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मुद्रा एवं बैंक ं ग - PART 2


1. रे पो रे ट कवचारणीय होता है -

(a) मौकद्र नीकत े अंतगगत

(b) राज ोषीय नीकत े अंतगगत

(c) श्रमनीकत े अंतगगत

(d) जनसंख्या नीकत े अंतगगत

उत्तर-(a)

रे पो रे ट (Repurchase option Rate)-जब ोई व्यक्ति या संस्था इस समझौते या कव ल्प े साथ ोई


प्रकतभूकत क सी ो बेचता है क वह उसे ए कनकित अवकध े बाद क्रय र लेगा, तो इसे सामान्यतया
रे पो (Repo) या पुनक्रय कव ल्प हते हैं तथा जब ोई क्रेता इस समझौते े अंतगगत ोई प्रकतभूकत
क्रय रता है क ए कनकित अवकध े बाद उसे कवक्रेता ो बेच दे गा, तो इसे ररवसग रे पो (Reverse
Repo) हते हैं। ये दोनों कक्रयाएं मौकद्र अकध ारी द्वारा अथगव्यवस्था तरलता प्रबंधन या तरलता
समायोजन े कलए ी जाती हैं। रे पो ा प्रयोग तरलता डालने तथा ररवसग रे पो ा प्रयोग तरलता
अकधशोषण या कन ालने े कलए क या जाता है। स्पष्ट है क रे पो तरलता डालने ी कक्रया तभी होगी
जब मौकद्र अकध ारी प्रकतभूकतयों ो व्यापारर बैं ों से क्रय रें तथा इस प्र ार प्रकतभूकतयों े क्रय
े माध्यम से बैं ों ो उधार दें , कजससे उन ी तरलता में वृक्ति होगी। इस क्तस्थकत में रे पो दर मौकद्र
अकध ारी (RBI) द्वारा बैं ों ो उधार दे ने ी दर होगी। इस प्र ार रे पो दर मौकद्र अकध ारी ी अन्य
बैं ों ो उधार दे ने ी कक्रया होती है। ठी इस े कवपरीत ररवसग रे पो बैं ों से जमा स्वी ार रने या
उधार लेने ी दर होगी। रे पो दर ा प्रयोग मौकद्र नीकत े अंतगगत साख कनयंत्रण े तौर पर क या
जाता है। यह कक्रया मौकद्र नीकत े पररमाणात्म या मात्रात्म तरी े े अंतगगत उपयोग में लाई
जाती है।

2. सीमांत स्थायी सुकवधा दर' तथा 'कनवल मांग और सावकध दे यताएं ' पदबंध भी- भी समाचार में
आते रहते हैं। उन ा प्रयोग क स े संबंध में क या जाता है ?

(a) बैं ायग (b) संचार नेटवक िं ग

(c) युि ौशल (d) ृ कष उत्पादों ी पूकतग एवं मांग

उत्तर-(a)

'सीमांत स्थायी सुकवधा' (MSF : Marginal Standing Facility) ी घोषणा 'भारतीय ररजवग बैं (RBI) ने
पहली बार कवत्त वषग 2011-12 में वाकषग मौकद्र नीकत समीक्षा में ी थी। यह अवधारणा 9 मई, 2011 से
लागू हुई। एमएसएफ े तहत बैं म से म 1 रोड़ रुपये ा ऋण ले स ते हैं। इससे ज्यादा ऋण
1 रोड़ रुपये े गुण में कलया जा स ता है। इं टरबैं ओवरनाइट मा े ट में 'अक्तस्थरता' (Volatility)
पर अं ु श लगाने े कलए बैं ों ो यह सुकवधा दी गई है। कनवल मांग और सावकध दे यताएं (NDTL) भी
बैं ायग से संबंकधत हैं।

3.कनम्नकलक्तखत में से ौन-सी पाररभाकष शब्दावली उस कक्रयाकवकध ो इं कगत रती है कजस े

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माध्यम से वाकणज्य बैं सर ार ो उधार दे ता है ?

