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संस्कृ तत (Culture)

तिषय-सूची

1. मूर्ततकला और स्थापत्य कला (SCULPTURE AND 4. व्यतित्ि (PERSONALITIES) _____________ 33


ARCHITECTURE) _______________________ 3
4.1. अदद शंकराचायक (ADI Shankaracharya) __ 33
1.1. गुप्त कालीन प्राचीन मंददर (Ancient temple of
4.2. श्री ऄरबबदो (Sri Aurobindo) ___________ 35
Gupta period) __________________________ 3
4.3. नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash
1.2. कोणाकक सूयक मंददर (Sun Temple of Konark) 5
Chandra Bose) ________________________ 36
1.3. शयनािस्था में बुद्ध (Reclining Buddha) ___ 7
4.4. सुर्तियों में रहे ऄन्य व्यतित्ि (Other Personalities
1.4. ऄन्य महत्त्िपूणक सुर्तियााँ (Other Important News) in News) ______________________________ 39
______________________________________ 9
5. ऐततहातसक घटनाएं (HISTORICAL EVENTS) _ 42
2. तचत्रकला और ऄन्य कला शैतलयां (PAINTINGS AND
5.1. जतलयांिाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh
OTHER ART FORMS)___________________ 12
Massacre) ____________________________ 42
2.1. मांगर बणी गुफा तचत्र (MANGAR BANI Cave
5.2. मालाबार/मोपला तिद्रोह (Malabar/Moplah
Paintings) ____________________________ 12
Rebellion) ____________________________ 43
2.2. कलमकारी तचत्रकारी (Kalamkari Paintings)14
5.3. पाआका तिद्रोह (Paika Rebellion) ________ 44
2.3. पुतल
ु नाच (Putul Nautch) ____________ 16
5.4. ऄन्य महत्त्िपूणक सुर्तियााँ (Other Important News)
2.4. टॉयकै थॉन 2021 (Toycathon 2021) _____ 18 _____________________________________ 45

2.5. सुर्तियों में रहे कला के ऄन्य रूप (Other Art Form 6. तितिध (MISCELLANEOUS) _____________ 46
in News) _____________________________ 19
6.1. जनजातीय गौरि ददिस (Janjatiya Gaurav
3. यूनस्े को की पहलें (INITIATIVES OF UNESCO) 22 Divas) ________________________________ 46

3.1. यूनेस्को के तिश्व धरोहर स्थल (UNESCO World 6.2. पूिोत्तर भारत में भू-पयकटन स्थल (Geo-tourism
Heritage Sites) ________________________ 22 Sites in North East) ____________________ 51
3.1.1. तिश्व धरोहर का दजाक (World Heritage Tag)
6.3. सुर्तियों में रहे भौगोतलक संकेतक का दजाक प्राप्त ईत्पाद
___________________________________ 22
{Geographical Indication (GI) Tag Products in
3.1.1.1. रुद्रेश्वर मंददर (Rudreshwara Temple)
News} ________________________________ 53
_________________________________ 24
6.4. भारतीय स्ितंत्रता अंदोलन और तिज्ञान की भूतमका
3.1.1.2. धौलािीरा (Dholavira) ________ 25
(Indian Independence Movement & the Role of
3.1.2. यूनेस्को की तिश्व तिरासत स्थलों की संभातित
Science) ______________________________ 55
सूची (Tentative List of UNESCO World
Heritage Sites) ______________________ 27 6.5. सुर्तियों में रहे त्यौहार (Festivals in News) _ 57

3.2. दुगाक पूजा (Durga Puja) _______________ 29 6.6. पुरस्कार और सम्मान (Prizes and Awards) 57

3.3. यूनेस्को दिएटटि तसटीज़ नेटिकक (UNESCO 6.7. ऄन्य महत्त्िपूणक सुर्तियााँ (Other Important News)
Creative Cities Network: UCCN) _________ 31 _____________________________________ 59

3.4. ऄन्य महत्त्िपूणक सुर्तियााँ (Other Important News)


_____________________________________ 31

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नोट:
PT 365 (बहदी) डाक्यूमेंट के ऄंतगकत, व्यापक तौर पर तिगत 1 िषक (365 ददन) की महत्िपूणक समसामतयकी को
समेदकत रूप से किर दकया गया है तादक प्रारं तभक परीक्षा की तैयारी में ऄभ्यर्तथयों को सहायता तमल सके ।
ऄभ्यर्तथयों के तहत में PT 365 डॉक्यूमेंट को और बेहतर बनाने के तलए आसमें तनम्नतलतखत निीन तिशेषताओं को
शातमल दकया गया है:
1. टॉतपक्स के असान िगीकरण और तितभन्न प्रकार की सूचनाओं को रे खांदकत तथा याद करने के तलए आस ऄध्ययन
सामग्री में तितभन्न रं गों का ईपयोग दकया गया है।
2. ऄभ्यथी ने तिषय को दकतना बेहतर समझा है, आसके परीक्षण के तलए QR अधाटरत स्माटक द़ज़ को शातमल दकया
गया है।
3. तिषय/ टॉतपक की असान समझ के तलए आन्फोग्रादफक्स को शातमल दकया गया है। यह सीखने और समझने के
ऄनुभि को असान बनाता है तथा पढ़े गए तिषय/कं टेंट को लंबे समय तक याद रखना सुतनतित करता है।

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तिषय की समझ और ऄिधारणाओं के स्मरण की ऄपनी


क्षमता के परीक्षण के तलए अप हमारे ओपन टेस्ट
ऑनलाआन प्लेटफॉमक पर स्माटक द़ज़ का ऄभ्यास करने हेतु
आस QR कोड को स्कै न कर सकते हैं।

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1. मूर्ततकला और स्थापत्य कला (SCULPTURE AND
ARCHITECTURE)
1.1. गु प्त कालीन प्राचीन मं ददर ( Ancient temple of Gupta period)

सुर्तियों में क्यों? भारतीय पुरातत्ि सिेक्षण (Archeological Survey of


भारतीय पुरातत्ि सिेक्षण (ASI) को ईत्तर प्रदेश के एटा के तबलसढ़ गांि में गुप्त India: ASI) के बारे में

काल (5िीं शताब्दी इस्िी) के एक प्राचीन मंददर के ऄिशेष प्राप्त हुए हैं।  यह पुरातातत्िक ऄनुसध
ं ान, िैज्ञातनक तिलेषण,
पुरातातत्िक स्थलों के ईत्खनन, संरतक्षत स्मारकों के
ऄन्य संबतं धत तथ्य संरक्षण और सुरक्षा के तलए प्रमुख संगठन है।
 तबलसढ़ को िषक 1928 से संरतक्षत दकया गया था और आसे गुप्त काल के एक  आसकी स्थापना 1861 इ. में ऄलेक्जेंडर कबनघम ने
की थी।
महत्िपूणक स्थल के रूप में जाना जाता है।
 यह संस्कृ तत मंत्रालय के ऄधीन संलग्न कायाकलय है।
 मुख्य प्रातप्तयां: एक दूसरे के समीप तस्थत दो ऄलंकृत स्तंभ , तजन पर मानि
अकृ ततयााँ ईत्कीणक हैं। मंददर की ओर जाने िाली शंखतलतप या शैल तलतप के बारे में
सीदढ़यों पर ‘शंख तलतप’ में ‘श्री महेंद्रददत्य’  शंख तलतप या “शेल-तस्िप्ट” में ऄलंकृत सर्तपलाकार िणों का प्रयोग दकया गया
ईत्कीर्तणत है, जो दक गुप्त शासक कु मारगुप्त प्रथम है, जो शंख की भांतत दृतिगत होते हैं। आस तलतप को ब्राह्मी तलतप से ही व्युत्पन्न
द्वारा धारण की गइ ईपातध थी। हुअ माना जाता है।
 आसका प्रयोग ईत्तर-मध्य भारत में चौथी तथा अठिीं शताब्दी के ऄतभलेखों में
o यह खोज आसतलए महत्िपूणक हो जाती है,
हुअ है।
क्योंदक गुप्त काल के ऄब तक के िल दो ऄन्य o ब्राह्मी तथा शंख तलतप दोनों ही शैलीबद्ध तलतपयााँ हैं। आनका ईपयोग मुख्य
संरचनात्मक मंददर ही पाए गए हैं। ये हैं - रूप से नाम और हस्ताक्षर के तलए दकया जाता था ।
दशाितार मंददर (देिगढ़) और भीतरगांि  ऄतभलेखों में आन िणों की संख्या कम है, तजससे पता चलता है दक शंखतलतप के
मंददर (कानपुर देहात)। ऄतभलेख नाम या शुभ प्रतीक या दोनों का संयोजन हैं।
o आस मंददर के स्तंभ ऄच्छी तरह से तराशे गए  आस तलतप की खोज 1836 इ. में ईत्तराखंड के बाडाहाट में ऄंग्रज
े तिद्वान जेम्स
हैं, जो ऄन्य पूिकिती मंददरों के स्तंभों से बप्रसेप ने की थी।
o िह एतशयाटटक सोसाआटी ऑफ बंगाल की पतत्रका के संस्थापक थे।
बेहतर हैं, तजनमें के िल तनचले खंडों को ही
 शंखतलतप ऄतभलेखों िाले प्रमुख स्थलों में तबहार में मुड
ं ेश्वरी मंददर, मध्य प्रदेश
तराशा गया था। ऄलंकृत स्तंभ और सीदढ़यां
में ईदयतगटर की गुफाएाँ, महाराष्ट्र में मनसर तथा गुजरात और महाराष्ट्र के कु छ
पहले िालों की तुलना में कु छ ऄतधक ईन्नत
हैं। गुफा स्थल शातमल हैं।
o आस तलतप के ऄतभलेख जािा एिं बोर्तनयो में भी पाए गए हैं।
गुप्त काल की मंददर िास्तुकला के बारे में
 गुप्तों ने ही पहली बार चट्टानों को काटकर बनाए गए प्राचीन मंददरों से
तबल्कु ल ऄलग संरचनात्मक मंददरों का तनमाकण करिाया था।
o गुप्त राजिंश ने ईत्तर-मध्य भारत पर चौथी और छठी शताब्दी इस्िी के
बीच शासन दकया था। आस ऄितध को िास्तुकला का स्िणक युग माना
जाता है।
o आस राजिंश की स्थापना 320 इस्िी में चंद्रगुप्त प्रथम ने की थी।
 गुप्त काल की मंददर िास्तुकला की मुख्य तिशेषताएं:
o गुप्तकालीन शैली कु षाण, मथुरा तथा गांधार कला से प्रभातित थी।
आसमें आन कला शैतलयों की टी-अकार के प्रिेश द्वार, सुसतित द्वार
चौखट, ईच्च ईभार युि मूर्ततयां से ऄलंकृत पटट्टकाएं , फू ल-पतत्तयों एिं
कं टकी पणककों (acanthus) का रूपांकन जैसी अदद सामान्य
तिशेषताओं को शातमल दकया गया था।
o आन मंददरों का तनमाकण बलुअ पत्थर, ग्रेनाआट और ईंट द्वारा दकया गया
था।

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o गुप्त िास्तुकला में, िगक को सबसे ईत्तम रूप माना जाता था और मंददरों की आस प्रकार से रचना की गइ थी दक ईसकी चारों ओर
से प्रशंसा हो सके । आस प्रकार प्रत्येक में सजािटी िास्तुतशल्प तिशेषताएं तिद्यमान थीं।
o छठी शताब्दी इस्िी से, गुप्त मंददरों का मंच (जगती) पर तनमाकण दकया जाने लगा। मध्य प्रदेश के देिगढ़ में दशाितार मंददर
आसका एक ऄच्छा ईदाहरण है।
o गुप्त मंददर एक देिता की बजाय बडी संख्या में बहदू देिताओं को समर्तपत थे।
 द्वार मागक दशाितार मंददर के िगाककार गभकगृह तशखर का एक ईत्तम ईदाहरण है। आस पर तिष्णु, ब्रह्मा, आं द्र, गंगा एिं
यमुना और साथ ही पटरचारकों ि तमथुन जोडों की मूर्ततयााँ हैं।

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1.2. कोणाकक सू यक मं ददर ( Sun Temple of Konark)
सुर्तियों में क्यों?
हाल ही में, भारतीय पुरातत्ि सिेक्षण ने कोणाकक सूयक मंददर के
सीलबंद सभागृह से रे त को सुरतक्षत रूप से हटाने के तलए एक
रोडमैप पर चचाक दकया। आस सभागृह को जगमोहन के नाम से भी
जाना जाता है।
ऄन्य संबतं धत तथ्य
 जगमोहन को तगरने से बचाने के तलए ऄंग्रेजों ने आसमें रे त
भर ददया था।
 िषक 2019 में दकए गए ऄध्ययन में यह
पाया गया था दक रे त नीचे बैठ रही है।
आसके पटरणामस्िरूप, रे त की परत और
संरचना के बीच 17 फीट का ऄंतर अ गया
है।
कोणाकक के सूयक मंददर के बारे में
 यह सूयक देि को समर्तपत एक मंददर है। यह
बंगाल की खाडी के तट पर तस्थत है।
o आसके पत्थर के रं गों के कारण ही आसे
ब्लैक पैगोडा के नाम से जाना जाता
है।
 कें डु ली ताम्रपत्र के ऄनुसार आसका तनमाकण
पूिी गंग िंश के राजा नरबसहदेि प्रथम ने
1238-1250 इ. में करिाया था।
o दकिदंततयों के ऄनुसार आस मंददर का तनमाकण भगिान
कृ ष्ण के पुत्र सांबा ने करिाया था।

 िषक 1984 में आसे यूनेस्को के तिश्व धरोहर स्थल की सूची


में शातमल दकया गया था।
o यह प्राचीन संस्मारक और पुरातत्ि स्थल एिं ऄिशेष
(AMASR) ऄतधतनयम, 19581 के तहत संरतक्षत है।

 आसके तनकटम समुद्र तट, चंद्रभागा को िषक 2018 में,


पयाकिरण स्िच्छता के तलए ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्राप्त हुअ है।
o िषक 2016 में IIT के एक ऄध्ययन में मंददर के पास ही
लुप्त चंद्रभागा नदी की ईपतस्थतत के संकेत तमले हैं।
 यहां कोणाकक नृत्य महोत्सि और चंद्रभागा महोत्सि का
अयोजन दकया जाता है।
 यह कबलग स्थापत्य कला शैली में तनर्तमत एक मंददर है।
यह नागर शैली मंददर स्थापत्य कला की एक ईप-शैली है।
आसमें तनम्नतलतखत संरचनाएं मौजूद हैं:
o तशखर के साथ रे खा देईल या तिमान (गभकगृह के
उपर);

o जगमोहन या सभागृह;

1 Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains (AMASR) Act (1958)

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o नट मंददर या नृत्य गृह और कइ ऄन्य ईप-संरचनाएं।
 ऄपने सम्पूणक रूप में, यह सूयक देि के रथ का प्रतततनतधत्ि करता है। आसमें बारीक नक्काशी दकए हुए 24 पतहये हैं। आसके ईत्तर एिं
दतक्षण दोनों ओर 12-12 पतहये हैं। आनका व्यास 3 मीटर है। आस रथ को सात घोडों द्वारा खींचते हुए दशाकया गया है।
o 12 जोडी पतहए एक िषक के 12 महीनों को दशाकते हैं। अठ तीतलयां अठ प्रहर को दशाकती हैं। साथ ही, ये ऊतुओं और महीनों के
चिों के प्रतीकात्मक रूपांकन को भी तनरूतपत करती हैं।
o 7 घोडे, सप्ताह के सात ददनों के प्रतीक हैं।
 दीिारों/स्तंभों पर ईत्कीणक अलंकाटरक तचत्र: शेर, संगीतकार और नतकक अदद।
o आसके ऄततटरि, मौजूदा दस रुपये के नोट के तपछली तरफ आसी मंददर के पतहयों को दशाकया गया है।
 मंददर में प्रयुि पत्थर: आसमें क्लोराआट, लेटराआट और हरे रं ग के खोंडलाआट का प्रयोग दकया गया है।
 मंददर का तिनाश: आसका कोइ एक तनतित
कारण नहीं है, लेदकन तनम्नतलतखत दकसी एक
या ऄन्य कारणों से, 1837 इ. में मंददर का
ऄतधकांश तहस्सा नि हो गया था। हालांदक,
के िल जगमोहन ही सुरतक्षत शेष रह गया था।
o कारण: आस्लामी अिमण, संरचनात्मक
दोष, पत्थरों की ऄनुपयुिता या ऄपक्षय,
मंददर से चुंबकों का तनकाला जाना अदद।
कबलग स्थापत्य कला शैली के बारे में
 आस स्थापत्य कला का तिकास प्राचीन कबलग
क्षेत्र में हुअ था। यह क्षेत्र महानदी और गोदािरी
नददयों (ितकमान पतिम बंगाल, ओतडशा और ईत्तरी अंध्र प्रदेश) के मध्य तस्थत था।
 यह नागर मंददर स्थापत्य कला की एक ईप-शैली है। कबलग शैली के मंददरों को अगे तीन ऄलग-ऄलग प्रकार के मंददरों में िगीकृ त
दकया गया है: रे खा देईल, तपढा देईल और खाखरा देईल।
o रे खा-देईल: आसकी योजना िगाककार होती है। आसके उपर एक ििीय तशखर तनर्तमत दकया जाता है। मंददर के भाग एक ही (पूिक -
पतिम) रे खा में या एक ही ऄक्ष पर पंतिबद्ध होते हैं। ये मंददर तिष्णु, तशि और सूयक देिताओं को समर्तपत होते हैं। यह मंददर की
सबसे सामान्य शैली है।
o तपढा देईल: आसकी योजना भी िगाककार होती है। दकन्तु आसके शीषक पर क्षैततज स्तरों या चबूतरों पर तपरातमड अकार का एक
तशखर तनर्तमत दकया जाता है। ये चबूतरे सामान्य तौर पर तीन स्तरों में व्यितस्थत होते हैं। ये मंददर मुख्यतया तिष्णु , तशि और
सूयक देिता को समर्तपत होते हैं। आनका ईपयोग मुख्य रूप से सभागृह के तलए दकया जाता है।
o खाखरा देईल: यह ढोलनुमा अकृ तत का तशखर होता है। आसकी योजना अयताकार होती है। आसमें लम्बी छत होती है। यह
द्रतिड गोपुरम संरचना के समान होता है। यह चामुंडा और दुगाक जैसी देतियों को समर्तपत होता है। यह एक दुलकभ दकस्म की
शैली है। आसके गभकगृह में देिताओं को प्रततष्ठातपत दकया जाता है।

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1.3. शयनािस्था में बु द्ध ( Reclining Buddha)
सुर्तियों में क्यों?
तबहार तस्थत बोधगया में बुद्ध ऄंतराकष्ट्रीय कल्याण तमशन मंददर में
भारत की सबसे बडी शयनािस्था में बुद्ध की प्रततमा प्रततष्ठातपत
की जा रही है।
शयनािस्था में बुद्ध के बारे में
 शयनािस्था में बुद्ध की प्रततमा ईनके रोगी काया के ऄंततम
क्षणों के दौरान की ऄिस्था का तचत्रण करती है। आसे
पटरतनिाकण चरण के रूप में संदर्तभत दकया जाता है। ज्ञातव्य
है दक पटरतनिाकण मृत्यु ईपरांत चरम मोक्ष का िह चरण
है, तजसे के िल प्रबुद्ध बौद्ध मनीतषयों द्वारा ही ऄर्तजत दकया जा सकता है। गांधार कला की तिशेषताएं
 शयनािस्था में बुद्ध की मूर्ततयां ईन्हें ऄपनी दातहनी ओर लेटे हुए ददखाती हैं,
ईनका तसर एक तदकए पर या ईनकी दातहनी कोहनी पर टटका हुअ है। यह
प्रततमा दशाकती है दक
सभी प्रातणयों में
जागृत होने तथा मृत्यु
और पुनजकन्म के चि से
मुि होने की क्षमता
तिद्यमान है।
 शयनािस्था में बुद्ध को
पहली बार गांधार  प्रभाि: आसे यूनानी या हेलेतनतस्टक कला या तहन्द-
कला में तचतत्रत दकया यूनानी कला भी कहा जाता है।
गया था। यह कला 50  बलुअ पत्थरों के प्रकार: ग्रे/नीला धूसर।
 धार्तमक प्रभाि: मुख्य रूप से बौद्ध।
इ. पू. और 75 इस्िी
 संरक्षक: कु षाण राजिंश।
के मध्य अरं भ हुइ थी
तथा कु षाण काल के  क्षेत्र: ईत्तर-पतिम सीमांत क्षेत्र।

दौरान प्रथम से 5िीं  मूर्ततयों की तिशेषताएं: अध्यातत्मक बुद्ध (दाढ़ी एिं


मूंछें हैं), कम अभूषण पहने हुए, लहराते के श, बडा
शताब्दी इस्िी के मध्य
ऄपने चरमोत्कषक पर थी। ललाट, बडे कान, अंखें अधी बंद, तसर पर ईभार
अदद।
भारत में शयनािस्था में बुद्ध
 ऄजंता की गुफा संख्या 26 में 24 फीट लंबी और नौ फीट उंची शयनािस्था में बुद्ध की मूर्तत है, तजसके बारे में माना जाता है दक आसे
5िीं शताब्दी इस्िी में तनर्तमत दकया गया था। संबतं धत तथ्य
 कु शीनगर (ितकमान ईत्तर प्रदेश - जहां बुद्ध ने  हाल ही में, कनाकटक के ईडु पी तजले में ऄलेम्बी से बुद्ध
महापटरतनिाकण प्राप्त दकया था) में पटरतनिाकण की लघु मूर्तत प्राप्त हुइ है।
स्तूप के भीतर 6 मीटर लंबी लाल बलुअ  यह मूती कोमल बलुअ पत्थर से तनर्तमत है। यह
पत्थर की एक एकाश्म शयनािस्था में बुद्ध की सारनाथ बुद्ध की प्रततकृ तत की तरह ददखती है।
मूर्तत प्रततष्ठातपत है।  बुद्ध धमक चि प्रितकन मुद्रा में कमलासन पर
तिराजमान हैं।
भारत के बाहर शयनािस्था में बुद्ध
 यह मूर्तत गुप्त शैली में है।
 श्रीलंका और भारत में बुद्ध को ऄतधकतर
असन मुद्रा में ही तचतत्रत दकया जाता है, जबदक थाइलैंड तथा दतक्षण पूिक एतशया के ऄन्य तहस्सों में शयनािस्था मुद्राएं ऄतधक
प्रचतलत हैं।
 तिश्व में सबसे बडी शयनािस्था में बुद्ध की प्रततमा 600 फु ट उाँची बितसन ताव्या बुद्ध प्रततमा है। आसे िषक 1992 में म्यांमार के
मौलातमयायन में तनर्तमत दकया गया था।
 पादकस्तान के खैबर पख्तूनख्िा प्रांत में तस्थत भामला बुद्ध पटरतनिाकण को तिश्व में ऄपनी तरह की सबसे पुरानी मूर्तत माना जाता है।
यह 1800 िषक से ऄतधक प्राचीन है।
 15िीं शताब्दी के ऄंत में, कं बोतडया के ऄंगकोर में बाफू न के बहदू मंददर स्थल पर शयनािस्था में बुद्ध की 70-मीटर उंची मूर्तत
तनर्तमत की गइ थी।
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1.4. ऄन्य महत्त्िपू णक सु र्तियााँ ( Other Important News)
हटरयाणा में 1600  आस पुरातातत्िक स्थल की खोज हटरयाणा के संधाइ गांि (यमुनानगर तजले) के तनकट की गइ है। आसका संबंध पौरातणक
सरस्िती नदी के समीप की तिलुप्त
िषक प्राचीन ‘स्थायी
हो चुकी बतस्तयों से है।
बस्ती’ के  पौरातणक नदी सरस्िती प्राचीन
पुरातातत्िक प्रमाण बहदू ग्रंथों में िर्तणत है। आस नदी के
प्राप्त हुए बारे में माना जाता है दक यह नदी
5,000 िषक पूिक ऄतस्तत्ि में थी,
लेदकन भूकंप और ऄन्य भौगोतलक
गतततितधयों के कारण भूतमगत
रूप से तिलुप्त हो गइ।
 मुख्य खोज:
o ऄतधिास के साक्ष्य: ईंटें,
तमट्टी के बतकन और मूर्तत के
ऄिशेष।
o धार्तमक साक्ष्य: नागर शैली
में तनर्तमत पाषाण के मंददर, संरचना के अधार से संबंतधत सामग्री के ऄततटरि स्तंभ का प्रमाण अदद।
o आस क्षेत्र से श्री-हा (Sri-ha) प्रकार के बहद-ससानी तसक्के प्राप्त हुए हैं, जो आस क्षेत्र में 7िीं शताब्दी में प्रचतलत थे।
o यहां पाइ गइ कलाकृ ततयां गुप्तोत्तर काल से लेकर गुजरक -प्रततहार काल (8िीं-9िीं शताब्दी इस्िी) की कलाकृ ततयों की
तरह ददखती हैं।
o आस स्थल की कालाितध कु षाण काल से गुजकर-प्रततहार काल के बीच की हो सकती है। हालांदक, कु छ ईंटें स्पि तौर
पर कु षाण काल की हैं।
पोरुनै नदी  ततमलनाडु के तूतक
ु ु डी तजले के तशिकलाइ में एक दफन कलश में तमट्टी के साथ पाए गए चािल के ऄिशेष के काबकन-14
(तातमरबरनी)
डेटटग तिलेषण से ईसकी ऄितध (1155 इसा पूिक) का
सभ्यता
अकलन दकया गया है। तातमरबरनी सभ्यता 3200
िषक प्राचीन है।
 यह संभितः िैगइ सभ्यता से भी प्राचीन सभ्यता है।
िैगइ संस्कृ तत को 2,600 िषक प्राचीन माना जाता है।
o िैगइ सभ्यता 'ईद्योग और तलतप से समृद्ध एक
स्िदेशी, सुतिकतसत अत्मतनभकर शहरी संस्कृ तत
थी। यह प्रततबबतबत करती है दक ईस युग के
लोग ऄत्यतधक तशतक्षत थे।
 आसकी ततमल संबद्धता की िोज में ऄन्य राज्यों तथा
देशों में भी पुरातातत्िक ईत्खनन दकया जाएगा।
o शातमल दकए जाने िाले राज्य: प्रथम चरण में मुतजटरस के प्राचीन बंदरगाह (तजसे ऄब के रल में पट्टनम के नाम से
जाना जाता है) में ईत्खनन दकया जाएगा। चेर साम्राज्य की प्राचीनता ि संस्कृ तत स्थातपत करने हेतु के रल के
पुरातत्ितिदों के साथ संयुि शोध दकया जाएगा। अंध्र प्रदेश के िेंगी, कनाकटक के तलैकडु और ओतडशा के पलूर में भी
ऄध्ययन दकए जाएंगे।
o पुरातातत्िक ईत्खनन में शातमल दकए जाने िाले देश:
 तमस्र (कु सीर ऄल-काददम और पर्तनका ऄनेके) तथा ओमान (खोर रोरी) में ततमल तलतपयों िाले मृदभांड पाए
गए हैं।
 दतक्षण पूिी एतशयाइ देश यथा- आं डोनेतशया, थाइलैंड, मलेतशया और तियतनाम अदद। आन देशों में राजा
राजेंद्र चोल ने िचकस्ि स्थातपत दकया था।
एलोरा की गुफाएाँ  एलोरा की गुफाएाँ (6ठी से 8िीं सदी इसिी) महाराष्ट्र के औरं गाबाद में सह्याद्री पहातडयों में तस्थत हैं।
o आन गुफाओं को िषक 1983 में यूनस्े को (UNESCO) द्वारा तिश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध दकया गया था। ये
ऄपने बहदू, बौद्ध और जैन मंददरों तथा स्मारकों के तलए ज्ञात हैं।
o ये 34 गुफाओं का समूह हैं, तजनमें से 17 ब्राह्मण, 12 बौद्ध और 5 जैन मतों से संबंतधत हैं।

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o ये तिश्व में सिाकतधक तिशाल
एकल शैलकर्ततत बौद्ध मठ
गुफा पटरसरों में से एक हैं।
o आसमें तिश्व की सबसे बडी एकल
एकाश्म संरचना शातमल है, जो
लोकतप्रय रूप से कै लाश गुफा के रूप
में ज्ञात है।

