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Vision World History Hindi P2
Vision World History Hindi P2
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41.2. 1961 के बाद विटेन आसमें क्यों सवममवित होना चाहता था? ______________________________________________ 54
41.3. 1961 के पश्तात् जनरि डी गॉि (फ्रेंच राष्ट्रपवत) ने विटेन के प्रिेश को क्यों ऄिरुद्ध ककया? __________________________ 54
45.1. यूरोपीय संघ में ककस प्रकार सवममवित हुअ जाता है? ____________________________________________________ 58
48.9. ऄफ्रीका में आताििी साम्राज्य का विऔपवनिेशीकरण (आवथयोवपया, िीवबया, आरररिया, सोमाविया) ___________________ 71
48.9.1. स्ितंत्रता पश्चात् ऄशांवत ___________________________________________________________________ 72
49. ऄंग्रज
े ों िारा ऄफ्रीका के बाहर ककए गए विऔपवनिेशीकरण के प्रयास ___________________________________________ 72
49.2. िेस्ट आं डीज (कै रीवबया), मिाया (दवक्षण पूिव एवशया) और साआप्रस (मध्य पूिव) ___________________________________ 72
52. पूिि
व ती ईपवनिेशों में अज की वस्थवत _________________________________________________________________ 77
35. प्रस्तािना
शीत युद्ध िस्तुतः वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के पश्चात् 1991 में USSR (यूवनयन ऑफ़
सोवियत सोशविस्ट ररपवलिक्स ऄथावत् सोवियत संघ) के विघटन तक की घटनाओं का एक क्रम
था, वजसमें दो महाशवियों {USSR और USA (यूनाआटेड स्टेट्स ऑफ़ ऄमेररका)} के बीच
अर्थथक, विज्ञान एिं प्रौद्योवगकी, राजनीवत, सैन्य क्षेत्र और विचारधारा के स्तर पर प्रभुता के विए
प्रवतस्पधाव बनी हुइ थी। आस दौरान प्रत्येक पक्ष ने वबना ककसी िास्तविक युद्ध के स्ियं को सशि
और दूसरे को कमजोर करने की नीवतयाँ ऄपनायी।
आसे “शीत युद्ध” आसविए कहा जाता है क्योंकक आस ऄिवध में USA और USSR ने कोइ भी प्रत्यक्ष
युद्ध नहीं ककया। आस ऄिवध में जो भी युद्ध हुए िे तीसरे पक्षों के बीच िड़े गये और ये युद्ध स्थानीय
स्तर तक सीवमत रहे। आस प्रकार आन युद्धों का कोइ व्यापक प्रसार नहीं हुअ।
शीत युद्ध के समय विश्व दो भागों में विभावजत हो गया था; पहिा, USSR के नेतृत्ि में
सामयिादी विश्व और दूसरा, USA के नेतृत्ि में पूज
ं ीिादी विश्व। आस ऄिवध के दौरान यूरोप भी
सामयिादी पूिी यूरोप और पूज
ं ीिादी पवश्चमी यूरोप में विभावजत हो चुका था।
वचत्र: याल्टा सममेिन में वमत्र राष्ट्रों के नेता: बाएं से- विरटश प्रधानमंत्री विस्टन चर्थचि, यू. एस.
राष्ट्रपवत फ्रैंकविन डी. रूजिेल्ट, और सोवियत नेता जोसेफ स्टाविन
जमवन ऄवधग्रहण को रद्द करना: वितीय विश्व युद्ध के दौरान और ईसके पहिे वजन क्षेत्रों
का जमवनी ने ऄवधग्रहण ककया था ईन्हें िापस िे विया गया, वजनमें सुडटे निैंड, अवस्िया
और पोिैंड के पवश्चमी भाग सवममवित थे।
o नाजीिाद से मुवि: नाजी पाटी को भंग ककया जाना था और नावजयों पर युद्ध ऄपरावधयों के
रूप में ऄवभयोग चिाया जाना था। यह ऄवभयोग न्यूरेमबगव मुकदमा (Nuremberg trials)
के नाम से विख्यात हुअ।
o जनसांवख्यकीय पररितवन: आसके कारण ओडर-नीस रे खा के बाहर (ऄथावत् पोिैंड, हंगरी और
चेकोस्िोिाककया) ऄथावत् पूिी सीमा के बाहर रहने िािे जमवनों का एक प्रकार से मानिीय
वनष्कासन हुअ।
िाक् युद्ध (War of words): फरिरी 1946 में स्टाविन ने कु ख्यात भाषण कदया, वजसमें ईसने
तकव कदया कक “पूज
ं ीिाद पर ऄंवतम विजय तक पवश्चम के साथ सह-ऄवस्तत्ि ऄसमभि है”। आसका
ऄथव था कक भविष्य में सोवियत रूस और पूंजीिादी पवश्चमी देशों के बीच युद्ध ऄवनिायव था। आसके
प्रवतईत्तर में, चर्थचि ने माचव 1946 में ऄपनी ऄमेररकी यात्रा के दौरान “िौह अिरण” िािा
भाषण (Iron Curtain speech) कदया। यहाँ ईसने पूिी यूरोप में छाए ‘िौह अिरण’ की बात
ऄमेररका, फ्रांस और विटेन ने जमवनी में ऄपने ऄवधग्रवहत क्षेत्रों में अर्थथक सुधारों का प्रयास ककया, िहीं
सोवियत संघ ने ठीक आसके विपरीत कायव ककया। आसके वनम्नविवखत पररणाम देखने को वमिे:
o नीवत में आस ऄंतर के कारण जमवनी के पवश्चमी क्षेत्रों और रूस िारा ऄवधग्रवहत क्षेत्रों की समृवद्ध में
जमीन असमान का ऄंतर व्याि हो गया। आससे सोवियत संघ पर दबाि बना और आसके वनयंत्रण
िािे क्षेत्र के वनिावसयों के ऄसंतोष में िृवद्ध हुइ।
o ऄमेररका, विटेन और फ्रांस ने पवश्चमी क्षेत्रों में नइ मुिा प्रारमभ की। सोवियत संघ के विए एक ही
शहर में दो मुिाओं को चिाना ऄसमभि िग रहा था। शीघ्र ही ऄमेररका, विटेन और फ्रांस ने
सोवियत संघ पर चार क्षेत्रों का वििय करके एक एकीकृ त जमवनी के विए दबाि बनाना प्रारमभ
कर कदया। पूिी जमवनी सोवियत संघ के हाथों से कफसिा जा रहा था। फितः सोवियत संघ ने
आसका प्रवतईत्तर कु ख्यात पवश्चमी बर्थिन के नाके बंदी से कदया (1948-49)।
पवश्चमी जमवनी में पवश्चमी राष्ट्रों की नीवत: ऄमेररका, विटेन और फ्रांस ने पवश्चमी जमवनी और
पवश्चमी बर्थिन के अर्थथक सुधार के विए वनम्नविवखत प्रयास ककए:
o ऄमेररका ने 1947 में माशवि सहायता प्रारमभ की।
o 1948 में आन तीनों शवियों ने जमवनी में ऄपने ऄवधग्रहीत क्षेत्रों को एक अर्थथक आकाइ के रूप
में एकजुट कर विया था।
o 1949 में बर्थिन की नाके बंदी (1948-49) की ऄसफिता के पश्चात् ऄमेररका, विटेन और
फ्रांस ने पहि करते हुए ऄपने तीनों क्षेत्रों को एकीकृ त पवश्चमी जमवनी या जमवन फे डरि
ररपवलिक के रूप में वििय कर कदया (1949)।
पूिी जमवनी में सोवियत संघ की अर्थथक नीवत: स्टाविन वितीय विश्व युद्ध में रूस की तबाही के
विए जमवनी से क्षवतपूर्थत िसूिने हेतु ऄवडग था।
o ईसने पूिी जमवनी के साथ एक वपछिग्गू के समान व्यिहार ककया और आसके ऄवधकांश
संसाधनों का दोहन कर के रूस में जमा कर कदया।
o स्टाविन ने पूिी जमवनी के अर्थथक सुधार के विए कोइ ध्यान नहीं कदया। आसे के िि एक कच्चे
माि के स्रोत और रूसी माि के विए वनयावत बाजार के रूप में ईपयोग ककया।
आसके विए सोवियत संघ के पक्ष में एक ररयायत बरती गयी। ऑवस्िया को नाटो या यूरोपीय
अर्थथक समुदाय (European Economic Community) (1957 में बेवल्जयम, फ्रांस, आटिी,
िक्जेमबगव, नीदरिैंड और पवश्चम जमवनी िारा हस्ताक्षररत एक संवध िारा 1958 में स्थावपत
यूरोपीय संघ का एक पूिविती) में शावमि होने की ऄनुमवत नहीं थी।
अंवशक’ वशवथिता (“Partial” in the Thaw):
ऄमेररका और सोवियत संघ के संबंधों में ’अंवशक’ नरमी की ईपयुवि चचाव एिं ऄन्य घटनाक्रमों से
यह स्पष्ट है कक यह वशवथिता मात्र अंवशक था, जैसा कक वनम्नविवखत घटनाओं से स्पष्ट ककया गया
है:
o हंगरी के िोगों िारा िहां के कमयुवनस्ट सरकार के विरुद्ध ककए गए ’हंगरी वििोह’ (1956)
को रूसी टैंकों िारा कु चि कदया गया था।
o िारसॉ संवध (1955) का सूत्रपात िास्ति में पवश्चमी जमवनी को नाटो में शावमि करने के
जिाब में सोवियत संघ िारा ककया गया था। युगोस्िाविया को छोड़कर सोवियत संघ और
सभी ऄनुगामी देशों िारा आस पर हस्ताक्षर ककए गए। िारसॉ संवध के ऄंतगवत सदस्यों ने
ककसी भी बाहरी हमिे के विरुद्ध एक-दूसरे का बचाि करने का प्रण विया था। साथ ही सभी
सदस्य देशों की सेनाएं मॉस्को के संपूणव वनयंत्रण में अ गईं।
o सोवियत संघ ने परमाणु हवथयारों का वनमावण जारी रखा।
o 1961 में बर्थिन की दीिार बनाइ गइ।
o क्यूबा वमसाआि संकट (1962): आस दौरान विश्व परमाणु युद्ध के कगार पर पहुंच गया था
(आसकी अगे विस्तार में चचाव की गइ है)।
बर्थिन की दीिार (1961)
1960 में ऄमेररका के एक U2 जासूसी विमान (U2 spy plane) को रूस में ध्िस्त कर कदया
गया, िेककन अआजनहािर ने क्षमा मांगने से मना कर कदया था। 1961 में ख्रुश्चेि ने ऄमेररका के
नि-वनिाववचत राष्ट्रपवत जॉन एफ. कै नेडी से ऄनुरोध ककया कक बर्थिन से पवश्चमी शवियों को
िापस बुिा विया जाए। यह एक ऐसा समय था जब सोवियत संघ िगातार आस बात से शर्ममदा
हो रहा था कक पूिी जमवनी से िोग भारी संख्या में पवश्चम बर्थिन को पिायन कर रहे थे। आस
प्रकार जब ऄमेररका ने रूस की मांग को पूरा करने से मना कर कदया तब सोवियत संघ ने पूिी
जमवनी से पवश्चम बर्थिन की ओर पिायन के रास्ते को ऄिरुद्ध करने के विए बर्थिन की दीिार खड़ी
कर दी।
1957 USSR 1957 में ICBM (आं टरकांरटनेंटि बैविवस्टक वमसाआि) विकवसत करने
िािा सबसे पहिा देश बना। ICBM एक रॉके ट िारा िे जाया जाने िािा एक
न्यूवक्ियर िॉरहेड था जो आतना शविशािी था कक िह USSR से USA तक
पहुंच सकता था। जल्द ही ऄमेररका ने भी ईसकी बराबरी िािे वमसाआि के रूप
में एटिस वमसाआिें विकवसत कर िी।
1950 के दशक ऄमेररका ने जुवपटर और थोर नामक कम दूरी तक मार कर सकने िािी परमाणु
और 1960 के वमसाआिें विकवसत कीं और ईन्हें तुकी में तैनात कर USSR को धमकी दी थी।
1961-75 सामान्य रूप से USSR हवथयारों की प्रवतस्पधाव में अगे वनकिने में सक्षम था
क्योंकक ऄमेररकी व्यय वियतनाम युद्ध की ओर िवक्षत था।
1962 क्यूबा वमसाआि संकट: जहां रूस ने ऄमेररका के सवन्नकट (क्यूबा में) परमाणु
वमसाआिें तैनात की थीं।
1963 वनःशस्त्रीकरण: रूस, विटेन और ऄमेररका ने परमाणु परीक्षण प्रवतबंध संवध
(Nuclear Test Ban Treaty: NTBT) पर हस्ताक्षर ककए और िे आस बात पर
सहमत हुए कक ऄब से के िि भूवमगत परमाणु परीक्षण ककए जाएंगे और कोइ
परीक्षण जि, िायु या बाह्य ऄंतररक्ष में नहीं ककए जाएंगे। क्यूबा वमसाआि संकट
के बाद ऄमेररका तुकी से थोर और जुवपटर (कम दूरी तक मार कर सकने िािी
परमाणु वमसाआिें) वमसाआिों को हटाने के विए सहमत हो गया।
1967 वनःशस्त्रीकरण: आस समझौते के तहत बाह्य ऄंतररक्ष में परमाणु हवथयारों के
आस्तेमाि पर प्रवतबंध िगा कदया गया।
1970 का दशक जैसा कक पहिे चचाव की जा चुकी है, USA एिं USSR के बीच 1970 के दशक
के अरं भ से ही तनाि कम होने िगे थे।
वनःशस्त्रीकरण (Disarmament): 1970 में परमाणु ऄप्रसार संवध (NPT,
आस प्रकार यह कहा जा सकता है कक शीत युद्ध के दौरान हवथयारों की होड़ में ईनकी संख्या एिं
गुणित्ता के साथ-साथ ईनके प्रक्षेपण/तैनाती स्थि के विस्तार के संदभव में भी एक होड़ या प्रवतस्पधाव
देखी गइ:
संख्या: परमाणु, रासायवनक और परं परागत हवथयारों की संख्या में िृवद्ध हुइ।
गुणित्ता: सटीकता, सुस्पष्टता और वमसाआिों की श्रेणी में िृवद्ध हुइ।
विविध प्रक्षेपण स्थि: ऄब वमसाआिों को न के िि स्थि से बवल्क जि, ऄंतररक्ष और गवतशीि
माििाहकों (mobile trucks) से भी प्रक्षेवपत ककया जा सकता था। आस समय के वमसाआिों को
वनम्नविवखत रूपों में िगीकृ त ककया जा सकता है:
o सतह से सतह
o सतह से हिा
o हिा से हिा
o हिा से सतह
o पनडु लबी से प्रक्षेपण
हवथयारों की होड़ का नकारात्मक ऄसर गरीबों पर हुअ। आस धन का प्रयोग िाखों वनधवन िोगों के
ईत्थान के विए ककया जा सकता था, ख़ासकर तृतीय विश्व के राष्ट्रों के विकास पर ध्यान कें कित करके
वजन्होंने ईत्तर-दवक्षण सहयोग की स्थायी नींि रखी थी। शस्त्रों की आस स्पधाव में USSR के संसाधन
ररि हो गए जो USSR के पतन का एक महत्िपूणव कारण बना। पुनः शस्त्रों की आस स्पधाव ने विश्व में
परमाणु हवथयारों की होड़ को जन्म कदया वजसने अज के ितवमान हािात पैदा ककए, जहां गैर-राज्य
कतावओं के हाथों में परमाणु हवथयार चिे जाने का खतरा बना हुअ है।
युद्ध की कगार/वस्थवत: शीत युद्ध के दौरान विश्व कइ बार युद्ध के कगार पर पहुँचा:
पवश्चम बर्थिन की नाके बंदी और एयरविफ्ट (1948-49): ऄमेररका ने ककसी भी अकवस्मकता से
वनपटने के विए विटेन में ऄपने बमिषवक विमानों को तैनात रखा था।
क्यूबाइ वमसाआि संकट (1962): आस दौरान ऄमेररका और USSR के बीच प्रत्यक्ष सैन्य संघषव
का भी एक दौर अया था। हािांकक संयुि राष्ट्र की मध्यस्थता से यह टि गया।
1979: ऄफगावनस्तान पर USSR के अक्रमण के प्रकरण में पूज
ं ीिादी और सामयिादी लिॉक के
बीच तनाि बढ़ गया था। रूस िारा SS-20 वमसाआिों को तैनात ककए जाने के बाद नाटो ने यूरोप
में पर्मशग और क्रूज वमसाआिें तैनात कीं।
1983: 1983 में ऄमेररका युद्ध क्रीड़ा को वनयंवत्रत कर रहा था और रूस का मानना था कक
ऄमेररका ने सबसे पहिे परमाणु हमिे का खेि खेिा था। आसने विश्व को एक परमाणु युद्ध के
कगार पर िा खड़ा ककया, जब तक कक आस गित धारणा को सुिझा नहीं विया गया।
विशेषज्ञों का यह मानना है कक शस्त्र की प्रवतस्पधाव शीत युद्ध के ऄंत होने के बाद भी समाि नहीं हुइ
और यह ऄभी भी बदस्तूर जारी है। भारत हवथयार अयात करने िािा विश्व का एक प्रमुख देश बन
गया है। चीन की बढ़ती हठधर्थमता के चिते जापान दवक्षण पूिी एवशयाइ देशों, जैस-े वियतनाम,
कफिीपींस अकद के साथ-साथ धीरे -धीरे और ऄवधक अक्रामक रुख ऄपना रहा है। रूस और ऄमेररका के
बीच प्रवतस्पधाव ऄभी भी जारी है तथा हाि के िषों में इरान और सीररया के मामिे को िेकर रूस और
ऄवधक हठधमी हो गया है। परमाणु हवथयारों तक पहुंच रखने िािे गैर-राज्य कतावओं से गंभीर डर बना
हुअ है। यहां तक कक अर्थथक रूप से कमजोर देशों, जैस-े िेबनान में ऄत्यवधक सैन्यीकरण हो रहा है।
हाि के िषों में, ऄप्रसार और परमाणु वनःशस्त्रीकरण के प्रयास विफि रहे हैं क्योंकक परमाणु हवथयार
िािे नए देशों, जैस-े भारत, पाककस्तान और ईत्तर कोररया का ईद्गम हुअ है।
पृष्ठभूवम: 1910 में जापान िारा कोररया का ऄवधग्रहण ककया गया था और वितीय विश्व युद्ध की
समावि तक यह जापान के अधीन रहा। आसके पश्चात् कोररया का विभाजन ककया गया ताकक
ऄमेररका और रूस संयुि रूप से जापानी अत्मसमपवण और ऄमेररकी तथा रूसी सेनाओं की
िापसी की व्यिस्था कर सकें । ईत्तरी कोररया पर रूसी सेनाओं ने ऄवधकार कर विया और दवक्षणी
कोररया ऄमेररका के िचवस्ि में अ गया। यह विभाजन स्थाइ नहीं रहना था। संयुि राष्ट्र और
ऄमेररका संपण
ू व कोररया में स्ितंत्र चुनाि चाहते थे। ऄमेररका को पता था कक दवक्षणी कोररया की
जनसंख्या संपूणव कोररया का 2/3 भाग थी, आसीविए ऄमेररका स्ितंत्र चुनाि चाहता था। ऐसे में
चुनाि की वस्थवत में िह पूज
ं ीपवतयों की विजय के प्रवत अश्वस्त था। यही कारण है कक जमवनी की
वचत्र: 22 ऄक्टू बर 1962 को क्यूबा वमसाआि संकट के दौरान राष्ट्र को संबोवधत करते हुए राष्ट्रपवत जे.
