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★​ ​ श ा मनो व ान ★

​ प
​ हल ह बार और ट ईट पार

ट ईट और ल खत पर ा के लए समान उपयोगी

​ द पक संह राजपत


​ ो- 8756277292(w.)
तहसील-महरौनी, िजला-ल लतपरु

​ र दे श
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★​ ​ श ा मनो व ान ★

​ श ा मनो व ान (Educational Psychology) :

"​मनो व ान सीखने से स बं धत मानव वकास के 'कैसे


सीखा जाए' क या या करती है , श ा सीखने के ' या
सखा जाए' को दान करने क चे टा करती है ।"
- ोव ो

मनो व ान मानव यवहार का अ ययन करता है और


श ा मानव यवहार म प रवतन करती है , अतः श ा
और मनो व ान म गहन स ब ध है ।

श ा या है ?

श ा श द सं कृत के ' श '् धातु से बना है , िजसका अथ


है :

सीखना अं ेजी श द एजक ु े शन (Education) ​लै टन भाषा


के एडुकेयर (Educare) एवं एडुसीयर (Educere) से बना
है , िजसका अथ है 'नेत ृ व दे ना, बाहर लाना'

श ा का अथ :

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

(A). संकु चत स दभ म ( ाचीन ि टकोण) :

1. 19वीं सद के उ रा ध (1879) तक
2. औपचा रक श ा ( कताबी ान)
3. श ा व यालय तक सी मत
4. ाना मक प पर बल
5. सै धाि तक प पर बल

(B). यापक स दभ म (नवीन ि टकोण) :

1. 1879 से अब तक (20वीं सद )
2. अनौपचा रक श ा
3. श ा जीवन पय त
4. सवागीण वकास पर बल
5. यावहा रक प पर बल

मनो व ान या है ?

मनो व ान के अं ेजी पयाय साइकोलॉजी (Psychology)


श द क उ प यन ू ानी ( ीक) भाषा के साइक (Psyche)
और लोगस (Logos) से हुई है । साइक का अथ है 'आ मा'
और लोगस का अथ है 'अ ययन'। अतः मनो व ान का
शाि दक अथ है 'आ मा का अ ययन'।

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

अमर क व वान व लयम जे स (1842-1910) ने


मनो व ान को दशनशा के शकंजे से मु त कर एक
वतं व या का प दया। इस लए इ हे मनो व ान का
जनक माना जाता है ।

मनो व ान क उ प

मनो व ान क उ प दशनशा के अंग के प म हुई।


काला तर म मनो व ान के अथ म प रवतन होता गया।
जो इस कार है :

1. आ मा का व ान : अर त,ू लेटो, अ र टोटल और


डेकोट आ द यनू ानी दाश नको ने मनो व ान को आ मा
का व ान माना, क तु आ मा क कृ त क अ प टता
के कारण 16वीं शता द म मनो व ान का यह अथ
अ वीकृत कर दया गया।

TRICK-"आ मा से आप यू अड़े"
1. आ मा से-इन सभी दाश नको ने मनो व ान को आ मा
का व ान माना
2. आ-अर तू (दाश नक)
3. प- लेटो (दाश नक)

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

4. य-ू यन
ू ानी दाश नक थे सभी
5. अ-अ र टोटल (दाश नक)
6. डे-डेकाट (दाश नक)

मि त क का व ान

मि त क का व ान : 17वीं शता द म दशनीको ने


मनो व ान को मन या मि त क का व ान कहा।
इनमेइटल के स ध दाश नक पॉ पोनॉजी के अलावा
लॉक और बकल भी मख ु है । कोई भी व वान मन क
कृ त तथा व प का नधारण नह कर सका, अतः यह
प रभाषा भी मा यता नह पा सक ।

TRICK-"पलक क बाई मि त म"


1. प-पॉ पोनॉजी (दाश नक)
2. लक-लॉक (दाश नक)
क -silent
3. बा-बकल (दाश नक)
4. इटल -यह इटल के स ध दाश नक थे
5. मि त-इन सभी दाश नको ने मनो व ान को मि त क
का व ान माना

चेतना का व ान

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

चेतना का व ान : 19वीं शता द के मनो व ानक


व लयम वु ट, व लयम जे स, वाइ स और जे स
स ल आ द ने मनो व ान को चेतना का व ान माना।
इनका मानना था, क मनो व ान मनु य क चेतन
याओ का अ ययन करता है ।
मनो व ान केवल चेतन मन का ह नह , बि क अचेतन
और अवचेतन आ द याओ का अ ययन भी करता है ।
मनो व ान का यह अथ सी मत होने के कारण सवमा य न
हो सका। मै डूगल ने अपनी पु तक 'आउटलाइन
साइकोलॉजी' म चेतना श द क कड़ी आलोचना क ।

TRICK-"चेतना को व लयम ने सजवाइ"


1. चेतना-इन सभी दाश नको ने मनो व ान को चेतना का
व ान माना
को-silent
2. व लयम- व लयम वु ट
ने-silent
3. स-स ल अथात जे स स ल (दाश नक)
4. ज-जे स अथात व लयम जे स (दाश नक)
5. वाइ-वाइ स (दाश नक)

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

यवहार का व ान

यवहार का व ान : 20वीं शता द के ारि भक दौर म


मनो व ान के अनेक अथ सझ ु ाए गए, इनमे से
"मनो व ान यवहार का व ान है ।" अथ सवा धक मा य
रहा। इस स ब ध म कुछ मह वपण ू प रभाषाएँ
न न ल खत है :

1. ​वाटसन : म ​ नो व ान, यवहार का नि चत व ान है ।


2. ​वड
ु वथ : ​मनो व ान वातावरण के स ब ध म यि त
क याओ का वै ा नक अ ययन है ।

3. ​ि कनर : ​मनो व ान, जीवन क सभी कार क


प रि थ तय म ाणी क याओं का अ ययन करता है ।
or
मनो व ान, यवहार और अनभ ु व का व ान है ।

