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CLASS: 10 HINDI

मुहावरे
कोई भी ऐसा वाक्ाांश जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर ककसी ववशेष अर्थ को व््कत
करे उसे मह
ु ावरा कहते हैं।
1. अंग संबंधी मह
ु ावरे
1. अांग छूटा- (कसम खाना) मैं अांग छूकर कहता हूूँ साहब, मैने पाजेब नह ां दे खी।
2. अांग-अांग मस
ु काना-(बहुत प्रसन्न होना)- आज उसका अांग-अांग मसु करा रहा र्ा
3. अांग-अांग टूटना-(सारे बदन में ददथ होना)-इस ज्वर ने तो मेरा अांग-अांग तोड़कर रख
दद्ा।
4. अांग-अांग ढ ला होना-(बहुत र्क जाना)- तुम्हारे सार् कल चलूँ ग
ू ा। आज तो मेरा
अांग-अांग ढ ला हो रहा है ।
2. अक्ल-संबंधी मह
ु ावरे
1. अकल का दश्ु मन-(मख
ू )थ - वह तो ननरा अकल का दश्ु मन ननकला।
2. अकल चकराना-(कुछ समझ में न आना)-प्रश्न-पत्र दे खते ह मेर अकल चकरा गई।
3. अकल के पीछे लठ ललए किरना (समझाने पर भी न मानना)- तम
ु तो सदै व अकल
के पीछे लठ ललए किरते हो।
4. अकल के घोड़े दौड़ाना-(तरह-तरह के ववचार करना)- बड़े-बड़े वैज्ञाननकों ने अकल के
घोड़े दौड़ाए, तब कह ां वे अणुबम बना सके।
3. आँख-संबंधी मह
ु ावरे
1. आूँख ददखाना-(गुस्से से दे खना)- जो हमें आूँख ददखाएगा, हम उसकी आूँखें िोड़
दे गें।
2. आूँखों में गगरना-(सम्मानरदहत होना)- कुरसी की होड़ ने जनता सरकार को जनता
की आूँखों में गगरा दद्ा।
3. आूँखों में धल
ू झोंकना-(धोखा दे ना)- लशवाजी मग
ु ल पहरे दारों की आूँखों में धल

झोंककर बांद गह
ृ से बाहर ननकल गए।
4. आूँख चरु ाना-(नछपना)- आजकल वह मझ
ु से आूँखें चरु ाता किरता है ।
5. आूँख मारना-(इशारा करना)-गवाह मेरे भाई का लमत्र ननकला, उसने उसे आूँख
मार , अन््र्ा वह मेरे ववरुद्ध गवाह दे दे ता।

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6. आूँख तरसना-(दे खने के लालान्त होना)- तुम्हें दे खने के ललए तो मेर आूँखें तरस
गई।
7. आूँख िेर लेना-(प्रनतकूल होना)- उसने आजकल मेर ओर से आूँखें िेर ल हैं।

8. आूँख बबछाना-(प्रतीक्षा करना)- लोकना्क ज्प्रकाश नारा्ण जजधर जाते र्े उधर
ह जनता उनके ललए आूँखें बबछाए खड़ी होती र्ी।
9. आूँखें सेंकना-(सांद
ु र वस्तु को दे खते रहना)- आूँख सेंकते रहोगे ्ा कुछ करोगे भी
10. आूँखें चार होना-(प्रेम होना,आमना-सामना होना)- आूँखें चार होते ह वह खखड़की
पर से हट गई।
11. आूँखों का तारा-(अनतवप्र्)-आशीष अपनी माूँ की आूँखों का तारा है ।
12. आूँख उठाना-(दे खने का साहस करना)- अब वह कभी भी मेरे सामने आूँख नह ां
