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स्पार्क प्रोजेक्ट

अव्यक्त पालना र्ा रिटनक

सर्क शक्क्त संपन्न क्स्ितत

र्ृतत
( संर्लन )
स्पार्क (SpARC)
1
स्पार्क (SpARC – Spiritual Applications Research Centre)

ु ंधान प्रभाग ( Researvh Wing ) है, जो कर् दे श तथा


स्पार्क (SpARC) एर् अनस

विदे श र्े अनेर् स्थनों पर र्ार्क र्र रहा है। स्पार्क (SpARC) शब्द र्ा विस्तार ( Full

form ) Spiritual Applications Research Centre है और इसर्ा लक्ष्र् है विश्ि

नि-ननर्ाकण र्े र्ार्क र्े अध्र्ात्र् एिं विज्ञान र्ो एर्-दस


ु रे र्ा सह्र्ोगी बनाना। इसी लक्ष्र्-
पूनतक र्े ललए स्पार्क र्नन-चचंतन और विचार सागर र्ंथन र्े द्िारा ईश्िरीर् ज्ञान र्ो
िैज्ञाननर् पष्ठृ ्भूलर् और विज्ञान र्े विरोधोक्तत र्ुतत शाखाओं र्ो आध्र्ाक्त्र्र् पष्ठृ ्भूलर्
प्रदान र्रते हुए दोनों र्ो एर्-दस
ु रे र्े सर्ीप लार्र आपस र्े लर्लर्र र्ार्क र्रने र्े ललए
तैर्ार र्र रहा है।
इस र्ार्क र्े तीव्र गनत र्े अग्रेसर होने र्े ललए तथा जीिन र्े सर्स्त पह्लुओ र्े
आध्र्ाक्त्र्र्ता र्ा प्रर्ोग और उपर्ोग से प्राप्त पररणर्ो र्ो सर्वर्ाकन्र् बनाने र्े ललए

प्रभािशाली विचध, साधन और तर्नीर् र्ा विर्ास र्रने आदद र्ार्क र्े स्पार्क सर्क प्रर्ाि र्े

अनस
ु ंधानों र्ो प्रोत्साहित र्िता िै।

लोर्ल चैप्टि –
स्पार्क र्ी गनतविचधर्ों र्ो और अचधर् गनतशील बनाने र्े ललए दे श-विदे श र्े स्पार्क

र्े लोर्ल चैप्टसक चल रहे है। एर् अथिा एर् से अचधर् सेिार्ेन्र, शहर, राज्र् अथिा दे श

र्े 5 से अचधर् बी.र्े. भाई-बह्नों र्े सर्ह


ू जब लर्लर्र स्पार्क र्े गनतविचध र्ो र्ार्ाकक्न्ित

र्रते है उसे स्पार्क लोर्ल चैप्टर ( Local Chapter ) र्हा जाता है। कर्सी भी स्थान

पर लोर्ल चैप्टर शुरु र्रने र्े ललए र्ह आिश्र्र् है कर् उस स्थान र्े सेिार्ेन्र र्ी प्रभारी
बहन र्ी स्िीर्ृनत से सेिार्ेन्र पर 5 से अचधर् भाई-बहनों र्ा एर् ग्रुप तैर्ार कर्र्ा जाए।

सभी भाई-बहने सप्ताह र्े, 15 ददन र्े र्ा र्ास र्े र्र् से र्र् एर् बार आपस र्े लर्ल्र्र

ईश्िरीर् ज्ञानबबन्द ु पर रुह-ररहान, विचार-सागर र्ंथन र्रे तथा र्ार्यशाकला और पररचचाक आदद

र्ार्कक्रर् र्ा आर्ोजन र्रे । ब्र.र्ु. भाई-बहनों र्े आध्र्ाक्त्र्र् उन्ननत र्े साथ-साथ अन्र्
आत्र्ाओं र्ी सेिा र्रने र्े ललए निीन विचधर्ों र्ा ननर्ाकण र्र सर्ें।

2
प्रस्तार्ना
सिकशक्ततर्ों से सम्पन्न-र्त
ू क तर्ा स्िर्ं र्ो अनुभि र्रते हो ? बापदादा द्िारा इस श्रेष्ठठ
जन्र् र्ा िसाक तर्ा प्राप्त हो गर्ा है ? र्से र्े अधधर्ािी अिाकत सर्कशक्क्तयों र्े अधधर्ािी
बनना, सर्कशक्क्तयों र्े अधधर्ािी अिाकत मास्टि सर्कशक्क्तर्ान ् बने िो ? र्ास्टर
सिकशक्ततिान ् बनने से जो प्राक्प्त स्िरूप अनुभि र्रते हो तर्ा उसी अनुभि र्ें ननरन्तर
क्स्थत रहते हो िा इसर्ें अन्तर रहता है ?

जब इस विनाश र्ी आग चारो ओर लगेगी, उस सर्र् आप श्रेष्ठठ आत्र्ाओं र्ा पहला-पहला


र्तकर्वर् र्ौन-सा है ? शाक्न्त र्ा दान अिाकत शीतलता र्ा जल देना। पानी डालने र्े बाद
किर तर्ा-तर्ा र्रते हैं ? क्जसर्ो जो र्ुछ आिश्र्र्ता होती है िह उन र्ी आिश्र्र्ताएं
पूणक र्रते हैं। कर्सी र्ो आरार् चादहए, कर्सी र्ो दठर्ाना चादहए, र्तलब क्जसर्ी जैसी
आिश्र्र्ता होती है िही पूरी र्रते हैं। आप लोगों र्ो र्ौन-सी आिश्र्र्ताएं पूणक र्रनी
पड़ेंगी, िह जानते हो ? उस समय ििे र् र्ो अलग-अलग शक्क्त र्ी आर्श्यर्ता िोगी। कर्सी
र्ो सिनशक्क्त र्ी आर्श्यर्ता, कर्सी र्ो समेटने र्ी शक्क्त र्ी आर्श्यर्ता, कर्सी र्ो
तनर्कय र्िने र्ी शक्क्त र्ी आर्श्यर्ता औि कर्सी र्ो अपने आप र्ो पिखने र्ी शक्क्त र्ी
आर्श्यर्ता िोगी। कर्सी र्ो मुक्क्त र्े हिर्ाने र्ी आर्श्यर्ता िोगी। भिन्न-भिन्न शक्क्तयों
र्ी उन आत्माओं र्ो उस समय आर्श्यर्ता िोगी। बाप र्े परिचय द्र्ािा एर् सेर्ेण्ड में
अशान्त आत्माओं र्ो शान्त र्िाने र्ी शक्क्त िी उस समय आर्श्यर् िै। िह अभी से ही
इर्ट्ठी र्रनी होगी। नहीं तो उस सर्र् लगी हुई आग से र्ैसे बचा सर्ेंगे ? जी-दान र्ैसे दे
सर्ेंगे ? र्ह अपने-आप र्ो पहले से ही तैर्ारी र्रने र्े ललए दे खना पड़ेगा।

सफलता र्ा मुख्य आधाि िै - पिखने र्ी शक्क्त। जब पिखने र्ी शक्क्त िोगी तो िी अन्य
शक्क्तयों से िी र्ायक ले सर्ती िो।

अपनी हर शक्तत र्े स्टॉर् र्ो चेर् र्रो। क्जनर्े पास शक्क्तयों र्ा स्टॉर् जमा िै र्िी
लक्र्ी स्टासक र्े रूप में वर्श्र् र्ी आत्माओं र्े बीच चमर्ते िुये नजि आयेंगे।

जो बालर् सो माभलर् िै उनमें िी सर्कशक्क्तयााँ िोंगी। एर् शक्क्त र्ी िी र्मी निीं। अगर
एर् भी शक्तत र्र् रही तो शक्ततिान र्हें गे, सिकशक्ततिान नहीं।

सर्कशक्क्तर्ान अिाकत जो चािे र्ि र्ि सर्े, िि र्मेक्न्िय अपने र्ंट्रोल में िो। संर्ल्प कर्या
औि िुआ, तर्ोंकर् र्ास्टर हैं ना ! तो आप सब स्िराज्र् अचधर्ारी हो ना ! पहले स्ि-राज्र्
किर विश्ि र्ा राज्र्।

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सर्क क्श्क्त सम्पन्न ( पार्िफुल)

कर्तनी शक्ततर्ां होती है ? र्ालूर् हैं ? र्ौन सी शक्ततर्ां सुनाई थीं ? एर् है स्नेह
शक्तत, सम्बन्ध शक्तत, सहर्ोग शक्तत, सहन शक्तत। र्ह चार शक्ततर्ााँ हैं, तो संबंद सर्ीप
है। चारों सर्ान हों। ज्र्ादा साहस है ि सहन शक्तत है ? साहस अथाकत दहम्र्त। जो दहम्र्त
िाले होते हैं उनर्ो र्दद लर्लती है। र्दद र्ांगने से नहीं लर्लती। दहम्र्त रखनी पड़ती है।
दहम्र्त पुरी रखते हैं र्दद बहुत लर्लती है। दहम्र्त है तो सिक बातों र्ें र्दद है। सदै ि
दहम्र्तिान बनना है किर बापदादा, दै िी पररिार र्ी र्दद आपे ही लर्लेगी। स्नेहर्ूतक हो ?
शक्ततर्ूतक हो ? स्नेह और शक्तत दोनों र्ी आिश्र्र्ता है। शक्ततरूप से विजर्ी और स्नेह
रूप से सम्बन्ध र्ें आते हो। अगर शक्तत नहीं होती तो र्ार्ा पर विजर् नहीं पाते हो।
इसललए शक्तत रूप से विजर्ी और स्नेह रूप से सम्बन्ध भी चादहए। दोनों चादहए। बाप र्ो
सिकशक्ततर्ान और प्र्ार र्ा सागर भी र्हते दहं। तो स्नेह और शक्तत दोनों चादहए।
आप लोग तो बैर्बोन हो। तो बापदादा र्े र्तकर्वर् र्ो प्रत्र्क्ष र्रने र्ी र्ह भुजाएं हैं। र्ालर्

है कर् भुजाओं र्ें तर्ा-तर्ा अलंर्ार होते हैं ? बापदादा र्ी भुजाएं अलंर्ारधारी हैं। तो अपने
आप से पूछो कर् हर् भुजाएं अलंर्ारधारी हैं ? र्ौन-र्ौन से अलंर्ार धारण कर्र्े हुए र्ैदान
पर उपक्स्थत हो ? सिक अलंर्ारों र्ो जानते हो ना ? तो अलंर्ारधारी भुजाएं हो ?
अलंर्ारधारी शक्ततर्ां ही बापदादा र्ा शो र्रती हैं। शक्ततर्ों र्ी भुजाएं र्भी भी खली नहीं
ददखाते। अलंर्ार र्ार्र् होंगे तो ललर्ार होगी। तो बापदादा आज तर्ा दे ख रहे है ? एर्-
एर् भुजा र्े अलंर्ार और रफ़्तार। शक्ततर्ों र्ा र्ुख्र् गुण तर्ा है ? इस ग्रुप र्ें एर्
शक्ततपन र्ा पहला गुण ननभकर्ता और दस
ू रा विस्तार र्ो एर् सेर्ंड र्ें सर्ेटने र्ी र्ुक्तत
भी लसखाना। एर्ता और एर्रस। अनेर् संस्र्ारों र्ो एर् संस्र्ार र्ैसे बनार्ें।
सर्ेटना और सर्ाना आता है ? सर्ेटना और सर्ाना र्ह जादग
ू री र्ा र्ार् है। जादग
ू र लोग
र्ोई भी चीज़ र्ो सर्ेट र्र भी ददखाते, सर्ार्र भी ददखाते। इतनी बड़ी चीज़ छोटी र्ें भी
सर्ार्र ददखाते। र्ही जादग
ू री सीखनी है। प्रैक्तटस र्ह र्रो। विस्तार र्ें जाते किर िहां ही
सर्ाने र्ा परु
ु षाथक र्रो। क्जस सर्र् दे खो कर् बवु ि बहुत विस्तार र्ें गई हुई है उस सर्र्
र्ह अभ्र्ास र्रो। इतना विस्तार र्ो सर्ा सर्ते हो ? तब आप बाप र्े सर्ान बनेंगे। बाप
र्ो जादग
ू र र्हते हैं ना। तो बच्चे तर्ा हैं ? शीतल स्िरुप और ज्र्ोनत स्िरुप, दोनों ही
स्िरुप र्ें क्स्थत होना आता है ? अभी-अभी ज्र्ोनत स्िरुप, अभी-अभी शीतल स्िरुप। जब
दोनों स्िरुप र्ें क्स्थत होना आता है। तब एर्रस क्स्थनत रह सर्ती है। दोनों र्ी सर्ानता
चादहए र्ही ितकर्ान पुरुषाथक है।
सहर्ोग और स्नेह र्े साथ अभी शक्तत भरनी है। अभी शक्ततरूप बनना है। शक्ततर्ों र्ें
विशेष र्ौन सी शक्तत भरनी है ? सहनशक्तत। क्जसर्े सहन शक्तत र्र् उसर्े सम्पूणकता भी
र्र्। विशेष इस शक्तत र्ो धारण र्रर्े शक्तत स्िरुप बन जाना है। तप्ृ त आत्र्ा जो होती है

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उनर्ा विशेष गुण है ननभकर्ता और संतुष्ठट रहना। जो स्िर्ं संतुष्ठट रहता है और दस
ू रों र्ो
संतष्ठु ट रखता है उसर्े सिकगण
ु आ जाते हैं। क्जतना-क्जतना शक्ततस्िरुप होंगे तो र्र्जोरी
सार्ने रह नहीं सर्ती। तो शक्ततरूप बनर्र जाना। ब्रह्र्ार्ुर्ारी भी नहीं, र्ुर्ारी रूप र्ें
र्हााँ-र्हााँ र्र्जोरी आ जाती है। शक्तत-रूप र्ें संहार र्ी शक्तत है। शक्तत सदै ि विजर्ी है।
शक्ततर्ों र्े गले र्ें सदै ि विजर् र्ी र्ाला होती है । शक्तत-रूप र्ी विस्र्नृ त से विजर् भी दरू
हो जाती है इसललए सदा अपने र्ो शक्तत सर्झना।

( 05-04-70 )

सिक पाण्डि अपने र्ो तर्ा र्हलाते हो ? ऑलर्ाइटी गॉड फ़ादर र्े बच्चे र्हलाते हो ना। तो
अर्वर्तत बनने र्े ललए र्ुख्र् र्ौन सी शक्ततर्ों र्ो अपने र्ें धारण र्रना है ? तब ही जो
लक्ष्र् रखा है िह पूणक हो सर्ेगा। भट्ठी से र्ुख्र् र्ौन सी शक्ततर्ों र्ो धारण र्र र्े जाना
है, िह बताते हैं। हैं तो बहुत लेकर्न र्ुख्र् एर् तो सहन शक्तत चादहए, परखने र्ी शक्तत
चादहए और विस्तार र्ो छोटा र्रने र्ी और किर छोटे र्ो बड़ा र्रने र्ी भी शक्तत चादहए।
र्हााँ विस्तार र्ो र्र् र्रना पड़ता है और र्हााँ विस्तार भी र्रना पड़ता है। सर्ेटने र्ी
शक्तत, सर्ाने र्ी शक्तत, सार्ना र्रने र्ी शक्तत और ननणकर् र्रने र्ी भी शक्तत चादहए।
इन सबर्े साथ-साथ सिक र्ो स्नेह और सहर्ोगी बनाने र्ी अथाकत सिक र्ो लर्लाने र्ी भी
शक्तत चादहए। तो र्ह सभी शक्ततर्ां धारण र्रनी पड़े। तब ही सभी लक्षण पूरे हो सर्ते हैं।
हो सर्ते भी नहीं लेकर्न होना ही है। र्रर्े ही जाना है। र्ह ननश्चर्बुवि र्े बोल हैं। इसर्े
ललए एर् बात विशेष है। रूहाननर्त भी धारण र्रनी है और साथ-साथ ईश्िरीर् रूहाब भी हो।
र्ह दो बातें धारण र्रना है और एर् बात छोड़ना है। िह र्ौन-सी ? र्हााँ अपने र्ें िैथ न
होने र्े र्ारण र्ई र्ार्क र्ो लसि नहीं र्र सर्ते हैं। इसललए र्हते हैं नीचपना छोड़ना है।
रौब र्ो भी छोड़ना है। दस
ू रा जो लभन्न-लभन्न रूप बदलते हैं, र्ब र्ैसा, र्ब र्ैसा, तो िह
लभन्न-लभन्न रूप बदलना छोड़र्र एर् अर्वर्तत और अलौकर्र् रूप भट्ठी से धारण र्रर्े
जाना है।

( 27-07-70 )

र्ास्टर सिकशक्ततर्ान बने हो ? र्ास्टर सिकशक्ततर्ान अथाकत िीललंग से परे । सभी बातों र्ें
िुल। नॉलेजिुल। सभी शब्दों र्े वपछाड़ी र्ें िुल आता है। तो क्जतना िुल बनते जार्ेंगे
उतना िीललंग र्ा फ्लो िा फ्लू र्ह ख़त्र् हो जार्ेगा। फ्लोलेस र्ो िुल र्हा जाता है। सभी
र्ास्टर सिकशक्ततर्ान हो ? क्जन्होंने हाथ नहीं उठार्ा है िे भी र्ास्टर सिकशक्ततर्ान हैं।
तर्ोंकर् सिकशक्ततर्ान बाप र्ो अपना बना ललर्ा है। सिकशक्ततर्ान बाप र्ो सिक सम्बन्ध से
अपना बनार्ा है। र्ही र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्ी शक्तत है। तो सिकशक्ततर्ान र्ो सिक

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सम्बन्ध से अपना बनार्ा है ? जब इतना बड़े से बड़ा प्रत्र्क्ष प्रर्ाण है किर तर्ों नहीं अपने
र्ो जानते और र्ानते हो। र्ह प्रत्र्क्ष प्रर्ाण सदै ि सार्ने रहे तो र्ार्ाजीत बहुत सरल रीनत
बन सर्ते हो। जब सिक सम्बन्ध एर् र्े साथ जट
ु गए तो और बात रही ही तर्ा। जब र्ुछ
रहता ही नहीं तो बवु ि जाएगी र्हााँ। अगर बवु ि इधर-उधर जाती है तो लसि होता है कर् सिक
सम्बन्ध एर् र्े साथ नहीं जोड़े हैं। जोड़ने र्ी ननशानी है अनेर्ों से टूट जाना। र्ोई दठर्ाना
ही नहीं तो बवु ि र्हााँ जाएगी। और सभी दठर्ाने टूट जाते हैं। एर् से जट
ु जाता है। किर र्ह
जो र्म्पलेन है कर् बवु ि र्हााँ-िहााँ दौडती है िह बन्द हो जाएगी।

( 30-11-70 )

आज बापदादा ितकर्ान और भविष्ठर् दोनों र्ाल र्े राज्र् अचधर्ारी अथाकत विश्ि र्ल्र्ाणर्ारी
और विश्ि र्े राज्र् अचधर्ारी दोनों ही रूप र्ें बच्चों र्ो दे ख रहे हैं। क्जतना-क्जतना विश्ि-
र्ल्र्ाणर्ारी उतना ही विश्ि राज्र् अचधर्ारी बनते हैं। इन दोनों अचधर्ारों र्ो प्राप्त र्रने
र्े ललए विशेष स्ि-पररितकन र्ी शक्तत चादहए। उस ददन भी सुनार्ा था कर् पररितकन शक्तत
र्ो अर्त
ृ िेले से लेर्र रात तर् र्ैसे र्ार्क र्ें लगाओ।
पहला पररितकन – आाँख खुलते ही र्ैं शरीर नहीं आत्र्ा हूाँ, र्ह है आदद सर्र् र्ा आदद
पररितकन संर्ल्प, इसी आदद संर्ल्प र्े साथ सारे ददन र्ी ददनचर्ाक र्ा आधार है। अगर
आदद संर्ल्प र्ें पररितकन नहीं हुआ तो सारा ददन स्िराज्र् िा विश्ि-र्ल्र्ाण र्ें सिल नहीं
हो सर्ेंगे। आदद सर्र् से पररितकन शक्तत र्ार्क र्ें लाओ। जैसे सक्ृ ष्ठट र्े आदद र्ें ब्रह्र् से
दे ि-आत्र्ा सतोप्रधान आत्र्ा पाटक र्ें आर्ेगी, ऐसे हर रोज़ अर्त
ृ िेला आददर्ाल है। इसललए
इस आददर्ाल र्े सर्र् उठते ही पहला संर्ल्प र्ाद र्ें ब्राह्र्ण आत्र्ा पधारे – बाप से
लर्लन र्नाने र्े ललए। र्ही सर्थक संर्ल्प, श्रेष्ठठ संर्ल्प, श्रेष्ठठ बोल, श्रेष्ठठ र्र्क र्ा आधार
बन जार्ेगा। पहला पररितकन – “र्ैं र्ौन !” तो र्ही िाउं डेशन पररितकन शक्तत र्ा आधार है।
इसर्े बाद – दसू रा पररितकन "र्ैं कर्सर्ा हूाँ" सिक सम्बन्ध कर्ससे हैं। सिक प्राक्प्तर्ां कर्ससे हैं
! पहले दे ह र्ा पररितकन किर दे ह र्े सम्बन्ध र्ा पररितकन , किर सम्बन्ध र्े आधार पर
प्राक्प्तर्ों र्ा पररितकन – इस पररितकन र्ो ही सहज र्ाद र्हा जाता है। तो आदद र्ें पररितकन
शक्तत र्े आधार पर अचधर्ारी बन सर्ते हो।
अर्तृ िेले र्े बाद अपने दे ह र्े र्ार्कक्रर् र्रते हुए र्ौन-से पररितकन र्ी आिश्र्र्ता है
? क्जससे ननरं तर सहजर्ोगी बन जार्ेंगे। सदा र्ह संर्ल्प रखो – “कर् र्ैं चैतन्र् सिकश्रेष्ठठ
र्नू तक हूाँ और र्ह र्क्न्दर है , चैतन्र् र्नू तक र्ा र्ह दे ह चैतन्र् र्क्न्दर है। र्क्न्दर र्ो सजा रहे
हैं। इस र्क्न्दर र्ा अन्दर स्िर्ं बापदादा र्ी वप्रर् र्नू तक विराजर्ान है। क्जस र्नू तक र्े गण ु ों
र्ी र्ाला स्िर्ं बापदादा लसर्रण र्रते हैं। क्जस र्ूनतक र्ी र्दहर्ा स्िर्ं बाप र्रते हैं। ऐसी
विशेष र्नू तक र्ा विशेष र्क्न्दर है।” क्जतनी र्नू तक िैल्र्ए
ु बल होती है र्नू तक र्े आधार पर
र्क्न्दर र्ी भी िैल्र्ू होती है। तो पररितकन तर्ा र्रना है ? र्ेरा शरीर नहीं लेकर्न बापदादा

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र्ी िैल्र्ुएबल र्ूनतक र्ा र्ह र्क्न्दर है। स्िर्ं ही र्ूनतक स्िर्ं ही र्क्न्दर र्ा ट्रस्टी बन र्क्न्दर
र्ो सजाते रहो। इस पररितकन संर्ल्प र्े आधार पर र्ेरापन अथाकत दे हभान पररितकन हो
जार्ेगा।
इसर्े बाद – अपना गोडली स्टूडेन्ट रूप सदा स्र्नृ त र्ें रहे । इसर्ें विशेष पररितकन संर्ल्प
र्ौन-सा चादहए ? क्जससे हर सेर्ण्ड र्ी पढ़ाई हर अर्ल्
ू र् बोल र्ी धरणा से हर सेर्ण्ड
ितकर्ान और भविष्ठर् श्रेष्ठठ प्रालब्ध बन जार्े। इसर्ें सदा र्ह पररितकन संर्ल्प चादहए कर् र्ैं
साधारण स्टूडेन्ट नहीं, साधारण पढ़ाई नहीं लेकर्न डार्रे तट बाप रोज दरू दे श से हर्र्ो पढ़ाने
आते हैं। भगिान र्े िशकन्स हर्ारी पढ़ाई है। श्री-श्री र्ी श्रीर्त हर्ारी पढ़ाई है। क्जस पढ़ाई
र्ा हर बोल पद्मों र्ी र्र्ाई जर्ा र्राने िाला है। अगर एर् बोल भी धारण नहीं कर्र्ा तो
बोल लर्स नहीं कर्र्ा लेकर्न पद्मों र्ी र्र्ाई अनेर् जन्र्ों र्ी श्रेष्ठठ प्रालब्ध िा श्रेष्ठठ पद र्ी
प्राक्प्त र्ें र्र्ी र्ी। ऐसा पररितकन संर्ल्प ‘भगिान ् बोल रहे हैं’, हर् सन
ु रहे हैं। र्ेरे ललर्े
बाप टीचर बनर्र आर्े हैं। र्ैं स्पेशल लाडला स्टूडेन्ट हूाँ – इसललए र्ेरे ललए आर्े हैं। र्हााँ से
आर्े हैं, र्ौन आर्े हैं, और तर्ा पढ़ा रहे हैं ? र्ही पररितकन श्रेष्ठठ संर्ल्प रोज़ तलास र्े
सर्र् धारण र्र पढ़ाई र्रो। साधारण तलास नहीं , सुनाने िाले र्वर्क्तत र्ो नहीं दे खो।
लेकर्न बोलने िाले बोल कर्सर्े हैं, उसर्ो सार्ने दे खो। र्वर्तत र्ें अर्वर्तत बाप और
ननरार्ारी बाप र्ो दे खो। तो सर्झा – तर्ा पररितकन र्रना है। आगे चले – पढ़ाई भी पढ़
ली – अभी तर्ा र्रना है ? अभी सेिा र्ा पाटक आर्ा। सेिा र्ें कर्सी भी प्रर्ार र्ी सेिा चाहे
प्रिक्ृ त्त र्ी, चाहे र्वर्िहार र्ी, चाहे ईश्िरीर् सेिा, प्रिक्ृ त्त चाहे लौकर्र् सम्बन्ध
हो, र्र्कबन्धन र्े आधार से सम्बन्ध हो लेकर्न प्रिक्ृ त्त र्ें सेिा र्रते पररितकन संर्ल्प र्ही
र्रो – र्रजीिा जन्र् हुआ अथाकत लौकर्र् र्र्कबन्धन सर्ाप्त हुआ। र्र्कबन्धन सर्झ र्र
नहीं चलो। र्र्कबन्धन, र्र्कबन्धन सोचने और र्हने से ही बन्ध जाते हो। लेकर्न र्ह
लौकर्र् र्र्कबन्धन र्ा सम्बन्ध अब र्रजीिे जन्र् र्े र्ारण श्रीर्त र्े आधार पर सेिा र्े
सम्बन्ध र्ा आधार है। र्र्कबन्धन नहीं, सेिा र्ा सम्बन्ध है। सेिा र्े सम्बन्ध र्ें िैरार्टी
प्रर्ार र्ी आत्र्ाओं र्ा ज्ञान धारण र्र, सेिा र्ा सम्बन्ध सर्झ र्रर्े चलेंगे तो बन्धन र्ें
तंग नहीं होंगे। लेकर्न अनत पाप आत्र्ा, अनत अपर्ारी आत्र्ा, बगुले र्े ऊपर भी निरत
नहीं, घण
ृ ा नहीं, ननरादर नहीं लेकर्न विश्ि-र्ल्र्ाणर्ारी क्स्थनत र्ें क्स्थत हो रहर्ददल बन
तरस र्ी भािना रखते हुए सेिा र्ा सम्बन्ध सर्झर्र सेिा र्रें गे और क्जतने होपलेस र्ेस
र्ी सेिा र्रें गे तो उतने ही प्राइस र्ा अचधर्ारी बनेंगे। नालर्ग्रार्ी विश्ि-र्ल्र्ाणर्ारी गार्े
जार्ेंगे। पीसर्ेर्र र्ी प्राइस लेंगे। तो प्रिक्ृ त्त र्ें र्र्कबन्धन र्े बजाए सेिा र्ा सम्बन्ध है –
र्ह पररितकन संर्ल्प र्रो। लेकर्न सेिा र्रते-र्रते अटै चर्ेंट र्ें नहीं आ जाना। र्भी
डॉतटर भी पेशेन्ट र्ी अटै चर्ेंट र्ें आ जाते हैं।
सेिा र्ा सम्बन्ध अथाकत त्र्ाग और तपस्िी रूप। सच्ची सेिा र्े लक्षण र्ही त्र्ाग और
तपस्र्ा है। ऐसे ही र्वर्िहार र्ें भी डार्रे तशन प्रर्ाण ननलर्त्त र्ात्र शरीर ननिाकह लेकर्न र्ल

आधार आत्र्ा र्ा ननिाकह, शरीर ननिाकह र्े पीछे आत्र्ा र्ा ननिाकह भल
ू नहीं जाना चादहए।

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र्वर्िहार र्रते शरीर ननिाकह और आत्र् ननिाकह दोनों र्ा बैलेंस हो। नहीं तो र्वर्िहार र्ार्ा
जाल बन जार्ेगा। ऐसी जाल जो क्जतना बढ़ाते जार्ेंगे उतना िंसते जार्ेंगे। धन र्ी िवृ ि
र्रते हुए भी र्ाद र्ी विचध भल
ू नी नहीं चादहए। र्ाद र्ी विचध और धन र्ी िवृ ि दोनों साथ-
साथ होना चादहए। धन र्ी िवृ ि र्े पीछे विचध र्ो छोड़ नहीं दे ना है। इसर्ो र्हा जाता है
लौकर्र् स्थल
ू र्र्क भी र्र्कर्ोगी र्ी स्टे ज र्ें पररितकन र्रो। लसिक र्र्क र्रनेिाले नहीं लेकर्न
र्र्कर्ोगी हो। र्र्क अथाकत र्वर्िहार र्ोग अथाकत परर्ाथक। परर्ाथक अथाकत परर्वपता र्ी सेिा
अथक र्र रहे हैं। तो र्वर्िहार और परर्ाथक दोनों साथ-साथ रहे । इसर्ो र्हा जाता है श्रीर्त
पर चलनेिाले र्र्कर्ोगी। र्वर्िहार र्े सर्र् पररितकन तर्ा र्रना है ? र्ैं लसिक र्वर्िहारी नहीं
लेकर्न र्वर्िहारी और परर्ाथी अथाकत जो र्र रहा हूाँ िह ईश्िरीर् सेिा अथक र्र रहा हूाँ।
र्वर्िहारी और परर्ाथी र्म्बाइन्ड हूाँ। र्ही पररितकन संर्ल्प सदा स्र्नृ त र्ें रहे तो र्न और
तन डबल र्र्ाई र्रते रहें गे। स्थलू धन भी आता रहे गा। और र्न से अविनाशी धन भी
जर्ा होता रहे गा। एर् ही तन द्िारा एर् ही सर्र् र्न और धन र्ी डबल र्र्ाई होती
रहे गी। तो सदा र्ह र्ाद रहे कर् डबल र्र्ाई र्रने िाला हूाँ। इस ईश्िरीर् सेिा र्ें सदा
ननलर्त्त र्ात्र र्ा र्न्त्र िा र्रनहार र्ी स्र्नृ त र्ा संर्ल्प सदा र्ाद रहे । र्रािनहार भल
ू े
नहीं। तो सेिा र्ें सदा ननर्ाकण ही ननर्ाकण र्रते रहें गे।
और आगे चलो – र्ोई भी पुरानी दनु नर्ा र्े आर्षकणर्र् दृश्र् अल्प र्ाल र्े सुख र्े साधन
र्ूज़ र्रते हो िा दे खते हो तो उन साधनों िा दृश्र् र्ो दे ख र्हााँ-र्हााँ साधना र्ो भूल साधन
र्ें आ जाते हो। साधनों र्े िशीभूत हो जाते हो। साधनों र्े आधार पर साधना – ऐसे सर्झो
जैसे रे त र्े िाउं डेशन र्े ऊपर बबक्ल्डंग खड़ी र्र रहे हो। उसर्ा तर्ा हाल होगा ? बार-बार
हलचल र्ें डगर्ग होंगे। चगरा कर् चगरा र्ही हालत होगी। इसललए र्ही पररितकन र्रो कर्
साधन विनाशी और साधना अविनाशी। विनाशी साधन र्े आधार पर अविनाशी साधना हो
नहीं सर्ती। साधन ननलर्त्त र्ात्र हैं, साधना ननर्ाकण र्ा आधार है। तो साधन र्ो र्हत्ि
नहीं दो साधना र्ो र्हत्ि दो। तो सदा र्े सर्झो कर् र्ैं लसवि स्िरुप हूाँ न कर् साधन
स्िरुप। साधना लसवि र्ो प्राप्त र्राएगी। साधनों र्ी आर्षकण र्ें लसवि स्िरुप र्ो नहीं भूल
जाओ। हर लौकर्र् चीज़ र्ो दे ख, लौकर्र् बातों र्ो सुन, लौकर्र् दृश्र् र्ो दे ख, लौकर्र् र्ो
अलौकर्र् र्ें पररितकन र्रो अथाकत ज्ञान स्िरुप हो हर बात से ज्ञान उठाओ। बात र्ें नहीं
जाओ, ज्ञान र्ें जाओ तो सर्झा, तर्ा पररितकन र्रना है।
और आगे चलो – अभी बार्ी तर्ा रह गर्ा ! अभी सोना रह गर्ा। सोना अथाकत सोने र्ी
दनु नर्ा र्ें सोना। सोने र्ो भी पररितकन र्रो। बेड पर नहीं सोओ। लेकर्न र्हााँ सोर्ेंगे। बाप
र्ी र्ाद र्ी गोदी र्ें सोर्ेंगे। िररश्तों र्ी दनु नर्ा र्ें स्िप्नों र्ें सैर र्रो तो स्िप्न भी
पररितकन र्रो और सोना भी पररितकन र्रो। आदद से अन्त तर् पररितकन र्रो। सर्झा –
र्ैसे पररितकन शक्तत र्ूज़ र्रो।
इस नए िषक र्ी सौगात पररितकन शक्तत र्ी सौगात है। स्ि पररितकन और विश्ि पररितकन र्ी
इसी चगफ्ट र्ी ललफ्ट से विश्ि र्े पररितकन र्ा सर्र् सर्ीप लार्ेंगे। नर्े साल र्ी र्ुबारर्

8
तो सब दे ते हैं लेकर्न बापदादा नए िषक र्ें सदा तीव्र पुरुषाथी बनने र्ी निीनता र्ी इन-
एडिांस र्ब
ु ारर् दे रहे हैं। नर्ा िषक, नए संस्र्ार, नर्ा स्िभाि, नर्ा उर्ंग – उत्साह, विश्ि
र्ो नर्ा बनाने र्ा श्रेष्ठठ संर्ल्प, सिक र्ो र्क्ु तत-जीिनर्क्ु तत र्ा िरदान दे ने र्ा सदा श्रेष्ठठ
संर्ल्प ऐसे निीनता र्ी र्ब
ु ारर् हो, बधाई हो। परु ाने संस्र्ारों, परु ानी चाल, परु ानी
ढाल, परु ाने र्ी विदाई र्ी बधाई हो।

( 31-12-70 )

जैसे अज्ञानता र्ें एर् विर्ार र्े साथ सिक विर्ारों र्ा गहरा सम्बन्ध होता है , िैसे एर् गण

र्े साथ र्ख्
ु र् गण
ु ों र्ा भी गहरा सम्बन्ध है। अगर र्ोई र्हे कर् र्ेरी क्स्थनत ज्ञान-स्िरूप
है; तो ज्ञान-स्िरूप र्े साथ-साथ अन्र् गण
ु भी उसर्ें सार्र्े हुए जरूर हैं। क्जसर्ो एर् शब्द
र्ें र्ौन-सी स्टे ज र्हें गे ? र्ास्टर सिकशक्ततिान। ऐसी क्स्थनत र्ें सिक शक्ततर्ों र्ी धारणा
होती है। तो ऐसी क्स्थनत बनाना - र्ह है सर्ानता, सम्पण
ू कता र्ी क्स्थनत। ऐसी क्स्थनत र्ें
क्स्थत होर्र सविकस र्रती हो ? सविकस र्रने र्े सर्र् जब स्टे ज पर आती हो तो पहले इस
स्टे ज पर उपक्स्थत हो किर स्थूल स्टे ज पर आओ। इससे तर्ा अनुभि होगा ? संगठन र्े
बीच होते हुए भी अलौकर्र् आत्र्ार्ें ददखाई पड़ेंगी।

( 09-04-71 )

जब से नर्ा जन्र् ललर्ा, बापदादा र्े लसर्ीलधे बच्चे बने, तो सिकशक्ततिान र्ी सन्तान र्े
पास र्ोई भी प्रर्ार र्ा सन्ताप आ नहीं सर्ता। सन्ताप अथाकत द:ु ख र्ी लहर तब तर् है
जब तर् सिकशक्ततिान बाप र्ी स्र्नृ त नहीं रहती अथिा उनर्ी सन्तान प्रैक्तटर्ल र्ें नहीं
बनते हैं। र्हााँ तो अभी आर्े हो सदार्ाल र्ा िसाक लेने, न कर् अल्पर्ाल र्ा। लसिक दो बातें
साथ-साथ र्ाद रखो। बात एर् ही है , शब्द लभन्न-लभन्न हैं। बबल्र्ुल सहज से सहज दो बातें
सरल शब्दों र्ें र्ौनसी लसखाई जाती हैं ? ऐसे दो-दो शब्द साथ र्ाद रहें तो क्स्थनत र्भी
नीचे-ऊपर नहीं हो सर्ती। अल्ि और बादशाही र्ाद रहे तो र्भी क्स्थनत नीचे -ऊपर नहीं
होगी। दो शब्दों र्ी ही बात है। र्ोई अन्जान बच्चे र्ो भी अल्ि और बे र्ाद र्रने र्े ललए
र्हो तो भूलेगा ? आप र्ास्टर सिकशक्ततिान भल
ू सर्ते हो ? क्जस सर्र् विस्र्नृ त र्ी
क्स्थनत होती है तो अपने से र्ह बातें र्रो - र्ैं र्ास्टर सिकशक्ततिान अल्ि और बे र्ो भल

गर्ा ! ऐसी-ऐसी बातें र्रने से शक्तत जो खो देते हो उसर्ी किर से स्र्नृ त आ जार्ेगी। है
लसिक र्नन और िणकन र्रना।

( 24-05-71 )

9
शुि संर्ल्प स्िरूप क्स्थनत र्ा अनभ
ु ि र्रते हो ? जबकर् अनेर् संर्ल्पों र्ी सर्ाक्प्त होर्र
एर् शि
ु संर्ल्प रह जाता है , इस क्स्थनत र्ा अनभ
ु ि र्र रही हो ? इस क्स्थनत र्ो ही
शक्ततशाली, सिक र्र्क-बन्धनों से न्र्ारी और प्र्ारी क्स्थनत र्हा जाता है। ऐसी न्र्ारी और
प्र्ारी क्स्थनत र्ें क्स्थत होर्र किर र्र्क र्रने र्े ललए नीचे आते हैं। जैसे र्ोई र्ा ननिास-
स्थान ऊंचा होता है , लेकर्न र्ोई र्ार्क र्े ललए नीचे उतरते हैं तो नीचे उतरते हुए भी अपना
ननजी स्थान नहीं भल ू ते हैं। ऐसे ही अपनी ऊंची क्स्थनत अथाकत असली स्थान र्ो तर्ों भल ू
जाते हो ? ऐसे ही सर्झर्र चलो कर् अभी-अभी अल्पर्ाल र्े ललए नीचे उतरे हैं र्ार्क र्रने
अथक, लेकर्न सदार्ाल र्ी ओररक्ज़नल क्स्थनत िही है। किर कर्तना भी र्ार्क र्रें गे लेकर्न
र्र्कर्ोगी र्े सर्ान र्र्क र्रते हुए भी अपनी ननज़ी क्स्थनत और स्थान र्ो भूलेंगे नहीं। र्ह
स्र्नृ त ही सर्थी ददलाती है। स्र्नृ त र्र् है तो सर्थी भी र्र् है। सर्थी अथाकत शक्ततर्ााँ।
र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्ा जन्र्लसि अचधर्ार र्ौन-सा है ? सिक शक्ततर्ााँ ही र्ास्टर
सिकशक्ततर्ान र्ा जन्र्लसि अचधर्ार है। तो र्ह स्र्नृ त र्ी स्टे ज जन्र्लसि अचधर्ार र्े रूप
र्ें सदै ि रहनी चादहए। ऐसे अनुभि र्रते हो कर् सदै ि अपना जन्र्लसि अचधर्ार साथ ही है
? शक्ततर्ों र्ो सभी अनुभि र्रना है। बापदादा इसर्ा भी त्र्ाग र्र र्ह भाग्र् पाण्डिों और
शक्ततर्ों र्ो िरदान र्ें दे ते हैं। इसललए शक्ततर्ों र्ी पूजा बहुत होती है। अभी से ही
शक्ततर्ों र्ो भततों ने पुर्ारना शुरू र्र ददर्ा है। आिाज़ सुनना आता है? क्जतना आगे
चलते जार्ेंगे उतना ऐसे अनुभि र्रें गे जैसे र्ोई र्ूनतक र्े आगे भतत लोग धूप जलाते हैं िा
गुणगान र्रते हैं, िह प्रैक्तटर्ल खुशबू अनुभि र्रें गे और उनर्ी पुर्ार ऐसे अनुभि र्रें गे
जैसे कर् सम्र्ख
ु पुर्ार। जैसे दरू बीन द्िारा दरू र्ा दृश्र् कर्तना सर्ीप आ जाता है। िैसे ही
ददर्वर् क्स्थनत दरू बीन र्ा र्ार्क र्रे गी। र्ही शक्ततर्ों र्ी स्र्नृ त र्ी लसवि होगी और इस
अक्न्तर् लसवि र्ो प्राप्त होने र्े र्ारण शक्ततर्ों र्े भतत शक्ततर्ों द्िारा ररवि-लसवि र्ी
इच्छा रखते हैं। जब लसवि देखेंगे तब तो संस्र्ार भरें गे ना। तो ऐसा अपना स्र्नृ त र्ी लसवि
र्ा स्िरूप सार्ने आता है ? जैसे सन शोज़ िादर है, िैसे ही ररटनक र्ें िादर र्ा शो र्रते
हैं? बापदादा प्रत्र्क्ष रूप र्ें र्ह पाटक नहीं देखते, लेकर्न शक्ततर्ों और पाण्डिों र्ा र्ह पाटक
है।

( 22-06-71 )

इतनी शक्तत अपने र्ें भरी जो र्ैसी भी सर्स्र्ाएं आर्ें , र्ैसी भी बातें न बनने िाली भी
बन जाएं, तो भी अचल, अडोल एर्रस रहें गे? ऐसी अपने र्ें शक्तत भरी है ? ऐसे नहीं
र्हना कर् र्ह तो हर्र्ो पता ही नहीं था - ऐसा भी होता है ! नई बात हुई, इसललए िेल हो
गर्ा - र्ह नहीं र्हना। जब भट्ठी र्रर्े जाते हो तो जैसे अपने र्ें निीनता लाते हो। तो
र्ार्ा भी परीक्षा लेने र्े ललए नई-नई बातें सार्ने लार्ेगी। इसललए अच्छी तरह से
र्ास्टर नॉलेजिुल, र्ास्टर बत्रर्ालदशी बनर्र जा रहे हो, तो दरू से ही र्ार्ा र्े िार र्ो

10
पहचान र्र खत्र् र्र दो, ऐसे र्ास्टर सिकशक्ततर्ान ् बने हो ? ‘‘तर्ा, तर्ों’’ र्ी भाषा खत्र्
र्ी ? ‘‘तर्ा र्रें , र्ैसे र्रें ’’ - र्ह खत्र्। लसिक तीन र्ास र्ा पेपर नहीं, अभी तो अन्त तर्
र्ा िार्दा र्रना है। र्ह तो गैरन्टे ड र्ाल हो गर्ा ना। अपनी र्था शक्तत हरे र् ने जो भी
प्रर्त्न कर्र्ा िह बहुत अच्छा कर्र्ा। अब अच्छे ते अच्छा बनर्र ददखाना। ज ्ौौसे र्ह नशा
है िैसे ही प्रिक्ृ त्त र्ें रहते हुए भी इस नशे र्ो र्ार्र् रखना है। इस ग्रप
ु र्ा छाप तर्ा रहा
? र्ोई आपर्ो बदल न सर्े लेकर्न आप सभी र्ो बदल र्र ददखाना। र्ोई पररक्स्थनत िा
र्ोई िार्र्
ु ण्डल हर्र्ो नहीं बदले लेकर्न हर् पररक्स्थनतर्ों र्ो, िार्र्
ु ण्डल र्ो, िक्ृ त्तर्ों र्ो,
संस्र्ारों र्ो बदल र्र ददखार्ें - र्ह पतर्ा छाप लगाना है।

( 29-08-71 )

विदे ही, विदे शी बापदादा र्ो बच्चों र्े सर्ान दे ह र्ा आधार लेर्र, जैसा दे श िैसा िेष धारण
र्रना पड़ता है। विदे ही र्ो भी स्नेही श्रेष्ठठ आत्र्ार्ें अपने स्नेह से अपने जैसा बनाने र्ा
ननर्न्त्रण दे ती हैं। और बाप किर बच्चों र्ो ननर्न्त्रण स्िीर्ार र्र लर्लने र्े ललए आते हैं।
आज सभी बच्चों र्ो ननर्न्त्रण दे ने आर्े हैं। र्ौन सा ननर्न्त्रण, जानते हो ? अभी घर जाने
र्े ललए पूरी तैर्ारी र्र ली है िा अभी भी र्रनी है ? अभी तैर्ारी र्रें गे ? तैर्ारी र्रने र्ें
कर्तना सर्र् लगना है ? इस नई िुलिाड़ी र्ो विशेष निीनता ददखानी चादहए। ऐसे तो नहीं
सर्झते हो कर् हर् नर्े तर्ा र्र सर्ेंगे ? लेकर्न सदा र्ह स्र्नृ त र्ें रखना कर् र्ह
पुरूषोत्तर् श्रेष्ठठ संगर्र्ुग र्ा सर्र् र्र् होता जाता है। इस थोड़े से संगर् र्े सर्र् र्ो
िरदाता द्िारा िरदान लर्ला हुआ है - र्ोई भी आत्र्ा अपने तीव्र पुरूषाथक से क्जतना िरदाता
से िरदान लेने चाहे उतना ले सर्ते हैं। इसललए जो नई-नई िुलिाड़ी सम्र्ुख बैठी है,
सम्र्ख
ु आर्ी हुई िुलिाड़ी र्ो जो चाहें , जैसा चाहें , क्जतने सर्र् र्ें चाहें िरदाता बाप से
िरदान र्े रूप र्ें िसाक प्राप्त हो सर्ता है। इसललए विशेष बापदादा र्ा इस नई िुलिाड़ी पर,
स्नेही आत्र्ाओं पर विशेष स्नेह और सहर्ोग है। इसी बाप र्े सहर्ोग र्ो सहज र्ोग र्े रूप
र्ें धारण र्रते चलो। र्ही िरदान थोड़े सर्र् र्ें हाई जम्प ददला सर्ता है। लसिक सदा र्ही
स्र्नृ त र्ें रखो कर् र्झ
ु आत्र्ा र्ा इस ड्रार्ा र्े अन्दर विशेष पाटक है। र्ौन-सा ?
सिकशक्ततिान ् बाप सहर्ोगी है। क्जसर्ा सहर्ोगी सिकशक्ततिान ् है , तो तर्ा िह हाई जम्प
नहीं दे सर्ता ? सहर्ोग र्ो सहज र्ोग बनाओ। र्ोग्र् बाप र्े सहर्ोगी बनना - र्ही
र्ोगर्त
ु त स्टे ज है ना। जो ननरन्तर र्ोगी होगा उनर्ा हर संर्ल्प, शब्द और र्र्क बाप र्ी
िा अपने राज्र् र्ी स्थापना र्े र्तकर्वर् र्ें सदा सहर्ोगी रहने र्ा ही ददखाई दे गा। इसर्ो ही
‘ज्ञानी तू आत्र्ा’, ‘र्ोगी तू आत्र्ा’ और सच्चा सेिाधारी र्हा जाता है। तो सदा सहर्ोगी
बनना ही सहजर्ोग है। अगर बुवि द्िारा सदा सहर्ोगी बनने र्ें र्ारणे-अर्रणे र्ुक्श्र्ल
अनभ
ु ि होता है, तो िाचा िा र्र्कणा द्िारा भी अपने र्ो सहर्ोगी बनार्ा तो र्ोगी हो। ऐसे
ननरन्तर र्ोगी तो बन सर्ते हो ना कर् र्ह भी र्ुक्श्र्ल है ? र्न से नहीं तो तन से, तन से

11
नहीं तो धन से, धन से नहीं तो जो क्जसर्ें सहर्ोगी बन सर्ता है उसर्ें उसर्ो सहर्ोगी
बनना भी एर् र्ोग है।

( 01-12-71 )

अपने र्ो सदा सिलतार्त


ू क सर्झते हो ? िा सहज ही सिलता प्राप्त होते हुए अनभ
ु ि र्रते
हो ? सदा और सहज ही सिलतार्त
ू क बनने र्े ललर्े र्ख्
ु र् दो शक्ततर्ों र्ी आिश्र्र्ता है।
क्जन दो शक्ततर्ों र्े आधार से सदा और सहज ही सिलतार्ूतक बन सर्ते हैं , िह दो
शक्ततर्ााँ र्ौन-सी ? ननश्चर्बुवि तो हो ही चुर्े हो ना। अब सिलता र्े पुरूषाथक
र्ें र्ुख्र् र्ौन-सी शक्ततर्ााँ चादहए ? एर् -- संग्रार् र्रने र्ी शक्तत, दस
ू री -- संग्रह र्रने
र्ी शक्तत। संग्रह र्ें लोर्-संग्रह भी आ जाता है। सभी प्रर्ार र्ा संग्रह। तो एर् संग्रार्,
दस
ू रा संग्रह - र्ह दोनों शक्ततर्ााँ हैं तो असिल हो न सर्े। र्ोई भी र्ार्क र्ें िा अपने
पुरूषाथक र्ें असफ़लता र्ा र्ारण तर्ा होता है ? िा तो संग्रह र्रना नहीं आता िा संग्रार्
र्रना नहीं आता। अगर र्ह दोनों शक्ततर्ााँ आ जार्ें तो सदा और सहज ही सफ़लता लर्ल
जाती है। इसललए इन दोनों शक्ततर्ों र्ो अपने र्ें भरने र्ा पुरूषाथक र्रना चादहए। र्ोई भी
र्ार्क सार्ने आता है तो र्ार्क र्रने र्े पहले अपने आप र्ो चेर् र्रो कर् दोनों शक्ततर्ााँ
स्र्नृ त र्ें हैं ? भले शक्ततर्ां हैं भी लेकर्न र्तकर्वर् र्े सर्र् शक्ततर्ों र्ो र्ूज नहीं र्रते हो,
इसललर्े सिलता नहीं होती। र्रने र्े बाद सोचते हो-ऐसे र्रते थे तो र्ह होता था। इसर्ा
र्ारण तर्ा है ? सर्र् पर शक्तत र्ूज र्रने नहीं आती है। शस्त्र कर्तने भी अच्छे हों,
शक्ततर्ााँ कर्तनी भी हो, लेकर्न क्जस सर्र् जो शस्त्र िा शक्तत र्ार्क र्ें लानी चादहए िह
र्ार्क र्ें नहीं लाते तो सिलता नहीं होती। इस र्ारण र्ोई भी र्ार्क शुरू र्रने र्े पहले
अपने र्ो चेर् र्रो। जैसे िोटो ननर्ालते हो, िोटो ननर्लने से पहले तैर्ारी होती है ना।
िोटो ननर्ला और सदा र्ा र्ादगार बना। चाहे र्ैसा भी हो। इसी रीनत र्ह भी बेहद र्ी
र्ैर्रा है, क्जसर्ें एर् एर् सेर्ेण्ड र्े िोटो ननर्लते रहते हैं। िोटो ननर्ल जाने बाद अगर
अपने आपर्ो ठीर् र्रें तो िह र्वर्थक है ना। इसी प्रर्ाण पहले अपने आप र्ो शक्तत-स्िरूप
र्ी स्टे ज पर क्स्थत र्रने बाद र्ोई र्ार्क शरू
ु र्रना है। स्टे ज से उतर र्र अगर र्ोई एतट
र्रे , भले कर्तनी भी बदढ़र्ा एतट र्रे लेकर्न देखने िाले र्ैसे देखेंगे। र्ह भी ऐसे होता है।
पहले स्टे ज पर क्स्थत हो, किर हर एतट र्रे तब एतर्रू े ट और ‘िाह िाह र्रने र्ोग्र्’ एतट
हो सर्ेंगी। स्टे ज से उतर साधारण रीनत र्तकर्वर् र्रने शरू
ु र्र दे ते हैं, पीछे सोचते हैं। परन्तु
िह स्टे ज तो रही नहीं ना। सर्र् बीत गर्ा। िोटो तो ननर्ल गर्ा। इसललर्े र्ह दोनों ही
शक्ततर्ां सदै ि हर र्ार्क र्ें होनी चादहए। र्भी संग्रार् र्रने र्ा जोश आता है , संग्रह भल

जाते हैं। र्ब संग्रह र्रने र्ा सोचते हैं तो किर संग्रार् भूल जाते हैं। दोनों ही साथ-साथ हां।
सिक शक्ततर्ों र्े प्रर्ोग से ररजल्ट तर्ा होगी ? सफ़लता। उनर्ा संर्ल्प, र्हना, र्रना तीनों
ही एर् होगा। इसर्ो र्हा जाता है र्ास्टर सिकशक्ततिान। ऐसे नहीं संर्ल्प बहुत ऊंच हों,

12
प्लैन्स बनाते रहें , र्ुख से िणकन भी र्रते रहें , लेकर्न र्रने सर्र् र्र न पािे। तो र्ास्टर
सिकशक्ततिान हुआ ? र्ास्टर सिकशक्ततिान र्ा र्ख्
ु र् लक्षण ही है उनर्ा संर्ल्प, र्हना और
र्रना तीनों एर् होगा। अभी सर्र्-प्रनत-सर्र् र्ह शब्द ननर्लते हैं - सोचा तो था लेकर्न
र्र न पार्ा। प्लैन और प्रैक्तटर्ल र्ें अन्तर ददखाई दे ता है। लेकर्न र्ास्टर सिकशक्ततिान िा
सदा सिलतार्त
ू क जो होगा उनर्ा जो प्लैन होगा िही प्रैक्तटर्ल होगा। सिलतार्त
ू क होना तो
सभी चाहते हैं ना। जब चाहना िा लक्ष्र् श्रेष्ठठ है तो लक्ष्र् र्े साथ िाणी और र्र्क भी श्रेष्ठठ
हो। लेकर्न प्रैक्तटर्ल आने र्ें र्ोई भी र्र्जोरी होने र्ारण जो प्लैन है िैसा रूप दे नहीं
सर्ते। तर्ोंकर् संग्रार् र्रने र्ी िा उन बातों र्ें लोर्-संग्रह रखने र्ी शक्तत र्र् हो जाती
है। जैसे पहले र्ुि र्े र्ैदान र्ें जब सार्ने दश्ु र्न आता था तो एर् हाथ र्ें तलिार भी
पर्ड़ते थे, साथ-साथ दस
ू रे हाथ र्ें ढाल भी होती थी। तो तलिार और ढाल दोनों अपना-
अपना र्ार्क र्रें , र्ह प्रैक्तटस चादहए। दोनों ही साथ-साथ र्ूज र्रने र्ा अभ्र्ास चादहए।
अपने र्ो र्ास्टर सर्झते हो ? तो सभी बातों र्ें र्ास्टर हो ? जैसे बाप र्ा नार् बत्रर्ूनतक
लशि बताते हो ना, िैसे ही आप सभी भी र्ास्टर बत्रर्ूनतक लशि हो ना। आप र्े भी तीन
र्तकर्वर् हैं ना, क्जसर्े आधार पर सारा र्त्तकर्वर् िा सविकस र्रते हो। आप र्े तीन रूप र्ौन-
से हैं ? एर् है ब्राह्र्ण रूप, क्जससे स्थापना र्ा र्ार्क र्रते हो। और दस
ू रा शक्तत रूप,
क्जससे विनाश र्ा र्तकर्वर् र्रते हो और जगत र्ाता िा ज्ञान गंगा िा अपने र्ो र्हादानी,
िरदानी रूप सर्झने से पालना र्रते हो। िरदानी रूप र्ें जगत ् वपता र्ा रूप आ ही जाता
है। तो र्ह तीनों रूप सदै ि स्र्नृ त र्ें रहें तो आपर्े र्तकर्वर् र्ें भी िही गुण ददखाई दें गे। जैसे
बाप र्ो अपने तीनों रूपों र्ी स्र्नृ त रहती है, ऐसे चलते-किरते अपने तीनों रूप र्ी स्र्नृ त रहे
कर् हर् र्ास्टर बत्रर्ूनतक हैं। तीनों र्तकर्वर् इर्ट्ठे साथ-साथ चादहए। ऐसे नहीं - स्थापना र्ा
र्तकर्वर् र्रने र्ा सर्र् अलग है , विनाश र्े र्त्तकर्वर् र्ा सर्र् और आना है। नहीं। नई
रचना रचते जाओ, और पुराने र्ा विनाश र्रते जाओ। आसुरी संस्र्ार िा जो भी र्र्जोरी
है, उनर्ा विनाश भी साथ-साथ र्रते जाना है। नर्े संस्र्ार ला रहे हैं , पुराने संस्र्ार खत्र्
र्र रहे हैं। र्इर्ों र्ें रचना रचने र्ा गुण होता है लेकर्न शक्तत रूप विनाश र्ार्क रूप न
होने र्ारण सफ़लता नहीं हो पाती। इसललर्े दोनों साथ-साथ चादहए। र्ह प्रैक्तटस तब हो
सर्ेगी जब एर् सेर्ेण्ड र्ें दे ही- अलभर्ानी बनने र्ा अभ्र्ास होगा। ऐसे अभ्र्ासी सब र्ार्क
र्ें सिल होते हैं।

( 12-03-72 )

आज अल्पर्ाल र्ी अथॉररटी िाले भी कर्तने शक्ततशाली रहते हैं ! तो


आलर्ाइटी अथॉररटी िाले तो सिकशक्ततिान ् हैं ना। सिकशक्ततर्ों र्े आगे अल्पर्ाल र्ी शक्तत
िाले भी लसर झर्
ु ाने िाले हैं। िार नहीं र्रें गे लेकर्न लसर झर्
ु ार्ेंगे। िार र्े बजार् बार-बार
नर्स्र्ार र्रें गे। तो ऐसे अपने र्ो आलर्ाइटी अथॉररटी सर्झर्र र्े किर हर र्दर् उठाते
हो ? अपने र्ो आलर्ाइटी अथॉररटी सर्झना अथाकत आलर्ाइटी बाप र्ो सदा साथ रखना

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है। जैसे दे खो, आजर्ल र्े भक्तत-र्ागक र्े लोगों र्ो र्ौनसी अथॉररटी है ? शास्त्र र्ी। उन्हों
र्ी बवु ि र्ें सदा शास्त्र ही रहें गे ना। र्ोई भी र्ार् र्रें गे तो सार्ने शास्त्र ही लार्ेंगे, र्हें गे -
- र्ह जो र्र्क र्र रहे हैं िह शास्त्र प्रर्ाण हैं। तो जैसे शास्त्र र्ी अथॉररटी िालों र्ो सदा
बवु ि र्ें शास्त्र र्ा आधार रहता है अथाकत शास्त्र ही बवु ि र्ें रहते हैं। उनर्े सम्र्ख
ु शास्त्र हैं,
आप लोगों र्े सार्ने तर्ा है ? आलर्ाइटी बाप। तो जैसे िह र्ोई भी र्ार्क र्रते हैं
तो शास्त्र र्ा आधार होने र्ारण अथॉररटी से िही र्र्क सत्र् र्ानर्र र्रते हैं। कर्तना भी
आप लर्टाने र्ी र्ोलशश र्रो लेकर्न अपने आधार र्ो छोड़ते नहीं हैं। र्ोई भी बात र्ें बार-
बार र्हें गे कर् शास्त्र र्ी अथॉररटी से हर् बोलते हैं, शास्त्र र्ब झूठे हो ना सर्ें, जो शास्त्र र्ें
है िही सत्र् है। इतना अटल ननश्चर् रहता है। ऐसे ही जो आलर्ाइटी बाप र्ी अथॉररटी है
उसर्ी अथॉररटी से सिक र्ार्क हर् र्रने िाले हैं - र्ह इतना अटल ननश्चर् हो जो र्ोई टाल
ना सर्े। ऐसा अटल ननश्चर् है ? सदै ि अपनी अथॉररटी भी र्ाद रहे । कर् दस
ू रे
र्ी अथॉररटी र्ो दे खते हुए अपनी अथॉररटी भूल जाती है ? सभी से श्रेष्ठठ अथॉररटी र्े
आधार पर चलने िाले हो ना। अगर सदै ि र्ह अथॉररटी र्ाद रखो तो परू
ु षाथक र्ें र्ब भी
र्ुक्श्र्ल र्ागक र्ा अनुभि नहीं र्रें गे। कर्तना भी र्ोई बड़ा र्ार्क हो लेकर्न
आलर्ाइटी अथॉररटी र्े आधार से अनत सहज अनुभि र्रें गे। र्ोई भी र्र्क र्रने र्े
पहले अथॉररटी र्ो सार्ने रखने से बहुत सहज जज र्र सर्ते हो कर् र्ह र्र्क र्रें िा ना
र्रें । सार्ने अथॉररटी र्ा आधार होने र्ारण लसिक उनर्ो र्ॉपी र्रना है। र्ॉपी र्रना तो
सहज होता है िा र्ुक्श्र्ल होता है ? हां िा ना - उसर्ा जिाब अथॉररटी र्ो सार्ने रखने से
ऑटोर्ेदटर्ली आपर्ो आ जाएगा। जैसे आजर्ल साईंस ने भी ऐसी र्शीनरी तैर्ार र्ी है जो
र्ोई भी तिेश्चन डालो तो उसर्ा उत्तर सहज ही लर्ल आता है। र्शीनरी द्िारा प्रश्न र्ा
उत्तर ननर्ल जाता है, तो ददर्ाग चलाने से छूट जाते हैं। तो ऐसे ही ऑलर्ाइटी
अथॉररटी र्ो सार्ने रखने से जो भी प्रश्न र्रें गे उनर्ा उत्तर प्रैक्तटर्ल र्ें आपर्ो सहज ही
लर्ल जाएगा। सहज र्ागक अनभ
ु ि होगा। ऐसे सहज और श्रेष्ठठ आधार लर्लते हुए भी अगर
र्ोई उस आधार र्ा लाभ नहीं उठाते तो उसर्ो तर्ा र्हें गे ? अपनी र्र्जोरी। तो र्र्जोर
आत्र्ा बनने र्े बजार् शक्ततशाली आत्र्ा बनो और बनाओ। अपने र्ो
ऑलर्ाइटी अथॉररटी सर्झने से 3 र्ख्
ु र् बातें ऑटोर्ेदटर्ली अपने र्ें धारण हो जाएंगी। िह
तीन बातें र्ौन-सी ?
ू रा नशा और तीसरा ननभकर्ता। र्ह तीन बातें अथॉररटी िाले रॉगं होते भी,
एर् ननश्चर्, दस
अर्थाथक होते भी कर्तना दृढ़ ननश्चर्बवु ि होर्र बोलते िा चलते हैं ! क्जतना ही ननश्चर् होगा
उतना ननभकर् होर्र नशे र्ें बोलते हैं। ऐसे ही देखो, जब आप सभी ऑलर्ाइटी अथॉररटी हो,
सभी से श्रेष्ठठ अथॉररटीिाले हो; तो कर्तना नशा रहना चादहए और कर्तना ननश्चर् से बोलना
चादहए ! और किर ननभकर्ता भी चादहए। र्ोई भी कर्स भी रीनत से हार खखलाने र्ी र्ोलशश
र्रे लेकर्न ननभकर्ता, ननश्चर् और नशे र्े आधार पर िब हार खा सर्ेंगे ? नहीं, सदा
विजर्ी होंगे। विजर्ी ना होने र्ा र्ारण इन तीन बातों र्ें से र्ोई बात र्ी र्र्ी है, इसललए

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विजर्ी नहीं बन पाते हो। तो र्ह तीनों ही बातें अपने आप र्ें दे खो कर् र्हां तर् हर र्दर्
उठाने र्ें र्ह बातें प्रैक्तटर्ल र्ें हैं ?
एर् होता है टोटल नॉलेज र्ें , बाप र्ें ननश्चर्। लेकर्न र्ोई भी र्र्क र्रते, बोल बोलते र्ह
तीनों ही तिॉललकिर्ेशन रहें । िह प्रैक्तटर्ल र्ी बात दस
ू री होती है। और जब र्ह तीनों बातें
हर र्र्क, हर बोल र्ें आ जाएंगी तब ही आपर्े हर बोल और हर र्र्क
ऑलर्ाइटी अथॉररटी र्ो प्रत्र्क्ष र्रें गे। अभी तो साधारण सर्झते हैं। इन्हों
र्ी अथॉररटी स्िर्ं ऑलर्ाइटी बाप है - र्ह नहीं अनभ
ु ि र्रते हैं। र्ह अनभ
ु ि तब र्रें गे
जब एर् सेर्ेण्ड भी अथॉररटी र्ो छोड़ र्रर्े र्ोई भी र्र्क नहीं र्रें गे िा बोल नहीं
बोलेंगे। अथॉररटी र्ो भल
ू ने से साधारण र्र्क हो जाता है। आप लोगों र्ी विशेषता र्ो िणकन
र्रते हुए साथ र्ें विशेषता र्े साथ साधारणता भी ज़रूर िणकन र्रते रहते हैं - और संस्थाओं
र्ें भी ऐसे हैं, जैसे िह र्र रहे हैं , िैसे र्ह भी र्र रहे हैं। तो साधारणता हुई ना। एर्-दो
बात विशेष लगती है लेकर्न हर र्र्क, हर बोल विशेष लगे जो और र्ोई से तुलना ना र्र
सर्ें िह स्टे ज तो नहीं आई है ना। ऑलर्ाइटी र्ी र्ोई भी एक्तटविटी साधारण र्ैसे हो
सर्ती ? परर्ात्र्ा र्े अथॉररटी और आत्र्ाओं र्े अथॉररटी र्ें तो रात-ददन र्ा िर्क
होना चादहए ! ऐसा अपने आप र्े अथाकत अपने बोल और र्र्क र्ें अन्र् आत्र्ाओं से रात-
ददन र्ा अन्तर र्हसूस र्रते हो ? रात-ददन र्ा अन्तर इतना होता है जो र्ोई र्ो सर्झाने
र्ी आिश्र्र्ता नहीं होती कर् र्ह अन्तर है , ऑटोर्ेदटर्ली सर्झ जाएंगे--र्ह रात, र्ह ददन
है। तो आप भी जबकर् ऑलर्ाइटी अथॉररटी र्े आधार से हर र्र्क र्रने िाले हो, हर
डार्रे तशन प्रर्ाण चलने िाले हो; तो अन्तर रात-ददन र्ा ददखाई दे ना चादहए। ऐसे अन्तर हो
जो आने से ही सर्झ लें कर् र्ोई साधारण स्थान नहीं, इन्हों र्ी नॉलेज साधारण नहीं। ऐसा
जब प्रभाि पड़े तब सर्झो अपनी अथॉररटी र्ो प्रत्र्क्ष र्र रहे हैं। जैसे शास्त्रिाददर्ों र्े बोल
ददखाई दे ते हैं कर् इन्हों र्ो शास्त्र र्ी अथॉररटी है, िैसे आपर्े हर बोल से अथॉररटी प्रलसि
होनी चादहए। िाइनल स्टे ज तो र्ही है ना। बोल से, चेहरे से, चलन से, सभी
से अथॉररटी र्ा र्ालर्
ू पड़ना चादहए। आजर्ल र्े जर्ाने र्ें अगर छोटी-र्ोटी अथॉररटी िाले
ऑिीसर अपने र्तकर्वर् र्ें जब होते हैं तो कर्तना अथॉररटी र्ा र्र्क ददखाई दे ता है। नशा
रहता है ना। उसी नशे से हर र्र्क र्रते हैं। िे हद र्े शास्त्रों र्ी अथॉररटी हैं। र्ह है
अलौकर्र् अविनाशी अथॉररटी।

( 27-05-72 )

अपने आपर्ो सदा लशिशक्तत सर्झ र्र हर र्र्क र्रती हो ? अपने अलंर्ार िा अष्ठट
भुजाधारी र्ूतक सदा अपने सार्ने रहती है ? अष्ठट भुजाधारी अथाकत अष्ठट शक्ततिान। तो सदा
अपने अष्ठट शक्तत-स्िरूप स्पष्ठट रूप र्ें ददखाई देते हैं ? शक्ततर्ों र्ा गार्न है ना--लशिर्ई
शक्ततर्ााँ। तो लशि बाबा र्ी स्र्नृ त र्ें सदा रहती हो ? लशि और शक्तत - दोनों र्ा साथ-

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साथ गार्न है। जैसे आत्र्ा और शरीर - दोनों र्ा साथ है, जब तर् इस सक्ृ ष्ठट पर पाटक है
तब तर् अलग नहीं हो सर्ते। ऐसे ही लशि और शक्तत - दोनों र्ा भी इतना ही गहरा
सम्बन्ध है, जो गार्न है लशिशक्ततपन र्ा। तो ऐसे ही सदै ि साथ र्ा अनभ
ु ि र्रती हो िा
लसिक गार्न है ? सदा साथ ऐसा हो जो र्ोई भी र्ब इस साथ र्ो तोड़ न सर्े, लर्टा न
सर्े। ऐसे अनभु ि र्रते हुए सदा लशिर्ई शक्तत-स्िरूप र्ें क्स्थत होर्र चलो तो र्ब भी
दोनों र्ी लगन र्ें र्ार्ा विघ्न डाल नहीं सर्ती। र्हाित भी है - दो दस र्े बराबर होते हैं।
तो जब लशि और शक्तत दोनों र्ा साथ हो गर्ा तो ऐसी शक्तत र्े आगे र्ोई र्ुछ र्र
सर्ता है ? इन डबल शक्ततर्ों र्े आगे और र्ोई भी शक्तत अपना िार नहीं र्र सर्ती िा
हार खखला नहीं सर्ती। अगर हार होती है िा र्ार्ा र्ा िार होता है ; तो तर्ा उस सर्र्
लशि-शक्तत-स्िरूप र्ें क्स्थत हो ? अपने अष्ठट-शक्ततर्ााँ-सम्पन्न सम्पूणक स्िरूप र्ें क्स्थत हो
? अष्ठट शक्ततर्ों र्ें से अगर र्ोई भी एर् शक्तत र्ी र्र्ी है तो अष्ठट भुजाधारी शक्ततर्ों
र्ा जो गार्न है िह हो सर्ता है ? सदै ि अपने आपर्ो दे खो कर् हर् सदै ि अष्ठट
शक्ततर्ााँधारी लशि-शक्तत होर्र र्े चल रही हैं ? जो सदा अष्ठट शक्ततर्ों र्ो धारण र्रने
िाले हैं िही अष्ठट दे िताओं र्ें आ सर्ते हैं। अगर अपने र्ें र्ोई भी शक्तत र्ी र्र्ी अनुभि
र्रते हो तो अष्ठट दे िताओं र्ें आना र्ुक्श्र्ल है। और अष्ठट दे िता सारी सक्ृ ष्ठट र्े ललए इष्ठट
रूप र्ें गार्े और पूजे जाते हैं। तो भक्तत र्ागक र्ें इष्ठट बनना है िा भविष्ठर् र्ें अष्ठट दे िता
बनना है तो अष्ठट शक्ततर्ों र्ी धारणा सदै ि अपने र्ें र्रते चलो। इन शक्ततर्ों र्ी धारणा
से स्ित: ही और सहज ही दो बातों र्ा अनुभि र्रें गे। िह र्ौन-सी दो बातें ? सदा अपने
र्ो लशि-शक्तत िा अष्ठट भुजाधारी अथिा अष्ठट शक्ततधारी सर्झने से एर् तो सदा साथीपन
र्ा अनुभि र्रें गे और दस
ू रा सदा अपनी स्टे ज साक्षीपन र्ी अनभ
ु ि र्रें गे। एर् साथी और
दस
ू रा साक्षी, र्ह दोनों अनुभि होंगे, क्जसर्ो दस
ू रे शब्दों र्ें साक्षी अिस्था अथाकत बबन्द ु रूप
र्ी स्टे ज र्हा जाता है और साथीपन र्ा अनुभि अथाकत अर्वर्तत क्स्थनत र्ा अनुभि र्हा
जाता है।
ऐसे अनुभि र्रें गे जैसे र्ोई सार्ार र्ें साथ होता है तो किर र्ब भी अपने र्ें अर्ेलापन िा
र्र्जोरीपन अनुभि नहीं होती है। इस रीनत से जब सिकशक्ततिान लशि और शक्तत दोनों र्ी
स्र्नृ त रहती है तो चलते-किरते बबल्र्ुल ऐसे अनभ
ु ि र्रें गे जैसे सार्ार र्ें साथ हैं और हाथ
र्ें हाथ है। गार्ा जाता है ना - साथ और हाथ। तो साथ है बवु ि र्ी लगन और सदा अपने
साथ श्रीर्त रूपी हाथ अनभ
ु ि र्रें गे। जैसे र्ोई र्े ऊपर कर्सर्ा हाथ होता है तो िह ननभकर्
और शक्तत-रूप हो र्ोई भी र्क्ु श्र्ल र्ार्क र्रने र्ो तैर्ार हो जाता है। इसी रीनत जब श्रीर्त
रूपी हाथ अपने ऊपर सदा अनभ
ु ि र्रें गे, तो र्ोई भी र्क्ु श्र्ल पररक्स्थनत िा र्ार्ा र्े विघ्न
से घबरार्ेंगे नहीं। हाथ र्ी र्दद से, दहम्र्त से सार्ना र्रना सहज अनभ
ु ि र्रें गे। इसर्े
ललए चचत्रों र्ें भतत और भगिान ् र्ा रूप तर्ा ददखाते हैं ? शक्ततर्ों र्ा चचत्र भी दे खेंगे तो
िरदान र्ा हाथ भततों र्े ऊपर ददखाते हैं। र्स्तर् र्े ऊपर हाथ ददखाते हैं। इसर्ा अथक भी

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र्ही है कर् र्स्तर् अथाकत बुवि र्ें सदै ि श्रीर्त रूपी हाथ अगर है तो हाथ और साथ होने
र्ारण सदा विजर्ी हैं। ऐसा सदै ि साथ और हाथ र्ा अनभ
ु ि र्रते हो ?
कर्तनी भी र्र्जोर आत्र्ा हो लेकर्न साथ अगर सिकशक्ततिान है तो र्र्जोर आत्र्ा र्ें भी
स्ित: ही बल भर जाता है। किर र्ब र्ार्ा से घबरार्ेंगे नहीं। र्ार्ा से घबराने िा र्ार्ा र्ा
सार्ना ना र्रने र्ा र्ारण साथ और हाथ र्ा अनभ
ु ि नहीं र्रते हो। बाप साथ दे रहे हैं,
लेकर्न लेने िाला ना लेिे तो तर्ा र्रें गे ? जैसे बाप बच्चे र्ा हाथ पर्ड़ र्र उनर्ो सही
रास्ते पर लाना चाहते हैं, लेकर्न बच्चा बार-बार हाथ छुड़ा र्र अपनी र्त पर चले तो तर्ा
होगा ? र्ूाँझ जाएगा। इस रीनत एर् तो बुवि र्े संग और साथ र्ो भूल जाते हो और श्रीर्त
रूपी हाथ र्ो छोड़ दे ते हो, तब र्ूाँझते हो िा उलझन र्ें आते हो अथिा र्र्जोर बन जाते
हो। र्ार्ा भी बड़ी चतुर है। र्भी भी िार र्रने र्े ललए पहले साथ और हाथ छुड़ा र्र
अर्ेला बनाती है। जब अर्ेले र्र्जोर पड़ जाते हो तब र्ार्ा िार र्रती है। िैसे भी अगर
र्ोई दश्ु र्न कर्सी र्े ऊपर िार र्रता है तो पहले उनर्ो संग और साथ से छुड़ाते हैं। र्ोई
ना र्ोई र्ुक्तत से उनर्ो अर्ेला बना र्र किर िार र्रते हैं। तो र्ार्ा भी पहले साथ और
हाथ छुड़ा र्र किर िार र्रे गी। अगर साथ और हाथ छोड़ो ही नहीं तो किर सिकशक्ततिान
साथ होते र्ार्ा तर्ा र्र सर्ती है ? र्ार्ाजीत हो जार्ेंगे। तो साथ और हाथ र्ो र्ब छोड़ो
नहीं। ऐसे सदा र्ास्टर सिकशक्ततिान बनर्र र्े चलो। भक्तत र्ें भी पुर्ारते हैं ना - एर् बार
हाथ पर्ड़ लो। तो बाप हाथ पर्ड़ते हैं, हाथ र्ें हाथ दे र्र चलाना चाहते हैं किर भी हाथ
छोड़ दे ते हैं तो भटर्ना नहीं होगा तो तर्ा होगा ? तो अब अपने आपर्ो भटर्ाने र्े
ननलर्त्त भी स्िर्ं ही बनते हो।
जैसे र्ोई भी र्ोिा र्ुि र्े र्ैदान पर जाने से पहले ही अपने शस्त्र र्ो, अपनी सार्ग्री र्ो
साथ र्ें रख र्रर्े किर र्ैदान र्ें जाते हैं। ऐसे ही इस र्र्कक्षेत्र रूपी र्ैदान पर र्ोई भी र्र्क
र्रने अथिा र्ोिे बन र्ुि र्रने र्े ललए आते हो; तो र्र्क र्रने से पहले अपने शस्त्र अथाकत
र्ह अष्ठट शक्ततर्ों र्ी सार्ग्री साथ रख र्र किर र्र्क र्रते हो ? िा क्जस सर्र् दश्ु र्न
आता है उस सर्र् सार्ग्री र्ाद आती है ? तो किर तर्ा होगा ? हार हो जाएगी। सदा अपने
र्ो र्र्कक्षेत्र पर र्र्क र्रने िाले र्ोिे अथाकत र्हारथी सर्झो। जो र्ुि र्े र्ैदान पर सार्ना
र्रने िाले होते हैं िह र्भी भी शस्त्र र्ो नहीं छोड़ते हैं। सोने र्े सर्र् भी अपने शस्त्र र्ो
नहीं छोड़ते हैं। ऐसे ही सोते सर्र् भी अपनी अष्ठट शक्ततर्ों र्ो विस्र्नृ त र्ें नहीं लाना है
अथाकत अपने शस्त्र र्ो साथ र्ें रखना है। ऐसे नहीं - जब र्ोई र्ार्ा र्ा िार होता है उस
सर्र् बैठ सोचो कर् तर्ा र्क्ु तत अपनाऊं ? सोच र्रते-र्रते ही सर्र् बीत जाएगा। इसललए
सदै ि एिररे डी रहना चादहए। सदा अलटक और एिररे डी अगर नहीं हैं तो र्हीं ना र्हीं र्ार्ा
धोखा खखलाती है और धोखे र्ा ररजल्ट तर्ा होता ? अपने आपर्ो दे ख र्र ही द:ु ख र्ी
लहर उत्पन्न हो जाती है। अपनी र्र्ी ही र्र्ी र्ो लाती है। अगर अपनी र्र्ी नहीं है तो
र्ब भी र्ोई भी र्र्ी नहीं आ सर्ती।