एफ. के नेडी
यह ईत्तरी वियतनाम से दवक्षण वियतनाम के विए भोजन, हवथयार, अर्थथक सहायता अकद की अपूर्थत
करने के विए हो ची वमन्ह के ईत्तरी वियतनाम और वियतकांग िारा ईपयोग ककया जाने िािा एक
अपूर्थत मागव था। यह मागव ईत्तरी वियतनाम से िाओस-वियतनाम सीमा के समानांतर, कफर िाओस-
कं बोवडया सीमा के पार और कं बोवडया-वियतनाम सीमा के समानांतर जाता था और ऄंत में यह
दवक्षणी छोर पर दवक्षण वियतनाम में प्रिेश करता था। ऄमेररका ने हो ची वमन्ह िेि पर भारी बमबारी
की िेककन कफर भी िह यह मागव बंद करने में विफि रहा और आस प्रकार वियतकांग को ईत्तरी
वियतनाम, सोवियत संघ और चीन से अपूर्थत जारी रही।
हवथयारों और अपूर्थत की जाने िािी ऄन्य िस्तुओं के रूप में सोवियत संघ और चीन िारा की जा
रही सहायता महत्िपूणव थी। विशेष रूप से 1970 के बाद विमानरोधी वमसाआि, टैंक और
मशीनगनों के रूप में रूसी सैन्य सहायता वियतकांग की जीत में महत्िपूणव वसद्ध हुइ।
ईत्तर वियतनाम िावसयों का िचीिापन: ईन्हें भारी क्षवत का सामना करना पड़ा कफर भी ईन्होंने
ऄमेररका का प्रवतरोध करना जारी रखा। ईन्होंने शहर के बाहर कारखानों का वनमावण ककया और
ऄमेररकी गोिाबारी से हताहत होने िािे िोगों की संख्या कम करने के विए शहरों को खािी करा
विया।
युद्ध का ऄंत: 1973 तक ऄमेररका में जनमत युद्ध में ऄमेररकी भागीदारी को समाप्त करने का घोर
पक्षधर हो गया था। कइ ऄमेररकी सैवनकों को ऄपना जीिन खोना पड़ा था। ऄमेररकी सेना ने
नेपाम जेिी और रासायवनक हवथयारों जैसे ऄमानिीय तरीकों का ईपयोग ककया था, कफर भी
जीत कहीं कदखाइ नहीं दे रही थी। आसके साथ ही सोवियत संघ और चीन भी युद्ध से थक गए थे।
1973 में वनक्सन ने युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर ककया। सभी ऄमेररकी सैवनकों को िापस
बुिा विया जाना था, िेककन 17िीं समानांतर रे खा के साथ विभाजन का ईत्तर और दवक्षण
वियतनाम िारा सममान ककया जाना था। 1975 में वियतकांग ने दवक्षण वियतनाम को ऄपने
वनयंत्रण में िे विया और ईसके बाद ईत्तर वियतनाम एिं दवक्षण वियतनाम सामयिादी शासन के
ऄंतगवत एकजुट हो गए। 1975 में िाओस और कं बोवडया भी सामयिादी देशों के रूप में ईभरे । आस
प्रकार 1975 तक सामयिाद को सीवमत रखने की ऄमेररकी नीवत दवक्षण पूिव एवशया में विफि हो
गइ थी।
तख्तापिट क्यों?
दवक्षणपंथी दिों के बीच यह डर व्याि था कक एिेंडे िारा राष्ट्रपवत के रूप में दूसरे कायवकाि को प्राि
करने के विए संिैधावनक संशोधनों का अश्रय विया जाएगा। आसके कु छ ऄन्य कारण भी थे:
भूवम के पुनर्थितरण से कृ वष ईत्पादन कम हो गया था, वजससे खाद्यानों की कमी हो गइ और
फिस्िरूप खाद्य मुिास्फीवत बढ़ गइ। ऐसा आसविए हुअ क्योंकक वजन ककसानों की भूवम जलत होने
िािी थी ईन्होंने स्टाविन के सोवियत संघ में सामूवहकीकरण के दौरान रूसी कु िकों की भांवत
बुिाइ बंद कर दी और मिेवशयों को मार कदया।
समाजिादी सुधारों ने वनजी वनिेशकों को भयभीत कर कदया और आस प्रकार ऄपने सामावजक
सुधार कायवक्रम के विए सरकार के पास धन की कमी हो गइ।
1990 के ग्रीष्मकाि तक जमवनी एकजुट हो चुका था। आसी प्रकार चेकोस्िोिाककया, बुल्गाररया
और रोमावनया ने 1989 के ऄंत तक सामयिादी सरकारों को ईखाड़ फें का। 1990 में यूगोस्िाविया
में और 1991 में ऄल्बावनया में मुि बहुपक्षीय चुनाि संपन्न हुए तथा ऄंततः कदसंबर 1991 में
सामयिादी गुट के ऄगुअ सोवियत संघ ने 74 साि के सामयिादी शासन को समाि करते हुए
आसका विघटन कर कदया।
पूिी यूरोप और सोवियत संघ में सामयिाद की अर्थथक विफ़िता और वमखाआि गोबावचेि िारा
ऄपनाइ गयी नीवतयां कइ मायने में सामयिाद के पतन और शीत युद्ध के ऄंत की प्रमुख िजह थीं,
वजसकी चचाव सामयिाद विषय के ऄंतगवत की गयी है।
ऄंतरावष्ट्रीय संबध
ं ों पर शीत युद्ध के ऄंत का प्रभाि
पूि-व पवश्चम की शत्रुता में कमी: सोवियत संघ के विघटन के ईपरांत निोकदत राष्ट्रों को पवश्चमी देशों
िारा ऄब शत्रु के रूप में नहीं देखा जाता था। 1990 में दोनों गुटों {िॉरसॉ (1955) और नाटो
(1949)} ने एक समझौते पर हस्ताक्षर ककए। आसमें एक-दूसरे के विरुद्ध के िि अत्मरक्षा के विए
ही हवथयारों का प्रयोग करने के विचार पर सहमवत हुइ।
भूतपूिव सामयिादी देशों के बीच ऄिगाििाद और शत्रुता: यह भािना भूतपूिव सामयिादी देशों में
प्रत्येक के भीतर राष्ट्रिाद की िजह से था। आस राष्ट्रिाद की भािना का दमन सबसे पहिे सामयिाद
िारा ककया गया वजसने आन देशों को करीब िा कदया। कभी-कभी वििादों को शांवतपूणव ढंग से
सुिझाया गया, जैसे कक 1993 में चेकोस्िोिाककया (1918 में गरठत) को चेक गणराज्य और
स्िोिाककया में विभावजत कर कदया गया। िेककन कइ बार वििाद बेहद वहसक रहा जैसे कक-
o क्षेत्रीय वििादों पर ऄजरबैजान और अमेवनया (सोवियत संघ के दोनों पूिव गणराज्य) के बीच
युद्ध।
o जॉर्थजया में वहसक गृहयुद्ध क्योंकक आसका ईत्तरी भाग आससे ऄिग होना चाहता था।
o यूगोस्िाविया के विघटन से आसके पांच राज्यों - सर्थबया (मोंटेनीग्रो सवहत), बोविया-
हजेगोविना, क्रोएवशया, स्िोिेवनया और मैसेडोवनया - में विभावजत होना सबसे खराब
वहसक घटनाओं में से एक था।
संयुि जमवनी के बनने से प्रिासन संबंधी समस्याएं ईठ खड़ी हुईं। चूंकक शीत युद्ध के बाद पूिी यूरोप
ऄवस्थर था, ऄतः आन क्षेत्रों से कइ शरणाथी 1992 में जमवनी अने िगे थे। आससे नि-नावजयो ने जमवनी
में विरोध प्रदशवन ककया।
यूरोपीय एकता
अआए, ऄब हम पवश्चमी और पूिी यूरोप की एकता के विए ककए गए प्रयासों का ऄिग-ऄिग ऄध्ययन
करते हैं।
पवश्चमी यूरोप का पुनर्थनमावण: पवश्चमी यूरोप शीघ्र ही संभि गया, वजसका श्रेय माशवि सहायता
को जाता है। संयुि राज्य ऄमेररका ने सामयिाद और सोवियत संघ के विस्तार को रोकने के विए
ट्रूमैन वसद्धांत को िागू करते हुए यूरोपीय देशों की करठनाआयों को कम करने हेतु माशवि योजना
का शुभारं भ ककया। आसका िक्ष्य सामयिाद के विस्तार को ऄिरुद्ध करने के राजनीवतक ईद्देश्य के
साथ, एक तहस-नहस हो चुके यूरोप में अर्थथक विकास को बढ़ािा देना था। पवश्चमी यूरोप की
एकता को सुवनवश्चत करने के विए कइ प्रयास ककए गए। ईनमें से कु छ के विषय में नीचे विस्तार से
बताया गया है।
पवश्चमी यूरोप की एकता के विए ककए गए प्रयासः आसमें अर्थथक, राजनीवतक और सैन्य एकता के
विए ककये गए प्रयास सवममवित हैं। जो ठोस कदम ईठाए गए, ईनमें नाटो (नाथव ऄटिांरटक िीटी
अगेनाइजेशन: NATO, 1949), यूरोपीय पररषद (Council of Europe; 1949), यूरोपीय
अर्थथक सहयोग संगठन (Organization for European Economic Cooperation:
OEEC, 1948) और यूरोपीय अर्थथक समुदाय (European Economic Community,
1957) सवममवित थे। आनमें से कु छ के बारे में विवभन्न शीषवकों के ऄंतगवत नीचे बताया गया है।
यह यूरोप में राजनीवतक एकता का पहिा प्रयास था। यह विदेश मंवत्रयों का एक समूहीकरण था।
विटेन, फ्रांस और आटिी आसके महत्िपूणव संस्थापक सदस्य (कु ि 10) थे।
1971 तक आसके 18 सदस्य थे। आसमें स्पेन और पुतवगाि को छोड़कर पवश्चमी यूरोप के शेष सभी
देश सवममवित थे।
शवि/प्रावधकार: आसके पास कोइ विवशष्ट शवि (प्रावधकार) नहीं थी, क्योंकक विटेन या ऄन्य कोइ
भी महाशवियां ऐसे ककसी संगठन में शावमि नहीं हो सकती थीं, वजससे ईनकी संप्रभुता खतरे में
पड़ती।
कायवः सभी महत्िपूणव मुद्दों पर आसने बहस अरं भ कर कु छ संस्तुवतयां प्रस्तुत कीं। िेककन
पररसंघिादी (Federalists ) आससे वनराश थे।
विटेन यूरोपीय अयोग को एक बाह्य वनकाय मानता था, वजसके साथ िह ऄपनी अर्थथक नीवतयों
का वनयंत्रण साझा नहीं करना चाहता था।
वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में आसकी ऄथवव्यिस्था सबसे बड़ी थी, यहां के िोगों का जीिन
स्तर ईच्च था और बेरोजगारी बहुत कम थी। विटेन एकमात्र ऐसा यूरोपीय देश था वजस पर वितीय
विश्व युद्ध के दौरान अक्रमण नहीं हुअ था। ऄन्य देशों की तरह आसे EEC की ईतनी अिश्यकता
नहीं थी। साथ ही वितीय विश्व युद्ध में जीत के बाद आसकी ऄंतरावष्ट्रीय प्रवतष्ठा 1919 के स्तर पर
िापस अ गइ थी। विश्व मामिों में दो महाशवियों के बाद विटेन को एक ऄग्रणी शवि के तौर पर
देखा जा रहा था। आस प्रकार यह ककसी भी संगठन के समक्ष ऄपनी संप्रभुता समर्थपत करने के पक्ष
में नहीं था।
राष्ट्रमंडि
o विटेन का राष्ट्रमंडि देशों के साथ बहुत बड़ा व्यापार था। विटेन को ऐसा िग रहा था कक यकद
यह EEC में सवममवित होता है तो आससे राष्ट्रमंडि के साथ ईसके संबंध वबगड़ सकते हैं।
EEC की तुिना में राष्ट्रमंडि की पांच गुना ज्यादा अबादी थी और आसविए राष्ट्रमंडि विटेन
के विए EEC की तुिना में ऄवधक अकषवक बाजार था।
o EEC में शावमि होने से विटेन और राष्ट्रमंडि देशों के मध्य संबध
ं ों को नुकसान हो सकता था
क्योंकक तब विटेन राष्ट्रमंडि देशों से िस्तुओं की अपूर्थत को िरीयता नहीं दे पाता। EEC में
सवममवित होने का तात्पयव था - EEC के छह देशों की िस्तुओं को कम सीमाशुल्क के कारण
ऄवधक प्राथवमकता वमिना।
विटेन-ऄमेररकाः विटेन के ऄमेररका के साथ ’विशेष संबंध’ थे। ऐसा संबंध ऄन्य ककसी यूरोपीय देश
के साथ नहीं था। विटेन यूरोप से ऄवधक ऄमेररका के साथ गठबंधन करना चाहता था। यह के िि
यूरोप से जुड़ा रहना चाहता था िेककन आसके िारा ऄिशोवषत नहीं होना चाहता था। विटेन को
िग रहा था कक यकद िह यूरोप के साथ अर्थथक रूप से ज्यादा एकीकृ त होता है तो आससे ऄमेररका
के साथ ईसके विशेष संबंध को क्षवत पहुंच सकती है।
भािी राजनीवतक एकता की अशंकाः विटेन को अशंका थी कक अर्थथक एकता जल्द ही
राजनीवतक एकता की ओर कदम बढ़ा देगी, वजसके पक्ष में िह कभी नहीं था।
यूरोपीय मुि व्यापार संघ (European Free Trade Association: EFTA, 1960): विटेन
आसका नेतृत्ि कर रहा था और आसने ऄन्य गैर-EEC देशों (ऑवस्िया, डेनमाकव , नॉिे, पुतवगाि,
स्िीडन और वस्िटजरिैंड) को आसमें सवममवित कर विया था। EFTA के गठन के वनम्नविवखत
कारण थेः
o गैर-सदस्य देशों पर िगाए जाने िािे ईच्च प्रशुल्क (टैररफ) के कारण यह डर था कक आन देशों
िारा EEC देशों को ककए जाने िािे वनयावत से गैर-EEC देशों को नुकसान होगा। आस प्रकार
EEC के साथ व्यापार से होने िािे नुकसान की क्षवतपूर्थत के विए आन देशों ने EFTA का
गठन ककया।
o विटेन को आसमें कोइ अपवत्त नहीं थी, क्योंकक EFTA को सदस्यों के बीच साझा अर्थथक
नीवतयों की अिश्यकता नहीं थी और यूरोपीय अयोग जैसा व्यापक प्रावधकरण भी नहीं था,
जो अंतररक मामिों में हस्तक्षेप कर पाता।
ितवमान EFTA: आसमें मात्र 4 सदस्य हैं - विचेंश्टीन, अआसिैंड, नॉिे और वस्िटजरिैंड।
वस्िट्जरिैंड को छोड़कर शेष सभी EFTA सदस्य यूरोपीय संघ (EU) के सदस्य हैं।
41.3. 1961 के पश्तात् जनरि डी गॉि (फ्रें च राष्ट्रपवत) ने विटे न के प्रिे श को क्यों
ऄिरुद्ध ककया?
