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भाषा -विज्ञान

-Sudha Bana
भाषा –विज्ञान
• 1 भा ष् यते इति भा षा -जो बो ली जा सके ,
उसको भा षा कहते हैं ।
2 भा षा के चा र सो पा न हैं :-

 ➼ सु नना

➼ बो लना
 C
➼ पढ़ ना

 ➼ लिखना

 बो लने का सं बं ध ध् वनि के सा थ है ।
 ध् वनि अर्था त ब्र ह्म ना द (ध् वनि की उत् पत्ति
ब्र ह्म ना द से हु ई है ) इसलिए भा षा का सं बं ध
ब्र ह्म ना द से है ।
भाषा –विज्ञान
 ➡भा षा में दो व् यक्ति आवश् यक हैं -बो लने वा ला -सु नने वा ला (श्रो ता )।

• ➡वक्ता जै सा शु द्ध बो ले गा वै सा ही श्रो ता का उच्चा रण हो गा ।

• ➡शि क्षि त व् यक्ति का प्र थम लक्ष ण है - शु द्ध उच्चा रण➡

• ➡उच्चा रण शु द्धि के लि ए शा स्त्र है (उच्चा रण शा स्त्र ) इसका आधा र व् या करण है किं तु व् यक्ति की मा तृ भा षा कभी व् या करण से नहीं सी खी जा

• सकती ।
C
• ➡भा षा की मू ल इका ई शब् द है ।

• ‣ सां के ति क भा षा ---सं के त द्वा रा ।

• ‣ मौ खि क भा षा ---सु नना -बो लना ।

• ‣ लि खि त भा षा ---पढ़ ना लि खना ।

• ➡शि शु मां के गर्भ में चा र महा से सु नने लगता है ।

• ➡ढा ई से ती न वर्ष में बो लने लगता है ।


भाषा –विज्ञान
 ➡सु नने की शु रुआत वर्ण से नहीं अपितु शब्द या वा क्य से होती है।
 ➡यदि वर्ण अके ला है तो उसका अर्थ नहीं हो ता ।
 ➡शब् द अथवा वा क्यों के अर्थ होते हैं ।
 ➡अर्थ हीन भा षा न सु नानी चाहि ए ना दो हराना चाहि ए।जिस प्र कारसुनना
C (ज्ञा नें द्रि यां -कान)बोलना (कर्में द्रि यां -वा णी)दो नों का समन्वय होता
है।
 ➡इसी प्र कार पढ़ ना (ज्ञा नें द्रि यां –आं ख लिखना (कर्में द्रि यां हाथ) दो नों का समन्वय भी अत् यं त आवश्यक है।
 ➡अतः पढ़ ने से पहले ले खन करा ना बिल्कु ल भाषा शिक्ष ण के लिए अनुचि त है ।
 ज्ञा नें द्रि यों के साथ कर्म इंद्रि यों का सही समन्वय करने से ही भाषा ठी क तरह से सीखी जा सकती है।
भाषा –विज्ञान

►भा षा में स् वर और व् यं जन हो ते हैं । स् वर सं गी त से जु ड़ा है ।


►भा षा के सा थ ही आरो ह, अवरो ह, लय,ता ल, स् वर सब ची ज जु ड़ी हु ई है ।
►भा षा में ध् वनि और अर्थ दो नों हो ते हैं को ई भी शब् द अर्थ रहि त नहीं हो ता ।
►जि सका अर्थ नहीं है वह भा षा नहीं है - जै से कौ वा कां व-कां व बो लता है ।
►उसकी बो ली हमें समझ में नहीं आती । इसलि ए हमा रे लि ए वह मा त्र C
आवा ज है परं तु उसके लि ए भा षा है ।
►भा षा के सा थ जी वन जु ड़ा है -जै से -घो ड़ा अर्था त क् या ? (प्रा णी )था ली रखने का स् टैं ड आदि हम जि स घो ड़े की बा त कर रहे हैं उसको प्र थम बा र प्र त् यक्ष दि खा ना
पड़ ता है ।
► सजी व ची जें दि खा ने से ही भा षा समझ में आती है ।
►जी वन का जै सा अनु भव वै सी ही भा षा नि कलती है आं तरि क और बा ह्य , मा नसि क, शा री रि क सभी परि स्थि ति यों वक्ता और श्रो ता दो नों को प्र भा वि त करती है ।
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✯ उच्चा रण शुद्धि के लिए प्रा ण को प्र भावी बनाना होता है ।


