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मुहावरे

 वाक्य में जिस शब्द समूह का साधारण अर्थ न होकर ववशेष अर्थ होता है ,उसे मुहावरा कहते है ।
 ‘मुहावरा’ पूरा वाक्य नह ीं बजकक वाक्याींश होता है ।
 ‘मुहावरा’ अपने शाजब्दक अर्थ को छोड़कर ककसी ववशेष अर्थ का बोध कराता है ।
 मुहावरे का अर्थ प्रसींग के अनुसार होता है ।
 मुहावरे का प्रयोग स्वतींत्र रूप से नह ीं ककया िाता, बजकक यह वाक्य के बीच में प्रयुक्त होता है और वाक्य
का अींग बन िाता है ।
 मुहावरे का िब वाक्य में प्रयोग ककया िाता है , तो उसकी किया,ल ींग,वचन,कारक आकद प्रसींग के अनुसार
बद िाते हैं ।
पद्य-भाग
1.कबीर-साखी

आपा खोना (अहीं कार नष्ट करना) - भवक्त और अहीं कार सार्-सार् नह ीं च सकते। ईश्वर को पाने के
ल ए आपा खोना ह पड़ता है ।

अँलधयारा लमटना (अज्ञान समाप्त होना) - महात्मा िी के अमृत वचन सुनकर मेरे सामने छाया सब
अँलधयारा लमट गया।

मींत्र गना (उपाय काम आना) - वपता ने वववेकानींद को साींसाररक मागथ पर च ाने के सारे उपाय ककए,
ककींतु कोई भी मींत्र न ग सका।

घर ि ाना (स्वयीं को खत्म करना) - दे शभवक्त के मागथ पर च ने वा े िाींलतकाररयों को पह े अपना घर


ि ाना पड़ता है ।

2.मीरा-पद
ाि रखना (सम्मान की रक्षा करना) - इस बार ओ ींवपक में एक स्वणथ िीतकर हमारे लनशानेबाि ने
भारत की ाि रख ी।

3.वबहार -दोहे

व्यर्थ नाचना (बेकार की भागदौड़) - अज्ञान में पड़ा हुआ मनुष्य िीवन-भर व्यर्थ नाचते-नाचते उम्र खो
दे ता है ।

4.मैलर् ीशरण गुप्त-मनुष्यता

बाहू बढाना (सहायता करना)- परमात्मा हर दख


ु ी को उबारने के ल ए बाहू बढाता है ।

ववपवि ढके ना (सींकटों को दरू करना)- िुझारू ोग अपने सामने आई हर ववपवि को ढके कर आगे बढ
िाते हैं ।

5.वीरे न डीं गवा -तोप

मुँह बींद होना (चुप होना, शाींत होना)- जिस कदन से वह चोर करता पकड़ा गया है , उसका मुँह बींद हो
गया ।

8. कैफी आज़मी-कर च े हम कफदा

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लसर झुकना (परास्त होना)- पाककस्तान-भारत के बीच चार युद्ध हुए हैं । सभी में पाककस्तान का लसर झुका
है ।

मौत से ग े लम ना (सहषथ बल दान दे ना)- इीं स्पेक्टर मोहन चींद्र शमाथ ने आतींकवाकदयों के किकाने पर
सीधे आिमण ककया और मौत से ग े लम गया।

लसर पर कफन बाँधना (बल दान के ल ए तैयार होना)- िो बहादरु कुछ कर गुिरना चाहते हैं , वे लसर पर
कफन बाँधकर कमथ ककया करते हैं ।

हार् तोड़ना (करारा िवाब दे ना, युद्ध का िवाब करारे युद्ध से दे ना) - िो भी तुम्हारे ववरुद्ध हार् उिाए,
तुम उसके हार् तोड़ दो।

हार् उिना (आिमण होना)- इससे पह े कक शत्रु का हार् तुम्हार ओर उिे , तुम उसे करारा िवाब दो ।

गद्य-भाग
1.प्रेमचींद-बड़े भाई साहब

प्राण सूखना (डर गना)- सामने शेर को दहाड़ता दे खकर मेरे प्राण सूख गए।

पहाड़ होना ( बड़ मुसीबत होना)- मींच पर खड़े होकर दो घींटे बो ना मेरे ल ए पहाड़ र्ा।

