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सि मिलत अवर अधीन थ सेवा (सामा य चयन) ितयोगा मक परी ा- 2019

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UPSSSC Lower Subordinate Recruitment Exam 2019
(UPSSSC Lower Subordinate Recruitment Exam 2019)
Test-03 (General Hindi Grammar) (100 Questions)
SECTION-1 General Hindi Grammar
* Time: 1:30 Hour * Total Marks: 200
* Per Question: 2 Marks * Negative Marking- 50%

1. ननम्न भें से कौन ऩदफॊध का बेद नह ॊ है?


(A) विशेषण ऩदफॊध
(B) अव्मम ऩदफॊध
(C) क्रिमा ऩदफॊध
(D) सॊऻा ऩदफॊध
उत्तय- B
व्माख्मा: अव्मम ऩदफॊध, ऩदफॊध का बेद नह ॊ है। एक से अधधक ऩदेआ का सभूह जो एक व्माकयणणक रूऩ को अभबव्मक्त
कयता है, ऩदफॊध कहराता है। ऩदफॊध के ऩाॊच बेद हेऄ - सॊऻा ऩदफॊध, सिवनाभ ऩदफॊध, क्रिमा ऩदफॊध, विशेषण ऩदफॊध औय
क्रिमा-विशेषण ऩदफॊध।
ऩदफॊध (Phrase) की ऩरयबाषा- ऩद- िाक्म से अरग यहने ऩय 'शब्द' औय िाक्म भें प्रमुक्त हो जाने ऩय शब्द 'ऩद'
कहराते हेऄ। दस
ू ये शब्देआ भें- िाक्म भें प्रमक्
ु त शब्द ऩद कहराता है। डॉ० हयदे ि फाहय ने 'ऩदफन्ध' की ऩरयबाषा इस प्रकाय
द है- िाक्म के उस बाग को, जजसभें एक से अधधक ऩद ऩयस्ऩय सम्फद्ध होकय अथव तो दे ते हेऄ, क्रकन्तु ऩूया अथव नह ॊ
दे ते- ऩदफन्ध मा िाक्माॊश कहते हेऄ। जैसे-
(1) सफसे तेज दौड़ने वारा छात्र जीत गमा। 'सफसे तेज दौड़ने िारा छात्र' भें ऩाॉच ऩद है , क्रकन्तु िे भभरकय एक ह ऩद
अथावत सॊऻा का कामव कय यहे हेऄ।
(2) मह रड़की अत्मॊत सश
ु ीर औय ऩरयश्रभी है। 'अत्मॊत सश
ु ीर औय ऩरयश्रभी' भें बी चाय ऩद हेऄ, क्रकन्तु िे भभरकय एक
ह ऩद अथावत विशेषण का कामव कय यहे हेऄ।
(3) नद फहती चरी जा यही है। 'फहती चर जा यह है ' भें ऩाॉच ऩद हेऄ क्रकन्तु िे भभरकय एक ह ऩद अथावत क्रिमा का
काभ कय यहे हेऄ।
(4) नद कर-कर कयती हुई फह यह थी। 'कर-कर कयती हुई' भें तीन ऩद हेऄ, क्रकन्तु िे भभरकय एक ह ऩद अथावत
क्रिमा विशेषण का काभ कय यहे हेऄ।
ऩदफॊध के बेद- भुख्म ऩद के आधाय ऩय ऩदफॊध के ऩाॉच प्रकाय होते हेऄ-
(1) सॊऻा-ऩदफॊध (2) विशेषण-ऩदफॊध (3) सिवनाभ ऩदफॊध (4) क्रिमा ऩदफॊध (5) क्रिमा-विशेषण ऩदफॊध

(1) सॊऻा-ऩदफॊध- िह ऩदफॊध जो िाक्म भें सॊऻा का कामव कये , सॊऻा ऩदफॊध कहराता है। ऩदफॊध का अॊनतभ अथिा शीषव
शब्द मदद सॊऻा हो औय अन्म सबी ऩद उसी ऩय आधश्रत हो तो िह 'सॊऻा ऩदफॊध' कहराता है। जैसे-
(a) चाय ताकतवय भजदयू इस बाय चीज को उठा ऩाए।
(b) याभ ने रॊका के याजा यावण को भाय धगयामा।
(c) अमोध्मा के याजा दशयथ के चाय ऩुत्र थे।
(d) आसभान भें उड़ता गुब्फाया पट गमा।

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(2) ववशेषण ऩदफॊध- िह ऩदफॊध जो सॊऻा अथिा सिवनाभ की विशेषता फतराता हुआ विशेषण का कामव कये , विशेषण
ऩदफॊध कहराता है। ऩदफॊध का शीषव अथिा अॊनतभ शब्द मदद विशेषण हो औय अन्म सबी ऩद उसी ऩय आधश्रत हेआ तो िह
'विशेषण ऩदफॊध' कहराता है। जैसे-
(a) तेज चरने वारी गाड़ड़माॉ प्राम् दे य से ऩहुॉचती हेऄ।
(b) उस घय के कोने भें फैठा हुआ आदभी जासूस है।
(c) उसका घोड़ा अत्मॊत सुॊदय, पुयतीरा औय आऻाकायी है।
(d) फयगद औय ऩीऩर की घनी छाॉव से हभें फहुत सुख भभरा।

(3) सववनाभ ऩदफॊध- िह ऩदफॊध जो िाक्म भें सिवनाभ का कामव कये , सिवनाभ ऩदफॊध कहराता है।
 बफजरी-सी पुयती ददखाकय आऩने फारक को डूफने से फचा भरमा।
 शयायत कयने वारे छात्रैऄ भें से कुछ ऩकड़े गए।
 ववयोध कयने वारे रोगैऄ भें से कोई नह ॊ फोरा।
उऩमक्
ुव त िाक्मेआ भें कारा छऩे शब्द सिवनाभ ऩदफॊध हेऄ क्मेआक्रक िे िभश् 'आऩने' 'कुछ' औय 'कोई' इन सिवनाभ शब्देआ से
सम्फद्ध हेऄ।

(4) क्रिमा ऩदफॊध- िह ऩदफॊध जो अनेक क्रिमा-ऩदेआ से भभरकय फना हो, क्रिमा ऩदफॊध कहराता है।
क्रिमा ऩदफॊध भें भख्
ु म क्रिमा ऩहरे आती है। उसके फाद अन्म क्रिमाएॉ भभरकय एक सभग्र इकाई फनाती है। मह 'क्रिमा
ऩदफॊध' है। जैसे-
(a) िह फाजाय की ओय आमा होगा।
(b) भुझे भोहन छत से ददखाई दे यहा है।
(c) सुयेश नद भें डूफ गमा।
(d) अफ दयिाजा खोरा जा सकता है।

(5) अव्मम ऩदफॊध- िह ऩदफॊध जो िाक्म भें अव्मम का कामव कये , अव्मम ऩदफॊध कहराता है। इस ऩदफॊध का अॊनतभ
शब्द अव्मम होता है। उदाहयण के भरए ननम्नभरणखत िाक्म दे णखए-
 अऩने साभान के साथ िह चरा गमा।
 सुफह से शाभ तक िह फैठा यहा।

2. अविकाय शब्द क्मा होता है ?


(A) सॊऻा
(B) सिवनाभ
(C) अव्मम
(D) विशेषण
उत्तय- C
व्माख्मा: िह शब्द जो भरॊग िचन कायक आदद से कबी विकृत नह ॊ होते हेऄ, अविकाय शब्द कहे जाते हेऄ। इनके अव्मम
बी कहा जाता है। जैसे – िहाॉ, जहाॉ आदद।

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अव्मम -अव्मम िे शब्द हेऄ जजनभें भरॊग ,ऩुरुष ,कार आदद की दृजटट से कोई ऩरयितवन नह ॊ होता, जैसे - महाॉ, कफ, औय
आदद ! अव्मम शब्द ऩाॊच प्रकाय के होते हेऄ -
1 - क्रिमाविशेषण - धीये -धीये , फहुत
2 - सॊफॊधफोधक - के साथ, तक
3 - सभुच्चमफोधक - तथा, एिॊ, औय
4 - विस्भमाददफोधक - अये , हे
5 - ननऩात - ह , बी
1-क्रिमाववशेषण अव्मम- जो अव्मम क्रकसी क्रिमा की विशेषता फताते हेऄ, िे क्रिमा विशेषण कहराते हेऄ, जैसे - भेऄ फहुत
थक गमा हूॉ।
क्रिमाववशेषण के चाय बेद हैं -
 1-कारवाचक क्रिमाववशेषण- जजन शब्देआ से कारसॊफॊधी क्रिमा की विशेषता का फोध हो, जैसे - कर, आज, ऩयसेआ,
जफ, तफ सामॊ आदद ! ( कृटण कर जाएगा।)
 2-स्थानवाचक क्रिमाववशेषण- जो क्रिमाविशेषण क्रिमा के होने मा न होने के स्थान का फोध कयाएॉ , जैसे - महाॉ,
इधय, उधय, फाहय, आगे , ऩीछे , आभने, साभने, दाएॉ, फाएॉ आदद (उधय भत जाओ।)
 3-ऩरयभाणवाचक क्रिमाववशेषण- जहाॉ क्रिमा के ऩरयभाण / भात्रा की विशेषता का फोध हो, जैसे -जया, थोड़ा, कुछ,
अधधक, क्रकतना, केिर आदद ! (कभ खाओ)
 4-यीततवाचक क्रिमाववशेषण- इसभें क्रिमा के होने के ढॊ ग का ऩता चरता है , जैसे-जोय से , धीये -धीये , बर -बाॉनत,
ऐसे, सहसा, सच, तेज, नह ,ॊ कैसे, िैसे, ज्मेआ, त्मेआ आदद ! (िह ऩैदर चरता है।)
2-सॊफॊधफोधक अव्मम- जो अविकाय शब्द सॊऻा अथिा सिवनाभ शब्देआ के साथ जड़
ु कय दस
ू ये शब्देआ से उनका सॊफॊध फताते
हेऄ, सॊफॊधफोधक अव्मम कहराते हेऄ, जैसे- के फाद, से ऩहरे, के ऊऩय, के कायण, से रेकय, तक, के अनुसाय, के बीतय, की
खानतय, के भरए, के बफना, आदद! (विद्मा के बफना भनुटम ऩशु है।)
3-सभुच्चमफोधक अव्मम- दो शब्देआ, िाक्माॊशेआ मा िाक्मेआ को जोड़ने िारे शब्देआ को सभुच्चमफोधक अव्मम कहते हेऄ !
जैसे - क्रक ,भानेआ ,आदद ,औय ,अथिा ,मानन ,इसभरए , क्रकन्तु ,तथावऩ ,क्मेआक्रक ,भगय ,फजकक आदद ! (भोहन ऩढ़ता है
औय सोहन भरखता है। )
4-ववस्भमाददफोधक अव्मम- जो अविकाय शब्द हभाये भन के हषव, शोक, घण
ृ ा, प्रशॊसा, विस्भम आदद बािेआ को व्मक्त
कयते हेऄ, उन्हें विस्भमाददफोधक अव्मम कहते हेऄ ! जैसे - अये , ओह, हाम, ओप, हे आदद! ( इन शब्देआ के साथ सॊफोधन
का धचन्ह ( ! ) बी रगामा जाता हेऄ ! जैसे - हाम याभ ! मह क्मा हो गमा। )
5-तनऩात- जो अविकाय शब्द क्रकसी शब्द मा ऩद के फाद जुड़कय उसके अथव भें विशेष प्रकाय का फर बय दे ते हेऄ उन्हें
ननऩात कहते हेऄ! जैसे - ह , बी, तो, तक, बय, केिर/भात्र, आदद! ( याभ ह भरख यहा है।)

3. ―अफ ऩढ़कय क्मा होगा।‖ इस िाक्म भें कौन-सी क्रिमा है?


(A) ऩूिक
व ाभरक क्रिमा
(B) द्विकभवक क्रिमा
(C) प्रेयणाथवक क्रिमा
(D) सॊमुक्त क्रिमा
उत्तय- A
व्माख्मा: अफ ऩढ़कय क्मा होगा, इस िाक्म भें ऩूिक
व ाभरक क्रिमा है।
सॊयचना मा प्रमोग के आधाय ऩय क्रिमा के बेद :-

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1. साभान्म क्रिमा 2. सॊमुक्त क्रिमा 3. नाभधातु क्रिमा 4. प्रेयणाथवक क्रिमा 5. ऩूिक
व ाभरक क्रिमा 6. तात्काभरक क्रिमा 7.
कृदॊ त क्रिमा 8. मौधगक क्रिमा 9. सहामक क्रिमा 10. सजातीम क्रिमा 11. विधध क्रिमा
1.साभान्म क्रिमा:- जजस क्रिमा के रूऩ से कर विशेष का ऩता न हो औय उसके ऩीछे न रगा हो उसे साभान्म क्रिमा
कहते हेऄ अथातव जफ िाक्म भें एक क्रिमा का ऩता चरे उसे साभान्म क्रिमा कहते हेऄ।
जैसे :- योना , धोना , खाना , ऩीना , नाचना , कूदो , ऩढ़ा , नहाना , चरना आदद।
2.सॊमुक्त क्रिमा:- जो क्रिमाएॉ दो मा दो से अधधक धातुओॊ से भभरकय फनी होती हेऄ उसे सॊमुक्त क्रिमा कहते हेऄ। अथातव जो
क्रिमाएॉ दो मा दो से अधधक क्रिमाओॊ के मोग से फनी होती हेऄ उन्हें सॊमुक्त क्रिमा कहते हेऄ। जैसे :- (i) भेऄने खाना खा
भरमा। (ii) तुभ घय चरे जाओ। (iii) भीया फाई स्कूर चर गई। (iv) िह खा चुका। (v) भीया भहाबायत ऩढने रगी। (vi)
वप्रमॊका ने दध
ू ऩी भरमा। (vii) भोहन नाचने रगा। (viii) याभ विद्मारम से रौट आमा। (ix) क्रकशोय योने रगा। (x) िह
घय ऩहुॊच गमा।
सॊमुक्त क्रिमा के बेद :-
1.आयम्बफोधक सॊमुक्त क्रिमा, 2.सभाजततफोधक सॊमुक्त क्रिमा, 3.अिकाशफोधक सॊमुक्त क्रिमा, 4.अनुभनतफोधक सॊमुक्त
क्रिमा, 5.ननत्मताफोधक सॊमुक्त क्रिमा, 6.आिश्मकताफोधक सॊमुक्त क्रिमा, 7.ननश्चमफोधक सॊमुक्त क्रिमा, 8.इच्छाफोधक
सॊमक्
ु त क्रिमा, 9.अभ्मासफोधक सॊमक्
ु त क्रिमा, 10.शजक्तफोधक सॊमक्
ु त क्रिमा, 11.ऩन
ु रुक्त सॊमक्
ु त क्रिमा
 1. आयॊ बफोधक सॊमुक्त क्रिमा:- जजन सॊमुक्त क्रिमा से हभें ऩता चरे की क्रिमा आयम्ब होने िार है उसे आयम्ब
फोधक सॊमुक्त क्रिमा कहते हेऄ। जैसे :- (i) िह नाचने रगी। (ii) फयसात होने रगी। (iii) याभ खेरने रगा।
 2. सभाप्ततफोधक सॊमुक्त क्रिमा:- जजन सॊमुक्त क्रिमाओॊ से भख्
ु म क्रिमा के सभाऩन का ऩता चरे उसे
सभाजततफोधक सॊमुक्त क्रिमा कहते हेऄ। जैसे :- (i) िह सो चुका है। (ii) याभ खा चुका है। (iii) िह रड़ चुका है।
 3. अवकाशफोधक सॊमक्
ु त क्रिमा:- जजन सॊमक्
ु त क्रिमाओॊ से क्रकसी क्रिमा को ननटऩन्न कयने के भरए अिकाश का
फोध कयामा जामे उसे अिकाशफोधक सॊमुक्त क्रिमा कहते हेऄ। जैसे :- िह फहुत भुजश्कर से सोने ऩामा है जाने न
ऩामा।
 4. अनुभततफोधक सॊमुक्त क्रिमा:- जजन सॊमुक्त क्रिमाओॊ से क्रकसी क्रिमा को कयने की अनुभनत ददए जाने का
ऩता चरे उसे अनुभनतफोधक सॊमुक्त क्रिमा कहते हेऄ। जैसे :- भुझे सोने दो, भुझे कहने दो।
 5. तनत्मताफोधक सॊमक्
ु त क्रिमा:- जजन सॊमक्
ु त क्रिमाओॊ से क्रकसी क्रिमा की ननत्मता का मा उसके खत्भ न होने
का ऩता चरे उसे ननत्मताफोधक सॊमुक्त क्रिमा कहते हेऄ। जैसे:- नद फह यह है। ऩेड़ फढ़ता गमा।
 6. आवश्मकताफोधक सॊमुक्त क्रिमा:– जजन सॊमुक्त क्रिमाओॊ से क्रकसी क्रिमा की आिश्मकता का मा कतवव्म ऩता
चरे उसे आिश्मकताफोधक सॊमुक्त क्रिमा कहते हेऄ। जैसे:- भझ
ु े मह काभ कयना ऩड़ता है, तुम्हें मह काभ कयना
चादहए।
 7. तनश्चमफोधक सॊमक्
ु त क्रिमा:- जजन सॊमक्
ु त क्रिमा से भख्
ु म क्रिमा के व्माऩय की ननश्चमता का ऩता चरे उसे
ननश्चमफोधक सॊमुक्त क्रिमा कहते हेऄ। जैसे:- िह फीच भें ह फोर उठा– भेऄ भाय फैठूॉगा।
 8. इच्छाफोधक सॊमुक्त क्रिमा:– जजन सॊमुक्त क्रिमाओॊ से क्रिमा के कयने की इच्छा का ऩता चरे उसे इच्छाफोधक
सॊमुक्त क्रिमा कहते हेऄ। जैसे:- िह घय आना चाहता है, भेऄ खाना चाहता हूॉ।
 9. अभ्मासफोधक सॊमुक्त क्रिमा:- जजन सॊमुक्त क्रिमाओॊ से क्रिमा को कयने के अभ्मास का ऩता चरे उसे
अभ्मास फोधक सॊमक्
ु त क्रिमा कहते हेऄ। जफ साभान्म बत
ू कार की क्रिमाओॊ भें कयना क्रिमा रगा द जाती है तफ
अभ्मासफोधक सॊमुक्त क्रिमा फनती है। जैसे:-िह ऩढ़ा कयता है , तुभ भरखा कयते हो, भेऄ खेरा कयता हूॉ।
 10. शप्क्तफोधक सॊमुक्त क्रिमा:– जजन सॊमुक्त क्रिमाओॊ से क्रिमा को कयने के भरए शजक्त का ऩता चरता है उसे
शजक्तफोधक क्रिमा कहते हेऄ। जैसे:- भेऄ भरख सकता हूॉ, भेऄ ऩढ़ सकता हूॉ।

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 11. ऩुनरुक्त सॊमुक्त क्रिमा:- जफ दो सभान ध्िनन िार क्रिमाओॊ के जुड़ने का ऩता चरता है उसे ऩुनरुक्त
सॊमुक्त क्रिमा कहते हेऄ। जैसे:- िह खेरा-कूदा कयता है।
3. नाभधातु क्रिमा:-क्रिमा को छोडकय सॊऻा , सिवनाभ तथा विशेषण से भभरकय सॊमुक्त क्रिमा को नाभधातु कहते हेऄ। मे
धातओ
ु ॊ के नाभ से फनी होती हेऄ इसभरए नाभधातु कहराती हेऄ। जैसे:- हाथ से हधथमाना, फात से फनतमाना, दख
ु ना से
दख
ु ना, धचकना से धचकनाना, राठी से रदठमाना, रत से रनतमाना, ऩानी से ऩननमाना, बफरग से बफरगाना, स्िीकाय से
स्िीकायना, धधक्काय से धधक्कायना, उद्धाय से उद्धायना, शभव से शयभाना, अऩना से अऩनाना, रज्जा से रजाना, झूठ से
झुठराना, टक्कय से टकयाना, रारच से ररचाना, सदठमा से सदठमाना, गयभ से गयभाना, अऩना से अऩनाना, दोहया से
दोहयाना आदद।
उदहायण:- रट
ु े येआ ने जभीन हधथमा र । उसने उन्हें रनतमा ददमा।
(1) सॊऻा शब्देआ से फनाए कुछ नाभधातु के उदहायण इस प्रकाय हेऄ:- सॊऻा शब्द = नाभधातु:-
(i) शभव = शभावना, (ii) रोब = रब
ु ाना, (iii) फात = फनतमाना, (iv) झूठ = झुठराना, (v) रात = रनतमाना,
(vi) द्ु ख =दणु खमाना,
(2) सिवनाभ शब्देआ से फने नाभधातु के कुछ उदहायण इस प्रकाय हेऄ:-
जैसे:- (i) अऩना = अऩनाऩन, (ii) ऩयामा = ऩयामाऩन
(3) विशेषण शब्देआ से फने नाभधातु के कुछ उदहायण इस प्रकाय हेऄ:-
(i) साठ = सदठमाना, (ii) तोतरा = तुतराना, (iii) नयभ = नयभाना, (iv) गयभ = गयभाना, (v) रज्जा =
रजाना, (vi) रारच = ररचाना, (viii) क्रपकभ = क्रपकभाना
(4) अनुकयणिाची शब्देआ से फने नाभधातु के कुछ उदहायण इस प्रकाय हेऄ :- (i) थऩ-थऩ = थऩथऩाना, (ii) थय-
थय = थयथयाना, (iii) कॉऩ- कॉऩ = कॊऩकॊऩाना, (iv) टन- टन = टनटनाना, (v) फड- फड = फडफडाना, (vi) खट-
खट = खटखटाना आदद।
4. प्रेयणाथवक क्रिमा:- जजन क्रिमाओॊ के प्रमोग से मह ऩता चरे की कताव खुद कामव न कयके क्रकसी औय से कामव कयिा यहा
है मा क्रकसी औय को कामव कयने की प्रेयणा दे यहा हो उसे प्रेयणाथवक क्रिमा कहते हेऄ। जैसे:- कटिाना, कयिाना, फोरिाना,
ऩढिाना, भरखिाना, णखरिाना, सुनाना, वऩरिाना, वऩरिाता, वऩरिाती आदद। उदहायण :-
(i) भाभरक नौकय से काय साप कयिाता है।
(ii) अध्माऩक फच्चे से ऩाठ ऩढिाता है।
(iii) भेऄने याधा से ऩत्र भरखिामा।
(iv) उसने हभें खाना णखरिामा आदद।
प्रेयणाथवक क्रिमा के प्रेयक:- 1. प्रेयक कताव, 2. प्रेरयत कताव
1. प्रेयक कताव:- जो क्रकसी औय को प्रेयणा प्रदान कयता है मा प्रेयणा दे ता है उसे प्रेयक कताव कहते हेऄ।
जैसे:- भाभरक, अध्मावऩका।
2. प्रेरयत कताव- जो क्रकसी औय से प्रेयणा रेता है उसे प्रेरयत कताव कहते हेऄ। जैसे:- नौकय, छात्र आदद।
प्रेयणाथवक क्रिमा के रूऩ:- 1. प्रथभ प्रेयणाथवक क्रिमा, 2. द्वितीम प्रेयणाथवक क्रिमा
1.प्रथभ प्रेयणाथवक क्रिमा:- प्रथभ प्रेयणाथवक क्रिमा भें कताव प्रेयक फनकय प्रेयणा दे ता है उसे प्रथभ प्रेयणाथवक क्रिमा
कहते हेऄ। मे सबी क्रिमाएॉ सकभवक होती हेऄ। जैसे:- भाॉ ऩरयिाय के भरए बोजन फनाती है। जोकय सकवस भें खेर
ददखाता है।
2.द्ववतीम प्रेयणाथवक क्रिमा:- द्वितीम प्रेयणाथव क्रिमा भें कताव खुद दस
ू ये को काभ कयने की प्रेयणा दे ता है उसे
द्वितीम प्रेयणाथवक क्रिमा कहते हेऄ। जैसे:- भाॉ ऩुत्री से बोजन फनिाती है। जोकय सकवस भें हाथी से कयतफ
कयिाता है।

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प्रेयणाथवक क्रिमा फनाने के कुछ तनमभ इस प्रकाय हैं :-
(i) भूर दो अऺय िार धातुओॊ भें जफ आना मा िाना जोड़ ददमा जाता है। जैसे:- ऩढ़ – ऩढ़ाना – ऩढिाना।
चर – चराना – चरिाना।
(ii) दो अऺय िार धातओ
ु ॊ भें जफ ऐ मा ओ जोड़ ददमा जाता है। जफ द घव स्िय को हस्ि स्िय फना ददमा जाता
है। जैसे:- जीत – जजताना – जजतिाना। रेट – भरटाना – भरटिाना।
(iii) तीन अऺय िार धातुओॊ भें जफ आना औय िाना जोड़ ददमा जाता है। जैस:- सभझ – सभझाना –
सभझिाना। फदर – फदराना – फदरिाना।
(iv) कुछ धातुओॊ भें आिश्मकतानुसाय प्रत्मम रगाए जाते हेऄ। जैसे:- जी – जजराना – जजरिाना।
प्रेयणाथवक क्रिमा के उदहायण इस प्रकाय हैं :-
भूर क्रिमा = प्रथभ प्रेयणाथवक = द्वितीम प्रेयणाथवक:-
(i) उठना = उठाना = उठिाना
(ii) उड़ना = उड़ाना = उडिाना
(iii) चरना = चराना = चरिाना
(iv) दे ना = ददराना = ददरिाना
(v) जीना = जजराना = जजरिाना
(vi) भरखना = भरखाना = भरखिाना
(vii) जगना = जगाना = जगिाना
(viii) सोना = सुराना = सुरिाना
(ix) ऩीना = वऩराना = वऩरिाना
(x) दे ना = ददराना = ददरिाना
(xi) धोना = धुराना = धुरिाना
(xii) योना = रुराना = रुरिाना
(xiii) घूभना = घुभाना = घभ
ु िाना
(xiv) ऩढना = ऩढ़ाना = ऩढिाना
(xv) दे खना = ददखाना = ददखिाना
(xvi) खाना = णखराना = णखरिाना आदद।
5. ऩूवक
व ालरक क्रिमा:- ऩूिक
व ाभरक का अथव होता है– ऩहरे से हुआ। जफ कताव एक कामव को सभातत कयके तुयॊत दस ू ये काभ
भें रग जाता है तफ जो क्रिमा ऩहरे ह सभातत हो जाती है उसे ऩूिक व ाभरक क्रिमा कहते हेऄ। ऩूिक
व ाभरक क्रिमा को धातु भें
कय मा कयके रगाकय फनामा जाता है।जैसे :-
(i) ऩुजाय ने नहाकय ऩूजा की। (ii) चोय साभान चुयाकय बाग गमा। (iii) विद्माथी ने ऩुस्तक से दे खकय उत्तय ददमा। (iv)
िह खाकय सो गमा। (v) रडक्रकमाॉ ऩुस्तक ऩढकय जाएॉगी। (vi) याखी ने अऩने घय ऩहुॊच कय पोन क्रकमा। (vii) णखराडी
खेर कय फैठ गमे। (viii) अनुज खाना खाकय स्कूर गमा। (ix) िे सुनकय चरे गमे। (x) भेऄ दौडकय जाउॉ गा।
6. तात्कालरक क्रिमा:- मह क्रिमा ह ऩूिक
व ाभरक क्रिमा की तयह भुख्म क्रिमा से ऩहरे खत्भ होती है रेक्रकन इसभें औय
भख्
ु म क्रिमा भें सभम का अॊतय न होकय िभ का अॊतय होता है उसे तात्काभरक क्रिमा कहते हेऄ।
जैसे:- िह आते ह सो गमा। शेय दे खते ह िह फे होश हो गमा।
7. कृदॊ त क्रिमा:- कृत प्रत्ममेआ को जोडकय जो क्रिमा फनाई जाती है उसे कृदॊ त क्रिमा कहते हेऄ अथातव जफ क्रकसी क्रिमा भें
प्रत्मम जोडकय उसका एक नमा क्रिमा रूऩ फनामा जाता है उसे कृदॊ त प्रत्मम कहते हेऄ।
जैसे:- चरता, बागता, दौड़ता, हॉसता आदद।

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8. मौगगक क्रिमा:- जजन िाक्मेआ भें दो क्रिमाएॉ एक साथ आती हेऄ औय दोनेआ भभरकय भुख्म क्रिमा का काभ कयती हेऄ उसे
मौधगक क्रिमा कहते हेऄ। इसभें ऩहर क्रिमा ऩूणक
व ाभरक होती है। जैसे:- िह सभान यखकय गमा।
ऩय ऺा भसय ऩय आ ऩहुॊची है।
9. सहामक क्रिमा:- जो क्रिमा भख्
ु म क्रिमा की सहामता कयती हेऄ उन्हें सहामक क्रिमा कहते हेऄ। भख्
ु म क्रिमा के अथव को
स्ऩटट कयने औय अथव को ऩूया कयने के भरए सहामक क्रिमा की जरूयत ऩडती है। कबी एक तो कबी एक से ज्मादा क्रिमा
सहामक क्रिमा के रूऩ भें आती हेऄ। रेक्रकन इनभें हेय पेय कयने से क्रिमा का कार ऩरयिनतवत हो जाता है। जैसे:- िह आता
है। तुभ सोमे हुए हो।
10. सजातीम क्रिमा:- जफ कुछ अकभवक औय सकभवक क्रिमाओॊ के साथ उनके धातु की फनी बाििाचक सॊऻा के प्रमोग
को ह सजातीम क्रिमा कहते हेऄ। जैसे:- अच्छा खेर खेर यहे हो। िह अच्छी भरखाई भरख यहा है।
11. ववगध क्रिमा:- जजस क्रिमा से क्रकसी प्रकाय की आऻा का ऩता चरे उसे विधध क्रिमा कहते हेऄ। जैसे:-घय जाओ। ठहय
जा।

4. ―हधथमाना‖ भें कौन-सी क्रिमा है।


(A) प्रेयणाथवक
(B) सॊमुक्त
(C) अनुकयणात्भक
(D) नाभधातु
उत्तय- D
व्माख्मा: सॊऻा मा विशेषण शब्देआ से फनने िार क्रिमाओॊ को नाभधातु क्रिमा कहते हेऄ। जैसे – हधथमाना, रजाना, येऄगना,
दख
ु ाना, फनतमाना, क्रपकभाना इत्मादद।

5. प्रत्मुत्ऩन्नभनत का अथव है?