तत्र-रश्मी बौद्ध गुफा  नातसक (महाराष्ट्र) के तत्र-रश्मी बौद्ध


गुफा पटरसर में 3 नइ गुफाएाँ खोजी गइ
हैं।
o सभी गुफाओं में बरामदे हैं और
ईनमें तभक्षुओं के तलए पाषाण
तनर्तमत एक िगाककार चबूतरा भी
है।
 तत्ररश्मी गुफाएाँ पांडि लेनी के नाम से
भी तिख्यात हैं। यह गुफा पटरसर 24
गुफाओं का एक समूह है, तजसे दूसरी
शताब्दी इसा पूिक और छठी शताब्दी
इस्िी के मध्य तत्ररश्मी पहाडी पर
तनर्तमत दकया गया था।
o गुफाओं के पटरसर
की खोज िषक
1823 में कै प्टन
जेम्स डेलामाआन
द्वारा की गइ थी।
o ये गुफाएाँ तिहार
और चैत्य दोनों
हैं।
o तिहार मठ हैं और
चैत्य प्राथकना
सभाएं हैं।
 ये बौद्ध धमक के हीनयान
मत (जो बुद्ध की
प्रतीकों के रूप में
ईपासना करते थे) और
महायान मत (जो बुद्ध
की मूर्तत रूप में
अराधना करते थे)
दोनों से संबंतधत हैं।
रमना काली मंददर  भारत के राष्ट्रपतत ने ढाका (बांग्लादेश) में निीनीकृ त श्री रमना काली मंददर का ईद्घाटन दकया।
o यह मंददर भारत और बांग्लादेश के लोगों के बीच अध्यातत्मक एिं सांस्कृ ततक बंधन का प्रतीक माना जाता है।
 माचक 1971 में ऄपने ऑपरे शन सचकलाआट के दौरान पादकस्तानी सेना द्वारा मंददर को नि कर ददया गया था। यह ऑपरे शन
एक िू र कारक िाइ थी, तजसके कारण बांग्लादेश मुति संग्राम हुअ था।
 मूल रमना कालीबाडी का तनमाकण मध्ययुग के दौरान दकया गया था। यह ऄपनी उंची संरचना के तलए प्रतसद्ध था।
 िषक 1929 में, मंददर पटरसर ने प्रतसद्ध संत अनंदमयी के भिों के तलए एक ऄततटरि आमारत का ऄतधग्रहण दकया था।

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सब्ज बुजक (Sabz  ददल्ली में हुमायूं के मकबरे के समीप तस्थत,
Burj) सब्ज बुजक का मकबरा, एक ऄिकोणीय मकबरा
है।
 आसकी संरचना में शीषक पर एक नीला गुंबद है
और आसे लोकतप्रय रूप से नीली छतरी के रूप में
जाना जाता है।
 कु छ मुगल आततहासकारों के ऄनुसार सब्ज़ बुजक
मकबरा फहीम खान के तलए बनिाया गया था,
तजसकी मृत्यु 1626 इस्िी में हुइ थी। िह चौथे
मुगल सम्राट जहांगीर के शासनकाल के दौरान
ऄब्दुर रहीम खान का सेिक था।
 यह मध्य एतशया के समान तैमरू ी स्थापत्य शैली को प्रदर्तशत करता है।
 आसके नीचे दफनाए गए व्यतियों की पहचान के बारे में कोइ ईल्लेख नहीं दकया गया है।
o हालांदक, शुद्ध सुनहरे और लैतपज़ (Lapiz) रं ग में तचतत्रत आसकी दोहरी गुंबद संरचना से युि छत के कारण आसका
ऄत्यतधक महत्ि है। आसके संरक्षण के प्रयास शुरू होने के बाद आसने सभी का ध्यान अकर्तषत दकया है।
o लाजिदक (लैतपस लाजुली) एक गहरे नीले रं ग की कायांतटरत चट्टान है। आसका ईपयोग ऄधक-कीमती पत्थर के रूप में
दकया जाता है। आसे प्राचीन काल से ही ऄपने गहरे रं ग के कारण ऄत्यतधक मूल्यिान माना जाता रहा है।

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2. तचत्रकला और ऄन्य कला शैतलयां (PAINTINGS AND
OTHER ART FORMS)
2.1. मां ग र बणी गु फा तचत्र ( MANGAR BANI CAVE PAINTINGS)
सुर्तियों में क्यों?

पुरातत्ितिदों ने ददल्ली के समीप कु छ गुफा तचत्रों की


खोज की है। ऄरािली पिकत श्रृख
ं लाओं की ़ाटकजाआट
चट्टानों और हटरयाणा में मांगर बणी नामक पतित्र
िनों के मध्य पाए गए आन तचत्रों के ईच्च पुरापाषाण
युग के होने की संभािना है।
मांगर बणी गुफा तचत्रों के बारे में
 गुफा तचत्रों में मानि अकृ ततयों, जानिरों,

पतत्तयों और ज्यातमतीय अकृ ततयों के तचत्र


शातमल हैं।

o ये तचत्र भीमबेटका (मध्य प्रदेश)


का स्मरण कराते हैं, जो भारत में

सिाकतधक प्राचीन ज्ञात गुफा


कलाओं में से एक है (मध्यपाषाण
युग, लगभग 10,000 िषक पूिक)।

 ऄतधकांश तचत्रों का रं ग गेरू है, परन्तु

कु छ श्वेत भी हैं।
o गेरू एक मृदा का िणकक है। आसमें
फे टरक ऑक्साआड होता है।
अमतौर पर यह मृतत्तका (clay)

से युि, हल्के पीले या भूरे या

लाल रं ग में होता है।


 तिशेषज्ञों के ऄनुसार, मांगर गुफा

कला 20,000-40,000 िषक प्राचीन

है।
 महत्ि: पुरातत्ितिद आन तचत्रों को
सोऄतनयन संस्कृ तत (सोन घाटी) की
तनरं तरता से जोडकर देखते हैं।
o सोऄतनयन भारतीय ईपमहाद्वीप
के तशिातलक क्षेत्र में तनम्न
पुरापाषाण काल की एक
पुरातातत्िक संस्कृ तत है।

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प्रागैततहातसक गुफा तचत्रों का तिकास

ईत्तर पुरापाषाण गुफा तचत्र मध्यपाषाण गुफा तचत्र निपाषाणकालीन गुफा तचत्र

 सरल ज्यातमतीय पशु और  कइ रूपांकनों ि तडजाआनों के रूप में रचनात्मकता की व्यापकता  तचत्रों में संचलन की
मानि अकृ ततयां पहली बार दृतिगोचर हुइ है। अकृ ततयां ऄतधकतर मृदत
ु ापूिकक प्रिातहत महीन ऄतभव्यति का लोप है,
तचतत्रत की गईं। रे खाओं में दशाकइ गइ हैं, जो गततशील मुद्रा को व्यि करती हैं। अकृ ततयों में प्रतीकों का
 जानिरों को ईनकी प्राकृ ततक  तशकाटरयों को साधारण िस्त्र और अभूषण धारण दकए हुए दोहराि हैं। मनुष्य और पशु
रूपरे खा में ददखाया गया था दशाकया गया है, तसर-पर धारण दकए जाने िाले अिरण और अकृ ततयां ऄतधक से ऄतधक
और मनुष्य को तशकार या मुखौटे भी कभी-कभी देखे जा सकते हैं। योजनाबद्ध और शैलीबद्ध
नृत्य की गततशील दिया में होने लगती हैं।
 पशु रूप प्रकृ ततिादी तचत्रण हैं जबदक मानि अकृ ततयां तस्थर और
भािात्मक रूप में व्यि दकया भािात्मक हैं।  अकार, सामान्यतया कम हो
गया था।
 पुरुष अकृ ततयां छडी के रूप में हैं, जबदक मतहला अकृ ततयां सर्तपल गया है, हालांदक कु छ
 आन तचत्रों में सटीक ‘S’ अकार
या मधुकोष जैसी जटटल शारीटरक संरचना के साथ भारी बॉक्स के बडी अकृ ततयां भी हैं।
की मानि अकृ ततयों को अकार में तचतत्रत हैं।
दशाकया गया है, जो तितभन्न
 तशकार के दृश्य हैं, परन्तु एक
 मानिों के पीछे दौडते तिशाल जानिरों, ईपचारात्मक एिं
बडे समूह के कायक के रूप में
गतततितधयों को दशाकती हैं जैसे शिाधान अदद जैसी तमथकीय छतियां तचतत्रत की गइ हैं।
तशकार ऄनुपतस्थत है। आनमें,
दक िे तशकार कर रहे हैं, नृत्य
 नृत्य, गभकिती मतहलाएं, बच्चे के जन्म और एक बच्चे के साथ एक
एकान्त तशकारी को तचतत्रत
कर रहे हैं और दौड रहे हैं। माता जैसे दृश्य भी तचतत्रत दकए गये हैं। दकया गया है।
 ऐसा प्रतीत होता है दक आस
 ईदाहरण: लाखाजोर (मछली पकडने का दृश्य, झोपडी में पटरिार  ईदाहरण: चतुभुकजनाथ नाला
ऄितध के दौरान यह गुफाओं
का भोजन करना), भीमबेटका (एक रोगी व्यति का जादुइ (रथ तचत्रण), कू पगल्लू,
का उपरी तहस्सा था, तजसे
सिाकतधक तचतत्रत दकया गया ईपचार), चतुभज
ुक नाथ नाला (गततशील धनुधकर) अदद। तपकलीहल, टेककलकोटा
था। अदद।

2.2. कलमकारी तचत्रकारी ( Kalamkari Paintings)


सुर्तियों में क्यों?

हाल ही में, ततमलनाडु की करुप्पुर कलमकारी तचत्रकारी को


भौगोतलक संकेतक2 टैग प्राप्त हुअ है।
ऄन्य संबतं धत तथ्य
 ततमलनाडु की कलमकारी तचत्रकारी शुद्ध सूती िस्त्र पर की
जाती है। आसका मुख्य रूप से मंददरों में छत्रक अिरण,
बेलनाकार लटकन, रथ के अिरण और ऄसमनातगरी (फाल्स
सीबलग के कपडे के टु कडे) के तलए ईपयोग दकया जाता है।
 कलमकारी तचत्रकारी करुप्पुर और ऄटरयालुर तजले के
ईदयरपालयम तालुका के असपास के गांिों में और तंजािुर तजले के
तथरुतिदैमरुथुर तालुका में तसखानायकनपट्टी एिं तथरुपानंदल में तथा
अस-पास के गांिों में की जाती हैं।
कलमकारी तचत्रकारी के बारे में
 यह भारत के कु छ तहस्सों में सूती िस्त्रों पर हस्ततनर्तमत तचत्रकारी या
सााँचा छपाइ (ब्लॉक बप्रटेड) ईत्पाद है। आसका ईपयोग दीिारों पर
सुसिा हेतु लटकाने के तलए दकया जाता है।
 कलमकारी का शातब्दक ऄथक, कलम - पेन और कारी - कायक है। तजसका
अशय 'कलम का ईपयोग करके तचत्रकारी करना' है।
 यह तचत्रकारी प्राकृ ततक रं गों का ईपयोग करके आमली की कलम से सूती
या रे शमी िस्त्र पर की जाती है।
 यह रं गीन कला 3000 इसा पूिक से भी ऄतधक प्राचीन है।

2 Geographical Indication: GI

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 कलमकारी की पारं पटरक शैली कालहस्ती (चेन्नइ के ईत्तर में) और मसूलीपट्टनम (हैदराबाद के पूिक में) में तिकतसत हुइ।
 ईस समय के तचत्रों में बहदू देिी-देिताओं एिं बहदू पौरातणक कथाओं के दृश्यों को तचतत्रत दकया जाता था।
 आस कला को मुगलों द्वारा तिशेष रूप से गोलकुं डा में संरक्षण ददया गया था।
 कलमकारी में ऄतधकतर प्राकृ ततक रं गों का ईपयोग दकया जाता है, तजसमें 23 चरण शातमल होते हैं।
भारत में कलमकारी कला की तितशि शैतलयााँ:
 श्रीकालहस्ती शैली:
o बहदू शासकों के संरक्षण िाले मंददरों के असपास फलने-फू लने के कारण आसकी एक तितशि धार्तमक पहचान है।
o आस शैली में कलम का ईपयोग तिषय के मुिहस्त तचत्रण के तलए दकया जाता है और रं गों को पूरी तरह से हाथ से भरा जाता
है।
o आसके तिषयों में महान महाकाव्यों जैस:े रामायण, महाभारत और पुराणों तथा ऄन्य पौरातणक कथानक शातमल होते हैं।
o आन्हें स्िॉल, मंददर के लटकन और रथों पर दशाकया जाता है।
 मछलीपट्टनम शैली:
o पेड्डाना कलमकारी को मछलीपट्टनम शैली के रूप में भी जाना जाता है। आसमें कपडे पर िनस्पतत रं ग (िेतजटेबल डाइ) से सााँचा
तचत्रकारी (ब्लॉक-पेंटटग) की जाती है।
o यह फारसी कला से प्रभातित है।
o आस तचत्रकारी में पेड-पौधों, पुष्पों और पतत्तयों के रूपांकनों की सााँचा (ब्लॉकों) का ईपयोग करके छपाइ की जाती है।

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2.3. पु तु ल नाच ( Putul Nautch)
सुर्तियों में क्यों?

हाल ही में, यूतनसेफ (UNICEF) के सहयोग से ऄसम तस्थत एक ट्रस्ट ने पुतुल नाच का ईपयोग करते हुए तीन लघु चलतचत्रों का तनमाकण

दकया है। आसका ईद्देश्य कोतिड के संदभक में ईतचत व्यिहार पर व्यापक जागरूकता सृतजत करना है।

पुतुल नाच के बारे में


 यह ऄसम ि पतिम बंगाल की छड पुतली कला है। यह पूिोत्तर भारत के कु छ तहस्सों में भी तिस्तृत है।
 आन पुततलयों को लकडी से तराशा जाता है। पुततलयां 1.5 मीटर लंबी होती हैं और खोखली लकडी या बांस से तनर्तमत होती हैं।
o आनके तसर टे राकोटा से तनर्तमत होते हैं।
o आन पुततलयों में ऄतधकतर तीन जोड होते हैं। तसर मुख्य छड पर टटका होता है, और गदकन पर जुडा होता है। छड से जुडे दोनों
हाथों को कं धों पर जोडा जाता है।
 ऄसम में, यह तीन क्षेत्रों में तभन्न-तभन्न तिशेषताओं के साथ प्रदर्तशत की जाती है।
o तनचला ऄसम: पुतला-भूटरया और पुतला-भाओना।
o उपरी ऄसम (माजुली द्वीप): शंकरदेि द्वारा तिकतसत ऄंदकया नाट शैली।
o ईत्तरी ऄसम: यह तिषय और पटरधान के मामले में ऄसम के सचल रं गमंच (भ्रामयमन) से काफी मात्रा में प्रेटरत है।

भारतीय कठपुतली कला

 भारत में पुतली कला के चार प्रमुख प्रकार हैं, तजन्हें तनम्नतलतखत में िगीकृ त दकया गया है।

धागा पुतली छाया पुतली

 धागा पुतली (या कठपुतली) में संयुि ऄंग होते हैं, आनके जोड  छाया पुततलयां चपटी होती हैं, ऄतधकांशत: िे चमडे से तनर्तमत होती
युक्त ऄंग तथा धागों द्वारा संचालन आन्हें ऄत्यंत लचीलापन हैं। ईन्हें पारभासी बनाने के तलए संशोतधत दकया जाता है।
प्रदान करते हैं। आसतलए, आन्हे पुतली का सबसे मुखर रूप कहा  छाया पुतली की यह परं परा ओतडशा, के रल, अंध्र प्रदेश, कनाकटक,
जाता है। महाराष्ट्र और ततमलनाडु में प्रचतलत है।
 राजस्थान, ओतडशा, कनाकटक और ततमलनाडु ऐसे प्रांत हैं, जहां  रािणछाया (ओतडशा), तोगालुगोम्बेयट्टा (कनाकटक), तोलु बोम्मालट्टा
यह पुतली कला पल्लतित हुइ है। (अंध्र प्रदेश) कु छ लोकतप्रय छाया पुततलयााँ हैं।
 पुतली कला जो धागा पुतली के ऄंतगकत अती है, िह है -

कठपुतली (राजस्थान), गोम्बेयट्टे ा (कनाकटक), बोम्मलट्टम (यह

छड और धागा पुतली का तमश्रण है)(ततमलनाडु ), कु नढेइ

(ओतडशा)।

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दस्ताना पुतली छड पुतली

दस्ताना पुतली को भुजा, कर या हथेली पुतली भी कहा जाता है।


 छड पुतली िैसे तो दस्ताना पुतली का ऄगला चरण है, लेदकन यह
 भारत में दस्ताना पुतली की परम्परा ईत्तर प्रदेश, ओतडशा, ईससे काफी बडी होती है तथा नीचे तस्थत छडों पर अधाटरत रहती है
पतिमी बंगाल और के रल में लोकतप्रय है। और ईसी से संचातलत होती है ।
o ईत्तर प्रदेश के दस्ताना पुतली नाटक सामातजक तिषय िस्तु
 पुतली कला का यह रूप अज पतिमी बंगाल तथा ओतडशा में पाया
प्रस्तुत करते हैं, तो ओतडशा में ये नाटक राधा-कृ ष्ण की
जाता है ।
कहातनयों पर अधाटरत होते हैं।  पुतल
ु नाच, यमपुरी (तबहार) लोकतप्रय छड पुतली है।
o पािाकू थू, के रल का पारं पटरक दस्ताना पुतली नाटक है।

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2.4. टॉयकै थॉन 2021 (Toycathon 2021)
सुर्तियों में क्यों?

टॉयकै थॉन 2021 के ग्रैंड


दफनाले का अभासी
ईद्घाटन दकया गया था।
ऄन्य संबतं धत तथ्य
 टॉयकै थॉन
भारतीय और
िैतश्वक दोनों
बाजारों के तलए
ऄसाधारण ईच्च
गुणित्ता के साथ
स्थानीय सामतग्रयों
का ईपयोग करके
ईन नए एिं
ऄतभनि तखलौनों
की ऄिधारणा पर
ध्यान कें दद्रत करता
है, जो दकफायती,
िहनीय, सुरतक्षत
तथा पयाकिरण
ऄनुकूल हैं।
 टॉयकै थॉन-2021
का अयोजन तशक्षा
मंत्रालय द्वारा पांच
ऄन्य मंत्रालयों के
समन्िय से दकया
गया था।
स्थानीय तखलौना ईद्योग को बढ़ािा देने की अिश्यकता
 तखलौने युिा मन को भारत के आततहास और संस्कृ तत से संबद्ध होने में सहायता कर सकते हैं, जो सामातजक एिं मानतसक तिकास
और ईनमें भारतीय दृतिकोण के तिकास में सहायक है।
 भारत ने िषक 2020 में लगभग 1.5 तबतलयन डॉलर के तखलौनों का अयात दकया था, तजसमें चीन और ताआिान का घरे लू तखलौना
बाजार में लगभग 90% तहस्सा है।
 भारतीय गुणित्ता पटरषद (QCI) द्वारा दकए गए एक ऄध्ययन के तनष्कषक के ऄनुसार 67% अयाततत तखलौने एक परीक्षण सिेक्षण
में तिफल रहे हैं। आससे स्थानीय स्तर पर सुरतक्षत तखलौनों के ईत्पादन के तलए गंभीर प्रयास दकए जाने हेतु प्रोत्साहन तमला है।
भारत के पारं पटरक तखलौनों के बारे में

 भारत के पास तखलौना बनाने की एक समृद्ध तिरासत है। ऐततहातसक रूप से, भारत में तखलौने का ऄतस्तत्ि 5,000 िषक पुराना है।
 हडप्पा और मोहनजोदाडो के ईत्खनन में पाए गए तखलौने और गुतडयों में छोटी गातडया, नतककी अदद शातमल थीं।
 भारत में ऄपने तखलौनों के माध्यम से कहानी सुनाने की एक समृद्ध संस्कृ तत रही है, जो जीिन के पटरप्रेक्ष्य को दशाकती है।
 धार्तमक प्रभाि ने रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों की कहातनयों को दशाकने िाले तखलौनों के एक ऄलग सेट को भी जन्म
ददया है।
 राज्य और संस्कृ तत-तितशि तभन्नता बच्चों के तलए टे राकोटा, लकडी, लोहे और कपडे जैसी सामग्री के अधार पर तनर्तमत तिशेष
तखलौने ईपलब्ध करिाती है।

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घरे लू तखलौना ईद्योग को बढ़ािा देने के तलए की गइ ऄन्य पहलें
 सूक्ष्म, लघु और मध्यम ईद्यम मंत्रालय ने पारं पटरक ईद्योगों के ईन्नयन एिं पुनर्तनमाकण के तलए कोष योजना (स्फू र्तत)3 अरं भ की है।
आस योजना के ऄंतगकत निीनतम मशीनों, तडजाआन-कें द्रों, कच्चे माल के बैंक, कौशल तिकास अदद के साथ सामान्य सुतिधा कें द्र के
तनमाकण के तलए सहायता प्रदान की जाती है।
o स्फू र्तत योजना के तहत देश भर में कु ल 14 तखलौना क्लस्टरों को मंजूरी प्रदान की गइ है।
 स्थानीय तितनमाकण को बढ़ािा देने तथा तखलौना और हस्ततशल्प तनमाकताओं को प्रोत्सातहत करने के तलए भारतीय तखलौनों से संबद्ध
कहातनयों के प्रचार के तलए राष्ट्रीय कायक योजना (National Action Plan for Indian Toy Story) अरं भ की गइ है।
 राष्ट्रीय तशक्षा नीतत-2020 के तहत छठी कक्षा से छात्रों को तखलौना तनमाकण की कला तसखाइ जाएगी।

2.5. सु र्तियों में रहे कला के ऄन्य रूप ( Other Art Form in News)
जलिायु पटरितकन  हाल ही में, शोधकताकओं ने तनर्ददि दकया है दक
तिश्व की प्राचीनतम
आं डोनेतशया के सुलािेसी द्वीप पर 45,000-20,000 िषक
गुफा कला को
पूिक के प्लाआस्टोसीन-युग के शैल-तचत्रों (Rock
प्रभातित कर रही है
Painting) का ऄत्यतधक तीव्र दर से ऄपक्षय हो रहा है।
 शोधकताकओं ने आन गुफा की सतहों से पृथक होने िाली
पपतडयों की खोज की है। रं गों/िणकको के माध्यम से
तनर्तमत की गइ कलाकृ तत हेलोक्लास्टी नामक एक
प्रदिया के कारण क्षीण हो रही है। यह प्रदिया क्षेत्र में
एकांतर अद्रक और शुष्क मौसम के कारण तापमान एिं
अद्रकता में बार-बार पटरितकन के पटरणामस्िरूप
लिणीय दिस्टल के तिकास से अरम्भ होती है।
 सुलािेसी की गुफा कला यूरोप की प्रागैततहातसक गुफा कला से ऄतधक प्राचीन है।
 भारत में भीमबेटका शैल अश्रयों में पाए जाने िाले कु छ पाषाण युग के शैल तचत्र लगभग 30,000 िषक प्राचीन हैं।
मीनाकारी  प्रधान मंत्री ने ऄमेटरकी ईपराष्ट्रपतत को ‘मीनाकारी’ से
ऄलंकृत शतरं ज का सेट भेंट दकया है।
 मीनाकारी के बारे में
o यह आनेमलन के माध्यम से धातुओं और चीनी
तमट्टी की सतहों पर तचत्रकारी करने तथा ईन्हें
रं गने की प्रदिया है।
 मीनाकारी के काम कइ प्रकार के होते हैं, जो
आस बात पर तनभकर करते हैं दक यह
ऄपारदशी, पारदशी या पारभासी ददखाइ दे
रही है या नहीं।
o आसमें अमतौर पर जटटल तडजाआन शातमल होते
हैं। आसे व्यंजन परोसने िाले बतकन, तडब्बों,
पुष्पपात्रों, फ्रेम, प्रदशकन अभूषणों और गहनों के
तलए एक सजािटी तिशेषता के रूप में प्रयुि
दकया जाता है।
o आसे मुगलों द्वारा भारत में प्रचतलत दकया गया था।
o 16िीं शताब्दी के मेिाड के राजा मान बसह को जयपुर में मीनाकारी कला का संरक्षक माना जाता है।
 बनारस गुलाबी मीनाकारी हस्ततशल्प को िषक 2015 में जी.अइ. सर्टटदफके ट प्रदान दकया गया था।
ऄपतानी िस्त्र  हाल ही में, ऄरुणाचल प्रदेश ने ऄपतानी िस्त्र ईत्पाद के तलए भौगोतलक संकेतक (GI) टैग अिेदन दायर दकया गया है।
o ऄपतानी जनजातत द्वारा बुना हुअ िस्त्र ऄपने ज्यातमतीय और तज़गज़ैग प्रारूप के तलए तिख्यात है।
o िे मुख्य रूप से शॉल बुनते हैं, तजन्हें तजग-तजरो और तजलान या जैकेट के रूप में जाना जाता है, तजसे सुपत
ुं री कहा
जाता है।

3 Scheme of Funds for Regeneration of Traditional Industries: SFURTI

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 ऄपतानी जनजातत:
o िे तजरो (ऄरुणाचल प्रदेश) गांि में बसे हुए हैं।
o िे बेंत और बांस तशल्प के साथ-साथ मत्स्यन और धान की खेती के तलए
जाने जाते हैं।
o िे तानी नामक एक स्थानीय भाषा बोलते हैं तथा सूयक और चंद्रमा की
पूजा करते हैं।

o महत्िपूणक त्यौहार: द्री और


म्योको त्योहार।

कािी तचत्रकारी  कािी, पुतकगातलयों द्वारा अरं भ की गइ तभतत्त तचत्रकारी की एक


शैली है। आसमें चमकीले लाल और सफे द रं गों का प्रयोग दकया
जाता है।
 आसे फ्रेस्को की भांतत गीले पलस्तर पर संपाददत दकया जाता है।
o फ्रेस्को ताजा चूने के पलस्तर पर तभतत्त तचत्र बनाने की
एक तकनीक है।
 आसका नाम काि से तलया गया है। यह लैटेराआट मृदा में पाया
जाने िाला एक लाल िणकक है। आसका ईपयोग पलस्तर की सफे द
पृष्ठ-सतह पर तचत्र बनाने के तलए दकया जाता है।
o कािी तचत्रकारी में एकमात्र लाल रं ग का ही ईपयोग दकया
जाता है।
 यह तचत्रकारी कोंकण क्षेत्र में तिशेष रूप से गोिा, महाराष्ट्र और
कनाकटक के मंददरों में देखी जा सकती है।

लंगा-मांगतणयार  लंगा-मांगतणयार कलाकारों को थार क्षेत्र के समृद्ध आततहास और पारं पटरक ज्ञान का भंडार माना जाता है। आनके
गाथागीतों, लोकगीतों और गीतों को प्रलेखन और तडतजटलीकरण के तलए एक पहल के माध्यम से संरतक्षत दकया जा रहा
है।

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 लंगा और मांगतणयार मुतस्लम संगीतकारों के
िंशानुगत समुदाय हैं, जो ज्यादातर पतिमी राजस्थान
के जैसलमेर और बाडमेर तजलों में तथा पादकस्तान के
बसध के थारपारकर एिं संघर तजलों में रहते हैं।
o दोनों समूह मुतस्लम हैं, ककतु लंगा के संरक्षक
मुतस्लम बसधी तसपाही हैं, जबदक मांगतणयार के
संरक्षक मुख्य रूप से बहदू हैं।
o लंगा का मुख्य पारं पटरक िाद्य यंत्र बसधी सारं गी
है; मांगतणयार का मुख्य पारं पटरक िाद्य यंत्र
कामाआचा है।
 स्ितंत्रता से पहले आन्हें धनी जमींदारों और व्यापाटरयों का समथकन प्राप्त था। हातशए पर रहे आन समुदायों का संगीत थार
रे तगस्तान के सांस्कृ ततक पटरदृश्य का एक महत्िपूणक तहस्सा है।
 यात्रा ईनकी अजीतिका का एक ऄतभन्न ऄंग है।

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3. यूने स्को की पहलें (INITIATIVES OF UNESCO)
3.1. यू ने स्को के तिश्व धरोहर स्थल ( UNESCO World Heritage Sites)

3.1.1. विश्व धरोहर का दर्ाा ( World Heritage Tag)

सुर्तियों में क्यों?

