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संस्कृ ति (Culture)
तिषय-सूची
1. मूर्ििय ,ं मंदिर एिं स्थ पत्य (Sculptures, Temples and 3.5.4. तपछि ई तचत्रकल ______________________ 28
other Architecture) ____________________________ 4 3.6. गरब नृत्य _______________________________ 29
1.1. यूनेस्को द्व र म न्यि _________________________ 4 3.7. सुर्ख़ियों में रही अन्य नृत्य शैतलय ं _______________ 30
1.1.1. श ंति तनके िन __________________________ 4 3.7.1. च म ल म नृत्य ________________________ 30
1.1.2. पतित्र होयसल मंदिर समूह _________________ 6 3.7.2. कोलकली नृत्य _________________________ 30
1.2. मंदिर ____________________________________ 7 3.7.3. पुतलकली (ब घ नृत्य) ____________________ 31
1.2.1. कोण कि सूयि मंदिर _______________________ 7 3.8. सुर्ख़ियों में रही अन्य कल शैतलय ं _______________ 31
1.2.2. श रि मंदिर ___________________________ 9 3.8.1. तगलतगि प ंडुतलतपय ं ____________________ 31
1.3. सुर्ख़ियों में रहे अन्य मंदिर _____________________ 10 3.8.2. ओल तचकी तलतप _______________________ 31
1.3.1. त्र्यंबके श्वर मंदिर ________________________ 10 3.8.3. फणीतगरी कल कृ तिय ं ___________________ 32
1.3.2. िुंगन थ मंदिर _________________________ 11 3.8.4. िज्र मुति कल ग _______________________ 32
1.3.3. ज गेश्वर मंदिर और प िििी कुं ड _____________ 11 4. सुर्ख़ियों में रहे महत्िपूणि स्थल (Important Sites in the
1.3.4. श्री सीि र म स्ि मी मंदिर, तत्रशूर, के रल ______ 11 News) ______________________________________ 33
1.3.5. तिरुनेल्ली मंदिर, के रल ___________________ 12 4.1. कील डी उत्खनन___________________________ 33
2. स्थ पत्य एिं मूर्ििकल (Architecture and Sculpture) _ 13 4.2. सुर्ख़ियों में रहे अन्य संगमक लीन स्थल ____________ 33
PT 365 - संस्कृ ति

2.1. मोहनजोिडो की नििकी की मूर्िि ________________ 13 4.2.1. पोपिनैकोट्टई स्थल _______________________ 33


2.2. नटर ज की प्रतिम __________________________ 13 4.2.2. आदिचनल्लूर __________________________ 33
2.2.1. सेंगोल _______________________________ 17 4.3. सुर्ख़ियों में रहे अन्य महत्िपूणि स्थल ______________ 34
2.3. G20 तशखर सम्मलेन में प्रिर्शिि अन्य स स्ं कृ तिक पहलू 18 4.3.1. जून खटटय स्थल ______________________ 34
2.4. नय संसि भिन ___________________________ 20 4.3.2. चेब्रोलू ______________________________ 34
2.5. जंिर-मंिर _______________________________ 21 4.3.3. मेन्हीर ______________________________ 34
2.6. सुर्ख़ियों में रहे अन्य स्थ पत्य ___________________ 22 4.3.4. िोतपपकल्लु य हैट स्टोन्स _________________ 35
2.6.1. गोलकोंड (गोलकुं ड ) क दकल _____________ 22 4.3.5. सुंिरगढ़ प्र कृ तिक मेहर ब _________________ 35
2.6.2. तसरी दकल ___________________________ 22 4.3.6. तशशुप लगढ़ __________________________ 35
2.6.3. एक त्मि की मूर्िि ______________________ 23 4.3.7. भ यखल रे लिे स्टेशन, मुंबई _______________ 35
3. तचत्रकल और अन्य कल शैतलय ं (Painting and other 4.3.8. तहहसप्लंग तिलेज (कोंगथोंग ग ंि) ___________ 36
Forms of Art) ________________________________ 24 5. व्यतित्ि (Personalities) _______________________ 37
3.1. इतिह स के स्रोिों के रूप में अतभलेख _____________ 24 5.1. तमतहर भोज _____________________________ 37
3.2. यूनेस्को दिएटटि तसटीज़ नेटिकि ________________ 25 5.2. संि मीर ब ई _____________________________ 38
3.3. जह ज तनम िण की प्र चीन तसल ई तिति (टंक ई पद्धति) 26 5.3. र नी िुग ि
ि िी _____________________________ 40
3.4. मेि ड तचत्रकल शैली________________________ 26 5.4. छत्रपति तशि जी मह र ज ___________________ 41
3.5. सुर्ख़ियों में रही अन्य तचत्रक टरय ं________________ 27 5.5. सर सैयि अहमि ख न _______________________ 42
3.5.1. ब ग प्प्रंट (छप ई) _______________________ 27 5.6. महर्षि िय नंि सरस्ििी ______________________ 43
3.5.2. पन मलै तचत्रकल (ितमलन डु ) _____________ 27 5.7. श्री अरप्बंिो घोष __________________________ 44
3.5.3. चेटरयल स्िॉल पेंटटंग_____________________ 28 5.8. भगि न तबरस मुंड ________________________ 45

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5.9. श्री अल्लूरी सीि र म र जू ____________________ 46 8. तितिि (Miscellaneous)_______________________ 58


5.10. क ज़ी नजरुल इस्ल म ______________________ 47 8.1. प्र चीन भ रि में सैन्य प्रण ली __________________ 58
5.11. र ज रति िम ि ___________________________ 48 8.2. संयुि र ष्ट्र तिश्व पयिटन संगठन _________________ 59
5.12. सुर्ख़ियों में रहे अन्य व्यतित्ि __________________ 48 8.3. तगरतमटटय मजिूरी ________________________ 59
5.12.1. श्रीमंि शंकरिेि _______________________ 48 8.4. सुर्ख़ियों में रहे त्यौह र _______________________ 60
5.12.2. अतहल्य ब ई होल्कर (1725 – 1795) _______ 49 8.5. सुर्ख़ियों में रहे खेल _________________________ 60
5.12.3. श्री न र यण गुरु (1856-1928) ___________ 49 8.5.1. भ रि के र ष्ट्रीय खेल ____________________ 60
5.12.4. सतिि नंि तसन्ह (1871-1950) ___________ 49 8.5.2. खेलो इं तडय पैर गेम्स 2023 ______________ 61
5.12.5. स्ि मी सहज नंि सरस्ििी ________________ 50 8.5.3. ड यमंड लीग __________________________ 62
5.12.6. म लिी मेम (उफि मंगरी ओरं ग) ____________ 50 8.5.4. ICC िल्डि टेस्ट चैंतपयनतशप (WTC) _________ 62
5.12.7. रुतममणी लक्ष्मीपति (1892-1951) _________ 50 8.6. सुर्ख़ियों में रही सरक री पहलें __________________ 62
5.12.8. अशफ क उल्ल ख न (1900-1927) ________ 50 8.6.1. संशोतिि ‘एडॉपट ए हेटरटेज 2.0’ क यििम _____ 62
5.12.9. श्री र म प्लंग स्ि मीगल _________________ 51 8.6.2. र ष्ट्रीय स ंस्कृ तिक म नतचत्रण तमशन _________ 63
6. पुरस्क र (Awards) ___________________________ 52 8.7. भौगोतलक संकेिक (GI) टैग ___________________ 64
6.1. स तहत्य क नोबेल पुरस्क र ___________________ 52 8.8. अन्य महत्िपूणि सुर्ख़िय ं ______________________ 68
6.2. स तहत्य अक िमी पुरस्क र ____________________ 53 8.8.1. होमो नलेडी __________________________ 68
6.3. संगीि न टक अक िमी अमृि पुरस्क र ____________ 53 8.8.2. मतहल ओिुिर ________________________ 68
6.4. अन्य महत्िपूणि पुरस्क र ______________________ 54 8.8.3. ब ली य त्र ___________________________ 68

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6.4.1. गोप्िंि स्िरूप ल इफट इम अचीिमेंट अि डि ____ 54 8.8.4. यूनेस्को क तप्रमस िस िय पुरस्क र, 2023 ______ 68
6.4.2. रे मन मैग्सेसे पुरस्क र ____________________ 54 8.8.5. अतभलेख पटल _________________________ 69
6.4.3. इं दिर ग ंिी श ंति पुरस्क र, 2023 __________ 54 8.8.6. JATAN: िचुिअल म्यूतजयम तबल्डर __________ 69
6.4.4. अन्नपूण ि प्रम ण-पत्र क यििम _______________ 54 8.8.7. संयि
ु र ज्य अमेटरक ने 100 से ज्य ि भ रिीय
7. सुर्ख़ियों में रही जनज तिय ं (Tribes in News) ________ 56 पुर िशेष ि पस दकए _________________________ 69
7.1. कु ई भ ष ________________________________ 56 8.8.8. िैतश्वक बौद्ध तशखर सम्मेलन, 2023 _________ 69
7.1.1. सुर्ख़ियों में रही अन्य जनज तिय ं और संबंतिि घटन एं पटरतशि I : बौद्ध िमि _____________________________ 70
_________________________________________ 57 पटरतशि II : जैन िमि _____________________________ 71

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1. मू र्िि य ं , मं दिर एिं स्थ पत्य (Sculptures, Temples and other


Architecture)
1.1. यू ने स्को द्व र म न्यि (UNESCO Recognition)

1.1.1. श ं ति तनके िन (Shanti Niketan)


सुर्ख़ियों में मयों?

श ंति तनके िन भ रि क 41ि ं यूनस्े को तिश्व िरोहर स्थल


(WHS)1 बन गय है।

अन्य संबतं िि िथ्य

• यह पतिम बंग ल क िीसर यूनस्े को तिश्व िरोहर है।


पतिम बंग ल के अन्य िो तिश्व िरोहर हैं: सुि
ं रिन र ष्ट्रीय
उद्य न और ि र्जिप्लंग म उं टेन रेलिे।
• इसे आक र िेने में रिीन्रन थ टैगोर के स थ-स थ सुरेंरन थ
कर, नंिल ल बोस, पैटिक और आथिर गेडस
े की अहम
भूतमक थी।
• अंिर िष्ट्रीय स्म रक और स्थल पटरषि (ICOMOS)2 ने
“श तं ि तनके िन” को यूनस्े को WHS में श तमल करने की

PT 365 - संस्कृ ति
तसफ टरश की थी।

अंिर ष्ट्र
ि ीय स्म रक और स्थल पटरषि (ICOMOS) के ब रे में

• उत्पति: इसे 1965 में स्थ तपि दकय गय थ । यह तिश्व तिर सि स्थलों (WHS) के ब रे में
ऐतिह तसक इम रिों के ि स्िुक रों और तिशेषज्ञों की • ये स्थल यूनेस्को की तिश्व िरोहर सूची में सूचीबद्ध िरोहर स्थल होिे हैं।
िूसरी बैठक/ क ग्र
ं स े क एक पटरण म है। यह बैठक
• ये स्थल 1972 के तिश्व तिर सि कन्िेंशन के िहि उत्कृ ि स ििभौतमक मूल्य ि ले स्थल
1964 में िेतनस में आयोतजि हुई थी।
के रूप में तचतन्हि होिे हैं।
• मुख्य लय: पेटरस, फ् स

• इन स्थलों को िीन श्रेतणयों य नी स स्ं कृ तिक, प्र कृ तिक और तमतश्रि के िहि चुन
• ICOMOS के ब रे में: यह यूनेस्को से जुड एक िैतश्वक ज ि है।
गैर-सरक री संगठन है। इसक उद्देश्य स्म रकों, भिन o भ रि में 42 तिश्व िरोहर स्थल हैं। इनमें से 34 स ंस्कृ तिक, 7 प्र कृ तिक और

पटरसरों और स स्ं कृ तिक तिर सि स्थलों के संरक्षण, एक तमतश्रि प्रक र क है।


• WHS को सिस्य िेशों द्व र सौंपी गई अस्थ यी सूची (Tentative list) के आि र पर
सुरक्ष , उपयोग ि बेहिरी को बढ़ ि िेन है।
न म ंदकि दकय ज ि है।
• सिस्य: इसमें भ रि सतहि लगभग 151 िेश श तमल • तिश्व तिर सि सूची में श तमल होने के तलए दकसी स्थल को चयन संबि
ं ी िस म निंडों
हैं। में से एक को पूर करन होि है।
• अन्य महत्िपूणि ज नक री: यह यूनेस्को के तिश्व तिर सि
कन्िेंशन के क य िन्ियन के तलए तिश्व तिर सि सतमति क एक सल हक र तनक य है।
• टरपोटि: हेटरटेज एट टरस्क

1 World Heritage Site


2 International Council on Monuments and Sites

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श ंति तनके िन के ब रे में

• अितस्थति: यह पतिम बंग ल के बीरभूम तजले में


तस्थि है।
• संतक्षप्त तििरण: श ंति तनके िन ने भ रि की
प्र चीन, मध्यक लीन और लोक परं पर ओं के स थ-
स थ ज प नी, चीनी, फ रसी, ब ली, बमी िथ
डेको कल शैतलयों (पतिमी यूरोप और संयि
ु र ज्य
अमेटरक ) को भी अपन य है।
• तितशिि : यह “कल की संपण
ू ि कृ ति
(Gesamtkunstwerk)” क एक तितशि भ रिीय
उि हरण है। यह ं जीिन, तशक्ष , क यि और कल
अपने स्थ नीय एिं िैतश्वक रूपों के स थ एक-िूसरे
से जुडे हुए हैं।
• स्थ पन (प्र रं तभक दिन):
o स्थ पन : 19िीं शि ब्िी के मध्य में महर्षि िेिन्े रन थ टैगोर (रिीन्रन थ टैगोर के तपि ) ने इसकी स्थ पन थी।
o यह ं मृि अपरिन के क रण कु छ क्षेत्र बंजर भूतम में बिल गय थ । इस घटन को स्थ नीय भ ष में खोई कह ज ि है।
o श ंति तनके िन िो िरफ से अजय और कोप ई नदियों से तघर हुआ है।

प्रमुख स्थ पत्य और स ंस्कृ तिक तिशेषि एं

• समग्र रूप से: क चं क मंदिर श ंति तनके िन पटरसर में बनी प्रथम संरचन थी। यह मंदिर दकसी सम्प्रि य तिशेष के तलए नहीं थ ।
PT 365 - संस्कृ ति

• स्थ नीय स्थ पत्य शैली:


o भिन तनम ण ि स मग्री: भिन तनम िण में तमट्टी और घ स-फू स जैसी प रं पटरक स मग्री िथ मजबूि सीमेंट कं िीट िोनों िरह की स मतग्रयों क
इस्िेम ल दकय गय है।
o सज िट: पटरसर की िीि रें प्रमुख भ रिीय कल क रों द्व र तनर्मिि तभतितचत्रों, फ्े स्को तिति से बने तचत्रों और मूर्िियों से सुसतिि हैं।
▪ क लो ब री की िीि रें और गतलय रे भरहुि, मह बलीपुरम, मोहनजोिडो, तमस्र ि असीटरयन रूप क
ं नों से अलंकृि है।

रिीन्रन थ टैगोर के अिीन श ंति तनके िन


• िषि 1901 में, रिीन्रन थ टैगोर ने श ंति तनके िन में ब्रह्मचयि आश्रम की स्थ पन की थी।
o यह िपोिन और गुरुकु ल जैसी प्र चीन िैदिक परं पर ओं से प्रेटरि थ । इसमें िृक्षों की छ य के नीचे खुली हि में कक्ष एं आयोतजि की ज िी थीं।
▪ इस आश्रम को 1925 में प ठ-भिन के न म से ज न ज ने लग थ ।
• उन्होंने श ंति तनके िन के पटरिेश के क रण िह ं आश्रम की स्थ पन की थी।
• तिश्व भ रिी तिश्वतिद्य लय, श तं ि तनके िन:
o 1921 में तिश्व भ रिी न मक एक ‘तिश्वतिद्य लय' की स्थ पन की गई।
o 1951 में, तिश्व भ रिी एक कें रीय तिश्वतिद्य लय में बिल गय । रिीन्रन थ टैगोर, इसके पहले कु लपति बने।

अन्य संबंतिि सुर्ख़िय ं


ब ग्ं ल र म टी
• पतिम बंग ल ने रिीन्रन थ टैगोर के ‘ब ंग्ल र म टी, ब ंग्ल र जल’ को अपन र ज्य ग न घोतषि दकय है।
• पतिम बंग ल तिि न सभ ने पोइल बैश ख (पहल बैश ख) को र ज्य दििस के रूप में मन ने क भी प्रस्ि ि प टरि दकय है। यह बंग ली कै लेंडर के पहले
दिन य नी 15 अप्रैल को पडि है।
• यह गीि बंग ल तिभ जन के तखल फ शुरू दकए गए बंग भंग आंिोलन के िौर न तलख गय थ । यह गीि रक्ष बंिन के म ध्यम से स ंप्रि तयक सद्भ ि को
बढ़ ि िेि है।
• टैगोर ने आम र सोन र ब ग्ं ल (ब ंग्ल िेश क र ष्ट्रीय ग न) की भी रचन की थी।

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1.1.2. पतित्र होयसल मं दिर समू ह (Sacred Ensembles of Hoysalas)

सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में, यूनस्े को ने कन टि क के पतित्र होयसल मंदिर समूह को भ रि क


42ि ं तिश्व िरोहर घोतषि दकय है।

अन्य संबतं िि िथ्य

• पतित्र होयसल मंदिर समूह के िीन मंदिर तनम्नतलतखि हैं:


o चेन्न के शि मंदिर, बेलरू ;
o होयसलेश्वर मंदिर, हलेतबडु ; िथ
o के शि मंदिर, सोमन थपुर
• होयसल मंदिर समूह कन टि क क चौथ तिश्व िरोहर है। कन िटक के अन्य
िीन तिश्व िरोहर हैं- हम्पी, पििकल और पतिमी घ ट (कन टि क ि ल भ ग)।

होयसल मंदिर और उनकी अनूठी तिशेषि एं

• चेन्न के शि मंदिर (इसे तिजयन र यण मंदिर के न म से भी ज न ज ि


है):
o तनम ण
ि कि :ि इस मंदिर क तनम िण 1117 ई. में बेलरू क्षेत्र (ह सन
तजले) में र ज तिष्णुिििन ने करि य थ ।
▪ मंदिर यगची निी के िट पर अितस्थि है।
o िेिि : यह एक एककु ट (एक िेि लय ि ल मंदिर) है। इसके गभिगह

PT 365 - संस्कृ ति
में भगि न कृ ष्ण की मूर्िि स्थ तपि है।
▪ यह मंदिर भगि न तिष्णु को समर्पिि है, जो चेन्न के शि के
न म से भी लोकतप्रय है। यह ं चेन्न क अथि- सुि
ं र और के शि
तिष्णु क अन्य न म है।
▪ यह मंदिर िििम न में भी श्रद्ध लुओं के तलए खुल है। इन िीनों मंदिरों में से यही एकम त्र मंदिर है, जह ं श्रद्ध लुओं द्व र पूज -अचिन की
ज िी है।
• होयसलेश्वर मंदिर (हलेतबडु मंदिर):
o तनम ण
ि कि :ि इसे 1121 ईस्िी में हलेतबडु (ह सन तजले) में बनि य गय थ । र ज तिष्णुिििन ने इस मंदिर के तनम िण में महत्िपूणि भूतमक
तनभ ई थी।
▪ यह मंदिर द्व रसमुर झील के िट पर अितस्थि है।
o िेिि : यह नटर ज के रूप में भगि न तशि को समर्पिि है। तशि
क यह रूप ‘संह र के िेिि ’ के रूप में तिख्य ि है।
• के शि मंदिर:
o तनम ण ि कि :ि इसक तनम िण होयसल र ज नरप्संह िृिीय के
श सनक ल में एक उि अतिक री सोमन थ ने 1268 ईस्िी में
सोमन थपुर (मैसरू ) में करि य थ ।
▪ यह मंदिर क िेरी निी के िट पर अितस्थि है।
o िेिि : यह एक तत्रकु ट मंदिर है। यह मंदिर भगि न कृ ष्ण के िीन
रूपों अथ िि् जन ििन, के शि और िेणग
ु ोप ल को समर्पिि है।
होयसल मंदिर स्थ पत्य शैली
• होयसल मंदिर समूह मंदिर तनम ण ि की तमतश्रि य िेसर शैली में
तनर्मिि है। इस शैली की मुख्य तिशेषि एं तनम्नतलतखि हैं:

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o यह शैली रतिड और न गर शैली क तमतश्रि रूप है।


o इस शैली पर ‘भूतमज ' शैली क अत्यतिक प्रभ ि है।
▪ भूतमज शैली उिर भ रिीय तशखर क एक प्रक र है।
o इसके अल ि , कल्य णी च लुमय क्षेत्र की कन टि रतिड शैली क भी इस पर प्रभ ि िेख ज सकि है।

मंदिर स्थ पत्य की मुख्य तिशेषि एं

• शैली: इस शैली के मंदिर एक ऊंचे चबूिरे (अतिष्ठ न) पर ि रकीय योजन में तनर्मिि हैं।
• मंदिर तनम ण
ि में सेलखडी क उपयोग दकय गय है। सेलखडी मुल यम और नमि होि है।
• गभिगह
ृ : यह मंदिर क सबसे पतित्र भ ग म न ज ि है। इस कक्ष के कें रीय भ ग अथ िि् पीठ (आसन) पर मुख्य िेिि की मूर्िि स्थ तपि होिी है।
• मंडप: यह मंदिर क िह भ ग है, जह ं पर लोग प्र थिन के तलए एकत्र होिे थे:
o मंडप पटरसर में िृि क र स्िंभ भी बने हैं। प्रत्येक स्िंभ के शीषि कोष्ठक पर च र मूर्ििय ं उत्कीणि हैं।
• गोपुरम (मंदिर क प्रिेश द्व र): इस शैली में तनर्मिि मंदिरों क गोपुरम क फी ऊंच है।
• मूर्ििकल : श लभंतजक (एक स्त्री की मूर्िि), यह मूर्ििकल की एक स म न्य शैली है।
• तिम न (गभिगह
ृ य आंिटरक गभिगह
ृ के ऊपर की संरचन ): यह भीिर से स म न्य लेदकन ब हर से भव्य रूप से सुसतिि है।
• अन्य तिशेषि एं: इसकी छि पर टोड गुब
ं ि (corbelled domes) बने हुए हैं।
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1.2. मं दिर (Temple)

1.2.1. कोण कि सू यि मं दिर (Konark Sun Temple)

सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में आयोतजि हुए G-20 तशखर सम्मेलन में तिश्व के नेि ओं के स मने प्रतसद्ध कोण कि सूयि मंदिर के पतहए पर उत्कीणि तचत्र क प्रिशिन दकय गय ।

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कोण कि सूयि मंदिर के ब रे में

• कोण कि सूयि मंदिर एक यूनस्े को तिश्व तिर सि स्थल है। यह मंदिर ब्लैक पैगोड ,
अकि क्षेत्र और पद्म क्षेत्र के रूप में भी लोकतप्रय है।
• कोण कि सूयि मंदिर के पतहए क तनम िण 13िीं शि ब्िी में पूिी गंग िंशीय
श सक नरप्संह िेि प्रथम ने कर य थ ।
o यह मंदिर भगि न सूयि को समर्पिि है। ये पतहए सूयि की खगोलीय गति
को िश िने के तलए बन ए गए हैं।
o मंदिर क तनम ण
ि मलोर इट, लेटर इट और खोंडल इट चट्ट नों से दकय
गय है।
• कोण कि सूयि मंदिर के ब रे में नोबेल पुरस्क र तिजेि रिींरन थ टैगोर ने कह
थ दक यह एक ऐसी जगह है जह ं के पत्थरों की भ ष मनुष्य की भ ष से श्रेष्ठ
है।
• भ रि में अन्य प्रमुख सूयि मंदिर: म िंड सूयि मंदिर (जम्मू और कश्मीर), कट रमल सूयि मंदिर (उिर खंड), सूयि पहर मंदिर (असम), ितक्षण कि सूयि
मंदिर (तबह र), अरस िल्ली सूयि न र यण मंदिर (आंध्र प्रिेश), सूयन
ि र कोतिल (ितमलन डु ), मोढेर सूयि मंदिर (गुजर ि) और ब्र ह्मण्य िेि मंदिर
(मध्य-प्रिेश)।

मंदिर की संरचन

• क ल/ स्थ पत्य: कप्लंग स्थ पत्य कल ।


• प्रिेश द्व र: मंदिर क मुख्य प्रिेश द्व र गजतसम्ह (ह थी पर शेर) की मूर्िि से सुसतिि है। यह ं गज क अथि ह थी और प्संह/ तसम्ह क अथि शेर है।
o पौर तणक कथ ओं के अनुस र, यह ं शेर अहंक र क और ह थी िन क प्रिीक है िथ ये िोनों (अहंक र ि िन) ही मनुष्य के पिन क क रण बनिे
हैं।

PT 365 - संस्कृ ति
• न ट्य मंडप: प्रिेश द्व र के ब ि न ट्य मंडप आि है। यह सूयि मंदिर में नृत्य और रं गमंच के तलए बन एक तिश ल कक्ष है।
• जगमोहन: यह मंदिर क सभ कक्ष है।
• िेउल: जगमोहन के ब ि िेउल न मक संरचन आिी है। यह एक गभिगह
ृ है, जह ं पर मुख्य िेिि की प्रतिम स्थ तपि की गई है।
• भोग-मंदिर (रसोईघर): यह िह स्थ न है, जह ं पर िेिि और श्रद्ध लुओं के तलए भोग बन य ज ि है।

कप्लंग स्थ पत्य शैली


• प्रकृ ति: मंदिर तनम िण की कप्लंग स्थ पत्य शैली उिर भ रि की न गर
शैली और ितक्षण भ रि की रतिड शैली क तमतश्रि रूप है।
• तितशि स्थ पत्य कल शैली: कप्लंग शैली में तनर्मिि मंदिरों में िो
तितशि संरचन एं होिी हैं- एक गभिगृह (िेउल) और एक सभ कक्ष
(जगमोहन)। ह ल ंदक, इस शैली के आरं तभक मंदिरों में जगमोहन
संरचन नहीं होिी थी।
o इस शैली के ब ि के बने मंदिरों में न ट्य-मंडप और दफर भोग-
मंदिर संरचन क तनम िण दकय ज ने लग थ ।
• श्रेतणय ं: कप्लंग स्थ पत्य शैली को स म न्यिः िीन मुख्य श्रेतणयों में
ब ंट गय है-
o रे ख िेउल;
o पीढ़ िेउल य भर िेउल; िथ
o ख खर िेउल।

मंदिर की स्थ पत्य तिशेषि एं

• सूयि की दकरणें: इस सूयि मंदिर को इस िरह से तडज इन दकय गय है दक सूयोिय के समय सूयि की पहली दकरण मंदिर के गभिगह
ृ और इििेि पर पडे।
• रथ की योजन : कोण कि सूयि मंदिर की योजन सूयि ि ि
े के रथ के सम न है।

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• कोण कि रथ मंदिर के पतहए: पतहयों की पटरतिय ं (rims) पतक्षयों, ज निरों और पणि समूह की
नक्क शी से अलंकृि हैं। पतहयों की िीतलयों में बने तचत्रफलकों पर अलग-अलग तिल तसि पूणि
मुर ओं में मतहल आकृ तिय ं उत्कीणि हैं।
• स ि घोडे: भगिि गीि में इन स ि घोडों को 'ग यत्री', 'उतष्णक', 'अनुस्िुि', 'िृहति', 'पंगति',
'तत्रिु प' और 'जगिी' न म दिय गय है। ये संभििः िेिों के पतित्र छंिों की लयबद्ध प्रस्िुति क
प्रिीक हैं।
o इन स ि घोडों के न म भी इं रिनुष के स ि रं गों पर आि टरि हैं: सहस्र र (बैंगनी), इं रनील
(इं तडगो), नील , हटरिह (हर ), पीि (पील ), कौसुंभह (न रं गी) और रि (ल ल)।
• मंदिर में नक्क शी:
o युद्ध अश्व (War Horses): कोण कि मंदिर के ितक्षणी तहस्से के स मने युद्ध अश्वों की
नक्क शीि र िो भव्य मूर्ििय ं हैं।
▪ युद्ध अश्व प्रतिम को ओतडश सरक र ने
अपने र जकीय तचन्ह के रूप में स्िीक र
दकय है।
o सूयि िेि: मंदिर में िीन महत्िपूणि स्थलों पर सूयि
िेि की िीन प्रभ िश ली मूर्िियों को इस िरह से
स्थ तपि दकय गय है दक सूयोिय, िोपहर और
सूय िस्ि के समय सूयि क प्रक श इन मूर्िियों पर
अलग-अलग पडि है।
o अन्य: कु छ नक्क शीि र आकृ तिय ं भ िमय मुर
PT 365 - संस्कृ ति

में उत्कीणि की गई हैं, जबदक अन्य आकृ तियों में


तमथकीय जीिों, ह तथयों ि पतक्षयों को उत्कीणि
दकय गय है।
o कोण कि पतहए की अलग-अलग
व्य ख्य एं: समय, जीिन चि, र तशय ,ं िमिचि,
िूपघडी, लोकिंत्र क प्रिीक।

1.2.2. श रि मं दिर (Sharda Temple)

सुर्ख़ियों में मयों?