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बेगर्पुर र्े बादशाह र्हते थे ना। र्ह इस सर्र् र्ी स्टे ज है जबकर् गर् र्ी दनु नर्ा सार्ने
है। गर् और बे-गर् र्ी अभी नॉलेज है। इसर्े होते हुए उस क्स्थनत र्ें सदा ननिास र्रते,
इसललर्े बेगर्परु र्ा बादशाह र्हा जाता है। भले बेगर हो लेकर्न बेगर होते भी बेगर्परु र्े
बादशाह हो। तो सदा इस नशे र्ें रहते हो कर् हर् बेगर्परु र्े बादशाह हैं ? बादशाह अथिा
राजे लोगों र्ें ऑटोर्ेदटर्ली शक्तत रहती है राज्र् चलाने र्ी। लेकर्न उस ऑटोर्ेदटर् शक्तत
र्ो अगर सही रीनत र्ार् र्ें नहीं लगाते हैं, र्हीं ना र्हीं उलटे र्ार्क र्ें िंस जाते हैं तो
राजाई र्ी शक्तत खो लेते हैं और राज्र् पद गंिा दे ते हैं। ऐसे ही र्हॉ ं भी तर्
ु हो बेगर्परु र्े
बादशाह और सिक शक्ततर्ों र्ी प्राक्प्त है। लेकर्न अगर र्ोई ना र्ोई संगदोष िा र्ोई
र्र्ेक्न्रर् र्े िशीभूत हो अपनी शक्तत खो लेते हो तो जो बेगर्पुर र्ा नशा िा खुशी प्राप्त है
िह स्ित: ही खो जाती है। जैसे िह बादशाह भी र्ंगाल बन जाते हैं , िैसे ही र्हााँ भी र्ार्ा
र्े अधीन होने र्े र्ारण र्ोहताज, र्ंगाल बन जाते हैं। तब तो र्हते हैं - तर्ा र्रें , र्ैसे
होगा, र्ब होगा ? र्ह सभी है र्ंगालपन, र्ोहताजपन र्ी ननशानी। र्हां न र्हां र्ोई
र्र्ेक्न्रर्ों र्े िश हो अपनी शक्ततर्ों र्ो खो लेते हैं।तो अष्ठट शक्तत स्िरूप बेगर्पुर र्े
बादशाह हैं, इस स्र्नृ त र्ो र्ब भूलना नहीं।
आप लोगों र्ा बैर्बोन र्ौन है ! क्जनर्ा सिकशक्ततिान ् बैर्बोन है तो कर्तनी खुर्ारी और
खुशी होनी चादहए! र्ब खुशी र्ी लहर खत्र् हो सर्ती है ? सागर र्ें र्ब लहरें खत्र् होती
हैं तर्ा ? नदी र्ें लहर उठती नहीं। सागर र्ें तो लहरें उठती रहती हैं। तो र्ास्टर सागर हो
ना। किर ईश्िरीर् खुर्ारी िा ईश्िरीर् खुशी र्ी लहर र्ब खत्र् हो सर्ती है ? र्ोई भी
विर्र्क िा र्वर्थक र्र्क बार-बार हो जाते हैं तो इसर्ा र्ारण र्ह है कर् सदा साथी र्ो साथ र्ें
नहीं रखते हो अथिा साथ र्ा अनभ
ु ि नहीं र्रते हो। र्भी-र्भी चलते-चलते उदास भी तर्ों
होते हो ? उदास तब होते हैं जब अर्ेलापन होता है। अगर संगठन हो और संगठन र्ी
प्राक्प्त हो तो उदास होंगे तर्ा ? अगर सिकशक्ततिान बाप साथ है , बीज साथ है; तो बीज र्े
साथ सारा िक्ष
ृ साथ है, किर उदास अिस्था र्ैसे होगी ? अर्ेलापन ही नहीं तो उदास तर्ों
होंगे ? र्भी-र्भी र्ार्ा र्े विघ्नों र्ा िार होने र्े र्ारण अपने र्ो ननबकल अनुभि र्रने र्े
र्ारण परे शान स्टे ज पर पहुंच जाते हो। बलिान र्ा साथ भल ू ते हो तब ननबकल होते हो और
ननबकल होने र्े र्ारण अपनी शान र्ो भल ू परे शान हो जाते हो। तो जो भी र्र्जोररर्ां िा
र्र्ी अनभ
ु ि र्रते हो, उन सभी र्ा र्ारण तर्ा होगा ? साथ और हाथ र्ा सहारा लर्लते
हुए भी छोड़ दे ते हो।

( 31-05-72 )

शक्ततर्ों र्े चचत्रों र्ें सदै ि दो गुणों र्ी सर्ानता ददखाते हैं - स्नेही भी और शक्तत-रूप भी।
नैनों र्ें सदै ि स्नेह और र्र्क र्ें शक्तत-रूप। तो शक्ततर्ों र्ो चचत्रर्ार भी जानते हैं कर् र्ह
लशि-शक्ततर्ााँ दोनों गुणों र्ी सर्ानता रखने िाली हैं। इसललए िह लोग भी चचत्र र्ें इसी

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भाि र्ो प्रर्ट र्रते हैं। जब प्रैक्तटर्ल र्ें कर्र्ा है तभी तो चचत्र बना है। तो ऐसी र्र्ी र्ो
अभी सम्पन्न बनाओ, तब जो प्रभाि ननर्लना चादहए िह ननर्ल सर्ेगा।
र्ई ऐसी दो-दो बातें होती हैं - न्र्ारा और प्र्ारा, र्दहर्ा और ग्लानन। ननन्दा स्तनु त, जर्-
पराजर्, सख
ु -द:ु ख सभी र्ें सर्ानता रहे , इसर्ो र्हा जाता है सम्पण
ू कता र्ी स्टे ज।ऐसे ही
नॉलेजिुल और पािरिुल - इन दोनों र्ा बैलेन्स ठीर् रखो तो सम्पण
ू कता र्े सर्ीप आ
जार्ेंगे। नॉलेजिुल बहुत बनते हो, पािरिुल र्र् बनते हो; तो बैलेन्स ठीर् नहीं रहता।
शक्ततर्ों र्ो और शक्तत र्ो बैलेन्सड ददखाते हैं, आशीिाकद दे ता हुआ ददखाते हैं। तो स्िर्ं
अपने बैलेन्स र्ें ठीर् ना होंगे, अपने ऊपर ही बैलेन्स नहीं र्र सर्ेंगे तो अनेर्ों र्े ललए
र्ास्टर क्ब्लसिुल र्ैसे बन सर्ेंगे ? अभी तो इस चीज़ र्े सभी लभखारी हैं। क्ब्लस र्े
िरदानी िा र्हादानी लशि और शक्ततर्ों र्े लसिाए र्ोई नहीं हैं। तो क्जस चीज़ र्े िरदानी
िा र्हादानी हो िह पहले स्िर्ं र्ें सम्पन्न होंगी तभी तो दस
ू रों र्ो दे सर्ेंगे ना।

( 08-06-72 )

ितकर्ान सर्र् चारों ओर र्े पुरूषाचथकर्ों र्े पुरूषाथक र्ें र्ुख्र् दो बातों र्ी र्र्ज़ोरी िा र्र्ी
ददखाई दे ती है, क्जस र्र्ी र्े र्ारण जो र्र्ाल ददखानी चादहए िह नहीं ददखा पाते , िह दो
र्लर्र्ां र्ौन-सी हैं ? एर् तरि है अलभर्ान, दस
ू री तरि है अनजानपन। र्ह दोनों ही बातें
पुरूषाथक र्ो ढीला र्र दे ती हैं। अलभर्ान भी बहुत सूक्ष्र् चीज़ है। अलभर्ान र्े र्ारण र्ोई
ने ज़रा भी र्ोई उन्ननत र्े ललए इशारा ददर्ा तो सूक्ष्र् र्ें न सहनशक्तत र्ी लहर आ जाती
है िा संर्ल्प आता है कर् र्ह तर्ों र्हा ? इसर्ो भी अलभर्ान सूक्ष्र् रूप र्ें र्हा जाता है।
र्ोई ने र्ुछ इशारा ददर्ा तो उस इशारे र्ो ितकर्ान और भविष्ठर् दोनों र्े ललए उन्ननत र्ा
साधन सर्झर्र र्े उस इशारे र्ो सर्ा दे ना िा अपने र्ें सहन र्रने र्ी शक्तत भरना - र्ह
अभ्र्ास होना चादहए। सूक्ष्र् र्ें भी िनृ त िा दृक्ष्ठट र्ें हलचल र्चती है - तर्ों, र्ैसे हुआ...?
इसर्ो भी दे ही-अलभर्ानी र्ी स्टे ज नहीं र्हें गे। जैसे र्दहर्ा सुनने र्े सर्र् िनृ त िा दृक्ष्ठट र्ें
उस आत्र्ा र्े प्रनत स्नेह र्ी भािना रहती है , िैसे ही अगर र्ोई लशक्षा र्ा इशारा दे ते हैं, तो
उसर्ें भी उसी आत्र्ा र्े प्रनत ऐसे ही स्नेह र्ी, शभ
ु चचन्तर् र्ी भािना रहती कर् र्ह आत्र्ा
र्ेरे ललए बड़ी से बड़ी शभ
ु चचन्तर् है , ऐसी क्स्थनत र्ो र्हा जाता है दे ही-अलभर्ानी। अगर
दे ही- अलभर्ानी नहीं हैं तो दस
ू रे शब्दों र्ें अलभर्ान र्हें गे। इसललए अपर्ान र्ो सहन नहीं
र्र सर्ते। और दस
ू रे तरि है बबल्र्ुल अनजान, इस र्ारण भी र्ई बातों र्ें धोखा खाते
हैं।

( 10-06-72 )

19
लक्ष्र् श्रेष्ठठ है तो किर लक्षण साधारण आत्र्ा र्ा तर्ों ? इसर्ा र्ारण तर्ा है ? लक्ष्र् र्ो
ही भल
ू जाते हो। लक्ष्र् रखने िाले, किर लक्ष्र् र्ो भल
ू जाते ? र्ोई भी विघ्न र्ा ननिारण
र्रने र्ी शक्तत र्र् तर्ों है ? इसर्ा र्ारण तर्ा ? ननिारण तर्ों नहीं र्र सर्ते हो ?
ननिारण न र्रने र्े र्ारण ही जो लक्ष्र् रखा है इसर्ो पा नहीं सर्ते हो। तो ननिारण र्रने
र्ी शक्तत र्र् तर्ों होती ? श्रीर्त पर चलने िाले र्ा तो जैसा लक्ष्र् िैसे लक्षण होंगे।
अगर लक्ष्र् श्रेष्ठठ है और लक्षण साधारण है तो इसर्ा र्ारण ? तर्ोंकर् विघ्नों र्ो ननिारण
नहीं र्र पाते हो। ननिारण न र्रने र्ा र्ारण तर्ा है ? कर्स शक्तत र्ी र्र्ी है ? ननणकर्
शक्तत; र्ह ठीर् है। जब तर् ननणकर् नहीं र्र पाते तब तर् ननिारण नहीं र्र पाते। अगर
ननणकर् र्र लो तो ननिारण भी र्र लो। लेकर्न ननणकर् र्रने र्ें र्र्ी रह जाती है। और
ननणकर् तर्ों नहीं र्र पाते हो, तर्ोंकर् ननविकर्ल्प नहीं होते। र्वर्थक संर्ल्प, विर्ल्प बवु ि र्ें
होने र्ारण, बुवि तलीर्र न होने र्ारण ननणकर् नहीं र्र पाते हो और ननणकर् न होने र्ारण
ननिारण नहीं र्र पाते। ननिारण न र्र सर्ने र्ारण र्ोई-न-र्ोई आिरण र्े िश हो जाते।
ननिारण नहीं तो आिरण अिश्र् है। तो अपने ननणकर् शक्तत र्ो बढ़ाने ललर्े सहज साधन
र्ौन-सा ददर्ा हुआ है ? जैसे सोने र्ो परखने र्े ललर्े र्सौटी र्ो रखा जाता है , इससे
र्ालूर् हो जाता है कर् सच्चा है िा झठ
ू ा है। ऐसे ही ननणकर् शक्तत र्ो बढ़ाने र्े ललर्े आपर्े
सार्ने र्ौन-सी र्सौटी है ? सार्ार बाप र्ा हर र्तकर्वर् और हर चररत्र र्ही - र्सौटी है। जो
भी र्र्क र्रते हो, जो भी संर्ल्प र्रते हो - अगर इस र्सौटी पर दे ख लो कर् र्ह र्थाथक है
िा अर्थाथक है, र्वर्थक है िा सर्थक है इस र्सौटी पर दे खने र्े बाद जो भी र्र्क र्रें गे िह
सहज और श्रेष्ठठ होगा। तो इस र्सौटी र्ो ही साथ नहीं रखते हो, इसललर्े र्ेहनत लगती है।
जो सहज र्ुक्तत है, इसर्ो भूल जाते हो। इस र्ारण विघ्नों से र्ुक्तत नहीं पा सर्ते हो।
अगर सोने र्ा र्ार् र्रने िाले र्े पास र्सौटी ठीर् न हो तो तर्ा होगा ? धोखा खा लेंगे।
ऐसे ही अगर र्ह र्सौटी सदा साथ, स्र्नृ त र्ें न रखते हो तब र्ुक्श्र्ल अनुभि र्रते हो। है
तो सहज ना। किर र्ुक्श्र्ल तर्ों हो जाता ? तर्ोंकर् र्ुक्तत र्ो र्ुज़ नहीं र्रते हो। र्ुक्तत
र्ूज़ र्रो तो र्ुक्तत ज़रूर हो जार्े। चाहे संर्ल्पों र्े तूिान से, चाहे र्ोई भी सम्बन्ध द्िारा
िा प्रर्ृनत िा सर्स्र्ाओं द्िारा र्ोई भी तूिान िा विघ्न आते हैं तो उससे र्ुक्तत न पाने र्ा
र्ारण र्क्ु तत नहीं। र्क्ु तत-र्त
ु त नहीं बने हो। क्जतना र्ोग र्त
ु त, र्क्ु तत-र्त
ु त होंगे उतना
सिक विघ्नों से र्त
ु त ज़रूर होंगे। सिक विघ्नों से र्ुतत हो र्ा र्ुतत हो ? र्ोग-र्ुतत नहीं रहते
हो तब विघ्नों से र्त
ु त हो।

( 11-07-72 )

जो पहला िार्दा ‘नष्ठटोर्ोहा होने र्ा’ ननभाते हैं िही पहले जन्र् र्े राज्र् र्ें आते हैं। पहला
िार्दा िहो िा पहला पाठ र्हो िा ज्ञान र्ी पहली बात र्हो िा पहला अलौकर्र् जन्र् र्ा
श्रेष्ठठ संर्ल्प र्हो - तर्ा इसर्ो ननभाना र्ुक्श्र्ल लगता है ? अपने स्िरूप र्ें क्स्थत होना

20
िा अपने आप र्ी स्र्नृ त र्ें रहना - र्ह र्ोई जन्र् र्ें र्ुक्श्र्ल लगा ? सहज ही स्र्नृ त
आने से स्र्नृ त-स्िरूप बनते आर्े हो ना। तो इस अलौकर्र् जन्र् र्े स्ि स्िरूप र्ो स्र्नृ त
र्ें र्क्ु श्र्ल तर्ों अनभ
ु ि र्रते हो ? जबकर् साधारण र्नष्ठु र् र्े ललर्े भी र्हाित है कर्
र्नष्ठु र् आत्र्ा र्ी विशेषता ही र्ह है कर् र्नष्ठु र् जो चाहे िह र्र सर्ता है। पशुओं और
र्नष्ठु र्ात्र्ा र्ें र्ख्
ु र् अन्तर र्ही तो है। तो जब साधारण र्नष्ठु र्ात्र्ा जो चाहे सो र्रर्े
ददखा रही है; तो तर्ा आप श्रेष्ठठ र्नष्ठु र् आत्र्ाएं, शक्तत-स्िरूप आत्र्ाएं, नॉलेजिुल
आत्र्ाएं, बाप र्े सर्ीप सम्पर्क र्ें आने िाली आत्र्ाएं, बाप र्ी डार्रे तट पालना लेने िाली
आत्र्ाएं, पूजनीर् आत्र्ाएं, बाप से भी श्रेष्ठठ र्तकबा पाने िाली आत्र्ाएं जो चाहे िह नहीं र्र
सर्ती हैं ? तो साधारण और श्रेष्ठठ र्ें अन्तर ही तर्ा रहा ? साधारण आत्र्ाएं जो चाहे र्र
सर्ते हैं लेकर्न जब चाहे , जैसे चाहे िैसे नहीं र्र सर्तीं। तर्ोंकर् उन्हों र्ें प्रर्ृनत र्ी पािर
है, ईश्िरीर् पािर नहीं है। ईश्िरीर् पािर िाली आत्र्ाएं जो चाहे , जब चाहे , जैसे चाहे िैसे
र्र सर्ते हैं। तो जो विशेषता है उसर्ो प्रैक्तटर्ल र्ें नहीं ला सर्ते हो ? िा आप लोग भी
अभी तर् र्ही र्हते हो कर् चाहते तो नहीं हैं लेकर्न हो जाता है जो चाहते हैं िह र्र नहीं
पाते हैं। र्ह बोल र्ास्टर सिकशक्ततिान र्े िा श्रेष्ठठ आत्र्ाओं र्े नहीं हैं। साधारण आत्र्ाओं
र्ा है। तो तर्ा अपने र्ो साधारण आत्र्ाएं र्हला सर्ते हो ? अपना अलौकर्र् जन्र्,
अलौकर्र् र्र्क जो है उसर्ो भूल जाते हो।

( 22-07-72 )

बाप द्िारा आने से ही र्ुख्र् दो िरदान र्ौन से लर्ले हैं ? उन र्ुख्र् दो िरदानों र्ो जानते
हो ? पहले-पहले आने से र्ही दो िरदान लर्ले कर् - ‘र्ोगी भि’ और ‘पवित्र भि’। र्ब र्ार्ा
र्ोगी से विर्ोगी बना दे ती है। तो र्ोग र्े साथ अगर विर्ोग भी है तो र्ोगी र्हें गे तर्ा ?
आप लोग स्िर्ं ही औरों र्ो सुनाती हो कर् अगर पवित्रता र्ें ज़रा भी अपवित्रता है तो
उसर्ो तर्ा र्हें गे। अभी भी विर्ोगी हो तर्ा ? िा विर्ोगी बन जाते हो तर्ा ? चक्रिती
राजा बनने र्े संस्र्ार होने र्ारण दोनों र्ें ही चक्र लगाती हो तर्ा - र्ब र्ोग र्ें, र्ब
विर्ोग र्ें ? आप लोग विश्ि र्े सिक अत्र्ाओं र्ो इस चक्र से ननर्ालने िाले हो ना। कर्
बाप ननर्ालने िाला है और आप चक्र लगाने िाले हो ? तो जो चक्र से ननर्ालने िाले हैं िह
स्िर्ं भी चक्र लगाते हैं ? तो किर सभी र्ो ननर्ालेंगे र्ैसे ? जैसे भक्तत-र्ागक र्े अनेर्
प्रर्ार र्े र्वर्थक चक्रों से ननर्ल चर्
ु े हो, तब ही अपने ननश्चर् और नशे र्े आधार पर सभी
र्ो चेलेंज र्रती हो कर् इन भक्तत र्े चक्रों से छूटो। ऐसे ही िह है तन द्िारा चक्र
र्ाटना, और र्ह है र्न द्िारा चक्र र्ाटना। तो तन द्िारा चक्र लगाना अब छोड़ ददर्ा।
बार्ी र्न र्ा चक्र अभी नहीं छूटा है ? र्ब विर्ोग, र्ब र्ोग - िह र्न द्िारा ही तो चक्र
लगाती हो। तर्ा अब तर् भी र्ार्ा र्ें इतनी शक्तत रही है तर्ा, जो र्ास्टर सिकशक्ततिान
र्ो भी चक्र र्ें ला देिे ? अब तर् र्ार्ा र्ो इतनी शक्ततशाली दे खर्र, तर्ा र्ार्ा र्ो

21
र्ूनछकत र्रना िा र्ार्ा र्ो हार खखलाना नहीं आता है ? अभी तर् भी उसर्ो देखते रहते हो
कर् हर्ारे ऊपर िार र्र रही है। अभी तो आप शक्तत-सेना और पाण्डि-सेना र्ो अन्र्
आत्र्ाओं र्े ऊपर र्ार्ा र्ा िार दे खते हुर्े रहर्ददल बनर्र रहर् र्रने र्ा सर्र् आर्ा है।
तो तर्ा अब तर् अपने ऊपर भी रहर् नहीं कर्र्ा है ? अब तो शक्ततर्ों र्ी शक्तत अन्र्
आत्र्ाओं र्ी सेिा प्रनत र्तकर्वर् र्ें लगने र्ी हैं। अब अपने प्रनत शक्तत र्ार् र्ें लगाना, िह
सर्र् नहीं है। अब शक्ततर्ों र्ा र्तकर्वर् विश्ि-र्ल्र्ाण र्ा है। विश्ि-र्ल्र्ाणी गाई हुई हो कर्
स्िर्ं र्ल्र्ाणी हो ? नार् तर्ा है और र्ार् तर्ा है। नार् एर्, र्ार् दस
ू रा ? जैसे लौकर्र्
रूप र्ें भी जब अलबेले छोटे होते हैं, क्जम्र्ेिारी नहीं होती है; तो सर्र् िा शक्तत िा धन
अपने प्रनत ही लगाते हैं। लेकर्न जब हद र्े रचनर्ता बन जाते हैं तो जो भी शक्ततर्ााँ िा
सर्र् है िह रचना र्े प्रनत लगाते हैं। तो अब र्ौन हो ? अब र्ास्टर रचनर्ता, जगत ्-र्ाताएं
नहीं बनी हो ? विश्ि र्े उिार र्ूतक नहीं बनी हो ? विश्ि र्े आधार र्ूतक नहीं बनी हो ? जैसे
शक्ततर्ों र्ा गार्न है कर् एर् सेर्ेण्ड र्ी दृक्ष्ठट से असुर संहार र्रती है। तो तर्ा अपने से
आसुरी संस्र्ार िा अपवित्रता र्ो सेर्ेण्ड र्ें संहार नहीं कर्र्ा है ? िा दस
ू रों प्रनत संहारनी हो,
अपने प्रनत नहीं ? अब तो र्ार्ा अगर सार्ना भी र्रे तो उसर्ी तर्ा हालत होनी चादहए ?
जैसे छुईर्ुई र्ा िक्ष
ृ दे खा है ना। अगर र्ोई भी र्नुष्ठर् र्ा ज़रा भी हाथ लगता है तो
शक्ततहीन हो जाती है। उसर्ें टाइर् नहीं लगता। तो आप र्े लसिक एर् सेर्ेण्ड र्े शुि
संर्ल्प र्ी शक्तत से र्ार्ा छुईर्ुई र्ाकिर् र्ूनछकत हो जानी चादहए।

( 28-07-72 )

जो इसेन्सिुल होगा उसर्ें रूहाननर्त र्ी खुशबुएं होंगी। रूहानी खुशबुएं अथाकत रूहाननर्त र्ी
सिक-शक्ततर्ां उसर्ें होंगी, क्जन सिक-शक्ततर्ों र्े आधार से सहज ही अपने तरि
कर्सर्ो आर्वषकत र्र सर्ेंगे। जैसे स्थूल खुशबए
ु ं िा इसेन्स दरू से ही कर्सर्ो अपने
तरि आर्वषकत र्रता है ना। ना चाहने िाले र्ो भी आर्वषकत र्र दे ता है। इसी प्रर्ार र्ैसी
भी आत्र्ाएं इसेन्सिुल र्े सार्ने आिें, तो भी उस रूहाननर्त र्े ऊपर आर्वषकत हो जािेंगी।
क्जसर्ें रूहाननर्त है उनर्ी विशेषता र्ह है जो दरू रहते हुए आत्र्ाओं र्ो भी अपनी
रूहाननर्त से आर्वषकत र्र सर्ते हैं। जैसे आप र्न्सा-शक्तत र्े आधार से प्रर्ृनत र्ा
पररितकन िा र्ल्र्ाण र्रते हो ना। आर्ाश अथिा िार्र्
ु ण्डल आदद-आदद र्ो सर्ीप जार्र
तो नहीं बोलेंगे। लेकर्न र्न्सा-शक्तत से जैसे प्रर्ृनत र्ो तर्ोप्रधान से सतोप्रधान बनाते हो,
िैसे अन्र् विश्ि र्ी आत्र्ाएं जो आप लोगों र्े आगे नहीं आ सर्ेंगी, तो उनर्ो दरू रहते हुए
आप रूहाननर्त र्ी शक्तत से बाप र्ा पररचर् िा बाप र्ा जो र्ख् ु र् संदेश है, िह र्न्सा
द्िारा भी उनर्े बुवि र्ें टच र्र सर्ते हो।
विश्ि-र्ल्र्ाणर्ारी हो, तो तर्ा इतनी सारी विश्ि र्ी आत्र्ाओं र्ो सार्ने संदेश दे सर्ेंगे
तर्ा ? सभी र्ो िाणी द्िारा संदेश नहीं दे सर्ेंगे। िाणी र्े साथ-साथ र्न्सा-सविकस भी ददन-

22
प्रनतददन बढ़ते हुए अनभ
ु ि र्रें गे। जैसे बाप भततों र्ी भािना र्ो सूक्ष्र् रूप से पूणक र्रते हैं,
तो तर्ा िाणी द्िारा सार्ने जाए र्रते हैं तर्ा ? सूक्ष्र् र्शीनरी है ना। िैसे ही आप
शक्ततर्ों र्ा िा पाण्डिों र्ा प्रैक्तटर्ल र्ें भतत आत्र्ाओं र्ो िा ज्ञानी आत्र्ाओं र्ो दोनों
बाप र्ा पररचर् िा संदेश दे ने र्ा र्ार्क अथाकत सक्ष्
ू र् र्शीनरी तेज होने िाली है। र्ह
अक्न्तर् सविकस र्ी रूपरे खा है। जैसे खश
ु बए
ु ं चाहे नजदीर् िालों र्ो, चाहे दरू िालों र्ो
खश
ु बए
ु ं दे ने र्ा र्तकर्वर् र्रते हैं, िैसे ना लसिक सम्र्ख
ु आने िालों तर् लेकर्न दरू बैठी हुई
आत्र्ाओं तर् भी आपर्ी र्ह रूहाननर्त र्ी शक्तत सेिा र्रे गी। तभी प्रैक्तटर्ल रूप
र्ें विश्ि-र्ल्र्ाणर्ारी गार्े जािेंगे। अब तो विश्ि-र्ल्र्ाण र्े प्लैन्स बना रहे हो, प्रैक्तटर्ल
नहीं है। किर र्ह सूक्ष्र् र्शीनरी जब शुरू होगी तो प्रैक्तटर्ल र्तकर्वर् र्ें लग जािेंगे। अनभ
ु ि
र्रें गे कर् ‘‘र्ैसे आत्र्ाएं बाप र्े पररचर् रूपी अंचली लेने र्े ललए तड़प रही हैं और तड़पती
हुई आत्र्ाओं र्ो बुवि द्िारा िा सूक्ष्र् शक्तत द्िारा ना दे खते हुए भी ऐसा अनुभि र्रें गे
जैसे ददखाई दे रहे हैं।’’ तो ऐसी सविकस र्ें जब लग जािेंगे तो विश्ि-र्ल्र्ाणर्ारी प्रैक्तटर्ल
र्ें नार् बाला होगा। किर चारों ओर जहां-जहां से र्ास्टर बुवििानों र्ी बुवि बन सूक्ष्र्
र्शीनरी द्िारा सभी र्ी बुविर्ों र्ो टच र्रें गे तो आिाज िैलेगा कर् र्ोई शक्तत, र्ोई
रूहाननर्त अपने तरि आर्वषकत र्र रही है।

( 04-08-72 )

आप लोगों र्े एर्-एर् बोल र्ें इतनी शक्तत होनी चादहए जो जैसे कर् अनुभिीर्ूतक होर्र
बोलते हो, आप बोलते जाओ और िह अनुभि र्रते जार्ें। आजर्ल र्े जो सो-र्ाल्ड (so-
called; तथार्चथत) र्हात्र्ाएं, पंडडत आदद हैं, जब उन्हों र्ें भी अल्पर्ाल र्ी इतनी शक्तत
है तो आप र्ास्टर सिकशक्ततिान ् र्े एर्-एर् बोल र्ें कर्तनी शक्तत होनी चादहए ? एर्-एर्
बोल र्े साथ कर्सर्ो अनुभि र्राते जाओ। जैसे कर्सी र्ो पहला पाठ दे ते हो - आप आत्र्ा
हो। बोल र्े साथ उन्हों र्ो अनुभि र्राते जाओ। र्ही तो विशेषता है। ऐसे ही भाषण र्रना,
िह तो लोग भी र्रते हैं। उस रीनत बोलना, र्ह िह भी र्रते हैं। लेकर्न जो अन्र् लोग नहीं
र्र सर्ते हैं िह श्रेष्ठठ आत्र्ाएं र्र सर्ते हो, िह अन्तर ही इसर्ें है। तो र्ह विशेषता
प्रैक्तटर्ल र्ें ददखाई दे । िह र्ैसे होगी ? जब अपने र्ें सिक विशेषताओं र्ो धारण र्रो।
अपने आप र्ें भी अगर विशेषता र्ो धारण नहीं कर्र्ा है तो औरों र्ो भी धारणार्त
ू क नहीं
बना सर्ते हो। इसललर्े िनृ त र्ो श्रेष्ठठ बनाओ। बापदादा र्े सम्र्ख
ु जो व्रत ललर्ा है उसर्ें
सदा र्ार्र् रहो।

( 06-08-72 )

23
र्थाथक विचध र्ी सम्पूणक लसवि अिश्र् प्राप्त होती है। लसवि र्ो पाने र्े ललए लसिक एर् बात
बवु ि र्ें स्पष्ठट आ जार्े तो सहज ही विचध र्ो पा सर्ते हो। िह र्ौन-सी बात ? र्ह स्र्नृ त
भी विस्र्नृ त र्ें तर्ों आ जाती है ? ननलर्त्त तर्ा बात बनती है ? लसिक एर् र्क्ु तत आ जार्े
तो विस्र्नृ त से सदा र्े ललए सहज ही र्त
ु त हो सर्ते हैं, िह र्ौन-सी र्क्ु तत है ? र्ोई भी
बात सार्ने विघ्न रूप र्ें आती है , इस आई हुई बात र्ो पररितकन र्रना - र्ह र्क्ु तत आ
जार्े तो सदा विघ्नों से र्त
ु त हो सर्ते हैं। विस्र्नृ त र्े र्ारण स्र्नृ त, िक्ृ त्त, दृक्ष्ठट और
संपर्क बनता है। इन सभी र्ो पररितकन र्रना आ जार्े तो पररपतिता आ जािेगी। र्ोई भी
र्वर्थक स्र्नृ त आती है , दे ह िा दे ह र्े संबंध, दे ह र्े पदाथों र्ी स्र्नृ त र्ो पररितकन र्रना आ
जार्े तो पररपति क्स्थनत नहीं बन जार्ेगी ? ऐसे ही िक्ृ त्त िा दृक्ष्ठट र्ो पररितकन र्रना आ
जार्े, संपर्क र्ा पररितकन र्रना आ जार्े तो सम्पूणकता र्े सर्ीप आ जािेंगे ना। पररितकन
र्रने र्ा तरीर्ा नहीं आता है। दे ह र्ी दृक्ष्ठट र्े बजार् दे ही र्ी दृक्ष्ठट पररितकन र्रना, र्वर्तत
संपर्क र्ो अर्वर्तत-अलौकर्र् संपर्क र्ें पररितकन र्रना - इसी र्ें ही र्र्ी होने से संपूणक
स्टे ज र्ो नहीं पा सर्ते। देखना चादहए कर् प्रर्ृनत र्ें भी पररितकन र्रने र्ी शक्तत है।
साईंस प्रर्ृनत र्ी शक्तत है। जब प्रर्ृनत र्ी शक्तत साईंस िस्तु र्ो एर् सेर्ेण्ड र्ें पररितकन
र्र सर्ती है। गर्क र्ो शीतल, शीतल र्ो गर्क बना सर्ती है। साईंस र्ें र्ह शक्तत है ना।
गर्क िातािरण र्ो शीतल और शीतल िातािरण र्ो गर्क बना दे ती है। प्रर्ृनत र्ी पािर िस्तु
र्ो पररितकन र्र सर्ती है । तो परर्ात्र्-शक्तत र्ा श्रेष्ठठ आत्र्ा र्ी शक्तत अपनी दृक्ष्ठट,
िक्ृ त्त र्ो पररितकन नहीं र्र पाती है ? अपनी ही िक्ृ त्त, अपनी ही दृक्ष्ठट पररितकन न र्र
सर्ने र्े र्ारण अपने ललर्े विघ्न रूप बन जाते हैं। जबकर् प्रर्ृनत आपर्ी रचना है , आप तो
र्ास्टर रचनर्ता हो ना। तो सोचो, जब र्ेरी रचना र्ें र्ह पािर है और र्ुझ र्ास्टर रचनर्ता
र्ें र्ह पािर नहीं हो, र्ह श्रेष्ठठ आत्र्ा र्ा लक्षण है ? आज प्रर्ृनत र्ी पािर एर् सेर्ेण्ड र्ें
जो चाहे िह प्रैक्तटर्ल र्ें र्रर्े ददखाती है। इसललए आज र्ी भटर्ी हुई आत्र्ाएं परर्ात्र्-
शक्तत ईश्िरीर् शक्तत िा साईंलेन्स र्ी शक्तत र्ो प्रैक्तटर्ल सबूत रूप र्ें अथाकत प्रर्ाण रूप
र्ें दे खना चाहते हैं। र्ोई अपर्ार र्रे , आप एर् सेर्ेण्ड र्ें अपर्ार र्ो उपर्ार
र्ें पररिनतकत र्र लो। र्ोई अपने संस्र्ार िा स्िभाि र्े रूप र्ें आपर्े सार्ने परीक्षा र्े रूप
र्ें आिे लेकर्न आप सेर्ेण्ड र्ें अपने श्रेष्ठठ संस्र्ार, एर् र्ी स्र्नृ त से ऐसी आत्र्ा र्े प्रनत
भी रहर्ददल र्े संस्र्ार िा स्िभाि धारण र्र सर्ते हो। र्ोई दे हधारी दृक्ष्ठट से सार्ने आर्े
आप एर् सेर्ेण्ड र्ें उनर्ी दृक्ष्ठट र्ो आक्त्र्र् दृक्ष्ठट र्ें पररिनतकत र्र लो। र्ोई चगराने र्ी
िक्ृ त्त से, िा अपने संगदोष र्ें लाने र्ी दृक्ष्ठट से सार्ने आिे तो आप उनर्ो सदा श्रेष्ठठ संग
र्े आधार से उसर्ो भी संगदोष से ननर्ाल श्रेष्ठठ संग लगाने िाले बना दो। ऐसी पररितकन
र्रने र्ी र्क्ु तत आने से र्ब भी विघ्न से हार नहीं खार्ेंगे। सिक सम्पर्क र्ें आने िाले आप
र्ी इस सूक्ष्र् श्रेष्ठठ सेिा पर बललहार जािेंगे। जैसे बाप आत्र्ाओं र्ो पररिनतकत र्रते हैं तो
बाप र्े ललर्े शकु क्रर्ा गाते हो, बललहार जाते हो, ऐसे सिक सम्पर्क र्ें आने िाली आत्र्ाएं आप
लोगों र्ा शुकक्रर्ा र्ानेंगी। एर् ही सहज र्ुक्तत है ना। िैसे भी र्ोई भी बात, र्ोई रश्र्,

24
र्ोई भी चीज़ पररितकन तो होनी ही है। र्ह ड्रार्ा ही पररितकनशील है। लेकर्न जैसे लोगों र्ो
र्हते हो कर् विनाश तो होना ही है , र्क्ु ततधार् र्ें तो सभी र्ो जाना ही है लेकर्न अगर
विनाश र्े पहले ज्ञान- र्ोग र्े आधार से विर्र्क विनाश र्र दें गे तो सजाओं से छूट जािेंगे।
जाना तो है ही, किर भी जो र्रे गा सो पािेगा। इस प्रर्ार हर बात पररिनतकत होनी है लेकर्न
क्जस सर्र् आपर्े सार्ने िह बात विघ्न रूप बन जाती है उस सर्र् अपनी शक्तत र्े
आधार से एर् सेर्ेण्ड र्ें पररिनतकत र्र ददर्ा तो उस परू
ु षाथक र्रने र्ा िल आपर्ो प्राप्त हो
जािेगा। पररितकन तो होना है लेकर्न सही रूप र्ें , श्रेष्ठठ रूप र्ें पररितकन र्रने से श्रेष्ठठ
प्राक्प्त होती है। सर्र् र्े आधार पर पररितकन हुआ तो प्राक्प्त नहीं होगी। जो विघ्न आर्ा है
सर्र् प्रर्ाण जािेगा ज़रूर लेकर्न सर्र् से पहले अपने पररितकन र्ी शक्तत से पहले ही
पररितकन र्र ललर्ा तो इसर्ी प्राक्प्त आपर्ो ही हो जािेगी। तो र्ह भी नहीं सोचना कर् जो
आर्ा है िह आपेही चला जािेगा, िा इस आत्र्ा र्ा क्जतना दहसाब-कर्ताब होगा िह पूरा हो
ही जािेगा िा सर्र् आपे ही सभी र्ो लसखलािेगा। नहीं, र्ैं र्रूाँगा र्ैं पाऊंगा। सर्र् र्रे गा
तो आप नहीं पािेंगे। िह सर्र् र्ी विशेषता हुई, न कर् आपर्ी। सर्र् पर जो भी बात
स्ित: होती है उसर्ा गार्न नहीं होता लेकर्न बबना सर्र् र्े आधार से र्ोई र्ार्क र्रता है
तो र्र्ाल गाई जाती है। र्ौसर् र्े िल र्ी इतनी िैल्र्ू नहीं होती है लेकर्न उस िल र्ो
बगैर र्ौसर् प्राप्त र्रो तो िैल्र्ू हो जाती है। तो सर्र् आपेही सम्पूणक बना दे गा, र्ह भी
नहीं। सम्पूणक बन सर्र् र्ो सर्ीप लाना है। सर्र् रचना है, आप रचनर्ता हो। रचनर्ता
रचना र्े आधार पर नहीं होते। रचनर्ता रचना र्ो अधीन र्रते हैं। तो ऐसे पररितकन र्रने
र्ी शक्तत धारण र्रो। आज एर् छोटी-सी र्शीनरी चीज़ र्ो कर्तना पररितकन र्र दे ती है!
बबल्र्ुल बेर्ार चीज़ र्ार् िाली बना दे ती है , पुरानी र्ो नर्ा बना दे ती है। तो आपर्ी
सिकश्रेष्ठठ शक्तत र्ी सूक्ष्र् र्शीनरी अपनी िक्ृ त्त, दृक्ष्ठट िा दस
ू रे र्ी िक्ृ त्त,
दृक्ष्ठट र्ो पररिनतकत नहीं र्र सर्ती ? किर र्ह र्ब भी र्ुख से न ननर्लेगा कर् र्ह हुआ,
र्ह हुआ। र्ोई बहाना नहीं लगािेंगे। र्ह भी बहाने हैं। अपने आपर्ो सेि रखने र्े लभन्न-
लभन्न बहाने होते हैं। सुनार्ा था ना कर् संगर्र्ुग र्ें ब्राह्र्णों र्ो सभी से जास्ती र्ह बाजी
आती है। इसी से ही पररितकन र्रना है। सिक र्े संस्र्ारों र्ो बदलना है , र्ही लक्ष्र् ब्राह्र्णों
र्ी जीिन र्ा आधार है। दस
ू रे बदलें तब हर् बदलें, ऐसे नहीं। हर् बदल र्र औरों र्ो बदलें ,
सदा इसर्ें अपने र्ो आगे र्रना चादहए। दस
ू रा बदले न बदले, र्ैं बदल जाऊंगी। तो दस
ू रा
स्ित: ही बदल जािेगा। तो आप बदलने िाले हो, विश्ि र्ो पररितकन र्रने िाले हो न कर्
र्ोई बात र्ें स्िर्ं पररिनतकत होने िाले हो, ऐसा लक्ष्र् सदा स्र्नृ त र्ें रखते हुए अपने आपर्ो
पररपति बनाओ। अब सर्र् सर्ीपता र्ी घंदटर्ां बजा रहा है। आप लोग भी जोर-शोर से
बाप र्े पररचर् र्ा प्रत्र्क्ष सबत
ू ददखाने र्ा परू
ु षाथक र्रो। जो पालना ली है उस पालना र्ा
िल ददखाओ। र्वर्तत सार्ार रूप द्िारा लशक्षा और पालना लर्ली। अर्वर्तत रूप द्िारा भी
बहुत ही लशक्षा र्ी पालना लर्ली। अब र्ौन-सा सर्र् है ? अभी तर् पालना ही लेनी है कर्
पालना र्ा िल ददखाना है ? अब तो ड्रार्ा र्ा र्ह पाटक ही ददखा रहा है। जैसे सतर्ुग र्ें

25
र्ां-बाप पालना र्र राजभाग र्े अचधर्ारी बनार्र, तख्तनशीन बनार्र राजनतलर् दे
अथाकत क्ज़म्र्ेिारी र्ा नतलर् दे स्िर्ं साक्षी हो दे खते हैं। साथ होते भी साक्षी हो दे खते हैं।
तो र्ह विधान भी र्हां से शरू
ु होगा ? अब भी बापदादा इस विश्िसेिा र्े क्ज़म्र्ेिारी र्ा
नतलर् दे स्िर्ं साक्षी हो दे खते हैं। साक्षी हैं ना। साथ होते भी साक्षी हैं।

( 24-12-72 )

सभी कर्स संर्ल्प र्ें बैठे हो ? सभी र्ा एर् संर्ल्प है ना ? जैसे अभी सभी र्ा एर्
संर्ल्प चल रहा था, िैसे ही सभी एर् ही लगन अथाकत एर् ही बाप से लर्लन र्ी, एर्
ही ‘अशरीरी-भि’ बनने र्े शि
ु -संर्ल्प र्ें क्स्थत हो जाओ। तो सभी र्े संगठन रूप र्ा र्ह
एर् शि
ु संर्ल्प तर्ा र्र सर्ता है ? कर्सी र्े भी और दस
ू रे संर्ल्प न हों। सभी एर्-रस
क्स्थनत र्ें क्स्थत हों तो बताओ िह एर् सेर्ेण्ड र्े शि
ु संर्ल्प र्ी शक्तत तर्ा र्र्ाल र्र
दे ती है ? तो ऐसे संगदठत रूप र्ें एर् ही शि
ु संर्ल्प अथाकत एर्-रस क्स्थनत बनाने र्ा
अभ्र्ास र्रना है। तब ही विश्ि र्े अन्दर शक्तत सेना र्ा नार् बाला होगा।
जैसे स्थल
ू सैननर् जब र्ि
ु र्े र्ैदान र्ें जाते हैं तो एर् ही ऑडकर से एर् ही सर्र् िे चारों
ओर अपनी गोली चलाना शुरू र्र दे ते हैं। अगर एर् ही सर्र्, एर् ही ऑडकर से िे चारों
ओर घेराि न डालें तो विजर्ी नहीं बन सर्ते। ऐसे ही रूहानी सेना, संगदठत रूप र्ें, एर् ही
इशारे से और एर् ही सेर्ेण्ड र्ें , सभी एर्-रस क्स्थनत र्ें क्स्थत हो जार्ेंगे, तब ही विजर्
र्ा नगाड़ा बजेगा। अब दे खो कर् संगदठत रूप र्ें तर्ा सभी र्ो एर् ही संर्ल्प और एर् ही
पॉिरिुल स्टे ज (Powerful Stage) र्े अनुभि होते हैं र्ा र्ोई अपने र्ो ही क्स्थत र्रने र्ें
र्स्त होते हैं, र्ोई क्स्थनत र्ें क्स्थत होते हैं और र्ोई विघ्न विनाश र्रने र्ें ही र्वर्स्त होते
हैं ? ऐसे संगठन र्ी ररजल्ट र्ें तर्ा विजर् र्ा नगाड़ा बजेगा ?
विजर् र्ा नगाड़ा तब बजेगा जब सभी र्े सिक-संर्ल्प, एर् संर्ल्प र्ें सर्ा जार्ेंगे, तर्ा
ऐसी क्स्थनत है ? तर्ा लसिक थोड़ी सी विशेष आत्र्ाओं र्ी ही एर्रस क्स्थनत र्ी अंगुली से
र्ललर्ुगी पिकत उठना है र्ा सभी र्े अंगुली से उठे गा ? र्ह जो चचत्र र्ें सभी र्ी एर् ही
अंगुली ददखाते हैं उसर्ा अथक भी संगठन रूप र्ें एर् संर्ल्प, एर् र्त और एर्रस क्स्थनत
र्ी ननशानी है। तो आज बापदादा बच्चों से पूछते हैं कर् र्ह र्ललर्ुगी पहाड़ र्ब उठार्ेंगे
और र्ैसे उठार्ेंगे ? िह तो सुना ददर्ा, लेकर्न र्ब उठाना है ? (जब आप ऑडकर र्रें गे) तर्ा
एर्रस क्स्थनत र्ें एिर-रे डी हो ? ऑडकर तर्ा र्रें गे ? ऑडकर र्ही र्रें गे कर् एर् सेर्ेण्ड र्ें
सभी एर्रस क्स्थनत र्ें क्स्थत हो जाओ। तो ऐसे ऑडकर र्ो प्रैक्तटर्ल र्ें लाने र्े ललए एिर-
रे डी हो ? िह एर् सेर्ेण्ड सदा र्ाल र्ा सेर्ेण्ड होता है। ऐसे नहीं कर् एर् सेर्ेण्ड क्स्थर हो
किर नीचे आ जाओ।
जैसे अन्र् अज्ञानी आत्र्ाओं र्ो ज्ञान र्ी रोशनी दे ने र्े ललर्े सदै ि शुभ भािना ि र्ल्र्ाण
र्ी भािना रखते हुए प्रर्त्न र्रते रहते हो। ऐसे ही तर्ा अपने इस दै िी संगठन र्ो भी

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एर्रस क्स्थनत र्ें क्स्थत र्रने र्े संगठन र्ी शक्तत र्ो बढ़ाने र्े ललए एर्-दस
ू रे र्े प्रनत
लभन्न-लभन्न रूप से प्रर्त्न र्रते हो ? तर्ा ऐसे भी प्लान्स बनाते हो क्जससे कर् कर्सी र्ो
भी इस दै िी संगठन र्ी र्त
ू क र्ें एर्रस क्स्थनत र्ा प्रत्र्क्ष रूप र्ें साक्षात्र्ार हो - ऐसे
प्लान्स बनाते हो ? जब तर् इस दै िी संगठन र्ी एर्-रस क्स्थनत प्रख्र्ात नहीं होगी तब
तर् बापदादा र्ी प्रत्र्क्षता सर्ीप नहीं आर्ेगी - ऐसे एिर-रे डी हो ? जबकर् लक्ष्र् रखा है
विश्ि र्हाराजन ् बनने र्ा, इनडडपैन्डैन्ट राजा नहीं। ऐसे अभी से ही लक्षण धारण र्रने से
लक्ष्र् र्ो प्राप्त र्रें गे ना ? हरे र् ब्राह्र्ण र्ी रेसपॉन्सीबबललटी न लसिक अपने र्ो एर्-रस
बनाना है लेकर्न सारे संगठन र्ो एर्-रस क्स्थनत र्ें क्स्थत र्राने र्े ललर्े सहर्ोगी बनना
है। ऐसे नहीं खुश हो जाना कर् र्ैं अपने रूप से ठीर् ही हूाँ। लेकर्न नहीं।
अगर संगठन र्ें ि र्ाला र्ें एर् भी र्णर्ा लभन्न प्रर्ार र्ा होता है तो र्ाला र्ी शोभा
नहीं होती। तो ऐसे संगठन र्ी शक्तत ही उस परर्ात्र्-ज्ञान र्ी विशेषता है। उत्तर् ज्ञान
और परर्ात्र्-ज्ञान र्ें अन्तर र्ह है। िहााँ संगठन र्ी शक्तत नहीं होती लेकर्न र्हााँ संगठन
र्ी शक्तत है। तो जो इस परर्ात्र्- ज्ञान र्ी विशेषता है इससे ही विश्ि र्ें सारे र्ल्प र्े
अन्दर िह सर्र् गार्ा हुआ है। ‘एर् धर्क’, ‘एर् राज्र्’, ‘एर् र्त’ - र्ह स्थापना र्हााँ से
होगी ? इस ब्राह्र्ण संगठन र्ी विशेषता-दे िता रूप र्ें प्रैक्तटर्ल चलते हैं। इसललर्े पूछ रहे
हैं कर् र्ह विशेषता, क्जससे र्र्ाल होनी है, नार् बाला होना है, प्रत्र्क्षता होनी है , असाधारण
रूप, अलौकर्र् रूप प्रत्र्क्ष होना है , अब प्रत्र्क्ष र्ें हैं ? इस विशेषता र्ें एिर-रे डी हो
? संगठन र्े रूप र्ें एिर-रे डी ?
हरे र् र्ा जो अपना र्ूल संस्र्ार है िही आदद संस्र्ार है। उनर्ो भी जब पररितकन र्ें
लार्ेंगे, तब ही सम्पूणक बनेंगे। अब छोटी-छोटी भल
ू ें तो पररितकन र्रना सहज ही है। लेकर्न
अब लास्ट परू
ु षाथक अपने र्ूल संस्र्ारों र्ो पररितकन र्रना है। तब ही संगठन रूप र्ें एर्-
रस क्स्थनत बन जार्ेगी। र्ह तो सहज है ना-र्रना ? र्ॉपी र्रना तो सहज होता है। अपना-
अपना जो र्ूल संस्र्ार है, उसर्ो लर्टार्र बापदादा र्े संस्र्ारों र्ो र्ॉपी र्रना सहज है र्ा
र्ुक्श्र्ल है ? इसर्ें र्ॉपी भी रीर्ल हो जार्ेगी। सभी बापदादा र्े संस्र्ारों र्ें सर्ान हो।
एर्-एर् बापदादा र्े सर्ान हो गर्ा किर तो एर्-एर् र्ें बापदादा र्े संस्र्ार ददखाई दें गे। तो
प्रत्र्क्षता कर्सर्ी होगी ? बापदादा र्ी। जैसे भक्तत-र्ागक र्ें र्हाित है क्जधर देखते हैं उधर
तू ही तू है। लेकर्न र्हााँ प्रैक्तटर्ल र्ें ददखाई दे खें, क्जसर्ो दे खें िहााँ बापदादा र्े संस्र्ार ही
प्रैक्तटर्ल र्ें जहााँ दे िें। र्ह र्क्ु श्र्ल है तर्ा ? र्क्ु श्र्ल इसललए लगता है जब िॉलो र्रने र्े
बजार् अपनी बवु ि चलाते हो। इसर्ें अपने ही संर्ल्प र्े जाल र्ें िाँस जाते हो। किर र्हते
हो र्ैसे ननर्लें ? और ननर्लने र्ा परू
ु षाथक भी तब र्रते हो जब पूरा िाँस जाते हो। इसललर्े
सर्र् भी लगता है और शक्तत भी लगती है। अगर िॉलो र्रते जाओ तो सर्र् और शक्तत
दोनों ही बच जािेंगी और जर्ा हो जािेंगी। र्ुक्श्र्ल र्ो सहज बनाने र्े ललर्े लास्ट पुरूषाथक
र्ें सिलता प्राप्त र्रने र्े ललर्े र्ौन-सा पाठ पतर्ा र्रें गे। जो अभी सन
ु ार्ा कर् ‘िॉलो-
िादर’। र्ह तो पहला पाठ है। लेकर्न पहला पाठ ही लास्ट स्टे ज र्ो लाने िाला है। इसललए

27
इस पाठ र्ो पतर्ा र्रो। इसर्ो भूलो र्त। तो सदा र्ाल र्े ललर्े अभल
ू , एर्-रस बन
जार्ेंगे।

( 14-04-73 )

सिकशक्ततर्ों से सम्पन्न-र्त्ू तक तर्ा स्िर्ं र्ो अनभ


ु ि र्रते हो ? बापदादा द्िारा इस श्रेष्ठठ
जन्र् र्ा िसाक तर्ा प्राप्त हो गर्ा है ? िसे र्े अचधर्ारी अथाकत सिकशक्ततर्ों र्े अचधर्ारी
बनना, सिकशक्ततर्ों र्े अचधर्ारी अथाकत र्ास्टर सिकशक्ततिान ् बने हो ? र्ास्टर
सिकशक्ततिान ् बनने से जो प्राक्प्त स्िरूप अनुभि र्रते हो तर्ा उसी अनुभि र्ें ननरन्तर
क्स्थत रहते हो िा इसर्ें अन्तर रहता है ? िसे र्े अचधर्ारी बनने र्ें लसिक जो दो बातें बुवि
र्ें रखने से अन्तर सर्ाप्त हो ननरन्तर िह क्स्थनत बना सर्ते हो िे दो शब्द र्ौन-से हैं
? िह जानते भी हो, और र्र भी रहे हो, लेकर्न ननरन्तर नहीं र्रते हो ? एर् है स्र्नृ त र्ो
र्थाथक बनाने र्ा, दस
ू रा है र्र्क र्ो श्रेष्ठठ बनाने र्ा। िे दो शब्द र्ौन-से हैं ? एर् है स्र्नृ त
र्ो पॉिरिुल बनाने र्े ललर्े सदा र्नेतशन (Connection) और र्र्क र्ो श्रेष्ठठ बनाने र्े
ललए सदा अपनी र्रे तशन (Correction) चादहए। र्रे तशन हर र्र्क र्ें न होने र्े र्ारण
र्ास्टर सिकशक्ततिान ् िा ऑलर्ाईटी अथॉररटी र्ी स्टे ज (Stage) पर ननरन्तर क्स्थत नहीं हो
पाते हो। र्ह दोनों शब्द कर्तने सरल हैं।

( 16-05-73 )

तर्ा अपने र्ो विघ्न-प्रूि सर्झते हो ? जब स्िर्ं विघ्न-प्रूि बनेंगे तब ही दस


ू रों र्ो लभन्न-
लभन्न प्रर्ार र्े विघ्नों से बचा सर्ेंगे। स्िर्ं र्ें भी र्ोई र्नसा र्ा विघ्न है तो दस
ू रों र्ो
विघ्न-प्रूि र्भी भी बना न सर्ेंगे। अभी तो सर्र् ऐसा आ रहा है जो सारे भंभोर र्ो जब
आग लगेगी, उस आग से बचाने र्े ललए र्ुछ र्ख्
ु र् बातें आिश्र्र् हैं। जैसे र्हीं भी आग
लगती है, तो आग से बचने र्े ललए पहले कर्स िस्तु कर् आिश्र्र्ता होती है ?
जब इस विनाश र्ी आग चारो ओर लगेगी, उस सर्र् आप श्रेष्ठठ आत्र्ाओं र्ा पहला-पहला
र्तकर्वर् र्ौन-सा है ? शाक्न्त र्ा दान अथाकत शीतलता र्ा जल देना। पानी डालने र्े बाद
किर तर्ा-तर्ा र्रते हैं ? क्जसर्ो जो-र्ुछ आिश्र्र्ता होती है िह उन र्ी आिश्र्र्ताएं
पूणक र्रते हैं। कर्सी र्ो आरार् चादहए, कर्सी र्ो दठर्ाना चादहए, र्तलब क्जसर्ी जैसी
आिश्र्र्ता होती है िही पूरी र्रते हैं। आप लोगों र्ो र्ौन-सी आिश्र्र्ताएं पूणक र्रनी
पड़ेंगी, िह जानते हो ? उस सर्र् हरे र् र्ो अलग-अलग शक्तत र्ी आिश्र्र्ता होगी। कर्सी
र्ो सहनशक्तत र्ी आिश्र्र्ता, कर्सी र्ो सर्ेटने र्ी शक्तत र्ी आिश्र्र्ता, कर्सी र्ो
ननणकर् र्रने र्ी शक्तत र्ी आिश्र्र्ता और कर्सी र्ो अपने-आप र्ो परखने र्ी शक्तत र्ी
आिश्र्र्ता होगी। कर्सी र्ो र्क्ु तत र्े दठर्ाने र्ी आिश्र्र्ता होगी। लभन्न-लभन्न शक्ततर्ों

28
र्ी उन आत्र्ाओं र्ो उस सर्र् आिश्र्र्ता होगी। बाप र्े पररचर् द्िारा एर् सेर्ेण्ड र्ें
अशान्त आत्र्ाओं र्ो शान्त र्राने र्ी शक्तत भी उस सर्र् आिश्र्र् है। िह अभी से ही
इर्ट्ठी र्रनी होगी। नहीं तो उस सर्र् लगी हुई आग से र्ैसे बचा सर्ेंगे ? जी-दान र्ैसे दे
सर्ेंगे ? र्ह अपने-आप र्ो पहले से ही तैर्ारी र्रने र्े ललए दे खना पड़ेगा।
जैसे छ: र्ास र्ा स्टॉर् रखते हो न, कर् छ: र्ास र्ें इस-इस िस्तु र्ी आिश्र्र्ता होगी।
चेर् र्रर्े किर भर दे ते हो। इस प्रर्ार तर्ा र्ह स्टॉर् भी चेर् र्रते हो ? सारे विश्ि र्ी
सभी आत्र्ाओं र्ो शक्तत र्ा दान दे ना पड़ेगा। इतना स्टॉर् जर्ा कर्र्ा है जो स्िर्ं भी
अपने र्ो शक्तत र्े आधार से चला सर्ें और दस
ू रों र्ो भी शक्तत दे सर्ें ताकर् र्ोई भी
िंचचत न रहे । अगर अपने पास शक्ततर्ााँ जर्ा नहीं हैं और एर् भी आत्र्ा िंचचत रह गई तो
इसर्ा बोझा कर्स पर होगा ? जो ननलर्त्त बनी हुई हैं। सदै ि अपनी हर शक्तत र्ा स्टॉर्
चेर् र्रो। क्जसर्े पास सिक-शक्ततर्ों र्ा स्टॉर् जर्ा है िही र्ुख्र् गार्े जाते हैं।
जैसे स्टासक ददखाते हैं उनर्ें भी नम्बरिार होते हैं। क्जन र्े पास स्टॉर् जर्ा है िही लतर्ी
स्टासक र्े रूप र्ें चर्र्ते हुए विश्ि कर् आत्र्ाओं र्े बीच नजर आर्ेंगे। तो र्ह चैकर्ं ग र्रनी
है कर् तर्ा सिकशक्ततर्ों र्ा स्टॉर् है ? र्हारचथर्ों र्ा हर संर्ल्प पर पहले से ही अटे न्शन
रहता है। र्हारचथर्ों र्े चेर् र्रने र्ी रूप-रे खा ही न्र्ारी है। र्ोग र्ी शक्तत होने र्े र्ारण
ऑटोर्ेदटर्ली र्क्ु तत-र्ुतत संर्ल्प, बोल और र्र्क होंगे। अभी र्ह नेचरल रूप हो गर्ा है।
र्हारचथर्ों र्े चैकर्ं ग र्ा रूप भी र्ह है। सिकशक्ततर्ों र्ें कर्स शक्तत र्ा कर्तना स्टॉर् जर्ा
है। उस जर्ा कर्ऐ हुए स्टॉर् से कर्तनी आत्र्ाओं र्ा र्ल्र्ाण र्र सर्ते हैं। जैसे स्थूल
स्टॉर् र्ी दे ख-रे ख र्रना और जर्ा र्रना र्ह ड्र्ट
ू ी है; िैसे ही सिकशक्ततर्ों र्े स्टॉर् जर्ा
र्रने र्ी भी क्ज़म्र्ेिारी है। र्ह होता है ऑलराउण्डर र्ा हर चीज र्े स्टॉर् र्ी आिश्र्र्ता
प्रर्ाण जर्ा र्रना। अर्त
ृ बेले उठर्र अपने र्ो अटे न्शन र्े पट्टे पर चलाना तो पट्टे पर गाड़ी
ठीर् चलेगी। किर नीचे-ऊपर होना सम्भि ही नहीं। तो अभी र्ह स्टॉर् जर्ा र्रने र्ी
चैकर्ं ग रखनी है। सारे विश्ि र्ो क्जम्र्ेिारी तुर् बच्चों पर है। लसिक भारत र्ी नहीं।
र्हारचथर्ों र्ा हर र्र्क र्हान होना चादहए। कर्ससे ? - घोड़े सिार और प्र्ादों से र्हान।

( 01-06-73 )

सिक-शक्ततर्ों र्ें से विशेष शक्तत र्ो जानते हो ? अपने र्ो र्ास्टर सिकशक्ततिान ् तो सर्झते
हो ना ? सिकशक्ततर्ों र्ें से सिक श्रेष्ठठ शक्तत र्ौन-सी है। जैसे पढ़ाई र्ें अनेर् सब्जेतटस ्
होते हैं लेकर्न उनर्ें से एर् विशेष होता है। िैसे ही सिक-शक्ततर्ााँ आिश्र्र् तो हैं लेकर्न इन
शक्ततर्ों र्ें से सभी से श्रेष्ठठ शक्तत र्ौन-सी है ? जो आिश्र्र् हैं, क्जसर्े बगैर र्हारथी ि
र्हािीर बनना र्ुक्श्र्ल है। हैं तो सभी आिश्र्र्। एर् र्ा दस
ू रे से सम्बन्ध है लेकर्न किर
भी नम्बर िन जो सिकशक्ततर्ों र्ो नजदीर् लाने िाली है िह र्ौन-सी है ? (परखने र्ी
शक्तत)।

29
सैल्ि ररअलाइजेशन र्रना भी परखने र्ी शक्तत है। सैल्ि ररइलाइजेशन र्ा अथक ही है -
अपने आप र्ो परखना ि जानना। पहले बाप र्ो परखेंगे तब जानेंगे र्ा पहचान सर्ेंगे। और
जब पहचानेंगे तब बाप र्े सर्ीप ि सर्ान बन सर्ेंगे। परखने र्ी शक्तत है नम्बरिन।
परखना क्जसर्ो र्ार्न शब्दों र्ें पहचान र्हते हैं। पहले-पहले ज्ञान र्ा आधार ही है बाप र्ो
पहचानना अथाकत परखना कर् र्ह बाप र्ा र्त्तकर्वर् चल रहा है। पहले परखने र्ी शक्तत
आिश्र्र् है। परखने र्ी शक्तत र्ो नॉलेजिुल र्ी स्टे ज र्हते है।
परखने र्ी शक्तत र्ा विस्तार तर्ा है और उससे प्राक्प्त तर्ा होती है ? इस विषर् पर
आपस र्ें रूह-रूहान र्र सर्ते हो। इससे खेल-खेल र्ें आत्र्ाओं र्ी सर्ीपता र्ा र्ेल होता
है। जब अन्त र्ें सभी बातों र्ें -- एर् दस
ू रे र्े सर्ीप हो जाते हैं, र्ेल हो जाता है तब दाना
दाने से लर्ल ‘र्ाला’ बनती है।

( 08-06-73 )

अभी सर्र् ऐसा आ रहा है जो सारे भंभोर र्ो आग लगेगी। उस आग से बचाने र्े ललए
र्ुख्र् दो बातें आिश्र्र् हैं। जब विनाश र्ी आग चारों ओर लगेगी उस सर्र् आप श्रेष्ठठ
आत्र्ाओं र्ा पहला र्तकर्वर् है - शाक्न्त र्ा दान अथाकत सिलता र्ा बल दे ना। उसर्े बाद
तर्ा चादहए ? किर क्जसर्ो जो आिश्र्र्ता होती है िह पूणक र्ी जाती है। आप लोगों र्ो
ऐसे सर्र् उनर्ी र्ौन-सी आिश्र्र्ता पूणक र्रनी पड़ेगी ? उस सर्र् हरे र् र्ो अलग-
अलग शक्तत र्ी आिश्र्र्ता होगी। र्ोई र्ो सहन र्रने र्ी शक्तत र्ी आिश्र्र्ता
होगी, कर्सी र्ो सर्ेटने र्ी शक्तत र्ी आिश्र्र्ता होगी, कर्सी र्ो ननणकर् र्रने र्ी शक्तत
र्ी आिश्र्र्ता होगी और र्ोई र्ो र्ुक्तत र्ी आिश्र्र्ता होगी। क्जसर्ी जो आशा होगी िह
पूणक र्रने र्े ललर्े बाप र्े पररचर् द्िारा एर् सेर्ेण्ड र्ें अशान्त आत्र्ा र्ो शान्त र्राने र्ी
शक्तत भी उस सर्र् आिश्र्र् होगी। तो र्ह सभी शक्ततर्ााँ अभी से ही इर्ट्ठी र्रनी
हैं, नहीं तो उस सर्र् जी-दान र्ैसे दे सर्ेंगे ? सारे विश्ि र्ी सिक आत्र्ाओं र्ो शक्ततर्ों
र्ा दान दे ना पड़ेगा। इतना स्टॉर् जर्ा र्रना है जो स्िर्ं भी अपने र्ो शक्तत र्े आधार पर
चला सर्ें और दस
ू रों र्ो भी दे सर्ें। र्ोई भी िंचचत न रहे । एर् आत्र्ा भी र्दद िंचचत रही
तो बोझ कर्स पर होगा ? जो ननलर्त्त बने हुए हैं - जी-दान दे ने र्े ललर्े। तो अपनी हर
शक्तत र्े स्टॉर् र्ो चेर् र्रो। क्जनर्े पास शक्ततर्ों र्ा स्टॉर् जर्ा है िही लतर्ी स्टासक र्े
रूप र्ें विश्ि र्ी आत्र्ाओं र्े बीच चर्र्ते हुर्े नजर आर्ेंगे। तो अब ऐसी चेकर्ं ग र्रनी है।

( 28-06-73 )

जैसे बाप र्ा आह्िान र्र सर्ते हो अथाकत सिकशक्ततिान र्ा आह्िान र्र सर्ते हो, िैसे ही
अपने र्ें क्जस सर्र्, क्जस शक्तत र्ी आिश्र्र्ता होती है तर्ा उस शक्तत र्ा आहृन र्र
सर्ते हो ? अथाकत सर्ाई हुई शक्तत र्ो स्िरूप र्ें ला सर्ते हो ? जैसे बाप र्ो अर्वर्तत से

30
र्वर्तत र्ें लाते हो, तर्ा इसी प्रर्ार हर शक्तत र्ो र्ार्क र्ें र्वर्तत र्र सर्ते हो ? तर्ोंकर्
अब सर्र् है सिक-शक्ततर्ों र्ो र्वर्तत र्रने र्ा तथा प्रलसि र्रने र्ा। जब प्रलसवि होगी तब
ही शक्तत सेना र्े विजर् र्ा नारा बल
ु न्द होगा। इसर्ें सिलता र्ा र्ख्
ु र् आधार है - परखने
र्ी शक्तत। जब परखने र्ी शक्तत होगी तो ही अन्र् शक्ततर्ों से भी र्ार्क ले सर्ती हो।
परखने र्ी शक्तत र्र् होने और शक्ततर्ों र्े र्क्ु तत-र्त
ु त र्ार् र्ें न लाने से सदा
सिलतार्त
ु क नहीं बन सर्ते। अष्ठट-शक्ततर्ां अब प्रत्र्क्ष रूप र्ें ददखाई दे नी चादहर्ें। र्हािीर
र्ी ननशानी र्ही है कर् अष्ठट-शक्ततर्ां हर सर्र् प्रत्र्क्ष रूप र्ें नज़र आर्ें। ऐसे आत्र्ार्ें ही
अष्ठट रत्नों र्ें आ सर्ते हैं।

( 06-02-74 )

अपने र्ो तर्ा लाइट हाउस और र्ाइट हाउस सर्झ र्र चलते हो ? लसिक लाइट और र्ाइट
सर्झ र्र नहीं लेकर्न लाइट हाउस और र्ाइट हाउस। अथाकत लाइट और र्ाइट दे ने िाले
दाता, हाउस तब बन सर्ेंगे जब उनर्े अपने पास इतना स्टॉर् जर्ा हो। अगर स्िर्ं सदा
लाइट स्िरूप नहीं बन सर्ते ि लाइट स्िरूप र्ें सदा क्स्थत नहीं हो सर्ते , तो िह अन्र्
आत्र्ाओं र्ो लाइट हाउस बन, लाइट नहीं दे सर्ते। जो स्िर्ं ही र्ास्टर सिकशक्ततर्ान ् होते
हुए, अपने प्रनत भी सिक शक्ततर्ों र्ो र्ूज नहीं र्र सर्ते तो िे र्ाइट हाउस बन, अन्र्
आत्र्ाओं र्ो सिक शक्ततर्ों र्ा दान र्ैसे र्र सर्ते हैं ? अब स्िर्ं से पछ
ू ो कर् र्ैं तर्ा
लाइट और र्ाइट हाउस बना हूाँ ? र्ोई भी आत्र्ा अगर र्ोई भी शक्तत प्राप्त र्रने र्ी
इच्छा रखते हुए आपर्े सार्ने आर्े तो तर्ा उस आत्र्ा र्ो िह शक्तत दे सर्ते हो ? अगर
सहन र्रने र्ी इच्छा अथिा ननणकर् र्रने र्ी शक्तत र्ी इच्छा रख र्र र्ोई आर्े और उसे
सर्ाने र्ी शक्तत र्ा परखने र्ी शक्तत र्ा दान दे दो, लेकर्न उस सर्र् उस आत्र्ा र्ो जो
सहन शक्तत र्े दान र्ी ज़रूरत है र्दद िह उसे नहीं दे सर्ते , तो तर्ा ऐसी आत्र्ा र्ो
र्हादानी, िरदानी र्ा विश्ि-र्ल्र्ाणी र्ह सर्ते हैं ? अगर स्िर्ं र्ें ही कर्सी एर् शक्तत र्ी
र्र्ी होगी, तो दस
ू रों र्ो सिकशक्ततिन ् बाप र्े िसे र्ा अचधर्ारी िा र्ास्टर सिकशक्ततर्ान ्
र्ैसे बना सर्ेंगे ?
सर्
ू किंशी हैं - सिकशक्ततर्ान ् और चन्रिंशी हैं - शक्ततिान ्। अगर एर् शक्तत र्ी भी र्र्ी
है, तो सिकशक्ततर्ान ् र्े बजार्, शक्ततिान ् र्हलार्े जािेंगे अथाकत िे सर्
ू किंश र्े राज्र्भाग र्े
अचधर्ारी नहीं बन सर्ते। सिकशक्ततर्ान ् ही सिकगण
ु सम्पन्न, सोलह र्ला सम्पण
ू क बनने र्े
अचधर्ारी बनते हैं। र्र् शक्ततिान ् र्ल्र्ाणी बन सर्ते हैं, लेकर्न विश्ि-र्ल्र्ाणी नहीं बन
सर्ते। अगर कर्सी आत्र्ा र्ो सर्ाने र्ी शक्तत चादहर्े और आप उसे विस्तार र्रने र्ी
शक्तत दे दो िा और अन्र् सब शक्ततर्ााँ दे दो, लेकर्न जो उसर्ो चादहर्े िह न दे सर्ो, तो
तर्ा िह आत्र्ा तप्ृ त होगी ? तर्ा आपर्ो विश्ि-र्ल्र्ाणी र्ानेंगी ? जैसे कर्सर्ो पानी र्ी
प्र्ास हो और आप उसे छत्तीस प्रर्ार र्े भोजन दे दो, लेकर्न पानी र्ा प्र्ासा तर्ा छत्तीस

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प्रर्ार र्े भोजन से सन्तुष्ठट होगा िा आपर्े प्रनत शुकक्रर्ा र्ानेगा ? पानी र्े बदले चाहे आप
उसे हीरा दे दो, परन्तु उस सर्र् उस आत्र्ा र्े ललए पानी र्ी एर् बंद
ू र्ी र्ीर्त अनेर्
हीरों से ज्र्ादा है, ऐसे ही अगर अपने पास सिक शक्ततर्ों र्ा स्टॉर् जर्ा नहीं होगा तो, सिक-
आत्र्ाओं र्ो सन्तष्ठु ट र्रने िाली सन्तष्ठु टर्खणर्ााँ नहीं बन सर्ेंगे, िा सिक-आत्र्ार्ें आपर्ो
जी-दाता, सिक-शक्तत दाता नहीं र्ानेंगी। अगर विश्ि र्ी सिक- आत्र्ाओं द्िारा विश्ि-र्ल्र्ाणी
र्ाननीर् नहीं बनेंगे, तो र्ाननीर् र्े बबना पज्
ू र्नीर् भी नहीं बन सर्ेंगे। सन्तष्ठु ट र्खण बनने
र्े बबना बाप-दादा र्े र्स्तर् र्ी र्खणर्ााँ नहीं बन सर्ते हो। तर्ा ऐसे र्हीनता र्ी चैकर्ं ग
र्रते हो िा अब तर् र्ुख्र्-र्ुख्र् बातों र्ें भी चैकर्ं ग र्रना र्ुक्श्र्ल अनुभि होता है ?

