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भह

ु ावये
1. आऩा खोना – (गुस्से ऩय काफू न होना) – गारी सुनते ही उसने अऩना आऩा खो
ददमा।
2. खन
ू जराना - (फहुत भेहनत कयना) – आई० आई० टी० ऩास कयने के लरए ददन
यात खन
ू जराना ऩड़ता है ।
3. ऐया-गैया नत्थू खैया - (भहत्वहीन व्मक्तत) – नोफेर ऩुयस्काय जीतना इतना आसान
नहीॊ है कक कोई ऐया-गैया नत्थू खैया उसे जीत रे।
4. रोहे के चने चफाना - (फहुत भुक्ककर काभ) - ऩाककस्तान के लरए बायत को हया
दे ना रोहे के चने चफाने के सभान है ।
5. आड़े हाथों रेना - (डाॉटना/सवार खड़े कयना) - भीडडमा कलभिमों ने सभ ववषभ के
भाभरे भें केजयीवार को आड़े हाथों लरमा।
6. घोंघा होना – (भूखि होना) – याजनीतत के भाभरे भें याहुर बफरकुर घोंघा है ।
7. हॉसी-खेर न होना - (आसान कामि न होना) – कोयोना से तनजात ऩाना हॉ सी-खेर
नहीॊ है ।
8. आॉखें पोड़ना – (फहुत ऩढ़ना) – ऐसे ही नहीॊ कोई कऺा भें प्रथभ आ जाता है , उसके
लरए ददन यात ककताफों के साभने आॉखे पोड़ना ऩड़ता है ।
9. प्राण सूखना – (बमबीत होना) – ऩुलरस को दे खते ही चोयों के प्राण सूख गए।
10. ऩहाड़ होना – (कदिन कामि/ अत्मॊत भुक्ककर काभ ) – फेयोजगायी की सभस्मा सयकाय
के साभने ऩहाड़ फनती जा यही है ।
11. छोटा भॉह
ु फड़ी फात – (है लसमत से फढ़चढ़कय फोरना) – आजकर एक तच्
ु छ व्मक्तत
बी चौकीदाय चोय है का नाया रगा यहा है , मे तो छोटा भॉह
ु औय फड़ी फात है ।
12. तरवाय खीॊचना – (रड़ने के लरए तैमाय यहना) – चीन दतु नमा की हय छोटी फात ऩय
तरवाय खीॊच रेता है ।
13. घड़
ु ककमाॉ खाना – (गस्
ु से से बयी फातें सन
ु ना) – प्रतीक ऩढाई तो कयता नहीॊ, घड़ी-
घड़ी भाता-वऩता से घड़
ु ककमाॉ खाता यहता है ।
14. लसय ऩय एक नॊगी तरवाय रटकना – (बम फना यहना) – खद
ु को कट्टय ईभानदाय
कहने वारे नेताओॊ के ऊऩय जाॉच एजेक्ससमों की नॊगी तरवाय रटक यही है ।
15. दफे ऩाॉव – (चऩ
ु चाऩ) – बफल्री दफे ऩाॉव चह
ू े को ऩकड़ने जाती है ।
16. अभर कयना – (फताए अनस
ु ाय चरना) – लिऺक की कही फातों ऩय अभर कयना हय
ववद्माथी का फ़र्ि है ।