4. मन : ​आधु नक मनो व ान का स ब ध यवहार क


वै ा नक खोज से है ।
5. ो व ो : म ​ नो व ान मानव यवहार और मानव
स ब धो का अ ययन है ।
6. मै डूगल : म​ नो व ान जी वत व तओ
ु के यवहार का
वधायक व ान है ।

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

उपयु त त य के आधार पर हम वड ु वथ के श द म इस
न कष पर पहुँचते है :
"सबसे पहले मनो व ान ने अपनी आ मा का याग कया।
फर उसने अपने मन या मि त क का याग कया। उसके
बाद उसने चेतना का याग कया। अब वह यवहार क
व ध को वीकार करता है ।"

TRICK- सवम ( शवम) यवहार म वड ु (लकड़ी/wood सा


कठौर) के जैसा"
1. स-ि कनर (दाश नक)
2. व-वाटसन (दाश नक)
3. म-मन (दाश नक)
4. यवहार-इन सभी ने मनो व ान को यवहार का व ान
माना
5. म-मै डूगल (दाश नक)
6. वड
ु -वड
ु वथ (दाश नक)
7. के- ो व ो (दाश नक)
जैसा-silent

श ा मनो व ान का शाि दक अथ है :

श ा स ब धी मनो व ान अथात यह श ा क या म

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

मानव यवहार का अ ययन करने वाला व ान है । श ा


मनो व ान के अथ का व लेषण करने के लए ि कनर ने
न न ल खत त य तत ु कए है :
1. श ा मनो व ान का क मानव यवहार है ।
2. श ा मनो व ान खोज और न र ण से ा त त य
का सं ह करता है ।
3. श ा मनो व ान संगहृ त ान को स धा त प दे ता
है ।
4. श ा मनो व ान श ा क सम याओ के समाधान के
लए प ध तय का तपादन करता है ।

श ा मनो व ान क प रभाषाएँ :

1. ि कनर : ​ श ा मनो व ान के अंतगत श ा से


स बि धत स पण ू यवहार और यि त व आ जाता है ।

2. ो व ो : ​ श ा मनो व ान, यि त के ज म से
व ृ धाव था तक सखाने के अनभ
ु व का वणन और या या
करता है ।

3. कॉलस नक : ​ श ा मनो व ान, मनो व ान के


स धा त और अनस ु धान का श ा म योग है ।

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

4. ट फन : ​ श ा मनो व ान शै णक वकास का
मक अ ययन है ।

5. सॉरे व टे लफ़ोड : ​ श ा मनो व ान का मु य स ब ध


सखने स ​ े है । यह मनो व ान का वह अंग है , जो श ा के
मनोवै ा नक पहलओ ु क वै ा नक खोज से वशेष प से
स बि धत है ।

श ा मनो व ान के उ दे य :

ि कनर ने श ा मनो व ान के उ दे य को दो भागो म


वभािजत कया है -

1. सामा य उ दे य :
(i). स धांतो क खोज तथा त य का सं ह करना।
(ii). बालक के यि त व का वकास करना।
(iii). श ण काय म सहायता दे ना।
(iv). श ण व ध म सध ु ार करना।
(v). श ा के उ दे य व ल य क पू त करना।

2. व श ट उ दे य :
(i). बालको के त न प व सहानभ
ु ू तपण
ू ि टकोण।

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

(ii). श ा के तर व उ दे य को नि चत करना।
(iii). श ण प रणाम जानने म सहायता करना।
(iv). छा यवहार को समझने म सहायता दे ना।
(v). श ण सम या के समाधान हे तु स धांतो का ान।

मनो व ान के मह वपण
ू त य

1. ​मनो व ान का ज म अर तू के समय दशनशा के


अंग के प म हुआ।
2. वाटसन ने मनो व ान को यवहार का शु ध व ान
माना है ।
3. व लयम जे स को मनो व ान का जनक माना जाता
है ।

4. जमनी के स ध मनोवै ा नक व लयम वु ट ने 1879


ई. म लपिजंग म थम मनोवै ा नक योगशाला क
थापना करके मनो व ान को वै ा नक व प दया।
5. वॉ फ ने शि त मनो व ान का तपादन कया।
6. आधु नक श ा के जनक माने जाते है -जे.ए.ि टपर

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

मरणीय बंद ु :

1. वाटसन को यवहारवाद मनो व ान का जनक माना


जाता है ।
2. सो ने श ा म मनो व ा नक ि टकोण क शु आत
क।
3. मनो व ान क शाखा के प म श ा मनो व ान का
ज म 1900 ई. म हुआ।
4. मनो व ान यवहार का वै ा नक अ ययन करता है ।

5. मनो व ान एक वधायक व ान (Positive


Science) है ।
6. योगा मक मनो व ान के ज मदाता व लयम वु ट
थे।
7. कॉलस नक श ा मनो व ान का आर भ लेटो से
मानते है ।
9. ि कनर श ा मनो व ान का आर भ अर तू से मानते
है ।

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श ा मनो व ान : यि त व

' यि त व' अं ेजी के पसने ट (Personality) का पयाय


है । पसने ट श द क उ प यन ू ानी भाषा के 'पस ना'श द
से हुई है , िजसका अथ है 'मख
ु ोटा (Mask)'। उस समय
यि त व का ता पय बा य गण ु से लगाया जाता था। यह
धारणा यि त व के पण ू अथ क या या नह करती।
यि त व क कुछ आधु नक प रभाषाएँ ट य है :

