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जय गरु

ु दे व
महर्षि र्वद्या मंददर – है दराबाद
कक्षा 5 MID-TERM EXAM REVISIONS 2023-24 र्वषय - दहन्दी
पुनरावतृ ि- 1 अपदिि गद्यांश
अपदिि गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सही उत्तर लिखिए-
(Practice for more गद्यांश.)
एक जंगल में हिरन अपने पररवार के साथ रिता था I उस हिरन का एक बच्चा
भी था I एक हिन हिरन के बच्चे की खरगोश से िौड़ िुई I हिरन का बच्चा
खरगोश से आगे ननकल गया I हिरन का बच्चा पिाड़ से टकराकर जोर-जोर से
रोने लगा I बंिर ने उसके मरिम लगाया और चप
ु कराने की कोशशश की पर
असफल रिा I तब फफर हिरन की मााँ आई उसने उसे प्यार फकया और किा चलो
उस पत्थर को मार कर आए I हिरन के बच्चे ने उसे रोक शलया और किा अगर
िम उससे मारें गे तो वि भी रोने लगेगा I उसकी बात सुनकर सभी िाँसने लगे I
प्रश्न 1. हिरन अपने पररवार के साथ किााँ रिता था ?
क) गफ
ु ा में ख) जंगल में ग) नगर में
प्रश्न 2. हिरन के बच्चे की िौड़ फकसके साथ िुई ?
क) खरगोश ख) भालू ग) बंिर
प्रश्न 3. हिरन का बच्चा फकस से जाकर टकराया ?
क) पिाड़ से ख) पेड़ से ग) मााँ से
प्रश्न 4. हिरन के बच्चे को मरिम फकसने लगाया ?
क) मााँ ने ख) बंिर ने ग) भालू
पुनरावतृ ि 2 र्विोम शब्द
1) सयोिय x सयाास्त 2) आसान x कहिन
3) स्वस्थ x अस्वस्थ 4) नया x पुराना
5) पिाड़ x घाटी 6) िल
ु भ
ा x सुलभ
7) आहिम x आधुननक/नवीन 8) हिन x रात
9) मिल x झोपड़ी 10) ज्ञान x अज्ञान
11) जीवन x मरण 12) आना x जाना
13) प्रकाश x अधंकार 14) रानी x िासी
15) पाप x पुण्य 16) ऊाँच x नीच
17) तेज x धीमा 18) प्रात: काल x सायंकल
19) अनपुस्स्थत x उपस्स्थत 20) अच्छा x खराब
21) राजा x रं क/िास
पन
ु रावतृ ि 3 अनेकार्थी शब्द (पष्ृ ि संख्या 134,135)
1) लाल – बेटा, एक रं ग 2) काल – समय, मत्ृ यु
3) पन्ना - एक रत्न, एक नाम, पष्ृ ि 4) पूवा – पिले/बबता िुआ, एक हिशा
5) कर – टै क्स, िाथ, करना 6) जीवन - प्राण, जीववका
7) गुरु – अध्यापक, एक ग्रि 8) िार - िारना माला
पुनरावतृ ि 4 मुहावरों के अर्थि
1) बेगार िोना - बबना पैसे के काम करना (या) फालतू काम करना
2) गज
ु ारा करना - काम चलाना 3) परलोक शसधारना – मत्ृ यु िोना
4) िम साधे पड़े रिना - चप
ु चाप रिना 5) मन रखना - बात मानना
6) आाँखें फैलाना - आश्चया िोना 7) कलेजा िं डा िोना - शांनत शमलना
8) चैन न आना - सुकुन न शमलना 9) िान लेना - ननश्चय करना
10) भत
ू सवार िोना - फकसी काम को पण
ू ा करने के शलए पीछे पड़ जाना,
11) सीधे मुाँि बात न करना – अच्छे से बात न करना
12) पगड़ी उतारकर रखना - आत्मसम्मान छोड़ िे ना
13) घट
ु ने टे कना – गगड़गगड़ाना
पुनरावतृ ि 5 पयाियवाची शब्द
1) मोर – मयूर, केकी, कलापी 2) वन – कानन, नंिन, अरण्य
3) पक्षी – खग, पखेरू, वविं ग 4) पंख – पर, डैना
5) बािल – जलि, मेघ, जलधर 6) नत्ृ य – नाच, नतान
7) खश
ु ी – आनंि, उल्लास 8) गचंता – संताप, फफक्र
9) बबहटया – बेटी, पत्र
ु ी, तनया 10) राजा – नरे श, भपनू त, भप

