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मचय द दशन

इस पु तक को और अनेक धा मक,
वै दक, ऐ तहा सक तथा ेरणा दायक
पु तको को पीडीएफ प म ा त करने के
लए यहां दबाएं। और e- स मधा के
टे ल ाम, इं टा ाम से जड़
ु ।

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भू मका

येक व याथ बचपन म बहुत चतरु होता है , पाठ याद करने क अ भत ु मता
होती है , सीखने क या ती होती है । पर तु जैसे - जैसे उ बढ़ती है ये सभी
तभाएं धीरे धीरे कम होने लगती ह। इसे वह बालक वयं महसस ू करता है , और
अ भभावक भी इसको दे खते है । ले कन इसके कारण या है ? इसपर वचार करने
का समय कसी को नह ं है ।

ाचीन भारतीय श ा प ध त म मचय धारण करना श ा का एक अ नवाय


अंग था। यहां तक क व याथ और मचार दोन एक दस ू रे के पयाय समझे जाते
थ। वो मचय साधना से प रप व मि त क ह होता
था जो परू े वेद, वेदांग, याकरण आ द कंठ थ करने यो य मेधा से यु त होता था।

मचय वषय पर अनेक पु तके और अनेक लेख आज कल इंटरनेट पर उपल ध


ह। िज हे कोई पढ़ना भी नह ं चाहता है और कसी के पास पु तक के लए समय
नह ं है । ऐसे म हमारा यास है उन पु तक का रस प ान को सं ेप म आपके
सामने इस छोट सी पिु तका के मा यम से आपके स मख ु रख द (पहले भी लेख
प म तत ु कए जा चकु े ह)। इस पु तक म हमारा कुछ भी नह ं है । सभी
जानकार व भ न वेब साइट और पु तक से सं हत है िजसके लए हम उनके
पु तक / रसच आ द के लेखक / काशक आ द के आभार ह। आशा है क यह
पिु तका व या थय के लए लाभकार होगी।

E स मधा ट म

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वषय सच
ू ी

मचय क प रभाषा

वीय कैसे उ प न होता है

शु कैसे उ प न होता है

शु और वीय का संबंध

मि त क और शु का संबंध

वीय का मह व

वाभा वक जीवन

अ वाभा वक जीवन

- ह त मैथन
ु के भौ तक कारण

- ह त मैथन
ु के मान सक कारण

- ह त मैथन
ु के प रणाम

- ह त मैथन
ु का मि त क पर भाव

- आ मा क आवाज

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- प नी य भचार

- वे या य भचार

मचय पालन और मथन


ू याग

मचय पालन और इि य संयम

या द ु नया छोड़ के स यासी हो जाएं !!

पोन भारत के भ व य के लए एक धीमा जहर

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मचय

मचय श द म और चय श द से मलकर बना है । म श द के तीन मु य


अथ होते ह - ई वर , वीय (शु ), वेद। इसी कार चय श द के भी तीन अथ - चंतन
- मनन करना, र ा करना और आचरण करना। अथात वेद का चंतन - मनन
करना आचरण करना और र ा करना। ई वर का चंतन या उपासना करना। और
वीय क र ा करने का सि म लत नाम मचय है । य क यहां पर वीय र ा पी
मचय का ान दे ना हमारा ल य है इस लए इसी वषय पर यान क त रखगे।

वीय क उ प त

मनु य के शर र म तीन कार क ावी ं थयां होती ह। अंतः ावी, बा य ावी


और उभय ावी। इन ं थय से मनु य के शार रक तथा मान सक वकाश के लए
अ त मह वपण ू हाम न का नमाण और पू त होती है । जैसे - थायरायड , प यट
ू र,
ए नल आ द ं थयां।

पु ष का वषृ ण या ि य का अंडाशय एक उभय ावी ं थ है । मतलब हमारे शर र


म बनने वाला वीय बचपन से लेकर २५ वष ( ी के लए १६ वष) तक क उ तक
र त म मलता रहता है ,और शर र ,मि त क आ द के वकाश म मह वपण ू
योगदान दे ता रहता है ।

इस उ के बाद यह थोड़ा - थोड़ा अंडकोश म इक ठा होना शु होता है । िजससे हम


अपने जैसी संतान उ प न कर सक, यह आदश ि थ त है ।

ले कन आजकल के अ ल लता पण
ू वातावरण म िजसमे १३-१४ वष का बालक भी
काम वासना और हवस का शकार हो जाता है । िजससे इस छोट उमर म ह वीय

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अंडकोश म आना ारं भ हो जाता है , और उसका शार रक और मान सक वकाश


अधरू ा रह जाता है ।

आधु नक व ान वीय क उ प त र त से मानता है । अंडकोष क ं थयां र त से


वीय का नमाण करती है । यह भी एक धारणा है क एक बंद ू वीय बनाने के लए
चाल स गन ु ा यादा र त लगता है ।
आयव ु द के अनस
ु ार वीय शर र क सबसे मह वपण ू धातु है ।इसके अनसु ार सव थम
हमारे भोजन से रस बनता है । फर रस से र त,र त से मांस, मांस से मेद, मेद से
अि थ,अि थ से म जा और सबसे अंत म म जा से शु बनता है । हर धातु पांच
दन तक पु ट होती है और उसके बाद अगले धातु का नमाण शु करती है । जैसे
आपको जो मले तो उतना खा जाओ िजतनी भख ू है फर बचा हुए दस ू रे को दे दो,
ऐसा ह हमारे शर र क धातओ ु ं का हाल है । इस कार लगभग चाल स दन म शु
बनता है जो क हमारे सभी पौि टक त व का नचोड़ होता है ।

शु क उ पत

१३ अ ल ै २००७ को (NESCI) के ो० कर म नय नया ने एक रसच के लए मनु यो


क बोन मैरो (अि थ म जा) से Mesenchymal टे म सेल को अलग कया जो क
मनु य क मांसपे शय म पाए जाते ह। इन टे म सेल के कुछ वष के गहन
अ ययन के बाद पता चला क इनके भीतर अध वक सत शु ाणु पाए गए । इससे
यह पणू प से स ध हो गया क शु ाणु मनु य क अि थ म जा म ह बनता है ,
जैसा क आयव ु द क मा यता है ।

शु तथा वीय

शु धीरे - धीरे शु ाशय म एक होता रहता है । मान सक उ ेजना या कामकु ता क


अव था म शु ाशय म तेजी से शु एक होते है । इसी समय कई और ं थय से
ाव होता है जैसे - ो टे ट ं थ का ाव, कूपर ं थ का ाव तथा शु ाशय का ाव

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ये सभी ाव तथा शु को सि म लत प से वीय कहते ह। इसम साइ क अ ल,


