दशक -
ोता पर पड़ने वाले इसके भावना मक भाव के आधार पर परखते ह, ले कन अगर
कला मानवीय भावना से प रभा शत है, तो तब या थ त बन सकती है, जब बाहरी
ऐ ग रदम मानवीय भावना को समझने और नय त करने म शे स पयर, दा
का ो या बेयॉ से के मुक़ाबले यादा स म हो जाएँगे?
आ ख़रकार, भावनाएँ कोई रह यमय व तुएँ नह ह। वे एक जैवरासाय नक या
क उपज ह। इस लए, वह भ व य ब त र नह है, जब कोई मशीन-ल नग ऐ ग रदम
आपक काया के आ त रक ससर से वा हत होते बायोमै क डेटा का व ेषण करने
लग सकता है, आपके व क कृ त और आपक बदलती ई मनः थ त का
नधारण करने लग सकता है। कोई ख़ास गीत, यहाँ तक क कोई ख़ास संगीता मक वर,
आप पर कस तरह का भावना मक भाव डाल सकता है, इसका आकलन करने लग
सकता है।
तमाम कला प म संगीत बग डेटा व ेषण से स भवतः सबसे यादा आसानी से
भा वत होने वाला है, य क इसके नवेश (इनपुट) और प रणाम (आउटपुट), दोन ही
एकदम ठ क-ठ क ग णतीय च ण के उपयु होते ह। नवेश ह व न-तरंग के ग णतीय
पैटन, और प रणाम ह नायु वक झंझावात के व ुतरासाय नक पैटन। कुछ ही दशक के
भीतर कोई ऐ ग रदम लाख संगीता मक अनुभव का परी ण करने के बाद यह सीख
सकता है क कस तरह कुछ ख़ास नवेश कुछ ख़ास प रणाम पैदा करते ह।
मान ली जए क अभी-अभी आपका आपके बॉय ड के साथ भयानक झगड़ा आ
है। आपक व न- णाली का काम दे खने वाला ऐ ग रदम त काल आपक अ द नी
भावना मक उथल-पुथल को पहचान लेगा, और आपके व तथा मानव मनो व ान
क अपनी सामा य जानकारी के आधार पर वह ऐसे गीत बजाना शु कर दे गा, जो इस
तरह बने ह गे क उनका मेल आपक उदासी से बैठता होगा और जो आपके मान सक
स ताप को त व नत करते ह गे। हो सकता है क ये ख़ास गीत सरे लोग के स दभ म
उतने कारगर न ह , ले कन आपक तरह के व के स दभ म एकदम सट क ह ।
आपक उदासी क गहराइय के साथ स पक था पत करने म आपक मदद करने के
बाद, यह ऐ ग रदम नया का वह गीत बजाएगा, जो पूरी स भावना है क आपको
फु लत कर दे । शायद इस लए क आपका अवचेतन इसे बचपन क कसी ऐसी सुखद
मृ त से जोड़ता हो, जसका भान वयं आपको भी न हो। कोई इंसानी डीजे ऐसे कसी
एआई क द ता का मुक़ाबला करने क उ मीद नह कर सकता।
आप आप उठा सकते ह क इस तरह तो एआई अ या शतता को ख़ म कर दे गा
और हम, हमारी पछली पस द और नापस द ारा न मत एक संक ण संगीता मक
खोल के भीतर ब द कर दे गा। नई संगीता मक अ भ चय और शै लय के अ वेषण का
या होगा? कोई सम या नह । आप इस ऐ ग रदम को आसानी से इस तरह ढाल सकगे
क उसके 5 % चुनाव बेतरतीब ह , जनके तहत वह आपके सामने अ या शत ढं ग से
इंडोने शयाई गैमलान कलाकार-समूह, रोसीनी ऑपेरा, या हाल ही लोक य ई के-पॉप
क कोई रकॉ डग उछाल दे । समय गुज़रने के साथ आपक त या का नरी ण
करते ए यह एआई बेतरतीबी के उस आदश तर तक को नधा रत करने म स म हो
सकता है, जो खीझ को टालते ए, और मुम कन है उसक अ या शतता के तर को 3
% घटाते ए या उसको 8 % तशत बढ़ाते ए, अ वेषण को अभी प दे सके।
एक और आप यह हो सकती है क यह बात प नह है क ऐ ग रदम अपने
भावना मक ल य को कस तरह थर कर सकेगा। अगर अभी-अभी आपका आपके
बॉय ड के साथ झगड़ा आ है, तो ऐ ग रदम का ल य आपको उदास करना होगा या
स करना? या वह ‘अ छ ’ भावना और ‘बुरी’ भावना के एक कठोर पैमाने का
अंधाधुंध अनुसरण करेगा? यह भी तो मुम कन है क जीवन म ऐसे व त भी आते ह , जब
उदासी महसूस करना अ छा होता हो? न य ही ठ क यही सवाल इंसानी संगीतकार
और डीजे के स दभ म पूछा जा सकता है, ले कन जहाँ तक ऐ ग रदम का सवाल है, इस
पहेली के ब त-से दलच प समाधान ह।
एक वक प है इसको महज़ ाहक पर छोड़ दे ना। आप अपनी भावना का
मू यांकन अपने मनपस द तरीक़े से कर सकते ह, और ऐ ग रदम आपके नदश का
पालन करेगा। आप चाहे आ मदया म डू बना चाह या आन द से उछलना चाह, ऐ ग रदम
ग़लाम क तरह आपका कहा मानेगा। वाक़ई, यह ऐ ग रदम आपक आकां ा को उस
सूरत म भी पहचानना सीख लेगा, जब क आप ख़ुद भी उनके त प प से सचेत नह
ह गे।
अ य वक प यह है क अगर आपको ख़ुद पर भरोसा नह है, तो आप इस ऐ ग रदम
को उस स मनोवै ा नक क सलाह मानने का नदश दे सकते ह, जस पर आप
भरोसा करते ह। अगर आपका बॉय ड अ ततः आपसे र ता तोड़ दे ता है, तो यह
ऐ ग रदम ःख क पाँच अव था से आपका प रचय था पत करने म आपक मदद
करता आ पहले बॉबी मैकफ़े रन का गीत ‘ड ट वॅरी, बीहै पी’ बजाकर जो कुछ आ है,
उससे इंकार करने म आपक मदद करेगा, इसके बाद एला नस मोरीसे का गीत ‘यू ऑटा
नो’ बजाकर आपके ग़ से को भड़काएगा, जैक़ ेल का गीत ‘ने मे वट पा’ और पॉल
यंग का ‘कम बैक एंड टे ’ बजाकर आपको समझौते के लए ो सा हत करेगा, अडेले का
‘समवन लाइक यू’ और ‘हैलो’ बजाकर अवसाद के ग े म छोड़ दे गा, और अ त म
लो रया गेनर का ‘आइ वल सवाइव’ बजाकर हालात को वीकार करने म आपक मदद
करेगा।
ऐ ग रदम का अगला क़दम है वयं ही गीत और लय को सँवारते ए उनको
आपक सनक के अनु प आकार दे ने के लए यादा-से यादा ह के-से बदलने लगना।
हो सकता है क कसी ऐसे गीत म जो अ यथा ब त अ त है, आपको कोई खास अंश
अ छा न लगता हो। ऐ ग रदम इस बात को जानता है य क जब भी आप उस ह से को
सुनते ह, तो आपका दल धड़कने लगता है और आपके ऑ सीटो सन तर ह के-से गर
जाते ह। ऐ ग रदम इन आ ामक वर का पुनलखन कर सकता है या उनका स पादन
कर सकता है।
द घका लक तर पर ऐ ग रदम मानवीय भावना को पयानो क बोड क तरह
बरतते ए और उनको बजाते ए समूची धुन को रचना सीख सकते ह। आपके
बायोमै क डेटा का इ तेमाल करते ए ऐ ग रदम शायद ऐसी गत राग नयाँ भी रच
सक, जनको सारे व म सफ़ आप ही पस द कर।
अ सर कहा जाता क लोग कला के साथ इस लए र ता बना पाते ह, य क वे ख़ुद
को उसके भीतर पाते ह। अगर कभी ऐसा हो क मान ली जए फ़ेसबुक आपके बारे म
अपनी सारी जानकारी के आधार पर वैय क कला रचना शु कर दे , तो इसके
आ यजनक और कसी क़दर भयावह प रणाम हो सकते ह। अगर आपका बॉय ड
आपको छोड़ दे ता है, तो फ़ेसबुक अडेले या एला नस मोरीसे का दल तोड़ने वाले उस
अ ात क बजाय उस ख़ास के बारे म एक वैय क गीत से आपका दल
बहलाएगा। यह गीत आपको आपके र ते क उन वा त वक घटना तक क याद
दलाएगा, जसके बारे म नया म और कोई नह जानता।
बेशक, वैय क कला कभी लोक य नह हो सकती, य क लोग उन सामा य
लोक य रचना को ाथ मकता दे ना जारी रखगे, जनको हर कोई पस द करता है।
आप कसी ऐसी धुन पर कैसे नाच या गा सकते ह, जसके बारे म आपके अलावा और
कोई नह जानता? ले कन ऐ ग रदम वैय क अनूठ रचना क बजाय वै क तर पर
लोक य हो सकने वाली रचना को तैयार करने के मामले म और भी लचीला सा बत हो
सकता है। लाख लोग से एक वपुल बायोमै क डेटा का इ तेमाल करते ए ऐ ग रदम
यह जान सकेगा क कौन-से जैवरासाय नक बटन दबाने से वह ऐसा व - तरीय
लोक य गीत रच सकता है, जसक धुन पर हर द वाने क तरह झूमने लगेगा।
अगर कला सचमुच मानवीय भावना को उ े रत (या नय त-प रचा लत) करती है,
तो ब त थोड़े-से ही संगीतकार ह गे, अगर ह गे तो, जो इस तरह के ऐ ग रदम के साथ
पधा कर सकगे, य क वे उस मु य वा य को समझने म उस ऐ ग रदम का
मुक़ाबला नह कर सकते, जसको वे बजा रहे होते ह, और वह मु य वा य है, मनु य
का जैवरासाय नक त ।
या इस सबका प रणाम महान कला के प म सामने आएगा? यह कला क
प रभाषा पर नभर करता है। अगर सौ दय का वास सचमुच ही ोता के कान म है, और
अगर ाहक ही हमेशा सही होता है, तो इस बात क पूरी स भावना है क बायोमै क
ऐ ग रदम इ तहास क सव े कला को उ प कर सकता है। अगर कला मानवीय
भावना से यादा गहरी कसी चीज़ से ता लुक़ रखती है, और उसे हमारे
जैवरासाय नक प दन से परे क कसी स चाई को अ भ दे नी चा हए, तो मुम कन
है क जैवरासाय नक ऐ ग रदम ब त अ छे कलाकार न बन सक, ले कन उसी तरह
यादातर मनु य भी अ छे कलाकार नह बन सकते। कला के बाज़ार म वेश करने और
संगीत रचने वाले तथा उसको तुत करने वाले ब त-से इंसानी कलाकार क जगह लेने
के लए ऐ ग रदम को सीधे चाइको क को पीछे छोड़ दे ने के साथ शु आत करने क
ज़ रत नह होगी। अगर वे टनी पयस से भी े सा बत हो सकगे, तो इतना काफ़
होगा।

नए रोज़गार?
कला से लेकर वा य-सेवा तक हर े म ब त-से पार प रक रोज़गार के नुक़सान क
तपू त नए इंसानी रोज़गार को पैदा करने से हो जाएगी। सामा य च क सक क जगह
एआई डॉ टर ारा ले ली जाएगी। सामा य च क सक ात बीमा रय को समझ लेते ह
और उनक जानी-मानी च क साएँ करते ह, ले कन ठ क इसी वज़ह से ा तकारी
अनुस धान करने और नई दवा तथा श य या क नई प तय को वक सत करने के
लए इंसानी डॉ टर और योगशाला-सहायक के लए ब त यादा पैस का भुगतान
करना ज़ री हो जाएगा।
एआई नए इंसानी रोज़गार को पैदा करने म सरी तरह से भी मदद कर सकता है।
बजाय इसके क इंसान एआई के साथ त पधा कर, वे एआई क स व सग करने और
उसक मता बढ़ाने पर यान के त कर सकते ह। उदाहरण के लए, ोन ारा इंसानी
पायलट क जगह ले लए जाने से कुछ रोज़गार समा त हो गए ह, ले कन उसने रख-
रखाव, रमोट कं ोल, डेटा व ेषण और साइबर सुर ा के े म नए अवसर भी उ प
कए ह। संयु रा य अमे रका के सै य बल को सी रया पर उड़ान भरते येक मानव-
र हत डेटर या रीपर ोन को संचा लत करने के लए तीस लोग क ज़ रत पड़ती है।
इससे हा सल क गई सूचना के व ेषण म अ सी और भी लोग लगे होते ह। 2015 म
संयु रा य अमे रका क वायुसेना म ऐसे पया त प से श त इंसान का अभाव था,
जो इन सारे पद को भर सकते, और इस लए वायुसेना को अपने मानव-र हत वमान को
मानव-यु बनाने के वड बनापूण संकट का सामना करना पड़ा था।
अगर ऐसा है, तो ब त स भव है क 2050 म रोज़गार-जगत इंसान और एआई के
बीच त पधा क बजाय इनके आपसी सहयोग के लए जाना जाए। पु लस-कम से
लेकर बक-कम तक फैले े म इंसान और एआई से मलकर बने समूह इंसान और
क यूटर , दोन को मात दे सकते ह। जब 1997 म आईबीएम के शतरंज ो ाम ‘डीप
लू’ ने गैरी का पारोव को हरा दया था, तो उसके बाद इंसान ने शतरंज खेलना ब द नह
कर दया था। इसक बजाय, एआई के श क क बदौलत शतरंज के इंसानी उ ताद
पहले से कह बेहतर बन गए, और कम-से-कम कुछ समय के लए ही सही ‘से टॉस’ के
नाम से स इंसान और एआई क संयु ट म ने शतरंज के खेल म इंसान और
क यूटर , दोन को पीछे छोड़ दया था। एआई इसी तरह इ तहास के े तम जासूस ,
बकक मय और सै नक को तैयार करने म मदद कर सकता है।
इन सारे नए रोज़गार के साथ सम या यह है क वे शायद उ च तरीय वशेष ता क
माँग करगे, और इस लए बेरोज़गार अकुशल मक क सम या का समाधान नह कर
पाएँगे। नए इंसानी रोज़गार क रचना करना जतना आसान सा बत हो सकता है, उतना
इन रोज़गार को वा तव म भरने के लए इंसान को नए सरे से श त करना आसान
शायद नह होगा। वचालन क पछली लहर के दौरान लोग आमतौर पर अ प-द ता
वाले एक रोज़मरा रोज़गार से उसी तरह के सरे रोज़गार म जा सकते थे। 1920 म कृ ष
के या क करण क वज़ह से रोज़गार खो चुका एक खे तहर मज़ र ै टर तैयार करने
वाले कसी कारख़ाने म नया काम हा सल कर सकता था। 1980 म एक बेरोज़गार
फ़ै टरी कामगार कसी सुपरमाकट म कै शयर के प म काम करना शु कर सकता था।
पेश को इस तरह बदल पाना इस लए मुम कन था, य क खेती से फ़ै टरी म चले जाना
या फ़ै टरी से सुपरमाकट म चले जाना सी मत पुन श ण क माँग करता था।
ले कन 2050 म कसी रोबोट के हाथ अपना रोज़गार खो दे ने वाला कै शयर या
कपड़ा मज़ र एक कसर अनुस धानकता के प म, एक ोन-प रचालक के प म, या
बकक मय क कसी इंसान-एआई म डली के ह से के प म काम करने म शायद ही
स म हो सकेगा। उनके पास इन काम के लए अ नवाय द ताएँ नह ह गी। पहले
व यु म लाख क सं या म जबरन भत कए गए अ श त रंग ट को मशीन गन
म बा द भरने के लए भेजना और उनको हज़ार क सं या म मरने दे ना अथ रखता था।
उनक गत द ताएँ ब त कम मायने रखती थ । आज, ोन संचालक और डेटा
व ेषणकता क कमी के बावजूद, संयु रा य अमे रका क वायुसेना वॉलमाट से
बाहर नकाले गए लोग से इन ख़ाली जगह को भरने क इ छु क नह है। आप यह पस द
नह करगे क कोई अनुभवहीन रंग ट अफ़गा न तान म शाद के कसी ज को भूल से
कोई उ च तरीय ता लबान कॉ स समझ बैठे।
नतीजतन, ब त-से नए इंसानी रोज़गार के मौजूद होने के बावजूद, हम एक नया
‘अनुपयोगी’ वग दे खने को मल सकता है। दरअसल, दोन ही नया के बदतर प
हमारे सामने आ सकते ह, जसम एक साथ उ च तरीय बेरोज़गारी और कुशल मज़ र
क कमी होगी। ब त-से लोग क नय त उ ीसव सद के वैगन ाइवर जैसी नह -
ज ह ने टै सयाँ चलाने का रोज़गार अपना लया था - ब क उ ीसव सद के घोड़
जैसी हो जा सकती है, जनको लगातार रोज़गार क नया से ही बाहर धकेला जाता रहा
था।
इसके साथ-साथ, कोई भी बचा आ रोज़गार कभी भी वचालन के भावी ख़तरे से
सुर त नह रह जाएगा, य क मशीन ल नग और रोबो ट स का े नर तर उ त होता
रहेगा। एक चालीस साल क बेरोज़गार वॉलमाट कै शयर, जसने अपने अ तमानवीय
उ म के चलते कसी तरह ोन पायलट के प म नया अवतार लया होगा, उसको दस
साल बाद ख़ुद को एक बार फर से नया अवतार लेना होगा, य क तब तक ोन का
उड़ाया जाना भी वचा लत हो चुका हो सकता है। इस अ थरता के चलते मज़ र संगठन
को तैयार करना और मज़ र के हक़ को सुर त रखना भी यादा मु कल हो जाएगा।
पहले ही आज उ त अथ व था म ब त-से नए रोज़गार के तहत असुर त अ थायी
काम, लां सग और एक नधा रत समय के रोज़गार शा मल होते ह। आप कसी ऐसे
वसाय को मज़ र संगठन के अ तगत कैसे लाएँगे, जो दस साल के भीतर ही मश म
क तरह फैलता है और ग़ायब हो जाता है?
इसी तरह, मनु य और क यूटर क से टॉर ट म के बारे म स भावना यही है क वे
इंसान और क यूटर के बीच आजीवन सहभा गता पर सहमत होने क बजाय दोन के
बीच नर तर र साकशी के लए जानी जाएँग । ऐसी ट म जनम पूरी तरह से - शेरलॉक
हो स और डॉ. वाट् सॅन जैसे - इंसान शा मल होते ह, वे आमतौर पर थायी सोपान म
और न य- नयम वक सत कर लेती ह, ले कन आईबीएम के वाट् सॅन क यूटर स टम
(जो 2011 म संयु रा य अमे रका का ट वी वज़ शो जयोपाड जीतने के बाद स
आ था) से स ब एक इंसानी जासूस पाएगा क हर न य- नयम वधान के लए एक
योता है, और हर सोपान म ा त के लए एक योता है। कल जो सहायक आ करता
था, वह कल के सुप रटडट म पा त रत हो सकता है, और सारी प रपा टयाँ और
नयमाव लय का हर साल नए सरे से लखा जाना ज़ री हो जाएगा।
शतरंज क नया पर एक क़रीबी नगाह डालने से संकेत मल सकता है क
द घका लक तर पर थ तयाँ कस दशा क ओर बढ़ रही ह। यह सही है क ‘डीप लू’
ारा का पारोव को परा जत कए जाने के कई साल बाद शतरंज के े म मनु य और
क यूटर के बीच का सहकार काफ़ वक सत आ। तब भी हाल के वष म क यूटर
शतरंज खेलने म इतने कुशल हो गए ह क उनके इंसानी सहक मय ने अपनी अह मयत
खो द है, और वे ज द ही अ ासं गक हो सकते ह।
7 दस बर 2017 को इ तहास के एक मह वपूण पड़ाव को पार कर लया गया, जब
शतरंज के खेल म कसी क यूटर ने कसी इंसान को परा जत नह कर दया था - वह
ख़बर पुरानी हो चुक है - ब क जब गूगल के अ फ़ाज़ीरो ो ाम ने टॉक फ़श 8 ो ाम
को परा जत कर दया था। टॉक फ़श 8 नया का 2016 का शतरंज चै पयन क यूटर
था। उसक प ँच शतरंज के े म मनु य ारा स दय से सं चत अनुभव के साथ-साथ
दशक ल बे क यूटर के अनुभव तक थी। वह त सेकड शतरंज क 7 करोड़ ूह-
रचना का हसाब लगाने म स म था। इसके वपरीत, अ फ़ाज़ीरो त सेकड ऐसे
सफ़ 80,000 हसाब लगा पाता था, और उसे रचने वाले इंसान ने उसको शतरंज क
रणनी तय क - यहाँ तक क मानक शु आती चाल क भी - कभी कोई श ा नह द
थी। इसक बजाय, अ फ़ाज़ीरो ख़ुद के ख़लाफ़ खेलते ए शतरंज के वतः- श ण के
लए ताज़ातरीन मशीन-ल नग स ा त का इ तेमाल करता था। तब भी, इस नौ स खया
अ फ़ाज़ीरो ने टॉक फ़श के ख़लाफ़ जो सौ मैच खेले, उनम से अ फ़ाज़ीरो ने अ ाइस
मैच जीते और बह र मैच हार-जीत के फ़ैसले के बना समा त कए। वह एक बार भी
परा जत नह आ। चूँ क अ फ़ाज़ीरो ने कभी कसी इंसान से कुछ नह सीखा था,
इस लए जीत दलाने वाली इसक ब त-सी चाल और रणनी तयाँ इंसानी नगाह को
री त- व लगती थ । अगर उनको सवथा जी नयस नह , तो ख़ासी रचना मक तो कहा
ही जा सकता था।
या आप अनुमान लगा सकते ह क अ फ़ाज़ीरो को शतरंज का खेल एकदम शु से
सीखने म, टॉक फ़श के ख़लाफ़ मैच क तैयारी करने म, और अपनी जी नयस सहज
बु को वक सत करने म कतना समय लगा होगा? चार घ टे । इसे छपाई क ग़लती न
समझ। स दय से शतरंज के खेल को मानव-बु के सव च गौरव के प म दे खा जाता
रहा था। अ फ़ाज़ीरो ने बना कसी इंसानी मागदशक क मदद लए मा चार घ टे म
स पूण अ ानता से लेकर सृजना मक महारत तक क री पार कर ली।
अ फ़ाज़ीरो अकेला ऐसा क पनाशील सॉ टवेयर नह है। ऐसे ब त से ो ाम ह, जो
अ सर शतरंज के इंसानी खला ड़य को मात दे ते रहते ह, नता त शु क गणना के तर
पर ही नह , ब क ‘सृजना मकता’ तक म। शतरंज के सफ़ मनु य-के त टू नामट म
नणायक लोग लगातार ऐसे खला ड़य पर नगाह रखते ह, जो गुपचुप तरीक़े से
क यूटर क मदद हा सल कर बेईमानी करने क को शश करते ह। ऐसे बेईमान को
पकड़ने का एक तरीक़ा खला ड़य ारा द शत क जाने वाली मौ लकता के तर पर
नगरानी रखने का होता है। अगर वे कोई असाधारण प से सृजना मक चाल चलते ह,
तो नणायक को अ सर यह स दे ह होता है क वह इंसानी चाल नह हो सकती। वह
न य ही क यूटर चाल होगी। कम-से-कम शतरंज म, सृजना मकता इंसान क बजाय
क यूटर क व श पहचान बन चुक है! इस लए अगर शतरंज हमारे लए उस कनारी
च ड़या क तरह है, जो कोयले क खदान म मौजूद गैस से मरकर हम ख़तरे क चेतावनी
दे ती है, तो हमारे लए यह एक साम यक चेतावनी है क वह च ड़या मर रही है। जो कुछ
आज मनु य-एआई शतरंज ट म के साथ हो रहा है, वही नकट भ व य म पु ल सया कम,
च क सा और ब कग के कम म लगी मनु य-एआई ट म के साथ भी हो सकता है।
नतीजतन, नए रोज़गार पैदा करना और उन रोज़गार को भरने के लए लोग को नए
सरे से श त करना एक बार म नपट जाने वाला उ म नह होगा। एआई ा त कोई
एक ऐसी अकेली नणायक घटना नह होगी, जसके बाद रोज़गार का बाज़ार एक नया
स तुलन हा सल कर लेगा। इसक बजाय, यह उ रो र बड़ा प लेती जाती उथल-पुथल
का एक जल पात होगा। आज पहले ही यह थ त बन चुक है, जब ब त थोड़े-से
कमचारी ह, जो अपनी पूरी ज़ दगी एक ही रोज़गार करते ए बताना चाहते ह । 2050
आते-आते न सफ़ ‘आजीवन एक रोज़गार’ का वचार, ब क ‘आजीवन एक वसाय’
का वचार भी आ दकालीन लगने लग सकता है।
अगर हम लगातार नए रोज़गार ईजाद भी करते रह सकगे और कामगार को हर बार
नए सरे से श त भी करते रह सकगे, तब भी हमारे मन म यह वचार आ सकता है क
या औसत इंसान म इस तरह क अ तहीन उथल-पुथल को सहने लायक़ भावना मक
श होगी। बदलाव हमेशा तनावपूण होता है, और इ क सव सद के शु आती वष क
भागमभाग भरी नया ने तनाव क व तरीय महामारी को ज म दया है। या लोग
रोज़गार के बाज़ार और गत आजी वका क बढ़ती अ थरता के साथ तालमेल बैठा
पाएँगे? हम शायद से पय स के दमाग़ को ढहने से रोकने के लए - यूरोफ़ डबैक के
मा यम से स से लेकर यान तक- तनाव कम करने क कह यादा कारगर तकनीक
क ज़ रत पड़ेगी। 2050 तक आते-आते महज़ रोज़गार के स पूण अभाव या स ब धत
श ा के अभाव क वज़ह से ही नह , ब क सह सकने क अपया त मान सक मता के
अभाव क वज़ह से भी एक ‘अनुपयोगी’ वग उभरकर सामने आ सकता है।
ज़ा हर है क इनम से यादातर बात अनुमान पर आधा रत ह। इन बात को लखे
जाने के समय - 2018 के शु आती महीन म - वचालन ने ब त से उ ोग को तहस-
नहस कर दया है, ले कन इसका प रणाम भीषण बेरोज़गारी के प म सामने नह आया
है। व तुतः, ब त से मु क म, जैसे क संयु रा य अमे रका म ही, बेरोज़गारी क दर
ऐ तहा सक प से कम है। इस बात को प के तौर पर कोई नह समझ सकता क मशीन
ल नग और वचालन भ व य म व भ वसाय पर कस तरह का भाव डालगे, और
ासं गक घटना म का आकलन करना अ य त मु कल है, ख़ासतौर से इस लए क ये
घटना म वशु ौ ो गक य आ व कार पर जतना नभर करते ह, उतना ही
राजनी तक नणय और सां कृ तक पर परा पर भी नभर करते ह। इस लए अगर
वचा लत वाहन इंसानी ाइवर से यादा सुर त और स ते सा बत हो भी जाते ह, तो
भी राजनेता और उपभो ा इस बदलाव म वष , या शायद दशक तक अड़ंगा डाले रह
सकते ह।
ले कन, हम वयं को आ मतु बने रहने क छू ट नह दे सकते। महज़ यह मानकर
चलना ख़तरनाक होगा क इतने पया त नए रोज़गार पैदा हो जाएँगे क वे क ह भी
नुक़सान क भरपाई कर दगे। यह त य क वचालन क पछली लहर के दौरान ऐसा ही
हो चुका है, इस बात क नता त कोई गार ट नह दे ता क ऐसा ही इ क सव सद क
सवथा भ प र थ तय म भी फर से होगा। जन सामा जक और राजनी तक वघटन
क स भावना बनी ई है, वे इस क़दर चेतावनी-भरे ह क अगर व थत सामू हक
बेरोज़गारी क स भावनाएँ कम ह , तो भी हम इसे ग भीरता से लेना चा हए।
उ ीसव सद म औ ो गक ा त ने नई प र थ तय और सम या को ज म दया
था, जनसे नपटने म कोई भी त कालीन सामा जक, आ थक और राजनी तक आदश
कामयाब नह हो सका था। साम तवाद, राजत वाद और पार प रक मज़हब औ ो गक
महानगर , अपनी जड़ से कटे ए लाख कामगार , या आधु नक अथ व था क नर तर
बदलती कृ त को सँभालने के अनु प ढले ए नह थे। इसके प रणाम व प मानव
जा त को पूरी तरह से नए आदश गढ़ने पड़े थे - उदार लोकत , सा यवाद तानाशा हयाँ
और फ़ासीवाद स ाएँ - और इन आदश के साथ योग करने म, गे ँ को चोकर से अलग
करने म, और सव े समाधान को या वत करने म भयानक यु और ा तय से
भरी एक सद से यादा का समय लगा था। डके सयाई कोयला खदान के बाल मक,
थम व यु और 1932-33 का वराट उ े नयाई अकाल उस ूशन फ़ स का ब त
छोटा-सा ह सा थे, जो मानव जा त ने चुकाई थी।
इ क सव सद म सूचना ौ ो गक और जैव ौ ो गक मानव जा त के सामने जो
चुनौ तयाँ पेश कर रही ह, वे तकसंगत ढं ग से उन चुनौ तय के मुक़ाबले ब त बड़ी ह, जो
पछले युग म भाप के इंजन , रेलमाग और बजली ने पेश क थ । और हमारी स यता क
अप र मत वनाशकारी श को दे खते ए हम अब और वफल तं , व यु और
र रं जत ा तय का जो खम उठाने क हालत म नह ह। इस बार, ये वफल तं
परमाणु यु , जने टक ढं ग से गढ़ गई दै यलीला , और जीवम डल के स पूण वंस का
कारण बन सकते ह। इस लए हम उससे बेहतर क़ा ब लयत का प रचय दे ना ज़ री है,
जसका प रचय हमने औ ो गक ा त का सामना करने म दया था।

शोषण से अ ासं गकता तक


स भा वत समाधान तीन को टय के अ तगत आते ह : रोज़गार को त से बचाने के
लए या कया जाए; पया त सं या म नए रोज़गार को तैयार करने के लए या कया
जाए; और अगर हमारी भरसक को शश के बावजूद रोज़गार क त रोज़गार के
नमाण को पीछे छोड़ दे ती है, तो उस थ त म या कया जाए।
रोज़गार क त को रोकना पूरी तरह से एक अनाकषक और स भवतः असा य
रणनी त है, य क इसका मतलब एआई और रोबो ट स क वपुल सकारा मक
स भावना को याग दे ना होगा। तब भी, सरकार चाह तो वचालन क ग त को
सु वचा रत ढं ग से धीमा करने का फ़ैसला कर सकती ह, ता क इसके नतीजे म लगने वाले
आघात को कम कया जा सके और बदलती थ त के अनु प ढलने क गुंजाइश मल
सके। ौ ो गक कभी भी नधारणा मक नह होती, और कुछ कया जा सकता है,
ले कन इसका मतलब यह नह होता क वह कया ही जाना चा हए। सरकारी नय ण
ब त कारगर तरीक़े से नई ौ ो ग कय को रोक सकता है, भले ही वे वा ण यक तर
पर सा य और आ थक से लाभदायक य न ह । उदाहरण के लए, दशक से हमारे
पास अ प वक सत दे श म मानवीय ‘काया प ’ से पूरी तरह यु मानव अंग के लए
एक बाज़ार तैयार करने क ौ ो गक रही है और हताश दौलतम द ख़रीदार क लगभग
कभी न पूरी होने वाली माँग रही है। ये काया प ख़रब डॉलर मू य के हो सकते ह। तब
भी सरकारी नय ण ने इंसानी शारी रक अंग के मु ापार को रोका है, और हालाँ क
अंग क कालाबाज़ारी होती है, यह अपे ा से ब त कम और ब त सी मत है।
प रवतन क ग त म श थलता हम रोज़गार के यादातर नुक़सान क भरपाई के
लए नए रोज़गार तैयार करने का समय उपल ध करा सकती है, ले कन जैसा क पहले
उ लेख कया जा चुका है क आ थक उ मता को श ा और मनो व ान म एक नई
ा त से जोड़ना ज़ री होगा। यह मानते ए क यादातर रोज़गार महज़ आराम-तलब
सरकारी नौक रयाँ नह ह ग , ये रोज़गार स भवतः उ च तरीय वशेष ता क माँग करगे,
और जैसे-जैसे एआई उ त होती जाएगी, इंसानी कमचा रय को बार-बार नई द ताएँ
सीखनी ह ग और अपने वसाय बदलने ह गे। सरकार को आगे आना होगा - एक
जीवनपय त श ा के े के लए आ थक मदद के साथ, और सं मणकाल के
अप रहाय दौर म सुर ा कवच उपल ध कराते ए। अगर एक चालीस वष य पूव ोन
पायलट को ख़ुद को आभासी नया क डज़ाइनर के प म नए सरे से ढालने म तीन
साल लगते ह, तो उसके लए इस अव ध म अपने और अपने प रवार के भरण-पोषण के
लए शायद ब त सारी सरकारी मदद क ज़ रत पड़े। (इस तरह क योजना क अगुवाई
फ़लहाल क डने वया म जारी है, जहाँ सरकार इस म का अनुसरण कर रही ह क
‘कमचा रय क र ा करो, न क रोज़गार क ’।)
ले कन अगर पया त सरकारी मदद उपल ध हो, तब भी यह बात कह से भी प
नह है क या लाख लोग अपना मान सक स तुलन खोए बना ख़ुद को बार-बार नई
क़ा ब लयत के मुता बक़ ढाल सकगे। इस लए, हमारे सारे य न के बावजूद अगर मानव
जा त का एक मह वपूण ह सा रोज़गार के बाहर धकेल दया जाता है, तो हम
रोज़गारो र समाज , रोज़गारो र अथ व था , और रोज़गारो र राजनी त के नए
ा प को तलाशना होगा। पहला क़दम इस बात को ईमानदारी से वीकार करना है क
हमने अतीत से जो सामा जक, आ थक और राजनी तक ढाँचे वरासत म ा त कए ह, वे
इस तरह क चुनौ तय से नपटने के मामले म अपया त ह।
उदाहरण के लए, सा यवाद को ल। चूँ क वचालन पूँजीवाद व था को डगमगा
दे ने का ख़तरा पैदा कर रहा है, ऐसे म कोई यह मानने लग सकता है क सा यवाद क
वापसी होगी, ले कन सा यवाद इस तरह के संकट का लाभ उठाने के लए खड़ा नह
कया गया था। बीसव सद का सा यवाद मानकर चलता था क कामगार वग
अथ व था का जीवनाधार है, और सा यवाद वचारक ने सवहारा को इस बात क
श ा दे ने क को शश क क वह अपनी इस वपुल आ थक श को कस तरह
राजनी तक ताक़त म बदल सकता है। सा यवाद राजनी तक योजना ने कामगार वग क
ा त का आ ान कया था, ले कन अगर जन-समुदाय अपना आ थक मू य खो दे ता है,
और इस लए उसको शोषण के व संघष करने क बजाय अ ासं गकता के व
संघष करना ज़ री हो जाता है, तो फर ये तकनीक ासं गक कैसे रह जाएँगी? कामगार
वग के बना आप कामगार वग क ा त कैसे शु करगे?
कोई यह तक दे सकता है क मनु य कभी भी आ थक प से अ ासं गक नह हो
सकते, य क अगर वे काय थल पर एआई के साथ पधा न भी कर सकगे, तो भी
उपभो ा के प म उनक ज़ रत हमेशा बनी रहेगी, ले कन, यह बात र- र तक
न त नह है क भ व य क अथ व था के लए हमारी उपभो ा के प म भी
ज़ रत रह जाएगी। यह काम मशीन और क यूटर कर सकते ह। सै ा तक तौर पर,
आपके पास एक ऐसी अथ व था हो सकती है, जसम उ खनन करने वाला कोई
सं थान कसी रोबो ट स सं थान के लए लोहे का उ पादन और व य करे, रोबो ट स
सं थान उ खनन सं थान के लए रोबोट का उ पादन और व य करे, जो और भी यादा
लोहे का उ खनन करे, जसका इ तेमाल और यादा रोबोट उ पा दत करने के लए कया
जाए, आ द, आ द। ये सं थान सु र आकाशगंगा तक वक सत हो सकते ह और अपना
व तार कर सकते ह, और इनके लए कुल मलाकर रोबोट और क यूटर क ज़ रत
होगी। उनको इन उ पाद को ख़रीदने तक के लए इंसान क ज़ रत नह होगी।
सचमुच, आज पहले ही क यूटर और ऐ ग रदम उ पादक क भू मका नभाने के
साथ-साथ ाहक ( लाइ ट् स) क भू मका नभाने लगे ह। उदाहरण के लए, शेयर-
बाज़ार म ऐ ग रदम बॉ ड , शेयर और व ीय उ पाद के सबसे मह वपूण ख़रीदार बनते
जा रहे ह। इसी तरह व ापन के कारोबार म सबसे मह वपूण ाहक एक ऐ ग रदम है :
गूगल सच ऐ ग रदम। जब लोग वेब पेज़ तैयार करते ह, तो वे अ सर कसी इंसान क
च क बजाय गूगल सच ऐ ग रदम क च का ख़याल रखते ह।
ज़ा हर है क ऐ ग रदम म कोई चेतना नह होती, इस लए इंसानी उपभो ा से
भ , वे जो कुछ ख़रीदते ह, उसका आन द नह ले सकते, और उनके नणय अनुभू तय
और भावना से नधा रत नह होते। गूगल सच ऐ ग रदम आइस म का वाद नह ले
सकता, ले कन ऐ ग रदम अपने आ त रक आकलन और पूव नधा रत ाथ मकता के
आधार पर चीज़ का चुनाव करते ह, और ये ाथ मकताएँ उ रो र हमारी नया को
गढ़ती ह। आइस म व े ता के वेब पेज़ के ेणी- नधारण के मामले म गूगल सच
ऐ ग रदम क ब त ही प र कृत क़ म क अ भ च है। नया के सबसे कामयाब
आइस म व े ता वे ह, जनको गूगल ऐ ग रदम थम ेणी म रखता है। वे नह , जो
सबसे यादा वा द आइस म बनाते ह।
यह बात म नजी अनुभव से जानता ँ। जब म कोई पु तक का शत करता ँ, तो
काशक मुझसे उस पु तक का एक ऐसा सं त ववरण लखने का आ ह करते ह,
जसका इ तेमाल वे ऑनलाइन चार के लए कर सक, ले कन उनके पास एक ख़ास
वशेष होता है, जो मेरे लखे ए को गूगल ऐ ग रदम क अ भ च के मुता बक़ ढालता
है। यह वशेष मेरे मज़मून क समी ा करता है, और कहता है “इस अमुक श द का
इ तेमाल मत क जए। इसक बजाय अमुक श द का इ तेमाल क जए। इससे हम गूगल
ऐ ग रदम क यादा तव जो मल सकेगी।” हम जानते ह क अगर हम इस ऐ ग रदम
का यान आक षत कर सक, तो हम इंसान क परवाह करना छोड़ सकते ह।
इस लए अगर मनु य क न तो उ पादक के प म ज़ रत है और न ही उपभो ा
के प म, तो फर उनके शारी रक प से जी वत बने रह पाने क और उनक मान सक
ख़ुशहाली क हफ़ाज़त कस चीज़ से होगी? हम इस सवाल का जवाब ढूँ ढना शु करने
से पहले इस संकट के पूरी ताक़त के साथ फट पड़ने का इ तज़ार करते नह रह सकते।
तब तक काफ़ दे र हो चुक होगी। इ क सव सद क अपूव ौ ो ग कय और आ थक
वधान से नपटने के लए हम जतना ज द मुम कन हो, उतने ज द नए सामा जक
और आ थक मानक को वक सत करना ज़ री है। इन मानक का नयमन इंसान के
रोज़गार क बजाय इंसान क र ा के स ा त के आधार पर होना चा हए। यादातर
रोज़गार नीरस क़ म के काम होते ह, जो बचाने लायक़ नह ह। कै शयर होना कसी के
जीवन का सपना नह हो सकता। जन चीज़ पर हम यान के त करने क ज़ रत है, वे
ह, लोग क बु नयाद ज़ रत और उनक सामा जक है सयत तथा आ म-स मान क
र ा।
एक नया मानक है यू नवसल बे सक इ कम यानी यूबीआई (यू नवसल बे सक इ कम
कसी दे श के सारे नाग रक को, उनक आय, संसाधन या रोज़गारपरक है सयत पर
यान दए बग़ैर, एक न त मा ा म पैसे दे ने का मानक है। यूबीआई का उ े य ग़रीबी को
रोकना या कम करना और तमाम नाग रक के बीच समानता म वृ करना है।), जो
उ रो र यान आक षत कर रहा है। यूबीआई का ताव है क सरकार ऐ ग रदम और
रोबोट को नय त कर रहे अरबप तय और ापा रक सं थान पर कर लगाए, और
इस पैसे का इ तेमाल हर को समु चत मा ा म वजीफ़ा मुहैया कराने के लए करे,
जो उस क बु नयाद ज़ रत को पूरा कर सके। यह चीज़ ग़रीब को रोज़गार क
त और आ थक व थापन से स भा वत नुक़सान को झेलने म स म बनाएगी, वह
अमीर को सावज नक कोप से भी बचाएगी।
इसी से जुड़ा आ एक वचार मनु य क उन ग त व धय के दायरे को व तार दे ने
का ताव करता है, जन ग त व धय को ‘रोज़गार’ माना जाता है। वतमान म, अरब माँ-
बाप अपने ब च क परव रश करते ह, पड़ोसी एक- सरे क दे खभाल करते ह, और
नाग रक समुदाय का गठन करते ह, और इनम से कोई भी मू यवान ग त व ध को रोज़गार
के प म मा य नह कया जाता। मुम कन है क हम अपने दमाग़ का कोई बटन दबाने,
और इस बात को समझ लेने क ज़ रत हो क ब चे क परव रश करना नया का सबसे
मह वपूण और चुनौती-भरा काम है। अगर ऐसा है, तो फर अगर क यूटर और रोबोट
सारे ाइवर , बकक मय और वक ल क जगह ले भी ल, तब भी काम क कोई कमी
नह होगी। सवाल, ले कन न य ही यह है क इन नए मा यता- ा त रोज़गार के
पा र मक का आकलन कौन करेगा? यह मानते ए क छह महीने का शशु अपनी माँ
के लए वेतन नह दे गा, सरकार को स भवतः यह ज़ मेदारी अपने ऊपर लेनी होगी। यह
भी मानते ए क हम चाहगे क ये वेतन एक प रवार क बु नयाद ज़ रत को पूरा कर
सक, अ तम नतीजा सावभौ मक बु नयाद आय से ब त भ नह होगा।
सरा वक प है क सरकार आय क बजाय सावभौ मक बु नयाद सेवा
(यू नवसल बे सक स वसेज़) को आ थक मदद दे सकती ह। लोग को पैसा दे ने क
बजाय, जसका इ तेमाल लोग मनमा फ़क चीज़ ख़रीदने के लए करगे, सरकार नःशु क
श ा, नःशु क वा य-सेवा, नःशु क प रवहन आ द के प म आ थक मदद
(स सडी) दे सकती ह। ये दरअसल सा यवाद क आदश लोक था पत करने क क पना
है। य प कामगार वग क ा त शु करने क सा यवाद योजना पुरानी पड़ गई हो
सकती है, ले कन या यह मुम कन नह क हम इस सा यवाद ल य को सरे साधन के
सहारे हा सल कर?
यह बात बहस यो य है क लोग को यू नवसल बे सक इ कम (पूँजीवाद वग) या
सावज नक बु नयाद सेवाएँ (सा यवाद वग) उपल ध कराना बेहतर है या नह । दोन ही
वक प के अपने फ़ायदे और नुक़सान ह, ले कन फ़क़ इससे नह पड़ता क आप कौन-
सा वग चुनते ह, असली सम या यह प रभा शत करने क है क ‘सावभौ मक’
(‘यू नवसल’) और ‘बु नयाद ’ (‘बे सक’) का वा त वक मतलब या है।

ौ ै
सावभौ मक या है?
जब लोग सावभौ मक बु नयाद मदद - वह चाहे आय के प म हो या सेवा के - क
बात करते ह, तो आमतौर पर उनका आशय रा ीय बु नयाद मदद से होता है। अब तक
यूबीआई क दशा म उठाए गए सारे क़दम स त प से रा ीय या नगरीय ( यू न सपल)
रहे ह। जनवरी 2017 म फ़नलड ने एक दो वष य योग के तहत फनलड के 2,000
बेरोज़गार को हर महीने 560 यूरो दे ना शु कर दया, इस बात क परवाह कए बना क
वे कोई काम ढूँ ढ पाते ह या नह । इसी तरह के योग कनाडा के टा रयो ा त म,
इता वी नगर लवोन , और हॉलड के कई शहर म जारी ह। (2016 म वट् ज़रलड ने
रा ीय बु नयाद आय योजना तैयार करने को लेकर एक जनमत-सं ह कराया था, ले कन
मतदाता ने इस वचार को नकार दया था।)
इन रा ीय और नगरीय योजना के साथ सम या यह है क ज़ री नह क
वचालन के मु य शकार फ़नलड, टा रयो, लवोन या एम टरडम म रहते ह ।
भूम डलीकरण ने एक मु क के लोग को सरे मु क के बाज़ार पर पूरी तरह से नभर
बना दया है, ले कन वचालन इस भूम डलीय ापा रक ताने-बाने को तार-तार करते ए
सबसे कमज़ोर सू के लए वनाशकारी प रणाम पैदा कर सकता है। बीसव सद म
ाकृ तक संसाधन से वं चत वकासशील दे श ने मु यतः अपने अकुशल मज़ र का
स ता म बेचकर आ थक ग त क थी। आज लाख क तादाद म बां लादे शी कमीज़
तैयार करके और उनको संयु रा य अमे रका के ाहक को बेचकर अपनी आजी वका
कमाते ह, वह बंगलु के लोग कॉल सटर म अमे रक ाहक क शकायत को नपटाते
ए अपनी रोज़ी-रोट कमाते ह।
ले कन एआई, रोबोट और 3-D टर के उदय के साथ स ते अकुशल मज़ र का
ब त कम मह व रह जाएगा। ढाका म कमीज़ बनाकर और उनको जहाज़ म लादकर
संयु रा य अमे रका तक भेजने क बजाय, आप उस शट का कोड अमेज़ॉन से
ऑनलाइन ख़रीद कर यू यॉक म उसे ट कर सकते ह। ़फ़थ एवे यू के ज़ारा और ादा
टोर क जगह ुक लन के 3-D टग सटर ले सकते ह, और कुछ लोग तो अपने घर
तक म एक टर रख सकते ह। इसी के साथ-साथ, अपने टर क शकायत को लेकर
बंगलु क ाहक-सेवा को फ़ोन करने क बजाय आप गूगल लाउड म एक एआई
त न ध से बात कर सकते ह ( जसका उ चारण और आवाज़ का लहज़ा आपक
ाथ मकता के मुता बक़ गढ़ा गया है)। ढाका और बंगलु के ये नए बेरोज़गार
कामगार और कॉल-सटर ऑपरेटर को वह श ा ा त नह है, जसके बूते वे फ़ैशनेबल
कमीज़ तैयार करने या क यूटर कोड लखने का पेशा अपना सक - तब फर वे कैसे
जी वत रहगे?
अगर एआई और 3-D टर सचमुच बां लादे शय और बंगलु वा सय के रोज़गार
पर क़ ज़ा कर लेते ह, तो जो राज व पहले द ण ए शया क ओर वा हत होता था, वह
कै लफ़ो नया के ौ ो गक के े के मु भर महाब लय क तजो रयाँ भरने लगेगा।
सारी नया के आ थक वकास म सुधार लाने वाली प र थ तय क बजाय हम
स लकॉन वैली जैसे हाई-टे क के म अप र मत नई समृ को जमा होते, और इसी के
साथ ब त-से वकासशील दे श को व त होते दे ख सकते ह।
न य ही, कुछ उभरती ई अथ व थाएँ - जनम ह तान और बां लादे श शा मल
ह - इतनी पया त तेज़ी से आगे बढ़ सकती ह क वे वजेता ट म से जा मल। पया त व त
मलने क थ त म, कपड़ा-कामगार और कॉल-सटर ऑपरेटर के ब चे या नाती-पोते
ऐसे इंजी नयर और उ मी बन जाएँ, जो क यूटर और 3-D टर न मत कर सक और ये
चीज़ उनके वा म व म ह , ले कन इस तरह एक अव था से सरी अव था म प ँचने के
लए जस समय क दरकार है, वह तेज़ी से बीतता जा रहा है। अतीत म, स ते अकुशल
म ने वै क आ थक खाइय के बीच सुर त पुल का काम कया था, और अगर कोई
दे श धीमी ग त से भी ग त करता था, तो भी वह अ ततः सुर त थ त म प ँचने क
उ मीद कर सकता था, ले कन अब वह पुल थरथरा रहा है, और ज द ही वह व त हो
सकता है। जो लोग उसको पहले ही पार कर चुके ह - जो अब स ते म से उबरकर उ च-
द ता-यु उ ोग तक प ँच गए ह - वे स भवतः सकुशल ह गे, ले कन जो पीछे घसट
रहे ह, वे इस खाई को पार करने के कसी उपाय से हीन वयं को उसके ग़लत सरे पर
अटक कर रह गया पा सकते ह। जब आपके स ते अकुशल मक क कसी को भी
ज़ रत नह रह जाएगी, और आपके पास अ छ श ा- व था खड़ी करने और उनको
नई द ताएँ सखाने के लए कोई संसाधन नह ह गे, तब आप या करगे? तब इन पीछे
रह जाने वाल क या नय त होगी? अमे रक मतदाता स भवतः इस बात पर राज़ी हो
जाएँ क अमेज़ॉन और गूगल ारा संयु रा य अमे रका म उनके कारोबार के बदले
भुगतान कए गए कर क आय का उपयोग पे स वा नया के बेरोज़गार ख नक और यू
यॉक के बेकार टै सी ाइवर को वज़ीफ़े दे ने के लए कर लया जाए, ले कन या
अमे रक मतदाता इस बात पर भी सहमत ह गे क इन कर से ा त पैस को उन जगह
के बेरोज़गार लोग क मदद के लए भेज दया जाए, जो रा प त प ारा ‘म लन
मु क ’ (‘ शटहोल कं ज’) के प म प रभा शत कए गए ह? अगर आपका ऐसा
व ास है, तो आप शायद यह व ास भी कर रहे हो सकते ह क सा ता लॉज़ और
ई टर बनी सम या को हल कर दगे।

बु नयाद या है?
सावभौ मक बु नयाद मदद का मतलब है बु नयाद मानवीय ज़ रत को पूरा करना,
ले कन इसक कोई मा य प रभाषा नह है। अगर वशु जै वक प र े य म दे खा जाए,
तो एक से पय स को ज़ दा बने रहने के लए त दन 1,500-2,500 कैलोरी क
आव यकता होती है। इससे यादा कुछ भी वला सता है, ले कन इस जै वक ग़रीबी-रेखा
से परे इ तहास म हर सं कृ त ने अ त र ज़ रत को ‘बु नयाद ’ ज़ रत के प म
प रभा शत कया है। म ययुगीन यूरोप म चच के अनु ान म भागीदारी को भोजन से भी
यादा मह वपूण माना जाता था, य क वह आपक न र काया क बजाय आपक
शा त आ मा का यान रखती थी। आज के यूरोप म उ कृ श ा और वा य-सेवा
को बु नयाद मानवीय ज़ रत के प म दे खा जाता है, और कुछ लोग का यह भी तक
है क इंटरनेट तक प ँच हर मद, औरत और ब चे के लए अ नवाय है। अगर 2050 म
संयु व सरकार पृ वी के हर इंसान को - ढाका म भी और डे ॉइट म भी - बु नयाद
मदद उपल ध कराने के लए गूगल, अमेज़ॉन, बै और टसट पर कर लगाने पर सहमत हो
जाती है, तो वे ‘बु नयाद ’ को कस प म प रभा शत करगे?
उदाहरण के लए बु नयाद श ा म या- या शा मल है : महज़ पढ़ना और लखना,
या क यूटर कोड रचना और वाय लन बजाना भी? ाथ मक पाठशाला के मा छह साल,
या पीएच.डी तक सब कुछ? और वा य-सेवाएँ? अगर 2050 तक च क सा- व ान के
े क ग तयाँ बूढ़ा होने क या को धीमा कर दे ती ह और मनु य के जीवन-काल म
उ लेखनीय व तार दे दे ती ह, तो या ये नई च क साएँ भू ह के सारे 10 अरब लोग को
सुलभ ह गी, या महज़ कुछ अरबप तय को? अगर जैव ौ ो गक अ भभावक को अपने
ब च को उ त प दे ने म स म बना दे ती है, तो या इसे बु नयाद मानवीय ज़ रत क
तरह दे खा जाएगा, या हम मानव-जा त को व भ जै वक जा तय म वभा जत होता
दे खगे, जनम अमीर अ तमानव ऐसी क़ा ब लयत का मज़ा लूट रहे ह गे, जो नधन होमो
से पय स को ब त पीछे छोड़ दगी?
आप ‘बु नयाद मानवीय ज़ रत ’ को प रभा शत करने का जो भी कोई ढं ग चुन,
जैसे ही आप हर कसी क इन ज़ रत को नःशु क पूरा करते ह, वैसे ही उनको कम
करके आँका जाने लगेगा, और इसके बाद उ सामा जक त पधाएँ और राजनी तक
संघष ग़ैर-बु नयाद वला सता पर के त हो जाएँगे - फर ये वला सताएँ भड़क ली
वचा लत कार ह , आभासी-वा त वकता के पाक म सहज आवाजाही हो, या
जैवइंजी नयरी क माफ़त गढ़ गई उ त कायाएँ ह । इसके प रणाम व प अमीर (टसट
के मैनेजर और गूगल के शेयरधा रय ) और ग़रीब (यानी जो सावभौ मक बु नयाद आय
पर नभर ह गे) के बीच क खाई न केवल चौड़ी हो जाएगी, ब क उसको पार करना
अस भव हो जाएगा।
इस लए अगर सहायता क कोई सावभौ मक योजना 2050 म ग़रीब को आज क
तुलना म बेहतर श ा और वा य-सेवाएँ उपल ध कर दे गी, तो भी ये ग़रीब लोग वै क
ग़ैरबराबरी को लेकर और सामा जक वगा तरण के अभाव से बेहद ख़फ़ा ह गे। लोग को
लगेगा क व था उनके ख़लाफ़ प पाती है, सरकार केवल ध ासेठ का प लेती है,
और यह क भ व य उनके और उनके ब च के लए इससे भी बदतर होगा।
स तु होना होमो से पय स क बनावट म ही नह है। मानवीय सुख व तुपरक
प र थ तय पर कम और हमारी अपे ा पर यादा नभर करता है, ले कन अपे ाएँ
प र थ तय के अनु प ढलने क को शश करती ह, जनम सरे लोग क प र थ त
शा मल होती है। जब थ तयाँ बेहतर हो जाती ह, तो अपे ाएँ गु बारे क तरह फूलने
लगती ह, और इसके प रणाम व प प र थ तय म ज़बरद त सुधार भी हम पहले से
यादा अस तु बना सकता है। अगर सावभौ मक बु नयाद मदद का ल य 2050 म
औसत क व तुपरक दशा म सुधार लाना है, तो इसके कामयाब होने क पूरी
स भावना है, ले कन अगर इसका उ े य यह है क लोग के पास जो कुछ है, उससे वे
न तर पर अ धक स तु ह और उनको सामा जक अस तोष से रोका जा सके,
तो इसक नाकामयाबी क पूरी स भावना है।
सावभौ मक बु नयाद मदद वा तव म अपने ल य हा सल कर सके, इसके लए उसे
अपने साथ - खेल से लेकर मज़हब तक - क ह साथक उ म को जोड़ना होगा।
रोज़गारो र नया म एक स तोष द जीवन जीने के ढं ग को लेकर अब तक का सबसे
कामयाब योग इज़रायल म कया गया है। वहाँ, लगभग 50 % क र पर परावाद य द
मद कभी काम नह करते। वे अपना जीवन प व थ के अ ययन और मज़हबी
अनु ान को पूरा करने म लगाते ह। वे और उनके प रवार भूख नह मरते, आं शक तौर
पर इस लए क उनक बी वयाँ काम करती ह, और आं शक तौर पर इस लए क सरकार
उनको उदारतापूण आ थक मदद और नःशु क सेवाएँ मुहैया कराती है, और सु न त
करती है क उनके जीवन क बु नयाद ज़ रत पूरी होती रह। ये वह सावभौ मक
बु नयाद मदद है, जसक योजना इस सं ा के पहले बनाई गई थी।
हालाँ क वे ग़रीब और बेरोज़गार ह, ले कन एक-के-बाद-एक सव ण म ये क र
पर परावाद य द मद इज़रायली समाज के कसी भी ह से क तुलना म स तु जीवन
का उ चतम तर दशाते रहे ह। ये उनके सामुदा यक स ब ध क वज़ह से तो है ही, इसी
के साथ-साथ इस लए भी है क प व थ के अ ययन और अनु ान के न पादन म वे
गहरी साथकता अनुभव करते ह। तलमूद पर चचा करते य द पु ष से भरे एक कमरे म
शायद उससे यादा आन द, सोहबत और ववेक के वातावरण का अनुभव कया जा
सकता है, जतना कड़ी मेहनत करते कारख़ाने के कामगार से भरे कसी कपड़ा कारख़ाने
के भीतर दे खने को मलता है। आं शक प से इन बेरोज़गार नधन लोग के योगदान क
वज़ह से इज़रायल स तु जीवन के वै क सव ण म लगभग सबसे ऊपर है।
से युलर इज़रायली अ सर इस बात को लेकर तीखी शकायत करते ह क ये क र
पर परावाद समाज के लए पया त योगदान नह करते, सरे लोग क कड़ी मेहनत पर
पलते ह। से युलर इज़रायली यह तक दे ने क को शश भी करते ह क जीवन के इस क र
पर परावाद ढं ग को जारी नह रखा जा सकता, ख़ासतौर से इस लए क इन क र
पर परावाद प रवार म औसतन सात ब चे होते ह। आगे-पीछे रा य इतनी बड़ी तादाद म
बेरोज़गार लोग को सहारा दे ने म स म नह होगा, और इन क र पर परावा दय को
अ ततः काम म लगना होगा, ले कन थ त इसके एकदम उलट भी हो सकती है। जब
रोबोट और एआई इंसान को रोज़गार के बाज़ार से बाहर धकेल दगे, तब ये क र
पर परावाद य द अतीत के जीवा म क तरह दे खे जाने क बजाय भ व य के एक
मानक के प म दे खे जा सकते ह। यह नह क हरेक पर परावाद य द बन
जाएगा और ये शवा म जाकर तलमूद का अ ययन कया करेगा, ले कन तमाम लोग
क ज़ दगी म अथ और सामुदा यक भावना क आकां ा रोज़गार क आकां ा को
न तेज कर दे गी।
अगर हम कसी तरह सावभौ मक आ थक सुर ा जाल को मज़बूत समुदाय और
साथक खोज से जोड़ सक, तो ऐ ग रदम के हाथ अपने रोज़गार का खोना वा तव म
एक वरदान सा बत हो सकता है, ले कन अपने जीवन पर नय ण को खोना कह यादा
डरावना प र य हो सकता है। सामू हक बेरोज़गारी के ख़तरे के बावजूद, जस चीज़ से
हम कह यादा च तत होना चा हए, वह है भु व का मनु य के हाथ से नकलकर
ऐ ग रदम के हाथ म चले जाना, जो क उदारवाद क़ से म रहे-सहे व ास को भी न
कर सकता है और ड जटल तानाशाही के उदय का रा ता खोल सकता है।
3
आज़ाद
बग डेटा आप पर नगाह रखे ए है

उदारवाद क़ सा इंसान क आज़ाद को आला दजे़ का मू य मानकर उसका लार करता


है। उसका तक है क सारी भुस ा अ ततः अलग-अलग मनु य क उन वत इ छा
से उ प होती है, जो उनक अनुभू तय , आकां ा और चयन म अ भ पाती ह।
राजनी त के े म उदारवाद मानता है क मतदाता बेहतर समझता है। इस लए वह
लोकता क चुनाव कराता है। अथ व था के े म उदारवाद क मा यता है क ाहक
हमेशा सही होता है। इस लए वह मु बाज़ार के स ा त क जय-जयकार करता है।
नजी मामल म उदारवाद लोग को तब तक ख़ुद क आवाज़ पर कान दे ने, ख़ुद के त
स चा होने, और अपने दय का अनुसरण करने को ो सा हत करता है - जब तक क वे
सर क आज़ाद का उ लंघन नह करते। यह नजी वत ता मानवा धकार म
त ा पत है।
प म के राजनी तक वमश म ‘उदार’ नामक श द आज कभी-कभी संकु चत
प पातपूण अथ म उन लोग क ओर संकेत करने के लए इ तेमाल कया जाता है, जो
समल गक ववाह , ब क़ रखने, और गभपात जैसे व श येय का समथन करते ह,
ले कन यादातर तथाक थत ढ़वाद दरअसल ापक उदारवाद व भी अपनाते
ह। ख़ासतौर से संयु रा य अमे रका म रप लकन और डेमो े ट, दोन ही गाहे-ब-गाहे
ख़ुद को यह याद दलाने के लए अपने उ झगड़ से वराम लेते ह क वे सभी लोग
वत चुनाव , एक वाधीन यायपा लका, और मानवा धकार जैसे बु नयाद मु पर
एकमत ह।
ख़ुद को परखकर दे खए। या आपको लगता है क लोग को आँख मूँदकर कसी
राजा क आ ा मानते रहने क बजाय अपनी सरकार ख़ुद चुननी चा हए? या आपको
लगता है क लोग को कसी जा त म ज मा होने क बजाय अपना वसाय ख़ुद चुनना
चा हए? या आपको लगता है क लोग को अपने अ भभावक ारा तय कर दए गए
लड़के/लड़क से शाद करने क बजाय अपने जीवन-साथी का चुनाव ख़ुद करना चा हए?
अगर आप इन तीन सवाल का जवाब ‘हाँ’ म दे ते ह, तो बधाई, आप उदारवाद ह।
ख़ासतौर से यह याद रखना ब त मह वपूण है क रोना ड रीगन और मा ट थैचर
जैसे ढ़वाद नायक न सफ़ आ थक वत ता , ब क वैय क आज़ाद के भी
महान हमायती आ करते थे। 1987 म दए गए अपने एक स सा ा कार म थैचर ने
कहा था क “समाज जैसी कोई चीज़ नह होती। पु ष और य का (एक) जीव त
च पट है…हमारे जीवन क गुणव ा इस बात पर नभर करेगी क हमम से हरेक अपनी
ज़ मेदारी लेने को कतना तैयार है।”
थैचर के क ज़व टव पाट के उ रा धकारी लेबर पाट से इस मामले म पूरी तरह
सहमत ह क राजनी तक भुस ा अपने म व श मतदाता क अनुभू तय , चयन
और वत इ छा से उ प होती है। इस लए जब टे न को यह नणय लेने क
ज़ रत पड़ी क उसको यूरोपीय यू नयन को छोड़ दे नी चा हए या नह , तो धानम ी
डे वड कैमरन ने महारानी ए लज़ाबेथ II , कटबरी के आच बशॅप, या ऑ सफ़ोड और
कै ज के महान यापक से इस मु े का समाधान करने का आ ह नह कया। उ ह ने
संसद सद य तक से नह पूछा। इसक बजाय, उ ह ने एक जनमत-सं ह कराया, जसम
एक-एक तानी नाग रक से पूछा गया था : ‘आप इस बारे म या महसूस करते ह?’
आप आप कर सकते ह लोग से ‘आप इस बारे म या महसूस करते ह?’ क
बजाय ‘आप या सोचते ह?’ पूछा जाना चा हए था, ले कन यह एक आम ग़लत धारणा
है। जनमत-सं ह और चुनाव हमेशा मनु य क अनुभू तय से ता लुक़ रखते ह, न क
मनु य क तकबु से। अगर लोकत ता कक नणय- या का मसला होता, तो
तमाम लोग को समान मता धकार - या स भवतः मता धकार मा - दे ने का कोई कारण
न होता। इसके भरपूर माण मौजूद ह क कुछ लोग सर क तुलना म ब त यादा
अ लम द और तकशील होते ह, ख़ासतौर से तब तो न य ही जब सवाल व श प से
आ थक और राजनी तक होते ह। े ज़ट मतदान के बाद, ल ध त जीव व ानी रचड
डॉ क स ने वरोध जताया था क तानी समाज के ब सं यक ह से से - जनम वे वयं
शा मल थे - इस जनमत-सं ह म मतदान करने के लए नह कहा जाना चा हए था,
य क उनके पास अथशा और राजनी त-शा क ज़ री पृ भू म नह है। “ फर तो
आप यह नणय करने के लए एक रा ापी जनमत-सं ह का आ ान कर सकते ह क
आइं टाइन का बीजग णत सही था या नह , या या य से इस बारे म मतदान करा सकते
ह क पायलट को कस रनवे पर वायुयान को उतारना चा हए।”
ले कन यह बेहतर हो या बदतर, चुनाव और जनमत-सं ह का स ब ध इस बात से
नह होता क हम या सोचते ह। उनका स ब ध इस बात से होता है क हम या महसूस
करते ह। और जब अहसास का सवाल उठता है, तो आइं टाइन और डॉ क स तमाम
सरे लोग से बेहतर नह होते। लोकत मानकर चलता है क मनु य क अनुभू तयाँ एक
रह यमय और गहन ‘ वत इ छा’ को त ब बत करती ह, क यह ‘ वत इ छा’
भु व का अ तम ोत है, और हालाँ क कुछ लोग अ य लोग क तुलना म यादा
बु मान होते ह, ले कन सारे मनु य समान प से वत ह। आइं टाइन और डॉ क स
क ही तरह एक नर र नौकरानी क भी वत इ छा होती है, इस लए चुनाव के दन
उसके मत म त ब बत होती उसक अनुभू तयाँ उतना ही मह व रखती ह, जतना
कसी सरे क अनुभू तयाँ रखती ह।
अनुभू तयाँ सफ़ मतदाता का ही नह , ब क नेता का भी मागदशन करती ह।
2016 के े ज़ट जनमत-सं ह म यूरोपीय यू नयन को छोड़ने क मु हम का नेतृ व
बो रस जॉनसन और माइकेल गोव संयु प से कर रहे थे। डे वड कैमरन के यागप
दे ने के बाद गोव ने शु आत म धानम ी पद के लए जॉनसन का समथन कया था,
ले कन आ ख़री ण म गोव ने जॉनसन को इस पद के अयो य क़रार दया और ख़ुद ही
इस ज़ मेदारी को सँभालने के अपने इरादे का ऐलान कर दया। जॉनसन क स भावना
को बबाद कर दे ने वाले गोव के इस कृ य को कपटपूण राजनी तक ह या क सं ा द गई
थी। ले कन गोव ने अपने इस आचरण का बचाव अपनी अनुभू तय का हवाला दे ते ए
प कया क “मने अपने राजनी तक जीवन के हर मक़ाम पर ख़ुद से एक सवाल पूछा है
: “उ चत कृ य या है? आपका दल आपसे या कहता है?” गोव के मुता बक़, यही
वज़ह थी क उ ह ने े ज़ट के लए इतनी ज़बरद त लड़ाई लड़ी थी, और यही वज़ह थी
क वे अपने पूव सहयोगी बो रस जॉनसन क पीठ म छु रा भ कने को मजबूर ए और उस
पद के लए अपनी दावेदारी पेश क , य क उनके दल ने उनसे ऐसा करने को कहा था।
दल पर यह भरोसा उदार लोकत के लए अ कलीज़ हील (कमज़ोर ब ) सा बत
हो सकता है, य क जैसे ही कोई (चाहे बी जग म हो या सैन ां स को म) मनु य
के दय म घुसपैठ करने और उसम जोड़तोड़ करने क ौ ा गक य क़ा ब लयत हा सल
कर लेता है, वैसे ही लोकता क राजनी त कठपुतली के भावना मक दशन म बदल
सकती है।

ऐ ग रदम क सु नए
य क अनुभू तय और मु चयन म उदारवाद व ास न तो कु़दरती है और न
ब त ाचीन। हज़ार साल तक लोग यह व ास करते आए थे क भुस ा का ोत
मनु य के दय क बजाय दै वीय वधान होते ह, और इस लए हम इंसानी आज़ाद क
बजाय ई र क वाणी को मा य करना चा हए। सफ़ पछली कुछ स दय के दौरान ही
भु व का ोत अलौ कक दे वता क बजाय हाड़-मांस के मनु य बने ह।
भु व का यह ोत ज द ही एक बार फर थाना त रत हो सकता है - मनु य से
ऐ ग रदम म। जस तरह अलौ कक भु व मज़हबी मथक ारा, और मानवीय भु व
उदारवाद क़ से ारा वैधीकृत कया गया था, उसी तरह आगामी ौ ो गक ा त बग
डेटा ऐ ग रदम के भु व को था पत कर सकती है, और वैय क वत ता क धारणा
को खोखला कर सकती है।
जैसा क हमने पछले अ याय म उ लेख कया था क हमारे म त क और शरीर के
काम करने के ढं ग के बारे म वै ा नक अंत याँ यह संकेत करती ह क हमारी
अनुभू तयाँ कोई अनूठे ढं ग क मानवीय आ या मक वशेषताएँ नह ह, और वे कसी
तरह क ‘ वत इ छा’ को त ब बत नह करत । इसक बजाय, अनुभू तयाँ ऐसी
जैवरासाय नक याएँ ह, जनका इ तेमाल सारे तनधारी ाणी और प ी जी वत बने
रहने तथा जनन करते रहने क स भावना का फुत से आकलन करने के लए करते
ह। अनुभू तयाँ सहज बोध, अ तः ेरणा या वत ता पर आधा रत नह होत , ब क वे
आकलन पर आधा रत होती ह।
जब कोई ब दर, चूहा या इंसान साँप को दे खता है, तो भय उ प होता है, य क
म त क के लाख यूरॉन ब त तेज़ी के साथ स ब धत सूचना का आकलन करते ह और
इस नतीजे पर प ँचते ह क मृ यु क आशंका ब त यादा है। काम-वासना क
अनुभू तयाँ तब जागती ह, जब सरे जै वक ऐ ग रदम आकलन करते ह क पास म
मौजूद कामयाब संसग, सामा जक स ब ध, या कसी अ य इ छत ल य को पूरा
करने क भरपूर स भावना से यु है। ोध, अपराध-बोध या मा जैसी नै तक
अनुभू तयाँ उन नायु वक या से उ प होती ह, जो सामू हक सहकार को स म
बनाने के लए वक सत ई थ । ये सारे ऐ ग रदम वकास- या के लाख साल के
दौरान धारदार बने ह। अगर कसी ाचीन पूवज के ज बात ने कोई ग़लती क होती थी,
तो इन ज बात को गढ़ने वाले जी स अगली पीढ़ म थाना त रत नह होते थे। इस तरह
ज बात ता ककता के वलोम नह ह, ब क वे वकासपरक ता ककता को पा यत
करते ह।
हम आमतौर पर इस बात को समझ पाने म चूक जाते ह क ज बात व तुतः आकलन
होते ह, य क आकलन क तेज़ या हमारी सजगता क दे हरी के ब त नीचे घ टत
होती है। हम जी वत बने रहने और जनन करते रहने क स भावना का म त क म
प रकलन (क यू टग) करते लाख यूरॉन को महसूस नह करते, इस लए हम ग़लत ढं ग
से यह व ास कर बैठते ह क साँप को लेकर हमारा भय, सहवास के लए हमारा चयन,
या यूरोपीय यू नयन को लेकर हमारी राय कसी रह यमय ‘ वत इ छा’ का प रणाम ह।
इस लए, य प उदारवाद का यह वचार ग़लत है क हमारे ज बात वत इ छा को
त ब बत करते ह, तब भी आज तक ज बात पर भरोसा एक अ छा ावहा रक
वचार बना रहा है, य क हालाँ क हमारे ज बात म जा ई या वत जैसा कुछ नह
था, तब भी वे इस संसार म इस बात का नणय लेने के लहाज़ से सबसे अ छ व ध थे
क या अ ययन कया जाए, कससे ववाह कया जाए, और कस पाट को वोट दया
जाए। और मेरे ज बात को समझने क उ मीद मुझसे बेहतर कोई भी बाहरी व था नह
कर सकती। यहाँ तक क अगर पे नश इ वीज़ीशन या सो वयत केजीबी ने हर दन हर
म नट मेरी जासूसी क होती, तब भी उनम मेरी आकां ा और चुनाव को गढ़ने वाली
जैवरासाय नक या म घुसपैठ कर उनका पता लगाने के लए ज़ री जीववै ा नक
ान और प रकलन श का अभाव था। बु नयाद तौर पर, यह एक यु संगत तक था
क म वत इ छा रखता ँ, य क मेरी इ छा मु यतः उन आ त रक श य क
पर पर- या ारा गढ़ गई थी, जनको कोई बाहरी दे ख नह सकता था। म यह
म पाले रह सकता था क म अपने गु त आ त रक कम े को नय त करता ँ,
जब क बाहरी लोग वाक़ई कभी इस बात को नह समझ सकते क मेरे अ दर या चल
रहा है और म नणय कैसे लेता ँ।
तदनुसार, उदारवाद ारा लोग को कसी पुरो हत या पाट के वफ़ादार और व र
नेता के नदश का पालन करने क बजाय अपने दय का अनुसरण करने का परामश
दे ना उ चत था, ले कन ज द ही ऐसा व त आएगा, जब क यूटर ऐ ग रदम आपको
इंसानी ज बात क तुलना म बेहतर परामश दे सकगे। जस तरह पे नश इ वीज़ीशन
और केजीबी ने गूगल और बै के सामने घुटने टे क दए, उसी तरह मुम कन है क भ व य
म ‘ वत इ छा’ भी एक मथक के प म उजागर हो जाए और उदारवाद अपनी
ावहा रक उपयो गता को गँवा दे ।
हम इस व त दो वराट ा तय के संगम पर ह। एक ओर जीव व ानी मानव-दे ह,
और वशेष प से म त क और इंसानी ज बात के रह य को सुलझा रहे ह। और इसी
के साथ-साथ क यूटर- व ानी हम डेटा- ॉसे सग क अपूव मता दान कर रहे ह।
जस व त जैव ौ ो गक ा त का सूचना ौ ो गक ा त के साथ वलय हो जाएगा,
तो यह उन बग डेटा ऐ ग रदम को पैदा करेगा, जो मेरे ज बात पर मुझसे बेहतर ढं ग से
नगरानी रख सकगे और मुझसे बेहतर ढं ग से उनको समझ सकगे, और तब भु व मनु य
के हाथ से नकलकर क यूटर के हाथ म आ जाएगा। मेरा सामना जैसे-जैसे त दन
ऐसी सं था , ावसा यक त ान और सरकार क त न ध सं था के साथ होगा,
जो उस े को समझने और प रचा लत करने लगगी, जो अब तक सर क प ँच से परे
मेरा आ त रक े आ करता था, वैसे ही वत इ छा के मेरे म के टू टने क पूरी
स भावना है।
इस बात को सं ेप म रखने के लए हम नीचे अं कत सू का इ तेमाल कर सकते ह :
b*c*d = ahh !

बायोलॉ जकल नॉलेज (जीववै ा नक ान) गु णत क यू टग पॉवर (संगणन मता)


गु णत डेटा बराबर ए ब लट टु हैक म स (मनु य म घुसपैठ कर उनके अ दर क
जानका रय को चुरा लेने क मता)। च क सा- व ान के े म यह सू कस तरह
काम करता है, इसे हम पहले ही दे ख सकते ह। हमारे जीवन के च क सा-स ब धी सबसे
मह वपूण फ़ैसले बीमार होने या व थ होने के हमारे अहसास पर, या हमारे डॉ टर के
बु म ापूण पूवानुमान तक पर नभर नह करते, ब क उन क यूटर के आकलन पर
नभर करते ह, जो हमारे शरीर को हम से बेहतर ढं ग से समझते ह। कुछ ही दशक के
भीतर, बायोमै क डेटा के नर तर वाह से अ लम द बग डेटा ऐ ग रदम हमारे वा य
क चौबीस घ टे नगरानी कर सकगे। वे इ लुए ज़ा, कसर या अ ज़ाइमर बीमा रय का
उनक एकदम शु आत म ही पता लगा लगे, उसके ब त पहले क हम ख़ुद को लेकर
कोई गड़बड़ी महसूस हो। इसके बाद वे हमारी व श शारी रक बनावट, डीएनए और
व क ज़ रत के अनु प ढली एकदम सट क च क सा , आहार और रोज़मरा
के परहेज़ का परामश दे सकगे।
लोग इ तहास क े तम च क सा-सेवा का लाभ उठाएँगे, ले कन ठ क इसी वज़ह से
उनम स भवतः पूरे समय बीमार होने का बोध भी बना रहेगा। शरीर म हर समय कह -न-
कह कोई-न-कोई गड़बड़ी होती ही है। अतीत म, जब तक आपको कह कोई दद महसूस
नह होता था या आप लँगड़ाने जैसी कसी प शारी रक अ मता के शकार नह होते
थे, तब तक आप पूरी तरह त त महसूस करते थे, ले कन 2050 के आते-आते,
मुम कन है क बायोमै क ससर और बग डेटा ऐ ग रदम क मेहरबानी से, इससे ब त
पहले क बीमा रयाँ कसी तरह के दद या अपंगता का कारण बन, उनका पता लगा लया
जाए और इलाज कर दया जाए। इसके प रणाम व प, आप हर व त ख़ुद को कसी
‘ च क सक य प र थ त’ का शकार पाएँगे और इस या उस ऐ ग रदमीय परामश का
अनुसरण कर रहे ह गे। अगर आप ऐसा नह करगे, तो शायद आपके च क सा-बीमा क
वैधता समा त हो जाए, या आपका बॉस आपको नौकरी से नकाल दे । आ ख़र उनको
आपक ज़द क क़ मत य चुकानी चा हए?
यह एक बात है क आप, उन सामा य आँकड़ के बावजूद जो धू पान को फफड़ के
कसर से जोड़ते ह, धू पान जारी रख, ले कन यह ब त अलग बात है क आप एक
बायोमै क ससर ारा द गई ठोस चेतावनी के बावजूद धू पान जारी रख, जसने अभी-
अभी आपके बाएँ फेफड़े के ऊपरी ह से म स ह कसरीय को शका का पता लगाया
है। और अगर आप इस ससर क चेतावनी को अनसुना करना चाहते ह, तो तब आप या
करगे, जब यह ससर इस चेतावनी को आपक बीमा एजसी, आपके मैनेजर और आपक
माँ तक प ँचा दे गा?
इन तमाम बीमा रय से नपटने के लए व त और ऊजा कसके पास होगी? पूरी
स भावना है क हम अपने वा य ऐ ग रदम को नदश दे द क वही अपने उपयु ढं ग
से इन सारी सम या से नपटे । यादा-से- यादा वह समय-समय पर हमारे माटफ़ोन
पर ताज़ा थ त क जानकारी भेजते ए हम यह बताता रहे क ‘स ह कसरीय
को शका का पता लगाया गया और उनको न कर दया गया’। हो सकता है क रोग
क आशंका से पी ड़त रहने वाले लोग इन ताज़ा जानका रय को पढ़, ले कन हमम से
यादातर लोग इनक तरफ़ उसी तरह यान न द, जस तरह हम अपने क यूटर के झ ला
दे ने वाली एंट -वायरस चेताव नय पर यान नह दे ते।

नणय- या का नाटक
जस चीज़ क शु आत च क सा- व ान के े म पहले ही हो रही है, वही अ य े म
होने क स भावना है। सबसे मुख आ व कार है बायोमै क ससर, जसको लोग अपने
शरीर पर या उसके अ दर लगा सकते ह, और जो जै वक या को उस इले ॉ नक
सूचना म बदल दे ता है, जसका सं ह और व ेषण क यूटर कर सकता है। समु चत
बायोमै क डेटा और समु चत संगणन मता के चलते बाहरी डेटा- ॉसे सग- णा लयाँ
आपक सारी आकां ा , नणय और धारणा म घुसपैठ कर सकती ह। वे ठ क-ठ क
यह पता लगा सकती ह क आप कौन ह।
यादातर लोग वयं को ब त अ छ तरह से नह जानते। जब म इ क स साल का
था, तब कई साल तक अपने समल गक होने के त य से इंकार करने के बाद अ ततः मुझे
समझ म आया क म एक समल गक ँ। यह कोई अपवाद नह है। ब त-से समल गक
पु ष अपनी यौनपरक थ त के बारे म अ न त बने रहते ए अपनी सारी कशोराव था
बता दे ते ह। अब ज़रा 2050 क थ त क क पना कर, जब एक ऐ ग रदम कसी भी
कशोर को ठ क-ठ क यह बता सकेगा क समल गक/ वषमल गक प र य म वह कहाँ
पर है (और यहाँ तक क वह थ त कस तरह लचीली है)। हो सकता है क वह
ऐ ग रदम आपको आकषक पु ष और य क तसवीर या वी डयो दखाए, आपक
आँख क भं गमा , र चाप और म त क क ग त व ध का पीछा करे, और पाँच
म नट के भीतर क से केल ( क से केल को वषमल गक-समल गक रे टग केल भी
कहा जाता है। इसका इ तेमाल कसी क यौन- वृ क जाँच करने के लए कया
जाता है। यह जाँच एक न त समय म उस के अनुभव और त या पर
आधा रत होती है।) पर एक न बर द शत कर दे । इसने मुझे कु ठा के कई वष से बचा
लया होता। हो सकता है आप गत तौर पर इस तरह क जाँच न कराना चाहते ह ,
ले कन तब हो सकता है क आप ख़ुद को मशेल क उबाऊ बथडे पाट म शा मल दो त
के समूह म पाएँ, और कोई सलाह दे क आप सब एक-के-बाद एक इस नए तट थ
ऐ ग रदम पर ख़ुद को जाँच (जहाँ हर कोई आपके इद- गद प रणाम दे खने- और उन पर
ट पणी करने खड़ा होगा)। या आप वहाँ से चुपचाप चलते बनगे?
अगर आप ऐसा करते भी ह, और आप ख़ुद से तथा अपने दो त से इस बात को
छपाए रखते ह, तब भी आप अमेज़ॉन, अलीबाबा और ख़ु फ़या पु लस क नगाह से बचे
रहने म कामयाब नह ह गे। आप जैसे ही वेब को सफ़ करगे, यू ूब दे खगे या सोशल
मी डया पर आए स दे श को पढ़गे, ये ऐ ग रदम चुपचाप आप पर नगाह रखगे, आपका
व ेषण करगे, और कोका-कोला से कहगे क अगर वह आपको कोई फे नल पेय बेचना
चाहता है, तो बेहतर होगा क वह आपको बना कमीज़ वाली लड़क क जगह बना
कमीज़ वाले लड़के वाला व ापन दखाए। आपको पता भी नह चलेगा, ले कन उनको
मालूम होगा, और यह जानकारी अरब डॉलर मू य क होगी।
ले कन फर, हो सकता है सब कुछ खुले म आ जाए, और लोग बेहतर परामश हा सल
करने के लए - और अ ततः अपने बारे म ऐ ग रदम को फ़ैसला लेने दे ने के लए - ख़ुशी-
ख़ुशी अपनी जानकारी आपस म साझा करने लग। इसक शु आत साधारण चीज़ के
साथ होती है, जैसे क यह फ़ैसला लेने के साथ क कौन-सी फ़ म दे खी जाए। आप जैसे
ही एक आरामदायक शाम बताने अपने दो त के साथ ट वी के सामने बैठते ह, आपको
सबसे पहले यह चयन करना होता है क या दे खा जाए। पचास साल पहले आपके पास
ऐसा चयन उपल ध नह था, ले कन आज - माँग-पर-दे खो ( ू-ऑन- डमांड) सेवा के
चलते - फ़ म आ द के हज़ार शीषक उपल ध ह। एक राय क़ायम करना ख़ासा मु कल
हो सकता है, य क जहाँ आपको गत प से साइंस- फ़ शन लर पस द ह, वह
जै स को रोमानी कॉमे डयाँ अ छ लगती ह, और जल कला मक ांसीसी फ़ म के
प म है। नतीजतन, हो सकता है क आप कसी औसत दज क बी- ेणी क फ़ म
दे खने पर राज़ी हो जाएँ, जो आप सबको नराश करने वाली नकले।
ऐ ग रदम इसम आपक मदद कर सकता है। आप कह सकते ह क पछली कौन-सी
फ़ म आप सबको पस द आई थी, और तब यह ऐ ग रदम अपने वराट सां यक य
डेटाबेस के आधार पर आपक म डली क च क एकदम सही फ़ म ढूँ ढ नकाले।
बद क़ मती से, इस तरह के एक अप र कृत ऐ ग रदम को आसानी के साथ गुमराह कया
जा सकता है, ख़ासतौर से इस लए क ख़ुद द गई सूचना लोग क स ची ाथ मकता
के स दभ म एक कु यात प से अ व सनीय पैमाना होती है। अ सर ऐसा होता है क
ढे र लोग कसी फ़ म क तारीफ़ करते ए उसको आला दज़ क फ़ म बताते ह, और
इस तारीफ़ को सुनकर हम उस फ़ म को दे खने को मजबूर हो जाते ह, और भले ही हम
आधी फ़ म के दौरान सो जाएँ, ले कन चूँ क हम अ श त नह दखना चाहते, इस लए
हम हर कसी से यही कहते ह क उस फ़ म को दे खना एक अ त अनुभव रहा।
ले कन इस तरह क सम याएँ सुलझाई जा सकती ह, बशत क हम अपनी वयं द
गई स दे हा पद जानकारी पर भरोसा करने क बजाय ऐ ग रदम को गुंजाइश द क जब
भी हम सचमुच फ़ म दे ख रहे ह , तब वह हमारे बारे म रयल-टाइम डेटा एक करे।
पहले क़दम के तौर पर, यह ऐ ग रदम इस चीज़ पर नगाह रख सकता है क हमने कौन-
सी फ़ म पूरी दे ख , और कौन-सी आधी दे खकर छोड़ द । अगर हम सारी नया से
कहते फर क गॉन वद द वड अब तक क सव े फ़ म है, तब भी ऐ ग रदम को यह
बात मालूम होगी क हमने इसे पहले आधे घ टे से आगे कभी नह दे खा, और हमने
अटलांटा ब नग तो कभी दे खी ही नह ।
ले कन ऐ ग रदम इससे भी यादा गहराई म जा सकता है। इंजी नयर इस व त एक
ऐसा सॉ टवेयर तैयार करने म लगे ह, जो हमारी आँख और चेहरे क मांसपे शय क
हरक़त के आधार पर हमारी भावना को पकड़ सकगे। टे ली वज़न के साथ एक अ छा
कैमरा जो ड़ए, और इस तरह का सॉ टवेयर यह जान जाएगा क कस य ने हम
हँसाया, कसने हम उदास कया, और कस य ने हम उबाया। इसके बाद, ऐ ग रदम को
बायोमै क ससर के साथ जो ड़ए, और ऐ ग रदम यह जान जाएगा क कस तरह हर
य ने हमारे दल क धड़कन , हमारे र चाप, और हमारे म त क क ग त व धय पर
भाव डाला। मान ली जए क हम टे र टनो क प प फ़ शन दे खते ह, तो यह ऐ ग रदम
इस बात को दे ख लेगा क बला कार के य ने हमारे भीतर कामो ेजना क एक ऐसी
सनसनी पैदा कर द थी, जसका लगभग हम ख़ुद पता नह चला, इसके बाद जब व सट
अनजाने म मा वन के चेहरे पर गोली मार दे ता है, तो यह घटना हम अपराध-बोध के साथ
हँसा दे ती है, और यह क हम हालाँ क बग का ना बगर के बारे म मज़ाक़ को समझ नह
पाते, तब भी हम हँस दे ते ह, ता क हम बेवकूफ़ न समझ लए जाएँ। जब आप ख़ुद को
जबरन हँसाते ह, तो आप जन म त क-स कट और मांसपे शय का इ तेमाल करते ह, वे
उससे भ होते ह, जनका इ तेमाल आप सचमुच क कसी हा या पद बात पर हँसने के
लए करते ह। इंसान इस फ़क़ को आम तौर से पकड़ नह पाते, ले कन एक बायोमै क
ससर पकड़ सकता है।
Television श द दो श द से मलकर बना है - ीक भाषा के ‘tele ’, जसका
मतलब है ‘ र’, और लै टन के ‘visio ’ जसका मतलब है दशन। इसको मूलतः एक ऐसे
उपकरण के प म दे खा गया था, जो हम ब त र से दे खने क गुंजाइश दे ता है, ले कन
ब त ज द ही यह हम र से दे खे जाने क गुंजाइश दे सकता है। जैसा क जॉज ऑरवेल
ने नाइनट न ऐट -फ़ोर म क पना क थी, जस व त हम टे ली वज़न दे ख रहे ह गे, उसी
व त टे ली वज़न हम दे ख रहा होगा। जब हम टे र टनो क सारी फ़ म दे ख चुके ह गे, तो
हम उनम से यादातर को भूल चुके ह गे, ले कन नैट ल स, या अमेज़ॉन, या जस कसी
के भी पास ट वी ऐ ग रदम होगा, उसको हमारे व- प और इस बात क भी
जानकारी होगी क हमारे ज बाती बटन को कस तरह दबाया जाए। इस तरह के डेटा
नैट ल स और अमेज़ॉन को रह यमय अचूकता के साथ हमारे लए फ़ म का चयन
करने म स म बनाएँगे, ले कन ये उनको हमारी ज़ दगी के बारे म सबसे मह वपूण फ़ैसले
- जैसे क या पढ़ाई कर, कहाँ काम कर, और कससे शाद कर जैसे फ़ैसले - लेने म भी
स म बना सकते ह।
बेशक, अमेज़ान सारे समय सही नह होगा। यह अस भव है। अपया त डेटा, दोषपूण
ो ा मग, ल य क ामक प रभाषा और जीवन क अराजक कृ त के चलते
ऐ ग रदम बार-बार ग़ल तयाँ करगे। ले कन अमेज़ॉन को अचूक होने क ज़ रत नह
होगी। उसको सफ़ हम इंसान क तुलना म औसतन बेहतर होने भर क ज़ रत होगी।
और ये उतना मु कल नह है, य क यादातर लोग ख़ुद को ब त ठ क-से नह समझते,
और यादातर लोग अपनी ज़ दगी के सबसे अहम फ़ैसले लेने के मामले म भयावह
ग़ल तयाँ करते ह। यहाँ तक क ऐ ग रदम से कह यादा इंसान अपया त डेटा, दोषपूण
ो ा मग (जने टक और सां कृ तक, दोन ही तरह क ), ामक प रभाषा , और जीवन
क अराजकता के शकार होते ह।
आप शायद ऐसी ब त-सी सम या क फ़ेह र त तैयार कर सकते ह, जो
ऐ ग रदम को घेरे रहती ह, और यह नतीजा नकाल सकते ह क लोग उन पर कभी
भरोसा नह करगे, ले कन यह लोकत क सारी ु टय क फ़ेह र त तैयार करके यह
नतीजा नकालने जैसा होगा क कोई भी दमाग़ी तौर पर त इस तरह क
णाली को कभी नह चुनेगा। व सट च चल का यह कथन स है क लोकत , बाक़
सरी राजनी तक णा लय के अलावा, नया क सबसे बदतर राजनी तक णाली है।
सही हो या ग़लत, लोग बग डेटा ऐ ग रदम के बारे म भी ऐसा ही नतीजा नकाल सकते
ह : उनम ढे र अड़चन ह, ले कन हमारे पास कोई बेहतर वक प भी नह ह।
जैसे-जैसे वै ा नक हम मनु य के नणय लेने के ढं ग क गहरी समझ हा सल करते
जाएँगे, वैसे-वैसे ऐ ग रदम पर भरोसा करने का लोभ बढ़ते जाने क स भावना है। मनु य
क नणय- या म घुसपैठ बग डेटा ऐ ग रदम को अ धक भरोसे के यो य ही नह
बनाएगी, ब क वह इसी के साथ-साथ मनु य के ज बात को कम व सनीय भी बना
दे गी। जैसे-जैसे सरकार और ापा रक त ान इंसानी काय- णाली ( मन ऑपरे टग
स टम) म घुसपैठ करने म कामयाब होते जाएँगे, वैसे-वैसे सट कता से नद शत
चालबा ज़य , व ापन और चारपरक हथक ड क झड़ी हम चार ओर से घेरती
जाएगी। हमारे वचार और भावना के साथ छल करना इतना आसान हो सकता है क
हम ऐ ग रदम पर उसी तरह भरोसा करने को मजबूर ह गे, जस तरह च कर के दौरे के
शकार पायलट को अपनी ख़ुद क इ य क बात को नज़रअ दाज़ करना और अपना
सारा भरोसा कल-पुज़ा पर के त करना अ नवाय हो जाता है।
कुछ मु क और कुछ प र थ तय म यह भी मुम कन है क लोग को कोई वक प
ही न दए जाएँ, और वे बग डेटा ऐ ग रदम के फ़ैसल को मानने को बा य ह , ले कन
क थत प से मु समाज म भी, ऐ ग रदम भु व हा सल कर सकते ह, य क हम
अपने अनुभव के आधार पर उन पर यादा-से- यादा मु पर भरोसा करना सीखते
जाएँगे, और धीरे-धीरे अपने फ़ैसले वयं लेने क क़ा ब लयत खोते जाएँगे। ज़रा सो चए
क कस तरह मा दो दशक के भीतर अरब लोग ने गूगल सच ऐ ग रदम को एक
सबसे मह वपूण काम क ज़ मेदारी स प द : ासं गक और व सनीय जानकारी क
खोज क ज़ मेदारी। अब हम जानकारी नह खोजते। इसक बजाय, हम गूगल करते ह।
और जैसे-जैसे जवाब के लए गूगल पर हमारा भरोसा बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे वयं
जानकारी तलाशने क हमारी क़ा ब लयत ख़ म होती जाती है। आज पहले ही यह थ त
बन चुक है क ‘स य’ गूगल सच के शीष थ प रणाम से प रभा शत होने लगा है।
यह शारी रक मता के साथ भी होने लगा है, जैसे क रा ता ढूँ ढने के मामले म।
लोग गूगल से आ ह करते ह क वह उनको रा ता दखाए। जब वे कसी चौराहे पर
प ँचते ह, तो उनका मन उनसे ‘बाएँ मुड़ने’ को कह सकता है, ले कन गूगल मै स कहता
है ‘दाएँ मु ड़ए’। पहले वे अपने मन क बात ही सुनते ह, बाएँ मुड़ते ह, ै फ़क जाम म
फँस जाते ह, और एक मह वपूण बैठक म नह प ँच पाते। अगली बार वे गूगल क सुनते
ह, दाएँ मुड़ते ह, और व त पर अपने ग त पर प ँच जाते ह। वे अपने इस अनुभव से
गूगल पर भरोसा करना सीखते ह। एक या दो साल के भीतर गूगल मै स उनसे जो कुछ भी
कहता है, उस पर वे आँख ब द कर भरोसा करने लगते ह, और अगर उनका माटफ़ोन
काम नह करता, तो उनको कुछ नह सूझता।
माच 2012 म ऑ े लया म तीन जापानी पयटक ने समु -तट से र एक छोटे -से
प पर एक दन क सैर करने का नणय लया, और अपनी कार सीधे शा त महासागर
म घुसा द । यूजु नोडा नामक इ क स साल क ाइवर ने बाद म बताया क उसने तो
सफ़ जीपीएस (गूगल पोजीश नग स टम) के नदश का पालन कया था और “उसने
हमसे कहा था क हम वहाँ ाइव कर सकते ह। वह हमसे कहता रहा क वह हम एक
सड़क पर ले जाएगा। हम फँस गए।” इसी तरह क कई घटनाएँ ई ह, जनम लोग ने
प तौर पर जीपीएस के नदश का पालन करते ए कसी तालाब म कार घुसा द , या
कसी टू टे पुल से नीचे जा गरे। रा ता ढूँ ढने क क़ा ब लयत एक मांसपेशी क तरह है -
उसका इ तेमाल क रये या उसे खो द जए। यही बात जीवन-सा थय या वसाय के
चयन पर भी लागू होती है।
हर साल लाख नौजवान को यह नणय लेने क ज़ रत पड़ती है क वे
व व ालय म जाकर या पढ़। यह ब त अहम और ब त मु कल सवाल होता है।
आपके ऊपर आपके अ भभावक , आपके दो त और आपके अ यापक का दबाव होता
है। आपक अपनी जानी-मानी आशंकाएँ और दवा व भी होते ह, जनसे आपको
नपटना होता है। आपका ववेक हॉलीवुड क लोक य फ़ म , घ टया उप यास , और
व ापन क प र कृत मु हम से मत होता है। कोई अ लम द फ़ैसला लेना, ख़ासतौर से
इस लए भी मु कल होता है, य क आपको वाक़ई पता नह होता क व भ वसाय
म कामयाबी क या कुं जयाँ होती ह, और ज़ री नह क आपके पास आपक अपनी
मता और कमज़ो रय क कोई वा त वक तसवीर हो। एक वक ल के प म
कामयाब होने के लए कस तरह क द ता ज़ री है? म दबाव क प र थ त म कस
तरह काम कर सकता ँ? या म एक अ छा ट म-वकर ँ?
एक छा ा क़ानून क पढ़ाई शु कर सकती है, य क उसके पास उसक अपनी
द ता क एक ग़लत तसवीर, और इस बात को लेकर उससे भी यादा वकृत
कोण है क वक ल होने के वा त वक न हताथ या ह (आपको सारे दन सफ़
नाटक य दलील दे ते ए ‘ऑ जे शन, यॉर ऑनर!’ ही नह च लाते रहना होता)। इस
बीच, उसक सहेली अपने बचपन का एक वाब पूरा करने क को शश करती ई पेशेवर
बैले नृ य का अ ययन करने का फ़ैसला करती है, बावजूद इसके क उसके पास इसके
लए आव यक ह य क बनावट या अनुशासन का अभाव होता है। वष बाद, दोन को
अपने इन फ़ैसला को लेकर गहरा पछतावा होता है। भ व य म हम अपने बारे म ऐसे
फ़ैसल के लए गूगल पर नभर कर सकते ह। गूगल मुझे बता सकता है क लॉ कूल म,
या बैले कूल म म अपना व त बबाद कर रही होऊँगी - ले कन म एक कमाल क (और
ब त सुखी) मनोवै ा नक या ल बर बन सकती ँ।
जैसे ही एआई हमारे वसाय और स भवतः हमारे र त के स दभ म हमसे बेहतर
नणय लेने लगेगा, मानवता और जीवन क हमारी अवधारणा को बदलना ज़ री हो
जाएगा। मनु य जीवन को नणय- या के नाटक के प म दे खते रहे ह। उदार
लोकत और मु बाज़ार पूँजीवाद को नया के बारे म नर तर वक प का
चयन करते एक वाय कारक के प म दे खते ह। कलाकृ तयाँ - वे चाहे शे स पयर के
नाटक ह , जेन ऑ ट न के उप यास ह , या हॉलीवुड क स ती कॉमे डयाँ ह - आमतौर
पर एक ऐसे मु य करदार के इद- गद च कर लगाती ह जसे कोई अहम फ़ैसला लेना
होता है। जऊँ या म ँ ? अपनी बीवी क बात सुनूँ और कग डंकन का क़ ल कर ँ , या
अपने अ तःकरण क आवाज़ सुनूँ और उसको ब श ँ ? म टर कॉ लन से शाद क ँ या
म टर डेस से? ईसाई और मु लम धमशा भी इसी तरह नणय- या के नाटक पर
यान के त करते ए यह तक दे ते ह क शा त मु या नक उ चत वक प का चयन
करने पर नभर करते ह।
इस जीवन- का उस व त या ह होगा, जब हम अपने नणय को लेकर
उ रो र एआई पर नभर होते चले जाएँगे? फ़लहाल हम फ़ म क सफ़ा रश के लए
नैट ल स, दाएँ या बाएँ मुड़ने के चयन के लए गूगल मै स पर भरोसा करते ह, ले कन
जैसे ही हम एआई पर इस तरह के फ़ैसल के लए नभर करने लगगे क या पढ़ाई कर,
कहाँ काम कर, और कससे शाद कर, वैसे ही मानव-जीवन नणय- या का नाटक
नह रह जाएगा। लोकता क चुनाव और मु बाज़ार का कोई ख़ास अथ नह रह
जाएगा। यही हाल यादातर मज़हब और कलाकृ तय का होगा। ज़रा उस अ ा कैरे नना
क क पना क जए, जो अपना माटफ़ोन नकालकर फ़ेसबुक ऐ ग रदम से यह पूछ रही
होगी क उसको कैरे नन से शाद करनी चा हए या जोशीले काउंट ो क के साथ भाग
जाना चा हए। या शे स पयर ारा लखे गए आपके य नाटक क क पना क जए,
जसम सारे अहम फ़ैसले गूगल ऐ ग रदम ारा लए जा रहे ह । हैमलेट और मैकबेथ के
जीवन कह यादा आरामदे ह ह गे, ले कन ये जीवन कस तरह के ह गे? या हमारे पास
इस तरह के जीवन के अथ को समझने के कोई मॉडल ह?
जैसे ही भु व मनु य के हाथ से फ़सलकर ऐ ग रदम के हाथ म आ जाएगा, वैसे
ही हम नया को सही वक प को चुनने का संघष करते वाय य के ड़ा- थल
के प म नह दे ख पाएँगे। इसक बजाय हम समूची सृ को डेटा के वाह के प म
समझने लग सकते ह, जीव को जैवरासाय नक ऐ ग रदम से थोड़े-से बेहतर प म
दे खने लग सकते ह, और यह व ास करने लग सकते ह क मनु यता का ा डीय
उ म एक सव ापी डेटा- ॉसे सग णाली को रचना और उसम वलीन हो जाना है।
पहले से ही आज हम एक ऐसी भीमकाय डेटा- ॉसे सग णाली के भीतर क एक छोट -
सी चप बनते जा रहे ह, जसको वा तव म कोई नह समझता। सारे दन म ई-मेल ,
ट् वीट और लेख के माफ़त अ तहीन डेटा बट हण करता ँ, डेटा ॉसेस करता ँ, तथा
और भी ई-मेल , ट् वीट तथा लेख क माफ़त नए बट े शत करता ँ। म सचमुच नह
जानता क सृ क इस महान योजना म मेरी सही जगह कहाँ पर है, और डेटा के मेरे बट
अरब सरे मनु य और क यूटर ारा उ प कए जा रहे बट् स से कस तरह र ता
बनाते ह। यह सब पता लगाने का समय मेरे पास नह है, य क म इन सारे ई-मेल का
जवाब दे ने म ही ब त त ँ।
दाश नक कार
लोग आप उठा सकते ह क ऐ ग रदम हमारे मह वपूण नणय कभी नह ले सकते,
य क मह वपूण नणय म आमतौर पर एक नै तक आयाम शा मल होता है, और
ऐ ग रदम नै तक क समझ नह रखते, ले कन ऐसा मानकर चलने क कोई वज़ह नह है
क ऐ ग रदम नै तक के े म भी मनु य को मात दे ने म स म नह हो पाएँगे। आज
पहले ही यह थ त है क जब माटफ़ोन और वचा लत वाहन जैसे उपकरण उन नणय
को अपने हाथ म लेते ह, जन पर मनु य का एका धकार आ करता था, तो वे उसी तरह
क नै तक सम या का सामना करते ह, जो मनु य को हज़ार साल से सताती रही ह।
उदाहरण के लए, मान ली जए क एक गद का पीछा करते दो ब चे एक वचा लत
कार के सामने कूद पड़ते ह। इस कार को ाइव कर रहा ऐ ग रदम बजली क र तार के
साथ कए जाते अपने आकलन के आधार पर यह न कष नकालता है क इन दो ब च
को ट कर मारने से बचने का एकमा तरीक़ा वपरीत लेन म मुड़ जाना, और सामने से
आते क से टकरा जाना है। ऐ ग रदम आकलन करता है क ऐसे मामल म इस तरह क
70 % स भावना होती है क पछली सीट पर गहरी न द म सोया कार का मा लक मारा
जाए। तब ऐ ग रदम को या करना चाहए?
दाश नक इस तरह क नै तक वधा से स ब धत सम या (‘ ॉली ॉ ल स’)
के बारे म हज़ार साल से बहस करते आ रहे ह (इनको ‘ ाली ॉ ल स’ इस लए कहा
जाता है, य क आधु नक दाश नक बहस म पा पु तक य उदाहरण कसी वचा लत
कार क बजाय रेल क पटरी के समाना तर भागती एक ॉली कार का उदाहरण दया
जाता है)। अब तक इन तक का वा त वक आचरण पर शमनाक ढं ग से ब त कम भाव
पड़ा है, य क संकट क घ ड़य म मनु य यादातर अपने दाश नक कोण को भूल
जाते ह और अपने ज बात और सहज वृ य के मुता बक़ आचरण करते ह।
सामा जक व ान के े म इ तहास का सबसे भयानक योग दस बर 1970 म
टन थयोलॉ जकल से मनरी (य द पुरो हत क पाठशाला) के छा के समूह पर
कया गया था, जनको ेसबाइटे रयन चच के पादरी बनने का श ण दया जा रहा था।
येक छा से ज द से र थत एक ा यान-क म जाकर भले समे रटन क उस
नी तकथा पर एक ा यान दे ने को कहा गया, जसम बताया गया है क कस तरह
य शलम से जे रको के सफ़र पर जाते ए एक य द को अपरा धय ारा लूटा और पीटा
गया था, और इसके बाद उसको सड़क कनारे मरने के लए छोड़ दया गया था।
इस घटना के कुछ दे र बाद एक य द पुरो हत और उसका एक सहयोगी (लीवाइट)
वहाँ से गुज़रे, ले कन दोन ने ही उस आदमी क ओर कोई यान नह दया। इसके
वपरीत, जब एक समे रटन - उस प थ का एक सद य, जससे य द ब त घृणा करते ह
- वहाँ से गुज़रा, तो वह इस असहाय आदमी को दे खकर क गया, उसने उसक सेवा क
और उसक जान बचाई। इस नी त-कथा का स दे श यह है क लोग क अ छाई का
आकलन इस आधार पर नह कया जाना चा हए क वे कस मज़हब से जुड़े ह, ब क
उनके वा त वक आचरण के आधार पर कया जाना चा हए।
से मनरी के वे नौजवान छा भले समे रटन क इस नी त-कथा म न हत नै तक
स दे श क ा या के सबसे अ छे ढं ग पर रा तेभर वचार करते ए उस ा यान-क
क ओर भागे जा रहे थे, ले कन योग करने वाल ने उनक राह म चथड़े पहने एक
आदमी को जानबूझकर छोड़ दया, जो एक दरवाज़े पर क धे झुकाए, सर नीचा कए
और आँख ब द कए बैठा था। जैसे ही इस चाल से अनजान से मनरी का हरेक छा उसके
पास से तेज़ी-से गुज़रता, वह ‘असहाय’ दयनीय ढं ग से खाँसने और कराहने लगता।
यादातर छा तो उस आदमी क मदद करना तो र, उससे यह पूछने के लए के तक
नह क उसको या तकलीफ़ थी। ा यान-क क ओर भागने क हड़बड़ी ने उन छा
म जो भावना मक तनाव पैदा कर दया था, वह तनाव असहाय अजन बय क मदद करने
क उनक ज़ मेदारी पर भारी पड़ा।
ऐसी असं य प र थ तय म मानवीय भावनाएँ दाश नक स ा त पर भारी पड़ती
ह। यह चीज़ नया के नै तक और दाश नक इ तहास को अवसाद से भर दे ने वाला एक
ऐसा क़ सा बना दे ती है, जो अ त आदश और यूनतम आदश आचरण से यु है।
कतने ईसाई ह, जो सचमुच अपना सरा गाल आगे कर दे ते ह, बौ धम के कतने ऐसे
अनुयायी ह, जो अपनी अहंकारी मान सकता से सचमुच ऊपर उठ पाते ह, और कतने
ऐसे य द ह, जो अपने पड़ो सय को सचमुच उतना ही यार करते है, जतना वे ख़ुद को
करते ह? ाकृ तक वरण (नेचुरल सले शन) ने होमो से पय स को इसी तरह ढाला है।
तमाम तनधा रय क ही तरह होमो से पय स भी जीवन और मृ यु के बारे म फुत -से
फ़ैसले लेने के लए भावना का इ तेमाल करते ह। अपने ोध, अपने भय और अपनी
वासना को हमने अपने उन लाख पूवज से वरासत म पाया है, जन सबने ाकृ तक
वरण क गुणव ा- नय ण क क ठनतम परी ा को पास कया है।
बद क़ मती से, जो चीज़ दस लाख साल पहले अ क घास के मैदान म जी वत बने
रहने और जनन करते रहने के लए सही आ करती थी, वह ज़ री नह क इ क सव
सद के मोटरमाग पर ज़ मेदार आचरण के लए सही हो। असावधान, नाराज़ और बेचैन
इंसानी ाइवर यातायात घटना म हर साल दस लाख से यादा लोग को मार डालते
ह। हम इन ाइवर को नै तकता का उपदे श दे ने के लए अपने सारे दाश नक , पैग़ बर
और पुरो हत को भेज सकते ह, ले कन सड़क पर तब भी तनपायी भावनाएँ (मेमे लयन
इमोश स) और घास के मैदान क सहज वृ याँ आगे नकल जाती ह। नतीजतन,
इसी लए हड़बड़ी म भागते से मनरी के छा पी ड़त लोग क उपे ा करते रहगे, और
ाइवर असहाय पैदल को कुचलते ए नकल जाएँगे।
से मनरी और सड़क के बीच का अलगाव नी तशा क सबसे बड़ी सम या म से
एक है। इमानुएल कांट, जॉन टु अट मल और जॉन रॉ स कसी व व ालय के
आरामदायक क म बैठकर कई दन तक नै तक क सै ा तक सम या पर चचा
कर सकते ह, ले कन या उनक इन चचा के न कष को णक आक मकता म
फँसे तनाव त ाइवर ारा या वत कया जाएगा? शायद माइकल शूमाकर (फ़ामूला
वन चै पयन, जनको इ तहास का े तम ाइवर माना जाता है) म कार को दौड़ाते व त
दशनशा के बारे म सोचने क क़ा ब लयत रही हो, ले कन हम म से यादातर लोग
शूमाकर नह ह।
ले कन क यूटर ऐ ग रदम को ाकृ तक वरण के हाथ नह गढ़ा गया है, और उनम
न तो ज बात होते ह, न ही सहज वृ याँ होती ह। इस लए संकट क घ ड़य म वे
नै तक दशा- नदश का पालन मनु य से बेहतर ढं ग से कर सकते ह, बशत क हम ऐसा
कोई तरीक़ा ढूँ ढ ल, जसक मदद से नै तक को सट क सं या और सां यक के
संकेत म कूटब कया जा सके। अगर हम कांट, मल और रॉ स से ये कूट लखने को
कह, तो वे अपनी आरामदे ह योगशाला म सावधानी के साथ वचा लत कार को
ो ाम कर सकते ह, और इस बारे म न त हो सकते ह क वह कार हाइवे पर उनके
नदश का पालन करेगी। जसका मतलब ावहा रक अथ म यह होगा क हर कार
संयु प से माइकल शूमाकर और इमानुएल कांट ारा चलाई जा रही होगी।
इस तरह अगर आप एक वचा लत कार को इस तरह के नदश से लैस कर सक क
वह क कर पी ड़त अजन बय क मदद करे, तो वह कसी भी तरह क मु कल के
बावजूद ऐसा करेगी (बेशक, तभी जब आपने उसम मु कल प र थ तय के लए अपवाद
क कोई शत न डाली हो)। इसी तरह, अगर आपक वचा लत कार रा ते के दो ब च को
बचाने के लए वपरीत लेन म मुड़ने के नदश से लैस है, तो आप प के तौर पर कह
सकते ह क वह वैसा ही करेगी। जसका मतलब है क अपनी वचा लत कार को गढ़ते
समय टोयोटा या टे ला नै तक के दशन क सै ा तक सम या को इंजी नय रग क
ावहा रक सम या म बदल रही ह गी।
मान लया क इस तरह के दाश नक ऐ ग रदम कभी अचूक नह ह गे। चूक तब भी
ह गी, जनके नतीजे ज़ म , मौत और बेहद ज टल क़ म के मुक़दम के प म सामने
आएँगे। (इ तहास म पहली बार, आप कसी दाश नक के स ा त के भा यपूण नतीज
के लए उसक ना लश कर सकगे, य क इ तहास म पहली बार आप दाश नक वचार
और वा त वक जीवन क घटना के बीच कारण-काय स ब ध को सा बत कर पाएँगे।)
ले कन, इंसानी ाइवर क ज़ मेदारी सँभालने के लए ऐ ग रदम को अचूक होना
ज़ री नह होगा। उनको सफ़ इंसान से बेहतर होना भर आव यक होगा। इस त य को
दे खते ए क इंसानी ाइवर हर साल दस लाख से यादा लोग क जान ले लेते ह, यह
कोई मु कल काम नह है। सब कुछ पर वचार करने के बाद, आप अपने आगे क कार
के स दभ म या पस द करगे - या यह क उसे नशे म धु कोई कशोर चला रहा हो, या
यह क उसको शूमाकर-कांट क ट म संचा लत कर रही हो?
यही तक सफ़ ाइ वग पर नह , ब क सरी प र थ तय पर भी लागू होता है।
उदाहरण के लए रोज़गार के आवेदन को ही ले ल। इ क सव सद म, कसी को
नौकरी पर रखने या न रखने का नणय उ रो र ऐ ग रदम ारा लया जाने लगेगा। हम
ासं गक नै तक मानद ड था पत करने के लए मशीन पर भरोसा नह कर सकते - यह
काम करने के लए मनु य क ज़ रत बनी रहेगी, ले कन जैसे ही हम रोज़गार के े म
कोई नै तक मानद ड तय कर लेते ह - जैसे यह क अ ेत या य के त भेदभाव
बरतना ग़लत है - वैसे ही हम इस मानद ड को बेहतर ढं ग से या वत करने के मामले म
इंसान से यादा मशीन पर भरोसा कर सकते ह।
एक इंसानी मैनेजर को यह बात मालूम हो सकती है और वह इस पर सहमत भी हो
सकता है क अ ेत और य के त भेदभाव बरतना अनै तक है, ले कन फर, जब
कोई एक अ ेत ी नौकरी के लए आवेदन करती है, तो वह मैनेजर अवचेतन प से
उसके त भेदभाव बरतता है, और उसको नौकरी पर न रखने का नणय लेता है। अगर
हम एक क यूटर को रोज़गार स ब धी आवेदन का मू यांकन करने क छू ट द, और उस
क यूटर को न ल और लग क पूरी तरह से उपे ा करने के नदश से लैस कर द, तो हम
प के तौर पर मानकर चल सकते ह क क यूटर न य ही इन त य क उपे ा करेगा,
य क क यूटर का कोई अवचेतन नह होता। बेशक, रोज़गार आवेदन का मू यांकन
करने के लए कोड लखना आसान नह होगा, और यह ख़तरा हमेशा बना रहेगा क
इंजी नयर कसी न कसी तरह उस सॉ टवेयर को अपने अवचेतन पूवा ह से लैस कर
दगे। ले कन जैसे ही हम इस चूक का पता चल जाएगा, तो मनु य को उनके न लपरक
और ी े षी पूवा ह से छु टकारा दलाने क बजाय उस सॉ टवेयर क उस चूक को हटा
दे ना यादा आसान होगा।
हमने दे खा क आ ट फ़ शयल इंटे लजस यादातर मनु य को रोज़गार क नया से
बाहर धकेल सकता है, जनम ाइवर और यातायात पु लस शा मल होगी (जब उप वी
मनु य क जगह आ ाकारी ऐ ग रदम ले लगे, तो यातायात पु लस फ़ालतू हो जाएगी),
ले कन, दाश नक के लए रोज़गार के कुछ नए अवसर पैदा हो जाएँगे, य क उनक
द ता क - जो अब तक कसी ख़ास बाज़ार-मू य से वं चत थ - अचानक ब त
यादा माँग होने लगेगी। इस लए अगर आप कसी ऐसे वषय का अ ययन करना चाहते
ह, जो भ व य म अ छे रोज़गार क गारंट दे ता हो, तो दशनशा पर यह दाँव लगाना
यादा बुरा नह होगा।
बेशक, कारवाई क सही दशा को लेकर दाश नक बमु कल ही एकमत होते ह। ऐसी
ब त थोड़ी-सी ‘ ॉली ा ल स’ ह, जनके समाधान से सारे दाश नक स तु ह , और जॉन
टु अट मल जैसे प रणामवाद च तक (जो कसी कृ य के औ च य को उसके प रणाम
के आधार पर परखते ह) इमानुएल कांट जैसे कारणवा दय (जो कृ य को परम मू य के
आधार पर परखते ह) से नता त भ राय रखते ह। या टे ला कसी कार का उ पादन
करने के लए इस तरह के पेचीदा मसल पर वचार करेगी?
ख़ैर, हो सकता है टे ला इसे बाज़ार पर छोड़ दे । टे ला वचा लत कार के दो मॉडल
तैयार करेगी : टे ला परोपकारी (टे ला अ टइ ट) और टे ला आ मोपकारी (टे ला
इगोइ ट)। संकट क प र थ त म टे ला परोपकारी एक महान येय क ख़ा तर अपने
मा लक क ब ल दे दे गी, जब क आ मोपकारी अपने मा लक क र ा म पूरी ताक़त झ क
दे गी, भले ही इसके लए उसे उन दो ब च क जान ही य न लेनी पड़े। इसके बाद ाहक
ख़ुद उस मॉडल को खरीदगे, जो उनके य दाश नक कोण से सबसे अ छ तरह से
मेल खाता होगा। अगर यादा लोग टे ला आ मोपकारी को ख़रीदते ह, तो इसके लए
आप टे ला को दोषी नह ठहरा सकगे। आ ख़रकार ाहक हमेशा सही होता है।
यह मज़ाक़ नह है। 2015 के एक अ गामी अ ययन के तहत लोग के सामने एक
का प नक प र थ त पेश क गई, जसके तहत एक वचा लत कार कई पैदल चलने
वाल को कुचल डालने वाली थी। यादातर लोग का कहना था क इस तरह क
प र थ त म कार को अपने मा लक के मारे जाने क क़ मत पर भी पैदल चलने वाल को
बचाना चा हए। जब उनसे पूछा गया क या वे वयं ऐसी कार ख़रीदना चाहगे, जो एक
महान येय क ख़ा तर अपने मा लक क ब ल दे ने के नदश से लैस हो, तो यादातर
लोग ने इंकार कर दया। अपने लए वे टे ला आ मोपकारी ख़रीदना चाहगे।
ज़रा इस थ त क क पना क जए : आपने एक नई कार ख़रीद है, ले कन कार को
चालू करने से पहले आपको से ट स मे यू म जाकर उसके कई ख़ान म से कसी एक ख़ाने
पर सही का नशान लगाना अ नवाय है। या आप चाहती ह क घटना क दशा म कार
आपक ब ल दे दे , या सरे वाहन म सवार प रवार क जान ले ले? या आप चुनाव करना
भी चाहगी? ज़रा उन बहस के बारे म सो चए जो आपको अपने प त के साथ इस मु े पर
करना पड़गी क कस ख़ाने म सही का नशान लगाया जाए।
तब या मुम कन है क बाज़ार को नय त करने के लए रा य को ह त ेप करना,
और एक ऐसी नै तक सं हता नधा रत करना ज़ री होगा, जो सारी वचा लत कार के
लए ब धनकारी हो? कुछ क़ानून- नमाता न य ही अ ततः ऐसे क़ानून बनाने का अवसर
मलने से रोमां चत ह गे, जनका हमेशा अ रश: पालन कया जाने वाला होगा। सरे
क़ानून- नमाता इस तरह क अपूव और सवस ावाद ज़ मेदारी से चौक े हो उठगे।
आ ख़रकार समूचे इ तहास के दौरान क़ानून के या वयन क मयादाएँ क़ानून- नमाता
के पूवा ह , चूक और अ याचारां पर वागत यो य लगाम लगाती रही ह। यह बेहद
खुश क़ मती क बात थी क समल गकता के ख़लाफ़ और धम ोह के ख़लाफ़ बनाए गए
क़ानून को, आं शक प से ही, अमल म लाया गया। या हम वा तव म एक ऐसी
व था क ज़ रत है, जसम राजनेता के नणय गु वाकषण क तरह अप रहाय बने
रह?

