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20 मुहावरें से बनी कहानी

एक बार मोहन घर से चंपत हो गया , और उसके दोस्ोों ने जब पूछा गया तब


सब ने मुंह नही ं खोला | सारे दोस् बाते बनाने लगे गए | आस-पास के
पड़ोसी नमक-ममचच लगा कर बाते करने लग गए | और मितने मुंह, उतनी
बातें होनी लग गई | मोहन का पररवार मततर-मबतर हो गया | मोहन के पपता ने
उसकी परवररश में िी-िान से िुट लगा थी | मोहन का कुछ पता नहीों चला
और उनकी हालत आसमान से िमीन पर मगरना जै सी हो गई | मोहन अपनी
घर का मोचाच सँभालना नही ं संभाल सका | मोहन ने अपने पैर
में खुद कुल्हाड़ी मार दी| अब मोहन पड़ोस में पकसी को शक्ल पदखाने लायक
नहीों रहा | मोहन के माता-पपता ने इस दु ुः ख को आँ सू पीकर बदाचश्त कर मलया
| अब सब को मोहन एक आँ ख नही ं भाता| मोहन के माता-पपता अकेले
की कमर टू ट गई | सारे लोग मोहन के माता-पपता के बारे में कीचड़ उछालने
लग गए |
एक पदन मोहन घर वापपस घर आया मोहन को दे खकर उसके माता-पपता साँस
रोक दी|
मोहन उनके सामने पानी–पानी हो गया था | मोहन के पपता ने कहा यह वापपस
आ गया अब पिर से मदनों का फेर होगा | मोहन तुम्हें सब कुछ , सारे
सपने आँ खों से ओझल कर पदए | अब क्या लेने आए हो वापपस | पपता जी मुझे
माफ़ कर दो | मैं बहुत शपमिदा हूँ |

दू सरोों के पलए गडढा खोदना

सुन्दर वन एक अत्योंत सुन्दर वन था। उसमें नाना प्रकार के पशु पक्षी पनवास
करते थे। उस वन के कदलीकुञ्ज मुहल्ले में एक पहरण रहता था। वह बहुत
सीधा सरल और दयालु था।

उसी के पड़ोस में एक गीदड़ भी रहता था। वह बहुत धू ति, मक्कार और मतलबी
था। पर ऐसे लोगोों के सीोंग थोड़े ही होते हैं । बाहर से वह बहुत शरीि लगता
था। पहरन बेचारा पदन-भर मेहनत करके अपना भोजन जु टाता था। पर गीदड़
आलसी और कामचोर था। वह मरे हुए जानवरोों या शेर की जूठन खाकर अपने
पेट की आग बुझाता था।