फा फेट , कैि सयम , सो डयम , िज़ंक , पोटै सयम आ द मह वपणू पदाथ होते ह।
ये सभी त व मनु य शर र और मि त क के लए अ यंत मह वण ू है ये हम सभी को
ात है ।

मि त क और शु

आधु नक खोज से पता चला क हमारा शु मु यतः (Polyunsaturated fatty


acid) से बना होता है । िजसमे सबसे यादा DHA (docohexaenoic acid) होता
है , जो क लगभग ७०-१००% तक भी हो सकता है । मनु य मि त क सबसे अ धक
वसा ( fat or fatty acids) से मलकर बना होता है , जो क लगभग ६०%
है ।मि त क म परू े वसा का २५% भाग DHA होता है । इससे यह प ट है क हमारा
मि त क और हमारा शु , ये दोन मु य प से एक ह पदाथ से बने हुए ह। अब
आप आसानी से समझ सकते ह क य द मि त क का वकाश चा हए तो वीय को
शर र से बाहर जाने से रोकना ह होगा। य क शर र म उपल ध DHA से या तो
मि त क अथवा वीय।
इन दो म से कसी एक का ह अ छे तर के से नमाण हो सकता है । भारत के
ऋ षय को यह पता था, इसी लए व या थय के लए मचय अ नवाय कया
गया था।

वीय का मह व

एक सं कृत ु त है , "मरणं बंदप


ु ातेन, जीवनम ् ब द ु धारणात ्। अथात वीय को
संर त रखना ह जीवन है तथा वीय को समा त कर दे ना ह म ृ यु है ।

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वीय य से वशेषकर कशोर अव था म अनेक रोग उ प न होते ह। वे ह- शर र म


ण, चेहरे पर मँहु ासे या व फोट, ने के चतु दक नील रे खाएँ, दाढ़ का अभाव,
धँसे हुए ने , र त ीणता से पीला चेहरा, म ृ तनाश, ि ट क ीणता, मू के साथ
वीय खलन, अ डकोश क व ृ ध, अ डकोश म पीड़ा, दब ु लता, न ालत ु ा, आल य,
उदासी, दय-क प, वासावरोध या क ट वास, य मा, प ृ ठशल ू , क टवात,
शरोवेदना, सं ध-पीड़ा, दब ु ल व ृ क, न ा म मू नकल जाना, मान सक
अि थरता, वचारशि त का अभाव, दःु व न, व नदोष व मान सक अशां त। ये
सभी दःु ख ह और दःु ख का एक नाम म ृ यु भी है ।

वीय ह न शर र क म ृ यु नि चत है । जब भी शर र म वीय कम होता है तो शर र


बाक काम छोड़कर वीय क पू त करता है । वीय क कमी से थकावट , मंह ु
सखू ना,कमजोर , शर र म दद या पीला पड़ जाना, नपंस
ु कता, अंडकोष म दद, लंग
म जलन, मू के साथ या वीय के साथ र त आना आ द रोग होते है ।

इस कड़ी म म जा धातु क कमी होने लगती है िजससे ह डयां खोखल होने लगती
है , ह डय म पीड़ा , दब
ु लता, च कर आना और कभी कभी उजाले म भी आंखो के
सामने अंधेरा छा जाना।

फर भी अगर वीय को बचाया नह ं गया तो अि थ धातु क कमी उ प न होती है ।


िजससे दांत नाखन ू बाल आ द कमजोर होकर गरने लगते है ।ह डय म चभ ु न जैसा
दद, यवहार म खापन, ह डय के जोड़ का कड़ा हो जाना आ द । और इसी कार
से सार धातएु ं कमजोर होकर अनेक रोग घेर लेते ह िजनको लखने के लए एक परू
कताब भर जाए। ये सब मलकर यि त को मौत के घाट उतार दे ते है ।

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नोट - ये रोग और भी कारण से हो सकते ह। अतः अगर कसी को उपरो त


सम याएं है तो इसका केवल एक अथ क वो वीय को यथ करता है कदा प नह ं है ।

वाभा वक जीवन

अगर मनु य वाभा वक प से जीवन यतीत करे तो २५ वष तक उसका वीय शर र


के अंदर ह योग होता रहता है , जो उसके चेहरे पर चमक, मांसपे शय म बल,
अ भत ु मरण शि त और बौ धक मता यु त मि त क और उ साह पण ू
यि त व दान करता है । २५ वष के बाद शु अंडकोष म आने लगता है िजससे
मनु य वाभा वक प से उ ेजना को महसस ू करता है ।

यहां पर दो रा ते ह पहला क ववाह करके संतान उ प न कया जाए जो क


अ धकतम लोग करते ह।

जो लोग अपने मि त क और शर र को और वक सत करना चाहते ह वो लोग योग


क याओं के वारा अपने मन और इि य को वश म रखकर शु को भी शर र
म ह अवशो षत करा सकते ह। इ हे ऊ वरे तस ् मचार कहा जाता है । कोई
आजीवन मचार रहे तो उसे आ द य मचार कहा जाता है । पर तु आज के
समय म ये वाभा वक जीवन एक क पना और बहस का वषय मा बन कर रह
गई है । वा त वकता से इसका कोई लेना दे ना नह ं रहा।

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अ वाभा वक जीवन

२५ वष क उ से पहले मचय समा त होने का मु य कारण अ वाभा वक जीवन


प ध त ह है ।

१. जानबझ
ू कर संयम भंग करना - इसके अ तगत आ म य भचार , प नी
य भचार और वे या य भचार आते ह।

२. अनजाने म संयम भंग होना - इसम व नदोष,धातु पतन जैसे रोग आते ह।


​ म य भचार

इसम थम थान ह तमैथन ू का है । कोई भी रोग मनु य का इतना नक


ु सान नह ं
कर सकता िजतना यह रोग करता है ।

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इसके भौ तक कारण न न ह -

१. जननेि य का हाथो से पश -
अकारण इन अंग का पश नह ं करना चा हए। अ यथा ये उ ेजना का कारण बनते
है ।िजसमे कभी कभी च उ प न हो जाने के कारण यि त ह त मैथन
ू करता है ,
धीरे - धीरे आदत लग जाती है ।

२. कसी कार का इि य पश -
आगे चलकर हालत इतने भयानक हो जाते ह क यि त के जननेि य पर कपड़े,
त कया,मेज,पेट के बल लेटना, घोड़े क सवार या या ा के समय इि य म क पन
होने पर भी उ ेजना आजाती है । और यि त अपने अमू य वीय को यथ करता है ।
३. उ ेजक भोजन -
एक कहावत है सादा भोजन उ च वचार। यह स य है । अचार,खटाई,चटपटा,तला -
भनू ा,नमक न, चाय - काफ , मठाई,त बाकू,गटु खा, सगरे ट,शराब,मांस, अंडा आ द
का सेवन करने वाले १५ वष भी मचय का पालन नह ं कर सकते।