11) कुहटया – झोपड़ी, कुटीर, कुटी 12) मााँ – जननी, अंबा, माता
13) फूल – कुसम, पष्ु प, सुमन 14) प्यारा – िल
ु ारा, वप्रय
15) जीवन – स्जन्िगी, जीववका, प्राण
पुनरावतृ ि 6 अनेक शब्दों के लिए एक शब्द (Refer Revision)
1) स्जसमें िया ना िो – ननिा यी 2) तीन घंटे का समय - पिर
3) सूखी घास का ढे र – पआ
ु ल 4) स्वयं की रक्षा - आत्मरक्षा
5) बबना भय के – ननभाय 6) स्जसकी तल
ु ना न की जा सके - अतशु लत
7) पाप से रहित – ननष्पाप 8) अनेक रं गों का - बिुरंगी
9) वन से प्राप्त िोने वाली उपज - वनोपज 10) जानने की इच्छा - स्जज्ञासा
11) पातालकोट के वैद्य – भूमका 12) बिुत पुरानी या प्रारं भ की - आहिम
13) न्याय का अभाव – अन्याय 14) िीनतापण ू ा ववनती - गचरौरी
14) धीरे -धीरे टिलना – चिलकिमी 15) अत्यगधक िख
ु ी - रुआाँसा
पुनरावतृ ि 7 र्वराम चचह्न
ववराम का अथा िै - रुकना/ववश्राम लेनाI अथाात बोलते या शलखते समय ववराम
लेने के शलए िम स्जन गचह्नों का प्रयोग िोता िै , उन्िें ववराम गचह्न किते िैंI
उिािरण- *) रोको, मत जाने िो I
*) रोको मत, जाने िो I
1) पूणा ववराम (।) - वाक्य के अंत में पूणा ववराम लगाते िैं।
उिािरण - मेरा नाम राम िै ।
2) अल्पववराम (,) - इस गचह्न का प्रयोग वाक्य के बीच में िोता िै। यि शब्िों अथवा
वाक्यांशों को अलग करने के शलए प्रयोग फकया जाता िै।
उिािरण - *) राम लक्ष्मण भारत और शत्रुघ्न।
*) सागथयों! अब भाग चलो।
*) वि कल आया था, पर चला गया।
3) अधाववराम (;) - जिााँ पूणा ववराम से कम और अल्पववराम से ज्यािा ववराम लेना िो
या रुकना िो विााँ अधाववराम का प्रयोग फकया जाता िै।
उिािरण - जल िी जीवन िै ; जल निीं तो कल निीं।
4) प्रश्न गचन्ि (?) - इस गचह्न का प्रयोग प्रश्नवाचक वाक्य के अंत में िोता िै।
उिािरण - तुम्िारा नाम क्या िै ?
5) ववस्मयबोधक गचह्न (!) – ववस्मय, िर्ा, घण
ृ ा, शोक, उल्लास आहि भावों को प्रकट
करने के शलए इसका प्रयोग िोता िै। इस गचन्ि का प्रयोग
ववस्मयाहिबोधक अव्ययों (अरे !, िाय!, आि!, वाि!) के बाि आता िै।
उिािरण - *) शाबाश! तुम कक्षा में प्रथम आए िो।
*) अरे ! यि तम
ु ने क्या फकया?
6) उद्धरण गचह्न ('_', "_') - फकसी व्यस्क्त की बात को ज्यों का त्यों हिखाने के शलए
तथा ववशशष्ट वस्तु या पिाथा को िशााने के शलए "गचन्ि का प्रयोग िोता िैं।
उिािरण - शास्त्री जी ने नारा हिया,"जय जवान, जय फकसान।"
7) कोष्िक (( ) , { } , [ ]) - फकसी शब्ि का अथा स्पष्ट करने के शलए इसका
प्रयोग िोता िै। इसका प्रयोग वाक्य में किीं भी िो सकता िै , जब कुछ
ऐसी सूचना िे ना िै जो वाक्य का अंग निीं िै ।
उिािरण - *) मोिन (िाँसते िुए) आज छुट्टी िै ।
*) रामचररतम रामायण एक पववत्र ग्रंथ िै।
8) योजक गचह्न (-) - जब िो एक समान या ववलोम शब्ि लगातार शलखते िैं, तो
बीच में इस गचन्ि का प्रयोग करते िैं।
उिािरण - रोते-रोते, सख
ु -िख