ड जटल तानाशाही
एआई लोग को अ सर इस लए भयभीत करती है, य क उनको एआई के आ ाकारी
बने रहने का भरोसा नह होता। हमने ऐसी ब त-सी साइंस- फ़ शन फ़ म दे ख रखी ह,
जनम रोबोट अपने इंसानी मा लक के ख़लाफ़ व ोह कर उठते ह और बेक़ाबू होकर
सड़क पर भागते ए हर कसी को मार डालते ह, ले कन रोबोट के साथ वा त वक
सम या इसके ठ क वपरीत है। हम उनसे इस लए डरना चा हए क वे स भवतः हमेशा
अपने मा लक क आ ा मानगे और कभी व ोह नह करगे।
बेशक, आँख मूँदकर आ ा मानते रहने म तब तक कोई बुराई नह है, जब तक रोबोट
भले और दयालु मा लक क सेवा म लगे रह। यहाँ तक क यु म भी ह यारे रोबोट पर
भरोसा इस बात को सु न त कर सकता है क इ तहास म पहली बार यु के मैदान म
यु के नयम का पालन कया जाएगा। इंसानी सै नक कभी-कभी यु के नयम का
उ लंघन कर ह या, लूटपाट और बला कार करने क अपनी भावना के वशीभूत हो
जाते ह। हम आमतौर पर भावना को क णा, ेम को सहानुभू त से जोड़कर दे खते ह,
ले कन यु के समय जो भावनाएँ नय ण करने लगती ह, वे अ सर भय, घृणा और
ू रता क होती ह। चूँ क रोबोट म कोई भावनाएँ नह होत , उन पर हमेशा भरोसा कया
जा सकता है क वे सै य सं हता के शु क श द से ढ़तापूवक चपके रहगे, और नजी
भय और घृणा से प रचा लत नह ह गे।
16 माच 1968 को अमे रक सै नक क एक टु कड़ी आवेश म भरकर वयतनामी
गाँव माई लाई म घुसी और उसने 400 नाग रक क सामू हक ह याएँ कर द । यह यु -
अपराध उन लोग क थानीय पहल का नतीजा था, जो कई महीन से जंगल म रहकर
गु र ला लड़ाई म लगे थे। इसने कोई रणनी तक हत पूरा नह कया, और संयु रा य
अमे रका क व धसं हता तथा सै य नी त, दोन का उ लंघन कया। यह इंसानी ज बात
क ग़लती थी। अगर संयु रा य अमे रका ने वयतनाम म मारक रोबोट तैनात कए होते,
तो माई लाई का जनसंहार कभी न आ होता।
तब भी, इसके पहले क हम मारक रोबोट को गढ़ने और उनको तैनात करने क
हड़बड़ी मचाएँ, हम ख़ुद को यह याद दलाना ज़ री है क रोबोट हमेशा अपने कोड के
गुण को कट करते ह और उनको व तार दे ते ह। अगर कोड संय मत और दयालु आ,
तो रोबोट स भवतः औसत इंसानी सै नक के मुक़ाबले ब त बड़ा सुधार होगा, ले कन
अगर वह कोड बेरहम और ू र आ, तो नतीजे वनाशकारी ह गे। रोबोट के साथ
वा त वक सम या उनक ख़ुद क कृ म बु (आ ट फ़ शयल इंटे लजस) नह है, ब क
उनके मा लक क कु़दरती मूखता और ू रता है।
जुलाई 1995 म बोस नयाई सब सेना ने े े नका नगर के क़रीब 8,000 से यादा
मुसलमान बो नयाइय का नरसंहार कर दया था। माई लाई के बेतरतीब जनसंहार से
भ यह े नका नरसंहार एक व तीण और सु व थत कारवाई थी, जो बोस नया को
मुसलमान से र करने क ‘ जातीय सफ़ाई’ (एथ नक ली संग) क बोस नया क
सब नी त को त ब बत करता था। अगर 1995 म बोस नयाई सब के पास मारक
रोबोट होते, तो इसने इस ू रता को कमतर बनाने क बजाय बदतर बना दया होता। जो
भी आदे श राबोट को दए गए होते, उनको अंजाम दे ने म एक भी रोबेट ज़रा भी न
हच कचाया होता, और उसने क णा, अ च, या महज़ सु ती क वज़ह से एक भी
मुसलमान को न छोड़ा होता।
इस तरह के मारक रोबोट से लैस कसी नमम तानाशाह को कभी इस बात का भय
नह सताएगा क उसके सै नक उसके ख़लाफ़ बग़ावत कर दगे, भले ही उसके आदे श
कतने ही न ु र और पागलपन से भरे य न ह । एक रोबोट सेना ने शायद ांसीसी
ा त का गला 1789 म उसके पालने म घ ट दया होता, और अगर 2011 म नी
मुबारक के पास मारक रोबोट क एक टु कड़ी होती, तो उ ह ने बग़ावत के ख़ौफ़ के बना
उनको आबाद पर खुला छोड़ दया होता। इसी तरह रोबोट क सेना पर भरोसा करने
वाली एक सा ा यवाद सरकार अलोक य यु छे ड़ सकती है, इस बात क कोई परवाह
कए बना क इसके रोबोट अपने येय से भटक सकते ह, या उनके प रवार वरोध-
दशन कर सकते ह। अगर संयु रा य अमे रका के पास वयतनाम यु के दौरान मारक
रोबोट होते, तो माई लाई नरसंहार को रोका जा सकता था, ले कन वयं यह यु कई और
साल तक घसटता रहता, य क अमे रक सरकार को हतो सा हत सै नक , यु - वरोधी
वशाल दशन , या ‘यु के ख़लाफ़ पूव रोबोट ’ के आ दोलन को लेकर ब त थोड़ी-सी
च ताएँ होत (कुछ अमे रक नाग रक ने तब भी यु का वरोध कया होता, ले कन सेना
म भत कर लए जाने, गत प से अ याचार म शा मल होने क मृ तय , या अपने
कसी यजन को खो दे ने क पीड़ा के अभाव म इन वरोध- दशनका रय क सं या
कम होती और अपने वरोध के त उनक तब ता कम होती)।
इस तरह क सम याएँ वाय असै नक वाहन के स दभ म ब त कम ासं गकता
रखती ह, य क कोई भी कार- नमाता अपने वाहन को भावनापूण ढं ग से इस तरह
लैस नह करेगा क वह लोग को नशाना बनाकर उनक जान ले, ले कन वाय
ह थयार- णा लयाँ एक ऐसा सवनाश है, जो घ टत होने का इ तज़ार कर रहा है, य क
ऐसी सरकार क सं या ब त यादा है, जो अगर पूरी तरह से शैता नयत क ओर नह ,
तो नै तक प से होने क ओर वृ ह।
ख़तरा ह यारी मशीन तक ही सी मत नह है। नगरानी- णा लयाँ भी उतनी ही
जो खमपूण हो सकती ह। कसी सौ य और दयालु सरकार के हाथ म नगरानी करने वाले
श शाली ऐ ग रदम मानव-जा त क अब तक क े तम उपल ध हो सकते ह, ले कन
वही बग डेटा ऐ ग रदम भ व य के कसी बग ॅदर क ताक़त म कुछ इस तरह इज़ाफ़ा
कर सकते ह क हमारा पाला जॉज ऑरवेल के उप यास 1984 क तरह क नगरानी
करने वाली कसी ऐसी कूमत से पड़ सकता है, जसम सारे य पर सारे समय
नगरानी रखी जा रही होगी।
सच तो यह है क हमारा पाला कसी ऐसी चीज़ से पड़ सकता है, जसक क पना
शायद ऑरवेल भी न कर सके होते : स पूण नगरानी रखने वाली एक ऐसी शासन-
व था, जो न सफ़ हमारी बाहरी ग त व धय और उ चारण पर नगाह रखेगी, ब क
जो हमारी चमड़ी को भेदकर हमारे अ द नी अनुभव को भी ताड़ती रह सकती है।
उदाहरण के लए, वचार कर दे खए क उ र को रया म कम क शासन- व था इस नई
ौ ो गक का कस तरह इ तेमाल कर सकती है। भ व य म उ र को रया के हर नाग रक
को एक ऐसा बायोमै क कड़ा पहनना अ नवाय हो सकता है, जो आपक हर करनी और
कथनी पर - साथ ही आपके र चाप और म त क क ग त व ध पर - नगरानी रखेगा।
इंसानी म त क क उ रो र बढ़ती समझ का इ तेमाल करते ए, और मशीन ल नग क
अप र मत श का इ तेमाल करते ए उ र को रयाई शासन- व था इ तहास म पहली
बार इस बात क थाह लेने म स म हो सकती है क हर नाग रक हर ण या सोच रहा
है। अगर आप कम ज ग-उन क तसवीर क ओर दे खगे और बायोमै क ससर आपके
मन म उठ रहे ग़ से के चुग़लख़ोर संकेत (उ च र चाप, ऐ म डाल क बढ़ ई
ग त व धय ) को पकड़ लेते ह, तो अगली सुबह आप गुलाग म ह गे।
माना क अपने अलग-थलग पड़े होने क वज़ह से उ र को रयाई कूमत को अपने
दम पर इस तरह क ौ ो गक वक सत करने म क ठनाई होगी, ले कन इस ौ ो गक
क अगुवाई ौ ो गक म पारंगत सरे मु क ारा क जा सकती है और उ र को रयाई
तथा सरी पछड़ी ई तानाशा हय ारा उसक नक़ल क जा सकती है या उसको
आयात कया जा सकता है। चीन और स, दोन ही अपने नगरानी-उपकरण को
नर तर उ त बनाने म लगे ह, जस तरह संयु रा य अमे रका से लेकर मेरे अपने मु क
इज़रायल तक, ब त-से लोकता क दे श भी कर रहे ह। ‘ टाट-अप-नेशन’ के उपनाम से
स इज़रायल का अपना एक अ य त जोशीला उ च-तकनीक काय- े , और वकास
क उ च अव था म प ँचा आ साइबर-सुर ा उ ोग है। इसी के साथ-साथ यह
फ़ ल ती नय के साथ एक घातक टकराव क थ त म भी है, और जैसे ही कम-से-कम
इसके कुछ नेता , सेना य और नाग रक के हाथ म आव यक ौ ो गक आ जाएगी,
वे शायद ख़ुशी-ख़ुशी प मी तट म एक स पूण नगरानीपरक कूमत खड़ी करके स
ह गे।
आज भी जब कभी फ़ ल तीनी कोई फ़ोन करते ह, फ़ेसबुक पर कुछ पो ट करते ह
या एक शहर से सरे शहर जाते ह, तो स भवतः उन पर इज़रायली माइ ोफ़ोन , कैमर ,
ोन या जासूस सॉ टवेयर ारा नगाह रखी जाती है। इसके बाद इस नगरानी से एक
सूचना का बग डेटा ऐ ग रदम क मदद से व ेषण कया जाता है। इससे इज़रायल के
सुर ा बल को ढे र सै नक को तैनात कए बना ही स भा वत ख़तर का ठ क-ठ क पता
लगाने और बेअसर करने म मदद मलती है। फ़ ल ती नय का प मी तट के कुछ नगर
और गाँव पर शासन हो सकता है, ले कन इज़राय लय का नय ण आकाश, हवाई माग
और साइबर पेस पर है। इसी लए प मी तट के लगभग 2.5 लाख फ़ ल ती नय को
कारगर ढं ग से नय त करने म आ यजनक प से ब त थोड़े-से सै नक क ज़ रत
पड़ती है।
अ टू बर 2017 क एक ासद-हा या पद घटना के तहत एक फ़ ल तीनी मज़ र ने
अपने नजी फ़ेसबुक एकाउंट पर एक बु डोज़र के साथ अपनी एक तसवीर पो ट क थी,
जसम वह अपने काय थल पर काम करते ए दशाया गया था। इस तसवीर के साथ
उसने ‘गुड मॉ नग!’ लखा था। एक वचा लत ऐ ग रदम ने अरबी भाषा के अ र का
ल या तरण करते ए एक छोट -सी ग़लती कर द । इस ऐ ग रदम ने इन अ र को
Ysabechhum !’ ( जसका मतलब ‘गुड मॉ नग’ होता है) क जगह Ydbachhum !’
( जसका मतलब ‘उनको चोट प ँचाओ’ होता है) के प म पहचाना। इज़रायली सुर ा
बल को स दे ह आ क वह आदमी आतंकवाद है, जो लोग पर बु डोज़र चलाना चाहता
है, और इस लए उ ह ने उसको तुर त गर तार कर लया। बाद म जब उनको ऐ ग रदम
क चूक का अहसास आ, तब उसको छोड़ा गया, ले कन उस आ मक फ़ेसबुक पो ट
को तब भी हटा दया गया। भले ही ज़ री न हो, ले कन सावधान तो रहना चा हए।
फ़ ल तीनी आज प मी तट म जो भोग रहे ह, वह उस हालत का महज़ एक ाथ मक
पूव दशन सा बत हो सकता है, जसे अ ततः अरब लोग समूचे ह पर भोगगे।
बीसव सद के बाद के दन म लोकत ने आमतौर पर तानाशा हय को मात दे द
थी, य क लोकत डेटा- ॉसे सग के मामले म बेहतर थे। लोकत सूचना को ॉसेस
करने और नणय लेने क श को ब त-से लोग और सं था के बीच छतरा दे ता है,
जब क तानाशाही सूचना और स ा को एक जगह पर जमा करके रखती है। बीसव सद
क ौ ो गक को दे खते ए ब त अ धक सूचना और स ा को एक जगह पर जमा करके
रखना कारगर नह था। इतनी मता कसी म नह थी क वह सारी क सारी सूचना को
पया त तेज़ी के साथ ॉसेस कर पाता और नणय ले पाता। यही वज़ह थी, जससे
सो वयत संघ ने संयु रा य अमे रका क तुलना म बदतर फ़ैसले लए, और य
सो वयत अथ व था उसके मुक़ाबले पीछे घसटती रही।
ले कन एआई ज द ही पडु लम को वपरीत दशा म मोड़ सकता है। एआई मुम कन
बनाता है क सूचना क अप र मत तादाद को के य तर पर ॉसेस कया जा सके।
दरअसल, एआई के कृत व था को वके त व था के मुक़ाबले कह यादा
कारगर बना सकता है, य क मशीन ल नग जतनी ही यादा सूचना को ॉसेस कर
सकती है, उतना ही बेहतर ढं ग से वह काम कर सकती है। अगर आप गोपनीयता क
तमाम च ता को ताक म रखकर अरब लोग से स ब धत सारी सूचना को एक
डेटाबेस म के त कर दे ते ह, तो आप उससे बेहतर ऐ ग रदम तैयार कर सकते ह,
जतना आप तब कर सकते ह, जब आप वैय क गोपनीयता का स मान करते ए मा
दस लाख लोग क आं शक सूचना अपने डेटाबेस म रखते ह। उदाहरण के लए, अगर
कोई सवस ावाद सरकार अपने सारे नाग रक को अपने-अपने डीएनए कैन कराने और
अपने च क सक य डेटा म कसी के य अ धकरण से साझा करने का आदे श दे ती है, तो
वह जने ट स और च क सा-वै ा नक अनुस धान के े म उन समाज के मुक़ाबले
अप र मत लाभ क थ त म रहेगी, जनम च क सक य डेटा पूरी तरह से गोपनीय होता
है। बीसव सद म सवस ावाद शासन- व था क मु य अ मता - सारी सूचना को
एक थान पर के त करने क को शश - इ क सव सद म उनक नणायक सफलता
बन सकती है।
जैसे ही ऐ ग रदम हम ब त अ छ तरह जानने क थ त म आ जाएँगे, वैसे ही
सवस ावाद सरकार अपने नाग रक पर एकछ नय ण हा सल कर सकती ह, उससे
भी कह यादा जतना नाज़ी जमनी म था, और ऐसी कूमत का तरोध नता त
अस भव हो सकता है। ऐसी कूमत को न सफ़ इस बात क ठ क-ठ क जानकारी होगी
क आप कैसा महसूस करते ह, ब क वह आपको उस तरह महसूस करने पर बा य कर
सकती है, जैसा वह चाहती है। तानाशाह अपने नाग रक को च क सा-सेवा और समानता
भले ही न मुहैया करा सके, ले कन वह उनको बा य कर सकता है क वे उसको ेम कर
और उसके तप य से नफ़रत कर। लोकत अपने वतमान प म जैव ौ ो गक
और सूचना ौ ो गक के वलय के सामने टका नह रह सकता। या तो लोकत को
एक आमूलचूल नए प म अपना सफलतापूण कायाक प करना होगा, या मनु य को
‘ ड जटल तानाशाही’ के अधीन रहने को मजबूर होना होगा।
यह हटलर और ता लन के युग म वापसी नह होगी। ड जटल तानाशाही नाज़ी
जमनी से उतनी ही भ होगी, जतनी नाज़ी जमनी ांस क ओ सयाँ रज़ीम (म ययुगीन
शासन- व था) से भ थी। लुई XIV के करण करने वाला वे छाचारी शासक था,
ले कन उसके पास एक आधु नक सवस ावाद रा य था पत करने के लए कोई
ौ ो गक नह थी। उसको अपनी कूमत के कसी वरोध का सामना नह करना पड़ा
था, तब भी रे डयो, टे लीफ़ोन और े न के अभाव म सु र ेताँ गाँव म रहने वाले कसान ,
या पे रस के बीच -बीच रह रहे नगरीय समाज के रोज़मरा जीवन पर उसका कोई ख़ास
नय ण नह था। कोई सामू हक राजनी तक दल (मास पाट ), नौजवान का कोई
दे श ापी आ दोलन, या कोई रा ीय श ा- णाली वक सत करने क न तो उसक इ छा
थी, न ही इसक क़ा ब लयत उसम थी। ये बीसव सद क नई ौ ो ग कयाँ थ , ज ह ने
हटलर को इस तरह क चीज़ करने क ेरणा और मता दान क थी। जो लोग 1930
के दशक क लड़ाइय को फर लड़ने क तैयारी म लगे ह, वे एक नता त भ दशा से
होने जा रहे हमले से ह का-ब का रह सकते ह।
यहाँ तक क अगर लोकत कसी तरह सामंज य था पत कर ले और जी वत बचा
रहे, तो भी लोग नए तरह के दमन और भेदभाव के शकार ह गे। आज पहले ही यादा से
यादा बक, ावसा यक त ान और सं थाएँ डेटा का व ेषण करने और हमारे बारे
म फ़ैसले लेने के लए ऐ ग रदम का इ तेमाल कर रहे ह। जब आप अपने बक म क़ज़ के
लए आवेदन करते ह, तो इसक पूरी स भावना होती है क आपके उस आवेदन को कसी
इंसान क बजाय एक ऐ ग रदम ारा ॉसेस कया जाए। यह ऐ ग रदम आपके और
लाख सरे लोग के बारे म आँकड़ का व ेषण करता है, और फर फ़ैसला करता है
क या आप इतने भरोसे के क़ा बल ह क आपको क़ज़ दया जा सके। अ सर यह
ऐ ग रदम कसी इंसानी बककम से बेहतर सेवा दे ता है, ले कन सम या यह है क अगर
यह ऐ ग रदम क ह लोग के त अ यायपूवक भेदभाव बरतता है, तो इस बात को
जानना मु कल है। अगर बक आपको क़ज़ दे ने से इंकार कर दे ता है, और आप पूछते ह
क ‘ य ?’, तो बक जवाब दे ता है क ‘ऐ ग रदम ने मना कया है।’ आप पूछते ह,
‘ऐ ग रदम ने मना य कया? मेरी या ग़लती है?’, और बक जवाब दे ता है, ‘हम नह
जानते। इस ऐ ग रदम को कोई इंसान नह समझता, य क यह उ त मशीन ल नग पर
आधा रत है, ले कन हम अपने ऐ ग रदम पर भरोसा करते ह, इस लए हम आपको क़ज़
नह दगे।’
जब इस तरह का भेदभाव क ह पूरे के पूरे समुदाय , जैसे क य या अ ेत - के
ख़लाफ़ बरता जाता है, तो ये समुदाय सामू हक भेदभाव के ख़लाफ़ संग ठत होकर
वरोध दशन कर सकते ह, ले कन आज एक ऐ ग रदम आपके ख़लाफ़ गत तौर
पर भेदभाव बरत सकता है, और आपको कोई इ म नह होता क ऐसा य है। हो सकता
है क उस ऐ ग रदम को आपके डीएनए म, आपके नजी इ तहास म या आपके फ़ेसबुक
एकाउंट म ऐसी कोई चीज़ मली हो, जो उसको पस द न आती हो। यह ऐ ग रदम आपके
त भेदभाव इस लए नह बरतता य क आप एक ी, या एक अ क अमे रक ह,
ब क इस लए क आप आ ख़र आप ह। आप म ही ऐसी कोई ख़ास चीज़ है, जो उस
ऐ ग रदम को पस द नह है। आप नह जानते क वह चीज़ या है, और अगर आप
जानते भी ह , तो आप वरोध जताने के लए सरे लोग के साथ एकजुट नह हो सकते,
य क ऐसे सरे लोग ह ही नह , जो इसी तरह के पूवा ह के शकार ह । ये सफ़ आप
ह। बजाय महज़ सामू हक भेदभाव के, इ क सव सद म हम गत भेदभाव क
बढ़ती ई सम या का सामना कर सकते ह।
भु व के उ चतम तर पर हम शायद नाममा के इंसानी मु खया को बनाए रख
पाएँ, जो हम यह म दे ते रह क ऐ ग रदम तो महज़ सलाहकार ह, और अ तम भुस ा
अभी भी मनु य के हाथ म है। हम जमनी के चांसलर या गूगल के सीईओ के प म
कसी ऐ ग रदम को नयु नह करगे, ले कन चांसलर और सीईओ के फ़ैसले गढ़े जाएँगे
एआई ारा। चांसलर अभी भी ब त-से अलग-अलग वक प म से चुनाव करने म स म
होगा, ले कन ये सारे वक प बग डेटा व ेषण का प रणाम ह गे, और वे नया को
दे खने के इंसानी कोण से यादा एआई कोण को त ब बत करगे।
एक इसी से मलता-जुलता उदाहरण ल, तो आज नयाभर के राजनेता अलग-अलग
तरह क कई आ थक नी तय म से कोई नी त चुन सकते ह, ले कन लगभग हर मामले म
ये सारी उपल ध नी तयाँ अथ व था के बारे म पूँजीवाद नज़ रये को त ब बत करती
ह। राजनेता चयन का म ज़ र बनाए रखते ह, ले कन वा त वक मह वपूण फ़ैसले ब त
पहले ही उन अथशा य , बकक मय और ापा रय ारा लए जा चुके होते ह,
ज ह ने मे यू के व भ वक प को गढ़ा होता है। कुछ ही दशक के भीतर राजनेता वयं
को एआई ारा लखे गए मे यू म से चुनाव करता पाएँगे।

आ ट फ़ शयल इंटे लजस और कदरती मूखता


एक अ छ ख़बर यह है क कम-से-कम अगले कुछ दशक म हम पूण- वक सत साइंस
फ़ शन के उस ः व से नपटने क ज़ रत नह होगी, जसम एआई चेतना हा सल कर
मनु यता को ग़लाम बना लेते ह या ख़ म कर दे ने का फ़ैसला कर लेते ह। हम इस मामले म
तो ऐ ग रदम पर उ रो र नभर होते जाएँगे क वे हमारे बारे म फ़ैसले ल, ले कन इसक
कोई स भावना नह है क ऐ ग रदम सचेतन ढं ग से हम संचा लत करना शु कर दगे।
उनम कोई चेतना नह होगी।
साइंस फ़ शन बु को चेतना से मत करने क ओर वृ होते ह, और मानकर
चलते ह क मानवीय बु क बराबरी करने या उसको पीछे छोड़ दे ने के लए क यूटर
को चेतना वक सत करनी होगी। एआई के बारे म लगभग तमाम फ़ म और उप यास
के कथानक उस जा ई ण के इद- गद च कर लगाते ह, जब कोई क यूटर या रोबोट
चेतना हा सल कर लेता है। जैसे ही यह होता है, वैसे ही या तो इंसानी हीरो को रोबोट से
इ क़ हो जाता है, या रोबोट सारे इंसान को मार डालने क को शश करता है, या दोन
चीज़ एक साथ होती ह।
ले कन वा तव म यह मान लेने क कोई वज़ह नह है क आ ट फ़ शयल इंटे लजस
चेतना हा सल कर लेगा, य क बु और चेतना ब त अलग-अलग चीज़ होती ह। बु
सम या को हल करने क क़ा ब लयत है। चेतना चीज़ को, जैसे क दद, आन द, ेम
और ग़ से को महसूस करने क क़ा ब लयत है। हम इन दोन को एक- सरे से मत
करने क को शश इस लए करते ह, य क इंसान म और सरे तनधारी जीव म बु
और चेतना साथ-साथ काम करते ह। तनधारी जीव चीज़ को महसूस कर यादातर
सम या को सुलझाते ह, ले कन क यूटर सम या को ब त अलग ढं ग से सुलझाता
है।
बु क उ च अव था तक ले जाने वाले ब त-से रा ते ह, और इनम से कुछ ही रा ते
ह, जनम चेतना हा सल करना शा मल है। जस तरह हवाई जहाज़ पंख वक सत कए
बना प र द से तेज़ उड़ लेते ह, उसी तरह क यूटर अनुभू तय को वक सत कए बना
सम या को तनधा रय के मुक़ाबले बेहतर ढं ग से सुलझाने क थ त म आ सकते ह।
यह सही है क एआई को इंसान क बीमा रय का इलाज करने, इंसानी आतंकवा दय क
पहचान करने, इंसानी जीवन-सा थय के बारे म सफ़ा रश करने और इंसानी पदया य से
भरी सड़क पर अपना रा ता बनाने के लए मानवीय अनुभू तय का ठ क-ठ क व ेषण
करना होगा, ले कन ऐसा वह अपनी ख़ुद क क ह अनुभू तय के बना कर सकता है।
एक ऐ ग रदम को आन द-म न, ो धत या डरे ए वानर के व भ जैवरासाय नक
पैटन क पहचान करने के लए ख़ुद आन द, ोध या डर महसूस करना ज़ री नह है।
बेशक, यह पूरी तरह से अस भव नह है क एआई अपनी ख़ुद क अनुभू तयाँ
वक सत कर ले। हम अभी भी चेतना के बारे म न त तौर पर पया त जानकारी नह
रखते। सामा यतः, हम तीन स भावना को यान म रखने क ज़ रत है :

े ी ी ै े ी ई ै
1. चेतना कसी प म जीव क जैवरासाय नक से इस तरह जुड़ी ई है क अ-
जै वक णा लय म चेतना उ प करना कभी स भव नह होगा।
2. चेतना जीव क जैवरासाय नक से जुड़ी ई नह है, ले कन वह बु से कुछ इस
तरह जुड़ी ई है क क यूटर चेतना वक सत कर सकते ह, और अगर क यूटर
बु क एक न त दहलीज़ को पार करना चाहते ह, तो उनको चेतना वक सत
करनी ही होगी।
3. जीव क जैवरासाय नक या बु क उ च अव था के साथ चेतना अ नवायतः
जुड़ी ई नह है। इस लए क यूटर चेतना वक सत कर सकते ह, ले कन
अ नवाय तौर पर नह । वे चेतना-शू य होने के बावजूद अ त-बु मान हो सकते
ह।

ान क हमारी वतमान अव था म हम इनम से कसी भी वक प को ख़ा रज़ नह कर


सकते, ले कन ठ क इसी वज़ह से क हम चेतना के बारे म ब त कम जानते ह, यह
अस भव तीत होता है क हम ज द ही कसी भी समय क यूटर को चेतना से लैस कर
सकते ह। इस लए आ ट फ़ शयल इंटे लजस क अप र मत श के बावजूद इसका
उपयोग नकट भ व य म कसी हद तक मानवीय चेतना पर नभर करता रहेगा।
ख़तरा यह है क अगर हम एआई को वक सत करने पर ब त यादा और मानवीय
चेतना को वक सत करने पर ब त कम नवेश करते ह, तो मुम कन है क क यूटर का
अ य त प र कृत आ ट फ़ शयल इंटे लजस सफ़ इंसान क कु़दरती मूखता को सश
बनाने क भू मका ही नभा सके। इसक स भावना नह है क हम आने वाले दशक म
रोबोट व ोह का सामना करना पड़े, ले कन हम ऐसे ढे र रोबोट से नपटना पड़ सकता है,
जो ज बाती बटन को हमारी माँ से बेहतर दबाना जानते ह, और इस भयावह क़ा ब लयत
का इ तेमाल हम कोई चीज़ बेचने के लए करते ह- वह चीज़ चाहे एक कार हो, एक
राजनेता हो, या एक समूची वचारधारा हो। ये रोबोट हमारे अ तरतम डर , घृणा और
लालसा को पहचान सकगे, और इन आ त रक मता का इ तेमाल हमारे ख़लाफ़
कर सकते ह। इसका वाद हम सारी नया म हाल ही म ए चुनाव और जनमत-सं ह
म पहले ही चखाया जा चुका है, जहाँ हैकस ने यह सीख लया है क वत मतदाता
के डेटा का व ेषण करके और उनके मौजूदा पूवा ह का शोषण करके कस तरह इन
मतदाता को अपनी अँगु लय पर नचाया जाए। जहाँ साइंस फ़ शन लर आग और
धुएँ के नाटक य महा वनाश क ओर आक षत होते ह, वह वा त वकता म हम बटन
दबाने से छोट -मोट क़यामत (banal apocalypse ) का सामना कर रहे हो सकते ह।
इस तरह के नतीज को टालने के लए, अ लम द इस बात म होगी क हम
आ ट फ़ शयल इंटे लजस को उ त करने पर नवेश कए जा रहे येक डॉलर और
येक म नट के बदले म एक डॉलर और एक म नट का नवेश मानवीय चेतना को
वक सत करने के लए कर। भा य से, फ़लहाल हम मानवीय चेतना के े म
अनुस धान और वकास के लए ब त यादा काम नह कर रहे ह। इंसानी क़ा ब लयत
के े म हम चेतन स ा के प म अपनी ख़ुद क द घका लक ज़ रत के मुता बक़
नह , ब क मु यतः आ थक और राजनी तक व था क ता का लक ज़ रत के
मुता बक़ अनुस धान और वकास कर रहे ह। मेरा बॉस चाहता है क म जतनी ज द हो
सके, उतनी ज द ई-मेल के जवाब ँ , ले कन जो खाना म खा रहा होता ँ, उसका वाद
लेने और उसक शंसा करने क मेरी यो यता म उसक ब त कम दलच पी होती है।
नतीजतन, म खाना खाते ए भी ई-मेल चेक करता रहता ँ, वह म अपनी अनुभू तय के
त यान दे ने क अपनी क़ा ब लयत खोता रहता ँ। आ थक त मुझ पर अपने नवेश
पोटफ़ो लयो का व तार करने और उसको व वधतापूण बनाने का दबाव डालता है,
ले कन वह मेरी क णा को व तार और व वधता दे ने के लए कोई ेरणा नह दे ता।
इस लए म शेयर बाज़ार के रह य को समझने क जी-तोड़ को शश करता रहता ँ, वह
ःख के गहरे कारण को समझने क ब त कम को शश करता ँ।
इस मामले म, मनु य सरे पालतू जानवर जैसे ही ह। हमने ऐसी आ ाकारी गाय को
तैयार कया, जो बड़ी मा ा म ध दे ती ह, ले कन जो अपने जंगली पूवज क तुलना म
ब त हीन को ट क ह। वे ब त कम फुत ली, ब त कम ज ासु और ब त कम
यु स प ह। अब हम ऐसे पालतू इंसान को गढ़ने म लगे ह, जो वपुल मा ा म डेटा
उ प करते ह और वराट डेटा- ॉसे सग त म अ य त भावशाली च स क भू मका
नभाते ह, ले कन ये डेटा-गाय मानवीय स भावना म कोई ख़ास वृ नह करत ।
दरअसल, हम पता ही नह है क स पूण मानवीय स भावना होती या है, य क हम
मनु य के दमाग़ क ब त कम जानकारी है। तब भी हम मानव मन क गहराई से
छानबीन करने पर ब त कम नवेश करते ह, और इसक बजाय हम अपने इंटरनेट
कने न क र तार और अपने बग डेटा ऐ ग रदम क द ता बढ़ाने पर अपना यान
के त करते ह। अगर हम सावधानी नह बरतते, तो अ त म हमारे पास ऐसे नचले दजे़
के इंसान बचगे, जो ख़ुद और नया को तबाह करने के लए ऊँचे दजे़ के क यूटर का
पयोग करगे।
ड जटल तानाशाही वह अकेला ख़तरा नह है, जो हमारा इ तज़ार कर रहा है।
उदारवाद व था ने आज़ाद के साथ-साथ समानता के मू य पर भी ब त बल दया है।
उदारवाद ने राजनी तक समानता को हमेशा लारा है, और वह धीरे-धीरे इस बात को
समझती गई है क आ थक समानता भी लगभग उतनी ही मह वपूण है, य क
सामा जक सुर ा-जाल और थोड़ी-सी आ थक समानता के बना आज़ाद अथहीन है,
ले कन जस तरह बग डेटा ऐ ग रदम आज़ाद को न तेज कर सकते ह, उसी तरह वे
इसी के साथ-साथ अब तक के सबसे यादा ग़ैरबराबरी वाले समाज क रचना भी कर
सकते ह। सारी स प और स ा मु -भर कुलीन-वग के हाथ म समट सकती है, और
यादातर लोग शोषण के नह , ब क उससे ब त बदतर चीज़ यानी अ ासं गकता के
शकार हो सकते ह।
4
समानता
जनके हाथ म डेटा है, उनके हाथ म भ व य है

पछले कुछ दशक म सारी नया के लोग से कहा जाता रहा था क मानव-जा त
समानता क राह पर है, और भूम डलीकरण तथा नई ौ ो ग कयाँ हम ज द ही वहाँ
प ँचा दगी। हक़ क़त यह है क इ क सव सद इ तहास के सबसे यादा ग़ैरबराबरी वाले
समाज क रचना कर सकती है, हालाँ क, भूम डलीकरण और इंटरनेट मु क के बीच के
अ तराल को पाटते ह, ले कन वे वग के बीच दरार को चौड़ा करने का ख़तरा पैदा करते
ह। जहाँ मानव-जा त भूम डलीय एक करण को हा सल करती तीत होती है, उसी व त
वयं यह जा त व भ जै वक जा तय म वभा जत हो सकती है।
ग़ैरबराबरी पाषाण युग से चली आ रही है। तीस हज़ार साल पहले शकारी-सं हकता
क़बील ने अपने कुछ सद य को हाथीदाँत के मनक , कंगन , ज़ेवर और कला-व तु से
भरी आलीशान क़ म दफ़नाया था, जब क सरे लोग को ज़मीन के एक ख़ाली ग े से
स तोष करना पड़ा था। तब भी, ये ाचीन शकारी-सं हकता क़बीले बाद के कसी भी
मनु य-समाज के मुक़ाबले यादा समतावाद थे, य क उनके पास ब त कम स प
आ करती थी। स प द घकालीन ग़ैरबराबरी क पहली शत है।
कृ ष ा त के बाद स प और उसी के साथ ग़ैरबराबरी भी ब गु णत हो गई। जैसे
ही भू म, मवे शय , वन प तय और औज़ार का वा म व इंसान के हाथ म आया, वैसे
ही कठोर सोपान म (हाइराक ) वाले समाज कट ए, जनम स प और स ा पर
थोड़े-से कुलीन का पीढ़ -दर-पीढ़ एका धकार था पत होता गया। मनु य ने इस
व था को कु़दरती, यहाँ तक क अलौ कक नय त मानकर वीकार कर लया।
सोपान म महज़ मानक नह था, ब क आदश भी था। कुलीन और सामा य जन के
बीच, मद और औरत के बीच, या अ भभावक और ब च के बीच ऊँच-नीच के प
म के बना व था कैसे क़ायम हो सकती है? सारी नया के पुरो हत , दाश नक और
क वय ने धीरज के साथ लोग को समझाया क जस तरह मनु य के शरीर के सारे अंग
बराबरी क है सयत नह रखते, उसी तरह समाज के सारे लोग म बराबरी नह होती। पैर
को सर क आ ा मानना ज़ री होता है। इस लए मानव-समाज म बराबरी अराजकता के
अलावा और कुछ पैदा नह कर सकती।
ले कन आधु नक युग के बाद के दौर म बराबरी लगभग सारे मानव-समाज का
आदश बन गई। आं शक तौर पर इसका कारण सा यवाद और उदारवाद क नई
वचारधारा का उ दत होना था, ले कन एक कारण वह औ ो गक ा त भी थी,
जसने जन-समुदाय को अपूव प से मह वपूण बना दया था। जहाँ औ ो गक
अथ व थाएँ आम कामगार के समूह पर नभर करती थ , वह औ ो गक सेनाएँ आम
सै नक के समूह पर नभर करती थ । लोकत और तानाशा हय , दोन म सरकार
वा य, श ा और जनक याण के काय म पर भारी नवेश करती थ , य क उनको
मब उ पादन के संचालन के लए लाख क सं या म व थ मज़ र और ख दक म
जाकर लड़ने के लए लाख वफ़ादार सै नक क ज़ रत होती थी। नतीजतन, बीसव
सद का इ तहास काफ़ हद तक वग , जा तय और लग के बीच क ग़ैरबराबरी म कमी
लाने के इद- गद घूमता था, हालाँ क, वष 2000 क नया म उ च- न न का म बना
आ था, फर भी वह 1900 क नया के मुक़ाबले कह यादा बराबरी का थल था।
इ क सव सद के आर भक वष म लोग ने अपे ा क थी क समतावाद क या न
सफ़ जारी रहेगी, ब क उसम और भी ग त आएगी। उ ह ने ख़ासतौर से, यह उ मीद क
थी क भूम डलीकरण सारी नया म आ थक समृ को व तार दे गा, और यह क
इसके नतीजे म ह तान और म के लोग को वैसे ही अवसर और सु वधाएँ सुलभ
ह गी, जैसी वे फ़नलड और कनाडा के लोग को सुलभ ह। इस आ ासन पर एक समूची
पीढ़ वक सत ई थी।
अब ऐसा लगता है क यह आ ासन शायद पूरा न हो सके। भूम डलीकरण ने न य
ही मानवता के एक बड़े ह से को लाभ प ँचाया है, ले कन समाज के बीच और उनके
भीतर बढ़ती ई ग़ैरबराबरी के संकेत मौजूद ह। जहाँ कुछ समूह का भूम डलीकरण के
फल पर एका धकार था पत होता गया, वह अरब लोग पीछे छू टते गए ह। पहले से ही
आज नया क आधी स प पर सबसे यादा समृ 1 % लोग का वा म व है। इससे
भी यादा चेतावनी दे ने वाली बात यह है क सबसे यादा समृ कुल सौ लोग के पास
नधनतम 4 अरब लोग से यादा स प है।
यह थ त और भी बदतर हो सकती है। जैसा क पछले अ याय म प कया गया
है, एआई यादातर इंसान के आ थक मू य और राजनी तक श को ख़ म कर सकती
है। इसी के साथ-साथ जैव ौ ो गक के े क ग तयाँ आ थक ग़ैरबराबरी को जै वक
ग़ैरबराबरी म पा त रत करना स भव बना सकती ह। अ त-समृ लोग को वाक़ई
अपनी वशाल स प का कोई उ चत उपयोग करना होगा। जहाँ अभी तक वे त ा के
तीक से थोड़ा यादा कुछ ख़रीद सकते थे, वह वे ज द ही वयं जीवन को ख़रीदने म
स म हो सकते ह। अगर जीवन क अव ध को बढ़ाने वाली, और शारी रक तथा
सं ाना मक क़ा ब लयत को उ त कर सकने वाली नई च क साएँ मँहगी सा बत , तो
मानव-जा त जै वक जा तय म वभा जत हो सकती है।
समूचे इ तहास के दौरान अमीर और कुलीन वग के लोग हमेशा यह क पना करते रहे
थे क उनके पास तमाम सरे लोग क तुलना म े द ताएँ ह, और इसी लए ये सरे
लोग नय ण म रहते ह। जहाँ तक हमारी जानकारी है, यह बात सही नह थी। एक
औसत ूक, औसत कसान से यादा तभाशाली नह था - उसक े ता सफ़
अ यायपूण क़ानूनी और आ थक भेदभाव क वज़ह से थी, ले कन 2100 तक आते-आते
अमीर लोग वाक़ई झु गीवा सय के मुक़ाबले यादा तभाशाली, यादा सृजना मक और
यादा बु मान हो सकते ह। जैसे ही अमीर और ग़रीब के बीच यो यता क वा त वक
खाई पैदा होगी, वैसे उसको पाटना लगभग अस भव हो जाएगा। अगर अमीर लोग अपनी
े यो यता का इ तेमाल ख़ुद को और यादा समृ बनाने के लए करते ह, तथा
अ धक पैसा उनके लए उ त कायाएँ और म त क सुलभ करा सकता है, तो समय
बीतने के साथ यह खाई और यादा चौड़ी ही होगी। 2100 तक आते-आते न सफ़ नया
क यादातर स प , ब क नया क सु दरता, सृजना मकता और वा य पर भी इन
1 % समृ तम लोग का वा म व था पत हो सकता है।
इस लए जैव ौ ो गक के साथ-साथ एआई के वकास क ये दोन याएँ मलकर
अ तमानव के एक छोटे -से वग और होमो से पय स के वशालकाय नचले वग म मानव-
जा त के वभाजन का कारण बन सकती ह। पहले से ही अ न सूचक बन चुक प र थ त
को और भी बदतर बनाने वाली चीज़ यह है क जैसे ही जन-समुदाय अपना आ थक
मह व खो दे ता है, वैसे ही रा य उनके वा य, श ा और क याण पर नवेश करने का
कम-से-कम कुछ उ साह तो खो ही सकता है। फ़ालतू होना ब त ही ख़तरनाक है।
इस लए जन-समुदाय का भ व य छोटे -से भ वग क स द छा पर नभर करेगा। हो
सकता है क यह स द छा कुछ दशक के लए हो, ले कन संकट के व त म - जैसे क
जलवायुपरक वप के व त म - अनाव यक लोग को म खी क तरह नकाल फकना
काफ़ ललचाने वाला और आसान काम होगा।
उदारवाद व ास और क याणकारी-रा यपरक काय- णा लय क द घ पर परा से
यु ांस और यू ज़ीलड जैसे दे श म, मुम कन है क जन-समुदाय क ज़ रत न होने
पर भी कुलीन वग इस समुदाय क दे खभाल जारी रखेगा, ले कन संयु रा य अमे रका
जैसा अ धक पूँजीवाद दे श अमे रक क याणकारी रा य के बचे-खुचे ह से के वघटन के
पहले अवसर का इ तेमाल करना चाह सकता है। ह तान, चीन, द ण अ का और
ाज़ील जैसे वशाल वकासशील दे श के सर पर इससे बड़ी सम या मँडरा रही है। वहाँ,
जैसे ही जन-सामा य अपना आ थक मू य खो दे ता है, ग़ैरबराबरी आसमान छू ने लग
सकती है।
नतीजतन, भूम डलीकरण वै क एकता म फ लत होने क बजाय दरअसल
‘ पी सएशन’ म - व भ जै वक जा तय या व भ जा तय तक म मानव-जा त के
वभेद करण म - फ लत हो सकता है। भूम डलीकरण रा ीय सरहद को मटाते ए
नया का उसके ै तज व तार के तर पर तो एक करण करेगा, ले कन इसी के साथ-
साथ वह मनु यता को उसके अनुल ब तर पर वभा जत कर दे गा। साधारण से पय स के
वशाल समुदाय के ख़लाफ़ एक साझा येय के आधार पर संयु रा य अमे रका से लेकर
स तक व भ मु क के मु भर स ाधारी आपस म मल सकते ह। इस प र े य म,
इस समय के ‘उ च वग’ के लोकलुभावन अस तोष का एक ठोस आधार है। अगर हम
सावधानी नह बरतते, तो स लकॉन वैली के श शाली उ ोगप तय तथा मॉ को के
अरबप तय के पोते-पो तयाँ एपले चयाई दे हा तय और साइबे रयाई ामीण के पोते-
पा तय से े जा त बन सकते ह।
मुम कन है, ल बा समय बीतने पर इस तरह का प र य नया का व-
भूम डलीकरण ( ड- लोबलाइज़) तक कर दे , जसम उ च जा त वघो षत ‘स यता’ के
भीतर एक हो जाए और बाहरी ‘बबर ’ के समूह को अपने से जदा करने के लए चार
ओर द वार खड़ी कर ले और खाइयाँ बछा ले। बीसव सद म औ ो गक स यता स ते
म, क चे माल और बाज़ार के लए इन ‘बबर ’ पर नभर करती थी। इस लए उसने
इनको जीत लया था और अपना लया था, ले कन इ क सव सद म एआई,
जैवइंजी नयरी और नैनोटे नॉलॉजी पर भरोसा करने वाली उ र-औ ो गक स यता कह
यादा आ म नभर और वपोषक हो सकती है। सफ़ सारे के सारे वग ही नह , ब क सारे
के सारे मु क और महा प अ ासं गक हो सकते ह। ोन और रोबोट से संर त
क़लेब दयाँ, जहाँ साइबोग एक- सरे से तक-बम क मदद से लड़ा करगे, इस वघो षत
स य इलाक़े को बबर क उस नया से अलग रख सकती ह, जहाँ अस य मनु य एक-
सरे से चाकु और काला कोव क मदद से लड़गे।
इस पूरी पु तक म मने मानव-जा त के भ व य के बारे म बात करते ए उ म पु ष
ब वचन सवनाम का योग कया है। मने इस बारे म बात क है क ‘हमारी’ सम या के
स दभ म ‘हम’ या करना ज़ री है, ले कन मुम कन है क ऐसा कोई ‘हम’ हो ही नह ।
मुम कन है, ‘हमारी’ एक सबसे बड़ी सम या यह हो क अलग-अलग इंसानी समुदाय के
भ व य पूरी तरह से अलग-अलग ह । मुम कन है क नया के क ह ह स म आपको
अपने ब च को क यूटर कोड लखना सखाना पड़े, जब क सरे ह स म तेज़ी से
रवॉ वर ख चकर सीधे गोली मारना सखाना पड़े।

डेटा का मा लक कौन है?


अगर हम सारी स प और स ा को मु भर उ च वग के हाथ म समट जाने को रोकना
चाहते ह, तो इसका एक ही उपाय है क हम डेटा के वा म व को नय त कर। ाचीन
युग म भू म नया क सबसे मह वपूण प रस प आ करती थी, राजनी त भू म को
नय त करने का संघष आ करती थी, और अगर ब त यादा भू म थोड़े-से हाथ म
के त हो जाती थी, तो समाज कुलीन वग और जनसाधारण म वभा जत हो जाता था।
आधु नक युग म मशीन और कारख़ाने भू म से यादा मह वपूण हो गए, और राजनी तक
संघष उ पादन के इन आधारभूत साधन को नय त करने पर के त हो गए। अगर
ब त सारी मशीन थोड़े-से हाथ म के त हो जाती थ , तो समाज पूँजीवा दय और
सवहारा वगा म वभा जत हो जाता था, ले कन इ क सव सद म भू म और मशीन , दोन
पर सबसे मह वपूण प रस प डेटा का हण लग जाएगा, और राजनी त डेटा के वाह
को नय त करने का संघष बन जाएगी। अगर डेटा थोड़े-से लोग के हाथ म के त हो
जाता है, तो मानव-जा त व भ जा तय म वभा जत हो जाएगी।
डेटा को हा सल करने क दौड़ पहले ही शु हो चुक है, जसक अगुवाई गूगल,
फ़ेसबुक, बै और टसट जैसे डेटा-महाबली कर रहे ह। अब तक, इनम से कई महाब लय
ने ‘अटशन मचट् स’ का ापा रक मानक अपना लया लगता है। ये हम मु त सूचना,
सेवाएँ, और मनोरंजन उपल ध कराते ए हमारी च जगाते ह, और फर हमारी इस च
को व ापन क प नय के लए बेच दे ते ह, ले कन इन डेटा-महाब लय का ल य शायद
च का ापार करने वाले पहले के लोग से यादा बड़ा है। उनका वा त वक कारोबार
व ापन को बेचना क़तई नह है। इसक बजाय, वे हमारी च को जा त कर हमारे बारे
म अप र मत तादाद म डेटा का सं ह करते ह, जो व ापन से ा त होने वाली आय से
कह यादा मू यवान है। हम उनके ाहक नह ह - हम उनके उ पाद ह।
म य अव ध म, डेटा का यह अ बार एक ऐसे नता त भ ापा रक मानक का
रा ता खोलता है, जसका पहला शकार वयं व ापन उ ोग होगा। यह नया मानक स ा
को मनु य के हाथ से ऐ ग रदम के हाथ म थाना त रत करने पर आधा रत है, जसम
चीज़ को चुनने और ख़रीदने का अ धकार शा मल है। जैसे ही ऐ ग रदम हमारे लए
चीज़ को चुनना और ख़रीदना शु कर दे ते ह, वैसे ही पार प रक व ापन उ ोग व त
हो जाएगा। गूगल को ही ल। गूगल उस मक़ाम पर प ँचना चाहता है, जहाँ हम उससे कुछ
भी पूछ सकते ह, और नया का े तम जवाब ा त कर सकते ह। उस व त या होगा,
जब हम गूगल से यह पूछ सकगे क “हाय गूगल, कार के बारे म तुम जो सब कुछ जानते
हो, और मेरे म तुम जो सब कुछ जानते हो ( जसम मेरी ज़ रत, मेरी आदत, लोबल
वा मग के बारे म मेरे कोण, और यहाँ तक क म य-पूव क राजनी त के बारे म मेरी
धारणाएँ तक शा मल ह), उन सारी जानका रय के आधार पर मेरे लए सबसे अ छ कार
कौन-सी होगी?” अगर गूगल हम इसका एक अ छा जवाब दे सकता है, और अगर हम
ब त आसानी से अँगु लय पर नचाई जा चुक अपनी अनुभू तय क बजाय अपने
अनुभव के आधार पर गूगल के ववेक पर भरोसा करना सीख लेते ह, तो फर कार के
व ापन का या उपयोग रह जाएगा?
द घका लक तर पर, समु चत डेटा और प रकलन (क यू टग) क समु चत मता
को एकजुट कर ये डेटा-महाबली जीवन के गहनतम रह य म घुसपैठ कर सकते ह, और
इस ान का उपयोग हमारे लए वक प का चुनाव करने या हम नय त करने म ही
नह , ब क जै वक अ त व को नए सरे से गढ़ने और अजै वक जीवन- प क रचना
करने के लए कर सकते ह। हो सकता है क व ापन को बेचना इन महाब लय के लए
अ पका लक तर पर टके रहने के वा ते ज़ री हो, ले कन वे क यूटर-ए लीकेशन ,
उ पादन और क प नय का मू यांकन इनके ारा पैदा कए गए पैसे क बजाय ायः
इनके ारा उपजाए गए डेटा के आधार पर करते ह। कसी लोक य क यूटर ए लीकेशन
के पास ापार के एक मानक का अभाव हो सकता है और वह अ पका लक तौर पर
पैसा भी गँवा सकता है, ले कन जब तक वह डेटा को सोखने म स म बनी रहेगी, तब तक
वह अरब के मू य क होगी। यहाँ तक क अगर आप आज डेटा का दोहन करना नह भी
जानते, तब भी वह बचाकर रखने लायक़ है, य क उसम भ व य म जीवन को नय त
करने और आकार दे ने क कुंजी मौजूद हो सकती है। म न त तौर पर नह जानता क
डेटा-महाबली इसके बारे म प तौर पर इसी पदावली म सोचते ह या नह , ले कन उनके
कृ य इस ओर संकेत करते ह क वे डेटा को डॉलर और सट से यादा क़ मती समझते
ह।
साधारण मनु य के लए इस या पर क़ाबू पाना ब त मु कल होगा। वतमान म,
लोग नःशु क ई-मेल-सेवा और हा या पद कैट वी डयो के बदले अपनी सबसे
मू यवान प रस प - अपने नजी डेटा - स पकर ख़ुश होते ह। यह कुछ-कुछ अ का
और अमे रका के मूल नवासी क़बील के जैसी थ त है, ज ह ने अनजाने म रंगीन
मनक और स ते आभूषण के बदले म अपने पूरे-के-पूरे मु क को यूरोप के
सा ा यवा दय के हाथ बेच दया था। अगर बाद म साधारण लोग डेटा के वाह को
अव करने क को शश का फ़ैसला करते ह, तो यह उनके लए उ रो र मु कल
तीत होगा, ख़ासतौर से इस लए क वे अपने सारे फ़ैसल के लए, यहाँ तक क अपनी
त ती और शारी रक तर पर जी वत बने रहने के लए भी, नेटवक पर नभर करने
लग सकते ह।
मनु य और मशीन का आपस म इस क़दर पूरी तरह वलय हो सकता है क अगर
मनु य नेटवक से कट जाएँगे, तो वे ख़ुद को जी वत बनाए रखने म भी स म नह ह गे। वे
गभ के समय से ही नेटवक से जुड़े ह गे, और अगर बाद के अपने जीवन म आप उससे
कटना चाहगे, तो मुम कन है क बीमा ऐज सयाँ आपका बीमा करने से इंकार कर द,
नयो ा आपको नौकरी पर रखने से इंकार कर द, और वा य सेवाएँ आपक दे खभाल
करने से इंकार कर द। वा य और गोपनीयता के बीच क बड़ी लड़ाई म वा य क
नणायक जीत होने क स भावना है।
जैसे-जैसे डेटा आपके शरीर और म त क से बायोमै क ससर के रा ते वा हत
होकर बु मान मशीन तक प ँचते जाएँगे, वैसे-वैसे ापा रक त ान और सरकारी
एज सय के लए आपको जानना, आपको मनमाने ढं ग से प रचा लत करना और आपक
ओर से फ़ैसले लेना आसान होता जाएगा। इससे भी यादा मह वपूण यह है क वे तमाम
शरीर और म त क क अ द नी काय- णा लय को समझने म, और इस तरह जीवन
को गढ़ने क श हा सल करने म स म ह गे। अगर हम एक छोटे -से उ च वग को इस
तरह क दे वतानुमा श य पर एका धकार था पत करने से रोकना चाहते ह, और अगर
हम मानव-जा त को जै वक जा तय म वभा जत होने से रोकना चाहते ह, तो मूल
यह है : डेटा का वा म व कसके हाथ म है? या मेरे डीएनए, मेरे म त क और मेरे
जीवन से स ब धत डेटा पर मा लकाना हक़ मेरा है, सरकार का है, कसी ापा रक
नगम का है, या मानव-समूह का है?
सरकार को डेटा का रा ीयकरण करने का जनादे श दे दे ने से स भवतः बड़े ापा रक
त ान क श पर लगाम लगाई जा सकती है, ले कन इसका नतीजा ख़ौफ़नाक
ड जटल तानाशा हय के प म भी सामने आ सकता है। राजनेता कुछ-कुछ संगीतकार
क तरह होते ह, और जो वा -य वे बजाते ह, वह है मनु य का भावना मक और
जैवरासाय नक त । वे एक भाषण दे ते ह - दे श म आतंक क लहर फैल जाती है। वे
ट् वीट करते ह - और घृणा का व फोट हो जाता है। मुझे नह लगता क हम इन
संगीतकार के हाथ म एक अ धक प र कृत वा -य स पना चा हए। जैसे ही राजनेता
य तौर पर मनमाने ढं ग से हमारे भावना मक बटन को दबाते ए बेचैनी, नफ़रत,
आन द और ऊब पैदा करने म स म हो जाएँगे, वैसे ही राजनी त एक भावना मक सकस
म बदल जाएगी। बावजूद इसके क हमारे लए ापा रक सं थान क श से डरना
ज़ री है, इ तहास संकेत करता है क ज़ री नह क हम अ त-श शाली सरकार के
हाथ म बेहतर थ त म ह । इस समय माच 1918 म, म अपने डेटा ला दमीर पु तन के
हाथ म स पने क बजाय माक जकरबग को स पना पस द क ँ गा (हालाँ क कै ज
ऐना ल टका कडल ने इस बात को उजागर कर दया है क जकरबग के हाथ म स पे गए
कोई भी डेटा अनचाहे ही पु तन तक प ँच सकते ह)।
के अपने डेटा पर नजी वा म व इनम से सबसे यादा आकषक वक प
तीत होता है, ले कन यह प नह है क इसका मतलब या है। हमारे पास भू म के
मा लकाना हक़ को नय त करने का हज़ार साल ल बा अनुभव है। हम जानते ह क
खेत के चार तरफ़ बाड़ कस तरह लगानी चा हए, बाड़ के फाटक पर कस तरह रखवाले
को तैनात करना चा हए, और अ दर कौन जा सकता है, इस पर कस तरह नय ण
रखना चा हए। पछली दो स दय के दौरान हमने उ ोग के वा म व को नय त करने
म अ य त प र कार का प रचय दया है - इस लए आज म जनरल मोटस और टोयोटा के
शेयर ख़रीदकर इनके एक ह से का वा म व ा त कर सकता ँ, ले कन डेटा के
वा म व को नय त करने का, जो क सहज ही ब त यादा मु कल काम है, हम ब त
यादा अनुभव नह है, य क भू म और मशीन से भ , डेटा एक साथ हर कह और
कह भी नह मौजूद है, यह काश क र तार से ग तशील हो सकता है, और आप इसक
मनचाहे ढं ग से कतनी ही तयाँ तैयार कर सकते ह।
इस लए बेहतर है क हम अपने वक ल , राजनेता , दाश नक और यहाँ तक क
क वय से भी इस पहेली क ओर यान दे ने का अनुरोध कर : आप डेटा के वा म व को
कस तरह नय त करते ह? यह शायद हमारे युग का सबसे मह वपूण राजनी तक
सवाल हो सकता है? अगर हम ज द ही इस सवाल का जवाब नह दे सके, तो हमारी
सामा जक-राजनी तक व था व त हो सकती है। लोग पहले ही आने वाली तबाही को
महसूस करने लगे ह। शायद यही वज़ह है क सारी नया के नाग रक उस उदारवाद
क़ से पर से अपना व ास खोते जा रहे ह, जो एक दशक पहले अप रहाय प से
स मोहक आ करता था।
तब फर हम यहाँ से आगे कैसे बढ़, और जैव ौ ो गक तथा सूचना ौ ो गक क
ा तय से उ प वशाल चुनौ तय से कस तरह नपट? या स भवतः जन वै ा नक
और उ मय ने सबसे पहले नया म यह उथल-पुथल पैदा क है, वे ही इसका कोई
ौ ो गक य समाधान गढ़ सकते ह? उदाहरण के लए, या क यूटर से जुड़े (नेटव ड)
ऐ ग रदम व ापी मानव-समुदाय के लए ऐसा कोई ढाँचा तैयार कर सकते ह, जहाँ
यह मानव समुदाय सामू हक प से सारे डेटा का वा म व अपने हाथ म रख सके और
जीवन के भावी घटना म पर नज़र रख सके? या यह मुम कन है क वै क ग़ैरबराबरी
के बढ़ने और सारी नया म सामा जक तनाव म इज़ाफ़ा होने के साथ ही माक जकरबग
अपने दो अरब दो त से एकजुट होने और मल-जुलकर कुछ करने का आ ान कर?
II

राजनी तक चुनौती

सूचना ौ ो गक और जैव ौ ो गक का वलय आधु नकता के आज़ाद और


समानता के के य मू य को ख़तरा पैदा कर रहा है। इस ौ ो गक य चुनौती के
कसी भी समाधान के लए वै क सहकार अ नवाय है, ले कन रा वाद, मज़हब और
सं कृ त मानव-जा त को पर पर वरोधी खेम म बाँटते ह और वै क तर के सहकार
को ब त क ठन बना दे ते ह।
5
समुदाय
मनु य के शरीर होते ह

कै लफ़ो नया भूक प का अ य त है, ले कन संयु रा य अमे रका के 2016 के चुनाव


के झटके तब भी स लकॉन वैली के लए आ ामक सदमा सा बत ए थे। इस अहसास
के चलते क ये सम या खड़ी कर सकते ह, क यूटर वशेष ने उनक त या म वही
कया, जो इंजी नयर सव े कर सकते थे : तकनीक समाधान क खोज। यह त या
मे लो पाक थत फ़ेसबुक के मु यालय म जतनी बल थी, उतनी अ य कह नह थी।
यह समझ म आने वाली बात है। चूँ क फ़ेसबुक का कारोबार सोशल नेटव कग का है,
इस लए वह सामा जक अशा तय के साथ यादा आसानी के साथ तालमेल बैठा सकती
है।
आ मानुस धान के तीन महीने बाद 16 फ़रवरी 2017 को माक जकरबग ने एक
वै क समुदाय तैयार करने के बारे म, और इस प रयोजना म फ़ेसबुक क भू मका के बारे
म एक साह सक घोषणा-प जारी कया। इसी के म म बाद म 22 जून 2017 को
क यु नट ज़ स मट के उ ाटन के अवसर पर दए गए अपने भाषण म जकरबग ने प
कया क - नशीले पदाथ क बेक़ाबू होती जा रही लत से लेकर ह यारी सवस ावाद
शासन- व था तक - हमारे व त क सामा जक-राजनी तक उथल-पुथल काफ़ हद
तक मानव-समुदाय के वघटन का प रणाम ह। उ ह ने इस त य पर गहरा ःख
कया क “दशक से तमाम तरह के समूह क सद यता म एक-चौथाई तक क गरावट
आई है। ये लोग क एक बड़ी सं या है, जनको आज कसी और जगह पर एक येय
और सहारे क ज़ रत है।” उ ह ने वचन दया क फ़ेसबुक इन समुदाय को फर था पत
करने क ज़ मेदारी का नेतृ व करेगी और उनके इंजी नयर उस बोझ को सँभालगे, जससे
इलाक़े के पुरो हत ने अपने क धे झाड़ लए ह। उ ह ने कहा, “हम ऐसे कुछ उपकरण पेश
करने जा रहे ह, जनक मदद से ‘समुदाय को खड़ा करना आसान होगा’।”
उ ह ने यह भी प कया क “हमने यह जानने के लए एक प रयोजना शु क थी
क या हम ऐसे कसी समूह का सुझाव दे सकते ह, जो आपके लए अथपूण हो। हमने
इसके लए आ ट फ़ शयल इंटे लजस तैयार करने क शु आत क , और यह कारगर रही।
पहले छह महीन म हमने 50 % लोग क साथक समुदाय म शा मल होने म मदद क ।”
उनका चरम ल य ‘एक अरब लोग क साथक समुदाय म शा मल होने म मदद करना
है… “अगर हम यह कर सके, तो यह न सफ़ सामुदा यक सद यता म आ रही उस गरावट
क दशा बदल दे गा, जसे हम दशक से दे खते आ रहे ह, ब क यह हमारे सामा जक
ताने-बाने को मज़बूती दान करना भी शु करेगा और नया के लोग को एक- सरे के
और यादा क़रीब लाएगा।” यह एक ऐसा मह वपूण ल य है, जसे ‘हा सल करने क
ख़ा तर जकरबग ने फ़ेसबुक क समूची मु हम को बदल डालने का बीड़ा उठाया है’।
मानवीय समुदाय के भंग होने को लेकर जकरबग का वलाप न य ही सही है, ले कन
जकरबग ारा यह ण लए जाने के कई महीन बाद, और ठ क उस व त जब यह
पु तक छपने जा रही थी, कै ज ऐना ल टका कडल ने भ डाफोड़ कया क फ़ेसबुक
पर भरोसा करके उसको स पे गए डेटा का दोहन तीसरे प ारा कया गया और उनका
इ तेमाल सारी नया के चुनाव म जोड़-तोड़ करने के लए कया गया। इस चीज़ ने
जकरबग के भ आ ासन को एक मज़ाक़ म बदल दया, और फ़ेसबुक म सावज नक
व ास को हलाकर रख दया। आप सफ़ यही उ मीद कर सकते ह क नए मानव-
समुदाय को खड़ा करने क ज़ मेदारी हाथ म लेने से पहले फ़ेसबुक मौजूदा समुदाय क
गोपनीयता और सुर ा क र ा का आ ासन दे ।
तब भी फ़ेसबुक क सामुदा यक प रक पना पर गहराई से वचार करना, और इस
बात का परी ण करना उ चत है क सुर ा के मज़बूत हो जाने के बाद या ऑनलाइन
सोशल नेटवक मनु य के वै क समुदाय क थापना करने म मदद कर सकते ह। य प
इ क सव सद म मनु य दे वता के प म उ त हो सकते ह, ले कन अभी 2018 म
हम पाषाण युग के ज तु ही ह। फलने-फूलने के लए हम आ मीय समुदाय म अपनी जड़
जमाना ज़ री है। लाख साल तक मनु य ऐसे छोटे -छोटे क़बील म रहने के अनु प ढला
रहा है, जनम सौ से यादा लोग नह आ करते थे। यहाँ तक क आज भी हम म से
यादातर के लए 150 से यादा य को जानना अस भव होता है, भले ही हम
कतने ही यादा फ़ेसबुक ड् स होने क ड ग य न हाँकते ह । इन समूह के बना
मनु य अकेला और अलगाव त महसूस करते ह।
भा य से पछली दो स दय से आ मीय समुदाय सचमुच ही वघ टत होते रहे ह।
रा और राजनी तक दल के क पत समुदाय क जगह एक- सरे को सचमुच जानने
वाले लोग के छोटे -छोटे समुदाय से भरने क को शश कभी पूरी तरह कामयाब नह हो
सक । रा ीय प रवार के आपके लाख सद य और क यु न ट पाट के आपके लाख
कॉमरेड आपके लए गमजोश आ मीयता उपल ध नह करा सकते, जो आपका एक
वा त वक सहोदर या दो त उपल ध करा सकता है। नतीजतन, आज लोग हमेशा से कह
यादा पर पर जुड़े इस ह पर हमेशा से कह यादा अकेलेपन का जीवन जीते ह। हमारे
व त के ब त-से सामा जक और राजनी तक बखराव क जड़ इस णता म खोजी जा
सकती ह।
इसी लए मनु य को एक- सरे से फर से जोड़ने का जकरबग का सपना एक
साम यक मह व रखता है, ले कन वाणी कम क तुलना म सुगम होती है, और इस सपने
को पूरा करने के लए फ़ेसबुक को अपने कारोबार के समूचे ढाँचे को बदलना पड़ सकता
है। लोग क चय पर क़ ज़ा करके और फर उनको व ापनकता को बेचकर आप
वै क समुदाय क थापना शायद ही कर सक। इसके बावजूद इस तरह क क पना को
गढ़ने क जकरबग त परता भी सराहनीय है। यादातर ावसा यक त ान यह मानते
ह क उनको पैसा कमाने पर यान दे ना चा हए, सरकार को जतना मुम कन हो उतना
कम ह त ेप करना चा हए, और मानव-जा त को सचमुच हमारी ओर से मह वपूण फ़ैसले
लेने के लए बाज़ार क ताक़त पर भरोसा करना चा हए। इस लए अगर फ़ेसबुक मानव
समुदाय क थापना के लए एक वा त वक वचारधारा मक तब ता का इरादा रखती
है, तो उसक श से ख़ौफ़ खाने वाल को उसको ‘ बग ॅदर!’ चीख़ते ए ावसा यक
त ान के सुर ा-कवच म वापस नह धकेल दे ना चा हए। इसक बजाय, हम सरे
ावसा यक त ान , सं था और सरकार से अनुरोध करना चा हए क वे अपनी
वचारधारा मक तब ताएँ तय करते ए फ़ेसबुक से त पधा कर।
बेशक, ऐसे संगठन क कमी नह है, जो मानवीय समुदाय के भंग होने को लेकर
वलाप करते ह और उनको फर से खड़ा करने का उ म करना चाहते ह। नारीवाद
आ दोलनका रय से लेकर इ लामी क रप थय तक, सारे लोग समुदाय- नमाण के
कारोबार म लगे ह, और इनम से कुछ उ म का परी ण हम बाद के अ याय म करगे।
जो चीज़ फ़ेसबुक क इस पहल को अनूठा बनाती ह, वे ह इसका वै क दायरा, इसका
त ानपरक आधार, और ौ ो गक म इसक गहरी आ था। जकरबग इस बात से
सहमत तीत होते ह क फ़ेसबुक का नया एआई न सफ़ ‘साथक समुदाय ’ क पहचान
कर सकता है, ब क यह “हमारी सामा जक बनावट को मज़बूती भी दान करेगा और
नया के लोग को एक- सरे के और यादा क़रीब लाएगा।” यह कार को चलाने या
कसर का पता लगाने के लए एआई का इ तेमाल करने से कह यादा बड़ी मह वाकां ा
है।
फ़ेसबुक क समुदाय क यह क पना वै क पैमाने पर सोशल इंजी नयरी क के य
तर पर तैयार क गई योजना के लए आ ट फ़ शयल इंटे लजस का इ तेमाल करने क
स भवतः पहली प को शश है। इस लए यह परी ण का एक नणायक मह व का
मामला है। अगर यह को शश कामयाब होती है, तो स भव है क हम ऐसी ब त-सी
को शश दे खने को मल, और ऐ ग रदम को मनु य के सामा जक ताने-बाने के नए
नय ता के प म पहचाना जाए। अगर यह नाकामयाब रहती है, तो यह नई
ौ ो ग कय क सीमा को उजागर करेगी - ऐ ग रदम वाहन का मागदशन करने और
बीमा रय को ठ क करने के मामले म तो ठ क ह गे, ले कन जब सामा जक सम या को
हल करने का मसला आएगा, तो हम राजनेता और पुरो हत पर ही नभर रहना ज़ री
होगा।

ऑनलाइन बनाम ऑफ़लाइन


हाल के वष म फ़ेसबुक ने आ यजनक सफलता हा सल क है, और इस व त 2 अरब से
यादा लोग इसका स य प से ऑनलाइन इ तेमाल करते ह। तब भी अपनी नई
क पना को काय प दे ने के लए इसे ऑनलाइन और ऑफ़लाइन के बीच क खाई को
पाटना ज़ री होगा। एक समुदाय एक ऑनलाइन समूह के प म शु आत तो कर सकता
है, ले कन स चे अथ म फलने-फूलने के लए इसको ऑफ़लाइन नया म भी अपनी जड़
जमानी ह गी। अगर कसी दन कोई तानाशाह अपने दे श म फ़ेसबुक पर रोक लगा दे ता है,
या इंटरनेट के लग ही पूरी तरह से ख च लेता है, तब या ये समुदाय लु त हो जाएँगे, या
वे फर से संग ठत होकर जवाबी लड़ाई लड़गे? या वे ऑनलाइन संचार-सु वधा के बना
दशन कर सकगे?
फ़रवरी 2017 के अपने घोषणा-प म जकरबग ने प कया था क ऑनलाइन
समुदाय ऑफ़लाइन समुदाय को बढ़ावा दे ने म मदद करते ह। ये कभी-कभी सही होता है,
ले कन ब त-से मामल म ऑनलाइन ऑफ़लाइन क क़ मत पर उपल ध होती है, और
दोन के बीच मूलभूत अ तर है। वा त वक समुदाय म जो गहराई होती है, उसका
मुक़ाबला आभासी समुदाय नह कर सकते, कम-से-कम नकट भ व य म तो नह ही कर
सकते। अगर म इज़रायल म अपने घर म बीमार पड़ा आ ँ, तो कै लफ़ो नया के मेरे
ऑनलाइन दो त मुझसे बात तो कर सकते ह, ले कन वे मेरे लए सूप या एक कप चाय
लाकर नह दे सकते।
मनु य क कायाएँ होती ह। पछली सद के दौरान ौ ो गक हम हमारी काया से
र करती रही है। हम जो सूँघते और चखते ह, उसक ओर यान दे ने क अपनी
क़ा ब लयत हम खोते जा रहे ह। इसक बजाय हम अपने माटफ़ोन और क यूटर म डू बे
रहते ह। हमारी दलच पी इसम यादा है क साइबर पेस म या हो रहा है, इसम कम है
क हमारे पास क सड़क पर या हो रहा है। वट् ज़रलड म बैठे अपने चचेरे भाई-बहन
से बात करना मेरे लए पहले के मुक़ाबले ब त आसान हो गया है, ले कन साथ बैठकर
ना ता करते अपने प त के साथ बात करना यादा मु कल है, य क वह मेरी ओर दे खने
क बजाय लगातार अपने माटफ़ोन क तरफ़ दे खते रहते ह।
अतीत म, मनु य इस तरह क लापरवाही नह बरत सकते थे। ाचीन भोजन-खोजी
हमेशा चौक े और सतक रहा करते थे। मश म क तलाश म जंगल म भटकते ए वे
ज़मीन के कसी भी ऐसे उभार पर नज़र रखते थे, जो उसके नीचे मश म होने क
ख़ु फ़या सूचना दे सकता था। वे घास क मामूली-सी सरसराहट पर भी कान लगाए रखते
थे, यह जानने के लए क कह वहाँ कोई साँप तो नह छपा बैठा है। जब उनको खाने
लायक़ मश म मल जाता था, तो वे उसको खाने के पहले इस फ़क़ का पूरा यान रखते
थे क कह वह अपनी ज़हरीली जा त का कोई चचेरा भाई तो नह है। हम अपने
माटफ़ोन पर मैसेज लखते ए सुपरमाकट के ग लयार म भटकते रह सकते ह, और
उन हज़ार ंजन म से कोई भी ंजन ख़रीद सकते ह, जनका वा य अ धका रय
ारा नरी ण कया गया होता है, ले कन हम जो भी कुछ चुनते ह, अ ततः उसको न
के सामने बैठकर ज दबाज़ी म खा लेते ह, जस दौरान हम अपने ई-मेल दे खते रहते ह या
टे ली वज़न दे खते रहते ह, और जो कुछ खा रहे होते ह उसके वा त वक वाद क ओर
शायद ही यान दे ते ह।
जकरबग फ़ेसबुक के बारे म कहते ह क “हम अपने उपकरण को उ त करना जारी
रखने के लए’ तब ह, ‘ता क वे आपको अपने अनुभव को’ सर के साथ ‘साझा
करने क श दे सक।” ले कन लोग को असल ज़ रत ऐसे उपकरण क है, जो उनको
उनके अपने अनुभव से जोड़ सक। ‘अनुभव को साझा करने’ के नाम पर लोग इस बात
के लए ो सा हत कए जाते ह क जो कुछ भी उनके साथ होता है, उसको वे इस स दभ
म समझ क सरे लोग उसको कस तरह दे खते ह। अगर कोई उ ेजक घटना घ टत होती
है, तो फ़ेसबुक का इ तेमाल करने वाल क सहज बु उनसे माटफ़ोन नकालकर एक
तसवीर ख चने, उसको ऑनलाइन पो ट करने, और ‘लाइ स’ का इ तज़ार करने को
कहती है। इस पूरी या म उनका यान इस बात क ओर शायद ही जा पाता है क वे
ख़ुद या महसूस कर रहे ह। वाक़ई, वे जो महसूस करते ह, वह उ रो र ऑनलाइन
त या से नधा रत होता जा रहा है।
स भावना यही है क अपनी काया , इ य और भौ तक पयावरण से वर ये
लोग ख़ुद को अलगाव- त और भटका आ महसूस कर। वशेष ायः अलगाव के इन
अहसास के लए मज़हबी और रा ीय दा य व म आई गरावट को दोषी ठहराते ह,
ले कन अपनी काया से स पक टू टना शायद कह यादा मह वपूण है। मनु य लाख वष
तक चच के बना और रा -रा य के बना रहे ह। वे शायद इनके बग़ैर इ क सव सद म
भी सुखपूवक रह सकते ह, ले कन अगर वे अपनी काया से कट जाते ह, तो वे
सुखपूवक नह रह सकते। अगर आप अपनी काया के साथ आ मीयता का अनुभव नह
करते, तो आप इस नया म भी कभी आ मीयता महसूस नह कर पाएँगे।
अब तक, फ़ेसबुक के कारोबार के अपने मॉडल ने लोग को अपना यादा-से- यादा
समय ऑनलाइन ख़च करने के लए ो सा हत कया है, भले ही इसके नतीजे म उनके
पास ऑफ़लाइन ग त व धय को दे ने के लए कम-से-कम समय और ऊजा य न बचती
हो। या यह कोई ऐसा नया मॉडल अपना सकती है, जो लोग को ो सा हत करे क वे
तभी ऑनलाइन ह , जब वह ब त ज़ री हो, और वे अपने भौ तक पयावरण और अपनी
ख़ुद क काया और इ य क ओर अ धक यान द? इस तरह के मॉडल के बारे म
शेयरधारी या सोचते ह? (इस तरह के वैक पक मॉडल क एक परेखा का सुझाव
गूगल से जुड़े रहे और ौ ो गक -दाश नक टान है रस ने हाल ही म दया है, ज ह ने
‘सही ढं ग से बताए गए समय’ का एक नया पैमाना पेश कया है।)
ऑनलाइन र त क सीमाएँ भी सामा जक ुवीकरण के जकरबग के समाधान को
कमज़ोर बनाती ह। उ ह ने इस ओर ठ क ही यान दलाया है क लोग को एक- सरे से
जोड़ दे ने और उनको व भ कोण को समझने के अवसर उपल ध करा दे ने मा से
सामा जक खाइयाँ नह पट जाएँगी, य क “लोग के सामने एक वपरीत प र े य से
कोई आ टकल पेश कर दे ना वा तव म सरे प र े य को वजातीय प र े य बताकर
घु्रवीकरण को और गहराना है।” इसक बजाय, जकरबग का सुझाव है क “ वमश म
सुधार लाने का सबसे अ छा उपाय एक- सरे को महज़ कोण के प म जानने क
बजाय पूण लोग के प म जानने से पैदा हो सकता है - जो एक ऐसा उपाय है, जसको
करने म फ़ेसबुक अनूठे से ढं ग से उपयु है। अगर हम लोग से उन चीज़ के आधार पर
जुड़ते ह, ज ह हम साझा करते ह - जैसे क खेल-ट म, ट वी-शो, चयाँ - तो जन चीज़
के बारे म हमारी असहम त होती है, उनके बारे म संवाद आसान हो जाता है।
ले कन एक- सरे को ‘पूण’ लोग के प म जानना अ य त क ठन है। इसम ब त
यादा व त लगता है, और यह य अ त या क माँग करता है। जैसा क पहले कहा
जा चुका है क एक औसत होमो से पय स स भवतः 150 से यादा य को नकट
से जानने म असमथ होता है। आदश प से, समुदाय क थापना का नतीजा कुल-जमा-
शू य नह होना चा हए। मनु य एक ही समय म व भ समूह के त वफ़ादारी महसूस
कर सकते ह। भा य से, आ मीय र त का नतीजा शायद कुल-जमा-शू य ही होता है।
एक न त मक़ाम के परे, आप ईरान या नाइज़ी रया के अपने दो त को जानने के लए
जो समय और ऊजा ख़च करगे, उसके लए आपको अपने नकटतम पड़ोसी को जानने
क अपनी क़ा ब लयत क क़ मत चुकानी पड़ेगी।
फ़ेसबुक क नणायक परी ा क घड़ी तब आएगी, जब कोई इंजी नयर कोई ऐसा
नया टू ल ईजाद कर लेगा, जससे लोग अपना समय ऑनलाइन चीज़ ख़रीदने म कम और
अपने दो त के साथ ऑफ़लाइन ग त व धय म यादा लगाएँगे। फ़ेसबुक इस तरह के टू ल
को अपनाएगी या उसको दबा दे गी? या फ़ेसबुक एक अ व सनीय लगती चीज़ म
व ास करेगी, और सामा जक सरोकार को आ थक हत पर वरीयता दे गी? अगर वह
ऐसा करती है - और कसी तरह दवा लया होने से बच जाती है - तो वह एक महान
प रवतन होगा।
ऑफ़लाइन नया पर अपनी तमाही रपोट से यादा यान के त करने का असर
फ़ेसबुक क कर-नी त पर भी पड़ेगा। अमेज़ॉन, गूगल, ऐपल और ौ ो गक के अनेक
सरे महाब लय क ही तरह फ़ेसबुक पर भी कर का भुगतान करने से बचने के आरोप
लगते रहे ह। ऑनलाइन ग त व धय पर कर लगाने क वाभा वक मु कल इन वै क
त ान के लए तमाम तरह क ए टव अकाउं टग म वृ होना आसान बना दे ती ह।
अगर आप सोचते ह क लोग मु यतः ऑनलाइन रहते ह, और यह क आप उनको उनके
ऑनलाइन अ त व के लए ज़ री सारे साधन मुहैया कराते ह, तो आप ख़ुद को एक
हतकारी सामा जक सेवा के प म दे ख सकते ह, भले ही आप ऑफ़लाइन सरकार को
कर का भुगतान करने से बचते ह , ले कन जैसे ही आप यह याद रखते ह क मनु य क
कायाएँ होती ह, और इस लए उनको सड़क , अ पताल , और मल- नकासी- णा लय क
ज़ रत होती है, तो फर कर से बचने का औ च य स करना यादा मु कल हो जाता
है। आप समुदाय क ख़ू बय क सराहना कैसे कर सकते ह, जब क आप समुदाय क
सबसे मह वपूण सेवा को व ीय सहारा दे ने से इंकार कर रहे ह ?
हम सफ़ यही उ मीद कर सकते ह क फ़ेसबुक अपने कारोबार के मॉडल को बदल
सकती है, एक यादा ऑफ़लाइन-सहयोगी कर-नी त अपना सकती है, नया क एकजुट
होने म मदद कर सकती है - और तब भी लाभ कमाती रह सकती है, ले कन हम फ़ेसबुक
के वै क समुदाय के सपने को साकार करने क मता को लेकर अ ावहा रक उ मीद
नह पालनी चा हए। ऐ तहा सक तौर पर, ावसा यक त ान सामा जक और
राजनी तक ा तय का नेतृ व करने वाले आदश मा यम नह रहे ह। एक वा त वक
ा त आगे-पीछे ऐसी क़बा नय क माँग करती है, जनके लए ावसा यक त ान,
उनके कमचारी और उनके शेयरधारी तैयार नह होते। यही वज़ह है क ा तकारी लोग
चच , राजनी तक दल और सेना का नमाण करते ह। तथाक थत फ़ेसबुक और ट् वटर
ा तय ने अरब नया म उ मीद से भरे ऑनलाइन समुदाय क शु आत क थी, ले कन
जैसे ही वे अ त- त ऑफ़लाइन नया म कट ए, वैसे ही उन पर मज़हबी उ मा दय
और सै य तानाशा हय ने क़ ज़ा कर लया था। अगर फ़ेसबुक आज एक वै क ा त
को े रत करना चाहती है, तो उसको ऑनलाइन और ऑफ़लाइन के बीच क खाई को
पाटने के लए कह यादा मेहनत करनी होगी। वह और सरे ऑनलाइन महाबली मनु य
को य- ा णय के प म दे खने क को शश करते ह - दस अँगु लय , एक न
और एक े डट काड से जुड़ी एक जोड़ी आँख और एक जोड़ा कान के प म। मानव-
जा त को संग ठत करने क दशा म सबसे मह वपूण क़दम इस बात को समझना है क
मनु य क कायाएँ होती ह।
बेशक, इस समझ का भी अपना नकारा मक पहलू है। ऑनलाइन ऐ ग रदम क
सीमा का अहसास ौ ो गक के महाब लय को अपनी प ँच म व तार करने के लए
ही उकसा सकता है। गूगल लास जैसे उपकरण और पोकमॉन गो जैसे खेल ऑनलाइन
और ऑफ़लाइन का एक एकल ऑगमटे ड रय लट (क यूटर ारा तैयार और वा त वक
नया के य के साथ मलाकर दे खी जाने वाली छ वयाँ।) म वलय करते ए दोन के
फ़क़ को मटाने के लए तैयार कए गए ह। एक और भी गहरे तर पर बायोमै क ससर
और सीधे म त क-क यूटर इंटरफेस का उ े य इले ॉ नक मशीन और जै वक
काया के बीच क सीमा को धीरे-धीरे मटाते जाना, और हम साफ़ तौर पर खीझ से
भर दे ना है। जैसे ही ौ ो गक के महाबली मनु य क काया को वीकार कर लेते ह, वैसे
ही वे हमारी समूची काया को उसी तरह नय त करने लग सकते ह, जस तरह वे
फ़लहाल हमारी आँख , अँगु लय और े डट काड को नय त करते ह। हम उन पुराने
भले दन क याद सताएगी, जब ऑनलाइन ऑफ़लाइन से अलग आ करता था।
6
स यता
नया म मा एक ही स यता है

जहाँ माक जकरबग मानव-जा त को ऑनलाइन संग ठत करने का वाब दे ख रहे ह, वह


ऑफ़लाइन नया क ताज़ा घटनाएँ ‘स यता का टकराव’ क प रक पना म नए सरे से
ाण फूँकती लग रही ह। ब त-से प डत , राजनेता और साधारण नाग रक का ऐसा
व ास है क सी रयाई गृहयु , इ ला मक टे ट का उदय, े ज़ट-अशा त तथा यूरोपीय
यू नयन क अ थरता आ द ये सब ‘प मी स यता’ और ‘इ लामी स यता’ के बीच
टकराव के नतीजे ह। मुसलमान रा पर लोकत और मानवा धकार को थोपने क
प म क को शश हसक इ लामी त या के प म सामने आई ह, और इ लामी
आतंकवाद हमल के साथ-साथ मुसलमान के आगमन क लहर ने यूरोप के मतदाता
को अ ात लोग से भयभीत थानीय पहचान के प म अपने ब सां कृ तक सपन को
याग दे ने पर मजबूर कर दया है।
इस प रक पना के अनुसार, मानव-जा त हमेशा से ऐसी व भ स यता म
वभा जत रही है, जनके सद य नया को ऐसी य से दे खते रहे ह, जनके बीच
कसी तरह का समझौता मुम कन नह है। ये पर पर- वरोधी व याँ स यता के
बीच टकराव को अप रहाय बना दे ती ह। जस तरह कृ त म व भ जा तयाँ ाकृ तक
वरण के ू र नयम के तहत अपने जी वत बने रहने का संघष करती ह, उसी तरह समूचे
इ तहास के दौरान स यताएँ बार-बार टकराती रही ह और सफ़ सबसे क़ा बल लोग ही
वा त वकता का बयान करने के लए बचे रह जाते ह। जो लोग इस कठोर स चाई क
अनदे खी करते ह - वे चाहे उदारवाद राजनेता ह या ख़याल क नया म रहने वाले
इंजी नयर ह - वे जानबूझकर जो खम उठाते ह।
‘स यता के टकराव’ क इस प रक पना के रगामी राजनी तक न हताथ ह। इस
प रक पना के समथक क दलील है क ‘प म’ और ‘मु लम नया’ के बीच सुलह
क़ायम करने क कोई भी को शश वफल होने के लए अ भश त है। मुसलमान मु क
कभी भी पा ा य मू य को वीकार नह करगे, और प मी मु क कभी भी मुसलमान
अ पसं यक को अपनाने म सफल नह हो सकते। तदनुसार, संयु रा य अमे रका को
सी रया या इराक़ से आकर बसना चाहने वाले लोग को वेश नह दे ना चा हए, यूरोपीय
यू नयन को एक अटल पा ा य अ मता के प म अपने ब सां कृ तक भुलावे को याग
दे ना चा हए। द घका लक तर पर, केवल एक ही स यता कृ तक वरण क नमम
परी ा को उ ीण कर सकती है, और अगर ुसे स के नौकरशाह प म को इ लामी
ख़तरे से बचाने से इंकार करते ह, तो टे न, डेनमाक या ांस के लए यही बेहतर है क वे
अपने तर पर कारवाई कर।
य प इस प रक पना को ापक समथन मला आ है, तब भी यह गुमराह करने
वाली है। इ लामी क रतावाद सचमुच ही एक अ तवाद चुनौती पेश कर रहा हो सकता है,
ले कन यह जस ‘स यता’ को चुनौती दे रहा है, वह व श प से कोई प मी चीज़ न
होकर एक वै क स यता है। यह अकारण नह क इ ला मक टे ट अपने ख़लाफ़ ईरान
और संयु रा य अमे रका को एकजुट करने म कामयाब रहा है। यहाँ तक क इ लामी
क रप थी, अपनी म ययुगीन फ़ ता सय के बावजूद, सातव सद के अरब क बजाय
समकालीन वै क सं कृ त म अपनी जड़ जमाए ए ह। वे म ययुगीन कसान या
सौदागर क बजाय अलग-थलग पड़ गए आधु नक नौजवान क आशंका और
उ मीद को जगाए ए ह। जैसा क पंकज म और टोफ़र द बैलीग़ ने भावशाली
ढं ग से तक दया है क उ वाद इ लामप थी जतने मोह मद साहब से भा वत ह, उतने
ही मा स और फ़ूको से भा वत ह, और वे उ ीसव सद के यूरोपीय अराजकतावा दय
के उतने ही वा रस ह, जतने उम”यद और अ बा सद ख़लीफ़ा के ह। इस लए
इ ला मक टे ट तक को कसी रह यमय अ ात वृ क शाखा के प म दे खने क बजाय
यादा सही यह होगा क हम उसे उस भूम डलीय सं कृ त क गुमराह स तान के प म
दे ख, जस सं कृ त को हम सब साझा करते ह।
इससे भी यादा मह वपूण यह है क इ तहास और जै वक के बीच जो तुलना
‘स यता के टकराव’ क प रक पना को सहारा दए ए है, वह एक ामक तुलना है।
मानव समुदाय - छोटे -छोटे क़बील से लेकर वशाल स यता तक फैले मानव समुदाय -
मनु येतर ा णय क जा तय से बु नयाद प से भ ह, और ऐ तहा सक टकराव
ाकृ तक वरण क या से ब त अलग ह। मनु येतर ा णय क जा तय क
व तु न पहचान होती ह, जो क हज़ार -हज़ार पी ढ़य तक बनी रहती ह। आप च पांज़ी
ह या गो र ला ह, यह चीज़ आपक आ था क बजाय आपके जी स पर नभर करती
है, और अलग-अलग तरह के जी स भ क़ म के वहार के लए दबाव डालते ह।
च पांज़ी नर और मादा के संयु समूह म रहते ह। वे नर और मादा , दोन के बीच
से समथक को जुटाकर स ा के लए संघष करते ह। इसके वपरीत गो र ला म एक
भु वशाली नर मादा का एक हरम वक सत करता है और ऐसे कसी भी नर को झु ड
से बाहर कर दे ता है, जो उसक है सयत को चुनौती दे सकता है, और जहाँ तक हमारी
जानकारी है, ऐसी ही सामा जक व थाएँ न सफ़ हाल के दशक म, ब क हज़ार साल
से, च पां ज़य और गो र ला क ख़ा सयत रही ह।
आपको मनु य म इस तरह क कोई चीज़ दे खने को नह मलती। हाँ, मनु य के
समूह क अपनी व श सामा जक व थाएँ हो सकती ह, ले कन ये व थाएँ जने टक
कारक से नधा रत नह होत , और वे कुछ स दय से यादा समय तक शायद ही टक
रह पाती ह। उदाहरण के लए, बीसव सद के जमन के बारे म सोच। सौ साल से भी कम
के समय म जमन ने वयं को छह अलग-अलग व था के अ तगत संग ठत कया :
होहज़ोलन सा ा य, वाइमर गणरा य, थड राईख़, जमन डेमो ै टक रप लक (उफ़
सा यवाद पूव जमनी), फ़ैडरल रप लक ऑफ़ जमनी (उफ़ प मी जमनी), और अ त
म एक कृत लोकता क जमनी। हाँ, जमन ने अपनी भाषा और बयर तथा ाटव ट
(सॉसेज) के त अपने ेम को बरक़रार रखा, ले कन या ऐसा कोई अनूठा जमन स व
है, जो उनको सरे तमाम रा से अलग करता हो, और जो व हेम प् से लेकर जेला
मकल तक अप रव तत बना रहा हो? और अगर आप ऐसी कोई चीज़ ढूँ ढ ही नकाल, तो
या वह 1,000 साल पहले, या 5,000 साल पहले थी?
(अनुमो दत नह ) ए बल ऑफ़ यूरो पयन कॉ ट ूशन (यूरोपीय सं वधान क
तावना) क शु आत यह कहते ए होती है क यह ‘यूरोप क उस सां कृ तक, मज़हबी
और मानववाद वरासत से’ े रत है, ‘जहाँ से मानव , लोकत , समानता,
वत ता और व ध-स मत शासन के अनुलंघनीय और अ व छे अ धकार के
सावभौ मक मू य वक सत ए ह’। इससे कसी को आसानी से ऐसा लग सकता है क
मानवा धकार, लोकत , समानता और वत ता के मू य यूरोपीय स यता क पहचान
ह। ऐसे अ तहीन भाषण और द तावेज़ ह, जो ाचीन एथी नयाई लोकत से लेकर आज
के यूरोपीय यू नयन तक एक सीधी रेखा ख चते ए यूरोपीय वत ता और लोकत के
2,500 साल का ज मनाते ह। यह थ त उस लोक- स अ धे क याद दलाती है,
जसके हाथ म हाथी क पूँछ आती है और वह नतीजा नकालता है क हाथी श जैसा
होता है। हाँ, लोकता क वचार स दय से यूरोपीय सं कृ त का ह सा रहे ह, ले कन वे
पूण कभी नह थे। अपनी सारी म हमा और भाव के बावजूद एथी नयाई लोकत एक
अधूरे मन से कया गया योग था, जो बालका स के एक छोटे -से कोने म बमु कल 200
साल तक टका रह सका था। अगर यूरोपीय स यता पछली प चीस स दय से लोकत
और मानवा धकार से प रभा शत होती रही है, तो हम पाटा और जू लयस सीज़र,
धमयो ा ( ू सेडस) और वजेता (कॉ व टाडोर ), धमपरी ण और ग़लाम
ापार, लुई XIV और नेपो लयन, हटलर और ता लन क ा या कस तरह करगे?
या ये सारे लोग कसी वदे शी स यता से आए घुसपै ठए थे?
स चाई यह है क यूरोपीय स यता वैसी क़तई नह है, जैसा यूरोपीय लोग उसको
समझते ह, ठ क उसी तरह जैसे ईसाइयत वैसी क़तई नह है, जैसा ईसाई उसको समझते
ह, इ लाम वैसा क़तई नह है जैसा मुसलमान उसको समझते ह, य द मज़हब वैसा क़तई
नह है जैसा य द उसको समझते ह। और उ ह ने स दय के दौरान इसे आ यजनक ढं ग
से प रभा शत कया है। मनु य के समूह नरंतरता बजाय उन प रवतन से यादा पहचाने
जाते ह, जनसे वे गुज़रे होते ह, ले कन तब भी वे अपनी क़ सागोई क द ता के
चलते अपने लए ाचीन पहचान गढ़ लेते ह। उ ह ने कसी भी तरह क ा तय को य
न अनुभव कया हो, वे आमतौर से पुराने और नए को एक ही धागे म बुन लेते ह।
यहाँ तक क एक तक ा तकारी नजी प रवतन को एक सुसंगत और
सश जीवन-कथा म गूँथ ले सकता है : “म वह ँ, जो कभी एक समाजवाद
आ करता था, ले कन बाद म एक पूँजीवाद हो गया, मेरा ज म ांस म आ था, और
अब म संयु रा य अमे रका म रहता ँ, म ववा हत था, और मने तलाक ले लया, मुझे
कसर हो गया था, ले कन फर म ठ क हो गया।” इसी तरह से मसलन जमन क तरह का
कोई मानव समुदाय ख़ुद को उन प रवतन से प रभा शत कर सकता है, जनसे वह गुज़रा
है : “एक समय था जब हम नाज़ी थे, ले कन हमने सीख ली और अब हम शा त य
लोकता क ह।” आपको कसी ऐसे अनूठे जमन स व को ढूँ ढने क ज़ रत नह है, जो
ख़ुद को पहले व हेम II म, फर हटलर म, और अ त म मकल म पा यत करता हो। ये
मूलगामी पा तरण ही वा तव म वे चीज़ ह, जो जमन अ मता को प रभा शत करती ह।
2018 म जमन होने का अथ उदार और लोकता क मू य का समथन करते ए
नाज़ीवाद क मु कल वरासत से नपटना है। कौन जानता है क 2050 म इसका या
मतलब होगा।
लोग अ सर इन प रवतन को दे खने से इंकार करते ह, ख़ासतौर से तब, जब
बु नयाद राजनी तक और मज़हबी मू य का सवाल उठता है। हम ज़ोर दे ते ह क हमारे
मू य ाचीन पूवज क मू यवान धरोहर ह, ले कन जो एकमा चीज़ हम ऐसा कहने क
गुंजाइश दे ती है, वह यह है क हमारे वे पूवज ब त पहले मर चुके होते ह, और वे ख़ुद
इसक गवाही नह दे सकते। उदाहरण के लए, य के त य दय के रवैये पर वचार
कर। आज क र पर परावाद (ऑथ डॉ स) य द सावज नक थल पर य क
छ वय पर तब ध लगाते ह। क र पर परावाद य दय को ल य कर तैयार कए जाने
वाले सूचना-प और व ापन आमतौर से सफ़ पु ष और लड़क को ही च त करते ह,
य और लड़ कय को कभी नह करते।
2011 म जब क र पर परावाद ुक लन अख़बार डाई ज़ाइतुंग ने ओसामा बन-
लादे न के प रसर पर मारे गए छापे को दे ख रहे अमे रक अ धका रय क एक तसवीर
छापी, ले कन उस तसवीर से, से े टरी ऑफ़ टे ट हलेरी लंटन समेत सारी य को
ड जटल ढं ग से मटा दया, तो ज़बरद त हंगामा खड़ा हो गया था। अख़बार ने सफ़ाई पेश
क क ऐसा उसे य द ‘सदाचार के नयम ’ के तहत करना पड़ा। ऐसा ही एक हंगामा उस
व त खड़ा हो गया था, जब हा-मेवासर अख़बार ने चाल है दो के ख़लाफ़ कए जा रहे
दशन क एक तसवीर से जेला मकल को इस आधार पर मटा दया था क उनक छ व
ालु पाठक के मन म कामवासना के वचार जगा सकती थी। एक तीसरे क र
पर परावाद अख़बार हमो दया ने इस नी त का बचाव यह प ीकरण दे ते ए कया था
क ‘हम हज़ार साल पुरानी य द पर परा का समथन ा त है।’
य को दे खने पर जतना कड़ा तब ध सायनागॉग (य द दे वालय) म है, उतना
और कह नह है। पर परावाद सायनागॉग म य को सावधानीपूवक पु ष से अलग
रखा जाता है, और उनको ख़ुद को एक तब धत े तक सी मत रहना होता है, जहाँ वे
एक पद के पीछे छपी रहती ह, ता क कसी मद को ाथना करते समय या धम थ का
पाठ करते समय धोखे से भी कसी ी क आकृ त न दख जाए, ले कन अगर यह
सबको हज़ार साल पुरानी य द पर परा और अप रवतनीय दै वीय वधान का समथन
ा त है, तो इस त य को कस तरह प कया जाए क जब पुरात ववे ा ने इज़रायल
के मशना और तलमूद के ज़माने के ाचीन सायनागॉग क ख़ुदाई क , तो उनको वहाँ न
सफ़ ल गक अलगाव के कोई नशान नह मले, ब क उलटे फ़श क ऐसी ख़ूबसूरत
प चीका रयाँ और भ - च मले, जन पर याँ च त थ , और उनम कुछ ख़ासे कम
व पहने ई थ ? जन र बय ने मशना और तलमूद लखे थे, वे इन सायनागॉग म
नय मत प से ाथनाएँ और अ ययन कया करते थे, ले कन आज के ज़माने के
पर परावाद य द उनको ाचीन पर परा का धम ोही अप व ीकरण मानगे।
ाचीन पर परा क इसी तरह क वकृ तयाँ तमाम मज़हब क ख़ा सयत ह।
इ ला मक टे ट शेखी बघारता है क वह इ लाम के शु और मौ लक प क ओर वापस
लौटा है, ले कन वा तव म इ लाम के बारे म उनक धारणा पूरी तरह नई है। हाँ, वे ब त-से
मुक़ स मज़मून का हवाला दे ते ह, ले कन कन मज़मून का हवाला दया जाए और कन
क उपे ा क जाए, इसके चुनाव को लेकर, और उनक ा या करने के ढं ग को लेकर वे
जो मश क़त करते ह, उसम ब त यादा सावधानी बरतते ह। वाक़ई, प व पो थय क
ा या को लेकर उनका व- ववेक के इ तेमाल का रवैया अपने म ब त आधु नक है।
पार प रक तौर पर, ा या पर जानकार उलेमा का एका धकार आ करता था - उन
अ येता का, ज ह ने का हरा के अल-अज़हर जैसे नामी व व ालय म मु लम
व ध-सं हता और धम- व ा का अ ययन कया होता था। इ ला मक टे ट के ब त थोड़े-
से नेता क ऐसी साख है, और अ य त स मा नत उलेमा ने अबू ब अल-बग़दाद
और उन जैस को जा हल गुनहगार कहकर ख़ा रज़ कर दया है।
इसका यह मतलब नह है क इ ला मक टे ट ‘ग़ैर-इ लामी’ या ‘इ लाम- वरोधी’ है,
जैसा क कुछ लोग का कहना है। यह ख़ासतौर से तब वड बनापूण हो जाता है, जब
बराक ओबामा जैसे ईसाई नेता अबू ब अल-बग़दाद जैसे वघो षत मुसलमान को यह
बताने का साहस करते ह क मुसलमान होने का या मतलब होता है। इ लाम के
वा त वक सार-त व को लेकर उ वाद- ववाद नहायत ही बेमतलब है। इ लाम का कोई
तयशुदा डीएनए नह है। मुसलमान जस कसी भी प म इ लाम को दे खते ह, वही
इ लाम है।

जमनीवासी और गो र ले
मानव-समुदाय को सरे ा णय क जा तय से अलग करने वाला एक और भी गहरा
अ तर है। जा तयाँ अ सर टू टती ह, ले कन उनका आपस म मलन कभी नह होता।
लगभग 70 लाख साल पहले च पां ज़य और गो र ला के पूवज एक ही आ करते
थे। एकल पूवज वाली ये जा तयाँ दो आबा दय म वभा जत और अ ततः वकास के
दो अलग-अलग रा त पर चल पड़ । एक बार यह होने के बाद कोई वापसी नह ई।
चूँ क अलग-अलग जा तय के मलकर जनन म स म स तान को ज म नह दे
सकते, इस लए जा तय का आपस म कभी मलन नह हो सकता। गो र ला का
च पां ज़य के साथ मलन नह हो सकता, जराफ़ का हा थय के साथ मलन नह हो
सकता, और कु का ब लय के साथ मलन नह हो सकता।
इसके वपरीत, इंसानी क़बीले समय के साथ-साथ उ रो र बड़े समुदाय म एक होते
जाते ह। आधु नक जमन क रचना उन सै सन , शयावा सय , व बयाइय और
बावे रयाइय के आपस म मलने से ई थी, जनको यादा दन नह ए, जब ये एक-
सरे पर थोड़ा भी ेम बबाद नह करते थे। कहा जाता है क ऑटो वॉन ब माक ने
(डा वन क पु तक ऑन द ओ रजन ऑफ़ पशीज़ पढ़ने के बाद) ट पणी क थी क
ऑ याई और मनु य के बीच बावे रयाई छू ट ई कड़ी है। ांसी सय क उ प क,
नॉमन , ेतन , गा कॅन और ोवसल के आपस म मलने से ई थी। उधर, चैनल के उस
पार, टे नवा सय क उ प के लए अँ ेज़, कॉट, वे ज़ और आय रश ( वे छापूवक
या अ न छापूवक) आपस म मले थे। वह भ व य ब त र नह है, जब जमन, ांसीसी
और टे नवासी आपस म मलकर यूरोपीय हो सकते ह।
पर पर वलय हमेशा टकाऊ नह होता, जैसा क ल दन, ए डनबरा और ुसे स के
लोग को इन दन ब त तीखा अहसास है। े ज़ट शायद एक साथ यूनाइटे ड कगडम
और यूरोपीय यू नयन, दोन को बखेरने क शु आत कर सकता है, ले कन द घका लक
तर पर, इ तहास क दशा ब त प होती है। दस हज़ार साल पहले मानव-जा त
असं य अलग-थलग क़बील म बँट थी। हर गुज़रती सह ा द के साथ ये क़बीले
उ रो र बड़े होते समुदाय म वलीन होते गए, और ऐसी स यताएँ रचते गए, जनके बीच
के भेद उ रो र कम होते गए। हाल क पी ढ़य म जो थोड़ी-सी बची ई स यताएँ ह, वे
एक एकल भूम डलीय स यता म घुलने क ओर अ सर ह। राजनी तक, जातीय,
सां कृ तक और आ थक वभाजन बने रहते ह, ले कन वे एकता क बु नयाद को कमज़ोर
नह करते। सच तो यह है क कुछ वभाजन सबको समा हत करने वाली एक साझा
संरचना क वज़ह से ही मुम कन हो पाते ह। उदाहरण के लए, अथ व था म म-
वभाजन तब तक कामयाब नह हो सकता, जब तक क हर एक बाज़ार साझा न
करता हो। एक दे श कार के नमाण या तेल के उ पादन म तब तक वशेष ता हा सल
नह कर सकता, जब तक क वह उन सरे दे श से खा ा ख़रीदने क थ त म नह
होता, जो गे ँ और चावल पैदा करते ह।
मनु य के एक करण क या ने दो अलग-अलग प लए ह : अलग-अलग
समुदाय के बीच स पक-सू था पत करना, और सारे समुदाय के बीच के आचार-
वहार म एक पता लाना। स पक-सू उन समुदाय के बीच तक था पत कए जा
सकते ह, जो ब त अलग-अलग ढं ग से वहार करना जारी रखते ह। सच तो यह है क
क र श ु के बीच तक स पक-सू था पत कए जा सकते ह। वयं यु भी मनु य के
बीच के सबसे मज़बूत र त को उ प कर सकता है। इ तहासकार अ सर यह तक दे ते ह
क भूम डलीकरण अपनी पहली ऊँचाई पर 1913 म प ँचा था, इसके बाद व यु
और शीत यु के युग के दौरान इसम ल बी गरावट आती गई, और फर 1989 म जाकर
ही उसम फर से सुधार आया। आ थक भूम डलीकरण के बारे म यह बात सही हो सकती
है, ले कन इसम सै य भूम डलीकरण क भ , क तु उतनी ही मह वपूण ग तशीलता क
उपे ा न हत है। यु वचार , ौ ो ग कय और लोग को वा ण य के मुक़ाबले कह
यादा तेज़ी के साथ फैलाते ह। 1918 म संयु रा य अमे रका यूरोप से 1913 के
मुक़ाबले यादा क़रीब से जुड़ा आ था, इसके बाद व यु के बीच क अव ध म दोन
के बीच री बढ़ गई, और सरे व यु और शीतयु के मा यम से ही उनक नय तयाँ
आपस म अटू ट प से गुँथ सक ।
यु लोग क एक- सरे के त दलच पी म इज़ाफ़ा भी करता है। संयु रा य
अमे रका शीत यु के दौरान स के जतने नकट स पक म रहा, उतना कभी नह रहा
था, जब मॉ को के ग लयारे म खाँसने क हर आवाज़ पर लोग वॉ शगटन क सी ढ़य पर
तेज़ी-से चढ़ने-उतरने लगते थे। लोग अपने श ु से उससे यादा लगाव रखते ह, जतना
वे अपने ापा रक साझेदार से रखते ह। ताइवान के बारे म अमे रका क हरेक फ़ म के
बदले शायद वयतनाम के बारे म उसक लगभग पचास फ़ म ह गी।

म ययुगीन ओल प स
इ क सव सद क शु आती नया व भ समुदाय के बीच स पक-सू था पत करने
से ब त आगे नकल चुक है। अब सारे भूम डल के लोग न सफ़ एक- सरे के स पक म
ह, ब क एक जैसे व ास और आचार-प तय म उनक आपसी साझेदारी भी
उ रो र बढ़ती जा रही है। एक हज़ार साल पहले, पृ वी ह ने दजन अलग-अलग तरह
के राजनी तक मानक के लए उपजाऊ ज़मीन उपल ध कराई थी। यूरोप म आपको
वत नगर रा य तथा ब त छोटे -छोटे धमत के साथ होड़ करती साम तवाद
रयासत मल सकती थ । मु लम नया क अपनी ख़लाफ़त थ , जो सावभौ मक
स भुता का दावा करती थ , ले कन जो राजत , स तनत और अमीरात के साथ
योग भी करती थ । चीनी सा ा य जहाँ वयं को एकमा जायज़ राजनी तक ह ती के
प म दे खता था, वह उ री और प मी क़बीलाई रा यसंघ पूरे उ लास के साथ एक-
सरे से लड़ते थे। ह तान और द ण पूव ए शया म रा यस ा का एक
कलाइड कोप समा हत था, वह अमे रका, अ का और ऑ े लया क रा य- व थाएँ
छोटे -छोटे शकारी-सं हकता क़बील से लेकर वशालकाय सा ा य तक फैली थ । कोई
आ य क बात नह क पड़ोस के मानव-समुदाय को साझा कूटनी तक कायप तय
तक पर एकमत होने म क ठनाई होती थी, अ तररा ीय क़ानून क बात तो छोड़ ही द।
हर समाज के अपने राजनी तक तमान आ करते थे, और उनको पराई राजनी तक
अवधारणा को समझने और उनका स मान करने म मु कल होती थी।
इसके वपरीत, आज सव एक ही राजनी तक तमान मा य है। पृ वी ह लगभग
200 स भु रा य म वभा जत है, जो आमतौर से एक जैसी कूटनी तक प रपा टय और
साझा अ तररा ीय क़ानून पर सहमत ह। वीडन, नाइज़ी रया, थाईलड और ाज़ील
हमारे एटलस पर एक ही तरह क रंगीन आकृ तय से च त ह। वे सभी संयु रा के
सद य ह, और अपने बेशुमार फ़क़ के बावजूद वे सभी समान अ धकार और
वशेषा धकार से यु स भु रा य के प म मा य ह। सच तो यह है क वे ब त-से
राजनी तक वचार और द तूर को साझा करते ह, जनम त न ध नकाय , राजनी तक
दल , सावभौ मक मता धकार और मानवा धकार म कम-से-कम सांके तक व ास
शा मल ह। तेहरान, मॉ को, केप टाउन, और नई द ली म और ल दन तथा पे रस म संसद
ह। जब इज़रायली और फ़ ल तीनी, सी और उ े नयाई, कुद और तुक वै क जनमत
को अपने प म करने के लए होड़ करते ह, तो वे सब मानवा धकार , रा य क स भुता
और अ तररा ीय क़ानून क एक जैसी भाषा का इ तेमाल करते ह।
नया तरह-तरह के ‘नाकामयाब रा य ’ से भरी हो सकती है, ले कन वह कामयाब
रा य के एक ही तमान को वीकार करती है। नतीजतन, व क राजनी त इस अ ा
कैरे नना उसूल का अनुसरण करती है : सारे सफल रा य एक जैसे होते ह, ले कन हर
वफल रा य अपने नजी ढं ग से वफल होता है, जसके तहत उसम भावशाली
राजनी तक पैकेज के इस या उस अंश का अभाव होता है। इ ला मक टे ट हाल ही म इस
पैकेज के स पूण तर कार, और एक नता त भ क़ म क राजनी तक स ा - एक
सावभौ मक ख़लाफ़त - खड़ी करने क को शश म सबसे अलग खड़ा दखाई दया है,
ले कन ठ क इसी वज़ह से वह नाकामयाब आ है। ब त-सी गो र ला ताक़त और
आतंकवाद संगठन कसी तरह नए मु क क थापना करने या मौजूदा मु क को फ़तह
करने म सफल रहे ह, ले कन उ ह ने ऐसा हमेशा व क राजनी तक व था के
बु नयाद उसूल को वीकार करते ए ही कया है। यहाँ तक क ता लबान ने भी
अफ़गा न तान के स भु मु क क जायज़ कूमत के तौर पर अ तररा ीय मा यता ा त
करने क को शश क थी। वै क राजनी त के उसूल का तर कार करने वाला कोई भी
समुदाय अब तक कसी मह वपूण स ा े पर कोई द घका लक नय ण हा सल नह
कर सका है।
वै क राजनी तक तमान क मता को शायद यु और कूटनी त के अटल
राजनी तक सवाल को यान म रखते ए नह , ब क 2016 के रयो ओल प स जैसी
कसी चीज़ को यान म रखते ए समझा जा सकता है। ज़रा पलभर को वचार क जए
क उसम खेल का संयोजन कस तरह कया गया था। 11,000 खला ड़य के
त न धम डल उनके मज़हब, वग या भाषा के आधार पर नह , ब क उनक रा ीयता
के आधार पर तैयार कए गए थे। उसम कोई बौ त न धम डल, सवहारा
त न धम डल, या अँ ेज़ी-भाषी त न धम डल नह था। मु भर मामल को छोड़कर
- जनम सबसे यादा उ लेखनीय ताइवान और फ़ ल तीन थे - खला ड़य क रा ीयता
का नधारण एक सीधा-सरल मसला था।
5 अग त 2016 के उ ाटन समारोह म इन खला ड़य ने अलग-अलग समूह म
माचपा ट कया, जनम से हर समूह अपने रा ीय वज को फहरा रहा था। जब भी
माइकल फ़े स एक और वण-पदक जीतता था, तो ‘ टार- पग ड बैनर’ (संयु रा य
अमे रका का रा गान) क धुन के साथ टास एंड स (संयु रा य अमे रका के रा -
वज) को ऊँचा उठाया जाता था। जब ए मली अ दे ऑल ने जूडो म वण-पदक जीता, तो
ांसीसी तरंगा फहराया गया और ‘मास लएज़’ ( ांस का रा गान) बजाया गया।
नया के हर दे श का, उसक ज़ रत के मुता बक़, एक रा गान होता है, जो एक ही
सावभौ मक मानक का अनुसरण करता है। लगभग सारे के सारे रा गान ऑक ा पर
तैयार कए गए कुछ म नट ल बे होते ह, वे बीस म नट ल बे उन क तन क तरह नह
होते, जनको सफ़ उन पुरो हत ारा ही तुत कया जा सकता है, जो उनके गायन म
पर परागत प से द होते ह। यहाँ तक क सऊद अरब, पा क तान और कांगो जैसे
मु क ने भी अपने रा गान के लए प मी संगीता मक प रपा टय को अपनाया है।
इनम से यादातर को सुनकर लगता है, जैसे वे बीथोवेन ारा कसी साधारण दन म रची
गई ह । (आप कोई एक शाम अपने दो त के साथ यू ूब पर व भ रा गान को बजाते
ए और यह अनुमान लगाते ए बता सकते ह क उनम से कौन-सा गान कहाँ का है।)
यहाँ तक क इनके श द भी सारी नया म लगभग एक जैसे ह, जो राजनी त और
सामुदा यक न ा क साझा अवधारणा क ओर संकेत करते ह। उदाहरण के लए,
आपके हसाब से नीचे अं कत रा गान कस दे श का है? (मने सफ़ दे श के नाम क
जगह ‘माई कं ’ लख दया है) :
My country, my homeland ,
The land where I have shed my blood ,
It is there I stand ,
To be my motherland’s guard .
My country, my nation ,
My people and my homeland ,
Let us proclaim
‘My country unite !’
Long live my land, long live my state ,
My nation, my homeland, in its entirety .
Build its soul, awaken its body ,
For my great country !
My great country, independent and free
My home and my country which I love .
My great country, independent and free ,
Long live my great country !