हाल ही में, काकतीय रुद्रेश्वर मंददर (तजसे रामप्पा मंददर भी कहा जाता है) और धौलािीरा को यूनेस्को (UNESCO) की तिश्व तिरासत
सूची में शातमल दकया गया है।
ऄन्य संबतं धत तथ्य

 आन दो स्थलों के शातमल होने के साथ ही, भारत में तिश्व धरोहर स्थलों की संख्या 40 (32 सांस्कृ ततक, सात प्राकृ ततक और एक
तमतश्रत) हो गइ है।
o आटली (58) के बाद चीन (56) और जमकनी (51) में धरोहर स्थलों की संख्या सिाकतधक है (2021)।
 धौलािीरा, भारत की प्राचीन बसधु घाटी सभ्यता का ऐसा प्रथम स्थल है, तजसे यह दजाक प्रदान दकया गया है।

तिश्व तिरासत स्थलों के बारे में


 एक तिश्व तिरासत स्थल “ईत्कृ ि सािकभौतमक मूल्य” िाला स्थान है। यह ईस “सांस्कृ ततक और / या प्राकृ ततक महत्ि को दशाकता है, जो
राष्ट्रीय सीमाओं के ऄंतगकत ही सीतमत नहीं है। साथ ही, िह स्थल मानिता की सभी ितकमान एिं भतिष्य की पीदढ़यों के तलए
सामान्य महत्ि का है।”
o आन स्थलों को यूनेस्को द्वारा िषक 1972 में ऄपनाइ गइ तिश्व सांस्कृ ततक और प्राकृ ततक तिरासत के संरक्षण से संबतं धत
ऄतभसमय4 नामक एक ऄंतराकष्ट्रीय संतध में सतन्नतहत के रूप में नातमत दकया गया है।
 नामांकन प्रदिया:
o संभातित सूची (Tentative List): यह प्रथम कदम है। आसके ऄंतगकत दकसी देश को ईसकी सीमाओं के भीतर तस्थत ईसके
महत्िपूणक प्राकृ ततक और सांस्कृ ततक तिरासत स्थलों की एक सूची तनर्तमत करना अिश्यक होता है।
o नामांकन दायर करना (The Nomination File): यूनेस्को द्वारा दकसी देश के तिरासत स्थल को संभातित सूची में शातमल
करने के ईपरांत, संबंतधत देश को अिश्यक दस्तािेज और मानतचत्र के साथ एक नामांकन दस्तािेज तैयार करना होता है। आसे
मूल्यांकन के तलए सलाहकार तनकायों को प्रेतषत दकया जाता है।
o ऄंततम ऄतभलेखन (The Nomination File): एक बार दकसी स्थल का नामांकन और मूल्यांकन करने के ईपरांत , यह तिश्व
तिरासत सतमतत पर तनभकर है दक िह तिश्व तिरासत सूची में ईस स्थल के ऄतभलेखन के बारे में ऄंततम तनणकय करे ।

आन स्थलों के तलए यूनस्े को के आस दजे का क्या महत्ि है?

 यह न के िल आन स्थलों पर बतल्क आन राज्यों के ऄन्य ऐततहातसक स्थलों के अस-पास भी राष्ट्रीय और ऄंतराकष्ट्रीय पयकटन को प्रोत्सातहत करे गा।

 तिरासत स्थलों पर ऄतधक संख्या में पयकटकों के अगमन से िहां बेहतर सुतिधाओं तथा स्थानीय समुदायों हेतु तित्त का तिस्तार होने लगता है।

 एक बार जब कोइ स्थल तिश्व धरोहर सूची में शातमल हो जाता है, तो पटरणामस्िरूप यह सम्मान प्रायः तिरासत संरक्षण के तलए नागटरकों और
सरकारों के मध्य जागरूकता सृजन में सहायक होता है।

 दकसी देश के सांस्कृ ततक स्थल के तिश्व धरोहर में शातमल होने से िह देश ईि स्थल के संरक्षण प्रयासों के समथकन हेतु तिश्व धरोहर सतमतत से
तित्तीय सहायता और तिशेषज्ञ सलाह भी प्राप्त कर सकता है।

 सूचीबद्ध स्थल युद्ध के दौरान तिनाश के तिरुद्ध जेनेिा ऄतभसमय के ऄंतगकत सुरक्षा भी प्राप्त करते हैं।

4 Convention concerning the Protection of the World Cultural and Natural Heritage

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ऄन्य संबतं धत सुर्तियााँ

 हाल ही में, ग्िातलयर और ओरछा शहरों (मध्य प्रदेश) के तलए यूनस्े को की “ऐततहातसक शहरी भूदश्ृ य पटरयोजना”5 का शुभारम्भ दकया गया।
 9िीं शताब्दी में स्थातपत ग्िातलयर पर गुजरक -प्रततहार राजिंश, तोमर, बघेल कछिाहों और बसतधया शासकों का शासन रहा है।
o ग्िातलयर ऄपने महलों और मंददरों के तलए तिख्यात है, तजसमें जटटल नक्काशीदार सास बहू का मंददर भी शातमल है।
 ओरछा मध्य प्रदेश के बुद
ं ेलखंड क्षेत्र में है तथा यह 16िीं शताब्दी में पूिकिती बुद
ं ेला िंश की राजधानी थी।
o शहर में प्रतसद्ध स्थान राज महल, जहांगीर महल, रामराजा मंददर, राय प्रिीण महल और लक्ष्मीनारायण मंददर हैं।
 HULP को िषक 2011 में गततशील और तनरं तर पटरिर्ततत हो रहे पटरिेश में तिरासत संसाधनों के प्रबंधन के तलए एक दृतिकोण के रूप में अरं भ
दकया गया था।
o यह दकसी भी शहर में तस्थत प्राकृ ततक ि सांस्कृ ततक, मूतक ि ऄमूतक तथा ऄंतराकष्ट्रीय ि स्थानीय मूल्यों के स्तरण और ऄंतसंबद्धता की पहचान
एिं मान्यता पर अधाटरत है।
 HULP का महत्ि:
o आसका ईद्देश्य तिशेषकर स्माटक तसटी पहल के संदभक में शहरों की नगरीय तिरासत की ईन्नतत और एकीकरण करना है।
o आसके तहत ऐततहातसक स्थलों का रासायतनक ईपचार दकया जाएगा। आससे ईन पर ईत्कीणक कला स्पितः दृतिगोचर हो सके गी।
o यूनस्े को आन स्थलों के तिकास के तलए सिोत्तम ईपायों और संसाधनों का सुझाि प्रदान करे गा।
 ऐततहातसक शहरों की शहरी तिशेषताओं का व्यापक सिेक्षण कायक और मानतचत्रण दकया जाएगा।

संबतं धत तथ्य
 हाल ही में, तलिरपूल (यूनाआटेड ककगडम) को तिश्व धरोहर स्थलों की सूची से हटा ददया गया है।
o यह तनणकय एक नए फु टबॉल स्टेतडयम की योजना सतहत ऄतततिकास योजनाओं के संबद्ध में बचताओं का ईद्धरण देते हुए तलया गया है।
 तलिरपूल को िषक 2004 में तिश्व धरोहर सूची में शातमल दकया गया था। ज्ञातव्य है दक 18िीं और 19िीं शताब्दी में तिश्व के प्रमुख व्यापाटरक
कें द्रों में से एक के रूप में आसकी भूतमका की मान्यता और आसकी ऄग्रणी डॉक तकनीक, पटरिहन प्रणाली और बंदरगाह प्रबंधन के तलए आसे यह
दजाक प्रदान दकया गया था।

5 Historic Urban Landscape Project: HULP

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 यह तिश्व तिरासत के दजे से िंतचत होने िाला तिश्व का तीसरा स्थान है। ओमान में ऄरे तबयन ओटरक्स सैंक्चुऄरी (2007) और जमकनी के ड्रेसडेन
में एल्बे घाटी (2009) ऄन्य दो स्थल हैं।

3.1.1.1. रुद्रे श्वर मं दिर ( Rudreshwara Temple)

रुद्रेश्वर मंददर, तेलंगाना में िारं गल के तनकट मुलुगु तजले के पालमपेट में तस्थत है। यह मंददर िास्तुकला की काकतीय शैली की ईत्कृ ि कृ तत
है। आसमें झरझरा ईंटों (तथाकतथत ‘तैरने िाली ईंटों'), नींि में सैंडबॉक्स (बालूदानी) तकनीक का प्रयोग, सामग्री चयन का ज्ञान और
प्रस्तर मूर्ततकला में कु शल तकनीकी स्थापत्य
कलातितशिता जैसे ऄतभयांतत्रकी निाचारों
का ईपयोग हुअ है।
 रुद्रेश्वर मंददर का तनमाकण 1213 इ. में
काकतीय राजा गणपतत देि के
शासनकाल में ईसके सेनापतत रे चारला
रुद्र द्वारा करिाया गया था।
o आसके तशल्पकार का नाम रामप्पा
था तथा आसके तनमाकण में 40 िषों
का समय लगा था।
 यह रामबलगेश्वर स्िामी (तशि) को
समर्तपत बलुअ पत्थर से तनर्तमत मंददर
है। रामप्पा एक बडी दीिार िाले मंददर
पटरसर में मुख्य तशि मंददर है। आसमें कइ छोटे मंददर और संरचनाएं मौजूद हैं।
o यह काकतीय शासकों द्वारा बनिाए गए जलाशय रामप्पा चेरुिु के तट के तनकट तस्थत है।
 मंददर का भिन 6 फीट उंची तारे के अकार की एक िेददका पर तनर्तमत है। आसमें ऄलंकृत ग्रेनाआट और डॉलराआट के बीम एिं स्तंभों
पर जटटल नक्काशी की गइ है।
o आसमें हल्की छत संरचनाओं के तलए हल्की झरझरा ईंटों (तथाकतथत ‘तैरने िाली ईंटों’) से बना एक ऄद्भुत और तपरातमडनुमा
तिमान (क्षैततज सीढ़ीदार बुज)क है।
 ये ईंटें बबूल की लकडी, भूसी और हरड (एक पादप) के साथ तमतश्रत तमट्टी से तनर्तमत की जाती थीं। आससे ये स्पंज समान
हो जाती थीं और जल में तैरने लगती थीं।
o मंददर का कक्ष 'तशखरम' द्वारा ऄतभतषि है और यह 'प्रदतक्षणापथ' से तघरा हुअ है।
 तभतत्तयों, स्तंभों और छतों पर क्षेत्रीय नृत्य परं पराओं एिं काकतीय संस्कृ तत का ईच्च कलात्मक गुणित्तापूणक तचत्रण दकया गया है।
 प्रतसद्ध आतालिी व्यापारी और ऄन्िेषक माकोपोलो ने टटप्पणी की थी दक मंददर "दक्कन के मध्ययुगीन मंददरों की अकाशगंगा में सबसे
चमकीला तारा है"।

काकतीयों के बारे में (1123–1323 इ.)


 काकतीय, चालुक्यों द्वारा शातसत तेलुगु भाषी क्षेत्र में कल्याणी के चालुक्यों (कन्नड भाषी क्षेत्र) के राजनीततक ईत्तरातधकारी थे।
o होयसल और यादिों के साथ काकतीयों ने भी स्ियं को चालुक्यों से स्ितंत्र शासकों के रूप में घोतषत दकया था।
 काकतीय राजिंश ने ऄतधकांश पूिी दक्कन क्षेत्र पर शासन दकया था। आसमें ितकमान तेलंगाना ि अंध्र प्रदेश और पूिी कनाकटक एिं दतक्षणी ओतडशा
के कु छ तहस्से शातमल थे।
o ईनकी राजधानी ओरुगल्लु थी, तजसे ऄब िारं गल के नाम से जाना जाता है।
 काकतीय िंश के महत्िपूणक शासक
o प्रोलराज तद्वतीय: कइ तिद्वानों के ऄनुसार िह काकतीय िंश का प्रथम स्ितंत्र शासक था।
o रुद्रदेि (1163-1195 इ.): ऄनुमाकोंडा (ितकमान हनुमाकोंडा) तस्थत रुद्रेश्वर मंददर में ईसके प्रतसद्ध ऄतभलेख में ईसकी ईपलतब्धयों का िणकन
दकया गया है। आस ऄतभलेख से यह स्पि होता है दक ईसने ऄपने राज्य के चारों ओर बडी संख्या में चालुक्य सामंतों को परातजत दकया था।
 रुद्रदेि के ईपरांत ईसका भ्राता महादेि (1195–1198 इ.) और महादेि के पिात् ईसका पुत्र गणपतत देि (1199–1261 इ.) शासक
बना था।
o गणपतत के कोइ पुत्र नहीं था और भारतीय आततहास की कु छ महत्िपूणक रातनयों में से एक, रुद्रमा देिी ईसकी ईत्तरातधकारी बनी थी। िह
दतक्षणी ततमलनाडु के पांड्यों, ईडीसा के पूिी गंग शासकों और देितगटर के सेईन (यादि) शासकों को रोकने में सक्षम थी।

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 1303 इ. में, ऄलाईद्दीन तखलजी ने काकतीय क्षेत्र पर अिमण दकया, जो ईसके तलए एक अपदा के रूप में तसद्ध हुअ।
काकतीयों का कला, िास्तुकला और सातहत्य में योगदान
 काकतीयों ने तारकीय मंददर शैली को अगे बढ़ाया था और ईन्होंने चालुक्यों से तिमान की िेसर शैली को ऄपनाया था। साथ ही, आस शैली को
तेलंगाना के सांस्कृ ततक भूगोल में बहुत ऄच्छी तरह से ऄनुकूतलत दकया था।
o एक बुलंद मंददर की नींि के तनमाकण में रे त जैसी साधारण सामग्री का ईपयोग दकया जाता था। आस से आसे एक भूकंप प्रततरोधी संरचना
बनाने में सहायता प्राप्त होती थी। आस प्रकार ये मंददर, तनमाकण और भू-प्रौद्योतगकी के क्षेत्र में काकतीयों के रचनात्मक प्रयास की ईत्कृ ि
रचनाएं तसद्ध हुए।
o मंददर पटरसरों के प्रिेश द्वारों के तलए काकतीयों की तितशि शैली (जो के िल आस क्षेत्र के संदभक में ही ऄतद्वतीय है) दतक्षण भारत में मंददरों और
शहर के प्रिेश द्वारों में सौंदयकशास्त्र के ऄत्यतधक तिकतसत ऄनुरूपता की पुति करती है।
 सुतनयोतजत बसचाइ प्रणाली- दकसी भी बारहमासी जल स्रोत से रतहत काकतीय साम्राज्य की जल अपूर्तत के संदभक में तितशि तिशेषताएं हैं।
o हाल ही में, तेलग
ं ाना सरकार ने काकतीय राजिंश से प्रेरणा लेकर जलाशय और बसचाइ नेटिकक को बहाल करने के तलए 'तमशन काकतीय' भी
अरं भ दकया है।
 14िीं शताब्दी में काकतीय काल के दौरान तेलुगु सातहत्य पटरप़ता के स्तर पर पहुंच गया था।
 1253 इ. में जयसेनपतत द्वारा रतचत नृत्त रत्नािली रामप्पा मंददर में ईत्कीर्तणत नृत्यरत स्त्री अकृ ततयों से प्रेटरत थी।
 रुद्रेश्वर मंददर की नृत्य मुद्रा िाली मूर्ततयों के ऄध्ययन से मंददर में प्रदर्तशत दकए जाने िाली देसी नृत्य परं पराओं की समझ तिकतसत होती है, जैसे
दक पेटरनी, प्रेखण, गिुड
ं ली, रसक ि दंडरसक घटटतसश्री नत्तकम तथा देसी स्थानकों, चरी और कणकनों पर बल ददया जाता था।

3.1.1.2. धौलावीरा ( Dholavira)

 धौलािीरा (लगभग 3000-1500 इ.


पू. के मध्य), हडप्पा सभ्यता का दतक्षणी
कें द्र था। यह गुजरात में खाददर के शुष्क
द्वीप (कच्छ के रण में ऄितस्थत) पर
तस्थत है।
 आसकी खोज पुरातत्ितिद् जगतपतत
जोशी ने िषक 1968 में की थी।
 धौलािीरा में हडप्पा काल के नगरों के
आततहास का एक पूरा िम दृतिगोचर
होता है। आसमें पूिक-हडप्पा काल के
शहरी/पूिक-शहरी चरण से लेकर
हडप्पाइ तिस्तार के चरमोत्कषक और परिती-हडप्पा काल शातमल है।
धौलािीरा की मुख्य तिशेषताओं पर एक नज़र

नगर तनयोजन  आसके दो भाग हैं: एक चारदीिारी युि नगर और दूसरा नगर के पतिमी भाग में एक कतब्रस्तान।
o चारदीिारी युि नगर के भीतर एक दुगीकृ त अहाते से युि गढ़ी, बाहरी दीिार (कालीबंगा में ऄितस्थत हडप्पाइ बस्ती
के समान), ऄंत्येति स्थल और एक दुगीकृ त मध्यिती नगर तथा एक तनचला नगर मौजूद थे।
o गढ़ी के पूिक और दतक्षण में जलाशयों की एक श्रृंखला मौजूद थी।
o कतब्रस्तान में ऄतधकांश शिाधान स्मारकीय प्रकृ तत के हैं।

जल प्रबंधन /  आस शहर की एक प्रभािी और ऄद्भुत जल संचयन और प्रबंधन प्रणाली थी।


संरक्षण प्रणाली  चारदीिारी युि नगर को दो मौसमी धाराएाँ जल प्रदान करती थीं, जो दक आस क्षेत्र में एक दुलकभ संसाधन था।
 मौसमी जलधाराओं, ऄल्प िषाक और ईपलब्ध जलीय क्षेत्र से पृथक दकए गए जल को बडे पत्थरों से तनर्तमत जलाशयों में
संग्रतहत दकया जाता था। ये जलाशय पूिी और दतक्षणी गदढ़यों में मौजूद हैं।
 जल तक पहुंचने के तलए, कु छ शैल-कर्ततत कु एं भी शहर के तितभन्न भागों में मौजूद थे।

कलात्मक और  यहााँ पर मनका प्रसंस्करण कायकशालाओं सतहत तितभन्न प्रकार की कलाकृ ततयां जैसे तांबा, खोल, पत्थर, ऄधक-कीमती पत्थरों के
तकनीकी ईन्नतत
अभूषण, टेराकोटा, स्िणक अदद पाए गए हैं।
 स्थानीय सामतग्रयों का तडजाआन, तनष्पादन और दोहन प्रभािी रूप से दकया जाता था।

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सामटरक खाददर द्वीप एक रणनीततक स्थान था:
ऄितस्थतत  यहााँ तितभन्न खतनज और कच्चे माल के स्रोतों (तांबा, सीप, गोमेद-कानीतलयन, स्टीटाआट, सीसा, धाटरयों िाले चूना पत्थर
अदद) का दोहन दकया जाता था;
 आसने मगन (अधुतनक ओमान प्रायद्वीप) और मेसोपोटातमया क्षेत्रों में अंतटरक एिं बाहरी व्यापार को भी सुगम बनाया था।

ऄन्य तिशेषताएाँ  गुजरात में सुरकोटदा, जूनी कु रान अदद जैसी बतस्तयां धौलािीरा से काफी प्रेटरत थीं।
 ऄत्यतधक दुगीकृ त गढ़ी और ऄंत्येति स्थल के साथ-साथ सडकों एिं तितभन्न ऄनुपात ि गुणित्ता िाले शहरी अिासीय क्षेत्र एक
स्तरीकृ त समाज को दशाकते हैं।
 कइ ऄन्य हडप्पा स्थलों में तनमाकण सामग्री के रूप में ईपयोग की जाने िाली तमट्टी की ईंटों की बजाय दीिारों में बलुअ पत्थर
ि चूना पत्थर का ईपयोग हुअ है।
 धौलािीरा की कु छ ऄनूठी तिशेषताओं में शातमल हैं: जलाशयों की एक व्यापक श्रृंखला, बाह्य दुगीकरण, दो बहुईद्देश्यीय
मैदान, ऄतद्वतीय तडजाआन िाले नौ द्वार और टु मुलस की तिशेषता िाली ऄंत्येति िास्तुकला अदद। टु मुलस बौद्ध स्तूप जैसी
ऄधकगोलाकार संरचनाएं होती हैं।

बसधु घाटी सभ्यता (IVC) के बारे में

यह भारतीय ईपमहाद्वीप की प्राचीनतम ज्ञात नगरीय सभ्यता है।


 आसका “हडप्पा” नाम ईस स्थल के नाम पर रखा गया है, जहां आस
ऄनूठी संस्कृ तत की सिकप्रथम खोज की गइ थी। आसतलए आसे हडप्पा
संस्कृ तत भी कहा जाता है।
 यह एक कांस्य युगीन सभ्यता थी, तजसमें तीन पृथक-पृथक चरण
थे:
o पूिक-हडप्पा चरण (3300 इ. पू. - 2600 इ. पू.),
o पटरप़ हडप्पा चरण (2600 इ. पू. - 1900 इ. पू.) और
o परिती-हडप्पा चरण (1900 इ. पू. - 1300 इ. पू.)।
 यह चार समकालीन शहरी सभ्यताओं (तमस्र, मेसोपोटातमया और
चीन के साथ) में से एक थी। बसधु घाटी सभ्यता के लोगों को:
o ज्यातमतीय गणना और माप के मानकों की जानकारी थी।
o ईनके पास दतक्षण भारत से लेकर पतिम एतशया तक तिस्तृत
व्यापक व्यापार और िातणतज्यक संबंधों के साथ एक ऄतधशेष
युि एिं जटटल ऄथकव्यिस्था थी।
 यहााँ के लोग गेंहू, जौं, मटर, सरसों, ततल और चािल की खेती
करते थे।
 बसधु घाटी सभ्यता में मोती बनाने के तलए तितभन्न सामग्री का
ईपयोग होता था, जैसे- आं द्रगोप, स्फटटक, ़ॉर्टसक, सेलखडी,
तांबा, कांसा, सोने जैसे धातु, सीप, टेराकोटा अदद।

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3.1.2. यू ने स्को की विश्व विरासत स्थलोों की सों भावित सू ची ( Tentative List of UNESCO World
Heritage Sites)

सुर्तियों में क्यों?

भारतीय पुरातत्ि सिेक्षण6


द्वारा प्रस्तुत छह स्थलों को
संयुि राष्ट्र शैतक्षक,
िैज्ञातनक एिं सांस्कृ ततक
संगठन
(यूनस्े को/UNESCO) द्वारा
संभातित सूची में शातमल
करने के तलए स्िीकार दकया
गया है। ज्ञातव्य है दक यह
दकसी भी स्थल के ऄंततम
नामांकन से पूिक एक
अिश्यकता है।

छह स्थलों के बारे में:

ऐततहातसक शहर  यहााँ गंगा नदी के दकनारे 6.5 दक.मी. लंबाइ में तिस्तृत टरिरफ्रंट (तटाग्र या घाट) भव्य आमारतों, पतित्र स्थलों और
िाराणसी (ईत्तर प्रदेश) के घाटों की रमणीय स्थापत्य पंति का दृश्य प्रस्तुत करता है।
प्रतततष्ठत घाट
o यहां 84 सीढ़ीदार घाट हैं, जो भूतम के साथ नदी के स्थापत्य ऄंतरफलक का एक ऄतद्वतीय भारतीय प्रारूप
तिज्ञान का ईदाहरण है।
o पंचतीथक नामक तनम्नतलतखत पांच घाटों का प्राचीन ग्रंथ मत्स्य पुराण में ईल्लेख दकया गया है:
 ऄसीघाट,
 दशाश्वमेध,
 मतणकर्तणका,
 पंचगंगा (पांच नददयों, यथा- गंगा, यमुना, सरस्िती, दकरणा और धूतपापा का संगम बबदु माना जाता है),
तथा
 अदद के शि।
 बहदू धमक के ऄततटरि, िाराणसी ऄन्य प्रमुख धमों की सांस्कृ ततक, अध्यातत्मक और धार्तमक परं पराओं से भी संबद्ध है:
o भगिान बुद्ध ने ऄपना प्रथम ईपदेश “धमकचि पटरितकन” 528 इ. पू. में िाराणसी के तनकट सारनाथ में ही ददया
था।
o जैन परं परा के ऄनुसार, यह 4 जैन तीथंकरों, यथा- सुपाश्वकनाथ (7िें), चंद्रप्रभु (8िें), श्रेयांसनाथ (11िें) और
पाश्वकनाथ (23िें) का जन्मस्थान है।
o 16िीं शताब्दी में गुरु नानक ने दो बार िाराणसी की यात्रा की थी।
o पंचगंगा घाट पर अलमगीर मतस्जद का तनमाकण मुगल बादशाह औरं गजेब ने करिाया था।
 यहां प्रचतलत ऄन्य परं पराओं में लकडी के तखलौने बनाना, साडी बनाना, रे शम की बुनाइ, धातु, काष्ठ और टेराकोटा
हस्ततशल्प, तचत्रकारी, संस्कृ त भाषा का ईपयोग और िैददक मंत्रोच्चार शातमल हैं।

कांचीपुरम के मंददर  िेगािती नदी के तट पर तस्थत ऐततहातसक मंददरों के नगर कांचीपुरम में कभी 1,000 मंददर थे। ितकमान में आनमें से
(ततमलनाडु )
के िल 126 (108 शैि और 18 िैष्णि) ही शेष रह गए हैं।

6 Archaeological Survey of India: ASI

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 कांचीपुरम छठी से नौिीं शताब्दी इस्िी तक पल्लि राजिंश की राजधानी रहा था। आस राजिंश के संरक्षण में मंददर
स्थापत्य की द्रतिड शैली अरं भ और तिकतसत हुइ थी।
 आस नामांकन के तहत ऄतभतनधाकटरत 11 मंददरों में से कु छ महत्िपूणक मंददर तनम्नतलतखत हैं:
o कै लाशनाथ मंददर: पल्लि शासक राजबसह प्रथम (नरबसहिमकन II) द्वारा तनर्तमत, यह कांचीपुरम की सबसे
प्राचीन संरचना है। मंददर के गभकगृह में काले ग्रेनाआट से तनर्तमत एक ऄतद्वतीय 16-पक्षीय तशिबलग है।
o एकं बरे श्वर मंददर: यह पंचभूत स्थलम् (प्रत्येक एक प्राकृ ततक तत्ि का प्रतततनतधत्ि करता है) के पांच प्रमुख तशि
मंददरों में से एक है।
o पंचभूत- ऄथाकत् पााँच तत्ि: पृथ्िी, जल, ऄतग्न, िायु और ऄंतटरक्ष। यह मंददर पृथ्िी तत्ि का प्रतततनतधत्ि करता
है।
 मंददर का राजा गोपुरम दतक्षण भारत में सबसे उंचे (57 मीटर) गोपुरम में से एक है और आसे तिजयनगर
के शासक कृ ष्णदेि राय ने बनिाया था।
 एक ईल्लेखनीय तिशेषता अयराम काल मंडपम, या “एक हजार स्तंभों िाला गतलयारा” है।
o िरदराज पेरुमल मंददर: भगिान तिष्णु को समर्तपत, यह मंददर सभी 12 ऄलिार संतों द्वारा भ्रमण दकए गए
108 ददव्य देशम् में से एक है। आसमें तिजयनगर के राजाओं द्वारा तनर्तमत ‘सौ स्तंभों ’ का मंडपम भी शातमल है।
o ईलगलंदा पेरुमल मंददर: आस मंददर की एक ऄनूठी तिशेषता यह है दक आसमें एक ही पटरसर में चार ददव्य
देशम हैं, ऐसा कहीं भी देखने को नहीं तमलता।
 कांचीपुरम रे शम की बुनाइ के तलए भी प्रतसद्ध है। गोपुरम, मोर, कोदकला, रुद्राक्ष की माला और पुष्पीय ऄलंकरणों
जैसे मंददर रूपांकन कांचीपुरम सातडयों पर की जाने िाली जटटल बुनाइ का तहस्सा हैं।