9) लाघव गचह्न (०) - इसका प्रयोग जब फकसी प्रचशलत शब्ि को परू ा ना शलखकर
संक्षक्षप्त रूप में शलखा जाता िै तब करते िैं।
उिािरण - डॉक्टर डॉ० पंडडत पं०
10) वववरण गचह्न (:, -) - इसका प्रयोग वववरण करने के शलए िोता िै।
उिािरण - *) नीचे हिए गए उिािरण िे खखए –
*) वाक्य के तीन प्रकार िै : सरल वाक्य, शमश्र वाक्य, संयुक्त वाक्य।
11) ननिे शक गचह्न (_, :-) - इन िोनों गचह्नों का प्रयोग भी वववरण गचह्न की तरि
िी िोता िै।
उिािरण - *) प्रधानाध्यापक ने किा -- "कल छुट्टी िै ।"
* हिए गए वाक्यों में सिी ववराम गचह्न लगाइए
1. ताजमिल फकसने बनवाया?
2. सय
ू ोिय िो गया; गचडड़या चिकने लगीI
3. मोिन स्कूल जाता िै ।
4. प्रिर्ण:ू एक अशभशाप।
5. वाि! फकतना सुंिर वक्ष
ृ िै।
6. राम ने किा, "सत्य बोलना सबसे बड़ा धमा िै ।"
7. वचन के िो भेि िैं:
8. मैंने भारत में पिाड़, झरने, निी, खेत आहि चीजें िे खी थीं।
9. रामचररत्र मानस (रामायण) हिंिओ
ु का पववत्र ग्रंथ िै I
10. डॉo चड्ढा टे ननस खेलने जा रिे थेI
11. िमें रात-हिन मेिनत करना चाहिएI
12. राम, लक्ष्मण, भरत और शतघ्ृ न भाई िैंI
पुनरावतृ ि 8 क्रिया-र्वशेषण
स्जस शब्ि से फक्रया की कोई ववशेर्ता प्रकट िो, उसे फक्रया-ववशेर्ण किते िैंI
*) लड़का तेज िौड़ रिा िैI *) सुनीता कल जाएगी I
क्रिया र्वशेषण के चार भेद है - 1.कालवाचक फक्रया-ववशेर्ण (कब)
2.स्थानवाचक फक्रया-ववशेर्ण (किााँ)
3.पररमाणवाचक फक्रया-ववशेर्ण (फकतना)
4.रीनतवाचक फक्रया-ववशेर्ण (कैसे)
1.कािवाचक - स्जस शब्ि से फक्रया के िोने का समय जाना जाए I ( समय का
बोध िो I) जैसे- आज, कल, अभी, अब, परसों, िमेशा, फफर आहिI
उिािरण- 1) आपको अभी जाना चाहिए I 2) िम प्रनतहिन सैर को जाते िैंI
2.स्र्थानवाचक - जो शब्ि फक्रया के स्थान संबंधी ववशेर्ता को प्रकट करें I जैसे -
यिााँ, विााँ, इधर-उधर, आगे-पीछे , िरू आहिI
उिािरण- 1) अंिर जाओ I 2) राम बाजार जा रिा िै I
3.पररमाणवाचक - जो शब्ि फक्रया के पररमाण को प्रकट करें I जैसे - कम,
ज्यािा, अगधक, थोड़ा, जरा-सा, इतना आहि I
उिािरण- 1) मुझे थोड़ा पानी िे िो I 2) खाना अगधक मत खाओ I
4.रीतिवाचक - जो शब्ि फक्रया की रीनत या ढं ग (ववगध) प्रकट करें I
जैसे - धीरे -धीरे , तेज, शीघ्र, झटपट, अचानक, सिसा आहिI
उिािरण- 1) मोिन धीरे -धीरे चल रिा िै I 2) घोड़ा तेज िौड़ता िै I
*हिए गए वाक्यों में फक्रया-ववशेर्ण शब्िों को रे खांफकत कर भेि शलखखए –
1. मयंक धीरे चलता िै । रीनतवाचक फक्रया-ववशेर्ण
2. कल मेरा पेपर िै । कालवाचक फक्रया-ववशेर्ण
3. विााँ मत बैहिए I स्थानवाचक फक्रया-ववशेर्ण
4. मैं सुबि जल्िी उिता िूाँ। कालवाचक फक्रया-ववशेर्ण
5. राधा िमेशा सच बोलती िै । कालवाचक फक्रया-ववशेर्ण
6. मैं बािर खेलता िूाँ। स्थानवाचक फक्रया-ववशेर्ण
7. रवव उसके िोस्त से ज्यािा पढ़ता िै । पररमाणवाचक फक्रया-ववशेर्ण
8. िम छत पर सोते िैं। स्थानवाचक फक्रया-ववशेर्ण
9. सन
ु ीता ध्यानपव
ू क
ा पढ़ाई करती िै । रीनतवाचक फक्रया-ववशेर्ण
10. तम
ु थोड़ा अगधक खाओ। पररमाणवाचक फक्रया-ववशेर्ण
पुनरावतृ ि 9 चगनिी 1 से 50 िक (Refer Revision)
1 – एक – १ 11 – ग्यारि - ११
2 – िो – २ 12 – बारि - १२
3 – तीन- ३ 13 – तेरि - १३
4 – चार – ४ 14 – चौिि - १४
5 – पााँच- ५ 15 – पन्रि - १५
6 – छ:- ६ 16 – सोलि - १६
7 – सात- ७ 17 – सत्रि - १७
8 – आि- ८ 18 – अिारि - १८
9 – नौ- ९ 19 – उन्नीस - १९
10 – िस – १० 20 – बीस - २०