(a) न दी उधार अनुपात ( ै श क्रेकडट रे कशयो)

(b) ऋण सेवा दाकयत्व (डे ट सकवगस ऑक्तिगेशन)

(c) तरलता समायोजन सुकवधा (कलक्तिकडटी एडजस्टमेंट फैकसकलटी)

(d) सांकवकध तरलता अनुपात (स्टै ट्यूटरी कलक्तिकडटी रे कशयो)

उत्तर-(d)

सांकवकध तरलता अनुपात, तरल पररसंपकत्तयों ी मात्रा है , जैसे न दी, ीमती धातुएं या अन्य
अल्प ाकल प्रकतभूकतयां, कजसे क बैं ो अपने भंडार में बनाए रखना चाकहए। वाकणक्तज्य बैं
सर ार ो दीघागवकध ऋण प्रदान रने े कलए अपने इस ोष ो सर ारी प्रकतभूकतयों में कनवेश
रते हैं, जबक अल्पावकध ऋण दे ने े कलए टर े जरी कबल खरीदते हैं। ये गकतकवकधयां सांकवकध तरलता
अनुपात (SLR) े तहत होती हैं।

4. जब भारतीय ररजवग बैं सांकवकध न दी अनुपात (स्टै ट्यूटरी कलक्तिकडटी रे कशयो) ो 50 आधार
अं (बेकसस प्वॉइं ट) म र दे ता है , तो कनम्नकलक्तखत में से क्या होने ी संभावना होती है?

(a) भारत ी GDP कव ास-दर प्रबलता से बढे गी


(b) कवदे शी संस्थागत कनवेश हमारे दे श में और अकध पूंजी लाएं गे।

(c) अनुसूकचत वाकणक्तज्य बैं अपने उधार दे ने ी दर ो घटा स ते हैं

(d) इससे बैंक ं ग व्यवस्था ो न दी (कलक्तिकडकट) में प्रबलता से मी आ स ती है

उत्तर-(c)

प्रत्ये बैं ो अपनी मांग एवं सावकध जमाओं ा ु छ प्रकतशत भाग (जैसा ररजवग बैं कनधागररत रे )
न द, स्वणग व मान्यता प्राप्त स्वी ृ त प्रकतभूकतयों, कवदे शी पररसंपकत्त े रूप में अपने पास रखना
अकनवायग है, यही अनुपात सांकवकध न दी अनुपात (SLR) हलाता है। जब ररजवग बैं द्वारा इस
अनुपात में मी ी जाती है , तो बैं ों े पास अपेक्षा ृ त अकध भाग तरल े रूप में उपलब्ध होता
है, कजससे उधार दे ने े कलए अकध राकश उपलब्ध हो जाती है। बैं ों में अकध तरलता ी उपक्तस्थकत
ी क्तस्थकत में वे ऋण प्रोत्साहन हेतु ब्याज दर घटा स ते हैं।

5. कनम्नकलक्तखत में से क से भारतीय ररजवग बैं द्वारा कनधागररत नही ं क या जाता है ?

(a) बैं दर (b) सी.आर.आर.

(c) पी.एल.आर. (d) एस.एल.आर.

उत्तर-(c)

पी.एल.आर. भारतीय ररजवग बैं द्वारा कनधागररत नही ं क या जाता है। प्रधान उधारी दर (PLR), वह
ब्याज दर होती है कजस पर बैं , अपने सवगकप्रय (कवश्वसनीय) ग्राह ो ऋण दे ता है। कवश्वसनीयता से
तात्पयग जोक्तखम शून्यता से है।

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6. मौकद्र नीकत है-

(a) राज ोषीय नीकत े कवपरीत

(b) राज ोषीय नीकत ा पूर


(c) मंदी े दौरान अकध प्रभावी

(d) प्रभावी मांग ो कनयंकत्रत रने हेतु प्रत्यक्ष उपाय

उत्तर-(d)

मौकद्र नीकत ऐसी प्रकक्रया है, कजस ी मदद से ररजवग बैं अथगव्यवस्था में पैसे ी आपूकतग ो कनयंकत्रत
रता है। ररजवग बैं ब्याज दरों ो घटा र अथगव्यवस्था में न दी ा अनुपात बढाता है तथा ब्याज
दरों ो बढा र अथगव्यवस्था में न दी ा अनुपात घटाता है। मुद्रा ी तरलता ा अनुपात ही मांग
ो प्रभाकवत रता है। अतः मौकद्र नीकत प्रभावी मांग ो कनयंकत्रत रने हेतु ए प्रत्यक्ष उपाय है।

7. मौकद्र नीकत ा कनमागण भारत में ौन रता है ?