४. द ु ट मनु य का साथ -
द ु ट का साथ तो को शश करके याग ह दे ना चा हए। सबसे बड़े पापी वो ह जो छोटे
छोटे (६-७ वष के) बालक से अ ल ल बात करते ह।या उनको गु तांग से खेलना
सखाते है ।और उस बालक का भ व य बबाद करते ह। कुछ घर म नौकर तथा कुछ
सगे संबंधी भी जाने अंजाने म ऐसा करते ह। कूल के साथ म पढ़ने वाले बालक सारे
बचे - खच ु े कुकम शखा दे ते ह। ऐसे लोगो से हमेशा दरू रहो।

५. इंटरनेट/ मोबाइल/ ट बी -
आजकल अ ल लता के साधन सव सल ु भ हो चक
ु े है । पोन वी डयो, पोन त वीर,
अ ल ल गाने, अ ल ल चार साम ी उपरो त साधन वारा सव सल ु भ है जो जहर
का बीज बालक के मन म उ प न करती है ।इस लए इनका उपयोग कम से कम,
िजतना संभव हो उतना कम से कम उपयोग करो। य क इनके उपयोग से बचा
नह ं जा सकता है ।

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मचय और अ ल लता

ये दोन एक दस ू रे के द ु मन ह। जहां मचय नह ं वहां बल नह ं हो सकता , वहां


बु ध नह ं हो सकती , वहां ान नह ं हो सकता । और जहां ान नह ं वहां धम नह ं
हो सकता।

आ म य भचार के मान सक कारण

छोटे उ के बालक का मि त क का वकाश बहुत कम हुआ रहता है , इस लए


बालक के मचय नाश म भौ तक कारण ह होते है । मान सक कारण नह ं के
बराबर होते है । ले कन नौजवान मनु य िजसका मि त क का वकाश उ चत मा ा
म हो चक ु ा है , उसके मन का भाव शर र पर और शर र का भाव मन पर बहुत ती
होता है ।

ठ क उसी कार जैसे कसी बतन म पानी रखते जाइए और जब बतन फुट जाए तो
सारा पानी बहुत तेजी से बखरता है ।

य भचार यि त जो भी कुकम करता है वह उसके मन को द ू षत करता रहता है ।


शु म उसक उ ेजना का कारण अ ल ल च , अ ल ल वी डयो, अ ल ल
कहा नयां आ द होते है । ले कन कुछ समय बाद मि त क क क पना म ह उसके
लए सब कुछ उपल ध हो जाता है ।

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फर जब उसको नकु सान का पता चलने लगता है फर भी उसका मन उससे गलत


काय करवाने लगता है ।

मन तरह - तरह क क पना करता है । और मनु य का शर र एक नौकर क भां त


अपने वीय का नाश करता जाता है । दख
ु ी होता है , याकुल होता है , चं तत होता है ,
अपने शर र,बल और बु ध को न ट होते हुए रोज दे खता है । फर भी मन के आगे
कोई बस नह ं चलता है ।

जैसे ह खाल समय मलता है , या घर म अथवा कह ं भी खद


ु को अकेला पाता है तो
अ ल लता क क पना म डूब कर अपने हांथो से अपनी क खोदने ारं भ कर दे ता
है ।

# चंता -
इन सब कारण से वह यि त द ु नया म बहुत पीछे छूट जाता है । उसक पढ़ाई ,
नौकर , यवसाय आ द कसी भी काय को करने म खद ु को असमथ पाता है । उसके
साथ बचती है तो बस चंता। इस चंता म डूब कर कई बार चोर और ह या जैसे
आपरा धक काय म फंस जाता है । और इस चंता से दो पल के लए दरू नकलने का
स ता रा ता ह तमैथनू दखाई दे ने लगता है । हर असफलता पर एक बार और।
और उसका जीवन उस भार लगने लगता है । कभी - कभी आ मह या भी कर लेता
है ।

ह तमैथन
ू का प रणाम

ह तमैथन ू क या मे वीय वा हनी णाल (vas deferens) परू तरह से खाल


नह ं होती है । बचा हुआ वीय वहां पर दग
ु ध आ द उ प न करता है िजससे मू
वसजन णाल म जलन और सं मण भी हो जाता है । बार - बार मू जाना पड़ता

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है । उ ेजना के समय लंग म पीड़ा होती है । समय के साथ लंग सु त हो जाता है


और उ ेजना लगभग समा त हो जाती है । इस पर उ टा सीधा दवा लेने से यि त
नपंस ु क हो जाता है ।

वीय मू ाशय म जाने लगता है और मू मेह हो जाता है । शौच के समय वीय नकल
जाता है । ी संभोग के बारे म सोचने से पहले ह उसका वीय नकल जाता है । वह
ी से दरू भागता है । अंडकोष म दद बना रहता है । सीधे श द म उस मनु य का
जनन तं न ट हो जाता है वह ह तमैथन ू के लायक भी नह ं बचता है ।

अपनी चंड अव था म वीय क कमी से मनु य का हाजमा बगड़ जाता है , द त


लगने लगते है , क ज हो जाती है , जोड़ म दद शु हो जाता है , हांथ पांव ठं डे रहने
लगते ह,दांत खराब होने लगते ह,कंधे झुक जाते ह। कम का ऐसा फल मलता है क
जीवन नक बन जाता है । ऐसी अव था म मचय ह जीवन बचा सकता है

नोट - उपरो त के कारण कुछ और भी हो सकते ह। यह वह यि त खद


ु समझ
सकता है क उसे सम या कस वजह से है ।

ह तमैथन
ु से मान सक हा नयां

मन का थलू आधार मि त क है । और मि त क के वकाश म मचय और वीय


का कतना मह व है , ये आपको पता चल गया होगा। अब इसी वषय पर थोड़ा और
काश डालते ह।

कसी भी कार का स भोग अ यंत थकने वाला, और शर र के तं का तं को


कमजोर करने वाला, शर र क नस तथा मांसपे शय को थका दे ने वाला और सीधे
श द म परू े शर र को जड़ से हला दे ने वाला होता है ।

कृ त म अनेक ऐसे जीव ह जो अपने जीवन के थम संभोग के समय या कुछ दन


बाद ह म ृ यु को ा त हो जाते ह जैसे (Trans Volcanic Bunchgrass Lizard ये

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छपकल थम संभोग के कुछ दन बाद मर जाती है , Male Dark Fishing


Spider यह मकड़ी तो इतनी तेजी से मरती है जैसे वीय के साथ ह ाण नकाल गए
ह , Furcifer Labordi Chameleons ये गर गट म नर और मादा दोन अंडे दे ने के
बाद एक साथ म ृ यु को ा त हो जाते ह,antechinus के नर क भी संभोग के बाद
तरु ं त म ृ यु हो जाती है । कई जीव संभोग के दौरान ह मू छत होकर गर पड़ते ह।
इससे यह अ यंत प ट है क से स का मि त क पर अ यंत ती दबाव पड़ता है ।
मनु य का र त चाप १७५ से १८० mmHg तक पहुंच जाता है ।

