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(A) PAINTING (Code No.

049)

प रचय
एक वैकि पक िवषय के प म व र मा यिमक तर पर िच कला के पा म का उ े य िविभ
मह वपूण सुिव यात पहलु क समझ के मा यम से छा के स दय बोध को िवकिसत करना है और इस
अविध से दृ य सािहि यक अथ अिभ ि के तरीक को समझना है।

वतमान समय म सधु घाटी। इसम उनक अिभ ि के िलए आव यक अवलोकन, क पना, िनमाण
और शारी रक कौशल के मानिसक संकाय को िवकिसत करने के िलए ाइं ग और प टग म ावहा रक अ यास
भी शािमल ह।

उ े य

ए) िस ांत (भारतीय कला का इितहास)

छा के िलए भारतीय कला के इितहास को शािमल करने का उ े य उ ह भारत के िविभ िह स से कला


अिभ ि क िविभ शैिलय और िवधा से प रिचत कराना है। यह उनक दृि को समृ करे गा और उ ह
कृ ित और जीवन क सुंदरता का आनंद लेने के िलए एक स दय संवेदनशीलता क सराहना करने और
िवकिसत करने म स म करे गा। छा को अ य शैली के साथ इसके उ प रवतन और सं ेषण के िवकास और
पूरी तरह से नई शैली के उदय को देखने और अ ययन करने का अवसर िमलेगा। छा को कला के बारे म
मानवीय अनुभव के प म अवगत कराया जाना चािहए। िश क को उ ह कला मक छाप , मीिडया और
उपयोग कए जाने वाले उपकरण क िव तृत ृंखला के बारे म बताने म स म होना चािहए। भारतीय कला
का इितहास ब त पुराना है। इसिलए छा को भारतीय दृ य कला के िवकास क संि झलक से प रिचत
कराया जाएगा जैसा क अवधारणा िनमाण के िलए आव यक है। अ ययन के दौरान शािमल उदाहरण को
उनके स दय गुण के कारण चुना जाता है और िवशु प से दशािनदश के प म अिभ ेत है।

बी) िै टकल

प टग म ावहा रक अ यास शु करने का उ े य छा क मदद करना और उ ह स म बनाना है:

• ाइं ग और प टग साम ी (सतह, उपकरण और उपकरण, आ द) का भावी ढंग से उपयोग करने का


कौशल िवकिसत करना।
• सामा य व तु और जीवन और कृ ित म पाए जाने वाले िविभ यािमतीय और गैर- यािमतीय
प के अ ययन के मा यम से उनके अवलोकन कौशल को तेज करना।
• इन े ण को ख चने और िचि त करने के िलए उनके कौशल का िवकास करना।
• प टग-रचना क समझ िवकिसत करना (त व का उपयोग और प टग-रचना के िस ांत)।
• क पना म प और रं ग योजना को ाइं ग और प टग म भावी ढंग से करने क मता के
साथ बनाना।
• जीवन और कृ ित क िविभ भावना और मनोदशा को रे खा , प और रं ग म करना।
CLASS–XI (THEORY) (2022-23)
(Code No. 049)

One Theory Paper 30 Marks


Unit wise Weightage Time: 2 Hours

Units Periods Marks

भारतीय कला का इितहास


1 पूव-ऐितहािसक रॉक प टग और सधु घाटी क कला 24 10

बौ , जैन और हदू कला


2 24 10

3 24 10
मं दर क मू तयां, कां य और कला मक पहलू इं डो-
इ लािमक आ कटे चर

72 30

यूिनट 1 िवषय 24 पी रय स
(ए) पूव-ऐितहािसक रॉक-प टग प रचय
1) अविध और थान
2) िन िलिखत ागैितहािसक िच का अ ययन और शंसा:
म। जादूगर का नृ य, भीमबेठक

1 (बी) प रचय
1) अविध और थान।
2) िव तार: लगभग 1500 मील म।
म। हड़ पा और मोहनजोदड़ो (अब पा क तान म)
ii. रोपड़, लोथल, रं गपुर, आलमगीरपुर,
काली बंगा, बनवाली और धोलावीरा (भारत म)