कनाकटक में ऄितस्थत  हायर बेंकल स्थल में 2500 से ऄतधक िषों से एक ग्रेनाआट तशखर पर तस्थत लगभग 1,000 महापाषाण शिाधान
“हायर बेंकल” नामक संरचनाएं मौजूद हैं। यहां से डॉल्मेन, के यन्सक, गमन कक्ष, पाषाण िृत्त, मेनहीर, ग्रेनाआट से ईके री गइ मानिाकृ तीय
महापाषाण स्थल प्रततमाएं अदद प्रमुख िास्तुतशल्पीय दकस्में प्राप्त हुइ हैं।
o मेगातलथ दो ग्रीक शब्दों से बना है- ‘मेगास’ का ऄथक है बडा और ‘तलथोस’ का ऄथक है पत्थर। ईनका तनमाकण या
तो शिाधान स्थलों या संस्मारकों के रूप में दकया गया है।
 हायर बेंकल की एक और ऄनूठी तिशेषता प्रागैततहातसक युगीन शैल तचत्रकला है। मानि अकृ ततयों, फरसा धारण
दकए हुए घुडसिार, मृगों की पंति, लंबे श्रृंग िाले बैल, मोर अदद जैसे रूपांकनों के साथ 11 शैलाश्रयों की खोज की
गइ है।
 यह स्थल भारतीय प्रागैततहातसक लौह युगीन महापाषाण संस्कृ तत की ऄंत्येति और ऄनुष्ठान प्रथाओं से संबंतधत एक
ऄसाधारण ऄंतदृकति प्रदान करता है।
 भारत में, महापाषाण स्थल प्राय: भारतीय ईपमहाद्वीप के प्रायद्वीपीय भाग, दक्कन के पठार, बिध्य और ईत्तर-पतिम
क्षेत्र में देखे जाते हैं।

मध्य प्रदेश में नमकदा घाटी  भेडाघाट नमकदा नदी के प्रिाह में एकमात्र स्थान है, जहााँ यह 30 मीटर गहरे महाखड्ड (gorge) में तगरती है और
के भेडाघाट-लम्हेटाघाट
धुअ
ं धार प्रपात का तनमाकण करती है। साथ ही, संकरे महाखड्डों से होकर भी प्रिातहत होती है।
o यहां तिशाल उाँची संगमरमर की चट्टानें दोनों ओर लंबित अकृ तत में पाइ जाती हैं, तजससे एक शोभायमान
दृश्य तनर्तमत होता है। आसे ‘भारत का ग्रैंड कै तनयन’ कहा जाता है।
 भेडाघाट क्षेत्र तिश्व में 2 से 3 दक.मी. की छोटी दूरी के भीतर चूना पत्थर में क्षेत्रीय रूपांतरण का एकमात्र ईदाहरण
है।
 आसके ऄततटरि, नमकदा घाटी में तिशेष रूप से आस क्षेत्र में डायनासोर के जीिाश्म भी पाए गए हैं।
 नमकदा ऄमरकं टक से ईद्गतमत होती है तथा सतपुडा और बिध्य श्रृंखला के मध्य भ्रंश घाटी से होकर पतिम ददशा में
प्रिातहत होती है।

सतपुडा टाआगर टरज़िक  होशंगाबाद में तस्थत, सतपुडा टाआगर टरज़िक (STR) मध्य भारतीय ईच्चभूतम पाटरतस्थततकी तंत्र का एक प्रमुख
(मध्य प्रदेश) ईदाहरण है।
 मूलतः सतपुडा का ऄथक है, ‘सात श्रेणी’। यह नमकदा और तापी नदी के मध्य तत्रकोण अकार का एक क्षेत्र है।
 यह भारत के दक्कन बायो-तजयोग्रादफक क्षेत्र का तहस्सा है। आसे पतिमी घाट के ईत्तरी छोर के रूप में भी जाना जाता
है।
 यह भारत की 17% बाघ अबादी को अश्रय प्रदान करता है। साथ ही, यहां भारत के 12% बाघ पयाकिास ऄितस्थत
हैं।
 STR को िषक 1999 में मध्य प्रदेश का प्रथम बायोस्फीयर टरज़िक घोतषत दकया गया था। आसमें तीन संरतक्षत क्षेत्र

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शातमल हैं, यथा- सतपुडा राष्ट्रीय ईद्यान, बोरी ऄभयारण्य और पचमढ़ी ऄभयारण्य।
 पुरातातत्िक महत्ि: यहां पर 55 शैल अश्रय हैं, जो 1500 से 10000 िषक प्राचीन हैं। आनमें हाथी, बाघ, मृग और
साही जैसे जानिरों को गुहा तभतत्तयों पर तचतत्रत दकया गया है।

महाराष्ट्र में मराठा सैन्य  आसमें 17िीं शताब्दी के मराठा शासक छत्रपतत तशिाजी के काल में तनर्तमत 14 दकले शातमल हैं। ईनमें से महत्िपूणक
स्थापत्य कला दकलों में शातमल हैं:
o तशिनेरी दकला: 1630 इस्िी में छत्रपतत तशिाजी का जन्म आसी दकले में हुअ था।
o ऄलीबाग/कु लाबा दकला: आसे छत्रपतत तशिाजी द्वारा नौसैतनक ऄड्डे के रूप में तैयार दकए जाने िाले दकलों में से
एक के रूप में चुना गया था।
o राजगढ़ दकला: जब तशिाजी ने पुरंदर की संतध (1655 इ.) पर हस्ताक्षर दकए थे, तब यह मुगलों की ऄधीनता
से बाहर रखे गए दकलों में से एक था। आस पर ईन्होंने सबसे लंबे समय तक (26 िषक) तनयंत्रण रखा था।
 पहातडयों, भूतम और समुद्र तट पर बने दकलों के नेटिकक आस तथ्य के ईत्कृ ि ईदाहरण हैं दक तशिाजी और मराठा सेना
द्वारा भूतम पर मुग़लों से और समुद्र में यूरोपीय तटीय शतियों से तनपटने हेतु गुटरल्ला युद्ध रणनीतत तिकतसत करने
के तलए मौजूदा ऄंचलों/भूखंडों का दकस प्रकार ईपयोग दकया जाता था।

3.2. दुगाक पू जा ( Durga Puja)

सुर्तियों में क्यों? ऄमूतक सांस्कृ ततक तिरासत (ICH) की सुरक्षा के तलए ऄतभसमय, 2003
हाल ही में, 'कोलकाता की दुगाक पूजा' मानिता  आसके 4 प्राथतमक लक्ष्य हैं:
की ऄमूतक सांस्कृ ततक तिरासत की प्रतततनतध सूची o ऄमूतक सांस्कृ ततक तिरासत की रक्षा करना;
में शातमल हो गयी है। आसे ऄमूतक सांस्कृ ततक o संबंतधत समुदायों, समूहों और व्यतियों के ICH के तलए सम्मान सुतनतित करना;
तिरासत के संरक्षण हेतु यूनस्े को की ऄंतर o ICH के महत्ि के बारे में स्थानीय, राष्ट्रीय और ऄंतराकष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता
सरकारी सतमतत ने सूचीबद्ध दकया है।
बढ़ाना; तथा
ऄन्य संबतं धत तथ्य o ऄंतराकष्ट्रीय सहयोग और सहायता प्रदान करना।
 आस ईपलतब्ध से दुगाक पूजा का अयोजन ऄन्य संबतं धत ऄतभसमय
करने िाले स्थानीय समुदायों को प्रोत्साहन  तिश्व तिरासत ऄतभसमय, 1972 मूतक तिरासत से संबंतधत है। आसमें स्मारक और साथ
तमलेगा। आस समुदाय में सभी पारं पटरक ही सांस्कृ ततक और प्राकृ ततक स्थल भी शातमल दकये गए हैं।
तशल्पकार, तडजाआनर, कलाकार और बडे  सांस्कृ ततक ऄतभव्यतियों की तितिधता के संरक्षण और संिधकन पर ऄतभसमय, 2005:
पैमाने पर सांस्कृ ततक कायकिमों के अयोजक आसका ईद्देश्य तिश्व के नागटरकों को सांस्कृ ततक िस्तुओं, सेिाओं और गतततितधयों की
तथा साथ ही पयकटक एिं अगंतुक भी एक तिस्तृत श्रृंखला का अनंद प्रदान करना है।
शातमल हैं।  भारत आन सभी ऄतभसमयों का एक हस्ताक्षरकताक है।

 यह ऄतश्वन (तसतंबर - ऄक्टू बर) के महीने


में मनाया जाता है। यह बहदू मातृ-देिी
दुगाक की दस ददिसीय पूजा का प्रतीक है।
 16िीं शताब्दी के असपास के सातहत्य में
हमें पतिम बंगाल में जमींदारों द्वारा दुगाक
पूजा के भव्य ईत्सि का पहला ईल्लेख
तमलता है।
 सांस्कृ ततक तिरासत:
o यूनेस्को के ऄनुसार, सांस्कृ ततक
तिरासत तसफक स्मारकों और िस्तुओं
के संग्रह तक ही सीतमत नहीं है।
आसमें हमारे पूिज क ों से तिरासत में
तमली परं पराएं या जीतित
ऄतभव्यतियां भी शातमल हैं, जो
हमारे िंशजों को प्रदान की गइ हैं।

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ईदाहरण के तलए- मौतखक परं पराएं, तनष्पादन कलाएं , सामातजक प्रथाएं, ऄनुष्ठान, ईत्सिों का अयोजन, प्रकृ तत और ब्रह्मांड
से संबंतधत ज्ञान ि प्रथाएं या पारं पटरक तशल्प का ईत्पादन करने के तलए ज्ञान एिं कौशल अदद।
 ऄमूतक सांस्कृ ततक तिरासत (Intangible Cultural Heritage: ICH):

o यूनेस्को के ऄनुसार, ऄमूतक सांस्कृ ततक तिरासत पारं पटरक, समकालीन और एक ही समय में ऄतस्तत्िमान तथा समािेशी,

प्रतततनतधक ि समुदाय-अधाटरत होती हैं।

o यह बढ़ते िैश्वीकरण के संदभक में सांस्कृ ततक तितिधता को बनाए रखने की ददशा में एक महत्िपूणक कारक है। आसके ऄलािा, यह

तितभन्न समुदायों के मध्य ICH की एक समझ है। यह ऄंतर सांस्कृ ततक संिाद स्थातपत करने में मदद करती है। साथ ही, जीिन

के ऄन्य तरीकों के तलए पारस्पटरक सम्मान को प्रोत्सातहत करती है।

यूनस्े को की ICH सूची में भारत से 14 ऄमूतक सांस्कृ ततक तिरासतें शातमल हैं।

ICH सांस्कृ ततक तिरासत शातमल दकए जाने का िषक

1. पतिम बंगाल की दुगाक पूजा 2021

2. कुं भ मेला 2017

3. योग 2016

4. नौरोज़ या निरोज़ 2016

5. पारं पटरक तौर पर पीतल और तांबे के बतकन बनाने का तशल्प, जंतडयाला गुरु के ठठे रे (पंजाब) 2014

6. मतणपुर का संकीतकन 2013

7. लद्दाख का बौद्ध मठ 2012

8. सरायके ला, पुरुतलया और मयूरभंज का छउ नृत्य 2010

9. राजस्थान का कालबेतलया नृत्य 2010

10. के रल का मुतडयेर्टटु 2010

11. गढ़िाल, ईत्तराखंड का रम्मन ईत्सि 2009

12. के रल का कु टटयाट्टम संस्कृ त रं गमंच 2008

13. रामलीला 2008

14. िैददक मंत्रोच्चार की परं परा 2008

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3.3. यू ने स्को दिएटटि तसटीज़ ने ट िकक ( UNESCO Creative Cities Network:
UCCN)
सुर्तियों में क्यों?

हाल ही में, श्रीनगर को तशल्प और लोक कला श्रेणी के ऄंतगकत यूनस्े को


दिएटटि तसटीज़ नेटिकक (UCCN) में शातमल दकया गया है
UCCN के बारे में
 UCCN को िषक 2004 में ईन शहरों के साथ और ईनके बीच
सहयोग को प्रोत्साहन प्रदान करने के तलए तनर्तमत दकया गया था,
तजन्होंने संधारणीय शहरी तिकास के तलए एक रणनीततक कारक
के रूप में रचनात्मकता को रे खांदकत दकया है।
o ये शहर एक साझे ईद्देश्य की ददशा में एक साथ कायक करते हैं:
रचनात्मकता और सांस्कृ ततक ईद्योगों को स्थानीय स्तर पर
ऄपनी तिकास योजनाओं के कें द्र में रखना तथा ऄंतराकष्ट्रीय
स्तर पर सदिय रूप से सहयोग करना आत्यादद।
 यूनेस्को (UNESCO) तशक्षा, तिज्ञान, संस्कृ तत और संचार में
ऄंतराकष्ट्रीय सहयोग के समन्िय के तलए ईत्तरदायी एक संस्था है।
 आसकी स्थापना िषक 1946 में हुइ थी। यह पेटरस में ऄितस्थत है।
 भारत के ऄन्य शहर जो UCCN में शातमल हैं:
o जयपुर (तशल्प और लोक कला)।
o िाराणसी एिं चेन्नइ (संगीत कला)।
o मुब
ं इ (दफल्म)।
o हैदराबाद (पाक-कला)।
श्रीनगर के बारे में
 श्रीनगर कागज तनमाकण, कश्मीरी शॉल, कश्मीरी रे शम, काष्ठ-कला, कश्मीरी कालीन, चांदी के बतकन अदद जैसी तितभन्न सजािटी ि
प्रतसद्ध कला और तशल्प हेतु प्रतसद्ध है।
o श्रीनगर झेलम नदी के तट पर कश्मीर घाटी के कें द्र में ऄितस्थत है।
 ध्यातव्य है दक आस नेटिकक से जुडकर, शहर ऄपनी सिोत्तम प्रथाओं और तिकासशील भागीदारी को साझा करने के तलए प्रततबद्ध हैं।
ये शहर सांस्कृ ततक गतततितधयों, िस्तुओं और सेिाओं के तनमाकण, ईत्पादन, तितरण एिं प्रसार तंत्र को मजबूत करने हेतु सािकजतनक
ि तनजी क्षेत्रों के साथ-साथ नागटरक समाज को भी शातमल करते हैं।

3.4. ऄन्य महत्त्िपू णक सु र्तियााँ ( Other Important News)


दार्तजबलग टॉय ट्रेन  दार्तजबलग तहमालयन रे लिे (DHR) को यूनस्े को का
तिश्व धरोहर स्थल नातमत हुए दो दशक से ऄतधक
समय हो चुका है। आतने समय के बाद भारत ने
प्रतततष्ठत ‘टॉय ट्रेन’ के दो लोगो (logo) को ऄंतराकष्ट्रीय
स्तर पर ऄपनी बौतद्धक संपदा के रूप में पंजीकृ त
करािाया है।
o तिश्व में कहीं भी आन लोगो के ईपयोग के तलए
ऄब भारत से तलतखत ऄनुमतत और शुल्क का
भुगतान करना ऄतनिायक होगा।
 आससे दार्तजबलग टॉय ट्रेन के ‘अयरन शेरपा’ ब्लू स्टीम लोकोमोटटि को दार्तजबलग हेटरटेज ट्रेन के रूप में
तस्िर्टजरलैंड की प्रतसद्ध ट्रांस-ऄल्पाआन रै टटयन रे लिे (transalpine Rhaetian Railway) के समान दजाक प्राप्त
होगा।
संयि
ु राष्ट्र तिश्व पयकटन संगठन  BTV ईन गांिों को पहचानने की तलए एक िैतश्वक पहल है, जहां पयकटन संस्कृ ततयों और परं पराओं को संरक्षण
(UNWTO) द्वारा सिकश्रष्ठ
े प्रदान दकया जाता है, तितिधता को बनाए रखा जाता है, ऄिसर ईपलब्ध करिाए जाते हैं और जैि तितिधता
पयकटन गांि (BTV) की घोषणा को सुरतक्षत रखा जाता है।
o आसका ईद्देश्य प्रतशक्षण और सुधार के ऄिसरों तक पहुंच के माध्यम से गांिों की ग्रामीण पयकटन क्षमता को

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बढ़ाने में सहायता करना है।
 पोचमपल्ली गांि (तेलग ं ाना) को संयुि राष्ट्र
तिश्व पयकटन संगठन (UNWTO) द्वारा BTV में
से एक के रूप में चुना गया है।
o पोचमपल्ली को ऄक्सर आकत शैली के
माध्यम से बुनी गइ ऄपनी ईत्तम सातडयों
के तलए भारत की “तसल्क तसटी” के रूप में
जाना जाता है।
o पोचमपल्ली आकत को िषक 2004 में
भौगोतलक संकेतक टैग प्रदान दकया गया
था।
o अचायक तिनोबा भािे ने िषक 1951 में पोचमपल्ली से ही भूदान अंदोलन की शुरुअत की थी।
 पयकटन मंत्रालय ने भारत से UNWTO सिकश्रेष्ठ पयकटन गांि की प्रतिति के तलए तीन गांिों की तसफाटरश की
थी। ये मेघालय में कोंगथोंग, मध्य प्रदेश में लधपुरा खास और तेलग
ं ाना में पोचमपल्ली थे।
तनजामुद्दीन बस्ती  ददल्ली की तनजामुद्दीन बस्ती में संरक्षण
पहल ने 2 श्रेतणयों- 'ईत्कृ िता पुरस्कार
2021' और 'सतत तिकास पुरस्कार के
तलए तिशेष मान्यता' के तहत यूनस्े को
पुरस्कार प्राप्त दकये हैं।
o पटरयोजना के तहत सूफी संत
हजरत तनजामुद्दीन औतलया के
14िीं सदी के मकबरे के असपास
20 से ऄतधक ऐततहातसक स्मारकों
का जीणोद्धार दकया गया था।
 पुरस्कार तनम्नतलतखत कायों के तलए प्रदान दकया जाता है:
o तिरासत को सतत तिकास एजेंडे के कें द्र में रखने में ईत्कृ ि ईपलतब्ध।
o एक निोन्मेषी जन-सािकजतनक-तनजी भागीदारी मॉडल के माध्यम से तिशेष रूप से मतहलाओं और
युिाओं के तलए प्रमुख सामातजक-अर्तथक चुनौततयों को तनयंतत्रत करना तथा स्िास्थ्य, तशक्षा एिं कल्याण
में सुधार करना।

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4. व्यतित्ि (PERSONALITIES)
4.1. अदद शं क राचायक ( ADI Shankaracharya)
सुर्तियों में क्यों?
अदद शंकराचायक के जन्मस्थान कलादद को राष्ट्रीय स्मारक
घोतषत दकया जा सकता है। अदद शंकराचायक एक ऄद्वैत दाशकतनक
थे। ईनका जन्म एनाककुलम तजले (के रल) के कलादद (7िीं - 8िीं
शताब्दी इस्िी) में हुअ था।
ऄन्य संबतं धत तथ्य
 अदद शंकराचायक के जन्मस्थान का महत्ि एक ककिदंती से
ईपजा है। आसके ऄनुसार, शंकराचायक को एक मगरमच्छ ने
पकड तलया था। मगरमच्छ ने ईन्हें तब तक छोडने से
आनकार कर ददया जब तक दक ईनकी माता ने
शंकराचायक के दशकन के बारे में - ऄद्वैत िेदांत
ईनका संन्यास (त्याग) स्िीकार नहीं कर तलया।
 यह िेदांत का एक संस्करण है। आसे ऄद्वैतिाद के रूप में प्रततपाददत दकया
o आस स्थान को मगरमच्छ घाट कहा जाता
गया है।
है और आसका धार्तमक महत्ि है।
 आसके ऄनुसार, ब्रह्म (ईत्तर िेदों के ऄनुसार परम, सिोत्कृ ि और सिकव्यापी
o यह स्थान श्री शंकर, शारदा देिी, श्रीकृ ष्ण
इश्वर) ऄपनी रचनात्मक उजाक (माया) के कारण संसार के रूप में प्रकट
और श्री रामकृ ष्ण को समर्तपत महत्िपूणक
हुअ है।
मंददरों से युि है।
 ब्रह्म के ऄततटरि संसार का कोइ पृथक ऄतस्तत्ि नहीं है।
 राष्ट्रीय स्मारक के दजे के बारे में:  ऄनुभि करने िाला स्ियं (जीि) और ब्रह्मांड का सिोत्कृ ि स्ि (अत्मा)
o यह दजाक भारतीय पुरातत्ि सिेक्षण (ASI) िास्ति में एक ही है (दोनों ब्रह्म हैं)। हालांदक, जीिात्मा तभन्न प्रतीत होती
द्वारा पुरातत्ि स्थल और ऄिशेष है जैसे एक बंद पात्र के भीतर का स्थान ऄंतटरक्ष से ऄलग लगता है।
ऄतधतनयम, 1958 के तहत ददया जाता है।  आन अधारभूत तसद्धांतों को “ब्रह्म सत्यम जगत तमथ्या; जीिो ब्रह्मैि नापर:”
यह ऄतधतनयम कें द्र सरकार को "स्थल का (ब्रह्म ही एकमात्र सत्य है और यह बहुलता का संसार एक त्रुटट है; जीिात्मा
रखरखाि करने, संरतक्षत करने और बढ़ािा ब्रह्म से ऄलग नहीं है) के रूप में देखा जाता है।
देन"े के तलए ऄतधकृ त करता है।  धारणा (तमथ्या) में त्रुटट और ऄज्ञानता (ऄतिद्या) के कारण ही बहुलता का
ऄनुभि होता है।
o ितकमान में, राष्ट्रीय महत्ि के लगभग
 ब्रह्म का ज्ञान आन त्रुटटयों को दूर करता है तथा स्थानांतरगमन और
3,600 स्मारक ASI द्वारा संरतक्षत दकए सांसाटरक बंधनों के चि से मुति का मागक बनता है।

जा रहे हैं।
के दारनाथ मंददर
अदद शंकराचायक के बारे में (788 और 820 इ.)
 हाल ही में, प्रधान मंत्री ने के दारनाथ में अदद शंकराचायक की 12 फु ट की प्रततमा का
 िह एक भारतीय दाशकतनक, धमकशास्त्री और
ऄनािरण दकया है। माना जाता है दक शंकराचायक ने 9िीं शताब्दी में 32 िषक की
शंकर (जगतगुरु) थे। िे प्राचीन बहदू धमक में दृढ़
अयु में यहीं पर समातध ली थी।
तिश्वास रखते थे।
 यह मंददर भगिान तशि को समर्तपत है। के दारनाथ मंददर ईत्कृ ि स्थापत्यकला से
 ईन्हें भगिान तशि का ऄितार माना जाता है।
पटरपूणक है। यह मंददर पत्थरों की बहुत बडी, भारी और समान रूप से कटी हुइ भूरे
 ईन्होंने गुरु गोबिद भगितपाद से मागकदशकन
रं ग की पटट्टकाओं से तनर्तमत है।
तलया था। आनके संरक्षण में ईन्होंने 'गौडपादीय  के दारनाथ मंददर (ईत्तराखंड के रुद्रप्रयाग तजले में) मंदादकनी नदी के तट पर तस्थत
काटरका', 'ब्रह्मसूत्र', िेदों और ईपतनषदों का है।
 मंददर के ऄंदर एक शं़ाकार चट्टान की पूजा भगिान तशि के रूप में (ईनके
ऄध्ययन दकया।
सदातशि रूप में) की जाती है।
 ईन्होंने 'ऄद्वैत िेदांत' और 'दशनामी संप्रदाय'  के दारनाथ मंददर का तनमाकण अदद शंकराचायक द्वारा 8िीं शताब्दी में कराया गया
का प्रचार दकया। था और यह पांडिों द्वारा तनर्तमत एक पहले के मंददर के स्थल के तनकट तस्थत है।
 शंकर को ईनके तशष्यों के बीच शंकराचायक के  के दारनाथ मंददर ईत्तराखंड में चारधाम और पंच के दार का एक तहस्सा है। यह
रूप में जाना जाने लगा था। ईनके 4 प्रमुख भारत में तस्थत भगिान तशि के 12 ज्योततर्ललगों में से एक है।

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तशष्य थे:
o पद्मपद,
o तोटकाचायक,
o हस्तामलक तथा
o सुरेश्वर।
अदद शंकराचायक का योगदान
दाशकतनक  पूजा की छह संप्रदाय प्रणाली (षण्मत) तैयार की। आसमें पांच मुख्य देिताओं- तिष्णु, तशि, शति, मुरुगन, गणेश और सूयक को
योगदान शातमल दकया गया था।
 दसनामी संरचना (दशनामी संप्रदाय) को पुनजीतित करके संन्यास परं परा को सशि बनाया। आसमें तभक्षुओं को 10 ईपातधयों के
तहत संगटठत दकया गया था।

सातहतत्यक  सौंदयक लहरी, तशिानंद लहरी, तनिाकण शल्कम अदद जैसे 72 भतिपरक और ध्यानपूणक भजनों की रचना की थी।
योगदान
 ईन्होंने ऄद्वैत िेदांत के मूल तसद्धांतों पर भी ग्रंथ तलखे थे। आनमें तििेक चूडामतण, अत्मबोध, िाक्यिृतत्त, ईपदेश सहस्री अदद
शातमल हैं।
 ईन्होंने ब्रह्मसूत्र, भागिद गीता और 12 प्रमुख ईपतनषदों सतहत प्रमुख ग्रंथों पर 18 भाष्य तलखे थे।
 'ब्रह्मसूत्र' की ईनकी समीक्षा को 'ब्रह्मसूत्र भाष्य' के रूप में जाना जाता है। यह 'ब्रह्मसूत्र' पर ईपलब्ध सबसे पुरानी टीका है।

धमक का  शंकर के जन्म के समय तक बहदू धमक रूदढ़िाददता, कमककांड और औपचाटरकता के ऄपने स्ियं के कठोर अचरणों से पंगु हो गया
पुनरुद्धार था तथा तपछडता जा रहा था।
 आसे महािीर जैन (599 इसा पूि-क 527 इसा पूि)क और गौतम बुद्ध (563 इसा पूि-क 483 इसा पूि)क जैसे तपतस्ियों के ईदय से
चुनौती तमली। आनके ऄनुयायी मुख्यधारा के बहदुओं के प्रचतलत मीमांसा ब्राह्मणिाद से ऄलग होकर नए धमों में शातमल हो गए।
 अदद शंकराचायक का ऄद्वैत िेदांत भ्रांततयों के ईस युग के तिरुद्ध दाशकतनक रूप से मजबूत प्रततदिया थी। आसमें तितिध तिचारों
और बहदू प्रथाओं को एक दशकन में एकीकृ त दकया गया था। यह दशकन 'एक सत्य, की ऄनेक व्याख्याओं' के िैददक तसद्धांत पर
अधाटरत था।

चार अश्रम  ईन्होंने भारत के चारों कोनों में 4 अश्रम स्थातपत दकए।
o बद्रीनाथ, ईत्तराखंड में
ज्योततमकठ - यह 'ऄयमात्मा ब्रह्म'
(यह अत्मा ब्रह्म है) का प्रचार
करता है। आसका तनमाकण
ऄथिकिदे के अधार पर दकया
गया था। तोटकाचायक आस मठ के
मुतखया थे।
o पुरी, ओतडशा में गोिधकन मठ-
यह प्रतसद्ध जगन्नाथ मंददर का
तहस्सा है। यह 'प्रज्ञानां ब्रह्म'
(चेतना ब्रह्म है) का प्रचार करता
है। आसकी रचना ऊग्िेद के
अधार पर हुइ थी। पद्मपद को
आस मठ का मुतखया बनाया गया
था।
o श्रृंगरे ी, कनाकटक में श्रृंगरे ी मठ-
तुंगा नदी के दकनारे तस्थत है।
यह 'ऄहं ब्रह्मातस्म' (मैं ब्रह्म हूं)
का प्रचार करता है। आसे यजुिद

के अधार पर गटठत दकया गया था। सुरेश्वर को आस मठ का मुतखया बनाया गया था।
o द्वारका, गुजरात में शारदा मठ- यह 'तत्त्िमतस' {तुम िही (ऄथाकत् ब्रह्म) हो} का प्रचार करता है। यह सामिेद के अधार पर
तनर्तमत दकया गया था। तोटकाचायक को आस मठ का भी मुतखया बनाया गया था।

