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VisionIAS PT 365 December 2024 Culture
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संस्कृ ति (Culture)
तिषय-सूची
1. मूर्ििय ,ं मंदिर एिं स्थ पत्य (Sculptures, Temples and 3.5.4. तपछि ई तचत्रकल ______________________ 28
other Architecture) ____________________________ 4 3.6. गरब नृत्य _______________________________ 29
1.1. यूनेस्को द्व र म न्यि _________________________ 4 3.7. सुर्ख़ियों में रही अन्य नृत्य शैतलय ं _______________ 30
1.1.1. श ंति तनके िन __________________________ 4 3.7.1. च म ल म नृत्य ________________________ 30
1.1.2. पतित्र होयसल मंदिर समूह _________________ 6 3.7.2. कोलकली नृत्य _________________________ 30
1.2. मंदिर ____________________________________ 7 3.7.3. पुतलकली (ब घ नृत्य) ____________________ 31
1.2.1. कोण कि सूयि मंदिर _______________________ 7 3.8. सुर्ख़ियों में रही अन्य कल शैतलय ं _______________ 31
1.2.2. श रि मंदिर ___________________________ 9 3.8.1. तगलतगि प ंडुतलतपय ं ____________________ 31
1.3. सुर्ख़ियों में रहे अन्य मंदिर _____________________ 10 3.8.2. ओल तचकी तलतप _______________________ 31
1.3.1. त्र्यंबके श्वर मंदिर ________________________ 10 3.8.3. फणीतगरी कल कृ तिय ं ___________________ 32
1.3.2. िुंगन थ मंदिर _________________________ 11 3.8.4. िज्र मुति कल ग _______________________ 32
1.3.3. ज गेश्वर मंदिर और प िििी कुं ड _____________ 11 4. सुर्ख़ियों में रहे महत्िपूणि स्थल (Important Sites in the
1.3.4. श्री सीि र म स्ि मी मंदिर, तत्रशूर, के रल ______ 11 News) ______________________________________ 33
1.3.5. तिरुनेल्ली मंदिर, के रल ___________________ 12 4.1. कील डी उत्खनन___________________________ 33
2. स्थ पत्य एिं मूर्ििकल (Architecture and Sculpture) _ 13 4.2. सुर्ख़ियों में रहे अन्य संगमक लीन स्थल ____________ 33
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6.4.1. गोप्िंि स्िरूप ल इफट इम अचीिमेंट अि डि ____ 54 8.8.4. यूनेस्को क तप्रमस िस िय पुरस्क र, 2023 ______ 68
6.4.2. रे मन मैग्सेसे पुरस्क र ____________________ 54 8.8.5. अतभलेख पटल _________________________ 69
6.4.3. इं दिर ग ंिी श ंति पुरस्क र, 2023 __________ 54 8.8.6. JATAN: िचुिअल म्यूतजयम तबल्डर __________ 69
6.4.4. अन्नपूण ि प्रम ण-पत्र क यििम _______________ 54 8.8.7. संयि
ु र ज्य अमेटरक ने 100 से ज्य ि भ रिीय
7. सुर्ख़ियों में रही जनज तिय ं (Tribes in News) ________ 56 पुर िशेष ि पस दकए _________________________ 69
7.1. कु ई भ ष ________________________________ 56 8.8.8. िैतश्वक बौद्ध तशखर सम्मेलन, 2023 _________ 69
7.1.1. सुर्ख़ियों में रही अन्य जनज तिय ं और संबंतिि घटन एं पटरतशि I : बौद्ध िमि _____________________________ 70
_________________________________________ 57 पटरतशि II : जैन िमि _____________________________ 71
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तसफ टरश की थी।
अंिर ष्ट्र
ि ीय स्म रक और स्थल पटरषि (ICOMOS) के ब रे में
• उत्पति: इसे 1965 में स्थ तपि दकय गय थ । यह तिश्व तिर सि स्थलों (WHS) के ब रे में
ऐतिह तसक इम रिों के ि स्िुक रों और तिशेषज्ञों की • ये स्थल यूनेस्को की तिश्व िरोहर सूची में सूचीबद्ध िरोहर स्थल होिे हैं।
िूसरी बैठक/ क ग्र
ं स े क एक पटरण म है। यह बैठक
• ये स्थल 1972 के तिश्व तिर सि कन्िेंशन के िहि उत्कृ ि स ििभौतमक मूल्य ि ले स्थल
1964 में िेतनस में आयोतजि हुई थी।
के रूप में तचतन्हि होिे हैं।
• मुख्य लय: पेटरस, फ् स
ं
• इन स्थलों को िीन श्रेतणयों य नी स स्ं कृ तिक, प्र कृ तिक और तमतश्रि के िहि चुन
• ICOMOS के ब रे में: यह यूनेस्को से जुड एक िैतश्वक ज ि है।
गैर-सरक री संगठन है। इसक उद्देश्य स्म रकों, भिन o भ रि में 42 तिश्व िरोहर स्थल हैं। इनमें से 34 स ंस्कृ तिक, 7 प्र कृ तिक और
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• समग्र रूप से: क चं क मंदिर श ंति तनके िन पटरसर में बनी प्रथम संरचन थी। यह मंदिर दकसी सम्प्रि य तिशेष के तलए नहीं थ ।
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में भगि न कृ ष्ण की मूर्िि स्थ तपि है।
▪ यह मंदिर भगि न तिष्णु को समर्पिि है, जो चेन्न के शि के
न म से भी लोकतप्रय है। यह ं चेन्न क अथि- सुि
ं र और के शि
तिष्णु क अन्य न म है।
▪ यह मंदिर िििम न में भी श्रद्ध लुओं के तलए खुल है। इन िीनों मंदिरों में से यही एकम त्र मंदिर है, जह ं श्रद्ध लुओं द्व र पूज -अचिन की
ज िी है।
• होयसलेश्वर मंदिर (हलेतबडु मंदिर):
o तनम ण
ि कि :ि इसे 1121 ईस्िी में हलेतबडु (ह सन तजले) में बनि य गय थ । र ज तिष्णुिििन ने इस मंदिर के तनम िण में महत्िपूणि भूतमक
तनभ ई थी।
▪ यह मंदिर द्व रसमुर झील के िट पर अितस्थि है।
o िेिि : यह नटर ज के रूप में भगि न तशि को समर्पिि है। तशि
क यह रूप ‘संह र के िेिि ’ के रूप में तिख्य ि है।
• के शि मंदिर:
o तनम ण ि कि :ि इसक तनम िण होयसल र ज नरप्संह िृिीय के
श सनक ल में एक उि अतिक री सोमन थ ने 1268 ईस्िी में
सोमन थपुर (मैसरू ) में करि य थ ।
▪ यह मंदिर क िेरी निी के िट पर अितस्थि है।
o िेिि : यह एक तत्रकु ट मंदिर है। यह मंदिर भगि न कृ ष्ण के िीन
रूपों अथ िि् जन ििन, के शि और िेणग
ु ोप ल को समर्पिि है।
होयसल मंदिर स्थ पत्य शैली
• होयसल मंदिर समूह मंदिर तनम ण ि की तमतश्रि य िेसर शैली में
तनर्मिि है। इस शैली की मुख्य तिशेषि एं तनम्नतलतखि हैं:
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• शैली: इस शैली के मंदिर एक ऊंचे चबूिरे (अतिष्ठ न) पर ि रकीय योजन में तनर्मिि हैं।
• मंदिर तनम ण
ि में सेलखडी क उपयोग दकय गय है। सेलखडी मुल यम और नमि होि है।
• गभिगह
ृ : यह मंदिर क सबसे पतित्र भ ग म न ज ि है। इस कक्ष के कें रीय भ ग अथ िि् पीठ (आसन) पर मुख्य िेिि की मूर्िि स्थ तपि होिी है।
• मंडप: यह मंदिर क िह भ ग है, जह ं पर लोग प्र थिन के तलए एकत्र होिे थे:
o मंडप पटरसर में िृि क र स्िंभ भी बने हैं। प्रत्येक स्िंभ के शीषि कोष्ठक पर च र मूर्ििय ं उत्कीणि हैं।
• गोपुरम (मंदिर क प्रिेश द्व र): इस शैली में तनर्मिि मंदिरों क गोपुरम क फी ऊंच है।
• मूर्ििकल : श लभंतजक (एक स्त्री की मूर्िि), यह मूर्ििकल की एक स म न्य शैली है।
• तिम न (गभिगह
ृ य आंिटरक गभिगह
ृ के ऊपर की संरचन ): यह भीिर से स म न्य लेदकन ब हर से भव्य रूप से सुसतिि है।
• अन्य तिशेषि एं: इसकी छि पर टोड गुब
ं ि (corbelled domes) बने हुए हैं।
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ह ल ही में आयोतजि हुए G-20 तशखर सम्मेलन में तिश्व के नेि ओं के स मने प्रतसद्ध कोण कि सूयि मंदिर के पतहए पर उत्कीणि तचत्र क प्रिशिन दकय गय ।
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• कोण कि सूयि मंदिर एक यूनस्े को तिश्व तिर सि स्थल है। यह मंदिर ब्लैक पैगोड ,
अकि क्षेत्र और पद्म क्षेत्र के रूप में भी लोकतप्रय है।
• कोण कि सूयि मंदिर के पतहए क तनम िण 13िीं शि ब्िी में पूिी गंग िंशीय
श सक नरप्संह िेि प्रथम ने कर य थ ।
o यह मंदिर भगि न सूयि को समर्पिि है। ये पतहए सूयि की खगोलीय गति
को िश िने के तलए बन ए गए हैं।
o मंदिर क तनम ण
ि मलोर इट, लेटर इट और खोंडल इट चट्ट नों से दकय
गय है।
• कोण कि सूयि मंदिर के ब रे में नोबेल पुरस्क र तिजेि रिींरन थ टैगोर ने कह
थ दक यह एक ऐसी जगह है जह ं के पत्थरों की भ ष मनुष्य की भ ष से श्रेष्ठ
है।
• भ रि में अन्य प्रमुख सूयि मंदिर: म िंड सूयि मंदिर (जम्मू और कश्मीर), कट रमल सूयि मंदिर (उिर खंड), सूयि पहर मंदिर (असम), ितक्षण कि सूयि
मंदिर (तबह र), अरस िल्ली सूयि न र यण मंदिर (आंध्र प्रिेश), सूयन
ि र कोतिल (ितमलन डु ), मोढेर सूयि मंदिर (गुजर ि) और ब्र ह्मण्य िेि मंदिर
(मध्य-प्रिेश)।
मंदिर की संरचन
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• न ट्य मंडप: प्रिेश द्व र के ब ि न ट्य मंडप आि है। यह सूयि मंदिर में नृत्य और रं गमंच के तलए बन एक तिश ल कक्ष है।
• जगमोहन: यह मंदिर क सभ कक्ष है।
• िेउल: जगमोहन के ब ि िेउल न मक संरचन आिी है। यह एक गभिगह
ृ है, जह ं पर मुख्य िेिि की प्रतिम स्थ तपि की गई है।
• भोग-मंदिर (रसोईघर): यह िह स्थ न है, जह ं पर िेिि और श्रद्ध लुओं के तलए भोग बन य ज ि है।
• सूयि की दकरणें: इस सूयि मंदिर को इस िरह से तडज इन दकय गय है दक सूयोिय के समय सूयि की पहली दकरण मंदिर के गभिगह
ृ और इििेि पर पडे।
• रथ की योजन : कोण कि सूयि मंदिर की योजन सूयि ि ि
े के रथ के सम न है।
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• कोण कि रथ मंदिर के पतहए: पतहयों की पटरतिय ं (rims) पतक्षयों, ज निरों और पणि समूह की
नक्क शी से अलंकृि हैं। पतहयों की िीतलयों में बने तचत्रफलकों पर अलग-अलग तिल तसि पूणि
मुर ओं में मतहल आकृ तिय ं उत्कीणि हैं।
• स ि घोडे: भगिि गीि में इन स ि घोडों को 'ग यत्री', 'उतष्णक', 'अनुस्िुि', 'िृहति', 'पंगति',
'तत्रिु प' और 'जगिी' न म दिय गय है। ये संभििः िेिों के पतित्र छंिों की लयबद्ध प्रस्िुति क
प्रिीक हैं।
o इन स ि घोडों के न म भी इं रिनुष के स ि रं गों पर आि टरि हैं: सहस्र र (बैंगनी), इं रनील
(इं तडगो), नील , हटरिह (हर ), पीि (पील ), कौसुंभह (न रं गी) और रि (ल ल)।
• मंदिर में नक्क शी:
o युद्ध अश्व (War Horses): कोण कि मंदिर के ितक्षणी तहस्से के स मने युद्ध अश्वों की
नक्क शीि र िो भव्य मूर्ििय ं हैं।
▪ युद्ध अश्व प्रतिम को ओतडश सरक र ने
अपने र जकीय तचन्ह के रूप में स्िीक र
दकय है।
o सूयि िेि: मंदिर में िीन महत्िपूणि स्थलों पर सूयि
िेि की िीन प्रभ िश ली मूर्िियों को इस िरह से
स्थ तपि दकय गय है दक सूयोिय, िोपहर और
सूय िस्ि के समय सूयि क प्रक श इन मूर्िियों पर
अलग-अलग पडि है।
o अन्य: कु छ नक्क शीि र आकृ तिय ं भ िमय मुर
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• श रि पीठ इस क्षेत्र के िीन प्रमुख िीथिस्थलों में से एक थ । अन्य िो प्रमुख िीथि स्थल
म िंड सूयि मंदिर और अमरन थ मंदिर हैं।
• यह मंदिर म िंड मंदिर से क फी तमलि -जुलि है।
• प्रतसद्ध तिद्व न और य त्री अलबरूनी ने मंदिर क उल्लेख एक प्रतितष्ठि पूजनीय िीथि स्थल के रूप में दकय है।
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• ि र्मिक महत्त्ि: यह 18 मह शति पीठों में से एक है। यह प्हंि ू िेिी सरस्ििी को समर्पिि है।
o िेिी श रि कश्मीरी पंतडिों की कु लिेिी है। कई लोग िेिी को कश्मीर पुरि तसनी (कश्मीर की तनि सी) के न म से भी ज निे हैं।
• शैतक्षक महत्त्ि: एक समय यह पीठ िैदिक ग्रंथों, श स्त्रों, और टीक ओं की उििर तशक्ष के तलए अध्ययन क प्रमुख कें र थ । इसकी िुलन न लंि और
िक्षतशल जैसे प्र चीन तशक्ष कें रों से की ज िी थी।
o ऐस म न ज ि है दक एक तिश्वतिद्य लय के रूप में श रि पीठ की अपनी स्ियं की एक तलतप थी, तजसक न म श रि तलतप थ ।
o इस तिश्वतिद्य लय में 5,000 से अतिक तिद्य थी अध्ययन करिे थे। इसके पटरसर में एक तिश ल पुस्िक लय भी थ ।
o ऐस कह ज ि है दक प्रतसद्ध तिद्व न आदि शंकर च यि ने भी श रि तिश्वतिद्य लय में अध्ययन दकय थ ।
o यह भी म न्यि है दक िैष्णि परं पर के सबसे महत्िपूणि प्रतिप िकों में से एक श्री र म नुज च यि ने भी श रि पीठ क भ्रमण दकय थ और इसी
जगह अपने ग्रंथ ‘श्री भ ष्य’ की रचन की थी।
1.3. सु र्ख़ि यों में रहे अन्य मं दिर (Other temples in news)
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• त्र्यंबके श्वर मंदिर भगि न तशि के 12 ज्योतिर्लंगों में से एक है। ज्योतिर्लंग को प्हंि ू िमि में भगि न तशि क प्रिीक म न ज ि है।
o यह मंदिर ब्रम्हतगरी पििि की िलहटी में तस्थि है। यह ं से गोि िरी निी बहिी है।
o इसक तनम िण िीसरे पेशि ब ल जी ब जीर ि (1740-1760) ने एक पुर ने मंदिर के स्थ न पर करि य थ ।
o शब्ि "त्र्यंबक" तत्रिेिों (भगि न ब्रह्म , भगि न तिष्णु और भगि न महेश) को इं तगि करि है।
o यह मंदिर स्थ पत्यकल की न गर शैली में तनर्मिि है। इसक तनम ण
ि क ले पत्थर से दकय गय थ । यह ज्य ि िर भ रि के उिरी भ गों में
प्रचतलि शैली है।
• ज गेश्वर मंदिर जट गंग निी के प स तस्थि है। यह ं तस्थि तशि मंदिर अलग-अलग िेिि ओं के 100 से अतिक प्र चीन लघु मंदिरों से तघर हुआ
है।