जम्मू-कश्मीर के कु पि ड तजले के टीटि ल ग ि


ं में तनयंत्रण रे ख (LoC) के करीब
नितनर्मिि श रि िेिी मंदिर में निर तत्र पूज क आयोजन दकय गय ।

अन्य संबतं िि िथ्य

• यह मंदिर प दकस्ि न अतिकृ ि कश्मीर (PoK) की नीलम घ टी में तस्थि प रं पटरक


श रि िेिी पीठ की ओर ज ने ि ले म गि पर अितस्थि है।

श रि िेिी पीठ के ब रे में

• श रि पीठ इस क्षेत्र के िीन प्रमुख िीथिस्थलों में से एक थ । अन्य िो प्रमुख िीथि स्थल
म िंड सूयि मंदिर और अमरन थ मंदिर हैं।
• यह मंदिर म िंड मंदिर से क फी तमलि -जुलि है।
• प्रतसद्ध तिद्व न और य त्री अलबरूनी ने मंदिर क उल्लेख एक प्रतितष्ठि पूजनीय िीथि स्थल के रूप में दकय है।

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श रि िेिी पीठ क महत्त्ि

• ि र्मिक महत्त्ि: यह 18 मह शति पीठों में से एक है। यह प्हंि ू िेिी सरस्ििी को समर्पिि है।
o िेिी श रि कश्मीरी पंतडिों की कु लिेिी है। कई लोग िेिी को कश्मीर पुरि तसनी (कश्मीर की तनि सी) के न म से भी ज निे हैं।
• शैतक्षक महत्त्ि: एक समय यह पीठ िैदिक ग्रंथों, श स्त्रों, और टीक ओं की उििर तशक्ष के तलए अध्ययन क प्रमुख कें र थ । इसकी िुलन न लंि और
िक्षतशल जैसे प्र चीन तशक्ष कें रों से की ज िी थी।
o ऐस म न ज ि है दक एक तिश्वतिद्य लय के रूप में श रि पीठ की अपनी स्ियं की एक तलतप थी, तजसक न म श रि तलतप थ ।
o इस तिश्वतिद्य लय में 5,000 से अतिक तिद्य थी अध्ययन करिे थे। इसके पटरसर में एक तिश ल पुस्िक लय भी थ ।
o ऐस कह ज ि है दक प्रतसद्ध तिद्व न आदि शंकर च यि ने भी श रि तिश्वतिद्य लय में अध्ययन दकय थ ।
o यह भी म न्यि है दक िैष्णि परं पर के सबसे महत्िपूणि प्रतिप िकों में से एक श्री र म नुज च यि ने भी श रि पीठ क भ्रमण दकय थ और इसी
जगह अपने ग्रंथ ‘श्री भ ष्य’ की रचन की थी।

1.3. सु र्ख़ि यों में रहे अन्य मं दिर (Other temples in news)

1.3.1. त्र्यं ब के श्वर मं दिर (Trimbakeshwar temple)

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• त्र्यंबके श्वर मंदिर भगि न तशि के 12 ज्योतिर्लंगों में से एक है। ज्योतिर्लंग को प्हंि ू िमि में भगि न तशि क प्रिीक म न ज ि है।
o यह मंदिर ब्रम्हतगरी पििि की िलहटी में तस्थि है। यह ं से गोि िरी निी बहिी है।
o इसक तनम िण िीसरे पेशि ब ल जी ब जीर ि (1740-1760) ने एक पुर ने मंदिर के स्थ न पर करि य थ ।
o शब्ि "त्र्यंबक" तत्रिेिों (भगि न ब्रह्म , भगि न तिष्णु और भगि न महेश) को इं तगि करि है।
o यह मंदिर स्थ पत्यकल की न गर शैली में तनर्मिि है। इसक तनम ण
ि क ले पत्थर से दकय गय थ । यह ज्य ि िर भ रि के उिरी भ गों में
प्रचतलि शैली है।

1.3.2. िुं ग न थ मं दिर (Tungnath Temple)

• यह मंदिर उिर खंड के रुरप्रय ग तजले में अितस्थि है। यह


मंदिर 1,000 िषि से भी अतिक पुर न है। एक म न्यि के
अनुस र प ड
ं ि अजुन
ि ने इस मंदिर की नींि रखी थी।
o यह िुतनय में सि ति िक ऊंच ई पर तस्थि तशि मंदिर है।
यह 12,000 फीट से अतिक की ऊंच ई पर तस्थि है।
o इसे 'िृिीय के ि र' भी कह ज ि है, मयोंदक यह गढ़ि ल

तहम लय में मौजूि तशि मंदिरों के 'पंच के ि र' समूह क

तहस्स है। पंच के ि र में के ि रन थ, मद्महेश्वर, िुग


ं न थ,
रुरन थ और कल्पन थ श तमल हैं

1.3.3. ज गे श्व र मं दिर और प िि िी कुं ड (Jageshwar Temple and Parvati Kund)


PT 365 - संस्कृ ति

• ज गेश्वर मंदिर जट गंग निी के प स तस्थि है। यह ं तस्थि तशि मंदिर अलग-अलग िेिि ओं के 100 से अतिक प्र चीन लघु मंदिरों से तघर हुआ
है।
o ये मंदिर गुप्तोिर और पूि-ि मध्यक ल के हैं। यह ं तस्थि ज्य ि िर मंदिरों क तनम िण और पुनर्निम िण कत्यूरी र जिंश के श सकों ने कर य थ ।
o स्कं ि पुर ण और प्लंग पुर ण के अनुस र, तशिप्लंग की पूज सबसे पहले ज गेश्वर से आरं भ हुई थी।
o यह क्षेत्र भगि न तशि की पूज करने ि ले पुनरुत्थ नि िी संप्रि य ‘लकु लीश शैिि ि’ क भी कें र थ ।
• प िििी कुं ड िह स्थ न म न ज ि है, जह ं भगि न तशि और िेिी प िििी ने ध्य न दकय थ । यह स्थ न लगभग 5,338 फीट की ऊंच ई पर
अितस्थि है।

1.3.4. श्री सीि र म स्ि मी मं दिर, तत्रशू र , के रल


(Sree Seetharama Swamy Temple,
Thrissur, Kerala)
• तत्रशूर पूरम को सभी पूरम (के रल के मंदिर उत्सि) की जननी
म न ज ि है।
o यह तत्रशूर के िडमकु न थन मंदिर में हर स ल मन य
ज ि है।
• यह मंदिर भगि न श्री सीि र म, भगि न अयपप और
भगि न तशि को समर्पिि है।
o तत्रशूर पूरम महोत्सि के अिसर पर सीि र म स्ि मी
मंदिर में 55 फीट ऊंची के रल की सबसे बडी हनुम न
प्रतिम क अन िरण दकय है।

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1.3.5. तिरुने ल्ली मं दिर, के रल (Thirunelly Temple,


Kerala)
• यह मंदिर प रं पटरक के रल स्थ पत्य कल शैली में तनर्मिि है। यह के रल के
ि यन ड में ब्रह्मतगटर पह तडयों के प स प पन तशनी निी के िट पर
अितस्थि है।
• इस प्रक र, यह मंदिर तत्रिेिों {तशि, तिष्णु (मुख्य िेिि ) और ब्रह्म } से
िन्य है।

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2. स्थ पत्य एिं मू र्िि क ल (Architecture and Sculpture)


2.1. मोहनजोिडो की निि की की मू र्िि (Mohenjo-Daro’s Dancing Girl)
सुर्ख़ियों में मयों?

दिल्ली में आयोतजि इं टरनेशनल म्यूतजयम एमसपो 2023 क शुभंकर मोहनजोिडो की


नििकी की मूर्िि से प्रेटरि थ ।

अन्य संबतं िि िथ्य

• 47ि ं अंिर िष्ट्रीय संग्रह लय दििस (IMD)3 मन ने के तलए ‘आज िी क अमृि महोत्सि’
के तहस्से के रूप में इं टरनेशनल म्यूतजयम एमसपो क आयोजन दकय गय थ ।
o 2023 के तलए IMD की थीम थी- “संग्रह लय, संि रणीयि और कल्य ण4”।
• इसक शुभंकर चन्न पटनम कल शैली में लकडी से बनी नििकी थ , जो मोहनजोिडो की
नििकी की मूर्िि से प्रेटरि थ ।

मोहनजोिडो की नििकी की मूर्िि के ब रे में

• नििकी की मूर्िि प्संिु घ टी सभ्यि (IVC) के मोहनजोिडो पुर स्थल से प्र प्त हुई थी।
यह मूर्िि लगभग 2500 ईस पूिि की है।
• तब्रटटश पुर ित्ितिि अनेस्ट मैके ने 1926 में मोहनजोिडो की खुि ई से नििकी की मूर्िि प्र प्त की थी।
• िििम न में, यह र ष्ट्रीय संग्रह लय (नई दिल्ली) में सुरतक्षि रखी है।
PT 365 - संस्कृ ति

• इसे ‘लॉस्ट िैमस’ तिति क उपयोग करके बन य गय थ ।


• इसे इसकी नृत्य मुर के क रण 'ड ंप्संग गलि' (नििकी) न म दिय गय ।
चन्न पटनम कल शैली
• यह शैली कन िटक के र मनगर तजले के चन्न पटन कस्बे में प्रचतलि है। इस कस्बे को “तखलौनों क शहर” भी कह ज ि है।
• 2005 में इस शैली को भौगोतलक संकेिक (GI) टैग के म ध्यम से संरक्षण प्रि न दकय गय थ ।
• इस शैली में ज्य ि िर आइिरी क ष्ठ क उपयोग दकय ज ि है। ह ल ंदक, शीशम ि चंिन की लकतडयों क भी कभी-कभी उपयोग होि है।
• िनस्पति रं गों क उपयोग करके क ष्ठ कल क री में रं ग भरे ज िे हैं। स थ ही, चमकील बन ने के तलए अत्यतिक अपघषिक गुण ि ली घ स क उपयोग
दकय ज ि है।
• टीपू सुल्ि न ने स्थ नीय कल क रों को इस कल में प्रतशतक्षि करने के तलए फ़ रसी कल क रों को आमंतत्रि दकय थ ।

2.2. नटर ज की प्रतिम (Nataraja Statue)


सुर्ख़ियों में मयों?

दिल्ली में आयोतजि G-20 तशखर सम्मेलन के आयोजन स्थल पर भ रि मंडपम पटरसर में िुतनय की सबसे ऊंची नटर ज की प्रतिम स्थ तपि की गई।

इस प्रतिम के ब रे में

• यह प्रतिम अिि िु (8 ि िु) से तनर्मिि है।


o अिि िु को ऑमटो-अलॉय भी कह ज ि है। इसमें आठ ि िुओं, यथ - सोन , च ि
ं ी, ि ब
ं , सीस , जस्ि , टटन, लोह और प र क तमश्रण होि
है।
• इसे लॉस्ट िैमस प्रॉसेस (लुप्त मोम प्रदिय तिति) क उपयोग करके बन य गय है।

3 International Museum Day


4 Museums, Sustainability and Well Being

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नटर ज (नृत्य क िेिि ) की प्रतिम के ब रे में

• इस प्रतिम क स्िरूप सृति के चिीय रूप से सृजन और तिन श को प्रिर्शिि करि है।
o यह नृत्य ‘पंचकृ त्य’ य तशि की प च
ं दिय ओं- सृजन, संरक्षण, तिन श, तिरोभ ि और अनुग्रह की अतभव्यति है।
o चोल श सक नटर ज भगि न तशि को अपन कु ल िेिि म निे थे।

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• नटर ज मूर्ििकल क तिक स:
o स क्ष्यों के अनुस र, तशि की क ंस्य प्रतिम एं सििप्रथम 7िीं शि ब्िी ईस्िी और 9िीं शि ब्िी ईस्िी के मध्य में पल्लि क ल में स मने आई थीं।
o इस प्रतिम क तिश्व-प्रतसद्ध िििम न स्िरूप चोल श सकों के संरक्षण में तिकतसि हुआ थ ।
o िसिीं शि ब्िी के िौर न इस कल की प्रतितष्ठि संरक्षक तििि चोल र नी, सेतम्बय न मह िेिी थीं।
• नटर ज से संबतं िि मंदिर:
o ितमलन डु के तचिंबरम शहर में तिल्लै नटर ज मंदिर है।
▪ इस मंदिर क संबंि चोल श सक पर ि
ं क प्रथम से है।
▪ यह मंदिर तजस जगह अितस्थि है, िह तिश्व की चुब
ं कीय भूमध्य रे ख क कें र प्बंि ु है।
• नटर ज की मूर्ििय ं कोनेटरर जपुरम के उम महेश्वर मंदिर और िंज िुर के बृहिेश्वर मंदिर में भी मौजूि हैं।

चोल क लीन कल और स्थ पत्य कल


तशल्पकल

• चोल क लीन क ंस्य मूर्िियों क तनम ण


ि लॉस्ट िैमस प्रॉसेस के म ध्यम से दकय ज ि थ ।
• इन मूर्िियों की एक तिशेषि यह भी है दक उनमें नीचे छेि होिे हैं।
तचत्रकल
• र जर जेश्वर मंदिर और गंगईकोंडचोलपुरम मंदिर की आंिटरक िीि रें पौर तणक आख्य नों से तचतत्रि हैं।
• बृहिेश्वर मंदिर में एक तचत्र उत्कीणि है, तजसक संबंि म को पोलो से बि य ज ि है।

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संगीि और नृत्य कल

• इस क ल में कु ड मुल , िीण और ब ंसरु ी जैसे ि द्य यंत्रों क इस्िेम ल दकय ज ि थ । िेिि तसय ं संगीि और ग यन में तनपुण थीं।
• ऐस म न ज ि है दक भरिन ट्यम क श स्त्रीय रूप चोल िंश के संरक्षण में ही तिकतसि हुआ थ ।
मंदिर
• चोल क लीन मंदिर समूह को िो िगों में िगीकृ ि दकय ज सकि है-
o आरं तभक मंदिर, पल्लि स्थ पत्य कल से प्रभ तिि थे।
o ब ि के मंदिरों पर च लुमय स्थ पत्य कल क प्रभ ि दिख ई िेि है।
• स्थ पत्य शैली: रतिड शैली।
• चोल क लीन मंदिरों की मुख्य तिशेषि एं:
o मंदिर ऊंची चह रिीि री से तघरे हुए हैं।

o मंदिरों में गभिगह


ृ और अंिर ल (िेतस्टबुल) न मक संरचन एं मौजूि हैं।

o मंदिर अत्यंि भव्य और तिश ल हैं। ऊंचे तिम न (आंिटरक गभिगृह के ऊपर की संरचन ) य गोपुरम (प्रिेश द्व र) मंदिरों की मुख्य तिशेषि एं हैं।
o मंदिर तनम िण में नीस और ग्रेन इट क इस्िेम ल दकय गय है।
o महत्िपूणि उि हरण:
▪ आरतम्भक चोल क लीन मंदिर समूह- तिजय लय मंदिर।
▪ ब ि के चोल क लीन मंदिर समूह- िंज िुर क बृहिेश्वर मंदिर, गंगईकोंडचोलपुरम क बृहिेश्वर मंदिर।
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2.2.1. सें गोल (Sengol)


सुर्ख़ियों में मयों?
ह ल ही में, प्रि न मंत्री ने तिरुि ििुिरु ै अिीनम (मठ) के प्रमुख द्व र प्रस्िुि सेंगोल तिरुि ििुिरु ै अिीनम (मठ) के ब रे में
• इस मठ को 16िीं शि ब्िी में एक शैि संि और तिद्व न
य र जिंड (Sceptre) को नए संसि भिन में स्थ तपि दकय ।
नमतशि य मूर्िि ने स्थ तपि दकय थ । प्रतसद्ध शैि संि और
अन्य संबतं िि िथ्य तिरुमंत्रम् के लेखक तिरूमूलर ने तिरुि ििुिरु ै में एक पीपल के
• पंतडि जि हरल ल नेहरू ने 14 अगस्ि, 1947 को ितमलन डु के िृक्ष के नीचे प्रबोिन प्र प्त दकय थ । तिरूमूलर 'तसद्धर' भी थे।
तिरुि ििुिरु ै अिीनम (मठ) से आए कु छ आिीनमों (पुरोतहिों) से सेंगोल आत्मज्ञ न प्र प्त लोगों को ितमल भ ष में “तसद्धर” कह ज ि
ग्रहण दकय थ । इसे सि हस्ि ि
ं रण के प्रिीक के रूप में ज न ज ि है। है।
• ‘सेंगोल’ ितमल शब्ि ‘सेम्मई’ से तलय गय है, तजसक अथि है • यह मठ क िेरी निी के ितक्षणी िट पर तस्थि है।

‘नीतिपर यणि (Righteousness)’। यह इस ि रण को िश िि है दक


ह थ से उत्कीणि और शीषि पर तिर जम न नंिी अपनी तनभीक िृति से सब िेख रहे हैं।
o सेंगोल को ि रण करने ि ले व्यति को न्य यपूणि और तनष्पक्ष रूप से श सन करने क ‘आिेश’ (ितमल में ‘आणई’) होि है।
• चोल स म्र ज्य में 'सेंगोल' को कििव्य पथ, सेि पथ और र ष्ट्र पथ क प्रिीक म न ज ि थ ।
o इतिह सक रों क मि है दक सि के हस्ि ि
ं रण को िश न
ि े के तलए र जिंड
सौंपन संगम युग के ब ि से प्रचलन में है। पुरन नूरू, कु रुं िोक ई, चोल स म्र ज्य में भूतमयों की अलग-अलग श्रेतणय :ं

पेरुम्प न त्रुपपिई और कतलिोगै जैसे ग्रंथों में इसक उल्लेख तमलि है। • िेल्लनि ग ई: गैर-ब्र ह्मण दकस न स्ि मी की भूतम।

चोल प्रश सन के ब रे में • ब्रह्मिेय: ब्र ह्मणों को उपह र में िी गई भूतम।


• चोल प्रश सन में र ज सबसे शतिश ली थ । ह ल ंदक उसे सल ह िेने के तलए • श ल भोग: दकसी तिद्य लय के रखरख ि के तलए भूतम।
मंतत्रयों की एक पटरषि भी होिी थी। • िेिि न, तिरुनमट्टक्कनी: मंदिरों को उपह र में िी गई भूतम।
PT 365 - संस्कृ ति

o शीषि अतिक टरयों को पेरुन्िरम के न म से ज न ज ि थ , जबदक तनचले • पतल्लिंिम: जैन संस्थ ओं को ि न में िी गई भूतम।
अतिक टरयों को तसरुन्िरम के न म से ज न ज ि थ ।
• चोल स म्र ज्य मंडलम य प्र ि
ं ों में तिभ तजि थ और मंडलम िलन डु ओं एिं न डु ओं में बंटे हुए थे।
• चोल प्रश सन ने अपने स रे स म्र ज्य के ग िं ों में स्थ नीय स्िश सन को प्रोत्स तहि दकय थ ।
o बहुि से अतभलेखों (उिरमेरूर तशल लेख सतहि) में िो सभ ओं क उल्लेख तमलि है। इनमें से एक ‘उर’ और िूसरी ‘सभ य मह सभ ’ थी।
▪ उर: यह ग ंि की एक आम सभ थी।
▪ मह सभ : यह ‘अग्रह र’ कहे ज ने ि ले ब्र ह्मण ग ि
ं ों के ियस्क सिस्यों की सभ थी।
• भूतम कर के अल ि चोल श सकों के र जस्ि के िूसरे स्रोि भी थे जैसे व्य प टरक चुग
ं ी, पेशों पर लग ए ज ने ि ले कर आदि।
o चोल र ज ओं ने कु छ समृद्ध भू-स मंिों को मुिि
ें िेलन (िीन र ज ओं को अपनी सेि प्रि न करने ि ल एक िेलन य दकस न), अरइय र (प्रि न)
आदि जैसी उप तिय ं प्रि न की थीं।

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2.3. G20 तशखर सम्मले न में प्रिर्शि ि अन्य स ं स्कृ तिक पहलू (Other Cultural Aspects
Showcased in G20)

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2.4. नय सं स ि भिन (New Parliament House)


सुर्ख़ियों में मयों?
ह ल ही में, िेश के नए संसि भिन क उद्घ टन दकय गय ।

अन्य संबतं िि िथ्य

• इस भिन क तनम िण सेंिल तिस्ट तिक स/ पुनर्ििक स योजन के िहि दकय गय है।
o सेंिल तिस्ट योजन को 1931 में शुरू दकय गय थ । इस योजन में र ष्ट्रपति भिन, नॉथि और स उथ ब्लॉक, संसि भिन, अतभलेख क य ल
ि य
और इं तडय गेट के तनम िण को श तमल दकय गय थ । स थ ही, इसमें र जपथ (िििम न कििव्य पथ) के िोनों ओर के न गटरक उद्य न क तिक स
भी श तमल थ । ध्य िव्य है दक अतभलेख क य िलय (Record Office) को ब ि में र ष्ट्रीय अतभलेख ग र (National Archives) क न म दिय
गय ।
• एक भ रि श्रेष्ठ भ रि की भ िन : नए संसि भिन क आक र तत्रकोणीय है। इसे पद्मश्री ि स्िुक र तबमल पटेल द्व र तडज इन दकय गय है। यह
तडज इन भ रि की स ंस्कृ तिक तितििि से प्रेटरि है। इसे अगले 150 िषों की जरूरिों को पूर करने के तलए तडज इन दकय गय है।

एक भ रि श्रेष्ठ भ रि की भ िन
• लोक सभ कक्ष र ष्ट्रीय पक्षी, मोर की थीम पर आि टरि है।
• र ज्य सभ कक्ष र ष्ट्रीय पुष्प, कमल की थीम पर आि टरि है।
• नए संसि भिन के प्र ंगण में र ष्ट्रीय िृक्ष, बरगि लग य गय है।
• संसि भिन में सेंगोल य र जिंड (Sceptre) को अध्यक्ष (Speaker) की कु सी के बगल में स्थ तपि दकय गय है। ध्य िव्य है दक सेंगोल य र जिंड सि -
हस्ि ंिरण क प्रिीक है।
• र ष्ट्रीय प्रिीक को संसि भिन के शीषि पर स्थ तपि दकय गय है। यह स रन थ में अशोक स्िंभ के शीषि पर बनी प्संह आकृ तियों क अनुरूपण है।
• नए संसि भिन को भिोही (उिर प्रिेश) के तिश्व प्रतसद्ध ह थ से बुने क लीन से सज य गय है। भिोही ह थ से बुने खूबसूरि क लीन के तलए तिख्य ि है,
इसतलए इसे ‘क लीन शहर (Carpet city)’ के न म से भी ज न ज ि है।

PT 365 - संस्कृ ति
• इसमें जल, थल और नभ को समर्पिि छह द्व र बन ए गए हैं। ये भ रिीय सभ्यि की अनुकूल प्रकृ ति के प्रति अपनी कृ िज्ञि व्यि करिे हैं।
• नए भिन के मुख्य द्व र पर अशोक चि बन हुआ है और सत्यमेि जयिे तलख हुआ है।
• संसि भिन में लगी स गौन की लकतडयों को न गपुर से, संगमरमर को गुजर ि से, बलुआ पत्थर (ल ल और सफे ि) को र जस्थ न से मंगि य गय है। स थ
ही, तत्रपुर से मंगि ई गई ब स
ं की लकडी इसके फशि पर लग ई गई है।

नई संसि में 6 प्रिेश द्व र हैं और इनमें से प्रत्येक एक अलग भूतमक िश ि


ि है-

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संबतं िि सुर्ख़िय ं : चौसठ योतगनी मंदिर (Chausath Yogini Temple)


• ऐस म न ज ि है दक पुर ने संसि भिन क तडज़ इन मध्य प्रिेश के तमिौली ग ि
ं में
तस्थि चौसठ योतगनी मंदिर से प्रेटरि थ ।
अन्य संबतं िि ज नक री
PT 365 - संस्कृ ति

पुर ने संसि भिन को ि स्िुक र एडतिन लुटटयंस और हबिटि बेकर ने तडज इन दकय थ ।
• भव्य चौसठ योतगनी मंदिर गोल क र है। इसमें 64 योतगतनयों के प्रति समर्पिि 64 कक्ष
हैं। इसके मध्य में एक मंदिर है, जो भगि न तशि को समर्पिि है।
o 64 योतगतनय ं शतिश ली योद्ध थीं िथ िंत्र ि योग-तिद्य से संबतं िि थीं।
• इसक तनम िण 1323 ईस्िी के आस-प स कच्छपघ ि िंश के र ज िेिप ल ने करि य
थ।

2.5. जं ि र-मं ि र (Jantar Mantar)

सुर्ख़ियों में मयों? मह र ज सि ई जय प्संह तद्विीय (1686-1743)


• िे आमेर (र जपूि र ज्य) के श सक थे।
भ रिीय पुर ित्ि सिेक्षण (ASI)5 ने दिल्ली तस्थि जंिर-मंिर िेिश ल के संरक्षण,
• िह मुग़लों के ज गीरि र थे, उन्हें सम्र ट औरं गजेब द्व र
पटररक्षण, पुनरुद्ध र और उतचि क यिक्षमि के तलए एक नई तिशेषज्ञ सतमति क गठन 'सि ई' (एक और उसक चौथ ई) की उप ति िी गई थी।
दकय है। • उन्होंने जयपुर शहर क तनम ण ि कर य थ । उनके समय
जंिर-मंिर के ब रे में के यूरोपीय य त्री जैसे फ् ंसीसी लुई रूसेल्ट और अंग्रेज
तबशप, हेबर आदि शहरी योजन तनम िण में जय प्संह
• तनम ण
ि : मह र ज जयप्संह तद्विीय ने उिरी भ रि में 5 खगोलीय िेिश ल ओं क
की अतद्विीय उत्कृ िि से बहुि प्रभ तिि थे
तनम िण करि य थ ।
• पयििक्ष
े ण: इसे तनम्नतलतखि में इस्िेम ल दकय ज ि थ -
o ग्रहों के बीच समय और अंिर क अध्ययन करने में,
o ग्रहों की गति/ तस्थति और अलग-अलग स्थ नों पर समय क पयििेक्षण करने में।

5 Archaeological Survey of India

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• अलग-अलग स्थ नों पर िेिश ल ओं क तनम ण ि करने क क रण: इन िेिश ल ओं क एक-िूसरे से अतिक िूरी पर तनम िण दकय गय ि दक अलग-
अलग तनिेश ंकों से रीप्डंग की िुलन करके सटीकि में सुि र दकय ज सके ।
• तनम ण
ि की ट इमल इन: 1724 ई. में दिल्ली में पहली िेिश ल क तनम िण दकय गय थ । 1738 ई. में जयपुर में अंतिम िेिश ल क तनम िण
दकय गय थ ।
• िििम न पटरतस्थतिय :ं पूरे उिर भ रि में प च
ं िेिश ल ओं क तनम िण दकय गय थ । ये हैं: दिल्ली, जयपुर, मथुर , ि र णसी और उिैन। इनमें से
मथुर िेिश ल क अतस्ित्ि सम प्त हो गय है।
o जयपुर िेिश ल में सबसे अतिक और अलग-अलग प्रक र के उपकरण हैं।
o इन उपकरणों में ऐसे कई उपकरण श तमल हैं, जो अन्य स्थलों पर नहीं बन ए गए हैं, जैसे - कपपल यंत्र, र तशिलय यंत्र और उन्नि ंश यंत्र आदि।

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2.6. सु र्ख़ि यों में रहे अन्य स्थ पत्य (Other Architectural-Related News)

2.6.1. गोलकोंड (गोलकुं ड ) क दकल (Golconda Fort)