िन िलिखत का अ ययन और शंसा: मू तयां और टेराकोटा:


i. डां सग गल (मोहन जोदड़ो)
कां य, 10.5 x 5 x 2.5 सेमी।
2 लगभग 2500 ई.पू.
(सं ह: रा ीय सं हालय, नई द ली)।
ii. नर धड़ (हड़ पा)
लाल चूना प थर, 9.2 x 5.8 x 3 सेमी.
लगभग 2500 ई.पू.
(सं ह: रा ीय सं हालय, नई द ली)
iii. देवी माँ (मोहनजोदड़ो) टेराकोटा, 22 x 8 x 5 ग लगभग
2500 ई.पू. (सं ह: रा ीय सं हालय, नई द ली)।

िन िलिखत मुहर का अ ययन और शंसा:


म। बैल (मोहनजोदड़ो)
टोन ( टीटाइट), 2.5 x 2.5 x 1.4 सेमी। लगभग 2500 ई.पू.
3 (सं ह: रा ीय सं हालय, नई द ली)।

िम ी के बतन पर सजावट: िचि त िम ी के बतन (जार)


मोहनजोदड़ो (सं ह: रा ीय सं हालय, नई द ली)।

यूिनट 2 बौ , जैन और हदू कला (तीसरी शता दी ईसा पूव से आठव शता दी ई वी तक) 24 पी रय स

मौय, शुंग, कु षाण काल म कला का सामा य प रचय


1. (गांधार और मथुरा शैली) और गु काल:

िन िलिखत मू तय का अ ययन और शंसा:


i.) सारनाथ से शेर राजधानी (मौय काल) पॉिलश बलुआ प थर, लगभग तीसरी
शता दी ई.पू. (सं ह: सारनाथ सं हालय, उ. .)
2. ii. दीदार गंज (य ी) (मौय काल) से चौरी वाहक पॉिलश बलुआ प थर लगभग तीसरी
शता दी ईसा पूव (सं ह: पटना सं हालय, िबहार)
iii. कटरा टीला, मथुरा से िवराजमान बु - (कु षाण काल- मथुरा शैली) लाल िच ीदार
बलुआ प थर, लगभग तीसरी शता दी ई. (सं ह: सरकारी सं हालय, मथुरा)
iv. जैन तीथकर (गु काल) टोन लगभग 5 व शता द ए.डी.
(सं ह: रा य सं हालय, लखनऊ उ र देश)
अजंता थान का प रचय
3. अविध, गुफा क सं या, चै य और िवहार, प टग और मू तयां, िवषय व तु और
तकनीक आ द।
यूिनट 3 मं दर क मू तकला, कां य और भारत-इ लामी के कला मक पहलू आ कटे चर 24 पी रय स
(ए) भारतीय मं दर मू तकला के कला मक पहलू (6ठी शता दी ई वी से 13व शता दी
ई वी तक)
1) मं दर क मू तकला का प रचय (6ठी शता दी ई. से 13व शता दी ई.)

2) िन िलिखत मं दर-मू तय का अ ययन और शंसा:
i. गंगा का अवतरण (प लव काल, महाबलीपुरम, तिमलनाडु ), ेनाइट च ान लगभग
7व शता दी ई.
ii. ि मुती (एलीफटा, महारा ) प थर लगभग 9व शता दी ई.
iii. ल मी नारायण (कं द रया महादेवी) मं दर) (चंदल
े ा काल, खजुराहो, म य देश)
प थर लगभग 10व शता दी ई.
iv. झांझ वादक, सूय मं दर (गंगा राजवंश, कोणाक, उड़ीसा) लगभग 13व शता दी ई.
v. माँ और ब े (िवमल-शाह मं दर, सोलंक राजवंश, दलवाड़ा, माउं ट आबू; राज थान)
सफे द संगमरमर, लगभग 13व शता दी ई.
कां य:

1. भारतीय कां य का प रचय।


बी
2. ढलाई क िविध (ठोस और खोखली)

3. िन िलिखत दि ण भारतीय कां य का अ ययन और शंसा:


म। नटराज (चोल काल तंजावुर िजला, तिमलनाडु ) 12व शता दी ई.
(सं ह: रा ीय सं हालय, नई द ली)
भारत-इ लामी वा तुकला के कला मक पहलू:
सी 1 प रचय
2. िन िलिखत वा तुकला का अ ययन और शंसा:
i. कु तुब मीनार, द ली ii. बीजापुर का गोल गुंबद
CLASS–XI (2022-23)
(PRACTICAL)
One Practical Paper 70 Marks
Time: 6 Hours (3+3)
Unit wise Weightage

यूिनट िवषय पी रय स अंक


1 कृ ित और व तु अ ययन 50 25
2 प टग संरचना 50 25
3 पोटफोिलयो आकलन 48 20
148 70

इकाई 1: कृ ित और व तु अ ययन 25 अंक 50 अविध

एक िनि त दृि कोण से काश और छाया के साथ पिसल म दो या तीन ाकृ ितक और यािमतीय प का अ ययन।
पौध , सि जय , फल और फू ल आ द जैसे ाकृ ितक प का उपयोग कया जाना है। घन, शंकु, ि म, बेलन और गोले
जैसी व तु के यािमतीय प का उपयोग कया जाना चािहए।

यूिनट 2: प टग रचना 25 अंक 50 अविध

(i) िडजाइन को वि थत समझने के िलए यािमतीय और सजावटी िडजाइन और रं ग म यािमतीय और लयब


आकृ ितय क िविवधता म बुिनयादी िडजाइन के सरल अ यास

दृ य व था। 10 अंक 25 अविध


(ii) जीवन और कृ ित से रे खािच 15 अंक 25 अविध

यूिनट 3: पोटफोिलयो आकलन 20 अंक 48 अविध


(ए) के च से तैयार उ पाद तक पूरे वष के दशन का रकॉड। 10 अंक
(बी) स के दौरान कए गए कसी भी मीिडया म पांच चयिनत कृ ित और व तु अ ययन अ यास
कम से कम दो ि थर जीवन अ यास सिहत। 05 अंक
(ग) वष के दौरान कए गए िच क रचना का एक चयिनत काय 03 अंक
(डी) वष के दौरान कए गए िच के दो चयिनत काय 02 अंक

इन चयिनत काय को उ मीदवार ारा पा म के दौरान तैयार कया गया और कू ल अिधका रय ारा
मािणत कया गया क कू ल म कए गए काय को मू यांकन के िलए परी क के सामने रखा जाएगा।

ट पणी:

1. उ मीदवार को पहले तीन घंटे के बाद एक घंटे का ेक दया जाना चािहए।

2. समय-सारणी इस कार तैयार क जानी चािहए क छा को लगातार कम से कम दो अविधय के िलए


लगातार काम करने क अनुमित िमल सके ।
PAINTING (Code No. 049)
CLASS–XII (2022-23)
Theory maximum marks-30
Time allowed: 2 hours time : 2 hours
Unit wise Weightage

यूिनट (ए) िवषय पी रय स अंक


1. लघु िच कला के राज थानी और पहाड़ी कू ल 24 10
2. लघु िच कला के मुगल और द न कू ल 24 10
3. बंगाल कू ल ऑफ़ प टग एंड द मॉडन स इन इं िडयन कला 24 10
72 30
लघु िच कला के राज थानी और पहाड़ी कू ल
(ए) (16व शता दी ई. से 19व शता दी ई.)
भारतीय लघु िव ालय का संि प रचय: पि मी-भारतीय,
पाला, राज थानी, मुगल, म य भारत, द न और पहाड़ी।