✯ प्रा णाया म से प्रा ण तत् व मजबूत होता है।
✯ कक्षा में उच्चा रण शुद्धि पर अधि क प्र या स करना चाहिए।
✯ वर्ण माला का स्वतंत्र उच्चा रण सिखा या जा ना चाहिए-क,ख,ग,घ,आदि ।यदि क,से कमल का क, इस प्र का र नहीं सिखा ना चाहिए।
✯ यदि बच्चे को कमल सिखा ना है तो उसको कमल की चित्र की सहायता से सीखा जा सकता है इसे अर्थ जल् दी समझ में आ जाता है।
✯ भा षा संस्कार से सीखी जा ती है नि यमों से नहीं । C
✯ भा षा सीखने का क्र म मनो विज्ञा न के आधार पर तय हो ता है।
✯ भा षा के क्र म में गड़बड़ी करके हम अं तिम सोपान प्र थम पढ़ा ने लगते हैं ।इसलिए अधिक परि श्र म करने पर भी फलश्रु ति कम मिलती है।
भाषा –विज्ञान

भाषा शिक्ष ण की पद्ध ति का क्र म:

1अनुकथन-सु नना , बोलना , ध्वनि

C –बोलना, पढ़ ना, ध् वनि , आकृ ति।


2 अनु वाचन

3 अनु ले खन –पढ़ना, लि खना, आकृ ति।

4 श्रु तले खन -बोलना, लिखना, ध्वनि, आकृ ति।


भाषा –विज्ञान

• भाषा-ज्ञान
• ➣ जि सको भा षा का अच् छा ज्ञा न है वह अपने वि चा रों की सही अभि व्यक्ति कर सकता है |

• ➣वह वा क् य और सा हि त् य का रसा स् वा दन कर सकता है । C

• ➣यदि व्यक्ति को अपनी मा तृभा षा का ज्ञा न है तो वह वि श्व की कोई भी भाषा सरलता से समझ लेता है ।

• सी ख सकता है ।

• ➣शिशु अवस् था में है उत्त म प्र का र की भाषा सी खने जरूरी है ।


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हमा रे शरी र में सा त चक्र हैं :-

1) मू ला धा र चक्र
2) स् वा धि ष्ठा न चक्र
3) मणि पु C
र चक्र
4) अना हत चक्र
5) वि शु द्धि चक्र
6) आज्ञा चक्र
7) सहस्त्रा र चक्र
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सात चक्र , शरी र में उनके स्थान तथा प्र मुख कार्य  :

नाम  अंग्रेजी नाम स्थान बीजमंत्र प्रभावित होने वाले अंग होने वाले रोग

मूलाधार चक्र Root Chakra गुदाद्वार और जननेन्द्री के बीच लं हड्डियों का ढांचा हड्डियां, दांत, नाखून, किडनी, पाचन तंत्र आदि से संबंधित रोग

स्वाधिष्ठान चक्र Sacral Plexus नाभि से दो इंच नीचे वं


ओवरीज़, टेस्टिकल्स एवं रिप्रोडक्टिव
सिस्टम
Cलोअर बैक पैन, मूत्र सम्बन्धी समस्याएं, खराब पाचन, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता, थकान, महिलाओं में मासिक धर्म आदि
मणिपुर चक्र Solar Plexus नाभि के पीछे रं पैनक्रियेटिक ग्रंथि मधुमेह, गठिया, पेट के रोग, ट्यूमर आदि रोग

अनाहत चक्र Heart Chakra सीने के मध्य में यं थायमस ग्रंथि हृदय रोग, एलर्जी, अस्थमा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, ब्रेस्ट कैं सर आदि रोग

विशुद्धि चक्र Throat Chakra दोनों कॉलर बोन्स के मध्य हं थाइरॉयड ग्रंथि थाइरॉयड, मसूड़ों और गले के रोग

Third-Eye
आज्ञा चक्र Chakra दोनों भोंहों के मध्य ॐ पीनियल ग्रन्थि मस्तिष्क, आँख, नाक, कान सम्बन्धी रोग तथा सिरदर्द, आँखों में दर्द, घबराहट आदि समस्याएं

सहस्त्रार चक्र Crown Chakra सिर के पीछे चोटी वाले स्थान पर   पीयूष ग्रन्थि मानसिक तनाव, प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता आदि समस्याएं
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धन्यवाद।
C

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