17. तनयािा के फादर पट जाना – (तनयािा का द्ु ख सभाप्त होना) – कोयोना का इराज
लभर गमा औय ऩूयी दतु नमा से तनयािा के फादर पट गए।
18. फूते के फाहय होना – (साभर्थमि के फाहय होना) – रूस को हयाना मूक्रेन के फूते के
फाहय है ।
19. जान तोड़कय भेहनत – (ियीय को कष्ट दे कय) – जान तोड़कय भेहनत के कायण ही
ववयाट इतना सपर हो सका है ।
20. दहम्भत टूट जाना – (तनयाि होना) – जी जान से भेहनत कयने फाद बी प्रथभ न आ
ऩाने से याहुर की दहम्भत टूट गई।
21. क्जगय के टुकड़े-टुकड़े होना – (फहुत द्ु खी/तनयाि होना) – असपर हो जाने के फाद
रगा कक ववयाट के क्जगय के टुकड़े-टुकड़े हो गए।
22. र्हय रगना – (फुया रगना) – जफ भाता-वऩता फच्चों को ऩढने के लरए कहते हैं तो
उनकी मे फातें फच्चों को जहय रगती हैं।
23. अॊधा-चोट तनिान ऩड़ना – (बफना ऩरयश्रभ के ही सपरता लभर जाना/तुतका रगना)
– जफ छोटा बाई कऺा भें प्रथभ आमा तो फड़े बाई ने कहा कक अॊधा चोट तनिाना
रग गमा।
24. अॊधे के हाथ फटे य रगना – (बाग्मवि/ककस्भत से अच्छी वस्तु लभर जाना) -
अफ़गातनस्तान ने ऑस्रे लरमा को हया ददमा भानो अॊधे के हाथ फटे य रग गमा।
25. एक चल्
ु रू ऩानी – (थोड़ी-सी सहामता) – ऩाककस्तान की कयतूतों को दे खते हुए कोई
बी दे ि सॊकट के सभम बी उसे एक चुल्रू ऩानी बी नहीॊ दे ना चाहता।
26. नाभ-तनिान तक लभटा दे ना – (ऩूयी तयह सभाप्त कय दे ना) – अगय अगरी फाय कोई
मद्
ु ध हुआ तो बायत ऩाककस्तान का नाभ तनिान तक लभटा दे गा।
27. ददभाग होना – (अहॊ काय होना) – एक फाय कऺा भें प्रथभ तमा आ गए, तम्
ु हें ददभाग
हो गमा है ?
28. टूट ऩड़ना – (चोट ऩहुॉचाना/हभरा कय दे ना) – दर फदरू नेता को दे खते ही जनता उस
ऩय टूट ऩडी।
29. हे कड़ी जताना - (घभॊड कयना) – एक फाय अव्वर तमा आ गमा, अफ सफके साभने
हे कड़ी जताता यहता है ।
30. तीय भाय रेना - (रक्ष्म ऩा रेना/हालसर कय रेना) – छोटे भोटे अऩयाधी को
गगयफ्ताय कयके ऩुलरस ने कौन सा तीय भाय लरमा, अबी तो अऩयागधमों का सयगना
गामफ ही है ।
31. घाव ऩय नभक तछड़कना – (द्ु खी को औय द्ु खी कयना) – एक तो हषि असपर हो
गमा, ऊऩय से फाय-फाय इसका क्जक्र कयके तमों उसके घाव ऩय नभक तछड़क यहे हो?
