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के य व यालय संगठन, चे नई संभाग

उ तर संकेत/ANS-KEY
ी-बोड पर ा/PB-1 : 2023-2024
ह द /HINDI
CLASS : X कुल अंक/Maximum Marks : 80
1. उ तर (5×1=5) 2. उ तर (5×1=5)
अ- (i)कथन और कारण दोन ठ क ह। अ- (iii) कथन ठ क कं तु कारण गलत है।
आ- (iii) उसे बाहर संकट से बचाने के लए आ- (i) धनी यि त
इ- (ii) प थर को काटकर इ- (iv) स य और अ हंसा के मं से
ई- (iii) नए साधन वक सत करके ई- (i) भारत दे श क जनता
उ- (ii) च क व छं दता उ- (ii) दांडी या ा
3. वा य भेद उ र (4×1=4) 4. वा य उ र (4×1=4)
अ- (ii) केवल (ख) अ- (i) कम धान है, कता उपि थत है
आ- (iii) (क)-(ii) (ख)–(iii) (ग)-(i) आ- (iii) वा य म ‘से, के वारा’ का योग
इ- (ii) (क)-जैसे वैसे (ख) और इ- (iii) (क) कतवाृ य ख) भाववा य
ई- (iv) कथन (क) म वा य और कथन ई- (i) बोलने का वषय
(ख) संयु त वा य है। उ- (ii) कतवाृ य
उ- (iii) परं तु
5. पद प रचय उ र (4×1=4) 6. अलंकार उ र (4×1=4)
अ- (iii) या वशेषण
आ- (iii) (क)–(c) / (ख)–(a) / (ग)–(b) अ- (i) कथन और कारण दोन स य ह
इ- (iv) सकमक या, ी लंग, एकवचन, वतमान आ- (i) मानवीकरण अलंकार म
काल, कतवा ृ य
ई- (ii) कथन और कारण दोन सह ह। इ- (iv) (क)–(b) / (ख)–(c) / (ग)–(a)
उ- (ii) सं ा, जा तवाचक, एकवचन, पुि लंग, ई- (iii) पानी गए न उबरै , मोती-मानष
ु -चून।
कताकारक
उ- (ii) उपमेय म उपमान का आरोप
7. प ठत ग यांश (5X1=5) 8. प ठत ग य पाठ से (2X1=2)
(अ) (ii) वयं वि म ला खाँ
(आ) (iii) बालाजी के मं दर (अ) (ii) कथन और कारण दोन नवाब साहब के
(इ) (ii) रसलू न और बतूलन के संगीत को सुनकर वारा द शत कया गया।
(ई) (iii) गायन शै लय के
(आ) (i) उनके अ य धक सरलता के कारण
(उ) (iv) कथन और कारण दोन स य ह

9. प ठत प यांश (5X1=5) 10. प ठत प य पाठ से (2X1=2)


(अ) (iv) ेम के बीते ण का
(आ) (iv) ेम (अ) (iii) कथन (क) गलत और कथन (ख)सह है ।
(इ) (i) लाज के कारण (आ) (ii) (क)–(b) / (ख)–(c) / (ग)–(a)
(ई) (ii) क व
(उ) (i) कथन और कारण दोन स य ह

11- भगत क पु वधू उ ह इस लए अकेला नह ं छोड़ना चाहती थी य क भगत के इकलौते पु और उसके प त


(क) क म ृ यु के बाद भगत अकेले पड़ गए थे। वयं भगत व ृ धाव था म ह। वे नेम-धम का पालन करने वाले
इंसान ह, जो अपने वा य क त नक भी चंता नह ं करते ह। वह व ृ धाव था म अकेले पड़े भगत को रो टयाँ
बनाकर दे ना चाहती थी और उनक सेवा करके अपना जीवन बताना चाहती थी।