(A) उत्तय ने दे ने की ऺभता
(B) जो क्रपय से उत्ऩन्न हुआ हो
(C) जजसकी फुद्धध भें नई-नई फात उत्ऩन्न होती है
(D) जो तत्कार सोचकय उत्तय दे सके
उत्तय- D
व्माख्मा: प्रत्मुत्ऩन्नभनत शब्द का प्रमोग जो तत्कार सोचकय उत्तय दे सके िाक्म के भरए क्रकमा जाता है।
अन्म भहत्वऩण
ू व वाक्माॊश के लरए एक शब्द-
• आिश्मकता से अधधक फयसात— अनतिजृ टट
• फयसात बफककुर न होना— अनािजृ टट
• फहुत कभ फयसात होना— अकऩिजृ टट
• इॊदिमेअ की ऩहुॉच से फाहय— अतीजन्िम/इॊिमातीत
• सीभा का अनधु चत उकरॊघन— अनतिभण
• जो फीत गमा हो— अतीत
• जजसकी गहयाई का ऩता न रग सके— अथाह
• आगे का विचाय न कय सकने िारा— अदयू दशी
• जो आज तक से सम्फन्ध यखता है — अद्मतन

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• आदे श जो ननजश्चत अिधध तक रागू हो— अध्मादे श
• जजस ऩय क्रकसी ने अधधकाय कय भरमा हो— अधधकृत
• िह सूचना जो सयकाय की ओय से जाय हो— अधधसूचना
• विधानमका द्िाया स्िीकृत ननमभ— अधधननमभ
• अवििादहत भदहरा— अनूढ़ा
• िह स्त्री जजसके ऩनत ने दस
ू य शाद कय र हो— अध्मूढ़ा
• दस
ू ये की वििादहत स्त्री— अन्मोढ़ा
• गुरु के ऩास यहकय ऩढ़ने िारा— अन्तेिासी
• ऩहाड़ के ऊऩय की सभतर जभीन— अधधत्मका
• जजसके हस्ताऺय नीचे अॊक्रकत हेः— अधोहस्ताऺयकत्ताव
• एक बाषा के विचायेअ को दस
ू य बाषा भेँ व्मक्त कयना— अनुिाद
• क्रकसी सम्प्रदाम का सभथवन कयने िारा— अनुमामी
• क्रकसी प्रस्ताि का सभथवन कयने की क्रिमा— अनुभोदन
• जजसके भाता–वऩता न हेअ— अनाथ
• जजसका जन्भ ननम्न िणव भेँ हुआ हो— अॊत्मज
• ऩयम्ऩया से चर आई कथा— अनुश्रुनत
• जजसका कोई दस
ू या उऩाम न हो— अनन्मोऩाम
• िह बाई जो अन्म भाता से उत्ऩन्न हुआ हो— अन्मोदय
• ऩरक को बफना झऩकाए— अननभेष/ननननवभेष
• जो फुरामा न गमा हो— अनाहूत
• जो ढका हुआ न हो— अनाितृ

6. ―चूड़ी अच्छी थी‖ भें ―थी‖ कौन-सी क्रिमा है?


(A) मोजक क्रिमा
(B) अधधकायद्मोतक क्रिमा
(C) औधचत्मफोधक क्रिमा
(D) अप्रत्मऺ क्रिमा
उत्तय- A
व्माख्मा: दहन्द भें आधायबत
ू िाक्म छ् प्रकाय के होते हेऄ, िे हेऄ– मोजी क्रिमा-मक्
ु त, अकभवक क्रिमा-मक्
ु त, सकभवक क्रिमा-
मुक्त, फाध्मताफोधक क्रिमा-मुक्त तथा औधचत्मफोधक क्रिमा-मुक्त। मोजीक्रिमा-मुक्त के तीन बेद होते हेऄ।
1. कताव+स्थैनतक क्रिमा (जैसे – ईश्िय है, कर सदी थी, आज गभी है।)
2. कताव+ऩूयक+मोजक क्रिमा– इसके तीन उऩबेद हेऄ–
(अ) कताव+ऩूयक सॊऻा+मोजक क्रिमा (जैसे– दशयथ याजा थे, भेऄ अध्माऩक हूॉ)।
(फ) कताव+ऩयू क विशेषण+मोजक क्रिमा (जैसे – विद्माथी तेज है, चूड़ी अच्छी थी)।
(स) कताव+ऩूयक क्रिमा विशेषण+मोजक क्रिमा (जैसे – याजीि गाॉि भें है, सौयब घोड़े ऩय है )
3. अधधकाय कताव+अधधकारयत ऩूयक+अधधकायद्मोतक क्रिमा– इसके चाय उऩबेद है।
सभुच्चमफोधक अव्मम- दो शब्देआ, िाक्माॊशेआ मा िाक्मेआ को भभराने िारे अव्मम सभुच्चमफोधक अव्मम कहराते हेऄ।
इन्हें मोजक बी कहते हेऄ।

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उदाहयण सभुच्चफोधक अव्मम

भाता जी औय वऩताजी औय
भैं ऩटना आना चाहता था रेक्रकन आ न सका। रेक्रकन
तुभ जाओगे मा वह आएगा। मा

 औय, तथा, एवॊ, व, रेक्रकन, भगय, क्रकॊ तु, ऩयॊ तु, इसलरए, इस कायण, अत:, क्मैऄक्रक, ताक्रक, मा, अथवा, चाहे
इत्मादद शब्द को सभुच्चम फोधक भें शाभभर क्रकमा गमा है।
 सभच्
ु चमफोधक के दो बेद हैं- 1. सभानागधकयण सभच्
ु चमफोधक 2. व्मगधकयण सभच्
ु चमफोधक
1. सभानागधकयण सभुच्चमफोधक- िे मोजक शब्द जो सभान अधधकाय िारे अॊशेआ को जोड़ने का कामव कयते हेऄ।
जैसे- क्रकॊ तु, औय, मा, अथवा इत्मादद।
2. व्मगधकयण सभुच्चमफोधक- िे मोजक जजनभें एक अॊश भुख्म होता है औय एक गौण मा जो एक भुख्म िाक्म भें एक
मा एक से अधधक उऩिाक्मेआ को जोड़ने का कामव कयते हेऄ, व्मधधकयण सभुच्चमफोधक कहराते हेऄ। जैसे- चूॊक्रक, इसलरए,
मद्मवऩ, तथावऩ, क्रक, भानो, क्मैऄक्रक, महाॊ तक क्रक, प्जससे क्रक, ताक्रक आदद

7. ननम्नभरणखत भें से क्रकस िाक्म भें अकभवक क्रिमा है?


(A) ऩानी फयस यहा है।
(B) भेऄ गेहूॉ वऩसिाता हूॉ।
(C) श्माभ ननफॊध भरखता है।
(D) याभ भोहन को रूरा यहा है।
उत्तय- A
व्माख्मा: जजस िाक्म की क्रिमा को कभव की आिश्मकता नह ॊ होगी, उसे अकभवक क्रिमा कहते हेऄ। अकभवक क्रिमा का पर
कताव ऩय ऩड़ता है। इस क्रिमा का कोई कभव नह होता है।
अकभवक क्रिमा (Intransitive Verb)– जजन क्रिमाओॊ का व्माऩाय औय पर कताव ऩय हो, िे ―अकभवक क्रिमा‖ कहराती हेऄ।
जैसे –याभ सोता है। ―याभ‖ कताव है, ―सोने‖ की क्रिमा उसी के द्िाया ऩूय होती है। अत: सोने का पर बी उसी ऩय ऩड़ता है ।
इसभरए, ―सोना‖ क्रिमा अकभवक है।
 अकभवक क्रिमाओॊ का 'कभव' नह ॊ होता, क्रिमा का व्माऩाय औय पर दस
ू ये ऩय न ऩड़कय कताव ऩय ऩड़ता है।
 उदाहयण के भरए- श्माभ सोता है। इसभें 'सोना' क्रिमा अकभवक है। 'श्माभ' कताव है, 'सोने' की क्रिमा उसी के
द्िाया ऩयू होती है। अत्, सोने का पर बी उसी ऩय ऩड़ता है। इसभरए 'सोना' क्रिमा अकभवक है।
 अन्म उदाहयण - ऩऺी उड़ यहे हेऄ। फच्चा यो यहा है।
 उऩमक्
ुव त िाक्मेआ भें कोई कभव नह ॊ है , क्मेआक्रक महाॉ क्रिमा के साथ क्मा, क्रकसे, क्रकसको, कहाॉ आदद प्रश्नेआ के कोई
उत्तय नह ॊ भभर यहे हेऄ।
 अत् जहाॉ क्रिमा के साथ इन प्रश्नेआ के उत्तय न भभरें , िहाॉ अकभवक क्रिमा होती है।
 कुछ अकभवक क्रिमाएॉ इस प्रकाय हेऄ : तैयना, कूदना, सोना, ठहयना, उछरना, भयना, जीना, फयसना, योना,
चभकना आदद।

8. अनुभान का विशेषण होगा?


(A) अनुभाननक

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(B) अनुभभत
(C) अनुभानक
(D) अनभभत
उत्तय- B
व्माख्मा: ―अनुभान‖ का विशेषण ―अनुभभत‖ होगा।

9. ननम्न भें से क्रिमा-विशेषण अव्मम चुननए।


(A) कुत्ता बौक यहा है।
(B) याभ खाना खा यहा है।
(C) अधधक भत फोरो।
(D) याधा यातबय जागती यह ।
उत्तय- C
व्माख्मा: जो अव्मम क्रिमा की विशेषता प्रकट कयता है उसे क्रिमा विशेषण कहते हेऄ। जैसे– अधधक भत फोरो, इस िाक्म
भें अधधक क्रिमा-विशेषण है, जो फोरना क्रिमा की विशेषता फता यहा है।
 जजस शब्द से क्रिमा, विशेषण मा दस
ू ये क्रिमा विशेषण की विशेषता प्रकट हो, उसे क्रिमा विशेषण कहते है।

10. उऩिाक्म ऩहचाननए? ―िह आदभी जो कर आमा था, आज बी आमा है। ‖


(A) सॊऻा उऩिाक्म
(B) विशेषण उऩिाक्म
(C) क्रिमा विशेषण उऩिाक्म
(D) क्रिमा उऩिाक्म
उत्तय- B
व्माख्मा: जो आधश्रत उऩिाक्म विशेषण की तयह व्मिह्त हो, उसे विशेषण उऩिाक्म कहते हेऄ। प्रस्तुत िाक्म भें ―जो कर
आमा था‖ विशेषण उऩिाक्म है। इसभें ―जो‖, ―जैसा‖, ―जजतना‖ इत्मादद शब्देआ का प्रमोग होता है।
उऩवाक्म (Clause) की ऩरयबाषा- ऐसा ऩदसभूह, जजसका अऩना अथव हो, जो एक िाक्म का बाग हो औय जजसभें उदे श्म
औय विधेम हेआ, उऩिाक्म कहराता हेऄ। उऩिाक्मेआ के आयम्ब भें अधधकतय क्रक, जजससे ताक्रक, जो, जजतना, ज्मेआ-त्मेआ, चॉक्रू क,
क्मेआक्रक, मदद, मद्मवऩ, जफ, जहाॉ इत्मादद होते हेऄ।
उऩिाक्म तीन प्रकाय के होते हेऄ-
(1) सॊऻा-उऩिाक्म (Noun Clause) (2) विशेषण-उऩिाक्म (Adjective Clause) (3) क्रिमाविशेषण-उऩिाक्म
(1) सॊऻा-उऩवाक्म(Noun Clause)- जो आधश्रत उऩिाक्म सॊऻा की तयह व्मिरृत हेआ, उसे 'सॊऻा-उऩिाक्म' कहते हेऄ। मह
कभव (सकभवक क्रिमा) मा ऩूयक (अकभवक क्रिमा) का काभ कयता है , जैसा सॊऻा कयती है। 'सॊऻा-उऩिाक्म' की ऩहचान मह
है क्रक इस उऩिाक्म के ऩूिव 'क्रक' होता है। जैसे- 'याभ ने कहा क्रक भेऄ ऩढूॉगा' महाॉ 'भेऄ ऩढूॉगा' सॊऻा-उऩिाक्म है। 'भेऄ नह ॊ
जानता क्रक िह कहाॉ है '- इस िाक्म भें 'िह कहाॉ है ' सॊऻा-उऩिाक्म है।
(2) ववशेषण-उऩवाक्म (Adjective Clause)-जो आधश्रत उऩिाक्म विशेषण की तयह व्मिरृत हो, उसे विशेषण-उऩिाक्म
कहते हेऄ।
(3) क्रिमाववशेषण-उऩवाक्म (Adverb Clause)- जो उऩिाक्म क्रिमाविशेषण की तयह व्मिरृत हो, उसे क्रिमाविशेषण-
उऩिाक्म कहते हेऄ। जैसे- जफ ऩानी फयसता है, तफ भेढक फोरते हेऄ महाॉ 'जफ ऩानी फयसता है' क्रिमाविशेषण-उऩिाक्म हेऄ।

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इसभें प्राम् 'जफ', 'जहाॉ', 'जजधय', 'ज्मेआ', 'मद्मवऩ' इत्मादद शब्देआ का प्रमोग होता हेऄ। इसके द्िाया सभम, स्थान, कायण,
उद्दे श्म, पर, अिस्था, सभानता, भात्रा इत्मादद का फोध होता हेऄ।

11. ―जैसा काभ िैसा दाभ‖ भै ―जैसा‖ क्रकस व्माकयणात्भक कोदट का है?
(A) विशेषण
(B) विशेटम
(C) सिवनाभ
(D) अव्मम
उत्तय- A
व्माख्मा: ―जैसा काभ िैसा दाभ‖ भै ―जैसा‖ विशेषण व्माकयणात्भक कोदट का है। जैसा कयोगे िैसा बयोगे भें – ―जैसा‖
सिवनाभ है। तुभने जैसा चाहा िैसा हुआ भें -―जैसा‖ क्रिमा विशेषण है।

12. णखड़की क्रकस प्रकाय का शब्द है ?


(A) तद्बि
(B) विदे शज
(C) दे शज
(D) िणवसॊकय
उत्तय- C
व्माख्मा: उत्ऩवत्त की दृजटट से शब्द – बेद चाय प्रकाय के हेऄ: 1. तत्सभ, 2. तद्बि, 3. दे शज, 4. विदे शी। िे शब्द जो
सॊस्कृत बाषा से दहन्द भें ज्मेआ के त्मेआ ग्रहण कय भरए गए हेऄ, तत्सभ शब्द होते हेऄ। िे शब्द जो सॊस्कृत से विकृत कय
दहन्द भें प्रमुक्त होते हेऄ तद्बि कहराते हेऄ। िे शब्द जजनकी व्मुत्ऩवत्त का ऩता नह ॊ चरता है औय आिश्मकतानुसाय बाषा
भें प्रमुक्त होते हेऄ दे शज शब्द कहराते हेऄ। िे शब्द जो विदे शी बाषाओॊ से ग्रहण कयके दहन्द भें प्रमुक्त होते हेऄ। विदे शी
शब्द कहराते हेऄ।
 जजस शब्देआ की व्मत्ु ऩवत्त का ऩता नह ॊ चरता िे देशज शब्द कहराते हेऄ। मे अऩने ह दे श भें फोर-चार से फने हेऄ,
इसभरए इन्हें दे शज कहते हेऄ। तें दआ
ु , धचड़ड़मा, अण्टा, ठे ठ, कटोया, णखड़की, ठुभय , जूता, ऩगड़ी, णखचड़ी इत्मादद
दे शज शब्द हेऄ।

13. ननम्नभरणखत शब्देआ भें कौन अनुकयणात्भक शब्द है?


(A) फॊधन
(B) चन्िभा
(C) यणऺेत्र
(D) खड़खड़
उत्तय- D
व्माख्मा: बोरानाथ नतिाय दे शज शब्देआ को दो िगों भें यखते हेऄ – अऻातव्मत्ु ऩवत्तक तथा अनक
ु यणात्भक। जो तत्सभ,
तद्बि, विदे शी नह ॊ है तथा अनुकयण के आधाय ऩय फनाए गए हेऄ। इस िगव के अधधकाॊश शब्द ध्िन्मात्भक होते हेऄ। जैसे
– खड़खड़, बड़बड़, खटखट, धभधभ, हड़हड़, धड़धड़, चटचट, बेआ-बेआ, पटपदटमा, टयावना आदद।
उच्चायण के आधाय ऩय शब्द "दो" प्रकाय के हेऄ - १. अनुकयणात्भक, २. ध्िन्मात्भक

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१. अनुकयणात्भक- जजन शब्देआ को सुनकय मा दे खकय हभ अनुकयण कय रें मा स्िमॊ नमे शब्द फना रें , िे अनुकयणात्भक
हेआगे। जैसे-
 जर= कर, पर, नर...
 आभ = दाभ, नाभ, काभ...
 सयर = गयर, तयर, खयर...
२. ध्वन्मात्भक शब्द- जजन शब्देआ को हभ सुनकय अनुबि कयते हेऄ मा सभझ सकते हेऄ, ऩयन्तु चाहकय बी अनुकयण नह ॊ
कय सकते; ध्िन्मात्भक हेऄ। इनके भरमे हभने प्रतीक शब्द फना यखे हेऄ, जैसे-
 बफकर की आिाज़ -म्माऊॉ
 शेय की आिाज़ -दहाड़
 गदहे की आिाज़ -यें कना/ढेंचू
 कफूतय की गुटयगूॊ

14. ननम्नभरणखत भें तद्बि शब्द का चमन कीजजमें।


(A) हस्त
(B) हस्ती
(C) ह ॊग
(D) ह यक
उत्तय- C
व्माख्मा: ह ॊग तद्बि शब्द है, जजसका तत्सभ ―दहॊगु‖ होता है। हस्त का तद्बि शब्द हाथ होता है।
तत्सभ- तद्बव तत्सभ- तद्बव तत्सभ- तद्बव तत्सभ- तद्बव
इऺु = ईंख उत्साह = उछाह उटर = ऊॉट हस्त = हाथ
ईटमाव = इयषा उऩारम्ब = उराहना एकादश = ग्मायह हस्ती = हाथी
इजटटका = ईंट उदघाटन = उघाड़ना एरा = इरामची ऺबत्रम = खत्री
उरूक = उकरू उऩिास = उऩास हास्म = हॉसी ऺाय = खाय
ऊॉचा = उच्च उच्छिास = उसास ऺीय = खीय ऺत = छत
उज्ज्िर = उजरा उद्ितवन = उफटन ऺेत्र = खेत हरयिा = हकद
उटर = ऊॉट उरूखर = ओखर दहयन = हरयण ऺनत = छनत
ऺीण = छीन ऺबत्रम = खत्री हट्ट = हाट होभरका = होर
ह्रदम = दहम हॊडी = हाॊड़ी बत्रणी = तीन त्रमोदष = तेयह

15. ननम्नभरणखत भें से कौन-सा तद्बि शब्द है?


(A) अभभम
(B) उरूक
(C) इजटटका
(D) कुऩुत्र
उत्तय- A
व्माख्मा: अभभम तद्बि शब्द है, इसका तत्सभ ―अभत
ृ ‖ होता है। उरक
ू , इजटटका तथा कुऩत्र
ु तत्सभ शब्द हेऄ, इनके तद्बि
िभश् उकरू, ईंट, तथा कऩूत हेऄ।

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भहत्वऩूणव तत्सभ एवॊ तद्बव शब्द-
जन्भ– जनभ, ज्मोनत– जोत, जि– जौ, जाभाता– जॉिाई, ज्मेटठ– जेठ, जजह्िा– जीब, जीणव– झीना, झयण– झयना, तुॊद– तेआद,
तुॊर– तॊदर
ु , ततत– तऩन, तऩस्िी– तऩसी, त्िरयत– तुयॊत, त्रम– तीन, त्रमोदश– तेयह, तण
ृ – नतनका, ताम्र– ताॊफा, नतरक–
ट का, तीक्ष्ण– तीखा, तीथव– तीयथ, तैर – तेर, दॊ त– दाॉत, दॊ तधािन– दातन
ु , दऺ– दच्छ, दक्षऺण– दादहना, दधध– दह , ऩीत–
ऩीरा, ऩुच्छ– ऩॉछ
ू , ऩुत्र– ऩूत, ऩुटकय– ऩोखय, ऩूणव– ऩूया, ऩूणणवभा– ऩूनभ, ऩूि–व ऩूयफ, ऩौत्र– ऩोता, ऩौष– ऩौ, पाकगुन– पागुन,
पुकर– पुकका, फॊध– फाॉध, फॊध्मा– फाॉझ, फकवय– फकया, फधधय– फहय, फभरिधव– फैर, फारुका– फारू, फुबुक्षऺत– बूखा, बक्त–
बगत, बधगनी– फहन, बि– बरा, बकरुक– बारू, भ्रभय– बौंया, वप्रम– वऩम, वऩऩासा– तमास, वऩऩीभरका– धचॉट , क्रेश– करेश,
कभव– काभ, कृटण– कान्हा, कऩददव का– कौड़ी, कऩोत– कफूतय, काक– कौआ, चूणव– चून, चैत्र– चैत, चौय– चोय, छत्र– छाता,
छामा– छाॉह, नछि– छे द, जॊघा– जाॉघ, दग्ु ध– दध
ू , दफ
ु र
व – दफ
ु रा, दि
ू ाव– दफ
ू , दे ि– दई, द्िौ– दो, धभव– धयभ, धत्तयू – धतयू ा,
धनश्रेटठी– धन्नासेठ, धरयत्री–धयती, धान्म– धान, धुय–् धुय, धूभर– धूर, धूम्र– धुॉआ, धैमव– धीयज, नऺत्र– नखत, नग्न– नॊगा,
कृऩा– क्रकयऩा, कत्तवय – केऄ ची, कणव– कान, कृषक– क्रकसान, कतवव्म– कयतफ, कटु– कडुआ, कतवन– कतयन, ककरोर– करोरचभव–
चाभ/चभड़ी, चिवण– चफाना, धचक्कण– धचकना, धचत्रक– चीता, धचत्रकाय– धचतेया, गोभम– गोफय, नकुर– नेिरा, श्रेटठी– सेठ,
सॊधध– सेँध, सत्म– सच, सतत– सात, सततशती– सतसई, सऩव– साॉऩ, सऩत्नी– सौत, ससऩव– सयसेअ, स्कॊध– कॊधा, स्तन– थन,
स्तम्ब– खम्बा, स्िजन– सजन/साजन, स्ितन– सऩना, स्िणव– सोना, स्िणवकाय– सन
ु ाय, सयोिय– सयिय, साऺी– साखी, सत्र
ू –
सूत, सूम–व सूयज, सौबाग्म– सुहाग, हॊडी– हाॉड़ी, हट्ट– हाट, हषव– हयख, हरयत– हया, हरयिा– हकद , हजस्तनी– हधथनी, हस्त–
हाथ, हजस्त– हाथी, रृदम– दहम, हास्म– हॉसी, दहॉदोरा– दहॉडोरा, होभरका– होर , नव्म– नमा, नतत–ृ नाती, नत्ृ म– नाच, नमन–
नैन, नि– नौ, कूऩ– कुॉआ, कोक्रकरा– कोमर, कोण–कोना, कोजटठका– कोठी, खनन– खान, खटिा– खट, गॊबीय– गहया, गदव ब –
गधा, गतव – गड्ढा, ग्रॊधथ– गाॉठ, गद्
ृ ध – धगद्ध, गह
ृ – घय, गभबवणी– गाभबन, ग्रहण– गहन, गहन– घना, गात्र– गात, गामक–
गिैमा, ग्राहक– गाहक, ग्राभ – गाॉि, ग्राभीण– गॉिाय, गह
ु ा– गप
ु ा, गेआदक
ु – गें द, गोधभ
ू – गेहूॉ, गोऩारक– ग्िारा, कामव–
कायज/काज, कानतवक – कानतक, कास– खाॉसी, काटठ– काठ, क्रकॊ धचत– कुछ, क्रकयण– क्रकयन, कुक्कुय– कुत्ता, कुक्षऺ– कोख,
कुऩुत्र– कऩूत, कुॊबकाय– कुम्हाय, कुभाय– कुॉअय, कुटठ– कोढ़, द्विऩट– दऩ
ु ट्टा, द्वििेद – दफ
ु े, द्विप्रहय – दऩ
ु हय , ददशाॊतय–
ददशािय, द ऩ– द मा, द ऩश्राका– द मासराई, द ऩािर – ददिार ,

16. ―भक्षऺका‖ क्रकसका तत्सभ शब्द है?


(A) भछर
(B) भक्खी
(C) भच्छय
(D) भभट्ट
उत्तय- B
व्माख्मा: भक्खी तद्बि शब्द है जजसका तत्सभ शब्द भक्षऺका है।

17. ―विचाय‖ भें ―इक‖ प्रत्मम रागने से फना शब्द?


