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MS Xii Hindi
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प्र.सं. अंक
2 (ख) रािण से
3 (क) श्रीराम का
4 (ग) श्रीराम की भवि का प्रमाण देने के वलए
5 (ग) इस काव्यांश की रचना कवित्त छंद में की गई है ।
2 (ग) इस सभ्यता में सभी प्रकार के साधन थे ककतु कदखािा नहीं था।
3 (क) यशोधर बाबू ने बुआ जी के पास पैसे वभजिाने के वलए।
4 (ख) सादगी, सरलता, आत्मीयता, भारतीय संस्कृ वत से लगाि
5 (क) विपरीत पररवस्थवतयों से संघषड करके जीिन लक्ष्य में आगे बढना
6 (ख) ताकक उतहें गुड़ के अच्छे भाि वमल सके ।
7 (ग) आनंदा
8 (ख) कथन एक गलत और कथन दो सही
9 (घ) मुअनजो-दड़ो देखकर लेखक को धोलािीरा की याद आ गई l
10 (ग) ऐवतहावसक इमारतों में बीते हुए जीिन के वचतह महसूस होते हैं।
7 अप्रत्यावशत विषयों में से ककसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख 6X1=6
प्रस्तािना – 1, अंक
विषयिस्तु - 3 अंक
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प्रस्तुवत – 1 अंक
भाषा – 1 अंक
8 क कहानी पढी और वलखी जाती है जबकक नाटक का मंच पर मंचन ककया जाता है l 3X2=6
कहानी का संबंध लेखक और पाठकों से होता है जबकक नाटक का संबंध लेखक,वनदेशक,दशडक से होता
है l
कहानी को कहीं भी पढा और सूना जा सकता है जबकक नाटक को मंच पर ही देखा जा सकता है l
ख रे वडयो नाटक में पात्रों की संख्या का वनधाडरण उसकी अिवध के आधार पर ककया जाता है l
15-20 वमनट की अिवध िाले रे वडयो नाटक में 5-6 पात्र,30-40 वमनट की अिवध िाले
नाटक में 8-12 पात्र और 1 घंटा या उससे अवधक की अिवध िाले रे वडयो नाटक में 15-20
पात्र रखे जा सकते हैं l
ग नए और अप्रत्यावशत विषयों पर लेखन करिाने का उद्देश्य यह है कक विद्यार्थथयों की रटने
की आदत को दूर करना तथा उनके अतदर मौजूद मौवलकता और रचनात्मकता को बढािा
देना l
9 क समाचार लेखन की सबसे लोकवप्रय, उपयोगी और बुवनयादी शैली उलटा वपरावमड शैली है। 4X2=8
इसे विलोम स्तूपी कहते हैं l यह कहानी लेखन की शैली के ठीक विपरीत है वजसमें
क्लाइमेक्स उलटा वपरावमड में समाचार का ढााँचा आवखरी में आता है। समाचार के आरम्भ
में हो समाचार की पूरी जानकारी दे दी जाती है, कफर धीरे -धीरे घटते क्रम में उन खबरों को
आगे बढाते हुए उनका अतत ककया जाता है।
ख मीवडया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ इसवलए कहा जाता है क्योंकक मीवडया का कायड
लोकतंत्र के आधारभूत स्तंभों की कायडप्रणाली पर वनगरानी रखना है और साथ ही साथ
इनको आिश्यकता होने पर परामशड देना भी है l इसका मूल उद्देश्य लोकतंत्र को अक्षुण्ण ि
सुचारू बनाए रखना है l
ग विशेष लेखन यानी ककसी खास विषय पर सामातय लेखन से हटकर ककया गया लेखन
अखबारों के वलए समाचारों के अलािा खेल, अथड-व्यापार, वसनेमा या मनोरं जन आकद
विवभन्न क्षेत्रों और विषयों संबंवधत घटनाओं, समस्याओं आकद से संबंवधत लेखन विशेष लेखन
कहलाता है। इस प्रकार के लेखन की भाषा और शैली समाचारों की भाषा-शैली से अलग
होती है। विशेष लेखन की कोई वनवित शैली नहीं होती। विषय अनुसार उल्टा वपरावमड या
फीचर शैली का प्रयोग हो सकता है। पत्रकार चाहे कोई भी शैली अपनाएाँ लेककन उसे यह
ध्यान में रखना होता है कक खास विषय में वलखा गया सामातय से अलग होना चावहए।
10 क अक्षय पात्र का अथड होता है- हमेशा भरा रहने िाला पात्र । अक्षय-पात्र कभी खाली नहीं 3X2=6
होता। कविता भी रस का एक अक्षय पात्र है। इस अक्षय पात्र में से वजतना भी रस बााँटा
जाए, ये कभी समाप्त नहीं होता।
ख उषा कविता में कवि ने गवतशील हबब योजना का प्रयोग करते हुए गााँि की सुबह का सुंदर
शब्द-वचत्र प्रस्तुत ककया है। बहुत सुबह पूिड कदशा में सूयड कदखाई देने से पहले आकाश नीले
शंख के समान प्रतीत हो रहा था। उसका रं ग ऐसा लग रहा था जैसे ककसी गााँि की मवहला ने
