You are on page 1of 39

स्पार्क प्रोजेक्ट

फोलो फादर
साक्षातमत
ू क और साक्षात्र्ारमत
ू क

र्ृतत
( संर्लन )
स्पार्क (SpARC)

1
स्पार्क (SpARC – Spiritual Applications Research Centre)

स्पार्क (SpARC) एर् अनुसंधान प्रभाग ( Researvh Wing ) है, जो कर् दे श तथा विदे श

र्े अनेर् स्थनों पर र्ार्क र्र रहा है। स्पार्क (SpARC) शब्द र्ा विस्तार ( Full form )

Spiritual Applications Research Centre है और इसर्ा लक्ष्र् है विश्ि नि-ननर्ाकण


र्े र्ार्क र्े अध्र्ात्र् एिं विज्ञान र्ो एर्-दस
ु रे र्ा सह्र्ोगी बनाना। इसी लक्ष्र्-पूनतक र्े ललए
स्पार्क र्नन-चचंतन और विचार सागर र्ंथन र्े द्िारा ईश्िरीर् ज्ञान र्ो िैज्ञाननर् पष्ठृ ्भूलर्
और विज्ञान र्े विरोधोक्तत र्त
ु त शाखाओं र्ो आध्र्ाक्त्र्र् पष्ठृ ्भलू र् प्रदान र्रते हुए दोनों र्ो
एर्-दस
ु रे र्े सर्ीप लार्र आपस र्े लर्लर्र र्ार्क र्रने र्े ललए तैर्ार र्र रहा है।
इस र्ार्क र्े तीव्र गनत र्े अग्रेसर होने र्े ललए तथा जीिन र्े सर्स्त पह्लुओ र्े
आध्र्ाक्त्र्र्ता र्ा प्रर्ोग और उपर्ोग से प्राप्त पररणर्ो र्ो सर्वर्ाकन्र् बनाने र्े ललए प्रभािशाली

विचध, साधन और तर्नीर् र्ा विर्ास र्रने आदद र्ार्क र्े स्पार्क सर्क प्रर्ार र्े अनुसंधानों

र्ो प्रोत्साहित र्रता िै।

लोर्ल चैप्टर –
स्पार्क र्ी गनतविचधर्ों र्ो और अचधर् गनतशील बनाने र्े ललए दे श -विदे श र्े स्पार्क

र्े लोर्ल चैप्टसक चल रहे है। एर् अथिा एर् से अचधर् सेिार्ेन्र , शहर, राज्र् अथिा दे श

र्े 5 से अचधर् बी.र्े. भाई-बह्नों र्े सर्ह


ू जब लर्लर्र स्पार्क र्े गनतविचध र्ो र्ार्ाकक्न्ित

र्रते है उसे स्पार्क लोर्ल चैप्टर ( Local Chapter ) र्हा जाता है। कर्सी भी स्थान पर

लोर्ल चैप्टर शुरु र्रने र्े ललए र्ह आिश्र्र् है कर् उस स्थान र्े सेिार्ेन्र र्ी प्रभारी बहन
र्ी स्िीर्ृनत से सेिार्ेन्र पर 5 से अचधर् भाई-बहनों र्ा एर् ग्रुप तैर्ार कर्र्ा जाए। सभी

भाई-बहने सप्ताह र्े, 15 ददन र्े र्ा र्ास र्े र्र् से र्र् एर् बार आपस र्े लर्ल्र्र ईश्िरीर्

ज्ञानबबन्द ु पर रुह-ररहान, विचार-सागर र्ंथन र्रे तथा र्ार्यशाकला और पररचचाक आदद र्ार्कक्रर्

र्ा आर्ोजन र्रे । ब्र.र्ु. भाई-बहनों र्े आध्र्ाक्त्र्र् उन्ननत र्े साथ-साथ अन्र् आत्र्ाओं र्ी
सेिा र्रने र्े ललए निीन विचधर्ों र्ा ननर्ाकण र्र सर्ें।

प्रस्तार्ना
अब तो सर्र्-प्रर्ाण सप्ताह र्ोसक र्े बजार् अपने िरदानों द्िारा, अपनी सिकशक्ततर्ों र्े द्िारा
सेर्ेण्ड र्ा र्ोसक बताओ; तब ही सिक आत्र्ाओं र्ो रूहों र्ी दनु नर्ा र्ें बाप र्े साथ ले जा