(A) िेचारयक
(B) विचारयक
(C) विचौरयक
(D) िैचारयक
उत्तय- D

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व्माख्मा: इक प्रत्मम विशेषऻ मा ऩॊड़डत का अथव व्मक्त कयता है। जैसे – अरॊकाय से आरॊकारयक, तकव से ताक्रकवक, न्माम
से नैमानमक, विऻान से िैऻाननक, िेद से िैददक, विचाय से िैचारयक आदद। मे शब्द भूर शब्द भें आदद स्िय की िद्
ृ धध से
फनते हेऄ।
इक प्रत्मम के प्रमोग से तनलभवत शब्द-
शय य, नीनत, धभव, अथव, रोक, िषव, एनतहास + इक = शाय रयक, नैनतक, धाभभवक, आधथवक, रौक्रकक, िावषवक, ऐनतहाभसक
आदद।
शय य, नगय, इनतहास + इक = शाय रयक , नागरयक , ऐनतहाभसक आदद।
इक – (विशेषण प्रत्मम, सॊऻा प्रत्मम) – दै ननक, िैऻाननक, िैददक, रौक्रकक, बौनतक आदद।
इक – भानभसक, भाभभवक, ऩारयश्रभभक, व्मािहारयक, ऐनतहाभसक, ऩाजश्िवक, साभाजजक, ऩारयिारयक, औऩचारयक, बौनतक,
रौक्रकक, नैनतक, िैददक, प्रामोधगक, िावषवक, भाभसक, दै ननक, धाभभवक, दै दहक, प्रासॊधगक, नागरयक, दै विक, बौगोभरक।

18. ननम्नभरणखत ऩद भें कौन-सा ऩद ―िैमा‖ प्रत्मम रगाने से फना है?


(A) यिैमा
(B) डटै मा
(C) खिैमा
(D) फचैमा
उत्तय- C
व्माख्मा: ―िैमा‖ प्रत्मम रगाने से फने शब्द हेऄ – खिैमा, गिैमा इत्मादद। ऐमा प्रत्मम से फनने िारे शब्द हेऄ – यिैमा, फचैमा,
डटै मा।
धातु + प्रत्मम = उदाहयण इस प्रकाय हैं:
 रेख, ऩाठ, कृ, गै , धाि, सहाम, ऩार + अक = रेखक , ऩाठक , कायक , गामक , धािक , सहामक , ऩारक
आदद।
 ऩार ्, सह, ने, चय, भोह, झाड़, ऩठ, बऺ + अन = ऩारन , सहन , नमन , चयण , भोहन , झाडन , ऩठन ,
बऺण आदद।
 घट, तुर, िॊद, विद + ना = घटना , तुरना , िन्दना , िेदना आदद।
 भान, यभ, दृश ्, ऩूज ्, श्रु + अतनम = भाननीम, यभणीम, दशवनीम, ऩूजनीम, श्रिणीम आदद।
 सूख, बूर, जाग, ऩूज, इष ्, भबऺ् , भरख , बट , झूर +आ = सूखा, बूरा, जागा, ऩूजा, इच्छा, भबऺा, भरखा,
बटका, झूरा आदद।
 रड़, भसर, ऩढ़, चढ़, सन
ु + आई = रड़ाई, भसराई, ऩढ़ाई, चढ़ाई , सन
ु ाई आदद।
 उड़, भभर, दौड़ , थक, चढ़, ऩठ +आन = उड़ान, भभरान, दौड़ान , थकान, चढ़ान, ऩठान आदद।
 हय, धगय, दशयथ, भारा + इ = हरय, धगरय, दाशयधथ, भार आदद।
 छर, जड़, फढ़, घट + इमा = छभरमा, जड़ड़मा, फदढ़मा, घदटमा आदद।
 ऩठ, व्मथा, पर, ऩुटऩ +इत = ऩदठत, व्मधथत, पभरत, ऩुजटऩत आदद।
 चय्, ऩो, खन ् + इत्र = चरयत्र, ऩवित्र, खननत्र आदद।
 अड़, भय, सड़ + इमर = अड़ड़मर, भरयमर, सड़ड़मर आदद।
 हॉस, फोर, त्मज ्, ये त , घुड , फ़ाॊस , बाय + ई = हॉसी, फोर , त्मागी, ये ती , घुड़की, पाॉसी , बाय आदद।
 इच््, भबऺ् + उक = इच्छुक, भबऺुक आदद।
 कृ, िच ् + तव्म = कतवव्म, िक्तव्म आदद।

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 आ, जा, फह, भय, गा + ता = आता, जाता, फहता, भयता, गाता आदद।
 अ, प्री, शक् , बज + तत = अनत, प्रीनत, शजक्त, बजक्त आदद।
 जा, खा + ते = जाते, खाते आदद।
 अन्म, सिव, अस ् + त्र = अन्मत्र, सिवत्र, अस्त्र आदद।
 िॊद, िॊद, भॊद, णखद्, फेर, रे , फॊध, झाड़ + न = िॊदन, िॊदन, भॊदन, णखन्न, फेरन, रेन, फॊधन, झाड़न आदद
 ऩढ़, भरख, फेर, गा + ना = ऩढ़ना, भरखना, फेरना, गाना आदद।
 दा, धा + भ = दाभ, धाभ आदद।
 गद्, ऩद्, कृ, ऩॊड़डत, ऩश्चात ्, दॊ त ्, ओट् , दा , ऩूज + म = गद्म, ऩद्म, कृत्म, ऩाजण्डत्म, ऩाश्चात्म, दॊ त्म,
ओट्म, दे म, ऩज्
ू म आदद।
 भग
ृ , विद् + मा = भग
ृ मा, विद्मा आदद।
 गे +रु = गेरू आदद।
 दे ना, आना, ऩढ़ना, गाना + वारा = दे नेिारा, आनेिारा, ऩढ़नेिारा , गानेिारा आदद।
 फच, डाॉट , गा, खा ,चढ़, यख, रूट, खेि + ऐमा \ वैमा = फचैमा, डटै मा, गिैमा, खिैमा,चढ़ै मा, यखैमा, रुटैमा,
खेिैमा आदद।
 होना, यखना, खेिना + हाय = होनहाय, यखनहाय, खेिनहाय आदद।

19. ―भभठास‖ शब्द भें क्रकस प्रत्मम का प्रमोग है?


(A) भीठा
(B) ठास
(C) आस
(D) तमास
उत्तय- C
व्माख्मा: ―भभठास‖ शब्द भें ―आस‖ प्रत्मम का प्रमोग है। आस प्रत्मम इच्छािाचक, बाििाचक सॊऻा का प्रत्मम है। जैसे–
छऩास, भरखास, आदद। प्रत्मम उस बावषक इकाई को कहते हेऄ, जजसका प्रमोग स्ितॊत्र रूऩ से न हो औय जजसे क्रकसी अन्म
बावषक इकाई के अन्त भें जोड़कय शब्द यचना की जाम। जैसे- सुन्दय + ता = सुन्दयता। महाॉ ―ता‖ प्रत्मम है।

20. ऩया उऩसगव का अथव है?


(A) बीतय
(B) उकटा
(C) फाहय
(D) आस-ऩास
उत्तय- B
व्माख्मा: ऩया उऩसगव का अथव है – दयू , उकटा, कभ से। फदह् उऩसगव का अथव फाहय होता है जफक्रक अॊतय उऩसगव का अथव
बीतय होता है।
सॊस्कृत के उऩसगव- सॊस्कृत भेँ कुर फाईस उऩसगव होते है। िे उऩसगव तत्सभ शब्देअ के साथ दहन्द भेँ प्रमुक्त होते है।
इसभरए इन्हेँ सॊस्कृत के उऩसगव कहते हेऄ। मथा—
उऩसगव – अथव – उदाहयण

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1.अतत –(अगधक, ऊऩय)– अत्मन्त, अनतरयक्त, अनतिजृ टट, अत्मधधक, अनतशम, अनतिभण, अनतशीघ्र, अत्माचाय, अत्मुजक्त,
अत्मािश्मक, अत्मकऩ, अनतसाय, अतीि।
2.अगध –(प्रधान, श्रेष्ठ)– अधधकाय, अधधऩनत, अधधननमभ, अध्मऺ, अधधकयण, अध्ममन, अधधगभ, अधधकृत, अधधनामक,
अधधबाय, अधधशेष, अध्मादे श, अधीऺण, अध्माऩक, अधधग्रहण, अध्माम।
3.अनु –(ऩीछे , िभ)– अनुचय, अनुसाय, अनुग्रह, अनुकूर, अनुकयण, अनुरूऩ, अनुशासन, अनुयोध, अनुभान, अनुज,
अनुफन्ध, अनुटठान, अनूददत, अनुप्रास, अन्िेषण, अनुयाग, अनुबि, अनुदाय, अनुददन, अजन्िनत, अनुऻा, अनुितवन, अन्िम,
अनुबाय, अन्िीऺा, अन्िीऺण, अजन्िटट, अन्िेऺक, अन्िेषक।
4.अऩ –(फुया, अबाव)– अऩमश, अऩकाय, अऩव्मम, अऩहयण, अऩभान, अऩिाद, अऩशब्द, अऩकीनतव, अऩितवन, अऩभशटट,
अऩिजवन, अऩेऺा, अऩकषवण, अऩघटन, अऩिाह, अऩभ्रॊश।
5.अव –(नीचे, हीन, फुया)– अिगुण, अिताय, अिननत, अिरुद्ध, अिधायणा, अिशेष, अिसान, अिकाश, अिभूकमन,
अिसाद, अिधान, अिरोकन, अिसय, अिचेतना, अिाजतत, अिगत, अिऻा, अिस्था, अिभानना।
6.अलब –(साभने, ऩास)– अभबभान, अभबभुख, अभबभत, अभबनम, अभबनि, अभबिादन, अभबमोग, अभबभन्म,ु अभबऻान,
अभबमुक्त, अभबषेक, अभबनेता, अभबयाभ, अभबिद्
ृ धध, अभबराषा, अभबकयण, अबीटट, अभ्मास, अभ्माॊतय, अभ्मुदम,
अभ्मागत, अभबशाऩ।
7.आ –(तक, सदहत)– आजन्भ, आभयण, आगभन, आिभण, आहाय, आमात, आतऩ, आजीिन, आदान, आसाय, आकषवण,
आरेख, आबाय, आधाय, आगाय, आश्रम, आगत, आकय।
8.उत ् –(ऊॉचा, श्रेष्ठ)– उत्साह, उत्कण्ठा, उत्थान, उत्तभ, उत्ऩन्न, उत्ऩवत्त, उत्ऩीड़न, उत्कृटट, उद्धाय, उज्ज्िर, उद्मोग,
उकरेख।
9.उऩ–(ऩास, गौण, सहामक)– उऩिन, उऩदे श, उऩभन्त्री, उऩकाय, उऩनाभ, उऩनमन, उऩजस्थनत, उऩन्मास, उऩचाय, उऩमोग,
उऩाॊग, उऩभन्म,ु उऩयाटरऩनत, उऩकृत, उऩहाय, उऩसॊहाय, उऩरक्ष्म, उऩहास, उऩकुरऩनत, उऩमुक्त, उऩामुक्त, उऩखण्ड,
उऩिभ, उऩग्रह।
10.दयु ् –(फुया, कदठन, ववऩयीत)– दज
ु न
व , दद
ु व शा, दर
ु ब
व , दयु ाचाय, दयु ाशा, दयु ाग्रह, दब
ु ावग्म, दम
ु ोधन, दग
ु भ
व , दफ
ु र
व , दग
ु नव त,
दि
ु ावसा, दभु बवऺ, दग
ु ण
ुव ।
11. दस
ु ् –(फयु ा, कदठन)– दस्
ु साहस, दटु कामव, दश्ु चरयत्र, दटु कय, दजु श्चन्ता, दश्ु शासन, दटु कभव, दस्
ु साध्म, दस्
ु तय, द्ु स्ऩशव।
12.तन –(यदहत, ववशेष, अगधकता)– ननगभ, ननऩुण, ननिायण, ननडय, ननिास, ननदान, ननयोध, ननमभ, ननफन्ध, ननभग्न,
ननकास, ननदहत, ननहत्था, ननधध, ननिेश, न्मस्त, ननरॊफन, ननकम्भा, ननित्त
ृ , ननकाम, ननधन।
13.तनय् –(तनषेध, ववऩयीत, फड़ा, फाहय)– ननरवज्ज, ननबवम, ननणवम, ननदोष, ननयऩयाध, ननयाकाय, ननयाहाय, ननधवन, नीयोग,
ननयाशा, ननविवघ्न, ननदोष, ननगण
ुव , ननयभबभान, ननिावह, ननजवन, ननमावत, ननदव मी, ननभवर, ननबीक, ननय ऺक, ननभावता,
ननिावचन, ननविवयोध, ननयथवक, ननयस्त, ननननवभेष, ननबवम, ननयॊ जन, ननरुऩभ।
14.तनस ् –(यदहत, अच्छी तयह से, फड़ा)– ननश्चर, ननश्चम, ननस्साय, ननस्सन्दे ह, ननश्छर, ननटकाभ, ननस्सॊकोच, ननस्स्िाथव,
ननस्तायण, ननटकऩट, ननटकासन।
15.ऩया– (ऩीछे , ततयस्काय, ववऩयीत) – ऩयाजम, ऩयाबव, ऩयािभ, ऩयाभशव, ऩयाधीन, ऩयावतवन, ऩयास्त, ऩयाकाष्ठा।
16. ऩरय– (ऩूण,व ऩास, चायैः ओय) – ऩरयणाभ, ऩरयितवन, ऩरयश्रभ, ऩरयिभा, ऩरयिाय, ऩरयऩूण,व ऩरयभाजवन, ऩरयभाऩ, ऩरयसय,
ऩरयधध, ऩरयणनत, ऩरयऩक्ि, ऩरयचमाव, ऩरयचचाव, ऩरयककऩना, ऩरयभ्रभण, ऩमावियण, ऩमविेऺण, ऩय ऺा, ऩरयणम, ऩरयग्रह,
ऩमवटन, ऩरयचम।
17.प्रतत–(प्रत्मेक, उल्टा)– प्रनतददन, प्रनतननधध, प्रनतऩऺ, प्रत्मऺ, प्रनतकूर, प्रनतऺण, प्रनतभास, प्रनतयोध, प्रनतभरवऩ, प्रनतभान,
प्रनतग्राभ, प्रनतऻा, प्रत्माितवन, प्रनतभा, प्रनतटठा, प्रनतबा, प्रतीऺा।

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18.प्र– (अगधक, आगे, उत्कृष्ट)– प्रथभ, प्रफर, प्रहाय, प्रबाि, प्रकाय, प्रदान, प्रमोग, प्रचाय, प्रक्रिमा, प्रिाह, प्रऩॊच, प्रगनत,
प्रदशवन, प्ररम, प्रभाण, प्रभसद्ध, प्रख्मात, प्रस्थान, प्रेषण, प्रभेम, प्रिेश, प्रराऩ, प्रज्िभरत, प्रभोद, प्रकाश, प्रद ऩ।
19.वव– (ववशेष, अबाव, लबन्न) – विमोग, विबाग, विनाश, विऻान, विजम, विदे श, व्माकुर, विकृत, विकट, विऩऺ, विचाय,
विशेष, वियाभ, विकर, विभर, वियोध, विकास, विित्त
ृ , विभान, व्माकयण, विख्मात, विरोभ, वििाद, वििाह।
20.सभ ् –(सम्ऩूण,व उत्तभ, अच्छी तयह)– सॊसाय, सम्भान, सॊतोष, सॊमोग, सॊककऩ, सॊचम, सॊगभ, सॊगनत, सम्फोधन, सभीऺा,
सॊहाय, सॊिाद, सम्भनत, सभाचाय, सभधु चत, सभथव, सन्दे ह, सॊविधान, सॊचारन, सभऩवण, सॊऺेऩ, सॊशम, सम्ऩकव, सॊसद,
सॊमभ, सम्फन्ध, सॊकीणव, सभग्र।
21.अवऩ –(तनश्चम, औय बी)– अवऩतु, अवऩधान, अवऩदहत, अवऩफद्ध, अवऩित्त
ृ ।
22.सु –(अच्छा, अगधक, सयर)– सर
ु ेख, सम
ु श, सऩ
ु त्र
ु , सम
ु ोग, सग
ु न्ध, सग
ु नत, सफ
ु ोध, सऩ
ु त्र
ु , सक
ु न्मा, सप
ु र, सक
ु ार,
सुकभव, सुगभ, सुकय, सुददन, सुरब, सुभन, सुशीर, सुविचाय, सुभॊत्र, सुनाय, स्िागत, सुदयू , सुदृढ़, सुनैना, सुयऺा, सुभनत,
सुबाष, सुयेखा, सुनीता, सुरऺणा, सुऩाय , सुचारु, सुऩुत्री।

21. दे ि जो भहान है, मह क्रकस सभास का उदाहयण है ?


(A) अव्ममीबाि
(B) कभवधायम
(C) फहुव्रीदह
(D) तत्ऩुरूष
उत्तय- B
व्माख्मा: जजस सभास के सभस्त होने िारे ऩद सभानाधधकयण हो, अथावत विशेटम-विशेषण-बाि को प्रातत हो, कताव कायक
के हो औय भरॊग िचन भें सभान हो, िहाॉ कभवधायम सभास होता है।जैसे-
 नीरकॊठ – नीरा है जो कॊठ।
 रारभणण – रार है जो भणण।
 भहाऩुरूष – भहान है जो ऩुरूष।
 भहादे ि – भहान है जो दे ि।
जफ कोई एक खण्ड विशेषण उऩभानसूचक शब्द हो, तो कभवधायम सभास फनता है। इसे सभानागधकयण तत्ऩुरूष बी कहते
हेऄ। क्मेआक्रक विग्रह कयने ऩय इसके दोनेआ ऩद एक ह कायक मा विबजक्त भें होते हेऄ। मे सभास विशेषण-विशेटम औय
उऩभान-उऩभें म की जस्थनत के अनस
ु ाय फनते है। जैसे भहात्भा, द घावम,ु भहायाज, नीरगाम, नीरकभर, कार भभचव,
कृटणसऩव (सबी विशेषण औय विशेटम से भभरकय फने है)।
कभवधायम सभास – जजस सभास भेँ उत्तयऩद प्रधान हो तथा ऩहरा ऩद विशेषण अथिा उऩभान (जजसके द्िाया उऩभा द
जाए) हो औय दस
ू या ऩद विशेटम अथिा उऩभेम (जजसके द्िाया तर
ु ना की जाए) हो, उसे कभवधायम सभास कहते हेः।
इस सभास के दो रूऩ हेः–
(i) ववशेषता वाचक कभवधायम– इसभेँ प्रथभ ऩद द्वितीम ऩद की विशेषता फताता है। जैसे –
 भहायाज – भहान ् है जो याजा
 भहाऩुरुष – भहान ् है जो ऩुरुष
 नीराकाश – नीरा है जो आकाश
 भहाकवि – भहान ् है जो कवि
 नीरोत्ऩर – नीर है जो उत्ऩर (कभर)
 भहाऩुरुष – भहान ् है जो ऩुरुष

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 भहवषव – भहान ् है जो ऋवष
 भहासॊमोग – भहान ् है जो सॊमोग
 शब
ु ागभन – शब
ु है जो आगभन
 सज्जन – सत ् है जो जन
 भहात्भा – भहान ् है जो आत्भा
 सद्फुद्धध – सत ् है जो फुद्धध
 भॊदफुद्धध – भॊद है जजसकी फुद्धध
 भॊदाजग्न – भॊद है जो अजग्न
 फहुभक ू म – फहुत है जजसका भक
ू म
 ऩूणााँक – ऩणू व है जो अॊक
 भ्रटटाचाय – भ्रटट है जो आचाय
 भशटटाचाय – भशटट है जो आचाय
 अरुणाचर – अरुण है जो अचर
 शीतोटण – जो शीत है जो उटण है
 दे िवषव – दे ि है जो ऋवष है
 ऩयभात्भा – ऩयभ है जो आत्भा
 अॊधविश्िास – अॊधा है जो विश्िास
 कृताथव – कृत (ऩूण)व हो गमा है जजसका अथव (उद्दे श्म)
 दृढ़प्रनतऻ – दृढ़ है जजसकी प्रनतऻा
 याजवषव – याजा है जो ऋवष है
 अॊधकूऩ – अॊधा है जो कूऩ
 कृटण सऩव – कृटण (कारा) है जो सऩव
 नीरगाम – नीर है जो गाम
 नीरकभर – नीरा है जो कभर
 भहाजन – भहान ् है जो जन
 भहादे ि – भहान ् है जो दे ि
 श्िेताम्फय – श्िेत है जो अम्फय
 ऩीताम्फय – ऩीत है जो अम्फय
 अधऩका – आधा है जो ऩका
 अधणखरा – आधा है जो णखरा
 रार टोऩी – रार है जो टोऩी
 सद्धभव – सत ् है जो धभव
 कार भभचव – कार है जो भभचव
 भहाविद्मारम – भहान ् है जो विद्मारम
 ऩयभानन्द – ऩयभ है जो आनन्द
 दयु ात्भा – दयु ् (फुय ) है जो आत्भा
 बरभानुष – बरा है जो भनुटम
 भहासागय – भहान ् है जो सागय

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BEYOND THE BOOKS
 भहाकार – भहान ् है जो कार
 भहाद्िीऩ – भहान ् है जो द्िीऩ
 काऩुरुष – कामय है जो ऩुरुष
 फड़बागी – फड़ा है बाग्म जजसका
 करभॉह
ु ा – कारा है भॉह
ु जजसका
 नकटा – नाक कटा है जो
 जिाॉ भदव – जिान है जो भदव
 द घावमु – द घव है जजसकी आमु
 अधभया – आधा भया हुआ
 ननविविाद – वििाद से ननित्त

 भहाप्रऻ – भहान ् है जजसकी प्रऻा
 नरकूऩ – नर से फना है जो कूऩ
 ऩयकटा – ऩय हेः कटे जजसके
 दभ
ु कटा – दभ
ु है कट जजसकी
 प्राणवप्रम – वप्रम है जो प्राणेअ को
 अकऩसॊख्मक – अकऩ हेः जो सॊख्मा भेँ
 ऩुच्छरताया – ऩॉछ
ू है जजस ताये की
 निागन्तुक – नमा है जो आगन्तुक
 िितण्
ु ड – िि (टे ढ़ ) है जो तण्
ु ड
 चौभसॉगा – चाय हेः जजसके सीीँग
 अधजरा – आधा है जो जरा
 अनतिजृ टट – अनत है जो िजृ टट
 भहायानी – भहान ् है जो यानी
 नयाधभ – नय है जो अधभ (ऩाऩी)
 निदम्ऩवत्त – नमा है जो दम्ऩवत्त

(ii) उऩभान वाचक कभवधायम– इसभेँ एक ऩद उऩभान तथा द्वितीम ऩद उऩभेम होता है। जैसे –
 फाहुदण्ड – फाहु है दण्ड सभान
 चॊििदन – चॊिभा के सभान िदन (भख
ु )
 कभरनमन – कभर के सभान नमन
 भुखायविॉद – अयविॉद रूऩी भुख
 भग
ृ नमनी – भग
ृ के सभान नमनेअ िार
 भीनाऺी – भीन के सभान आॉखेअ िार
 चन्िभख
ु ी – चन्िभा के सभान भख
ु िार
 चन्िभुख – चन्ि के सभान भुख
 नयभसॉह – भसॉह रूऩी नय
 चयणकभर – कभर रूऩी चयण
 िोधाजग्न – अजग्न के सभान िोध

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 कुसुभकोभर – कुसुभ के सभान कोभर
 ग्रन्थयत्न – यत्न रूऩी ग्रन्थ
 ऩाषाण रृदम – ऩाषाण के सभान रृदम
 दे हरता – दे ह रूऩी रता
 कनकरता – कनक के सभान रता
 कयकभर – कभर रूऩी कय
 िचनाभत
ृ – अभत
ृ रूऩी िचन
 अभत
ृ िाणी – अभत
ृ रूऩी िाणी
 विद्माधन – विद्मा रूऩी धन
 िज्रदे ह – िज्र के सभान दे ह
 सॊसाय सागय – सॊसाय रूऩी सागय

22. िाचस्ऩनत क्रकस सभास का सभस्त ऩद है ?


(A) सम्फन्ध तत्ऩरू
ु ष
(B) फहुव्रीदह
(C) नञ ् तत्ऩुरूष
(D) अरुक् तत्ऩुरूष
उत्तय- D
व्माख्मा: िाचस्ऩनत शब्द अरक
ु ् तत्ऩरू
ु ष सभास का सभस्तऩद है। अरक
ु ् तत्ऩरू
ु ष सभास िारे ऩदेआ भें ऩि
ू व भें विबजक्त
शेष यहती है।
तत्ऩुरुष सभास– जजस सभास भेँ दस
ू या ऩद अथव की दृजटट से प्रधान हो, उसे तत्ऩुरुष सभास कहते हेः। इस सभास भेँ ऩहरा
ऩद सॊऻा अथिा विशेषण होता है इसभरए िह दस
ू ये ऩद विशेटम ऩय ननबवय कयता है , अथावत ् दस
ू या ऩद प्रधान होता है।
तत्ऩुरुष सभास का भरॉ ग–िचन अॊनतभ ऩद के अनुसाय ह होता है। जैसे – जरधाया का विग्रह है – जर की धाया। ―जर की
धाया फह यह है ‖ इस िाक्म भेँ ―फह यह है ‖ का सम्फन्ध धाया से है जर से नह ीँ। धाया के कायण ―फह यह ‖ क्रिमा स्त्रीभरॉ ग
भेँ है। महाॉ फाद िारे शब्द ―धाया‖ की प्रधानता है अत् मह तत्ऩुरुष सभास है। तत्ऩुरुष सभास भेँ प्रथभ ऩद के साथ कत्ताव
औय सम्फोधन कायकेअ को छोड़कय अन्म कायक धचह्नेअ (विबजक्तमेअ) का प्राम् रोऩ हो जाता है। अत् ऩहरे ऩद भेँ जजस
कायक मा विबजक्त का रोऩ होता है , उसी कायक मा विबजक्त के नाभ से इस सभास का नाभकयण होता है। जैसे –
द्वितीमा मा कभवकायक तत्ऩुरुष = स्िगवप्रातत – स्िगव को प्रातत।
कायक गचह्नैः के आधाय ऩय तत्ऩरु
ु ष सभास के बेद इस प्रकाय हैँ –
(1) कभव तत्ऩुरुष –
 हस्तगत – हाथ को गत
 जानतगत – जानत को गमा हुआ
 भॉुहतोड़ – भॉुह को तोड़ने िारा
 द्ु खहय – द्ु ख को हयने िारा
 मशप्रातत – मश को प्रातत
 ऩदप्रातत – ऩद को प्रातत
 ग्राभगत – ग्राभ को गत
 स्िगव प्रातत – स्िगव को प्रातत

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 दे शगत – दे श को गत
 आशातीत – आशा को अतीत(से ऩये )
 धचड़ीभाय – धचड़ी को भायने िारा
 कठपोड़िा – काटठ को पोड़ने िारा
 ददरतोड़ – ददर को तोड़ने िारा
 जीतोड़ – जी को तोड़ने िारा
 जीबय – जी को बयकय
 राबप्रद – राब को प्रदान कयने िारा
 शयणागत – शयण को आमा हुआ
 योजगायोन्भुख – योजगाय को उन्भुख
 सिवऻ – सिव को जानने िारा
 गगनचुम्फी – गगन को चूभने िारा
 ऩयरोकगभन – ऩयरोक को गभन
 धचत्तचोय – धचत्त को चोयने िारा
 ख्मानत प्रातत – ख्मानत को प्रातत
 ददनकय – ददन को कयने िारा
 जजतेजन्िम – इॊदिमेअ को जीतने िारा
 चिधय – चि को धायण कयने िारा
 धयणीधय – धयणी (ऩथ्
ृ िी) को धायण कयने िारा
 धगरयधय – धगरय को धायण कयने िारा
 हरधय – हर को धायण कयने िारा
 भयणातुय – भयने को आतुय
 कारातीत – कार को अतीत (ऩये ) कयके
 िमप्रातत – िम (उम्र) को प्रातत

(ख) कयण तत्ऩुरुष –


 तुरसीकृत – तुरसी द्िाया कृत
 अकारऩीड़ड़त – अकार से ऩीड़ड़त
 श्रभसाध्म – श्रभ से साध्म
 कटटसाध्म – कटट से साध्म
 ईश्ियदत्त – ईश्िय द्िाया ददमा गमा
 यत्नजड़ड़त – यत्न से जड़ड़त
 हस्तभरणखत – हस्त से भरणखत
 अनब
ु ि जन्म – अनब
ु ि से जन्म
 ये खाॊक्रकत – ये खा से अॊक्रकत
 गुरुदत्त – गुरु द्िाया दत्त
 सूयकृत – सूय द्िाया कृत
 दमािव – दमा से आिव

