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2थम.वन.त
सवेर्भ्य: नमस्सुमाञ्जिल:!!!
गुरुभ्यो नम:!
संस्कृत सािहत्यम् अपूविर् निध:! आिस्मन् क्षेत्रे नीितसािहत्य स्थानम् अत्युन्नतम्। मानव: जीिवतकाले बहव: कष्टािन,
सूखािन च अनुभवित। सुखदु:खिमिश्रतमेव जीिवतम्। तेषाम् अनुभवं कीदृशमिस्त? सुखसमये िकं करणीयम्? दु:खसमये
िकं करणीयम् इित िविचनत्य तत्वज्ञा: नीितबोधं कृतवन्त:। महाभारते नीित सूत्रािण अनन्ता: सिन्त। अिस्मन् काव्यान्तगत
र्
नीित श्लोकान् अहं बिहरानीतवती। मम एतत् लघुप्रयत्नम् भविद्भ: उपकारयुक्तं भवतीित अहं मन्ये। भवन्त: पठनेच्छा
सवदा
र् वधये
र् त्।
नमस्सवेर्भ्य:!!!
नी.त4ोका:
नी.त4ोका:
1
. सुखािथर् न: कुतो िवद्या नािस्त िवद्यािथर् न: सुखम्।
सुखाथीर् वा त्यजेद ् िवद्यां िवद्याथीर् वा त्यजेत् सुखम्।।
भावाथ:6
सं8ृतम्: य: सुखम् इच्छित कथं स: िवद्यां साधियतुं शक्नोित ।य: च िवद्यां इच्छित तस्य सुखं नािस्त।तस्मात् य: सुखम्
इच्छित स: िवद्यां त्यजेत।य: िवद्याम् इच्छित स: सुखं त्यजेत्
<ह=ी: सुख चाहने वाले को िवद्या कहा और िवद्या चाहने वाले को सुख नही। अत: सुख चाहने वाला िवद्या को छोड् दे
और् िवद्या चाहने वाला सुख को छोड् दे
English: A pleasure- seeker cannot be a knowledge-seeker and a knowledge-seeker cannot be a
pleasure-seeker. Hence pleasure-seeker should abstain from knowledge and a knowledge-seeker
should abstain from pleasure.
!"#: !"#$ %&'()* +ద-. /0ంచ3*. +ద-. 4ం5ల.'()* !"#$
వ89%):. అం8వల< !"=>? +ద-. 4ంద3*. +5-=>? !"#$ త-AంB:.
भावाथ:6
सं8ृतम्: शीतम उष्णं भयं रित: समृिद्ध: असमृिद्ध: वा िवघ्निन्त स वै पिण्डत: उच्यते। धीर: िवघ्नै: अिवचिलत: सन् कायर्ं
सम्पादयित इित भाव:।
<ह=ी: िजस व्यिक्त को कायर् को सदीर्, गमीर्, भय, िवषयासिक्त, सम्पित्त का होना, न होिन रुकावट नही डालते, वही
िनश्चय से पिण्डत कहलाता है।
English: A learned person is indeed one whose actions are not deterred by winter, summer, fear,
attachment to objects of senses, prosperity or adversity.
!"#: ఎవDE చ:, FG, భయం, +షKసMN, ధనసమృ0S, ధన3TవంU పWXYZ[ <
+చ:Z* \], )* #శ_యం` పంGZa. b&* +c$లవల< +చ:Z* \క \e-#$
/0ంfgంh*.
. बुदध्य
् ा भयं प्रणुदित तपसा िवन्दते महत् ।
गुरुशुश्रूषया ज्ञानं, शािन्तं योगेन िवन्दित।।
भावाथ:6
सं8ृतम्: मानव: बुद्धया भयं नाशयित। तपसा महत् ब्रह्म प्राप्नोित।गुरो: सेवया ज्ञानं प्राप्नोित।तथा योगासनेन शािन्तं
प्राप्नोित। अथात्
र् , बुिद्ध: भयं नाशयित, परं ब्रह्म प्राप्यते, गुरुशुश्रूषया ज्ञानं वधते
र् , योगाभ्यासेन शािन्त: प्राप्यते।
<ह=ी: मनुष्य बुिद्ध से भय को दूर करते है। तपस्या से महत् को प्राप्त करता है, गुरु की सेवा से ज्ञान प्राप्त करता है और
<ह=ी: मनुष्य बुिद्ध से भय को दूर करते है। तपस्या से महत् को प्राप्त करता है, गुरु की सेवा से ज्ञान प्राप्त करता है और
योग से शान्ती को प्राप्त करता है।
English: One can win over fear by his intellect, can perceive the Supreme Lord through
penance, can obtain knowledge by serving the Guru and can attain peace through yoga.