2
सर्ेंगे। अशरीरी भि, ननरार्ारी भि, ननरहंर्ारी और ननविकर्ारी भि र्ा िरदान, िरदाता द्िारा
प्राप्त हो चर्
ु ा है न ? अब ऐसे िरदान र्ो सार्ार रूप र्ें लाओ! अथाकत ् स्र्यं र्ो ज्ञान-
मत
ू क, याद-मत
ू क और साक्षात्र्ार-मत
ू क बनाओ। जो भी सामने आये, उसे मस्तर् द्र्ारा मस्तर्-
मणि हदखाई दे , नैनों द्र्ारा ज्र्ाला हदखाई दे और मख ु द्र्ारा र्रदान र्े बोल तनर्लते िुए
हदखाई दें । जैसे अब तर् बापदादा र्े र्हािातर्ों र्ो सार्ार स्िरूप दे ने र्े ललए ननलर्त्त बनते
आर्े हो, अब इस स्िरूप र्ो सार्ार बनाओ।

अपनी रूहानी र्रू त से रूहानी बाप र्ी प्रत्र्क्षता र्रनी है जो हर आत्र्ा हर ब्राह्र्ण र्ें ब्रह्र्ा
बाप र्ो दे खे। रचना अपने रचनर्ता र्ो ददखार्े। हर एर् र्े र्ख
ु से एर् ही बोल ननर्ले
कर् ‘स्िर्ं भगिान ने इन्हें इतना तर्दीरिान बनार्ा है।’ हर-एर् र्ी तर्दीर बाप-दादा र्ी
तस्िीर र्ो प्रलसद्ध र्रे । िर एर् अपने र्ो ऐसा हदव्य-स्र्च्छ दपकि बनाओ कर् िर दपकि द्र्ारा
अनेर्ों र्ो बाप-दादा र्ा साक्षात्र्ार िो। साक्षात ् बाप समान र्ी स्स्ितत िी बाप र्ा साक्षात्र्ार
र्रा सर्ती िै।

आजर्ल र्ैजॉररटी आत्र्ाओं र्ी इच्छा तर्ा है ? सुख-शाक्न्त र्ी प्राक्प्त र्ी इच्छा तो है, लेकर्न
विशेष जो भतत आत्र्ाएँ हैं उन्हों र्ी इच्छा तर्ा है ? मैजॉररटी भक्तों र्ी इच्छा ससफक एर्
सेर्ेण्ड र्े सलये भी लाइट दे खने र्ी िै। तो र्ि इच्छा र्ैसे पूिक िोगी ? र्ि इच्छा पूिक र्रने
र्े साधन ब्राह्मिों र्े नयन िैं। इन नयनों द्र्ारा बाप र्े ज्योतत स्र्रूप र्ा साक्षात्र्ार िो।
र्ह नर्न, नर्न नहीं ददखाई दें गे अवपतु लाइट र्ा गोला ददखाई दें गे। जैसे आर्ाश र्ें चर्र्ते
हुए लसतारे ददखाई दे ते हैं, िैसे र्ह आंखों र्े तारे लसतारे -सर्ान चर्र्ते हुए ददखाई दें । लेकर्न
िह तब ददखाई दें गे जब स्िर्ं लाइट-स्िरूप र्ें क्स्थत रहें गे। र्र्क र्ें भी लाइट अथाकत ् हल्र्ापन
और स्िरूप भी लाइट-स्टे ज भी लाइट हो।

साक्षातमूतक और साक्षातर्ारमूतक

3
पढ़ाई र्ा सार तो सर्झ र्ें आ गर्ा। उस सार र्ो जीिन र्ें लार्र र्े दनु नर्ा र्ो िह राज
सन
ु ाना है। रचनर्ता और रचना र्ी नालेज र्ो तो सर्झ गर्े हो। सन
ु ा तो बहुत है लेकर्न अब
जो सन
ु ा है िह स्िरूप बनर्े सभी र्ो ददखाना है। र्ैसे ददखार्ेंगे ? आपर्ी हर चलन से बाप
और दादा र्े चररत्र नजर आिे। आपर्ी आँखों र्ें उस ही बाप र्ो दे खें। आपर्ी िाणी से उन्हीं
र्ी नालेज र्ो सनु ें। हर चलन र्ें, हर चररत्र सर्ार्ा हुआ होना चादहए। लसर्क बाप र्े चररत्र
नहीं लेकर्न बाप र्े चररत्र दे ख बच्चे भी चररत्रिान बन जार्ें। आपर्े चचत्र र्ें उसी अलौकर्र्
चचत्र र्ो दे खें। आप र्े र्वर्तत रूप र्ें अर्वर्तत र्त
ू क नजर आिे। ऐसा परू
ु षाथक र्रर्े, जो बापदादा
ने र्ेहनत र्ी है उसर्ा र्ल स्िरूप ददखाना है। जैसे अज्ञान र्ाल र्ें भी र्ोई-र्ोई बच्चों र्ें
जैसे कर् बाप ही नजर आता है। उनर्े बोल-चाल से अनुभि होता है जैसे कर् बाप है। इसी
रीनत से जो अनन्र् बच्चे हैं उन एर् एर् बच्चे द्िारा बाप र्े गुण प्रत्र्क्ष होने चादहए और
होंगे। र्ैसे होंगे ? उसर्ा र्ुख्र् प्रर्त्न तर्ा है ? र्ुख्र् बात र्ही है जो सार्ार रूप से भी
सुनार्ा है कर् र्ाद र्ी र्ात्रा, अर्वर्तत क्स्थनत र्ें क्स्थत होर्र हर र्र्क र्रना है।