21 – इक्कीस -२१ 31 – इकतीस – ३१ 41 – इकतालीस - ४१


22 – बाईस- २२ 32 – बत्तीस – ३२ 42 – बयालीस - ४२
23 – तेईस – २३ 33 – तैंतीस – ३३ 43 – तैंतालीस - ४३
24 – चौबीस - २४ 34 – चौंतीस – ३४ 44 – चौवालीस - ४४
25 – पच्चीस – २५ 35 – पैंतीस – ३५ 45 – पैंतालीस - ४५
26 – छब्बीस - २६ 36 – छत्तीस – ३६ 46 – नछयालीस - ४६
27 – सताइस - २७ 37 – सैंतीस – ३७ 47 – सैंतालीस - ४७
28 – अिाइस - २८ 38 – अड़तीस - ३८ 48 – अड़तालीस ४८
29 – उनतीस - २९ 39 – उनचालीस – ३९ 49 – उनचास - ४९
30 – तीस – ३० 40 – चालीस – ४० 50 – पचास - ५०

पुनरावतृ ि 10 कारक चचन्ह (Refer Revision)


1) कताा - ने
2) कमा - को
3) करण - से, के द्वारा (by, with)
4) संप्रिान - को, के शलए (for)
5) अपािान – से (from)
6) संबंध - का, के, की, रा, रे , री
7) अगधकरण - में , पर (in, on)
8) संबोधन - िे ! अरे ! िो!
पन
ु रावतृ ि 11 शद्
ु ध वििनी (Refer Revision)
1) क्योंफक 2) धाशमाक 3) सय
ू ोिय 4) चट्टान 5) गाँूज 6) ननभाय 7) ऋतु 8) पाँछ