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(ख) इस आ मक य म ले खका के पता ने रसोई को ‘भ टयारखाना’ कहकर इस लए संबो धत कया है य क
उसके पता को मानना था क रसोई म काम करने से लड़ कयाँ चू हे -चौके तक सी मत रह जाती ह। उनक
नैस गक तभा उसी चू हे म जलकर न ट हो जाती है अथात ् वह पुि पत-प ल वत नह ं हो पाती ह।
(ग) बि म ला खाँ को द ु नया उनक शहनाई के कारण जानती है , लग
ुं ी के कारण नह ं। वे खुदा से हमेशा सरु का
वरदान माँगते रहे ह। उ ह लगता है क अभी वे सरु को बरतने के मामले म पूण नह ं हो पाए ह। य द खद
ु ा
ने उ ह ऐसा सरु और कला न द होती तो वे स ध न हो पाते। फटे सुर को ठ क करना असंभव है पर फटे
कपड़े आज नह ं तो कल सल ह जाएँगे।
(घ) वा त वक अथ म 'सं कृत यि त' उसे कहा जा सकता है िजसम अपनी बु ध तथा यो यता के बल पर कुछ
नया करने क मता हो। िजस यि त म ऐसी बु ध तथा यो यता िजतनी अ धक मा ा म होगी वह यि त
उतना ह अ धक सं कृत होगा। जैसे- यूटन, यट
ू न ने गु वाकषण के स धांत का आ व कार कया। वह
सं कृत मानव था। आज भौ तक व ान के व या थय को इस वषय पर यट
ू न से अ धक स य कह सकते
ह, पर तु सं कृत नह ं कह सकते।

12- कृ ण के त अपने अन य ेम को गो पय ने न न ल खत उदाहरण वारा य त कया है –


(क) (1) उ ह ने वयं क तुलना चीं टय से और ी कृ ण क तुलना गड़
ु से क है। उनके अनुसार ी कृ ण उस
गड़
ु क भाँ त ह िजस पर चीं टयाँ चपक रहती ह। (गरु चाँट य पागी)
(2) उ ह ने वयं को हा रल प ी व ी कृ ण को लकड़ी क भाँ त बताया है, िजस तरह हा रल प ी लकड़ी को
नह ं छोड़ता उसी तरह उ ह ने मन, म, वचन से ी कृ ण क ेम पी लकड़ी को ढ़तापूवक पकड़ लया है ।
(हमार हा रल क लकर , मन म वचन नंद-नंदन उर, यह ढ़ क र पकर )
(3) वह ी कृ ण के ेम म रात- दन, सोते-जागते सफ़ ी कृ ण का नाम ह रटती रहती है । (जागत सोवत
व न दवस- न स, का ह-का ह जक र ।)
(ख) (1) गायन के समय य द गायक-गा यका का वर भार हो तो संगतकार अपनी आवाज़ से उसम मधुरता भर
दे ता है ।
(2) जब गायन करते समय मु य गायक-गा यका अंतरे क ज टलता के कारण तान म खो जाता है तो वह
उसके थाई
व प को सँभालते हुए गायन करता रहता है ।
(3) जब गायन करते समय मु य गायक-गा यका अपनी लय को लाँघकर भटक जाते ह तो संगतकार उस
भटकाव को सँभालता है ।
(4) तारस तक के गायन के समय गायक-गा यका का तर धीमा होने लगता है तो वह उसक गायन म अपने
तर को मलाकर उसक ग त को सरु का साथ दे ता है।
(ग) नराला ां तकार क व थे। वे समाज म बदलाव लाना चाहते थे इस लए जनता म चेतना जागत
ृ करने के लए
और जोश जगाने के लए क व बादल से फुहार, रम झम या बरसने के लए न कह 'गरजने' के लए कहा है ।
गरजना श द ाि त, बदलाव, वरोध दशाता है ।
(घ) तुत क वता म क व ने कृ त क यापकता का वणन न न ल खत प म कया है -
• पेड़-पौधे नए प े पाकर खल खला रहे ह|
• फूल क खश
ु बू वातावरण को सुगि धत कर रह है |
• डा लयाँ कह ं हर तो कह ं लाल प य से भर जाती ह|

