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प
हल ह बार और ट ईट पार
ट ईट और ल खत पर ा के लए समान उपयोगी
द पक संह राजपत
ू
म
ो- 8756277292(w.)
तहसील-महरौनी, िजला-ल लतपरु
उ
र दे श
DEEPAK SINGH RAJPOOT 8756277292 (w.) 1
★ श ा मनो व ान ★
श ा या है ?
श ा का अथ :
1. 19वीं सद के उ रा ध (1879) तक
2. औपचा रक श ा ( कताबी ान)
3. श ा व यालय तक सी मत
4. ाना मक प पर बल
5. सै धाि तक प पर बल
1. 1879 से अब तक (20वीं सद )
2. अनौपचा रक श ा
3. श ा जीवन पय त
4. सवागीण वकास पर बल
5. यावहा रक प पर बल
मनो व ान या है ?
मनो व ान क उ प
TRICK-"आ मा से आप यू अड़े"
1. आ मा से-इन सभी दाश नको ने मनो व ान को आ मा
का व ान माना
2. आ-अर तू (दाश नक)
3. प- लेटो (दाश नक)
4. य-ू यन
ू ानी दाश नक थे सभी
5. अ-अ र टोटल (दाश नक)
6. डे-डेकाट (दाश नक)
मि त क का व ान
चेतना का व ान
यवहार का व ान
उपयु त त य के आधार पर हम वड ु वथ के श द म इस
न कष पर पहुँचते है :
"सबसे पहले मनो व ान ने अपनी आ मा का याग कया।
फर उसने अपने मन या मि त क का याग कया। उसके
बाद उसने चेतना का याग कया। अब वह यवहार क
व ध को वीकार करता है ।"
श ा मनो व ान का शाि दक अथ है :
श ा स ब धी मनो व ान अथात यह श ा क या म
श ा मनो व ान क प रभाषाएँ :
2. ो व ो : श ा मनो व ान, यि त के ज म से
व ृ धाव था तक सखाने के अनभ
ु व का वणन और या या
करता है ।
4. ट फन : श ा मनो व ान शै णक वकास का
मक अ ययन है ।
श ा मनो व ान के उ दे य :
1. सामा य उ दे य :
(i). स धांतो क खोज तथा त य का सं ह करना।
(ii). बालक के यि त व का वकास करना।
(iii). श ण काय म सहायता दे ना।
(iv). श ण व ध म सध ु ार करना।
(v). श ा के उ दे य व ल य क पू त करना।
2. व श ट उ दे य :
(i). बालको के त न प व सहानभ
ु ू तपण
ू ि टकोण।
(ii). श ा के तर व उ दे य को नि चत करना।
(iii). श ण प रणाम जानने म सहायता करना।
(iv). छा यवहार को समझने म सहायता दे ना।
(v). श ण सम या के समाधान हे तु स धांतो का ान।
मनो व ान के मह वपण
ू त य
मरणीय बंद ु :
श ा मनो व ान : यि त व
1. गलफोड : यि त व गण
ु का समि वत प है ।
2. वड
ु वथ : यि तत के यवहार क एक सम वशेषता ह
यि त व है ।
4. बग एवं हं ट : यि त व यवहार व ृ य का एक
सम प है , जो यि तत के सामािजक समायोजन म
अ भ य त होता है ।
इस कार हम न कष प म कह सकते है , क यि त व
एक यि त के सम त मान सक एवं शार रक गुण का
ऐसा ग तशील संगठन है , जो वातावरण के साथ उस यि त
का समायोजन नधा रत करता है ।
यि त व मापन के स धांत
क का व त ृ व प :
1. व+कट = वशेषक स धा त-कैटल
म-silent
2. जा+गो = िजव स धांत-गो ड ट न
3. आ+म = आ म ान का स धा त-मा लो
4. यि त = यि त अथात यह स " यि त व मापन
के स धा त" क है ।
शर र रचना स धा त
शर र रचना स धा त : इस स धा त के वतक शै डन
थे। इ ह ने शार रक गठन व शर र रचना के आधार पर
यि त व क या या करने का यास कया। यह शर र
रचना व यि त व के गण ु के बीच घ न ठ संबंध मानते ह।
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★ श ा मनो व ान ★
वशेषक स धा त
माँग स धा त
श ा मनो व ान : यि त व के कार
(i). शि तह न (ए थे नक)
(ii). खलाड़ी (एथले टक)
(iii). नाटा ( पक नक)।
4. गर का समाज स बं धत वग करण :
(i). वैचा रक
(ii). आ थक
(iii). स दया मक
(iv). राजनै तक
(v). धा मक
(vi). सामािजक।
5. जंग
ु वारा कया गया मनोवै ा नक वग करण :
(ii). ब हमखी
ु -ब हमखी
ु यि त भौ तक और सामािजक
काय म वशेष च लेते है । ये मेलजोल बढ़ाने वाले और
वाचाल होते ह। ये अपने वचार और भावनाओं को प ट
प से य त कर सकते ह। इनमे आ म व वास चरम
सीमा पर होता है और बा य सामंज य के त सचेत रहते
है ।
(iii). उभयमख
ु ी-इस कार के यि त कुछ प रि थ तय म
ब हमखी ु तथा कुछ म अंतमखी
ु होते है । जैसे एक यि त
अ छा बोलने वाला और लखने वाला है , क तु एकांत म
काय करना चाहता है ।
3. मनो व ान अ ययन है -
- यवहार का वै ा नक अ ययन
है -
-Psyche + Logos
25. श ा मनो व ान ने प ट व नि चत व प कब
धारण कया?