9) मंजल
ु 9) चड्ढा 10) माँि
ु 11) िुजरू 12) व्यंग्य 13) आाँसू 14) कमा
15) डॉक्टर
पुनरावतृ ि 12 िािी स्र्थान भररए
(पाि -15 Practice for more sentences from the lesson)
1. पातालकोट के चारों ओर सिपुड़ा पवात िै ।
2. पातालकोट में गोंड़ और भाररया जनजानतयााँ रिती िैं।
3. पातालकोट अंग्रेजी के यू आकार का बना िुआ िै ।
4. पातालकोट तक जाने के शलए पााँच रास्ते िैं।
5. यिााँ के लोग धरती को मािा मानकर िल निीं चलाते।
6. बीजा ढ़ाना आहिवाशसयों की बस्ती िै ।
7. दध
ू ी पातालकोट की निी िै।
8. पातालकोट का अंचल 79 वगा फक. मी. क्षेत्र में फैला िुआ िै।
9. सवु ारी पूड़ी की तरि तलकर बनाते िैं।
10. यिााँ सूयाास्त हिन के 3-4 बजे िी िो जाता िै ।
11. पािािकोट का खड्डा िी इनकी िनु नया िै।
12. इनके जीवन में महुए का ववशेर् मित्व िै ।
13. पातालकोट के लोगों का इलाज भम ू का करता िै।
14. नत्ृ य और गीि इनके मनोरं जन का मुख्य साधन िै ।
15. यिााँ के लोग मेघनार्थ व रावण की पज
ू ा करते िैं ।
पुनरावतृ ि 13 सही या गिि
(पाि 13 Practice for more sentences from the lesson)
1. अल्रेड नोबेल एक वैज्ञाननक थेI (सिी)
2.नोबेल की प्राथशमक शशक्षा स्कूल पर िुई थीI (गलत)
3. उन्िें रसायन ववज्ञान में रुगच निीं थीI (गलत)
4. सन ् 1857 में नोबेल ने जोखखम रहित ववस्फोटक का ननमााण फकयाI (सिी)
5 नोबेल परु स्कार िर वर्ा 10 हिसंबर को हिया जाता िै I (सिी)
6 नोबेल परु स्कार का आरं भ सन ् 1930 में िुआ थाI (गलत)
7 अल्रेड ने अनेक िे शों में कारखाने लगाएI (सिी)
8. उन्िें इस्च्छत क्षेत्र में सफलता निीं शमलीI (गलत)
9 नोबेल परु स्कार ववशभन्न क्षेत्रों में अत्यंत उल्लेखनीय कायों के शलए हिए जाते
िैंI (सिी)
10 रववंरनाथ टै गोर प्रथम भारतीय थे, स्जन्िें नोबेल पुरस्कार हिया गयाI (सिी)
11 नोबेल परु स्कार फकसी राष्र ववशेर् के व्यस्क्त को शमलता िै I (गलत)
12 कहिन पररश्रम से अल्रेड ने धन कमायाI (सिी)
पुनरावतृ ि 14 प्रश्न-उत्तर
पाि 14 दादी की घड़ी
1) िीपू के िोस्त ईष्याा क्यों करते थे ?
उत्तर - घर में सबसे छोटा और लाड़ला िोने के कारण िीपू के िोस्त
उससे ईष्याा करते थे |
2) िीपू को घर में सबसे छोटा िोने की खुशी क्यों न थी ?
उत्तर - िीपू को घर में सबसे छोटा िोने की खुशी निीं थी क्योंफक उसे
सब की डााँट सुननी पड़ती थी और घर के सभी लोगों के काम
करने पड़ते थे |
3) िीपू को क्यों लगा फक िािी की तरकीब नीरी गप्प िै ?
उत्तर - रोज तफकए से बोलकर सोने पर भी सब
ु ि िे र से उिने के
कारण िीपू को लगा फक िािी की तरकीब ननरी गप्प िै |
4) अनोखी घड़ी का राज क्या था ?