यूिनट 1
(ए) राज थानी कू ल:
1. उ पि और िवकास

2. उप-िव ालय-मेवाड़ बूंदी जोधपुर बीकानेर कशनगढ़ और जयपुर


, , , ,

3. राज थानी कू ल क मु य िवशेषताएं

4. िन िलिखत राज थानी िच क सराहना

िवषय िच कार उपिव ालय


मा रािगनी सािह दीन मेवाड़
चौगन िखलाडी दाना जोधपुर
कृ णा झूले पर नु ीन बीकानेर
राधा ( बनी ठनी) िनहाल चंद कशनगढ़
िच कू ट म भरत क राम से गुमान जयपुर
मुलाकात

(बी) पहाड़ी कू ल:
1. उ पि और िवकास
2. उप-िव ालय-बसोहली, गुलेर, कांगड़ा, चंबा और गढ़वाली
3. पहाड़ी कू ल क मु य िवशेषताएं
4. िन िलिखत पहाड़ी िच क सराहना

िवषय िच कार उपिव ालय


कृ ण गोिप के साथ मनकू बसोली
प रजन के साथ कृ णा वृंदावन जा रहे ह नैनसुख काँगड़ा

युिनट 2
लघु िच कला के मुगल और द न कू ल 18 पी रय स
(16व शता दी ई. से 19व शता दी ई.)
(ए) मुगल कू ल
1. उ पि और िवकास
2. मुगल िवचारधारा क मु य िवशेषताएं
3. िन िलिखत मुगल िच क सराहना:

शीषक िच कार
कृ णा िल टग माउं ट गोवधन िमि कन
बड-रे ट पर बाज़ उ ताद मंसूर
कबीरं द रै दास उ ताद फक लाह खान
दारा शुकोह क बारात हाजी मदनीक

(बी) द डे न कू ल
1. उ पि और िवकास
2. डे न कू ल क मु य िवशेषताएं
3. िन िलिखत द न िच क सराहना:

िवषय िच कार उपिव ालय


हजरत िनजामु ीन औिलया और अमीरी खुसरो अनजान हैदराबाद
चांद बीबी पोलो खेलना (चौगान) अनजान गोलकुं डा

यूिनट 3 बंगाल कू ल ऑफ़ प टग एंड द मॉडन स इन इं िडयन आट 24 पी रय स


(ए) (शु आत से लेकर 20व सदी के म य तक)
i भारत का रा ीय वज और इसके प का तीका मक मह व और रं ग ।
प टग के बंगाल कू ल का प रचय
ii (i) बंगाल कू ल ऑफ प टग क उ पि और िवकास
(ii) बंगाल कू ल ऑफ प टग क मु य िवशेषताएं
बंगाल कू ल के िन िलिखत िच क सराहना:
iii (i) या ा का अंत–अब न नाथ टैगोर
(ii) िशव और सती- नंदला बोस
(iv) रािधका - एम.ए.आर. चुगताई
(v) मेघदूत - राम गोपाल िवजयवग य
रा ीय वतं ता के संघष म भारतीय कलाकार का योगदान गित।
भारतीय कला म आधुिनक झान
(बी) िन िलिखत समकालीन (आधुिनक) भारतीय कला क सराहना
िच :
(i) (i) राम समु के गौरव को जीतते ह-राजा रिव वमा
(ii) मां और ब ा-जैिमनी रॉय
(iii) ह दी ाइंडर - अमृता शेर िगल
(iv) मदर टेरेसा - एम.एफ. सैन
ा फक - ट:
(ii) (i) ब े – सोमनाथ होरे
(ii) देवी- योित भ
(iii) दीवार क - अनुपम सूद
(iv) पु ष, ी और वृ - के . ल मा गौड़
मू तयां:
(iii) (i) म क िवजय - डी. पी. रॉयचौधरी
(ii) संथाल प रवार - राम ककर वैजू
(iii) अनसुना रोता है - अमर नाथ सहगल
(iv) गणेश - पी.वी. जानक रामो