जवाब है इंडोने शया, ले कन अगर मने कहा होता क इसका जवाब दरअसल पोलड,
नाइज़ी रया या ाज़ील है, तो या आपको आ य आ होता?
रा ीय झ डे भी इसी तरह क नीरस समानता का प रचय दे ते ह। एक अपवाद को
छोड़कर बाक़ सारे झ डे कपड़े क आयताकार बनावट के होते ह, जन पर अ य त
सी मत मा ा म रंग, प याँ और या मतीय आकृ तयाँ अं कत होती ह। नेपाल एक
नराला दे श है, जसके झ डे म दो भुज ह। (ले कन उसने कभी भी ओल पक पदक
नह जीता।) इंडोने शयाई झ डे म सफ़ेद प पर एक लाल प है। पोलड के झ डे म
लाल प पर एक सफ़ेद प द शत है। मोनाको का झ डा इंडोने शयाई झ डे से
मलता-जुलता है। रंग म भेद करने म अ म कोई बे ज़यम, चाड, आइवरी को ट,
ांस, गनी, आयरलड, इटली, माली और रोमा नया के झ ड म बमु कल ही फ़क़ कर
सकता है। इन सभी म व भ रंग क खड़ी प याँ ह।
इनम से कुछ दे श एक- सरे के साथ कठोर यु करते रहे ह, ले कन अशा त बीसव
सद के दौरान यु क वज़ह से सफ़ तीन ओल पक खेल (1916 ए 1940 और 1944
म) नर त कए गए थे। 1980 म संयु रा य अमे रका और उसके कुछ म रा ने
मॉ को ओल पक का ब ह कार कया था, 1984 म सो वयत खेमे ने लॉस जेलस खेल
का ब ह कार कया था, और कई सरे मौक़ पर ओल पक खेल ने वयं को राजनी तक
अ धड़ के बीच पाया था (इनम सबसे यादा उ लेखनीय मौक़े ह 1936 , जब नाज़ी
जमनी ने इन खेल क मेज़बानी क थी, और 1972 , जब फ़ ल तीनी आतंकवा दय ने
यू नख़ ओल प स के इज़रायली त न धम डल का नरसंहार कर दया था), ले कन
कुल मलाकर, राजनी तक ववाद ने ओल पक प रयोजना को पटरी से नह उतारा है।
अब हम 1,000 साल पहले वापस लौटते ह। मान ली जए क आप 1016 म रयो म
म ययुगीन ओल पक खेल का आयोजन करना चाहते थे। थोड़ी दे र के लए भूल जाइए
क रयो तब ूपी इं डय स का एक छोटा-सा गाँव आ करता था, और यह क
ए शयाइय , अ कय और यूरो पय को अमे रका के अ त व का अहसास तक नह
था। हवाई जहाज़ के अभाव म नया के शीष थ खला ड़य को रयो लाने से जुड़ी
व था-स ब धी सम या को भूल जाइए। इस त य को भी भूल जाइए क ब त थोड़े-
से खेल थे, ज ह सारी नया साझा करती थी, और अगर सारे मनु य दौड़ भी सकते थे,
तो भी दौड़- तयो गता के समान नयम पर हर कोई सहमत नह हो सकता था। अब
आप ख़ुद से पू छए क त पध त न धम डल के समूह कस तरह तैयार कए जाएँ।
आज क अ तररा ीय ओल पक स म त ताइवान और फ़ ल तीनी पर चचा
करने म असं य घ टे बताती है। इनम 10,000 का गुणा क रए, ता क आप उन घ ट
का हसाब लगा सक, जो आपको म ययुगीन ओल प स क राजनी त पर ख़च करने
ह गे।
सबसे पहले, 1016 म चीनी साँग सा ा य पृ वी क कसी भी राजनी तक स ा को
अपने बराबरी के दज़ पर मा य नह करता था। ऐसी दशा म यह एक अक पनीय अपमान
होता, अगर उसके ओल पक त न धम डल को वही है सयत दान क जाती, जो
कोय के को रयाई रा य के त न धम डल या डाइ को वएत के वयतनामी रा य के
त न धम डल को दान क गई होती। समु -पार के आ दम बबर के त न धम डल
का ज़ तो छोड़ ही द।
बग़दाद का ख़लीफ़ा भी सावभौ मक वच व का दावा करता था, और यादातर सु ी
मुसलमान उनको अपना सव च नेता मानते थे, ले कन ावहा रक तर पर, ख़लीफ़ा क
बग़दाद पर नाममा क ही कूमत थी। तब फर सारे के सारे सु ी खलाड़ी एक ही
ख़लाफ़त का ह सा ह गे, या फर वे सु ी नया के कई अमीरात और स तनत के
दजन त न धम डल म वभा जत ह गे? ले कन अमीरात और स तनत पर ही य
का जाए? अरब का रे ग तान ब त-से आज़ाद बे इन क़बील से भरा आ था, जो
अ लाह के सवाय कसी के आ धप य को वीकार नह करते थे। या इनम से हर क़बीले
को तीर दाज़ी या ऊँट दौड़ म त पधा करने के लए एक अलग त न धम डल भेजने
का हक़ होगा? यूरोप आपके लए इसी तरह के कतने ही सरदद पैदा करेगा। आइवरी के
नॉमन नगर का कोई खलाड़ी कसके बैनर तले त पधा म भाग लेगा - आइवरी के
थानीय काउंट के या अपने लॉड ूक ऑफ़ नॉमडी के, या ांस के श हीन राजा के?
इनम से ब त-सी राजनी तक स ाएँ कुछ ही साल के भीतर कट ई थ और ग़ायब
हो गई थ । 1016 के अपने ओल प स क तैया रयाँ करते ए आपको पहले से इस बात
क जानकारी नह हो सकेगी क कौन-सा त न धम डल आएगा, य क कोई भी
प के तौर पर यह बता पाने क थ त म नह होगा क कौन-सी राजनी तक स ा
का वजूद अगले साल तक क़ायम रहेगा। अगर इं लड के रा य ने 1016 के ओल प स म
कोई त न धम डल भेजा होता, तो खला ड़य के अपने पदक के साथ अपने दे श
वापस लौटने तक उनको पता चलता क ल दन पर अभी-अभी डे ज़ ने क़ ज़ा कर लया
था, और इं लड को डेनमाक, नॉव और वीडन के कुछ ह स समेत कग नुट द ेट के
नॉथ सी ए पायर ारा नगला जा रहा था। अगले बीस साल के भीतर वह सा ा य
वघ टत हो गया था, ले कन तीस साल बाद इं लड को ूक ऑफ़ नॉमडी ारा एक बार
फर से जीत लया गया था।
कहने क ज़ रत नह क इन अ पका लक राजनी तक स ा म से यादातर के
पास न तो बजाने के लए कोई रा गान आ करता था, न फहराने के लए कोई वज
आ करता था। बेशक, राजनी तक तीक ब त यादा मह व रखते थे, ले कन यूरोपीय
राजनी त क तीका मक भाषा इंडोने शयाई, चीनी या ूपी राजनी तय क तीका मक
भाषा से ब त अलग आ करती थी। वजय का ज मनाने के लए कसी साझा
ोटोकॉल पर एकमत होना लगभग नामुम कन होता।
इस लए जब आप 2020 म टो यो खेल को दे ख रहे ह , तो यह याद रख क रा के
बीच क यह दखावट त पधा दरअसल, एक व मयकारी वै क सहम त का
त न ध व करती है। कसी दे श के त न धम डल ारा वण-पदक जीतना और उसके
रा ीय वज को ऊँचा उठाया जाना वहाँ के लोग के लए जतना रा ीय गव का वषय है,
उससे यादा गव का वषय यह है क मानव-जा त इस तरह का काय म आयो जत करने
म स म है।

उन सब यर कूमत करने के लए एक डॉलर


आधु नकता से पहले के युग म मनु य ने न सफ़ व भ क़ म क राजनी तक
णा लय को आज़माया था, ब क अथ व था के ढाँच क व मयकारी क़ म को भी
आज़माया था। सी कुलीन वग, ह महाराजा , चीनी हा कम और अमे रक क़बील
के मु खया क पैसे, ापार, कराधान और रोज़गार के बारे म ब त अलग-अलग तरह
क धारणाएँ थ । आज, इसके वपरीत, लगभग हर कोई एक ही तरह के मुख पूँजीवाद
वचार के मामूली-से भ प म व ास रखता है, और हम सब एक ही वै क उ पादन
च के दाँते ह। आप चाहे कांगो म रहते ह या मंगो लया म, यू ज़ीलड म रहते ह या
बोली वया म, आपक दनचया और आ थक अवसर एक ही तरह के आ थक स ा त ,
एक ही तरह के ावसा यक त ान और बक , और पूँजी के एक ही तरह के झान
पर नभर करते ह। अगर इज़रायल और ईरान के व म ी लंच पर मलने वाले ह गे, तो
वे एक साझा आ थक ज़बान का इ तेमाल कर रहे ह गे, और वे एक- सरे क च ता
को ब त आसानी के साथ समझ सकगे और उनके त सहानुभू त रख सकगे।
जब इ ला मक टे ट ने सी रया और इराक़ के बड़े ह स को जीता था, तो उसने
द सय हज़ार लोग का क़ ल कर दया था, वहाँ के पुराता वक थल को व त कर दया
था, मू तय को गरा दया था, और पहले क शासन- णा लय के और पा ा य
सां कृ तक भाव के तीक को एक-एक करके न कर दया था। ले कन जब उसके
लड़ाक ने थानीय बक म वेश कया और वहाँ अमे रक रा प तय के चेहर तथा
अमे रका के राजनी तक और मज़हबी आदश क शंसा करते नार से ढँ के अमे रक
डॉलर के गु त ख़ज़ान को दे खा, तो उ ह ने अमे रक सा ा यवाद के इन तीक को नह
जलाया, य क डॉलर नोट तमाम राजनी तक और मज़हबी सरहद के आर-पार
सावभौ मक प से पूजा जाता है। य प इसका कोई अ त न हत मू य नह है - आप
डॉलर नोट को खा या पी नह सकते - तब भी डॉलर और फ़ैडरल रज़व क ाम
व ास इतना ढ़ होता है क इ लामी क रप थी, मै सको के ग सरदार और उ र
को रया के आततायी, सभी इस व ास को साझा करते ह।
ले कन समकालीन मनु यता क एक पता सबसे यादा तब ज़ा हर होती है, जब
कु़दरती नया और मानवीय काया के बारे म हमारे कोण का उठता है। अगर
आप एक हज़ार साल पहले बीमार पड़ते थे, तो यह बात ब त यादा मायने रखती थी क
आप कहाँ रहते थे। यूरोप म थानीय पादरी शायद आपसे कहता क आपने ई र को
नाराज़ कर दया है, और फर से चंगा होने के लए आपको चच म कुछ दान करना
चा हए, कोई तीथ-या ा करनी चा हए, और स चे मन से ई र क ाथना करते ए उससे
मा-याचना करनी चा हए या यह भी हो सकता था क गाँव क जा गरनी आपको
समझाती क आप पर कसी आ मा का साया है, और आपको गीत, नृ य और काले
मुग के ख़ून का इ तेमाल करते ए इस ा मा के साये से छु टकारा पाना चा हए।
म य पूव म शा ीय पर परा म द त हक म आपको समझा सकते थे क आपके
शारी रक रसायन का स तुलन बगड़ गया है, और आपको समु चत प य और बदबूदार
औष धय का सेवन कर इन रसायन के बीच सामंज य बैठाना चा हए। ह तान म,
आयुवद म द त वै आपको दोष के नाम से ात शारी रक त व के बीच स तुलन से
स ब धत अपने स ा त पेश करता, और आपको जड़ी-बू टय , मा लश और योगासन
क च क सा का परामश दे ता। चीनी च क सक, साइबे रयाई शमन, अ क ओझा,
अमे र डया के जा ई च क सक - हर सा ा य, रा य और क़बीले क अपनी पर पराएँ
और वशेष आ करते थे, जनम से हरेक मनु य क काया और बीमारी क कृ त के
बारे म अलग-अलग कोण का प धर आ करता था, और अनु ान , अजीबोग़रीब
म ण और च क सा के अपने-अपने ख़ज़ाने पेश करता था। इसम से कुछ
आ यजनक ढं ग से कारगर सा बत होते थे, जब क कुछ छोटा-मोटा मौत का पैग़ाम
सा बत होते थे। जो एकमा चीज़ यूरोपीय, चीनी, अ क और अमे रक च क सा-
प तय को एक कृत करती थी, वह यह थी क हर कह कम-से-कम एक- तहाई ब चे
वय क होने के पहले ही मर जाते थे, और औसत आयु-सीमा पचास से ब त नीचे आ
करती थी।
आज, अगर आप बीमार पड़ते ह, तो इससे ब त कम फ़क़ पड़ता है क आप कहाँ
रहते ह। टोरंटो, टो यो, तेहरान, या तेल अवीव म आप एक-जैसे दखने वाले अ पताल म
ले जाए जाएँगे, जहाँ आप सफ़ेद कोटधारी डॉ टर से मलगे, ज ह ने एक जैसे
च क सा-महा व ालय म एक जैसे वै ा नक स ा त का अ ययन कया होगा। वे एक-
जैसे क़ायद का पालन करगे और एक-जैसी जाँच क माफ़त रोग के एक जैसे नदान
तक प ँचगे। इसके बाद वे एक-जैसी अ तररा ीय दवा- नमाता क प नय ारा तैयार क
गई एक-जैसी दवाएँ लखगे। कुछ छोटे -मोटे सां कृ तक भेद अभी भी बने ए ह, ले कन
कनाडाई, जापानी, ईरानी और इज़रायली च क सक इंसानी शरीर और इंसानी बीमा रय
के बारे म एक-जैसे कोण रखते ह। जब इ ला मक टे ट ने र क़ा और मोसूल पर
क़ ज़ा कर लया था, तो उसने वहाँ के थानीय अ पताल को व त नह कया था।
इसक बजाय, उसने नयाभर के मुसलमान डॉ टर और नस से वहाँ आकर अपनी
वै छक सेवाएँ दे ने का आ ान कया था। शायद इ लामपर त डॉ टर और नस तक इस
बात म व ास करते ह क शरीर क रचना को शका से ई है, बीमा रयाँ रोगाणु क
वज़ह से होती ह, और एंट बायो ट स बै ट रया को मार दे ते ह।
और ये को शकाएँ और बै ट रया कस चीज़ से बनते ह? ब क ये क सारी नया
ही कस चीज़ से बनी है? एक हज़ार साल पहले सृ के बारे म, और इस ा डीय सूप
को तैयार करने वाली एक-एक बु नयाद चीज़ के बारे म हर सं कृ त का अपना एक
क़ सा आ करता था। आज सारी नया के ानी लोग पदाथ, ऊजा, दे श और काल के
बारे म ब कुल एक ही तरह क बात म व ास करते ह। उदाहरण के लए ईरानी और
उ र को रयाई परमाणु काय म को ही ल। सारी सम या यह है क ईरानी और उ र
को रयाई भौ तक के बारे म ठ क वही कोण रखते ह, जो इज़रायली और अमे रक
रखते ह। अगर ईरानी और उ र को रयाई इस बात पर व ास रखते होते क E = MC 4
, तो इज़रायल और संयु रा य अमे रका उनके परमाणु काय म को लेकर र ी-भर
परवाह न करते।
लोग के मज़हब और रा ीय पहचान अभी भी अलग-अलग ह, ले कन जब कसी
ावहा रक मसले का सवाल पैदा होता है - जैसे क कोई रा य- व था, कोई
अथ व था, कोई अ पताल, या एक बम कैसे तैयार कया जाए - तो लगभग हम सभी
एक ही तरह क स यता के नवासी हो जाते ह। बेशक, असहम तयाँ ह, ले कन आ त रक
ववाद तो सारी स यता म ह। सच तो यह है क वे प रभा शत ही इन ववाद से होती
ह। उनक पहचान का ख़ाका ख चने क को शश करते ए लोग अ सर साझा ल ण क
कराने के सामान जैसी एक फ़ेह र त तैयार करते ह। यह एक भूल है। अगर साझा
तक़रार और वधा क फ़ेह र त तैयार कर, तो वे यादा बेहतर थ त म ह गे।
उदाहरण के लए, 1618 म यूरोप क कोई एक मज़हबी पहचान नह थी - मज़हबी
तक़रार ही उसक पहचान थी। 1618 म यूरोपीय होने का अथ कैथो लक और ोटे टट
या कै व न ट और लुथे रन के बीच के छोटे -छोटे सै ा तक मतभेद से त रहना,
और इन मतभेद क ख़ा तर मारने और मरने के लए तैयार रहना था। अगर कोई इंसान
1618 म इन टकराव क परवाह नह करता था, तो वह स भवतः या तो कोई तुक
होता था या कोई ह , ले कन वह यूरोपीय तो न य ही नह होता था।
इसी तरह 1940 म टे न और जमनी के ब त अलग-अलग राजनी तक मू य थे, तब
भी वे दोन ‘यूरोपीय स यता’ के अप रहाय अंग थे। हटलर च चल से कम यूरोपीय नह
था, ब क, उनके बीच संघष ही इस बात को प रभा शत करता था क इ तहास के उस
ख़ास मोड़ पर यूरोपीय होने का या अथ था। इसके वपरीत, एक !कुंग शकारी-
सं हकता 1940 म यूरोपीय नह था, य क न ल और सा ा य के बारे म यूरोप के
अ द नी टकराव उसके लए कोई ख़ास मायने नह रखते थे।
जन लोग से हम सबसे यादा लड़ते ह, वे अ सर हमारे अपने प रवार के सद य
होते ह। पहचान सहम तय क बजाय टकराव और कशमकश से यादा प रभा शत
होती है। 2018 म यूरोपीय होने का या अथ है? इसका मतलब गोरी चमड़ी का होना,
ईसा मसीह म व ास करना, या आज़ाद का समथन करना नह है। इसक बजाय, इसका
मतलब सरे दे श के नाग रक के अपने दे श म आ बसने के बारे म, यूरोपीय यू नयन के
बारे म, और पूँजीवाद क मयादा के बारे म ज़ोरदार ढं ग से बहस करना है। उसका
मतलब ख़ुद से पागल क तरह यह पूछना है क ‘वह या चीज़ है, जो मेरी पहचान को
प रभा शत करती है?’ और एक बुढ़ाती ई आबाद को लेकर, अ नय त उपभो ावाद
को लेकर और भूम डल के बढ़ते ए ताप को लेकर च तत होना भी है। इ क सव सद
के यूरोपीय अपने टकराव और कशमकश म 1618 और 1940 के अपने पूवज से भ
ह, ले कन अपने चीनी और ह तानी ापा रक साझेदार से उ ररो र मलते-जुलते ह।
भ व य म जो भी कोई प रवतन हमारा इ तज़ार कर रहे ह , स भावना यही है क वे
वजातीय स यता के बीच के टकराव क बजाय एक ही स यता के भीतर के आपसी
संघष का प रणाम ह गे। इ क सव सद क बड़ी चुनौ तयाँ अपनी कृ त म वै क
ह गी। तब या होगा, जब जलवायु-प रवतन पा र थ तक य तबा हय का कारण बनेगा?
तब या होगा, जब क यूटर यादा से यादा काम म इंसान को पीछे छोड़ने लगगे, और
रोज़गार म उ रो र उनक जगह लेने लगगे? तब या होगा, जब जैव ौ ो गक इंसान
को उ त प दे ने और उनका जीवन-काल बढ़ाने म हम स म बना दे गी? इसम कोई
स दे ह नह क इन सवाल को लेकर हमारे बीच भारी बहस ह और तीखे टकराव ह ,
ले कन इसक कोई स भावना नह क ये टकराव हम एक- सरे से अलग कर द। थ त
इसके ठ क उलट होगी। ये हम एक- सरे पर और भी नभर बना दगे, हालाँ क मानव-
जा त एक सामंज यपूण समुदाय क रचना कर पाने से ब त र है, तब भी हम सब एक
ही झगड़ालू स यता के सद य ह।
तब फर उस रा वाद लहर को कस तरह समझा जाए, जो नया के यादातर
ह से म फैलती जा रही है? कह ऐसा तो नह क भूम डलीकरण के अपने उ साह म
हमने अ छे पुराने रा को ख़ा रज़ कर दे ने के मामले म कुछ यादा ही ज दबाज़ी दखाई
हो? या पार प रक रा वाद क ओर वापसी हमारे नराशाजनक वै क संकट का
समाधान हो सकती है? अगर भूम डलीकरण अपने साथ इतनी सारी सम याएँ लेकर
आया है, तो इसको याग ही य न दया जाए?
7
रा वाद
वै क सम याएँ वै क जवाब क माँग करती है

सारी मानव-जा त अब एक स यता बन गई है, जसम सारे समाज समान चुनौ तय और


अवसर को साझा करते ह। तब भी अँ ेज़, अमे रक , सी और सरे ब त-से समुदाय
उ रो र रा वाद अलगाव का प ले रहे ह। या यह भूम डलीकृत नया क अपूव
सम या का समाधान हो सकता है?
इस सवाल का जवाब पाने के लए हम सबसे पहले इस बात पर यान दे ना ज़ री है
क आज के रा ीय-रा य (नेशन- टे ट) मानवीय जै वक के शा त अंग या मानव-
मनो व ान का अप रहाय प रणाम नह ह। 5000 साल पहले कोई इता वी, सी या तुक
नह थे। यह सही है क मनु य पूरी तरह से सामा जक ाणी ह, और सामुदा यक न ा
हमारे जी स म अं कत है, ले कन, लाख साल तक मनु य बड़े-बड़े रा य क बजाय
छोटे -छोटे आ मीय समुदाय म रहे ह।
अ ततः होमो से पय स ने बड़े पैमाने के आपसी सहकार के आधार के तौर पर
सं कृ त का इ तेमाल करना सीख लया, जो क हमारी जा त क सफलता का रह य है,
ले कन सं कृ तयाँ लचीली होती ह। इस लए च टय और च पां ज़य से भ , से पय स
वयं को बदलती प र थ तय के अनु प ब त-से अलग-अलग ढं ग से संग ठत कर
सकते ह। रा -रा य से पय स क फ़ेह र त का सफ़ एक वक प है। सरे वक प म
क़बीले, नगर-रा य, सा ा य, चच और ावसा यक त ान शा मल ह। भ व य म,
कसी तरह का भूम डलीय संघ ( लोबल यू नयन) भी ावहा रक सा बत हो सकता है,
बशत क उसक पया त प से मज़बूत सां कृ तक बु नयाद ह । हमारी जानकारी म
समुदाय के आकार क ऐसी कोई अ धकतम सीमा नह है, जसके साथ लोग तादा य
बैठा सकते ह । आज के समय के यादातर रा म 10,000 साल पहले क नया क
समूची आबाद से यादा लोग शा मल ह।
लोग को रा -रा य जैसे वशाल समुदाय का गठन इस लए करना पड़ा, य क
उनको ऐसी चुनौ तय और अवसर का सामना करना पड़ा, जनसे कोई छोटा क़बीला
नह नपट सकता था। उदाहरण के लए, उन ाचीन क़बील को ल, जो हज़ार साल
पहले नील नद के तट पर रहते थे। यह नद उनके जीवन का आधार आ करती थी। यह
उनके खेत को स चती थी और उनके वा ण य का सार करती थी, ले कन वह एक ऐसी
साथी थी, जसके वभाव आ द के बारे म पहले से कोई अनुमान नह लगाया जा सकता
था। ब त कम बा रश ई - और लोग को भूख मरना पड़ता था : ब त यादा बा रश ई
- और नद क बाढ़ गाँव के गाँव तबाह कर दे ती थी। कोई भी क़बीला अपने अकेले क
दम पर इस सम या का समाधान नह कर सकता था, य क हर क़बीले का नद के एक
छोटे -से ह से पर नय ण होता था और वह कुछ हज़ार से यादा मज़ र को एकजुट
कर काम पर नह लगा सकता था। वशाल बाँध का नमाण करने और सैकड़
कलोमीटर ल बी नहर खोदने के साझा उ म से ही इस महाबलशाली नद को क़ाबू म
कया जा सकता था और उसको जोता जा सकता था। यही एक वज़ह थी, जससे ये
क़बीले धीरे-धीरे एक ऐसे रा के प म एकजुट होते गए, जसम बाँध और नहर के
नमाण, नद के वाह को नय त करने, म द के वष के लए खा ा का भ डारण
करने, और प रवहन तथा संचार क एक दे श ापी व था था पत करने क मता थी।
इन सु वधा के बावजूद, क़बील और कुटु ब को एक एकल रा म पा त रत
करना कभी भी आसान काम नह था, न ाचीन युग म था और न आज है, य क
रा वाद के दो ह से होते ह, एक आसान, और सरा ब त मु कल। आसान ह सा है हम
जैसे लोग को वदे शय पर वरीयता दे ना। यह काम मनु य लाख वष से करते आ रहे ह।
वदे शी लोग को पसंद न करना हमारे डीएनए म है।
रा वाद का मु कल ह सा है कभी-कभी अजन बय को दो त और स ब धय पर
वरीयता दे ना। उदाहरण के लए, एक अ छा दे शभ ईमानदारी से कर चुकाता है, ता क
मु क के सरे ह से के अ ात ब च को अ छ रा ीय वा य-सेवा का लाभ मल सके,
भले ही इसक वज़ह से वह ख़ुद अपने ब च क महँगे नजी अ पताल म च क सा न
करा सके। इसी तरह, एक दे शभ अ धकारी अ छ नौक रयाँ अपने ख़ुद के भाइय -
भतीज क बजाय सबसे यादा यो य आवेदक को दे ता है। यह चीज़ वकास- या के
लाख वष के वरोध म जाती है। कर से बचना और भाई-भतीजावाद हम कु़दरत से मले
ए ह, ले कन रा वाद इनको ‘ ’ कहता है। लोग इस तरह के ाचार को याग द और
रा ीय हत को पा रवा रक र त से ऊपर रख, इसके लए रा को श ा, चार और
झ डा लहराने के साथ ही वा य, सुर ा और क याण क रा ीय व था जैसे
वशालकाय त खड़े करने पड़े।
इस बात को समझने के लए क ऐसे एक रा के साथ तादा य था पत करना
कतना मु कल काम है, आपको ख़ुद से सफ़ यह सवाल पूछने क ज़ रत होती है क
“ या म इन लोग को जानता ँ?” म अपनी दो बहन और यारह भतीज -भती जय के
नाम बता सकता ँ और उनक श सयत , व च ता और स ब ध पर पूरे दन बात
कर सकता ँ? ले कन म उन 80 लाख लोग के नाम नह बता सकता, जो मेरी इज़रायली
नाग रकता को साझा करते ह। म इनम से अ धकांश लोग से कभी मला नह ँ, और इस
बात क कोई स भावना नह क भ व य म भी म इनसे मलूँगा। इसके बावजूद इस धुँधले-
से जन-समूह के त वफ़ादारी महसूस करने क मेरी क़ा ब लयत हाल के इ तहास का
एक चम कार है।
इसका मतलब यह नह है क रा ीय ब धन म कोई बुराई है। जन-सामुदा यक
वफ़ादा रय के बना वशाल व थाएँ काम नह कर सकती ह, और मानवीय सहानुभू त
के दायरे को व तार दे ने क न य ही अपनी ख़ू बया ह। दे शभ के ह के-फु के प
मनु य के सबसे यादा परोपकारी कृ य म शा मल ह। यह व ास क मेरा रा अनूठा है,
यह मेरी न ा का पा है, और इसम रहने वाले लोग के त मेरे कुछ ख़ास कत ह। यह
मुझे सरे लोग क च ता करने के लए और उनके प म याग करने के लए े रत
करता है। यह क पना करना एक ख़तरनाक भूल है क रा वाद के बना हम सब
उदारवाद वग म रह रहे होते। यादा स भावना यही है क हम क़बीलाई अराजकता म
रह रहे होते, ख़ासतौर से, लोकत वा तव म रा वाद के बना काम नह कर सकता।
लोग आमतौर से लोकता क चुनाव के फ़ैसले को तभी वीकार करना पस द करते ह,
जब सारे राजनी तक दल एक समान रा ीय न ा को साझा करते ह। वीडन, जमनी
और वट् ज़रलड जैसे शा तपूण, समृ और उदार सारे दे श म रा वाद का एक गहरा
बोध मौजूद है। मज़बूत रा ीय ब धन के अभाव के शकार मु क क फ़ेह र त म
अफ़गा न तान, सोमा लया, कांगो और यादातर सरे वफल रा य शा मल ह। सम या
तब शु होती है, जब सौ य दे शभ अ धभ पूण उ -रा वाद का प ले लेती है। इस
व ास के बजाय क मेरा रा अनूठा है (जो क सारे रा के स दभ म सच है), म यह
महसूस करने लग सकता ँ क मेरा रा सव े है, वह मेरी समूची न ा का हक़दार है,
और अ य कसी के त मेरे कोई ख़ास कत नह ह। यह अहसास हसक टकराव के
लए सबसे उपजाऊ ज़मीन है। कई पी ढ़य तक रा वाद क सबसे बु नयाद आलोचना
यही आ करती थी क यह यु क ओर ले जाता है, ले कन रा वाद और हसा के बीच
के सू ने रा वाद अ तय पर कोई ख़ास लगाम नह लगाई, ख़ासतौर से इस लए क हर
रा ने अपने सै य व तार को अपने पड़ो सय क सा जश के ख़लाफ़ अपने बचाव क
ज़ रत कहकर उ चत ठहराया। जब तक रा अपने नाग रक को अपूव तर क सुर ा
और समृ उपल ध कराते रहे, तब तक वे अपने ख़ून से उसक क़ मत चुकाने को
इ छु क बने रहे। उ ीसव सद और बीसव सद क शु आत म रा वाद सौदा आकषक
तीत होता रहा। य प रा वाद अपूव तर पर भीषण टकराव क ओर ले जा रहा था,
तब भी आधु नक रा -रा य ने वा य-सेवा, श ा और क याण क वशाल व थाएँ
खड़ी क थ । रा ीय वा य-सेवा क वज़ह से पैशनडेल और व न उ चत तीत होने
लगे।
थ तय म बदलाव आया 1945 म। परमाणु श के आ व कार ने रा वाद सौदे के
स तुलन को तेज़ी से डगमगा दया। हरो शमा के बाद लोग को यह ख़ौफ़ नह रह गया
क रा वाद महज़ यु का कारण बनेगा - उनको यह ख़ौफ़ सताने लगा क वह परमाणु
यु का कारण बनेगा। स पूण वनाश अ सर लोग के दमाग़ को तेज़ कर दे ता है, और
इस साझा अ त वपरक ख़तरे को लेकर बरती गई ख़ासी सावधा नय क वज़ह से व भ
रा के अलावा एक वै क समुदाय धीरे-धीरे वक सत होता गया, सफ़ इस तरह का
समुदाय ही इस परमाणु दै य को नय त कर सकता था।
1964 म अमे रक रा प त चुनाव के चार अ भयान म लडन बी. जॉनसन ने
स डेज़ी व ापन का सारण कया था, जो टे ली वज़न के इ तहास म चार क एक
सबसे कामयाब मसाल थी। इस व ापन क शु आत एक छोट -सी लड़क ारा डेज़ी
फूल क पंखु ड़याँ चुनने और उनको गनने के साथ होती है, ले कन जब वह दस क
सं या पर प ँचती है, तो एक कठोर पु ष- वर उसक जगह ले लेता है, और दस से शू य
तक क उस तरह क उलट गनती गनने लगता है, जैसी मसाइल छोड़ते समय गनी
जाती है। शू य पर प ँचने पर परमाणु व फ़ोट क तीखी चमक पद को भर दे ती है, और
याशी जॉनसन अमे रक जनता को स बो धत करते ए कहते ह, “ये चीज़ ह, जो दाँव
पर लगी ह। एक ऐसी नया का नमाण जसम ई र के सारे ब चे रह सक, या उनको
अँधेरे म समा जाना होगा। हम या तो एक- सरे को ेम करना होगा, या मर जाना होगा।”
हम ‘ ेम करो, यु नह ’ के नारे को 1960 के दशक के बाद के वष क त सं कृ त से
जोड़कर दे खने के अ य त ह, ले कन दरअसल 1964 म ही यह जॉनसन जैसे स त
राजनेता तक के बीच एक मा य बु म ा बन चुक थी।
प रणामतः, शीतयु के दौरान अ तररा ीय राजनी त के त एक अ धक वै क
कोण क ख़ा तर रा वाद अपनी मु य भू मका से पीछे हट गया, और जब शीतयु
समा त हो गया, तो भूम डलीकरण भ व य क अप रहाय लहर तीत होने लगा। उ मीद
क गई थी क मानव-जा त रा वाद राजनी त को पूरी तरह से पीछे छोड़ दे गी, उसे
अपे ाकृत आ दम युग के एक ऐसे अवशेष क तरह दे खते ए जो ब त-से-ब त मु -भर
अ वक सत दे श के अ ानी बा श द को ही आक षत कर सकेगा, ले कन हाल के वष
क घटना ने सा बत कर दया है क स, ह तान और चीन को तो छोड़ ही द, यूरोप
और संयु रा य अमे रका तक के नाग रक पर रा वाद क अब भी मज़बूत पकड़ बनी
ई है। भूम डलीय पूँजीवाद क भावशू य ताक़त ारा अलग-थलग कर दए गए, और
वा य, श ा तथा क याण क रा ीय व था क नय त से भयभीत नयाभर के
लोग रा के आँचल म आ ासन और अथ तलाश रहे ह।
तब भी जॉनसन ारा डेज़ी व ापन म उठाया गया सवाल आज उससे भी यादा
मुना सब है, जतना वह 1964 म था। या हम एक ऐसी नया का नमाण करगे, जसम
सारे मनु य मल-जुलकर रह सकगे, या फर हम अँधेरे म समा जाएँगे? या डोना ड प,
थेरेसा मे, ला दमीर पु तन, नरे मोद और उनके साथी हमारी रा ीय भावना को
भड़काकर नया क र ा कर पाएँगे, या फर यह मौजूदा रा वाद आवेश उन बेक़ाबू
भूम डलीय सम या से मुँह चुराने का एक ढं ग है, जनका सामना हम कर रहे ह?

क़ल का नेटवक
जहाँ रा वाद के पास कसी ख़ास दे श को संचा लत करने के बारे म ब त-से अ छे वचार
ह, वह भा य से नया का उसक सम ता म संचा लत करने के बारे म उसके पास
अमल म लाई जा सकने यो य कोई योजना नह है। उदाहरण के लए, तुक रा वाद तुक
के मसल को सँभालने के लए एक उ चत मागदशक हो सकता है, ले कन उसके पास
ऐसा कुछ भी ख़ास नह है, जो वह बाक़ क मनु यता को दे सकता हो। बेशक, तभी तक
जब तक क रा वाद सा ा यवाद का प नह ले लेता, और एक रा ारा समूची नया
को जीत लेने और उस पर कूमत करने का आ ान नह करता। एक सद पहले, कई
रा वाद आ दोलन ने सचमुच ही ऐसी मह वाकां ाएँ पाल रखी थ । आज के रा वाद ,
वे चाहे तुक के ह , स के ह या चीन के, अभी तक व वजय क पैरवी करने से बचते
ह।
बलपूवक एक भूम डलीय सा ा य खड़ा करने क जगह, ट व बेनॉन, व ोर
ऑबन, इता वी सेगा और अँ ेज़ े ज़टवा दय जैसे कुछ रा वाद एक शा तपूण
“रा वाद अ तररा ीयता” (“नेशन ल ट इंटरनेशनल) का वाब दे खते ह। उनका तक है
क सारे रा आज एक ही तरह के श ु का सामना कर रहे ह। भूम डलीकरण,
ब सं कृ तवाद और अ वासन (इ म ेशन) के हौअे सारे रा क पर परा और
पहचान को न कर दे ने का ख़तरा पैदा कर रहे ह। इस लए सारी नया के रा वा दय
को इन वै क ताक़त के वरोध को अपना साझा अ भयान बनाना चा हए। हंगे रयाइय ,
इता वय , तुक और इज़राय लय को द वार खड़ी कर लेनी चा हए, बाड़ लगा लेनी
चा हए और लोग , माल, पैसे और वचार क आवाजाही क र तार को कम करना
चा हए।
तब नया ऐसे व श रा -रा य म वभा जत हो जाएगी, जनम से हर एक क
अपनी प व पहचान और पर पराएँ ह गी। इन अलहदा पहचान के पार प रक स मान के
आधार पर सारे रा ीय-रा य एक- सरे के साथ शा तपूवक सहयोग और ापार कर
सकगे। हंगरी हंगे रयाई होगा, तुक तुक होगा, इज़रायल इज़रायली होगा, और हर कसी
को मालूम होगा क वे कौन ह, और नया म उनक सही जगह या है। यह सरे मु क
से आ बसने वाल से र हत, सावभौ मक मू य से र हत, ब सं कृ तकतावाद से र हत,
और वै क कुलीन वग से र हत नया होगी - ले कन शा तपूण अ तररा ीय स ब ध
और थोड़े-से ापार से यु नया होगी। एक श द म कह तो, ‘रा वाद अ तररा ीयता’
नया क क पना द वार -से- घरी- क तु-दो ताना क़लेब दय के एक ताने-बाने के प
म करती है।
इस प रक पना क मु य सम या यह है क क़लेब दयाँ दो ताना शायद ही कभी
होती ह। हर रा वाद क़ला अपने लए अपने पड़ोसी क क़ मत पर आमतौर से थोड़ी-सी
यादा ज़मीन, थोड़ी-सी यादा सुर ा और थोड़ी-सी यादा समृ चाहता है, और
सावभौ मक मू य तथा वै क संगठन के बना त क़लेब दयाँ क ह भी साझा
नयम पर एकमत नह हो सकत । नया को सु प रा म वभा जत करने क तमाम
पछली को शश यु और जा तसंहार का कारण बन ह।
ले कन अगर आप ख़ासतौर से कसी मज़बूत क़ले, जैसे क संयु रा य अमे रका
या स, के भीतर रह रहे ह , तो आपको च ता करने क या ज़ रत है? कुछ रा वाद
तो सचमुच ही कुछ यादा ही अ त-अलगाववाद रवैया अपनाते ह। वे न तो कसी वै क
सा ा य म व ास करते ह न क़ल के वै क ताने-बाने म व ास करते ह। इसक
बजाय वे कसी भी तरह क वै क व था क ज़ रत से इंकार करते ह। वे कहते ह,
“हमारे क़ले को सफ़ रा ता रोकने वाले पुल खड़े करना चा हए, और बाक़ नया जाए
भाड़ म। हम वदे शी लोग के, वदे शी वचार और वदे शी माल के वेश को रोकना
चा हए, और जब तक हमारी द वार मज़बूत ह और हमारे स तरी वफ़ादार ह, तब तक
वदे शय क परवाह कसे है?”
ले कन इस तरह का अ तवाद अलगाववाद आ थक वा त वकता से पूरी तरह कटा
होता है। एक वै क ापा रक त के बना - उ र को रया समेत - तमाम रा ीय
अथ व थाएँ धराशायी हो जाएँगी। ब त-से दे श तो बना आयात कए अपना पेट तक
नह भर पाएँगे, और लगभग सारी व तु क क़ मत आसमान छू ने लगगी। जो मेड-इन-
चाइना कमीज़ म पहने ए ँ, वह मुझे लगभग 5 डॉलर म मलती है। अगर यह कमीज़
ग़ैर-मौजूद इज़रायली तेल क ऊजा से संचा लत इज़रायल म बनी मशीन का इ तेमाल
करते ए इज़रायल म पैदा कए गए कपास से इज़रायली कामगार ारा तैयार क गई
होती, तो शायद इसक क़ मत दस गुना होती। इस लए डोना ड प से लेकर ला दमीर
पु तन तक सारे रा वाद नेता भले ही वै क ापा रक त को गा लयाँ दे ते रह, ले कन
इनम से कोई भी अपनी अथ व था को इस त से पूरी तरह से बाहर ले जाने के बारे म
ग भीरता से नह सोचता। और खेल के नयम को नधा रत करने वाली कसी वै क
व था के बना हम वै क ापा रक त को खड़ा नह कर सकते।
इससे भी यादा मह वपूण बात यह है क लोग चाहे इसे पस द कर या न कर, ले कन
मानव-जा त आज तीन ऐसी साझा चुनौ तय का सामना कर रही है,जो सारी रा ीय
सरहद का मज़ाक़ बना रही है, और इन सम या को वै क सहकार क माफ़त ही
सुलझाया जा सकता है।

परमाणु चुनौती
हम बात शु करते ह मानव-जा त के चरप र चत भ मासुर के साथ : परमाणु यु । जब
यूबाई ेपा संकट के दो साल बाद 1964 म जॉनसन के डेज़ी व ापन का सारण
आ था, तब परमाणु संहार का ख़तरा एकदम सर पर मँडरा रहा था। ानी और साधारण
लोग समान प से डरे ए थे क मानव-जा त के पास वनाश को टालने क ा का
अभाव है, और मा समय भर का मसला है, जब शीत यु झुलसा दे ने वाली आग म
बदल जाने वाला है। दरअसल, मानव-जा त ने परमाणु चुनौती का भरपूर सामना कया।
अमे र कय , सो वयत , यूरो पय और और ची नय ने उस ढर को बदल दया, जस पर भू
-राजनी त ( जयोपॉ ल ट स) को सह ा दय से चलाया जा रहा था, जसके नतीजे म
शीत यु ब त थोड़े-से ख़ून-ख़राबे के साथ समा त हो गया, और एक नई अ तररा ीय
व व था ने शा त के एक अपूव युग को बढ़ावा दया। न सफ़ परमाणु यु को टाला
गया, ब क तमाम सरे तरह के यु म गरावट आई। 1945 के बाद खुलेआम
आ ामकता क माफ़त आ यजनक प से ब त थोड़ी-सी सरहद को नए सरे से ख चा
गया, और यादातर दे श ने यु को एक मानक राजनी तक औज़ार क तरह बरतना ब द
कर दया। 2016 म सी रया, उ े न और अनेक सरी संवेदनशील जगह के बावजूद
मोटापे, कार- घटना , या आ मह या के मुक़ाबले ब त कम लोग इंसानी हसा के
शकार होकर मारे गये। यह शायद हमारे व त क सबसे बड़ी राजनी तक और नै तक
उपल ध हो सकती है।
भा य से, अब तक हम इस उपल ध के इतने अ य त हो चुके ह क इसे हम ख़ास
मह व नह दे ते। यही इस बात क आं शक वज़ह है क लोग ख़ुद को आग से खेलने क
छू ट दे ते ह। स और संयु रा य अमे रका ने हाल ही म परमाणु ह थयार क एक नई
दौड़ क शु आत क है, और वे ऐसी अनूठ लयंकारी मशीन का नमाण कर रहे ह, जो
पछले दशक क कड़ी मेहनत से हा सल क गई उपल धय को नरथक बना दे ने और
हम एक बार फर परमाणु वनाश क कगार पर ला खड़ा करने का ख़तरा पैदा कर रही ह।
इस बीच, लोग ने बम क च ता ब द करना और उसको ेम करना सीख लया है (जैसा
क डॉ. जलव म बताया गया है), या फर वे उसके वजूद के बारे म ही भूल चुके ह।
नतीजतन, ब त बड़ी परमाणु श टे न म े ज़ट क सारी बहस अथ व था
और अ वासन के सवाल के इद- गद घूमती रही, जब क यूरोप और व क शा त के
लए यूरोपीय यू नयन के बु नयाद मह व के योगदान को भुला दया गया। स दय के
भयावह र पात के बाद ांसी सय , जमन , इता वय और ता नय ने अ ततः एक
ऐसी व था खड़ी क है, जो महा पीय सामंज य को सु न त करती है, ले कन अँ ेज़
जनता इस चम कारी मशीन को नाकामयाब करने पर तुली है।
एक ऐसी अ तररा ीय शासन-प त का नमाण करना ब त मु कल काम था,
जसने परमाणु यु को रोका और व -शा त क हफ़ाज़त क । इसम कोई स दे ह नह
क हम इस शासन-प त को नया क बदलती ई प र थ तय के अनु प ढालना
ज़ री है, उदाहरण के लए संयु रा य अमे रका पर कम भरोसा करते ए और चीन
तथा ह तान जैसी ग़ैर-प मी श य को यादा बड़ी भू मका स पते ए, ले कन इस
शासन-प त को पूरी तरह से याग दे ना और रा वाद स ा क राजनी त क ओर लौटना
एक ग़ैर ज़ मेदाराना जुआ होगा। यह सही है क उ ीसव सद म दे श ने मानवीय स यता
को न कए बना रा वाद खेल खेला था, ले कन वह हरो शमा-पूव का युग था। उसके
बाद से, परमाणु ह थयार ने जो खम को बढ़ा दया है और यु क राजनी त क
बु नयाद कृ त को बदल दया है। जब तक मनु य को इस बात क जानकारी बनी रहती
है क यूरे नयम और लूटो नयम को कैसे प र कृत कया जाए, तब तक उनका जी वत
बचे रहना कसी रा - वशेष के हत पर परमाणु यु को रोकने को वरीयता दे ने पर नभर
करता है। जो उ साही रा वाद ‘हमारा दे श पहले है!’ क पुकार लगाते ह, उनको ख़ुद से
पूछना चा हए क या उनका दे श, अ तररा ीय सहकार क मज़बूत व था के बना
अपने दम पर नया या ख़ुद को भी परमाणु वनाश से बचा पाएगा।

पा र थ तक य चुनौती
परमाणु यु के अ त र , आने वाले दशक म मानव-जा त एक ऐसे नए अ त वपरक
ख़तरे का सामना करेगी, जो 1964 के राजनी तक राडार पर शायद ही दज़ आ हो :
पा र थ तक य वंस। मनु य ब त सारे मोच पर वै क जीवम डल क थरता को भंग
कर रहे ह। हम पयावरण से यादा-से- यादा संसाधन को ख च रहे ह, जब क उसम
वपुल मा ा म कचरा और ज़हर ठूँ स रहे ह, और इस तरह म , पानी और वातावरण के
संघटन को बदल रहे ह।
यहाँ तक क हम उन अन गनत तरीक़ के त भी जाग क नह , जनसे हम उस
नाजक पा र थ तक य स तुलन को भंग कर रहे ह, जो लाख वष के दौरान गढ़ा गया है।
उदाहरण के लए, खाद के प म फ़ॉसफ़ोरस के इ तेमाल को ही ल। छोट मा ा म यह
पौध क उपज के लए एक अ नवाय पोषक त व है, ले कन अ तशय मा ा म यही
ज़हरीला हो जाता है। आधु नक औ ो गक कृ ष खेत को बड़ी तादाद म फ़ॉसफ़ोरस के
इ तेमाल से उपजाऊ बनाने पर आधा रत है, ले कन खेत से बहकर जाने वाला अ त-
फ़ॉसफ़ोरस अ ततः न दय , झील और महासागर म ज़हर घोल दे ता है, जसका जल-
जीवन पर वनाशकारी असर होता है। आयोवा म म का उपजाने वाला एक कसान इस
तरह अनजाने ही मै सको क खाड़ी क मछ लय को मार रहा होता है।
इस तरह क ग त व धय के नतीजे म ाकृ तक आवास न ए ह, जीव-ज तु और
वन प तयाँ वलु त ई ह और ऑ े लयाई ेट बे रयर रीफ़ और अमेज़ॉन के वषा वन
जैसे पूरे के पूरे पा र थ तक य त तबाह हो गए ह। होमो से पय स हज़ार साल से
पा र थ तक य सी रयल कलर क तरह आचरण करता रहा है, अब यह पा र थ तक
क सामू हक ह या करने वाले क श ल ले रहा है। अगर हमने अपने इस वतमान
सल सले को जारी रखा, तो यह न सफ़ तमाम जीवन- प के एक बड़े तशत के
वनाश का कारण बनेगा, ब क यह मानव स यता क बु नयाद को खोखला कर सकता
है।
इन सबम सबसे यादा ख़तरनाक है जलवायु-प रवतन क स भावना। मनु य सैकड़ -
हज़ार साल से रहते आ रहे ह, और उ ह ने कई हम-युग और ताप के दौर को झेला है,
ले कन कृ ष, नगर और ज टल समाज को अ त व म आए 10,000 वष से यादा नह
ए ह। होलोसीन के नाम से ात इस कालख ड के दौरान पृ वी क जलवायु अपे ाकृत
स तु लत बनी रही है। होलोसीन के मानक से कोई भी वचलन मानव समाज के सामने
ऐसी वशाल चुनौ तयाँ पेश करेगा, जनका उ ह ने इसके पहले कभी सामना नह कया
था। यह अरब इंसान को गनी पग क तरह इ तेमाल करते ए उन पर खुला योग
करने जैसा होगा। अगर मानव-स यता अ ततः वयं को नई प र थ तय के अनु प ढाल
भी लेती है, तब भी कौन जानता है क ढाले जाने क इस या म कतने ऐसे शकार
ह गे, जो मट जाएँगे।
यह भयावह योग पहले ही शु हो चुका है। परमाणु यु से भ - जो क एक
भावी स भावना है - जलवायु-प रवतन एक वतमान वा त वकता है। इस बात पर
वै ा नक सहम त है क मानवीय ग त व धयाँ, ख़ासतौर से काबन डाइऑ साइड जैसी
ीनहाउस गैस का उ सजन, ख़तरनाक र तार से पृ वी के जलवायु-प रवतन का कारण
बन रही ह। कोई नह है, जो ठ क-ठ क इस बात को जानता हो क हम एक अव य भावी
लय को स य कए बना वातावारण म कतना काबन डाइऑ साइड छोड़ सकते ह,
ले कन हमारे े वै ा नक आकलन संकेत करते ह क अगर हम अगले बीस वष म
ीनहाउस गैस के उ सजन म भावशाली ढं ग से कटौती नह करते, तो व का औसत
तापमान 2°C से यादा बढ़ जाएगा, जसका प रणाम रे ग तान के व तार, बफ़ ली
चो टय के लोप, महासागर के जल तर म वृ , और समु तूफ़ान तथा आँ धय जैसी
मौसम-स ब धी चरम आपदा के बार-बार घ टत होने के प म सामने आएगा। ये
बदलाव कृ ष-उ पादन को अ त- त कर दगे, नगर को बहा दगे, नया के यादातर
ह स को रहने लायक़ नह रहने दगे, और करोड़ शरणा थय को नए आवास क तलाश
म भटकने को छोड़ दगे। इसके अ त र , हम ब त तेज़ी के साथ कई ऐसे ख़तरनाक
अ तम छोर पर प ँच रहे ह, जनके परे ीनहाउस गैस उ सजन म भावशाली गरावट
भी मौजूदा झान को पलटने और व ापी ासद को टालने के लए पया त नह होगी।
उदाहरण के लए, जैसे-जैसे भूम डल का बढ़ता आ ताप ुवीय बफ़ क परत को
पघलाता जाता है, वैसे-वैसे सूरज क रोशनी पृ वी ह से पराव तत होकर बाहर क पेस
म कम लौट पाती है। इसका मतलब है क हमारा ह यादा ताप को सोखता है, तापमान
और भी बढ़ता जाता है, और बफ़ और भी तेज़ी से पघलती है। जैसे ही यह कारण-काय-
च (फ़ डबैक लूप) एक नाजक दहलीज़ को पार कर लेगा, वैसे ही वह एक ऐसी र तार
पकड़ लेगा, जसको रोक पाना मुम कन नह होगा, और अगर मनु य कोयला, तेल और
गैस को जलाना तक ब द कर दगे, तब भी ुवीय े क सारी बफ़ पघल जाएगी।
इस लए इतना भर काफ़ नह है क हम उस ख़तरे को पहचान ल, जो हमारे सामने है। यह
अ याव यक है क हम सचमुच अभी ही कुछ कर।
भा य से, अभी 2018 तक ीनहाउस गैस उ सजन म कमी लाने क बजाय व
का यह उ सजन- तर बढ़ता ही जा रहा है। जीवा म धन का इ तेमाल रोकने के लए
मनु यता के पास ब त कम समय बचा है। हम आज ही पुन ार क ज़ मेदारी उठाना
ज़ री है। अगले साल या अगले महीने नह , ब क आज ही। ‘हैलो, म होमो से पय स ँ,
और मुझे जीवा म धन क लत है।’
इस चेतावनी-भरे प र य म रा वाद कहाँ फ़ट बैठता है? या इस पा र थ तक य
धमक का कोई रा वाद जवाब है? या कोई रा , फर वह कतना ही श शाली य न
हो, अकेले दम पर भूम डल के तपने को रोक सकता है? अलग-अलग दे श न य ही कई
तरह क ह रत नी तयाँ अपना सकते ह, जनम से कई नी तयाँ अथ व था के साथ-साथ
पयावरण के लहाज़ से साथक ह। सरकार काबन के उ सजन पर कर लगा सकती ह, तेल
और गैस क क़ मत म औ ो गक प रणाम क क़ मत जोड़ सकती ह, पयावरण से
स ब धत स त नयम अपना सकती ह, षण फैलाने वाले उ ोग के आ थक सहयोग
म कटौती कर सकती ह, और नवीनीकरण यो य ऊजा को अपनाए जाने को ो सा हत
कर सकती ह। वे, एक तरह क पा र थ तक य मैनह न प रयोजना के तहत, पयावरण के
अनुकूल ा तकारी ौ ो ग कय के अनुस धान और वकास पर अ धक धन का नवेश
कर सकती ह। पछले डेढ़ सौ साल क ब त सारी ग तय के लए इ टनल क ब चन
इंजन ध यवाद का पा है, ले कन अगर हम एक थर ाकृ तक और आ थक पयावरण
को बरक़रार रखना चाहते ह, तो इस इंजन को अब तलांज ल दे ना और उसक जगह ऐसी
नई ौ ो ग कय को लाना ज़ री है, जो जीवा म धन का इ तेमाल नह करत ।
नई ौ ो गक य खोज ऊजा के साथ-साथ ब त-से सरे े म भी मददगार हो
सकती ह। उदाहरण के लए, ‘ व छ मांस’ (‘ लीन मीट’) को वक सत करने क
स भावना पर वचार कर। वतमान म मांस उ ोग न सफ़ अरब संवेदनशील ा णय को
अकथनीय यातनाएँ दे ता है, ब क वह भूम डल के तापमान के बढ़ने का एक मु य
कारण, एंट बॉयो ट स और ज़हर का एक मु य उपभो ा, और हवा, भू म तथा पानी को
शत करने वाले सबसे मुख कारक म से एक है। इ ट ूशन ऑफ़ मैके नकल
इंजी नयस क 2013 क एक रपोट के मुता बक़ एक कलो ाम आलू के उ पादन पर
ख़च होने वाले 287 लीटर पानी के मुक़ाबले एक कलो ाम गोमांस के उ पादन म लगभग
15,000 लीटर ताज़ा पानी ख़च होता है।
पयावरण पर पड़ते इस दबाव के और भी बदतर होते जाने क स भावना है, य क
चीन और ाज़ील जैसे दे श म बढ़ती ई समृ करोड़ और भी लोग को नय मत प
से आलू क जगह गोमांस खाने क गुंजाइश दे रही है। अमे र कय और जमन को तो
छोड़ ही द, ची नय और ाज़ी लयन को भी इस बात पर राज़ी करना मु कल है क वे
ट स, है बगर और सॉसेज़ खाना ब द कर द, ले कन अगर इंजी नयर को शका से
मांस पैदा करना सीख ल, तो? अगर आपको है बगर क दरकार है, तो समूची गाय को
पालने और काटने (और उसक लाश को हज़ार कलोमीटर ले जाने) क बजाय सीधे
है बगर उगाइए।
यह चीज़ कसी व ान-कथा जैसी लग सकती है, ले कन नया का पहला व छ
है बगर 2013 म को शका से वक सत कया गया था और खाया गया था। उसक
लागत थी 330,000 डॉलर। चार साल के अनुस धान और वकास ने लागत को घटाकर
11 डॉलर त है बगर पर ला दया। और एक और दशक के भीतर औ ो गक तर पर
पैदा कए गए व छ मांस का बूचड़ख़ाने म उ पा दत मांस से स ता होने क उ मीद है।
यह ौ ो गक य आ व कार अरब जानवर को घृ णत यातना से भरे जीवन से बचा
सकता है, अरब कुपो शत इंसान के उदर-पोषण म सहायक हो सकता है, और इसी के
साथ-साथ पा र थ तक य वघटन को रोकने म मदद कर सकता है।
इस तरह ऐसा ब त कुछ है, जो सरकार, ावसा यक त ान और जलवायु
प रवतन को टालने के लए कर सकते ह, ले कन कारगर होने के लए इन सारे काम का
वै क तर पर कया जाना अ नवाय है। जलवायु के मामले म दे श महज़ स भु नह ह।
वे ह के सरे ह से म लोग ारा क जाने वाली कारवाइय क कृपा पर नभर ह।
क रबाती गणरा य - शा त महासागर का एक प रा - अपने ीनहाउस गैस उ सजन
को घटाकर शू य पर ला सकता है और तब भी अगर सरे दे श उसका अनुसरण नह
करते, तो वह वशाल प लेती महासागर क लहर म समा सकता है। चाड दे श क
येक छत पर सौर ऊजा के पैनल था पत कर सकता है और तब भी वह र बैठे
वदे शय क ग़ैर ज़ मेदाराना पयावरण नी तय क वज़ह से बंजर रे ग तान म बदल
सकता है। यहाँ तक क चीन और जापान जैसे ताक़तवर मु क भी पा र थ तक य से
स भु नह ह। वनाशकारी बाढ़ और तूफ़ान से शंघाई, हांगकांग और टो यो क र ा के
वा ते चीन और जापान के लए यह ज़ री होगा क वे सी और अमे रक सरकार को
‘जैसा चल रहा है, वैसा ही चलने दया जाए’ वाला रवैया यागने के लए राज़ी कर।
रा वाद अलगाववाद जलवायु-प रवतन के स दभ म परमाणु यु से यादा
ख़तरनाक है। स पूण परमाणु यु सारे दे श को न करने का ख़तरा पैदा करता है,
इस लए उसको रोकने म सारे दे श समान प से दाँव पर लगे ह। इसके वपरीत लोबल
व मग का असर स भवतः अलग-अलग दे श पर अलग-अलग तरह का होगा। कुछ दे श,
जनम सबसे यादा उ लेखनीय स है, इससे लाभा वत हो सकते ह। स के पास
समु तट य प रस प याँ अपे ाकृत कम ह, इस लए वह समु के जल- तर म वृ को
लेकर चीन या क रबाती क तुलना म कम च तत है। और जहाँ अ धक तापमान से चाड
के रे ग तान म बदल जाने क स भावना है, वह ये तापमान इसी के साथ-साथ साइबे रया
को नया क रोट क टोकरी म बदल सकते ह। इसके अ त र , सु र उ र म बफ़ के
पघलने से स के भु व वाले आक टक समु माग वै क वा ण य के लए अ य त
उपयोगी सा बत हो सकते ह, और कै चा का नया का चौराहा होने के मामले म सगापुर
क जगह ले सकता है।
इसी तरह जीवा म धन के थान पर अ य ऊजा ( र युएबल एनज ) ोत का
उपयोग कुछ दे श को सरे दे श क तुलना म यादा आक षत कर सकता है। चीन,
जापान और द ण को रया वशाल तादाद म तेल और गैस के आयात पर नभर करते ह।
वे इस बोझ से छु टकारा मलने से ब त ख़ुश ह गे। स, ईरान और सऊद अरब तेल और
गैस के नयात पर नभर करते ह। इस लए अगर तेल और गैस को अचानक सौर तथा वायु
ऊजा के सामने घुटने टे क दे ने पड़ते ह, तो इन दे श क अथ व थाएँ व त हो जाएँगी।
नतीजतन, जहाँ चीन, जापान और क रबाती जैसे दे श ारा वै क काबन उ सजन
को कम कए जाने का भरसक दबाव डाले जाने क स भावना है, वह स और ईरान
जैसे दे श इस मामले म ब त कम उ साह दखा सकते ह। यहाँ तक क लोबल व मग क
वज़ह से जो दे श, जैसे क संयु रा य अमे रका, ब त कुछ गँवा सकते ह, वहाँ के
रा वाद इस ख़तरे को समझने के लहाज़ से ब त यादा अ रदष और आ मलीन
सा बत हो सकते ह। एक छोटा-सा क तु सारग भत उदाहरण जनवरी 2018 म सामने
आया था, जब संयु रा य अमे रका ने अ य ऊजा- ोत को अपनाने क ग त के धीमा
पड़ने क क़ मत पर भी अमे रक सौर ऊजा उ पादक क सहायता को ाथ मकता दे ते
ए सरे दे श म न मत सौर ऊजा पैनल और सौर ऊजा उपकरण पर 30 % सीमा-
शु क लगाया था।
एटम बम एक ऐसा प और ता का लक ख़तरा है क कोई भी उसक उपे ा
नह कर सकता। इसके वपरीत लोबल व मग कह यादा धुँधला तीत होने वाला और
द घका लक ख़तरा है। इस लए जब भी कभी पयावरण से स ब धत द घका लक च ताएँ
कसी तकलीफ़दे ह अ पका लक याग क माँग करती ह, तो रा वाद लोग ता का लक
रा ीय हत को ाथ मकता दे ने के लोभन के शकार हो सकते ह, और ख़ुद को यह
आ ासन दे सकते ह क पयावरण क च ता वे बाद म कर सकते ह, या उसको सरी
जगह के लोग पर छोड़ सकते ह। या फर वे इसे सम या मानने से ही सीधे इंकार कर
सकते ह। यह संयोग नह है क जलवायु-प रवतन के बारे म स दे ह रा वाद अ धकार-
े होने क ओर वृ होता है। आप शायद ही कभी वामप थी समाजवा दय को ट् वीट
करते दे खगे क ‘जलवायु-प रवतन एक चीनी झाँसा है’। चूँ क लोबल व मग क सम या
का कोई रा वाद नदान नह है, कुछ रा वाद यह मानना ही बेहतर समझते ह क यह
सम या है ही नह ।

ौ ो गक य चुनौती
इसी तरह के आचरण इ क सव सद के तीसरे अ त वपरक ख़तरे - ौ ो गक य उथल-
पुथल - के कसी भी रा वाद तकार को बबाद कर सकते ह। जैसा क हमने शु आती
अ याय म दे खा है, सूचना ौ ो गक और जैव ौ ो गक का वलय क़यामत के वपुल
प र य क दशा म ले जाते दरवाज़े को खोलने वाला है, जनके दायरे म ड जटल
तानाशा हय से लेकर वै क तर के एक अनुपयोगी वग क सृ तक के प र य
शा मल ह। या है इन ख़तर का रा वाद जवाब?
इनका कोई रा वाद जवाब नह है। जस तरह जलवायु-प रवतन के मामले म, उसी
तरह ौ ो गक य उथल-पुथल के मामले म भी रा वाद रा य इस ख़तरे का मुक़ाबला
करने के मामले म पूरी तरह से अनुपयु ढाँचा है। चूँ क अनुस धान और वकास पर
कसी भी एक दे श का एका धकार नह है, इस लए संयु रा य अमे रका जैसी महाश
भी अपने दम पर उनक सीमा नधा रत नह कर सकती। अगर संयु रा य अमे रका क
सरकार ूण का जने टक ढं ग से गढ़ा जाना तब धत कर दे ती है, तो यह तब ध
चीनी वै ा नक को वैसा करने से नह रोक सकता। और अगर इसके नतीजे म सामने
आने वाली घटनाएँ चीन को क ह नणायक मह व के आ थक और सै य लाभ उपल ध
कराती ह, तो संयु रा य अमे रका के मन म अपने ही तब ध को हटाने का लोभन
जागेगा। ख़ासतौर से अपनी सफलता के लए कुछ भी करने के लए तैयार वदे शय से
भयभीत नया म, अगर एक दे श अ तशय जो खम से भरी अ तशय उपल धय का
रा ता चुनता है, तो सरे दे श को भी ववश होकर वैसा ही करना पड़ेगा, य क कोई भी
पीछे छू ट जाने का जो खम नह उठा सकता। इस तरह क गला काट त पधा क
थ त को टालने के लए मानव-जा त को स भवतः कसी तरह वै क पहचान और
वफ़ादारी क ज़ रत होगी।
इसके अ त र , जहाँ परमाणु यु और जलवायु-प रवतन मानव-जा त के सामने
सफ़ भौ तक प से जी वत बने रहने से स ब धत ख़तरा पैदा करते ह, वह अ व था
फैलाने वाली ये ौ ो ग कयाँ मानवता क कृ त तक को बदल सकती ह, और इस लए वे
मनु य क गहनतम नै तक और मज़हबी आ था के साथ उलझी ई ह। जहाँ इस बात
पर हर कोई एकमत है क हम परमाणु यु और पा र थ तक य वघटन को टालना
चा हए, वह मनु य को उ त प दे ने के लए जैवइंजी नयरी और आ ट फ़ शयल
इंटे लजस के इ तेमाल के बारे म लोग के ापक तौर पर अलग-अलग कोण ह।
अगर मानव-जा त वै क तर पर वीकाय क ह नै तक दशा- नदश को तैयार करने
और उनको काय प दे ने म वफल रहती है, तो यह डॉ. के ट न के लए मनमानी करने
का खुला अवसर होगा।
जब इस तरह के नै तक दशा- नदश को तैयार करने का सवाल उठता है, तो रा वाद
सबसे यादा क पनाशीलता क वफलता का शकार होता है। रा वाद स दय जारी
रहने वाले े ीय टकराव क पदावली म सोचते ह, जब क इ क सव सद क
ौ ो गक य ा तय को ा डीय पदावली म समझा जाना चा हए। ाकृ तक वरण के
मुता बक़ वक सत ए जै वक अ त व के 4 अरब वष के बाद व ान अब बु म ापूण
आक पन (इंटे लजट डज़ाइन) ारा गढ़े गए अजै वक अ त व के युग म वेश कर रहा
है।
इस या म वयं होमो से पय स के वलु त हो जाने क स भावना है। हम अभी भी
आज होमे नड फ़ै मली के वानर ह। अपनी यादातर का यक संरचना , भौ तक
मता और मान सक यो यता को हम अभी भी नएंडरथल और च पां ज़य से
साझा करते ह। न सफ़ हमारे हाथ, आँख और म त क प तौर पर होमे नड ह, ब क
हमारी काम-वासना, हमारा ेम, ोध और सामा जक ब धन भी होमे नड ह। एक या दो
स दय के भीतर जैव ौ ो गक और एआई का मेल ऐसे का यक, भौ तक और मान सक
ल ण के प म फ लत हो सकता है, जो होमे नड साँचे से पूरी तरह आज़ाद ह गे। कुछ
लोग का व ास है क कसी भी जै वक संरचना से चेतना तक कटकर अलग हो सकती
है, और वह तमाम जै वक और भौ तक ब धन से आज़ाद होकर साइबर पेस म तैरने लग
सकती है। सरी तरफ़, हम चेतना से बु के स पूण वयोग के सा ी हो सकते ह, और
एआई का वकास एक ऐसी नया का कारण बन सकता है, जस पर अ त-बु मान,
क तु पूरी तरह अचेतन स ा का वच व होगा।
इस थ त के बारे म इज़रायली, सी या ांसीसी रा वाद के पास कहने लायक़ या
है? कुछ ख़ास नह । रा वाद इस तर पर वचार नह करता। इसके प रणाम व प
इज़रायली रा वाद का सबसे बड़ा सरोकार इस सवाल को लेकर है क ‘अब से एक सद
बाद य शलम पर इज़राय लय क कूमत होगी या फ़ ल ती नय क ?’, वह इस सवाल
को लेकर उसे कोई परवाह नह है क ‘अब से एक सद बाद पृ वी पर से पय स क
कूमत होगी या साइबोग क ?’। जीवन के भ व य के बारे म ववेकपूण वक प चुनने के
लए हम रा वाद कोण से ब त र जाने और थ तय को न केवल वै क, ब क
ा डीय प र े य म भी दे खने क ज़ रत है। नील नद के तट पर रहने वाले ाचीन
क़बील क तरह, आज सारे रा सूचना, वै ा नक खोज और ौ ो गक य ईजाद क
एक ही वै क नद के तट पर रह रहे ह, जो क हमारी समृ का आधार भी है और
हमारे अ त व के लए एक ख़तरा भी है। इस वै क नद को नय त करने के लए सारे
रा को एक साझा येय तैयार करना आव यक है।

अ त र यान पृ वी
परमाणु यु , पा र थ तक य वंस और ौ ो गक य उथल-पुथल क इन तीन सम या
म से येक सम या मानव-स यता के भ व य को ख़तरा पैदा करने के लए पया त है,
ले कन ये तीन एक साथ मलकर एक अपूव अ त वपरक संकट का कारण बनती ह,
ख़ासतौर से इस लए उनके ारा एक- सरे को सु ढ़ और ज टल बना दए जाने क
स भावना है।
उदाहरण के लए, मानव समाज को जस प म हम जानते ह, पा र थ तक य संकट
उसके उस प म जी वत बने रह पाने के सम य प ख़तरा पैदा करता है, ले कन एआई
और जैवइंजी नयरी के वकास को रोके जाने क कोई स भावना नह है। अगर आप यह
उ मीद लगाए बैठे ह क आप महासागर के बढ़ते ए जल तर, खा ा क घटती ई
आपू त और दे श से सामू हक पलायन जैसी सम याएँ ऐ ग रदम और जीन से हमारा
यान हटा सकगी, तो दोबारा सो चए। पा र थ तक य संकट के गहराने के साथ उ च-
जो खम, उ च-उपल ध यु ौ ो ग कय का वकास स भवतः और यादा र तार ही
पकड़ेगा।
व तुतः, जलवायु-प रवतन शायद वैसी ही भू मका नभा सकता है, जो दो व यु ने
नभाई थी। 1914 और 1918 के बीच, और फर 1939 और 1945 के बीच
ौ ो गक य वकास क र तार ने आसमान को छु आ था, य क पूरी तरह से यु म
संल न रा ने ख़तर और अथ व था क परवाह छोड़कर तमाम तरह क साह सक
और ऊटपटांग प रयोजना पर अप र मत संसाधन का नवेश कया था। इनम से ब त
सारी प रयोजनाएँ नाकामयाब रही थ , ले कन कुछ प रयोजना ने टक , राडार,
ज़हरीली गैस, व न क र तार से भी तेज़ उड़ने वाले जेट वमान, अ तरमहा पीय
ेपा और परमाणु बम को पैदा कया था। इसी तरह, जलवायु-स ब धी उथल-पुथल
का सामना कर रहे दे श अ धाधु ध ौ ो गक य जु म अपनी उ मीद को दाँव पर लगा
सकते ह। एआई और जैवइंजी नयरी को लेकर मानव-जा त क ढे र सारी तकसंगत
च ताएँ ह, ले कन संकट के ण म लोग जो खम-भरे काम करते ह। इन व वंसक
ौ ो ग कय का नयमन करने के बारे म आप जो भी कुछ सोचते ह , ख़ुद से पू छए क
अगर जलवायु प रवतन के प रणाम व प खा ा म वै क तर पर कमी आ जाती है,
सारी नया के नगर म बाढ़ आ जाती ह, और करोड़ शरणाथ सरहद पार करने लगते ह,
तब भी या इन नयम के टके रहने क स भावना होगी।
वह , ौ ो गक य व वंस वै क तनाव म वृ करते ए ही नह , ब क परमाणु
श -स तुलन को अ थर बनाते ए भी सवसंहारक यु के ख़तरे को बढ़ा सकता है।
1950 के दशक से महाश याँ एक- सरे के साथ टकराव को टालती रही ह, य क वे
सभी जानती ह क यु का मतलब पार प रक तौर पर सु न त वनाश होगा, ले कन
जैसे ही नए क़ म के आ ामक और र ा मक ह थयार कट हो जाते ह, वैसे ही एक
उभरती ई ौ ो गक य महाश इस नतीजे पर प ँच सकती है क वह बना कोई
नुक़सान उठाए अपने श ु को न कर सकती है। इसके वपरीत, पतन क ओर जा रही
श को यह भय सता सकता है क उसके पार प रक परमाणु ह थयार ज द ही पुराने
पड़ सकते ह, और इसके पहले क वह इस तरह उनको गँवा दे , बेहतर होगा क वह उनका
इ तेमाल कर ले। पार प रक तौर पर, परमाणु टकराव एक अ त-तकसंगत शतरंज के खेल
से मलते-जुलते ह। उस व त या होगा, जब कोई खलाड़ी अपने त क गो टय
को अपने नय ण म लेने के लए साइबर हमल का सहारा लेगा, जब कोई अ ात तीसरा
प कसी यादे को इस तरह खसकाएगा क कसी को पता भी नह चलेगा क वह चाल
कौन चल रहा रहा है - या जब अ फ़ाज़ीरो साधारण शतरंज से परमाणु शतरंज म बदल
जाएगा?
जस तरह इन व भ चुनौ तय ारा एक- सरे को और भी मु कल बना दए जाने
क स भावना है, ठ क उसी तरह एक चुनौती का मुक़ाबला करने के लए ज़ री स द छा
को सरे मोच क सम या ारा कमज़ोर बना दया जा सकता है। इस बात क कोई
स भावना नह है क ह थयार क होड़ म उलझे दे श एआई के वकास पर रोक लगाने पर
सहमत ह गे, और अपने त य क ौ ो गक य उपल धय को पीछे छोड़ दे ने क
को शश म लगे दे श के लए जलवायु-प रवतन को रोकने क कसी साझा योजना पर
सहमत होना ब त मु कल होगा। जब तक नया त रा म बँट ई है, तब तक
इन सारी चुनौ तय से एक साथ पार पाना ब त मु कल होगा - और कसी एक भी मोच
पर नाकामयाबी वनाशकारी सा बत हो सकती है।
सं ेप म, नया म फैल रही रा वाद लहर, घड़ी क सुइय को वापस घुमाकर 1939
या 1914 पर नह ले जा सकती। ौ ो गक ने ऐसे अनेक व ापी अ त वपरक
ख़तर को पैदा कर हर चीज़ को बदल दया है, जन ख़तर से कोई भी रा अपनी दम पर
नह नपट सकता। एक साझा पहचान गढ़ने के लए एक साझा श ु सबसे अ छा उ ेरक
हो सकता है, और इस समय मानव-जा त के कम-से-कम तीन ऐसे श ु ह - परमाणु यु ,
जलवायु-प रवतन, और ौ ो गक य व वंस। अगर इन साझा ख़तर के बावजूद मनु य
कसी भी सरी चीज़ पर अपनी व श रा ीय वफ़ादा रय को वरीयता दे ने का चुनाव
करते ह, तो इसके नतीजे 1914 और 1939 से कह यादा बदतर ह गे।
एक यादा बेहतर रा ता वह है जसक परेखा यूरोपीय यू नयन के सं वधान के
मसौदे म तुत क गई है, जसम कहा गया है क ‘यूरोप के समाज जहाँ एक ओर
अपनी-अपनी रा ीय पहचान और इ तहास के त गव महसूस करते ह, वह वे अपने
पहले के वभाजन से ऊपर उठने के लए और, पहले से अ धक संग ठत होकर एक साझा
नय त गढ़ने के लए तब ह’। इसका मतलब सारी रा ीय पहचान को मटा दे ना,
सारी थानीय पर परा को याग दे ना, और मनु यता को एक प नीरस ‘गू’ म बदल
दे ना नह है। न ही इसका मतलब रा भ के सारे प का तर कार करना है। वा तव
म, एक महा पीय सेना और आ थक र ा-कवच उपल ध कराते ए यूरोपीय यू नयन ने
लडस, लो बाड , कैटालो नया और कॉटलड जैसी जगह पर थानीय दे शभ को
तकसंगत ढं ग से ो सा हत कया है। एक वाधीन कॉटलड या कैटालो नया था पत
करने का वचार उस दशा म यादा आकषक तीत होता है, जब आपको कसी जमन
आ मण का भय न हो और जब आप लोबल व मग और वै क त ान के ख़लाफ़
एक साझा यूरोपीय मोच पर भरोसा करने क थ त म ह ।
इस लए यूरोपीय रा वाद ख़ुद को यादा सहज थ त म पा रहे ह। रा क वापसी
क तमाम चचा के बावजूद, ब त थोड़े-से यूरोपीय ह, जो वा तव म उसके लए मरने
या मारने को तैयार ह । जब व लयम वॉलेस और रॉबट ूस के ज़माने म कॉट लोग ने
ल दन क पकड़ से आज़ाद होने क को शश क थी, तो इसके लए उनको एक सेना खड़ी
करनी पड़ी थी। इसके वपरीत, 2014 के कॉ टश जनमत-सं ह के दौरान एक भी
नह मारा गया था, और अगर अगली बार कॉटलड के लोग वाधीनता के प म मतदान
करते ह, तो इसक र- र तक कोई स भावना नह है क उनको एक बार फर बैनॅकबन
क लड़ाई लड़नी पड़े। पेन से अलग होने क कैटालान क को शश का नतीजा अ छ
ख़ासी हसा के प म सामने आया है, ले कन वह भी उस ह याका ड से ब त कम है,
जसे बा सलोना ने 1939 या 1714 म भोगा था।
बाक़ नया शायद यूरोप के इस उदाहरण से सीख ले सकती है। यहाँ तक एक
एक कृत ह पर भी उस तरह क दे शभ के लए पया त गुंजाइश बनी रहेगी, जो मेरे
रा के अनूठेपन का ज मनाती है और उसके त मेरे कत पर बल दे ती है। तब भी
अगर हम जी वत बचे रहना चाहते ह और फलना-फूलना चाहते ह, तो मानव-जा त के
पास इस तरह क थानीय वफ़ादा रय को वै क समुदाय के त ठोस कत के साथ
जोड़ने के अलावा और कोई चारा नह है। एक एक साथ अपने प रवार, अपने
पड़ोस, अपने वसाय और अपने रा के त वफ़ादार होता है और उसे होना चा हए -
तब फर इस सूची म मानव-जा त और पृ वी ह को भी य न जोड़ा जाए? सही है, जब
आपक ऐसी ब त-सी वफ़ादा रयाँ होती ह, तो टकराव कभी-कभी अप रहाय हो जाते ह,
ले कन यह कसने कहा है क ज़ दगी सरल होती है? उससे नप टए।
पछले युग म रा ीय अ मताएँ इस लए गढ़ जाती थ , य क तब मनु य को ऐसी
सम या और अवसर का सामना करना पड़ता था, जो थानीय क़बील क प ँच के
दायरे से ब त परे आ करते थे, और यह क दे श ापी सहकार से ही उनके साथ तालमेल
बैठाने क उ मीद क जा सकती थी। इ क सव सद म रा ख़ुद को उसी तरह क
प र थ त म पा रहे ह, जसम ाचीन क़बीले थे : वे अब उस तरह के त नह रह गए ह,
जो इस युग क सबसे मह वपूण चुनौ तय को झेल सक। अब हम एक नई वै क पहचान
क ज़ रत है, य क रा ीय सं थाएँ अपूव वै क संकट से नपटने म असमथ ह। अब
हमारी एक भूम डलीय पा र थ तक , भूम डलीय अथ व था और एक भूम डलीय
व ान है, ले कन हम अभी भी महज़ रा ीय राजनी त म उलझे ए ह। यह बेमेलपन
राजनी तक त को हमारी मु य सम या का कारगर ढं ग से सामना करने से रोकता है।
भावशाली राजनी त के लए हम या तो पा र थ तक , अथ व था और व ान के
अ भयान को व-भूम डलीकृत ( ड- लोबलाइज़) कर दे ना अ नवाय है - या फर हम
अपनी राजनी त का भूम डलीकरण करना अ नवाय है। चूँ क पा र थ तक और व ान
के अ भयान को व-भूम डलीकृत करना अस भव है, और चूँ क अथ व था को व-
भूम डलीकृत करने क लागत ब त यादा होगी, इस लए वा त वक समाधान राजनी त
को भूम डलीकृत करना ही है।
इस तरह के भूम डलीकरण और वदे श- ेम के बीच कोई अ त वरोध नह है।
वदे श- ेम का मतलब वदे शय से नफ़रत करना नह है। वदे श- ेम का मतलब अपने
दे शवा सय के त उ रदा य व क भावना रखना है। और इ क सव सद म अपने
दे शवा सय के कुशल ेम और सुर ा क हफ़ाज़त के लए आपको वदे शय के साथ
सहयोग करना अ नवाय है। इस लए अ छे रा वा दय का अ छा भूम डलवाद होना
ज़ री है।
यह एक ‘भूम डलीय सरकार’ को था पत करने का आ ान नह है, जो क एक
स द ध और अ ावहा रक प रक पना है। इसक बजाय, राजनी त को भूम डलीकृत
करने म यह अ भ ाय न हत है क हम भूम डलीय सम या और हत को कह यादा
मह व दे ने क ज़ रत है। जब अगले चुनाव आएँ, और राजनेता आपसे वनती कर रहे ह
क आप उनको वोट द, तो इन राजनेता से चार सवाल पू छए : अगर आप चुन लए
जाते ह, तो आप परमाणु यु के ख़तरे को कम करने के लए या कारवाई करगे? आप
जलवायु-प रवतन के जो खम को रोकने के लए या कारवाई करगे? आप एआई और
जैवइंजी नय रग जैसी व वंसक ौ ो ग कय का नयमन करने के लए या कारवाई
करगे? और अ त म, े तम स भव प रणाम के प र य क आपक या प रक पना है?
अगर कोई राजनेता इन सवाल को नह समझते, या वे भ व य क कसी साथक
प रक पना का ख़ाका तुत करने म असमथ रहते ए लगातार अतीत के बारे म ही बात
करते रहते ह, तो ऐसे राजनेता को वोट मत द जए।
भा य से, रा ीय हत को लेकर ब त सारे राजनेता का कोण ब त ही संक ण
होता है, और वे वै क सहकार के ख़लाफ़ तीखी त या करते ह। तब या हम नया
को संग ठत करने के लए मानव-जा त क सावभौ मक मज़हबी पर परा पर नभर
करना चा हए? सैकड़ साल पहले ईसाइयत और इ लाम जैसे मज़हब ने थानीय स दभ
म सोचने क बजाय वै क स दभ म सोचा था, और वे महज़ इस या उस रा के
राजनी तक संघष क बजाय हमेशा जीवन के बड़े म गहरी उ सुकता के साथ
दलच पी लेते थे, ले कन या ये पार प रक मज़हब अभी भी ासं गक ह? या उनम
नया को आकार दे ने क साम य बची है, या अब वे अतीत के महज़ जड़ हो चुके
अवशेष-मा रह गए ह, जनको आधु नक रा य , अथ व था और ौ ो ग कय क
बल श य ने यहाँ-वहाँ छतरा दया है?
8
मज़हब
ई र अब रा क सेवा करता है

आधु नक वचारधाराएँ, वै ा नक वशेष और रा ीय सरकार अब तक मनु यता के


भ व य के लए कोई सुसा य प रक पना गढ़ने म वफल रही ह। या इस तरह क कोई
प रक पना इंसानी मज़हबी पर परा के गहरे कु से ख ची जा सकती है? मुम कन है
क इसका जवाब बाइबल, कुरान या वेद के प के बीच नर तर कह हमारा इ तज़ार
करता रहा हो।
से युलर लोग इस ख़याल पर त या करते ए या तो इसका मज़ाक़ उड़ाएँगे या
आशंका करगे। प व पो थयाँ म ययुग म ासं गक रही हो सकती ह, ले कन वे
आ ट फ़ शयल इंटे लजस, जैवइंजीनयरी, लोबल व मग और साइबर यु के इस युग म
हमारा मागदशन कैसे कर सकती ह? ले कन से युलर लोग एक अ पसं यक वग है।
अरब इंसान अभी भी वकासवाद के स ा त क बजाय कुरान और बाइबल म यादा
आ था रखते ह, मज़हबी आ दोलन ह तान, तुक और संयु रा य अमे रका जैसे
व वध क़ म के दे श क राजनी त को आकार दे ते ह, और मज़हबी म नयाँ नाइज़ी रया
से लेकर फ़ लपी स तक के टकराव को भड़काती ह।
इस लए ईसाइयत, इ लाम और ह व जैसे मज़हब कस तरह ासं गक ह? या वे
उन सम या के समाधान म हमारी मदद कर सकते ह, जनका हम सामना कर रहे ह?
इ क सव सद म पार प रक मज़हब क भू मका को समझने के लए हम तीन तरह क
सम या के बीच फ़क़ करने क ज़ रत है :

ी ँ े े े ो ो
1. तकनीक सम याएँ। उदाहरण के लए, शु क दे श के कसान को लोबल व मग
के कारण पैदा ए ग भीर सूखे से कस तरह नपटना चा हए?
2. नी तगत सम याएँ। उदाहरण के लए, सबसे पहले लोबल व मग को रोकने के
लए सरकार को या उपाय करने चा हए?
3. पहचान क सम याएँ। उदाहरण के लए, या मुझे नया के सरे ह स के
कसान क सम या क च ता भी करनी चा हए, या मुझे सफ़ अपने क़बीले
और अपने दे श से जुड़े लोग क च ता करनी चा हए?

जैसा क हम आगे के पृ म दे खगे, पार प रक मज़हब तकनीक और नी तगत


सम या के स दभ म आमतौर पर अ ासं गक ह। इसके वपरीत, वे पहचानपरक
सम या के स दभ म अ य त ासं गक ह, ले कन यादातर मामल म वे कसी ठोस
समाधान क बजाय सम या का अहम ह सा गढ़ते ह।

तकनीक सम याएँ : ईसाई कृ ष


आधु नकता-पूव के युग म कृ ष जैसे साधारण े क ापक तकनीक सम या को
हल करने क ज़ मेदारी मज़हब क आ करती थी। कब बोया जाए और कब काटा
जाए, इसका नणय दै वीय कैलडर कया करते थे, वह पूजा- थल के अनु ान वषा लाने
और फ़सल क क ड़ से हफ़ाज़त कया करते थे। जब सूखे या ट य क महामारी से
खेती पर संकट मँडराता था, तो कसान अपने दे वता के बीच म य थता करने के लए
पुरो हत के पास जाया करते थे। च क सा- व ान भी मज़हबी अ धकार े म आता
था। लगभग हरेक पैग़ बर, गु और ओझा च क सक क भू मका भी नभाता था।
इस लए ईसा ने अपना यादातर समय बीमार को चंगा करने म, अ ध को दान
करने म, गूँग को वाणी दे ने, और पागल को मान सक प से व थ बनाने म लगाया था।
आप चाहे ाचीन म म रहते ह या म ययुगीन यूरोप म, अगर आप बीमार पड़ते थे, तो
स भावना यही होती थी क आप कसी च क सक से स पक करने क बजाय कसी
ओझा से स पक करते, और कसी औषधालय म जाने क बजाय कसी स दे वालय
क तीथया ा करते।
हाल के युग म जीव व ा नय और श य च क सक ने इन पुरो हत और चम का रय
क जगह ले ली है। आज अगर म म ट ी-दल क महामारी फैल जाती है, तो म वासी
शायद अ लाह से मदद क गुहार कर - य नह ? - ले कन वे रसायनशा य ,
क ट व ा नय और आनुवां शक - व ा नय से स पक कर उनसे श शाली क टाणु-
नाशक और क टाणु से भा वत न होने वाली गे ँ क न ल वक सत करने का आ ह
करना न भूलगे। अगर कसी धम ाण ह का ब चा खसरा क ग भीर बीमारी का
शकार होता है, तो उसका बाप ध व त र क ाथना करेगा और थानीय म दर म फूल
और मठाइयाँ चढ़ाएगा, ले कन इसके पहले वह ब चे को लेकर सबसे पास के अ पताल
म जाएगा और उसको वहाँ के डॉ टर क दे खरेख म स पेगा। यहाँ तक जैसे-जैसे
नायु व ान भूत- व ा और ोज़ाक झाड़-फूँक क जगह लेता जा रहा है, वैसे-वैसे
मान सक बीमारी - जो क मज़हबी च क सक का आ ख़री गढ़ है - भी धीरे-धीरे
वै ा नक के हाथ म आती जा रही है।
व ान इस क़दर पूण वजय ा त कर चुका है क मज़हब क हमारी धारणा तक
बदल गई है। अब हम मज़हब को कृ ष और च क सा से जोड़कर नह दे खते। यहाँ तक
क ब त सारे क रप थी भी सामू हक व मृ त के शकार ह, और वे इस बात को भूल
जाना ही पस द करते ह क पार प रक मज़हब ने कभी इन े पर अपने अ धकार का
दावा भी कया था। ये क रप थी कहते ह, “अगर हम इंजी नयर और डॉ टर क ओर
मुड़ते ह, तो इससे या फ़क़ पड़ता है? इससे कुछ भी सा बत नह होता। वैसे भी मज़हब
का कृ ष और च क सा से लेना-दे ना ही या है?”
साफ़तौर पर कह, तो पार प रक मज़हब ने अपना ब त-सा अ धकार- े इस लए
खो दया है, य क कृ ष और च क सा के े म वे ब त क़ा बल थे ही नह । वषा लाना,
व थ बनाना, भ व यवाणी या जा करना पुरो हत और गु क वा त वक वशेष ता
दरअसल कभी रही ही नह थी। इसक बजाय, भा य ( ा या) करना उनक वशेष ता
आ करती थी। पुरो हत वह नह है, जो यह जानता हो क बा रश कैसे लाई जाए
या सूखे का अ त कस तरह कया जाए। पुरो हत वह है, जो इस बात का औ च य
तपा दत करना जानता है क बा रश य नह ई, और यह क दे वता भले ही हमारी
सारी ाथना को अनसुना करता रहे, ले कन तब भी हम उसके त अपनी आ था य
जारी रखनी चा हए।
ले कन यह भा य करने क उनक असाधारण तभा ही है, जो उनको उस समय घाटे
क थ त म ले आती है, जब वे वै ा नक के साथ त पधा करते ह। वै ा नक भी ग़लत
तरीक़े अपनाना और सा य को तोड़ना-मरोड़ना जानते ह, ले कन अ ततः नाकामयाबी को
वीकार करना और एक नई व ध को आज़माना व ान क नशानी है। इसी लए
वै ा नक धीरे-धीरे यह सीखते ह क बेहतर फ़सल क पैदावार कैसे क जाए और बेहतर
औष धय का नमाण कस तरह कया जाए, जब क पुरो हत और गु सफ़ इतना सीख
पाते ह क बेहतर बहाने कस तरह बनाए जाएँ। स दय के दौरान स चे आ थावान तक ने
इस फ़क़ को नो टस कया है, यही वज़ह है क मज़हबी वच व तकनीक े म उ रो र
कमज़ोर पड़ता जा रहा है। इसी से यह बात भी प हो जाती है क य सारी नया
उ रो र एक ही स यता म बदलती जा रही है। जब चीज़ वा तव म कारगर होने लगती
ह, तो हर कोई उनको अपनाने लगता है।

नी तगत सम याएँ : मु लम अथ व थाएँ


जहाँ व ान हम तकनीक , जैसे क खसरे का इलाज कैसे कया जाए आ द के प
उ र उपल ध कराता है, वह नी त के सवाल को लेकर वै ा नक के बीच ख़ासा मतभेद
होता है। इस बात पर लगभग सारे वै ा नक सहमत ह क लोबल व मग का बढ़ना एक
त य है, ले कन इस ख़तरे के त भावशाली त या को लेकर कोई सहम त नह है,
ले कन इसका यह मतलब नह है क पार प रक मज़हब इस सम या को सुलझाने म
हमारी मदद कर सकते ह। ाचीन पो थयाँ आधु नक अथ व था के लए अ छ
मागद शकाएँ क़तई नह ह, और मु य ववाद- उदाहरण के लए पूँजीवा दय और
समाजवा दय के बीच के ववाद - पार प रक मज़हब के बीच के वभाजन जैसे नह ह।
यह सही है क इज़रायल और ईरान जैसे मु क म सरकार क आ थक नी तय म
र बय और अयातु लाह का य दख़ल होता है, और संयु रा य अमे रका तथा
ाज़ील जैसे अपे ाकृत अ धक से युलर दे श तक म मज़हबी नेता कराधान से लेकर
पयावरण स ब धी नयम के मामल तक म जनमत को भा वत करते ह। तब भी बारीक़
से दे खने पर पता चलता है क इनम से यादातर मामल म पार प रक मज़हब आधु नक
वै ा नक स ा त के वपरीत ब त छोट -मोट भू मका ही नभाते ह। जब अयातु लाह
खोमेनी को ईरान क अथ व था के मामले म कोई अहम फ़ैसला लेने क ज़ रत होती
है, तो वे कुरान म इसका ज़ री जवाब क़तई नह पा सकते, य क सातव सद के अरब
लोग आधु नक औ ो गक अथ व था और वै क व ीय बाज़ार क सम या
और अवसर के बारे म कोई ख़ास जानकारी नह रखते थे। इस लए खोमेनी, या उनके
सहयो गय को जवाब क तलाश म काल मा स, म टॅ न डमैन, े क हायेक और
आधु नक व ान क ओर ख करना अ नवाय होता है। याज-दर बढ़ाने, कर को कम
करने, सरकारी एका धप य का नजीकरण करने या कसी अ तररा ीय सीमा-शु क
समझौते पर ह ता र करने का मन बना लेने के बाद खोमेनी अपने मज़हबी ान और
भु व का इ तेमाल इस वै ा नक जवाब को कुरान क इस या उस आयत क नक़ाब से
ढँ कने के लए कर सकते ह, और उस जवाब को इस श ल म अ लाह क मज़ बताते ए
जनता के सामने पेश कर सकते ह, ले कन नक़ाब ब त मायने नह रखता। जब आप
शया ईरान, सु ी सऊद अरब, य द इज़रायल, ह भारत और ईसाई अमे रका क
आ थक नी तय क तुलना करने बैठते ह, तो आपको इनम उतना फ़क़ क़तई नज़र नह
आता।
उ ीसव और बीसव स दय के दौरान मुसलमान, य द , ह और ईसाई च तक ने
आधु नक भौ तकवाद, आ माहीन पूँजीवाद, और नौकरशाही रा य- व था क अ तय
क तीख़ी आलोचना क थी। उ ह ने वादा कया था क अगर उनको एक मौक़ा दया गया,
तो वे आधु नकता क सारी बुराइय को र कर दगे और अपने मज़हबी प थ के शा त
आ या मक मू य पर आधा रत एक पूरी तरह से भ व था खड़ी कर दगे। ख़ैर,
उनको ब त कम मौक़े दए गए, और आधु नक अथ व था के महल म वे जो एकमा
यान दे ने यो य बदलाव ला सके, वह यह था क उ ह ने उसक द वार पर पुते रंग को हटा
दया और उसक छत पर ज के चाँद, सलीब, डे वड के सतारे या ओ3 म् क वशाल
आकृ त को था पत कर दया।
जस तरह बा रश लाने के मामले म आ था, उसी तरह जब अथ व था का सवाल
पैदा होता है, तो यह मज़हबी च तक क पो थय क ा या क वष ल बी साधना से
अ जत क गई वशेष ता ही होती है, जो मज़हब को ासं गक बनाती है। खोमेनी कोई
भी आ थक नी त य न चुन, वे उसको हमेशा कुरान से स मत बता सकते थे। इस लए
कुरान एक स चे ान के ोत से नीचे गरकर महज़ भु व के एक ोत म बदल गई। जब
आप कसी मु कल क़ म क आ थक वधा का सामना करते ह, तो आप मा स और
हायेक को बारीक़ -से पढ़ते ह, और वे आ थक व था को बेहतर ढं ग से समझने म,
चीज़ को नए कोण से दे खने म, और उनके ठोस समाधान के बारे म वचार करने म
आपक मदद करते ह। एक समाधान गढ़ने के बाद फर आप कुरान क ओर ख़ करते ह
और उसको कसी ऐसे सूरा क तलाश म बारीक़ -से पढ़ते ह क अगर उसक पया त
क पनाशील ढं ग से ा या क जाए, तो वह उस समाधान को उ चत ठहरा सकता है,
जसे आपने हायेक या मा स को पढ़कर हा सल कया है। आपको वहाँ कैसा भी
समाधान य न मला हो, अगर आप कुरान के एक अ छे अ येता ह, तो आप उसको
उ चत ठहराने म हमेशा सफल ह गे।
यही बात ईसाइयत के बारे म सही है। एक ईसाई जतनी आसानी-से पूँजीवाद हो
सकता है, उतनी ही आसानी-से समाजवाद हो सकता है, और हालाँ क ईसा ने कुछ बात
ऐसी कही ह, जनसे पूरी तरह से सा यवाद क बू आती है, तब भी शीतयु के दौरान
अ छे अमे रक पूँजीवा दय ने इस ओर कोई ख़ास यान दए बना ईसा के उपदे श
(समन ऑन द माउंट) को पढ़ना जारी रखा था। ‘ईसाई अथशा ’, ‘मुसलमान अथशा ’
या ‘ ह अथशा ’ जैसी क़तई कोई चीज़ नह है।
यह नह क बाइबल, कुरान या वेद म कोई आ थक वचार नह ह - बात सफ़ इतनी
है क ये वचार आधु नक नह ह। वेद क महा मा गाँधी क ा या ने उनको वाधीन
भारत को ऐसे आ म- नभर ा य समुदाय के एक समूह के प म दे खने क गुंजाइश द
थी, जनम से हर समुदाय खाद के अपने कपड़े बुनता, ब त कम नयात करता और
उससे भी कम आयात करता। उनक सबसे स तसवीर म उनको ख़ुद अपने हाथ से
सूत कातते ए दखाया गया है, और उ ह ने इस सादे चरखे को ह तान के रा ीय
आ दोलन का तीक बना दया था। तब भी यह सादगी-भरी प रक पना आधु नक
अथ व था क वा त वकता से ज़रा भी मेल नह खाती थी, और इस लए पय के
अरब नोट पर गाँधी क उ वल छ व के अलावा उनक इस प रक पना का कुछ भी
शेष नह रह गया।
आधु नक अथशा के स ा त पार प रक मत के मुक़ाबले म इतने अ धक
ासं गक ह क साफ़-साफ़ मज़हबी टकराव तक क ा या आमतौर से आ थक
पदावली म क जाने लगी है, जब क इससे उलट या अपनाने के बारे म कोई नह
सोचता। उदाहरण के लए, कुछ लोग तक दे ते ह क उ री आयरलड म कैथो लक और
ोटे टट के बीच के हंगामे आमतौर से वगसंघष के प रणाम थे। व भ ऐ तहा सक
संयोग क वज़ह से उ री आयरलड के उ च वग यादातर ोटे टट थे और नचले तबके
यादातर कैथो लक थे। इस लए जो चीज़ पहली नगाह म ईसा क कृ त को लेकर
मज़हबी तक़रार तीत होती थी, वह दरअसल स प और वप के बीच का एक आम
संघष था। इसके वपरीत, ब त कम लोग ह गे जो यह दावा करगे क 1970 के दशक क
द ण अमे रका क सा यवाद गो र ला और पूँजीवाद भू मप तय के बीच क तक़रार
ईसाई धमशा को लेकर गहरे मतभेद क आड़ मा थ ।
इस लए जब इ क सव सद के बड़े सवाल से सामना होगा, तब मज़हब से या फ़क़
पड़ेगा? उदाहरण के लए इस सवाल को ही ल क या आ ट फ़ शयल इंटे लजस को
लोग क ज़ दगी के बारे म फ़ैसले लेने का - जैसे क या पढ़ाई क जाए, कहाँ काम
कया जाए, और कससे शाद क जाए आ द का - हक़ स पा जाए। इस सवाल पर
मु लम कोण या है? य द कोण या है? यहाँ कोई ‘मु लम’ या ‘य द ’
कोण नह ह। मानव-जा त के दो मु य खेम म बँट जाने क स भावना है - एक वे जो
एआई को पया त अ धकार दे ने के प म ह गे, और सरे वे जो इसका वरोध करगे। पूरी
स भावना है क मुसलमान और य द दोन ही खेम म पाए जाएँ, और जो भी कोण
वे अपनाएँ, उसका समथन वे कुरान और तलमूद क अपनी क पनाशील ा या के
मा यम से कर ल।
न य ही मज़हबी समुदाय क ह ख़ास मु पर अपने कोण स त कर सकते ह,
और उनको क थत प से प व और शा त धममत म बदल सकते ह। 1970 के दशक
म लातीन अमे रका के धमशा ी ‘मु का धमशा ’ ( लबरेशन थयोलॉजी) लेकर आए
थे, जससे ईसा कुछ-कुछ चे वारा जैसे लगते थे। इसी तरह, भूम डल के बढ़ते ताप पर
बहस के लए ईसा को आसानी-से नयु कर लया जा सकता है, और वतमान
राजनी तक कोण को कुछ ऐसी श ल द जा सकती है, मानो वे शा त मज़हबी
स ातह।
इसक शु आत होने ही जा रही है। पयावरण-स ब धी नयम के वरोध को अमे रक
इवजे लकल पाद रय के नक क धम कय से भरे कुछ उपदे श म समा हत कर लया गया
है, वह पोप ां सस ईसा के प से लोबल व मग क वृ के ख़लाफ़ अ भयान का
नेतृ व कर रहे ह (जैसा क उनके सरे प रप ‘Laudato si * से ज़ा हर है)। इस लए
शायद 2070 तक पयावरण स ब धी सवाल पर इस बात से यादा फ़क़ पड़ेगा क आप
इवजे लकल ह या कैथो लक। कहना न होगा क इवजे लकल काबन के उ सजन क
कसी भी अ धकतम सीमा के नधारण का वरोध करगे, जब क कैथो लक का यह
व ास होगा क ईसा ने हम पयावरण क र ा करने का उपदे श दया था।
आपको उनक कार तक म अ तर दखाई दे गा। इवजे लकल बड़ी तादाद म पे ोल
गटकने वाली एसयूवी चलाया करगे, जब क ालु कैथो लक चकनी व ुत कार म
सफ़र कया करगे, जनके ब पर पर चपके टकर म लखा होगा ‘ ह को जलाओ - और
नक म जलो!’ हालाँ क, वे अपने कोण के बचाव म बाइबल से व भ ह स को
उ त कर सकते ह, ले कन उनके मतभेद का वा त वक ोत बाइबल म नह , ब क
आधु नक वै ा नक स ा त और राजनी तक आ दोलन म होगा। इस प र े य से दे ख,
तो मज़हब के पास हमारे समय क महान राजनी तक बहस म योगदान करने के लए
कुछ ख़ास नह है। जैसा क मा स ने कहा था, वह महज़ एक मुल मा है।