2
• बाग़-बगीच म चार ओर ह रयाल छा गयी है |
• क व को कृ त के स दय से आँख हटाना मुि कल लग रहा है|
13- माता से ब चे का मम व का र ता होता है। वह चाहे अपने पता से कतना ेम करता हो या पता अपने ब चे
(क)
को कतना भी ेम दे ता हो पर जो आ मीय सुख माँ क छाया म ा त होता है वह पता से ा त नह ं होता।
भोलानाथ का अपने पता से अपार नेह था पर जब उस पर वपदा आई तो उसे जो शां त व ेम क छाया
अपनी माँ क गोद म जाकर मल वह शायद उसे पता से ा त नह ं हो पाती। माँ के आँचल म ब चा वयं
को सरु त महसूस करता है । लेखक ने इस लए पता पु के ेम को दशाते हुए भी इस कहानी का नाम माँ का
आँचल रखा है ।
(ख) आज क पीढ़ वारा कृ त के साथ बहुत खलवाड़ कया जा रहा है । हम लोग आज वन
को काट लर ख म कर रहे ह। रा ता बनाने के लए पहाड को काट रहे ह, वहाँ के पेड़-पौध
को न ट कर रहे ह। फै ट रय के गंदे पानी को न दय म बहा रहे ह िजससे पीने का जल भी
द ू षत हो रहा है।
इसे रोकने के लए हम लोग न न उपाय कर सकते ह -
1) व ृ को न ह काटे न ह काटने दे ।
2) सब लोग अपने आस-पास व ृ ारोपण कर।
3) पॉ लथीन का योग कम से कम कर।
4) वाहन का योग कम से कम कर।
5) घर के कचरे को यथा थान डाले।
(ग) हरो शमा तो व ान के द ु पयोग का वलंत उदाहरण है ह पर हम मनु य वारा व ान का और भी द ु पयोग
कया जा रहा है । आज हर दे श परमाणु अ को बनाने म लगा हुआ है जो आने वाले भ व य के लए सबसे
बड़ा खतरा है । इस व ान क दे न के वारा आज हम अंग यारोपण कर सकते ह। एक यि त के खराब अंग
के थान पर दस
ू रे यि त के वारा दान म दए गए अंग का यारोपण कया जाता है । पर तु आज इस दे न
का द ु पयोग कर हम मानव अंगो का यापार करने लगे ह। व ान ने कं यट
ू र का आ व कार कया उसके प चात ्
उसने इंटरनेट का आ व कार कया ये उसने मानव के काय के बोझ को कम करने के लए कया। हम मनु य
ने इन दोन का द ु पयोग कर वायरस व साइबर ाइम को ज म दया है । व ान ने या ा को सुगम बनाने के
लए हवाई जहाज़, गा ड़य आ द का नमाण कया पर तु हमने इनसे अपने ह वातावरण को द ू षत कर दया
है। ऐसे कतने ह अन गनत उदाहरण ह िजससे हम व ान का द ु पयोग कर महा वनाश क ओर बढ़ रहे ह।

14. अनु छे द-लेखन (1X6=6) 15. प -लेखन (1X5=5)


 तावना और उपसंहार -2  ारं भक एवं समापन औपचा रकताएं -1
 वषय साम ी – 3 अंक  वषय साम ी – 3 अंक
 भाषा शैल एवं वतनी – 1 अंक  भाषा शैल एवं वतनी – 1 अंक
16. वव;त एवं इमेल-लेखन (1X5=5) 17. व ापन एवं संदेश-लेखन (1X4=4)
 औपचा रकताएं -1  औपचा रकताएं -1
 वषय साम ी – 3 अंक  वषय साम ी – 2 अंक
 तत
ु ी – 1 अंक  तुती – 1 अंक
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