हँ सी-खे होना (छोट -मोट बातें)- पूरे बोडथ में प्रर्म आना कोई हँ सी-खे नह ीं है ।

आँख फोड़ना ( बड़े ध्यान से पढना)- मैं रात भर पढ पढकर आँखें फोड़ता रहा और इधर पर क्षा स्र्लगत
हो गई।

खून ि ाना (कष्ट उिाना)- माता वपता अपनी सींतान को सुख-सुववधा दे ने के ल ए कदन-रात खून ि ाते
हैं ।

पास फटकना (निद क िाना)- प्राचायथ महोदय का रौबदाब इतना र्ा कक कोई उनके पास तक नह ीं
फटक पाता र्ा।

गाढ कमाई (मेहनत की कमाई)- कोई भी मनुष्य अपनी गाढ कमाई को यूँ ह नह ीं उड़ा सकता।

गती बात (चुभती हुई बात)- बड़े भाई साहब ऐसी-ऐसी गती बात कहते र्े कक मन ववचल त हो उिता
र्ा।

जिगर के टु कड़े -टु कड़े होना (कद पर भार आघात गना)- बम धमाकों में अपने पुत्र की मौत दे खकर
माँ का जिगर टु कड़े -टु कड़े हो गया।

कहम्मत टू टना (साहस समाप्त होना)- बच्चे की मृत्यु का समाचार सुनकर वपता की कहम्मत टू ट गई।

िान तोड़ मेहनत करना (खूब पररश्रम करना)- खे ों में प्रर्म आने के ल ए ड़के िान तोड़ मेहनत
करते हैं ।

हार् डा ना (काम शुरू करना)- वह बेचारा जिस भी काम में हार् डा ता है , उसी में घाटा होता है ।

नक्शा बनाना (योिना बनाना)- मैंने रात भर क के कायथिम के नक्शे बनाए। पर तुमने प -भर में
कायथिम समाप्त कर कदया।

उड़ िाना (समाप्त होना)- भाई भोिन के सामान में से खीर कहाँ उड़ गई ?

दबे पाँव आना (चोर -चोर आना)- रात को वबक ी ऐसे दबे पाँव आई कक मुझे उसके आने का पता ह
नह ीं च ा।

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साये से भागना (नाम से ह डरना)- आिक सख्ती इतनी है कक सभी कमथचार बॉस के साये से ह
भागते हैं ।

प्राण लनक ना ( भयभीत होना)- वावषथक पर क्षा का नाम सुनकर ना ायक छात्रों के प्राण लनक िाते हैं ।

घुड़ककयाँ खाना (डाँट-डपट सहना)- भाई साहब! आप प्यार से समझाया करो। आपकी घुड़ककयाँ खाना मेरे
वश में नह ीं है ।

आड़े हार्ों ेना (जखींचाई करना, किोरतापूणथ व्यवहार करना)- बम धमाकों में सरकार की कढ ाई दे खकर
मीकडया वा ों ने मुख्यमींत्री को आड़े हार्ों ल या।

घाव पर नमक लछड़कना (दख


ु ी को और दख
ु ी करना)- गृहमींत्री की मक्कार -भर बातों ने धमाकों से सहमे
ोगों के घावों पर नमक लछड़क कदया।

खून ि ाना (बहुत मेहनत करना)- माता-वपता अपना खून ि ाकर पैसे कमाते हैं और बेटा उनसे
गु छरें उड़ाता है ।

तीर मारना (बड़ सफ ता पाना)- आस्रे ल या को एक बार हराकर भारतीय किकेट ट म ऐसे खुश र्ी
मानो उसने कोई तीर मार ल या हो।

हे कड़ िताना (घमींड कदखाना)- स्वयीं को ऊँचा समझने वा े ोग हे कड़ िताने से बाि नह ीं आते।।

त वार खीींचना ( ड़ाई के ल ए तैयार रहना)- वह स्वभाव से इतना उग्र है कक बात-बात पर त वार
खीींच ेता है ।

टू ट पड़ना (तेिी से झपटना)- िैसे ह भोिन शुरू हुआ, पूर बरात खाने पर टू ट पड़ ।

कदमाग होना (घमींड होना)- िब से उसने स्कू में प्रर्म स्र्ान प्राप्त ककया है , उसे कदमाग हो गया है ।