पहचान क सम याएँ : रेत म रेखाएँ


ले कन मा स उस व त अ तरंजना कर रहे थे, जब उ ह ने मज़हब को एक ऐसी ऊपरी
संरचना (सुपर चर) बताते ए ख़ा रज़ कया था, जो अपने भीतर श शाली
ौ ो गक य और आ थक श य को छपाए होती है। भले ही इ लाम, ह धम या
ईसाइयत एक आधु नक आ थक संरचना पर क गई रंग बरंगी सजावट ही य न ह , तब
भी समाज अ सर साज-स जा के साथ तादा य महसूस करते ह, और समाज क
पहचान नणायक मह व का ऐ तहा सक बल होती ह। मानवीय श सामू हक सहकार
पर नभर करती है, सामू हक सहकार सामू हक पहचान को गढ़ने पर नभर करता है -
और सारी सामू हक पहचान का प नक क़ स पर आधा रत होती ह, वे वै ा नक त य
या आ थक अ नवायता तक पर आधा रत नह होत । इ क सव सद म मनु य का
य दय या मुसलमान म या सय और पोलडवा सय म वभाजन अभी भी मज़हबी
मथक पर नभर करता है। मनु य क न ल और वग क पहचान को वै ा नक तौर
नधा रत करने क ना ज़य और सा यवा दय क को शश ख़तरनाक छ - व ान सा बत
ई ह, और तब के बाद से वै ा नक मनु य क क ह ‘कु़दरती’ पहचान को प रभा शत
करने को लेकर अ य त अ न छु क रहे ह।
इस लए इ क सव सद म मज़हब बा रश नह लाते, वे बीमा रयाँ र नह करते, वे
बम नह बनाते, ले कन वे तब भी यह नधा रत करने क भू मका नभाते ह क कौन ‘हम’
ह, और कौन ‘वे’ ह, हम कनको व थ बनाना चा हए और कनको बम से उड़ा दे ना
चा हए। जैसा क पहले कहा जा चुका है, ावहा रक तौर पर शया ईरान, सु ी सऊद
अरब और य द इज़रायल के बीच आ यजनक प से ब त कम भेद ह। सारे-के-सारे
दे श नौकरशाह रा ीय रा य ह, सारे-के-सारे कमोबेश पूँजीवाद नी तय का अनुसरण
करते ह, सारे-के-सारे दे श अपने ब च का पो लयो के व ट काकरण करते ह, और
सारे-के-सारे दे श बम बनाने के लए रसायन वद और भौ तक वद पर भरोसा करते ह।
शया नौकरशाही, सु ी पूँजीवाद, या य द भौ तक जैसी कोई चीज़ नह है। तो फर
लोग म अनूठा होने का अहसास, और एक मानव-समुदाय के त वफ़ादारी तथा सरे के
त वैर का अहसास कैसे जगाया जाए?
मनु यता क बदलती ई थ तय म अ मट वभाजक रेखाएँ ख चने के लए मज़हब
अनु ान , कमका ड और सं कार का इ तेमाल करते ह। शया, सु ी और पर परावाद
य द अलग-अलग तरह के व पहनते ह, अलग-अलग तरह क ाथनाएँ करते ह, और
अलग-अलग तरह के नषेध का पालन करते ह। ये तरह-तरह क मज़हबी पर पराएँ
रोज़मरा जीवन को सु दर बनाती ह, और लोग को अ धक दयालुतापूण और उपकार क
भावना के साथ आचरण करने को ो सा हत करती ह। दन म पाँच बार अज़ानी का
सुरीला वर बाज़ार , द तर और कारख़ान के शोर के बीच से ऊपर उठता है, और
मुसलमान को पुकारता है क वे कुछ दे र के लए नयावी भाग-दौड़ से वराम ल, और
ख़ुद को शा त स य के साथ जोड़ने क को शश कर। इसी ल य पर उनके ह पड़ोसी
न य पूजा और म े चार क मदद से प ँच सकते ह। हर ह ते, शु वार क रात को
य द प रवार आन दपूण दावत, कृत ता- ापन और मेलजोल के लए एक होते ह। दो
दन बाद, इतवार क सुबह, ईसाइय क भजन-म डली लाख लोग के जीवन म उ मीद
का संचार करती ई व ास और अपनेपन के सामुदा यक ब धन गढ़ने म मदद करती है।
सरी मज़हबी पर पराएँ नया को ढे र सारी कु पता से भर दे ती ह, और लोग को
ु ता और तापूण आचरण करने के लए े रत करती ह। उदाहरण के लए, मज़हबी
तौर पर उ े रत नारी- े ष या जातीय भेदभाव के प म शायद ही कुछ कहा जा सके,
ले कन सु दर हो या कु प, ऐसी तमाम मज़हबी पर पराएँ कुछ ख़ास लोग को एकजुट
करती ह, तो उनको उनके पड़ो सय से अलग करती ह। बाहर से दे खने पर, लोग को
बाँटने वाली मज़हबी पर पराएँ अ सर तु छ तीत होती ह, और ायड ने इस तरह के
मसल को लेकर लोग क ख़ त का ‘संक ण भेद क आ मर त’ (‘द ना स स म ऑफ़
मॉल डफ़रसेज़’) कहकर मज़ाक़ उड़ाया है। ले कन इ तहास और राजनी त म संक ण
भेद ब त र तक जा सकते ह। इस लए अगर आप समल गक पु ष या समल गक ी ह,
तो फर चाहे आप इज़रायल म रहते ह , ईरान म रहते ह या सऊद अरब म रहते ह , यह
श दश: जीवन और मौत का मसला बन जाता है। इज़रायल म एलजीबीट (ले बयन, गे,
बायसे शुअल, ांसजडर) को क़ानून का संर ण ा त है, और यहाँ तक क ऐसे भी कुछ
र बी ह जो दो य के ववाह को अपना आशीवाद दगे। ईरान म समल गक ी-पु ष
पर बाक़ायदा मुक़दमा चलाया जाता है और कभी-कभी फाँसी तक दे द जाती है। सऊद
अरब म समल गक ी 2018 तक कार भी नह चला सकती थी - महज़ ी होने के
नाते, समल गक ी होने के नाते तो नह ही।
आधु नक नया म पार प रक मज़हब क नर तर श और मह व का सव े
उदाहरण स भवतः जापान म दे खने को मलता है। 1853 म एक अमे रक जहाज़ी बेड़े ने
जापान को मजबूर कर दया था क वह नया के लए अपने दरवाज़े खोल दे । जवाब म,
जापानी रा य ने आधु नक करण क एक तेज़ र तार और अ य त कामयाब या क
शु आत क । कुछ ही दशक के भीतर यह व ान और पूँजीवाद पर आधा रत, और चीन
तथा स को परा जत करने वाला, ताइवान और को रया पर क़ ज़ा करने वाला, और
अ ततः पल हाबर म अमे रक नौसै नक बेड़े को गक कर दे ने वाला तथा सु र पूव म
यूरोपीय सा ा य को न कर दे ने वाला आधु नकतम सेना पर आधा रत एक श शाली
नौकरशाह रा य बन गया, ले कन जापान ने प मी परेखा का अ धानुसरण नह कया।
वह अपनी अनूठ पहचान क र ा के लए, और यह सु न च त करने के लए उ प से
संक परत था क आधु नक जापानी व ान के त, आधु नकता के त, या कसी धुँधले
वै क समुदाय के त वफ़ादार होने क बजाय जापान के त वफ़ादार ह ।
इस उ े य के लए जापान ने जापानी पहचान क आधार शला के तौर पर थानीय
मज़हब श तो क शरण ली। पार प रक श तो व भ दे वता , आ मा , और ेत म
जीववाद आ था का घालमेल आ करता था, और हरेक गाँव तथा पूजा- थल क
अपनी इ आ माएँ और थानीय प रपा टयाँ आ करती थ । उ ीसव सद के परवत
और बीसव सद के आर भक वष म जापानी रा य ने ब त सारी थानीय पर परा
को हतो सा हत करते ए श तो का एक अ धकृत सं करण तैयार कया। इस ‘राजक य
श तो’ क रचना रा ीयता और न ल क उन ब त-सी धारणा को मलाकर क गई थी,
जनको जापान के कुलीन वग ने यूरोपीय सा ा यवा दय से लया था। बौ धम,
क यू शयस धम और समुराई साम तवाद सं कृ त के जो भी कोई त व रा य के त
न ा को मज़बूती दान कर सकते थे, उनको शा मल कया गया। अ ततः राजक य
श तो को उस जापानी स ाट क पूजा के सव च स ा त के प म त ा पत कया
गया, जसको सूय दे वी अमातेरासु का सीधा वंशज माना जाता है, और वयं उसको
सा ात दे वता से कम नह समझा जाता था।
पहली नज़र म, एक ऐसे रा य के स दभ म जो आधु नक करण के ै श कोस क
शु आत करने जा रहा था, ाचीन और नवीन का यह व च घालमेल अ य त अनुपयु
वक प तीत आ था। एक सा ात दे वता? जीववाद आ माएँ? साम ती सं कृ त? यह
सब एक आधु नक औ ो गक श क बजाय एक नवपाषाणयुगीन क़बीले के सरदार
जैसा मालूम दे ता था।
ले कन इसने जा ई असर पैदा कया। जहाँ जापान ने हैरतअंगेज़ र तार से
आधु नक करण कया, वह उसने इसी के साथ-साथ अपने रा य के त क र वफ़ादारी
वक सत क । राजक य श तो क कामयाबी क सबसे सु व दत नशानी यह त य है क
जापान पहली ऐसी श था, जसने सट क नशाने पर मार करने वाले ेपा का
नमाण और इ तेमाल कया। संयु रा य अमे रका ारा माट बम क तैनाती के दशक
पहले, और एक ऐसे समय जब नाज़ी जमनी ड ब V-2 रॉकेट क तैनाती क शु आत
कर रहा था, जापान ने इन ेपा के मा यम से म -रा के दजन जहाज़ को समु
म डु बा दया था। हम इन ेपा को कामीकाज़े के प म जानते ह। जहाँ आज के
समय के सट क नशाने पर मार करने वाले ह थयार को क यूटर के मा यम से दशा द
जाती है, वह कामीकेज़ ऐसे साधारण वायुयान आ करते थे, जो व फोटक से भरे होते
थे और आ मघाती अ भयान के लए तैयार इंसानी पायलट के मागदशन म उड़ते थे। यह
आ मघाती तैयारी राजक य श तो ारा उ े रत मृ यु को चुनौती दे ने वाली आ मोसग क
भावना क उपज थी। इस तरह कामीकेज़ आधु नकतम मज़हबी भावना के साथ
आधु नकतम ौ ो गक के म ण पर नभर करते थे।
आज क अनेक सरकार जाने-अनजाने जापान क मसाल का अनुसरण करती ह।
एक ओर वे आधु नकता के सावभौ मक उपकरण और ढाँच को अपनाती ह, वह सरी
ओर वे एक व श पहचान क र ा के लए पार प रक मज़हब पर नभर करती ह। जो
भू मका जापान के राजक य श तो ने नभाई थी, वही भू मका कमोबेश पर परावाद
ईसाइयत ारा स म, कैथो लक प थ ारा पोलड म, शया इ लाम ारा ईरान म, वहाबी
मज़हब ारा सऊद अरब म, और य द मज़हब ारा इज़रायल म नभाई जा रही है।
कोई मज़हब कतना भी आ दम युगीन तीत हो सकता है, थोड़ी-सी क पनाशीलता और
पुन ा या के सहारे उसका नवीनतम ौ ो गक य मशीन और अ य त प र कृत
आधु नक सं था के साथ संयोग बैठाया जा सकता है।
कुछ मामल म रा य अपनी व श पहचान क र ा क ख़ा तर पूरी तरह से नए
मज़हब को गढ़ सकते ह। इसक सबसे चरम मसाल आज के जापान के पूव उप नवेश
उ री को रया म पाई जा सकती है। उ र को रया का शासन अपनी जा को युशे नामक
मता ध राजक य मज़हब म द त करता है। ये मा सवाद-ले ननवाद, कुछ को रयाई
पर परा , को रयाई न ल क अनूठ शु ता म न लपरक आ था, और कम इल-सुंग के
प रवार के त पूजाभाव का म ण है। हालाँ क, यह दावा कोई नह करता क कम
प रवार सूय दे वी के वंशज ह, तब भी उनक पूजा उसी ा-भाव के साथ क जाती है,
जससे इ तहास म लगभग कसी भी दे वता क गई है। शायद इस बात के त सचेत होने
क वज़ह से क जापा नय ने अ ततः उ र को रयाइय को परा जत कया था, उ र
को रयाई युशे भी ल बे समय से अपने म ण म परमाणु ह थयार को जोड़ने पर ज़ोर
दे ते ए उनके वकास को परम ब लदान के यो य प व कत के प म च त करता
रहा है।

रा वाद क नौकरानी
इस लए ौ ो गक का वकास जस कसी भी प म य न हो, हम उ मीद कर सकते ह
क नई ौ ो ग कय के इ तेमाल को भा वत करने के लए मज़हबी पहचान और
अनु ान के बारे म तक दए जाते रहगे, और वे स भवतः नया को लपट के हवाले करने
क श बरक़रार रख सकते ह। सबसे आधु नकतम परमाणु ेपा और साइबर बम
का इ तेमाल म ययुगीन पो थय के बारे म सै ा तक बहस का नपटारा करने के लए
कया जा सकता है। मज़हब, अनु ान और कमका ड तब तक मह वपूण बने रहगे, जब
तक क मानव-जा त क श सामू हक सहकार पर नभर करती रहेगी और जब तक
सामू हक सहकार साझा क पना म व ास पर नभर करता रहेगा।
भा य से, यह सब वा तव म पार प रक मज़हब को मनु यता क सम या का
इलाज नह , ब क उनका ह सा बना दे ता है। मज़हब के पास अभी भी ब त-सी
राजनी तक श है, इस क़दर क वे रा ीय पहचान को मज़बूत बना सकते ह और तीसरे
व यु तक को भड़का सकते ह, ले कन जब इ क सव सद क वै क सम या का
ढे र लगाने का नह , ब क उनके समाधान का सवाल उठता है, तो उनके पास दे ने लायक़
कुछ ख़ास दखाई नह दे ता, हालाँ क, ब त-से पार प रक मज़हब सावभौ मक मू य का
समथन करते ह और ा डीय वैधता का दावा करते ह, ले कन फ़लहाल उनका
इ तेमाल मु यतः रा वाद क नौकरानी क तरह कया जा रहा है - चाहे वह उ र को रया
हो, स हो, ईरान हो या इज़रायल हो। इस लए उ ह ने रा ीय भेद से ऊपर उठना और
परमाणु यु , पा र थ तक य वंस और ौ ो गक य अराजकता जैसे ख़तर का कोई
वै क समाधान ढूँ ढ पाना और भी मु कल बना दया है।
प रणामतः लोबल व मग म वृ या परमाणु सार क सम या से नपटते समय
शया मौलवी ईरा नय को इन सम या को ईरान के संकु चत प र े य से दे खने के लए
ो सा हत करते ह, य द र बी इज़राय लय को मुख प से इज़रायल के हत क
च ता करने को े रत करते ह, और पर परावाद पादरी स से आ ह करते ह क वह
सबसे पहले और सबसे यादा सी हत के बारे म सोचे। न य ही ऐसे भी धा मक स त
ह, जो रा वाद अ तरेक को नापस द करते ह और अपे ाकृत अ धक सावभौ मक
कोण को अपनाते ह। भा य से ऐसे स त के पास इन दन कोई ख़ास राजनी तक
भाव नह है।
ऐसी हालत म हम एक मु कल थ त म फँसे ह, जहाँ एक क ठन फ़ैसला लेना
ज़ री है। मानव-जा त एक एकल स यता है, और परमाणु यु , पा र थ तक य वंस,
और ौ ो गक य अराजकता जैसी सम या को सफ़ वै क तर पर ही सुलझाया जा
सकता है। सरी ओर, रा वाद और मज़हब अभी भी हमारी मानव-स यता को अलग-
अलग और अ सर पर पर श ु खेम म वभा जत करते ह। वै क सम या और
थानीय पहचान के बीच का टकराव वयं को उस संकट म पा यत करता है, जनसे
नया का महानतम ब सां कृ तक योग- यूरोपीय यू नयन - आहत है। सावभौ मक
उदारवाद मू य के आ ासन पर खड़ा यूरोपीय यू नयन एक करण और अ वासन क
मु कल क वज़ह से वघटन क कगार पर खड़ा लड़खड़ा रहा है।
9
अ वास
कुछ सं कृ तयाँ सरी सं कृ तय से छोड़ता हो सकती है

भूम डलीकरण ने हालाँ क समूचे ह म ा त सां कृ तक भेद को बड़े पैमाने पर कम


कर दया है, ले कन इसी के साथ-साथ इसने अजन बय का सामना करने और उनक
व च ता से वच लत होने को कह यादा आसान भी बना दया है। एं लो-सै सन
इं लड और ह तान के पाल सा ा य के बीच का फ़क़ आधु नक टे न और आधु नक
ह तान के बीच के फ़क़ से कह यादा बड़ा था, ले कन कग अ े ड द ेट के ज़माने
म टश एयरवेज़ ने द ली और ल दन के बीच सीधी हवाई सेवा उपल ध नह कराई थी।
रोज़गार , सुर ा और बेहतर भ व य क तलाश म जतने ही यादा इंसान जतनी ही
यादा सरहद को पार करते जाते ह, उतना ही अजन बय का सामना करने, उनको
अपनाने या दे श से नकालने क ज़ रत उन राजनी तक व था और सामू हक
पहचान को तनाव से भरती जाती ह, ज ह ने कम लचीले व त म आकार लया था। यह
सम या जतनी तीखी यूरोप म है, उतनी अ य कह नह है। यूरोपीय यू नयन को
ांसी सय , जमन , पे नय और ीक के बीच के सां कृ तक भेद से ऊपर उठने के
आ ासन के आधार पर खड़ा कया गया था। अब यह यूरोपीय लोग तथा अ का और
म यपूव से आ बसे लोग के बीच के सां कृ तक भेद को समा हत कर पाने म अपनी
अ मता क वज़ह से व त हो सकती है। वड बना यह है क थमतः यह एक समृ
ब सां कृ तक व था को तैयार करने क यूरोप क कामयाबी ही रही है, जसने इतनी
बड़ी सं या म अ वा सय को आक षत कया। सी रयाई लोग सऊद अरब, ईरान, स
या जापान म जा बसने क बजाय जमनी म बस जाना चाहते ह, तो इस लए नह क
जमनी सरे तमाम स भा वत ग त क तुलना म यादा क़रीब है या यादा स प है,
ब क इस लए क बाहर आकर बसने वाले लोग के त आ त य का भाव रखने और
उनको अपना लेने का जमनी का इ तहास ब त बेहतर रहा है।
शरणा थय और बाहर से आ बसे लोग क लहर यूरो पय म मली-जुली त याएँ
पैदा करती है, और यूरोप क पहचान और भ व य को लेकर उ बहस को भड़काती है।
कुछ यूरोपीय माँग करते ह क यूरोप को अपने वेश- ार ब द कर लेने चा हए : ये लोग
यूरोप के ब सां कृ तक और स ह णु आदश के साथ धोखा कर रहे ह, या वे आपदा को
रोकने के लए अ लम द क़दम उठा रहे ह? सरे कुछ लोग ह, जो इन वेश- ार को पूरी
तरह से खोल दे ने का आ ान करते ह : या ये लोग यूरोप के बु नयाद मह व के मू य के
त न ावान ह, या वे यूरोपीय प रयोजना पर अस भव उ मीद का बोझ डालने का
अपराध कर रहे ह? बाहर से आ बसने वाल को लेकर यह बहस अ सर चीख़-पुकार से
भरे एक ऐसे ववाद के तर पर गर जाती है, जसम कोई भी प सरे प क बात नह
सुनता। मसल को प करने के लए, अ वासन को तीन बु नयाद शत के साथ एक
समझौते के प म दे खना शायद मददगार होगा :

शत 1 : मेहमान मु क अ वा सय को अ दर आने क इजाज़त द।


शत 2 : बदले म, अ वा सय को कम-से-कम मेहमान मु क के मूलभूत मानक
और मू य को वीकार करना चा हए, भले ही इससे उनको अपने कुछ
पार प रक मानक और मू य को य न छोड़ना पड़े।
शत 3 : अगर अ वासी पया त तर पर घुल- मल जाते ह, तो वे मेहमान मु क के
बराबरी के और पूण सद य बन जाएँगे। ‘वे’ ‘हम’ बन जाएँगे।

ये तीन शत येक शत के ठ क-ठ क अथ के बारे म तीन वत बहस को ज म दे ती ह।


एक चौथी बहस का स ब ध इन शत को पूरा करने से है। जब लोग अ वास के बारे म
बहस करते ह, तो वे अ सर चार बहस को इस तरह ग म कर दे ते ह क यह बात
कसी को समझ म ही नह आती क बहस कस चीज़ के बारे म हो रही है। इस लए इन
बहस पर अलग-अलग नज़र डालना सबसे अ छा होगा।

बहस 1 : अ वासन समझौते का पहला अनु छे द सफ़ इतना कहता है क मेहमान मु क


अ वा सय को अ दर आने क इजाज़त दे , ले कन इसे एक कत क तरह दे खा जाना
चा हए या अहसान क तरह? या मेहमान मु क हर कसी के लए अपने वेश- ार
खोलने के लए बा य है, या उसे चुनने का, और यहाँ तक क अ वासन को पूरी तरह रोक
दे ने का अ धकार है? अ वा सय के प धर ऐसा सोचते ए लगते ह क यह दे श का
नै तक कत है क वे महज़ शरणा थय को ही नह , ब क नधनता के शकार दे श के
उन लोग को भी वीकार कर, जो रोज़गार और बेहतर भ व य क तलाश कर रहे ह।
ख़ासतौर से एक भूम डलीकृत नया म तमाम मनु य के तमाम सरे मनु य के त
नै तक कत ह, और जो लोग इन कत से पीछे हटते ह, वे अहंकारी या न लवाद तक
ह।
इसके अ त र , अ वा सय के ब त-से प धर इस बात पर ज़ोर दे ते ह क
अ वासन को पूरी तरह से रोकना अस भव है, और चाहे कतनी ही द वार खड़ी कर ली
जाएँ या बाड़ लगा ली जाएँ, हताश लोग अ दर आने का रा ता नकाल ही लगे। इस लए
बेहतर यही है क इंसान क ख़रीद-फ़रो त, ग़ैरक़ानूनी कामगार और द तावेज़-र हत
ब च का एक वशाल भू मगत अपराध-जगत तैयार करने क बजाय अ वासन को
वैधीकृत कर दया जाए और उसके साथ खुले तौर पर नपटा जाए।
अ वासन- वरोधी इसके जवाब म यह कहते ह क अगर आप पया त बल- योग कर,
तो आप अ वासन को पूरी तरह से रोक सकते ह, और स भवतः पड़ोसी दे श के ू र
उ पीड़न से बचकर भागे शरणा थय के मामल के अपवाद को छोड़कर, आप अपने
वेश- ार खोलने के लए कभी भी बा य नह ह। सी रयाई शरणा थय को सरहद पार
करने क छू ट दे ना तुक क नै तक ज़ मेदारी हो सकती है, ले कन अगर ये शरणाथ वहाँ
से वीडन क ओर बढ़ते ह, तो वीडन के लोग उनको वीकार करने के लए बा य नह
ह। जहाँ तक रोज़गार और ख़ै रयत क तलाश म आए अ वा सय का सवाल है, तो यह
पूरी तरह से मेहमान मु क पर नभर करता है क वह उनको वेश दे ना चाहता है या नह ,
और अगर दे ना चाहता है, तो कन शत पर।
अ वासन- वरोधी इस बात पर ज़ोर दे ते ह क हर मानव-समुदाय का एक बु नयाद
अ धकार आ मण के व अपना बचाव करना है, वह आ मण चाहे श ु के प म
कया जा रहा हो या वा सय के प म। वीडन के लोग ने एक समृ उदार लोकत
क थापना के लए ब त कठोर प र म कया था और कई ब लदान दए थे, और अगर
सी रयाई लोग ऐसा करने म वफल रहे, तो यह वीडन-वा सय क ग़लती नह है। अगर
वीडी मतदाता - जस कसी भी वज़ह से- अब और यादा सी रयाई अ वा सय को नह
आने दे ना चाहते, तो उनको वेश दे ने से इंकार करना उनका हक़ है। और अगर वे कुछ
अ वा सय को वीकार करते ह, तो यह बात पूरी तरह से प होनी चा हए क यह
वी डय ारा कया गया एक अहसान है, न क ऐसा कोई कत , जसको वी डय ने
पूरा कया हो। इसका मतलब है क जन अ वा सय को वीडन म आने क इजाज़त द
जाती है, उनको वहाँ जो कुछ भी हा सल होता है, उसके लए अ य त कृत होना चा हए,
न क वे अपनी माँग क एक फ़ेह र त लेकर इस तरह पेश हो जाएँ, जैसे इस जगह पर
उनक म कयत हो।
इसके अ त र , अ वासन- वरोधी यह भी कहते ह क एक दे श को अपनी
इ छानुसार अ वासन-स ब धी नी त बनाने का, और अ वा सय क उनके आपरा धक
अतीत या ावसा यक तभा क से ही नह , ब क मज़हब जैसी चीज़ के
मामल तक म, सुर ा-जाँच करने का हक़ है। अगर इज़रायल जैसा एक दे श सफ़
य दय को अ दर आने क इजाज़त दे ता है, और पोलड जैसा दे श म य पूव शरणा थय
को उनके ईसाई होने क शत पर अ दर आने क इजाज़त दे ता है, तो यह चीज़ अ य भले
ही लगे, ले कन यह पूरी तरह से इज़रायली या पो लश मतदाता के अ धकार- े क
चीज़ है।
इन मसल को जो चीज़ और भी यादा उलझा दे ती है, वह यह है क ब त-से मामल
म लोग दोन हाथ म ल चाहते ह। ब त-से दे श अवैध अ वासन के त आँख मूँद लेते
ह, या वदे शी कामगार को ता का लक तौर पर वीकार तक कर लेते ह, य क वे
वदे शय क ऊजा, तभा और स ते म का लाभ उठाना चाहते ह, ले कन इसके
बाद ये दे श इन लोग को वैधा नक है सयत दे ने से इंकार करते ए यह कह दे ते ह क वे
अ वासन नह चाहते। ल बे अ तराल म यह चीज़ ऐसे सोपान मक (हायरा ककल)
समाज क रचना कर सकती है, जसम पूण नाग रकता- ा त उ च वग नचले तबके के
श हीन वदे शय का शोषण करने लगते ह, जैसा क आज क़तर और कई अ य खाड़ी
मु क म होता है।
जब तक इस बहस का समाधान नह होता, तब तक अ वासन के बारे म उठने वाले
बाद के तमाम सवाल का जवाब दे पाना बेहद मु कल है। चूँ क अ वासन के प धर
ऐसा सोचते ह क अगर लोग सरे मु क म जाकर बसना चाहते ह, तो उनको इसका
अ धकार है, और मेहमान मु क का कत है क वे उनको अपनाएँ, इस लए जब लोग
के सरे मु क म जा बसने के अ धकार का हनन होता है, और जब ये मु क ऐसे लोग को
अपनाने के कत से आँख चुराते ह, तो अ वासन के ये प धर नै तक आवेश से भरकर
त या करते ह। अ वासन- वरोधी इस तरह के कोण से आ यच कत होते ह। वे
अ वासन को एक सु वधा क तरह और अपनाए जाने को एक अहसान क तरह दे खते
ह। अगर लोग अपने ही दे श म सर को वेश दे ने से इंकार करते ह, तो महज़ इस आधार
पर उन पर न लवाद या फ़ा स ट होने का आरोप य लगाया जाना चा हए?
बेशक, अगर अ वा सय को अ दर आने क इजाज़त दे ना कत क बजाय एक
अहसान भी है, तब भी जैसे ही अ वासी अपने पैर जमा लेते ह, वैसे ही धीरे-धीरे उनके
और उनके वंशज के त मेहमान मु क के ब त-से दा य व हो जाते ह। नतीजतन, आप
आज संयु रा य अमे रका म य दय के त जारी नफ़रत के भाव को यह कहते ए
उ चत ठहरा सकते ह क “हमने 1910 म आपक परदाद को इस दे श के अ दर आने क
इजाज़त दे कर अहसान कया था, इस लए हम आपके साथ मनमाना बताव कर सकते
ह।”

बहस 2 : अ वासन समझौते का सरा अनु छे द कहता है क अगर अ वा सय को


अ दर आने क इजाज़त द जाती है, तो थानीय सं कृ त म घुल- मल जाना उनका कत
है, ले कन यह घुलना- मलना कस सीमा तक होना चा हए? अगर अ वासी एक
पतृस ा मक समाज से एक उदारवाद समाज म आते ह, तो या उनको नारीवाद हो
जाना चा हए? अगर वे कसी गहन मज़हबी समाज से आते ह, तो या उनको से युलर
व अपनाना ज़ री है? या उनको अपने वेशभूषा स ब ध पार प रक उसूल और
भोजन स ब धी नषेध को याग दे ना चा हए? अ वासन- वरोधी अपने मानद ड को
ऊँचा रखने क को शश करते ह, जब क अ वासन के प धर उसको नीचा रखते ह।
अ वासन के प धर तक दे ते ह क यूरोप वयं अ य त व वधता से भरा आ है,
और उसक थानीय आबाद का मा यता , आदत और मू य का एक ापक प र य
है। ठ क यही वह चीज़ है, जो यूरोप को चमक और मज़बूती दान करती है। तब फर
वा सय को कसी ऐसी का प नक यूरोपीय पहचान से चपकने को बा य य कया
जाना चा हए, जस पर ब त थोड़े-से यूरोपीय वा तव म खरे उतरते ह? या आप टे न म
रहने वाले मुसलमान अ वा सय को ईसाई बनने पर बा य करना चाहते ह, जब क वयं
ब त-से तानी नाग रक चच म जाते ह? या आप चाहते ह क पंजाब से आए अ वासी
अपना करी और मसाला छोड़कर मछली और च स और यॉकशायर पु डग खाना शु
कर द? अगर यूरोप के कोई वा त वक आधारभूत मू य ह, तो वे स ह णुता और वत ता
के उदारवाद मू य ह, जनका यह मतलब है क यूरो पय को अ वा सय के त भी
स ह णुता बरतनी चा हए, और उनको अपनी पर परा का अनुसरण करने दे ने क
जतनी मुम कन हो सके, उतनी आज़ाद द जाए, बशत क इनसे सरे लोग क आज़ाद
और हक़ को कोई त न प ँचती हो।
अ वासन- वरोधी इस बात से सहमत ह क स ह णुता और वत ता सबसे यादा
मह वपूण यूरोपीय मू य ह, और वे ब त-से अ वासी समुदाय पर- ख़ास तौर से मु लम
दे श से आए अ वा सय पर - अस ह णुता, नारी े ष, समल गक के त नफ़रत, और
य द - वरोधी होने का आरोप लगाते ह। ठ क इस लए क यूरोप स ह णुता को सँजोए ए
है, वह ब त यादा अस ह णु लोग को अ दर आने क इजाज़त नह दे सकता। जहाँ एक
स ह णु समाज थोड़ी-ब त सं या म अनुदार अ पसं यक को कसी तरह गुंजाइश दे
सकता है, वह अगर इस तरह के अ तवा दय क सं या एक न त सीमा से यादा हो
जाती है, तो उस समाज क पूरी कृ त ही बदल जाती है। अगर यूरोप ने म य पूव के ब त
यादा अ वा सय को अ दर आने दया, तो यूरोप का ह यह होगा क वह भी म य पूव
जैसा दखने लगेगा।
सरे अ वासन- वरोधी और भी आगे ह। वे इस ओर यान दलाते ह क कोई भी
रा ीय समुदाय ऐसे लोग के समूह से कह यादा बड़ा होता है, जो एक- सरे के त
स ह णु होते ह। इस लए इतनाभर काफ़ नह है क अ वासी स ह णुता के यूरोपीय
मानद ड के त न ावान ह । उनको तानी, जमन या वीडी सं कृ त के ब त-से
अनूठे ल ण को भी अपनाना चा हए, फर वे ल ण चाहे जो भी य न ह । उनको
अ दर आने क इजाज़त दे ते ए थानीय सं कृ त एक ब त बड़ा जो खम मोल ले रही है
और ब त बड़ी क़ मत चुका रही है। कोई वज़ह नह क उसे ख़ुद को भी बबाद कर लेना
चा हए। वह अ ततः पूण समानता दान करती है, इस लए वह पूण समावेशीकरण क भी
माँग करती है। अगर अ वा सय के मन म तानी, जमन या वीडी सं कृ त क क ह
व च ता को लेकर कोई सम या है, तो वे मेहरबानी करके कह और चले जाएँ।
इस बहस के दो मुख मु े ह, अ वा सय क अस ह णुता को लेकर असहम त और
यूरोपीय पहचान को लेकर असहम त। अगर अ वासी वाक़ई असा य अस ह णुता के
दोषी ह, तो फ़लहाल अ वासन क प धरता करने वाले ब त-से उदारवाद यूरोपीय
आगे-पीछे इसका तीखा वरोध करने लगगे। इसके वपरीत, अगर यादातर अ वासी
धम, लग और राजनी त के त अपने रवैये के मामले म उदार और खुले दमाग़ के
सा बत हो जाते ह, तो यह थ त अ वासन के व कुछ अ य त भावशाली तक को
नह था कर दे गी।
ले कन, यह थ त तब भी यूरोप क व श रा ीय पहचान के सवाल को तो
बरक़रार ही रखेगी ही। स ह णुता एक सावभौ मक मू य है। या कोई ऐसे व श
ांसीसी मानक या मू य ह, जनको ांस आकर बसने वाले कसी भी को वीकार
करना चा हए, और या डेनमाक के कोई ऐसे व श मानक या मू य ह, जनको डेनमाक
म आकर बसने वाले कसी भी को अंगीकार करना चा हए? जब तक यूरो पय के
बीच इन सवाल को लेकर तीखे मतभेद बने रहते ह, तब तक वे अ वासन को लेकर कोई
प नी त नह अपना सकते। इसके वपरीत, जैसे ही यूरो पय को यह बात समझ म आ
जाती है क वे कौन ह, वैसे ही 50 करोड़ यूरो पय के लए कुछ लाख शरणा थय को
अपने म मला लेने म - या उनको वापस भेज दे ने म - कोई मु कल नह होनी चा हए।

बहस 3 : अ वासन समझौते का तीसरा अनु छे द कहता है क अगर अ वासी घुल- मल


जाने और वशेष प से स ह णुता के मू य को अपनाने क वाक़ई कोई ईमानदार को शश
करते ह, तो मेहमान मु क उनसे थम ेणी के नाग रक क तरह वहार करने को बा य
है, ले कन अ वा सय के समाज के पूण सद य बनने से पहले कतना समय बीतना
ज़ री है? अगर अ ज़ी रया से आई अ वा सय क पहली पीढ़ के लोग को ांस म
बीस साल बता चुकने के बाद भी पूरी तरह से ांसी सय क तरह नह दे खा जाता, तो
या उनको अस तु महसूस करते रहना चा हए? और उस तीसरी पीढ़ के बारे म या
कहगे, जसके परदादा 1970 के दशक म ांस आए थे?
अ वासन के प धर शी वीकृ त क माँग करते ह, जब क अ वासन- वरोधी एक
यादा ल बी प रवी ा-अव ध ( ोबेशन पी रयड) क माँग करते ह। अ वासन के प धर
के अनुसार अगर तीसरी पीढ़ के अ वा सय को बराबरी के नाग रक क तरह दे खा नह
जाता है और न ही बराबरी का वहार कया जाता है, तो इसका मतलब है क मेहमान
मु क अपना दा य व पूरा नह कर रहा है। अगर इसका नतीजा तनाव, व े ष और हसा
तक के प म सामने आता है, तो इसके लए मेहमान मु क अपनी मता धता और
प पात के अलावा और कसी को दोषी नह ठहरा सकता। अ वासन- वरो धय के
मुता बक़ बढ़ ई अपे ाएँ सम या का एक बड़ा ह सा ह। अ वा सय को धीरज से काम
लेना चा हए। अगर आपके दादा-दाद /नाना-नानी महज़ चालीस साल पहले आए थे, और
अब आप सड़क पर इस लए दं गे करते ह, य क आप सोचते ह क आपसे थानीय
य क तरह वहार नह कया जाता, तो आप परी ा म खरे नह उतरे ह।
इस बहस का मूल मु ा समय के नजी पैमाने और समय के सामू हक पैमाने से
ता लुक़ रखता है। मानव-समुदाय क से चालीस साल एक छोटा समय है। कसी
समाज से वदे शी समुदाय को कुछ दशक के भीतर आ मसात कर लेने क उ मीद करना
मु कल है। अतीत क जन स यता जैसे क शाही रोम, मु लम ख़लाफ़त, चीनी
सा ा य और संयु रा य अमे रका आ द ने वदे शय को अपने म मलाया था और
उनको बराबरी के नाग रक क है सयत दान क थी। उन सबने इस पा तरण को पूरा
करने म दशक का नह , ब क स दय का समय लया था।
ले कन नजी कोण से दे खने पर चालीस वष अन तकाल हो सकते ह। ांस म
ज मी एक कशोरी के लए उसके दादा-दाद /नाना-नानी के वहाँ आ बसने के बीस साल
बाद, अ ज़ीयस से मासल का सफ़र ाचीन इ तहास क घटना है। उसका ज म यहाँ आ
था, उसके सारे दो त का ज म यहाँ आ था, वह अरबी बोलने क बजाय ांसीसी
बोलती है, और वह कभी अ ज़ी रया म नह रही। ांस एकमा जगह है, जसे वह अपने
घर के प म जानती रही है। और अब लोग उससे कहते ह क यह उसका घर नह है,
और यह क उसको एक ऐसी जगह ‘वापस’ लौट जाना चा हए, जहाँ वह कभी रही ही
नह है?
यह कुछ ऐसा है क आप ऑ े लया से यूके ल टस का एक बीज लाएँ, और उसको
ांस म बो द। पा र थ तक य प र े य म दे ख, तो यूके ल टस के वृ एक घुसपै ठया
जा त ह, और वन प त व ा नय को इसको थानीय यूरोपीय वन प त के प म
वग कृत करने म पी ढ़याँ गुज़र जाएँगी, ले कन एक वत वृ के कोण से दे खने पर,
वह एक ांसीसी वृ है। अगर आप उसको ांसीसी पानी से नह स चगे, तो वह सूख
जाएगा। अगर आप उसको उखाड़ने क को शश करगे, तो आप पाएँगे क उसने ांस क
म म उसी तरह अपनी जड़ गहरे तक जमा रखी ह जस तरह थानीय ओ स या पाइन
के वृ ने जमा रखी ह।

बहस 4 : अ वासन समझौते क ठ क-ठ क प रभाषा से स ब धत इन सारी


असहम तय म सबसे ऊपर मूलभूत यह है क या यह समझौता वा तव म भावी
है। या दोन प अपनी शत को पूरा कर रहे ह?
अ वासन- वरोधी यह तक दे ने क को शश करते ह क अ वासी शत मांक 2 को
पूरा नह कर रहे ह। वे घुलने- मलने क ईमानदार को शश नह कर रहे ह, और उनम से
ब त-से लोग अस ह णु और जातीय प से मता ध व य से चपके ह। इस लए
कोई कारण नह क मेहमान मु क शत मांक 3 (उनसे थम ेणी के नाग रक क तरह
वहार करने क शत) को पूरा करे, और इस बात क पया त वज़ह है क वह शत मांक
1 (उनको वेश दे ने क छू ट) पर पुन वचार करे। अगर कसी ख़ास सं कृ त के लोग ने
सा बत कर दया हो क वे अ वासन समझौते क शत को पूरा करने को लेकर नर तर
अ न छु क बने रहे ह, तो फर उनको वेश क इजाज़त य द जाए, तथा और भी बड़ी
सम या य खड़ी क जाए?
अ वासन के प धर जवाब दे ते ह क दरअसल यह मेहमान मु क होता है, जो
समझौते के अपने प का नवाह करने म वफल रहता है। अ वा सय क वशाल सं या
ारा घुलने- मलने के ईमानदार य न के बावजूद मेहमान मु क उनके इन य न को
मु कल बना रहे ह, और इससे भी बदतर बात यह है क जो अ वासी सफलतापूवक
घुल- मल गए ह, उनसे उनक सरी और तीसरी पी ढ़य तक अभी भी सरे दज़ के
नाग रक क तरह वहार कया जा रहा है। यह न य ही मुम कन है क दोन ही प
अपने वादे न नभा रहे ह , और इस तरह एक- सरे के शक-शुबह और अस तोष को
भड़काते ए कारण-काय का एक उ रो र व तृत च तैयार कर रहे ह ।
इस चौथी बहस को तब तक हल नह कया जा सकता, जब तक क तीसरी शत क
ठ क-ठ क प रभाषा को प नह कया जाता। जब तक हम यह नह जान लेते क
समा हत कर लेना एक ज़ मेदारी है या अहसान है, अ वा सय से कस तर पर घुलने-
मलने क अपे ा है, और मेहमान मु क को कतनी ज द उनसे बराबरी के नाग रक क
तरह वहार करना चा हए, तब तक हम इस बात को नह जाँच सकते क दोन प
अपनी ज़ मेदा रय का नवाह कर रहे ह या नह । अ वासन समझौते का मू यांकन करते
व त दोन प उसके अनुपालन क बजाय उसके उ लंघन को यादा मह व दे ते ह।
अगर दस लाख अ वासी क़ानून का पालन करने वाले नाग रक ह, ले कन सौ अ वासी
आतंकवाद गरोह म शा मल हो जाते ह और मेहमान मु क पर हमला करते ह, तो या
इसका मतलब यह नकलता है क कुल मलाकर अ वासी समझौते का पालन कर रहे ह,
या उसका उ लंघन कर रहे ह? अगर अ वा सय क तीसरी पीढ़ क कोई लड़क हज़ार
बार कसी सड़क से गुज़रती है और उसके साथ एक बार भी छे ड़ख़ानी नह क जाती,
ले कन कभी-कभार कोई न लवाद ज़ोर-से च लाकर उस पर अपमानजनक ट पणी कर
दे ता है, तो या इसका मतलब यह नकलता है क थानीय आबाद अ वा सय को
वीकार कर रही है या यह क उनका तर कार कर रही है?
ले कन इन सारी बहस के तले एक कह यादा बु नयाद सवाल मँडराता रहता है,
जो मानव-सं कृ त क हमारी समझ से ता लुक़ रखता है। या हम अ वासन स ब धी
बहस म यह मानकर शा मल होते ह क सारी सं कृ तयाँ कु़दरती तौर पर बराबर के दजे़
क ह, या फर हम यह सोचते ह क कुछ सं कृ तयाँ सरी सं कृ तय के मुक़ाबले े भी
हो सकती ह? जब जमन लोग दस लाख सी रयाई अ वा सय को समा व कर लेने को
लेकर बहस करते ह, तो या उनका यह सोचना कभी भी उ चत ठहराया जा सकता है क
जमन सं कृ त कसी प म सी रयाई सं कृ त से े है?

न लवाद से सं कृ तवाद तक
एक सद पहले यूरोपीय इस बात को मानकर चलते थे क कुछ न ल - मु यतः गोरी न ल
- कु़दरती तौर पर सरी सं कृ तय से े होती ह। 1945 के बाद इस तरह के कोण
उ रो र घृणा पद माने जाने लगे। न लवाद को न सफ़ नै तक प से न दनीय माना
जाने लगा, ब क वै ा नक तौर पर भी दवा लया माना जाने लगा। जै वक व ा नय ,
और वशेष प से आनुवं शक - व ा नय ने इस बात के ब त सश वै ा नक माण
उपल ध कराए ह क यूरो पय , अ कय , ची नय और अमे रका के मूल नवा सय के
बीच के जै वक फ़क़ ब त मामूली ह।
ले कन इसी के साथ-साथ मानव व ा नय , समाजशा य , इ तहासकार ,
वहारवाद अथशा य और म त क- व ा नय तक ने मानव सं कृ तय के बीच
मह वपूण भेद के अ त व को लेकर बड़ी तादाद म सूचना का सं ह कया है। वाक़ई,
अगर सारी सं कृ तयाँ मूलतः एक जैसी होत , तो फर हम मानव व ा नय और
इ तहासकार क ज़ रत भी य होती? नग य से भेद के अ ययन पर संसाधन का
नवेश करने क या ज़ रत है? कम से कम हम साउथ पे स फ़क और कालाहारी
रे ग तान म जाकर अ ययन करने के ख़च ले अ भयान पर पैसा लगाना तो ब द कर ही
दे ना चा हए, और ऑ सफ़ोड या बो टन के लोग के अ ययन से ही स तोष कर लेना
चा हए। अगर सां कृ तक भेद मह वहीन ह, तो हावड के नातक के बारे म हम जो भी
जानकारी मलती है, वही कालाहारी के शकारी-सं हकता के बारे म भी सही होनी
चा हए।
सोच- वचार करने के बाद यादातर लोग व भ मानव-सं कृ तय के बीच, यौनपरक
आचार- वचार से लेकर राजनी तक आदत जैसी चीज़ तक कम-से-कम कुछ भेद को तो
वीकार कर ही लेते ह। तब फर हम इन भेद को कस तरह दे खना चा हए? सां कृ तक
सापे तावा दय का तक है क भेद का अ भ ाय सोपान म नह होता, और हम कसी
एक संकृ त को सरी सं कृ त पर ाथ मकता नह दे नी चा हए। मनु य तरह-तरह से सोच
सकते ह और तरह-तरह से आचरण कर सकते ह, ले कन हम इस व वधता क सराहना
करना चा हए, और सारी आ था तथा री त- रवाज को समान मू य दान करना
चा हए। भा य से, इस तरह के उदार रवैये वा त वक परी ा पर खरे नह उतरते। जब
भोजन पकाने क शै लय और क वता का सवाल आता है, तो मानवीय व वधता महान
लग सकती है, ले कन ब त थोड़े-से लोग ह गे, जो डायन को जलाए जाने, बाल-ह या
को या ग़लामी को ऐसी मोहक मानवीय व श ता क तरह दे खगे, जनका भूम डलीय
पूँजीवाद और कोका-उप नवेशवाद के व बचाव कया जाना उ चत ठहराया जा सके।
या उस तरीक़े पर वचार कर, जसके तहत व भ सं कृ तयाँ वदे शय , अ वा सय
और शरणा थय के साथ र ता बनाती ह। इन मामल म सारी सं कृ तयाँ वीकृ त के
समान तर का प रचय दे ने के लए नह जानी जात । जमन सं कृ त इ क सव सद के
आर भक दौर म अजन बय के त यादा स ह णु है, और सऊद अ वा सय को लेकर
यादा वागत का भाव रखती है। कसी मुसलमान का जमनी जाकर बसना, कसी ईसाई
के सऊद अरब म जा बसने से यादा आसान है। वाक़ई, सी रया के कसी मुसलमान
शरणाथ के लए जमनी म जा बसना, सऊद अरब म जा बसने से कह यादा आसान है,
और 2011 से जमनी ने सऊद अरब क तुलना म कई गुना यादा सी रयाई शरणा थय
को जगह द है। इसी तरह, व सनीय सा य संकेत करते ह क आर भक इ क सव
सद म कै लफ़ो नया क सं कृ त जापान क सं कृ त के मुक़ाबले अ वा सय के त
यादा मै ीपूण है। इस लए अगर आप मानते ह क अजन बय के त स ह णु होना और
अ वा सय का वागत करना अ छ बात है, तो या आपको यह भी नह मानना चा हए
क कम-से-कम इस मामले म जमन सं कृ त सऊद सं कृ त से े है, और कै लफ़ो नया
क सं कृ त जापानी सं कृ त से बेहतर है?
इसके अ त र , अगर दो सां कृ तक मानक स ा ततः भी समान प से वैध ह, तो
अ वासन के ावहा रक स दभ म मेहमान सं कृ त को बेहतर मानना तब भी उ चत
ठहराया जा सकता है। जो मानक और मू य एक सं कृ त के स दभ म उपयु होते ह, वे
भ प र थ तय के तहत उतने ठ क से कारगर नह होते। हम एक ठोस उदाहरण पर
बारीक़ -से नज़र डालते ह। सु था पत पूवा ह का शकार होने से बचने के लए हम दो
का प नक दे श को लेते ह: को डया और वामलड। दोन सं कृ तय के बीच ब त-से
सां कृ तक भेद ह, जनम मानवीय र त तथा अ तवय क टकराव को लेकर उनके
रवैये का भेद शा मल है। को डयाइय को बचपन से ही सखाया गया है क अगर कूल
म, काय- थल पर, या आपके प रवार तक म आपक कसी के साथ तक़रार क थ त
पैदा होती है, तो सबसे अ छा यह है क उसे अपने मन म दबाइए। आपको च लाना नह
चा हए, ग़ से का इज़हार नह करना चा हए, या सामने वाले से टकराना नह चा हए
- ोधावेश थ तय को और भी बदतर बना दे ता है। बेहतर यही है क आप थ तय को
ठ डा होने क गुंजाइश दे ते ए अपने ज बात को क़ाबू म रख। इस बीच, स ब धत
से अपने स पक को सी मत रख, और अगर स पक को टाला न जा सकता हो, तो
खे, क तु वन बने रह, और संवेदनशील मु को टाल।
इसके वपरीत वामल डय को बचपन से ही टकराव को मूत प दे ने क सीख द गई
है। अगर आपक कसी के साथ टकराव क थ त पैदा होती है, तो उसको धीरे-धीरे मत
पकने द जए और कसी चीज़ को मन म दबाकर मत र खए। पहला मौक़ा हाथ लगते ही
अपने ज बात को खुलकर बाहर आने क छू ट द जए। ग़ से का इज़हार करने, च लाने
और सामने वाले के बारे म जो भी आप महसूस करते ह, उसे उसके मुँह पर कह
दे ने म कोई बुराई नह है। यह एक ईमानदार और सीधे ढं ग से सम या से नपटने का
एकमा तरीक़ा है। एक दन का च लाना उस टकराव का समाधान कर सकता है, जो
अ यथा साल पकता रह सकता है, और हालाँ क आमने-सामने क मुठभेड़ कभी सुखद
नह होती, ले कन आप बाद म काफ़ बेहतर महसूस करगे।
इन दोन ही तरीक़ क अपनी ख़ू बयाँ और ख़रा बयाँ ह, और यह कहना मु कल है
क इनम से एक हमेशा सरे से बेहतर है, ले कन अगर वामलड का एक नवासी
को डया म जा बसता है और को डया क कसी फ़म म नौकरी पा लेता है, तब या
होगा?
जब भी कभी कसी सहकम के साथ तक़रार होती है, तो वामलड का यह नवासी
ज़ोर-से मेज़ पर हाथ पटकता है और पूरे ज़ोर से च लाता है, और उ मीद करता है क
उसक यह हरकत सम या क ओर यान ख चेगी और उसके शी समाधान म मदद
करेगी। कई साल बाद उस फ़म म एक ऊँचा पद ख़ाली होता है। वामलड के इस नवासी
के पास हालाँ क सारी ज़ री यो यताएँ ह, ले कन बॉस एक को डयाई कमचारी को
पदो त दे ने का फ़ैसला करती है। जब उससे पूछा जाता है, तो वह प करती है : “हाँ,
उस वामलडी म ब त-सी क़ा ब लयत ह, ले कन इंसानी र त के मामले म उसक एक
ग भीर सम या भी है। वह ब त गरम मज़ाज है, अपने आस-पास के लोग के साथ
अनाव यक तनाव पैदा करता है, और हमारी ावसा यक सं कृ त म बाधा डालता है।”
यही नय त को डया म आ बसे सरे वामल डयर क होती है। उनम से यादातर छोटे
पद पर बने रहते ह, या उनको कोई रोज़गार ही नह मल पाता, य क मैनेजर लोग
मानकर चलते ह क अगर वे वामलडी ह, तो वे स भवतः गरम मज़ाज ह गे और सम याएँ
खड़ी करने वाले कमचारी सा बत ह गे। चूँ क वामलडी कभी भी ऊँचे पद पर नह प ँच
पाते, इस लए को डयाई ावसा यक सं कृ त को बदल पाना उनके लए मु कल होता
है।
यादातर यही थ त उन को डयाइय के मामले म बनती है, जो वामलड म आ
बसते ह। वामलड क कसी फ़म म काम करना शु करते ए एक को डयाई ज द ही
एक घम डी या शु क होने क या त अ जत कर लेता है, और या तो उसके कोई
दो त ही नह होते या ब त थोड़े-से दो त होते ह। लोग को लगता है क वह कु टल है, या
फर उसम इंसानी र त को नभाने क बु नयाद क़ा ब लयत का अभाव है। वह कभी
भी ऊँचे पद तक नह प ँच पाता, और इस लए उसे ावसा यक सं कृ त को बदलने का
अवसर ही नह मल पाता। वामलड के मैनेजर यह नतीजा नकालते ह क यादातर
को डयाई ग़ैरदो ताना या एका त य होते ह, और ये मैनेजर उनको ऐसे पद पर न रखना
बेहतर समझते ह, जो ाहक से स पक या अ य कमचा रय के साथ क़रीबी सहयोग क
माँग करते ह।
ये दोन ही करण न लवाद क बू लए तीत होते ह, ले कन व तुतः, वे न लवाद
नह ह। वे ‘सं कृ तवाद ’ ह। लोग इस बात क ओर यान दए बना क यु के मोच
बदल चुके ह, पर परागत न लवाद के ख़लाफ़ बहा री के साथ लड़ना जारी रखते ह।
पार प रक न लवाद मुरझा रहा है, ले कन नया अब ‘सं कृ तवा दय ’ से भरी ई है।
पार प रक न लवाद जीववै ा नक स ा त म मज़बूती के साथ जड़ जमाए ए था।
1890 के दशक या 1930 के दशक म टे न, ऑ े लया और संयु रा य अमे रका
जैसे दे श म ापक तौर पर यह माना जाता था क कुछ ऐसे आनुवां शक जै वक ल ण
ह, जो अ क और चीनी लोग को यूरोपीय लोग के मुक़ाबले सहज प से कम
बु मान, कम उ मशील और कम नै तक सा बत करते ह। यह सम या उनके ख़ून म थी।
इन कोण को राजनी तक त ा के साथ-साथ वै ा नक आधार मला आ था।
इसके वपरीत आज जहाँ ब त-से अभी भी इस तरह के न लवाद दावे करते ह,
वह ये दावे अपना सारा वै ा नक आधार और अपनी यादातर राजनी तक त ा खो
चुके ह - बशत क उनको सां कृ तक पदावली म न कया गया हो। यह धारणा अब
मट चुक है क अ ेत लोग म आपरा धक वृ याँ होती ह, य क उनके जी स घ टया
होते ह। यह धारणा अब ब त यादा घर कर चुक है क उनम आपरा धक वृ याँ होती
ह, य क उनका स ब ध वकृत उपसं कृ तय से है।
उदाहरण के लए, संयु रा य अमे रका म कुछ राजनी तक दल और नेता प पाती
नी तय का खुलेआम समथन करते ह और अ क अमे र कय , ला तन और मुसलमान
के बारे म अ सर न दा मक ट प णयाँ करते ह, ले कन वे शायद ही ऐसा कहगे क उनके
डीएनए म ही कुछ गड़बड़ी है। सम या को उनक सं कृ त पर थोपा जाता है। नतीजतन,
जब रा प त प ने हैती, एल स वाडोर और अ का के कुछ ह स को ‘म लन मु क ’
के प म च त कया था, तो वे प तौर पर जनता के सम इन जगह क आनुवं शक
बनावट क बजाय वहाँ क सं कृ त पर अपना च तन पेश कर रहे थे। एक अ य अवसर
पर संयु रा य अमे रका म रह रहे मै सक अ वा सय के बारे म प ने कहा था क
“जब मै सको अपने लोग को भेजता है, तो वे सबसे अ छे लोग को नह भेजते। वे ऐसे
लोग को भेजते ह, जो अपने साथ ढे र सारी सम याएँ लए होते ह और वे उन सम या
को लेकर आए होते ह। वे स लेकर आ रहे ह, वे अपराध लेकर आ रहे ह। वे बला कारी
ह और कुछ, मेरा ख़याल है, अ छे लोग ह।” इस तरह का दावा करना ब त अपमानजनक
है, ले कन यह जैववै ा नक प से अपमानजनक होने क बजाय समाजवै ा नक प से
अपमानजनक दावा है। प का अ भ ाय यह नह है क मै सक ख़ून भलाई को रोकता
है - उनका दावा सफ़ इतना है क अ छे मै सक आमतौर से रयो ांडे के द ण म
रहते ह।
मानव-दे ह - ला तनो दे ह, अ क दे ह, चीनी दे ह - अभी भी बहस के के म है।
चमड़ी का रंग ब त मायने रखता है। अपनी चमड़ी पर ढे र सारा गहरा गे ँआ रंग लए यू
यॉक क सड़क पर चलने का मतलब है क आप कसी भी दशा म य न जा रहे ह ,
पु लस आपको अ त र शक क नगाह से दे खेगी। रा प त प और रा प त ओबामा,
दोन ही तरह के लोग चमड़ी के रंग क अह मयत को सां कृ तक और ऐ तहा सक
पदावली म प करगे। स भवतः ओबामा के खेमे के लोग समझाएँगे क पु लस का यह
पूवा ह ग़लामी जैसे ऐ तहा सक अपराध क एक भा यपूण वरासत है, वह प खेमे
के लोग समझाएँगे क अ ेत क आपरा धकता गोरे उदारवा दय और अ ेत समुदाय
ारा क गई ऐ तहा सक भूल क भा यपूण वरासत है। जो भी हो, अगर आप द ली से
आए एक पयटक भी ह जसको अमे रक इ तहास क कोई जानकारी नह है, तो भी
आपको इ तहास के प रणाम से नपटना होगा।
जै वक से सं कृ त पर यह थाना तरण थ क बकवास के तर का बदलाव नह
है। यह रगामी ावहा रक नतीज से यु एक ग भीर बदलाव है, जनम कुछ अ छे
और कुछ बुरे नतीजे शा मल ह। सबसे पहली चीज़ तो यही है क सं कृ त जै वक के
मुक़ाबले यादा लचीली होती है। इसका मतलब, एक ओर, यह है क आज के ज़माने के
सं कृ तवाद पार प रक न लवा दय क तुलना म यादा स ह णु हो सकते ह - अगर
‘अ य’ हमारी सं कृ त को वीकार भर कर ल, तो हम उनको अपनी बराबरी का मानकर
वीकार कर लगे। सरी ओर, इसका नतीजा ‘अ य ’ पर घुल- मल जाने के कह यादा
सश दबाव के प म, और ऐसा करने म नाकामयाब होने पर कह अ धक कठोर
आलोचना के प म सामने आ सकता है।
आप काली चमड़ी वाले को इस बात के लए शायद ही दोषी ठहरा सकते ह क
वह अपनी चमड़ी को गोरा नह बना रहा है, ले कन लोग अ कय या मुसलमान पर
प मी सं कृ त के मानक और मू य को अपनाने म नाकामयाब होने का आरोप लगा
सकते ह और लगाते ह। इसका मतलब यह कहना नह है क इस तरह के आरोप
अ नवायतः उ चत ह। ब त-से मामल म वच वशाली सं कृ त को अपनाने क कोई ख़ास
वज़ह नह होती, और ब त-से सरे मामल म यह क़रीब-क़रीब एक अस भव मु हम होती
है। झु गय म अ य त नधनतापूण जीवन जीने वाले जो अ क अमे रक वच वशाली
अमे रक सं कृ त से ईमानदारी के साथ तालमेल बैठाने क को शश करते ह, वे अपने
रा ते को सं था नक प पात ारा रोका जाता पा सकते ह, जसका नतीजा अ ततः इस
आरोप के प म सामने आता है क उ ह ने पया त को शश नह क , और इस लए उनक
परेशा नय के लए कोई सरे लोग नह , ब क वे ख़ुद ज़ मेदार ह।
जै वक के बारे म बात करने और सं कृ त के बारे म बात करने के बीच एक सरा
नणायक मह व का अ तर यह है क पार प रक न लपरक जै वक से भ , सं कृ तवाद
तक कभी-कभी समझ म आने लायक़ हो सकते ह, जैसा क वामलड और को डया के
मामले म है। वामल डय और को डयाइय क सं कृ तयाँ न य ही भ ह, जसके
ल ण मानवीय र त क उनक भ शै लय के प म दे खे जा सकते ह। चूँ क मानवीय
स ब ध ब त-से रोज़गार म के य मह व रखते ह, इस लए जब एक वामलडीय फ़म
को डयाइय को उनक अपनी सां कृ तक वरासत के मुता बक़ आचरण करने के लए
द डत करती है, तब या उस फ़म का यह कृ य अनै तक है?
मानव व ानी, समाजशा ी और इ तहासकार इस मु े को लेकर अ य त असहज
महसूस करते ह। एक ओर, यह सब ख़तरनाक प से न लवाद के क़रीब क चीज़ लगती
है। सरी ओर, सं कृ तवाद का न लवाद के मुक़ाबले कह यादा ढ़ वै ा नक आधार है,
और वशेष प से मान वक तथा समाज व ान के अ येता सां कृ तक भेद के वजूद
और मह व से इंकार नह कर सकते।
न य ही, अगर हम कुछ सं कृ तवाद दाव क वैधता को वीकार भी कर लेते ह,
तब भी हम उन सबको वीकार करना ज़ री नह है। ब त-से सं कृ तवाद दावे एक-
जैसी तीन ु टय के शकार होते ह। पहली, सं कृ तवाद अ सर थानीय े ता को
व तु न े ता से मत करते ह। नतीजतन, वामलड के थानीय स दभ म टकराव के
समाधान क वामलड क प त शायद को डयाई प त से े हो सकती है, और उस
थ त म अगर वामलड म काम करने वाली एक वामलडीय फ़म अ तमुखी कमचा रय के
ख़लाफ़ भेदभाव बरतती है (जो को डयाई अ वा सय को असंगत प से द डत
करेगी), तो उसके इस कृ य क उ चत वज़ह ह, ले कन इसका यह मतलब नह क
वामलडीय प त व तु न प से े है। वामलड के लोग को डयाइय से शायद
काफ़ कुछ सीख सकते ह, और अगर प र थ तयाँ बदलती ह, जैसे क वामलड क फ़म
वै क है सयत बना लेती है और व भ दे श म अपनी शाखाएँ खोल लेती है, तो
व वधता अचानक एक ब त बड़ा मू य बन जा सकती है।
सरी, अगर आप कसी पैमाने, कसी समय, और कसी थान को प तौर पर
प रभा शत कर लेते ह, तो सं कृ तवाद दावे शायद अनुभवपरक से खरे सा बत हो
सकते ह, ले कन लोग अ सर ही ब त सामा य क़ म के सं कृ तवाद दावे करते ह, जो
ख़ास मायने नह रखते। इस लए यह कहना क ‘ग़ से के सावज नक इज़हार के त
को डयाई सं कृ त वामलडी सं कृ त के मुक़ाबले कम स ह णु है’ एक तकसंगत दावा है,
ले कन यह कहना ब त ही कम तकसंगत है क ‘मु लम सं कृ त ब त अ धक अस ह णु
है’। यह बाद वाला दावा नहायत ही अ प है। ‘अस ह णु’ से आपका या अ भ ाय है?
कस या कस चीज़ के त अस ह णु? जहाँ कोई सं कृ त धा मक अ पसं यक
के त और असामा य राजनी तक कोण के त अस ह णु हो सकती है, वह वह
इसी के साथ-साथ मोटे लोग या बुजग के त ब त स ह णु हो सकती है। और ‘मु लम
सं कृ त’ से आपका या आशय है? हम कस चीज़ क बात कर रहे ह - सातव सद के
अरब ाय प क ? सोलहव सद के ऑटोमन सा ा य क ? या इ क सव सद के
आर भक दौर के पा क तान क ? अ ततः, मानद ड या है? अगर हम धा मक
अ पसं यक के त स ह णुता क च ता कर, और सोलहव सद के ओटोमन सा ा य
क तुलना सोलहव सद के यूरोप से कर, तो हम इस न कष पर प ँचगे क मु लम
सं कृ त अ य त स ह णु है। अगर हम ता लबान क अधीनता वाले अफ़गा न तान क
तुलना समकालीन डेनमाक से कर, तो हम ब त अलग न कष पर प ँचगे।
ले कन सं कृ तवाद दाव क सबसे बुरी सम या यह है क इनक आँकड़ापरक
कृ त के बावजूद अ सर ही इनका इ तेमाल य के बारे म जाँचे-परखे बना फ़ैसले
दे ने के लए कया जाता है। जब वामलड का एक थानीय नवासी और को डया से
आया एक अ वासी, दोन ही वामलड क कसी फ़म म एक ही पद के लए आवेदन
करते ह, तो मैनेजर वामलड-वासी को ाथ मकता दे सकता है य क ‘को डयाई ब त
ठ डे वभाव वाले और एका त य होते ह’। अगर यह बात आँकड़ के लहाज़ से सही
भी हो, तब भी या यह मुम कन नह है क यह ख़ास को डयाई इस ख़ास वामलडी क
तुलना म वा तव म यादा गमजोश और मलनसार हो? जहाँ सं कृ त मह व रखती है,
वह लोग अपने वंशाणु (जी स) और अपने व श नजी इ तहास से भी गढ़े गए होते
ह। अ सर सां यक य ढ़ धारणा को चुनौती दे ते ह। अगर कोई फ़म क ह
ग़ैर-ज बाती कमचा रय पर मलनसार कमचा रय को ाथ मकता दे ती है, तो यह समझ
म आने वाली बात है, ले कन को डयाइय पर वामल डय को ाथ मकता दे ना समझ से
परे है।
ले कन यह कुल मलाकर पूरे के पूरे सं कृ तवाद को अ व सनीय ठहराए बना कुछ
ख़ास सं कृ तवाद दाव क ढ़ता को ही कम करता है। न लवाद से भ , जो क एक
अवै ा नक पूवा ह है, सं कृ तवाद तक कभी-कभी ख़ासे मज़बूत हो सकते ह। अगर हम
आँकड़ पर यान द और पाएँ क वामलड क फ़म म ब त थोड़े-से को डयाई ऊँचे पद
पर ह, तो यह न लपरक प पात का नह , ब क उ चत आकलन का नतीजा हो सकता
है। या को डयाई अ वा सय को इस थ त से अस तु होना चा हए, और यह दावा
करना चा हए क वामलड अ वासन समझौते से मुकर रहा है? या हम वामलड क फ़म
पर ‘सकारा मक कारवाई’ क़ानून क माफ़त यादा को डयाई मैनेजर को भत करने
का दबाव डालना चा हए, इस उ मीद म क इससे वामलड क गम मज़ाज ावसा यक
सं कृ त म शा त पैदा हो जाएगी? या फर गड़बड़ी कह को डयाई अ वा सय म ही है,
जो थानीय सं कृ त के साथ घुलने- मलने म नाकामयाब रहे ह, और इस लए हम
वामलडीय मानक और मू य को को डयाई ब च के दमाग़ म बैठाने क और यादा
तथा बलशाली को शश करनी चा हए?
इस क पना-जगत से त य क नया म वापस आकर हम दे खते ह क अ वासन के
बारे म यूरोपीय बहस अ छाई और बुराई के बीच क प लड़ाई से ब त र है।
अ वासन क प धरता करने वाले जो लोग अपने सारे त य को अनै तक
न लवा दय के प म दे खते ह, वे ग़लत होते ह, जब क अ वासन का वरोध करने वाले
जो लोग अपने सारे वरो धय को ववेकहीन व ासघा तय के प म च त करते ह, वे
ग़लत होते ह। अ वासन क बहस दो वैध कोण के बीच क बहस है, जसका फ़ैसला
सामा य लोकता क या के मा यम से कया जा सकता है और कया जाना चा हए।
लोकत इसी के लए है।
यह लोकता क या जस कसी भी नतीजे पर प ँचे, दो मुख ब को
दमाग़ म रखना ज़ री है। पहला, यह कसी भी सरकार के लए उ चत नह है क वह
कसी अ न छु क थानीय आबाद पर बलपूवक बड़े पैमाने का अ वासन थोपे। अ वासन
को पचाना एक मु कल द घकालीन या है, और अ वा सय को सफलतापूवक
समा हत करने के लए आपको थानीय आबाद का समथन और सहयोग हा सल करना
अ नवाय है। इस नयम का एक अपवाद यह है क पड़ोसी दे श से मौत से बचकर भागे
शरणा थय के लए अपनी सरहद खोलना सारे दे श का कत है, भले ही थानीय
आबाद इसे पस द करे या न करे।
सरे, य प अ वासन का वरोध करना नाग रक का अ धकार है, ले कन उनको यह
बात समझनी चा हए क तब भी वदे शय के त उनके कत ह। हम एक भूम डलीय
नया म रह रहे ह, और हम इसे पस द कर या न कर, ले कन हमारे जीवन ह के सरे
ह स के लोग के जीवन से गुँथे ए ह। वे हमारा खा ा उपजाते ह, हमारे लए कपड़
का उ पादन करते ह, वे हमारे लए तेल क क़ मत को लेकर लड़ी जाने वाली लड़ाई म
मारे जा सकते ह, और वे पयावरण से स ब धत हमारे ढ ले-ढाले क़ानून के शकार हो
सकते ह। हम लोग के त अपनी नै तक ज़ मेदा रय क उपे ा मा इस आधार पर
नह करनी चा हए क वे ब त र रहते ह।
वतमान म, यह बात र- र तक साफ़ नह है क यूरोप कोई ऐसा म यमाग खोज
पाएगा या नह , जससे वह उसके मू य को साझा न करने वाले लोग के हाथ अ थर
ए बना अजन बय के लए अपने ार खुले रख सके। अगर यूरोप इस तरह का रा ता
हा सल करने म सफल हो जाता है, तो उसके इस नु ख़े का वै क तर पर अनुकरण
कया जा सकता है, ले कन अगर यूरोप इस योजना म वफल रहता है, तो इससे यह
संकेत मलेगा क नया के सां कृ तक टकराव को हल करने के लए और परमाणु यु ,
पा र थ तक य वंस और ौ ो गक य अराजकता क चुनौ तय के सम मानव-जा त
को संग ठत करने के लए वत ता और स ह णुता के उदारवाद मू य म आ था पया त
नह है। अगर ीक और जमन एक साझा नय त पर सहमत नह हो सकते, और अगर 50
करोड़ दौलतम द यूरोपीय कुछ लाख नधन शरणा थय को नह अपना सकते, तो फर
इस बात क या स भावना बच रहती है क मनु य उन कह यादा गहन टकराव पर
वजय ा त कर सकेगा, जो हमारी भूम डलीय स यता को आ ा त कए ए ह?
एक चीज़ जो बेहतर ढं ग से एकजुट होने और सरहद तथा दमाग़ को खुला रखने म
यूरोप और कुल मलाकर नया क मदद कर सकती है, वह है आतंकवाद से स ब धत
ख़ौफ़ के उ माद को कम करके दे खना। अगर आतंकवा दय के ख़ौफ़ को ज़ रत से
यादा तूल दए जाने क वज़ह से वत ता और स ह णुता का यूरोपीय योग असफल
हो जाता है, तो यह बेहद भा यपूण होगा। यह न सफ़ आतंकवा दय के ल य को पूरा
करेगा, ब क इन मु भर मता ध को मानव-जा त के भ व य म भरपूर दख़ल दाज़ी करने
क गुंजाइश भी दे गा। आतंकवाद मनु यता के ब त मामूली और कमज़ोर ह से का
ह थयार है। आ ख़र यह भूम डलीय राजनी त पर इतना भारी कैसे पड़ गया?
III

हताशा और उ मीद

चुनौ तयाँ हालाँ क अपूव ह, और असहम तयाँ हालाँ क ब त तीखी ह, तब भी अगर


हम अपने ख़ौफ़ को क़ाबू म रख सक और अपने कोण को लेकर कुछ और वन
हो सक, तो मानव-जा त अवसर आने पर प र थ तय का मुक़ाबला कर सकती है।
10
आतंकवाद
घबराइए मत

आतंकवाद दमाग़ पर नय ण करने के मामले म उ ताद होते ह। वे ब त थोड़े-से लोग


को मारते ह, ले कन तब भी करोड़ लोग को दहशत से भर दे ने और यूरोपीय यू नयन तथा
संयु रा य अमे रका जैसे वशालकाय राजनी तक ढाँच को तहस-नहस कर दे ने म
कामयाब हो जाते ह। 11 सत बर 2001 के बाद से आतंकवा दय ने हर साल लगभग
पचास लोग को यूरोपीय यू नयन म, लगभग दस लोग को संयु रा य अमे रका म,
लगभग सात लोग को चीन म और 25,000 हज़ार तक लोग को वै क तर पर
( यादातर इराक़, अफ़गा न तान, पा क तान, नाइज़ी रया और सी रया म) म मारा है।
इसके वपरीत, हर साल यातायात घटनाएँ लगभग 80,000 यूरो पय क , 40,000
अमे र कय क , 270,000 ची नय क , और कुल मलाकर 12.5 लाख लोग क जान
लेती ह। मधुमेह (डाय बट ज़) और शुगर का उ च तर हर साल 35 लाख तक लोग क
जान ले लेता है, जब क वायु- षण से लगभग 70 लाख लोग मरते ह। तब फर हम
शकर क बजाय आतंकवाद से इतना यादा य डरते ह, और या वज़ह है क सरकार
छटपुट आतंकवाद हमल क वज़ह से तो चुनाव हार जाती ह, ले कन थायी वायु-
षण क वज़ह से चुनाव नह हारत ?
जैसा क आतंकवाद का शा दक अथ संकेत करता है, यह एक सै य रणनी त है, जो
कसी तरह का माली नुक़सान प ँचाए बना दहशत फैलाकर राजनी तक थ त को
बदलने क उ मीद करती है। यह रणनी त लगभग हर व त उन ब त कमज़ोर प ारा
अपनाई जाती है, जो अपने श ु को ब त यादा माली नुक़सान नह प ँचा सकते।
न य ही हर सै य कारवाई दहशत फैलाती है, ले कन पार प रक यु म दहशत माली
नुक़सान का एक आनुषं गक उ पाद होता है, और वह आम तौर से नुक़सान प ँचाने वाली
श के अनुपात म होता है। आतंकवाद म दहशत मु य कहानी होती है, और
आतंकवा दय क वा त वक साम य तथा उनके ारा जगाई जा सक दहशत के बीच
व मयकारी वषमता होती है।
हसा क माफ़त राजनी तक थ त को बदलना हमेशा ही आसान होता है। सोम क
लड़ाई के पहले दन, 1 जुलाई 1916 को 19,000 तानी सै नक मारे गए थे और
40,000 सै नक घायल ए थे। नव बर म यु के समा त होने तक दोन प के दस
लाख से यादा लोग हताहत ए थे, जनम 300,000 मृतक शा मल थे। ले कन इस
भयावह ह याका ड ने यूरोप के राजनी तक श -स तुलन म कोई ख़ास बदलाव पैदा
नह कया था। इसके बाद दो वष का समय और लाख और लोग के हताहत होने के बाद
ही अ ततः कोई टू टन पैदा ई थी।
इस सोम आ मण क तुलना म आतंकवाद एक अदना-सा मसला है। 2015 के
पे रस हमल ने 130 लोग क जान ली थ , माच 2016 क ुसे स क बमबारी म ब ीस
लोग मारे गए थे, और मई 2017 क मैनचे टर अरेना बमबारी म 22 लोग मारे गए थे।
2002 म, इज़रायल के ख़लाफ़ फ़ ल ती नय क आतंकवाद मु हम क पराका ा के
दन म, जब हर दन बस और रे तरा को बम से उड़ाया जा रहा था, तब इज़रायली
मृतक क सालाना सं या 451 पर प ँची थी। उसी साल, 542 इज़रायली कार घटना
म मारे गए थे। कुछ आतंकवाद हमले, जैसे क 1988 म पैन एम लाइट 103 क
बमबारी म सैकड़ लोग मरते ह। 9/11 हमल ने 3,000 लोग को मारकर एक रकॉड
क़ायम कया था। तब भी यह सब पार प रक यु म चुकाई गई क़ मत के सामने बौना
पड़ जाता है। अगर आप 1945 के बाद से यूरोप म आतंकवाद हमल म मारे गए लोग
क कुल सं या जोड़ ल, जनम रा वाद , मज़हबी, वामप थी और द णप थी समूह के
शकार ए लोग समान प से शा मल ह, तो यह कुल सं या थम व यु के तहत ई
क ह भी अ ात लड़ाइय के हताहत क सं या, जैसे क आइन क तीसरी लड़ाई
(250,000 हताहत) या आइज़ो ज़ क दसव लड़ाई (225,000 ) के सामने कम पड़ती
है।
तब फर आतंकवाद कसी बड़ी उपल ध क उ मीद कैसे कर सकते ह। कसी
आतंकवाद कारवाई के बाद मन के पास सै नक , टक और जहाज़ क सं या पहले
जतनी ही बनी रहती है। मन का संचार-त , सड़क और रेलमाग मोटे तौर पर जस-के-
तस बने रहते ह। उसके कारख़ाने, ब दरगाह और सै नक ठकान को शायद ही छु आ गया
होता है, ले कन, आतंकवाद उ मीद करते ह क वे भले ही मन क माली ताक़त को
खर च तक न प ँचा पाएँ, तब भी दहशत और म मन को उसक सुर त ताक़त के
पयोग क अ त त या करने को मजबूर कर दगे। आतंकवाद हसाब लगाते ह क
जब ग़ साया आ मन उनके ख़लाफ़ अपनी भीषण श का इ तेमाल करेगा, तो वह
उससे कह यादा हसक सश बल और राजनी तक अ धड़ खड़ा करेगा, जतना
आतंकवाद वयं कभी तैयार कर सकते ह। हर अ धड़ के दौरान ब त-सी अ या शत
घटनाएँ घ टत होती ह। ग़ल तयाँ होती ह, अ याचार कए जाते ह, जनमत लड़खड़ा जाता
है, तट थ लोग अपना ख़ बदल लेते ह, और श -स तुलन बदल जाता है।
इस तरह आतंकवाद उस म खी क तरह होते ह, जो चीनी म के बतन क कसी
कान को तबाह कर दे ना चाहती है। म खी इतनी कमज़ोर होती है क वह एक कप को
भी डगा नह सकती। तब फर वह म खी चीनी म के बतन क उस कान को कैसे
तबाह करती है? वह एक बैल को ढूँ ढती है, उसके कान म घुस जाती है, और भनभनाना
शु कर दे ती है। यह बैल ख़ौफ़ और ग़ से से बौखला उठता है, और चीनी म के बतन
क उस कान म घुसकर उसको तबाह कर दे ता है। 9/11 के बाद यही आ था, जब
इ लामी क रप थय ने म य पूव पी चीनी म के बतन क कान को तबाह करने के
लए अमे रक बैल को भड़काया था। अब वे उस तबाही के बाद के भ नावशेष पर
फलफूल रहे ह। और इस नया म ग़ सैल बैल क कमी नह है।

ताश के प का फटा जाना


आतंकवाद एक ब त ही अनाकषक सै य रणनी त है, य क यह सारे मह वपूण फ़ैसले
मन के हाथ म छोड़ दे ती है। चूँ क हमले से पहले मन के पास जो भी वक प होते ह,
वे हमले के बाद भी उसके पास बने रहते ह, वह उनके बीच चुनाव करने के लए पूरी तरह
से वत होता है। सेनाएँ इस तरह क थ त को कसी भी क़ मत पर टालने क को शश
करती ह। जब वे हमला करती ह, तो वे कोई ऐसा भयानक मंज़र खड़ा नह करना चाहत ,
जो मन को नाराज़ कर उसको उलटकर हमला करने के लए भड़का दे । इसक बजाय,
वे मन को कोई बड़ा माली नुक़सान प ँचाने और बदले क कारवाई करने क उसक
साम य को कम करने क फ़राक़ म होती ह, ख़ासतौर से, वे उसके सबसे ख़तरनाक
ह थयार और वक प को न करना चाहती ह।
उदाहरण के लए, जापान ने यही कया था, जब 1941 म उसने संयु रा य
अमे रका पर आक मक हमला कर पल हाबर म संयु रा य के शा त नौसै नक बेड़े
को डु बा दया था। यह आतंकवाद नह था। यह यु था। जापान को इसक कोई न त
जानकारी नह थी क अमे रक इस हमले के जवाब म कस तरह क बदले क कारवाई
करगे, सवाय एक बात के : अमे रक जो भी कुछ करने का फ़ैसला करगे, वे 1942 म
फ़ लपी स या हांगकांग म नौसै नक बेड़ा नह प ँचा पाएँगे।
मन के क ह ह थयार या वक प को तबाह कए बना उसको कारवाई के लए
भड़काना एक हताश कारवाई है, जो केवल तभी क जाती है, जब कोई और वक प नह
होता। जब कभी भी कोई ग भीर माली नुक़सान प ँचाना स भव होता है, तब कोई भी
महज़ आतंकवाद क ख़ा तर इस वक प को नह यागता। अगर दस बर 1941 म
जापान ने संयु रा य अमे रका को भड़काने के लए, शा त नौसै नक बेड़े को पल
हाबर म अ त रखते ए, असै नक या य से भरे कसी जहाज़ को उड़ा दया होता, तो
यह एक पागलपन होता।
ले कन आतंकवा दय के पास कोई ख़ास वक प नह होता है। वे इतने कमज़ोर होते
ह क वे यु नह छे ड़ सकते। इस लए वे उसक बजाय एक ऐसा नाटक य मंज़र पैदा
करने का वक प चुनते ह, इस उ मीद के साथ क वह मन को भड़काकर उसको
अ तवाद त या करने के लए मजबूर कर दे । आतंकवाद हसा का एक ऐसा
खौ़फ़नाक नज़ारा पैदा करते ह, जो हमारी क पना को उ े जत कर उसको हमारे ही
ख़लाफ़ मोड़ दे ता है। आतंकवाद मु -भर लोग क ह या कर लाख लोग के मन म
जान से हाथ धो बैठने का ख़ौफ़ पैदा कर दे ते ह। इन डर को शा त करने के लए सरकार
आतंक के इस नाटक पर त या व प, सै य बल के अप र मत दशन, जैसे क पूरी-
क -पूरी आबा दय पर अ याचार या वदे शी मु क पर हमले आ द क योजनाएँ बनाते
ए, सुर ा का दशन करती ह। यादातर मामल म, आतंकवाद के त यह अ तवाद
त या हमारी सुर ा के सम उससे यादा ख़तरा पैदा करती है, जतना वयं
आतंकवाद करते ह।
इस लए आतंकवाद फ़ौज के जनरल क तरह नह सोचते। इसक बजाय, वे
नाटककार के अ दाज़ म सोचते ह। 9/11 हमल क सावज नक मृ त इस बात क
गवाही दे ती है क इस बात को हर कोई सहज ढं ग से समझता है। अगर आप लोग से पूछ
क 9/11 को या आ था, तो पूरी स भावना है क वे कह क अल-क़ायदा ने व ड े ड
सटर क जुड़वाँ मीनार को धराशायी कर दया था, ले कन यह हमला सफ़ इन मीनार
तक ही सी मत नह था, ब क दो अ य कारवाइयाँ, वशेष प से पटागॅन पर कामयाब
हमला भी इसम शा मल थ । या वज़ह है क इसक याद ब त थोड़े-से लोग को है?
अगर 9/11 कारवाई एक पार प रक सै य मु हम होती, तो पटागन हमले पर यादा
यान जाना चा हए था। इस हमले म अल-क़ायदा मन के के य सै य मु यालय के
कुछ ह स को न करने म, व र कमांडर और व ेषक को मारने और घायल करने
म सफल आ था। या वज़ह है क सावज नक मृ त दो असै नक इमारत के वंस, और
शेयर-दलाल , लेखापाल और लक क मौत को कह यादा मह व दे ती है?
ऐसा इस लए है य क पटागॅन एक अपे ाकृत सपाट और साद इमारत है, जब क
व ड े ड सटर एक वशाल खड़ा आ मह वपूण तीक था, जसके धराशायी होने ने
ज़बरद त य- भाव पैदा कया था। जस कसी ने भी उसके धराशायी होने के
य दे खे थे, वह उनको कभी नह भूल सकता, य क हम अ दर से इस बात को समझते
ह क आतंकवाद नाटक है, इस लए हम उसको उसके भौ तक भाव क बजाय उसके
भावना मक भाव के आधार पर परखते ह।
आतंकवा दय क ही तरह आतंकवाद का मुक़ाबला कर रहे लोग को भी नाटककार
क तरह यादा और फ़ौजी जनरल क तरह कम सोचना चा हए। आ ख़रकार, अगर हम
आतंकवाद का कारगर ढं ग से मुक़ाबला करना चाहते ह, तो हम यह समझना चा हए क
आतंकवाद जो कुछ भी करते ह, वह हम परा जत नह कर सकता। अगर हम
आतंकवा दय के भड़कावे म आकर गुमराह तरीक़े से अ तवाद त या करते ह, तो
ख़ुद हम ही अपने हाथ परा जत हो सकते ह।
आतंकवाद एक अस भव मु हम म लगे होते ह : सै य-श न होने के बावजूद हसा
के रा ते राजनी तक श -स तुलन को बदलना। अपने इस ल य को हा सल करने के
लए आतंकवाद रा य को उसक अपनी एक अस भव चुनौती स पते ह : यह सा बत
करने क चुनौती क वह कह भी, कसी भी समय राजनी तक हसा से अपने नाग रक
क र ा कर सकता है। आतंकवाद उ मीद करते ह क जब रा य इस अस भव मु हम को
पूरा करने क को शश करेगा, तो वह राजनी तक ताश के प को नए सरे से फटे गा और
उनके हाथ म कुछ अ या शत इ के थमा दे गा।
यह सही है क जब रा य इस चुनौती पर त या करता है, तो वह आम तौर से
आतंकवा दय को कुचलने म सफल होता है। पछले कुछ दशक के दौरान व भ दे श
ारा सैकड़ आतंकवाद संगठन को मटा दया गया था। 2002-04 म इज़रायल ने
सा बत कर दया था क सबसे उ आतंकवाद मु हम तक को कठोर बल- योग के
मा यम से कुचला जा सकता है। आतंकवाद अ छ तरह से जानते ह क इस तरह के
टकराव म प र थ तयाँ उनके ख़लाफ़ होती ह, ले कन चूँ क वे ब त कमज़ोर होते ह, और
उनके पास कोई अ य सै य वक प नह होते ह, इस लए उनके पास खोने के लए कुछ
नह होता है और हा सल करने के लए ब त कुछ होता है। कभी-कभार आतंकवाद-
वरोधी मु हम ारा पैदा क गई उ राजनी तक त याएँ आतंकवा दय को फ़ायदा
प ँचाती ह। यही वज़ह है क यह जुआ खेलने लायक़ बनता है। एक आतंकवाद उस
जुआरी क तरह होता है, जसके हाथ ग़लत प े लग गए होते ह, और वह अपने
त य को प े फटने को राज़ी करने क को शश करता है। वह हार कुछ नह सकता,
और जीत सब कुछ सकता है।

एक बड़े ख़ाली घड़े म छोटा-सा स का।


रा य को प े फटने के लए राज़ी य होना चा हए? चूँ क आतंकवा दय ारा प ँचाया
गया माली नुक़सान नग य होता है, इस लए रा य या तो सै ा तक तौर पर उसके बारे म
कुछ नह कर सकता, या कैमर और माइ ोफ़ोन क नगाह से ब त र मज़बूत, क तु
ववेकपूण उपाय अपना सकता है। वाक़ई, रा य कभी-कभी ठ क ऐसा ही करते ह,
ले कन कभी-कभी रा य अपना आपा खो बैठते ह, और ब त यादा ती और
सावज नक त या करते ह, और इस तरह आतंकवा दय क शत पर खेलने लगते ह।
आ ख़रकार रा य आतंकवा दय के भड़काव के त इतने संवेदनशील य होते ह?
रा य के लए इन भड़काव को सह पाना इस लए मु कल होता है, य क
आधु नक रा य क वैधता सावज नक े को राजनी तक हसा से मु रखने के
आ ासन पर टक होती है। कोई शासन- व था भयावह वनाश को सह सकती है, और
उनको नज़रअ दाज़ तक कर सकती है, बशत क उसक वैधता उनको रोकने पर न टक
हो। सरी ओर, अगर एक छोट -सी सम या को भी कसी शासन- व था क वैधता को
कमज़ोर करने वाली सम या क तरह दे खा जाता है, तो वह शासन- व था उस सम या
क वज़ह से व त हो सकती है। चौदहव सद म लैक डैथ ने यूरोपीय आबा दय के एक
चौथाई और आधे ह से के बीच क सं या म लोग क जान ले ली थ , तब भी इसके
नतीजे म कसी राजा को अपना सहासन नह गँवाना पड़ा था, और कसी भी राजा ने इस
महामारी पर वजय पाने के लए ब त यादा को शश नह क थी। तब कोई नह सोचता
था क महामा रय को रोकना राजा के कत म शा मल है। सरी ओर, जो शासक
अपने अ धकार- े म वध मता क छू ट दे ते थे, उनको अपना राजमुकुट, और सर तक
गँवा दे ने का जो खम उठाना पड़ता था।
आज, एक सरकार आतंकवाद क बजाय घरेलू और यौनपरक हसा को लेकर नरम
रवैया अपना सकती है, य क #MeToo जैसे आ दोलन के भाव के बावजूद,
बला कार सरकार क वैधता को कम नह करता। ांस म हर वष बला कार के 10,000
से यादा करण दज कए जाते ह, और स भवतः द सय हज़ार करण ऐसे होते ह,
जनक सूचना नह द गई होती है। ले कन बला का रय और अ याचारी प तय को ांस
के रा य के लए अ त वपरक ख़तरे के प म नह दे खा जाता, य क ऐ तहा सक तौर
पर रा य ने वयं को यौनपरक हसा के उ मूलन के आ ासन पर खड़ा नह कया था।
इसके वपरीत, आतंकवाद के तुलना मक प से वरले करण को ांसीसी गणरा य के
लए घातक ख़तरे के प म दे खा जाता है, य क पछली कुछ स दय से आधु नक
प मी रा य अपनी वैधता उ रो र अपनी सरहद के भीतर कसी भी तरह क
राजनी तक हसा को न सहने के प आ ासन पर वक सत करते गए ह।
म य युग म, सावज नक े राजनी तक हसा से भरा आ था। सच तो यह है क
हसा का इ तेमाल करने क यो यता राजनी तक खेल म शा मल होने का वेश-प आ
करती थी, और जस कसी म भी यह यो यता नह होती थी, उसक कोई राजनी तक
है सयत नह होती थी। असं य कुलीन प रवार थे, ज ह ने सश बल को अपने पास
बरक़रार रखा था, उसी तरह नगर , नकाय , चच और मठ के अपने सै य बल आ करते
थे। जब कसी पूव मठाधीश क मृ यु हो जाती थी और उसके उ रा धकारी को लेकर
ववाद खड़ा हो जाता था, तो त घड़े के लोग, जनम सं यासी, थानीय बा बली
और स ब धत पड़ोसी शा मल होते थे, अ सर इस मसले का फ़ैसला करने के लए
सश बल का इ तेमाल कया करते थे।
इस तरह क नया म आतंकवाद के लए कोई थान नह था। जो भी कोई
ख़ासी मा ा म माली नुक़सान प ँचाने लायक़ ताक़त नह रखता था, उसक कोई
अह मयत नह होती थी। अगर 1150 म कुछ मुसलमान ने य शलम म धमयो ा से
प व भू म छोड़कर चले जाने क माँग करते ए मु -भर असै नक नाग रक क ह या
कर द होती, तो इसक त या आतंक से यादा उपहास पैदा करने वाली होती। अगर
आप चाहते क आपको संजीदगी से लया जाए, तो इसके लए आपको कम-से-कम एक-
दो मज़बूत ग को अपने नय ण म लेना ज़ री होता। आतंकवाद हमारे म ययुगीन
पूवज को तंग नह करता था, य क उनके सामने कह यादा बड़ी सम याएँ थ , जनसे
उनको नपटना ज़ री होता था।
आधु नक युग के दौरान के कृत रा य अपने अ धकार- े के भीतर राजनी तक
हसा के तर को धीरे-धीरे कम करते गए, और पछले कुछ दशक के दौरान प मी मु क
इसको पूरी तरह से ख़ म करने म सफल रहे ह। ांस, टे न या संयु रा य अमे रका के
नाग रक बना कसी सश बल के नगर , त ान , संगठन और वयं सरकार तक को
नय ण म लेने के लए संघष कर सकते ह। खरब डॉलर , लाख सै नक , और हज़ार
जहाज़ , वायुयान और परमाणु े ेपा का नय ण राजनेता के समूह के हाथ से
सरे समूह के हाथ म जाता रहता है, जस दौरान एक भी गोली नह दागनी पड़ती। लोग
ज द -से इसके अ य त हो जाते ह, और इसे अपना कु़दरती अ धकार समझने लगते ह।
इसके प रणामतः, राजनी तक हसा क छटपुट वारदात तक को, जो कुछ दजन लोग
क जान लेती ह, रा य क वैधता और उसके बचे रहने तक के लए घातक ख़तरे क तरह
दे खा जाता है। एक बड़े ख़ाली घड़े म पड़ा एक छोटा-सा स का ब त आवाज़ करता है।
यही है वह चीज़, जो आतंकवाद के नाटक को इतना कामयाब बनाती है। रा य ने
राजनी तक हसा से ख़ाली एक वराट जगह तैयार कर द है, जो अब एक साउं डग बोड
क भू मका नभाती ई कसी भी सश हमले के भाव को, वह चाहे कतना ही छोटा
य न हो, र- र तक प ँचा दे ती है। कसी ख़ास रा य म जतनी कम राजनी तक हसा
होती है, आतंकवाद के कृ य से वहाँ उतना ही यादा सावज नक आघात प ँचता है।
बे जयम म थोड़े-से लोग क ह या उससे कई गुना यादा लोग का यान ख चती है,
जतन का नाइज़ी रया या इराक़ म सैकड़ लोग क ह या ख चती है। ऐसे म, वरोधाभास
यह है क राजनी तक हसा को रोकने क आधु नक रा य क सफलता ही इन रा य को
आतंकवाद के त वशेष प से असुर त या संवेदनशील बना दे ती है।
रा य इस बात पर कई बार बल दे चुका है क वह अपनी सरहद के भीतर राजनी तक
हसा को बदा त नह करेगा। वह नाग रक शू य राजनी तक हसा के त पूरी तरह
अ य त हो चुके ह। इस लए आतंक का नाटक अराजकता क ज बाती दहशत को पैदा
करता आ लोग को इस अहसास से भर दे ता है क सामा जक व था व त होने वाली
है। ख़ूनी संघष से भरी शता दय के बाद हम हसा के लैक होल से रगकर बाहर नकल
आए ह, ले कन हम महसूस करते ह क लैक होल अभी भी मौजूद है, और धीरज के
साथ हम फर से नगल लेने क ती ा कर रहा है। थोड़ी-सी वीभ स ू रताएँ होती ह
और हम लगता है क हम वापस उसम धँस रहे ह।
इन दहशत को शा त करने के लए, रा य आतंकवाद के नाटक का जवाब सुर ा के
अपने नाटक से दे ने को बा य होता है। आतंकवाद का सबसे स म जवाब अ छे ख़ु फ़या
त और आतंकवाद का पोषण करने वाले व ीय त के ख़लाफ़ गु त कारवाई से दया
जा सकता है, ले कन ये ऐसी चीज़ नह ह, जनको नाग रक अपने टे ली वज़न पर दे ख
सकते ह । नाग रक ने तो व ड े ड सटर के व त होने का आतंकवाद ामा दे खा है।
रा य उसके जवाब म उतने ही भावशाली ामे का दशन करने को बा य महसूस करता
है, जसम और भी यादा आग और धुआँ हो। इस लए ख़ामोशी के साथ और कारगर ढं ग
से कारवाई करने क बजाय, रा य एक महाश शाली तूफ़ान खड़ा करता है, जो अ सर
आतंकवा दय के सबसे य सपन को साकार कर दे ता है।
तब फर रा य को आतंकवाद से कस तरह नपटना चा हए? एक सफल आतंकवाद-
वरोधी संघष तीन मोच पर कया जाना चा हए। पहला, सरकार आतंक त के ख़लाफ़
गु त कारवाइयाँ कर। सरा, मी डया को चा हए क वह थ तय को बढ़ा-चढ़ाकर पेश न
करे और सावज नक उ माद को टाले। आतंक का नाटक चार के बना सफल नह हो
सकता। भा य से, मी डया यह चार नःशु क प से कुछ यादा ही मुहैया कराता है।
यह आतंकवाद हमल को अ ववेकपूण ढं ग से रपोट करता है और उनके ख़तरे को ब त
यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है, य क आतंकवाद क रपोट मधुमेह या वायु- षण
क रपोट क तुलना म अख़बार को कह यादा बेचती ह।
तीसरा मोचा है हम म से हर क क पना-श । आतंकवाद हमारी क पना-
श को ब धक बना लेते ह, और हमारे ही ख़लाफ़ उसका इ तेमाल करते ह। हम
आतंकवाद हमले को बार-बार अपने दमाग़ के रंगमंच पर दोहराते ह - 9/11 को या
कसी ताज़ा आ मघाती बम- व फोट को याद करते ए। आतंकवाद सौ लोग को मारते
ह - और 10 करोड़ लोग म यह क पना जगाते ह क हर दर त के पीछे कोई ह यारा
छपा बैठा है। यह हर नाग रक क ज़ मेदारी है क वह अपनी क पना-श को
आतंकवा दय क गर त से मु करे, और ख़ुद को इस ख़तरे के वा त वक पैमाने क
याद दलाए। यह हमारा अपना अ द नी आतंक है, जो आतंकवाद के बारे म मी डया को
त करने, और सरकार को ज़ रत से यादा त या करने को उकसाता है।
इस तरह आतंकवाद क सफलता या वफलता हम पर नभर करती है। अगर हम
अपनी क पना-श को आतंकवा दय ारा ब धक बना लए जाने क छू ट दे ते ह, और
फर अपने भय पर ज़ रत से यादा त या करते ह, तो आतंकवाद सफल होगा।
अगर हम अपनी क पना-श को आतंकवा दय से आज़ाद कर लेते ह, और स तु लत
तथा शा त भाव से त या करते ह, तो आतंकवाद वफल हो जाएगा।

आतंकवाद का परमाणु स प होना


अब तक जो व ेषण हमने कया है, वह आतंकवाद के उस प पर लागू होता है, जस
प म उसे हम पछली दो स दय से जानते रहे ह, और जस प म वह यू यॉक, ल दन,
पे रस और तेल अवीव क सड़क पर ख़ुद को कट करता है, ले कन अगर सामू हक
नरसंहार के ह थयार आतंकवा दय के हाथ लग जाते ह, तो सफ़ आतंकवाद क ही नह ,
ब क रा य और वै क राजनी तय क कृ त भी ज़बरद त तरीक़े से बदल जाएगी।
अगर मु -भर क रप थय का त न ध व करने वाले छोटे -छोटे संगठन पूरे-के-पूरे
नगर को तबाह कर सकगे और लाख लोग को मार सकगे, तो कोई सावज नक े
राजनी तक हसा से मु नह रह पाएगा।
इस लए जहाँ आज का आतंकवाद यादातर एक नाटक है, वह भ व य म परमाणु
आतंकवाद, साइबर-आतंकवाद, जैव-आतंकवाद (बायोटे र र म) कह यादा ग भीर
ख़तरा पेश करेगा, और सरकार से ब त अ धक कठोर त या क माँग करेगा। ठ क
इसी वज़ह से हम इस तरह के प रक पत भावी प र य को उन वा त वक आतंकवाद
हमल से अलग करने के मामले म सावधानी बरतनी ज़ री है, जन हमल को हम अब
तक दे खते रहे ह। कसी दन आतंकवा दय के हाथ परमाणु बम लग जाने से उनके ारा
यू यॉक या ल दन को तबाह कर दे ने का भय उस आतंकवाद के त उ मादपूण
अ तवाद त या को उ चत नह ठहरा दे ता, जो एक वचा लत राइफ़ल या बेक़ाबू क
के मा यम से सड़क चलते दजन-भर लोग को मार दे ता है। इससे भी यादा सावधानी
सरकार को तमाम अस तु समुदाय पर इस आधार पर ज म करने के मामले म बरतनी
ज़ री है क वे एक दन परमाणु ह थयार हा सल कर सकते ह, या वे हमारी वचा लत
कार को हैक कर उनको ह यारे रोबोट के झु ड म बदल सकते ह।
इसी तरह, हालाँ क सरकार को न य ही उ वाद संगठन पर नगाह रखनी चा हए
और उनको सामू हक जनसंहार करने वाले ह थयार को नय ण म लेने से रोकने क
कारवाइयाँ करनी चा हए, ले कन उनके लए यह ज़ री है क वे परमाणु आतंकवाद के
भय को सरी स भा वत प से ख़तरनाक थ तय के सम रखकर दे ख। पछले दो
दशक म संयु रा य अमे रका ने आतंकवाद के ख़लाफ़ अपने यु पर ख़रब डॉलर
और ढे र सारी राजनी तक संसाधन बबाद कए ह। जॉज ड यू बुश, टोनी लेयर, बराक
ओबामा और उनके शासन कसी हद तक यह उ चत तक दे सकते ह क उ ह ने
आतंकवा दय को खदे ड़कर उनको परमाणु ह थयार हा सल करने के बारे म सोचने क
बजाय अपनी जान बचाने के बारे म सोचने पर मजबूर कर दया है। इस तरह मुम कन है
क उ ह ने नया को परमाणु 9/11 से बचा लया हो। चूँ क यह एक तत या मक
(काउंटरफै चुअल) दावा है - ‘अगर हमने आतंक के ख़लाफ़ यु न छे ड़ा होता, तो अल-
क़ायदा ने परमाणु ह थयार हा सल कर लए होते’ - इस लए यह जाँचना मु कल है क
यह दावा सही है या नह ।
ले कन यह बात हम प के तौर पर कह सकते ह क आतंक के ख़लाफ़ यु जारी
रखकर अमे र कय और उनके म ने समूचे व म न सफ़ अप र मत वनाश को
अंजाम दया है, ब क वह क़ मत चुकाने क ज़ मेदारी भी मोल ले ली है, जसको
अथशा ी ‘ऑपचु नट कॉ ट’ क सं ा दे ते ह। आतंकवाद से लड़ने पर नवेश कए गए
पैस , समय और राजनी तक संसाधन को लोबल व मग, एड् स और ग़रीबी से लड़ने,
उप-सहारा अ का म शा त और समृ लाने या स और चीन के साथ बेहतर स ब ध
बनाने पर नवेश नह कया गया। अगर यू यॉक या ल दन अ ततः अटलां टक महासागर
के बढ़ते ए जल तर क वज़ह से डू ब जाते ह, या अगर स के साथ बढ़ता आ तनाव
खुली लड़ाई के प म भड़क उठता है, तो ब त मुम कन है क लोग बुश, लेयर और
ओबामा पर ग़लत मोच पर यान दे ने का आरोप लगाएँ।
वा त वक समय म ाथ मकता को तय करना मु कल होता है, जब क प चात-
के साथ प र थ तय का पूवानुमान करना ब त आसान होता है। हम राजनेता पर
उन वनाश को रोक पाने म असमथ रहने का आरोप लगाते ह, जो हो चुके होते ह, वह
ख़ुशी-ख़ुशी उन आपदा के त अनजान बने रहते ह, जो कभी घ टत नह ई होत ।
लोग 1990 के दशक के लंटन शासन क ओर वापस मुड़कर दे खते ह, और उस पर
अल-क़ायदा के ख़तर क उपे ा करने का आरोप लगाते ह, ले कन 1990 के दशक म
ब त थोड़े-से लाग ने क पना क होगी क इ लामी आतंकवाद यू यॉक क गगनचु बी
मीनार से या ी हवाई जहाज़ को टकराकर एक वै क टकराव क आग भड़का दे ने वाले
थे। इसके वपरीत, ब त-से लोग को भय था क स पूरी तरह व त हो सकता है और न
केवल अपने वशाल अ धकार- े , ब क हज़ार परमाणु और जै वक बम पर भी अपना
नय ण खो सकता है। एक अ त र च ता यह थी क पूव यूगो ला वया के ख़ूनी यु
पूव यूरोप के सरे ह स तक फैल सकते थे, और उनके नतीजे म हंगरी और रोमा नया
के बीच, बु गा रया और तुक के बीच, या पोलड और उ े न के बीच टकराव पैदा हो
सकते थे।
ब त-से लोग तो जमनी के एक करण तक को लेकर असहज महसूस कर रहे थे। थड
राइख़ के पतन के महज़ साढ़े चार दशक बाद, ब त-से लोग अपने मन म जमन श को
लेकर सहज ख़ौफ़ पाले ए थे। या जमनी सो वयत ख़ौफ़ से आज़ाद होकर यूरोपीय
महा प पर वच व क़ायम करने वाली महाश नह बन जाएगा? और चीन? सो वयत
खेमे के व त होने से चौक ा चीन अपने सुधार क कारवाई को याग सकता है, और
स त माओवाद नी तय पर वापस लौट सकता है, और अ त म उ र को रया का एक
वशाल सं करण बन सकता है।
आज हम इन डरावनी प रक पना का मज़ाक़ उड़ा सकते ह, य क ऐसा वा तव
म आ नह । स म थ त थर रही। यूरोप का यादातर पूव ह सा यूरोपीय यू नयन म
शां तपूण ढं ग से आ मसात कर लया गया, एक कृत जमनी को आज आज़ाद नया के
नेता क तरह दे खा जाता है, और चीन समूचे भूम डल का आ थक इंजन बन चुका है। यह
सब, आं शक प से संयु रा य अमे रका और यूरोपीय यू नयन क रचना मक नी तय
क वज़ह से हा सल कया जा सका। या यह अ लम द होती क 1990 के दशक म
संयु रा य अमे रका और यूरोपीय यू नयन ने पूव सो वयत खेमे या चीन क थ त पर
यान के त करने क बजाय इ लामी अ तवा दय पर अपना यान के त कया होता?
हम हर आक मक आपदा के लए पहले से तैयार नह हो सकते। तदनुसार, य प
हम न य ही परमाणु आतंकवाद को रोकना चा हए, ले कन यह मनु यता क कायसूची
का पहला मु ा नह हो सकता। और हम न य ही परमाणु आतंकवाद के सै ा तक
ख़तरे का इ तेमाल साधारण आतंकवाद के त अ तवाद त या को उ चत ठहराने के
लए तो नह ही करना चा हए। ये अलग तरह क सम याएँ ह, जो अलग तरह के
समाधान क माँग करती ह।
हमारी को शश के बावजूद अगर आतंकवाद समूह अ ततः सामू हक नरसंहार के
ह थयार को क़ ज़े म ले लेते ह, तो यह अनुमान लगा पाना मु कल है क राजनी तक
संघष को कस तरह अंजाम दया जाएगा, ले कन वे इ क सव सद के आर भक दौर
क आतंकवाद और आतंकवाद- वरोधी मु हम से ब त भ ह गे। अगर 2050 म नया
परमाणु आतंकवा दय और जैवआतंकवा दय से भरी होगी, तो इनके शकार लोग 2018
क नया को अ व ास का पुट लए हसरत-भरी नगाह से मुड़कर दे खगे : इतना
सुर त जीवन जीने के बावजूद ये लोग इतना भयभीत कैसे महसूस कर सकते थे?
न य ही, ख़तरे के हमारे मौजूदा अहसास को भड़काने वाली चीज़ सफ़ आतंकवाद
नह है। ढे र वशेष और साधारण लोग के मन म यह भय समाया आ है क द थड
व ड वॉर क़रीब ही है, मानो यह फ़ म हम एक सद पहले दे ख चुके ह । जस तरह
1914 म आ था, उसी तरह 2018 म महाश य के बीच बढ़ता आ तनाव और उसी
के साथ जुड़ी वै क सम याएँ हम भूम डलीय यु क दशा म घसीटती लग रही ह। या
यह ता आतंकवाद को लेकर हमारे अ तरं जत भय से यादा उ चत है?
11
यु
मनु य क मूखता को कभी भी कम करके मत आँ कए