• गोलकोंड दकले क इतिह स 13िीं शि ब्िी की शुरुआि से संबंतिि है। िब इस क्षेत्र पर पर क किीय र जिंश श सन करि थ । उसके ब ि 16िीं
और 17िीं शि ब्िी में इस पर कु िुब श ही सुल्ि नों ने श सन दकय ।
o गोलकोंड दकले की िििम न स्थ पत्यकल कु िुब श ही सुल्ि नों की िेन है। यह दकल एक तिश ल ग्रेन इट तनर्मिि स्थ पत्य के रूप में तिख्य ि
है।
o गोलकोंड कु िुब श ही सुल्ि नों की प्रि न र जि नी थी।
o फिेह िरि ज (तिजय द्व र) पर ध्ितनक प्रभ ि (Acoustical effects) गोलकोंड की इं जीतनयटरं ग के कई प्रतसद्ध आियों में से एक है।

2.6.2. तसरी दकल (Siri Fort)


• तसरी दकले क तनम िण 13िीं शि ब्िी में अल उद्दीन तखलजी ने करि य थ ।
o तसरी को दिल्ली के आठ शहरों में से एक म न ज ि है।
o अल उद्दीन तखलजी ने 1303 ईस्िी में अपनी र जि नी तसरी की नींि रखी थी।
o उसने तसरी कस्बे की जल आिश्यकि को पूर करने के तलए हौज ख स न मक एक जल शय की भी खुि ई करि ई थी।

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o उसने एक अिि-गोल क र प्रिेश द्व र क भी तनम िण कर य थ । इसे अल ई िरि ज के न म से ज न ज ि है। इसमें घोडे की न ल की आक र
क मेहर ब है, तजसमें कमल की आकृ तिय ं उके री गई हैं।

2.6.3. एक त्मि की मू र्िि (Statue of Oneness)


• आदि शंकर च यि को जगद्गुरु भी कह ज ि है। उन्होंने 8िीं शि ब्िी में अद्वैि िेि ि
ं (द्वैि को न म नन ) िशिन क प्रतिप िन दकय थ ।
o उनक जन्म के रल के कल डी में हुआ थ ।
o ओंक रे श्वर में आदि शंकर च यि की 108 फु ट ऊंची मूर्िि क अन िरण दकय है। इसे एक त्मि की मूर्िि न म दिय गय है।
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�ूज़ टुडे डॉ�ूम�ट �ूज़ टुडे वी�डयो


क� मु� �वशेषताएं क� मु� �वशेषताएं

स्रोत: इसम� द �ह� दू, इं �डयन ए�प्रेस, PIB, �ूज़ ऑन प्रमुख सु�ख़� यां: इसम� �दन क� छह सबसे मह�पूणर् सु�ख़� य� को सं�ेप म� प्र�ुत
ए.आई.आर., इकोनॉ�मक टाइ�, �ह� दु�ान टाइ�, द �कया जाता है। इससे आप ए�ाम के दृ��कोण से मह�पूणर् �ूज को खोजने म�
�म� ट जैसे कई स्रोत� से �ूज को कवर �कया जाता है। आपना क�मती समय बबार्द �कए �बना मु� घटनाक्रम� को बेहतर तरीके से समझ

भाग: इसके तहत 4 पेज म� �दन-भर क� प्रमुख सु�ख़� य�, सकते ह�।

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हा�लया घटनाक्रम को �व�ार से कवर �कया जाता है। प्र�ो�री: प्र�ेक �ूज टु डे वी�डयो बुले�टन के अंत म� MCQs भी �दए जाते ह�।
अ� सु�ख़� यां और सु�ख़� य� म� रहे �ल/ ����: इसके ज�रए हम �ूज पर आपक� पकड़ का परी�ण करते ह�। यह इं टरै��व चरण
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3. तचत्रकल और अन्य कल शै तलय ं (Painting and other Forms of Art)


3.1. इतिह स के स्रोिों के रूप में अतभले ख (Inscriptions as Sources of History)
सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में, पुणे तस्थि भंड रकर ओटरएंटल टरसचि इं स्टीट्यूट (BORI) के शोिकि िओं ने प्र चीन ि म्रपत्र प ड
ं ु तलतपयों को पढ़ने में सफलि प्र प्त की है। ये
प ंडुतलतपय ं प्र चीन संस्कृ ि कितयत्री तशल भट्ट टरक के संबि
ं में ज नक री प्रि न करिी हैं।

अन्य संबतं िि िथ्य

• इन ि म्रपत्रों के ब रे में: इनमें प च


ं ि म्रपत्र हैं। इनकी तितथ ब ि मी के च लुमय श सक तिजय दित्य (696-733 ईस्िी) के श सनक ल की म नी ज
रही है।
o इन ि म्रपत्रों को िर ह (जंगली सूअर) मुहर ि ले एक ि ंबे के िलय द्व र संकतलि दकय गय है।
o िर ह मुहर ब ि मी च लुमयों क व्य प र-तचह्न थ ।
• तशल भट्ट टरक के ब रे में: िह एक च लुमय र जकु म री थी और संभिि: पुलके तशन तद्विीय की पुत्री थी।
• तशल भट्ट टरक की रचन एं:
o तशल भट्ट टरक की रचन एं प च ं ली शैली क अनुसरण करिी हैं। यह शैली शब्ि और उसके अथि के बीच संिुलन पर आि टरि है।
• संस्कृ ि कति-टटपपणीक र र जशेखर ने भी तशल भट्ट टरक की मह न और सुंिर रचन ओं की प्रशंस की है। र जशेखर क संबंि 9िीं-10िीं शि ब्िी
ईस्िी से थ । िे गुजरि -प्रतिह र श सकों के िरब री कति थे।
• अतभलेखों क महत्त्ि
o घटन ओं क सही िम: जेम्स प्प्रंसप
े द्व र मौयि सम्र ट अशोक के अतभलेखों को समझने के ब ि, घटन ओं क उतचि क लतनि िरण आस न हो

PT 365 - संस्कृ ति
गय थ ।
o स म तजक जीिन के ब रे में ज नक री: उि हरण के तलए- ब्रह्मिेशम अतभलेख में एक र नी के सिी होने के ब रे में बि य गय है।
o कल शैतलयों के ब रे में ज नन : नििकी क सबसे पहल उल्लेख िीसरी शि ब्िी ईस पूिि की जोगीम र गुफ में प य गय है। ितमलन डु क
कु तडतम्मय नमल ई अतभलेख संगीि पर सबसे शुरुआिी अतभलेखों में से एक है।

अन्य प्रमुख प्र चीन भ रिीय कितयतत्रय ं


• ग गी: इनक संबंि लगभग 8िीं शि ब्िी ईस पूिि से है। इन्होंने आत्म (Soul) के मुद्दे पर ऋतष य ज्ञिल्मय को चुनौिी िी थी। ऋतष य ज्ञिल्मय,
बृहि रण्यक उपतनषि के रचतयि हैं।
• मैत्रेयी (लगभग 8िीं शि ब्िी ईस पूि)ि : िह िेिों की व्य ख्य ि थीं।
• नयन रों में प्रमुख मतहल एं (लगभग 7िीं और 8िीं शि ब्िी ईस्िी): करै क्कल अम्मैय र, मंगैय रक्करतस और इसैगन तनय र। इसैगन तनय र को सुंिर र की
म ि के रूप में भी ज न ज ि है।
• अंड ल (लगभग 10िीं शि ब्िी ईस्िी): िह 12 अलि रों में एकम त्र मतहल थीं। अंड ल ने िो कृ तियों (िोनों ितमल भ ष में) की रचन की थी। ये
रचन एं हैं- तिरुपपि ई और नतचय र तिरुमोली।
• अक्क मह िेिी (लगभग 12िीं शि ब्िी ईस्िी): उन्होंने कन्नड भ ष में अपनी रचन एं तलखी थीं। उनकी कतिि एं िचन रूप में हैं।
• अिुकुरी मोल्ल (लगभग 1440 ईस्िी): िह एक कु म्ह र की पुत्री थी और प्रथम िेलग
ु ु र म यण की लेतखक थीं।

संबंतिि सुर्ख़िय ं
सोमेश्वर अतभलेख
• पुर ित्ितििों ने सोमेश्वर (कन िटक) में र ज कु लशेखर अलुपेंर प्रथम की मृत्यु क उल्लेख करने ि ले अतभलेख की खोज की है।
• यह अलुप र जिंश से जुड ऐस पहल अतभलेखीय स क्ष्य है, तजसमें दकसी र ज की मृत्यु के ब रे में ज नक री तमलिी है।
o यह अतभलेख िुलुि र जिंश के इतिह स और संस्कृ ति के अध्ययन में महत्िपूणि भूतमक तनभ एग ।
• अलुप र जिंश िुलु न डु (िििम न कन िटक) पर सबसे लंबे समय िक श सन करने ि ले र जिंशों में से एक थ ।

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o बरकु र इस र जिंश की र जि नी थी।


o अलुप श सकों की पहली र जि नी उियि र थी। ब ि में इसके स्थ न पर बरकु र को नई र जि नी बन य गय थ ।
o िुलु में एक समृद्ध मौतखक स तहत्य परं पर प्रचतलि थी। इस परं पर में पैद्दन जैसे लोक-गीि और यक्षग न जैसे प रं पटरक लोक न ट्य श तमल हैं।
o हतल्मडी अतभलेख (ह सन, कन िटक) में अलुप के र ज पशुपति और किंब सेन के मुख्य सेन पति द्व र अनुि न की तसफ टरश क उल्लेख तमलि है।

3.2. यू ने स्को दिएटटि तसटीज़ ने ट िकि (UNESCO Creative Cities Network: UCCN)
सुर्ख़ियों में मयों?

ग्ि तलयर और कोतझकोड “यूनेस्को दिएटटि तसटीज़ नेटिकि (UCCN)” में श तमल हुए।

अन्य संबतं िि िथ्य

• ये शहर अपनी तिक स रणनीतियों के तहस्से के रूप में अपनी संस्कृ ति और रचन त्मकि क मजबूि प्रतिबद्धि के स थ उपयोग कर रहे हैं।
• कोतझकोड (स तहत्य क शहर)
• ग्ि तलयर (संगीि क शहर)
o इस शहर क एक समृद्ध संगीि संबि ं ी इतिह स है। ि नसेन (ि नसेन की उप ति ग्ि तलयर के र ज तििमजीि ने िी थी) और बैजू ब िर जैसे
दिग्गज संगीिज्ञ इसी शहर से थे।
o इसे ‘ग्ि तलयर घर ने’ क उत्पति स्थ न भी म न ज ि है। यह प्हंिस्ु ि नी संगीि क सबसे पुर न घर न है।
• UCCN में श तमल अन्य भ रिीय शहर: मुब
ं ई (दफल्म), चेन्नई (संगीि), हैिर ब ि {प क-कल (Gastronomy)}, ि र णसी (संगीि), जयपुर (तशल्प
ि लोक कल ) और श्रीनगर (तशल्प एिं लोक कल )।
• UCCN के ब रे में:
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o इसक गठन 2004 में दकय गय थ ।


o UCCN में श तमल होने से शहरों को िैतश्वक पहच न तमलिी है। स थ ही, उनमें पयिटन को बढ़ ि भी तमलि है।
o UCCN नेटिकि में 100 से अतिक िेशों के 350 रचन त्मक शहर (Creative cities) श तमल हैं। ये शहर तनम्नतलतखि 7 रचन त्मक क्षेत्रों क
प्रतितनतित्ि करिे हैं-
▪ तशल्प और लोक कल , तडज इन, दफल्म, प क-कल , स तहत्य, मीतडय कल िथ संगीि।
• संयि
ु र ष्ट्र शैतक्षक, िैज्ञ तनक और स स्ं कृ तिक संगठन (UNESCO)6 के ब रे में:
o उत्पति: इसकी स्थ पन 1945 में की गई थी और इसक मुख्य लय पेटरस है।
o उद्देश्य: सभी के तलए गुणिि पूणि तशक्ष और आजीिन सीखने के अिसर उपलब्ि कर न ; तशक्ष , तिज्ञ न, संस्कृ ति, संच र ि सूचन के म ध्यम
से तिश्व श ंति और सुरक्ष को बढ़ ि िेन ; स म तजक और नैतिक चुनौतियों क सम ि न करन ; सिि तिक स और अंिर-स ंस्कृ तिक संि ि में
योगि न िेन आदि।
o सिस्यि : भ रि सतहि 194 िेश और 12 एसोतसएट सिस्य
o अन्य पहलें:
▪ यूतनिसिल कॉपीर इट कन्िेंशन (1952);
▪ मैन एंड ब योतस्फयर प्रोग्र म (1971);
▪ तिश्व तिर सि कन्िेंशन (1972);
▪ अमूिि स ंस्कृ तिक तिर सि की सुरक्ष के तलए अतभसमय (2003); आदि

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3.3. जह ज तनम ि ण की प्र चीन तसल ई तिति (टं क ई पद्धति) {Ancient Stitched Shipbuilding
Method (Tankai Method)}
सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में, कें रीय संस्कृ ति मंत्र लय और भ रिीय नौसेन ने स मूतहक रूप से जह ज तनम िण की पुर नी िकनीक को पुनर्ििकतसि दकय ।

अन्य संबतं िि िथ्य

• इस पटरयोजन को कें रीय संस्कृ ति मंत्र लय ने पूरी िरह से फं प्डंग प्रि न दकय है।
• भ रिीय नौसेन जह ज के तडज इन और तनम ण ि क क यि िेख रही है।
• इस िकनीक में रतस्सयों, डोटरयों, न टरयल के रे शों, प्र कृ तिक रे तजन और िेलों क उपयोग करके लकडी के िख्िों को एक स थ जोडकर जह ज क
तनम िण दकय ज ि है।
o इस पद्धति से जह ज बन ने क तिच र अजंि के एक टंकण तिति से तनर्मिि जह ज के तचत्र से तलय गय थ ।
o यह पहल संस्कृ ति मंत्र लय के ‘प्रोजेमट मौसम’ के अनुरूप है।
▪ प्रोजेमट मौसम क उद्देश्य प्हंि मह स गर से सटे िेशों के बीच संच र को दफर से जोडन और पुनः स्थ तपि करन है। इससे इन िेशों के बीच
स ंस्कृ तिक मूल्यों और सरोक रों की समझ बढ़ेगी;
▪ प्रोजेमट मौसम क लक्ष्य प्हंि मह स गर की सीम से लगे 39 िेशों के स थ समुरी स ंस्कृ तिक संबि
ं ों क पुनर्निम ण
ि करन है।
• प्र चीन व्य प टरक म गि: प्हंि मह स गर क व्य प र म गि ितक्षण-पूिी एतशय , भ रि, अरब और पूिी अफ्ीक से जुड हुआ थ । इस म गि क प्रचलन
कम-से-कम िीसरी शि ब्िी ईस पूिि में आरंभ हुआ थ ।
o प्रमुख प्र चीन बंिरग ह:
▪ पतिमी िट के बंिरग ह: बरग य , सुपप र , कै लीन , सेम इल , म ंड गोर, पलेपटमे, म लीजीग र , और िनोब्ब स, बीज तन्टन, नौर , टटंतडस,

PT 365 - संस्कृ ति
मुतजटरस और नेप्ल्संड ।
▪ पूिी िट के बंिरग ह: ि म्रतलतप्त, चटरत्रपुर, पलुरु, िंिपुर, कप्लंगपट्टनम, तपथुंड , सोपिम , घंटस ल , पोडु क , पुह र, कोरक ई, क मर
आदि।
• अन्य महत्िपूणि व्य प टरक म गि:
o ितक्षण और ितक्षण-पूिी एतशय ई क्षेत्रों के स थ प्र चीन समुरी एिं स ंस्कृ तिक संबि
ं : यह ं के स्थ नीय व्य प री स िि (Sadhavs) न म से ज ने
ज िे थे। ये व्य प री ितक्षण और ितक्षण-पूिी एतशय ई क्षेत्रों जैस-े ब ली, सुम त्र , सीलोन (श्रीलंक ) आदि से य त्र करिे थे।
o ल ल स गर व्य प र म गि: यह समुरी जलम गि ल ल स गर के म ध्यम से रोमन स म्र ज्य को भ रि से जोडि थ ।
o रे शम म गि: यह एक स्थलीय व्य प र म गि थ । यह संभििः एतशय में चीन के तजय न से लेकर िुकी के एंटटओक िक तिस्ि टरि थ ।

3.4. मे ि ड तचत्रकल शै ली (Mewar School of Painting)


सुर्ख़ियों में मयों?

मह र ज जयप्संह के िरब री तचत्रक र अल्ल ह बख्श की बन ई हुई लगभग 4,000 मेि डी तमतनएचर पेंटटंग प्रिर्शिि की गईं।
• मेि डी लघु तचत्रकल (17िीं-18िीं शि ब्िी) के ब रे में:
o यह र जस्थ नी तचत्रकल की एक शैली है। इसक तिक स मेि ड क्षेत्र (र जस्थ न) में हुआ थ ।
o लघु तचत्रकल की मेि ड शैली की उत्पति स म न्यिः 1605 ई. में तनस रिीन न मक कल क र द्व र चुन र में तचतत्रि र गम ल तचत्रों से म नी
ज िी है।
o 18िीं शि ब्िी में, मेि ड तचत्रकल में तिषयगि बिल ि आय । इस शि ब्िी में तचत्रकल क स्िरूप लौदकक एिं िरब री होने लग और तिषयों
की प्रि नि बढ़ गई। अब न के िल छति तचत्रण में तचत्रकल क अतिशय उिय हुआ, बतल्क बडे आक र एिं आकषिक िरब री िृश्यों, तशक र के
अतभय न, उत्सि, अंिःपुर के िृश्य, खेल जैसे तिषय तिशेष रूप से लोकतप्रय हुए।
o न थद्व र शैली मेि ड तचत्रकल शैली की उपशैली है।

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• तिशेषि एं:
o इसमें तचत्रों को स ि रण चमकीले रं ग में तचतत्रि दकय
ज ि है। स थ ही, इस शैली के तचत्रों में भ िन ओं को
प्रमुखि से िश य
ि ज ि है।
o “लघु तचत्रकल ” के िहि चमिपत्र, पहले से िैय र क डि, ि ंबे
य ह थी ि ंि पर लघु आक र के तचत्र बहुि ब रीकी से
बन ए ज िे हैं।
• मेि ड शैली के प्रमुख कल क र: स तहबिीन (र गम ल ), मनोहर
(र म यण क ब लक ड ं ) और जगन्न थ (तबह री सिसई)।
• र जस्थ नी तचत्रकल के ब रे में:
o यह चमकि र रं गों के उपयोग, म नि आकृ ति की एक अमूिि
और प रं पटरक अिि रण और पटरिृश्य के अलंक टरक
तनरूपण में मुगल तचत्रकल से तभन्न थी।
o र जस्थ नी तचत्रकल के तिक स में िो मुख्य क रकों क
योगि न रह :
▪ समृद्ध र जपूि श सकों द्व र संरक्षण; िथ
▪ िैष्णिि ि क पुनः प्रिििन और भति पंथ क तिक स।

संबंतिि सुर्ख़िय ं
बशोली तचत्रकल
• यह कठु आ तजले (जम्मू) की स्थ नीय लघु तचत्रकल शैली है। इसे
PT 365 - संस्कृ ति

भौगोतलक संकेिक (GI) टैग प्रि न दकय गय है।


o यह जम्मू क्षेत्र क पहल स्ििंत्र GI-टैग ि ल उत्प ि है।
• इसे पह डी तचत्रकल की प्रथम शैली म न ज ि है।
• इस शैली में तचत्रों को क गज, कपडे य लकडी पर तचतत्रि दकय ज ि
है। इसमें प्र कृ तिक रं जकों और रं गों क उपयोग दकय ज ि है।

3.5. सु र्ख़ि यों में रही अन्य तचत्रक टरय ं (Other Painting in news)

3.5.1. ब ग प्प्रं ट (छप ई) (Bagh print)


• मध्य प्रिेश टूटरज्म बोडि ने ि र तजल प्रश सन के सहयोग से ब ग प्प्रंट पर आि टरि टटक ऊ बैग बन ने के तलए एक प्रतशक्षण तशतिर क शुभ रं भ
दकय है।
• इसक न म ब तघनी निी के िट पर तस्थि ‘ब ग’ ग ि
ं के न म पर रख गय है।
• इस प्प्रंट में सफे ि पृष्ठभूतम पर ल ल और क ले रं ग के िनस्पति रं गों क उपयोग दकय ज ि है।
• इसे भौगोतलक संकेिक (GI) िज ि प्रि न दकय गय है।
• मध्यप ष ण क ल की शैल तचत्रकल ।

3.5.2. पन मलै तचत्रकल (ितमलन डु ) {Panamalai Paintings (Tamil Nadu)}

• एक टरपोटि के अनुस र, ि ल तगरीश्वर मंदिर में मौजूि 1,300 स ल पुर ने तचत्र िूतमल हो रहे हैं।

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• एक मुख्य तचत्र में अिभुज ि ले भगि न तशि को नृत्य करिे हुए दिख य गय है। इसे लि तिल गभनी (Latathilagabhani) न म से ज न ज ि
है। तशि के इस नृत्य को िेिी प िििी द्व र िेखिे हुए तचतत्रि दकय गय है।
• ये तभति-तचत्र (Mural) पत्थर की िीि रों पर चून -पत्थर और रे ि के पलस्िर के ऊपर बन ए गए हैं।
• ये तभति-तचत्र अजंि और तसिनि सल के तचत्रों से क फी सम नि रखिे हैं।
• मंदिर क तनम िण पल्लि र ज नरप्संहिमिन तद्विीय ने करि य थ । िे “र जप्संह” के न म से प्रतसद्ध थे।

3.5.3. चे टरयल स्िॉल पें टटं ग (Cheriyal Scroll painting)


• चेटरयल स्िॉल पेंटटंग िेलग
ं न की तितशि तचत्रकल है।
इस पेंटटंग को भौगोतलक संकेिक (GI) क िज ि प्र प्त है।
o यह नक शी कल क एक लोकतप्रय और संशोतिि
संस्करण है। यह स्थ नीय रूप ंकनों से अत्यतिक समृद्ध
है।
o तिशेषि एं:
▪ यह कथ त्मक-प्र रूप में तचतत्रि होिी है। इसमें
भ रिीय पौर तणक कथ ओं के स थ-स थ पुर णों
और मह क व्यों से संबंतिि लघु कथ ओं को भी
तचतत्रि दकय ज ि है।
▪ ग थ गीि ग ने ि ले लोक ग यक समुि य क की
पड गोलु द्व र कथ -ि चन में इसक उपयोग
दकय ज ि है।
▪ इसे ज्य ि िर प्र थतमक रं गों में तचतत्रि दकय
ज ि है, इसकी पृष्ठभूतम में ल ल रं ग की

PT 365 - संस्कृ ति
प्रि नि होिी है।

3.5.4. तपछि ई तचत्रकल {Pichwai (Pichvai) Painting}


• चेन्नई में एक कल प्रिशिनी क आयोजन दकय गय थ । इसमें
तपछि ई तचत्रकल क प्रिशिन दकय गय थ । इसमें प्रिर्शिि कृ तियों
में से कु छ लगभग 350 िषि पुर नी थीं।
• तपछि ई तचत्रकल के ब रे में:
o तचत्रकल की इस शैली क उद्भि 400 िषि पहले न थद्व र
न मक नगर में हुआ थ । यह नगर र जस्थ न में उियपुर के
तनकट अितस्थि है।
o तपछि ई शब्ि की उत्पति 'तपछ' (अथि- पीछे) और 'ि ई' (अथि-
कपड लटक न ) से तमलकर हुई है।
o इस शैली के अंिगिि कपडे पर भगि न कृ ष्ण के जीिन पर
आि टरि कह तनयों क तचत्रण दकय ज ि है।
▪ इस शैली के तचत्रों के अन्य तिषय हैं- र ि , गोतपय ं, शरि
पूर्णिम , र स लील , दिि ली और होली जैसे त्यौह र
आदि।
▪ तपछि ई तचत्रकल शैली के अतिकिर तचत्रों क तचत्रण
पुतिम गि संप्रि य के अनुय तययों ने दकय थ । इस संप्रि य
की स्थ पन श्री िल्लभ च यि ने 16िीं शि ब्िी में की थी।

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3.6. गरब नृ त्य (Garba)


सुर्ख़ियों में मयों?