नाम लनशान लमटाना (सब कुछ नष्ट करना)- भारत की सरकार को चाकहए कक वह आतींकवाकदयों का नाम
लनशान लमटा डा े।

चुक ू भर पानी दे ने वा ा (ककिन समय में सार् दे ने वा ा)- िो ोग दलु नया के सार् बुरा व्यवहार करते
हैं , अींत में उन्हें कोई चुक ू भर पानी दे ने वा ा भी नह ीं लम ता।

द न-दलु नया से िाना (कह ीं का न रहना)- अगर तुम इस तरह बेईमानी करते रहे तो नौकर के सार्-सार्
द न-दलु नया से भी िाओगे।

लसर कफरना (घमींड होना)- िब से उसकी िमीन वबकी है और घर में पैसा आया है , उसका लसर कफर
गया है ।

अींधे के हार् बटे र गना (अयोग्य को कोई महत्त्वपूणथ वस्तु लम ना)- उस अनपढ को इीं िीलनयर पत्नी
क्या लम ी, अींधे के हार् बटे र ग गया।

हार् गना (प्राप्त होना)- बड़ मुजकक से नौकर हार् गी है , इसे सँभा कर रखना।

अींधा-चोट लनशाना पड़ना (अचानक ह कोई चीज़ लम ना)- प्रलतयोलगता में प्रर्म आया दे ख उसे बुवद्धमान
न मान बैिना। बस कभी-कभी अींधा-चोट लनशाना पड़ िाता है ।

दाँतों पसीना आना (बहुत अलधक परे शानी उिाना)- शाद -ब्याह में इतने अलधक काम र्े कक उन्हें
लनपटाते-लनपटाते दाँतों पसीना आ गया।

ोहे के चने चबाना (बहुत ककिनाई उिाना)- एवरे स्ट चोट पर चढाई करना ोहे के चने चबाना है ।

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चक्कर खाना (भ्रम में पड़ना)- उसकी ऊटपटाँग बातें सुनकर मैं चक्कर खा गया।

बे-लसर-पैर की बातें (बेकार की ऊटपटाँग बातें)- उसकी बे-लसर-पैर की बातें सुनते-सुनते मेरा मार्ा भन्ना
गया।

राह ेना (पीछा छोड़ना, च े िाना)- कोई काम हो तो रुको, वरना राह ो।

पन्ने रँ गना (बेकार में ल खना)- अच्छे ववद्यार्ी र्ोड़ा ककींतु िीक ल खते हैं । वे व्यर्थ में पन्ने नह ीं रँ गते।

पापड़ बे ना (ककिन काम करना)- सफ ता पानी है तो सब प्रकार के पापड़ बे ने को तैयार रहो।

आटे -दा का भाव मा ूम होना (ककिनाई का सामना करना)- कभी नौकर ढू ँ ढने लनक ा तो तभी तुम्हें
आटे -दा का भाव मा ूम होगा।

ज़मीन पर पाँव न रखना ( बहुत खुश होना) -जिस कदन मुझे राष्ट्रीय पुरस्कार लम ा, उस कदन मैं पाँव
िमीन पर नह ीं रख पा रहा र्ा।

लगरह बाँधना (अच्छी तरह मन में वबिाना)- आि यह बात लगरह बाँध ो कक आतींकवाद को कुच े वबना
दे श में शाींलत नह ीं हो सकती।

प्राण े ेना (मार डा ना)- अब तक आतींकवाद बहुत बेकसूर ोगों के प्राण े चुके हैं ।

हार् से न िाना (चूकना)- यह सुनहरा मौका हार् से न िाने दे ना।

शब्द चाटना (अच्छी तरह पढना)- मुझे प्रर्म आने का शौक इतना र्ा कक मैं पुस्तक का एक-एक शब्द
चाट िाता र्ा।

मुिभेड़ होना (सामना होना, क ह होना)- यकद कभी मेर उससे मुिभेड़ हुई तो मैं उसे नाकों चने चबवा
दँ ग
ू ा।

हार्-पाँव फू िाना (परे शानी दे खकर घबरा िाना)- गुड


ीं ों के हार्ों में बींदक
ू ें दे खकर उसके हार्-पाँव फू
गए।

पैसे-पैसे को मुहताि होना (बहुत गर ब और मिबूर होना)- अिय की कींपनी डू ब गई तो उसका पररवार
पैसे-पैसे का मुहताि हो गया।