o ये मंदिर गुप्तोिर और पूि-ि मध्यक ल के हैं। यह ं तस्थि ज्य ि िर मंदिरों क तनम िण और पुनर्निम िण कत्यूरी र जिंश के श सकों ने कर य थ ।
o स्कं ि पुर ण और प्लंग पुर ण के अनुस र, तशिप्लंग की पूज सबसे पहले ज गेश्वर से आरं भ हुई थी।
o यह क्षेत्र भगि न तशि की पूज करने ि ले पुनरुत्थ नि िी संप्रि य ‘लकु लीश शैिि ि’ क भी कें र थ ।
• प िििी कुं ड िह स्थ न म न ज ि है, जह ं भगि न तशि और िेिी प िििी ने ध्य न दकय थ । यह स्थ न लगभग 5,338 फीट की ऊंच ई पर
अितस्थि है।
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• 47ि ं अंिर िष्ट्रीय संग्रह लय दििस (IMD)3 मन ने के तलए ‘आज िी क अमृि महोत्सि’
के तहस्से के रूप में इं टरनेशनल म्यूतजयम एमसपो क आयोजन दकय गय थ ।
o 2023 के तलए IMD की थीम थी- “संग्रह लय, संि रणीयि और कल्य ण4”।
• इसक शुभंकर चन्न पटनम कल शैली में लकडी से बनी नििकी थ , जो मोहनजोिडो की
नििकी की मूर्िि से प्रेटरि थ ।
• नििकी की मूर्िि प्संिु घ टी सभ्यि (IVC) के मोहनजोिडो पुर स्थल से प्र प्त हुई थी।
यह मूर्िि लगभग 2500 ईस पूिि की है।
• तब्रटटश पुर ित्ितिि अनेस्ट मैके ने 1926 में मोहनजोिडो की खुि ई से नििकी की मूर्िि प्र प्त की थी।
• िििम न में, यह र ष्ट्रीय संग्रह लय (नई दिल्ली) में सुरतक्षि रखी है।
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दिल्ली में आयोतजि G-20 तशखर सम्मेलन के आयोजन स्थल पर भ रि मंडपम पटरसर में िुतनय की सबसे ऊंची नटर ज की प्रतिम स्थ तपि की गई।
इस प्रतिम के ब रे में
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• इस प्रतिम क स्िरूप सृति के चिीय रूप से सृजन और तिन श को प्रिर्शिि करि है।
o यह नृत्य ‘पंचकृ त्य’ य तशि की प च
ं दिय ओं- सृजन, संरक्षण, तिन श, तिरोभ ि और अनुग्रह की अतभव्यति है।
o चोल श सक नटर ज भगि न तशि को अपन कु ल िेिि म निे थे।
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• नटर ज मूर्ििकल क तिक स:
o स क्ष्यों के अनुस र, तशि की क ंस्य प्रतिम एं सििप्रथम 7िीं शि ब्िी ईस्िी और 9िीं शि ब्िी ईस्िी के मध्य में पल्लि क ल में स मने आई थीं।
o इस प्रतिम क तिश्व-प्रतसद्ध िििम न स्िरूप चोल श सकों के संरक्षण में तिकतसि हुआ थ ।
o िसिीं शि ब्िी के िौर न इस कल की प्रतितष्ठि संरक्षक तििि चोल र नी, सेतम्बय न मह िेिी थीं।
• नटर ज से संबतं िि मंदिर:
o ितमलन डु के तचिंबरम शहर में तिल्लै नटर ज मंदिर है।
▪ इस मंदिर क संबंि चोल श सक पर ि
ं क प्रथम से है।
▪ यह मंदिर तजस जगह अितस्थि है, िह तिश्व की चुब
ं कीय भूमध्य रे ख क कें र प्बंि ु है।
• नटर ज की मूर्ििय ं कोनेटरर जपुरम के उम महेश्वर मंदिर और िंज िुर के बृहिेश्वर मंदिर में भी मौजूि हैं।
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संगीि और नृत्य कल
• इस क ल में कु ड मुल , िीण और ब ंसरु ी जैसे ि द्य यंत्रों क इस्िेम ल दकय ज ि थ । िेिि तसय ं संगीि और ग यन में तनपुण थीं।
• ऐस म न ज ि है दक भरिन ट्यम क श स्त्रीय रूप चोल िंश के संरक्षण में ही तिकतसि हुआ थ ।
मंदिर
• चोल क लीन मंदिर समूह को िो िगों में िगीकृ ि दकय ज सकि है-
o आरं तभक मंदिर, पल्लि स्थ पत्य कल से प्रभ तिि थे।
o ब ि के मंदिरों पर च लुमय स्थ पत्य कल क प्रभ ि दिख ई िेि है।
• स्थ पत्य शैली: रतिड शैली।
• चोल क लीन मंदिरों की मुख्य तिशेषि एं:
o मंदिर ऊंची चह रिीि री से तघरे हुए हैं।
o मंदिर अत्यंि भव्य और तिश ल हैं। ऊंचे तिम न (आंिटरक गभिगृह के ऊपर की संरचन ) य गोपुरम (प्रिेश द्व र) मंदिरों की मुख्य तिशेषि एं हैं।
o मंदिर तनम िण में नीस और ग्रेन इट क इस्िेम ल दकय गय है।
o महत्िपूणि उि हरण:
▪ आरतम्भक चोल क लीन मंदिर समूह- तिजय लय मंदिर।
▪ ब ि के चोल क लीन मंदिर समूह- िंज िुर क बृहिेश्वर मंदिर, गंगईकोंडचोलपुरम क बृहिेश्वर मंदिर।
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पेरुम्प न त्रुपपिई और कतलिोगै जैसे ग्रंथों में इसक उल्लेख तमलि है। • िेल्लनि ग ई: गैर-ब्र ह्मण दकस न स्ि मी की भूतम।
o शीषि अतिक टरयों को पेरुन्िरम के न म से ज न ज ि थ , जबदक तनचले • पतल्लिंिम: जैन संस्थ ओं को ि न में िी गई भूतम।
अतिक टरयों को तसरुन्िरम के न म से ज न ज ि थ ।
• चोल स म्र ज्य मंडलम य प्र ि
ं ों में तिभ तजि थ और मंडलम िलन डु ओं एिं न डु ओं में बंटे हुए थे।
• चोल प्रश सन ने अपने स रे स म्र ज्य के ग िं ों में स्थ नीय स्िश सन को प्रोत्स तहि दकय थ ।
o बहुि से अतभलेखों (उिरमेरूर तशल लेख सतहि) में िो सभ ओं क उल्लेख तमलि है। इनमें से एक ‘उर’ और िूसरी ‘सभ य मह सभ ’ थी।
▪ उर: यह ग ंि की एक आम सभ थी।
▪ मह सभ : यह ‘अग्रह र’ कहे ज ने ि ले ब्र ह्मण ग ि
ं ों के ियस्क सिस्यों की सभ थी।
• भूतम कर के अल ि चोल श सकों के र जस्ि के िूसरे स्रोि भी थे जैसे व्य प टरक चुग
ं ी, पेशों पर लग ए ज ने ि ले कर आदि।
o चोल र ज ओं ने कु छ समृद्ध भू-स मंिों को मुिि
ें िेलन (िीन र ज ओं को अपनी सेि प्रि न करने ि ल एक िेलन य दकस न), अरइय र (प्रि न)
आदि जैसी उप तिय ं प्रि न की थीं।
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2.3. G20 तशखर सम्मले न में प्रिर्शि ि अन्य स ं स्कृ तिक पहलू (Other Cultural Aspects
Showcased in G20)
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• इस भिन क तनम िण सेंिल तिस्ट तिक स/ पुनर्ििक स योजन के िहि दकय गय है।
o सेंिल तिस्ट योजन को 1931 में शुरू दकय गय थ । इस योजन में र ष्ट्रपति भिन, नॉथि और स उथ ब्लॉक, संसि भिन, अतभलेख क य ल
ि य
और इं तडय गेट के तनम िण को श तमल दकय गय थ । स थ ही, इसमें र जपथ (िििम न कििव्य पथ) के िोनों ओर के न गटरक उद्य न क तिक स
भी श तमल थ । ध्य िव्य है दक अतभलेख क य िलय (Record Office) को ब ि में र ष्ट्रीय अतभलेख ग र (National Archives) क न म दिय
गय ।
• एक भ रि श्रेष्ठ भ रि की भ िन : नए संसि भिन क आक र तत्रकोणीय है। इसे पद्मश्री ि स्िुक र तबमल पटेल द्व र तडज इन दकय गय है। यह
तडज इन भ रि की स ंस्कृ तिक तितििि से प्रेटरि है। इसे अगले 150 िषों की जरूरिों को पूर करने के तलए तडज इन दकय गय है।
एक भ रि श्रेष्ठ भ रि की भ िन
• लोक सभ कक्ष र ष्ट्रीय पक्षी, मोर की थीम पर आि टरि है।
• र ज्य सभ कक्ष र ष्ट्रीय पुष्प, कमल की थीम पर आि टरि है।
• नए संसि भिन के प्र ंगण में र ष्ट्रीय िृक्ष, बरगि लग य गय है।
• संसि भिन में सेंगोल य र जिंड (Sceptre) को अध्यक्ष (Speaker) की कु सी के बगल में स्थ तपि दकय गय है। ध्य िव्य है दक सेंगोल य र जिंड सि -
हस्ि ंिरण क प्रिीक है।
• र ष्ट्रीय प्रिीक को संसि भिन के शीषि पर स्थ तपि दकय गय है। यह स रन थ में अशोक स्िंभ के शीषि पर बनी प्संह आकृ तियों क अनुरूपण है।
• नए संसि भिन को भिोही (उिर प्रिेश) के तिश्व प्रतसद्ध ह थ से बुने क लीन से सज य गय है। भिोही ह थ से बुने खूबसूरि क लीन के तलए तिख्य ि है,
इसतलए इसे ‘क लीन शहर (Carpet city)’ के न म से भी ज न ज ि है।
PT 365 - संस्कृ ति
• इसमें जल, थल और नभ को समर्पिि छह द्व र बन ए गए हैं। ये भ रिीय सभ्यि की अनुकूल प्रकृ ति के प्रति अपनी कृ िज्ञि व्यि करिे हैं।
• नए भिन के मुख्य द्व र पर अशोक चि बन हुआ है और सत्यमेि जयिे तलख हुआ है।
• संसि भिन में लगी स गौन की लकतडयों को न गपुर से, संगमरमर को गुजर ि से, बलुआ पत्थर (ल ल और सफे ि) को र जस्थ न से मंगि य गय है। स थ
ही, तत्रपुर से मंगि ई गई ब स
ं की लकडी इसके फशि पर लग ई गई है।
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पुर ने संसि भिन को ि स्िुक र एडतिन लुटटयंस और हबिटि बेकर ने तडज इन दकय थ ।
• भव्य चौसठ योतगनी मंदिर गोल क र है। इसमें 64 योतगतनयों के प्रति समर्पिि 64 कक्ष
हैं। इसके मध्य में एक मंदिर है, जो भगि न तशि को समर्पिि है।
o 64 योतगतनय ं शतिश ली योद्ध थीं िथ िंत्र ि योग-तिद्य से संबतं िि थीं।
• इसक तनम िण 1323 ईस्िी के आस-प स कच्छपघ ि िंश के र ज िेिप ल ने करि य
थ।
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• अलग-अलग स्थ नों पर िेिश ल ओं क तनम ण ि करने क क रण: इन िेिश ल ओं क एक-िूसरे से अतिक िूरी पर तनम िण दकय गय ि दक अलग-
अलग तनिेश ंकों से रीप्डंग की िुलन करके सटीकि में सुि र दकय ज सके ।
• तनम ण
ि की ट इमल इन: 1724 ई. में दिल्ली में पहली िेिश ल क तनम िण दकय गय थ । 1738 ई. में जयपुर में अंतिम िेिश ल क तनम िण
दकय गय थ ।
• िििम न पटरतस्थतिय :ं पूरे उिर भ रि में प च
ं िेिश ल ओं क तनम िण दकय गय थ । ये हैं: दिल्ली, जयपुर, मथुर , ि र णसी और उिैन। इनमें से
मथुर िेिश ल क अतस्ित्ि सम प्त हो गय है।
o जयपुर िेिश ल में सबसे अतिक और अलग-अलग प्रक र के उपकरण हैं।
o इन उपकरणों में ऐसे कई उपकरण श तमल हैं, जो अन्य स्थलों पर नहीं बन ए गए हैं, जैसे - कपपल यंत्र, र तशिलय यंत्र और उन्नि ंश यंत्र आदि।
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2.6. सु र्ख़ि यों में रहे अन्य स्थ पत्य (Other Architectural-Related News)
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o उसने एक अिि-गोल क र प्रिेश द्व र क भी तनम िण कर य थ । इसे अल ई िरि ज के न म से ज न ज ि है। इसमें घोडे की न ल की आक र
क मेहर ब है, तजसमें कमल की आकृ तिय ं उके री गई हैं।
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“�ूज टुडे” डेली कर�ट अफेयसर् क� एक सं��� प्र�ु�त है। इस डॉ�ूम�ट क� मदद से �ूज-पेपर को पढ़ना
काफ� आसान हो जाता है और इससे अ�थ� दै�नक घटनाक्रम� के बारे म� अपडेट भी रहते ह�। इससे अ��थ� य�
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म� से कौन-सी �ूज पढ़नी है करने के �लए
स्रोत: इसम� द �ह� दू, इं �डयन ए�प्रेस, PIB, �ूज़ ऑन प्रमुख सु�ख़� यां: इसम� �दन क� छह सबसे मह�पूणर् सु�ख़� य� को सं�ेप म� प्र�ुत
ए.आई.आर., इकोनॉ�मक टाइ�, �ह� दु�ान टाइ�, द �कया जाता है। इससे आप ए�ाम के दृ��कोण से मह�पूणर् �ूज को खोजने म�
�म� ट जैसे कई स्रोत� से �ूज को कवर �कया जाता है। आपना क�मती समय बबार्द �कए �बना मु� घटनाक्रम� को बेहतर तरीके से समझ
भाग: इसके तहत 4 पेज म� �दन-भर क� प्रमुख सु�ख़� य�, सकते ह�।
अ� सु�ख़� य� और सु�ख़� य� म� रहे �ल एवं ���� को सु�ख़� य� म� रहे �ल/ ����: इसम� सु�ख़� य� म� रहे एक मह�पूणर् �ल या
कवर �कया जाता है। मशहूर ���� के बारे म� बताया जाता है।
प्रमुख सु�ख़� यां: इसके तहत लगभग 200 श�� म� पूरे �रणीय त�: इस भाग म� च�च� त �वषय� को सं�ेप म� कवर �कया जाता है, �जससे
�दन क� प्रमुख सु�ख़� य� को प्र�ुत �कया जाता है। इसम� आपको दु�नया भर के मौजूदा घटनाक्रम� क� जानकारी �मलती रहती है।
हा�लया घटनाक्रम को �व�ार से कवर �कया जाता है। प्र�ो�री: प्र�ेक �ूज टु डे वी�डयो बुले�टन के अंत म� MCQs भी �दए जाते ह�।
अ� सु�ख़� यां और सु�ख़� य� म� रहे �ल/ ����: इसके ज�रए हम �ूज पर आपक� पकड़ का परी�ण करते ह�। यह इं टरै��व चरण
इस भाग के तहत सु�ख़� य� म� रहे ����, मह�पूणर् आपक� ल�न� ग को �ानवधर्क के साथ-साथ मज़ेदार भी बनाता है। इससे आप
टमर्, संर��त �ेत्र और प्रजा�तय� आ�द को लगभग 90 घटनाक्रम� से जुड़े त�� आ�द को बेहतर तरीके से याद रख सकते ह�।
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ह ल ही में, पुणे तस्थि भंड रकर ओटरएंटल टरसचि इं स्टीट्यूट (BORI) के शोिकि िओं ने प्र चीन ि म्रपत्र प ड
ं ु तलतपयों को पढ़ने में सफलि प्र प्त की है। ये
प ंडुतलतपय ं प्र चीन संस्कृ ि कितयत्री तशल भट्ट टरक के संबि
ं में ज नक री प्रि न करिी हैं।
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गय थ ।
o स म तजक जीिन के ब रे में ज नक री: उि हरण के तलए- ब्रह्मिेशम अतभलेख में एक र नी के सिी होने के ब रे में बि य गय है।
o कल शैतलयों के ब रे में ज नन : नििकी क सबसे पहल उल्लेख िीसरी शि ब्िी ईस पूिि की जोगीम र गुफ में प य गय है। ितमलन डु क
कु तडतम्मय नमल ई अतभलेख संगीि पर सबसे शुरुआिी अतभलेखों में से एक है।
संबंतिि सुर्ख़िय ं
सोमेश्वर अतभलेख
• पुर ित्ितििों ने सोमेश्वर (कन िटक) में र ज कु लशेखर अलुपेंर प्रथम की मृत्यु क उल्लेख करने ि ले अतभलेख की खोज की है।
• यह अलुप र जिंश से जुड ऐस पहल अतभलेखीय स क्ष्य है, तजसमें दकसी र ज की मृत्यु के ब रे में ज नक री तमलिी है।
o यह अतभलेख िुलुि र जिंश के इतिह स और संस्कृ ति के अध्ययन में महत्िपूणि भूतमक तनभ एग ।
• अलुप र जिंश िुलु न डु (िििम न कन िटक) पर सबसे लंबे समय िक श सन करने ि ले र जिंशों में से एक थ ।
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3.2. यू ने स्को दिएटटि तसटीज़ ने ट िकि (UNESCO Creative Cities Network: UCCN)
सुर्ख़ियों में मयों?
