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अ यास प्र पत्र

कक्षा XI (2022-23)
िहंदी (ऐि छक) (002)
अिधकतम अंक-80 अविध: 3 घंट े
सामा य िनदश:- िन निलिखत िनदश का पालन कीिजए –
 इस प्र नपत्र म दो खंड ह- खंड ‘अ’ और खंड ‘ब’ l खंड ‘अ’ म व तुपरक और खंड ‘ब’ म वणर्ना मक
प्र न पूछे गए ह।
 खंड ‘अ’ म कुल 48 व तुपरक प्र न पूछे गए ह, िजनम से 40 प्र न के उ तर दे ने ह।
 खंड ‘ब’ म कुल 8 वणर्ना मक प्र न पूछे गए ह, इनम उप-प्र न भी िदए गए ह। कुछ प्र न के वैकि पक
प्र न भी सि मिलत ह।
 िदए गए िनदश का पालन करते हुए प्र न के उ तर दीिजए।
प्र न खंड ‘अ’ व तुपरक प्र न अंक
संख्या (उपभार
x प्र न)
अपिठत ग यांश (10)
प्र न 1. िन निलिखत म से िकसी एक ग यांश को यानपव
ू क
र् पिढ़ए :-
सच
ु ािर य के दो सशक्त तंभ ह-प्रथम सस
ु ं कार और िवतीय स संगित। सस
ु ं कार भी पव
ू र्
जीवन की स संगित व स कम की अिजर्त संपि त है और स संगित वतर्मान जीवन की
दल
ु भ
र् िवभिू त है । िजस प्रकार कुधातु की कठोरता और कािलख पारस के पशर् मात्र से
कोमलता और कमनीयता म बदल जाती है , ठीक उसी प्रकार कुमागीर् का कालु य स संगित
से विणर्म आभा म पिरवितर्त हो जाता है । सतत स संगित से िवचार को नई िदशा
िमलती है और अ छे िवचार मनु य को अ छे काय म प्रेिरत करते ह। 'पिरणामतः सच
ु िरत्र
का िनमार्ण होता है । आचायर् हजारीप्रसाद िववेदी ने िलखा है -महाकिव टै गोर के पास बैठने
मात्र से ऐसा प्रतीत होता था, मानो भीतर का दे वता जाग गया हो। व तुत. चिरत्र से ही
जीवन की साथर्कता है । चिरत्रवान यिक्त समाज की शोभा है . शिक्त है । सच
ु ािर य से
यिक्त ही नहीं, समाज भी सव
ु ािसत होता है और इस सव
ु ास से रा ट्र यश वी बनता है ।
िवदरु जी की उिक्त अक्षरशः स य है िक सच
ु िरत्र के बीज हम भले ही वंश परं परा से प्रा त
हो सकते ह, पर चिरत्र-िनमार्ण यिक्त के अपने बलबूते पर िनभर्र है । आनुवंिशक परं परा,
पिरवेश और पिरि थित उसे केवल प्रेरणा दे सकते ह, पर उसका अजर्न नहीं कर सकते, वह
यिक्त को उ तरािधकार म प्रा त नहीं होता। यिक्त-िवशेष के िशिथल-चिरत्र होने से पूरे
रा ट्र पर चिरत्र-संकट उपि थत हो जाता है , क्य िक यिक्त पूरे रा ट्र का एक घटक है ।
अनेक यिक्तय से िमलकर एक पिरवार, अनेक पिरवार से एक कुल, अनेक कुल से एक
जाित या समाज और अनेकानेक जाितय और समाज समद
ु ाय से िमलकर ही एक रा ट्र
बनता है ।

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िन निलिखत म से िनदशानुसार सबसे उिचत िवक प का चयन कीिजए- 1x10=
10
(i) ‘सच
ु ािर य’ से ता पयर् है -
(क) स चा चिरत्र
(ख) अ छा चिरत्र
(ग) िम या चिरत्र
(घ) बुरा चिरत्र
(ii) ग यांश के अनुसार समाज की शोभा और शिक्त कौन होता है ?
(क) बलवान यिक्त
(ख) समथर्वान यिक्त
(ग) धनवान यिक्त
(घ) चिरत्रवान यिक्त
(iii) पव
ू र् जीवन की स संगित व स कम की अिजर्त संपि त िकसे कहा गया है ?
(क) सच
ु िरत्र
(ख) सस
ु ं कार
(ग) सब
ु िु द्ध
(घ) सौभाग्य
(iv) कुधातु की कठोरता और कािलख िकसके पशर् मात्र से कोमलता और कमनीयता म बदल
जाती है ?
(क) क पवक्ष

