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पाठ - 6 नाव बनाओ नाव बनाओ

लक्षित अधिगम परिणाम –

 छात्र शिक्षिका के साथ- साथ िब्दों का िुद्ध उच्चारण करते हुए लय-ताल के साथ कविता का
पठन कर सकेंगे |
 छात्र कविता में आए नए िब्दों का अथथ बताकर उनसे िाक्य ननमाथण करने में सिम होंगे |
 छात्र िर्ाथ ऋतु के बारे में बता सकेंगे |
 बच्चों में सज
ृ नात्मकता का विकास हे तु नाि की आत्मकथा शलखने में सिम होंगें |
 छात्र कविता में से अनुस्िार की मात्रा िाले िब्दों को छााँटकर शलख सकेंगे |
 छात्र तुक िाले िब्द शलखने में सिम होंगे |

नए शब्द

जल्दी , रस , सागर , सचमुच ,खूब , नदी , लहराओ , गुल्लक , रं गीला , कैं ची , चुटकी , आलस,
हल्की, कूड़ा , कागज़ , खोट , छोड़ो , हर्ाथओ आदद |

िे खाांकित शब्द िा अर्थ ललखखए –

(i) टटोलना – खोजना


मेरी हल्की गुल्लक मत टटोलना |
(ii) लपक – जल्दी से / पकड़ना
फ़िर बाजार से लपक कर तम
ु कागज़ ले आओ |
(iii) खोट – कमी / गलती / दोर्
खोट सभी है बस आलस का |
(iv) रं गीला – रं गों से भरा हुआ
कागज़ चमकीला, रं गीला, रं ग -बबरं गा भी होता है |

प्रश्नोत्ति
प्रश्न 1 : िववता में से ढूँ ढिि (छाूँटिि) ललखो –
क. शमलता - जुलता िब्द या तुक िाले िब्द –
बढ़ती - चढ़ती घर - भर
आओ - पाओ लपक - टपक
आया - लाया
ख . नुक्ता िाले िब्द – बाज़ार , कागज़ , आिाज़

प्रश्न-2 : नीचे दी गई चीजों िी आवाज़ पहचान िि ललखो –


नदी की धारा - कल – कल
सूखे पत्ते - सर - सर
फोन की घंटी - दिन – दिन
बाररि की बूाँदे - टप – टप
मंददर की घंटी - टन – टन
हिा - सायें – सायें
पानी में चलना - छप – छप

(ि) भैया ने क्या बहाना किया ? क्यों ?


उत्तर : भैया ने कहा फ़क नाि बनाना उनके बस का काम नहीं है | दरअसल भैया आलस के कारण
ऐसा बहाना कर रहे थे |
(ख) िौन बूँदों औि लहिों से लड़ते हुए आगे बढ़ िही है ?
उत्तर : रं ग- बबरं गे कागजो से बनी नाि बूाँदों और लहरों से लड़ते हुए आगे बढ़ रही है |
(ग) किसिी गुल्लि भािी है ? किसिी गुल्लि हल्िी है ?
उत्तर: भैया की गुल्लक भारी है , मेरी गुल्लक हल्की है |
(घ) पानी िहाूँ से आया है ?
उत्तर: पानी बादलों से बाररि होने से आया |
(ड़) बहुत अधिि पानी पड़ने पि क्या होगा ?
उत्तर : बहुत अधधक पानी पड़ने पर चारों तरफ पानी ही पानी होने के कारण नदी , नालों में बाढ़ आ
जाएगी |
(च) नाव बनाने िे ललए िैसा िागज़ लाने िो िहा ?
उत्तर : नाि बनाने के शलए चमकीला , लाल-हरा , नीला- पीला , रं ग- बबरं गा, खूब रं गीला कागज़
लाने को कहा |
(छ) बादल घि में क्या लािि िि दे गा ?
उत्तर : बादल घर में नदी लाकर धर दे गा |
(ज) िां गों िे नाम ललखो :
उत्तर : लाल, नीला, पीला, हरा, सिेद, नारं गी, गुलाबी, बैंगनी, आसमानी आदद |
व्याििण
नीचे ललखे शब्दों िे पयाथयवाची शब्द ललखो :
पानी - जल , नीर , तोय
बादल – जलद , पयोद , मेघ
नाि - नौका , नैया , ताररणी
सागर – समद्र
ु , नदीि , जलधध

अनुस्वाि िी मात्रा लगाओ :


रग - रं ग
रगीला - रं गीला
समुदर - समुंदर
मत्री - मंत्री

िचनात्मि लेखन :

नाव िी िहानी

एक बार फ़िर से कविता पढो | इस कविता में एक नाि के बनने और पानी में सिर करने की कहानी
नछपी है | मान लो तुम ही िह नाि हो | अब अपनी कहानी सबको सुनाओ |

शुरुआत हम िि दे ते हैं –

मैं एक नाि हूाँ | मैं कागज़ से बनी हूाँ | मुझे एक लड़के ने बनाया है | उसका नाम तो मुझे नहीं पता
पर मुझे दे खकर िह बहुत प्रसन्न हो गया | उसने मुझे बहते पानी में तैरा ददया | मैं पानी की लहरों
के सहारे आगे बढ़ती जा रही थी और लड़का खुिी से धचल्ला रहा था | उसने मुझे बनाने में रं ग –
बबरं गे चमकीले कागज़ो का इस्तेमाल फ़कया था सचमच
ु मैं बहुत सुन्दर लग रही थी | लेफ़कन यह क्या
? अचानक बाररि तेज़ हो गई | मैं इतनी भीग गई फ़क तैरने के लायक नहीं रही | और कुछ पौधों में
फाँस गई | लड़का मायूस हो गया |

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