ग्ि तलयर और कोतझकोड “यूनेस्को दिएटटि तसटीज़ नेटिकि (UCCN)” में श तमल हुए।
• ये शहर अपनी तिक स रणनीतियों के तहस्से के रूप में अपनी संस्कृ ति और रचन त्मकि क मजबूि प्रतिबद्धि के स थ उपयोग कर रहे हैं।
• कोतझकोड (स तहत्य क शहर)
• ग्ि तलयर (संगीि क शहर)
o इस शहर क एक समृद्ध संगीि संबि ं ी इतिह स है। ि नसेन (ि नसेन की उप ति ग्ि तलयर के र ज तििमजीि ने िी थी) और बैजू ब िर जैसे
दिग्गज संगीिज्ञ इसी शहर से थे।
o इसे ‘ग्ि तलयर घर ने’ क उत्पति स्थ न भी म न ज ि है। यह प्हंिस्ु ि नी संगीि क सबसे पुर न घर न है।
• UCCN में श तमल अन्य भ रिीय शहर: मुब
ं ई (दफल्म), चेन्नई (संगीि), हैिर ब ि {प क-कल (Gastronomy)}, ि र णसी (संगीि), जयपुर (तशल्प
ि लोक कल ) और श्रीनगर (तशल्प एिं लोक कल )।
• UCCN के ब रे में:
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3.3. जह ज तनम ि ण की प्र चीन तसल ई तिति (टं क ई पद्धति) {Ancient Stitched Shipbuilding
Method (Tankai Method)}
सुर्ख़ियों में मयों?
ह ल ही में, कें रीय संस्कृ ति मंत्र लय और भ रिीय नौसेन ने स मूतहक रूप से जह ज तनम िण की पुर नी िकनीक को पुनर्ििकतसि दकय ।
• इस पटरयोजन को कें रीय संस्कृ ति मंत्र लय ने पूरी िरह से फं प्डंग प्रि न दकय है।
• भ रिीय नौसेन जह ज के तडज इन और तनम ण ि क क यि िेख रही है।
• इस िकनीक में रतस्सयों, डोटरयों, न टरयल के रे शों, प्र कृ तिक रे तजन और िेलों क उपयोग करके लकडी के िख्िों को एक स थ जोडकर जह ज क
तनम िण दकय ज ि है।
o इस पद्धति से जह ज बन ने क तिच र अजंि के एक टंकण तिति से तनर्मिि जह ज के तचत्र से तलय गय थ ।
o यह पहल संस्कृ ति मंत्र लय के ‘प्रोजेमट मौसम’ के अनुरूप है।
▪ प्रोजेमट मौसम क उद्देश्य प्हंि मह स गर से सटे िेशों के बीच संच र को दफर से जोडन और पुनः स्थ तपि करन है। इससे इन िेशों के बीच
स ंस्कृ तिक मूल्यों और सरोक रों की समझ बढ़ेगी;
▪ प्रोजेमट मौसम क लक्ष्य प्हंि मह स गर की सीम से लगे 39 िेशों के स थ समुरी स ंस्कृ तिक संबि
ं ों क पुनर्निम ण
ि करन है।
• प्र चीन व्य प टरक म गि: प्हंि मह स गर क व्य प र म गि ितक्षण-पूिी एतशय , भ रि, अरब और पूिी अफ्ीक से जुड हुआ थ । इस म गि क प्रचलन
कम-से-कम िीसरी शि ब्िी ईस पूिि में आरंभ हुआ थ ।
o प्रमुख प्र चीन बंिरग ह:
▪ पतिमी िट के बंिरग ह: बरग य , सुपप र , कै लीन , सेम इल , म ंड गोर, पलेपटमे, म लीजीग र , और िनोब्ब स, बीज तन्टन, नौर , टटंतडस,
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मुतजटरस और नेप्ल्संड ।
▪ पूिी िट के बंिरग ह: ि म्रतलतप्त, चटरत्रपुर, पलुरु, िंिपुर, कप्लंगपट्टनम, तपथुंड , सोपिम , घंटस ल , पोडु क , पुह र, कोरक ई, क मर
आदि।
• अन्य महत्िपूणि व्य प टरक म गि:
o ितक्षण और ितक्षण-पूिी एतशय ई क्षेत्रों के स थ प्र चीन समुरी एिं स ंस्कृ तिक संबि
ं : यह ं के स्थ नीय व्य प री स िि (Sadhavs) न म से ज ने
ज िे थे। ये व्य प री ितक्षण और ितक्षण-पूिी एतशय ई क्षेत्रों जैस-े ब ली, सुम त्र , सीलोन (श्रीलंक ) आदि से य त्र करिे थे।
o ल ल स गर व्य प र म गि: यह समुरी जलम गि ल ल स गर के म ध्यम से रोमन स म्र ज्य को भ रि से जोडि थ ।
o रे शम म गि: यह एक स्थलीय व्य प र म गि थ । यह संभििः एतशय में चीन के तजय न से लेकर िुकी के एंटटओक िक तिस्ि टरि थ ।
मह र ज जयप्संह के िरब री तचत्रक र अल्ल ह बख्श की बन ई हुई लगभग 4,000 मेि डी तमतनएचर पेंटटंग प्रिर्शिि की गईं।
• मेि डी लघु तचत्रकल (17िीं-18िीं शि ब्िी) के ब रे में:
o यह र जस्थ नी तचत्रकल की एक शैली है। इसक तिक स मेि ड क्षेत्र (र जस्थ न) में हुआ थ ।
o लघु तचत्रकल की मेि ड शैली की उत्पति स म न्यिः 1605 ई. में तनस रिीन न मक कल क र द्व र चुन र में तचतत्रि र गम ल तचत्रों से म नी
ज िी है।
o 18िीं शि ब्िी में, मेि ड तचत्रकल में तिषयगि बिल ि आय । इस शि ब्िी में तचत्रकल क स्िरूप लौदकक एिं िरब री होने लग और तिषयों
की प्रि नि बढ़ गई। अब न के िल छति तचत्रण में तचत्रकल क अतिशय उिय हुआ, बतल्क बडे आक र एिं आकषिक िरब री िृश्यों, तशक र के
अतभय न, उत्सि, अंिःपुर के िृश्य, खेल जैसे तिषय तिशेष रूप से लोकतप्रय हुए।
o न थद्व र शैली मेि ड तचत्रकल शैली की उपशैली है।
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• तिशेषि एं:
o इसमें तचत्रों को स ि रण चमकीले रं ग में तचतत्रि दकय
ज ि है। स थ ही, इस शैली के तचत्रों में भ िन ओं को
प्रमुखि से िश य
ि ज ि है।
o “लघु तचत्रकल ” के िहि चमिपत्र, पहले से िैय र क डि, ि ंबे
य ह थी ि ंि पर लघु आक र के तचत्र बहुि ब रीकी से
बन ए ज िे हैं।
• मेि ड शैली के प्रमुख कल क र: स तहबिीन (र गम ल ), मनोहर
(र म यण क ब लक ड ं ) और जगन्न थ (तबह री सिसई)।
• र जस्थ नी तचत्रकल के ब रे में:
o यह चमकि र रं गों के उपयोग, म नि आकृ ति की एक अमूिि
और प रं पटरक अिि रण और पटरिृश्य के अलंक टरक
तनरूपण में मुगल तचत्रकल से तभन्न थी।
o र जस्थ नी तचत्रकल के तिक स में िो मुख्य क रकों क
योगि न रह :
▪ समृद्ध र जपूि श सकों द्व र संरक्षण; िथ
▪ िैष्णिि ि क पुनः प्रिििन और भति पंथ क तिक स।
संबंतिि सुर्ख़िय ं
बशोली तचत्रकल
• यह कठु आ तजले (जम्मू) की स्थ नीय लघु तचत्रकल शैली है। इसे
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3.5. सु र्ख़ि यों में रही अन्य तचत्रक टरय ं (Other Painting in news)
• एक टरपोटि के अनुस र, ि ल तगरीश्वर मंदिर में मौजूि 1,300 स ल पुर ने तचत्र िूतमल हो रहे हैं।
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• एक मुख्य तचत्र में अिभुज ि ले भगि न तशि को नृत्य करिे हुए दिख य गय है। इसे लि तिल गभनी (Latathilagabhani) न म से ज न ज ि
है। तशि के इस नृत्य को िेिी प िििी द्व र िेखिे हुए तचतत्रि दकय गय है।
• ये तभति-तचत्र (Mural) पत्थर की िीि रों पर चून -पत्थर और रे ि के पलस्िर के ऊपर बन ए गए हैं।
• ये तभति-तचत्र अजंि और तसिनि सल के तचत्रों से क फी सम नि रखिे हैं।
• मंदिर क तनम िण पल्लि र ज नरप्संहिमिन तद्विीय ने करि य थ । िे “र जप्संह” के न म से प्रतसद्ध थे।
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यूनेस्को (UNESCO)7 ने गुजर ि के ‘गरब नृत्य' को म निि की अमूिि स स्ं कृ तिक तिर सि (ICH)8 की प्रतितनति सूची में श तमल दकय है।
• गरब लोक नृत्य को ‘अमूिि स स्ं कृ तिक तिर सि के संरक्षण पर अतभसमय, 2003’ के प्र िि नों के िहि ICH सूची में श तमल दकय गय है।
• गरब ICH सूची में श तमल होने ि ली भ रि की 15िीं अमूिि स स्ं कृ तिक तिर सि है।
• यह एक आनुष्ठ तनक और भतिपूणि लोक नृत्य है। इसक आयोजन प्हंिू त्योह र निर तत्र के िौर न दकय ज ि है। गौरिलब है दक निर तत्र उत्सि के
िौर न ‘शति’ की उप सन की ज िी है।
• यह अतभसमय (कन्िेंशन) यूनेस्को की 2003 में पेटरस में आयोतजि बैठक में अपन य गय थ । इस अतभसमय क उद्देश्य अमूिि स ंस्कृ तिक तिर सिों
• ICH के संरक्षण के तलए यूनेस्को के अिीन अंिर-सरक री सतमति (IGC) क गठन दकय गय है। यह सतमति िेशों द्व र ICH सूची में अपनी दकसी
अमूिि तिर सि को श तमल करने के तलए सौंपे गए प्रस्ि िों/ अनुरोिों की ज च
ं करिी है।
o IGC में 24 सिस्य होिे हैं। इन सिस्यों क चुन ि कन्िेंशन की मह सभ द्व र दकय ज ि है।
▪ प्रकृ ति और ब्रह्म ड
ं से संबंतिि ज्ञ न एिं परं पर एं;
▪ प रं पटरक तशल्प कौशल (िस्िक री)।
7 United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization/ संयुि र ष्ट्र शैतक्षक, िैज्ञ तनक और स ंस्कृ तिक संगठन
8 Intangible Cultural Heritage
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िैदिक मंत्रोि र की परं पर संकीििन: मतणपुर में एक प्रक र क अनुष्ठ न ग यन तजसमें लोग ढोल बज िे हैं
और नृत्य करिे हैं,
र मलील : र म यण क प रं पटरक प्रिशिन पंज ब के जंतडय ल गुरु में ठठे रों द्व र तनर्मिि प रं पटरक पीिल और ि ंबे के
बििन
छऊ नृत्य योग
3.7. सु र्ख़ि यों में रही अन्य नृ त्य शै तलय ं (Other Dance Forms in News)
PT 365 - संस्कृ ति
तलए ल म नृत्य क प्रिशिन दकय ।
• यह तिब्बिी बौद्ध िमि क अनोख मुखौट नृत्य है।
• इस नृत्य को अपने आप में ध्य न क एक रूप म न
ज ि है। ज्य ि िर बौद्ध मठों में लोसर जैसे त्योह रों के
िौर न इसक आयोजन दकय ज ि है।
• ऐस म न ज ि है दक प्न्यंगम प के संस्थ पक
पद्मसंभि (गुरु टरणपोछे) ने च म नृत्य परं पर की
शुरुआि की थी।
• इस नृत्य में स म न्यिः पद्मसंभि के जीिन के िृश्यों और
उनके 8 तिश्वरूपों को िश य
ि ज ि है।
• ह ल ही में, सेंट थॉमस के भ रि आगमन की स्मृति में के रल के तत्रशूर में कोलकली नृत्य क प्रिशिन दकय गय ।
• कोलकली नृत्य के ब रे में
o यह के रल के उिरी म ल ब र क्षेत्र में प्रचतलि एक लोक-कल है।
▪ ितमलन डु में इस कल को ‘कोल ट्टम’ और आंध्र प्रिेश में ‘कोल मू’ के रूप में ज न ज ि है।
o इसने कल रीपयर्टटू के ित्िों को भी अपन य है। कल रीपयर्टटू, के रल और ितमलन डु में प्रचतलि एक म शिल आटि है।
o इसक प्रिशिन ि न की फसल कट ई मौसम के िौर न दकय ज ि है।
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3.8. सु र्ख़ि यों में रही अन्य कल शै तलय ं (Other News related to art forms)
हैं। इन्हें प च
ं िी से छठी शि ब्िी ईस्िी. के बीच तलख गय थ ।
• इन प ंडुतलतपयों में तितहि (canonical) और गैर-तितहि िोनों
बौद्ध कृ तिय ाँ श तमल हैं। ये कृ तिय ं संस्कृ ि, चीनी आदि जैसी