32. भॉह
ु चयु ाना – (साभने न आना) – जफसे नेता की चोयी ऩकड़ी गई है , तफसे वह भॉह

चयु ाता कपय यहा है ।
33. ऩाऩड़ फेरना – (भस
ु ीफतों का साभना कयना/कदिन ऩरयश्रभ कयना) – कऺा भें प्रथभ
आने के लरए फहुत ऩाऩड़ फेरने ऩड़ते हैं।
34. चाय ऩसने यॉगना - (पारतू लरखना/फेकाय सभम बफताना) – चाय ऩसने यॊ ग कय कोई
कऺ भें अव्वर नहीॊ आ जाता।
35. फे-लसय-ऩैय की फातें – (फेकाय की फातें ) – उत्तय ऩक्ु स्तका भें फे-लसय-ऩैय की फातें लरखने
से कोई सवोच्च अॊक नहीॊ ऩा सकता।
36. भुद्रा काॊततहीन होना – (चेहये की चभक पीकी ऩड़ना) – जफसे वह चोयी कयता ऩकड़ा
गमा है , उसकी भुद्रा काॊततहीन हो गई है ।
37. चोयों का-सा जीवन काटना – (छुऩकय यहना) – जफसे नेता का नाभ घोटारे भें आमा
है , वह चोयों का सा जीवन काट यहा है ।
38. गगयह फाॉधना – (अच्छी तयह सभझना/फहुत ददनों तक माद यखना) – इस फात की
गगयह फाॉध रो कक अगरी फाय बी आएगा तो भोदी ही।
39. आटे -दार का बाव भारूभ होना – (सच्चाई/हकीकत का ऩता रगना) – जफसे वह
अऩने फड़े बाई से अरग यहने रगा, उसे आटे दार का बाव भारूभ हो गमा है ।
40. धक्जजमाॉ उड़ाना – (फयु ी तयह हयाना/तहस नहस कयना) – सबी दे िों की फैिक भें
बायत ने ऩाककस्तान की धक्जजमाॉ उड़ा दी।
41. हाथ डारना – (िुरू कयना/िालभर होना) – वह क्जस काभ भें बी हाथ डारता है , उसे
सपरता हालसर होती है ।
42. र्भीन ऩय ऩाॉव न यखना – (घभॊड भें चयू ) – थोड़ी सी तायीप तमा हो गई भभता तो
जभीन ऩय ऩाॉव ही नहीॊ यख यही है ।
43. हाथ ऩाॉव पूरना – (डय जाना) – जॊगर भें िेय को दे खते ही रोगों के हाथ ऩाॉव पूर
जाते हैं।
44. दाॉतों ऩसीना आना – (किोयता का एहसास होना/ भेहनत भें कष्ट का अनुबव कयना)
– मुद्ध जीतने भें ऩुततन के दाॉतों ऩसीना आ गमा।
45. सध
ु फध
ु खोना – (होि भें नहीॊ यहना) – जफसे तॊताया ने वाभीयो को दे खा, उसने तो
अऩना सुध फुध ही खो ददमा।
46. खि
ु ी का दिकाना न यहना – (फहुत प्रससन होना) – अव्वर आने के फाद उत्कषि की
खि
ु ी का दिकाना न यहा।
47. आग फफूरा होना – (फहुत क्रोगधत होना) – जफ याजस ने रूद्र की झूिी लिकामत की
तो वह आग फफर
ू ा हो उिा।
48. आवार् उिाना – (ववयोध कयना) – हभें सयकाय की गरत पैसरों के खखराप आवार्
उिानी चादहए।
49. चेहया भुयझाना – (उदास हो जाना) – लिऺक से पटकाय सुनने के फाद ध्रव
ु का चेहया
भुयझा गमा।
50. चतकय खा जाना – (धोखे भें उरझना) – फारी औय सग्र
ु ीव को एक साथ दे खकय याभ
बी चतकय खा गए।
51. भत्थे भढना – (आयोऩ रगाना) – अऩनी नाकालभमों को रोग औयों के भत्थे भढ दे ते
हैं।
52. भर्ा चखाना – (फदरा रेना/अच्छे से जवाफ दे ना) – कोयोना पैराने के फदरे भें ऩूये
सॊसाय को लभरकय चीन को भजा चखाना चादहए।
53. आॉखों भें धर