!"#: iనj* k0S బలంm భK#$ #no:ంp, తప!q m పరబsహo., u& vw x షm
+F\#$ , y`z-సంm {ం|# 4ందగల*.
भावाथ:6
सं8ृतम्: भारत। प्रज्ञा एव सवापे
र् क्षया उत्तमं बलं भवित। यत: प्रज्ञायां सवािर् ण अिप बलािन वतन्ते
र् ।अत: एव सवेर्षु
बलेषु श्रेष्ठं बलं प्रज्ञा इित उच्यते।
<ह=ी: हे भारत! िजसके द्वारा सभी बलोंको अपने अन्दर समािहत िकया हुआ है, जो सभी बलों मे श्रेष्ठ बल कहलाता है
वह प्रज्ञा बल है।
English: O Bharatha! Intellectual strength is the best kind of strength amongst all kinds of
strengths since it includes all of them in itself.
!"#: ఓ zరత! అ#$ బ>లకం పs|zబలం ప. అ#$బ>9 పs|భ[ అంతnతం`
ఉంh
. అం8 పs| అ#$Uక$ ప.
भावाथ:6
संसकृतम्: ईिष्यर् लु:, घृणी, असन्तुष्ट:, क्रोधी, शङ्कवान्, इतरेषां भाग्यमािश्रत्य य: जीवित इित एते षट् प्रकारा: जना:
सवदा
र् दुिखता: भविन्त।
<ह=ी: ये छ: सदा दुखी रहते है - ईष्यालू
र् , घृणा करने वाला, असन्तुष्ट, क्रोधी, शङ्कालु और दूसरे के आसरे पर जीने वाला।
English: These six types.of people are always unhappy- one who is jealous, one who hates
others, one who is never satisfied, one who is short-tempered, one who is always suspicious and
one who depends upon other's fortunes.
!"#: ఈe j, uqవంZ*, అసంZ *, %ధ కల)*, #త-శంMZ*,
పరz-ప+ అ. )e& & 8:ఖzu9.
भावाथ:6
सं8ृतम्: यदा अितिथ: समागच्छित, प्रथमं तस्मै आसनं समप्यर् , जलमानीय पादप्रक्षालनं कुयात्
र् ।तत: तदीय कुशलप्रश्नं
िवधाय, स्वीयकुशलतां च िविनवेद्य तदीयापेक्षानुसारेण तं भोजयेत्।
<ह=ी: अितिथलोग आनेपर अितिथ को आसन् देकर, जल लाकर, दोनों पैर धोकर, कुशल- क्षेम पूछकर अपना समाचार
िनवेदन् करे और आवश्यकता देखकर भोजन् करावे।
English: A well-behaved person should first offer a seat to the guest, wash his feet by bringing
water, enquire about his well-being, mention about one's own well-being, should offer him food
as per requirement.
!"#: అ| మe-ద9 ఏ+ధం` K-[ ఈ <కం[ ¡Z$&. అ| e`(
ఉp¢సనం£ ¤&_ండ¥U, జలంm దపs\ ¦ ళనం K-:. gశలపsశ$లG¨, అ>© మన
< ` జనం వGంB:.
సiBe9 ¤ª#FంB:. త&)త ఆత# %Wకg త¨న¬
भावाथ:6
सं8तम्: पुरुषे सच्चिरत्रम् एव प्रधानं भवित। यिद चिरत्रं नष्टं भवित तस्य जीवनं, धनं, बन्धव: इित सवर्ं िनष्प्रयोजनम्
एव।
<ह=ी: पुरुष मे शील ही प्रमुख गुण है। इस लोक मे िजस मनुष्य का शील ही नष्ट हो जाता है, उसका न जीने से प्रयोजन
है न धन से और न बन्धुओं से।
English: Good conduct of a person is main virtue. Of what use is life and wealth or relatives to
one whose conduct is soiled in this world.