चूल्हा जलाने से पहले राख से चौका पोत कदया हो। उसका रं ग गहरा था। कु छ देर बाद
हल्की-सी लाली ऐसे कदखाई दी जैसे काले वसल पर जरा-सा लाल के सर मल कदया हो और
कफर उसे धो कदया हो या ककसी स्लेट पर लाल खवड़या या चाक मल कदया गया हो। आकाश
के नीलेपन में सूयड ऐसे प्रकट हुआ जैसे नीले जल में ककसी युिती का गोरा सुंदर शरीर
वझलवमलाता हुआ प्रकट हो रहा हो। लेककन सूयड के कदखाई देते ही यह सारा प्राकृ वतक सौतदयड
वमट गया। कवि के द्वारा प्रस्तुत हबब योजना गवतशील है और उससे पल-पल बदलते गााँि के
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के प्राकृ वतक दृश्यों की सुंदरता प्रकट हो रही है।
ग कै मरे में बंद अपावहज 'कविता में दूरदशडन के भौंड़े कायडक्रमों पर करारा प्रहार ककया गया है।
इस कविता में कवि ने शारीररक रूप से दुबडल व्यवि के प्रवत करुणा भाि प्रकट ककए हैं लेककन
दूरदशडन कै मरा अपने कायडक्रम को सफल बनाने के वलए अपावहज के प्रवत संिेदनहीन रिैया
अपनाता है। कै मरे िाले दशडकों को कदखाते हुए अपावहज की संिेदनाओं को नहीं देखते।
दूरदशडन शारीररक चुनौती झेलते लोगों के प्रवत संिेदनशीलता की अपेक्षा संिेदनहीनता का
रिैया अपनाता है, वजसके कारण अपावहज लोगों के हृदय में क्रूरता के भाि पैदा हो जाते हैं।
11 क वचवड़या के परों में चंचलता इसवलए है क्योंकक घोंसले में बच्चे उसका इंतज़ार कर रहे होंगे। 2X2=4
दूसरी ओर कवि के पैरों में वशवथलता इसवलए है कक कोई भी उससे वमलने को व्याकु ल नहीं
होगा। अके लेपन की पीड़ा इस कविता का प्रवतपाद्य है। मानि ही नहीं पशु -पक्षी भी
भािनात्मक ररश्तों के कारण अपने जीिन में उत्साह, अनुभि करते हैं।
ख कवि ने जब भािों को भाषा के दायरे में बााँधने की कोवशश की तो बात का प्रभाि समाप्त हो
गया। िह शब्दों के चमत्कार में खो गई और असरहीन हो गई।
ग बादल राग कविता में कवि सूयडकांत वत्रपाठी वनराला पूंजीिाद का घोर विरोध करते हुए
दवलत और शोवषत िगड की कामना के उद्देश्य से बादलों का आह्िान करते हैं l
12 क मन खाली हो तब बाजार ना जाओ लेखक ने ऐसा इसवलए कहा ताकक व्यवि बाजार में रखी 3X2=6
हुई प्रत्येक अनािश्यक िस्तुओं की खरीद ना करे । मैं इस विचार से पूरी तरह सहमत हाँ।
ख इंद्रसेना पर पानी बरसाने को लेखक पानी की बबाडदी मानते थे जबकक जीजी इंद्रसेना पर
बरसाए हुए पानी को त्याग मानती थी ।
ग पहलिान की ढोलक की थाप सुनकर के गांि िालों की आंखों के सामने दंगल का दृश्य जीिंत
हो जाता था और उनके मन में पीड़ा और ददड के अनुभि के स्थान पर उत्साह का संचार होता
था।
13 क पुत्र की चाह में पररिार के लोग ही कतया को जतम देने िाली मां के दुश्मन हो जाते हैं और 2X2=4
यह बात भविन पाठ में शत प्रवतशत सही सावबत हुई है। तीन- तीन पुवत्रयों को जतम देने
िाले लछवमन को घर का पूरा कायड करने के पिात भी रुखा सूखा भोजन वमलता था जबकक
उसकी जेठावनयों को स्िाकदि भोजन वमलता था। लछवमन घर भर की उपेक्षा का वशकार
होती थी l
ख खक ने वशरीष को कालजयी अिधूत कहा है। अिधूत िह संतयासी होता है जो विषय-
िासनाओं से ऊपर उठ जाता है, सुख-दुुःख हर वस्थवत में सहज भाि से प्रसन्न रहता है तथा
फलता-फू लता है। िह करठन पररवस्थवतयों में भी जीिन-रस बनाए रखता है। इसी तरह
वशरीष का िृक्ष है। िह भंयकर गरमी, उमस, लू आकद के बीच सरस है। िसंत में िह लहक
उठता है तथा भादों मास तक फलता-फू लता रहता है। उसका पूरा शरीर फू लों से लदा रहता
है।
ग डॉक्टर भीमराि अंबेडकर के अनुसार के िल के िल शारीररक रूप से गुलाम बनाना ही दासता
का सूचक नहीं है यकद कोई व्यवि अपनी इच्छा के अनुसार व्यिसाय को नहीं अपना पाता है
और उसे समाज के द्वारा थोपे गए व्यिसाय को करने के वलए वििश होना पड़ता है तो िह
भी एक प्रकार की दासता है l
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