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4.2. श्री ऄरबबदो ( Sri Aurobindo)
सुर्तियों में क्यों?
हाल ही में, प्रधान मंत्री ने श्री ऄरबबदो की 150िीं जयंती मनाने के तलए ईच्च
स्तरीय सतमतत की प्रथम बैठक की ऄध्यक्षता की।
श्री ऄरबबदो के बारे में
 प्रारं तभक जीिन:
o ईनका जन्म 15 ऄगस्त 1872 को कलकत्ता (ऄब कोलकाता) में हुअ
था। ईन्होंने ऄपनी प्रारं तभक तशक्षा दार्तजबलग के एक कॉन्िेंट स्कू ल से
प्राप्त की थी।
o सात िषक की अयु में ईन्हें ईनके भाआयों के साथ आं ग्लैंड भेज ददया गया
था। ईन्होंने लंदन के सेंट पॉल स्कू ल (1884) और िषक 1890 में कै तम्ब्रज
के ककग्स कॉलेज से तशक्षा प्राप्त की थी।
o ईन्होंने भारतीय तसतिल सेिा (ICS) परीक्षा में 11िीं रैं क हातसल की
थी, हालांदक िे प्रोबेशन को पूणक करने में ऄसफल रहे थे।
 स्ितंत्रता संग्राम में तहस्सेदारी:
o िह भारत की स्ितंत्रता के तलए कायक करने िाली एक गोपनीय
सोसाआटी में शातमल हो गए थे। आस सोसाआटी को लोटस और डैगर के नाम से जाना जाता था।
o िषक 1893 में िह बडौदा के महाराजा (सयाजीराि गायकिाड III) की राज्य सेिा में शातमल हो गए थे। िहां ऄपने कायक के
दौरान ईन्होंने भारतीय संस्कृ तत, भाषाओं (जैसे, संस्कृ त) अदद के बारे में ज्ञान प्राप्त दकया था।
o िह िषक 1902 में ऄप्रत्यक्ष रूप से भारतीय स्ितंत्रता संग्राम से जुड गए थे। ईन्होंने ऄनुशीलन सतमतत जैसी सतमततयों के
माध्यम से िांततकाटरयों को प्रेटरत दकया था।
o िषक 1905 में 'बंगाल के तिभाजन' के बाद िे भारतीय राजनीततक अंदोलन में सदिय रूप से शातमल हो गए थे। िे िषक 1906
में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रस
े (INC) के सदस्य बने थे। ईन्होंने बंगाल नेशनल कॉलेज के बप्रतसपल के रूप में भी कायक दकया था।
 अध्यातत्मक जीिन:िषक 1902-1910 के मध्य, ईन्होंने भारत के स्ितंत्रता संग्राम में सदिय रूप से भाग तलया था। आसके बाद िे
अध्यातत्मक जागृतत के कारण राजनीततक गतततितधयों से ऄलग हो गए थे। िषक 1910 से 05 ददसंबर 1950 तक (मृत्यु तक) ईन्होंने
ऄपना शेष जीिन पुडुचेरी (तत्कालीन फ्रांसीसी ईपतनिेश) में व्यतीत दकया था।
श्री ऄरबबदो का योगदान
िे एक देशभि, कति, तशक्षातिद, दाशकतनक और योगी थे। ईन्होंने ऄपने कायों के माध्यम से भारतीय स्ितंत्रता और आसके अध्यातत्मक
जागरण में महत्िपूणक योगदान ददया था जैसे-

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भारतीय  िषक 1893-94 में आं दु प्रकाश में ईनके द्वारा तलखे गए लेखों को 'न्यू लैम्प्स फॉर ओल्ड' के शीषकक से प्रकातशत दकया गया था।
राष्ट्रिाद की आसमें ईन्होंने कांग्रेस की ऄतत ईदारिादी राजनीतत की अलोचना की थी।
ददशा में
 ईन्होंने बंदे मातरम (ऄंग्रज
े ी दैतनक),
कमकयोतगनी (ऄंग्रज
े ी समाचार पत्र)
और धमाक (बंगाली साप्तातहक) की
शुरुअत की थी।
 िांततकाटरयों को प्रेटरत करने के तलए
ईन्होंने युगांतर पतत्रका (बंगाली
िांततकारी समाचार पत्र) में ऄपने
लेख प्रकातशत दकए थे। आसके
ऄततटरि, ऄनुशीलन सतमतत द्वारा
प्रकातशत एक पुतस्तका, भिानी
मंददर में भी ईनके लेख थे।
 िषक 1907 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
(INC) का सूरत ऄतधिेशन हुअ था।
आस ऄतधिेशन को सूरत तिभाजन के
तलए भी जाना जाता है। आस दौरान
िे नरमपंतथयों के तिरुद्ध बाल
गंगाधर ततलक के नेतत्ृ ि िाले
गरमपंथी समूह में शातमल हो गए थे।
 िषक 1908 में, ईन्हें ऄलीपुर बम
षडयंत्र मामले में तगरफ्तार दकया
गया था। हालांदक, बाद में ईन्हें बरी
कर ददया गया था।
 15 ऄगस्त 1947 को ऄपने संदेश में ईन्होंने देश के तिभाजन को एक ऄस्थायी व्यिस्था होने और आसके समातप्त की कामना
की। साथ ही, ईन्होंने ऄपने भािी तिचारों को साझा (जैसा दक तचत्र में दशाकया गया है) दकया था।

अध्यातत्मक िे सत-तचत-अनंद और योग के दशकन से प्रेटरत थे। ईन्होंने अंतटरक ज्ञान या मानि के िास्ततिक स्िभाि के माध्यम से मानिता के
दशकन की ओर अध्यातत्मक तिकास पर ध्यान कें दद्रत दकया था। ईनके योगदान को तनम्नतलतखत के माध्यम से देखा जा सकता है-
 द लाआफ तडिाआन (1939)- आसमें मनुष्य के बौतद्धक से ऄतत चैतन्य प्राणी के रूप में पटरिर्ततत होने पर बल ददया गया था।

 अयक, एक दाशकतनक मातसक पतत्रका (1914) थी।

 कतिताओं, पत्रों और तनबंधों के रूप में संकतलत ऄन्य कृ ततयां जैसे एस्सेज़ ऑन गीता (1922), कलेक्टेड पोयम्स एंड प्लेज़
(1942), द बसथेतसस ऑफ योगा (1948), द ह्यूमन साआदकल (1949), द अआतडयल ऑफ ह्यूमन यूतनटी (1949), सातित्री:
ए लीजेंड एंड ए बसबल (1950) अदद।

 िषक 1926 में ईन्होंने मीरा ऄल्फासा के साथ श्री ऄरबबदो अश्रम की स्थापना की थी।

 मीरा ऄल्फासा ने ऑरोतिले ऄथाकत भोर के शहर की स्थापना की थी। यह एक शांततपूण,क प्रगततशील और सामंजस्यपूणक
ऄतस्तत्ि के तलए तनर्तमत एक सािकभौतमक शहर था।

4.3. ने ताजी सु भाष चं द्र बोस ( Netaji Subhash Chandra Bose)


सुर्तियों में क्यों?
हाल ही में, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125िीं जयंती (परािम ददिस) मनाइ गइ।

ऄन्य संबतं धत तथ्य


 आस ऄिसर पर मध्य ददल्ली के आं तडया गेट पर नेताजी की होलोग्रादफक प्रततमा का ऄनािरण दकया
गया।
 प्रततमा िषक 2047 में स्ितंत्रता के 100िें िषक से पहले एक नए भारत के तनमाकण के तलए नागटरकों को
प्रोत्सातहत करने का प्रतीक है।

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संबतं धत सुर्तियााँ
सुभाष चंद्र बोस अपदा प्रबंधन पुरस्कार
 आस पुरस्कार की शुरुअत भारत में अपदा प्रबंधन क्षेत्र में व्यतियों और संगठनों द्वारा दकए गए ऄमूल्य योगदान एिं तनस्िाथक सेिा का सम्मान
करने के तलए की गयी थी।
 आसकी घोषणा प्रततिषक 23 जनिरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर की जाती है।
o आस पुरस्कार के तहत दकसी संस्था को 51 लाख रुपये का नकद पुरस्कार और एक प्रमाण पत्र प्रदान दकया जाता है। िहीं व्यति को 5 लाख
रु और एक प्रमाण पत्र ददया जाता है।
o एक िषक में ऐसे तसफक तीन पुरस्कार प्रदान दकया जाते हैं।
 िषक 2022 के पुरस्कार के तलए गुजरात अपदा प्रबंधन संस्थान और प्रोफे सर तिनोद शमाक का चयन दकया गया है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में

प्रारं तभक जीिन  ईनका जन्म 23 जनिरी 1897 को कटक (ओतडशा) में हुअ था। ईनके तपता जानकीनाथ बोस एक प्रतसद्ध
िकील थे तथा ईनकी माता का नाम प्रभािती देिी था।
 िे स्िामी तििेकानंद की तशक्षाओं से काफी प्रभातित थे।
 ईन्होंने िषक 1920 में भारतीय तसतिल सेिा प्रततयोतगता परीक्षा ईत्तीणक की थी।

राजनीततक जीिन की ओर  नेताजी की राजनीततक यात्रा ने ऄमृतसर के जतलयांिाला बाग की भयानक घटना के बाद एक मोड तलया।
यहां जनरल डायर ने ऄप्रैल, 1919 में शांततपूणक भीड पर गोतलयां चलाइ थी। ईसके तखलाफ बहुत कम या
कोइ कारक िाइ नहीं की गइ थी।
 जतलयांिाला बाग हत्याकांड से अहत नेताजी ने िषक 1921 में भारत लौटने के तलए ऄपनी तसतिल सेिा
प्रतशक्षुता को बीच में ही छोड ददया था।
 भारत लौटने के बाद, नेताजी, महात्मा गांधी के प्रभाि में अ गए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रस
े में शातमल हो
गए।
 गांधीजी के तनदेश पर ईन्होंने देशबंधु तचत्तरं जन दास (सी.अर. दास) के ऄधीन कायक करना शुरू दकया।
नेताजी ने सी.अर. दास को ऄपने राजनीततक गुरु के रूप में स्िीकार दकया था।

मुख्यधारा की राजनीतत में  िषक 1928 में कांग्रेस ने मोतीलाल नेहरू सतमतत तनयुि की थी। सतमतत ने तब्रटटश प्रभुत्ि के ऄधीन
नेताजी और गांधी जी से तिचारों डोतमतनयन के पक्ष में घोषणा की थी। लेदकन नेताजी ने जिाहरलाल नेहरू के साथ तमलकर आसका तिरोध
का टकराि दकया था और भारत के तलए पूणक स्ितंत्रता की मांग की थी।
 िषक 1931 में, ईन्होंने गांधी-आरतिन समझौते का तिरोध दकया था। ईन्होंने सतिनय ऄिज्ञा अंदोलन के
तनलंबन का भी तिरोध दकया था, तिशेषकर तब जब भगत बसह और ईनके सहयोतगयों को फांसी दी गइ थी।

 िषक 1938 में िे हटरपुरा कांग्रस


े ऄतधिेशन के ऄध्यक्ष चुने गए थे।
o ऄध्यक्ष के रूप में ईन्होंने राज्य-स्िातमत्ि और राज्य-तनयंत्रण के तहत औद्योतगक तिकास की एक
व्यापक योजना की अिश्यकता पर बल ददया था।
 ईन्होंने तनयोजन के माध्यम से देश के अर्तथक तिकास की बात की थी। बाद में एक राष्ट्रीय योजना सतमतत
(पं. जिाहर लाल नेहरू की ऄध्यक्षता में) की स्थापना में महत्िपूणक भूतमका तनभाइ थी।
 ईन्हें तत्रपुरी कांग्रस
े ऄतधिेशन के तलए दफर से ऄध्यक्ष चुना गया था। आसमें ईन्होंने महात्मा गांधी और
कांग्रेस कायक सतमतत द्वारा समर्तथत डॉ पट्टातभ सीतारमैया को हराया था।
 तद्वतीय तिश्व युद्ध के दौरान, ईन्होंने ऄंग्रज
े ों को भारत छोडने के तलए छह महीने का समय देने या दफर
तिद्रोह का सामना करने का प्रस्ताि प्रस्तुत दकया था।
 आसका कइ लोगों ने तिरोध दकया था। आसके बाद नेताजी ने ऄध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे ददया था। ईन्होंने एक
प्रगततशील समूह का गठन दकया। आसे फॉरिडक ब्लॉक के नाम से जाना जाता है।

आं तडयन नेशनल अमी (अजाद  िषक 1941 में नेताजी कलकत्ता में ऄपने घर से नजरबंदी तोडकर ऄफगातनस्तान से होते हुए जमकनी पहुंच।े
बहद फौज) की स्थापना की ओर
 आस कहाित को चटरताथक करते हुए दक "दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है", ईन्होंने तब्रटटश साम्राज्य के
तखलाफ जमकनी और जापान से सहयोग की मांग की।

 िषक 1942 में जमकनी पहुंचने के बाद नेताजी ने 'अजाद बहद रे तडयो' शुरू दकया और 'फ्री आं तडया सेंटर'

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(अजाद बहद सरकार के ऄग्रदूत) की स्थापना की।

 बसगापुर में, ईन्होंने एक तनिाकतसत भारत सरकार 'अजाद बहद सरकार' का गठन दकया।

 आस ऄस्थायी सरकार की ऄपनी मुद्रा, ऄदालत, नागटरक संतहता, सेना (INA) और राष्ट्रगान भी था।

 िषक 1943 में, ऄनंततम सरकार के प्रमुख के रूप में, ईन्होंने भारत की मुति के तलए तब्रटेन से युद्ध की घोषणा
की थी।
 "ददल्ली चलो" के नारे के तहत INA मतणपुर के मोरं ग पहुंच कर ऄंग्रेजों को ऄचंतभत कर ददया था।

o INA रं गन
ू , आं फाल और ऄंडमान एिं तनकोबार द्वीप समूह को िापस जीतने में सक्षम रही थी।

o नेताजी ने ऄंडमान और तनकोबार (A&N) द्वीप का नाम बदलकर शहीद एिं स्िराज कर ददया था।

o िषक 2018 में ऄंडमान और तनकोबार के रॉस द्वीप, नील द्वीप हैिलॉक द्वीप का नाम बदलकर िमशः
नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, शहीद द्वीप तथा स्िराज द्वीप कर ददया गया था।

 हालांदक, तद्वतीय तिश्व युद्ध में जापान और जमकनी की हार ने INA को पीछे हटने के तलए मजबूर कर ददया
था।
 कतथत तौर पर सुभाष चंद्र बोस की 18 ऄगस्त, 1945 को ताआपे, ताआिान (फॉमोसा) के उपर एक हिाइ
दुघटक ना में मृत्यु हो गइ थी।

नेताजी के ऄन्य महत्िपूणक  सातहतत्यक योगदान


योगदान
o िषक 1921 में बोस ने समाचार पत्र 'फॉरिडक' का संपादन दकया था।

o ईन्होंने ऄपना स्ियं का समाचार पत्र 'स्िराज' भी प्रकातशत दकया था। 'द आं तडयन स्ट्रगल' नामक
पुस्तक भी तलखी थी। आस पुस्तक में िषक 1920-1934 के िषों में देश के स्ितंत्रता अंदोलन का
तििरण शातमल है।

 मतहला ईत्थान
o ईन्होंने 'लैंतगक समानता' की ददशा में कायक दकया था।

o नेताजी ने िषक 1943 में INA के भीतर एक ऄतखल मतहला रे तजमेंट की स्थापना की थी। आसे "रानी
झांसी रे तजमेंट" नाम ददया गया था।

 पंथतनरपेक्षता का प्रचार

o ईन्होंने INA में सभी धार्तमक त्योहारों की सामान्य पूजा और ईत्सिों की शुरुअत की थी।
o स्ितंत्र भारत की ऄनंततम सरकार और अजाद बहद फौज में ऄल्पसंख्यक समुदायों में से कइ ने ईच्च
पदों को प्राप्त दकया था।

गांधीजी बनाम एस.सी. बोस - एक तुलना

 बोस ने गांधीजी को 'राष्ट्रतपता' की संज्ञा प्रदान की थी। ईन्होंने गांधीजी को जनता के तनर्तििाद ि ऄनुपम नेता के रूप में पहचाना
और स्िीकार दकया था।
 गांधीजी ने बोस को देशभिों के बीच देशभि के रूप में सम्मातनत दकया था।' गांधीजी ने हटरजन में तलखा था: 'नेताजी मेरे तलए
एक पुत्र की तरह थे।’

मागकदशकन गांधीजी ऄपने गुरु गोखले और टैगोर की तरह ऄंग्रेजों युिा बोस, रूसी तिद्रोह और जापानी साम्राज्य के ईदय से गहराइ से प्रभातित
के साथ चचाक एिं िाताक की परं परा में तिश्वास रखते
थे। िे एक तेजतराकर राष्ट्रिादी थे, जो ततलक एिं ऄरबबदो की परं परा में तिश्वास
थे।
करते थे।

साधन एिं गांधीजी का नाजी शासन का तिरोध करने का नैततक दृतिकोण आसके तिपरीत, बोस ऄतधक व्यािहाटरक थे। िे ऄंग्रज
े ों को ऄतस्थर
साध्य तििाद था। ईनके तलए साधन भी ईतने ही महत्िपूणक थे तजतने दक करने के तलए जमकनी और जापान का सहयोग लेना चाहते थे।
साध्य।

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4.4. सु र्तियों में रहे ऄन्य व्यतित्ि ( Other Personalities in News)
प्राचीन/मध्यकालीन

रानी तहयो ह्िांग-ओके  िह एक कोटरयाइ रानी थीं, तजसके बारे में यह माना जाता है दक ईसका जन्म ऄयोध्या की राजकु मारी
सुरीरत्ना, (राजा पद्मसेन और आं दम
ु ती की पुत्री) के रूप में हुअ था।
o पद्मसेन ने कौसल पर शासन दकया था। यह क्षेत्र ितकमान ईत्तर प्रदेश से लेकर ओतडशा तक
तिस्तृत था।
 राजकु मारी सुरीरत्ना ने कोटरया की यात्रा की और राजा दकम सुरो से तििाह दकया तथा 48 इस्िी में रानी
तहयो ह्िांग-ओके बन गइ।
 आनकी कहानी समगुक युसा (तीन साम्राज्यों की स्मृतत) में िर्तणत है। यह कोटरया के तीन साम्राज्यों-
गोगुटरयो, बैक्जे और तसला पर 13िीं शताब्दी की एक कृ तत है।
 तितभन्न कोटरयाइ लोग ऄपने िंश को ईनके साथ जोडते हैं और िह िषों से कोटरया की लोकतप्रय संस्कृ तत का
तहस्सा रही है।
गुरु तेग बहादुर  गुरु तेग बहादुर की 400िीं जयंती मनाइ जा रही है।
 िे छठे तसख गुरु, गुरु हरगोबबद सातहब के सबसे छोटे पुत्र थे। िह 10 तसख गुरुओं में से 9िें स्थान पर
थे।
 ईनके द्वारा रतचत 115 पद्य गुरु ग्रंथ सातहब में सतम्मतलत हैं।
 िषक 1675 में गुरु तेग बहादुर को मुगल सम्राट औरं गजेब के अदेश के तहत ददल्ली में फांसी दी गइ थी।

दारा तशकोह  िह शाहजहााँ का ज्येष्ठ पुत्र था और िषक 1659 में ऄपने भाइ औरं गजेब के तिरुद्ध ईत्तरातधकार की लडाइ में
परातजत होने के ईपरांत ईसका िध कर ददया गया था।
 ईसे एक "ईदार मुतस्लम" के रूप में िर्तणत दकया गया है। ईसने बहदू और आस्लामी परं पराओं के बीच
समानताएं खोजने का प्रयास दकया था।
 ईसने भगित गीता के साथ-साथ 52 ईपतनषदों का फारसी में ऄनुिाद दकया था। ईल्लेखनीय है दक ईनका
ज्ञान पहले के िल कु छ ईच्च जातत के बहदुओं तक ही सीतमत था।
 सूफी रहस्यिाद में भी ईसकी गहरी रुतच थी। बाद में िह सूदफयों के काददरी तसलतसले में दीतक्षत हुअ था।

सेंट फ्रांतसस ज़ेतियर  प्रधान मंत्री ने सेंट फ्रांतसस जेतियर के पिक के ददन गोिा के लोगों को बधाइ दी है।
 िह सोसाआटी ऑफ जीसस के संस्थापकों में से एक थे। िह 1542 इ. में गोिा पहुंचे थे।
 व्यतित्ि लक्षण: धार्तमक दशकन, इश्वर एिं मानि जातत की सेिा, सद्भाि और भाइचारे की भािना अदद।
 ज़ेतियर ने जेसआ
ु ट तमशन कें द्रों का एक नेटिकक स्थातपत दकया था।
 3 ददसंबर को सेंट फ्रांतसस जेतियर की पुण्यतततथ मनाइ जाती है।
o िषक 1552 में, के िल 46 िषक की अयु में, एक चीनी द्वीप पर बुखार से ईनकी मृत्यु हो गइ थी। कु छ
िषों बाद ईनके पार्तथि शरीर को िापस गोिा लाया गया था।
 बेतसतलका के बोम जीसस चचक में सेंट फ्रांतसस ज़ेतियर के ऄिशेष ऄभी भी मौजूद हैं।
 गोिा में प्रतत िषक सेंट फ्रांतसस जेतियर का पिक मनाया जाता है।
रानी कमलापतत  रानी कमलापतत एक गोंड रानी और सल्कनपुर (सीहोर) टरयासत के राजा कृ पाल बसह की पुत्री थी।
o गोंड भारत के सबसे बडे अददिासी समुदायों में से एक है। ये मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र,
छत्तीसगढ़, अंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तबहार और ओतडशा में फै ले हुए हैं।
 ईनका तििाह सूरज बसह शाह के पुत्र तगन्नौरगढ़ के तनजाम शाह से हुअ था। ईन्होंने ही रानी के नाम
पर भोपाल का कमलापतत महल बनिाया था।
 िह एक कु शल योद्धा थी तथा ऄपने तपता और पतत के साथ युद्धों में भाग लेती थी। ईन्होंने 1723 इ. में
ऄपनी मृत्यु तक तत्कालीन तगन्नौरगढ़ पर शासन दकया था।
महाराजा रणजीत बसह  ईनका जन्म सन् 1780 में गुजरांिाला (ितकमान में पादकस्तान में तस्थत) में हुअ था। िे सन् 1792 से 1801
तक सुकरचदकया तमसल के प्रमुख थे। ईन्होंने प्रथम तसख साम्राज्य की स्थापना की तथा िे सन् 1801 से
1839 तक 38 िषों के तलए ईसके प्रथम शासक भी रहे थे।
 िे एक धमकतनरपेक्ष शासक थे। ईनके पास एक अधुतनक सेना भी थी। ईन्होंने ऄंग्रेजों के साथ दो संतधयां भी
की थी यथा- ऄमृतसर की संतध और लाहौर की संतध।
 लाहौर (ईनके साम्राज्य की राजधानी) को ऄफगान अिमणकाटरयों से मुि कराने में सफल होने के कारण
ईन्हें पंजाब के शेर (शेर-ए-पंजाब) की ईपातध से निाजा गया था।

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 ईनका राजकोष कोतहनूर हीरे से सुशोतभत था। ईन्होंने ऄमृतसर में तस्थत स्िणक मंददर का भी पुनर्तनमाकण
कराया था।

अधुतनक भारत

पांडुरंग महादेि बापट  ईन्हें लोकतप्रय रूप से ‘सेनापतत बापट’ के रूप में भी जाना जाता है। ईन्होंने भारतीय स्ितंत्रता
अंदोलन में सदिय तौर पर भाग तलया था।
 12 निंबर 1880 को जन्मे बापट का पालन-पोषण महाराष्ट्र के ऄहमदनगर तजले के पारनेर शहर में
एक तनम्न-मध्यमिगीय तचतपािन ब्राह्मण पटरिार में हुअ था।
 बापट को िषक 1921 में मुल्शी सत्याग्रह (तिश्व का प्रथम बांध तिरोधी अंदोलन) के दौरान ईनके नेतत्ृ ि
के तलए ‘सेनापतत’ कहा गया। यह “दकसानों के बलपूिकक तिस्थापन के तिरुद्ध प्रथम दजक संगटठत संघषक”
था।
 िषक 1904 में, कॉलेज से पास होने के बाद, ईन्होंने छात्रिृतत्त ऄर्तजत की और एतडनबगक के हैटरयट-िाट
कॉलेज में ऄध्ययन करने के तलए आं ग्लैंड चले गए।
खुदीराम बोस  तबहार के मुजफ्फरपुर कें द्रीय कारागार में तनभकय स्ितंत्रता सेनानी खुदीराम बोस की पुण्यतततथ पर ईन्हें
श्रद्धांजतल ऄर्तपत की गइ।
 बोस का जन्म िषक 1889 में तमदनापुर तजले के एक छोटे से गााँि में हुअ था।
 श्री ऄरबबदो और भतगनी तनिेददता द्वारा ददए गए सािकजतनक व्याख्यानों की एक श्रृंखला से प्रेटरत होकर, िे
िांततकारी गतततितधयों की ओर अकर्तषत हुए।
 बोस ऄनुशीलन सतमतत में शातमल हो गए थे। यह सतमतत 20िीं सदी की शुरुअत में बंगाल में िांततकारी
गतततितधयों को प्रोत्सातहत करने िाली संस्था थी।
 िषक 1908 में, ईन्होंने एक ऄन्य िांततकारी प्रफु ल्ल चाकी के साथ तमलकर, तब्रटटश न्यायाधीश, मतजस्ट्रेट
डगलस ककग्सफोडक की हत्या करने का प्रयास दकया था। आसके कारण ऄंततः ईन्हें 18 िषक की ऄल्पायु में ही
मृत्युदंड दे ददया गया था।
मदन लाल ढींगरा  मदन लाल ढींगरा के शहादत ददिस (17th August) पर ऄमृतसर के टाईन हॉल में ईन्हें श्रद्धांजतल ऄर्तपत
की गइ।
 ईन्हें एक तब्रटटश ऄतधकारी सर तितलयम हट कजकन िायली की हत्या करने के कारण, 17 ऄगस्त 1909 को
लंदन में 26 िषक की अयु में फांसी दी गइ थी।
 िे आं ग्लैंड में ईच्चतर तशक्षा प्राप्त करने गए थे।
 िषक 1905 में बंगाल तिभाजन से ईन्हें पीडा हुइ और िे तिनायक दामोदर सािरकर, श्याम जी कृ ष्ण िमाक
जैसे ऄन्य िांततकाटरयों के संपकक में अए।
मदन मोहन मालिीय  मदन मोहन मालिीय प्रयागराज (पहले आलाहाबाद) में जन्मे एक प्रतसद्ध स्ितंत्रता सेनानी और
तशक्षातिद थे। आन्हें ‘महामना’ के नाम से जाना जाता था।
 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रस
े (INC) में भूतमका: िे लाहौर और ददल्ली में िमशः 24िें (1909) एिं 33िें
(1918) ऄतधिेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ऄध्यक्ष रहे थे।
o िे िषक 1932 और 1933 में भी ऄध्यक्ष चुने गए थे, लेदकन तगरफ्तारी के कारण िे ऄध्यक्षता
नहीं कर सके ।
 प्रमुख योगदान और ईपलतब्धयां:
o ईन्होंने बहदुस्तान के संपादक के रूप में कायक दकया था। ईन्होंने िषक 1907 में ऄभ्युदय (बहदी
साप्तातहक), िषक 1910 में मयाकदा (बहदी मातसक) और िषक 1909 में द लीडर (ऄंग्रेजी दैतनक) की
शुरुअत की थी।
o ईन्होंने िषक 1906 में बहदू महासभा की स्थापना की थी। आं पीटरयल लेतजस्लेटटि काईं तसल के
सदस्य के रूप में कायक दकया था।
o िषक 1916 में ईन्होंने बनारस बहदू तिश्वतिद्यालय की स्थापना की थी।
o िषक 2015 में ईन्हें भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मातनत दकया गया था।
रानी गाआददन्ल्यू  मतणपुर में 'रानी गाआददन्ल्यू जनजातीय स्ितंत्रता सेनानी संग्रहालय' का ईद्घाटन दकया गया है।
 रानी गाआददनल्यू का जन्म मतणपुर की रोंगमेइ जनजातत में हुअ था। िह 13 िषक की अयु में स्ितंत्रता
संग्राम में शातमल हो गइ थी।
 िह हेराका अंदोलन में ऄग्रणी रही थी। आस अंदोलन का ईद्देश्य नागा जनजातीय धमक का पुनरुद्धार
और नागाओं के स्ि-शासन की स्थापना करना था। यह ऄसहयोग अंदोलन के समान था।
o ईन्हें िषक 1932 में तगरफ्तार दकया गया था और िषक 1947 में भारत की स्ितंत्रता के बाद ही
टरहा दकया गया था।