उत्तर - अनोखी घड़ी का राज यि था फक यहि िम फकसी काम को
करने की सोचे तो िम वि काम कर सकते िैं या कोई भी
काम असंभव निीं िै |
पाि 16 राष्रीय पक्षी - मोर
1) मोर को राष्रीय पक्षी कब घोवर्त फकया गया ?
उत्तर - मोर को राष्रीय पक्षी 26 जनवरी 1963 को घोवर्त फकया
गया |
2) मोर शाकािारी पक्षी िै या मांसािारी ?
उत्तर - मोर शाकािारी एवं मांसािारी पक्षी िै |
3) मोर फकस पररवार का पक्षी िै ?
उत्तर - मोर तीतर पररवार का पक्षी िै |
4) मोर की औसत आयु फकतनी िै ?
उत्तर - मोर की औसत आयु 20 साल िै |
5) मोर अपने पंख कब गगराता िै ?
उत्तर - मोर अपने पंख वर्ाा ऋतु में गगराता िै |
6) कांगो मोर किााँ पाया जाता िै ?
उत्तर - अरीका के वनों में कांगो मोर पाया जाता िै |
पाि 17 मेरा नाम बचपन
1) कववता में नए बचपन से क्या अशभप्राय िै ?
उत्तर - कवनयत्री अपने बेटी के बचपन को िे खकर अपना भल
ू ा िुआ
बचपन फफर से एक बार जीती िै |
2) बच्ची क्या खाकर आई थी और वि मााँ से क्या कि रिी िै ?
उत्तर - बच्ची शमट्टी खाकर आई थी और वि मााँ से भी शमट्टी
खाने को कि रिी िै |
3) कवनयत्री अपने बचपन को कैसे याि करती िै ?
उत्तर - कवनयत्री अपने बचपन को एक मस्त,खुश,गचंतारहित
जीवन,स्वच्छं ि घम
ू ना,ननष्पाप जीवन और मधरु सरलता के
रूप में याि करती िै |
4) कवनयत्री का बचपन कब लौट आता िै ?
उत्तर - जब कवनयत्री अपनी बेटी को िे खती िै तब उनका बचपन
लौट आता िै |
पाि 18 िरा इंसान
1) बुड्ढे ने अपनी पगड़ी डॉक्टर के चरणों में क्यों रख िी ?
उत्तर - बूढ़े ने अपनी पगड़ी डॉक्टर के चरणों में रख िी क्योंफक
बढ़
ू े के गगड़गगड़ाने के बाि भी डॉक्टर उसके बीमार बेटे को
िे खने के शलए तैयार निीं था |
2) मण
ृ ाशलनी ने कैलाश से क्या आग्रि फकया ?
उत्तर - मण
ृ ाशलनी ने कैलाश से सााँप हिखाने का आग्रि फकया |
3) फकस भाव से प्रेररत िोकर भगत डॉक्टर के पत्र
ु को बचाने पिुाँचा था ?
उत्तर - परोपकार के भाव से प्रेररत िोकर भगत डॉक्टर के पत्र
ु को
बचाने पिुाँचा था |
4) बूढ़े भगत को कौन-सी ववद्या आती थी ?
उत्तर - बूढ़े भगत को मंत्र फाँू ककर सााँप का जिर उतारने की
ववद्या/ववगध आती थी |
5) अपने पुत्र को जीवनिान शमलने के बाि डॉ चड्ढा के व्यविार में क्या
पररवतान आया ?
उत्तर - अपने पुत्र को जीवनिान शमलने के बाि डॉक्टर चड्ढा के
व्यविार में यि पररवतान आया फक वे सज्जनता का आिशा
सीख चक
ु े थे स्जसे वे आजीवन ननभाना चािते थे |
6) आपके ववचार ववचार से खरे इंसान की पररभार्ा क्या िै ?
उत्तर - मेरे ववचार से जो िर िाल में िस
ू रों का भला चािता िै,विी
खरा इंसान िै |
ु रावतृ ि 15 अनौपचाररक पत्र
पन
(i) भार्ा सरल व स्पष्ट िोनी चाहिए।