अन्य भ ष ओं के तिक स पर भी प्रक श ड लिी हैं।
• इन प ंडुतलतपयों में सम तिर जसूत्र और सद्धमिपडुं रीकसूत्र
(कमल सूत्र) सतहि अन्य बौद्ध सूत्र श तमल हैं।
• इन प ंडुतलतपयों को पहली ब र 1931 में कश्मीर के तगलतगि
में नौपुर ग ि
ं में एक प्र चीन स्िूप जैसी संरचन के अिशेषों में
खोज गय थ ।
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समसाम�यक�
�ैमा�सक
011010
100101
�रवीजन
�स�वल सेवा परी�ा क� तैयारी करने वाले अ��थ� य� क� पृ�भू�म, आयु, व�क�ग शे�ूल और पा�रवा�रक �ज�ेदा�रयां अलग-अलग होती ह�।
इसे �ान म� रखते हुए हमने समसाम�यक�: त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट को तैयार �कया है। इससे उन अ��थ� य� को तैयारी म� काफ� सहायता
�मले गी, �जनका शे�ूल अ�धक �� होता है, �ज�� मा�सक समसाम�यक� मैगजीन को पढ़ने व �रवीजन करने के �लए कम समय �मलता है और
�सले बस के बारे म� बु�नयादी एवं थोड़ी बहुत समझ होती है।
त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट को काफ� सावधानीपूवर्क और बारीक� से तैयार �कया गया है। इससे आपको �स�वल
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इस डॉ�ूम�ट म� हमने �वगत तीन माह क� मा�सक समसाम�यक� मैगजीन से सभी मह�पूणर् आ�ट�क� को कवर
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संबं�धत एक सं��� पृ�भू�म दी गई है, मह�पूणर् नज़�रए और अलग-अलग पहलु ओ ं इ�ॉम�शन को सु�व��त तरीके से
�जससे आपको संबं�धत आ�ट�कल को से जुड़ी जानकारी तथा त�� के बारे म� पता प्र�ुत �कया गया है, �जससे ��क और
समझने और उसका �व�े षण करने के चले गा। इफे��व �रवीजन म� मदद �मले गी।
�लए एक मजबूत आधार �मले गा।
हम� पूरी उ�ीद है �क यह त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट समसाम�यक� घटनाक्रम� के �लए काफ� फायदेमंद होगा। PT 365 और
Mains 365 डा�ूम�ट्स के साथ-साथ इसे पढ़कर UPSC CSE क� तैयारी क� राह म� आपका आ��व�ास काफ� बढ़ जाएगा।
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साथी है। इसक� मदद से अपनी �स�वल सेवा परी�ा क� तैयारी क� राह म� आगे ब�ढ़ए।
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4. सु र्ख़ि यों में रहे महत्िपू णि स्थल (Important Sites in the News)
4.1. कील डी उत्खनन (Keeladi Excavation)
सुर्ख़ियों में मयों
ह ल ही में, ितमलन डु के कील डी में पुर ित्ििेि ओं ने संगम युग की दिस्टल क्व र्टजि से बनी एक भ र म पक इक ई की खोज की है।
• ऐतिह तसक सटीकि की पुति करि है: प्र रं तभक ऐतिह तसक क ल (छठी शि ब्िी ईस पूिि से चौथी शि ब्िी ईस पूि)ि के स थ लौह युग (ब रहिीं
शि ब्िी ईस पूिि से छठी शि ब्िी ईस पूि)ि के लुप्त संबंिों को समझने के तलए महत्िपूणि है।
• नगरीय बस्िी: कील डी पुर स्थल में नगरीय सभ्यि की सभी तिशेषि एं मौजूि हैं।
• उद्योगों क अतस्ित्ि: उत्खनन से बुन ई उद्योग के तितिि चरणों क पि चल है। िह ं से रं ग ई उद्योग और क च
ं के मनकों के उद्योग के स क्ष्य तमले
हैं।
• ितमल ब्र ह्मी तलतप: प ए गए मृिभ ंडों के कु छ टुकडों पर ितमल ब्र ह्मी तलतप में लेख तमले हैं।
• यह संगम युग से संबद्ध है।
संगम युग के ब रे में (लगभग छठी शि ब्िी ईस पूिि से िीसरी शि ब्िी ईस्िी िक प्र चीन ितमलन डु ि के रल क क ल)
PT 365 - संस्कृ ति
4.2. सु र्ख़ि यों में रहे अन्य सं ग मक लीन स्थल (Other Sangam Age Sites Related News)
• ितमलन डु के पुिक
ु ोट्टई तजले में अितस्थि पोपिनैकोट्टई स्थल पर की गई खुि ई से संगम युग से संबतं िि सोने क स्टड, हड्डी से बन एक नुकील
औज र िथ एक क नेतलयन मनक प्र प्त हुआ है।
• उत्खनन स्थल से शि ि न स्थल क संकेि तमल है िथ िुगि क्षेत्र में स्थल के अंिर जल तनक यों के प्रम ण तमले हैं।
• हड्डी के नुकीले औज रों की खोज से संकेि तमलि है दक पोपिनक
ै ोट्टई बुन ई उद्योग क स्थल थ ।
• आदिचनल्लूर में एक पुर ित्ि संग्रह लय की स्थ पन के तलए आि रतशल रखी गई। आदिचनल्लूर, उन प च
ं स्थलों में से एक है, तजन्हें प्रतितष्ठि
स्थलों (Iconic Sites) के रूप में तिकतसि दकए ज ने की घोषण कें रीय बजट 2020-21 में की गई थी।
o अन्य च र स्थल हैं: र खीगढ़ी (हटरय ण ), हतस्िन पुर (उिर प्रिेश), िोल िीर (गुजर ि) और तशिस गर (असम)।
• आदिचनल्लूर लौह युग क एक शि ि न स्थल है। यह ितमलन डु के िूिम
ु कु तड तजले में ि तमरबरणी निी के िट पर तस्थि है।
o आदिचनल्लूर मह प ष ण संस्कृ ति को भी प्रिर्शिि करि है।
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o यह ं पर खुि ई से 467 ईस पूिि की अलग-अलग पुर िस्िुएं िथ 665 ईस पूिि के तमलेर्टस और ि न जैसे ख द्य न्न के अिशेष प्र प्त हुए हैं।
o संगम स तहत्य में िर्णिि प्र चीन समुरी बंिरग ह कोरक ई, आदिचनल्लूर के प स अितस्थि थ ।
4.3. सु र्ख़ि यों में रहे अन्य महत्िपू णि स्थल (Other Important Sites in News)
PT 365 - संस्कृ ति
o
तशिप्लंग तिद्यम न है।
o न गेश्वर स्ि मी: तशि मंदिर, 11िीं सिी क है।
o आदिके शि मंदिर: यह स्थ पत्य कल की चोल शैली में तनर्मिि है। मंदिर भगि न तिष्णु को समर्पिि है। मंदिर पटरसर में स्िंभ हैं, तजनके ब हर
की ओर प्संह की खडी मुर में आकृ तिय ं तनर्मिि हैं।
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• मुिम
ु ल तस्थि मेन्हीर के ब रे में
o मुिम
ु ल ग ंि ितक्षण-पूिी एतशय में मेन्हीर के सबसे बडे समूह क कें र है। ये 3,500 स ल पुर ने हैं।
o स्थ नीय लोग इन्हें 'नीलुिु रल्लू' कहिे हैं- तजसक अथि है खडे पत्थर।
• के रल के मलपपुरम तजले में तिरुन ि य के तनकट न ग प रम्ब में बडी संख्य में मह प ष णक लीन (megalithic) हैट स्टोन्स प ए गए हैं।
o तिरुन ि य भरिपुझ निी के िट पर तस्थि है और इसे प्र चीन मम्नकम् (Mamnkam) की भूतम म न ज ि है। मम्नकम्, 12 िषों में एक ब र
आयोतजि होने ि ली श सकों की भव्य सभ को कहिे थे।
o हैट स्टोन्स को मलय लम में िोतपपकल्लु कह ज ि है। ये अििगोल क र लेटर इट पत्थर हैं। इनक उपयोग मह प ष ण क ल के िौर न शि ि न
कलशों को ढकने के तलए दकय ज ि थ ।
ह ल ही में, भू-म दफय ओं ने िुगीकृ ि प्र चीन नगर तशशुप लगढ़ की िीि र के एक तहस्से को नि कर दिय ।
• यह भुिनेश्वर के तनकट तस्थि है। इसक तनम िण 7िीं से 6ठी शि ब्िी ईस्िी पूिि में दकय गय थ । यह कप्लंग र जिंश की र जि नी थी।
• इसक िुगीकरण िीसरी शि ब्िी ईस्िी पूिि के आस-प स िब दकय गय थ , जब र ज ख रिेल ने इस नगर की मरम्मि करि ई थी।
• इसकी योजन ि संरचन पूणििय िग क
ि र रूप में है। यह च रों ओर से सुरक्ष त्मक प्र चीरों (िीि रों) से तघर हुआ है।
• यह नगर प्र चीन समय में व्य प र ि ि तणज्य क महत्िपूणि कें र थ ।
• इसे प्र चीन स्म रक संरक्षण अतितनयम, 1904 के प्र िि नों के िहि कें रीय स्िर पर संरतक्षि स्म रक घोतषि दकय गय है।
• इस रे लिे स्टेशन को स स्ं कृ तिक तिर सि के संरक्षण के तलए यूनस्े को एतशय -प्रश ि
ं पुरस्क र प्र प्त हुआ है।
o यह रे लिे स्टेशन 169 स ल पुर न है िथ एतशय क सबसे पुर न रे लिे स्टेशन है।
o भ यखल रे लिे स्टेशन के अतिटरि, छत्रपति तशिजी मह र ज ि स्िु संग्र हलय म्यूतज़यम (मुब
ं ई), गोलकुं ड दकले की ब ितडय ं (हैिर ब ि)
िथ डोमकोंड दकल (क म रे ड्डी, िेलग
ं न ) भी 2022 में अलग-अलग श्रेतणयों में इस पुरस्क र के तिजेि थे।
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o िषि 2000 से इस पुरस्क र क उद्देश्य स ंस्कृ तिक तिर सि ि ले क्षेत्रों के संरक्षण य उनकी पुनबिह ली के प्रय स में लगे व्यति य संस्थ िथ
स ििजतनक-तनजी भ गीि री को सम्म तनि करन है।
PT 365 - संस्कृ ति
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सरकारी योजनाएं
त्रैमा�सक
�रवीजन
�स�वल सेवा परी�ा म� आपके �ान, एना�ल�टकल ��ल और सरकारी नी�तय� तथा पहल� क� ग�तशील प्रकृ�त के साथ अपडेटेड रहने क�
�मता को जांचा जाता है। इस�लए इस चुनौतीपूणर् परी�ा के �लए एक �ापक और सु�नयो�जत दृ��कोण काफ� आव�क हो जाता है।
“सरकारी योजनाएं त्रैमा�सक �र�वजन” डॉ�ूम�ट के साथ �स�वल सेवा परी�ा म� सफलता क� अपनी यात्रा शुरू क��जए। यह �वशेष
पेशकश आपको परी�ा क� तैयारी म� एक प�रवतर्नकारी अनुभव प्रदान करेगी। सावधानीपूवर्क तैयार �कया गया हमारा यह डॉ�ूम�ट न
केवल आपक� सीखने क� प्र�क्रया को आगे बढ़ाने के �लए ब�� टाइम मैनेजम�ट और याद रखने क� �मता को बढ़ाने के �लए भी �डज़ाइन
�कया गया है। इस डॉ�ूम�ट को त्रैमा�सक आधार पर तैयार �कया जाता है। यह डॉ�ूम�ट फाइनल परी�ा के �लए �नरंतर सुधार और तनाव
मु� तैयारी हेतु अ��थ� य� के �लए एक आधार के रूप म� कायर् करेगा।
यह सीखने क� प्र�क्रया को बाधार�हत और आसान यात्रा म� बदल देता है। इसके प�रणाम�रूप, आप परी�ा क�
तैयारी के साथ-साथ सरकारी योजनाओ ं, नी�तय� और उनके �न�हताथ� क� गहरी समझ �वक�सत करने म�
सफल होते ह�।
‘सरकारी योजनाएं त्रैमा�सक �रवीजन’ एक डॉ�ूम�ट मात्र नह� है; ब�� यह आपक� परी�ा क� तैयारी म� एक रणनी�तक साथी भी है। यह आपक�
ल�न� ग एप्रोच म� बदलाव लाता है, �जससे यह एक सतत और कुशल प्र�क्रया बन जाती है। परी�ा क� तैयारी के आ�खरी चरण� म� आने वाले तनाव को
अल�वदा क�हए, प्रोए��व ल�न� ग ए�पी�रयंस को आपनाइए और आ��व�ास के साथ सफलता क� ओर आगे ब�ढ़ए।
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5. व्यतित्ि (Personalities)
5.1. तमतहर भोज (Mihir Bhoja)
सुर्ख़ियों में मयों?