ू झोंकना – (धोखा दे ना) – चोय ऩुलरस की आॉखों भें धर
ू झोंककय बाग
गमा।
54. काभ तभाभ कयना – (हत्मा कय दे ना/फफािद कय दे ना) – जल्राद ने तनबिमा के दोवषमों
का काभ तभाभ कय ददमा।
55. भट्
ु िी बय आदभी – (गगने चन
ु े रोग) – भट्
ु िी बय आदलभमों ने सयकाय को पैसरा
फदरने ऩय भजफूय कय ददमा।
56. सय उिाना – (ववद्रोह कयना) – गरत तयीके से बायत भें घुस आए रोग बी सयकाय के
आगे सय उिा यहे हैं।
57. भॉह
ु खोरना – (आवार् उिाना/ववयोध कयना/याज उगर दे ना) – भदहराएॉ अफ अफरा
नहीॊ हैं, अत्माचाय के खखराप भॉह
ु खोरने रगी हैं।
58. ददर ऩसीजना – (दमा आना) – गयीफ फच्चों को बीख भाॉगता दे खकय भेया ददर ऩसीज
जाता है ।
59. जी जान से जुटना – (ऩूयी तैमायी के साथ काभ िुरू कयना) – ऩयीऺा भें अफ जमादा
ददन नहीॊ फचे हैं इसलरए तैमायी भें जी जान से जुट जाना चादहए।
60. तततय बफतय होना – (बीड़ का टूट जाना) – ऩुलरस के डॊडा फयसाते ही ऩत्थयफाजों की
बीड़ तततय बफतय हो गई।
61. हाथ ऩाॉव दहराना – (कोलिि/प्रमास कयना) – फैिकय खाना जमादा ददन तक नहीॊ
लभरेगा इसलरए हाथ ऩाॉव दहरा लरमा कयो।
62. ददर भसोस कय यह जाना – (भजफूयी भें चऩ
ु यह जाना) – अणिव ने गरती की थी
इसलरए थप्ऩड़ खाकय बी ददर भसोस कय यह गमा।
63. भॉह
ु रटकाना – (उदास होना) – अच्छे नॊफय नहीॊ आने के कायण वह भॉह
ु रटकाकय
घूभ यहा है ।
64. सूक्तत-फाण चराना - (व्मॊग्मऩूण/ि चब
ु ती फातें कहना) – एक तो उसके अच्छे अॊक
नहीॊ आए औय तुभ उसऩय सूक्तत फाण चराए जा यहे हो।
65. सामे से बागना – (डय जाना/ककसी से फचने की कोलिि) – जफसे याहुर नयें द्र से वऩटा
है , उसके सामे से बी बागता है ।
66. ऩाॉव ऩसायना – (पैरना/ववस्ताय कयना) – कोयोना वामयस ने ऩूये सॊसाय भें ऩैय पैरा
लरमा।
67. लसय कपयना - (फुद्गध काभ न कयना/ददभाग खयाफ होना) – इभयान का लसय कपय
गमा था, वह बायत से टकयाने की सोच यहा था।
68. नीॊव का ऩत्थय – (भहत्त्वऩूणि व्मक्तत) – डॉ कराभ बायतीम यऺा अनुसॊधान के लरए
भीर के ऩत्थय भाने जाते हैं।
69. याई का ऩहाड़ फनाना – (फात को फढ़ा चढ़ा कय प्रस्तुत कयना) – फस एक फाय ही तो
लभर ऩाए थे दोनों, रोगों ने याई का ऩहाड़ फना ददमा।
70. फाएॉ हाथ का खेर – ( आसान काभ) – ऩाककस्तान को हयाना बायत के लरए फाएॉ हाथ
का खेर है ।
71. तरवाय खीॊच रेना – (रड़ने ऩय आभादा) – आकाि भें धैमि की फहुत कभी है , फात
फात ऩय तरवाय खीॊच रेता है ।
72. सूयज को दीऩक ददखाना – (फहुत फड़े व्मक्तत/काभ के साभने फहुत छोटा प्रमास) –
बायत से ऩाककस्तान की तर
ु ना कयना सयू ज को दीऩक ददखाने के सभान है ।
73. सोने ऩे सुहागा – (ककसी व्मक्तत/वस्तु का भहत्त्व फढ़ा दे ना) – ऩढाई भें अव्वर अमसमा
का गीत गाना सोने ऩे सह
ु ागा है ।