यूनेस्को (UNESCO)7 ने गुजर ि के ‘गरब नृत्य' को म निि की अमूिि स स्ं कृ तिक तिर सि (ICH)8 की प्रतितनति सूची में श तमल दकय है।

अन्य संबतं िि िथ्य

• गरब लोक नृत्य को ‘अमूिि स स्ं कृ तिक तिर सि के संरक्षण पर अतभसमय, 2003’ के प्र िि नों के िहि ICH सूची में श तमल दकय गय है।

• गरब ICH सूची में श तमल होने ि ली भ रि की 15िीं अमूिि स स्ं कृ तिक तिर सि है।

गरब नृत्य के ब रे में

• यह एक आनुष्ठ तनक और भतिपूणि लोक नृत्य है। इसक आयोजन प्हंिू त्योह र निर तत्र के िौर न दकय ज ि है। गौरिलब है दक निर तत्र उत्सि के
िौर न ‘शति’ की उप सन की ज िी है।

• “गरब ” नृत्य क न म संस्कृ ि शब्ि “गभि” से तलय गय है।


• गरब नृत्य की प्रमुख तिशेषि एं:
o निर तत्र के अिसर पर तमट्टी के घडे में कई तछर दकए ज िे हैं। इसके ब ि एक िीप प्रज्ितलि करके इसके अंिर रख ज ि है। इस िीपक को ही
गभि-िीप कह ज ि है, तजसके आस-प स लोग गरब करिे हैं। यह नृत्य िेिी अंबे म ं के तचत्र के आस-प स भी दकय ज ि है।
o इस िौर न नििक ि म ििि दिश (एंटी-मलॉकि इज) में घडे के च रों ओर चक्कर लग कर नृत्य करिे हैं।
o इसमें प रं पटरक ढोल/ ड्रम िथ अन्य संगीि ि द्ययंत्र बज ए ज िे हैं।
PT 365 - संस्कृ ति

यूनस्े को के ‘अमूिि स स्ं कृ तिक तिर सि के संरक्षण पर अतभसमय, 2003’ के ब रे में

• यह अतभसमय (कन्िेंशन) यूनेस्को की 2003 में पेटरस में आयोतजि बैठक में अपन य गय थ । इस अतभसमय क उद्देश्य अमूिि स ंस्कृ तिक तिर सिों

क संरक्षण करन है।

• ICH के संरक्षण के तलए यूनेस्को के अिीन अंिर-सरक री सतमति (IGC) क गठन दकय गय है। यह सतमति िेशों द्व र ICH सूची में अपनी दकसी
अमूिि तिर सि को श तमल करने के तलए सौंपे गए प्रस्ि िों/ अनुरोिों की ज च
ं करिी है।
o IGC में 24 सिस्य होिे हैं। इन सिस्यों क चुन ि कन्िेंशन की मह सभ द्व र दकय ज ि है।

o भ रि को िषि 2022 में IGC में 4 िषों के क यिक ल के तलए चुन गय थ ।


• अमूिि स स्ं कृ तिक तिर सि के ब रे में:
o ICH अतभसमय के अनुच्छेि 2 में, "अमूिि स ंस्कृ तिक तिर सि" को पटरभ तषि करि है।
o अमूिि स स्ं कृ तिक तिर सि तनम्नतलतखि रूपों में प्रिर्शिि/ व्यि होिे हैं:
▪ मौतखक परं पर एं और अतभव्यतिय ;ं

▪ तनष्प िन कल (परफॉर्मंग आर्टसि);

▪ स म तजक प्रथ एं, अनुष्ठ न ि उत्सि आयोजन;

▪ प्रकृ ति और ब्रह्म ड
ं से संबंतिि ज्ञ न एिं परं पर एं;
▪ प रं पटरक तशल्प कौशल (िस्िक री)।

7 United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization/ संयुि र ष्ट्र शैतक्षक, िैज्ञ तनक और स ंस्कृ तिक संगठन
8 Intangible Cultural Heritage

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भ रि की अमूिि स ंस्कृ तिक तिर सिों की सूची

कु टटय ट्टम: संस्कृ ि रं गमंच लद्द ख क बौद्ध जप/ मंत्रोि र

िैदिक मंत्रोि र की परं पर संकीििन: मतणपुर में एक प्रक र क अनुष्ठ न ग यन तजसमें लोग ढोल बज िे हैं
और नृत्य करिे हैं,

र मलील : र म यण क प रं पटरक प्रिशिन पंज ब के जंतडय ल गुरु में ठठे रों द्व र तनर्मिि प रं पटरक पीिल और ि ंबे के
बििन

रम्म ण: गढ़ि ल तहम लय क ि र्मिक उत्सि और आनुष्ठ तनक रं गमंच निरोज़

छऊ नृत्य योग

क लबेतलय : र जस्थ न क लोक गीि और नृत्य कुं भ मेल

मुतडयेर्टटू : के रल क आनुष्ठ तनक रं गमंच और नृत्य न टक कोलक ि में िुग ि पूज

3.7. सु र्ख़ि यों में रही अन्य नृ त्य शै तलय ं (Other Dance Forms in News)

3.7.1. च म ल म नृ त्य (Cham Lama


Dance)
• तिब्बिी बौद्धों ने गुरु पद्मसंभि क जन्म दििस मन ने के

PT 365 - संस्कृ ति
तलए ल म नृत्य क प्रिशिन दकय ।
• यह तिब्बिी बौद्ध िमि क अनोख मुखौट नृत्य है।
• इस नृत्य को अपने आप में ध्य न क एक रूप म न
ज ि है। ज्य ि िर बौद्ध मठों में लोसर जैसे त्योह रों के
िौर न इसक आयोजन दकय ज ि है।
• ऐस म न ज ि है दक प्न्यंगम प के संस्थ पक
पद्मसंभि (गुरु टरणपोछे) ने च म नृत्य परं पर की
शुरुआि की थी।
• इस नृत्य में स म न्यिः पद्मसंभि के जीिन के िृश्यों और
उनके 8 तिश्वरूपों को िश य
ि ज ि है।

3.7.2. कोलकली नृ त्य (Kolkali Dance)

• ह ल ही में, सेंट थॉमस के भ रि आगमन की स्मृति में के रल के तत्रशूर में कोलकली नृत्य क प्रिशिन दकय गय ।
• कोलकली नृत्य के ब रे में
o यह के रल के उिरी म ल ब र क्षेत्र में प्रचतलि एक लोक-कल है।
▪ ितमलन डु में इस कल को ‘कोल ट्टम’ और आंध्र प्रिेश में ‘कोल मू’ के रूप में ज न ज ि है।
o इसने कल रीपयर्टटू के ित्िों को भी अपन य है। कल रीपयर्टटू, के रल और ितमलन डु में प्रचतलि एक म शिल आटि है।
o इसक प्रिशिन ि न की फसल कट ई मौसम के िौर न दकय ज ि है।

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3.7.3. पु तलकली (ब घ नृ त्य) {Pulikkali (Tiger


Dance)}
• तत्रशूर में ओणम त्यौह र को क र्निि ल जैस सम पन िेने के
तलए 250 से अतिक पुतलकली नििकों ने भ ग तलय ।
• पुतलकली के रल क एक लोक नृत्य है।
• यह ओणम त्यौह र के िौर न तनष्प दिि दकय ज ि है। इसमें
कल क र अपने शरीर को ब घ की त्िच की भ तं ि पीली, ल ल
और क ली ि टरयों से रं ग लेिे हैं।
• िे िदकल, उडु मकू और चेंि जैसे प रं पटरक आघ ि ि द्य यंत्रों
की ि ल पर नृत्य करिे हैं।
• नृत्य क मुख्य तिषय ब घ क तशक र है। इसमें प्रतिभ गी ब घ
और तशक री की भूतमक तनभ िे हैं।

3.8. सु र्ख़ि यों में रही अन्य कल शै तलय ं (Other News related to art forms)

3.8.1. तगलतगि प ं डु तलतपय ं (Gilgit


Manuscripts)

• यूनेस्को के अनुस र, बचि की छ ल और तमट्टी लेतपि तगलतगि


पड ं ु तलतपय ं भ रि की सबसे पुर नी अतस्ित्िम न प ंडुतलतपय ं
PT 365 - संस्कृ ति

हैं। इन्हें प च
ं िी से छठी शि ब्िी ईस्िी. के बीच तलख गय थ ।
• इन प ंडुतलतपयों में तितहि (canonical) और गैर-तितहि िोनों
बौद्ध कृ तिय ाँ श तमल हैं। ये कृ तिय ं संस्कृ ि, चीनी आदि जैसी
अन्य भ ष ओं के तिक स पर भी प्रक श ड लिी हैं।
• इन प ंडुतलतपयों में सम तिर जसूत्र और सद्धमिपडुं रीकसूत्र
(कमल सूत्र) सतहि अन्य बौद्ध सूत्र श तमल हैं।
• इन प ंडुतलतपयों को पहली ब र 1931 में कश्मीर के तगलतगि
में नौपुर ग ि
ं में एक प्र चीन स्िूप जैसी संरचन के अिशेषों में
खोज गय थ ।

3.8.2. ओल तचकी तलतप (Ol Chiki Script)


• प्रि न मंत्री ने संथ ली भ ष की ओल तचकी तलतप क उपयोग करके संथ ल जनज ति के लोगों को हूल दििस की शुभक मन एं िी।
• ओल तचकी तलतप क तिक स 1925 में रघुन थ मुमूि ने दकय थ ।
o संथ ली एक मुड
ं भ ष है। यह भ ष मुख्य रूप से झ रखंड, पतिम बंग ल, ओतडश , ब ग्ं ल िेश, पूिी नेप ल और भूट न में बोली ज िी है।
o िषि 2011 की जनगणन के अनुस र भ रि में संथ ली बोलने ि लों की संख्य लगभग 7.3 तमतलयन है।
• इस तिरोह क मुख्य क रण 1793 क स्थ यी बंिोबस्ि अतितनयम थ । इसके क रण बीरभूम और म नभूम क्षेत्रों (िििम न बंग ल) से इनक तिस्थ पन
हो गय थ ।
o यह तिरोह झ रखंड की र जमहल पह तडयों में ि तमन-ए-कोह क्षेत्र में हुआ थ ।
o इस तिरोह क नेिृत्ि िो भ इयों- तसद्िू और क न्हू मुमूि ने दकय थ ।
o संथ ल तिरोह को श िं करने के ब ि औपतनिेतशक श सन ने तनम्नतलतखि किम उठ ए:
▪ ‘संथ ल परगन ’ क गठन दकय गय ।
▪ एक संथ ल द्व र दकसी गैर-संथ ल को भूतम हस्ि ंिटरि करन अिैि घोतषि दकय गय ।

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3.8.3. फणीतगरी कल कृ तिय ं (Phanigiri artefacts)


• ये कल कृ तिय ं 200 ईस पूिि से 400 ईस्िी िक की अिति से संबंतिि हैं।
• ये कल कृ तिय ं पहली ब र 1942 में खोजी गई थीं और 2003 में इनकी दफर से खोज की गई थी।
• फणीतगरी (स ंप के फन के आक र की पह डी) िेलग ं न र ज्य क एक छोट स ग ि ं है।
• मुख्य िथ्य
o ये कल कृ तिय ं बौद्ध िमि के इतिह स में एक युग ि
ं रक री पटरिििन को िश ििी हैं।
o ये बुद्ध के िैिीकरण, बौद्ध प्रथ ओं में संि घोतषि करने और अनुष्ठ नों क प्रचलन शुरू होने क प्रम ण प्रस्िुि करिी हैं।
o यह ं से प्र प्त एक कल कृ ति में बुद्ध को सलिट पडे हुए रोमन टोग (तिशेष सफे ि पटरि न) पहने िश य
ि गय है। यह कल कृ ति चून पत्थर से
बनी हुई है।
o यह ं से प्र प्त िोरणों से मह य न और हीनय न, िोनों संप्रि यों की उपतस्थति क पि चलि है।

3.8.4. िज्र मु ति कल ग (Vajra Mushti Kalaga)


• “िज्र मुति कल ग ” कु श्िी क एक अनूठ रूप है। यह प रं पटरक कु श्िी से अलग होि है। इसमें िो जट्टी (लड कू ) श तमल होिे हैं।
• इसमें प्रतिद्वंद्वी कु श्िी में श तमल होने के तलए 'िज्रमुति' न मक एक हतथय र क उपयोग करिे हैं। 'िज्रमुति' को नक्कल-डस्टर (भुज) भी कह ज ि है।
• इस खेल में जो भी पहलि न पहले अपने प्रतिद्वंद्वी के तसर से खून तनक लि है, उसे तिजेि घोतषि दकय ज ि है।
• इसक आयोजन निर तत्र के नौिें दिन मैसरु
ू पैलस
े (मैसूर, कन िटक) में दकय ज ि है।
• इसक पहली ब र उल्लेख च लुमय िंश (1124-1138) के र ज सोमेश्वर िृिीय की कृ ति ‘मनसोल्ल स’ से प्र प्त हुआ थ ।
• पुििग ली य त्री फ़न न
ि ो नूतनज ने भी कु श्िी के इस रूप क उल्लेख दकय है। उसके अनुस र यह खेल तिजयनगर स म्र ज्य में प्रचतलि थ ।

PT 365 - संस्कृ ति

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समसाम�यक�
�ैमा�सक
011010
100101

�रवीजन
�स�वल सेवा परी�ा क� तैयारी करने वाले अ��थ� य� क� पृ�भू�म, आयु, व�क�ग शे�ूल और पा�रवा�रक �ज�ेदा�रयां अलग-अलग होती ह�।

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सं��� पृ�भू�म: प्र�ेक आ�ट�कल से �व�े षण और मह�पूणर् त�: इससे आपको �� एवं सं��� जानकारी: इसम�
संबं�धत एक सं��� पृ�भू�म दी गई है, मह�पूणर् नज़�रए और अलग-अलग पहलु ओ ं इ�ॉम�शन को सु�व��त तरीके से
�जससे आपको संबं�धत आ�ट�कल को से जुड़ी जानकारी तथा त�� के बारे म� पता प्र�ुत �कया गया है, �जससे ��क और
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4. सु र्ख़ि यों में रहे महत्िपू णि स्थल (Important Sites in the News)
4.1. कील डी उत्खनन (Keeladi Excavation)
सुर्ख़ियों में मयों

ह ल ही में, ितमलन डु के कील डी में पुर ित्ििेि ओं ने संगम युग की दिस्टल क्व र्टजि से बनी एक भ र म पक इक ई की खोज की है।

कील डी य कीलडी उत्खनन स्थल के ब रे में

• कील डी ितमलन डु में िैगई निी के िट पर तस्थि एक छोट स ग ाँि है।


• भ रिीय पुर ित्ि सिेक्षण (ASI) और ितमलन डु पुर ित्ि तिभ ग द्व र इसक उत्खनन दकय ज रह है।

कील डी उत्खनन क महत्त्ि

• ऐतिह तसक सटीकि की पुति करि है: प्र रं तभक ऐतिह तसक क ल (छठी शि ब्िी ईस पूिि से चौथी शि ब्िी ईस पूि)ि के स थ लौह युग (ब रहिीं
शि ब्िी ईस पूिि से छठी शि ब्िी ईस पूि)ि के लुप्त संबंिों को समझने के तलए महत्िपूणि है।
• नगरीय बस्िी: कील डी पुर स्थल में नगरीय सभ्यि की सभी तिशेषि एं मौजूि हैं।
• उद्योगों क अतस्ित्ि: उत्खनन से बुन ई उद्योग के तितिि चरणों क पि चल है। िह ं से रं ग ई उद्योग और क च
ं के मनकों के उद्योग के स क्ष्य तमले
हैं।
• ितमल ब्र ह्मी तलतप: प ए गए मृिभ ंडों के कु छ टुकडों पर ितमल ब्र ह्मी तलतप में लेख तमले हैं।
• यह संगम युग से संबद्ध है।

संगम युग के ब रे में (लगभग छठी शि ब्िी ईस पूिि से िीसरी शि ब्िी ईस्िी िक प्र चीन ितमलन डु ि के रल क क ल)
PT 365 - संस्कृ ति

• संगम क ि त्पयि कतियों और तिद्व नों की सभ ओं से है।


• संगम कतियों को िणि के स म तजक िगीकरण की ज नक री थी।
• ऐस म न ज ि है दक िीन संगम आयोतजि हुए थे। पहल और िीसर मिुरै में िथ िूसर संगम कप डपुरम में आयोतजि हुआ थ ।
• िट्ट दकरुिल आमरण व्रि करने की एक ितमल प्रथ थी, जो संगम युग के िौर न व्य पक रूप से प्रचतलि थी।
• संगम स तहत्य में मुख्य रूप से िोलक तपपयम (सबसे पहल संगमयुगीन स तहत्य), एिुिोकै और पिुपिु श तमल हैं
o जुडि ं मह क व्य- तशलपप दिक रम और मतणमेखलै।

4.2. सु र्ख़ि यों में रहे अन्य सं ग मक लीन स्थल (Other Sangam Age Sites Related News)

4.2.1. पोपि नै कोट्टई स्थल (Porpanaikottai Site)

• ितमलन डु के पुिक
ु ोट्टई तजले में अितस्थि पोपिनैकोट्टई स्थल पर की गई खुि ई से संगम युग से संबतं िि सोने क स्टड, हड्डी से बन एक नुकील
औज र िथ एक क नेतलयन मनक प्र प्त हुआ है।
• उत्खनन स्थल से शि ि न स्थल क संकेि तमल है िथ िुगि क्षेत्र में स्थल के अंिर जल तनक यों के प्रम ण तमले हैं।
• हड्डी के नुकीले औज रों की खोज से संकेि तमलि है दक पोपिनक
ै ोट्टई बुन ई उद्योग क स्थल थ ।

4.2.2. आदिचनल्लू र (Adichanallur)

• आदिचनल्लूर में एक पुर ित्ि संग्रह लय की स्थ पन के तलए आि रतशल रखी गई। आदिचनल्लूर, उन प च
ं स्थलों में से एक है, तजन्हें प्रतितष्ठि
स्थलों (Iconic Sites) के रूप में तिकतसि दकए ज ने की घोषण कें रीय बजट 2020-21 में की गई थी।
o अन्य च र स्थल हैं: र खीगढ़ी (हटरय ण ), हतस्िन पुर (उिर प्रिेश), िोल िीर (गुजर ि) और तशिस गर (असम)।
• आदिचनल्लूर लौह युग क एक शि ि न स्थल है। यह ितमलन डु के िूिम
ु कु तड तजले में ि तमरबरणी निी के िट पर तस्थि है।
o आदिचनल्लूर मह प ष ण संस्कृ ति को भी प्रिर्शिि करि है।

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o यह ं पर खुि ई से 467 ईस पूिि की अलग-अलग पुर िस्िुएं िथ 665 ईस पूिि के तमलेर्टस और ि न जैसे ख द्य न्न के अिशेष प्र प्त हुए हैं।
o संगम स तहत्य में िर्णिि प्र चीन समुरी बंिरग ह कोरक ई, आदिचनल्लूर के प स अितस्थि थ ।

4.3. सु र्ख़ि यों में रहे अन्य महत्िपू णि स्थल (Other Important Sites in News)

4.3.1. जू न खटटय स्थल (Juna Khatiya Site)

• पुर ित्ितििों ने 2018 के ब ि से इस जगह पर 500 सम तियों (कब्र/ शि ि न) की खोज की है।


• जून खटटय पूिि हडपप सम ति स्थल है। यह गुजर ि के कच्छ तजले के लखपि ि लुक में तस्थि है।
o यह भ रि में अब िक िजि सबसे बड पूिि हडपप सम ति स्थल है।
o गुजर ि में अन्य हडपप स्थल हैं: लोथल, सुरकोटि , िोल िीर आदि।
• प्रमुख तनष्कषि:
o सम ति संरचन एं म नि द्व र पटरष्कृ ि बलुआ पत्थर से बनी हैं। अतिकिर संरचन ओं की योजन आयि क र है िथ कु छ संरचन एं अंड क र
य गोल क र योजन में भी तनर्मिि हैं।
o टरजहडि तस्लप िेयर ज र पर तचत्रक री की तितशिि िेखी गई है।

4.3.2. चे ब्रोलू (Chebrolu)


• चेब्रोलू आंध्र प्रिेश के गुटं ूर तजले में तस्थि एक कस्ब है। इस कस्बे में कई मंदिर तनर्मिि हैं।
o इस स्थ न पर पूिी च लुमय, िेलनिी चोड, क किीय, पोट र जुल,ु पेटरस्चेिी आदि र जिंशों ने श सन दकय है।
• मुख्य मंदिर
o चिुमख ुि ब्रह्मेश्वर: यह मंदिर एक ि ल ब के बीच में तस्थि है। मंदिर भगि न ब्रह्म को समर्पिि है।
भीमेश्वर: इसक तनम िण पूिी च लुमय र ज च लुमय भीम (9िीं शि ब्िी ईस्िी) ने कर य थ । यह िो मंतजल मंदिर है और इसमें एक तिश ल

PT 365 - संस्कृ ति
o
तशिप्लंग तिद्यम न है।
o न गेश्वर स्ि मी: तशि मंदिर, 11िीं सिी क है।
o आदिके शि मंदिर: यह स्थ पत्य कल की चोल शैली में तनर्मिि है। मंदिर भगि न तिष्णु को समर्पिि है। मंदिर पटरसर में स्िंभ हैं, तजनके ब हर
की ओर प्संह की खडी मुर में आकृ तिय ं तनर्मिि हैं।

4.3.3. मे न्हीर (Menhirs)


• िेलंग न की तिर सि सरं क्षण के उत्स ही समथिक
िेलंग न के मुिम
ु लगि ं में मेन्हीर के तलए यूनेस्को
िजे की म ंग कर रहे हैं।
o मेन्हीर मह प ष ण क ल के बडे ि सीिे खडे
पत्थर हैं। आम िौर पर, इन्हें दकसी सम ति स्थल
के ऊपर य दकसी सम ति स्थल के करीब स्म रक
के रूप में स्थ तपि दकय गय है।
o पुर ित्ितििों के अनुस र, मेन्हीर को इस िरह से
स्थ तपि दकय गय है िे तिषुि और संि ंति जैसे
तितशि दिनों में एक सीिी रे ख में छ य बन
सके । इस प्रक र, मेन्हीर की मिि से आरं तभक
कृ षक समुि य सूयि की बिलिी तस्थति क च टि
बन सकिे थे। ऐसे अिलोकनों से ही उन्हें ऋिुओं
को समझने में मिि तमली होगी।
• इनक उपयोग घतडयों और कै लेंडर के रूप में भी दकय
जि थ।

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• मुिम
ु ल तस्थि मेन्हीर के ब रे में
o मुिम
ु ल ग ंि ितक्षण-पूिी एतशय में मेन्हीर के सबसे बडे समूह क कें र है। ये 3,500 स ल पुर ने हैं।
o स्थ नीय लोग इन्हें 'नीलुिु रल्लू' कहिे हैं- तजसक अथि है खडे पत्थर।

4.3.4. िोतपपकल्लु य है ट स्टोन्स (Thoppikkallu or Hat Stones)

• के रल के मलपपुरम तजले में तिरुन ि य के तनकट न ग प रम्ब में बडी संख्य में मह प ष णक लीन (megalithic) हैट स्टोन्स प ए गए हैं।
o तिरुन ि य भरिपुझ निी के िट पर तस्थि है और इसे प्र चीन मम्नकम् (Mamnkam) की भूतम म न ज ि है। मम्नकम्, 12 िषों में एक ब र
आयोतजि होने ि ली श सकों की भव्य सभ को कहिे थे।
o हैट स्टोन्स को मलय लम में िोतपपकल्लु कह ज ि है। ये अििगोल क र लेटर इट पत्थर हैं। इनक उपयोग मह प ष ण क ल के िौर न शि ि न
कलशों को ढकने के तलए दकय ज ि थ ।

4.3.5. सुं ि रगढ़ प्र कृ तिक मे ह र ब


(Sundargarh Natural Arch)

• भ रिीय भूिैज्ञ तनक सिेक्षण (GSI) ने ‘सुि


ं रगढ़ प्र कृ तिक
मेहर ब’ को भू-तिर सि स्थल के रूप में घोतषि करने क
प्रस्ि ि प्रस्िुि दकय है। यह ओतडश के सुि
ं रगढ़ िन
प्रभ ग की कतनक रें ज में अितस्थि है।
• यह मेहर ब आक र में अंड क र है और लगभग 12 मीटर
ऊंची है। यह तनम्न-मध्य जुर तसक क ल की है।
• इसे भ रि क सबसे बड प्र कृ तिक मेहर ब म न ज ि है।
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इसके अतिटरि, अन्य िो प्र कृ तिक मेहर ब तिरुम ल


पह तडयों (तिरुपति) में िथ अंडम न और तनकोब र द्वीप
में मौजूि हैं।

4.3.6. तशशु प लगढ़ (Sisupalgarh)

ह ल ही में, भू-म दफय ओं ने िुगीकृ ि प्र चीन नगर तशशुप लगढ़ की िीि र के एक तहस्से को नि कर दिय ।

तशशुप लगढ़ के ब रे में:

• यह भुिनेश्वर के तनकट तस्थि है। इसक तनम िण 7िीं से 6ठी शि ब्िी ईस्िी पूिि में दकय गय थ । यह कप्लंग र जिंश की र जि नी थी।
• इसक िुगीकरण िीसरी शि ब्िी ईस्िी पूिि के आस-प स िब दकय गय थ , जब र ज ख रिेल ने इस नगर की मरम्मि करि ई थी।
• इसकी योजन ि संरचन पूणििय िग क
ि र रूप में है। यह च रों ओर से सुरक्ष त्मक प्र चीरों (िीि रों) से तघर हुआ है।
• यह नगर प्र चीन समय में व्य प र ि ि तणज्य क महत्िपूणि कें र थ ।
• इसे प्र चीन स्म रक संरक्षण अतितनयम, 1904 के प्र िि नों के िहि कें रीय स्िर पर संरतक्षि स्म रक घोतषि दकय गय है।

4.3.7. भ यखल रे लिे स्टे श न, मुं ब ई (Byculla Railway Station of Mumbai)

• इस रे लिे स्टेशन को स स्ं कृ तिक तिर सि के संरक्षण के तलए यूनस्े को एतशय -प्रश ि
ं पुरस्क र प्र प्त हुआ है।
o यह रे लिे स्टेशन 169 स ल पुर न है िथ एतशय क सबसे पुर न रे लिे स्टेशन है।
o भ यखल रे लिे स्टेशन के अतिटरि, छत्रपति तशिजी मह र ज ि स्िु संग्र हलय म्यूतज़यम (मुब
ं ई), गोलकुं ड दकले की ब ितडय ं (हैिर ब ि)
िथ डोमकोंड दकल (क म रे ड्डी, िेलग
ं न ) भी 2022 में अलग-अलग श्रेतणयों में इस पुरस्क र के तिजेि थे।

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o िषि 2000 से इस पुरस्क र क उद्देश्य स ंस्कृ तिक तिर सि ि ले क्षेत्रों के संरक्षण य उनकी पुनबिह ली के प्रय स में लगे व्यति य संस्थ िथ
स ििजतनक-तनजी भ गीि री को सम्म तनि करन है।

4.3.8. तहहसप्लं ग तिले ज (कोंगथोंग ग ं ि ) {Whistling village (Kongthong Village)}


• एक स ंसि ने प्रि न मंत्री के समक्ष मेघ लय के कोंगथोंग ग ि
ं की तिक स टरपोटि प्रस्िुि की है। यह भ रि क एकम त्र तहहसप्लंग ग ंि (लोगों द्व र
न म की बज य सीटी बज कर एक-िूसरे को बुल न ) है।
• कोंगथोंग ग ि
ं के ब रे में:
o कोंगथोंग मेघ लय की पूिी ख सी पह तडयों में अितस्थि है।
o यह अपनी अनूठी परं पर 'प्जंगरि ई लिबी' के क रण 'तहहसप्लंग तिलेज' के रूप में लोकतप्रय है। प्जंगरि ई लिबी क अथि है िंश की प्रथम
मतहल क गीि।
o यह एक ऐसी परं पर है, तजसके िहि एक म ि अपने तशशु को जन्म के समय उसे न म की बज ए एक िुन य लोरी से पुक रिी है।
o कोंगथोंग लोगों क संबि
ं सेंग ख सी जनज ति से है। यह समुि य ख सी भ ष बोलि है।

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सरकारी योजनाएं

त्रैमा�सक
�रवीजन
�स�वल सेवा परी�ा म� आपके �ान, एना�ल�टकल ��ल और सरकारी नी�तय� तथा पहल� क� ग�तशील प्रकृ�त के साथ अपडेटेड रहने क�
�मता को जांचा जाता है। इस�लए इस चुनौतीपूणर् परी�ा के �लए एक �ापक और सु�नयो�जत दृ��कोण काफ� आव�क हो जाता है।

“सरकारी योजनाएं त्रैमा�सक �र�वजन” डॉ�ूम�ट के साथ �स�वल सेवा परी�ा म� सफलता क� अपनी यात्रा शुरू क��जए। यह �वशेष
पेशकश आपको परी�ा क� तैयारी म� एक प�रवतर्नकारी अनुभव प्रदान करेगी। सावधानीपूवर्क तैयार �कया गया हमारा यह डॉ�ूम�ट न
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�कया गया है। इस डॉ�ूम�ट को त्रैमा�सक आधार पर तैयार �कया जाता है। यह डॉ�ूम�ट फाइनल परी�ा के �लए �नरंतर सुधार और तनाव
मु� तैयारी हेतु अ��थ� य� के �लए एक आधार के रूप म� कायर् करेगा।

यह सीखने क� प्र�क्रया को बाधार�हत और आसान यात्रा म� बदल देता है। इसके प�रणाम�रूप, आप परी�ा क�
तैयारी के साथ-साथ सरकारी योजनाओ ं, नी�तय� और उनके �न�हताथ� क� गहरी समझ �वक�सत करने म�
सफल होते ह�।

सरकारी योजनाएं त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट को पढ़ने के �लए

डॉ�ूम�ट क� मु� �वशेषताओ ं पर एक नज़र QR कोड को �ैन क��जए

1. सु�ख़� य� म� रह� म� योजनाएं : अपडेट र�हए, आगे र�हए!


इस खंड म� आपको नवीनतम घटनाक्रम� से अवगत कराया जाता है, ता�क यह सु�न��त हो सके �क आपक� तैयारी
न केवल �ापक हो, ब�� हा�लया �तमाही के �लए प्रासं�गक भी हो। सु�ख़� य� म� रही योजनाओ ं के �रयल टाइम
एक�करण से आप नवीनतम �ान से लै स होकर आ��व�ास से परी�ा देने म� स�म बन पाएं गे।

2. सु�ख़� य� म� रह� �ै ग�शप योजनाएं : परी�ा म� आपक� सफलता क� राह!


भारत सरकार क� ‘�ै ग�शप योजनाएं ’ �स�वल सेवा परी�ा के �सले बस के कोर म� देखने को �मलती ह�। हम इस
डॉ�ूम�ट म� इन मह�पूणर् पहल� को गहराई से कवर करते ह�, �जससे सरकारी नी�तय� के बारे म� आपक� गहरी
समझ �वक�सत हो। इन �ै ग�शप योजनाओ ं पर �ान क��द्रत करके, हम आपको उन प्रमुख पहलु ओ ं म� महारत
हा�सल करने के �लए मागर्दशर्न करते ह�, �ज�� परी�क सफल उ�ीदवार� म� तलाशते ह�।

3. प्र�ो�री: प�ढ़ए, मू�ांकन क��जए, याद र�खए!