(ii) संबंध व आयु के अनुकूल संबोधन, अशभवािन व पत्र की भार्ा िोनी चाहिए।

(iii) पत्र में शलखी बात संक्षक्षप्त िोनी चाहिए ।

(iv) पत्र का आरं भ व अंत प्रभावशाली िोना चाहिए।

(v) भार्ा और वतानी-शुद्ध तथा लेख-स्वच्छ िोना चाहिए।

(vi) पत्र प्रेर्क व प्राप्त करने वाले का पता साफ व स्पष्ट शलखा िोना चाहिए।

(vii) कक्षा/परीक्षा भवन से पत्र शलखते समय अपने नाम के स्थान पर क० ख० ग० तथा पते
के स्थान पर कक्षा/परीक्षा भवन शलखना चाहिए।

(viii) अपना पता और हिनांक शलखने के बाि एक पंस्क्त छोड़कर आगे शलखना चाहिए।

अनौपचाररक पत्र का नमूना


परीक्षा भवन
--------------------- केंर,
----------------------- शिर,
हिनांक - --------------------------------
आिरणीय / वप्रय ------------------------- ,
चरण स्पशा/ नमस्कार/ नमस्ते/ प्यार |
(कुशििा पछ
ू िे हुए) ------------------------------------------------------------
----------------------------------------------------------------------- ।
(ववर्य से संबंगधत) ---------------------------------------------------------------------
--------------------------------------------------------------------------------------
--------------------------------------------------------------------------------------
----------------------------------------------------------------------------------- |
(समापन) --------------------------------------------------------------------
-------------------------------।
आपका / आपकी ------------- ,
अ .ब. क.
संिांति अवकाश(की छुट्दटयााँ)अपने सार्थ बबिाने के लिए लमत्र को पत्र लिखिए I
प्रेर्क,
- - - - - केंर,
- - - - - शिर,
हिनांक- ------------ .
वप्रय शमत्र ----------,
नमस्तेI
मैं कुशल पवक ूा िूाँI आशा करती / करता िूाँ तुम भी िीक िोंगेI
आज तम् ु िारा पत्र शमला I पढ़कर खुशी िुई फक तुम संक्रांनत की छुट्हटयों में
घूमने का कायाक्रम बना रिे िो I मैं चािता िूाँ फक िम छुट्हटयााँ साथ बबताएाँ I
संक्रांनत की छुट्हटयों में मैंनैं अपने गााँव जाने का कायाक्रम बनाया िै I मैं चािता
िूाँ फक तम
ु भी मेरे साथ मेरे गााँव चलो I विााँ का प्राकृनतक सौंिया, सािा जीवन
और स्वच्छ वायु तम्
ु िें अवश्य पसंि आएगी I मैं आशा करती / करता िूाँ फक
तम
ु मेरे साथ जरूर गााँव चलोगेI
बड़ों को प्रणाम और छोटों को प्यार I
तुम्िारा तम्
ु िारी शमत्र
अ. ब.स.
आपके लमत्र को ददवािी की छुट्टी सार्थ बबिाने के लिए आमंबत्रि करिे हुए पत्र
लिखिए।
प्रेर्क,
- - - - - केंर,
- - - - - शिर,
हिनांक- ------------ .
वप्रय शमत्र ----------,
नमस्ते।
मैं यिााँ कुशल पूवका िूाँ और तुम्िारी कुशलता फक कामना करता िूाँ।
तम
ु ने मझ ु े बताया था फक इस बार तम् ु िारे मम्मी पापा हिवाली में गााँव जा रिे
िैं और तुम अकेले िी घर पर रिोगे। यिी अवसर िै जब िम साथ रिकर त्योिार का
आनंि ले सकते िैं। तुमसे शमलना तो िोगा िी साथ िी िोनों िोस्त पिली बार एक
साथ त्योिार मनाएाँगे। आशा िै तुम्िें मेरा सुझाव पसंि आएगा और तुम मेरा ननमंत्रण
जरूर स्वीकार करोगे।
घर में सभी बड़ों को मेरा प्रणाम किना और छोटों को प्यार।
तुम्िारा शमत्र
अ. ब.स.
जन्मददन पर उपहार के लिए दादा जी को आभार प्रकट करिे हुए पत्र लिखिए।
प्रेर्क,
- - - - - केंर,
- - - - - शिर,
हिनांक- ------------
आिरणीय िािा जी,
सािर चरणस्पशा।
मैं यिााँ पर अपनी पढ़ाई पूरी मेिनत और लगन से कर रिा िूाँ और आशा
िै फक इस बार भी वपछली बार की तरि अच्छे अंकों से उत्तीणा िूाँगा।
आपका भेजा िुआ उपिार शमला, िे खकर अत्यंत प्रसन्नता िुई। िािा जी
यि उपिार मेरे शलए बिुत िी ज्यािा उपयोगी िै और सच में मझ
ु े इसकी
आवश्यकता भी थी। आपने ना जाने कैसे मेरे मन की बात जान ली और मुझे
यि उपिार भेजा। मैं इसे अत्यंत सम्भाल कर रखूाँगा। जन्महिन के इस बिुमूल्य
उपिार के शलए आपका िाहिाक आभार।
मेरे माता-वपता को भी चरणस्पशा।
आपका लाडला पोता,
अ. ब.स.
अभ्यास काया (र्वद्यार्थी अनौपचाररक पत्र स्वयं लििने का अभ्यास करें )
* शमत्र को अपने जन्महिन पर अपने घर आमंबत्रत करते िुए पत्र शलखखएI
पुनरावतृ ि 16 अनुच्छे द (80-100 शब्दों में )
1) ववज्ञान एक वरिान िै I 2) मेरा वप्रय पक्षी 3) वप्रय बचपन / बचपन की यािें
4) समय का मित्व (र्वद्यार्थी अनच्
ु छे द स्वयं लििने का अभ्यास करें )