पछले कुछ दशक का समय मानव-इ तहास का सबसे शा तपूण काल रहा है। जहाँ
शु आती दौर के कृ षपरक समाज म इंसानी हसा मनु य क कुल मृ यु के 15 %
ह से का कारण आ करती थी, और बीसव सद म उसके 5 % ह से का कारण आ
करती थी, वह आज वह मा 1 % ह से के लए ज़ मेदार है। तब भी 2008 के वै क
व ीय संकट के समय से अ तररा ीय थ त म तेज़ी-से गरावट आ रही है, यु के
भड़कावे फर से फ़ैशन म ह, और सेना पर कया जाने वाला ख़च गु बारे क तरह फूलता
जा रहा है। जन-साधारण और वशेष , दोन म यह भय ा त है क जस तरह 1914
म एक ऑ याई आक ूक क ह या ने थम व यु के लए चगारी का काम कया
था, उसी तरह 2018 म सी रयाई रे ग तान क कोई घटना या को रयाई ाय प म कोई
अ ववेकपूण क़दम वै क टकराव को भड़का सकता है।
नया म बढ़ते ए तनाव, और वा शगटन, यां यांग और कई सरी जगह के नेता
के व को दे खते ए च ता क वज़ह तो न य ही है। तब भी 2018 और 1914 के
बीच कई मह वपूण फ़क़ ह। ख़ासतौर से, 1914 के यु म नयाभर के कुलीन वग के
लए ब त बड़ा आकषण मौजूद था, य क उनके पास इस बात के ब त-से ठोस
उदाहरण थे क कस तरह यु ने आ थक समृ और राजनी तक श म योगदान
कया था। इसके वपरीत, 2018 के सफल यु वलु त ाय जा त तीत होते ह।
असी रयाइय और चन के ज़माने से वशाल सा ा य हसक वजय क माफ़त
था पत कए जाते रहे थे। 1914 म भी तमाम महाश य क है सयत के पीछे सफल
यु रहे थे। उदाहरण के लए, शाही जापान स और चीन क अपनी जीत क वज़ह से
एक े ीय श बन सका था, ऑ या-हंगरी और ांस पर अपनी जीत के बाद ही
जमनी यूरोप का मु खया बन सका था, और टे न ने समूचे भू ह पर अनेक वैभवशाली
छोटे -छोटे यु के मा यम से ही नया का सबसे बड़ा और समृ सा ा य खड़ा कया
था। 1882 म टे न ने तेल एल-क बर के नणायक यु म म पर हमला कर उसको
जीत लया था और इसम उसको मा स ावन सै नक को खोना पड़ा था। जहाँ हमारे
समय म कसी मु लम मु क पर क़ ज़ा करना प मी ः व का वषय है, वह तेल
एल-क बर के प रणाम व प अँ ेज़ को ब त थोड़े-से सश तरोध का सामना करना
पड़ा था, और उसने छह दशक से यादा समय तक नील घाट और अ य त मह वपूण
सुएज़ नहर को अपने नय ण म रखा था। सरी यूरोपीय श य ने यूरोप का अनुसरण
कया, और जब कभी पे रस, रोम या ुसे स म सरकार वयतनाम, ली बया या कांगो म
फ़ौज भेजने के बारे म सोचती थ , तो उनको एकमा डर यह सताता था क उनसे पहले
कोई सरा वहाँ प ँच सकता है।
यहाँ तक क संयु रा य अमे रका तक महाश क अपनी है सयत अकेले आ थक
उ म के दम पर बना पाने क बजाय सै य कारवाई के बूते ही बना सका। 1846 म उसने
मै सको पर हमला कया, और कै लफ़ो नया, नेवादा, यूटा, अ रज़ोना, यू मै सको और
कोलोराडो, का सास, ो मग तथा ओकलाहोमा के कुछ ह स को जीत लया था।
शा त-स ध ने भी टै सास के पछले अमे रक क़ ज़े क पु क थी। लगभग 13,000
अमे रक सै नक इस यु म मारे गए थे, जसने संयु रा य अमे रका म 23 लाख वग
कलोमीटर के इलाक़े का योगदान कया था (जो ांस, टे न, जमनी, पेन और इटली के
संयु आकार के बराबर था)। यह सह ा द का सबसे स ता सौदा था।
इस लए 1914 म वा शगटन, ल दन और ब लन का कुलीन वग इस बात को ठ क-
ठ क समझता था क एक सफल यु कस तरह का होता है, और हम उससे कतना कुछ
हा सल कर सकते ह। इसके वपरीत, 2018 म वै क कुलीन वग के पास इस बात पर
स दे ह करने क पया त वज़ह है क इस क़ म का यु वलु त हो गया लगता है,
हालाँ क, तीसरी नया के कुछ तानाशाह और गैर-राजक य संगठन अभी भी यु के
मा यम से फलने-फूलने म कामयाब होते ह, ले कन लगता है क बड़ी श याँ अब इस
इ म से वा कफ़ नह ह।
जस महान वजय - सो वयत संघ पर संयु रा य अमे रका क वजय - क मृ त
अभी बनी ई है, वह बना कसी सै य टकराव के हा सल क गई थी। इसके बाद संयु
रा य अमे रका ने पुराने चाल क सै य म हमा का अ थायी वाद पहले खाड़ी यु म चखा
था, ले कन इसने उसको इराक़ और अफ़गा न तान म अपमानजनक सै य नाकामया बय
पर खरब डॉलर ख़च करने के लए ही ललचाया था। इ क सव सद क उभरती ई
श चीन वयतनाम पर कए गए 1979 के वफल हमले के बाद से तमाम सश
टकराव को प र मपूवक टालता रहा है, और उसके उभार के पीछे पूरी तरह से आ थक
कारक ह। इसम उसने 1914 के पहले के दौर के जापानी, जमन और इता वी सा ा य
का नह , ब क 1945 के बाद के दौर के जापानी, जमन और इता वी आ थक चम कार
का अनुसरण कया है। इन सारे करण म आ थक समृ और भूराजनी तक भु व एक
भी गोली दागे बना हा सल कए गए थे।
यहाँ तक क म य पूव म भी - जो क नया क रणभू म है - े ीय ताक़त को यह
समझ नह है क सफल यु कस तरह लड़े जाएँ। ईरान-इराक़ यु के ल बे र पात से
ईरान को कुछ भी हा सल नह आ, और इसके बाद उसने तमाम सीधे सै य टकराव को
टाला। ईरान इराक़ से लेकर यमन तक थानीय आ दोलन को धन और ह थयार मुहैया
कराता है, और उ ह ने सी रया और लेबनान के अपने म क मदद के लए ा तकारी
र क को भेजा है, ले कन वे अब तक कसी भी मु क पर हमला करने के मामले म
सावधानी बरतते रहे ह। ईरान हाल ही म एक वच वशाली े ीय रा बना है, तो यु के
मैदान क कसी भ वजय के बूते पर नह , ब क इस लए बना है, य क और कोई
वक प नह था। इसके दो मु य श ु - संयु रा य अमे रका और इराक़ - एक ऐसे
यु म उलझे, जसने इराक़ और म य पूव दलदल क अमे रक भूख, दोन को तबाह
कर दया, और इस तरह ईरान को इन बबा दय का फ़ायदा उठाने के लए छोड़ दया।
ऐसा ही ब त कुछ इज़रायल के बारे म कहा जा सकता है। इसका आ ख़री सफल
यु 1967 म लड़ा गया था। उसके बाद से इज़रायल अनेक यु के बावजूद नह , ब क
उनक वज़ह से फला-फूला है। इसके ारा क़ ज़े म कए गए यादातर अ धकार- े ने
इसे भारी आ थक बोझ से लाद दया है और इसक राजनी तक ज़ मेदा रय को पंगु बना
दया है। काफ़ कुछ ईरान क ही तरह इज़रायल ने बाद म अपनी भूराजनी तक थ त को
सफल यु लड़कर नह , ब क सै य जो खम को टालकर सुधारा है। जहाँ यु ने इराक़,
सी रया और ली बया म मौजूद इज़रायल के पूव श ु को उजाड़ दया, वह इज़रायल
अलग-थलग बना रहा। सी रयाई गृह यु म न उलझना नेतनया क (माच 2018 तक
क ) उ चत ही सबसे बड़ी राजनी तक उपल ध रही है। अगर इज़रायल के सुर ा बल
चाहते, तो वे डमे कस पर ह ते भर के भीतर क़ ज़ा कर सकते थे, ले कन इससे इज़रायल
को या हा सल होता? इज़रायल के सुर ा बल के लए गाज़ा को जीतना और हमास क
शासन- व था को पद युत कर दे ना इससे भी यादा आसान था, ले कन इज़रायल ऐसा
करने से लगातार इंकार करता रहा। अपनी सारी सै य श और इज़रायली राजनेता
क यु क सारी घ स के बावजूद इज़रायल जानता है क यु से कुछ ख़ास हा सल नह
होगा। संयु रा य अमे रका, चीन, जमनी, जापान और ईरान क ही तरह इज़रायल इस
बात को समझता लगता है क इ क सव सद म सबसे कामयाब रणनी त कसी का प
लए बना सर को आपके लए लड़ने दे ना है।
े े ई े
े म लन से दखाई दे ता नज़ारा
कसी महाश ारा इ क सव सद म कया गया अब तक का सबसे कामयाब क़ ज़ा
मया पर स क वजय का रहा है। फ़रवरी 2014 म सी सेना ने पड़ोसी उ े न
पर हमला कया और मयाई ाय प पर क़ ज़ा कर लया, जसे बाद म स के
अ धकार- े म ले लया गया। कोई ख़ास लड़ाई लड़े बना स ने रणनी तपरक ढं ग से
एक मह वपूण े को ह थया लया, अपने पड़ो सय के दल म दहशत पैदा कर द ,
और वयं को एक बार फर व -श के प म था पत कर लया, ले कन यह जीत
कुछ असाधारण प र थ तय क वज़ह से स भव हो सक थी। स के त न तो
उ े नयाई सेना ने कोई तरोध बरता और न ही थानीय आबाद ने, और वह सरी
श याँ इस संकट म सीधा ह त ेप करने से बचती रह । इन प र थ तय को नया म
कसी भी जगह पैदा करना मु कल होगा। अगर एक सफल यु क पूवशत
आ मणकारी को तरोध दे ने को तैयार शु का न होना है, तो यह थ त उपल ध
अवसर को ग भीर प से सी मत कर दे ती है।
सचमुच ही, जब स ने अपनी इस मयाई सफलता क नक़ल उ े न के सरे
ह स म करने क को शश क , तो उसको ख़ासे स त वरोध का सामना करना पड़ा,
और पूव उ े न का यु नरथक ग तरोध म उलझकर रह गया। इससे भी बदतर बात
(मॉ को के प र े य म) यह ई है क यु से उ े न म स- वरोधी भावनाएँ भड़क चुक
ह और उसने उस दे श को एक दो त क जगह क र मन म बदल दया है। जस तरह
पहले खाड़ी यु क कामयाबी ने संयु रा य अमे रका के मन म इराक़ म असा य
कामयाबी का लालच जगाया था, उसी तरह हो सकता है मया क सफलता ने स के
मन म उ े न म असा य कामयाबी का लालच जगाया हो।
इ क सव सद के शु आती दौर के स के कॉकेसस और उ े न के यु को साथ
रखकर दे खने पर उनको बमु कल ही सफल यु क सं ा द जा सकती है, हालाँ क इन
यु ने स क त ा को महाश के प म बढ़ावा दया है, ले कन उ ह ने स के
त अ व ास और श ुता म भी इज़ाफ़ा कया है, और आ थक से वे घाटे के उ म
सा बत ए ह। मया के पयटक-सैरगाह और लुहा क तथा दोने क के सो वयत-युग
के जजर कारख़ाने यु पर ख़च कए गए धन क क़ मत क भरपाई नह कर पाते, और
वे पूँजी के पलायन तथा अ तररा ीय तब ध के प म चुकाई गई क़ मत क भरपाई
तो न य ही नह कर पाते। सी नी त क सीमा को समझने के लए हम सफ़
शा तपूण चीन क पछले बीस वष क वपुल आ थक ग त क तुलना इसी दौर के
‘ वजेता’ स के आ थक ग तरोध से करने भर क ज़ रत है।
मॉ को के शौयपूण दाव के बावजूद सी कुलीन वग वयं ही स भवतः अपने सै य
कारनाम क वा त वक क़ मत और लाभ को अ छ तरह-से समझता है, और यही वज़ह
है क वह अभी तक इन कारनाम को और अ धक ग त न दे ने के त सावधानी बरतता
रहा है। स कूलयाड-बुली स ा त का अनुसरण करता रहा हैः ‘सबसे कमज़ोर ब चे
को पकड़ो, और इतना यादा मत पीटो क अ यापक को दख़ल दाज़ी करनी पड़े।’ अगर
पु तन ने ता लन, पीटर द ेट या चंगेज़ ख़ाँ क तरह क भावना के साथ यु कए होते,
तो स के टक अगर वारसा और ब लन क ओर नह , तो तेज़ी-से बलीसी और क व क
ओर बढ़ गए होते, ले कन पु तन न तो चंगेज़ ह न ता लन। वे इस बात को कसी भी सरे
के मुक़ाबले बेहतर ढं ग से समझते लगते ह क इ क सव सद म सै य श र तक नह
जा सकती, और एक सफल यु छे ड़ने का अथ सी मत यु छे ड़ना ही है। यहाँ तक क
सी रया म भी, स क ू रतापूण हवाई गोलाबारी के बावजूद, पु तन यह सावधानी बरतते
रहे ह क वे अपने भाव को कम-से-कम बनाए रख, सर को ग भीरतापूवक लड़ने द,
और यु को पड़ोसी दे श म न फैलने द।
सचमुच, स के प र े य दे ख, तो हाल के वष क इसक सारी क थत आ ामक
कारवाइयाँ कसी नए वै क यु क पहल करने वाली रणनी तयाँ नह रही ह, इसक
बजाय वे संवेदनशील मोचाब दय को मज़बूत करने क को शश ही रही ह। सी उ चत
ही इस ओर संकेत कर सकते ह क 1980 के दशक के बाद के वष तथा 1990 के दशक
के शु आती वष म उनक सेना के वापस लौटाने क कारवाइय को परा जत श ु क
तरह दे खा गया था। संयु रा य अमे रका और नाटो (नॉथ अटलां टक ट
ऑगनाइज़ेशन) ने स क कमज़ोरी का फ़ायदा उठाया, और वपरीत आ ासन के
बावजूद नाटो के व तार म पूव यूरोप, और पूव सो वयत गणरा य तक को समेट लया।
प म लगातार म य पूव म स के हत क अनदे खी करता रहा, उसने स दे हा पद
बहान के आधार पर स बया और इराक़ पर हमले कए, और ापक तौर पर स के
सामने यह बात ब त प कर द थी क वह प मी घुसपैठ से अपने भाव- े का
बचाव करने के लए अपनी ख़ुद क सै य-श पर ही भरोसा कर सकता है। इस प र े य
से, हाल के वष क सी कारवाइय के लए जतना ला दमीर पु तन को दोषी ठहराया
जा सकता है, उतना ही बल लंटन और जॉज ड यू बुश को भी ठहराया जा सकता है।
बेशक, जॉ जया, उ े न और सी रया म सी सै य कारवाइयाँ अभी भी कह यादा
बड़े सा ा यवाद अ भयान के आर भक धमाके सा बत हो सकती ह। बावजूद इसके क
पु तन ने अभी तक व वजय क क ह संजीदा योजना के मंसूबे नह पाले ह, तब भी
कामयाबी उनक मह वाकां ा को हवा दे सकती है, ले कन यह याद रखना भी उ चत
होगा क पु तन का स ता लन के यूएसएसआर के मुक़ाबले ब त कमज़ोर है, और जब
तक मसलन चीन जैसे दे श उसके साथ नह हो जाते, तब तक वह पूण वक सत व यु
को तो छोड़ ही द, एक नए शीत यु को भी नह साध सकता। स क आबाद 15
करोड़ है और सकल घरेलू उ पाद (जीडीपी) 4 लयन डॉलर है। यह अपनी आबाद
और उ पादन दोन ही मामल म संयु रा य अमे रका (जहाँ क आबाद 32.5 करोड़
और जीडीपी 19 लयन डॉलर है) और यूरोपीय यू नयन ( जसक कुल आबाद 50
करोड़ और जीडीपी 21 लयन डॉलर है) के सामने बौना पड़ जाता है। संयु रा य
अमे रका और यूरोपीय यू नयन क संयु आबाद स से पाँच गुना यादा है, और
उनका सकल घरेलू उ पाद स से दस गुना यादा है।
हाल ही क ौ ो गक य घटना ने इस अ तराल को उससे यादा बढ़ा दया है,
जतना वह दखाई दे ता है। यूएसएसआर बीसव सद के म य म अपनी पराका ा पर
प ँचा था, जब भारी उ ोग वै क अथ व था क रेल के इंजन आ करते थे, और
सो वयत के कृत व था ने ै टर , क , टक और अ तरमहा पीय ेपा के े
म े ता हा सल कर ली थी। आज सूचना ौ ो गक तथा जैव ौ ो गक भारी उ ोग से
यादा मह वपूण ह, ले कन वह इनम से कसी म भी आगे नह है, हालाँ क इसके पास
साइबर यु क भावशाली मताएँ ह, ले कन उसके पास असै नक आईट से टर का
अभाव है, और इसक अथ व था ज़बरद त ढं ग से ाकृ तक संसाधन , वशेष प से
तेल और गैस पर नभर है। यह सब मु -भर कुलीन को स प बनाने के लए तो पया त
हो सकती ह और पु तन को स ा म बनाए रख सकती ह, ले कन यह ड जटल या
जैव ौ ो गक य ह थयार क होड़ म जीतने के लए नाकाफ़ है।
इससे भी यादा मह वपूण यह है क पु तन के स के पास कसी सावभौ मक
वचारधारा का अभाव है। शीत यु के दौरान यूएसएसआर के पास सा यवाद के वै क
आकषण, और उसी के साथ-साथ रेड आम क वै क प ँच का भरोसा आ करता था।
इसके वपरीत पु तनवाद के पास यूबाइय , वयतना मय या ांसीसी बु जी वय को
दे ने लायक़ लगभग कुछ भी नह है। नरंकुश रा वाद भले ही सचमुच नया म फैल रहा
हो, ले कन यह अपने वभाव से ही आ त रक तौर पर जुड़ सकने वाले क ह खेम को
था पत करने क से अनुकूल नह है। जहाँ पो लश सा यवाद और सी सा यवाद,
दोन कम-से-कम सै ा तक तौर पर, सावभौ मक हत और एक अ तररा ीय कामगार
वग के त वचनब थे, वह पो लश रा वाद और सी रा वाद पा रभा षक तौर पर ही
पर पर- वरोधी हत के त वचनब ह। जैसे ही पु तन का उ थान पो लश रा वाद के
उभार को भड़काएगा, वैसे ही यह चीज़ पोलड को पहले से यादा स- वरोधी बना दे गी।
इस लए स ने हालाँ क नाटो और यूरोपीय यू नयन को तोड़ने के उ े य से झूठ
ख़बर और सा ज़श के एक वै क अ भयान क शु आत क है, ले कन इसक कोई
स भावना दखाई नह दे ती क यह भौ तक वजय के कसी वै क अ भयान क शु आत
करने वाला है। आप उ मीद कर सकते ह - कसी हद तक वा जब उ मीद - क मया
का अ ध हण और जॉ जया तथा उ े न म सी घुसपैठ यु के एक नए दौर के अ त
बनने क बजाय बरले उदाहरण ही बने रहगे।

यु जीतने को लु त हो चुक कला


इ क सव सद म महाश य के लए सफल यु छे ड़ पाना इतना मु कल य हो गया
है? एक कारण तो अथ व था क कृ त म आया बदलाव है। अतीत म, आ थक
प रस प याँ यादा भौ तक होती थ , इस लए यु म वजय हा सल कर ख़ुद को समृ
बनाना अपे ाकृत सरल उपाय था। अगर आप अपने श ु को यु -भू म म परा जत कर
दे ते थे, तो आप नगर को लूटकर, उनके नाग रक को ग़लाम के बाज़ार म बेचकर, और
गे ँ के मू यवान खेत और सोने क खदान पर क़ ज़ा करके लाभ कमा सकते थे। रोमन
ने ब धक बनाए गए ीक और गॉल को बेचकर ख़ुद को समृ कया था, और उ ीसव
सद के अमे रक कै लफ़ो नया क सोने क खदान और टै सास के पशु-फ़ाम पर क़ ज़ा
कर फले-फूले थे।
ले कन इ क सव सद म इन तरीक़ से सफ़ ु लाभ ही कमाया जा सकता है।
आज मुख आ थक प रस प य क रचना गे ँ के खेत , सोने क खदान या तेल के
े से नह , ब क तकनीक और सं था नक ान से होती है, और ान को आप यु से
तो नह ही जीत सकते। उदाहरण के लए इ ला मक टे ट जैसा कोई संगठन नगर और
म य पूव के तेल के कुँ को लूटकर समृ हो सकता है। उ ह ने इराक़ के बक से 50
करोड़ डॉलर लूटे थे और 2015 म तेल बेचकर 50 करोड़ अ त र डॉलर कमाए थे,
ले कन मसलन चीन या संयु रा य अमे रका जैसी एक महाश के लए यह ब त
तु छ-सी रक़म है। इसक कोई स भावना नह है क 20 लयन से यादा के सालाना
जीडीपी वाला चीन कुछ अरब क ख़ा तर यु क शु आत करे। जहाँ तक संयु रा य
अमे रका के ख़लाफ़ यु पर खरब डॉलर झ कने का सवाल है, तो चीन इन ख़च को
चुकता कैसे करेगा और यु से ए सारे नुक़सान तथा बबाद हो चुके ापा रक अवसर
क भरपाई कैसे करेगा? या वजेता पीप स लबरेशन आम स लकॉन वैली क स पदा
को लूटेगी? सही है क ऐपल, फ़ेसबुक और गूगल जैसे त ान सैकड़ अरब डॉलर का
मू य रखते ह, ले कन इस स प य पर आप बल योग से क़ ज़ा नह कर सकते।
स लकॉन वैली म स लकॉन क कोई खदान नह ह।
एक कामयाब यु सै ा तक तौर पर अभी भी वजेता को वै क ापार व था
को अपने प म मोड़ने म स म बनाकर भारी लाभ प ँचा सकता है, जैसा टे न ने
नेपो लयन को जीतकर कया था और संयु रा य अमे रका ने हटलर पर वजय ा त
कर कया था, ले कन सै य ौ ो गक के बदलाव ने इ क सव सद म इन करतब को
दोहराना मु कल बना दया है। एटम बम ने कसी व यु म जीत को सामू हक
आ मह या म बदल दया है। यह कोई संयोग नह है क हरो शमा के बाद से महाश य
ने सीधे-सीधे एक- सरे से कभी यु नह कए, और वे केवल उ ह टकराव म उलझ ,
जनम (उनके स दभ म) ब त कम दाँव पर लगा था। वा तव म, मसलन उ र को रया
जैसी सरे दजे़ क परमाणु श पर हमला करना भी एक अ य त अनाकषक ख़याल है।
यह ख़याल ही ख़ौफ़नाक है क अगर कम प रवार को सै य पराजय का सामना करना
पड़ा, तो वह या कर सकता है।
साइबर यु थ तय को स भा वत सा ा यवा दय के लए और भी बदतर बना दे ता
है। रानी व टो रया और मै सम ब क़ के पुराने यादगार दन म तानी फ़ौज मैनचे टर
और ब मघम क शा त को ख़तरे म डाले बना कसी सु र रे ग तान म फ़ज़ी-वज़ी
क़बील का नरसंहार कर सकती थी। यहाँ तक क जॉज ड यू. बुश के ज़माने तक म
संयु रा य अमे रका बग़दाद और फ़ लुजाह म तबाही मचा सकता था, जब क इरा क़य
के पास सैन ां स को या शकागो के ख़लाफ़ बदले क कारवाई करने का कोई उपाय
नह था, ले कन अगर आज संयु रा य अमे रका कसी ऐसे मु क पर हमला करे,
जसके पास साइबर यु क सी मत मताएँ भी ह , तो उस यु को च द म नट के
भीतर कै लफ़ो नया या इ लनॉय म लाया जा सकता है। मालवेयर और लॉ जक बम डलास
के हवाई यातायात को ठप कर सकते ह, फ़लाडे फ़या म े न को आपस म भड़ा सकते
ह, और म शगन क व ुत ड को व त कर सकते ह।
वजेता के महान युग म यु -कौशल कम नुक़सान और यादा मुनाफ़े का मसला
आ करता था। 1066 म है टं स क लड़ाई म व लयम द कांकरर ने कुछ हज़ार लोग
क मौत क क़ मत चुकाकर एक दन म समूचे इं लड को ह थया लया लया था। इसके
वपरीत, परमाणु ह थयार और साइबर यु यादा नुक़सान प ँचाने वाली और कम
मुनाफ़ा दे ने वाली ौ ो ग कयाँ ह। आप इन औज़ार का इ तेमाल पूरे-के-पूरे दे श को न
करने के लए तो कर सकते ह, ले कन इनक मदद से लाभदायक सा ा य खड़े नह कर
सकते।
इस लए सै य धम कय और टकराव से भरती जा रही इस नया म, हमारी शा त
क सबसे अ छ गारंट इस बात म है क बड़ी श य को कामयाब यु के हाल ही के
उदाहरण क जानकारी नह है। जहाँ चंगेज ख़ाँ या जू लयस सीज़र पलक झपकते कसी
बाहरी दे श को जीत लेते थे, वह मसलन आज के एद गन, मोद और नेतनया जैसे नेता
बात भले ही ब त बढ़-चढ़कर करते ह, ले कन सचमुच क लड़ाइयाँ छे ड़ने के मामले म
ब त सावधानी बरतते ह। हाँ, अगर इ क सव सद क प र थ तय के तहत कामयाब
लड़ाइय को छे ड़ने का कोई फ़ामूला कसी के हाथ लग जाए, तो मुम कन है नक के
दरवाज़े ब त तेज़ी के साथ खुल जाएँ। यही वह चीज़ है, जो मया म स क
कामयाबी को वशेष प से डरावने पूवाभास क श ल दे ती है। उ मीद करना चा हए क
यह एक अपवाद ही बना रहेगा।

मूखता को शोभाया ा
आह!, इ क सव सद म यु भले ही घाटे के सौदे बने रह, ले कन इससे हम शा त क
पूरी गारंट मलने वाली नह है। हम मनु य क बेवकूफ़ को कभी भी कम करके नह
आँकना चा हए। मनु य म गत और सामू हक, दोन ही तर पर आ मघाती
ग त व धय म ल त होने क वृ होती है।
1939 म यु धुरी रा (जमनी, इटली और जापान) के लए स भवतः अनु पादक
चाल थी, ले कन उसने नया क र ा नह क । सरे व यु क सबसे यादा च काने
वाली बात ये ह क परा जत श य ने यु के बाद जतनी समृ हा सल क , उतनी
उ ह ने कभी नह क थी। उनक सेना के स पूण वनाश और उनके सा ा य के
नता त व त हो जाने के बीस साल बाद जमन, इता वी और जापानी समृ के अपूव
तर पर जा प ँचे थे। तब फर वे यु म शा मल ही य ए? उ ह ने असं य लाख
लोग को अनाव यक मौत और वनाश म य झ का? यह महज़ एक मूखतापूण भूल थी।
1930 के दशक म जापानी जनरल, एड मरल, अथशा ी और प कार इस बात पर
सहमत थे क अगर को रया, मंचू रया और चीनी तट को नय ण म नह लया जाता, तो
जापान आ थक प से न य हो जाने के लए अ भश त होगा। वे सब ग़लत सोच रहे
थे। व तुतः, जापान के स आ थक चम कार क शु आत ही तब ई थी, जब जापान
ने अपने जीते ए सारे भू-भाग को गँवा दया था।
मनु य क बेवकूफ़ इ तहास क सबसे मह वपूण ताक़त म से एक है, ले कन हम
अ सर इसको ख़ा रज़ करने क ओर वृ होते ह। राजनेता, जनरल और अ येता नया
को शतरंज क एक महान बाज़ी क तरह बरतते ह, जहाँ हर चाल सावधानी के साथ
सोच- वचार कर कए गए आकलन के बाद चली जाती है। यह कसी हद तक उ चत है।
इ तहास के ब त कम नेता ऐसे रहे ह, जनको संकु चत अथ म पागल कहा जा सकता हो,
जो याद और घोड़ को कह भी चल दे ते ह । जनरल ताजो, स ाम सैन और कम
ज ग-इल ने जो भी चाल चल , उनम से हर चाल का उनके पास तकसंगत कारण था।
सम या यह है क नया शतरंज क बसात से कह यादा ज टल चीज़ है, और मनु य
क तकबु वा तव म इसको समझने म स म नह है। इसी लए ब त ववेकशील नेता
भी अ सर मूखतापूण हरक़त कर बैठते ह।
तब हम कसी व यु को लेकर कतना डरना चा हए? सबसे अ छा है क हम दो
अ तय से बच। एक ओर, यु न य ही अप रहाय नह है। शीतयु का शा तपूण
समापन सा बत करता है क जब मनु य सही फ़ैसले लेते ह, तो महाश य के टकराव
को भी शा तपूण ढं ग से सुलझाया जा सकता है। इसके अलावा, यह मानना नहायत ही
ख़तरनाक है क एक नया व यु अप रहाय है। यह वयं काया वत भ व यवाणी होगी।
जैसे ही दे श यह मान बैठते ह क यु अप रहाय है, वैसे ही वे अपनी फ़ौज को मज़बूत
करने लगते ह, तेज़ी के साथ ह थयार क होड़ शु कर दे ते ह, कसी भी टकराव पर
समझौता करने से इंकार कर दे ते ह, और स ावपूण चे ा पर स दे ह करते ए उनको
महज़ जाल म फँसाने क यु य क तरह दे खने लगते ह। इससे यु का भड़क उठना
सु न त हो जाता है।
सरी ओर, यह मानना बचकानापन होगा क यु अस भव है। अगर यु हर कसी
के लए वनाशकारी भी हो, तो भी कोई दे वता और कोई भी कु़दरती नयम मनु य क
बेवकूफ़ से हमारी र ा नह कर सकते।
इंसानी बेवकूफ़ का एक स भा वत इलाज वन ता क एक ख़ुराक है। रा ीय,
मज़हबी और सां कृ तक तनाव इस अहंकारपूण अनुभू त से बदतर प ले लेते ह क मेरा
रा , मेरा मज़हब और मेरी तहज़ीब नया म सबसे यादा मह वपूण ह। इस लए मेरे
हत को कसी भी सरे के हत से, या कुल मलाकर मानव-जा त के हत से ऊपर होना
चा हए। रा , मज़हब और तहज़ीब को हम कुछ यादा ावहा रक और नया म
उनक वा त वक जगह के स दभ म कुछ यादा वन कस तरह बना सकते ह?
12
वनयशीलता
आप नया के के नह ह

यादातर लोग ऐसा मानने क ओर वृ होते ह क वे नया का के ह, और उनक


सं कृ त मानव-इ तहास क धुरी क क ल है। ब त-से ीकवा सय का मानना है क
इ तहास क शु आत होमर, सोफ़ो लीज़ और लेटो के साथ ई थी, और सारे मह वपूण
वचार और ईजाद का ज म एथस, पाटा, अले ज़ या या कां ट टनोपल म आ था।
चीनी रा वाद तपाक से कह दे ते ह क इ तहास क शु आत वा तव म यलो ए परर और
शा और शग राजवंश के साथ ई थी, और पा ा य लोग , मुसलमान और ह ता नय
ने जो कुछ भी हा सल कया है, वह मूल चीनी ईजाद क फ क नक़ल से यादा कुछ नह
है।
ख़ुद को ह तान का मूल नवासी मानने वाले ह ची नय के इन दाव को ख़ा रज़
करते ह, और कहते ह क हवाई जहाज और परमाणु बम, आइं टाइन और राइट ब धु
को तो छोड़ ही द, क यू शयस और लेटो के भी पहले भारतीय उपमहा प म ाचीन
ऋ षय ारा आ व कृत कर लए गए थे। मसलन, या आप जानते ह क ये मह ष
भार ाज थे, ज ह ने रॉकेट और वायुयान का आ व कार कया था, व ा म ने
ेपा का न सफ़ आ व कार कया था, ब क उनका इ तेमाल तक कया था,
आचाय कणद अणु स ा त के जनक थे, और महाभारत म परमाणु अ का एकदम
ठ क-ठ क वणन कया गया है?
मज़हबी मुसलमान पैग़ बर मोह मद के पहले के सारे इ तहास को ापक तौर पर
बेतुका मानते ह, और वे मानते ह क कुरान के इ हाम के बाद का सारा इ तहास मु लम
उमाह ( व ापी मु लम समुदाय) के इद- गद च कर लगाता है। इस मामले म मु य
अपवाद तुक, ईरानी और म के रा वाद ह, जो यह मानते ह क मोह मद साहब के
पहले भी उनका अपना दे श मनु यता क तमाम अ छाइय का ोत रहा है, और यह क
कुरान के इ हाम के बाद भी मु यतः उनके ही समाज ने इ लाम क प व ता को सुर त
रखा है और उसक म हमा को व तार दया है।
कहने क ज़ रत नह क अँ ेज़, ांसीसी, जमन, अमे रक , सी, जापानी और
अन गनत सरे समुदाय भी इसी तरह यक़ न करते ह क उनके रा क वैभवशाली
उपल धय के बना मानव-जा त बबर और अनै तक अ ान के युग म रह रही होती।
इ तहास म कुछ लोग ने तो यहाँ तक क पना कर डाली है क उनक राजनी तक सं थाएँ
और मज़हबी आचार भौ तक के नयम तक के लए सारभूत अह मयत रखते ह। जैसे
क अ टे क का यह ढ़ व ास था क उनके ारा हर साल द जाने वाली क़बा नय के
बना सूय दय न आ होता और सारी सृ वघ टत हो गई होती।
ये सारे दावे झूठे ह। वे इ तहास के त वै छक अ ान और न लवाद के नरे संकेत
से यादा कुछ के म ण के नतीजे ह। जस व त इंसान ने नया को उप नवेशीकृत
कया था, वन प तय और पशु को पालतू बनाया था, थम नगर बसाए थे, या लेखन
और पैसे का आ व कार कया था, तब आज के ज़माने के कसी भी मज़हब या रा का
अ त व नह था। नै तकता, कला, आ या मकता और सृजना मकता मनु य क
सावभौ मक यो यताएँ ह, जो हमारे डीएनए म ही अ त न हत ह। उनक उ प पाषाण
युगीन अ का म ई थी। इस लए अपे ाकृत हाल के कसी दे श या काल के लए उनका
ेय दे ना मूढ़तापूण अहंकार है, चाहे वह दे श-काल यलो ए परर के ज़माने का चीन हो,
लेटो के ज़माने का यूनान हो, या मोह मद साहब के युग का अरब हो।
गत तौर पर म इस तरह के मूढ़तापूण अहंकार से ब त अ छ तरह वा कफ़ ँ,
य क मेरे अपने समुदाय के य द भी यही सोचते ह क वे नया के सबसे मह वपूण
लोग ह। आप कसी भी मानवीय उपल ध या आ व कार का नाम ल, और वे तुर त
उसका ेय ले लगे। और चूँ क म उनको क़रीब से जानता ँ, इस लए म यह भी जानता ँ
क वे इस तरह के दाव पर ईमानदारी से यक़ न करते ह। म एक बार इज़रायल म योग के
एक गु के पास गया, जसने अपनी पहली ही लास म पूरी संजीदगी के साथ बताया क
योग का आ व कार अ ाहम ने कया था, और योग क सारी बु नयाद मु ाएँ ह ू
वणमाला के अ र से नकली ह! ( लहाज़ा कोणासन ह ू अ र अलेफ और
तुलाद डासन ह ू अ र डे ड क नक़ल है।) अ ाहम ने इन मु ा क श ा अपनी
एक रखैल के बेटे को द थी, जसने ह तान जाकर ह ता नय को योग क श ा द
थी। जब मने इसका कुछ माण पेश करने को कहा, तो उस गु ने बाइबल के एक ह से
को उ त कया : “और अ ाहम ने अपनी रखैल के बेट को उपहार दए, और अभी जब
वे जी वत ही थे, तो उ ह ने अपने बेटे इसाक को पूरब क दशा म पूव मु क म भेजा था”
(जेने सस 25:6 )। आप या सोचते ह, ये या उपहार थे? इस तरह आप पाते ह क योग
तक का आ व कार दरअसल य दय ने कया था।
अ ाहम को योग का आ व कारक मानना एक साधारण-सी धारणा है, ले कन य द
मज़हब क मु यधारा क यह ढ़ मा यता है क समूचे ा ड का अ त व है ही
इस लए, ता क य द र बी अपनी प व पो थय का अ ययन कर सक, और यह क अगर
य द ऐसा करना ब द कर दगे, तो सृ का अ त हो जाएगा। अगर य शलम और
ुक लन के र बी तलमूद पर बहस करना ब द कर द, तो चीन, ह तान, ऑ े लया
और यहाँ तक क सु र आकाशगंगा तक का अ त व समा त हो जाएगा। यह
पर परावाद य दय क आ था का एक के य अनु छे द है, और जो भी कोई इस पर
शक करने क घृ ता करता है, उसको अ ानी मूख माना जाता है। से युलर य द इस
अहंकारपूण दावे को लेकर कुछ यादा शंकालु हो सकते ह, ले कन इतना वे भी मानते ह
क य द लोग इ तहास के के य नायक और मानवीय नै तकता, आ या मकता तथा
ान के परम ोत ह।
मेरे समुदाय के लोग म सं या और वा त वक भाव क से जो कमी है, इस तरह
क गु ता ख़य के मा यम से वे उसक पू त करने से यादा कुछ करते ह। चूँ क बाहरी
लोग क आलोचना करने क बजाय अपने लोग क आलोचना करना यादा
श ाचारपूण रवैया है, इस लए म य द मज़हब का उदाहरण यह दशाने के लए लूँगा क
इस तरह के अहंकारपूण बयान कतने हा या पद होते ह, और यह ज़ मेदारी म नया-
भर के पाठक पर छोड़ ँ गा क वे ही अपने समुदाय ारा फुलाए गए इस तरह के गु बार
को फोड़।

ायड क माँ
मेरी पु तक से पय स : अ ीफ़ ह ऑफ़ मनकाइंड इज़रायली जनता के लए मूलतः
ह ू म लखी गई थी। 2011 म इसके ह ू सं करण के काशन के बाद इज़रायली
पाठक ारा जो सबसे आम सवाल मुझसे कया गया, वह यह था क मने मानव जा त
के अपने इस इ तहास म य द मज़हब का कोई ख़ास ज़ य नह कया। मने
ईसाइयत, इ लाम और बौ धम के बारे म तो इतने व तार से लखा, ले कन य द
मज़हब और य द समाज को थोड़े-से श द म य नपटा दया? या मने मानव
इ तहास के लए कए गए उनके योगदान क जानबूझकर उपे ा क है? या म कसी
कु टल राजनी तक योजना से े रत रहा ँ?
इस तरह के सवाल उन इज़रायली य दय के मन म सहज ही पैदा होते ह जनको
कडरगाटन से ही इस तरह सोचने क सीख द गई होती है क य द मज़हब मानव-
इ तहास का सुपर टार है। इज़रायली ब चे आमतौर से व क ऐ तहा सक या क
कोई प तसवीर हा सल कए बना कूली श ा के बारह वष पूरे कर लेते ह। उनको
चीन, ह तान या अ का के बारे म लगभग कुछ नह पढ़ाया जाता, और वे हालाँ क
रोमन सा ा य, ांसीसी ा त और तीय व यु के बारे म पढ़ते ह, ले कन ये एक-
सरे अलग-थलग पहेली के टु कड़े उनको कसी ापक आ यान तक नह ले जाते।
इसक बजाय, इज़रायली श ा- णाली ारा द जाने वाली इ तहास क एकमा सुसंगत
श ा क शु आत ह ू के ओ ड टे टामट से होती है, जो बीच के दौर म इज़रायल से
बाहर रहे व भ य द समुदाय को छोड़ते ए सेकड टै पल ईरा तक जारी रहती है, और
य द वाद, होलोकॉ ट (य दय के वनाश), और इज़रायल रा य क थापना पर जाकर
समा त होती है। यादातर छा इस यक़ न के साथ कूल छोड़ते ह क मनु य के समूचे
क़ से का मु य कथानक न य ही यही होगा, य क जब छा रोमन सा ा य या
ांसीसी ा त के बारे म सुनते भी ह, तो क ा म होने वाली चचा इस पर होती है क
रोमन सा ा य ने य दय के साथ कस तरह बताव कया था या इस पर क ांसीसी
गणरा य म य दय क राजनी तक है सयत या आ करती थी। इस तरह क
ऐ तहा सक ख़ुराक पर पले लोग को इस वचार को पचाने म ब त मु कल पेश आती है
क नया पर य द मज़हब का अपे ाकृत ब त कम भाव पड़ा है।
ले कन स चाई यही है क य द मज़हब ने हमारी जा त के इ तहास म सफ़ मामूली
भू मका ही नभाई है। ईसाइयत, इ लाम और बौ धम से भ य द मज़हब हमेशा से ही
एक क़बीलाई धममत रहा है। इसके यान के के म एक छोटे -से रा क नय त और
थोड़ी-सी ज़मीन ही रही है, और तमाम सरे समाज और सरे दे श क नय त म इसक
ब त कम दलच पी रही है। उदाहरण के लए, यह जापान क घटना या भारतीय
उपमहा प के लोग क कोई ख़ास परवाह नह करता। इस लए यह आ य क बात नह
क इसक ऐ तहा सक भू मका ब त सी मत रही।
यह न य ही सही है क य द मज़हब ने ईसाइयत को ज म दया, और इ लाम के
ज म पर भाव डाला, जो इ तहास के दो सबसे यादा मह वपूण मज़हब ह, ले कन,
ईसाइयत और इ लाम क वै क उपल धय और उ ह के साथ-साथ ब त से गुनाह के
लए उनके अपराध-बोध का ेय य दय को नह , ब क वयं ईसाइय और मुसलमान
को जाता है। जस तरह धमयु के दौरान ई सामू हक ह या के लए य द मज़हब
को दोषी ठहराना नाजायज़ है (इसके लए ईसाइयत 100 % गुनहगार है), उसी तरह कोई
कारण नह है क य द मज़हब को इस मह वपूण ईसाई धारणा के लए ेय दया जाए
क ई र के सम सारे मनु य समान ह (एक ऐसी धारणा जो उस य द क र पर परावाद
के ठ क वपरीत जाती है, जो आज भी इस मा यता पर अ डग है क य द ज मजात प
से तमाम सरे मनु य से े ह)।
मानव-जा त के क़ से म य द मज़हब क भू मका कुछ-कुछ वैसी ही है, जैसी वह
आधु नक प म के इ तहास म ायड क माँ क है। यह ठ क हो या ग़लत, ले कन
आधु नक प म के व ान, सं कृ त, कला और लोक- ा पर ायड का अप र मत
भाव रहा है। यह भी सही है क ायड क माँ के बना हम ायड न मले होते, और
ायड के व, मह वाकां ा और धारणा को गढ़ने म अपनी माँ के साथ ायड
के र त का स भवतः काफ़ हद तक योगदान था - जैसा क उ ह ने ही इस बात को
सबसे पहले वीकार कया था, ले कन जब आधु नक प म का इ तहास लखा जाता है,
तो कोई उ मीद नह करता क उसम ायड क माँ पर एक पूरा अ याय हो। इसी तरह,
य द मज़हब के बना आपको ईसाइयत हा सल न ई होती, ले कन जब नया का
इ तहास लखा जाता है, तो यह त य ख़ास मह व का हक़दार नह होता। असल मु ा यह
है क ईसाइयत ने अपनी य द माँ क वरासत के साथ कया या है?
कहना न होगा क य द कौम व मयकारी इ तहास से यु एक अनूठ कौम है
(हालाँ क, यह यादातर कौम के मामले म सही है)। इसी तरह यह भी कहना न होगा क
य द पर परा गहरी अ त य और गौरवशाली मू य से प रपूण है (हालाँ क यह कुछ
स दे हा पद धारणा , और न लपरक, नारी- े षी और समल गक- े षी वृ य से भी
भरी ई है)। यह भी सच है क य द लोग ने अपनी सं या के अनुपात म पछले 2,000
साल के इ तहास पर ब त अ धक भाव डाला है, ले कन जब आप होमो से पय स के
आ वभाव के 100,000 वष से यादा समय के बाद के हमारे इ तहास क वृहत तसवीर
पर नज़र डालते ह, तो यह बात ज़ा हर होती है क इ तहास म य द लोग का ब त कम
योगदान रहा था। मनु य ने य द मज़हब के वजूद म आने के हज़ार साल पहले समूचे
ह को बसा लया था, कृ ष को अपना लया था, थम नगर क थापना कर ली थी,
और लेखन तथा पैसे का आ व कार कर लया था।
यहाँ तक क पछली दो सह ा दय म, अगर आप इ तहास को ची नय या मूल
नवासी अमे रकन इं डय स के प र े य से दे ख, तो ईसाइय और मुसलमान क
म य थता क माफ़त उनके योगदान के अलावा य दय के कसी बड़े योगदान को ल य
कर पाना मु कल है। नतीजतन, ह ू ओ ड टे टामट अ ततः वै क मानवीय सं कृ त क
आधार शला इस लए बन गया, य क इसे ईसाइयत ने पूरे उ साह से अपनाया और
बाइबल म समा व कया। इसके वपरीत, तलमूद को ईसाइयत ारा नकार दया गया,
हालाँ क उसका मह व य द सं कृ त के लए ओ ड टे टामट से ब त यादा है।
प रणामतः वह एक ऐसी गूढ़ पोथी बना रहा, जो जापा नय और माया का तो कहना ही
या, अरब , पोलडवा सय या डच के लए भी लगभग अ ात बना रहा। (जो क एक
बड़ी ासद है, य क तलमूद ओ ड टे टामट के मुक़ाबले कह अ धक च तनपरक और
क णामय पोथी है।)
या आप कसी ऐसी महान कृ त का नाम ले सकते ह, जो ओ ड टे टामट से े रत
हो? आह! यह आसान हैः माइकल एंजेल का मू त श प डे वड, वद का ऑपेरा नबुको,
से सल बी. डे. मल क फ़ म द टे न कमांडमट् स । या आप ऐसी कसी स कृ त का
नाम बता सकते ह, जो यू टे टामट से भा वत हो? ब त आसान है : लयोनाद का च
ला ट सॅपर, बाख़ क संगीत-रचना सट मै यू पैशॅन, म ट पायथन क फ़ म लाइफ़ ऑफ़
ेन । अब असली परी ा है : या आप कुछ ऐसी महान कलाकृ तय क सूची पेश कर
सकते ह, जो तलमूद से े रत ह ?
य प य दय के वे समुदाय, ज ह ने तलमूद का अ ययन कया है, अब नया के
बड़े ह से म फैले ह, ले कन उ ह ने चीनी सा ा य को खड़ा करने, खोज क यूरोपीय
या ा , लोकता क व था को था पत करने, या औ ो गक ा त म कोई
मह वपूण भू मका नह नभाई। स का, व व ालय, संसद, बक, क पास, छापाख़ाना
और भाप का इंजन, सब के सब ग़ैर-य दय ारा आ व कृत कए गए थे।

बाइबल के पहले क नै तक
इज़रायली अ सर ‘तीन महान मज़हब’ पद का इ तेमाल करते ह, तो यह सोचकर करते ह
क ये मज़हब ह, ईसाइयत (2.3 अरब अनुयायी), इ लाम (1.8 अरब अनुयायी) और
य द मज़हब (1.5 करोड़ अनुयायी)। श तो (5 करोड़ अनुयायी) और सख धम (2.5
करोड़ अनुयायी) क बात तो छोड़ ही द, एक अरब आ थावान वाले ह धम, और 50
करोड़ अनुया यय वाले बौ धम भी इस मानक पर खरे नह उतरते। इज़राय लय के मन
म ‘तीन महान मज़हब ’ क इस वकृत अवधारणा का अ भ ाय अ सर यह होता है क
सारी बड़ी मज़हबी और नै तक पर पराएँ य द मज़हब के गभ से उ प ई ह, जो क
सावभौ मक नै तक वधान क श ा दे ने वाला पहला मज़हब था। मानो अ ाहम और
मूसा से पहले के युग म मनु य कसी तरह क नै तक तब ता के बना कृ त क
हॉ सयाई अव था म रहते थे, और मानो सारी-क -सारी समकालीन नै तकता का ोत टे न
कमांडमट् स है। यह एक बेबु नयाद और अहंकारी धारणा है, जो नया क ब त-सी
अ य त मह वपूण नै तक पर परा क उपे ा करती है।
अ ाहम के द सय -हज़ार साल पहले पाषाण युग के शकारी-सं हकता क़बील क
नै तक व ध-सं हताएँ आ करती थ । जब अठारहव सद के बाद के वष म यूरोप के
पहले उप नवेशवाद ऑ े लया प ँचे थे, तो उनका सामना ऐसे मूल- नवासी क़बील से
आ, जनके पास मूसा, ईसा और मोह मद से पूरी तरह अन भ होने के बावजूद एक सु-
वक सत नै तक व थी। यह तक दे ना मु कल होगा क थानीय नवा सय को
हसक ढं ग से बेदख़ल करने वाले ईसाई उप नवेशवा दय ने क ह े नै तक मानद ड
का प रचय दया था।
आज के ज़माने के वै ा नक इस ओर यान दलाते ह क दरअसल, नै तकता क
गहरी वकासपरक जड़ ह, जनका अ त व मानव-जा त के अ युदय से लाख वष पहले
से रहा है। सारे सामा जक तनधा रय , जैसे क भे ड़य , डॉ फ़न और ब दर क नै तक
सं हताएँ ह, जो सामू हक सहकार को ो सा हत करने के लए वकास क या म
अनुकू लत कए गए ह। उदाहरण के लए, जब भे ड़य के शावक एक- सरे के साथ
खेलते ह, तो उनके ‘वा जब खेल’ के नयम होते ह। अगर कोई शावक यादा ज़ोर-से
काट लेता है, या अपने कसी ऐसे त को काटना जारी रखता है, जो अपनी पीठ के
बल लेट गया होता है और आ मसमपण कर चुका होता है, तो सरे शावक उसके साथ
खेलना ब द कर दे ते ह।
च पां ज़य के झु ड म वच वशाली सद य से कमज़ोर सद य के स प के
अ धकार का स मान करने क अपे ा क जाती है। अगर कसी कम उ क मादा
च पांज़ी को एक केला मल जाता है, तो धान नर भी आमतौर से उससे वह केला छ नने
से बचेगा। अगर वह इस नयम को तोड़ता है, तो इस बात क पूरी स भावना होती है क
वह अपनी है सयत खो दे । वानर- जा त के ाणी न सफ़ समूह के कमज़ोर सद य का
नाजायज़ फ़ायदा उठाने से बचते ह, ब क कभी-कभी स य प से उनक मदद भी
करते ह। कडोगो नामक एक बौना च पांज़ी नर, जो म वॉक काउंट च ड़याघर म
रहता था, दय क ग भीर बीमारी का शकार था, जसने उसको अश और स मत
बना दया था। जब वह पहली बार उस च ड़याघर म आया था, तो न तो उसको दशा- ान
था, न ही वह च ड़याघर क दे खभाल करने वाले य के नदश को समझ पाता था।
वे लोग अ सर कडोगो का हाथ पकड़ते थे, और वह जहाँ भी जाना चाहता था, उसको
वहाँ ले जाते थे। अगर कडोगो भटक जाता था, तो वह ऊँची आवाज़ म पुकारकर संकट
म होने के संकेत दे ता था, और कुछ वानर उसक मदद के लए भागते थे।
कडोगो के मु य मददगार म से एक झु ड का सव च ेणी का नर लोडी भी था,
जो कडोगो को न सफ़ मागदशन दे ता था, ब क उसक र ा भी करता था। जहाँ समूह
के लगभग सारे सद य कडोगो के साथ दया से प रपूण वहार करते थे, वह मफ़ नामक
एक कशोर च पांज़ी अ सर उसको बेरहमी के साथ छे ड़ता था। जब लोडी का यान इस
ओर जाता था, तो वह ऐसी गु डागद करने वाले को र खदे ड़ दे ता था, या कडोगो के
बचाव म उसको अपनी बाँह से घेर लेता था।
इससे भी यादा मा मक करण आइवरी को ट के जंगल म घ टत आ था। जब
ऑ कर के नाम से पुकारे जाने वाले एक नौजवान च पांज़ी ने अपनी माँ को खो दया, तो
उसने अपने बूते जी वत बने रहने का संघष कया। कोई भी सरी मादा उसको अपनाने
और पालने को तैयार नह थी, य क उनके सर पर अपने ही ब च पालने का बोझ था।
ऑ कर का वज़न, वा य और ऊजा धीरे-धीरे घटने लगी, ले कन जब कोई रा ता नह
बचा, तो ऑ कर को उस झु ड के मु खया नर, े डी ारा ‘गोद ले लया’ गया। यह
मु खया इस बात का पूरा ख़याल रखता था क ऑ कर ठ क-से खाए- पए, और वह
उसको अपनी पीठ पर बैठाकर घुमाता तक था। आनुवं शक परी ण ने इस बात को
सा बत कया क े डी ऑ कर का र तेदार नह था। हम इस बारे म सफ़ अटकल ही
लगा सकते ह क वह या चीज़ थी, जसने उस कठोर बुजग नेता को इस यतीम ब चे को
पालने के लए ो सा हत कया था, ले कन समझा जाता है क वानर नेता ने दयनीय,
ज़ रतम द और पता-हीन क मदद करने क वृ उसके लाख साल पहले वक सत
कर ली थी, जब बाइबल ने ाचीन इज़रायल-वा सय को नदश दया था क उनको
‘ कसी वधवा या पता-हीन ब चे के साथ वहार’ नह करना चा हए (ए सोडस
22:21 ), और जब पैग़ बर एमॉस ने उस सामा जक कुलीन वग के ख़लाफ़ शकायत क
थी ‘जो ग़रीब का दमन करते ह और ज़ रतम द के लए कुचलते ह’ (एमॉस 4:1 )।
यहाँ तक क ाचीन म यपूव म रहने वाले होमो से पय स के बीच भी बाइबल के
पैग बर अपूव नह थे। ‘आपको ह या नह करनी चा हए’ और ‘आपको चोरी नह करनी
चा हए’ के उपदे श से सुमे रयाई नगर-रा य, फ़ैरो के म और बे बलॉन के सा ा य क
व ध-सं हताएँ और नै तक-सं हताएँ भलीभाँ त प र चत थ । व ाम के नयतका लक
दन का वधान य द सैबथ से पहले से रहा है। पैग़ बर एमॉस ारा इज़रायली कुलीन
वग को उनके दमनशील वहार के लए फटकार लगाए जाने के एक हज़ार साल पहले
बे बलो नयाई राजा ह मूरबी ने प कया था क महान दे वता ने उसको ‘दे श के भीतर
यायपूण वहार करने, बुराई और राचरण का वनाश करने, ताक़तवर को कमज़ोर का
शोषण करने से रोकने का नदश दया था’।
इस बीच म म - मूसा के ज म के स दय पहले - ल पक ने ‘वाचाल कसान क
कहानी’ लख डाली थी, जो उस ग़रीब कसान के बारे म बताती है जसक स प एक
लालची भू मप त ारा छ न ली गई थी। वह कसान अपनी फ़ रयाद लेकर फ़ैरो के
अ धका रय के पास गया, और जब वे उसक र ा करने म वफल रहे, तो उसने उनको
यह समझाना शु कर दया क य उनको इंसाफ़ मुहैया कराना चा हए और ख़ासतौर से
ग़रीब क अमीर से र ा करनी चा हए। एक ब रंगी पक-कथा म, इस म वासी
कसान ने समझाया था क ग़रीब क थोड़ी-सी स प याँ उनक साँस जैसी होती ह, और
सरकारी त का ाचार उनके नथुन को मूँदकर, उनका दम घ ट दे ता है।
बाइबल के ब त-से वधान उन नयम क नक़ल ह, जो इज़रायल म जूडा के रा य
क थापना के स दय ही नह , ब क हज़ार साल पहले मेसोपोटे मया, म और कैनान
म वीकृत थे। अगर बाइबल के य द मज़हब ने इन व धय को कोई अनूठा मोड़ दया,
तो वह यह था क उसने उनको तमाम मनु य पर लागू होने वाले नयम क जगह मु यतः
य द समुदाय पर लागू होने वाली क़बाइली सं हता म बदल दया। य द नै तकता शु
म एक पूरी तरह से क़बाइली मामले के प म गढ़ गई थी, और वह कसी हद तक आज
भी वैसी ही बनी ई है। ओ ड टे टामट, तलमूद और ब त-से (हालाँ क, सभी नह ) र बी
यह मानते थे क एक य द का जीवन कसी ग़ैर-य द के जीवन से यादा मू यवान है,
इसी लए, मसलन, य दय को कसी य द को मौत से बचाने के लए सैबथ को शत
करने क इजाज़त है, ले कन महज़ कसी ग़ैर-य द को बचाने के लए इसक स त
मनाही है (बे बलो नयाई तलमूद, योमा 84:2 )।
कुछ य द स त का तक था क यह सु स धमादे श क ‘अपने पड़ोसी से उसी
तरह नेह करो, जस तरह ख़ुद से करते हो’ तक सफ़ य दय क ओर संकेत करता है,
और ग़ैर-य दय को नेह करने का कोई धमादे श नह है। सचमुच, ले व टकस का मूल
मज़मून कहता है : ‘अपने लोग के बीच कसी तरह क बदले या श ुता क भावना मत
रखो, ब क अपने पड़ोसी को उसी तरह नेह करो जस तरह ख़ुद से करते हो’
(ले व टकस 19:18 ), जससे यह स दे ह पैदा होता है क ‘अपने पड़ोसी’ सफ़ ‘अपने
लोग ’ क ओर संकेत करता है। इस स दे ह को ब त यादा बल इस बात से मला है क
बाइबल य दय को कुछ ख़ास समुदाय , जैसे क अमा लक़ और कना नय का स पूण
वनाश कर दे ने का धमादे श दे ता है : ‘एक भी इंसान को ज़ दा मत छोड़ो’, प व थ
आदे श दे ता है, ‘उनको पूरी तरह न कर दो - हटाइट , अमोराइट , कना नय , पे रज़ाइट ,
हवीइट और जेबुसाइट को - जैसा क मा लक यानी तु हारे ई र ने तु ह धमादे श दया
है’ ( ुटेरॉ नमी 20:16-17 )। ये मानव इ तहास के पहले द तावेज़ीकृत उदाहरण ह,
जहाँ जा तसंहार को एक ब धनकारी मज़हबी कत के प म तुत कया गया था।
ये सफ़ ईसाई ही थे, ज ह ने य द नै तक सं हता के कुछ ह स को चुनकर उनको
सावभौ मक धमादे श म बदल दया और उनको सारी नया म फैला दया। सचमुच,
ईसाइयत ठ क इसी वज़ह से य द मज़हब से अलग ई थी। जहाँ ब त-से य द आज
दन तक ऐसा मानते ह क तथाक थत ‘चु न दा लोग’ सरे रा क तुलना म ई र के
यादा क़रीब ह, वह ईसाइयत के सं थापक सट पॉल द अपासल ने अपने स
इ पसल टु द गैले शय स म त ा क थी क ‘न तो कोई य द है न ग़ैर-य द , न कोई
ग़लाम है न कोई आज़ाद है, और न ही कोई नर या मादा है, य क ईसा मसीह म तुम सब
एक हो’ (गैले शय स 3:28 )।
और हम एक बार फर इस बात पर बल दे ना चा हए क ईसाइयत के अप र मत
भाव के बावजूद, यह पहली बार नह था, जब कसी मनु य ने सावभौ मक नै तकता क
श ा द थी। बाइबल र- र तक मानवीय नै तकता का कु ड नह है (और उसम न हत
ब त-से न लपरक, नारी- े षी और समल गकता-भी वृ य को दे खते ए, यह
सौभा य क बात ही है)। क यू शयस, लाओज़ी, बु और महावीर ने कैनान या
इज़रायल के पैग़ बर के बारे म कसी तरह क जानकारी के बग़ैर पॉल और ईसा के ब त
पहले सावभौ मक नै तक सं हता को था पत कर दया था। क यू शयस ने यह सीख
क हम सर से उसी तरह नेह करना चा हए जस तरह हम वयं को करते ह, उसके
500 साल पहले द थी, जब र बी हलेल द ए डर ने इसे टोरा का मूल त व बताया था।
और जस व त य द मज़हब पशु क ब ल और मनु य क स पूण आबाद के संहार
का अ धकार दे रहा था, तब बु और महावीर अपने अनुया यय को न सफ़ सारे मनु य
को, ब क क ड़ समेत कसी भी चेतन स ा को नुक़सान प ँचाने से बचने का नदश दे
रहे थे। इस लए य द मज़हब और उसक स तान , ईसाइय और मुसलमान को मानवीय
नै तकता क सृ का ेय दे ने का कोई अथ नह है।

धमा धता का ज म
तब फर एके रवाद के बारे म या कहा जाए? या कम-से-कम एकमा ई र म आ था
क अगुवाई करने के लए य द मज़हब वशेष सराहना का पा नह है, एक ऐसा ई र,
जसक नया म अ य कह भी कोई मसाल नह थी (भले ही पृ वी के चार कोन म
इस आ था का चार य दय से यादा ईसाइय और मुसलमान ने कया)? हालाँ क, हम
इसक भी नु ताचीनी कर सकते ह, य क एके रवाद का पहला प माण ईसापूव
1350 के आसपास फ़ैरो अ नातेन क मज़हबी ा त म मलता है, और मसलन मेशा
टे लए नामक शलालेख ( जसे मोआबी स ाट मेशा ने था पत कया था) जैसे द तावेज़
संकेत करते ह क बाइबल-युगीन इज़रायल का मज़हब मोआब जैसे उसके पड़ोसी रा य
के मज़हब से भ नह था। मेशा अपने महान दे वता क मोश का वणन लगभग उस तरह
करता है, जस तरह ओ ड टे टामट यावे का वणन करता है, ले कन य द मज़हब ारा
नया के लए एके रवाद का योगदान कए जाने क धारणा के साथ असल सम या यह
है क यह कोई ऐसी धारणा नह है, जस पर गव कया जाए। नै तक के स दभ म,
एके रवाद न स दे ह मानवीय इ तहास क सबसे नकृ अवधारणा म से एक है।
मनु य के नै तक तर म सुधार लाने के लए एके रवाद ने कोई ख़ास योगदान नह
कया। या आपको वाक़ई लगता है क मुसलमान वाभा वक प से ह से यादा
नै तक ह, महज़ इस लए क मुसलमान एक ई र म व ास करते ह, जब क ह ब त-
से दे वता म व ास करते ह? या ईसाई वजेता अमे रका के मूल नवासी पेगन
क़बील से यादा नै तक थे? जो काम एके रवाद ने न स दे ह कया, वह यह था क
उसने ब त-से लोग को पहले से यादा अस ह णु बनाया, और इस तरह मज़हबी
उ पीड़न और धमयु के व तार म योगदान कया। ब दे ववाद इस बात को पूरी तरह
से वीकाय मानते ह क व भ लोग व भ दे वता क उपासना कर और व भ
अनु ान और कमका ड का पालन कर। उ ह ने महज़ अपनी धा मक आ था क
वज़ह से शायद ही कभी लड़ाइयाँ क ह , अ याचार कए ह , या लोग क ह याएँ क ह ।
इसके वपरीत एके रवाद यह मानते थे क उनका ई र ही एकमा दे वता है, और वह
सावभौ मक आ ाका रता क माँग करता है। प रणामतः, जैसे-जैसे ईसाइयत और इ लाम
सारी नया म फैलते गए, वैसे-वैसे धमयु , जहाद, धमपरी ण और धा मक प पात भी
फैलते गए।
उदाहरण के लए, ईसा पूव तीसरी सद के भारत के स ाट अशोक के रवैये क तुलना
रोमन सा ा य के ईसाई स ाट से कर। स ाट अशोक अन गनत धम , प थ और गु
से भरे सा ा य पर शासन कर रहा था। उसने वयं को ‘दे वानाम यः’ और ‘सब लोग
को य समझने वाला’ क उपा धयाँ दे रखी थ । ईसापूव 250 के आस-पास कभी उसने
स ह णुता का एक शाही फ़रमान जारी कया था, जसम घोषणा क गई थी :

दे वानाम यः स ाट जो सब लोग को य समझता है, वह सारे धम के


सं या सय और गृह थ , दोन का स मान करता है… और इस बात को मह व
दे ता है क सारे धम के आधारभूत त व का वकास होना चा हए। इन आधारभूत
त व का वकास व भ तरीक़ से कया जा सकता है, ले कन उन सभी म
मूलतः वाणी का संयम होना आव यक है, यानी, अपने धम क सराहना न करना,
या हत के कसी येय के बना सर के धम क न दा न करना…जो भी कोई
अ तशय भ भाव के कारण अपने धम क सराहना करता है, और सरे के धम
क यह सोचकर न दा करता है क ‘मुझे अपने धम क म हमा का बखान करना
चा हए’, वह अपने ही धम क हा न करता है। इस लए धम के बीच स पक शुभ
है। हम सर ारा चा रत धम स ा त को सुनना चा हए और उनका स मान
करना चा हए। दे वानाम यः, स ाट जो सब लोग को य समझता है,
आकां ा करता है क सभी लोग को सरे धम के स ा त का अ छा ान
होना चा हए।

पाँच सौ साल बाद पूव रोमन सा ा य उतना ही व वधता से भरा था, जतना अशोक
का भारत था, ले कन जब ईसाइयत ने उसे सँभाला, तो उसके स ाट ने धम के त
ब कुल भ कोण अपनाया। कॉ टे ट न द ेट और उसके बेटे कॉ टे टयस II के
साथ ही सारे स ाट ने सारे ग़ैर-ईसाई पूजा- थल को ब द करवा दया और तथाक थत
‘पेगन’ अनु ान को व जत करते ए उनके लए मौत क सज़ा का कारण घो षत कर
दया। स ाट थयोडो सयस - जसके नाम का मतलब है ‘ई र- द ’ - के काल म यह
उ पीड़न अपनी पराका ा पर प ँच गया था, जसके ारा 391 म जारी कए गए
थयोडो सयाई फ़रमान ने ईसाइयत और य द मज़हब के अलावा सारे मज़हब को
ग़ैरक़ानूनी घो षत कर दया था (य द मज़हब पर भी कई तरह से अ याचार कए जाते थे,
ले कन उसका पालन क़ानूनी बना रहा)। इन नए क़ानून के मुता बक़ कसी को
अपने घर के भीतर भी यु पटर या म ास क उपासना करने पर मृ युद ड दया जा
सकता था। सा ा य को सारी वधम वरासत से मु करते ए उसका शु करण करने
क इस मु हम के ह से के तौर पर ईसाई स ाट ने ओल पक खेल का भी दमन कया।
एक हज़ार साल से भी यादा समय तक ज के साथ आयो जत कए जाने के बाद
अ तम ाचीन ओल पयाड चौथी सद के आ ख़र म या आर भक पाँचव सद के आस-
पास कभी आयो जत कया गया था।
बेशक, सारे-के-सारे एके रवाद शासक थयोडो सयस जतने अस ह णु नह थे,
जब क ब त-से शासक ने अशोक जैसी उदार नी तय को अपनाए बना ही एके रवाद
को नकार दया था। तब भी, इस बात पर ज़ोर दे ते ए क ‘हमारे ई र के अलावा और
कोई ई र नह है’ एके रवाद वचार धमा धता को ो सा हत करने क ओर वृ आ।
य दय ने इस ख़तरनाक वृ को फैलाने म अपनी भू मका को कम बनाए रखा। उ ह ने
ईसाइय और मुसलमान को इसके लए ज़ मेदार बनने दया।

य द भौ तक , ईसाई जै वक
सफ़ उ ीसव और बीसव स दय म ही हम य दय को, आधु नक व ान म उनक
व तृत भू मका के मा यम से, स पूण मानव-जा त के लए असाधारण योगदान करते
दे खते ह। आइं टाइन और ायड जैसे सु व यात नाम के अ त र नोबेल पुर कार
जीतने वाले सारे वै ा नक म से 20 % वै ा नक य द रहे ह, हालाँ क व क कुल
आबाद का 0.2 % ह सा ही य द है। ले कन इस बात पर ज़ोर दया जाना ज़ री है क
यह एक मज़हब या सं कृ त के प म य द मज़हब का नह , ब क य द य का
योगदान रहा है। पछले 200 वष म सबसे यादा मह वपूण य द वै ा नक य द
मज़हबी े के बाहर स य रहे ह। सच तो यह है क य दय ने व ान के े म
मह वपूण योगदान क शु आत तभी क , जब उ ह ने योगशाला के प म ये शवा
(वे श ा-सं थान, जहाँ मु यतः य द धम थ तलमूद का अ ययन कया जाता है) को
याग दया।
1800 से पहले तक व ान पर य द भाव सी मत था। यह वाभा वक ही है क
चीन म, ह तान म या माया स यता म य दय ने व ान क ग त म कोई ख़ास
उ लेखनीय भू मका नह नभाई। यूरोप और म य पूव म मैमोनाइड् स जैसे कुछ य द
च तक का उनके ग़ैर-य द सहक मय पर ख़ासा भाव रहा, ले कन सम तः य द
भाव कमोबेश उनक जनसं या के अनुपात म ही रहा। सोलहव , स हव और
अठारहव स दय के दौरान य द मज़हब ने वै ा नक ा त के व फोट म कोई ख़ास
भू मका नह नभाई। अगर पनोज़ा को छोड़ द ( जनको उनके ारा पैदा क गई
मु कल क वज़ह से य द समुदाय ारा समाज-ब ह कृत कर दया गया था), तो आप
शायद ही ऐसे कसी एक य द का नाम ले सक, जो आधु नक भौ तक , रसायन-शा ,
जीव व ान या समाज व ान के उदय के स दभ म मह वपूण रहा हो। हम नह जानते क
गैले लयो और यूटन के ज़माने म आइं टाइन के पूवज या कर रहे थे, ले कन पूरी
स भावना है क वे काश का अ ययन करने क बजाय तलमूद का अ ययन करने म
यादा दलच पी लेते रहे ह गे।
महान प रवतन उ ीसव और बीसव स दय म जाकर ही घ टत आ, जब
से युलराइज़ेशन और य द ानोदय क वज़ह से ब त-से य दय ने अपने ग़ैर-य द
पड़ो सय क व और जीवन-शैली अपनाई। इसके बाद ही य दय ने
व व ालय और जमनी, ांस और संयु रा य अमे रका जैसे दे श के अनुस धान-
के म दा ख़ला लेना शु कया। य द अ येता घेटो (य द ब तय ) और टे टल
(य द नगर ) से मह वपूण सां कृ तक वरासत लेकर आए थे। य द वै ा नक क
असाधारण सफलता क मु य वज़ह यह थी क य द सं कृ त म श ा का के य मू य
था। इसके सरे कारक म उ पी ड़त अ पसं यक क अपनी क़ा ब लयत सा बत करने
क आकां ा, और वे अवरोध शा मल थे, ज ह ने तभाशाली य दय को सेना और
रा य- शासन जैसी उन सं था म ग त करने से रोका था, जो यादा य द - वरोधी
रही थ ।
ले कन जहाँ य द वै ा नक ये शवा से अपने साथ ज़बरद त अनुशासन और ान
के मू य म गहरी आ था लेकर आए, वह वे ठोस वचार और अ त य का कोई ऐसा
सामान नह लाए, जो मददगार होता। आइं टाइन य द थे, ले कन सापे ता का स ा त
‘य द भौ तक ’ नह था। टोरा क प व ता म आ था का इस अ त से या स ब ध है
क ऊजा, (मास) के साथ काश क घनाकार ग त के गुणनफल के बराबर होती है?
तुलना क ख़ा तर बात कर तो डा वन एक ईसाई थे और और उ ह ने एं लकन पादरी
बनने के उ े य से कै ज म पढ़ाई तक शु कर द थी, ले कन या इससे यह मतलब
नकलता है क वकासवाद का स ा त एक ईसाई स ा त है? सापे ता के स ा त को
मानव-जा त के लए य द योगदान क तरह दज़ करना उसी तरह हा या पद है, जस
तरह वकासवाद के स ा त का ेय ईसाइयत को दे ना हा या पद है।
इसी तरह, ट् ज़ हैबर (रसायनशा म नोबेल पुर कार, 1918 ) ारा अमो नया
सं ेषण क या के आ व कार म कोई वशेष य द पन दे खना मु कल है, सेलमैन
वॉ समेन ( फ़ ज़योलॉजी या मेडीसन म नोबेल पुर कार, 1952 ) ारा े टोमाइ सन
एंट बॉयो ट स क खोज म कोई वशेष य द पन दे खना मु कल है, या डैन शे मैन
(रसायनशा म नोबेल पुर कार, 2011 ) ारा वासी ट स क खोज म कोई वशेष
य द पन दे खना मु कल है। मान वक और समाज व ान के े के अ येता , जैसे क
ायड के करण म उनक य द वरासत का उनक अ त य पर स भवतः अ धक
गहरा भाव था, ले कन इन करण म भी व छ ता जी वत क ड़य के मुक़ाबले यादा
प है। इंसानी मानस के बारे म ायड के कोण र बी जोसेफ़ कारो या र बी योचनन
बेन ज़काई के कोण से ब त भ थे, और इन लोग ने शुलहन अ ख़ (य द व ध-
सं हता) का बारीक़ -से अनुशीलन करते ए इ डपस कॉ ले स क खोज नह क थी।
सं ेप म, य प ानाजन पर दए गए य दय के बल ने स भवतः य द वै ा नक
क असाधारण सफलता म मह वपूण योगदान कया, ले कन ये ग़ैर-य द च तक ही थे,
ज ह ने आइं टाइन, हैबर, और ायड क उपल धय के लए न व तैयार क । वै ा नक
ा त कोई य द प रयोजना नह थी, और य दय ने इसम अपनी जगह तब बनाई, जब
वे ये शवा से नकलकर व व ालय म गए। सच तो यह है क ाचीन पो थय को
पढ़कर सारे सवाल का जवाब खोजने क य द आदत आधु नक व ान क नया म
य दय के घुलने- मलने म एक अहम कावट रही है, जहाँ जवाब पयवे ण और योग
से हा सल होते ह। अगर वयं य द मज़हब म कोई ऐसी चीज़ होती, जो अ नवायतः
वै ा नक आ व कार क ओर ले जाने वाली होती, तो या कारण है क 1905 और
1933 के बीच दस धम नरपे जमन य दय ने रसायनशा , च क सा- व ान और
भौ तक म नोबेल पुर कार जीते, ले कन इसी अव ध के दौरान एक भी उ -पर परावाद
य द या एक भी बु गा रयाई या यमनवासी य द ने नोबेल पुर कार नह जीता? कह
कह म एक ‘आ म- ध कारी य द ’ या एक य द - वरोधी न मान लया जाऊँ, इस लए म
इस बात पर वशेष ज़ोर दे ना चा ँगा क म यह नह कह रहा ँ क य द मज़हब वशेष
प से बुरा या अ ानपूण मज़हब रहा है। म सफ़ इतना कह रहा ँ क यह मानव-जा त
के इ तहास के लए वशेष प से मह वपूण नह रहा है। य द मज़हब कई स दय तक
एक ऐसे ब त छोटे -से और उ पी ड़त अ पसं यक का मज़हब रहा था, ज ह ने सु र
थत मु क को जीतने और धम ो हय को टे क पर जलाने क बजाय अ ययन-मनन का
वक प चुना था।
य द - वरोधी आमतौर से सोचते ह क य द ब त मह वपूण ह। य द - वरो धय
का ख़याल है क य द नया, या बक- णाली, या कम-से-कम मी डया को नय त
करते ह, और यह क वे ही भूम डल के बढ़ते ताप से लेकर 9/11 हमले तक हर चीज़ के
लए दोषी ह। इस क़ म का य द - वरोधी उ माद उतना ही हा या पद है, जतना
य दय का उ मादपूण आ मअहंकार है। य द ब त दलच प लोग हो सकते ह, ले कन
जब आप बड़े प र य म दे खते ह, तो आपको यह समझना अ नवाय हो जाता है क
नया पर उनका ब त सी मत भाव रहा है।
समूचे इ तहास के दौरान मनु य ने सैकड़ व भ मज़हब और मज़हबी प थ क
रचना है। उनम से थोड़े-से मज़हब - ईसाइयत, इ लाम, ह धम, क यू शय न म और
बु धम ने अरब लोग पर भाव डाला (जो हमेशा े भाव नह रहा)। गत प
से मुझे ू र व वजेता का नह , ब क उन साधारण लोग का वंशज होने का ख़याल
पस द है, जो सरे लोग के मामल म शायद ही कभी दख़ल दे ते ह। ब त-से मज़हब ह,
जो वनयशीलता के मू य क सराहना करते ह, ले कन इसके बाद वे ख़ुद को सृ क
सबसे मह वपूण स चाई के प म भी दे खते ह। वे नजी वन ता के साथ ज़बरद त
सामू हक अहंकार का घालमेल करते ह। भलाई इसी म है क सारे मज़हबी प थ के लोग
वनयशीलता को अ धक ग भीरता के साथ ल।
वनयशीलता के जतने भी प ह, उनम स भवतः सबसे मह वपूण है ई र के सम
वनयशीलता। मनु य जब भी कभी ई र क बात करते ह, वे अ सर ही दयनीय
आ म वलोपन क वकालत करते ह, ले कन वही लोग फर ई र के नाम का इ तेमाल
अपने ही ब धु से अपने को े सा बत करने के लए करते ह।
13
ई र
थ ही ई र का नाम न ल

या ई र का अ त व है? यह इस पर नभर करता है क आपके मन म कौन-सा ई र है।


ा डीय रह य या सांसा रक व धय का नमाता? कभी-कभी जब लोग ई र क बात
करते ह, तो कसी भ और व मयकारी पहेली क बात करते ह, जसके बारे म हम
नता त कुछ भी नह जानते। इस रह यमय ई र का सहारा हम ा ड क गहनतम
गु थय को समझाने के लए करते ह। ऐसा य है क न कुछ क बजाय कुछ है? वह
या चीज़ है, जसने भौ तक के बु नयाद नयम को गढ़ा है? चेतना या है, और कहाँ से
उ प होती है? हम इन सवाल के जवाब नह जानते, और हम अपने इस अ ान को ई र
के भ नाम से म डत करते ह। इस रह यमय ई र क सबसे बु नयाद वशेषता यह है
क हम उसके बारे म कोई भी ठोस बात नह कह सकते। ये दाश नक का ई र है। वह
ई र, जसके बारे म हम दे र रात अलाव के चार ओर बैठकर ब तयाते ह, और इस बारे म
अटकल लगाते ह क जीवन आ ख़र कुल मलाकर या है।
सरे कुछ अवसर पर लोग ई र को एक न ु र और सांसा रक व ध- नमाता के प
म दे खते ह, जसके बारे म हम ब त कुछ जानते ह। हम ठ क-ठ क मालूम होता है क वह
फ़ैशन, भोजन, काम-वासना और राजनी त के बारे म या सोचता है, और हम लाख
नयम , राजक य आदे श और टकराव का औ च य सा बत करने के लए वग म बैठे इस
ोधी मनु य (एं ी मेन) का सहारा लेते ह। जब याँ छोट बाँह वाली कमीज़ पहनती ह,
जब दो पु ष आपस म यौन-संसग करते ह, या जब कशोर ह तमैथुन करते ह, तो वह
ख हो उठता है। कुछ लोग कहते ह क उसको हमारा शराब पीना क़तई पस द नह है,
जब क कुछ सरे लोग के मुता बक़ वह पूरी तरह से माँग करता है क हम हर शु वार
क रात या हर इतवार क सुबह वाइन पया कर। उसको ठ क-ठ क या पस द है या या
नापस द है, इसके बारीक़-से-बारीक़ योर को प करने के लए पु तकालय के
पु तकालय लखे गए ह। इस सांसा रक व ध- नमाता क सबसे बु नयाद वशेषता यह है
क उसके बारे म हम अ य त ठोस ढं ग से बात कर सकते ह। ये धमयो ा और
जहा दय , धमपरी क , नारी- े षय तथा समल गकता-भी का ई र है। यह वह
ई र है, जसके बारे म हम उस समय ब तयाते ह, जब हम जलती ई चता के चार ओर
खड़े होकर वहाँ जलाए जा रहे वध मय पर प थर फकते ह और गा लयाँ बकते ह।
जब आ थावान से पूछा जाता है क या वाक़ई ई र का अ त व है, तो वे अ सर
अपनी बात क शु आत सृ के पहेलीनुमा रह य और मनु य क समझ क सीमा के
बारे म बोलते ए करते ह। “ व ान बग बग के बारे म नह समझा सकता,” वे तपाक से
कहते ह, “इस लए यह न य ही ई र का कृ य है”, ले कन ताश के एक प े को चुपके-
से सरे प े से बदलकर दशक को बेवकूफ़ बनाते कसी जा गर क तरह, ये आ थावान
फुत से ा डीय रह य को सांसा रक व ध- नमाता से बदल दे ते ह। ा ड के अ ात
रह य को ‘ई र’ का नाम दे ने के बाद फर वे कसी तरह से बक नय और तलाक क
न दा करने के लए उसका इ तेमाल करते ह। “हम बग बग को नह समझते, इस लए
तु ह सावज नक थल पर अपना सर ढँ ककर रखना चा हए और समल गक क शा दय
के ख़लाफ़ मतदान करना चा हए।” न सफ़ इन दोन चीज़ के बीच कोई ता कक र ता
नह है, ब क दरअसल वे अ त वरोधी ह। सृ के रह य जतने ही अबूझ ह गे, उतनी ही
कम स भावना इस बात क होगी क जो भी कोई श इन रह य के पीछे हो, वह य
क वेशभूषा-स ब धी नयम या इंसानी यौन-आचरण क कोई परवाह करे।
ा डीय रह य और सांसा रक व ध- नमाता के बीच क लु त कड़ी ( म सग लक)
आमतौर से कसी प व थ के मा यम से उपल ध कराई जाती है। यह थ सवा धक
तु छ क़ म के व ध- नषेध से भरा होता है, तब भी उसे ा डीय रह य से जोड़कर
दे खा जाता है। उसक रचना क थत प से दे श-काल के रच यता ारा क गई होती है,
ले कन तब भी उसने हम मु यतः दे वालय के कुछ गु त अनु ान और भोजन-स ब धी
वजना के बारे म ान दे ने का क उठाया होता है। स चाई यह है क हमारे पास इस
बात का कोई माण नह है क बाइबल या कुरान या मोमन क पोथी या वेद या कोई भी
सरा प व थ उस श के ारा रचा गया था, जसने यह नधा रत कया था क
ऊजा, (मास) के साथ काश क घनाकार ग त के गुणनफल के बराबर होती है, और
ोटॉन इले ॉन के मुक़ाबले 1,837 गुना बड़े होते ह। हमारी अपनी े तम वै ा नक
जानकारी के मुता बक़, ये सारे प व थ क पनाशील होमो से पय स ारा लखे गए थे।
ये महज़ क़ से ह जनको हमारे पूवज ने सामा जक मानक और राजनी तक ढाँच को
वैधीकृत करने के उ े य से गढ़ा था।
गत प से म अ त व के रह य को लेकर व मत रहा ँ, ले कन मुझे यह बात
कभी समझ म नह आई क इसका य द मज़हब, ईसाइयत या ह धम के साधारण से
व ध- नषेध से या स ब ध है। ये व ध- नषेध न य ही हज़ार साल तक सामा जक
व था को था पत करने और उसका पोषण करने म मददगार रहे ह, ले कन इस मामले
म वे धम नरपे रा य और सं था ारा गढ़े गए व ध- नषेध से बु नयाद तौर पर भ
नह ह।
बाइबल के दस वधान (टे न कमांडमट् स) म से तीसरा वधान इंसान को ई र के
नाम का ग़लत इ तेमाल न करने का नदश दे ता है। ब त-से लोग इसको बचकाने ढं ग से यूँ
समझते ह क यह प तौर पर ई र का नाम उ चा रत करने का नषेध करता है (जैसा
क म ट पायथन के स य म है क ‘इफ़ यू सै जहोवह…’)। स भवतः इस वधान
का गहरा अथ यह है क हम कभी भी अपने राजनी तक वाथ , अपनी आ थक
मह वाकां ा या अपनी नजी नफ़रत को उ चत ठहराने के लए ई र के नाम का
इ तेमाल नह करना चा हए। लोग कसी के त अपनी नफ़रत का इज़हार करते
ए कहते ह “ई र उससे नफ़रत करता है”; लोग ज़मीन के एक टु कड़े क लालसा करते
ए कहते ह “ई र इसे चाहता है”। अगर हम इस तीसरे वधान का अ धक न ापूवक
पालन कर, तो नया एक बेहतर जगह बन जाएगी। आप अपने पड़ो सय से यु कर
उनक ज़मीन छ नना चाहते ह? तो मेहरबानी कर ई र को इससे र र खए, और अपने
लए कोई सरा बहाना खो जए।
सब कुछ पर वचार करने के बाद, ये श द के अथ का मसला है। जब म ‘ई र’ श द
का योग करता ँ, तो म इ ला मक टे ट के ई र के बारे म, धमयु के ई र के बारे म,
धमपरी ण के ई र के बारे म, और ‘ई र समल गक से नफ़रत करता है’ के बैनर के
ई र के बारे म सोच रहा होता ँ। जब म अ त व के रह य पर वचार करता ँ, तो म
सरे श द का इ तेमाल करना पस द करता ँ, ता क कोई म पैदा न हो। और
इ ला मक टे ट तथा धमयु के ई र से भ ( जसको नाम और सबसे यादा अपने
प व नाम से ब त यादा लगाव है) अ त व का रह य इसक र ीभर परवाह नह करता
क हम वानर उसको या नाम दे ते ह।

ई र वहीन नै तक
न य ही ा डीय रह य सामा जक व था के रख-रखाव म हमारी क़तई कोई मदद
नह करता। लोग अ सर यह तक दे ते ह क हम उस ई र म व ास रखना चा हए,
जसने मनु य के लए कुछ अ य त ठोस वधान उपल ध कराए ह, नह तो नै तकता
समा त हो जाएगी और समाज व त होकर आ दम अराजकता क दशा म प ँच जाएगा।
यह न य ही सही है क दे वता म आ था व भ सामा जक व था के लए
ाणवायु क तरह रही है, और कभी-कभी इसके सकारा मक प रणाम नकले ह। वाक़ई,
जो मज़हब कुछ लोग के मन म नफ़रत और क रता के भाव जगाते ह, ठ क वे ही मज़हब
कुछ सरे लोग के मन म ेम और क णा के भाव जगाते ह। उदाहरण के लए, 1960 के
दशक के शु आती वष म मेथॉ ड ट चच के े य पादरी टे ड मे कलवेना अपने समुदाय
के समल गक ी-पु ष , उभयल गक और क र क दशा को लेकर जाग क हो उठे
थे। उ ह ने समाज म समल गक य और पु ष क थ त क छानबीन शु क , और
मई 1964 म कै लफ़ो नया थत ाइट मैमो रयल र ट सटर म पाद रय तथा
समल गकता के प धर कायकता के बीच तीन दवसीय अ गामी संवाद आयो जत
कया। इसके प रणाम व प संवाद के सहभा गय ने ‘काउं सल ऑफ़ रलीजन एंड द
होमोसे शुअल’ (सीआरएच) क थापना क , जसम इन कायकता के अलावा
मेथॉ ड ट, ए प कोपल, लुथे रयन और यूनाइटे ड चच ऑफ़ ाइ ट म न टस भी शा मल
थे। यह पहला अमे रक संगठन था, जसने अ धकृत तौर पर ‘होमोसे शुअल’ श द के
इ तेमाल का साहस कया था।
बाद के वष म सीआरएच कायकता ने वेशभूषा पा टय से लेकर अ यायपूण
प पात और उ पीड़न के ख़लाफ़ क़ानूनी कारवाइयाँ करने तक व भ ग त व धयाँ क ।
सीआरएच कै लफ़ो नया म समल गक अ धकार के आ दोलन का बीज बन गया। ेय
पादरी टे ड मे कलवेना और उनके साथ जुड़े अ य पादरी भी समल गकता के ख़लाफ़
बाइबलपरक नषेध के बारे म भलीभाँ त जाग क थे, ले कन उनका सोचना था क
बाइबल क स त हदायत से यादा ईसा क क णामय भावना के त न ा यादा
मह वपूण है।
दे वता हालाँ क हम क णामय ढं ग से आचरण करने के लए े रत कर सकते ह,
ले कन मज़हबी आ था नै तक आचरण क अ नवाय शत नह है। हम नै तक आचरण क
ेरणा दे ने के लए एक अ त ाकृ तक स ा क ज़ रत है। यह धारणा म इस मा यता म
न हत है क नै तकता म अ ाकृ तक होने जैसा कुछ है, ले कन य ? एक तरह क
नै तकता कु़दरती होती है। च पांज़ी से लेकर चूह तक सारे सामा जक तनधा रय क
नै तक सं हताएँ होती ह, जो चोरी और ह या जैसी चीज़ को सी मत करती ह। मनु य म
नै तकता सारे समाज म मौजूद है, भले ही वे सब समान ई र म, या कसी भी ई र म
व ास नह रखते। ईसाई ह दे वम डली म आ था रखे बना परोपकार क भावना के
साथ कम करते ह, मुसलमान ईसा क द ता से इंकार करने के बावजूद ईमानदारी को
मह व दे ते ह, और डेनमाक तथा चेक गणरा य जैसे धम नरपे दे श ईरान और
पा क तान जैसे धमपरायण मु क से यादा हसक नह ह।
नै तकता का अथ ‘दै वीय वधान का अनुसरण करना’ नह है। इसका अथ है ‘ ःख
म कमी लाना’। इस लए नै तक आचरण करने के लए आपको कसी मथक या क़ से म
व ास करना आव यक नह है। आपको सफ़ ःख के त गहरी समझ वक सत करना
भर ज़ री है। अगर आप सचमुच इस बात को समझ लेते ह क कोई कृ य कस तरह
वयं आपके या सर के लए अनाव यक ःख का कारण बनता है, तो आप न य ही
उस कृ य से परहेज़ करगे। तब भी लोग ह या, बला कार और चोरी करते ह, य क उनम
उस वप क ब त सतही समझ होती है, जो इन कृ य क वज़ह से पैदा होती है। वे
अपनी ता का लक वासना और लोभ को स तु करने के बारे म ही नर तर सोचते ह, इस
बात क परवाह कए बना क सर पर इसका या असर होगा या ख़ुद उन पर उसका
द घका लक असर या होगा। यहाँ तक धमपरी क भी, जो अपने शकार को यथास भव
पीड़ा प ँचाते ह, वे तक आमतौर से ख़ुद को अपने कृ य से र रखने के लए तरह-तरह
क असंवेदनशील और अमानवीय बनाने वाली तकनीक अपनाते ह।
आप आप उठा सकते ह क हर इंसान वाभा वक ही ःख के अहसास से बचने
क को शश करता है, ले कन जब तक कोई ई र ही इसक माँग नह करता, तब तक कोई
भी मनु य सर क पीड़ा क परवाह य करेगा? इसका एक ज़ा हर-सा जवाब है क
मनु य सामा जक ाणी होते ह, इस लए उनका सुख काफ़ हद तक सर के साथ उनके
स ब ध पर नभर करता है। ेम, मै ी और समुदाय के बना कोई सुखी रह सकेगा? अगर
आप एक अकेला आ मके त जीवन जीते ह, तो यह बात लगभग तय है क आप ःखी
ह गे। इस लए सुखी होने के लए आपको हर हाल म अपने प रवार क , अपने दो त क ,
और अपने समुदाय के सद य क च ता करना ज़ री है।
तब उन लोग के बारे म या कहा जाए, जो पूरी तरह से अजनबी होते ह? य न
अजन बय क ह या क जाए और ख़ुद क और अपनी जा त क समृ क ख़ा तर
उनक स प को लूट लया जाए? ब त-से च तक ने व तृत सामा जक स ा त गढ़ते
ए यह समझाया है क य इस तरह का आचरण द घका लक तर पर तकूल भाव
पैदा करने वाला होता है। आप एक ऐसे समाज म नह रहना चाहगे, जहाँ अजन बय को
आए दन लूटा जाता हो और उनक ह याएँ क जाती ह । ऐसे समाज म आप न सफ़
नर तर ख़तरे म रहगे, ब क आप वा ण य जैसी उन चीज़ के लाभ से भी वं चत रहगे,
जो अजन बय के बीच आपसी भरोसे पर ही नभर करती ह। सौदागर आमतौर से गु त
अ और चोर के पास नह जाते। ाचीन युग के चीन से लेकर आधु नक यूरोप तक के
धम नरपे स ा तकार ने इसी तरह इस व णम नयम को उ चत ठहराया है क “ सर
के साथ ऐसा कुछ भी मत करो, जैसा आप उनके ारा आपके साथ कया जाना पस द
नह करगे।”
ले कन सावभौ मक क णा के कु़दरती आधार को हा सल करने के लए हम वा तव
म इस तरह के पेचीदा द घका लक स ा त क आव यकता नह है। वा ण य को थोड़ी
दे र के लए भूल जाइए। एक कह यादा ता का लक तर पर, सर को चोट प ँचाने से
मुझे भी चोट प ँचती है। नया के हर हसक कृ य क शु आत कसी के दमाग़ म हसा
क आकां ा के साथ होती है, जो कसी अ य क शा त और सुख को भंग करने से पहले
वयं उस क शा त और सुख को भंग करती है। इस लए जब तक लोग के मन म
भरपूर लालच और ई या पैदा नह हो जाते, तब तक वे शायद ही चोरी करते ह। लोग
आमतौर से तब तक ह या नह करते, जब तक क उनके भीतर ोध और घृणा के भाव
पैदा नह होते। लालच, ई या, ोध और घृणा जैसी भावनाएँ ब त अ य होती ह। जस
समय आप ोध या ई या से उबल रहे होते ह, उस समय आप आन द और स ब ध क
मधुरता अनुभव नह कर सकते। इस लए कसी क ह या करने से पहले ही आपका ोध
आपक मान सक शा त क ह या कर चुका होता है।
दरअसल, आप अपनी घृणा के पा क वा तव म कभी भी ह या कए बना वष
ोध से उबलते रह सकते ह। उस सूरत म आपने कसी और को नुक़सान नह प ँचाया
होता है, ले कन तब भी आपने ख़ुद को तो नुक़सान प ँचाया ही होता है। इस लए यह
आपका नैस गक आ म हत है, न क कसी ई र का आदे श, जसे आपको अपने ोध
को क़ाबू म लाने के लए े रत करना चा हए। अगर आप ोध से पूरी तरह मु ह गे, तो
आप उससे कह यादा बेहतर महसूस करगे जतना आप कसी घृ णत श ु क ह या
करने पर महसूस करगे।
कुछ लोग के लए अपने ोध पर क़ाबू पाने म कसी ऐसे क णामय ई र म गहरी
आ था मददगार हो सकती है, जो हम आदे श दे ता है क अगर कोई आपके एक गाल पर
तमाचा मारे, तो आप अपना सरा गाल उसके आगे कर द। नया क शा त और
समरसता के लए मज़हबी आ था का यह एक महान योगदान रहा है। भा य से, कुछ
अ य लोग के लए मज़हबी आ था दरअसल उनके ोध को उकसाने और उसको उ चत
ठहराने क भू मका नभाती है, ख़ासतौर से तब, जब कोई उनके ई र का अपमान करता
है या उसक आकां ा क अवहेलना करता है। इस तरह व ध- नमाता ई र का मू य
अ ततः उसके भ के आचरण पर नभर करता है। अगर वे सदाचरण करते ह, तो वे
कसी भी उस चीज़ म आ था रख सकते ह, जो उनको ठ क लगती है। इसी तरह, मज़हबी
अनु ान और प व थल का मू य इन अनु ान और थल ारा उ े रत आचरण पर
नभर करता है। अगर कसी दे वालय म जाने से लोग शा त और सौहाद का अनुभव करते
ह, तो यह ब त ही अ छा है, ले कन अगर कोई दे वालय हसा और टकराव को ज म दे ता
है, तो फर हम उसक या ज़ रत है? वह प तौर पर एक याशील दे वालय है।
जस तरह फल उपजाने क बजाय काँटे उपजाने वाले कसी ण वृ क ख़ा तर लड़ना
नरथक है, उसी तरह कसी ऐसे शत दे वालय क ख़ा तर लड़ना नरथक है, जो
समरसता क बजाय श ुता पैदा करता है।
कसी भी दे वालय म न जाना और कसी भी दे वता म आ था न रखना भी एक मानने-
यो य वक प है। जैसा क पछली कुछ स दय ने सा बत कया है, एक नै तक जीवन
जीने के लए हम कसी ई र के नाम का सहारा लेने क ज़ रत नह है। धम नरपे ता
हम वे सारे मू य उपल ध करा सकती है, जनक हम ज़ रत है।
14
धम नरपे ता
अपनी परछा को वीकार क जए

धम नरपे (से युलर) होने का या अथ है? धम नरपे ता को कभी-कभी धम के नकार


के प म प रभा शत कया जाता है, और इस लए धम नरपे लोग को उस चीज़ से
पहचाना जाता है, जसम वे आ था नह रखते और जो वे नह करते। इस प रभाषा के
मुता बक़, धम नरपे लोग क ह दे वता या दे व त म आ था नह रखते, वे चच और
म दर म नह जाते, और कोई अनु ान और कमका ड नह करते। इस प म
धम नरपे नया एक खोखली, शू यवाद और नै तकता- नरपे नया के प म
उभरती है। एक ऐसे ख़ाली ब से के प म, जो कसी चीज़ से भरे जाने क ती ा कर
रहा है।
ब त कम लोग ही इस तरह क नकारा मक पहचान को वीकार करना चाहगे। व-
घो षत धम नरपे तावाद धम नरपे ता को एक ब कुल अलग ढं ग से दे खते ह। उनके
लए, धम नरपे ता एक ब त ही सकारा मक और याशील व - है, जो इस या
उस मज़हब के वरोध क बजाय मू य क एक सुसंगत सं हता से प रभा शत होती है।
दरअसल, ब त-से धम नरपे मू य को व भ मज़हबी पर पराएँ साझा करती ह। जो
मज़हबी प थ इस बात पर ज़ोर दे ते ह क समूची ा और सदाचार पर उ ह का
एका धकार है, उनसे भ धम नरपे लोग क मु य वशेषता यह है क वे इस तरह के
एका धकार का दावा नह करते। वे ऐसा नह सोचते क नै तकता और ा का अवतरण
वग से कसी ख़ास दे श और काल म आ था। इसक बजाय, नै तकता और ा तमाम
मनु य क नैस गक वरासत है। इस लए अपे त केवल यही है क कम-से-कम कुछ
मू य ऐसे ह गे, जो सारी नया के मानव-समाज म दखाई दगे, और ज ह मुसलमान,
ईसाई, ह और ना तक सभी साझा करते ह गे।
मज़हबी नेता अ सर अपने अनुया यय के सामने या तो यह/या वह का एक स त
वक प पेश करते ह - या तो आप मुसलमान ह, या नह ह। अगर आप मुसलमान ह, तो
आपको बाक़ सारे धममत का तर कार करना चा हए। इसके वपरीत, धम नरपे लोग
ब त-सी म त पहचान के साथ सहज महसूस करते ह। जहाँ तक धम रपे ता का
सवाल है आप ख़ुद को मुसलमान कहते रह सकते ह और अ लाह क इबादत करते रह
सकते ह, हलाल का भोजन करते रह सकते ह और म का क हज पर जाते रह सकते ह,
ले कन इसी के साथ-साथ एक धम नरपे समाज का अंग बने रह सकते ह, बशत क
आप धम नरपे नै तक सं हता के मुता बक़ आचरण कर। यह नै तक सं हता - जो वाक़ई
लाख मुसलमान , ईसाइय और ह और इ ह के साथ-साथ ना तक ारा मा य
होती है - स य, क णा, समानता, वत ता, साहस और उ रदा य व के मू य को सँजोए
होती है। यह आधु नक वै ा नक और लोकता क सं था क बु नयाद रचती है।
तमाम नै तक सं हता क तरह ही धम नरपे सं हता एक सामा जक वा त वकता
होने क बजाय एक ऐसा आदश है, जो आकां ा का वषय है। जस तरह ईसाई समाज
और ईसाई सं थाएँ अ सर ईसाई आदश से भटक जाती ह, उसी तरह धम नरपे समाज
और सं थाएँ भी अ सर धम नरपे ता के आदश क अपे ा को पूरा नह कर पात ।
म ययुगीन ांस एक वघो षत ईसाई स तनत था, ले कन वह तमाम ऐसी ग त व धय को
आज़माता रहा था, जो र- र तक ईसाई नह थ (ज़रा पदद लत कृषक-वग से पूछकर
दे खए)। आधु नक ांस एक वघो षत धम नरपे रा य है, ले कन वह रॉब पयर के
ज़माने से लेकर आज तक कई बार वयं आज़ाद क प रभाषा के क दायी पयोग
करता रहा (ज़रा य से पूछकर दे खए)। इसका यह मतलब नह है क धम नरपे
लोग के पास - ांस म या कह और - कसी आचारपरक दशासूचक या कसी नै तक
तब ता का अभाव होता है। इसका सफ़ इतना मतलब है क कसी आदश पर खरा
उतरना आसान नह होता।

धम नरपे आदश
तब यह धम नरपे आदश या है? सबसे मह वपूण धम नरपे तब ता स य के त
होती है, जो नरी आ था क बजाय पयवे ण और सा य पर आधा रत होता है।
धम नरपे लोग स य को आ था से मत न करने क को शश करते ह। अगर आप
कसी क़ से म ब त तगड़ी आ था रखते ह, तो यह चीज़ हम आपके मनो व ान के बारे
म, आपके बचपन के बारे म, और आपके म त क क संरचना के बारे म ब त-सी
दलच प बात बता सकती है, ले कन इससे यह सा बत नह हो जाता क वह क़ सा स य
है। (अ सर तगड़ी आ था क ज़ रत पड़ती ही तब है, जब क़ सा सही नह होता।)
इसके अ त र , धम नरपे लोग कसी समुदाय, कसी या कसी थ को इस
तरह प व ीकृत नह करते, मानो स य का एकमा संर क वही है। इसक बजाय, स य
जहाँ कह भी अपने को कट करता है - ाचीन जीवा मीकृत अ थय म, सु र
आकाशगंगा क छ वय म, सां यक य आँकड़ क ता लका म, या व भ मानवीय
पर परा के लेखन म, जहाँ कह भी - धम नरपे लोग उसको वहाँ प व ीकृत करते ह।
स य के त यह तब ता उस आधु नक व ान क बु नयाद तैयार करती है, जसने
मानव-जा त को अणु का वख डन करने म, जीन-समूह के अथ क गु थी सुलझाने म,
जीवन के वकास क या का अनुशीलन करने म, और वयं मानव-जा त के इ तहास
को समझने म स म बनाया है।
धम नरपे लोग क सरी मु य तब ता क णा के त होती है। धम नरपे
नै तक इस या उस ई र के आदे श का पालन करने पर नभर नह करती, ब क इसक
बजाय वह ःख के गहरे बोध पर नभर करती है। उदाहरण के लए, धम नरपे लोग
ह या से परहेज़ करते ह, तो इस लए नह क कसी ाचीन थ म इसका नषेध कया
गया है, ब क इस लए क ह या चेतन ा णय को अप र मत पीड़ा प ँचाती है। जो लोग
ह या से इस लए परहेज़ करते ह य क ‘यह ई र का कहना है’ उन लोग म कोई अ य त
वच लत करने वाली और ख़तरनाक वृ होती है। ऐसे लोग क णा क बजाय
आ ापरायणता से े रत होते ह, और तब वे या करगे, जब उनके मन म यह व ास बैठ
जाएगा क उनका ई र उनको वध मय , डायन , पर ीगमन करने वाल या वदे शय
को मारने का म दे ता है?
बेशक, क ह परम दै वीय वधान के अभाव म, धम नरपे नै तक को अ सर
मु कल वधा का सामना करना पड़ता है। उस व त या होता है, जब एक ही कृ य
कसी एक को त प ँचाता है, जब क सरे के लए सहायक होता है? या
ग़रीब क मदद क ख़ा तर अमीर पर भारी कर थोपना नै तक है? कसी ू र तानाशाह
को हटाने के लए र पात से भरा यु छे ड़ना नै तक है? अपने दे श म असी मत तादाद म
शरणा थय को आने क इजाज़त द जानी चा हए? जब धम नरपे लोग इस तरह क
वधा का सामना करते ह, तो वे यह सवाल नह उठाते क ‘ई र का या आदे श है?’
इसक बजाय, वे सावधानी के साथ तमाम स ब धत लोग क भावना को तौलते ह,
वचार और स भावना के ापक दायरे का परी ण करते ह, और एक ऐसा म यमाग
तलाशते ह, जो कम-से-कम नुक़सान प ँचाने वाला हो।
उदाहरण के लए, यौनकम के त अपनाए जाने वाले ख पर ही वचार कर।
धम नरपे लोग इस बात का फ़ैसला कैसे करते ह क बला कार, समल गकता, पशुगमन,
या सगे स ब धी के साथ यौन-कम का अनुमोदन कया जाए या उसका वरोध कया
जाए? भावना का परी ण करते ए। बला कार ज़ा हरा तौर पर अनै तक है, इस लए
नह क यह कसी दै वीय वधान को भंग करता है, ब क इस लए क यह लोग को
आघात प ँचाता है। इसके वपरीत, दो मद के बीच ेम-स ब ध कसी को नुक़सान नह
प ँचाता, इस लए इस पर तब ध लगाने क कोई वज़ह नह है।
पशुगमन के बारे म या कहा जाए? मने समल गक के ववाह से स ब धत कई
नजी और सावज नक बहस म भाग लया है, और पाया है क अ सर ही कोई अ लम द
आदमी पूछता है क “अगर दो मद के बीच ववाह ठ क है, तो फर कसी मद और कसी
बकरी के बीच ववाह क छू ट भी य न द जाए?” धम नरपे से इसका जवाब
ज़ा हर है। व थ र ते भावना मक, बौ क और यहाँ तक क आ या मक गहराई क
माँग करते ह। इस तरह क गहराई का अभाव आपको कु ठत, अकेला और मनोवै ा नक
प से अ वक सत बना दे गा। जहाँ दो मद न य ही एक- सरे क भावना मक, बौ क
और आ या मक ज़ रत को पूरा कर सकते ह, वह कसी बकरी के साथ र ता ऐसा
नह कर सकता। इस लए अगर आप ववाह को एक ऐसी व था के प म दे खते ह,
जसका ल य मनु य के कुशल ेम म वृ करना है - जैसा क धम नरपे लोग मानते ह
- तो आप इस तरह के अजीबोग़रीब सवाल उठाने का सपना भी नह दे खगे। इस तरह क
बात सफ़ वे ही लोग कर सकते ह, जो ववाह को कसी चम कारपूण अनु ान के प म
दे खते ह।
तब फर एक पता और उसक बेट के बीच यौन-स ब ध के बारे म या कहगे? वे
दोन तो इंसान ह, तब इसम बुराई या है? अनेक मनोवै ा नक अ ययन ने इस बात को
दशाया है क इस तरह के र ते ब चे को अप र मत और आम तौर से अपूरणीय त
प ँचाते ह। इसके अ त र , वे अ भभावक म वनाशकारी वृ य को दशाते ह और
गहराते ह। वकास- या ने से पय स के मानस को कुछ इस तरह गढ़ा है क रोमानी
स ब ध अ भभावक य स ब ध के साथ मेल खाते ही नह ह। इस लए सगे स ब धय के
साथ यौन-संसग का वरोध करने के लए आपको ई र या बाइबल क ज़ रत नह है।
आपको सफ़ इस सल सले म कए गए मनोवै ा नक अ ययन को पढ़ने भर क ज़ रत
है।
यही इस बात क गहरी वज़ह है क धम नरपे लोग वै ा नक स य से ब त यादा
लगाव रखते ह। अपनी ज ासा को शा त करने के लए नह , ब क यह समझने के लए
क नया के ःख को कम करने का सबसे अ छा तरीक़ा या है। व ान के मागदशन के
बना हमारी क णा अ सर अ धी होती है।
स य और क णा के त ये दोहरी तब ताएँ समानता के त तब ता को भी
ज म दे ती ह। य प आ थक और राजनी तक समानता से जुड़े सवाल को लेकर मतभेद
ह, फर भी धम नरपे लोग उ च- न न के पूव नधा रत म को लेकर बु नयाद तौर पर
शंकालु होते ह। ःख, ःख ही होता है, इससे कोई फ़क़ नह पड़ता क उसको कौन
भोगता है, और ान, ान ही होता है, इससे कोई फ़क़ नह पड़ता क उसक खोज
कसने क है। कसी ख़ास रा , वग या लग के अनुभव या उसके ारा क गई खोज को
वरीयता हम असंवेदनशील और अ ानी बना सकती है। धम नरपे लोग न य ही अपने
रा , दे श और सं कृ त क व श ता पर गव करते ह, ले कन वे ‘ व श ता’ को ‘ े ता’ से
मत नह करते। इस लए य प धम नरपे लोग अपने रा और अपने मु क के त
अपने वशेष कत को वीकार करते ह, ले कन वे इन कत को एकमा नह मानते,
और वे उ ह के साथ-साथ समूची मानवता के त भी अपने कत को वीकार करते
ह।
सोचने, पड़ताल करने और योग करने क वत ता के बना हम स य क और
ःख से छु टकारा पाने के तरीक़े क खोज नह कर सकते। इस लए धम नरपे लोग
वत ता के बल आ ही होते ह, और कसी थ, सं था या नेता को स य और शुभ का
परम नणायक मानने से परहेज़ करते ह। मनु य को स दे ह करने, फर से जाँचकर दे खने,
वैक पक मत को सुनने-समझने, और अलग रा ते को आज़माने क वत ता हमेशा
बचाकर रखनी चा हए। धम नरपे लोग गै ल लयो गै लली क सराहना करते ह, जसने
यह सवाल उठाने का साहस कया था क या पृ वी ा ड के के म अचल प से
थत है। वे जनसाधारण के उस समूह क सराहना करते ह, जसने 1789 म बै टले पर
हमला करके लुई XVI क अ याचारी कूमत को ख़ म कर दया था’ और वे रोज़ा पा स
क सराहना करते ह, जसने सफ़ गोरे लोग के लए आर त बस क सीट पर बैठने क
ह मत दखाई थी।
प पात और दमनकारी कूमत के ख़लाफ़ लड़ने के लए ब त सारे साहस क
ज़ रत होती है, ले कन इससे भी यादा साहस क ज़ रत अ ानता को वीकारने और
अ ात म उतरने का जो खम उठाने के लए होती है। धम नरपे श ा हम सीख दे ती है
क अगर ऐसा कुछ है, जो हम नह जानते, तो हम अपनी अ ानता को वीकार करने और
नए सा य क तलाश करने से डरना नह चा हए। यहाँ तक क अगर हम सोचते ह क हम
कुछ जानते ह, तो भी हम अपनी राय पर स दे ह करने और ख़ुद को दोबारा जाँचने से भी
नह डरना चा हए। ब त सारे लोग अ ात से भयभीत होते ह, और सवाल का प जवाब
चाहते ह। अ ात का भय हम उससे यादा पंगु बना दे ता है, जतना कोई आततायी
बनाता है। समूचे इ तहास के दौरान इस बात को लेकर परेशान होते रहे थे क अगर हम
परम उ र के कसी ढाँचे म अपनी आ था नह रखते, तो मानव-समाज चूर-चूर हो
जाएगा। दरअसल, आधु नक इ तहास ने यह दशाया है क अ ानता को वीकारने और
मु कल सवाल उठाने के लए त पर रहने वाले साहसी लोग का समाज न सफ़ ऐसे
समाज क तुलना म यादा समृ , ब क शा तपूण भी होता है, जनम हरेक को कसी
एकमा जवाब को वीकार करना अ नवाय होता है। अपने स य को खो दे ने से डरने वाले
लोग हसा क ओर उन लोग क तुलना म यादा वृ होते ह, जनको नया को ब त-
से अलग-अलग कोण से दे खने क आदत होती है। ऐसे सवाल, जनके जवाब आप
नह दे सकते, अ सर ऐसे जवाब से यादा बेहतर होते ह, जन पर आप सवाल नह उठा
सकते।
अ त म, धम नरपे लोग उ रदा य व के त बल आ ह रखते ह। वे कसी ऐसी
उ चतर श म व ास नह रखते, जो नया क दे खभाल करती है, को द ड दे ती
है, यायपूण लोग को पुर कृत करती है, और महामारी या यु से हमारी र ा करती है।
इस लए हम हाड़-मांस के बने न र इंसान को उन सारे कृ य क पूरी ज़ मेदारी लेनी
चा हए, जो हम करते ह या नह करते ह। अगर नया ःख से भरी ई है, तो उनका
समाधान नकालना हमारा कत है। धम नरपे लोग आधु नक समाज क वपुल
उपल धय , जैसे क महामा रय का इलाज ढूँ ढ लेने, भूख का पेट भरने, और नया के
बड़े ह स म शा त था पत करने पर गव करते ह। इन उपल धय के लए हम कसी
अलौ कक र क को ेय दे ने क ज़ रत नह है। ये उपल धयाँ मनु य ारा अपने ान
और क णा को वक सत करने का प रणाम ह, ले कन ठ क इसी वज़ह से हम
जा तसंहार से लेकर पा र थ तक क अधोग त तक आधु नकता के सारे गुनाह और
नाकामया बय क भी पूरी ज़ मेदारी लेना ज़ री है। चम कार के घ टत होने क ख़ा तर
ाथना करने क बजाय हम यह सवाल उठाना ज़ री है क हम मदद करने के लए या
कर सकते ह।
ये धम नरपे नया के मुख मू य ह। जैसा क पहले कहा जा चुका है, इनम से
कोई भी मू य पूरी तरह से धम नरपे नह है। य द भी स य को मू यवान मानते ह,
ईसाई भी क णा को मू यवान मानते ह, मुसलमान भी समानता को मू यवान मानते ह,
ह भी उ रदा य व को मू यवान मानते ह, आ द, आ द। धम रपे समाज और सं थाएँ
इन सू को सहष वीकार करते ह और मज़हबी य दय , ईसाइय , मुसलमान और
ह को सहष अंगीकार करते ह, बशत क जब धम नरपे सं हता मज़हबी स ा त
से टकराने क थ त म हो, तो मज़हबी स ा त रा ते से हट जाएँ। उदाहरण के लए,
धम नरपे समाज म वीकायता हा सल करने के लए क रप थी य दय से अपे त है
क वे ग़ैर-य दय को अपनी बराबरी का दज़ा द, ईसाइय से अपे त है क वे वध मय
को टे क पर जलाने से परहेज़ कर, मुसलमान से अपे त है क वे अ भ क
वत ता का अ नवायतः स मान कर, और ह से अपे त है क वे अ नवायतः
जा त-आधा रत प पात करना ब द कर।
इसके वपरीत, ऐसी कोई अपे ा नह है क मज़हबी लोग को ई र के अ त व से
इंकार कर दे ना चा हए या पार प रक अनु ान और कमका ड को याग दे ना चा हए।
धम नरपे नया लोग का मू यांकन उनक य वेशभूषा और अनु ान क बजाय
उनके आचरण के आधार पर करती है। कोई वेशभूषा से स ब धत नहायत ही
अजीबोग़रीब क़ म के सा दा यक नयम को अपना सकता है और नता त व च
क़ म के मज़हबी अनु ान का पालन कर सकता है, ले कन इस सब के साथ वह मूलभूत
धम नरपे मू य के अनु प आचरण कर सकता है। नया म ब त-से य द वै ा नक,
ईसाई पयावरणवाद , मुसलमान नारीवाद और ह मानवा धकार कायकता ह। अगर वे
स य के त, क णा के त, समानता और वत ता के त न ा रखते ह, तो वे
धम नरपे नया के पूण सद य ह, इसक नता त कोई वज़ह नह है क उनसे उनके
यामाकाज़ (पर परावाद य दय ारा पहनी जाने वाली टो पयाँ), सलीब, हजाब या
तलक हटाने को कहा जाए।
इसी के चलते, धम नरपे श ा का मतलब एक ऐसा नषेधा मक वचार भी नह है,
जो ब च को ई र म आ था न रखने और कसी तरह के मज़हबी ज म शा मल न होने
क श ा दे ता हो। इसक बजाय, धम नरपे श ा ब च को स य और आ था के बीच
फ़क़ करने, उनको तमाम खय के त क णा वक सत करने, पृ वी के सारे नाग रक
क ा और अनुभव क सराहना करने, अ ात के भय से मु होकर सोचने और अपने
कृ य के त तथा सम नया के त उ रदायी होने क सीख दे ती है।

