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िशक्षा िनदेशालय, रा ट्रीय राजधानी क्षेत्र, िद ली

अ यास प्र पत्र


कक्षा XII (2022-23)
िहंदी (ऐि छक) (002)
अिधकतम अंक-80 अविध: 3 घंट े
सामा य िनदश:- िन निलिखत िनदश का पालन कीिजए –
 इस प्र नपत्र म दो खंड ह- खंड ‘अ’ और खंड ‘ब’ l खंड ‘अ’ म व तुपरक और खंड ‘ब’ म वणर्ना मक
प्र न पूछे गए ह।
 खंड ‘अ’ म कुल 48 व तुपरक प्र न पूछे गए ह, िजनम से 40 प्र न के उ तर दे ने ह।
 खंड ‘ब’ म कुल 8 वणर्ना मक प्र न पूछे गए ह, इनम उप-प्र न भी िदए गए ह। कुछ प्र न के वैकि पक
प्र न भी सि मिलत ह।
 िदए गए िनदश का पालन करते हुए प्र न के उ तर दीिजए।
प्र न खंड ‘अ’ व तुपरक प्र न अंक
संख्या (उपभार
x प्र न)
अपिठत ग यांश (10)
प्र न 1. िन निलिखत म से िकसी एक ग यांश को यानपव
ू क
र् पिढ़ए :-
भाषा बोल-चाल की भी होती है और िलखने की भी। बोल-चाल से हम अपने करीब के लोगो
पर अपने िवचार प्रकट करते है — अपने हषर्-शोक के भाव का िचत्र खींचते है । सािह यकार
वही काम लेखनी वारा करता है । हाँ, उसके
ोताओं की पिरिध बहुत िव तत
ृ होती है , और
अगर उसके बयान मे स चाई है , तो शताि दय और युग तक उसकी रचनाएँ दयो को
प्रभािवत करती रहती है । पर तु मेरा अिभप्राय यह नहीं है िक जो कुछ िलख िदया जाए,
वह सब का सब सािह य है । सािह य उसी रचना को कहे गे िजसमे कोई स चाई प्रकट की
गयी हो, िजसकी भाषा प्रौढ़, पिरमािजर्त एव सु दर हो और िजसमे िदल और िदमाग पर
असर डालने का गण
ु हो और सािह य मे यह गण
ु पूणर् प से उसी अव था मे उ प न
होता है , जब उसमे जीवन की स चाइयाँ और अनुभिू तयाँ यक्त की गयी ह । ितल माती
कहािनय , भत
ू -प्रेत की कथाओं ओर प्रेम-िवयोग के आख्यान से िकसी जमाने मे हम भले
ही प्रभािवत हुए हो; पर अब उनम हमारे िलए बहुत कम िदलच पी है । इसमे स दे ह नहीं
िक मानव-प्रकृित का ममर्ज्ञ सािह यकार राजकुमार की प्रेम-गाथाओं और ितल माती
कहािनय मे भी जीवन की स चाइयाँ वणर्न कर सकता है , और सौ दयर् की सिृ ट कर
सकता है , पर तु इससे भी इस स य की पुि ट ही होती है िक सािह य मे प्रभाव उ प न
करने के िलए यह आव यक है िक वह जीवन की स चाइय का दपर्ण हो। िफर आप उसे
िजस चौखटे मे चाहे , लगा सकते है — िचड़े की कहानी और गल
ु ोबुलबुल की दा तान भी
उसके िलए उपयुक्त हो सकती है । सािह य की बहुत-सी पिरभाषाएँ की गयी है ; पर मेरे