(a) सेबी (b) आर.बी.आई.

(c) कवत्त मंत्रालय (d) योजना आयोग

उत्तर-(b)

मौकद्र नीकत ा कनमागण भारत में ररजवग बैं ऑफ इं कडया (वतगमान में मौकद्र नीकत सकमकत - MPC)
द्वारा क या जाता है। इसे ररजवग बैं े मौकद्र नीकत दस्तावेज े नाम से भी जाना जाता है। इस ा
उद्दे श्य अथगव्यवस्था में कवकनमय क्तस्थरता, ीमत क्तस्थरता एवं आकथग क्तस्थरता बनाए रखना है।

8. भारतीय ररजवग बैं े पास कवकभन्न व्यावसाकय बैं ों ी ु ल जमा एवं आरकक्षत राकश ा
कनधागररत भाग क्या हलाता है ?

(a) भुगतान संतुलन (b) बैं गारं टी

(c) अमानत राकश (d) न द आरकक्षत अनुपात

उत्तर-(d)

भारतीय ररजवग बैं े अनुसार, वाकणक्तज्य बैं ों ो अपनी कवशुि ु ल दे यताओं (जमा राकश) ा
ु छ कहस्सा न द रूप में या RBI े पास जमाओं े रूप में रखना अकनवायग होता है , कजसे न द
आरकक्षत अनुपात (CRR) हा जाता है।

9. जब भारतीय ररजवग बैं न दी ररजवग अनुपात में वृक्ति ी घोषणा रता है , तो इस ा तात्पयग क्या
है?

(a) वाकणज्य बैं ों े पास उधार दे ने े कलए म मुद्रा होगी

(b) भारतीय ररजवग बैं े पास उधार दे ने े कलए म मुद्रा होगी

(c) ें द्र सर ार े पास उधार दे ने े कलए म मुद्रा होगी

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(d) वाकणज्य बैं ों े पास उधार दे ने े कलए अपेक्षा ृ त अकध मुद्रा होगी।

उत्तर-(a)

भारतीय ररजवग बैं द्वारा न दी ररजवग अनुपात में वृक्ति ी घोषणा वाकणक्तज्य बैं ों े साख सृजन
ी क्षमता ो म रने े कलए ी जाती है। इस ृ त्य द्वारा ररजवग बैं मुद्रास्फीकत ो कनयंकत्रत
रने ा प्रयास रता है।

10. वह दर कजस पर बैं ररजवग बैं ो उधार दे ते हैं , जानी जाती है ।

(a) बैं दर (b) रे पो दर

(c) ररवसग रे पो दर (d) ब्याज दर

उत्तर-(c)

ररवसग रे पो दर, रे पो दर े कवपरीत है। इस दर पर आरबीआई कवकभन् बैं ों से अल्प ाकल अवकध े
कलए उधार लेता है। आरबीआई अपने सर ारी बॉण्ड् स कवकभन्न बैं ों ो बेचता है और भकवष्य में उन्हें
वापस खरीदने ा वादा रता है।

11.बैं दर में वृक्ति सामान्यतः इस बात ा सं े त है क -

(a) ब्याज ी बाजार दर े कगरने ी संभावना है

(b) ें द्रीय बैं अब वाकणक्तज्य बैं ों ो जे नही ं दे रहा

(c) ें द्रीय बैं सस्ती मुद्रा नीकत ा अनुसरण र रहा है

(d) ें द्रीय बैं महंगी मुद्रा नीकत ा अनुसरण र रहा है

उत्तर-(d)

जब अथगव्यवस्था में साख ी मात्रा घटाने ी जरूरत होती है , तो ें द्रीय बैं , बैं दर में वृक्ति र
दे ता है कजससे बैं उपभोिाओं ो उधार दे ने ी दरें बढा दे ते हैं। महंगे मुद्रा बाजार े ारण बाजार
में ब्याज ी दर बढ जाती है। इससे नए ऋण े कलए उत्साह भंग हो जाता है , कजस े पररणामस्वरूप
साख ी मात्रा घट जाती है और ीमतों ी वृक्ति रु जाती है।

12. भारतीय ररजवग बैं ा लेखा वषग (Accounting year) है -

(a) अप्रैल-माचग (b) जुलाई-जून

(c) अक्टू बर-कसतंबर (d) जनवरी-कदसंबर

उत्तर-(a)

भारतीय ररजवग बैं ा लेखा ायग अथवा लेखा वषग 1 जुलाई से 30 जून होता था। लेक न वतगमान में
इसे बदल र 1 अप्रैल- 31 माचग र कदया गया है। हालांक इस ा पहला कवत्तीय वषग जुलाई, 2020 से
माचग, 2021 (9 माह) ही रहा।

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13.चर आरक्षण अनुपात और खुला बाजार ारग वाई क स े साधन हैं?