(ख) ब्र मकमल
(ग) नागमिण
(घ) पारस
(v) चिरत्र का िनमार्ण िकसके वारा संभव है ?
(क) वंश परं परा वारा
(ख) वयं के वारा
(ग) िमत्र के वारा
(घ) िव यालय के वारा
(vi) िन निलिखत म िकसका उ लेख ग यांश म नहीं है ?
(क) हजारी प्रसाद िववेदी
(ख) िवदरु
(ग) प्रेमचंद
(घ) रवी द्रनाथ ठाकुर
(vii) अनेकानेक जाितय और समाज समुदाय से िमलकर िकसका िनमार्ण होता है ?

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(क) पिरवार का
(ख) समाज का
(ग) कुल का
(घ) रा ट्र का
(viii) चिरत्र से ही जीवन की साथर्कता है । लेखक ने ऐसा क्य कहा है ?
(क) क्य िक सच
ु ािर य से ही समाज म स मान िमलता है
(ख) क्य िक सच
ु ािर य से ही एक सशक्त रा ट्र का िनमार्ण होता है
(ग) उपयक्
ुर् त दोन कथन सही ह
(घ) उपयक्
ुर् त दोन कथन गलत ह
(ix) पूरे रा ट्र के चिरत्र पर संकट कब उ प न हो जाता है ?
(क) जब समाज सच
ु िरत्र होता है
(ख) जब यिक्त सच
ु िरत्र होता है
(ग) जब यिक्त कुचिरत्र होता है
(घ) जब यिक्त कायर् म िशिथल होता है
(x) आनव
ु ंिशक परं परा, पिरवेश और पिरि थित यिक्त को क्या दे ते ह?
(क) अजर्न
(ख) प्रेरणा
(ग) उ तरािधकार
(घ) भौितक संपि त
अपिठत प यांश (8)
प्र न 2. िन निलिखत म से िकसी एक प यांश को यानपूवक
र् पिढ़ए :-
िचिड़या तू जो मगन, धरा मगन, गगन मगन,
फैला ले पंख ज़रा, उड़ तो सही, बोली पवन।
अब जब हौसले से, घ सले से आई िनकल,
चल बड़ी दरू , बहुत दरू , जहां तेरे सजन।
वक्ष
ृ की डाल िदख
जंगल-ताल िदख
खेत म झम
ू रही
धान की बाल िदख
गाँव-दे हात िदख, रात िदखे, प्रात िदखे,
खल
ु कर घम
ू यहां, यहां नहीं घर की घट
ु न।
िचिड़या तू जो मगन....
राह से राह जड़
ु ी
पहली ही बार उड़ी

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भल
ू गई गैल-गली
जाने िकस ओर मड़
ु ी
मड़
ु गई जाने िकधर, गई िजधर, दे खा उधर,
दे खा वहां खोल नयन-सम
ु न-सम
ु न, िखलता चमन।
िन निलिखत म से िनदशानुसार सबसे उिचत िवक प का चयन कीिजए – 1x8=8
(i) का यांश म मगन कौन है ?
(क) िचिड़या
(ख) धरती
(ग) आकाश
(घ) उपयक्
ुर् त सभी
(ii) ‘फैला ले पंख ज़रा, उड़ तो सही’- यह िकसने कहा?
(क) िचिड़या ने
(ख) धरती ने
(ग) गगन ने
(घ) हवा ने
(iii) खेत म कौन झम
ू रहा है ?
(क) िचिड़या
(ख) धान के बाल
(ग) सरू जमख
ु ी
(घ) हवा
(iv) घर जैसी घट
ु न कहाँ नहीं है ?
(क) िपंजरे म
(ख) प्रकृित म
(ग) घ सल म
(घ) गफ
ु ाओं म
(v) िचिड़या गैल-गली क्य भल
ू जाती है ?
(क) क्य िक वह पहली बार उड़ी है
(ख) क्य िक वह उन गिलय म कई बार उड़ चक
ु ी है
(ग) क्य िक उसके पर अभी छोटे ह
(घ) क्य िक उसे राह िदखाने वाला कोई नहीं है
(vi) िचिड़या के घ सले से िनकल पाने का कारण है -
(क) हवा के साथ उसकी पहचान
(ख) िववाह और घ सले का िनमार्ण
(ग) हौसला और उड़ने की कामना