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िवचार से उसकी सव तम पिरभाषा 'जीवन की आलोचना' है । चाहे वह िनब ध के प म
हो, चाहे कहािनय के, या का य के, उसे हमारे जीवन की आलोचना और याख्या करनी
चािहए।
िन निलिखत म से िनदशानुसार सबसे उिचत िवक प का चयन कीिजए- 1x10=
10
(i) िकसकी पिरिध सबसे िव तत
ृ होती है ?
(क) लेखक
(ख) ोता
(ग) वक्ता
(घ) दशर्क
(ii) ग यांश के अनस
ु ार सािह य िकसे कहा जाना चािहए?
(क) िजसम िक से-कहािनयाँ ह
(ख) िजसम क पना का स दयर् हो
(ग) िजसम जीवन का यथाथर् िचत्रण हो
(घ) िजसम जाद ू और ितल म हो
(iii) ग यांश के अनुसार सािह य मे प्रभाव कैसे उ प न िकया जा सकता है ?
(क) सौ दयर् की सिृ ट वारा
(ख) जीवन की स चाइय को िदखाकर
(ग) भत
ू -प्रेत और जादई
ु घटनाओं को िदखाकर
(घ) प्रेम की सख
ु द अनुभिू त को िदखाकर
(iv) िकस प्रकार के सािह यकार की रचनाएँ शताि दय और युग तक दयो को प्रभािवत करती
रहती ह?
(क) िजनके लेखन म ग प होता है
(ख) िजनके लेखन म क पना होती है
(ग) िजनके लेखन म सच होता है
(घ) िजनके लेखन म िम या होती है
(v) ितल माती कहािनय , भत
ू -प्रेत की कथाओं ओर प्रेम-िवयोग के आख्यान म लेखक की
िदलच पी अब क्य नहीं है ?
(क) क्य िक अब उनम मनोरं जन का त व नहीं रहा
(ख) क्य िक वे जीवन के यथाथर् से बहुत दरू ह
(ग) क्य िक वे अब सािह य का उ े य बन गई ह
(घ) क्य िक उनकी रचना अब बहुत कम हो गई ह
(vi) लेखक के अनुसार सािह य की सव तम पिरभाषा है -
(क) जीवन की क पना

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(ख) जीवन की आलोचना
(ग) जीवन की तुलना
(घ) जीवन की संक पना
(vii) िजस सािह य म जीवन की स चाइयाँ और अनुभिू तयाँ यक्त की जाती ह, उनका प्रभाव
होता है -
(क) सीिमत
(ख) यापक
(ग) संकुिचत
(घ) सू म
(viii) लेखक के अनुसार िचड़े की कहानी और गल
ु ोबुलबुल की दा तान भी वा तिवक सािह य की
ेणी म कब आ जाते ह?
(क) जब उनम फंतासी युक्त िचत्रण होता है
(ख) जब उनम दख
ु का स चा िचत्रण होता है
(ग) जब उनम जीवन का स चा िचत्रण होता है
(घ) जब उनम स चे सख
ु का िचत्रण होता है
(ix) िन निलिखत म भाषा का कौन-सा प नहीं होता?
(क) िलिखत
(ख) मौिखक
(ग) सांकेितक
(घ) पािक्षक
(x) ‘पिरमािजर्त’ श द का क्या अथर् है ?
(क) एकत्र िकया हुआ
(ख) साफ़ अथवा मांजा हुआ
(ग) अपिरवितर्त
(घ) अिजर्त िकया हुआ
अपिठत प यांश (8)
प्र न 2. िन निलिखत म से िकसी एक प यांश को यानपव
ू क
र् पिढ़ए :-
क्या रोकगे प्रलय मेघ ये, क्या िव यत
ु ्-घन के नतर्न,
मझ
ु े न साथी रोक सकगे, सागर के गजर्न-तजर्न।
म अिवराम पिथक अलबेला के न मेरे कभी चरण,
शल
ू के बदले फूल का िकया न मने िमत्र चयन।
म िवपदाओं म मस
ु काता नव आशा के दीप िलए,
िफर मझ
ु को क्या रोक सकगे जीवन के उ थान-पतन।
म अटका कब, कब िवचिलत म, सतत डगर मेरी संबल,