(a) राजकवत्तीय नीकत (b) मुद्रा नीकत

(c) बजट नीकत (d) व्यापार नीकत

उत्तर-(b)
चर आरक्षण अनुपात या पररवतगनीय ोष अनुपात (Variable Reserve Ratio : VRR) कजस े द्वारा RBI
बैं ों े पास रखे जाने वाले तरल ोष में पररवतगन रती है तथा खुले बाजार ी ारग वाई कजस े
द्वारा RBI प्रकतभूकतयों ा क्रय-कवक्रय रती है, ये दोनों RBI ी पररमाणात्म साख कनयंत्रण ी
कवकधयां हैं जो मौकद्र नीकत े अंतगगत आती हैं।

14. भारतीय ररजवग बैं े बैं दर म रने े फलस्वरूप-

(a) बाजार ी तरलता बढ जाती है।

(b) बाजार ी तरलता घट जाती है।

(c) बाजार ी तरलता पर ोई प्रभाव नही ं पड़ता।

(d) वाकणक्तज्य बैं अकध जमा पूंजी संगृहीत र लेते हैं।

उत्तर-(a)

बैं दर (Bank Rate) वह दर है कजस पर भारतीय ररजवग बैं (RBI) वाकणक्तज्य बैं ों ी प्रकतभूकतयों
ी पुन ग टौती रता है। सामान्य अथग में यह वह दर है कजस पर ररजवग बैं वाकणक्तज्य बैं ों ो ऋण
प्रदान रता है। यकद ररजवग बैं , बैं दर ो म र दे ता है , तो इससे वाकणक्तज्य बैं ों ो अपनी
प्रकतभूकतयों पर पहले ी तुलना में म बट्टा दे ना पड़े गा अथागत उन े पास कनकधयों ी उपलब्धता बढ
जाएगी एवं उस ी लागत म हो जाएगी। इस प्र ार बैं दर े म होने पर साख सृजन अकध
होगा, अतः बाजार ी तरलता बढ जाएगी।

15. भारत में टर े जरी कबल बेचे जाते हैं-

(a) भारतीय ररजवग बैं द्वारा (b) राज्य सर ारों द्वारा

(c) व्यापारर बैं ों द्वारा (d) सेबी द्वारा

उत्तर-(a)

भारत में टर े जरी कबल सवगप्रथम वषग 1917 में जारी क ए गए थे। ये RBI द्वारा नीलामी बोली े माध्यम से
बेचे जाते हैं। सामान्यतः इन ा मूल्य वगग 25 हजार या उस े गुण ों में होता है। इन े जारी रने ा
मुख्य उद्दे श्य सर ार े अकतररि खचों े कलए फंड जुटाना होता है।

16. भारतीय ररजवग बैं द्वारा सी.आर.आर. में वृक्ति से-

(a) सर ार े ऋण में मी आती है।

(b) अथगव्यवस्था में मौकद्र तरलता में मी आती है।

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(c) दे श में अकध कवदे शी प्रत्यक्ष पूंजी कनवेश आता है।

(d) वांकछत क्षेत्रों में ऋण प्रवाह बढता है।

उत्तर-(b)

भारतीय ररजवग बैं े पास अनुसूकचत बैं ों ो अपनी जमाओं ा कनकित प्रकतशत न द ोष
अनुपात (C.R.R.-Cash Reserve Ratio) े रूप में रखना पड़ता है। भारतीय ररजवग बैं द्वारा
सी.आर.आर. में वृक्ति से बैं ों ी साख सृजन ी क्षमता म होती है तथा अथगव्यवस्था में मौकद्र
तरलता में मी आती है।

17. भारत ा औद्योकग कवत्त कनगम क स रूप में ायग रता है?