1. गलफोड : यि त व गण
ु का समि वत प है ।

2. वड
ु वथ : यि तत के यवहार क एक सम वशेषता ह
यि त व है ।

3. माटन : यि त व यि त के ज मजात तथा अिजत


वभाव, मल ू व ृ य , भावनाओं तथा इ छाओं आ द का
समदु ाय है ।

4. बग एवं हं ट : यि त व यवहार व ृ य का एक

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

सम प है , जो यि तत के सामािजक समायोजन म
अ भ य त होता है ।

5. ऑलपोट (Imp) : यि त व का स ब ध मनु य क उन


शार रक तथा आ त रक व ृ य से है , िजनके आधार पर
यि त अपने वातावरण के साथ समायोजन था पत करता
है ।

इस कार हम न कष प म कह सकते है , क यि त व
एक यि त के सम त मान सक एवं शार रक गुण का
ऐसा ग तशील संगठन है , जो वातावरण के साथ उस यि त
का समायोजन नधा रत करता है ।

यि त व मापन के स धांत

TRICK-" वकट म जागो आम यि त हम माँगना है मन


से और शर र से"
Note : श दो का व ह/ व छे द करने पर पहला श द
यि त व मापन के स धा त का नाम तथा दस ू रा श द
उस स धा त के तपादक/ वतक/मनोवै ा नक का नाम
है ।

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

क का व त ृ व प :
1. व+कट = वशेषक स धा त-कैटल
म-silent
2. जा+गो = िजव स धांत-गो ड ट न
3. आ+म = आ म ान का स धा त-मा लो
4. यि त = यि त अथात यह स " यि त व मापन
के स धा त" क है ।

5. ह+म = हा मक स धा त-मै डूगल


6. माँगना+है = माँग स धा त-हे नर मरु े
7. मन+से = मनो व लेषणा मक स धा त- संगमंड
ायड
और-silent
8. शर र+से = शर र रचना स धा त-शै डन

शर र रचना स धा त

शर र रचना स धा त : इस स धा त के वतक शै डन
थे। इ ह ने शार रक गठन व शर र रचना के आधार पर
यि त व क या या करने का यास कया। यह शर र
रचना व यि त व के गण ु के बीच घ न ठ संबंध मानते ह।
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★​ ​ श ा मनो व ान ★

इ ह ने शार रक गठन के आधार पर यि तय को तीन


भाग - गोलाकृ त, आयताकृ त, और लंबाकृ त म वभ त
कया। गोलाकृ त वाले ायः भोजन य, आराम पसंद,
शौक न मजाज, परं परावाद , सहनशील, सामािजक तथा
हँसमखु कृ त के होते ह। आयताकृ त वाले ायः
रोमांच य, भु ववाद , जोशीले, उ दे य क त तथा ोधी
कृ त के होते ह। ल बाकृ त वाले ायः गुमसम
ु , एकांत य
अ प न ा वाले, एकाक , ज द थक जाने वाले तथा न ठुर
कृ त के होते ह।

वशेषक स धा त

. वशेषक स धा त : इस स धा त का तपादन कैटल


ने कया था। उसने कारक व लेषण नाम क सांि यक य
व ध का उपयोग करके यि त व को अ भ य त करने
वाले कुछ सामा य गणु खोजे, िज ह ' यि त व
वशेषक'नाम दया। इसके कुछ कारक है - धना मक च र ,
संवेगा मक ि थरता, सामािजकता, ब ृ ध आ द।
कैटल के अनसु ार यि त व वह वशेषता है , िजसके आधार
पर वशेष प रि थ त म यि तत के यवहार का अनम ु ान
लगाया जाता है । यि त व वशेषक मान सक रचनाएँ है ।
इ हे यि त के यवहार या क नरं तरता व
नय मतता के वारा जाना जा सकता है ।

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

माँग स धा त

माँग स धा त : इस स धांत के तपादक हे नर मानते ह


क मानव एक े रत जीव है जो अपने अंत न हत
आव यकताओं तथा दबाव के कारण जीवन म उ प न
तनाव को कम करने का नरं तर यास करता रहता है ।
वातावरण यि त के अंदर कुछ माँगो को उ प न करता है ।
यह माँगे ह यि त के वारा कए जाने वाले यवहार को
नधा रत करती है । मरु े ने यि त व माँग क 40 माँगे ात

श ा मनो व ान : यि त व के कार

1. कैचमर का शर र रचना पर आधा रत वग करण :

(i). शि तह न (ए थे नक)
(ii). खलाड़ी (एथले टक)
(iii). नाटा ( पक नक)।

2. क पल मु न का वभाव पर आधा रत वग करण :


(i). स व धान यि त

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

(ii). राजस धान यि त


(iii). तमस धान यि त।

3. थानडाइक का चंतन पर आधा रत वग करण :


(i). सू म वचारक
(ii). य वचारक
(iii). थलू वचारक।

4. ​ गर का समाज स बं धत वग करण :
(i). वैचा रक
(ii). आ थक
(iii). स दया मक
(iv). राजनै तक
(v). धा मक
(vi). सामािजक।

5. जंग
ु वारा कया गया मनोवै ा नक वग करण :

वतमान म जंगु का वग करण सव म माना जाता है ।


इ ह ने मनोवै ा नक ल ण के आधार पर यि त व के

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

तीन भेद माने जाते है -


(i). अ तमखी ु -अंतमखी
ु झपने वाले, आदशवाद और
संकोची वभाव वाले होते है । इसी वभाव के कारण वे
अपने वचार को प ट प से य त करने म असफल
रहते है । ये बोलना और मलना कम पसंद करते है । पढ़ने म
अ धक च लेते है । इनक काय मता भी अ धक होती है ।

(ii). ब हमखी
ु -ब हमखी
ु यि त भौ तक और सामािजक
काय म वशेष च लेते है । ये मेलजोल बढ़ाने वाले और
वाचाल होते ह। ये अपने वचार और भावनाओं को प ट
प से य त कर सकते ह। इनमे आ म व वास चरम
सीमा पर होता है और बा य सामंज य के त सचेत रहते
है ।