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 जिाहरलाल नेहरू ने गाआददनल्यू को "पहातडयों की बेटी" के रूप में िर्तणत दकया था और ईनके साहस के
तलए ईन्हें 'रानी' की ईपातध दी थी।

डॉ. भगिान दास  िह एक भारतीय तथयोसोदफस्ट थे।


 िषक 1921 में, ईन्हें ऄसहयोग अंदोलन के साथ जुडे होने के कारण, ऄंग्रज
े ों द्वारा एक िषक के कारािास की
सजा सुनाइ गइ थी।
 िे काशी तिद्यापीठ के संस्थापक थे।
 काशी तिद्यापीठ, भारतीयों द्वारा स्थातपत प्रथम भारतीय तिश्वतिद्यालय है।
 िषक 1955 में, ईन्हें सातहत्य और तशक्षा में ईनकी ईपलतब्धयों के तलए भारत के सिोच्च नागटरक सम्मान
भारत रत्न से सम्मातनत दकया गया था।
सुब्रमण्यम भारती  ततमलनाडु सरकार ने 11 तसतंबर, 2021 को सुब्रमण्यम भारती की 100िीं पुण्यतततथ को ‘महाकति’ ददिस
के रूप में मनाया है।
 िह अधुतनक ततमल काव्य के ऄग्रदूत थे, तजन्हें सम्मानपूिक
क महाकति कहा जाता था।
 एट्टायपुरम के राजा ने ईनकी कतिता से प्रभातित होकर ईन्हें ‘भारती’ की ईपातध प्रदान की थी, तजसका ऄथक
है देिी सरस्िती का अशीिाकद।
 ईन्हें तीन तिदेशी भाषाओं सतहत 14 भाषाओं में महारत हातसल थी।
 ईन्होंने भारतीय नागटरकों के मध्य राष्ट्रीय गौरि की भािनाओं को जागृत करने के तलए ऄपने लेखन का
ईपयोग दकया था।
 ईन्होंने बाल तििाह के तिरुद्ध बचता प्रकट की थी तथा ब्राह्मणिाद और धमक में सुधार का समथकन दकया था।
 िह दतलतों और मुसलमानों के साथ भी एकजुटता में थे।
 ईनका अदशक िाक्य था “ऄटरिेलु थेतलिु” ऄथाकत् मन की स्पिता।

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5. ऐततहातसक घटनाएं (HISTORICAL EVENTS)
5.1. जतलयां िाला बाग हत्याकां ड ( Jallianwala Bagh Massacre)
सुर्तियों में क्यों?
हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री ने ऄमृतसर में
पटट्टका का ऄनािरण करके जतलयांिाला बाग
स्मारक का निीकृ त पटरसर राष्ट्र को समर्तपत
दकया। साथ ही, संग्रहालय/तचत्र दीघाकओं का भी
ईद्घाटन दकया।
ऄन्य संबतं धत तथ्य
 जतलयांिाला बाग स्मारक, 13 ऄप्रैल,
1919 को हुए जतलयांिाला बाग नरसंहार
शोक स्मरणाथक तनर्तमत दकया गया है।
 आस स्मारक को जतलयांिाला बाग राष्ट्रीय
स्मारक ऄतधतनयम, 1951 (हाल ही में 2019 में
संशोतधत) द्वारा स्थातपत दकया गया था। आससे यह
संसद के एक ऄतधतनयम द्वारा शातसत देश का
प्रथम राष्ट्रीय स्मारक बन गया है। आसके ऄध्यक्ष
प्रधान मंत्री होते हैं।
 यहााँ हुअ नरसंहार तात्कातलक संदभों से ऄलग
हटकर ऄकस्मात रूप से घट जाने िाली घटना नहीं
थी, बतल्क एक ऐसी घटना थी, तजसकी पृष्ठभूतम में
कइ कारक कायक कर रहे थे।
नरसंहार के ईपरांत
 जतलयांिाला बाग की खबर संपूणक देश में फै ल गइ।
आसके तिरोध में व्यापक प्रदशकन हुए, तजनका
सरकार ने िू र दमन करने का हर संभि प्रयास
दकया। आस बहसा को देखते हुए, महात्मा गांधी ने
रॉलेट तिरोधी सत्याग्रह को िापस ले तलया।
 आसके तिरोध में रिींद्रनाथ टैगोर ने ऄपनी
नाआटहुड की ईपातध का त्याग कर ददया।
 ऄक्टू बर 1919 में, नरसंहार के बारे में जांच-
पडताल करने के तलए ऄव्यिस्था जांच सतमतत
(तडसोडकसक आऩ्ायरी कतमटी), तजसे हंटर अयोग के
नाम से भी जाना जाता है, का गठन दकया गया।
 िषक 1920 में, अयोग ने डायर की ईसके कायों के
तलए बनदा की। ईसे ऄपने तब्रगेड कमांडर के पद से
त्यागपत्र देने का तनदेश ददया गया और ईसे सूतचत
दकया गया दक ईसे ऄब भारत में कोइ तनयुति नहीं
तमलेगी।
 बाद में िषक 1940 में लंदन के कै क्सटन हॉल में,
एक भारतीय स्ितंत्रता सेनानी ईधम बसह ने
नरसंहार के दौरान पंजाब के लेतफ्टनेंट गिनकर रहे
माआकल ओ' डायर का िध कर ददया। ईसने डायर
की कारक िाइ को ऄनुमोदन दे ददया था और
गोलीबारी के ईपरांत पंजाब में माशकल लॉ लगा ददया था, तजससे यह सुतनतित हो सके दक यह खबर बाहर न जा सके

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 आस घटना से लगे अघात और ईत्पन्न हुए अिोश के कारण िषक 1920-1922 का ऄसहयोग अंदोलन ऄतस्तत्ि में अया। यह
अंदोलन 25 िषक ईपरांत भारत में तब्रटटश शासन समाप्त होने की ददशा में एक कदम तसद्ध हुअ।

5.2. मालाबार/मोपला तिद्रोह ( Malabar/Moplah Rebellion)


सुर्तियों में क्यों?
मालाबार तिद्रोह के नेता िटरयमकु न्नथ
कुं जाहम्मद हाजी, ऄली मुसतलयार और 387
ऄन्य “मोपला शहीदों” को भारत के स्ितंत्रता
संग्राम के शहीदों के शब्दकोश से हटाया
जाएगा।
ऄन्य संबतं धत तथ्य
 भारतीय आततहास ऄनुसध
ं ान पटरषद
(ICHR) द्वारा प्रकातशत शब्दकोश के
पांचिें खंड में प्रतितियों की समीक्षा करने
िाले तीन सदस्यीय पैनल ने आन्हें हटाने
की ऄनुशंसा की है। पैनल का मानना है दक 1921 का तिद्रोह कभी भी स्ितंत्रता संग्राम का तहस्सा नहीं था, बतल्क एक कट्टरपंथी
अंदोलन था।
 आसने तनष्कषक तनकाला दक हाजी एक ईपद्रिी
थे, तजन्होंने शटरया ऄदालत की स्थापना की
थी। आसके ऄततटरि, बडी संख्या में “मोपला
शहीदों” (जो तिचाराधीन कै दी थे) की हैजा
जैसी बीमाटरयों के कारण और प्राकृ ततक कारण
से मृत्यु हुइ थी, आसतलए ईन्हें शहीद नहीं माना
जा सकता।
मालाबार तिद्रोह के बारे में
 मालाबार तिद्रोह को मोपला ईपद्रि के रूप में
भी जाना जाता है। यह 1921 इ. में तब्रटटश
शासकों और स्थानीय बहदू जमींदारों के तिरुद्ध
मुतस्लम काश्तकारों का सशस्त्र तिद्रोह था।
 आसे प्राय: दतक्षण भारत में प्रथम राष्ट्रिादी
तिद्रोहों में से एक माना जाता है और प्राय:
दकसान तिद्रोह के रूप में भी िणकन दकया जाता
रहा है।
 यह महात्मा गांधी के नेतृत्ि में
तखलाफत/ऄसहयोग अंदोलन (1920-1922)
के व्यापक दायरे में हुअ था।
तिद्रोह का मागक
 आसने मुख्य रूप से जेनतमयों, पुतलस और
सैतनकों पर गुटरल्ला-प्रकार के हमलों का रूप
धारण कर तलया था।
 औपतनिेतशक सत्ता के प्रतीकों यथा- टेलीग्राफ
लाआनों, रे लिे स्टेशनों, न्यायालयों, डाकघरों
अदद और जमींदारों के घरों पर हमले दकए गए थे।
 जब यह तिद्रोह मालाबार तजले में फै ल गया, तो तब्रटटश ऄतधकारी और स्थानीय पुतलस िहााँ से पलायन कर गए थे तथा क्षेत्र का एक
बडा तहस्सा स्थानीय तिद्रोतहयों के तनयंत्रण में छोड गए थे।
o यह क्षेत्र ऄगस्त 1921 में एक ‘स्ितंत्र राज्य’ घोतषत कर ददया गया था, तजसका शासक हाजी था।

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o लगभग छह महीने तक, ईसने समानांतर तखलाफत शासन चलाया, तजसका मुख्यालय नीलांबुर में था। यहााँ तक दक आसका
ऄपना पृथक पासपोटक, मुद्रा और कराधान की प्रणाली भी थी।
o काश्तकारों को कर प्रोत्साहनों के साथ-साथ ईनके द्वारा खेती की जाने िाली भूतम पर ईन्हें ऄतधकार प्रदान दकया गया था।
 हालांदक, यह अंदोलन मुख्य रूप से तब्रटटश ऄतधकाटरयों के तिरुद्ध तिरोध के रूप में अरं भ हुअ था, परन्तु आसने सांप्रदातयक स्िरूप
ग्रहण कर तलया था, तजसकी चरम पटरणतत सांप्रदातयक बहसा में हुइ।

5.3. पाआका तिद्रोह ( Paika Rebellion)


सुर्तियों में क्यों?
हाल ही में, कें द्र सरकार ने कहा है दक पाआका तिद्रोह को प्रथम
स्ितंत्रता संग्राम नहीं कहा जा सकता।
ऄन्य संबतं धत तथ्य:
 ओतडशा सरकार, िषक 2017 से कें द्र सरकार से पाआका
तिद्रोह को स्ितंत्रता के पहले युद्ध के रूप में घोतषत करने
का अग्रह कर रही है।
o ितकमान में, सन् 1857 के भारतीय तिद्रोह को
तब्रटटश शासन के तखलाफ प्रथम स्ितंत्रता संग्राम
कहा जाता है।
 संस्कृ तत मंत्रालय ने सूतचत दकया है दक आसे राष्ट्रीय शैतक्षक
ऄनुसंधान और प्रतशक्षण पटरषद (NCERT) की कक्षा 8
की आततहास की पाठ्यपुस्तक में के स स्टडी के रूप में शातमल दकया जाएगा।
 िषक 2018 में, भारतीय
प्रधानमंत्री ने पाआका तिद्रोह
पर स्मारक डाक टटकट और
तसक्का जारी दकया था।
पाआका तिद्रोह (1817-1825)
 पाआका तिद्रोह एक सशस्त्र
तिद्रोह था, जो तब्रटटश इस्ट
आं तडया कं पनी के तखलाफ
ओतडशा में हुअ था। यह
प्रथम तसपाही तिद्रोह से
लगभग 40 िषक पूिक घटटत
हुअ था।
o पाआका, ओतडशा के
गजपतत शासकों के
पारं पटरक भू-स्िामी
लडाके थे, जो राजा को सैन्य सेिाएं देते थे। पाआका समुदाय के पास लगान-मुि भूतम थी, जो ईन्हें खुदाक राज्य में ईनकी सैन्य
सेिा के तलए प्रदान की गइ थी।
 इस्ट आं तडया कं पनी द्वारा िषक 1803 में खुदाक के राजा, राजा मुकुंद देि को सत्ता से हटाने के पिात ऄंग्रेजों ने स्ियं को ओतडशा में
स्थातपत कर तलया था।
 गजपतत राजा की लडाका सेना के िंशानुगत प्रमुख, बख्शी जगबंधु तिद्याधर के नेतृत्ि में पाआका, अददिातसयों और समाज के ऄन्य
िगों का समथकन प्राप्त कर एकजुट हुए।
o ईन्होंने तब्रटटश सत्ता के प्रतीकों पर हमला दकया, खुदाक की ओर ऄपने कू च के दौरान ईन्होंने पुतलस स्टेशनों, प्रशासतनक
कायाकलयों और सरकारी खजाने को अग लगा दी, जहां से ऄंग्रेजों को भागना पडा।
o ईन्हें जमींदारों, ग्राम प्रधानों और अम दकसानों का समथकन प्राप्त था।
 पाआका तिद्रोह पूरे राज्य में जंगल की अग की तरह फै ल गया। आसके पटरणामस्िरूप ऄंग्रेजों और पाआका बलों के बीच कइ टकराि
और मुठभेडें हुईं। तिद्रोह को ऄंततः तब्रटटश सेना द्वारा दबा ददया गया।

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o तिद्याधर को िषक 1825 में जेल में डाल ददया गया और िषक 1829 में जेल में ईनकी मृत्यु हो गइ।
पाआका तिद्रोह के पटरणाम
 प्रशासतनक पटरितकन: ओतडशा के लोगों (ओतडया) को सरकारी सेिाओं में तनयुि दकया गया और ईन्हें तजम्मेदार कायक सौंपे गए।
 लोगों द्वारा सुगम खरीद के तलए नमक की कीमतों में कमी की गइ और ऄतधक नमक ईपलब्ध कराया गया।
 स्थानीय जमींदारों के राजस्ि बोझ में कमी हुइ। कइ मामलों में, सरकार ने बकायेदारों की संपतत्त खरीदी और ईन्हें मूल मातलकों को
लौटा ददया।
 पाआकाओं को राजा की लडाका सेना का पेशा छोडने और अजीतिका कमाने के साधन के रूप में खेती ि ऄन्य कायों को ऄपनाने के
तलए मजबूर दकया गया।
 पुरी के जगन्नाथ मंददर का प्रबंधन राजा मुकुंददेि तद्वतीय के पुत्र रामचंद्र देि तृतीय को सौंप ददया गया।

5.4. ऄन्य महत्त्िपू णक सु र्तियााँ ( Other Important News)


सारागढ़ी का युद्ध  12 तसतंबर को सारागढ़ी के युद्ध की 124िीं िषकगांठ थी। यह युद्ध तब्रटटश भारतीय सेना के तसख सैतनकों और
ईत्तर-पतिमी सीमा प्रांत में पश्तून ओरकजइ अददिातसयों के बीच लडा गया था।
o आक्कीस सैतनकों को 8,000 से ऄतधक ऄफरीदी और ओरकजइ अददिातसयों के तिरुद्ध तैनात दकया गया था,
परन्तु ईन्होंने मृत्यु का सामना करते हुए साहसपूिकक युद्ध दकया था।
 सारागढ़ी, ईत्तर-पतिमी सीमा प्रांत की सुलेमान रें ज में फोटक लॉकहाटक और फोटक गुतलस्तान (तजसे फोटक कै िगनरी
भी कहा जाता है) के मध्य एक संचार टरले पोस्ट था।
1839 इ. का ताइ  1839 इ. में, ताइ खामती या खम्पती लोगों ने तब्रटटश ईपतनिेशीकरण का तिरोध दकया था। आसके
खम्पती तिद्रोह पटरणामस्िरूप 80 तब्रटटश सैतनक मारे गए थे।
 ताइ खम्पती के बारे में
o यह ऄरुणाचल प्रदेश की प्रमुख जनजाततयों में से एक है। िे नामसाइ तजले में ऄतधिातसत हैं।
o ‘खम्पती’ शब्द का ऄथक है ‘सोने से भरी भूतम’।
o िे थेरिाद बौद्ध धमक का पालन करते हैं। ईनकी ऄपनी तलतप है, तजसे ताइ तलतप (तलक-ताइ) कहते हैं।
 खम्पती नृत्य को का पुग
ं (का ऄथक नृत्य और पुग
ं का ऄथक कहानी) के रूप में भी जाना जाता है।

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6. तितिध (MISCELLANEOUS)
6.1. जनजातीय गौरि ददिस ( Janjatiya Gaurav Divas)
सुर्तियों में क्यों?
तबरसा मुडं ा के बारे में
हाल ही में, कें द्रीय मंतत्रमंडल ने तबरसा मुड
ं ा  तबरसा मुंडा को भगिान तबरसा मुंडा या धरती अबा के नाम से भी जाना जाता था। ईनका
की जयंती के ऄिसर पर 15 निंबर को जन्म छोटानागपुर पठार क्षेत्र (झारखंड) के
खूटं ी तजले में मुड
ं ा जनजातत में हुअ था।
'जनजातत गौरि ददिस' के रूप में मनाने का
 इसाइ धमक में प्रारं तभक धमांतरण और
तनणकय तलया है। आसका ईद्देश्य भारतीय तमशनरी स्कू ल से तशक्षा प्रातप्त के बाद, शीघ्र
आततहास और संस्कृ तत में ऄनुसतू चत
ही ईन्हें तब्रटटश और जमींदारों द्वारा स्थानीय
जनजाततयों के योगदान को सम्मातनत
जनजाततयों के शोषण का एहसास हुअ। आन
करना है। लोगों को ‘दीकू ’ (ऄथाकत ‘बाहरी लोग) कहा
ऄन्य संबतं धत तथ्य जाता था।
 यह ददिस प्रततिषक मनाया जाएगा  तबरसा अददिासी समाज में सुधार करना
और सांस्कृ ततक तिरासत के संरक्षण चाहते थे और आसतलए, ईन्होंने लोगों से जादू
और िीरता, अततथ्य एिं राष्ट्रीय टोने में तिश्वास को त्यागने का अग्रह दकया।
गौरि के भारतीय मूल्यों को बढ़ािा आसके बजाय प्राथकना के महत्ि, शराब से दूर
देने के तलए अददिातसयों के प्रयासों
रहने, भगिान में तिश्वास रखने और अचार
को मान्यता देगा।
संतहता का पालन करने पर बल ददया।
 संथाल, तामार, कोल, भील, खासी
o आन्हीं के अधार पर ईन्होंने तबरसाआत नामक एक नए धमक की भी शुरुअत की थी। यह
और तमज़ो जैसे अददिासी समुदायों इसाइ तमशनटरयों के तलए खतरा था, जो अददिातसयों का धमक पटरितकन कर रहे थे।
द्वारा कइ अंदोलनों से भारत के
 तबरसा ने स्थानीय ऄतधकाटरयों द्वारा अददिातसयों के शोषण और भेदभाि के तखलाफ
स्ितंत्रता संग्राम को मजबूती प्राप्त हुइ
'ईलगुलान' (तिद्रोह) या महान तिद्रोह (The Great Tumult) नामक एक अंदोलन शुरू
थी।
दकया।
 तब्रटटश औपतनिेतशक शासन के
o आसके पटरणामस्िरूप छोटानागपुर काश्तकारी (Chotanagpur Tenancy - CNT)
तखलाफ देश के तितभन्न क्षेत्रों में
अददिासी अंदोलन राष्ट्रीय स्ितंत्रता ऄतधतनयम, 1908 पाटरत हुअ।
संग्राम से जुडे और पूरे देश में o CNT ऄतधतनयम में भूतम ऄतभलेखों के तनमाकण और रखरखाि के प्रािधान दकए गए थे।
भारतीयों को प्रेटरत दकया। आस ऄतधतनयम ने ''मुंडारी खुंटकट्टीदार'' (ईन्हें मुंडाओं के बीच भूतम का मूल ऄतधिासी
भारत में प्रमुख अददिासी अंदोलन
माना जाता है) की एक तिशेष काश्तकारी श्रेणी भी तनर्तमत की थी। साथ ही, गैर-
 अददिासी अंदोलनों के बेहतर
अददिातसयों को भूतम का हस्तांतरण प्रततबंतधत कर ददया गया था।
तिलेषण के तलए आन अंदोलनों को
 तबरसा मुड ं ा ने बैठ-बेगारी प्रणाली' का भी सदिय रूप से तिरोध दकया। यह एक प्रकार की
भारत की मुख्य भूतम के अददिासी
तिद्रोहों तथा पूिोत्तर क्षेत्र में कें दद्रत ‘बलात श्रम’ प्रणाली थी, जो अददिातसयों पर लागू होती थी।
और सीमांत अददिासी तिद्रोहों के रूप  9 जून, 1900 को हैजा से मुड ं ा की मृत्यु हो गइ थी। हालांदक, ऐसा कहा जाता है दक जेल में
में िगीकृ त दकया गया है। रहते हुए ईनमें हैजा के कोइ लक्षण नहीं थे, दफर भी तब्रटटश सरकार ने ईनकी मृत्यु के कारण
o मुख्य भूतम पर हुए अददिासी
को हैजा बताया।
तिद्रोह
 ऄंग्रेजों की भूतम बंदोबस्त प्रणाली ने
अददिातसयों की संयि ु स्िातमत्ि
परं परा को प्रभातित दकया और ईनकी
सामातजक व्यिस्था को बातधत दकया।
 जैसा दक कं पनी शासन द्वारा कृ तष को
एक व्यितस्थत रूप में तिस्ताटरत दकया
गया था, आससे अददिासी ऄपनी
भूतमयों से िंतचत हो गए थे और आन
क्षेत्रों में गैर-अददिासी लोगों का प्रिेश
बढ़ गया था।
 िनों में स्थानांतटरत खेती पर ऄंकुश

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लगाया गया, आससे अददिातसयों की समस्याएं और बढ़ गईं।
 सरकार ने अरतक्षत िनों की स्थापना कर, लकडी के ईपयोग और चराइ को प्रततबंतधत कर िन क्षेत्रों पर अददिासी
ऄतधकारों को सीतमत कर ददया।
 पुतलस, व्यापाटरयों और साहूकारों (ईनमें से ऄतधकांश 'बाहरी लोगों') द्वारा शोषण ने अददिातसयों के किों को और
बढ़ाया।
 ईपतनिेशिाद के तिस्तार के साथ, इसाइ तमशनरी आन क्षेत्रों में अए और ईनकी गतततितधयों ने अददिातसयों के पारं पटरक
रीतत-टरिाजों में हस्तक्षेप दकया।
o पूिोत्तर सीमांत की जनजाततयों के अंदोलन
 ईनके तिद्रोह ऄक्सर भारतीय संघ के भीतर राजनीततक स्िायत्तता या पूणक स्ितंत्रता के पक्ष में थे।
 ये अंदोलन िन-अधाटरत या कृ तष तिद्रोह नहीं थे, क्योंदक भूतम और िन क्षेत्र, अमतौर पर आन अददिातसयों के तनयंत्रण
में थे।
 ऄंग्रेजों के तिरुद्ध सीमांत जनजातीय तिद्रोह गैर-सीमांत जनजातीय अंदोलनों की तुलना में लंबे समय तक जारी रहा।
 भारत की जनजाततयों द्वारा बोली जाने िाली कु छ लोकतप्रय भाषाएाँ आस प्रकार हैं: भतरी, भीली, हल्बी, हो, कु इ, कोलामी, कु इ,
कोंडा, कोया, गोंडी, ईरांि/कु रुख, पारजी अदद।
भारत में अददिासी अंदोलनों के मुद्दे
 अददिासी तिद्रोह शुरू से ही प्रबल नहीं थे। आसका कारण यह था दक ईनके पास संघषक के तलए पुराने हतथयार थे , तजनका मुकाबला
ईनके तिरोतधयों द्वारा ईपयोग दकए जाने िाले अधुतनक हतथयारों और तकनीकों से था।
 ऄतधकांश तिद्रोह प्रकृ तत में स्थानीयकृ त थे और ईनमें ऄतखल भारतीय भागीदारी का ऄभाि था।
 तिद्रोह में समन्िय और सुतनयोजन का ऄभाि था।
भारत के प्रमुख अददिासी तिद्रोह

नाम ईद्गम स्थान घटनाएं पटरणाम

पहातडया राज महल पहातडयााँ ऄंग्रेजों द्वारा ईनके क्षेत्र में तिस्तार करने पर, आनके क्षेत्र को दातमन-ए-कोह क्षेत्र घोतषत
करके ऄंग्रेजों को मजबूरन शांततपूणक तरीके
(1778) िीर पहातडयों ने तिद्रोह कर ददया।
से यहााँ से लौटना पडा।

चुअर तिद्रोह तमदनापुर तजले में 1776-1772 इ.  ऄकाल, लगान की बढ़ती मांग और आस तिद्रोह का ऄंग्रेजों द्वारा तनदकयता से
(तजसे अर्तथक तंगी ने चुअर जनजाततयों को दमन दकया गया था।
और 1795-1816 इ. के मध्य
जंगलमहल हतथयार ईठाने के तलए मजबूर कर
अंदोलन के
ददया था।
नाम से भी
जाना जाता है)
 सबसे महत्िपूणक तिद्रोह 1798 इ. में
दजकन बसह के नेतृत्ि में शुरू हुअ।

कोल तिद्रोह छोटानागपुर  कोल सरदारों से बाह्य लोगों जैसे दक व्यिस्था को बहाल करने के तलए बडे
(1831) तहन्दू, तसख, मुतस्लम दकसानों और पैमाने पर सैन्य ऄतभयान चलाया गया।
साहूकारों को बडी मात्रा में भूतम
हस्तांतटरत की गइ।
 तब्रटटश न्यातयक और राजस्ि नीततयों ने
कोल समुदाय की पारं पटरक सामातजक
तस्थतत को प्रभातित दकया।
 प्रतसद्ध नेता: बुद्धो भगत।

हो और मुड
ं ा बसहभूम  पराहाट के राजा ने हो जनजाततयों  यह तिद्रोह 1832 इ. में समाप्त हो
तिद्रोह (1820- को ऄतधग्रहण के तखलाफ तिद्रोह करने गया था, लेदकन हो लोगों की
1837) के तलए संगटठत दकया था। तिद्रोही गतततितधयां 1837 इ. तक
 बाद में, 1831 इ. में, नइ कृ तष राजस्ि जारी रहीं।

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नीततयों और बंगातलयों के प्रिेश के
तिरुद्ध तिरोध करने के तलए हो मुंडाओं
के साथ तमल गए।

संथाल तिद्रोह राजमहल पहातडयााँ  पुतलस और जमींदारों के सहयोग से  तिद्रोह को रोकने के तलए िारे न
(1855-56) साहूकारों ने दकसानों का शोषण दकया हेबस्टग्स द्वारा दीघककालीन सैन्य
और ईनकी भूतम का बलात ऄतधग्रहण कारक िाइ की गइ।
दकया।  'संथाल परगना' का तनमाकण दकया
 दो भाआयों, तसद्धू और कान्हू के नेतृत्ि गया।
में संथाल ने कं पनी राज के ईन्मूलन की  एक संथाल के तलए गैर-संथाल को
ईद्घोषणा की और भागलपुर एिं भूतम हस्तांतटरत करना ऄिैध
राजमहल के बीच के क्षेत्र को स्ितंत्र घोतषत कर ददया गया।
घोतषत कर ददया।

खोंड तिद्रोह ओतडशा से श्रीकाकु लम और  युिा राजा, चि तबसोइ ने नरबतल की बाद में, चि तबसोइ के लापता होने के
(1837-1856) तिशाखापटनम तक
मनाही, नए करों और ईनके क्षेत्रों में बाद, यह तिद्रोह समाप्त हो गया।
जमींदारों के प्रिेश का तिरोध करने के
तलए खोंडों का नेतृत्ि दकया था।
 तिदेशी राज की समातप्त और स्ितंत्र
सरकार को प्राप्त करने की अशा में
1914 इ. में ओतडशा में एक ऄन्य
तिद्रोह शुरू हुअ था।