-अमर क मनोवै ा नक थानडाइक, जड
ु , टे नले हाल,
टरमन आ द के यास से श ा मनो व ान ने 1920 ई. म
प ट व नि चत व प धारण कया।
28. श ण का मु य क होता है ?
-बालक
30. श ा मनो व ान क कृ त है -
-वै ा नक
35. श ा मनो व ान आव यक है -
- श क, छा और अ भभावक
अ धगम का अथ :-
अ धगम क प रभाषाय :-
1. ि कनर के अनस
ु ार, “अ धगम यवहार म उतरो र
सामंज य क या है ।”
2. वड
ु वथ के अनस
ु ार, “नवीन ान ओर नवीन
त याओं को ा त करने क या ह अ धगम है ।”
3. ो एवं ो के अनस
ु ार, “आदत , ान ओर अ भव ृ तओं
का अजन ह अ धगम है ।”
4. गलफोड के अनस
ु ार, “ यवहार के कारण यवहार म
प रवतन ह अ धगम है ।”
5. गे स व अ य के अनस
ु ार, “ अनभ
ु व और श ण वारा
यवहार म प रवतन ह अ धगम है ।”
1. पव
ु अ धगम
2. वषय व तु का व प
3. वषय के त मनोव ृ त
4. सीखने क इ छा
5. सीखने क व ध
6. अ भ ेरणा
7. वातावरण
8. थकान
9. शार रक व मान सक वा य
10. वंशानु म
अ धगम के स धांत
उपनाम :-
1. उ द पन-अनु या का स धांत
3. संयोजनवाद का स धांत
4. अ धगम का ब ध स धांत
5. य न एवं भल
ू का स धांत
6. S-R योर
मह वपण
ू त य
थानडाइक का योग
थानडाइक के नयम :-
मु य नयम :-
ग ण नयम :-
बु ध का अथ
बु ध क प रभाषाय
1. वड ु वथ के अनस
ु ार, “ बु ध, काय करने क एक व ध
है ।”
2. ब कंघम के अनस
ु ार, “ स
ीखने क शि त ह बु ध है ।”
3. टरमन के अनस
ु ार, “ बु ध, अमत
ू वचार के बारे म
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★ श ा मनो व ान ★
सोचने क यो यता है ।”
4. वड
ु रो के अनस
ु ार, “ बु ध ान का अजन करने क
मता है ।”
5. बने के अनस
ु ार, “ बु ध इन चार श द म न हत है -
ान, आ व कार, नदश और आलोचना।”
6. टन के अनसु ार, “ ब
ु ध जीवन क नवीन सम याओं
के समायोजन क सामा य यो यता है ।”
7. बट के अनस
ु ार, “ बु ध अ छ तरह नणय करने,
समझने तथा तक करने क यो यता है ।”
8. गा टन के अनस
ु ार, “ बु ध पहचानने तथा सीखने क
शि त है ।”
9. थानडाइक के अनस
ु ार, “स य या त य के ि टकोण से
उ म त याओं क शि त ह बु ध है ।”
बु ध के स धांत
1 एक ख ड बु ध का स धांत
2 दो ख ड बु ध का स धांत
3 तीन ख ड बु ध का स धांत
4 बहु ख ड बु ध का स धांत
5 समह ू ख ड बु ध का स धांत
6 यादश या तदश बु ध का स धांत
7 पदानु मक( मक मह व) बु ध का स धांत
8 -आयामी बु ध का स धांत
9 बु ध 'क' और बु ध 'ख'का स धांत
10 तरल-ठोस बु ध का स धांत
अ भ ेरणा का अथ :-
अ भ ेरणा क प रभाषाय :-
1. ि कनर के अनस
ु ार, “अ भ ेरणा सखने का सव म
राजमाग है ।”
2. गुड के अनस
ु ार, “अ भ ेरणा काय को आर भ करने ,
जार रखने क या है ।”
4. वड
ु वथ के अनस ु ार, “अ भ ेरणा यि तय क दशा का
वह समह ू है , जो कसी नि चत उ दे य क पू त के लए
नि चत यवहार को प ट करती है ।”
5. गे स व अ य के अनस
ु ार, “अ भ ेरणा ाणी के भीतर
तपादक
=> य न एवं भल
ू का स धांत = थानडाइक
=>समह
ू खंड बु ध का स धांत =थ टन
=>यु म तल
ु ना मक नणय व ध के तपादक= थ टन
=> या सत
ू अनब
ु ंधन का स दा त = ि कनर
=>स य अनब
ु ंधन का स दा त= ि कनर
=>शा ीय अनब
ु ंधन का स धांत=इवान पे ो वच पावलव
=> बलन(पन
ु बलन)का स धांत= सी. एल. हल
=>सझ
ू या अ त ि ट का स धांत = कोहलर, वद मर,
को का
=> े ीय स धांत= ले वन
=>तल प का स धांत= ले वन
=>समह
ू ग तशीलता स यय के तपादक = ले वन
=>पन
ु राव ृ का स धांत= टे नले हॉल
=>डे ोल व ध के तपादक= ओ वड डे ोल
=>पोर टयस भल
ू -भल
ु य
ै ा पर ण के तपादक= एस.डी.
पोर टयस
=>वे लर-वे यब
ू बु ध पर ण के तपादक= डी.वे लवर
=> ेल ल प के तपादक= लई
ु ेल
द
पक संह राजपत ू
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