(iii). उभयमख
ु ी-इस कार के यि त कुछ प रि थ तय म
ब हमखी ु तथा कुछ म अंतमखी
ु होते है । जैसे एक यि त
अ छा बोलने वाला और लखने वाला है , क तु एकांत म
काय करना चाहता है ।

श ा मनो व ान : यि त व को भा वत करने वाले


कारक

1. वंशानु म का भाव : यि त व के वकास पर

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

वंशानु म का भाव सवा धक और अ नवायतः पड़ता है ।


ि कनर व है रमैन का मत है क- "मनु य का यि त व
वाभा वक वकास का प रणाम नह ं है । उसे अपने
माता- पता से कुछ नि चत शार रक, मान सक,
संवेगा मक और यावसा यक शि तयाँ ा त होती ह।"

2. सामािजक वातावरण का भाव : बालक ज म के समय


मानव-पशु होता है । उसम सामािजक वातावरण के स पक
से प रवतन होता है । वह भाष, रहन-सहन का ढं ग,
खान-पान का तर का, यवहार, धा मक व नै तक वचार
आ द समाज से ा त करता है । समाज उसके यि त व का
नमाण करता है । अतः बालक को आदश नाग रक बनाने
का उ रदा य व समाज का होता है ।

3. प रवार का भाव : यि त व के नमाण का काय


प रवार म आर भ होता है , जो समाज वारा परू ा कया
जाता है । प रवार म ेम, सरु ा और वतं ता के वातावरण
से बालक म साहस, वतं ता और आ म नभरता आ द
गणु का वकास होता है । कठोर यवहार से वह कायर और
अस यभाषी बन जाता है ।

4. सां कृ तक वातावरण का भाव : समाज यि त का


नमाण करता है , तो सं कृ त उसके व प को नि चत
करती है । मनु य िजस सं कृ त म ज म लेता है , उसी के

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

अनु प उसका यि त व होता है ।

5. व यालय का भाव :​ पा य म, अनश ु ासन , खेलकूद,


श क का यवहार, सहपाठ आ द का य या अ य
भाव यि त व के वकास पर पडता है । व यालय म
तकूल वातावरण मलने पर बालक कंु ठत और वकृत हो
जाता है ।

6. संवेगा मक वकास : अनक


ु ू ल वातावरण म रहकर बालक
संवेग पर नयं ण रखना सीखता है । संवेगा मक असंतल
ु न
क ि थ त म बालक का यि त व कंु ठत हो जाता है ।
इस लए वां छत यि त व के लए संवेगा मक ि थरता को
पहल ाथ मकता द जाती है ।

7. मान सक यो यता व च का भाव :​ यि त क िजस


े म च होती है , वह उसी म सफलता पा सकता है और
सफलता के अनपु ात म ह यि त व का वकास होता है ।
अ धक मान सक यो यता वाला बालक सहज ह अपने
यवहार को समाज के आदश के अनक ु ू ल बना दे ता है ।

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

8. शार रक भाव : अ तः ावी ं थयाँ, न लका वह न


ं थयाँ, शार रक रसायन, शार रक रचना आ द यि त व
को भा वत करते है । शार र क दै हक दशा, मि त क के
काय पर भाव डालने के कारण यि त के यवहार और
यि त व को भा वत करती है । इनके अलावा बालक क
म -म डल और पड़ोस भी उसके यि त व को भा वत
करते है ।

श ा मनो व ान : अ तमह वपण


ू सप
ु र-40 नो र

1. मनो व ान के जनक माने जाते है ?


- व लयम जे स

2. मनो व ान को यवहार का नि चत व ान कसने


माना है ?
-वाटसन

3. मनो व ान अ ययन है -
- यवहार का वै ा नक अ ययन

4. साइकोलॉजी श द िजन दो श द से मलकर बना है , वह

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

है -
-Psyche + Logos

5. श ा को सवागीण वकास का साधन माना है -


-महा मा गाँधी ने

6. मनो व ान को मि त क का व ान मानने वाले


व वान कौन थे?
-पॉ पोनॉजी

7. मनो व ान को चेतना का व ान कसने माना?


-वु ट, वाइ स और जे स ने

8. योगा मक मनो व ान के जनक कौन थे?


-वु ट

9. वतमान म मनो व ान को माना जाता है -


- यवहार का व ान

10. मनो व लेषणवाद के वतक कौन थे?


- ायड

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

11. मान सक प र ण क व ध वक सत करने वाले


व वान कौन थे?
- बने

12. मनो व ान का श ा के े म योगदान नह है -


- श ा के सै धाि तक प पर बल

13. "आधु नक मनो व ान का स बंध यवहार क


वै ा नक खोज से है ।" यह प रभाषा कसक है ?
-मन क

14. मनो व ान के अं ेजी पयाय 'साइकोलॉजी' श द क


यु प हुई-
- ीक भाषा से

15. श ा मनो व ान क वषय-साम ी स बि धत है -


-सीखना

16. मनो व ान को ' वशु ध व ान' माना है -


-जे स वे र ने

17. "मनो व ान मन का वै ा नक अ ययन है ।" कथन


कसका है ?
-वेले टाइन

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

19. मनो व ान के अ तगत कया जाता है -


-मानव, जीव-ज तओ ु ं तथा संसार के अ य सभी ा णय
का अ ययन

20. यवहारवाद का ज मदाता कसे माना जाता है ?