मुँह चुराना (शमथ के मारे बचना)- उधार ेने के बाद प्रायः उधार ेने वा ा अपने ऋणदाता से मुँह चुराने
गता है ।

हार्ों में ेना (काम का जिम्मा ेना)- िब से मैंने यह धींधा हार्ों में ल या है , मेर चाँद हो गई है ।

बेराह च ना (ग त काम करना)- माता-वपता बच्चों पर इसल ए लनगरानी रखते हैं कक कह ीं वे बेराह न
च ें।

ज़हर गना (बहुत बुरा गना)- डाँट खाने वा े बच्चे को डाँट का एक-एक शब्द िहर गता है ।

नतमस्तक होना (लसर झुकाकर मानना)- ेखक बड़े भाई की एक-एक तरकीब के सामने नतमस्तक हो
िाता र्ा।

िी चाना (मन में ा च आना)- क्या करूँ, इतनी सार लमिाइयाँ दे खकर मेरा िी चा उिता है ।

2. डायर का एक पन्ना-सीताराम सेकसररया

रीं ग कदखाना (प्रभाव या स्वरूप कदखाना)- तुम इसे इतना सीधा न समझो। ऐन मौके पर तुम्हें यह ऐसा
रीं ग कदखाएगा कक इसे भू नह ीं पाओगे।
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िीं डा पड़ना (ढ ा पड़ना)- पता नह ,ीं भारत सरकार आतींकवाकदयों को कुच ने के माम े में िीं ड क्यों पड़
िाती है ।

टू ट िाना (वबखर िाना)- मृत्यु के सार् मनुष्य के सारे सपने टू ट िाते हैं ।

ज़ुकम ढाना (अत्याचार करना)-अींग्रेिों ने भारतीय िनता पर अनलगनत ज़ुकम ढाए।

3. तताँरा-वामीरो कर्ा- ी ाधर मींड ोई

सुध-बुध खोना (अपने वश में न रहना)- वामीरो की सुींदरता को दे खकर तताँरा सुध-बुध खो बैिा।

बाट िोहना (प्रतीक्षा करना)- भारतवासी ऐसी सरकार की बाट िोह रहे हैं िो आतींकवाद को कुच कर
रख दे ।

आँखों में तैरना (मन में प्रकट होना)- एकाींत क्षणों में सार बीती बातें आँखों में तैरने गती हैं ।

खुशी का किकाना न रहना (बहुत अलधक खुशी होना)- 20-20 किकेट का वकडथ कप िीतने पर दे शवालसयों
की खुशी का किकाना न रहा।

आग-बबू ा होना (बहुत िोध में आना)- बच्चों की नारे बािी सुनकर प्राचायथ महोदय आग बबू ा हो गए।

राह न सूझना (उपाय न लम ना)- चारों ओर आग से लघर िाने पर मैं ऐसा घबराया कक मुझे कोई राह
न सूझी।

सुराग न लम ना (पता न लम ना)- यह तो मोद सरकार ह र्ी जिसने आतींकवाकदयों को कुछ ह कदनों
में पकड़ ल या। वरना शेष सरकारों को तो बरसों तक आतींकवाकदयों के सुराग भी नह ीं लम ते।

आवाज़ उिाना (ववरोध करना)- हमें अन्याय के जख ाफ आवाज़ उिानी चाकहए।

एक-एक प पहाड़ होना-(प्रतीक्षा का समय मुजकक से बीतना)-ववदे श से अपने पुत्र के आने की खबर
सुनने के बाद माँ के ल ए एक-एक प पहाड़ हो रहा र्ा।

एकटक लनहारना (दे खते ह रह िाना)- ववदे शी पयथटक तािमह को एकटक लनहारते रहे ।

अपना राग अ ापना (अपनी ह बात कहना)- अपने अहीं कार में चूर रावण ने ककसी की बात नह ीं
सुनी,वह अपना राग अ ापता रहा ।

4. अब कहाँ दस
ू रे के दख
ु से दख
ु ी होने वा े-लनदा फाज़ ी

द वार खड़ करना ( बाधा उत्पन्न करना)- लमत्र है या शत्रु? िहाँ भी िाता है , वह ीं मेरे सामने द वार खड़
कर दे ता है ।

डे रा डा ना (स्र्ायी रूप से रहना)- ये अपराधी यूँ ह पकड़ में नह ीं आते। मह नों इनकी राह में डे रा डा े
बैिना पड़ता है ।