( 18-06-74 )

बापदादा र्े पास सारे ददन र्ें पााँच प्रर्ार र्ी तर्ू लगती है।
(1) एर् तर्ू होती है लभन्न-लभन्न प्रर्ार र्ी अज़ी ले आने िालों र्ी, र्भी स्िर्ं र्े प्रनत
अज़ी ले आते हैं कर् हर्े शक्तत दो, सहर्ोग दो, बुवि र्ा ताला खोलो, दहम्र्त दो र्ा र्ुक्तत
दो। र्भी किर अन्र् सम्पर्क र्ें आने िाली आत्र्ाओं र्ी अज़ी ले आते हैं कर् र्ेरे पनत ि
िलाने सम्बन्धी र्ी बुवि र्ा ताला खोल दो। र्भी-र्भी अपनी र्ी हुई सविकस र्ी सिलता
न दे खर्र र्ह भी अज़ी र्रते हैं कर् हर्ारी सिलता हो जाए, सविकस हर् र्रें गे और सिलता
आप दे ना। हर्ारी र्ाद र्ी र्ात्रा ननरन्तर और पॉिरिुल हो जाए। हर्ारे र्ह संस्र्ार खत्र् हो
जार्ें। ऐसी लभन्न-लभन्न प्रर्ार र्ी अज़ी डालने िाले बाप र्े पास आते रहते हैं।
(2) दस
ू री तर्ु होती है र्म्पलेन्ट र्रने िालों र्ी। उन्हों र्ी भाषा ही ऐसी होती है - र्ह
तर्ों, र्ह र्ैसे, र्ब और तर्ों होगा ? र्ैं चाहती हूाँ, किर भी तर्ों नहीं होता, र्ाद तर्ों नहीं
ठहरती ? लौकर्र् और अलौकर्र् पररिार से सहर्ोग तर्ों नहीं लर्लता ? ऐसी अनेर् प्रर्ार
र्ी र्म्पलेन््स होती हैं। उनर्ें भी विशेष दो बातों र्ें कर् र्वर्थक संर्ल्प तर्ों आते हैं , शरीर
र्ा रोग तर्ों आता है , र्ाद तर्ों टूटती है आदद ? इस प्रर्ार र्ी र्म्पलेन््स र्ी तर्ू लम्बी
होती है।
(3) र्ई बाप-दादा र्ो ज्र्ोनतषी सर्झ र्र तर्ू लगाते हैं। तर्ा हर्ारी बीर्ारी लर्टे गी ? तर्ा
सविकस र्ें सिलता होगी ? तर्ा र्ेरा िलाना सम्बन्धी ज्ञान र्ें चलेगा ? तर्ा हर्ारे गााँि ि
शहर र्ें सविकस िवृ ि र्ो पािेगी ? तर्ा र्वर्िहार र्ें सिलता होगी ? र्ह र्वर्िहार र्रूाँ र्ा र्ह
र्वर्िहार छोडूं ? बबजनेस र्रूाँ र्ा नौर्री र्रूाँ ? तर्ा र्ैं र्हारथी बन सर्ती हूाँ ? तर्ा आप
सर्झते हो, कर् र्ैं बनाँग
ू ी ? ऐसे-ऐसे गह
ृ स्थ-र्वर्िहार र्ी छोटी-छोटी बातें , कर् तर्ा र्ेरी सास
र्ा क्रोध र्र् होगा ? र्ैं बांधेली र्ा बााँधेला हूं, तर्ा र्ेरा बन्धन टूटे गा ? तर्ा र्ैं स्ितन्त्र
बनूंगी ि बनूंगा अथिा र्ई र्ह भी विशेष बातें पूछते हैं कर् तर्ा र्ैं टोटल सरे ण्डर हूंगा
? तर्ा र्ेरी र्ह इच्छा पूरी होगी ? ऐसे र्ह भी तर्ू होती है।

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(4) चौथी तर्ू होती है उल्हना दे ने िालों र्ी। आप ऐसे टाइर् पर तर्ों आर्े जब हर् बुड्ढी
बन गई और अब र्ैं बीर्ार शरीर िाली बन गई ? आपने पहले तर्ों नहीं जगार्ा ? दे री से
तर्ों जगार्ा ? आप लसन्ध दे श र्ें ही तर्ों आर्े ? पहले िहााँ र्ी बहनें तर्ों ननर्लीं
? संगर्र्ग
ु पर हर्ें गोप तर्ों बनार्ा ? शक्तत िस्टक र्ह रीनत रस्र् तर्ों बनी ? तर्ा इस
लास्ट जन्र् र्ें ही र्झ
ु े बान्धेली बनना था ? ऐसा र्र्क-बन्धन र्ेरा ही तर्ों बना ? र्झ
ु े
गरीब तर्ों बनार्ा, कर् जो र्ैं धन से सहर्ोग नहीं र्र सर्ती। सार्ार रूप र्ें लर्लने र्ा
पाटक हर्ारा तर्ों नही बना ? ऐसे अनेर् प्रर्ार से उल्हना दे ने िालों र्ी तर्ू भी होती है।
(5) पााँचिी तर्ू भी होती है िह अब र्र् होती जा रही है िह है रॉर्ल रूप से र्ांगने र्ी।
अभी र्ृपा ि आशीिाकद शब्द नहीं र्हते लेकर्न उसर्ें चाहना तो भरी ही होती है। अब हरे र्
अपने र्ो दे खे कर् सारे ददन र्ें आज हर्ने कर्तनी तर्ू र्ें नम्बर लगार्े। जैसे आजर्ल एर्
ही ददन र्ें अनेर् तर्ू लगानी पड़ती हैं ना ? िैसे ही बाप-दादा र्े पास भी र्ई बच्चे सारे
ददन र्ें इन तर्ू र्ें ठहरते रहते हैं। न लसिक अर्वर्तत रूप र्ें ि सूक्ष्र् रूप र्ें र्ह बातें र्रते
रहते हैं, लेकर्न जब अर्वर्तत से र्वर्तत र्ें लर्लने आते हैं तो भी र्ह छोटी-छोटी बातें पूछते
रहते हैं! र्ास्टर नॉलेजिुल और र्ास्टर सिकशक्ततर्ान ् र्ी स्टे ज पर क्स्थत हो जाओ तो सब
प्रर्ार र्ी तर्ू सर्ाप्त हो आप एर्-एर् र्े आगे आपर्ी प्रजा और भततों र्ी तर्ू लगे। जब
तर् स्िर्ं ही इस तर्ू र्ें बबजी हो, तब तर् िह तर्ू र्ैसे लगे ? इसललए अब अपनी स्टे ज
पर क्स्थत हो, इन सब तर्ू से ननर्ल, बाप र्े साथ संगर्र्ुग र्ें र्ेले र्ी अनोखी विशेषता
र्ह है कर् र्ह र्ेला एर् ही सर्र्, एर् से सिक सम्बन्धों से, सिक-सम्बन्धों र्े स्नेह और
प्राक्प्त र्ा लर्लन र्नाने र्ा अलौकर्र् र्ेला है। सदा लर्लन र्नाने र्ी लगन र्ें अपने सर्र्
र्ो लगाओ और लिलीन बन जाओ तो र्ह सब बातें सर्ाप्त हो जािेंगी।

( 08-07-74 )

ददन प्रनतददन आपर्े पास जो आत्र्ार्ें आर्ेंगी िह अनत ननबकल स्टे ज िाली ही आिेंगी। जैसे
पहले ग्रुप र्ें आप लोग ननर्ले तो पहले ग्रुप र्ी शक्तत, दहम्र्त और दस
ू रे ग्रुप र्ी
शक्तत, दहम्र्त और तीसरे ग्रप
ु र्ी शक्तत और दहम्र्त र्ें अन्तर ददखाई दे ता है ना। ऐसे ही
किर नई-नई आत्र्ाएं जो अब ननर्ल रही हैं उनर्ी शक्तत और दहम्र्त र्ें भी अन्तर ददखाई
दे ता है। तन से भी और र्न से भी हर ग्रप
ु र्ें अन्तर ददखाई दे ता जाता है। दहसाब से सोचो
कर् अब जो लास्ट र्ी आत्र्ार्ें आिेंगी, िह तर्ा होंगी? अनत ननबकल होंगी ना? तो, ऐसी
ननबकल आत्र्ाओं र्ो लसिक ज्ञान दे ददर्ा, उन्हें र्ोसक र्रा ददर्ा ि र्ोग र्ें बैठा ददर्ा, िे इससे
आगे नहीं बढ़े गी। अब तो ननलर्त्त बनी हुई आत्र्ाओं र्ो, अपनी प्राप्त र्ी हुई शक्ततर्ों र्े
आधार से ही ननबकल आत्र्ाओं र्ो सहर्ोग दे ते हुए, आगे बढ़ाना पड़ेगा। इसर्े ललर्े अभी से
ही अपने र्ें सिकशक्ततर्ों र्ा स्टॉर् जर्ा र्रो। जैसे स्थल
ू भोजन र्ा लंगर लगता है ना, ऐसे
ही आपर्े पास शक्तत लेने र्ा दृश्र् बहुत जल्दी सार्ने आर्ेगा अथाकत ् आप लोगों र्ो भी

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शक्तत दे ने र्ा लंगर लगाना पड़ेगा। उसर्े ललर्े आप र्ो अपने र्ें पहले से ही स्टॉर् जर्ा
र्रना पड़ेगा। जो गार्न है - रोपदी र्े दे गड़े र्ा। रोपददर्ााँ तो आप सब हो न? रोपदी
अथाकत ् र्ज्ञर्ाता र्ा दे गड़ा दोनों बातों र्ें प्रलसि है। एर् तो स्थल
ू साधनों र्ी र्ोई र्र्ी नहीं
और दस
ू रे सिकशक्ततर्ों र्ी र्ोई र्र्ी नहीं। सिक-शक्ततर्ों से सम्पन्न दे गड़ा र्ब खाली नहीं
होता। भल कर्तने भी आ जाएं। कर्तना बड़ा लंगर लग जािे र्ोई भख
ू ा नहीं जा सर्ता।
आगे चल र्र, जब प्रर्ृनत र्े प्रर्ोप होंगे और आपदार्ें आिेंगी, तब सबर्ा पेट भरने र्े
ललर्े र्ौन-सी चीज र्ार् आर्ेगी? उस सर्र् सबर्े अन्दर र्ौन-सी भख
ू होगी? अन्न र्ी
र्र्ी र्ा धन र्ी? तब तो, शाक्न्त और सुख र्ी भूख होगी। तर्ोंकर् प्रार्ृनतर् आपदाओं र्े
र्ारण, धन होते हुए भी, धन र्ार् र्ें नहीं आर्ेगा। साधन होते हुए भी साधनों द्िारा प्राक्प्त
नहीं हो सर्ेगी। जब सब स्थूल साधनों से ि स्थूल धन से प्राक्प्त र्ी र्ोई आशा नहीं
रहे गी, तब उस सर्र् सबर्ा संर्ल्प तर्ा होगा कर् र्ोई शक्तत दे िे, जो कर् इन आपदाओं से
पार हो सर्ें और र्ोई हर्ें शाक्न्त दे िे। तो ऐसे-ऐसे लंगर बहुत लगने िाले हैं। उस सर्र्
पानी र्ी एर्ादा बूंद भी र्हीं ददखाई नहीं दे गी। अनाज भी प्रार्ृनतर् आपदाओं र्े र्ारण
खाने र्ोग्र् नहीं होगा, तो किर उस सर्र् आप लोग तर्ा र्रें गे? जब ऐसी परीक्षार्ें आपर्े
सार्ने आर्ें तो, उस सर्र् आप तर्ा र्रें गे? तर्ा ऐसी परीक्षाओं र्ो सहन र्रने र्ी इतनी
दहम्र्त है? तर्ा उस सर्र् र्ोग लगेगा र्ा कर् प्र्ास लगेगी। अगर र्ूएाँ भी सूख
जािेंगे, किर तर्ा र्रें गे? जब र्ह विशेष आत्र्ाओं र्ा ग्रुप है , तो उनर्ा पुरूषाथक भी विशेष
होना चादहए ना? तर्ा इतनी सहनशक्तत है? र्ह तर्ों नहीं सर्झते-जैसा कर् गार्न है कर्
चारों ओर आग लगी हुई थी, लेकर्न भट्ठी र्ें पडे हुए पूंगरे , ऐसे ही सेि रहे , जो कर् उनर्ो
सेर् तर् नहीं आर्ा। आप इस ननश्चर् से तर्ों नहीं र्हते? अगर र्ोग-र्ुतत हैं, तो भल
नजदीर् िाले स्थान पर नुर्सान भी होगा, पानी आ जार्ेगा लेकर्न बाप द्िारा जो ननलर्त्त
बने हुए स्थान हैं, िह सेि रह जािेंगे , र्दद अपनी गिलत नहीं है तो। अगर अभी तर् र्हीं
भी नुर्सान हुआ है, तो िह अपनी बुवि र्ी जजर्ेन्ट र्ी र्र्जोरी र्े र्ारण। लेकर्न अगर
र्हारथी, विशाल बुवि िाले और सिकशक्ततर्ों र्े िरदान प्राप्त र्रने िाले, कर्सी भी स्थान र्ें
रहते हैं, तो िहााँ सूली से र्ााँटा बन जाता है अथाकत ् िे सेि रह जाते हैं। र्ैसा भी सर्र् हो
र्दद शक्ततर्ों र्ा स्टॉर् जर्ा होगा, तो शक्ततर्ााँ आपर्ी प्रर्ृनत र्ो दासी जरूर बनािेंगी
अथाकत ् साधन स्ित: जरूर प्राप्त होंगे।
शरू
ु -शरू
ु र्ें अखबार र्ें ननर्ाला गर्ा था कर् ‘ओर् ् र्ण्डली इज दद ररचेस्ट इन दद िल्डक
(Om Mandali Is Richest In The World)’ तो र्ही बात किर अन्त र्ें , सबर्े र्ख
ु से
ननर्लेगी। लेकर्न र्ह अटे न्शन जरूर रखना कर् अगर कर्सी भी शक्तत र्ी र्र्ी होगी, तो
र्हीं-न-र्हीं धोखा खाने र्ा भी अनभ
ु ि होगा। इसललर्े परू
ु षाथक अभी इन र्हीन बातों पर ही
र्रना चादहए। कर्सी र्ो द:ु ख तो नहीं ददर्ा, हैन्डाललंग र्रना आर्ा अथिा नहीं। र्ह तो सब
छोटी-छोटी बातें हैं। र्रु ब्बी बच्चों र्ा परू
ु षाथक अभी तर् इन बातों र्ा नहीं होना चादहए।
अभी र्ा पुरूषाथक सिक-शक्ततर्ों र्े स्टॉर् र्े भरने र्ा होना चादहए। र्ुरब्बी बच्चों र्े रोज र्े

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चाटक र्ी चैकर्ं ग, र्ह नहीं होनी चादहए कर् कर्सी पर क्रोध तो नहीं कर्र्ा र्ा र्ोई असन्तुष्ठट
तो नहीं हुआ, ऐसी र्ोटी-र्ोटी बातें चैर् र्रना-र्ह तो घड़
ु सिार ि प्र्ादों र्ा र्ार् है। र्रु ब्बी
बच्चों र्ा परू
ु षाथक अभी तर् इन बातों र्ा नहीं होना चादहए। अभी र्ा परू
ु षाथक सिक-शक्ततर्ों
र्े भरने र्ा होना चादहए। र्ोई भी एर् शक्तत र्ा न होना अथाकत ् र्रु ब्बी बच्चों र्ी ललस्ट से
ननर्लना। ऐसे नहीं कर् छ: शक्ततर्ााँ तो र्ेरे र्ें हैं ही और आठ शक्ततर्ों र्ें से दो नहीं
हैं, तो किर 50% से तो आगे हो गर्े हैं। इसर्ें भी खश
ु नहीं होना है। अष्ठट शक्ततर्ााँ तो
र्ख्
ु र् र्हा जाता है। लेकर्न होनी तो सिक-शक्ततर्ााँ चादहए। लसिक अष्ठट शक्ततर्ााँ तो नहीं हैं
ना, हैं तो बहुत। बार्ी र्ह तो लसिक सुनाने र्े ललर्े सहज हो जार्े इसललर्े अष्ठट शक्ततर्ााँ
सुना दी गई हैं। अब र्ोई एर् शक्तत र्ो भी र्र्ी नहीं होनी चादहए। तर्ोंकर् अब क्जस भी
शक्तत र्ी र्र्ी होगी, िही परीक्षा र्े रूप र्ें आर्ेगी। अथाकत ् हरे र् र्े सार्ने ड्रार्ानुसार पेपर
र्ें िही तिेश्चन आर्ेगा। इसललर्े सिकगुण सम्पन्न, सोलह र्ला सम्पन्न और र्ास्टर
सिकशक्ततर्ान ् बनो। अगर एर् शक्तत र्ी भी र्र्ी है , तो किर शक्ततर्ााँ र्हें गे न कर्
सिकशक्ततर्ााँ। र्ुरब्बी बच्चे अथाकत ् र्ास्टर सिकशक्ततर्ान ्। र्ुरब्बी बच्चा अथाकत ् र्र्ाकदा
पुरूषोत्तर्। जो है ही र्र्ाकदा पुरूषोत्तर्, उसर्ा संर्ल्प भी विपरीत नहीं चल सर्ता। जब
आप लोगों र्ी चलन र्ो र्र्ाकदा ि ईश्िरीर् ननर्र् सर्झ र्र चलते हैं , तो आप लोग भी
र्र्ाकदा पुरूषोत्तर् हुए ना?

( 13-09-74 )

नॉलेजिुल अथाकत र्ास्टर ज्ञान-सागर। जब र्ास्टर ज्ञान-सागर बन गर्े तो नॉलेज अथाकत


सर्झ से अचधर्ार प्राप्त होता है। सर्झ र्र् तो अचधर्ार भी र्र्। नॉलेजिुल तो हो ना
? अब लास्ट स्टे ज तर्ा है ? उसर्ो जानते हो ? र्र्ाकतीत बनने र्ी स्टे ज र्ी ननशानी तर्ा
है ? सदा सिलता-र्त
ू क। सर्र् भी सिल, संर्ल्प भी सिल, सम्पर्क और सम्बन्ध भी सदा
सिल - इसर्ो र्हते हैं - सिलता र्ूतक। ऐसे सिलतार्ूतक बनने र्े ललए ितकर्ान सर्र्-
प्रर्ाण विशेष र्ौन-सी शक्तत र्ी आिश्र्र्ता है क्जससे कर् सब बातों र्ें सदा सिलता र्ूतक
बन जार्ें ? िह र्ौन-सी शक्तत है ? सिक शक्ततर्ााँ प्राप्त हो रही हैं, किर भी ितकर्ान सर्र्-
प्रर्ाण विशेष आिश्र्र्ता परखने र्ी शक्तत र्ी है ।
अगर परखने र्ी शक्तत तीव्र है तो लभन्न-लभन्न प्रर्ार र्े आर्े हुए विघ्न, जो लगन र्ें
विघ्न बनते हैं, उन विघ्नों र्ो पहले से ही जानर्र, उन द्िारा िार होने से पहले ही उन्हें
सर्ाप्त र्र दे ते हैं। इस र्ारण र्वर्थक सर्र् जाने र्े बदले सर्थक र्ें जर्ा हो जाता है। ऐसे
ही सेिा र्ें हर-एर् आत्र्ा र्ी र्ुख्र् इच्छा और उसर्ा र्ुख्र् संस्र्ार जानने र्े र्ारण, उसी
प्रर्ाण, उस आत्र्ा र्ो िही प्राक्प्त र्राने र्े र्ारण सेिा र्ें भी सदा सिल रहते हैं।
तीसरी बात र्ह है कर् दस
ू रों र्े सम्बन्ध र्ें आने र्ा जो र्ुख्र् सब्जेतट है , उसर्ें भी हर-
एर् आत्र्ा र्े संस्र्ार तथा स्िभाि र्ो जानते हुए, उसी-प्रर्ाण उसे सदा सन्तुष्ठट रखेंगे।

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चौथी बात है सर्र् र्ी गनत। कर्स सर्र् र्ैसा िातािरण ि िार्ुर्ण्डल है और तर्ा होना
चादहए - इसर्ो परखने र्े र्ारण सर्र्-प्रर्ाण ही स्िर्ं र्ो भी और अन्र् आत्र्ाओं र्ो भी
तीव्र-गनत र्ें ला सर्ेंगे और जैसा सर्र्, िैसा स्िरूप धारण र्रने र्ा उर्ंग और उत्साह भी
भर सर्ेंगे तथा सर्र्-प्रर्ाण नॉलेजिुल और लॉिुल र्ा लििुल भी बन तथा बना सर्ेंगे
और इस प्रर्ार सदा सिल बन सर्ेंगे, तर्ोंकर् र्भी लॉिुल बनना है और र्भी लििुल
बनना है, इसललर्े र्ह परख होने र्े र्ारण सदा सहज ही सिल रहे गे।

( 29-01-75 )

सेिा र्ें भी प्लान और प्रैक्तटर्ल र्ें , संर्ल्प और र्र्क र्ें अन्तर तर्ों ? उस अन्तर र्ा
र्ारण सोचोगे तो स्पष्ठट ददखाई दे गा कर् र्ोई-न-र्ोई र्र्ी होने र्े र्ारण प्लैन और
प्रैक्तटर्ल र्ें अन्तर होता है। सिकशक्ततर्ों र्ें से कर्सी विशेष शक्तत र्ी र्र्ी है। जैसे र्ोिा
र्ैदान र्ें सिकशस्त्रधारी नहीं बन जाते हैं तो सर्र् पर कर्सी साधारण शस्त्र र्ी भी
आिश्र्र्ता पड़ जाती है तो उन्हें साधारण शस्त्र र्ी र्र्ी भी बहुत नर् ु सान र्र दे ती है।
र्हााँ भी सिकशक्ततर्ों र्ा सर्ह
ू चादहए अथाकत सिक-शस्त्रधारी चादहर्े। अपनी बवु ि से भले ही
जज र्रते हो कर् र्ह तो साधारण बात है , र्ह र्भी भी सर्र् पर बड़ा धोखा दे ती है।
इसललर्े टाइटल ही है - र्ास्टर सिक-शक्ततिान ्। बाप सिकशक्ततर्ान और बच्चे र्ास्टर
सिकशक्ततिान ् नहीं ? विजर्ी र्ा अथक ही है - सिकशस्त्रधारी। चैकर्ं ग र्े साथ चेन्ज तर्ों नहीं
र्र पाते हो ? चेन्ज तब होंगे जब सिकशक्ततर्ााँ स्िर्ं र्ें सर्ार्ी होंगी, अथाकत नॉलेजिुल र्े
साथ-साथ पॉिरिुल दोनों र्ा बैलेन्स चादहए। अगर नॉलेजिुल 75% और पॉिरिुल र्ें तीन-
चार र्ातसक भी र्र् हैं, तो भी बैलेन्स बराबर-बराबर चादहए। नॉलेजिुल र्ा ररजल्ट है -
प्लैननंग, पॉिरिुल र्ी ररजल्ट है - प्रैक्तटर्ल। नॉलेजिुल र्ा ररजल्ट है - संर्ल्प और
पॉिरिुल र्ा ररजल्ट है - स्िरूप र्ें आना। दोनों र्ी सर्ीपता और सर्ानता ही दोनों र्ा
सर्ान रूप बनना अथाकत सम्पूणक बनना। र्ोग र्ें और सेिा र्ें क्जतना सर्र् स्िर्ं र्ो बबजी
रखोगे तो ऑटोर्ेदटर्ली र्जकदार र्ो आने र्ी दहम्र्त ि िुसकत नहीं लर्लेगी।

( 04-02-75 )

चारों ही सब्जेत्स र्ी चेकर्ं ग र्ा सहज साधन आपर्ी गाई हुई र्दहर्ा से लसि हो जाता है।
िह र्दहर्ा जानते हो ? िह र्ौन-सी र्दहर्ा है क्जससे चारों ही सब्जेत्स चेर् र्र सर्ते हो
? िह र्दहर्ा तो सबर्ो र्ाद है ना। (सिक गुण सम्पन्न...) इन चारों ही बातों र्ें चारों ही
सब्जेत्स र्ी ररजल्ट आ जाती है। तो र्ही चेर् र्रो कर् इन चारों ही बातों र्ें सम्पन्न बने
हैं ? अब तर् सोलह र्ला बने हैं अथिा चौदह र्ला तर् पहुाँचे हैं ? सिक गुण सम्पन्न बने
हैं र्ा गुण सम्पन्न बने हैं अथाकत र्ोई-र्ोई गुण धारण कर्र्ा है ? सब र्र्ाकदार्ें धारण र्र

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र्र्ाकदा पुरूषोत्तर् बने हैं ? सम्पूणक आदहंसर् बने हैं ? संर्ल्प द्िारा भी कर्सी आत्र्ा र्ो
द:ु ख दे ना ि द:ु ख लेना - र्ह भी दहंसा है। सम्पण
ू क आदहंसर् अथाकत संर्ल्प द्िारा भी कर्सी
र्ो द:ु ख न दे ने िाला। परू
ु षोत्तर् अथाकत हर संर्ल्प और हर र्दर् उत्तर् अथाकत श्रेष्ठठ
हो, साधारण न हो, लौकर्र् न हो और र्वर्थक न हो। ऐसे र्हााँ तर् बने हैं ? बाप-दादा ने
तर्ा दे खा ?
अब तर् विशेष दो शक्ततर्ों र्ी बहुत आिश्र्र्ता है। िह र्ौन-सी हैं ? एर् स्िर्ं र्ो
परखने र्ी शक्तत, दस
ू री स्िर्ं र्ो पररिानतकत र्रने र्ी शक्तत। इन दोनों शक्ततर्ों र्ी
ररजल्ट र्ें क्जतना तीव्र पुरुषाथी तीव्र गनत से आगे बढ़ना चाहते हैं, उतना बढ़ नहीं पाते। इन
दोनों शक्ततर्ों र्ी र्र्ी र्े र्ारण ही र्ोई-न-र्ोई रूर्ािट गनत र्ो तीव्र र्रने नहीं दे ती है।
दस
ू रे र्ो परखने र्ी गनत तीव्र है दस
ू रे र्ो पररितकन होना चादहर्े - र्ह संर्ल्प तीव्र
है; इसर्ें ‘पहले आप’ र्ा पाठ पतर्ा है। जहााँ ‘पहले र्ैं’ होना चादहर्े, िहााँ ‘पहले आप’ है
और जहााँ ‘पहले आप’ होना चादहर्े, िहााँ ‘पहले र्ैं’ है। तीसरा नेत्र जो हर एर् र्ो िरदान र्ें
प्राप्त है उस तीसरे नेत्र द्िारा जो बाप-दादा ने र्ार्क ददर्ा है , उसी र्ार्क र्ें नहीं लगाते।
तीसरा नेत्र ददर्ा है रूह र्ो दे खने, रूहानी दनु नर्ा र्ो दे खने र्े ललए ि नई दनु नर्ा र्ो दे खने
र्े ललर्े। उसर्े बदले क्जस्र् र्ो देखना, क्जस्र्ानी दनु नर्ा र्ो दे खना - इसर्ो र्हा जाता है
कर् र्थाथक रीनत र्ार्क र्ें लगाना नहीं आर्ा है। इसललर्े अब सर्र् र्ी गनत र्ो जानते हुए
पररितकन-शक्तत र्ो स्िर्ं प्रनत लगाओ। सर्र् र्ा पररितकन न दे खो लेकर्न स्िर्ं र्ा
पररितकन दे खो। सर्र् र्े पररितकन र्ा इन्तज़ार बहुत र्रते हो। स्िर्ं र्े पररितकन र्े ललए
र्र् सोचते हो और सर्र् र्े पररितकन र्े ललर्े सोचते हो कर् होना चादहर्े। स्िर्ं रचनर्ता
हैं, सर्र् रचना है। रचनर्ता अथाकत स्िर्ं र्े पररितकन से रचना अथाकत सर्र् र्ा पररितकन
होना है। पररितकन र्े आधारर्ूत्तक स्िर्ं आप हो। सर्र् र्ी सर्ाक्प्त अथाकत इस पुरानी
दनु नर्ा र्े पररितकन र्ी घड़ी आप हो। सारे विश्ि र्ी आत्र्ाओं र्ी आप घडड़र्ों र्े ऊपर
नजर है कर् र्ब र्ह घडड़र्ााँ सर्ाक्प्त र्ा सर्र् ददखाती हैं। आपर्ो र्ालर्
ू है कर् आपर्ी
घड़ी र्ें कर्तना बज़ा है ? आप बताने िाले हो र्ा पूछने िाले हो ? इन्तज़ार है तर्ा ? सर्र्
ददखाने िालों र्ो सर्र् र्े प्रनत हलचल तो नहीं है ना ? हलचल है अथिा अचल हो ? ‘‘तर्ा
होगा, र्ब होगा, होगा र्ा नहीं होगा ?’’ ड्रार्ा अनस
ु ार सर्र्-प्रनत-सर्र् दहलाने र्े पेपसक
आते रहे हैं और आर्ेंगे भी।

( 07-02-76 )

दादी जी र्े साथ सार्ार रूप र्ें एर्ाग्रता र्ी शक्तत र्े र्ई प्रत्र्क्ष प्रर्ाण दे खे। दरू बैठे हुए
बच्चे प्रैतटीर्ल अनुभि र्रते थे कर् आज विशेष रूप से बाप-दादा ने र्झ
ु े र्ाद कर्र्ा िा
विशेष रूप से र्झ
ु े शक्तत र्ी प्राक्प्त र्ा अनभ
ु ि र्रा रहे हैं। संर्ल्प और बातें दोनों तरि
र्ी लर्लती थी। ऐसे प्रैतटीर्ल अनुभि देखे ना ? जैसे टे लीिोन द्िारा र्ोई

37
र्ैसेज (Message;सन्दे श) लर्लना होता है ,तो ररंग (Ring;घंटी) बजती है। िैसे बाप र्ा
सन्दे श िा संर्ल्प र्ा डार्रे तशन बच्चों र्ो जब पहुाँचता है तो अन्दर ही अन्दर आत्र्ा र्ें
अचानर् खश
ु ी र्ी लहर र्ें रोर्ांच खड़े हो जाते हैं। लेकर्न जैसे र्ई ररंग सन
ु ते हुए भी
अनसन
ु ा र्र दे ते तो र्ैसेज नहीं ले सर्ते। िैसे बच्चों र्ो अनभ
ु ि होते जरूर हैं , लेकर्न
अलबेलेपन र्ें चला दे ते हैं। एर्ाग्रता र्ी शक्तत र्ी लीला र्ो र्ैच (Catch) नहीं र्र पाते।
लेकर्न अनभ
ु ि होता जरूर है। िैसे आत्र्ाओं र्ो भी आत्र्ाओं र्ा होता है, लेकर्न जैसे तारों
र्ें हलचल हो जाए, टे लीिोन र्े स्तम्भों र्ें हलचल हो जाए तो र्ैसेज र्ैच नहीं र्र सर्ते।
िहााँ िातािरण र्ा, िार्ुर्ण्डल र्ा प्रभाि होता है; र्हााँ किर िक्ृ त्त र्ा प्रभाि होता है। िक्ृ त्त
चंचल होने र्े र्ारण र्ैसेज र्ो र्ैच नहीं र्र पाते। तो इस िषक र्ें एर्ाग्रता र्ा दृढ़ संर्ल्प
र्रने िाला ग्रुप तैर्ार होना चादहए, जो र्ह विचचत्र अनुभि र्र सर्े। र्ह सागर र्े तले र्ें
जार्र अनुभि र्े हीरे , र्ोती लेना और िह है ज्ञान सागर र्ी लहरों र्ें लहराने र्ा अनुभि
र्रना। लहरों र्ें हो र्ह तो अनुभि कर्र्ा अब अन्दर तले र्ें जाना है। अर्ूल्र् खज़ाने तले
र्ें लर्लते हैं। र्ह बात पतर्ी र्रने से और सभी बातों से आटोर्ेदटर्ली कर्नारा हो जार्ेगा।
इसर्ो ही स्िचचन्तन, स्िदशकन, सर्थक सेिा र्हा जाता है। लाईट हाऊस (Light House)
र्ाईट हाऊस (Might House) र्ी र्ह स्टे ज है। किर दृक्ष्ठट र्ा दान दे ना पड़ेगा। नज़र से
ननहाल र्रने र्ी र्ह स्टे ज है। एर्ाग्रता शक्तत बहुत विचचत्र रं ग ददखा सर्ती है। िो लसविर्ां
िाले भी एर्ाग्रता से ही लसवि प्राप्त र्रते हैं। स्िर्ं र्ी औषचध भी एर्ाग्रता र्ी शक्तत से
र्र सर्ते हैं। अनेर् रोचगर्ों र्ो ननरोगी भी बना सर्ते हैं। बहुत विचचत्र अनुभि इससे र्र
सर्ती हो। र्ोई ने चलती हुई चीज़ र्ो रोर्ा, र्ह एर्ाग्रता र्ी लसवि है। स्टॉप र्हो तो
स्टॉप हो जाए तब िरदानी रूप र्ें जर्-जर्र्ार र्े नारे बजेंगे। अभी िाह-िाह र्े नारे लगाते
हैं। भाषण बहुत अच्छा कर्र्ा, र्ेहनत बहुत अच्छी र्ी है, लाईि बहुत अच्छी है। किर जर्-
जर्र्ार र्े नारे बजेंग।े तो इस िषक र्ा एर् आब्जेतट (AIM-Object;उद्देश्र्) सर्झा ना।
डबल सेिा चादहए। अर्त
ृ िेले र्ह स्पेशल (Special;विशेष) सेिा र्र सर्ती हो। किर भततों
र्े आिाज़ भी सुनाई दें गे। ऐसे सर्झेंगे जैसे र्हााँ सम्र्ख
ु र्ोई बुला रहे हैं, र्ह शक्तत बढ़ानी
है। क्जतना भी सर्र् लर्ले दो लर्नट, पांच लर्नट - चले जाओ इस एर्ाग्रता र्ी शक्तत र्ें।
तो थोड़ा-थोड़ा र्रते भी जर्ा हो जार्ेगा, तब शक्ततर्ों द्िारा सिक शक्ततिान र्ी प्रत्र्क्षता
होगी। शक्ततर्ों र्ी सम्पण
ू कता जैसे अन्धों र्े आगे आईने र्ा र्ार् र्रे गी। सम्पण
ू कता िषक
अथाकत र्ह सम्पण
ू कता।

( 26-01-77 )

ज्र्ोनत र्ी ननशानी है - सदा स्र्नृ त स्िरूप और सर्थी स्िरूप होगा। स्र्नृ त और सर्थी र्ा
सम्बन्ध है। अगर र्ोई र्हे स्र्नृ त तो है कर् बाबा र्ा बच्चा हूाँ, लेकर्न सर्थी नहीं है , र्ह
हो ही नहीं सर्ता। तर्ोंकर् स्र्नृ त ही है कर् ‘र्ैं र्ास्टर सिकशक्ततिान हूाँ।’ र्ास्टर

38
सिकशक्ततिान अथाकत सर्थक स्िरूप। सर्थक अथाकत शक्तत। किर िह गार्ब तर्ों हो जाती है
? र्ारण ? एर् शब्द र्ी गलती र्रते हो। र्ौन-सी गलती ? बाप र्हते हैं ‘सार्ारी सो
अलंर्री’ बनो। लेकर्न बन तर्ा जाते हो ? अंलर्ारी र्े बजाए दे ह-अहंर्ारी बन जाते हैं। बवु ि
र्े अहंर्ारी, नार् और शान र्े अहंर्ारी बन जाते हो। सदा सार्ने अलंर्ारी स्िरूप र्ा
लसम्बल (Symbol;चचन्ह) होते हुए भी अपने अलंर्ारों र्ो धारण नहीं र्र पाते। जैसे हद र्े
राजर्ुर्ार और राजर्ुर्ाररर्ााँ भी सदा सजे सजाएाँ रॉर्ललटी (ROYALTY) र्ें होते हैं। िैसे ही
ब्राह्र्ण र्ुल र्ी श्रेष्ठठ आत्र्ाएं सदा अलंर्ारों से सजे-सजाएं होने चादहए। र्ह अलंर्ार
ब्राह्र्ण जीिन र्ा श्रंग
ृ ार हैं, न कर् दे िता जीिन र्ा। तो अपने अलंर्ार र्े श्रंग
ृ ार र्ो सदा
र्ार्र् रखो। लेकर्न र्रते तर्ा हो, एर् अलंर्ार र्ो पर्ड़ते तो दस
ू रे अलंर्ार र्ो छोड़ दे ते
हैं। र्ोई तीन पर्ड़ सर्ते हैं तो र्ोई चार पर्ड़ सर्ते हैं। बाप-दादा भी बच्चों र्ा खेल दे खते
रहते हैं। भुजा अथाकत शक्तत, क्जस शक्तत र्े आधार से ही अलंर्ारी बन सर्ते हैं, िह
शक्ततर्ों रूपी भुजार्ें दहलती रहती हैं। जब भुजाएं दहलती रहती हैं तो सदा अलंर्ारी र्ैसे बन
सर्ते हैं ? इसललए कर्तनी भी र्ोलशश र्रते हैं अलंर्ारी बनने र्ी, लेकर्न बन नहीं सर्ते।
तो एर् शब्द र्ौन-सा र्ाद रखना है ? कर्सी भी प्रर्ार र्े ‘अहंर्ारी’ नहीं लेकर्न अलंर्ारी
बनना है। सदा अलंर्ारी स्िरूप र्ें क्स्थत न होने र्े र्ारण स्िर्ं र्ा, बाप र्ा साक्षात्र्ार
नहीं र्रा सर्ते। इसललए अपने शक्तत रूपी भुजाओं र्ो र्जबूत बनाओ, नहीं तो अलंर्ारों
र्ी धारणा नहीं र्र सर्ेंगे। अलंर्ारों र्ो तो जानते हो ना ? जानते हो और िणकन भी र्रते
हो किर भी धारण नहीं र्र सर्ते। तर्ों ? बाप-दादा बच्चों र्ी र्र्ज़ोरी र्ी लीला बहुत
दे खते हैं जैसे प्रभु र्ी लीला अपरम्पार है तो बच्चों र्ी भी लीला अपरम्पार है। रोज र्ी नई
रं गत होती है। र्ार्ा र्े नई रं गत र्ें रं ग जाते हैं। स्िदशकन चक्र र्े बजाए र्वर्थक दशकन र्ा
चक्र चल जाता है। द्िापर से जो र्वर्थक र्थाएं और र्वहाननर्ां बड़ी रूचच से सन
ु ने और सुनाने
र्ी आदत है, िह संस्र्ार अभी भी अंश रूप र्ें आ जाता है। इसललए र्र्ल पुष्ठप सर्ान
अथाकत ् र्र्ल पुष्ठप र्े अलंर्ार धारी नहीं बन सर्ते। र्र्ल र्ी बजार् र्र्ज़ोर बन जाते हैं।
र्ार्ाजीत बनने र्ा दस
ू रों र्ो सन्दे श दे ते, लेकर्न स्िर्ं र्ार्ाजीत हैं र्ा नहीं, र्ह सोचते ही
नहीं। इसललए अलंर्ारी नहीं बन सर्ते। अहंर्ारी।’

( 02-02-77 )

बापदादा सभी बच्चों र्ो सब खज़ानों से सम्पन्न स्िरूप र्ें दे ख रहे हैं। एर् ही सिक अचधर्ार
दे ने िाला, एर् ही सर्र् सभी र्ो सर्ान अचधर्ार दे ते हैं। अलग-अलग नहीं दे ते हैं। कर्सर्ो
गप्ु त विशेष खज़ाना अलग नहीं दे ते हैं। लेकर्न ररजल्ट र्ें नम्बर िार ही बनते हैं। सिक
खज़ानों र्े अचधर्ार होते भी, दे ने िाला सागर और सम्पन्न होते हुए भी, नम्बर तर्ों बनते
हैं ? तर्ा र्ारण बनता है ? सर्ाने र्ी शक्तत अपनी परसेंटेज र्ें है। इस र्ारण सभी सेंट -
परसेंट (Cent-Percent;सम्पूणक) नहीं बन पाते। अथाकत सिक बाप सर्ान नहीं बन सर्ते।

39
संर्ल्प सभी र्ा है, लेकर्न स्िरूप र्ें ला नहीं सर्ते। हर एर् र्ो अपने खज़ानें र्ी परसेंटेज
चैर् र्रनी चादहए कर् सभी से ज्र्ादा र्ौन-सा खज़ाना है, क्जसर्ो र्वर्थक र्रने से सिक
खज़ानों र्ें भी र्र्ी हो जाती है - और िह खज़ाना र्ैजाररटी (Majority;अचधर्तर) र्वर्थक
र्रते हैं। िह र्ौन-सा खज़ाना है ? िह है ‘सर्र् र्ा खज़ाना।’ र्गर सर्र् र्े खज़ाना र्ो
सदा स्िर्ं र्े िा सिक र्े र्ल्र्ण र्े प्रनत लगाते रहो तो अन्र् सिक खज़ाने स्ित: ही जर्ा हो
जाए। संर्ल्प र्े खज़ाने र्ें सदा र्ल्र्ाणर्ारी भािना र्े आधार पर, हर सेर्ेण्ड र्ें अनेर्
पद्मों र्ी र्र्ाई र्र सर्ते हो। सिक शक्ततर्ों र्े खज़ाने र्ो र्ल्र्ाण र्रने र्े र्ार्क र्ें लगाते
रहने से, र्हादानी बनने र्े आधार से एर् र्ा पद्म गुणा सिक शक्ततर्ों र्ा खज़ाना बढ़ता
जार्ेगा। ‘एर् दे ना दस पाना’ नहीं, लेकर्न ‘एर् देना पद्म पाना।’
सूर्किंशी संस्र्ार हैं ना ? बार-बार एर् ही भूल र्रने से संस्र्ार पतर्े हो जाते हैं। तो
सूर्किंशी अथाकत सूर्क सर्ान र्ास्टर सूर्क हो। अपनी शक्ततर्ों र्ी कर्रणों द्िारा कर्सी भी
प्रर्ार र्ा कर्चड़ा अथाकत र्र्ी ि र्र्जोरी है, तो सूर्क र्ा र्ार् है सेर्ेण्ड र्ें कर्चड़े र्ो भस्र्
र्रना। ऐसा भस्र् र्र दे ना जो नार्, रूप, रं ग सदा र्े ललए सर्ाप्त हो जाए। जैसे शरीर र्ो
अक्ग्न द्िारा जलाते हैं, तो सदा र्े ललए नार्, रूप, रं ग सर्ाप्त हो जाता है। तो भस्र् र्रना
अथाकत ‘भस्र्’ बना दे ना। राख र्ो भस्र् भी र्हते हैं। तो सूर्किंशी र्ा र्ह र्तकर्वर् है। न
लसिक अपनी लेकर्न औरों र्ी र्र्जोररर्ों र्ो भी भस्र् बना दे ना, इतनी शक्तत है ना ? सूर्क
र्ी शक्तत से और र्ोई शक्ततिान है तर्ा ? चन्रर्ा र्े ऊपर सूर्क है , सूर्क र्े ऊपर तो और
र्ोई नहीं है ना ? चन्रर्ा र्ें भस्र् र्रने र्ी शकर्् त नहीं, लेकर्न सूर्क र्ें भस्र् र्रने र्ी
शक्तत है। तो ऐसे हो ना ? र्ास्टर सूर्क हो कर् चन्रर्ा हो ? र्ा सर्र् पर चन्रर्ा, सर्र्
पर सूर्क बन जाते हो ? र्ास्टर सिक शक्ततिान अथाकत र्ास्टर ज्ञानसूर्क र्ी हर शक्तत बहुत
र्र्ाल र्र सर्ती है - लेकर्न सर्र् पर र्ूज़ र्रना आता है ? तो सर्र् है सहन शक्तत र्ा
और र्ूज़ र्रो ननणकर् र्रने र्ें सर्र् ही गंिा दो तो ररजल्ट तर्ा होगी ? क्जस सर्र् क्जस
शक्तत र्ी आिश्र्र्ता है उस सर्र् उसी शक्तत से र्ार् लेना पड़े। सर्र् पर िही शक्तत
श्रेष्ठठ गाई जाती है। तो सर्र् प्रर्ाण र्ूज़ र्रने र्ा तरीर्ा हो तो हर शक्तत र्र्ाल र्र
सर्ती है; दो-चार शक्ततर्ााँ भी र्ूज़ र्रने आिे तो बहुत-र्ुछ र्र सर्ते हैं। दो-चार र्ें राजी
नहीं होना है, बनना तो सम्पन्न है , लेकर्न अगर दो भी हैं तो भी र्र्ाल र्र सर्ते हो। हर
शक्तत र्ा र्हत्ि है। भक्तत र्ागक र्ें दे खा होगा - हर शक्तत र्ो, प्रर्ृनत र्ी शक्तत र्ो भी
दे िता र्े रूप र्ें ददखार्ा है। सर्
ू क दे िता, िार्ु दे िता, पथ्
ृ िी दे िता। तो इन सब शक्ततर्ों र्ो
दे िताओं ि दे विर्ों र्े रूप र्ें ददखार्ा है ; अथाकत इनर्ा इतना र्हत्ि ददखार्ा है। जब कर्
आपर्ी हर शक्तत र्ा भी पज
ू न होता है - जैसे ननभकर्ता र्ी शक्तत र्ा स्िरूप ‘र्ाली
दे िी’ है। सार्ना र्रने र्ी शक्तत र्ा स्िरूप ‘दग
ु ाक’ है। र्ह लभन्न-लभन्न नार् से आपर्े हर
शक्तत र्ा गार्न और पूजन हो रहा है। संतुष्ठट रहना और र्रने र्ी शक्तत है
तो ‘संतोषी’ र्ाता र्े रूप र्ें गार्न हो रहा है। सन्तष्ठु ट रहना अथाकत ् सहन शक्तत। इतनी
र्दहर्ा है आपर्ी।

40
िार्ु सर्ान हल्र्े बनने र्ी, अथिा डबल लाईट बनने र्ी शक्तत आप र्ें है तो उसर्ा पूजन
िार्ु दे िता रूप र्ें र्र रहे हैं िा ‘पिनपत्र
ु ’ र्े रूप र्ें पज
ू न र्र रहे हैं। है र्ह आपर्े डबल
लाईट रहने र्ा पज
ू न। तो क्जसर्े हर शक्तत र्ा इतना पज
ू न है िह स्िर्ं तर्ा होगा ? इतना
र्हत्ि अपना जानो। जानते हो अपना र्हत्ि ! अनचगनत दे िी-दे िताएं हैं, नार् भी र्ाद नहीं
र्र सर्ेंगे। इतने परर्-पज्
ू र् हो ! जानते हो अपने र्ो कर् साधारण ही सर्झते हो ? अगर
अपने पज
ू न र्ो भी स्र्नृ त र्ें रखो तो हर र्र्क पज्
ू र् हो जाएगा।

( 23-04-77 )

जैसे बच्चों ने संर्ल्प कर्र्ा, ‘बाबा! हर् आपर्े हैं।’ िैसे बाप भी ररटनक र्ें (बदले र्ें) र्ही
र्हते कर्, ‘जो बाप र्ा सो आपर्ा’, ऐसे अचधर्ारी भी बने, लेकर्न आगे तर्ा होता है
? चलते-चलते जब र्हािीर अथाकत रूहानी र्ोिा बन र्ार्ा र्ो चैलेंज (चेतािनी) र्रते
हैं, विजर्ी बनने र्ा अचधर्ार भी सर्झते हैं लेकर्न र्ार्ा र्े अनेर् प्रर्ार र्े िार र्ो
सार्ना र्रने र्े ललए दो बातों र्ी र्र्ी हो जाती है। िह दो बातें र्ौन सी हैं ? ‘एर् सार्ना
र्रने र्ी शक्तत र्ी र्र्ी, दस
ू रा परखने और ननणकर् र्रने र्ी शक्तत र्ी र्र्ी।’ इन र्लर्र्ों
र्े र्ारण र्ार्ा र्े अनेर् प्रर्ार र्े िार से र्ब हार, र्ब जीत होने से र्ब जोश, र्ब होश
र्ें आ जाते हैं।
सार्ना र्रने र्ी शक्तत न होने र्ा र्ारण ? बाप र्ो सदा साथी बनाना नहीं आता है , साथ
लेने र्ा तरीर्ा नहीं आता। सहज तरीर्ा है - ‘अचधर्ारीपन र्ी क्स्थनत।’ इसललए र्र्ज़ोर
दे खते हुए र्ार्ा अपना िार र्र लेती है।
परखने र्ी शक्तत न होने र्ा र्ारण ? बुवि र्ी एर्ाग्रता नहीं है। र्वर्थक संर्ल्प िा अशुि
संर्ल्पों र्ी हलचल है। एर् र्ें सिक रस लेने र्ी एर्रस क्स्थनत नहीं। अनेर् रस र्ें बुवि और
क्स्थनत डगर्ग होती है। इस र्ारण परखने र्ी शक्तत र्र् हो जाती है। और न परखने र्े
र्ारण र्ार्ा अपना ग्राहर् बना दे ती है। र्ह र्ार्ा है , र्ह भी पहचान नहीं सर्ते। र्ह रांग
(गलत) है, र्ह भी जान नहीं सर्ते। और ही र्ार्ा र्े ग्राहर् अथिा र्ार्ा र्े साथी बन, बाप
र्ो िा ननलर्त्त बनी हुई आत्र्ाओं र्ो भी अपनी सर्झदारी पेश र्रते हैं कर् - र्ह तो होता
ही है, जब तर् सम्पण
ू क बनें तर् र्ह बातें तो होंगी। ऐसे र्ई प्रर्ार र्े विचचत्र प्िाइंटस
(संर्ेत) र्ार्ा र्े तरि से िर्ील बनर्र बाप र्े सार्ने िा ननलर्त्त बने हुए र्े सार्ने रखते
हैं। तर्ोंकर् र्ार्ा र्े साथी बनने र्े र्ारण आपोजीशन पाटी (Oppossition Party;विरूि
दल) र्े बन जाते हैं। र्ार्ाजीत बनने र्ी पोजीशन (Position;क्स्थनत) छोड़ दे ते हैं। र्ारण
? परखने र्ी शक्तत र्र् है।
( 16-05-77 )

41
अपने ननरार्ारी और सार्ारी दोनों क्स्थनतर्ों र्ो अच्छी तरह से जान गए हो ? दोनों ही
क्स्थनतर्ों र्ें क्स्थत रहना सहज अनभ
ु ि होता है, िा सार्ार क्स्थनत र्ें क्स्थत रहना सहज
लगता है और ननरार्ारी क्स्थनत र्ें क्स्थत होने र्ें र्ेहनत लगती है ? संर्ल्प कर्र्ा और
क्स्थत हुआ। सैर्ंड र्ा संर्ल्प जहााँ चाहे िहााँ क्स्थत र्र सर्ता है। संर्ल्प ही ऊाँच ले जाने
और नीचे ले आने र्ी रूहानी ललफ्ट है क्जस द्िारा चाहे तो सिक श्रेष्ठठ अथाकत ऊाँची र्ंक्जल
पर पहुाँचो अथाकत ननरार्ारी क्स्थनत र्ें क्स्थत हो जाओ, चाहे आर्ारी क्स्थनत र्ें क्स्थत हो
जाओ, चाहे सार्ारी क्स्थनत र्ें क्स्थत हो जाओ। ऐसी प्रैक्तटस अनभ
ु ि र्रते हो ? संर्ल्प र्ी
शक्तत र्ो जहााँ चाहो िहााँ लगा सर्ते हो ? तर्ोंकर् आत्र्ा र्ाललर् है इन सूक्ष्र् शक्ततर्ों
र्ी। र्ास्टर सिकशक्ततिान अथाकत सिकशक्ततर्ों र्ो जब चाहें , जहााँ चाहें , जैसे चाहें िैसे र्ार्क
र्ें लगा सर्ते हैं। ऐसा र्ाललर्पन अनुभि र्रते हो ? संर्ल्प र्ो रचने िाले रचता, स्िर्ं
र्ो अनुभि र्रते हो ? रचना र्े िशीभूत तो नहीं होते हो ? ऐसा अभ्र्ास है जो एर् सेर्ेण्ड
र्ें क्जस क्स्थनत र्ें क्स्थत होने र्ा डार्रे तशन (Direction) लर्ले उसी क्स्थनत र्ें सेर्ेण्ड र्ें
क्स्थत हो जाओ - ऐसी प्रैक्तटस है ? िा र्ुि र्रते ही सर्र् बीत जार्ेगा ? अगर र्ुि र्रते
हुए सर्र् बीत जाए, स्िर्ं र्ो क्स्थत न र्र सर्ो तो उसर्ो र्ास्टर सिकशक्ततिान र्हें गे िा
क्षबत्रर् र्हें गे ? क्षबत्रर् अथाकत चन्रिंशी।
सदा स्िर्ं र्े श्रेष्ठठ स्िर्ान र्ास्टर सिकशक्ततिान र्े स्र्नृ त र्ें रहते हो ? सबसे श्रेष्ठठ
स्िर्ान र्ौन-सा है? र्ास्टर सिकशक्ततिान। जैसे र्ोई बड़ा ऑकिसर िा राजा होता, जब िह
स्िर्ान र्ी सीट पर क्स्थत होता तो दस
ू रे भी उसे सम्र्ान दे ते। अगर स्िर्ं सीट पर नहीं तो
उसर्ा ऑडरक र्ोई नहीं र्ानेगा। तो ऐसे ही जब तर् आप अपने स्िर्ान र्ी सीट पर नहीं तो
र्ार्ा भी आपर्े आगे सरे न्डर नहीं हो सर्ती। तर्ोंकर् िह जानती है , र्ह सीट पर सेट नहीं
है। सीट पर सेट होना अथाकत स्िर्ं र्ो र्ास्टर सिकशक्ततिान सर्झना।एर् बार संर्ल्प कर्र्ा -
‘र्ैं र्ास्टर सिकशक्ततिान हूाँ’ तो र्ार्ाजीत बनने र्े, विजर्ी बनने र्े नशे र्ा अनुभि होगा।

( 31-05-77 )

र्ार्ा र्ी चाल से बचर्र सदा विजर्ी बनने र्ी विचध


र्ास्टर सिकशक्ततिान र्ी स्टे ज पर क्स्थत रहो। र्ास्टर सिकशक्ततिान अथाकत विजर्ी रत्न।
र्ार्ा अन्दर से बबल्र्ुल ही शक्ततहीन है, उसर्ा बाहर र्ा रूप दे ख घबराओ नहीं, उसर्ो
क्ज़न्दा सर्झ र्नू छकत न हो जाओ, र्ार्ा र्क्ू च्छक त हुई पड़ी है। लेकर्न र्भी-र्भी र्क्ू च्छक त र्ो
दे खर्र भी र्क्ू च्छक त हो जाते हैं। अब उसे खश
ु ी-खशु ी विदाई दो। नॉलेजिुल र्ी स्टे ज पर रहो
तो र्भी घोखा नहीं खा सर्ते।

( 07-01-78 )

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स्ि-क्स्थनत र्ी सीट पर रहने से पररक्स्थनतर्ों पर विजर्:-
सदा र्ास्टर सिकशक्ततिान र्ी क्स्थनत र्ें क्स्थत हो हर प्रर्ार र्ी पररक्स्थतर्ों र्े ऊपर
विजर्ी रहते हो ? जब तर् स्ि क्स्थनत शक्ततशाली नहीं होगी - तो पररक्स्थनत र्े ऊपर
विजर् नहीं होगी पररक्स्थनत प्रर्ृनत द्िारा आती है इसीलीए पररक्स्थनत रचना हो गई और
स्िक्स्थनत िाला रचता है। तो सदा रचना र्े ऊपर विजर् होती हैं ना। अगर रचता रचना से
हार खा ले तो उसे रचता र्हें गे ? तो प्रर्ृनत द्िारा आई हुई पररक्स्थनतर्ााँ रचना है, तो
र्ास्टर रचता अथाकत र्ास्टर सिकशक्ततिान र्भी हार खा नहीं सर्ते, असम्भि है। अगर
अपनी सीट छोड़ते हो तो हार होती, सीट पर सेट होने िाले र्ें शक्तत होती, सीट छोड़ी तो
शक्ततहीन। तो र्ास्टर रचता र्ी सीट पर सेट रहना है , सीट र्े आधार पर शक्ततर्ााँ स्ित:
आर्ेगी। नीचे नहीं आना, नीचे है ही दे हअलभर्ान रूपी र्ार्ा र्ी धूल। नीचे आर्ेंगे तो धूल
लग जार्ेगी अथाकत शुि आत्र्ा से अशुि हो जार्ेंगे। बच्चा भी अगर स्थान से नीचे आ
जाता है तो र्ैला हो जाता है , बच्चे र्े ललए भी अटे न्शन रखते - र्ैला न हो जाए। तो
दे हभान र्ें आना अथाकत र्ैला होना। आप शुि आत्र्ा हो, शुि पर अगर ज़रा भी लर्ट्टी लग
जाए तो स्पष्ठट ददखाई दे ती, जरा भी दे हअलभर्ान र्ी र्ैल आप शुि आत्र्ाओं र्ें स्पष्ठट
ददखाई दे गी - बार-बार दे हभान र्ें आना अथाकत लर्ट्टी र्ें खेलना िा लर्ट्टी खाना। तो ऐसे तो
नहीं हो ना ! र्भी वपछले संस्र्ार तो नहीं आ जाते। जब र्रजीिा हो गर्े तो वपछला खत्र्
हुआ। र्रजीिा अथाकत ब्राह्र्ण जीिन। ब्राह्र्ण र्भी लर्ट्टी से नहीं खेलेंगे, र्ह तो शूरपन र्ी
बातें हैं। तो सदा बाप र्ी र्ाद र्ी गोद र्ें रहो। र्ाद ही र्ाद है , लाडले बच्चों र्ो र्ााँ-बाप
गोद र्ें रखते, लर्ट्टी र्ें नहीं जाने दे ते, तो आप लाडले बच्चे हो ना - तो लर्ट्टी र्ें नहीं खेल
सर्ते। रतनों से खेलते रहो। लर्ट्टी र्ें खेलने िाले बाप र्े बच्चे हो नहीं सर्ते। रार्ल बाप
र्े बच्चे लर्ट्टी से नहीं खेलते। तो सबसे बड़े से बड़े बाप र्े बच्चे सदा ज्ञान रतनों से खेलने
िाली श्रेष्ठठ आत्र्ार्ें - ऐसे हो ना।

( 03-02-79 )

तर्
ु तर्दीरिान हो जो स्िर्ं बाप भी आपर्े तर्दीर र्े गण
ु गाते हैं। अक्न्तर् भतत तो
आपर्े चरणों र्ो भी पज
ू ते रहते हैं। लसिक आपसे तर्ा र्ााँगतें है कर् अपने चरणों र्ें ले लो।
इतनी र्हान आत्र्ार्ें हो, इसललए बापदादा भी दे ख हवषकत होते हैं। सदा अपना ऐसा श्रेष्ठठ
स्िरूप , श्रेष्ठठ तर्दीर र्ी तस्िीर स्र्नृ त र्ें रखो। इससे तर्ा होगा सर्थक स्र्नृ त
द्िारा, सम्पन्न चचत्र द्िारा चररत्र भी सदा श्रेष्ठठ ही होंगे। र्हा जाता है - ‘जैसा चचत्र िैसा
चररत्र'। जैसी स्र्नृ त िैसी क्स्थनत। तो सदा सर्थक स्र्नृ त रखो तो क्स्थनत स्ित: ही सर्थक हो
जार्ेगी। सदा अपना सम्पूणक चचत्र सार्ने रखो क्जसर्ें सिकगुण, सिक शक्ततर्ााँ सब सर्ाई हुई
हैं। ऐसा चचत्र रखने से स्ित: ही चररत्र श्रेष्ठठ होगा। र्ेहनत र्रने र्ी जरूरत ही नहीं होगी।
र्ेहनत तब र्रनी पड़ती है जब र्नन शक्तत र्ी र्र्ी होती है। सारा ददन र्ही र्नन र्रते

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रहो, अपना श्रेष्ठठ चचत्र सदा सार्ने रखो तो र्नन शक्तत से र्ेहनत सर्ाप्त हो जार्ेगी। सुना
भी बहुत है, िणकन भी बहुत र्रते हो किर भी चलते-चलते र्भी-र्भी अपने र्ो ननबकल तर्ों
अनभ
ु ि र्रते हो, र्ेहनत अनभ
ु ि तर्ों र्रते हो ? र्क्ु श्र्ल है - र्ह संर्ल्प तर्ों आता है
? इसर्ा र्ारण ? सन
ु ने बाद र्नन नहीं र्रते। जैसे शरीर र्ी शक्तत आिश्र्र् है , िैसे
आत्र्ा र्ो शक्ततशाली बनाने र्े ललए ‘र्नन शक्तत' इतनी ही आिश्र्र् है। र्नन शक्तत से
बाप द्िारा सन
ु ा हुआ ज्ञान स्ि र्ा अनभ
ु ि बन जाता है। जैसे पाचन शक्तत द्िारा भोजन
शरीर र्ी शक्तत, खन
ू र्े रूप र्ें सर्ा जाता है। भोजन र्ी शक्तत अपने शरीर र्ी शक्तत बन
जाती है। अलग नहीं रहती। ऐसे ज्ञान र्ी हर पाइंट र्नन शक्तत द्िारा स्ि र्ी शक्तत बन
जाती है। जैसे आत्र्ा र्ी पहली पाइंट सुनने र्े बाद र्नन शक्तत द्िारा स्र्नृ त स्िरूप बन
जाने र्ारण, स्र्नृ त सर्थक बना दे ती है - ‘‘र्ैं हूाँ ही र्ाललर्''। र्ह अनुभि सर्थक स्िरूप बना
दे ता है। लेकर्न र्ेसे बना ? र्नन शक्तत र्े आधार पर। तो आत्र्ा र्ी पहली पाइंट अनुभि
स्िरूप हो गई ना। इसी प्रर्ार ड्रार्ा र्ी पाइंट - लसिक ड्रार्ा है, र्ह र्हने िा सुनने र्ात्र नहीं
लेकर्न चलते-किरते अपने र्ो हीरो एतटर अनुभि र्रते हो तो र्नन शक्तत द्िारा अनुभि
स्िरूप हो जाना र्ही विशेष आक्त्र्र् शक्तत है। सबसे बड़े ते बड़ी शक्तत अनुभि-स्िरूप है।
अनुभिी सदा अनुभि र्ी अथाटी से चलते, अनुभिी र्भी धोखा नहीं खा सर्ते। अनुभिी
कर्सी र्े डगर्ग र्रने से, सुनी सुनाई से विचललत नहीं हो सर्ते। अनुभिी र्ा बोल हजार
शब्दों से भी ज्र्ादा र्ल्
ू र्िान होता है। अनुभिी सदा अपने अनुभिों र्े खज़ानों से सम्पन्न
रहते हैं। ऐसे र्नन शक्तत द्िारा हर पाइंट र्े अनुभिी सदा शक्ततशाली, र्ार्ाप्रूि, विघ्न
प्रूि, सदा अंगद र्े सर्ान दहलाने िाला, न कर् दहलने िाला होता।
जैसे शरीर र्ी सिक बीर्ाररर्ों र्ा र्ारण र्ोई न र्ोई विटालर्न र्ी र्र्ी होती है तो आत्र्ा
र्ी र्र्जोरी र्ा र्ारण भी र्नन शक्तत द्िारा हर पाइंट र्े अनुभि र्ी विटालर्न र्ी र्र्ी
है। जैसे उसर्ें भी िैरार्टी ए.बी.सी. विटालर्न हैं ना। तो र्हााँ भी कर्सी न कर्सी अनुभि र्े
विटालर्न र्ी र्र्ी है , र्ुछ भी सर्झ लो। ए आत्र्ा र्ी विटालर्न, विटालर्न बी बाप र्ी।
विटालर्न सी ड्रार्ा र्ी, कक्रर्ेशन िा साकर्कल र्हो। ऐसे र्ुछ भी बना लो। इसर्ें तो होलशर्ार
हो। तो चेर् र्रो र्ौन से विटालर्न र्ी र्र्ी है। आत्र्ा र्ी अनुभूनत र्ी र्र्ी है , परर्ात्र्
सम्बन्ध र्ी र्र्ी है, ड्रार्ा र्े गह्
ु र्ता र्े अनभ
ु नू त र्ी र्र्ी है। सम्पर्क र्ें आने र्े
विशेषताओं र्ी अनभ
ु नू त र्ी र्र्ी है। सिक शक्ततर्ों र्े स्िरूप र्े अनभ
ु नू त र्ी र्र्ी है। और
िही र्र्ी र्नन शक्तत द्िारा भरो। श्रोता स्िरूप िा भाषण र्रता स्िरूप - लसिक र्हााँ तर्
आत्र्ा शक्ततशाली नहीं बन सर्ेगी। ज्ञान स्िरूप अथाकत अनभ
ु ि स्िरूप। अनभ
ु िों र्ो बढ़ाओ
और उसर्ा आधार है र्नन शक्तत। र्नन िाला स्ित: ही र्गन रहता है। र्गन अिस्था र्ें
र्ोग लगाना नहीं पड़ता लेकर्न ननरं तर लगा हुआ ही अनभ
ु ि र्रता। र्ेहनत नहीं र्रनी
पड़ेगी। र्गन अथाकत र्ुहब्बत र्े सागर र्ें सर्ार्ा हुआ। ऐसे सर्ार्ा हुआ जो र्ोई अलग र्र
ही नहीं सर्ता। तो र्ेहनत से भी छूटो। बाहरर्ख ु ता र्ो छोड़ो तो र्ेहनत से छूटो। और
अनुभिों र्े अन्तर्ख
ुक ता स्िरूप र्ें सदा सर्ा जाओ। अनुभिों र्ा भी सागर है। एर् दो

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अनुभि नहीं अथाह हैं। एर् दो अनुभि र्र ललर्ा तो अनुभि र्े तालाब र्ें नहीं नहाओ।
सागर र्े बच्चे अनभ
ु िों र्े सागर र्ें सर्ा जाओ। तालाब र्े बच्चे तो नहीं हो ना! र्ह
धर्कवपतार्ें, र्हान आत्र्ार्ें र्हलाने िाले, र्ह हैं तालाब। तालाब से तो ननर्ल आर्े ना।
अनेर् तालाबों र्ा पानी पी ललर्ा। अब तो एर् सागर र्ें सर्ा गर्े ना।
सदा स्िर्ं बाप र्े सर्ीप रत्न सर्झते हो ? सर्ीप रत्न र्ी ननशानी तर्ा होगी ? सर्ीप
अथाकत सर्ान। सर्ीप अथाकत संग र्ें रहने िाले। संग र्ें रहने से तर्ा होता है ? िह रं ग लग
जाता है ना। जो सदा बाप र्े सर्ीप अथाकत ् संग र्ें रहने िाले हैं उनर्ो बाप र्ा रं ग लगेगा
तो बाप सर्ान बन जार्ेंग।े सर्ीप अथाकत सर्ान ऐसे अनुभि र्रते हो ? हर गुण र्ो सार्ने
रखते हुए चेर् र्रो कर् तर्ा-तर्ा बाप सर्ान है। हर शक्तत र्ो सार्ने रख चेर् र्रो कर्
कर्स शक्तत र्ें सर्ान बने हैं। आपर्ा टाइटल ही है - र्ास्टर सिकगुण सम्पन्न, र्ास्टर सिक
शक्ततिान। तो सदा र्ह टाइटल र्ाद रहता है ? सिकशक्ततर्ााँ आ गई अथाकत विजर्ी हो
गर्े, किर र्भी भी हार हो नहीं सर्ती। जो बाप र्े गले र्ा हार बन गर्े उनर्ी र्भी भी
हार नहीं हो सर्ती।

( 07-04-81 )

आज र्ी र्ह सभा र्ौन सी सभा है ? र्ह है विचध-विधाताओं र्ी सभा। लसवि-दाताओं र्ी
सभा। अपने र्ो ऐसे विचध-विधाता िा लसवि दाता सर्झते हो ? इस सभा र्ी विशेषाताओं
र्ो जानते हो ? विचध-विधाताओं र्ी विशेष शक्तत है क्जस द्िारा सेर्ेण्ड र्ें सिक र्ो विचध
द्िारा लसवि स्िरूप बना सर्ते। उसर्ो जानते हो ? िह है - ‘‘सत्र्ता अथाकत ् ररर्ल्टी''।
सत्र्ता ही र्हानता है। सत्र्ता र्ी ही र्ान्र्ता है। िह सत्र्ता अथाकत र्हानता स्पष्ठट रूप से
जानते हो ? विशेष विचध ही सत्र्ता र्े आधार पर है। पहला िाउन्डेशन अपनी नालेज
अथाकत अपने स्िरूप र्ें स्त्र्ता देखो। सत्र् स्िरूप तर्ा है और र्ानते तर्ा थे ? तो पहला
सत्र् हुआ आत्र्ा स्िरूप र्ा। जब तर् र्ह सत्र् नहीं जाना तो र्हानता थी ? र्हान थे िा
र्हान र्े पुजारी थे ? जब अपने आपर्ो जाना तो तर्ा बन गर्े ? र्हान आत्र्ा बन गर्े।
सत्र्ता र्ी अथाटी से औरों र्ो भी र्हते हो - हर् आत्र्ा हैं। इसी प्रर्ार से सत्र् बाप र्ा
सत्र् पररचर् लर्लने से अथाटी से र्हते हो - परर्ात्र्ा हर्ारा बाप है। िसे र्े अचधर्ार र्ी
शक्तत से र्हते हो बाप हर्ारा और हर् बाप र्े। ऐसे अपनी रचना र्े िा सक्ृ ष्ठट चक्र र्े
सत्र् पररचर् र्ो अथाटी से सन
ु ते हो - अब र्ह सक्ृ ष्ठट चक्र सर्ाप्त हो किर से ररपीट होना
है। अब संगर् र्ा र्ग
ु है, न कर् र्ललर्ग
ु । चाहे सारी विश्ि र्े विद्िान पक्ण्डत और अनेर्
आत्र्ार्ें शास्त्र र्े प्रर्ाण र्ललर्ग
ु ही र्ानते लेकर्न आप 5 पाण्डि अथाकत र्ोटों र्े र्ोई
थोड़ी सी आत्र्ार्ें चैलेन्ज र्रते हो कर् अभी र्ललर्ुग नहीं, संगर्र्ुग है, र्ह कर्स अथाटी से
? सत्र्ता र्ी र्हानता र्े र्ारण। विश्ि र्ें र्ैसेज दे ते हो कर् आओ और आर्र सर्झो।

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सोर्े हुए र्ुम्भर्रणों र्ो जगार्र र्हते हो - सर्र् आ गर्ा। र्ही सत ् बाप, सत ्
लशक्षर्, सत ् गरू
ु द्िारा सत्र्ता र्ी शक्तत लर्ली है। अनभ
ु ि र्रते हो - र्ही सत्र्ता है।
सत ् र्े दो अथक है। एर् सत ् अथाकत सत्र् दस
ू रा सत ् अथाकत अविनाशी। तो बाप सत्र् भी है
और अविनाशी भी है इसललए बाप द्िारा जो पररचर् लर्ला िह सब सत ् अथाकत सत्र् और
अविनाशी है। भतत लोग भी बाप र्ी र्दहर्ा गाते हैं - ‘‘सत्र्र् ् लशिर् ् सन्
ु दरर् ्''। सत्र्र् ् भी
र्ानते और अविनाशी भी र्ानते। गाड इज ट्रुथ भी र्ानते। तो बाप द्िारा सत्र्ता र्ी अथाटी
प्राप्त हो गई है। र्ह भी िसाक लर्ला है ना ! सत्र्ता र्ी अथाटी प्राप्त हो गई है। र्ह भी
िसाक लर्ला है ना। सत्र्ता र्ी अथाटी िाले र्ा गार्न भी सुना है, उसर्ी ननशानी तर्ा होगी
? लसन्धी र्ें िहाित है - ‘‘सच ते बबठो नच''। और भी र्हाित है - ‘‘सत्र् र्ी नाि दहलेगी
लेकर्न डूब नहीं सर्ती''। आपर्ो भी दहलाने र्ी र्ोलशश तो बहुत र्रते हैं ना ! र्ह झूठ
है, र्ल्पना है। लेकर्न सच तो बबठो नच। आप सत्र्ता र्ी र्हानता र्े नशे र्ें सदा खश
ु ी र्े
झूल र्ें झल
ू ते रहते। खुशी र्ें नाचते रहते हो ना। क्जतना िह दहलाने र्ी र्ोलशश र्रते
उतना ही तर्ा होता ? आपर्े झूले र्ो दहलाने से और ही ज्र्ादा झूलते हो। आपर्ो नहीं
दहलाते लेकर्न झूले र्ो दहलाते। और ही उसर्ो धन्र्िाद दो कर् हर् बाप र्े साथ झूलें, आप
झुलाओ। र्ह दहलाना नहीं लेकर्न झल
ु ाना है। ऐसे अनुभि र्रते हो। दहलते नहीं हो लेकर्न
झूलते हो ना ! सत्र्ता र्ी शक्तत सारी प्रर्ृनत र्ो ही सतोप्रधान बना दे ती है। र्ुग र्ो
सतर्ुगी बना दे ती है। सिक आत्र्ाओं र्े सदगनत र्ी तर्दीर बना दे ती है। हर आत्र्ा आपर्े
सत्र्ता र्ी शक्तत द्िारा अपने-अपने र्था शक्तत अपने धर्क र्ें , अपने सर्र् पर गनत र्े
बाद सदगनत र्ें ही अितररत होंगे। तर्ोंकर् विचध-विधाताओं द्िारा संगर्र्ुग पर अन्त तर्
भी बाप र्ो र्ाद र्रने र्ी विचध र्ा सन्दे श जरूर लर्लना है। किर कर्सर्ो िाणी
द्िारा, कर्सर्ो चचत्रों द्िारा, कर्सर्ो सर्ाचारों द्िारा, कर्सर्ो आप सबर्े पािरिुल िार्ब्रेशन
द्िारा, कर्सर्ो अक्न्तर् विनाश लीला र्ी हलचल द्िारा, िैराग िक्ृ त्त र्े िार्ुर्ण्डल द्िारा।
र्ह सब साइन्स र्े साधन आपर्े इस सन्दे श दे ने र्े र्ार्क र्ें सहर्ोगी होंगे।
संगर् पर ही प्रर्ृनत सहर्ोगी बनने र्ा अपना पाटक आरम्भ र्र दे गी। सब तरि से प्रर्ृनत-
पनत र्ा और र्ास्टर प्रर्ृनतपनत र्ा आर्जान र्रे गी। सब तरि से आिरीन और आिर
होगी। किर तर्ा र्रें गे ? र्ह जो भक्तत र्ें गार्न है, हर प्रर्ृनत र्े तत्ि र्ो दे िता र्े रूप र्ें
ददखार्ा है। दे िता अथाकत दे ने िाला। तो अन्त र्ें र्ह सब प्रर्ृनत र्े तत्ि आप सबर्ो
सहर्ोग दे ने िाले दाता बन जार्ेंगे। र्ह सागर भी आपर्ो सहर्ोग दें गे। चारों ओर र्ी
सार्ग्री भारत र्ी धरनी पर लाने र्ें सहर्ोगी होंगे। इसललए र्हते हैं सागर ने रतनों र्ी
थाललर्ााँ दी। ऐसे ही धरनी र्ी हलचल सारी िैल्र्ब
ु ल िस्तु आप श्रेष्ठठ आत्र्ाओं र्े ललए एर्
स्थान भारत र्ें इर्ठ्ठी र्र दे ने र्ें सहर्ोगी होगी। इन्र दे िता र्हते हैं ना ! तो बरसात भी
धरनी र्ी सिाई र्े सहर्ोग र्ें हाक्जर हो जार्ेगी। इतना सारा कर्चड़ा आप तो नहीं साि
र्रें गे। र्ह सारा प्रर्ृनत र्ा सहर्ोग लर्लेगा। र्ुछ िार्ु उड़ार्ेगी, र्ुछ बरसात साथ ले
जार्ेगी। अक्ग्न र्ो तो जानते ही हो। तो अन्त र्ें र्ह सब तत्ि आप श्रेष्ठठ आत्र्ाओं र्ो

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सहर्ोग दे ने िाले दे िता बनेंगे। और सिक आत्र्ार्ें अनुभि र्रें गी। किर भक्तत र्ें जो अब
सहर्ोग दे ने र्े र्तकर्वर् र्े र्ारण दे िता बने उस र्तकर्वर् र्ा अथक भल
ू , दे िताओं र्ा र्नष्ठु र्
रूप दे दे ते हैं। जैसे सर्
ू क है तत्ि लेकर्न र्नष्ठु र् रूप दे ददर्ा है। तो सर्झा विचध-विधाता बन
तर्ा र्ार्क र्रना है।
उन्हों र्ी है विधान सभा और र्ह है विचध-विधाताओं र्ी सभा। िहााँ सभा र्े र्ेम्बर होते हैं।
र्हााँ अचधर्ारी र्हान आत्र्ार्ें होती हैं। तो सर्झा सत्र्ता र्ी र्हानता कर्तनी है ! सत्र्ता
पारस र्े सर्ान है। जैसे पारस लोहे र्ो भी पारस बना दे ता है। आपर्े सत्र्ता र्ी शक्तत
आत्र्ा र्ो, प्रर्ृनत र्ो, सर्र् र्ो, सिक सार्ग्री र्ो, सबर्ो सतोप्रधान बना दे ती है। तर्ोगुण
र्ा नार् ननशान सर्ाप्त र्र दे ती है। सत्र्ता र्ी शक्तत आपर्े नार् र्ो, रूप र्ो सत ् अथाकत
अविनाशी बना दे ती है। आधार्ल्प चैतन्र् रूप, आधा र्ल्प चचत्र रूप। आधा र्ल्प प्रजा
आपर्ा नार् गार्ेगी, आधा र्ल्प भतत आपर्ा नार् गार्ेंगे। आपर्ा बोल सत ् िचन र्े रूप
र्ें गार्ा जाता है। आज तर् भी एर्-आधा िचन लेने से अपने र्ो र्हान अनुभि र्रते।
आपर्ी सत्र्ता र्ी शक्तत से आपर्ा दे श भी अविनाशी बन जाता है। िेष भी अविनाशी बन
जाता है। आधार्ल्प दे िताई िेष र्ें रहें गे , आधार्ल्प दे िताई िेष र्ा र्ादगार चलेगा। अब
अन्त तर् भी भतत लोग आपर्े चचत्रों र्ो भी ड्रेस से सजाते रहते हैं। र्तकर्वर् और चररत्र -
र्ह सब सत ् हो गर्े। र्तकर्वर् र्ा र्ादगार भागित बना ददर्ा है। चररत्रों र्ी अनेर् र्हाननर्ााँ
बना दी हैं। र्ह सब सत्र् हो गर्े। कर्स र्ारण ? सत्र्ता र्ी शक्तत र्ारण। आपर्ी
ददनचर्ाक भी सत ् हो गई है। भोजन खाना, अर्त
ृ पीना सब सत ् हो गर्ा है। आपर्े चचत्रों र्ो
भी उठाते हैं, बबठाते हैं, पररक्रर्ा लगिाते हैं, भोग लगाते हैं, अर्त
ृ रखते और पीते हैं। हर
र्तकर्वर् िा हर र्र्क र्ा र्ादगार बन गर्ा है। इतनी शक्तत र्ो जानते हो ? इतनी अथाटी से
सबर्ो चैलेन्ज र्रते हो िा सेिा र्रते हो ? नर्े-नर्े आर्े हैं ना ! ऐसे तो नहीं सर्झते हर्
थोड़े हैं, लेकर्न आलर्ाइटी अथाटी आपर्ा साथी है । सत्र्ता र्ी शक्तत िाले हो। पााँच नहीं हो
लेकर्न विश्ि र्ा रचनर्ता आपर्ा साथी है । इसी िलर् से बोलो। र्ानेंगे , नहीं
र्ानेंगे, र्हें , र्ैसे र्हें । र्ह संर्ल्प तो नहीं आते जहााँ सत्र्ता है , सत ् बाप है िहााँ सदा
विजर् है। ननश्चर् र्े आधार पर अनुभिी र्ूतक बन बोलो तो सिलता सदा आपर्े साथ है।
सदा स्िर्ं र्ो शक्ततशाली आत्र्ा अनभ
ु ि र्रते हो ? शक्ततशाली आत्र्ा र्ा हर संर्ल्प
शक्ततशाली होगा। हर संर्ल्प र्ें सेिा सर्ाई हुई हो। हर बोल र्ें बाप र्ी र्ाद सर्ाई हो। हर
र्र्क र्ें बाप जैसा चररत्र सर्ार्ा हुआ हो। तो ऐसी शक्ततशाली आत्र्ा अपने र्ो अनभ ु ि
र्रते हो ? र्ख ु र्ें भी बाप, स्र्नृ त र्ें भी बाप और र्र्क र्ें भी बाप र्े चररत्र - इसर्ो र्हा
जाता है बाप सर्ान शक्ततशाली। ऐसे हैं ? एर् शब्द ‘‘ बाबा'', लेकर्न र्ह एर् ही शब्द जाद ू
र्ा शब्द है। जैसे जाद ू र्ें स्िरूप पररितकन हो जाता िैसे एर् ‘बाप' शब्द सर्थक स्िरूप बना
दे ता है। गुण बदल जाते, र्र्क बदल जाते, बोल बदल जाते। र्ह एर् शब्द ही जाद ू र्ा शब्द
है। तो सभी जादग
ू र बने हो ना ! जाद ू लगाना आता है ना ! बाबा बोला और बाबा र्ा
बनार्ा, र्ह है जाद।ू

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िरदान भूलर् पर आर्र िरदाता द्िारा िरदान पाने र्ा भाग्र् बनार्ा है ? जो गार्न है -
भाग्र् विधाता बाप द्िारा जो चाहो िह अपने भाग्र् र्ी लर्ीर खींच सर्ते हो। र्ह इस
सर्र् र्ा िरदान है। तो िरदान र्े सर्र् र्ो, िरदान र्े स्थान र्ा र्ार्क र्ें लार्ा ? तर्ा
िरदान ललर्ा ? जैसे बाप सम्पन्न है इसललए सागर र्हा जाता है। सागर र्ा अथक ही
है ‘‘सम्पन्न''। बाप सर्ान बनने र्ा दृढ़ संर्ल्प कर्र्ा ? बच्चे र्े ललए गार्ा जाता है -
बालर् सो र्ाललर्। तो बालर् बाप र्ा र्ाललर् है। र्ाललर्पन र्े नशे र्ें रहने र्े ललए बाप
सर्ान स्िर्ं र्ो सम्पन्न बनाना पड़े। बाप र्ी विशेषता है सिक शक्ततिान अथाकत ् सिक
शक्ततर्ों र्ी विशेषता है। तो जो बालर् सो र्ाललर् है उनर्ें भी सिकशक्ततर्ााँ होंगी। एर्
शक्तत र्ी भी र्र्ी नहीं। अगर एर् भी शक्तत र्र् रही तो शक्ततिान र्हें गे, सिकशक्ततिान
नहीं। तो र्ौन हो ? सिकशक्ततिान अथाकत जो चाहे िह र्र सर्े, हर र्र्ेक्न्रर् अपने र्ंट्रोल
र्ें हो। संर्ल्प कर्र्ा और हुआ, तर्ोंकर् र्ास्टर हैं ना ! तो आप सब स्िराज्र् अचधर्ारी हो
ना ! पहले स्ि-राज्र् किर विश्ि र्ा राज्र्।

( 11-04-81 )