-वाटसन

21. श ा म मनोवै ा नक आंदोलन का सू पात कसने


कया?
- सो ने

22. " श ा मनो व ान अ यापको क तैयार क


आधार शला है ।" यह कथन कसका है ?
-ि कनर

23. कोलस नक श ा मनो व ान का आर भ कससे


मानते है ?
- लेटो से
24. मलू - व ृ याँ स पण
ू मानव- यवहार क चालक है ।
कसने कहा?
-मै डूगल

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

25. श ा मनो व ान ने प ट व नि चत व प कब
धारण कया?
-अमर क मनोवै ा नक थानडाइक, जड
ु , टे नले हाल,
टरमन आ द के यास से श ा मनो व ान ने 1920 ई. म
प ट व नि चत व प धारण कया।

26. मनो व ान का श ा के े म योगदान है -


-बाल-क त, मू यांकन और पा य म

27. श ा मनो व ान के े म अ ययन कया जाता है -


-मल
ू व ृ य , अनश
ु ासन और अ धगम

28. श ण का मु य क होता है ?
-बालक

29. "मनो व ान, श क को अनेक धारणाएँ और


स धा त दान करके उसक उ न त म योग दे ता है ।" यह
कसने कहा?
-कु पू वामी ने

30. श ा मनो व ान क कृ त है -
-वै ा नक

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

31. श ा म बालक का स ब ध कससे होता है ?


- श क, वषय-व तु और समाज से

32. श क मनो व ान का उपयोग कसके लए करता है ?


- वयं, बालक और अनश
ु ासन के लए

33. मू यांकन कसके लए आव यक है ?


-छा और श क के लए

34. श ा मनो व ान का अ ययन अ यापक को इस लए


करना चा हए, ता क-
-इससे वह अपने श ण को भावी बना सकता है ।

35. श ा मनो व ान आव यक है -
- श क, छा और अ भभावक

36. अ यापक वह सफल है जो-


-बालको क च को जानता हो

37. क ा से पलायन करने वाले बालको के त आपका


यवहार होगा-
- नदाना मक

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

38. " श ा मनो व ान यि त के ज म से व ृ धाव था


तक सीखने के अनभु व का वणन एवं या या करती है ।"
यह कथन है -
- ो व ो का

39. श ा मनो व ान एक श क के लए मू यवान है ।


उसका सबसे मह वपण ू कारण है -
-उसे व याथ के बारे म ान मलता है ।

40. "मनो व ान श ा का आधारभत


ू व ान है ।" यह
कथन है -
-ि कनर

अ धगम का अथ :-

येक यि त त दन नए-नए अनभ ु व एक त करता है ,


इन नए अनभु व से उसके यवहार म प रवतन आता है ।
इस कार नए अनभ ु व एक त करना तथा इनसे यवहार
म प रवतन आने क या ह अ धगम है । अ धगम

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

या नरं तर चलने वाल ओर सावभौ मक या है । इस


कार प ट है क सखना अनभ ु व वारा यवहार म
प रवतन है ।

अ धगम क प रभाषाय :-

1. ि कनर के अनस
ु ार, “​अ धगम यवहार म उतरो र
सामंज य क या है ।”

2. वड
ु वथ के अनस
ु ार, “नवीन ान ओर नवीन
त याओं को ा त करने क या ह अ धगम है ।”

3. ो एवं ो के अनस
ु ार, “आदत , ान ओर अ भव ृ तओं
का अजन ह अ धगम है ।”

4. गलफोड के अनस
ु ार, “​ यवहार के कारण यवहार म
प रवतन ह अ धगम है ।”

5. गे स व अ य के अनस
ु ार, “​ अनभ
ु व और श ण वारा
यवहार म प रवतन ह अ धगम है ।”

6. मागन एवं गल लै ड के अनस


ु ार, “​सीखना, अनभ
ु व के
प रणाम व प ाणी के यवहार म प रमाजन है जो ाणी

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

वारा कुछ समय के लए धारण कया जाता है ।

अ धगम को भा वत करने वाले कारक :- 

1. पव
ु अ धगम

2. वषय व तु का व प

3. वषय के त मनोव ृ त

4. सीखने क इ छा

5. सीखने क व ध

6. अ भ ेरणा

7. वातावरण

8. थकान

9. शार रक व मान सक वा य

10. वंशानु म

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

अ धगम के स धांत

उपनाम :-

1. उ द पन-अनु या का स धांत

2. यास एवं ु ट का स धांत

3. संयोजनवाद का स धांत

4. अ धगम का ब ध स धांत
5. य न एवं भल
ू का स धांत

6. S-R योर

मह वपण
ू त य

=> यह स धांत स ध अमे रक मनोवै ा नक 'एडवड


एल. थानडाइक' वारा तपा दत कया गया।

=> यह स धांत थानडाइक वारा सन 1913 ई. म दया


गया।

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

=> थानडाइक ने अपनी पु तक " श ा मनो व ान" म


इस स धांत का वणन कया ह।

=> थानडाइक ने अपना योग भख


ू ी ब ल पर कया।

=> भखू ी ब ल को िजस बॉ स म ब ध कया उस बॉ स


को "पज़ल बॉ स"(Pazzle Box) कहते ह।

=> भोजन या उ द पक के प म थानडाइक ने "मछल "


को रखा।

थानडाइक का योग

थानडाइक ने अपना योग भख ू ी ब ल पर कया। ब ल


को कुछ समय तक भख ू ा रखने के बाद एक पंजरे (बॉ स) म
ब ध कर दया। िजसे "पज़ल बॉ स"(Pazzle Box) कहते
ह। पंजरे के बाहर भोजन के प म थानडाइक ने मछल का
टुकड़ा रख दया। पंजरे के अ दर एक लवर(बटन) लगा
हुआ था िजसे दबाने से पंजरे का दरवाज़ा खल
ु जाता था।
भखू ी ब ल ने भोजन (मछल का टुकड़ा) को ा त करने
व पंजरे से बाहर नकलने के लए अनेक ु टपण ू यास
कए। ब ल के लए भोजन उ द पक का काम कर रहा
था ओर उ द पक के कारण ब ल त या कर रह