1. आूँ ख का तारा ( बहुत प्यारा) – ओजस्व अपने माता-पपता की आूँ खोों का तारा है ।
2. आकाश-पाताल एक करना ( बहुत अपधक प्रयत्न करना) – प्रणव ने आई०ए०एस०
की परीक्षा में सिलता पाने के पलए आकाश-पाताल एक कर पदया।
3. अोंधे की लकड़ी (असहाय व्यक्ति का एकमात्र सहारा) – श्रवण कुमार अपने माता-
पपता की अोंधे की लकड़ी थे।
4. आग-बबूला होना ( अपतक्रोपधत होना) – पेड़ काटे जाने की खबर सुनकर आग-
बबूला हो गए।
5. ईोंट से ईोंट बजाना (नष्ट-भ्रष्ट करना) – भारतीय वायु सेना ने शत्रु की ईोंट से ईोंट
बजा दी।
6. ईद का चाूँ द होना ( बहुत पदनोों के बाद पमलना) – नेहा तो आजकल नज़र नहीों
आती वह तो ईद का चाूँ द हो गई है ।
7. कलई खुलना (रहस्य खुलना) – पुपलस ने जब सेठ धनीराम के व्यापार पर छापा
मारा तो उसके कारोबार की कलई खुल गई।
8. कान भरना (चुगली करना) – मोंथरा हमेशा कैकेयी के कान भरती रहती थी।
9. खून का प्यासा ( जान लेने पर उतारू) – सोंपपि बूँटवारे की समस्या ने दोनोों
भाइयोों को एक-दू सरे के खून का प्यासा बना पदया।
10. नौ-दो ग्यारह होना ( भाग जाना) – गाूँ ववालोों को दे खते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो
गए।
11. कानािूसी करना ( धीरे -धीरे बात करना) – अध्यापपका जी के कक्षा से बाहर जाते
ही बच्ोों ने आपस में कानािूसी शुरू कर दी।
12. चोंपत होना ( भाग जाना) – पबल्ली सारा दू ध पीकर चोंपत हो गई।
13. एड़ी-चोटी का जोर लगाना ( पूरा जोर लगाना) – मैं कक्षा में प्रथम आने के पलए
एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा हूँ ।
14. मुूँह में पानी आना ( लालच पैदा होना) – रसगुल्लोों को दे खकर मेरे मुूँह में पानी
भर आता है ।
15. हवा से बातें करना ( बहुत तेज़ दौड़ना) – बाबा भारती का घोड़ा हवा से बातें
करता था।
16. अगर-मगर करना (टाल-मटोल करना) – माूँ ने आयुष से पढ़ने के पलए कहा तो
वह अगर-मगर करने लगा।
17. काम तमाम करना ( मार डालना) – शेर ने कुछ ही पलोों में पहरन का काम
तमाम कर पदया।
18. बाट दे खना (प्रतीक्षा करना) – हम सब मुख्य अपतपथ की बाट दे ख रहे हैं ।
19. पदल दु खाना (कष्ट दे ना) – हमें कभी भी अपनोों का पदल नहीों दु खाना चापहए।
20. बाल बाूँ का न होना (जरा भी नुकसान न होना) – इतनी बड़ी दु घिटना के बाद भी
चालक का बाल भी बाूँ का न हुआ।
21. कान पकना (ऊब जाना) – पलक की बातें सु न-सुनकर मेरे कान पक गए हैं ।
22. लोहा लेना (डटकर मुकाबला करना) – राणा प्रताप ने अकबर से डटकर लोहा
पलया।
23. कमर कसना ( तैयार होना) – भारतीय सेना हर सोंकट के पलए कमर कसे रहती
है ।
24. आूँ खोों में धूल झोोंकना ( धोखा दे ना) – पुपलस की आूँ खोों में धूल झोोंक चोर भाग
गया।
25. घोड़े बेचकर सोना (पनपित होकर सोना) – परीक्षाओों के बाद पवद्याथी घोड़े बेचकर
सोते हैं ।
26. छक्के छु ड़ाना ( बुरी तरह हराना) – भारतीय सैपनकोों ने युद्ध के मैदान में शत्रु के
छक्के छु ड़ा पदए।
27. कफ़न पसर पर बाूँ धना ( मृत्यु के पलए तैयार रहना) – दे शभि दे श की रक्षा के
पलए हमेशा कफ़न पसर बाूँ धे रहते हैं ।
28. कुआूँ खोदना ( हापन पहुूँ चाना) – जो दू सरोों के पलए कुआूँ खोदता है वह उसमें
स्वयों डूब जाता है ।
29. गुड़-गोबर करना ( बना बनाया काम पबगाड़ दे ना) – तुमने आकर बने -बनाए काम
को गुड़ गोबर कर पदया है ।
30. छठी का दू ध याद आना (घबरा जाना) – इस महूँ गाई ने लोगोों को छठी का दू ध
याद करवा रखा है ।
31. टे ढ़ी खीर होना ( कपठन काम करना) – आठवी ों में प्रथम आना टे ढ़ी खीर है ।
32. आकाश से बातें करना ( बहुत ऊूँचा होना) – पक्षी आकाश से बातें करते हैं ।
33. अूँगुली पर नचाना ( वश में करना) – आजकल क्तियाूँ अपने मदो को अूँगुली पर
नचाती हैं ।
34. आूँ खें खुलना (होश आना) – परीक्षा पनकट आते ही छात्रोों की आूँ खें खुल जाती हैं ।