बापदादा सिक बच्चों र्ो अक्न्तर् स्टे ज अथाकत सम्पन्न और सम्पूणक स्टे ज - इसी शक्ततशाली
क्स्थनत र्ा अनुभि र्राते हैं। क्जस क्स्थनत र्ें सदा र्ास्टर सिकशक्ततिान, र्ास्टर
ज्ञानसागर, सिक गुणों र्ें सम्पन्न, हर संर्ल्प र्ें, हर श्िास र्ें हर सेर्ेण्ड सदा साक्षी-रष्ठटा
और सदा बाप र्े साथीपन र्ा, सिक ब्राह्र्ण पररिार र्ी श्रेष्ठठ आत्र्ाओं र्े स्नेह, सहर्ोग र्े
साथीपन र्ा सदा अनुभि होगा। ऐसे अनुभूनत होगी जैसे साइंस र्े साधनों द्िारा दरू र्ी
िस्तु सर्ीप अनुभि र्रते हैं। ऐसे ददर्वर् बुवि द्िारा कर्तनी ही दरू रहने िाली आत्र्ाओं र्ो
सर्ीप अनुभि र्रें गे। जैसे स्थूल र्ें साथ रहने िाली आत्र्ाओं र्ो सर्ीप अनुभि र्रें गे। जैसे
स्थूल र्ें साथ रहने िाली आत्र्ा र्ो स्पष्ठट दे खते, बोलते, सहर्ोग दे ते और लेते हो, ऐसे चाहे
अर्ेररर्ा र्ें बैठी हुई आत्र्ा हो लेकर्न ददर्वर्-दृक्ष्ठट, ददर्वर् दृक्ष्ठट ट्रान्स नहीं लेकर्न रूहाननर्त
भरी ददर्वर् दृक्ष्ठट - क्जस दृक्ष्ठट द्िारा नैचरु ल रूप र्ें आत्र्ा और आत्र्ाओं र्ा बाप भी
ददखाई दे गा। आत्र्ा र्ो दे खाँू र्ह र्ेहनत नहीं होगी, परू
ु षाथक नहीं होगा लेकर्न हूाँ ही
आत्र्ा, हैं ही सब आत्र्ार्ें। शरीर र्ा भान ऐसे खोर्ा हुआ होगा जैसे द्िापर से आत्र्ा र्ा
भान खो गर्ा था। लसिाए आत्र्ा र्े र्ुछ ददखाई नहीं दे गा। आत्र्ा चल रही है, आत्र्ा र्र
रहीं है। सदा र्स्तर् र्णी र्े तरि तन र्ी ऑखे िा र्न र्ी ऑखे जार्ेंगी। बाप और
आत्र्ाएं - र्ही स्र्नृ त ननरन्तर नैचुरल होगी। उस सर्र् र्ी भाषा तर्ा होगी ? श्रेष्ठठ संर्ल्प
र्ी भाषा होगी। भाषण र्रने िाले नहीं , आक्त्र्र् आर्षकण र्रने िाले होगें । बोलने से नहीं
लेकर्न क्स्थनत र्े द्िारा, श्रेष्ठठ जीिन र्े दपकण द्िारा सहज ही स्िरूप अनुभि र्रार्ेंगे। र्ुख
र्े बजाए नर्न ही स्िरूप अनभ
ु ि र्राने र्े साधन बन जार्ेंगे। नर्नों र्ी भाषा संर्ल्प र्ी
भाषा है। संर्ल्प शक्तत आपर्े र्ुख र्े आिाज र्ी गनत से भी तेज गनत से र्ार्क र्रे गी।

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इसललए श्रेष्ठठ संर्ल्प र्ी शक्तत र्ो ऐसे स्िच्छ बनाओ जो जरा भी र्वर्थक र्ी अस्िच्छता भी
न हो। क्जसर्ो र्हा जाता है लाइन तलीर्र।
इस संर्ल्प शक्तत द्िारा बहुत ही र्ार्क सिल होने र्ी लसवि र्े अनभ
ु ि र्रें गे। क्जन
आत्र्ाओं र्ो, क्जन स्थल
ू र्ार्ों र्ो िा सम्बन्ध सम्पर्क र्ें आने िाली आत्र्ाओं र्े संस्र्ारों
र्ो, र्ख
ु द्िारा िा अन्र् साधनों द्िारा पररितकन र्रते हुए भी सम्पण
ू क सिलता नहीं अनभ ु ि
र्रते, िे सब उम्र्ीदें संर्ल्प शक्तत द्िारा सम्पण
ू क सिल ऐसे हो जार्ेंगी जैसे हुई पड़ी थीं।
चारों ओर जैसे स्थल
ू आर्ाश र्ें लभन्न-लभन्न लसतारे दे खते हो ऐसे विश्ि र्े िार्र्
ु ण्डल र्े
आर्ाश र्ें चारों ओर सिलता र्े लसतारे चर्र्ते हुए दे खेंगे। ितकर्ान सर्र् उम्र्ीदों र्े तारे
और सिलता र्े तारे दोनों ददखाई दे ते हैं लेकर्न अक्न्तर् सर्र्, अक्न्तर् क्स्थनत, बाप र्े
अन्त र्ें खोर्े हुए श्रेष्ठठ क्स्थनत र्ें सिलता र्े लसतारे ही होगे। र्ह रूहानी नर्न, र्ह रूहानी
र्ूतक ऐसे ददर्वर् दपकण बन जार्ेगी - क्जस दपकण र्ें हर आत्र्ा बबना र्ेहनत र्े आक्त्र्र्
स्िरूप ही दे खेगी। सेर्ेण्ड र्ें इस दपकण द्िारा आक्त्र्र् स्िरूप र्ा अनभ
ु ि र्रने र्े र्ारण
बाप र्ी तरि आर्वषकत हो, अहो प्रभू र्े गीत गाते, दे हभान से सहज अपकण हो जार्ेंगे। अहो
आपर्ा भाग्र् ! ओहो र्ेरा भाग्र् ! इस भाग्र् र्ी अनुभूनत र्े र्ारण दे ह और दे ह र्े
सम्बन्ध र्ी स्र्नृ त र्ा त्र्ाग र्र दें गे तर्ोंकर् भाग्र् र्े आगे त्र्ाग र्रना अनत सहज है।

( 04-10-81 )

आज ननिाकण अथाकत िाणी से परे शान्त स्िरूप क्स्थनत र्ा अनभ


ु ि र्रा रहे हैं। आप
आत्र्ाओं र्ा स्िधर्क और सुर्र्क, स्ि-स्िरूप, स्िदे श है ही - शान्त। संगर्र्ुग र्ी विशेष
शक्तत भी साइलेंस र्ी शक्तत है। आप सभी संगर्र्ुगी आत्र्ाओं र्ा लक्ष्र् भी र्ही है कर्
अब स्िीट साइलेन्स होर् र्ें जाना है। इसी अनादद लक्षण - शान्त स्िरूप रहना और सिक र्ो
शाक्न्त दे ना - इसी शक्तत र्ी विश्ि र्ें आिश्र्र्ता है। सिक सर्स्र्ाओं र्ा हल इसी
साइलेन्स र्ी शक्तत से होता है। तर्ों ? साइलेन्स अथाकत शान्त स्िरूप आत्र्ा एर्ान्तिासी
होने र्े र्ारण सदा एर्ाग्र रहती है और एर्ाग्रता र्े र्ारण विशेष दो शक्ततर्ााँ सदा प्राप्त
होती हैं। एर् - परखने र्ी शक्तत। दस
ू री - ननणकर् र्रने र्ी शक्तत। र्ही विशेष दो शक्ततर्ााँ
र्वर्िहार िा परर्ाथक दोनों र्ी सिक सर्स्र्ाओं र्ा सहज साधन है।
परर्ाथक र्ागक र्ें विघ्न-विनाशर् बनने र्ा साधन है - र्ार्ा र्ो परखना। और परखने र्े बाद
ननणकर् र्रना। न परखने र्े र्ारण ही लभन्न-लभन्न र्ार्ा र्े रूपों र्ो दरू से भगा नहीं सर्ते
हैं। परर्ाथी बच्चों र्े सार्ने र्ार्ा भी रार्ल ईश्िरीर् रूप रच र्रर्े आती है। क्जसर्ो
परखने र्े ललए एर्ाग्रता र्ी शक्तत चादहए। और एर्ाग्रता र्ी शक्तत साइलेन्स र्ी शक्तत से
ही प्राप्त होती है।
ितकर्ान सर्र् ब्राह्र्ण आत्र्ाओं र्ें तीव्रगनत र्ा पररितकन र्र् है। तर्ोंकर् र्ार्ा र्े रार्ल
ईश्िरीर् रोल्ड गोल्ड र्ो रीर्ल गोल्ड सर्झ लेते हैं। क्जस र्ारण ितकर्ान न परखने र्े

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र्ारण बोल तर्ा बोलते हैं - र्ैंने जो कर्र्ा िा र्हा, िह ठीर् बोला। र्ैं कर्सर्ें रांग हूाँ ! ऐसे
ही तो चलना पड़ेगा ! रांग होते भी अपने र्ो रांग नहीं सर्झेंगें। र्ारण ? परखने र्ी शक्तत
र्ी र्र्ी। र्ार्ा र्े रार्ल रूप र्ो रीर्ल सर्झ लेते। परखने र्ी शक्तत न होने र्े र्ारण
र्थाथक ननणकर् भी नहीं र्र सर्ते। स्ि-पररितकन र्रना है िा परपररितक न होना है , र्ह
ननणकर् नहीं र्र सर्ते। इसललए पररितकन र्ी गनत तीव्र चादहए। सर्र् तीव्रगनत से आगे बढ़
रहा है। लेकर्न सर्र् प्रर्ाण पररितकन होना और स्ि र्े श्रेष्ठठ संर्ल्प से पररितकन होना -
इसर्ें प्राक्प्त र्ी अनभ
ु नू त र्ें रात-ददन र्ा अन्तर है। जैसे आजर्ल र्ी सिारी र्ार चलाते हो
ना ! एर् है सेल्ि स्टाटक होना और दस
ू रा है धतर्े से स्टाटक होना। तो दोनों र्ें अन्तर है ना
! तो सर्र् र्े धतर्े से पररितकन होना र्ह है पुरूषाथक र्ी गाड़ी धतर्े से चलाना। सिारी र्ें
चलना नहीं हुआ, सिारी र्ो चलाना हुआ। सर्र् र्े आधार पर पररितकन होना अथाकत लसिक
थोड़ा-सा दहस्सा प्राक्प्त र्ा प्राप्त र्रना। जैसे एर् होते हैं र्ाललर्, दस
ू रे होते हैं थोड़े से
शेर्सक लेने िाले। र्हााँ र्ाललर्पन, अचधर्ारी और र्हााँ अंचली लेने िाले। इसर्ा र्ारण तर्ा
हुआ ? साइलेन्स र्े शक्तत र्ी अनभ ु ूनत नहीं है क्जसर्े द्िारा परखने और ननणकर् र्रने र्ी
शक्तत प्राप्त होने र्े र्ारण पररितकन तीव्रगनत से होता है। सर्झा - साइलेन्स र्ी शक्तत
कर्तनी र्हान है ! साइलेन्स र्ी शक्तत क्रोध-अक्ग्न र्ो शीतल र्र दे ती है। साइलेन्स र्ी
शक्तत र्वर्थक संर्ल्पों र्ी हलचल र्ो सर्ाप्त र्र सर्ती है। साइलेन्स र्ी शक्तत ही र्ैसे भी
पुराने संस्र्ार हों, ऐसे पुराने संस्र्ार सर्ाप्त र्र दे ती है। साइलेन्स र्ी शक्तत अनेर् प्रर्ार
र्े र्ानलसर् रोग सहज सर्ाप्त र्र सर्ती है। साइलेंन्स र्ी शक्तत, शाक्न्त र्े सागर बाप से
अनेर् आत्र्ाओं र्ा लर्लन र्रा सर्ती है। साइलेन्स र्ी शक्तत अनेर् जन्र्ों से भटर्ती हुई
आत्र्ाओं र्ो दठर्ाने र्ी अनुभूनत र्रा सर्ती है। र्हान आत्र्ा, धर्ाकत्र्ा सब बना दे ती है।
साइलेन्स र्ी शक्तत सेर्ण्ड र्ें तीनों लोर्ों र्ी सैर र्रा सर्ती है। सर्झा कर्तनी र्हान है
? साइलेन्स र्ी शक्तत- र्र् र्ेहनत, र्र् खचाक बालानशीन र्रा सर्ती है। साइलेन्स र्ी
शक्तत - सर्र् र्े खज़ाने र्ें भी एर्ानार्ी र्रा देती है अथाकत र्र् सर्र् र्ें ज्र्ादा सिलता
पा सर्ते हो। साइलेन्स र्ी शक्तत हाहार्ार से जर्जर्र्ार र्रा सर्ती है। साइलेन्स र्ी
शक्तत सदा आपर्े गले र्ें सिलता र्ी र्ालार्ें पहनार्ेंगी। जर्जर्र्ार भी हो गई, र्ालार्ें
भी पड़ गई, बार्ी तर्ा रहा ? सब र्ुछ हो गर्ा ना ! तो सन
ु ा आप कर्तने र्हान हो
? र्हान शक्तत र्ो र्ार्क र्ें र्र् लगाते हो।
िाणी से तीर चलाना आ गर्ा है , अब ‘‘शाक्न्त'' र्ा तीर चलाओ। क्जससे रे त र्ें भी हररर्ाली
र्र सर्ते हो। कर्तना भी र्ड़ा सा पहाड़ हो लेकर्न पानी ननर्ाल सर्ते हो। ितकर्ान
सर्र् ‘‘शाक्न्त र्ी शक्तत'' प्रैक्तटर्ल र्ें लाओ। र्धब
ु न र्ी धरनी भी तर्ों आर्षकण र्रती है
? शाक्न्त र्ी अनभ
ु नू त होती हैं ना ! ऐसे ही चारों और र्े सेिार्ेन्र और प्रिक्ृ त्त र्े स्थान -
‘‘शाक्न्त र्ुण्ड'' बनाओ। तो चारों ओर शाक्न्त र्ी कर्रणें विश्ि र्ी आत्र्ाओं र्ो शाक्न्त र्ी
अनभ
ु नू त र्ी तरि आर्वषकत र्रें गी। चम्
ु बर् बन जार्ेंगे। ऐसा सर्र् आर्ेगा जो आपर्े सिक
स्थान शाक्न्त प्राक्प्त र्े चुम्बर् बन जार्ेंगे, आपर्ो नहीं जाना पड़ेगा िह स्िर्ं आर्ेंगे।

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लेकर्न तब, जब सिक र्ें शाक्न्त र्ी र्हान शक्तत ननरन्तर संर्ल्प बोल और र्र्क र्ें हो
जार्ेगी। तब ही र्ास्टर शाक्न्तदे िा बन जार्ेंगे।

( 13-11-81 )

सभी अपने र्ो सदा र्ास्टर सिकशक्ततिान सर्झते हुए हर र्ार्क र्रते हो ? सदा सेिा र्े
क्षेत्र र्ें अपने र्ो र्ास्टर सिकशक्ततिान सर्झर्र सेिा र्रें गे तो सेिा र्ें सिलता हुई पड़ी है
तर्ोंकर् ितकर्ान सर्र् र्ी सेिा र्ें सिलता र्ा विशेष साधन है - ‘िक्ृ त्त से िार्ुर्ण्डल
बनाना'। आजर्ल र्ी आत्र्ाओं र्ो अपनी र्ेहनत से आगे बढ़ना र्ुक्श्र्ल है इसललए अपने
िार्ब्रेशन द्िारा िार्ुर्ण्डल ऐसा पािरिुल बनाओ जो आत्र्ार्ें स्ित: आर्वषकत होते आ
जाएाँ। तो सेिा र्ी िवृ ि र्ा िाउण्डेशन र्ह है - बार्ी साथ-साथ जो सेिा र्े साधन हैं िह
चारों ओर र्रने चादहए। लसिक एर् ही एररर्ा र्ें ज्र्ादा र्ेहनत और सर्र् नहीं लगाओ और
चारों तरि सेिा र्े साधनों द्िारा सेिा र्ो िैलाओ तो सब तरि ननर्ले हुए चैतन्र् िूलों र्ा
गुलदस्ता तैर्ार हो जार्ेगा।

( 06-01-82 )

‘‘आज सिकशक्ततिान बाप अपने शक्तत सेना र्ो दे ख हवषकत हो रहे हैं। हरे र् र्ास्टर
सिकशक्ततिान आत्र्ाओं ने सिकशक्ततर्ों र्ो र्हााँ तर् अपने र्ें धारण कर्र्ा है ? विशेष
शक्ततर्ों र्ो अच्छी तरह से जानते हो और जानने र्े आधार पर चचत्र बनाते हो। र्ह
चचत्र, चैतन्र् स्िरूप र्ी ननशानी है - ‘‘श्रेष्ठठता अथिा र्हानता।'' हर र्र्क श्रेष्ठठ, र्हान है
इससे लसि है कर् शक्ततर्ों र्ो चररत्र अथाकत र्र्क र्ें लार्ा है। ननबकल आत्र्ा है िा
शक्ततशाली आत्र्ा है, सिकशक्तत सम्पन्न है िा शक्तत स्िरूप सम्पन्न है - र्ह सब पहचान
र्र्क से ही होती है तर्ोंकर् र्र्क द्िारा ही र्वर्क्तत और पररक्स्थनत र्े सम्बन्ध िा सम्पर्क र्ें
आते हैं। इसललए नार् ही है - ‘‘र्र्क-क्षेत्र, र्र्क-सम्बन्ध, र्र्क-इक्न्रर्ां, र्र्क भोग, र्र्क र्ोग''।
तो इस सार्ार ितन र्ी विशेषता ही - ‘र्र्क' है। जैसे ननरार्ार ितन र्ी विशेषता र्र्ों से
अतीत अथाकत न्र्ारे हैं। ऐसे सार्ार ितन अथाकत र्र्क। र्र्क श्रेष्ठठ है तो श्रेष्ठठ प्रालब्ध है , र्र्क
भ्रष्ठट होने र्े र्ारण दख
ु र्ी प्रालब्ध है। लेकर्न दोनों र्ा आधार ‘र्र्क' है। र्र्क, आत्र्ा र्ा
दशकन र्राने र्ा दपकण है। र्र्क रूपी दपकण द्िारा अपने शक्तत स्िरूप र्ो जान सर्ते हो।
अगर र्र्क द्िारा र्ोई भी शक्तत र्ा प्रत्र्क्ष रूप ददखाई नहीं दे ता तो कर्तना भी र्ोई र्हे
कर् र्ैं र्ास्टर सिकशक्ततिान हूाँ लेकर्न र्र्कक्षेत्र पर रहते र्र्क र्ें नहीं ददखार्ा तो र्ोई र्ानेगा
? जैसे र्ोई बहुत होलशर्ार र्ोिा हो, र्ुि र्ें बहुत होलशर्ार हो लेकर्न र्ुि र्े र्ैदान र्ें
दश्ु र्न र्े आगे र्ुि नहीं र्र पार्े और हार खा ले तो र्ोई र्ानेगा कर् र्ह होलशर्ार र्ोिा है
? ऐसे अगर अपनी बुवि र्ें सर्झते रहें कर् र्ैं शक्तत स्िरूप हूाँ लेकर्न पररक्स्थनतर्ों र्े

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सर्र्, सम्पर्क र्ें आने र्े सर्र्, क्जस सर्र् क्जस शक्तत र्ी आिश्र्र्ता है उस शक्तत र्ो
र्र्क र्े नहीं लाते तो र्ोई र्ानेगा कर् र्ह शक्तत स्िरूप हैं ? लसिक बवु ि तर् जानना िह हो
गर्ा घर बैठे अपने र्ो होलशर्ार सर्झना। लेकर्न सर्र् पर स्िरूप न ददखार्ा, सर्र् पर
शक्तत र्ो र्ार्क र्ें नहीं लगार्ा, सर्र् बीत जाने र्े बाद सोचा तो शक्तत स्िरूप र्हा
जार्ेगा ? र्ही र्र्क र्ें श्रेष्ठठता चादहए। जैसा सर्र् िैसी शक्तत र्र्क द्िारा र्ार्क र्ें लगािें।
तो अपने आपर्ो सारे ददन र्ी र्र्क लीला द्िारा चेर् र्रो कर् हर् र्ास्टर सिकशक्ततिान
र्हााँ तर् बने हैं !
विशेष र्ौन सी शक्तत सर्र् पर विजर्ी बनाती है और विशेष र्ौन सी शक्तत र्ी र्र्ज़ोरी
बार-बार हार खखलाती है ? र्ई बच्चे अपनी र्र्जोर शक्तत र्ो जानते भी हैं। र्भी र्ोई
धारणा र्ुतत संगठन होता र्ा अपने स्ि पुरूषाचथकर्ों र्ा िार्ुर्ण्डल होता तो िणकन भी र्रें गे
लेकर्न साधारण रीनत र्ें। र्ैजाररटी अपनी र्र्ज़ोरी र्ो दस
ू रों से नछपाने र्ी र्ोलशश र्रते
हैं। सर्र् पर र्ोई सुनाते भी हैं किर भी उसी र्र्ज़ोरी र्े बीज र्ो र्र् पहचानते हैं। ऊपर-
ऊपर से िणकन र्रें गे। बाहर र्े रूप र्े विस्तार र्ा िणकन र्रें गे लेकर्न बीज तर् नहीं जार्ेंगे।
इसललए ररजल्ट तर्ा होती है - उस र्र्ज़ोरी र्े ऊपर र्ी शाखार्ें तो र्ाट दे ते हैं, इसललए
थोड़ा सर्र् तो सर्ाप्त अनुभि होती हैं लेकर्न बीज होने र्े र्ारण र्ुछ सर्र् र्े बाद
पररक्स्थनतर्ों र्ा पानी लर्लने से किर उसी र्र्ज़ोरी र्ी शाखा ननर्ल आती है। जैसे
आजर्ल र्े िार्ुर्ंडल र्ें, दनु नर्ा र्ें बीर्ारी खत्र् नहीं होती है- तर्ोंकर् बीर्ारी र्े बीज र्ो
डातटर नहीं जानते। इसललए बीर्ारी दब जाती है लेकर्न सर्ाप्त नहीं होती है। ऐसे र्हााँ भी
बीज र्ो जानर्र बीज र्ो सर्ाप्त र्रो। र्ई बीज र्ो जानते भी हैं लेकर्न जानते हुए भी
अलबेलेपन र्े र्ारण र्हें गे, हो जार्ेगा, एर् बार से थोड़े ही खत्र् होगा ? सर्र् तो लगता
ही है ! ऐसे ज्र्ादा सर्झदारी र्र लेते हैं। क्जस सर्र् पािरिुल बनना चादहए उस सर्र्
नालेजिुल बन जाते हैं। लेकर्न नालेज र्ी शक्तत है , उस नालेज र्ो शक्तत रूप र्ें र्ूज़ नहीं
र्रते। प्िाइन्ट र्े रूप से र्ूज़ र्रते हैं लेकर्न हर एर् ज्ञान र्ी प्िाइन्ट शस्त्र है , उसे शस्त्र
र्े रूप से र्ूज़ नहीं र्रते। इसललए बीज र्ो जानो। अलबेलेपन र्ें आर्र अपनी सम्पन्नता
र्ें िा सम्पूणकता र्ें र्र्ी नहीं र्रो। और अगर बीज र्ो जानने र्े बाद स्िर्ं र्ें जानने र्ी
शक्तत अनभ
ु ि र्रते हो लेकर्न भस्र् र्रने र्ी शक्तत नहीं सर्झते हो तो अन्र् ज्िाला
स्िरूप श्रेष्ठठ आत्र्ाओं र्ा भी सहर्ोग ले सर्ते हो, तर्ोंकर् र्र्जोर आत्र्ा होने र्ारण
डार्रे तट बाप द्िारा र्नेतशन और र्रे तशन नहीं र्र पाते तो सेर्ण्ड नम्बर श्रेष्ठठ आत्र्ाओं
र्ा सहर्ोग ले स्िर्ं र्ो िेरीिार् र्राओ। िेरीिार् होने से सहज प्र्रु ीिार् हो जार्ेंगे। तो
सर्झा तर्ा चेर् र्रना है और र्ैसे चेर् र्रना है ?
एर् तो नछपाओ नहीं। दस
ू रा जानते हुए टाल नहीं दो, चला नहीं दो। चलाते हो तो चचल्लाते
भी हो। तो आज बापदादा शक्तत सेना र्ी शक्तत र्ो दे ख रहे थे। अभी प्राप्त र्ी हुई
शक्ततर्ों र्ो र्र्क र्ें लाओ तर्ोंकर् विश्ि र्ी सिक आत्र्ाओं र्े आगे , ‘र्र्क' ही आपर्ी
पहचान र्राएंगे। र्र्क से िह सहज जान लेंगे। र्र्क सबसे स्थूल चीज है। संर्ल्प सूक्ष्र्

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शक्तत है। आजर्ल र्ी आत्र्ार्ें स्थूल र्ोटे रूप र्ो जल्दी जान सर्ती हैं। िैसे सूक्ष्र् शक्तत
स्थल
ू से बहुत श्रेष्ठठ है लेकर्न लोगों र्े ललए सक्ष्
ू र् शक्तत र्े बार्ब्रेशन र्ैच र्रना अभी
र्क्ु श्र्ल है। र्र्क शक्तत द्िारा आपर्ी संर्ल्प शक्तत र्ो भी जानते जाएंगे। र्ंसा सेिा
र्र्कणा से श्रेष्ठठ है। िक्ृ त्त द्िारा िक्ृ त्तर्ों र्ो, िार्र्
ु ण्डल र्ो पररितकन र्रना र्ह सेिा भी
अनत श्रेष्ठठ है। लेकर्न इससे सहज र्र्क है। र्र्क द्िारा शक्तत स्िरूप र्ा दशकन अथिा
साक्षात्र्ार र्राओ तो र्र्क द्िारा संर्ल्प शक्तत तर् पहुाँचना सहज हो जार्ेगा। नहीं तो
र्र्जोर र्र्क, सक्ष्
ू र् शक्तत बवु ि र्ो भी, संर्ल्प र्ो भी नीचे ले आर्ेंगे। जैसे धरनी र्ी
आर्षकण ऊपर र्ी चीज र्ो नीचे ले आती है। इसललए चचत्र र्ो चररत्र र्ें लाओ।

( 19-03-82 )

र्ास्टर सिकशक्ततिान र्ी क्स्थनत से र्वर्थक र्े कर्चड़े र्ो सर्ाप्त र्रो:- सदा अपने र्ो र्ास्टर
सिकशक्ततिान आत्र्ा सर्झते हो? सिकशक्ततिान अथाकत ् सर्थक। जो सर्थक होगा िह र्वर्थक र्े
कर्चड़े र्ो सर्ाप्त र्र दे गा। र्ास्टर सिकशक्ततिान अथाकत ् र्वर्थक र्ा नार् ननशान नहीं। सदा
र्ह लक्ष्र् रखो कर् - ‘र्ैं र्वर्थक र्ो सर्ाप्त र्रने िाला सर्थक हूाँ'। जैसे सूर्क र्ा र्ार् है
कर्चड़े र्ो भस्र् र्रना। अंधर्ार र्ो लर्टाना, रोशनी दे ना। तो इसी रीनत र्ास्टर ज्ञान सूर्क
अथाकत ् - र्वर्थक कर्चड़े र्ो सर्ाप्त र्रने िाले अथाकत ् अंधर्ार र्ो लर्टाने िाले। र्ास्टर
सिकशक्ततिान र्वर्थक र्े प्रभाि र्ें र्भी नहीं आर्ेगा। अगर प्रभाि र्ें आ जाते तो र्र्जोर
हुए। बाप सिकशक्ततिान और बच्चे र्र्जोर! र्ह सुनना भी अच्छा नहीं लगता। र्ुछ भी हो -
लेकर्न सदा स्र्नृ त रहे - ‘‘र्ैं र्ास्टर सिकशक्ततिान हूाँ''। ऐसा नहीं सर्झो कर् र्ैं अर्ेला तर्ा
र्र सर्ता हूाँ.. एर् भी अनेर्ों र्ो बदल सर्ता है। तो स्िर्ं भी शक्ततशाली बनो और औरों
र्ो भी बनाओ। जब एर् छोटा-सा दीपर् अंधर्ार र्ो लर्टा सर्ता है तो आप तर्ा नहीं र्र
सर्ते! तो सदा िातािरण र्ो बदलने र्ा लक्ष्र् रखो। विश्ि पररितकर् बनने र्े पहले
सेिार्ेन्र र्े िातािरण र्ो पररितकन र्र पािरिुल िार्ुर्ण्डल बनाओ।

( 28-04-82 )

सदा र्े स्नेही और सदा र्े सहर्ोगी आत्र्ार्ें। स्नेह और सहर्ोग र्े र्ारण अविनाशी रतन
बन गर्े। अविनाशी बाप ने, बाप सर्ान अविनाशी रतन बना ददर्ा। ऐसे अविनाशी रतन जो
कर्सी भी प्रर्ार से र्ोई दहला न सर्े। ऐसे अविनाशी रतन ‘अर्रभि’ र्े िरदानी हो। रीर्ल
गोल्ड हो ना। बाप र्े साथी - बाप र्ा र्ार्क सो आपर्ा र्ार्क। सदा साथ रहें गे इसललए
अविनाशी रहें गे। सच्ची लगन विघ्नों र्ो सर्ाप्त र्र दे ती है। कर्तनी भी रूर्ािटें आएं
लेकर्न एर् बल एर् भरोसे र्े आधार पर सिलता लर्लती रही है और लर्लती रहे गी, ऐसा
अनुभि होता रहता है ना। जहााँ सिक शक्ततिान बाप साथ है िहााँ र्ह छोटी छोटी बातें ऐसे

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सर्ाप्त हो जाती हैं जैसे र्ुछ भी थी ही नहीं। असम्भि भी सम्भि हो जाता है तर्ोंकर् सिक
शक्ततिान र्े बच्चे बन गए। ‘र्तखन से बाल’ सर्ान सब बातें लसि हो जाती हैं। अपने र्ो
ऐसे र्ास्टर सिकशक्ततिान श्रेष्ठठ आत्र्ार्ें अनभ
ु ि र्रते हो ना। र्र्ज़ोरी तो नहीं आती। बाप
सिकशक्ततिान हैं, तो बच्चों र्ो बाप अपने से भी आगे रखते हैं। बाप ने कर्तना ऊंच बनार्ा
है, तर्ा तर्ा ददर्ा है - इसी र्ा लसर्रण र्रते-र्रते सदा हवषकत और शक्ततशाली रहें गे।

( 13-01-83 )

सदा ननविकघ्न, सदा हर र्दर् र्ें आगे बढ़ने िाली श्रेष्ठठ आत्र्ार्ें हो ना! कर्सी प्रर्ार र्ा
विघ्न रोर्ता तो नहीं है ? जो ननविकघ्न होगा उसर्ा पुरूषाथक भी सदा तेज होगा तर्ोंकर्
उसर्ी स्पीड तेज होगी। ननविकघ्न अथाकत तीव्रगनत र्ी रफ्तार। विघ्न आर्े और किर लर्टाओ
इसर्ें भी सर्र् जाता है। अगर र्ोई गाड़ी र्ो बार-बार स्लो और तेज र्रे तो तर्ा होगा
? ठीर् नहीं चलेगी ना। विघ्न आिे ही नहीं उसर्ा साधन तर्ा है ? सदा र्ास्टर
सिकशक्ततिान र्ी स्र्नृ त र्ें रहो। सदा र्ी स्र्नृ त शक्ततशाली बना दे गी। शक्ततशाली र्े
सार्ने र्ोई भी र्ार्ा र्ा विघ्न आ नहीं सर्ता। तो अखण्ड स्र्नृ त रहे । खण्डन न हो।
खक्ण्डत र्ूनतक र्ी पूजा भी नहीं होती है। विघ्न आर्ा किर लर्टार्ा तो अखण्ड अटल तो नहीं
र्हें गे। इसललए ‘सदा’ शब्द पर और अटे न्शन। सदा र्ाद र्ें रहने िाले सदा ननविकघ्न होंगे।
संगर्र्ुग विघ्नों र्ो विदाई देने र्ा र्ुग है। क्जसर्ो आधा र्ल्प र्े ललए विदाई दे चुर्े
उसर्ो किर आने न दो। सदा र्ाद रखो कर् हर् विजर्ी रत्न हैं। विजर् र्ा नगाड़ा बजता
रहे । विजर् र्ी शहनाईर्ााँ बजती रहती हैं , ऐसे र्ाद द्िारा बाप से र्नेतशन जोड़ा और सदा
र्ह शहनाईर्ााँ बजती रहें । क्जतना-क्जतना बाप र्े प्र्ार र्ें, बाप र्े गुण गाते रहें गे तो
र्ेहनत से छूट जार्ेंगे। सदा स्नेही, सदा सहजर्ोगी बन जाते हैं।

( 11-04-83 )

हर र्दर् र्ें सिकशक्ततिान बाप र्ा साथ है , ऐसा अनुभि र्रते हो ? जहााँ सिकशक्ततिान बाप
है िहााँ सिक प्राक्प्तर्ााँ स्ित: होंगी। जैसे बीज है तो झाड़ सर्ार्ा हुआ है। ऐसे सिकशक्ततिान
बाप र्ा साथ है तो सदा र्ालार्ाल, सदा तप्ृ त, सदा सम्पन्न होंगे। र्भी कर्सी बात र्ें
र्र्ज़ोर नहीं होंगे। र्भी र्ोई र्म्पलेन्ट नहीं र्रें गे। सदा र्म्पलीट। तर्ा र्रें , र्ैसे र्रें ...र्ह
र्म्पलेन्ट नहीं। साथ हैं तो सदा विजर्ी हैं। कर्नारा र्र दे ते तो बहुत लम्बी लाइन है। एर्
तर्ों, तर्ू बना दे ती है। तो र्भी तर्ों र्ी तर्ू न लगे। भततों र्ी, प्रजा र्ी तर्ू भले लगे
लेकर्न तर्ों र्ी तर्ू नहीं लगानी है। ऐसे सदा साथ रहने िाले चलेंगे भी साथ। सदा साथ हैं,
साथ रहें गे और साथ चलेंगे र्ही पतर्ा िार्दा है ना! बहुत र्ाल र्ी र्र्ी अन्त र्ें धोखा दे
दे गी। अगर र्ोई भी र्र्ी र्ी रस्सी रह जार्ेगी तो उड़ नहीं सर्ेंगे। तो सब रक्स्सर्ों र्ो चेर्

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र्रो। बस बुलािा आर्े, सर्र् र्ी सीटी बजे और चल पड़ें। दहम्र्ते बच्चे र्ददे बाप ! जहााँ
बाप र्ी र्दद है िहााँ र्ोई र्क्ु श्र्ल र्ार्क नहीं। हुआ ही पड़ा है।
सदा अपने र्ो र्ास्टर सिकशक्ततिान अनभ
ु ि र्रते हो ? इस स्िरूप र्ी स्र्नृ त र्ें रहने से
हर पररक्स्थनत ऐसे अनभ
ु ि होगी जैसे पररक्स्थनत नहीं लेकर्न एर् साइडसीन है। पररक्स्थनत
सर्झने से घबरा जाते लेकर्न साइडसीन अथाकत रास्ते र्े नजारे हैं तो सहज ही पार र्र
लेते। तर्ोंकर् नजारों र्ो दे ख खश
ु ी होती है, घबराते नहीं। तो विघ्न, विघ्न नहीं हैं लेकर्न
विघ्न आगे बढ़ने र्ा साधन है। परीक्षा तलास आगे बढ़ाता है। तो र्ह विघ्न, पररक्स्थनत,
परीक्षा आगे बढ़ाने र्े ललए आते हैं ऐसे सर्झते हो ना! र्भी र्ोई बात सोचते र्ह तर्ा
हुआ, तर्ों हुआ ? तो सोचने र्ें भी टाइर् जाता है। सोचना अथाकत रूर्ना। र्ास्टर
सिकशक्ततिान र्भी रूर्ते नहीं। सदा अपने जीिन र्ें उड़ती र्ला र्ा अनुभि र्रते हैं।

( 14-04-83 )

सदा लक्ष्र् रहे बाप सर्ान बनना है। जैसे बाप लाइट है िैसे डबल लाइट। औरों र्ो दे खते हो
तो र्र्ज़ोर होते हो, सी िादर, िालो िादर र्रना है। र्ही सदा र्ाद रखो। स्िर्ं र्ो सदा
बाप र्ी छत्रछार्ा र्े अन्दर रखो। छत्रछार्ा र्ें रहने िाले सदा र्ार्ाजीत बन ही जाते हैं।
अगर छत्रछार्ा र्े अन्दर नहीं रहते, र्भी अन्दर र्भी बाहर तो हार होती है। छत्रछार्ा र्े
अन्दर रहने िाले र्ो र्ेहनत नहीं र्रनी पड़ती। स्ित: ही सिक शक्ततर्ों र्ी कर्रणें उसे र्ार्ा
जीत बनाती हैं। एर् बाप सिक सम्बन्ध से र्ेरा है , र्ही स्र्नृ त सर्थक आत्र्ा बना दे ती है।
र्ुर्ार अथाकत सदा आज्ञार्ारी ििादार। हर र्दर् र्ें िालो िादर र्रने िाले। जो बाप र्े
गुण िह बच्चों र्े, जो बाप र्ा र्तकर्वर् िह बच्चों र्ा, जो बाप र्े संस्र्ार िह बच्चों
र्े, इसर्ो र्हा जाता है िालो िादर। जो बाप ने कर्र्ा है िही ररपीट र्रना है , र्ापी र्रना
है। इस र्ापी र्रने से िुल र्ातसक लर्ल जार्ेंगी। िहााँ र्ापी र्रने से र्ातसक र्ट जाती और
र्हााँ िुल र्ातसक लर्ल जाती। तो जो भी संर्ल्प र्रो, पहले चेर् र्रो कर् बाप सर्ान है
? अगर नहीं है तो चेन्ज र्र दो। अगर है तो प्रैक्तटर्ल र्ें लाओ। कर्तना सहजर्ागक है ! जो
बाप ने कर्र्ा िह आप र्रो। ऐसे सदा बाप र्ो िालो र्रने िाले ही सदा र्ास्टर
सिकशक्ततिान क्स्थनत र्ें क्स्थत रहते हैं। बाप र्ा िसाक ही है सिकशक्ततर्ााँ और सिकगण
ु । तो
बाप र्े िाररस अथाकत सिकशक्ततर्ों र्े, सिकगण
ु ों र्े अचधर्ारी। अचधर्ारी से अचधर्ार जा र्ैसे
सर्ते ? अगर अलबेले बने तो र्ार्ा चोरी र्र लेगी। र्ार्ा र्ो भी सबसे अच्छे ग्राहर्
ब्राह्र्ण आत्र्ार्ें लगती हैं। इसललए िह भी अपना चांस लेती है। आधा र्ल्प उसर्े साथी
रहे , तो अपने साचथर्ों र्ो ऐसे र्ैसे छोड़ेगी। र्ार्ा र्ा र्ार् है आना, आपर्ा र्ार् है जीत
प्राप्त र्रना, घबराना नहीं। लशर्ारी र्े आगे लशर्ार आता है तो घबरार्ेंगे तर्ा ? र्ार्ा आती
है तो जीत प्राप्त र्रो, घबराओ नहीं।

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( 09-05-83 )

सेर्ण्ड र्ें आिाज़ र्ें आना और सेर्ण्ड र्ें आिाज़ से परे स्िधर्क र्ें क्स्थत हो जाना - ऐसी
प्रैक्तटस है ? इन र्र्ेक्न्रर्ों र्े र्ाललर् हो ना। जब चाहो र्र्क र्ें आओ, जब चाहो र्र्क से
परे र्र्ाकतीत क्स्थनत र्ें क्स्थत हो जाओ। इसर्ो र्हा जाता है अभी-अभी न्र्ारे और अभी-
अभी र्र्क द्िारा सिक र्े प्र्ारे । ऐसी र्न्ट्रोललंग पािर, रूललंग पािर अनभ
ु ि होती है ना। क्जन
बातों र्ो दनु नर्ा र्े र्ानि र्क्ु श्र्ल र्हते िह र्क्ु श्र्ल बातें आप श्रेष्ठठ आत्र्ाओं र्े ललए
सहज नहीं लेकर्न अनत सहज है। तर्ोंकर् र्ास्टर सिकशक्ततिान हो। दनु नर्ा र्े र्ानि तो
सर्झते र्ह र्ैसे होगा ! इसी उलझन र्ें बवु ि द्िारा, शरीर द्िारा भटर्ते रहते हैं और आप
तर्ा र्हें गे ? र्ैसे होगा - र्ह संर्ल्प र्भी आ सर्ता है ? र्ैसे अथाकत तिेश्चन र्ार्क। तो
र्ैसे र्े बजाए किर से र्ही आिाज़ ननर्लता कर् ऐसे होता है। ऐसे अथाकत िुलस्टाप।
तिेश्चन र्ार्क र्ा बदलर्र िुलस्टाप लग गर्ा है ना। र्ल तर्ा थे और आज तर्ा हो !
र्हान अन्तर है ना। सर्झते हो कर् र्हान अन्तर हो गर्ा। र्ल र्हते थे ओ गाड और आज
ओ, र्े बजाए ओहो र्हते हो। ओहो र्ीठे बाबा। गाड नहीं लेकर्न बाबा। दरू से नज़दीर् र्ें
बाप लर्ल गर्ा।

( 12-01-84 )

आज बापदादा सभी होलीहंसों र्ो देख रहे हैं। हर एर् होलीहंस र्हााँ तर् होली बने हैं , र्हााँ
तर् हंस बने हैं ! पवित्रता अथाकत होली बनने र्ी शक्तत र्हााँ तर् जीिन र्ें अथाकत
संर्ल्प, बोल और र्र्क र्ें, सम्बन्ध र्ें, सम्पर्क र्ें लाई है। हर संर्ल्प, होली अथाकत पवित्रता
र्ी शक्तत सम्पन्न है ! पवित्रता र्े संर्ल्प द्िारा कर्सी भी अपवित्र संर्ल्प िाली आत्र्ा र्ो
परख और पररितकन र्र सर्ते हो ? पवित्रता र्ी शक्तत से कर्सी भी आत्र्ा र्ी दृक्ष्ठट, िक्ृ त्त
और र्ृनत तीनों ही बदल सर्ते हो। इस र्हान शक्तत र्े आगे अपवित्र संर्ल्प भी िार नहीं
र्र सर्ते। लेकर्न जब स्िर्ं संर्ल्प, बोल िा र्र्क र्ें हार खाते हो तब दस
ू रे र्वर्क्तत िा
िार्ब्रेशन से हार होती है। कर्सी र्े भी सम्बन्ध िा सम्पर्क से हार खाना र्ह लसि र्रता है
कर् स्िर्ं बाप से सिक सम्बन्ध जोड़ने र्ें हार खार्े हुए हैं। तब कर्सी सम्बन्ध िा सम्पर्क से
हार खाते हैं। पवित्रता र्ें हार खाना, इसर्ा बीज है कर्सी भी र्वर्क्तत िा र्वर्क्तत र्े
गण
ु , स्िभाि, र्वर्क्ततत्ि िा विशेषता से प्रभावित होना। र्ह र्वर्क्तत िा र्वर्तत भाि र्ें
प्रभावित होना, प्रभावित होना नहीं लेकर्न बरबाद होना है। र्वर्क्तत र्ी र्वर्क्ततगत विशेषता
िा गण
ु , स्िभाि बाप र्ी दी हुई विशेषता है अथाकत दाता र्ी दे न है। र्वर्क्तत पर प्रभावित
होना र्ह धोखा खाना है। धोखा खाना अथाकत द:ु ख उठाना। अपवित्रता र्ी शक्तत, र्ग
ृ तष्ठृ णा
सर्ान शक्तत है जो सम्पर्क िा सम्बन्ध से बड़ी अच्छी अनभ
ु ि होती है , आर्षकण र्रती है।
सर्झते हैं कर् र्ैं अच्छाई र्ी तरि प्रभावित हो रहा हूाँ। इसललए शब्द भी र्ही बोलते िा

56
सोचते कर् र्ह बहुत अच्छे लगते र्ा अच्छी लगती है िा इसर्ा गुण िा स्िभाि अच्छा
लगता है। ज्ञान अच्छा लगता है। र्ोग र्राना अच्छा लगता है। इससे शक्तत लर्लती है !
सहर्ोग लर्लता है, स्नेह लर्लता है। अल्पर्ाल र्ी प्राक्प्त होती है लेकर्न धोखा खाते हैं। दे ने
िाले दाता अथाकत बीज र्ो, िाउण्डेशन र्ो खत्र् र्र ददर्ा और रं ग-बबरं गी डाली र्ो पर्ड़र्र
झल
ू रहे हैं तो तर्ा हाल होगा ? लसिाए िाउण्डेशन र्े डाली झल
ु ार्ेगी र्ा चगरार्ेगी ? जब
तर् बीज अथाकत दाता, विधाता से सिक सम्बन्ध, सिक प्राक्प्त र्े रस र्ा अनभ
ु ि नहीं तब तर्
र्ब र्वर्क्तत से, र्ब िैभि से, र्ब िार्ब्रेशन-िार्र्
ु ण्डल आदद लभन्न-लभन्न डाललर्ों से
अल्पर्ाल र्ी प्राक्प्त र्ा र्ग
ृ तष्ठृ णा सर्ान धोखा खाते रहें गे। र्ह प्रभावित होना अथाकत
अविनाशी प्राक्प्त से िंचचत होना। पवित्रता र्ी शक्तत जब चाहो क्जस क्स्थनत र्ो चाहे , क्जस
प्राक्प्त र्ो चाहो, क्जस र्ार्क र्ें सिलता चाहो, िह सब आपर्े आगे दासी र्े सर्ान हाजर हो
जार्ेगी। जब र्ललर्ग
ु र्े अन्त र्ें भी रजोप्रधान पवित्रता र्ी शक्तत धारण र्रने िाले
नार्धारी र्हात्र्ाओं र्ी अब अन्त तर् भी प्रर्ृनत दासी होने र्ा प्रर्ाण दे ख रहे हो। अब
तर् भी नार् र्हात्र्ा चल रहा है , अब तर् भी पूज्र् हैं। अपवित्र आत्र्ार्ें झुर्ती हैं। तो
सोचो - अन्त तर् भी पवित्रता र्े शक्तत र्ी कर्तनी र्हानता है । और परर्ात्र्ा द्िारा प्राप्त
हुई सतोप्रधान पवित्रता कर्तनी शक्ततशाली होगी। इस श्रेष्ठठ पवित्रता र्ी शक्तत र्े आगे
अपवित्रता झुर्ी हुई नहीं लेकर्न आपर्े पांि र्े नीचे हैं। अपवित्रता रूपी आसुरी
शक्तत, शक्तत स्िरूप र्े पांि र्े नीचे ददखाई हुई है। जो पांि र्े नीचे हारी हुई है , हार र्ैसे
खखला सर्ती है !
ब्राह्र्ण जीिन और हार खाना इसर्ो र्हें गे नार्धारी ब्राह्र्ण। इसर्ें अलबेले र्त बनो।
ब्राह्र्ण जीिन र्ा िाउण्डेशन है - पवित्रता र्ी शक्तत। अगर िाउण्डेशन र्र्ज़ोर है तो
प्राक्प्तर्ों र्ी 21 र्ंक्ज़ल िाली बबक्ल्डंग र्ैसे दटर् सर्ेगी ? र्दद िाउण्डेशन दहल रहा है तो
प्राक्प्त र्ा अनुभि सदा नहीं रह सर्ता अथाकत अचल नहीं रह सर्ते। और ितकर्ान र्ुग र्ो
िा जन्र् र्ी र्हान प्राक्प्त र्ा अनुभि भी नहीं र्र सर्ते। र्ुग र्ी, श्रेष्ठठ जन्र् र्ी र्दहर्ा
गाने िाले ज्ञानी-भतत बन जार्ेंगे। अथाकत सर्झ है लेकर्न स्िर्ं नहीं हैं, इसर्ो र्हते हैं -
ज्ञानी-भतत। अगर ब्राह्र्ण बनर्र सिक प्राक्प्तर्ों र्ा, सिक शक्ततर्ों र्ा िरदान र्ा िसाक
अनभ
ु ि नहीं कर्र्ा तो उसर्ो तर्ा र्हें गे ? िंचचत आत्र्ा िा ब्राह्र्ण आत्र्ा ? इस पवित्रता
र्े लभन्न-लभन्न रूपों र्ो अच्छी तरह से जानों, स्िर्ं र्े प्रनत र्ड़ी दृक्ष्ठट रखो। चलाओ नहीं।
ननलर्त्त बनी हुई आत्र्ाओं र्ो, बाप र्ो भी चलाने र्ी र्ोलशश र्रते हैं। र्ह तो होता ही
है, ऐसा र्ौन बना है ! िा र्हते हैं - र्ह अपवित्रता नहीं है , र्हानता है, र्ह तो सेिा र्ा
साधन है। प्रभावित नहीं हैं, सहर्ोग लेते हैं। र्ददगार है इसीललए प्रभावित हैं। बाप भल
ू ा और
लगा र्ार्ा र्ा गोला। र्ा किर अपने र्ो छुड़ाने र्े ललए र्हते हैं - र्ैं नहीं र्रती, र्ह र्रते
हैं। लेकर्न बाप र्ो भूले तो धर्कराज र्े रूप र्ें ही बाप लर्लेगा। बाप र्ा सुख र्भी पा नहीं
सर्ेंगे। इसललए नछपाओ नहीं, चलाओ नहीं। दस
ू रे र्ो दोषी नहीं बनाओ। र्ग
ृ तष्ठृ णा र्े
आर्षकण र्ें धोखा नहीं खाओ। इस पवित्रता र्े िाउण्डेशन र्ें बापदादा धर्कराज

57
द्िारा 100 गुणा, पद्मगुणा दण्ड ददलाता है। इसर्ें ररर्ार्त र्भी नहीं हो सर्ती। इसर्ें
रहर्ददल नहीं बन सर्ते। तर्ोंकर् बाप से नाता तोड़ा तब तो कर्सी र्े ऊपर प्रभावित हुए।
परर्ात्र् प्रभाि से ननर्ल आत्र्ाओं र्े प्रभाि र्ें आना अथाकत बाप र्ो जाना नहीं, पहचाना
नहीं। ऐसे र्े आगे बाप, बाप र्े रूप र्ें नहीं धर्कराज र्े रूप र्ें है। जहााँ पाप है िहााँ बाप
नहीं। तो अलिेले नहीं बनो। इसर्ो छोटी-सी बात नहीं सर्झो। िह भी कर्सी र्े प्रनत
प्रभावित होना, र्ार्ना अथाकत र्ार् विर्ार र्ा अंश है। बबना र्ार्ना र्े प्रभावित नहीं हो
सर्ते। िह र्ार्ना भी र्ार् विर्ार है। र्हाशत्रु है। र्ह दो रूप र्ें आता है। र्ार्ना र्ा तो
प्रभावित र्रे गी र्ा परे शान र्रे गी। इसललए जैसे नारे लगाते हो - र्ार् विर्ार नर्क र्ा द्िार।
ऐसे अब अपने जीिन र्े प्रनत र्ह धारणा बनाओ कर् कर्सी भी प्रर्ार र्ी अल्पर्ाल र्ी
र्ार्ना र्ग
ृ तष्ठृ णा र्े सर्ान धोखेबाज है। र्ार्ना अथाकत धोखा खाना। ऐसी र्ड़ी दृक्ष्ठट िाले
इस र्ार् अथाकत र्ार्ना पर र्ाली रूप बनो। स्नेही रूप नहीं बनो, विचारा है, अच्छा
है, थोड़ा-थोड़ा है ठीर् हो जार्ेगा। नहीं ! विर्र्क र्े ऊपर विर्राल रूप धारण र्रो। दस
ू रों र्े
प्रनत नहीं अपने प्रनत। तब विर्र्क विनाश र्र िररश्ता बन सर्ेंगे। र्ोग नहीं लगता तो चेर्
र्रो - जरूर र्ोई नछपा हुआ विर्र्क अपने तरि खींचता है। ब्राह्र्ण आत्र्ा और र्ोग नहीं
लगे, र्ह हो नहीं सर्ता। ब्राह्र्ण र्ाना ही एर् र्े हैं, एर् ही हैं। तो र्हााँ जार्ेंगे? र्ुछ है
ही नहीं तो र्हााँ जार्ेंगे ?
लसिक ब्रह्र्चर्क नहीं लेकर्न और भी र्ार् विर्ार र्े बाल बच्चे हैं। बापदादा र्ो एर् बात पर
बहुत आश्चर्क लगता है - ब्राह्र्ण र्हता है , ब्राह्र्ण आत्र्ा पर र्वर्थक िा विर्ारी दृक्ष्ठट, िक्ृ त्त
जाती है। र्ह र्ुल र्लंकर्त र्ी बात है। र्हना बहन जी, िा भाई जी और र्रना तर्ा है!
लौकर्र् बहन पर भी अगर र्ोई बुरी दृक्ष्ठट जाए, संर्ल्प भी आर्े, तो उसे र्ुल र्लंकर्त
र्हा जाता है। तो र्हााँ तर्ा र्हें गे ? एर् जन्र् र्े नहीं लेकर्न जन्र्-जन्र् र्ा र्लंर् लगाने
िाले। राज्र् भाग्र् र्ो लात र्ारने िाले। ऐसे पद्मगुणा विर्र्क र्भी नहीं र्रना। र्ह विर्र्क
नहीं, र्हा विर्र्क है। इसललए सोचो, सर्झो, सम्भालो। र्ही पाप जर्दत
ू ों र्ी तरह चचपर्
जार्ेंगे। अभी भले सर्झते हैं बहुत र्जे र्ें रह रहे हैं, र्ौन दे खता है, र्ौन जानता है लेकर्न
पाप पर पाप चढ़ता जाता है और र्ही पाप खाने र्ो आर्ेंगे। बापदादा जानते हैं कर् इसर्ी
ररजल्ट कर्तनी र्ड़ी है। जैसे शरीर से र्ोई तड़प-तड़प र्र शरीर छोड़ता िैसे बवु ि पापों र्ें
तड़प-तड़पर्र शरीर छोड़ेगी। सदा सार्ने र्ह पाप र्े जर्दत
ू रहते हैं। इतना र्ड़ा अन्त है।
इसललए ितकर्ान र्ें गलती से भी ऐसा पाप नहीं र्रना। बापदादा लसिक सम्र्ख
ु बैठे हुए
बच्चों र्ो नहीं र्र रहे हैं लेकर्न चारों ओर र्े बच्चों र्ो सर्थक बना रहे हैं।
खबरदार, होलशर्ार बना रहे हैं।

( 12-04-84 )

58
ऐसे ही शक्ततशाली आत्र्ार्ें, इसर्ें भी लभन्न-लभन्न स्टे ज िाले हैं - लसिक ज्ञान र्े आधार पर
जानने िाले कर् र्ैं आत्र्ा शक्तत स्िरूप हूाँ, सिकशक्ततिान बाप र्ा बच्चा हूाँ - र्ह जानर्र
प्रर्त्न र्रते हैं शक्ततशाली क्स्थनत र्ें क्स्थत होने र्ा। लेकर्न लसिक जानने तर् होने र्ारण
जब र्ह ज्ञान र्ी पाइंट स्र्नृ त र्ें आती है, उस सर्र् शक्ततशाली पाइंट र्े र्ारण िह थोड़ा-
सा सर्र् शक्ततशाली बनते किर पाइंट भल
ू ी, शक्तत गई। जरा भी र्ार्ा र्ा प्रभाि, ज्ञान
भल
ु ाए ननबकल बना दे ता है। दस
ू रे हैं - ज्ञान र्ा चचन्तन भी र्रते, िणकन भी र्रते, दस
ू रों र्ो
शक्ततशाली बातें सन
ु ाते, उस सर्र् सेिा र्ा िल लर्लने र्े र्ारण अपने र्ो उतना सर्र्
शक्ततशाली अनुभि र्रते हैं लेकर्न चचन्तन र्े सर्र् तर् िा िणकन र्े सर्र् तर्, सदा
नहीं। पहली चचन्तन र्ी क्स्थनत, दस
ू री िणकन र्ी क्स्थनत।
तीसरे हैं - सदा शक्ततशाली आत्र्ार्ें। लसिक चचन्तन और िणकन नहीं र्रते लेकर्न र्ास्टर
सिकशक्ततिान स्िरूप बन जाते। स्िरूप बनना अथाकत सर्थक बनना। उनर्े हर र्दर्, हर र्र्क
स्ित: ही शक्ततशाली होते हैं। स्र्नृ त स्िरूप हैं इसललए सदा शक्ततशाली क्स्थनत है।
शक्ततशाली आत्र्ा सदा अपने र्ो सिकशक्ततिान बाप र्े साथ, र्म्बाइण्ड अनुभि र्रे गी।
और सदा श्रीर्त र्ा हाथ छत्रछार्ा र्े रूप र्ें अनुभि होगा। शक्ततशाली आत्र्ा, सदा दृढ़ता
र्ी चाबी र्े अचधर्ारी होने र्ारण सिलता र्े खज़ाने र्े र्ाललर् अनुभि र्रते हैं। सदा सिक
प्राक्प्तर्ों र्े झूलों र्ें झल
ू ते रहते हैं। सदा अपने श्रेष्ठठ भाग्र् र्े र्न र्ें गीत गाते रहते हैं।
सदा रूहानी नशे र्ें होने र्ारण पुरानी दनु नर्ा र्े आर्षकण से सहज परे रहते हैं। र्ेहनत नहीं
र्रनी पड़ती है। शक्ततशाली आत्र्ा र्ा हर र्र्क, बोल स्ित: और सहज सेिा र्राता रहता
है। स्ि पररितकन िा विश्ि-पररितकन शक्ततशाली होने र्े र्ारण सिलता हुई पड़ी है, र्ह
अनुभि सदा ही रहता है। कर्सी भी र्ार्क र्ें तर्ा र्रें ,तर्ा होगा र्ह संर्ल्प र्ात्र भी नहीं
होगा। सिलता र्ी र्ाला सदा जीिन र्ें पड़ी हुई है। विजर्ी हूाँ, विजर् र्ाला र्ा हूाँ। विजर्
जन्र् लसि अचधर्ार है, र्ह अटल ननश्चर् स्ित: और सदा रहता ही है । सर्झा। अब अपने
आप से पूछो - र्ैं र्ौन ? शक्ततशाली बनो। संगर्र्ुग र्ा श्रेष्ठठ सुख अनभ
ु ि र्रो। लसिक
जानने िाले नहीं, पाने िाले बनो।

( 15-04-84 )

सदा अपने र्ो बाप र्े िसे र्े अचधर्ारी अनभ


ु ि र्रते हो ? अचधर्ारी अथाकत शक्ततशाली
आत्र्ा हैं - ऐसे सर्झते हुए र्र्क र्रो। र्ोई भी प्रर्ार र्ी र्र्ज़ोरी रह तो नहीं गई है
? सदा स्िर्ं र्ो जैसे बाप िैसे हर्, बाप सिक शक्ततिान है तो बच्चे र्ास्टर सिकशक्ततिान
हैं, इस स्र्नृ त से सदा ही सहज आगे बढ़ते रहें गे। र्ह खश
ु ी सदा रहे तर्ोंकर् अब र्ी खश
ु ी
सारे र्ल्प र्ें नहीं हो सर्ती। अब बाप द्िारा प्राक्प्त है, किर आत्र्ाओं द्िारा आत्र्ाओं र्ो
प्राक्प्त है। जो बाप द्िारा प्राक्प्त होती है िह आत्र्ाओं से नहीं हो सर्ती। आत्र्ा स्िर्ं सिकज्ञ
नहीं है। इसललए उससे जो प्राक्प्त होती है िह अल्पर्ाल र्ी होती है और बाप द्िारा

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सदार्ाल र्ी अविनाशी प्राक्प्त होती है। अभी बाप द्िारा अविनाशी खुशी लर्लती है। सदा
खश
ु ी र्ें नाचते रहते हो ना ! सदा खश
ु ी र्े झल
ू े र्ें झल
ू ते रहो। नीचे आर्ा और र्ैला हुआ।
तर्ोंकर् नीचे लर्ट्टी है। सदा झल
ू े र्ें तो सदा स्िच्छ। बबना स्िच्छ बने बाप से लर्लन र्ना
नहीं सर्ते। जैसे बाप स्िच्छ हैं उससे लर्लने र्ी विचध स्िच्छ बनना पड़े। तो सदा झल
ू े र्ें
रहने िाले सदा स्र्वच्छ। जब झल
ू ा लर्लता है तो नीचे आते तर्ों ! झल
ू े र्ें ही
खाओ,वपर्ो, चलो... इतना बड़ा झल
ू ा है। नीचे आने र्े ददन सर्ाप्त हुए। अभी झल
ू ने र्े ददन
हैं। तो सदा बाप र्े साथ सख
ु र्े झल
ू े र्ें, खश
ु ी,प्रेर्, ज्ञान, आनन्द र्े झल
ू े र्ें झल
ू ने िाली
श्रेष्ठठ आत्र्ार्ें हैं, र्ह सदा र्ाद रखो। जब भी र्ोई बात आर्े तो र्ह िरदान र्ाद र्रना तो
किर से िरदान र्े आधार पर साथ र्ा, झूलने र्ा अनुभि र्रें गे। र्ह िरदान सदा सेफ्टी र्ा
साधन है। िरदान र्ाद रहना अथाकत िरदाता र्ाद रहना। िरदान र्ें र्ोई र्ेहनत नहीं होती।
सिक प्राक्प्तर्ााँ सहज हो जाती हैं।

( 01-05-84 )

आज ज्ञान सूर्क, ज्ञान चन्रर्ा अपने लर्ी और लिली लसतारों र्ो दे ख रहे हैं। र्ह रूहानी
तारार्ण्डल सारे र्ल्प र्ें र्ोई देख नहीं सर्ता। आप रूहानी लसतारे और ज्ञान सूर्क, ज्ञान
चन्रर्ा इस अनत न्र्ारे और प्र्ारे तारार्ंडल र्ो दे ख ते हो। इस रूहानी तारार्ण्डल र्ो साइंस
र्ी शक्तत नहीं दे ख सर्ती। साइंस र्ी शक्तत िाले इस तारार्ण्डल र्ो दे ख सर्ते , जान
सर्ते हैं। तो आज तारार्ण्डल र्ा सैर र्रते लभन्न-लभन्न लसतारों र्ो दे ख बापदादा हवषकत हो
रहे हैं। र्ैसे हर एर् लसतारा - ज्ञान सूर्क द्िारा सत्र्ता र्ी लाइट र्ाइट ले बाप सर्ान
सत्र्ता र्ी शक्तत सम्पन्न सत्र् स्िरूप बने हैं। और ज्ञान चन्रर्ा द्िारा शीतलता र्ी
शक्तत धारण र्र चन्रर्ा सर्ान ‘शीतला’ स्िरूप बने हैं। र्ह दोनों शक्ततर्ााँ - ‘सत्र्ता और
शीतलता’ सदा सहज सिलता र्ो प्राप्त र्राती हैं। एर् तरि सत्र्ता र्ी शक्तत र्ा ऊाँचा
नशा दस
ू रे तरि क्जतना ऊाँचा नशा उतना ही शीतलता र्े आधार से र्ैसे भी उल्टे नशे िा
क्रोचधत आत्र्ा र्ो भी शीतल बनाने िाले। र्ैसा भी अहंर्ार र्े नशे र्ें ‘र्ैं, र्ैं’ र्रने िाला
हो लेकर्न शीतलता र्ी शक्तत से र्ैं, र्ैं र्े बजाए ‘बाबा-बाबा’ र्हने लग पड़े। सत्र्ता र्ो भी
शीतलता र्ी शक्तत से लसि र्रने से लसवि प्राप्त होती है। नहीं तो लसिाए शीतलता र्ी
शक्तत र्े सत्र्ता र्ो लसि र्रने र्े लक्ष्र् से, र्रते लसि हैं लेकर्न अज्ञानी, लसि र्ो क्जद्द
सर्झ लेते हैं। इसललए सत्र्ता और शीतलता दोनों शक्ततर्ााँ सर्ान और साथ चादहए।
तर्ोंकर् आज र्े विश्ि र्ा हर एर् र्ानि कर्सी न कर्सी अक्ग्न र्ें जल रहा है। ऐसी अक्ग्न
र्ें जलती हुई आत्र्ा र्ो पहले शीतलता र्ी शक्तत से अक्ग्न र्ो शीतल र्रो तब शीतलता
र्े आधार से सत्र्ता र्ो जान सर्ेंगे।
शीतलता र्ी शक्तत अथाकत आक्त्र्र् स्नेह र्ी शक्तत। चन्रर्ा ‘र्ााँ’ स्नेह र्ी शीतलता से
र्ैसे भी बबगड़े हुए बच्चे र्ो बदल लेती है। तो स्नेह अथाकत शीतलता र्ी शक्तत कर्सी भी

60
अक्ग्न र्ें जली हुई आत्र्ा र्ो शीतल बनाए सत्र्ता र्ो धारण र्राने र्े र्ोग्र् बना दे ती है।
पहले चन्रर्ा र्ी शीतलता से र्ोग्र् बनते किर ज्ञान सर्
ू क र्े सत्र्ता र्ी शक्तत
से ‘र्ोगी’ बन जाते ! तो ज्ञान चन्रर्ा र्े शीतलता र्ी शक्तत बाप र्े आगे जाने र्े र्ोग्र्
बना दे ती है। र्ोग्र् नहीं तो र्ोगी भी नहीं बन सर्ते हैं। तो सत्र्ता जानने र्े पहले शीतल
हो ? सत्र्ता र्ो धारण र्रने र्ी शक्तत चादहए। तो शीतलता र्ी शक्तत िाली आत्र्ा स्िर्ं
भी, संर्ल्पों र्ी गनत र्ें, बोल र्ें, सम्पर्क र्ें हर पररक्स्थनत र्ें शीतल होगी। संर्ल्प र्ी
स्पीड िास्ट होने र्े र्ारण िेस्ट भी बहुत होता और र्न्ट्रोल र्रने र्ें भी सर्र् जाता है।
जब चाहें तब र्न्ट्रोल र्रें िा पररितकन र्रें । इसर्ें सर्र् और शक्तत ज्र्ादा लगानी पड़ती।
र्थाथक गनत से चलने िाले अथाकत शीतलता र्ी शक्तत स्िरूप रहने िाले र्वर्थक से बच जाते
हैं। एतसीडेंट से बच जाते। र्ह तर्ों, तर्ा, ऐसा नहीं िैसा इस र्वर्थक िास्ट गनत से छूट जाते
हैं। जैसे िक्ष
ृ र्ी छार्ा कर्सी भी राही र्ो आरार् दे ने िाली है, सहर्ोगी है। ऐसे शीतलता र्ी
शक्तत िाला अन्र् आत्र्ाओं र्ो भी अपने शीतलता र्ी छार्ा से सदा सहर्ोग र्ा आरार्
दे ता है। हर एर् र्ो आर्षकण होगा कर् इस आत्र्ा र्े पास जाए दो घड़ी र्ें भी शीतलता र्ी
छार्ा र्ें शीतलता र्ा सुख, आनन्द लेिें। जैसे चारों ओर बहुत तेज धूप हो तो छार्ा र्ा
स्थान ढूाँढेंगे ना। ऐसे आत्र्ाओं र्ी नजर िा आर्षकण ऐसी आत्र्ाओं तरि जाती है। अभी
विश्ि र्ें और भी विर्ारों र्ी आग तेज होनी है - जैसे आग लगने पर र्नुष्ठर् चचल्लाता है
ना। शीतलता र्ा सहारा ढूाँढता है। ऐसे र्ह र्नुष्ठर् आत्र्ार्ें, आप शीतल आत्र्ाओं र्े पास
तड़पती हुई आर्ेंगी। जरा-सा शीतलता र्े छींटे भी लगाओ। ऐसे चचल्लार्ेंगी। एर् तरि
विनाश र्ी आग, दस ू रे तरि विर्ारों र्ी आग, तीसरे तरि दे ह और दे ह र्े संबंध, पदाथक र्े
लगाि र्ी आग, चौथे तरि पश्चाताप र्ी आग। चारों ओर आग ही आग ददखाई दे गी। तो
ऐसे सर्र् पर आप शीतलता र्ी शक्तत िाली शीतलाओं र्े पास भागते हुए आर्ेंगे। सेर्ण्ड
र्े ललए भी शीतल र्रो। ऐसे सर्र् पर इतनी शीतलता र्ी शक्तत स्िर्ं र्ें जर्ा हो जो चारों
ओर र्ी आग र्ा स्िर्ं र्ें सेर् न लग जाए। चारों तरि र्ी आग लर्टाने िाले शीतलता र्ा
िरदान दे ने िाले शीतला बन जाओ। अगर जरा भी चारों प्रर्ार र्ी आग र्ें से कर्सी र्ा भी
अंश र्ात्र रहा हुआ होगा तो चारों ओर र्ी आग अंश र्ात्र रही हुई आग र्ो पर्ड़ लेगी। जैसे
आग, आग र्ो पर्ड़ लेती है ना। तो र्ह चेर् र्रो।
विनाश ज्िाला र्ी आक्ग्न से बचने र्ा साधन - ननभकर्ता र्ी शक्तत है। ननभकर्ता, विनाश
ज्िाला र्े प्रभाि से डगर्ग नहीं र्रे गी। हलचल र्ें नहीं लाएगी। ननभकर्ता र्े आधार से
विनाश ज्िाला र्ें भर्भीत आत्र्ाओं र्ो शीतलता र्ी शक्तत दें गे। आत्र्ा भर् र्ी अक्ग्न से
बच शीतलता र्े र्ारण खश
ु ी र्ें नाचेगी। विनाश दे खते भी स्थापना र्े नजारे दे खेंगे। उनर्े
नर्नों र्ें एर् आाँख र्ें र्क्ु तत - स्िीट होर् दस
ू री आाँख र्ें जीिन र्क्ु तत अथाकत स्िगक सर्ार्ा
हुआ होगा। उसर्ो अपना घर, अपना राज्र् ही ददखाई दे गा। लोग चचल्लार्ेंगे हार् गर्ा, हार्
र्रा और आप र्हें गे अपने र्ीठे घर र्ें , अपने र्ीठे राज्र् र्ें गर्ा। नचथंग न्र्।ू र्ह घाँघ
ु रू
पहनेंगे। हर्ारा घर, हर्ारा राज्र् - इस खुशी र्ें नाचते-गाते साथ चलेंगे। िह चचल्लार्ेंगे और

61
आप साथ चलेंगे। सुनने र्ें ही सबर्ो खुशी हो रही है तो उस सर्र् कर्तनी खुशी र्ें होंगे !
तो चारों ही आग से शीतल हो गर्े हो ना ? सन
ु ार्ा ना - विनाश ज्िाला से बचने र्ा साधन
है - ‘ननभकर्ता’। ऐसे ही विर्ारों र्ी आग र्े अंश र्ात्र से बचने र्ा साधन है - अपने आदद-
अनादद िंश र्ो र्ाद र्रो। अनादद बाप र्े िंश सम्पण
ू क सतोप्रधान आत्र्ा हूाँ। आदद िंश-दे ि
आत्र्ा हूाँ। दे ि आत्र्ा 16 र्ला सम्पन्न, सम्पण
ू क ननविकर्ारी है। तो अनादद-आदद िंश र्ो र्ाद
र्रो तो विर्ारों र्ा अंश भी सर्ाप्त हो जार्ेगा।
ऐसे ही तीसरी दे ह, दे ह र्े सम्बन्ध और पदाथक र्े र्र्ता र्ी आग - इस अक्ग्न से बचने र्ा
साधन है - बाप र्ो संसार बनाओ। बाप ही संसार है तो बार्ी सब असार हो जार्ेगा। लेकर्न
र्रते तर्ा हैं िह किर दस
ू रे ददन सुनार्ेंगे। बाप ही संसार है र्ह र्ाद है तो न दे ह, न
सम्बन्ध, न पदाथक रहे गा। सब सर्ाप्त।
चौथी बात - पश्चाताप र्ी आग - इसर्ा सहज साधन है सिक प्राक्प्त स्िरूप बनना। अप्राक्प्त
पश्चाताप र्राती है। प्राक्प्त पश्चाताप र्ो लर्टाती है। अब हर प्राक्प्त र्ो सार्ने रख चेर्
र्रो। कर्सी भी प्राक्प्त र्ा अनुभि र्रने र्ें रह तो नहीं गर्े हैं। प्राक्प्तर्ों र्ी ललस्ट तो आती
हैं ना। अप्राक्प्त सर्ाप्त अथाकत पश्चाताप सर्ाप्त। अब इन चारों बातों र्ो चेर् र्रो तब ही
शीतलता स्िरूप बन जार्ेंगे। औरों र्ी तपत र्ो बुझाने िाले ‘शीतल र्ोगी ि शीतला
दे िी’ बन जार्ेंगे। तो सर्झा, शीतलता र्ी शक्तत तर्ा है। सत्र्ता र्ी शक्तत र्ा सुनार्ा भी
है। आगे भी सुनार्ेंगे। तो सुना तारार्ण्डल र्ें तर्ा दे खा। विस्तार किर सुनार्ेंग।े

( 21-02-85 )

सत्र् ज्ञान िा सत्र्ता र्ी शक्तत कर्तनी र्हान है उसर्े अनुभिी आत्र्ार्ें हो। सब दरू दे श
िासी बच्चे लभन्न धर्क, लभन्न र्ान्र्तार्ें, लभन्न रीनत रसर् र्ें रहते हुए भी इस ईश्िरीर्
विश्ि विद्र्ालर् र्ी तरि िा राजर्ोग र्ी तरि तर्ों आर्वषकत हुए ? सत्र् बाप र्ा सत्र्
पररचर् लर्ला अथाकत सत्र् ज्ञान लर्ला। सच्चा पररिार लर्ला। सच्चा स्नेह लर्ला। सच्ची
प्राक्प्त र्ा अनुभि हुआ। तब सत्र्ता र्ी शक्तत र्े पीछे आर्वषकत हुए। जीिन थी, प्राक्प्त भी
थी र्था शक्तत ज्ञान भी था लेकर्न सत्र् ज्ञान नहीं था। इसललए सत्र्ता र्ी शक्तत ने सत्र्
बाप र्ा बना ललर्ा।
सत शब्द र्े दो अथक हैं - सत सत्र्ता भी है और सत अविनाशी भी है। तो सत्र्ता र्ी
शक्तत अविनाशी भी है। इसललए अविनाशी प्राक्प्त, अविनाशी सम्बन्ध, अविनाशी
स्नेह, अविनाशी पररिार है। र्ही पररिार 21 जन्र् लभन्न-लभन्न नार् रूप से लर्लते रहें गे।
जानेंगे नहीं। अभी जानते हो कर् हर् ही लभन्न सम्बन्ध से पररिार र्ें आते रहें गे। इस
अविनाशी प्राक्प्त ने, पहचान ने दरू दे श र्ें होते हुए भी अपने सत्र् पररिार, सत्र् बाप, सत्र्
ज्ञान र्ी तरि खींच ललर्ा। जहााँ सत्र्ता भी हो और अविनाशी भी हो, र्ही परर्ात्र् पहचान
है। तो जैसे आप सभी इसी विशेषता र्े आधार पर आर्वषकत हुए, ऐसे ही सत्र्ता र्ी शक्तत

62
र्ो, सत्र् ज्ञान र्ो विश्ि र्ें प्रत्र्क्ष र्रना है। 50 िषक धरनी बनाई, स्नेह र्ें लार्ा, सम्पर्क
र्ें लार्ा। राजर्ोग र्ी आर्षकण र्ें लार्ा, शाक्न्त र्े अनभ
ु ि से आर्षकण र्ें लार्ा। अब बार्ी
तर्ा रहा ? जैसे परर्ात्र्ा एर् है र्ह सभी लभन्न-लभन्न धर्क िालों र्ी र्ान्र्ता है। ऐसे
र्थाथक सत्र् ज्ञान एर् ही बाप र्ा है अथिा एर् ही रास्ता है , र्ह आिाज़ जब तर् बल
ु न्द
नहीं होगा तब तर् आत्र्ाओं र्ा अनेर् नतनर्ों र्े सहारे तरि भटर्ना बन्द नहीं होगा।
अभी र्ही सर्झते हैं कर् र्ह भी एर् रास्ता है। अच्छा रास्ता है। लेकर्न आखखर भी एर्
बाप र्ा एर् ही पररचर्, एर् ही रास्ता है। अनेर्ता र्ी र्ह भ्राक्न्त सर्ाप्त होना ही विश्ि-
शाक्न्त र्ा आधार है। र्ह सत्र्ता र्े पररचर् र्ी िा सत्र् ज्ञान र्े शक्तत र्ी लहर जब तर्
चारों ओर नहीं िैलेगी तब तर् प्रत्र्क्षता र्े झण्डे र्े नीचे सिक आत्र्ार्ें सहारा नहीं ले
सर्तीं। तो गोल्डन जुबली र्ें जबकर् बाप र्े घर र्ें विशेष ननर्न्त्रण दे र्र बल
ु ाते हो, अपनी
स्टे ज है। श्रेष्ठठ िातािरण है , स्िच्छ बुवि र्ा प्रभाि है। स्नेह र्ी धरनी है, पवित्र पालना है।
ऐसे िार्ुर्ण्डल र्े बीच अपने सत्र् ज्ञान र्ो प्रलसि र्रना ही प्रत्र्क्षता र्ा आरम्भ होगा।
र्ाद है, जब प्रदशकननर्ों द्िारा सेिा र्ा विहंग र्ागक र्ा आरम्भ हुआ तो तर्ा र्रते थे
? र्ुख्र् ज्ञान र्े प्रश्नों र्ा िार्क भराते थे ना। परर्ात्र्ा सिकर्वर्ापी है िा नहीं है ? गीता र्ा
भगिान र्ौन है ? र्ह िार्क भराते थे ना। ओपीननर्न ललखाते थे। पहे ली पूछते थे। तो पहले
र्ह आरम्भ कर्र्ा लेकर्न चलते-चलते इन बातों र्ो गुप्त रूप र्ें दे ते हुए सम्पर्क स्नेह र्ो
आगे रखते हुए सर्ीप लार्ा। इस बारी जबकर् इस धरनी पर आते हैं तो सत्र्
पररचर्, स्पष्ठट पररचर् दो। र्ह भी अच्छा है , र्ह तो राजी र्रने र्ी बात है। लेकर्न एर् ही
बाप र्ा एर् र्थाथक पररचर् स्पष्ठट बुवि र्ें आ जाए, र्ह भी सर्र् अब लाना है। लसिक सीधा
र्हते रहते हो कर् बाप र्ह ज्ञान दे रहा है , बाप आर्ा है लेकर्न िह र्ानर्र जाते हैं कर् र्ही
परर्ात्र्-ज्ञान है ? परर्ात्र्ा र्ा र्तकर्वर् चल रहा है ? ज्ञान र्ी निीनता है र्ह अनभ
ु ि
र्रते हैं ? ऐसी िर्कशाप र्भी रखी है ? क्जसर्ें परर्ात्र्ा सिकर्वर्ापी है र्ा नहीं है , एर् ही
सर्र् आता है र्ा बार-बार आता है। ऐसे स्पष्ठट पररचर् उन्हें लर्ल जाएाँ जो सर्झें कर्
दनु नर्ा र्ें जो नहीं सुना िह र्हााँ सुना। ऐसे जो विशेष स्पीर्र बन र्रर्े आते - उन्हों से
र्ह ज्ञान र्े राजों र्ी रूह-रूहान र्रने से उन्हों र्ी बुवि र्ें आर्ेगा। साथ-साथ जो भाषण भी
र्रते हो उसर्ें भी अपने पररितकन र्े अनभ
ु ि सन
ु ाते हुए एर्-एर् स्पीर्र, एर्-एर् नर्े ज्ञान
र्ी बात र्ो स्पष्ठट र्र सर्ते हो। ऐसे सीधा टावपर् नहीं रखें कर् परर्ात्र्ा सिकर्वर्ापी नहीं
है, लेकर्न एर् बाप र्ो एर् रूप से जानने से तर्ा-तर्ा विशेष प्राक्प्तर्ााँ हुई, उन प्राक्प्तर्ों र्ो
सन ु ाते हुए सिकर्वर्ापी र्ी बातों र्ो स्पष्ठट र्र सर्ते हो। एर् परर्धार् ननिासी सर्झ र्ाद
र्रने से बवु ि र्ैसे एर्ाग्र हो जाती है िा बाप र्े सम्बन्ध से तर्ा प्राक्प्तर्ों र्ी अनभ
ु नू त
होती है ? इस ढं ग से सत्र्ता और ननर्ाकनता, दोनों रूप से लसि र्र सर्ते हो। क्जससे
अलभर्ान भी न लगे कर् र्ह लोग अपनी र्दहर्ा र्रते हैं। नम्रता और रहर् र्ी भािना
अलभर्ान र्ी र्हसस ू ता नहीं र्राती। जैसे र्रु ललर्ों र्ो सन
ु ते हुए र्ोई भी अलभर्ान नहीं
र्हे गा। अथॉररटी से बोलते हैं, र्ह र्हें गे। भल शब्द कर्तने ही सख्त हों लेकर्न अलभर्ान