मारे -मारे कफरना (परे शान रहना)- राम और उसका भाई कई सा ों से नौकर के ल ए मारे -मारे कफर रहे
हैं ,परीं तु अभी तक उन्हें नौकर नह ीं लम ी ।

5. पतझर में टू ट पवियाँ-रवीन्द्र के ेकर

हवा में उड़ना (र्ोर्ी बातें करना, ऊपर बातें करना,यर्ार्थ से दरू होना)- उसकी बातों पर न िाना। उसे
हवा में उड़ने की आदत है ।

6. कारतूस-हबीब तनवीर

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आँखों में धू झोंकना (धोखा दे ना)- इस बार पुल स की आँखों में धू झोंकने के ल ए आतींकवाकदयों ने
स्कू ी बैग में बम रखवाए।

हार् न आना (पकड़ा न िाना)- पता नह ,ीं हमार पुल स क्या करती रहती है । आतींकवाद वारदात करके
जखसक िाते हैं , वे कभी हार् नह ीं आते।

मुट्िी भर (र्ोड़े -से)- आतींकवाद मुट्िी भर भी हों तो भी िन-िीवन को र्राथ दे ते हैं ।

कूट-कूटकर भरना (भावना का बहुत अलधक प्रब होना)- आतींकवाकदयों के मन में द्वे ष की भावना कूट-
कूटकर भर रहती है ।

काम तमाम करना (िान से मार डा ना)- पुल स इीं स्पेक्टर शमाथ ने एक ह गो ी में गुींडे का काम तमाम
कर डा ा।

नज़र रखना (लनगरानी करना)- गुप्तचर ववभाग का काम यह है कक वह हर गलतववलध पर निर रखे।

िान बख्शी करना (िान छोड़ दे ना)- ो, इस बार मैं तुम्हें िान बख्शी करता हूँ। कफर से मेरे रास्ते में न
आना।

हक्का-बक्का (है रान) - लसींह धोनी की आलतशी पार दे खकर आस्रे ल या के जख ाड़ हक्के-बक्के रह गए।

बुरा-भला कहना (खरी-खोटी सुनाना)- वकी ने वज़ीर अ ी को बुरा-भ ा कहा।

‘सींचयन' में प्रयुक्त मुहावरे

1.हररहर काका-लमलर् ेश्वर

फूट आँख नह ीं सुहाना (िरा भी अच्छा न गना)- ये ाफ्टर चैन पर आने वा े फूहड़ हँ सौड़ मुझे
फूट आँख नह ीं सुहाते।

आँख भर आना (आँसू आना)- इीं स्पेक्टर शमाथ की ववधवा को वब खते दे खकर सबकी आँख भर आई।

धमा-चौकड़ मचाना (उपद्रव करना) – आि ये ोग गाडथ की बिाय धमाचौकड़ मचा रहे हैं - मािरा क्या
है ?

कद पसीिना (दया का भाव िागना)- अनार् बा क को रोते दे खकर वहाँ खड़े सभी ोगों का कद
पसीि गया।

तू-तू, मैं-मैं (झगड़ा होना)- मैं तो तुम्हें अींतरीं ग लमत्र समझता र्ा। तुम तो अभी से तू-तू, मैं-मैं पर उतर
आए।

रीं गे हार् पकड़ना (ग ती करते हुए पकड़ना)- पुल स ने चोर को रीं गे हार् पकड़ा। कफर भी वह अगर-मगर
करता रहा।

खून खौ ना (िोध उफनना)- चोर को सफेद झूि बो ते दे खकर मेरा खून खौ उिा।

दध
ू की मक्खी (बेकार वस्तु, अनुपयोगी)- आिक की ना ायक सींतानें अपने बूढे माता-वपता को दध
ू की
मक्खी समझती हैं ।

लगद्ध दृवष्ट (बुर नज़र)- पाककस्तान ककमीर पर सदा-से लगद्ध दृवष्ट गाए बैिा है ।
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फरार होना (भाग िाना)- चोर पुल स को दे खते ह फरार हो गया।

तूती बो ना (प्रभाव होना, दबदबा होना)- दे श में आिक नरें द्र मोद की तूती बो रह है ।

मुँह खो ना (रहस्य बताना)-अगर मैंने अध्यापक के सामने मुँह खो कदया तो सबको सज़ा लम ेगी।