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 भॉह
ु भाॉगा – भॉह
ु से भाॉगा
 भदभत्त – भद (नशे) से भत्त
 योगातुय – योग से आतुय
 बख
ु भया – बख
ू से भया हुआ
 कऩड़छान – कऩड़े से छाना हुआ
 स्िमॊभसद्ध – स्िमॊ से भसद्ध
 शोकाकुर – शोक से आकुर
 भेघाच्छन्न – भेघ से आच्छन्न
 अश्रऩ
ु ण
ू व – अश्रु से ऩण
ू व
 िचनफद्ध – िचन से फद्ध
 िाग्मुद्ध – िाक् (िाणी) से मुद्ध
 ऺुधातुय – ऺुधा से आतुय
 शकमधचक्रकत्सा – शकम (चीय-पाड़) से धचक्रकत्सा
 आॉखेअदे खा – आॉखेअ से दे खा

(ग) सम्प्रदान तत्ऩुरुष –


 दे शबजक्त – दे श के भरए बजक्त
 गुरुदक्षऺणा – गुरु के भरए दक्षऺणा
 बत
ू फभर – बत
ू के भरए फभर
 प्रौढ़ भशऺा – प्रौढ़ेअ के भरए भशऺा
 मऻशारा – मऻ के भरए शारा
 शऩथऩत्र – शऩथ के भरए ऩत्र
 स्नानागाय – स्नान के भरए आगाय
 कृटणाऩवण – कृटण के भरए अऩवण
 मुद्धबूभभ – मुद्ध के भरए बूभभ
 फभरऩशु – फभर के भरए ऩशु
 ऩाठशारा – ऩाठ के भरए शारा
 यसोईघय – यसोई के भरए घय
 हथकड़ी – हाथ के भरए कड़ी
 विद्मारम – विद्मा के भरए आरम
 विद्माभॊददय – विद्मा के भरए भॊददय
 डाक गाड़ी – डाक के भरए गाड़ी
 सबाबिन – सबा के भरए बिन
 आिेदन ऩत्र – आिेदन के भरए ऩत्र
 हिन साभग्री – हिन के भरए साभग्री
 कायागह
ृ – कैददमेअ के भरए गह

 ऩय ऺा बिन – ऩय ऺा के भरए बिन
 सत्माग्रह – सत्म के भरए आग्रह

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 छात्रािास – छात्रेअ के भरए आिास
 मुििाणी – मुिाओीँ के भरए िाणी
 सभाचाय ऩत्र – सभाचाय के भरए ऩत्र
 िाचनारम – िाचन के भरए आरम
 धचक्रकत्सारम – धचक्रकत्सा के भरए आरम
 फॊद गह
ृ – फॊद के भरए गह

(घ) अऩादान तत्ऩुरुष –


 योगभक्
ु त – योग से भक्
ु त
 रोकबम – रोक से बम
 याजिोह – याज से िोह
 जररयक्त – जर से रयक्त
 नयकबम – नयक से बम
 दे शननटकासन – दे श से ननटकासन
 दोषभुक्त – दोष से भुक्त
 फॊधनभुक्त – फॊधन से भुक्त
 जानतभ्रटट – जानत से भ्रटट
 कतवव्मच्मुत – कतवव्म से च्मुत
 ऩदभक्
ु त – ऩद से भक्
ु त
 जन्भाॊध – जन्भ से अॊधा
 दे शननकारा – दे श से ननकारा
 काभचोय – काभ से जी चुयाने िारा
 जन्भयोगी – जन्भ से योगी
 बमबीत – बम से बीत
 ऩदच्मुत – ऩद से च्मुत
 धभवविभुख – धभव से विभुख
 ऩदािान्त – ऩद से आिान्त
 कतवव्मविभुख – कतवव्म से विभुख
 ऩथभ्रटट – ऩथ से भ्रटट
 सेिाभुक्त – सेिा से भुक्त
 गुण यदहत – गुण से यदहत
 फुद्धधह न – फुद्धध से ह न
 धनह न – धन से ह न
 बाग्मह न – बाग्म से ह न

(ङ) सम्फन्ध तत्ऩुरुष –


 दे िदास – दे ि का दास
 रखऩनत – राखेअ का ऩनत (भाभरक)

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 कयोड़ऩनत – कयोड़ेअ का ऩनत
 याटरऩनत – याटर का ऩनत
 सूमोदम – सूमव का उदम
 याजऩत्र
ु – याजा का ऩत्र

 जगन्नाथ – जगत ् का नाथ
 भॊबत्रऩरयषद् – भॊबत्रमेअ की ऩरयषद्
 याजबाषा – याज्म की (शासन) बाषा
 याटरबाषा – याटर की बाषा
 जभीीँदाय – जभीन का दाय (भाभरक)
 बूकॊऩ – बू का कम्ऩन
 याभचरयत – याभ का चरयत
 द्ु खसागय – द्ु ख का सागय
 याजप्रासाद – याजा का प्रासाद
 गॊगाजर – गॊगा का जर
 जीिनसाथी – जीिन का साथी
 दे िभूनतव – दे ि की भूनतव
 सेनाऩनत – सेना का ऩनत
 प्रसॊगानुकूर – प्रसॊग के अनुकूर
 बायतिासी – बायत का िासी
 ऩयाधीन – ऩय के अधीन
 स्िाधीन – स्ि (स्िमॊ) के अधीन
 भधुभक्खी – भधु की भक्खी
 बायतयत्न – बायत का यत्न
 याजकुभाय – याजा का कुभाय
 याजकुभाय – याजा की कुभाय
 दशयथ सुत – दशयथ का सुत
 ग्रन्थािर – ग्रन्थेअ की अिर
 द ऩािर – द ऩेअ की अिर (कताय)
 गीताॊजभर – गीतेअ की अॊजभर
 कवितािर – कविता की अिर
 ऩदािर – ऩदेअ की अिर
 कभावधीन – कभव के अधीन
 रोकनामक – रोक का नामक
 यक्तदान – यक्त का दान
 सत्रािसान – सत्र का अिसान
 याटर का वऩता
 अश्िभेध – अश्ि का भेध
 भाखनचोय – भाखन का चोय

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 नन्दरार – नन्द का रार
 द नानाथ – द नेअ का नाथ
 द नफन्धु – द नेअ (गय फेअ) का फन्धु
 कभवमोग – कभव का मोग
 ग्राभिासी – ग्राभ का िासी
 दमासागय – दमा का सागय
 अऺाॊश – अऺ का अॊश
 दे शान्तय – दे श का अन्तय
 तर
ु ादान – तर
ु ा का दान
 कन्मादान – कन्मा का दान
 गोदान – गौ (गाम) का दान
 ग्राभोत्थान – ग्राभ का उत्थान
 िीय कन्मा – िीय की कन्मा
 ऩत्र
ु िधू – ऩत्र
ु की िधू
 धयतीऩुत्र – धयती का ऩुत्र
 िनिासी – िन का िासी
 बूतफॊगरा – बूतेअ का फॊगरा
 याजभसॊहासन – याजा का भसॉहासन

(च) अगधकयण तत्ऩुरुष –


 ग्राभिास – ग्राभ भेँ िास
 आऩफीती – आऩ ऩय फीती
 शोकभग्न – शोक भेँ भग्न
 जरभग्न – जर भेँ भग्न
 आत्भननबवय – आत्भ ऩय ननबवय
 तीथावटन – तीथोँ भेँ अटन (भ्रभण)
 नयश्रेटठ – नयेअ भेँ श्रेटठ
 गह
ृ प्रिेश – गह
ृ भेँ प्रिेश
 घड़
ु सिाय – घोड़े ऩय सिाय
 िाक्ऩटु – िाक् भेँ ऩटु
 धभवयत – धभव भेँ यत
 धभााँध – धभव भेँ अॊधा
 रोककेजन्ित – रोक ऩय केजन्ित
 काव्मननऩण
ु – काव्म भेँ ननऩण

 यणिीय – यण भेँ िीय
 यणधीय – यण भेँ धीय
 यणजीत – यण भेँ जीतने िारा
 यणकौशर – यण भेँ कौशर

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 आत्भविश्िास – आत्भा ऩय विश्िास
 िनिास – िन भेँ िास
 रोकवप्रम – रोक भेँ वप्रम
 नीनतननऩण
ु – नीनत भेँ ननऩण

 ध्मानभग्न – ध्मान भेँ भग्न
 भसयददव – भसय भेँ ददव
 दे शाटन – दे श भेँ अटन
 कविऩुॊगि – कविमेअ भेँ ऩुॊगि (श्रेटठ)
 ऩरु
ु षोत्तभ – ऩरु
ु षेअ भेँ उत्तभ
 यसगुकरा – यस भेँ डूफा हुआ गुकरा
 दह फड़ा – दह भेँ डूफा हुआ फड़ा
 ये रगाड़ी – ये र (ऩटय ) ऩय चरने िार गाड़ी
 भुननश्रेटठ – भुननमेअ भेँ श्रेटठ
 नयोत्तभ – नयेअ भेँ उत्तभ
 िाग्िीय – िाक् भेँ िीय
 ऩिवतायोहण – ऩिवत ऩय आयोहण (चढ़ना)
 कभवननटठ – कभव भेँ ननटठ
 मुधधजटठय – मुद्ध भेँ जस्थय यहने िारा
 सिोत्तभ – सिव भेँ उत्तभ
 कामवकुशर – कामव भेँ कुशर
 दानिीय – दान भेँ िीय
 कभविीय – कभव भेँ िीय
 कवियाज – कविमेअ भेँ याजा
 सत्तारुढ़ – सत्ता ऩय आरुढ़
 शयणागत – शयण भेँ आमा हुआ
 गजारुढ़ – गज ऩय आरुढ़

♦ तत्ऩुरुष सभास के उऩबेद – उऩमक्


ुव त बेदेअ के अरािा तत्ऩुरुष सभास के दो उऩबेद होते हेः –
(i) अरक
ु ् तत्ऩरु
ु ष– इसभेँ सभास कयने ऩय ऩि
ू ऩ
व द की विबजक्त का रोऩ नह ीँ होता है। जैसे—
 मुधधजटठय—मुद्धध (मुद्ध भेँ) + जस्थय = ज्मेटठ ऩाण्डि
 भनभसज—भनभस (भन भेँ) + ज (उत्ऩन्न) = काभदे ि
 खेचय—खे (आकाश) + चय (विचयने िारा) = ऩऺी
(ii) नञ ् तत्ऩुरुष – इस सभास भेँ द्वितीम ऩद प्रधान होता है क्रकन्तु प्रथभ ऩद सॊस्कृत के नकायात्भक अथव को दे ने िारे
―अ‖ औय ―अन ्‖ उऩसगव से मक्
ु त होता है। इसभेँ ननषेध अथव भेँ ―न‖ के स्थान ऩय मदद फाद भेँ व्मॊजन िणव हो तो ―अ‖ तथा
फाद भेँ स्िय हो तो ―न‖ के स्थान ऩय ―अन ्‖ हो जाता है। जैसे –
 अनाथ – न (अ) नाथ
 अन्माम – न (अ) न्माम
 अनाचाय – न (अन ्) आचाय

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 अनादय – न (अन ्) आदय
 अजन्भा – न जन्भ रेने िारा
 अभय – न भयने िारा
 अड़डग – न ड़डगने िारा
 अशोच्म – नह ीँ है शोचनीम जो
 अनभबऻ – न अभबऻ
 अकभव – बफना कभव के
 अनादय – आदय से यदहत
 अधभव – धभव से यदहत
 अनदे खा – न दे खा हुआ
 अचर – न चर
 अछूत – न छूत
 अननच्छुक – न इच्छुक
 अनाधश्रत – न आधश्रत
 अगोचय – न गोचय
 अनाित
ृ – न आित

 नारामक – नह ीँ है रामक जो
 अनन्त – न अन्त
 अनादद – न आदद
 असॊबि – न सॊबि
 अबाि – न बाि
 अरौक्रकक – न रौक्रकक
 अनऩढ़ – न ऩढ़ा हुआ
 ननविविाद – बफना वििाद के

23. जजस सभास का ऩूिऩ


व द (ऩहरा ऩद) प्रधान हो, उसे कौन-सा सभास कहते हेऄ?
(A) सम्फन्ध तत्ऩुरूष
(B) कभवधायम
(C) अव्ममीबाि
(D) द्िन्द्ि
उत्तय- C
व्माख्मा: अव्ममीबाि सभास अव्मम एिॊ सॊऻा के मोग से फनता है औय इसका क्रकमा विशेषण के रूऩ भें प्रमोग क्रकमा
जाता है। इसभें प्रथभ ऩद (ऩूिऩ
व द) प्रधान होता है । इस सभस्त ऩद का रूऩ क्रकसी बी भरॊग, िचन आदद के कायण नह ॊ
फदरता है। जैसे – प्रनतददन – प्रत्मेक ददन।
अव्ममीबाव सभास– जजस सभस्त ऩद भेँ ऩहरा ऩद अव्मम होता है , अथावत ् अव्मम ऩद के साथ दस
ू ये ऩद, जो सॊऻा मा
कुछ बी हो सकता है , का सभास क्रकमा जाता है , उसे अव्ममीबाि सभास कहते हेः। प्रथभ ऩद के साथ भभर जाने ऩय
सभस्त ऩद ह अव्मम फन जाता है। इन सभस्त ऩदेअ का प्रमोग क्रिमाविशेषण के सभान होता है। अव्मम शब्द िे हेः जजन
ऩय कार, िचन, ऩुरुष, भरॉ ग आदद का कोई प्रबाि नह ीँ ऩड़ता अथावत ् रूऩ ऩरयितवन नह ीँ होता। मे शब्द जहाॉ बी प्रमुक्त

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क्रकमे जाते हेः, िहाॉ उसी रूऩ भेँ ह यहेँगे। जैसे– मथा, प्रनत, आ, हय, फे, नन आदद। ऩद के क्रिमा विशेषण अव्मम की बाॉनत
प्रमोग होने ऩय अव्ममीबाि सभास की ननम्नाॊक्रकत जस्थनतमाॉ फन सकती हेः–
(1) अव्मम+अव्मम–ऊऩय-नीचे, दाएॉ-फाएॉ, इधय-उधय, आस-ऩास, जैसे-तैसे, मथा-शजक्त, मत्र-तत्र।
(2) अव्ममेअ की ऩन
ु रुजक्त– धीये -धीये , ऩास-ऩास, जैसे-जैसे।
(3) सॊऻा+सॊऻा– नगय-डगय, गाॉि-शहय, घय-द्िाय।
(4) सॊऻाओीँ की ऩुनरुजक्त– ददन-ददन, यात-यात, घय-घय, गाॉि-गाॉि, िन-िन।
(5) सॊऻा+अव्मम– ददिसोऩयान्त, िोध-िश।
(6) विशेषण सॊऻा– प्रनतददिस, मथा अिसय।
(7) कृदन्त+कृदन्त– जाते-जाते, सोते-जागते।
(8) अव्मम+विशेषण– बयसक, मथासम्बि।
अव्ममीबाव सभास के उदाहयण:
सभस्त–ऩद — ववग्रह
 मथारूऩ – रूऩ के अनुसाय
 मथामोग्म – जजतना मोग्म हो
 मथाशजक्त – शजक्त के अनुसाय
 प्रनतऺण – प्रत्मेक ऺण
 बयऩूय – ऩूया बया हुआ
 अत्मन्त – अन्त से अधधक
 यातेअयात – यात ह यात भेँ
 अनुददन – ददन ऩय ददन
 ननयन्र – यन्र से यदहत
 आभयण – भयने तक
 आजन्भ – जन्भ से रेकय
 आजीिन – जीिन ऩमवन्त
 प्रनतशत – प्रत्मेक शत (सौ) ऩय
 बयऩेट – ऩेट बयकय
 प्रत्मऺ – अक्षऺ (आॉखेअ) के साभने
 ददनेअददन – ददन ऩय ददन
 साथवक – अथव सदहत
 सप्रसॊग – प्रसॊग के साथ
 प्रत्मुत्तय – उत्तय के फदरे उत्तय
 मथाथव – अथव के अनुसाय
 आकॊठ – कॊठ तक
 घय–घय – हय घय/प्रत्मेक घय
 मथाशीघ्र – जजतना शीघ्र हो
 श्रद्धाऩूिक
व – श्रद्धा के साथ
 अनुरूऩ – जैसा रूऩ है िैसा
 अकायण – बफना कायण के

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 हाथेअ हाथ – हाथ ह हाथ भेँ
 फेधड़क – बफना धड़क के
 प्रनतऩर – हय ऩर
 नीयोग – योग यदहत
 मथािभ – जैसा िभ है
 साप–साप – बफककुर स्ऩटट
 मथेच्छ – इच्छा के अनुसाय
 प्रनतिषव – प्रत्मेक िषव
 ननविवयोध – बफना वियोध के
 नीयि – यि (ध्िनन) यदहत
 फेिजह – बफना िजह के
 प्रनतबफॉफ – बफॉफ का बफॉफ
 दानाथव – दान के भरए
 उऩकूर – कूर के सभीऩ की
 िभानुसाय – िभ के अनुसाय
 कभावनुसाय – कभव के अनुसाय
 अॊतव्मवथा – भन के अॊदय की व्मथा
 मथासॊबि – जहाॉ तक सॊबि हो
 मथाित ् – जैसा था, िैसा ह
 मथास्थान – जो स्थान ननधावरयत है
 प्रत्मुऩकाय – उऩकाय के फदरे क्रकमा जाने िारा उऩकाय
 भॊद–भॊद – भॊद के फाद भॊद, फहुत ह भॊद
 प्रनतभरवऩ – भरवऩ के सभकऺ भरवऩ
 मािज्जीिन – जफ तक जीिन यहे
 प्रनतदहॉसा – दहॉसा के फदरे दहॉसा
 फीचेअ–फीच – फीच के फीच भेँ
 कुशरताऩूिक
व – कुशरता के साथ
 प्रनतननमुजक्त – ननमभभत ननमजु क्त के फदरे ननमजु क्त
 एकाएक – एक के फाद एक
 प्रत्माशा – आशा के फदरे आशा
 प्रनतक्रिमा – क्रिमा से प्रेरयत क्रिमा
 सकुशर – कुशरता के साथ
 प्रनतध्िनन – ध्िनन की ध्िनन
 सऩरयिाय – ऩरयिाय के साथ
 दयअसर – असर भेँ
 अनजाने – जाने बफना
 अनुिॊश – िॊश के अनुकूर
 ऩर–ऩर – प्रत्मेक ऩर

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 चेहये –चेहये – हय चेहये ऩय
 प्रनतददन – हय ददन
 प्रनतऺण – हय ऺण
 सशक्त – शजक्त के साथ
 ददनबय – ऩूये ददन
 ननडय – बफना डय के
 बयसक – शजक्त बय
 सानॊद – आनॊद सदहत
 व्मथव – बफना अथव के
 मथाभनत – भनत के अनुसाय
 ननविवकाय – बफना विकाय के
 अनतिजृ टट – िजृ टट की अनत
 नीयॊ र – यॊ र यदहत
 मथाविधध – जैसी विधध ननधावरयत है
 प्रनतघात – घात के फदरे घात
 अनुदान – दान की तयह दान
 अनुगभन – गभन के ऩीछे गभन
 प्रत्मायोऩ – आयोऩ के फदरे आयोऩ
 अबत
ू ऩि
ू व – जो ऩि
ू व भेँ नह ीँ हुआ
 आऩादभस्तक – ऩाद (ऩाॉि) से रेकय भस्तक तक
 मथासभम – जो सभम ननधावरयत है
 घड़ी–घड़ी – घड़ी के फाद घड़ी
 अत्मुत्तभ – उत्तभ से अधधक
 अनस
ु ाय – जैसा साय है िैसा
 ननविविाद – बफना वििाद के
 मथेटट – जजतना चादहए उतना
 अनुकयण – कयण के अनुसाय कयना
 अनुसयण – सयण के फाद सयण (जाना)
 अत्माधनु नक – आधनु नक से बी आधनु नक
 ननयाभभष – बफना आभभष (भाॉस) के
 घय–घय – घय ह घय
 फेखटके – बफना खटके
 मथासाभथ्मव – साभथ्मव के अनुसाय

24. मोगदान भें कौन सा सभास है?


(A) अव्ममीबाि
(B) तत्ऩुरूष
(C) कभवधायम

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(D) फहुव्रीदह
उत्तय- B
व्माख्मा: मोगदान का सभास विग्रह मोग का दान (मोगस्म दान्)। इसके आधाय ऩय मोगदान भें षटठी तत्ऩुरूष सभास है।

25. “ऩथभ्रटट” भें सभास धचजन्हत कीजजए?


(A) अव्ममीबाि
(B) द्िन्द्ि
(C) तत्ऩुरूष
(D) कभवधायम
उत्तय- C
व्माख्मा: ऩथभ्रटट भें तत्ऩुरूष सभास है। मह अऩादान तत्ऩुरूष के अॊतगवत आता है। जहाॉ सभास के ऩूिव ऩऺ भें अऩादान
की विबजक्त अथावत से (विरग) का बाि हो, िहाॉ अऩादान तत्ऩुरूष सभास होता है।

26. सयासय भें कौन-सा सभास है?


(A) द्िन्द्ि
(B) द्विगु
(C) अव्ममीबाि
(D) तत्ऩुरूष
उत्तय- C
व्माख्मा: अव्ममेआ अथिा उऩसगों के साथ सॊऻा ऩदेआ का सभास अव्ममीबाि सभास कहराता है। इसे ऩूिऩ
व द-प्रधान बी
कहते हेऄ। इस सभास भें ऩूिऩ
व द अव्मम होता है । अत् सम्ऩूणव साभाभसक ऩद बी अव्मम फन जाता है। दहन्द भें
अव्ममीबाि सभास से ननटऩन्न ऩदेआ को तीन िगों भें विबाजजत क्रकमा जा सकता है। 1. सॊस्कृत के उऩसगों, गनत शब्देआ
औय अव्ममेआ के सॊमोग से फने साभाभसक ऩद, 2. अयफी-पायसी के अव्ममेआ के सॊमोग से फने साभाभसक ऩद औय, 3.
दहन्द की अऩनी प्रक्रिमा से ननटऩन्न साभाभसक ऩद। दहन्द की अऩनी प्रक्रिमा से ननटऩन्न साभाभसक शब्देआ के तीन बेद
हेऄ।
1. ऩुनरूक्त शब्द – घय-घय, ऩर-ऩर, यातेआ-यात, एकाएक, सयासय, घड़ाघड़ आदद।
2. अऩने (तद्बि) उऩसगों से फने शब्द – बयऩेट, बयदऩ
ु हय , बफनजाने, नजाने आदद।
3. सॊकय शब्द – फेधड़क, हय घड़ी, बय फाजाय, ऩीढ़ -दय-ऩीढ़ आदद।

27. उच््िास का सह सजन्ध-विच्छे द है?


(A) उत ्+्िास
(B) उच ्+श्िास
(C) उच ्+छिास
(D) उत ्+श्िास
उत्तय- D
व्माख्मा: व्मॊजन का व्मॊजन से अथिा क्रकसी स्िय से भेर होने ऩय जो ऩरयितवन होता है, उसे व्मॊजन सजन्ध कहते हेऄ।
उच््िास का सजन्ध-विच्छे द कयने ऩय उत ्+श्िास होता है। महाॉ त+श ् = च्छ हो जा यहा है। कुछ उदाहयण इस प्रकाय हेऄ।
जैसे-

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 उत ्+भशटट = उजच्छटट।
 सत ्+शासन = सच्छासन।
 सत ्+शास्त्र = सच्छास्त्र।

28. मशोदा भें प्रमुक्त सजन्ध का नाभ है?


(A) स्िय
(B) व्मॊजन
(C) विसगव
(D) इनभे से कोई नह ॊ
उत्तय- C
व्माख्मा: मशोदा विसगव सजन्ध है। इसका सजन्ध मश्+दा होता है। मदद क्रकसी अकायाॊत शब्द के अॊत भें विसगव हो (जैसे –
भन्, मश्) औय उससे ऩये अ स्िय अथिा क्रकसी िगव का तीसया, चौथा, ऩाॉचिाॊ मा कोई अन्त्स्थ व्मॊजन आ जाम तो
विसगव (:) के स्थान ऩय ओ हो जाता है।
अन्म भहत्वऩण
ू व उदहायण-
 ननविवककऩ - नन् + विककऩ
 ननयाशा - ननय् + आशा - नन् + आशा
 दरू
ु ह - द्ु + ऊह
 भनोज - भन् +ज
 ऩमोद - ऩम् + द
 दश्ु शासन - द्ु + शासन
 ननटकाभ - नन् + काभ
 ननस्तेज - नन् + तेज

29. उड्डमन का सजन्ध-विच्छे द होगा?


(A) उत ्+डमन
(B) उङ्+डमन
(C) उत ्+अमण
(D) उद्+अमण
उत्तय- A
व्माख्मा: उड्डमन का सजन्ध विच्छे द है , उत ्+डमन। इसभें व्मॊजन सजन्ध है। मदद क् , च ्, ट्, त ्, ऩ ् के फाद िगों का तत
ृ ीम
मा चतुथव िणव (ग, घ, ज, झ, ड, ढ, द, ध, फ, ब) अथिा म, य, र, ि अथिा कोई स्िय हो तो क् , च ्, ट्, त ्, ऩ ् के
स्थान ऩय उसी उगव का तीसया िणव ग ्, ज ्, ड्, द्, फ ् हो जाता है।
अन्म भहत्वऩूणव उदहायण-
 भन् + हय - भनोहय
 सय् + िय - सयोिय
 ऩम् + धध - ऩमोधध
 भन् + फर - भनोफर
 मश् + गान - मशोगान

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 तभ् + गुण - तभोगुण
 मश् + फर - मशोफर
 अध् + भुख - अधोभुख
 तऩ् + िन - तऩोिन
 मश् + धया - मशोधया
 नन् + चर - ननश्चर
 द्ु + शासन - दश्ु शासन
 धनु् + टॊ काय - धनुटटॊ काय
 याभ् + षटठ - याभटषटठ
 चतु् + ट का - चतुटट का
 नन् + तेज – ननस्तेज

30. ―एतन्भुयाय ‖ भें सजन्ध है ?


(A) व्मॊजन सजन्ध
(B) स्िय सजन्ध
(C) विसगव सजन्ध
(D) अमादद सजन्ध
उत्तय- A
व्माख्मा: मदद क्रकसी िगव के प्रथभ िणव के फाद कोई अनन
ु ाभसक िणव हो, तो प्रथभ िणव के फदरे उसी िगव का अनन
ु ाभसक
िणव हो जाता है। जैसे एतत ्+भुयाय = एतन्भुयाय , धचत ्+भम = धचन्भम, िाक् +भम = िाङ्भम।
तनमभ एवॊ उदाहयण-
1. क् , च ्, ट्, त ्, ऩ ् के फाद क्रकसी िगव का तीसये अथिा चौथे िणव मा म ्, य्, र ्, ि ्, ह मा कोई स्िय आ जाए तो क् , च ्,
ट्, त ्, ऩ ् के स्थान ऩय अऩने ह िगव का तीसया िणव आ जाता है। उदाहायण–
 क् + ग = ग्ग
 ददक् + गज = ददग्गज
 क् + ई = गी
 िाक् + ईश = िागीश
2. क् , च ्, ट्, त ्, ऩ ् के फाद न मा भ आ जाए तो क् , च ्, ट्, त ्, ऩ ् के स्थान ऩय अऩने ह िगव का ऩाॉचिा िणव आ जाता
है। उदाहायण –
 क् + भ = ड़्
 िाक् + भम = िाड़्भम
 त् + न = न्
 उत ् + नमन = उन्नमन
3. त ् के फाद श ् आ जाए तो त ् को च ् फन जाता है औय श ् का ् फन जाता है। उदाहायण–
 त ् + श ् = च्छ
 उत ् + श्िास = उच््िास
4. त ् के फाद ग, घ, द, ध, फ, ब, म, य, ि मा कोई स्िय आ जाए तो त ् का द् हो जाता है। उदाहायण–
 त ् + ब = द्ब

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 सत ् + बािना = सद्बािना
 त ् + ध = द्ध
 सत ् + धभव = सद्धभव
5. त ् के फाद ह् आ जाए तो त ् का द् औय ह् का ध ् हो जाता है। उदाहायण– त ् + ह = द्ध
 उत ् + हाय = उद्धाय
6. भ ् के फाद कोई स्ऩशव व्मॊजन आए तो भ ् का अनुस्िाय मा फाद िारे िणव का ऩाॉचिा िणव आ जाता है । उदाहायण–
 सभ ् + गभ = सॊगभ
 अहभ ् + काय = अहॊकाय

31. दहन्द िणवभारा भें अन्त्स्थ व्मॊजन कौन-से हेऄ?


