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VIII Hindi Sec Lang cw15
VIII Hindi Sec Lang cw15
चेन्नई
ददनाुंक :- 18.1.2022
सूर के पद (पद्य)
प्रश्नोत्तर
प्र.1) बालक श्र कृष्ण ककस लोभ के कारण दू ध प ने के कलए तैयार हुए ?
उ) माता यशोदा कृष्ण से बार-बार कहत थ कक दू ध प ने से उनक चोट बलराम क चोट क तरह लींब , बड़
और मोट हो जाएग । कृष्ण अपन चोट को बड़ होते दे खना चाहते थे। इस लोभ के कारण श्र कृष्ण दू ध प ने के
कलए तैयार हुए।
प्र.2) दू ध क तुलना में श्र कृष्ण कौन-सा खाद्य पदाथथ को अकधक पसींद करते थे ?
उ) दू ध क तुलना में श्र कृष्ण माखन-रोट खाना अकधक पसींद करते थे।
प्र.3) कृष्ण ककस समय गोप के घर जाते थे ? उन्हें इस समय क्ोीं उकचत लगता था ?
उ) कृष्ण दोपहर के समय गोप के घर गए। दोपहर का समय ऐसा होता है कक काम करने के बाद लोग आराम
करते हैं या सो जाते हैं । ऐसे में चारोीं ओर सुनसान होता है । यह समय उन्हें माखन चोर के कलए उकचत लगता है ।
प्रश्नोत्तर
प्र.1) अचानक सााँप क गुफा में कौन आ कगरा ? उसक दशा कैस थ ?
उ) अचानक सााँप क गुफा में एक बाज आ कगरा। उसक छात पर अनेक घाव थे। उसके पींख टू ट गए थे और
खून में सने हुए थे। वह अधमरा-सा होकर ज़ोर-ज़ोर से हााँ फ रहा था ।
प्र.2) घायल होने के बाद भ बाज ने यह क्ोीं कहा, "मुझे कोई कशकायत नह ीं है। " कवचार प्रकट क कजए।
उ) बाज ने ऐसा कहा क्ोींकक उसने कज़ींदग को ज भरकर कजया था । उसके शर र में जब तक ताकत था, उसने
सभ सुख भोगे थे। उसने अपने पींखोीं के दम पर दू र-दू र तक उड़ान भर थ और आकाश क अस म ऊाँचाइओीं
को अपने पींखोीं से नाप आया था।
उ) सााँप द्वारा प्रेररत करने पर बाज एक नए उत्साह से भर उठा। वह अपना घायल शर र को चट्टान के ककनारे तक
घस टकर लाया। बाहर का खुला-सा आसमान दे खकर वह खुश हो उठा। उसने अपने पींख फैलाए और वह उड़ने
के कलए हवा में कूद पड़ा।
प्र.4) सााँप उड़ने क इच्छा को मूखथतापूणथ मानता था । कफर उसने उड़ने क कोकशश क्ोीं क ?
उ) सााँप अपने स कमत दायरे में केवल रें गते हुए सींतुष्ट था। वह उड़ने क इच्छा को मूखथतापूणथ मानता था। लेककन
जब वह बाज के घायल होने पर भ उसक उड़ने क अस म चाह दे खता है तो उसके मन में भ इच्छा जागृत हुई।
उसने सोचा कक आकाश में ऐसा क्ा है कजसके कवयोग में बाज इतना व्याकुल होकर छटपटा रहा था। तब उसने
उड़ने क कोकशश क ।
महावरे (26-30)
26. कगरकगट क तरह रीं ग बदलना( अवसरवाद होना) - अवसरवाद सदै व अवसर दे खकर ह काम करते हैं और
मौका पाते ह अपना स्वाथथ कसद्ध कर लेते हैं । ऐसे लोग कगरकगट क तरह रीं ग बदलते रहते हैं ।
27. गुदड का लाल (साधारण घर में जन्मा हुआ, साधारण वेश-भूषा में रहने वाला असाधारण गुण )
- रोहन ने झुग्ग -झोींपकड़योीं में रहकर तथा कनधथनता को झेलते हुए भ इीं ज कनयररीं ग क पर क्षा पास कर ल , सच में
गुदड़ का लाल है ।
29. चादर तानकर सोना(कनकचींत होना) - सार इमारत आतींककयोीं से कगर है और तुम वहााँ चादर तानकर सो रहे
हो।
30. चेहरे पर हवाइयााँ उड़ना(घबरा जाना) - सबके सामने अपन असकलयत खुलते दे ख मन ष के चेहरे पर हवाइयााँ
उड़ने लग ।
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