63
नहीं र्हें गे ! अथॉररटी र्ी अनुभूनत र्रते हैं। ऐसे तर्ों होता है ? क्जतनी ही अथॉररटी है
उतनी ही नम्रता और रहर् भाि है। ऐसे बाप तो बच्चों र्े आगे बोलते हैं लेकर्न आप सभी
इस विशेषता से स्टे ज पर इस विचध से स्पष्ठट र्र सर्ते हो। जैसे सन
ु ार्ा ना। ऐसे ही एर्
सिकर्वर्ापी र्ी बात रखें, दस
ू रा नार् रूप से न्र्ारे र्ी रखें, तीसरा ड्रार्ा र्ी पाइंट बवु ि र्ें
रखें। आत्र्ा र्ी नई विशेषताओं र्ो बवु ि र्ें रखें। जो भी विशेष टावपतस हैं, उसर्ो लक्ष्र् र्ें
रख अनभ
ु ि और प्राक्प्त र्े आधार से स्पष्ठट र्रते जािें क्जससे सर्झें कर् इस सत्र् ज्ञान से
ही सतर्ग
ु र्ी स्थापना हो रही है। भगिानि
ु ाच तर्ा विशेष है जो लसिाए भगिान र्े र्ोई
सुना नहीं सर्ते। विशेष स्लोगन्स क्जसर्ो आप लोग सीधे शब्द र्हते हो - जैसे
र्नुष्ठर्, र्नुष्ठर् र्ा र्भी सतगुरू, सत बाप नहीं बन सर्ता। र्नुष्ठर् परर्ात्र्ा हो नहीं
सर्ता। ऐसी विशेष पाइंट तो सर्र् प्रनत सर्र् सुनते आर्े हो, उसर्ी रूपरे खा बनाओ।
क्जससे सत्र् ज्ञान र्ी स्पष्ठटता हो। नई दनु नर्ा र्े ललए र्ह नर्ा ज्ञान है। निीनता और
सत्र्ता दोनों अनुभि हो। जैसे र्ांफ्रेंस र्रते हो, सेिा बहुत अच्छी चलती है। र्ांफ्रेंस र्े पीछे
जो भी र्ुछ साधन बनाते हो, र्भी चाटक र, र्भी तर्ा बनाते हो। उससे भी साधन अपनाते
हो, सम्पर्क र्ो आगे बढ़ाने र्ा। र्ह भी साधन अच्छा है तर्ोंकर् चांस लर्लता है पीछे भी
लर्लते रहने र्ा। लेकर्न जैसे अभी जो भी आते हैं, र्हते हैं - हााँ, र्ह बहुत अच्छी बात है।
प्लैन अच्छा है, चाटक र अच्छा है , सेिा र्ा साधन भी अच्छा है। ऐसे र्ह र्ह र्र जाएाँ
कर् ‘नर्ा ज्ञान आज स्पष्ठट हुआ’। ऐसे विशेष 5-6 भी तैर्ार कर्र्े तो...तर्ोंकर् सभी र्े बीच
तो र्ह रूह-रूहान चल नहीं सर्ती। लेकर्न विशेष जा आते हैं। दटर्ट दे र्र ले आते हो।
विशेष पालना भी लर्लती है। उन्हों र्ें से जो नार्ीग्रार्ी हैं उन्हों र्े साथ र्ह रूह-रूहान र्र
स्पष्ठट उन्हों र्ी बुवि र्ें डालना जरूर चादहए। ऐसा र्ोई प्लैन बनाओ। क्जससे उन्हों र्ो र्ह
नहीं लगे कर् बहुत अपना नशा है,लेकर्न सत्र्ता लगे। इसर्ो र्हा जाता है - तीर भी लगे
लेकर्न ददक नहीं हो। चचल्लािे नहीं। लेकर्न खुशी र्ें नाचे। भाषणों र्ी रूपरे खा भी नई र्रो।
विश्ि-शाक्न्त र्े भाषण तो बहुत र्र ललए। आध्र्ाक्त्र्र्ता र्ी आिश्र्र्ता है , आध्र्ाक्त्र्र्
शक्तत तर्ा है ! आध्र्ाक्त्र्र् ज्ञान तर्ा है ! इसर्ा सोसक र्ौन है ? अभी िहााँ तर् नहीं पहुाँचे
हैं ! सर्झें कर् भगिान र्ा र्ार्क चल रहा है। अभी र्हते हैं - र्ातार्ें बहुत अच्छा र्ार्क र्र
रही हैं। सर्र् प्रर्ाण र्ह भी धरनी बनानी पड़ती है। जैसे सन शोर्वज़ िादर है िैसे िादर
शोर्वज़ सन है। अभी िादर शोर्वज़ सन हो रहा है। तो र्ह बल
ु न्द आिाज़ प्रत्र्क्षता र्ा झण्डा
लहरार्ेगा।

( 12-03-85 )

र्ैं ननरार्ार आत्र्ा हूाँ, र्ह असली स्िरूप र्ोई भी र्ार्क र्रते स्ित: और सदा र्ाद रहना
चादहए। जब एर् बार स्र्नृ त आ गई, पररचर् भी लर्ल गर्ा - र्ैं ननरार्ार आत्र्ा हूाँ। पररचर्
अथाकत नॉलेज। तो नॉलेज र्ी शक्तत द्िारा स्िरूप र्ो जान ललर्ा। जानने र्े बाद किर भल ू

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र्ैसे सर्ते ? जैसे नॉलेज र्ी शक्तत से शरीर र्ा भान भुलाते भी भूल नहीं सर्ते। तो र्ह
आक्त्र्र् स्िरूप भल
ू र्ैसे सर्ेंगे ? तो र्ह अपने आपसे पछ
ू ो और अभ्र्ास र्रो। जैसे बाप
र्ो स्नेह से ननरार्ार से सार्ार र्ें आह्िान र्र ला सर्ते हो तो क्जससे स्नेह है उस जैसे
ननरार्ार क्स्थनत र्ें क्स्थत नहीं हो सर्ते हो ! बापदादा बच्चों र्ी र्ेहनत दे ख नहीं सर्ते हैं!
र्ास्टर सिकशक्ततिान और र्ेहनत ? र्ास्टर सिकशक्ततिान सिक शक्ततर्ों र्े र्ाललर् हो। क्जस
शक्तत र्ो क्जस भी सर्र् शभ
ु संर्ल्प से आह्िान र्रो िह शक्तत आप र्ाललर् र्े आगे
हाजर है। ऐसे र्ाललर्, क्जसर्ी सिक शक्ततर्ााँ सेिाधारी हैं , िह र्ेहनत र्रे गा िा शभ
ु संर्ल्प
र्ा आडकर र्रे गा ? तर्ा र्रे गा, राजे हो ना कर् प्रजा हो ? िैसे भी जो र्ोग्र् बच्चा होता है
उसर्ो तर्ा र्हते हैं ? राजा बच्चे र्हते हैं ना। तो आप र्ौन हो ? राजा बच्चे हो कर्
अधीन बच्चे हो ? अचधर्ारी आत्र्ार्ें हो ना। तो र्ह शक्ततर्ााँ , र्ह गुण र्ह सब आपर्े
सेिाधारी हैं, आह्िान र्रो और हाजर। जो र्र्ज़ोर होता है िह शक्ततशाली शस्त्र होते हुए भी
र्र्ज़ोरी र्े र्ारण हार जाते हैं। आप र्र्ज़ोर हो तर्ा ? बहादरु बच्चे हो ना ! सिकशक्ततिान
र्े बच्चे र्र्ज़ोर हों तो सब लोग तर्ा र्हें गे ? अच्छा लगेगा ? तो आह्िान र्रना, आडकर
र्रना सीखो।
आज बापदादा आपस र्ें बहुत चचटचैट र्र रहे थे, बच्चों र्ी र्ेहनत पर। तर्ा र्रते
हैं, बापदादा र्ुस्र्रा रहे थे कर् र्न र्ी र्ेहनत र्ा र्ारण तर्ा बनता है , तर्ा र्रते हैं ? टे ढ़े
बााँर्े, बच्चे पैदा र्रते, क्जसर्ा र्भी र्ुाँह नहीं होता, र्भी टांग नहीं, र्भी बांह नहीं होती।
ऐसे र्वर्थक र्ी िंशािली बहुत पैदा र्रते हैं और किर जो रचना र्ी तो तर्ा र्रें गे ? उसर्ो
पालने र्े र्ारण र्ेहनत र्रनी पड़ती। ऐसी रचना रचने र्े र्ारण ज्र्ादा र्ेहनत र्र थर्
जाते हैं और ददललशर्स्त भी हो जाते हैं। बहुत र्ुक्श्र्ल लगता है। है अच्छा लेकर्न है बड़ा
र्ुक्श्र्ल। छोड़ना भी नहीं चाहते और उड़ना भी नहीं चाहते। तो तर्ा र्रना पड़ेगा ? चलना
पड़ेगा। चलने र्ें तो जरूर र्ेहनत लगेगी ना। इसललए अब र्र्ज़ोर रचना बन्द र्रो तो र्न
र्ी र्ेहनत से छूट जार्ेंगें। किर हाँसी र्ी बात तर्ा र्हते हैं ? बाप र्हते र्ह रचना तर्ों
र्रते, तो जैसे आजर्ल र्े लोग र्हते हैं ना - तर्ा र्रें ईश्िर दे दे ता है। दोष सारा ईश्िर
पर लगाते हैं, ऐसे र्ह र्वर्थक रचना पर तर्ा र्हते ? हर् चाहते नहीं हैं लेकर्न र्ार्ा आ
जाती है। हर्ारी चाहना नहीं है लेकर्न हो जाता है। इसललए सिकशक्ततिान बाप र्े बच्चे
र्ाललर् बनो। राजा बनो। र्र्ज़ोर अथाकत अधीन प्रजा। र्ाललर् अथाकत शक्ततशाली राजा। तो
आह्िान र्रो र्ाललर् बन र्रर्े। स्िक्स्थनत र्े श्रेष्ठठ लसंहासन पर बैठो। लसंहासन पर बैठ र्े
शक्तत रूपी सेिाधाररर्ों र्ा आह्िान र्रो। आडकर दो। हो नहीं सर्ता कर् आपर्े सेिाधारी
आपर्े आडकर पर न चलें। किर ऐसे नहीं र्हें गे तर्ा र्रें सहन शक्तत न होने र्े र्ारण
र्ेहनत र्रनी पड़ती है। सर्ाने र्ी शक्तत र्र् थी इसललए ऐसा हुआ। आपर्े सेिाधारी सर्र्
पर र्ार्क र्ें न आिें तो सेिाधारी तर्ा हुए ? र्ार्क पूरा हो जाए किर सेिाधारी आिें तो तर्ा
होगा! क्जसर्ो स्िर्ं सर्र् र्ा र्हत्ि है उसर्े सेिाधारी भी सर्र् पर र्हत्ि जान हाजर
होंगे। अगर र्ोई भी शक्तत िा गुण सर्र् पर इर्जक नहीं होता है तो इससे लसि है कर्

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र्ाललर् र्ो सर्र् र्ा र्हत्ि नहीं है। तर्ा र्रना चादहए ? लसंहासन पर बैठना अच्छा र्ा
र्ेहनत र्रना अच्छा ? अभी इसर्ें सर्र् दे ने र्ी आिश्र्र्ता नहीं है। र्ेहनत र्रना ठीर्
लगता र्ा र्ाललर् बनना ठीर् लगता ? तर्ा अच्छा लगता है ? इसर्े ललए लसिक र्ह एर्
अभ्र्ास सदा र्रते रहो -’’ननरार्ार सो सार्ार र्े आधार से र्ह र्ार्क र्र रहा
हूाँ।’’ र्रािनहार बन र्र्ेक्न्रर्ों से र्राओ। अपने ननरार्ारी िास्तविर् स्िरूप र्ो स्र्नृ त र्ें
रखेंगे तो िास्तविर् स्िरूप र्े गण ु शक्ततर्ााँ स्ित: ही इर्जक होंगे। जैसा स्िरूप होता है िैसे
गण
ु और शक्ततर्ााँ स्ित: ही र्र्क र्ें आते हैं। जैसे र्न्र्ा जब र्ााँ बन जाती है तो र्ााँ र्े
स्िरूप र्ें सेिा भाि, त्र्ाग, स्नेह, अथर् सेिा आदद गुण और शक्ततर्ााँ स्ित: ही इर्जक होती
हैं ना। तो अनादद अविनाशी स्िरूप र्ाद रहने से स्ित: ही र्ह गुण और शक्ततर्ााँ इर्जक
होंगे। स्िरूप स्र्नृ त क्स्थनत र्ो स्ित: ही बनाता है। सर्झा तर्ा र्रना है! र्ेहनत शब्द र्ो
जीिन से सर्ाप्त र्र दो। र्ुक्श्र्ल र्ेहनत र्े र्ारण लगता है। र्ेहनत सर्ाप्त तो र्ुक्श्र्ल
शब्द भी स्ित: ही सर्ाप्त हो जार्ेगा।

( 15-03-85 )

सदा अपने र्ो बाप सर्ान र्ास्टर सिकशक्ततिान अनुभि र्रते हो ? जैसा बाप िैसे बच्चे हैं
ना ! सिकशक्ततर्ों र्ा िसाक बच्चों र्ा अचधर्ार है। तो जब भी क्जस शक्तत र्ो क्जस रूप से
र्ार्क र्ें लगाने चाहो िैसे लगा सर्ते हो ! र्ास्टर सिकशक्ततिान र्ी स्र्नृ त शक्ततर्ों र्ो
इर्जक र्रती है। क्जस सर्र् क्जस शक्तत र्ी आिश्र्र्ता होगी उस सर्र् इस स्र्नृ त से र्ार्क
र्ें लगा सर्ते हो। ऐसे अनुभि र्रें गे जैसे र्ह शरीर र्ी शक्ततर्ााँ बाहें हैं, पााँि हैं, आाँखें हैं...
क्जस सर्र् जो शक्तत र्ूज़ र्रने चाहें िैसे र्र सर्ते हैं, िैसे र्ह सूक्ष्र् शक्ततर्ााँ र्ार्क र्ें
लगा सर्ते हैं। तर्ोंकर् र्ह भी अपना अचधर्ार है। लेकर्न इसर्ा अचधर्ार है र्ास्टर
सिकशक्ततिान र्ी स्र्नृ त।

( 18-03-85 )

सर्र् प्रनत सर्र् परखने र्ी शक्तत र्ें र्ई बच्चे र्र्ज़ोर हो जाते हैं। परख नहीं सर्ते हैं।
इसललए धोखा खा लेते हैं। परखने र्ी शक्तत र्र्ज़ोर होने र्ा र्ारण है - बवु ि र्ी लगन
एर्ाग्र नहीं है। जहााँ एर्ाग्रता है िहााँ परखने र्ी शक्तत स्ित: ही बढ़ती है। एर्ाग्रता अथाकत ्
एर् बाप र्े साथ सदा लगन र्ें र्गन रहना। एर्ाग्रता र्ी ननशानी सदा उड़ती र्ला र्े
अनभ
ु नू त र्ी एर्रस क्स्थनत होगी। एर्रस र्ा अथक र्ह नहीं कर् िही रफ्तार हो तो एर्रस
है। एर्रस अथाकत ् सदा उड़ती र्ला र्ी र्हसूसता रहे । इसर्ें एर्रस। जो र्ल था उससे आज
परसेन्टे ज र्ें िवृ ि र्ा अनभ
ु ि र्रें । इसर्ो र्हा जाता है - उड़ती र्ला। तो स्ि उन्ननत र्े
ललए, सेिा र्ी उन्ननत र्े ललए परखने र्ी शक्तत बहुत आिश्र्र् है। परखने र्ी शक्तत

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र्र्ज़ोर होने र्े र्ारण अपनी र्र्ज़ोरी र्ो र्र्ज़ोरी नहीं सर्झते हैं। और ही अपनी
र्र्ज़ोरी र्ो नछपाने र्े ललए र्ा लसि र्रें गे र्ा क्जद्द र्रें गे। र्ह तो बातें नछपाने र्ा विशेष
साधन हैं। अन्दर र्ें र्र्ी र्हसस
ू भी होगी लेकर्न किर भी परू ी परखने र्ी शक्तत न होने र्े
र्ारण अपने र्ो सदा राइट और होलशर्ार लसि र्रें गे। र्र्ाकतीत तो बनना है ना। नम्बर तो
लेना है ना। इसललए चेर् र्रो। अच्छी तरह से - र्ोगर्त
ु त बन परखने र्ी शक्तत धारण
र्रो। एर्ाग्र बवु ि बन र्रर्े किर चेर् र्रो। तो जो भी सक्ष्
ू र् र्र्ी होगी िह स्पष्ठट रूप र्ें
ददखाई दे गी। ऐसा न हो जो आप सर्झो र्ैं बहुत राइट, बहुत अच्छी चल रही हूाँ। र्र्ाकतीत
र्ैं ही बनूाँगी और जब सर्र् आिे तो र्ह सूक्ष्र् बंधन उड़ने न दे िें। अपनी तरि खींच लेिें।

( 27-03-85 )

इतना सारा प्रर्ृनत पररितकन र्ा र्ार्क, तर्ोगुणी संस्र्ार िाली इतनी आत्र्ाओं र्ा विनाश
कर्सी भी विचध से होगा लेकर्न अचानर् र्े र्त्ृ र्ु, अर्ाले र्त्ृ र्ु, सर्ूह रूप र्ें र्त्ृ र्ु, उन
आत्र्ाओं र्े िार्ब्रशेन कर्तने कर्तने तर्ोगुणी होंगे, उसर्ो पररितकन र्रना और स्िर्ं र्ो
भी ऐसे खूनी नाहर् िार्ुर्ण्डल र्े िार्ब्रेशन से सेि रखना और उन आत्र्ाओं र्ो सहर्ोग
दे ना - तर्ा इस विशाल र्ार्क र्े ललए तैर्ारी र्र रहे हो ? र्ा लसिक र्ोई आर्ा, सर्झार्ा
और खार्ा, इसी र्ें ही तो सर्र् नहीं जा रहा है ? िह पूछ रहे थे। आज बापदादा उन्हों र्ा
सन्दे श सुना रहे हैं। इतना बेहद र्ा र्ार्क र्रने र्े ननलर्त्त र्ौन हैं ? जब आदद र्ें ननलर्त्त
बने हो तो अन्त र्ें भी पररितकन र्े बेहद र्े र्ार्क र्ें ननलर्त्त बनना है ना। िैसे भी र्हाित
है - ‘क्जसने अन्त कर्र्ा उसने सब र्ुछ कर्र्ा’। गभक र्हल भी तैर्ार र्रने हैं। तब तो नई
रचना र्ा, र्ोगबल र्ा आरम्भ होगा। र्ोगबल र्े ललए र्न्सा शक्तत र्ी आिश्र्र्ता
है। अपनी सेफ्टी र्े ललए भी र्न्सा शक्तत साधन बनेगी। र्न्सा शक्तत द्िारा ही स्िर्ं र्ी
अन्त सुहानी बनाने र्े ननलर्त्त बन सर्ेंगे। नहीं तो सार्ार सहर्ोग सर्र् पर सरर्र्स्टांस
प्रर्ाण न भी प्राप्त हो सर्ता है। उस सर्र् र्न्सा शक्तत अथाकत श्रेष्ठठ संर्ल्प शक्तत, एर्
र्े साथ लाइन तलीर्र नहीं होगी तो अपनी र्र्ज़ोररर्ााँ पश्चाताप र्े रूप र्ें भूतों र्े लर्सल
अनभ
ु ि होंगी। तर्ोंकर् स्र्नृ त र्ें र्र्ज़ोरी आने से भर् - भत
ू र्ी तरह अनभ
ु ि होगा। अभी
भले र्ैसे भी चला लेते हो लेकर्न अन्त र्ें भर् अनभ
ु ि होगा। इसललए अभी से बेहद र्ी
सेिा र्े ललए, स्िर्ं र्ी सेफ्टी र्े ललए र्न्सा शक्तत और ननभकर्ता र्ी शक्तत जर्ा र्रो, तब
ही अन्त सह
ु ाना और बेहद र्े र्ार्क र्ें सहर्ोगी बन बेहद र्े विश्ि र्े राज्र् अचधर्ारी बनेंग।े
अभी आपर्े साथी, आपर्े सहर्ोग र्ा इन्तजार र्र रहे हैं। र्ार्क चाहे अलग-अलग है लेकर्न
पररितकन र्े ननलर्त्त दोनों ही हैं।
अभी सर्र् सर्ीप आ रहा है इसललए एडिांस पाटी र्ा र्ार्क तीव्रगनत से चल रहा है। ऐसी
लेन-दे न ितन र्ें हो रही थी। विशेष जगत-अम्बा सभी बच्चों र्े प्रनत दो र्धरु बोल, बोल

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रही थी। दो बोल र्ें सभी र्ो स्र्नृ त ददलाई - ‘‘सिलता र्ा आधार सदा सहनशक्तत और
सर्ाने र्ी शक्तत है, इन विशेषताओं से सिलता सदा सहज और श्रेष्ठठ अनुभि होगी।’’

( 18-01-86 )

आज सिकशक्ततिान बाप अपने शक्ततशाली बच्चों र्ो दे ख रहे हैं। हर एर् ब्राह्र्ण आत्र्ा
शक्ततशाली बनी है लेकर्न नम्बरिार है। सिक शक्ततर्ां बाप र्ा िसाक और िरदाता र्ा िरदान
हैं। बाप और िरदाता - इन डबल सम्बन्ध से हरे र् बच्चे र्ो र्ह श्रेष्ठठ प्राक्प्त जन्र् से ही
होती है। जन्र् से ही बाप सिक शक्ततर्ों र्ा अथाकत जन्र्-लसि अचधर्ार र्ा अचधर्ारी बना
दे ता है, साथ-साथ िरदाता र्े नाते से जन्र् होते ही र्ास्टर सिकशक्ततिान बनाए ‘सिक शक्तत
भि' र्ा िरदान दे दे ते हैं। सभी बच्चों र्ो एर् द्िारा एर् जैसा ही डबल अचधर्ार लर्लता है
लेकर्न धारण र्रने र्ी शक्तत नम्बरिार बना दे ती है। बाप सभी र्ो सदा और सिक
शक्ततशाली बनाते हैं लेकर्न बच्चे र्था-शक्तत बन जाते हैं। िैसे लौकर्र् जीिन र्ें िा
अलौकर्र् जीिन र्ें सिलता र्ा आधार शक्ततर्ां ही हैं। क्जतनी शक्ततर्ां , उतनी सिलता।
र्ुख्र् शक्ततर्ााँ हैं - तन र्ी, र्न र्ी, धन र्ी और सम्बन्ध र्ी। चारों ही आिश्र्र् हैं।
अगर चार र्ें से एर् भी शक्तत र्र् है तो जीिन र्ें सदा ि सिक सिलता नहीं होती।
अलौकर्र् जीिन र्ें भी चारों ही शक्ततर्ााँ आिश्र्र् है।
इस अलौकर्र् जीिन र्ें आत्र्ा और प्रर्ृनत दोनों र्ी तन्दरूस्ती आिश्र्र् है। जब आत्र्ा
स्िस्थ है तो तन र्ा दहसाब-कर्ताब िा तन र्ा रोग सल
ू ी से र्ांटा बनने र्े र्ारण, स्ि-
क्स्थनत र्े र्ारण स्िस्थ अनभ
ु ि र्रता है। उनर्े र्ख
ु पर, चेहरे पर बीर्ारी र्े र्ष्ठट र्े
चचन्ह नहीं रहते। र्ख
ु पर र्भी बीर्ारी र्ा िणकन नहीं होता, र्र्कभोग र्े िणकन र्े बदले
र्र्कर्ोग र्ी क्स्थनत र्ा िणकन र्रते हैं। तर्ोंकर् बीर्ारी र्ा िणकन भी बीर्ारी र्ी िवृ ि र्रने
र्ा र्ारण बन जाता है। िह र्भी भी बीर्ारी र्े र्ष्ठट र्ा अनभ
ु ि नहीं र्रे गा, न दस
ू रे र्ो
र्ष्ठट सुनार्र र्ष्ठट र्ी लहर िैलार्ेगा। और ही पररितकन र्ी शक्तत से र्ष्ठट र्ो सन्तुष्ठटता
र्ें पररितकन र्र सन्तुष्ठट रह औरों र्ें भी सन्तष्ठु टता र्ी लहर िैलार्ेगा। अथाकत र्ास्टर
सिकशक्ततिान बन शक्ततर्ों र्े िरदान र्ें से सर्र् प्रर्ाण सहन शक्तत, सर्ाने र्ी शक्तत
प्रर्ोग र्रे गा और सर्र् पर शक्ततर्ों र्ा िरदान िा िसाक र्ार्क र्ें लाना - र्ही उसर्े ललए
िरदान अथाकत दआ
ु दिाई र्ा र्ार् र्र दे ती है। तर्ोंकर् सिकशक्ततिान बाप द्िारा जो
सिकशक्ततर्ााँ प्राप्त हैं िह जैसी पररक्स्थनत, जैसा सर्र् और क्जस विचध से आप र्ार्क र्ें
लगाना चाहो, िैसे ही रूप से र्ह शक्ततर्ााँ आपर्ी सहर्ोगी बन सर्ती हैं। इन शक्ततर्ों र्ो
िा प्रभु-िरदान र्ो क्जस रूप र्ें चाहे िह रूप धारण र्र सर्ते हैं। अभी-अभी शीतलता र्े
रूप र्ें, अभी-अभी जलाने र्े रूप र्ें। पानी र्ी शीतलता र्ा भी अनुभि र्रा सर्ते तो आग
र्े जलाने र्ा भी अनुभि र्रा सर्ते; दिाई र्ा भी र्ार् र्र सर्ता और शक्ततशाली बनाने
र्ा र्ाजून र्ा भी र्ार् र्र सर्ता। लसिक सर्र् पर र्ार्क र्ें लगाने र्ी अथॉटी बनो। र्ह

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सिकशक्ततर्ााँ आप र्ास्टर सिकशक्ततिान र्ी सेिाधारी हैं। जब क्जसर्ो आडकर र्रो, िह ‘हाजर
हजरू ' र्ह सहर्ोगी बनेगी लेकर्न सेिा लेने िाले भी इतने चतरु -सज
ु ान चादहए। तो तन र्ी
शक्तत आक्त्र्र् लशतत र्े आधार पर सदा अनभ
ु ि र्र सर्ते हो अथाकत सदा स्िस्थ रहने र्ा
अनभ
ु ि र्र सर्ते हो।
र्ह अलौकर्र् ब्राह्र्ण जीिन है ही सदा स्िस्थ जीिन। िरदाता से ‘सदा स्िस्थ भि' र्ा
िरदान लर्ला हुआ है। बापदादा दे खते हैं कर् प्राप्त हुए िरदानों र्ो र्ई बच्चे सर्र् पर र्ार्क
र्ें लगार्र लाभ नहीं ले सर्ते हैं िा र्ह र्हें कर् शक्ततर्ों अथाकत सेिाधाररर्ों से अपनी
विशालता और विशाल बुवि द्िारा सेिा नहीं ले पाते हैं। ‘र्ास्टर सिकशक्ततिान' - र्ह क्स्थनत
र्ोई र्र् नहीं है ! र्ह श्रेष्ठठ क्स्थनत भी है , साथ-साथ डार्रे तट परर्ात्र्ा द्िारा ‘परर्
टाइटल' भी है। टाइटल र्ा नशा कर्तना रखते हैं ! टाइटल कर्तने र्ार्क सिल र्र दे ता है!
तो र्ह परर्ात्र्-टाइटल है, इसर्ें कर्तनी खुशी और शक्तत भरी हुई है ! अगर इसी एर्
टाइटल र्ी क्स्थनत रूपी सीट पर सेट रहो तो र्ह सिकशक्ततर्ााँ सेिा र्े ललए सदा हाजर
अनुभि होंगी, आपर्े आडकर र्ी इन्तजार र्ें होगी। तो िरदान र्ो िा िसे र्ो र्ार्क र्ें
लगाओ। अगर र्ास्टर सिकशक्ततिान र्े स्िर्ान र्ें क्स्थत नहीं होते तो शक्ततर्ों र्ो आडकर र्ें
चलाने र्े बजाए बार-बार बाप र्ो अजाक डालते रहते कर् र्ह शक्तत दे दो, र्ह हर्ारा र्ार्क
र्रा दो, र्ह हो जाए, ऐसा हो जाए। तो अजाक डालने िाले र्भी भी सदा राजी नहीं रह सर्ते
हैं। एर् बात पूरी होगी, दस
ू री शुरू हो जार्ेगी। इसललए र्ाललर् बन, र्ोगर्ुतत बन
र्ुक्ततर्ुतत सेिा सेिाधाररर्ों से लो तो सदा स्िस्थ र्ा स्ित: ही अनुभि र्रें गे। इसर्ो र्हते
हैं - तन र्े शक्तत र्ी प्राक्प्त।
ऐसे ही र्न र्ी शक्तत अथाकत श्रेष्ठठ संर्ल्प शक्तत। र्ास्टर सिकशक्ततिान र्े हर संर्ल्प र्ें
इतनी शक्तत है जो क्जस सर्र् जो चाहे िह र्र सर्ता है और र्रा भी सर्ता है तर्ोंकर्
उनर्े संर्ल्प सदा शुभ, श्रेष्ठठ और र्ल्र्ाणर्ारी होंगे। तो र्हााँ श्रेष्ठठ र्ल्र्ाण र्ा संर्ल्प
है, िह लसि जरूर होता है और र्ास्टर सिकशक्ततिान होने र्े र्ारण र्न र्भी र्ाललर् र्ो
धोखा नहीं दे सर्ता है, द:ु ख नहीं अनुभि र्रा सर्ता है। र्न एर्ाग्र अथाकत एर् दठर्ाने पर
क्स्थत रहता है , भटर्ता नहीं है। जहााँ चाहो, जब चाहो र्न र्ो िहााँ क्स्थत र्र सर्ते हो।
र्भी र्न उदास नहीं हो सर्ता है , र्ह है र्न र्ी शक्तत जो अलौकर्र् जीिन र्ें िसे िा
िरदान र्ें प्राप्त है।
इसी प्रर्ार तीसरी है धन र्ी शक्तत अथाकत ज्ञान-धन र्ी शक्तत। ज्ञान-धन स्थल
ू धन र्ी
प्राक्प्त स्ित: ही र्राता है। जहााँ ज्ञान धन है , िहााँ प्रर्ृनत स्ित: ही दासी बन जाती है। र्ह
स्थल
ू धन प्रर्ृनत र्े साधन र्े ललए है। ज्ञान-धन से प्रर्ृनत र्े सिक साधन स्ित: प्राप्त होते
हैं। इसललए ज्ञान-धन सब धन र्ा राजा है। जहााँ राजा है , िहााँ सिक पदाथक स्ित: ही प्राप्त
होते हैं, र्ेहनत नहीं र्रनी पड़ती। अगर र्ोई भी लौकर्र् पदाथक प्राप्त र्रने र्ें र्ेहनत र्रनी
पड़ती है तो इसर्ा र्ारण ज्ञान-धन र्ी र्र्ी है। िास्ति र्ें , ज्ञान-धन पद्मापद्मपनत बनाने
िाला है। परर्ाथक र्वर्िहार र्ो स्ित: ही लसि र्रता है। तो परर्ात्र्-धन िाले परर्ाथी बन

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जाते हैं। संर्ल्प र्रने र्ी भी आिश्र्र्ता नहीं , स्ित: ही सिक आिश्र्र्तार्ें पूणक होती रहतीं।
धन र्ी इतनी शक्तत है जो अनेर् जन्र् र्ह ज्ञान-धन राजाओं र्ा भी राजा बना दे ता है। तो
धन र्ी भी शक्तत सहज प्राप्त हो जाती है।
इसी प्रर्ार - सम्बन्ध र्ी शक्तत। सम्बन्ध र्ी शक्तत र्े प्राक्प्त र्ी शभ
ु इच्छा इसललए होती
है तर्ोंकर् सम्बन्ध र्ें स्नेह और सहर्ोग र्ी प्राक्प्त होती है। इस अलौकर्र् जीिन र्ें
सम्बन्ध र्ी शक्तत डबल रूप र्ें प्राप्त होती है। जानते हो, डबल सम्बन्ध र्ी शक्तत र्ैसे
प्राप्त होती है ? एर् - बाप द्िारा सिक सम्बन्ध, दस
ू रा - दै िी पररिार द्िारा सम्बन्ध। तो
डबल सम्बन्ध हो गर्ा ना - बाप से भी और आपस र्ें भी। तो सम्बन्ध द्िारा सदा
नन:स्िाथक स्नेह, अविनाशी स्नेह और अविनाशी सहर्ोग सदा ही प्राप्त होता रहता है। तो
सम्बन्ध र्ी भी शक्तत है ना। िैसे भी बाप, बच्चा तर्ों चाहता है अथिा बच्चा, बाप तर्ों
चाहता है ? सहर्ोग र्े ललए, सर्र् पर सहर्ोग लर्ले। तो इस अलौकर्र् जीिन र्ें चारों
शक्ततर्ों र्ी प्राक्प्त िरदान रूप र्ें , िसे र्े रूप र्ें है। जहााँ चारों प्रर्ार र्ी शक्ततर्ां प्राप्त
हैं, उसर्ी हर सर्र् र्ी क्स्थनत र्ैसी होगी ? सदा र्ास्टर सिकशक्ततिान। इसी क्स्थनत र्ी
सीट पर सदा क्स्थत हो ? इसी र्ो ही दस
ू रे शब्दों र्ें स्ि र्े राजे िा राजर्ोगी र्हा जाता है।
राजाओं र्े भण्डार सदा भरपूर रहते हैं। तो राजर्ोगी अथाकत सदा शक्ततर्ों र्े भण्डार भरपूर
रहते,सर्झा ? इसर्ो र्हा जाता है - श्रेष्ठठ ब्राह्र्ण अलौकर्र् जीिन। सदा र्ाललर् बन सिक
शक्ततर्ों र्ो र्ार्क र्ें लगाओ। र्थाशक्तत र्े बजाए सदा शक्ततशाली बनो। अजाक र्रने िाले
नहीं, सदा राजी रहने िाले बनो।

( 29-10-87 )

आज बापदादा विश्ि-पररितकन र्े र्ार्क र्ी और विश्ि-पररितकर् बच्चों र्ी ररजल्ट र्ो दे ख रहे
थे। िवृ ि हो रही है, आिाज चारों ओर िैल रहा है , प्रत्र्क्षता र्ा पदाक खुलने र्ा भी आरम्भ
हो गर्ा है। चारों ओर र्ी आत्र्ाओं र्ें अभी इच्छा उत्पन्न हो रही है कर् नजदीर् जार्र
दे खें। सन
ु ी-सुनाई बातें अभी देखने र्े पररितकन र्ें बदल रही हैं। र्ह सब पररितकन हो रहा है।
किर भी ड्रार्ा अनस
ु ार अभी तर् बाप और र्ुछ ननलर्त्त बनी हुई श्रेष्ठठ आत्र्ाओं र्े
शक्ततशाली प्रभाि र्ा पररणार् र्ह ददखाई दे रहा है। अगर र्ैजाररटी इस विचध से लसवि र्ो
प्राप्त र्रें तो बहुत जल्दी सिक ब्राह्र्ण लसवि-स्िरूप र्ें प्रत्र्क्ष हो जार्ेंगे। बापदादा दे ख रहे
थे - ददलपसन्द, लोर्पसन्द, बाप-पसन्द सिलता र्ा आधार ‘स्ि पररितकन' र्ी अभी र्र्ी है
और ‘स्ि-पररितकन' र्ी र्र्ी तर्ों है ? उसर्ा र्ल
ू आधार एर् विशेष शक्तत र्ी र्र्ी है। िह
विशेष शक्तत है - र्हसस
ू ता र्ी शक्तत।
पहला पररितकन - र्ैं आत्र्ा हूाँ, बाप र्ेरा है - र्ह पररितकन कर्स आधार से हुआ ? जब
र्हससू र्रते हो कर् ‘हााँ, र्ैं आत्र्ा हूाँ, र्ही र्ेरा बाप है।' तो र्हसस
ू ता अनभ
ु ि र्राती
है, तब ही पररितकन होता है। जब तर् र्हसूस नहीं र्रते, तब तर् साधारण गनत से चलते

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हैं और क्जस घड़ी र्हसूसता र्ी शक्तत अनुभिी बनाती है तो तीव्र पुरूषाथी बन जाते हैं। ऐसे
जो भी पररितकन र्ी विशेष बातें हैं - चाहे रचनर्ता र्े बारे र्ें , चाहे रचना र्े बारे र्ें , जब
तर् हर बात र्ो र्हसस
ू नहीं र्रते कर् हााँ, र्ह िही सर्र् है, िही र्ोग है, र्ैं भी िही श्रेष्ठठ
आत्र्ा हूाँ - तब तर् उर्ंग-उत्साह र्ी चाल नहीं रहती। र्ोई र्े िार्र्
ु ण्डल र्े प्रभाि से थोड़े
सर्र् र्े ललए पररितकन होगा लेकर्न सदार्ाल र्ा नही होगा। र्हसस
ू ता र्ी शक्तत सदार्ाल
र्ा सहज पररितकन र्र लेगी।
इसी प्रर्ार स्ि-पररितकन र्ें भी जब तर् र्हसस
ू ता र्ी शक्तत नहीं, तब तर् सदार्ाल र्ा
श्रेष्ठठ पररितकन नहीं हो सर्ता है। इसर्ें विशेष दो बातों र्ी र्हसूसता चादहए। एर् - अपनी
र्र्ज़ोरी र्ी र्हसूसता। दस
ू री - जो पररक्स्थनत िा र्वर्क्तत ननलर्त्त बनते हैं, उनर्ी इच्छा
और उनर्े र्न र्ी भािना िा र्वर्क्तत र्ी र्र्ज़ोरी र्ा परिश र्े क्स्थनत र्ी र्हसूसता।
पररक्स्थनत र्े पेपर र्े र्ारण र्ो जान स्िर्ं र्ो पास होने र्े श्रेष्ठठ स्िरूप र्ी र्हसूसता र्ें
हो कर् - र्ैं श्रेष्ठठ हूाँ, स्िक्स्थनत श्रेष्ठठ है, पररक्स्थनत पेपर है। र्ह र्हसूसता सहज पररितकन
र्रा लेगी और पास र्र लेंगे। दस
ू रे र्ी इच्छा िा दस
ू रे र्े स्ि-उन्ननत र्ी भी र्हसस
ू ता
अपने स्ि-उन्ननत र्ा आधार है। तो स्ि-पररितकन - र्हसस
ू ता र्ी शक्तत बबना नहीं हो
सर्ता। इसर्ें भी एर् है - सच्चे ददल र्ी र्हसस
ू ता, दस
ू री - चतुराई र्ी र्हसूसता भी है।
तर्ोंकर् नॉलेजिुल बहुत बन गर्े हैं। तो सर्र् दे ख अपने र्ो लसि र्रने र्े ललए, अपना
नार् अच्छा र्रने र्े ललए उस सर्र् र्हसूस भी र्र लेंगे लेकर्न उस र्हसूसता र्ें शक्तत
नहीं होती जो पररितकन र्र लेंिे। तो ददल र्ी र्हसूसता ददलारार् र्ी आशीिाकद प्राप्त र्राती
है और चतुराई िाली र्हसूसता थोड़े सर्र् र्े ललए दस
ू रे र्ो भी खुश र्र लेते, अपने र्ो भी
खुश र्र दे ते।
तीसरे प्रर्ार र्ी र्हसूसता - र्न र्ानता है कर् र्ह ठीर् नहीं है , वििेर् आिाज दे ता है कर्
र्ह र्थाथक नहीं है लेकर्न बाहर र्े रूप से अपने र्ो र्हारथी लसि र्रने र्े ललए, अपने नार्
र्ो कर्सी भी प्रर्ार से पररिार र्े बीच र्र्ज़ोर र्ा र्र् न र्रने र्े र्ारण वििेर् र्ा खून
र्रते रहते हैं। र्ह वििेर् र्ा खून र्रना भी पाप है। जैसे आपघात र्हापाप है , िैसे र्ह भी
पाप र्े खाते र्ें जर्ा होता है। इसललए बापदादा र्स्
ु र्राते रहते हैं और उनर्ें र्न र्े
डॉर्लाग भी सन
ु ते रहते हैं। बहुत सन्
ु दर डॉर्लाग होते हैं। र्ल
ू बात - ऐसी र्हसस
ू ता िाले
र्ह सर्झते हैं कर् कर्सर्ो तर्ा पता पड़ता है , ऐसे ही चलता है... लेकर्न बाप र्ो पता हर
पत्ते र्ा है। लसिक र्ख
ु से सन
ु ने से पता नहीं पड़ता, लेकर्न पता होते भी बाप अन्जान बन
भोलेपन र्ें भोलानाथ र्े रूप से बच्चों र्ो चलाते हैं। जबकर् जानते हैं , किर भोला तर्ों बनते
? तर्ोंकर् रहर्ददल बाप है , सर्झा ? ऐसे बच्चे चतरु सज
ु ान बाप से भी अथिा ननलर्त्त
आत्र्ाओं से भी बहुत चतरु बन सार्ने आते हैं। इसललए बाप रहर्ददल, भोलानाथ बन जाते
हैं।
स्ि-पररितकन तीव्रगनत से न होने र्े र्ारण - ‘सच्ची ददल र्े र्हसस
ू ता' र्ी र्र्ी है।
र्हसूसता र्ी शक्तत बहुत र्ीठे अनुभि र्रा सर्ती है। र्ह तो सर्झते हो ना। र्भी अपने

71
र्ो बाप र्े नूरे रतन आत्र्ा अथाकत नर्नों र्ें सर्ाई हुई श्रेष्ठठ बबन्द ु र्हसूस र्रो। नर्नों र्ें
तो बबन्द ु ही सर्ा सर्ता है, शरीर तो नहीं सर्ा सर्ेगा। र्भी अपने र्ो र्स्तर् पर चर्र्ने
िाली र्स्तर्-र्खण, चर्र्ता हुआ लसतारा र्हसस
ू र्रो, र्भी अपने र्ो ब्रह्र्ा बाप र्े
सहर्ोगी, राइट हैण्ड सार्ार ब्राह्र्ण रूप र्ें ब्रह्र्ा र्ी भज
ु ार्ें अनभ
ु ि र्रो, र्हसस
ू र्रो।
र्भी अर्वर्तत िररश्ता स्िरूप र्हसस
ू र्रो। ऐसे र्हसस
ू ता शक्तत से बहुत अनोखे, अलौकर्र्
अनभु ि र्रो। लसिक नॉलेज र्ी रीनत िणकन नही र्रो, र्हसस ू र्रो। इस र्हसस
ू ता-शक्तत र्ो
बढ़ाओ तो दस
ू रे तरि र्ी र्र्ज़ोरी र्ी र्हसस
ू ता स्ित: ही स्पष्ठट होगी। शक्ततशाली दपकण र्े
बीच छोटा-सा दाग भी स्पष्ठट ददखाई दे गा और पररितकन र्र लेंगे। तो सर्झा, स्ि पररितकन
र्ा आधार र्हसूसता शक्तत है। शक्तत र्ो र्ार्क र्ें लगाओ, लसिक चगनती र्रर्े खुश न हो -
हााँ, र्ह भी शक्तत है , र्ह भी शक्तत है। लेकर्न स्ि प्रनत, सिक प्रनत, सेिा प्रनत सदा हर र्ार्क
र्ें लगाओ। सर्झा ? र्ई बच्चे र्हते कर् बाप र्ही र्ार् र्रते रहते हैं तर्ा? लेकर्न बाप
तर्ा र्रे , साथ तो ले ही जाना है। जब साथ ले जाना है तो साथी भी ऐसे ही चादहए ना।
इसललए देखते रहते हैं और सर्ाचार सुनाते रहते कर् साथी सर्ान बन जाएं। पीछे -पीछे आने
िालों र्ी तो बात ही नहीं है , िह तो ढे र होंगे। लेकर्न साथी तो सर्ान चादहए ना। आप
साथी हो र्ा बाराती हो ? बारात तो बहुत बड़ी होगी, इसललए लशि र्ी बारात र्शहूर है।
बारात तो िैराइटी होगी लेकर्न साथी तो ऐसे चादहए ना।

( 02-11-87 )

आज सिकशक्ततिान बापदादा अपने शक्तत सेना र्ो दे ख रहे हैं। र्ह रूहानी शक्तत सेना
विचचत्र सेना है। नार् रूहानी सेना है लेकर्न विशेष साइलेन्स र्ी शक्तत है , शाक्न्त दे ने िाली
अदहंसर् सेना है। तो आज बापदादा हर एर् शाक्न्त दे िा बच्चे र्ो देख रहे हैं कर् हर एर् ने
शाक्न्त र्ी शक्तत र्हााँ तर् जर्ा र्ी है ? र्ह शाक्न्त र्ी शक्तत इस रूहानी सेना र्े विशेष
शस्त्र हैं। हैं सभी शस्त्रधारी लेकर्न नम्बरिार हैं। शाक्न्त र्ी शक्तत सारे विश्ि र्ो अशान्त से
शान्त बनाने िाली है, न लसिक र्नुष्ठर् आत्र्ाओं र्ो लेकर्न प्रर्ृनत र्ो भी पररितकन र्रने
िाली है। शाक्न्त र्ी शक्तत र्ो अभी और भी गह्
ु र् रूप से जानने और अनभ
ु ि र्रने र्ा है।
क्जतना इस शक्तत र्ें शक्ततशाली बनेंगे, उतना ही शाक्न्त र्ी शक्तत र्ा र्हत्ि, र्हानता र्ा
अनभ
ु ि ज्र्ादा र्रते जार्ेंगे। अभी िाणी र्ी शक्तत से सेिा र्े साधनों र्ी शक्तत अनभ
ु ि
र्र रहे हो और इस अनभ
ु ि द्िारा सिलता भी प्राप्त र्र रहे हो। लेकर्न िाणी र्ी शक्तत
िा स्थल
ू सेिा र्े साधनों से ज्र्ादा साइलेन्स र्ी शक्तत अनत श्रेष्ठठ है। साइलेन्स र्ी शक्तत
र्े साधन भी श्रेष्ठठ हैं।
जैसे िाणी र्ी सेिा र्े साधन चचत्र, प्रोजेतटर िा िीडडर्ो आदद बनाते हो, ऐसे शाक्न्त र्ी
शक्तत र्े साधन - ‘शभ
ु संर्ल्प, शभ
ु -भािना और नर्नों र्ी भाषा है '। जैसे र्ख
ु र्ी भाषा
द्िारा बाप र्ा िा रचना र्ा पररचर् दे ते हो, ऐसे साइलेन्स र्ी शक्तत र्े आधार पर नर्नों

72
र्ी भाषा से नर्नों द्िारा बाप र्ा अनुभि र्रा सर्ते हो। जैसे प्रोजेतटर द्िारा चचत्र ददखाते
हो, िैसे आपर्े र्स्तर् र्े बीच चर्र्ता हुआ आपर्ा िा बाप र्ा चचत्र स्पष्ठट ददखा सर्ते
हो। जैसे ितकर्ान सर्र् िाणी द्िारा र्ाद र्ी र्ात्रा र्ा अनभ
ु ि र्राते हो, ऐसे साइलेन्स र्ी
शक्तत द्िारा आपर्ा चेहरा (क्जसर्ो र्ख
ु र्हते हो) आप द्िारा लभन्न-लभन्न र्ाद र्ी स्टे जस
र्ा स्ित: ही अनभ
ु ि र्रार्ेगा। अनभ
ु ि र्रने िालों र्ो र्ह सहज र्हसस
ू होगा कर् इस
सर्र् बीजरूप स्टे ज र्ा अनभ
ु ि हो रहा है िा िररश्ते-रूप र्ा अनभ
ु ि हो रहा है िा लभन्न-
लभन्न गण
ु ों र्ा अनभ
ु ि आपर्े इस शक्ततशाली िेश से स्ित: ही होता रहे गा। जैसे िाणी
द्िारा आत्र्ाओं र्ो स्नेह र्े सहर्ोग र्ी भािना उत्पन्न र्राते हो, ऐसे आपर्ी शुभ भािना
और स्नेह र्े भािना र्ी क्स्थनत र्ें स्िर्ं भी क्स्थत होंगे। तो जैसी आपर्ी भािना होगी िैसी
भािना उन्हों र्ें भी उत्पन्न होगी। आपर्ी शुभ भािना उन्हों र्ी भािना र्ो प्रज्िललत र्रे गी।
जैसे दीपर्, दीपर् र्ो जगा दे ता है, ऐसे आपर्ी शक्ततशाली शुभ भािना औरों र्ें भी
सिकश्रेष्ठठ भािना सहज ही उत्पन्न र्रार्ेगी। जैसे िाणी द्िारा अभी सारा स्थूल र्ार्क र्रते
रहते हो, ऐसे साइलेन्स र्े शक्तत र्े श्रेष्ठठ साधन - शुभ संर्ल्प र्ी शक्तत से स्थूल र्ार्क भी
ऐसे ही सहज र्र सर्ते हो िा र्रा सर्ते हो। जैसे साइन्स र्ी शक्तत र्े साधन
टे लीिोन, िार्रलेस हैं, ऐसे र्ह शुभ संर्ल्प सम्र्ख
ु बात र्रने िा टे लीिोन, िार्रलेस द्िारा
र्ार्क र्राने र्ा अनुभि र्रार्ेगा। ऐसे साइलेन्स र्ी शक्तत र्ें विशेषतार्ें हैं। साइलेन्स र्ी
शक्तत र्र् नहीं है। लेकर्न अभी िाणी र्ी शक्तत र्ो, स्थूल साधनों र्ो ज्र्ादा र्ार्क र्ें
लगाते हो, इसललए र्ह सहज लगते हैं। साइलेन्स र्ी शक्तत र्े साधनों र्ो प्रर्ोग र्ें नहीं
लार्ा है, इसललए इनर्ा अनुभि नहीं है। िह सहज लगता है, र्ह र्ेहनत र्ा लगता है।
लेकर्न सर्र् पररितकन प्रर्ाण र्ह शाक्न्त र्ी शक्तत र्े साधन प्रर्ोग र्ें लाने ही होंगे।
इसललए, हे शाक्न्त दे िा श्रेष्ठठ आत्र्ार्ें ! इस शाक्न्त र्ी शक्तत र्ो अनुभि र्ें लाओ। जैसे
िाणी र्ी प्रैक्तटस र्रते-र्रते िाणी र्े शक्ततशाली हो गर्े हो, ऐसे शाक्न्त र्ी शक्तत र्े भी
अभ्र्ासी बनते जाओ। आगे चल िाणी िा स्थल
ू साधनों र्े द्िारा सेिा र्ा सर्र् नहीं
लर्लेगा। ऐसे सर्र् पर शाक्न्त र्ी शक्तत र्े साधन आिश्र्र् होंगे। तर्ोंकर् क्जतना जो
र्हान शक्ततशाली शस्त्र होता है िह र्र् सर्र् र्ें र्ार्क ज्र्ादा र्रता है। और क्जतना जो
र्हान शक्ततशाली होता है िह अनत सक्ष्
ू र् होता है। तो िाणी से शि
ु -संर्ल्प सक्ष्
ू र् हैं,
इसललए सक्ष्
ू र् र्ा प्रभाि शक्ततशाली होगा। अभी भी अनभ
ु िी हो, जहााँ िाणी द्िारा र्ोई
र्ार्क लसि नहीं होता है तो र्हते हो - र्ह िाणी से नहीं सर्झेंगे, शभ
ु भािना से पररितकन
होंगे। जहााँ िाणी र्ार्क र्ो सिल नहीं र्र सर्ती, िहााँ साइलेन्स र्ी शक्तत र्ा साधन शभ
ु -
संर्ल्प, शभ
ु -भािना, नर्नों र्ी भाषा द्िारा रहर् और स्नेह र्ी अनभ
ु नू त र्ार्क लसि र्र
सर्ती है। जैसे अभी भी र्ोई िाद-वििाद िाला आता है तो िाणी से और ज्र्ादा िाद-वििाद
र्ें आ जाता है। उसर्ो र्ाद र्ें बबठाए साइलेन्स र्ी शक्तत र्ा अनुभि र्राते हो ना। एर्
सेर्ण्ड भी अगर र्ाद द्िारा शाक्न्त र्ा अनभ
ु ि र्र लेते हैं तो स्िर्ं ही अपनी िाद-वििाद
र्ी बुवि र्ो साइलेन्स र्ी अनुभूनत र्े आगे सरे न्डर र्र दे ते हैं। तो इस साइलेन्स र्ी शक्तत

73
र्ा अनुभि बढ़ाते जाओ। अभी र्ह साइलेन्स र्ी शक्तत र्ी अनुभूनत बहुत र्र् है। साइलेन्स
र्ी शक्तत र्ा रस अब तर् र्ैजाररटी ने लसिक अंचली र्ात्र अनभ
ु ि कर्र्ा है। हे शाक्न्त-दे िा।
आपर्े भतत आपर्े जड़ चचत्रों से शाक्न्त र्ा अल्पर्ाल र्ा अनभ
ु ि र्रते हैं, ज्र्ादा र्रर्े
र्ांगते भी शाक्न्त है तर्ोंकर् शाक्न्त र्ें सख
ु सर्ार्ा हुआ है। तो बापदादा दे ख रहे थे शाक्न्त
र्ी शक्तत र्े अनभ
ु िी आत्र्ार्ें कर्तनी हैं, िणकन र्रने िाली कर्तनी हैं और प्रर्ोग र्रने
िाली कर्तनी हैं। इसर्े ललए - ‘अन्तर्कख
ु ता और एर्ान्तिासी' बनने र्ी आिश्र्र्ता है।
बाहरर्ख
ु ता र्ें आना सहज है लेकर्न अन्तर्कख
ु ी र्ा अभ्र्ास अभी सर्र् प्रर्ाण बहुत चादहए।
र्ई बच्चे र्हते हैं - एर्ान्तिासी बनने र्ा सर्र् नहीं लर्लता, अन्तर्ुकखी-क्स्थनत र्ा अनुभि
र्रने र्ा सर्र् नहीं लर्लता तर्ोंकर् सेिा र्ी प्रिक्ृ त्त, िाणी र्े शक्तत र्ी प्रिक्ृ त्त बहुत बढ़
गई है। लेकर्न इसर्े ललए र्ोई इर्ट्ठा आधा िा एर् घण्टा ननर्ालने र्ी आिश्र्र्ता नहीं है।
सेिा र्ी प्रिक्ृ त्त र्ें रहते भी बीच-बीच र्ें इतना सर्र् लर्ल सर्ता है जो एर्ान्तिासी बनने
र्ा अनुभि र्रो।
एर्ान्तिासी अथाकत र्ोई भी एर् शक्ततशाली क्स्थनत र्ें क्स्थत होना। चाहे बीजरूप क्स्थनत र्ें
क्स्थत हो जाओ, चाहे लाइट-हाउस, र्ाइट-हाउस क्स्थनत र्ें क्स्थत हो जाओ अथाकत विश्ि र्ो
लाइट-र्ाइट दे ने िाले - इस अनभ
ु ूनत र्ें क्स्थत हो जाओ। चाहे िररश्तेपन र्ी क्स्थनत द्िारा
औरों र्ो भी अर्वर्तत-क्स्थनत र्ा अनुभि र्राओ। एर् सेर्ण्ड िा एर् लर्नट अगर इस
क्स्थनत र्ें एर्ाग्र हो क्स्थत हो जाओ तो र्ह एर् लर्नट र्ी क्स्थनत स्िर्ं आपर्ो और औरों
र्ो भी बहुत लाभ दे सर्ती है। लसिक इसर्ी प्रैक्तटस चादहए। अब ऐसा र्ौन है क्जसर्ो एर्
लर्नट भी िुसकत नहीं लर्ल सर्ती ? जैसे पहले ट्रै किर् र्न्ट्रोल र्ा प्रोग्रार् बना तो र्ई
सोचते थे - र्ह र्ैसे हो सर्ता ? सेिा र्ी प्रिक्ृ त्त बहुत बड़ी है, बबजी रहते हैं। लेकर्न लक्ष्र्
रखा तो हो रहा है ना। प्रोग्रार् चल रहा है ना। सेन्टसक पर र्ह ट्रै किर् र्न्ट्रोल र्ा प्रोग्रार्
चलाते हो िा र्भी लर्स र्रते, र्भी चलाते ? र्ह एर् ब्राह्र्ण र्ुल र्ी रीनत है, ननर्र् है।
जैसे और ननर्र् आिश्र्र् सर्झते हो, ऐसे र्ह भी स्ि-उन्ननत र्े ललए िा सेिा र्ी सिलता
र्े ललए, सेिार्ेन्र र्े िातािरण र्े ललए आिश्र्र् है। ऐसे अन्तर्ुकखी, एर्ान्तिासी बनने र्े
अभ्र्ास र्े लक्ष्र् र्ो लेर्र अपने ददल र्ी लगन से बीच-बीच र्ें सर्र् ननर्ालो। र्हत्ि
जानने िाले र्ो सर्र् स्ित: ही लर्ल जाता है। र्हत्ि नहीं है तो सर्र् भी नहीं लर्लता।
एर् पािरिुल क्स्थनत र्ें अपने र्न र्ो, बवु ि र्ो क्स्थत र्रना ही एर्ान्तिासी बनना है।
जैसे सार्ार ब्रह्र्ा बाप र्ो दे खा, सम्पण
ू कता र्ी सर्ीपता र्ी ननशानी - सेिा र्ें
रहते, सर्ाचार भी सन
ु ते-सन
ु ते एर्ान्तिासी बन जाते थे। र्ह अनभ
ु ि कर्र्ा ना। एर् घण्टे
र्े सर्ाचार र्ो भी 5 लर्नट र्ें सार सर्झ बच्चों र्ो भी खश
ु कर्र्ा और अपनी
अन्तर्कख
ु ी, एर्ान्तिासी क्स्थनत र्ा भी अनुभि र्रार्ा। सम्पण
ू कता र्ी ननशानी -
अन्तर्ुकखी, एर्ान्तिासी क्स्थनत चलते-किरते, सुनते, र्रते अनुभि कर्र्ा। तो िॉलो िादर
नहीं र्र सर्ते हो ? ब्रह्र्ा बाप से ज्र्ादा क्जम्र्ेिारी और कर्सर्ी है तर्ा ? ब्रह्र्ा बाप ने
र्भी नहीं र्हा कर् र्ैं बहुत बबजी हूाँ। लेकर्न बच्चों र्े आगे एग्जाम्पल बने। ऐसे अभी सर्र्

74
प्रर्ाण इस अभ्र्ास र्ी आिश्र्र्ता है। सब सेिा र्े साधन होते हुए भी साइलेन्स र्ी शक्तत
र्े सेिा र्ी आिश्र्र्ता होगी तर्ोंकर् साइलेन्स र्ी शक्तत अनभ
ु नू त र्राने र्ी शक्तत है।
िाणी र्ी शक्तत र्ा तीर बहुत र्रर्े ददर्ाग तर् पहुाँचता है और अनभ
ु नू त र्ा तीर ददल तर्
पहुाँचता है। तो सर्र् प्रर्ाण एर् सेर्ण्ड र्ें अनभ
ु नू त र्रा लो - र्ही पर्
ु ार होगी। सन
ु ने-
सनु ाने र्े थर्े हुए आर्ेंगे। साइलेन्स र्ी शक्तत र्े साधनों द्िारा नजर से ननहाल र्र दें गे।
शभ
ु संर्ल्प से आत्र्ाओं र्े र्वर्थक संर्ल्पों र्ो सर्ाप्त र्र दें गे। शभ
ु भािना से बाप र्ी तरि
स्नेह र्ी भािना उत्पन्न र्रा लेंग।े ऐसे उन आत्र्ाओं र्ो शाक्न्त र्ी शक्तत से सन्तष्ठु ट
र्रें गे, तब आप चैतन्र् शाक्न्त दे ि आत्र्ाओं र्े आगे ‘शाक्न्त दे िा, शाक्न्त दे िा' र्ह र्रर्े
र्दहर्ा र्रें गे और र्ही अंनतर् संस्र्ार ले जाने र्े र्ारण द्िापर र्ें भतत आत्र्ा बन आपर्े
जड़ चचत्रों र्ी र्ह र्दहर्ा र्रें गे लेकर्न शाक्न्त र्ी शक्तत र्े र्हत्ि र्ो स्िर्ं जानो और सेिा
र्ें लगाओ।
साइलेन्स र्ी शक्तत से दहंसर् िक्ृ त्त िाले र्ो अदहंसर् बना सर्ते हो। जैसे स्थापना र्े आदद
र्े सर्र् र्ें दे खा - दहंसर् िक्ृ त्त िाले रूहानी शाक्न्त र्ी शक्तत र्े आगे पररितकन हो गर्े
ना। तो दहंसर् िक्ृ त्त र्ो शान्त बनाने िाली शाक्न्त र्ी शक्तत है। िाणी सुनने र्े ललए तैर्ार
ही नहीं होते। जब प्रर्ृनत र्ी शक्तत से गर्ी िा सदी र्ी लहर चारों ओर िैल सर्ती है तो
प्रर्ृनतपनत र्ी शाक्न्त र्ी लहर चारों ओर नहीं िैल सर्ती ? साइन्स र्े साधन भी गर्ी र्ो
सदी र्े िातािरण र्ें बदल सर्ते हैं तो रूहानी शक्तत रूहों र्ो नहीं बदल सर्ती ? तो पंजाब
िालों ने तर्ा सुना ? सभी र्ो िार्ब्रेशन आिे कर् र्ोई शाक्न्त र्ा पुंज, शाक्न्त र्ी कर्रणें दे
रहे हैं। ऐसी सेिा र्रने र्ा सर्र् पंजाब र्ो लर्ला है। िंतशन, प्रदशकनी आदद, िह तो र्रते
ही हो लेकर्न इस शक्तत र्ा अनुभि र्रो और र्राओ। लसिक अपने र्न र्ी एर्ाग्र
िक्ृ त्त, शक्ततशाली िक्ृ त्त चादहए। लाइट हाउस क्जतना शक्ततशाली होता है, उतना दरू तर्
लाइट दे सर्ता है।
आन्रा र्ें तूिान बहुत आते हैं ना। तूिानों र्ो शान्त र्रने र्े ललए भी शाक्न्त र्ी शक्तत
चादहए। तूिानों र्ें र्नुष्ठर् आत्र्ार्ें भटर् जाती हैं। तो भटर्ी हुई आत्र्ाओं र्ो शाक्न्त र्ा
दठर्ाना दे ना - र्ह विशेष सेिा है। अगर शरीर से भी भटर्ते हैं तो पहले र्न भटर्ता
है, किर शरीर भटर्ता है। र्न र्े दठर्ाने से शरीर र्े दठर्ाने र्े ललए भी बवु ि र्ार् र्रे गी।
अगर र्न र्ा दठर्ाना नहीं होता तो शरीर र्े साधनों र्े ललए भी बवु ि र्ार् नहीं र्रती।
इसललए, सबर्े र्न र्ो दठर्ाने पर लगाने र्े ललए इस शक्तत र्ो र्ार्क र्ें लगाओ। दोनों र्ो
ति
ू ानों से बचाना है। िहााँ दहंसा र्ा ति
ू ान है , िहााँ सर्र
ु र्ा ति
ू ान है। िहााँ र्वर्क्ततर्ों र्ा
है, िहााँ प्रर्ृनत र्ा है। लेकर्न है दोनों तरि ति
ू ान। ति
ू ान िालों र्ो शाक्न्त र्ा तोहिा दो।
तोहिा ति
ू ान र्ो बदल लेगा।

( 18-11-87 )

75
सदा अपने र्ो सिक शक्ततर्ों से सम्पन्न र्ास्टर सिकशक्ततिान आत्र्ार्ें अनुभि र्रते हो ?
बाप ने सिकशक्ततर्ों र्ा खज़ाना िसे र्ें दे ददर्ा। तो सिकशक्ततर्ााँ अपना िसाक अथाकत खज़ाना
हैं। अपना खज़ाना साथ रहता है ना। बाप ने ददर्ा बच्चों र्ा हो गर्ा। तो जो चीज़ अपनी
होती है िह स्ित: र्ाद रहती है। िह जो भी चीज़ें होती हैं , िह विनाशी होती हैं और र्ह िसाक
िा शक्ततर्ााँ अविनाशी हैं। आज िसाक लर्ला, र्ल सर्ाप्त हो जाए, ऐसा नहीं। आज खज़ाने
हैं, र्ल र्ोई जला दे , र्ोई लट
ू ले - ऐसा खज़ाना नहीं है। क्जतना खचो उतना बढ़ने िाला
है। क्जतना ज्ञान र्ा खज़ाना बााँटो उतना ही बढ़ता रहे गा। सिक साधन भी स्ित: ही प्राप्त होते
रहें गे। तो सदा र्े ललए िसे र्े अचधर्ारी बन गर्े - र्ह खुशी रहती है ना। िसाक भी कर्तना
श्रेष्ठठ है! र्ोई अप्राक्प्त नहीं, सिक प्राक्प्तर्ााँ हैं।

( 14-12-87 )

आज बापदादा ितन र्ें तीन प्रर्ार र्े बच्चों र्ो दे ख रहे थे। तीन प्रर्ार र्ौन-से दे खे ?
1. िणकन र्रने िाले, 2. र्नन र्रने िाले, 3. अनुभि र्ें र्ग्न रहने िाले। र्ह तीन प्रर्ार
र्े बच्चे दे श-विदे श र्े सभी बच्चों र्ें दे खे। िणकन र्रने िाले ब्राह्र्ण अनेर् दे खे , र्नन
र्रने िाले बीच र्ी संख्र्ा र्ें दे खे, अनुभि र्ें र्ग्न रहने िाले उससे भी र्र् संख्र्ा र्ें देखे।
िणकन र्रना अनत सहज है , तर्ोंकर् 63 जन्र्ों र्े संस्र्ार हैं। एर् सुनना, दस
ू रा जो सुना िह
िणकन र्रना - र्ह र्रते आर्े हो। भक्तत र्ागक है ही सुनना र्ा कर्तकन द्िारा, प्राथकना द्िारा
िणकन र्रना। साथ-साथ दे ह अलभर्ान र्ें आने र्े र्ारण र्वर्थक बोलना - र्ह पतर्े संस्र्ार
रहे हैं। जहााँ र्वर्थक बोल होता है िहााँ विस्तार स्ित: ही होता है। स्िचचन्तन अन्तर्ुकखी बनाता
है, परचचन्तन िणकन र्रने र्े विस्तार र्ें लाता है । तो िणकन र्रने र्े संस्र्ार अनेर् जन्र्ों
र्े होने र्े र्ारण ब्राह्र्ण जीिन र्ें भी अज्ञान से बदल ज्ञान र्ें तो आ जाते हैं। ज्ञान र्ो
िणकन र्रने र्ें जल्दी होलशर्ार हो जाते। िणकन र्रने िाले िणकन र्रने र्े सर्र् तर् खुशी
िा शक्तत अनुभि र्रते हैं लेकर्न सदार्ाल र्े ललए नहीं। र्ुख से ज्ञान-दाता र्ा िणकन र्रने
र्े र्ारण शक्तत और खुशी - र्ह ज्ञान र्ा प्रत्र्क्षिल प्राप्त हो जाता है लेकर्न
शक्ततशालीस्ि रूप, सदा खश
ु ी-स्िरूप नहीं बन सर्ते। किर भी ज्ञान-रत्न हैं और डार्रे तट
भगिानि
ु ाच है, इसललए र्थाशक्तत प्राक्प्त स्िरूप बन जाते हैं।
र्नन र्रने िाले सदा जो भी सन
ु ते हैं उनर्ो र्नन र्र स्िर्ं भी हर ज्ञान र्ी पाइंट र्ा
स्िरूप बनते हैं। र्नन शक्तत िाले गण
ु -स्िरूप, शक्तत-स्िरूप, ज्ञानस्ि रूप और र्ाद-स्िरूप
स्ित: ही बन जाते हैं। तर्ोंकर् र्नन र्रना अथाकत बवु ि द्िारा ज्ञान र्े भोजन र्ो हजर्
र्रना है। जैसे स्थल
ू भोजन अगर हजर् नहीं होता है तो शक्तत नहीं बनती है , लसिक र्ख
ु से
स्िाद तर् रह जाता है। ऐसे िणकन र्रने िालों र्ो भी लसिक र्ख
ु र्े िणकन तर् रह जाता।
लेकर्न िह बवु ि द्िारा र्नन शक्तत द्िारा धारण र्र शक्ततशाली बन जाते हैं। र्नन शक्तत
िाले सिक बातों र्े शक्ततशाली आत्र्ार्ें बनते हैं। र्नन र्रने िाले सदा स्िचचन्तन र्ें बबजी

76
रहने र्े र्ारण र्ार्ा र्े अनेर् विघ्नों से सहज र्त
ु त हो जाते हैं। तर्ोंकर् बुवि बबजी है। तो
र्ार्ा भी बबजी देख कर्नारा र्र लेती है। दस
ू री बात - र्नन र्रने से शक्ततशाली बनने र्े
र्ारण स्िक्स्थनत र्ोई भी पररक्स्थनत र्ें हार नहीं खखला सर्ती। तो र्नन शक्तत िाला
अन्तर्कख
ु ी सदा सख
ु ी रहता है। सर्र् प्रर्ाण शक्ततर्ों र्ो र्ार्क र्ें लगाने र्ी शक्तत होने र्े
र्ारण जहााँ शक्तत है िहााँ र्ार्ा से र्क्ु तत है। तो ऐसे बच्चे विजर्ी आत्र्ाओं र्ी ललस्ट र्ें
आते हैं।
तीसरे बच्चे - सदा सिक अनभ
ु िों र्ें र्ग्न रहने िाले। र्नन र्रना - र्ह सेर्ण्ड स्टे ज है
लेकर्न र्नन र्रते हुए र्ग्न रहना - र्ह िस्टक स्टे ज है। र्ग्न रहने िाले स्ित: ही ननविकघ्न
तो रहते ही हैं लेकर्न उससे भी ऊाँची विघ्न-विनाशर् क्स्थनत रहती है अथाकत ् स्िर्ं ननविकघ्न
बन औरों र्े भी विघ्नविनाशर् बन सहर्ोगी बनते हैं। अनुभि सबसे बड़ी ते बड़ी अथाटी है।
अनुभि र्ी अथाटी से बाप सर्ान र्ास्टर आलर्ाइटी अथाटी र्ी क्स्थनत र्ा अनुभि र्रते
हैं। र्ग्न अिस्था िाले अपने अनुभि र्े आधार से औरों र्ो ननविकघ्न बनाने र्े एग्जाम्पल
बनते हैं तर्ोंकर् र्र्ज़ोर आत्र्ार्ें उन्हों र्े अनुभि र्ो दे ख स्िर्ं भी दहम्र्त रखती
हैं, उत्साह र्ें आती हैं - हर् भी ऐसे बन सर्ते हैं। र्ग्न रहने िाली आत्र्ार्ें बाप सर्ान
होने र्े र्ारण स्ित: ही बेहद र्े िैराग िक्ृ त्त िाली, बेहद र्े सेिाधारी और बेहद र्े प्राक्प्त र्े
नशे र्ें रहने िाले सहज बन जाते हैं। र्ग्न रहने िाली आत्र्ार्ें सदा र्र्ाकतीत अथाकत
र्र्कबन्धन से न्र्ारी और सदा बाप र्ी प्र्ारी हैं।
र्ग्न आत्र्ा सदा तप्ृ त आत्र्ा, सन्तुष्ठट आत्र्ा, सम्पन्न आत्र्ा, सम्पूणकता र्े अनत सर्ीप
आत्र्ा है। सदा अनुभि र्ी अथाटी र्े र्ारण सहज र्ोगी, स्ित: र्ोगी, ऐसी श्रेष्ठठ
जीिन, न्र्ारी और प्र्ारी जीिन र्ा अनुभि र्रते हैं। उनर्े र्ुख से अनुभिी बोल होने र्े
र्ारण ददल र्ें सर्ा जाते हैं और िणकन र्रने िाले र्े बोल ददर्ाग तर् बैठते हैं। तो
सर्झा, िस्टक स्टे ज तर्ा है ? र्नन र्रने िाले भी विजर्ी हैं लेकर्न सहज और सदा र्ें
अन्तर है। र्ग्न रहने िाले सदा बाप र्ी र्ाद र्ें सर्ार्ें हुए होते हैं। तो अनुभि र्ो बढ़ाओ
लेकर्न पहले िणकन से र्नन र्ें आओ। र्नन-शक्तत, र्ग्न-क्स्थनत र्ो सहज प्राप्त र्रा लेती
है। र्नन र्रते-र्रते अनुभि स्ित: ही बढ़ता जार्ेगा। र्नन र्रने र्ा अभ्र्ास अनत
आिश्र्र् है। इसललए र्नन-शक्तत र्ो बढ़ाओ। सन
ु ना और सन
ु ाना तो अनत सहज है। र्नन-
शक्तत िाले, र्ग्न रहने िाले सदा पज्
ू र्; िणकन र्रने िाले लसिक गार्न र्ोग्र् होते हैं। तो
सदा अपने र्ो गार्न-पज
ू न र्ोग्र् बनाओ।

( 23-12-87 )

आज रत्नागर बाप अपने अर्ूल्र् रत्नों से लर्लने आर्े हैं कर् हर एर् श्रेष्ठठ आत्र्ा ने कर्तने
ज्ञान-रत्न जर्ा कर्र्े अथाकत जीिन र्ें धारण कर्र्े हैं ? एर्-एर् ज्ञान रत्न पद्मों से भी
ज्र्ादा र्ल्
ू र्िान है ! तो सोचो, आदद से अब तर् कर्तने ज्ञान रत्न लर्ले हैं ! रत्नागर बाप

77
ने हर एर् बच्चे र्ी बुवि रूपी झोली र्ें अनेर्ानेर् रत्न भर ददर्े हैं। सभी बच्चों र्ो एर्
साथ एर् क्जतने ही ज्ञान रत्न ददर्े हैं। लेकर्न र्ह ज्ञान-रत्न क्जतना स्ि-प्रनत ि अन्र्
आत्र्ाओं र्े प्रनत र्ार्क र्ें लगाते हैं, उतना र्ह रत्न बढ़ते जाते हैं। बापदादा दे ख रहे हैं -
बाप ने तो सबर्ो सर्ान ददर्े लेकर्न र्ोई बच्चों ने रत्नों र्ो बढ़ार्ा है और र्ोई ने रत्नों
र्ो बढ़ार्ा नहीं। र्ोई भरपरू है; र्ोई अखट
ु र्ालार्ाल है; र्ोई सर्र् प्रर्ाण र्ार्क र्ें लगा
रहे हैं, र्ोई सदा र्ार्क र्ें लगार्र एर् र्ा पद्मगण
ु ा बढ़ा रहे हैं; र्ोई क्जतना र्ार्क र्ें लगाना
चादहए उतना लगा नहीं सर्ते, इसललए रत्नों र्ी िैल्र्ू र्ो क्जतना सर्झना चादहए उतना
सर्झ नहीं रहे हैं। क्जतना लर्ला है िह बुवि र्ें धारण तो कर्र्ा लेकर्न र्ार्क र्ें लाने से जो
सुख, खुशी, शक्तत, शाक्न्त और ननविकघ्न क्स्थनत र्ी प्राक्प्त र्ी अनुभूनत होनी चादहए िह नहीं
र्र पाते हैं। इसर्ा र्ारण र्नन शक्तत र्ी र्र्ी है। तर्ोंकर् र्नन र्रना अथाकत जीिन र्ें
सर्ाना, धारण र्रना। र्नन न र्रना अथाकत लसिक बुवि तर् धारण र्रना। िह जीिन र्े
हर र्ार्क र्ें, हर र्र्क र्ें लगाते हैं - चाहे अपने प्रनत, चाहे अन्र् आत्र्ाओं र्े प्रनत और दस
ू रे
लसिक बुवि र्ें र्ाद रखते अथाकत बुवि से धारण र्रते हैं।
जैसे र्ोई भी स्थूल खज़ाने र्ो लसिक नतजोरी र्ें िा लॉर्र र्ें रख लो और सर्र् प्रर्ाण िा
सदा र्ार् र्ें नहीं लगाओ तो िह खुशी र्ी प्राक्प्त नहीं होती है, लसिक ददल र्ा ददलासा रहता
है कर् हर्ारे पास है। न बढ़े गा, न अनभ
ु ूनत होगी। ऐसे, ज्ञान रत्न अगर लसिक बुवि र्ें धारण
कर्र्ा, र्ाद रखा, र्ुख से िणकन कर्र्ा - पॉइन्ट बहुत अच्छी है , तो थोड़े सर्र् र्े ललए
अच्छी पॉइन्ट र्ा अच्छा नशा रहता है लेकर्न जीिन र्ें , हर र्र्क र्ें उन ज्ञान रत्नों र्ो
लाना है। तर्ोंकर् ‘ज्ञान रत्न भी हैं, ज्ञान रोशनी भी है, ज्ञान शक्तत भी है'। इसललए अगर
इसी विचध से र्र्क र्ें नहीं लार्ा तो बढ़ता नहीं है िा अनुभूनत नहीं होती है। ज्ञान पढ़ाई भी
है, ज्ञान लड़ाई र्े श्रेष्ठठ शस्त्र भी हैं। र्ह है ज्ञान र्ा र्ूल्र्। र्ूल्र् र्ो जानना अथाकत र्ार्क र्ें
लगाना और क्जतना-क्जतना र्ार्क र्ें लगाते हैं उतना शक्तत र्ा अनुभि र्रते जाते हैं। जैसे
शस्त्र र्ो सर्र् प्रर्ाण र्ूज नहीं र्रो तो िह शस्त्र बेर्ार हो जाता है अथाकत उसर्ी जो िैल्र्ू
है, िह उतनी नहीं रहती है। ज्ञान भी शस्त्र है , अगर र्ार्ाजीत बनने र्े सर्र् शस्त्र र्ो र्ार्क
र्ें नहीं लगार्ा तो जो िैल्र्ू है, उसर्ो र्र् र्र ददर्ा तर्ोंकर् लाभ नहीं ललर्ा। लाभ लेना
अथाकत िैल्र्ू रखना। ज्ञान रत्न सबर्े पास हैं तर्ोंकर् अचधर्ारी हो। लेकर्न भरपरू रहने र्ें
नम्बरिार हो। र्ल
ू र्ारण सन
ु ार्ा - र्नन शक्तत र्ी र्र्ी।
र्नन शक्तत बाप र्े खज़ाने र्ो अपना खज़ाना अनभ
ु ि र्राने र्ा आधार है। जैसे स्थल