(A) श ष स ह
(B) म य र ि
(C) ऺ त्र ऻ श्र
(D) च छ ज झ
उत्तय- B
व्माख्मा: दहन्द िणवभारा भें म, य, र, ि अन्त्स्थ व्मॊजन हेऄ। श, ष, स, ह ऊटभ व्मॊजन हेऄ। ऺ, त्र, ऻ, श्र सॊमुक्त
व्मॊजन हेऄ।
1.स्ऩशव व्मॊजन:- कॊठ, तारु, भूधाव, दन्त औय ओटठ के स्ऩशव से उच्चरयत व्मॊजनेआ को स्ऩशव व्मॊजन कहते है। चॉक्रू क स्ऩशव
व्मॊजन िगव ऩय आधारयत व्मॊजन है इसभरए इन्हें ―िगीम व्मॊजन‖ बी कहा जाता है। इसके अन्तगवत दहन्द िणवभारा के
ननम्नभरणखत ऩाॉच िगव आते है -
 ―क‖ िगव - क, ख, ग, घ, ड. (कण्ठ से)
 ―च‖ िगव - च, छ, ज, झ, ´ (तारु से)
 ―ट‖ िगव - ट, ठ, ड, ढ, ण (भूद्र्धा से)
 ―त‖ िगव - त, थ, द, ध, न (दन्त से)
 ―ऩ‖ िगव - ऩ, प, फ, ब, भ (ओटठ से)
2. अन्त्स्थ व्मॊजन:- इन व्मॊजनेआ का उच्चायण जीब, तारु, दन्त, ओटठ के स्ऩशव से होता है क्रकन्तु मे अॊग कह ॊ बी
एक-दस
ू ये का ऩूणव स्ऩशव नह ॊ कयते। अत् इन्हें अन्त्स्थ व्मॊजन कहते है। इनकी सॊख्मा चाय है - म, य, र, ि।
3. ऊष्भ व्मॊजन:- उटभ व्मॊजनेआ का उच्चायण एक प्रकाय के घषवण से उत्ऩन्न ऊटभ िामु के परस्िरूऩ होता है। मे चाय
है- श-तारव्म, ष-भद्
ू वधन्म, स-दन्त्म, ह।
4. सॊमुक्त व्मॊजन:- दो भबन्न प्रकृनत के व्मॊजनेआ (विजातीम व्मॊजनेआ) के मोग से फने व्मॊजन सॊमुक्त व्मॊजन कहराते है ,
इनकी सॊख्मा चाय है - ऺ - क् +ष, त्र - त ् + य, ऻ - ज ् +ञ, श्र - श ् + य
5. तनलभवत व्मॊजन:- जो व्मॊजन प्रमोग औय आिश्मकता के अनुसाय कारान्तय भें गढ़ भरमे गमे , उन्हें ननभभवत व्मॊजन
कहते है। इनकी सॊख्मा दो है - ड़, ढ़।

32. अघोष िणव कौन-सा है?


(A) अ
(B) ज
(C) ह

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(D) स
उत्तय- D
व्माख्मा: उऩमक्
ुव त िणों भें ―स‖ अघोष िणव है। नाद की दृजटट से जजन व्मॊजन िणों के उच्चायण भें , स्ियॊ तॊबत्रमेआ झॊकृत नह ॊ
होती है िे अघोष िणव कहराते हेऄ। प्रत्मेक िगव का ऩहरा ि दस
ू या िणव अघोष होता है, उदाहयण – क, ख, च, छ, ट, ठ,
त, थ, ऩ, प, श, ष, स।

33. दहन्द िणावभारा भें व्मॊजनेआ की सॊख्मा है?


(A) 32
(B) 34
(C) 33
(D) 36
उत्तय- C
व्माख्मा: दहन्द िणवभारा भें 33 भूर व्मॊजन हेऄ। इसके अनतरयक्त 2 उजत्ऺतत व्मॊजन, 2 अमोगिाह एिॊ 4 सॊमुक्ताऺय
व्मॊजन हेऄ। इसभें 11 भर
ू स्ियेआ को भभरा दे ने ऩय दहन्द भें कुर 52 िणव हो जाते हेऄ।

34. कौन सी ध्िनन भहाप्राण नह ॊ है?


(A) ख
(B) घ
(C) ज
(D) झ
उत्तय- C
व्माख्मा: िे व्मॊजन जजनके उच्चायण भें श्िास अधधक भात्रा भें ननकरती है उन्हें भहाप्राण व्मॊजन कहते हेऄ। इसके
अन्तगवत िगों के द्वितीम औय चतुथव िणव तथा सभस्त ऊटभ िणव (ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, प, ब आदद) आते हेऄ।
इसी प्रकाय िे व्मॊजन जजनके उच्चायण भें श्िास की भात्रा ननकरती है, उन्हें अकऩप्राण व्मॊजन कहते हेऄ। इसके अन्तगवत
िगों के प्रथभ, तत
ृ ीम तथा ऩॊचभ िणव (क, ग, ङ, च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, ऩ, फ, भ आदद) आते हेऄ। अॊत्स्थ
व्मॊजन (म, य, र, ि) बी अकऩप्राण व्मॊजन हेऄ। अत् स्ऩटट है क्रक ―ज‖ भहाप्राण व्मॊजन नह ॊ फजकक अकऩप्राण व्मॊजन है।

35. ननम्न भें से कौन सा व्मॊजन ऩाजश्िवक है?


(A) म
(B) श
(C) र
(D) झ
उत्तय- C
व्माख्मा: म, ि – अद्वध स्िय हेऄ।
 र – ऩाजश्िवक व्मॊजन (जजसके उच्चायण भें हिा जीब के ऩाश्िव अथावत ् फगर से ननकर जाए) हेऄ।
 झ – तारव्य़, सघोष, भहाप्राण है।
 श – तारव्म, अघोष, भहाप्राण है।

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36. ―ि‖ का उच्चायण स्थान है?
(A) दन्त
(B) ओटठ
(C) दन्तोटठ
(D) कण्ठोटठ
उत्तय- C
व्माख्मा: दाॉत से, जीब औय ओठेआ के कुछ मोग से फोरा जाने िारा िणव दन्तोटठ कहराता है। ―ि‖ इस िगव भें शाभभर है।
 उच्चायण स्थान के आधाय ऩय दहन्दी भें स्वयैऄ के तनम्नलरखखत बेद हैं :
1. कण््म – अ, आ।
2. तारव्म – इ, ई।
3. भूद्वधन्म- (तारु का ऊऩय बाग) – ऋ, क।
4. दन्त्म – ऌ, ख।
5. ओट्म – उ, ऊ।
6. कण्ठ-तारव्म – ए, ऐ।
7. कण्ठोट्म – ओ, औ।
 उच्चायण स्थान के आधाय ऩय दहन्दी भें व्मॊजनैऄ के तनम्नलरखखत बेद हैं :
1. कण््म – क, ख, ग, घ, ङ, ह।
2. तारव्म – च, छ, ज, झ, ञ, म, श।
3. भद्
ू वधन्म - (तारु का ऊऩय बाग) – ट, ठ, ड, ढ, ण, य, ष।
4. दन्त्म – त, थ, द, ध, न, र, स।
5. ओट्म – ऩ, प, फ, ब, भ।
6. अनुनाभसक – ङ, ञ, ण, न, भ।
7. दन्तोट्म – ि।

37. ―चयण कभर फॊदौ यघुयाई‖ भें अरॊकाय है?


(A) श्रेष
(B) उऩभा
(C) रूऩक
(D) रूऩकानतश्मोजक्त
उत्तय- C
व्माख्मा: प्रस्तुत ऩॊजक्त भें ―रूऩक अरॊकाय‖ है। जहाॉ उऩभेम को उऩभान के रूऩ भें कय ददमा जाए िहाॉ रूऩक अरॊकाय होता
है। जहाॉ एक ह शब्द के अनेक अथव ननकरे िहाॉ श्रेष अरॊकाय होता है। महाॉ एक िस्तु की तुरना दस
ू ये िस्तु से सभान
गुण बाि के कायण की जाए िहाॉ उऩभा अरॊकाय होता है जहाॉ केिर उऩभान के कथन द्िाया उऩभेम का फोध कयामा
जाए रूऩकाततश्मोप्क्त अरॊकाय होता है।
रूऩक अरॊकाय- जफ गुण की अत्मॊत सभानता के कायण उऩभेम को ह उऩभान फता ददमा जाए मानी उऩभेम ओय उऩभान
भें अभबन्नता दशावमी जाए तफ िह रूऩक अरॊकाय कहराता है। रूऩक अरॊकाय अथावरॊकायेआ भें से एक है। रूऩक अरॊकाय भें
उऩभान औय उऩभेम भें कोई अॊतय नह ॊ ददखामी ऩड़ता है।
कुछ भहत्वऩूणव उदाहयण-

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1- फीती ववबावयी जागयी ! अम्फय ऩनघट भें डुफो यही ताया घाट उषा नगयी।
महाॊ उषा भें नागय का, अम्फय भें ऩनघट का औय ताया भें घाट का ननषेध यदहत आयोऩ हुआ है। महाॊ आऩ दे ख सकते हेऄ
की उऩभान एिॊ उऩभेम भें अभबन्नता दशावमी जा यह है।
2- गोऩी ऩद-ऩॊकज ऩावन क्रक यज जाभे लसय बीजे।
ऊऩय ददए गए उदाहयण भें ऩैयेआ को ह कभर फता ददमा गमा है। ―ऩैयेआ‖ – उऩभेम ऩय ―कभर‖ – उऩभान का आयोऩ है।
उऩभेम ओय उऩभान भें अभबन्नता ददखाई जा यह है।
3- ऩामो जी भैंने याभ यतन धन ऩामो।
ऊऩय ददए गए उदाहयण भें याभ यतन को ह धन फता ददमा गमा है। ―याभ यतन‖ – उऩभेम ऩय ―धन‖ – उऩभान का आयोऩ
है एिॊ दोनेआ भें अभबन्नता है।
4- वन शायदी चप्न्िका-चादय ओढ़े ।
ददए गए उदाहयण भें जैसा क्रक आऩ दे ख सकते हेऄ चाॉद की योशनी को चादय के सभान ना फताकय चादय ह फता ददमा
गमा है। इस िाक्म भें उऩभेम – ―चजन्िका‖ है एिॊ उऩभान – ―चादय‖ है।
5-उददत उदमगगयी-भॊच ऩय, यघुवय फार-ऩतॊग। ववकसे सॊत सयोज सफ हषे रोचन बॊग।।
उऩमक्
ुव त ऩॊजक्तमेआ भें उदमधगय ऩय ―भॊच‖ का, यघि
ु य ऩय ―फार-ऩतॊग'(सम
ू )व का, सॊतेआ ऩय ―सयोज‖ का एिॊ रोचनेआ ऩय
भ्रॊग(बोयेआ) का अबेद आयोऩ है।
6-शलश-भुख ऩय घूॉघट डारे अॊचर भें दीऩ तछऩामे।
ऊऩय ददए गए उदाहयण भें जैसा आऩ दे ख सकते हेऄ की भुख(उऩभेम) ऩय शभश मानी चन्िभा(उऩभान) का आयोऩ है।
7-भन-सागय, भनसा रहरय, फूड़े-फहे अनेक।
ददए गए उदाहयण भें भन(उऩभेम) ऩय सागय(उऩभान) का एिॊ भनसा मानी इच्छा(उऩभेम) ऩय रहय(उऩभान) का आयोऩ है।
महाॊ उऩभान एिॊ उऩभेम भें अभबन्नता दशावमी जा यह है।
8-ववषम-वारय भन-भीन लबन्न नदहॊ होत कफहुॉ ऩर एक।
जैसा क्रक आऩ ऊऩय ददए गए उदाहयण भें दे ख सकते हेऄ विषम(उऩभेम) ऩय िारय(उऩभान) एिॊ भन(उऩभेम) ऩय
भीन(उऩभान) का आयोऩ है। महाॊ उऩभान एिॊ उऩभेम भें अभबन्नता दशावमी जा यह है।
9-―अऩरक नब नीर नमन ववशार‖
ऊऩय द गमी ऩॊजक्तमेआ भें खुरे आकाश(उऩभेम) ऩय अऩरक नमन(उऩभान) का आयोऩ है। अत् मह उदाहयण रूऩक
अरॊकाय के अॊतगवत आएगा।
10-लसय झुका तूने नीमतत की भान री मह फात। स्वमॊ ही भुयझा गमा तेया रृदम-जरजात।
ऊऩय ददए गए उदाहयण भें रृदम जरजात भें रृदम(उऩभेम) ऩय जरजात मानी कभर(उऩभान) का अबेद आयोऩ क्रकमा गमा
है।

38. शद्
ु ध शब्द चुननमे?
(A) औद्मोधगक
(B) ओद्मोधगक
(C) औधमौधगक
(D) औद्मौगीक
उत्तय- A
व्माख्मा: औद्मोधगक शद्
ु ध शब्द है। ितवनी की दृजटट से शेष सबी अशद्
ु ध शब्द है।

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39. ―अभ्मागत‖ शब्द भें उऩसगव है?
(A) अभब
(B) अ
(C) अभ्म
(D) अॊब
उत्तय- A
व्माख्मा: ―अभ्मागत‖ शब्द भें अभब उऩसगव है, अन्म उदाहयण-अभबगभन, अभ्मुदम आदद।
 ―अ‖ उऩसगव से फने शब्द अचूक, अरग-अरग, अभभट, अड़डग आदद।
 अभब उऩसगव- अभबमान, अभबषेक, अभबनम, अभबभख

40. ननम्न विककऩेआ भें से अनेकाथवक शब्द का चमन कीजजए?
(A) नाभसका
(B) कान
(C) अॊग
(D) नेत्र
उत्तय- C
व्माख्मा: ददमे गमे विककऩेआ भें अॊग अनेकाथी शब्द है। अॊग के अन्म अथव है - बेद, ऩऺ, टुकड़ा, अॊश, अिमि, एक दे श
का नाभ।
प्रभुख अनेकाथवक शब्द :
• अॊक – सॊख्मा के अॊक, नाटक के अॊक, गोद, अध्माम, ऩरयच्छे द, धचह्न, बाग्म, स्थान, ऩबत्रका का नॊफय।
• अॊग – शय य, शय य का कोई अिमि, अॊश, शाखा।
• अॊचर – भसया, प्रदे श, साड़ी का ऩकरू।
• अॊत – भसया, सभाजतत, भत्ृ मु, बेद, यहस्म।
• अॊफय – आकाश, िस्त्र, फादर, विशेष सुगजन्धत िि जो जरामा जाता है।
• अऺय – नटट न होने िारा, अ, आ आदद िणव, ईश्िय, भशि, भोऺ, ब्रह्भ, धभव, गगन, सत्म, जीि।
• अकव – सूम,व आक का ऩौधा, औषधधमेअ का यस, काढ़ा, इन्ि, स्पदटक, शयाफ।
• अकार – दभु बवऺ, अबाि, असभम।
• अज – ब्रह्भा, फकया, भशि, भेष याभश, जजसका जन्भ न हो (ईश्िय)।
• अथव – धन, ऐश्िमव, प्रमोजन, कायण, भतरफ, अभबप्रा, हे तु (भरए)।
• अऺ – धयु , आॉख, सम
ू ,व सऩव, यथ, भण्डर, ऻान, ऩदहमा, कीर।
• अजीत – अजेम, विटण,ु भशि, फुद्ध, एक विषैरा भूषक, जैननमेअ के दस
ू ये तीथाँकय।
• अनतधथ – भेहभान, साधु, मात्री, अऩरयधचत व्मजक्त, अजग्न।
• अधय – ननयाधाय, शन्
ू म, ननचरा ओटठ, स्िगव, ऩातार, भध्म, नीचा, ऩथ्
ृ िी ि आकाश के फीच का बाग।

41. ―हे खग भग
ृ हे भधक
ु य श्रेनी। तभ
ु दे खी सीता भग
ृ नैनी।।‖
ऩद भें प्रमुक्त यस के भरमे सह विककऩ चुननमे?
(A) करूण यस
(B) योि यस
(C) सॊमोग श्रॊग
ृ ाय यस

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(D) विमोग श्रॊग
ृ ाय यस
उत्तय- D
व्माख्मा: उक्त ऩॊजक्तमेआ भें विमोग श्रॊग
ृ ाय यस है। श्रॊग
ृ ाय यस यसेआ भें से एक प्रभुख यस है। मह यनत बाि को दशावता है।
इसभें बगिान याभ सीता के विमोग भें द्ु खी होकय जॊगर के ऩश-ु ऩक्षऺमेआ से सीता के विषम भें ऩछ
ू ते हेऄ। इसका स्थाई
बाि यनत होता है नामक औय नानमका के भन भें सॊस्काय रूऩ भें जस्थत यनत मा प्रेभ जफ यस क्रक अिस्था भें ऩहुॉच जाता
है तो िह श्रॊगाय यस कहराता है इसके अॊतगवत सौन्दमव, प्रकृनत, सुन्दय िन, िसॊत ऋतु, ऩक्षऺमेआ का चहचहाना आदद के
फाये भें िणवन क्रकमा जाता है।
कुछ भहत्वऩूणव उदाहयण-
 दयद क्रक भाय िन-िन डोरू िैध भभरा नादह कोई
भीया के प्रबु ऩीय भभटै , जफ िैध सॊिभरमा होई
 भेये तो धगयधय गोऩार दस
ू यो न कोई
जाके भसय भोय भुकुट भेया ऩनत सोई
 फसेआ भेये नैनन भें नन्दरार
भोय भक
ु ु ट भकयाकृत कॊु डर, अरुण नतरक ददमे बार
 अये फता दो भुझे कहाॉ प्रिासी है भेया
इसी फािरे से भभरने को डार यह है हूॉ भेः पेया
 कहत नटत य झत णखझत, भभरत णखरत रजजमात
बये बौन भें कयत है, नैननु ह सौ फात

42. ननम्नभरणखत भें कौन सा विरोभ मुग्भ त्रुदटऩण


ू व है।
(A) अऩेऺा - उऩेऺा
(B) अग्रज - अनुज
(C) उन्नत - अिगत
(D) आदान - प्रदान
उत्तय- C
व्माख्मा: ददमे गमे विरोभ मुग्भ भें अऩेऺा – उऩेऺा, अग्रज – अनुज, औय आदान – प्रदान सह विरोभ मुग्भ है। जफक्रक
उन्नत का विरोभ अिननत होता है न क्रक अिगत।
 कृतऻ - कृतघ्न
 अॊकुश - ननयॊ कुश
 अकार - सुकार
 अिुय -िुय
 अकरुष - करुष
 अग्राह्म - ग्राह्म
 अग्रज - अनज

 अगरा - वऩछरा
 अधग्रभ - अजन्तभ
 अचर - चर
 अजर -ननजवर

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 िजृ टट - अनािजृ टट
 अनॊत - अॊत
 अनत -अकऩ
 अथ - इनत
 अतुकान्त - तुकान्त
 अनतिजृ टट - अनािजृ टट
 अनाहूत - आहुत
 अनुकूर - प्रनतकूर
 अनयु जक्त -वियजक्त
 अननत्म - ननत्म
 अनुरोभ - विरोभ
 अनभबऻ - भबऻ
 अभबऻ – अनभबऻ

43. उड़ती धचड़ड़मा ऩहचानना, भुहािये का सह अथव है?


(A) अनुबिी होना
(B) िाक् चतुय होना
(C) भन की मा यहस्म की फात सभझ रेना
(D) प्रनतबाशार होना
उत्तय- C
व्माख्मा: उड़ती धचड़ड़मा ऩहचानना, भुहािये का सह अथव – भन की मा यहस्म की फात सभझ रेना है।
• अऩनी णखचड़ी खुद ऩकाना– भभरजर
ु कय न यहना।
• अऩना उकरू सीधा कयना– स्िाथव भसद्ध कयना।
• अऩना सा भॉह
ु रेकय यहना– रजज्जत होना।
• अयभान ननकारना– भन का गुफाय ऩूया कयना।
• अऩने भॉह
ु भभमाॉ भभट्ठू फनना– अऩनी फड़ाई आऩ कयना।
• अऩने ऩाॉि ऩय कुकहाड़ी भायना– जानफूझकय अऩना नुकसान कयना।
• अऩना याग अराऩना– अऩनी ह फातेअ ऩय फर दे ना।
• अगय–भगय कयना– फहाना कयना।
• अटकरेँ भबड़ाना– उऩाम सोचना।
• अऩने ऩैयेअ ऩय खड़ा होना– स्िािरॊफी होना।
• अऺय से बेँट न होना– अनऩढ़ होना।
• आॉख उठाना– दे खने का साहस कयना।
• आॉख खर
ु ना– होश आना।
• आॉख रगना– नीॊद आना अथिा तमाय होना।
• आॉखेआ ऩय ऩयदा ऩड़ना– रोब के कायण सच्चाई न द खना।
• आॉखेआ भें सभाना– ददर भें फस जाना।
• आॉखे चुयाना– अनदे खा कयना।

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• आॉखेँ चाय होना– आभने–साभने होना/प्रेभ होना।
• आॉखेँ ददखाना– गुस्से से दे खना।
• आॉखेँ पेयना– फदर जाना, प्रनतकूर होना।
• आॉखेँ ऩथया जाना– दे खते–दे खते थक जाना।

44. दहभारम का ऩमावमिाची नह ॊ है?


(A) नगयाज
(B) दहभादि
(C) कय
(D) दहभधगरय
उत्तय- C
व्माख्मा: कय, हाथ का ऩमावमिाची है। हाथ के अन्म ऩमावमिाची हेऄ – ऩाणण, फाहु, हस्त, बुजा आदद। अन्म सबी दहभारम
के ऩय़ावमिाची हेऄ।
 दहभारम — दहभधगय , दहभाचर, धगरययाज, ऩिवतयाज, नगेश, नगाधधयाज, दहभिान, दहभादि, शैरयाट।
 दहयण- सुयबी, कुयग, भग
ृ , सायॊ ग, दहयन।
 हैऄठ- अऺय, ओटठ, ओॊठ।
 हनुभान- ऩिनसुत, ऩिनकुभाय, भहािीय, याभदत
ू , भारुततनम, अॊजनीऩुत्र, आॊजनेम, कऩीश्िय, केशय नॊदन,
फजयॊ गफर , भारुनत।
 दहभाॊश-ु दहभकय, ननशाकय, ऺऩानाथ, चन्िभा, चन्ि, ननभशऩनत।
 हॊस- करकॊठ, भयार, भसऩऩऺ, भानसौक।
 रृदम- छाती, िऺ, िऺस्थर, दहम, उय।
 हाथ- हस्त, कय, ऩाणण।
 हाथी- नाग, हस्ती, याज, कुॊजय, कूम्बा, भतॊग, िायण, गज, द्विऩ, कय , भदकर।
 सम
ू -व यवि, सयू ज, ददनकय, प्रबाकय, आददत्म, भय ची, ददनेश, बास्कय, ददनकय, ददिाकय, बान,ु अकव, तयणण,
ऩतॊग, आददत्म, सविता, हॊस, अॊशभ
ु ार , भातवण्ड।
 सॊसाय- जग, विश्ि, जगत, रोक, दनु नमा।
 लसॊह- केसय , शेय, भहािीय, व्माघ्र, ऩॊचभुख, भग
ृ ेन्ि, केहय , केशी, रभरत, हरय, भग
ृ ऩनत, िनयाज, शादव र
ू , नाहय,
सायॊ ग, भग
ृ याज।

45. रनघभा का विरोभ शब्द है?


(A) भदहभा
(B) गुरूत्ि
(C) रघुत्ि
(D) दे िोऩभा
उत्तय- A
व्माख्मा: रनघभा का विरोभ भदहभा होता है। दे िोऩभा दे ि सदृश सुन्दय बािेआ की अभबव्मजक्त कयता है।
• अनुनाभसक – ननयानुनाभसक
• अननिामव – ऐजच्छक/िैकजकऩक

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• अधुनातन – ऩुयातन
• अस्त्रीकयण – ननयस्त्रीकयण
• आदद – अॊत
• आविबावि – नतयोबाि
• आयोह – अियोह
• आगभन – ननगवभन
• आजस्तक – नाजस्तक
• आग्रह – दयु ाग्रह
• आधनु नक – प्राचीन
• आविबत
ूव – नतयोबूत/नतयोदहत
• आितवक – अनाितवक
• आगाभी – विगत
• आऻा – अिऻा
• आिव – शटु क
• आरस्म – उद्मभ
• आकाश – ऩातार
• आचाय – अनाचाय
• आत्भननबवय – ऩयजीिी
• आद्म – अॊत्म
• आध्माजत्भक – साॊसारयक
• आनन्द – शोक

46. इनभें सॊख्मािाचक विशेषण कौन सा है?


(A) सात
(B) कारा
(C) यािण
(D) खट्टा
उत्तय- A
व्माख्मा: सात शब्द सॊख्मािाचक विशेषण हेऄ।
प्रमोग के अनुसाय तनप्श्चत सॊख्मावाचक ववशेषण के तनम्नलरखखत प्रकाय हैं-
(i) गणनावाचक ववशेषण- मह अऩने विशेटम की साधायण सॊख्मा मा धगनती फताता है। इसके बी दो प्रबेद होते हेऄ-
(a) ऩूणाांकफोधक ववशेषण- इसभें ऩूणव सॊख्मा का प्रमोग होता है। जैसे- चाय छात्र, आठ रड़क्रकमाॉ।
(b) अऩूणाांकफोधक ववशेषण- इसभें अऩूणव सॊख्मा का प्रमोग होता है। जैसे- सिा रुऩमे, ढाई क्रकभी. आदद।
(2) िभवाचक ववशेषण- मह विशेटम की िभात्भक सॊख्मा मानी विशेटम के िभ को फतराता है। इसका प्रमोग सदा
एकिचन भें होता है। जैसे- ऩहर कऺा, दस
ू या रड़का, तीसया आदभी, चौथी णखड़की आदद।
(3) आववृ त्तवाचक ववशेषण- मह विशेटम भें क्रकसी इकाई की आिवृ त्त की सॊख्मा फतराता है।
जैसे- दग
ु ने छात्र, ढाई गुना राब आदद।
(4) सॊग्रहवाचक ववशेषण- मह अऩने विशेटम की सबी इकाइमेआ का सॊग्रह फतराता है।

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जैसे- चायो आदभी, आठो ऩुस्तकें आदद।
(5) सभुदामवाचक ववशेषण- मह िस्तुओॊ की साभुदानमक सॊख्मा को व्मक्त कयता है।
जैसे- एक जोड़ी चतऩर, ऩाॉच दजवन कॉवऩमाॉ आदद।
(6) वीतसावाचक ववशेषण- व्माऩकता का फोध कयानेिार सॊख्मा को िीतसािाचक कहते हेऄ। मह दो प्रकाय से फनती है-
सॊख्मा के ऩूिव प्रनत, पी, हय, प्रत्मेक इनभें से क्रकसी के ऩूिव प्रमोग से मा सॊख्मा के द्वित्ि से। जैसे-
 प्रत्मेक तीन घॊटेआ ऩय महाॉ से एक गाड़ी खुरती है।
 ऩाॉच-ऩाॉच छात्रेआ के भरए एक कभया है।

47. कनक का ऩमावमिाची नह ॊ है?