डी गॉि ने 1969 में त्यागपत्र दे कदया था वजससे EEC में विटेन का प्रिेश संभि हुअ। 1974 में
िेबर पाटी सत्ता में अ गइ थी। EEC में सवममवित होने के सिाि पर मत-विभाजन था और
1974 में यह तय करने के विए कक विरटश िोग EEC में रहना चाहते हैं या नहीं, एक जनमत
संग्रह अयोवजत ककया गया था। 67% िोट आसके पक्ष में वमिे थे।
चतुथव गणतंत्र (1946-58) के ऄंतगवत फ्रांस राजनीवतक और अर्थथक रूप से कमजोर था (कृ वष
गवतहीन हो गइ थी हािांकक ईद्योग ऄच्छा प्रदशवन कर रहे थे)।
नए संविधान ने 1946 से आटिी के विए नए गणतंत्र का मागव प्रशस्त ककया। 1946 से िेकर 1953
तक यहाँ समृद्धशािी और वस्थर सरकारें रहीं, िेककन ईसके बाद पुरानी समस्याएं कफर सतह पर
अ गईं। एक के बाद एक गठबंधन सरकारों की श्रृंखिा देखने को वमिी।
आसके ऄवतररि मुिास्फीवत और बेरोजगारी की समस्याएं हि करने में भी विफिता का सामना
करना पड़ा।
monetary union)।
o साझी विदेशी और सुरक्षा नीवत।
o यूरोपीय संघ में और यूरो जोन में सवममवित होने के विए मावस्िच मानदंड या ऄवभसरण
(कनिजेन्स) मानदंड की स्थापना।
o यूरोपीय संघ की संवध (संशोधन सवहत) यूरोपीय संघ के 7 संस्थानों की स्थापना का प्रािधान
करती है, वजनमें से कइ पहिे से ही पूिव यूरोपीय अर्थथक समुदाय (EEC) का ऄंग थे। आनमें
सवममवित हैं:
यूरोपीय कें िीय बैंक (European Central Bank): यह यूरोप की एकि मुिा के विए कें िीय
बैंक है। यह यूरो जोन की मौकिक नीवत का संचािन करता है।
यूरोपीय अयोग (European Commission): यह शीषव कायवकारी वनकाय है और यूरोपीय संघ
की मंवत्रमंडिीय सरकार के रूप में कायव करता है। आसमें यूरोपीय पररषद िारा वनयुि 28 अयुि
/ सदस्य होते हैं, वजसमें यूरोपीय संघ के प्रत्येक सदस्य देश से एक-एक प्रवतवनवध होते हैं। यूरोपीय
अयोग का ऄध्यक्ष यूरोपीय पररषद िारा प्रस्तावित ककया जाता है और यूरोपीय संसद िारा आन
28 सदस्यों में से चुना जाता है। आसके कायों में यूरोपीय संघ के कदन-प्रवतकदन के कायों का
संचािन, संवधयों का कायावन्ियन और कानून प्रस्तावित करना सवममवित है। वसविि सेिकों िारा
आसकी सहायता की जाती है।
यूरोपीय संघ की पररषद (Council of the European Union: CEU (पूिव में मंवत्रपररषद्):
यह यूरोपीय संघ की विसदनीय विधावयका (यूरोपीय संसद दूसरा विधायी वनकाय है) का उपरी
सदन है। आसमें यूरोपीय संघ के प्रत्येक सदस्य देश का प्रवतवनवधत्ि करने िािे मंत्री होते हैं। कृ वष,
विदेशी मामिों जैसे प्रत्येक क्षेत्र के विए एक ऄिग पररषद (CEU के भीतर) है, वजसमें क्रमश:
कृ वष और विदेशी मामिों के राष्ट्रीय मंत्री होते हैं। पररषद और संसद दोनों विधायी और बजटीय
शवियां समान रूप से साझा करते हैं, वजसका ऄथव है कक दोनों को प्रस्ताि पाररत होने के विए
सहमत होना होता है।
यूरोपीय संसद (European Parliament): संसद के सदस्य प्रत्येक 5 िषव बाद प्रत्यक्षतः जनता
िारा चुने जाते हैं। प्रत्येक सदस्य राष्ट्र को यूरोपीय संसद में सीटें अबंरटत की जाती हैं। देश के
राजनीवतक दि ईसी तरह यूरोपीय संसद के विए चुनाि िड़ते हैं जैसे िे राष्ट्रीय संसद के विए
िड़ते हैं।
यूरोपीय पररषद (European Council): आसमें सदस्य राष्ट्रों के राज्य प्रमुख, यूरोपीय पररषद का
ऄध्यक्ष (प्रेवसडेंट) और यूरोपीय अयोग का ऄध्यक्ष (प्रेवसडेंट) सवममवित होते हैं।
यूरोपीय संघ का न्यायािय (Court of Justice of the European Union): यह यूरोपीय संघ
की न्यावयक शाखा है और यूरोपीय संघ के कानूनों एिं संवधयों की व्याख्या करती है। यह कु छ
मामिों पर नागररकों िारा की गइ वशकायतों की भी सुनिाइ कर सकती है।
कोटव ऑफ ऑवडटसव: यूरोपीय संघ के सभी संस्थानों का िेखा परीक्षण करने के विए ऄन्य देशों में
यूरोपीय संघ के स्थायी वमशन हैं और साथ ही आसे संयुि राष्ट्र, G20, G-8, WTO अकद में भी
प्रवतवनवधत्ि प्राप्त है।
यकद कोइ भी यूरोपीय राष्ट्र यह प्रदर्थशत करता है कक िह यूरोपीय संघ के सभी मानकों और वनयमों
का पािन करे गा तो िह आस संघ में सवममवित हो सकता है। ईसे EU के िोकतांवत्रक मूल्यों का
सममान करना चावहए और ईन्हें बढ़ािा देने के विए प्रवतबद्ध होना चावहए। अिेदक को EU के
संस्थानों और EU के सदस्य देशों की सहमवत वमिनी चावहए। ईसे राष्ट्रीय संसद में प्रस्ताि या
जनमत संग्रह के माध्यम से ऄपने नागररकों की सहमवत भी वमिनी चावहए।
प्रिेश के विए अिेदक को 1993 में स्थावपत "कोपेनहेगन मानदंड" (Copenhagen Criteria)
वस्थर संस्थान;
o कायवशीि बाजार ऄथवव्यिस्था और यूरोपीय संघ में प्रवतस्पधाव तथा बाजार बिों का मुकाबिा
करने की क्षमता;
यूरोपीय संघ का वमशन (The EU Mission): ितवमान में EU वमशन का ईद्देश्य ऄपने नागररकों के
विए समृवद्ध, स्ितंत्रता, संचार, यात्रा तथा िावणज्य की सुगमता को बनाए रखना है। विवभन्न
संवधयों, सदस्य राष्ट्रों से सहयोग और ऄपनी ऄनूठी सरकारी संरचना के माध्यम से यूरोपीय संघ आस
वमशन को कायवशीि बनाए रखने में सक्षम हो पाया है।
2008 के अर्थथक संकट के बाद कु छ यूरोपीय देशों (यथा- पुतवगाि, आटिी, ग्रीस, स्पेन और बाद में
साआप्रस) के बैंकों का बेि अउट करना पड़ा था।
आससे यूरोपीय संघ के भीतर तनाि ईत्पन्न हुअ। विशेष रूप से जमवनी (जो अज यूरोप की सबसे
बड़ी ऄथवव्यिस्था है) में जनमत विभावजत हो गया क्योंकक कइ जमवन िावसयों का मानना था कक
ईन्हें ऄन्य सदस्य देशों की गिवतयों के विए भुगतान करने हेतु बाध्य ककया जा रहा है।
IMF की सहायता से EU विवभन्न वमत्तव्यवयता ईपायों के बदिे में आन देशों को बचा पाया था।
अरोवपत वमत्तव्यवयता ईपायों ने स्ियं सदस्य राष्ट्रों में तनाि पैदा कर कदया वजन्हें बेि अउट
ककया जा रहा था क्योंकक आससे बेरोजगारी में िृवद्ध हुइ थी। ऄब यूरोपीय संघ यूरोपीय वस्थरता
तंत्र (European Stability Mechanism) बनाने की कदशा में अगे बढ़ गया है जो भविष्य में
सदस्य राष्ट्रों की सहायता करने के विए ईपयोग ककया जाने िािा स्थायी फं ड होगा।
ऄपनाया है। यूरो को 1999 में एकि मुिा के रूप में अरं भ ककया गया था।
'ऑप्ट-अईट स्टेट्स' को छोड़कर सभी यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को यूरो ऄपनाना है। हािांकक
प्रत्येक सदस्य को यूरो ऄपनाने के विए ऄहवता प्राप्त करने हेतु कदम ईठाने के विए समय कदया
जाता है, ऄथावत् ईन्हें ऄवभसरण मानदंड पूरा करने के विए समय कदया जाता हैI
यूरो के विए मौकिक नीवत यूरोपीय कें िीय बैंक (ECB) का एकमात्र विशेषावधकार है, ऄथावत्
यूरोजोन में सवममवित होने के बाद मौकिक नीवत का वनयंत्रण ECB के पास चिा जाता है।
यूरोपीय संघ के सभी सदस्य देश अर्थथक और मौकिक संघ का ऄंग हैं, वजसका ऄथव है कक िे समग्र
रूप से EU के िाभ के विए ऄपनी अर्थथक नीवतयों का समन्िय करते हैं। हािांकक, यूरोपीय संघ
के सभी सदस्य देश यूरो क्षेत्र में नहीं अते हैं - के िि यूरो ऄपनाने िािे सदस्य देश ही यूरो क्षेत्र के
सदस्य हैं।
o विवनमय दर वस्थरता;
o ऄन्य मानदंडों की पूर्थत करने से प्राि ऄवभसरण की स्थावयत्ि का अकिन करने के विए
दीघवकाविक लयाज दरें ।
बुल्गाररया, साआप्रस और रोमावनया (सभी यूरोपीय संघ के सदस्य) आसके मानदंड पूरा करने के
बाद आसमें सवममवित हो जाएंगे।
हाि की समस्याएं: ऄरब वस्प्रग के बाद संघषवग्रस्त क्षेत्र से कइ ऄिैध ऄप्रिासी फ्रांस और आटिी पार करके
ऄन्य देशों में पहुँच गए हैं।
वमत्र शवियों (Allied powers) िारा वितीय विश्व युद्ध िोकतंत्र और स्िशासन के वसद्धांतों पर
िड़ा गया था, िेककन औपवनिेवशक शवियों ने यथासंभि ऄवधक से ऄवधक समय तक ऄपना
शासन जारी रखने का प्रयास ककया।
जब पररितवन की िहरों ने ऄफ्रीका में प्रिेश ककया तो औपवनिेवशक शवियां अगे
विऔपवनिेशीकरण की प्रकक्रया में वििंब नहीं कर सकीं और कइ ऄफ्रीकी ईपवनिेशों को संसदीय
िोकतंत्र की प्रणािी के साथ स्ितंत्र कर कदया गया।
ऐसा तीन कारकों ऄथावत् राष्ट्रीय अंदोिन, वितीय विश्व युद्ध और ऄमेररका, सोवियत संघ ि
संयुि राष्ट्र संघ की ओर से बाहरी दबाि के कारण संभि हुअ।
आसके ऄवतररक्त विटेन अश्वस्त था कक िह राष्ट्रमंडि के माध्यम से (ऄथावत् नि-ईपवनिेशिाद के
माध्यम से) स्ितंत्रता के बाद भी पूिव ईपवनिेशों पर ऄपने प्रभाि का ईपयोग करता रहेगा।
वितीय विश्व युद्ध से पहिे के िि भारत (1885 से), वियतनाम (1920 के दशक) और इस्ट आं डीज
अक्रामकता के विरूद्ध िड़ाइ िड़ने हेतु प्रेररत ककया गया था, वजससे िे गृहदेश में औपवनिेवशक
शवियों की अक्रामकता का विरोध करने के विए प्रेररत हुए। आस प्रकार वितीय विश्व युद्ध में
भागीदारी के बाद िे ऄपनी मातृभूवम की स्ितंत्रता के विए प्रेररत हुए।
1945 के बाद ऄफ्रीका में राष्ट्रिाद तेजी से फै िा क्योंकक ऄवधक से ऄवधक ऄफ्रीकी ऄब ऄमेररका
और विटेन में वशक्षा प्राप्त करने िगे थे। िहां ईन्होंने नस्िीय भेदभाि के संबंध में जानकारी प्राप्त
की।
ईपवनिेशिाद को विशेष रूप से श्रवमक िगव िारा ऄपमान के रूप में देखा गया, जो राष्ट्रिादी
विचारों के प्रवत ऄवधक ग्रहणशीि थे।
ऄमेररका
o ऄमेररका ऄपने स्ियं के औपवनिेवशक ऄतीत के कारण औपवनिेवशक राष्ट्रों से स्ितंत्रता प्रावि
के विए संघषव करने िािे राष्ट्रों के प्रवत कु छ हद तक सहानुभूवत रखता था।
o चर्थचि ने जब यह तकव कदया कक ऄटिांरटक चाटवर का "स्िशासन" के िि यूरोपीय िोगों के
विए है तो ऄमेररका ने आस बात का विरोध ककया। ऄमेररका ने यह रुख आसविए ऄपनाया
क्योंकक िह ईपवनिेशों में सामयिाद का प्रसार सीवमत करना चाहता था। आसका कारण यह
था कक सोवियत संघ ईपवनिेशों में स्ितंत्रता संघषव का समथवन कर रहा था। आसके साथ ही
ऄमेररका नए देशों के रूप में वनयावत बाजार प्राि करना चाहता था जहां िह यूरोपीय
शवियों के बाहर वनकिने के बाद ही प्रिेश कर सकता था और अर्थथक तथा राजनीवतक
प्रभाि का ईपयोग कर सकता था।
संयुि राष्ट्र और सोवियत संघ ने िगातार साम्राज्यिाद की अिोचना की। कमयुवनस्ट दशवन हमेशा
साम्राज्यिाद और ईपवनिेशिाद का विरोध करने का रहा था और सोवियत संघ ने ऐसा करना
स्िाभाविक पाया।
वशक्षा
o ऄफ्रीका में ऄन्य यूरोपीय ईपवनिेशों की तुिना में विरटश ऄफ्रीका में वशक्षा की धीमी, िेककन
ऄपेक्षाकृ त ऄवधक पैठ थी।
ऄफ्रीकी राष्ट्रिाद
o पवश्चमी वशक्षा के कारण ऄफ्रीकी राष्ट्रिाद का ईदय हुअ, वजसमें समानता और स्ितंत्रता के
विचार सवममवित थे। वशक्षा ने नस्िीय भेदभाि के प्रवत ईनकी जागरूकता बढ़ाइ। विशेषकर
शहरों का श्रवमक िगव राष्ट्रिाद के विचारों के प्रवत ऄवधक जागरूक था और ईन्होंने
ईपवनिेशिाद के विरूद्ध प्रमुख प्रवतरोधक बिों का गठन ककया।
o वितीय विश्वयुद्ध के बाद विटेन की वस्थवत कमजोर हो गयी, ऄतः राष्ट्रमंडि देशों के साथ िह
ऄच्छा संबंध रखना चाहता था। आस प्रकार विटेन को िगा कक स्ितंत्रता प्रदान करना बेहतर
विकल्प होगा।
48.4.3. 1957 तक पवश्चम ऄफ्रीका बनाम पू िव और मध्य ऄफ्रीका में विरटश नीवत
गोल्ड कोस्ट (1957): 1951 से पहिे पवश्चमी ऄफ्रीका में गोल्ड कोस्ट के नेताओं ने विदेशी िस्तुओं
का बवहष्कार कर ऄपने स्िाधीनता संग्राम का नेतृत्ि ककया और श्रवमकों िारा वहसक प्रदशवन एिं
तंजावनया (1961): पूिी ऄफ़्ीकी विरटश ईपवनिेश तंगावनका में डा. न्यारे रे (Dr Nyerere) ने
स्िाधीनता संग्राम का नेतृत्ि ककया था। श्वेतों के प्रवत ईनका दृवष्टकोण सामंजस्यपूणव था और ऄश्वेत
बहुमत िािी सरकार के सत्ता में अने पर ईसने श्वेतों के साथ ईवचत व्यिहार का िचन कदया था।
तंगावनका को 1961 में पूणव स्िाधीनता प्राि हो गयी और 1964 में जंजीबार िीप को वमिाकर
अधुवनक तंजावनया बना।
युगांडा (1962): युगांडा में जनजातीय प्रवतिंकदता के कारण स्िाधीनता प्रावि में वििमब हुअ,
वजसमें बुगांडा के जनजातीय नेता ने सरकार के िोकतांवत्रक स्िरूप का विरोध ककया। संविधान के
माध्यम से एक समाधान पर पहुंचा गया, वजसमें बुगांडा के जनजातीय नेताओं को कु छ विशेष
शवियां प्रदान करते हुए एक संघीय सरकार की स्थापना की गइ। 1962 में डा. ओबोटे (Dr
Obote) स्ितंत्र युगांडा के प्रथम प्रधानमंत्री बने।
के न्या (1963): के न्या में ऄंग्रज
े ों को श्वेतों और ऄश्वेतों के बीच सामंजस्य बनाने के विए चुनौवतयों
का सामना करना पड़ा। के न्या में श्वेत प्रिावसयों का शासन था, जो ऄश्वेत बहुमत का स्पष्ट और
वहसक विरोध करते थे और ईन्हें विटेन की बड़ी व्यिसावयक िॉबी का समथवन भी प्राि था। ऄश्वेतों
ने माउ माउ नामक गुि सोसाआटी के ऄंतगवत एक अतंकिादी ऄवभयान प्रारमभ कर कदया। 1952
में अपातकाि की घोषणा की गइ, वजसके पररणामस्िरूप विटेन ने सैवनकों को के न्या भेजा, जो
1960 तक माउ माउ वििोह को दबाने में सफि रहे। के न्या के एक ऄत्यवधक सममावनत नेता
जोमो के न्यात्ता थे और 1952 से 1960 तक िे जेि में रहे। 1957 के पश्चात् के न्या के प्रवत विरटश
नीवत में पररितवन अया और ईन्होंने के न्या को स्िाधीनता प्रदान कर दी। जोमो के न्यात्ता प्रथम
प्रधानमंत्री बने और ईन्होंने श्वेतों और ऄश्वेतों के बीच सामंजस्यपूणव नीवत का पािन ककया।
स्िाधीनता में वििमब के प्रयास – के न्िीय ऄफ़्ीकी संघ (Central African Federation) की