उठा सकेगा।
13. आूँख खल
ु ना-(होश आना)- जब सांबगां ध्ों ने उसकी सार सांपजतत हड़प ल तब
उसकी आूँखें खल
ु ां।
14. आूँख लगना-(नीांद आना अर्वा व््ार होना)- बड़ी मजु श्कल से अब उसकी आूँख
लगी है । आजकल आूँख लगते दे र नह ां होती।
15. आूँखों पर परदा पड़ना-(लोभ के कारण सचाई न द खना)- जो दस
ू रों को ठगा
करते हैं, उनकी आूँखों पर परदा पड़ा हुआ है । इसका िल उन्हें अवश्् लमलेगा।
16. आूँखों का काटा-(अवप्र् व््जकत)- अपनी कुप्रवजृ तत्ों के कारण राजन वपताजी की
आूँखों का काूँटा बन ग्ा।
17. आूँखों में समाना-(ददल में बस जाना)- गगरधर मीरा की आूँखों में समा ग्ा।
4. कलेजा-संबंधी कुछ मह
ु ावरे
1. कलेजे पर हार् रखना-(अपने ददल से पछ
ू ना)- अपने कलेजे पर हार् रखकर कहो
कक क्ा तुमने पैन नह ां तोड़ा।
2. कलेजा जलना-(तीव्र असांतोष होना)- उसकी बातें सन
ु कर मेरा कलेजा जल उठा।
3. कलेजा ठां डा होना-(सांतोष हो जाना)- डाकुओां को पकड़ा हुआ दे खकर गाूँव वालों का
कलेजा ठां ढा हो ग्ा।
4. कलेजा र्ामना-(जी कड़ा करना)- अपने एकमात्र ्व
ु ा पत्र
ु की मतृ ्ु पर माता-वपता
कलेजा र्ामकर रह गए।
5. कलेजे पर पतर्र रखना-(दख
ु में भी धीरज रखना)- उस बेचारे की क्ा कहते हों,
उसने तो कलेजे पर पतर्र रख लल्ा है ।

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6. कलेजे पर साूँप लोटना-(ईर्ष्ाथ से जलना)- श्रीराम के राज््ालभषेक का समाचार
सन
ु कर दासी मांर्रा के कलेजे पर साूँप लोटने लगा।
5. कान-संबंधी कुछ मह
ु ावरे
1. कान भरना-(चग
ु ल करना)- अपने सागर््ों के ववरुद्ध अध््ापक के कान भरने वाले
ववद््ार्ी अच्छे नह ां होते।
2. कान कतरना-(बहुत चतरु होना)- वह तो अभी से बड़े-बड़ों के कान कतरता है ।
3. कान का कच्चा-(सन
ु ते ह ककसी बात पर ववश्वास करना)- जो माललक कान के
कच्चे होते हैं वे भले कमथचारर्ों पर भी ववश्वास नह ां करते।
4. कान पर जूँ ू तक न रें गना-(कुछ असर न होना)-माूँ ने गौरव को बहुत समझा्ा,
ककन्तु उसके कान पर जूँ ू तक नह ां रें गी।
5. कानोंकान खबर न होना-(बबलकुल पता न चलना)-सोने के ्े बबस्कुट ले जाओ,
ककसी को कानोंकान खबर न हो।
6. नाक-संबंधी कुछ मह
ु ावरे
1. नाक में दम करना-(बहुत तांग करना)- आतांकवादद्ों ने सरकार की नाक में दम
कर रखा है ।
2. नाक रखना-(मान रखना)- सच पछ
ू ो तो उसने सच कहकर मेर नाक रख ल ।
3. नाक रगड़ना-(द नता ददखाना)-गगरहकट ने लसपाह के सामने खूब नाक रगड़ी, पर
उसने उसे छोड़ा नह ।ां
4. नाक पर मकखी न बैठने दे ना-(अपने पर आूँच न आने दे ना)-ककतनी ह मस