(a) ए व्यापारर बैं े रूप में।

(b) ए कव ास बैं े रूप में।

(c) ए औद्योकग बैं े रूप में।

(d) उपयुगि में से क सी भी रूप में नही ं।

उत्तर-(b)

भारत ा औद्योकग कवत्त कनगम (IFCI) ए सावगजकन क्षेत्र ी गैर-बैंक ं ग कवत्तीय ं पनी है ए
कव ास बैं े रूप में ायग रती है IFCI ी स्थापना 1 जुलाई, 1948 ो IFCI अकधकनयम, 1948 े
अंतगगत हुई थी। यह भारत ा प्रथम कव ास कवत्तीय संस्थान था, जो अवस्थापना और उद्योग े
कव ास े माध्यम से आकथग वृक्ति ो बढाने े कलए स्थाकपत क या गया था। इस ा नाम अक्टू बर,
1999 से आईएफसीआई कलया क या गया।

18. भारत में औद्योकग कवत्त े क्षेत्र में सवोच्च संस्था है-

(a) भारतीय ररजवग बैं

(b) भारतीय औद्योकग कवत्त कनगम

(c) भारतीय औद्योकग कव ास बैं

(d) स्टे ट बैं ऑफ इं कडया

उत्तर-(c)

भारतीय औद्योकग कव ास बैं (IDBI) ा गठन भारतीय औद्योकग कव ास बैं अकधकनयम, 1964
े तहत ए कवत्तीय संस्था े रूप में हुआ था और यह भारत सर ार द्वारा जारी 22 जून,1964 ी
अकधसूचना े द्वारा 1 जुलाई, 1964 से अक्तस्तत्व में आया। इसे ं पनी अकधकनयम, 1956 ी धारा 4A े
प्रावधानों े अंतगगत ए सावगजकन कवत्तीय संस्था ा दजाग प्राप्त है। वषग 2004 से इस ा रूपांतरण
बैं े रूप में हो गया। आईडीबीआई (IDBI) अन्य कव ास बैं ों ी तरह उद्योगों ो दीघग ालीन
ऋण तथा अन्य कव ासात्म सेवाएं प्रदान रता है। यह शीषग बैं े रूप में अन्य कव ास बैं ों ी
कक्रयाओं ो समक्तित रता है तथा आवश्य ता पड़ने पर उन ा पुनकवगत्तीयन भी रता है। हालांक

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भारतीय औद्योकग कवत्त कनगम भी औद्योकग क्षेत्र े कवत्त हेतु ए बड़ी संस्था है , लेक न वतगमान में
भारतीय औद्योकग कव ास बैं ी भूकम ा सवागकध है।

19. संवेदी सूच ां (Sensex) में चढाव ा तात्पयग है-

(a) बंबई शेयर बाजार े साथ पंजी ृ त सभी ं पकनयों े शेयरों े मूल्य में चढाव

(b) राष्टरीय शेयर बाजार े साथ पंजी ृ त सभी ं पकनयों े शेयरों े मूल्य में चढाव

(c) राष्टरीय शेयर बाजार े साथ पंजी ृ त सभी ं पकनयों े शेयरों े मूल्य में चढाव
(d) बंबई शेयर बाजार े साथ पंजी ृ त ए ं पनी समूह से संबंकधत सभी ं पकनयों े शेयरों े मूल्य
में चढाव

उत्तर-(c)

बॉम्बे स्टॉ एक्सचेंज (BSE) े संवेदी सूच ां ो संकक्षप्त रूप में सेंसेक्स (Sensex) हा जाता है।
संवेदी सूच ां में चढाव ा अथग BSE में सूचीबि 30 ं पकनयों े शेयरों े समग्र मूल्य में चढाव से
है।

20. शब्द वुल (Bull) तथा कवयर (Bear) क स व्यापार क्षेत्र से जुड़े हैं?