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

थी।उसने अनेक कार से बाहर नकलने का य न


कया।एक बार संयोग से उसके पंजे से लवर दब गया।
लवर दबने से पंजरे का दरवाज़ा खलु गया ओर भख ू ी
ब ल ने पंजरे से बाहर नकलकर भोजन को खाकर
अपनी भख ू को शा त कया। थानडाइक ने इस योग को
बार- बार दोहराया। तथा दे खा क येक बार ब ल को
बाहर नकलने म पछल बार से कम समय लगा ओर
कुछ समय बाद ब ल बना कसी भी कार क भल ू के
एक ह यास म पंजरे का दरवाज़ा खोलना सीख गई। इस
कार उ द पक ओर अनु या म स ब ध था पत हो
गया।

थानडाइक के नयम :-

मु य नयम :-

1. त परता का नयम :- यह नयम काय करने से पव ू


त पर या तैयार कए जाने पर बल दे ता है । य द हम कसी
काय को सीखने के लए त पर या तैयार होता है , तो उसे
शी ह सीख लेता है । त परता म काय करने क इ छा
न हत होती है । यान क त करने म भी त परता सहायता
करती है ।

2. अ यास का नयम :- यह नयम कसी काय या सीखी

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

गई वषय व तु के बार-बार अ यास करने पर बल दे ता है ।


य द हम कसी काय का अ यास करते रहते है , तो उसे
सरलतापवू क करना सीख जाते है । य द हम सीखे हुए काय
का अ यास नह करते है , तो उसको भल ू जाते है ।

3. भाव (प रणाम) का नयम :-इस नयम को स तोष


तथा अस तोष का नयम भी कहते है । इस नयम के
अनसु ार िजस काय को करने से ाणी को सख ु व स तोष
मलता है , उस काय को वह बार-बार करना चाहता है और
इसके वपर त िजस काय को करने से दःु ख या अस तोष
मलता है , उस काय को वह दोबारा नह करना चाहता है ।

ग ण नयम :-

1. बहु- त या का नयम :- इस नयम के अनस ु ार जब


ाणी के सामने कोई प रि थ त या सम या उ प न हो
जाती है तो उसका समाधान करने के लए वह अनेक कार
क त याएं करता है ,और इन त याएं को करने का
म तब तक जार रहता है जब तक क सह त या
वारा सम या का समाधान या हल ा त नह ं हो जाता है ।
यास एवं ु ट का स धांत इसी नयम पर आधा रत ह।

2. मनोव ृ का नयम :- इस नयम को मान सक व यास


का नयम भी कहते है । इस नयम के अनस
ु ार िजस काय के
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★​ ​ श ा मनो व ान ★

त हमार जैसी अ भव ृ त या मनोव ृ त होती है , उसी


अनप ु ात म हम उसको सीखते ह। य द हम मान सक प से
कसी काय को करने के लए तैयार नह ं ह, तो या तो हम
उसे करने म असफल होते ह, या अनेक ु टयाँ करते ह या
बहुत वल ब से करते ह।

3. आं शक या का नयम :- इस नयम के अनस ु ार


कसी काय को छोटे -छोटे भाग म वभािजत करने से काय
सरल और सु वधानक बन जाता है । इन भाग को शी ता
और सगु मता से करके स पण ू काय को परू ा कया जाता है ।
इस नयम पर 'अंश से पण ू क ओर' का श ण का
स धांत आधा रत कया जाता है ।

4.सा यता अनु या का नयम :- इस नयम को


आ मीकरण का नयम भी कहते है । यह नयम पव ू अनभ ु व
पर आधा रत है । जब ाणी के सामने कोई नवीन प रि थ त
या सम या उ प न होती है तो वह उससे मलती-जल ु ती
प रि थ त या सम या का मरण करता है , िजसका वह पव ू
म अनभु व कर चक ु ा है । वह नवीन ान को अपने पव ान
का थायी अंग बना लेते ह।

5. साहचय प रवतन का नयम :- इस नयम के अनस ु ार


एक उ द पक के त होने वाल अनु या बाद म कसी
दस
ू रे उ द पक से भी होने लगती है । दस
ू रे श द म, पहले
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★​ ​ श ा मनो व ान ★

कभी क गई या को उसी के समान दस ू र प रि थ त म


उसी कार से करना । इसम या का व प तो वह रहता
है , पर तु प रि थ त म प रवतन हो जाता है ।थानडाइक ने
पावलव के शा ीय अनब ु धन को ह साहचय प रवतन के
नयम के प म य त कया।

बु ध का अथ

बु ध श द का योग ाचीन काल से यि त क त परता,


ता का लकता, समायोजन, तथा सम या समाधान क
मताओं के प म कया जाता रहा है । बु ध या है ? इस
स बंध म मनोवै ा नक म हमेशा मतभेद रहा है ।
इसी लए अभी तक बु ध का कोई सवमा य अथ च लत
नह हो पाया है ।

बु ध क प रभाषाय

1. वड ु वथ के अनस
ु ार, “​ बु ध, काय करने क एक व ध
है ।”

2. ब कंघम के अनस
ु ार, “ स
​ ीखने क शि त ह बु ध है ।”

3. टरमन के अनस
ु ार, “​ बु ध, अमत
ू वचार के बारे म
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★​ ​ श ा मनो व ान ★

सोचने क यो यता है ।”

4. वड
ु रो के अनस
ु ार, “ ​बु ध ान का अजन करने क
मता है ।”

5. बने के अनस
ु ार, “​ बु ध इन चार श द म न हत है -
ान, आ व कार, नदश और आलोचना।”

6. टन के अनसु ार, “ ब
​ ु ध जीवन क नवीन सम याओं
के समायोजन क सामा य यो यता है ।”