ु ीबतें
उठाई, पर उसने नाक पर मकखी न बैठने द ।
5. नाक कटना-(प्रनतर्षठा नर्षट होना)- अरे भै्ा आजकल की औलाद तो खानदान की
नाक काटकर रख दे ती है।
7. मँह
ु -संबंधी कुछ मह
ु ावरे
1. मूँह
ु की खाना-(हार मानना)-पड़ोसी के घर के मामले में दखल दे कर हरद्वार को
मूँह
ु की खानी पड़ी।
2. मूँह
ु में पानी भर आना-(ददल ललचाना)- लड्डुओां का नाम सन
ु ते ह पांडडतजी के
मूँह
ु में पानी भर आ्ा।
3. मूँह
ु खून लगना-(ररश्वत लेने की आदत पड़ जाना)- उसके मूँह
ु खून लगा है, बबना
ललए वह काम नह ां करे गा।
4. मूँह
ु नछपाना-(लजज्जत होना)- मूँह
ु नछपाने से काम नह ां बनेगा, कुछ करके भी
ददखाओ।

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5. मूँह
ु रखना-(मान रखना)-मैं तुम्हारा मूँह
ु रखने के ललए ह प्रमोद के पास ग्ा र्ा,
अन््र्ा मझ
ु े क्ा आवश््कता र्ी।
6. मूँह
ु तोड़ जवाब दे ना-(कड़ा उततर दे ना)- श््ाम मूँह
ु तोड़ जवाब सन
ु कर किर कुछ नह ां
बोला।
7. मूँह
ु पर काललख पोतना-(कलांक लगाना)-बेटा तम्
ु हारे कुकमों ने मेरे मूँह
ु पर
काललख पोत द है ।
8. मूँह
ु उतरना-(उदास होना)-आज तम् ु हारा मूँह
ु क्ों उतरा हुआ है ।
9. मूँहु ताकना-(दस
ू रे पर आगश्रत होना)-अब गेहूूँ के ललए हमें अमेररका का मूँह
ु नह ां
ताकना पड़ेगा।
10. मूँह
ु बांद करना-(चप
ु कर दे ना)-आजकल ररश्वत ने बड़े-बड़े अिसरों का मूँह
ु बांद
कर रखा है ।
8. दाँत-संबंधी मह
ु ावरे
1. दाूँत पीसना-(बहुत ज््ादा गस्
ु सा करना)- भला मझ
ु पर दाूँत क्ों पीसते हो? शीशा
तो शांकर ने तोड़ा है।
2. दाूँत खट्टे करना-(बरु तरह हराना)- भारती् सैननकों ने पाककस्तानी सैननकों के
दाूँत खट्टे कर ददए।
3. दाूँत काट रोट -(घननर्षठता, पककी लमत्रता)- कभी राम और श््ाम में दाूँत काट
रोट र्ी पर आज एक-दस
ू रे के जानी दश्ु मन है ।
9. गरदन-संबंधी मह
ु ावरे
1. गरदन झक
ु ाना-(लजज्जत होना)- मेरा सामना होते ह उसकी गरदन झक
ु गई।
2. गरदन पर सवार होना-(पीछे पड़ना)- मेर गरदन पर सवार होने से तुम्हारा काम
नह ां बनने वाला है ।
3. गरदन पर छुर िेरना-(अत्ाचार करना)-उस बेचारे की गरदन पर छुर िेरते तम्
ु हें
शरम नह ां आती, भगवान इसके ललए तुम्हें कभी क्षमा नह ां करें गे।
10. गले-संबंधी मह
ु ावरे
1. गला घोंटना-(अत्ाचार करना)- जो सरकार गर बों का गला घोंटती है वह दे र तक
नह ां दटक सकती।
2. गला िूँसाना-(बांधन में पड़ना)- दस
ू रों के मामले में गला िूँसाने से कुछ हार् नह ां
आएगा।