(A) स्िणव
(B) कॊचन
(C) दहयण्म
(D) कभर
उत्तय- D
व्माख्मा: कनक का ऩमावमिाची कभर नह ॊ है। अन्म सबी कनक के ऩमावमिाची हेऄ।
• सोना — हाटक, कनक, सुिणव, कॊचन, हे भ, कुन्दन, दहयण्म, स्िणव, चाभीकय, ताभयस।
• हॊस — भयार, चिॊग, सूम,व आत्भा, भानसौक, करकॊठ, भभतऩऺ, कायण्डि।
• हनुभान — कऩीश, अॊजननऩुत्र, ऩिनसुत, भारुनतनॊदन, भारुत, फजयॊ गफर , भहािीय।
• हरयण — भग
ृ , कुयॊ ग, चभय , सायॊ ग, कृटणसाय, तन
ृ जीिी।
• हाथ — कय, हस्त, ऩाणण, फाहु, बुजा, बुज।
• हाथी — गज, हस्ती, द्विऩ, िायण, िसुन्दय, कय , कुन्जय, दॊ ती, कुम्बी, वितुण्डा, भतॊग, नाग, द्वियद, भसन्धुय, गमन्द,
करब, सायॊ ग, भतगॊज, भातॊग, हरय, िज्रदन्ती, शण्
ु डार।
• दहभारम — दहभधगय , दहभाचर, धगरययाज, ऩिवतयाज, नगेश, नगाधधयाज, दहभिान, दहभादि, शैरयाट।
• रृदम — छाती, िऺ, िऺस्थर, दहम, उय, सीना।
• त्रुदट — गरती, कसय, कभी, बूर, सॊशम, अॊगह नता, प्रनतऻा–बॊग।

48. जो कये गा सो बये गा। ये खाॊक्रकत शब्द क्मा है ?


(A) क्रिमा विशेषण
(B) सॊकेत िाचक सिवनाभ
(C) सॊफॊध िाचक सिवनाभ
(D) गुण िाचक सिवनाभ
उत्तय- C
व्माख्मा: जो कये गा सो बये गा। भें सम्फन्ध िाचक सिवनाभ है। जजस सिवनाभ से क्रकसी दस
ू ये सिवनाभ से सम्फॊध स्थावऩत
हो जाए, उसे सॊफॊधिाचक सिवनाभ कहते हेऄ। जैसे – जो, सो।
सम्फन्धवाचक सववनाभ- जजन सिवनाभ शब्देआ का प्रमोग क्रकसी िस्तु मा व्मजक्त का सम्फन्ध फताने के भरए क्रकमा जाए िे
शब्द सम्फन्धिाचक सिवनाभ कहराते हेऄ। सम्फन्धिाचक सिवनाभ का प्रमोग िाक्म भें दो शब्देआ को जोड़ने के भरए बी
क्रकमा जाता है। जैसे : जैसे-िैसे, जजसकी-उसकी, जजतना-उतना, जो-सो आदद।
सॊफॊधवाचक सववनाभ के कुछ उदाहयण :

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1-जो सोिेगा सो खोिेगा जो जागेगा सो ऩािेगा।
िाक्म भें ”जो सोिेगा सो खोिेगा” से सोिेगा औय खोिेगा भें सम्फन्ध फतामा जा यहा है की सोने से सभम फफावद होगा।
2-जैसी कयनी िैसी बयनी।
िाक्म भें जैसी कयनी िैसी बयनी भें जैसी-िैसी शब्देआ का प्रमोग कयके कयनी औय बयनी भें सम्फन्ध फताने की कोभशश
की जा यह है की जैसी कयनी होगी िैसी ह बयनी होगी। अत् जैसी-िैसी सम्फन्धिाचक सिवनाभ की श्रेणी भें आते है।

49. ननम्नभरणखत फोभरमेआ भें से कौन-सी फोर उत्तय प्रदे श भें साभान्मता नह ॊ फोर जाती?
(A) अिधी
(B) ब्रज
(C) भैधथर
(D) खड़ी फोर
उत्तय- C
व्माख्मा: उत्तय प्रदे श भें साभान्मत् अिधी, फज्र, खड़ी फोर फोर जाती है। जफक्रक भैधथर बफहाय याज्म के चम्ऩायन
भज
ु फ्पयऩयु , दयबॊगा, ऩणु णवभा आदद जजरेआ भें फोर जाती है।
उत्तय प्रदे श भें ब्रजबाषा ऺेत्र -
 अऩने विशद्
ु ध रूऩ भें ब्रजबाषा आज बी आगया, धौरऩुय, दहण्डौन भसट , भथुया, भैनऩुय , एटा औय अर गढ़ जजरेआ
भें फोर जाती है। इसे हभ "केंि म ब्रजबाषा" के नाभ से बी ऩुकाय सकते हेऄ।
 केंि म ब्रजबाषा ऺेत्र के उत्तय ऩजश्चभ की ओय फुरॊदशहय जजरे की उत्तय ऩट्ट से इसभें खड़ी फोर की रटक
आने रगती है। उत्तय -ऩि
ू ी जजरेआ अथावत ् फदामॉू औय एटा जजरेआ भें इस ऩय कन्नौजी का प्रबाि प्रायॊ ब हो जाता है।
डॉ॰ धीयें ि िभाव, "कन्नौजी" को ब्रजबाषा का ह एक रूऩ भानते हेऄ।
 दक्षऺण की ओय ग्िाभरमय भें ऩहुॉचकय इसभें फुॊदेर की झरक आने रगती है। ऩजश्चभ की ओय गुड़गाॉि तथा
बयतऩुय का ऺेत्र याजस्थानी से प्रबावित है।
 ब्रज बाषा आज के सभम भें प्राथभभक तौय ऩय एक ग्राभीण बाषा है, जो क्रक भथुया-आगया केजन्ित ब्रज ऺेत्र भें
फोर जाती है। मह भध्म दोआफ के इन जजरेआ की प्रधान बाषा है: भथयु ा, आगया, क्रफ़योज़ाफाद, भैनऩयु , एटा,
हाथयस, फुरॊदशहय, गौतभ फुद्ध नगय, अर गढ़, कासगॊज।
उत्तय प्रदे श भें फुॊदेरी फोरी ऺेत्र-
 फुॊदेरखॊड के ननिाभसमेआ द्िाया फोर जाने िार फोर फुॊदेर है।
 फुन्दे र याजऩूतेआ के कायण भध्म प्रदे श तथा उत्तय प्रदे श की सीभा के झाॉसी, छतयऩुय, सागय आदद तथा आसऩास
के बागेआ को फन्
ु दे रखॊड कहते हेऄ।
 िह ॊ की फोर फुन्दे र मा फुन्दे रखॊडी है।
 इसका ऺेत्र झाॉसी, जारौन, हभीयऩुय, ग्िाभरमय, बोऩार, ओयछा, सागय, नभृ सॊहऩुय, भसिानी, होशॊगाफाद तथा
आसऩास के ऺेत्र है।
 फुन्दे र का विकास शौयसेनी अऩभ्रॊश से हुआ है।
 फन्
ु दे र भें रोक- सादहत्म काफ़ी है जजसभें इसयु के पाग फड़े प्रभसद्ध हेऄ।
 कहा जाता है क्रक दहन्द प्रदे श की रोकगाथा 'आकहा' जजसे दहन्द सादहत्म भें बी स्थान भभरा है, भूरत: फुन्दे र
की एक उऩफोर फनापय भें भरखा गमा था।
 इसकी अन्म उऩफोभरमाॉ याठौय , रोधाॊती आदद हेऄ।
उत्तय प्रदे श भें अवधी फोरी ऺेत्र-

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 अिधी फोर का विकास ऩूिी दहन्द उऩबाषा से हुआ भाना जाता है। अिधी दहॊद ऺेत्र की एक उऩबाषा है। मह
उत्तय प्रदे श भे "अिध ऺेत्र" (रखनऊ, सुकतानऩुय, हयदोई, सीताऩुय, रखीभऩुय, पैजाफाद, प्रताऩगढ़) तथा पतेहऩुय,
भभयजाऩुय,जौनऩुय आदद कुछ अन्म जजरेआ भें बी फोर जाती है।
 उत्तय प्रदे श के 19 जजरेआ- फायाफॊकी, सक
ु तानऩयु ,अभेठी, प्रताऩगढ़, इराहाफाद, कौशाॊफी, पतेहऩयु , यामफये र , उन्नाि,
रखनऊ, हयदोई, सीताऩुय, खीय , फहयाइच, श्रािस्ती, फरयाभऩुय, गेआडा, पैजाफाद ि अॊफेडकय नगय भें ऩूय तयह से
मह फोर जाती है। जफक्रक 6 जजरेआ- जौनऩुय, भभजावऩुय, कानऩुय, शाहजहाॊफाद, फस्ती औय फाॊदा के कुछ ऺेत्रेआ भें
इसका प्रमोग होता है। बफहाय के 2 जजरेआ के साथ ऩड़ोसी दे श नेऩार के 8 जजरेआ भें मह प्रचभरत है। इसी प्रकाय
दनु नमा के अन्म दे शेआ- भॉरयशस, बत्रननदाद एिॊ टुफैगो, क्रपजी, गमाना, सूय नाभ सदहत आस्रे भरमा, न्मूजीरेऄड ि
हॉरेऄड भें बी राखेआ की सॊख्मा भें अिधी फोरने िारे रोग हेऄ।
 गठन की दृजटट से दहॊद ऺेत्र की उऩबाषाओॊ को दो िगों-ऩजश्चभी औय ऩूिी भें विबाजजत क्रकमा जाता है। अिधी
ऩूिी के अॊतगवत है। ऩूिी की दस
ू य उऩबाषा छत्तीसगढ़ है। अिधी को कबी-कबी फैसिाड़ी बी कहते हेऄ। ऩयॊ तु
फैसिाड़ी अिधी की एक फोर भात्र है जो उन्नाि, रखनऊ, यामफये र औय पतेहऩुय जजरे के कुछ बागेआ भें फोर
जाती है।

50. ननम्नभरणखत भें से कौन-सी ऩुस्तक प्रेभचन्ि द्िाया भरणखत नह ॊ है?


(A) कामाककऩ
(B) जम ऩयाजम
(C) यॊ गबूभभ
(D) प्रेभाश्रम
उत्तय- B
व्माख्मा: प्रेभचन्ि द्िाया यधचत कामाककऩ, यॊ ग बूभभ प्रेभाश्रम, ियदान, सेिासदन, गफन, गोदान, ननभवरा आदद उऩन्मास
है। जम ऩयाजम, उऩेन्ि नाथ अश्क का नाटक है।
उऩन्मासकाय -उऩन्मास
 श्रद्धायाभ क्रपल्रौयी- बाग्मिती
 रारा श्रीतनवासदास- ऩय ऺागुरू
 फारकृष्ण बट्ट- नूतन ब्रह्भचाय , सौ अजान एक सुजान
 बायतें द ु हरयश्चॊि- ऩूणव प्रकाश, चॊिप्रबा
 दे वकीनॊदन खत्री- चॊिकाॊता, नयें िभोदहनी, िीयें ििीय अथिा कटोया बय खून, कुसुभकुभाय , चॊिकाॊता सॊतनत, बूतनाथ
 भेहता रज्जायाभ शभाव-धत
ू व यभसकरार, स्ितॊत्र यभा औय ऩयतॊत्र रक्ष्भी, दहॊद ू गह
ृ स्थ, आदशव दम्ऩनत, सश
ु ीरा
विधिा, आदशव दहॊद ू
 क्रकशोयीरार गोस्वाभी प्रणतमनी- ऩरयणम, बत्रिेणी, रिॊगरता, र रािती, ताया, चऩरा, भजकरकादे िी िा
फॊगसयोजजनी अॉगूठी का नगीना, रखनऊ की कब्रा िा शाह भहरसया
 गोऩारयाम गहभयी-अदबुत राश, अदबुत खून, खूनी कौन
 'हरयऔध'-ठे ठ दहॊद का ठाठ, अधणखरा पूर
 जनभोहन लसॊह- श्माभा स्ितन
 ऩॊडडत गौयीदत्त- दे ियानी-जेठानी की कहानी
 लसमायाभशयण गुतत- गोद, नाय , अॊनतभ आकाॊऺा
 लशवऩूजन सहाम- दे हाती दनु नमा

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 ऋषबचयण जैन- ददकर का करॊक, ददकर का व्मभबचाय, िेश्मामुग, यहस्मभमी
 बवानीप्रसाद-ऩनतता की साधना, चॊदन औय ऩानी, त्मागभमी
 प्रेभचॊद- प्रेभा, सेिासदन, ियदान, प्रेभाश्रभ, कामाककऩ, यॊ गबूभभ, ननभवरा, प्रनतऻा, गफन, कभवबूभभ, गोदान,
भॊगरसत्र
ू (अऩण
ू )व
 जमशॊकय प्रसाद- कॊकार, नततर , इयािती (अधूया)
 'तनयारा'- अतसया, अरका, प्रबािती, ननरूऩभा, चोट की ऩकड़, कारे कायनाभे
 ऩॊत- हाय
 यागधकायभण प्रसाद लसॊह- याभ-यह भ
 इराचॊि जोशी- ऩदे की यानी, घण
ृ ाभमी, सन्मासी, प्रेत औय छामा, भजु क्तऩथ, जजतसी, जहाज का ऩॊछी,
ऋतुचि, सुफह के बूरे, बूत का बविटम
 जैनेंि- ऩयख, त्मागऩत्र, ककमाणी, सुनीता, सुखदा, भुजक्तफोध
 मशऩार- ददव्मा, अभभता, झूठा-सच (दो बाग), दादा काभये ड, भनुटम के रूऩ, भेय तेय उसकी फात, फायह घॊटे
 'अश्क'- धगयती द िायें , शहय भें घूभता आइना, भसतायेआ का खेर, फड़ी-फड़ी आॉखें, गयभ याख, एक नन्ह कॊद र,
ऩत्थय-अर-ऩत्थय
 अभतृ रार नागय- सुहाग के नूऩुय, शतयॊ ज के भोहये , कयिट, नाच्मौ फहुत गोऩार, अभत
ृ औय विष, फूॉद औय
सभुि, भानस का हॊस, निाफी भसनद, सेठ फाॉकेभर, बफखये नतनके, भहाकार, बूख, एकदा नैभभषायण्मे, खॊजन
नमन, कयिट

51. सभास के बेद हेऄ?


(A) 4
(B) 5
(C) 6
(D) 7
उत्तय- C
व्माख्मा: सभास का तात्ऩमव होता है – सॊनछततीकयण। इसका शाजब्दक अथव होता है छोटा रूऩ। अथातव जफ दो मा दो से
अधधक शब्देआ से भभरकय जो नमा औय छोटा शब्द फनता है उस शब्द को सभास कहते हेऄ। दस
ू ये शब्देआ भें कहा जाए तो
जहाॉ ऩय कभ- से- कभ शब्देआ भें अधधक से अधधक अथव को प्रकट क्रकमा जाए िह सभास कहराता है। सभास के छ् बेद
होते हेऄ।
1. अव्ममीबाि सभास
2. तत्ऩुरुष सभास
3. कभवधायम सभास
4. द्विगु सभास
5. द्िॊद्ि सभास
6. फहुब्रीदह सभास

52. शद्
ु ध ितवनी िारा शब्द है?
(A) विरयदहणी
(B) वियहणी

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(C) वियदहणी
(D) विय हणी
उत्तय- C
व्माख्मा: शद्
ु ध ितवनी िारा शब्द वियदहणी है। अत् विककऩ C सह उत्तय है।
अशद्
ु ध शद्
ु ध अशद्
ु ध शद्
ु ध

आॊगन आॉगन आॊख आॉख


अथावत अथावत ् सत सत ्
ऩरयषद ऩरयषद् ऩश्चात ऩश्चात ्
श्रद्धािान श्रद्धावान ् विधधित ववगधवत ्
बगिान बगवान ् िणणक वखणक्
विद्िान ववद्वान ् च्मुत ् च्मुत
अटटभ ् अष्टभ ऩॊचभ ् ऩॊचभ
प्राचीनतभ ् प्राचीनतभ दशभ ् दशभ
बागित ् बागवत भहान भहान ्

53. िीय ऩत्र


ु को जन्भ दे ने िार , िाक्माॊश के भरए एक शब्द है?
(A) िीयाॊगना
(B) ऩुत्रिती
(C) िीयप्रसू
(D) िीयफहादयु
उत्तय- C
व्माख्मा: िीय ऩुत्र को जन्भ दे ने िार , िाक्माॊश के भरए एक शब्द िीयप्रसू है। िीय स्त्री के भरए- वियाॊगना।
• जो दोहयामा न गमा हो— अनाितव
• ऩहरे भरखे गए ऩत्र का स्भयण— अनुस्भायक
• ऩीछे –ऩीछे चरने िारा/अनुसयण कयने िारा— अनुगाभी
• भहर का िह बाग जहाॉ याननमाॉ ननिास कयती हेः— अॊत्ऩयु /यननिास
• जजसे क्रकसी फात का ऩता न हो— अनभबऻ/अऻ
• जजसका आदय न क्रकमा गमा हो— अनादृत
• जजसका भन कह ीँ अन्मत्र रगा हो— अन्मभनस्क
• जो धन को व्मथव ह खचव कयता हो— अऩव्ममी
• आिश्मकता से अधधक धन का सॊचम न कयना— अऩरयग्रह
• जो क्रकसी ऩय अभबमोग रगाए— अभबमोगी
• जो बोजन योगी के भरए ननवषद्ध है— अऩथ्म
• जजस िस्त्र को ऩहना न गमा हो— अप्रहत
• न जोता गमा खेत— अप्रहत
• जो बफन भाॉगे भभर जाए— अमाधचत
• जो कभ फोरता हो— अकऩबाषी/भभतबाषी

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• आदे श की अिहे रना— अिऻा
• जो बफना िेतन के कामव कयता हो— अिैतननक
• जो व्मजक्त विदे श भेँ यहता हो— अप्रिासी
• जो सहनशीर न हो— असदहटणु
• जजसका कबी अन्त न हो— अनन्त
• जजसका दभन न क्रकमा जा सके— अदम्म
• जजसका स्ऩशव कयना िजजवत हो— अस्ऩश्ृ म
• जजसका विश्िास न क्रकमा जा सके— अविश्िस्त
• जो कबी नटट न होने िारा हो— अनश्िय
• जो यचना अन्म बाषा की अनुिाद हो— अनूददत
• जजसके ऩास कुछ न हो अथावत ् दरयि— अक्रकॉचन

54. जो स्त्री सूमव बी न दे ख सके, िाक्माॊश के भरए एक शब्द है?


(A) असम
ू द
व शवना
(B) असूमदृ
व टटा
(C) असूमस्
व ऩशाव
(D) असूमऩ
व श्मा
उत्तय- D
व्माख्मा: जो स्त्री सम
ू व बी न दे ख सके, उसे असम
ू ऩ
व श्मा कहते हेऄ।
• अन्म से सॊफॊध न यखने िारा/क्रकसी एक भेँ ह आस्था यखने िारा— अनन्म
• जो बफना अन्तय के घदटत हो— अनन्तय
• जजसका कोई घय (ननकेत) न हो— अननकेत
• कननटठा (सफसे छोट ) औय भध्मभा के फीच की उॉ गर — अनाभभका
• भर
ू कथा भेँ आने िारा प्रसॊग, रघु कथा— अॊत्कथा
• जजसका ननिायण न क्रकमा जा सके/जजसे कयना आिश्मक हो— अननिामव
• जजसका वियोध न हुआ हो मा न हो सके— अननरुद्ध/अवियोधी
• जजसका क्रकसी भेँ रगाि मा प्रेभ हो— अनुयक्त
• जो अनुग्रह (कृऩा) से मुक्त हो— अनुगह
ृ त
• जजस ऩय आिभण न क्रकमा गमा हो— अनािाॊत
• जजसका उत्तय न ददमा गमा हो— अनुत्तरयत
• अनुकयण कयने मोग्म— अनुकयणीम
• जो कबी न आमा हो (बविटम)— अनागत
• जो श्रेटठ गुणेअ से मुक्त न हो— अनामव
• जजसकी अऩेऺा हो— अऩेक्षऺत
• जो भाऩा न जा सके— अऩरयभेम
• नीचे की ओय राना मा खीीँचना— अऩकषव
• जो साभने न हो— अप्रत्मऺ/ऩयोऺ
• जजसकी आशा न की गई हो— अप्रत्माभशत

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55. फतयस रारच रार की, भुयर धरय रुकाम। सौंह कये , बौहनन हॊसै, दै न कहै, नदट जाम।। भें कौन यस है?
(A) सॊमोग श्रॊग
ृ ाय
(B) िीबत्स यस
(C) िात्सकम यस
(D) शाॊत यास
उत्तय- A
व्माख्मा: जहाॉ ऩय नामक नानमका का भभरन होता है औय सॊमोगािस्था का िणवन होता है, िहाॉ ऩय सॊमोग श्रॊग
ृ ाय होता है।
श्रॊग
ृ ाय यस- इसभें नामक औय नानमका के प्रेभ का िणवन होता है। इसका स्थामी बाि यनत है। इसके दो बेद हेऄ- सॊमोग
श्रॊग
ृ ाय औय विमोग श्रॊग
ृ ाय।
(1) सॊमोग श्रॊग
ृ ाय- नामक- नानमका के सॊमोगिस्था का िणवन होता है। जैसे -
“थके नमन यघुऩनत छवि दे खे। ऩरकजन्ह हु ऩरयहरय ननभेखे।।
अधधक सनेह दे ह बई बोय । सयद सभसदह जनु धचति चकोय ”।।
मा
“याभ के रूऩ ननहायनत जानकी कॊकन के नग की ऩयछाह ॊ।
माती सफै सुधध बभू र गई, कय टे क्रक यह ऩर टायत नाह ॊ”।
मा
(फ) ववमोग श्रॊग
ृ ाय( ववप्ररॊब श्रॊगाय) -इसभें नामक-नानमका के विमोग की जस्थनत का िणवन होता है। जैसे-
“हरयजन जानन प्रीनत अनत फाढ़ ।
सजर नमन ऩर
ु कािभर ठाढ़ ”।।
अथिा
“क्मा ऩूजा, क्मा अचवन ये !
उस असीभ का सुॊदय भॊददय भेया रघुतभ जीिन ये !
भेय श्िासें कयती यहती ननत वप्रम का अभबनॊदन ये !
ऩदयज को धोने उभड़े आते रोचन जरकण ये !”
मा
“हे य भेऄ तो प्रेभ द िानी, दयद न जाने कोम।
सूर ऊऩय सेज वऩमा की, क्रकस विधध भभरना होम।“
मा
“ननसददन फयसे नमन हभाये ,
सदा यहत ऩािस ऋतु हभ ऩय जफ से स्माभ भसधाये ।“

56. ननम्नभरणखत भें से कौन-सा शब्द स्त्रीभरॊग भें प्रमुक्त होता है?
(A) ऋतु
(B) ऩजण्डत
(C) हॊस
(D) आचामव
उत्तय- A

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व्माख्मा: आकायान्त, इकायान्त, ईकायान्त, नकायान्त तथा उकायान्त सॊऻाएॉ प्राम: स्त्रीभरॊग होते हेऄ जैसे-
 आकायान्त सॊऻाएॉ- दमा, भामा, कृऩा, ऺभा, शोबा इत्मादद।
 इकयान्त सॊऻाएॉ- ननधध, विधध, ऩरयधध, अजग्न इत्मादद।
 ईकयान्त सॊऻाएॉ- नद , योट , टोऩी इत्मादद (अऩिाद-हाथी, दह , योट ऩभु रॊग हेऄ)
 नकायान्त सॊऻाएॊ- प्राथवना, िेदना, यचना, घटना इत्मादद।
 उकयान्त सॊऻाएॊ- ऋतु, िामु, ये णु, भत्ृ मु, यज्जु, आमु, िस्तु, धातु, जानु इत्मादद।

57. ―सुियन‖ शब्द है?


(A) तद्बि
(B) तत्सभ
(C) विदे शी
(D) दे शज
उत्तय- A
व्माख्मा: ―सिु यन‖ शब्द तद्बि है। िे शब्द जजनकी उत्ऩवत्त सॊस्कृत श्फदेआ से हुई है , तद्बि होते हेऄ। िे शब्द जो सॊस्कृत के
ज्मेआ के त्मेआ दहन्द भें प्रचभरत है तत्सभ कहराते हेऄ। िे शब्द जो विदे शी जानत मा ऩरयिायेआ से है जैसे – अयफी, पायसी,
तूकी, रूसी, चीनी, जाऩानी, ऩुतग
व ार आदद विदे शी बाषा है। िे शब्द जो ग्राभीण ऺेत्र भें प्रचभरत हो दे शज शब्द कहराते
हेऄ। जैसे – उड़द, उसाया, कच्चा, ठठे या, ठोक्का, ऩगड़ी, कटोया, तािा आदद।

58. तभ
ु कहाॉ ऩढ़ते हो, भें क्रकस कोदट का विशेषण प्रमक्
ु त हुआ है?
(A) गुणिाचक
(B) प्रश्निाचक
(C) सॊख्मािाचक
(D) सॊकेतिाचक
उत्तय- B
व्माख्मा: तुभ कहाॉ ऩढ़ते हो, भें प्रश्निाचक विशेषण प्रमुक्त हुआ है।
प्रश्नवाचक ववशेषण- ऐसे शब्द जजनका सॊऻा मा सिवनाभ भें जानने के भरए प्रमोग होता है , जैसे कौन, क्मा आदद िे शब्द
प्रश्निाचक विशेषण कहराते हेऄ। इन विशेषण शब्देआ का प्रमोग कयके हभें सॊऻा मा सिवनाभ के फाये भें ज्मादा जानकाय
भभर जाती है। जैसे: मह व्मजक्त कौन है ?, मह चीज़ क्मा है ? आदद।
प्रश्नवाचक ववशेषण के उदाहयण
 तुभ कौन सी िस्तु के फाये भें फात कय यहे हो?
 मह जहाज क्मा होता है ?
 भेये जाने के फाद कौन महाॉ आमा था ?
 विकास के साथ कहाॉ गए थे तुभ ?

59. तीन तेयह होना, भुहािये का सह अथव है।


(A) अस्ऩटट होना
(B) उधचत न होना
(C) नततय बफतय होना

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(D) सीधी फात न कयना
उत्तय- C
व्माख्मा: तीन तेहय होना, भुहािये का सह अथव है –नततय बफतय होना मा बफखेय कय यख दे ना।
• आॉच न आने दे ना– थोड़ी बी हानन न होने दे ना।
• आॉसू ऩीकय यह जाना– बीतय ह बीतय द्ु खी होना।
• आकाश के ताये तोड़ना– असम्बि कामव कयना।
• आकाश–ऩातार एक कयना– कदठन प्रमत्न कयना।
• आग भेँ घी डारना– िोध औय अधधक फढ़ाना।
• आग से खेरना– जानफझ
ू कय भस
ु ीफत भेँ पॉसना।
• आग ऩय ऩानी डारना– उत्तेजजत व्मजक्त को शान्त कयना।
• आटे–दार का बाि भारभ
ू होना– कदठनाई भेँ ऩड़ जाना।
• आसभान से फातेँ कयना– ऊॉची ककऩना कयना।
• आड़े हाथ रेना– खय –खय सुनाना।
• आसभान भसय ऩय उठाना– फहुत शोय कयना।
• आॉचर ऩसायना– बीख भाॉगना।
• आॉधी के आभ होना– फहुत सस्ती िस्तु भभरना।
• आॉसू ऩेअछना– धीयज दे ना।
• आग–ऩानी का फैय– स्िाबाविक शत्रुता।
• आसभान ऩय चढ़ना– फहुत अधधक अभबभान कयना।
• आग–फफूरा होना– फहुत िोध कयना।
• आऩे से फाहय होना– अत्मधधक िोध से काफू भेँ न यहना।
• आकाश का पूर– अप्रातम िस्तु।
• आसभान ऩय उड़ना– अभबभानी होना।
• आस्तीन का साॉऩ– विश्िासघाती भभत्र।
• आकाश चूभना– फहुत ऊॉचा होना।
• आग रगने ऩय कुआॉ खोदना– ऩहरे से कोई उऩाम न कय यखना।

60. भहादे ि कौन सा शब्द है?