मटे �रयल को समझने और मु� त�� को याद रखने म� काफ� अंतर होता है। इस अंतर को ख� करने के �लए,
हमने इस डॉ�ूम�ट म� एक ‘प्र�ो�री’ खंड शा�मल �कया है। इस डॉ�ूम�ट म� सावधानी से तैयार �कए गए 20 MCQs
�दए गए ह�, जो आपक� समझ को मजबूत करने के �लए चेकपॉइं ट के रूप म� काम करते ह�। ये मू�ांकन न केवल
आपक� प्रग�त का आकलन करने म� मदद करते ह� ब�� मह�पूणर् त�� को प्रभावी ढं ग से याद रखने म� भी
सहायक होते ह�।

‘सरकारी योजनाएं त्रैमा�सक �रवीजन’ एक डॉ�ूम�ट मात्र नह� है; ब�� यह आपक� परी�ा क� तैयारी म� एक रणनी�तक साथी भी है। यह आपक�
ल�न� ग एप्रोच म� बदलाव लाता है, �जससे यह एक सतत और कुशल प्र�क्रया बन जाती है। परी�ा क� तैयारी के आ�खरी चरण� म� आने वाले तनाव को
अल�वदा क�हए, प्रोए��व ल�न� ग ए�पी�रयंस को आपनाइए और आ��व�ास के साथ सफलता क� ओर आगे ब�ढ़ए।

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5. व्यतित्ि (Personalities)
5.1. तमतहर भोज (Mihir Bhoja)
सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में, हटरय ण के कै थल में


र ज तमतहर भोज की प्रतिम क
अन िरण दकय गय ।

तमतहर भोज के ब रे में

• िे 9िीं शि ब्िी में गुजरि -प्रतिह र


र जिंश के एक प्रमुख श सक थे।
• िह अपने तपि र मभर के
उिर तिक री बने थे और 836
ईस्िी में प्संह सन पर आसीन हुए
थे।
• उन्होंने आदििर ह (भगि न
तिष्णु के भि) की उप ति ि रण
की। इसके अल ि , उनके
श सनक ल के कु छ तसक्कों पर
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आदििर ह पि उत्कीणि है।


• अरब व्य प री सुलम े न ने उन्हें
मह निम गुजरि -प्रतिह र सम्र टों
में से एक बि य है।
• िे कल और स तहत्य के भी
मह न संरक्षक थे। उन्होंने कति
र जशेखर को संरक्षण प्रि न
दकय थ ।

तमतहर भोज क र जनीतिक समेकन

• उन्होंने तिजय और कू टनीति के


म ध्यम से प्रतिह र स म्र ज्य को
पुनगिटठि ि समेदकि दकय थ ।
o िर ह, िौलिपुर, कहल ,
प हेि आदि स्थ नों पर
प ए गए अनेक अतभलेख
यह ज नक री प्रि न करिे हैं दक म लि , र जपूि न ि मध्यिेश पर उनक तनयंत्रण थ ।
o कल्हण की र जिरं तगणी में उल्लेख तमलि है दक उनके स म्र ज्य क तिस्ि र उिर में कश्मीर िक थ ।
• तत्रपक्षीय संघषि:
o उन्होंने पूिि में प लों और िक्कन में र ष्ट्रकू टों के स थ कन्नौज के तलए हुए तत्रपक्षीय संघषि में भ ग तलय थ ।
o उन्होंने प ल र ज िेिप ल के स थ युद्ध लड थ । ब ि में, ग्ि तलयर प्रशतस्ि के अनुस र, भोज ने िेिप ल के पुत्र को हर य थ ।
o उनके श सनक ल के िौर न, अमोघिषि और कृ ष्ण तद्विीय कन्नौज पर श सन करने ि ले र ष्ट्रकू ट र ज थे। भोज ने र ष्ट्रकू टों से कन्नौज को जीिकर
अपने स म्र ज्य को नमिि निी िक तिस्ि टरि दकय थ ।

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PT 365 - संस्कृ ति
5.2. सं ि मीर ब ई (Sant Meera Bai)
सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में, उिर प्रिेश के मथुर में संि मीर ब ई की 525िीं जयंिी मन ई गई।

मीर ब ई (1498-1546) के ब रे में

• मीर ब ई भति आंिोलन के मह न संि कतियों में से एक थीं। िे एक प्हंि ू रहस्यि िी कितयत्री और
भगि न कृ ष्ण की परम भि थीं।
• आरं तभक जीिन:
o उनक जन्म र जस्थ न के जोिपुर में र जपूि र ज रिन प्संह के घर हुआ थ । उनके बचपन क
न म यशोि थ ।
o 1516 में मीर ब ई क तिि ह मेि ड के र ज र ण स ग
ं के पुत्र कुाँ िर भोज र ज से हुआ थ ।

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▪ रण सग
ं ने अन्य र जपूि श सकों के स थ तमलकर मुगल श सक ब बर के तखल फ ख नि क युद्ध (1527) लड थ ।
• एक संि के रूप में उनक जीिन:
o िे सगुण भति ि र की कितयत्री थीं। िे बचपन से ही भगि न कृ ष्ण को अपन पति म निी थीं।
o िे भगि न श्रीकृ ष्ण को तगटरिर गोप ल कहिी थीं।
• प्रमुख कृ तिय /ं रचन एं:
o “प योजी मैंने र म रिन िन प यो” उनकी सबसे प्रतसद्ध कतिि एं हैं।
o मीर ब ई के गीि/ क व्य ब्रज भ ष में संकतलि हैं। इन गीिों/ क व्यों क संकलन अपने आर ध्य की पूज करिे समय और उसके प्रति अपनी
भ िन एं व्यि करने के तलए ग ए गए गीिों से हुआ है।
▪ उनके गीिों/ क व्यों में र ग गोप्िंि, नरसी जी क म यर , गीि गोप्िंि पर टीक , मीर ब ई की मल्ह र, र ग तिह ग और गरब गीि श तमल
हैं।
▪ रॉबटि ब्ल इ और जेन तहशि फील्ड ने अपनी पुस्िक “मीर ब ई: एमस्टैटटक पोयम्स” में मीर ब ई की कु छ कतिि ओं क अंग्रज
े ी में अनुि ि
दकय थ ।
o भिम ल ब्रज भ ष में रतचि एक क व्य संग्रह है। इसकी रचन गुरु न भ ि स जी ने 1585 में की थी। इसमें मीर ब ई के जीिन के ब रे में िणिन
दकय गय है।
• सम ज सुि रक के रूप में:
o िे संि रतिि स (रै ि स) की तशष्य थीं। संि रतिि स “अस्पृश्य” समझी ज ने ि ली ज ति से संबंतिि थे।
o मीर ब ई ने अपने गीिों/ क व्यों में उि ज तियों द्व र तनर्मिि म निंडों को खुले िौर पर चुनौिी िी थी।

भति आंिोलन के ब रे में


भति आंिोलन की शुरुआि 7िीं और 12िीं शि ब्िी के
बीच ितक्षण भ रि से म नी ज िी है। इस आंिोलन के संिों
PT 365 - संस्कृ ति

ने ज ति आि टरि भेिभ िमूलक स म तजक व्यिस्थ की


आलोचन की थी और सभी मनुष्यों की सम नि पर बल
दिय थ ।
अलग-अलग क्षेत्रों में भति आंिोलन
• ितक्षण भ रि:
o भति आंिोलन क आरं भ अलि र (भगि न
तिष्णु के भि) और नयन र (भगि न तशि के
भि) संिों के नेिृत्ि में हुआ थ ।
▪ उन्होंने अपने भजनों में स्थ नीय भ ष क
इस्िेम ल दकय थ । इस क रण उनक
जनि से प्रत्यक्ष जुड ि संभि हुआ थ ।
o नयन र: िे भगि न तशि के भि थे। इनकी
संख्य 63 थी। प्रतसद्ध नयन र संि थे- अपप र,
सुंिर र, तिरुगण, संबि
ं र, म तणक्कि चकर
(म तणकि सगर) आदि।
o अलि र: िे भगि न तिष्णु के भि थे। इनकी
संख्य 12 थी। प्रतसद्ध अलि र संि थे-
न ममलि र, तिरुमंगई अलि र, अंड ल,
पेटरय लि र आदि।
▪ अंड ल के भति गीिों को तिरुपपि ई कह
ज ि है।
▪ अलि र संिों के भति गीि दिव्य प्रबंिम्
में संकतलि हैं।

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• मध्य और उिर भ रि:


o 13िीं शि ब्िी के आस-प स भति आंिोलन क ितक्षण भ रि से मध्य और उिर भ रि में प्रस र होने लग थ । इस िौर न उिर भ रि में भति
आंिोलन की एक नई लहर िेखी गई थी।
o इस क्षेत्र में प्रचतलि भति परं पर ओं को तनम्नतलतखि िो व्य पक श्रेतणयों में ब ंट गय है:
▪ सगुण भति ि र : इसमें ईश्वर के गुणयुि और स क र रूप की उप सन की ज िी थी। इस ि र के प्रमुख संि िुलसीि स, मीर ब ई आदि थे।
▪ तनगुण
ि भति ि र : इसमें तनर क र ईश्वर की उप सन की ज िी थी। इस ि र के प्रमुख संि कबीरि स, गुरु न नक िेि आदि थे।
• मह र ष्ट्र:
o िेरहिीं से सत्रहिीं शि ब्िी िक मह र ष्ट्र में बडी संख्य में संि-कति हुए, तजनके सरल मर ठी भ ष में तलखे गए गीि आज भी लोगों को प्रेटरि करिे
हैं।
o भति की इस क्षेत्रीय परं पर क कें र पंढरपुर क तिट्ठल (भगि न तिष्णु क एक रूप) मंदिर थ । इन संिों ने ि रकरी संप्रि य क अनुसरण दकय थ ।
o मह र ष्ट्र के प्रतसद्ध भति संिों में ज्ञ नेश्वर, न मिेि, एकन थ और िुक र म के स थ-स थ सखुब ई जैसी मतहल एं और चोख मेल क पटरि र भी
श तमल थ । चोख मेल भी मह र ष्ट्र के प्रमुख संि थे। उन्होंने कई अभंगों की रचन की थी। इनक संबंि “अस्पृश्य” समझी ज ने ि ली मह र ज ति से
थ।
o इन संि-कतियों ने सभी प्रक र के कमिक ड
ं ों, िमिपर यणि के ब ह्य आडंबरों और जन्म के आि र पर स म तजक भेिभ ि क खंडन दकय थ ।
• पूिी और पूिोिर भ रि:
o असम में नि-िैष्णि आंिोलन क प्रच र-प्रस र शंकरिेि ने दकय थ ।
o चैिन्य मह प्रभु, बंग ल के एक प्रतसद्ध संि थे। िे भगि न श्रीकृ ष्ण के अनन्य भि थे। उन्होंने ‘संकीििन’ य ‘लोक ग यन’ के जटरए भगि न श्रीकृ ष्ण की
भति क प्रस र दकय ।

5.3. र नी िुग ि ि िी (Rani Durgavati)


सुर्ख़ियों में मयों?

PT 365 - संस्कृ ति
ह ल ही में, िीर ंगन र नी िुग िििी की 500िीं जयंिी मन ई गई।

र नी िुग ि
ि िी के ब रे में

• र नी िुग िििी क जन्म ब ि


ं (उिर प्रिेश) में महोब के चंिल
े र जिंश में हुआ थ ।
o ह ल ंदक, 12िीं शि ब्िी के अंि िक चंिल
े र जिंश क पिन हो गय थ , लेदकन ब ि में इसे चंिल

श सक कीरि प ल प्संह (र नी िुग ि
ि िी के तपि ) द्व र पुनजीतिि दकय गय थ ।
• उनक तिि ह 1542 ई. में गढ़ -कटंग के गोंड र जिंश के श सक िलपि श ह से हुआ थ ।
o गोंड सबसे बडे जनज िीय समूहों में से एक हैं। यह जनज ति मध्य भ रि में तनि स करिी है।
• नेित्ृ ि संभ लन : र नी ने 1550 ई. में िलपि श ह की मृत्यु के ब ि उन्होंने गोंड र जिंश की सि संभ ली।
• अकबर के स थ संघषि: र नी के श सनक ल के िौर न, अकबर ने आसफ ख न के नेिृत्ि
में गोंड स म्र ज्य पर आिमण दकय थ ।
र नी िुग ि
ि िी क योगि न
• अिसंरचन क तनम ण
ि : उन्होंने र नीि ल, चेरीि ल और अि रि ल जैसे जल शयों
क तनम िण कर य थ ।
o उन्होंने अपनी र जि नी प्संगौरगढ़ से चौर गढ़ स्थ न ंिटरि की थी। नई
र जि नी स मटरक िृति से महत्िपूणि सिपुड पििि श्रृख
ं ल में तस्थि थी।
• िमि गुरुओं क संरक्षण: र नी िुग िििी ने आच यि तबट्ठलन थ को गढ़ में पुतिम गि पंथ
की एक पीठ स्थ तपि करने की अनुमति िी थी। उन्होंने िल्लभ समुि य के िमिगरु ु
तिट्ठलन थ क स्ि गि दकय थ और उनसे िीक्ष प्र प्त की थी।
• म लि के ब ज बह िुर पर तिजय: ि रीख-ए-फटरश्ि के अनुस र, िुग ि
ि िी ने
म लि के श सक ब ज बह िुर को पर तजि दकय थ ।

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• ऐतिह तसक लेखन: िुग िििी की कह नी अबुल फजल (अकबर के इतिह सक र) और तब्रटटश कनिल स्लीमन की रचन ओं से प्र प्त होिी है।
• उन्होंने बुन्िेलखण्ड की समृद्ध तिर सि के तनम ण
ि में योगि न दिय थ । स थ ही, क प्लंजर दकले के अंिर कई मंदिरों क तनम ण
ि करि य थ ।

5.4. छत्रपति तशि जी मह र ज (Chhatrapati Shivaji Maharaj)


सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में, छत्रपति तशि जी मह र ज के र ज्य तभषेक की 350िीं िषिग ठ


ं के उपलक्ष्य में मह र ष्ट्र के र यगढ़ दकले
में सम रोहों क आयोजन दकय गय ।

छत्रपति तशि जी मह र ज (1627-1680) के ब रे में

• जन्म: छत्रपति तशि जी क जन्म 19 फरिरी 1630 को पुणे तजले में जुन्न र के प स तशिनेरी दकले में हुआ थ ।
• म ि : जीज ब ई
• तपि : शह जी र जे भोसले
• छत्रपति तशि जी मह र ज ने ‘िेशमुख’ न मक शतिश ली योद्ध पटरि रों के समथिन से एक स्थ यी र ज्य की
स्थ पन की।

स्िर ज की स्थ पन

• छत्रपति तशि जी मह र ज ने स्िर ज स्थ पन क क यि पुणे क्षेत्र में शुरू दकय थ ।


• इस क्षेत्र के तनि तसयों को म िल (Mavalas) कह ज ि थ ।
• स्िर ज की स्थ पन में तशि जी मह र ज क उद्देश्य उनकी आतिक टरक मुहर य मुर में स्पि रूप से व्यि दकय गय है। इनमें स्िर ज के उद्देश्य के
PT 365 - संस्कृ ति

ब रे में कह गय है दक “तशि जी क स म्र ज्य हमेश लोगों के कल्य ण के तलए ित्पर रहेग ।”
• उन्होंने मुरुंबिेि (र जगढ़), िोरण, कोंड न (कोंढ ण ) ि पुरंिर के दकलों को अपने अतिक र में तलय और स्िर ज की नींि रखी।

छत्रपति तशि जी मह र ज की प्रश सतनक संरचन

• र ज क स्थ न श सन में शीषि पर थ । तशि जी को पर मशि िेने के तलए एक मंतत्रपटरषि होिी थी। इस पटरषि में कु ल आठ मंत्री श तमल थे। इन्हें
‘अिप्रि न’ कह ज ि थ । इसमें श तमल थे:
o पेशि (प्रि न मंत्री), मजूमि र (लेख क र), ि कय निीस (गुप्तचर तिभ ग, ड क और घरे लू म मले), िबीर अथि सुमि
ं (तििेश मंत्री), सेन पति,
न्य य िीश और पंतडिर ि (िम िथि अनुि नों के प्रभ री) िथ सतचि/ सुरनतिस (श ही आिेश िैय र करने ि ल )।
• छत्रपति तशि जी मह र ज ने अपने तनयतमि सैतनकों को नकि िेिन दिए ज ने को प्र थतमकि िी थी। ह ल ंदक, कभी-कभी सेन -प्रमुखों को र जस्ि
अनुि न (सरं ज म) भी दिय ज ि थ ।
o तमर सि रों पर कडी तनगर नी रखी ज िी थी। तमर सि र ऐसे लोग होिे थे तजनके प स भूतम के िंश नुगि अतिक र थे।
• छत्रपति तशि जी मह र ज ने पडोसी मुगल क्षेत्रों पर एक प्रक र क कर लग कर अपनी आय में िृतद्ध की थी। इस कर को ‘चौथ’ (भू-र जस्ि क एक
चौथ ई तहस्स ) कह ज ि थ ।

छत्रपति तशि जी मह र ज क सैन्य संगठन

• छत्रपति तशि जी मह र ज ने गुटरल्ल और पह डी युद्ध में प्रतशतक्षि छोटी घुडसि र सेन और पैिल सैन्य टुकडी को बन ए रख थ ।
o म िली और हेिकरी उनके सबसे उत्कृ ि सैतनक थे।
• मर ठ नौसेन क गठन
• नौसेन के जह जी बेडे में तितिि प्रक र के च र सौ जह ज श तमल थे। इनमें गुरब, गलबट और प ल जैसे युद्धपोि श तमल थे।
• छत्रपति तशि जी मह र ज की सैन्य संगठन योजन में िुगों को भी प्र थतमकि िी गई थी।

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o िुगि क संपण
ू ि प्रभ र दकसी एक अतिक री को नहीं सौंप गय थ । इसकी बज य, प्रत्येक दकले में एक हिलि र (च तबयों क प्रभ री), एक सबनीस
(उपतस्थति न म िली और सरक री पत्र च र के तलए) िथ एक सरनोबि (चौकी क प्रभ री) होिे थे।
o उन्होंने समुरी िुगों (दकलों) क भी तनम ण
ि करि य थ । ये िुगि नौसेन को सुरक्ष प्रि न करिे थे िथ जंजीर के तसद्दी और पुिग
ि तलयों पर
तनयंत्रण रखिे थे।
▪ उन्होंने सुिणििग
ु ि क तनम ण
ि करि य थ । उन्होंने 1664 में म लिन में प्संिि
ु ग
ु ि क तनम िण शुरू करि य थ । लगभग इसी समय उन्होंने
तिजयिुगि न मक दकले को भी मजबूि करि य थ ।
▪ उन्होंने तसदद्दयों की शति क मुक बल करने के तलए र जपुरी के स मने एक छोटे से द्वीप पर पद्मिुगि न मक दकले क भी तनम िण करि य
थ।

5.5. सर सै य ि अहमि ख न (Sir Syed Ahmed Khan)


सुर्ख़ियों में मयों?

2023 में सर सैयि अहमि ख न की 125िीं पुण्यतितथ पर श्रद्ध ज


ं तल अर्पिि की गई थी।

सर सैयि अहमि ख न (1817-1898) के ब रे में

• उन्होंने एक तसतिल सेिक, पत्रक र, तशक्ष तिि्, सम ज सुि रक और इतिह सक र के रूप में क म दकय थ ।
• ि र्मिक िृतिकोण
o सर सैयि अहमि ख न ने इस्ल म की व्य ख्य में इतज्िह ि (स्ििंत्र प्चंिन ि िकि ि ि) की िैिि पर बल
दिय थ ।
o सर सैयि ने कु र न की तशक्ष ओं और आिुतनक तिज्ञ न द्व र खोजे गए प्रकृ ति के तनयमों के बीच सम नि
स्थ तपि करने पर बल दिय थ ।

PT 365 - संस्कृ ति
• रचन एं:
o उन्होंने “असब ब-ए-बग़ िि-ए-प्हंि (सैन्य तिरोह के क रण)” न मक शीषिक से एक लेख भी तलख थ । इसमें उन्होंने िेशी पटरप्रेक्ष्य से तिरोह के
क रणों को समझ ने क प्रय स दकय थ ।
o उन्होंने 'अलीगढ़ इं स्टीट्यूट गजट' न मक पतत्रक प्रक तशि की थी। यह पतत्रक स इं टटदफक सोस इटी क एक अतभन्न अंग थी।
o सर सैयि अहमि ख न ने िहज़ीब उल अखल क (सम ज सुि रक) न मक पतत्रक की शुरुआि की थी। इसक उद्देश्य स म तजक और ि र्मिक मुद्दों
पर लोगों की चेिन को ज गृि करन थ ।
o िे ईस ई िमि के भी ज नक र थे। उन्होंने 'कमेंिी ऑन ि होली ब इबल' न मक पुस्िक की रचन की थी।
o ऐतिह तसक िस्ि िेज़ीकरण: "आस र-उस-सन िीि" जैसी उनकी रचन ओं ने भ रि की समृद्ध स ंस्कृ तिक तिर सि को संरतक्षि करने में योगि न
दिय थ ।

एक सम ज सुि रक के रूप में उनकी भूतमक

• तशक्ष क्षेत्रक में बिल ि:


o सर सैयि अहमि ख न ने 1863 में स इं टटदफक सोस इटी की स्थ पन की थी। इसक उद्देश्य मुसलम नों में िैज्ञ तनक िृतिकोण पैि करन थ ।
o सर सैयि ने यह अनुभि कर तलय थ दक मुसलम नों की उन्नति आिुतनक तशक्ष अपन ने पर और अंग्रज
े ी भ ष में तनपुणि प्र प्त करने पर तनभिर
है।
o उन्होंने 1875 में अलीगढ़ में मुहम्मि एंग्लो-ओटरएंटल कॉलेज की स्थ पन की थी िथ अलीगढ़ आंिोलन की शुरुआि की थी।
o िे अज्ञ नि , ि र्मिक असतहष्णुि और िकि हीनि के तखल फ थे।
• र ष्ट्रीय आंिोलन के तिरोिी:
o अपने ब ि के िषों में, सर सैयि ने भ रिीय मुसलम नों को र ष्ट्रीय आंिोलन में श तमल नहीं होने के तलए प्रोत्स तहि दकय थ ।
o उन्हें तद्व-र ष्ट्र तसद्ध ि
ं के संस्थ पकों में से एक म न ज ि है।

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• मतहल ओं के अतिक रों के संबि


ं में उनके तिच र रूदढ़ि िी थे:
o सर सैयि अहमि ख न ने मतहल ओं के तलए “असंगटठि ट्यूटर आि टरि घरे लू तशक्ष ” क समथिन दकय थ । उनक म नन थ दक मतहल ओं को
उनकी प टरि टरक भूतमक ओं पर अतिक ध्य न कें दरि करन च तहए। ह ल ंदक, मतहल ओं के प्रति इस िरह की ि रण रखने के क रण उन्हें
आलोचन क स मन करन पड थ ।
o यद्यतप, उन्होंने बहुतिि ह, तशशु-हत्य (Infanticide) और ब ल तिि ह की प्नंि की थी।

5.6. महर्षि िय नं ि सरस्ििी (Maharshi Dayanand Saraswati)


सुर्ख़ियों में मयों?

कें र सरक र ने िय नंि सरस्ििी की 200िीं जयंिी के उपलक्ष्य में स ल भर िक चलने ि ले सम रोहों की
तनगर नी के तलए एक उि स्िरीय सतमति क गठन दकय ।

िय नंि सरस्ििी (1824-1883) के ब रे में

• िे एक सम ज सुि रक थे। उनक जन्म 1824 में क टठय ि ड (गुजर ि) के मोरबी में हुआ थ ।
• मूल न म: मूल शंकर
• उन्होंने स्ि मी तिरज नन्ि के स तनध्य में रहिे हुए मथुर में प तणतन और पिंजतल की रचन ओं क अध्ययन
करन िथ उपिेश िेन शुरू दकय थ ।
• स तहतत्यक रचन एं:
o सत्य थि प्रक श: यह उनकी तहन्िी में एक रचन है।
o िेि भ ष्य भूतमक : यह िेिों पर उनकी टीक क पटरचय है, िथ
PT 365 - संस्कृ ति

o िेि भ ष्य: यह यजुिेि पर संस्कृ ि में एक िैदिक भ ष्य है।


िय नंि सरस्ििी क िशिन
• िैदिक तिच रि र :
o उन्होंने म नि तनर्मिि कमिक ड
ं और मूर्िि पूज क तिरोि दकय थ । उन्होंने िैदिक तिच रि र ओं को पुनजीतिि करने की दिश में क म दकय
थ।
o उन्होंने िेिों की परम सि को स्िीक र दकय थ ।
o उनकी पुस्िक “सत्य थि प्रक श” में ‘िैदिक तसद्ध ि
ं ों की ओर ि पसी’ पर जोर दिय गय है।
o उन्होंने “िेिों की ओर लौटो” क न र दिय थ ।
• ज ति प्रथ :
o उन्होंने ि ि दकय थ दक ज ति िंश नुगि नहीं बतल्क व्यति की प्रतिभ और स्िभ ि पर तनि िटरि होिी है।
o ह ल ंदक, उन्होंने ज ति संस्थ क पूरी िरह से तिरोि नहीं दकय थ , लेदकन उन्होंने इसके भीिर महत्िपूणि सुि रों की िक लि की थी।
o िे छु आछू ि की प्रथ के तखल फ थे और सभी ज तियों के तलए िैदिक तशक्ष की िक लि करिे थे।
• मतहल एिं तशक्ष :
o िय नंि सरस्ििी ने ब ल तिि ह और तििि मतहल ओं के बतहष्कृ ि तस्थति में रहने क तिरोि दकय थ ।
o इसके अल ि , उन्होंने मतहल ओं की तशक्ष के तलए एक अतभय न भी चल य थ । उनके अनुस र, तशक्ष क भ र र ज / र ज्य को उठ न च तहए।
िे अतनि यि तशक्ष के पक्ष में थे।
o महर्षि िय नंि की स्मृति में ल ल हंसर ज ने एंग्लो-िैदिक स्कू लों की स्थ पन की थी। इससे तशक्ष प्रण ली में पूणि बिल ि की शुरुआि हुई थी।
इसक उद्देश्य भ रिीय छ त्रों को समक लीन अंग्रज े ी तशक्ष के स थ-स थ िेिों के अध्ययन-अध्य पन के तलए एक अद्यतिि प ठ्यिम भी प्रि न
करन थ ।
• र जनीतिक िशिन: िय नंि सरस्ििी के र जनीतिक िशिन के िो कें रीय तिच र हैं-
o पहल 'प्रबुद्ध र जश ही' क तिच र है। यह एक अिि रण है, तजसे उन्होंने मनुस्मृति से उि र तलय थ । इसक अथि है यह एक ऐसी र जश ही
है, जो पूरी िरह से िमि के प लन पर आि टरि है।
o िूसरी, कु छ हि िक तिरोि भ सी ि रण तनि ति चि प्रतितनतित्ि, य नी लोकिंत्र से संबंतिि है।

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• स म तजक आंिोलन: उन्होंने गोरक्ष आंिोलन और शुतद्ध क यििम शुरू दकये थे।
• र ष्ट्रीय आंिोलन:
o स्िर ज क तिच र: उन्हें 1876 में पहली ब र स्िर ज (स्ि-श सन) शब्ि क उपयोग “इं तडय फॉर इं तडयंस” के रूप में करने क श्रेय दिय ज ि
है। इसक आगे चलकर लोकम न्य तिलक और मह त्म ग ि ं ी जैसे नेि ओं ने भी इस्िेम ल दकय थ ।
o स्ििेशी को बढ़ ि िेन : उन्होंने स्ििेश तनर्मिि िस्त्रों के उपयोग की िक लि की थी िथ िेश में ही क रख नों की स्थ पन क समथिन दकय थ ।
कई िेशी र ज ओं से ब ि करने के ब ि, उन्होंने उन्हें स्ििेशी के तलए प्रेटरि दकय थ ।

आयि सम ज और िैदिक स्कू ल


• 1875 में िय नंि सरस्ििी ने बॉम्बे में आयि सम ज की स्थ पन की थी। इसके संतिि न को ल हौर में अंतिम रूप दिय गय थ ।
• यह एक एके श्वरि िी तहन्िू व्यिस्थ है, जो आनुष्ठ तनक कमिक ंडों और स म तजक हठिर्मिि ओं को नक रिी है।
• इसक मुख्य उद्देश्य प्हंिू िमि को क ल्पतनक म न्यि ओं से िूर ले ज न थ । 'कृ ण्िन्िो तिश्वम यिम'् आयि सम ज क न र थ । इसक अथि है, "तिश्व को आयि
(श्रेष्ठ) बन िे चलो" अथ ि
ि संस र को मनुष्यों के रहने के तलए सभी िरीकों से सिोिम स्थ न बन न ।
• यह पहल तहन्िू संगठन है, तजसने तहन्िुत्ि में िम ि
ं रण क सम िेश दकय थ ।
• आयि सम ज के कु छ महत्िपूणि तसद्ध ि
ं , जो स ििभौतमकि के तिच र पर आि टरि हैं।
o शुद्ध ज्ञ न क स्त्रोि ईश्वर है।
o क यों क नैतिक औतचत्य अतनि यि है।
o अज्ञ नि के अंिक र को ज्ञ न की दकरणें अिश्य िूर करिी हैं।
• आयि सम ज ने बडी संख्य में शैक्षतणक संस्थ न और अन थ लय खोले थे। 1886 में ल हौर में पहल िय नंि एंग्लो िैदिक (DAV) स्कू ल खोल गय थ ।
• 1892 में आयि सम ज क गुरुकु ल (रूदढ़ि िी) और कॉलेज समूह (उग्र सुि रि िी) में तिभ जन हो गय थ ।
o रूदढ़ि िी गुट के नेि स्ि मी श्रद्ध नंि थे और उग्र सुि रि िी गुट के नेि ल ल हंसर ज थे।