या ता लन धम नरपे थे?
इस लए धम रपे ता म नै तक तब ता या सामा जक उ रदा य व के अभाव का
आरोप लगाते ए उसक आलोचना करना बेबु नयाद है। दरअसल, धम नरपे ता क
सम या इससे ठ क उलट है। वह स भवतः नै तकता के मापद ड को ब त ऊँचा बनाकर
रखती है। यादातर लोग इस तरह क ब त अ धक क माँग करने वाली सं हता पर खरे
नह उतरते, और बड़े समाज स य और क णा क उ मु तलाश के आधार पर संचा लत
नह हो सकते। वशेष प से आपातकालीन पा र थ तय - जैसे क यु या आ थक
संकट के दौरान - समाज को त परता के साथ और सश ढं ग से कारवाई करना
अ नवाय होता है, भले ही वे इस बारे म सु न त न ह क स य या है और ऐसा
सवा धक क णामय कम या है, जसे कया जाना चा हए। उनको प मागदशन क ,
आकषक नार क और यु के उ ेरक आ ान क ज़ रत होती है। चूँ क स दे हा पद
अटकल के आधार पर सै नक को यु पर भेजना या ा तकारी आ थक सुधार को
लागू करना मु कल है, इस लए धम नरपे आ दोलन बार-बार क रप थ म त द ल हो
जाते ह।
उदाहरण के लए, काल मा स ने इस घोषणा के साथ शु आत क थी क सारे
मज़हब दमनकारी धोखे ह, और उ ह ने अपने अनुया यय को वयं ही व व था क
वा त वक कृ त क पड़ताल के लए ो सा हत कया था। बाद के दशक म ा त और
यु के दबाव ने मा सवाद को स त बना दया, और ता लन के आते-आते सो वयत
क यु न ट पाट का अ धकृत वचार यह बन गया क व व था इतनी पेचीदा है क वह
जनसाधारण क समझ से परे है, इस लए हमेशा पाट के ववेक पर भरोसा करना और जो
वह कहे, वही करना ही ेय कर है, भले ही वह गुपचुप तरीक़े से द सय लाख लोग को
क़ैद करती हो और ने तनाबूद कर दे ती हो। यह बात भ लग सकती है, ले कन जैसा क
पाट के वचारधारापर त लोग इस बात को समझाते ए कभी थकते नह ह क ा त
कोई पक नक नह है, और अगर आप ऑमलेट चाहते ह, तो आपको कुछ अ डे फोड़ने
ही पड़गे।
इस लए ता लन को एक धम नरपे नेता के प म दे खना चा हए या नह , यह
मसला इस पर नभर करता है क आप धम नरपे ता को कस तरह से प रभा शत करते
ह। अगर हम यूनतम नकारा मक प रभाषा का इ तेमाल कर - ‘धम नरपे लोग ई र म
आ था नह रखते’ - तो ता लन न य ही धम नरपे था। अगर हम सकारा मक
प रभाषा का इ तेमाल कर - ‘धम नरपे लोग तमाम अवै ा नक मत को ख़ा रज़ करते ह
और स य, क णा और वत ता के त तब होते ह - तो मा स एक धम नरपे
द गज थे, ले कन ता लन क़तई धम नरपे नह था। वह ई र वहीन, क तु अ य त
क र मज़हब ता ल न म का पैग़ बर था।
ता लनवाद कोई अकेला उदाहरण नह है। राजनी तक प र य के सरे छोर पर
पूँजीवाद क शु आत भी एक उदारमन क वै ा नक स ा त के प म ई थी, ले कन
वह धीरे-धीरे एक क र मत के प म ढ़ होता गया। ब त-से पूँजीवाद ज़मीनी
वा त वकता क परवाह कए बना मु बाज़ार और आ थक समृ के म को
दोहराते रहते ह। आधु नक करण, औ ो गक करण या नजीकरण के जो भी डरावने
प रणाम कभी-कभी सामने आते रहते ह, उनको पूँजीवाद म स ची आ था रखने वाले
लोग महज़ ‘ वकासज य पीड़ाएँ’ (‘ ोइंग पे स’) कहकर ख़ा रज़ करते रहते ह, और
आ ासन दे ते रहते ह क थोड़ी-सी और समृ आने पर सब कुछ ठ क हो जाएगा।
म यमाग उदारवाद लोकता क स य और क णा के धम नरपे साधन के त
अपे ाकृत अ धक न ावान रहे ह, ले कन कभी-कभी वे तक इसे सा वना दे ने वाले मत
के प म याग दे ते ह। जैसे क जब ू र तानाशा हय और वफल रा य से उदारवा दय
का सामना होता है, तो वे अ सर आम चुनाव के भावशाली अनु ान म स दे हर हत
आ था कट करते ह। वे यु लड़ते ह और इराक़, अफ़गा न तान और कांगो जैसी जगह
पर अरब डॉलर इस ढ़ व ास के साथ ख़च करते ह क आम चुनाव इन जगह को
जा ई ढं ग से डेनमाक के उ वल सं करण म बदल दगे। यह नर तर वफलता के
बावजूद और इस त य के बावजूद होता है क उन जगह पर भी जहाँ आम चुनाव क
एक सु था पत पर परा है, ये अनु ान कभी-कभी लोकलुभावन सवस ावा दय को स ा
म ले आते ह, और ब सं यक तानाशा हय से यादा बड़ी कसी चीज़ म फ लत नह
होते। अगर आप आम चुनाव के क थत औ च य पर सवाल उठाने क को शश करगे, तो
आपको गुलाग म तो नह भेज दया जाएगा, ले कन इसक पूरी स भावना है क आपको
क रप थी भ सना क तीखी बौछार का सामना करना पड़े।
न य ही, सारे क रवाद मत समान प से नुक़सानदे ह नह होते। जस तरह से कुछ
मज़हबी व ास ने मानवता का हत कया है, उसी तरह कुछ धम नरपे मत ने भी
कया है। यह बात वशेष प से मानवा धकार के स ा त के बारे म सही है। अ धकार
का अ त व जस एकमा जगह पर होता है, वह वे क़ से ह, जनको एक- सरे को
सुनाने के लए मनु य ने ईजाद कया होता है। इन क़ स को मज़हबी क रता और
नरंकुश कूमत के ख़लाफ़ संघष के दौरान वतः स मत के प म त ा पत कया
गया था, हालाँ क यह सही नह है क मनु य को जीवन या वत ता का कु़दरती हक़
मला आ नह है, तब भी इस क़ से म व ास ने सवस ावाद कूमत क श को
नय त कया था, अ पसं यक को नुक़सान से बचाया, और नधनता तथा हसा के
नकृ तम प रणाम से अरब लोग क हफ़ाज़त क । इस तरह इसने मनु यता के सुख
और क याण के लए स भवतः इ तहास के कसी भी अ य स ा त के मुक़ाबले यादा
योगदान कया।
तब भी वह एक स ा त तो है ही। इसी लए मानवा धकार पर संयु रा के
घोषणा-प का अनु छे द 19 कहता है क “हर कसी को अपना मत करने और
अभ क वत ता का अ धकार है।” अगर हम समझते ह क यह एक राजनी तक
माँग है (‘हर कसी को अपना मत करने क वत ता होनी चा हए’ ), तो यह पूरी
तरह से तकसंगत है, ले कन अगर हम यह मानते ह क हर से पय स ‘मत करने के
अ धकार’ से कु़दरती तौर पर स प ह, और इस लए इसम कटौती कसी कु़दरती उसूल
का उ लंघन है, तो हम मनु यता के स य को जानने से चूक रहे होते ह। जब तक आप
वयं को ‘अ व छे नैस गक अ धकार से स प ’ के प म प रभा शत करते
रहगे, आप यह नह जान पाएँगे क आप वा तव म कौन ह, और आप उन ऐ तहा सक
श य को नह समझ पाएँगे, ज ह ने आपके समाज और वयं आपके दमाग़ को
( जसम ‘नैस गक अ धकार ’ म आपका व ास शा मल है) गढ़ा है।
इस तरह क अ ानता शायद बीसव सद म कम मह व रखती थी, जब लोग हटलर
और ता लन से लड़ने म त थे, ले कन यही अ ानता इ क सव सद म घातक सा बत
हो सकती है, य क जैव ौ ो गक और आ ट फ़ शयल इंटे लजस अब मनु यता-मा क
प रभाषा बदलने क को शश कर रहे ह। अगर हम जीवन के अ धकार के त तब ह,
तो या इसका अ भ ाय यह है क हम मृ यु पर वजय ा त करने के लए जैव ौ ो गक
का इ तेमाल करना चा हए? अगर हम आज़ाद के मू य से तब ह, तो या हम उन
ऐ ग रदम को सश बनाना चा हए, जो हमारी छपी ई आकां ा को समझ लेते ह
और उनको स तु कर दे ते ह? अगर सारी मानवता को समान मानवा धकार ा त ह, तो
या अ तमानव को अ तशय अ धकार मलने चा हए? इस तरह के सवाल से उलझने म
धम नरपे लोग को तब तक क ठनाई होगी, जब तक क वे ‘मानवा धकार ’ म क र
आ था से तब बने रहगे।
मानवा धकार का स ा त पछली सद म धमपरी ण, आँ सयाँ रज़ीम, (1789 क
ा त से पहले क ांस क राजनी तक और सामा जक व था), ना ज़य और केकेके
(कू ल स लान यानी गोर क न ल को े मानने वाला अमे रका का न लवाद समूह)
के ख़लाफ़ एक ह थयार के प म गढ़ा गया था। इस लए यह स ा त अ तमानव ,
साइबोग और अ तशय बु मान क यूटर से नपटने म स म नह है। जहाँ
मानवा धकार आ दोलन ने मज़हबी प पात और आततायी इंसान के ख़लाफ़ तक
और बचाव का भावशाली श ागार खड़ा कर रखा है, वह यह श ागार उपभो वाद
अ तचार और ौ ो गक य व लोक के ख़लाफ़ हमारा बचाव शायद ही कर सके।

परछा को पहचान
धम नरपे तावाद को ता लनवाद क रता या प मी सा ा यवाद और बेलगाम
औ ो गक करण क बराबरी पर रखकर नह दे खा जाना चा हए, ले कन यह उनक सारी
ज़ मेदारी से अपने क धे भी नह झाड़ सकता। धम नरपे आ दोलन और वै ा नक
सं था ने प रपूण मानवता के आ ासन और हमारी जा त के हत म भू ह क उदारता
का भरपूर उपयोग करने के आ ासन के साथ अरब लोग को स मो हत कया है। इस
तरह के आ ासन सफ़ महामा रय और अकाल पर वजय पाने के नतीज के प म ही
सामने नह आए ह, ब क वे गुलाग और हम शखर के पघलने के प म भी सामने
आए ह। आप शायद तक दे सकते ह क ये सब उन लोग क ग़ल तयाँ ह, ज ह ने मूलभूत
धम रपे आदश और व ान के वा त वक त य को ग़लत समझा है और उनको वकृत
कया है। और आपका यह कहना एकदम सही होगा, ले कन यह सारे भावशाली
आ दोलन क एक आम सम या है।
उदाहरण के लए, ईसाइयत धमपरी ण , धमयु , सारी नया क मूल सं कृ तय
के दमन, और य को नबल करने जैसे भीषण अपराध के लए ज़ मेदार रही है। कोई
ईसाई इस बात से आहत हो सकता है और मुँहतोड़ जवाब दे ते ए कह सकता है क ये
सारे अपराध ईसाइयत क पूरी तरह से ग़लत समझ के नतीजे थे। ईसा ने तो सफ़ ेम
करने क श ा द थी, और धमपरी ण उनक श ा के भयावह वकृ तकरण पर
आधा रत थे। हम इस दावे के त सहानुभू त रख सकते ह, ले कन ईसाइयत को इन
आरोप से इतनी आसानी से पीछा छु ड़ाने क छू ट दे ना ग़लत होगा। धमपरी ण और
धमयु से त भत ईसाई इन अ याचार से इतनी आसानी से अपने हाथ नह झाड़
सकते। इसक बजाय उनको वयं से कुछ मु कल सवाल पूछने चा हए। आ ख़र उनके
इस ‘ ेम के मज़हब’ ने वयं को इस तरह वकृत हो जाने क छू ट कैसे द , और एक बार
नह , ब क कई-कई बार? जो ोटे टट इस सबका दोष कैथो लक धमा धता के म थे
मढ़ने क को शश करते ह, उनको सलाह द जाती है क वे आयरलड या उ री अमे रका
म ोटे टट उप नवेशवा दय के आचरण के बारे म कोई पु तक पढ़। इसी तरह,
मा सवा दय को वयं से पूछना चा हए क मा स क श ा म ऐसा या था, जसने
गुलाग का माग श त कया, वै ा नक को इस पर वचार करना चा हए क वै ा नक
प रयोजना ने भूम डल के पा र थ तक य त को इतनी आसानी से अ थर बनाने के
लए अपना उपयोग कैसे होने दया, और अनुवां शक वद को वशेष प से उस यु
को एक चेतावनी क तरह लेना चा हए, जसके सहारे ना ज़य ने डा वन के स ा त का
अपहरण कया था।
हरेक मज़हब, वचारधारा और प थ क अपनी परछा होती है, और आप जस
कसी भी प थ का अनुसरण कर, आपको अपनी परछा को वीकार करना चा हए और
इस बचकाने भुलावे से बचना चा हए क ‘यह हमारे साथ नह हो सकता’। धम नरपे
व ान यादातर पार प रक मज़हब के मुक़ाबले कम-से-कम एक मामले म ब त बेहतर
थ त म है, और वह यह है क वह अपनी परछा से भयभीत नह है, और वह अपनी
ग़ल तय तथा अपनी प ँच क सीमा को स ा ततः वीकार करने को त पर होता है।
अगर आप कसी अलौ कक स ा ारा उजागर कए गए कसी परम स य म व ास
करते ह, तो आप ख़ुद को कोई ग़लती वीकार करने क छू ट नह दे सकते, य क यह
चीज़ आपके समूचे क़ से को ही र कर दे गी, ले कन अगर आप ग़ल तयाँ कर सकने वाले
इंसान क स य क ज ासा म व ास करते ह, तो ग भीर भूल को वीकार करना खेल
का वाभा वक अंग है।
यही इस बात क भी वज़ह है क ग़ैर क रप थी धम नरपे आ दोलन अपे ाकृत
संय मत वादे करते ह। अपनी अपूणता के त सजग होने के नाते वे छोटे -छोटे मक
प रवतन को लाने क उ मीद करते ह, जैसे क यूनतम मज़ री म कुछ डॉलर क वृ
या बाल-मृ यु दर म कुछ तशत क कमी लाना। यह क रप थी वचारधारा का ल ण
है क वे अपने अ तशय आ म व ास क वज़ह से अ सर अस भव कुछ कर गुज़रने क
क़सम खाती ह। उनके नेता अ य त मु ढं ग से ‘शा तता’, ‘शु चता’ और ‘मु ’ के बारे
म बात करते ह, मानो कोई क़ानून लागू कर, कोई म दर नमाण कर या कसी रा य का
कोई ह सा जीतकर वे अपने एक ही भ करतब के साथ समूची नया क र ा कर
सकते ह ।
जैसे ही हमारे सामने जीवन के इ तहास म सबसे मह वपूण नणय लेने का सवाल
पैदा होता है, तो म गत प से उन लोग पर यादा भरोसा करता ँ, जो अपनी
अ ानता को वीकार करते ह, बजाय उनके जो अचूकता का दावा करते ह। अगर आप
चाहते ह क आपका मज़हब, वचारधारा या व नया का नेतृ व करे, तो आपसे
मेरा पहला सवाल यह है : “वह कौन-सी सबसे बड़ी भूल है, जो आपके मज़हब,
वचारधारा या व ने क है? उससे या ग़लती ई?” अगर आप कोई संजीदा जवाब
नह दे सकते, तो म तो न य ही आप पर भरोसा नह क ँ गा।
IV

सय

अगर आप व क दशा से आ ा त और मत महसूस करते ह, तो आप सही


रा ते पर ह।
वै क याएँ इतनी पेचीदा हो चुक ह क कोई भी एक अकेला उनको नह
समझ सकता।
तब फर आप नया क स चाई को कैसे जान सकते ह, और चार तथा ग़लत
जानकारी का शकार होने से कैसे बच सकते ह?
15
अ ानता
आप उससे कम जानते ह, जतना आप सोचते ह क आप
जानते ह

पछले अ याय म वतमान युग क कुछ सबसे मह वपूण सम या और घटना का


सव ण कया गया है, जनम आतंकवाद के ब त बढ़ा-चढ़ाकर दे खे गए ख़तरे से लेकर
ौ ो गक य अराजकता के ब त कम करके आँके गए ख़तरे तक शा मल ह। अगर आप
इस ट स के अहसास से भर उठे ह क यह सब आपक पकड़ से परे है, और आप इस
सबको ॉसेस नह कर सकते, तो आपका सोचना ब कुल सही है। कोई भी नह
कर सकता।
पछली कुछ स दय म उदारवाद च तन ने तक-बु से लैस म अप र मत
व ास वक सत कया है। इसने मानव- य को तक-बु से यु वाधीन कारक
के प म च त कया है, और इन म थक य ज तु को आधु नक समाज के आधार के
प म त त कया है। लोकत इस वचार पर आधा रत है क मतदाता सबसे बेहतर
समझता है, मु -बाज़ार अथ व था मानती है क ाहक हमेशा सही होता है, और
उदारवाद श ा छा को वयं ही सोचने क सीख दे ती है।
ले कन तक-बु -स प म इतना यादा भरोसा रखना एक ग़लती है।
उ रउप नवेशवाद और नारीवाद च तक ने इस ओर यान दलाया है क यह ‘तक-
बु -स प ’ उ च-वग य गोर क वाय ता और श का म हमाम डन करने
वाली एक उ रा वाद प मी फ़ तासी भी हो सकती है। जैसा क पहले लखा जा चुका
है वहारवाद अथशा य और वकासवाद मनोवै ा नक ने इस बात को दशाया है क
मनु य के अ धकांश नणय ता कक व ेषण क बजाय भावना मक त या और
अनुमानपरक शॉटकट पर आधा रत होते ह। हमारी भावनाएँ और अनुमान शायद
पाषाणयुगीन जीवन से नपटने के लए उपयु रहे ह , ले कन इस स लकॉन युग म वे
ःखद प से अनुपयु ह।
सफ़ तकबु ही नह , ब क वैय कता भी एक मथक है। इंसान वयं ब त कम
सोचते ह। इसक बजाय, हम समूह म सोचते ह। जस तरह एक ब चे को बड़ा करने के
लए एक समूचा क़बीला ज़ री होता है, उसी तरह कोई औज़ार वक सत करने के लए,
कसी तक़रार को सुलझाने के लए, या कसी रोग का उपचार करने के लए एक क़बीला
ज़ री होता है। कोई भी वह सब कुछ नह जानता, जो एक कैथे ल, एक अणु
बम, या एक वायुयान तैयार करने के लए जानना ज़ री होता है। जस चीज़ ने होमो
से पय स को सरे ा णय से े बनाया और हम इस ह के वामी म बदल दया, वह
हमारी गत तकबु नह थी, ब क वशाल समूह म एक साथ मलकर सोचने क
हमारी बे मसाल क़ा ब लयत थी।
अलग-अलग इंसान नया के बारे म शमनाक ढं ग से ब त कम जानते ह, और
इ तहास के वक सत होने के साथ-साथ उनका यह ान उ रो र कम होता गया। पाषाण
युग क एक शकारी-सं हकता ी अपने ख़ुद के कपड़े तैयार करना, आग सुलगाना,
खरगोश का शकार करना और शेर से बचना जानती थी। हम समझते ह क हम आज
यादा जानते ह, ले कन य के प म हम दरअसल ब त कम जानते ह। हम अपनी
लगभग तमाम ज़ रत के मामले म सर क द ता पर नभर करते ह। अ भमान कम
करने वाले एक योग के तहत लोग से एक सवाल कया गया, जसका उ े य यह जानना
था क वे एक साधारण ज़प के काम करने के ढं ग के बारे म कतना ठ क-से समझते ह।
यादातर लोग ने आ म व ासपूवक जवाब दया क वे ब त अ छ तरह समझते ह -
आ ख़रकार, वे सारे व त ज़प का इ तेमाल करते ही ह। इसके बाद उनसे ज़प क
काय णाली का यथास भव व तार के साथ वणन करने को कहा गया। यादातर लोग
को इसक कोई जानकारी नह थी। यही वह चीज़ है जसे ट वेन लोमन और फ़ लप
फ़नबाख़ ने ‘ ान का म’ क सं ा द है। बावजूद इसके क हम गत तौर पर ब त
कम जानते ह, तब भी हम सोचते ह क हम ब त कुछ जानते ह, य क हम सरे लोग
के दमाग़ म भरे ान को कुछ इस तरह मानते ह, जैसे वह हमारा अपना ान हो।
यह ज़ री तौर पर बुरी बात नह है। सामू हक वचार- या पर हमारी नभरता ने
हम नया के वा मय म बदल दया है, और ान का म हम वयं ही हर चीज़ को
समझने क अस भव को शश म फँसे बना जीवन को पार करने म स म बनाता है। एक
वकासवाद प र े य म दे ख, तो सर के ान पर भरोसा होमो से पय स के लए ब त
कारगर सा बत आ है।
तब भी जस तरह उन ब त-से सरे इंसानी ल ण के साथ आ, जो अतीत के युग
म मायने रखते थे, ले कन ज ह ने आधु नक युग म मु कल पैदा क , उसी तरह ान के
म का भी अपना नकारा मक पहलू है। नया उ रो र पहले से यादा ज टल होती जा
रही है, और लोग यह समझने म वफल होते जा रहे ह क जो कुछ भी घ टत हो रहा है,
उसके बारे म वे कस क़दर अ ानता से भरे ह। नतीजतन, कुछ लोग ह, जो मौसम व ान
या जीव व ान के बारे म लगभग कुछ भी नह जानते, तब भी वे जलवायु-प रवतन और
जने टक ढं ग से संशो धत फ़सल से स ब धत नी तयाँ ता वत करते ह। वह कुछ सरे
लोग ह, जो इराक़ या उ े न को लेकर या कारवाइयाँ क जानी चा हए, इस बारे म
अयतस त कोण रखते ह, जब क वे इन मु क को न शे पर पहचान तक नह
सकते। ब त कम होता है जब लोग अपनी अ ानता को वीकार करते ह, य क वे वयं
को अपने ही जैसे सोच- वचार रखने वाले दो त और वतः मा णत यूज़फ़ ड् स के
त व न-क म ब द करके रखते ह, जहाँ उनके व ास को लगातार बल मलता रहता
है और उनको लगभग न के बराबर चुनौ तय का सामना करना पड़ता है।
लोग को यादा और बेहतर जानकारी उपल ध कराने से थ तय के सुधरने क
स भावना नह है। वै ा नक बेहतर वै ा नक श ा के मा यम से ग़लत कोण को
हटाने क उ मीद करते ह, और जानकार लोग सट क त य तथा वशेष क रपोट पेश
कर ओबामाकेयर या लोबल वा मग जैसे मु पर जनमत को भा वत करने क उ मीद
करते ह। इस तरह क उ मीद लोग के सोचने के वा त वक ढं ग के बारे म ग़लतफ़हमी पर
टक होती ह। हमारे यादातर कोण वैय क तकबु क बजाय सामुदा यक तर
के सामू हक सोच- वचार के मा यम से गढ़े गए होते ह, और सामू हक न ा के चलते हम
इन कोण से चपके रहते ह। लोग पर त य क बौछार करने और उनक गत
अ ानता को उजागर करने के नतीजे उलटे और ख़तरनाक हो सकते ह। यादातर लोग
ब त यादा त य पस द नह करते, और वे बेवकूफ़ महसूस करना तो न य ही पस द
नह करते। यह मानकर मत च लए क आप ट पाट समथक के सम सां यक य
आँकड़ के प क पेश कर उनको लोबल व मग क स चाई के बारे म यक़ न दला सकते
ह। सामू हक वचार क श क ापकता इतनी अ धक होती है क उसक पकड़ को
तोड़ना उस व त भी मु कल होता है, जब उसके कोण क चत मनमाने तीत होते
ह। इसी लए संयु रा य अमे रका म द णप थी अनुदारवाद षण और वलु त ाय
जा तय जैसी चीज़ क च ता क ओर उतने वृ नह होते, जतने वामप थी
ग तशील होते ह। यही वज़ह है क लू सयाना के पयावरण-स ब धी नयम मैसाचुसेट्स
के नयम क तुलना म काफ़ कमज़ोर ह। हम इस थ त के अ य त ह, इस लए हम
इसक ओर ख़ास यान नह दे ते, ले कन यह सचमुच ख़ासे आ य क बात है। आपको
लगता होगा क अनुदारवाद लोग पुरानी पा र थ तक य व था के संर ण, और अपनी
पैतृक ज़मीन , जंगल और न दय क र ा क यादा च ता करते ह गे। इसके वपरीत,
ग तशील से दे हाती इलाक़ म मूलगामी प रवतन के त अ धक खुला रवैया अपनाने
क अपे ा क जा सकती होगी, वशेष प से तब, जब क ल य ग त को र तार दे ने
और मनु य के जीवन- तर को उ त बनाने का हो, ले कन जैसे ही व भ और व च
ऐ तहा सक संयोग के मा यम से पाट का ख तय हो गया, वैसे ही शत न दय और
लु त होते प र द क च ता को ख़ा रज़ करना अनुदारवा दय के लए सहज
वाभा वक हो गया, वह वामप थी ग तशील पुरानी पा र थ तक य व था म कसी
तरह क गड़बड़ी को लेकर भयभीत होने लगे।
यहाँ तक क वै ा नक भी सामू हक वचार क श के भाव म आने से नह बच
पाते। नतीजतन, जो वै ा नक ऐसा मानते ह क त य जनमत को बदल सकते ह, वे वयं
भी वै ा नक समूह- च तन के शकार हो सकते ह। वै ा नक समुदाय त य क
भावशीलता म व ास करता है, इस लए उस समुदाय म न ा रखने वाले लोग यह
व ास जारी रखते ह क वपरीत न कष क ओर ले जाने वाले अनुभवपरक सा य के
बावजूद वे सही त य पेश करते ए सावज नक बहस को जीत सकते ह।
इसी तरह, वैय क तकबु म उदारवाद व ास वयं भी उदारवाद समूह- च तन
का फल हो सकता है। म ट पायथन क फ़ म लाइफ़ ऑफ़ यान के एक चरम ण म
हसीन वाब से भरे अनुया यय क एक वशाल भीड़ यान को मसीहा समझने क भूल
कर बैठती है। यान अपने इन अनुया यय से कहता है, ‘आपको मेरा अनुसरण करने क
ज़ रत नह है, आपको कसी का भी अनुसरण करने के ज़ रत नह है! आपको ख़ुद ही
सोचने क ज़ रत है! आप सब वत ह! आप सब एक- सरे से अलग ह!’ म ट
पायथन 1960 के दशक क तसां कृ तक क रता क नक़ल कर रहे थे, ले कन मु ा
सामा य तौर पर ता कक वाद म आ था के स दभ म सही हो सकता है। आधु नक
लोकत इस तरह के सामू हक नारे लगाने वाल क भीड़ से भरे ए ह क ‘हाँ, मतदाता
सबसे बेहतर समझता है! हाँ, ाहक हमेशा सही होता है!’

स ा का लैक होल
समूह- च तन और गत अ ानता क सम या केवल साधारण मतदाता और
ाहक का ही नह , ब क रा प तय और चीफ़ ए ज़ी यू टव ऑ फ़सर का भी सरदद
है। उनके पास ढे र सलाहकार और वशाल ख़ु फ़या एज सयाँ हो सकती ह, ले कन ज़ री
नह क इससे थ त बेहतर हो जाती हो। जब आप नया पर कूमत कर रहे ह , तब
स य का पता लगा पाना बेहद मु कल होता है। आप कुछ यादा ही त होते ह।
यादातर राजनी तक मु खया और कारोबारी मुग़ल हमेशा हड़बड़ी म होते ह, ले कन अगर
आप कसी वषय क गहराई म जाना चाहते ह, तो आपको ढे र-सारे व त क ज़ रत
होती है, और वशेष प से आपको व त बबाद करने क वशेष सु वधा का मलना
ज़ री होता है। आपको थ रा त को आज़माने, आपको ब द ग लय क छानबीन
करने, स दे ह और ऊब को गुंजाइश दे ने, और अ त के छोटे -छोटे बीज को फु टत
और फलने-फूलने क गुंजाइश दे ने क ज़ रत होती है। अगर आप इस तरह व त बबाद
करने क थ त म नह ह, तो आप स य को कभी नह जान सकते।
और भी बदतर बात यह है क बड़ी श याँ स य को अप रहायतः वकृत करती ह।
स ा वा त वकता को उसके वा त वक व प म दे खने क बजाय उसको बदलने म
व ास रखती है। जब आपके हाथ म हथौड़ा होता है, तो आपको हर चीज़ एक क ल
जैसी तीत होती है, और जब आपके हाथ म ब त अ धक स ा होती है, तो आपको हर
चीज़ दख़ल दाज़ी के लए एक आम ण जैसी तीत होती है। अगर आप कसी तरह इस
ती इ छा पर क़ाबू पा भी ल, तो जन लोग से आप घरे ह, वे उस हथौड़े को कभी नह
भूलगे, जो आपने थाम रखा है। आपसे बात करने वाले हर के मन म एक
सु वचा रत या अ वचा रत कायसूची होगी, इस लए वे जो कुछ भी कहगे, उसम आप कभी
भी पूरी तरह व ास नह कर पाएँगे। कोई भी सुलतान अपने दरबा रय और मातहत पर
कभी भी इतना भरोसा नह कर सकता क वे उसके सामने सच कह सक।
बड़ी श इस तरह एक ऐसे लैक होल के प म काम करती है, जो अपने आस-
पास के हर पेस को वकृत कर दे ता है। आप उसके जतने ही यादा क़रीब जाते ह, हर
चीज़ उतनी ही तोड़ी-मरोड़ी गई होती जाती है। आपक क ा म वेश करते ही हर श द
को अ त र वज़नदार बना दया गया होता है, और जस कसी भी से आप मलते
ह, वह आपक चाटु का रता करने, आपको ख़ुश करने, आपसे कुछ हा सल करने क
को शश करता है। वे जानते ह क आप उनको दो-एक म नट से यादा व त नह दे
सकते, और वे डरे होते ह क उनक ज़बान से कोई अनु चत या गड़बड़ बात न नकल
जाए, इस लए अ त म वे या तो खोखले नारे लगाते ह या सबसे यादा घसी- पट बात
करने लगते ह।
कुछ साल पहले मुझे इज़रायल के धानम ी बे या मन नेतनया के साथ डनर के
लए आम त कया गया था। मेरे दो त ने मुझे वहाँ न जाने क चेतावनी द थी, ले कन
म अपने लोभ का संवरण नह कर सका। म सोचता था क मुझे ऐसी कुछ बड़ी रह य क
बात सुनने को मलगी, जो ब द दरवाज़ के पीछे केवल मह वपूण कान को ही सुनने को
मलती ह, ले कन वह मुलाक़ात कस क़दर नराशाजनक थी! वहाँ लगभग तीस लोग थे,
और हर कोई उस महान आदमी का यान अपनी ओर आक षत करने, अपनी
हा ज़रजवाबी से उसको भा वत करने, उसक चाटु का रता कर उसका समथन या कुछ
और हा सल करने क को शश म लगा आ था। अगर वहाँ मौजूद क ह लोग को कसी
बड़े रह य क कोई जानकारी थी, तो वे उस रह य को अपने तक सी मत रखने का
अ य त महान काम कर रह थे। इसम नेतनया क शायद ही कोई ग़लती थी, या यूँ कह
क दरअसल कसी क भी ग़लती नह थी। ग़लती थी स ा के गु वाकषण बल क ।
अगर आप स य जानना चाहते ह, तो आपको स ा के लैक होल से र जाने, और
बाहरी सतह पर यहाँ-वहाँ भटकते ए ख़ुद को ढे र सारा समय बबाद करने क गुंजाइश
दे ने क ज़ रत है। ा तकारी ान के के तक प ँच पाना लभ ही होता है, य क
के था पत ान पर खड़ा होता है। स ा के के तक कसक प ँच हो, इसका
नधारण सामा य तौर पर पुरानी व था के रखवाले करते ह, और वे बाधा प ँचाने वाले
अपार प रक वचार के वाहक को नकाल बाहर करने क को शश करते ह। न य ही वे
अप र मत तादाद म कचरे को भी हटा दे ते ह। दावोस व ड इकॉनॉ मक फ़ोरम म
आम त न कया जाना ा क गारंट शायद ही हो। इसी लए आपको बाहरी सतह पर
इतना अ धक समय बबाद करना ज़ री होता है। उनम कुछ वल ण ा तकारी
अ त याँ मौजूद हो सकती ह, ले कन वे यादातर अ ानपूण अनुमान , अपनी क़लई
खो चुके मॉडल , अ ध व ासपूण मत और ष क हा या पद अटकल से भरी होती
ह।
नेतागण इस तरह एक दोहरे ब धन म जकड़े होते ह। अगर वे स ा के के म बने
रहते ह, तो उनको नया क एक अ य त वकृत तसवीर दे खने को मलेगी। अगर वे
हा शय पर भटकते रहते ह, तो वे अपना ब त सारा क़ मती व त बबाद करगे। और
सम या और भी बदतर होती जाएगी। आने वाले दशक म यह नया आज क तुलना म
और भी यादा पेचीदा हो जाने वाली है। इसके नतीजे म अलग-अलग मनु य - वे चाहे
यादे हो या राजा - उन ौ ो गक य य के बारे म, आ थक वृ य के बारे म, और
राजनी तक ग तय के बारे म और भी कम जानते ह गे। जैसा क 2,000 साल से भी
यादा पहले सुकरात ने अवलोकन कया था, इस तरह क प र थ तय म सबसे अ छा
यही है क हम अपनी गत अ ानता को वीकार कर।
ले कन तब नै तकता और याय का या होगा? अगर हम नया को समझ ही नह
सकते, तो फर हम सही और ग़लत के बीच, याय और अ याय के बीच भेद करने क
उ मीद कैसे कर सकते ह?
16
याय
हमारा याय-बोध शायद पुराना हो गया है

हमारे तमाम सरे बोध क तरह ही हमारे याय-बोध क भी ाचीन वकासवाद जड़ ह।


मनु य क नै तकता ने वकास क उस लाख वष ल बी या के दौरान आकार लया
था, जो उन सामा जक और नै तक धमसंकट से नपटने के अनु प ढली थी, जो
शकारी-सं हकता के छोटे -छोटे क़बील म अ या शत प से कट होते रहते थे।
अगर म आपके साथ शकार करने जाता और मने एक हरण को मारा होता था, जब क
आपके हाथ कुछ भी नह लगा होता था, तो या मुझे अपने लूट के माल को आपके साथ
साझा करना चा हए था? अगर आप मश म इक ा करने गए होते और टोकरी भर
मश म लेकर आए होते, तो या यह त य क म आपसे यादा मज़बूत ँ, मुझे इस बात
क गुंजाइश दे ता है क म वे सारे मश म आपसे छ नकर अपने पास रख लूँ? और अगर
मुझे पता होता क आप मेरी ह या करने का ष रच रहे ह, तो या यह ठ क होता क
म पहले ही कारवाई करते ए आधी रात को आपका गला काट दे ता?
ऊपरी तौर पर, जब से हम अ का के घास के मैदान को छोड़कर नगरीय जंगल म
आ बसे ह, तब से ब त यादा बदलाव नह आया है। हम लग सकता है क जन सवाल
का सामना आज हम कर रहे ह - सी रयाई गृह यु , वै क ग़ैरबराबरी, लोबल व मग - वे
काफ़ हद तक वही पुराने सवाल ह, ले कन यह एक म है। आकार मायने रखता है, और
ब त-से सरे कोण क ही तरह, याय के कोण से हम अभी भी उस नया के
अनु प ठ क से नह ढल सके ह, जसम हम रहते ह।
सम या मू य क नह है। इ क सव सद के नाग रक चाहे मज़हबी ह या
धम नरपे ह , उनके पास बड़ी तादाद म मू य ह। सम या इस ज टल भूम डलीय जगत
म उन मू य को या वत करने क है। सारी ग़लती सं या क है। भोजन-खो जय
का याय-बोध एक- सरे के नकट रह रहे सैकड़ लोग क ज़ द गय से ता लुक़ रखने
वाली वधा के साथ तालमेल बैठाने के हसाब से गढ़ा आ था। जब हम तमाम
महा प म फैले लाख लोग के बीच के र त को समझने क को शश करते ह, तो
हमारा नै तक बोध परा जत हो जाता है।
याय महज़ अमूत मू य के एक समु चय भर क माँग नह करता, वह ठोस कारण-
काय स ब ध क समझ क माँग भी करता है। अगर आपने अपने ब च का पेट भरने के
लए मश म इक े कए होते थे और म बलपूवक आपसे मश म क वह टोकरी छ न
लेता, तो इसका मतलब था क आपका सारा कया-धरा पानी म मल जाता और आपके
ब च को भूखा सो जाना पड़ता, जो क अ यायपूण होता। इस बात को समझना आसान
है, य क यहाँ कारण-काय स ब ध को दे ख पाना आसान है। बद क़ मती से, आधु नक
भूम डलीय नया का एक अ त न हत ल ण यह है क इसके कारण-काय स ब ध
ब त-सी शाखा म फैले और ज टल ह। म कसी क तरफ़ अंगल ु ी उठाए बना
शा तपूवक अपने घर म रह रहा हो सकता ँ, और तब भी वामप थी कायकता के
मुता बक़ म इज़रायली सै नक और वे ट बक के उप नवेशवा दय ारा कए गए
अ याचार म पूरी तरह से भागीदार हो सकता ँ। समाजवा दय के मुता बक़ मेरा सुख-
चैन से भरा जीवन तीसरी नया के दा ण कारख़ान म काम कर रहे बाल- मक पर
टका आ है। पशु-क याण के पैरोकार मुझे याद दलाते ह क मेरा जीवन इ तहास के
सबसे भयावह अपराध से गुँथा आ है - खाने के लए तैयार कए जाने वाले अरब
जानवर का शोषण क ू रतापूण व था के अ तगत अधीनीकरण।
या मुझे वाक़ई इस सबके लए दोषी ठहराया जाना चा हए? इसका जवाब आसान
नह है। चूँ क म अपने अ त व के लए आ थक और राजनी तक र त के एक चकरा दे ने
वाले त पर नभर ँ, और चूँ क भूम डलीय कारण-काय र ते आपस म बेहद उलझे ह,
इस लए मुझे इस तरह के सरलतम सवाल का जवाब दे ने तक म मु कल पेश आती है क
मेरा दोपहर का भोजन कहाँ से आता है, जो जूते म पहनता ँ, उनको कसने बनाया है,
मेरी पशन न ध मेरे पैसे के साथ या कर रही है।

न दय को चोरी
एक आ दमकालीन शकारी-सं हकता अ छ तरह से जानती थी क उसका दोपहर का
भोजन कहाँ से आता था (वह उसने ख़ुद ही जुटाया होता था), वह जानती थी क उसक
जू तयाँ कसने बनाई थ (उनको बनाने वाला उससे बीस मीटर क री पर सो रहा होता
था), और वह जानती थी क उसक पशन न ध या कर रही होती थी (वह क चड़ म
खेल रही होती थी। तब लोग क एक ही पशन- न ध आ करती थी - ‘ब चे’ नाम क
पशन- न ध)। म उस शकारी-सं हकता क तुलना म ब त यादा अ ानी ँ। वष का
शोध इस त य को सामने ला सकता है क जस सरकार को मने वोट दया था, वह नया
के सरे छोर पर बैठे कसी स द ध तानाशाह को गुपचुप तरीक़े से ह थयार बेच रही है,
ले कन जब तक मुझे इस बात क जानकारी होती है, उस दौरान म इनसे भी यादा
मह वपूण खोज से वं चत रह गया हो सकता ँ, जैसे क उन चूज़ क नय त से, जनके
अ डे मने डनर म खाए थे।
व था कुछ इस तरह गढ़ ई है क जो लोग जानने का कोई उ म नह करते, वे
परम अ ानता क थ त म बने रह सकते ह, और जो लोग इसके लए उ म करते ह,
उनके लए स चाई को जानना ब त मु कल सा बत हो सकता है। जब वै क आ थक
त अनवरत प से मेरी ओर से और मेरी जानकारी के बना चुराने के काम म लगा हो,
तब चोरी करने से बचना कैसे मुम कन है? इससे अ तर नह पड़ता क आप कम को
उनके फल के आधार पर परखते ह (जैसे क आप सोचते ह क चोरी करना इस लए
ग़लत है, य क इससे चोरी का शकार ःखी होता है), या आप उन नरपे
कत म व ास करते ह, जनका पालन उनके फल क परवाह कए बना कया जाना
चा हए (जैसे क चोरी करना इस लए ग़लत है य क ई र ने ऐसा कहा है)। सम या यह
है क हम वा तव म जो कुछ कर रहे होते ह, वह इतना उलझ चुका है क उसको समझ
पाना मु कल है।
चोरी न करने का ई रीय आदे श उस समय गढ़ा गया था, जब चोरी करने का मतलब
भौ तक प से ख़ुद अपने हाथ से कोई ऐसी चीज़ उठा लेना होता था, जो आपक नह
होती थी, ले कन आज चोरी से स ब धत वा त वक मह वपूण तक नता त भ
प र य से ता लुक़ रखता है। मान ली जए क म एक बड़े पै ोकै मकल कॉप रेशन के
शेयर म 10,000 डॉलर का नवेश करता ँ, जो मुझे मेरे इस नवेश पर सालाना 5 %
रटन उपल ध कराता है। यह कॉप रेशन ब त लाभदायक है, य क उसको
ए सटन टज़ के लए द डत नह होना पड़ता। वह े ीय जल-आपू त, जनता के
वा य, या थानीय व य-जीवन के लए प ँचने वाले नुक़सान क परवाह कए बना
ज़हरीले कचरे को पास क नद म फक दे ता है। वह अपनी दौलत का इ तेमाल कर ऐसे
वक ल क फ़ौज खड़ी करता है, जो हजाने क कसी भी तरह क माँग के ख़लाफ़
उसका बचाव करती है। वह ऐसे लॉ ब ट् स को भी अपने पास बनाए रखता है, जो
पयावरण स ब धी क ह स त क़ानून के नमाण क कसी भी को शश म अड़ंगा डालते
ह।
या हम इस कॉप रेशन पर ‘नद को चुराने’ का आरोप लगा सकते ह? और गत
प से मेरे बारे म या कहा जाएगा? मने कभी कसी के घर का ताला नह तोड़ा या कभी
कसी के बटु ए से एक पया भी नह चुराया। मुझे इस बात क कोई जानकारी नह है क
यह कॉप रेशन अपना मुनाफ़ा कस तरह कमाता है। मुझे तो यह तक ठ क से याद नह है
क मेरे पोटफ़ो लयो का एक ह सा इसम नवे शत है। तब या म चोरी का अपराधी ँ?
जब हमारे पास तमाम ासं गक त य को जानने का कोई उपाय ही नह है, तब हम
नै तक आचरण कैसे कर सकते ह?
आप ‘इराद क नै तकता’ अपनाकर इस सम या से बचने क को शश कर सकते ह।
मह वपूण यह है क मेरा इरादा या था, न क यह क वा तव म म या करता ँ और जो
कुछ करता ँ, उसका फल या होता है, ले कन एक ऐसी नया म जसम हर चीज़
आपस म जुड़ी ई है, जानने क अ नवायता सबसे बड़ी नै तक अ नवायता बन जाती है।
आधु नक इ तहास के सबसे भीषणतम अपराध महज़ घृणा और लालच के नतीजे नह ह,
ब क उनसे यादा वे अ ानता और उदासीनता के नतीजे ह। जन आकषक अँ ेज़
म हला ने अ का या कैरे बया म कभी क़दम भी नह रखे थे, वे ल दन के शेयर बाज़ार
म शेयर और बॉ ड ख़रीदकर अटलां टक ग़लाम ापार को व ीय साधन उपल ध
कराती थ । इसके बाद वे नारक य बाग़ान ( जनके बारे म वे कुछ नह जानती थ ) म पैदा
क गई झ क सफ़ेद शकर क यू स से शाम क अपनी चाय को मीठा करती थ ।
जमनी म 1930 के दशक के आ ख़री वष म थानीय पो ट-ऑ फ़स मैनेजर अपने
कमचा रय के क याण क च ता करने वाला, और ग़ायब हो चुके पासल को खोजने म
परेशान लोग क गत प से मदद करने वाला ईमानदार नाग रक हो सकता था। वह
अपने काम पर सबसे पहले प ँचने वाला और वहाँ से सबसे अ त म जाने वाला
होता था, और बफ़ क आँ धय के दन म भी सु न त करता था क लोग क डाक
समय पर प ँचे। आह! उसका कायकुशल और आ त यपूण पो ट-ऑ फ़स नाज़ी सरकार
के नायु-त क एक मम पष को शका जैसा था। वह न लवाद चार, वेहरमा ट के
भत आदे श , और थानीय एसएस ांच के स त आदे श के समाना तर चला करता था।
उन लोग के इराद म कोई खोट होता है, जो जानने क कोई ईमानदार को शश नह
करते।
ले कन ‘जानने क ईमानदार को शश’ या है? या हर दे श के पो टमा टर को उनके
ारा प ँचाई जाने वाली हर डाक को खोलकर दे खना चा हए, और अगर उनको उनम
कोई सरकारी चार दखाई दे ता है, तो या उनको याग-प दे दे ना चा हए या व ोह कर
दे ना चा हए? 1930 के दशक के नाज़ी जमनी को पूण नै तक न या मकता के भाव से
मुड़कर दे खना आसान है, य क हम जानते ह क कारण-काय क शृंखला कहाँ ले गई
थी, ले कन प चात के लाभ के बना नै तक न या मकता हमारी प ँच से परे हो
सकती है। कड़वी स चाई यह है क हमारे शकारी-सं हकता दमाग़ के लहाज़ से नया
कुछ यादा ही ज टल बन चुक है।
समकालीन नया के यादातर अ याय गत पूवा ह क बजाय बड़े पैमाने के
ढाँचागत प पात का प रणाम होते ह, और हमारे शकारी-सं हकता दमाग़ ढाँचागत
प पात का पता लगा लेने के लए वक सत नह ए ह। इस तरह के कम-से-कम कुछ
प पात म हम सबक भागीदारी है, और उन सबका पता लगाने का न तो हमारे पास
व त है, न ऊजा है। इस पु तक को लखते ए मुझे गत प से सीख मली है।
वै क मु क चचा करते ए म हमेशा व भ वं चत समूह के कोण पर वै क
कुलीन वग के कोण को वरीयता दे ने का ख़तरा उठा रहा होता ँ। यह वै क कुलीन
वग संवाद को नय त करता है, इस लए इसके कोण से चूकना अस भव है। इसके
वपरीत वं चत समूह का मुँह नय मत प से ब द कया जाता रहा है, इस लए उनके बारे
म भूल जाना आसान है - कसी जानी-बूझी भावना क वज़ह से नह , ब क नरी
अ ानता क वज़ह से।
उदाहरण के लए, म त मा नयाई मूल नवा सय के व श कोण और सम या
के बारे म क़तई कुछ भी नह जानता। वाक़ई, म इतना कम जानता ँ क मने अपनी एक
पछली पु तक म यहाँ तक मान लया था क त मा नयाई मूल नवा सय का अब
अ त व तक नह है, य क उनको यूरोपीय उप नवेशवा दय ने पूरी तरह ख़ म कर दया
था। दरअसल, आज हज़ार ऐसे लोग जी वत ह, जो अपनी वंशावली को त मा नया क
मूल नवा सय क आबाद से जोड़कर दे खते ह, और वे ब त-सी व श सम या से
जूझ रहे ह। इनम से एक यह है क उनके अ त व से ायः इंकार कया जाता है, ख़ासतौर
से पढ़े - लखे अ येता ारा।
यहाँ तक क अगर आप गत प से वं चत के कसी समूह से स ब ध रखते ह,
और आपको उसके कोण क गहरी सीधी जानकारी है, तब भी इसका मतलब यह नह
है क आप ऐसे सरे समूह के कोण को भी समझते ह, य क हर समूह और
उपसमूह अलग-अलग तरह क बाधा , दोहरे मापद ड , कूटब अपमान और
प पात का सामना कर रहा है। तीस साल के एक अ क अमे रक पु ष का इस बात
को लेकर तीस साल पुराना अनुभव है क अ क अमे रक पु ष होने का या मतलब
होता है, ले कन एक अ क अमे रक ी होने, बु गा रयाई रोमा होने, एक ने हीन सी
होने या एक चीनी समल गक ी होने का या अथ है, इस बारे म उसका कोई अनुभव
नह है।
बड़े होने के साथ-साथ इस अ क अमे रक पु ष को पु लस ारा बना कसी
ज़ा हर वज़ह के बार-बार रोका गया था और उसक तलाशी ली गई थी, जो एक ऐसा
अनुभव था, जससे उस चीनी समल गक ी को कभी नह गुज़रना पड़ा। इसके वपरीत,
एक अ क अमे रक मोह ले म एक अ क अमे रक प रवार म ज मे होने का मतलब
था क वह अपने ही जैसे उन लोग से घरा रहा, ज ह ने उसको वह सब सखाया, जो
एक अ क अमे रक के प म जी वत बने रहने और फलने-फूलने के लए उसको
सीखना ज़ री था। वह चीनी समल गक ी कसी समल गक पड़ोस म कसी समल गक
प रवार म नह ज मी थी, और मुम कन है क उसको मह वपूण सीख दे ने के लए नया
म कोई न रहा हो। इस लए बा ट मोर म अ ेत के प म बड़ा होना हां ज़ो म एक
समल गक ी के प म बड़े होने के संघष को समझना आसान नह बना दे ता।
पछले युग म यह बात ब त कम मायने रखती थी, य क आप नया के सरे छोर
पर रह रहे लोग क दशा के लए शायद ही ज़ मेदार होते थे। अगर आप अपने कम
सौभा यशाली पड़ो सय के साथ सहानुभू त था पत करने क को शश करते थे, तो इतना
भर आमतौर से काफ़ होता था, ले कन आज जलवायु प रवतन और आ ट फ़ शयल
इंटे लजस जैसी चीज़ के बारे म जारी बड़ी वै क बहस का भाव हर कसी पर पड़ता
है - चाहे वे लोग त मा नया के ह , हां ज़ो के ह या बा ट मोर के ह - इस लए हम सारे
कोण को यान म रखना ज़ री है, ले कन कोई भी यह कैसे कर सकता है?
कोई भी सारी नया म एक- सरे को वभा जत करते हज़ार समूह के बीच के
र त के जाल को कैसे समझ सकता है?

छोटा कर या इंकार कर?


हम अगर सचमुच ऐसा चाहते भी ह , तब भी हमम से यादातर लोग अब नया क बड़ी
नै तक सम या को समझने म स म नह रह गए ह। लोग दो भोजन-खो जय के बीच
के, बीस भोजन-खो जय के बीच के, या दो पड़ोसी कुट बां के बीच के र त को समझ
सकते ह, ले कन वे कई लाख सी रयाइय के बीच के र त को, 50 करोड़ यूरो पय के
बीच के र त को, या भू ह के एक- सरे से वभा जत सारे समूह और उपसमूह के बीच
के र त को समझने क से अनुपयु ह।
इस पैमाने क नै तक वधा को समझने और परखने क को शश म लोग अ सर
चार प तय म से कसी एक प त का सहारा लेते ह। पहली है, मु े को छोटा करके
दे खना : सी रयाई गृहयु को इस तरह समझना, जैसे वह दो भोजन-खो जय के बीच
घ टत हो रहा हो, असद क शासन- णाली क एक के प म और व ो हय क
एक सरे के प म क पना करना, जनम एक अ छा है और सरा बुरा।
इससे टकराव क ऐ तहा सक ज टलता क जगह एक सीधा-सादा, प कथानक ले लेता
है।
सरी प त है कसी मा मक मानवीय क़ से पर यान के त करना, जो कट प
से समूचे टकराव का त न ध व करता है। जब आप सां यक और सट क आँकड़ के
मा यम से टकराव क स ची ज टलता के बारे म लोग को समझाने क को शश करते ह,
तो आप उनको गँवा दे ते ह, ले कन कसी एक ब चे क नय त के बारे म कोई नजी
क़ सा आँसु क झड़ी लगा दे ता है, ख़ून खौला दे ता है, और छ नै तक
अव य भा वता को पैदा कर दे ता है। यह वह चीज़ है, जसको ल बे समय तक ब त-सी
क याणकारी सं थाएँ समझती रही ह। एक उ लेखनीय उदाहरण के तहत, माली क
रा कया नामक सात साल क एक ग़रीब ब ची क मदद के लए लोग से पैस का दान दे ने
को कहा गया था। उस ब ची का क़ सा सुनकर ब त-से लोग वच लत हो उठे और
उ ह ने अपने दल और बटु ए खोल दए, ले कन जब अ येता ने रो कया के नजी क़ से
के साथ-साथ अ का म ग़रीबी क ापक सम या से स ब धत आँकड़े लोग के सामने
पेश कए, तो लोग अचानक मदद करने को लेकर कम त पर हो उठे । एक अ य अ ययन
के तहत, अ येता ने या तो कसी एक बीमार ब चे क या आठ बीमार ब च क
सहायता के लए दान क याचना क । लोग ने आठ के समूह क बजाय अकेले ब चे के
लए यादा पैसा दया।
बड़े पैमाने क नै तक वधा से नपटने क तीसरी प त ष के क़ से गढ़ने
क है। वै क अथ व था कस तरह काम करती है, और वह अ छ है या बुरी है?
इसक ज टलता को समझ पाना ब त मु कल काम है। इस तरह क क पना करना
यादा आसान है क ख़ुद को समृ बनाने के लए बीस ब खरबप त मलकर पद के
पीछे से डो रयाँ ख च रहे ह, मी डया को नय त कर रहे ह और यु को भड़का रहे ह।
यह लगभग हमेशा ही एक नराधार क पना होती है। समकालीन नया ब त यादा
ज टल है, सफ़ हमारे याय-बोध के लहाज़ से ही नह , ब क हमारी ब धक य
क़ा ब लयत के लहाज़ से भी। कोई भी - ब खरबप त, सीआईए, मैस स और ए डस
ऑफ़ ज़ऑन समेत कोई भी नह जानता क नया म या चल रहा है। इस लए कोई भी
भावशाली ढं ग से डो रयाँ ख चने म स म नह है। ये तीन प तयाँ नया क
वा त वक ज टलता से इंकार करने क को शश करती ह। चौथी और अ तम प त है
कसी प थ क रचना करना, कसी तथाक थत सव स ा त, सं था या मु खया को
अपनी आ था स प दे ना, और वे जहाँ कह भी ले जाएँ, वहाँ उनका अनुसरण करना।
मज़हबी और वचारधारा मक प थ हमारे इस वै ा नक युग म अभी भी बेहद आकषक
बने ए ह, य क वे हम यथाथ क हताश कर दे ने वाली ज टलता से र एक सुर त
वग का वाब दखाते ह। जैसा क पहले कहा जा चुका है, धम नरपे आ दोलन भी इस
ख़तरे के अपवाद नह रहे ह। अगर आप वै ा नक स य के त ढ़ न ा के साथ तमाम
मज़हबी प थ के तर कार के साथ भी शु आत करते ह, तब भी आगे-पीछे यथाथ क
ज टलता इतनी खीझ से भर दे ने वाली बन सकती है क आप कोई ऐसा प थ गढ़ने क
ओर े रत हो जाते ह, जस पर सवाल न उठाया जा सके। जहाँ इस तरह के प थ लोग
को बौ क राहत और नै तक न या मकता उपल ध कराते ह, वह यह बात बहस यो य
बनी रहती है क या वे याय भी उपल ध कराते ह।
तब फर या कया जाए? या हम उदारवाद मत को अपना ल और वत
मतदाता और ाहक के समूह म व ास करने लग जाएँ? या हम इस वाद
कोण को ख़ा रज़ कर द, और इ तहास क पछली ब त-सी सं कृ तय क भाँ त एक
संग ठत नया क अथव ा क ख़ा तर समुदाय को श शाली बनाएँ? ले कन इस तरह
का समाधान हम सफ़ वैय क अ ानता के गरम तवे से हटाकर प पातपूण
समूह च तन क आग के हवाले ही कर दे ता है। शकारी-सं हकता क़बीले, ा य समुदाय
और नगरीय प रवेश तक उन साझा सम या के बारे म वचार कर सकते थे, जनका
उनको सामना करना पड़ता था, ले कन हम अब कसी वै क समुदाय से वं चत होकर
वै क सम या से घरे ए ह। न फ़ेसबुक, न रा वाद और न ही मज़हब ऐसा कोई
समुदाय रचने के क़रीब है। सारी मौजूदा मानवीय जा तयाँ अब वै क स चाई को समझने
क बजाय अपने व श हत को पूरा करने म त ह। अमे र कय , ची नय , मुसलमान
या ह म से कोई भी ‘वै क समुदाय’ नह है, इस लए इनम से कसी क भी यथाथ
क ा या व सनीय नह है।
तब या हम बहस ब द कर द, और ऐलान कर द क स य को समझने और याय
ा त करने क मानवीय तलाश नाकामयाब हो चुक है? या हम अ धकृत तौर पर स य
के बाद (पो ट-टथ) के युग म वेश कर चुके ह?
17
स य के बाद का युग
कुछ झूठ ख़बर हमेशा के लए बनी रहती ह

आजकल हमसे बार-बार कहा जाता है क हम ‘स य के बाद’ के एक नए और डरावने युग


म रह रहे ह, और झूठ तथा का प नक क़ स का हमारे चार ओर बोलबाला है।
उदाहरण का मलना मु कल नह है। जैसे क फ़रवरी 2014 म स क वशेष टु क ड़य
ने, ज ह ने फ़ौजी तमगे नह पहने ए थे, उ े न पर हमला कर दया था और मया के
मह वपूण सै य अ पर क़ ज़ा कर लया था। सी सरकार और गत प से
रा प त पु तन ने इस बात का ख डन कया क वे सी सेनाएँ थ , और उ ह ने उ ह ऐसे
वतः फूत ‘आ मर ा मक समूह ’ के प म च त कया, ज ह ने शायद थानीय
कान से सी जैसे दखने वाले उपकरण जुटा लए थे। जस व त वे यह हा या पद
दावा कर रहे थे, पु तन और उनके सहयोगी अ छ तरह से जानते थे क वे झूठ बोल रहे
थे।
सी रा वाद इस झूठ से यह तक दे कर छु टकारा पा सकते ह क यह झूठ एक बड़े
स य के प म जाता है। स एक यायपूण यु म संल न था, और अगर एक यायपूण
येय क ख़ा तर ह या क जा सकती है, तो झूठ भी य नह बोला जा सकता? उ े न पर
हमले को तथाक थत प से यायसंगत ठहराने वाला महान येय प व सी रा का
संर ण था। स के रा वाद मथक के मुता बक़, स एक प व स ा है, जो श ु
ारा इस पर हमला करने और इसको वख डत करने क नर तर को शश के बावजूद
एक हज़ार साल तक क़ायम रही है। मुग़ल , पोलडवा सय , वी डय , नेपो लयन क ड
आम और हटलर वेहरमा ट के बाद 1990 के दशक म यह नाटो, संयु रा य अमे रका
और यूरोपीय यू नयन थे, ज ह ने इसक काया के ह स को अलग कर और उ े न जैसे
‘छ रा ’ का नमाण कर स को न करने क को शश क । ब त-से सी रा वा दय
के लए यह वचार क उ े न स से अलग एक रा है, उससे कह बड़ा झूठ है, जो सी
रा को पुनग ठत करने के प व अ भयान के दौरान रा प त पु तन ने बोला था।
हो सकता है क उ े नयाई नाग रक, बाहरी पयवे क और ावसा यक इ तहासकार
इस प ीकरण से ख़फ़ा ए ह , और उ ह ने इसको स क धूतता के श ागार के एक
तरह के ‘एटम-बम झूठ’ क तरह दे खा हो। यह दावा करना क एक रा और एक वत
दे श के प म उ े न का अ त व ही नह है, ऐ तहा सक त य क एक ल बी फ़ेह र त को
ख़ा रज़ करता है - उदाहरण के लए, यह क स क क थत एकता के एक हज़ार साल
के दौरान, क व और मॉ को मा लगभग 300 वष तक एक ही मु क के ह से थे। यह
अनेक अ तररा ीय क़ानून और स धय का उ लंघन भी करता है, जनको स ने पहले
वीकार कया आ था और ज ह ने वत उ े न क स भुता और सरहद क र ा क
थी। सबसे मह वपूण यह है क यह उस चीज़ क उपे ा करता है, जो लाख उ े नयाई
अपने बारे म सोचते ह। वे जो कुछ भी ह, या उसके बारे म उनक बात नह सुनी जानी
चा हए?
उ े नयाई रा वाद सी रा वा दय से न य ही इस बात पर सहमत ह गे क उनके
आस-पास कुछ छ दे श ह, ले कन उ े न उनम से एक नह है। इसक बजाय, ये छ
मु क ह ‘लुहा क पीप स रप लक’ और ‘दोने क पीप स रप लक’ जनको स ने
उ े न पर अपने अकारण हमले के लए मुखौट क तरह इ तेमाल करने के लए खड़ा
कया था।
आप जस कसी भी प का समथन कर, ऐसा तीत होता है क हम स य के बाद के
एक भयावह युग म रह रहे ह, जब न सफ़ व श सै य घटनाएँ, ब क समूचे इ तहास
और रा भी छ हो सकते ह, ले कन अगर यह स य के बाद का युग है, तो स य का
शा त युग ठ क-ठ क कब आ करता था? 1980 के दशक म? 1950 के दशक म?
और वह या चीज़ है, जसने स य के बाद के युग म हमारे सं मण को उ े रत कया -
इंटरनेट ने? सोशल मी डया ने? पु तन और प के उ व ने?
इ तहास पर एक सरसरी नगाह डालने से यह बात ज़ा हर हो जाती है क सु नयो जत
कु चार और ग़लत सूचना म नया कुछ भी नह है, और पूरे-के-पूरे रा के अ त व से
इंकार करने तथा छ दे श गढ़ने क आदत तक क एक ल बी वंशावली रही है। 1931 म
जापानी सेना ने चीन पर अपने हमले को उ चत ठहराने के लए वयं पर एक नक़ली
हमला कया था, और इसके बाद अपनी वजय को वैधीकृत करने के लए मंचूकुओ
नामक एक छ दे श क रचना क थी। वयं चीन ल बे समय तक इस बात से इंकार
करता रहा है क त बत का एक वत दे श के प म कभी अ त व रहा है। ऑ े लया
म तानी उप नवेश को वैधा नक मत टै रा यू यूस (‘ कसी का मु क नह ’) से उ चत
ठहराया गया था, जसने कारगर ढं ग से मूल नवा सय के 50,000 साल ल बे इ तहास
को मटा दया था।
बीसव सद के शु आती वष म एक अ य त य य द वाद नारा ‘एक दे श- वहीन
जा त (य दय ) के एक जा त- वहीन दे श ( फ़ ल तीन) म वापसी क बात करता था।
थानीय अरब आबाद के अ त व क आसानी के साथ उपे ा कर द गई। 1969 म
इज़रायली धानम ी गो डा मीर का यह स कथन सामने आया क फ़ ल तीनी
समाज जैसी कोई चीज़ न तो है और न कभी थी। इस तरह के नज़ रये आज भी इज़रायल
म ब त आम ह, उस चीज़ के ख़लाफ़ दशक से जारी सश टकराव के बावजूद,
जसका अ त व नह है। उदाहरण के लए, फ़रवरी 2016 म सांसद अनत बक ने
इज़रायल क संसद म एक भाषण दया था, जसम उ ह ने फ़ ल तीनी समाज के
इ तहास क वा त वकता पर स दे ह कया था। उनका माण? जब अरबी भाषा म ‘p ’
का अ त व तक नह है, तब Palestinian समाज हो ही कैसे सकता है? (अरबी म ‘p ’
के लए ‘r ’ है, और Palestine का अरबी नाम Falastine है)।

स य के बाद वाली जा तयाँ


दरअसल, मनु य हमेशा से स य के बाद के युग म रहते आए ह। होमो से पय स स य के
बाद वाली एक जा त है, जसक श ग प ( फ़ श स) क रचना करने और उन पर
व ास करने पर नभर करती है। पाषाण युग से ही वतः फूत मथक ने मानवीय समूह
को एकजुट करने क भू मका नभाई है। सचमुच, होमो से पय स ने मु यतः ग प को
गढ़ने और चा रत करने क अपनी अनूठ यो यता के बल पर ही इस भू ह पर वजय
हा सल क है। हम एकमा ऐसे तनधारी ह, जो असं य अजन बय के साथ सहयोग कर
सकते ह, य क हम का प नक क़ से ईजाद कर सकते ह, उनको चार ओर फैला सकते
ह, और लाख सरे लोग को उन पर व ास करने के लए राज़ी कर सकते ह। जब तक
हर कोई एक ही तरह के ग प म व ास करता रहता है, तब तक हम सब एक ही तरह के
क़ानून का पालन करते ह, और इस तरह भावशाली ढं ग से आपस म सहयोग कर सकते
ह।
इस लए अगर आप स य के बाद के एक नए और डरावने युग के साथ हमारा प रचय
था पत करने के लए फ़ेसबुक, प या पु तन को दोषी ठहराते ह, तो याद र खये क
स दय पहले ईसाइय ने वयं को एक वतः फूत मथक य बुलबुले के भीतर ब द कर
लया था, जसके बाद से उ ह ने बाइबल क त या मक स चाई पर कभी भी सवाल उठाने
क ह मत नह क , वह लाख मुसलमान ने कुरान के त अपनी न संशय आ था
था पत क थी। सह ा दय तक जो चीज़ मानवीय सामा जक त के भीतर ‘ख़बर ’
और ‘त य ’ के प म वीकृत रह , उनम से यादातर चम कार , दे व त , दै य और
चुड़ैल के बारे म गढ़े गए क़ से थे, जनके बारे म साह सक रपोटर अधोलोक के सबसे
गहरे ख दक से सीधा सारण कया करते थे। हमारे पास इसका शू य वै ा नक माण है
क ईव को सप ने ललचाया था, वध मय क आ माएँ उनक मृ यु के बाद नक म जलती
ह, या जब कोई ा ण कसी शू से ववाह करता है, तो सृ के कता को यह बात पस द
नह आती, तब भी अरब लोग हज़ार साल से इन क़ स म व ास करते आए ह। कुछ
झूठ ख़बर हमेशा-हमेशा बनी रहती ह।
म इस बात के त जाग क ँ क ब त-से लोग मेरे ारा मज़हब क तुलना झूठ
ख़बर से कए जाने से परेशान ह गे, ले कन मु ा ठ क यही तो है। जब एक हज़ार लोग
कसी गढ़े गए क़ से पर एक महीने तक व ास करते रहते ह, तो वह झूठ ख़बर
कहलाती है। जब एक अरब लोग उसी क़ से पर एक हज़ार साल तक व ास करते रहते
ह, तो वह मज़हब कहलाने लगता है, और हम उसको ‘झूठ ख़बर’ न कहने क चेतावनी
द जाती है, ता क हमारे ऐसा कहने से आ थावान क भावना को चोट न प ँचे (या
हम उनका कोप न झेलना पड़े), ले कन, यान द क म मज़हब क साथकता या उसम
न हत परमाथ क भावना से इंकार नह कर रहा ँ। बात इसके ठ क वपरीत है। आप
इसे ठ क मान या ग़लत, ले कन ग प मनु यता के औज़ार के ब से के सबसे कारगर
औज़ार म से एक है। मज़हबी प थ लोग को एकजुट करके बड़े पैमाने के मानवीय
सहकार को स भव बनाते ह। वे लोग को सेना और क़ैदख़ान के साथ-साथ
अ पताल , कूल और पुल का नमाण करने को े रत करते ह। आदम और ईव का
अ त व कभी नह था, ले कन चाट् रस कैथे ल तब भी ख़ूबसूरत है। बाइबल का
यादातर ह सा का प नक हो सकता है, ले कन वह तब भी अरब लोग को आन द से
भर सकती है और वह अभी भी मनु य को क णामय, साहसी और रचना मक होने के
लए ो सा हत कर सकती है- ठ क उसी तरह जैसे डॉन व ज़ोट, वॉर एंड पीस और
हैरी पॉटर जैसी महान ग पा मक कृ तयाँ करती ह।
एक बार फर, कुछ लोग मेरे ारा बाइबल क तुलना हैरी पॉटर से कए जाने से
आहत हो सकते ह। अगर आप वै ा नक दमाग़ रखने वाले ईसाई ह, तो आप बाइबल क
सारी चूक और मथक को प ीकरण के सहारे ख़ा रज़ कर सकते ह, यह तक दे ते ए
क यह प व थ कभी भी त या मक ववरण के तौर पढ़े जाने के लए नह , ब क
गहरी ा से ओत- ोत एक पक-कथा के प म पढ़े जाने के लए लखा गया थ,
ले कन या यही बात हैरी पॉटर के बारे म भी सही नह है?
अगर आप एक क रप थी ईसाई ह, तो पूरी स भावना है क आप इस बात पर ज़ोर द
क बाइबल का एक-एक श द श दश: सही है। च लए, हम थोड़ी दे र के लए मान लेते ह
क आप सही ह, और बाइबल वाक़ई एक स चे ई र क अचूक वाणी है। तब फर आप
कुरान, तलमूद, बुक ऑफ़ मोमान, वेद , अवे ता और इ ज षयन बुक ऑफ़ डैड क
ा या कस तरह करगे? या आपके मन म यह कहने का लोभन नह जागेगा क ये
पो थयाँ हाड़मांस के इंसान ारा (या शायद शैतान ारा) रचे गए ल बे-चौड़े ग प ह? और
आप ऑग टस और लाउ डयस जैसे रोमन स ाट क द ता को कस प म दे खगे?
रोमन सीनेट लोग को दे वता म पा त रत कर दे ने क श रखने का दावा करती थी,
और फर सा ा य क जा से इन दे वता क उपासना करने क अपे ा करती थी। या
वह एक ग प नह था? सचमुच, हमारे पास इ तहास म कम-से-कम एक ऐसे छ दे वता
का उदाहरण है, जसने ग प को ख़ुद अपने मुँह से मा यता द थी। जैसा क पहले उ लेख
कया जा चुका है क 1930 के दशक और 1940 के दशक के आर भक वष म जापान
का सै यवाद स ाट हरो हतो क अलौ ककता म उ आ था पर आधा रत आ करता
था। जापान क पराजय के बाद हरो हतो ने सावज नक प से घोषणा क थी क यह
सही नह था, और वह अ ततः कोई दे वता नह था।
इस लए अगर हम इस पर सहमत भी हो जाएँ क बाइबल ई र क स ची वाणी है,
तब भी हमारे पास अरब ह , मुसलमान, य द , म वासी, रोमन और जापानी बचे रह
जाते ह, जो हज़ार साल से ग प म अपनी आ था रखते आए ह। अ य त मज़हबी समाज
तक इस बात पर सहमत ह गे क एक को छोड़कर बाक़ सारे मज़हब ग प ह। एक बार
फर, इसका यह मतलब नह है क ये ग प अ नवायतः थ या नुक़सानदायक ह। वे
इसके बावजूद सु दर और उ ेरक हो सकते ह।
न य ही, सारे मज़हबी मथक समान प से परोपकारी नह रहे ह। 29 अग त
1255 को हग नामक एक नौ साल के ब चे का शव लकन नगर के एक कुएँ म पाया गया
था। फ़ेसबुक और ट् वटर क ग़ैरमौजूदगी के बावजूद यह अफ़वाह ब त तेज़ी के साथ
फैल गई क हग क ह या थानीय य दय ारा क गई थी। लगातार दोहराए जाने से यह
क़ सा और भी व तार लेता गया और उस ज़माने के एक सबसे स अँ ेज़
वृ ा तकार मै यू पे रस ने इस बात का एक व तृत और र रं जत योरा उप ध कराया
क कस तरह समूचे इं लड के मुख य द उस अप त ब चे को मोटा करने, यातना दे ने
और अ ततः सूली पर लटकाने के लए लकन म एक ए थे। इस क थत ह या के लए
उ ीस य दय पर मुक़दमा चलाया गया और उनको फ़ाँसी द गई। इसी तरह के ख़ूनी
अ भयोग इं लैड के सरे नगर म भी लोक य ए। इनके नतीजे म एक-के-बाद एक
तबा हयाँ , जनके तहत पूरे-के-पूरे समुदाय का क़ लेआम कया गया। अ ततः, 1290
म इं लड क समूची य द आबाद को दे श से बाहर खदे ड़ दया गया।
क़ सा यह ख़ म नह आ। य दय के इं लड से न कासन के एक सद बाद जे
चौसर - अँ ेज़ी सा ह य के जनक - ने लकन के हग के क़ से के आधार पर एक ख़ूनी
कलंक (‘द ायोरेस’स टे ल’) का उ लेख कटरबरी टे स म कया। इस क़ से का समापन
य दय को फाँसी पर लटकाए जाने के साथ होता है। इसी तरह के ख़ूनी कलंक बाद म
परवत म ययुगीन पेन से लेकर आधु नक स तक के हरेक य द - वरोधी आ दोलन का
मु य ह सा बन गए। इसक एक सु र त व न 2016 क इस ‘झूठ ख़बर’ तक म सुनी
जा सकती है क हलेरी लंटन ब च क ख़रीद-फ़रो त करने वाले एक त क
मु खया थ , जो ब च को एक लोक य प ज़े रया के तहख़ाने म यौनपरक ग़लाम के
प म ब धक बनाकर रखता था। पया त अमे र कय ने इस क़ से पर व ास कर
लंटन के चुनाव अ भयान को नुक़सान प ँचाया, और एक तो ब क़ लेकर उस
प ज़ा रया तक जा प ँचा और उसने उसके तहख़ाने को दे खने क माँग क (पता चला
क उस प ज़ा रया म कोई तहख़ाना था ही नह )।
जहाँ तक वयं लकन के हग का सवाल है, कोई नह जानता था क उसक मृ यु
कस तरह ई थी, ले कन उसको लकन कैथे ल म दफ़नाया गया और उसक एक स त
के प म पूजा क जाने लगी। उसके बारे म या त थी क वह तरह-तरह के चम कार
करता है, और इं लड से तमाम य दय के न कासन के स दय बाद तक उसक क़ पर
तीथया य का आना जारी रहा। 1955 म जाकर ही - यानी होलोका ट के दस साल बाद
- लकन कैथे ल को ह या के कलंक से मु मली, और हग क क़ के क़रीब एक
फलक था पत कया गया, जस पर लखा आ है :

य द समुदाय ारा ईसाई ब च क ‘आनु ा नक ह या ’ के गढ़े गए क़ से


म य युग के दौरान और उसके ब त बाद तक भी समूचे यूरोप म आम आ करते
थे। इन ग प क क़ मत ब त-से नद ष य दय को अपनी जान से चुकानी
पड़ी। लकन क अपनी कवदं ती है और ह या के इस क थत शकार को इस
कैथे ल म 1255 म दफ़नाया गया था। इस तरह के क़ से ईसाइयत क साख
को बढ़ाने वाले नह ह।

बहरहाल, कुछ झूठ ख़बर मा 700 साल तक बनी रहती ह।

एक बार का झूठ, हमेशा के लए स चाई


ाचीन मज़हब अकेले नह थे, ज ह ने आपसी सहकार को मज़बूत बनाने के लए ग प
का इ तेमाल कया था। और भी हाल के युग म हर रा ने अपने वयं के रा ीय मथक
क रचना क थी, वह सा यवाद, नाज़ीवाद और उदारवाद ने व तृत वतः फूत मत को
तराशा था। ना ज़य के सरकारी चार के उ ताद और स भवतः आधु नक युग के सबसे
यादा पारंगत मी डया-जा गर जोसेफ़ गोएब स के बारे म कहा जाता है क उसने अपनी
प त का सार-सं ेप यह कहते ए पेश कया था क “एक बार बोला गया झूठ, झूठ ही
बना रहता है, ले कन जब कसी झूठ को हज़ार बार बोला जाता है, तो वह सच बन जाता
है।” मैन क फ़ म हटलर ने लखा था क “ चार क सबसे वल ण तकनीक भी तब
तक कामयाब नह होगी, जब तक क एक बु नयाद स ा त को लगातार दमाग़ म नह
रखा जाता - इसे ख़ुद को कुछ बात तक सी मत रखा जाना चा हए और उन बात को
बार-बार दोहराया जाना चा हए।” या आज के ज़माने का कोई झूठ ख़बर फैलाने वाला
इस बात म बढ़त हा सल कर सकता है?
सो वयत सरकारी चार-त भी स चाई को लेकर उतना ही चु त था, जसने पूरे के
पूरे यु से लेकर गत छाया च तक हर चीज़ के इ तहास का पुनलखन कया था।
29 जून 1936 को सरकारी समाचार-प ावदा ( जसका मतलब होता है ‘स य’) के
मुखपृ पर एक तसवीर छपी, जसम मु कारता जोसेफ़ ता लन एक सात-वष य लड़क
गे या माक ज़ोवा को गले लगा रहा था। यह छ व ता लनवाद तीक बन गई थी, जो
ता लन को रा पता के प म त ा पत करती थी और ‘सुखी सो वयत बचपन’ का
आदष करण करती थी। सारे दे श के मु णालय और कारख़ान ने इस य को मथकर
लाख पो टर, मू त श प और प चीका रयाँ तैयार करनी शु कर द , जनका दशन
सो वयत यू नयन के एक सरे से लेकर सरे सर तक सारी सावज नक सं था म कया
गया। जस तरह व जन मेरी क मू त के बना कोई भी सी पर परावाद चच अधूरा आ
करता था, उसी तरह छोट -सी गे या को गोद म उठाए पापा ता लन के बना कसी भी
सो वयत कूल का काम नह चलता था।
आह, ता लन के सा ा य म स ायः तबाही के लए योता आ करती थी।
सालभर के भीतर गे या के पता को इन झूठे आरोप के आधार पर गर तार कर लया
गया क वह एक जापानी जासूस और े क वाद आतंक था। 1938 म उसको फाँसी
क सज़ा द गई। वह ता लनवाद आतंक के लाख शकार म से एक था। गे या और
उसक माँ को कज़ा तान म नवा सत कर दया गया, जहाँ माँ ज द ही रह यमय
प र थ तय म मृत पाई गई। अब उन अ तहीन तीक का या कया जाता, जनम
‘जन-श ु’ के प म दोषी पाए गए आदमी क बेट को रा पता के साथ च त कया
गया था? कोई सम या नह । उस पल के बाद से, गे या माक ज़ोवा नदारद हो गई, और
उस सव ापी तसवीर म ‘सुखी सो वयत ब ची’ को ममालकत नखा गोवा के प म
पहचाना जाने लगा - तेरह वष य ता ज़क लड़क के प म, जसने खेत से कमठतापूवक
ढे र सारा कपास चुनकर ऑडर ऑफ़ ले नन हा सल कया था (अगर कोई सोचता क
तसवीर क वह लड़क तेरह साल क नह लगती थी, तो उनम इतनी अ ल आ करती
थी क इस तरह क त- ा तवाद वध मता को वर नह दे ना चा हए)।
सरकारी सो वयत चार-त इतना द था क वह मु क के अ दर के रा सी
अ याचार को छपाने और मु क के बाहर वग के सपन को े पत करने म कामयाब
होता था। आज उ े नयाई शकायत करते ह क पु तन ने मया और डो बस म सी
कारवाइय के बारे म प मी मी डया के ब त-से के के साथ सफलतापूवक छल कया
है, ले कन छल क कला म वे ता लन के सामने शायद ही टक सकते ह । 1930 के
दशक के शु आती दौर म वामप थी घड़े के प मी प कार और बु जीवी यूएसएसआर
क एक आदश समाज के प म एक ऐसे व त म सराहना कया करते थे, जब उ े नयाई
और सरे सो वयत नाग रक लाख क सं या म उस मनु यकृत अकाल से मर रहे थे,
जसक योजना ता लन ने रची थी। जहाँ फ़ेसबुक और ट् वटर के इस युग म कभी-कभी
यह तय करना मु कल हो जाता है क घटना के कस ा प पर व ास कया जाए,
वह आज कसी शासन व था के लए यह स भव नह रह गया है क वह नया क
जानकारी म आए बना लाख लोग क ह या कर दे ।
मज़हब और वचारधारा के अलावा वा ण यक फ़म भी ग प और झूठ ख़बर
पर नभर करती ह। ांड तैयार करने म अ सर एक ही का प नक क़ से को तब तक
बार-बार दोहराना ज़ री होता है, जब तक क लोग को उसक स चाई पर यक़ न नह हो
जाता। जब आप कोका-कोला के बारे म सोचते ह, तब आपके दमाग़ म कौन-सी तसवीर
उभरती ह? आप खेल म लगे और मलजुल कर मौज मनाते त त नौजवान के बारे म
सोचते ह? या आप अ पताल के ब तर पर पड़े डाय बट ज़ के भारी-भरकम मरीज़ के
बारे म सोचते ह? ढे र सारा कोका-कोला पीने से आप नौजवान नह हो जाएँगे, त त
नह हो जाएँगे, और न आप पु खलाड़ी बन जाएँगे - इसक बजाय उससे आपका
मोटापा बढ़ने और डाय बट ज़ होने क स भावनाएँ बढ़ जाएँगी। तब भी दशक से कोका-
कोला ने वयं को नौजवानी, त ती और खेल से जोड़ने पर अरब डॉलर ख़च कए ह -
और अरब इंसान अनजाने ही इस र ते म व ास करते ह।
स चाई यह है क स चाई होमो से पय स क कायसूची म शीष पर कभी रही ही नह
है। ब त-से लोग ऐसा मानकर चलते ह क अगर कोई मज़हब या वचारधारा वा त वकता
का ग़लत न पण करती होगी, तो उसके अनुया यय को आगे-पीछे हर हाल म इसका
पता चल जाएगा, य क वे अपने कुशा -बु त य का मुक़ाबला नह कर पाएँगे।
ख़ैर, यह एक और राहत दे ने वाला मथक है। वहारतः, मानवीय सहकार क श स य
और ग प के बीच के नाजक स तुलन पर नभर करती है।
अगर आप वा त वकता को ब त यादा वकृत कर दे ते ह, तो वह सचमुच ही
आपको अ ावहा रक ढं ग से काम करने के लए मजबूर कर कमज़ोर बना दे गी। उदाहरण
के लए, 1905 म कजीकटाइल ए जीवाले नामक एक पूव अ क पैग़ बर ने अपने
पास ह गो नामक सप-आ मा के होने का दावा कया था। इस नए पैग़ बर के पास पूव
अ का के जमन उप नवेश के लोग के लए एक ा तकारी स दे श था : संग ठत होकर
जमन को खदे ड़ बाहर करो। इस स दे श को और यादा आकषक बनाने के लए
ए जीवाले ने अपने अनुया यय को एक जा ई औष ध उपल ध कराई, जो क थत प से
जमन क ब क़ क गो लय को पानी ( वा हली भाषा म माजी ) म बदल दे ती थी। इस
तरह ‘माजी माजी’ व ोह क शु आत ई। यह व ोह नाकामयाब रहा, य क यु के
मैदान म जमन गो लयाँ पानी म नह बदल । इसक बजाय, वे नममतापूवक नह थे
व ो हय के शरीर म धँस ग । दो हज़ार साल पहले, रोमन के ख़लाफ़ महान य द
व ोह भी इस च ड आ था से े रत आ था क ई र य दय के प से लड़ेगा और
अपराजेय तीत होते रोमन सा ा य को परा जत करने म उनक मदद करेगा। वह भी
नाकामयाब रहा, और य शलम क तबाही तथा य दय के न कासन का कारण बना।
सरी ओर, आप क ह मथक पर भरोसा कए बना जनसमूह को भावशाली ढं ग
से एकजुट नह कर सकते। अगर आप ख़ा लस वा त वकता से चपके रहते ह, तो ब त
थोड़े-से लोग ही आपका अनुसरण करगे। बना मथक के न सफ़ नाकामयाब माजी
माजी और य द व ोह को संग ठत करना अस भव आ होता, ब क महद और
म काबीस के सफल व ोह को संग ठत करना भी अस भव आ होता।
व तुतः, जब लोग को संग ठत करने का सवाल उठता है, तो झूठे क़ से सहज ढं ग से
स य पर भारी पड़ते ह। अगर आप सामू हक न ा क थाह लेना चाहते ह, तो इसको
जाँचने का बेहतर ढं ग लोग से कसी स चाई म व ास क माँग करने क बजाय उनसे
कसी हा या पद बात म व ास क माँग करना है। अगर कोई बड़ा मु खया कहता है क
‘सूरज पूरब से उगता है और प म म डू बता है’, तो उसक इस बात पर ता लयाँ बजाने
के लए उसके त वफ़ादारी आव यक नह है, ले कन अगर वह मु खया कहता है क
‘सूरज प म से उगता है और पूरब म डू बता है’, तो उसके स चे वफ़ादार ही उसक इस
बात पर ता लयाँ बजाएँगे। इसी तरह, अगर आपके सारे पड़ोसी इसी च का दे ने वाले
क़ से म व ास करते ह, तो आप उ मीद कर सकते ह क संकट आने पर वे एकजुट
होकर उसका मुक़ाबला करगे। अगर वे सफ़ मा णत क़ स म ही व ास करने के
इ छु क ह, तो इससे या सा बत होता है?
आप तक दे सकते ह क कम-से-कम कुछ मामल म तो लोग को ग प और मथक
क बजाय सहम तपरक समझौत के आधार पर कारगर ढं ग से संग ठत कया ही जा
सकता है। जैसे आ थक े म, दे वता या प व थ क बजाय पैसा और ावसा यक
त ान लोग को यादा कारगर ढं ग से पर पर बाँधे रखते ह, बावजूद इसके क हर कोई
जानता है क वे महज़ एक मानवीय क़रार ह। कसी प व थ के मामले म एक स चा
आ थावान कहेगा क ‘म व ास करता ँ क यह थ प व है’ जब क डॉलर के मामले
म एक स चा आ थावान कहेगा क ‘मेरा व ास है क सरे लोग का ऐसा व ास है क
डॉलर मू यवान है’। यह ज़ा हर-सी बात है क डॉलर महज़ एक मानवीय रचना है, तब भी
सारी नया के लोग उसका स मान करते ह। अगर ऐसा है, तो फर मनु य सारे मथक
और ग प को याग कर डॉलर जैसे क ह सहम तपरक क़रार के आधार पर वयं को
संग ठत य नह कर लेते?
ले कन इस तरह के क़रार ग प से प तौर पर भ नह ह। उदाहरण के लए पैसे
और प व थ के बीच का अ तर उससे ब त कम है, जतना वह पहली नगाह म
दखाई दे ता है। जब यादातर लोग कोई डॉलर नोट दे खते ह, तो वे भूल जाते ह क वह
महज़ एक मानवीय क़रार है। जैसे ही वे मृत गोरे इंसान क तसवीर से यु काग़ज़ के उस
हरे टु कड़े को दे खते ह, वैसे ही उसको अपने आप म मू यवान व तु के प म दे खते ह। वे
शायद ही ख़ुद को यह याद दलाते ह क ‘दरअसल, यह एक नरथक काग़ज़ का टु कड़ा
है, ले कन य क सरे लोग इसको मू यवान चीज़ के प म दे खते ह, इस लए म इसका
उपयोग कर सकता ँ’। अगर आप एक एफ़एमआरआई कैनर म कसी मनु य के
म त क का पयवे ण कर, तो आप पाएँगे क जैसे ही कसी के सामने सौ डॉलर
के नोट से भरा सूटकेस पेश कया जाता है, तो म त क के जो ह से उ ेजना से
भनभनाने लगते ह, वे म त क के शंकालु ह से नह होते, (‘ सरे लोग व ास करते ह
क यह मू यवान है’) ब क वे उसके लालची ह से होते ह (‘बाप रे! मुझे इसक ज़ रत
है!’)। इसके वपरीत, ब त सारे मामल म लोग बाइबल या वेद या बुक ऑफ़ मोमान को
तभी प व मानना शु करते ह, जब वे ऐसे लोग के साथ ल बे समय तक लगातार रहे
होते ह, जो उस थ को प व मानते ह। प व थ का स मान करना हम ठ क उसी
तरह सीखते ह, जस तरह हम मु ा स ब धी नोट का स मान करना सीखते ह।
इस लए वहार के तर पर ‘कोई व तु महज़ एक मानवीय क़रार है, यह जानने’ और
‘कोई चीज़ सहज प से मू यवान है, इस पर व ास करने’ के बीच कोई प वभाजन
नह है। ब त-से मामल म लोग इस वभाजन को लेकर अथक या भुल कड़ होते ह।
एक और उदाहरण ल। अगर आप बैठकर इसके बारे म एक गहरी दाश नक चचा कर, तो
लगभग हर कोई इस पर सहमत होगा क ावसा यक त ान मनु य ारा रचे गए
का प नक क़ से ह। माइ ोसॉ ट न तो वह इमारत है, जसका वह मा लक है, न वे लोग
माइ ोसॉ ट ह, जनको वह नौकरी पर रखे है, और न ही वे शेयरधारक ही माइ ोसॉ ट
ह, जनके लए वह काम करता है। इसक बजाय वह क़ानून- नमाता और वक ल ारा
बुना गया एक पेचीदा क़ानूनी ग प है, ले कन 99 % समय तक हम गहरी दाश नक चचा
म नह लगे होते ह, और इन ावसा यक त ान को हम इस तरह दे खते ह, मानो वे
शेर और इंसान क तरह क नया क वा त वक स ाएँ ह ।
ग प और वा त वकता के बीच क रेखा को कई उ े य से धुँधलाया जा सकता है,
जसक शु आत ‘आन द लेने’ से लेकर ‘जी वत बने रहने’ तक हो सकती है। जब तक
आप कम-से-कम थोड़ी दे र के लए अ व ास को एक तरफ़ नह रख दे ते, तब तक आप
न तो खेल खेल सकते ह, न उप यास पढ़ सकते ह। फ़टबॉल का स चा आन द लेने के
लए आपको इस खेल के नयम को वीकार करना, और कम-से-कम न बे म नट के
लए यह भुला दे ना ज़ री है क ये नयम महज़ इंसानी ईजाद ह। अगर आप ऐसा नह
करते, तो आपको बीस लोग का एक गद के पीछे दौड़ते रहना नहायत ही बेतुका लगेगा।
फ़टबॉल क शु आत महज़ आन द लेने के साथ हो सकती है, ले कन इसके बाद वह कह
यादा ग भीर मसला बन सकता है, जसक पु कोई भी अँ ेज़ उप वी या
अज ट नयाई रा वाद कर सकता है। फ़टबॉल नजी पहचान को पा यत करने म मदद
कर सकती है, वह बड़े पैमाने के समुदाय को मज़बूती दान कर सकती है, और वह हसा
के लए तक तक उपल ध करा सकती है। रा और मज़हब टे रॉइड पर टके फ़टबॉल
लब ह।
मनु य म एक ही समय म जानने और न जानने क उ लेखनीय क़ा ब लयत होती है।
या और भी सट क ढं ग से कह तो, जब वे कसी चीज़ के बारे म वा तव म सोचते ह, तो
उस चीज़ को जान सकते ह, ले कन यादातर व त वे उसके बारे म सोचते नह ह,
इस लए वे उसे नह जानते। अगर आप वा तव म यान के त कर, तो आप समझ
जाएँगे क पैसा ग प है, ले कन आमतौर से आप यान के त नह करते। अगर आपसे
इस बारे म पूछा जाता है, तो आप जानते ह क फ़टबॉल एक इंसानी ईजाद है, ले कन मैच
क उ ेजना म आपसे कोई भी इस बारे म नह पूछता। अगर आप समय और ऊजा ख़च
कर, तो आपको पता चल सकता है क रा व तृत क़ से ह, ले कन यु के दौरान
आपके पास न तो समय होता है न ऊजा। अगर आप चरम स य क माँग करते ह, तो
आपको पता चलता है क आदम और ईव क कहानी एक मथक है, ले कन चरम स य
क माँग आप करते कतनी बार ह?
स य और स ा इतनी र तक ही एक साथ या ा कर सकते ह। आगे-पीछे वे अपने
अलग-अलग रा त पर चलने लगते ह। अगर आप स ा चाहते ह, तो कसी न कसी ब
पर आपको ग प का चार करना होगा। अगर आप नया के बारे म स य जानना चाहते
ह, तो कसी न कसी मक़ाम पर आपको स ा को अ वीकार करना होगा। आपको चीज़
को - उदाहरण के लए आपक अपनी स ा के ोत के बारे म - वीकार करना होगा,
जससे आपके सहयोगी नाराज़ ह गे, अनुया यय के दल टू टगे या सामा जक सामंज य
कमज़ोर होगा। समूचे इ तहास के दौरान अ येता ने इस वधा का सामना कया था : वे
स ा क सेवा करते ह या स य क ? या उनको यह सु न त करते ए लोग को संग ठत
करना चा हए क हर कोई एक ही क़ से म व ास करे, या उनको लोग को बखराव क
क़ मत पर भी स य को जानने क गुंजाइश दे नी चा हए? सबसे यादा श शाली
व ापूण व था ने संगठन को स य के ऊपर रखा था, वे चाहे ईसाई पादरी रहे ह ,
क यू शयाई हा कम रहे ह या क यु न ट वचारधारापर त रहे ह । यही वज़ह है क वे
इतने श शाली थे।
एक जा त के प म मनु य स य क क़ मत पर स ा को ाथ मकता दे ते ह। हम
नया को समझने क को शश करने से यादा समय और उ म नया को नय त
करने म ख़च करते ह और अगर हम उसको समझने क को शश करते भी ह, तो ऐसा हम
इस उ मीद से करते ह क नया को समझ लेने से उसको नय त करना आसान हो
जाएगा। इस लए अगर आप कसी ऐसे समाज का सपना दे खते ह, जसम स य का
बोलबाला हो और मथक क उपे ा हो, तो आपको होमो से पय स से ब त यादा
उ मीद नह करनी चा हए। बेहतर होगा क आप च पां ज़य के साथ अपना भा य
आज़माएँ।

ेनबॉ शग मशीन से बाहर नकलना


इस सबका यह मतलब नह है क झूठ ख़बर कोई ग भीर सम या नह ह, या राजनेता
और पुरो हत को खुलेआम झूठ बोलने क इजाज़त है। यह न कष नकालना भी पूरी
तरह से ग़लत होगा क हर चीज़ महज़ एक झूठ ख़बर है, स य का पता लगाने क कोई
भी को शश वफल होने के लए अ भश त है, और यह क ग भीर प का रता और झूठे
चार के बीच कोई अ तर नह है। हर झूठ ख़बर के तले वा त वक त य और वा त वक
ःख मौजूद होता है। उदाहरण के लए, उ े न म सी सै नक वा तव म लड़ रहे ह, हज़ार
लोग वा तव म मरे ह, और सैकड़ हज़ार लोग अपने घर गँवा चुके ह। ग प म व ास
अ सर मानवीय ास क वज़ह होता है, ले कन ास तब भी वा त वक होता है।
इस लए झूठ ख़बर को एक मानक क तरह वीकार करने क बजाय, हम इसे उससे
कह यादा मु कल सम या क तरह पहचानना चा हए, जतना हम उसको मानने क
ओर वृ होते ह, और हम वा त वकता को ग प से अलग करने क और भी कठोर
को शश करनी चा हए। प रपूणता क उ मीद न कर। सारे ग प म सबसे बड़ा ग प नया
क ज टलता से इंकार करना, और आ दम प व ता बनाम शैतानी अप व ता क पदावली
म सोचना है। कोई भी राजनेता पूरी स चाई और सफ़ स चाई का बयान नह करता,
ले कन तब भी कुछ राजनेता सर से बेहतर होते ह। अगर मुझे वक प उपल ध कराया
जाए, तो म च चल पर ता लन से यादा भरोसा कराना चा ँगा, भले ही यह टश
धानम ी ज़ रत पड़ने पर स चाई को तोड़ने-मरोड़ने से बाज़ नह आता था। इसी तरह,
कोई भी समाचार-प प पात और ग़ल तय से मु नह होता, ले कन कुछ समाचार-प
स चाई को जानने क ईमानदार को शश करते ह, जब क कुछ सरे प ेनवॉ शग मशीन
क भू मका नभाते ह। अगर म 1930 के दशक म रहता होता, तो मुझे उ मीद है क
मुझम इतनी अ ल होती क म ावदा और डे टॉमर से यादा यू यॉक टाइ स पर भरोसा
करता।
यह हम सबक ज़ मेदारी है क हम अपने पूवा ह को उजागर करने और अपने
सूचना के ोत क स चाई परखने म समय और उ म लगाएँ। जैसा क शु आती
अ याय म कहा गया है क हम वयं हर चीज़ क पड़ताल नह कर सकते, ले कन ठ क
इसी वज़ह से, हम सूचना के अपने य ोत क सावधानी के साथ पड़ताल करने क
ज़ रत है - वे ोत चाहे समाचार-प ह , कोई वेबसाइट हो, कोई ट वी नेटवक हो या कोई
हो। 20 व अ याय म हम और भी यादा गहराई म जाकर इस बात क छानबीन
करगे क ेनवा शग से कैसे बचा जाए और वा त वकता को ग प से कैसे अलग कया
जाए। यहाँ म दो मागदष स ा त पेश करना चा ँगा।
पहला, अगर आप व सनीय सूचना चाहते ह - उसके लए ठ क-से पैसे का भुगतान
क रए। वतमान म, ख़बर के बाज़ार का भावशाली मॉडल है उ ेजक ख़बर, जसके
लए आपको कुछ भी ख़च करने क ज़ रत नह है - बदले म सफ़ आपको यान दे ने भर
क ज़ रत है। आप ख़बर के लए कुछ भुगतान नह करते, और घ टया दजे़ का उ पाद
ा त करते ह। आपका यान पहले सनसनीख़ेज़ सु ख़य ारा दबोच लया जाता है, और
उसको व ापनदाता और राजनेता को बेच दया जाता है।
ख़बर के बाज़ार के लए इससे कह बेहतर मॉडल होगा ‘उ म को ट क ख़बर के
लए आपको पैसा ख़च करना होगा, ले कन वे आपके यान का पयोग नह करगी’।
आज क नया म सूचना और यान सबसे नणायक मह व क प रस प याँ ह। अपना
यान मु त म स प दे ना, और बदले म घ टया दजे़ क सूचना ा त करना पागलपन है।
अगर आप उ म को ट के भोजन, व और कार पर पैसा ख़च करने को तैयार ह, तो
आप उ म को ट क सूचना के लए पैसा ख़च करने को तैयार य नह ह?
मान ली जए क कोई स द ध अरबप त आपके सामने यह पेशकश रखता है : “म
आपको हर महीने 30 डॉलर ँ गा, और बदले म आपको मुझे इजाज़त दे नी होगी क म हर
दन एक घ टे आपक ेनवॉ शग करते ए अपने मनचाहे राजनी तक और वा ण यक
पूवा ह आपके दमाग़ म भ ँ ।” या आप सौदे को मंज़ूर करगे? शायद ही कोई व थ
दमाग़ का आदमी इसे मंज़ूर करे। इस लए वह स द ध अरबप त थोड़े-से भ सौदे क
पेशकश करता है : “आप मुझे हर दन एक घ टे आपक ेनवॉ शग क इजाज़त द, और
इस सेवा के बदले म म आपसे कोई भुगतान नह लूँगा।” अब यह सौदा अचानक लाख
लोग के लए ललचाने लगता है। ऐसे लोग के उदाहरण का अनुसरण करने से बच।
सरा मागदष स ा त है क अगर कोई मु ा आपको असाधारण प से मह वपूण
तीत होता है, तो उससे स ब धत वै ा नक सा ह य पढ़ने क को शश क जए। और
वै ा नक सा ह य से मेरा अ भ ाय है वशेष ारा समी त लेख, जाने-माने
अकाद मक काशक ारा का शत पु तक, और त त सं थान से जुड़े ोफ़ेसर का
लेखन। व ान क ज़ा हर है अपनी सीमाएँ होती ह, और इसने अतीत म ब त-सी
ग़ल तयाँ क ह। तब भी, वै ा नक समुदाय स दय से ान का हमारा सबसे यादा
भरोसेम द ोत रहा है। अगर आपको लगता है क वै ा नक समुदाय कसी चीज़ के बारे
म ग़लती पर है, तो यह न य ही मुम कन है, ले कन कम-से-कम जन वै ा नक स ा त
को आप नकार रहे ह, उनको जा नए, और अपने दावे के प म कोई अनुभवज य माण
पेश क जए।
सरी तरफ़, वै ा नक को ताज़ा सावज नक बहस से और यादा उलझने क
ज़ रत है। जब बहस उनक वशेष ता के े म भटक रही हो, चाहे फर वह े
च क सा का हो या इ तहास का, तो उनको अपनी आवाज़ सर तक प ँचाने से डरना
नह चा हए। ख़ामोशी तट थता नह है, यह यथा थ त का समथन है। न य ही, अपनी
अकाद मक शोध को जारी रखना और उनके नतीज को उन वै ा नक प का म
का शत करते रहना, जनको ब त थोड़े-से वशेष ही पढ़ते ह, अ य त मह वपूण है,
ले कन उतना ही मह वपूण है ताज़ातरीन वै ा नक स ा त को लोक य वै ा नक
पु तक क माफ़त, यहाँ तक क कला तथा ग प के द तापूण इ तेमाल क माफ़त आम
जनता तक प ँचाना।
या इसका यह मतलब है क वै ा नक को व ान-कथाएँ लखने लगना चा हए?
यह दरअसल बुरा ख़याल नह है। कला लोग क व को गढ़ने म मु य भू मका
नभाती है, और इ क सव सद म व ान-कथाएँ तकसंगत प से सबसे मह वपूण वधा
है, य क यह आ ट फ़शयल इंटे लजस, जैवइंजी नयरी और जलवायु-प रवतन जैसी
चीज़ के बारे म लोग के समझने के ढं ग को गढ़ती है। हम न य ही अ छे व ान क
ज़ रत है, ले कन राजनी तक प र े य म, व ान-कथा पर आधा रत एक अ छ फ़ म
साइंस या नेचर प का म का शत कसी लेख से कई गुना यादा मू यवान है।
18
व ान-कथा
भ व य वह नह है, जो आप फ़ म म दे खते ह

मनु य नया को नय त करते ह, य क वे कसी भी अ य ाणी के मुक़ाबले बेहतर


ढं ग से आपसी सहयोग कर सकते ह, और वे इतने अ छे ढं ग से इस लए सहयोग कर पाते
ह, य क वे ग प म व ास करते ह। क व, च कार और नाटककार इस लए कम-से-
कम उतने मह वपूण तो होते ही ह, जतने सै नक और इंजी नयर होते ह। लोग यु लड़ते
ह और कैथे ल का नमाण करते ह, य क वे ई र म व ास करते ह, और वे ई र म
व ास करते ह, य क उ ह ने ई र क तसवीर दे खी होती ह, और य क वे ई र के
बारे म नाटक य दशन से म मु घ होते ह। इसी तरह, पूँजीवाद के आधु नक मथक म
हमारा व ास हॉलीवुड और पॉप इंड क कला मक रचना पर टका होता है। हम
व ास करते ह क यादा-से- यादा असबाब ख़रीदने से हम सुखी ह गे, य क हमने
ख़ुद अपनी आँख से पूँजीवाद वग को टे ली वज़न पर दे खा है।
इ क सव सद के इस आर भक दौर म स भवतः सबसे मह वपूण कला मक वधा
व ान-कथा ही है। ब त थोड़े-से लोग ह, जो मशीन ल नग या जने टक इंजी नयरी से
स ब धत ताज़ा लेख पढ़ते ह गे। इसक बजाय, द मै स, और हर जैसी फ़ म और
वे टव ड तथा लैक मरर जैसे ट वी धारावा हक हमारे समय के सबसे मह वपूण
ौ ो गक य, सामा जक और आ थक घटना म को समझने के लोग के ढं ग को गढ़ते
ह। इसका यह भी मतलब है क व ान-कथा जस ढं ग से वै ा नक वा त वकता को
च त करती है, उस ढं ग को लेकर उसको ब त यादा ज़ मेदार होने क ज़ रत है,
अ यथा वह लोग के दमाग़ को ग़लत धारणा से भर सकती है या उनका यान ग़लत
सम या पर के त कर सकती है।
जैसा क पछले एक अ याय म उ लेख कया गया है, स भवतः आज के समय क
व ान-कथा का सबसे भयानक पाप यह है क वह बु को चेतना से मत करने क
को शश करती है। इसके प रणाम व प, वह रोबोट और मनु य के बीच यु क
स भावना को लेकर यादा ही परेशान होती है, जब क हम ऐ ग रदम क श से स प
छोटे -से अ तमानवीय कुलीन वग और नचले तबके के वशाल अश होमो से पय स के
बीच क तक़रार को लेकर डरने क ज़ रत है। आ ट फ़ शयल इंटे लजस के भ व य के
बारे म सोचते समय काल मा स अभी भी ट वन पलबग से बेहतर मागदशक ह।
सचमुच, आ ट फ़ शयल इंटे लजस के बारे म ब त-सी फ़ म वै ा नक स चाई से इस
क़दर कट ई ह क स दे ह होता है क वे नता त भ च ता को लेकर रची गई
पक-कथाएँ ह। जैसे 2015 क फ़ म ए स मशीना एक ऐसे एआई वशेष के बारे म
तीत होती है, जसे एक मादा रोबोट से इ क़ हो जाता है, जसके बाद वह उस रोबोट
ारा ठगा जाता है और प रचा लत होने लगता है, ले कन अस लयत म, यह फ़ म
बु मान रोबोट के त इंसानी ख़ौफ़ के बारे म नह है। यह फ़ म एक बु मान ी के
त पु ष के भय के बारे म है, और वशेष प से इस भय के बारे म क ी क मु
ी के वच व का कारण बन सकती है। जब कभी आप कसी एआई के बारे म कोई ऐसी
फ़ म दे खते ह, जसम एआई मादा होती है और वै ा नक नर होता है, तो वह फ़ म
स भवतः साइबरनै ट स क बजाय नारीवाद के बारे म होती है, य क असल सवाल यह
है क कसी एआई क कोई यौनपरक या लगपरक पहचान होगी ही य । कामत व
जै वक ब कोशीय जीव क वशेषता है। इसका एक अजै वक साइबरनै टक स ा के
लए या अथ हो सकता है?