(a) कवदे शी व्यापार (b) बैंक ं ग

(c) शेयर बाजार (d) वस्तु कनमागण

उत्तर-(c)

बुल तथा कबयर शेयर बाजार े शब्द हैं, कजन ा कहंदी अथग क्रमशः तेजकड़या तथा मंदकड़या होता है। जो
व्यक्ति शेयर ी ीमत बढाना चाहता है, उसे तेजकड़या हते हैं तथा जो व्यक्ति शेयर ी ीमत
कगरने ी आशा रता है, वह मंदकड़या हलाता है।

21. इन्साइड टर े कडं ग संबंकधत है -

(a) शेयर बाजार से (b) घुड़दौड़ से

(c) रारोपण से (d) अंतरराष्टरीय व्यापार से

उत्तर-(a)

इन्साइड टर े कडं ग (आं तरर व्यापार) शेयर बाजार से संबंकधत है। इस े अंतगगत ं पनी े मगचारी या
ोई संबंकधत व्यक्ति ं पनी ी आं तरर सूचनाओं ा उपयोग र शेयर टर े कडं ग में अनुकचत लाभ
प्राप्त रते हैं। यह अवैध ायग माना जाता है।

22. पूंजी-बाजार से आशय है -

(a) शेयर बाजार से(b) वस्तु बाजार से

(c) मुद्रा बाजार से (d) ऊपर सभी से

उत्तर-(a)

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पूंजी बाजार कवत्तीय प्रणाली ा ए महत्वपूणग अंग है। यह दीघग ालीन फंड ा बाजार है कजसमें
इक्तिटी (या अंशपत्रों) तथा ऋण (Debt) े माध्यम से पूंजी ी उगाही सक्तिकलत है। यह दे श े भीतर
तथा बाहर दीघग ालीन फंड प्राप्त रने ा बाजार है।

23. भारत में संगकठत मुद्रा बाजार ा अत्यकध अक्तस्थर भाग है-

(a) सर ारी प्रकतभूकत बाजार (b) व्यापारर कबल बाजार

(c) याचना मुद्रा बाजार (d) जमा प्रमाण-पत्र बाजार

उत्तर-(c)

भारत में प्रमुख संगकठत कवत्तीय (Financial) बाजार हैं- मुद्रा बाजार एवं पूंजी बाजार (Capital market)|
मुद्रा बाजार जहां शॉटग टमग कसक्योररटीज (प्रकतभूकतयों) ा बाजार है , वही ं पूंजी बाजार दीघागवकध
प्रकतभूकतयों ा बाजार है। अतः स्पष्ट है क अल्पावकध होने े ारण मुद्रा बाजार में अक्तस्थरता ी
संभावना प्रबल होती है। मांग मुद्रा या ॉल मनी (call money) ऐसे कवत्त ो हते हैं , जो लघु अवकध
ा होता है और कजसे मांगे जाने पर चु ता रना होता है।

24. कवश्वसनीय प्रकतभूकतयों से तात्पयग है-

(a) ऐसे शेयर कजन ी सर ार ने गारं टी दी हो।

(b) ऐसे शेयर जो स्टॉ एक्सचेंज में सूचीबि हों।

(c) ऐसे शेयर कजन पर लगातार ऊंची दर ा लाभ हो।

(d) उि में से ोई नही ं।

उत्तर-(c)

कवश्वसनीय प्रकतभू कतयों से तात्पयग ऐसे ं पकनयों े शेयर से हैं कजन ी कवस्तृत उत्पाद श्रृंखला हो,
कजन ा उच्च प्रबंधन हो तथा कजनसे हमेशा ऊंची आय और लाभांश प्राप्त होता रहे।

25. 'कगल्ट-एज्ड' बाजार क ससे संबंकधत है ?

(a) सरागफा बाजार (b) सर ारी प्रकतभूकतयों ा बाजार

(c) बंदू ों ा बाजार (d) शुि धातुओ ं ा बाजार

उत्तर-(b)

'कगल्ट एज्ड' बाजार में ररजवग बैं े माध्यम से सर ारी और अिग - सर ारी प्रकतभूकतयों ा क्रय-
कवक्रय क या जाता है। 'कगल्ट एज्ड' ा अथग सवोत्तम या उत्कृष्ट होता है। इसे उत्कृष्ट इसकलए हा
जाता है, क्योंक इन सर ारी और अिग -सर ारी प्रकतभूकतयों ा मूल्य क्तस्थर रहता है , अन्य
प्रकतभूकतयों े समान इनमें अक्तस्थरता नही ं होती है। यही ारण है क बैं और अन्य संस्थाएं इन
प्रकतभूकतयों े कलए कवशेष आ षगण रखती हैं।