ले कन जब मनु य कसी ी से संभोग करता है तो संभोग के बाद दोन के


मि त क म जो ेम क भावना उ प न होती है । वह संभोग के द ु प रणाम को
काफ हद तक कम कर दे ती है । और कुछ ह दे र म वापस सारा शर र सामा य हो
जाता है ।

ले कन ह तमैथन ू म यि त अकेला होने के कारण उसके तं का तं और


मि त क पर जोरदार झटका लगता है । एक साधारण उदाहरण है जब हम सीढ़ से
नीचे उतर रहे ह और नीचे यान ना दे ते हुए सीढ़ ना होने पर भी सीढ़ समझ कर
पांव बढ़ाने के बाद अगर पांव के नीचे सीढ़ ना आए तो परू े शर र म झटका लग
जाता है । और यि त लड़खड़ा जाता है ।
मि त क पर ह तमैथन ू के भाव को समझने के लए मि त क को समझना
आव यक है । इस लए थोड़ा काश मानव मि त क पर डालते ह।

मानव मि त क को मु य प से तीन भागो म वभािजत कया जा सकता है

१. अ मि त क

२. लघु या म य मि त क

३. प च मि त क

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हमारा वषय लघु मि त क के अ तगत आता है । लघु मि त क का काय स पण ू


शर र को एक संतल ु न म बनाए रखना है । शर र क अनै क याओं तथा आदत
बन जाने वाल याओं का नयं ण भी इसी भाग से होता है । यह मि त क के सभी
ह स को शर र के क य तं का तं से जोड़ने का काय भी करता है । यि त को
मछ ू ा आने का कारण भी इसी ह से से संबं धत है । चन
ु ी ह त मथनू या संभोग
आदत बन जाती है इस लए इसका कु भाव मि त क के इसी भाग पर दखाई दे ता
है । कुछ घटनाएं उदाहरण के लए तत ु ह।

एक यि त क संभोग के समय ह म ृ यु हो गई पो ट मडम म पता चला क उसका


लघु मि त क के म य म सज
ू न था, मि त क म कई जगह घाव तथा र त ाव
हुआ था

एक ५० वष का यि त वे या के घर से नकले ह बेहोश हो गया बाद म उसक म ृ यु


हो गई। बाद म दे खा गया उसका परू ा लघु मि त क सख
ू रहा था।और कुछ भाव
अ मि त क पर भी हो रहा था।

एक ५२ वष का यि त वे या के घर गया और दस
ू रे दन ह उसक म ृ यु हो
गई।इसके लघु मि त क म र त का थ का जम गया था ।

एक व ृ ध वषयी यि त को बार बार पागलपन के दौरे पड़ने शु हुए पहले लकवा


मार गया और १२ घंटो म वह चल बसा

एक वे या क म ृ यु के प चात पाया गया क उसका लघु मि त क सख


ू कर कठोर
हो गया था।

एक २० वष का यवु क को बचपन से ह ह तमैथन ू करने क बरु लत म फंस गया


था। उस बार बार मग के दौरे पड़ते थे । तीन मह ने के इलाज के बाद उसक म ृ यु
हो गई। पता चला उसके लघु मि त क म गांठ बन चक ु थी

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एक १० वष क लड़क िजसे ह तमैथन ू क आदत थी वो थम तो चार मह ने तक


सर दद से परे शान रह । अंत म दद इतना बढ़ गया क तीन ह ते तक लगातार
रोती रह कसी भी दवा से दद का नह ।ं अंत के १२ दन लगातार ब तर पर पड़ी
रह । और उ ट होती रह । मरने के पहले उसको काश का ान होना बंद हो गया।
पो ट माडम म पता चला क उसका परू ा मि त क सड़ चक ु ा था।

ये घटनाएं आनेक श य च क सको के पु तक से ल गई ह। ह तमैथन


ू के
मि त क और जीवन पर द ु प रणाम समझने के लए पया त ह गी।

आ मा क क ण पक
ु ार

सभी मनु य सभी कभी ना कभी आ मा क पक ु ार को सनु चकु े ह।मनु य जब भी


कोई अनु चत काय करने वाला होता ह ठ क उसी समय भय, ल जा, ला न आ द
का अनभु व करता है ।उसे लगता है क जैसे कोई उसे रोक रहा है , क मत करो ये
काम, ये गलत है !!! फर भी मनु य अनेक कार के तक - कुतक करके अपनी
आ मा क ह या करके अनु चत काय को करता है । ये अनभ ु व आ मा से ह आते ह।
यह आ मा क आवाज है ।

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ले कन या होता है जब मनु य बार बार आ मा क पक ु ार को अनसन


ु ा करके
अनु चत काय करते रहते ह? आ मा क पक ु ार सन
ु ने क मता न ट हो जाती ह।
इसको एक उदाहरण से समझ सकते ह।

कोई घड़ी म सब ु ह ५ बजे अलाम लगा है । जब पहल सब


ु ह अलाम बजेगा तो आपक
नींद खल
ु ेगी। अब अगर आप उठने के थान पर दोबारा नींद लेने लगगे और इसी
कार तीन - चार बार होने के बाद सब
ु ह अलाम बजने के बाद भी आपक नींद
खलु नी बंद हो जाएगी। हमार शर र क यव था ऐसी ह है , जैसा हम करते ह वह ं
हमारा सं कार बन जाता है ।

आ म य भचार (ह तमैथन ू ) आ मा क पक ु ार को मारने म सबसे आगे है । यि त


आगे - पीछे , जीवन - म ृ य,ु लाभ - हा न, मान - अपमान सबको एक तरफ करके
मौका मलते ह अपनी क खोदने म लग जाता है ।

अगर यि त केवल आ मा क पक ु ार के अनस


ु ार ह काय करे तो वह अनेक कुकम
से बचकर अ यंत सख
ु ी जीवन यतीत करे गा।और जीवन म येक बाधाओं को पार
करके हर े म सफलता को नि चत प से ा त करे गा।

प नी य भचार

ये सन
ु ने म थोड़ा अटपटा है , ले कन है स य। कुछ यि तय के लए ववाह तो
य भचार करने का लाइसस ह है । इसके पीछे कारण यह है क अपने सहपा ठय
म ो आ द से मनु य यह सीखता है क य द प नी के साथ यादा से यादा मा ा
म संभोग नह ं कया तो वह मझ ु े नपंस
ु क समझेगी। और ी यह सीख ा त करती
है क अगर वह प त को संतु ट नह ं कर पाएगी तो प त कसी और ी क तरफ
आक षत हो सकता है ।

