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न-अ यास

दोहे से
न 1- पाठ म दए गए दोह क कोई पंि त कथन है और कोई कथन को मा णत
करनेवाला उदाहरण। इन दोन कार क पंि तय को पहचान कर अलग-अलग ल खए।
- दोह म व णत न न पंि त कथन ह-
1.क ह रह म संप त सगे, बनते बहुत बहु र त।
बप त कसौट जे कसे, तेई साँचे मीत।।1।।

क ठन समय म जो म हमार सहायता करता है, वह हमारा स चा म होता है ।

2.जाल परे जल जात ब ह, तिज मीनन को मोह।।


र हमन मछर नीर को, तऊ न छाँड़ त छोह।। 2।।

मछल जल से अपार ेम करती है इसी लए उससे बछुड़ते ह अपने ाण याग


दे ती है । न न पंि तय म कथन को मा णत करने के उदाहरण ह-

VII HINDI
1. त वर फल न हं खात है , सरवर पयत न पान।
क ह रह म परकाज हत, संप त-सच हं सज
ु ान।।3।।
न वाथ भावना से दस
ू र का हत करना चा हए, जैस-े पेड़ अपने फल नह ं खाते, सरोवर
अपना जल नह ं पीते और स जन धन संचय अपने लए नह ं करते।
2. थोथे बाद वार के, य रह म घहरात।
धनी पु ष नधन भए, कर पा छल बात।।4।।
कई लोग गर ब होने पर भी दखावे हे तु अपनी अमीर क बात करते रहते ह, जैसे-
आि वन के मह ने म बादल केवल गहराते/ गरजते ह बरसते नह ।ं
3. धरती क -सी र त है , सीत घाम औ मेह।
जैसी परे सो स ह रहे , य रह म यह दे ह।।5।।
मनु य को सख
ु -दख
ु समान प से सहने क शि त रखनी चा हए, जैस-े धरती सरद ,
गरमी व बरसात सभी मौसम समान प से सहती है।
न 2- रह म ने वार के मास म गरजने वाले बादल क तल
ु ना ऐसे नधन यि तय
से य क है जो पहले कभी धनी थे और बीती बात को बताकर दस
ू र को भा वत
करना चाहते ह? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजनेवाले बादल के
वषय म या कहना चाहगे?
- रह म ने आि वन ( वार) के मह ने म आसमान म छाने वाले बादल क तल
ु ना
नधन हो गए धनी यि तय से इस लए क है, य क दोन गरजकर रह जाते ह, कुछ
कर नह ं पाते। बादल बरस नह ं पाते, नधन यि त का धन लौटकर नह ं आता। जो
अपने बीते हुए सुखी दन क बात करते रहते ह, उनक बात बेकार और वतमान
प रि थ तय म अथह न होती ह। दोहे के आधार पर सावन के बरसने वाले बादल धनी
तथा वार के गरजने वाले बादल नधन कहे जा सकते ह।
दोह के आगे
न 1- नीचे दए गए दोह म बताई गई स चाइय को य द हम अपने जीवन म उतार
ल तो उसके या लाभ ह गे? सो चए
और ल खए
(क) त वर फल ……..
……………. संच हं सज
ु ान।
(ख) धरती क -सी ………….
……. यह दे ह॥
- (क) इस दोहे के मा यम से रह म यह बताने का यास कर रहे ह क व ृ
अपने फल नह ं खाते और सरोवर अपना जल नह ं पीते उसी कार स जन अपना सं चत

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धन अपने लाभ के लए उपयोग नह ं करते। उनका धन दस
ू र क भलाई म खच होता
है । य द हम इस स चाई को अपने जीवन म उतार ल, अथात ् अपना ल तो अव य ह
समाज का क याणकार प हमारे सामने आएगा और रा संद
ु र प से वक सत होगा।
(ख) इस दोहे के मा यम से रह म बताने का यास कर रहे ह क मनु य को धरती
क भाँ त सहनशील होना चा हए। य द हम स य को अपनाएँ तो हम जीवन म आने
वाले सख
ु -दख
ु को सहज प से वीकार कर सकगे। अपने माग से कभी वच लत नह ं
ह गे। हम हर ि थ त म संतु ट रहगे। हमारे मन म संतोष क भावना आएगी।
भाषा क बात
न 1- न न ल खत श द के च लत हंद प ल खए-
जैसे-परे -पड़े (रे , डे)
बप त बादर
मछर सीत
-
रह म क भाषा हंद के श द
बप त – वप
मछर – मछल
बादर – बादल
सीत – शीत
न 2- नीचे दए उदाहरण प ढ़ए
(क) बनत बहुत बहु र त।।
(ख) जाल परे जल जात ब ह।
उपयु त उदाहरण क पहल पंि त म ‘ब’ का योग कई बार कया गया है और दस
ू र म ‘ज’ का
योग, इस कार बार-बार एक व न के आने से भाषा क सुंदरता बढ़ जाती है। वा य रचना क
इस वशेषता के अ य उदाहरण खोजकर ल खए।
-
(क) दाबे व दबे
(ख) संप त-सच हं सज
ु ान।।
(ग) चा चं क चंचल करण (‘च’ वण क आव ृ )
(घ) तर तमाल त वर बहु छाए। (‘त’ वण क आव ृ )
(ङ) रघुप त राघव राजा राम (‘र’ वण क आव ृ )

सभी न के अपनी काय-पिु तका (NOTE-BOOK) म लखकर याद भी


क िजए|

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