26. क सी ं पनी े कडबेंचर धार उस े -

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(a) शेयर धार होते हैं (b) लेनदार होते हैं

(c) दे नदार होते हैं (d) कनदे श होते हैं

उत्तर-(b)

कडबेंचर ा अथग ऋण पत्रों से होता है। संयुि पूंजी ं पकनयां ऋण प्राप्त रने हेतु अपने कडबेंचर जारी
रती हैं। जो संस्था इन्हें जारी रती है , वह इन कडबेंचसग पर धार ो ए कनकित दर से ब्याज दे ती
है। पक्ति कलकमटे ड ं पनी द्वारा कडबेंचर जारी रना, ं पनी अकधकनयम, 1956 तथा 11 जून, 1992
ो SEBI द्वारा जारी कदशा-कनदे शों े अधीन है। कडबेंचर ी मूल राकश उस ी पूणगता अवकध पर सौ ंप
दी जाती है।

27. स्वाकमत्व े आधार पर कनम्नकलक्तखत में से ौन ए अन्य से कभन्न है?

(a) जीवन बीमा कनगम ी पॉकलसी (b) बैं ा सावकध जमा

(c) क सान कव ास-पत्र (d) ं पनी ा ऋण-पत्र

उत्तर-(d)

ं पनी े ऋण-पत्र ा स्वाकमत्व ं पनी ी सहमकत से पृष्ां न द्वारा हस्तांतरणीय है अथागत ऋण-पत्र
ा स्वाकमत्व बदलता रह स ता है। शेष ा स्वाकमत्व बदलता नही ं है। कजस व्यक्ति े नाम पर जीवन
बीमा पॉकलसी, बैं सावकध जमा या क सान कव ास-पत्र कनगगत क या जाता है अंत त उसी ा
स्वाकमत्व उस पर रहता है।

28.भूकम कव ास बैं भाग है -

(a) व्यापारर बैं ों ा (b) आई.डी.बी.आई. ा

(c) एफ.सी.आई. ा (d) सह ारी साख संरचना ा

उत्तर-(d)
भूकम कव ास बैं सह ारी साख संरचना ा ए भाग है। सह ारी साख संरचना े अंतगगत राज्य
सह ारी बैं , सह ारी भूकम कव ास बैं तथा प्राथकम ृ कष ऋण सकमकतयां शाकमल हैं।

29. ें द्रीय सह ारी बैं ों ा ायगक्षेत्र है-

(a) जनपद स्तर पर (b) राज्य स्तर पर

(c) राष्टरीय स्तर पर (d) िॉ स्तर पर

उत्तर-(a)

भारत में सह ारी बैं तीन स्तरों पर ायग रते हैं। प्रथम स्तर पर राज्य े राज्य सह ारी बैं होते
हैं। कद्वतीय स्तर पर ें द्रीय सह ारी बैं होते हैं जो जनपद स्तर पर ायग रते हैं , इसीकलए इन्हें कजला
सह ारी बैं भी हा जाता है। तृतीय स्तर पर ग्रामीण ऋण सकमकतयां या प्राथकम ऋण सकमकतयां
होती हैं, जो ग्राम स्तर पर ायग रती हैं।

30. भारत में ृ कष े कलए पुनकवगत्त प्रदान रने वाला सवोच्च बैं है-

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(a) आर.बी.आई. (b) नाबाडग

(c) एल.डी.बी. (d) एस.बी.आई.

उत्तर-(b)

राष्टरीय ृ कष एवं ग्रामीण कव ास बैं (NABARD) भारत में ृ कष क्षेत्र ो कवत्त प्रदान रने वाली सवोच्च
संस्था है। इस ी स्थापना 12 जुलाई, 1982 ो हुई थी। इस ा मुख्यालय मुंबई में है। नाबाडग ग्रामीण
ऋण ढांचे में ए शीषगस्थ संस्था े रूप में अने कवत्तीय संस्थाओं ो पुनकवगत्त सुकवधाएं प्रदान रता
है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पाद गकतकवकधयों े कवस्तृत क्षेत्रों ो बढावा दे ने े कलए ऋण दे ती है।