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(घ) इनम से कोई नहीं
(vii) किव िचिड़या को आँख खोलकर क्या दे खने के िलए कहता है ?
(क) फूल से भरी फुलवारी
(ख) सि जय की क्यारी
(ग) हाथी की सवारी
(घ) निदयाँ यारी
(viii) ‘गैल-गली’ म कौन-सा अलंकार है ?
(क) लेष
(ख) पक
(ग) अनुप्रास
(घ) उपमा
अथवा
मात-ृ भ,ू शत-शत बार प्रणाम
ऐ अमर की जननी, तुमको शत-शत बार प्रणाम,
मात-ृ भू शत-शत बार प्रणाम।
तेरे उर म शाियत गांधी, बुद्ध औ राम,
मात-ृ भू शत-शत बार प्रणाम।
िहमिगिर-सा उ नत तव म तक,
तेरे चरण चम
ू ता सागर,
वास म ह वेद-ऋचाएँ
वाणी म है गीता का वर।
ऐ संसिृ त की आिद तपि विन, तेजि विन अिभराम।
मात-ृ भू शत-शत बार प्रणाम।
हरे -भरे ह खेत सह
ु ाने,
फल-फूल से युत वन-उपवन,
तेरे अंदर भरा हुआ है
खिनज का िकतना यापक धन।
मक्
ु त-ह त तू बाँट रही है सख
ु -संपि त, धन-धाम।
मात-ृ भू शत-शत बार प्रणाम।
प्रेम-दया का इ ट िलए तू,
स य-अिहंसा तेरा संयम,
नयी चेतना, नयी फूितर्-युत
तझ
ु म िचर िवकास का है क्रम।
िचर नवीन त,ू ज़रा-मरण से -

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मक्
ु त, सबल उ ाम, मात-ृ भू शत-शत बार प्रणाम।
िन निलिखत म से िनदशानुसार सबसे उिचत िवक प का चयन कीिजए –
(i) यहाँ ‘मात-ृ भू’ से ता पयर् है -
(क) मात्रभिू म
(ख) मात्रीभिू म
(ग) मातभ
ृ िू म
(घ) म ृ भिू म
(ii) मात-ृ भू का म तक िकसके समान है ?
(क) तुंगिगरी के समान
(ख) नीलिगरी के समान
(ग) िहमिगरी के समान
(घ) धौलिगरी के समान
(iii) ‘संसिृ त’ श द का क्या अथर् है ?
(क) संताप
(ख) सं कार
(ग) संसार
(घ) संहार
(iv) मात-ृ भू सख
ु -संपि त, धन-धाम को िकस प्रकार प्रदान कर रही है ?
(क) बंद हाथ से
(ख) पतवार को
(ग) द्रीप को
(घ) चंद्रमा को
(v) ‘िहमिगिर-सा उ नत तव म तक’ पंिक्त म िनिहत अलंकार क्या है ?
(क) अनुप्रास
(ख) पक
(ग) उ प्रेक्षा
(घ) उपमा
(vi) मात-ृ भू का संयम क्या है ?
(क) याग और बिलदान
(ख) चेतना और नव- फूितर्
(ग) स य और अिहंसा
(घ) प्रेम और दया
(vii) ‘उ ाम’ का अथर् क्या है ?
(क) परतंत्र

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(ख) वतंत्र
(ग) गणतंत्र
(घ) राजतंत्र
(viii) ‘िचर नवीन तू, ज़रा-मरण से’ पंिक्त का आशय है -
(क) मात-ृ भू का बीमारी और क ट से मक्
ु त सदा नवीन बने रहना
(ख) मात-ृ भू के कण-कण का सद
ुं रता और वैभव से मक्
ु त होना
(ग) मात-ृ भू का बुढापे और म ृ यु से मक्
ु त सदा नवीन बने रहना
(घ) मात-ृ भू का जीवन और म ृ यु के चक्र से मक्
ु त होना
अिभ यिक्त और मा यम (5)
प्र न 3. िन निलिखत म से िनदशानस
ु ार सबसे उिचत िवक प का चयन कीिजए – 1x5=5
(i) टे लीफ़ोन, इंटरनेट, फ़ैक्स, समाचार-पत्र, रे िडयो, टे लीिवज़न, िसनेमा आिद िविभ न मा यम
ह-
(क) संचार के
(ख) जनसंचार के
(ग) संचार और जनसंचार के
(घ) इनम से िकसी के नहीं
(ii) प्रा त संदेश का कूट वाचन कौन करता है ?
(क) प्रा तकतार्
(ख) संदेश वाहक
(ग) संदेश प्रसारक
(घ) इनम से कोई नहीं
(iii) सरकार और सं थाओं के कामकाज पर िनगरानी रखने का कायर् करता है -
(क) जनसंचार
(ख) लोक संचार
(ग) समह
ू संचार
(घ) अंत: वैयिक्तक संचार
(iv) सबसे बेहतर संचार करने की क्षमता और कुशलता है -
(क) पिक्षय की
(ख) मनु य की
(ग) पशुओं की
(घ) इनम से िकसी की भी नहीं
(v) टे लीिवजन पर दे खे गए िक्रकेट मैच को कहते ह-
(क) सीधा प्रसारण
(ख) प्र यक्ष प्रसारण