ऄिधारणा: मध्य ऄफ्रीका के ईपवनिेशों में श्वेत प्रिावसयों का िचवस्ि था। विटेन के व्यिसावयक
ईपवनिेशों के संबंध में फ़्ांसीसी नीवत का विश्लेषण दो चरणों में ककया जा सकता है:
o 1954 तक: पहिे चरण में फ़्ांस ऄपने ईपवनिेशों में ककसी भी प्रकार के स्िशासन के पक्ष में
नहीं था। यह 1944 की िैजावििे घोषणा (Brazzaville Declaration) से चररताथव होता
है, वजसमें कहा गया था कक ककसी एक सुदरू वतवथ में भी फ़्ांसीसी ईपवनिेशों में कोइ
स्िशासन नहीं होगा। फ़्ांस ऄपने ईपवनिेशों एिं मैंडटे को ऄपना जागीर समझता था, मानो
ये फ़्ांस के ऄटू ट ऄंग हों। यहां ककसी भी प्रकार के स्िशासन का फ़्ांसीसी प्रिासी विरोध करते
थे। 1949 में फ़्ांस ने सभी राष्ट्रिादी अंदोिनों को कु चिने का वनणवय विया और कइ ऄफ़्ीकी
नेताओं को सामयिादी का ठप्पा िगा कर बंदी बना विया।
o 1954 के पश्चात्: 1954 में वहद-चीन (Indochina) युद्ध में हार के पश्चात् फ़्ांस की नीवत में
काफी पररितवन अया और दूसरे चरण में यह स्िीकार ककया गया कक ईपवनिेशों को समाि
करने में और ऄवधक वििमब नहीं ककया जा सकता है।
एक सरं वक्षत (Protectorate) राज्य एक ऐसा राज्य या क्षेत्र होता है, वजसे एक सशि राज्य िारा
अंवशक रूप से वनयंवत्रत ककया जाता है (हािांकक आस पर ऄवधकार नहीं होता है), परन्तु ऄपने
अंतररक मामिों में यह राज्य स्िायत्त होता है।
ट्यूनीवशया और मोरक्को फ़्ांसीसी सरं वक्षत राज्य थे। ये सरं वक्षत राज्य पूणव स्िायत्तता चाहते थे
परन्तु यूरोपीय प्रिासी फ़्ांसीसी प्रभाि को समाि नहीं होने देना चाहते थे क्योंकक आससे ईन्हें
सरकार पर वनयंत्रण बनाये रखने में सहायता प्राि होती थी।
48.5.1.1. ट्यू नीवशया (1956)
ट्यूनीवशया में स्िाधीनता संघषव का नेतृत्ि हबीब बौर्थघबा नामक एक ईदारिादी नेता के हाथों में
था। आसके साथ ट्युनीवशयाइ िोगों ने सरकार के विरुद्ध गुररल्िा युद्ध भी छेड़ रखा था।
फ़्ांस ने अन्दोिन को विफि करने के विए सेना भेजी परन्तु िह गुररल्िा रणनीवत और
राष्ट्रिाकदयों के समथवन के कारण ईनसे वनबटने में ऄसफि रहा। ईसी समय फ़्ांस वहद-चीन और
मोरक्को में भी समस्याओं का सामना कर रहा था। आसके ऄवतररि गुररल्िा भी धीरे -धीरे िामपंथी
विचारधारा की ओर बह रहे थे।
िमबे समय तक संघषव के चिने की िागत और सामयिाकदयों िारा अन्दोिन के समभावित
ऄवधग्रहण के भय से, फ़्ांस ने स्िाधीनता की घोषणा कर दी और ईदारिादी नेता बौर्थघबा के हाथों
में सत्ता सौंप कदया। एक ईदारिादी नेता के सत्ता में होने से फ़्ांस को अशा थी कक िह नि-
ईपवनिेशिाद के माध्यम से ट्यूनीवशया पर ऄपना िचवस्ि जारी रख पाएगा।
48.5.1.2. मोरक्को (1956)
एक सरं वक्षत राज्य के रूप में मोरक्को एक राजा के ऄधीन था, जो फ़्ांस के नस्तक्षेप के विरुद्ध था
और ईसने पूणव स्िाधीनता की मांग की, वजसके कारण फ्रांसीवसयो ने ईसे बिपूिवक सत्ताच्युत कर
कदया।
आसके कारण गुररल्िा युद्ध और वहसक प्रदशवन अरमभ हो गये वजनमें िेड यूवनयनों ने महत्िपूणव
भूवमका वनभाइ। एक महंगे गुररल्िा युद्ध की समभािना का ऄहसास होते ही, फ़्ांस ने राजा को
पुनः सत्तारूढ़ कर कदया और मोरक्को को पूणव स्िाधीनता प्राि हो गयी।
यह 1830 से ही फ़्ांसीसी वनयंत्रण में था। फ़्ांसीसी प्रिावसयों को कोिोन के नाम से भी जाना
जाता था। यहाँ पर 1 वमवियन फ्रांसीसी प्रिासी और 9 वमवियन ऄल्जीररयाइ रहते थे।
1958 में जनरि डी गॉि ने नि-ईपवनिेशिाद की नीवत को संस्थागत बनाने का प्रयास ककया। डी गॉि
ने विरटश कॉमनिेल्थ की तजव पर वनम्नविवखत वबन्दुओं पर फ़्ांसीसी समुदाय के गठन की एक नइ
योजना का प्रस्ताि कदया:
पवश्चम और आक्वेटोररयि ऄफ्रीका के 12 ईपवनिेशों (वजन्हें सरं वक्षत राज्य का दजाव प्राि था) में
ईनकी स्ियं की संसद के साथ अंतररक मामिों में स्ि-शासन चिता रहेगा।
फ़्ांसीसी समुदाय में यह सभी 12 ईपवनिेश सवममवित होंगे तथा फ़्ांस कराधान और विदेशी
मामिों में सभी महत्िपूणव वनणवय िेगा।
ईसके बदिे में फ़्ांसीसी समुदाय के सभी सदस्यों को फ़्ांस से वित्तीय सहायता प्राि होगी।
सदस्यों के पास समुदाय की सदस्यता को ऄस्िीकार करने का विकल्प होगा, िेककन ईस वस्थवत में
ईन्हें कोइ अर्थथक सहायता नहीं प्राि होगी।
बेवल्जयम के दो ईपवनिेश बेवल्जयन कांगो और रिांडा-बुरुंडी थे। क्रमशः 1960 और 1962 में
स्ितंत्रता के बाद दोनों ऄराजकता और गृहयुद्ध की चपेट में अ गए। ऐसा स्ितंत्रता के विए तैयार
न होने के कारण हुअ।
ऄपने ईपवनिेशों में बेवल्जयम की नीवत दोहरी थी - मूि वनिावसयों को ककसी भी वशक्षा से िंवचत
रखना और ऄपने शासन को िंबे समय तक बनाये रखने के विए जनजातीय प्रवतिंविता का
ईपयोग करना। दूसरे कारक ने दोनों ईपवनिेशों में भिीभांवत कायव ककया।
o जनजातीय प्रवतिंविता का ईपयोग करना:
कांगो िगभग 150 ऄिग-ऄिग जनजावतयों का एक दहकता हुअ ज्िािामुखी था।
बेवल्जयम एक जनजावत के िड़ाकों का दूसरी जनजावत को वनयंवत्रत करने के विए
ईपयोग करता था और कृ पापात्र जनजावतयों को कानून और व्यिस्था बनाए रखने के
बदिे में संरक्षण प्राि होता था।
रिांडा-बुरुंडी में, बेवल्जयम ने हुतु जनजावत के िोगों को वनयंवत्रत करने के विए तुत्सी
जनजावत का ईपयोग ककया। कफर भी फ्रांस और विटेन के पड़ोसी ईपवनिेशों के राष्ट्रिादी
विचारों ने यहाँ के िोगों को प्रभावित ककया।
कांगो (1960)
o बेवल्जयम शावसत कांगो में बेरोजगारी और वनम्न जीिन स्तर के विरूद्ध 1959 में ऄचानक
विरोध-प्रदशवन होने िगा। आससे बेवल्जयम को 1960 में कांगो को स्ितंत्रता प्रदान करने के
विए वििश होना पड़ा क्योंकक एक तरफ जहाँ ईसे महंगे गुररल्िा युद्ध का डर था तो िहीं
दूसरी तरफ ईसे स्ितंत्र िेककन कमजोर कांगो पर नि-ईपवनिेशिाद की नीवत का ईपयोग
बेहतर िगा।
o स्ितंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रिाकदयों के बीच पयावि एकता के बािजूद आसके ईपरांत यहां
ऄराजकता क्यों पैदा हुइ? आसके वनम्नविवखत कारण थे:
मूि वनिावसयों के पास नौकरशाही के पदों को भरने के विए कोइ वशक्षा नहीं थी और
यहां ऐसा कोइ ऄफ्रीकी समूह नहीं था वजसे शासन का कोइ ऄनुभि हो।
कांगो में के िि 17 िातक थे और कोइ वचककत्सक, िकीि, आं जीवनयर ि सैन्य ऄवधकारी
नहीं था।
िहाँ पर ऐसा कोइ सुस्पष्ट अंदोिन देखने को नहीं वमिा जैसा कक ईवचत संगठनात्मक
संरचना के साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतत्ृ ि में भारत जैसे ऄन्य ईपवनिेशों में देखा
गया था। 1959 में िुममबा के नेतृत्ि में कांगो का राष्ट्रीय अंदोिन वसफव 1 िषव पुराना
था। कांगो में गृहयुद्ध 1960 से िेकर 1964 तक जारी रहा।
फ्रैंको को ईपवनिेशों में बहुत कम रूवच थी और ईसने स्पेवनश ईपवनिेशों में स्ितंत्रता अंदोिनों का
प्रवतरोध नहीं ककया।
जब फ्रांस ने फ़्ांसीसी मोरक्को को स्ितंत्रता दी तो 1956 में स्पेवनश मोरक्को का संयुि मोरक्को में
वििय कर कदया गया। आफ्नी (Ifni) को 1969 में मोरक्को में वमिा कदया गया।
आक्वेटोररयि वगनी को 1968 में स्ितंत्रता दी गइ।
स्पेवनश सहारा: के िि स्पेवनश सहारा में फ्रैंको ने 1975 में ऄपनी मृत्यु तक स्ितंत्रता की मांग का
विरोध ककया। ऐसा आसविए था क्योंकक सहारा फॉस्फोरस संसाधनों से समृद्ध था जो स्पेन के विए
महत्िपूणव था। दुभावग्य से ईसकी मृत्यु के बाद, सहारा को विभावजत कर कदया गया तथा मोरक्को
और मॉररटावनया को सौंप कदया गया।
o पोविसाररयो फ्रंट (Polisario Front) िस्तुतः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अंदोिन की भांवत
सहारा क्षेत्र की स्ितंत्रता के विए एक अंदोिन था और आसने सहारा की स्ितंत्रता के विए
विरोध करना जारी रखा। आसने 1976 में िोकतांवत्रक ऄरब गणराज्य सहारा (या सहरािी
ऄरब िोकतांवत्रक गणराज्य) {Democratic Arab Republic of Sahara (or Sahrawi
Arab Democratic Republic: SADR)} की घोषणा की।
o िीवबया, ऄल्जीररया और सामयिादी गुट के देशों के साथ भारत SADR को मान्यता प्रदान
करने िािे देशों में ऄग्रणी था। बाद में पोविसाररयो अंदोिन का समथवन करने िािे
सामयिादी गुट के साथ सहारा, मोरक्को और मॉररटावनया शीत युद्ध में ईिझ गए।
o शीत युद्ध: ऄल्जीररया और िीवबया ने सैवनक दि भेजे वजसके पररणामस्िरूप मॉररटावनया ने
सहारा का ऄपना वहस्सा छोड़ कदया। आसी प्रकार मोरक्को हार की कगार पर था िेककन
ऄमेररका ने ईसे बचा विया। ऄमेररका ने सहारा को शीतयुद्ध के भाग के रूप में देखा क्योंकक
सोवियत संघ ने SADR को मान्यता दी थी।
o 1980 के दशक में युद्ध जारी रहा और मोरक्को ने मॉररटावनया शावसत सहारा पर भी कलजा
कर विया। 1990 में, संयुि राष्ट्र ने यह तय करने के विए एक जनमत संग्रह प्रस्तावित ककया
कक क्या िोग स्ितंत्रता चाहते हैं या मोरक्को के ऄंग के रूप में बने रहना चाहते हैं, िेककन
मोरक्को ने संयुि राष्ट्र के प्रस्ताि को ऄस्िीकार कर कदया।
o SADR की ितवमान वस्थवत यह है कक, िेस्टनव सहारा एक वििाकदत क्षेत्र है। SADR 25
प्रवतशत िेस्टनव सहारा पर वनयंत्रण रखता है और बाकी मोरक्को के वनयंत्रण में है। भारत
SADR के ऄधीन एक स्ितंत्र िेस्टनव सहारा का समथवन करता है जो गुट-वनरपेक्ष अंदोिन
का एक ऄंग है और वजसकी ऄल्जीररया में वनिाववसत सरकार है। पोविसाररयो फ्रंट अज
ऄल्जीररया में वस्थत एक राजनीवतक-सैन्य संगठन है। सबसे बुरी तरह से प्रभावित सहारा के
िोग हैं, वजनमें से कइ िोग ऄल्जीररया के शरणाथी वशविरों में रह रहे हैं।
आटिी का प्रकरण ऄिग था क्योंकक वितीय विश्व युद्ध में पराजय के बाद ईसे ऄपने सभी ईपवनिेश
खोने पड़े। ऄफ्रीका में आटिी के ईपवनिेशों को स्ितंत्रता के विए तैयार करने हेतु विटेन और फ्रांस
को मैंडटे के रूप में सौंप कदया गया। बाद में संयुि राष्ट्र ने आन राष्ट्रों को िेस्ट समथवक सरकारों के
ऄधीन कर कदया।
आवथयोवपया में 1941 में आताििी शासन समाि हो गया और 1951 में विरटश मैंडटे भी समाि
हो गया। 1935 में आताििी अक्रमण के बाद से वनिावसन में रह रहे सम्राट सेिासी को िापस
िाया गया और पुनबवहाि ककया गया।
1951 में राजा आकिस के ऄधीन िीवबया को स्ितंत्र कर कदया गया।
िहीं दूसरी ओर आरररिया अंतररक मामिों में स्िायत्तता के प्रािधान के साथ संघीय प्रणािी के
ऄंतगवत 1952 में आवथयोवपया का भाग बन गया।
1960 में आताििी सोमािीिैंड और विरटश सोमािीिैंड का वििय करके सोमाविया का स्ितंत्र
राज्य बनाया गया।
स्ितंत्रता के शीघ्र पश्चात् ऄिोकवप्रय शासकों के घरटया शासन के कारण आन पूिव ईपवनिेशों में
शांवत की वस्थवत वबगड़ गइ। यहां के ईभरने िािे नए नेता सोवियत संघ समथवक थे और
अधुवनकीकरण के विए सोवियत सहायता चाहते थे।
o िीवबया में राजा आकिस घोर पवश्चम समथवक था। हािांकक 1969 में एक समाजिादी
क्रांवतकारी अंदोिन िारा ईसे ईखाड़ फें का गया। मुऄममर गद्दाफी के ऄनुिती शासन ने
िीवबया के तेि ईद्योग का राष्ट्रीयकरण ककया और शहरीकरण की प्रकक्रया अरं भ की।
o आवथयोवपया में सेिसे ी ने अधुवनकीकरण का कोइ भी प्रयास नहीं ककया। ईसने आरररिया की
स्िायत्तता और सीवमत स्िशासन से संबवं धत प्रािधानों को रद्द कर कदया, वजसके
पररणामस्िरुप आरररिया ने आवथयोवपया के विरूद्ध स्ितंत्रता संग्राम अरं भ कर कदया। 1974
में सेिस
े ी की सत्ता को ईखाड़ फें का गया।
o आरररिया में आवथयोवपया ने स्ितंत्रता की मांग पर ऄंकुश िगाने का प्रयत्न ककया, िेककन शीघ्र
ही दो ऄन्य आथोवपयाइ प्रांत ऄिग होने की मांग करने िगे। ऄिगाििादी अंदोिन को
वनयंवत्रत करने के विए आवथयोवपयाइ शासन को ऄपने बजट में सेना के व्यय पर ऄवधक
धनरावश अबंरटत करनी पड़ी, जबकक ऄकाि और गरीबी से अम अदमी त्रस्त थे।
ऄंततोगत्िा 1993 में आरररिया को स्ितंत्रता वमि गइ। आरररिया हॉनव ऑफ़ ऄफ्रीका का एक
भाग है, जो भयािह गरीबी से ग्रस्त है और िोग िमपेडुसा िीप के माध्यम से (खतरनाक नाि
यात्रा िारा) यूरोप भाग रहे हैं जो ऄफ्रीका और मध्य पूिी देशों से यूरोप के विए प्रिेश वबदु
बन गया है। ऄवनिायव अजीिन सैन्य भती के कारण आरररिया ऄत्यवधक सैन्यीकरण से भी
ग्रस्त है।
भारत को 1947 में दो भागों, भारत और पाककस्तान में बांट कदया गया। विऔपवनिेशीकरण
शांवतपूणव नहीं था और विभाजन के दौरान भारी कत्िेअम हुअ। ऄंग्रेज नरसंहार के ककसी भी
ईत्तरदावयत्ि से बचने के विए यहाँ से बाहर वनकिने की जल्दबाजी में थे।
49.2. िे स्ट आं डीज (कै रीवबया), मिाया (दवक्षण पू िव एवशया) और साआप्रस (मध्य पू िव )
आन सभी क्षेत्रों में ऄंग्रेज ऄपने ईपवनिेशों को एक पररसंघ (Federation) में संगरठत करना चाहते
थे, िेककन ईन्हें के िि अंवशक सफिता ही वमिी। पररसंघ राज्यों का ऐसा समूह होता है वजसमें
अंतररक मामिों का प्रबंधन करने के विए प्रत्येक राज्य की ऄपनी एक संसद (विधावयका) होती है,
िेककन घटक आकाइयां पररसंघीय सरकार (ईदाहरण के विए, यू.एस.ए., कनाडा, ऑस्िेविया
अकद) के समग्र प्रावधकार के ऄधीन काम करती हैं।
िेस्ट आं डीज: िेस्ट आं डीज कै ररवबयन क्षेत्र में िीपों का एक समूह है।
o कै रे वबयाइ िीपों के विए पररसंघ की मांग क्यों की गइ?