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बस यह ं से दोन का पतन ारं भ होता है । ववाह क थम रा से लेकर कुछ


मह न तक प त - प नी दोन यव ु ा शर र यह दबाव झेलने म स म होता है । ले कन
आगे चलकर उनके मन म तनाव, घण ृ ा, खाल पन,अवसाद आ द मान सक क ट
उ प न होते है ।

इसके कारण प त - प नी म बार बार लड़ाई झगडा आ द होना ारं भ हो जाता है


िजसका अ यंत वपर त भाव प रवार और संतान पर पड़ता है , कभी कभी ववाह
भंग क अव था उ प न हो जाती है ।

अनेक कार के शार रक क ट भी घेर लेते ह िजनको पछल पो ट म व तार से


बताया जा चक
ु ा है । सह मायन म वषय वासना ह ेम का स ु है । दोन म एक
दस
ू रे के त आदर, स मान, सख ु -दःु ख क संवेदना आ द जो वा त वक ेम है ये
अ नयं त संभोग से न ट हो जाता है ।

इसपर भी यह वह ं काम ड़ा जार रखने के लए दवाओं का सहारा लेना ारं भ हो


गया तब तो मनु य नपंस
ु कता आ द अनेक रोग का शकार होकर म ृ यु तु य
नरक य जीवन जीने को ववश हो जाता है ।

यहां इतना ह कहना पया त है क ी म संयम गुण पु ष से कह ं अ धक है ।तो


ी को उसक इ छा के बना पश भी मत क िजए। और ी भी अपनी काम
वासना को कृ म उ ेजना ना द। इस अव था मै रजो नव ृ के बाद जो वाभा वक
काम क इ छा ि य म उ प न होती है उसी दन म वो प त के साथ संभोग कर।
इसके वप रत कया गया संभोग, ह तमैथनू जैसा ह हा नकारक है ।
वे या य भचार

ववाह संबंध के अ त र त कसी भी अ य ी से संबंध बनाना वे या य भचार है ।


और ववाह या है ? थम बार िजस ी से पु ष का संबंध होता है वह ं उसका
ववाह है । (लोकाचार, ढोल, बाजा,बारात,फेरे आ द का ववाह तभी ववाह है जब

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इसके पहले उस पु ष या ी का कोई ववाह/संबंध ना हुआ हो)। उसके बाद के सभी


संबंध य भचार के अ तगत आते ह।

यह य भचार जहां पु ष म अनेक कार के यौन सं मत रोग का संचार करता है ।


वह ं स पणू मानव जा त के ऊपर कलंक है , और स पण ू ी वग के लए अ भशाप
है । एक अनम ु ान के अनस
ु ार भारत म लगभग एक करोड़ वे याएं कायरत ह। ये उस
भारत का दभ ु ा य है जहां नार को पू य माना जाता है ।

उसके प रणाम के लए एक उदाहरण दे ना पया त रहे गा। सो चए क आप कसी


चौराहे पर खड़े होकर ये कह क कोई मझु े पैसे दे तो वो जो कहे गा म खा लंग
ू ा। फर
आपको पैसे दे कर कोई मठाई , पकवान आ द खाने को कहे गा तो कई लोग आपको
पैसे दे कर म ट , गोबर, कूड़ा आ द भी खाने को कहगे और कुछ ह दन म आपक
हालात या हो जाएगी।

एक वे या क हालत ऐसी ह है , जो श ा आ द ा त करके ववाह करके एक


व थ संतान को उ प न करके उसको सं कार दान करके समाज क उ न त म
अपना मह वपण ू योगदान दे सकती थी। वह ं आ थक तंगी,सामािजक ब ह कार,
प रवार क िज मेदार आ द के नवहन के लए अपने जीवन का ब लदान हर पल
करती जा रह है । हर एक ण म ृ यु क तरफ बढ़ रह है ।और इनका सेवन करने
वाले पु ष रोगी हो रहे ह, प रवार म कलह हो रहा है । यहां तक क ववाह व छे द क
अव था उ प न होकर संतान का भ व य भी न ट हो रहा है ।

व न दोष

मन का उ ेिजत होना, फर बरु ा व न आना फर व न म वीय का बाहर नकल


जाना और तरु ं त नीद खल
ु जाना यह व न दोष है ।

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और इसके अ यंत भयावह प रणाम दे खने को मलते ह। बार बार रा को


व नदोष होना , फर दन म होना , फर ह क सी उ ेजना होते ह वीय का ाव
हो जाना और अंत म उ ेजना का न ट हो जाना मतलब नपंस
ु कता । और बाक
शार रक क ट जो पहले बताए जा चकु े ह वो अलग से।
कारण और समाधान

इसके जड़ म उ ेजना है , जो अ ल लता से उ प न होती है । अगर उ ेजना को वश


म कर लया तो आधा इलाज हो गया। और बाक आधा इलाज आगे है

१. भोजन - समय से भोजन कर। सादा भोजन करे । नमक मच खटाई , मांसाहार
याग द। सबु ह का भोजन ९ बजे के पहले कर ल और रा का भोजन सायं ५ बजे के
प चात कभी भी कर ल।

२. भोजन करते समय घंट


ू - घंट
ू जल पएं। भोजन के एक घंटे बाद ह जल पएं।

३. सब
ु ह दह का योग कर। दोपहर को फल और दध
ू , शबत आ द ल, अ न ना ल।
दध
ू म म ी का योग कर।

२. मल और मू वसजन समय पर कर। रात को सोने से पहले अव य कर।सोने के


१ घंटे पहले पानी या दध
ू ना पएं

३. लंग म खज
ु ल या जलन आ द ना होने दे । व छ रख। यान और ाणायाम
कर।

४. ह त मैथन
ु या अ त मैथन
ु को याग द। यायाम कर और चंता को याग द।

मचय पालन और मैथन


ू याग

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अबतक हमने मचय के मह व, लाभ,और मचय खं डत होने से हा नय के बारे


म चचा क ।अब मचय का पालन कैसे कर इसके बारे म वचार करते है । मचय
का सीधा अथ है मैथन
ु से दरू रहना। और मैथन
ु या है ?