PT 365 - संस्कृ ति
o यह तिभ जन इस ब ि को लेकर हुआ थ दक दकस भ ष को बढ़ ि दिय ज ए और दकस प्रक र क भोजन परोस ज ए।

5.7. श्री अरप्बं िो घोष (Sri Aurobindo Ghosh)


सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में, श्री अरप्बंिो की 150िीं जयंिी के उपलक्ष्य में िषि भर चलने ि ले सम रोह क पुडुचरे ी के ऑरोतिले में
सम पन हुआ।

श्री अरप्बंिो घोष के ब रे में

• िे 20िीं सिी के बंग ली कति, ि शितनक, आध्य तत्मक नेि और ि तं िक री स्ििंत्रि सेन नी थे।
• र ष्ट्रीय आंिोलन में भ गीि री:
o िे भ रि के गरमपंथी आंिोलन के अग्रिूि थे। उन्होंने 1902 में अनुशीलन सतमति की स्थ पन में मिि की थी।
o िषि 1905 में बंग ल के तिभ जन के ब ि श्री अरप्बंिो ने अपनी नौकरी छोड िी और सदिय रूप से र जनीति
में श तमल हो गए।
o भ रिीय र ष्ट्रीय क ंग्रेस क सूरि अतििेशन 1907 में हुआ थ , इसे सूरि तिभ जन के न म से भी ज न ज ि है। इस अतििेशन के िौर न िह
नरमपंतथयों के तखल फ ब ल गंग िर तिलक के नेित्ृ ि ि ले गरमपंथी समूह में श तमल हो गए थे।
o श्री अरप्बंिो ने प्हंस क नहीं, बतल्क तनतष्िय प्रतिरोि क समथिन दकय थ । ह ल ंदक, उन्होंने स्ििंत्रि प्र तप्त हेिु प्हंस क सह र लेन गलि
नहीं म न थ ।
o अरप्बंिो को मई, 1908 में अलीपुर षड्यंत्र क ंड में तगरफ्ि र कर तलय गय थ ।
• स तहतत्यक योगि न:
o िषि 1893-94 में इं ि ु प्रक श में उनके द्व र तलखे गए लेखों को “न्यू लैम्पस फॉर ओल्ड” शीषिक से प्रक तशि दकय गय थ । इसमें उन्होंने क ंग्रेस
की अति उि रि िी र जनीति की आलोचन की थी।

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o अरप्बंिो ने म चि 1906 में बंग ली सम च र पत्र युग न्िर में, खुले तिरोह और पूणि स्ििंत्रि क प्रच र दकय थ ।
o उन्होंने तबतपन चंर प ल द्व र स्थ तपि बंिे म िरम् सम च र-पत्र क संप िन भी दकय थ ।
o उन्होंने िो स प्त तहक पतत्रक एं शुरू की थीं। इनके न म थे- कमियोगी (अंग्रज
े ी सम च र-पत्र) और िमि (बंग ली सम च र-पत्र)।
o िषि 1914 में उन्होंने एक ि शितनक पतत्रक ‘आयि’ क भी प्रक शन शुरू दकय थ ।
o कतिि ओं, पत्रों और तनबंिों के रूप में संकतलि अन्य कृ तिय -ं एस्सेज़ ऑन गीि (1922), कलेमटेड पोयम्स एंड पलेज़ (1942), ि प्संथते सस ऑफ
योग (1948), ि ह्यूमन स इदकल (1949), ि आइतडयल ऑफ ह्यूमन यूतनटी (1949), स तित्री: ए लीजेंड एंड ए प्संबल (1950) आदि।
• आध्य तत्मक योगि न:
o अरप्बंिो ने 1910 िक भ रिीय स्ििंत्रि आंिोलन में सदिय भूतमक तनभ ई थी। इसके ब ि िे एक आध्य तत्मक सुि रक बन गए थे।
o उन्होंने इसी अिति में ल इफ तडि इन, एसेज ऑन गीि , ि प्संथते सस ऑफ योग , मह क व्य ‘स तित्री’ आदि जैसी अपनी महत्िपूणि कृ तियों की
रचन की थी।
o उन्होंने ‘एक त्म योग’ (Integral Yoga) न मक एक योग स िन क तिक स दकय थ ।
o उन्होंने आध्य तत्मक स िको के एक समुि य की स्थ पन की थी। यह ब ि (1926) में मीर अल्फ स के सहयोग से श्री अरप्बंिो आश्रम (पुडुचरे ी)
के रूप में स्थ तपि हुआ।
▪ मीर अल्फ स ने ितमलन डु में ऑरोतिले अथ ि
ि भोर के शहर की स्थ पन की थी। यह एक श ंतिपूण,ि प्रगतिशील और
स मंजस्यपूणि अतस्ित्ि के तलए तनर्मिि एक स ििभौतमक शहर थ ।
• अरप्बंिो क जीिन संबि
ं ी िशिन:
o उनके अनुस र जीिन आिशिि ि, यथ थिि ि, प्रकृ तिि ि और व्य िह टरकि क संश्लेषण है।
o उनके अनुस र ज्ञ न, भति और कमि मनुष्य को दिव्य म गि/ पथ पर ले ज सकिे हैं।
▪ ह ल ंदक, एक मजबूि व्यतित्ि के तलए आध्य तत्मकि , रचन त्मकि और बौतद्धकि क संश्लष
े ण आिश्यक है।
PT 365 - संस्कृ ति

o श्री अरप्बंिो म नि द्व र बन ए गए दकसी भी िरह के तिभ जन में तिश्व स नहीं करिे थे। यहीं क रण है दक उन्होंने र ष्ट्रीय चेिन ज गृि करने
में स म तजक असम नि ओं को एक प्रमुख ब ि म न थ ।
o िे श्री र म नुज च यि की तशक्ष से प्रभ तिि थे, तजन्होंने बतहष्कृ ि (Outcast) लोगों को प्हंिू िमि में श तमल करने की ब ि की थी।

5.8. भगि न तबरस मुं ड (Bhagwan Birsa Munda)


सुर्ख़ियों में मयों?

जनज िीय गौरि दििस 2021 से प्रत्येक िषि 15 निंबर को मन य ज ि है। इसक आयोजन जनज िीय समुि यों
के स्ििंत्रि सेन तनयों के बतलि नों को सम्म न िेने के तलए दकय ज ि है।

अन्य संबतं िि िथ्य

• 15 निंबर की तितथ श्री तबरस मुड


ं की जयंिी भी है। उन्हें िेश भर के जनज िीय समुि य भगि न के रूप
में पूजिे हैं।
• इस अिसर पर सरक र ने PVTGs के तलए ‘तिकतसि भ रि संकल्प य त्र ’ और प्रि न मंत्री जनज ति
आदिि सी न्य य मह अतभय न (PM JANMAN) की शुरुआि की।

तबरस मुड
ं (1875-1901) के ब रे में

• प्र रं तभक जीिन: तबरस मुंड को 'िरिी आब ' के न म से भी ज न ज ि है। उनक जन्म छोट न गपुर पठ र क्षेत्र (झ रखंड) के खूटं ी तजले के उतलह िू
में मुंड जनज ति में हुआ थ ।
• स म तजक सुि र: उन्होंने प्र थिन के महत्त्ि, शर ब से िूर रहने, ईश्वर में तिश्व स रखने और एक आचरण संतहि क प लन करने पर जोर दिय थ ।
o इन्हीं आिशों के आि र पर उन्होंने तबरस इि मि की शुरुआि की थी।

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• उलगुल न आंिोलन: उन्होंने स्थ नीय अतिक टरयों द्व र जनज तियों के शोषण के तखल फ 'उलगुल न' (The Great Tumult) न मक आंिोलन शुरू
दकय थ ।
o इस आंिोलन के िब ि में तब्रटटश श सन ने 1908 में छोट न गपुर क श्िक री अतितनयम प टरि दकय थ । इस अतितनयम ने आदिि सी लोगों
से गैर-आदिि तसयों को भूतम हस्ि ि
ं टरि करने पर प्रतिबंि लग दिय थ ।

5.9. श्री अल्लू री सीि र म र जू (Shri Alluri Sitarama Raju)


सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में, श्री अल्लूरी सीि र म र जू की 125िीं जयंिी और रम्प तिरोह की 100िीं िषिग ठ
ं के अिसर पर
हैिर ब ि में िषि भर चलने ि ले उत्सि क शुभ रं भ दकय गय ।
आरं तभक जीिन

• जन्म स्थ न: इनक जन्म 04 जुल ई, 1897 को आंध्र प्रिेश के भीम िरम के तनकट मोगल्लु ग ि
ं में हुआ थ ।

भ रि की आज िी में योगि न

• िे असहयोग आंिोलन (NCM) के िौर न मह त्म ग ि


ं ी से प्रभ तिि हुए थे:
o उन्होंने आदिि तसयों को स्थ नीय पंच यि अि लिों में न्य य प ने और औपतनिेतशक अि लिों क
बतहष्क र करने के तलए प्रेटरि दकय थ ।
o उन्होंने लोगों को ख िी पहनने और मद्यप न क त्य ग करने के तलए प्रेटरि दकय थ ।
• रम्प तिरोह (1922-1924):
o इसे मन्यम तिरोह के रूप में भी ज न ज ि है, तजसक श तब्िक अथि है- िन क्षेत्र।
▪ स्थ नीय लोगों द्व र उन्हें "मन्यम िीरुडु " (जंगलों क न यक) भी कह ज ि है।

PT 365 - संस्कृ ति
o अगस्ि 1922 में, श्री अल्लूरी सीि र म र जू ने अंग्रेजों के अत्य च री श सन के तखल फ आंिोलन शुरू
दकय थ ।
▪ 1920 के िशक की शुरुआि िक यह संगटठि गुटरल्ल संघषि के रूप में फै ल गय ।
▪ आिुतनक हतथय र प्र प्त करने के तलए उन्होंने इसे िुश्मन से छीनने क र स्ि अपन य । इसके तलए उन्होंने पुतलस स्टेशनों पर हमले शुरू कर
दिए।
▪ इस िरह क पहल हमल तिश ख पिनम के प्चंि पल्ली पुतलस स्टेशन पर दकय गय थ ।
o 7 मई, 1924 को श्री अल्लूरी सीि र म र जू शहीि हो गए।
o रम्प तिरोह ने ओतडश के आदिि तसयों को आगे भी संघषि करने के तलए प्रेटरि दकय । फलिः उन्होंने िन क नूनों क उल्लंघन करने के स थ-
स थ लग न न चुक ने को लेकर भी संघषि शुरू कर दिय ।
• िे कलकि के गुप्त संगठनों के सिस्य भी रहे थे, जह ं से उन्होंने बम बन न सीख थ ।

रम्प तिरोह के पीछे के क रक


• रम्प और गुडेम पह तडयों से आदिि सी आब िी के अतिक रों को छीनन : 1882 में मर स िन अतितनयम प टरि दकय गय । इसके िहि इन क्षेत्रों में
आदिि सी समुि यों के मुि आि गमन िथ लघु िन उपजों के संग्रह को प्रतिबंतिि कर दिय गय ।
• कृ तष की प रं पटरक पोडु प्रण ली पर प्रतिबंि लग दिय गय । इसे ही कििन एिं िहन स्थ न ंिरण9 कह ज ि है।
• आदिि तसयों क शोषण:
o िेट्टी श्रतमक (अिैितनक मजिूर)।
o गोथी श्रतमक (ऋणी बंिआ ु मजिूर)।
o कु ली श्रम की प्रण ली।
• मुिि र (ग ि ं क मुतखय ) की शति कम कर िी गई: रम्प क्षेत्र के प रं पटरक स म तजक-आर्थिक ढ ंचे के अंिगिि मुिि र अपनी िचिस्िश ली तस्थति के
क रण ि स्ितिक श सक थे।
o तब्रटटश श सन ने जनज िीय समुि य की इस शति संरचन को नि कर दिय थ , तजससे मुिि र न र ज हो गए थे।

9 Slash and burn shifting cultivation

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5.10. क ज़ी नजरुल इस्ल म (Kazi Nazrul Islam)


सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में, ‘तपपप ’ न म से एक दफल्म टरलीज़ हुई है। इस दफल्म में क जी नजरुल इस्ल म के 1922 के

तब्रटटश-तिरोिी गीि “कर र ओइ लौहो कोप ट (जेल की लोहे की सल खें)” को एक नए रूप में प्रिर्शिि

दकय गय है। नए रूप में इस गीि की लय और िुन में बिल ि दकय गय है, तजसकी ब ग्ं ल िेश में व्य पक

स्िर पर आलोचन की ज रही है।

क ज़ी नजरुल इस्ल म (1899-1976) के ब रे में

• बचपन और आरं तभक जीिन:

o उनक जन्म पतिम बंग ल के बििि न (अब िििम न) तजले के चुरुतलय ग ि


ं में हुआ थ ।
o 1917 में, िे एक सैतनक के रूप में तब्रटटश इं तडयन आमी में श तमल हुए थे।

• नजरुल इस्ल म ‘तबरोही कोबी’ (तिरोही कति) के न म से लोकतप्रय हैं। उन्होंने अपनी कई कृ तियों में ि सि , घृण और परं पर के न म पर लोगों के

दकए ज ने ि ले उत्पीडन के तखल फ आि ज उठ ई थी।


• उन्होंने 2000 से अतिक गीि तलखे थे और उन्हें संगीिबद्ध दकय थ । ये गीि ‘नजरुल गीिी’ के न म से लोकतप्रय हैं।

• प्रमुख कृ तिय /ं रचन एं:


PT 365 - संस्कृ ति

o नज़रुल ने अपन पहल लेख 1919 में ‘ि ऑटोब योग्र फी ऑफ ए डेप्लंक्वेंट’ य ‘सौग ि’ शीषिक से प्रक तशि दकय थ ।

▪ 1920 में नज़रुल ने सेन की नौकरी छोड िी और 'बंग ली मुतस्लम तलटरे री सोस इटी' में श तमल हो गए।

o बंिन-ह र (बंिन से मुति), बोिन, शि-इल-अरब, ब िल प्रिर शरब आदि उनकी कु छ प्रतसद्ध रचन एं हैं।

o नज़रुल ने 1922 में अपनी प्रतसद्ध कतिि 'अनोंिोंमोइर अगोमोने' तलखी थी। इसके तलए तब्रटटश सरक र ने उन्हें एक स ल की जेल की सज िी

थी।

o 1930 में उनकी पुस्िक प्रलयतशख पर प्रतिबंि लग दिय गय थ और र जरोह क आरोप लग कर उन्हें जेल की सज िे िी गई थी। उन्हें ग ि
ं ी-

इरतिन समझौिे (1931) पर हस्ि क्षर होने के ब ि जेल से टरह दकय गय थ ।

• र ष्ट्रीय आंिोलन में उनकी भूतमक :


o क ज़ी नजरुल इस्ल म ने अपनी कतिि ओं, न टकों आदि के जटरए लोगों को तब्रटटश श सन के तखल फ लडने के तलए प्रेटरि दकय थ ।

o उन्होंने स्ििेशी और तखल फि आंिोलन में अपनी रचन ओं के म ध्यम से सदिय भूतमक तनभ ई थी।
o उन्होंने श्रतमक प्रज स्िर ज िल क गठन दकय थ ।
▪ श्रतमक प्रज स्िर ज िल, एक सम जि िी र जनीतिक िल थ । यह िल भ रिीय र ष्ट्रीय क ग्र
ं स े (INC) के भीिर क म करि थ ।

o नजरुल ने तब्रटटश स म्र ज्य से र जनीतिक स्ििंत्रि की म ंग नहीं करने पर "तखल फि" आंिोलन और क ग्र
ं स े की आलोचन की थी।

• प्हंि ू मुतस्लम एकि : 1926 में कलकि में प्हंि-ू मुतस्लम िंगों के िौर न, उन्होंने प्हंि-ू मुतस्लम एकि बन ए रखने की अपील की थी।

• पुरस्क र एिं उपलतब्िय ं:


o 1960 में उन्हें भ रि के सिोि न गटरक सम्म नों में से एक पद्म भूषण से सम्म तनि दकय गय थ ।
o ब ग्ं ल िेश ने उन्हें ‘र ष्ट्र कति’ और ‘एकु शे पिक’ से सम्म तनि दकय थ ।
▪ 'एकु शे पिक' ब ंग्ल िेश क िूसर सिोि न गटरक सम्म न है।

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5.11. र ज रति िम ि (Raja Ravi Varma)


सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में, र ज रति िम ि की 175िीं जयंिी मन ई गई है।

भ रिीय कल में योगि न:


• तलथोग्र फी के प्रस्ि िक: िह भ रि में तलथोग्र फी के शुरुआिी समथिकों में से एक
थे।
o तलथोग्र फी एक सप ट पत्थर य ि िु की पलेट पर तचत्रण करने की कल को
िश िि है।
• उन्होंने यूरोपीय अक ितमक कल की िकनीकों के स थ भ रिीय परं पर के एक
सुि
ं र तमश्रण को पूर करने में सफलि प्र प्त की थी।
• पौर तणक कथ ओं की अंििृति ि: उन्होंने अपने तचत्रों में पौर तणक कथ ओं के तिषयों
क तचत्रण दकय थ ।
o इनमें से उनके द्व र तचतत्रि कु छ तिख्य ि उि हरण हैं- िुष्यंि और शकुं िल
क प्रेम प्रसंग, नल ि िमयंिी की कथ , भगि न श्रीर म की िरुण िेि पर
तिजय आदि।
• िे स म न्य जन के कल क र थे: िे अपने तचत्रों की सस्िी प्रतिय ं जनि को उपलब्ि
कर ने के तलए ज ने ज िे थे।
• महत्िपूणि िथ्य:
o उन्हें ‘आिुतनक भ रिीय कल क जनक’ म न ज ि है।
o उनक जन्म त्र िणकोर के दकतलम नूर महल में 1848 में हुआ थ

PT 365 - संस्कृ ति
o उन्हें र ज की उप ति व्यतिगि िौर पर लॉडि कजिन ने प्रि न की थी।
o उनकी तचत्रक टरयों क िगीकरण: पोिेट, पोिेट आि टरि संकलन, तमथकों ि ककं ििंतियों पर आि टरि न ट्य संकलन आदि।
o गुरु: र म स्ि मी न यडू (ि टर पेंटटंग) िथ एक डच तचत्रक र तथयोडोर जेन्सेन (ऑयल पेंटटंग)
• पुरस्क र: कै सर-ए प्हंि स्िणि पिक (1904); के रल सरक र ने उनके न म पर एक पुरस्क र की शुरुआि की है आदि।

5.12. सु र्ख़ि यों में रहे अन्य व्यतित्ि (Other Personalities in News)

5.12.1. श्रीमं ि शं क रिे ि (Srimanta Sankaradeva)

• िे असम के एक िैष्णि संि, तिद्व न, न टकक र और स म तजक-ि र्मिक सुि रक थे।


इनक जन्म 1449 में हुआ थ ।
• उन्होंने िैष्णिि ि के एक रूप “एक-शरण-हटर-न म-िमि” क प्रच र दकय थ । इसमें
भगि न कृ ष्ण को परम, श श्वि और एक म न ज ि है।
• उनकी ि र्मिक व्यिस्थ पूरी िरह से एके श्वरि िी थी।
• क व्य रचन एं: कीििन-घोष, हटरिंर-उप ख्य न, कु रुक्षेत्र-य त्र आदि।
• योगि न
o उन्हें अंदकय -न ट (प रं पटरक असतमय एक ंकी न टक), बोरगीि, भ ओन और
सतत्रय नृत्य (भ रि की श स्त्रीय नृत्य शैली) की शुरुआि क श्रेय दिय ज ि है।
o उन्होंने न मघरों की स्थ पन की प्रथ शुरू की थी। ये सस्िर प ठ और प्र थिन घर
हैं।
o िृश्य कल एं: सप्त बैकुंठ, िृंि िनी िस्त्र आदि।

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5.12.2. अतहल्य ब ई होल्कर (1725 – 1795) {Ahilyabai Holkar (1725 – 1795)}


• मह र ष्ट्र सरक र ने अहमिनगर तजले क न म बिलकर अतहल्य नगर करने क तनणिय तलय है।
• िह 18िीं सिी के िौर न म लि प्र ि
ं की र नी थी।
• उन्होंने भरिपुर के र ज के तखल फ कुं भेर की लड ई में अपने पति (ख ंडे र ि) की मृत्यु के ब ि
1754 में म लि पर अतिक र कर तलय थ ।
• उनके श सन की प्रमुख तिशेषि एं/ उपलतब्िय ं
o उनके श सनक ल में महेश्वर शहर एक स तहतत्यक, औद्योतगक, संगीि कल और तशल्प-
कल क कें र बन गय थ । उन्होंने महेश्वर शहर में एक िस्त्र उद्योग स्थ तपि करने में मिि
की थी। इस क रण इसे अब प्रतसद्ध महेश्वरी स तडयों के तलए ज न ज ि है।
o उन्होंने क शी तिश्वन थ, बरीन थ, द्व रक , ओंक रे श्वरी सतहि कई अन्य मंदिरों के
जीणोद्ध र/पुनर्निम ण
ि क क यि संपन्न कर य थ ।

5.12.3. श्री न र यण गु रु (1856-1928) {Sree Narayana Guru (1856-1928)}

• प्रि न मंत्री ने श्री न र यण गुरु को उनकी जयंिी पर श्रद्ध ंजतल अर्पिि की।
• िह के रल के एक प्हंि ू संि और सम ज सुि रक थे।
• उन्होंने 'एक ज ति, एक िमि, एक ईश्वर' के तिच र क प्रच र दकय थ ।
• प्रमुख योगि न
o उन्होंने पद्मन भन पल्पू के स थ तमलकर एझि समुि य के उत्थ न और तशक्ष के
तलए 'श्री न र यण िमि पटरप लन योगम' (SNDP) की स्थ पन की थी।
PT 365 - संस्कृ ति

o उन्होंने "अरुतिपुरम आंिोलन" शुरू दकय थ । यह सभी ज तियों के मंदिर में प्रिेश
के सम न अतिक र के तलए चल ए गए आरं तभक आंिोलनों में से एक थ ।
o उन्होंने त्र िणकोर में मंदिर प्रिेश के तलए ि यकोम सत्य ग्रह (1924-25) को
समथिन दिय थ ।
o उनकी प्रमुख रचन ओं में िैििसकम, अनुकम्प िसकम आदि श तमल हैं।

5.12.4. सतिि नं ि तसन्ह (1871-1950) {Sachchidananda Sinha (1871-1950)}

• तबह र के मुख्यमंत्री ने 10 निंबर को पटन में सतिि नंि तसन्ह की जयंिी पर


उनकी प्रतिम क अन िरण दकय ।
• सतिि नंि तसन्ह के ब रे में:
o इनक जन्म ित्क लीन बंग ल प्रेसीडेंसी के आर में हुआ थ ।
o तबह र और उडीस प्र ि ं के गठन में उनकी महत्िपूणि भूतमक थी।
o िे लंिन में भ रिीय र ष्ट्रीय क ग्र
ं स े पर बनी तब्रटटश सतमति के सदिय सिस्य
थे।
o िे 1910-1930 िक इम्पीटरयल लेतजस्लेटटि क उं तसल के सिस्य रहे थे।
o िे एक संतिि नि िी र ष्ट्रि िी थे। उनक म नन थ दक भ रिीयों को
स्ििंत्रि प्र प्त करने के तलए संिि
ै तनक िरीके अपन ने च तहए।
o िे संतिि न सभ के अंिटरम अध्यक्ष भी रहे थे। ब ि में र जेंर प्रस ि को इसक
औपच टरक अध्यक्ष तनयुि दकय गय थ ।
o मुख्य पुस्िकें : “इकब ल: ि पोएट एंड तहज मैसज
े ”, “कश्मीर-ि पलेग्र उं ड ऑफ
एतशय ” इत्य दि।

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5.12.5. स्ि मी सहज नं ि सरस्ििी (Swami Sahajanand Saraswati)


• इनक जन्म उिर प्रिेश के ग जीपुर में हुआ थ ।
• अप्रैल 1936 में लखनऊ में क ंग्रेस अतििेशन में अतखल भ रिीय दकस न सभ क गठन दकय गय थ । उन्हें
इसके प्रथम अध्यक्ष के रूप में चुन गय थ ।
• उन्होंने तबह र में जमींि रों द्व र बक श्ि भूतम से क श्िक रों को बेिखल करने के तखल फ बक श्ि आंिोलन
शुरू दकय थ ।
o इसके पटरण मस्िरूप, दकस नों के अतिक रों की रक्ष के तलए तबह र टेनस
ें ी एमट और बक श्ि लैंड टैमस
ल गू हुआ थ ।
• उन्होंने, तबहट में ड लतमय चीनी तमल में सफल संघषि क नेित्ृ ि दकय थ । दकस न-मजिूर एकि इस संघषि
की सबसे महत्िपूणि तिशेषि थी।

5.12.6. म लिी मे म (उफि मं ग री ओरं ग) {Malati Mem (aka Mangri Orang)}


म लिी मेम (उफि मंगरी ओरं ग)

• उन्हें भ रि के स्ििंत्रि संग्र म में असम की पहली मतहल शहीिों में से एक के रूप में ज न ज ि है।
• िे असम के च य ब ग नों में अफीम तिरोिी अतभय न की अग्रणी सिस्यों में से एक थीं।
• िषि 1921 में, औपतनिेतशक क ल के िौर न तििेशी शर ब और अफीम के तखल फ लड ई क नेित्ृ ि करने के क रण उनकी हत्य कर िी गई थी।

5.12.7. रुतममणी लक्ष्मीपति (1892-1951) {Rukmini Lakshmipathi (1892- 1951)}

• िे आंध्र प्रिेश के पतिम गोि िरी तजले की स्ििंत्रि सेन नी ि सम ज सुि रक थीं।

PT 365 - संस्कृ ति
• िे मह त्म ग ि
ं ी, सी र जगोप ल च री और सरोतजनी न यडू से प्रभ तिि थीं।
• योगि न:
o उन्होंने मर स प्रेसीडेंसी के िेि रण्यम में सतिनय अिज्ञ य नी नमक सत्य ग्रह (1930) में तहस्स
तलय थ ।
▪ िे पहली मतहल थीं, तजन्हें नमक सत्य ग्रह के िौर न कै ि दकय गय थ ।
o उन्हें मर स तिि न पटरषि के तलए चुन गय थ । ब ि में तिि न सभ की सिस्य बनने ि ली
पहली मतहल बनी थीं।

5.12.8. अशफ क उल्ल ख न (1900-1927) {Ashfaqulla Khan (1900-1927)}


• िे एक स्ििंत्रि सेन नी थे। उन्होंने सदिय रूप से तब्रटटश औपतनिेतशक श सन के तखल फ संघषि
दकय थ ।
• योगि न
o उन्होंने 1924 में प्हंिस्ु ि न टरपतब्लकन एसोतसएशन (HRA) की स्थ पन में मिि की थी। इस

संगठन क उद्देश्य सशस्त्र ि तं ि के जटरए स्ििंत्रि प्र प्त करन थ । ब ि में, HRA क न म

बिलकर प्हंिस्ु ि न सोशतलस्ट टरपतब्लकन एसोतसएशन (HSRA) कर दिय गय थ ।

▪ र म प्रस ि तबतस्मल, सप्चंर न थ बख्शी, सतचन्रन थ स न्य ल आदि भी HRA के मुख्य

सिस्य थे।
o िे एक कति भी थे। िे ‘ि रसी' और ‘हसरि' उपन म से श यरी तलखिे थे।

o उन्हें क कोरी िेन डकै िी में श तमल होने के आरोप में फ स


ं ी की सज िी गई थी।

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5.12.9. श्री र म प्लं ग स्ि मीगल (Shri Ramalinga Swamigal)


सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में, प्रि न मंत्री ने श्री र म प्लंग स्ि मीगल की 200िीं जयंिी के अिसर पर एक क यििम को
संबोतिि दकय ।

श्री र म प्लंग स्ि मीगल के ब रे में:

• उन्हें िेल्ल लर य र म प्लंग अतडगल के न म से भी ज न ज ि है। ये उन ितमल संिों से संबंतिि


हैं, तजन्हें ‘ज्ञ न तसद्ध र’ कह ज ि है। यह ं ज्ञ न से ि त्पयि उििर बुतद्धमि से है।
• िेल्ल लर ने शुद्ध सन्म गि संगम की अिि रण के म ध्यम से ज ति प्रथ के उन्मूलन क प्रय स
दकय थ ।
• शुद्ध सन्म गि संगम के अनुस र म नि जीिन के सिोप्रमुख पहलू प्रेम, ि न करन ि पतित्र कमों क
संप िन करन च तहए। इससे शुद्ध ज्ञ न की प्र तप्त होगी।
PT 365 - संस्कृ ति

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6. पु र स्क र (Awards)
6.1. स तहत्य क नोबे ल पु र स्क र (Nobel Prize in Literature for 2023)
सुर्ख़ियों में मयों?