(A) मौधगक
(B) मौगरूढ़
(C) रूढ़
(D) तत्सभ
उत्तय- A
व्माख्मा: भहादे ि मौधगक शब्द है। मह दो शब्देआ भहा तथा दे ि से भभरकय फना है। जजसके अरग-अरग साथवक खॊड है।
मौधगक शब्द िे होते हेः, जो दो मा अधधक शब्देअ के मोग से फनते हेः औय उनके खण्ड कयने ऩय उन खण्डेअ के िह अथव
यहते हेः जो अथव िे मौधगक होने ऩय दे ते हेः। मथा – ऩाठशारा, भहादे ि, प्रमोगशारा, स्नानागह
ृ , दे िारम, विद्मारम,
घुड़सिाय, अनुशासन, दज
ु न
व , सज्जन आदद शब्द मौधगक हेः। मदद इनके खण्ड क्रकमे जाएॉ जैसे – ―घुड़सिाय‖ भेँ ―घोड़ा‖ ि

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―सिाय‖ दोनेअ खण्डेअ का अथव है। अत् मे मौधगक शब्द हेः। मौधगक शब्देअ का ननभावण भूर शब्द मा धातु भेँ कोई शब्दाॊश,
उऩसगव, प्रत्मम अथिा दस
ू ये शब्द भभराकय सॊधध मा सभास की प्रक्रिमा से क्रकमा जाता है।
उदाहयणाथव :–
 ―विद्मारम‖ शब्द ―विद्मा‖ औय ―आरम‖ शब्देअ की सॊधध से फना है तथा इसके दोनेअ खण्डेअ का ऩयू ा अथव ननकरता
है।
 ―ऩयोऩकाय‖ शब्द ―ऩय‖ ि ―उऩकाय‖ शब्देअ की सॊधध से फना है।
 ―सुमश‖ शब्द भेँ ―सु‖ उऩसगव जुड़ा है।
 ―नेत्रह न‖ शब्द भेँ ―नेत्र‖ भेँ ―ह न‖ प्रत्मम जुड़ा है।
 ―प्रत्मऺ‖ शब्द का ननभावण ―अऺ‖ भेँ ―प्रनत‖ उऩसगव के जड़
ु ने से हुआ है। महाॉ दोनेअ खण्डेअ ―प्रनत‖ तथा ―अऺ‖ का
ऩूया–ऩूया अथव है।
कुछ मौगगक शब्दैऄ के उदाहयण- आगभन, सॊमोग, ऩमविेऺण, याटरऩनत, गह
ृ भॊत्री, प्रधानभॊत्री, नम्रता, अन्माम, ऩाठशारा,
अजामफघय, यसोईघय, सब्जीभॊडी, ऩानिारा, भग
ृ याज, अनऩढ़, फैरगाड़ी, जरद, जरज, दे िदत
ू , भानिता, अभानिीम,
धाभभवक, नभकीन, गैयकानूनी, घुड़सार, आकषवण, सन्दे हास्ऩद, हास्मास्ऩद, कौन्तेम, याधेम, दाम्ऩत्म, दटकाऊ, बागवि,
चतयु ाई, अनरू
ु ऩ, अबाि, ऩि
ू ावऩेऺा, ऩयाजम, अन्िेषण, सन्
ु दयता, हय नतभा, कात्मामन, अधधऩनत, ननषेध, अत्मजु क्त,
सम्भाननीम, आकाय, भबऺुक, दमार,ु फहनोई, ननदोई, अऩभ्रॊश, उज्ज्िर, प्रत्मुऩकाय, नछड़काि, यॊ गीरा, याटर म, टकयाहट,
कुनतमा, ऩयभानन्द, भनोहय, तऩोफर, कभवबूभभ, भनोनमन, भहायाजा।

61. यचना के अनुसाय शब्द रूऩ के क्रकतने प्रकाय हेऄ?


(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तय- B
व्माख्मा: यचना के अनस
ु ाय शब्द रूऩ 3 प्रकाय के होते हेऄ – 1. रूढ़ शब्द, 2. मौधगक शब्द, 3. मौगरूढ़ शब्द।
व्मुत्ऩवत्त (फनािट) एिॊ यचना के आधाय ऩय शब्देअ के तीन बेद क्रकमे गमे हेः – (1) रूढ़ (2) मौधगक (3) मोगरूढ़।
(1) रूढ़ : जजन शब्देअ के खण्ड क्रकमे जाने ऩय उनके खण्डेअ का कोई अथव न ननकरे , उन शब्देअ को ―रूढ़‖ शब्द कहते हेः।
दस
ू ये शब्देअ भेँ, जजन शब्देअ के साथवक खण्ड नह ीँ क्रकमे जा सकेँ िे रूढ़ शब्द कहराते हेः। जैसे – ―ऩानी‖ एक साथवक शब्द
है, इसके खण्ड कयने ऩय ―ऩा‖ औय ―नी‖ का कोई सॊगत अथव नह ीँ ननकरता है। इसी प्रकाय यात, ददन, काभ, नाभ आदद
शब्देअ के खण्ड क्रकमे जाएॉ तो ―या‖, ―त‖, ―दद‖, ―न‖, ―का‖, ―भ‖, ―ना‖, ―भ‖ आदद ननयथवक ध्िननमाॉ ह शेष यहेँगी। इनका अरग–
अरग कोई अथव नह ीँ है। इसी तयह योना, खाना, ऩीना, ऩान, ऩैय, हाथ, भसय, कर, चर, घय, कुसी, भेज, योट , क्रकताफ,
घास, ऩश,ु दे श, रम्फा, छोटा, भोटा, नभक, ऩर, ऩेड़, तीय इत्मादद रूढ़ शब्द हेः।
(2) मौगगक : मौधगक शब्द िे होते हेः, जो दो मा अधधक शब्देअ के मोग से फनते हेः औय उनके खण्ड कयने ऩय उन खण्डेअ
के िह अथव यहते हेः जो अथव िे मौधगक होने ऩय दे ते हेः। मथा – ऩाठशारा, भहादे ि, प्रमोगशारा, स्नानागह
ृ , दे िारम,
विद्मारम, घड़
ु सिाय, अनश
ु ासन, दज
ु न
व , सज्जन आदद शब्द मौधगक हेः। मदद इनके खण्ड क्रकमे जाएॉ जैसे – ―घड़
ु सिाय‖ भेँ
―घोड़ा‖ ि ―सिाय‖ दोनेअ खण्डेअ का अथव है। अत् मे मौधगक शब्द हेः।
(3) मोगरूढ़ : जफ क्रकसी मौधगक शब्द से क्रकसी रूढ़ अथिा विशेष अथव का फोध होता है अथिा जो शब्द मौधगक सॊऻा के
सभान रगे क्रकन्तु जजन शब्देअ के भेर से िह फना है उनके अथव का फोध न कयाकय, क्रकसी दस
ू ये ह विशेष अथव का फोध
कयामे तो उसे मोगरूढ़ कहते हेः। जैसे –―जरज‖ का शाजब्दक अथव होता है ―जर से उत्ऩन्न हुआ‖। जर भेँ कई चीजेँ ि जीि

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जैसे – भछर , भेँढ़क, जेअक, भसॉघाड़ा आदद उत्ऩन्न होते हेः, ऩयन्तु ―जरज‖ अऩने शाजब्दक अथव की जगह एक अन्म मा
विशेष अथव भेँ ―कभर‖ के भरए ह प्रमुक्त होता है। अत् मह मोगरूढ़ है। ―ऩॊकज‖ शाजब्दक अथव है ―कीचड़ भेँ उत्ऩन्न (ऩॊक
= कीचड़ तथा ज = उत्ऩन्न)‖। कीचड़ भेँ घास ि अन्म िस्तुएॉ बी उत्ऩन्न होती हेः क्रकन्तु ―ऩॊकज‖ अऩने विशेष अथव भेँ
―कभर‖ के भरए ह प्रमक्
ु त होता है। इसी प्रकाय ―नीयद‖ का शाजब्दक अथव है ―जर दे ने िारा (नीय = जर, द = दे ने िारा)‖
जो कोई बी व्मजक्त, नद मा अन्म कोई बी स्रोत हो सकता है , ऩयन्तु ―नीयद‖ शब्द केिर फादरेअ के भरए ह प्रमुक्त
कयते हेः। इसी तयह ―ऩीताम्फय‖ का अथव है ऩीरा अम्फय (िस्त्र) धायण कयने िारा जो कोई बी हो सकता है , क्रकन्तु
―ऩीताम्फय‖ शब्द अऩने रूढ़ अथव भेँ ―श्रीकृटण‖ के भरए ह प्रमुक्त है।

62. उऩकाय का विरोभ शब्द है ?


(A) विकाय
(B) अनुऩकाय
(C) अऩकाय
(D) नतयस्काय
उत्तय- C
व्माख्मा: उऩकाय शब्द का विरोभ उऩकाय है न क्रक विकाय, अनुऩकाय औय नतयस्काय है।
• उत्कृटट – ननकृटट
• उऩकाय – अऩकाय
• उत्कषव – अऩकषव
• उन्भीरन (णखरना) – ननभीरन
• उन्ननत – अिननत
• उद्घाटन – सभाऩन
• उन्भूरन – स्थाऩन/योऩण
• उन्भुख – विभख

• उऩभान – उऩभेम
• उिवय – ऊसय/अनुियव
• उत्ऩनत – विनाश
• उत्तयामण – दक्षऺणामण
• उत्तयाद्वध – ऩूिावद्ध
• उदमाचर – अस्ताचर
• उऩभेम – अनुऩभेम
• उऩचाय – अऩचाय
• उषा – सॊध्मा
• उच््िास – नन्श्िास
• उज्ज्िर – धभू भर
• उत्तीणव – अनुत्तीणव
• उऩाजजवत – अनुऩाजजवत
• उकरास – विषाद
• उऩसगव – प्रत्मम

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• उदाय – अनुदाय
• उद्बि – अिसान
• उऩजाऊ – अनुऩजाऊ
• उध्िव – अधय
• उधाय – नकद
• उत्ऩादक – अनुत्ऩादक
• उऩमोग – अनुऩमोग/दऩ
ु म
व ोग

63. ―आॉख‖ का ऩमावमिाची है?


(A) चऺु
(B) िासि
(C) भधिा
(D) भहे न्ि
उत्तय- A
व्माख्मा: आॉख का ऩमावमिाची चऺु है। जफक्रक अन्म सबी इन्ि के ऩमावमिाची हेऄ। आॉख के अन्म ऩमावमिाची हेऄ –चऺु,
रोचन, नमन, विरोचन औय अक्षऺ आदद।
• इन्ि — भहे न्ि, दे ियाज, दे िेश, सुयऩनत, शधचऩनत, वासव, ऩुयन्दय, सुयेन्ि, सुयेश, दे िेन्ि, भघवा, शि, ऩुयहूत, दे िऩनत,
उिवशीनाथ, सुनासीय, िज्री, ित्र
ृ हा, नाकऩनत, सरस्राऺ।
• कभर — नभरन, अयविन्द, उत्ऩर, याजीि, ऩद्भ, ऩॊकज, नीयज, सयोज, जरज, जरजात, िारयज, शतदर, अम्फज
ु ,
ऩुण्डरयक, अब्ज, सयभसज, इॊद िय, ताम्रयस, कॊज, िनज, अम्बोज, सहस्रदर, ऩुटकय, कुिरम, ऩङ्करुह, सयसीरुह, कोकनद।
• ककऩिऺ
ृ — दे िदारु, सुयतरु, भन्दाय, ऩारयजात, ककऩिभ
ु , दे ििऺ
ृ , सुयिभ
ु , ककऩतरु।
• कफूतय — कऩोत, हाय त, ऩये िा, ऩायाित, यक्तरोचन।
• कणव — अॊगयाज, सूतऩुत्र, सूमऩ
व ुत्र, याधेम, कौन्तेम।
• करुणा — दमा, प्रसाद, अनग्र
ु ह, अनक
ु ॊ ऩा, कृऩा, भेहयफानी।
• कजव — ऋण, उधाय, दे नदाय , दे मता।
• करॊक — राॊछन, दोष, दाग, तोहभत, धब्फा, काभरख ऩोतना।
• कभय — कदट, श्रोणण, रॊक, भध्माॊग।
• कस्तूय — भग
ृ नाभब, भग
ृ भद, भदरता।
• कवि — ककऩक, सटृ टा, काव्मकाय, यचनाकाय।

64. आह्िान का विरोभ फताइए?


(A) विगत
(B) विसजवन
(C) ऩयोऺ
(D) विग्रह
उत्तय- B
व्माख्मा: आह्िान का विरोभ विसजवन होता है। तथा विगत का आगत ि ऩयोऺ का अऩयोऺ मा प्रत्मऺ होता है।
• औधचत्म – अनौधचत्म

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• औदामव – अनौदामव
• उऩत्मका (ऩहाड़ के नीचे की सभतर बभू भ) – अधधत्मका (ऩहाड़ के ऊऩय की सभतर बूभभ)
• कटु – भधुय
• कदाचाय – सदाचाय
• काऩुरुष – ऩुरुषाथी
• कननटठ – िरयटठ/ज्मेटठ
• कठोय – भुरामभ
• िम – वििम
• ककमाण – अककमाण
• कामय – िीय
• कडुिा – भीठा
• कऩूत – सऩूत
• कऩट – ननटकऩट
• कभजोय – फरिान
• कभी – िद्
ृ धध, फेशी
• ककवश – भधुय
• करॊक्रकत – ननटकरॊक
• कजकऩत – मथाथव
• करवु षत – ननटकरॊक
• कसूयिाय – फेकसूय
• कटुबाषी – भद
ृ ब
ु ाषी
• कारा – गोया
• कुरद ऩ – कुराॊगाय
• कुभाय – वििादहता
• िोध – शाजन्त
• कोराहर – नीयिता
• कभवण्म – अकभवण्म
• कयणीम – अकयणीम

65. िे अविकाय शब्द, जो दो शब्देआ, िाक्मेआ अथिा िाक्म खण्डेआ को जोड़ते हेऄ, कहराते हेऄ?
(A) सॊफॊधफोधक
(B) विस्भमददफोधक
(C) क्रिमा विशेषण शब्द
(D) सभच्
ु चमफोधक शब्द
उत्तय- D
व्माख्मा: िे अविकाय शब्द, जो दो शब्देआ, िाक्मेआ अथिा िाक्म खण्डेआ को जोड़ते हेऄ, सभुच्चमफोधक शब्द कहराते हेऄ। जैसे–
औय, एिॊ, तथा इत्मादद।

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सभुच्चमफोधक- ऐसे शब्द जो दो मा दो से अधधक शब्द, िाक्म मा िाक्माॊशेआ को जोड़ने का काभ कयते हेऄ, िे शब्द
सभुच्चमफोधक कहराते हेऄ। इन सभुच्चमफोधक शब्देआ को मोजक बी कहा जाता है। जैसे: औय, ि, एिॊ, तथा, मा, अथिा,
क्रकन्तु, ऩयन्तु, क्रक, क्मेआक्रक, जो क्रक, ताक्रक, हाराॉक्रक, रेक्रकन, अत:, इसभरए आदद।
 आमषु ने कड़ी भेहनत की औय सपर हुआ।
 ऊषा फहुत तेज़ दौड़ी रेक्रकन प्रथभ नह ॊ आ सकी।
 फेशक उसने ऩैसा कभामा ऩयन्तु यहा तो कॊजूस ह ।
 तुभ सबी िहाॊ जा सकते हो क्रकन्तु भेऄ नह ॊ।
 विकास औय तुषाय फहुत अच्छे दोस्त हेऄ।

66. ददन यात ---------------कयके बी िह प्रथभ स्थान न प्रातत कय सका नीचे ददमे गए विककऩेआ भें से इस िाक्म भें
रयक्त स्थान हे तु शद्
ु ध ितवनी का चमन कीजजय़े।
(A) आध्मन
(B) अध्ममन
(C) अध्ध्मन
(D) अद्ध्मन
उत्तय- B
व्माख्मा: शद्
ु ध ितवनी शब्द है - ददन यात अध्ममन कयके बी िह प्रथभ स्थान न प्रातत कय सका।

67. ―ईश्िय तम्


ु हें द घामुव दे ‖। अथव के आधाय ऩय िाक्म का बेद फताएॉ?
(A) प्रश्निाचक िाक्म
(B) विस्भमिाचक िाक्म
(C) इच्छािाचक िाक्म
(D) ननषेधिाचक िाक्म
उत्तय- C
व्माख्मा: जजस िाक्म भें इच्छा, स्तुनत मा आशीिाद का फोध होता है, उसे इच्छािाचक िाक्म कहते हेऄ। अत् ―ईश्िय तुम्हें
द घामुव दे ‖ एक इच्छािाचक िाक्म है।

68. ―काभामनी‖ भहाकाव्म के यधचमता कौन हेऄ।


(A) सयू दास
(B) प्रेभचॊि
(C) जमशॊकय
(D) कफीयदास
उत्तय- C
व्माख्मा: भहाकाव्म ―काभामनी‖ के यचनमता जमशॊकय प्रसाद जी हेऄ। इनके द्िाया यधचत अन्म काव्म – धचत्राधाय, कानन
कुसुभ, झयना, आॉसू, रहय, प्रेभ ऩधथक है। जमशॉकय प्रसाद ऩहरे ब्रजबाषा भें कराधय उऩनाभ से कविता भरखा कयते थे।
मे कविताएॉ धचत्राधाय (1918) भें सॊकभरत है। इनके बाि, बाषा शैर आदद ऩय य नतकार न काव्म-फोध की स्ऩटट छाऩ है ।
प्रेभऩधथक भें य नतकार न काव्म-फोध दे खा जा सकता है। प्रेभऩधथक ऩहरे ब्रजबाषा भे भरखा गमा। िह श्रीधय ऩाठक के

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एकान्तिासी मोगी की छामा से भुक्त नह ॊ है। फाद भें उन्होने फहुत कुछ इसी को ऩरयिनतवत, ऩरयिधधवत रूऩ भें खड़ी फोर
भें प्रस्तुत क्रकमा। कानन-कुसुभ खड़ी फोर का उनका ऩहरा काव्म-सॊग्रह है।

69. ―सद
ु ाभाचरयत‖ के रेखक हेऄ?
(A) बूषण
(B) नयोत्तभदास
(C) भीयाफाई
(D) रकरर
ू ार
उत्तय- B
व्माख्मा: ―सुदाभाचरयत‖ के रेखक नयोत्तभदास हेऄ। नयोत्तभदास ने ब्रजबाषा भें काव्म यचना की है, कुछ प्रभुख कृनतमाॉ -
सुदाभा चरयत, रुि चरयत, नाभ सॊकीतवन, विचायभारा।

70. ―सदै ि‖ शब्द भे कौन सी सजन्ध है?


(A) मण सजन्ध
(B) व्मॊजन सॊधध
(C) िद्
ृ धध सजन्ध
(D) गुण सजन्ध
उत्तय- C
व्माख्मा: सदै ि का सजन्ध विच्छे द = सदा+एि है। आ+ए = ऐ। मदद अ मा आ के फाद ए मा ऐ आए तो दोनेआ के स्थान
भें ऐ तथा ओ मा औ आए तो दोनेआ के स्थान भें औ हो जाता है। मह िद्
ृ धध सजन्ध है।
वद्
ृ गध सॊगध की ऩरयबाषा- जफ सॊधध कयते सभम जफ अ, आ के साथ ए, ऐ हो तो ―ऐ― फनता है औय जफ अ, आ के
साथ ओ, औ हो तो ―औ― फनता है। उसे िधृ ध सॊधध कहते हेऄ।
वद्
ृ गध सॊगध के उदाहयण-
 सदा + एि : सदै ि (आ + ए = ऐ)
 तत + एि : ततैि (अ + ए = ऐ)
 भत + एक्म : भतैक्म (अ + ए = ऐ)
 एक + एक : एकैक (अ + ए = ऐ)
 जर + ओघ : जरौघ (अ + ओ = औ)
 भहा + औषध : भहौषद (आ + औ = औ)
 भहा + ऐश्िमव : भहैश्िमव (आ + ऐ = ऐ)
 भहा + ओजस्िी : भहौजस्िी (आ + ओ = औ)
 ऩयभ + औषध : ऩयभौषध (अ + औ = औ)

71. ―एक सतत उद्मभी‖ व्मजक्त का विशेषण है?


(A) रगनशीर
(B) व्मिसामी
(C) ऩयािभी
(D) उद्मभी

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उत्तय- A
व्माख्मा: ―एक सतत उद्मभी‖ व्मजक्त का विशेषण रगनशीर है।

72. ―कनक-कनक ते सौ गन
ु ी भादकता अधधकाम मा खामे फौयाम जग, ि ऩामे फौयाम।‖
उऩयोक्त भें कौन सा अरॊकाय है।
(A) अनुप्रास अरॊकाय
(B) भ्राजन्तभान अरॊकाय
(C) रूऩक अरॊकाय
(D) मभक अरॊकाय
उत्तय- D
व्माख्मा: मभक अरॊकाय, इस ऩद्म भें ―कनक‖ शब्द का प्रमोग दो फाय हुआ है। प्रथभ कनक का अथव ―सोना‖ औय दस ु ये
कनक का अथव ―धतूया‖ है। अत् ―कनक‖ शब्द का दो फाय प्रमोग औय भबन्नाथव के कायण उक्त ऩॊजक्तमेआ भें मभक अरॊकाय
की छटा ददखती है। जजस प्रकाय अनुप्रास अरॊकाय भें क्रकसी एक िणव की आिनृ त होती है उसी प्रकाय मभक अरॊकाय भें
क्रकसी काव्म का सौन्दमव फढ़ाने के भरए एक शब्द की फाय-फाय आिनृ त होती है। प्रमोग क्रकए गए शब्द का अथव हय फाय
अरग होता है। शब्द की दो फाय आिनृ त होना िाक्म का मभक अरॊकाय के अॊतगवत आने के भरए आिश्मक है। मभक
मभक अरॊकाय के उदाहयण :
 भारा पेयत जग गमा, क्रपया न भन का पेय। कय का भनका डारय दे , भन का भनका पेय।
ऊऩय ददए गए ऩद्म भें ―भनका‖ शब्द का दो फाय प्रमोग क्रकमा गमा है। ऩहर फाय ―भनका‖ का आशम भारा के भोती से
है औय दस
ू य फाय ―भनका‖ से आशम है भन की बािनाओ से। अत् ―भनका‖ शब्द का दो फाय प्रमोग औय भबन्नाथव के
कायण उक्त ऩॊजक्तमेआ भें मभक अरॊकाय की छटा ददखती है।
 कहै कवव फेनी फेनी ब्मार की चुयाई रीनी
ददए गए िाक्म भें ―फेनी‖ शब्द दो फाय आमा है। दोनेआ फाय इस शब्द का अथव अरग है। ऩहर फाय ―फेनी‖ शब्द कवि की
तयप सॊकेत कय यहा है। दस
ू य फाय ―फेनी‖ शब्द चोट के फाये भें फता यहा है। अत् उक्त ऩॊजक्तमेआ भें मभक अरॊकाय है।
 कारी घटा का घभॊड घटा।
ददए गए िाक्म भें आऩ दे ख सकते हेऄ की ―घटा‖ शब्द का दो फाय प्रमोग हुआ है। ऩहर फाय ―घटा‖ शब्द का प्रमोग फादरेआ
के कारे यॊ ग की औय सॊकेत कय यहा है। दस ू य फाय ―घटा‖ शब्द फादरेआ के कभ होने का िणवन कय यहा है। अत् ―घटा‖
शब्द का दो फाय प्रमोग औय भबन्नाथव के कायण उक्त ऩॊजक्तमेआ भें मभक अरॊकाय की छटा ददखती है।
 तीन फेय खाती थी वह तीन फेय खाती है।
जैसा की आऩ ऊऩय ददए गए उदाहयण भें दे ख सकते हेऄ ―फेय‖ शब्द का दो फाय प्रमोग हुआ है। ऩहर फाय तीन ―फेय‖ ददन
भें तीन फाय खाने की तयप सॊकेत कय यहा है तथा दस
ू य फाय तीन ―फेय‖ का भतरफ है तीन पर। अत् ―फेय‖ शब्द का दो
फाय प्रमोग औय भबन्नाथव के कायण उक्त ऩॊजक्तमेआ भें मभक अरॊकाय की छटा ददखती है।

73. याजकाज भें कौन सा सभास है?


(A) द्विगु
(B) फहुब्रीदह
(C) द्िन्दि
(D) तत्ऩुरूष
उत्तय- D

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व्माख्मा: याजकाज अथावत ् याजा का कामव भें तत्ऩुरूष सभास है।

74. ―अरभाय ‖ क्रकस विदे शी शब्द का शब्द है।


(A) अॊग्रेजी
(B) फ्ाॊसीसी
(C) डच
(D) ऩुतग
व ार
उत्तय- D
व्माख्मा: अरभाय ऩत
ु ग
व ार बाषा का शब्द है। ऩत
ु वगार बाषा के अन्म शब्द हेऄ- कापी, काज,ू ऩऩीता, आरऩीन, आरऩानो,
गभरा, वऩस्तौर, इस्ऩात, कभया, फम्फा, फाकट , तम्फाकू, नीराभ, ऩादय , सन्तया कभीज, साफुन, अरभाय , फाकट , पारत,ू
पीता, तौभरमा इत्मादद।

75. ननम्नभरणखत भें से कौन सा िाक्म शद्


ु ध है?
(A) मह व्मथव फात कयने से की राब नह ॊ है
(B) सम्ऩूणव दे श बय भें ननयाशा छा गई
(C) बाई ने बाई के साथ सराह की
(D) कृऩमा ऩत्रोत्तय शीघ्र दें
उत्तय- D
व्माख्मा: ―कृऩमा ऩत्रोत्तय शीघ्र दें ‖ मह िाक्म शद्
ु ध है। ि अन्म गरत हेऄ। शद्
ु ध ितवनी िभश् – व्मथव फात कयने से कोई
राब नह ॊ है, सम्ऩूणव दे श भें ननयाशा छा गई। बाई ने बाई से सराह की।

76. “दे णख सद
ु ाभा द नदशा, करूणा करयकै करूनाननधध योमे” भे कौन सा यस है।
(A) विमोग श्रॊग
ृ ाय
(B) यौि
(C) करूण
(D) यशान्त
उत्तय- C
व्माख्मा: दे णख सुदाभा द नदशा, करूणा करयकै करूनाननधध योमे भे करूण यस है। इसभें बगिान श्रीकृटण अऩने भभत्र
सद
ु ाभा की दशा दे खकय अऩने आॉसू फहा यहे हेऄ। जहाॉ नामक औय नानमका के वियह (बफछड़ने) का िणवन हो विमोग श्रॊग
ृ ाय
कहा जाता है। जैसे – हे ! खग भग
ृ हे ! भधुकय श्रेनी तुभ दे खी सीता भग
ृ नमनी। यौि यास – तुम्हाये अनुशासन, ऩािौ,
कन्दक
ु इि ब्राह्भण उठािै। शान्त यस – भोहन भहर की ऩयथभ सीढ़ मा बफन ऻान चरयत्र सम्मकता न रहै।

77. कौन दहन्द की उऩबाषा नह ॊ है?


(A) भऱाठी
(B) ऩजश्चभी दहन्द
(C) ऩूिी दहन्द
(D) याजस्थानी
उत्तय- A

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व्माख्मा: ―भयाठी‖ भहायाटर याज्म की फोर है। दहन्द की उऩबाषा, 1. ऩजश्चभी दहन्द - ब्रजबाषा, कन्नौजी, खड़ी फोर ,
फुन्दे र हरयमाणिी
2. ऩूिी दहन्द – अिधी, फघेर , छत्तीसगढ़ ।
3. याजस्थानी – भायिाड़ी, भेिाती, भारिी, जमऩयु ।
4. बफहाय दहन्द – बोजऩुय , भैधथर , भगह ।
5. ऩहाड़ी दहन्द – नेऩार , गढ़िार , कुभाऊॉनी।

78. ―एक प्रनतबासम्ऩन्न छात्र‖ का विशेषण है?