गूँगेपन का लशकार होना (भयवश बो न पाना)-हररहर काका की जस्र्लत अच्छी नह ीं र्ी,वह गूँगेपन का
लशकार हो गए।

खोि-ख़बर ेना (िानकार प्राप्त करना)- कहने को तीन भाई र्े,परीं तु ककसी ने उनकी खोि-ख़बर नह ीं
ी।

तन-बदन में आग गना (िोलधत होना)- हररहर काका पर अत्याचार होते दे ख ेखक के तन-बदन में
आग ग गई।

कान खड़े होना (सचेत होना)- रात को बतथन लगरने की आवाज़ें सुनकर हम सब के कान खड़े हो गए।

हार् से लनक ना (अवसर चूकना)- महीं त ककसी भी सूरत में ज़मीन हार् से लनक ने नह ीं दे ना चाहता
र्ा।

भनक तक न गना (आभास न होना)- चोरों की योिना की ककसी को भनक तक न गी।

िी-िान से िुटना (सख्त मेहनत करना)- रमेश अपनी योिना को कायथ रूप दे ने के ल ए िी-िान से
िुट गया।

पदाथफाश होना (भेद खु ना)- एक-न-एक कदन अपरालधयों का पदाथफाश हो ह िाता है ।

2. सपनों के-से कदन- गुरुदया लसींह

तार-तार होना (बुर तरह कट-फट िाना)- काँटों में उ झकर उसके कपड़े तार-तार हो गए।

तरस खाना (दया करना)- तेर छोट उम्र पर तरस खाकर छोड़ रहा हूँ, वरना ईंट-से-ईंट बिा दे ता।

आँख बचाना (लछपाना)- मैंने आँख बचाने की बहुत कोलशश की ककींतु उसके हत्र्े चढ ह गया।

ढाढस बँधाना (कहम्मत दे ना)- कद ेर पुल स अलधकार मोहनचींद्र शमाथ की ववधवा को ढाढस बींधाने वा ों
का ताँता गा हुआ र्ा।

हाय-हाय करना (अपने कष्टों का रोना रोना)- तुम तो र्ोड़ा-सा भी कष्ट नह ीं सहते। िरा-सी आँच गते
ह हाय-हाय करने गते हो।

कदन लगनना (अधीर होना)- द वा ी कब आएगी-हम तो बस कदन लगन रहे हैं ।

सस्ता सौदा (आसान उपाय)- एम.बी.बी.एस. के ल ए दस


ू र बार प्रवेश-पर क्षा दे ने की बिाय डें ट कॉ ेि
में दाजख ा ेना सस्ता सौदा है ।

खा खीींचना (बुर तरह पीड़ा पहुँचाना)- मास्टर िी ने धमकाते हुए कहा कक मैं काम न करने वा ों की
खा खीींच ूँगा।

चमड़ उधेड़ना (बुर तरह पेश आना)- अगर तुम गुींडागदी से बाि न आए तो चमड़ उधेड़ दँ ग
ू ा।

छाती धक-धक करना (है भयभीत होना)-गजणत की पर क्षा के नाम से मेर छाती धक-धक करने गती
है ।

3.टोपी शुक् ा-राह मासूम रिा

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कद फड़कना (बेचन
ै होना)- बेट की शाद के कदन नज़द क आते ह माँ का कद फड़कने गा।

कद मसोसकर रहना (इच्छा को मन में दबा कर रहना)- मैं डॉ बनना चाहती र्ी, ेककन पैसों की तींगी के
कारण मन मसोसकर रह गई।

बरस पड़ना (एकदम से िोलधत हो िाना)- दे र रात घर ौटे पुत्र को दे खकर वपता उस पर बरस पड़े ।

मुँह न गाना (प्यार न करना)- बुिुगों का अपमान करने वा े ोगों को कोई मुँह नह ीं गाता।

ज़ुकम ढाना (अत्याचार करना)-अींग्रेिों ने भारलतयों पर बहुत ज़ुकम ढाए र्े।

आत्मा में उतरना (गहराई में उतरना)- ा बहादरु शास्त्री िी की सादगी सभी की आत्मा में उतर गई
र्ी।

स्वगथ लसधारना (मृत्यु होना)- राम की दाद स्वगथ लसधार गईं।

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