31. भारत में 'नाबाडग ' बैं पुनकवगत्त उपलब्ध नही ं राता -

(a) अनुसूकचत व्यापारर बैं ों ो (b) क्षेत्रीय ग्रामीण बैं ों ो

(c) कनयागत-आयात बैं ो (d) राज्य भूकम कव ास बैं ो

उत्तर-(c)

नाबाडग अथागत राष्टरीय ृ कष एवं ग्रामीण कव ास बैं ी स्थापना वषग 1982 में ी गई थी। यह
अनुसूकचत वाकणक्तज्य बैं ों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैं ों एवं राज्य भूकम कव ास बैं ों आकद ो ृ कष एवं
ग्रामीण कव ास हेतु प्रदत्त ऋणों ा पुनकवगत्तीयन रता है। कनयागत-आयात बैं े पुनकवगत्तीयन से
इस ा ोई संबंध नही ं है।

32. प्रथम क्षेत्रीय ग्रामीण बैं ी स्थापना क स वषग में ी गई?

(a) 1977 (b) 1976


(c) 1974 (d) 1975

उत्तर-(d)

दे श में सवगप्रथम 2 अक्टू बर, 1975 ो पांच क्षेत्रीय ग्रामीण बैं स्थाकपत क ए गए। ये हैं- मुरादाबाद
(उ.प्र.), गोरखपुर (उ.प्र.), कभवानी (हररयाणा), जयपुर (राजस्थान) और माल्दा (प. बंगाल)।

33. भारत में बैंक ं ग लो पाल संस्था े संदभग में कनम्नकलक्तखत में से ौन-सा ए थन सही नही ं है?
(a) बैंक ं ग लो पाल ी कनयुक्ति भारतीय ररजवग बैं रता है।

(b) बैंक ं ग लो पाल भारत में खाता रखने वाले अकनवासी भारतीयों ी कश ायतें सुन स ता है।
(c) बैंक ं ग लो पाल द्वारा पाररत आदे श अंकतम और संबंकधत पक्षों े कलए बाध्य ारी हैं।

(d) बैंक ं ग लो पाल द्वारा दी गई सेवाएं कनः शुल्क होती हैं।

उत्तर-(c)

बैंक ं ग लो पाल ी कनयुक्ति भारतीय ररजवग बैं रता है। बैंक ं ग लो पाल भारत में खाता रखने
वाले अकनवासी भारतीयों ी कश ायतें सुन स ता है। बैंक ं ग लो पाल द्वारा पाररत आदे श अंकतम
और संबंकधत पक्षों े कलए बाध्य ारी नही ं होता बक्तल्क इस े क्तखलाफ अपील, अपीलीय प्राकध रण में
ी जा स ती है जो क ररजवग बैं े कडप्टी गवनगर े नेतृत्व में ायग रता है। साथ ही बैंक ं ग

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लो पाल द्वारा दी गई सेवाएं कनः शुल्क होती हैं। इस प्र ार अभीष्ट उत्तर कव ल्प (c) है।

34. भारत में कनम्नकलक्तखत में से ौन-सा, वायदा बाजार आयोग द्वारा कवकनयकमत होता है?

(a) मुद्रा फ्यूचसग व्यापार (b) कजंस फ्यूचसग व्यापार

(c) इक्तिटी फ्यूचसग व्यापार (d) कजंस फ्यूचसग व्यापार तथा कवत्तीय फ्यूचसग व्यापार दोनों

उत्तर-(b)

भारत में वायदा बाजार आयोग (FMC) ी स्थापना वषग 1953 में ी गई थी। यह कजंसों े वायदा
व्यापार ा कवकनयमन रता था। 28 कसतंबर, 2015 ो वायदा बाजार आयोग ा सेबी में कवलय
(Merge) र कदया गया।

35.क से 'प्लाक्तस्ट मनी' हा जाता है ?


(a) ागजी मुद्रा (b) क्रेकडट ाडग

(c) कडस्काउं ट ू पन (d) शेयर

उत्तर-(b)

प्लाक्तस्ट मनी (Plastic Money) न द (Cash) ा ए कव ल्प है, कजस ी सहायता से वस्तुओ ं एवं
सेवाओं ी खरीदारी ी जाती है। प्लाक्तस्ट मनी े उदाहरण हैं -क्रेकडट ाडग , डे कबट ाडग , स्माटग
ाडग एवं ए.टी.एम. आकद।

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