भोजन हजर् होने से खन
ू बन जाता है। तर्ोंकर् भोजन अलग है, उसर्ो जब हजर् र्र लेते
हो तो िह खन
ू र्े रूप र्ें अपना बन जाता है। ऐसे र्नन शक्तत से बाप र्ा खज़ाना सो र्ेरा
खज़ाना - र्ह अपना अचधर्ार, अपना खज़ाना अनभ
ु ि होता है। बापदादा पहले भी सन
ु ाते रहे
हैं - ‘अपनी घोट तो नशा चढ़े ' अथाकत बाप र्े खज़ाने र्ो र्नन शक्तत से र्ार्क र्ें लगार्र
प्राक्प्तर्ों र्ी अनभ
ु नू त र्रो तो नशा चढ़े । सन
ु ने र्े सर्र् नशा रहता है लेकर्न सदा तर्ों नहीं
रहता ? इसर्ा र्ारण है कर् सदा र्नन शक्तत से अपना नहीं बनार्ा है। र्नन शक्तत अथाकत

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सागर र्े तले र्ें जार्र अन्तर्ुकखी बन हर ज्ञान-रत्न र्ी गुह्र्ता र्ें जाना। लसिक ररपीट नहीं
र्रना है लेकर्न हर एर् पॉइन्ट र्ा राज़ तर्ा है और हर पॉइन्ट र्ो कर्स सर्र्, कर्स विचध
से र्ार्क र्ें लगाना है और हर पॉइन्ट र्ो अन्र् आत्र्ाओं र्े प्रनत सेिा र्ें कर्स विचध से
र्ार्क र्ें लगाना है - र्ह चारों ही बातें हर एर् पॉइन्ट र्ो सन
ु र्र र्नन र्रो। साथ-साथ
र्नन र्रते प्रैक्तटर्ल र्ें उस राज़ र्े रस र्ें चले जाओ, नशे र्ी अनभ
ु नू त र्ें आओ। र्ार्ा
र्े लभन्न-लभन्न विघ्नों र्े सर्र् िा प्रर्ृनत र्े लभन्न-लभन्न पररक्स्थनतर्ों र्े सर्र् र्ार् र्ें
लगार्र दे खो कर् जो र्ैंने र्नन कर्र्ा कर् इस पररक्स्थनत र्े प्रर्ाण िा विघ्न र्े प्रर्ाण र्ह
ज्ञान रत्न र्ार्ाजीत बना सर्ते िा बनाने िाला है, िह प्रैक्तटर्ल हुआ अथाकत र्ार्ाजीत बने
? िा सोचा था र्ार्ाजीत बनेंगे लेकर्न र्ेहनत र्रनी पड़ी िा सर्र् र्वर्थक गर्ा ? इससे लसि
है कर् विचध र्थाथक नहीं थी, तब लसवि नहीं लर्ली। र्ूज र्रने र्ा तरीर्ा भी चादहर्े, अभ्र्ास
चादहए। जैसे साइन्स िाले भी बहुत पािरिुल बॉम्बस (शक्ततशाली गोले) ले जाते हैं। सर्झते
हैं - बस, इससे अब तो जीत लेंग।े लेकर्न र्ूज र्रने िाले र्ो र्ूज र्रने र्ा ढं ग नहीं आता
तो पािरिुल बॉम्ब होते भी र्हााँ-िहााँ ऐसे स्थान पर जार्र चगरता जो र्वर्थक चला जाता।
र्ारण तर्ा हुआ ? र्ूज र्रने र्ी विचध ठीर् नहीं। ऐसे, एर्-एर् ज्ञान-रत्न अनत अर्ूल्र् है।
ज्ञान रत्न िा ज्ञान र्ी शक्तत र्े आगे पररक्स्थनत िा विघ्न ठहर नहीं सर्ते। लेकर्न अगर
विजर् नहीं होती है तो सर्झो र्ूज र्रने र्ी विचध नहीं आती है। दस
ू री बात - र्नन शक्तत
र्ा अभ्र्ास सदा न र्रने से सर्र् पर बबना अभ्र्ास र्े अचानर् र्ार् र्ें लगाने र्ा प्रर्त्न
र्रते हो, इसललए धोखा खा लेते हो। र्ह अलबेलापन आ जाता है - ज्ञान तो बुवि र्ें है
ही, सर्र् पर र्ार् र्ें लगा लेंगे। लेकर्न सदा र्ा अभ्र्ास, बहुतर्ाल र्ा अभ्र्ास चादहए।
नहीं तो उस सर्र् सोचने िाले र्ो तर्ा टाइटल दें गे ? - र्ुम्भर्रण। उसने तर्ा अलबेलापन
कर्र्ा ? र्ही सोचा ना कर् आने दो, आर्ेंगे तो जीत लेंगे। तो ऐसा सोचना कर् सर्र् पर हो
जार्ेगा, र्ह अलबेलापन धोखा दे दे ता है। इसललए हर रोज र्नन शक्तत र्ो बढ़ाते जाओ।
ररिाइज र्ोसक र्ें िा अर्वर्तत, जो रोज सुनते हो, तो र्नन शक्तत र्ो बढ़ाने र्े ललए रोज
र्ोई-न-र्ोई एर् विशेष पॉइन्ट बुवि र्ें धारण र्रो और जो 4 बातें सुनाई, उस विचध से
अभ्र्ास र्रो। चलते-किरते, हर र्र्क र्रते - चाहे स्थूल र्र्क र्रते हो, चाहे सेिा र्ा र्र्क
र्रते हो लेकर्न सारा ददन र्नन चलता रहे । चाहे बबजनेस र्रते हो िा दफ्तर र्ा र्ार्
र्रते हो, चाहे सेिार्ेन्र र्ें सेिा र्रते हो लेकर्न क्जस सर्र् भी बवु ि थोड़ा फ्री हो तो अपने
र्नन शक्तत र्े अभ्र्ास र्ो बार-बार दौड़ाओ। र्ई र्ार् ऐसे होते हैं जो र्र्क र्र रहे
हैं, उसर्े साथ-साथ और भी सोच सर्ते हैं। बहुत थोड़ा सर्र् होता है जो ऐसा र्ार्क होता है
क्जसर्ें बवु ि र्ा िुल अटे न्शन दे ना होता है, नहीं तो डबल तरि बवु ि चलती रहती है। ऐसा
सर्र् अगर अपनी ददनचर्ाक र्ें नोट र्रो तो बीच-बीच र्ें बहुत सर्र् लर्लता है। र्नन
शक्तत र्े ललए विशेष सर्र् लर्ले तब अभ्र्ास र्रें गे - ऐसी र्ोई बात नहीं है। चलते-किरते
भी र्र सर्ते हो। अगर एर्ान्त र्ा सर्र् लर्लता है तो बहुत अच्छा है। और र्हीनता र्ें
जाए हर पॉइन्ट र्े स्पष्ठटीर्रण र्ें जाओ, विस्तार र्ें लाओ तो बहुत र्जा आर्ेगा। लेकर्न

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पहले पॉइन्ट र्े नशे र्ी क्स्थनत र्ें क्स्थत होर्े र्रना, किर बोर नहीं होंगे। नहीं तो लसिक
ररपीट र्र लेते हैं, किर र्हते - र्ह तो हो गर्ा, अब तर्ा र्रें ?
जैसे र्ई स्िदशकन-चक्र चलाने र्ें हंसाते हैं ना - चक्र तर्ा चलार्ें, 5 लर्नट र्ें चक्र परू ा हो
जाता है ! क्स्थनत र्ा अनभ
ु ि र्रने नहीं आता है तो लसिक ररपीट र्र लेते हैं -
सतर्ग
ु , त्रेता, द्िापर, र्ललर्ग
ु , इतने जन्र्, इतनी आर्ु, इतना सर्र् है...बस, परू ा हो गर्ा।
लेकर्न स्िदशकन चक्रधारी बनना अथाकत नॉलेजिुल, पािरिुल क्स्थनत र्ा अनभ
ु ि र्रना।
पॉइन्ट र्े नशे र्ें क्स्थत रहना, राज़ र्ें राज़र्त
ु त बनना - ऐसा अभ्र्ास हर पॉइन्ट र्ें र्रो।
र्ह तो एर् स्िदशकन चक्र र्ी बात सुनाई। ऐसे, हर ज्ञान र्ी पॉइन्ट र्ो र्नन र्रो और
बीचबीच र्ें अभ्र्ास र्रो। ऐसे नहीं लसिक आधा घण्टा र्नन कर्र्ा। सर्र् लर्ले और बुवि
र्नन र्े अभ्र्ास र्ें चली जाए। र्नन शक्तत से बुवि बबजी रहे गी तो स्ित: ही सहज
र्ार्ाजीत बन जार्ेंगे। बबजी दे ख र्ार्ा आपे ही कर्नारा र्र लेगी। र्ार्ा आर्े और र्ुि
र्रो, भगाओ; किर र्भी हार, र्भी जीत हो - र्ह चींटी र्ागक र्ा पुरूषाथक है। अब तो तीव्र
पुरूषाथक र्रने र्ा सर्र् है, उड़ने र्ा सर्र् है। इसललए र्नन शक्तत से बवु ि र्ो बबजी रखो।
इसी र्नन शक्तत से र्ाद र्ी शक्तत र्ें र्ग्न रहना - र्ह अनुभि सहज हो जार्ेगा। र्नन -
र्ार्ाजीत और र्वर्थक संर्ल्पों से भी र्ुतत र्र दे ता है। जहााँ र्वर्थक नहीं, विघ्न नहीं तो सर्थक
क्स्थनत िा लगन र्ें र्ग्न रहने र्ी क्स्थनत स्ित: ही हो जाती है।
र्ई सोचते हैं - बीजरूप क्स्थनत र्ा शक्ततशाली र्ाद र्ी क्स्थनत र्र् रहती है र्ा बहुत
अटे न्शन दे ने र्े बाद अनभ
ु ि होता है। इसर्ा र्ारण अगले बार भी सुनार्ा कर् लीर्ेज
है, बुवि र्ी शक्तत र्वर्थक र्े तरि बंट जाती है। र्भी र्वर्थक संर्ल्प चलेंगे, र्भी साधारण
संर्ल्प चलेंग।े जो र्ार् र्र रहे हैं उसी र्े संर्ल्प र्ें बवु ि र्ा बबजी रहना - इसर्ो र्हते हैं
साधारण संर्ल्प। र्ाद र्ी शक्तत र्ा र्नन शक्तत जो होनी चादहए िह नहीं होती और अपने
र्ो खुश र्र लेते कर् आज र्ोई पाप र्र्क नहीं हुआ, र्वर्थक नहीं चला, कर्सर्ो द:ु ख नहीं
ददर्ा। लेकर्न सर्थक संर्ल्प, सर्थक क्स्थनत, शक्ततशाली र्ाद रही ? अगर िह नहीं रही तो
इसर्ो र्हें गे साधारण संर्ल्प। र्र्क कर्र्ा लेकर्न र्र्क और र्ोग साथ-साथ नहीं रहा। र्र्क
र्ताक बने लेकर्न र्र्कर्ोगी नहीं बने। इसललए र्र्क र्रते भी, र्ा र्नन शक्तत र्ा र्ग्न
क्स्थनत र्ी शक्तत, दोनों र्ें से एर् र्ी अनभ
ु नू त सदा रहनी चादहए। र्ह दोनों क्स्थनतर्ााँ
शक्ततशाली सेिा र्राने र्े आधार हैं। र्नन र्रने िाले, अभ्र्ास होने र्े र्ारण क्जस सर्र्
जो क्स्थनत बनाने चाहें िह बना सर्ेंगे। ललंर् रहने से लीर्ेज खत्र् हो जार्ेगी और क्जस
सर्र् जो अनभ
ु नू त - चाहे बीजरूप क्स्थनत र्ी, चाहे िररश्ते रूप र्ी, जो र्रना चाहो िह
सहज र्र सर्ेंगे। तर्ोंकर् जब ज्ञान र्ी स्र्नृ त है तो ज्ञान र्े लसर्रण से ज्ञानदाता स्ित: ही
र्ाद रहता। तो सर्झा, र्नन र्ैसे र्रना है ? र्ार्ा र्े विघ्नों से सदा विजर्ी बनना िा
सदा सेिा र्ें सिलता र्ा अनुभि र्रना, इसर्ा आधार ‘र्नन शक्तत' है।

( 10-01-88 )

80
ब्रह्र्ा ही आदद र्र्ाकतीत िररश्ता बनता है। ब्रह्र्ा सो िररश्ता और िररश्ता सो दे िता -
सबर्ें नम्बरिन। ऐसा नम्बरिन तर्ों बनें ? कर्स विचध से नम्बरिन लसवि र्ो प्राप्त कर्र्ा
? आप सभी ब्राह्र्ण आत्र्ाओं र्ो ब्रह्र्ा र्ो ही िालो र्रना है। तर्ा िालो र्रना है
? इसर्ा पहला र्दर् - ‘‘सर्पकणता'', र्ह तो पहले सन
ु ार्ा है। पहले र्दर् र्ें भी सब रूप से
सर्पकण बनर्े ददखार्ा। दस ू रा र्दर् - ‘‘सहनशीलता''। जब सर्पकण हुए तो बाप से सिक श्रेष्ठठ
िसाक तो लर्ला लेकर्न दनु नर्ा िालों से तर्ा लर्ला ? सबसे ज्र्ादा गाललर्ों र्ी िषाक कर्स पर
हुई ? चाहे आप आत्र्ाओं र्ो भी गाललर्ााँ लर्ली र्ा अत्र्ाचार हुए लेकर्न ज्र्ादा क्रोध िा
गुस्सा ब्रह्र्ा र्ो ही लर्लता रहा। लौकर्र् जीिन र्ें जो र्भी एर् अपशब्द भी नहीं सुना
लेकर्न ब्रह्र्ा बना तो अपशब्द सुनने र्ें भी नम्बरिन रहा। सबसे ज्र्ादा सिक र्े स्नेही
जीिन र्वर्तीत र्ी लेकर्न क्जतना ही लौकर्र् जीिन र्ें सिक र्े स्नेही रहे , उतना ही
अलौकर्र् जीिन र्ें सिक र्े दश्ु र्न रूप र्ें बने। बच्चों र्े ऊपर अत्र्ाचार हुआ तो स्ित: ही
इन्डार्रे तट बाप र्े ऊपर अत्र्ाचार हुए। लेकर्न सहनशीलता र्े गुण से िा सहनशीलता र्ी
धारणा से र्ुस्र्राते रहे , र्भी र्ुरझार्े नहीं।
र्ोई प्रशंसा र्रे और र्ुस्र्रार्े - इसर्ो सहनशीलता नहीं र्हते। लेकर्न दश्ु र्न बन, क्रोचधत
हो अपशब्दों र्ी िषाक र्रे , ऐसे सर्र् पर भी सदा र्ुस्र्राते रहना, संर्ल्पर्ात्र भी र्ुरझाने
र्ा चचह्न चेहरे पर न हो। इसर्ो र्हा जाता है - सहनशील। दश्ु र्न आत्र्ा र्ो भी रहर्ददल
भािना से देखना, बोलना, सम्पर्क र्ें आना। इसर्ो र्हते हैं सहनशीलता। स्थापना र्े र्ार्क
र्ें, सेिा र्े र्ार्क र्ें र्भी छोटे , र्भी बड़े तूिान आर्े। जैसे र्ादगार शास्त्रों र्ें र्हािीर
हनुर्ान र्े ललए ददखाते हैं कर् इतना बड़ा पहाड़ भी हथेली पर एर् गें द र्े सर्ान ले आर्ा।
ऐसे, कर्तनी भी बड़ी पहाड़ सर्ान सर्स्र्ा हो, तूिान हो, विघ्न हो लेकर्न पहाड़ अथाकत बड़ी
बात र्ो छोटा-सा खखलौना बनाए खेल र्ी रीनत से सदा पार कर्र्ा िा बड़ी भारी बात र्ो सदा
हल्र्ा बनाए स्िर्ं भी हल्र्े रहे और दस
ू रों र्ो भी हल्र्ा बनार्ा। इसर्ो र्हते हैं -
सहनशीलता। छोटे से पत्थर र्ो पहाड़ नहीं लेकर्न पहाड़ र्ो गें द बनार्ा। विस्तार र्ो सार र्ें
लाना, र्ह है सहनशीलता। विघ्नों र्ो, सर्स्र्ा र्ो अपने र्न र्ें िा दस
ू रों र्ो आगे विस्तार
र्रना अथाकत पहाड़ बनाना है। लेकर्न विस्तार र्ें न जार्े, ‘नचथंग न्र्ू' र्े िुल स्टाप से
बबन्दी लगाए बबन्दी बन आगे बढ़े - इसर्ो र्हते हैं विस्तार र्ो सार र्ें लाना। सहनशील
श्रेष्ठठ आत्र्ा सदा ज्ञान-र्ोग र्े सार र्ें क्स्थत हो ऐसे विस्तार र्ो, सर्स्र्ा र्ो, विघ्नों र्ो
भी सार र्ें ले आती है जैसे ब्रह्र्ा बाप ने कर्र्ा। जैसे लम्बा रास्ता पार र्रने र्ें
सर्र्, शक्ततर्ााँ सर्ाप्त हो जाती अथाकत ् ज्र्ादा र्ज
ू होतीं। ऐसे ‘विस्तार' है लम्बा रास्ता
पार र्रना और ‘सार' है शाटक र्ट रास्ता पार र्रना। पार दोनों ही र्रते हैं लेकर्न शाटक र्ट
र्रने िाले सर्र् और शक्ततर्ों र्ी बचत होने र्ारण ननराश नहीं होते , ददललशर्स्त नहीं
होते, सदा र्ौज र्ें र्ुस्र्राते पार र्रते हैं। इसर्ो र्हा जाता है - सहनशीलता।
सहनशीलता र्ी शक्तत िाला र्भी घबरार्ेगा नहीं कर् तर्ा ऐसा भी होता है तर्ा ! सदा
सम्पन्न होने र्ारण ज्ञान र्ी, र्ाद र्ी गहराई र्ें जार्ेगा। घबराने िाला र्भी गहराई र्ें नहीं

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जा सर्ता। सार िाला सदा भरपूर होता है, इसललए भरपूर, सम्पन्न चीज़ र्ी गहराई होती
है। विस्तार िाला खाली होता है , इसललए खाली चीज़ सदा उछलती रहती है। तो विस्तार
िाला र्ह तर्ों, र्ह तर्ा, ऐसा नहीं िैसा, ऐसा होना नहीं चादहए... ऐसे संर्ल्पों र्ें भी
उछलता रहे गा और िाणी र्ें भी सबर्े आगे उछलता रहे गा। और जो हद से ज्र्ादा उछलता
है तो तर्ा होगा ? हााँिता रहे गा। स्िर्ं ही उछलता, स्िर्ं ही हााँिता और स्िर्ं ही किर
थर्ता। सहनशील इन सब बातों से बच जाता है। इसललए सदा र्ौज र्ें रहता, उछलता
नहीं, उड़ता है।
दस
ू रा र्दर् - सहनशीलता। र्ह ब्रह्र्ा बाप ने चल र्रर्े ददखार्ा। सदा अटल, अचल, सहज
स्िरूप र्ें र्ौज से रहे , र्ेहनत से नहीं। इसर्ा अनुभि 14 िषक तपस्र्ा र्रने िाले बच्चों ने
कर्र्ा। 14 िषक र्हसूस हुए र्ा र्ुछ घडड़र्ााँ लगीं ? र्ौज से रहे र्ा र्ेहनत लगी ? िैसे
स्थूल र्ेहनत र्ा पेपर भी खूब ललर्ा। र्हााँ नाज़ से पलने िाले और र्हााँ गोबर र्े गोले भी
बनिार्े, र्ैर्ेननर् (mechanic) भी बनार्ा। चप्पल भी लसलिाई! र्ोची भी बनार्ा ना। र्ाली
भी बनार्ा। लेकर्न र्ेहनत लगी र्ा र्ौज लगी ? सब र्ुछ पार कर्र्ा लेकर्न सदा र्ौज र्ी
जीिन र्ा अनुभि रहा। जो र्ूाँझे, िह भाग गर्े और जो र्ौज र्ें रहे िह अनेर्ों र्ो र्ौज र्ी
जीिन र्ा अनुभि र्रा रहे हैं। अभी भी अगर िही 14 िषक ररपीट र्रें तो पसन्द है ना।
अभी तो सेन्टर पर अगर थोड़ा-सा स्थूल र्ार् भी र्रना पड़ता तो सोचते हैं - इसीललए
संन्र्ास कर्र्ा, तर्ा हर् इस र्ार् र्े ललए हैं ? र्ौज से जीिन जीना - इसर्ो ही ब्राह्र्ण
जीिन र्हा जाता है। चाहे स्थूल साधारण र्ार् हो, चाहे हजारों र्ी सभा बीच स्टे ज पर
स्पीच र्रनी हो - दोनों र्ौज से र्रें । इसर्ो र्हा जाता - र्ौज र्ी जीिन जीना। र्ूाँझे नहीं -
हर्ने तो सर्झा नहीं था कर् सरे न्डर होना अथाकत र्ह सब र्रना होगा, र्ैं तो टीचर बनर्र
आई हूाँ, स्थूल र्ार् र्रने र्े ललए थोड़े ही संन्र्ास कर्र्ा है, तर्ा र्ही ब्रह्र्ार्ुर्ारी जीिन
होती है ? इसर्ो र्हते हैं - र्ूाँझने िाली जीिन।
ब्रह्र्ार्ुर्ारी बनना अथाकत ददल र्ी र्ौज र्ें रहना, न कर् स्थूल र्ौजों र्ें रहना। ददल र्ी
र्ौज से कर्सी भी पररक्स्थनत र्ें , कर्सी भी र्ार्क र्ें र्ूाँझने र्ो र्ौज र्ें बदल दें गे और ददल
र्े र्ूाँझने िाले, श्रेष्ठठ साधन होते भी, स्पष्ठट बात होते भी सदा स्िर्ं र्ूाँझे हुए होने र्े र्ारण
स्पष्ठट बात र्ो भी र्ाँझ ू ा दे गा, अच्छे साधन होते हुए भी साधनों से र्ौज नहीं ले सर्ेंगे। र्ह
र्ैसे होगा, ऐसा नहीं ऐसा होगा - इसर्ें खद
ु भी र्ाँझ
ू ेगा, दस
ू रे र्ो भी र्झ
ाँू ा दे गा। जैसे र्हते
हैं ना - ‘सत
ू र्झ
ाँू जाता है तो र्क्ु श्र्ल ही सध
ु रता है।' अच्छी बात र्ें भी र्झ
ाँू ेगा तो घबराने
िाली बात र्ें भी र्ाँझ
ू ेगा। तर्ोंकर् िक्ृ त्त र्ाँझ
ू ी हुई है, र्न र्ाँझ
ू ा हुआ है तो स्ित: ही िक्ृ त्त
र्ा प्रभाि दृक्ष्ठट पर और दृक्ष्ठट र्े र्ारण सक्ृ ष्ठट भी र्ाँझ
ू ी हुई ददखाई दे गी। ब्रह्र्ार्ुर्ारी
जीिन अथाकत ब्रह्र्ा बाप सर्ान र्ौज र्ी जीिन। लेकर्न इसर्ा आधार है ‘सहनशीलता'। तो
सहनशीलता र्ी इतनी विशेषता है ! इसी विशेषता र्े र्ारण ब्रह्र्ा बाप सदा अटल, अचल
रहे ।

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दो प्रर्ार र्े सहनशीलता र्े पेपर सुनार्े। पहला पेपर - लोगों द्िारा अपशब्द िा अत्र्ाचार।
दस
ू रा - र्ज्ञ र्ी स्थापना र्ें लभन्न-लभन्न आर्े हुए विघ्न। तीसरा - र्ई ब्राह्र्ण बच्चों
द्िारा भी ट्रे टर होना िा छोटी-र्ोटी बातों र्ें असन्तष्ठु टता र्ा सार्ना र्रना। लेकर्न इसर्ें भी
सदा असन्तष्ठु ट र्ो सन्तष्ठु ट र्रने र्ी भािना से परिश सर्झ सदा र्ल्र्ाण र्ी भािना
से, सहनशीलता र्ी साइलेन्स पािर से हर एर् र्ो आगे बढ़ार्ा। सार्ना र्रने िाले र्ो भी
र्धरु ता और शभ
ु भािना, शभ
ु र्ार्ना से सहनशीलता र्ा पाठ पढ़ार्ा। जो आज सार्ना
र्रता और र्ल क्षर्ा र्ांगता, उनर्े र्ख
ु से भी र्ही बोल ननर्लते - ‘बाबा तो बाबा
है!' इसर्ो र्हा जाता है सहनशीलता द्िारा िेल र्ो भी पास बनाए विघ्न र्ो पास र्रना।

( 30-01-88 )

‘सदा अपने र्ो सिकशक्ततिान बाप र्ी शक्ततशाली आत्र्ा हूाँ' - ऐसा अनभ ु ि र्रते हो
? शक्ततशाली आत्र्ा सदा स्िर्ं भी सन्तष्ठु ट रहती है और दस
ू रों र्ो भी सन्तष्ठु ट र्रती है।
ऐसे शक्ततशाली हो ? सन्तष्ठु टता ही र्हानता है। शक्ततशाली आत्र्ा अथाकत सन्तष्ठु टता र्े
खज़ाने से भरपरू आत्र्ा। इसी स्र्नृ त से सदा आगे बढ़ते चलो। र्ही खज़ाना सिक र्ो भरपरू
र्रने िाला है।

( 27-03-88 )

सभी शाक्न्त र्ी शक्तत र्े अनुभिी बन गर्े हो ना ! शाक्न्त र्ी शक्तत बहुत सहज स्ि र्ो
भी पररितकन र्रती और दस
ू रों र्ो भी पररितकन र्रती है। र्ाद र्े बल से विश्ि र्ो पररितकन
र्रते हो। र्ाद तर्ा है ? शाक्न्त र्ी शक्तत है ना ! इससे र्वर्क्तत भी बदल जार्ेंगे तो प्रर्ृनत
भी बदल जार्ेगी। इतनी शाक्न्त र्ी शक्तत अपने र्ें जर्ा र्ी है ? र्वर्क्ततर्ों र्ो तो बदलना
है ही लेकर्न साथ र्ें प्रर्ृनत र्ो भी बदलना है। प्रर्ृनत र्ो र्ुख र्ा र्ोसक तो नहीं र्रार्ेंगे ना
! र्वर्क्ततर्ों र्ो तो र्ोसक र्रा दे ते हो लेकर्न प्रर्ृनत र्ो र्ैसे बदलेंगे ? िाणी से र्ा शाक्न्त
र्ी शक्तत से ? र्ोगबल से बदलेंगे ना। तो र्ोग र्ें जब बैठते हो तो तर्ा अनभ
ु ि र्रते हो
? शाक्न्त र्ा। संर्ल्प भी जब शान्त हो जाते हैं, एर् ही संर्ल्प - ‘‘बाप और आप'', इसी
र्ो ही र्ोग र्हते हैं। अगर और भी संर्ल्प चलते रहें गे तो उसर्ो र्ोग नहीं र्हें गे , ज्ञान र्ा
र्नन र्हें गे। तो जब पािरिुल र्ोग र्ें बैठते हो तो संर्ल्प भी शान्त हो जाते हैं, लसिाए
एर् बाप और आप। बाप र्े लर्लन र्ी अनभ
ु ूनत र्े लसिाए और सब संर्ल्प सर्ा जाते हैं -
ऐसे अनुभि है ना ? सर्ाने र्ी शक्तत है ना र्ा विस्तार र्रने र्ी शक्तत ज्र्ादा है ? र्ई
ऐसे र्हते हैं ना - कर् जब र्ाद र्ें बैठते हैं तो और-और संर्ल्प बहुत चलते हैं, इसर्ो तर्ा
र्हें गे ? सर्ाने र्ी शक्तत र्र् और विस्तार र्रने र्ी शक्तत ज्र्ादा। लेकर्न दोनों शक्तत
चादहए। जब चाहें , जैसे चाहें , विस्तार र्ें आने चाहें विस्तार र्ें आर्ें और सर्ेटना चाहें तो

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सर्ाने र्ी शक्तत सेर्ण्ड र्ें र्ूज र्र सर्ें, इसर्ो र्हते हैं - ‘र्ास्टर सिकशक्ततिान'। तो
इतनी शक्तत है र्ा आडकर र्रो सर्ेटने र्ी शक्तत र्ो और र्ार् र्रे विस्तार र्ी शक्तत !
स्टाप र्हा और स्टाप हो जाए। िुल ब्रेर् लगे, ढीली ब्रेर् नहीं। अगर ब्रेर् ढीली होती है तो
लगाते हैं र्हााँ और लगेगी र्हााँ ? तो ब्रेर् पािरिुल हो। र्ण्ट्रोललंग पािर हो। चेर् र्रो -
कर्तने सर्र् र्े बाद ब्रेर् लगता है ? 5 लर्नट र्े बाद र्ा 10 लर्नट र्े बाद। िुलस्टाप तो
सेर्ण्ड र्ें लगना चादहए ना ! अगर सेर्ण्ड र्े लसिाए ज्र्ादा सर्र् लग जाता है तो सर्ाने
र्ी शक्तत र्र्ज़ोर है। बहुत जन्र् विस्तार र्ें जाने र्ी आदत पड़ी हुई है। इसललए विस्तार
र्ें बहुत जल्दी चले जाते हैं लेकर्न ब्रेर् लगाने िा सर्ेटने र्ें टाइर् लग जाता है। तो टाइर्
नहीं लगना चादहए। तर्ोंकर् बापदादा ने सन ु ार्ा है - लास्ट र्ें िाइनल पेपर र्ा तिेश्चन ही
र्ह होगा - सेर्ण्ड र्ें िुलस्टाप, र्ही तिेश्चन आर्ेगा। इसी र्ें ही नम्बर लर्लेंगे।

( 15-11-89 )

सदा ही अपने र्ो ‘शक्ततशाली' आत्र्ार्ें हैं - इस अनुभूनत र्ें रहो। शक्ततशाली आत्र्ाओं र्े
आगे चाहे र्ार्ा र्े विघ्न हों, चाहे र्वर्क्तत द्िारा िा प्रर्ृनत द्िारा विघ्न आर्ें लेकर्न अपना
प्रभाि नहीं डाल सर्ते हैं। तो ऐसे र्ास्टर सिकशक्ततिान बने हो र्ा र्र्ज़ोर हो ? अगर एर्
भी शक्तत र्ी र्र्ी होगी तो हार हो सर्ती है। सर्र् पर छोटा-सा शस्त्र भी अगर कर्सर्े
पास नहीं है तो नुर्सान हो जाता है। एर् भी शक्तत र्र् होगी तो सर्र् पर धोखा लर्ल
सर्ता है। इसललए र्ास्टर सिकशक्ततिान हैं - शक्ततिान नहीं, र्ही टाइटल र्ाद रखना। सदा
खुशहाल रहना और औरों र्ो भी खुशहाल बनाना। र्भी भी र्ुरझाना नहीं। तन भी खुश, र्न
भी खुश और धन भी खुशी से र्र्ाने िाले और खुशी से र्ार्क र्ें लगाने िाले। जहााँ खुशी है
िहां एर् सौ भी हजारों र्े सर्ान होता है , खुशहाली आ जाती है। और जहााँ खुशी नहीं िहााँ
एर् लाख भी एर् रूपर्ा है। तो तन-र्न-धन से खश
ु हाल रहने िाले हैं। दाल-रोटी भी -
36 प्रर्ार र्ा भोजन अनभ
ु ि हो। तो र्ही िरदान र्ाद रखना कर् हर् सदा खश
ु हाल रहने
िाले हैं। र्रु झाना र्ार् र्ार्ा र्े साचथर्ों र्ा है और खश
ु हाल रहना र्ार् बाप र्े बच्चों र्ा
है।

( 19-11-89 )

सदा ननश्चर् है कर् र्ैं र्ास्टर सिकशक्ततिान हूाँ। कर्तना भी र्ार्ा दहलार्े, दहलते तो नहीं
? र्ोई र्ार्ा से डरता तो नहीं ? सभी बहादरु हो र्ा सोचते हो र्ार्ा र्ो आना नहीं चादहए
? आधार्ल्प र्ार्ा र्े साथी रहे हो और अभी आने नहीं दे ते। तर्ोंकर् अभी जान गर्े हो कर्
र्ह बड़े-ते-बड़ा दश्ु र्न है। पहले तो र्ालर्
ू नहीं था कर् र्ार्ा तर्ा है। र्ार्ाजीत बनने र्ा
अथक ही है - ननश्चर्बुवि विजर्ी। तो हर र्र्क र्रने र्े पहले ननश्चर् पतर्ा हो। िैसे भी

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दे खो, अगर र्ोई तार्त िाला, बहादरु नहीं होता है तो र्ोई भी र्ार् र्रने से पहले र्र्ज़ोरी
र्ा संर्ल्प र्रता है - र्र सर्ेंगे, नहीं र्र सर्ेंगे, होगा र्ा नहीं होगा ? तार्त िाले र्ो र्ह
संशर् नहीं उठ सर्ता। उसे र्हो र्ह भारी चीज़ उठाओ तो जल्दी उठा लेगा और र्र्ज़ोर
र्ो र्हो तो सोचेगा। तो ऐसे सोच चलता है कर् र्ह र्ार् तो बदढ़र्ा है लेकर्न होगा र्ा नहीं
होगा ? र्ार्ा र्े अनेर् स्िरूपों र्ो जान गर्े। नॉलेजिुल बन गर्े हो ना। र्ार्ा भी लभन्न-
लभन्न रूप से आती है। िह भी जानती है कर् इस रूप से र्झ
ु े जान जार्ेंग।े तो नर्ा-नर्ा
रूप धारण र्रती है। किर र्हते हैं - र्झ
ु े तो र्ह पता ही नहीं था, ऐसे भी होता है तर्ा !
लेकर्न नॉलेजिुल र्भी सोच नहीं सर्ता, िह जानता है। तो सभी ननश्चर्बुवि विजर् हो !
विजर् जन्र्लसि अचधर्ार है। जन्र्लसि अचधर्ार र्ोई छीन नहीं सर्ता।

( 21-12-89 )

तीि पुरुषाथी अथाकत िस्टक डडिीजन िाले और पुरुषाथी अथाकत सेर्ण्ड डडिीजन र्ें पास होने
िाले । आज विशेष सभी र्ा चाटक चेर् कर्र्ा। र्ारण बहुत है लेकर्न विशेष दो र्ारण है ।
चाहना सबर्ी िस्टक डडिीजन र्ी है , सेर्ण्ड डडिीजन र्ें आना र्ोई नहीं चाहता। लेकर्न
लक्ष्र् और लक्षण, दोनों र्ें अंतर पड़ जाता है। विशेष दो र्ारण तर्ा दे खें ? एर् - संर्ल्प
शक्तत जो सबसे श्रेष्ठठ शक्तत है उसर्ो र्थाथक रीनत स्िर्ं प्रनत िा सेिा प्रनत सर्र् प्रर्ाण
र्ार्क र्ें लगाने र्ी र्थाथक रीनत नहीं है । दस
ू िा र्ािर् - िाणी र्ी शक्तत र्ो र्थाथक
रीनत, सर्थक रीनत से र्ार्क र्ें लगाने र्ी र्र्ी। इन दोनों र्ें र्र्ी र्ा र्ारण है - र्ूज़ र्े
बजार् लूज़। शब्दो र्ें अंतर थोड़ा है लेकर्न पररणार् र्ें बहुत अंतर पड़ जाता है। बापदादा ने
लसिक ३-४ ददन र्ी ररजल्ट दे खी, टोटल ररजल्ट नहीं दे खी । हर एर् र्ी ३-४ ददन र्ी ररजल्ट
र्ें तर्ा देखा? ५०% अथाकत आधा-आधा। संर्ल्प और बोल र्ें दोनों शक्ततर्ों र्े जर्ा र्ा
खाता ५०% आत्र्ाओं र्ा ठीर् था लेकर्न बबल्र्ुल ठीर् नहीं र्ह रहे है और ५०% आत्र्ाओं
र्ा जर्ा र्ा खाता ४०% और र्वर्थक िा साधारण र्ा खाता ६०% दे खा। तो सोचो जर्ा
कर्तना हुआ !
साइलेन्स र्ी शक्तत र्ो अच्छी तरह से जानते हो ? साइलेन्स र्ी शक्तत सेर्ण्ड र्ें अपने
स्िीट होर्, शाक्न्तधार् र्ें पहुाँचा दे ती है । साइंस िाले तो और िास्ट गनत िाले र्ंत्र
ननर्ालने र्ा प्रर्त्न र्र रहे हैं । लेकर्न आपर्ा र्ंत्र कर्तनी तीव्रगनत र्ा है ! सोचा और
पहुंचा! ऐसा र्ंत्र साइंस र्ें है जो इतना दरू बबना खचक र्े पहुाँच जाएाँ ? िो तो एर्-एर् र्ंत्र
बनाने र्ें कर्तना खचाक र्रते है , कर्तना सर्र् और कर्तनी एनजी लगाते हैं, आपने तर्ा
कर्र्ा ? बबना खचे लर्ल गर्ा। 'र्ह संर्ल्प र्ी शक्तत सबसे िास्ट है । ' आपर्ो शभ

संर्ल्प र्ा र्ंत्र लर्ला है , ददर्वर् बुवि लर्ली हैं । शि
ु र्न और ददर्वर् बवु ि से पहुाँच जाते हो ।
जब चाहो तब लौट आओ, जब चाहो तब चले जाओ । साइंस िालों र्ो तो र्ौसर् भी दे खनी
पड़ती हैं । आपर्ो तो िह भी नहीं दे खना पड़ता कर् आज बादल हैं , नहीं जा सर्ेंगे।

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आजर्ल दे खो - बादल तो तर्ा थोड़ी-सी िोगी भी होती है तो भी प्लेन नहीं जा सर्ता। और
आपर्ा विर्ान एिररे डी हैं र्ा र्भी िोगी आती है ? एिररे डी हैं ? सेर्ंड र्ें जा सर्ते हैं -
ऐसी तीव्रगनत है ? र्ार्ा र्भी रुर्ािट तो नहीं डालती है ? र्ास्टर सिकशक्ततिान र्ो र्ोई
रोर् नहीं सर्ता। जहााँ सिकशक्ततर्ॉ है िहााँ र्ौन रोर्ेगा । र्ोई भी शक्तत र्ी र्र्ी होती है
तो सर्र् धोखा लर्ल सर्ता है । र्ानो सहनशक्तत आप र्ें है लेकर्न ननणकर् र्रने र्ी
शक्तत र्र्ज़ोर है, तो जब ऐसी र्ोई पररक्स्थनत आर्ेगी क्जसर्ें ननणकर् र्रना हो, उस सर्र्
नर्
ु सान हो जार्ेगा। होती एर् ही घड़ी ननणकर् र्रने र्ी है – हााँ र्ा ना, लेकर्न उसर्ा
पररणार् कर्तना बड़ा होता है ! तो सब शक्ततर्ााँ अपने पास चेर् र्रो। ऐसे नहीं ठीर् है ,
चल रहे हैं र्ोग तो लगा रहे है। लेकर्न र्ोग से जो प्राक्प्तर्ााँ है - िह सब है ? र्ा थोड़े र्ें
खुश हो गर्े कर् बाप दो अपना हो गर्ा। बाप तो अपना है लेकर्न प्रॉपटी(िसाक) भी अपनी है
ना र्ा लसिक बाप र्ो पा ललर्ा - ठीर् है ? िसक र्े र्ाललर् बनना है ना ? बाप र्ी प्रापटी है
'सिकशक्ततर्ॉ' इसललए बाप र्ी र्दहर्ा ही है सिकशक्ततिान आलर्ाइटी अथाटी। ' सिकशक्ततर्ो
र्ा स्टॉर् जर्ा है ? र्ा इतना ही हें - र्र्ार्ा और खार्ा, बस ! बापदादा ने सुनार्ा है कर्
आगे चलर्र आप र्ास्टर सिकशक्ततिान र्े पास सब लभखारी बनर्र आर्ेंगे। पैसे र्ा अनाज
र्े लभखारी नहीं लेकर्न ‘शक्ततर्ों’ र्े लभखारी आएंगे। तो जब स्टार् होगा तब तो दें गे ना!
दान िही दे सर्ता क्जसर्े पास अपने से ज्र्ादा है । अगर अपने क्जतना ही होगा तो दान
तर्ा र्रें गे ? तो इतना जर्ा र्रो। संगर् पर और र्ार् ही तर्ा है ? जर्ा र्रने र्ा ही
र्ार् लर्ला है। सारे र्ल्प र्ें और र्ोई र्ुग नहीं है क्जसर्ें जर्ा र्र सर्ो। किर तो खचक
र्रना पड़ेगा, जर्ा नहीं र्र सर्ेंगे। तो जर्ा र्े सर्र् अगर जर्ा नहीं तो अन्त र्ें तर्ा
र्हना पड़ेगा - '' अब नहीं तो र्ब नहीं '' किर टू लेट र्ा बोडक लग जार्ेगा। अभी तो लेट
र्ा बोडक है, टू लेट र्ा नहीं।

( 14-01-90 )

आज बच्चों र्े स्नेही बापदादा हर एर् बच्चे र्ो विशेष दो बातों र्ें चेर् र्र रहे थे। स्नेह र्ा
प्रत्र्क्ष स्िरुप बच्चों र्ो सम्पन्न और सम्पण
ू क बनाना है। हर एर् र्ें रूललंग पािर और
र्ंट्रोललंग पािर र्हााँ तर् आई है - आज र्ह दे ख रहे थे। जैसे आत्र्ा र्ी स्थल
ू र्र्ेंक्न्रर्ााँ
आत्र्ा र्े र्ंट्रोल से चलती है , जब चाहे , जैसे चाहे और जहााँ चाहे िैसे चला सर्ते हैं और
चलाते रहते हैं। र्ंट्रोललंग पािर भी है। जैसे हाथ-पांि स्थल
ू शक्ततर्ााँ हैं ऐसे र्न-बवु ि संस्र्ार
आत्र्ा र्ी सक्ष्
ू र् शक्ततर्ााँ हैं। सक्ष्
ू र् शक्ततर्ों र्े ऊपर र्ंट्रोल र्रने र्ी पािर अथाकत र्न-
बवु ि र्ो, संस्र्ारों र्ो जब चाहें , जहााँ चाहे , जैसे चाहें , क्जतना सर्र् चाहें - ऐसे र्ंट्रोललंग
पािर, रूललंग पािर आई है ? तर्ोंकर् इस ब्राह्र्ण जीिन र्ें र्ास्टर आलर्ाइटी अथॉररटी
बनते हो। इस सर्र् र्ी प्राक्प्त सारा र्ल्प राज्र् रूप और पज
ु ारी र्े रूप र्ें चलती रहती है।
क्जतना ही आधा र्ल्प विश्ि र्ी राज्र्-सत्ता प्राप्त र्रते हो, उस अनुसार ही क्जतना

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शक्ततशाली राज्र् पद िा पूज्र् पद लर्लता है, उतना ही भक्तत-र्ागक र्ें भी श्रेष्ठठ पुजारी
बनते हो। भक्तत र्ें भी श्रेष्ठठ आत्र्ा र्ी र्न-बवु ि-संस्र्ारों र्े ऊपर र्ंट्रोललंग पािर रहती है।
भततों र्ें भी नंबरिार शक्ततशाली भतत बनते हैं। अथाकत क्जस इष्ठट र्ी भक्तत र्रने
चाहें , क्जतना सर्र् चाहें , क्जस विचध से र्रने चाहें - ऐसी भक्तत र्ा िल, भक्तत र्ी विचध
प्रर्ाण संतष्ठु टता, एर्ाग्रता, शक्तत और खश
ु ी र्ो प्राप्त र्रता है। लेकर्न राज्र्-पद और
भक्तत र्ी शक्तत र्ी प्राक्प्त र्ा आधार र्ह ब्राह्र्ण जन्र् है। तो इस संगर्र्
ु ग र्ा छोटा-सा
एर् जन्र् सारे र्ल्प र्े सिक जन्र्ों र्ा आधार है ! जैसे राज्र् र्रने र्ें विशेष बनते हो िैसे
ही भतत भी विशेष बनते हो, साधारण नहीं। भतत-र्ाला िाले भतत अलग हैं लेकर्न आप
आपेही पूज्र् आपेही पुजारी आत्र्ाओं र्ी भक्तत भी विशेष है। तो आप बापदादा बच्चों र्े
इस र्ूल आधार जन्र् र्ो दे ख रहे थे। आदद से अब तर् ब्राह्र्ण-जीिन र्ें रूललंग
पािर, र्ंट्रोललंग पािर सदा और कर्तनी परसेन्टे ज र्ें रही है। इसर्ें भी पहले अपनी सूक्ष्र्
शक्ततर्ों र्ी ररजल्ट र्ो चेर् र्रो। ररजल्ट र्ें तर्ा ददखाई दे ता है ? इस विशेष तीन
शक्ततर्ों - ``र्न-बुवि-संस्र्ार'' पर र्ंट्रोल हो तो इसर्ो ही स्िराज्र् अचधर्ारी र्हा जाता है।
तो र्ह सूक्ष्र् शक्ततर्ााँ ही स्थूल र्र्ेंक्न्रर्ों र्ो संर्र् और ननर्र् र्ें चला सर्ती हैं। ररजल्ट
तर्ा दे खी ? जब, जहााँ, और जैसे - इन तीनों बातों र्ें अभी र्थाशक्तत हैं। सिकशक्तत नहीं हैं
लेकर्न र्थाशक्तत। क्जसर्ो डबल विदे शी अपनी भाषा र्ें सर्चथंग (Something) अक्षर र्ूज़
र्रते हैं। तो इसर्ो आलर्ाइटी अथॉररटी र्हें गे ? र्ाइटी तो हैं लेकर्न आल हैं ? िास्ति र्ें
इसर्ो ही ब्राह्र्ण-जीिन र्ा िाउण्डेशन र्हा जाता है। क्जसर्ा क्जतना स्ि पर राज्र् है
अथाकत स्ि र्ो चलने और सिक र्ो चलाने र्ी विचध आती है , िही नंबर आगे लेता है। इस
िाउण्डेशन र्ें अगर र्थाशक्तत है तो ऑटोर्ैदटर्ली नंबर पीछे हो जाता है। क्जसर्ो स्िर्ं र्ो
चलाने और चलने आता है िह दस
ू रों र्ो भी सहज चला सर्ता है अथाकत ् हैंडललंग पािर आ
जाती है। लसिक दस
ू रे र्ो हैंडललंग र्रने र्े ललए हैंडललंग पािर नहीं चादहए। जो अपनी सूक्ष्र्
शक्ततर्ों र्ो हैंडडल र्र सर्ता है। िह दस
ू रों र्ो भी हैंडडल र्र सर्ता है। तो स्ि र्े ऊपर
र्ंट्रोललंग पािर, रूललंग पािर सिक र्े ललए र्थाथक हैंडललंग पािर बन जाती है। चाहे अज्ञानी
आत्र्ाओं र्ो सेिा द्िारा हैंडडल र्रो, चाहे ब्राह्र्ण-पररिार र्ें स्नेह सम्पन्न, संतुष्ठटता
सम्पन्न र्वर्िहार र्रो - दोनों र्ें सिल हो जार्ेंगे।
बच्चों र्ें तीन शब्दों र्े र्ारण र्ंट्रोललंग पािर, रूललंग पािर र्र् हो जाती है। िह तीन शब्द
हैं - 1. र्वहाई (WHY, तर्ों), 2.िाट (WHAT, तर्ा), 3. िान्ट (WANT, चादहए)। र्ह तीन
शब्द खत्र् र्र एर् शब्द बोलो। र्वहाई आर्े तो भी एर् शब्द बोलो - िाह, र्वहाट शब्द आर्े
तो भी बोलो ``िाह''। ``िाह'' शब्द तो आता है ना। िाह बाबा, िाह र्ैं और िाह ड्रार्ा।
लसिक ``िाह'' बोले तो र्ह तीन शब्द खत्र् हो जार्ेंगे।
जब बाप सिकशक्ततिान ् हैं तो बच्चे र्च्चे र्ैसे होंगे ? र्ार्ा कर्तनी भी र्ोलशश र्रे - र्च्चे
नहीं बना सर्ती। तर्ोंकर् आप दरू से ही जान लेते हो कर् र्ार्ा आ रही है। डोंट र्ेर्र। िह
भी पहचान जाती है कर् र्ह र्ास्टर सिकशक्ततिान ् हैं, र्हााँ र्ार् नहीं होगा। तो खुद ही िापस

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चली जाती है। र्ार्ा र्े रूप र्ें िार नहीं र्र सर्ती। िह सिलता र्ी र्ाला बन जाती है।
तो सभी ऐसे विजर्ी हो ? पांडि अथाकत विजर्ी। र्भी र्ुछ भी दे खो-सन
ु ो तो अपने-आपसे
बात र्रो कर् र्ैं िही पांडि हूाँ, अनेर् बार र्ी विजर्ी हूाँ। र्ही खश
ु ी है ना ? र्ह भी आता है
र्ा नॉलेज र्े आधार से र्हते हो ? ऐसे तो नहीं कर् बाप र्हते हैं तो जरूर होगा ही !
आत्र्ा र्ें जो ररर्ाडक भरा हुआ है िह इर्जक होता है ना ? सभी खश ु ी र्े झल
ू े र्ें झल
ू ने िाले
हो ना ? बाप ने ऐसा झल ू ा दे ददर्ा है क्जसर्े ललए जगह र्ी आिश्र्र्ता नहीं, जहााँ चाहो
िहााँ लगाओ, लसिक स्र्नृ त र्ें ही लाना है। इसललए सहज है। इसर्ें थर्ािट भी नहीं होती,
खुशी र्ा झूला है ना। खुशी र्ें थर्ािट नहीं होती। ब्राह्र्ण जन्र् ही खुशी र्े झूले र्ें हुआ है
और जार्ेंगे भी तो खुशी र्े झूले र्ें झूलते-झूलते जार्ेंगे। ऐसे ही जार्ेंगे र्ा ददक र्ें जार्ेंगे ?
ऐसे तो नहीं सर्झेंगे - हार् र्र्कबंधन, र्र्कभोग बहुत र्ड़ा है! चाहे कर्तना भी र्ड़ा दहसाब
हो लेकर्न आप चुततू र्रने िाले हैं। तो चुततू र्ा सदा नशा रहता है। कर्तना भी पुराना र्ड़ा
दहसाब हो, लेकर्न जब चुततू होता है तो खुशी होती है। ऐसे दहम्र्त है र्ा घबरा जार्ेंगे ?
थोड़ा-सा ददक होगा तो घबरार्ेंगे तो नहीं ? जब परर्ात्र्ा र्े प्र्ारे बन गर्े तो उसे खुशी
होगी ना।

( 07-03-90 )

अपने आपर्ो सिलता र्े लसतारे हैं - ऐसे अनभ


ु ि र्रते हो ? जहााँ सिकशक्ततर्ााँ हैं, िहााँ
सिलता जन्र् लसि अचधर्ार है। र्ोई भी र्ार्क र्रते हो, चाहे शरीर ननिाकह अथक , चाहे
ईश्िरीर् सेिा अथक। र्ार्क र्ें र्ार्क र्रने र्े पहले र्ह ननश्चर् रखो। ननश्चर् रखना अच्छी
बात है लेकर्न प्रैक्तटर्ल अनुभिी आत्र्ा बन ननश्चर् और नशे र्ें रहो। सिक शक्ततर्ााँ इस
ब्राह्र्ण जीिन र्ें सिलता र्े सहज साधन हैं। सिक शक्ततर्ों र्े र्ाललर् हो इसललए कर्सी
भी शक्तत र्ो क्जस सर्र् आडकर र्रो, उस सर्र् हाक्जर हो। जैसे र्ोई सेिाधारी होते
हैं, सेिाधारी र्ा क्जस सर्र् आडकर र्रते हैं तो सेिा र्े ललए तैर्ार होता है ऐसे सिक शक्ततर्ााँ
आपर्े आडकर र्ें हो। क्जतना-क्जतना र्ास्टर सिकशक्ततिान र्ी सीट पर सेट होंगे उतना
सिकशक्ततर्ााँ सदा आडकर र्ें रहें गी। थोड़ा भी स्र्नृ त र्ी सीट से नीचे आते हैं तो शक्ततर्ााँ
आडकर नहीं र्ानेंगी। सिेन्ट भी होते है तो र्ोई ओबीडडर्ेन्ट होते हैं , र्ोई थोड़ा नीचे-ऊपर
र्रने िाले होते हैं। तो आपर्े आगे सिकशक्ततर्ााँ र्ैसे हैं ? ओबबडडर्ेन्ट हैं र्ा थोड़े दे र र्े
बाद पहुाँचती है। जैसे इन स्थल
ू र्र्ेक्न्रर्ों र्ो, क्जस सर्र्, जैसा आडकर र्रते हो,उस सर्र्
िो आडकर से चलती है ? ऐसे ही र्े सक्ष्
ू र् शक्ततर्ााँ भी आपर्े आडकर पर चलने िाली हो। चेर्
र्रो कर् सारे ददन र्ें सिकशक्ततर्ााँ आडकर र्ें रहीं ? तर्ोंकर् जब र्े सिकशक्ततर्ााँ अभी से
आपर्े आडकर पर होंगी तब ही अन्त र्ें भी आप सिलता र्ो प्राप्त र्र सर्ेंगे। इसर्े ललए
बहुतर्ाल र्ा अभ्र्ास चादहए। तो इस नर्े िषक र्ें आडकर पर चलाने र्ा विशेष अभ्र्ास

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र्रना। तर्ोंकर् विश्ि र्ा राज्र् प्राप्त र्रना है ना। विश्ि राज्र् अचधर्ारी बनने र्े पहले
स्िराज्र् अचधर्ारी बनो।

( 31-12-90 )

सदै ि चलते-किरते, उठते-बैठते र्ह स्र्नृ त रखो कर् हर् चैतन्र् चचत्र हैं। सारे विश्ि र्ी
आत्र्ाओं र्ी हर्ारे तरि नज़र है। चैतन्र् चचत्र र्ें सबर्े आर्षकण र्ी बात र्ौन सी होती है
? सदा खुशी होगी। तो सदा खुश रहते हो र्ा र्भी उलझन आती है ? र्ा िहााँ जार्र र्हें गे
- र्ह हो गर्ा इसललए खुशी र्र् हो गई। तर्ा भी हो जार्े, खुशी नहीं जानी चादहए। ऐसे
पतर्े हो ? अगर बड़ा पेपर आर्े तो भी पास हो जार्ेंगें ? बापदादा सबर्ा िोटो ननर्ाल रहे
हैं कर् र्ौन-र्ौन हााँ र्ह रहा है। ऐसे नहीं र्हना कर् उस सर्र् र्ह ददर्ा। र्ास्टर
सिकशक्ततिान र्े आगे िैसे र्ोई भी बड़ी बात नहीं है। दस
ू री बात आपर्ो ननश्चर् है कर्
हर्ारी विजर् हुई ही पड़ी है। इसललए र्ोई बड़ी बात नहीं है। क्जसर्े पास सिकशक्ततर्ों र्ा
खज़ाना है तो क्जस भी शक्तत र्ो ऑडकर र्रें गे िह शक्तत र्ददगार बनेगी। लसिक आडकर र्रने
िाला दहम्र्त िाला चादहए। तो आडकर र्रना आता है र्ा आडकर पर चलना आता है ? र्भी
र्ार्ा र्े आडकर पर तो नहीं चलते हो ? ऐसे तो नहीं कर् र्ोई बात आती है और सर्ाप्त हो
जाती है ? पीछे सोचते हो - ऐसे र्रते थे तो बहुत अच्छा होता। ऐसे तो नहीं ? सर्र् पर
सिकशक्ततर्ााँ र्ार् र्ें आती हैं र्ा थोड़ा पीछे से आती हैं ? अगर र्ास्टर सिकशक्ततिान र्ी
सीट पर सेट हो तो र्ोई भी शक्तत आडकर नहीं र्ाने - र्ह हो नहीं सर्ता। अगर सीट से
नीचे आते हो और किर आडकर र्रते हो तो िो नहीं र्ानेंगे। लौकर्र् रीनत से भी र्ोई र्ुसी से
उतरता है तो उसर्ा आडकर र्ोई नहीं र्ानता। अगर र्ोई शक्तत आडकर नहीं र्ानती है तो
अिश्र् पोजीशन र्ी सीट से नीचे आते हो। तो सदा र्ास्टर सिकशक्ततिान र्ी सीट पर सेट
रहो, सदा अचल अडोल रहो, हलचल र्ें आने िाले नहीं। बापदादा र्हते हैं शरीर भी चला
जार्े लेकर्न खुशी नहीं जार्े।

( 18-01-91 )

बापदादा सदै ि सब बच्चों र्ो र्ही र्हते कर् बाप और िसे र्ो र्ाद र्रना है। िसाक है सिक
प्राक्प्तर्ााँ। इसर्ें सिक शक्ततर्ााँ भी आ जातीं, गण
ु भी आ जाते, ज्ञान भी आ जाता है। सिक
शक्ततर्ााँ, सिक गण
ु और सम्पण
ू क ज्ञान। लसिक ज्ञान नहीं, लेकर्न सम्पण
ू क ज्ञान। लसिक शक्ततर्ााँ
और गण
ु नहीं लेकर्न सिक गण
ु और सिक शक्ततर्ााँ हैं, तो िसाक सिक अथाकत सम्पन्नता र्ा है।
र्ोई र्र्ी नहीं है। हर ब्राह्र्ण बच्चे र्ो पूरा िसाक लर्लता है, अधूरा नहीं। सिक गुणों र्ें से
दो गण
ु आपर्ो, दो गण
ु इसर्ो ऐसे नहीं बांटा है। िुल िसाक अथाकत ् सम्पन्नता, सम्पूणकता।

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इस ड्रार्ा र्े श्रेष्ठठ र्ुग संगर् र्ी श्रेष्ठठ आत्र्ाएं हैं - ऐसे अनभ
ु ि र्रते हो ? संगर्र्ुग र्ी
र्दहर्ा अच्छी तरह से स्र्नृ त र्ें रहती है ? तर्ोंकर् संगर्र्ग
ु र्ो िरदान लर्ला हुआ है -
संगर्र्ग
ु र्ें ही िरदाता िरदानों से झोली भरते हैं। आप सबर्ी बवु ि रूपी झोली िरदानों से
भरी हुई है ? खाली तो नहीं है ? थोड़ी खाली है र्ा इतना भरा हुआ है जो औरों र्ो भी दे
सर्ते हो ? तर्ोंकर् िरदानों र्ा खज़ाना ऐसा है , जो क्जतना औरों र्ो दें गे, उतना आपर्ें
भरता जार्ेगा। तो दे ते जाओ और बढ़ता जाता है। क्जतना बढ़ाने चाहते हो उतना दे ते जाओ।
दे ने र्ी विचध आती है ना ? तर्ोंकर् जानते हो - र्ह सब अपना ही पररिार है। आपर्े ब्रदसक
है ना ? अपने पररिार र्ो खाली दे ख रह नहीं सर्ते हैं। ऐसा रहर् आता है ? तर्ोंकर् जैसा
बाप, िैसे बच्चे। तो सदै ि र्ह चेर् र्रो कर् र्ैंने र्सीिुल बाप र्ा बच्चा बन कर्तनी
आत्र्ाओं पर रहर् कर्र्ा है ? लसिक िाणी से नहीं, र्न्सा अपनी िक्ृ त्त से िार्ुर्ण्डल द्िारा
भी आत्र्ाओं र्ो बाप द्िारा लर्ली हुई शक्ततर्ााँ दे सर्ा। तो र्न्सा सेिा र्रने आती है
? जब थोड़े सर्र् र्ें सारे विश्ि र्ी सेिा सम्पन्न र्रनी है तो तीव्र गनत से सेिा र्रो।
क्जतना स्िर्ं र्ो सेिा र्ें बबज़ी रखेंगे उतना स्िर्ं सहज र्ार्ाजीत बन जार्ेंगे। तर्ोंकर् औरों
र्ो र्ार्ाजीत बनाने से उन आत्र्ाओं र्ी दि
ु ाएं आपर्ो और सहज आगे बढ़ाती रहे गी।
र्ार्ाजीत बनना सहज लगता है र्ा र्दठन ? आप जब र्र्जोर बन जाते हैं तब र्ार्ा
शक्ततशाली बनती है। आप र्र्जोर नहीं बनो। बाबा तो सदै ि चाहते हैं कर् हर एर् बच्चा
र्ार्ाजीत बनें। तो क्जससे प्र्ार होता है , िो जो चाहता है , िही कर्र्ा जाता है। बाप से तो
प्र्ार है ना ? तो र्रो। जब र्ह र्ाद रहे गा कर् बाप र्ेरे से र्ही चाहता है तो स्ित: ही
शक्ततशाली हो जार्ेंगे और र्ार्ाजीत बन जार्ेगे। र्ार्ा आती तब है , जब र्र्जोर बनते हो।
इसललए सदा र्ास्टर सिकशक्ततिान बनो। र्ास्टर सिकशक्ततिान बनने र्ी विचध है - चलते-
किरते र्ाद र्ी शक्तत और सेिा र्ी शक्तत दे ने र्ें बबजी रहो। बबजी रहना अथाकत र्ार्ाजीत
रहना। रोज अपने र्न र्ा टाइर्टे बल
ु बनाओ। र्न बबजी होगा तो र्नजीत र्ार्ाजीत हो ही
जार्ेंगे।

( 17-03-91 )

अपने र्ो सदा र्ास्टर सिकशक्ततिान श्रेष्ठठ आत्र्ार्ें हैं अनभ


ु ि र्रते हो ? तर्ोंकर्
सिकशक्ततर्ााँ बाप र्ा खज़ाना है और खज़ाना बच्चों र्ा अचधर्ार है , बथक राइट है। तो बथक
राइट र्ो र्ार्क र्ें लाना - र्ह तो बच्चों र्ा र्तकर्वर् है। और खज़ाना होता ही कर्सललए है
? आपर्े पास स्थल
ू खज़ाना भी है, तो कर्सललए है ? खचक र्रने र्े ललए, कर् बैंर् र्ें रखने
र्े ललए ? बैंर् र्ें भी इसीललए रखते हैं कर् ऐसे सर्र् पर र्ार्क र्ें लगा सर्ें। र्ार् र्ें
लगाने र्ा ही लक्ष्र् होता है ना। तो सिकशक्ततर्ााँ भी जन्र् लसि अचधर्ार हैं ना। क्जस चीज
पर अचधर्ार होता है तो उसर्ो स्नेह र्े सम्बन्ध से, अचधर्ार से चलाते हैं। एर् अचधर्ार
होता है ऑडकर र्रना और दस
ू रा होता है स्नेह र्ा। अचधर्ार िाले र्ो तो जैसे भी चलाओ िैसे

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िह चलेगा। सिकशक्ततर्ााँ अचधर्ार र्ें होनी चादहएं। ऐसे नहीं - चार है दो नहीं है , सात है एर्
नहीं है। अगर एर् भी शक्तत र्र् है तो सर्र् पर धोखा लर्ल जार्ेगा। सिक शक्ततर्ााँ
अचधर्ार र्ें होंगी तभी विजर्ी बन नम्बर िन र्ें आ सर्ेंगे। तो चेर् र्रो सिक शक्ततर्ााँ र्हााँ
तर् अचधर्ार र्ें चलती हैं। हर शक्तत सर्र् पर र्ार् र्ें आती है र्ा आधा सेर्ेण्ड र्े बाद
र्ार्क र्ें आती है। सेर्ेण्ड र्े बाद भी हुआ तो सेर्ेण्ड र्ें िेल तो र्हें गे ना। अगर पेपर र्ें
िाइनल र्ातसक र्ें दो र्ार्क भी र्र् है तो िेल र्हें गे ना। तो िेल िाला िुल तो नहीं हुआ
ना ? तो हर पररक्स्थनत र्ें अचधर्ार से शक्तत से र्ज़
ू र्रो, हर गण
ु र्ो र्ज़
ू र्रो। क्जस
पररक्स्थनत र्ें धैर्कता चादहए तो धैर्कता र्े गुण र्ो र्ूज़ र्रो। ऐसा नहीं थोड़ा सा धैर्क र्र् हो
गर्ा। नहीं। अगर र्ोई दश्ु र्न िार र्रता है और एर् सेर्ेण्ड भी र्ोई पीछे हो गर्ा तो
विजर् कर्सर्ी हुई ? इसीललए र्े दोनों चेकर्ं ग र्रो। ऐसे नहीं सिकशक्ततर्ााँ तो हैं लेकर्न
सर्र् पर र्ूज नहीं र्र सर्ते। र्ोई बदढ़र्ा चीज दे और उसर्ो र्ार्क र्ें लगाने नहीं आर्े
तो उसर्े ललए िह बदढ़र्ा चीज भी तर्ा होगी ? र्ार् र्ी तो नहीं रही ना। तो सिकशक्ततर्ााँ
र्ूज र्रने र्ा बहुतर्ाल र्ा अभ्र्ास चादहए। र्दद बहुतर्ाल से र्ोई बच्चा आपर्ी आज्ञा पर
नहीं चलता तो सर्र् पर तर्ा र्रे गा ? धोखा ही दे गा ना। तो र्ह सिकशक्ततर्ााँ भी आपर्ी
रचना है। रचना र्ो बहुत र्ाल से र्ार्क र्ें लगाने र्ा अभ्र्ास र्रो। हर पररक्स्थनत से
अनुभिी तो हो गर्े ना। अनुभिी र्भी दब
ु ारा धोखा नहीं खाते। तो हर सर्र् स्र्नृ त से तीव्र
गनत से आगे बढ़ते चलो। सभी तपस्र्ा र्ी रे स र्ें अच्छी तरह से चल रहे हो ना। सभी
प्राइज लेंगे ना। सदा खुशी खुशी से सहज उड़ते चलो। र्ुक्श्र्ल है नहीं, र्ुक्श्र्ल बनाओ नहीं।
र्र्ज़ोरी र्ुक्श्र्ल बनाती है। सदा र्क्ु श्र्ल र्ो सहज र्रते उड़ते रहो।

( 18-12-91 )

बाप र्ो भूलने नहीं चाहते हो तो भी भूल जाते हो और क्जस सर्र् भल


ू ना चादहए उस सर्र्
तर्ा र्हते हो - भूलना चाहते हैं लेकर्न भूलते नहीं, बार बार र्ाद आ जाता है। तो र्ाद
र्रना और भूलना दोनों ही बाते आती हैं। लेकर्न तर्ा र्ाद र्रना है और तर्ा भूलना है
? क्जस सर्र् भल
ू ना है उस सर्र् र्ाद र्रते हो और क्जस सर्र् र्ाद र्रना है उस सर्र्
भल
ू जाते हो। छोटी सी गलती है ना ? तो इसर्ो हो ली र्र दो, जला दो। अंश से खत्र्
र्र दो।ज्ञानी तू आत्र्ा हो ना ? ज्ञानी र्ा अथक ही है सर्झदार। और आप तो तीनों र्ालों
र्े सर्झदार हो। इसललए होली र्नाना अथाकत इस गलती र्ो जलाना। जो भल
ू ना है िह
सेर्ेण्ड र्ें भल
ू जार्े और जो र्ाद र्रना है िह सेर्ेण्ड र्ें र्ाद आए। र्ारण लसिक बबन्दी र्े
बजाए तिेश्चन र्ार्क है। तर्ों सोचा और तर्ू शरू
ु हो जाती है। ऐसा िैसा तर्ों तर्ा बड़ी तर्ू
शुरू हो जाती है। लसिक तिेश्चन र्ार्क लगाने से। और बबन्दी लगा दो तो तर्ा होगा ? आप
भी बबन्दी, बाप भी बबन्दी और र्वर्थक र्ो भी बबन्दी, िुल स्टॉप। स्टॉप भी नहीं, िुल स्टॉप।
इसर्ो र्हा जाता है होली। और इस होली से सदा बाप र्े संग र्े रं ग र्ी होली, लर्लन होली

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र्नाते रहें गे। सबसे पतर्ा रं ग र्ौन सा है ? र्ह स्थूल रं ग भल कर्तने भी पतर्े हों लेकर्न
सबसे श्रेष्ठठ और सबसे पतर्ा रं ग है बाप र्े संग र्ा रं ग। तो इस रं ग से र्नाओ। आपर्ा
र्ादगार गोप गोवपर्ों र्े होली र्नाने र्ा है। उस चचत्र र्ें तर्ा ददखाते हैं ? बाप और आप
दोनों संग संग होली खेलते हैं। एर्-एर् गोप िा गोपी र्े साथ गोपी िल्लभ ददखाते हैं। तो
र्ह संग हो गर्ा ना! साथ िा संग अविनाशी होली है बाप र्े संग र्े रं ग र्ी र्ादगार होली
रास र्े साथ र्े रूप र्ें ददखाई है। तो होली र्नाने आती है ना ? र्ह हो गर्ा, तर्ा
र्रूाँ, चाहते नहीं है लेकर्न हो जाता है ... आज से इसर्ी होली जलाओ, सर्ाप्त र्रो। र्ास्टर
सिकशक्ततिान र्भी संर्ल्प र्ें भी र्ह सोच नहीं सर्ते।

( 16-03-92 )

सिक शक्ततर्ों र्ो सर्र् पर र्ार्क र्ें लगाना अथाकत र्ास्टर सिकशक्ततिान बनना
शक्ततर्ों र्ा पूजन दे खर्र तर्ा स्र्नृ त र्ें रहता है ? अपने र्ो चेर् र्रते हो - जैसे
शक्ततर्ों र्ो अष्ठट भुजाधारी ददखाते हैं तो हर् भी अष्ठट शक्ततिान, र्ास्टर सिकशक्ततिान
आत्र्ा हूाँ। र्े अष्ठट तो ननशानी र्ात्र हैं लेकर्न हैं तो सिक शक्ततर्ााँ। शक्ततर्ों र्ा नार्
सुनते, शक्ततर्ों र्ा पूजन दे खते सिक शक्ततर्ों र्ी स्र्नृ त आती है र्ा लसिक दे खर्र र्े खुश
हो ? जड़ चचत्रों र्ें कर्तनी र्र्ाल भर दे ते हैं ! तो चैतन्र् र्ा ही जड़ बनता है ना। तो
चैतन्र् र्ें हर् कर्तने र्र्ाल र्े बने हैं अथाकत श्रेष्ठठ बने हैं ! तो र्ह खुशी होती है कर् र्ह
हर्ारा र्ादगार है ! र्ा दे विर्ों र्ा है ? दे विर्ों र्े साथ गणेश र्ी भी पूजा होती है ना। तो
प्रैक्तटर्ल र्ें ऐसे बने हैं तब तो र्ादगार बना है। सदै ि अपने र्ो चेर् र्रो कर् सिक शक्ततर्ााँ
अनुभि होती हैं ? बाप ने तो दी लेकर्न र्ैंने कर्तनी ली, धारण र्ी और धारण र्रने र्े
बाद सर्र् पर िो शक्तत र्ार् र्ें आती है ? अगर सर्र् पर र्ोई चीज र्ार् र्ें नहीं आर्े
तो िह होना, न होना, एर् ही बात है। र्ोई भी चीज़ रखते ही हैं सर्र् पर र्ार् र्ें आने र्े
ललर्े। अगर सर्र् पर र्ार् र्ें नहीं आई तो तर्ा र्हें गे ? है िा नहीं है , एर् ही बात हुई
ना। तो बाप ने दी लेकर्न हर्ने कर्तनी ली - र्ह चेर् र्रो। जब प्रैक्तटर्ल र्ें र्ार् र्ें आर्े
तब र्हें गे र्ास्टर सिकशक्ततिान। शक्तत र्ार् र्ें नहीं आिे और र्हें र्ास्टर सिकशक्ततिान,
र्ह शोभता नहीं है। एर् भी शक्तत र्र् होगी तो सर्र् पर धोखा दे दे गी। र्ोई भी सर्र्
उसी शक्तत र्ा पेपर आ जार्े तो पास होंगे र्ा िेल होंगे ? अगर नहीं होगी तो िेल
होंगे, होगी तो पास होंगे। र्ार्ा भी जानती है - इसर्े पास इस शक्तत र्ी र्र्ी है। तो िही
पेपर आता है। इसललर्े एर् भी शक्तत र्र् नहीं होनी चादहर्े। ऐसे नहीं - शक्ततर्ााँ तो आ
गई, एर् र्र् हुई तो तर्ा हजाक है। एर् र्ें ही हजाक है। एर् ही िेल र्र दे गी। सर्
ू किंशी र्ें
आना है तो िुल पास होना पड़ेगा ना। िुल पास होने र्ा अथक ही है र्ास्टर सिकशक्ततिान
बनना।

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र्ाताओं र्ें सहन शक्तत है ? र्ा थोड़ा-थोड़ा क्रोध आ जाता है ? पाण्डिों र्ो क्रोध र्ा रोब
आता है ? सहन शक्तत र्ी र्र्ी है तब ही आर्ेगा ना। सिक शक्ततर्ों र्ें सहन शक्तत भी तो
शक्तत है ना। एर् भी शक्तत र्र् हुई तो िुल पास होंगे र्ा अधरू े पास होंगे ? इसललर्े सिक
शक्ततर्ों र्ो चेर् र्रो। परसेन्टे ज भी र्र् न हो। ऐसे नहीं - थोड़ा क्रोध आर्ा, ज्र्ादा नहीं
आर्ा। र्दद थोड़ा भी आ गर्ा तो उसर्ो िेल र्हें गे और आदत पड़ जार्ेगी थोड़ा-थोड़ा िेल
होने र्ी तो िुल पास र्ैसे होंगे ? इसललर्े एर् भी शक्तत र्ी र्र्ी न हो। ऐसे अलबेले नहीं
रहना कर् एर् थोड़ी र्र् है , बढ़ जार्ेगी। बहुत सर्र् र्ी र्र्ी सर्र् पर धोखा दे दे गी।
इसललए र्ास्टर सिकशक्ततिान अथाकत सिक शक्ततर्ों से सम्पन्न बनो। सिक शक्ततर्ों र्ो र्ार्क
र्ें लगाते चलो और उड़ते चलो।

( 24-09-92 )

आज सत ् लशक्षर् अपने चारों ओर र्े ईश्िरीर् विद्र्ाचथकर्ों र्ो दे ख रहे थे। तो तर्ा दे खा
? सभी नम्बरिन ददखाई ददर्े िा नम्बरिार ददखाई ददर्े ? तर्ा ररजल्ट होगी ? िा सर्झते
हो - नम्बरिन तो एर् ही होगा, हर् तो नम्बरिार र्ें ही आर्ेंगे ? िस्टक डडिीज़न र्ें तो आ
सर्ते हो ना। उसर्ें एर् नहीं होता है। तो चेर् र्रो - अगर बार-बार कर्सी भी बात र्ें
क्स्थनत नीचे-ऊपर होती है अथाकत बार-बार पुरूषाथक र्ें र्ेहनत र्रनी पड़ती है , इससे लसि है
कर् ज्ञान र्ी र्ल
ू सब्जेतट र्े दो शब्द - ’रचता’ और ‘रचना’ र्ी पढ़ाई र्ो स्िरूप र्ें नहीं
लार्ा है, जीिन र्ें र्ूल संस्र्ार र्े रूप र्ें िा र्ल
ू नेचर र्े रूप र्ें िा सहज स्िभाि र्े रूप
र्ें नहीं लार्ा है। ब्राह्र्ण जीिन र्ा नेचुरल स्िभाि-संस्र्ार ही र्ोगी जीिन, ज्ञानी जीिन है।
जीिन अथाकत ननरन्तर, सदा। 8 घण्टा जीिन है, किर 4 घण्टा नहीं - ऐसा नहीं होता।
आज 10 घण्टे र्े र्ोगी बने, आज 12 घण्टे र्े र्ोगी बने, आज 2 घण्टे र्े र्ोगी बने-िो
र्ोग लगाने िाले र्ोगी हैं, र्ोगी जीिन िाले र्ोगी नहीं। विशेष संगदठत रूप र्ें इसीललए
बैठते हो कर् सिक र्े र्ोग र्ी शक्तत से िार्ुर्ण्डल द्िारा र्र्जोर पुरूषाचथकर्ों र्ो और विश्ि
र्ी सिक आत्र्ाओं र्ो र्ोग शक्तत द्िारा पररितकन र्रें । इसललए िह भी आिश्र्र् है लेकर्न
इसीललए र्ोग र्ें नहीं बैठते हो कर् अपना ही टूटा हुआ र्ोग लगाते रहो। संगदठत शक्तत -
र्ह भी सेिा र्े ननलर्त्त है लेकर्न र्ोग-भट्ठी इसललए नहीं रखते हो कर् र्ेरा र्नेतशन किर
से जट
ु जार्े। अगर र्र्जोर हो तो इसललए बैठते हो और ‘‘र्ोगी तू आत्र्ा’’ हो तो र्ास्टर
सिकशक्ततिान बन, र्ास्टर विश्ि-र्ल्र्ाणर्ारी बन सिक र्ो सहर्ोग दे ने र्ी सेिा र्रते हो। तो
पढ़ाई अथाकत स्िरूप बनना।

( 13-10-92 )

93
विघ्न-विनाशर् िही बन सर्ता है जो सदा सिक शक्ततर्ों से सम्पन्न होगा। र्ोई भी विघ्न
विनाश र्रने र्े ललए तर्ा आिश्र्र्ता है ? शक्ततर्ों र्ी ना। अगर र्ोई शक्तत नहीं होगी
तो विघ्न विनाश नहीं र्र सर्ते। इसललए सदा स्र्नृ त रखो कर् बाप र्े सदा साथी हैं और
विश्ि र्े विघ्न-विनाशर् हैं। विघ्न-विनाशर् र्े आगे र्ोई भी विघ्न आ नहीं सर्ता। अगर
अपने पास ही आता रहे गा तो दस
ू रे र्ा तर्ा विनाश र्रें गे। सिक शक्ततर्ों र्ा खज़ाना है
? र्ा थोड़ा-थोड़ा है ? र्ोई भी खज़ाना अगर र्र् होगा तो सर्र् पर विजर् प्राप्त नहीं र्र
सर्ेंगे। तो सदा अपना स्टॉर् चेर् र्रो कर् सिक खज़ाने हैं, सिक शक्ततर्ााँ हैं ? तर्ोंकर् बाप ने
सभी र्ो सिक शक्ततर्ााँ दी हैं। र्ा कर्सर्ो र्र् दी हैं, कर्सर्ो ज्र्ादा दी हैं ? सबर्ो सिक
शक्ततर्ााँ दी हैं ना। और अपने र्ो र्हलाते भी हो - र्ास्टर सिकशक्ततिान। तो सिक शक्ततर्ााँ
र्ेरा िसाक है। तो िसाक र्भी जा नहीं सर्ता। िसे र्ा नशा रहता है ना। अगर कर्सी र्ो बहुत
बड़ा िसाक लर्ल जार्े तो कर्तना नशा, कर्तनी खुशी रहती है ! आपर्ो तो अविनाशी िसाक
लर्ला है। तो नशा भी अविनाशी होना चादहए। तो सदा नशा रहता है ? बालर् अथाकत
र्ाललर्।

( 03-11-92 )