3. गले मढ़ना-(जबरदस्ती ककसी को कोई काम सौंपना)- इस बद्ध
ु ू को मेरे गले मढ़कर
लालाजी ने तो मझ
ु े तांग कर डाला है।

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4. गले का हार-(बहुत प््ारा)- तुम तो उसके गले का हार हो, भला वह तुम्हारे काम
को क्ों मना करने लगा।
11. ससर-संबंधी मह
ु ावरे
1. लसर पर भत
ू सवार होना-(धन
ु लगाना)-तुम्हारे लसर पर तो हर सम् भत
ू सवार
रहता है ।
2. लसर पर मौत खेलना-(मतृ ्ु समीप होना)- ववभीषण ने रावण को सांबोगधत करते
हुए कहा, ‘भै्ा ! मझ
ु े क्ा डरा रहे हो ? तम्
ु हारे लसर पर तो मौत खेल रह है‘।
3. लसर पर खन ू सवार होना-(मरने-मारने को तै्ार होना)- अरे , बदमाश की क्ा बात
करते हो ? उसके लसर पर तो हर सम् खून सवार रहता है ।
4. लसर-धड़ की बाजी लगाना-(प्राणों की भी परवाह न करना)- भारती् वीर दे श की
रक्षा के ललए लसर-धड़ की बाजी लगा दे ते हैं।
5. लसर नीचा करना-(लजा जाना)-मझ
ु े दे खते ह उसने लसर नीचा कर लल्ा।
12. हाथ-संबंधी मह
ु ावरे
1. हार् खाल होना-(रुप्ा-पैसा न होना)- जआ
ु खेलने के कारण राजा नल का हार्
खाल हो ग्ा र्ा।
2. हार् खीांचना-(सार् न दे ना)-मस
ु ीबत के सम् नकल लमत्र हार् खीांच लेते हैं।
3. हार् पे हार् धरकर बैठना-(ननकम्मा होना)- उद््मी कभी भी हार् पर हार् धरकर
नह ां बैठते हैं, वे तो कुछ करके ह ददखाते हैं।
4. हार्ों के तोते उड़ना-(दख
ु से है रान होना)- भाई के ननधन का समाचार पाते ह
उसके हार्ों के तोते उड़ गए।
5. हार्ोंहार्-(बहुत जल्द )-्ह काम हार्ोंहार् हो जाना चादहए।
6. हार् मलते रह जाना-(पछताना)- जो बबना सोचे-समझे काम शरू ु करते है वे अांत
में हार् मलते रह जाते हैं।
7. हार् साि करना-(चरु ा लेना)- ओह ! ककसी ने मेर जेब पर हार् साि कर दद्ा।
8. हार्-पाूँव मारना-(प्र्ास करना)- हार्-पाूँव मारने वाला व््जकत अांत में अवश््
सिलता प्राप्त करता है ।
9. हार् डालना-(शरू
ु करना)- ककसी भी काम में हार् डालने से पव
ू थ उसके अच्छे ्ा
बरु े िल पर ववचार कर लेना चादहए।
13. हवा-संबंधी मह
ु ावरे
1. हवा लगना-(असर पड़ना)-आजकल भारती्ों को भी पजश्चम की हवा लग चक
ु ी है।
2. हवा से बातें करना-(बहुत तेज दौड़ना)- राणा प्रताप ने ज््ों ह लगाम दहलाई,
चेतक हवा से बातें करने लगा।
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3. हवाई ककले बनाना-(झठ
ू ी कल्पनाएूँ करना)- हवाई ककले ह बनाते रहोगे ्ा कुछ
करोगे भी ?
4. हवा हो जाना-(गा्ब हो जाना)- दे खते-ह -दे खते मेर साइककल न जाने कहाूँ हवा
हो गई ?