यहाँ प्रमुख समस्या ईपवनिेशों के अकार िेकर थी। ऄतः यहाँ ऄिग-ऄिग आकाइ के रूप में एक
ईपवनिेश की संकल्पना कोइ व्यिहायव विचार नहीं था। साथ ही िे अर्थथक और प्रशासवनक रूप से
व्यिहायव नहीं थे।
जहां एक ओर कु छ ईपवनिेशों ने पररसंघ के विचार पर अपवत्त की, िहीं ईनमें से कु छ ऄन्य विटेन
से स्ितंत्रता भी नहीं चाहते थे। कफर भी, 1958 में िेस्ट आं डीज फे डरे शन बनाया गया वजसमें मध्य
डच िस्तुतः इस्ट आं डीज में ऄपने बागानों से होने िािी वनयावत अय पर ऄत्यवधक वनभवर थे।
बागानों के ककसानों को के िि वनयावत के विए फसिें ईगाने हेतु ऄपनी भूवम का 1/5 भाग
अरवक्षत रखना पड़ता था। आन वनयावतों से होने िािी अय का हॉिैंड की सरकार िारा ऄर्थजत कु ि
राजस्ि में महत्िपूणव योगदान होता था।
एकि बाजार में भौवतक (सीमाएं), तकनीकी (मानक) और वित्तीय (करों) ऄिरोधों को हटा कदया
जाता है। यह एक व्यापार समूह (िेड लिॉक) होता है वजसकी विशेषताएँ आस प्रकार हैं:
o मुि व्यापार क्षेत्र (Free Trade Area: FTA): आसमें ईत्पाद वनयमों पर सामूवहक नीवतयों
के साथ िस्तुओं के विए मुि व्यापार क्षेत्र होता है।
o अिागमन की स्ितंत्रता (Freedom of Movement): पूँजी, श्रम, िस्तुओं, ईद्यमों और
सेिाओं के विए अिागमन की स्ितंत्रता।
साझा बाजार: एकि बाजार की ओर यह पहिा चरण है। आसमें ऄन्य ऄिरोधों को हटाए वबना भी
एक मुि व्यापार क्षेत्र (FTA) बनाया जा सकता है।
कै ररवबयाइ देश भी CELAC (2011, िैरटन ऄमेररकी और कै ररवबयाइ देशों का संगठन) (2011,
Community of Latin American and Caribbean states) के माध्यम से िैरटन ऄमेररकी
देशों के साथ एक कस्टम यूवनयन बनाने की कदशा में अगे बढ़ रहे हैं।
कै रीवबयाइ देशों की ितवमान समस्याएं वनम्नविवखत हैं:
o बेरोजगारी और ईच्च विदेशी ऊण।
o िैवश्वक और क्षेत्रीय मुि व्यापार समझौते।
o कै रीवबया में छोटे छोटे िीपीय राष्ट्र हैं, वजनमें अधारभूत ढांचे और कु शि श्रमशवि का
ऄभाि है तथा ये अर्थथक रूप से वनधवन हैं। आसविए िे वनयावत बाजारों में चीन से प्रवतस्पधाव
नहीं कर सकते।
o भारत CARICOM (कै रीवबयन कमयुवनटी एंड कॉमन मार्ककट) के साथ सहयोग कर रहा है
और ICT एिं स्िास्थ्य के क्षेत्र में सहायता प्रदान कर रहा है, साथ ही आस क्षेत्र की विकास
पररयोजनाओं का वित्त पोषण भी कर रहा है।
o तेि, गैस एिं खवनज संसाधनों में समृद्ध होने के कारण CELAC देश ऄत्यवधक सामथ्यविान
हैं।
1980 के दशक में दवक्षण-पूिी एवशया के देशों का बहुत तेजी से विकास हुअ। ईन्हें टाआगर
ऄथवव्यिस्थाएं कहा जाता है। अज भी, ASEAN एक अर्थथक शवि है। भारत की पूिव की ओर
फटावआि कक्रसेंट (Fertile Crescent): यह एक ऄधव-चन्िाकर क्षेत्र है, वजसमें पवश्चमी एवशया की
शुष्क और ऄधव-शुष्क जििायु के विपरीत ऄपेक्षाकृ त नम और ईपजाउ भूवम िािा क्षेत्र तथा नीि
नदी घाटी और पूिोत्तर ऄफ्रीका का नीि डेल्टा सवममवित है। अधुवनक आराक, कु िैत, सीररया,
िेबनान, जॉडवन, आजराआि, कफविस्तीन, साइप्रस और वमस्र के महत्िपूणव क्षेत्रों के ऄवतररि तुकी के
दवक्षणी-पूिी ककनारे और इरान के पवश्चमी ककनारे फटावआि कक्रसेंट की पररवध में अते हैं।
विटेन ने आराक को 1932 में और जॉडवन को 1946 में स्िाधीनता प्रदान कर दी थी, परन्तु यह
दोनों विटेन के समथवक बने रहे।
फ़्ांस ने आस अशा के साथ सीररया और िेबनान को 1945 में स्िाधीनता प्रदान कर दी कक िह
मध्य-पूिव में ऄपना कु छ प्रभाि बनाए रखेगा।
मध्य पूिव की सामररक वस्थवत: स्िेज नहर और फारस की खाड़ी के महत्िपूणव व्यापाररक मागव होने
के कारण आनका सामररक महत्ि है। आसके ऄवतररि मध्य पूिव पूज
ं ीिादी गुट, सामयिादी गुट और
तीसरे विश्व के देशों, विशेषकर एवशया और दवक्षणी पूिी एवशया का सवममिन वबदु भी है।
तेि: इरान, आराक, सउदी ऄरब और कु िैत के तेि संसाधन विश्व की उजाव सुरक्षा के विए
अिश्यक हैं।
53.2.1. भू वमका
मध्य पूिव का यह एकमात्र देश है वजसकी सीमाएं सोवियत संघ से वमिती थीं।
यहाँ के 1906 के संविधान में ऄधव-वनरं कुश शासन का प्रािधान था। पवश्चम में वशवक्षत और US
समथवक, मोहममद रजा पहििी 1941 से आरान का शाह था।
1907 में विटेन और रूस, ईत्तरी इरान को रूसी प्रभाि का क्षेत्र, दवक्षणी इरान को विरटश प्रभाि
का क्षेत्र और मध्य इरान को दोनों प्रवतिवन्दयों के विए खुिा क्षेत्र बनाने पर सहमत हो गए थे।
1945 में सोवियत संघ ने ईत्तरी इरान में सामयिादी सरकार स्थावपत करने का प्रयास ककया जहाँ
एक सशि सामयिादी पाटी सकक्रय थी।
1955 में इरान के शाह ने बगदाद संवध (1955) पर हस्ताक्षर ककए, जो इरान, आराक, तुकी,
पाककस्तान और UK के बीच एक सैन्य गठ्बन्धन था (ऄमेररका ने आस संवध में प्रत्येक राष्ट्र के साथ
ऄिग-ऄिग संवधयों पर हस्ताक्षर ककए परन्तु औपचाररक रूप से आसमें सवममवित नहीं हुअ,
ऄवपतु एक पयविेक्षक की भांवत सवमवत की बैठकों में भाग िेता रहा)। शाह को ईत्तरी इरान में
इरान के राष्ट्रिादी विदेशी हस्तक्षेप के विरुद्ध थे। धीरे -धीरे िे सशि होते गए।
1951 में इरान की संसद (मजविस) ने मोहममद मोसादेक को प्रधानमंत्री चुन विया।
1951 में मजविस (इरानी संसद) ने प्रधानमंत्री मोसादेक के शासन में विरटश वनयंत्रण िािी
कमपनी एंग्िो इरानी तेि कमपनी का राष्ट्रीयकरण कर कदया, क्योंकक ईसका मानना था कक ऄंग्रज
े
बहुत ऄवधक िाभ ऄर्थजत कर रहे थे।
1951-53, प्रधानमंत्री मोसादेक ने शाह के ऄधव-वनरं कुश शासन में कमी िाकर पूणव िोकतंत्र िाने
की मांग की।
इरान के विरुद्ध प्रवतबन्ध: राष्ट्रीयकरण के पश्चात्, ऄवधकांश विश्व ने इरान से तेि खरीदना बंद कर
कदया।
तख्तापिट (1953): 1953 में िोकतांवत्रक रूप से वनिाववचत प्रधानमंत्री मोसादेक को तख्तापिट
की एक घटना में त्यागपत्र देने के विए वििश ककया गया। आस तख्तापिट में CIA ने महत्िपूणव
भूवमका वनभाइ थी। आसके पश्चात् एक सैन्य सरकार का गठन ककया गया और शाह ने एक वनरं कुश
सम्राट की भांवत शासन करना प्रारमभ कर कदया।
1954 का इरान-विटेन समझौता: शाह ने विटेन के साथ एक समझौता ककया, वजसके ऄनुसार:
o एंग्िो-इरानी कमपनी में विरटश पेिोवियम के के िि 40% शेयर होंगे।
o इरान 50% िाभांश ऄपने पास रखेगा (वजसे बाद में शाह ने इरान के अधुवनकीकरण और
भूवम सुधारों के विए ईपयोग ककया।)
1979 की आस्िावमक क्रांवत: शाह को ऄपदस्थ कर कदया गया क्योंकक:
o ईसने वशया मौिवियों से झगड़े कर विए, जो शाह िारा पवश्चमी शैिी में ककये जा रहे इरान
के अधुवनकीकरण के विरुद्ध थे।
o िामपंथी और कट्टरपंथी मुसिमान शाह के विरोधी थे, क्योंकक शाह ऄमेररका की कठपुतिी
था और ये शाह की विशाि व्यविगत समपवत्त के कारण भी नाराज थे।
o शाह इरान से बच कर वनकि गया और इरान को “ऄयातुल्िाह” (ईच्च मौििी) खामेनी के
ऄधीन एक आस्िावमक गणराज्य घोवषत कर कदया गया।
1979 में इरान NAM का भाग बन गया क्योंकक वमस्र के नावसर की ही तरह खामेनी भी शीत युद्ध
की ऄिवध में ऄपनी विदेश नीवत को गुट वनरपेक्ष बनाए रखना चाहते थे।
यहाँ का राष्ट्रिादी िगव जॉडवन और सउदी ऄरब के विरुद्ध था, क्योंकक ये देश पवश्चम समथवक
रूकढ़िादी शाही पररिारों िारा शावसत थे। सीररया और वमस्र के राष्ट्रिाकदयों के विए यह
विशेषरूप से सत्य था, क्योंकक िे समाजिादी थे।
पुनः यहाँ के राष्ट्रिादी 1979 के कै मप डेविड समझौते के विरुद्ध थे (वमस्र-आजराआि शांवत संवध),
वजसके ऄंतगवत वमस्र ने आजराआि को मान्यता प्रदान की थी। शेष ऄरब राष्ट्र राष्ट्रपवत सादात के
विरुद्ध हो गये और पररणामस्िरूप वमस्र के दवक्षणपंथी राष्ट्रिाकदयों ने 1981 में ईन्हें फांसी पर
चढ़ा कदया।
शत-ऄि-ऄरब नामक ऄंतदेशीय जिमागव पर वििाद: 1975 में इरान ने आराक को आस जिमागव के
संयुि ईपयोग और वनयंत्रण के विए वििश ककया। यह जिमागव दोनों देशों के तेि वनयावत के विए
एक महत्िपूणव मागव था। यह जिमागव इरान और आराक के बीच की सीमा का वहस्सा बन गया।
आराक-इरान युद्ध के समय से यह जिमागव आराक के वनयंत्रण में है।
सद्दाम को तत्काि जीत की अशा थी: ईसे िगा कक 1979 की आस्िामी क्रांवत के बाद इरानी बि
कमजोर हो गए होंगे। िेककन िह गित सावबत हुअ और युद्ध 8 िषव तक चिा।
यह युद्ध 8 िषों तक चिा
सद्दाम के पास रूसी टैंक, हेिीकॉप्टर अकद थे।
इरान को ईत्तरी कोररया, चीन और ऄमेररका (गुि रूप से) से हवथयार प्राि हो रहे थे।
युद्ध के वशया-सुन्नी संघषव बनने के साथ ही सीमा वििाद पाश्वव में चिा गया।
आराक-इरान युद्ध के पररणाम
ऄरब एकता दुबि व हुइ: आस युद्ध से ऄरब राष्ट्रों की एकता को बड़ा झटका िगा।
आराक के समथवक बन गए। आसके ऄवतररि, सउदी ऄरब की एक सामररक रुवच भी थी। यह
फारस की खाड़ी पर इरान का कमजोर वनयंत्रण देखना चाहता था।
o इरान के समथवक देश (Pro-Iran): सीररया, िीवबया, ऄल्जीररया, दवक्षण यमन और
कफिीस्तीनी मुवि संगठन (PLO) इरान के समथवक बन गए। िे आराक के विरुद्ध थे क्योंकक
आराक अक्रमणकारी था और ईनका मानना था कक ऄरब विश्व को आजराआि पर ध्यान देना
चावहए।
तेि संकट: पूरे विश्व में तेि की अपूर्थत में कमी अइ, क्योंकक इरान पर आराकी अक्रमण के कारण
तेि वनयावत ऄिरुद्ध हो गया था। तेि की कमी के कारण ऄमेररका, सोवियत संघ, विटेन तथा फ्रांस
के युद्धपोत आस क्षेत्र में अए वजससे तनाि और बढ़ गया। 1987 तक, सभी तेि टैंकरों को सी-
माआं स का खतरा झेिना पड़ा।
संयि
ु राष्ट्र िारा युद्धविराम के विए मध्यस्थता (1988): संयि
ु राष्ट्र ऐसा करने में सक्षम था
क्योंकक 1988 तक दोनों पक्ष थक चुके थेेे। िेककन शांवत शतों को स्िीकार करने से पहिे ही
आराक ने कु िैत पर अक्रमण कर कदया और यह वििाद अगे चिकर खाड़ी युद्ध (1990-91) में
तलदीि हो गया।
56. ऄरब-आजरायि सं घ षव
56.1. 1948 में आजराआि का गठन क्यों हुअ?