आठ कार के मैथन
ु होते ह -

१. मरण - उ ेजक घटनाओं, च , चल च ,कहा नय आ द को याद करना याग


दे ना चा हए।

२. क तन - उ ेिजत करने वाले या कलापो, कहा नय आ द के बारे म कसी के


साथ बातचीत नह ं करनी चा हए।

३. पश - अपने जनन अंगो को बना आव यकता के पश नह ं करना चा हए। और


कसी ी को पश करने से बचना चा हए।यहां तक क पु ष को भी आपस म
अनु चत तर के से पश नह ं करना चा हए।

४. ड़ा - कोई भी ऐसा खेल जो कामक


ु ता उ प न करने वाला हो, उसे नह ं खेलना
चा हए।

५. दशन - कामक
ु ता भर ि ट से कसी ी/पु ष को नह ं दे खना चा हए। और
उ ेजना उ प न करने वाले च , सनेमा आ द को नह ं दे खना चा हए।

६.आ लंगन - आ लंगन और चु बन तो मचय के य स ू ह। मचय का


पालन करने वाले को इस मैथन
ु से बचना चा हए।

७. एकांत वास - मचय का पालन करने वाले को अकेले और सन


ु सान थान पर
कसी भी ी अथवा पु ष के साथ समय यतीत नह ं करना चा हए, भले आपके
साथ आपका सगा - संबंधी ी या पु ष ह य ना हो। यहां तक क अकेले ह
एकांत थान पाकर लोग ह त मैथनु आ द कुकम करते ह इस लए अकेले भी एकांत
म नह ं रहना चा हए।

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८. समागम - और फर समागम तो य मैथन ु है । और ऊपर के सभी घटक का


अं तम प रणाम है । ऊपर के सभी उपाय इसी समागम से बचने के लए बताए गए
है ।

अगर नयमो का पालन कया जाए तो मचय का पालन आसानी से हो सकता है ।

मचय पालन और इि य संयम

यहां मचय के बारे म लखने का उ दे य व या थय को एक ऐसा ान दे ना


िजसके बारे म उ ह कोई नह ं बताता है । वे व याथ जो जीवन म कुछ करना चाहते
ह, कुछ बनना चाहते ह,अपने दे श और मानवता के लए कुछ करना चाहते है उनके
लए मचय एक खजाना है ।जो भी ल य ा त करना चाहते ह उसके लए प र म
क िजए साथ म मचय भी धारण क िजए। आपको सफलता अव य
मलेगी।आपक मान सक,शार रक और बौ धक मता को बढ़ाने म मचय
अ यंत मह वपण ू सहयोगी है ।

मि त क क एका ता के लए शर र क कौन सी इि य को कस कार नयं त


कर -

१. प - आपके मन म वकार उ प न करने वाले च , वी डयो, उ ेजक व और


स दय का सेवन करने वाल ि य पर ि ट ना डाल, उ ेजक न ृ य ना दखे और ना
ह कर। इस कार अपनी आंखो को नयं त रख।

२. श द - अ ल ल गाने और अ ल ल कहा नय से हमेशा दरू रह ना सन


ु े ना गाएं ।
अ ल ल बातचीत ब कुल ना कर और अगर कोई म आपसे ऐसी बाते करता है तो
उसे साफ श द म मना कर द। इस कार अपने कानो को नयं त रख।

३.गंध - कुछ वशेष कार क गंध का संबंध उ ेजना से होता है । ाकृ तक सग


ु ंध को
छोड़कर कृ म सग ु ंध तो ब कुल हा नकारक है । व भ न कार के इ जो बाजार

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म उपल ध है उनसे व याथ को दरू रहना चा हए। और इनका योग करने वाले
लोगो से भी दरू रह। इस कार अपनी ना सका को नयं त रख।

४. पश - ी या पु ष कसी के भी अनु चत पश से बचना चा हए। पश, उ ेजना


को ारं भ करने का सबसे सश त साधन है । यहां तक क व याथ कोमल ग दे पर
भी ना सोए, गद
ु गद
ु ना कर। त त पर पतल दर आ द पर सोए। इस कार अपनी
वचा को नयं त रख।

५. रस - शराब , चाय, काफ , त बाकू, मठाईयां, गुटखा, जदा, खटाई, तला - भन ू ा


आ द पदाथ का सेवन नह ं करना चा हए। इससे वीय द ू षत हो जाता है । द ू षत वीय
का शर र को हा न पहुंचता है । इस कार अपनी िज वा को नयं त रख।

मचय और सं यास

कुछ यि त मचय का नाम लेते ह कहते ह क स यासी बन जाऊं ? उनके शंका


का समाधान यह है क.

हमने मचय के बारे म जो भी बताया है , यह मु य प से व या थय के लए है ।


१२-१५ वष क उ के यव ु क, सह ान न होने के कारण अपना बहुत बड़ा नक ु सान
कर लेते है ।और अपने मान सक तथा शार रक वकाश का रा ता बंद करके द ु नया
क दौड़ म काफ पीछे छूट जाते है । यह संदेश उन माता - पता के लए भी है जो
अपने बालक को ये सब बताने म ल जा का अनभ ु व करते ह। ले कन गलत - सह ,
उ टा - सीधा, हा नकारक ान उनक संतान ा त कर ह लेती है । कम से कम २५
वष तक तो स यासी बन कर रह सके तो आज के समय म इतना ह अ त उ म है ।

नह ं तो इतना करो क , अगर त दन वीय न ट करते हो तो दो दन पर करो। दो


दन पर करते हो तो एक स ताह पर करो। एक स ताह पर करते हो तो दो स ताह
और आगे बढ़कर एक माह तक ह मचय धारण कर सको तो यह अ यंत
लाभदायक होगा। और आप लाखो मनु य म एक ह गे जो ये कर पा रहे ह।

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म ृ यु तो आनी ह है , इसका यह अथ नह ं क मरने के सारे उपाय करते रह (जो क


आजकल लगभग सभी लोग कर रहे ह) । म ृ यु से पहले व थ जीवन जीते हुए
समाज, प रवार और रा क सेवा करना ह ल य होना चा हए।

शा म २५ वष का मचय सबसे न न को ट का है

४४ वष का म यम और ४८ वष का उ म मचय है जो क परू े प ृ वी पर वरले ह


ह गे।

पोन ( अ ल ल फ म )

अब अ ल लता के मु य साधन पोन पर व तत


ृ चचा करते है । -

भारत म पोन दे खने वालो के वारा आप अनेक मख


ू तापण
ू फायदे जान सकते है ।
व व म केवल ३ तशत पु ष और १७ तशत ी इसे नह ं दे खती है िजसम बड़ी
सं या म वे भारतीय है िजनको लोग आजकल जंगल या मख ू समझते ह।

ले कन या इसका कोई नकु सान नह ं है ? या यह भारतीय के लए एक ष यं है


? या नकट भ व य म बहुत भयंकर प रणाम आने वाला है ? इ ह ं सवाल का
जवाब आज ढूंढने क को शश करगे ।

आपने वयं महसस ू कया होगा क भारत म पछले कुछ सालो म बौ धक तभा
एक तर के से समा त हो रह है । हम केवल वदे शी तभाओं और उनके आ व कार
पर ता लयां पीटने का काय कर रहे ह।हमारे जगद श च बस,ु स ये नाथ बोस,
भाभा, कलाम, चं शेखर वकट रामन, व म साराभाई, सर सी वी रमन, रामानज
ु न
आ द महान लोगो जैसी तभाएं ज म लेना ह बंद हो गई???

