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लघुउत्तरीय प्रश्न
2. क. सुरबाला मनोहर पर
ख. सुरबाला मनोहर की ओर दे ख नहीं रही थ़ी और उससे बात नहीं कर रही थ़ी केवल उसके बारे में
सोच रही थ़ी।
1. भाड बनात़ी हुई सुरबाला सोच रही थ़ी कक वह भाड के ऊपर एक कुटी भ़ी बनाएग़ी। वह इस़ी में
रहेग़ी। किर उसने सोचा कक मनोहर कुटी में नहीं रहेगा। वह भाड में पत्ते झोंकेगा। हारने अथाखत
थक जाने पर और बहुत कहने पर ही अंदर आने दे ग़ी। किर बाललका को लगा कक उसके अंदर
आने से पहले वह शतख लगाएग़ी। अगर वह नहीं माना तो वह भाड के बाहर धूप में खडा रहेगा।
इस प्रकार सुरबाला के मन में तरह-तरह के ववचार आ रहे थे।
2. सुरबाला दख
ु ़ी हो गई क्योंकक वह भाड जजसको उसने इतऩी मेहनत से बनाया था, मनोहर ने एक पैर
मारकर चकनाचूर कर ददया। उसकी सारी कल्पनाएाँ लमट्टी में लमल गईं। इससे सुरबाला को बहुत दख
ु
और आश्चयख हुआ और वह वहााँ चुपचाप खड़ी रही।
3. रूठी सुरबाला को मनोहर दे ख नहीं पा रहा था। उसे लग रहा था कक उससे कोई अपराध हो गया है।
वह उसे मनाते हुए कहने लगा कक सुरबाला उसपर गुस्सा करे , रे त िेंके, थप्पड मारे , परं तु सुरबाला ने
कहा कक मुझे मेरा भाड दोबारा बनाकर दो। सुरबाला जैसा कहत़ी गई मनोहर वैसा ही करता गया। इस
प्रकार मनोहर ने सुरबाला को मनाया।
4. मनोहर ने जब भाड बनाकर दे ददया तो सुरबाला ने उसमें कुछ बदलाव करवाए। भाड में धुएाँ का
रास्ता बनवाया, कुटी बनवाई, स़ींक लगवाई, पत्ते की ओट लगवाई और किर अंत में जल लाने को कहा
ताकक वह भाड का अलभषेक कर सके।
5. अपने भाड के टूटने पर मनोहर गुस्सा नहीं हुआ क्योंकक वह और सुरबाला, दोनों एक-दस
ू रे का काम
नष्ट कर चुके थे और दोनों ही बराबरी पर आ गए थे। अब वे एक-दस
ू रे को क्षमा करके किर से दोस्त
बन सकते थे।
6. यह पाठ बच्चों के ननमखल स्वभाव के ववषय में पयाखप्त जानकारी दे ता है। बच्चे दे र तक रूठे नहीं
रहते, वे एक-दस
ू रे को मनाना जानते हैं। उनमें मैत्ऱी भाव एवं परस्पर प्रेम की भावना रहत़ी है । उनका
स्वभाव छल-कपट से दरू , पववत्र और ईष्याख से रदहत होता है।