आजराआि के वनमावण के तुरंत बाद आस पर सीररया, आराक, जॉडवन, वमस्र और िेबनान िारा संयि
ु
रूप से आसपर अक्रमण ककया गया।
पररणाम
वमस्रः युद्ध से वमस्र को कोइ िाभ नहीं हुअ। बवल्क, आजराआि ने वमस्र के ऐिात बंदरगाह पर
कलजा कर विया। वमस्र ने कफविस्तीनी शरणार्थथयों की समस्या का भी सामना ककया, क्योंकक युद्ध
के बाद कफविस्तीवनयों के साथ आजराआि के क्रूर व्यिहार के कारण बड़ी संख्या में शरणार्थथयों का
प्रिासन हुअ था। 1952 में वमस्र की सेना ने राजा फारूक को ऄपदस्थ करने के विए तख्तापिट
ककया क्योंकक ईसने स्िेज नहर में विरटश सैवनकों की ईपवस्थवत का समथवन ककया था। कनवि
गमाि ऄलदुि नावसर हुसैन 1954 में वमस्र के राष्ट्रपवत बने और विरटश प्रभाि को कम करने के
प्रयास में जुट गए।
आजराआि: कफविस्तीन का वजतना वहस्सा आसे संयुि राष्ट्र िारा कदया गया था, आसने ईससे कहीं
ऄवधक वहस्से (¾ भाग) पर कलजा कर विया।
स्िेज नहर का महत्िः स्िेज नहर को 1869 में खोिा गया था। व्यापार के विए यह एक बहुत ही
महत्िपूणव समुिी मागव था। आससे भारत जाने िािे विरटश व्यापारी जहाजों िारा तय की जाने
िािी दूरी काफी कम हो गइ थी। आसने भूमध्यसागर से वहद महासागर को जोड़ कदया। स्िेज नहर
के वबना एवशया पहुंचने के विए जहाजों को ऄफ्रीका के पवश्चमी तट का पूरा चक्कर िगाकर के प
ऑफ गुड होप होते हुए यात्रा करनी पड़ती थी।
स्िेज नहर पर अंग्ि-फ्रांसीसी वनयंत्रणः औद्योगीकरण का प्रयास करते हुए वमस्र 19िीं सदी तक
कदिाविया हो गया था, वजसके कारण वमस्र के गिनवर को स्िेज नहर का प्रबंधन करने िािी कं पनी
में ऄपनी वहस्सेदारी विरटश सरकार को बेचनी पड़ी। आस प्रकार 1875 से नहर का वनयंत्रण फ्रांस
और विटेन के हाथों में था। पररणामस्िरूप, विटेन ने वमस्र को ऄपना ईपवनिेश बना विया। आससे
आसे 1922 में स्ितंत्रता प्राि हुइ, िेककन विरटश सैवनक नहर पर वनयंत्रण बनाए रखने के विए
िहां बने रहे। विटेन वमस्र के अंतररक मामिों में ऄब भी हस्तक्षेप करता रहा।
स्िेज नहर पर विदेशी वनयंत्रण का वमस्र की राष्ट्रिादी सेना ने विरोध ककया।
स्िेज युद्ध - 1956: कनवि नावसर ऄपनी आस मांग पर ऄड़े हुए थे कक ऄंग्रेजों को स्िेज नहर छोड़
देना चावहए। पररणामस्िरुप विटेन, फ्रांस और आजराआि ने 1956 में वमस्र पर अक्रमण कर कदया।
विरटश प्रभुत्ि का ऄंत: वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् विटेन कमजोर हो गया था। ईसे एक त्िररत
विजय की अशा थी परन्तु वमस्र की सेना ने िीरता और दृढ़ता से युद्ध ककया और ऄंगज े ों की शवि
को क्षीण कर कदया। स्िेज युद्ध वमस्र में विरटश प्रभाि के ऄंत को वचवन्हत करता है और आसके बाद
से विदेश नीवत के क्षेत्र में विटेन पूणत
व ः ऄमेररका पर वनभवर हो गया।
आजराआि को िाभ: आसने वमस्र के वसनाइ प्रायिीप पर वनयंत्रण कर विया और शांवत िातावओं में
आसे ऄपने िाभ के विए ईपयोग ककया। आजराआि पर होने िािे कफदाइन हमिे ऄस्थाइ रूप से
समाि हो गए।
युद्धविराम: ऄमेररका और सोवियत संघ ने संयुि राष्ट्र संघ के साथ वमि कर युद्धविराम के विए
मध्यस्थता की। आजराआि ने वसनाइ प्रायिीप वमस्र को िौटा कदया।
तेि अपूर्थत प्रभावित: विरटश और फ्रांस ऄपने युद्ध ईद्देश्यों में विफि रहे। वमस्र ने 1957 तक स्िेज
नहर को बंद कर कदया और ऄरब राज्यों ने यूरोपीय देशों को तेि की अपूर्थत कम कर दी।
रूसी प्रभुत्ि: आस क्षेत्र मे रूसी प्रभाि में िृवद्ध हुइ और ऄमेररकी सहायता के स्थान पर रूसी
सहायता वमिने िगी। आसके ऄवतररि विटेन ने एक सहयोगी के रूप में आराक को खो कदया।
56.4.1. पररणाम
56.5.2. पररणाम
तेि संकट (1973): योम ककप्पर युद्ध के दौरान पेिोवियम वनयावतक देशों के संगठन (OPEC) ने
तेि की अपूर्थत कम कर दी। आसके पररणामस्िरूप तेि अयातक देशों में मुिास्फीवत बढ़ गइ और
तेि की कमी हो गइ। OPEC िस्तुतः आजराआि का समथवन करने िािे ऄमेररका और यूरोपीय
देशों पर आजराआि को समपवण करने के विए कहने हेतु दबाि बनाना चाह रहा था। हािांकक कु छ
िोगों का तकव है कक OPEC िास्ति में ऄपने दुिभ
व संसाधनों के सरं क्षण के विए वचवतत था।
ऄमेररका और सोवियत संघ ने संयुि राष्ट्र के माध्यम से हस्तक्षेप ककया और युद्ध विराम हो गया।
स्िेज नहर: आजराआि ने स्िेज नहर से ऄपनी सेनाएं िापस बुिा िीं और वमस्र 1975 में स्िेज नहर
को खोिने के विए सहमत हो गया (जो 1967 से बंद थी)। परन्तु आजराआिी पोतों को ऄभी भी
आसके ईपयोग की ऄनुमवत नहीं थी।
आजराआि ने 1967 के युद्ध मे ऄवधग्रहीत ककए गए सभी क्षेत्रों को ऄपने पास ही रखा (वसनाइ,
िेस्ट बैंक, गाजा और संपूणव यरुशिम)।
सादात के विए सफिता: वमस्र प्रवतिषव ऄक्टू बर 6 को जश्न मनाता है, क्योंकक आस कदन ऄक्टूबर
युद्ध के पश्चात् 1979 मे कै मप डेविड समझौतों के िारा वसनाइ प्रायिीप से आजराआिी सेनाओं की
1979 में ऄमेररकी राष्ट्रपवत काटवर की मध्यस्थता से वमस्र और आजरायि ने एक ऐवतहावसक शांवत
समझौता ककया, वजसे कै मप डेविड समझौता कहा जाता है।
कै मप डेविड समझौते के महत्िपूणव वबदु
वसनाइ से आजराआिी सेना िापस बुिा िी गइ और आसका विसैन्यीकरण ककया जाना था तथा
आसकी वनगरानी ऄमेररकी ईपग्रहों िारा की जानी थी। वमस्र को कु छ सीवमत सैन्य बिों को यहाँ
रखने की ऄनुमवत थी। ितवमान में वसनाइ मे संयुि राष्ट्र का एक सैन्य बि मौजूद है।
वमस्र ने वसनाइ प्रायिीप में नये खोजे गए तेि क्षेत्रों से आजराआि को तेि की अपूर्थत का िादा
ककया।
आजराआि और वमस्र के बीच युद्ध की वस्थवत समाि हो गइ (जो 1948 से चि रही थी)। वमस्र ने
आजराआि पर कफर से हमिा न करने का िचन कदया।
वमस्र ने आजराआिी पोतों को स्िेज नहर के ईपयोग की ऄनुमवत दे दी। परन्तु आजराआि और वमस्र
की यह सौजन्यता सैद्धांवतक रूप से ऄरबों को स्िीकायव नहीं थी और एक सािवजवनक समारोह में
राष्ट्रपवत सादात की हत्या कर दी गइ।
ितवमान वस्थवत
ऄिैध बवस्तयां: आजराआि ने िैध रूप से कफविस्तीनी भूवम (िेस्ट बैंक, पूिी यरुशिम ि गाजा) में
आजराआिी बवस्तयों के वनमावण को बढ़ािा कदया है। िेस्ट बैंक और गाजा में ऄिवस्थत शरणाथी
वशविरों में कफविस्तीन ने विरोध करना जारी रखा है।
1980 के दशक में आजराआि ने यह घोषणा की कक िह कभी भी सीररया को गोिन हाइट्स िापस
नहीं करे गा और िेस्ट बैंक को कफविस्तीन का भाग नहीं बनने देगा।
1967 से पूिव की िह कौन सी वस्थवत है वजसे कफविस्तीनी पाना चाहते हैं और आजराआि िारा आस
मांग का िगातार विरोध ककया जाता है?
o कफविस्तीन = िेस्ट बैंक, गाजा पट्टी, पूिी यरूशिम (Palestine = West Bank, Gaza
Strip, East Jerusalem)।
o आजराआि = पवश्चमी यरूशिम एिं गोिन हाइट्स के ऄवतररि शेष आजराआि (गोिन हाइट्स
पहिे सीररया के पास था)।
आजराआि और PLO के बीच ओस्िो समझौता (1993): आस समझौते में वनम्नविवखत वबदु शावमि
थे:
o PLO िारा आजराआि को मान्यता दी गयी। पुनः PLO ने आजराआि के ऄवस्तत्ि के ऄवधकार
(right to exist) को भी मान्यता दे दी।
o PLO ने अतंकिाद को त्यागने का िचन कदया।
o कफविस्तीनी प्रावधकरण (Palestinian Authority) की स्थापना की गइ।
o आजराआि ने कफविस्तीन को (कफविस्तीनी प्रावधकरण के ऄधीन) िेस्ट बैंक और गाजा पट्टी के
कु छ भागों (संपूणव गाजा पर नहीं) पर सीवमत स्िशासन का ऄवधकार कदया। हािांकक PLO
के कु छ चरम पंवथयों ने यहदी बवस्तयों का विरोध ककया क्योंकक िे पूणव स्िाधीनता चाहते थे।
1995 का वितीय ओस्िो समझौता:
o 1999 तक एक स्थायी समाधान प्राि ककया जाना था।
o आजराआि को िेस्ट बैंक और गाजा से िापस होना था। 1996 में हमास के अतंकिादी कृ त्यों
के कारण यह नहीं ककया जा सका।
o सभी ियस्क ऄरबों िारा सीधे चुनी जाने िािी एक कफविस्तीनी विधान पररषद
(Palestinian Legislative Council) (1993 के दौरान आसपर सहमवत हुइ थी) िारा
1. भूवमका ____________________________________________________________________________________ 3
1. भू वमका
15िीं शताब्दी के अंत में खोजी यात्राओं से एवशया, अमेटरका और तटीय अफ्रीका की नई भूवमयों
की खोज हुई और यह शीघ्र ही औपवनिेवशक िचास्ि के अधीन हो गई। प्रारम्भ में अफ्रीका में
उपवनिेशिाद के िल तटीय अफ्रीका तक ही सीवमत था। अफ्रीका के आन्तटरक भूगोल, िहां के
वनिासी, उनकी भाषा और संस्कृ वत का ज्ञान न होने के कारण अफ्रीका के भीतरी भाग को डाका
कं टीनेंट (अंध महािीप) कहा जाता था।
अफ्रीका महािीप के सुदरू दविणी छोर पर के प ऑफ़ गुड होप की खोज के पटरणामस्िरूप दविण
अफ्रीका डच (हॉलैंड) के प्रभाि में आ गया। डच व्यापाटरक कम्पनी ने 1652 में के प कॉलोनी की
खोज की थी। दविणी अफ्रीका में जो डच बस गए उन्हें बोअसा के नाम से जाना जाता था।
जब विटेन ने 1877 में ट्ांसिाल को अपना उपवनिेश घोवषत ककया तो डच सेटलसा ने इस बात का
हहसक विरोध ककया। आश्चयाजनक रूप से विटटश इस प्रकार के विद्रोह के वलए तैयार नहीं थे।
विद्रोह के बाद 1884 की शांवत संवध के अंतगात उन्हें ट्ांसिाल को एक फ्री स्टेट के रूप में घोवषत
करने के वलए वििश होना पडा।
प्रथम बोअर युद्ध के पश्चात् यहां दो बोअर गणरायय - ट्ांसिाल और ऑरें ज फ्री स्टेट - अवस्तत्ि में
थे, जबकक के प कॉलोनी और नटाल विटेन के आधीन था।
विटेन ट्ांसिाल और ऑरें ज फ्री स्टेट को अपने वनयंत्रण में लाने के वलए कटटबद्ध था। 1899 तक
डचों को डर सता रहा था कक विटटश उन पर आक्रमण करें गे। इसवलए ट्ांसिाल और ऑरें ज फ्री
स्टेट ने के प कॉलोनी और नटाल के विरुद्ध अचानक आक्रमण कर कदया। युद्ध तीन िषों चला और
इसमें गुटरल्ला युद्ध पद्धवत का भी प्रयोग ककया गया। परन्तु विटटश सेना के शस्त्रों और शवि के
समि बोअर कहीं नहीं ठहरे और 1902 तक विटेन ने विजय प्राि कर ली।
बोअसा ने अपने ऊपर विटेन की सम्प्रभुता स्िीकार कर ली और बदले में विटेन ने विस्थावपत
बोअसा के पुनिाास के वलए अनुदान कदया तथा कु छ समय के उपरांत सीवमत स्िायत्तता देने का
िचन कदया।
(Transvaal Immigration Restriction Act, 1907) के तहत अन्य प्रान्तों से ट्ांसिाल में
प्रिेश करने िालों पर प्रवतबन्ध आरोवपत ककया गया था। अवधकांश भारतीय नटाल में रहते थे
परन्तु काम के बेहतर अिसरों के वलए अवधक समृद्ध प्रान्त ट्ांसिाल तक पहुंचना चाहते थे।
भारतीयों ने ट्ांसिाल में स्थानांतटरत होकर प्रिासी कानून का उल्लंघन ककया और
वगरफ्ताटरयां दी। ट्ांसिाल में भारतीयों ने वबना लाइसेंस के पटरी पर सामान बेचा। कई
भारतीयों को बंदी बनाया गया और कइयों को ट्ांसिाल से वनिाावसत ककया गया। स्ियं गााँधी
जी को 1908 में बंदी बनाया गया। शीघ्र ही जेल िमता से अवधक भर गयी थी।
o टाल्सटॉय फामा (1910): एक वनमाम सरकार के विरुद्ध संघषा करते हुए प्रदशानकारी शीघ्र ही
थकने लगे थे। आन्दोलन को जारी रखने के वलए और जनता का मनोबल बनाए रखने के वलए
गााँधी जी ने एक जमान िास्तुकार हमान कालेनबाख की आर्थथक सहायता से टाल्सटॉय फॉमा
की स्थापना की। इस हेतु मुवस्लम लीग, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और हैदराबाद के वनजाम तक
ने धन भेजा था। शीघ्र हीं टाल्सटॉय फॉमा सत्याग्रवहयों का अड्डा बन गया और उन्हें कौशल
विकास एिं स्ियं सहायता (self-help) िारा आत्मवनभारता प्रदान की गई। उन्हें वशवित
ककया गया और नैवतक वशिा भी प्रदान की गई। इस बीच टाल्सटॉय फॉमा के भारतीयों ने
वबना परवमट के ट्ांसिाल आना-जाना जारी रखा।
गोखले का आगमन (1912): जो आन्दोलन एक वनवरक्रय चरण में था, उसे 1912 में गोपाल कृ रण
गोखले के आगमन से ब ािा वमला। सरकार ने गोखले को िादा ककया कक भारतीयों के विरुद्ध
भेदभाि पूणा कानून शीघ्र ही हटा कदए जायेंगे, परन्तु िचन का पालन नहीं ककया गया और इस
घटना ने 1913 में सत्याग्रह पुनुः आरं भ करने के वलए ऊजाा प्रदान की। गोखले ने गााँधी जी को
परामशा कदया कक िे काले कानून के साथ पोल टैक्स का भी विरोध करें ।
पोल टैक्स अवभयान (1913): गांधीजी ने पोल टैक्सर (1895 के अप्रिासी कानून संशोधन
विधेयक के अंतगात 3 पाऊंड का िार्थषक कर) के विरुद्ध शांवतपूणा अवभयान प्रारम्भ ककया। इस
अवभयान ने एक विशाल स्िरूप ले वलया क्योंकक बहुत से कायाकताा इसमें सवम्मवलत हो गए।
सिोच्च न्यायालय का 1913 का वनणाय: इसने ईसाई धमा के अनुसार संपन्न नहीं ककए गए वििाहों
और रवजस्ट्ार के साथ अपंजीकृ त सभी वििाहों को रद्द कर कदया। इस वनणाय को भारतीयों ने
धार्थमक स्ितन्त्रता पर हमला माना वजसने सभी मुवस्लम, वहन्दू और पारसी वििाहों को अिैध
करार कदया था। संघषा के इस हबदु पर बहुत बडी संयया में मवहलाएं भी इस अवभयान में
सवम्मवलत हो गयीं।
अंवतम दौर (Final Countdown): भारतीयों ने अिैध रूप से आप्रिासी कानून के विरुद्ध
ट्ांसिाल पार करना प्रारम्भ कर कदया। कस्तूरबा गााँधी ने भी इसमें भाग वलया और उन्हें बंदी बना
वलया गया। शीघ्र ही दविण अफ्रीका में सभी श्रवमकों (खवनक, रे लिे श्रवमक आकद) से गााँधी जी ने
सम्पका ककया और उन्हें संगटठत ककया।
2000 श्रवमकों के एक समूह के साथ गांधीजी ने आप्रिासी कानून का उल्लंघन करते हुए एक माचा
का आयोजन ककया। उन सब को माचा के दौरान कई बार बंदी बनाया गया परन्तु हर बार जेल से
टरहा होते ही िे कफर से आंदोलनरत हो जाते। पुवलस का दमन क्रूर था और जेलों की वस्थवत भी
बहुत कठोर थी (भूखे रखना, कोडे मारना, पत्थर तोडना आकद)। शीघ्र ही सभी भारतीय खवनक
और बागान श्रवमक हडताल पर चले गए।
resistance campaign) स्मट्स सरकार के एवशयाई भूवम पट्टा कानून (Asiatic Land
Tenure Act; वजस Ghetto एक्ट भी कहा जाता है) के प्रवतकक्रया स्िरूप हुआ था, वजसने भूवम
के स्िावमत्ि और भूवम को अपने कब्जे में लेने के भारतीयों के अवधकार को गम्भीर रूप से
प्रवतबंवधत कर कदया था।
कु छ अफ़्रीकी, वमवश्रत रं ग िाले और श्वेतों ने भी इस अवभयान में भाग वलया और भारतीयों के
साथ ही बंदी बना वलए गए। इस अवभयान ने अफ़्रीकी और भारतीय संगठनों के बीच सहयोग की
आधारभूत नींि का काया ककया, विशेषकर नटाल ि ट्ांसिाल भारतीय कांग्रेस और अफ़्रीकी
नेशनल कांग्रेस के बीच।
1947 में भारत और पाककस्तान को अश्वेत बहुमत के शासन के अंतगात स्ितंत्रता प्राि हुई थी। इस
घटना ने दविण अफ्रीका के श्वेत लोगों को बहुत असहज कर कदया था, क्योंकक उन्हें विटटश
राष्ट्रमंडल के अन्य सदस्य राष्ट्रों में जावतगत समानता के प्रसाटरत होने का डर था। स्िाधीनता के
पश्चात् भारत में बसने िाले यूरोवपयों की वस्थवत यहााँ के मूलवनिावसयों से बेहतर नहीं रह गई।