14. पानी-संबंधी मह
ु ावरे
1. पानी-पानी होना-(लजज्जत होना)-ज््ोंह सोहन ने माताजी के पसथ में हार् डाला कक
ऊपर से माताजी आ गई। बस, उन्हें दे खते ह वह पानी-पानी हो ग्ा।
2. पानी में आग लगाना-(शाांनत भांग कर दे ना)-तुमने तो सदा पानी में आग लगाने
का ह काम कक्ा है ।
3. पानी िेर दे ना-(ननराश कर दे ना)-उसने तो मेर आशाओां पर पानी पेर दद्ा।
4. पानी भरना-(तुच्छ लगना)-तुमने तो जीवन-भर पानी ह भरा है ।
15. कुछ समले-जुले मह
ु ावरे
1. अूँगठ
ू ा ददखाना-(दे ने से साि इनकार कर दे ना)-सेठ रामलाल ने धमथशाला के ललए
पाूँच हजार रुपए दान दे ने को कहा र्ा, ककन्तु जब मैनेजर उनसे माांगने ग्ा तो
उन्होंने अूँगठ
ू ा ददखा दद्ा।
2. अगर-मगर करना-(टालमटोल करना)-अगर-मगर करने से अब काम चलने वाला नह ां
है ।
3. अांगारे बरसाना-(अत्ांत गुस्से से दे खना)-अलभमन््ु वध की सच
ू ना पाते ह अजन
ुथ के
नेत्र अांगारे बरसाने लगे।
4. आड़े हार्ों लेना-(अच्छी तरह काबू करना)-श्रीकृर्षण ने कांस को आड़े हार्ों लल्ा।
5. आकाश से बातें करना-(बहुत ऊूँचा होना)-ट .वी.टावर तो आकाश से बाते करती है।
6. ईद का चाूँद-(बहुत कम द खना)-लमत्र आजकल तो तम ु ईद का चाूँद हो गए हो, कहाूँ
रहते हो ?
7. उूँ गल पर नचाना-(वश में करना)-आजकल की औरतें अपने पनत्ों को उूँ गलल्ों पर
नचाती हैं।
8. कलई खुलना-(रहस्् प्रकट हो जाना)-उसने तो तुम्हार कलई खोलकर रख द ।
9. काम तमाम करना-(मार दे ना)- रानी लक्ष्मीबाई ने पीछा करने वाले दोनों अांग्रेजों का
काम तमाम कर दद्ा।
10. कुतते की मौत करना-(बरु तरह से मरना)-रार्षरद्रोह सदा कुतते की मौत मरते हैं।
11. कोल्हू का बैल-(ननरां तर काम में लगे रहना)-कोल्हू का बैल बनकर भी लोग आज
भरपेट भोजन नह ां पा सकते।

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12. खाक छानना-(दर-दर भटकना)-खाक छानने से तो अच्छा है एक जगह जमकर
काम करो।
13. गड़े मरु दे उखाड़ना-(वपछल बातों को ्ाद करना)-गड़े मरु दे उखाड़ने से तो अच्छा है
कक अब हम चप
ु हो जाएूँ।
14. गल
ु छरे उड़ाना-(मौज करना)-आजकल तम
ु तो दस
ू रे के माल पर गल
ु छरे उड़ा रहे
हो।
15. घास खोदना-(िुजल
ू सम् बबताना)-सार उम्र तुमने घास ह खोद है ।
16. चांपत होना-(भाग जाना)-चोर पलु लस को दे खते ह चांपत हो गए।
17. चौकड़ी भरना-(छलाूँगे लगाना)-दहरन चौकड़ी भरते हुए कह ां से कह ां जा पहुूँच।े
18. छकके छुडाना-(ब
ा़ ुर तरह पराजजत करना)-पथ्ृ वीराज चौहान ने मह ु म्मद गोर के
छकके छुड़ा ददए।
19. टका-सा जवाब दे ना-(कोरा उततर दे ना)-आशा र्ी कक कह ां वह मेर जीववका का
प्रबांध कर दे गा, पर उसने तो दे खते ह टका-सा जवाब दे दद्ा।
20. टोपी उछालना-(अपमाननत करना)-मेर टोपी उछालने से उसे क्ा लमलेगा?