ऊपर सूचीब कलाकार के नाम और उनक कलाकृ ितय के शीषक के वल सांकेितक ह और


कसी भी तरह से संपूण नह ह। िश क और छा को अपने संसाधन के अनुसार इसका िव तार
करना चािहए। हालाँ क, उपयु कलाकृ ितय से ही िनधा रत कए जाएंगे।
PAINTING (Code No. 049)
CLASS–XII (2022-23)

Practical Maximum Marks:70


Time allotted: 6 hours (3+3)
Unitwise Weightage

यूिनट िवषय पी रय स अंक


1 कृ ित और व तु अ ययन 50 25
2 प टग संरचना 50 25
3 पोटफोिलयो आकलन 48 20
148 70

कृ ित और व तु अ ययन पी रय स
यारहव क ा म दो के साथ कए गए अ यास के आधार पर
यूिनट 1 अ ययनया तीन व तु और दो ैप रय (िविभ रं ग म) के
िलएपृ भूिम और अ भूिम। पिसल म काश के साथ ायाम और
छाया और एक िनि त दृि कोण से पूण रंग म।
प टग संरचना
जीवन और के िवषय पर आधा रत क पनाशील प टग
यूिनट 2 पानी म कृ ित और रं ग मू य के साथ पो टर रं ग।

यूिनट 3 पोटफोिलयो आकलन

(a) के च से लेकर तक पूरे साल के दशन का रकॉड


तैयार उ पाद।
(b) कसी म चार चयिनत कृ ित और व तु अ ययन अ यास
स के दौरान कया मीिडया
(c) प ट स रचना के दो चयिनत काय ारा कए गए
वष के दौरान उ मीदवार
(d) कसी भी भारतीय लोक कला (प टग) पर आधा रत एक
चयिनत काय

इन चयिनत काय को अ यथ ारा पा म के दौरान तैयार कया जाता है और कू ल


अिधका रय ारा मािणत कया जाता है क कू ल म कए गए काय को मू यांकन के िलए परी क के सम
रखा जाएगा।
ट पणी:
1. उ मीदवार को पहले तीन घंटे के बाद एक घंटे का ेक दया जाना चािहए।
2. समय-सारणी इस कार तैयार क जानी चािहए क छा को लगातार कम से कम दो अविधय के
िलए लगातार काम करने क अनुमित िमल सके ।
ैि टकल के मू यांकन के िलए दशािनदश

अंकन योजना:

भाग I: कृ ित और व तु अ ययन, 25 अंक


(i) ाइं ग (रचना) 10
(ii) मीिडया/रं ग का उपचार ( योग) 5
(iii) सम भाव 10
भाग II: प टग संरचना 25 अंक
(i) िवषय पर जोर देने सिहत संरचनागत व था 10
(ii) मीिडया (रं ग) और उपयु रं ग योजना का उपचार 5
(iii) मौिलकता, रचना मकता और सम भाव 10

भाग III : पोटफोिलयो मू यांकन 20 अंक

(i) के च से पूरे वष के दशन का रकॉड तैयार उ पाद। 10

(ii) कसी भी मीिडया म चार चयिनत कृ ित और व तु अ ययन अ यास 05


(iii) उ मीदवार ारा तैयार क गई दो चयिनत प टग रचनाएं 03
(iv) कसी भी भारतीय लोक कला (प टग) पर आधा रत एक चयिनत काय 02
2. का ा प:
भाग I: कृ ित और व तु अ ययन
अपने सामने एक ाइं ग बोड पर वि थत व तु के समूह के ि थर जीवन को एक िनि त
दृि कोण (आपको दया गया) से, आधे शाही आकार के ाइंग पेपर पर रं ग म िचि त कर और पट कर। आपक
ाइं ग कागज के आकार के अनुपात म होनी चािहए। व तु को उिचत काश और छाया और प र े य आ द
के साथ यथाथवादी तरीके से िचि त कया जाना चािहए। इस अ ययन म ाइं ग बोड को शािमल नह कया
जाना है। नोट: िनदश के अनुसार बाहरी और आंत रक परी क ारा संयु प से तय क जाने वाली व तु
का एक समूह। कृ ित अ ययन और व तु अ ययन क व तु को उ मीदवार के सामने वि थत कया जाना
है।
भाग II: प टग संरचना:
िन िलिखत पांच िवषय म से कसी एक पर अपनी पसंद के कसी भी मा यम (पानी/पे टल,
टे परा, ए े िलक) म आधे शाही आकार के ाइं ग-पेपर पर ैितज या लंबवत प से एक प टग - रचना बनाएं।
आपक रचना मौिलक और भावी होनी चािहए। एक अ छी तरह से तैयार क गई ाइं ग, मीिडया के भावी
उपयोग, िवषय पर उिचत जोर देने और पूण थान के उपयोग को मह व दया जाएगा।
नोट: प टग रचना के िलए क ह पांच िवषय को बाहरी और आंत रक परी क ारा संयु प से िनदश
के अनुसार तय कया जाना है और भाग II के िलए परी ा शु होने से ठीक पहले यहां उ लेख कया
जाना है।