(A) कुशर
(B) चतुय
(C) अध्ममनशीर
(D) भेधािी
उत्तय- D
व्माख्मा: एक प्रनतबासम्ऩन्न छात्र का विशेषण ददमे गमे विककऩेआ भें भेधािी है न क्रक चतयु , कुशर औय अध्ममनशीर है।
• जो बरा–फुया न सभझता हो अथिा सोच–सभझकय काभ न कयता हो— अवििेकी
• जजसका विबाजन न क्रकमा जा सके— अविबाज्म/अबाज्म
• जजसका विबाजन न क्रकमा गमा हो— अविबक्त
• जजस ऩय विचाय न क्रकमा गमा हो— अविचारयत
• जो कामव अिश्म होने िारा हो— अिश्मॊबािी
• जजसको व्मिहाय भेँ न रामा गमा हो— अव्मिरृत
• जो स्त्री सूमव बी नह ीँ दे ख ऩाती— असूमऩ
व श्मा
• न हो सकने िारा कामव आदद— अशक्म
• जो शोक कयने मोग्म नह ीँ हो— अशोक्म
• जो कहने , सन
ु ने, दे खने भेँ रज्जाऩण
ू ,व नघनौना हो— अश्र र
• जजस योग का इराज न क्रकमा जा सके— असाध्म योग/राइराज
• जजससे ऩाय न ऩाई जा सके— अऩाय
• फूढ़ा–सा ददखने िारा व्मजक्त— अधेड़
• जजसका कोई भूकम न हो— अभूकम
• जो भत्ृ मु के सभीऩ हो— आसन्नभत्ृ मु
• क्रकसी फात ऩय फाय–फाय जोय दे ना— आग्रह
• िह स्त्री जजसका ऩनत ऩयदे श से रौटा हो— आगतऩनतका
• जजसकी बुजाएॉ घुटनेअ तक रम्फी हेअ— आजानुफाहु

79. गाभबन का तत्सभ रूऩ है?


(A) गाभबवणी
(B) गनेश
(C) गभबवन
(D) गबवन

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उत्तय- A
व्माख्मा: गाभबन का तत्सभ रूऩ गाभबवणी तथा गनेश शब्द का तत्सभ रूऩ गणेश है। शेष विककऩ असॊगत है.।

80. दहन्द िणवभारा भें ऊटभ व्मॊज्जन कौन से हेऄ?


(A) श ्, ष, स, ह
(B) त, थ, द, ध
(C) ट, ठ, ड, ढ
(D) च, छ, ज, झ
उत्तय- A
व्माख्मा: जजन व्मज्जनेआ के उच्चायण भें श्िास खाकय ननकरती है औय यगड़ के कायण श्िास भें कुछ ऊटभा उत्ऩन्न होती
है, िे ऊटभ व्मॊज्जन कहराते हेऄ।

81. सजृ टट का विरोभ शब्द है?


(A) प्ररम, सॊहाय
(B) ननन्द्भ
(C) दि
ु त्त
वृ
(D) कृबत्रभ, विकृत
उत्तय- A
व्माख्मा: सजृ टट का विरोभ प्ररम मा सॊहाय है। ननन्द्म का विरोभ िन्द्म, दि
ु त्त
वृ का सदृित्त
ृ , प्राकृनतक का कृबत्रभ, विकृत
है।

82. ―मभुना‖ का ऩमावमिाची है।


(A) काभरजन्दनी
(B) बागीयथी
(C) माभभनी
(D) काभरन्द
उत्तय- D
व्माख्मा: मभुना का ऩमावमिाची ―काभरन्द ‖ है। जफक्रक माभभनी याबत्र का ऩमावमिाची है, बागीयथी गॊगा का ऩमावमिाची है।
मभन
ु ा के अन्म ऩमावमिाची शब्द हेऄ – सम
ू त
व नमा, बानज
ु ा, सम
ू स
व त
ु ा, तयणण, तनज
ु ा आदद।
• अभत
ृ — सुधा, ऩीमूष, अभभम, सोभ, सुयबोग, जीिनोदक, अभी, भधु, ददव्म ऩदाथव।
• अनुऩभ — अनूऩ, अऩूि,व अतुर, अनोखा, अद्बुत, अनन्म, अद्वितीम, फेजोड़, फेभभसार, अनूठा, ननयारा, अबूतऩूि,व
विरऺण।
• असुय — दै त्म, दानि, याऺस, ननशाचय, यजनीचय, दनुज, याबत्रचय, जातुधान, तभीचय, भामािी, सुयारय, ननजश्चय, भनुजाद।
• अचर — अटर, अड़डग, अविचर, जस्थय, दृढ़।
• अनाथ — मतीभ, नाथह न, फेसहाया, द न, ननयाधश्रत।
• अऩभान — अनादय, फेइज्जती, अिभानना, ननयादय, नतयस्काय।
• अभबजात — सॊभ्रान्त, कुर न, श्रेटठ, मोग्म।
• अभबप्राम — आशम, तात्ऩमव, भतरफ, अथव, भॊशा, व्माख्मा, बाटम, ट कावऩतऩणी।

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• अयण्म — जॊगर, अटिी, विवऩन, कानन, िन, कान्ताय, दािा, गहन, फीहड़, विटऩ।
• अजेम — अदम्म, अऩयाजेम, अऩयाजजत, अजजत।
• अन्म — ऩय, भबन्न, ऩथ
ृ क, औय, दस
ू या, अरग।
• अनच
ु य — बत्ृ म, क्रकॉकय, दास, ऩरयचायक, सेिक।
• अनाय — शक
ु वप्रम, याभफीज, दाड़ड़भ।
• अजुन
व — ऩाथव, धनॊजम, सव्मसाची, गाण्डीिधाय ।

83. ―भुॊशी तोतायाभ‖, उऩन्मासकाय प्रेभचन्द द्िाया भरणखत क्रकस उऩन्मास के ऩात्र हेऄ?
(A) गोदान
(B) यॊ गबूभभ
(C) ननभवरा
(D) कभवबूभभ
उत्तय- C
व्माख्मा: ―भॊश
ु ी तोतायाभ‖ प्रेभ चन्ि जी द्िाया यधचत प्रभसद्ध उऩन्मास ―ननभवरा‖ का एक भख्
ु म ऩात्र है। ननभवरा के ऩनत
का नाभ भुॊशी तोता याभ है। िह उऩन्मास भुख्मत् दहे ज प्रथा औय अनभेर वििाह का आधाय फनाकय भरखा गमा जजनका
प्रकाशन 1226 भें हुआ था।

84. ―िह द ऩभशखा-सी शाॊत बाि भें र न।‖ उक्त ऩॊजक्त भें अरॊकाय है?
(A) उऩभा
(B) रूऩक
(C) उत्प्रेऺा
(D) श्रेष
उत्तय- A
व्माख्मा: उऩमुक्
व त ऩॊजक्त भें उऩभा अरॊकाय है। जहाॉ क्रकसी काकऩननक िस्तु की तर
ु ना क्रकसी दस
ू ये विद्मभान िस्तु से
क्रकमा जाता है मा जहाॉ उऩभेम (जो प्रस्तुत हो) की तुरना उऩभान से की जाम िहाॉ उऩभा अरॊकाय होता है।
उऩभा अरॊकाय:- उऩभा शब्द का अथव होता है – तुरना। जफ क्रकसी व्मजक्त मा िस्तु की तुरना क्रकसी दस
ू ये मजक्त मा
िस्तु से की जाए िहाॉ ऩय उऩभा अरॊकाय होता है। जैसे :- सागय -सा गॊबीय ह्रदम हो, धगय -सा ऊॉचा हो जजसका भन।
उऩभा अरॊकाय के अॊग :-उऩभेम, उऩभान, िाचक शब्द, साधायण धभव
उऩभेम:- उऩभेम का अथव होता है – उऩभा दे ने के मोग्म। अगय जजस िस्तु की सभानता क्रकसी दस
ू य िस्तु से की जामे
िहाॉ ऩय उऩभेम होता है।
उऩभान:- उऩभेम की उऩभा जजससे द जाती है उसे उऩभान कहते हेऄ। अथातव उऩभेम की जजस के साथ सभानता फताई
जाती है उसे उऩभान कहते हेऄ।
वाचक शब्द:- जफ उऩभेम औय उऩभान भें सभानता ददखाई जाती है तफ जजस शब्द का प्रमोग क्रकमा जाता है उसे िाचक
शब्द कहते हेऄ।
साधायण धभव:- दो िस्तुओॊ के फीच सभानता ददखाने के भरए जफ क्रकसी ऐसे गुण मा धभव की भदद र जाती है जो दोनेआ
भें ितवभान जस्थनत भें हो उसी गुण मा धभव को साधायण धभव कहते हेऄ।
उऩभा अरॊकाय के बेद :- ऩूणोऩभा अरॊकाय, रुततोऩभा अरॊकाय

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ऩूणोऩभा अरॊकाय:- इसभें उऩभा के सबी अॊग होते हेऄ – उऩभेम , उऩभान , िाचक शब्द , साधायण धभव आदद अॊग होते हेऄ
िहाॉ ऩय ऩूणोऩभा अरॊकाय होता है।जैसे :-
 सागय -सा गॊबीय ह्रदम हो, धगय -सा ऊॉचा हो जजसका भन।
2.रतु तोऩभा अरॊकाय:- इसभें उऩभा के चायेआ अगेआ भें से मदद एक मा दो का मा क्रपय तीन का न होना ऩामा जाए िहाॉ ऩय
रुततोऩभा अरॊकाय होता है। जैसे :- ककऩना सी अनतशम कोभर। जैसा हभ दे ख सकते हेऄ क्रक इसभें उऩभेम नह ॊ है तो
इसभरए मह रुततोऩभा का उदहायण है।

85. िाक्माॊश जो शद्


ु ध न क्रकमा गमा हो, उसे सॊक्षऺतत रूऩ भें एक ह शब्द भें व्मक्त कयने िारा शब्द है।
(A) नीनतऻ
(B) उत्तयाधधकाय
(C) अऩरयभाजजवत
(D) अग्रज
उत्तय- C
व्माख्मा: शद्
ु ध न क्रकमा जा सके, के भरए एक शब्द ―अऩरयभाजजवत‖ होगा।
• अऩनी प्रशॊसा स्िमॊ कयने िारा— आत्भश्राघी
• कोई ऐसी िस्तु फनाना जजसको ऩहरे कोई न जानता हो— आविटकाय
• ईश्िय भेँ विश्िास यखने िारा— आजस्तक
• शीघ्र प्रसन्न होने िारा— आशत
ु ोष
• विदे श से दे श भेँ भार भॉगाना— आमात
• भसय से ऩाॉि तक— आऩादभस्तक
• प्रायम्ब से रेकय अॊत तक— आद्मोऩान्त
• अऩनी हत्मा स्िमॊ कयने िारा— आत्भघाती
• जो अनतधथ का सत्काय कयता है — आनतथेम/भेजफान
• दस
ू ये के दहत भेँ अऩना जीिन त्माग दे ना— आत्भोत्सगव
• जो फहुत िूय व्मिहाय कयता हो— आततामी
• जजसका सम्फन्ध आत्भा से हो— आध्माजत्भक
• जजस ऩय हभरा क्रकमा गमा हो— आिाॊत
• जजसने हभरा क्रकमा हो— आिाॊता
• जजसे सॉघ
ू ा न जा सके— आघ्रेम
• जजसकी कोई आशा न की गई हो— आशातीत
• जो कबी ननयाश होना न जाने — आशािाद
• क्रकसी नई चीज की खोज कयने िारा— आविटकायक

86. ―कई ददनेआ तक चक


ू हा योमा चक्की यह उदास कई ददनेआ तक कानी कुनतमा सोई उनके ऩास‖ उऩमक्
ुव त ऩॊजक्तमेआ के
यचनाकाय हेऄ?
(A) नागाजन
ुव
(B) नयें ि शभाव
(C) भशिभॊगर भसॊह सभ
ु न

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(D) सुबिाकुभाय चौहान
उत्तय- A
व्माख्मा: ―कई ददनेआ तक चूकहा योमा चक्की यह उदास कई ददनेआ तक कानी कुनतमा सोई उनके ऩास‖ ऩॊजक्तमेआ के
यचनाकाय नागाजन
ुव हेऄ। मह ऩॊजक्त नागाजन
ुव द्िाया यधचत ―अकार औय उसके फाद‖ कविता से र गमी हेऄ जजसभें नागाजन
ुव
ने अकार का बमानक धचत्रण प्रस्तुत क्रकमा है। आठ ऩॊजक्तमेआ के कविता भें कवि ने गह
ृ स्त जीिन के सम्ऩूणव अबाि की
कहानी कह द है। नागाजुन
व द्िाया यधचत अन्म यचनाऐॊ –यनतनाथ की चाची, फरचनभा, नमी ऩौध, दख
ु भोचन, िरूण के
फेटे, मुगधाया आदद है।

87. कौन-सा िाक्म अशद्


ु ध है?
(A) नह ॊ, आज सभम नह ॊ है।
(B) आऩ हभाये घय कफ आओगे ?
(C) भै कर आऊॉगा।
(D) आज नह ॊ आ सकते क्मा?
उत्तय- B
व्माख्मा: उऩमक्
ुव त विककऩ भें ―आऩ हभाये घय कफ आओगे ?‖ अशद्
ु ध िाक्म है इस िाक्म का शद्
ु ध रूऩ– ―आऩ हभाये घय
कफ आमेंगे?‖ होगा।

88. कौन-सी विशेषता दे िनागय भरवऩ की नह ॊ है ?


(A) आये खेआ से स्ऩटट कयण
(B) फाएॉ से दाएॉ भरखना
(C) भशयोये खा रगाना
(D) कायक धचन्हेआ का प्रमोग
उत्तय- A
व्माख्मा: दे िनागय भरवऩ को रोक नागय एॊि दहन्द भरवऩ बी कहा जाता है। दे िनागय भरवऩ की भहात्िऩण
ू व विशेषताएॉ
ननम्नित है।
1. मह भरवऩ फामीॊ से दामी ओय भरखी जाती है।
2. मह अऺयात्भक भरवऩ है।
3. इस भरवऩ भें कायक धचन्हेआ का प्रमोग होता है।
4. भशयोये खा प्रमोग।
5. एख ध्िनन के भरए एक ह िणव सॊकेत।
6. जो फोरा जाता है िह भरका जाता है।
अत् उऩमक्
ुव त व्माख्मा से विददत है क्रक दे िनागय भरवऩ भें आये खेआ से स्ऩटट कयण की विशेषता नह ॊ है।

89. बायत कहाॉ से कहाॉ आ गमा है। ये खाॊक्रकत क्रिमा क्रकस बेद के अॊतगवत आएगी?
(A) उन्भुक्त
(B) सकभवक
(C) द्विकभवक
(D) सॊमुक्त

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उत्तय- D
व्माख्मा: जफ कोई क्रिमा दो क्रिमाओॊ के सॊमोग से फनती है, तो उसे सॊमुक्त क्रिमा कहते हेऄ। उदाहयण – बायत कहाॉ से
कहाॉ आ गमा है। (दो क्रिमा – आ, गमा), धचड़ड़मा उड़ा कयती हेऄ। (दो क्रिमा – उड़ा, कयती)
सॊमक्
ु त क्रिमा के 11 बेद :-
1. आयम्बफोधक सॊमुक्त क्रिमा
2. स्भाजततफोधक सॊमुक्त क्रिमा
3. अिकाशफोधक सॊमुक्त क्रिमा
4. अनुभनतफोधक सॊमुक्त क्रिमा
5. ननत्मताफोधक सॊमक्
ु त क्रिमा
6. आिश्मकताफोधक सॊमुक्त क्रिमा
7. ननश्चमफोधक सॊमुक्त क्रिमा
8. इच्छाफोधक सॊमुक्त क्रिमा
9. अभ्मासफोधक सॊमुक्त क्रिमा
10. शजक्तफोधक सॊमक्
ु त क्रिमा
11. ऩुनरुक्त सॊमुक्त क्रिमा

90. कौन-सा िाक्म सॊमुक्त िाक्म का उदाहयण है?


(A) न कोई आमा, न कोई गमा।
(B) िह जैसे आमा िैसे ह गमा।
(C) िह आमा औय गमा।
(D) िह आमा तबी तो गमा।
उत्तय- C
व्माख्मा: जजन िाक्मेआ भें दो मा दो से अधधक सयर िाक्म मोजकेआ (औय, एिॊ, तथा, मा, अथिा, इसभरए, क्रपयबी, नह ॊ
तो, ऩयन्तु, क्रकन्त,ु रोक्रकन आदद) से जड़ु े हो, उन्हें सॊमक्
ु त िाक्म कहते हेऄ। जैसे – िह आमा औय गमा। उसने फहुत
ऩरयश्रभ क्रकमा क्रकन्तु सपरता नह ॊ भभर ।

91. अनुस्िाय के सॊफॊध भें कौन-सा कथन उऩमुक्त नह ॊ है?


(A) इसका उच्चायण आगे आने िारे व्मॊजन से प्रबावित होता है ।
(B) अनस्
ु िाय नाभसक्म व्मॊजन होता है।
(C) इसे ―-‖ के रूऩ भें दशावमा जाता है।
(D) इसे ―‖ के रूऩ भें भरखा जाता है।
उत्तय- D
व्माख्मा: अनुस्िाय एक व्मॊजन ध्िनन है। इसके उच्चायण भें नाक से अधधक साॉस ननकरती है। औय भुख से कभ, जैसे –
अॊश, ऩॊच, अॊग आदद। इसका उच्चायण आगे आने िारे व्मॊजन से प्रबावित होता है। अनस्
ु िाय की ध्िनन प्रकट कयने के
भरए िणव ऩय बफन्द ु रगामा जात है। दहन्द भें इनकी सॊख्मा ऩाॉच – ङ, ञ, ण, न औय भ है। मे ऩॊचाभऺय कहराते हेऄ।

92. ―नीर कभीज िारा रड़का अबी-अबी गमा है।‖ ये खाॊक्रकत ऩद -------- है?
(A) सॊऻा उऩिाक्म

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(B) विशेषण उऩिाक्म
(C) क्रिमा विशेषण उऩिाक्म
(D) प्रधान उऩिाक्म
उत्तय- B
व्माख्मा: ददमे गमे िाक्म के ये खाॊक्रकत ऩद ―नीर कभीज िारा रड़का‖ विशेषण उऩिाक्म है। िह आधश्रत उऩिाक्म जो
वििशेषण की बाॉनत व्मिहाय कये विशेषण उऩिाक्म कहराता है।

93. ननम्नभरणखत भें से कौन-सा िाक्म कभविाच्म का उदाहयण है?


(A) शीरा से ऩढ़ा बी नह ॊ जाता
(B) शीरा से हॉसा बी नह ॊ जाता
(C) शीरा से चरा बी नह ॊ जाता
(D) शीरा से दहरा बी नह ॊ जाता
उत्तय- A
व्माख्मा: ―शीरा से ऩढ़ा बी नह ॊ जाता‖ िाक्म भें कभविाच्म है। क्रिमा के उस रूऩान्तय को कभविाच्म कहते हेऄ। जजसभें
िाक्म भें कभव की प्रधानता का फोध हो। क्रिमा (ऩढ़ना) से कभव (ऩुस्तक) का फोध हो यहा है, शेष िाक्मेआ भें क्रिमा भें
िाक्म भें कभव का फोध नह ॊ हो यहा है।

94. ―िह हभेशा अऩने बाई के गीत गाता यहता है। ‖ िाक्म भें अव्मम ऩद है?
(A) िह
(B) हभेशा
(C) अऩने
(D) गीत
उत्तय- B
व्माख्मा: उऩरयभरणखत िाक्म भें ―हभेशा‖ शब्द अव्मम है। ―िह‖ तथा ―अऩने‖ सिवनाभ शब्द हेऄ तथा ―गीत‖ सॊऻा शब्द है।

95. ―फसॊत भें नाचा फहुत भेया भनभमूय‖ ये खाॊक्रकत अॊश भें -------- अरॊकाय है।
(A) मभक
(B) उत्ऩेऺा
(C) रूऩक
(D) उऩभा
उत्तय- C
व्माख्मा: ददमे गमे िाक्म के ये खाॊक्रकत अॊश ―भेया भन भमूय‖ भें रूऩक अरॊकाय है। जहाॉ उऩभेम भें उऩभान का अबेद
आयोऩण हो िहाॉ रूऩक अरॊकाय होता है अथावत उऩभें म तथा उऩभान के भध्म कोई अन्तय नह ॊ यहता। भेया भन भमूय ऩद
भें भन (उऩभेम) तथा भमयू (उऩभान) के भध्म कोई अन्तय नह ॊ है। भन तथा भमयू को एक भान भरमा गमा है।

96. ―िहाॉ बमॊकय दघ


ु ट
व ना हुई है।‖ ये खाॊक्रकत ऩद ---------- है?
(A) विशेषण
(B) क्रिमाविशेषण

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(C) प्रविशेषण
(D) सािवनाभभक विशेषण
उत्तय- C
व्माख्मा: ददमे गमे िाक्म भें ये खाॊक्रकत ऩद ―बमॊकय‖ प्रविशेषण है, जो दघ
ु ट
व ना की विशेषता फताता है। विशेषता फतराने
िारे को विशेषण तथा जजसकी विशेषता फतामी जाम उसे विशेटम कहते हेऄ। विशेषण की विशेषता फतराने िारे को
प्रविशेषण कहते हेः।

97. नीचे भरखे िाक्म के खार स्थान को बाििाचक सॊऻा से ऩूया कीजजए। उसका साया सौंदमव उसकी -------- भें है?
(A) आॉखेआ
(B) फारेआ
(C) हॉसी
(D) भुखभॊडर
उत्तय- C
व्माख्मा: उऩमक्
ुव त िाक्म के खार स्थान भें हॉसी शब्द का प्रमोग होगा। हॉसी एक बाििाचक सॊऻा है। इस प्रकाय ऩण
ू व
िाक्म होगा- उसका साया सौंदमव उसकी हॊसी भें है। जो शब्द ऩदाथों की अिस्था , गुण , दोष , धभव , दशा , स्िबाि
आदद का फोध कयाते हेऄ उन्हें बाििाचक सॊऻा कहते हेऄ। जैसे :- फुढ़ाऩा, भभठास, फचऩन, चढाई, थकािट, भोटाऩा,
भानिता, चतुयाई, जिानी, रम्फाई, भभत्रता, भुस्कुयाहट, अऩनाऩन, ऩयामाऩन, बूख, तमास, चोय , प्रेभ, िोध, सुन्दयता
आदद।

98. 14 भसतॊफय 1949 को बायतीम सॊविधान सबा ने दहॊद को बायत सॊघ की कौन-सी बाषा का दजाव ददमा?
(A) याजबाषा
(B) याटरबाषा
(C) रोकबाषा
(D) सॊऩकवबाषा
उत्तय- A
व्माख्मा: 14 भसतॊफय 1949 को बायतीम सॊविधान सबा ने दहॊद को बायत सॊघ की याजबाषा का दजाव दे ने का ननणवम
भरमा तथा 1950 भें सॊविधान के अनु. 343(1) भें दहन्द को बायत सॊघ की याजबाषा का दजाव ददमा।

99. ―दोऩहय के फाद का ददन‖ --------- कहराता है ?


(A) ऩूिावरृण
(B) अऩयाह्न
(C) भध्मान्ह
(D) प्रातयाह्भ
उत्तय- B
व्माख्मा: दोऩहय के फाद का ददन अऩयाह्न कहराता है जफक्रक दोऩहय के ऩहरे का सभम ऩूिावह्, दोऩहय का सभम भध्मारृ
कहा जाता है।
• उत्तय औय ऩूिव के फीच की ददशा— ईशान/ईशान्म
• ऩिवत की ननचर सभतर बूभभ— उऩत्मका

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• दस
ू ये के खाने से फची िस्तु— उजच्छटट
• क्रकसी बी ननमभ का ऩारन नह ीँ कयने िारा— उच्छृॊखर
• िह ऩिवत जहाॉ से सूमव औय चन्िभा उददत होते भाने जाते हेः— उदमाचर
• जजसके ऊऩय क्रकसी का उऩकाय हो— उऩकृत
• ऐसी जभीन जो अच्छी उत्ऩादक हो— उिवया
• जो छाती के फर चरता हो (साॉऩ आदद)— उयग
• जजसने अऩना ऋण ऩूया चुका ददमा हो— उऋण
• जजसका भन जगत से उचट गमा हो— उदासीन
• जजसकी दोनेअ भेँ ननटठा हो— उबमननटठ
• ऊऩय की ओय जाने िारा— उध्िवगाभी
• नद के ननकरने का स्थान— उद्गभ
• क्रकसी िस्तु के ननभावण भेँ सहामक साधन— उऩकयण
• जो उऩासना के मोग्म हो— उऩास्म
• भयने के फाद सम्ऩवत्त का भाभरक— उत्तयाधधकाय /िारयस
• सूमोदम की राभरभा— उषा
• जजसका ऊऩय कथन क्रकमा गमा हो— उऩमक्
ुव त
• कुॉए के ऩास का िह जर कुॊड जजसभेँ ऩशु ऩानी ऩीते हेः— उफाया
• छोट –फड़ी िस्तुओीँ को उठा रे जाने िारा— उठाईधगया
• जजस बभू भ भेँ कुछ बी ऩैदा न होता हो— ऊसय
• सूमावस्त के सभम ददखने िार राभरभा— ऊषा

100. ननम्नभरणखत भें से कौन-सा शब्द ―तयकस‖ का ऩमावमिाची शब्द नह ॊ है?


(A) तूणीय
(B) त्रोण
(C) ननषॊग
(D) कयिार
उत्तय- D
व्माख्मा: तयकस का ऩमावमिाची – तूण, तूणीय, ननषॊग तथा इषुधी है जफक्रक कयिार, तरिाय मा ऩमावमिाची है।
• तरिाय — अभस, चन्िहास, खड़्ग, कृऩाण, कयिार, खॊग।
• तयकस — तूणीय, ननषॊग।
• त्िचा — चभव, चभड़ी, खार, चाभ।
• ताराफ — सयोिय, जराशम, सय, ऩुटकय, ऩोखया, जरिान, सयसी, तड़ाग, ऩद्भाकय, रृद, कासाय, ऩकिर, ऩुटऩकयण,
सयस, सयक, सयस्ित, सत्र, सायॊ ग।
• ताया — उडु, नखत, नऺत्र, तायक, तारयका, ऋऺ, भसताया।
• तोता — शक
ु , कीय, सुआ, िितुण्ड, दाड़ड़भवप्रम।
• थोड़ा — कभ, जया, स्िकऩ, तननक, न्मून, अकऩ, क्रकॉधचत, भाभूर ।
• दऩवण — शीशा, आयसी, आईना, भुकुय।
• दर — सभूह, झुण्ड, झर, ननकय, गण, तोभ, िन्ृ द, ऩुॊज।

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• दरयि — गय फ, विऩन्न, धनह न, ननधवन, कॊगार।
• दाॉत — दन्त, यद, दशन, यदन, द्विज, भुखऺुय।
• ददन — िासय, िासक, ददिस, ददिा, अह्न, आह्न, अदहव, अह्, िाय।
• द्ु ख — ऩीड़ा, क्रेश, िेदना, मातना, खेद, कटट, व्मथा, शोक, मन्त्रणा, सन्ताऩ, सॊकट, श्िेद, ऺोब, विषाद, उत्ऩीड़न,
ऩीय, रेश।
• दग
ु ाव — चॊड़डका, बिानी, कुभाय , ककमाणी, भहागौय , काभरका, भशिा, चाभुण्डा, चण्डी, सुबिा, काभाऺी, कार , अम्फा,
शेयािार , ज्िारा, गौय ।
• दध
ू — ऺीय, ऩम, दग्ु ध, गोयस, सयस।
• दे िता — सयु , अजय, अभय, दे ि, वििध
ु , गोिावण, ननजवय, िस,ु आददत्म, रेख, िन्ृ दायक, अजम, सभ
ु ना, अभत्मव, बत्रदश,
ऋबु, सुऩिाव, ददददिेश, बत्रिौकस, आददतेम।

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