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उ टा भारत म दरु ाचार, टाचार, य भचार, बला कार आ द े म उ न त हो रह


है । इसके पीछे मु य वजह को ढूंढने का एक यास कया जा रहा है ।
पोन का मनु य मि त क पर नशील दवाओं जैसा असर

जी ब कुल सह सन ु ा आपने। शायद आप गुटका, त बाकू, शराब, मांस, कोक न,


ह रोइन, चरस, गांजा आ द योग नह ं करते ह गे। ले कन आपको नह ं पता है को
पोन का भी ठ क इ ह ं नशील चीज जैसा असर आपके दमाग पर होता है ।

इसे थोड़ा व तार से समझते ह। हर तनपाई ाणी के मि त क म एक रवाड सटर


होता है िजससे आनंद के रसायन नकलते है जो हमको वो हर काय करने म आनंद
का अनभ ु व कराने के लए िज मेदार है जो हम पसंद है । जैसे अगर कसी को च स
खाना पसंद है तो च स खाते समय उसको जो आनंद आता है वो रवाड सटर म बने
रसायन क वजह से आता है और थोड़ा च स खाते ह रवाड सटर काम करना बंद
कर दे ता है और आप यादा च स खाना बंद कर दे ते ह ।

ले कन जब कोई मनु य नशील दवा या पोन दे खता है तो ये नशीले पदाथ रवाड


सटर को एक नशा पसंद होने का झूठ संदेश भेजते ह और डोपा माईन नामक
रसायन नकलता है िजसके कारण मि त क म इस झूठे संदेश के लए लालच
उ प न होता है ।और जब समय के साथ मि त क डोपा माईन क उस मा ा के त
उदासीन हो जाता है । तब हम उसी आनंद के लए अ धक नशे क ज रत पड़ती है
और हम एक के बाद एक शराब का पैग लगाते जाते ह और हर पैग पहले से यादा
ॉ ग लेते ह । ठ क उसी कार एक के बाद दस
ू रा पोन दे खते जाते ह , और हर बार
पहले से कुछ अलग - कुछ जबरद त जो क हर एक पोन वेबसाइ स पर भरपरू
मा ा म होता है ।

हालत ये हो जाती है क जैसे एक ग लेने वाले को ग ना दया जाए तो वह रह नह ं


सकता , पागल हो सकता है अथवा बीमार पड़ सकता है । नय मत प से पोन
दे खने वालो का भी वह हाल होता है ।

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पोन क लत लग सकती है

पहले कई वै ा नक का ऐसा मानना था क लत उसी चीज क लग सकती है जो हम


खाते या पीते ह जैसे - चाय , गुटका, सगरे ट, त बाकू, अफ म, चरस, गांजा, नशील
दवाएं आ द । ले कन आज व ान ने इसे गलत सा बत कर दया है । मि त क के
अ ययन से यह प ट हो गया क लत लगने के लए कस चीज क लत लग रह है
इससे फक नह ं पड़ता है , फक इस बात से पड़ता है क वह चीज दमाग के कस
ह से को भा वत करती है ।

अनेक कार क नई लत आज समाज के सामने है - जआ ु खेलना, ऑनलाइन गेम


खेलना, मोबाइल का योग, ट वी दे खना, इंटरनेट क लत, सोशल मी डया क लत
और इनम सबसे यादा तेजी से जकड़ने वाल पोन क लत। हमारे भारतीय समाज
क नींव रखने वाले ऋ षय ने हर समय इि य को वश म रखने क सलाह द है ।
उनको पता था क कसी भी चीज क लत लग सकती है । और वह नक ु सानदायक है

पोन मि त क का आकर बदल सकता है -

नय मत प से पोन या नशीले पदाथ का सेवन करने वालो का मि त क के


यरू ॉन के बीच का संपक टूटने लगता है । उनका दमाग कम याशील होता है और
तो और दमाग के बाक ह स का आकर छोटा होने लगता है । व तार से दे खे तो
मि त क का आकर एक उ तक बढ़ता है फर क जाता है । ले कन मि त क के
यरू ॉन के बीच संदेश के आने जाने का रा ता परू उ बदलता रहता है । जब भी
हम कुछ नया सीखते ह , जैसे कोई नई क,खेल, गाना,बजाना, आ द तो उसका
एक नया रा ता हमारे मि त क म बन जाता है । बार बार उसी रा ते का योग
करने से वो रा ता प क सड़क बन जाता है । इसी लए कहा गया है क िै टस मेक

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परफे ट। और जो रा ते योग म नह ं लाए जाते ह उ ह मि त क मटा दे ता है और


उनके थान पर नए रा ते बन जाते ह ।

यह पोन या नशीले पदाथ करते ह - ये धीरे धीरे बाक सभी यरू ॉ स के संदेश वाले
रा त पर भार पड़ने लगते ह। यहां तक क उ ह मटा दे ते ह । िजस चीज को हम
यादा यान दे कर और चाव से आंनद के साथ करते ह या सीखते ह उसका र ता
बहुत आसानी से बनता है जैसे कोई खेल खेलना या कताब बढ़ना या संगीत सीखना
। तो यह तर का है क यान अ छ चीज का दया जाय , यह बचने का तर का भी
है ।

पोन आपके से स यवहार को बदलता है

एक छोटा सा योग अगर कसी यि त को दग ु ध नह ं पसंद है ले कन उसी दग


ु ध
भरे कमरे म बंद करके उसका य भोजन दया जाय। तो समय के साथ उसका
दमाग उसके य भोजन के साथ उस दगु ध को भी य गंध के प म वीकार कर
लेगा।

ठ क यह पोन के साथ भी होता है । आजकल पोन के साथ भी अनेक कार क मार


- पीट, आमनवीय कृ य,और सामािजक थान पर से स, बसो या े न म
जबरद ती, छे ड़खानी, बला कार, छोट बि चय के साथ से स, माता या बहन के
साथ से स, समल गक से स आ द आ द चीजे इंटरनेट पर उपल ध है । तो धीरे धीरे
हमारा मि त क इन सभी जघ य काय को भी सामा य समझने लगता है । जब क
ये आपरा धक कृ य है । आजकल बढ़ती हुई बला कार क घटनाएं और नभया जैसी
दय कंपा दे ने वाल घटनाएं , इसी कार के पोन क दे न ह।

ये सभी जघ य काय उन पोन दे खने वाले अपरा धय को ब कुल सामा य सा


लगता है । यहां तक क पोन प त - प नी म भी आपसी कलह का कारण बन रहा है ।

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वा त वक से स पोन दे खने वाले यि तय को ब कुल अ छा नह ं लगता है । वो