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PT 365 - संस्कृ ति
5.2. सं ि मीर ब ई (Sant Meera Bai)
सुर्ख़ियों में मयों?
ह ल ही में, उिर प्रिेश के मथुर में संि मीर ब ई की 525िीं जयंिी मन ई गई।
• मीर ब ई भति आंिोलन के मह न संि कतियों में से एक थीं। िे एक प्हंि ू रहस्यि िी कितयत्री और
भगि न कृ ष्ण की परम भि थीं।
• आरं तभक जीिन:
o उनक जन्म र जस्थ न के जोिपुर में र जपूि र ज रिन प्संह के घर हुआ थ । उनके बचपन क
न म यशोि थ ।
o 1516 में मीर ब ई क तिि ह मेि ड के र ज र ण स ग
ं के पुत्र कुाँ िर भोज र ज से हुआ थ ।
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▪ रण सग
ं ने अन्य र जपूि श सकों के स थ तमलकर मुगल श सक ब बर के तखल फ ख नि क युद्ध (1527) लड थ ।
• एक संि के रूप में उनक जीिन:
o िे सगुण भति ि र की कितयत्री थीं। िे बचपन से ही भगि न कृ ष्ण को अपन पति म निी थीं।
o िे भगि न श्रीकृ ष्ण को तगटरिर गोप ल कहिी थीं।
• प्रमुख कृ तिय /ं रचन एं:
o “प योजी मैंने र म रिन िन प यो” उनकी सबसे प्रतसद्ध कतिि एं हैं।
o मीर ब ई के गीि/ क व्य ब्रज भ ष में संकतलि हैं। इन गीिों/ क व्यों क संकलन अपने आर ध्य की पूज करिे समय और उसके प्रति अपनी
भ िन एं व्यि करने के तलए ग ए गए गीिों से हुआ है।
▪ उनके गीिों/ क व्यों में र ग गोप्िंि, नरसी जी क म यर , गीि गोप्िंि पर टीक , मीर ब ई की मल्ह र, र ग तिह ग और गरब गीि श तमल
हैं।
▪ रॉबटि ब्ल इ और जेन तहशि फील्ड ने अपनी पुस्िक “मीर ब ई: एमस्टैटटक पोयम्स” में मीर ब ई की कु छ कतिि ओं क अंग्रज
े ी में अनुि ि
दकय थ ।
o भिम ल ब्रज भ ष में रतचि एक क व्य संग्रह है। इसकी रचन गुरु न भ ि स जी ने 1585 में की थी। इसमें मीर ब ई के जीिन के ब रे में िणिन
दकय गय है।
• सम ज सुि रक के रूप में:
o िे संि रतिि स (रै ि स) की तशष्य थीं। संि रतिि स “अस्पृश्य” समझी ज ने ि ली ज ति से संबंतिि थे।
o मीर ब ई ने अपने गीिों/ क व्यों में उि ज तियों द्व र तनर्मिि म निंडों को खुले िौर पर चुनौिी िी थी।
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PT 365 - संस्कृ ति
ह ल ही में, िीर ंगन र नी िुग िििी की 500िीं जयंिी मन ई गई।
र नी िुग ि
ि िी के ब रे में
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• ऐतिह तसक लेखन: िुग िििी की कह नी अबुल फजल (अकबर के इतिह सक र) और तब्रटटश कनिल स्लीमन की रचन ओं से प्र प्त होिी है।
• उन्होंने बुन्िेलखण्ड की समृद्ध तिर सि के तनम ण
ि में योगि न दिय थ । स थ ही, क प्लंजर दकले के अंिर कई मंदिरों क तनम ण
ि करि य थ ।
• जन्म: छत्रपति तशि जी क जन्म 19 फरिरी 1630 को पुणे तजले में जुन्न र के प स तशिनेरी दकले में हुआ थ ।
• म ि : जीज ब ई
• तपि : शह जी र जे भोसले
• छत्रपति तशि जी मह र ज ने ‘िेशमुख’ न मक शतिश ली योद्ध पटरि रों के समथिन से एक स्थ यी र ज्य की
स्थ पन की।
स्िर ज की स्थ पन
ब रे में कह गय है दक “तशि जी क स म्र ज्य हमेश लोगों के कल्य ण के तलए ित्पर रहेग ।”
• उन्होंने मुरुंबिेि (र जगढ़), िोरण, कोंड न (कोंढ ण ) ि पुरंिर के दकलों को अपने अतिक र में तलय और स्िर ज की नींि रखी।
• र ज क स्थ न श सन में शीषि पर थ । तशि जी को पर मशि िेने के तलए एक मंतत्रपटरषि होिी थी। इस पटरषि में कु ल आठ मंत्री श तमल थे। इन्हें
‘अिप्रि न’ कह ज ि थ । इसमें श तमल थे:
o पेशि (प्रि न मंत्री), मजूमि र (लेख क र), ि कय निीस (गुप्तचर तिभ ग, ड क और घरे लू म मले), िबीर अथि सुमि
ं (तििेश मंत्री), सेन पति,
न्य य िीश और पंतडिर ि (िम िथि अनुि नों के प्रभ री) िथ सतचि/ सुरनतिस (श ही आिेश िैय र करने ि ल )।
• छत्रपति तशि जी मह र ज ने अपने तनयतमि सैतनकों को नकि िेिन दिए ज ने को प्र थतमकि िी थी। ह ल ंदक, कभी-कभी सेन -प्रमुखों को र जस्ि
अनुि न (सरं ज म) भी दिय ज ि थ ।
o तमर सि रों पर कडी तनगर नी रखी ज िी थी। तमर सि र ऐसे लोग होिे थे तजनके प स भूतम के िंश नुगि अतिक र थे।
• छत्रपति तशि जी मह र ज ने पडोसी मुगल क्षेत्रों पर एक प्रक र क कर लग कर अपनी आय में िृतद्ध की थी। इस कर को ‘चौथ’ (भू-र जस्ि क एक
चौथ ई तहस्स ) कह ज ि थ ।
• छत्रपति तशि जी मह र ज ने गुटरल्ल और पह डी युद्ध में प्रतशतक्षि छोटी घुडसि र सेन और पैिल सैन्य टुकडी को बन ए रख थ ।
o म िली और हेिकरी उनके सबसे उत्कृ ि सैतनक थे।
• मर ठ नौसेन क गठन
• नौसेन के जह जी बेडे में तितिि प्रक र के च र सौ जह ज श तमल थे। इनमें गुरब, गलबट और प ल जैसे युद्धपोि श तमल थे।
• छत्रपति तशि जी मह र ज की सैन्य संगठन योजन में िुगों को भी प्र थतमकि िी गई थी।
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o िुगि क संपण
ू ि प्रभ र दकसी एक अतिक री को नहीं सौंप गय थ । इसकी बज य, प्रत्येक दकले में एक हिलि र (च तबयों क प्रभ री), एक सबनीस
(उपतस्थति न म िली और सरक री पत्र च र के तलए) िथ एक सरनोबि (चौकी क प्रभ री) होिे थे।
o उन्होंने समुरी िुगों (दकलों) क भी तनम ण
ि करि य थ । ये िुगि नौसेन को सुरक्ष प्रि न करिे थे िथ जंजीर के तसद्दी और पुिग
ि तलयों पर
तनयंत्रण रखिे थे।
▪ उन्होंने सुिणििग
ु ि क तनम ण
ि करि य थ । उन्होंने 1664 में म लिन में प्संिि
ु ग
ु ि क तनम िण शुरू करि य थ । लगभग इसी समय उन्होंने
तिजयिुगि न मक दकले को भी मजबूि करि य थ ।
▪ उन्होंने तसदद्दयों की शति क मुक बल करने के तलए र जपुरी के स मने एक छोटे से द्वीप पर पद्मिुगि न मक दकले क भी तनम िण करि य
थ।
• उन्होंने एक तसतिल सेिक, पत्रक र, तशक्ष तिि्, सम ज सुि रक और इतिह सक र के रूप में क म दकय थ ।
• ि र्मिक िृतिकोण
o सर सैयि अहमि ख न ने इस्ल म की व्य ख्य में इतज्िह ि (स्ििंत्र प्चंिन ि िकि ि ि) की िैिि पर बल
दिय थ ।
o सर सैयि ने कु र न की तशक्ष ओं और आिुतनक तिज्ञ न द्व र खोजे गए प्रकृ ति के तनयमों के बीच सम नि
स्थ तपि करने पर बल दिय थ ।
PT 365 - संस्कृ ति
• रचन एं:
o उन्होंने “असब ब-ए-बग़ िि-ए-प्हंि (सैन्य तिरोह के क रण)” न मक शीषिक से एक लेख भी तलख थ । इसमें उन्होंने िेशी पटरप्रेक्ष्य से तिरोह के
क रणों को समझ ने क प्रय स दकय थ ।
o उन्होंने 'अलीगढ़ इं स्टीट्यूट गजट' न मक पतत्रक प्रक तशि की थी। यह पतत्रक स इं टटदफक सोस इटी क एक अतभन्न अंग थी।
o सर सैयि अहमि ख न ने िहज़ीब उल अखल क (सम ज सुि रक) न मक पतत्रक की शुरुआि की थी। इसक उद्देश्य स म तजक और ि र्मिक मुद्दों
पर लोगों की चेिन को ज गृि करन थ ।
o िे ईस ई िमि के भी ज नक र थे। उन्होंने 'कमेंिी ऑन ि होली ब इबल' न मक पुस्िक की रचन की थी।
o ऐतिह तसक िस्ि िेज़ीकरण: "आस र-उस-सन िीि" जैसी उनकी रचन ओं ने भ रि की समृद्ध स ंस्कृ तिक तिर सि को संरतक्षि करने में योगि न
दिय थ ।
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कें र सरक र ने िय नंि सरस्ििी की 200िीं जयंिी के उपलक्ष्य में स ल भर िक चलने ि ले सम रोहों की
तनगर नी के तलए एक उि स्िरीय सतमति क गठन दकय ।
• िे एक सम ज सुि रक थे। उनक जन्म 1824 में क टठय ि ड (गुजर ि) के मोरबी में हुआ थ ।
• मूल न म: मूल शंकर
• उन्होंने स्ि मी तिरज नन्ि के स तनध्य में रहिे हुए मथुर में प तणतन और पिंजतल की रचन ओं क अध्ययन
करन िथ उपिेश िेन शुरू दकय थ ।
• स तहतत्यक रचन एं:
o सत्य थि प्रक श: यह उनकी तहन्िी में एक रचन है।
o िेि भ ष्य भूतमक : यह िेिों पर उनकी टीक क पटरचय है, िथ
PT 365 - संस्कृ ति
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• स म तजक आंिोलन: उन्होंने गोरक्ष आंिोलन और शुतद्ध क यििम शुरू दकये थे।
• र ष्ट्रीय आंिोलन:
o स्िर ज क तिच र: उन्हें 1876 में पहली ब र स्िर ज (स्ि-श सन) शब्ि क उपयोग “इं तडय फॉर इं तडयंस” के रूप में करने क श्रेय दिय ज ि
है। इसक आगे चलकर लोकम न्य तिलक और मह त्म ग ि ं ी जैसे नेि ओं ने भी इस्िेम ल दकय थ ।
o स्ििेशी को बढ़ ि िेन : उन्होंने स्ििेश तनर्मिि िस्त्रों के उपयोग की िक लि की थी िथ िेश में ही क रख नों की स्थ पन क समथिन दकय थ ।
कई िेशी र ज ओं से ब ि करने के ब ि, उन्होंने उन्हें स्ििेशी के तलए प्रेटरि दकय थ ।
PT 365 - संस्कृ ति
o यह तिभ जन इस ब ि को लेकर हुआ थ दक दकस भ ष को बढ़ ि दिय ज ए और दकस प्रक र क भोजन परोस ज ए।
ह ल ही में, श्री अरप्बंिो की 150िीं जयंिी के उपलक्ष्य में िषि भर चलने ि ले सम रोह क पुडुचरे ी के ऑरोतिले में
सम पन हुआ।
• िे 20िीं सिी के बंग ली कति, ि शितनक, आध्य तत्मक नेि और ि तं िक री स्ििंत्रि सेन नी थे।
• र ष्ट्रीय आंिोलन में भ गीि री:
o िे भ रि के गरमपंथी आंिोलन के अग्रिूि थे। उन्होंने 1902 में अनुशीलन सतमति की स्थ पन में मिि की थी।
o िषि 1905 में बंग ल के तिभ जन के ब ि श्री अरप्बंिो ने अपनी नौकरी छोड िी और सदिय रूप से र जनीति
में श तमल हो गए।
o भ रिीय र ष्ट्रीय क ंग्रेस क सूरि अतििेशन 1907 में हुआ थ , इसे सूरि तिभ जन के न म से भी ज न ज ि है। इस अतििेशन के िौर न िह
नरमपंतथयों के तखल फ ब ल गंग िर तिलक के नेित्ृ ि ि ले गरमपंथी समूह में श तमल हो गए थे।
o श्री अरप्बंिो ने प्हंस क नहीं, बतल्क तनतष्िय प्रतिरोि क समथिन दकय थ । ह ल ंदक, उन्होंने स्ििंत्रि प्र तप्त हेिु प्हंस क सह र लेन गलि
नहीं म न थ ।
o अरप्बंिो को मई, 1908 में अलीपुर षड्यंत्र क ंड में तगरफ्ि र कर तलय गय थ ।
• स तहतत्यक योगि न:
o िषि 1893-94 में इं ि ु प्रक श में उनके द्व र तलखे गए लेखों को “न्यू लैम्पस फॉर ओल्ड” शीषिक से प्रक तशि दकय गय थ । इसमें उन्होंने क ंग्रेस
की अति उि रि िी र जनीति की आलोचन की थी।
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o अरप्बंिो ने म चि 1906 में बंग ली सम च र पत्र युग न्िर में, खुले तिरोह और पूणि स्ििंत्रि क प्रच र दकय थ ।
o उन्होंने तबतपन चंर प ल द्व र स्थ तपि बंिे म िरम् सम च र-पत्र क संप िन भी दकय थ ।
o उन्होंने िो स प्त तहक पतत्रक एं शुरू की थीं। इनके न म थे- कमियोगी (अंग्रज
े ी सम च र-पत्र) और िमि (बंग ली सम च र-पत्र)।
o िषि 1914 में उन्होंने एक ि शितनक पतत्रक ‘आयि’ क भी प्रक शन शुरू दकय थ ।
o कतिि ओं, पत्रों और तनबंिों के रूप में संकतलि अन्य कृ तिय -ं एस्सेज़ ऑन गीि (1922), कलेमटेड पोयम्स एंड पलेज़ (1942), ि प्संथते सस ऑफ
योग (1948), ि ह्यूमन स इदकल (1949), ि आइतडयल ऑफ ह्यूमन यूतनटी (1949), स तित्री: ए लीजेंड एंड ए प्संबल (1950) आदि।
• आध्य तत्मक योगि न:
o अरप्बंिो ने 1910 िक भ रिीय स्ििंत्रि आंिोलन में सदिय भूतमक तनभ ई थी। इसके ब ि िे एक आध्य तत्मक सुि रक बन गए थे।
o उन्होंने इसी अिति में ल इफ तडि इन, एसेज ऑन गीि , ि प्संथते सस ऑफ योग , मह क व्य ‘स तित्री’ आदि जैसी अपनी महत्िपूणि कृ तियों की
रचन की थी।
o उन्होंने ‘एक त्म योग’ (Integral Yoga) न मक एक योग स िन क तिक स दकय थ ।
o उन्होंने आध्य तत्मक स िको के एक समुि य की स्थ पन की थी। यह ब ि (1926) में मीर अल्फ स के सहयोग से श्री अरप्बंिो आश्रम (पुडुचरे ी)
के रूप में स्थ तपि हुआ।
▪ मीर अल्फ स ने ितमलन डु में ऑरोतिले अथ ि
ि भोर के शहर की स्थ पन की थी। यह एक श ंतिपूण,ि प्रगतिशील और
स मंजस्यपूणि अतस्ित्ि के तलए तनर्मिि एक स ििभौतमक शहर थ ।
• अरप्बंिो क जीिन संबि
ं ी िशिन:
o उनके अनुस र जीिन आिशिि ि, यथ थिि ि, प्रकृ तिि ि और व्य िह टरकि क संश्लेषण है।
o उनके अनुस र ज्ञ न, भति और कमि मनुष्य को दिव्य म गि/ पथ पर ले ज सकिे हैं।
▪ ह ल ंदक, एक मजबूि व्यतित्ि के तलए आध्य तत्मकि , रचन त्मकि और बौतद्धकि क संश्लष
े ण आिश्यक है।
PT 365 - संस्कृ ति
o श्री अरप्बंिो म नि द्व र बन ए गए दकसी भी िरह के तिभ जन में तिश्व स नहीं करिे थे। यहीं क रण है दक उन्होंने र ष्ट्रीय चेिन ज गृि करने
में स म तजक असम नि ओं को एक प्रमुख ब ि म न थ ।
o िे श्री र म नुज च यि की तशक्ष से प्रभ तिि थे, तजन्होंने बतहष्कृ ि (Outcast) लोगों को प्हंिू िमि में श तमल करने की ब ि की थी।
जनज िीय गौरि दििस 2021 से प्रत्येक िषि 15 निंबर को मन य ज ि है। इसक आयोजन जनज िीय समुि यों
के स्ििंत्रि सेन तनयों के बतलि नों को सम्म न िेने के तलए दकय ज ि है।
तबरस मुड
ं (1875-1901) के ब रे में
• प्र रं तभक जीिन: तबरस मुंड को 'िरिी आब ' के न म से भी ज न ज ि है। उनक जन्म छोट न गपुर पठ र क्षेत्र (झ रखंड) के खूटं ी तजले के उतलह िू
में मुंड जनज ति में हुआ थ ।
• स म तजक सुि र: उन्होंने प्र थिन के महत्त्ि, शर ब से िूर रहने, ईश्वर में तिश्व स रखने और एक आचरण संतहि क प लन करने पर जोर दिय थ ।
o इन्हीं आिशों के आि र पर उन्होंने तबरस इि मि की शुरुआि की थी।
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• उलगुल न आंिोलन: उन्होंने स्थ नीय अतिक टरयों द्व र जनज तियों के शोषण के तखल फ 'उलगुल न' (The Great Tumult) न मक आंिोलन शुरू
दकय थ ।
o इस आंिोलन के िब ि में तब्रटटश श सन ने 1908 में छोट न गपुर क श्िक री अतितनयम प टरि दकय थ । इस अतितनयम ने आदिि सी लोगों
से गैर-आदिि तसयों को भूतम हस्ि ि
ं टरि करने पर प्रतिबंि लग दिय थ ।
ह ल ही में, श्री अल्लूरी सीि र म र जू की 125िीं जयंिी और रम्प तिरोह की 100िीं िषिग ठ
ं के अिसर पर
हैिर ब ि में िषि भर चलने ि ले उत्सि क शुभ रं भ दकय गय ।
आरं तभक जीिन
• जन्म स्थ न: इनक जन्म 04 जुल ई, 1897 को आंध्र प्रिेश के भीम िरम के तनकट मोगल्लु ग ि
ं में हुआ थ ।
भ रि की आज िी में योगि न
PT 365 - संस्कृ ति
o अगस्ि 1922 में, श्री अल्लूरी सीि र म र जू ने अंग्रेजों के अत्य च री श सन के तखल फ आंिोलन शुरू
दकय थ ।
▪ 1920 के िशक की शुरुआि िक यह संगटठि गुटरल्ल संघषि के रूप में फै ल गय ।
▪ आिुतनक हतथय र प्र प्त करने के तलए उन्होंने इसे िुश्मन से छीनने क र स्ि अपन य । इसके तलए उन्होंने पुतलस स्टेशनों पर हमले शुरू कर
दिए।
▪ इस िरह क पहल हमल तिश ख पिनम के प्चंि पल्ली पुतलस स्टेशन पर दकय गय थ ।
o 7 मई, 1924 को श्री अल्लूरी सीि र म र जू शहीि हो गए।
o रम्प तिरोह ने ओतडश के आदिि तसयों को आगे भी संघषि करने के तलए प्रेटरि दकय । फलिः उन्होंने िन क नूनों क उल्लंघन करने के स थ-
स थ लग न न चुक ने को लेकर भी संघषि शुरू कर दिय ।
• िे कलकि के गुप्त संगठनों के सिस्य भी रहे थे, जह ं से उन्होंने बम बन न सीख थ ।
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ह ल ही में, ‘तपपप ’ न म से एक दफल्म टरलीज़ हुई है। इस दफल्म में क जी नजरुल इस्ल म के 1922 के
तब्रटटश-तिरोिी गीि “कर र ओइ लौहो कोप ट (जेल की लोहे की सल खें)” को एक नए रूप में प्रिर्शिि
दकय गय है। नए रूप में इस गीि की लय और िुन में बिल ि दकय गय है, तजसकी ब ग्ं ल िेश में व्य पक
• नजरुल इस्ल म ‘तबरोही कोबी’ (तिरोही कति) के न म से लोकतप्रय हैं। उन्होंने अपनी कई कृ तियों में ि सि , घृण और परं पर के न म पर लोगों के
o नज़रुल ने अपन पहल लेख 1919 में ‘ि ऑटोब योग्र फी ऑफ ए डेप्लंक्वेंट’ य ‘सौग ि’ शीषिक से प्रक तशि दकय थ ।
▪ 1920 में नज़रुल ने सेन की नौकरी छोड िी और 'बंग ली मुतस्लम तलटरे री सोस इटी' में श तमल हो गए।
o बंिन-ह र (बंिन से मुति), बोिन, शि-इल-अरब, ब िल प्रिर शरब आदि उनकी कु छ प्रतसद्ध रचन एं हैं।
o नज़रुल ने 1922 में अपनी प्रतसद्ध कतिि 'अनोंिोंमोइर अगोमोने' तलखी थी। इसके तलए तब्रटटश सरक र ने उन्हें एक स ल की जेल की सज िी
थी।
o 1930 में उनकी पुस्िक प्रलयतशख पर प्रतिबंि लग दिय गय थ और र जरोह क आरोप लग कर उन्हें जेल की सज िे िी गई थी। उन्हें ग ि
ं ी-
o उन्होंने स्ििेशी और तखल फि आंिोलन में अपनी रचन ओं के म ध्यम से सदिय भूतमक तनभ ई थी।
o उन्होंने श्रतमक प्रज स्िर ज िल क गठन दकय थ ।
▪ श्रतमक प्रज स्िर ज िल, एक सम जि िी र जनीतिक िल थ । यह िल भ रिीय र ष्ट्रीय क ग्र
ं स े (INC) के भीिर क म करि थ ।
o नजरुल ने तब्रटटश स म्र ज्य से र जनीतिक स्ििंत्रि की म ंग नहीं करने पर "तखल फि" आंिोलन और क ग्र
ं स े की आलोचन की थी।
• प्हंि ू मुतस्लम एकि : 1926 में कलकि में प्हंि-ू मुतस्लम िंगों के िौर न, उन्होंने प्हंि-ू मुतस्लम एकि बन ए रखने की अपील की थी।
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PT 365 - संस्कृ ति
o उन्हें र ज की उप ति व्यतिगि िौर पर लॉडि कजिन ने प्रि न की थी।
o उनकी तचत्रक टरयों क िगीकरण: पोिेट, पोिेट आि टरि संकलन, तमथकों ि ककं ििंतियों पर आि टरि न ट्य संकलन आदि।
o गुरु: र म स्ि मी न यडू (ि टर पेंटटंग) िथ एक डच तचत्रक र तथयोडोर जेन्सेन (ऑयल पेंटटंग)
• पुरस्क र: कै सर-ए प्हंि स्िणि पिक (1904); के रल सरक र ने उनके न म पर एक पुरस्क र की शुरुआि की है आदि।
5.12. सु र्ख़ि यों में रहे अन्य व्यतित्ि (Other Personalities in News)
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• प्रि न मंत्री ने श्री न र यण गुरु को उनकी जयंिी पर श्रद्ध ंजतल अर्पिि की।
• िह के रल के एक प्हंि ू संि और सम ज सुि रक थे।
• उन्होंने 'एक ज ति, एक िमि, एक ईश्वर' के तिच र क प्रच र दकय थ ।
• प्रमुख योगि न
o उन्होंने पद्मन भन पल्पू के स थ तमलकर एझि समुि य के उत्थ न और तशक्ष के
तलए 'श्री न र यण िमि पटरप लन योगम' (SNDP) की स्थ पन की थी।
PT 365 - संस्कृ ति
o उन्होंने "अरुतिपुरम आंिोलन" शुरू दकय थ । यह सभी ज तियों के मंदिर में प्रिेश
के सम न अतिक र के तलए चल ए गए आरं तभक आंिोलनों में से एक थ ।
o उन्होंने त्र िणकोर में मंदिर प्रिेश के तलए ि यकोम सत्य ग्रह (1924-25) को
समथिन दिय थ ।
o उनकी प्रमुख रचन ओं में िैििसकम, अनुकम्प िसकम आदि श तमल हैं।
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• उन्हें भ रि के स्ििंत्रि संग्र म में असम की पहली मतहल शहीिों में से एक के रूप में ज न ज ि है।
• िे असम के च य ब ग नों में अफीम तिरोिी अतभय न की अग्रणी सिस्यों में से एक थीं।
• िषि 1921 में, औपतनिेतशक क ल के िौर न तििेशी शर ब और अफीम के तखल फ लड ई क नेित्ृ ि करने के क रण उनकी हत्य कर िी गई थी।
• िे आंध्र प्रिेश के पतिम गोि िरी तजले की स्ििंत्रि सेन नी ि सम ज सुि रक थीं।
PT 365 - संस्कृ ति
• िे मह त्म ग ि
ं ी, सी र जगोप ल च री और सरोतजनी न यडू से प्रभ तिि थीं।
• योगि न:
o उन्होंने मर स प्रेसीडेंसी के िेि रण्यम में सतिनय अिज्ञ य नी नमक सत्य ग्रह (1930) में तहस्स
तलय थ ।
▪ िे पहली मतहल थीं, तजन्हें नमक सत्य ग्रह के िौर न कै ि दकय गय थ ।
o उन्हें मर स तिि न पटरषि के तलए चुन गय थ । ब ि में तिि न सभ की सिस्य बनने ि ली
पहली मतहल बनी थीं।
संगठन क उद्देश्य सशस्त्र ि तं ि के जटरए स्ििंत्रि प्र प्त करन थ । ब ि में, HRA क न म
सिस्य थे।
o िे एक कति भी थे। िे ‘ि रसी' और ‘हसरि' उपन म से श यरी तलखिे थे।
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ह ल ही में, प्रि न मंत्री ने श्री र म प्लंग स्ि मीगल की 200िीं जयंिी के अिसर पर एक क यििम को
संबोतिि दकय ।
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6. पु र स्क र (Awards)
6.1. स तहत्य क नोबे ल पु र स्क र (Nobel Prize in Literature for 2023)
सुर्ख़ियों में मयों?
िषि 2023 क स तहत्य क नोबेल पुरस्क र नॉिे के लेखक जॉन फॉसे को दिय गय । उन्हें यह पुरस्क र उनके अतभनि न टकों और गद्य रचन ओं के तलए
दिय गय है। फॉसे के न टकों और स तहत्य ने उन लोगों को आि ज िी है, जो अपनी ब ि कहने में सक्षम नहीं थे।
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• अक िमी ने फॉसे को यह सम्म न नॉिे की न इनोस्कि भ ष में तलखी कृ तियों के तलए दिय है। इन कृ तियों में कई न टक, उपन्य स, कतिि संग्रह,
तनबंि, बिों की दकि बें और अनुि ि आदि श तमल हैं।
o न इनोस्कि नॉिे की िो आतिक टरक भ ष ओं में से एक है।
• स तहत्य में दिए ज ने ि ले नोबेल पुरस्क र की र तश 11 तमतलयन स्िीतडश िोनर (1 तमतलयन डॉलर) है। इसे व्य पक रूप से िुतनय क सबसे प्रतितष्ठि
स तहतत्यक पुरस्क र म न ज ि है।
• 1901 से लेकर 2023 िक कु ल 116 ब र स तहत्य में नोबेल पुरस्क र प्रि न दकय गय है। अब िक 120 लोगों को इस पुरस्क र से सम्म तनि दकय
ज चुक है।
• ह ल के िषों में, यह पुरस्क र फ् ंसीसी लेतखक एनी एन म
ि स (2022) और िंज तनय के उपन्य सक र अब्िुल रज क गुरन ह (2021) ने जीि थ ।
• स तहत्य अक िमी पुरस्क र एक स तहतत्यक सम्म न है। इसे प्रतििषि दकसी भी प्रमुख भ रिीय भ ष में प्रक तशि उत्कृ ि स तहतत्यक कृ ति के लेखक को
प्रि न दकय ज ि है।
o संतिि न में उतल्लतखि 22 भ ष ओं के अल ि अंग्रज
े ी और र जस्थ नी भ ष को भी पुरस्क र के अंिगिि म न्यि िी गई है।
o इस पुरस्क र में ि म्रपत्र युि मंजष
ू , एक शॉल और 1,00,000 रुपये की र तश प्रि न की ज िी है।
PT 365 - संस्कृ ति
• स तहत्य अक िमी एक स्ि यि संगठन के रूप में क यि करिी है। यह सोस यटी पंजीकरण अतितनयम, 1860 के िहि एक सोस यटी के रूप में पंजीकृ ि
है।
6.3. सं गीि न टक अक िमी अमृ ि पु र स्क र (Sangeet Natak Akademi Amrit Awards)
सुर्ख़ियों में मयों?
