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समास कार्यपत्र -7
समास कार्यपत्र -7
तत्पुरुष समास – इस समास में उत्तरपद अर्ाा त् दू सरा पद प्रधान होता है । इसमें कारक चिह्ोों का
लोप हो जाता है ।
कमय कारक की त्रिभक्ति ‘को’ का लोप स्वर्ा प्राप्त- स्वर्ा को प्राप्त
माखन िोर- माखन को िुराने वाला
करणकारक की त्रिभक्ति से ‘र्ा’ के द्वारा का रसभरी – रस से भरी
लोप– ज्ञानयुक्त – ज्ञान से युक्त
संप्रदान कारक की त्रिभक्ति के त्रलए’ का रसोईघर-रसोई के चलए घर
लोप-
अपादान कारक की त्रिभक्ति से का लोप रोर्युक्त-रोर् से युक्त
धनहीन – धन से हीन
धमाभ्रष्ट – धमा से भ्रष्ट
संबंध कारक की त्रिभक्ति का/की/के का राजपुत्र – राजा का पु त्र
लोप र्ोंर्ाजल – र्ोंर्ा का जल
कमयधारर् समास – चजस समास के दोनोों पदोों में चवशे षण-चवशेष्य या उपमेय-उपमान का सों बोंध हो,
वह कमाधारय समास कहलाता है । इसमें उत्तर पद प्रधान होता है ; जैसे
समस्तपद चवग्रह समस्तपद चवग्रह
नील र्ाय नीली है जो र्ाय मतदाता
चर्रहकट हर्कडी
सत्याग्रह भयभीत
प्रेमसार्र प्रेमसार्र
आत्मचवश्वास जन्मान्ध
चदनियाा नीचतचनपुण
मुुँहमाुँ र्ा जन्मजात
र्ुणहीन सत्याग्रह
भारतरत्न युद्धभूचम
कालीचमिा घनश्याम
नीलकमल रामरत्न
पीताम्बर मुखिोंद्र
िन्द्रमुखी परमानोंद
सद् र्ुण विनमृत
मृर्नयन महाजन
कनक लता कमलनयन
मुहािरे
1. आुँ ख का तारा ( बहुत प्यारा) – ओजस्व अपने माता-चपता की आुँ खोों का तारा है ।
2. आकाश-पाताल एक करना ( बहुत अचधक प्रयत्न करना) – प्रणव ने आई०ए०एस० की परीक्षा
में सफलता पाने के चलए आकाश-पाताल एक कर चदया।
3. अोंधे की लकडी (असहाय व्यक्तक्त का एकमात्र सहारा) – श्रवण कुमार अपने माता-चपता की
अोंधे की लकडी र्े।
4. आर्-बबूला होना ( अचतक्रोचधत होना) – पेड काटे जाने की खबर सुनकर आर्-बबूला हो र्ए।
5. ईोंट से ईोंट बजाना (नष्ट-भ्रष्ट करना) – भारतीय वायु सेना ने शत्रु की ईोंट से ईोंट बजा दी।
6. ईद का िाुँ द होना ( बहुत चदनोों के बाद चमलना) – नेहा तो आजकल नज़र नहीों आती वह तो
ईद का िाुँ द हो र्ई है ।
7. कलई खुलना (रहस्य खु लना) – पुचलस ने जब सेठ धनीराम के व्यापार पर छापा मारा तो उसके
कारोबार की कलई खुल र्ई।
8. कान भरना (िुर्ली करना) – मोंर्रा हमेशा कैकेयी के कान भरती रहती र्ी।
9. खून का प्यासा ( जान लेने पर उतारू) – सोंपचत्त बुँटवारे की समस्या ने दोनोों भाइयोों को एक-
दू सरे के खून का प्यासा बना चदया।
10. नौ-दो ग्यारह होना ( भार् जाना) – र्ाुँ ववालोों को दे खते ही िोर नौ-दो ग्यारह हो र्ए।
11. कानाफूसी करना ( धीरे -धीरे बात करना) – अध्याचपका जी के कक्षा से बाहर जाते ही बच्ोों ने
आपस में कानाफूसी शु रू कर दी।
12. िोंपत होना ( भार् जाना) – चबल्ली सारा दू ध पीकर िोंपत हो र्ई।
13. एडी-िोटी का जोर लर्ाना ( पूरा जोर लर्ाना) – मैं कक्षा में प्रर्म आने के चलए एडी-िोटी का
जोर लर्ा रहा हुँ ।
14. मुुँह में पानी आना ( लालि पैदा होना) – रसर्ुल्लोों को दे खकर मेरे मुुँह में पानी भर आता है ।
15. हवा से बातें करना ( बहुत तेज़ दौडना) – बाबा भारती का घोडा हवा से बातें करता र्ा।
16. अर्र-मर्र करना (टाल-मटोल करना) – माुँ ने आयुष से पढ़ने के चलए कहा तो वह अर्र-
मर्र करने लर्ा।
17. काम तमाम करना ( मार डालना) – शेर ने कुछ ही पलोों में चहरन का काम तमाम कर चदया।
18. बाट दे खना (प्रतीक्षा करना) – हम सब मुख्य अचतचर् की बाट दे ख रहे हैं ।
19. चदल दु खाना (कष्ट दे ना) – हमें कभी भी अपनोों का चदल नहीों दु खाना िाचहए।
20. बाल बाुँ का न होना (जरा भी नुकसान न होना) – इतनी बडी दु घाटना के बाद भी िालक का
बाल भी बाुँ का न हुआ।
21. कान पकना (ऊब जाना) – पलक की बातें सुन-सुनकर मेरे कान पक र्ए हैं ।
22. लोहा लेना (डटकर मुकाबला करना) – राणा प्रताप ने अकबर से डटकर लोहा चलया।
अभ्यास काया
2- मोहन इतना तेज़ धावक र्ा चक मैदान मेम उतरते ही जैसे उसके ----------------।
कक्षा 7
iii-चनम्नचलक्तखत वाक्योों में रे खाों चकत अोंशोों के चलए उचित मुहावारे बताइए।
2- मुझे कुछ लोर्ोों की बातें इतनी बोररयत भरी लर्ती है चक उन्हें दे खकर मैं अपना रास्ता बादल लेता
हुँ । -------------------
3- राजन वैसे तो बहुत दु बला-पतला है चफर भी वह अच्छे - अच्छे बलशाली लोर्ोों से लडता है । -------
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4- शाम होते ही लोर् अपने पररवार जनोों की राह दे खने लर्ते हैं । -------------------
5- पचत के मरने के बाद सौभार्ी ही अपनी माुँ के जीवन का सहारा र्ी। -------------------
रचनात्मक लेखन
ii- र्रमी शुरू हो र्ई है अत: ठों डे पानी की व्यवस्र्ा करने का अनुरोध करते हुए प्रधानािाया को पत्र
चलक्तखए।
iii- टीिर अच्छे है ब या रोबोट इस चवषय पर िमन और अमन के बीि सोंवाद चलक्तखए।
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क्या द्रुपद का राजा बनाने के बाद जो व्यवहार द्रोण के सार् चकया क्या वह उचित र्ा?तका सचहत
चलक्तखए ।
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