1. अंग-अंग मुसकाना (बहुत प्रसन्न होना) – पवद्यालय में प्रथम स्थान पाने पर आयुष
का अोंग-अोंग मुसकरा रहा है ।
2. अँगूठा मदखाना (साफ़ इं कार करना) – उसने कोमल से पु स्क माूँ गी, लेपकन
उसने अूँगूठा पदखा पदया।
3. अंधे की लकड़ी (एकमात्र सहारा) – श्रवण कुमार अपने माता-पपता के पलए अोंधे
की लाठी था।
4. अगर-मगर करना (बहाने बनाना) – जब मैंने अपने पमत्र से मुसीबत के समय
सहायता माूँ गी तो वह अगर-मगर करने लगा।
5. आँ खों में धूल झोंकना (धोखा दे ना) – सुभाष चोंद्र बोस आूँ खोों में धूल झोोंककर
भारत से गायब हो गए।
6. अक्ल पर पत्थर पड़ना (कुछ समझ में न आना) – आयुष आजकल ऐसे काम
करता है , पजसे दे खकर लगता है पक उसकी अक्ल पर पत्थर पड़ गया है ।
7. अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना (स्वयं अपना नुकसान करना) – सरकारी नौकरी
छोड़कर अपनी दु कान खोलने की बात करना अपने पाूँ व पर कुल्हाड़ी मारने जैसा
है ।
8. आसमान मसर पर उठाना (बहुत शोर मचाना) – कक्षा में पकसी अध्यापक के न
होने के कारण छात्रोों ने आसमान पसर पर उठा पलया।
9. आँ खें फेर लेना (बदल िाना) – मुसीबत आने पर अपने भी आूँ खें िेर लेते हैं ।
10. अपने मुँह ममयाँ ममट् ठू बनना (अपनी प्रशंसा स्वयं करना) – अजय तुम कोई
काम तो करते हो नहीों, बस अपने मुूँह पमयाूँ पमठू बनते रहते हो।
11. आँ खें चुराना (सामने आने से कतराना) – परीक्षा में कम अोंक लाने के कारण
पुत्र पपता से आूँ खें चुरा रहा है ।
12. आँ खें खुलना (होश आ िाना) – जब उसे अपने पुत्र की हरकतोों का पता चला,
तो उसकी आूँ खें खुल गईों।
13. आगा-पीछा करना (इधर-उधर होना) – प्राचायि के मैदान में आते ही छात्र
आगा-पीछा करने लगे।
14. आस्था महलना (मवश्वास उठना) – आजकल सच्ाई और ईमानदारी के प्रपत लोगोों
की आस्था पहलने लगी है ।
15. कान भरना (चुगली करना) – ज्ञान को कान भरने की बुरी आदत है ।
16. कोई िोड़ न होना (मुकाबला न होना) – नेहा की पलखाई का कोई जोड़ नहीों
है ।
17. कातर ढं ग से दे खना (भय के भाव से नज़र बचाकर दे खना) – पबना कारण
पपटने पर डराइवर मुझे कातर भाव से दे खने लगा।
18. कसर मनकालना (कमी पूरी करना) – व्यापाररयोों ने त्योहारोों के अवसर पर
वस्ु ओों को अत्यपधक दामोों पर बेचकर कसर पनकाल लेते हैं ।
19. कमर तोड़ना (बहुत सुंदर मलखना) – अपने इस पनबोंध को पलखते हुए नेहा ने
कमर तोड़ पदया है ।
20. कान भरना (चुगली करना) – रजत हमेशा आयुष के क्तखलाि अध्यापक के कान
भरता रहता है ।
21. कोल्हू का बैल (लगातार काम करना) – मैं यहाूँ लगातार कोल्हह के बैल की तरह
लगा रहता हूँ और तु म हो पक रात पदन मौज-मस्ी करते रहते हो।
22. कलई खुलना (भेद खुलना) – पड़ोसी के घर में रोज महूँ गे-महूँ गे समान आ रहे
थे। अचानक एक पदन पुपलस के आने से उसकी सारी कलई खुल गई।
23. कानोकान खबर न होना (मबलकुल खबर न होना) – बदनामी के डर से मेहता
जी कब पदल्ली छोड़कर चले गए, पकसी को कानोों कान खबर नहीों हुई।
24. खटाई में पड़ना (काम में अड़चन आना) – अच्छा खासा पक्रकेट खेल का
आयोजन होने वाला था लेपकन बाररश के चलते सारा खेल का कायिक्रम खटाई में
पड़ गया।
25. खाक छानना (दर-दर भटकना) – नौकरी की तालाश में आजकल पढ़े -पलखे
युवक दर-दर खाक छान रहे हैं ।
26. गुड़गोबर होना (बात मबगड़ िाना) – अच्छा-खासा पपकपनक पर जाने का
कायिक्रम बना था लेपकन अचानक दों गा होने के कारण पदल्ली बोंद ने सारा गुड़
गोबर कर पदया।
27. खाक में ममलाना (नष्ट-भ्रष्ट कर दे ना) – अमेररका ने ईराक को खाक में पमला
पदया।
28. घी के मदए िलाना (खुमशयाँ मनाना) – बेटे के आई. ए. एस. बनने पर माूँ -
बाप ने घी के पदए जलाए।
29. घोड़े बेचकर सोना (गहरी नी ंद सोना) – बोडि परीक्षा पसर पर है और तुम घोड़े