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(ग) परोक्ष प्रसारण
(घ) हवाई प्रसारण
पा य-पु तक (अंतरा भाग 1) (12)
प्र न 4. िन निलिखत का यांश को यानपूवक
र् पिढ़ए :-
बालम, आवो हमारे गेह रे ।
तुम िबन दिु खया दे ह रे ।
सब कोई कहै तु हारी नारी, मोक लगत लाज रे ।
िदल से नहीं लगाया, तब लग कैसा सनेह रे ।
अ न न भावै नींद न आवै, गह
ृ -बन धरै न धीर रे ।
कािमन को है बालम यारा, य यासे को नीर रे ।
है कोई ऐसा पर-उपकारी, िपवास कहै सन
ु ाय रे ।
अब तो बेहाल कबीर भयो है , िबन दे खे िजव जाय रे ।।
िन निलिखत म से िनदशानस
ु ार सबसे उिचत िवक प का चयन कीिजए – 1x6=6
(i) प्र तुत का यांश म ‘बालम’ श द िकसके िलए प्रयुक्त है ?
(क) आ मा के िलए
(ख) परमा मा के िलए
(ग) प्रेयसी के िलए
(घ) वयं किव के िलए
(ii) सब िकसे नारी कहते ह?
(क) परमा मा को
(ख) किव को
(ग) सखी को
(घ) िपय को
(iii) ‘गेह’ श द का अथर् है -
(क) बाग़
(ख) गु कुल
(ग) घर
(घ) वन
(iv) कबीर को लाज क्य लग रही है ?
(क) लोग वारा उ ह बालम कहने के कारण
(ख) लोग वारा उ ह नारी कहने के कारण
(ग) लोग वारा उ ह प्रेिमका कहने के कारण
(घ) वेश-भष
ू ा और पहनावे के कारण
(v) ‘अ न न भावै नींद न आवै‚’ यह ि थित कबीर दास जी की क्य हुई है ?

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(क) प नी के प्रित अन य प्रेम के कारण
(क) प्रेयसी के प्रित अन य प्रेम के कारण
(ख) परमा मा के प्रित अन य प्रेम के कारण
(ग) उपरोक्त म से कोई नहीं
(vi) कबीर की भाषा है -
(क) त सम
(ख) तद्भव
(ग) दे शज
(घ) सधुक्कड़ी
प्र न 5. िन निलिखत ग यांश को यानपूवक
र् पिढ़ए।
लड़के सबसे यादा प्रस न ह। िकसी ने एक रोज़ा रखा है , वह भी दोपहर तक, िकसी ने
वह भी नहीं; लेिकन ईदगाह जाने की खुशी उनके िह से की चीज़ है । रोज़े बड़े-बूढ़ के िलए
ह गे। इनके िलए तो ईद है । रोज़ ईद का नाम रटते थे आज वह आ गई। अब ज दी पड़ी
है िक लोग ईदगाह क्य नहीं चलते। इ ह गह
ृ थी की िचंताओं से क्या प्रयोजन! सेवैय के
िलए दध
ू और शक्कर घर म है या नहीं, इनकी बला से, ये तो सेवैयाँ खाएँगे। वह क्या
जान िक अ बाजान क्य बदहवास चौधरी कायमअली के घर दौड़े जा रहे ह। उ ह क्या
खबर िक चौधरी आज आँख बदल ल, तो यह सारी ईद मह
ु रर् म हो जाए। उनकी अपनी जेब
म तो कुबेर का धन भरा हुआ है ।
िन निलिखत म से िनदशानुसार सबसे उिचत िवक प का चयन कीिजए – 1x6=6
(i) उपयक्
ुर् त ग यांश म लड़क को िकस बात की ज दी है ?
(क) गह
ृ थी चलाने की
(ख) ईदगाह जाने की
(ग) कायमअली के घर जाने की
(घ) रोजा रखने की
(ii) ईद के अवसर पर सबसे अिधक प्रस न कौन है ?
(क) बड़े-बूढ़े
(ख) ब चे
(ग) औरत
(घ) अ बाजान
(iii) ‘गह
ृ थी की िचंताओं से’ आशय है -
(क) घर बनाने की िचंता
(ख) घर चलाने की िचंता
(ग) घर म ईद मनाने की िचंता
(घ) िमत्र को घर बुलाने की िचंता