!"#: మ#?M సచ_Wతs® పs¯నం. ఏ\రణం ±త² అ ³¬ gం´ అత# +తం,
ధన, బంµj9 అ¶$ సర·స·ం #ష¸yజనం.
ధన, బంµj9 అ¶$ సర·స·ం #ష¸yజనం.
भावाथ:6
सं8ृतम्: अपयश: िवनयेन नश्यित। वीरता आपदं नाशयित।क्रोध: क्षमया िनवायते
र् ।सदाचार: दुरभ्यासान् नाशयित।
अत: मनुष्य: िवनयसम्पन्न:, पराक्रमी, क्षमावान् आचरशीलश्च भवेत्।
<ह=ी: नम्रता अपयश को दूर करती है। वीरता अनथकारी
र् संकटों को नष्ट कर् देती है। क्षमा सदा क्रोध को दूर भगा देती
है। सदाचार दुव्यसनों
र् नष्ट कर देता है।
English: Modesty destroys defamation. Valour destroys misfortunes. Forgiveness removes
anger. Good conduct is a destroyer of all bad habits.
!"#: +నయం వలన అపయశ!q న¹! N ం. ºర-ం ఆపద. 4¬ Zం. క¦మ±త %ధం
#)Wంపబ*Zం. స5Bరం±త 8రz-/9 న¹/ N
. అం8±త మ.-*
+నయసంప.$*, పeకమవంZ*, క¦i»9*, ఆBరవంZ* \):.
भावाथ:6
सं8ृतम्: य: फिलभ्य: अपक्वं फलम् अविचनोित स: फलरसं न प्राप्नोित , न वा पुन: रोपणाय बीजं प्राप्नोित।
<ह=ी: जो व्यिक्त वनस्पित से कच्चा फल तोडता है, यह उसे रस भी नही प्राप्त करता और उसका बीज भी नष्ट हो जाता
है।
English: A person plucking unripe fruits cannot enjoy its juice and even the seed is destroyed.
!"#: అపక·¼న పం*. ఎవDE %/ N ] )#M ఫలరస దక¾8. pవరg ఆ పం*
¿లÀEN శMN# ¤డ %[Zం. pవరg #రరSకÁZం.
भावाथ:6
सं8ृतम्: लोके यावत् कस्यिचत् पुरुषस्य यश: कीत्यते
र् , तावत् स: स्वगेर् पूज्यते। लोके स्वजीवनकाले सत्कायर्ं कृत्वा
कीितर् मान् भवेत् नर: इित सार:!
<ह=ी: हे पुरुषश्रेष्ठ! मानव की इस् लोक मे जब तक् पुण्य कीितर् गई जाती है तब तक वह स्वगर् मे पूजा जाता है।
English: O the best man! A man is worshipped in heaven till his meritorious fame is celebrated
in this world.
!"#: ఓ ¡&షÂషÃ! ఈ [కం[ iనj#Äక¾ ÅWN పs|ష9 Æంతవరg { < Çంపబడ¢y
అంతవరg స·రం[ ¤ª ÈAంపబ*¢*. స¢¾e-9±É N ÅWNంపబడ¢*.
भावाथ:6
सं8ृतम्: समुद्रे पिततं वस्तु पुन: न प्राप्यते। य: अनवधानेन वतते
र् स: उक्तं न अवगच्छित। बुिद्ध हीने पुरुषे ज्ञानं नष्टं
भवित। अिग्नं िवना कृत: होम: नष्ट: भवित।
<ह=ी: समुद्र मे िगरी हुई वस्तु नष्ट हो जाती है। न सुननेवाले को कहा गया वचन् नष्ट हो जाता है। बुिद्धहीन पुरुष मे ज्ञान
नष्ट हो जाता है और अिग्न के िबना गया हवन् नष्ट हो जाता है।
English: Anything thrown in the ocean is lost; words spoken to a non-listener are lost.
Knowledge given to a man without intellect is lost and the offerings to gods without kindling the
fire are also lost.
