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शरारत की सज़ा

उद्दे श्य

• दूसरों की तकलीफ़ समझने की सीख दे ना ।

• ऐसी शरारत जो दूसरों को कष्ट पहु ँचाए , न करने की

शक्षा दे ना ।

• क्षमा करने का भाव जगाना ।


पुनरावृ त्त

• सौरभ और कुणाल दोनों एक ही छात्रावास के कमरे में , एक ही कक्षा में पढ़ते थे ।

• दोनों अच्छा क्रिकेट खेलते थे । दोनों का स्वाभाव बलकुल अलग था ।

• सौरभ समझदार , शांत और दयालु था जब क कुणाल चंचल और शरारती था ।

• सौरभ समय का सदुपयोग करता , दूसरों की मदद के लए तत्पर रहता था जब क

कुणाल दूसरों को परे शान करने में समय व्यथर्ड करता था । अपनी शररातों के कारण हर

जगह सबसे डाँट खाया करता था ।


• सौरभ के सेवाभाव को दे खकर कुणाल श मर्मिंदा हु आ उसने अपनी गलती स्वीकार कर ली।

सौरभ ने उसे माफ़ कर दया और अपने जीवन को अनुशा सत करने को कहा ।


नए शब्द

1. छात्रावास

२. संयोग

३. अ भनय

४. दशा

५. वाडर्डन
६. शरारत

७. बच्छू

८. कष्ट

९. भौचक्का
१०.अनुशा सत
बोलकर
क. सौरभ और कुणाल कौन थे ?

उत्तर - सौरभ और कुणाल दोनों गहरे मत्र थे । एक ही छात्रावास के एक ही कमरे में

रहते और एक ही कक्षा में पढ़ते थे । दोनों अच्छा क्रिकेट भी खेलते थे ।

ख. कुणाल ने क्रिकेट मैदान पर क्या दे खा ?


उत्तर - कुणाल ने क्रिकेट मैदान पर एक बच्छू दे खा ।

ग. कुणाल कैसे स्वभाव का था ?


उत्तर - कुणाल चंचल और शरारती स्वभाव का था । सबको परे शान करने में ही उसे मज़ा

आता था । वह घड़ी भर टक कर कहीं बैठ नहीं सकता था । अपनी शरारतों के कारण हर

जगह डाँट खाता था ।


3. कसने - कससे कहा ?

क. " तुम्हे स्वयं अपनी गलती का एहसास हो गया । "

उत्तर - सौरभ ने कुणाल से कहा ।

ख. " यह बच्छू यहाँ छात्रावास में आया कहाँ से ? "

उत्तर - वाडर्डन सर ने छात्रों से पूछा ।

ग. " मुझे मेरी गलती का फल मल गया । "

उत्तर - कुणाल ने सौरभ से कहा ।


लखकर :

क. सौरभ का स्वाभाव कैसा था ?

उत्तर - सौरभ बहु त समझदार ,शांत और दयालु स्वभाव का था । वह हर समय

छात्रावास के अन्य छात्रों की मदद के लए तैयार रहता था ।

ख. कुणाल ने क्या शैतानी की थी ?

उत्तर - कुणाल ने एक दन खेलते समय क्रिकेट के मैदान में एक बच्छू दे खा और उसे

चमटे के सहारे पकड़कर एक छोटे से डब्बे में बंद कर लया और छात्रावास पहु ँचकर सौरभ

के जूते में डाल दया ता क वह उस दृश्य का मज़ा ले सके जब सौरभ अपने पैर जूते में

डालेगा और उछल पड़ेगा ।


ग. क्या बात सुनकर कुणाल के पैरों तले ज़मीन खसक गई ?

उत्तर - जब कुणाल का इलाज चल रहा था तब वाडर्डन सर ने पूछा की यह बच्छू

छात्रावास में कैसे आया ? यह सुनकर कुणाल के पैरों तले ज़मीन खसक गई ।

घ. कुणाल को अपनी गलती का एहसास कैसे हु आ , फर उसने क्या कया ?

उत्तर - जब सौरभ ने दन - रात कुणाल की दे खभाल की , उसे समय पर दवा दे ता ,

बगीचे में ले जाता , उसके साथ बगीचे में समय बताता । सौरभ का अपने प्र त सेवा

भाव दे खकर कुणाल बहु त श मर्मिंदा हु आ । तब उसने सौरभ से माफ़ी माँगी और कहा क

उसे उसकी गलती का फल मल गया है । उसे परे शान करने के लए उसने उसके जूते

में बच्छू डाला था ।


य द हमारी वजह से कसी को पीड़ा पहु ँचे तो सबसे पहले

हमें उसकी माफ़ी माँगनी चा हए और ऐसी गलती हमें कभी

भी दोहरानी नहीं चा हए।


शरारत की सज़ा
अवधारणा नक्शा

उद्दे श्य -क्षमा करने का


• मुख्य पात्र - सौरभ , कुणाल
भाव जगाना ।

• शक्षा -ऐसी शरारत जो दूसरों


व्याकर णक बंद ु -मुहावरे , ' र को कष्ट पहु ँचाए , न करने
' के रूप , क्रिया , द् वत्व की
व्यंजन , संयुक्त व्यंजन शक्षा दे ना ।

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