कोया तिद्रोह पूिी गोदािरी क्षेत्र  पुतलस और साहूकारों द्वारा


(1803, 1840, 1845, 1858, शोषण, नए तनयम और िन
क्षेत्रों में आनके परं परागत
1861, 1862 और 1879-80)
ऄतधकारों की ऄस्िीकृ तत अदद
आनकी तशकायतें थी।

भील तिद्रोह (1817-19) भील पतिमी घाट में  ईन्होंने तिद्रोह आसतलए दकया  तब्रटटश राज ने तिद्रोह को रोकने के
तनिास करते थे और क्योंदक, ईन्हें ऄकाल, अर्तथक तलए दोनों, बल और सुलह प्रयासों
ईत्तर तथा दक्कन के बीच तंगी और कु शासन का सामना का प्रयोग दकया था।
पहाडी दरों को तनयंतत्रत
करना पडा था।
करते थे।
 भीलों ने 1825, 1831 और
1846 इ. में पुन: तिद्रोह दकया
था।
 गोबिद गुरु ने 1913 इ. तक
भील राज के तलए संघषक करने
हेतु ईन्हें संगटठत करने में
दतक्षण राजस्थान के भीलों की
मदद की थी।

कोली तिद्रोह भील अददिातसयों के  आन्होंने कं पनी राज के अरोपण


(1829,1839 और 1844-48) पडोसी का तिरोध दकया, तजसके कारण
आन्हें बडी मात्रा में बेरोजगारी
और आनके दकलों के तिखंडन
का सामना करना पडा।

रामोसी तिद्रोह पतिमी घाट की पहाडी  तब्रटटश राज और प्रशासन का  श्रेष्ठ तब्रटटश सेना ने क्षेत्र में व्यिस्था
जनजातत तब्रटटश प्रारूप मंजूर नहीं था। को पुनः स्थातपत दकया।
 आन्होंने राज्य-हडप नीतत का अमतौर पर ऄंग्रेजों ने रामोतसयों के
तिरोध दकया। प्रतत शांततिादी नीतत ऄपनाइ थी।

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 ये 1822 इ. में तचत्तूर बसह के
नेतृत्ि में संगटठत हुए और
सतारा के अस-पास के क्षेत्रों को
लूटा।

मुड
ं ा तिद्रोह (1899-1900) छोटा नागपुर  यह तिद्रोह एक धार्तमक  छोटा नागपुर पठार में तब्रटटश सैन्य
अंदोलन के रूप में शुरू हुअ दल तैनात कर ददए गए थे।
था। दकन्तु सामंती, जमींदारी,  तबरसा को तगरफ़्तार कर कारािास
पटिारी और साहूकारों द्वारा का दंड ददया गया था।
दकए गए शोषण से लडने के
तलए आसने रानीततक बल ग्रहण
दकया।

ऄन्य तिद्रोह  नैकदा अंदोलन (1860 के दशक में मध्य प्रदेश और गुजरात); तब्रटटश और जाततिादी बहदुओं के
तखलाफ।
 खरिार अंदोलन (1870 के दशक में तबहार) राजस्ि बंदोबस्त गतततितधयों के तखलाफ खरिारों द्वारा
दकया गया था।
 बस्तर तिद्रोह (1910 इ. जगदलपुर); नए सामंतों और िन शुल्क के तखलाफ।
 ताना भगत अंदोलन: मुड
ं ा और ईरांि जनजातत ने यह अंदोलन शुरू दकया था। आसका नेतृत्ि जतरा
भगत और बलराम भगत द्वारा दकया गया था (1914-15 इ. छोटानागपुर)। यह बाह्य लोगों के हस्तक्षेप
के तखलाफ एक सांस्कृ ततक अंदोलन के रूप में शुरू हुअ था।
 कोया के ऄलूरी सीताराम राजू के नेतत्ृ ि में रं पा तिद्रोह (1916 ि 1922-1924 इ. अंध्र प्रदेश के रं पा
क्षेत्र में)। तब्रटटश हस्तक्षेप के तखलाफ।
 गोंड तिद्रोह (1940 के दशक में) गोंड धमक के लोगों को एकतत्रत करने के तलए अरं भ हुअ था।

पूिोत्तर भारत के जनजातीय अंदोलन

नाम ईद्गम स्थान घटनाएं पटरणाम

ऄहोम तिद्रोह ऄसम  प्रथम बमाक युद्ध (1824-26) के बाद िातपस  ऄहोम साम्राज्य का तिभाजन करके
(1828) लौटने के ऄपने िादे को ऄंग्रेजों ने पूरा नहीं दकया कं पनी द्वारा तिद्रोह को दबा ददया गया
था। था।
 यह तिद्रोह गोमधर कुं िर के नेतृत्ि में शुरू हुअ
था।

खासी तिद्रोह गारो और  तब्रटटश एक सडक का तिकास करना चाहते थे  ऄंग्रेजी सेना द्वारा तिद्रोह को दबा ददया
(1833) जयंततया पहातडयााँ तादक बाहर के श्रतमक यहााँ प्रिेश कर पाएाँ। गया था।
 तीरथ बसह के नेतृत्ि में आस तिद्रोह का संचालन
हुअ था।

ऄन्य मुख्य तिद्रोह  बसगफोस तिद्रोह (1830 का दशक; ऄसम)।


 कु की तिद्रोह (1917-19 इ. मतणपुर); प्रथम तिश्व युद्ध के दौरान मजदूरों को भती करने की तब्रटटश नीतत के तिरुद्ध।
 तत्रपुरा में तिद्रोह; हाईस टैक्स दरों में बढ़ोतरी और क्षेत्र में बाह्य लोगों के तनिास के तखलाफ (1863, 1920 का दशक,
1942-43)।
 जेतलयांगसोंग तिद्रोह (1920 का दशक, मतणपुर); ज़ेमी, तलयांगमे और रोंगमे जनजाततयों के नेतृत्ि में।
 नागा अंदोलन (1905-31 इ. मतणपुर); जादोनांग के नेतृत्ि में। तब्रटटश शासन के तखलाफ और नागा शासन स्थातपत करने
के तलए।
 हेराका अंदोलन (1930 के दशक में मतणपुर); रानी गाआददन्ल्यू के नेतृत्ि में। आस अंदोलन को तो दबा ददया गया था, दकन्तु
1946 इ. में काबुइ नागा संघ का तनमाकण हो गया था।

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सुर्तियों में रही जनजाततयां

जनजातत के नाम तििरण (Description)


कोन्याक जनजातत (Konyaks  भारतीय सेना द्वारा 'गलती से' नागटरकों को मारे जाने के बाद नागालैंड में भडकी हातलया बहसा के कें द्र में
tribes) कोन्याक जनजातत है।
 यह नागालैंड का सबसे बडा (मोन तजले के लगभग सौ गांिों में ऄतधिातसत) जनजातीय समूह है। कोन्याक
समुदाय के लोग, ऄरुणाचल प्रदेश और म्यांमार में भी ऄतधिातसत हैं।
 ऄपने चेहरों पर टैटू से पहचाने जाने िाले, कोन्याक पारं पटरक तशकारी और योद्धा हैं लेदकन ऄब ईनका
मुख्य व्यिसाय कृ तष है।
 कोन्याक जनजातत के लोगों को पहले 'हेड हंटसक' के नाम से पुकारा जाता था। िे प्रततद्वंद्वी जनजाततयों पर
हमला करने के बाद ईनके तसर काट देते थे। िषक 1960 के बाद से आन्होने आस प्रथा को छोड ददया है।
हक्की तपक्की जनजातत  हक्की तपक्की एक यायािर जनजातत है, जो ईत्तर भारत से पलायन करके ितकमान में मुख्य रूप से कनाकटक

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क्षेत्र और ऄन्य दतक्षण भारतीय राज्यों में ऄतधिातसत हो गइ है।
 ईन्हें पक्षी पकडने िाले (कन्नड भाषा में हक्की का ऄथक पक्षी और तपक्की का ऄथक है पकडने िाला) कहा जाता
है
 िे तहन्द-अयक भाषा बोलते हैं, तजन्हें तिद्वानों ने ‘िागरी’ नाम ददया है।
o यूनस्े को (UNESCO) ने हक्की पीक्की को लुप्तप्राय भाषाओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध दकया है।
 ितकमान में, िे मुख्य रूप से हबकल तेलों जैसे हबकल ईत्पादों की तबिी में संलग्न हैं।
कतकारी जनजातत (Katkari  कतकारी जनजातत महाराष्ट्र और गुजरात के कु छ तहस्सों में रहने िाले 75 तिशेष रूप से कमजोर
Tribe) जनजातीय समूहों में से एक है।
o खैर (बबूल कत्था) की लकडी से गाढ़ा रस कथा (कत्था) बनाने के ऄपने पुराने व्यिसाय के कारण
ईन्हें कथोडी के रूप में भी जाना जाता है।
 हाल ही में, ईनमें से कु छ ट्राआफे ड द्वारा संचातलत प्रधान मंत्री िन धन योजना के तहत स्ियं सहायता
समूहों के माध्यम से तगलोय जैसे लघु िनोपजों को एकत्र करने में लगे हुए हैं।
हलाम जनजातत (Halam Tribe)  700 से ऄतधक हलाम लोग बहसा के पिात तत्रपुरा लौट अए हैं।
 नृजातीय रूप से हलाम कु की-तचन जनजाततयों के कोके स-मंगोलॉयड (Cocase-Mongoloid) मूल से
संबंतधत हैं। आनकी भाषा भी कमोबेश ततब्बती-बमकन पटरिार के समान है।
 ये भारत में तत्रपुरा, ऄसम और तमजोरम राज्यों के मूल तनिासी हैं।
 हलाम मूल रूप से बहदू हैं और शाि (शति) संप्रदाय के ऄनुयायी हैं, हालांदक मुरबसह, रूतपनी और कलोइ
जैसे कु छ ईप-कु लों में िैष्णििाद का प्रसार हो रहा है। दकन्तु हलाम लोगों द्वारा इसाइ धमक को भी ऄपनाया
जा रहा है।
 हलाम तितशि प्रकार के "टोंग घरों (Tong Ghar)" में रहते हैं जो तिशेष रूप से बांस और चान घास से
बने होते हैं।
िन गुजरक  नैनीताल में ईत्तराखंड ईच्च न्यायालय ने हाल ही में गोबिद पशु तिहार राष्ट्रीय ईद्यान के भीतर तस्थत
घुमत
ं ू खानाबदोश जनजातत बुग्याल (तहमालयी ऄल्पाआन घास के मैदान) में िन गुजरक ों के ऄपने ग्रीष्मकालीन िासभूतम में प्रिास करने
के ऄतधकार को बरकरार रखते हुए एक ऄंतटरम अदेश पाटरत दकया।
 िन गुजकर ईत्तराखंड तहमालय में खानाबदोश घुमत
ं ू समुदाय है, जो ग्रीष्मकाल में तराइ-भाबर और
तशिातलक क्षेत्र से ईच्च बुग्याल तक तथा शीत ऊतु में आसके तिपरीत घास के मैदानों / चरागाहों तक ऄपने
पशुओं को चारा ईपलब्ध कराने के तलए प्रिास करते हैं।
सुर्तियों में रही ऄन्य जनजातत  ओतडशा में तिशेष रूप से सुभद्य
े जनजातीय समूहों (PVTGs) में अने िाली डोंगटरया कोंध और बोंडा
जनजातत में कोतिड-19 संिमण के मामले दजक दकए गए हैं।
 डोंगटरया कोंध ओतडशा में रायगडा तजले की तनयमतगटर पहातडयों में रहते है।
 आनकी भाषा कु इ ऄतलतपबद्ध है।
 बोंडा जनजातत ऄपनी एकांत जीिन शैली के तलए जानी जाती है, जो ओतडशा, छत्तीसगढ़ और अंध्र प्रदेश
के संगम के पास, ओतडशा के मलकानतगरी के उंचे आलाकों में रहती है।
 िे मुड
ं ा नृजातीय समूह से संबंतधत हैं।
 अयकन घाटी में ददक समूह: यह लद्दाख में एक बौद्ध अददिासी समूह है।
o ददक अयकन लोग लेह और कारतगल तजलों के धा, हनु, बीमा, दारतचक और गरकोन गांिों में तनिास करते हैं।
5 गांिों को एक साथ अयकन घाटी कहा जाता है।
o 'ददक' शब्द संस्कृ त के 'दारदास' शब्द से बना है। आसका ऄथक है पहातडयों पर रहने िाले लोग।" आस क्षेत्र के
लोग सांस्कृ ततक और भाषाइ रूप से लद्दाख के ऄन्य तहस्सों से तभन्न हैं।
o ईनकी संस्कृ तत अयक संस्कृ तत है।
o ददक अयकन ऄतधसूतचत ऄनुसतू चत जनजाततयों की सूची में शातमल नहीं है।

6.2. पू िोत्तर भारत में भू - पयक ट न स्थल ( Geo-tourism Sites in North East)
सुर्तियों में क्यों?
हाल ही में, भारतीय भूिैज्ञातनक सिेक्षण (GSI) ने ईत्तर पूिक में पयकटन हेतु भू-पयकटन स्थलों की पहचान की है।

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ऄन्य संबतं धत तथ्य:
 देश में 32 स्िीकृ त भू-पयकटन या भू-तिरासत स्थलों में पूिोत्तर भारत से बारह स्थान शातमल दकए गए हैं।
o आन बारह स्थलों
में से तीन
मेघालय में, दो-दो
ऄसम और तत्रपुरा
में, और एक-एक
ऄरुणाचल प्रदेश,
मतणपुर,
तमजोरम,
नागालैंड और
तसदक्कम में हैं।
 भारतीय भूिैज्ञातनक
सिेक्षण (Geological
Survey of India:
GSI) संरक्षण और
रखरखाि के तलए भू-
तिरासत स्थलों/राष्ट्रीय
भूिैज्ञातनक स्मारकों
की घोषणा करता है। GSI या संबंतधत राज्य सरकारों द्वारा आन स्थलों के संरक्षण हेतु अिश्यक ईपाय दकए जाते हैं।
 यूनस्े को (UNESCO) तिश्व स्तर पर ग्लोबल भू-ईद्यान (geoparks) भी घोतषत करता है। ितकमान में, भारत में कोइ िैतश्वक भू-
ईद्यान नहीं है।

आन स्थलों के बारे में

मेघालय  मामलुह गुफा, पूिी खासी तहल्स तजले में चेरापूंजी के तनकट तस्थत है। यह गुफा होलोसीन पुराजलिायु (Holocene
paleoclimate) और पुरामानसून (paleomonsoon) के महत्िपूणक साक्ष्य प्रदान करती हैं।
 मािबली या गॉड्स रॉक, पूिी खासी तहल्स तजले के बसटुंग गांि के तनकट तस्थत है। यह दिटेतशयस युग के खासी समूह से
संबंतधत है।
 थेटरयाघाट, पूिी खासी तहल्स तजले में तस्थत है। यह संभित: भारत में सबसे ऄच्छी तरह से संरतक्षत और सबसे पूणक िे टेतशयस-
पेतलयोजीन सीमा खंडों में से एक है।

ऄसम  माजुली: ब्रह्मपुत्र नदी में माजुली, तिश्व का सबसे बडा “नदी द्वीप” है।
 ईमानंद: ब्रह्मपुत्र में सबसे छोटे बसे हुए द्वीपों में से एक है।

तत्रपुरा  चबीमुरा को गोमती नदी के तट पर एक खडी पहाडी तभतत्त पर चट्टान पर ऄपनी नक्काशीदार पटट्टकाओं के तलए जाना जाता है।
 ईनाकोटट में 7िीं और 9िीं शताब्दी के बीच कइ शैलोत्कीणक मूर्ततयां और मंददर हैं।

ऄरुणाचल  संगस्े तर त्सो, िषक 1950 में एक बडे भूकंप के दौरान नदी में ऄिरोध ईत्पन्न होने के कारण तनर्तमत माधुरी झील के तलए प्रतसद्ध
प्रदेश है।

मतणपुर  लोकटक झील: यह पूिोत्तर की सबसे बडी ताजे जल की झील है। आसमें प्लिमान जैिभार ‘फु मडी’ या ईन पर मछु अरों की
झोपतडयां ‘फु मसंग’ पाइ जाती हैं।
o के यबुल लामजाओ राष्ट्रीय ईद्यान पृथ्िी का एकमात्र प्लिमान िन्यजीि ऄतधिास स्थल है। यह झील के दतक्षण-पतिमी
भाग में तस्थत है और संगाइ या ब्रो-एंटलडक डांबसग तडऄर का ऄंततम प्राकृ ततक पयाकिास स्थल है।

तमजोरम  रीक तलंग पहाडी तृतीयक रे त शेल तिकल्पों के क्षरण के कारण गटठत एक ‘क्यूस्टा’ है।
o कु एस्टा का ऄथक है एक तरफ एक कोमल ढलान या गतक के साथ एक टरज और दूसरी तरफ एक खडी ढलान।

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नागालैंड  नागा तहल ओदफयोलाआट में तितभन्न प्रकार की मेसोज़ोआक और तदन्तर सेनोजोआक चट्टानें शातमल हैं, जो भारत-म्यांमार
ऄतभसरण प्लेट सीमा पर ईत्पन्न हुइ हैं।

तसदक्कम  स्ट्रोमेटोलाआट पाकक , तजसमें स्ट्रोमेटोतलटटक (शैिाल) तिकास शातमल है। यह पाकक तसदक्कम तहमालय में पृथ्िी पर प्रारं तभक
जीिन के दुलकभ ईदाहरणों में से एक प्रस्तुत करता है।

6.3. सु र्तियों में रहे भौगोतलक सं के तक का दजाक प्राप्त ईत्पाद {Geographical


Indication (GI) Tag Products in News}
भौगोतलक संकेत (GI) टैग के बारे में
 GI ईन ईत्पादों पर ईपयोग दकया जाने िाला एक संकेत है , जो एक तितशि भौगोतलक क्षेत्र से ईत्पन्न होते हैं और तजसके कारण
ईनमें ऄनूठी तिशेषताओं एिं गुणों का समािेश होता है। ये तिशेषताएं ईस मूल क्षेत्र के कारण होती है। अमतौर पर कृ तष ईत्पादों,
खाद्य पदाथों, शराब और तस्पटरट पेय, हस्ततशल्प और औद्योतगक ईत्पादों को GI टैग प्रदान दकया जाता है।
 GI, ईन बौतद्धक संपदा ऄतधकारों का तहस्सा है, जो औद्योतगक संपतत्त के संरक्षण के तलए पेटरस ऄतभसमय के ऄंतगकत अते हैं।
o GI, बौतद्धक संपदा ऄतधकार समझौते के व्यापार संबंधी पहलुओं (टट्रप्स/TRIPS) के ऄंतगकत अता है।
o एक GI टैग एक दशक के तलए िैध होता है। आसके बाद आसे ऄगले 10 िषों के तलए निीनीकृ त दकया जा सकता है।
 आस टैग के माध्यम से भौगोतलक संकेतक दजाक प्राप्त ईत्पादक/तनमाकता दकसी तृतीय पक्ष को ईसके ईत्पाद की नकल करने से रोक
सकता है। आस तृतीय पक्ष का ईत्पाद लागू मानकों के ऄनुरूप नहीं होता है।
 भारत में, भौगोतलक संकेतक पंजीकरण को ‘माल के भौगोतलक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) ऄतधतनयम,1999’ द्वारा प्रशातसत
दकया जाता है।
 भारत में GI टैग पाने िाला पहला ईत्पाद िषक 2004 में दार्तजबलग चाय था।

राज्य भौगोतलक संकेतक संबतं धत तथ्य


ईत्पाद (GI
Product)
ततमलनाडु मदुरै मल्ली  हाल ही में, GI (भौगोतलक संकेतक) प्रमातणत मदुरै मल्ली (चमेली पुष्प की एक प्रजातत) और ऄन्य
पारं पटरक पुष्पों (जैस-े बटन गुलाब, तलली, चमंथी और मैरीगोल्ड) को ततमलनाडु से ऄमेटरका और संयि

ऄरब ऄमीरात जैसे देशों को तनयाकत दकया गया है।
 आन पुष्पों के तनयाकत का ईद्देश्य तिदेशों में रहने िाले भारतीयों के तलए ताजे पुष्पों की अपूर्तत को
सुतनतित करना है, तादक िहां रह रहे भारतीय लोगों के ऄपने घरों और मंददरों में स्थातपत बहदू देिताओं
के तलए ताजे पुष्पों की मांग को पूणक दकया जा सके गा।
 मदुरै मल्ली के तलए एक प्रमुख बाजार के रूप में ईभरा है। साथ ही, यह भारत की 'चमेली राजधानी'
(jasmine capital) के रूप में भी तिकतसत हुअ है।
कल्लाकु टरची काष्ठ-  कल्लाकु टरची काष्ठ-नक्काशी में तशल्पकारों द्वारा पारं पटरक शैतलयों से प्राप्त ऄलंकरण और तडजाआनों का
नक्काशी ईपयोग दकया जाता है।
o प्राचीन काल में जब मदुरै एक महत्िपूणक नगर था, तब ईस दौरान काष्ठ पर नक्काशी का कौशल एक
स्िदेशी कला के रूप में तिकतसत हुअ था।
 ततमलनाडु में GI टैग प्राप्त ऄन्य ईत्पाद: कन्याकु मारी लौंग, बडडीगुल ताले, महाबलीपुरम पाषाण प्रततमा,
नीलतगरी (परं परागत) चाय, तिरुपाक्षी पहाडी के ला, तंजािुर गुतडया, तंजािुर तचत्रकारी, कांचीपुरम
रे शमी साडी अदद।
पतिम लक्ष्मणभोग अम  आस अम को बहरीन में अयोतजत सप्ताह भर चलने िाले भारतीय अम प्रचार कायकिम में प्रदर्तशत दकया
बंगाल गया था।
 यह ऄपने तितशि स्िाद और ईपतस्थतत के तलए जाना जाता है। आसे प्रतसद्ध ऄल्फांसो अम का एक
व्यिहायक तिकल्प माना जाता है।
तखसाकपतत अम  आस अम को बहरीन में अयोतजत सप्ताह भर चलने िाले भारतीय अम प्रचार कायकिम में प्रदर्तशत दकया

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गया था।
 यह ऄपने पीले-नारं गी रं ग और तितशि स्िाद के तलए भारत और तिदेशों में ऄत्यतधक प्रतसद्ध है।
 आसे व्यापक रूप से 'अम का शैम्पेन' माना जाता है। आस प्रजातत की एक और तिशेषता यह है दक आसमें
कोइ फाआबर नहीं होता है।
फातजल अम  GI (भौगोतलक संकेतक) प्रमातणत फातजल अम की एक खेप को पतिम बंगाल तस्थत मालदा तजले से
बहरीन देश को तनयाकत दकया गया है।
तबहार जरदालु अम  आस अम को बहरीन में अयोतजत सप्ताह भर चलने िाले भारतीय अम प्रचार कायकिम में प्रदर्तशत दकया
गया था।
 जरदालु को आसके िीमी टेक्सचर, प्राकृ ततक चमकीले पीले रं ग और एक अकषकक सुगध
ं के तलए GI टैग
तमला है।
गुजरात भातलया गेहूं  गेहूं की GI प्रमातणत भातलया दकस्म की प्रथम खेप गुजरात से के न्या और श्रीलंका को तनयाकत की गइ थी।
 आस फसल की खेती गुजरात के भाल क्षेत्र में की जाती है, तजसमें ऄहमदाबाद, अणंद, खेडा, भािनगर,
सुरेंद्रनगर तथा भरूच तजले शातमल हैं।
 आस दकस्म की ऄनूठी तिशेषता यह है दक आसकी खेती िषाक अतश्रत दशाओं में की जा सकती है।
 आसमें प्रोटीन की मात्रा ऄतधक होती है और यह स्िाद में मीठा होता है।
ऄसम जुतडमा राआस िाआन  ऄसम की ददमासा जनजातत द्वारा घर में बनाइ जाने िाली चािल की शराब जुतडमा GI टैग प्राप्त करने
िाली पूिोत्तर की प्रथम पारं पटरक मददरा बन गइ है।
 जुतडमा का ईत्पादन करने के तलए, ददमासा जनजातत द्वारा बोरा (क्षेत्र के तलए देशज) नामक लसदार
चािल और क्षेत्र के असपास के िनों से एकत्र दकए गए थेम्ब्रा (बबूल/एके तसया पेनाटा) नामक पौधे की
छाल का ईपयोग दकया जाता है।
 ऄसम के कु छ ऄन्य GI टैग पंजीकृ त ईत्पादों में मुगा तसल्क, जोहा चािल तथा तेजपुर लीची शातमल हैं।
महाराष्ट्र ऄल्फांसो अम  अमों का राजा, ऄल्फांसो तजन्हें महाराष्ट्र में ’हापुस’ के नाम से जाना जाता है, घरे लू और ऄंतराकष्ट्रीय
बाजारों में आसके स्िाद, सुखद खुशबू और जीिंत रं ग के कारण ऄत्यतधक मांग में है।
 महाराष्ट्र के रत्नातगरी, बसधुदग
ु ,क पालघर, ठाणे और रायगढ़ तजलों से ऄल्फांसो ने भौगोतलक संकेतक टैग
(GI tag) हातसल कर तलया है।
सफे द प्याज  हाल ही में, महाराष्ट्र के रायगढ़ तजले के ऄलीबाग के सफे द प्याज को भौगोतलक संकेत (GI) टैग प्रदान
दकया गया है।
 यह GI टैग आसके तितशि मीठे स्िाद, आसे काटने पर अंसू न तनकलने अदद जैसे कारकों के साथ-साथ
आसके औषधीय गुणों को तिश्व भर में पहचान ददलाने में मदद करे गा।
 यह मनुष्यों में प्रततरक्षा क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही यह ऄतनद्रा, रि की सफाइ, रिचाप और
गमी से संबंतधत बीमाटरयों के प्रभाि को भी कम करने में मदद करता है।
ईत्तराखंड 7 स्िदेशी ईत्पाद  जी.अइ. टैग प्राप्त ईत्तराखंड के आन 7 स्िदेशी ईत्पादों में शातमल हैं: कु माउं का च्युरा तेल, मुनस्यारी
राजमा, भोटटया दन्न (भोटटया नामक एक घुमन्तु समुदाय द्वारा बनाए जाने िाला गलीचा), ऐपण (तिशेष
ऄिसरों पर तनष्पाददत की जाने िाली पारं पटरक कला), टरगल तशल्प/िाफ्ट (बांस के रे शों से कलाकृ ततयां
बनाने की कला), तांबे के ईत्पाद और थुलमा (स्थानीय रूप से प्राप्त िस्त्रों से बने कं बल)।
o ध्यातव्य है दक तेजपत्ता (आं तडयन बे लीफ), जी.अइ. टैग प्राप्त करने िाला राज्य का प्रथम ईत्पाद
था।

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6.4. भारतीय स्ितं त्र ता अं दोलन और तिज्ञान की भू तमका ( Indian
Independence Movement & the Role of Science)
सुर्तियों में क्यों?
हाल ही में, “भारतीय स्ितंत्रता अंदोलन और तिज्ञान की भूतमका” पर कें दद्रत दो ददिसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का अयोजन दकया गया।
ऄन्य संबतं धत तथ्य
 आस राष्ट्रीय सम्मेलन का अयोजन भारतीय स्ितंत्रता की 75िीं िषकगांठ के ईपलक्ष्य में दकया गया था।
 आस सम्मेलन का अयोजन िैज्ञातनक तथा औद्योतगक ऄनुसध
ं ान पटरषद-राष्ट्रीय तिज्ञान संचार और नीतत ऄनुसध
ं ान संस्थान (CSIR-
NIScPR) ने दकया था। तिज्ञान प्रसार, भारत सरकार का तिज्ञान और प्रौद्योतगकी तिभाग तथा तिज्ञान भारती (VIBHA) आसके
सहयोगी थे।
 यह सम्मेलन िस्तुतः ऄधीनता और स्ितंत्रता के ईपकरण के रूप में तिज्ञान तथा िैज्ञातनकों, संस्थानों, अंदोलनों, नीततयों एिं
योजनाओं की भूतमका पर कें दद्रत था। साथ ही, आसमें स्ितंत्रता के ईपकरण के रूप में िैज्ञातनकों के दृतिकोण जैसे पहलू पर ध्यान
ददया गया था।