जैसा पोन दे खते ह वैसा ह से स यवहार चाहते ह।

थोड़ा और।थोड़ा यादा

आजकल इंटरनेट पर काफ मा ा म पोन उपल ध है । या आपको पता है क


पोन उपल ध यो ह ? य क ये पैसा कमाने क पहल सीढ़ है । एक बार लत
लगने के बाद यि त पैसे खच करने को भी तैयार होता है । इसको समझने के लए
फर मि त क के अंदर चलते ह।

रवा स सटर के अंदर दो भाग होते ह एक पसंद करने वाला ह सा दस


ू रा लालच
पैदा करने वाला ह सा। पोन कुछ इस कार से काय करता है क हर बार पसंद
घटती जाती है और इस पसंद को फर से बढ़ाने के लए लालच बढ़ता है । और
यि त कुछ हटकर पोन दे खता है । ये लत उसको उस हद तक लेकर जाती है जो
सामा य क पना से परे है । और वो सभी अक पनीय पोन पैसे खच करने पर
उपल ध है ।

इसी वजह से करोड़ का पोन यापार चल रहा है । भारत तेजी से इसक गर त म


आरहा है । एक यवु ा मि त क कसी भी रसायन को यादा तेजी से बना सकता है ।
यवु ा मि त क के सीखने क मता भी बहुत यादा होती है । इसी सार पढ़ाई
लखाई का काय यव ु ा अव था म कया जाता है । ले कन आज भारतीय यव
ु ा िजस
कार से पोन के जाल म फस रहा है , इसके भयावह प रणाम भ व य म सामने
आयगे।

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पोन झठ
ू से भरा हुआ

१९५० सन म दो वै ा नक ने तत लय पर एक योग कया । उ ह ने ने बहुत सार


संद
ु र तत लय के पंख वाले च ह और रं ग का अ ययन करके एक ततल का
मॉडल बनाया। िजसके रं ग और च ह इतने चटक ले और आकषक थे क वैसे
कृ त म पाए ह नह ं जाते ह। जब इस मॉडल को तत लय के बीच रखा गया तो
सभी नर तत लय ने इसी मॉडल के साथ संपक करना चाहा। वा त वक तत लय
पर उनका यान ह नह ं गया । पोन भी काफ कुछ ऐसा ह है

पहला झठ
ू -

पोन कसी क यि तगत पसंद है , इससे उसके साथी पर कोई फक नह ं पड़ता।


जबक स य इसका उ टा है । जब यि त पोन का आद हो जाता है तो वो
वा त वक जीवन साथी के साथ लगाव का अनभ ु व नह ं करता है । और से स से
संबं धत कई कार के मान सक रोगो से पी ड़त हो जाता है ।

दस
ू रा झूठ -

आप जो दस मनट का पोन दे खते ह उसको रकॉड करने म कई दन से लेकर कई


स ताह का समय लगता है । ले कन आप इसको ब कुल नजर अंदाज कर दे ते ह।
कई सारे कैमरे ,कई लाि टक सजन, मेक अप आ ट ट, डायरे टर, और वशेष
ए ड टंग के बाद ह पोन आपके सामने आता है । फर भी आप उसी जैसा वा त वक
जीवन म ढूंढ़ते ह।

पोन से से स सीखना -

ये ब कुल ह ऐसा है जैसे टं ट बाइकस को दे खकर मोटर साइ कल चलाना


सीखना।

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अनेक मान सक रोग का ज म -

१- पोन क लत म पड़ा हुआ मनु य धीरे धीरे इस कार प रव तत होने लगता है क


वह हर ी चाहे वह अपनी प रवार क सद य , सगे संबंधी और म ो आ द म भी
अपनी पोन क क पनाएं गढ़ता रहता है । और कभी कभी उ ह कर भी बैठता है ।

२-जब वा त वक द ु नया म यि त को पोन जैसा सख ु नह ं मलता है तो यि त


धीरे धीरे पोन और का प नक द ु नया म ह जीने लगता है । उसका दो तो , प रवार
वालो और सगे संबं धय से संपक ख़तम होता जाता है । और अंत म वो द ु नया म
अकेला महसस ू करने लगता है । कभी कभी आ मह या जैसे काय भी कर लेता है ।
३-कुछ लोग इंटरनेट क द ु नया म ह इतने खो जाते ह क उनको वा त वक से स
से घणृ ा होने लगती है

४-आजकल इतनी कम उ के ब च क पहुंच म पोन आ चक ु ा है , िजस उ म उ ह


सह गलत क यादा पहचान नह ं होती है । अनेक कार के हंसक पोन और
अमानवीय पोन कं यटू र ा फ स के ज रए बनाए जाते ह। िजनको सह समझकर
ब चो म मार पीट लड़ाई झगड़ा आ द को सामा य समझने क गलती कर बैठते ह।

५-परु ाने समय म िजस दास था का अंत कया गया , आज वह दास था से स


ै फ कंग के प म सामने आरह है । िजसको शु करने और बढ़ाने के लए पोन
ह िज मेदार है । और से स दासो के साथ या या करना है ये पोन से ह सीखते ह।
य क कोई भी वतं यि त उन अमानवीय कृ य को सहन नह ं कर सकता है ।

६-पोन म कस कार क सामािजक बरु ाई या आपरा धक व ृ त छुपी हुई है , इसको


यि त समझ नह ं पता है , और यि त का दमाग उस चीज को साधारण प से
लेता है । अनेक पोन म औरत के साथ मार पीट , टॉचर ,उनको ताड़ना, गाल
गलौज होते ह और रोती बलखती औरत के साथ से स दखाया जाता है ।

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७-यह समाज के सोचने समझने और काय करने के तर क को बरु तरह से भा वत


कर रहा है । इसके साथ ह सगरे ट, शराब आ द , सोते हुए लोगो के साथ से स आ द
बरु ाइय को भी पोन के मा यम से समाज म बढ़ाया जा रहा है ।

८-पोन दे खकर आप एक ऐसे उ योग को बढ़ावा दे रहे ह जहां अनेक ि य के साथ


बना उनक अनम ु त के अनेक नदयता पव
ू क कृ य कए जाते ह। कई एक फ म
के रकॉ डग के बाद अनेक दन आराम पर रहती ह , तो कइय को अ पताल म
ह त इलाज क ज रत पड़ जाती है । ले कन दे खने वालो को केवल पोन दखाई दे ता
है ।

भारत जैसे ाचीन मापरा वाले दे श क सं कृ त ह मट सकती है । आशा है क


आप इस नक को इ छा परू क यागकर अपना , अपने प रवार और अपने रा का
क याण करगे।

ध यवाद
१. फाइट द यू ग सं था वारा का शत पोन संबंधी ववरण का योग कया
गया है ।
२. पु तक मचय व ान ( ी जग नरायन दे व शमा)
३. पु तक मचय साधन ( आचाय चतरु सेन शा ी)
३. पु तक मचय संदेश ( पं डत स य त स धांतालंकार)

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