3. (ए) कृ ित और व तु अ ययन के िलए व तु के चयन के िनदश:

1. परी क (आंत रक और बाहरी) को दो या तीन उपयु व तु का चयन/िनणय इस तरह से करना


है ता क ाकृ ितक और यािमतीय प को व तु के समूह म शािमल कया जा सके :
(i) ाकृ ितक प- बड़े आकार के प े और फू ल, फल और सि जयां आ द।
(ii) लकड़ी/ लाि टक/कागज/धातु/िम ी आ द जैसे घन, शंकु, ि म, बेलन और गोले से बने यािमतीय प।
2. व तु को आम तौर पर बड़े (उपयु ) आकार का चुना जाना चािहए। 3. परी ा क के मौसम और थान
के अनुसार कृ ित से संबंिधत व तु को व तु के समूह म शािमल कया जाना चािहए। ाकृ ितक व तु को
परी ा के दन ही खरीदा/ वि थत कया जाना चािहए ता क इसक ताजगी बनी रह सके । 4. व तु के रं ग
और वर को यान म रखते ए, पृ भूिम और अ भूिम के िलए अलग-अलग रं ग म दो प ै रयां (एक गहरे रं ग
म और दूसरी ह के वर म) भी शािमल क जानी ह।

(ए) प टग-रचना के िलए िवषय तय करने के िनदश:

1. परी क (आंत रक और बाहरी) को प टग-रचना के िलए उपयु पांच िवषय का चयन/िनणय करना
है
2. िवषय को इस तरह से िडजाइन कया जाना चािहए क उ मीदवार को िवषय के प िवचार िमल
सक और वे अपनी क पना का वतं प से योग कर सक, य क यह मह वपूण नह है क आप
या करते ह, ले कन आप इसे कै से करते ह।
3. परी क (आंत रक और बाहरी) संयु प से िवषय का चयन/िनणय लेने के िलए वतं ह, ले कन ये
बारहव क ा के मानक और कू ल/उ मीदवार के वातावरण के अनुसार होने चािहए।
प टग-रचना के िलए िवषय के कु छ िचि हत े नीचे दए गए ह, िजनम कु छ और े को भी जोड़ा जा
सकता है:
(i) पा रवा रक िम और दैिनक जीवन के मामले।
(ii) पा रवा रक पेशेवर के मामले।
(iii) खेल और खेल गितिविधयाँ।
(iv) कृ ित
(v) का पिनक
(vi) रा ीय, धा मक, सां कृ ितक, ऐितहािसक और सामािजक काय म और समारोह।

4. परी क को सामा य िनदश:

1. उ मीदवार को पहले तीन घंटे के बाद एक घंटे का ेक दया जाना चािहए।


2. भाग I, II और III के िलए उ मीदवार के काय का मू यांकन बा और आंत रक परी क ारा
संयु प से मौके पर ही कया जाना है।
3. मू यांकन के बाद भाग I, II और III के येक काय को "परीि त" के प म िचि नत कया जाना है
और बाहरी और आंत रक परी क ारा संयु प से ह ता रत कया जाना है।

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