!"#: సదsం [ FXన వ! N j. |W¨ 4ంద3. ¥డ+న ¥´)GM మంpiట9
&pంచj. Ê:+3# )#M మంp iట9 ఎక¾j. అ¨$ 3# Ëమ వృ¯ అjZం.
भावाथ:6
सं8ृतम्: ज्ञानेन चिरत्रेण , वयसा वृद्धान् , प्रज्ञया वृद्धान्, आढ्यान् अिभजातान् सदा मूढा: अवमन्यते। एते सवेर्ऽिप सदा
पूजनीया: न तु अवमानीया: इित भाव:!
<ह=ी: हे भारत! मूखर् मनुष्य िनत्य ही िवद्या, शील, आयु, बुिद्ध, धन, और कुल आिद में श्रेष्ठ मनुष्यों का सवदा
र् िनरादर
ही करते है।
English: O Bharat! A fool always keeps on insulting those who are well-versed in knowledge,
have good conduct, age,, intelligence, riches and belong to noble dynasty.
!"#: ఓ zరత! +Fకగల)W#, సచ_WZ Ì Íన)W#, వyవృµ S Íన )W#,
పs|zవృµ S Íన)W#, gÎ.Íన)W# ÏÐ* అవi#! N ంh*. Ñ& స5
Èజ¶Ò9, అవi#ంచతగ#)& అ# zవ.
भावाथ:6
सं8ृतम्: ययो: द्वयो: मन: व्यवहार: बुिद्ध: परस्परं साम्येन वतन्ते
र् तेषां मैत्री िचरस्थाियनी भवित।
भावाथ:6
सं8ृतम्: ययो: द्वयो: मन: व्यवहार: बुिद्ध: परस्परं साम्येन वतन्ते
र् तेषां मैत्री िचरस्थाियनी भवित।
<ह=ी: िजन् दो मनुष्यों के िचत्त के साथ िचत्त, गुप्त रहस्यों कू साथ गुप्त, रहस्य तथा बुिद्ध के साथ बुिद्ध िमल जाती है,
उनकी िमत्रता कभी जीणर् नहीं होती।
English: If the minds, the secrets and the intellect of two persons match with each other, their
friendship never gets stale.
!"#: ఏ ఇదÔWÄక¾ మన!q, వ-వÕర, k0S పరసర /మ-ంm ఉంhy )W ¼|s
Y
` #:p³Zం.
pర/
भावाथ:6
सं8ृतम्: सन्तापेन सौन्दय,र्ं बलं, ज्ञानं च नश्यित। सन्तापेन मनुष्य: व्यािधं प्राप्नोित।अत: कदािप सन्ताप: न करणीय:।
<ह=ी: सन्ताप से रूप नष्ट हो जाता है; सन्ताप से शिक्त नष्ट हो जाती है; सन्ताप से ज्ञान भी नष्ट हो जाता है और सन्ताप से
मनुष्य रोगी हो जाता है।
English: Agony destroys beauty; agony destroys strength; agony also destroys knowledge and
agony can make one sick.
!"#: సం¢పమ( Öందe-#$ హW! N ం;సం¢పం శMN#, పs|భ. న¹ంప±! N ం.
సం¢పమ( మ#?# ¨ ` ±! N ం. \బU మ#? ఎ¡* +BWంచ¤డ8. సం¢#$
×రం ±!%):.
भावाथ:6
सं8ृतम्: प्रेम्णा क्रोधं, दुष्टान् सदव्य
् वहारेण, कृपणतां दानेन, अनृतं सत्येन च जयेत्। मनुष्य: िप्रय:, सदाचारी, दानी,
सत्यवादी चाश्र स्यात् इित सार:।
<ह=ी: प्रेम से क्रोध को जीतें, उत्तम व्वहार से दुष्ट मनुष्य को जीतें, दान से कृपण को जीतें और सत्य से झूठ को जीतें।
English: Win over anger by love, a wicked person by good behaviour, a miser through charity
and falsehood by truth.
!"#: sమm %¯#$, 8 # సత¸వరNనm., [=# 5నంm., అస¢-#$ సత-ం m.
జ
ంచవf_.