स्ितंत्रता के पश्चात् यहााँ विवध का शासन था जो प्रत्येक व्यवि के साथ समान व्यिहार करता था।
दविण अफ्रीका में अश्वेतों, एवशयाई और अन्य िणा के लोगों िारा राजनीवतक तथा सामावजक
समानता की मांग ककए जाने का भय था।
यद्यवप अवधकांश श्वेत जावतगत समानता के विरोधी थे वजनमें विशेषकर डच शावमल थे। जातीय
िचास्ि की सबसे कट्टरपंथी समथाक अकफ्रकनर (Afrikaner) नेशनवलस्ट पाटी थी, जो “अश्वेत
तकनीकी रूप से 1948 के पश्चात् प्रधानमंत्री मलान की नई सरकार िारा संसद में पाटरत कई
कानूनों के माध्यम से रं गभेद प्रारम्भ ककया गया।
अलगाि: 1948 के पश्चात् पूणा पृथक्करण की नीवत का यथासम्भि प्रयास ककया गया। ग्रामीण िेत्रों
में और अवधक पृथक आरवित िेत्र बनाए गए तथा नगरों में अश्वेत श्रवमकों के वलए पृथक
टाऊनवशप बनाए गए। पटरिहन के साधन के रूप में अश्वेतों के वलए पृथक बसें और ट्ेनें थीं।
मनोरं जन के वलए पृथक कै फे , समुद्र तट (बीच) और वसनेमाघर थे। चूंकक अश्वेतों को वनम्न माना
जाता था, अतुः उनके वलए पृथक शौचालय थे। सामावजक सेिाओं में भी पृथक्करण था, उदाहरण के
वलए- अश्वेतों के बच्चे पृथक विद्यालयों में घटटया वशिा ग्रहण करते थे और उनके वलए अस्पताल
भी पृथक होते थे, जहााँ आधारभूत सुविधाओं का भी अभाि पाया जाता था। पृथक्करण का धार्थमक
िेत्र में भी अनुसरण ककया गया क्योंकक अश्वेत के िल अपने वलए आरवित चचों में ही प्राथाना कर
सकते थे। परन्तु पूणा पृथक्करण को के िल आंवशक सफलता ही वमली क्योंकक इसे लागू करना
असम्भि था। अश्वेत दविण अफ्रीका की श्रमशवि का वनमााण करते थे और श्वेतों को उनकी
आिश्यकता थी। सम्पूणा पृथक्करण का पटरणाम आर्थथक पतन हो सकता था।
नस्लीय पहचान पत्र और पास कानून/वनयम: एवशयाई, अश्वेत और वमवश्रत नस्ल से सम्बन्ध रखने
िाले प्रत्येक व्यवि को पहचान पत्र कदए गये थे, वजसे उन्हें सदैि अपने साथ रखना होता था। पास
कानून िस्तुतुः अश्वेत आंदोलनों को प्रवतबंवधत करने का एक साधन था। कठोर पास कानून पाटरत
ककए गये वजसका आशय था कक अश्वेतों को अपने आरवित िेत्रों में ही तब तक रहना होता था जब
तक कक उन्हें काया के वलए श्वेत िेत्र में जाने की आिश्यकता न पडे। श्वेत िेत्र में जाने के वलए उन्हें
पास कदए जाते थे, अन्यथा वबना पुवलस की विशेष अनुमवत के श्वेत िेत्रों में या यहां से होकर ककए
जाने िाले सभी प्रकार के आिागमन प्रवतबंवधत थे।
नस्लीय शुद्धता: नस्लीय शुद्धता के सरं िण के वलए कानून के माध्यम से अंतरनस्लीय वििाहों पर
प्रवतबन्ध लगाया गया तथा श्वेतों और अश्वेतों के बीच िैिावहक सम्बन्धों पर भी प्रवतबन्ध लगा
कदया गया।
बंतस्ु तान नीवत (Bantustan Policy): 1959 में संसद ने बंतू स्ि-शासन अवधवनयम, 1959 पाटरत
ककया। बंतू अश्वेत लोगों के वलए एक पयााय था। इस अवधवनयम का कवथत लक्ष्य अपने आरवित िे त्रों में
अश्वेत लोगों को स्ि-शासन प्रदान करना था और बंतुस्तान बनाकर इसे कायाावन्ित ककया जाना था।
लेककन बंतुस्तान नीवत से दुवनया भर में दविण अफ्रीका की हनदा हुई। ऐसा इसवलए था क्योंकक यह
दुभाािनापूणा आशय से ककया गया एक स्िांग था। दविण अफ्रीका ने नि-उपवनिेशिाद प्रकार की नीवत
का पालन ककया वजसमें आर्थथक एिं अन्य नीवतयों पर वनयंत्रण बनाए रखना वनवहत था। इस नीवत का
उद्देश्य संसाधनों पर बलात अवधपत्य और सामान्यतुः नि-उपवनिेशिादी वहतों के वलए राष्ट्रीय वहतों का
दमन करना था। दविण अफ्रीकी सरकार ने बंतुस्तान की आर्थथक और विदेशी नीवतयों को वनयंवत्रत कर
रखा था। बंतुस्तान में अश्वेतों की बवस्तयां थीं। बंतुस्तान की वस्थवत के वलए कु ल सात िेत्रों की पहचान
की गई, जो दविण अफ्रीका के कु ल िेत्रफल का के िल 13 प्रवतशत था, वजसमें दविण अफ्रीका के 70
प्रवतशत से अवधक लोगों को वनिास करना था।
इसके अवतटरि बंतुस्तान आर्थथक रूप से सिम इकाई नहीं थी क्योंकक ऐसी बडी आबादी को आश्रय देने
के वलए भू-संसाधन पयााि नहीं थे। आर्थथक और लॉवजवस्टक संबध
ं ी दृविकोण को ध्यान में रखते हुए ककसी
भी तका संगत मानदंड का उपयोग नहीं ककया गया था। उदाहरण के वलए, बंतुस्तान की समुद्र तक पहुाँच
नहीं थी। इसके अवतटरि प्रत्येक बंतुस्तान को दविण अफ्रीकी िेत्र िारा घेरा गया था और दो बंतस्ु तानों
के बीच कोई संपका नहीं था।
इन सभी कारणों से संयुि राष्ट्र ने बंतुस्तान को एक िैध रायय मानने से इं कार कर कदया था। बािजूद
इसके दविण अफ्रीका आगे ब ा और उसने 1980 तक तीन बंतुस्तानों को स्ितंत्र घोवषत कर कदया।
9. रं ग भे द नीवत-विरोधी सं घ षा
अश्वेत दविण अफ्रीककयों ने अपने अवधकारों के वलए लडने हेतु साउथ अफ्रीकन नेटटि नेशनल
कांग्रस
े (SANNC) का गठन करते हुए 1912 में खुद को संगटठत ककया। जॉन ड्यूबे और सोल
प्लात्जे उस समय के प्रमुख अश्वेत नेता थे। 1923 में SANNC अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (ANC) में
पटरिर्थतत हो गई।
1948 और इसके पश्चात् जब प्रधान मंत्री मलान एिं अन्य दविण अफ़्रीकी सरकारों ने दमनकारी
क़ानून पाटरत ककया तो अश्वेतों के मध्य असंतोष काफी ब गया। भारत जैसे स्ितंत्र राष्ट्रों के उद्भि
और स्ि-शासन के वसद्धांतों तथा मानिावधकारों की सुरिा की लोकवप्रयता (जैसा निगटठत संयि
ु
राष्ट्र िारा स्थावपत ककया गया था) के पटरणामस्िरूप रं गभेद के विरुद्ध जन आंदोलन उभरने लगा,
वजसका लक्ष्य बहुसंययक अश्वेत शासन को स्थावपत करना था।
o प्रारं भ में अश्वेत संघषा महात्मा गांधी की असहयोग की रणनीवत और सविनय अिज्ञा की तजा
पर चला। ANC के अलबटा लुथल
ु ी ने कई हडतालों का आयोजन ककया और सविनय अिज्ञा
आंदोलन का नेतृत्ि ककया वजससे अश्वेत उन िेत्रों में प्रिेश कर पाए जो श्वेतों के वलए
आरवित थे।
o 1955 में ANC ने अश्वेत, एवशयाई और अन्य िणा के लोगों के साथ एक गठबंधन कर ‘फ्रीडम
चाटार” की घोषणा की। यहीं से फ्रीडम चाटार ANC का प्रमुख कायाक्रम या मुद्दा बन गया।
इसने सभी को मतावधकार, धमा संबंधी आवधकार, अवभव्यवि की स्ितंत्रता, रोजगार का
अवधकार, क़ानून के समि समानता, समान काया के वलए समान िेतन, वनुःशुल्क वचककत्सा,
वनुःशुल्क और अवनिाया वशिा का अवधकार, न्यूनतम मजदूरी के साथ प्रवत सिाह चालीस
घंटों का काया तथा बेरोजगारी भत्ता देने की मांग की।
o जनसमूह के आिेग, दुवनया भर के देशों के दबाि और स्थानीय जागरूकता के चलते चचा के
नेताओं ने भी रं गभेद नीवत के वखलाफ बोलना आरं भ कर कदया था।
o ANC ने कई शांवतपूणा विरोध प्रदशान ककए, वजसमें से जोहान्सबगा में 1957 का बस बॉयकाट
कायाक्रम बेहद सफल रहा था। यह प्रदशान जोहान्सबगा में सरकार िारा ब ाए गए बस के
ककराए के विरोध में ककया गया था तथा जल्द ही अन्य िेत्रों में भी फ़ै ल गया। जोहान्सबगा के
80 प्रवतशत अफ्रीकी लोग गरीबी रे खा के नीचे रहते थे और इसवलए यह िृवद्ध अफ्रीककयों के
तोडफोड ि अन्य आरोपों का दोषी ठहराया गया तथा 1964 में उन्हें आजीिन कारािास की
सजा सुनाई गई। वजसमें से अवधकांश समय रोबेन िीप (Robben Island) पर वबताते हुए
उन्होंने जेल में कु ल 27 िषा काटे। यहां गांधीजी और नेल्सन मंडल
े ा के बीच के अंतर पर ध्यान
कदया जाना महत्त्िपूणा है। अहहसा गांधीजी की मूल्य प्रणाली का वहस्सा थी जबकक नेल्सन
मंडल
े ा के वलए यह एक सरकार विरोधी रणनीवतक उपकरण था। नेल्सन मंडल
े ा को यह
विश्वास हो गया था कक अफ्रीका में एवशयाई लोगों जैसे छोटे अल्पसंययक समूह के वलए
अहहसा का मागा सिोत्तम था क्योंकक िे रायय शवि के विरुद्ध हहसक रूप से विजय हावसल
करने में असफल रहते। अलबटा लुथुली जैसे कु छ नेताओं ने अहहसात्मक विरोध जारी रखा,
लेककन जब 1967 में लुथल
ु ी की हत्या कर दी गई तब सिासम्मवत से संघषा ने हहसक रुख
अपना वलया।
o मंडल
े ा के जेल में रहने के बािजूद आंदोलन जारी रहा:
1970 के दशक में ANC ने श्रवमकों िारा विरोध प्रदशान करिाया क्योंकक मजदूरी इतनी
कम थी कक मुद्रास्फीवत की मार झेलना मुवश्कल हो रहा था। लेककन डच अवधिावसयों की
श्वेत सरकार ने आंदोलन को दबाना जारी रखा।
1976 में डच अवधिावसयों की श्वेत सरकार ने अश्वेत स्कू लों में अफ्रीकांस भाषा
(Afrikaans language) अवनिाया कर दी। अफ्रीकांस भाषा दविण अफ्रीका में वनिास
करने िाले डच लोगों िारा बोली जाने िाली भाषा थी। यह अश्वेत दविण अफ्रीकी लोगों
की स्िदेशी भाषा नहीं थी। इसका अश्वेतों ने व्यापक विरोध ककया और पुवलस ने इसके
जिाब में 200 प्रदशानकाटरयों को मार कदया। इस प्रकार 200 प्रदशानकाटरयों की हत्या
के पटरणामस्िरूप दविण अफ्रीका के सभी वहस्सों में विरोध प्रदशान शुरू हो गए। पुवलस
जहां तक हो सका दविण अफ्रीका ने दविण पवश्चम अफ्रीका के विऔपवनिेशीकरण में वबलंब ककया और
इसके वलए संयुि राष्ट्र (इसने नमीवबया पर दविण अफ्रीका के कब्जे को अिैध घोवषत ककया),
ऑगानाईजेशन ऑफ़ अफ्रीकन यूवनटी और राष्ट्रमंडल देशों ने इसकी भत्साना की। साउथ-िेस्ट अफ्रीका
पीपुल्स ऑगेनाइजेशन (SWAPO) दविण-पवश्चम अफ्रीका की स्ितंत्रता के वलए लड रहा था। 1975
में अंगोला पुतागाल से स्ितंत्रता हो गया और माक्सािादी MPLA सरकार (पीपुल्स मूिमेंट फॉर द
वलिेशन ऑफ अंगोला) सत्ता में आई। 1961-75 के दौरान MPLA ने अंगोला की स्ितंत्रता के वलए युद्ध
लडा। 1975 के बाद से MPLA ने SWAPO गुटरल्लाओं को सुरवित आश्रय प्रदान ककया और सोवियत
हहसक विरोध प्रदशान और ब गया क्योंकक ANC की मांग अपूणा ही रह गई थी। अश्वेतों को
मतावधकार एिं सरकार में भागीदारी नहीं वमली थी और 1984 के संविधान के अंतगात अश्वेतों के
वलए कोई राजनीवतक प्रवतवनवधत्ि नहीं था।
1980 के दशक के मध्य से बाहरी दबाि ब गया:
o 1986- विटेन के अवतटरि राष्ट्रमंडल के अन्य देशों ने दविण अफ्रीका के विरूद्ध कठोर
प्रवतबंधों पर सहमवत व्यि की। वजसके अंतगात दविण अफ्रीकी सरकार को ककसी भी तरह के
ऋण, तेल की वबक्री, ICT उपकरणों के वनयाात, ककसी भी तरह का परमाणु व्यापार और साथ
ही सांस्कृ वतक या िैज्ञावनक संपका पर प्रवतबन्ध लगा कदया गया। मौकद्रक मुआिजा के वसद्धांतों
का त्याग करने हेतु राजीि गांधी ने मागारेट थैचर की आलोचना की क्योंकक विटेन ने दविण
अफ्रीका में विटटश वनिेश पर के िल स्िैवच्छक प्रवतबंध के वलए सहमवत व्यि की थी। इससे
राष्ट्रमंडल के भीतर भी तनाि पैदा हो गया।
o 1986- अमेटरकी कांग्रेस ने वनम्नवलवखत के पि में मतदान ककया:
दविण अफ्रीका को और अवधक ऋण नहीं देने हेतु,
दविण अफ्रीका के साथ हिाई संपका बावधत करने हेत,ु और
दविण अफ्रीका से आयात (लोहा, वनकल, यूरेवनयम, इस्पात, कोयला, िस्त्र आकद) पर
प्रवतबंध लगाने हेतु।
o आंतटरक रूप से अश्वेतों में जागरूकता और आत्मविश्वास ब ता जा रहा था। िे अब अवशवित
नहीं थे और उच्च कु शलता िाली नौकटरयां कर रहे थे। 1984 में डेसमंड टू टू को नोबल शांवत
पुरस्कार वमला।
डच टरफामाड चचा अब रं गभेद विरोधी बन गया और सािाजवनक रूप से रं गभेद की हनदा करने
लगा।
इस प्रकार वस्थवत तेजी से बदल रही थी। श्वेत दविण अफ़्रीककयों का बहुसंययक िगा अब मानने
लगा कक राजनीवतक िेत्र से अश्वेतों का पूणा अपिजान असंभि था। हालांकक िे डरे हुए थे, कफर भी
उन्होंने भविरय में अश्वेत बहुमत के शासन का विचार छोड कदया।
एफ. डब्ल्यू. क्लाका 1989 में राष्ट्रपवत बने। उनके वलए वनधााटरत काया अश्वेत बहुमत शासन की कदशा
में शांवतपूणा संक्रमण सुवनवश्चत करना था। उन्हें दविणपंथी िगों से कठोर विरोध का सामना करना
पडा, कफर भी उन्होंने दविण अफ्रीका को अश्वेत बहुमत के शासन में पटरिर्थतत करने की प्रकक्रया आरं भ
की।
तैयारी:
o ANC के साथ संबंध सुधारने के वलए 1991 में नेल्सन मंडल
े ा को जेल से टरहा कर कदया गया
और ANC को िैध घोवषत ककया गया। पूरे विश्व में मंडल
े ा की टरहाई का स्िागत ककया गया
और मंडल
े ा को ANC के सदस्यों से भारी समथान वमला। उन्हें ANC का नेता चुना गया।
आरिण का प्रािधान हटा कदया गया, अथाात् अवनिाया गठबंधन िाली सरकार की व्यिस्था
समाि कर दी गई।
1946 में रं गभेद नीवतयों का पालन करने िाली सरकार के साथ व्यापाटरक संबंध समाि करने
िाला भारत पहला देश था।
बाद में भारत ने सभी संपका (राजनवयक, िावणवययक, सांस्कृ वतक और खेल) समाि कर कदए जो
भारत ने संयुि राष्ट्र, NAM और अन्य बहुपिीय संगठनों में रं गभेद की हनदा की और यह दविण
अफ्रीका के विरूद्ध लगाये जाने िाले अंतरााष्ट्रीय प्रवतबंधों के पि में अग्रणी था।
1960 के दशक से ही ANC का कदल्ली में एक कायाालय था।
कर कदया गया। 1970 में दविण अफ्रीका को औपचाटरक रूप से IOC से वनरकावसत कर कदया
गया। 1968 में संयुि राष्ट्र महासभा ने सभी राष्ट्रों से "दविण अफ्रीका के नस्लिादी शासन के साथ
सांस्कृ वतक, शैविक, खेल और अन्य आदान-प्रदान वनलंवबत करने" का अनुरोध ककया। भारत और
कई अफ्रीकी तथा अन्य देशों ने घोषणा की कक िे 1970 के राष्ट्रमंडल खेलों में भाग नहीं लेंगे
क्योंकक दविण अफ्रीका इं ग्लैंड का दौरा करे गा। दविण अफ्रीका को कदया गया वनमंत्रण िापस लेने
के वलए विटेन को वििश ककया गया। 1973 में अफ्रीकी राष्ट्रमंडल देशों और भारत ने खेल का
बवहरकार करने की धमकी देकर न्यूजीलैंड को दविण अफ्रीका की रग्बी टीम का दौरा रोकने के
वलए वििश ककया।
भारतीय में खेल से जुडे नेताओं ने मांग की कक अंतरााष्ट्रीय खेलों में गैर-यूरोवपयों का भी
प्रवतवनवधत्ि होना चावहए। 1973 में दविण अफ्रीकी खेल पटरषद बनाई गई, वजसमें सभी गैर-
नस्लीय और रं गभेद विरोधी खेल महासंघों को एकजुट ककया गया। भारतीय वखलावडयों और खेल
प्रशासकों ने इन वनकायों में सकक्रय भूवमका वनभाई।
4.3. बांडुग
ं सम्मेलन (1955) _____________________________________________________________________ 5
10. गुट वनरपेक्ष अंदोलन में ककए जाने िाले संभाव्य सुधार _________________________________________________ 11
जाने के कारण आन निोकदत देिों के वलए ‘तृतीय विश्व’ पद का प्रयोग ककया गया।
NAM का गठन अवधकाररक रूप से 1961 में हुअ था। आस ऄिवध में विऔपवनिेिीकरण प्रगवत
पर था। यहााँ ईल्लेखनीय बात यह है कक िीतयुद् के दौरान तृतीय विश्व के कु छ नि-तितंत्र देिों
िारा ऄपनाइ गइ नीवत को गुट वनरपेक्ष अंदोलन से संबद् ककया जाता है। आन देिों िारा ऄपनी
तितंत्र विदेि नीवत के विकास एिं संचालन तथा तत्कालीन दो गुटों से पृथक रहने हेतु
गुटवनरपेक्षता का सहारा वलया गया।
2. NAM के मू ल वसद्ां त
NAM के मूल वसद्ांतों को संक्षप
े में वनम्नवलवखत रूप से िर्थणत ककया जा सकता है:
3. NAM क्यों?
विकास पर ध्यान कें कित करने हेत:ु निोकदत राष्ट्रों को औपवनिेविक िासन के कारण वपछड़ापन
विरासत में वमला था तथा ये ितचमान समय में भी ऄपनी सामावजक, अर्थथक और राजनीवतक
व्यितथाओं के वनमाचण की चुनौती का सामना कर रहे हैं। तितंत्रता के पश्चात् तृतीय विश्व के राष्ट्रों
के समक्ष ऄपने सीवमत संसाधनों के साथ अर्थथक विकास एिं राजनीवतक समेकन का दुरूह लक्ष्य
था। ये अर्थथक और राजनीवतक रूप से कमजोर थे, ऄतः दोनों विश्व िवियों में से ककसी के भी
प्रभाि में अने के वलए सुभेद्य थे। ऄतः, आनमें से ऄवधकांि देिों ने विकास लक्ष्यों पर ध्यान कें कित
करने और विदेि नीवत के तितंत्र संचालन हेतु गुट वनरपेक्ष अंदोलन को मूतच तिरूप प्रदान ककया।
के रूप में संगरठत करना था, वजससे िे दोनों िैवश्वक गुटों में से ककसी के साथ भी गठबंधन न करके
िीत युद् की राजनीवत से पृथक रहने में सक्षम हो सकें । िीत युद् की प्रमुख वििेषताएाँ सैन्य
गठबंधन और हवथयारों के दौड़ थी, वजसके कारण आसमें नि तितंत्र देिों की तितंत्रता को खतरा
सामूवहक मत के माध्यम से ऄपनी एक सुदढ़ृ तितंत्र पहचान तथावपत करना चाहते थे।
आसका अयोजन नइ कदल्ली में हुअ था। आस सम्मेलन का कें ि बबदु तितंत्र विदेि नीवत, पवश्चम पर
वनभचरता में कमी और विश्व िांवत के वलए प्रयास करना था। आस सम्मेलन के दौरान पंवडत नेहरू ने
तकच कदया कक एवियाइ राष्ट्र दीघचकाल से पवश्चमी िवियों के ऄधीन रहें हैं और ऄब िह समय अ
गया है जब ईन्हें िैवश्वक मामलों में वनणचयन की तितंत्रता वमलनी चावहए। ईन्हें पवश्चम पर ऄपनी
वनभचरता को समाि करने के वलए प्रयास करना चावहए और आसके वलए ईन्हें ऄपनी जनता के
कल्याण के वलए एक साथ वमलकर कायच करने की अिश्यकता है।
युद् की विभीवषका को परमाणु हवथयारों के विकास से जोड़ कर देखा गया, वजसने संपूणच मानिता
को खतरे में डाल कदया था। आसवलए एवियाइ राष्ट्रों का प्राथवमक ईद्देश्य विश्व िांवत को बनाए
रखने के वलए कायच करना होना चावहए।
भारत और चीन ने पांच वसद्ांतों को 1954 में हतताक्षररत एक समझौते के अमुख (प्रततािना) में
सवम्मवलत ककया था। साथ ही िे NAM का ऄवभन्न ऄंग भी बन गए। ये वसद्ांत वनम्नवलवखत थे:
o सभी देिों िारा ऄन्य देिों की क्षेत्रीय ऄखंडता और प्रभुसत्ता का सम्मान करना,
में भारतीय मान्यता िहां हुइ मानि त्रासदी के प्रवत वििेक-िून्यता का संकेत नहीं थी।
NAM की ऐवतहावसक प्रगवत में यह एक प्रमुख घटना है। आसमें भाग लेने िाले राष्ट्रों ने विश्व
जनसंख्या के लगभग अधे वहतसे का प्रवतवनवधत्ि ककया। यह एवियाइ और ऄफ्रीकी देिों का एक
सम्मेलन था वजसका अह्िान आंडोनेविया में, िहां के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष सुकणो िारा ककया गया
था।
यह सम्मेलन NATO (1949) और िारसा पैक्ट (1995) के ईद्भि, िीत युद् में तीव्रता, सोवियत
संघ (USSR) और संयुि राज्य ऄमेररका िारा हाआड्रोजन एिं परमाणु बम का विकास तथा विश्व
में ईत्पन्न दो प्रमुख संकटों, कोररया और वियतनाम संकट की पृष्ठभूवम में अयोवजत हुअ।
आस सम्मेलन के महत्िपूणच नेताओं में वमस्र के गमाल ऄब्दुल नावसर, भारत से जिाहर लाल नेहरू
और चीन के प्रधानमंत्री चाउ एन लाइ सवम्मवलत थे।
दवक्षण पूिच एविया संवध संगठन (Southeast Asia Treaty Organization: SEATO,
1954) और बगदाद पैक्ट (1955) के रूप में एविया में सैन्य गुटों का प्रसार प्रारं भ हो गया। आस
सम्मेलन में ऄमेररकी नेतृत्ि िाले सैन्य गुट के सदतयों, जैस-े इरान, आराक, पाककततान, थाइलैंड,
तुकी और कफलीपींस ने भाग वलया था। फलतः सम्मेलन के ऄंत में संयुि ििव्य में NAM के मूल
1960 में संयुि राष्ट्र में 17 नए देि िावमल हुए और विऔपवनिेिीकरण की गवत में िृवद् हुइ।
5. NAM की सकारात्मकता
तृतीय विश्व के देिों िारा ककसी भी सैन्य गुट में सवम्मवलत होने से आंकार करने के कारण िैवश्वक
िांवत के वनमाचण में सहायता वमली। NAM के देि NATO, िारसा पैक्ट, SEATO, बगदाद पैक्ट
अकद जैसे ऄन्य सैन्य गुटों में सवम्मवलत नहीं हुए।
NAM ने ऄंतराचष्ट्रीय तनाि को कम करने, ईपवनिेििाद, साम्राज्यिाद एिं नतलिाद को समाि
करने में महत्िपूणच भूवमका वनभाइ।
USSR और NAM:
o िांवतपूणच सह-ऄवततत्ि: साम्यिादी नेता राष्ट्रीय नीवत के रूप में युद् के विरुद् थे परं तु ईनका
मानना था कक साम्राज्यिाद के ऄवततत्ि के समय तक युद् ऄवनिायच था। तटावलन के पश्चात्
USSR ने विवभन्न सामावजक, अर्थथक और राजनीवतक प्रणावलयों का ऄनुसरण करने िाले देिों
के मध्य "िांवतपूणच सह-ऄवततत्ि" की नीवत ऄपनाइ। िांवतपूणच सह-ऄवततत्ि की नीवत, भारत जैसे
नए तितंत्र देिों िारा ऄपनाइ गइ गुट वनरपेक्ष की नीवत के मूल वसद्ांत में से एक थी। आसका
तात्पयच "युद् की ऄवनिायचता" के वसद्ांत के त्याग से है। सोवियत नेताओं के साथ NAM के नेताओं
ने विवभन्न राजनीवतक, अर्थथक और सामावजक प्रणावलयों में िांवतपूणच प्रवततपधाच पर बल कदया।
o भारत ने ककसी भी सैन्य गठबंधन में प्रिेि न करने के NAM वसद्ांत का ऄनुसरण ककया।
हालााँकक रूस के साथ 1971 के समझौते पर हतताक्षर करने के वलए भारत की अलोचना भी
की गइ। भारत ने ऄपने पक्ष में तकच कदया कक आस समझौते को ककसी तीसरे देि की ओर
वनदेवित नहीं ककया गया था।
o भारत िारा सैन्य तानािाही को छोड़कर सभी देिों के साथ मैत्रीपूणच संबंध बनाए रखने के
NAM के एक ऄन्य वसद्ांत का भी ऄनुसरण ककया गया है। आस वसद्ांत के ऄपिाद-तिरूप,
6. NAM की विफलता
वमस्र के नि-ईपवनिेििाद विरोधी संघषच का समथचन करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री जिाहरलाल
नेहरू ने कनचल नावसर के साथ घवनष्ठ सम्बन्ध तथावपत ककए। आन दोनों नेताओं के ऄवतररि घाना
के एन्क्रूमाह (Nkrumah), यूगोतलाविया के टीटो और आं डोनेविया के सुकणो 1961 में तथावपत
गुट वनरपेक्ष अंदोलन के संतथापक सदतय थे।
परन्तु NAM ऄरब-आज़राआल संघषच का िांवतपूणच समाधान करने में ऄसफल हो गया क्योंकक वमस्र,
ऄफ्रीकी देि ऄल्जीररया और ऄन्य मध्य-पूिच ऄरब राष्ट्रों के साथ 1967 में आजरायल के विरुद् युद्
में िावमल हो गया।
है। हालााँकक NAM िारा ऄलगाि की नीवत का समथचन नहीं ककया गया है। NAM देिों ने तिंय को
ककसी गुट के साथ प्रवतबद् नहीं करते हुए विषयों की विवििता के अधार पर वनणचय वलया है।
आसी प्रकार, ितचमान में NAM के सदतय देि, जैस-े भारत, विषय अधाररत संगठन - IBSA
(जलिायु िाताच पर कें कित), BRICS (आसका ईद्देश्य ईभरती ऄथचव्यितथाओं को सुदढ़ृ ता प्रदान
करना है) अकद में िावमल हुए हैं। आसके विपरीत, भारत NATO (North Atlantic Treaty
NAM का सवचिालय या संविधान जैसी कोइ औपचाररक संरचना नहीं है। आसके कायों एिं
दावयत्ि का वनिचहन तत्कालीन िार्थषक ऄध्यक्ष िारा ककया जाता है।
प्रत्येक सदतय देि की समतयाएं वभन्न हैं (ईदाहरण के वलए कु छ देिों में गैर-कायचिील लोकतंत्र
विद्यमान हैं), आसवलए विवभन्न मुद्दों के सिचवनि समाधान को प्राि करना करठन हो जाता है।
NAM विखर सम्मेलन मेजबान देि की विदेि नीवत से प्रभावित होता है। ईदाहरण के वलए, यह
संभािना व्यि की जा रही है कक 2019 में ऄजरबैजान में प्रततावित 18िें NAM विखर सम्मेलन
में अमेवनया-ऄजरबैजान संघषच का मुद्दा चचाच के कें ि रह सकता है।
1992 में युगोतलाविया का विघटन होने से एक संतथापक सदतय की सदतयता को समाि कर
कदया गया, जबकक माल्टा और साआप्रस ने यूरोपीय संघ की सदतयता प्राि करने के वलए NAM से
ऄपनी सदतयता को िापस ले वलया। ऄजेंटीना और मेवक्सको जैसे प्रमुख दवक्षण ऄमेररकी देिों
तथा चीन को ऄभी तक के िल पयचिेक्षक का ही दजाच प्राि हुअ है। यूरोप और दवक्षण ऄमेररका में ,
वििेष रूप से िीत युद् के दौरान आन क्षेत्रों में गठबंधनों की भूवमका के कारण NAM की वतथवत
कमजोर हुइ है।
िृहद सदतयता के कारण NAM के सदतयों के मध्य समन्िय एिं आसके कायो में सामंजतय की
समतया बनी हुइ है। NAM िारा सदतयों के मध्य समन्िय तथावपत करने के वलए संयुि राष्ट्र संघ,
प्रत्येक NAM विखर सम्मेलन के ऄंत में एक जरटल दततािेज़ जारी ककया जाता है। ये दततािेज
प्रायः पूिचिती की पुनरािृवत होते हैं।
हुए कहा गया कक ‘िीत युद् के दौरान विश्व िांवत बनाए रखने में गुट वनरपेक्ष अंदोलन ने
महत्िपूणच भूवमका वनभाइ थी और िीत युद् की समावि के पश्चात् भी विश्व का तिरूप सुरवक्षत
और न्यायोवचत नहीं होने के कारण यह अज भी प्रासंवगक बना हुअ है’।
गुट वनरपेक्ष अंदोलन में सिाचवधक प्रवतवनवधत्ि ऄफ्रीका (53 सदतय देिों) और तत्पश्चात एविया
(39 सदतय देिों) और लैरटन ऄमेररका (26 सदतय देिों) िारा ककया जाता है। आसका नकारात्मक
पहलू यह है कक यूरोप के के िल दो देि - बेलारूस और ऄज़रबैजान ही आसके सदतय हैं।
आसमें दवक्षण-दवक्षण सहयोग के वलए एक मंच के रूप में कायच करने और विकासिील देिों के वहतों
का समथचन करने की क्षमता है।
ऄपनी तितंत्रता की सुरक्षा, विदेि नीवत का तितंत्र एिं राष्ट्रवहत में संचालन तथा ककसी भी
िैवश्वक िवि का प्रभुत्ि तिीकार ना करने का ईद्देश्य ऄंतराचष्ट्रीय राजनीवत में सदैि प्रासंवगक बना
रहेगा।
ईल्लेखनीय है कक गुट वनरपेक्ष अंदोलन ऄपने िाततविक िावब्दक ऄथच के संदभच में एक समूह न
होकर एक अंदोलन है। ितचमान पररदृश्य में अर्थथक ऄिांवत के कारण ईत्पन्न चुनौवतयों से
विकासिील देिों िारा सामूवहक रूप से वनपटने और अर्थथक मुद्दों पर विचार-विमिच के वलए गुट
वनरपेक्ष अंदोलन की भूवमका और ऄवधक महत्िपूणच हो गइ है।
िीत युद् के दौरान ऄमेररका िारा गुट वनरपेक्ष अंदोलन को ऄनैवतक ठहराया गया था। परन्तु
ितचमान में आसके प्रासंवगक होने के बािजूद भी पवश्चमी राष्ट्रों िारा आसके महत्ि का ईपहास ककया
जाता है। गुट वनरपेक्ष अंदोलन विकासिील देिों को एक ईवचत मंच प्रदान करता है। सामान्यतः
विकासिील देिों की समतयाओं को विवभन्न ऄंतराचष्ट्रीय मंचों में ऄपयाचि प्रवतवनवधत्ि एिं ईनके
विचारों को प्रदत्त कम महत्ि के कारण नजरं दाज़ कर कदया जाता है। गुट वनरपेक्ष अंदोलन विखर
सम्मेलन के दौरान संयुि राष्ट्र महासवचि की ईपवतथवत आसके महत्ि को प्रदर्थित करती है। दिकों
पश्चात प्रथम बार वमस्र के राष्ट्रपवत ने गुट वनरपेक्ष अंदोलन में भाग वलया।
ऄपने संगठन के कारण, गुट वनरपेक्ष अंदोलन संघषचरत देिों के अंतररक मामलों में हततक्षेप ककए
वबना सीररया तथा इरान में संघषच जैसी ऄविलंबनीय समतयाओं हेतु तथानीय समाधानों के वलए
एक मंच प्रदान करने में सक्षम है। ईदाहरणाथच- NAM Troika (वमस्र, इरान एिं िेनेजए
ु ला) का
गठन सीररया के वलए ककया गया था, हांलाकक यह वनधाचररत पररणाम प्राि करने में ऄसफल रहा
है।
NAM की ऄध्यक्षता के संबंध में क्षेत्रीय अितचन (Regional Rotation) के वसद्ांत का पालन
ककया जाता है। ऄफ्रीका, एविया और दवक्षण ऄमेररका का कोइ भी देि रोटेिन के माध्यम से
गुटवनरपेक्ष अंदोलन की ऄध्यक्षता प्राि कर सकता है। पूिच, ितचमान तथा अगामी ऄध्यक्ष को
सामूवहक रूप से रोआका (Troika) कहा जाता है। ईदारणाथच 2012 के सम्मेलन में वमस्र-इरान-
िेनज़
े ुएला ने रोआका का गठन ककया था।
1995 के 11िें NAM विखर सम्मेलन में आस बात पर सहमवत बनी की सभी वनणचय सिचसम्मवत के
बजाय परतपर सहमवत िारा वलए जाएंगे।
NAM का समन्ियक ब्यूरो न्यूयॉकच में वतथत है जो NAM के कायच में समन्ियन तथावपत करने हेतु
कें ि बबदु के रूप में कायच करता है। लगातार दो NAM विखर सम्मेलनों के मध्य वनयवमत रूप से
आसकी बैठक होती है।
कु छ विविि कायों के वनपटान हेतु कइ क्षेत्रीय सवमवतयों का भी गठन ककया गया है।
10. गु ट वनरपे क्ष अं दोलन में ककए जाने िाले सं भाव्य सु धार
NAM को सुदढ़ृ बनाने हेतु आसकी रोआका व्यितथा पर पुनः विचार करने की अिश्यकता है।
NAM िारा ऄपने घोषणा पत्र को सीवमत करने का प्रयास ककया गया है, हालांकक सदतय देिों
िारा आसमें ऄपने घरे लू मुद्दों के समािेि के कारण यह संभि नहीं हो सका है।
NAM के लक्ष्यों का पुनर्थनधाचरण करना चावहए; यह सुझाि भारत िारा 2012 में अयोवजत