पन
ु रावतृ ि 17 संवाद (40-50 शब्दों में )

पुस्िक मााँगने को िेकर एक छात्र और छात्रा के बीच हुए संवाद को लिखिए।


रमेश - नमस्कार राधा, कैसी िो ?
राधा – नमस्कार, मैं िीक िूाँ।
रमेश -राधा! मुझे अपनी हििी की पुस्तक िे िो।
राधा - क्या तुम्िारे पास पुस्तक निीं िै ?
रमेश - निीं, मेरे पास यि पुस्तक निीं िै।
राधा -पर, तम्
ु िारी पस्
ु तक किााँ गई ?
रमेश - मेरी पस्
ु तक खो गई िै।
राधा - िीक िै, तुम मेरी पुस्तक से काम कर लो।
रमेश – मैं अपना काम करके तम्
ु िारी पुस्तक वापस कर िाँ ग
ू ा।
राधा - जब भी तुम्िें आवश्यकता पड़े, मेरी पुस्तक ले लेना।
रमेश - धन्यवाि राधा।
(र्वद्यार्थी संवाद स्वयं लििने का अभ्यास करें )

1) गमी की छुट्हटयों में घूमाने ले जाने के शलए वपता पुत्री के बीच संवाि।
2) परीक्षा की तैयारी को लेकर एक हिन पूवा बड़ी बिन या बड़े भाई के साथ

संवाि।

3) खाने को लेकर मााँ और बेटे के बीच संवाि।

4) किानी की पस्
ु तक को लेकर िािा जी और पोते के बीच संवाि।

पन
ु रावतृ ि 18 चचत्र वणिन (20-30 शब्दों में)
(र्वद्यार्थी चचत्र वणिन स्वयं लििने का अभ्यास करें )
गचत्र-वणान हिए गए गचत्र को िे खकर उस गचत्र को अपने शब्िों में प्रस्ततु करना
िै , गचत्र वणान किा जाता िै I
गचत्र वणान के समय इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए –
1. सवा प्रथम गचत्र को ध्यान से िे खना िै I
2. संपण
ू ा गचत्र फकसका िै ये बताना िै I
3. गचत्र में कौन-कौन सी फक्रयाएाँ(ACTIONS) िो रिी िै , उन्िें क्रम(ORDER) से शलखना िै I
4.गचत्र का वणान वतामान काल में करना चाहिए।

यि दृश्य फकसी मिानगर के चौरािे का िै । लाल बत्ती िोने के कारण गाडड़यााँ


रुकी िुई िैं। फुटपाथ पर एक बच्चा एक वद्
ृ ध महिला को सड़क पार करवा रिा
िै । विन चलाते समय यातायात के ननयमों का पालन करना चाहिए।
यि दृश्य एक सुंिर उद्यान का िै । िो बालक फुटबॉल के साथ खेल रिे िैं।
बालक फुटबॉल को पााँव से मारते िुए िौड़ रिे िैं। एक बालक इस खेल को कुछ
िरु ी से िे ख रिा िै । आस-पास िरे -भरे पेड़-पौधे िैं।

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