भावाथ:6
सं8ृतम्: मनुष्य: यथा यथा शुभिचन्तनं करोित तथा तथा तस्य सवािर् ण िसदध्य
् िन्त इत्यत्र न संशय:। कायिर् सद्धौ सततं
शुभिचन्तनंम् एव करणीयिमित भाव:।
<ह=ी: जैसे जैसै मनुष्य कल्याणकारी कायोर्ं में अपना िचत्त लगाता है, वैसे वैसे ही उसके सभी कायर् िसद्ध होते चले जाते
हैं सभी मनोकामनाएं पूणर् होती चली जाती हैं । इसमें कोई सन्देह नहीं।
English: Just as a man devotes his mind towards welfare activities, his desires get fulfilled in
the same manner. There is no doubt about it.
!"#: మ#? ఎల<¡* vభpంతన ±! N న$ట<
E అ#$ \e-9 అØ+ధం` X0S/ N
.
ప.9 X0SంBలం´ ఎల<¡ మంp( \ంM¦ంB: అ# zవ.
भावाथ:6
सं8ृतम्: श्रमया लोक; वशीभूयते। क्षमया िकं न साधियतुं शक्यते? यस्य हस्ते शािन्तरूप: खड् ग: वतते
र् , दुष्ट: तस्य िकं
कतुर्ं प्रभवित? य: क्षमवान् शािन्तिप्रय: च स: सवान्र् जेष्यित।।
<ह=ी: क्षमा रूपी गुण संसार मे सबको वश में कर लेता है। क्षमा से क्या िसद्ध नहीं हो सकता है ? िजसके हाथ में शािन्त
रूपी तलवार है, दुष्ट व्यिक्त उसका क्या िबगाड सकता है?
English: Forgiveness can control everyone in this world. What indeed cannot be served through
it? What can a wicked person do to a man equipped with the sword of peace?
!"#: క¦మm [\#$ వశప&f %వf_. క¦మm Ø#$ /0ంచ3? ఎవG ±|[ {ం|ఖడం
ఉం¬ంÙ )G# 8 * ఏT±యగల*? {ం|ÚsÒ*, క¦i»9* అ
న)*
పsపంB($ జ
ంచగల*.
भावाथ:6
सं8ृतम्: य: समथोर्िप क्षमम् अवलम्बते, यश्च दिरद्र: सन्निप दानं करोित एतौ उभौ अिप स्वगादर् िप उत्तमं स्थानं प्राप्नुत:।
<ह=ी: हे राजन्। ये दो प्रकार के मनुष्य स्वगर् से भी ऊपर िवराजमान होते हैं - क्षमा से युक्त समथर् व्यिक्त और दान देने
वाला दिरद्र ।
English: O King! These two types of persons stand atop the heaven - a capable person who is
endowed with the virtue of forgiveness and a poor person who practices generosity.
!"#: ఓ eÛ! Üం* ర\Íన మ.9 స·రంక$ ఉన$త/ Y నం[ Ý9ందగల&.
సమ& S D¤డ క¦Tం±)*, దW8 Ì D¤ª 5నం ±Þ)*.
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సమ& Ì D¤ª 5నం ±Þ)*.
भावाथ:6
सं8ृतम्: यथा वा पाषाणेभ्य: सुवणर्ं गृह्यते, तथैव िनरथक
र् ं भाषमाणात् उन्मत्तात्,बहुभाषमाणात् बालात् च सारभूतं साथर्ं
वच: ग्रहणीयम्। क: वदित इत्यिवचायर् िकं वदित इित िवचायर् सारं गृह्णीयिदित तात्पयम् र् ।
<ह=ी: जैसे पथ्थर से सोना ग्रहण करते है, उसी प्रकार प्रलाप करने वाले पागल से और वाचाल बालक से भी सारभूत
िवषय को ग्रहण कर लेना चािहए।
English: Just as gold is extracted from rocks, essential advice should be received even from a
loose-talking mad person and a talkative child.
!"#: ßణం .ంG బం`ర. 4ందవf_ అ>© #రరSక zషణం ±Þ ఉనoZ N G.ంG,
అ|`ih < a à9G .ంG ¤డ /రవంత¼న iటల. గáంచవf_.