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(iv) लोग बदहवास चौधरी कायमअली के घर दौड़े क्य जा रहे ह?
(क) ईद की मब
ु ारकबाद दे ने
(ख) उधार मांगने के िलए
(ग) सरपंच का चुनाव कराने के िलए
(घ) उपयक्
ुर् त सभी
(v) ‘चौधरी आज आँख बदल ल, तो यह सारी ईद मह
ु रर् म हो जाए।‘ पंिक्त का आशय है -
(क) कायमअली के घर मह
ु रर् म मनाना
(ख) कायमअली के उधार न दे ने पर ईद की ख़ुशी मातम म बदलना
(ग) कायमअली के रं ग प और वेश-भष
ू ा म पिरवतर्न
(घ) उपयक्
ुर् त म से कोई नहीं
(vi) ‘आँख बदलना’ का अथर् है -
(क) पहले जैसा नेह-संबंध रखना
(ख) आँख से हाव-भाव म पिरवतर्न
(ग) पहले जैसा कृपा-भाव न रखना
(घ) उपयक्
ुर् त म से कोई नहीं
पूरक पा य-पु तक (अंतराल भाग 1) (05)
प्र न 6. िन निलिखत म से िनदशानुसार सबसे उिचत िवक प का चयन कीिजए – 1x5=5
(i) ‘हुसन
ै की कहानी अपनी ज़बानी’ पाठ िकसके जीवन से संबंिधत है -
(क) आफ़ताब िफ़दा हुसनै
(ख) मतलब
ू िफ़दा हुसनै
(ग) आिमर रज़ा हुसन

(घ) मकबूल िफ़दा हुसन

(ii) हुसन
ै के िपता का यवहार कैसा था?
(क) सख्त
(ख) सरल
(ग) कंजस

(घ) अक्खड़
(iii) कला के प्रित पहले लोग का नजिरया कैसा था?
(क) कला को स मानपव
ू क
र् दे खा जाता था
(ख) कला केवल बड़े राजा-महाराजाओं के महल तक सीिमत थी
(ग) कला सामािजक पिरवतर्न का एक मा यम था
(घ) उपरोक्त सभी
(iv) िन निलिखत म से िकसका िचत्र हुसन
ै ने नहीं बनाया था?
(क) दाढ़ी वाला पठान

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(ख) नक्काशीदार सरु ाही
(ग) बकरी का ब चा
(घ) घूँघट की औरत
(v) हुसन
ै ने िकस/िकन अवसर पर अपनी ज मजात कला का पिरचय िदया?
(क) लैकबोडर् पर बनी िचिड़या को हू-ब-हू अपनी लेट पर उतारकर
(ख) गांधी जयंती के अवसर पर लैकबोडर् पर गांधी जी का पोट्रे ट बनाकर
(ग) उपयक्
ुर् त दोन
(घ) इनम से कोई नहीं
खंड ‘ब’ वणर्ना मक प्र न
अिभ यिक्त और मा यम (17)
प्र न 7. िन निलिखत िदए गए दो शीषर्क म से िकसी एक शीषर्क पर लगभग 120 श द म य 5x1=5
िलिखए।
सा तािहक बाजार का य
अथवा
िव यालय के वािषर्क समारोह का य
प्र न 8. िन निलिखत िदए गए िवषय म से िकसी िवषय पर लगभग 120 श द म पत्र िलिखए। 5x1=5
(क) महामारी के कारण आपदाग्र त क्षेत्र म राहत कायर् के िलए सहायक की आव यकता है ।
अपनी योग्यताओं का उ लेख करते हुए इस पद पर िनयुिक्त हे तु आवेदन पत्र िलख ।
अथवा
िद ली जल बोडर् के अिधकारी को पत्र िलखकर अपनी कॉलोनी म अिनयिमत व अपयार् त
जल िवतरण से होने वाली असिु वधाओं के प्रित यान आकृ ट कीिजए ।