िषि 2023 क स तहत्य क नोबेल पुरस्क र नॉिे के लेखक जॉन फॉसे को दिय गय । उन्हें यह पुरस्क र उनके अतभनि न टकों और गद्य रचन ओं के तलए
दिय गय है। फॉसे के न टकों और स तहत्य ने उन लोगों को आि ज िी है, जो अपनी ब ि कहने में सक्षम नहीं थे।

PT 365 - संस्कृ ति

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स तहत्य के नोबेल पुरस्क र के ब रे में

• अक िमी ने फॉसे को यह सम्म न नॉिे की न इनोस्कि भ ष में तलखी कृ तियों के तलए दिय है। इन कृ तियों में कई न टक, उपन्य स, कतिि संग्रह,
तनबंि, बिों की दकि बें और अनुि ि आदि श तमल हैं।
o न इनोस्कि नॉिे की िो आतिक टरक भ ष ओं में से एक है।
• स तहत्य में दिए ज ने ि ले नोबेल पुरस्क र की र तश 11 तमतलयन स्िीतडश िोनर (1 तमतलयन डॉलर) है। इसे व्य पक रूप से िुतनय क सबसे प्रतितष्ठि
स तहतत्यक पुरस्क र म न ज ि है।
• 1901 से लेकर 2023 िक कु ल 116 ब र स तहत्य में नोबेल पुरस्क र प्रि न दकय गय है। अब िक 120 लोगों को इस पुरस्क र से सम्म तनि दकय
ज चुक है।
• ह ल के िषों में, यह पुरस्क र फ् ंसीसी लेतखक एनी एन म
ि स (2022) और िंज तनय के उपन्य सक र अब्िुल रज क गुरन ह (2021) ने जीि थ ।

6.2. स तहत्य अक िमी पु र स्क र (Sahitya Akademi Award)


सुर्ख़ियों में मयों?

कें रीय संस्कृ ति मंत्र लय स तहत्य अक िमी पुरस्क र के तलए न म क


ं न प्रदिय में बिल ि करने पर तिच र कर रह है।

स तहत्य अक िमी पुरस्क र के ब रे में

• स तहत्य अक िमी पुरस्क र एक स तहतत्यक सम्म न है। इसे प्रतििषि दकसी भी प्रमुख भ रिीय भ ष में प्रक तशि उत्कृ ि स तहतत्यक कृ ति के लेखक को
प्रि न दकय ज ि है।
o संतिि न में उतल्लतखि 22 भ ष ओं के अल ि अंग्रज
े ी और र जस्थ नी भ ष को भी पुरस्क र के अंिगिि म न्यि िी गई है।
o इस पुरस्क र में ि म्रपत्र युि मंजष
ू , एक शॉल और 1,00,000 रुपये की र तश प्रि न की ज िी है।
PT 365 - संस्कृ ति

• स तहत्य अक िमी एक स्ि यि संगठन के रूप में क यि करिी है। यह सोस यटी पंजीकरण अतितनयम, 1860 के िहि एक सोस यटी के रूप में पंजीकृ ि
है।

6.3. सं गीि न टक अक िमी अमृ ि पु र स्क र (Sangeet Natak Akademi Amrit Awards)
सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में, 84 कल क रों को संगीि न टक अक िमी अमृि पुरस्क र से सम्म तनि दकय गय है।
• पुरस्क र के ब रे में
o संतिि न की 8िीं अनुसच
ू ी में श तमल 22 भ ष ओं के अल ि अंग्रज
े ी और र जस्थ नी को अक िमी ने म न्यि िी है।
o उद्देश्य:
▪ यह सरक र द्व र दिय ज ने ि ल र ष्ट्रीय सम्म न है। यह तनष्प िन कल के कल क रों के स थ-स थ तशक्षकों और तिद्व नों को भी प्रि न
दकय ज ि है।
▪ इसक उद्देश्य 75 िषि से अतिक आयु के उन भ रिीय कल क रों को सम्म तनि करन है, तजन्हें अब िक उनके कटरयर में कोई र ष्ट्रीय सम्म न
नहीं दिय गय है।
▪ यह संगीि न टक अक िमी द्व र दिय ज ने ि ल िन ट इम अि डि है।
o पुरस्क र के रूप में एक ल ख रुपये की र तश, एक ‘ि म्रपत्र और अंगिस्त्रम’ प्रि न दकए गए हैं।
o पुरस्क र भ रि के उपर ष्ट्रपति द्व र दिए गए थे।

संगीि न टक अक िमी के ब रे में

• उत्पति: इसे 1953 में स्थ तपि दकय गय थ । इसकी स्थ पन िेश में तनष्प िन कल (Performing art) के क्षेत्र में एक शीषि तनक य के रूप में की
गई है।
• मंत्र लय: यह संस्कृ ति मंत्र लय के िहि एक स्ि यि तनक य है।

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• उद्देश्य: संगीि, नृत्य और न ट्य रूपों में व्यि भ रि की तितिि संस्कृ ति की तिश ल अमूिि तिर सि क संरक्षण एिं संिििन करन ।
• प्रमुख पुरस्क र:
o संगीि न टक अक िमी फे लोतशप (रत्न सिस्यि );

o संगीि न टक अक िमी पुरस्क र (अक िमी पुरस्क र); िथ


o उस्ि ि तबतस्मल्ल ह ख़ ाँ युि पुरस्क र।

6.4. अन्य महत्िपू णि पु र स्क र (Other Important Awards)

6.4.1. गोप्िं ि स्िरूप ल इफट इम अचीिमें ट अि डि (Govind Swarup Lifetime Achievement Award)

• पहल एस्िोनॉतमकल सोस इटी ऑफ इं तडय (ASI)-गोप्िंि स्िरूप ल इफट इम अचीिमेंट अि डि प्रोफे सर जयंि तिष्णु न लीकर को पुणे में दिय गय
है।
• इस पुरस्क र को 2022 में ASI की स्िणि जयंिी के अिसर पर स्थ तपि दकय गय थ । इसक उद्देश्य प्रख्य ि भ रिीय खगोलतििों की उपलतब्ियों
को सम्म तनि करन है।
• प्रोफे सर गोप्िंि स्िरूप (1929-2020) भ रिीय रे तडयो एस्िोनॉमी के संस्थ पक थे।

o उन्होंने ऊटी रे तडयो टेलीस्कोप (ORT) और ज यंट मीटर िेि रे तडयो टेलीस्कोप (GMRT) क तनम ण
ि दकय थ ।

o िह नेशनल सेंटर फॉर रे तडयो एस्िोदफतजमस (NCRA), पुणे के संस्थ पक तनिेशक थे।

o िह स्क्व यर दकलोमीटर ऐरे (SKA) के सबसे प्रमुख समथिकों में से एक थे।

6.4.2. रे मन मै ग्से से पु र स्क र (Ramon Magsaysay Award)

PT 365 - संस्कृ ति
• असम के रहने ि ले ऑन्कोलॉतजस्ट रति कन्नन 2023 के रे मन मैग्सेसे पुरस्क र तिजेि ओं में से एक हैं।

• िषि 1957 में स्थ तपि रे मन मैग्सेसे पुरस्क र को ‘एतशय क नोबेल पुरस्क र’ म न ज ि है।

• इसक न म दफलीपींस के स ििें र ष्ट्रपति (1953-57) रे मन मैग्सेसे के न म पर रख गय है। रे मन मैग्सेसे अि डि फ उं डेशन (RMAF) स म तजक योगि न
संबंिी गतितितियों के तलए हर स ल एतशय के व्यतियों य संगठनों को यह पुरस्क र प्रि न करि है।

6.4.3. इं दिर ग ं िी श ं ति पु र स्क र, 2023 (Indira Gandhi Peace Prize, 2023)

• 2023 क श ंति, तनरस्त्रीकरण और तिक स के तलए इं दिर ग ंिी पुरस्क र संयुि रूप से डैतनयल बैरेनबोइम और अली अबु अहि ि को दिय गय है।
o ये िोनों इजर इल-दफतलस्िीन संघषि के अप्हंसक सम ि न के तलए इजर यल और अरब जगि के युि ओं एिं आम लोगों को एक स थ ल ने क
प्रय स करिे रहे हैं।
• इं दिर ग ि
ं ी पुरस्क र के ब रे में:
o यह 1986 से हर स ल इं दिर ग ि
ं ी मेमोटरयल िस्ट द्व र दिय ज ि रह है।

o पुरस्क र के िौर पर एक प्रशतस्ि पत्र और 25 ल ख रुपए दिए ज िे हैं।

6.4.4. अन्नपू ण ि प्रम ण-पत्र क यि ि म (Annapurna Certificate Programme)

• संपूणि तिश्व से छह भ रिीय रे स्िर ं को अन्नपूण ि प्रम ण-पत्र से सम्म तनि दकय गय है।
• अन्नपूण ि प्रम ण-पत्र क यििम को तििेशों में उन रे स्िर ं को सम्म तनि करने के तलए शुरू दकय गय है, जो भ रिीय प क और व्यंजन परं पर ओं को
बढ़ ि िेिे हैं।
o इस पहल की शुरुआि भ रिीय स स्ं कृ तिक संबि
ं पटरषि (ICCR) ने की है।
o यह पुरस्क र प्रत्येक िषि दिय ज ि है।

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• ICCR की ब रे में

o इसकी स्थ पन 1950 में मौल न अबुल कल म आज़ ि ने की थी।


o यह तििेशों के स थ स स्ं कृ तिक संबि
ं ों से जुडे नीति-तनम ण
ि में भ ग लेिी है।
PT 365 - संस्कृ ति

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7. सु र्ख़ि यों में रही जनज तिय ं (Tribes in News)


7.1. कु ई भ ष (Kui Language)
सुर्ख़ियों में मयों?

ओतडश मंतत्रमंडल ने संतिि न की 8िीं अनुसच


ू ी में कु ई भ ष को श तमल करने के प्रस्ि ि को मंजूरी िे िी है।

कु ई भ ष के ब रे में

• कु ई भ ष रतिड भ ष पटरि र से संबतं िि है। यह मुख्य रूप से कोंि/कं ि न मक ओतडश की सबसे बडी जनज ति के लोगों द्व र बोली ज िी है।
o इस भ ष में उतडय तलतप क उपयोग होि है। खोंडी और गुम्स ई इसकी उपभ ष एं हैं।

• भ रिीय संतिि न की अनुसच


ू ी 8:

o इसमें िेश की आतिक टरक भ ष ओं को सूचीबद्ध दकय गय है। िििम न में, इसमें 22 भ ष एं श तमल हैं।

o मूल संतिि न में 14 भ ष एं सूचीबद्ध थीं और ब की भ ष ओं को ब ि में जोड गय है।

o प्संिी भ ष को 1967 में और कोंकणी, मतणपुरी एिं नेप ली को 1992 में इस सूची में श तमल दकय गय थ । स थ ही, 2003 के 92िें संशोिन

अतितनयम के म ध्यम से इसमें संथ ली, डोगरी, मैतथली िथ बोडो भ ष ओं को जोड गय थ ।

• नई भ ष क सम िेश:

PT 365 - संस्कृ ति
o िििम न में दकसी भ ष को आठिीं अनुसच
ू ी में श तमल करने के तलए तिच र करने हेिु कोई तनतिि म निंड नहीं है।

o ह ल ंदक, एक तनतिि म निंड तिकतसि करने के तलए सरक र ने प हि (1996) और सीि क ि


ं मह प त्र (2003) सतमतियों क गठन दकय

गय थ । लेदकन ये सतमतिय ं संबंतिि म निंड स्थ तपि करने में सफल नहीं हो सकी।

o दकसी भ ष को संतिि न की 8िीं अनुसच


ू ी में श तमल होने से प्र प्त होने ि ले ल भ

▪ उि भ ष के तिक स के तलए सरक र से सहयोग प्र प्त होि है।

▪ स तहत्य अक िमी से म न्यि तमलिी है।

▪ र ज्य तिि न-मंडल और संसि में बहस के िौर न इसक उपयोग दकय ज सकि है।

▪ RBI द्व र भ रिीय नोटों पर अंदकि भ ष ओं में इसे भी श तमल कर तलय ज ि है।

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7.1.1. सु र्ख़ि यों में रही अन्य जनज तिय ं और सं बं तिि घटन एं (Other Tribes and Related Events in
New)
PT 365 - संस्कृ ति

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8. तितिि (Miscellaneous)
8.1. प्र चीन भ रि में सै न्य प्रण ली (Military Systems in Ancient India)
सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में, रक्ष मंत्री ने “भ रिीय सैन्य तिर सि महोत्सि” (IMHF)10 के उद्घ टन के अिसर पर प्रोजेमट ‘उद्भि’ की शुरुआि की है।

PT 365 - संस्कृ ति
प्रोजेमट उद्भि के ब रे में

• इस पटरयोजन की शुरुआि भ रिीय थल सेन और एक प्थंक टैंक यून इटेड सर्ििस इं स्टीट्यूशन ऑफ इं तडय (USI) के सहयोग से की गई है।
• इस पटरयोजन के तनम्नतलतखि उद्देश्य हैं:
o श सन कल और रणनीतिक तिच रों से समृद्ध भ रिीय तिर सि की पुनः खोज करन । यह ं ‘उद्भि’ क आशय ‘उत्पति’ से है।
o सुरक्ष संबंिी मौजूि चुनौतियों क सम ि न करने के तलए समक लीन सैन्य पद्धतियों के स थ प्र चीन ज्ञ न को समतन्िि करन ।
o प्र चीन सैन्य तिद्य क इस्िेम ल करके आिुतनक सैन्य चुनौतियों के तलए एक समग्र िृतिकोण तिकतसि करन ।

प्र चीन भ रि में सैन्य प्रण ली

प्र चीन भ रि क सैन्य ज्ञ न बौतद्धक ग्रंथों, श स्त्रों, प ड


ं ु तलतपयों, तिच रकों, प्रमुख सैन्य अतभय नों िथ श सकों द्व र तलतखि पुस्िकों के अध्ययन पर
आि टरि है।
• कौटटल्य क यथ थिि ि: कौटटल्य ने लगभग 300 ईस पूिि में मौयि श सनक ल के िौर न अथिश स्त्र की रचन की थी। कौटटल्य ने इस पुस्िक में सुझ ि
दिय है दक रणनीतिय ं बन िे समय पहले जमीनी ि स्ितिकि ओं को समझन च तहए और उनके अनुस र ही रणनीति बन ए ज ने पर बल दिय ।
o मंडल तसद्ध ि
ं : यह शत्रुओं, तमत्रों और तमत्र िेशों के ज्ञ न से संबंतिि है।
o गुप्त सूचन एं एकत्र करन : कौटटल्य ने गुप्तचरों (गूढ़पुरुष) क इस्िेम ल करने क समथिन दकय है।
o रसि और आपूर्िि श्रृंखल ।
• क मंिक क नीतिस र: यह गुप्त क ल से संबंतिि एक संस्कृ ि ग्रंथ है। यह ग्रंथ अथिश स्त्र की परं पर क प लन करि है।
o भ रिीय स्ििंत्रि आंिोलन के िौर न उपेक्ष (कू टनीतिक उपेक्ष , कू टनीतिक उि सीनि ) की रणनीति, म य (छल) की रणनीति क दफर से
इस्िेम ल करके इसे पुनजीतिि दकय गय ।

10 Indian Military Heritage Festival

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o नीतिस र में इस ब ि क उल्लेख दकय गय है दक मतहल ओं की सेन भी युद्ध में भ ग ले सकिी है।
• तिरुिल्लुिर की तिरुमकु रल (31 ईस पूि)ि : इस ग्रंथ क संबंि युद्ध के िौर न दकए ज ने ि ले आिशि नैतिक आचरण से है।
• अति पुर ण: यह युद्ध के मैि न में प्रतिग्रह (आरतक्षि) िशिन क उल्लेख करने ि ल पहल पुर ण थ । प्रतिग्रह आिुतनक सैन्य संरचन क एक अतभन्न
तहस्स है।

8.2. सं यु ि र ष्ट्र तिश्व पयि ट न सं ग ठन (United Nations World Tourism Organisation)

सुर्ख़ियों में मयों?

संयुि र ष्ट्र तिश्व पयिटन संगठन (UNWTO) ने कच्छ (गुजर ि) के िोडो ग ि


ं को सििश्रेष्ठ पयिटन ग ंि में से एक के रूप में सम्म तनि दकय है।

अन्य संबतं िि िथ्य

• िोडो ग ंि कच्छ के रण में अितस्थि है। इस ग ंि में ि र्षिक रूप से प्रतसद्ध रण उत्सि (हह इट डेजटि फे तस्टिल) क आयोजन दकय ज ि है।
• UNWTO द्व र उन्नयन क यििम में मडल ग ि
ं (मध्य प्रिेश) क चयन दकय गय ।
o कण ि
ि िी (के न) निी इस ग ंि से होकर बहिी है।

संयि
ु र ष्ट्र तिश्व पयिटन संगठन (UNWTO)

• उत्पति: इसकी स्थ पन 1975 में हुई थी। यह 2003 में संयि
ु र ष्ट्र की एक तिशेष एजेंसी बन गय थ ।

• मुख्य लय: मैतड्रड, स्पेन


• UNWTO के ब रे में: यह पयिटन नीति से संबंतिि मुद्दों के सम ि न के तलए एक िैतश्वक मंच के रूप में क यि करि है। स थ ही, यह पयिटन संबि
ं ी
PT 365 - संस्कृ ति

िकनीकी ज्ञ न के स्रोि के रूप में भी क यि करि है।


• उद्देश्य: यह आर्थिक संितृ द्ध, सम िेशी तिक स और पय ि
ि रणीय संि रणीयि के च लक के रूप में पयिटन को बढ़ ि िेि है।

• सिस्य: इसके भ रि सतहि 160 सिस्य िेश हैं।


• सििश्रष्ठ
े पयिटन ग ि
ं पहल: इसकी शुरुआि 2021 में की गई थी। इसके िहि ग्र मीण पयिटन क सिोिम उि हरण प्रस्िुि करने ि ले ग ंि को सम्म तनि

दकय ज ि है।

8.3. तगरतमटटय मजिूरी (Indentured Labourers)

सुर्ख़ियों में मयों?

तत्रतनि ि और टोबैगो द्वीप समूह में भ रिीय प्रि तसयों द्व र अब भी र म-लील के प्रिशिन की परं पर तनभ ई ज िी है। गौरिलब है दक इन प्रि तसयों के
पूिज
ि ों को भ रि से तगरतमटटय मजिूरों (Indentured labour) के रूप में इन द्वीपों पर ल य गय थ ।
• तगरतमटटय मजिूर कौन थे?
o 1834 में तब्रटटश स म्र ज्य में ि स व्य प र क उन्मूलन कर दिय गय थ । इसके क रण अंग्रेजों ने अलग-अलग उपतनिेशों में अपने ब ग नों में
क म करने के तलए इन मजिूरों को भिी दकय थ ।
o अमसर उन्हें तगरतमटटय कह ज ि थ ।
• तगरतमटटय मजिूरी क उन्मूलन
o 1916 में, मिन मोहन म लिीय ने तगरतमटटय प्रण ली को सम प्त करने के तलए इम्पीटरयल लेतजस्लेटटि कौंतसल में एक प्रस्ि ि पेश दकय थ ।

o 1917 में तब्रटटश सरक र ने इस प्रण ली को आतिक टरक िौर पर सम प्त कर दिय थ ।
o 1914 में ितक्षण अफ्ीक में स्मर्टस-ग ि
ं ी समझौि हुआ थ । इस समझौिे के जटरये मह त्म ग ंिी ने तगरतमटटय मजिूरों के आि गमन पर लग ए
गए पोल टैमस से छू ट दिल कर, तगरतमटटय मजिूरों के स थ दकए ज रहे भेिभ ि को सम प्त करने में महत्िपूणि भूतमक तनभ ई थी।

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8.4. सु र्ख़ि यों में रहे त्यौह र (Festivals in News)

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8.5. सु र्ख़ि यों में रहे खे ल (Sports Related News)

8.5.1. भ रि के र ष्ट्रीय खे ल (National Games of India)


सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में, गोि में र ष्ट्रीय खेलों के 37िें संस्करण क सम पन हुआ।

अन्य संबतं िि िथ्य

• भ रि के र ष्ट्रीय खेलों में भी ओलंतपक खेलों की िरह अनेक खेल प्रतिस्पि ओं


ि क आयोजन दकय ज ि है। इनमें भ रि के अलग-अलग र ज्यों और
कें र श तसि प्रिेशों के एथलीट पिक जीिने के तलए प्रतिस्पि ि करिे हैं।
o भ रिीय सशस्त्र बलों की स्पोर्टसि टीम सर्ििसज
े स्पोर्टसि कं िोल बोडि (SSCB) भी र ष्ट्रीय खेलों में भ ग लेिी है।
• भ रिीय ओलंतपक संघ र ष्ट्रीय खेलों के तलए अिति क तनि िरण करि है और तनयम-क नून बन ि है।
• र ष्ट्रीय खेलों के ब रे में:
o र ष्ट्रीय खेलों के पहले संस्करण क आयोजन 1924 में अतिभ तजि पंज ब के ल हौर में दकय गय थ ।
o आज िी के ब ि, र ष्ट्रीय खेलों के पहले संस्करण की मेजब नी लखनऊ ने की थी।
o ओलंतपक की िजि पर पहली ब र र ष्ट्रीय खेलों क आयोजन 1985 में नई दिल्ली में दकय गय थ ।

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• र ष्ट्रीय खेलों के 37िें संस्करण के ब रे में:


o र ष्ट्रीय खेलों की सभी प्रतिस्पि िओं में समग्र रूप से सििश्रेष्ठ प्रिशिन करने के तलए र ज भ लेंर प्संह िॉफी मह र ष्ट्र को प्रि न की गई।
▪ 1982 में 9िें एतशय ई खेलों की मेजब नी भ रि को दिल ने और दिल्ली में इन खेलों के सफल आयोजन क श्रेय र ज भ लेंर प्संह को दिय
ज ि है।
o सििश्रेष्ठ मतहल एथलीट की िॉफी प्रणति न यक और संयुि क ले ने जीिी िथ सििश्रेष्ठ पुरुष एथलीट की िॉफी श्रीहटर नटर ज ने प्र प्त की।
o र ष्ट्रीय खेलों की मश ल उिर खंड को सौंपी गई, मयोंदक उिर खंड र ज्य ही 38िें र ष्ट्रीय खेलों के आयोजन की मेजब नी करे ग ।
▪ र ष्ट्रीय खेलों के 39िें संस्करण क आयोजन मेघ लय में दकय ज एग ।
• भ रिीय ओलंतपक संघ के ब रे में
o स्थ पन : IOA की स्थ पन 1927 में हुई थी। इसके संस्थ पक अध्यक्ष सर िोर बजी ट ट थे।
o IOA के ब रे में: IOA भ रि में ओलंतपक खेलों और र ष्ट्रमंडल खेलों के तलए श सी तनक य (Governing body) है।
o पंजीकरण: इसक पंजीकरण एक गैर-ल भक री संगठन के रूप में 1860 के सोस यटीज रतजस्िेशन एमट के िहि दकय गय है।
o संबद्ध है (Affiliated): अंिर िष्ट्रीय ओलंतपक सतमति (IOC), र ष्ट्रमंडल खेल संघ (CGF), एतशय ओलंतपक पटरषि (OCA) और ओलंतपक
सतमतियों क र ष्ट्रीय संघ (ANOC)

8.5.2. खे लो इं तडय पै र गे म्स 2023 (Khelo India Para Games 2023)


सुर्ख़ियों में मयों?

प्रथम खेलो इं तडय पैर गेम्स (KIPG) 2023


क आयोजन दिसंबर 2023 में दिल्ली में दकय
PT 365 - संस्कृ ति

गय ।

अन्य संबतं िि िथ्य

• इसके िहि 7 खेल प्रतिस्पि ओं


ि क
आयोजन दकय गय । इन प्रतिस्पि िओं में
श तमल थीं- पैर िीरं ि जी, पैर
एथलेटटमस, पैर बैडप्मंटन, पैर टेबल
टेतनस, पैर प िरतलप्फ्टंग, CP फु टबॉल
और पैर शूटटंग।
• KIPG 2023 पिक ि तलक में शीषि
स्थ न हटरय ण ने प्र प्त दकय । इसके ब ि
उिर प्रिेश क स्थ न थ ।
• KIPG भ रि सरक र की “खेलो इं तडय
पहल” के िहि नई खेल प्रतिस्पि ि है। इस
पहल में खेलो इं तडय यूथ गेम्स, खेलो
इं तडय यूतनिर्सिटी गेम्स और खेलो
इं तडय प्िंटर गेम्स भी श तमल हैं।
• खेलो इं तडय गेम्स के ब रे में:
o इनक आयोजन खेलो इं तडय न मक
एक कें रीय क्षेत्रक योजन के िहि दकय ज ि है।
o 2018 से अब िक कु ल 11 खेलो इं तडय गेम्स सफलि पूििक आयोतजि दकए ज चुके हैं।
o प्रथम संस्करण नई दिल्ली में आयोतजि दकय गय थ ।

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8.5.3. ड यमं ड लीग (Diamond League)


• लंबी कू ि के भ रिीय एथलीट मुरली श्रीशंकर ने पेटरस ड यमंड लीग में िीसर स्थ न ह तसल दकय है।
• ड यमंड लीग शीषि स्िरीय िैक और फील्ड प्रतिस्पि ओं
ि की एक ि र्षिक श्रृख
ं ल है। इसक आयोजन अंिर िष्ट्रीय एथलेटटमस श सी तनक य ‘िल्डि

एथलेटटमस” करि है।

o इसे 2010 में पूिि


ि िी IAAF गोल्डन लीग और IAAF िल्डि एथलेटटमस फ इनल इिेंर्टस की जगह शुरू दकय गय थ ।

o ड यमंड लीग के एक तिशेष सत्र में आम िौर पर प्रतिस्पि ओं


ि की संख्य 14 होिी है। ये प्रतिस्पि ए
ि ं िुतनय भर के अलग-अलग शहरों में आयोतजि
की ज िी हैं।

8.5.4. ICC िल्डि टे स्ट चैं तपयनतशप (WTC) {ICC World Test Championship (WTC)}

• ऑस्िेतलय ने भ रि को हर कर WTC 2023 क तखि ब जीि तलय है।

• WTC में शीषि नौ टेस्ट टीमें श तमल होिी हैं, तजनमें से सभी ने िीन सीरीज घरेलू मैि नों और िीन सीरीज तििेशी मैि नों पर य नी कु ल छह-छह

सीरीज खेली होिी हैं।

o WTC फ इनल शीषि िो टीमों के बीच आयोतजि होि है।

• WTC के पहले संस्करण में प्रत्येक टेस्ट सीरीज के तलए सम न अंक तनि टि रि थे, लेदकन इस ब र प्रत्येक मैच के तलए सम न अंक िय दकए गए थे।
• जीिे गए अंकों के प्रतिशि के आि र पर टीमों ने फ इनल के तलए क्व लीफ ई दकय । यह व्यिस्थ टीमों द्व र खेले गए मैचों की संख्य में असंिल
ु न को
िूर करने के तलए की गई है।

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8.6. सु र्ख़ि यों में रही सरक री पहलें (Government Initiatives in News)

8.6.1. सं शोतिि ‘एडॉपट ए हे टरटे ज 2.0’ क यि ि म (Revamped ‘Adopt A Heritage 2.0’ Programme)

सुर्ख़ियों में मयों?