विघ्न-विनाशर् आत्र्ार्ें हो र्ा विघ्न र्े िश होने िाली हो ? सदै ि र्ह स्र्नृ त र्ें रखो कर्
हर्ारा टाइटल ही है ‘विघ्न-विनाशर्’। विघ्न-विनाशर् आत्र्ा स्िर्ं र्ैसे विघ्न र्ें आर्ेगी
? चाहे र्ोई कर्तना भी विघ्न रूप बनर्र आर्े लेकर्न आप विघ्न विनाश र्रें गे। लसिक अपने
ललर्े विघ्न-विनाशर् नहीं हो लेकर्न सारे विश्ि र्े विघ्न-विनाशर् हो। विश्ि-पररितकर् हो। तो
विश्ि-पररितकर् शक्ततशाली होते हैं ना। शक्तत र्े आगे र्ोई कर्तना भी शक्ततशाली हो
लेकर्न िह र्र्जोर बन जाता है। विघ्न र्ो र्र्जोर बनाने िाले हो, स्िर्ं र्र्जोर बनने
िाले नहीं। अगर स्िर्ं र्र्जोर बनते हो तो विघ्न शक्ततशाली बन जाता है और स्िर्ं
शक्ततशाली हो तो विघ्न र्र्जोर बन जाता है। तो सदा अपने र्ास्टर सिकशक्ततिान स्िरूप
र्ी स्र्नृ त र्ें रहो।

( 10-12-92 )

आज सिक शक्ततर्ों र्े दाता बापदादा अपने शक्तत सेना र्ो दे ख रहे हैं। सिकशक्ततिान बाप ने
सभी ब्राह्र्ण आत्र्ाओं र्ो सर्ान सिक शक्ततर्ों र्ा िसाक ददर्ा है। कर्सर्ो र्र् शक्तत िा
कर्सर्ो ज्र्ादा - र्ह अन्तर नहीं कर्र्ा। सभी र्ो एर् द्िारा, एर् साथ, एर् सर्ान
शक्ततर्ााँ दी हैं। तो ररजल्ट दे ख रहे थे कर् एर् सर्ान लर्लते हुए भी अन्तर तर्ों है ? र्ोई
सिक शक्तत सम्पन्न बने और र्ोई लसिक शक्तत सम्पन्न बने हैं, सिक नहीं। र्ोई सदा
शक्ततस्िरूप बने, र्ोई र्भी-र्भी शक्ततस्िरूप बने हैं। र्ोई ब्राह्र्ण आत्र्ाए अपनी सिक-

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शक्ततिान र्ी अथॉररटी से क्जस सर्र्, क्जस शक्तत र्ो ऑडकर र्रती हैं िह शक्तत रचना र्े
रूप र्ें र्ास्टर रचता र्े सार्ने आती है। ऑडकर कर्र्ा और हाज़र हो जाती है। र्ोई ऑडकर
र्रते हैं लेकर्न सर्र् पर शक्ततर्ााँ हाज़र नहीं होतीं, ‘जी-हाज़र’ नहीं होती। इसर्ा र्ारण
तर्ा ? र्ारण है - जो बच्चे सिकशक्ततिान बाप, क्जसर्ो हज़रू भी र्हते हैं, हाज़र-नाज़र भी
र्हते हैं - तो जो बच्चे हज़रू अथाकत बाप र्े हर र्दर् र्ी श्रीर्त पर, हर सर्र् ‘जी-
हाज़र’ िा हर आज्ञा र्ें ‘जी-हाज़र’ प्रैक्तटर्ल र्ें र्रते हैं, तो ‘जी-हाज़र’ र्रने िाले र्े आगे
हर शक्तत भी ‘जी-हाज़र’ िा ‘जी र्ास्टर हज़रू ’ र्रती है।
अगर र्ोई आत्र्ार्ें श्रीर्त िा आज्ञा जो सहज पालन र्र सर्ते हैं िह र्रते हैं और जो
र्ुक्श्र्ल लगती है िह नहीं र्र सर्ते - र्ुछ कर्र्ा, र्ुछ नहीं कर्र्ा, र्भी ‘जी-
हाज़र’, र्भी ‘हाज़र’ - इसर्ा प्रत्र्क्ष सबूत िा प्रत्र्क्ष प्रर्ाण रूप है कर् ऐसी आत्र्ाओं र्े
आगे सिक शक्ततर्ााँ भी सर्र् प्रर्ाण हाज़र नहीं होती हैं। जैसे - र्ोई पररक्स्थनत प्रर्ाण
सर्ाने र्ी शक्तत चादहए तो संर्ल्प र्रें गे कर् हर् अिश्र् सर्ाने र्ी शक्तत द्िारा इस
पररक्स्थनत र्ो पार र्रें गे, विजर्ी बनेंगे। लेकर्न होता तर्ा है ? सेर्ेण्ड नम्बर िाले अथाकत
र्भी-र्भी िाले सर्ाने र्ी शक्तत र्ा प्रर्ोग र्रें गे - 10 बार सर्ार्ेंगे लेकर्न सर्ाते हुए भी
एर्-दो बार सर्ाने चाहते भी सर्ा नहीं सर्ेंगे। किर तर्ा सोचते हैं ? र्ैंने कर्सर्ो नहीं
सुनार्ा, र्ैंने सर्ार्ा लेकर्न र्ह साथ िाले थे, हर्ारे सहर्ोगी थे, सर्ीप थे - इसर्ो लसिक
इशारा ददर्ा। सुनार्ा नहीं, इशारा ददर्ा। र्ोई शब्द बोलने नहीं चाहते थे, लसिक एर् - आधा
शब्द ननर्ल गर्ा। तो इसर्ो तर्ा र्हा जार्ेगा ? सर्ाना र्हें गे ? 10 र्े आगे तो सर्ार्ा
और एर्-दो र्े आगे सर्ा नहीं सर्ते, तो इसर्ो तर्ा र्हें गे ? सर्ाने र्ी शक्तत ने ऑडकर
र्ाना ? जबकर् अपनी शक्तत है, बाप ने िसे र्ें ददर्ा है, तो बाप र्ा िसाक सो बच्चों र्ा िसाक
हो जाता। अपनी शक्तत अपने र्ार् र्ें न आर्े तो इसर्ो तर्ा र्हा जार्ेगा ? ऑडकर र्ानने
िाले र्ा ऑडकर न र्ानने िाले र्हा जार्ेगा ?
आज बापदादा सिक ब्राह्र्ण आत्र्ाओं र्ो दे ख रहे थे कर् र्हााँ तर् सिक शक्ततर्ों र्े अचधर्ारी
बने हैं। अगर अचधर्ारी नहीं बने , तो उस सर्र् पररक्स्थनत र्े अधीन बनना पड़े। बापदादा
र्ो सबसे ज्र्ादा रहर् उस सर्र् आता है जब बच्चे र्ोई भी शक्तत र्ो सर्र् पर र्ार्क र्ें
नहीं लगा सर्ते हैं। उस सर्र् तर्ा र्रते हैं ? जब र्ोई बात सार्ना र्रती तो बाप र्े
सार्ने कर्स रूप र्ें आते हैं ? ज्ञानी-भतत र्े रूप र्ें आते हैं। भतत तर्ा र्रते हैं ? भतत
लसिक पर्
ु ार र्रते रहते कर् र्ह दे दो। भागते बाप र्े पास हैं, अचधर्ार बाप पर रखते हैं
लेकर्न रूप होता है रॉर्ल भतत र्ा। और जहााँ अचधर्ारी र्े बजाए ज्ञानी-भतत अथिा रॉर्ल
भतत र्े रूप र्ें आते हैं, तो जब तर् भक्तत र्ा अंश है , तो भक्तत र्ा िल सद्गनत अथाकत
सिलता, सद्गनत अथाकत विजर् नहीं प्राप्त र्र सर्ते। तर्ोंकर् जहााँ भक्तत र्ा अंश रह
जाता िहााँ भक्तत र्ा िल ज्ञान अथाकत सिक प्राक्प्त नहीं हो सर्ती, सिलता नहीं लर्ल
सर्ती। भक्तत अथाकत र्ेहनत और ज्ञान अथाकत र्ह
ु ब्बत। अगर भक्तत र्ा अंश है तो र्ेहनत
जरूर र्रनी पड़ती और भक्तत र्ी रस्र्-ररिाज है कर् जब भीड़ पड़ेगी तब भगिान र्ाद

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आर्ेगा, नहीं तो अलबेले रहें गे। ज्ञानी-भतत भी तर्ा र्रते हैं ? जब र्ोई विघ्न आर्ेगा तो
विशेष र्ाद र्रें गे।
एर् है - सेिा प्रनत र्ाद र्ें बैठना और दस
ू रा है - स्ि र्ी र्र्जोरी र्ो भरने ललए र्ाद र्ें
बैठना। दोनों र्ें अन्तर है। जैसे - अभी भी विश्ि पर अशाक्न्त र्ा िार्र्
ु ण्डल है तो सेिा
प्रनत संगदठत रूप र्ें विशेष र्ाद र्े प्रोग्रार् बनाते हो, िह अलग बात है। िह तो दाता बन
दे ने र्े ललए र्रते हो। िह र्ांगने र्े ललए नहीं र्रते हो, औरों र्ो दे ने र्े ललए र्रते हो। तो
िह हुआ सेिा प्रनत। लेकर्न अपनी र्र्जोरी भरने र्े प्रनत सर्र् पर विशेष र्ाद र्रते हो
और िैसे अलबेलेपन र्ी र्ाद होती है। र्ाद होती है , भूलते नहीं हो लेकर्न अलबेलेपन र्ी
र्ाद आती है - हर् तो हैं ही बाबा र्े, और है ही र्ौन। लेकर्न र्थाथक शक्ततशाली र्ाद र्ा
प्रत्र्क्ष प्रर्ाण - सर्र् प्रर्ाण शक्तत हाज़र हो जाए। कर्तना भी र्ोई र्हे - र्ैं तो र्ाद र्ें
रहती ही हूाँ िा रहता ही हूाँ, लेकर्न र्ाद र्ा स्िरूप है सिलता। ऐसे नहीं - क्जस सर्र् र्ाद
र्ें बैठते उस सर्र् खुशी भी अनुभि होती, शक्तत भी अनुभि होती और जब र्र्क
र्ें, सम्बन्ध-सम्पर्क र्ें आते उस सर्र् सदा सिलता नहीं होती। तो उसर्ो र्र्कर्ोगी नहीं
र्हा जार्ेगा। शक्ततर्ााँ शस्त्र हैं और शस्त्र कर्स सर्र् र्े ललए होता है ? शस्त्र सदा सर्र्
पर र्ार् र्ें लार्ा जाता है।
र्थाथक र्ाद अथाकत सिक शक्तत सम्पन्न। सदा शक्ततशाली शस्त्र हो। पररक्स्थनत रूपी दश्ु र्न
आर्ा और शस्त्र र्ार् र्ें नहीं आर्े, तो इसर्ो तर्ा र्हा जार्ेगा ? शक्ततशाली र्ा शस्त्र
धारी र्हें गे ? हर र्र्क र्ें र्ाद अथाकत सिलता हो। इसर्ो र्हा जाता है र्र्कर्ोगी। लसिक
बैठने र्े टाइर् र्े र्ोगी नहीं हो। आपर्े र्ोग र्ा नार् बैठा-बैठा र्ोगी है र्ा र्र्कर्ोगी नार्
है ? र्र्कर्ोगी हो ना। ननरन्तर र्र्क है और ननरन्तर र्र्कर्ोगी हो। जैसे र्र्क र्े बबना एर्
सेर्ेण्ड भी रह नहीं सर्ते, चाहे सोर्े हुए हो - तो िह भी सोने र्ा र्र्क र्र रहे हो ना। तो
जैसे र्र्क र्े बबना रह नहीं सर्ते िैसे हर र्र्क र्ोग र्े बबना र्र नहीं सर्ते। इसर्ो र्हा
जाता है र्र्कर्ोगी। ऐसे नहीं सर्झो कर् बात ही ऐसी थी ना, सरर्र्स्टांश ही ऐसे
थे, सर्स्र्ा ही ऐसी थी, िार्ुर्ण्डल ऐसा था। र्ही तो दश्ु र्न है और उस सर्र् र्हो -
दश्ु र्न आ गर्ा, इसललए तलिार चला न सर्े, तलिार र्ार् र्ें लगा नहीं सर्े, र्ा तलिार
र्ाद ही नहीं आर्े, र्ा तलिार ने र्ार् नहीं कर्र्ा - तो ऐसे र्ो तर्ा र्हा जार्ेगा ? शस्त्र
धारी ? शक्तत-सेना हो। तो सेना र्ी शक्तत तर्ा होती है ? शस्त्र । और शस्त्र हैं सिक
शक्ततर्ााँ। तो ररजल्ट तर्ा दे खा ? र्ैजाररटी सदा सर्र् पर सिक शक्ततर्ों र्ो ऑडकर पर चला
सर्ें - इसर्ें र्र्ी ददखाई दी। सर्झते भी हैं लेकर्न सिलता-स्िरूप र्ें सर्र् प्रर्ाण र्ा तो
शक्ततहीन बन जाते हैं र्ा थोड़ा-सा असिलता र्ा अनभ
ु ि र्र िौरन सिलता र्ी ओर चल
पड़ते हैं। तीन प्रर्ार र्े दे खे।
एर् - उसी सर्र् ददर्ाग द्िारा सर्झते हैं कर् र्ह ठीर् नहीं है , नहीं र्रना चादहए लेकर्न
उस सर्झ र्ो शक्ततस्िरूप र्ें बदल नहीं सर्ते।

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दस
ू रे हैं - जो सर्झते भी हैं लेकर्न सर्झते हुए भी सर्र् िा सर्स्र्ा पूरी होने र्े बाद
सोचते हैं। िह थोड़े सर्र् र्ें सोचते हैं, िह परू ा होने र्े बाद सोचते।
तीसरे - र्हसस
ू ही नहीं र्रते कर् र्ह रांग है, सदा अपने रांग र्ो राइट ही लसि र्रते हैं।
अथाकत सत्र्ता र्ी र्हसस
ू ता-शक्तत नहीं। तो अपने र्ो चेर् र्रो कर् र्ैं र्ौन हूाँ ?

( 20-12-92 )

सर्थक बाप ने हर एर् बच्चे र्ो सिक सर्चथकर्ों र्ा खज़ाना अथाकत सिक शक्ततर्ों र्ा खज़ाना
ब्राह्र्ण जन्र् होते ही जन्र्लसि अचधर्ार र्े रूप र्ें दे ददर्ा और हर एर् ब्राह्र्ण आत्र्ा
अपने इस अचधर्ार र्ो प्राप्त र्र स्िर्ं सम्पन्न बन औरों र्ो भी सम्पन्न बना रही है। र्ह
सिक सर्चथकर्ों र्ा खज़ाना बापदादा ने हर एर् बच्चे र्ो अनत सहज और सेर्ेण्ड र्ें ददर्ा।
सिक शक्ततर्ााँ ऑडकर र्ें हों तो र्ार्ाजीत बन जार्ेंगे
सभी अपने र्ो सदा र्ार्ाजीत, प्रर्ृनतजीत अनुभि र्रते हो ? र्ार्ाजीत बन रहे हैं र्ा अभी
बनना है ? क्जतना-क्जतना सिक शक्ततर्ों र्ो अपने ऑडकर पर रखेंगे और सर्र् पर र्ार्क र्ें
लगार्ेंगे तो सहज र्ार्ाजीत हो जार्ेंगे। अगर सिक शक्ततर्ााँ अपने र्न्ट्रोल र्ें नहीं हैं तो र्हााँ
न र्हााँ हार खानी पड़ेगी।
र्ास्टर सिकशक्ततिान अथाकत र्न्ट्रोललंग पॉिर हो। क्जस सर्र्, क्जस शक्तत र्ो आह्िान र्रें
िो हाक्जर हो जाए, सहर्ोगी बने। ऐसे ऑडकर र्ें हैं ? सिक शक्ततर्ााँ ऑडकर र्ें हैं र्ा आगे-पीछे
होती हैं ? ऑडकर र्रो अभी और आर्े घण्टे र्े बाद - तो उसर्ो र्ास्टर सिक-शक्ततिान र्हें गे
? जब आप सभी र्ा टाइटल है र्ास्टर सिक शक्ततिान, तो जैसा टाइटल है िैसा ही र्र्क
होना चादहए ना। है र्ास्टर और शक्तत सर्र् पर र्ार् र्ें नहीं आर्े - तो र्र्जोर र्हें गे र्ा
र्ास्टर र्हें गे ? तो सदा चेर् र्रो और किर चेन्ज (पररितकन) र्रो – र्ौन-सी शक्तत सर्र्
पर र्ार्क र्ें लग सर्ती है और र्ौन-सी शक्तत सर्र् पर धोखा दे ती है ? अगर सिक
शक्ततर्ााँ अपने ऑडकर पर नहीं चल सर्तीं तो तर्ा विश्ि-राज्र् अचधर्ारी बनेंगे ? विश्ि-
राज्र् अचधर्ारी िही बन सर्ता है क्जसर्ें र्न्ट्रोललंग पॉिर, रूललंग पॉिर हो। पहले स्ि पर
राज्र्, किर विश्ि पर राज्र्। स्िराज्र् अचधर्ारी जब चाहें , जैसे चाहें िैसे र्न्ट्रोल र्र सर्ते
हैं।
इस िषक र्ें तर्ा निीनता र्रें गे ? जो र्हते हैं िो र्रर्े ददखार्ेंगे। र्हना और र्रना - दोनों
सर्ान हों। जैसे र्हते हैं र्ास्टर सिक-शक्ततिान और र्रने र्ें र्भी विजर्ी हैं, र्भी र्र् हैं।
तो र्हने और र्रने र्ें िर्क हो गर्ा ना ! तो अभी इस िर्क र्ो सर्ाप्त र्रो। जो र्हते हो
िो प्रैक्तटर्ल जीिन र्ें स्िर्ं भी अनभ
ु ि र्रो और दस
ू रे भी अनभ
ु ि र्रें । दस
ू रे भी सर्झें कर्
र्ह आत्र्ार्ें र्ुछ न्र्ारी हैं। चाहे हजारों लोग हों लेकर्न हजारों र्ें भी आप न्र्ारे ददखाई
दो, साधारण नहीं। तर्ोंकर् ब्राह्र्ण अथाकत अलौकर्र्। र्ह अलौकर्र् जन्र् है ना। तो ब्राह्र्ण

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जीिन अथाकत अलौकर्र् जीिन, साधारण जीिन नहीं। ऐसे अनभ
ु ि र्रते हो ? लोग सर्झते
हैं कर् र्ह न्र्ारे हैं ? र्ा सर्झते हैं - जैसे हर् हैं िैसे र्ह ?

( 18-01-93 )

र्क्ु श्र्ल र्ा र्ारण अपनी र्र्जोरी है, इसललर्े र्ास्टर सिकशक्ततिान बनो
सभी अपने र्ो सहजर्ोगी अनभ
ु ि र्रते हो ? जो सहज बात होती है िो सदा सहज होती है।
र्ा र्भी-र्भी र्ुक्श्र्ल होती है ? र्ोग र्ुक्श्र्ल है र्ा आप र्ुक्श्र्ल र्र दे ते हो ? तो
र्ुक्श्र्ल तर्ों र्रते हो ? अच्छा लगता है र्ुक्श्र्ल ? जब अपने र्ें र्ोई न र्ोई र्र्जोरी
लाते हो, तो र्ुक्श्र्ल हो जाता है। र्र्जोरी र्ुक्श्र्ल बनार्ेगी। तो र्र्जोरी आने तर्ों दे ते हो
? बच्चे कर्सर्े हो ? तो बाप र्र्जोर है ? तो आप तर्ों र्र्जोर हो ? आप अपने र्ो
र्ास्टर सिकशक्ततिान र्हलाते हो र्ा र्ास्टर र्र्जोर ? र्ास्टर सिक-शक्ततिान ! किर
र्र्जोर तर्ों ? अगर र्र्जोरी आ जाती है , चाहते नहीं हो लेकर्न आ जाती है - तो आने-
जाने र्ा र्ारण तर्ा है ? चेकर्ं ग ठीर् नहीं है। चलते-चलते र्हााँ न र्हााँ कर्सी बात र्ें
अलबेलापन आ जाता है, तब र्र्जोरी आ जाती है। तो सदा अटे न्शन रखो कर् र्हााँ
भी, र्भी भी अलबेलापन नहीं हो। अलबेलापन अनेर् प्रर्ार से आता है। सबसे रॉर्ल रूप
अलबेलेपन र्ा है पुरूषाथक र्र रहे हैं, हो जार्ेगा, सर्र् पर जरूर र्रर्े ही ददखार्ेंगे। परू
ु षाथक
र्रते हैं लेकर्न सर्र् पर आधार रखते हैं, ‘स्िर्ं’ पर आधार नहीं रखते तो - अलबेले हो
जाते हैं। तो आप र्ौन हो ? अलबेले हो र्ा तीव्र पुरुषाथी ?
अनेर्ों र्ो र्ाद र्रना र्क्ु श्र्ल होता है, एर् र्ो र्ाद र्रना तो सहज है । जब एर् बाप र्े
तरि बुवि लग गई तो बार्ी तर्ा र्रना है ! र्ही तो पुरूषाथक है। तर्ा र्क्ु श्र्ल है ! जब है
ही बाप र्ाद, तो बाप र्ी र्ाद र्ें र्ार्ा तो र्ुछ नहीं र्र सर्ती। आ सर्ती है तर्ा र्ार्ा ?
एिररे डी होर्र र्े सेिा र्रें गे तो सेिा र्ें भी और सहर्ोग लर्लेगा, सहज होती
जार्ेगी, सिलता लर्लेगी। तो सदा र्े स्र्नृ त र्ें रखो कर् - है ही एर् बाप, दस
ू रा र्ुछ है ही
नहीं। अगर िन बाप है तो विन जरूर है। सहज र्ोगी हो ना। र्ास्टर सिकशक्ततिान र्े आगे
र्ार्ा र्ी दहम्र्त नहीं जो िार र्र सर्े। और ही र्ार्ा सरे न्डर होगी, िार नहीं र्रे गी। जब
सिकशक्ततिान बाप साथ है तो सदा ही जहााँ बाप है िहााँ विजर् है ही है। र्ल्प-र्ल्प र्े
विजर्ी हैं, अभी भी हैं और सदा रहें गे। र्े स्र्नृ त है ना। कर्तनी बार विजर्ी बने हो ? तो
अनेर् बार कर्र्ा हुआ र्ार्क किर से र्रना, उसर्ें तर्ा र्क्ु श्र्ल है! नई बात तो नहीं है ना।
तो नशे से र्हो कर् हर् सहज र्ोगी नहीं होंगे तो र्ौन होगा ! ऐसा नशा है ?

( 07-03-93 )

98
सभी तीन बबन्द ु र्े रहस्र् र्ो जानते हो ? जानते हो र्ा प्रैक्तटर्ल र्ें भी अनुभिी हो
? तीन बबन्दी लगानी आती हैं ? र्ा र्भी भल
ू जाते हो, र्भी लगाते हो ? तर्ोंकर् र्े तीनों
ही र्ाद रखना आिश्र्र् है। अगर एर् बाप बबन्द ु र्ो र्ाद र्रो तो दोनों और बबन्द ु सहज ही
र्ाद आ जार्ेंगे। तो बाप र्ो र्ाद र्रना सहज है र्ा र्क्ु श्र्ल है ? सहज है तो सदा तर्ों
नहीं ? र्ार्ा पॉिरिुल है र्ा र्ास्टर सिकशक्ततिान पॉिरिुल ? र्ास्टर तो और ही तेज होता
है। किर र्ार्ा पॉिरिुल र्ैसे हो जाती है ? (अपनी र्र्जोरी र्े र्ारण) र्र्जोरी र्ब तर्
रहनी है ? किर दस
ू रे िषक भी तो नहीं र्हें गे ? चाहे र्ार्ा कर्तना भी शक्ततशाली हो लेकर्न
सिकशक्ततिान बाप से र्ोई शक्ततशाली है नहीं। तो भूल जाते हो कर् हर् र्ास्टर हैं। तर्ा र्ह
र्भी भूलते हो कर् र्ैं िलानी हूाँ ? शरीर नहीं भूल ते हो और अपने आपर्ो भूल जाते हो ! र्े
िन्डर (Wonder; आश्र्चक) नहीं है ! तो आप िन्डर र्रते हो ? र्े िन्डर नहीं र्रना। सदा
बाप और आप साथ हैं, र्म्बाइन्ड हैं, तो भूल र्ैसे सर्ते हैं। बाप से अलग रहते हो तर्ा
? तो र्ही र्हो कर् न भल
ू ते हैं, न भूलेंगे। बाप से प्र्ार है ना। तो सबसे प्र्ारा भल
ू सर्ता
है ? भूलना चाहें तो भी नहीं भूल सर्ते। जब अनुभि र्र ललर्ा कर् बाप ही संसार है , तो
संसार र्े लसिाए और र्ुछ है तर्ा ? किर भूलते तर्ों हो ? खेल र्रते हो ? र्हो - भूल
नहीं सर्ते। सोचो कर् सारे र्ल्प र्ें बाप अभी लर्ला है , किर लर्ल नहीं सर्ता। गोल्डन एज
र्ें भी बाप नहीं होगा। ब्रह्र्ा बाप साथ होगा। लशि बाप अभी लर्लते हैं, तो भूल र्ैसे जार्ेंगे
? तो अभी तर्ा र्हें गे-भूलना र्ुक्श्र्ल है र्ा र्ाद र्रना र्ुक्श्र्ल है ? (जो र्म्बाइन्ड है
उसर्ो अलग र्रना र्क्ु श्र्ल है)
र्ास्टर सिकशक्ततिान बन हर शक्तत र्ो र्ार्क र्ें लगाओ। सिक शक्ततर्ों जो लर्ली हैं िह हैं
ही सर्र् पर र्ूज़ र्रने र्े ललए। अगर सर्र् पर र्ोई चीज़ र्ार् र्ें नहीं आई तो उस चीज
र्ा र्हत्ि ही तर्ा रहा ! सर्र् पर र्ूज़ र्रते-र्रते अभ्र्ासी हो जार्ेंगे। र्ाललर् बनर्र
शक्ततर्ों र्ो ऑडकर र्रो। र्ाललर् बनर्र ऑडकर र्रें गे तो शक्ततर्ााँ र्ानेंगी भी। अगर र्र्जोर
होर्र ऑडकर र्रें गे तो नहीं र्ानेंगी। शक्ततर्ााँ आपर्े ऑडकर र्ो र्ानने र्े ललए सदा तैर्ार
हैं, लसिक र्ाललर्पन नहीं भल
ू ो। बापदादा सभी बच्चों र्ो र्ाललर् बनाते हैं, र्र्जोर नहीं
बनाते। सभी राजर्ोगी हो, र्र्जोर र्ोगी तो नहीं हो ना।

( 26-03-93 )

अपने र्ो सदा र्ास्टर सिकशक्ततर्ान अनुभि र्रते हो ? र्ास्टर र्ा अथक है कर् हर शक्तत
र्ो क्जस सर्र् आह्िान र्रो तो िो शक्तत प्रैक्तटर्ल स्िरूप र्ें अनुभि हो। क्जस सर्र्,
क्जस शक्तत र्ी आिश्र्र्ता हो, उस सर्र् िो शक्तत सहर्ोगी बने - ऐसे है ? क्जस सर्र्
सहनशक्तत चादहर्े उस सर्र् स्िरूप र्ें आती है कर् थोड़े सर्र् र्े बाद आती है ? अगर
र्ानो शस्त्र एर् लर्नट पीछे र्ार् र्ें आर्ा तो विजर्ी होंगे ? विजर् नहीं हो सर्ेगी ना। तो
र्ास्टर सिकशक्ततर्ान अथाकत शक्तत र्ो ऑडकर कर्र्ा और हाजर। ऐसे नहीं कर् ऑडकर र्रो

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सहन शक्तत र्ो और आर्े सार्ना र्रने र्ी शक्तत। तो उसर्ो र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्हें गे
? जैसे र्ई पररक्स्थनत र्ें सोचते हो कर् कर्नारा नहीं र्रना है , सहन र्रना है लेकर्न किर
सहन र्रते-र्रते सार्ना र्रने र्ी शक्तत र्ें आ जाते हो। ऐसे ही ननणकर् शक्तत र्ी
आिश्र्र्ता है। लेकर्न ननणकर् शक्तत र्थाथक सर्र् पर र्थाथक ननणकर् नहीं ले तो उसर्ो तर्ा
र्हें गे ? र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्ा र्र्ज़ोर ? तो ऐसे ट्रार्ल र्रो कर् क्जस सर्र् जो शक्तत
आिश्र्र् है उस सर्र् िो शक्तत र्ार्क र्ें आती है ? एर् सेर्ेण्ड र्ा भी िर्क पड़ा तो जीत
र्े बजार् हार हो जाती है। सेर्ेण्ड र्ी बात है ना। ननणकर् र्रना हााँ र्ा ना। और हााँ र्े
बजार् अगर ना र्र ललर्ा तो सेर्ेण्ड र्ा नुर्सान सदा र्े ललर्े हार खखलाने र्े ननलर्त्त बन
जाता है। इसललर्े र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्ा अथक ही है जो हर शक्तत ऑडकर र्ें हो। जैसे र्े
शरीर र्ी र्र्ेक्न्रर्ां ऑडकर र्ें हैं ना। हाथ पांि जब चलाओ, जैसे चलाओ िैसे चलाते हो ना
ऐसे सिकशक्ततर्ां इतना ऑडकर र्ें चलें। क्जतना र्ूज़ र्रते जार्ेंगे उतना अनुभि र्रते जार्ेंगे।
र्ाताओं र्ें सर्ाने र्ी शक्तत है र्ा थोड़ा र्ुछ होता है तो क्रोध आ जाता है ? थोड़ा बच्चों
पर क्रोध आ जाता है। पाण्डिों र्ो गुस्सा आता है ? बच्चों पर नहीं, बड़ों पर आता है ? सदा
अपना र्े स्िर्ान स्र्नृ त र्ें रखो कर् हर् र्ास्टर सिकशक्ततर्ान हैं। इस स्िर्ान र्ी सीट पर
सदा क्स्थत रहो। जैसी सीट होती है िैसे लक्षण आते हैं। र्ोई भी ऐसी पररक्स्थनत सार्ने
आर्े तो सेर्ेण्ड र्ें अपने इस सीट पर सेट हो जाओ। सीट पर सेट नहीं होते तो शक्ततर्ां
भी ऑडकर नहीं र्ानती। सीट िाले र्ा ऑडकर र्ाना जाता है। तो सेट होना आता है ना। सीट
पर बैठने िाले र्भी अपसेट नहीं होते। र्ा तो है सीट र्ा तो है अपसेट। लक्ष्र् अच्छा है ,
लक्षण भी अच्छे हैं। सभी र्हािीर हैं। र्भी-र्भी लसिक थोड़ा र्ार्ा से खेल र्रते हो। अब र्े
विजर्ी ही सदा र्े विजर्ी बनेंग।े अब विजर्ी नहीं तो किर र्भी भी विजर्ी नहीं बनेंगे।
इसललर्े संगर्र्ुग है ही सदा विजर्ी बनने र्ा र्ुग। द्िापर-र्ललर्ुग हार खाने र्ा र्ुग है
और संगर् विजर् प्राप्त र्रने र्ा र्ुग है। इस र्ुग र्ो िरदान है। तो िरदानी बन विजर्ी
बनो।

( 18-11-93 )

र्ार्ा जीत बनने र्े ललए र्ास्टर सिशकक्ततर्ान र्ी पोजीशन स्र्नृ त र्ें रखो
अपने र्ो र्र्ल पुष्ठप सर्ान न्र्ारे और प्र्ारे सर्झते हो ? सदा न्र्ारे और बाप र्े प्र्ारे
अनुभि र्रते हो ? िा र्भी-र्भी र्रते हो ? अगर कर्सी भी प्रर्ार र्ी र्ार्ा र्ी परछाई भी
पड़ गई तो र्र्ल पुष्ठप र्हें गे? तो र्ार्ा आती है र्ा सभी र्ार्ाजीत हो ? तर्ोंकर् सदा
अपने र्ो र्ास्टर सिकशक्ततर्ान श्रेष्ठठ आत्र्ा सर्झते हो तो र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्े आगे
र्ार्ा आ नहीं सर्ती। र्ार्ा चींटी है र्ा शेर है ? तो चींटी पर विजर् प्राप्त र्रना बड़ी बात
है तर्ा ? जब अपनी स्र्नृ त र्ी ऊंची स्टे ज पर होते हो तो र्ार्ा चींटी र्ो जीतना सहज
लगता है और जब र्र्ज़ोर होते हो तो चींटी भी शेर र्ाकिर् लगती है। तो सदा अर्त
ृ िेले

100
इस स्र्नृ त र्ो इर्जक र्रो कर् र्ैं र्ास्टर सिकशक्ततर्ान हूाँ। तो अर्त
ृ िेले र्ी स्र्नृ त सारा ददन
सहर्ोग दे ती रहे गी। जैसे स्थल
ू पोजीशन िाले अपने पोजीशन र्ो भल
ू ते नहीं। आजर्ल र्ा
प्राइर् लर्ननस्टर अपने र्ो भल
ू जार्ेगा तर्ा कर् र्ैं प्राइर् लर्ननस्टर हूाँ ? आपर्ा पोजीशन
है - र्ास्टर सिकशक्ततर्ान। तो भल
ू नहीं सर्ते। लेकर्न भल
ू जाते हो इसललए रोज अर्त
ृ िेले
इस स्र्नृ त र्ो इर्जक र्रने से ननरन्तर र्ाद हो जार्ेगी।

( 25-11-93 )

अचल क्स्थनत बनाने र्े ललए र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्ा टाइटल स्र्नृ त र्ें रखो
स्िर्ं र्ो सदा सिक खज़ानों से भरपूर अथाकत सम्पन्न आत्र्ा अनुभि र्रते हो ? तर्ोंकर् जो
सम्पन्न होता है तो सम्पन्नता र्ी ननशानी है कर् िो अचल होगा, हलचल र्ें नहीं आर्ेगा।
क्जतना खाली होता है उतनी हलचल होती है। तो कर्सी भी प्रर्ार र्ी हलचल, चाहे संर्ल्प
द्िारा, चाहे िाणी द्िारा, चाहे सम्बन्ध-सम्पर्क द्िारा, कर्सी भी प्रर्ार र्ी हलचल अगर होती
है तो लसि है कर् खज़ाने से सम्पन्न नहीं हैं। संर्ल्प र्ें भी, स्िप्न र्ें भी अचल। तर्ोंकर्
क्जतना-क्जतना र्ास्टर सिकशक्ततर्ान स्िरूप र्ी स्र्नृ त इर्जक होगी उतना र्े हलचल र्जक
होती जार्ेगी। तो र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्ी स्र्नृ त प्रत्र्क्ष रूप र्ें इर्जक हो। जैसे शरीर र्ा
आतर्ूपेशन इर्जक रहता है, र्जक नहीं होता, ऐसे र्ह ब्राह्र्ण जीिन र्ा आतर्ूपेशन इर्जक
रूप र्ें रहे । तो र्ह चेर् र्रो - इर्जक रहता है र्ा र्जक रहता है ? इर्जक रहता है तो उसर्ी
ननशानी है - हर र्र्क र्ें िह नशा होगा और दस
ू रों र्ो भी अनुभि होगा कर् र्ह शक्ततशाली
आत्र्ा है। तो र्हा जाता है हलचल से परे अचल। अचलघर आपर्ा र्ादगार है। तो अपना
आतर्ूपेशन सदा र्ाद रखो कर् हर् र्ास्टर सिकशक्ततर्ान हैं - तर्ोंकर् आजर्ल सिक आत्र्ार्ें
अनत र्र्ज़ोर हैं तो र्र्ज़ोर आत्र्ाओं र्ो शक्तत चादहर्े। शक्तत र्ौन दे गा ? जो स्िर्ं
र्ास्टर सिकशक्ततर्ान होगा। कर्सी भी आत्र्ा से लर्लेंगे तो िो तर्ा अपनी बातें
सुनार्ेंगे? र्र्ज़ोरी र्ी बातें सन
ु ाते हैं ना ? जो र्रना चाहते हैं िो र्र नहीं सर्ते तो इसर्ा
प्रर्ाण है कर् र्र्ज़ोर हैं और आप जो संर्ल्प र्रते हो िो र्र्क र्ें लासर्ते हो। तो
र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्ी ननशानी है कर् संर्ल्प और र्र्क दोनों सर्ान होगा। ऐसे नहीं कर्
संर्ल्प बहुत श्रेष्ठठ हो और र्र्क र्रने र्ें िो श्रेष्ठठ संर्ल्प नहीं र्र सर्ो, इसर्ो र्ास्टर
सिकशक्ततर्ान नहीं र्हें गे। तो चेर् र्रो कर् जो श्रेष्ठठ संर्ल्प होते हैं िो र्र्क तर् आते हैं र्ा
नहीं आ सर्ते ? र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्ी ननशानी है कर् जो शक्तत क्जस सर्र् आिश्र्र्
हो उस सर्र् िो शक्तत र्ार्क र्ें आर्े। तो ऐसे है र्ा आह्िान र्रते हो, थोड़ा दे री से आती
है ? जब र्ोई बात पूरी हो जाती है, पीछे स्र्नृ त र्ें आर्े कर् ऐसा नहीं, ऐसा र्रते, तो
इसर्ो र्हा जाता है सर्र् पर र्ार् र्ें नहीं आई। जैसे स्थूल र्र्ेक्न्रर्ां ऑडकर पर चल
सर्ती हैं ना, हाथ र्ो जब चाहो, जहााँ चाहो िहााँ चला सर्ते हो, ऐसे र्ह सक्ष्
ू र् शक्ततर्ां
इतने र्न्ट्रोल र्ें हों - क्जस सर्र् जो शक्तत चाहो र्ार् र्ें लगा सर्ो। तो ऐसी र्न्ट्रोललंग

101
पािर है ? ऐसे तो नहीं सोचते कर् चाहते तो नहीं थे लेकर्न हो गर्ा। तो सदा अपनी
र्न्ट्रोललंग पॉिर र्ो चेर् र्रते हुए शक्ततशाली बनते चलो। सब उड़ती र्ला िाले हो कर् र्ोई
चढ़ती र्ला िाला, र्ोई उड़ती र्ला िाला ? िा र्भी उड़ती, र्भी चढ़ती, र्भी चलती र्ला
हो जाती है ? बदली होता है िा एर्रस आगे बढ़ते रहते हो ? र्ोई विघ्न आता है तो कर्तने
सर्र् र्ें विजर्ी बनते हो ? टाइर् लगता है ? तर्ोंकर् नॉलेजिुल हो ना। तो विघ्नों र्ी भी
नॉलेज है। नॉलेज र्ी शक्तत से विघ्न िार नहीं र्रें गे लेकर्न हार खा लेंगे। इसी र्ो ही
र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्हा जाता है। तो अर्त
ृ िेले से इस आतर्प
ू ेशन र्ो इर्जक र्रो और
किर सारा ददन चेर् र्रो।

( 02-12-93 )

एर्ाग्रता र्ी शक्तत सहज ननविकघ्न बना दे ती है। र्ेहनत र्रने र्ी आिश्र्र्ता ही नहीं है।
एर्ाग्रता र्ी शक्तत स्ित: ‘एर् बाप दस
ू रा न र्ोई’ र्े अनुभूनत सदा र्राती है। एर्ाग्रता र्ी
शक्तत सहज एर्रस क्स्थनत बनाती है। एर्ाग्रता र्ी शक्तत सदा सिक प्रनत एर् ही र्ल्र्ाण
र्ी िक्ृ त्त सहज बनाती है। एर्ाग्रता र्ी शक्तत सिक प्रनत भाई-भाई र्ी दृक्ष्ठट स्ित: बना दे ती
है। एर्ाग्रता र्ी शक्तत हर आत्र्ा र्े सम्बन्ध र्ें स्नेह, सम्र्ान, स्िर्ान र्े र्र्क सहज
अनुभि र्राती है। तो अभी तर्ा र्रना है? तर्ा अटे न्शन दे ना है ? ‘एर्ाग्रता’। क्स्थत होते
हो, अनुभि भी र्रते हो लेकर्न एर्ाग्र अनुभिी नहीं होते। र्भी श्रेष्ठठ अनुभि र्ें, र्भी
र्ध्र्र्, र्भी साधारण, तीनों र्ें चतर्र लगाते रहते हो। इतना सर्थक बनो जो र्न-बुवि सदा
आपर्े ऑडकर अनुसार चले। स्िप्न र्ें भी सेर्ण्ड र्ात्र भी हलचल र्ें नहीं आर्े। र्न, र्ाललर्
र्ो परिश नहीं बनार्े।

( 09-12-93 )

ब्राह्र्ण जीिन र्ा अथक ही है पवित्र आत्र्ा, और र्े पवित्रता ब्राह्र्ण जीिन र्ा िाउण्डेशन
है। िाउण्डेशन पतर्ा है ना कर् दहलता है ? र्े िाउण्डेशन सदा अचल-अडोल रहना ही
ब्राह्र्ण जीिन र्ा सख
ु प्राप्त र्रना है। र्भी-र्भी बच्चे जब बाप से रूहररहान र्रते अपना
सच्चा चाटक दे ते हैं तो तर्ा र्हते हैं ? कर् क्जतना अतीक्न्रर् सख
ु , क्जतनी शक्ततर्ााँ अनभ
ु ि
होनी चादहर्ें, उतनी नहीं हैं र्ा दस
ू रे शब्दों र्ें र्हते हैं कर् हैं, लेकर्न सदा नहीं हैं। इसर्ा
र्ारण तर्ा ? र्हने र्ें तो र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्हते हैं, अगर पछ
ू ें गे कर्
र्ास्टर सिकशक्ततर्ान हो, तो तर्ा र्हें गे ? ‘ना’ तो नहीं र्हें गे ना। र्हते तो ‘हााँ’ हैं।
र्ास्टर सिकशक्ततर्ान हैं तो किर शक्ततर्ां र्हााँ चली जाती हैं ? और हैं ही ब्राह्र्ण
जीिनधारी। नार्धारी नहीं हैं, जीिनधारी हैं। ब्राह्र्णों र्े जीिन र्ें सम्पण
ू क सख
ु -शाक्न्त र्ी
अनुभूनत न हो िा ब्राह्र्ण सिक प्राक्प्तर्ों से सदा सम्पन्न न हों तो लसिाए ब्राह्र्णों र्े और

102
र्ौन होगा ? और र्ोई हो सर्ता है ? ब्राह्र्ण ही हो सर्ते हैं ना। आप सभी अपना साइन
तर्ा र्रते हो ? बी.र्े. िलानी, बी.र्े. िलाना र्हते हो ना। पतर्ा है ना ? बी.र्े. र्ा अथक
तर्ा है ? ‘ब्राह्र्ण’। तो ब्राह्र्ण र्ी पररभाषा र्ह है।
सिकशक्ततर्ान बाप र्े साथ सदा र्म्बाइन्ड रहो तो सिलता आगे पीछे घर्
ू ती रहे गी
सदा अपने र्ो चर्र्ता हुआ लसतारा अनभ ु ि र्रते हो ? जैसे आर्ाश र्े लसतारे सभी र्ो
रोशनी दे ते हैं ऐसे आप ददर्वर् लसतारे विश्ि र्ो रोशनी दे ने िाले हो ना ! लसतारे कर्तने प्र्ारे
लगते हैं ! तो आप ददर्वर् लसतारे भी कर्तने प्र्ारे हो ! लसतारों र्ें भी लभन्न-लभन्न प्रर्ार र्े
लसतारे गार्े जाते हैं। एर् हैं साधारण लसतारे और दस
ू रे हैं लतर्ी लसतारे और तीसरे हैं
सिलता र्े लसतारे । तो आप र्ौन-से लसतारे हो ? सभी सिलता र्े लसतारे हो ! सिलता
लर्लती है कर् र्ेहनत र्रनी पड़ती है ? र्म्बाइन्ड र्र् रहते हो इसललए सिलता भी र्र्
लर्लती है। तर्ोंकर् जब सिकशक्ततर्ान र्म्बाइण्ड है तो शक्ततर्ां र्हााँ जार्ेंगी ? साथ ही
होगी ना। और जहााँ सिक शक्ततर्ां हैं िहााँ सिलता न हो, र्ह असम्भि है। तो सदा बाप से
र्म्बाइन्ड रहने र्ें र्र्ी है इस र्ारण सिलता र्र् होती है र्ा र्ेहनत र्रने र्े बाद
सिलता होती है। तर्ोंकर् जब बाप लर्ला तो बाप लर्लना अथाकत सिलता जन्र् लसि
अचधर्ार है। नार् ही अचधर्ार है तो अचधर्ार र्र् लर्ले, र्ह हो नहीं सर्ता। तो सिलता
र्े लसतारे , विश्ि र्ो ज्ञान र्ी रोशनी दे ने िाले हैं। र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्े आगे सिलता तो
आगे-पीछे घूर्ती है। तो र्म्बाइन्ड रहते हो र्ा र्भी र्म्बाइन्ड रहते हो, र्भी र्ार्ा अलग
र्र दे ती है। जब बाप र्म्बाइन्ड बन गर्े तो ऐसे र्म्बाइन्ड रूप र्ो छोड़ना हो सर्ता है
तर्ा ? र्ोई अच्छा साथी लौकर्र् र्ें भी लर्ल जाता है तो उसर्ो छोड़ सर्ते हैं ? र्े तो
अविनाशी साथी है। र्भी धोखा दे ने िाला साथी नहीं है। सदा ही साथ ननभाने िाला साथी है।
तो र्े नशा, खुशी है ना, क्जतना नशा होगा कर् स्िर्ं बाप र्ेरा साथी है उतनी खुशी रहे गी।
र्भी र्ोई बात र्ें घबराने िाले तो नहीं हो ? िहााँ जार्र र्ोई बात आ जार्े तो घबरार्ेंगे
नहीं ? दे खना, िहााँ जार्ेंगे तो र्ार्ा आर्ेगी। किर ऐसे तो नहीं र्हें गे कर् र्ैंने तो सर्झा
नहीं था, ऐसे भी हो सर्ता है ! नर्े-नर्े रूप र्ें आर्ेगी, पुराने रूप र्ें नहीं आर्ेगी। किर भी
बहादरु हो। ननश्चर् है कर् अनेर् बार बने हैं, अब भी हैं और आगे भी बनते रहें गे। ननश्चर्
र्ी विजर् है ही। र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्ी स्र्नृ त र्ें रहने िाले र्भी घबरा नहीं सर्ते।

( 23-12-93 )

सदा हर ददन, हर सर्र् र्हादानी और िरदानी बनना है। तो र्ह िषक र्हादानी िरदानी िषक
र्नाओ। जो भी सम्बन्ध-सम्पर्क र्ें आर्े उस आत्र्ा र्ो र्हादानी बन र्ोई न र्ोई शक्तत
र्ा, ज्ञान र्ा, गुण र्ा दान दे ना ही है। तीनों खज़ाने कर्तने भरपूर हो गर्े हैं ! ज्ञान
र्ा खज़ाना भरपरू है , कर् थोड़ा र्र् है ? र्ास्टर नॉलेजिुल हो ना। तो ज्ञान र्ा खज़ाना भी
है, शक्ततर्ों र्ा खज़ाना भी है और गुणों र्ा खज़ाना भी है। तीनों र्ें सम्पन्न हो, कर् एर् र्ें

103
सम्पन्न हो, दो र्ें नहीं ? ितकर्ान सर्र् आत्र्ाओं र्ो तीनों र्ी बहुत आिश्र्र्ता है। सारे
ददन र्ें र्ोई न र्ोई दान दे ना ही है , चाहे ज्ञान र्ा, चाहे शक्ततर्ों र्ा, चाहे गण
ु ों र्ा,
लेकर्न दे ना ही है। र्हादानी आत्र्ाओं र्ा बबना दान ददर्े हुए र्ोई भी ददन न हो। ऐसे नहीं,
िषक परू ा हो जार्े और र्हो हर्ें तो चान्स नहीं लर्ला। चान्स लेना भी अपने ऊपर है कर्
चान्स दे ने िाला दे तब चान्स ले सर्ते हैं र्ा स्िर्ं भी चांस ले सर्ते हैं लेना आता है ?
कर् र्ोई दे िे तो लेना आता है ? र्ोई चान्स नहीं दे गा तो तर्ा र्रें गे? दे खते, सोचते रहें गे ?
सारे ददन र्ें चाहे ब्राह्र्ण आत्र्ाओं र्े , चाहे अज्ञानी आत्र्ाओं र्े सम्बन्ध-सम्पर्क र्ें तो
आते ही हो ना, क्जसर्े भी सम्बन्ध-सम्पर्क र्ें आओ उनर्ो र्ोई न र्ोई दान अथाकत
सहर्ोग दो। दान शब्द र्ा रूहानी अथक है सहर्ोग दे ना। तो रोज र्हादानी िा िरदानी बन
िरदान र्ैसे दें गे ? िरदान दे ने र्ी विचध तर्ा है ? आपर्े जड़ चचत्र तो अभी तर् िरदान दे
रहे हैं। तो िरदान दे ने र्ी विचध है - जो भी आत्र्ा सम्बन्ध-सम्पर्क र्ें आर्े उनर्ो अपने
क्स्थनत र्े िार्ुर्ण्डल द्िारा और अपने िक्ृ त्त र्े िार्ब्रेशन्स द्िारा सहर्ोग दे ना अथाकत
िरदान दे ना। र्ैसी भी आत्र्ा हो, गाली दे ने िाली भी हो, ननन्दा र्रने िाली हो लेकर्न
अपनी शुभ भािना, शुभ र्ार्ना द्िारा, िक्ृ त्त द्िारा, क्स्थनत द्िारा ऐसी आत्र्ा र्ो भी गुण
दान र्ा सहनशीलता र्ी शक्तत र्ा िरदान दो। अगर र्ोई क्रोध अक्ग्न र्ें जलता हुआ आपर्े
सार्ने आर्े तो आग र्ें तेल डालेंगे र्ा पानी डालेंगे ? पानी डालेंगे ना कर् थोड़ा तेल र्ा भी
छींटा डालेंगे ? अगर क्रोधी र्े आगे आपने र्ुख से क्रोध नहीं कर्र्ा, र्ुख से तो शान्त रहे
लेकर्न आंखों द्िारा, चेहरे द्िारा क्रोध र्ी भािना रखी तो भी तेल र्े छींटे डाले। क्रोधी
आत्र्ा परिश है, रहर् र्े शीतल जल द्िारा िरदान दो। तो ऐसे िरदानी बने हो ? कर् क्जस
सर्र् आिश्र्र्ता है उस सर्र् सहनशक्तत र्ा तीर नहीं चलता है ? अगर सर्र् पर र्ोई
भी अर्ूल्र् िस्तु र्ार्क र्ें नहीं लगी तो उसर्ो अर्ूल्र् र्हा जार्ेगा ? अर्ूल्र् अथाकत सर्र्
पर र्ूल्र् र्ार्क र्ें लगे। तो इस िषक तर्ा र्रें गे ? र्हादानी, िरदानी बनो। चैतन्र् र्ें संस्र्ार
भरते हो तब तो जड़ चचत्रों द्िारा भी िरदानी र्ूतक बनते हो। संस्र्ार तो अभी भरने है ना,
कर् क्जस सर्र् र्ूनतक बनेगी उस सर्र् भरें गे ?
र्ोई नई बात सुनी जाती है र्ा र्रनी होती है तो तिेश्चन उठता है - ऐसे र्रें , र्ैसे र्रें ..।
तो आपर्ी आत्र्ा र्ें अनचगनत बार र्रने र्े संस्र्ार भरे हुए हैं। तर्ा होगा - र्े संर्ल्प
नहीं, लेकर्न अच्छा ही हुआ पड़ा है। बाबा र्हा और बाप र्े साथ र्ा अनभ
ु ि उसी सेर्ेण्ड,
उसी संर्ल्प र्ें होता ही है। सेर्ण्ड र्ी बात है। इतनी शक्तत है ना।
र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्ा अथक ही है कर् शक्ततर्ां जर्ा हैं तब र्ास्टर सिकशक्ततर्ान हो। तर्ा
भी हो जार्े, र्ैसी भी पररक्स्थनत आ जार्े लेकर्न र्ास्टर सिकशक्ततर्ान हैं और सदा रहें गे
कर् ऐसे र्हें गे कर् इतनी बात तो सोची नहीं थी, ऐसा भी होता है तर्ा ! ऐसे तो नहीं र्हें गे
? तर्ोंकर् र्ार्ा भी जानती है कर् र्ोई ऐसे नर्े रूप से आर्ें जो विचललत हों लेकर्न कर्सी
भी रूप र्ें, र्ैसी भी पररक्स्थनत आर्े, र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्भी हलचल र्ें नहीं आ सर्ते।

104
बात बड़ी नहीं, आप बड़े से बड़े हो। र्ह नशा है ना ? लसिक बढ़ते रहना, न ठहरना, न पीछे
रहना। आगे- आगे उड़ते जाना।

( 31-12-93 )

बाप साथ है तो बाप र्ी पहली-पहली जो र्दहर्ा र्रते हो कर् िो सिकशक्ततर्ान है - र्े
र्ानते हो र्ा लसिक जानते हो ? तो जब सिकशक्ततर्ान बाप साथ है तो सिकशक्ततर्ान र्े
आगे अपवित्रता आ सर्ती है ? नहीं आ सर्ती। लेकर्न आती तो है , तो आती किर र्हााँ से
है ? र्ोई और जगह है ? चोर लोग जो होते हैं िो अपना स्पेशल गेट बना लेते हैं। चोर गेट
होता है। तो आपर्े पास भी नछपा हुआ चोर गेट तो नहीं है ? चेर् र्रो। नहीं तो र्ार्ा आई
र्हााँ से ? ऊपर से आ गई ? अगर ऊपर से भी आ गई तो ऊपर ही खत्र् हो जानी चादहर्े।
र्ोई नछपे हुए गेट से आती है जो आपर्ो पता नहीं पड़ता है तो चेर् र्रो कर् र्ार्ा ने र्ोई
चोर गेट तो नहीं बनार्र रखा है ? और गेट बनाती भी र्ैसे है , र्ालर्
ू है ? आपर्े जो
विशेष स्िभाि र्ा संस्र्ार र्र्ज़ोर होंगे तो िहीं र्ार्ा अपना गेट बना दे ती है। तर्ोंकर् जब
र्ोई भी स्िभाि र्ा संस्र्ार र्र्ज़ोर है तो आप कर्तना भी गेट बन्द र्रो, लेकर्न र्र्ज़ोर
गेट है, तो र्ार्ा तो जानीजाननहार है, उसर्ो पता पड़ जाता है कर् र्े गेट र्र्ज़ोर है , इससे
रास्ता लर्ल सर्ता है और लर्लता भी है। चलते-चलते अपवित्रता र्े संर्ल्प भी आते हैं, बोल
भी होता, र्र्क भी हो जाता है। तो गेट खुला हुआ है ना, तभी तो र्ार्ा आई। किर साथ र्ैसे
हुआ ? र्हने र्ें तो र्हते हो कर् सिकशक्ततर्ान साथ है तो र्े र्र्ज़ोरी किर र्हााँ से आई ?
र्र्ज़ोरी रह सर्ती है ? नहीं ना ? तो तर्ों रह जाती है ? चाहे पवित्रता र्ें र्ोई भी विर्ार
हो, र्ानो लोभ है, लोभ लसिक खाने-पीने र्ा नहीं होता। र्ई सर्झते हैं हर्ारे र्ें पहनने, खाने
र्ा रहने र्ा ऐसा तो र्ोई आर्षकण नहीं है , जो लर्लता है, जो बनता है, उसर्ें चलते हैं।
लेकर्न जैसे आगे बढ़ते हैं तो र्ार्ा लोभ भी रॉर्ल और सूक्ष्र् रूप र्ें लाती है। िो रॉर्ल
लोभ तर्ा है ? चाहे स्टूडेण्ट हो, चाहे टीचर हो, र्ार्ा दोनों र्ें रॉर्ल लोभ लाने र्ा िुल
पुरूषाथक र्रती है। र्ानो स्टूडेण्ट है, बहुत अच्छा ननश्चर्बुवि, सेिाधारी है, सबर्ें अच्छा है
लेकर्न जब आगे बढ़ते हैं तो र्े रॉर्ल लोभ आता है कर् र्ैं इतना र्ुछ र्रता हूाँ, सब रूप
(तरह) से र्ददगार हूाँ, तन से, र्न से, धन से और क्जस सर्र् चादहर्े उस सर्र् सेिा र्ें
हाज़र हो जाता हूाँ किर भी र्ेरा नार् र्भी भी टीचर िणकन नहीं र्रती कर् र्े क्जज्ञासु बहुत
अच्छा है। अगर र्ानों र्े भी नहीं आिे तो किर दस
ू रा रूप तर्ा होता है ? अच्छा, नार् ले
भी ललर्ा तो नार् सन ु ते-सनु ते-र्ैं ही हूाँ, र्ैं ही र्रता हूाँ, र्ैं ही र्र सर्ता हूाँ, िो आलभर्ान
र्े रूप र्ें आ जार्ेगा। र्ा बहुत र्ार् र्रर्े आर्े और कर्सी ने आपर्ो पछ ू ा भी नहीं , एर्
चगलास पानी भी नहीं वपलार्ा, देखा ही नहीं, अपने आरार् र्ें र्ा अपने र्ार् र्ें बबज़ी रहे ,
तो र्े भी आता है कर् र्रो भी और पछ
ू े भी र्ोई नहीं। तो र्रना ही तर्ा है , र्रना र्ा ना
र्रना एर् ही बात है। पछ
ू ने िाला तो र्ोई है नहीं, इससे आरार् से घर र्ें बैठो, जब होगा
तब सेिा र्रें गे। तो र्े लभन्न-लभन्न प्रर्ार र्ा विर्ारों र्ा रॉर्ल रूप आता है। और एर् भी

105
विर्ार आ गर्ा ना, र्ानो लोभ नहीं आर्ा लेकर्न अलभर्ान आ गर्ा र्ा अपने र्ानने तर्
र्ा, हर्ारी र्ान्र्ता हो - उसर्ा भान आ गर्ा तो जहााँ एर् विर्ार होता है िहााँ उनर्े चार
साथी नछपे हुए रूप र्ें होते हैं। और एर् र्ो आपने चांस दे ददर्ा तो िो नछपे हुए जो हैं िो
भी सर्र् प्रर्ाण अपना चांस लेते रहते हैं। किर र्हते हैं कर् पहले जैसा नशा अभी नहीं है ,
पहले बहुत अच्छा था, पहले अिस्था बड़ी अच्छी थी, अभी पता नहीं तर्ा हो गर्ा है। र्ार्ा
चोर गेट से आ गई - र्े है पता, र्े नहीं र्हो पता नहीं।
टीचर र्ो तर्ा चादहर्े ? सेन्टर अच्छा हो, र्पड़े भले र्ैसे भी हो लेकर्न सेन्टर थोड़ा रहने
लार्र् तो अच्छा हो। और जो साथी हो िो अच्छे हो, स्टूडेण्ट अच्छे हो, बाबा र्ी भण्डारी
अच्छी हो। अगर अच्छा स्टूडेन्ट चें ज हो जार्े तो ददल थोड़ा धड़र्ता है। किर सर्झते हैं कर्
तर्ा र्रें , र्े र्ददगार था ना, अभी िो चला गर्ा। र्ददगार क्जज्ञासु था िा बाप है ? तो उस
सर्र् र्ौन ददखाई दे ता है ? क्जज्ञासु र्ा बाप ? तो र्े रॉर्ल र्ार्ा िाउण्डेशन र्ो दहलाने
र्ी र्ोलशश र्रती है। अगर आपर्ो ननश्चर् है - सिकशक्ततर्ान साथ है तो बाप कर्सी न
कर्सी र्ो ननलर्त्त बना ही दे ता है। र्ई किर सोचते हैं हर्ें र्र् से र्र् एर् बार आबू र्ी
र्ांफ्रेंस र्ें र्ा कर्सी बड़ी र्ांफ्रेंस र्ें चांस लर्लना चादहए, चलो और नहीं, र्ोग लशविर तो र्रा
लें, र्े भी तो चांस होना चादहर्े ना, चलो भाषण नहीं र्रे , स्टे ज पर तो आिें , आखखर विनाश
हो जार्ेगा, तर्ा विनाश तर् भी हर्ारा नम्बर नहीं आर्ेगा, नम्बर तो आना चादहर्े ना!
लेकर्न पहले भी बापदादा ने सुनार्ा कर् अगर र्ोग्र् हैं, चांस लर्लता है तो खुशी से र्रो
लेकर्न र्े संर्ल्प र्रना कर् हर्ें चांस लर्लना चादहए...... र्ह भी र्ांगना है। चादहर्े -चादहर्े
र्े है रॉर्ल र्ांगना।
र्ुख्र् बात - जो र्थाथक ननश्चर् है उसर्ो पतर्ा र्रो। र्हने र्ें तो र्ह दे ते हो र्ैं आत्र्ा हूाँ
और बाप सिकशक्ततर्ान है लेकर्न प्रैक्तटर्ल र्ें , र्र्क र्ें आना चादहर्े। बाप सिकशक्ततर्ान है
लेकर्न र्ेरे र्ो र्ार्ा दहला रही है तो र्ौन र्ानेगा आपर्ा बाप सिकशक्ततर्ान है ! तर्ोंकर्
उससे ऊपर तो र्ोई है नहीं।

( 04-12-95 )

दनु नर्ा घबराती है और आप, क्जतना िह घबराते हैं उतना ही आप सभी र्ाद र्ी गहराई र्ें
जा रहे हो। र्न र्ा र्ौन है ही - ज्ञान सागर र्े तले र्ें जाना और नर्े-नर्े अनभ
ु िों र्े रत्न
लाना। जो बापदादा ने पहले भी इशारा ददर्ा है - सबसे बड़ा खज़ाना है जो ितकर्ान और
भविष्ठर् बनाता है, िह है श्रेष्ठठ खज़ाना, श्रेष्ठठ संर्ल्प र्ा खज़ाना। संर्ल्प शक्तत बहुत बड़ी
शक्तत है जो आप बच्चों र्े पास है - श्रेष्ठठ संर्ल्प र्ी शक्तत। संर्ल्प तो सबर्े पास हैं
लेकर्न श्रेष्ठठ शक्तत, शुभ-भािना, शुभ-र्ार्ना र्ी संर्ल्प शक्तत, र्न-बुवि एर्ाग्र र्रने र्ी
शक्तत - र्ह आपर्े पास ही है। और क्जतना आगे बढ़ते जार्ेंगे इस संर्ल्प शक्तत र्ो जर्ा
र्रते जार्ेंगे, र्वर्थक नहीं गंिार्ेंगे, र्वर्थक गंिाने र्ा र्ुख्र् र्ारण है - र्वर्थक संर्ल्प। र्वर्थक

106
संर्ल्प, बापदादा ने देखा है र्ैजाररटी बच्चों र्े सारे ददन र्ें र्वर्थक अभी भी है। जैसे स्थल

धन र्ो एर्ानार्ी से र्ज़
ू र्रने िाले सदा ही सम्पन्न रहते हैं और र्वर्थक गंिाने िाले र्हााँ-न-
र्हााँ धोखा खा लेते हैं। ऐसे श्रेष्ठठ शि
ु संर्ल्प र्ें इतनी तार्त है जो आपर्े र्ैचचंग पािर,
िार्ब्रेशन र्ैच र्रने र्ी पािर, बहुत बढ़ सर्ती है। र्ह िार्रलेस, र्ह टे लीिोन.... जैसे र्ह
साइंस र्ा साधन र्ार्क र्रता है िैसे र्ह शि
ु संर्ल्प र्ा खज़ाना, ऐसा ही र्ार्क र्रे गा जो
लण्डन र्ें बैठे हुए र्ोई भी आत्र्ा र्ा िार्ब्रेशन आपर्ो ऐसे ही स्पष्ठट र्ैच होगा जैसे र्ह
िार्रलेस र्ा टे लीिोन, टी.िी. र्ह जो भी साधन हैं....कर्तने साधन ननर्ल गर्े हैं, इससे भी
स्पष्ठट आपर्ी र्ैचचंग पािर, एर्ाग्रता र्ी शक्तत से बढ़े गी। र्ह आधार तो खत्र् होने ही हैं।
र्ह सब साधन कर्स आधार पर हैं ? लाइट र्े आधार पर। जो भी सुख र्े साधन हैं
र्ैजाररटी लाइट र्े आधार पर हैं। तो तर्ा आपर्ी आध्र्ाक्त्र्र् लाइट, आत्र् लाइट र्ह र्ार्क
नहीं र्र सर्ती! जो चाहो िार्ब्रेशन नजदीर् र्े, दरू र्े र्ैच र्र सर्ेंगे। अभी तर्ा
है, एर्ाग्रता र्ी शक्तत र्न-बुवि दोनों ही एर्ाग्र हो तब र्ैचचंग पािर होगी। बहुत अनुभि
र्रें गे। संर्ल्प कर्र्ा - नन:स्िाथक, स्िच्छ, स्पष्ठट िह बहुत क्तिर् अनुभि र्रार्ेगा। साइलेन्स
र्ी शक्तत र्े आगे र्ह साइन्स झुर्ेगी। अभी भी सर्झते जाते हैं कर् साइंस र्ें भी र्ोई
लर्लसंग हैं जो भरनी चादहए। इसललए बापदादा किर से अण्डरलाइन र्रा रहा है कर् अक्न्तर्
स्टे ज, अक्न्तर् सेिा - र्ह संर्ल्प शक्तत बहुत िास्ट सेिा र्रार्ेगी। इसीललए संर्ल्प शक्तत
र्े ऊपर और अटे न्शन दो। बचाओ, जर्ा र्रो। बहुत र्ार् र्ें आर्ेगी। प्रर्ोगी इस संर्ल्प
र्ी शक्तत से बनेंगे। साइंस र्ा र्हत्ि तर्ों है ? प्रर्ोग र्ें आती है तब सब सर्झते हैं हााँ
साइंस अच्छा र्ार् र्रती है। तो साइलेन्स र्ी पािर र्ा प्रर्ोग र्रने र्े ललए एर्ाग्रता र्ी
शक्तत चादहए और एर्ाग्रता र्ा र्ूल आधार है - र्न र्ी र्ण्ट्रोललंग पािर, क्जससे र्नोबल
बढ़ता है। र्नोबल र्ी बड़ी र्दहर्ा है , र्ह ररवि-लसवि िाले भी र्नोबल द्िारा अल्पर्ाल र्े
चर्त्र्ार ददखाते हैं। आप तो विचधपूिकर्, ररवि-लसवि नहीं, विचधपूिकर् र्ल्र्ाण र्े चर्त्र्ार
ददखार्ेंगे जो िरदान हो जार्ेंगे, आत्र्ाओं र्े ललए र्ह संर्ल्प शक्तत र्ा प्रर्ोग िरदान लसि
हो जार्ेगा। तो पहले र्ह चेर् र्रो कर् र्न र्ो र्ण्ट्रोल र्रने र्ी र्ण्ट्रोललंग पािर है
? सेर्ण्ड र्ें जैसे साइन्स र्ी शक्तत, क्स्िच र्े आधार से, क्स्िच आन र्रो, क्स्िच आि र्रो
- ऐसे सेर्ण्ड र्ें र्न र्ो जहााँ चाहो, जैसे चाहो, क्जतना सर्र् चाहो, उतना र्ण्ट्रोल र्र
सर्ते हैं ? बहुत अच्छे -अच्छे स्िर्ं प्रनत भी और सेिा प्रनत भी लसवि रूप ददखाई दें ग।े
लेकर्न बापदादा दे खते हैं कर् संर्ल्प शक्तत र्े जर्ा र्ा खाता अभी साधारण अटे न्शन है।
क्जतना होना चादहए उतना नहीं है। संर्ल्प र्े आधार पर बोल और र्र्क ऑटोर्ेदटर् चलते
हैं। अलग- अलग र्ेहनत र्रने र्ी ज़रूरत ही नहीं है , आज बोल र्ो र्ण्ट्रोल र्रो, आज
दृक्ष्ठट र्ो अटे न्शन र्ें लाओ, र्ेहनत र्रो, आज िक्ृ त्त र्ो अटे न्शन से चें ज र्रो। अगर
संर्ल्प शक्तत पािरिुल है तो र्ह सब स्ित: ही र्ण्ट्रोल र्ें आ जाते हैं। र्ेहनत से बच
जार्ेंगे। तो संर्ल्प शक्तत र्ा र्हत्त्ि जानो।

107
( 15-12-99 )

बापदादा आज हर एर् बच्चे र्े र्स्तर् पर लाइट र्ा ताज दे ख रहे हैं। क्जतनी अपने र्ें
र्ाइट धारण र्ी है उतना ही नम्बरिार लाइट र्ा ताज चर्र्ता है। बापदादा ने सभी बच्चों
र्ो सिक शक्ततर्ााँ अचधर्ार र्ें दी है। हर एर् र्ास्टर सिकशक्ततिान है , परन्तु धारण र्रने र्ें
नम्बरिार बन गर्े हैं। बापदादा ने दे खा कर् सिकशक्ततर्ों र्ी नॉलेज भी सबर्ें है , धारणा भी
है लेकर्न एर् बात र्ा अन्तर पड़ जाता है। र्ोई भी ब्राह्र्ण आत्र्ा से पछ
ू ो - हर एर्
शक्तत र्ा िणकन भी बहुत अच्छा र्रें गे, प्राक्प्त र्ा िणकन भी बहुत अच्छा र्रें गे। परन्तु
अन्तर र्ह है कर् सर्र् पर क्जस शक्तत र्ी आिश्र्र्ता है , उस सर्र् पर िह शक्तत र्ार्क
र्ें नहीं लगा सर्ते। सर्र् र्े बाद र्हसूस र्रते हैं कर् इस शक्तत र्ी आिश्र्र्ता थी।
बापदादा बच्चों र्ो र्हते हैं - सिक शक्ततर्ों र्ा िसाक इतना शक्ततशाली है जो र्ोई भी
सर्स्र्ा आपर्े आगे ठहर नहीं सर्ती है। सर्स्र्ा-र्ुतत बन सर्ते हो। लसिक सिक शक्ततर्ों
र्ो इर्जक रूप र्ें स्र्नृ त र्ें रखो और सर्र् पर र्ार्क र्ें लगाओ। इसर्े ललए अपने बुवि र्ी
लाइन तलीर्र रखो। क्जतनी बुवि र्ी लाइन तलीर्र और तलीन होगी उतना ननणकर् शक्तत
तीव्र होने र्े र्ारण क्जस सर्र् जो शक्तत र्ी आिश्र्र्ता है िह र्ार्क र्ें लगा सर्ेंगे
तर्ोंकर् सर्र् र्े प्रर्ाण बापदादा हर एर् बच्चे र्ो विघ्न-र्ुतत, सर्स्र्ा-र्ुतत, र्ेहनत र्े
पुरूषाथक-र्ुतत दे खने चाहते हैं। बनना तो सबर्ो है ही लेकर्न बहुतर्ाल र्ा र्ह अभ्र्ास
आिश्र्र् है। ब्रह्र्ा बाबा र्ा विशेष संस्र्ार दे खा - ``तुरत दान र्हापुण्र्''। जीिन र्े
आरम्भ से हर र्ार्क र्ें तुरत दान भी, तुरत र्ार् भी कर्र्ा। ब्रह्र्ा बाप र्ी विशेषता -
ननणकर्-शक्तत सदा िास्ट रही।

( 15-02-00 )

बापदादा आज सभी बच्चों र्े पााँच स्िरूप देख रहे हैं, जानते हो पांच स्िरूप र्ौन-से हैं
? जानते हो ना! 5 र्ुखी ब्रह्र्ा र्ा भी पूजन होता है। तो बापदादा सभी बच्चों र्े 5 स्िरूप
दे ख रहे हैं।
पहला - अनादद ज्र्ोनतबबन्द ु स्िरूप। र्ाद है ना अपना स्िरूप ? भल
ू तो नहीं जाते
? दस
ू रा है - आदद दे िता स्िरूप। पहुाँच गर्े देिता स्िरूप र्ें ? तीसरा - र्ध्र् र्ें पज्
ू र्
स्िरूप, िह भी र्ाद है ? आप सबर्ी पज
ू ा होती है र्ा भारतिालसर्ों र्ी होती है ? आपर्ी
पज
ू ा होती है ? र्ुर्ार सन
ु ाओ आपर्ी पज
ू ा होती है ? तो तीसरा है पज्
ू र् स्िरूप। चौथा है -
संगर्र्ग
ु ी ब्राह्र्ण स्िरूप और लास्ट र्ें है िररश्ता स्िरूप। तो 5 ही रूप र्ाद आ गर्े
? अच्छा एर् सेर्ण्ड र्ें र्ह 5 ही रूपों र्ें अपने र्ो अनभ
ु ि र्र सर्ते हो
? िन, टू, थ्री, िोर,िाइि... तो र्र सर्ते हो ! र्ह 5 ही स्िरूप कर्तने प्र्ारे हैं ? जब
चाहो, क्जस भी रूप र्ें क्स्थत होने चाहो, सोचा और अनभ
ु ि कर्र्ा। र्ही रूहानी र्न र्ी
एतसरसाइज़ है। आजर्ल सभी तर्ा र्रते हैं ? एतसरसाइज़ र्रते हैं ना ! जैसे आदद र्ें भी

108
आपर्ी दनु नर्ा र्ें (सतर्ुग र्ें) नेचुरल चलते-किरते र्ी एतसरसाइज़ थी। खड़े होर्र र्े
िन, टू, थ्री.... एतसरसाइज़ नहीं। तो अभी अन्त र्ें भी बापदादा र्न र्ी एतसरसाइज़ र्राते
हैं। जैसे स्थल
ू एतसरसाइज़ से तन भी दरू
ु स्त रहता है ना ! तो चलते-किरते र्ह र्न र्ी
एतसरसाइज़ र्रते रहो। इसर्े ललए टाइर् नहीं चादहए। 5 सेर्ण्ड र्भी भी ननर्ाल सर्ते हो
र्ा नहीं ! ऐसा र्ोई बबज़ी है, जो 5 सेर्ण्ड भी नहीं ननर्ाल सर्े ! है र्ोई, तो हाथ उठाओ।
किर तो नहीं र्हें गे - तर्ा र्रें टाइर् नहीं लर्लता ? र्ह तो नहीं र्हें गे ना ! टाइर् लर्लता
है ? तो र्ह एतसरसाइज़ बीच-बीच र्ें र्रो। कर्सी भी र्ार्क र्ें हो 5 सेर्ण्ड र्ी र्ह र्न र्ी
एतसरसाइज़ र्रो। तो र्न सदा ही दरू
ु स्त रहे गा, ठीर् रहे गा। बापदादा तो र्हते हैं - हर
घण्टे र्ें र्ह 5 सेर्ण्ड र्ी एतसरसाइज़ र्रो। हो सर्ती है ? दे खो, सभी र्ह रहे हैं - हो
सर्ती है। र्ाद रखना। ओर् शाक्न्त भिन र्ाद रखना, भूलना नहीं। तो जो र्न र्ी लभन्न-
लभन्न र्म्पलेन है ना ! तर्ा र्रें र्न नहीं दटर्ता ! र्न र्ो र्ण बना दे ते हो। िज़न र्रते
हैं ना ! पहले जर्ाने र्ें पाि, सेर और र्ण होता था, आजर्ल बदल गर्ा है। तो र्न र्ो
र्ण बना दे ते हैं बोझ िाला और र्ह एतसरसाइज़ र्रते रहें गे तो बबल्र्ुल लाइट हो जार्ेंगे।
अभ्र्ास हो जार्ेगा। ब्राह्र्ण शब्द र्ाद आर्े तो ब्राह्र्ण जीिन र्े अनुभि र्ें आ जाओ।
िररश्ता शब्द र्हो तो िररश्ता बन जाओ। र्ुक्श्र्ल है ? नहीं है ? आप िररश्ते हो र्ा नहीं
? आप ही हो र्ा दस
ू रे हैं ? कर्तने बार िररश्ता बने हो ? अनचगनत बार बने हो। आप ही
बने हो ? अनचगनत बार र्ी हुई बात र्ो ररपीट र्रना तर्ा र्ुक्श्र्ल होता है ? र्भी-र्भी
होता है ? अभी र्ह अभ्र्ास र्रना। र्हााँ भी हो 5 सेर्ण्ड र्न र्ो घुर्ाओ, चतर्र लगाओ।
चतर्र लगाना तो अच्छा लगता है ना ! टीचसक ठीर् है ना ! राउण्ड लगाना आर्ेगा ना
? बस राउण्ड लगाओ किर र्र्क र्ें लग जाओ। हर घण्टे र्ें राउण्ड लगार्ा किर र्ार् र्ें लग
जाओ तर्ोंकर् र्ार् र्ो तो छोड़ नहीं सर्ते हैं ना ! ड्र्ुटी तो बजानी है।
लेकर्न 5 सेर्ण्ड, लर्नट भी नहीं, सेर्ण्ड। नहीं ननर्ल सर्ता है ? ननर्ल सर्ता है ? र्ू.
एन. र्ी आकिस र्ें ननर्ल सर्ता है ? र्ास्टर सिकशक्ततिान हो। तो र्ास्टर सिकशक्ततिान
तर्ा नहीं र्र सर्ता !
बापदादा र्ो एर् बात पर बच्चों र्ो दे ख र्रर्े र्ीठी-र्ीठी हाँसी आती है। कर्स बात पर
? चैलेन्ज र्रते हैं, पचाक छपाते हैं, भाषण र्रते हैं, र्ोसक र्राते हैं। तर्ा र्राते हैं ? हर्
विश्ि र्ो पररितकन र्रें गे। र्ह तो सभी बोलते हैं ना ! र्ा नहीं ? सभी बोलते हैं र्ा लसिक
भाषण र्रने िाले बोलते हैं ? तो एर् तरि र्हते हैं विश्ि र्ो पररितकन र्रें गे, र्ास्टर
सिकशक्ततिान हैं ! और दस
ू रे तरि अपने र्न र्ो र्ेरा र्न र्हते हैं, र्ाललर् हैं र्न र्े और
र्ास्टर सिकशक्ततिान हैं। किर भी र्हते हैं र्क्ु श्र्ल है ? तो हाँसी नहीं आर्ेगी ! आर्ेगी ना
हंसी ! तो क्जस सर्र् सोचते हो, र्न नहीं र्ानता, उस सर्र् अपने ऊपर र्स्
ु र्राना। र्न र्ें
र्ोई भी बात आती है तो बापदादा ने दे खा है तीन लर्ीरें गाई हुई हैं। एर् पानी पर
लर्ीर, पानी पर लर्ीर दे खी है , लगाओ लर्ीर तो उसी सर्र् लर्ट जार्ेगी। लगाते तो है ना
! तो दस
ू री है कर्सी भी र्ागज पर, स्लेट पर र्हााँ भी लर्ीर लगाना और सबसे बड़ी लर्ीर

109
है पत्थर पर लर्ीर। पत्थर र्ी लर्ीर लर्टती बहुत र्ुक्श्र्ल है। तो बापदादा देखते हैं कर् र्ई
बार बच्चे अपने ही र्न र्ें पत्थर र्ी लर्ीर र्े र्आ
ु कफ़र् पतर्ी लर्ीर लगा दे ते हैं। जो
लर्टाते हैं लेकर्न लर्टती नहीं है। ऐसी लर्ीर अच्छी है ? कर्तना िारी प्रनतज्ञा भी र्रते
हैं, अब से नहीं र्रें गे। अब से नहीं होगा। लेकर्न किर-किर परिश हो जाते हैं। इसललए
बापदादा र्ो बच्चों पर घण
ृ ा नहीं आती है, रहर् आता है। परिश हो जाते हैं। तो परिश पर
रहर् आता है।