ह ल ही में, 84 कल क रों को संगीि न टक अक िमी अमृि पुरस्क र से सम्म तनि दकय गय है।
• पुरस्क र के ब रे में
o संतिि न की 8िीं अनुसच
ू ी में श तमल 22 भ ष ओं के अल ि अंग्रज
े ी और र जस्थ नी को अक िमी ने म न्यि िी है।
o उद्देश्य:
▪ यह सरक र द्व र दिय ज ने ि ल र ष्ट्रीय सम्म न है। यह तनष्प िन कल के कल क रों के स थ-स थ तशक्षकों और तिद्व नों को भी प्रि न
दकय ज ि है।
▪ इसक उद्देश्य 75 िषि से अतिक आयु के उन भ रिीय कल क रों को सम्म तनि करन है, तजन्हें अब िक उनके कटरयर में कोई र ष्ट्रीय सम्म न
नहीं दिय गय है।
▪ यह संगीि न टक अक िमी द्व र दिय ज ने ि ल िन ट इम अि डि है।
o पुरस्क र के रूप में एक ल ख रुपये की र तश, एक ‘ि म्रपत्र और अंगिस्त्रम’ प्रि न दकए गए हैं।
o पुरस्क र भ रि के उपर ष्ट्रपति द्व र दिए गए थे।
• उत्पति: इसे 1953 में स्थ तपि दकय गय थ । इसकी स्थ पन िेश में तनष्प िन कल (Performing art) के क्षेत्र में एक शीषि तनक य के रूप में की
गई है।
• मंत्र लय: यह संस्कृ ति मंत्र लय के िहि एक स्ि यि तनक य है।
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• उद्देश्य: संगीि, नृत्य और न ट्य रूपों में व्यि भ रि की तितिि संस्कृ ति की तिश ल अमूिि तिर सि क संरक्षण एिं संिििन करन ।
• प्रमुख पुरस्क र:
o संगीि न टक अक िमी फे लोतशप (रत्न सिस्यि );
6.4.1. गोप्िं ि स्िरूप ल इफट इम अचीिमें ट अि डि (Govind Swarup Lifetime Achievement Award)
• पहल एस्िोनॉतमकल सोस इटी ऑफ इं तडय (ASI)-गोप्िंि स्िरूप ल इफट इम अचीिमेंट अि डि प्रोफे सर जयंि तिष्णु न लीकर को पुणे में दिय गय
है।
• इस पुरस्क र को 2022 में ASI की स्िणि जयंिी के अिसर पर स्थ तपि दकय गय थ । इसक उद्देश्य प्रख्य ि भ रिीय खगोलतििों की उपलतब्ियों
को सम्म तनि करन है।
• प्रोफे सर गोप्िंि स्िरूप (1929-2020) भ रिीय रे तडयो एस्िोनॉमी के संस्थ पक थे।
o उन्होंने ऊटी रे तडयो टेलीस्कोप (ORT) और ज यंट मीटर िेि रे तडयो टेलीस्कोप (GMRT) क तनम ण
ि दकय थ ।
o िह नेशनल सेंटर फॉर रे तडयो एस्िोदफतजमस (NCRA), पुणे के संस्थ पक तनिेशक थे।
PT 365 - संस्कृ ति
• असम के रहने ि ले ऑन्कोलॉतजस्ट रति कन्नन 2023 के रे मन मैग्सेसे पुरस्क र तिजेि ओं में से एक हैं।
• िषि 1957 में स्थ तपि रे मन मैग्सेसे पुरस्क र को ‘एतशय क नोबेल पुरस्क र’ म न ज ि है।
• इसक न म दफलीपींस के स ििें र ष्ट्रपति (1953-57) रे मन मैग्सेसे के न म पर रख गय है। रे मन मैग्सेसे अि डि फ उं डेशन (RMAF) स म तजक योगि न
संबंिी गतितितियों के तलए हर स ल एतशय के व्यतियों य संगठनों को यह पुरस्क र प्रि न करि है।
• 2023 क श ंति, तनरस्त्रीकरण और तिक स के तलए इं दिर ग ंिी पुरस्क र संयुि रूप से डैतनयल बैरेनबोइम और अली अबु अहि ि को दिय गय है।
o ये िोनों इजर इल-दफतलस्िीन संघषि के अप्हंसक सम ि न के तलए इजर यल और अरब जगि के युि ओं एिं आम लोगों को एक स थ ल ने क
प्रय स करिे रहे हैं।
• इं दिर ग ि
ं ी पुरस्क र के ब रे में:
o यह 1986 से हर स ल इं दिर ग ि
ं ी मेमोटरयल िस्ट द्व र दिय ज ि रह है।
• संपूणि तिश्व से छह भ रिीय रे स्िर ं को अन्नपूण ि प्रम ण-पत्र से सम्म तनि दकय गय है।
• अन्नपूण ि प्रम ण-पत्र क यििम को तििेशों में उन रे स्िर ं को सम्म तनि करने के तलए शुरू दकय गय है, जो भ रिीय प क और व्यंजन परं पर ओं को
बढ़ ि िेिे हैं।
o इस पहल की शुरुआि भ रिीय स स्ं कृ तिक संबि
ं पटरषि (ICCR) ने की है।
o यह पुरस्क र प्रत्येक िषि दिय ज ि है।
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• ICCR की ब रे में
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कु ई भ ष के ब रे में
• कु ई भ ष रतिड भ ष पटरि र से संबतं िि है। यह मुख्य रूप से कोंि/कं ि न मक ओतडश की सबसे बडी जनज ति के लोगों द्व र बोली ज िी है।
o इस भ ष में उतडय तलतप क उपयोग होि है। खोंडी और गुम्स ई इसकी उपभ ष एं हैं।
o इसमें िेश की आतिक टरक भ ष ओं को सूचीबद्ध दकय गय है। िििम न में, इसमें 22 भ ष एं श तमल हैं।
o प्संिी भ ष को 1967 में और कोंकणी, मतणपुरी एिं नेप ली को 1992 में इस सूची में श तमल दकय गय थ । स थ ही, 2003 के 92िें संशोिन
• नई भ ष क सम िेश:
PT 365 - संस्कृ ति
o िििम न में दकसी भ ष को आठिीं अनुसच
ू ी में श तमल करने के तलए तिच र करने हेिु कोई तनतिि म निंड नहीं है।
गय थ । लेदकन ये सतमतिय ं संबंतिि म निंड स्थ तपि करने में सफल नहीं हो सकी।
▪ र ज्य तिि न-मंडल और संसि में बहस के िौर न इसक उपयोग दकय ज सकि है।
▪ RBI द्व र भ रिीय नोटों पर अंदकि भ ष ओं में इसे भी श तमल कर तलय ज ि है।
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7.1.1. सु र्ख़ि यों में रही अन्य जनज तिय ं और सं बं तिि घटन एं (Other Tribes and Related Events in
New)
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8. तितिि (Miscellaneous)
8.1. प्र चीन भ रि में सै न्य प्रण ली (Military Systems in Ancient India)
सुर्ख़ियों में मयों?
ह ल ही में, रक्ष मंत्री ने “भ रिीय सैन्य तिर सि महोत्सि” (IMHF)10 के उद्घ टन के अिसर पर प्रोजेमट ‘उद्भि’ की शुरुआि की है।
PT 365 - संस्कृ ति
प्रोजेमट उद्भि के ब रे में
• इस पटरयोजन की शुरुआि भ रिीय थल सेन और एक प्थंक टैंक यून इटेड सर्ििस इं स्टीट्यूशन ऑफ इं तडय (USI) के सहयोग से की गई है।
• इस पटरयोजन के तनम्नतलतखि उद्देश्य हैं:
o श सन कल और रणनीतिक तिच रों से समृद्ध भ रिीय तिर सि की पुनः खोज करन । यह ं ‘उद्भि’ क आशय ‘उत्पति’ से है।
o सुरक्ष संबंिी मौजूि चुनौतियों क सम ि न करने के तलए समक लीन सैन्य पद्धतियों के स थ प्र चीन ज्ञ न को समतन्िि करन ।
o प्र चीन सैन्य तिद्य क इस्िेम ल करके आिुतनक सैन्य चुनौतियों के तलए एक समग्र िृतिकोण तिकतसि करन ।
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o नीतिस र में इस ब ि क उल्लेख दकय गय है दक मतहल ओं की सेन भी युद्ध में भ ग ले सकिी है।
• तिरुिल्लुिर की तिरुमकु रल (31 ईस पूि)ि : इस ग्रंथ क संबंि युद्ध के िौर न दकए ज ने ि ले आिशि नैतिक आचरण से है।
• अति पुर ण: यह युद्ध के मैि न में प्रतिग्रह (आरतक्षि) िशिन क उल्लेख करने ि ल पहल पुर ण थ । प्रतिग्रह आिुतनक सैन्य संरचन क एक अतभन्न
तहस्स है।
• िोडो ग ंि कच्छ के रण में अितस्थि है। इस ग ंि में ि र्षिक रूप से प्रतसद्ध रण उत्सि (हह इट डेजटि फे तस्टिल) क आयोजन दकय ज ि है।
• UNWTO द्व र उन्नयन क यििम में मडल ग ि
ं (मध्य प्रिेश) क चयन दकय गय ।
o कण ि
ि िी (के न) निी इस ग ंि से होकर बहिी है।
संयि
ु र ष्ट्र तिश्व पयिटन संगठन (UNWTO)
• उत्पति: इसकी स्थ पन 1975 में हुई थी। यह 2003 में संयि
ु र ष्ट्र की एक तिशेष एजेंसी बन गय थ ।
दकय ज ि है।
तत्रतनि ि और टोबैगो द्वीप समूह में भ रिीय प्रि तसयों द्व र अब भी र म-लील के प्रिशिन की परं पर तनभ ई ज िी है। गौरिलब है दक इन प्रि तसयों के
पूिज
ि ों को भ रि से तगरतमटटय मजिूरों (Indentured labour) के रूप में इन द्वीपों पर ल य गय थ ।
• तगरतमटटय मजिूर कौन थे?
o 1834 में तब्रटटश स म्र ज्य में ि स व्य प र क उन्मूलन कर दिय गय थ । इसके क रण अंग्रेजों ने अलग-अलग उपतनिेशों में अपने ब ग नों में
क म करने के तलए इन मजिूरों को भिी दकय थ ।
o अमसर उन्हें तगरतमटटय कह ज ि थ ।
• तगरतमटटय मजिूरी क उन्मूलन
o 1916 में, मिन मोहन म लिीय ने तगरतमटटय प्रण ली को सम प्त करने के तलए इम्पीटरयल लेतजस्लेटटि कौंतसल में एक प्रस्ि ि पेश दकय थ ।
o 1917 में तब्रटटश सरक र ने इस प्रण ली को आतिक टरक िौर पर सम प्त कर दिय थ ।
o 1914 में ितक्षण अफ्ीक में स्मर्टस-ग ि
ं ी समझौि हुआ थ । इस समझौिे के जटरये मह त्म ग ंिी ने तगरतमटटय मजिूरों के आि गमन पर लग ए
गए पोल टैमस से छू ट दिल कर, तगरतमटटय मजिूरों के स थ दकए ज रहे भेिभ ि को सम प्त करने में महत्िपूणि भूतमक तनभ ई थी।
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PT 365 - संस्कृ ति
8.5. सु र्ख़ि यों में रहे खे ल (Sports Related News)
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गय ।
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8.5.4. ICC िल्डि टे स्ट चैं तपयनतशप (WTC) {ICC World Test Championship (WTC)}
• WTC में शीषि नौ टेस्ट टीमें श तमल होिी हैं, तजनमें से सभी ने िीन सीरीज घरेलू मैि नों और िीन सीरीज तििेशी मैि नों पर य नी कु ल छह-छह
• WTC के पहले संस्करण में प्रत्येक टेस्ट सीरीज के तलए सम न अंक तनि टि रि थे, लेदकन इस ब र प्रत्येक मैच के तलए सम न अंक िय दकए गए थे।
• जीिे गए अंकों के प्रतिशि के आि र पर टीमों ने फ इनल के तलए क्व लीफ ई दकय । यह व्यिस्थ टीमों द्व र खेले गए मैचों की संख्य में असंिल
ु न को
िूर करने के तलए की गई है।
PT 365 - संस्कृ ति
8.6. सु र्ख़ि यों में रही सरक री पहलें (Government Initiatives in News)
8.6.1. सं शोतिि ‘एडॉपट ए हे टरटे ज 2.0’ क यि ि म (Revamped ‘Adopt A Heritage 2.0’ Programme)
भ रिीय पुर ित्ि सिेक्षण (ASI) ने संशोतिि ‘एडॉपट ए हेटरटेज 2.0' क यििम की शुरुआि की है।
• एडॉपट ए हेटरटेज योजन मूल रूप से 2017 में पयिटन मंत्र लय, संस्कृ ति मंत्र लय, ASI और र ज्य/ कें र श तसि प्रिेश सरक रों के स झ प्रय सों के
िहि शुरू की गई थी।
• इसक उद्देश्य तनजी और स ििजतनक क्षेत्रक के संगठनों िथ व्यतियों की सदिय भ गीि री से स्म रक स्थलों पर गुणिि पूणि एिं सम िेशी सुतिि एं
उपलब्ि कर न थ ।
o ASI क मह तनिेशक प्र चीन संस्म रक िथ पुर ित्िीय स्थल और अिशेष (AMASR) अतितनयम, 1958 के िहि संरतक्षि स्म रकों के
रखरख ि के खचि के तनतमि स्िैतच्छक योगि न प्र प्त कर सकि है।
• एडॉपट ए हेटरटेज 2.0 योजन की मुख्य तिशेषि एं
o स्म रक स रथी: ये तनजी/स ििजतनक क्षेत्रक की कं पनी/िस्ट/NGO/सोस इटी कोई भी हो सकिे हैं, तजन्हें ASI द्व र इस क यििम के तलए चुन
o पटरयोजन ओं क तिि-पोषण: तनजी और स ििजतनक क्षेत्रक की कं पतनय ं अपने कॉपोरे ट स म तजक उिरि तयत्ि (CSR) कोष क उपयोग
कर सकें गी, जबदक अन्य संस्थ / व्यति स्िैतच्छक रूप से तििीय योगि न कर सकिे हैं।
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o लचील पन: दकसी स्म रक को पूणि रूप से गोि लेने की अनुमति होगी अथि सुतिि ओं में से दकसी एक की तजम्मेि री लेने की भी अनुमति
होगी।
o सुतिि ओं क च र-आय मी फ्े मिकि : स्िच्छि , पहुंच, सुरक्ष और ज्ञ न।
8.6.2. र ष्ट्रीय स ं स्कृ तिक म नतचत्रण तमशन (National Mission For Cultural Mapping: NMCM)
मेर ग ि
ं मेरी िरोहर सिेक्षण के ब रे में
• उद्देश्य: ग्र मीण स्िर पर स ंस्कृ तिक पहच न क िस्ि िेजीकरण करन है।
o इसक उद्देश्य ग्र मीण भ रि की अनूठी स स्ं कृ तिक तिर सि क िोहन करन है।
• िंत्र: स म न्य सेि कें रों (CSCs) के जटरए ग्र म स्िर के उद्यमी जुडिे हैं, जो स्थ नीय लोगों के स थ बैठकें करिे हैं। इन बैठकों के िौर न ग्र मि सी
अपने ग ंि के ब रे में रोचक िथ्यों पर चच ि करिे हैं, तजन्हें ब ि में आिेिन के जटरए अपलोड कर दिय ज ि है।
• गि
ं ों को व्य पक रूप से अलग-अलग श्रेतणयों में तिभ तजि दकय गय है। इन्हें तिभ तजि करने क आि र यह है दक मय िे प टरतस्थतिक, तिक स त्मक
और शैतक्षक रूप से महत्िपूणि हैं िथ मय िे दकसी ऐतिह तसक य पौर तणक घटन ओं से जुडे हुए हैं।
NMCM के ब रे में
o इस तमशन को इं दिर ग ि
ं ी र ष्ट्रीय कल कें र (IGNCA) के म गििशिन में दिय तन्िि दकय ज रह है।
• व्य पक स्िर पर, तमशन के िीन महत्िपूणि उद्देश्य तनम्न नुस र हैं:
o र ष्ट्रीय स स्ं कृ तिक ज गरूकि अतभय न
o र ष्ट्रव्य पी कल क र प्रतिभ खोज/ स्क उटटंग क यििम
o र ष्ट्रीय स स्ं कृ तिक क यि स्थल (NCWP)
o ऐसे स्थ नों की पहच न करन जह ं स ंस्कृ तिक के न्र/ ‘कल ग्र म’ तिकतसि दकए ज सकिे हैं।
o सीखने के तलए िचुिअल पलेटफॉमि क तनम िण करन ।
o पयिटन स्थलों के स थ-स थ स्थ नीय कल क रों और गुरु-तशष्य परं पर सर हन क यििम की शुरुआि करन ।
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PT 365 - संस्कृ ति
सुर्ख़ियों में रहे GI टैग्स
उिर प्रिेश
प रं पटरक इत्र उत्प िन • कन्नौज अपने प रं पटरक इत्र उत्प िन के तलए प्रतसद्ध है।
o भ रि िुतनय क सबसे बड इत्र तनय ि
ि क है।
• कन्नौज परफ्यूम को भी भौगोतलक संकेिक (GI) टैग प्र प्त हुआ है।
ह ल ही में तमले अन्य GI टैग्स • अमरोह क ढोलक (इस संगीि ि द्य यंत्र को आम, कटहल, और स गौन की लकडी से बन य ज ि है)
• ब गपि होम फर्निप्शंग
• मैनपुरी ि रकशी कल (इस कल में गहरे रं ग की शीशम की लकडी पर पीिल के ि रों, पटट्टयों और रूप ंकनों की
ब रीक जड ई क क म दकय ज ि है।)
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• क लपी क हस्ितनर्मिि क गज
• संभल क हॉनि बोन तशल्प
• ब र बंकी हैंडलूम
• महोब क गौर पत्थर हस्ितशल्प
कन िटक
करी ईशि आम • तिशेषि एं: अनूठी सुगंि, अत्यतिक स्ि दिि, गूिे की म त्र अतिक होिी है।.