भ रिीय पुर ित्ि सिेक्षण (ASI) ने संशोतिि ‘एडॉपट ए हेटरटेज 2.0' क यििम की शुरुआि की है।

अन्य संबतं िि िथ्य

• एडॉपट ए हेटरटेज योजन मूल रूप से 2017 में पयिटन मंत्र लय, संस्कृ ति मंत्र लय, ASI और र ज्य/ कें र श तसि प्रिेश सरक रों के स झ प्रय सों के
िहि शुरू की गई थी।
• इसक उद्देश्य तनजी और स ििजतनक क्षेत्रक के संगठनों िथ व्यतियों की सदिय भ गीि री से स्म रक स्थलों पर गुणिि पूणि एिं सम िेशी सुतिि एं
उपलब्ि कर न थ ।
o ASI क मह तनिेशक प्र चीन संस्म रक िथ पुर ित्िीय स्थल और अिशेष (AMASR) अतितनयम, 1958 के िहि संरतक्षि स्म रकों के
रखरख ि के खचि के तनतमि स्िैतच्छक योगि न प्र प्त कर सकि है।
• एडॉपट ए हेटरटेज 2.0 योजन की मुख्य तिशेषि एं

o स्म रक स रथी: ये तनजी/स ििजतनक क्षेत्रक की कं पनी/िस्ट/NGO/सोस इटी कोई भी हो सकिे हैं, तजन्हें ASI द्व र इस क यििम के तलए चुन

गय है। इन्हें पहले ‘स्म रक तमत्र’ कह ज ि थ ।

o पटरयोजन ओं क तिि-पोषण: तनजी और स ििजतनक क्षेत्रक की कं पतनय ं अपने कॉपोरे ट स म तजक उिरि तयत्ि (CSR) कोष क उपयोग

कर सकें गी, जबदक अन्य संस्थ / व्यति स्िैतच्छक रूप से तििीय योगि न कर सकिे हैं।

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o लचील पन: दकसी स्म रक को पूणि रूप से गोि लेने की अनुमति होगी अथि सुतिि ओं में से दकसी एक की तजम्मेि री लेने की भी अनुमति
होगी।
o सुतिि ओं क च र-आय मी फ्े मिकि : स्िच्छि , पहुंच, सुरक्ष और ज्ञ न।

o पटरयोजन अिति: 5 िषि।

8.6.2. र ष्ट्रीय स ं स्कृ तिक म नतचत्रण तमशन (National Mission For Cultural Mapping: NMCM)

सुर्ख़ियों में मयों?

ह ल ही में, सरक र ने र ष्ट्रीय स ंस्कृ तिक म नतचत्रण तमशन के 'मेर ग ि


ं मेरी िरोहर' क यििम के िहि एक ल ख से अतिक ग ंिों की अनूठी तिशेषि ओं
की पहच न करके उनक िस्ि िेजीकरण दकय है।

मेर ग ि
ं मेरी िरोहर सिेक्षण के ब रे में

• उद्देश्य: ग्र मीण स्िर पर स ंस्कृ तिक पहच न क िस्ि िेजीकरण करन है।
o इसक उद्देश्य ग्र मीण भ रि की अनूठी स स्ं कृ तिक तिर सि क िोहन करन है।
• िंत्र: स म न्य सेि कें रों (CSCs) के जटरए ग्र म स्िर के उद्यमी जुडिे हैं, जो स्थ नीय लोगों के स थ बैठकें करिे हैं। इन बैठकों के िौर न ग्र मि सी

अपने ग ंि के ब रे में रोचक िथ्यों पर चच ि करिे हैं, तजन्हें ब ि में आिेिन के जटरए अपलोड कर दिय ज ि है।

o इन रोचक िथ्यों में ग ि


ं के दिलचस्प स्थ न, रीति-टरि ज और परं पर एं, प्रतसद्ध हतस्िय ,ं त्यौह र ि म न्यि एं, कल एिं संस्कृ ति आदि श तमल
हो सकिे हैं।
• समन्िय: संस्कृ ति मंत्र लय ने इलेमिॉतनमस और सूचन प्रौद्योतगकी मंत्र लय के िहि CSCs के स थ भ गीि री की है।
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• गि
ं ों को व्य पक रूप से अलग-अलग श्रेतणयों में तिभ तजि दकय गय है। इन्हें तिभ तजि करने क आि र यह है दक मय िे प टरतस्थतिक, तिक स त्मक
और शैतक्षक रूप से महत्िपूणि हैं िथ मय िे दकसी ऐतिह तसक य पौर तणक घटन ओं से जुडे हुए हैं।

NMCM के ब रे में

• इसकी शुरुआि 2017 में संस्कृ ति मंत्र लय ने की थी।


• श तमल संस्थ एं:
o संस्कृ ति मंत्र लय द्व र NMCM को संच तलि करने क क यि CSC ई-गिनेंस सर्ििसज
े इं तडय तलतमटेड को सौंप गय है।

o इस तमशन को इं दिर ग ि
ं ी र ष्ट्रीय कल कें र (IGNCA) के म गििशिन में दिय तन्िि दकय ज रह है।

▪ IGNCA संस्कृ ति मंत्र लय के अिीन एक स्ि यि संस्थ न है।

▪ कल के क्षेत्र में अनुसि


ं न, अक ितमक खोज और प्रस र के एक कें र के रूप में क यि करि है।

• व्य पक स्िर पर, तमशन के िीन महत्िपूणि उद्देश्य तनम्न नुस र हैं:
o र ष्ट्रीय स स्ं कृ तिक ज गरूकि अतभय न
o र ष्ट्रव्य पी कल क र प्रतिभ खोज/ स्क उटटंग क यििम
o र ष्ट्रीय स स्ं कृ तिक क यि स्थल (NCWP)

• तमशन के मुख्य घटक:

o ऐसे स्थ नों की पहच न करन जह ं स ंस्कृ तिक के न्र/ ‘कल ग्र म’ तिकतसि दकए ज सकिे हैं।
o सीखने के तलए िचुिअल पलेटफॉमि क तनम िण करन ।
o पयिटन स्थलों के स थ-स थ स्थ नीय कल क रों और गुरु-तशष्य परं पर सर हन क यििम की शुरुआि करन ।

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8.7. भौगोतलक सं के िक (GI) टै ग {Geographical Indication (GI) Tags}

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सुर्ख़ियों में रहे GI टैग्स

GI टैग उत्प ि तििरण

उिर प्रिेश

जलेसर ि िु तशल्प (उिर प्रिेश) • ठठे र समुि य, इन उत्प िों को बन ि है।

प रं पटरक इत्र उत्प िन • कन्नौज अपने प रं पटरक इत्र उत्प िन के तलए प्रतसद्ध है।
o भ रि िुतनय क सबसे बड इत्र तनय ि
ि क है।
• कन्नौज परफ्यूम को भी भौगोतलक संकेिक (GI) टैग प्र प्त हुआ है।

ह ल ही में तमले अन्य GI टैग्स • अमरोह क ढोलक (इस संगीि ि द्य यंत्र को आम, कटहल, और स गौन की लकडी से बन य ज ि है)
• ब गपि होम फर्निप्शंग
• मैनपुरी ि रकशी कल (इस कल में गहरे रं ग की शीशम की लकडी पर पीिल के ि रों, पटट्टयों और रूप ंकनों की
ब रीक जड ई क क म दकय ज ि है।)

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• क लपी क हस्ितनर्मिि क गज
• संभल क हॉनि बोन तशल्प
• ब र बंकी हैंडलूम
• महोब क गौर पत्थर हस्ितशल्प

कन िटक

करी ईशि आम • तिशेषि एं: अनूठी सुगंि, अत्यतिक स्ि दिि, गूिे की म त्र अतिक होिी है।.

लम्ब नी कढ़ ई पैच (थेकली) • इसक न म लम्ब नी जनज ति के न म पर रख गय है।


• यह पैटनि ड र्नंग (रफ़ू ), तमरर िकि (छोटे-छोटे िपिण के टु कडे लग न ), िॉस तस्टच (िोसूिी तसल ई) और ओिरलेड
(मढ़ ई) क एक तमश्रण है। इस पर कं गूर पैचिकि की दकन टरयों के स थ रज ई में लगने ि ली तसल ई की िरह तसल ई
की ज िी है।

र जस्थ न

उियपुर कोफ्िग री ि िु तशल्प • कोफ्िग री सज िटी हतथय र बन ने की एक प्र चीन कल है।


(र जस्थ न) • इसमें सोने य च ि
ं ी की ि रों क उपयोग करके हतथय र की सिहों को अलंकृि दकय ज ि है।

बीक नेर कशीि क री तशल्प • यह एक प्रक र की तसल ई कल है। इसके िहि सूि, रे शम य मखमल पर क ंच जड ई क क यि दकय ज ि है।
(र जस्थ न)
• प रं पटरक रूप से बीक नेर और आस-प स के तजलों में मेघि ल समुि य के बुनकर इस कल क तनष्प िन करिे हैं।

जोिपुर बंिज
े तशल्प • यह र जस्थ न की एक बंिनी (tying and dyeing) िस्त्र कल है।
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बीक नेर उस्ि कल तशल्प (यह • यह नक्क शी िीि रों, छिों, क च


ं , लकडी, संगमरमर और ऊाँट के चमडे से बनी कल कृ तियों पर की ज िी है।
स्िणि नक्क शी य स्िणि मनौिी
कल है।)

गोि

मनकु र ड आम • यह गोि की मुख्य प रं पटरक फल फसल है। पुििग तलयों ने इसक न म मैलकोर डो रख थ , तजसक अथि है 'खर ब
रं ग क ’।
• मनकु र ड में सम न पील रं ग, कम फ इबर और शकि र की संितु लि म त्र होिी है।

गोि बेप्बंक • यह एक प रं पटरक इं डो-पुिग


ि ली तमठ ई है।

गोि क क जू (तगरी) • उत्पति: यह उिर-पूिी ब्र ज़ील की स्थ तनक दकस्म है। इसे 1570 में पुिग
ि ली गोि ल ये थे।
• गोि में ब गि नी फसलों के अंिगिि आने ि ले क्षेत्र में इसे सबसे अतिक क्षेत्र में उग य ज ि है।

ितमलन डु

मट्टी के ल (बेबी बन न ) • यह अपनी अनूठी सुगंि और शहि जैसे स्ि ि के तलए तिख्य ि है।
• इसक कम कु ल घुलनशील सॉतलड्स कं टेंट (TSSC) इसे एक अच्छ तशशु आह र बन ि है।
• मट्टी के ले के गुच्छे अन्य स म न्य के लों के गुच्छों की िरह सीिे-सीिे कि र में नहीं होिे हैं, बतल्क ये हल्के से घुम िि र
रूप में होिे हैं।

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स बूि न (Sago) • SAGOSERVE न मक सहक री सतमति को उसके सेलम (ितमलन डु ) में उत्प दिि स बूि न के तलए भौगोतलक
संकेिक (GI) टैग प्र प्त हुआ है।
• स बूि न किे टैतपओक (कस ि ) से प्र प्त दकय ज ि है। यह छोटी ठोस गोली य मोिी की िरह होि है और यह
सफे ि रं ग क होि है।
• यह अतिक सुप च्य (easy to digest) होि है और जल्िी ऊज ि प्रि न करि है।

उडंगड
ु ी 'पन ग
ं करुपट्टी' (ि ड क • पन ंगकरुपट्टी िूिुमकु तड क्षेत्र में ल ल रे ि के टीलों पर उगने ि ले पलम यर (पंतखय ि ड) िृक्षों के पुष्पगुच्छ से

गुड) एकतत्रि ि ड रस से बन ई ज िी है।

मनमिुरै मृिभ ंड) • िैगई निी मनमिुरै ग ंि से होकर बहिी है। यह निी मृिभ ंड तनम िण के तलए इस्िेम ल होने ि ली तमट्टी क उिम
स्रोि है।

छिीसगढ़

नगरी िुबर ज च िल • िषि 2019 में छिीसगढ़ के जीर फू ल च िल को भी भौगोतलक संकेिक िज ि प्रि न दकय गय थ । इस प्रक र िुबर ज
र ज्य की िूसरी च िल की दकस्म बन गई है, तजसे यह टैग दिय गय है।
• ि ल्मीदक र म यण में इस अन ज क संिभि तमलि है।

असम

जोह च िल • िैज्ञ तनकों ने जोह च िल के न्यूि स्युटटकल (पौतिक-औषिीय) गुणों की खोज की है। स थ ही, तलनोतलक एतसड

PT 365 - संस्कृ ति
(ओमेग -6) और तलनोलेतनक (ओमेग -3) एतसड न मक िो असंिप्त
ृ फै टी एतसड क पि लग य है।
o जोह च िल में व्य पक रूप से उपभोग दकए ज ने ि ले गैर-सुगंतिि दकस्म के च िल की िुलन में ओमेग -6
और ओमेग -3 के बीच अतिक संिुतलि अनुप ि प य ज ि है।
• यह रि शकि र को कम करने और मिुमह
े को शुरुआि में ही रोकने में प्रभ िी है।
o यह च िल कई एंटीऑमसीडेंर्टस, फ्लेिोनोइड्स और फे नोतलमस से भी समृद्ध है।

मेघ लय

ल क डोंग हल्िी • यह करमयूतमन की उि म त्र के तलए प्रतसद्ध है।


o इसकी जयंतिय पह तडयों के ल क डोंग में म नसून के महीनों में क ली जलोढ़ तमट्टी में खेिी की ज िी है।.

ग रो िकमंि • यह ग रो जनज ति द्व र पहने ज ने ि ली प रं पटरक पोश क है।

ल रन ई तमट्टी के बििन • ये बििन जयंतिय तहल्स तजले में क ली तमट्टी से बन ए ज िे हैं।

ग रो चुतबची • यह ग रो जनज ति क प रं पटरक म िक पेय है। इसे च िल से बन य ज ि है।

लद्द ख

सी बकथॉनि • यह लद्द ख क चौथ GI-टैग प्र प्त उत्प ि है। अन्य िीन हैं-
o रकत्से क रपो खुब नी (Apricot),
o पश्मीन श ल और
o लद्द खी क ष्ठ नक्क शी।

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अरुण चल प्रिेश

अरुण चल ‘य क चुरपी’ • अरुण चल ‘य क चुरपी’ भौगोतलक संकेिक (GI) टैग प ने ि ल पहल ‘य क िूि उत्प ि’ बन गय है।
• य क चुरपी प्र कृ तिक रूप से दकतण्िि पनीर है। इसे अरुण चली य क के िूि से िैय र दकय ज ि है। यह ज निर
अरुण चल प्रिेश में अतिक ऊंच ई ि ले क्षेत्रों में प ल ज ि है।
o इस उत्प ि में प्रोटीन प्रचुर म त्र में उपलब्ि होि है।
o अरुण चली य क को ब्रोकप स न मक जनज िीय य क चरि हे प लिे हैं।

उिर खंड

चमोली • रम्म ण एक ि र्मिक त्यौह र और आनुष्ठ तनक न टक है। इसक आयोजन भ रि में गढ़ि ल क्षेत्र में दकय ज ि है।
लकडी क रम्म ण मुखौट • यह उिर खंड के चमोली तजले के प्हंिू समुि य क र म यण मह क व्य पर आि टरि त्यौह र है।
• इसके अंिगिि मुखौटे बन ने की प्रदिय को कल क र पतित्र म निे हैं, मयोंदक िे पौर तणक िेिी-िेिि ओं को जीिंि
करिे हैं।

तबच्छू बूटी कपडे • उिर खंड के तबच्छू बूटी कपडों को तहम लयी तबच्छू बूटी के रे शों से बन य ज ि है।
• इसके पौिे के रे शे अंिर से खोखले होिे हैं। इस क रण इनमें ि यु को अपने भीिर एकत्र करने की अनूठी क्षमि होिी
है। इससे प्र कृ तिक ि प-रोिन क तनम िण होि है। इस प्रक र यह कपड सर्िियों और गर्मियों िोनों मौसमों में उपयोग
दकय ज सकि है।

क ल भट्ट • इसकी खेिी प रं पटरक रूप से “ब रह-अन ज” कृ तष प्रण ली के िहि की ज िी है। इस प्रण ली में 1-12 िक फसलें एक
स थ उग ई ज िी हैं। इसके िहि िष ि आि टरि पटरतस्थतियों में एक ही खेि में तमलेर्टस, फतलय ,ं ि लें और अलग-
PT 365 - संस्कृ ति

अलग दकस्मों के अन ज की खेिी की ज िी है।


• यह म नि आह र में फ्लेिोन के सबसे समृद्ध स्रोिों में से एक है।

बुर ंश (रोडोडेंड्रॉन आरबोटरयम) • यह उिर खंड क र जकीय पुष्प है।


• बुर ंश के फू लों में प्रमुख तपगमेंट के रूप में एंथोस यतनन और फ्लेिोनोल्स (स्ि स्थ्यप्रि) मौजूि होिे हैं। एंथोस यतनन
जल में घुलनशील फ्लेिोनोइड्स क एक िगि होि है।

अन्य ह तलय GI टैग्स • मंडुआ (र गी) तमलेट (गढ़ि ल और कु म ऊं)


• झंगोर तमलेट
• ल ल च िल (रे ड र इस)
• चौल ई (र मि न ), यह एक स्यूडोसेटरयल अन ज (ख द्य न्नों के सम न) है।
• पह डी िूर ि ल
• गहि की ि ल
• र मनगर लीची
• म ल्ट फल
• र मगढ़ नैनीि ल आडू (गुठलीि र फल)
• अल्मोड लखौरी तमची (पील रं ग और इसमें संिृप्त िस , कोलेस्िॉल और सोतडयम की कम म त्र होिी है।
• बेरीन ग च य
• तलख ई (लकडी पर नक्क शी)
• मोमबिी (इन्हें ह थों से बन य ज ि है और इनक तनम िण प्र कृ तिक फू लों से दकय ज ि है।)
• कु म ऊं क रं गि ली तपछोड

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8.8. अन्य महत्िपू णि सु र्ख़ि य ं (Other Important News)

8.8.1. होमो नले डी (Homo Naledi)


• नए स क्ष्यों के अनुस र होमो नलेडी समुि य अपने संबतं ियों के शिों को िफन िे होंगे और गुफ में नक्क शीि र अथिपण
ू ि प्रिीकों को उत्कीणि करिे होंगे।
उल्लेखनीय है दक होमो नलेडी एक तिलुप्त म नि प्रज ति है।
o उनकी कब्रें दकसी भी ज्ञ ि होमो सेतपयन्स की कब्रग हों से कम से कम 100,000 िषि पुर नी हैं।
• होमो नलेडी की तिशेषि एं
o ये शरीर को पूणि ि ः सीिे रखकर चलिे थे और उनके ह थ आिुतनक म नि के सम न थे।
o उनके कं िों की बन िट पेडों आदि पर चढ़ने के अनुकूल थी। उनके ि ंिों क आक र प्र चीन प्र इमेर्टस के ि ंिों के आक र जैस थ ।
o उनके मतस्िष्क क आक र आिुतनक मनुष्यों के मतस्िष्क क के िल एक तिह ई थ ।
• म नि ज ति के शुरुआिी पूििज हैं: अडीतपथेकस, ऑस्िेलोतपथेकस, होमो हैतबतलस, होमो एगिस्टर/इरे मटस, होमो तनएंडरथलेंतसस, डेतनसोिन्स आदि।

8.8.2. मतहल ओिु ि र (Woman odhuvar)


• ितमलन डु ने मंदिरों में मतहल ओिुिरों की तनयुति की है।
o ओिुिर शैि मंदिरों में तिरुमुरै ग्रंथ से भगि न तशि के स्िुति ग न में सेि रि रहिे/ रहिी हैं।
• तिरुमुरै ितमलन डु में नयन र संिों द्व र 6ठी से 10िीं शि ब्िी के बीच भगि न तशि की स्िुति में ग ए गए गीिों क ब रह खंडों क संग्रह है।
o प्रथम 7 खंडों को िेिरम कह ज ि है। ये िीन प्रतसद्ध नयन र संिों सुि
ं र र, संबि
ं र और अपप र द्व र रतचि हैं।
o मतणक िस गर ने 8िें खंड को पूर दकय थ ।
o प्रथम 9 खंडों को िोतितिरम (तशि की स्िुति में) कह ज ि है।
o 10िें खंड में तिरुमुलर की रचन एं श तमल हैं।
o 11िें खंड में एक मतहल कितयत्री कर ईकल अम्मैय र और न ब
ं ी अंड र की लघु कृ तिय ं श तमल हैं।

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o 12िें खंड को पेटरय रपुर णम कह ज ि है।

8.8.3. ब ली य त्र (Bali Yatra)


• क र्ििक पूर्णिम के अिसर पर एतशय के सबसे बडे मुि क श ि र्षिक व्य प र मेले ‘ब ली य त्र ’ की शुरुआि ओतडश के कटक में मह निी के िट पर
हुई।
o यह मेल ि स्िि में प्र चीन कप्लंग स म्र ज्य से शुरू होने ि ली स हतसक समुरी य त्र ओं के गौरि को य ि करने क अिसर होि है। इस मेले के
अिसर पर लोग के ले के थम (िन ) और सोल से बनी छोटी न िें नजिीक के ि ल बों और नदियों में िैर िे हैं।
• ब ली-य त्र मेले के ब रे में:
o यह मेल ब ली (इं डोनेतशय ) के स थ ओतडश के ऐतिह तसक संबि
ं ों और ितक्षण-पूिि एतशय ई िेशों के तलए की गई समुरप रीय य त्र ओं की
समृद्ध समुरी तिर सि क प्रिीक है।
o यह 'िपोई' न मक कथ से भी जुडी हुई है। इसमें न तिक भ्र ि के ि पस लौटने क इं िज र कर रही एक युििी की प रं पटरक स्मृति को भी को
य ि दकय ज ि है।
o एक म न्यि यह भी है दक िैष्णि संि श्री चैिन्य इसी शुभ दिन पर ब ली से होिे हुए पुरी ज ने के तलए कटक िट पर उिरे थे।
o 'भ लुकुनी ओश ' य 'खुिरु
ु कु नी ओश ' और 'बड ओश ' इस मेले से जुडी कु छ ख स टरि जें हैं।

8.8.4. यू ने स्को क तप्रमस िस ि य पु र स्क र, 2023 (Unesco’s 2023 Prix Versailles)


• बेंगलुरु तस्थि के म्पेगौड अंिर ष्ट्र
ि ीय हि ई अड्डे को यूनेस्को ने 2023 क तप्रमस िस य
ि पुरस्क र प्रि न दकय है। इसे 'िुतनय के सबसे खूबसूरि हि ई
अड्डों' में श तमल दकय गय है।
• यूनेस्को 2015 से प्रतििषि यह पुरस्क र प्रि न कर रह है। इसके िहि तिश्व स्िर पर सबसे बेहिरीन समक लीन तिशेषि ओं को िश िने ि ले स्थ पत्य
को पुरस्क र दिय ज ि है।
o पुरस्क र की आतिक टरक सूची में श तमल स्थ पत्य इं टेलीजेंट सस्टेनेतबतलटी के तसद्ध ंिों क प लन करने ि ले होिे हैं। स थ ही, ये स्थ पत्य
पटरयोजन एं प टरतस्थतिक, स म तजक और स स्ं कृ तिक प्रभ िों को भी ध्य न में रखिी हैं।

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o पुरस्क र प्र प्त स्थ पत्य तलप्िंग पटरिेश (Living environment) को खूबसूरि और बेहिर बन ने की प्र थतमक भूतमक क उि हरण भी प्रस्िुि
करिे हैं।

8.8.5. अतभले ख पटल (Abhilekh Patal)


• अतभलेख पटल इंटरनेट के म ध्यम से भ रिीय र ष्ट्रीय अतभलेख ग र (NAI) के संिभि म ध्यम और इसके तडतजटल संग्रह िक पहुंचने के तलए फीचसि से
पटरपूणि एक िेब पोटिल है।
o यह NAI की एक पहल है। इसक उद्देश्य इसके भ रिीय अतभलेखीय टरकॉड्सि को सभी के तलए उपलब्ि कर न है।
• NAI संस्कृ ति मंत्र लय क एक संबद्ध क य ल
ि य है। यह भ रि सरक र के गैर-िििम न अतभलेखों के भंड र के रूप में क यि करि है।

8.8.6. JATAN: िचुि अ ल म्यू तजयम तबल्डर (JATAN: Virtual Museum Builder)
• JATAN: िचुअ
ि ल म्यूतजयम तबल्डर, भ रिीय संग्रह लयों के तलए एक तडतजटल संग्रह प्रबंिन प्रण ली है।
• यह एक मल इं ट सििर एपलीके शन है। इसमें इमेज िॉप्पंग, िॉटरम र्कं ग, यूतनक नंबटरं ग, मल्टीमीतडय टरप्रजेंटेशन के स थ तडतजटल ऑब्जेमट के प्रबंिन
जैसी सुतिि एं मौजूि हैं।
• इस सॉफ्टिेयर को ह्यूमन सेंटर तडज इन एंड कं पयूटटंग ग्रुप ने तडज इन और तिकतसि दकय है। यह संस्थ सेंटर फॉर डेिलपमेंट ऑफ एडि स्ं ड कं पयूटटंग
(C-DAC), पुणे के अिीन क यि करिी है।
• उल्लेखनीय है दक कें र सरक र ने कल कृ तियों के बेहिर िरीके से संरक्षण के तलए अपने प्रश सतनक तनयंत्रण ि ले सभी संग्रह लयों के 3D तडतजटलीकरण
की योजन बन ई है। यह इसी योजन क एक तहस्स है। यह क यि 2023 के अंि िक पूर दकय ज न है।
o संस्कृ ति मंत्र लय के ि यरे में 10 संग्रह लय आिे हैं।
o इसके अल ि , भ रिीय पुर ित्ि सिेक्षण के प स महत्िपूणि पुर ि तत्िक स्थलों के तनकट िेश भर में फै ले 44 स्थ नों पर स इट संग्रह लय भी हैं।

8.8.7. सं यु ि र ज्य अमे टरक ने 100 से ज्य ि भ रिीय पु र िशे ष ि पस दकए (US to return over 100
PT 365 - संस्कृ ति

Indian antiquities)
• भ रि और अमेटरक ने आपर तिक म मलों पर “प रस्पटरक क नूनी सह यि संति (MLAT)11” पर हस्ि क्षर दकए हैं। इस संति में पुर िशेषों को मूल
िेशों को ि पस करने पर एक-िूसरे को सह यि करने क प्र िि न भी श तमल है।
• कें रीय गृह मंत्र लय MLAT के िहि न्य य लय के आिेशों को तनष्प दिि करने के तलए नोडल मंत्र लय है।
• पुर िशेष िथ बहुमूल्य कल कृ ति अतितनयम (AATA), 1972 भ रिीय पुर ित्ि सिेक्षण से तबन ल इसेंस के पुर िशेष िस्िुओं के तनय िि को एक
िंडनीय अपर ि बन ि है।
• इसके अल ि , सीम शुल्क अतितनयम, 1962 भी पुर िशेषों के तनय ि
ि पर प्रतिबंि लग ि है
• इं तडय प्र इड प्रोजेमट एक िैतश्वक संगठन है। यह संगठन भ रि की खो चुकी तिर सि को दफर से प्र प्त करने के प्रति समर्पिि है।

8.8.8. िै तश्वक बौद्ध तशखर सम्मे ल न, 2023 (Global Buddhist Summit 2023)
• िैतश्वक बौद्ध तशखर सम्मेलन, 2023 “नई दिल्ली घोषण -पत्र” के स थ सम प्त हुआ।
• इस तशखर सम्मेलन क आयोजन संस्कृ ति मंत्र लय ने दिल्ली तस्थि अंिर िष्ट्रीय बौद्ध पटरसंघ के सहयोग से दकय थ ।
• उद्देश्य: इस सम्मेलन क उद्देश्य बौद्ध िमि से संबतं िि और स ििभौतमक प्चंि ओं के म मलों पर तिच र करने के तलए िुतनय भर के बौद्ध तिद्व नों, पटरसंघ
के नेि ओं एिं बौद्ध िम ि
ि लंतबयों को एक मंच पर एक स थ ल न थ ।
• इस तशखर सम्मेलन में भ रि की सॉफ्ट प िर रणनीति में बौद्ध िमि की बढ़िी भूतमक को रे ख ंदकि दकय गय ।

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11 Mutual Legal Assistance Treaty

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पटरतशि I : बौद्ध िमि

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पटरतशि II : जै न िमि
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