एक ड बे म रहना
जस एक वषय का व ान-कथा ने ब त अ त के साथ योग कया है, उसका
स ब ध मुन य को प रचा लत और नय त करने के लए कए जा रहे ौ ो गक के
उपयोग के ख़तर से है। द मै स एक ऐसी नया का च ण करती है, जसम लगभग
सारे इंसान साइबर पेस म क़ैद ह, और जो कुछ भी वे अनुभव करते ह, वह एक उ ताद
ऐ ग रदम ारा गढ़ा गया है। द टमेन शो एक ऐसे अकेले पर के त है, जो एक
रय लट ट वी शो का बेख़बर टार है। उसक जानकारी के बना, उसके सारे दो त और
प र चत - जनम उसक माँ, उसक प नी और उसका एक सबसे अ छा दो त शा मल है -
सबके सब अ भनेता ह। उसके साथ जो कुछ भी घ टत होता है, वह एक सुघड़ पटकथा के
मुता बक़ घ टत होता है, और वह जो कुछ भी कहता और करता है, उसे एक छपे ए
कैमरे ारा रकॉड कया जाता है और उसको उसके लाख चहेत ारा सुना और दे खा
जाता है।
ले कन, दोन ही फ़ म - अपनी वल णता के बावजूद - अ त म अपने प र य के
स पूण न हताथ से पीछे हट जाती ह। वे मानकर चलती ह क मै स के भीतर फँसे ए
इंसान का एक ामा णक व व है, जो सारे ौ ो गक य छल योग से अछू ता बना रहता
है, और यह क उस मै स के परे एक ामा णक वा त वकता ती ा कर रही है, जस
तक प ँचने के लए अगर हीरो पया त मेहनत कर तो वे वहाँ प ँच सकते ह। मै स
महज़ एक कृ म बाधा है, जो आपके आ त रक ामा णक व व को बा ामा णक
नया से अलग करती है। अनेक आज़माइश और पीड़ा के बाद दोन हीरो - द मै स
का नओ और द टमेन शो का टमेन - चालबा ज़य के उस जाल से बाहर नकलने और
भाग जाने म कामयाब हो जाते ह, अपने ामा णक व व को खोज लेते ह, और उस
ामा णक नया म प ँच जाते ह, जसका उनको आ ासन मला आ था।
आ यजनक प से, यह ामा णक आ त नया तमाम मह वपूण य से गढ़े
गए मै स से मलती-जुलती है। जब टमेन ट वी टु डयो से नकल भागता है, तो वह
हाई- कूल के ज़माने क अपनी ेयसी से फर जा मलना चाहता है, जसको ट वी शो के
नदशक ने नकाल बाहर कर दया है, ले कन अगर टमेन उस रोमानी फ़ तासी को
च रताथ कर ले, तो उसका जीवन ठ क हॉलीवुड के उस वाब जैसा दखने लगेगा, जसे
द टमेन शो ने सारी नया म लाख दशक को बेचा है - साथ ही वह फ़जी म छु याँ
बता सकेगा। यह फ़ म हम इस बात का मामूली-सा संकेत तक नह दे ती क टमेन उस
वा त वक नया म कस तरह का वैक पक जीवन हा सल कर सकता है।
इसी तरह, जब नओ वह स लाल गोली नगलने के बाद उस मै स को तोड़कर
उससे बाहर नकल भागता है, तो उसको पता चलता है क बाहर क वह नया उस
मै स के अ दर क नया से कसी तरह भ नह है। अ दर और बाहर, दोन ही
नया म हसक तक़रार ह और लोग भय, वासना, ेम और ई या से प रचा लत ह।
फ़ म का अ त नओ से यह कहे जाने के साथ होना चा हए था क जस वा त वकता को
उसने हा सल कर लया है, वह महज़ एक और भी बड़ा मै स है, और यह क अगर वह
‘स ची यथाथ नया’ म भागना चाहता है, तो उसको एक बार फर नीली गोली और लाल
गोली के बीच चुनाव करना चा हए।
मौजूदा ौ ो गक य और वै ा नक ा त का अ भ ाय यह नह है क ामा णक
य और ामा णक वा त वकता के साथ ऐ ग रदम और ट वी कैमर ारा
छल योग कए जा सकते ह, ब क उसका अ भ ाय यह है क ामा णकता अपने आप
म एक मथक है। लोग कसी ड बे के भीतर फँस जाने को लेकर भयभीत ह, ले कन
उनको इस बात का अहसास नह है क वे पहले से ही एक ड बे - यानी अपने म त क -
के भीतर फँसे ह, जो उससे भी बड़े एक ड बे के भीतर ब द है - और वह ड बा है अपने
असं य ग प से यु मानव-समाज। जब आप मै स से नकल भागते ह, तो आपको
एक उससे भी बड़े मै स का पता चलता है। जब 1917 म कसान और कामगार ने
ज़ार के ख़लाफ़ व ोह कया था, तो उनका अ त ता लन क अधीनता म आ था, और
जब आप उन अनेक व धय क छानबीन करने चलते ह, जनके सहारे नया आपके
साथ छल-योजना करती है, तो अ त म आपको पता चलता है क आपक मूलभूत
पहचान नायु वक त ारा रचा गया एक पेचीदा म है।
लोग डरते ह क कसी ड बे के भीतर ब द हो जाने से वे नया के सारे व मय से
वं चत रह जाएँगे। जब तक नओ मै स के अ दर फ़ँसा रहेगा, और टमेन ट वी टु डयो
के अ दर फँसा रहेगा, तब तक वे कभी फजी, या पे रस, या माचू पचू नह जा पाएँगे,
ले कन वा त वकता यह है क आप अपने जीवन म कभी जो कुछ भी अनुभव करगे, वह
आपके शरीर और आपके दमाग़ के भीतर है। मै स को तोड़कर बाहर नकलने या
फजी क या ा करने से कोई फ़क़ पड़ने वाला नह है। ऐसा नह है क आपके दमाग़ म
कह कोई एक लोहे का स क़ है जस पर लाल रंग से बड़े-बड़े अ र म यह चेतावनी
अं कत है क ‘ सफ़ फजी म ही खोल!’ और जब आप अ ततः द ण शा त क या ा
कर उस स क़ को खोल, तो आपके मन म वे तमाम भावनाएँ और अहसास जाग उठ, जो
फजी म ही जाग सकते ह । और अगर आप अपने जीवन म कभी फजी न जाएँ, तो आप
इन ख़ास अनुभू तय से हमेशा के लए वं चत रह जाएँ। नह । जो कुछ भी आप फजी म
अनुभव कर सकते ह, वह आप नया म कह भी अनुभव कर सकते ह, यहाँ तक क
मै स के भीतर भी।
हम सब शायद एक वराट क यूटर म याभास, मै स- टाइल के भीतर रह रहे ह।
यह चीज़ हमारे तमाम रा ीय, मज़हबी और वचारधारा मक क़ स का ख डन कर दे गी,
ले कन हमारे मान सक अनुभव तब भी वा त वक ह गे। अगर पता चले क मानव-
इ तहास ज़रकॉन ह पर रहने वाले चूहा वै ा नक ारा एक सुपर-क यूटर पर संचा लत
एक वशाल म याभास है, तो यह बात काल मा स और इ ला मक टे ट के लए क चत
श म दा करने वाली होगी, ले कन तब भी इन चूहा वै ा नक को अम नयाई जनसंहार के
लए और आ व ज़ के लए जवाबदे ह होना होगा। आ ख़र उ ह ने इसे ज़रकॉन
यू नव सट क नी त-स ब धी स म त क बाधा से कस तरह उबार लया? अगर गैस
चै बर महज़ स लकॉन च स के व ुत-संकेत मा भी थे, तो पीड़ा, आतंक और हताशा
के अनुभव उससे ज़रा भी कम यातनादायी नह हो जाते।
पीड़ा पीड़ा है, भय भय है, ेम ेम है - मै स के भीतर भी। इससे कोई फ़क़ नह
पड़ता क जो भय आप महसूस करते ह, वह बाहरी नया के एटम के कसी समूह से
उ े रत है या कसी क यूटर ारा छलयो जत व ुत-संकेत से उ े रत है। भय तब भी
वा त वक है। इस लए अगर आप अपने दमाग़ क वा त वकता का पता लगाना चाहते ह,
तो यह काम आप मै स के भीतर भी कर सकते ह और उसके बाहर भी कर सकते ह।
यादातर व ान-कथा- फ़ म दरअसल एक ब त पुराना क़ सा कहती ह : पदाथ
पर दमाग़ क जीत का क़ सा। तीस हज़ार साल पहले, यह क़ सा इस तरह कहा जाता
था : ‘ दमाग़ एक प थर के चाकू क क पना करता है - हाथ चाकू को गढ़ता है - मनु य
मैमथ को मार डालते ह।’ ले कन स चाई यह है क मनु य ने चाकु का आ व कार
करके और मैमथ को मारकर नया पर उतना क़ाबू नह पाया, जतना इंसानी दमाग़ के
साथ छलयोजना करके पाया है। दमाग़ वह कता (स जे ट) नह है, जो उ मु ढं ग से
ऐ तहा सक कृ य और जै वक वा त वकता को आकार दे ता हो - दमाग़ वह व तु
(ऑ जे ट) है, जसे इ तहास और जै वक ारा आकार दया जा रहा होता है। हमारे
सबसे य आदश - वत ता, ेम, सृजना मकता - तक प थर के उस चाकू क तरह ह,
जनको कसी और ने कसी मैमथ को मारने के लए गढ़ा है। े तम वै ा नक
स ा त और सबसे यादा ताज़ातरीन ौ ो गक य औज़ार के अनुसार दमाग़ कभी भी
छलयोजना से आज़ाद नह होता। ऐसा कोई ामा णक व व नह है, जो इस छलयोजक
खोल से आज़ाद होने का इ तज़ार कर रहा हो।
या आपको कोई अ दाज़ा है क वष के दौरान आपने कतनी फ़ म , उप यास
और क वता का उपभोग कया है, और कस तरह इन कलाकृ तय ने ेम क आपक
धारणा को तराशा और पैना कया है? रोमां टक कॉमे डयाँ ेम के स दभ म वही भू मका
नभाती ह, जो पोन ाफ़ काम-वासना के लए और यु के लए रै बो नभाते ह। और
अगर आप सोचते ह क आप डलीट का कोई बटन दबाकर अपने अवचेतन और ल बक
स टॅ म से हॉलीवुड के सारे नशान को मटा सकते ह, तो आप ख़ुद को धोखा दे रहे ह।
हम यह ख़याल अ छा लगता है क हमने प थर के चाकू गढ़े , ले कन यह ख़याल हम
नह भाता क हम ख़ुद प थर के चाकू ह। इस लए पुराने मैमथ क़ से का मै स ा प
कुछ इस तरह का है : ‘ दमाग़ एक रोबोट क क पना करता है - हाथ रोबोट को रचता है -
रोबोट आतंकवा दय को मार गराता है, ले कन वह दमाग़ को नय त करने क
को शश भी करता है - दमाग़ रोबोट को मार दे ता है।’ ले कन यह एक झूठा क़ सा है।
सम या यह नह है क दमाग़ रोबोट को मारने म स म नह होगा। सम या यह है क
सबसे पहले जस दमाग़ ने रोबोट क क पना क थी, वह और भी पहले क
छलयोजना का नतीजा था। इस लए रोबोट को मार दे ने से हम मु मल जाने वाली
नह है।

वत इ छा-श म व ास खोता डज़नी


2015 म प सार टु डयोज़ और वॉ ट डज़नी प चस ने मानव प र थ त के बारे म
एक कह यादा यथाथवाद और तकलीफ़दे ह एनीमेशन आ यान रलीज़ कया था, जो
ब त तेज़ी के साथ ब च और वय क , दोन के बीच समान प से अ य त लोक य हो
गया था। इनसाइड आउट नामक यह फ़ म यारह-वष य एक लड़क , रली एंडरसन क
कहानी कहती है, जो अपने माँ-बाप के साथ मनेसोटा से सैन ां स को रहने आ जाती
है। उसे अपने दो त , अपने शहर क याद सताती है, जसक वज़ह से उसको अपने इस
नए जीवन के साथ तालमेल बैठाने म मु कल पेश आती है, और वह वापस मनेसोटा
भागने क को शश करती है, ले कन इससे भी बड़ा एक ामा चल रहा होता है, जससे
रली अन भ होती है। रली कसी रय लट शो क अन भ टार नह है, और कसी
मै स म फँसी ई नह है। इसक बजाय, रली वयं मै स है, और कोई चीज़ है, जो
उसके अ दर फँसी ई है।
डज़नी ने एक-के-बाद-एक मथक का पुनरा यान करते ए अपना सा ा य खड़ा
कया है। डज़नी क असं य फ़ म म उनके नायक मु कल और ख़तर का सामना
करते ह, ले कन अ ततः वे अपना ामा णक व व हा सल करके और अपने वत
वक प का अनुसरण करते ए उन मु कल और ख़तर पर वजय ा त कर लेते ह।
इनसाइड आउट इस मथक को ू रतापूवक तोड़ दे ती है। यह मनु य के बारे म ताज़ातरीन
नायुजै वक य कोण अपनाती है, और दशक को रली के म त क क या ा पर ले
जाती है, जहाँ जाकर पता चलता है क उसका कोई ामा णक व व नह है और वह
कभी क ह वत वक प का चुनाव नह करती। रली दरअसल पर पर टकराती
जैवरासाय नक या के एक समूह ारा संचा लत एक वशाल रोबोट है। फ़ म इन
या को अ य त ख़ूबसूरत काटू न च र म पा यत करती है : पीला और ख़ुशनुमा
जॉय, नीला और वषादमय सैडनेस, लाल और तुनक मजाज़ गर, आ द। हैड वाटस म
तरह-तरह के बटन का योग करते ए, और उस दौरान ट वी के वशाल पद पर रली क
एक-एक हरक़त को दे खते ए ये च र रली क सारी मनः थ तय , नणय और कृ य
को नय त करते ह।
सैन ां स को म नए जीवन के साथ तालमेल बैठा पाने म रली क वफलता उस
हैड वाटस क ग भीर सम या का प रणाम है, जो रली के म त क को पूरी तरह से
अस तु लत कर दे ने का ख़तरा पैदा कर रहा है। थ तय को ठ क करने के लए जॉय और
सैडनेस रली के म त क क माफ़त, वचार पर सवार होकर एक ल बी या ा पर जाते ह,
अवचेतन क़ैदख़ाने क छानबीन करते ह, और उस आ त रक टु डयो म प ँचते ह, जहाँ
कलाकार नायु का एक दल सपन क रचना करने म त है। जब हम इन
परक जैवरासाय नक या का अनुसरण करते ए रली के म त क क
गहराइय म जाते ह, तो वहाँ हमारी मुलाक़ात कभी कसी आ मा से, कसी ामा णक
व व से, या कसी वत इ छा-श से नह होती। दरअसल, उ ाटन का वह ण,
जस पर समूचा कथानक अटका आ है, उस समय घ टत नह होता, जब रली को अपने
एकल ामा णक व व का पता चलता है, ब क वह तब घ टत होता है, जब यह बात
साफ़ ज़ा हर हो जाती है क रली को कसी भी एकल मम से नह पहचाना जा सकता,
और यह क उसक ख़ुशहाली ब त-सी अलग-अलग या क अ त या पर नभर
करती है।
शु म, दशक को रली को मुख च र - पीला ख़ुशनुमा जॉय - के प म पहचानने
क ओर वृ कया जाता है, ले कन अ ततः पता चलता है क यह वह ग भीर भूल थी,
जसने रली के जीवन को बबाद करने का ख़तरा पैदा कर दया था। यह सोचकर क वही
एकमा रली का ामा णक स व है, जॉय बाक़ तमाम सरे च र को धमकाती है, और
इस तरह वह रली के म त क के नाजक स तुलन को भंग कर दे ती है। इस थ त म
सुधार तब आता है, जब जॉय अपनी ग़लती को समझ लेती है, और उसे - दशक के साथ-
साथ - इस बात का अहसास होता है क रली जॉय, या सैडनेस, या कोई भी सरा च र
नह है। रली सारे जैवरासाय नक च र के आपसी टकराव और आपसी सहयोग से
उ प एक पेचीदा कहानी है।
स चे अथ म व मत करने वाली बात महज़ यह नह है क डज़नी ने इस तरह के
एक ा तकारी स दे श से यु फ़ म को बाज़ार म उतारा, ब क व मत करने वाली
बात यह है क यह फ़ म व ापी तर पर हट ई। शायद यह इस क़दर सफल
इस लए ई क इनसाइड आउट सुखद अ त से यु एक कॉमेडी है, और दशक शायद
इसके नायुपरक अथ और इसके भयावह अ भ ाय , दोन को समझने म चूक गए।
यह बात बीसव सद क सवा धक भ व यवाद व ान-कथा पु तक के बारे म नह
कही जा सकती। आप उसक भयावह कृ त को दे खने से चूक नह सकते। यह पु तक
लगभग एक सद पहले लखी गई थी, ले कन यह हर गुज़रते वष के साथ और भी यादा
ासं गक होती जाती है। ए डस ह सले ने ेव यू व ड का लेखन 1931 म कया था,
जब सा यवाद और फ़ासीवाद स और इटली म मज़बूत थ त बना चुके थे, नाज़ीवाद
जमनी म उभार पर था, सै यपर त जापान चीन क वजय के अपने यु -अ भयान क
शु आत कर रहा था, और सारी नया ेट ड ेशन ( व ापी ग भीर आ थक म द )
क चपेट म थी, ले कन ह सले इन तमाम गहरे काले बादल के पार दे खने म सफल ए,
और उ ह ने यु , अकाल , और महामा रय से र हत, अनवरत शा त, समृ और
वा य का आन द लेते एक भावी समाज क क पना क । यह एक उपभो ावाद नया
है, जो यौन-कम, नशीली दवा के सेवन और रॉक’ एन’ रोल क व छ दता दान
करती है, और जसका परम मू य है सुख। पु तक क अ त न हत मा यता यह है क
मनु य जैवरासाय नक ऐ ग रदम ह, व ान इंसानी ऐ ग रदम म घुसपैठ कर सकता है,
और इसके बाद इस ऐ ग रदम के साथ छलयोजना करने के लए ौ ो गक का इ तेमाल
कया जा सकता है।
इस साह सक नई नया म व सरकार इस बात को सु न त करने के लए क हर
कोई हमेशा स तु रहे, और कसी के पास व ोह करने क कोई वज़ह न हो, उ त
जैव ौ ो गक और सामा जक इंजी नयरी का इ तेमाल करती है। यह कुछ ऐसा है, मानो
रली के म त क के जॉय, सैडनेस, और सरे सारे च र को वफ़ादार सरकारी सेवक म
बदल दया गया हो। इस लए वहाँ ख़ु फ़या पु लस, कॅ स े शन कै प , या ऑरवेल के
नाइनट न ऐट -फ़ोर जैसी कसी म न ऑफ़ लव क कोई ज़ रत नह है। न य ही
ह सले क तभा क वल णता इस बात को दशाने म न हत है क आप लोग को भय
और हसा क बजाय ेम और आन द के मा यम से अ धक सुर त ढं ग से नय त कर
सकते ह।
जब लोग नाइनट न ऐट -फ़ोर पढ़ते ह, तो यह बात प हो जाती है क ऑरवेल एक
डरावने ः व से भरी नया का वणन कर रहे ह, और एक ही बचा रह जाता है क
‘हम इस तरह क भयावह अव था म प ँचने को कैसे टाल सकते ह?’ ेव यू व ड को
पढ़ना कह यादा वच लत करने वाला और चुनौतीपूण अनुभव है, य क आप पर उस
चीज़ पर अपनी अंगल ु ी रखने का ज़बरद त दबाव होता है क वह या है, जो इसे ठ क-
ठ क आतंक-रा य क श ल दान करती है। नया म पूरी तरह से अमन और समृ है,
और हर पूरे समय स तु है। तब फर इसम ग़लत या हो सकता है?
ह सले इस सवाल का सामना सीधे-सीधे उप यास के पराका ा के ण म करते ह :
प मी यूरोप के व - नय क (व ड कं ोलर) मु तफ़ा मांड और उस जॉन द सैवेज के
बीच के संवाद के ण म, जसने अपना सारा जीवन यू मै सको के एक थानीय
रज़वशन म बताया है, और जो ल दन म वह एकमा अ य है, जसे अभी भी
शे स पयर या ई र क जानकारी है।
जब जॉन द सैवेज ल दन के लोग को उस व था के ख़लाफ़ व ोह के लए
भड़काने क को शश करता है, तो लोग उसके इस आ ान क त या म उसके त
नता त उदासीनता कट करते ह, ले कन पु लस उसको गर तार कर लेती है और
मु तफ़ा मांड के सम पेश कर दे ती है। इस व - नय क का जॉन के साथ सुखद
वातालाप होता है, जस दौरान वह समझाता है क अगर असामा जक होने पर उसका
इतना ज़ोर है, तो उसे कसी एका त थल पर जाकर सं यासी का जीवन बताना चा हए।
इस पर जॉन उन कोण पर सवाल उठाता है, जो उस व - व था म न हत ह, और
व सरकार पर आरोप लगाता है क सुख क अपनी खोज म उसने न सफ़ स य और
सौ दय को मटा दया है, ब क उस सबको भी ने तनाबूद कर दया है, जो जीवन म
उ म और साह सक है :
“मेरे यारे नौजवान दो त,” मु तफ़ा मांड ने कहा, “स यता के लए उ मता और
साहस क क़तई कोई ज़ रत नह है। ये चीज़ राजनी तक अ मता के ल ण ह।
हमारे जैसे एक सु व थत समाज म, कसी भी के लए उ म या
साह सक होने का कोई अवसर नह है। इस तरह का अवसर पैदा होने से पहले
थ तय का पूरी तरह अ थर हो जाना ज़ री है। जहाँ यु ह, जहाँ वभा जत
न ाएँ ह, जहाँ तरोध झेलने के लोभन ह, जहाँ ेम ऐसे आल बन ह, जनके
लए लड़ा जाना या जनका बचाव करना ज़ री है, वहाँ ज़ा हर है उ मता और
साहस का कोई अथ है, ले कन इन दन कोई यु नह होते। इस बात का सबसे
यादा यान रखा जाता है क आपको कसी को ज़ रत से यादा ेम
करने से रोका जाए। वभा जत न ा जैसी कोई चीज़ नह है, आप इस क़दर
अनुकू लत ह क आप वह कए बना नह रह सकते, जो आपको करना चा हए।
और जो आपको करना चा हए, वह कुल मलाकर इतना सुखद है, व छ द
वचरण के लए इतने यादा नैस गक संवेग ह क तरोध करने का कोई
लोभन ही नह जागता। और अगर कभी, कसी य गवश, कोई अ य घटना
कसी तरह घ टत भी होती है, तो सोम ( ग) हमेशा उपल ध है, जो आपको
त य से छु टकारा दलाता है। और आपके ग़ से को शा त करने, अपने श ु के
साथ मेल- मलाप क़ायम करने, आपको धीरज बँधाने और क सहने यो य बनाने
के लए तो सोम है ही। अतीत म यह सब हा सल करने के लए आपको ब त
उ म और वष ल बे कठोर नै तक श ण क ज़ रत पड़ती थी। अब आप
आधे ाम क दो या तीन गो लयाँ नगलते ह, और सब कुछ ठ क हो जाता है।
अब कोई भी सदाचारी हो सकता है। आप कम-से-कम अपनी आधी
नै तकता लगभग एक बोतल म रखकर ले जा सकते ह। आँसु से र हत
ईसाइयत - सोम यही है।”
“ले कन आँसू ज़ री ह। आपको याद नह क अ◌ॅ थेलो ने या कहा था?”
“अगर हर तूफ़ान के बाद ऐसी शा त छा जाती है, तो इससे बेहतर है हवाएँ तब
तक चलती रह, जब तक क वे मौत को न जगा द।” एक क़ सा जो हम एक
बूढ़ा ह तानी सुनाया करता था, मा सक क लड़क के बारे म। जो नौजवान
उस लड़क से शाद करना चाहता था, उसके लए ज़ री था क वह उसके
बग़ीचे म सुबह क गुड़ाई का काम करता। ये काम आसान लगता था, ले कन
वहाँ म खयाँ और म छर थे, जो जा ई थे। यादातर नौजवान तो उनके ारा
काटे और डंक चुभाए जाने को बदा त नह कर सके, ले कन जो एक नौजवान
यह सब सह सका, उसको वह लड़क मल गई।”
“ब त सु दर! ले कन स य मु क म,” कं ोलर ने कहा, “आप लड़ कय के
लए गुड़ाई का काम कए बना उनको हा सल कर सकते ह; और न ही यहाँ कोई
म खयाँ या म छर ही ह जो आपको काट। हम उन सबसे स दय पहले छु टकारा
पा चुके ह।”
सैवेज ने भ सकोड़ते ए सर हलाया। “आपने उनसे छु टकारा पा लया है।
हाँ, यह आप ही कर सकते ह। कसी भी अ य चीज़ को सहने क बजाय उससे
छु टकारा पा लेना। कोई भी साहसपूण काम हो, वह चाहे ू र भा य क गुलेल
और तीर क मार सहना हो, या मु कल के ख़लाफ़ ह थयार उठाना और उनसे
लड़ते ए उनको ख़ म कर दे ना हो … आप दोन म से कुछ भी नह करते। न
ःख झेलते ह और न वरोध करते ह। आप सफ़ गुलेल और तीर को ही ख़ म
कर दे ते ह। यह ब त आसान है … आपके लए ज़ री है,” सैवेज ने अपनी बात
जारी रखते ए कहा, “कोई ऐसी चीज़ जो आँसु से यु हो, ता क कुछ
अलग-सा लग सके… या ख़तरनाक ढं ग से जीवन जीने म कुछ नह है?”
“उसम ब त कुछ है,” कं ोलर ने जवाब दया। “मद और औरत को समय-
समय पर अपने अ ीनल को उ े जत करना चा हए … यह सही त ती क
एक शत है। यही वज़ह है क हमने वी.पी.एस. च क सा को अ नवाय बना दया
है।”
‘वी.पी.एस.?’
“वायलंट पैशन सरोगेट। नय मत प से महीने म एक बार। हम समूची
णाली को अ ीन लन से भर दे ते ह। यह भय और ोध का स पूण समतु य है।
बना क ह असु वधा के डे डेमोना क ह या के और अ◌ॅ थेलो ारा मारे जाने
के सारे श वधक भाव।”
“ले कन मुझे तो असु वधाएँ पस द ह।”
“हम नह ह,” कं ोलर ने कहा। “हम सब कुछ सु वधाजनक ढं ग से करना
पस द है।”
“ले कन म सु वधा नह चाहता। म ई र चाहता ँ, म क वता चाहता ँ, म
वा त वक ख़तरे चाहता ँ, म आज़ाद चाहता ँ, म भलाई चाहता ँ। म पाप
चाहता ँ।”
“दरअसल,” मु तफ़ा मांड ने कहा, “आप ःखी होने के अ धकार का दावा
कर रहे ह।”
“तब यही सही,” सैवेज ने उ त भाव के साथ कहा, “म ःखी होने के
अ धकार का दावा कर रहा ँ।
“साथ ही बूढ़ा होने और बदसूरत होने और नपुंसक हो जाने के अ धकार,
सफ़ लस और कसर का शकार हो जाने के अ धकार, खाने के लए ब त कम
होने के अ धकार, ब त बुरा हो जाने के अ धकार, इस नर तर आशंका के साथ
जीने के अ धकार क पता नह कल या हो, मोतीझरा का शकार होने के
अ धकार, हर तरह क अकथनीय यातना को भोगने के अ धकार का म दावा
कर रहा ँ।”
दे र तक ख़ामोशी छाई रही।
“म उन सबका दावा करता ँ,” सैवेज ने अ ततः कहा।
मु तफ़ा मांड ने अपने क धे झटक दए। “आपका वागत है,” उसने कहा।
जॉन द सैवेज एक नजन जंगल म नवा सत हो जाता है, और एक सं यासी का
जीवन जीने लगता है। एक इं डयन आर त थल पर वष रहने और शे स पयर
तथा धम के ारा दमाग़ी तौर पर पूरी तरह बदल दए जाने ने उसको इस तरह
ढाल दया है क वह आधु नकता के सारे वरदान का तर कार कर दे ता है,
ले कन इस तरह के असामा य और रोमांचक श स क मौजूदगी क ख़बर ब त
ज द चार ओर फैल जाती है। उससे मलने और उसके सारे कृ य को दज़ करने
के लए लोग का ताँता लग जाता है, और ब त ज द ही वह एक यात
बन जाता है। इस सारे अनपे त यान का के बन जाने से बुरी तरह तंग आकर
सैवेज इस स य साँचे (मै स) से पलायन कर जाता है, कोई लाल गोली
नगलकर नह , ब क ख़ुद को फाँसी पर लटकाकर।

द मै स और टमेन शो के रच यता से भ , ह सले ने पलायन क स भावना पर


स दे ह कया था, य क उ ह ने सवाल उठाया था क या ऐसा कोई है, जो पलायन कर
सकता है। चूँ क आपका म त क और ‘ व व’ उस साँचे का ह सा ह, इस लए उस साँचे
से पलायन करने के लए आपको अपने व व से ही पलायन करना अ नवाय है, ले कन
यह एक वचारणीय स भावना है। व व क संकु चत प रभाषा से छु टकारा पाना शायद
इ क सव सद म जी वत बचे रहने का एक अ नवाय कौशल हो सकता है।
V

लचीलापन

भ च केपन के उस युग म आप कैसे रहते ह, जब पुराने क़ से व त हो चुके ह, और


उनक जगह लेने के लए कोई नया क़ सा सामने नह आया है?
19
श ा
प रवतन एकमा थायी चीज़ है

मानव-जा त अपूव ा तय का सामना कर रही है, हमारे सारे पुराने क़ से चूरचूर हो रहे
ह, और उनक जगह लेने के लए कोई नया क़ सा अभी तक सामने नह आया है। इस
तरह के अपूव पा तरण और मूलगामी अ न तता से भरी नया के त हम वयं
को और अपने ब च को कस तरह तैयार कर सकते ह? आज का ज मा शशु 2050 म
तीस के आस-पास का होगा। अगर सब कुछ ठ क-ठाक से चलता रहा, तो वह ब चा
2100 म भी जी वत बना रहेगा, और हो सकता है क तब वह बाइसव सद का स य
नाग रक हो। हम अपने इस ब चे को ऐसा या पढ़ाना चा हए, जो 2050 या बाइसव सद
क नया म उसके जी वत बने रहने और फलने-फूलने म मदद कर सके? उसको रोज़गार
हा सल करने के लए, अपने आस-पास के घटना म को समझने के लए, और जीवन
क भूलभुलैया के बीच अपना रा ता बनाने के लए कस तरह क द ता क ज़ रत
है?
भा य से, चूँ क कोई नह जानता क 2050 म नया क या श ल होगी, तो हम
इन सवाल के जवाब भी नह जानते, ऐसे म 2100 क बात तो छोड़ ही द। न य ही,
मनु य भ व य का पूवानुमान कभी भी ठ क-ठ क ढं ग से नह कर सकते, ले कन आज यह
पहले से कह यादा मु कल हो गया है, य क जैसे ही ौ ो गक हम शरीर , म त क
और दमाग़ को नए सरे से गढ़ने म स म बना दे ती है, वैसे ही हम क ह भी चीज़ के
बारे म प के तौर पर कुछ भी कह पाने क थ त म नह रह जाएँगे। इनम वे चीज़ भी
शा मल ह गी, जो पहले न त और शा त तीत होती थ ।
एक हज़ार साल पहले, 1018 म, भ व य के बारे म ऐसी ब त-सी चीज़ थ , जनके
बारे म लोग जानते नह थे, ले कन तब भी उनको इस बात का यक़ न आ करता था क
मानव-समाज के बु नयाद ल ण म कोई बदलाव आने वाला नह है। अगर आप 1018
म चीन म रहते थे, तो आप जानते थे क 1050 तक सांग सा ा य व त हो सकता है,
उ र दशा से ख़तान आ मण कर सकते ह, और महामारी लाख लोग क जान ले
सकती है, ले कन यह बात आपके सामने प थी क 1050 म भी यादातर लोग
कसान या बुनकर के प म काम कर रहे ह गे। मरान तब भी अपनी फ़ौज और
नौकरशा हय म भत करने के लए इंसान पर नभर ह गे, पु ष का य पर वच व
बना रहेगा, आयु-सीमा तब भी चालीस के आस-पास होगी, और मनु य क काया ठ क
ऐसी-क -ऐसी होगी। इस लए, 1018 म ग़रीब चीनी अ भभावक अपने ब च को चावल
रोपने और स क बुनने क व धयाँ सखाते थे, और यादा स प अ भभावक अपने
लड़क को क यू शयाई ला स स पढ़ने, च - ल प लखने, या घोड़े पर सवार होकर
यु करने क व धयाँ सखाते थे। वे अपनी लड़ कय को वन तथा आ ाकारी गृह णयाँ
बनने क श ा दे ते थे। यह बात ज़ा हर-सी थी क इन द ता क ज़ रत 1050 म भी
पड़ने वाली थी।
इसके वपरीत, आज हम इस बात का कोई अनुमान नह है क 2050 म चीन या
बाक़ नया कस तरह क दखेगी। हम नह जानते क लोग आजी वका के लए या
करगे, हम नह जानते क सेनाएँ या नौकरशा हयाँ कस तरह काम करगी, और हम नह
जानते क ल गक र ते कस तरह के ह गे। कुछ लोग शायद आज क तुलना म यादा
ल बा जीवन जएँगे, और जैवइंजी नयरी और सीधे म त क-क यूटर इंटरफ़ेस क वज़ह
से वयं इंसानी काया म अपूव ा त होगी। इस लए आज ब चे जो कुछ भी सीखते ह,
2050 तक उसम से यादातर के अ ासं गक हो जाने क स भावना है।
वतमान म, ब त सारे कूल सूचना को ठूँ सने पर यान दे ते ह। अतीत म यह चीज़
मायने रखती थी, य क सूचना लभ थी, और मौजूदा सूचना के धीमे रसाव तक को
बार-बार ससर शप के सहारे अव कर दया जाता था। उदाहरण के लए, अगर आप
1800 म मै सको के कसी छोटे -से दे हाती नगर म रहते थे, तो उससे ापक नया के
बारे म यादा कुछ जान पाना आपके लए मु कल था। वहाँ कोई रे डयो, टे ली वज़न,
दै नक अख़बार या सावज नक पु तकालय नह था। अगर आप सा र भी होते और कसी
नजी पु तकालय तक आपक प ँच होती, तब भी सवाय उप यास और मज़हबी
पो थय के वहाँ पढ़ने के लए यादा कुछ नह था। पेनी सा ा य थानीय तर पर मु त
तमाम मज़मून को बुरी तरह ससर कर दया करता था, और सफ़ अ छ तरह से जाँचे-
परखे गए थोड़े-से काशन को बाहर से आया तत करने क छू ट दे ता था। यादातर यही
बात तब भी सही होती, अगर आप स, ह तान, तुक या चीन के कसी दे हाती नगर म
रह रहे होते। जब आधु नक कूल आए, ज ह ने हर ब चे को पढ़ने और लखने तथा
भूगोल, इ तहास और जीव व ान के बु नदायी त य क श ा दे ने क शु आत क , तो
उ ह ने अप र मत सुधार का त न ध व कया।
इसके वपरीत, इ क सव सद म हम सूचना क वपुल मा ा से घरे ए ह, और अब
ससर भी उसको अव करने क को शश नह करते। इसक बजाय, वे ग़लत सूचनाएँ
फैलाने और अ ासं गकता के सहारे हमारा यान भटकाने म त ह। अगर आप
मै सको के कसी दे हाती नगर म रहते ह और आपके पास माटफ़ोन है, तो आप अपने
जीवन का ब त सारा व त वक पी डया पढ़ते ए, टे ड टॉ स दे खते ए, और
ऑनलाइन कोस लेते ए बता सकते ह। कोई भी सरकार उस सूचना को छपाने क
उ मीद नह कर सकती, जो वह नह चाहती। सरी ओर, यह ख़तरनाक प से आसान है
क वे जनता को पर पर वरोधी रपोट और यान भटकाने वाली सूचना से पाट द।
सारी नया के लोग अले पो क गोलीबारी या आक टक के पघलते हम शखर के बारे म
ताज़ातरीन जानकारी से मा एक बटन दबाने भर क री पर ह, ले कन इन सबके बारे म
इतनी पर पर वरोधी जानका रयाँ ह क यह समझ पाना मु कल है क कस पर भरोसा
कया जाए। इसके अलावा, असं य सरी चीज़ भी एक बटन दबाने भर क री पर ह,
जो आपक एका ता को मु कल बना दे ती ह, और जब राजनी त या व ान ब त पेचीदा
लगने लगते ह, तो वहाँ से यान हटकर क ह मज़ेदार कैट वी डयो, से ल ट गॉ सप, या
पोन ाफ़ दे खने का लोभ जागने लगता है।
इस तरह क नया म, कसी अ यापक को अपने छा को और अ धक जानकारी
दे ने क कोई ज़ रत नह रह जाती। यह जानकारी उनके पास पहले से ही भरपूर मा ा म
होती है। इसक बजाय, लोग को सूचना क साथक ा या करने, मह वपूण और ग़ैर-
मह वपूण के बीच फ़क़ करने, और इस सबसे ऊपर सूचना के ढे र अंश को आपस म
मलाकर नया क ापक तसवीर गढ़ने क ज़ रत है।
वा तव म, ये स दय से प म क उदारवाद श ा का आदश रहा है, ले कन अब
तक अ धकांश प मी कूल इस आदश को ा त करने म सु त रहे ह। अ यापक ने ख़ुद
को छू ट द क वे आँकड़े ठूँ सते रह और वह वे छा को ‘ख़ुद ही सोचने’ के लए
ो सा हत करते रहे। तानाशाही के भय के चलते, उदारवाद कूल म महा यान को
लेकर वशेष प से दहशत रही। वे मानकर चलते रहे क जब तक वे छा को ढे र
आँकड़े और क चत आज़ाद उपल ध कराते रहगे, तब तक छा नया क अपनी तरह
क तसवीर रचते रहगे, और अगर यह पीढ़ उन सारे आँकड़ का सं ेषण कर नया का
एक सुसंगत और अथपूण क़ सा गढ़ने म नाकामयाब भी रहती है, तो भ व य म एक
अ छा सं ेषण रचने के लए भरपूर व त होगा। अब हमारे पास वह व त नह बचा है।
आने वाले कुछ दशक म जो फ़ैसले हम लगे, वे वयं जीवन के भ व य को आकार दगे,
और ये फ़ैसले हम अपनी मौजूदा व के आधार पर ही ले सकते ह। अगर इस पीढ़
म ा ड क कसी बोधग य का अभाव आ, तो जीवन का भ व य बेतरतीब ढं ग
से तय होगा।

दबाव ज़बरद त है
सूचना के अलावा, यादातर कूल ब च को पूव नधा रत द ताएँ - जैसे क वभेदक
समीकरण का हल नकालना, C ++ म क यूटर कोड लखना, परखनली म रसायन क
पहचान करना, या चीनी म ब तयाना - उपल ध कराने पर ब त यादा यान दे ते ह,
ले कन चूँ क हम इस बात का कोई अनुमान नह है क 2050 म रोज़गार क नया कैसी
होगी, इस लए हम वा तव म इस बात क कोई जानकारी नह है क वे कौन-सी ख़ास
द ताएँ ह गी, जनक लोग को ज़ रत पड़ेगी। हम ब च को यह सखाने म भरपूर
उ म लगा सकते ह क C ++ म कैसे लखा जाए या चीनी भाषा कैसे बोली जाए, ले कन
मुम कन है क हम पता चले क 2050 तक आ ट फ़ शयल इंटे लजस सॉ टवेयर क
को डग इंसान से बेहतर ढं ग से कर सकता है, और नया गूगल ांसलेट ऐप आपको
मड रन, कटोनीज़ या ह का म लगभग ु टहीन वातालाप करने म स म बना सकता है,
भले ही आपको सफ़ नी हाव (हेलो, कैसे ह) बोलना भर आता हो।
तब हम या पढ़ाना चा हए? अनेक अ यापन- वशेष का तक है क कूल को अब
‘चार Cs ’ पढ़ाने पर यान दे ना चा हए - टकल थ कग ( ववेचना मक च तन),
क यु नकेशन (स ेषण), कोलेबोरेशन (सहकार) और ए ट वट (सृजना मकता)। और
भी ापक तौर पर, कूल को तकनीक द ता को कम मह व दे ना चा हए और
सामा य उ े यपरक जीवन स ब धी द ता पर यादा ज़ोर दे ना चा हए। इनम सबसे
मह वपूण ह गी प रवतन से नपटने, नई चीज़ सीखने, और अ ात प र थ तय म अपना
मान सक स तुलन बनाए रखने क क़ा ब लयत। 2050 क नया के साथ क़दम
मलाकर चलने के लए आपको सफ़ नए वचार और उ पाद ईजाद करना भर ज़ री नह
होगा। इन सबसे ऊपर आपको वयं को बार-बार नए सरे से गढ़ना भी ज़ री होगा।
य क जैसे-जैसे प रवतन क ग त बढ़ती जाएगी, वैसे-वैसे न सफ़ अथ व था म,
ब क ‘मनु य होने’ के अथ-मा म बदलाव आने क स भावना है। 1848 म ही
क यु न ट मेनीफ़े टो ने घोषणा कर द थी क ‘जो कुछ भी ठोस है, वह घुलकर हवा बन
जाता है’, ले कन मा स और ज स मु यतः सामा जक और आ थक संरचना के बारे
म सोच रहे थे। 2048 तक शारी रक और सं ाना मक संरचनाएँ भी घुलकर हवा म, या
डेटा बट् स के बादल म बदल जाएँगी।
1848 म लाख लोग गाँव के खेत के अपने रोज़गार खो रहे थे, और कारख़ान म
काम करने बड़े शहर क ओर जा रहे थे, ले कन बड़े शहर म प ँचने पर इसक कोई
स भावना नह थी क उनको अपना लग बदलने या कोई छठ इ य जोड़ने क ज़ रत
पड़ती। और अगर उनको कसी कपड़ा कारख़ाने म काम मल जाता, तो वे अपने शेष
कामकाजी जीवन म उसी वसाय म बने रहने क उ मीद कर सकते थे।
2048 तक लोग को अ थर ल गक पहचान के साथ, और क यूटर आरोपण ारा
उ प नवीन ऐ य अनुभव के साथ साइबर पेस म थाना त रत हो जाने क थ त से
तालमेल बैठाना पड़ सकता है। अगर वे एक आयामी आभासी वा त वक खेल के लए
ताज़ातरीन फ़ैशन के आक पन म काय और अथ, दोन चीज़ खोज लेते ह, तो दस साल
के भीतर न सफ़ यह ख़ास वसाय, ब क इस तर क कला मक सृजना मकता क
माँग करने वाले सारे काम एआई ारा ह थया लए जाएँगे। इस लए प चीस साल क उ
म आप एक डे टग साइट पर अपना प रचय ‘ल दन म रहने वाली और एक फ़ैशन क
कान पर काम करने वाली प चीस वष य वषमल गक ी’ के प म दे ती ह। पतीस क
उ म आप कहती ह क आप ‘उ के सामंज य क या से गुज़र रहे कसी लग-
वशेष से ता लुक़ न रखने वाली एक ऐसी ी ह, जसक न -कॉ टकल ग त व धय का
े अब मु यतः यू कॉ मॉस आभासी नया है, और जसके जीवन क मु हम वहाँ जाने
क है, जहाँ इसके पहले कोई भी फ़ैशन डज़ाइनर नह गई है’। पतालीस क उ तक
प ँचते-प ँचते डे टग और आ मप रभाषाएँ, दोन ब त पुरानी पड़ जाती ह। आप सफ़
एक ऐसे ऐ ग रदम क ती ा करती ह, जो आपके लए एकदम सट क र ता खोज दे
(या रच दे )। जहाँ तक फ़ैशन डजा़इन क कला से अथ हा सल करने का सवाल है, आप
ऐ ग रदम ारा इस क़दर अटल प से पीछे छोड़ द गई ह गी, क पछले दशक क
अपनी सव े उपल धय क ओर मुड़कर दे खना आपको गव क बजाय श म दगी से
भर दे गा। और पतालीस क उ म भी आपके आगे आमूल-चूल बदलाव लाने वाले कई
दशक पड़े ह गे।
कृपया भ व य क प रक पना को इस तरह न ल क यह श दश: इसी प म घ टत
होगी। जो बदलाव हम दे खने को मलगे, उनका पूवानुमान वा तव म कोई नह कर
सकता। भ व य क कसी भी प रक पना के स चाई से ब त र होने क स भावना है।
अगर आपके सामने कोई म य इ क सव सद क नया का वणन करता है और
वह वणन कसी व ान-कथा जैसा तीत होता है, तो वह स भवतः झूठा है, ले कन फर
अगर कोई आपके सामने म य इ क सव सद क नया का वणन करता है और
वह वणन व ान-कथा जैसा तीत नह होता - तो वह न य ही झूठा है। हम
न या मकता के बारे म न यपूवक कुछ नह कह सकते, ले कन बदलाव अपने आप
म एकमा न या मकता है।
यह ग भीर बदलाव शायद जीवन के बु नयाद ढाँचे को ही बदल दे , और व छ ता
को इसका सबसे मुख ल ण बना दे । जीवन चरकाल से ही दो अनुपूरक ह स म बँटा
रहा था : सीखने का दौर और उसके बाद काम करने का दौर। जीवन के पहले ह से म
आप जानकारी एक करते थे, द ताएँ वक सत करते थे, एक जीवन- रचते थे, और
एक थर पहचान गढ़ते थे। अगर आप प ह साल क उ म भी अपना दन ( कसी
औपचा रक कूल म बताने क बजाय) प रवार के धान के खेत म काम करते ए बताते
थे, तब भी जो सबसे मह वपूण काम आप कर रहे होते थे, वह सीखने का काम होता था :
चावल क खेती कैसे क जाए, कसी बड़े शहर से आए चावल के लालची सौदागर से
मोल-भाव कैसे कया जाए, और ज़मीन तथा पानी को लेकर सरे ामीण के साथ होने
वाली तक़रार को कैसे सुलझाया जाए। जीवन के सरे ह से म आप नया म अपना
रा ता ढूँ ढने के लए, आजी वका कमाने के लए, और समाज म योगदान करने के लए
अपनी एक क गई द ता पर नभर करते थे। बेशक, पचास क उ म भी आप
चावल के बारे म, सौदागर के बारे म, तक़रार के बारे म नई चीज़ सीखना जारी रखते थे,
ले कन ये चीज़ आपक खर द ता म छोटे -मोटे सुधार ही लाती थ ।
इ क सव सद के म य तक तेज़ र तार बदलाव और उ ह के साथ-साथ ल बे
जीवन-काल क वज़ह से यह पार प रक ढाँचा पुराना पड़ जाएगा। जीवन क सीवन उघड़
जाएँगी, और जीवन के व भ कालख ड के बीच नर तरता कम से कमतर होती
जाएगी। ‘म कौन ँ?’ का इस क़दर नणायक और पेचीदा हो जाएगा, जतना वह
कभी नह रहा।
इससे मान सक स ताप और तनाव के तर के ब त अ धक बढ़ जाने क स भावना
है, य क बदलाव हमेशा ही स ताप और तनाव से भरा होता है, और एक ख़ास उ के
बाद यादातर लोग बदलाव चाहते ही नह ह। जब आप प ह के होते ह, आपका समूचा
जीवन बदलाव होता है। आपक काया बढ़ रही होती है, आपका दमाग़ वक सत हो रहा
होता है, आपके र ते गाढ़ हो रहे होते ह। हर चीज़ लगातार बदल रही होती है, और हर
चीज़ नई होती है। आप ख़ुद को आ व कृत करने म त होते ह। ब त-से कशोर इससे
डरे होते ह, ले कन इसी के साथ-साथ यह रोमांचक भी होता है। आपके सामने नई
स भावनाएँ खुल रही होती ह, और जीतने के लए सारी नया आपके सामने मौजूद होती
है।
पचास के होते-होते, आप बदलाव नह चाहते, और यादातर लोग नया को जीतने
क को शश छोड़ चुके होते ह। सब कुछ इस क़दर दे ख-समझ लया है क अब ऊब होने
लगी है। आपको था य व यादा ठ क लगता है। आप अपनी द ता , अपनी
आजी वका, अपनी पहचान और अपनी व म इतना अ धक नवेश कर चुके ह क
आप एक बार फर नए सरे से सब कुछ शु नह करना चाहते। कसी चीज़ को तैयार
करने म आपने जतनी कड़ी मेहनत क होती है, उतना ही मु कल होता है उस चीज़ पर
अपनी पकड़ को ढ ला करना और कसी नई चीज़ के लए गुंजाइश दे ना। आप नए
अनुभव और छोटे -मोटे तालमेल बैठाने म अभी भी आन द लेते ह, ले कन यादातर लोग
पचास क उ म अपनी पहचान और व क गहरी संरचना क आमूल-चूल
मर मत के लए तैयार नह होते।
इसके नायु वक कारण होते ह। य प वय क दमाग़ उससे यादा लचीला और
प रवतनशील होता है, जतना कभी समझा जाता था, तब भी उसम कशोर दमाग़ जैसी
नमनीयता नह होती। नायु और दो नायु वक को शका के बीच के तार को नए
सरे से जोड़ना भयानक मु कल काम है। ले कन इ क सव सद म था य व आपके
लए महँगा पड़ सकता है। अगर आप कसी थायी पहचान, काम या व से चपके
रहना चाहते ह, तो आप यह जो खम उठाते ह क नया आपको पीछे छोड़ती ई आपके
सर पर से गुज़र जाती है। नतीजतन, इस त य के म े नज़र क आयु-सीमा के बढ़ते जाने
क स भावना है, आपको एक अ ानी ढ़वाद के प म दशक गुज़ारने पड़ सकते ह।
ासं गक बने रहने के लए - सफ़ आ थक प से ही नह , ब क सबसे यादा
सामा जक प से ासं गक बने रहने के लए - आपको नर तर सीखते रहने और नए
सरे से गढ़ते रहने क ज़ रत होगी, न य ही पचास साल क युवाव था म।
जैसे ही व च ता नई सामा य अव था बन जाएगी, आपके अतीत के अनुभव, साथ
ही समूची मनु यता के अतीत के अनुभव भी, उतने भरोसेम द मागदशक नह रह जाएँगे।
य के प म इंसान को और सम तौर पर मानव-जा त को उ रो र ऐसी चीज़ से
नपटना पड़ेगा, जनका सामना पहले कभी कसी ने नह कया था, जैसे क अ तशय
बु मान मशीन, या क ढं ग से गढ़ गई कायाएँ, आपक भावना के साथ भयानक
ढं ग से छल-योजना कर सकने वाले ऐ ग रदम, मनु य ारा तेज़ी के साथ पैदा क जा रही
जलवायुपरक उथल-पुथल, और अपने वसाय को हर दस साल बाद बदलने क
ज़ रत। जब आप एक पूरी तरह से अपूव प र थ त का सामना कर रहे ह गे, तब आप
ऐसा या कया करगे, जो सही होगा? जब आप सूचना क वपुल मा ा से भर दए गए
ह गे और जब इस सूचना को आ मसात करने और उस सबका व ेषण करने का कोई
उपाय न होगा, तो आपक कारवाई का या प होगा? ऐसी नया म कस तरह रहा जा
सकेगा, जहाँ अथाह अ न या मकता कोई खोट नह , ब क वह इस नया का एक
ल ण होगी?
इस तरह क नया म जी वत बने रहने और फलने-फूलने के लए, आपको ब त
यादा मान सक लचीलेपन और भावना मक स तुलन के वशाल संचय क ज़ रत होगी।
आपको बार-बार कुछ ऐसी चीज़ को ख़ा रज़ करते रहना होगा, जनसे आप सबसे अ छ
तरह प र चत ह, अ ात चीज़ के साथ आ मीयता महसूस करनी होगी। भा य से, ब च
को अ ात का वागत करने और अपना मान सक स तुलन बनाए रखने क श ा दे ना,
उनको भौ तक के समीकरण या पहले व यु क वज़ह क श ा दे ने से कह यादा
मु कल काम है। आप कोई पु तक पढ़कर या कोई ा यान सुनकर लचीलापन नह
सीख सकते। श क म ख़ुद ही आमतौर से उस मान सक लचीलेपन का अभाव है,
जसक माँग इ क सव सद करती है, य क वे वयं पुरानी श ा-प त क पैदाइश
ह।
औ ो गक ा त ने हम श ा का मब उ पादन ( ॉड शन-लाइन) का स ा त
वसीयत म स पा है। नगर के बीच एक बड़ी प क इमारत होती है, जसम एक-जैसे ब त-
से कमरे होते ह, और हर कमरा मेज़ और कु सय क क़तार से सुस जत होता है। घ टे
क आवाज़ सुनते ही आप उन तीस और ब च के साथ इनम से कसी एक कमरे म जाते
ह, जो सब उसी साल पैदा ए थे, जस साल आपका ज म आ था। हर घ टे कोई बड़ी
उ का अ दर आता है और बोलना शु कर दे ता है। इस काम के लए उनको
सरकार से पैसे मलते ह। उनम से एक आपको पृ वी क आकृ त के बारे म बताता है,
सरा आपको इंसान के अतीत के बारे म बताता है, तीसरा आपको मनु य के शरीर के बारे
म बताता है। इस ढाँचे का मज़ाक़ उड़ाना आसान है, और लगभग हर कोई इस पर सहमत
है क इसक अतीत क उपल धयाँ जो भी रही ह , ले कन अब यह दवा लया हो चुका
है। इसके बावजूद अब तक हमने कोई अभी या कारगर वक प नह रचा है। न य ही
हमने ऐसा कोई व तारपरक वक प नह रचा है, जसको कै लफ़ो नया के क ह सफ़
स प उपनगर क बजाय मै सको के ामीण इलाक़ म लागू कया जा सके।

मनु य म सध
इस लए मै सको, ह तान या अ बामा म कह कसी पुराने पड़ चुके कूल म अटके
एक प ह-वष य कशोर को जो सबसे अ छ सलाह म दे सकता ँ, वह यह है : वय क
पर ब त यादा भरोसा मत करो। उनम से यादातर के इरादे भले ह, ले कन वे नया को
नह समझते। अतीत म, वय क का अनुसरण करना अपे ाकृत सुर त दाँव आ करता
था, य क वे नया को ब त अ छ तरह से समझते थे, और नया म बदलाव धीमी
ग त से आते थे, ले कन इ क सव सद ब कुल अलग तरह क होने जा रही है। प रवतन
क बढ़ती ई र तार क वज़ह से आप इस बारे म कभी न त नह हो सकते क वय क
लोग आपसे जो कुछ कह रहे ह, वह कालातीत ा क बात है या कोई घसा- पटा
पूवा ह है।
तब फर आप उनक जगह कस चीज़ पर भरोसा कर सकते ह? या शायद
ौ ो गक पर? यह और भी यादा जो खम-भरा दाँव है। ौ ो गक आपक ब त मदद
कर सकती है, ले कन अगर ौ ो गक आपके जीवन पर ब त यादा कूमत हा सल कर
लेती है, तो आप उसक कायसूची के ब धक बनकर रह सकते ह। हज़ार साल पहले
मनु य ने कृ ष का आ व कार कया था, ले कन इस ौ ो गक ने एक ब त छोटे -से
कुलीन-वग को समृ कया, और ब सं यक इंसान को ग़लाम बनाया। यादातर लोग
ने पाया क वे सूय दय से लेकर सूया त तक काम म जुते रहते ए खरपतवार उखाड़ते
रहते ह, पानी से भरी बा टयाँ ढोते रहते ह और सुलगती धूप म म के क फ़सल काटते
रहते ह। ये आपके साथ भी हो सकता है।
ौ ो गक बुरी नह है। अगर आपको मालूम है क आप अपने जीवन म या चाहते
ह, तो ौ ो गक उसको हा सल करने म आपक मदद कर सकती है, ले कन अगर
आपको नह मालूम क आप अपने जीवन म या हा सल करना चाहते ह, तो ौ ो गक
के लए आपके ल य को नधा रत करना और आपके जीवन को नय त करना ब त
आसान होगा। ख़ासतौर से ौ ो गक जैसे-जैसे मनु य को समझने के मामले म बेहतर
होती जाएगी, वैसे-वैसे, बजाय इसके क वह आपक सेवा करे, आप ख़ुद को उसक सेवा
म लगा आ पा सकते ह। या आपने उन नीरस य को दे खा है, जो अपना चेहरा
अपने माटफ़ोन म गड़ाए सड़क पर घूमते रहते ह? आपको या लगता है, वे ौ ो गक
को नय त करते ह, या ौ ो गक उनको नय त करती है?
तब फर या आपको ख़ुद पर भरोसा करना चा हए? यह बात सी मी ट पर या
पुराने चाल क कसी डज़नी फ़ म म ब त बड़ी लगती है, ले कन वा त वक जीवन म
यह उस तरह कारगर नह है। यहाँ तक क यह बात अब डज़नी तक को समझ म आने
लगी है। रली एंडरसन क तरह, यादातर लोग शायद ही ख़ुद को जानते ह, और जब वे
‘अपनी आवाज़ सुनने’ क को शश करते ह, तो वे ब त आसानी से बाहरी छलयोजना
के शकार हो जाते ह। हम अपने सर के भीतर से आती जस आवाज़ को सुनते ह, वह
कभी व ास के क़ा बल नह रही, य क वह जैवरासाय नक खोट के साथ-साथ, हमेशा
सरकारी चार, वचारधारा मक ेनवा शग और वा ण यक व ापन को त व नत
करती है।
जैसे ही जैव ौ ो गक और मशीन ल नग उ त प ले लगे, वैसे ही लोग क
भावना और आकां ा के साथ छलयोजना करना और भी आसान हो जाएगा, और
तब अपने दल क आवाज़ का अनुसरण करना पहले के कसी भी व त के मुक़ाबले
यादा ख़तरनाक हो जाएगा। जब कोका-कोला, अमेज़ॉन, बै या सरकार यह समझ लेगी
क आपके दल क डोर को कैसे ख चा जाए और आपके म त क के बटन को कैसे
दबाया जाए, तक या आप अपने और उनके वपणन वशेष के बीच फ़क़ कर पाएँगे?
इस तरह के चुनौतीपूण उ म म कामयाब होने के वा ते आपको अपने ऑपरे टग
स टम को बेहतर समझने के लए ब त कड़ी मेहनत करने क ज़ रत होगी। यह जानने
के लए क आप या ह, और आप जीवन से या चाहते ह। यह न य ही पोथी म द गई
सबसे पुरानी सलाह है : ख़ुद को जानो। हज़ार साल तक दाश नक और भ व य ा
ने लोग से ख़ुद को जानने क वनती क है, ले कन यह सलाह जस तरह इ क सव सद
म त काल अमल करने यो य बन चुक है, उतनी कभी नह थी, य क लाओज़ी और
सुकरात के ज़माने से भ , आज आप ग भीर त पधा का सामना कर रहे ह। कोका-
कोला, अमेज़ॉन, बै और सरकार सब-के-सब आपके भीतर सध लगाने (आपको हैक
करने) क होड़ कर रहे ह। आपका माटफ़ोन नह , आपका क यूटर नह , आपका बक
खाता नह - वे आपके भीतर और आपके जै वक ऑपरे टग स टम के भीतर सध लगाने
क होड़ कर रहे ह। शायद आपने सुना होगा क हम क यूटर क ह कग के युग म रह रहे
ह, ले कन यह बमु कल आधी स चाई ही है। दरअसल, हम मनु य को हैक कए जाने के
युग म रह रहे ह।
ऐ ग रदम ठ क इस व त भी आप पर नगाह रखे ए ह। वे नगाह रखे ए ह क
आप कहाँ जाते ह, या ख़रीदते ह, कससे मलते ह। ज द ही वे आपके हर क़दम,
आपक सारी साँस , आपके दल क सारी धड़कन पर नगाह रखने लगगे। आपको
यादा-से- यादा बेहतर ढं ग से समझने के लए वे बग डेटा और मशीन ल नग पर भरोसा
कर रहे ह। और जैसे ही ये ऐ ग रदम आपको आपसे बेहतर ढं ग से जानने लगगे, वे
आपको नय त कर सकगे, आपके साथ छल-योजना कर सकगे, और आप इसको
लेकर कुछ ख़ास नह कर पाएँगे। आप मै स के भीतर, या द टमेन शो के भीतर रह रहे
ह गे। अ त म, यह एक साधारण-सा अनुभवपरक मसला होगा : अगर ऐ ग रदम सचमुच
ही इस बात को आपसे बेहतर समझते ह क आपके भीतर या चल रहा है, तो भु व
आपके हाथ से नकलकर उनके हाथ म चला जाएगा।
न य ही, यह मुम कन है क सारा भु व ऐ ग रदम के हाथ म स पकर और आपके
तथा नया के फ़ैसले उनके ज़ मे स पकर, आप पूरी तरह स ह । अगर ऐसा है, तो
चैन क साँस ली जए और सफ़र का आन द उठाइए। फर आपको इस बारे म कुछ भी
करने क ज़ रत नह है। ऐ ग रदम सब कुछ सँभाल लगे, ले कन, अगर आप अपने
अ त व और अपने भावी जीवन पर कुछ नय ण अपने हाथ म बचाए रखना चाहते ह,
तो आपको ऐ ग रदम से, अमेज़ॉन और सरकार से यादा तेज़ र तार से दौड़ना होगा,
और इसके पहले क वे आपको जान, आपको ख़ुद को जानना होगा। चूँ क आपको तेज़
दौड़ना है, इस लए अपने साथ ब त यादा सामान न ले जाएँ। अपने सारे म छोड़कर
जाएँ। वे ब त भारी ह।
20
अथ
जीवन कोई कहानी नह है

म कौन ँ? मुझे अपने जीवन म या करना चा हए? जीवन का अथ या है? ये सवाल


मनु य चरकाल से पूछते आए ह। हर पीढ़ को नए जवाब क ज़ रत पड़ती है, य क
हम जो जानते ह और नह जानते, वह बदलता रहता है। हम व ान के बारे म, ई र के
बारे म, राजनी त के बारे म और मज़हब के बारे म जो कुछ भी जानते ह और जो कुछ नह
जानते, उसको दे खते ए वह कौन-सा सबसे अ छा जवाब है, जो हम आज दे सकते ह?
लोग कस तरह के जवाब क अपे ा करते ह? लगभग हर मामले म, जब लोग जीवन
के अथ के बारे म पूछते ह, वे कोई कहानी सुनाए जाने क उ मीद करते ह। होमो से पय स
एक क़ सागो ाणी है, जो सं या या रेखा च क पदावली म सोचने क बजाय
क़ स क पदावली म सोचता है, और व ास करता है क यह सृ वयं ही एक क़ से
क तरह काम करती है, जो नायक और खलनायक से, टकराव और समाधान से,
पराका ा और सुखद अ त से भरी ई है। जब हम जीवन के अथ क तलाश म
नकलते ह, तो हम एक ऐसी कहानी चाहते ह, जो यह प कर सके क यथाथ का येय
या है और इस ा डीय नाटक म मेरी या भू मका है। यह भू मका मुझे मुझसे बड़ी
कसी चीज़ का ह सा बनाती है, और मेरे सारे अनुभव और चुने गए वक प को अथ
दान करती है।
हज़ार साल तक अरब बेचैन इंसान को सुनाया जाता रहा एक लोक य क़ सा
बताता है क हम सब एक ऐसे शा त च के अंग ह, जो सारे ा णय को समेटता और
आपस म जोड़ता है। इस च म हर ाणी क एक व श भू मका है। जीवन के अथ को
समझने का मतलब है अपनी इस व श भू मका को समझ लेना, और एक अ छा जीवन
जीने का मतलब है इस भू मका को नभाना।
ह महाका भगव ता बताती है क कस तरह र रं जत गृहयु के म य म
महायो ा राजकुमार अजुन स दे ह से भर उठता है। त सेना म अपने सखा और
सगे स ब धय को दे खकर वह यु करने और उनका वध करने से हच कचाता है। वह
सोचने लगता है क शुभ या है और अशुभ या है, इसका नणय करने वाला कौन है,
और मानव-जीवन का येय या है। तब भगवान कृ ण अजुन को समझाते ह क महान
ा डीय च के भीतर हर ाणी का एक व श ‘धम’ है। वह माग, जस पर आपको
चलना और वे कत , जनका आपको पालन करना अ नवाय है। अगर आपको अपने
धम का बोध है, तो उस पर चलने का रा ता कतना ही क ठन य न हो, आपको मन क
शा त मलती है और आपके सारे स दे ह का नवारण हो जाता है। अगर आप धम पर
चलने से इंकार करते ह, और कोई सरा रा ता अपनाने क को शश करते ह या बना
कसी रा ते के भटकते रहते ह, तो आप ा डीय स तुलन म वधान पैदा करगे, और
तब आपको न तो मन क शा त ा त होगी और न आन द क । जब तक आप अपने
रा ते का अनुसरण करते रहते ह, तब तक इससे कोई अ तर नह पड़ता क आपका वह
ख़ास रा ता या है। एक धो बन, जो धो बन के माग पर चलती है, वह उस राजकुमार से
कह बढ़कर है, जो राजकुमार के माग से हटकर यहाँ-वहाँ भटकता रहता है। जीवन का
अथ समझ लेने के बाद अजुन यथो चत ढं ग से यो ा के अपने धम का पालन करने आगे
बढ़ता है। वह अपने सखा और स ब धय का वध करता है, अपनी सेना को वजय
दलाता है, और ह जगत का सबसे यादा त त और य नायक बन जाता है।
1994 म डज़नी क महागाथा द लायन कग ने इस ाचीन कथा को आधु नक
दशक के लए एक नए पैकेज म पेश कया था, जसम नौजवान शेर स बा अजुन क
जगह ले लेता है। जब स बा अ त व के अथ को जानने क ज ासा करता है, तो उसका
पता - शेर का राजा मुफ़ासा - उसको जीवन के महान च के बारे म बताता है। मुफ़ासा
समझाता है क हरण घास खाते ह, शेर हरण को खाते ह, और जब शेर मर जाते ह, तो
उनके शव सड़-गलकर घास का पेट भरते ह। इसी तरह जीवन का च पीढ़ -दर-पीढ़
चलता रहता है, बशत क हर जानवर इस नाटक म अपनी भू मका नभाता रहे। हर चीज़
आपस म जुड़ी ई है, हर कोई एक सरे पर नभर करता है, इस लए अगर घास का एक
तनका भी अपने कत का नवाह नह करता, तो जीवन का समूचा च ही भंग हो
जाता है। मुफ़ासा कहता है क स बा का कत मुफ़ासा क मृ यु के बाद शेर के रा य
पर शासन करना, और सरे जानवर को अनुशासन म रखना है।
ले कन जब मुफ़ासा को उसके रा मा भाई कार ारा असमय ही मार दया जाता है,
तो नौजवान स बा इस वनाश के लए ख़ुद को ही दोषी ठहराता है, और अपराध-बोध से
भरकर वह शेर क स तनत छोड़कर चला जाता है, अपनी शाही नय त को नकार दे ता
है, और जंगल म भटकने लगता है। वहाँ उसक मुलाक़ात दो अ य नवा सत से होती है,
एक मीरकैट और सरा एक वाटहॉग, और वे तीन मलकर एक अ ात इलाक़े म अपने
जीवन के कुछ न त वष बताते ह। उनके असामा जक फ़लसफ़े का मतलब है क वे
हर सम या का जवाब हकूना मताता - कोई च ता नह - का राग अलापते ए दे ते ह।
ले कन स बा अपने धम से पलायन नह कर सकता। जैसे ही वह प रप व अव था म
प ँचता जाता है, वह उ रो र व ोभ से भरता जाता है, य क वह नह जानता क वह
कौन है और उसको अपने जीवन म या करना चा हए। फ़ म क पराका ा के ण म,
स बा को एक द दार होता है, जसम मुफ़ासा क आ मा उसके सामने कट होती है, और
वह स बा को जीवन के च और उसक शाही पहचान क याद दलाती है। स बा को
यह भी पता चलता है क उसक अनुप थ त म रा मा कार ने सहासन ह थया लया
था और रा य म अ व था फैला द थी, जो अब कलह और अकाल से बुरी तरह त हो
चुका है। स बा को अ ततः समझ म आ जाता है क वह कौन है और उसको या करना
चा हए। वह शेर के रा य म लौटता है, अपने चाचा को मार डालता है, राजा बन जाता है,
और रा य म समरसता और समृ बहाल करता है। फ़ म का अ त गव से भरे स बा
ारा एक जानवर के सम अपने नवजात को उ रा धकारी के तौर पर पेश करने के
साथ होता है, जसम जीवन-च क नर तरता को सु न त करने का स दे श न हत है।
जीवन-च ा डीय नाटक को एक च ाकार कथा के प म पेश करता है। स बा
और अजुन सफ़ इतना जानते ह क शेर हरण को खाते रहे ह और यो ा युग -युग से
यु लड़ते आ रहे ह और वे हमेशा यह करना जारी रखगे। यह शा त आवतन कहानी को
श दे ता है, जसका अ भ ाय यह है क यह सृ क नैस गक लय है, और यह क
अगर अजुन यु से र हो जाता है या स बा राजा बनने से इंकार कर दे ता है, तो वे
कृ त के वधान के ही ख़लाफ़ व ोह कर रहे ह गे।
अगर म जीवन-च क इस कहानी के कसी ा प म व ास करता ँ, तो इसका
मतलब है क मेरी एक ऐसी न त और स ची पहचान है, जो जीवन के मेरे कत को
नधा रत करती है। म वष अपनी इस पहचान को लेकर स दे ह से भरा रह सकता ँ या
इसके त अनजान बना रह सकता ँ, ले कन एक दन, पराका ा के कसी महान ण
म, वह उजागर हो जाएगी, और इस ा डीय नाटक म म अपनी भू मका को समझ
लूँगा, और हालाँ क इसके नतीजे म मुझे कई परी ा और लेश का सामना करना पड़
सकता है, तब भी म स दे ह और हताशा से मु हो जाऊँगा।
सरे मज़हब और वचारधाराएँ एक ऐसे एकरै खक ा डीय नाटक म व ास
करती ह, जसका एक न त आर भ, एक अपे ाकृत सं त म य, और एक अ तम
प से समापन होता है। उदाहरण के लए, मु लम कहानी कहती है क अ लाह ने
शु आत म समूची सृ क रचना क थी और उसके व ध- वधान नधा रत कए थे।
उसके बाद उसने कुरान म इन व ध- वधान को इंसान के लए उजागर कया।
बद क़ मती से, जा हल और शा तर लोग ने अ लाह के ख़लाफ़ बग़ावत क और इन
वधान को तोड़ने या छपाने क को शश क , और यह नेक तथा वफ़ादार मुसलमान क
ज़ मेदारी है क वे इन वधान क सरपर ती कर और उनके ान का चार कर। अ ततः,
क़यामत के दन, अ लाह हर के चाल-चलन पर फ़ैसला दे गा। वह मज़हबी
मुसलमान को ज त म चर थायी आन द से नवाज़ेगा, और को जह ुम क आग म
झ क दे गा।
इस महा यान का अ भ ाय यह है क जीवन म मेरी छोट -सी, ले कन अहम भू मका
अ लाह के आदे श का पालन करना, उसके वधान का चार करना, और यह सु न त
करना है क उसक मज़ के मुता बक़ चला जाए। म पाँच व त नमाज़ पढ़ने म, नई
म जद के नमाण के लए दान दे ने म, और धम तथा का फ़र के ख़लाफ़ लड़ने म
अथ हा सल करता ँ। यहाँ तक क नहायत ही साधारण-सी ग त व धयाँ - हाथ धोना,
वाइन पीना, यौन-संसग करना - भी ा डीय अथ से रँगी ह।
रा वाद भी एक एकरै खक क़ से को थामे ए है। तदनुसार य द वाद क़ सा य द
लोग के बाइबलयुगीन साह सक कारनाम और उपल धय के साथ शु आत करता है,
फर वह नवासन और उ पीड़न के 2,000 वष का बयान करता है, य दय के नरसंहार
और इज़रायल रा य क थापना के साथ चरमो कष पर प ँचता है, और उस दन का
इ तज़ार करता है, जब इज़रायल म शा त और समृ होगी और वह सारी नया के लए
नै तकता और अ या म का काश- त भ बन जाएगा। अगर म इस य द वाद क़ से म
व ास करता ँ, तो म इस नतीजे पर प ँचता ँ क मेरे जीवन क मु हम ह ू भाषा क
शु ता क र ा करते ए, गँवाए जा चुके य द रा य- े को वापस ा त करने के लए
लड़ते ए, या स भवतः वफ़ादार इज़रायली ब च क एक नई पीढ़ को तैयार करते ए
य द रा के हत को आगे बढ़ाना है।
इस करण म भी, नीरस काम तक अथ से भरे ह। वाधीनता- दवस पर इज़रायली
कूली ब चे अ सर मलजुलकर एक लोक य ह ू गीत गाते ह, जसम मातृभू म क
ख़ा तर कए गए कम क शंसा क गई होती है। एक ब चा गाता है, “मने इज़रायल म
एक मकान बनाया है,” सरा ब चा गाता है, “मने इज़रायल क ज़मीन पर एक पेड़
लगाया है,” और एक तीसरा उनके सुर-म-सुर मलाता है, “इस तरह इज़रायल क ज़मीन
पर हमारे पास एक मकान, एक पेड़, और एक क वता (और जो कुछ भी आप इसम
जोड़ना चाह,) है।”
सा यवाद इसी से मलती-जुलती कहानी कहता है, ले कन वह न ल क बजाय वग
पर बल दे ता है। क यु न ट मैनीफ़े टो क शु आत इस घोषणा के साथ होती है क :
अब तक अ त व म रहे समाज का इ तहास वग-संघष का इ तहास है। आज़ाद
और ग़लाम, कुलीन और सामा यजन, भू मप त और खे तहर मज़ र, श पी संघ
के मा लक और का र दे , सं ेप म कह तो, उ पीड़क और उ पी ड़त नर तर एक-
सरे के वरोध म खड़े रहे, कभी गु त ढं ग से, तो कभी खुलेआम एक अनवरत
लड़ाई लड़ते रहे, एक ऐसी लड़ाई, जसका अ त हर बार या तो ापक तौर पर
समाज के ा तकारी पुनगठन के प म आ, या आपस म लड़ते वग क
समान प से बबाद म आ।

यह घोषणा-प आगे यह प करता है क आधु नक युग म, ‘स पूण समाज उ रो र दो


वशाल श ु खेम म वभा जत होता जा रहा है, उन दो वशाल वग म, जो सीधे एक- सरे
के सामने ह : बू वा वग और सवहारा वग।’ इनका संघष सवहारा क वजय के साथ
समा त होगा, जो इ तहास के अ त और पृ वी पर एक ऐसे सा यवाद वग क थापना
का संकेत होगा, जसम कसी के भी पास कसी चीज़ का मा लकाना हक़ नह होगा, और
हर कोई पूरी तरह आज़ाद और सुखी होगा।
अगर म इस सा यवाद क़ से म व ास करता ँ, तो म इस नतीजे पर प ँचता ँ क
मेरे जीवन क मु हम जोशीले पच लखते ए, हड़ताल और दशन का आयोजन करते
ए, या शायद लालची पूँजीप तय क ह या करते ए और उनके याद के ख़लाफ़ लड़ते
ए वै क ा त क ग त को तेज़ करना है। यह क़ सा छोट -से-छोट भं गमा तक
को अथ दान करता है, जैसे क ऐसे कसी ांड का ब ह कार करना, जो बां लादे श के
कपड़ा-मज़ र का शोषण करता है या समस डनर पर आए अपने पूँजीवाद
उ ोगप त ससुर से बहस करना।
मेरी स ची पहचान को प रभा शत करने और मेरे कृ य को अथ दे ने क को शश
करती तमाम कहा नय पर नज़र डालते समय यह अहसास च काने वाला है क इनम
पैमाना कोई ख़ास मायने नह रखता। स बा के जीवन-च जैसी कुछ कहा नयाँ
अन तकाल तक खचती तीत होती ह। केवल सम त सृ क पृ भू म म ही म यह जान
सकता ँ क म कौन ँ। सरी कहा नयाँ, जैसे क यादातर रा वाद या क़बीलाई
मथक, तुलना मक प से ब त ु ह। य द वाद काल क वशाल अव ध के छोटे से
ह से के दौरान लगभग 0.2 % मानव-जा त और 0.005 % पृ वी क सतह के साह सक
कारनाम को प व मानता है। य द क़ सा चीनी सा ा य , यू गनी के क़बील , और
एं ोमेडा आकाशगंगा, इसी के साथ-साथ मूसा, अ ाहम और वानर के वकास के पहले
के असं य युग को कसी तरह का अथ दान नह कर पाता।
इस तरह क मता धता के ग भीर प रणाम हो सकते ह। उदाहरण के लए,
इज़राय लय और फ़ ल ती नय के बीच शा त-स ध म एक सबसे बड़ी कावट यह है
क इज़रायली य शलम नगर को वभा जत करने को तैयार नह ह। उनका कहना है क
यह नगर ‘य द समाज क शा त राजधानी है’ - और न य ही आप ऐसी कसी चीज़ के
साथ समझौता नह कर सकते, जो शा त है। शा तता क तुलना म मु -भर लोग का
मरना या मायने रखता है? न य ही यह साफ़तौर पर बेवकूफ़ है। शा तता कम-से-कम
13.8 अरब वष पुरानी है - सृ क मौजूदा आयु। भू ह क रचना लगभग 4.5 अरब वष
पहले ई थी, और मनु य का अ त व कम-से-कम 20 लाख वष से है। इसके वपरीत
य शलम नगर महज़ 5,000 साल पहले था पत आ था और य द लोग ब त-से-ब त
3,000 साल पुराने ह। यह सब शा त कहलाने के यो य शायद ही कहा जा सके।
जहाँ तक भ व य का सवाल है, भौ तक हम बताती है क अब से लगभग 7.5 अरब
वष बाद भू ह फैलते ए सूरज ारा सोख लया जाएगा, और हमारे ा ड का
अ त व कम-से-कम 13 अरब वष तक और जारी रहेगा। या वाक़ई कोई ग भीरतापूवक
इस बात म व ास करता है क य द समाज, इज़रायल रा य, या य शलम नगर, अब से
13 अरब वष तो छोड़ ही द, 13,000 साल बाद तक भी क़ायम रहेगा? भ व य को दे खते
ए, य द वाद के तज का व तार य प कुछ स दय से यादा नह है, तब भी यह
अव ध यादातर इज़राय लय क क पना को चुका दे ने और कसी तरह ‘शा तता’
कहलाने के लहाज़ से पया त है। और लोग ह क वे ‘शा त नगर’ क ख़ा तर क़बा नयाँ
दे ने को तैयार ह, जैसी क़बा नयाँ वे मकान के कुछ समय तक टकने वाले एक समूह क
ख़ा तर दे ने से शायद इंकार कर दगे।
इज़रायल म एक कशोर के प म म भी शु म अपने से बड़ी कसी चीज़ का ह सा
बनने के रा वाद आ ासन से मो हत आ करता था। म व ास करना चाहता था क
अगर म रा के लए अपना जीवन दे दे ता ँ, तो म हमेशा-हमेशा के लए रा का हो
जाऊँगा, ले कन म इस बात क थाह नह ले सका क ‘हमेशा-हमेशा के लए रा का हो
जाने’ का या मतलब है। यह बात तो ब त गहरी तीत होती थी, ले कन वा तव म
इसका मतलब या था? मुझे एक वशेष मृ त- दवस समारोह क याद है, जब म तेरह या
चौदह का था। जहाँ संयु रा य अमे रका म मृ त- दवस पर सेल लगती ह, जनम लोग
ख़रीदारी करते ह, वह इज़रायल का मृ त- दवस एक अ य त प व और मह वपूण
आयोजन होता है। इस दन कूल म उन सै नक को याद करने के अनु ान होते ह, जो
इज़रायल के ब त-से यु म शहीद ए थे। सफ़ेद कपड़े पहने ब चे क वता का वाचन
करते ह, गीत गाते ह, पु पमालाएँ अ पत करते ह और झ डे फहराते ह। इस तरह म भी
कूल के इस उ सव के दौरान सफ़ेद डै्रस पहने वहाँ मौजूद था, और झ डे फहराने और
क वता का पाठ करने के बीच म वाभा वक ही मन-ही-मन सोच रहा था क जब म
बड़ा हो जाऊँगा, तो म भी एक शहीद सपाही होना पस द क ँ गा। आ ख़रकार, अगर म
एक साहसी शहीद होता, जसने इज़रायल क ख़ा तर अपनी ज़ दगी क क़बानी द होती,
तो आज सारे ब चे मेरे स मान म क वता पाठ कर रहे होते और झ डे फहरा रहे होते।
ले कन फर म सोचने लगा, “एक म नट को। अगर म मर चुका होऊँगा, तो मुझे
कैसे पता चलेगा क ये ब चे मेरे स मान म क वताएँ पढ़ रहे ह?” इस लए मने एक मृतक
के प म अपनी क पना करने क को शश क । और मने फ़ौज के एक व छ क़ तान
म सफ़ेद प थर से ढँ क कसी क़ के नीचे अपने लेटे होने और ज़मीन के ऊपर से आती
क वता क आवाज़ को सुनने क क पना क , ले कन फर मने सोचा, “अगर म मर
चुका ँ, तो फर म कोई क वताएँ नह सुन सकता, य क मेरे कान नह ह, और मेरा
म त क नह है, और म न तो कुछ सुन सकता ँ और न महसूस कर सकता ँ, फर या
मतलब आ?”
इससे भी बदतर बात यह थी क जब तक म तेरह का आ, तब तक मुझे पता चल
चुका था क ा ड कुछ अरब साल पुराना है, और शायद अरब साल तक और क़ायम
रहेगा। या म सचमुच इतने ल बे समय तक इज़रायल के वजूद म बने रहने क उ मीद कर
सकता ँ? या 20 करोड़ वष बाद भी सफ़ेद डै्रस पहने होमो से पय स ब चे मेरे स मान
म क वताएँ पढ़ रहे ह गे? यह पूरा मामला कसी हद तक छ था।
अगर आप फ़ ल तीनी ह , तो आ मतु न हो जाएँ। इसक स भावना भी उतनी ही
कम है क अब से 20 करोड़ साल बाद कोई फ़ ल तीनी बचा होगा। सचमुच, पूरी
स भावना यही है क तब तक कोई तनधारी भी न बचा रह सके। सरे रा वाद
आ दोलन भी इसी तरह संक ण सोच रखने वाले ह। स बयाई रा वाद जुरा सक युग क
घटना क कोई ख़ास परवाह नह करता, वह को रयाई रा वाद मानते ह क ए शया
के पूव तट का एक छोटा-सा ाय प ही ा ड का वह एकमा ह सा है, जो वा तव
म सृ के व यास म कोई मायने रखता है।
न य ही स बा तक - अन त जीवन-च के त अपने सारे समपण के बावजूद -
इस त य पर कभी वचार नह करता क हरण और घास वा तव म शा त नह ह। स बा
इस पर वचार नह करता क तनधा रय के वकास के पहले सृ का प कैसा था, न
ही इस पर क जब इंसान सारे शेर को मार डालगे और घास के मैदान को डामर और
काँ ट से पाट दगे, तब उसके य अ क घास के मैदान (सवाना) का या होगा। या
इससे स बा का जीवन नहायत अथहीन हो जाएगा?
सारी कहा नयाँ अधूरी ह। तब भी अपने लए एक सुसा य पहचान गढ़ने के लए और
अपने जीवन को अथ दे ने के लए, मुझे खोट और आ त रक अ त वरोध से र हत कसी
स पूण कहानी क ज़ रत नह है। मेरे जीवन को अथ दे ने के लए कसी कहानी को
महज़ दो शत को पूरा करने क ज़ रत है : पहली, वह मुझे कोई ऐसी भू मका उपल ध
कराए, जसे म नभाऊँ। इसक कोई स भावना नह है क यू गनी का कोई आ दवासी
य द वाद या स बयाई रा वाद म व ास करे, य क ये कहा नयाँ यू गनी और उसके
समाज क र ी-भर परवाह नह करत । फ़ मी सतार क तरह इंसान को भी वे ही
पटकथाएँ पस द आती ह, जनम उनके लए पहले से कोई मह वपूण भू मका तय होती
है।
सरी, एक अ छ कहानी के लए भले ही अन त तक व तार लेने क ज़ रत नह
है, ले कन उसका मेरे तज के परे व तार लेना अ नवाय है। यह कहानी मुझे मुझसे
बड़ी कसी चीज़ म था पत करते ए मुझे एक पहचान उपल ध कराती है और मेरे जीवन
को अथ दान करती है, ले कन यह ख़तरा हमेशा बना रहता है क म यह सोचने लग
सकता ँ क वह या है, जो उस ‘बड़ी चीज़’ के लए अथ दान करता है। अगर मेरे
जीवन का अथ सवहारा या पो लश रा क मदद करना है, तो वह चीज़ ठ क-ठ क या
है, जो सवहारा या पो लश रा को अथ दान करती है? एक आदमी का क़ सा है,
जसका दावा था क इस नया को एक वशाल हाथी क पीठ पर टकाकर उसे अपनी
जगह पर रखा गया है। जब उससे पूछा गया क वह हाथी कस चीज़ पर खड़ा है, तो
उसने जवाब दया क एक वशाल कछु ए क पीठ पर। और कछु आ? वह उससे भी बड़े
एक कछु ए क पीठ पर। और वह बड़ा कछु आ? वह आदमी ग़ से से कड़ककर बोला :
“उसक च ता मत करो। इसके बाद नीचे तक एक-के-बाद कछु ए ही कछु ए ह।”
यादातर सफल कहा नय का अ त खुला आ होता है। उनको यह समझाने क
ज़ रत नह पड़ती क अथ अ ततः कहाँ से उ प होता है, य क वे लोग का यान
ख चने और उसको एक सुर त े के भीतर बनाए रखने म ब त द होती ह। इस लए,
यह समझाते ए क नया एक वशाल हाथी क पीठ पर टक ई है, तो आपको
मु कल सवाल से बचने के लए व तार से इसका वणन चा हए क जब हाथी के
वशालकाय कान हलते ह, तो वे समु तूफ़ान का कारण बनते ह, और हाथी ग़ से से
काँपता है, तो भूक प धरती क सतह को हला दे ते ह। अगर आप पया त अ छा कपड़ा
बुन लेते ह, तो कसी के मन म यह सवाल नह उठे गा क हाथी कस चीज़ पर खड़ा है।
इसी तरह रा वाद हम बहा री के क़ स से मो हत करता है, अतीत क तबा हय का
बयान कर हम ला दे ता है, और हमारे रा ने जन अ याय को भोगा है, उनक व तार से
चचा कर हमारे ग़ से को भड़का दे ता है। हम इस रा वाद महागाथा म इस क़दर डू ब जाते
ह क हम नया म ई कसी भी घटना का मू यांकन हमारे रा पर पड़े उसके भाव के
आधार पर करने लगते ह, और यह सवाल उठाने के बारे म ज़रा भी नह सोचते क सबसे
पहले तो वह या चीज़ है, जो हमारे रा को इतना मह वपूण बनाती है।
जब आप कसी ख़ास कहानी म व ास करने लगते ह, तो जहाँ वह अपने छोटे -से-
छोटे योरे से भी आपका मन लुभाने लगती है, वह आपको कसी भी उस चीज़ के त
अ धा बना दे ती है, जो उसके दायरे म नह आती। सा यवाद के स चे भ इस पर बहस
करते ए घ ट बता सकते ह क या ा त के शु आती तर पर सामा जक
लोकत वा दय के साथ गठब धन करना मुना सब है, ले कन वे शायद ही पलभर
ठहरकर इस पर वचार करते ह क भू ह पर तनधा रय के जीवन क वकास- या
या ा ड म जैव जीवन के व तार क या म सवहारा क जगह या है। इस तरह
क बेकार बातचीत को त- ा तकारी बात के प म दे खा जाता है।
हालाँ क, कुछ कहा नयाँ दे श और काल क सम ता को समेटने का उ म करती ह,
ले कन यान को नय त करने क मता ब त-सी सरी सफल कहा नय को उनके
दायरे म ब त यादा वन बने रहने क गुंजाइश दे ती ह। क़ सागोई का एक मह वपूण
नयम यह है क जैसे ही कोई क़ सा ोता के वचार , ान और अनुभव के दायरे के
परे नकल जाता है, वैसे ही उसका चरम दायरा ब त कम मायने रखने लगता है। लोग एक
हज़ार साल पुराने रा क ख़ा तर वैसे ही घातक क रपन का प रचय दे सकते ह, जैसा वे
कसी एक अरब साल पुराने दे वता क ख़ा तर दे ते ह। लोग बड़ी सं या के मामले म
द होते ही नह ह। यादातर मामल म हमारी क पना ब त थोड़ा-सा म करके ही थक
जाती है।
सृ के बारे म हमारी सारी जानकारी के म े नज़र कसी भी व थ दमाग़ वाले
को इस बात पर व ास करना नहायत अस भव तीत होगा क इज़रायली, जमन या
सी रा वाद क - या रा वाद-मा क - कहानी सृ और मनु य का परम स य है। जो
कहानी लगभग समूचे दे श-काल, बग बग, वांटम भौ तक और जीवन क वकास-
या क अनदे खी करती है, वह स य का ब त-से-ब त एक मामूली-सा ह सा है। तब
भी लोग इसके परे न दे ख पाने को मुम कन बना ही दे ते ह।
सचमुच, समूचे इ तहास के दौरान अरब लोग यह व ास करते रहे क अपने जीवन
का अथ पाने के लए उनको कसी रा या कसी महान वचारधारा मक आ दोलन म
लीन हो जाने क ज़ रत नह है। सफ़ ‘अपने पीछे कुछ छोड़ जाना और इस तरह इतना
सु न त करना भर काफ़ है क उनक नजी कहानी उनक मृ यु के बाद भी जारी रहे,
यह ‘कुछ’ जो म अपने पीछे छोड़ जाता ँ, वह आदशतः मेरी आ मा या मेरा नजी स व
होता है। अगर म मृ यु के बाद एक नई काया के साथ पुनज म ले लेता ँ, तो फर मृ यु
अ त नह है। वह महज़ दो अ याय के बीच क जगह है, और जस कथानक क शु आत
पहले अ याय म ई थी, वह अगले अ याय म जारी रहेगा। ब त-से लोग को इस तरह के
च तन म कम-से-कम एक धुँधली-सी आ था होती है, भले ही वे इसको कसी व श
धमशा पर आधा रत न करते ह । उनको कसी व तृत धममत क ज़ रत नह पड़ती।
उनको सफ़ आ त करने वाले इस अहसास क ज़ रत होती है क उनक कहानी मृ यु
के तज के परे जारी रहेगी।
अन त काल तक जारी रहने वाली महागाथा के प म जीवन का स ा त अ य त
आकषक और आम है, ले कन यह दो मु य सम या का शकार होता हैः पहली, अपनी
नजी कहानी को ल बा करते ए म इसको वा तव म और अ धक अथपूण नह बना दे ता।
म सफ़ उसको कुछ और ल बा भर कर दे ता ँ। वाक़ई, ज म और मृ यु के अन त च क
धारणा को वीकार करने वाले दो महान धम - ह धम और बौ धम - इस सब कुछ क
न सारता क भयावहता को समझते ह। म लाख बार चलना सीखता ँ, म बड़ा होता ँ,
म अपनी सास से लड़ता ँ, म बीमार पड़ता ँ, म मरता ँ - और इसके बाद यही सब
फर-से करने लगता ँ। इसका या मक़सद है? अपने पछले ज म म मने जतने भी
आँसू बहाए थे, उन सबको अगर मने इक ा कया होता, तो उ ह ने शा त महासागर को
भर दया होता, मने पछले ज म म जतने दाँत और बाल गँवाए थे, अगर उन सबको मने
एक कया होता, तो उनका ढे र हमालय से भी ऊँचा होता। और इस सबके बदले म मेरे
पास ऐसा या है, जो दखाने लायक़ हो? आ य क बात नह क ह और बौ स त
ने अपने यादातर उ म को इस चकर घ ी को जारी रखने क बजाय इससे छु टकारा
पाने का रा ता खोजने पर के त कया था।
इस स ा त क सरी सम या है इसके समथन म सा य के अभाव क । मेरे पास
इसका या सबूत है क पछले ज म म म एक म ययुगीन कसान था, कोई नएंडरथल
शकारी था, कोई टरैनसॉरस राजा था, या एक अमीबा था (अगर मने वाक़ई लाख जीवन
जये ह, तो कभी-न-कभी म डायनासौर या अमीबा भी रहा होऊँगा, य क मनु य का
अ त व तो पछले 25 लाख साल से ही है)? कौन है, जो दावे के साथ इस बात को कह
सकता हो क मेरा पुनज म एक साइबोग के प म, एक अ तर-आकाशगंगायी खोजी के
प म, या एक मढक के प म भी होगा? इस आ ासन पर अपने जीवन को आधा रत
करना कुछ-कुछ अपने मकान को बाद क त थ के एक ऐसे चेक के बदले बेच दे ने जैसा
है, जसका भुगतान बादल के ऊपर थत कसी बक से होगा।
जो लोग इस पर स दे ह करते ह क कसी तरह क आ मा या ह सचमुच ही उनक
मृ यु के बाद बची रहती है, वे इसी लए अपने पीछे कोई अपे ाकृत ठोस चीज़ छोड़ जाना
चाहते ह। वह ‘ठोस चीज़’ दो तरह के प ले सकती है : सां कृ तक या जै वक। मान
ली जए क म अपने पीछे कोई क वता, या अपने कुछ मू यवान जी स छोड़ जाता ँ। मेरी
ज़ दगी म अथ है य क लोग अब से सौ साल बाद भी मेरी क वता पढ़गे, या इस लए क
मेरे ब चे और नाती-पोते मेरे बाद बने रहगे। और उनके जीवन का या अथ है? जो भी हो,
यह उनक सम या है, न क मेरी। इस तरह जीवन का अथ कुछ-कुछ एक जीते-जागते
हड ेनेड के साथ खेलने जैसा है। जैसे ही आप उसको कसी सरे के हाथ म पकड़ा दे ते
ह, आप सुर त हो जाते ह।
ले कन खेद है क ‘अपने पीछे कोई चीज़ छोड़ जाने’ क यह वन उ मीद शायद ही
कभी पूरी हो पाती है। यादातर जीव जनका कभी अ त व रहा था, वे कोई जने टक
वरासत छोड़े बना ही नया से लु त हो गए थे। उदाहरण के लए, लगभग सारे-के-सारे
डायनासौर। या एक नएंडरथल प रवार, जो से पय स का नय ण क़ायम होते ही लु त
हो गया। या मेरी नानी का पो लश कुटु ब। 1934 म मेरी नानी फ़ैनी अपने माँ-बाप और दो
बहन के साथ य शलम आकर बस गई थ , ले कन उनके यादातर स ब धी पोलड के
मए नीक और चे तोहोवा नामक नगर म ही के रहे थे। कुछ साल बाद नाज़ी आए और
उ ह ने उनके आ ख़री ब चे समेत सबको मटा डाला।
अपने पीछे कोई सां कृ तक वरासत छोड़ जाने क को शश भी गाहे-ब-गाहे ही
कामयाब हो पाती ह। मेरी नानी के पो लश कुटु ब का, पा रवा रक एलबम के कुछ धुँधले-
से चहर के अलावा, कुछ भी शेष नह रहा, और छयानवे साल क उ म ख़ुद मेरी यह
नानी तक उन चेहर से जुड़े नाम को याद नह कर पात । मेरी े तम जानकारी के
मुता बक़ वे अपने पीछे कोई सां कृ तक रचना नह छोड़ गए - न कोई क वता, न डायरी,
यहाँ तक क कराने के सामान क कोई फ़ेह र त भी नह । आप तक दे सकते ह क य द
समाज या य द वाद आ दोलन क सामू हक वरासत म उनका ह सा मौजूद है, ले कन
वह उनक नजी ज़ द गय के लए शायद ही कोई अथ दे सकता है। इसके अलावा, यह
आप कैसे जानते ह क वे सब-के-सब अपनी य द पहचान से यार करते थे या
य द वाद आ दोलन से सहमत थे? हो सकता है उनम से कोई सम पत सा यवाद रहा हो,
और उसने सो वयत के लए जासूसी करते ए अपनी क़बानी दे द हो? हो सकता है,
उनम से कोई सरा वयं को पो लश समाज म मला दे ने से यादा कुछ न चाहता रहा हो,
उसने पो लश सेना म एक अ धकारी के प म काम कया हो, और वह कै टन के नरसंहार
म सो वयत के हाथ मारा गया हो? हो सकता है, उनम से तीसरी एक उ नारीवाद रही
हो, जसने सारी पार प रक मज़हबी और रा वाद पहचान का तर कार कर दया हो?
चूँ क वे अपने पीछे कुछ भी नह छोड़ गए थे, इस लए उनक मृ यु के बाद उनको इस या
उस येय से जोड़ दे ना ब त आसान है, और वे इसका वरोध भी नह कर सकते।
अगर हम अपने पीछे कोई ठोस चीज़ नह छोड़ सकते, जैसे क कोई जीन या कोई
क वता, तो या यह पया त नह क हम नया को थोड़ा बेहतर बनाने के लए कुछ कर?
आप कसी क मदद कर सकते ह, और वह कसी और क मदद करे, और इस
तरह आप नया को सम तः बेहतर बनाने म योगदान कर, और क णा क वशाल
शृंखला म एक छोट -सी कड़ी जोड़। या यह मुम कन नह है क आप कसी मु कल,
क तु तभाशाली ब चे क सरपर ती कर, जो आगे चलकर एक डॉ टर बने और सैकड़
लोग के जीवन क र ा करे। या यह मुम कन नह क आप कसी बूढ़ ी को सड़क
पार कराएँ और उसक ज़ दगी के एक पल को सुखी बना द? हालाँ क, उसक अपनी
ख़ू बयाँ ह, ले कन क णा क वशाल शृंखला कुछ-कुछ कछु क वशाल शृंखला क
तरह है। उसका अथ कहाँ से उ प होता है, यह र- र तक प नह है। एक ानी बुजग
से पूछा गया था क उसने जीवन के अथ के बारे म या सीखा है। उसने जवाब दया क
“मने यह सीखा है क इस धरती पर म सरे लोग क मदद करने के लए ँ। जो चीज़
मेरी समझ से अभी भी परे है, वह यह है क सरे लोग यहाँ कस लए ह।”
जो कसी वशाल शृंखला म, कसी भावी वरासत म या कसी सामू हक महागाथा म
भरोसा नह करते, उनके लए सबसे सुर त और सबसे कफ़ायती क़ सा है रोमांस,
जसका वे सहारा ले सकते ह। यह क़ सा यहाँ से परे जाने क को शश नह करता। जैसा
क असं य ेम-क वताएँ सा बत करती ह, जब आप ेम कर रहे होते ह, तो समूची
कायनात आपक ेयसी के कान क लोल कय , बरौ नय या तन के अ भाग म सकुड़
जाती है। अपनी हथेली के बल अपने गाल टकाए जू लयट क ओर दे खते ए रो मयो
कहता है, “ओ, काश! म उस हथेली का द ताना होता, काश! म उस गाल को छू
सकता!” यहाँ और अभी एक काया के साथ र ता बनाते ए आप समूचे ा ड से
जुड़ा आ महसूस करते ह।
स चाई यह है क आपक ेयसी महज़ एक और इंसान है, जो अपने स व म उस
भीड़ से अलग नह है, जसे आप हर रोज़ े न और सुपरमाकट म अनदे खा करते रहते ह,
ले कन आपके लए वह असीम तीत होती है या होता है, और आप ख़ुद को उस असीम
म वलीन कर सुखी होते ह। तमाम पर परा के रह यवाद क वय ने अ सर ई र का
च ण ेमी के प म करते ए रोमानी ेम को ा डीय मलन के प म दे खा है।
रोमानी क वय ने अपने ेम-पा को दे वता के प म च त करते ए इस सराहना
का बदला चुकाया है। अगर आप वा तव म कसी से ेम करते ह, तो आप जीवन के अथ
के बारे म चता कभी नह करगे।
और अगर आपको कसी से ेम नह है, तब? तब, अगर आप रोमां टक कहानी म
व ास करते ह, ले कन आपको कसी से ेम नह है, तो भी आप कम-से-कम इतना तो
जानते ही ह क आपके जीवन का ल य या है : कसी का स चा ेम हा सल करना। इसे
आपने अन गनत फ़ म म दे खा है और असं य पु तक म पढ़ा है। आप जानते ह क
एक दन आएगा, जब आप उस ख़ास से मलगे, आप दो चमकती ई आँख म
अन त को झाँकता आ दे खगे, आपका सारा जीवन अथपूण हो उठे गा, और आपके मन
म तब तक जतने भी सवाल उठे ह गे, उनके जवाब एक ही नाम को बार-बार दोहराने के
साथ आपको मल जाएँगे, उसी तरह जैसे वे ट साइड टोरी म टोनी को मल गए थे या
रो मयो को उस व त मल गए थे, जब जू लयट अपने छ जे से उसको दे ख रही थी।
छ पर का वज़न
जहाँ एक अ छ कहानी के लए अ नवाय है क वह मुझे एक भू मका दान करे, और वह
मेरी आकां ा , ान और चय के परे नकल जाए, वह उसका सच होना ज़ री नह
है। एक कहानी पूरी तरह से का प नक हो सकती है, और तब भी वह मुझे एक पहचान दे
सकती है और मुझम यह अहसास जगा सकती है क मेरे जीवन का अथ है। वा तव म,
हमारी े तम वै ा नक समझ के मुता बक़, समूचे इ तहास के दौरान व भ सं कृ तय ,
मज़हब और क़बील ारा ईजाद क गई कहा नय म से कोई भी कहानी सच नह है। वे
सब इंसान ारा ईजाद क गई ह। अगर आप जीवन के स चे अथ क ज ासा कर और
जवाब म आपको एक कहानी मले, तो समझ ली जए क वह एक ग़लत जवाब है। सट क
योरे वा तव म मायने नह रखते। कोई भी कहानी महज़ कहानी होने के नाते ग़लत है।
सृ कसी कहानी क तरह काम करती ही नह है।
तब फर लोग इन का प नक क़ स म व ास य करते ह? एक कारण यह है क
उनक नजी पहचान कहानी के आधार पर ही खड़ी ई होती है। लोग को बचपन क
शु आत से ही कहानी म व ास करने क श ा द गई होती है। इसे वे सवाल उठाने और
इस तरह क कहा नय क ामा णकता को जाँचने के लए आव यक बौ क और
भावना मक वाधीनता हा सल करने के ब त पहले, अपने माँ-बाप से सुनते ह, अपने
अ यापक से सुनते ह, अपने पड़ो सय से सुनते ह और सामा य सं कृ त से सुनते ह। जब
तक वे बौ क प से प रप व होते ह, वे उस कहानी म इस क़दर खप चुके होते ह क
यादा स भावना इसी बात क होती है क वे अपनी बु का इ तेमाल उस कहानी पर
स दे ह करने क बजाय उसको तकसंगत ठहराने के लए कर। यादातर जो लोग पहचान
क खोज म नकलते ह, वे उन ब च क तरह होते ह, जो ख़ज़ाने क खोज म नकले होते
ह। उनको वही हा सल होता है, जो उनके माँ-बाप ने पहले से ही उनके लए छपाकर रखा
होता है।
सरे, न सफ़ हमारी नजी पहचान, ब क हमारी सामू हक सं थाएँ भी कहानी पर
खड़ी ई ह। नतीजतन, कहानी पर स दे ह करना अ य त डरावना होता है। ब त-से
समाज म, जो भी कोई ऐसा करने क को शश करता है, उसको या तो समाज से
ब ह कृत कर दया जाता है या उ पी ड़त कया जाता है। अगर ऐसा नह भी कया जाता,
तब भी समाज के इस बु नयाद ढाँचे पर सवाल उठाना ब त यादा ह मत क माँग
करता है, य क अगर कहानी सचमुच ही झूठ है, तो इस सारी नया को जस प म
हम जानते ह, उस प म वह अथहीन हो जाती है। राजक य क़ानून, सामा जक मानक,
आ थक सं थाएँ - ये सब ढह सकती ह।
यादातर कहा नय क तकसंग त उनक बु नयाद क मज़बूती क बजाय उनके
छ पर के वज़न पर आध रत होती है। ईसाई कहानी को ही ल। इसक बु नयाद अ य त
कमज़ोर ह। हमारे पास इस बात का या माण है क समूची सृ के रच यता के पु का
ज म लगभग 2,000 साल पहले आकाशगंगा म कह पर काबन-आधा रत जीवन के प
म आ था? हमारे पास इस बात का या माण है क यह गै लली म आ था, और
उसक माँ एक कुँवारी थी? तब भी इस कहानी पर वशाल सं थाएँ खड़ी ई ह, और
उनके वज़न म इतना अपार बल है क वे इस कहानी को उसक जगह पर बनाए रखती ह।
इस कहानी म एक श द-मा के बदलाव को लेकर पूरी-क -पूरी लड़ाइयाँ लड़ी गई ह।
प मी ईसाइय और पूव पर परावाद ईसाइय के बीच क जो हज़ार साल पुरानी दरार,
जो हाल ही म ो शयाइय और सब के बीच तथा सब और ो शयाइय के बीच क
आपसी मारकाट के प म सामने आई है, उसक शु आत एक श द filioque ( जसका
लै टन म मतलब है ‘और पु से’) के साथ ई थी। प मी ईसाई इस श द को ईसाई
आ था क घोषणा म शा मल करना चाहते थे, जब क पूव ईसाइय ने इसका पुरज़ोर
वरोध कया था। (इस श द को जोड़ने के धमशा ीय न हताथ इतने रह यमय ह क यहाँ
उनको साथक ढं ग से प करना अस भव होगा। अगर आपक ज ासा है, तो गूगल से
पू छए।)
जब कसी कहानी के आधार पर नजी पहचान और समूची सामा जक व थाएँ
खड़ी हो जाती ह, तो उन पर स दे ह करना अक पनीय हो जाता है, उसको सहारा दे ने वाले
सबूत क वज़ह से नह , ब क इस लए क उसका व त होना एक नजी और सामा जक
लय का कारण बन जाएगा। इ तहास म छ पर कभी-कभी बु नयाद से यादा मह वपूण
होता है।

जा -म तर और व ास का उ ोग
हम अथ और पहचान उपल ध कराने वाली सारी कहा नयाँ का प नक ह, ले कन इंसान
को उन पर व ास करना ज़ री है। तब फर ऐसा या कया जाए, जससे कहानी स ची
लगे? यह तो ज़ा हर-सी बात है क मनु य कहानी म व ास य करना चाहते ह, ले कन
वे यह व ास कस तरह करते ह? इसका जवाब हज़ार साल पहले पुरो हत और
ओझा ने ढूँ ढ लया था : अनु ान के सहारे। अनु ान वह जा ई कम है, जो अमूत को
मूत और का प नक को वा त वक म बदल दे ता है। अनु ान का सार-त व है जा ई
स मोहन ‘जा -म तर, क है ख!’
ईसा को उनके भ के लए वा त वक कैसे बनाया जाए? मास के अनु ान के दौरान
पादरी ेड का एक टु कड़ा और वाइन का गलास उठाता है, और घोषणा करता है क वह
ेड ईसा का मांस और वाइन ईसा का र है, और उनको खा और पीकर आ थावान लोग
ईसा के साथ एक व हा सल कर लेते ह। ख़ुद अपने मुँह से ईसा का वा त वक वाद चखने
से यादा वा त वक भला और या हो सकता है? पार प रक तौर पर, पादरी ये नभ क
घोषणाएँ लै टन म कया करते थे, जो मज़हब, वधान और जीवन के रह य क ाचीन
भाषा आ करती थी। एक कसान क व मत नज़र के सामने पादरी ेड के टु कड़े को
ऊपर उठाता था और व मय-भरे वर म कहता था ‘Hoc est corpus ’ -‘ये काया है!’ -
और वह ेड क थत प से ईसा क काया बन जाती थी। उन नर र कसान के दमाग़
म, जो लै टन नह बोलते थे, ‘Hoc est corpus ’ का मतलब होता था ‘जा -म तर!’ और
इस तरह उस श शाली स मोहन का ज म आ था, जो कसी मढक को राजकुमार म,
और एक क को रथ म बदल सकता था।
ईसाइयत के ज म के एक हज़ार साल पहले, ाचीन ह भी इसी तरह के करतब का
इ तेमाल करते थे। बृहदार यक उप नषद एक घोड़े क ब ल क ा या ा ड क
समूची कथा क च रताथता के प म करता है। यह थ भी ‘जा -म तर, क ख है’ ढाँचे
का यह कहते ए अनुसरण करता है क ‘ब ल के अ का सर भोर है, उसके ने सूय ह,
उसक जीवनी-श वायु है, उसका खुला आ मुख वै ानर नामक अ न है, और ब ल
के अ क काया वष है… उसके अंग ऋतुएँ ह, उसके स ध- थल महीने और पखवाड़े ह,
उसके पैर दन और रात ह, उसक अ थयाँ न ह, उसका मांस मेघ ह…उसक उबासी
व ुत है, उसक दे ह का क पन झंझावात है, उससे पानी आना वषा है, और उसक
हन हनाहट वर है’ ‘जा -म तर, क है ख!’ इस तरह एक नाचीज़ घोड़ा समूचा ा ड
बन जाता है।
मोमब ी जलाने, घ ट बजाने, या जपमाला के मोती गनने जैसे नता त तु छ-से
कृ य को गहरे मज़हबी अथ दे ते ए कसी भी चीज़ को एक अनु ान म बदला जा सकता
है। यही बात शारी रक भं गमा के स दभ म सही है, जैसे क सर नवाना, सा ांग
द डवत करना, या दोन हाथ जोड़ना। सख पगड़ी से लेकर मु लम हजाब तक सर के
व भ प रधान इस क़दर अथ से भर दए गए ह क उ ह ने स दय तक आवेगपूण संघष
को भड़काया है।
भोजन तक को भी उसके पोषक मू य से परे आ या मक अथव ा से म डत कया
जा सकता है, चाहे वे ई टर के अ डे ह , जो नए जीवन और ईसा के पुन थान के तीक
ह, या वे कड़वी जड़ीबू टयाँ और बे वाद ेड ह , जनको य दय को म क अपनी
ग़लामी और उससे चम कारपूण ढं ग से अपने बच नकलने को याद करने के लए
पासओवर पव पर खाना अ नवाय होता है। नया म शायद ही ऐसा कोई ंजन हो,
जसक कसी चीज़ के तीक के प म ा या नह क गई हो। जैसे क यू ईयस डे पर
मज़हबी य द शहद खाते ह, ता क आने वाला साल मीठा हो। वे मछ लय के सर खाते
ह, ता क वे मछ लय क तरह फलदायी ह और पीछे क ओर जाने क बजाय आगे क
ओर बढ़, और वे अनार खाते ह, ता क उनके स कम अनार के बीज क तरह ब गु णत
होते रह।
इसी से मलते-जुलते अनु ान का उपयोग राजनी तक उ े य के लए भी कया गया
है। हज़ार साल तक राजमुकुट, राज सहासन और राजद ड राजशा हय और सा ा य
का त न ध व करते थे। ‘राजमुकुट’ या ‘राज सहासन’ पर अ धकार को लेकर लड़े गए
नृशंस यु म लाख लोग मरे थे। शाही दरबार ने अ य त व तृत श ाचार तैयार कर रखे
थे, जो सवा धक पेचीदा मज़हबी द तूर से मेल खाते थे। सेना म, अनुशासन और अनु ान
अ भ होते ह, और ाचीन रोम से लेकर आज के ज़माने तक के सै नक एक नधा रत
व यास के अ तगत माच करने म, अपने व र अ धका रय को सलाम करने म, और
अपने जूते चमकाने म अन गनत समय बताते ह। यह बात स है क नेपो लयन का
कहना था क वह एक रंगीन फ़ ते क ख़ा तर पु ष को अपने जीवन का ब लदान करने
को ववश कर सकता था।
अनु ान के राजनी तक मह व को क यू शयस से बेहतर शायद कसी ने नह
समझा था, जसने अनु ान (ली) के स त पालन को सामा जक समरसता और
राजनी तक थरता क कुंजी के प म दे खा था। द बुक ऑफ़ राइट् स, द राइट् स ऑफ़
ाओ और द बुक ऑफ़ ए टक़ेट एंड राइट् स जैसे क यू शयाई गौरव- थ ने कस
राजक य अवसर पर कस अनु ान का न पादन कया जाना चा हए आ द से लेकर
उ सव म इ तेमाल कए जाने वाले पा क सं या, बजाए जाने वाले वा -य के कार
और पहने जाने वाले लबाद के रंग तक को पूरी बारीक़ के साथ दज़ कया था। जब भी
चीन पर कोई संकट आता था, तो क यू शयाई अ येता त काल इसका दोष अनु ान क
उपे ा के म थे मढ़ दया करते थे, उसी तरह जैसे कोई सजट मेजर सेना क पराजय का
दोष उन लापरवाह सै नक के म थे मढ़ता है, ज ह ने अपने जूते नह चमकाए होते।
आधु नक प म म अनु ान के त इस क यू शयाई सनक को अ सर छछलेपन
और पुरातनप थ के संकेत के प म दे खा गया है, ले कन व तुतः, यह स भवतः मानवीय
कृ त क क यू शयस क गहन और कालातीत समझ को मा णत करता है। यह
स भवतः संयोग नह है क क यू शयाई सं कृ तय ने सबसे पहले और सबसे मह वपूण
न सफ़ चीन म, ब क पड़ोसी को रया, वयतनाम और जापान म भी अ य त टकाऊ
सामा जक और राजनी तक ढाँचे तैयार कए। अगर आप जीवन का परम स य जानना
चाहते ह, तो अनु ान और सं कार ब त बड़ी बाधाएँ ह, ले कन अगर आप क यू शयस
क तरह सामा जक था य व और समरसता म दलच पी रखते ह, तो स य जहाँ अ सर
एक बोझ होता है, वह अनु ान और सं कार आपके सबसे अ छे सहयो गय म से होते
ह।
यह बात इ क सव सद म उतनी ही ासं गक है, जतनी वह ाचीन चीन म थी।
‘जा -म तर’ क श हमारी आधु नक औ ो गक नया म अभी भी क़ायम और स य
है। 2018 म ब त से लोग के लए क ल ठ ककर एक- सरे से जोड़ी गई दो छ ड़याँ ई र
ह, द वार पर चपका आ एक रंगीन पो टर ा त है, और हवा म लहराता आ कपड़े
का एक टु कड़ा रा है। आप ांस को न सुन सकते ह न दे ख सकते ह, य क उसका
अ त व सफ़ आपक क पना म है, ले कन आप न य ही तरंगे को दे ख सकते ह और
‘मास लएज़’ ( ांस का रा गान) को सुन सकते ह। इस लए एक रंगीन झ डा फहराकर
और रा गान गाकर आप रा को एक अमूत क़ से से एक इ य- ा वा त वकता म
बदल दे ते ह।
हज़ार साल पहले ह भ घोड़ क ब ल दया करते थे। आज वे महँगे झ ड के
उ पादन म पैसा लगाते ह। भारत के रा ीय झ डे को ‘ तरंगा’ के नाम से जाना जाता है,
य क इसम केस रया, सफ़ेद और हरा तीन रंग ह। 2002 क भारत क वज-सं हता
घोषणा करती है क यह झ डा ‘भारत के लोग क आशा और आकां ा को
त ब बत करता है। यह हमारे रा ीय गौरव का तीक है। पछले पाँच दशक के दौरान
सश बल के सद य समेत ब त-से लोग ने इस तरंगे को उसक पूरी म हमा के साथ
फहराए रखने के लए उदारतापूवक अपने जीवन का ब लदान कया है।’ इसके बाद यह
वज-सं हता भारत के सरे रा प त सवप ली राधाकृ णन को उ त करती है, ज ह ने
कहा था :

केस रया रंग याग या अनास को दशाता है। हमारे नेता को भौ तक


उपल धय के त अनास रहते ए समपण-भाव के साथ अपना काम करना
चा हए। बीच का सफ़ेद रंग काश है, हमारे आचरण को राह दखाने वाला स य
का माग। हरा म के साथ हमारे र ते को दशाता है, यहाँ के उस वान प तक
जीवन के साथ के हमारे र ते को, जस पर बाक़ सारे जीवन नभर करते ह।
सफ़ेद के के म थत अशोक च धम- वधान का च है। स य और धम उन
सारे लोग के नयामक स ा त होने चा हए, जो इस वज के अधीन काय करते
ह।