र जस्थ न
बीक नेर कशीि क री तशल्प • यह एक प्रक र की तसल ई कल है। इसके िहि सूि, रे शम य मखमल पर क ंच जड ई क क यि दकय ज ि है।
(र जस्थ न)
• प रं पटरक रूप से बीक नेर और आस-प स के तजलों में मेघि ल समुि य के बुनकर इस कल क तनष्प िन करिे हैं।
जोिपुर बंिज
े तशल्प • यह र जस्थ न की एक बंिनी (tying and dyeing) िस्त्र कल है।
PT 365 - संस्कृ ति
गोि
मनकु र ड आम • यह गोि की मुख्य प रं पटरक फल फसल है। पुििग तलयों ने इसक न म मैलकोर डो रख थ , तजसक अथि है 'खर ब
रं ग क ’।
• मनकु र ड में सम न पील रं ग, कम फ इबर और शकि र की संितु लि म त्र होिी है।
गोि क क जू (तगरी) • उत्पति: यह उिर-पूिी ब्र ज़ील की स्थ तनक दकस्म है। इसे 1570 में पुिग
ि ली गोि ल ये थे।
• गोि में ब गि नी फसलों के अंिगिि आने ि ले क्षेत्र में इसे सबसे अतिक क्षेत्र में उग य ज ि है।
ितमलन डु
मट्टी के ल (बेबी बन न ) • यह अपनी अनूठी सुगंि और शहि जैसे स्ि ि के तलए तिख्य ि है।
• इसक कम कु ल घुलनशील सॉतलड्स कं टेंट (TSSC) इसे एक अच्छ तशशु आह र बन ि है।
• मट्टी के ले के गुच्छे अन्य स म न्य के लों के गुच्छों की िरह सीिे-सीिे कि र में नहीं होिे हैं, बतल्क ये हल्के से घुम िि र
रूप में होिे हैं।
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स बूि न (Sago) • SAGOSERVE न मक सहक री सतमति को उसके सेलम (ितमलन डु ) में उत्प दिि स बूि न के तलए भौगोतलक
संकेिक (GI) टैग प्र प्त हुआ है।
• स बूि न किे टैतपओक (कस ि ) से प्र प्त दकय ज ि है। यह छोटी ठोस गोली य मोिी की िरह होि है और यह
सफे ि रं ग क होि है।
• यह अतिक सुप च्य (easy to digest) होि है और जल्िी ऊज ि प्रि न करि है।
उडंगड
ु ी 'पन ग
ं करुपट्टी' (ि ड क • पन ंगकरुपट्टी िूिुमकु तड क्षेत्र में ल ल रे ि के टीलों पर उगने ि ले पलम यर (पंतखय ि ड) िृक्षों के पुष्पगुच्छ से
मनमिुरै मृिभ ंड) • िैगई निी मनमिुरै ग ंि से होकर बहिी है। यह निी मृिभ ंड तनम िण के तलए इस्िेम ल होने ि ली तमट्टी क उिम
स्रोि है।
छिीसगढ़
नगरी िुबर ज च िल • िषि 2019 में छिीसगढ़ के जीर फू ल च िल को भी भौगोतलक संकेिक िज ि प्रि न दकय गय थ । इस प्रक र िुबर ज
र ज्य की िूसरी च िल की दकस्म बन गई है, तजसे यह टैग दिय गय है।
• ि ल्मीदक र म यण में इस अन ज क संिभि तमलि है।
असम
जोह च िल • िैज्ञ तनकों ने जोह च िल के न्यूि स्युटटकल (पौतिक-औषिीय) गुणों की खोज की है। स थ ही, तलनोतलक एतसड
PT 365 - संस्कृ ति
(ओमेग -6) और तलनोलेतनक (ओमेग -3) एतसड न मक िो असंिप्त
ृ फै टी एतसड क पि लग य है।
o जोह च िल में व्य पक रूप से उपभोग दकए ज ने ि ले गैर-सुगंतिि दकस्म के च िल की िुलन में ओमेग -6
और ओमेग -3 के बीच अतिक संिुतलि अनुप ि प य ज ि है।
• यह रि शकि र को कम करने और मिुमह
े को शुरुआि में ही रोकने में प्रभ िी है।
o यह च िल कई एंटीऑमसीडेंर्टस, फ्लेिोनोइड्स और फे नोतलमस से भी समृद्ध है।
मेघ लय
लद्द ख
सी बकथॉनि • यह लद्द ख क चौथ GI-टैग प्र प्त उत्प ि है। अन्य िीन हैं-
o रकत्से क रपो खुब नी (Apricot),
o पश्मीन श ल और
o लद्द खी क ष्ठ नक्क शी।
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अरुण चल प्रिेश
अरुण चल ‘य क चुरपी’ • अरुण चल ‘य क चुरपी’ भौगोतलक संकेिक (GI) टैग प ने ि ल पहल ‘य क िूि उत्प ि’ बन गय है।
• य क चुरपी प्र कृ तिक रूप से दकतण्िि पनीर है। इसे अरुण चली य क के िूि से िैय र दकय ज ि है। यह ज निर
अरुण चल प्रिेश में अतिक ऊंच ई ि ले क्षेत्रों में प ल ज ि है।
o इस उत्प ि में प्रोटीन प्रचुर म त्र में उपलब्ि होि है।
o अरुण चली य क को ब्रोकप स न मक जनज िीय य क चरि हे प लिे हैं।
उिर खंड
चमोली • रम्म ण एक ि र्मिक त्यौह र और आनुष्ठ तनक न टक है। इसक आयोजन भ रि में गढ़ि ल क्षेत्र में दकय ज ि है।
लकडी क रम्म ण मुखौट • यह उिर खंड के चमोली तजले के प्हंिू समुि य क र म यण मह क व्य पर आि टरि त्यौह र है।
• इसके अंिगिि मुखौटे बन ने की प्रदिय को कल क र पतित्र म निे हैं, मयोंदक िे पौर तणक िेिी-िेिि ओं को जीिंि
करिे हैं।
तबच्छू बूटी कपडे • उिर खंड के तबच्छू बूटी कपडों को तहम लयी तबच्छू बूटी के रे शों से बन य ज ि है।
• इसके पौिे के रे शे अंिर से खोखले होिे हैं। इस क रण इनमें ि यु को अपने भीिर एकत्र करने की अनूठी क्षमि होिी
है। इससे प्र कृ तिक ि प-रोिन क तनम िण होि है। इस प्रक र यह कपड सर्िियों और गर्मियों िोनों मौसमों में उपयोग
दकय ज सकि है।
क ल भट्ट • इसकी खेिी प रं पटरक रूप से “ब रह-अन ज” कृ तष प्रण ली के िहि की ज िी है। इस प्रण ली में 1-12 िक फसलें एक
स थ उग ई ज िी हैं। इसके िहि िष ि आि टरि पटरतस्थतियों में एक ही खेि में तमलेर्टस, फतलय ,ं ि लें और अलग-
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o 12िें खंड को पेटरय रपुर णम कह ज ि है।
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o पुरस्क र प्र प्त स्थ पत्य तलप्िंग पटरिेश (Living environment) को खूबसूरि और बेहिर बन ने की प्र थतमक भूतमक क उि हरण भी प्रस्िुि
करिे हैं।
8.8.6. JATAN: िचुि अ ल म्यू तजयम तबल्डर (JATAN: Virtual Museum Builder)
• JATAN: िचुअ
ि ल म्यूतजयम तबल्डर, भ रिीय संग्रह लयों के तलए एक तडतजटल संग्रह प्रबंिन प्रण ली है।
• यह एक मल इं ट सििर एपलीके शन है। इसमें इमेज िॉप्पंग, िॉटरम र्कं ग, यूतनक नंबटरं ग, मल्टीमीतडय टरप्रजेंटेशन के स थ तडतजटल ऑब्जेमट के प्रबंिन
जैसी सुतिि एं मौजूि हैं।
• इस सॉफ्टिेयर को ह्यूमन सेंटर तडज इन एंड कं पयूटटंग ग्रुप ने तडज इन और तिकतसि दकय है। यह संस्थ सेंटर फॉर डेिलपमेंट ऑफ एडि स्ं ड कं पयूटटंग
(C-DAC), पुणे के अिीन क यि करिी है।
• उल्लेखनीय है दक कें र सरक र ने कल कृ तियों के बेहिर िरीके से संरक्षण के तलए अपने प्रश सतनक तनयंत्रण ि ले सभी संग्रह लयों के 3D तडतजटलीकरण
की योजन बन ई है। यह इसी योजन क एक तहस्स है। यह क यि 2023 के अंि िक पूर दकय ज न है।
o संस्कृ ति मंत्र लय के ि यरे में 10 संग्रह लय आिे हैं।
o इसके अल ि , भ रिीय पुर ित्ि सिेक्षण के प स महत्िपूणि पुर ि तत्िक स्थलों के तनकट िेश भर में फै ले 44 स्थ नों पर स इट संग्रह लय भी हैं।
8.8.7. सं यु ि र ज्य अमे टरक ने 100 से ज्य ि भ रिीय पु र िशे ष ि पस दकए (US to return over 100
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Indian antiquities)
• भ रि और अमेटरक ने आपर तिक म मलों पर “प रस्पटरक क नूनी सह यि संति (MLAT)11” पर हस्ि क्षर दकए हैं। इस संति में पुर िशेषों को मूल
िेशों को ि पस करने पर एक-िूसरे को सह यि करने क प्र िि न भी श तमल है।
• कें रीय गृह मंत्र लय MLAT के िहि न्य य लय के आिेशों को तनष्प दिि करने के तलए नोडल मंत्र लय है।
• पुर िशेष िथ बहुमूल्य कल कृ ति अतितनयम (AATA), 1972 भ रिीय पुर ित्ि सिेक्षण से तबन ल इसेंस के पुर िशेष िस्िुओं के तनय िि को एक
िंडनीय अपर ि बन ि है।
• इसके अल ि , सीम शुल्क अतितनयम, 1962 भी पुर िशेषों के तनय ि
ि पर प्रतिबंि लग ि है
• इं तडय प्र इड प्रोजेमट एक िैतश्वक संगठन है। यह संगठन भ रि की खो चुकी तिर सि को दफर से प्र प्त करने के प्रति समर्पिि है।
8.8.8. िै तश्वक बौद्ध तशखर सम्मे ल न, 2023 (Global Buddhist Summit 2023)
• िैतश्वक बौद्ध तशखर सम्मेलन, 2023 “नई दिल्ली घोषण -पत्र” के स थ सम प्त हुआ।
• इस तशखर सम्मेलन क आयोजन संस्कृ ति मंत्र लय ने दिल्ली तस्थि अंिर िष्ट्रीय बौद्ध पटरसंघ के सहयोग से दकय थ ।
• उद्देश्य: इस सम्मेलन क उद्देश्य बौद्ध िमि से संबतं िि और स ििभौतमक प्चंि ओं के म मलों पर तिच र करने के तलए िुतनय भर के बौद्ध तिद्व नों, पटरसंघ
के नेि ओं एिं बौद्ध िम ि
ि लंतबयों को एक मंच पर एक स थ ल न थ ।
• इस तशखर सम्मेलन में भ रि की सॉफ्ट प िर रणनीति में बौद्ध िमि की बढ़िी भूतमक को रे ख ंदकि दकय गय ।
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पटरतशि II : जै न िमि
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