74. पूरा न सभाना – (फहुत जमादा खि
ु ) – ऋवषका के प्रथभ आने ऩय उसके भाता-वऩता
पूरे नहीॊ सभा यहे ।
75. अॊग अॊग टूटना – (फहुत जमादा थकान) – फहुत दे य तक ऩढाई कयने के कायण भेये
अॊग अॊग टूट यहे हैं।
76. कर ऩड़ना – (आयाभ/चैन लभरना) – कई ददनों तक रगाताय काभ कयने फाद आज
कर ऩड़ा है ।
77. उसनीस फीस होना – (फहुत भाभूरी अॊतय) – योदहत औय ववयाट भें उसनीस फीस का
अॊतय है ।
78. अऩने ऩाॉव ऩय कुल्हाड़ी भायना – (अऩना ही नक
ु सान कयना) – आतॊकवाद को फढ़ावा
दे कय ऩाककस्तान ने अऩने ऩाॉव ऩय कुल्हाड़ी भाय री।
79. गड़े भुदे उखाड़ना – (फीती/बूरी हुई फातें माद कयना) – गड़े भुदे उखाड़ने से कुछ नहीॊ
होगा, फीती फातें बूरकय रयकते भें आगे फढ़ना चादहए।
80. घात रगाना – (ककसी चीज के लरए चौकसना यहना) – आतॊकवाददमों को ऩकड़ने के
लरए सैतनक घात रगाकय फैिे हैं।
81. घी के दीमे जराना – (फहुत खि
ु होना) – याभ के अमोध्मा वाऩस आने के फाद रोगों
ने घी के दीमे जराए।
82. अऩनी खखचड़ी अरग ऩकाना – (सफसे अरग/लबसन ववचाय) – चीन असम दे िों के साथ
जानकायी साझा नहीॊ कयता, वह अऩनी खखचड़ी अरग ऩकाता यहता है ।
83. कूट कूट कय बयना – (ककसी वस्तु/गुण आदद का फहुत अगधक भात्रा भें होना) – बायत
के रोगों भें दे िप्रेभ की बावना कूट कूट कय बयी है ।
84. जान फख्िना – (भाफ़ कय दे ना) – याष्रऩतत ने तनबिमा के दोवषमों की जान नहीॊ
फख्िी।
85. हतका फतका यह जाना – (है यान यह जाना) – भौत की सजा सन
ु कय अऩयाधी हतका
फतका यह गमा।
86. कान खड़े होना – (सतकि यहना) – सीभा ऩय तैनात सैतनकों के कान हभेिा खड़े होते
हैं।
87. खोज खफय रेना – (हार चार ऩूछना) – दयू यह यहे अऩने लभत्रों की खोज खफय रेती
यहनी चादहए।
88. हाथ से तनकर जाना – (ऩकड़/ऩहुॉच से फाहय हो जाना) – फहुत कोलििों के फाद बी
चोय ऩुलरस के हाथ से तनकर गमा।
89. खन
ू की नदी फहाना – (फहुत कत्रेआभ) – आतॊकवाददमों ने काफुर भें खन
ू की नदी
फहा दी।
90. जोड़ का न होना – (टतकय/फयाफयी का न होना) – ववयाट के जोड़ का खखराड़ी ऩयू े
सॊसाय भें नहीॊ है ।
91. खार खीॊचना – (फहुत भायना/वऩटाई कयना) – ऩहरे के अध्माऩक फच्चों की छोटी छोटी
गरततमों ऩय बी उनकी खार खीॊच लरमा कयते थे।
92. ददर भें उतय जाना – (फहुत ऩसॊद आना) – भोदी जी अऩने गुणों के कायण जनता के
ददर भें उतय गए।
93. हाथ न रगना – (ऩकड़ भें नहीॊ आना) – फहुत कोलििों के फाद बी चोय ऩलु रस के
हाथ नहीॊ रगा।
94. आसभान सय ऩय उिा रेना – (फहुत िोय भचाना) – थोड़ी दे य के लरए बी अगय
अध्मावऩका कऺा भें हो तो फच्चे आसभान सय ऩय उिा रेते हैं ।
95. फाट जोहना – (प्रतीऺा/इॊतजाय कयना) – जनता फाट जोहती यही ऩय नेता जी नहीॊ
आए।

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