2017 म भारत क रा वाद सरकार ने भारत-पाक सीमा पर थत अटारी म इतना बड़ा


झ डा फहराया, जसे नया के सबसे बड़े झ ड म शुमार कया जाता है। यह एक ऐसी
चे ा थी, जो न तो याग को उ े रत करने वाली थी और न अनास को, ब क
पा क तानी ई या को उ े रत करने वाली थी। वह ख़ास तरंगा 36 मीटर ल बा और 24
मीटर चौड़ा था, और उसको 110 मीटर ऊँचे वज- त भ पर फहराया गया था ( ायड ने
इसके बारे म या कहा होता?)। इस झ डे को पा क तानी महानगर लाहौर जतनी र से
दे खा जा सकता था। भा य से, तेज़ हवाएँ इस झ डे को बार-बार फाड़ती रह , और
रा ीय गव माँग करता रहा क उसको ह तान के करदाता के पैसे से बार-बार सला
जाता। भारत सरकार अपने लभ संसाधन का नवेश द ली क झु गी ब तय म मल-
नकासी- णाली तैयार करने क बजाय वशाल झ ड को बुनने पर य करती है?
य क झ डा ह तान को जस तरह वा त वक श ल दान करता है, उस तरह मल-
नकासी- णाली नह करती।
वा तव म, यह झ डे क क़ मत ही होती है, जो अनु ान को यादा भावशाली प
दे ती है। सारे अनु ान म ब लदान का अनु ान सबसे यादा असरदार होता है, य क
पीड़ा नया क तमाम चीज़ म सबसे यादा वा त वक है। आप कभी भी उसको
नज़रअ दाज़ नह कर सकते या उस पर स दे ह नह कर सकते। अगर आप चाहते ह क
लोग कसी का प नक क़ से पर व ास कर, तो उनको उसक ख़ा तर ब लदान करने के
लए फुसलाइए। जैसे ही आप कसी क़ से क ख़ा तर ःख झेलने लगते ह, वह आमतौर
से आपको इस बात का यक़ न दलाने के लए पया त होता है क वह क़ सा वा त वक
है। अगर आप इस लए उपवास करते ह, य क ई र ने आपको ऐसा करने का आदे श
दया है, तो भूख का वा त वक अहसास ई र को कसी बुत या तसवीर के मुक़ाबले
यादा बेहतर ढं ग से उप थत कर दे ता है। अगर आप दे श-भ से े रत कसी यु म
अपने पैर गँवा दे ते ह, तो आपके ठूँ ठ और लचेयर रा को उससे यादा वा त वक
श ल दे ते ह, जतनी कोई क वता या रा गान दे ता है। एक अपे ाकृत कम आड बरपूण
तर पर, ह के दजे़ के थानीय पा ता क बजाय ऊँचे दजे़ का आया तत इता वी पा ता
ख़रीदकर आप एक ऐसा रोज़मरा उ सग कर सकते ह, जो सुपरमाकट तक म रा के
वा त वक होने के अहसास को जगा सकता है।
यह न य ही एक ता कक म है। अगर आप ई र या रा म अपनी आ था क
वज़ह से ःख भोगते ह, तो इससे यह सा बत नह होता क आपक आ थाएँ स ची ह।
यह भी तो मुम कन है क आप अपने भोलेपन क क़ मत चुका रहे ह ? ले कन, यादातर
लोग इस बात को वीकार करना पस द नह करते क वे मूख ह। नतीजतन, वे कसी
ख़ास व ास के प म जतना ही यादा उ सग करते ह, उनक आ था उतनी ही मज़बूत
होती जाती है। यह उ सग क रह यमय रसायन व ा है। अगर ब लदान कराने वाला
पुरो हत हम अपनी श के अधीन लाना चाहता है, तो इसके लए उसे हम कुछ भी दे ने
क ज़ रत नह है - न वषा, न पैसा, न यु म वजय। उलटे उसको हमसे ही कुछ छ न
लेने क ज़ रत होती है। जैसे ही वह हम कसी तकलीफ़दे ह उ सग के लए तैयार कर
लेता है, हम जाल म फँस जाते ह।
यह चीज़ वा ण य क नया म भी काम करती है। अगर आप 2,000 डॉलर म एक
सेकड-है ड फ़एट ख़रीदते ह, तो इस बात क पूरी स भावना है क आप कसी भी उस
के सामने इसका ःखड़ा रोएँ, जो आपक बात सुनने को तैयार हो, ले कन अगर
आप 200,000 डॉलर म एक ब कुल नई फ़ेरारी ख़रीदते ह, तो आप चार तरफ़ इसका
गुणगान करगे, इस लए नह क यह ब त अ छ कार है, ब क इस लए क आपने इसके
लए इतना सारा पैसा ख़च कया होता है क आपको यह व ास करना अ नवाय हो
जाता है क यह नया क सबसे यादा अ त चीज़ है। यहाँ तक क रोमांस तक म, कोई
भी ेमाकां ी रो मयो या वथर जानता है क बना ब लदान के स चा ेम नह होता।
ब लदान सफ़ आपके ेमी को यह यक़ न दलाने भर का उपाय नह है क आप ग भीर ह
- यह वयं आपको भी इस बात का यक़ न दलाने का एक उपाय है क आप सचमुच ेम
करते ह। आपको या लगता है क कुछ याँ अपने े मय से हीरे क अँगू ठयाँ लाने को
य कहती ह? जैसे ही ेमी इस तरह का एक बड़ा व ीय ब लदान कर दे ता है, वैसे ही
उसको ख़ुद को यह यक़ न दलाना अ नवाय हो जाता है क उसने यह ब लदान एक सही
येय के लए कया था।
आ मब लदान शहीद के लए ही बेहद यक़ न दलाने वाला नह होता, ब क वह
तमाशबीन के लए भी उतना ही यक़ नी होता है। शहीद के बना ब त थोड़े-से दे वता,
रा या ा तयाँ वयं को थामे रख सकती ह। अगर आप दै वीय नाटक, रा वाद मथक
या ा तकारी गाथा पर सवाल उठाने का साहस करते ह, तो आपको त काल फटकार
लगाई जाती है : “ले कन इन सौभा यशाली शहीद ने इस चीज़ क ख़ा तर जान द थी!
या तुम यह कहने का साहस कर रहे हो क उ ह ने थ ही अपनी जान गँवाई थी?
या तु ह लगता है क ये बहा र बेवकूफ़ थे?”
शया मुसलमान के लए ा ड का नाटक अशूरा के दन अपनी पराका ा पर
प ँचा था, जो ह (ईसाई कैलडर के मुता बक़ 10 अ टू बर 680 ) के इकसठ वष बाद
मुहरम के महीने का दसवाँ दन था। उस दन इराक़ के कबला म स ा का अपहरण करने
वाले या ज़द के सै नक ने मोह मद पैग़ बर के नवासे सैन इ न अली और उनके
अनुया यय के एक छोटे -से समूह क ह या क थी। शया मुसलमान के लए सैन क
शहादत बुराई के व अ छाई और अ याय के ख़लाफ़ शो षत के शा त संघष का
तीक बन गई। जस तरह ईसाई सलीबीकरण के नाटक को बार-बार दोहराते ह और ईसा
ारा भोगी गई यातना का अनुकरण करते ह, उसी तरह शया अशूरा के नाटक को दोहराते
ह और सैन ारा भोगी गई यातना का अनुकरण करते ह। लाख शया मुसलमान हर
साल कबला क उस दरगाह म जमा होते ह, जसे उस जगह था पत कया गया है, जहाँ
सैन शहीद ए थे, और अशूरा के दन सारी नया म मातम मनाते ह, और कह -कह
ख़ुद को कोड़ और चाकु से पीटते और काटते ह।
ले कन अशूरा क अह मयत कसी एक जगह या एक दन तक सी मत नह है।
अयातु लाह हो लाह ख़ोमेनी और सरे शया नेता ने अपने अनुया यय से बार-बार
कहा है क “हर दन अशूरा है और हर थान कबला है।” इस तरह कबला म सैन क
शहादत हर घटना को, हर कह , हर व त अथपूण बनाती है, और साधारण फ़ैसल तक
को भी अ छाई और बुराई के बीच जारी वशाल ा डीय संघष पर असर डालने वाली
घटना के प म दे खा जाना चा हए। अगर आप इस क़ से पर शक करने क गु ताख़ी
करते ह, तो आपको तुर त कबला क याद दलाई जाएगी और सैन क शहादत पर शक
करना या उसका मज़ाक़ उड़ाने से बदतर और कोई अपमान नह होगा।
सरे वक प के तौर पर, अगर शहीद ब त कम ह और लोग अपनी क़बानी दे ने को
तैयार नह ह, तो क़बानी दलाने वाला पुरो हत उनसे कसी और क क़बानी दला सकता
है। आप बा’ अल नामक तशोधी दे वता के लए एक इंसान क क़बानी दे सकते ह, ईसा
मसीह क महान म हमा क ख़ा तर कसी वधम को टे क पर जला सकते ह, परपु ष-
गमन करने वाली य को फाँसी पर लटका सकते ह य क अ लाह का ऐसा आदे श है,
या वग-श ु को गुलाग भेज सकते ह। जैसे ही आप ऐसा करते ह, क़बानी क एक
क चत भ रसायन व ा आप पर अपना जा दखाने लगती है। जब आप कसी
कहानी के नाम पर ख़ुद को पीड़ा प ँचाते ह, तब वह आपको एक वक प दे ती है : ‘या तो
वह क़ सा सही है, या फर म एक सीधा-सादा बेवकूफ़ ँ।’ जब आप सर को पीड़ा
प ँचाते ह, तब भी आपके पास एक वक प होता है : ‘या तो वह क़ सा सही है, या म
एक ू र खलनायक ँ।’ और जस तरह हम यह वीकार नह करना चाहते क हम
बेवकूफ़ ह, उसी तरह हम यह भी वीकार नह करना चाहते क हम खलनायक ह,
इस लए हम यही मानना पस द करते ह क क़ सा सही है।
माच 1839 म ईरानी नगर मशहद म कसी चमरोग से पी ड़त एक य द ी से एक
थानीय नीम-हक म ने कहा था क अगर वह एक कु े को मारकर उसके ख़ून से अपने
हाथ धो ले, तो वह चंगी हो जाएगी। मशहद एक पाक शया नगर है, और आ यह क उस
ी ने अशूरा के प व दन वह ख़ौफ़नाक इलाज कया। उसको कुछ शया मुसलमान ने
वह कृ य करते ए दे खा, जनका व ास था - या जो ऐसे व ास का दावा करते थे क
उस ी ने कबला क शहादत का मज़ाक़ उड़ाने के लए कु े क ह या क थी। इस
अप व ीकरण क अफ़वाह तेज़ी-से मशहद क सड़क पर फैल गई। थानीय इमाम ारा
भड़काई गई एक ो धत भीड़ य दय के मोह ले म घुस पड़ी, जसने सायनागॉग
(य दय का पूजा- थल) को जला दया, और वह छ ीस य दय को मार डाला।
मशहद म बचे ए सारे य दय को एक स त वक प दया गया : या तो तुर त इ लाम
कबूल करो या मारे जाओ। इस घृ णत संग ने ‘ईरान क आ या मक राजधानी’ होने क
मशहद क त ा को कोई ख़ास नुक़सान नह प ँचाया।
जब हम इंसानी क़बानी के बारे म सोचते ह, तो सामा यतः हमारे यान म कैनानाइट
या अ टे क दे वालय के ख़ौफ़नाक अनु ान आते ह, और आमतौर से यह तक दया जाता
है क एके रवाद ने इन भयावह द तूर का अ त कर दया था। व तुतः एके रवाद ने
इंसानी क़बानी क था को यादातर ब दे ववाद उपासना-प तय के मुक़ाबले यादा
बड़े पैमाने पर अंजाम दया था। ईसाइयत और इ लाम ने ई र के नाम पर उससे कह
यादा लोग क ह याएँ क ह, जतनी बा’अल या ट् ज़लॉपो टली के अनुया यय ने क
थ । जस व त पेनी वजेता ने अ टे क और इ का दे वता को द जाने वाली सारी
क़बा नय पर रोक लगा द थी, उस समय वयं पेन म धमपरी ण के तहत गा ड़य म
भर-भर कर वध मय को जलाया जा रहा था।
क़बा नयाँ तमाम तरह के पाकार म कट हो सकती ह। उनम हमेशा चाकू चलाने
वाले पुरो हत या र रं जत ह याएँ ही शा मल नह होत । उदाहरण के लए, य द मज़हब
म साबथ (‘साबथ’ का शा दक अथ है ‘ बना हले-डु ले खड़े रहना’ या ‘ व ाम करना’)
के प व दन या ा क मनाही है। साबथ क शु आत शु वार को सूया त से होती है और
वह श नवार के सूया त तक जारी रहता है, और इस दौरान पर परावाद य द कसी भी
तरह का काम करने से बचते ह, जसम शौचालय के रोल से टॉयलेट पेपर फाड़ना तक
शा मल है। (इस मु े पर अ य त व ान र बय के बीच कुछ चचा भी ई है, और वे इस
नतीजे पर प ँचे ह क टॉयलेट पेपर का फाड़ा जाना साबथ के नषेध को भंग करेगा।
नतीजतन, जो धमभी य द साबथ के दन अपना पछला भाग प छना चाहते ह, उनको
पहले-से फाड़कर रखा गया टॉयलेट पेपर तैयार रखना होता है।)
इज़रायल म, मज़हबी य द धम नरपे य दय और पूरी तरह से ना तक लोग तक
को इस नषेध का पालन करने को मजबूर करते ह। चूँ क, इज़रायली राजनी त म स ा का
स तुलन आमतौर से पर परावाद राजनी तक दल के हाथ म होता है, इस लए वे वष से
साबथ के दौरान तमाम तरह क ग त व धय पर तब ध लगाने वाले ब त-से क़ानून
तैयार करने म कामयाब होते रहे ह, हालाँ क, वे साबथ के समय नजी वाहन के इ तेमाल
को ग़ैरक़ानूनी घो षत करने म असमथ थे, ले कन वे सावज नक प रवहन को तब धत
करने म सफल रहे। यह रा ापी मज़हबी क़बानी मु यतः समाज के सबसे कमज़ोर
तबक को नुक़सान प ँचाती है, ख़ासतौर से इस लए क श नवार स ताह का एकमा
ऐसा दन होता है, जसम कामकाजी लोग या ा करने और अपने र-दराज़ र तेदार ,
दो त से मलने जाने और पयटन- थल का मण करने को आज़ाद होते ह। एक स प
नानी को अपनी चमचमाती नई कार म सवार होकर सरे शहर म रह रहे अपने नाती-
ना तन से मलने जाने म कोई सम या नह होती, ले कन एक ग़रीब नानी ऐसा नह कर
सकती, य क उस दन कोई बस या े न उपल ध नह होत ।
सैकड़ हज़ार नाग रक को इस तरह क मु कल म डालकर राजनी तक दल य द
मज़हब के त अपनी अ डग आ था को सा बत और महफ़ूज़ करते ह, हालाँ क इसम
कोई ख़ून नह बहाया गया होता है, तब भी ब त-से लोग क ख़ुशहाली क क़बानी द गई
होती है। अगर य द मज़हब महज़ एक का प नक क़ सा है, तो एक कसी नानी को
उसके नाती-ना तन से मलने जाने से रोकना या कसी ग़रीब छा को थोड़ा-सा मौज
मनाने समु -तट पर जाने से रोकना ू रता और दयहीनता है। तब भी ऐसा करते ए ये
राजनी तक दल नया से कहते ह और ख़ुद से कहते ह क वे सचमुच य द क़ से म
व ास रखते ह। या आपको लगता है क वे लोग को बेवज़ह नुक़सान प ँचाने म
आन द लेते ह?
क़बानी न सफ़ क़ से म आपक आ था को बल दान करती है, ब क अ सर
उसके त आपक सरी तमाम ज़ मेदा रय के वक प का काम भी करती है। मानव-
जा त के यादातर बड़े क़ स ने ऐसे आदश था पत कए ह, जन पर यादातर लोग
चल नह सकते। ऐसे कतने ईसाई ह, जो टे न कमांडमट् स का अ रश: पालन करते ह ,
और कभी झूठ न बोलते ह या लालच न करते ह ? ऐसे कतने बौ ह, जो अब तक
नरहंकार क अव था म प ँच चुके ह ? ऐसे कतने समाजवाद ह, जो अपनी अ धकतम
साम य भर काम करते ए अपनी वा त वक ज़ रत से यादा न लेते ह ?
क़बानी के आदश को जीवन म उतार पाने म असमथ लोग उसको एक समाधान म
बदल लेते ह। कोई ह टै स स ब धी धोखाधड़ी म ल त हो सकता है, कभी-कभी वे या
के पास जा सकता है और अपने बुजग माँ-बाप के साथ वहार कर सकता है, ले कन
यह सब करने के बाद भी वह ख़ुद को यक़ न दला सकता है क वह ब त ही नेक
है, य क वह अयो या म बाबरी म जद गराए जाने का समथन करता है और उसने उस
म जद क जगह ह म दर नमाण के लए पैस का दान तक दया है। जस तरह
ाचीन काल म होता था, उसी तरह इस इ क सव सद म भी अथ क मनु य क खोज
का अ त अ सर ही एक-के-बाद-एक क़बा नय म होता है।

पहचान का पोटफ़ो लयो


ाचीन म वा सय , कैनानाइट और यूना नय ने अपनी क़बा नय क घेराब द कर रखी
थी। उनके कई दे वता थे, और अगर एक दे वता काम नह आता था, तो वे उ मीद करते थे
क सरा तो काम आएगा ही। इस लए वे सुबह सूय दे वता के लए क़बानी दे ते थे, दोपहर
म पृ वी दे वी के लए, और शाम को अ सरा और दै य के एक समूह को क़बानी दे ते
थे। इसम भी ब त यादा बदलाव नह आया है। सारे क़ से और दे वता, जनम लोग
आज व ास करते ह - वह चाहे याहवेह हो, मैमन हो, रा हो, या ा त हो - अधूरे ह,
उनम छे द ह, और वे अ त वरोध से भरे ह। इस लए लोग कसी एक क़ से म अपनी सारी
आ था का नवेश ब त कम करते ह। इसक बजाय वे कई पहचान और कई क़ स का
एक पोटफ़ा लयो अपने पास रखते ह, और ज़ रत के मुता बक़ एक से सरे का सहारा
लेते रहते ह। इस क़ म क सं ाना मक असंग तयाँ लगभग सारे समाज और आ दोलन
म वभावतः मौजूद होती ह।
उदाहरण के लए ट पाट आ दोलन का समथन करने वाले कसी आम को ही
ल, जो सीना तानकर ईसा मसीह के त अपनी आ था का इज़हार करता है। इसी के
साथ वह सरकार क क याणकारी नी तय का तगड़ा वरोध करता है और नेशनल
राइफ़ल असो सएशन का क र समथन करता है। या ईसा मसीह इस बात को लेकर कुछ
यादा उ सुक नह थे क आप ख़ुद को ह थयार से लैस करने क बजाय ग़रीब क मदद
कर? यह बात कुछ असंगत-सी लग सकती है, ले कन मानव-म त क म ब त सारी दराज़
और ख ड होते ह, कुछ नायु ऐसे ह, जो एक- सरे से बात ही नह करते। इसी तरह,
आपको ऐसे ढे र बन सडस समथक मल सकते ह, जो कसी भावी ा त म धुँधला-सा
व ास रखते ह, ले कन इसी के साथ-साथ वे अपने पैसे का अ लम द के साथ नवेश
करने को मह व भी दे ते ह। वे ब त आसानी से नया म स प के अ यायपूण वभाजन
पर चचा करते-करते सहसा अपने वाल ट नवेश क उपल धय पर चचा करने लग
सकते ह।
ऐसा शायद ही कोई हो, जसक महज़ कोई एक पहचान हो। कोई भी
महज़ एक मुसलमान, महज़ एक इता वी, या महज़ एक पूँजीप त नह है, ले कन आए
दन कोई क रप थी आ था-प त कट हो जाती है और ज़ोर दे ती है क लोग को सफ़
एक ही क़ से और एक ही पहचान म व ास रखना चा हए। हाल के समय म इस तरह
का सबसे यादा क रप थी मत फ़ासीवाद था। फ़ासीवाद इसका आ ह करता था क
लोग को रा वाद क़ से के अलावा और कसी क़ से म व ास नह रखना चा हए, और
रा ीय पहचान के अलावा उनक और कोई पहचान नह होनी चा हए। सारे रा वाद
फ़ासीवाद नह ह। यादातर रा वाद अपने रा के क़ से म बल आ था रखते ह, और
अपने रा क अनूठ ख़ा सयत और अपने रा के त अपने अनूठे दा य व पर बल दे ते
ह, ले कन इसके बावजूद वे इस बात को वीकार करते ह क उनके रा के अलावा भी
नया म ब त कुछ है। म इता वी रा के त वशेष कत के बोध से यु एक
वफ़ादार इता वी हो सकता ँ, और तब भी मेरी सरी पहचान हो सकती ह। म एक
समाजवाद , एक कैथो लक, एक प त, एक पता, एक वै ा नक और एक शाकाहारी भी
हो सकता ँ। इनम से हर पहचान अ त र दा य व क माँग करती है। कभी-कभी मेरी
कई पहचान मुझे अलग-अलग दशा क ओर ख चती ह, और मेरे कुछ दा य व एक-
सरे के आड़े आते ह, ले कन कसने कहा है क जीवन आसान है?
जब रा वाद सरी पहचान और दा य व से इंकार करते ए जीवन को अपने लए
ब त आसान बनाना चाहता है, तब फ़ासीवाद सामने आता है। हाल के दन म फ़ासीवाद
के ठ क-ठ क अथ को लेकर ख़ासा म रहा है। लोग लगभग उस हर कसी को ‘फ़ा स ट’
कहते ह, जसको वे पस द नह करते। यह पद तमाम तरह के पयोग ारा वकृत हो
जाने के ख़तरे म है। तब इसका वा त वक अथ या है? सं ेप म, जहाँ रा वाद मुझे यह
सीख दे ता है क मेरा रा अनूठा है और इसके त मेरे कुछ वशेष दा य व ह, वह
फ़ासीवाद कहता है क मेरा रा सव े है, और यह क मेरे रा के त ही मेरे एकमा
दा य व ह। मुझे कभी भी अपने रा के हत पर कसी समूह या के हत को
ाथ मकता नह दे नी चा हए, चाहे कैसी भी प र थ तयाँ य न ह । यहाँ तक क अगर
मेरा रा कसी सु र मु क के लाख अजन बय को भारी पीड़ा प ँचाकर महज़ एक
तु छ-सा लाभ कमाने को तैयार होता है, तब भी मुझे अपने रा का समथन करने से गुरेज़
नह करना चा हए, अ यथा, म एक न दनीय राज ोही ँ। अगर मेरा रा माँग करता है
क म लाख लोग क ह या कर ँ , तो मुझे लाख लोग क ह या कर दे नी चा हए। अगर
मेरा रा माँग करता है क म स य और सौ दय के साथ छल क ँ , तो मुझे स य और
सौ दय के साथ छल करना चा हए।
एक फ़ा स ट कला का मू यांकन कस तरह करता है? कोई फ़ा स ट यह बात कस
तरह जानता है क कोई फ़ म अ छ है या नह ? ब त आसान है। इसका एक ही पैमाना
है। अगर फ़ म रा का हत साधती है, तो वह अ छ फ़ म है। अगर फ़ म रा का हत
नह साधती, तो वह एक बुरी फ़ म है। और फ़ा स ट यह कैसे तय करता है क ब च को
कूल म या पढ़ाया जाना चा हए? यहाँ भी वह उसी पैमाने का इ तेमाल करता है। ब च
को वह पढ़ाओ जो रा के हत म हो : सच इसम कोई मायने रखता।
रा क पूजा अ य त आकषक होती है, महज़ इस लए नह क यह ब त-सी मु कल
वधा को सरल बना दे ती है, ब क इस लए भी क लोग के मन म यह अहसास
जगाती है क वे नया क सबसे मह वपूण और सबसे सु दर चीज़ - रा - से ता लुक़
रखते ह। सरे व यु और होलोका ट क भयावहताएँ इस वचार- णाली के ख़ौफ़नाक
नतीज क ओर संकेत करती ह। भा य से, जब लोग फ़ासीवाद क बुराइय क चचा
करते ह, तो वे अ सर ब त दयनीय नतीज पर प ँचते ह, य क वे फ़ासीवाद को एक
ख़ौफ़नाक रा स के प म च त करने क ओर वृ होते ह, जब क वे यह प करने
से चूक जाते ह क उसम बेहद स मोहक चीज़ या होती है। यही वज़ह है क आज लोग
कभी-कभी अनजाने ही फ़ासीवाद वचार को अपना लेते ह। लोग सोचते ह “मुझे
सखाया गया था क फ़ासीवाद घनौना होता है, और जब म आईने म झाँकता ँ, तो मुझे
ब त ख़ूबसूरत कुछ दखाई दे ता है, इस लए म फ़ा स ट नह हो सकता।”
यह कुछ-कुछ उसी तरह क ग़लती है, जो हॉलीवुड क फ़ म उस व त करती ह,
जब वे बुरे लोग - वो डेमाट, लॉड सोरॉन, डाथ वडेर - को कु प और कु सत प म
च त करती ह। वे आमतौर से अपने सबसे यादा वफ़ादार समथक के साथ भी ू रता
और नीचतापूण वहार करते ह। इस तरह क फ़ म दे खते ए जो चीज़ मेरी समझ से
परे होती है, वह यह है क कोई भी वो डेमाट जैसे घृ णत कचुए का अनुसरण करने
के बहकावे म कैसे आ सकता है?
बुराई के साथ सम या यह है क ज़ री नह क वा त वक जीवन म वह बदसूरत
दखाई दे ती हो। वह ब त सु दर भी दखाई दे सकती है। ईसाइयत इस बात को हॉलीवुड
से बेहतर समझती थी, इसी लए पार प रक ईसाई कला शैतान को अ य त सुहावनी श ल
म च त करने क को शश करती थी। यही वज़ह है क शैतान के बहकावे से बच पाना
इतना मु कल होता है। यही इस बात क भी वज़ह है क फ़ासीवाद के साथ नपटना
मु कल होता है। जब आप फ़ा स ट आईने म झाँकते ह, तो वहाँ आपको जो दखाई दे ता
है, वह क़तई बदसूरत नह होता। जब 1930 के दशक म जमन ने फ़ा स ट आईने म
झाँककर दे खा था, तो उनको जमनी नया क सबसे सु दर चीज़ क तरह दखाई द थी।
अगर आज सी फ़ा स ट आईने म झाँककर दे ख, तो उनको स नया क सबसे सु दर
चीज़ क तरह दखाई दे गा। और अगर इज़रायली फ़ा स ट आईने म झाँककर दे ख, तो
उनको इज़रायल नया क सबसे ख़ूबसूरत चीज़ क तरह दखाई दे गा। इसके बाद वे उस
ख़ूबसूरत समूह म पूरी तरह डू ब जाना चाहगे।
‘fascism ’ (‘फ़ा स म’) श द लै टन भाषा के ‘fascis ’ से आया है, जसका मतलब
है ‘ड ड का ग र’। यह नया के इ तहास क सबसे यादा ू र और घातक वचारधारा
के स दभ म क चत सादा तीक लगता है, ले कन इसम एक गहरा और मन स अथ
न हत है। एक ड डा ब त कमज़ोर होता है, और आप उसको ब त आसानी से तोड़कर
दो टु कड़ा कर सकते ह, ले कन जब आप ब त-से ड ड को इक ा कर fascis म बदल
दे ते ह, तो उनको तोड़ना लगभग अस भव हो जाता है। इसका अ भ ाय यह है क एक
क कोई अह मयत नह होती, ले कन जब तक समूह आपस म जुड़ा रहता है, तब तक वह
ब त श शाली होता है। फ़ा स ट इसी लए समूह के हत को के हत पर
अह मयत दे ने म व ास करते ह, और माँग करते ह, ता क कोई भी एक ड डा कभी भी
ग र क एकता को भंग करने का साहस न करे।
न य ही, यह कभी प नह होता क एक इंसानी ‘ड ड के ग र’ का अ त कहाँ
होता है और सरे क शु आत कहाँ होती है। म उस इटली को ड ड के ग र के प म
य दे खूँ, जहाँ का म नवासी ँ? मेरे प रवार, या लोरस नगर, या ट केनी ा त, या
यूरोप महा प, या समूची मान-जा त को य न इस प म दे खूँ? रा वाद के अपे ाकृत
नरम प मुझसे कहगे क न य ही इटली के त मेरे वशेष दा य व के साथ-साथ
अपने प रवार के त, लोरस के त, यूरोप के त और समूची मानव-जा त के त
मेरे दा य व हो सकते ह। इसके वपरीत इता वी फ़ा स ट मुझसे सफ़ इटली के त
स पूण वफ़ादारी क माँग करगे।
मुसो लनी और उसक फ़ा स ट पाट क े तम को शश के बावजूद, यादातर
इता वी इटली को अपने प रवार (famiglia ) से यादा अह मयत दे ने को लेकर उदासीन
बने रहे। जमनी म ना ज़य के सरकारी चारत ने कह यादा भरपूर उ म कए,
ले कन हटलर तक लोग क मृ त से तमाम वैक पक क़ स को प छने म कामयाब
नह हो सका। नाज़ी दौर के सबसे यादा काले दन म भी लोग ने सरकारी क़ से के
अलावा कुछ बैक-अप क़ स को बरक़रार रखा था। यह बात 1945 म एकदम साफ़ तौर
पर ज़ा हर हो गई थी। आप शायद सोचते ह गे क नाज़ी ेनवॉ शग के बारह वष के बाद
यादातर जमन यु के बाद के अपने जीवन को समझ पाने म असमथ रहे ह गे। एक
महान क़ से के त अपनी सारी आ था सम पत कर चुकने के बाद, उस समय या
कया जाए, जब उस क़ से क ध जयाँ उड़ गई ह ? ले कन यादातर जमन च कत कर
दे ने वाली र तार से उसके असर से बाहर आ गए थे। उ ह ने अपने दमाग़ के क ह
ह स म नया के बारे म सरे क़ से बचा रखे थे, और जैसे ही हटलर ने अपने सर म
गोली दागी, वैसे ही ब लन, है बग और यू नख़ के लोग ने नई पहचान अपना ल और
जीवन का नया अथ हा सल कर लया।
यह सही है क लगभग 20 % नाज़ी गाउलेइटर ( े ीय पाट के नेता ) ने
आ मह याएँ कर ली थ , जैसे क लगभग 10 % जनरल ने क थ । ले कन इसका
मतलब है क 80 % गाउलेइटर और लगभग 90 % जनरल जी वत बने रहकर पूरी तरह
सुखी थे। काड-धारी ना ज़य और एसएस सै य पदा धका रय तक का ब त बड़ा वग न
तो पागल हो गया था, न ही उसने ख़ुद को ख़ म कर लया था। वे उसके बाद कारगर
कसान , अ यापक , डॉ टर और बीमा एजट के प म काम करते रहे।
सच तो यह है क आ मह या भी कसी एकमा कहानी के त स पूण तब ता
को सा बत नह करती। 13 नव बर 2015 को इ ला मक टे ट ने पे रस म एक साथ कई
आ मघाती हमल को अंजाम दया था, जनम 130 लोग मारे गए थे। इस उ वाद संगठन
का कहना था क उसने यह ांसीसी वायुसेना ारा सी रया और इराक़ म इ ला मक टे ट
के लड़ाक पर बरसाए गए बम का इंतक़ाम लेने के लए, और इस उ मीद से कया था क
इससे ांस भ व य म इस तरह क बमबारी से बाज़ आएगा। इसी साँस म इ ला मक टे ट
ने यह ऐलान भी कया था क ांसीसी वायु सेना ारा मारे गए सारे मुसलमान शहीद ह,
जो अब ज त म शा त आन द ले रहे ह।
यहाँ कोई ऐसी बात है, जो समझ से परे है। अगर ांसीसी वायुसेना ारा मारे गए
शहीद सचमुच अब ज त म ह, तो फर कसी को भी उनका इंतक़ाम लेने क या ज़ रत
है? ठ क-ठ क कस चीज़ का इंतक़ाम ? लोग को ज त भेजने का? अगर आपको ख़बर
मले क आपके य भाई ने दस लाख डॉलर क लॉटरी जीत ली है, तो या आप इंतक़ाम
लेने के लए लॉटरी क कान को बम से उड़ाना शु कर दगे? तब फर महज़ इस लए
क ांसीसी वायुसेना ने आपके कुछ ब धु को ज त के एकतरफ़ा ट कट मुहैया करा
दए थे, पे रस म यह हसक उ पात करने क या ज़ रत थी? और अगर आप
ांसी सय को सी रया म आगे यादा बमबारी करने से रोक दे ते ह, तो यह और भी बदतर
होगा, य क उस सूरत म और भी कम मुसलमान ज त जा पाएँगे।
हमारे मन म यह न कष नकालने का लोभ जाग सकता है क इ ला मक टे ट के
लड़ाके वा तव म इसम व ास नह करते क शहीद ज त म जाते ह। इसी लए जब उन
पर बम बरसाए जाते ह और वे मारे जाते ह, तो वे ो धत होते ह, ले कन अगर ऐसा है,
तब फर या वज़ह है क उनम से कुछ अपने शरीर पर व फोटक बे ट बाँध लेते ह और
ख़ुद को व फोट म उड़ाकर टु कड़ा-टु कड़ा कर लेते ह? पूरी स भावना है क इसका जवाब
यह है क वे दो पर पर वरोधी क़ स म, उनक असंग तय के बारे म ब त यादा सोच-
वचार कए बना व ास करते ह। जैसा क पहले कहा गया है क कुछ नायु के बीच
आपस म बोलचाल के र ते नह होते।
सी रया और इराक़ के इ ला मक टे ट के गढ़ पर ांसीसी वायुसेना क बमबारी के
आठ सद पहले, एक अ य ांसीसी सेना ने उस काय म के तहत म य पूव पर आ मण
कया था, जसे बाद क पी ढ़य के लोग ‘सातव धमयु ’ (‘द सेवे थ ू सेड’) के नाम से
जानते ह। स तवत स ाट लुई IX के नेतृ व म इन धमयो ा ने नील घाट पर वजय
हा सल करने और म को एक ईसाई र ा-कवच म बदल दे ने क उ मीद क थी, ले कन
वे मंसूरा क लड़ाई म परा जत कर दए गए थे और यादातर धमयो ा को ब धक
बना लया गया था। एक धमयो ा नाइट याँ दे ज़ावीले ने बाद म अपने सं मरण म लखा
था क जब यु म पराजय ई और उन लोग ने आ मसमपण करने का फ़ैसला कया,
तब उनके एक आदमी ने कहा, “म इस फ़ैसले से सहमत नह हो सकता। मेरी सलाह तो
यह है क हम सबको वयं को मार दए जाने क छू ट दे दे नी चा हए, य क इस तरह हम
वग म जाएँगे।” इस पर ज़ावीले खे ढं ग से ट पणी करते ह क “हमम से कसी ने भी
उसक सलाह पर यान नह दया।”
ज़ावीले यह प नह करते क उन लोग ने उस सलाह से इंकार य कर दया था।
आ ख़रकार, ये वे लोग थे, ज ह ने म य पूव म एक ल बे और ख़तरनाक अ भयान क
ख़ा तर ांस के अपने आरामदे ह महल मु यतः इसी लए याग दए थे, य क वे शा त
मु के आ ासन म व ास करते थे। तब फर, जब वे वग के उस शा त परम आन द
से पलभर क री पर थे, तो उ ह ने उसक बजाय मुसलमान ारा ब धक बनाए जाने का
वक प य चुना? ऊपरी तौर पर, ये धमयो ा य प मु और वग म व ास करते थे,
ले कन स चाई के ण म उ ह ने यह भूल न करने का वक प चुना।

ए सनोर म सुपरमाकट
समूचे इ तहास के दौरान लगभग सारे इंसान एक ही व त म कई क़ स म व ास करते
रहे, और उ ह ने इनम से कसी भी एक क़ से क स चाई पर अ तम प से यक़ न नह
कया। इस अ न य क सरसराहट यादातर मज़हब म मौजूद रही है, जो इसी लए
आ था को एक आधारभूत गुण क तरह और स दे ह को यथास भव न दनीय पाप म से
एक पाप क तरह दे खते रहे ह। मानो बना कसी माण के चीज़ म व ास करना सहज
प से अ छ बात हो, ले कन आधु नक सं कृ त के उ व के साथ थ त पूरी तरह बदल
गई। आ था उ रो र मान सक ग़लामी जैसी लगने लगी, जब क स दे ह को वत ता क
ाथ मक शत क तरह दे खा जाने लगा।
1599 और 1602 के बीच कभी व लयम शे स पयर ने द लायन कग के अपने
सं करण का लेखन कया था, जसे हैमलेट के नाम से बेहतर जाना जाता है, ले कन
स बा से भ , हैमलेट जीवन के च को पूरा नह करता। वह अ त तक शंकालु और
वधा त बना रहता है, और कभी नह जान पाता क जीवन का अथ आ ख़र या है,
और कभी यह न य नह कर पाता क होना बेहतर है या न होना। इस मामले म हैमलेट
आधु नक नायक का तमान है। आधु नकता ने उन अन त क़ स को ख़ा रज़ नह कया
था, जो उसको अतीत से वरासत म ा त ए थे। इसक बजाय उसने उनके लए एक
सुपरमाकट खोल दया। आधु नक मनु य उन सबका वाद लेकर जाँचने के लए, और
अपनी च के मुता बक़ उनम से चुनने या उनका कोई म ण तैयार करने के लए वत
है।
कुछ लोग इतनी यादा वत ता और अ न य को बदा त नह कर पाते। फ़ासीवाद
जैसे आधु नक सवस ावाद आ दोलन ने स द ध वचार के सुपरमाकट पर हसक ढं ग
से त या क , और एक एकल क़ से म स पूण आ था क माँग करने के मामले म
पार प रक मज़हब तक को पीछे छोड़ दया, ले कन यादातर आधु नक लोग ने इस
सुपरमाकट के त अपनी पस द वक सत कर ली। जब आपको यह समझ म नह आता
क कुल मलाकर जीवन का अथ या है और कौन-से क़ से पर भरोसा कया जाए, तब
आप या करते ह? तब आप चुनने क साम य-मा को एक प व चीज़ मानने लगते ह।
आप चुनने क श और वत ता से लैस होकर हमेशा के लए इस सुपरमाकट के
ग लयारे म जाकर खड़े हो जाते ह, अपने सामने रखे उ पाद को जाँचते-परखते रहते ह,
और… य ज़, कट। द एंड। पद पर े डट् स क फ़ेह र त।
उदारवाद मथक- व ा के मुता बक़ अगर आप उस वशाल सुपरमाकट म पया त
ल बे समय तक खड़े रहते ह, तो आपको आगे-पीछे उदारवाद द -दशन क अनुभू त
होगी, और जीवन के स चे अथ का बोध हो जाएगा। इस सुपरमाकट के शे फ़ म रखे ए
सारे क़ से नक़ली ह। जीवन का अथ कोई तैयारशुदा उ पाद नह है। कोई अलौ कक
पटकथा नह है, और मुझसे बाहर क कोई चीज़ मेरे जीवन को अथ दान नह कर
सकती। यह म ँ, जो अपने वत चुनाव के मा यम से और अपनी ख़ुद क अनुभू तय
के मा यम से हर चीज़ को अथ से रंगता रहता ँ।
फ़ तासी फ़ म वलो - जॉज लुकास क एक नीरस क़ म क परीकथा - म इसी नाम
का नायक एक साधारण बौना है, जो एक महान जा गर बनने और अ त व के रह य म
महारत हा सल करने का वाब पाले ए है। एक दन ऐसा ही एक जा गर कसी चेले क
तलाश म बौन के उस गाँव से गुज़रता है। वलो और दो अ य उ मीदवार बौने वयं को
उसके सामने पेश करते ह, और वह जा गर इन उ मीदवार से एक छोट -सी परी ा लेता
है। वह अपना दायाँ हाथ आगे करता है, अपनी अंगु लयाँ फैलाता है और योदा-नुमा
आवाज़ म पूछता है, “ नया को नय त करने क ताक़त कस अंगल ु ी म है?” तीन
बौने अलग-अलग अंगु लयाँ पकड़ते ह, ले कन वे तीन ही ग़लत अंगल ु ी चुनते ह। तब भी
जा गर वलो म कोई ख़ास चीज़ ल य करता है, और बाद म उससे पूछता है, “जब मने
अपनी अंगु लयाँ फैलाई थ , तब तु हारे मन म सबसे पहले या भावना पैदा ई थी?”
“वह ब त ही मूखतापूण थी,” वलो ने श म दा होते ए कहा, “मेरी अपनी अंगल ु ी
पकड़ने क ।” “अहा!” जा गर ने वजय के भाव से पुकारते ए कहा, “वह सही जवाब
था! तुमम आ म व ास का अभाव है।” उदारवाद मथक- व ा इस सीख को दोहराते
ए कभी नह थकती।
ये हमारी अपनी अंगु लयाँ ह, ज ह ने बाइबल, कुरान और वेद लखे ह, और यह
हमारा अपना दमाग़ है, जो इन क़ स को श दान करता है। इसम कोई स दे ह नह
क ये सु दर क़ से ह, ले कन इनक सु दरता पूरी तरह से दे खने वाले क आँख म होती
है। य शलम, म का, वाराणसी और बोध गया तीथ- थल ह, ले कन सफ़ उन भावना
क वज़ह से ह, जनको मनु य वहाँ जाने पर अनुभव करते ह। सृ अपने आप म अणु
का गड़बड़झाला है। कोई भी चीज़ सु दर, प व या कामो ेजक नह है, ले कन मनु य क
अनुभू तयाँ उनको वैसा बना दे ती ह। ये केवल मानवीय अनुभू तयाँ ह, जो एक लाल सेब
को स मोहक और मल के टु कड़े को घनौना बनाती ह। अगर आपसे मानवीय भावना
को छ न लया जाए, तो आप अणु (मॉ ल यू स) के एक समूह म बदलकर रह जाएँगे।
हम वयं को सृ के बारे म कसी तैयारशुदा क़ से म फट करके अथ हा सल करने
क उ मीद करते ह, ले कन नया क उदारवाद ा या के मुता बक़, स चाई इसके
एकदम वपरीत है। सृ हम अथ दान नह करती। म सृ को अथ दान करता ँ। यह
मेरा ा डीय उ म है। मेरी कोई तयशुदा नय त या धम नह है। अगर म वयं को
स बा या अजुन जैसी थ त म पाता ँ, तो म कसी रा य के सहासन के लए यु करने
का चुनाव कर सकता ँ, ले कन मुझे ऐसा करने क ज़ रत नह है। म एक घुम तू सकस
म भी शा मल हो सकता ँ, कसी संगीत-ना टका म गाने के लए ॉडवे जा सकता ँ, या
फर स लकॉन वैली म जाकर कसी नई क पनी क शु आत कर सकता ँ। म अपना
ख़ुद का धम रचने के लए आज़ाद ँ।
इस कार, सरे ा डीय क़ स क ही तरह, उदारवाद क़ सा भी एक सृ -
कथा के साथ शु होता है। वह कहता है क सृ हर पल घ टत होती है, और म सृ ा ँ।
तब फर मेरे जीवन का ल य या है? भावना के सहारे, च तन के सहारे, आकां ा
के सहारे, और आ व कार के सहारे अथ क सृ करना। ऐसी कोई भी चीज़ जो महसूस
करने, सोचने, आकां ा करने और आ व कार करने क मानवीय वत ता को सी मत
करती है, वह सृ के अथ को सी मत करती है। इस लए इस तरह क सीमा से
आज़ाद परम आदश है।
ावहा रक पदावली म बात कर, तो जो लोग इस उदारवाद क़ से म व ास करते
ह। वे दो धमादे श का पालन करते ह : रचो, और आज़ाद के लए लड़ो। रचना मकता
क वता लखने, अपनी काम-भावना को अनुभव करने, कसी नई ए लीकेशन का
आ व कार करने, या कसी अ ात रसायन क खोज करने म अपनी अ भ पा
सकती है। आज़ाद क लड़ाई म वह कोई भी चीज़ शा मल है, जो लोग को सामा जक,
जै वक या भौ तक बाधा से मु करती है, वह चाहे ू र तानाशाह के ख़लाफ़ दशन
हो, लड़ कय को पढ़ने क श ा दे ना हो, कसर का इलाज खोजना हो, या कोई अ त र -
यान तैयार करना हो। उदारवाद नायक क दे वम डली म लुई पा र और राइट दस के
साथ-साथ रोज़ा पा स और पा लो पकासो तक शा मल ह।
यह सै ा तक तौर पर ब त उ ेजक और गहरी बात लगती है, ले कन भा य से,
मानवीय वत ता और मानवीय सृजना मकता वे चीज़ नह ह, जनक क पना
उदारवाद क़ सा करता है। हमारी े तम वै ा नक समझ के अनुसार, हमारे चयन और
रचना के पीछे कोई जा नह है। वे जैवरासाय नक संकेत का आदान- दान करते
अरब नायु क उपज ह, और अगर आप मनु य को कैथो लक चच और सो वयत
यू नयन क दासता से आज़ाद कर दे ते ह, तब भी उनके चयन जैवरासाय नक ऐ ग रदम
ारा उतनी ही नममता से नद शत होते रहगे, जतनी नममता से उनको धमपरी ण और
केजीबी नय त करते थे।
उदारवाद क़ सा मुझे अ भ क आजा़द क खोज करने और आ मबोध क
श ा दे ता है, ले कन ‘आ म’ और वत ता, दोन ही ाचीन युग क परीकथा से
उधार ली गई क पनाएँ ह। उदारवाद म ख़ासतौर से ‘ वत इ छाश ’ क ामक
धारण न हत है। ज़ा हर है क मनु य म इ छा होती है, उनम आकां ाएँ होती ह, और वे
कभी-कभी अपनी आकां ा को पूरा करने के लए वत भी होते ह। अगर ‘ वत
इ छाश ’ से आपका अ भ ाय वह करने क वत ता से है, जो आप करना चाहते ह -
तब हाँ, मनु य म वत इ छाश होती है, ले कन अगर ‘ वत इ छाश ’ से
आपका अ भ ाय वह चुनने क वत ता से है, जो आप चाहते ह - तब नह , मनु य क
कोई वत इ छाश नह है।
अगर म पु ष के त काम-आकषण महसूस करता ँ, तो म अपनी क पना को
साकार प दे ने के लए आज़ाद ँ, ले कन म पु ष क जगह य के त आकषण
महसूस करने के लए आज़ाद नह ँ। कुछ मामल म म अपनी काम-भावना को
संय मत करने या ‘यौन-प रवतन’ च क सा कराने तक का नणय ले सकता ँ, ले कन
अपनी काम-भावना क दशा को बदलने क आकां ा-मा एक ऐसी चीज़ है ,जो मुझ पर
मेरे उन नायु ारा डाली गई है, जो शायद सां कृ तक और मज़हबी प पात ारा
उ े रत ह। या कारण है क एक अपनी काम-भावना को लेकर श म दगी महसूस
करता है और उसको बदलना चाहता है, जब क सरा कसी तरह के अपराध-बोध
के बना उ ह काम-भावना का ज मनाता है? आप कह सकते ह क पहले वाले म
सरे के मुक़ाबले बल धा मक भावनाएँ हो सकती ह, ले कन या लोग बल या कमज़ोर
मज़हबी भावनाएँ रखने का चुनाव करने के लए वत ह? एक बार फर, कोई
अपनी कमज़ोर मज़हबी भावना को मज़बूत करने क सचेत को शश के तहत हर
इतवार को चच जाने का फ़ैसला कर सकता है, ले कन ऐसा य है क एक यादा
मज़हबी होने क आकां ा करता है, जब क सरा ना तक बने रहने को लेकर पूरी तरह
ख़ुश होता है? यह कतनी ही सां कृ तक और वंशानुगत वृ य का नतीजा हो सकता
है, ले कन यह ‘ वत इ छाश ’ का प रणाम कभी नह होता।
जो बात काम-आकां ा के बारे म सही है, वही तमाम सरी आकां ा पर, और
वा तव म तमाम अनुभू तय और वचार पर लागू होती है। ज़रा उस अगले ही वचार को
ल, जो आपके दमाग़ म सहसा कट आ है। यह कहाँ से आया? या आपने वत ढं ग
से उसके बारे म सोचने का चुनाव कया था, और उसके बाद ही उसको सोचा था? न य
ही नह । आ मा वेषण क या ब त साधारण-सी चीज़ के साथ शु होती है, और
मश: स त होती जाती है। शु म, हम इस बात का अहसास होता है क अपने से बाहर
क नया को हम नय त नह करते। यह फ़ैसला म नह करता क बा रश कब हो।
इसके बाद हम इस बात का अहसास होता है क जो कुछ भी हमारी काया के भीतर घ टत
होता है, उसको हम नय त नह करते। म अपने र चाप को नय त नह करता।
इसके बाद, हम इस बात को समझते ह क हमारे वयं के म त क पर भी हमारा शासन
नह है। म नायु से यह नह कहता क वे कब उ े जत ह । अ ततः हम इस बात को
समझना ज़ री होता है क हमारा अपनी आकां ा , या इन आकां ा पर अपनी
त या तक पर नय ण नह होता।
इस सबका अहसास हमारी अपनी धारणा को लेकर, अपनी अनुभू तय को लेकर,
और अपनी आकां ा को लेकर हमारी आस को कम करने म मदद कर सकता है।
हमारी कोई वत इ छा-श नह है, ले कन हम अपनी इ छा-श क यातना से कुछ
आज़ाद हो सकते ह। मनु य सामा यतः अपनी आकां ा को इतनी यादा अह मयत
दे ते ह क वे अपनी आकां ा के मुता बक़ सारी नया को नय त करने और आकार
दे ने क को शश करते ह। अपनी लालसा को स तु करने क को शश म मनु य च मा
तक उड़ान भरता है, यु छे ड़ता है, और समूचे पा र थ तक य त को तहस-नहस कर
दे ता है। अगर हम इस बात को समझ लेते ह क हमारी आकां ाएँ वत चयन क जा ई
अभ याँ नह , ब क जैवरासाय नक या क उपज ह (जो याएँ उन
सां कृ तक कारक से भा वत होती ह, जो वयं भी हमारे नय ण से परे ह), तो उनम
हमारी त लीनता कम हो सकती है। बजाय इसके क जो भी दवा व हमारे दमाग़ म
पैदा होते ह, हम उनको साकार करने क को शश कर, उससे बेहतर यह है क ख़ुद को,
अपने दमाग और अपनी आकां ा को समझ।
लोग कभी-कभी ऐसी क पना करने लगते ह क अगर हम वत इ छा-श म
अपना व ास याग दगे, तो हम पूरी तरह से उदासीन हो जाएँगे, और कसी कोने म घुटने
मोड़ बैठे-बैठे भूखे मर जाएँगे। व तुतः, इस म का याग गहन ज ासा उकसाने वाला है।
जब तक आप ख़ुद को अपने दमाग़ म उभरने वाले जन क ह भी वचार और
आकां ा के साथ ढ़तापूवक जोड़े रखते ह, तब तक आपको ख़ुद को जानने क ब त
यादा को शश करने क ज़ रत नह होती। आप सोचते ह आपको तो मालूम ही है क
आप कौन ह, ले कन जब आपको इस बात का अहसास हो जाता है क “अरे, म ये वचार
नह ँ। ये तो महज़ कुछ जैवरासाय नक प दन ह!”, वैसे ही आपको यह बात प हो
जाती है क आपको इसका कोई इ म नह है क आप कौन - या या - ह। यह एक
खोज-अ भयान के ऐसे अ य त रोमांचक सफ़र क शु आत हो सकती है, जस पर कोई
भी इंसान नकल सकता है।
इस सफ़र का एक नणायक क़दम इस बात को क़बूल करना है क ‘ व’ एक ऐसा
का प नक क़ सा है, जसको हमारे दमाग़ क पेचीदा याएँ लगातार गढ़ती रहती ह,
नया प दे ती रहती ह और नए सरे से लखती रहती ह। मेरे दमाग़ म एक कथाकार बैठा
आ है, जो बताता रहता है क म कौन ँ, म कहाँ से आया ँ, म कहाँ जा रहा ँ, और
ठ क इस व त या हो रहा है। श द क कलाबाज़ी म मा हर सरकार के उन लोग क
तरह, जो ताज़ा राजनी तक उथल-पुथल क ा या करते रहते ह, यह अ दर बैठा
कथाकार भी चीज़ को लगातार ग़लत समझता रहता है, ले कन अपनी ग़ल तय को
शायद ही कभी वीकार करता है। और जस तरह सरकार झ ड , तीक और परेड क
मदद से रा ीय मथक गढ़ती रहती है, ठ क उसी तरह मेरा अ द नी चार-त अ य त
मू यवान मृ तय और पोसकर रखे गए सदम क मदद से एक ऐसा नजी मथक गढ़ता
रहता है, जो अ सर स चाई से ब त कम मेल खाता है।
फ़ेसबुक और इ टा ाम के युग म मथक- नमाण क इस या को आप पहले के
कसी भी व त के मुक़ाबले यादा प ढं ग से समझ सकते ह, य क इस या का
कुछ ह सा दमाग़ क जगह क यूटर को स प दया गया है। ऐसे लोग को दे खना
आकषक और भयानक है, जो एक अचूक व व को ऑनलाइन गढ़ने और सँवारने म
अन गनत घ टे बताते ए अपनी ही इस रचना से मो हत होते रहते ह, और इसको अपनी
स चाई समझने क भूल करते रहते ह। यह वह या है, जससे ै फ़क जाम , ु
क़ म के झगड़ और तनावपूण ख़ामो शय से भरा पा रवा रक छु का एक दन
ख़ूबसूरत य , उ म क़ म के डनर और मु कराते चेहर के गु छे म बदल जाता है।
हम जो कुछ भी अनुभव करते ह, उसका 99 % कभी भी व व क कहानी का ह सा
नह बन पाता।
यह वशेष प से उ लेखनीय है क हमारे प रक पत व व म ब त या मक होने
क वृ होती है, जब क हमारे वा त वक अनुभव दै हक होते ह। अपनी प रक पना म
आप अपने मन म या क यूटर- न पर एक य दे खते ह। आप ख़ुद को एक
उ णक टब धीय समु -तट पर खड़ा आ दे खते ह, जहाँ आपके पीछे नीला समु लहर
मार रहा होता है, आपके चेहरे पर बड़ी-सी मु कराहट होती है, आपके एक हाथ म
कॉकटे ल थमा होता है, और सरा हाथ आपके ेमी क कमर को घेरे होता है। वग। यह
य जो चीज़ नह दखाता, वे ह आपके पैर म डंक चुभाती परेशान करती म खी, सड़ी
ई मछली का सूप पीने से आपके पेट म जागती मरोड़ का अहसास, बड़ी मु कराहट का
ढ ग रचने क को शश से आपके जबड़े म पैदा होता तनाव, और वह भ ा झगड़ा जो इस
सुखी युगल के बीच पाँच म नट पहले आ था। काश! हम उस चीज़ को महसूस कर
पाते, जसे तसवीर म दखाई दे ते लोग ने इन तसवीर को लेते समय महसूस कया था!
इस लए अगर आप वा तव म ख़ुद को समझना चाहते ह, तो आपको वयं को अपने
फ़ेसबुक अकाउंट या व व क आ त रक कहानी से जोड़कर नह दे खना चा हए। इसक
बजाय, आपको दे ह और दमाग़ के वा त वक वाह को ल य करना चा हए। तब आप
वचार , भावना और आकां ा को बना कसी ख़ास तक के और आपसे मले कसी
नदश के बना कट और लु त होते दे खगे, ठ क उस तरह जैसे इस या उस दशा से
अलग-अलग हवाएँ बहकर आती ह और आपके बाल बखराकर चली जाती ह। और जस
तरह आप ये हवाएँ नह ह, ठ क उसी तरह आप उन वचार , भावना और आकां ा
का घालमेल नह ह, जनको आप अनुभव करते ह, और आप वह साफ़- व छ बना द गई
कहानी तो नह ही ह, जो आप उनके बारे म बाद म उनको याद करते ए सुनाते ह। आप
उन सबको अनुभव तो करते ह, ले कन आप उनको नय त नह करते, उन पर आपका
वा म व नह होता, और आप वह नह होते, जो वे ह। लोग पूछते ह ‘म कौन ँ?’ और
कोई क़ सा सुनाए जाने क उ मीद करते ह। जो चीज़ आपके लए सबसे पहले जानना
ज़ री है, वह यह है क आप कोई क़ सा नह ह।

कोई क़ सा नह
उदारवाद ने सारे ा डीय नाटक से इंकार करने का ा तकारी क़दम उठाया था,
ले कन मनु य के भीतर उस नाटक क पुनरचना कर द - सृ का कोई कथानक नह है,
इस लए अब यह हम मनु य क ज़ मेदारी है क हम एक कथानक रच, और यही हमारे
उपयु काम है और हमारे जीवन का अथ है। हमारे उदारवाद युग के हज़ार साल पहले
ाचीन बौ धम ने इससे भी आगे जाकर न सफ़ सारे ा डीय नाटक से इंकार कया
था, ब क मानव-र चत आ त रक नाटक से भी इंकार कया था। सृ म कोई अथ नह है,
और मानवीय अनुभू तय म भी कोई अथ नह है। वे कसी महान ा डीय कहानी का
ह सा नह ह - वे महज़ णभंगरु प दन ह, जो बना कसी येय के कट होते ह और
लु त हो जाते ह। यही स य है। इसी पर वजय पाओ।
बृहदार यक उप नषद हमसे कहता है क ‘ब ल के अ का सर भोर है, उसके ने
सूय ह…उसके अंग ऋतुएँ ह, उसके स ध- थल महीने और पखवाड़े ह, उसके पैर दन
और रात ह, उसक अ थयाँ न ह, उसका मांस मेघ है।’ इसके वपरीत, मुख बौ
थ महास तप थान सु ा या करता है क जब कोई मनु य यान करता है, जब वह
सावधानीपूवक अपनी काया का पयवे ण करता है, ल य करता है क ‘इस काया म सर
पर बाल ह, वचा पर बाल ह, नाख़ून ह, दाँत ह, वचा है, मांस है, ऊतक ह, ह याँ ह,
म जा है, गुद ह, दय है… लार है, नाक है… मल और मू है। इस तरह काया को ल य
करता आ उस पर मनन करता है… अब उसक समझ वक सत होती है : “यह है
काया!” बाल, ह याँ या मू कसी चीज़ को ज़ा हर नह करते। वे वही ह, जो ह।
एक-के-बाद-एक अंश म यह थ इस बात क ा या करता चलता है क
यानकता काया या दमाग़ म जस कसी भी चीज़ को ल य करता हो, वह उसको उसके
यथावत प म समझता/समझती है। इस कार जब यानकता साँस लेता है, ‘गहरी साँस
लेता आ वह ठ क-ठ क समझता है क “म गहरी साँस ले रहा ँ।” उथली साँस लेता
आ वह ठ क-ठ क समझता है क “म उथली साँस ले रहा ँ।”’ ल बी साँस ऋतु और
छोट साँस दन का न पण नह करती। वे महज़ काया म होने वाले प दन ह।
बु ने सीख द थी क सृ क तीन आधारभूत वा त वकताएँ ये ह क हर चीज़
नर तर प रवतनशील है, कसी चीज़ म कोई टकाऊ स व नह है, और कोई भी चीज़ पूरी
तरह से स तोष द नह है। आप अपनी काया, या अपने दमाग़ क सु र आकाशगंगा तक
क छानबीन कर डाल, ले कन आपको कभी कोई ऐसी चीज़ नह मलेगी, जो प रव तत न
होती हो, जसम कोई शा त स व हो, और जो आपको पूरी तरह से स तु कर सकती
हो।
ःख इस लए उ प होता है, य क लोग इस त य को वीकार नह कर पाते। उनका
व ास होता है क कह कोई शा त स व है, और अगर वे उसका पता लगा ल और
उससे स ब ध जोड़ ल, तो वे पूरी तरह से स तु हो जाएँगे। इस शा त स व को कभी
ई र के नाम से पुकारा जाता है, कभी रा के नाम से पुकारा जाता है, कभी आ मा के
नाम से पुकारा जाता है, कभी ामा णक व व के नाम से पुकारा जाता है, और कभी
स चे ेम के नाम से पुकारा जाता है - और लोग जतना ही इससे आस होते जाते ह,
उतना ही उसको पाने म नाकामयाब होने क वज़ह से वे नराश और दयनीय होते जाते ह।
इससे भी बदतर यह है क यह आस जतनी ही अ धक होती है, उतनी ही अ धक घृणा
इस तरह के लोग कसी भी उस , समूह या सं था के त वक सत कर लेते ह, जो
उनके और उनके य ल य के आड़े आते तीत होते ह।
इस तरह, बु के अनुसार जीवन म कोई अथ नह है, और लोग को कोई अथ पैदा
करने क ज़ रत नह है। उनको सफ़ इतना भर समझ लेना ज़ री है क कोई अथ नह
है, और इस कार आस य और अथशू य घटना के साथ हमारे जुड़ाव के कारण
पैदा होने वाले ःख से मु पा लेना ज़ री है। “मुझे या करना चा हए?” लोग पूछते ह,
और बु परामश दे ते ह : “कुछ मत करो। ब कुल कुछ भी नह ।” सारी सम या यह है
क हम नर तर कुछ करते रहते ह। ज़ री नह क शारी रक तर पर ही करते ह । हम
घ ट आँख ब द कए थर बैठे रह सकते ह, तब भी मान सक तर पर हम क़ से और
पहचान गढ़ने म, यु लड़ने और जीत हा सल करने म अ य त त रहते ह। सचमुच
कुछ न करने का अथ है क दमाग़ भी कुछ न करे और कुछ न गढ़े ।
भा य से यह भी ब त आसानी से एक महान वीरगाथा म बदल जाता है। अगर आप
आँख मूँदकर बैठ जाते ह और अपनी नाक से आती-जाती साँस को ल य करते रहते ह,
तब भी आप शायद उसके बारे म क़ से गढ़ना शु कर सकते ह। ‘मेरी साँस थोड़ी
अ वाभा वक-सी है, और अगर म और भी शा तपूवक साँस ले सकूँ, तो म और भी व थ
हो जाऊँगा’ या ‘अगर म सफ़ अपनी साँस को ल य करना जारी रखूँ और कुछ भी न
क ँ , तो मुझे बोध क ा त हो जाएगी, और म नया का सबसे अ धक ावान और
सबसे यादा सुखी बन जाऊँगा।’ इसके बाद यह महागाथा व तार लेना शु कर
दे ती है, और लोग न केवल ख़ुद को अपनी अस य से मु करने, ब क सर को भी
वैसा ही करने को तैयार करने के अ भयान पर नकल पड़ते ह। यह वीकार कर लेने के
बाद क जीवन का कोई अथ नह है, मुझे सर को यह बात समझाने, अ व ा सय से
तक करने, स दे हवा दय को भाषण दे ने, मठ के नमाण के लए पैसे का दान करने आ द
म अथ दखाई दे ने लगता है। ‘कोई क़ सा नह ’ भी ब त आसानी से एक और क़ सा
बन सकता है।
बौ धम का इ तहास इस बात के हज़ार ा त उपल ध कराता है क कस तरह
सब कुछ क णभंगरु ता और शू य म, और कसी तरह क आस न रखने के मह व म
व ास करने वाले लोग कसी मु क क कूमत को लेकर, कसी इमारत के वा म व को
लेकर, या कसी श द के अथ तक को लेकर तक़रार और लड़ाई कर सकते ह। सरे लोग
से इस लए लड़ना, य क आप एक शा त ई र क म हमा म व ास रखते ह,
भा यपूण क तु समझ म आने वाली बात है, ले कन सरे लोग से इस लए लड़ना,
य क आप सब कुछ क शू यता म व ास रखते ह, सचमुच व च बात है, ले कन वह
उतनी ही इंसानी भी है।
अठारहव सद म, बमा और पड़ोसी सयाम के राजवंश बु के त अपनी भ पर
नाज़ करते थे, और उ ह ने बौ आ था क र ा कर वैधता हा सल क थी। राजा मठ को
आ थक इमदाद दे ते थे, पैगोडा ( तूपनुमा बौ दे वालय ) का नमाण कराते थे, और हर
स ताह उन ानी भ ु को सुनने जाते थे, जो हर मनु य क पाँच आधारभूत त ा
- ह या, चोरी, भचार, छल, और नशे से परहेज़ - के बारे म भावपूण उपदे श दया करते
थे। तब भी दोन राजवंश नर तर आपस म लड़ते रहे। 7 अ ैल 1767 को बमा के राजा
स यू शन क सेना ल बी घेराब द के बाद सयाम क राजधानी म घुस गई। वजयी
सेना ने ह याएँ क , लूटपाट क , बला कार कए और शायद जहाँ-तहाँ नशे म भी झूमे।
इसके बाद उ ह ने नगर के यादातर ह स को जला दया। इनम महल, मठ, और पैगोडा
तक शा मल थे और वहाँ से हज़ार ग़लाम और सोना तथा जेवरात गा ड़य म लादकर
अपने घर ले आए।
ऐसा नह था क राजा स यू शन बौ धम को ह के-फु के ढं ग से लेता था। अपनी
इस महान वजय के सात साल बाद राजा ने वशाल नद इराव ी के तट क शाही या ा
क , माग के सारे मह वपूण पैगोडा म पूजा-अचना क , और बु से ाथना क क वे
उसक सेना को और भी वजय का आशीवाद दान कर। जब स यू शन रंगन ू प ँचा,
तो वहाँ पर उसने समूचे बमा के सबसे प व दे वालय - ेडागॉन पैगोडा - का पुन ार
और व तार कया। इसके बाद उसने इस वशाल ासाद को अपने वयं के वज़न जतने
सोने से मढ़वाया, और पैगोडा के शखर पर सोने क एक मीनार खड़ी क और उस पर
बेशक़ मती र न जड़वाए (जो शायद सयाम से लूटे गए थे)। इस अवसर का इ तेमाल
करते ए उसने ब धक राजा पेग,ू उसके भाई और बेटे को फाँसी दे द ।
1930 के दशक के जापान के लोग ने तो बौ धम स ा त का म ण रा वाद,
सै यवाद और फ़ासीवाद तक से करने के रा ते ढूँ ढ नकाले थे। न शो इनॉय, इ क क ता
और तनाका चगाकु जैसे ा तकारी बौ च तक का तक था क अपनी अहंकारपूण
आस य को भंग करने के लए लोग को वयं को पूरी तरह से स ाट के त सम पत
कर दे ना चा हए, सारे नजी सोच- वचार से काट लेना चा हए, पूरी तरह से रा के त
वफ़ादार हो जाना चा हए। इस तरह के वचार से अनेक क र रा वाद े रत ए, जनम
एक मता ध सै य संगठन भी शा मल था, जो राजनी तक ह या क मु हम के मा यम से
जापान क अनुदार राजनी तक व था को उखाड़ फकना चाहता था। उ ह ने पूव
व म ी, म सुई कॉपारेशन के महा नदे शक, और अ ततः धानम ी इनुकाई सयोशी
क ह या कर द । इस तरह उन लोग ने सै य तानाशाही म जापान के पा तरण क
या को ग त द । इसके बाद जब सेना ने यु का आगाज़ कया, तो बौ भ ु और
यान के ज़ेन गु ने रा य स ा के त नः वाथ आ ापरायणता का उपदे श दया और
यु के उ म क ख़ा तर आ मब लदान का परामश दया। इसके वपरीत, क णा और
अ हसा क बौ श ा को कसी तरह भुला दया गया, और इन मू य का नान जग,
मनीला या सोल म जापानी सेना पर कोई प भाव दखाई नह दया। आज बौ
यांमार का मानवा धकार रकॉड नया म सबसे ख़राब है, और एक बौ भ ु अ शन
वराथू दे श के मुसलमान- वरोधी आ दोलन का नेता है। उसका दावा है क उसका एकमा
येय यांमार और बौ धम क मुसलमान के जहाद ष से र ा करना है, ले कन
उसके धम पदे श और लेख इतने भड़काऊ होते ह क फ़रवरी 2018 म फ़ेसबुक ने घृणा
फैलाने वाले बयान पर तब ध का हवाला दे ते ए उसके पेज़ को हटा दया था। 2017
म गा जयन को दए गए सा ा कार म उसने उड़ते ए म छर के त भी क णा बरतने
का उपदे श दया था, ले कन जब उसको इन आरोप का सामना करना पड़ा क यांमार
क सेना ारा मुसलमान य के साथ बला कार कए गए ह, तो वह हँस पड़ा और
बोला, “अस भव। उनके शरीर ब त घनौने होते ह।”
इस बात क ब त कम स भावना है क जैसे ही 8 अरब मनु य नय मत प से यान
करने लग जाएँगे, तो सारी नया म शा त और सावभौ मक समरसता था पत हो
जाएगी। अपने बारे म स य को ल य करना ब त मु कल है! अगर आप कसी तरह
यादातर इंसान को इसके लए तैयार कर ल, तो भी हमम से ब त-से लोग ज द ही इस
स य को नायक , खलनायक और श ु से भरे कसी क़ से म वकृत कर दगे, और
यु के लए वाक़ई कोई अ छा बहाना ढूँ ढ लगे।

वा त वकता क परी ा
भले ही ये सारे बड़े क़ से हमारे दमाग़ ारा पैदा क गई क पनाएँ ह , तो भी हताश होने
क कोई वज़ह नह है। वा त वकता तब भी मौजूद है। आप कसी गढ़े ए नाटक म कोई
भू मका नह सकते, ले कन आप ऐसा करना ही य चाहते ह? मनु य के सामने जो बड़ा
सवाल है, वह यह नह है क “जीवन का अथ या है?” ब क यह है क “ ःख से
छु टकारा कैसे पाया जाए?” जब आप सारे मनगढ़ त क़ स को याग दे ते ह, तो आप
वा त वकता को पहले क तुलना म कह यादा प ता के साथ दे ख सकते ह, और अगर
आप वाक़ई अपनी और नया क स चाई को जानते ह, तो ऐसी कोई चीज़ नह जो
आपको ःखी कर सके, ले कन यह कहना जतना आसान है, करना उतना ही क ठन है।
हम मनु य ने का प नक क़ स को गढ़ने और उन पर व ास करने क अपनी
क़ा ब लयत के बूते नया को जीत लया है। इस लए हम वशेष प से क पना और
वा त वकता के बीच के फ़क़ को समझने के मामले म बुरे ह। इस फ़क़ को नज़रअ दाज़
करना हमारे लए जी वत बने रहने का मसला रहा है। इसके बावजूद अगर आप इस फ़क़
को समझना चाहते ह, तो इसक शु आत ःख के थल से करने क ज़ रत है, य क
ःख नया म सबसे यादा वा त वक चीज़ है।
जब आपका सामना कसी महान क़ से से होता है, और आप जानना चाहते ह क
यह क़ सा वा त वक है या क पना क उपज है, तो जो मु य सवाल आपको पूछना
चा हए, वह यह है क या इस क़ से का के य नायक ःख झेल सकता है। उदाहरण
के लए, अगर कोई आपको पो लश रा का क़ सा सुनाता है, तो पलभर ठहर कर
सो चए क या पोलड ःख उठा सकता है। महान रोमां टक क व और आधु नक पो लश
रा वाद के जनक अदम म के वच का वह कथन स है, जसम उ ह ने पोलड को
‘रा का ईसा’ (‘द ाइ ट ऑफ़ नेश स’) कहा था। स, शया और ऑ या म पोलड
के वभाजन के दशक बाद, और 1830 म सय ारा पो लश व ोह के ू रतापूवक
कुचले जाने के कुछ ही समय बाद, 1832 म लखते ए म के वच ने प कया था क
पोलड क भीषण य णा समूची मानवता के प म द गई क़बानी का नतीजा थी, जो
ईसा क क़बानी जैसी थी, और ईसा क ही तरह पोलड भी पुनज वत हो उठे गा।
अपने एक स अंश म म के वच ने लखा था :

पोलड ने (यूरोप के लोग से) कहा था, “जो भी कोई मेरे पास आएगा, वह
आज़ाद और बराबरी का हक़दार होगा, य क म वत ता ँ।” ले कन जब
राजा ने इस बात को सुना, तो उनके दल दहल गए, और उ ह ने पोलड को
सूली पर लटका दया और उसे उसक क़ म डाल दया, यह च लाते ए क
“हमने वत ता का वध कर उसको दफ़ना दया है।” ले कन उनक यह चीख़
मूखतापूण थी… य क पो लश रा मरा नह था…। तीसरे दन आ मा काया म
वापस लौट आएगी, और रा उठ खड़ा होगा और यूरोप के सारे लोग को ग़लामी
से आज़ाद कर दे गा।

या वाक़ई कोई रा यातना भोग सकता है? या कसी रा क आँख, हाथ, इ याँ,
आस याँ और लालसाएँ होती ह? अगर आप उसको काँटा चुभाएँ, तो या उसको ख़ून
नकलेगा? ज़ा हर है, नह । अगर वह यु म परा जत होता है, उसम कोई ा त गँवा दे ता
है, या अपनी वाधीनता भी खो बैठता है, तब भी वह पीड़ा, उदासी या कसी भी सरे
तरह का ःख महसूस नह कर सकता, य क उसक कोई काया, कोई दमाग़ या कसी
तरह के कोई ज बात नह होते। वा तव म वह महज़ एक पक है। सफ़ कुछ इंसान क
क पना म ही पोलड ःख भोगने म स म एक वा त वक स ा है। पोलड बना रहता है,
य क ये इंसान उसको अपनी कायाएँ उधार दे ते ह - सफ़ पोलड क फ़ौज म सै नक के
प म काम करते ए ही नह , ब क रा के सुख और ःख को पा यत करते ए।
जब मई 1831 म ऑ ेलेका क लड़ाई म पोलड क पराजय क ख़बर वारसा प ँची, तो
मनु य के पेट लेश से ठ गए, मनु य क छा तयाँ पीड़ा से भारी हो उठ , मनु य क
आँख छलछला उठ ।
न य ही, यह सब सी आ मण को उ चत नह ठहरा दे ता, न ही यह एक वाधीन
रा क थापना करने और अपने ख़ुद के क़ानून और री त- रवाज का फ़ैसला करने के
पोलडवा सय के हक़ को कमज़ोर करता है। तब भी इसका यह मतलब है क अ ततः
पो लश रा का क़ सा यथाथ नह हो सकता, य क पोलड का अ त व-मा इंसानी
दमाग़ म न मत छ वय पर टका है।
इसके वपरीत, वारसा क उस ी क नय त पर वचार कर, जसको आ मणकारी
सी फ़ौज ारा लूटा गया था और जसके साथ बला कार कया गया था। पो लश रा
क पक यातना से भ , उस ी क यातना ब त वा त वक थी। यह पीड़ा शायद सी
रा वाद, पर परावाद ईसाइयत, और मदाना शूरवीरता जैसे व भ का प नक क़ स म
इंसानी व ास ारा प ँचाई गई थी, जन सबने ब त-से सी राजपु ष और फ़ौ जय
को ेरणा द थी, ले कन इससे पैदा ई यातना तब भी 100 % वा त वक थी।
जब भी कभी राजनेता रह यवाद पदावली म बात करने लग, तो सावधान रह। ब त
मुम कन है क वे वा त वक पीड़ा को समझ से परे भारी-भरकम श द म लपेटते ए
उसको छपाने और उससे मुकरने क को शश कर रहे ह । इन चार श द से वशेष प से
सावधान रह : क़बानी, शा तता, प व ता, पुनः बहाली। अगर आप इनम से कोई भी श द
सुन, तो चेतावनी क घ ट बजाएँ। और अगर आप संयोग से कसी ऐसे मु क म रहते ह ,
जसका नेता नय मत प से इस तरह क बात करता हो क ‘उनक क़बानी हमारे
शा त रा क प व ता को पुनः बहाल करेगी,’ तो समझ ली जए क आप भारी मु कल
म ह। अपने दमाग़ी स तुलन क र ा के लए हमेशा इस तरह क बकवास का वा त वक
पदावली म अनुवाद करने क को शश क जए : कोई सै नक घोर पीड़ा से कराह रहा है,
कसी ी को पीटा जा रहा है और उसके साथ नृशंसता बरती जा रही है, कोई ब चा भय
से काँप रहा है।
इस लए अगर आप सृ का स य जानना चाहते ह, जीवन का अथ जानना चाहते ह,
और अपनी पहचान के बारे म जानना चाहते ह, तो इसक शु आत करने के लए े
थान है ःख को ल य करना और यह छानबीन करना है क वह या है।
इसका जवाब कोई क़ सा नह है।
21
यान
सफ़ अवलोकन क जए

इतने सारे क़ स , मज़हब और वचारधारा क आलोचना करने के बाद उ चत यही है


क म ख़ुद को भी आलोचना का वषय बनाऊँ, और यह प क ँ क इस क़दर स दे ह
से भरे होने के बावजूद कोई सुबह फु लत च के साथ कैसे जाग सकता है। म
ऐसा करने से कसी हद तक तो आ म-मु घता के भय से हच कचाता ँ, और कसी हद
तक इस लए क म यह ग़लतफ़हमी पैदा नह करना चाहता क जो चीज़ मेरे लए कारगर
है, वह हर कसी के लए कारगर होगी। म इस बात के त ब त सचेत ँ क मेरे जी स,
नायु , नजी अतीत और धम क व च ता को हर कोई साझा नह करता, ले कन
यह अ छा होगा क पाठक कम-से-कम इस बात को जान ल क वे कौन-से रंग ह, जो मेरे
उस च मे पर चढ़े ए ह, जनक माफ़त म नया को दे खता ँ, और जो इस तरह मेरी
नज़र और मेरे लेखन को वकृत करते ह।
जब म कशोराव था म था, तो म एक अशा त और बेचैन आ करता था। मुझे
नया बेमानी लगती थी, और ज़ दगी को लेकर जो सवाल मेरे मन म उठते थे, उनके
कोई जवाब मुझे नह सूझते थे। ख़ासतौर से, मुझे यह समझ म नह आता था क नया
और ख़ुद मेरे जीवन म इतना यादा ःख य है, और इससे नजात पाने के लए या
कया जा सकता है। अपने आस-पास के लोग और जो पु तक मने पढ़ रखी थ , उनसे
मुझे सफ़ वशाल ग प ( फ़ श स) ही हा सल ए थे : दे वता और वग के बारे म
मज़हबी मथक, मातृभू म और उसके ऐ तहा सक अ भयान के बारे म रा वाद मथक,
ेम और साह सक कारनाम के बारे म रोमानी मथक या वे पूँजीवाद मथक, जो आ थक
वृ के बारे म और इस बारे म च लत ह क कस तरह चीज़ को ख़रीदना और उनका
उपभोग करना मुझे सुखी बना दे गा। मुझम इस बात को समझने लायक़ पया त अ ल तो
थी क ये स भवतः सारे के सारे ग प ह, ले कन स चाई को कैसे जाना जाए, इसका मुझे
कोई इ म नह था।
जब मने व व ालय म पढ़ना शु कया, तो मुझे लगा क यह जवाब को पाने के
लए आदश जगह होगी, ले कन मुझे नराशा ही हाथ लगी। वहाँ क अकाद मक नया ने
मुझे मनु य ारा तब तक रचे गए सारे मथक को वख डत ( डकॉ ट) करने के
लए सश औज़ार तो उपल ध कराए, ले कन उसने जीवन के बड़े सवाल के
स तोषजनक जवाब उपल ध नह कराए। इसके वपरीत, इसने मुझे उ रो र संकु चत
सवाल पर यान के त करने के लए ही ो सा हत कया। अ ततः मने वयं को
यू नव सट ऑफ़ ऑ सफ़ोड म म ययुगीन सै नक के आ मकथा मक मज़मून के बारे म
शोध- ब ध लखते ए पाया। इस काम के अलावा अ त र च के तौर पर मने दशन
क ढे र पु तक पढ़ना और ढे र दाश नक बहस म भाग लेना जारी रखा, ले कन इस चीज़
ने हालाँ क मुझे अ तहीन बौ क मनोरंजन तो उपल ध कराया, ले कन इससे मुझे कोई
अत ा त नह हो सक । यह बेहद हताश करने वाली बात थी।
अ ततः मेरे ब त अ छे दो त रोन ने मुझे सुझाव दया क कम-से-कम कुछ दन के
लए मुझे सारी पु तक और बौ क चचाएँ एक तरफ़ रखकर वप यना यान का
पा म आज़माकर दे खना चा हए। ( ाचीन भारत क पाली भाषा म ‘ वप यना ’ का
अथ होता है ‘अ तरावलोकन’।) मुझे लगा क यह नए युग क कोई बकवास है, और चूँ क
एक और मथक- व ा को सुनने म मेरी कोई दलच पी नह रह गई थी, इस लए मने उस
पा म म जाने से मना कर दया, ले कन मेरा वह दो त पूरे सालभर तक धीरज के साथ
मुझे उस ओर ध कयाता रहा, जसके नतीजे म वह आ ख़रकार अ ैल 2000 म मुझे दस
दन के एक वप यना के म भेजने म कामयाब रहा।
इसके पहले तक म यान के बारे म ब त कम जानता था, और मानकर चलता था क
इसम तमाम तरह के पेचीदा रह यवाद स ा त न हत ह गे। इस लए उस श ण क
ावहा रकता को दे खकर म च कत रह गया। उस पा म के संचालक अ यापक एस.
एन. गोयनका ने व ा थय को पालथी मारकर और आँख ब द कर बैठने और अपना पूरा
यान नाक से आती-जाती साँस पर एका करने का नदश दया। ‘और कुछ भी मत
करो,’ वे लगातार कहते रहते, ‘अपनी साँस को नय त करने या कसी ख़ास ढं ग से
साँस लेने क को शश मत करो। सफ़ वतमान ण क वा त वकता पर यान दो, वह
वा त वकता जो भी हो। जब साँस अ दर आ रही हो, तो तु ह सफ़ इस बारे म सचेत रहना
है क साँस अ दर आ रही है। जब साँस बाहर नकल रही हो, तो तु ह सफ़ इस बारे म
सचेत रहना है क अब साँस बाहर जा रही है।’ यह वह सबसे मह वपूण बात थी, जो
कसी ने मुझसे पहली बार कही थी।
जब लोग जीवन के बारे म बड़े सवाल पूछते ह, तो आमतौर से यह जानने म उनक
क़तई कोई दलच पी नह होती क कब उनक साँस उनक नाक के अ दर आ रही है और
कब वह बाहर जा रही है। इसक बजाय, वे इस तरह क चीज़ जानना चाहते ह क मरने
के बाद या होता है, ले कन जीवन क असली पहेली यह नह है क आपके मरने के बाद
या होता है, असल पहेली यह है क आपके मरने के पहले या होता है। अगर आप मृ यु
को समझना चाहते ह, तो आपको जीवन को समझना ज़ री है।
लोग पूछते ह, “जब म मर जाऊँगा, तो या म पूरी तरह से मट जाऊँगा? या म वग
जाऊँगा? या एक नई काया के साथ मेरा पुनज म होगा?” ये सवाल इस मा यता पर
आधा रत ह क कोई एक ऐसा ‘म’ है जो ज म से लेकर मृ यु तक जस-का-तस बना रहता
है, और सवाल यह है क ‘मरने पर इस ‘म’ का या होगा?’ ले कन ऐसा या है, जो ज म
से लेकर मृ यु तक जस-का-तस बना रहता हो? काया हर पल बदलती रहती है, म त क
हर पल बदलता रहता है, दमाग़ हर पल बदलता रहता है। आप ख़ुद को जतना ही यादा
क़रीब से दे खते ह, उतनी ही यह बात ज़ा हर होती जाती है क ऐसा कुछ भी नह है, जो
एक पल से सरे पल तक भी जस-का-तस बना रहता हो। तब फर वह या चीज़ है, जो
एक समूचे जीवन को बाँधे रखती है? अगर आप इस सवाल का जवाब नह जानते, तो
आप जीवन को नह समझते, और न य ही इस बात क कोई स भावना नह है क आप
मृ यु को समझ पाएँगे। और अगर कभी आपको यह पता चल जाता है क वह या चीज़
है, जो जीवन को बाँधे रखती है, तो मृ यु के महान का जवाब भी प हो जाएगा।
लोग कहते ह, “आ मा ज म से मृ यु तक जस-क -तस बनी रहती है और इस तरह
वही जीवन को बाँधे रखती है”, ले कन यह महज़ एक क़ सा है। या आपने कभी आ मा
का अवलोकन कया है? आप इसक छानबीन सफ़ मृ यु के ण म ही नह , ब क कसी
भी ण कर सकते ह। अगर आप इस बात को समझ सकते ह क जब एक पल समा त
होता है और सरा पल शु होता है, तब आपके साथ या घ टत होता है, तो आप इस
बात को भी समझ लगे क मृ यु के ण म आपके साथ या होगा। अगर आप वयं का
सचमुच एक साँस के आने-जाने के दौरान अवलोकन कर सक, तो आपको यह सब कुछ
समझ म आ जाएगा।
अपनी साँस पर यान एका करने क या म जो पहली चीज़ मने सीखी, वह यह
थी क जो सारी पु तक मने पढ़ रखी थ और व व ालय क जन तमाम क ा म म
शा मल रहा था, उन सबके बावजूद म अपने दमाग़ के बारे म लगभग कुछ भी नह
जानता था, और उस पर मेरा ब त कम नय ण था। अपनी े तम को शश के
बावजूद, म अपनी नाक से आती-जाती साँस को दस सेकड से यादा दे र तक ल य नह
कर सका और मेरा दमाग़ भटकने लगा। म वष से यह मानकर चलता आ रहा था क म
अपने जीवन का मा लक, और अपने नजी ांड का सीईओ था, ले कन यान के वे कुछ
ण ही मुझे यह बताने के लए पया त थे क अपने ऊपर मेरा शायद ही कोई नय ण
था। म सीईओ तो नह ही था। म ठ क से एक चौक दार भी नह था। मुझसे मेरी काया के
ार यानी नथुन पर खड़े रहने और उस ार से जो कुछ भी आता-जाता है, उस पर नज़र
रखने के लए कहा गया था, ले कन कुछ ही पल के बाद मेरा यान भटक गया और मने
अपनी चौक को याग दया। यह एक आँख खोल दे ने वाला अनुभव था।
जैसे-जैसे वह पा म आगे बढ़ता गया, साधक को न सफ़ उनक साँस पर,
ब क उनक समूची काया क अनुभू तय पर भी यान एका करना सखाया गया। परम
आन द और आ ाद क वशेष अनुभू तय पर नह , ब क अ य त सांसा रक और
साधारण अनुभू तय पर : गम , दबाव, दद आ द। वप यना क तकनीक इस अ त
पर आधा रत है क दमाग़ का वाह शारी रक अनुभू तय से ब त नकट प से जुड़ा
आ है। मेरे और नया के बीच हमेशा शारी रक अनुभू तयाँ होती ह। म बाहर क नया
क घटना पर कभी त या नह करता। म हमेशा अपनी ही काया क अनुभू तय पर
त या करता ँ। जब अनुभू त अ य होती है, तो म त या करते ए वमुख होता
ँ। जब अनुभू त सुखद होती है, तो म त या म वैसी ही और अ धक अनुभू त क
लालसा करता ँ। यहाँ तक क जब हम सोचते ह क हमने कसी अ य के कए,
जैसे रा प त प के ताज़ा ट् वीट, या अपने बचपन क कसी सु र मृ त पर त या
क होती है, तब भी स चाई यह है क हम अपनी मौजूदा दै हक अनुभू तय पर त या
कर रहे होते ह। अगर हम इस बात पर होते ह क कसी ने हमारे रा या हमारे
दे वता का अपमान कया है, तो उस अपमान को असहनीय बनाने वाली चीज़ हमारे पेट के
नचले ह से म सुलगती अनुभू त और हमारे दय को जकड़ लेने वाली पीड़ा क तरंग
होती है। हमारा रा कुछ भी महसूस नह करता, ले कन हमारी काया को सचमुच आघात
प ँचता है।
आप जानना चाहते ह क ोध या है? ठ क है, ज़रा उन अनुभू तय पर यान
द जए, जो ोध के ण म आपके शरीर म उ प और स य होती ह। जब म इस के
म गया था, तब म चौबीस साल का था, और उसके पहले म शायद 10,000 बार ोध को
अनुभव कर चुका था, ले कन मने यह जानने क परवाह कभी नह क थी क ोध
वा तव म महसूस कैसे होता है। जब कभी म ो धत होता था, तो म अपना यान ोध
क ऐ य वा त वकता क बजाय अपने ोध के वषय पर के त करता था। उस चीज़
पर जो कसी ने क या कही होती थी।
म समझता ँ क मने उन दस दन म अपनी अनुभू तय को ल य करते ए अपने
बारे म और मनु य-मा के बारे म जतना सीखा, उतना तब तक के अपने पूरे जीवन म
नह सीखा था। और वह सीखने के लए मुझे कसी क़ से, स ा त, या मथक को
वीकार नह करना पड़ा। मुझे महज़ यथाथ को उसके मूल प म ल य करना पड़ा। जस
सबसे मह वपूण चीज़ का मुझे अहसास आ, वह यह थी क मेरे ःख का सबसे गहरा
ोत मेरे अपने दमाग़ क बनावट म है। जब म कुछ चाहता ँ और वह नह होता, तो मेरा
दमाग़ त या म ःख को ज म दे ता है। ःख बाहरी नया म थत कोई व तु न
(ऑ जे टव) प र थ त नह है। ःख मेरे अपने दमाग़ ारा उ प क गई मान सक
त या है। इस बात को जान लेना अ धक ःख पैदा होने से रोकने क दशा म पहला
क़दम है।
2000 के उस पहले कोस के बाद से मने हर दन दो घ टे यान करना शु कर दया,
और हर साल म एक या दो महीने यान के लए के म जाता ँ। यह वा त वकता से
पलायन नह है। म हर दन कम-से-कम दो घ टे वा त वकता को उसके मूल प म ल य
करता ँ, वह बाक़ बाइस घ टे म ई-मेल , ट् वीट और यूट-पपी वी डयो म डू बा रहता
ँ। इस अ यास से मलने वाली एका ता और प ता के बना म से पय स और होमो
डेयस न लख सका होता।
म न य ही ऐसा नह सोचता क यान नया क सारी सम या का जा ई
समाधान है। नया को बदलने के लए आपको कम करने क ज़ रत होती है, और इससे
भी यादा मह वपूण यह है क आपको संग ठत होने क ज़ रत होती है। 500
अलग-थलग स य रहते ए जतना कुछ काम सकते ह, उससे कह यादा कसी
संगठन म मल-जुलकर काम करने वाले पचास लोग कर सकते ह। अगर आप वाक़ई
कसी चीज़ क परवाह करते ह, तो कसी उपयु संगठन म शा मल हो जाइए। यह काम
इसी ह ते कर डा लए।
ले कन कम करना और भावशाली ढं ग से सहयोग करना तब यादा आसान होता है,
जब आप मनु य के दमाग़ को समझ, अपने ख़ुद के दमाग़ को समझ, और इस बात को
समझ क अपने अ दर के डर , पूवा ह और थय से कस तरह नपटा जाए। यान
यह सब करने के लए एकमा व ध क़तई नह है। कुछ लोग के लए मान सक उपचार,
कला या खेल यादा कारगर हो सकते ह। इंसानी दमाग़ के रह य से सरोकार रखते
समय यान को हम एक रामबाण क तरह नह दे खना चा हए, ब क वै ा नक औज़ार
के ब से के एक अ त र औज़ार क तरह दे खना चा हए।

दोन छोर से खुदाई


व ान के लए दमाग़ के रह य को सुलझाने म ापक तौर पर इस लए क ठनाई पैदा
होती है, य क हमारे पास कारगर औज़ार क कमी है। ब त-से लोग, जनम ब त-से
वै ा नक शा मल ह, दमाग़ को म त क से मत करने क ओर वृ होते ह, ले कन ये
दोन वा तव म ब त अलग-अलग चीज़ ह। म त क नायु , सने स और जैवरसायन
का भौ तक ताना-बाना है। दमाग़ पीड़ा, आन द, ोध और ेम जैसे न
(स जे टव) अनुभव का वाह है। जीव व ानी मानकर चलते ह क म त क कसी प
म दमाग़ को उ प करता है, और अरब नायु म होने वाली जैवरासाय नक
त याएँ पीड़ा और ेम जैसे अनुभव को उ प करती ह। ले कन, अब तक हमारे पास
इस सवाल का क़तई कोई समाधान नह है क दमाग़ कस तरह म त क से उ प होता
है। ऐसा य है क जब अरब नायु एक ख़ास ढं ग से व ुत संकेत क बौछार कर रहे
होते ह, तो म पीड़ा का अनुभव करता ँ, और जब नायु अलग ढं ग से यही बौछार कर रहे
होते ह, तो म ेम का अनुभव करता ँ? हमारे पास इसका सुराग़ नह है। इस लए अगर
दमाग़ म त क से उ प भी होता है, तो भी कम-से-कम अब तक दमाग़ का अ ययन
म त क के अ ययन से भ उप म है।
सू मद शय , म त क कैनर और श शाली क यूटर क मदद के चलते म त क
स ब धी अनुस धान ब त तेज़ी के साथ ग त कर रहा है, ले कन हम दमाग़ को कसी
सू मदष या म त क कैनर म नह दे ख सकते। ये उपकरण हम म त क क
जैवरासाय नक और व ुत ग त व धय को पहचानने म तो स म बना सकते ह, ले कन
इन ग त व धय से जुड़े न अनुभव तक हमारी प ँच मुम कन नह बनाते। अभी
2018 तक, जस एकमा दमाग़ तक म अपनी प ँच बना सकता ँ, वह मेरा अपना
दमाग़ है। अगर म जानना चाहता ँ क सरे चेतन ाणी या अनुभव कर रहे ह, तो यह
म सरे के बयान के आधार पर ही जान सकता ँ, जो वाभा वक ही अनेक वकृ तय
और सीमा से त होते ह।
बेशक, हम व भ लोग से ऐसे ब त-से बयान एक कर सकते ह, और पुनरावत
सल सल क शना त करने के लए आँकड़ का इ तेमाल कर सकते ह। इस तरह क
प तय ने मनोवै ा नक और म त क- व ा नय को दमाग़ क न सफ़ यादा बेहतर
समझ हा सल करने, ब क लाख लोग के जीवन को चंगा करने और उनको बचाने तक
म स म बनाया है, ले कन, सफ़ सरे लोग के बयान का इ तेमाल करते ए एक न त
मक़ाम से आगे जाना मु कल है। व ान म, जब आप कसी ख़ास त य क पड़ताल करते
ह, तो उसको य घ टत होते दे खना सबसे अ छा होता है। उदाहरण के लए
मानव व ानी परो ोत का ापक इ तेमाल करते ह, ले कन अगर आप सचमुच ही
समोआई सं कृ त को समझना चाहते ह, तो आगे-पीछे आपको अपना बो रया- ब तर
उठाकर समोआ क या ा पर जाना ही होगा।
न य ही सफ़ या ा काफ़ नह है। पीठ पर थैला लटकाकर समोआ घूम आने वाले
ारा लखे गए लॉग को मानववै ा नक अ ययन नह माना जाएगा, य क इस तरह
थैला लटकाकर घूमने वाले ब त-से लोग म श ण और आव यक औज़ार का अभाव
होता है। उनके पयवे ण ब त बेतरतीब और पूवा ह से यु होते ह। एक व सनीय
मानव व ानी होने के लए हम यह सीखना अ नवाय है क मानवीय सं कृ तय का
पूवधारणा तथा पूवा ह से मु , सु व थत और व तु न ढं ग से पयवे ण कैसे
कया जाए। मानव व ान वभाग म आप इसी का अ ययन करते ह, और यही वह चीज़
है, जसने मानव व ा नय को व भ सं कृ तय के बीच के अ तराल को पाटने म स म
बनाया।
दमाग़ का वै ा नक अ ययन इस मानववै ा नक आदश का अनुसरण ब त कम
करता है। जहाँ मानव व ानी सु र प और रह यमय दे श क अपनी या ा का
अ सर ववरण दे ते ह, वह चेतना के अ येता दमाग़ के इलाक़ क ऐसी नजी या ाएँ
ब त कम करते ह, य क जस दमाग़ को म य तौर पर ल य कर सकता ँ, वह मेरा
अपना होता है, और समोआई सं कृ त को प पात और पूवा ह के बना ल य करना
कतना ही मु कल य न हो, मेरे अपने दमाग़ को व तु न ढं ग से ल य करना और भी
क ठन है। एक सद से भी यादा समय क कड़ी मेहनत के बाद मावन व ा नय के पास
आज व तु न पयवे ण क ऐसी सश प तयाँ ह, जनका इ तेमाल वे कर सकते ह।
इसके वपरीत, भले ही दमाग़ के अ येता ने सर के बयान को एक करने और
उनका व ेषण करने के लए ब त-से औज़ार वक सत कए, ले कन जब हमारे अपने
दमाग़ के पयवे ण का मसला सामने आता है, तो पता चलता है क हम सतह को भी
नह कुरेद सके ह।
दमाग़ के य पयवे ण क आधु नक प तय के अभाव म, हम पूवआधु नक
सं कृ तय ारा वक सत कुछ औज़ार को आज़मा सकते ह। ब त-सी ाचीन सं कृ तय
ने दमाग़ के अ ययन पर ब त यान दया था, और उ ह ने सर के बयान को एक
करने पर भरोसा नह कया था, ब क उ ह ने लोग को अपने दमाग़ क ग त व धय को
व थत ढं ग से ल य करने के लए श त कया था। उनके ारा वक सत इन
प तय को ‘ यान’ नामक सामा य सं ा के अ तगत समेटा गया है। आज इस पद को
अ सर मज़हब और रह यवाद से जोड़कर दे खा जाता है, ले कन स ा ततः यान अपने
दमाग़ के य पयवे ण क कोई भी व ध हो सकती है। ब त-से मज़हब ने सचमुच
ही यान क व भ तकनीक का ापक इ तेमाल कया है, ले कन इसका यह मतलब
नह है क यान अ नवायतः मज़हबी चीज़ है। ब त-से मज़हब ने थ का भी ापक
इ तेमाल कया है, तब भी इसका यह मतलब नह है क थ का इ तेमाल करना कोई
मज़हबी द तूर है।
सह ा दय के दौरान मनु य ने यान क सैकड़ तकनीक को वक सत कया है,
जो अपने स ा त और भाव पैदा करने के मामले म ब कुल अलग-अलग ह। मुझे
सफ़ एक ही तकनीक वप यना का नजी अनुभव है, इस लए म इसी के बारे म
ामा णक ढं ग से बात कर सकता ँ। यान क सरी अनेक तकनीक क ही तरह
वप यना के बारे म कहा जाता है क इसक खोज ाचीन भारत म बु ारा क गई थी।
स दय के दौरान बु के नाम से अनेक स ा त और कथाएँ जानी जाती रही ह, जनके
प म अ सर कोई सा य नह रहे ह, ले कन यान के लए आपको इनम से कसी पर भी
व ास करने क ज़ रत नह है। जन गु गोयनका से मने वप यना क श ा ली है, वे
ब त ही ावहा रक क़ म के मागदशक थे। वे श य को बार-बार यह नदश दे ते थे क
जब भी वे दमाग़ को ल य कर रहे ह , तो उनको तमाम परो ा या , धा मक मत
और दाश नक अटकल को एक तरफ़ रख दे ना चा हए, और अपने नजी अनुभव तथा
जस कसी भी वा त वकता से उनका सचमुच सामना हो रहा हो, उस पर यान के त
करना चा हए। हर दन ब त-से श य उनका मागदशन हा सल करने और उनसे सवाल
पूछने उनके कमरे म आते थे। उस दरवाज़े पर लगी प पर लखा आ था : “कृपया
सै ा तक और दाश नक बहस से बच, और अपने को आपके वा त वक अ यास
से ता लुक़ रखने वाले मसल पर ही के त रख।”
वा त वक अ यास का मतलब है शारी रक अनुभू तय और इन अनुभू तय क
दमाग़ी त या को व थत, नर तर और व तु न ढं ग से ल य करना, और इस
तरह दमाग़ क ग त व धय के बु नयाद ढं ग को उजागर करना। लोग कभी-कभी यान
को परम आन द और आ ाद क खोज म बदल लेते ह, ले कन स चाई यह है क चेतना
सृ का महानतम रह य है, और गम या खुजलाहट क नता त तु छ अनुभू तयाँ उतनी
ही रह यमय ह, जतनी परमान द या ा डीय अ ै त क अनुभू तयाँ ह। वप यना का
यान करने वाल को चेतावनी द जाती है क वे कभी भी वशेष अनुभव क खोज म न
नकल, ब क अपने दमाग़ क वा त वकता को समझने पर यान के त कर, फर वह
वा त वकता चाहे जो भी हो।
हाल के वष म दमाग़ और म त क, दोन के ही अ येता ने इस तरह क यान
तकनीक म उ रो र दलच पी दखाई है, ले कन अ धकांश अ येता ने इस उपकरण
का इ तेमाल सफ़ परो ढं ग से ही कया है। एक सामा य वै ा नक दरअसल यान का
अ यास वयं नह करती। इसक बजाय, वह अनुभवी यानकता को अपनी
योगशाला म आम त करती है, उनके सर को इले ोड से ढँ क दे ती है, उनसे यान
करने को कहती है, और उसके प रणाम व प होने वाली म त क क ग त व धय को
ल य करती है। यह चीज़ हम म त क के बारे म ब त-सी दलच प चीज सखा सकती
है, ले कन अगर उ े य दमाग़ को समझने का है, तो हम कुछ सवा धक मह वपूण
अ त य से वं चत हो रहे ह। यह कुछ-कुछ उस क तरह है, जो आवधक लस
क मदद से प थर को दे खते ए पदाथ क संरचना को समझने क को शश करता है।
आप इस के पास जाएँ, उसको माइ ो कोप थमाएँ, और कह, “इसको आज़माकर
दे खए। आप शायद यादा बेहतर दे ख सक।” वह माइ ो कोप लेता है, अपना
व सनीय आवधक लस उठाता है, और उस आवधक लस क माफ़त सावधानी के साथ
उस पदाथ को दे खता है, जससे माइ ो कोप बना है…। यान दमाग़ के य पयवे ण
का एक उपकरण है। आप इसम न हत यादातर स भावना से वं चत रह जाएँगे, अगर
आप वयं यान करने क बजाय कसी अ य यानकता के म त क क व ुतीय
ग त व धय का नरी ण करगे।
म न य ही म त क के अनुस धान के मौजूदा उपकरण और योग को याग दे ने
क सलाह नह दे रहा ँ। यान उनक जगह नह लेता, ले कन यह उनके पूरक क
भू मका नभा सकता है। ये कुछ-कुछ इंजी नयर ारा एक वशाल पवत को खोदकर
उसम सुरंग बनाने जैसा है। एक ही तरफ़ से खुदाई य क जाए? य न एक साथ दोन
छोर से खोदा जाए? अगर म त क और दमाग़ वाक़ई एक और समान ह, तो दोन ओर
से खोद जा रही सुरंग अव य मल जाएँगी। और अगर म त क और दमाग़ एक ही नह
ह? तब यह और भी मह वपूण है क दमाग़ म खुदाई क जाए, सफ़ म त क म नह ।
कुछ व व ालय और योगशाला ने सचमुच ही यान को महज़ म त क के
अ ययन के उ े य क बजाय अनुस धान के एक उपकरण के प म इ तेमाल करना शु
कर दया है, ले कन यह या अभी भी अपनी शैशवाव था म है, आं शक प से
इस लए य क यह अ येता के प से असाधारण नवेश क माँग करती है। ग भीर
यान ब त अ धक अनुशासन क माँग करता है। अगर आप व तु न ढं ग से अपनी
अनुभू तय का पयवे ण करने क को शश करते ह, तो जो पहली चीज़ आप ल य करगे,
वह यह है क दमाग़ कस क़दर बेक़ाबू और अधीर होता है। अगर आप अपनी नाक से
आती-जाती साँस जैसी एक अपे ाकृत सु प अनुभू त को ल य करने पर भी यान
के त करते ह, तो आपका दमाग़ यह काम आमतौर से कुछ पल से यादा नह कर
सकता और वह अपनी एका ता खोकर वचार , मृ तय और सपन म भटकना शु कर
दे ता है।
जब कोई माइ ो कोप अपना फ़ोकस खो दे ता है, तो हम सफ़ उसके छोटे ह डल को
घुमाने भर क ज़ रत होती है। अगर हडल टू टा हो, तो हम तकनी शयन को बुलाकर
उसको ठ क करा सकते ह, ले कन जब दमाग़ अपनी एका ता खो दे ता है, तो हम उसे
इतनी आसानी से ठ क नह कर सकते। म त क इतना शा त और एका हो सके क वह
सु व थत और व तुपरक ढं ग से अपना पयवे ण शु कर सके, इसके लए आमतौर से
ब त यादा श ण क ज़ रत होती है। शायद भ व य म हम ज द से गोली नगलकर
त काल एका ता हा सल कर सक, ले कन चूँ क यान का ल य दमाग़ पर एका होने क
बजाय उसक छानबीन करना है, इस लए इस तरह के सु वधाजनक तरीक़े वपरीत भाव
पैदा करने वाले हो सकते ह। गोली हम ब त चौक ा और एका तो बना सकती है,
ले कन इसी के साथ-साथ वह हम दमाग़ के समूचे प र य क छानबीन करने से रोक भी
सकती है। आ ख़रकार, हम आज भी ट वी पर एक अ छ रोमांचक फ़ म दे खकर अपने
दमाग़ को आसानी से एका कर सकते ह, ले कन उस दशा म दमाग़ फ़ म पर इस
क़दर एका होता है क वह अपनी ख़ुद क ग तशीलता को ल य नह कर सकता।
ले कन अगर हम इस तरह क ौ ो गक यु य पर भरोसा न भी कर सकते ह , तब
भी हम हार नह मान लेनी चा हए। हम मानव व ा नय , ाणी व ा नय और अ त र -
या य से ेरणा ा त कर सकते ह। मानव व ानी और ाणी व ानी अ तहीन बीमा रय
और ख़तर का सामना करते ए सु र प पर साल गुज़ारते ह। अ त र या ी साल
मु कल श ण के दौर से गुज़रते ए बाहरी पेस क ख़तरनाक या ा क तैयारी
करते ह। अगर हम वजातीय सं कृ तय , अ ात जा तय और सु र ह को समझने के
लए इस तरह के उ म करने को तैयार होते ह, तो अपने ख़ुद के दमाग़ को समझने के
लए उतना ही कठोर म भी करने यो य ह। और बेहतर होगा क इसके पहले क
ऐ ग रदम हमारे दमाग़ क जगह ले ल, हम अपने दमाग़ को समझ ल।
आ मावलोकन कभी भी आसान नह रहा है, ले कन यह समय बीतने के साथ और
भी क ठन हो सकता है। जैसे-जैसे इ तहास उजागर होता गया, वैसे-वैसे मनु य अपने बारे
म पेचीदा क़ से गढ़ते गए, ज ह ने इस बात को समझना उ रो र मु कल बना दया क
हम वा तव म या ह। इन क़ स का उ े य बड़ी सं या म लोग को संग ठत करना,
श सं चत करना, और सामंज य बनाए रखना था। वे अरब भूखे लोग का पेट भरने
और इस बात को सु न त करने के स दभ म अ नवाय थे क वे लोग एक- सरे का गला
न काटते। जब लोग ख़ुद का पयवे ण करने क को शश करते थे, तो उनको आमतौर पर
जो हाथ लगता था, वे ये तैयार-शुदा क़ से ही होते थे। खुली छानबीन ब त ख़तरनाक
होती थी। वह सामा जक व था क बु नयाद को खोखला करने का ख़तरा पैदा करती
थी।
जैसे-जैसे ौ ो गक उ त होती गई, तो दो घटनाएँ । पहली यह क जैसे-जैसे
चकमक प थर से बने चाकू धीरे-धीरे वक सत होते ए परमाणु ेपा म बदलते गए,
वैसे-वैसे सामा जक व था का अ थर होना और भी ख़तरनाक होता गया। सरी यह
क जैसे-जैसे गुफ़ा च धीरे-धीरे टे ली वज़न सारण के प म वक सत होते गए, वैसे-
वैसे लोग को छलना आसान होता गया। नकट भ व य म, ऐ ग रदम इस या को
उसक पूणा त तक प ँचाते ए लोग के लए उनक अपनी वा त वकता को ल य
करना लगभग अस भव बना दगे। ये ऐ ग रदम ह गे, जो हमारे लए यह तय करगे क हम
कौन ह और हम अपने बारे म या जानना चा हए।
कुछ वष या दशक तक हमारे पास अभी भी वक प ह। अगर हम को शश कर, तो
हम अभी भी इस बात क पड़ताल कर सकते ह क हम वा तव म कौन ह, ले कन अगर
हम इस अवसर का लाभ उठाना चाहते ह, बेहतर होगा क हम यह अभी कर।
आभार

म उन सभी लोग का शु या अदा करना चा ँगा, ज ह ने लखने म - और ग़ैर ज़ री


बात हटाने म भी मेरी मदद क :
यूनाइटे ड कगडम के पगुइन रडम हाउस क मेरी काशक मचेल शा वत का,
ज ह ने सबसे पहले इस पु तक का वचार सामने रखा, और ज ह ने इसके लखने क
ल बी या के दौरान मेरा मागदशन कया, और पगुइन रडम हाउस क पूरी ट म का
भी, ज ह ने कड़ी मेहनत क और सहयोग दया।
डे वड मलनर का, ज ह ने हमेशा क तरह पा डु ल प के स पादन का ज़बरद त
काम कया। कभी-कभी मुझे महज़ इतना भर सोचने क ज़ रत होती थी क मज़मून पर
अ त र मेहनत करने के सल सले म डे वड या कहगे।
पगुइन रडम हाउस क मेरी ए टव डायरे टर सुज़ान डीन का, जो पु तक क जैकेट
के पीछे क स य तभा ह।
राइअट क यु नकेश स क ीणा गढ र और उनके सहक मय का, ज ह ने एक
अ त जनस पक मु हम क योजना को अंजाम दया।
पीगल एंड ाव क स डी पीगल का, उनक त या के लए और अटलां टक के
पार उनक दे खरेख के लए।
(अंटा क टका को छोड़) नया के सारे महा प के मेरे सरे काशक का, ज ह ने
मेरे त भरोसा जताया, सम पत और ावसा यक ढं ग से काम कया।
मेरे शोध-सहायक इदान शेरर का, ज ह ने ाचीन सायनागॉग से लेकर
आ ट फ़ शयल इंटे लजस तक हर चीज़ को जाँचा।
मुएल रोज़नर का, ज ह ने नर तर सहयोग और अ छा परामश दया।
यीगल बोरोशॉ क और सराइ आरोनी का, ज ह ने पा डु ल प को पढ़ा और मेरी
ग़ल तयाँ सुधारने तथा चीज़ को नए प र े य म दे खने म मुझे स म बनाया।
डैनी ऑबाच, युड़ी सबाक़, योराम योवेल और रॉन मेरम का, का मकेज़, नगरानी,
मनो व ान और ऐ ग रदम के बारे म उनके गहरे ान के लए।
मेरी सम पत ट म के सद य इदो अयाल, माया ऑबाच, नामा वाटनबग और इलोना
ए रएल का, ज ह ने मेरे ई-मेल अकाउंट के नक म कई दन गुज़ारे।
अपने सारे दो त और प रवार के सद य का, उनके धैय और नेह के लए।
अपनी माँ नीना और सास ह ा का, ज ह ने मुझे अपना व त और अनुभव दान
कया।
मेरे जीवन-साथी और मैनेजर इ ज़क के लए, जनके बना यह कुछ भी मुम कन न
आ होता। म सफ़ इतना जानता ँ क पु तक कैसे लखी जाती है। बाक़ सब उ ह ने
कया है।
और अ त म, अपने सारे पाठक का, उनके ारा ली गई च, उनके ारा दए गए
व त और उनक ट प णय के लए। अगर कोई पु तक शे फ़ म रखी रहे और उसको
कोई न पढ़े , तो या वह कोई भाव पैदा करती है?

जैसा क इस पु तक क भू मका म कहा गया है क यह पु तक जनता के साथ संवाद के


आधार पर लखी गई है। ब त-से अ याय उन सवाल के जवाब म लखे गए ह, जो मुझसे
पाठक , प कार और मेरे सहक मय ने पूछे थे। कुछ ह स के शु आती ा प इस
पु तक से पहले नब ध और लेख के प म का शत हो चुके थे, ज ह ने मुझे
त याएँ ा त करने और अपने तक को धार दे ने का अवसर उपल ध कराया। इन
शु आती ा प म नीचे अं कत नब ध और लेख शा मल ह :

‘If We Know Meat Is Murder, Why Is It So Hard For Us to Change and


Become Moral ?’, Haaretz, 21 June 2012 .
‘The Theatre of Terror ’, Guardian, 31 January 2015 .
‘Judaism Is Not a Major Player in the History of Humankind ’, Haaretz,
31 July 2016 .
‘Yuval Noah Harari on Big Data, Google and the End of Free Will ’,
FT.com , 26 August 2016 .
‘Isis is as much an offshoot of our global civilisation as Google ’,
Guardian, 9 September 2016 .
‘Salvation by Algorithm: God, Technology and New 21st Century
Religion ’, New Statesman, 9 September 2016 .
‘Does Trump’s Rise Mean Liberalism’s End ?’, New Yorker, 7 October
2016 .
‘Yuval Noah Harari Challenges the Future According to Facebook ’,
Financial Times, 23 March 2017 .
‘Humankind: The Post-Truth Species ’, Bloomberg.com , 13 April
2017 .
‘People Have Limited Knowledge. What’s the Remedy? Nobody
Knows ’, New York Times, 18 April 2017 .
‘The Meaning of Life in a World Without Work ’, Guardian, 8 May
2017 .
‘In Big Data vs. Bach, Computers Might Win ’, Bloomberg View, 13
May 2017 .
‘Are We About to Witness the Most Unequal Societies in History ?’,
Guardian, 24 May 2017 .
‘Universal Basic Income is Neither Universal Nor Basic ’, Bloomberg
View, 4 June 2017 .
‘Why It’s No Longer Possible For Any Country to Win a War ’,
Time.com , 23 June 2017. 386
‘The Age of Disorder: Why Technology is the Greatest Threat to
Humankind ’, New Statesman, 25 July 2017 .
‘Reboot for the AI Revolution ’, Nature News, 17 October 2017 .
अनुवाद के बारे म

मदन सोनी ह द के लेखक ह जो मु यतः सा ह यालोचना के े म स य ह।


आलोचना पर के त उनक अनेक पु तक का शत ह तथा उ ह ने व के कई शीष थ
लेखक और च तक क रचना के अनुवाद कये ह जनम शे स पयर, लोका, नी े,
एडवड बॉ ड, मा ट ूरास, ज़ाक दे रीदा, एडवड सईद, उ बत एको (द नेम ऑफ़ द
रोज़) आ द शा मल ह। मंजुल काशन के लए उनके ारा कये गये अनुवाद म हरमन
हे स का उप यास स ाथ , व के स लेखक क कहा नय का संचयन चुग़लख़ोर
दल और अ य कहा नयाँ, डैन ाउन का उप यास द द वची कोड, युवाल नोआ हरारी
क पु तक से पय स : मानव-जा त का सं त इ तहास और होमो डेयस, मोद कपूर क
पु तक गाँधी : एक स च जीवनी, शीला रे ी क पु तक म टर एंड मसेस ज ा और
एस. सैन ज़ैद क पु तक डोगरी टु बई (डोगरी से बई तक) तथा बायकला टु बकॉक
(बायकला से बकॉक तक) शा मल ह।
भोपाल थत रा ीय कला-के भारत भवन के मु य शास नक अ धकारी के पद
से सेवा- नवृ सोनी को अनेक स मान और पुर कार ा त ए ह, जनम मानव संसाधन
वकास म लय, सं कृ त वभाग क व र अ ययन-वृ और रज़ा फ़ाउ डेशन पुर कार
शा मल ह। वे ना त ( ांस) के उ च अ ययन सं थान के फ़ैलो भी रहे ह। आपसे
madansoni12@gmail.com पर स पक कया जा सकता है।

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