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1544601548
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मुहावरा एक ऐसा वा य श है , जो रचना म अपना िवशेष अथ कट करता है । रचना म भावगत सौ दय की दृि से मुहावर का िवशेष मह व है । इनके योग से भाषा
सरस, रोचक एवं भावपूण बन जाती है । इनके मूल प म कभी पिरवतन नहीँ होता अथ त् इनम से िकसी भी श द का पय यवाची श द यु त नहीँ िकया जा सकता। ह ,
ि या पद म काल, पु ष, वचन आिद के अनुसार पिरवतन अव य होता है । मुहावरा अपूण वा य होता है । वा य योग करते समय यह वा य का अिभ अंग बन जाता है ।
मुहावरे के योग से वा य म यं याथ उ प होता है । अतः मुहावरे का शाि दक अथ न लेकर उसका भावाथ हण करना चािहए।
मुख मुहावरे व उनका अथ:
• अंग–अंग िखल उठना
– स हो जाना।
• अंग छू ना
– कसम खाना।
• अंग–अंग टू टना
– सारे बदन म दद होना।
• अंग–अंग ढीला होना
– बहत ु थक जाना।
• अंग–अंग मुसकाना
– बहत ु स होना।
• अंग–अंग फूले न समाना
– बहत ु आनंिदत होना।
• अंगड़ाना
– अंगड़ाई लेना, जबरन पहन लेना।
• अंकुश रखना
– िनयं ण रखना।
•अंग लगाना
– िलपटाना।
• अंगारा होना
– ोध म लाल हो जाना।
• अंगारा उगलना
– जली–कटी सुनाना।
•अंगार पर पै र रखना
– जोिखम मोल लेना।
• अँगूठे पर मारना
– परवाह न करना।
• अँगूठ ा िदखाना
– िनराश करना या ितर कारपूवक मना करना।
• अंगूर ख े होना
– ा त न होने पर उस व तु को र ी बताना।
• अंजर–पंजर ढीला होना
– अंग–अंग ढीला होना।
• अंडा फूट जाना
– भेद खुल जाना।
• अंधा बनाना
– ठगना।
• अँधे की लकड़ी/लाठी
– एकमा सहारा।
• अंधे को िचराग िदखाना
– मूख को उपदेश देना।
• अंधाधुंध
– िबना सोचे–िवचारे।
• अंधानुकरण करना
– िबना िवचारे अनुकरण करना।
• अंधरे खाता
– अ यव था।
• अंधरे नगरी
– वह थान जह कोई िनयम यव था न हो।
• अंधे के हाथ बटे र लगना
– िबना यास भारी चीज पा लेना।
• अंध म काना राजा
– अयो य यि तय के बीच कम यो य भी बहत ु यो य होता है ।
• अँधरे े घर का उजाला
– अित सु दर/इकलौती स तान।
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2. लोकोि तय (कहावत)
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लोकोि त का अथ है , लोक की उि त अथ त् जन–कथन। लोकोि तय अथवा कहावत लोक–जीवन की िकसी घटना या अ तकथा से जुड़ी रहती है ।ँ इनका ज म
लोक–जीवन म ही होता है । येक लोकोि त समाज म चिलत होने से पूव म अनेक बार लोग के अनुभव की कसौटी पर कसी गई है और सभी लोग के अनुभव उस
लोकोि त के साथ एक से रहे है ,ँ तब वह कथन सवमा य प से हमारे सामने है । लोकोि तय िदखने म छोटी लगती है ,ँ पर तु उनम अिधक भाव रहता है । लोकोि तय के
योग से रचना म भावगत िवशेषता आ जाती है ।
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• सामा य िह दी
♦ होम पे ज
तुित:–
मोद खेदड़