(ख) राजकीय सव दय िव यालय, सेक्टर- 4, रोिहणी की सां कृितक सिमित की बैठक के िलए 3x1=3
कायर्सच
ू ी तैयार कीिजए।
अथवा
सव दय िव यालय, मानसरोवर पाकर् म िहंदी िदवस पर िविभ न प्रितयोिगताएँ आयोिजत
करने के संबंध म सां कृितक सिमित की बैठक संप न हुई उसम िजन िवषय पर चचार् हुई
और जो िनणर्य िलए गए, उनका कायर्व ृ त िलिखए।
प्र न 9. िन निलिखत प्र न के उ तर लगभग 40 श द म िलिखए- 2x2=4
(i) डायरी िकसे कहते ह?
(ii) िक हीं दो प्रिसद्ध डायरी और उनके लेखक के नाम िलिखए-
पा य-पु तक (अंतरा भाग 1 और अंतराल भाग 1) (20+3)
प्र न 10. िन निलिखत म से िक हीं दो प्र न के उ तर लगभग 40 श द म िलिखए- 2x2=4

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(i) ‘सं या के बाद’ किवता के आधार पर बताइए िक किव ने वद्ध
ृ ाओं को बगल
ु े-सा क्य कहा
है ?
(ii) नाियका सपने म क्य प्रस न थी और वह सपना कैसे टूट गया?
(iii) खेल म कृ ण के ठने पर उनके सािथय ने उ ह डाँटते हुए क्या-क्या तकर् िदए ?
प्र न 11. िन निलिखत म से िकसी एक का यांश की सप्रसंग याख्या कर - 6x1=6
साँसिन ही स समीर गयो अ , आँसन
ु ही सब नीर गयो ढिर।
तेज गयो गन
ु लै अपनो, अ भिू म गई तन की तनत
ु ा किर।।
“दे व' िजयै िमिलबेही की आस िक, आसहू पास अकास र यो भिर,
जा िदन तै मख ु फेिर हरे हँसे, हे िर िहयो जु िलयो हिर जू हिर।।
अथवा
िसमटा पंख साँझ की लाली
जा बैठी अब त िशखर पर
ताम्रपणर् पीपल से, शतमख

झरते चंचल विणर्म िनझर्र!
योित तंभ-सा धँस सिरता म
ू र् िक्षितज पर होता ओझल,
सय
बह
ृ िज म िव लथ कचल
ु -सा
लगता िचतकबरा गंगाजल!
प्र न 12. िन निलिखत म से िक हीं दो प्र नो के उ तर लगभग 40 श द म िलिखए- 2x2=4
(i) ईदगाह कहानी के आधार पर हािमद की िवशेषताएं िलिखए-
(ii) भ य पु ष ने कहा- ‘जहाँ अ धकार है वहीँ प्रकाश है - इसका क्या ता पयर् है ?
(iii) गँग
ू े की ककर्श काँय-काँय और अ फुट विनय को सन
ु कर चमेली ने पहली बार क्या
अनुभव िकया?
प्र न 13. िन निलिखत ग यांश की सप्रसंग याख्या कर - 6x1=6
“बिु ढ़या का क्रोध तरु ं त नेह म बदल गया, और नेह भी वह नहीं, जो प्रग भ होता है और
अपनी सारी कसक श द म िबख़ेर दे ता है । यह मक
ू नेह था, ख़ूब ठोस, रस और वाद से
भरा हुआ। ब चे म िकतना याग, िकतना सदभाव और िकतना िववेक है ! दस
ू र को िखलौने
लेते और िमठाई खाते दे खकर इसका मन िकतना ललचाया होगा! इतना ज़ त इससे हुआ
कैसे? वहाँ भी इसे अपनी बुिढ़या दादी की याद बनी रही। अमीना का मन गदगद हो गया।”
प्र न 14. िन निलिखत म से िकसी एक प्र न का उ तर लगभग 60 श द म िलिखए- 3x1=3
(i) लेखक ने अपने पाँच िमत्र के जो श द िचत्र प्र तुत िकए, उनसे उनके अलग-अलग
यिक्त व की झलक िमलती है , िफर भी वह घिन ठ िमत्र ह कैसे ?
(ii) आप कैसे कह सकते ह िक हुसन
ै का अपने दादा से िवशेष लगाव रहा ?

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