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रोक सकी पगले कब मुझको यह युग की प्राचीर िनबल।
आँधी हो, ओले-वषार् ह , राह सप
ु िरिचत है मेरी,
िफर मझ
ु को क्या डरा सकगे ये जग के खंडन-मंडन।
मझ
ु े डरा पाए कब अंधड़, वालामिु खय के कंपन,
मझ
ु े पिथक कब रोक सके ह अिग्निशखाओं के नतर्न।
म बढ़ता अिवराम िनर तर तन-मन म उ माद िलए,
िफर मझ
ु को क्या डरा सकगे, ये बादल-िव युत ् नतर्न।
िन निलिखत म से िनदशानुसार सबसे उिचत िवक प का चयन कीिजए – 1x8=8
(i) किव वयं को क्या मानता है ?
(क) दे व
(ख) पिथक
(ग) िभक्षुक
(घ) नतर्क
(ii) किव ने फूल के थान पर शल
ू से िमत्रता क्य की है ?
(क) क्य िक उसकी ल य-प्राि त की इ छाशिक्त ढ है
(ख) क्य िक उसे फूल पसंद नहीं ह
(ग) क्य िक वह मागर् की बाधाओं से घबराता है
(घ) क्य िक उसम मानिशक बल की कमी है
(iii) किव िवपदाओं म भी क्या करता है ?
(क) नई आशा के दीप िलए नाचता है
(ख) नई आशा के दीप िलए रोता है
(ग) िनराशा के दीप िलए मु काता है
(घ) नई आशा के दीप िलए मु काता है
(iv) ‘अिग्निशखाओं के नतर्न’ म अलंकार है -
(क) अनुप्रास
(ख) पक
(ग) उपमा
(घ) मानवीकरण
(v) ‘अिवराम’ श द का अथर् है -
(क) िबना चले
(ख) िबना के
(ग) िबना समझे
(घ) िबना दौड़े
(vi) ‘युग की प्राचीर िनबल’ का भाव है -

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(क) आधुिनक आलीशान महल
(ख) प्राचीन जजर्र िकले
(ग) आधुिनक आलीशान िकले
(घ) प्राचीन जजर्र महल
(vii) किव के िलए कौन-सी राह सप
ु िरिचत है ?
(क) िन कंटक सरल राह
(ख) बाधाओं और िवपदाओं से भरी राह
(ग) फूल और सग
ु ध
ं से भरी राह
(घ) पवर्त झरने और जलाशय से भरी राह
(viii) ‘पतन’ श द का िवलोम िलिखए-
(क) उद्धार
(ख) उ नयन
(ग) उ साह
(घ) उ थान
अथवा
शांत ि नग्ध, यो ना उ जवल।
अपलक अनंत, नीरव भ-ू तल।
सैकत-श या पर दग्ु ध-घवल, त वंगी गंगा, ग्री म-िवरल,
लेटी ह ा त, क्ला त, िन चल।
तापस-बाला गंगा, िनमर्ल, शिश-मख
ु से दीिपत मद
ृ -ु करतल,
लहरे उर पर कोमल कंु तल।
गोरे अंग पर िसंहर-िसहर, लहराता तार-तरल सु दर
चंचल अंचल-सा नीलांबर।
साड़ी की िसकुड़न-सी िजस पर, शिश की रे शमी-िवभा से भर,
िसमटी ह वतुल
र् , मद
ृ ल
ु लहर।
चाँदनी रात का प्रथम प्रहर,
हम चले नाव लेकर स वर।
िसकता की सि मत-सीपी पर, मोती की यो ना रही िवचर,
लो, पाल चढ़ी, उठा लंगर।
मद
ृ ु मंद-मंद, मंथर-मंथर, लघु तरिण, हं िसनी-सी सु दर
ितर रही, खोल पाल के पर।
िन चल-जल के शुिध-दपर्ण पर, िबि बत हो रजत-पुिलन िनभर्र
दह
ु रे ऊँचे लगते क्षण भर ।
िन निलिखत म से िनदशानुसार सबसे उिचत िवक प का चयन कीिजए –

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(i) प्र तुत का यांश म िकसका वणर्न है ?
(क) प्रकृित का
(ख) नौका िवहार का
(ग) गंगा का
(घ) राित्र का
(ii) किव ने िकसे तपि वनी कहा है ?
(क) गंगा को
(ख) नदी को
(ग) राित्र को
(घ) प्रकृित को
(iii) ‘त वंगी’ श द का क्या अथर् है ?
(क) युवती
(ख) छरहरी
(ग) गंगा
(घ) नदी
(iv) किव ने िकसे केश के समान बताया है ?
(क) लहर को
(ख) पतवार को
(ग) द्रीप को
(घ) चंद्रमा को
(v) ‘मद
ृ ु मंद-मंद, मंथर-मंथर’ पंिक्त म िनिहत अलंकार क्या है ?
(क) अनुप्रास
(ख) पक
(ग) मानवीकरण
(घ) उपमा
(vi) िकसकी चमक रे शमी है ?
(क) नाव की
(ख) किव की
(ग) चंद्रमा की
(घ) उपयक्
ुर् त सभी की
(vii) ‘िसकता’ का अथर् क्या है ?
(क) रे त
(ख) धरती
(ग) नदी

