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Resource 20230908102408 Cl-Ix-Hindi Hy Revision Ws-Gayatri-23-24
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(iii) अभार्ग्रस्त िोग नमथ्या प्रदशवि की आड िेते हैं -
(क) अपनी अभावग्रस्तता पर गवजर् पाऩे क़े गलए
(ख) अपऩे अज्ञान को छु पाऩे गलए
(ि) अपऩे को धनी और सोंपन्न गसद्ध करऩे क़े गलए
(घ) उपरोि सभी
(iv) सत्य के पथ पर र्ही व्यखक्त अनिग रह सकता है -
(क) जो दृढ़ इच्छार्ल्कि वाला हो।
(ख) जो सत्य को ही जीवन का परम उद्द़े श्य मानऩे वाला हो।
(ि) जो धन-धान्य स़े पररपर्ा हो।
(घ) (क) और (ख) दोनोों
(v) निम्ननिखित कथिोां पर नर्चार कीनिए।
(i) कम पढ़ा-गलखा व्यल्कि ही बात-बात में गमथ्या पाों गडत्य प्रदर्ान की च़ेष्टा करता है ।
(ii) पर्ाता,अहों कार को जन्म द़े ती है ।
(iii) सत्य हमारी वार्ी, गवचार तथा आचार में होना चागहए।
उपयुव क्त कथिोां में से कौि-सा /कौि से कथि सही है /हैं ?
(क) क़ेवल (i) (ख) क़ेवल (ii)
(ि) क़ेवल (i) और (iii) (घ) क़ेवल (ii) और (iii)
2. नदए गए प्रश्ोां के उत्तर नर्कल्ोां से चुनिए:-
(i) शब्द की नर्शेषता क्या है ?
(क) र्ब्द गवगभन्न ध्वगनर्ोों क़े म़ेल स़े बनता है । (ख) र्ब्द भार्ा की अथावान इकाई है ।
(ि) र्ब्द भार्ा की स्वतोंत्र इकाई है । (घ) इनमें सभी
(ii) शब्द का र्ाक्य में प्रयोग नकए िािे पर कौि-सा कायव होता है :-
(क) र्ब्द वाक्य क़े गनर्मोों में बूँध जाता है ।
(ख) र्ब्द क़े रूप में पररवतान होता है ।
(ि) र्ब्द कोई-न-कोई 'प्रकार्ा ' करता है ।
(घ) उपर्ुा ि सभी।
3. निदे शािुसार ‘अिुस्वार र् अिुिानसक' पर आधाररत चार बहुनर्कल्ीय प्रश्ोां में से नकन्ी ां तीि
प्रश्ोां के उत्तर दीनिए:-
(i) 'मां िि' शब्द में अिुस्वार का उच्चारण निम्न व्यांिि के रूप में नकया िाता है :-
(क) 'न् ' क़े रूप में (ख) ' ञ् ' क़े रूप में (ि) 'र््' क़े रूप में (घ) 'ङ् ' क़े रूप में
(ii) निम्ननिखित में से नकस शब्द में अिुिानसक का गित प्रयोग नकया गया है :-
(क) िूँ कना (ख) बूँधन (ि) धुूँधल़े (घ) साूँ स
(iii) निम्ननिखित नकस शब्द में अिुिानसक िगाया िा सकता है :-
(क) अगधकार् (ख) सभावना (ि) प्रपच (घ) भावनाए
(iv) निम्ननिखित में से अिुस्वार शब्द का सही प्रयोग हुआ है :-
(क) सूँ सार (ख) िाों व (ि) सूँभव (घ) कोंकाल
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4. निदे शािुसार 'उपसगव तथा प्रत्यय' पर आधाररत पााँच बहुनर्कल्ीय प्रश्ोां में से नकन्ी ां चार प्रश्ोां के
उत्तर दीनिए:-
(i) निम्ननिखित ‘निर्ावसि’ शब्द में उपसगव और मूि शब्द का सही नर्कल् है :-
(क) गनर+वासन (ख) गनर् +वासन (ि) गनवाा +सन (घ) गनवाा न+सन
(ii) निम्ननिखित शब्द ‘आस’ प्रत्यय से बिा हुआ िही ां है :-
(क) गमठास (ख) खटास (ि) भडास (घ) कपास
(iii) उपसगव का अथव है नक:-
(क) जो गकसी र्ब्द क़े बाद जुडता है (ख) जो गकसी र्ब्द क़े बीच जुडता है
(ि) जो गकसी र्ब्द क़े आि़े जुडता है (घ) जो गकसी र्ब्द में नही जुडता है
(iv) निम्ननिखित शब्द की रचिा उपसगव और प्रत्यय के मेि से िही ां हुई है :-
(क) द़े वगर्ा (ख) प्रत्युतर (ि) कवीश्वर (घ) गनदा र्ता
(v) 'अज्ञािी’ शब्द निम्न में से कैसे बिा है ?