7. बट के अनस
ु ार, “ ​बु ध अ छ तरह नणय करने,
समझने तथा तक करने क यो यता है ।”

8. गा टन के अनस
ु ार, “ ​बु ध पहचानने तथा सीखने क
शि त है ।”

9. थानडाइक के अनस
ु ार, “​स य या त य के ि टकोण से
उ म त याओं क शि त ह बु ध है ।”

बु ध के स धांत

1 एक ख ड बु ध का स धांत
2 दो ख ड बु ध का स धांत

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

3 तीन ख ड बु ध का स धांत
4 बहु ख ड बु ध का स धांत
5 समह ू ख ड बु ध का स धांत
6 यादश या तदश बु ध का स धांत
7 पदानु मक( मक मह व) बु ध का स धांत
8 -आयामी बु ध का स धांत
9 बु ध 'क' और बु ध 'ख'का स धांत
10 तरल-ठोस बु ध का स धांत

अ भ ेरणा का अथ :-

अ भ ेरणा श द का अं ेजी समानाथक श द


'Motivation'(मो टवेशन) जो क ले टन भाषा के
'Motum'(मोटम) या 'Moveers'(मोवेयर) श द से बना है ,
िजसका अथ है 'To Move' अथात ग त दान करना। इस
कार अ भ ेरणा वह कारक है , जो काय को ग त दान
करता है । दस
ू रे श द म अ भ ेरणा एक आंत रक शि त है ,
जो यि त को काय करने के लए े रत करती है । इसी
लए अ भ ेरणा यानाकषण या लालच क कला है , जो
यि त म कसी काय को करने क ई छा एवं िज ासा
उ प न करती है ।

श ा एक जीवन पय त चलने वाल या है तथा येक

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

या के पीछे एक बल काय करता है िजसे हम ेरक बल


कहते है । इस संदभ म ेरणा एक बल है जो ाणी को कोई
नि चत यवहार या नि चत दशा म चलने के लये बा य
करती है ।

अ भ ेरणा क प रभाषाय :-

1. ि कनर के अनस
ु ार, “​अ भ ेरणा सखने का सव म
राजमाग है ।”

2. गुड के अनस
ु ार, “​अ भ ेरणा काय को आर भ करने ,
जार रखने क या है ।”

3. मै डूगल के अनसु ार, “​अ भ ेरणा वे शार रक ओर


मनोवै ा नक दशाएं है , जो कसी काय को करने के लए
े रत करती है ।”

4. वड
ु वथ के अनस ु ार, “अ भ ेरणा यि तय क दशा का
वह समह ू है , जो कसी नि चत उ दे य क पू त के लए
नि चत यवहार को प ट करती है ।”

5. गे स व अ य के अनस
ु ार, “​अ भ ेरणा ाणी के भीतर

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

शार रक एवं मनोवै ा नक दशा है , जो उसे वशेष कार क


या करने के लए े रत करती है ।”

तपादक

=>मनो व ान के जनक = व लयम जे स

=>आधु नक मनो व ान के जनक= व लयम जे स

=> कायवाद सा दाय के जनक= व लयम जे स

=>आ म स यय क अवधारणा= व लयम जे स

=> श ा मनो व ान के जनक=थानडाइक

=> यास एवं ु ट स धांत= थानडाइक

=> य न एवं भल
ू का स धांत = थानडाइक

=>संयोजनवाद का स धांत = थानडाइक

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

=>उ द पन-अनु या का स धांत = थानडाइक

=>S-R योर के ज मदाता= थानडाइक

=>अ धगम का ब ध स धांत = थानडाइक

=>संबंधवाद का स धांत= थानडाइक

=> श ण अंतरण का सवसम अवयव का स धांत =


थानडाइक

=>बहु खंड बु ध का स धांत= थानडाइक

=> बने-साइमन बु ध पर ण के तपादक = बने एवं


साइमन

=>बु ध पर ण के ज मदाता = बने

=>एक खंड बु ध का स धांत = बने

=>दो खंड बु ध का स धांत = पीयरमैन

=>तीन खंड बु ध का स धांत= पीयरमैन

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

=>सामा य व व श ट त व के स धांत के तपादक =


पीयरमैन

=>बु धका वय शि त का स धांत = पीयरमैन

=> -आयामबु ध का स धांत= गलफोड

=>बु ध संरचना का स धांत= गलफोड

=>समह
ू खंड बु ध का स धांत =थ टन

=>यु म तल
ु ना मक नणय व ध के तपादक= थ टन

=> मब ध अंतराल व ध के तपादक= थ टन

=>सम ि ट अ तर व ध के तपादक = थ टन व चेव

=> यादश या तदश(वग घटक) बु ध का स धांत=


थॉमसन

=>पदानु मक( मक मह व) बु ध का स धांत=बट


एवं वनन

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

=>तरल-ठोस बु ध का स धांत = आर. बी. केटल

=> तकारक ( वशेषक) स धांत के तपादक =आर. बी.