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(घ) समद्र

(viii) नाव की कौन सी िवशेषता बताई गई है ?
(क) हं स के समान सद
ुं र
(ख) सय
ू र् के समान ती ण
(ग) पंक के समान मिलन
(घ) कोयल के समान मद
ृ ल

अिभ यिक्त और मा यम (5)
प्र न 3. िन निलिखत म से िनदशानुसार सबसे उिचत िवक प का चयन कीिजए – 1x5=5
(i) िह दी म नेट पत्रकािरता िकसके साथ आरं भ हुई?
(क) वैब दिु नया के साथ
(ख) दै िनक जागरण के साथ
(ग) दै िनक भा कर के साथ
(घ) राज थान पित्रका के साथ
(ii) समाचार पत्र प्रकािशत या प्रसािरत करने के िलए आिखरी समय सीमा को क्या कहा जाता
है ?
(क) लू लाइन
(ख) लैक लाइन
(ग) रे ड लाइन
(घ) डेड लाइन
(iii) संपादकीय िलखने का कायर् िकसका होता है ?
(क) विर ठ पत्रकार का
(ख) िरपोटर् लेखक का
(ग) संपादक और सहायक संपादक का
(घ) कोई भी िलख सकता है
(iv) किवता का ज म िकस परं परा के प म हुआ था?
(क) वािचक प म
(ख) िलिखत प म
(ग) यांित्रक प म
(घ) उपयक्
ुर् त तीन प म
(v) नाटक को कौन-सा का य कहते ह?
(क) य-का य
(ख) महा-का य
(ग) य-का य
(घ) खंड-का य

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पा य-पु तक (अंतरा भाग 2) (12)
प्र न 4. िन निलिखत का यांश को यानपूवक
र् पिढ़ए :-
अ ण यह मधुमय दे श हमारा!
जहाँ पहुँच अनजान िक्षितज को िमलता एक सहारा॥
सरल तामरस गभर् िवभा पर, नाच रही त िशखा मनोहर।
िछटका जीवन हिरयाली पर, मंगल कंु कुम सारा॥
लघु सरु धनु से पंख पसारे , शीतल मलय समीर सहारे ।
उड़ते खग िजस ओर मँह
ु िकए, समझ नीड़ िनज यारा॥
बरसाती आँख के बादल, बनते जहाँ भरे क णा जल।
लहर टकरातीं अन त की, पाकर जहाँ िकनारा॥
हे म कु भ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सख
ु मेरे।
मिदर ऊँघते रहते जब, जगकर रजनी भर तारा॥
िन निलिखत म से िनदशानस
ु ार सबसे उिचत िवक प का चयन कीिजए – 1x6=6
(i) हमारा दे श कैसा है ?
(क) अनजान और िछटका
(ख) अ ण और मधम
ु य
(ग) सरल और तामरस
(घ) हे म और कु भ
(ii) ‘अनजान िक्षितज को िमलता एक सहारा’ म कौन-सा भाव है ?
(क) भारत म अपिरिचत लोगो को भी आ य िमलता है
(ख) भारत म सय
ू र् पि चम िदशा म िक्षितज पर उगता है
(ग) भारत म िहमालय िक्षितज के प म कायर् करता है
(घ) भारत म निदयाँ िक्षितज पर जाकर िमलती ह
(iii) प्र तुत गीत कौन गा रही है ?
(क) दे वसेना
(ख) कानिलया
(ग) च द्रलेखा
(घ) उषा
(iv) प्रातःकाल कौन सख
ु बरसा रहा है ?
(क) रजनी
(ख) हे म
(ग) कु भ
(घ) उषा
(v) आकाश म उड़ते हुए छोटे पक्षी िकस भांित प्रतीत हो रहे ह?