( 30-03-00 )

स्र्नृ त तो रहती है लेकर्न र्थाथक स्र्नृ त र्ा प्रर्ाण है स्र्नृ त द्िारा सर्थक स्िरूप
बनना। स्र्नृ त अनत श्रेष्ठठ है, जब ब्राह्र्ण बनें तो बापदादा द्िारा जो जन्र् लसि अचधर्ार
प्राप्त कर्र्ा, िह सेर्ण्ड र्ी स्र्नृ त द्िारा ही प्राप्त कर्र्ा। ददल ने जाना, ददल र्ें, र्न
र्ें, बुवि र्ें स्र्नृ त आई ‘‘र्ैं बाबा र्ा और बाबा र्ेरा’’, इस स्र्नृ त द्िारा ही जन्र्-लसि
अचधर्ार र्े अचधर्ारी बनें। र्ह स्र्नृ त सिक शक्ततर्ों र्ी चाबी बनी। र्ह स्र्नृ त गोल्डन र्ी
है।
डबल िारे नसक िसे र्े अचधर्ारी बन गर्े हैं ? पाण्डि अचधर्ारी बन गर्े हैं ? पतर्ा ?
बहुत अच्छा, र्ुबारर् हो अचधर्ाररर्ों र्ो। अचधर्ार र्ें विशेष बाप द्िारा सिक शक्ततर्ााँ लर्ली
हैं ? एर् हाथ उठाओ लर्ली हैं ? सिक शक्ततर्ााँ लर्ली हैं ना ! र्ा कर्सर्ो 8 लर्ली
हैं, कर्सर्ो 6 लर्ली हैं ? अपने र्ो र्हलाते भी हैं - र्ास्टर सिकशक्ततिान। शक्ततिान नहीं
र्हते हैं, सिकशक्ततिान र्हते हो।बापदादा ‘सिक’ शब्द र्ा पूछ रहे हैं ? सभी सिकशक्ततिान हो
र्ा र्ोई-र्ोई शक्ततिान भी है ? जो र्हे र्ैं सिकशक्ततिान तो नहीं हूाँ लेकर्न शक्ततिान
हूाँ, ऐसा र्ोई है ? नहीं है ? र्ोई हाथ नहीं उठा रहा है। सिक र्ास्टर सिकशक्ततिान
हैं, अच्छा। तो हे र्ास्टर सिकशक्ततिान, बापदादा पूछते हैं कर् हर प्रर्ृनत र्े, र्ार्ा
र्े, स्िभाि-संस्र्ार र्े, िार्ुर्ण्डल र्े पररक्स्थनतर्ों र्ें सिकशक्ततिान हो ना ? र्ह
प्रर्ृनत, र्ार्ा, संस्र्ार, िार्ुर्ण्डल र्ा संगदोष इन पााँचों र्ो अपनी शक्तत र्े आधार से
अधीन बनार्ा है ? र्ह 5 शीश िाला सााँप है , इस सााँप पर, 5 शीश पर अचधर्ारी बन डााँस
र्रते हो ? र्रते हो र्ा र्ोई एर् शीश ननर्ालर्र आपर्े ऊपर डााँस र्रता है ? सााँप भी
डााँस तो र्रता है ना बहुत अच्छी। तो र्ोई भी एर् शीश आपर्ो डााँस ददखाने तो नहीं आते
? र्भी उसर्ा खेल दे खना अच्छा तो नहीं लगता है ? खेल दे खने लग जाओ। 5 ही सााँपों
र्ो गले र्ी र्ाला बना दी है ? शेश शर्यर्ा बना दी है, डााँस र्ा र्ंच बना ददर्ा है ? आपर्े
अक्न्तर् र्हादे ि, तपस्िी दे ि, अशरीरी क्स्थनत िाली दे ि आत्र्ा, िररश्ता आत्र्ा इस र्ादगार
र्ें र्ह सब सााँप गले र्ी र्ाला ददखाई है। जब र्ह र्ाला पहनते तब बाप र्ी र्ाला र्ें
नम्बर अच्छे र्ें नजदीर् र्णर्े बनते हैं। विजर् र्ाला र्े सर्ीप र्े र्णर्े बनते हैं।

110
बापदादा ने पहले भी सुनार्ा है कर् ितकर्ान सर्र्, सर्र् र्े अनस
ु ार विशेष सहनशक्तत और
सर्स्र्ा र्ा पररक्स्थनत र्ो सार्ना र्रने र्ी शक्तत र्र्क र्ें आिश्र्र् है। लसिक र्न और
िाणी तर् नहीं, र्र्क तर् आिश्र्र् है। बापदादा ने ररजल्ट र्ें देखा है कर् शक्ततर्ााँ है ,
शक्ततर्ााँ नहीं हैं - र्ह नहीं है। हैं, लेकर्न िर्क तर्ा पड़ जाता है ? सर्र् पर जो शक्तत
क्जस विचध से र्ार्क र्ें लगानी चादहए, िह सर्र् पर और विचध पि
ू कर् र्ज
ू र्रने र्ें, र्ार्क र्ें
लगाने र्ें अन्तर पड़ जाता है। स्र्नृ त है लेकर्न स्र्नृ त र्ो सर्थक स्िरूप र्ें नहीं लाते। स्र्नृ त
ज्र्ादा है, सर्थी र्भी र्र्, र्भी ठीर् हो जाती। स्र्नृ त ने िसे र्े अचधर्ारी तो बना ददर्ा
है लेकर्न हर स्र्नृ त र्ी सर्थी विजर्ी बनाए विजर् र्ाला र्ा सर्ीप र्णर्ा बनाती है।
सर्ाचथकर्ों र्ो स्िरूप र्ें लाओ। र्न र्ें है , बुवि र्ें है लेकर्न आपर्े स्िरूप र्ें हर र्ार्क
र्ें, हर सर्थी प्रत्र्क्ष रूप र्ें आिे। तो स्र्नृ त ददिस तो बहुत अच्छा र्नार्ा। अब सर्ाचथकर्ों
र्ो स्िरूप र्ें लाओ। अगर कर्सर्ो भी दे खते हो तो आपर्े नर्न से सर्थक स्िरूप र्ा
अनुभि हो। हर बोल से दस
ू रा भी सर्थक बन जाए। सर्थी र्ा अनुभि र्रे । साधारण बोल
नहीं। हर बोल र्ें जो सर्थी र्ा िरदान लर्ला है िह अनुभि र्राओ। र्न-बुवि द्िारा श्रेष्ठठ
संर्ल्प और र्थाथक ननणकर् शक्तत र्ा िार्ुर्ण्डल स्िरूप र्ें लाओ। साधारण चलन र्ें भी
िररश्ते पन र्े सर्थी र्ा स्िरूप ददखाई दे । डबल लाइट र्ा स्िर्ं र्ो भी और दस
ू रों र्ो भी
अनुभि हो। ऐसे है ? तो चलते किरते सर्थक स्िरूप बनो और दस
ू रों र्ो सर्थी ददलाओ।

( 18-01-01 )

अगर ददल से दृढ़ संर्ल्प र्रें गे कर् र्ारण र्ो सर्ाप्त र्र ननिारण स्िरूप बनना ही है , र्ुछ
भी हो, सहन र्रना पड़े, र्ार्ा र्ा सार्ना र्रने पड़े, एर्-दो र्े सम्बन्ध-सम्पर्क र्ें सहन भी
र्रना पड़े, र्ुझे सर्स्र्ा नहीं बनना है। हो सर्ता है ? ऐसे ही जब भी र्ोई सर्स्र्ा आिे
तो सार्ने बापदादा र्ो देखना, ददल से र्हना बाबा, और बाबा हाक्जर हो जार्ेगा, सर्स्र्ा
खत्र् हो जार्ेगी। सर्स्र्ा सार्ने से हट जार्ेगी और र्ेरा र्तकर्वर् है - कर्सी भी प्रर्ार र्ी
आग बुझाने र्ा, दआ
ु दे ने र्ा बापदादा सार्ने हाक्जर हो जार्ेगा। ‘‘र्ास्टर
सिकशक्ततिान’’ अपना र्ह टाइटल हर सर्र् र्ाद र्रो। नहीं तो बापदादा अभी र्ाद-प्र्ार र्ें
र्ास्टर सिकशक्ततिान न र्हर्र सिकशक्ततिान र्हे ? शक्ततिान बच्चों र्ो र्ाद-प्र्ार, अच्छा
लगेगा ? र्ास्टर सिकशक्ततिान हैं, र्ास्टर सिकशक्ततिान तर्ा नहीं र्र सर्ते हैं ! लसिक
अपना टाइटल और र्तकर्वर् र्ाद रखो। टाइटल है ‘‘र्ास्टर सिकशक्ततिान’’ और र्तकर्वर्
है ‘‘विश्ि-र्ल्र्ाणर्ारी’’। तो सदा अपना टाइटल और र्तकर्वर् र्ाद र्रने से शक्ततर्ां इर्जक हो
जार्ेंगी। र्ास्टर बनो, शक्ततर्ों र्े भी र्ास्टर बनो, आडकर र्रो, हर शक्तत र्ो सर्र् पर
आडकर र्रो। िैसे शक्ततर्ां धारण र्रते भी हो, हैं भी लेकर्न लसिक र्र्ी र्ह हो जाती है कर्
सर्र् पर र्ज़
ू नहीं र्रने आती। सर्र् बीतने र्े बाद र्ाद आता है , ऐसे र्रते तो बहुत
अच्छा होता। अब अभ्र्ास र्रो जो शक्ततर्ां सर्ाई हुई हैं, उसर्ो सर्र् पर र्ूज़ र्रो। जैसे

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इन र्र्ेक्न्रर्ों र्ो आडकर से चलाते हो ना, हाथ र्ो, पांि र्ो चलाते हो ना ! ऐसे हर शक्तत
र्ो आडकर से चलाओ। र्ार्क र्ें लगाओ। सर्ा र्े रखते हो, र्ार्क र्ें र्र् लगाते हो। सर्र् पर
र्ार्क र्ें लगाने से शक्तत अपना र्ार्क ज़रूर र्रे गी। और खुश रहो, र्भी-र्भी र्ोई बच्चों र्ा
चेहरा बड़ा सोच-विचार र्ें, थोड़ा ज़्र्ादा गम्भीर ददखाई दे ते हैं। खश
ु रहो, नाचो-गाओ, आपर्ी
ब्राह्र्ण जीिन है ही खश
ु ी र्ें नाचने र्ी और अपने भाग्र् और भगिान र्े गीत गाने र्ी।
तो नाचने-गाने िाले जो होते हैं ना िह ऐसा गम्भीर होर्े नाचे तो र्हें गे नाचना नहीं आता।
गम्भीरता अच्छी है लेकर्न टू र्च गम्भीरता, थोड़ा-सा सोच विचार र्ा लगता है।

( 25-11-01 )

आज सर्थक बाप अपने स्र्नृ त स्िरूप, सर्थक स्िरूप बच्चों से लर्लने र्े ललए आर्े हैं। आज
विशेष चारों ओर र्े बच्चों र्ें स्नेह र्ी लहर लहरा रही है। विशेष ब्रह्र्ा बाप र्े स्नेह र्ी
र्ादों र्ें सर्ार्े हुए हैं। र्ह स्नेह हर बच्चे र्े इस जीिन र्ा िरदान है। परर्ात्र् स्नेह ने ही
आप सबर्ो नई जीिन दी है। हर एर् बच्चे र्ो स्नेह र्ी शक्तत ने ही बाप र्ा बनार्ा। र्ह
स्नेह र्ी शक्तत सब सहज र्र दे ती है। जब स्नेह र्ें सर्ा जाते हो तो र्ोई भी पररक्स्थनत
सहज अनुभि र्रते हो। बापदादा भी र्हते हैं कर् सदा स्नेह र्े सागर र्ें सर्ार्े रहो। स्नेह
छत्रछार्ा है, क्जस छत्रछार्ा र्े अन्दर र्ोई र्ार्ा र्ी परछाई भी नहीं पड़ सर्ती। सहज
र्ार्ाजीत बन जाते हो। जो ननरन्तर स्नेह र्ें रहता है उसर्ो कर्सी भी बात र्ी र्ेह नत नहीं
र्रनी पड़ती है। स्नेह सहज बाप सर्ान बना दे ता है। स्नेह र्े पीछे र्ुछ भी सर्ावपकत र्रना
सहज होता है।
तो आज भी अर्त
ृ िेले से हर एर् बच्चे ने स्नेह र्ी र्ाला बाप र्ो डाली और बाप ने भी
स्नेही बच्चों र्ो स्नेह र्ी र्ाला डाली। जैसे इस विशेष स्र्नृ त ददिस र्ें अथाकत स्नेह र्े ददन
र्ें स्नेह र्ें सर्ार्े रहे ऐसे ही सदा सर्ार्े रहो, तो र्ेहनत र्ा पुरूषाथक र्रना नहीं पड़ेगा।
एर् है स्नेह र्े सागर र्ें सर्ाना और दस
ू रा है स्नेह र्े सागर र्ें थोड़े सर्र् र्े ललए डुबर्ी
लगाना। तो र्ई बच्चे सर्ार्े हुए नहीं रहते हैं, जल्दी से बाहर ननर्ल आते हैं। इसललए
सहज र्क्ु श्र्ल हो जाता है। तो सर्ाना आता है ? सर्ाने र्ें ही र्ज़ा है। ब्रह्र्ा बाप ने सदा
बाप र्ा स्नेह ददल र्ें सर्ार्ा, इसर्ा र्ादगार र्लर्त्ता र्ें ददखार्ा है।

( 18-01-02 )

सभी बच्चों र्ा बापदादा ने भी ितकर्ान पुरूषाथक चेर् कर्र्ा। पुरूषाथक सब र्र रहे हैं - र्ोई
र्था शक्तत, र्ोई शक्ततशाली। तो आज बापदादा ने सभी बच्चों र्े र्न र्ी क्स्थनत र्ो चेर्
कर्र्ा तर्ोंकर् र्ल
ू है ही र्नर्नाभि। सेिा र्ें भी दे खो तो र्न्सा सेिा श्रेष्ठठ सेिा है। र्हते
भी हो र्न जीत जगतजीत, तो र्न र्ी गनत र्ो चेर् कर्र्ा। तो तर्ा दे खा ? र्न र्े

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र्ाललर् बन र्न र्ो चलाते हो लेकर्न र्भी-र्भी र्न आपर्ो भी चलाता है। र्न परिश भी
र्र दे ता है। बापदादा ने दे खा र्न से लगन लगाते हैं लेकर्न र्न र्ी क्स्थनत एर्ाग्र नहीं
होती है।
ितकर्ान सर्र् र्न र्ी एर्ाग्रता, एर्रस क्स्थनत र्ा अनभ
ु ि र्रार्ेगी। अभी ररजल्ट र्ें दे खा
कर् र्न र्ो एर्ाग्र र्रने चाहते हो लेकर्न बीच-बीच र्ें भटर् जाता है। एर्ाग्रता र्ी शक्तत
अर्वर्तत िररश्ता क्स्थनत र्ा सहज अनभ
ु ि र्रार्ेगी। र्न भटर्ता है , चाहे र्वर्थक बातों
र्ें, चाहे र्वर्थक संर्ल्पों र्ें, चाहे र्वर्थक र्वर्िहार र्ें। जैसे र्ोई-र्ोई र्ो शरीर से भी एर्ाग्र
होर्र बैठने र्ी आदत नहीं होती है , र्ोई र्ो होती है। तो र्न जहााँ चाहो, जैसे चाहो, क्जतना
सर्र् चाहो उतना और ऐसा एर्ाग्र होना इसर्ो र्हा जाता है र्न िश र्ें है। एर्ाग्रता र्ी
शक्तत, र्ाललर्पन र्ी शक्तत सहज ननविकघ्न बना दे ती है। र्ुि नहीं र्रनी पड़ती है। एर्ाग्रता
र्ी शक्तत से स्ित: ही एर् बाप दस
ू रा न र्ोई - र्ह अनुभूनत होती है। स्ित: होगी, र्ेहनत
नहीं र्रनी पड़ेगी। एर्ाग्रता र्ी शक्तत से स्ित: ही एर्रस िररश्ता स्िरूप र्ी अनुभनू त होती
है। ब्रह्र्ा बाप से प्र्ार है ना - तो ब्रह्र्ा बाप सर्ान बनना अथाकत िररश्ता बनना। एर्ाग्रता
र्ी शक्तत से स्ित: ही सिक प्रनत स्नेह, र्ल्र्ाण, सम्र्ान र्ी िक्ृ त्त रहती ही है तर्ोंकर्
एर्ाग्रता अथाकत स्िर्ान र्ी क्स्थनत। िररश्ता क्स्थनत स्िर्ान है। जैसे ब्रह्र्ा बाप र्ो
दे खा, िणकन भी र्रते हो जैसे सम्पन्नता र्ा सर्र् सर्ीप आता रहा तो तर्ा दे खा ? चलता-
किरता िररश्ता रूप, दे हभान रदहत। दे ह र्ी िीललंग आती थी ? सार्ने जाते रहे तो दे ह
दे खने आती थी र्ा िररश्ता रूप अनुभि होता था ? र्र्क र्रते भी, बातचीत र्रते
भी, डार्रे तशन दे ते भी, उर्ंग-उत्साह बढ़ाते भी देह से न्र्ारा, सूक्ष्र् प्रर्ाश रूप र्ी अनभ
ु ूनत
र्ी। र्हते हो ना कर् ब्रह्र्ा बाबा बात र्रते-र्रते ऐसे लगता था जैसे बात र्र भी रहा है
लेकर्न र्हााँ नहीं है, दे ख रहा है लेकर्न दृक्ष्ठट अलौकर्र् है , र्ह स्थूल दृक्ष्ठट नहीं है। दे ह-भान
से न्र्ारा, दस
ू रे र्ो भी दे ह र्ा भान नहीं आर्े, न्र्ारा रूप ददखाई दे , इसर्ो र्हा जाता है
दे ह र्ें रहते िररश्ता स्िरूप। हर बात र्ें , िक्ृ त्त र्ें, दृक्ष्ठट र्ें, र्र्क र्ें न्र्ारापन अनुभि हो।
र्ह बोल रहा है लेकर्न न्र्ारा-न्र्ारा, प्र्ारा-प्र्ारा लगता है। आक्त्र्र् प्र्ारा। ऐसे िररश्तेपन
र्ी अनुभूनत स्िर्ं भी र्रे और औरों र्ो भी र्रार्े तर्ोंकर् बबना िररश्ता बने दे िता नहीं बन
सर्ते हैं। िररश्ता सो दे िता है। तो नम्बरिन ब्रह्र्ा र्ी आत्र्ा ने प्रत्र्क्ष सार्ार रूप र्ें भी
िररश्ता जीिन र्ा अनभ
ु ि र्रार्ा और िररश्ता स्िरूप बन गर्ा। उसी िररश्ते रूप र्े साथ
आप सभी र्ो भी िररश्ता बन परर्धार् र्ें चलना है। तो इसर्े ललए र्न र्ी एर्ाग्रता पर
अटे न्शन दो। ऑडकर से र्न र्ो चलाओ। र्रना है तो र्न द्िारा र्र्क हो, नहीं र्रना है और
र्न र्हे र्रो, र्ह र्ाललर्पन नहीं है। अभी र्ई बच्चे र्हते हैं, चाहते नहीं हैं लेकर्न हो
गर्ा। सोचते नहीं हैं लेकर्न हो गर्ा, र्रना नहीं चादहए लेकर्न हो जाता है। र्ह है र्न र्े
िशीभूत अिस्था। तो ऐसी अिस्था अच्छी तो नहीं लगती है ना ! िालो ब्रह्र्ा बाप। ब्रह्र्ा
बाप र्ो दे खा सार्ने खड़े होते भी तर्ा अनभ
ु ि होता ? िररश्ता खड़ा है, िररश्ता दृक्ष्ठट दे
रहा है। तो र्न र्े एर्ाग्रता र्ी शक्तत सहज िररश्ता बना दे गी। ब्रह्र्ा बाप भी बच्चों र्ो

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र्ही र्हते हैं - सर्ान बनो। लशि बाप र्हते हैं ननरार्ारी बनो, ब्रह्र्ा बाप र्हते हैं िररश्ता
बनो। तो तर्ा सर्झा ? ररजल्ट र्ें तर्ा दे खा ? र्न र्ी एर्ाग्रता र्र् है। बीच-बीच र्ें
चतर्र बहुत लगाता है र्न, भटर्ता है। जहााँ जाना नहीं चादहए िहााँ जाता है तो उसर्ो तर्ा
र्हें गे ? भटर्ना र्हें गे ना ! तो एर्ाग्रता र्ी शक्तत र्ो बढ़ाओ। र्ाललर्पन र्े स्टे ज र्ी
सीट पर सेट रहो। जब सेट होते हैं तो अपसेट नहीं होते, सेट नहीं हैं तो अप-सेट होते हैं। तो
लभन्न-लभन्न श्रेष्ठठ क्स्थनतर्ों र्ी सीट पर सेट रहो, इसर्ो र्हते हैं एर्ाग्रता र्ी शक्तत।ब्रह्र्ा
बाप से प्र्ार है ना ! कर्तना प्र्ार है ? बहुत प्र्ार है ! तो प्र्ार र्ा रे सपान्ड बाप र्ो तर्ा
ददर्ा है ? बाप र्ा भी प्र्ार है तब तो आपर्ा भी प्र्ार है ना ! तो ररटनक तर्ा ददर्ा
? सर्ान बनना - र्ही ररटनक है।

( 15-11-03 )

बापदादा सभी बच्चों र्ो सिक स्र्नृ तर्ों स्िरूप देख रहे हैं। र्ास्टर सिक शक्ततिान स्िरूप र्ें
दे ख रहे हैं। शक्ततिान नहीं, सिक-शक्ततिान। र्ह सिक शक्ततर्ां बाप द्िारा हर एर् बच्चे र्ो
िरदान र्ें लर्ली हुई हैं। ददर्वर् जन्र् लेते ही बापदादा ने िरदान ददर्ा - सिकशक्ततिान भि
! र्ह हर जन्र् ददिस र्ा िरदान है। इन शक्ततर्ों र्ो प्राप्त िरदान र्े रूप से र्ार्क र्ें
लगाओ। हर एर् बच्चे र्ो लर्ली हैं लेकर्न र्ार्क र्ें लगाने र्ें नम्बरिार हो जाते हैं। हर
शक्तत र्े िरदान र्ो सर्र् प्रर्ाण आडकर र्र सर्ते हो। अगर िरदाता र्े िरदान र्े स्र्नृ त
स्िरूप बन सर्र् अनस
ु ार कर्सी भी शक्तत र्ो आडकर र्रें गे तो हर शक्तत हाजर होनी ही है।
िरदान र्ी प्राक्प्त र्े, र्ाललर्पन र्े स्र्नृ त स्िरूप र्ें हो आप आडकर र्रो और शक्तत सर्र्
पर र्ार्क र्ें नहीं आर्े, हो नहीं सर्ता। लेकर्न र्ाललर्, र्ास्टर सिकशक्ततिान र्े स्र्नृ त र्ी
सीट पर सेट हो, बबना सीट पर सेट र्े र्ोई आडकर नहीं र्ाना जाता है। जब बच्चे र्हते हैं
कर् बाबा हर् आपर्ो र्ाद र्रते तो आप हाजर हो जाते हो, हजूर हाजर हो जाता है। जब
हजूर हाजर हो सर्ता तो शक्तत तर्ों नहीं हाजर होगी ! लसिक विचध पूिकर् र्ाललर्पन र्े
अथॉररटी से आडकर र्रो। र्ह सिक शक्ततर्ां संगर्र्ुग र्ी विशेष परर्ात्र् प्रॉपटी है। प्रॉपटी
कर्सर्े ललए होती है ? बच्चों र्े ललए प्रॉपटी होती है। तो अचधर्ार से स्र्नृ त स्िरूप र्ी सीट
से आडकर र्रो, र्ेहनत तर्ों र्रो, आडकर र्रो। िल्डक अथॉररटी र्े डार्रे तट बच्चे हो, र्ह स्र्नृ त
र्ा नशा सदा इर्जक रहे ।
अपने आपर्ो चेर् र्रो - िल्डक आलर्ाइटी अथॉररटी र्ी अचधर्ारी आत्र्ा हूाँ, र्ह स्र्नृ त
स्ित: ही रहती है ? रहती है र्ा र्भी-र्भी रहती है ? आजर्ल र्े सर्र् र्ें तो अचधर्ार
लेने र्े ही झगड़े हैं और आप सबर्ो परर्ात्र् अचधर्ार, परर्ात्र् अथॉररटी जन्र् से ही
प्राप्त है। तो अपने अचधर्ार र्ी सर्थी र्ें रहो। स्िर्ं भी सर्थक रहो और सिक आत्र्ाओं र्ो
भी सर्थी ददलाओ। सिक आत्र्ार्ें इस सर्र् सर्थी अथाकत शक्ततर्ों र्ी लभखारी हैं , आपर्े
जड़ चचत्रों र्े आगे र्ांगते रहते हैं। तो बाप र्हते हैं ``हे सर्थक आत्र्ार्ें सिक आत्र्ाओं र्ो

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शक्तत दो, सर्थी दो।'' इसर्े ललए लसिक एर् बात र्ा अटे न्शन हर बच्चे र्ो रखना आिश्र्र्
है - जो बापदादा ने इशारा भी ददर्ा,बापदादा ने ररजल्ट र्ें दे खा कर् र्ैजाररटी बच्चों र्ा
संर्ल्प और सर्र् र्वर्थक जाता है। जैसे बबजली र्ा र्नेतशन अगर थोड़ा भी लज
ू हो िा लीर्
हो जाए तो लाइट ठीर् नहीं आ सर्ती। तो र्ह र्वर्थक र्ी लीर्ेज सर्थक क्स्थनत र्ो सदार्ाल
र्ी स्र्नृ त बनाने नहीं दे ती, इसललए िेस्ट र्ो बेस्ट र्ें चेन्ज र्रो। बचत र्ी स्र्ीर् बनाओ।
परसेन्टे ज ननर्ालो - सारे ददन र्ें िेस्ट कर्तना हुआ, बेस्ट कर्तना हुआ ?
अभी आलर्ाइटी अथॉररटी र्ी सीट पर सेट रहो। तो र्ह र्र्ेक्न्रर्ां, शक्ततर्ां, गण
ु सब
आपर्े जी हजूर, जी हजूर र्रें गे। धोखा नहीं दें गे। जी हाक्जर। बापदादा बच्चों र्े स्नेह र्ो
दे ख खुश हैं। स्नेह र्ी सबजेतट र्ें परसेन्टे ज अच्छी है। आप इतनी र्ेहनत र्रर्े र्हााँ तर्ों
पहुंचे हो, आपर्ो र्ौन लार्ा ? ट्रे न लाई, प्लेन लार्ा र्ा स्नेह लार्ा ? स्नेह र्े प्लेन से
पहुंच गर्े हो। तो स्नेह र्ें तो पास हो। अभी आलर्ाइटी अथॉररटी र्ें र्ास्टर हैं, इसर्ें पास
होना, तो र्ह प्रर्ृनत, र्ह र्ार्ा, र्ह संस्र्ार, सब आपर्े दासी बन जार्ेंगे। हर घड़ी इन्तजार
र्रें गे र्ाललर् तर्ा आडकर है ! ब्रह्र्ा बाप ने भी र्ाललर् बन अन्दर ही अन्दर ऐसा सूक्ष्र्
पुरूषाथक कर्र्ा जो आपर्ो पता पड़ा, सम्पन्न र्ैसे बन गर्ा ? पंछी उड़ गर्ा। वपंजड़ा खल

गर्ा। सार्ार दनु नर्ा र्े दहसाब-कर्ताब र्ा, सार्ार र्े तन र्ा वपंजड़ा खल
ु गर्ा, पंछी उड़
गर्ा। अभी ब्रह्र्ा बाप भी बहुत लसर् ि प्रेर् से बच्चों र्ा जल्दी आओ, जल्दी आओ, अभी
आओ, अभी आओ, र्ह आह्िान र्र रहे हैं। तो पंख तो लर्ल गर्े हैं ना! बस सभी एर्
सेर्ण्ड र्ें अपने ददल र्ें र्ह डड्रल र्रो, अभी-अभी र्रो। सब संर्ल्प सर्ाप्त र्रो, र्ही डड्रल
र्रो ``ओ बाबा र्ीठे बाबा, प्र्ारे बाबा हर् आपर्े सर्ान अर्वर्तत रूपधारी बनें कर् बनें।''

( 18-01-04 )

आज स्नेह र्े सागर अपने चारों ओर र्े स्नेही बच्चों र्ो दे ख हवषकत हो रहे हैं। चाहे सार्ार
रूप र्ें सन्र्ुख हैं, चाहे स्थूल रूप र्ें दरू बैठे है लेकर्न स्नेह, सभी र्ो बाप र्े पास बैठे हैं -
र्ह अनुभि र्रा रहा है। हर बच्चे र्ा स्नेह बाप र्ो सर्ीप अनुभि र्रा रहा है। आप सभी
बच्चे भी बाप र्े स्नेह र्ें सम्र्ख
ु पहुाँचे हो। बापदादा ने दे खा कर् हर एर् बच्चे र्े ददल र्ें
बापदादा र्ा स्नेह सर्ार्ा हुआ है। हर एर् र्े ददल र्ें “र्ेरा बाबा” इसी स्नेह र्ा गीत बज
रहा है। स्नेह ही इस दे ह और दे ह र्े सम्बन्ध से न्र्ारा बना रहा है। स्नेह ही र्ार्ाजीत बना
रहा है। जहााँ ददल र्ा स्नेह है िहााँ र्ार्ा दरू से ही भाग जाती है। स्नेह र्ी सबजेतट र्ें सिक
बच्चे पास हैं। एर् है स्नेह, दस
ू रा है सिकशक्ततिान बाप द्िारा सिकशक्ततर्ों र्ा खज़ाना।
आज बापदादा एर् तरि तो स्नेह र्ो दे ख रहे हैं , दस
ू रे तरि शक्तत सेना र्ी शक्ततर्ों र्ो
दे ख रहे हैं। क्जतना स्नेह सर्ार्ा हुआ है उतना ही सिक शक्ततर्ां भी सर्ाई हुई है ? बापदादा
ने सभी बच्चो र्ो एर् जैसी सिक शक्ततर्ााँ दी है , र्ास्टर सिकशक्ततिान बनार्ा है। कर्सर्ो
सिकशक्ततिान, कर्सर्ो शक्ततिान नहीं बनार्ा है हाक्जर र्हे , क्जस भी शक्तत र्ा आह्िान

115
र्रो, जैसा सर्र्, जैसी पररक्स्थनत िैसे शक्तत र्ार्क र्ें लगा सर्ो। ऐसे अचधर्ारी आत्र्ार्ें
बने हो ? तर्ोंकर् बाप ने िसाक ददर्ा और िसे र्ो आपने अपना बनार्ा, अपना बनार्ा है ना
! तो अपने पर अचधर्ार होता है। क्जस सर्र् क्जस विचध से आिश्र्र्ता हो, उस सर्र् र्ार्क
र्ें लग जाए। र्ानो सर्ाने र्े शक्तत र्ी आपर्ो आिश्र्र्ता है और आडकर र्रते हो सर्ाने
र्ी शक्तत र्ो, तो आपर्ा आडकर र्ान जी हाक्जर हो जाती है ? हो जाती है तो र्ांध
दहलाओ, हाथ दहलाओ। र्भी-र्भी होती है र्ा सदा होती है ? सर्ाने र्ी शक्तत हाक्जर होती
है लेकर्न 10 बारी सर्ा ललर्ा और 11 िें बारी थोडा नीचे ऊपर होता है ? सदा और सहज
हाक्जर हो जाए, सर्र् बीतने र्े बाद नहीं आिे, र्रने तो र्ह चाहते थे लेकर्न हो गर्ा, र्ह
ऐसा नहीं हो। इसर्ो र्हा जाता है सिक शक्ततर्ों र्े अचधर्ारी। र्ह अचधर्ार बापदादा ने तो
सबर्ो ददर्ा है, लेकर्न दे खने र्ें आता है कर् सदा अचधर्ारी बनने र्ें नम्बरिार हो जाते हैं।
सदा और सहज हो, नेचुरल हो, नेचर हो, उसर्ी विचध है, जैसे बाप र्ो हजूर भी र्हा जाता
है, र्हते हैं हजूर हाक्जर है। हाक्जर हजूर र्हते हैं। तो जो बच्चा हजूर र्ी हर श्रीर्त पर
हाक्जर हजूर र्र चलता है उसर्े आगे सिक शक्ततर्ााँ भी हजूर हाक्जर र्रती है। हर आज्ञा र्ें
जी हाक्जर, हर र्दर् र्ें जी हाक्जर। अगर हर श्रीर्त र्ें जी हाक्जर नहीं हैं तो हर शक्तत भी
हर सर्र् हाक्जर हर् नहीं र्र सर्ती है। अगर र्भी-र्भी बाप र्ी श्रीर्त िा आज्ञा र्ा
पालन र्रते हैं, तो शक्ततर्ां भी आपर्ा र्भी-र्भी हाक्जर होने र्ा आडकर पालन र्रती है।
उस सर्र् अचधर्ारी र्े बजाए अधीन बन जाते हैं।

( 02-11-04 )

नर्े िषक र्ें सिक बेहद र्े ब्राह्र्ण पररिार र्े बीच एर् दो र्े प्रनत अपने शुभभािना, श्रेष्ठठ
र्ार्ना द्िारा हरे र् एर् दो र्े पररितकन र्रने र्ें सहर्ोगी बनो, चाहे र्र्ज़ोर है, जानते हो
इसर्े संस्र्ार र्ें र्ह र्र्ज़ोरी है लेकर्न आप स्नेह और सहर्ोग र्ी शक्तत द्िारा सहर्ोगी
बनो। एर् दो र्ो सहर्ोग र्ा हाथ लर्लाओ। इस सहर्ोग र्े हाथ लर्लाने र्ा दृश्र् ऐसा बन
जार्ेगा जैसे हाथ र्ें हाथ स्नेह र्ा लर्लाना, सहर्ोग र्ा लर्लाना, र्ाला बन जार्े। लशक्षा
नहीं दो, स्नेह भरा सहर्ोग दो। न्र्ारा नहीं बनो, कर्नारा नहीं र्रो, सहारा बनो तर्ोंकर्
आपर्ा र्ादगार विजर्र्ाला है। हर एर् र्णर्ा, र्णर्े र्े साथी सहर्ोगी है तब र्ाला र्ा
चचत्र बना है। तो सभी बापदादा से पछ
ू ते हैं नर्े साल र्ें तर्ा र्रना है ? सन्दे श देने र्ा
र्ार्क तो बहुत कर्र्ा, र्र रहे हैं, र्रते रहें गे। अब सन्दे श-िाहर्ों र्े सहर्ोग और स्नेह र्ी
रूपरे खा स्टे ज पर लाओ। र्हादानी बनो, अपने गण
ु ों र्ा सहर्ोगी बनो, बनाओ। ऐसे अपने
गण
ु ों र्ा, हैं तो परर्ात्र् गण
ु लेकर्न जो अपने र्ें बनार्ा है, उस गण
ु र्ी शक्तत से उन्हों
र्ी र्र्ज़ोरी दरू र्रो। र्ह र्र सर्ते हैं ? र्र सर्ते हैं र्ा र्ुक्श्र्ल है ? टीचसक बताओ, र्र
सर्ते हैं? र्र सर्ते हैं र्ा र्रना ही है ? र्रना ही है? र्ोई र्र्ज़ोर नहीं रहे , तर्ोंकर् र्ोटों
र्ें र्ोई है ना ! चाहे लास्ट दाना भी है , है तो र्ोटों र्ें र्ोई। आपर्ा टाइदटल ही है - र्ास्टर

116
सिकशक्ततिान। तो सिकशक्ततिान र्ा र्तकर्वर् तर्ा है ? शक्तत र्ी लेन-दे न र्रना। बाप द्िारा
लर्ला हुआ गण
ु आपस र्ें लेन-दे न र्रो। र्ही सहर्ोग र्ी चगफ्ट एर् दो र्ें दो। नर्े िषक र्ें
एर् दो र्ो चगफ्ट दे ते हैं ना ! तो इस िषक र्ें एर् दो र्ें गण
ु ों र्ी चगफ्ट दो। अगर र्ल्र्ाण
र्ी भािना रखेंगे तो जैसे भाषण र्रर्े सन्दे श देते हो ना, िाणी द्िारा िैसे अपने र्ल्र्ाण
र्ी भािना द्िारा, र्ल्र्ाण र्ी िक्ृ त्त द्िारा, र्ल्र्ाण र्े िार्र्
ु ण्डल द्िारा र्ह गण
ु ों र्ी
चगफ्ट दो, शक्ततर्ों र्ी चगफ्ट दो। र्र्ज़ोर र्ो सहर्ोग दे ना, र्ह सर्र् पर चगफ्ट दे ना
है, चगरे हुए र्ो चगराओ नहीं, चढ़ाओ, ऊाँचा चढ़ाओ। र्ह ऐसा है , र्ह ऐसा है..., नहीं। र्ह
प्रभु प्र्ार र्े पात्र है , र्ोटों र्ें र्ोई आत्र्ा है , विशेष आत्र्ा है , विजर्ी बनने िाली आत्र्ा
है, र्ह दृक्ष्ठट रखो। अभी िक्ृ त्त, दृक्ष्ठट, िार्ुर्ण्डल चें ज र्रो। र्ुछ निीनता र्रनी चादहए ना!
र्र्ज़ोरी दे खते, दे खो नहीं, उर्ंग दो, सहर्ोग दो। ऐसा ब्राह्र्ण संगठन तैर्ार र्रो तो
बापदादा विजर् र्ी ताली बजार्ेगा।

( 15-12-05 )

आज बापदादा सभी बच्चों र्ो र्ुबारर् र्े साथ-साथ र्ही इशारा दे ते हैं कर् र्ह रहा हुआ
संस्र्ार सर्र् पर धोखा दे ता भी है और अन्त र्ें भी धोखा दे ने र्े ननलर्त्त बन जार्ेगा।
इसीललए आज संस्र्ार र्ा संस्र्ार र्रो। हर एर् अपने संस्र्ार र्ो जानता भी है , छोड़ने
चाहता भी है, तंग भी है, लेकर्न सदा र्े ललए पररितकन र्रने र्ें तीव्र पुरूषाथी नहीं हैं।
पुरूषाथक र्रते हैं लेकर्न तीव्र पुरूषाथी नहीं हैं। र्ारण ? तीव्र पुरूषाथक तर्ों नहीं होता ?
र्ारण र्ही है , जैसे रािण र्ो र्ारा भी लेकर्न लसिक र्ारा नहीं, जलार्ा भी। ऐसे र्ारने र्े
ललए पुरूषाथक र्रते हैं, थोड़ा बेहोश भी होता है संस्र्ार, लेकर्न जलार्ा नहीं तो बेहोशी से
बीच-बीच र्ें उठ जाता है। इसर्े ललए पुराने संस्र्ार र्ा संस्र्ार र्रने र्े ललए इस नर्े िषक
र्ें र्ोग अक्ग्न से जलाने र्ा दृढ़ संर्ल्प र्ा अटे न्शन रखो। र्हते हैं ना तर्ा र्रना है इस
नर्े िषक र्ें ? सेिा र्ी तो बात अलग है लेकर्न पहले स्िर्ं र्ी बात है – र्ोग लगाते
हो, बापदादा बच्चों र्ो र्ोग र्ें अभ्र्ास र्रते हुए दे खते हैं। अर्त ृ िेले भी बहुत पुरूषाथक र्रते
हैं लेकर्न र्ोग तपस्र्ा, तप र्े रूप र्ें नहीं र्रते हैं। प्र्ार से र्ाद जरूर र्रते हैं , रूहररहान
भी बहुत र्रते हैं, शक्तत भी लेने र्ा अभ्र्ास र्रते हैं लेकर्न र्ाद र्ो इतना पािरिुल नहीं
बनार्ा, जो जो संर्ल्प र्रो विदाई, तो विदाई हो जाए। र्ोग र्ो र्ोग अक्ग्न र्े रूप र्ें र्ार्क
र्ें नहीं लगाते। इसललए र्ोग र्ो पािरिुल बनाओ। एर्ाग्रता र्ी शक्तत विशेष संस्र्ार भस्र्
र्रने र्ें आिश्र्र् है। क्जस स्िरूप र्ें एर्ाग्र होने चाहो, क्जतना सर्र् एर्ाग्र होने
चाहो, ऐसी एर्ाग्रता संर्ल्प कर्र्ा और भस्र्। इसर्ो र्हा जाता है र्ोग अक्ग्न। नार्ननशान
सर्ाप्त। र्ारने र्ें किर भी लाश तो रहता है ना। भस्र् होने र्े बाद नार्ननशान खत्र्। तो
इस िषक र्ोग र्ो पािरिुल स्टे ज र्ें लाओ। क्जस स्िरूप र्ें रहने चाहो र्ास्टर
सिकशक्ततिान, आडकर र्रो, सर्ाप्त र्रने र्ी शक्तत आपर्े आडकर से नहीं र्ाने, र्ह हो नहीं

117
सर्ता। र्ाललर् हो। र्ास्टर र्हलाते हो ना ? तो र्ास्टर आडकर र्रे और शक्तत हाक्जर नहीं
हो तो तर्ा िह र्ास्टर है ? तो बापदादा ने दे खा कर् परु ाने संस्र्ार र्ा र्ुछ न र्ुछ अंश
अभी भी रहा हुआ है और िह अंश बीच-बीच र्ें िंश भी पैदा र्र दे ता है , जो र्र्क तर् भी
र्ार् हो जाता है। र्ि
ु र्रनी पड़ती है। तो बापदादा र्ो बच्चों र्ा सर्र् प्रर्ाण र्ि
ु र्ा
स्िरूप भाता नहीं है। बापदादा हर बच्चे र्ो र्ाललर् र्े रूप र्ें दे खने चाहता। आडकर र्रो जी
हजरू ।
जो भी आपर्े पास आर्े खाली नहीं जार्े। चाहे र्न्सा से शक्तत दे ने र्ी चगफ्ट दो। चाहे
िाणी द्िारा ज्ञान र्ी चगफ्ट दो, र्र्क द्िारा गुणों र्ी चगफ्ट दो। लेकर्न हर एर् जो भी
सम्बन्ध सम्पर्क र्ें आते हैं उनर्ो चगफ्ट जरूर दो। खाली हाथ नहीं भेजो, आप र्ास्टर दाता
हो, र्ास्टर दाता र्े पास आिे और खाली हाथ जािे, र्ह नहीं हो। अखण्ड र्हादानी
बनो। अखण्ड र्ह रहे हैं, र्ोई न र्ोई सेिा र्रते रहो चाहे र्न्सा र्रो, चाहे िाणी
र्रो, चाहे र्र्क र्रो, चाहे सम्बन्ध सम्पर्क से र्रो। अखण्ड सेिाधारी। र्ई बच्चों र्ो बाप से
रूहररहान र्रते र्ई बच्चे सुनाते हैं कर् अर्त
ृ िेले सुस्ती र्ा िार्ब्रेशन थोड़ा होता है। उठते
जरूर हैं लेकर्न पािरिुल शक्ततशाली रूप से स्ि र्े प्रनत िा विश्ि र्े प्रनत शक्तत दे ना, िह
थोड़ा सा थर्ािट र्ी रे खा होती है। उस सर्र् ऐसे नहीं सर्झो हर् अपने सेन्टर र्े र्ोग र्े
र्र्रे र्ें बैठे हैं, बाबा र्े र्र्रे र्ें बैठे हैं, तलास रूर् र्ें बैठे हैं, लेकर्न ऐसे सर्झो विश्ि र्ी
स्टे ज पर बैठे हैं। हीरो पाटक धारी हैं और स्टे ज पर बैठे हैं। अगर हीरो पाटक धारी थर्ा हुआ पाटक
बजार्ेगा तो र्ैसा बजार्ेगा ? िार्ुर्ण्डल र्ैसे िैलेगा ? तो अर्त ृ िेला भी पािरिुल बनाओ।
ननर्र् अच्छा ननभाते हो लेकर्न सुनार्ा ना अभी, र्ोग सिकशक्ततर्ों से पािरिुल हो, र्ोग
अक्ग्न हो। ज्िालार्ुखी हो।

( 31-12-05 )

बापदादा र्ो बच्चों र्ा प्र्ार तो पहुाँचता है लेकर्न शक्ततशाली क्स्थनत र्र् पहुंचती है। प्र्ार
र्ें बापदादा भी अच्छी परसेन्ट देखते हैं लेकर्न अभी शक्तत स्िरूप सम्पन्न स्िरूप र्ें सबसे
ज्र्ादा र्ातसक लेनी हैं। जो ओटे िह अजकन
ु । अजन
कु नम्बरिन। बापदादा र्ो स्िरूप आिीशल
धारण र्रना पड़ता है। है तो सदा ही तीन रूप र्ें। अभी बापदादा र्ही चाहते हैं कर् सभी र्हें
विजर्ी हो गर्े। होना है, हो रहे हैं, नहीं। हो गर्े। सबर्े र्स्तर् र्ें चर्र्ता हुआ लसतारा
स्पष्ठट अनभ
ु ि हो। र्ह अनभ
ु ि र्ी आंख अभी दस
ू रों र्ो अनभ
ु ि र्रार्ेगी। अभी अनभ
ु ि
चाहते हैं। स्िर्ं भी हर शक्तत, हर गण
ु र्े अनभ
ु िी बनें, तभी अनभ
ु ि र्रा सर्ेंगे। तो अपने
अनुभि र्ो बढ़ाओ तो औरों र्ो अनुभि हो ही जार्ेगा।

( 28-03-06 )

118
जैसे आज डबल र्ार्क र्े ललए आर्े हो, पुराने र्ो विदाई दे ने और नर्े िषक र्ो बधाई दे ने
आर्े हैं। तो लसिक परु ाने िषक र्ो विदाई देने आर्े हो िा परु ानी दनु नर्ा र्े परु ाने
संस्र्ार, परु ाने स्िभाि, परु ानी चाल उसर्ो भी विदाई दे ने आर्े हो ? परु ाने िषक र्ो विदाई
दे ना तो सहज है, लेकर्न परु ाने संस्र्ार र्ो विदाई दे ना भी इतना सहज लगता है ? तर्ा
सर्झते हो ? र्ार्ा र्ो भी विदाई दे ने आर्े हो िा िषक र्ो विदाई दे ने आर्े हैं ? विदाई दे ना
है ना ! कर् थोड़ा प्र्ार है र्ार्ा से ? थोड़ा-थोड़ा रखने चाहते हो ?
बापदादा आज चारों ओर र्े बच्चों से परु ाने संस्र्ार स्िभाि से विदाई ददलाने चाहते हैं। दे
सर्ते हो ? दहम्र्त है कर् सोचते हो कर् विदाई दे ने चाहते हैं लेकर्न किर र्ार्ा आ जाती है
! तर्ा आज र्े ददन दृढ़ संर्ल्प र्ी शक्तत से पुराने संस्र्ार र्ो विदाई दे नर्े र्ुग र्े
संस्र्ार र्ो, जीिन र्ो बधाई दे ने र्ी दहम्र्त है ? है दहम्र्त ? जो सर्झते हैं हो सर्ता
है, हो सर्ता है, िा होना ही है, है दहम्र्त िाले ? बापदादा र्ो खुशी है कर् दहम्र्त िाले
बच्चे हैं। चतुराई से जिाब दे ने िाले बच्चे हैं। तर्ों ? तर्ोंकर् जानते हैं कर् एर् र्दर् हर्ारी
दहम्र्त र्ा और हजारों र्दर् बाप र्ी र्दद र्ा तो लर्लना ही है। अचधर्ारी हो। हजार र्दर्
र्दद र्े अचधर्ारी हो। लसिक दहम्र्त र्ो र्ार्ा दहलाने र्ी र्ोलशश र्रती है। बापदादा दे खते
हैं कर् दहम्र्त अच्छी रखते हैं, बापदादा ददल से र्ुबारर् भी दे ते हैं लेकर्न दहम्र्त रखते
किर साथ र्ें अपने अन्दर ही र्वर्थक संर्ल्प उत्पन्न र्र लेते, र्र तो रहे हैं, होना तो
चादहए, र्रें गे तो जरूर, पता नहीं.... पता नहीं र्ा संर्ल्प आना र्ह दहम्र्त र्ो र्र्ज़ोर र्र
दे ता है। तो तो आ जाता है ना, र्रते तो हैं, र्रना तो है.. आगे उड़ना तो है..। र्ह दहम्र्त
र्ो दहला दे ते हैं। तो नहीं सोचो, र्रना ही है। तर्ों नहीं होगा! जब बाप साथ है , तो बाप र्े
साथ र्ें तो-तो नहीं आ सर्ता।
इस नर्े िषक र्ें निीनता तर्ा र्रें गे ? दहम्र्त र्े पांि र्ो र्जबूत बनाओ। ऐसी दहम्र्त र्ा
पांि र्जबूत बनाओ जो र्ार्ा खुद दहल जार्े लेकर्न पांि नहीं दहले। तो नर्े िषक र्ें निीनता
र्रें गे, र्ा जैसे र्भी दहलते र्भी र्जबूत रहते, ऐसे तो नहीं र्रें गे ना! आप सभी र्ा र्तकर्वर्
िा आतर्ूपेशन तर्ा है ? अपने र्ो तर्ा र्हलाते हो ? र्ाद र्रो। विश्ि र्ल्र्ाणी, विश्ि
पररितकर्, र्ह आपर्ा आतर्ूपेशन है ना! तो बापदादा र्ो र्भी-र्भी र्ीठी-र्ीठी हंसी आती
है। विश्ि पररितकर् टाइदटल तो है ना! विश्ि पररितकर् हो ? र्ा लण्डन पररितकर्, इक्ण्डर्ा
पररितकर् ? विश्ि पररितकर् हो ना, सभी ? चाहे गांि र्ें रहते हैं चाहे लण्डन र्ा अर्ेररर्ा र्ें
रहते हैं लेकर्न विश्ि र्ल्र्ाणर्ारी हो ना ? हो तो र्ांध दहलाओ। पतर्ा ना !
कर् 75 परसेन्ट हो। 75 परसेन्ट विश्ि र्ल्र्ाणी और 25 परसेन्ट र्ाि है, ऐसे ? चैलेन्ज
तर्ा है आपर्ी ? प्रर्ृनत र्ो भी चैलेन्ज र्ी है कर् प्रर्ृनत र्ो भी पररितकन र्रना ही है। तो
अपना आतर्प
ू ेशन र्ाद र्रो। र्भी-र्भी अपने ललए भी सोचते हो - र्रना तो नहीं चादहए
लेकर्न हो जाता है। तो विश्ि पररितकर्, प्रर्ृनत पररितकर्, स्ि पररितकर् नहीं बन सर्ते ?
तो शक्तत सेना तर्ा सोचते हो ? इस िषक र्ें अपना आतर्प
ू ेशन विश्ि पररितकर् र्ा स्ि प्रनत
िा अपने ब्राह्र्ण पररिार प्रनत, तर्ोंकर् पहले तो चैररटी बबगन्स एट होर् है ना ! तो अपने

119
आतर्ूपेशन र्ा प्रैक्तटर्ल स्िरूप प्रत्र्क्ष र्रें गे ना। स्ि पररितकन जो स्िर्ं भी चाहते हो और
बापदादा भी चाहते हैं, जानते तो हो ना ! बापदादा पछ
ू ते हैं कर् आप सभी बच्चों र्ा लक्ष्र्
तर्ा है ? तो एर् ही जिाब दे ते हैं र्ैजाररटी कर् बाप सर्ान बनना है।
बापदादा र्ो खश
ु ी भी होती है कर् र्ेहनत जो र्रते हैं उसर्ी सिलता लर्लती है। र्वर्थक नहीं
जाती है लेकर्न कर्सललए सेिा र्रते ? तो तर्ा जिाब दे ते हैं ? बाप र्ो प्रत्र्क्ष र्रने र्े
ललए। तो बाप आज बच्चों से प्रश्न पछ
ू ते हैं, कर् बाप र्ो प्रत्र्क्ष तो र्रना ही है , र्रें गे ही।
लेकर्न बाप र्ो प्रत्र्क्ष र्रने र्े पहले स्ि र्ो प्रत्र्क्ष र्रो। बोलो, लशि शक्ततर्ां र्ह िषक स्ि
र्ो प्रत्र्क्ष लशि शक्तत र्े रूप र्ें र्रें गे ? र्रें गे ? और पाण्डि सेना, पाण्डिों र्ो तर्ा
ददखाना है ! विजर्ी पाण्डि। र्भी र्भी र्े विजर्ी नहीं, है ही विजर्ी पाण्डि। हैं ? ददखाना
है इस िषक र्ें, कर् र्हें गे तर्ा र्रें ? र्ार्ा आ गई ना, चाहते नहीं थे आ गई ! बापदादा ने
पहले भी र्हा है र्ार्ा अपना लास्ट टाइर् तर् आना बन्द नहीं र्रे गी। लेकर्न र्ार्ा र्ा
र्ार् है आना और आपर्ा र्ार् तर्ा है ? विजर्ी बनना। तो र्ह नहीं सोचो, चाहते थोड़ेही
हैं लेकर्न र्ार्ा आ जाती है। हो जाता है। अब र्ह शब्द बापदादा इस िषक र्े साथ, इन
शब्दों र्ो विदाई ददलाने चाहते हैं।
12 बजे इस िषक र्ो विदाई दें गे ना। तो जो घण्टे बजाओ ना, आज जब घण्टे बजाओ तो
कर्सर्ा घण्टा बजार्ेंगे ? ददन र्ा, िषक र्ा र्ा र्ार्ा र्ी विदाई र्ा घण्टा बजाना। दो बातें हैं
- एर् तो पररितकन शक्तत, उसर्ी र्र्ज़ोरी है। प्लैन बहुत अच्छे बनाते हो, ऐसे र्रें गे, ऐसे
र्रें गे, ऐसे र्रें गे...। बापदादा भी खुश हो जाते हैं, बहुत अच्छे प्लैन बनार्े हैं लेकर्न
पररितकन शक्तत र्ी र्र्ी होने र्े र्ारण र्ुछ पररितकन होता है , र्ुछ रह जाता है। और दस
ू री
र्र्ी है - दृढ़ता र्ी। संर्ल्प अच्छे अच्छे र्रते हो, आज भी दे खो कर्तने र्ाडक, कर्तने
अंजार्, कर्तने िार्दे दे खे, बापदादा ने देखा है। बहुत पत्र अच्छे -अच्छे आर्े हैं। तो
र्रें गे, ददखार्ेंगे, होना ही है, बनना ही है, पदर्-पदर्गुणा र्ादप्र्ार, सब बापदादा र्े पास
पहुंचा है , आप जो सम्र्ुख बैठे हो, उन्हों र्े ददल र्ा आिाज भी बाप र्े पास पहुंचा। लेकर्न
अभी बापदादा इन दो शक्ततर्ों र्े ऊपर अण्डरलाइन र्रा रहा है। एर् दृढ़ता र्ी र्र्ी आ
जाती है। र्र्ी र्ा र्ारण, अलबेलापन, दस
ू रे र्ो दे खने र्ा। हो जार्ेगा, र्र तो रहे
हैं, र्रें गे, जरूर र्रें गे...। बापदादा र्ही चाहते हैं कर् इस िषक एर् शब्द र्ो विदाई दो - सदा
र्े ललए। बतार्ें, बोलें ? दे नी पड़ेगी। इस िषक बापदादा र्ारण शब्द र्ो विदाई ददलाने चाहते
हैं, ननिारण हो, र्ारण खत्र्। सर्स्र्ा खत्र्, सर्ाधान स्िरूप। चाहे स्िर्ं र्ा र्ारण हो, चाहे
साथी र्ा र्ारण हो, चाहे संगठन र्ा र्ारण हो, चाहे र्ोई सरर्र्स्टांश र्ा र्ारण
हो, ब्राह्र्णों र्ी डडतशनरी र्ें र्ारण शब्द, सर्स्र्ा शब्द पररितकन हो, सर्ाधान और
ननिारण हो जाए तर्ोंकर् बहुतों ने आज अर्त
ृ िेले भी बापदादा से रूहररहान र्ें र्ही बातें
र्ी, कर् नर्े िषक र्ें र्ुछ निीनता र्रें । तो बापदादा चाहते हैं कर् र्ह नर्ा िषक ऐसा र्नाओ
जो र्ह दो शब्द सर्ाप्त हो जाएं। पर-उपर्ारी। स्िर्ं र्ारण बनते हैं र्ा दस
ू रा र्ोई र्ारण

120
बनता है, लेकर्न पर-उपर्ारी आत्र्ा बन, रहर्ददल आत्र्ा बन, शुभ भािना, शुभ र्ार्ना र्े
ददल िाले बन सहर्ोग दो, स्नेह लो।
दृढ़ता र्ी शक्तत, पररितकन र्ी लशतत र्ो सदा साथी बनाओ। र्ोई र्ुछ भी ननगेदटि दे
लेकर्न जैसे आप दस
ू रों र्ो र्ोसक र्राते हो ननगेदटि र्ो पॉक्जदटि र्ें बदली र्रो, तो तर्ा
आप स्िर्ं ननगेदटि र्ो पॉक्जदटि र्ें चेन्ज नहीं र्र सर्ते? दस
ू रा परिश होता है, परिश पर
रहर् कर्र्ा जाता है। आपर्े जड़ चचत्र, आपर्े ही चचत्र है ना। भारत र्ें डबल िॉरे नसक र्े भी
चचत्र हैं ना, जो पज
ू े जाते हैं? ददलिाला र्क्न्दर र्ें तो अपना चचत्र दे खा है ना ! बहुत अच्छा।
जब आपर्े जड़चचत्र रहर्ददल हैं, र्ोई भी चचत्र र्े आगे जाते हैं तो तर्ा र्ांगते हैं ? दर्ा
र्रो, र्ृपा र्रो, रहर् र्रो, र्सी, र्सी... | तो सदा पहले अपने ऊपर रहर् र्रो, किर
ब्राह्र्ण पररिार र्े ऊपर रहर् र्रो, अगर र्ोई परिश है, संस्र्ार र्े िश है, र्र्ज़ोर है, उस
सर्र् बेसर्झ हो जाता है , तो क्रोध नहीं र्रो। क्रोध र्ी ररपोटक ज्र्ादा आती है। क्रोध नहीं
तो उसर्े बाल बच्चों से बहुत प्र्ार है। रोब, रोब क्रोध र्ा बच्चा है। तो जैसे पररिार र्ें होता
है ना, बड़े बच्चों से प्र्ार र्र् हो जाता है और पोत्रे धोत्रों से प्र्ार ज्र्ादा होता है। तो क्रोध
बाप है और रोब और उल्टा नशा, नशे भी लभन्नलभन्न होते हैं, बुवि र्ा नशा, ड्र्ुटी र्ा
नशा, सेिा र्े र्ोई विशेष र्तकर्वर् र्ा नशा, र्ह रोब होता है। तो दर्ालु बनो, र्ृपालु बनो।
दे खो, नर्े िषक र्ें एर् दो र्ा र्ुख र्ीठा भी र्रते हैं, बधाई दें गे, तो र्ुख र्ीठा भी र्राते हैं
ना! तो सारा िषक र्डुिापन नहीं ददखाना। िह र्ुख र्ीठा र्रते आप लसिक र्ुख र्ीठा नहीं
र्राते लेकर्न आपर्ा र्ुखड़ा भी र्ीठा हो। सदा अपना र्ुखड़ा रूहाननर्त र्े स्नेह र्ा
हो, र्ुस्र्राने र्ा हो। र्डुिापन नहीं। र्ैजाररटी जब बापदादा से रूहररहान र्रते हैं ना तो
अपनी सच्ची बात सुना दे ते हैं और तो र्ोई सुनता ही नहीं है। तो र्ैजाररटी र्ी ररजल्ट र्ें
और विर्ारों से क्रोध र्ा क्रोध र्े बाल बच्चे र्ी ररपोटक ज्र्ादा है। तो बापदादा इस नर्े िषक
र्ें इस र्डुिाइस र्ो ननर्ालने चाहते हैं। र्ईर्ों ने अपना िार्दा भी ललखा है कर् चाहते नहीं
हैं लेकर्न आ जाता है। तो बापदादा ने र्ारण सुनार्ा कर् दृढ़ता र्ी र्र्ी है। बाप र्े आगे
संर्ल्प द्िारा िचन भी लेते हैं, लेकर्न दृढ़ता ऐसी शक्तत है जो दनु नर्ा िाले भी र्हते हैं
शरीर चला जाए लेकर्न िचन नहीं जाए। र्रना पड़े, झुर्ना पड़े, बदलना पड़े, सहन र्रना
पड़े, लेकर्न िचन र्ें दृढ़ रहने िाला हर र्दर् र्ें सिलतार्त
ू क है तर्ोंकर् दृढ़ता सिलता र्ी
चाबी है। चाबी है सभी र्े पास, लेकर्न सर्र् पर गर्
ु हो जाती है।

( 31-12-06 )

नर्ा संसार अब परर्ात्र् संस्र्ार र्े आधार से बनाने िाले हैं। तो लसिक अभी पुरूषाथक नहीं
र्रना है लेकर्न परू
ु षाथक र्ी प्रालब्ध भी अभी अनभ
ु ि र्रनी है। सुख र्े साथ शाक्न्त र्ो भी
चेर् र्रो - अशान्त सरर्र्स्टांश, अशान्त िार्ुर्ण्डल उसर्ें भी आप शाक्न्त सागर र्े बच्चे
सदा र्र्ल पष्ठु प सर्ान अशाक्न्त र्ो भी शाक्न्त र्े िार्र्
ु ण्डल र्ें पररितकन र्र सर्ते हो

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? शान्त िार्ुर्ण्डल है, उसर्ें आपने शाक्न्त अनुभि र्ी, र्ह र्ोई बड़ी बात नहीं है लेकर्न
आपर्ा िार्दा है अशाक्न्त र्ो शाक्न्त र्ें पररितकन र्रने िाले हैं। तो चेर् र्रो - र्र रहे हैं
ना चेर् ? पररितकर् हो ? परिश तो नहीं हो ना ? पररितकर् हो। पररितकर् र्भी परिश नहीं
हो सर्ता। इसी प्रर्ार से सम्पक्त्त, अखट
ु सम्पक्त्त, िह स्िराज्र् अचधर्ारी र्ी तर्ा है
? ज्ञान, गण
ु और शक्ततर्ां स्िराज्र् अचधर्ारी र्ी सम्पक्त्तर्ां र्ह हैं। तो चेर् र्रो - ज्ञान
र्े सारे विस्तार र्े सार र्ो स्पष्ठट जान गर्े हो ना ? ज्ञान र्ा अथक र्ह नहीं है कर् लसिक
भाषण कर्र्ा, र्ोसक र्रार्ा, ज्ञान र्ा अथक है सर्झ। तो हर संर्ल्प, हर र्र्क बोल ज्ञान
अथाकत सर्झदार, नॉलेजिुल बनर्े र्रते हैं ? सिकगुण प्रैक्तटर्ल जीिन र्ें इर्जक रहते हैं
? सिक हैं िा र्थाशक्तत हैं ? इसी प्रर्ार सिक शक्ततर्ां आपर्ा टाइदटल है - र्ास्टर
सिकशक्ततिान, शक्ततिान नहीं हैं। तो सिक शक्ततर्ां सम्पन्न हैं ? और दस
ू री बात सिक
शक्ततर्ां सर्र् पर र्ार्क र्रती हैं ? सर्र् पर हाक्जर होती हैं र्ा सर्र् बीत जाता है किर
र्ाद आता है ? तो चेर् र्रो तीनों ही बातें एर् राज्र्, एर् धर्क और अविनाशी सुख-
शाक्न्त, सम्पक्त्त। तर्ोंकर् नर्े संसार र्ें र्ह बातें जो अभी स्िराज्र् र्े सर्र् र्ा अनुभि है
िह नहीं हो सर्ेगा। अभी इन सभी बातों र्ा अनुभि र्र सर्ते हैं। अभी से र्ह संस्र्ार
इर्जक होंगे तब अनेर् जन्र् प्रालब्ध र्े रूप र्ें चलेंगे। ऐसे तो नहीं सर्झते हैं कर् धारण र्र
रहे हैं, हो जार्ेगा, अन्त तर् तो हो ही जार्ेंगे !

( 31-03-07 )

आज सत बाप, सत लशक्षर्, सतगुरू अपने चारों ओर र्े सत्र्ता स्िरूप, शक्तत स्िरूप बच्चों
र्ो दे ख रहे हैं तर्ोंकर् सत्र्ता र्ी शक्तत सिकश्रेष्ठठ है। इस सत्र्ता र्ी शक्तत र्ा आधार है
सम्पूणक पवित्रता। र्न-िचन-र्र्क, सम्बन्ध-सम्पर्क, स्िप्न र्ें भी अपवित्रता र्ा नार् ननशान
न हो। ऐसी पवित्रता र्ा प्रत्र्क्ष स्िरूप तर्ा ददखाई दे ता ? ऐसी पवित्र आत्र्ा र्े चलन और
चेहरे र्ें स्पष्ठट ददर्वर्ता ददखाई दे ती है। उनर्े नर्नों र्ें रूहानी चर्र्, चेहरे र्ें सदा
हवषकतर्ुखता और चलन र्ें हर र्दर् र्ें बाप सर्ान र्र्कर्ोगी। ऐसे सत्र्िादी सत बाप द्िारा
इस सर्र् आप सभी बन रहे हो। दनु नर्ा र्ें भी र्ई अपने र्ो सत्र्िादी र्हते हैं, सच भी
बोलते हैं लेकर्न सम्पण
ू क पवित्रता ही सच्ची सत्र्ता शक्तत है। जो इस सर्र् इस संगर्र्ग

र्ें आप सभी बन रहे हो। इस संगर्र्ग
ु र्ी श्रेष्ठठ प्राक्प्त है - सत्र्ता र्ी शक्तत, पवित्रता र्ी
शक्तत। क्जसर्ी प्राक्प्त सतर्ग
ु र्ें आप सभी ब्राह्र्ण सो दे िता बन आत्र्ा और शरीर दोनों
से पवित्र बनते हो। सारे सक्ृ ष्ठट चक्र र्ें और र्ोई भी आत्र्ा और शरीर दोनों से पवित्र नहीं
बनते। आत्र्ा से पवित्र बनते भी हैं लेकर्न शरीर पवित्र नहीं लर्लता। तो ऐसी सम्पण
ू क
पवित्रता इस सर्र् आप सब धारण र्र रहे हो। िलर् से र्हते हो, र्ाद है तर्ा िलर् से
र्हते हो ? र्ाद र्रो। सभी ददल से र्हते हैं, अनभ
ु ि से र्हते हैं कर् पवित्रता तो हर्ारा
जन्र् लसि अचधर्ार है, जन्र् लसि अचधर्ार सहज प्राप्त होता है तर्ोंकर् पवित्रता िा सत्र्ता

122
प्राप्त र्रने र्े ललए आप सभी ने पहले अपने सत स्िरूप आत्र्ा र्ो जान ललर्ा। अपने सत
बाप, लशक्षर्, सतगरू
ु र्ो पहचान ललर्ा। पहचान ललर्ा और पा ललर्ा। जब तर् र्ोई अपने
सत स्िरूप िा सत बाप र्ो नहीं जानते तो सम्पूणक पवित्रता, सत्र्ता र्ी शक्तत आ नहीं
सर्ती। तो आप सभी सत्र्ता और पवित्रता र्ी शक्तत र्े अनभ
ु िी है ना ! हैं अनभ
ु िी
? अनभ
ु िी हैं ? िह लोग प्रर्त्न र्रते हैं लेकर्न र्थाथक रूप र्ें ना अपने स्िरूप, न सत बाप
र्े र्थाथक स्िरूप र्ो जान सर्ते। और आप सबने इस सर्र् र्े अनभ
ु ि द्िारा पवित्रता र्ो
ऐसे सहज अपनार्ा जो इस सर्र् र्ी प्राक्प्त र्ा प्रालब्ध दे िताओं र्ी पवित्रता नेचरल है और
नेचर है। ऐसी नेचरल नेचर र्ा अनुभि आप ही प्राप्त र्रते हो। तो चेर् र्रो कर् पवित्रता
िा सत्र्ता र्ी शक्तत नेचरल नेचर र्े रूप र्ें बनी है ? जो सर्झते हैं कर् पवित्रता तो
हर्ारा जन्र् लसि अचधर्ार है िह हाथ उठाओ। जन्र् लसि अचधर्ार है कर् र्ेहनत र्रनी
पड़ती है ? र्ेहनत र्रनी तो नहीं पड़ती ना ! सहज है ना ! तर्ोंकर् जन्र्लसि आचधर्ार तो
सहज प्राप्त हाता है | र्ेहनत नह र्रनी पड़ती। दनु नर्ा िाले असम्भि सर्झते हैं और आपने
असम्भि र्ो सम्भि और सहज बना ददर्ा है।
आप सबने पहला पाठ तर्ा कर्र्ा था ? र्ैं आत्र्ा हूाँ, परर्ात्र्ा र्ा पाठ दस
ू रा नम्बर है।
लेकर्न पहला पाठ र्ैं र्ाललर् राजा इन र्र्ेक्न्रर्ों र्ा अचधर्ारी आत्र्ा हूाँ। शक्ततशाली
आत्र्ा हूाँ। सिकशक्ततर्ां आत्र्ा र्े ननजीगुण हैं। तो बापदादा ने दे खा कर् जो र्ैं हूाँ, जैसा
हूाँ, उसर्ो नेचरल स्िरूप स्र्नृ त र्ें चलना, रहना, चेहरे से अनुभि होना, सर्स्र्ा से कर्नारा
होना, इसर्ें अभी और अटे न्शन चादहए। लसिक र्ैं आत्र्ा नहीं, लेकर्न र्ौन सी आत्र्ा
हूाँ, अगर र्ह स्र्नृ त र्ें रखो तो र्ास्टर सिकशक्ततिान आत्र्ा र्े आगे सर्स्र्ा िा विघ्न र्ी
र्ोई शक्तत नहीं जो आ सर्े।

( 30-11-07 )

आजर्ल चाहे अज्ञानी आत्र्ार्ें हैं, चाहे ब्राह्र्ण आत्र्ार्ें हैं सभी र्ो गुण र्ा दान, गुणों र्ा
सहर्ोग दे ना आिश्र्र् है। अगर स्िर्ं सहज लसम्पल
ु रूप र्ें सैम्पुल बनर्े रहे तो
आटोर्ेदटर् दस
ू रे र्ो आपर्े गण
ु र्त
ू क र्ा सहर्ोग स्ित: ही लर्लेगा। आजर्ल ब्राह्र्ण
आत्र्ार्ें भी सैम्पल
ु दे खने चाहती हैं, सन
ु ने नहीं चाहती हैं। आपस र्ें भी तर्ा र्हते हो
? र्ौन बना है ? तो प्रत्र्क्ष रूप र्ें गण
ु र्त
ू क देखने चाहते हैं। तो र्र्क से विशेष गण
ु ों र्ा
सहर्ोग, गण
ु ों र्ा दान दे ने र्ी आिश्र्र्ता है। सन
ु ने र्ोई नहीं चाहता, दे खने चाहता है। तो
अभी र्ह विशेष ध्र्ान र्ें रखना कर् र्झ
ु े ज्ञान से, िाचा से तो सेिा र्रते ही रहते हो और
र्रते ही रहना है, छोड़ना नहीं है लेकर्न अभी र्न्सा और र्र्क, र्न्सा द्िारा िार्ब्रेशन
िैलाओ। सर्ाश िैलाओ। िार्ब्रेशन िा सर्ाश दरू बैठे भी पहुंचा सर्ते हो। शुभ भािना, शुभ
र्ार्ना द्िारा कर्सी भी आत्र्ा र्ो र्न्सा सेिा द्िारा िार्ब्रेशन िा सर्ाश दे सर्ते हो।

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अभी इस िषक एर् र्न्सा शक्ततर्ों र्ा िार्ब्रेशन, शक्ततर्ों द्िारा सर्ाश और र्र्क द्िारा
गण
ु र्ा सहर्ोग िा अज्ञानी आत्र्ाओं र्ो गण
ु दान, नर्े िषक र्ें चगफ्ट भी दे ते हो ना। तो इस
िषक स्िर्ं गण
ु र्त
ू क बन गण
ु ों र्ी चगफ्ट दे ना। गण
ु ों र्ी टोली खखलाते हो ना। लर्लते हो तो
टोली खखलाते हो ना। टोली खखलाने र्ें खश
ु हो जाते हैं ना।

( 31-12-07 )

आज चाहे सम्र्ुख चाहे दरू र्े सन्तुष्ठटर्खण बच्चों र्ो दे ख रहे हैं। हर एर् बच्चा अपने
सन्तुष्ठटता र्ी शक्तत से चर्र्ते हुए र्ुस्र्राते लर्लन र्ना रहे हैं। र्ह सन्तुष्ठटता र्ी शक्तत
सबसे र्हान है इसललए इसर्ें सिक प्राक्प्तर्ां हैं। सन्तुष्ठटता र्ी शक्तत धारण र्रने िाली
सन्तुष्ठटर्खणर्ां स्िर्ं र्ो भी वप्रर्, बाप र्ो भी वप्रर्, पररिार र्ो भी वप्रर् हैं तर्ोंकर्
सन्तुष्ठटता जहााँ है िहााँ सिकशक्ततर्ां सन्तुष्ठटता र्ें सर्ाई हुई हैं। सन्तुष्ठटता र्ी शक्तत र्ा
िार्ुर्ण्डल चारों ओर िैलता है। सन्तुष्ठटर्खण िाली आत्र्ार्ें र्भी भी र्ार्ा से हार नहीं खा
सर्ती, र्ार्ा हार खाती है। सन्तुष्ठटर्खण आत्र्ार्ें सिक र्ी ददल र्ो अपना बना सर्ती हैं।
सन्तुष्ठटर्खण आत्र्ा चाहे र्ार्ा, चाहे प्रर्ृनत र्े लभन्न-लभन्न हलचल र्ो ऐसे अनभ
ु ि र्रती
जैसे एर् र्ाटूकन र्ो देख रहे हैं। ऐसे हर एर् बच्चा अपने र्ो सन्तुष्ठटता र्ी शक्तत र्ें
सम्पन्न सर्झते हैं ? अपने से पूछो कर् र्ैं सन्तुष्ठटर्खण हूाँ ? र्ई बच्चे र्हते हैं र्भी-र्भी
रहते हैं, सदा नहीं लेकर्न र्भी-र्भी, तो बापदादा र्ो र्भी-र्भी शब्द अच्छा नहीं लगता है।
बापदादा सदा हर एर् बच्चे र्ो र्ादप्र्ार दे ते हैं , खुशी दे ते हैं। तो बापदादा र्ो र्ह र्भी
र्भी शब्द अच्छा नहीं लगता, सदा खुशनुर्ा। तो बापदादा र्ही चाहते हैं कर् इस र्भी-र्भी
शब्द र्ो तर्ा पररितकन र्र सर्ते हो ! र्भी-र्भी शब्द ब्राह्र्णों र्ी डडतशनरी र्ें ही नहीं
है, सदा। तो तर्ा आज सभी बच्चे जो बाप र्े प्र्ारे , र्ार्ा र्े प्रभाि से न्र्ारे बने हैं, तो
तर्ा आज इस र्भी र्भी शब्द र्ो सर्ाप्त र्र सर्ते हैं ? र्र सर्ते हैं ? तर्ोंकर् बापदादा
बहुत सर्र् से र्ह रहे हैं र्ोई भी हलचल अचानर् आनी है। उसर्ी तैर्ारी र्े ललए अगर
अभी से र्भी र्भी र्े संस्र्ार होंगे तो तर्ा सदार्ाल र्े राज्र्भाग्र् र्े अचधर्ारी बन सर्ेंगे
?
आज बापदादा विशेष सन्तष्ठु टता र्ी शक्तत हर एर् बच्चे र्ें ब्रह्र्ा बाप सर्ान दे खने चाहते
हैं। इस एर् सन्तष्ठु टता र्ी शक्तत र्ें सब शक्ततर्ां आ जार्ेंगी। तो आज बापदादा र्ा विशेष
िरदान है सन्तष्ठु टता र्े शक्तत भि! र्ुछ भी हो अपनी सन्तष्ठु टता र्ो र्भी नहीं छोड़ना। र्ई
बच्चे र्हते हैं, रूहररहान र्रते हैं ना ! तो र्हते हैं सन्तष्ठु ट बनना सहज है, लेकर्न सन्तष्ठु ट
बनाना बहुत र्क्ु श्र्ल है। आप स्िर्ं र्ोई र्ुछ भी र्रता है, र्रता है तो आप सर्झते भी हो
र्ह ठीर् नहीं है किर ददल र्ें तर्ा रखते हो ? र्ह ऐसा र्रता, र्ह ऐसा र्रता है, इसर्ा
स्िभाि ऐसा है, इसर्ा ऐसा है। ददल र्ें नहीं रखो तर्ोंकर् आपने ददल र्ें बाप र्ो बबठार्ा है।
बबठार्ा है ना ? र्ांध दहलाओ। बबठार्ा है पतर्ा ? कर् ननर्ालते भी हो बबठाते भी हो

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? अगर बबठार्ा है तो ददल र्ें बात रखेंगे, तो बाप र्े साथ ददल र्ें बात भी रखेंगे। तो ददल
र्ें नहीं रखो। बापदादा ने र्ह र्क्ु तत भी पहले ही सन
ु ाई है कर् सदा ऐसी आत्र्ा र्े प्रनत शभ

भािना शभ
ु र्ार्ना रखर्र अपनी शभ
ु र्ार्ना र्ो र्ार्क र्ें लगाओ और िैसे भी दे खो आप
सर्झते हो र्ह अच्छा नहीं र्रती, तो खराब चीज़ है। तो अगर र्ोई आपर्ो खराब चीज़ दे िे
तो आप लेंगे ? तो जब खराब सर्झते हो तो बवु ि र्ें रखना, ददल र्ें रखना तो खराब चीज़
ललर्ा तर्ों ? ऐसे अपनी ददल र्ें सदा बाप र्ो रखते हुए बाप सर्ान बन जार्ेंगे। र्ह तो
िार्दा है ना, बाप सर्ान बनना है ना ! बनना है पतर्ा ? कर् पता नहीं बनेंगे र्ा नहीं बनेंगे
? र्ह तो नहीं सोचते ? प्र्ार र्ाना िॉलो िादर। तो बापदादा अभी एर्-एर् बच्चे र्ो शुभ
र्ार्ना, शुभ भािना सम्पन्न आत्र्ा दे खने चाहते हैं।

( 20-03-12 )

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अधधर् जानर्ािी र्े भलए सम्पर्क र्िे :-

सम्पर्क : आध्र्ाक्त्र्र् अनुप्रर्ोग अनुसंधान र्ेन्र

SpARC – Spiritual Applications Research Centre

बेह्तर विश्ि ननर्ाकण अर्ादर्ी,

ज्ञान सिोर्ि, आबू पर्कत – 307501

िाजस्िान, िाित

मोबाईल : +919414003497, +919414082607

फैक्स : 02974-238951

ई-मेल : bksparc@gmail.com

sparc@bkivv.org

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