केटल

=>बु ध 'क' और बु ध'ख' का स धांत = है ब

=>बु ध इकाई का स धांत= टन एवं जॉनसन

=>बु ध लि ध ात करने के सु के तपादक =


व लयम टन

=>संरचनावाद सा दाय के जनक = व लयम वु ट

=> योगा मक मनो व ान के जनक = व लयम वु ट

=> वकासा मक मनो व ान के तपादक= जीन पयाजे

=>सं ाना मक वकास का स धांत= जीन पयाजे

=>मल ू व ृ य के स धांत के ज मदाता = व लयम


मै डूगल

=>हा मक का स दा त= व लयम मै डूगल

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

=>मनो व ान को मन मि त क का व ान=प पोलॉजी

=> या सत
ू अनब
ु ंधन का स दा त = ि कनर

=>स य अनब
ु ंधन का स दा त= ि कनर

=>अनकु ू लत अनु या का स धांत = इवान पे ो वच


पावलव

=>संबंध यावतन का स धांत= इवान पे ो वच पावलव

=>शा ीय अनब
ु ंधन का स धांत=इवान पे ो वच पावलव

=> त थापक का स धांत = इवान पे ो वच पावलव

=> बलन(पन
ु बलन)का स धांत= सी. एल. हल

=> यवि थत यवहार का स धांत = सी. एल. हल

=>सबल करण का स धांत= सी. एल. हल

=>संपोषक का स धांत= सी. एल. हल

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

=>चालक / अंतन द( णोद) का स धांत= सी. एल. हल

=>अ धगम का सू म स धा त= कोहलर

=>सझ
ू या अ त ि ट का स धांत = कोहलर, वद मर,
को का

=>गे टा टवाद स दाय के जनक= कोहलर, वद मर,


को का

=> े ीय स धांत= ले वन

=>तल प का स धांत= ले वन

=>समह
ू ग तशीलता स यय के तपादक = ले वन

=>सामी य संबंधवाद का स धांत= गुथर

=>साईन( च न) का स धांत = टॉलमैन

=>स भावना स धांत के तपादक= टॉलमैन

=>अ म संगठक तमान के तपादक= डे वड आसब


ु ेल

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

=>भाषायी सापे ता ा क पना के तपादक = हाफ

=>मनो व ान के यवहारवाद स दाय के जनक= जोहन


बी. वाटसन

=>अ धगम या य हार स धांत के तपादक = लाक

=>सामािजक अ धगम स धांत के तपादक= अ बट


बा डूरा

=>पन
ु राव ृ का स धांत= टे नले हॉल

=>अ धगम सोपानक के तपादक= गेने

=> वकास के सामािजक वतक= ए र सन

=> ोजे ट णाल से करके सीखना का स धांत= जान


यव
ू ी

=>अ धगम मनो व ानका जनक= ए वग हास

=>अ धगम अव थाओं के तपादक = जेरोम न


ू र

=>संरचना मक अ धगम का स धांत = जेरोम न


ू र
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★​ ​ श ा मनो व ान ★

=>सामा यीकरण का स धांत= सी. एच. जड

=>शि तमनो व ान का जनक = वॉ फ

=>अ धगम अंतरण का मू य के अ भ ान का स धांत=


बगले

=>भाषा वकास का स धांत= चोम क

=>माँग-पू त(आव यकता पदानु म) का स धांत= मै लो


(मा लो)

=> व-यथाथ करण अ भ ेरणा का स धांत = मै लो


(मा लो)

=>आ म ान का स धांत = मै लो (मा लो)

=>उपलि ध अ भ ेरणा का स धांत= डे वड सी.मेि लएंड

=> ो साहन का स धांत= बो स व काफमैन

=>शील गुण( वशेषक) स धांत के तपादक= आलपोट

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

=> यि त व मापन का माँग का स धांत= हे नर मरु े

=>कथानक बोध पर ण व ध के तपादक= मोगन व मरु े

=> ासं गक अ तब ध पर ण (T.A.T.) व ध के


तपादक=मोगन व मरु े

=>बाल -अ तब ध पर ण (C.A.T.) व ध के तपादक =


लयोपो ड बैलक

=>रोशा याह बा पर ण (I.B.T.) व ध के


तपादक=हरमन रोशा

=>वा य पू तपर ण (S.C.T.) व ध के तपादक= पाईन


व टडलर

=> यवहार पर ण व ध के तपादक = मे एवं हाटशान

=> कंडरगाटन(बालो यान ) व ध के तपादक= ोबेल

=>खेल णाल के ज मदाता = ोबेल

=>मनो व लेषण व ध के ज मदाता = सगमंड ायड

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

=> व न व लेषण व ध के तपादक = सगमंड ायड

=> ोजे ट व ध के तपादक= व लयम हे नर ि लपे क

=>मापनी भेदक व ध के तपादक = एडव स व


ि लपे क

=>डा टन व ध क तपादक= मस हे लेन पाकह ट

=>मांटेसर व ध क तपादक = मेडम मा रया मांटेसर

=>डे ोल व ध के तपादक= ओ वड डे ोल

=> वने टका(इकाई) व ध के तपादक= कालटन वाशबन

=> यू रि टक व ध के तपादक = एच. ई.आम ांग

=>समाज म त व ध के तपादक = जे. एल. मोरे नो

=>योग नधारण व ध के तपादक= लकट

=> केलो ाम व ध के तपादक= गटमैन

=> वभेद शाि दक व ध के तपादक = आसगड



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★​ ​ श ा मनो व ान ★

=> वतं श द साहचय पर ण व ध के तपादक =


ां सस गा टन

=> टे नफोड- बने केल पर ण के तपादक= टरमन

=>पोर टयस भल
ू -भल
ु य
ै ा पर ण के तपादक= एस.डी.
पोर टयस

=>वे लर-वे यब
ू बु ध पर ण के तपादक= डी.वे लवर

=>आम अ फा पर ण के तपादक= आथर एस. ओ टस

=>आम बटा पर ण के तपादक = आथर एस. ओ टस

=> ह द ु तानी बने या पर ण के तपादक =


सी.एच.राइस

=> ाथ मक वग करण पर ण के तपादक= जे. मनरो

=>बाल अपराध व ान का जनक = सीजर लो सो

=>वंश सु के नयम के तपादक= मडल

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★​ ​ श ा मनो व ान ★

=> ेल ल प के तपादक= लई
ु ेल

=>साहचय स धांत के तपादक = एले जडर बैन

=>"सीखने के लए सीखना" स धांत के तपादक = हल

=>शर र रचना का स धांत= शै डन

=> यि त व मापन के जीव स धांत के तपादक=


गो ड ट न


​ पक संह राजपत ू
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ध यवाद…...

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