भावाथ:6
सं8ृतम्: प्रथमम् आत्मानं शत्रुवत् सम्भाव्य सुिनयन्त्र्य िवजयी भवेत्। तत: सिचवान्, शत्रून् च जेतुं यत्न: िवधेय:
आत्मजयी इतरान् सुलभतया जेतुं शक्नोित इित भाव:।
<ह=ी: जो राजा अपने आप को ही सबसे पहले शतृवत् जीत लेते है, उसके बाद मिन्त्रयों और शत्रुओं को जीतनी की
इच्छा िनष्फल नहीं होती।
English: If a king wins over his own self first and after that he can get victory over his ministers
and enemies.
!"#: తన. ¢. జ
ంpన e ఇత&ల., అన` మంZ Ì ల., శZ Ì eల. !లభం`
జ
ంచగల*.
भावाथ:6
सं8ृतम्: यत् खािदतुं योग्यं खािदते च यत् सुलभतया जीणर्ं भवित, िजणर्ं च िहताय भवित, तदेव वस्तु कल्याणं
कामयमानेन खादनीयम्।
<ह=ी: जो िनगलने योग्य पदाथर् खाया जा सके, जो खाया हुआ पच जाये, और पच जाने पर िहतकारी हो, वह पदाथर्
कल्याण चाहते हुए मनुष्य के द्वारा खाया जाना चािहए ।
<ह=ी: जो िनगलने योग्य पदाथर् खाया जा सके, जो खाया हुआ पच जाये, और पच जाने पर िहतकारी हो, वह पदाथर्
कल्याण चाहते हुए मनुष्य के द्वारा खाया जाना चािहए ।
English: Only that food should be taken by a person desirous of his well being, which may be
easily eaten, after eating which may be easily digestible and when digested should prove
beneficial for health.
!"#: |నh#Myగ-¼న5## |నడం వలన !లభం` రâÁZం. రâమ
,
ఆగ-కర¼న5#( |నడం ఎపUÅ మంp.
भावाथ:6
सं8ृतम्: जीवनस्य पूवाधेर् र् े सुखी भिवष्यित। यिद आजीवनं साधु कायर्ं करोित तिहर्
र् उत्तमं कायर्ं करोित चेत् वाधक
परलोकेऽिप सुखं प्राप्नुयात्।
<ह=ी: आयु के पूवाध
र् र् मे यनुष्य को ऐसे कमर् करने चािहए िजससे वृद्धावस्था में सुख से रहे। जीवन पयन्त
र् ऐसे कमर् करने
चािहए िजससे यहां से जाकर परलोके में भी सुख से रहे।।
English: One should do such good deeds in the first half of his life through which one may live
happily in the old age. One should do good deeds life-long through which one may live happily
in the other world even after his death.
!"#: +త Èe·రYం [ ఉతNమ\e-9 ±Xనట<
E వృ¯ S ప-ం[ !ఖం` ఉంh*.
మW Kవãవం ఉతNమ\e-9 ±Xనట<
E పర[కం[ !ఖం` ఉండగల*.
. सुवणपु
र् ष्पां पृथ्वीं िचन्विन्त पुरुषास्त्रय: ।
शूरश्च कृतिवद्यश्च यश्च जानाित सेिवतम् ।।
भावाथ:6
सं8ृतम्: वीर:, ज्ञानी, शुश्रूष: इित त्रय: एव भूमौ सुखम् अनुभविन्त। अत: शूरै:, ज्ञािनिभ:, शुश्रूषिभ: भाव्यम् ।
<ह=ी: तीन प्रकार के लोग ही इस धन-धान्यमयी पृथ्वी को भोग पाते हैं - शूरवीर, िवद्वान् और जो यथोिचत अन्य जनों
की सेवा करना जानता है।
English: Only three kinds of people can enjoy the bounties of this earth - a valiant warrior, a
learned person and one who knows how to serve others.
!"#: Ñ&Dన)*, +FకవంZ*, Þ)ప&* Ñ& u & ä[కం[ !"#$
అ.భ+ంచగల&. అం8వల< ºర-ం, +Fకం, vశౄష ఎల<¡* \ంM¦ంపద¨న+.
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