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॥ श्रीहरि: ॥
• दष
ू यक्न्ि इनि दोषािः । अरुणदत्त अ हृ सू 1/12
2. दोषों का नवशेष स्थािो में नवशेष दोष का कायृ अनधक प्रमाि में नदखता है ।
4. नवकृत दोषो की नचनकत्सा करते समय नवशेष स्थािो की नचनकत्सा सवृ प्रथम
करते है ।
5. त्रिदोष ्य संबंध
• बाले नववधृते श्ले ष्मा मध्यमे नित्तमेव तु ।
• भनू यष्ठं वधृते वायवु ृद्धे तनिक्ष्य योज्येत ॥
• सु सू 35/21
• दसू रे प्रकार से ििु ाः तीि गनतया होनत है, उध्वं गनत, अधोगनत, नतयृक गनत ।
ददि ात्रि
कफ स्े े 6-10 श्याम 6-10
वात अनस्थ
स मांस मेद मज्जा शुक्र, मि
ू , पु ीष
कफ
दोष धािु आश्रय आश्रनय संबंध
दोष दष्ू य
नित्त दोष वनृ द्ध रि वनृ द्ध, स्वेद वनृ द्ध
दोष
• सत्त्वं प्रकाशकम
• रजश्चानि प्रवतृकम
• तमो नियात्मकम
• च क
• शद्ध
ु मदोषमाख्यातं कल्याणांशत्वात
वात रज
नित्त सत्त्व
कफ तम
महाभि
ू त्रिगण
ु संबंध
• सत्त्वबहुलमाकाशं ,
• रजोबहुलो वायाःु
• सत्त्वरजोबहुलो अननिाः,
• सत्त्वतमोबहुला- आिाः ,
• तमोबहुला िथ्ृ वीनत । सु शा 1/20
महाभि
ू त्रिगण
ु संबंध
आकाश सत्त्व
वायु रज
अननि सत्त्व + रज
जल सत्त्व+ तम
िथ्ृ वी तम
12. निदोष िचं महाभतू सबं धं
• आनिेयं नित्तं ,
नित्त अननि
कफ जल + िथ्ृ वी
13. दोषो का ष्का कार त््
• ोगस्िु दोष ्ैषम्यं दोषसाम्यम ोगिा ।
अ हृ सू 1/19
रसात्मक आहार
षपत्त उष्ण , तीक्ष्ण गणु ात्मक आिप से्ि, क्रोध श द जांगल िारुण्य
कटू,अम्ल,लवण
रसात्मक आहार
धन्यवाद
THE END
My mob no . 9820741521