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(क) वािरद िबंद ु के समान
(ख) त िशखा के समान
(ग) इंद्रधनुष के समान
(घ) उषा घट के समान
(vi) ‘क णा जल’ म कौन-सा अलंकार है ?
(क) मानवीकरण
(ख) पक
(ग) उपमा
(घ) उ प्रेक्षा
प्र न 5. िन निलिखत ग यांश को यानपूवक
र् पिढ़ए।
चौधरी साहब से तो अब अ छी तरह पिरचय हो गया था। अब उनके यहाँ मेरा जाना एक
लेखक की है िसयत से होता था। हम लोग उ ह एक पुरानी चीज समझा करते थे। इस
पुरात व की ि ट म प्रेम और कुतूहल का एक अद्भत
ु िम ण रहता था। यहाँ पर यह कह
दे ना आव यक है िक चौधरी साहब एक खास िहंद ु तानी रईस थे। वसंत पंचमी, होली
इ यािद अवसर पर उनके यहाँ खब
ू नाचरं ग और उ सव हुआ करते थे। उनकी हर एक अदा
म िरयासत और तबीयतदारी टपकती थी। कंध तक बाल लटक रहे ह। आप इधर से उधर
टहल रहे ह। एक छोटा-सा लड़का पान की त तरी िलए पीछे -पीछे लगा हुआ है । बात की

कॉट-छाँ ट का क्याड कहना है ! जो बात उनके मँह
ु से िनकलती थीं, उसम एक िवलक्षण
वक्रता रहती थी। उनकी बातचीत का ढं ग उनके लेख के ढं ग से एकदम िनराला था।
िन निलिखत म से िनदशानुसार सबसे उिचत िवक प का चयन कीिजए – 1x6=6
(i) उपयक्
ुर् त ग यांश म ‘चौधरी साहब’ का प्रयोग िकसके िलए िकया गया है ?
(क) रामचंद्र शुक्ल
(ख) भारतद ु हिर चंद्र
(ग) केदारनाथ पाठक
(घ) उपा याय बद्रीनारायण
(ii) ‘हम लोग उ ह एक पुरानी चीज समझा करते थे।‘ पंिक्त का आशय है -
(क) चौधरी साहब को प्राचीन व तु समझना
(ख) चौधरी साहब को पुराताि वक व तु समझना
(ग) चौधरी साहब को वयोवद्ध
ृ और अनुभवी समझना
(घ) चौधरी साहब को नया और ऊजार्वान समझना
(iii) लेखक ने चौधरी साहब को ‘एक खास िहंद ु तानी रईस’ क्य कहा है ?
(क) क्य िक वे प्रायः सभी पवर्- योहार पर लोग को दान दे कर उ सव मनाते थे
(ख) क्य िक वे अकूत धन-दौलत के वामी थे
(ग) क्य िक उनका बातचीत का ढं ग और से िनराला था

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(घ) क्य िक वे प्रायः सभी पवर्- योहार पर लोग को शािमल कर उ सव मनाते थे
(iv) िन निलिखत म चौधरी साहब की िवशेषता नहीं थी-
(क) तरफदारी
(ख) तबीयतदारी
(ग) मनोरं जन प्रेमी
(घ) बातचीत की िविश ट शैली
(v) ‘िवलक्षण वक्रता’ से ता पयर् है -
(क) अद्भत
ु प्रगितशीलता
(ख) अद्भत
ु यंग्या मकता
(ग) अद्भत
ु पिरपक्वता
(घ) अद्भत
ु िनरं कुशता
(vi) ‘है िसयत’ श द म प्र यय है -
(क) हस
(ख) यत
(ग) इयत
(घ) िसयत
पूरक पा य-पु तक (अंतराल भाग 2) (05)
प्र न 6. िन निलिखत म से िनदशानुसार सबसे उिचत िवक प का चयन कीिजए – 1x5=5
(i) ‘सरू दास की झोपड़ी’ िकस उप यास का अंश है ?
(क) रं गभिू म
(ख) गबन
(ग) सरू दास
(घ) कमर्भिू म
(ii) ‘अिभलाषाओं की राख है ’ से क्या ता पयर् है ?
(क) सभी पैस का जल जाना
(ख) झोपड़ी का जल जाना
(ग) ई यार् के कारण झोपड़ी जलना
(घ) झोपड़ी के साथ उसके अिभलाषाओं की पिू तर् समा त होना
(iii) सरू दास ने पैसे क्य जमा िकए थे?
(क) िपंडदान के िलए
(ख) िमठुआ के याह के िलए
(ग) गांव वाल के िलए कुआं बनवाने के िलए
(घ) उपरोक्त सभी
(iv) ‘िब कोहर की माटी’ पाठ के अनुसार गमीर् और लू से बचने के उपाय कौन-से ह?