(क) ‘आ’ उपसिा में ‘ज्ञानी’ प्रत्यर् लिाकर (ख) ‘नी’ उपसिा में ‘अज्ञा’ प्रत्यर् लिाकर
(ि) ‘अज्ञा’ उपसिा में नी प्रत्यर् लिाकर (घ) ‘ज्ञानी’ र्ब्द में ‘अ’ उपसिा लिाकर
5. निदे शािुसार ‘नर्राम नचह्न’ पर आधाररत चार बहुनर्कल्ीय प्रश्ोां में से नकन्ी ां तीि प्रश्ोां के उत्तर
दीनिए:-
(i) सच्चे ईमािदार सज्जि और उदार व्यखक्त का नमििा आि दु िवभ है । इस र्ाक्य में कौि-से
नर्राम नचह्न का प्रयोग हुआ है :-
(क) :- (ख) , (ि) ( ) (घ) !
(ii) नकसी र्ाक्याांश/ पद की पररभाषा स्पष्ट करिे के निए तथा नकसी व्यखक्त के द्वारा कहे गए कथि
को अनधकृत करिे से पहिे , तब ------------ नचह्न का प्रयोग नकया िाता है :-
(क) लाघव गचह्न (ख) कोष्ठक गचह्न (ि) गनदे र्क गचह्न (घ) त्रुगटपर्ा गचह्न
(iii) नर्राम नचह्न की दृनष्ट से शुद्ध र्ाक्य है :-
(क) अऱे ! तु म इतनी जल्दी उठ िए।
(ख) अऱे ; तु म इतनी जल्दी उठ िए।
(ि) अऱे , तु म इतनी जल्दी उठ िए।
(घ) अऱे ? तु म इतनी जल्दी उठ िए।
(iv) निम्ननिखित र्ाक्य में अद्धव नर्राम (; ) का प्रयोग गित हुआ है :-
(क) सर्ोदर् हो िर्ा; गचगडर्ा चहकऩे लिी और कमल ल्कखल िए।
(ख) म़े ऱे भाई की आज अोंगतम समीक्षा थी ; ऐसा लिता है गक उसऩे र्ह अच्छा गकर्ा है ।
(ि) गिगलप कोंपनी को आज प्ऱेजेंट़ेर्न द़े ना था अन्यथा; उस़े मौका गमलऩे तक एक और सप्ताह इों तजार
करना होिा।
(घ) पैसा रुक िर्ा है ; नौकरी छट िई है ; अब क्या कूँरू?
6. निदे शािुसार ‘र्ाक्य भेद’ पर आधाररत तीि बहुनर्कल्ीय प्रश्ोां में से नकन्ी ां दो प्रश्ोां के उत्तर
दीनिए:-
(i) क्या र्ह प़िाई में इतिा अनधक कमजोर है। इस र्ाक्य का ‘निषेधर्ाचक’ र्ाक्य में रूपाांतरण
होगा:-
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(क) अऱे ! क्या वह पढ़ाई में इतना अगधक कमजोर है ।
(ख) र्ार्द वह पढ़ाई में बहुत अगधक कमजोर है ।
(ि) वह पढ़ाई में इतना अगधक कमजोर नहीों है ।
(घ) आह! वह पढ़ाई में इतना अगधक कमजोर है ।
(ii) पौनष्टक भोिि से शरीर पुष्ट होता है । इिमें से ‘सांभार्िाथवक’ र्ाक्य का उनचत उदाहरण
है :-
(क) र्गद पौगष्टक भोजन करोि़े तो र्रीर पुष्ट होिा।
(ख) र्गद पौगष्टक भोजन नहीों करोि़े तो र्रीर पुष्ट होिा।
(ि) ईश्वर कऱे पौगष्टक भोजन करऩे स़े तुम्हारा र्रीर पुष्ट रह़े ।
(घ) आह! पौगष्टक भोजन करऩे स़े तुम्हारा र्रीर पुष्ट रह़े ।
(iii) साँ भिकर निकिें, आगे िांगिी िािर्रोां का ितरा है। र्ाक्य का अथव के आधार पर भेद है :-
(क) सों क़ेतवाचक वाक्य (ख) सोंभावनाथाक वाक्य
(ि) आज्ञावाचक वाक्य (घ) इच्छावाचक वाक्य
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7. निम्ननिखित में से नकसी एक नर्षय पर 100-120 शब्दोां में अिुच्छेद निखिए।
(क) प्रकृनत से खििर्ाड ि करें
मनु ष्य और प्रकृगत का अटट सोंबोंध
बढ़ता प्रदर्र्, प्रकृगत का दु श्मन
प्रदर्र् को गनर्ोंगत्रत करना आवश्यक
प्रकृगत की रक्षा, मानव की सुरक्षा
गनष्कर्ा
(ि) नर्द्ाथी िीर्ि- निरां तर अभ्यास
भारत की प्राचीन गवद्या-अध्यर्न की पद्धगत
वता मान गर्क्षा-प्रर्ाली
गवद्याथी जीवन गवकास की प्रगिर्ा
आज का गवद्याथी और अध्यर्न
गनष्कर्ा
8. अपऩे बड़े भाई को अपनी पढ़ाई और भावी र्ोजना क़े सोंबोंध में लिभि 100 र्ब्दोों में पत्र गलल्कखए।
9. िाूँ व स़े कुछ दरी पर ऱे लिाडी दु घाटनाग्रस्त हो िई है । दो गमत्र वहाूँ पीगडतोों की सहार्ता क़े गलए जाना चाहत़े
हैं । उनक़े मध्य हुई बातचीत को सोंवाद क़े रूप में 100-120 र्ब्दोों में गलल्कखए।
10. नदए गए नचत्र को दे िकर 100 शब्दोां में अपिे नर्चार निखिए:-