बेचकर सो रहे हो।
30. मचकना घड़ा (बेअसर/मनलचज्ज) – उसे पकतना भी कुछ कह लो वह तो पचकना
घड़ा है ।
31. छक्के छु ड़ाना (बुरी तरह हरा दे ना) – भारतीय सैपनकोों ने युद्ध में पापकस्ानी
सैपनकोों के छक्के छु ड़ा पदए।
32. छठी का दू ध याद आना (कमठनाई का अनुभव होना) – पबना पररश्रम के परीक्षा
में बैठने से आयुष को छठी का दू ध याद आ गया।
33. छाती पर मूंग दलना (बहुत तंग करना) – मोहनलाल के मेहमान साल भर उसकी
छाती पर मूोंग दलते रहते हैं ।
34. टका-सा िवाब दे ना (साफ़ मना कर दे ना) – मैंने जब हरर प्रसाद से मुसीबत के
समय उधार पैसे माों गे तो उसने टका-सा जवाब दे पदया।
35. दाल में काला होना (कुछ गड़बड़ होना) – उसके घर पुपलस आई है , लगता है
दाल में कुछ काला है ।
36. नौ-दो ग्यारह होना (भाग िाना) – चोर पकमती सामान उड़ाकर नौ-दो ग्यारह हो
गया।
37. मदन दू नी रात चौगुनी उन्नमत करना (अमधकामधक उन्नमत) – ईश्वर करे , तुम पदन
दू नी, रात चौगुनी उन्नपत करो।
38. तूती बोलना (बहुत प्रभाव होना) – रमेश बाबू के समाज-सेवी होने की तूती सारे
शहर में बोल रही है ।
39. नाक में दम करना (बहुत परे शान करना) – आजकल उग्रवापदयोों ने दे श में नाक
में दम कर रखा है ।
40. नाको चने चबाना (बहुत कमठन कायच करना) – सुबह से लेकर शाम तक इन
बच्ोों की दे खभाल करना तो नाको चने चबाने के बराबर है ।
41. पहाड़ टू टना (भारी सं कट आ िाना) – पपता की आकक्तिक मृत्यु से गोपाल पर
तो मानोों पहाड़ ही टू ट पड़ा है ।
42. पर मनकलना (स्वच्छं द हो िाना) – कॉलेज में दाक्तखला लेते ही नेहा के पर
पनकलने लगे।
43. पगड़ी उछालना (अपमामनत करना) – बुजुगों की पगड़ी उछालना अच्छी बात नहीों
है ।
44. पानी-पानी होना (अत्यंत लज्जज्जत होना) – पमलावट खोरी करते हुए रों गे हाथ
पकड़े जाने पर रजत पानी-पानी हो गया।
45. फूला न समाना (बहुत प्रसन्न होना) – जब से नेहा का नाम मेपडकल कॉलेज की
प्रवेश सूची में आया है , वह िूले नहीों समा रही है ।
46. हवा से बातें करना (बहुत तेि दौड़ना) – बुलेट टर े न हवा से बातें करती है ।
47. हाथ साफ़ करना (चुरा लेना) – जेब कतरा कुछ यापत्रयोों की जेब पर हाथ साफ़
करके चपोंत हो गया।
48. राई का पहाड़ बनाना (िरा-सी बात को बढा-चढाकर कहना) – तुम राई का
पहाड़ न बनाते तो यह सोंकट खड़ी न होती।
49. लाल-पीला होना (गुस्से में होना) – आप तो पबना वजह मुझ पर लाल-पीला हो
रहे हैं ।
50. लाल-पीला होना (क्रोध करना) – वापषिक परीक्षा में पुत्र के िेल होने से पपता जी
लाल-पीले होने लगे।
51. लोहे के चने चबाना (कमठन काम करना) – आई. ए. एस. परीक्षा में सिलता
प्राप्त करना लोहे के चने चबाना है ।
52. थाली का बैगन (अज्जस्थर व्यज्जि) – अपधकतर नेता थाली के बैगन होते हैं ।
53. हवाई मकले बनाना (कल्पनाएँ करना) – आजकल नेता हवाई पकले बनाते हैं ।
54. हाथ मलना (पछताना) – अवसर का िायदा उठाने में ही समझदारी है वाद में
हाथ मलते रह जाओगे।
55. मसर चकराना (घबरा िाना) – सी०बी०एस०ई० बोडि का प्रश्न पत्र दे खकर छात्रोों का
पसर चकरा गया।
56. मसर धुनना (पछताना) – छात्र अपना खराब परीक्षा पररणाम दे खकर अपना पसर
धुनने लगा।
57. मसर उठाना (बगावत करना) – महूँ गाई पर अोंकुश लगाने में असिल होने पर
अपनी ही पाटी के कई साों सदोों ने पसर उठाना शुरू कर पदया।
58. हाथ मलना (पछताना) – अभी समय रहते पररश्रम कर लो, नहीों तो बाद में
पछताना पड़े गा।
59. हक्का बक्का रह िाना (हैरान रह िाना) – िल बेचने वाला अपने खाते में 10
करोड़ रुपए दे खकर हक्का-बक्का रह गया।
60. हवा हो िाना (भाग िाना) – शेर को दे खते ही सारे जानवर हवा हो गए।

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