21. तलवे चाटने-(खश
ु ामद करना)-तलवे चाटकर नौकर करने से तो कह ां डूब मरना
अच्छा है ।
22. र्ाल का बैंगन-(अजस्र्र ववचार वाला)- जो लोग र्ाल के बैगन होते हैं, वे ककसी
के सच्चे लमत्र नह ां होते।
23. दाने-दाने को तरसना-(अत्ांत गर ब होना)-बचपन में मैं दाने-दाने को तरसता किरा,
आज ईश्वर की कृपा है ।
24. दौड़-धप
ू करना-(कठोर श्रम करना)-आज के ्ग
ु में दौड़-धप
ू करने से ह कुछ काम
बन पाता है ।
25. धजज्ज्ाूँ उड़ाना-(नर्षट-भ्रर्षट करना)-्दद कोई भी रार्षर हमार स्वतांत्रता को हड़पना
चाहे गा तो हम उसकी धजज्ज्ाूँ उड़ा दें गे।
26. नमक-लमचथ लगाना-(बढ़ा-चढ़ाकर कहना)-आजकल समाचारपत्र ककसी भी बात को
इस प्रकार नमक-लमचथ लगाकर ललखते हैं कक जनसाधारण उस पर ववश्वास करने लग
जाता है ।
27. नौ-दो ग््ारह होना-(भाग जाना)- बबल्ल को दे खते ह चह
ू े नौ-दो ग््ारह हो गए।
28. िूँू क-िूँू ककर कदम रखना-(सोच-समझकर कदम बढ़ाना)-जवानी में िूँू क-िूँू ककर
कदम रखना चादहए।
29. बाल-बाल बचना-(बड़ी कदठनाई से बचना)-गाड़ी की टककर होने पर मेरा लमत्र बाल-
बाल बच ग्ा।
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30. भाड़ झोंकना-(्ोंह सम् बबताना)-ददल्ल में आकर भी तम
ु ने तीस साल तक भाड़
ह झोंका है ।
31. मजकख्ाूँ मारना-(ननकम्मे रहकर सम् बबताना)-्ह सम् मजकख्ाूँ मारने का नह ां
है , घर का कुछ काम-काज ह कर लो।
32. मार्ा ठनकना-(सांदेह होना)- लसांह के पांजों के ननशान रे त पर दे खते ह गीदड़ का
मार्ा ठनक ग्ा।
33. लमट्टी खराब करना-(बरु ा हाल करना)-आजकल के नौजवानों ने बढ़
ू ों की लमट्टी खराब
कर रखी है ।
34. रां ग उड़ाना-(घबरा जाना)-काले नाग को दे खते ह मेरा रां ग उड़ ग्ा।
35. रिूचककर होना-(भाग जाना)-पलु लस को दे खते ह बदमाश रिूचककर हो गए।
36. लोहे के चने चबाना-(बहुत कदठनाई से सामना करना)- मग ु ल सम्राट अकबर को
राणाप्रताप के सार् टककर लेते सम् लोहे के चने चबाने पड़े।
37. ववष उगलना-(बरु ा-भला कहना)-द्
ु ोधन को गाांडीव धनष
ु का अपमान करते दे ख
अजन
ुथ ववष उगलने लगा।
38. श्रीगणेश करना-(शरू
ु करना)-आज बह
ृ स्पनतवार है, नए वषथ की पढाई का श्रीगणेश
कर लो।
39. हजामत बनाना-(ठगना)-्े दहप्पी न जाने ककतने भारती्ों की हजामत बना चक
ु े
हैं।
40. शैतान के कान कतरना-(बहुत चालाक होना)-तुम तो शैतान के भी कान कतरने
वाले हो, बेचारे रामनार् की तुम्हारे सामने बबसात ह क्ा है ?
41. राई का पहाड़ बनाना-(छोट -सी बात को बहुत बढ़ा दे ना)- तननक-सी बात के ललए
तमु ने राई का पहाड़ बना दद्ा।
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