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(क) बहुत यादा दध ू पीना चािहए
(ख) नींबू का पानी अ यािधक पीना चािहए
(ग) कमीज म या धोती म गांठ लगाकर याज बांध लेना चािहए
(घ) उपरोक्त म से कोई नहीं
(v) ‘िब कोहर की माटी’ पाठ म आए श द ‘कोइयां’ से क्या अिभप्राय है ?
(क) कोयला
(ख) जल म उगने वाला पु प
(ग) लकड़ी
(घ) इनम से कोई नहीं
खंड ‘ब’ वणर्ना मक प्र न
अिभ यिक्त और मा यम (17)
प्र न 7. िन निलिखत म से िकसी एक िवषय पर लगभग 120 श द म रचना मक लेख िलिखए :- 5x1=5
(क) अित सवर्त्र वजर्येत
(ख) वषार् का एक िदन
(ग) भारत की भाषाई िविवधता
प्र न 8. िन निलिखत प्र न म िक हीं दो प्र न के उ तर लगभग 60 श द म िलिखए- 3x2=6
(i) ि टं ग ऑपरे शन से क्या अिभप्राय है ?
(ii) उ टा िपरािमड शैली क्या होती है ?
(iii) वॉच डॉग पत्रकािरता क्या है ?
प्र न 9. िन निलिखत प्र न के उ तर लगभग 60 श द म िलिखए- 3x2=6
(i) एक अ छे समाचार की कोई तीन िवशेषताएँ बताइए।
(ii) किवता लेखन म िबंब की क्या भिू मका है ?
पा य-पु तक (अंतरा भाग 2 और अंतराल भाग 2) (20+3)
प्र न 10. िन निलिखत म से िक हीं दो प्र न के उ तर लगभग 40 श द म िलिखए- 2x2=4
(i) ‘वह लता वहीं की, जहाँ कली तू िखली’ पंिक्त के वारा िकस प्रसंग को उ घािटत िकया
गया है ?
(ii) अगहन मास म नागमती की िवरह-वेदना का वणर्न जायसी ने िकस प्रकार िकया है ? प ट
कीिजए-
(iii) ‘यह दीप अकेला’ म दीपक के प्रतीकाथर् को प ट करते हुए बताइए िक किव ने उसे नेह
भरा, गवर् भरा एवं मदमाता क्य कहा है ?
प्र न 11. िन निलिखत म से िकसी एक का यांश की सप्रसंग याख्या कर - 6x1=6
आह! वेदना िमली िवदाई
मने भ्रमवश जीवन संिचत,
मधक
ु िरय की भीख लट
ु ाई

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अथवा
मझ
ु को दीख गया :
सन
ू े िवरा के स मख

हर आलोक-छुआ अपनापन
है उ मोचन
न वरता के दाग से!
प्र न 12. िन निलिखत म से िक हीं दो प्र नो के उ तर लगभग 40 श द म िलिखए- 2x2=4
(i) “चौधरी साहब एक खासे िहंद ु तानी रईस थे" कैसे?
(ii) लेखक ने धमर् का रह य जानने के िलए घड़ी के पुज का टांत क्य िदया है ?
(iii) संवाद दे ते समय बड़ी बहुिरया की आँख क्य छलछला आईं?
प्र न 13. िन निलिखत ग यांश की सप्रसंग याख्या कर - 6x1=6
बकौल वा यायन के, आज का कबत
ू र अ छा है कल के मोर से, आज का पैसा अ छा है
कल के मोहर से। आँख दे खा ढे ला अ छा ही होना चािहए लाख कोस की तेज िप ड से।
प्र न 14. िन निलिखत म से िकसी एक प्र न का उ तर लगभग 60 श द म िलिखए- 3x1=3
(i) ‘तो हम सौ लाख बार बनाएंगे’ इस कथन के संदभर् म सरू दास के चिरत्र की िववेचना
कीिजए।
(ii) िबसनाथ ने िकन आधार पर अपनी माँ की तुलना बतख से की है ?

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