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ऄधीनता के ईपकरण के रूप में तिज्ञान
रणनीतत ईदाहरण

तब्रटटश द्वारा भारत  ऄंग्रेजों ने भारतीय सिेक्षण तिभाग (िषक 1767 में स्थातपत), ग्रेट टट्रगोनोमेटट्रकल सिे ऑफ आं तडया (GTS) (िषक
के शोषण के ईपकरण के 1818 में स्थातपत) और भारतीय रे लिे (िषक 1853 में स्थातपत) अदद की स्थापना की थी। आनकी स्थापना समृद्ध
रूप में तिज्ञान
धातु क्षेत्रों की खोज तथा कलकत्ता, बॉम्बे एिं मद्रास प्रेसीडेंसी शहरों तक आन खतनजों के पटरिहन हेतु की गइ थी।

तब्रटटश राज में ‘रं गभेद’  माईं ट एिरे स्ट की उंचाइ की गणना करने िाले पहले व्यति राधानाथ तसकदार थे।

के रूप में तिज्ञान  तजस मलेटरया परजीिी की खोज के तलए सर रोनाल्ड रॉस को नोबेल पुरस्कार से पुरस्कृ त दकया गया था, ईसकी
खोज में दकशोरी मोहन बंदोपाध्याय ने महत्िपूणक भूतमका तनभाइ थी।
 िषक 1857 के तिद्रोह के दौरान तशिचंदर नंदी ने तनरीक्षक के रूप में तब्रटटश सरकार को ईत्कृ ि सेिाएं प्रदान की थी।
 हालांदक, आनमें से दकसी को भी ईनके तितशि कायक के तलए यथोतचत सम्मान नहीं ददया गया था। आसके ऄततटरि,
ईनके साथ िेतन, पदोन्नतत अदद के मामले में भी भेदभाि दकया गया था।

स्ितंत्रता के ईपकरण के रूप में तिज्ञान

ऄंग्रेजों ने कलकत्ता, मद्रास और बंबइ में नए शैक्षतणक संस्थान स्थातपत दकए थे। आसका ईद्देश्य ऄतधक कु शल और प्रबुद्ध कायकबल तैयार
करना था। हालांदक, आन संस्थानों से तनकलने िाले युिा िैज्ञातनकों ने आस तमथक को खंतडत दकया दक भारतीयों में िैज्ञातनक दृतिकोण का
ऄभाि है। साथ ही, ईन्होंने यह भी तसद्ध दकया दक भारतीय भी तार्दकक रूप से सोच सकते हैं तथा ईस दौर में प्रचतलत क्षेत्रों में मूल
ऄनुसंधान कर सकते हैं। ईनके प्रयासों के पटरणामस्िरूप भारतीयों द्वारा कइ िैज्ञातनक संस्थानों की स्थापना की गइ। आनमें से कु छ
तनम्नतलतखत हैं:
 आं तडयन एसोतसएशन फॉर कतल्टिेशन ऑफ साआं स (IACS): आसकी स्थापना डॉ. महेंद्रलाल सरकार द्वारा की गइ थी। आसका ईद्देश्य
मौतलक ऄनुसंधान के माध्यम से िैज्ञातनक प्रगतत के तलए, तिज्ञान के सभी क्षेत्रों में िैज्ञातनक दृतिकोण को ऄपनाने हेतु भारतीय
तनिातसयों को सक्षम बनाना था। IACS के तहत सात ऄतग्रम क्षेत्रों में प्रयास दकए गए। आनमें भौततकी, रसायन तिज्ञान, खगोल
शास्त्र, िगीकरण िनस्पतत तिज्ञान, िगीकरण जीि तिज्ञान, शरीर दिया तिज्ञान और भूतिज्ञान शातमल थे।

 बंगाल के तमकल एंड फामाकस्युटटकल िकक शॉप: आसे िषक 1901 में अचायक पी.सी.रे द्वारा स्थातपत दकया गया था। आसने भारत में
स्िदेशी ईद्योग को स्थातपत करने में ऄतत महत्िपूणक योगदान ददया था।
 भारतीय तिज्ञान संस्थान (IISC): िषक 1908 में आसे सर जमशेदजी नसरिानजी टाटा ने स्थातपत दकया था। आसकी स्थापना जापान
से तशकागो की यात्रा के दौरान स्िामी तििेकानंद द्वारा िषक 1893 में ददए गए सुझािों के बाद की गइ थी।

 कलकत्ता मैथमेटटकल सोसायटी: आसे िषक 1908 में स्थातपत दकया गया था। आसका ईद्देश्य गतणत के क्षेत्र में ऄिसरों का सृजन करना
तथा तिद्यार्तथयों के माध्यम से आस ददशा में महत्िपूणक योगदान देना है।

 बोस ऄनुसध
ं ान संस्थान: आसे िषक 1917 में सर जगदीश चंद्र बोस ने स्थातपत दकया था। ईन्होंने आस संस्थान को न के िल एक
प्रयोगशाला बतल्क एक मंददर के रूप में राष्ट्र को समर्तपत दकया था। यह बाद में बसु तिज्ञान मंददर के नाम से तिख्यात हुअ।

o बोस ईस समय के एक ऄसाधारण भौततक तिज्ञानी, िनस्पततशास्त्री और जीि तिज्ञानी थे। ईन्होंने तिद्युत चुम्बकीय तिदकरणों
के बेतार (िायरलेस) संचार की खोज की थी। बोस 'िसुधि
ै कु टु म्बकम' के भारतीय दाशकतनक तिचारों के अजीिन पक्षधर बने
रहे थे। मानिीय तहत में ईन्होंने ऄपने शोध को कभी पेटेंट नहीं करिाया। िे ऄत्यतधक क्षमतािान व्यति थे। ईन्होंने ऄपनी
निीन तकनीकों और ईपकरणों के माध्यम से पौधों में जीिन एिं संिेदनशीलता के ऄतस्तत्ि की खोज की थी तथा ईन्हें
प्रमातणत भी दकया था।
 महाराष्ट्र एसोतसएशन फॉर कतल्टिेशन ऑफ साआं स (MACS): महेंद्रलाल सरकार के IACS से प्रेटरत होकर, िषक 1946 में प्रोफे सर
शंकर पुरुषोत्तम अघरकर ने पुणे में MACS की स्थापना की थी। िषक 1992 में आस संस्थान का नाम पटरिर्ततत कर अघरकर
ऄनुसध
ं ान संस्थान कर ददया गया था।
o अघरकर एक भारतीय अकृ तत तिज्ञानी (morphologist) और पतिमी घाट की जैि तितिधता के तिशेषज्ञ थे। यहां ईन्होंने
स्िच्छ जल में पाइ जाने िाली जेलीदफश की खोज की थी, जो अमतौर पर ऄफ्रीका में पाइ जाती है।

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6.5. सु र्तियों में रहे त्यौहार ( Festivals in News)

त्यौहार के नाम तििरण

पयुष
क ण और दस लक्षण  ऄमेटरकी राष्ट्रपतत ने जैन समुदाय को पयूकषण और दस लक्षण पिक की शुभकामनाएं दी हैं।
(Paryushan and o ये अत्मा के गुणों और सार को मनाने के त्यौहार हैं।
Daslakshan) o आन्हें ऄग्रतलतखत दस प्रमुख गुणों के कठोर पालन द्वारा तचतन्हत दकया जाता है: क्षमा, दान, सादगी,
संतोष, सत्यता, अत्म-संयम, ईपिास, िैराग्य, तिनम्रता और तनरं तरता।
 पयूष
क ण: आसे श्वेतांबर जैनों द्वारा मनाया जाता है। आसमें जैन ईपासकों के तलए ईपिास और ध्यान की
िार्तषक ऄितध 8-10 ददनों की होती है।
 दस लक्षण: आसे ददगंबर जैनों द्वारा मनाया जाता है। यह एक 10 ददिसीय त्यौहार है, जो पयूकषण के
ईपरांत होता है।
जल्लीकर्टटू  जल्लीकर्टटू ततमलनाडु का एक बैल को काबू करने से संबतं धत खेल है। यह पारं पटरक रूप से पोंगल के
त्यौहार का तहस्सा है।
 यह त्यौहार प्रकृ तत का ईत्सि है। आसके ऄंतगकत ऄच्छी फसल के तलए प्रकृ तत को धन्यिाद ददया जाता है। आस
दौरान पशु-पूजा भी की जाती है।
 संगम सातहत्य में भी जल्लीकर्टटू का ईल्लेख तमलता है। आसके ऄलािा, मोहनजोदडो में खोजी गइ एक मुहर
में भी बैल को िश में करने का संदभक तमलता है। यह मुहर 2,500 इसा पूिक से 1,800 इसा पूिक के मध्य की
है।
 ऄन्य राज्यों में भी आसी तरह के खेल अयोतजत दकए जाते हैं - कं बाला (अंध्र प्रदेश), बैलगाडी दौड
(महाराष्ट्र), मुगों की लडाइ (अंध्र प्रदेश और ऄन्य राज्य), उंट दौड (राजस्थान) अदद।

रज पिक  रज पिक या तमथुन संिांतत ओतडशा में नारीत्ि का जश्न मनाने िाला 3 ददिसीय त्योहार है।
 ऐसा माना जाता है दक आस ऄितध के दौरान धरती माता को मातसक धमक होता है और िह मानसून के
अगमन के साथ भतिष्य की कृ तष गतततितधयों के तलए स्ियं को तैयार करती है।
 आस दौरान सभी कृ तष संबंधी गतततितधयों (जैसे बुिाइ, कटाइ अदद) को तीन ददनों के तलए स्थतगत कर
ददया जाता है।

6.6. पु र स्कार और सम्मान ( Prizes and Awards)

पुरस्कार और सम्मान तििरण

राष्ट्रपतत द्वारा पद्म  आन पुरस्कारों की शुरुअत िषक 1954 में की गइ थी। िषक 1978 और 1979 तथा 1993 से 1997 के दौरान के संतक्षप्त
पुरस्कार अिंटटत व्यिधान को छोडकर प्रत्येक िषक गणतंत्र ददिस के ऄिसर पर आनकी घोषणा की जाती है।
o पद्म पुरस्कार तीन श्रेतणयों में ददए जाते हैं-ऄथाकत,्
 ऄसाधारण और तितशि सेिा के तलए पद्म तिभूषण;
 ईच्च कोटट की तितशि सेिा के तलए पद्म भूषण; तथा
 तितशि सेिा के तलए पद्मश्री।
o आन पुरस्कारों का ईद्देश्य तितभन्न दिया-कलापों या तिषयों के सभी क्षेत्रों में ईपलतब्धयों को सम्मातनत करना है,
जहां सािकजतनक सेिा का एक तत्ि शातमल है।
o आन्हें पद्म पुरस्कार सतमतत द्वारा की गइ तसफाटरशों के अधार पर प्रदान दकया जाता है। आस सतमतत का गठन
प्रत्येक िषक प्रधान मंत्री द्वारा दकया जाता है।
 आसके तलए स्ि-नामांकन भी दकया जा सकता है।
o हालांदक, डॉक्टरों और िैज्ञातनकों को छोडकर, सािकजतनक ईपिमों के तहत कायक करने िाले सरकारी कमकचारी
आन पुरस्कारों के तलए पात्र नहीं हैं।
 एक िषक में ददए जाने िाले पुरस्कारों की कु ल संख्या (मरणोपरांत पुरस्कारों और NRI/तिदेतशयों/OCI को छोडकर)
120 से ऄतधक नहीं होनी चातहए।

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 पुरस्कार तिजेताओं को राष्ट्रपतत द्वारा हस्ताक्षटरत एक सनद (प्रमाण-पत्र) और एक पदक प्रदान दकया जाता है। आस
पुरस्कार में कोइ नकद धनरातश प्रदान नहीं की जाती है।
सातहत्य ऄकादमी  सातहत्य ऄकादमी ने 20 भाषाओं में ‘सातहत्य ऄकादमी पुरस्कारों’ की घोषणा की है।
पुरस्कार (SAA) o गुजराती, मैतथली, मतणपुरी और ईदूक भाषाओं में पुरस्कारों की घोषणा बाद में की जाएगी।
 यह एक सातहतत्यक सम्मान है। यह प्रततिषक दकसी भी प्रमुख भारतीय भाषा में प्रकातशत सातहतत्यक योग्यता की सबसे
ईत्कृ ि पुस्तकों के लेखकों/लेतखकाओं को प्रदान दकया जाता है।
o संतिधान में ईतल्लतखत 22 भाषाओं के ऄलािा ऄंग्रज
े ी और राजस्थानी भाषा को भी आस पुरस्कार के तलए
मान्यता दी गइ है।
o पुरस्कार में ऄलंकृत ताम्र-पटट्टका िाली एक मंजष
ू ा (Casket), एक शॉल और एक लाख रुपये की रातश शातमल
है।
 सातहत्य ऄकादमी एक स्िायत्त संगठन है। यह सोसायटी रतजस्ट्रीकरण ऄतधतनयम, 1860 के तहत एक सोसाआटी के
रूप में पंजीकृ त है।
 सातहत्य ऄकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद भारत सरकार द्वारा ददया जाने िाला दूसरा सिोच्च सातहतत्यक
सम्मान है।
शांतत का नोबेल  पुरस्कार प्राप्तकताक: पत्रकार माटरया रे सा और ददतमत्री मुराटोि।
पुरस्कार 2021  योगदान: "ऄतभव्यति की स्ितंत्रता की रक्षा के तलए दकए गए प्रयास, जो लोकतंत्र और स्थायी शांतत की एक पूिक शतक
हैं।"
 िषक 2012 में, रे सा द्वारा खोजी पत्रकाटरता के तलए एक तडतजटल मीतडया कं पनी रै पलर (Rappler) की सह-स्थापना
की गइ थी। रे सा दफतलपींस के राष्ट्रपतत रोतड्रगो दुतेते के तििादास्पद "िॉर ऑन ड्रग” ऄतभयान पर कें दद्रत था। आसमें
हजारों लोगों की जानें गइ थी।
 नोिाजा गजेटा (Novaja Gazeta) समाचारपत्र की सह-स्थापना रूसी पत्रकार ददतमत्री अंद्रेयेतिच मुराटोि ने की
थी। मुराटोि दशकों से रूस में "ऄत्यतधक चुनौतीपूणक पटरतस्थततयों" में भी ऄतभव्यति की स्ितंत्रता का पक्ष समथकन
करते रहें हैं।
सातहत्य का नोबेल  पुरस्कार प्राप्तकताक: तंजातनया के लेखक ऄब्दुलरजाक गुरनाह।
पुरस्कार, 2021  योगदान: गुरनाह को यह पुरस्कार “ईपतनिेशिाद के प्रभािों और संस्कृ ततयों ि महाद्वीपों के बीच खाडी देशों में
शरणार्तथयों की तस्थतत के करुणामय तचत्रण” के तलए प्रदान दकया है।
िषक 2021 के राष्ट्रीय  राष्ट्रीय खेल पुरस्कार प्रततिषक खेलों में ईत्कृ िता को पहचानने और पुरस्कृ त करने के तलए प्रदान दकए जाते हैं।
 राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों की सूची में तनम्नतलतखत शातमल हैं:
खेल पुरस्कार
o मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार: यह पुरस्कार तिगत चार िषों की ऄितध में शानदार और सबसे ईत्कृ ि प्रदशकन
के तलए प्रदान दकया जाता है।
o ऄजुन
क पुरस्कार: यह पुरस्कार तिगत चार िषों की ऄितध में खेलों में ईत्कृ ि प्रदशकन और नेतृत्ि, खेल भािना एिं
ऄनुशासन की भािना प्रदर्तशत करने के तलए ददया जाता है।
o द्रोणाचायक पुरस्कार: यह पुरस्कार कोचों को तनरं तर अधार पर ईत्कृ ि और सराहनीय कायक करने और
तखलातडयों को ऄंतराकष्ट्रीय प्रततयोतगता में ईत्कृ िता प्राप्त करने में सक्षम बनाने के तलए प्रदान दकया जाता है।
o स्पोर्टसक और खेलों में लाआफटाआम ऄचीिमेंट के तलए ध्यानचंद पुरस्कार: यह पुरस्कार ईन तखलातडयों को
सम्मातनत करने के तलए ददया जाता है, तजन्होंने ऄपने प्रदशकन से खेल में योगदान ददया है। साथ ही, ऄपनी
सेिातनिृतत्त के बाद भी खेल अयोजनों के प्रचार-प्रसार में योगदान देना जारी रखा है।
o राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार: यह पुरस्कार ईन कॉरपोरे ट संस्थाओं (तनजी और सािकजतनक दोनों क्षेत्रों में) ,
खेल तनयंत्रण बोडों तथा राज्य एिं राष्ट्रीय स्तर पर खेल तनकायों सतहत गैर -सरकारी संगठनों को प्रदान दकया
जाता है, तजन्होंने खेल प्रचार तथा तिकास के क्षेत्र में एक दृश्यमान भूतमका तनभाइ है।
o मौलाना ऄबुल कलाम अज़ाद (माका) ट्रॉफी: ऄंतर-तिश्वतिद्यालय टू नाकमेंट में कु ल तमलाकर शीषक प्रदशकन करने
िाले तिश्वतिद्यालय को मौलाना ऄबुल कलाम अज़ाद (MAKA) ट्रॉफी दी जाती है।
ऑडकर ऑफ द ड्रक  यह भूटान का सिोच्च नागटरक पुरस्कार है।
ग्याल्पो (Order Of  यह पुरस्कार भूटान के राष्ट्रीय ददिस के ऄिसर पर भारतीय प्रधान मंत्री श्री मोदी को प्रदान दकया गया है।

The Druk Gyalpo)


 यह भूटान के लोगों और राज्य की अजीिन सेिा को सम्मातनत करने के तलए प्रदान दकया जाता है।

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6.7. ऄन्य महत्त्िपू णक सु र्तियााँ ( Other Important News)
भास्करब्दा  हाल ही में, ऄसम सरकार ने शक और ग्रेगोटरयन कै लेंडर के साथ-साथ - ‘भास्करब्दा’ को भी राज्य में
अतधकाटरक कै लेंडर के रूप में ईपयोग करने की घोषणा की है।
 कै लेंडर में भास्करब्दा युग का अरं भ 'कामरूप साम्राज्य' के 7िीं शताब्दी के शासक 'भास्कर िमकन' के
स्िगाकरोहण की तततथ से माना जाता है।
o िह ईत्तर भारत के शासक हषकिधकन का समकालीन और राजनीततक सहयोगी था।
 ग्रेगोटरयन कै लेंडर में एक ददन मध्यरातत्र से शुरू होता है। आसके तिपरीत, यह ऄसतमया कै लेंडर 24 घंटों में
सूयोदय पर शुरू और समाप्त होता है।
o ‘भास्करब्दा’ और ग्रेगोटरयन के बीच 593 िषक का ऄंतर है।
 ग्रेगोटरयन कै लेंडर सौर चि पर अधाटरत है। आसके तिपरीत, शक और भास्करब्दा कै लेंडर चंद्र-सौर
(lunisolar) प्रणाली पर अधाटरत है।
सांस्कृ ततक मानतचत्रण पर राष्ट्रीय  िषक 2017 में ऄपनी शुरुअत के ईपरांत से बहुत कम प्रगतत करने के पिात, NMCM को ऄब आं ददरा गांधी
तमशन (National Mission on राष्ट्रीय कला कें द्र (Indira Gandhi National Centre for the Arts: IGNCA) को सौंप ददया गया है।
Cultural Mapping: NMCM) o IGNCA द्वारा शीघ्र ही 75 गांिों में सांस्कृ ततक मानतचत्रण अरं भ दकया जाएगा।
 NMCM की स्थापना कें द्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और कला/संस्कृ तत तनकायों के सहयोग के साथ
कलाकारों, कला शैतलयों तथा भौगोतलक तस्थतत के डेटा को संकतलत करने के तलए की गइ थी।
 NMCM के तीन महत्िपूणक ईद्देश्य हैं: राष्ट्रीय सांस्कृ ततक जागरूकता ऄतभयान7, राष्ट्रव्यापी कलाकार
प्रततभा खोज / तलाशी कायकिम8 तथा राष्ट्रीय सांस्कृ ततक कायकस्थल9।

भारतीय तिरासत संस्थान (Indian  संस्कृ तत मंत्रालय ने नोएडा में भारतीय तिरासत संस्थान स्थातपत करने का तनणकय तलया है। यह संस्थान
भारत की समृद्ध तिरासत और आसके संरक्षण से संबंतधत क्षेत्रों में ईच्चतर तशक्षा एिं ऄनुसध
ं ान को
Institute of Heritage)
प्रोत्सातहत करे गा।
o यह कला, संरक्षण, संग्रहालय तिज्ञान, पुरातत्ि अदद के आततहास में स्नातकोत्तर और पीएचडी (PhD)
पाठ्यिम ईपलब्ध कराएगा।
 यह एक 'मानद तिश्ितिद्यालय' (deemed to be University) के रूप में कायक करे गा। आसमें राष्ट्रीय
सांस्कृ ततक संपदा संरक्षण ऄनुसंधानशाला (NRLC) लखनउ, भारतीय राष्ट्रीय ऄतभलेखागार (नइ ददल्ली)
अदद के ऄंतगकत संचातलत पाठ्यिमों को एकीकृ त दकया जाएगा।
ितन प्रेम योजना  आस योजना को गुजरात सरकार द्वारा भारत से बाहर ऄतधिातसत गुजरात के लोगों (NRIs) को ईनके
पैतृक गांिों में तिकास कायों के तलए दान करने में सहायता प्रदान करने हेतु अरं भ दकया गया है।
 ऐसे NRIs ग्राम-स्तरीय पटरयोजना की लागत का 60% योगदान कर सकते हैं, जबदक शेष राज्य सरकार
(40%) द्वारा िहन दकया जाएगा।
 आस योजना में ग्रामीण स्तर की पटरयोजनाएं जैसे स्कू लों में स्माटक कक्षाएं, सामुदातयक हॉल, प्राथतमक
स्िास्थ्य कें द्र अदद शातमल होंगी।
 लक्ष्य- ददसंबर 2022 तक ₹1000 करोड की तिकास पटरयोजनाएं तैयार करना।
सीटी बजाने िाला गांि  पयकटन मंत्रालय ने मेघालय के कोंगथोंग गांि को तिश्व पयकटन संगठन के "सिकश्रष्ठ
े पयकटन गांिों" के तलए
(Whistling Village) नातमत दकया है। आसे 'सीटी बजाने िाला गांि' (तहहसबलग तिलेज) भी कहा जाता
है।
o दो ऄन्य गांिों को भी नातमत दकया गया है- तेलग
ं ाना में पोचमपल्ली और मध्य प्रदेश में लधपुरा
खास।

7 National Cultural Awareness Abhiyan


8 Nationwide Artist Talent Hunt/Scouting Programme
9 National Cultural Workplace

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 सीटी बजाने िाले गांि की एक बहुत ही तितशि परं परा है 'बजगरिाइ आअिबेइ'। आसके तहत एक माता
ऄपने तशशु को जन्म के समय ईसे नाम की बजाए एक धुन या लोरी से पुकारती है। आसतलए यहां ग्रामीणों
के दो नाम होते हैं, एक तनयतमत नाम और एक गीत का नाम।
करतारपुर कॉटरडोर  श्री गुरु नानक देि जी की जयंती ऄथाकत् प्रकाश पिक (गुरु पिक) से पहले कें द्र सरकार ने पादकस्तान से जुडे
करतारपुर कॉटरडोर को पुनः
खोलने का तनणकय दकया है।
 करतारपुर कॉटरडोर का
ईद्घाटन िषक 2019 में गुरु

नानक की 550िीं जयंती के


ईपलक्ष्य में दकया गया था।
 यह कॉटरडोर डेरा बाबा
नानक (भारत में) को श्री
करतारपुर सातहब गुरुद्वारा
(पादकस्तान में) से जोडता है।
ये दोनों स्थल िमशः रािी
नदी के पूिी तट और पतिमी
तट पर तस्थत हैं।
 गुरु नानक ने ऄपने जीिन के ऄंततम 18 िषक करतारपुर में ही तबताए थे। करतारपुर कॉटरडोर भिों के
तलए के िल श्री करतारपुर सातहब की एक ददन की िीजा-मुि यात्रा की ऄनुमतत देता है।
तनहंग (Nihangs)  तनहंग तसख योद्धाओं का एक िगक है, ये ऐसे योद्धा हैं तजनकी पहचान नीले िस्त्र, तलिार तथा भाले जैसे

प्राचीन हतथयारों, और स्टील की चकती से सजायी गइ पगडी से की जाती है।

 आस िगक की स्थापना िषक 1699 में गुरु गोबबद बसह (10 िें तसख गुरु) द्वारा खालसा की स्थापना के ईपरांत
की गइ थी।
 शब्द 'तनहंग' पंथ के चाटरतत्रक गुणों को दशाकता है – ये गुण हैं – ईनका संकट या मृत्यु के भय से मुि होना,
युद्ध या कारक िाइ के तलए तत्पर रहना तथा सांसाटरक िस्तुओं से असति न रखना।
 तनहंग अज कइ समूहों में तिभातजत हैं, तजन्हें सामान्यत: दो "दलों" (बल) में तिभातजत दकया जाता है –

बुढ्ढा दल (बुजग
ु क दल) और तरुना दल (युिा दल), यह नाम शुरू में ईन दो िगों को ददए गए थे तजन दो िगों

में 'खालसा' सेना को िषक 1733 में तिभातजत दकया गया था।

 पहले तसख शासन (1710-15) के पतन के बाद और ऄफगान अिमणकारी ऄहमद शाह दुराकनी (1748-

67) के अिमण के समय तसख पंथ की रक्षा करने में तनहंगों की प्रमुख भूतमका रही थी।
 गतका (पंजाब का माशकल अटक) तनहंगों द्वारा दकया जाता है।.
भाटरतालासचस तपातन  यह एक मांसाहारी सरीसृप है, जो 240 तमतलयन िषक पूिक ऄतस्तत्ि में था और यह ईस पाटरतस्थततक
(Bharitalasuchus tapani) तंत्र में सबसे बडा तशकारी हो सकता है।
 यह पूिक में ऄज्ञात एक जीनस और प्रजातत से संबतं धत है, तजसे भाटरतालासचस तपातन कहा जाता
था।
o तेलुगु में, भारी का ऄथक है तिशाल, ताला का ऄथक है तसर और सचस तमस्र के मगरमच्छ के तसर
िाले देिता का नाम है।
 जीिाश्म येरापल्ली संरचना (तेलग
ं ाना में प्राणतहता-गोदािरी बेतसन में तनर्तमत चट्टान) की चट्टानों
पर पाए गए हैं।
थार रे तगस्तान में डायनासोर  राजस्थान के जैसलमेर तजले के थार रे तगस्तान में 3 डायनासोर प्रजाततयों के पदतचन्ह तमले हैं।
प्रजाततयों के पदतचन्ह तमले o प्रारं तभक जुरातसक काल से संबंतधत ये तीनों प्रजाततयां मांसाहारी थीं।
 थार मरुस्थल तिश्व की 18िीं सबसे बडी ईपोष्णकटटबंधीय मरुभूतम है। साथ ही, यह सबसे ऄतधक

जनसंख्या िाली मरुभूतमयों में से एक है, क्योंदक राजस्थान की 40 प्रततशत मानि अबादी थार रे तगस्तान
में तनिातसत है।

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o यह सतलज नदी तक तिस्ताटरत है तथा तिशाल कच्छ के रण, ऄरािली पिकत और बसधु नदी से तघरा
हुअ है।
चीन में 'ड्रैगन मैन' खोपडी की खोज  िैज्ञातनकों ने कम से कम 140,000 साल पुरानी तिशाल जीिाश्म खोपडी की खोज की है, जो प्राचीन
मानि की एक नइ प्रजातत है।
 चूंदक तनएंडरथल की तुलना में नइ प्रजाततयों को मनुष्यों से ऄतधक तनकटता से संबतं धत माना जा रहा है,
यह मौतलक रूप से मानि तिकास की समझ को बदल सकती है।
 यह नाम लॉन्ग तजयांग से तलया गया है, तजसका शातब्दक ऄथक है "ड्रैगन नदी"।
 यह तनएंडरथल और होमो सेतपयन्स के बाद के मनुष्यों की तीसरी िंशािली को तनरूतपत करती है।

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