( 06-02-69 )

आज बापदादा हरे र् र्ा प्रोजेतटर शो दे ख रहे हैं। आप लोग भी प्रोजेतटर रखते हो? प्रोजेतटर
र्ौन सा है, क्जस द्िारा चचत्र दे खते हो? हरे र् र्े नर्न प्रोजेतटर है। इस प्रोजेतटर द्िारा
र्ौनसा चचत्र दनु नर्ा र्ो ददखला सर्ते हो? िह है साइंस र्ी शक्तत र्ा प्रोजेतटर और र्ह है
ईश्िरीर् शक्तत र्ा प्रोजेतटर। क्जतना-क्जतना प्रोजेतटर पािरर्ुल होता है उतना ही दृश्र् क्तलर्र
दे खने र्ें आता है। िैसे ही तुर् सभी बच्चों र्े र्ह ददर्वर् नेत्र क्जतना-क्जतना क्तलर्र अथाकत ्
रुहाननर्त से सम्पूणक होंगे उतना ही तुर् बच्चों र्े नर्नों द्िारा र्ई चचत्र दे ख सर्ते हैं। और
ऐसे ही स्पष्ठट ददखलाई दें गे जैसे प्रोजेतटर द्िारा स्पष्ठट ददखाई दे ते हैं। तो इन नर्नों द्िारा
बापदादा और पूरी रचना र्े स्थूल, सूक्ष्र्, र्ूल तीनों लोर्ों र्े चचत्र ददखाई दे सर्ते हैं। र्ोई
भी आपर्े सार्ने आर्े तो सिक साक्षात्र्ार तुम्हारे नर्नों द्िारा र्र सर्ते हैं। क्जतनी-क्जतनी
लाइट तेज़ होगी उतना चचत्र क्तलर्र।
क्जतना लाइट र्ी परसेंटेज ज्र्ादा होगी। उतना ही सभी बातों र्ें स्पष्ठट दे खने र्ें आएगा। इसललए
अपनी लाइट र्ी परसेंटेज र्ो बढ़ाओ। ददन प्रनत ददन सभी र्े र्स्तर् और नर्न ऐसे ही सविकस
र्रें जैसे आप र्ा प्रोजेतटर शो सविकस र्रता है। र्ोई भी सार्ने आर्ेंगे िह चचत्र आपर्े नर्नों
र्ें दे खेंगे, नर्न दे खते ही बद्
ु चधर्ोग द्िारा अनेर् साक्षात्र्ार होंगे। ऐसे साक्षात्र्ार र्ूतक अपने
र्ो बनाना है। लेकर्न साक्षात्र्ार र्त
ू क िह बन सर्ेंगे जो सदै ि साक्षी र्ी क्स्थनत र्ें क्स्थत
होंगे। उनर्े नर्न प्रोजेतटर र्ा र्ार् र्रें गे। उनर्ा र्स्तर् सदै ि चर्र्ता हुआ ददखाई पड़ेगा।
होली र्े बाद सांग बनाते हैं ना। देिताओं र्ो सजार्र र्स्तर् र्ें बल्ब जलाते हैं। र्ह सांग
तर्ों बनाते हैं? र्ह कर्स सर्र् र्ा प्रैक्तटर्ल रूप है? इस सर्र् र्ा। जो कर्र आपर्े र्ादगार
बनाते आते हैं। तो एर्-एर् र्े र्स्तर् र्ें लाइट देखने र्ें आर्े। विनाश र्े सर्र् भी र्ह

4
लाइट रूप आपर्ो बहुत र्दद दे गी। र्ोई कर्स भी िवृ त्त िाला आपर्े सार्ने आर्ेंगे। िह इस
दे ह र्ो न दे ख आपर्े चर्र्ते हुए इस बल्ब र्ो देखेंगे। जो बहुत तेज़ लाइट होती है और
उसर्ो जब दे खने लगते हैं तो दस
ू री सारी चीज़ नछप जाती है। िैसे ही क्जतनी-क्जतनी आप
सभी र्ी लाइट तेज़ होगी उतना ही उन्हों र्ो आपर्ी दे ह दे खते हुए भी नहीं दे खने आएगी।
जब दे ह र्ो दे खेंगे ही नहीं तो तर्ोगण
ु ी दृक्ष्ठट और िवृ त्त स्ितः ही ख़त्र् हो जाएगी। र्ह परीक्षाएं
आनी हैं। सभी प्रर्ार र्ी पररक्स्थनतर्ाँ पास र्रनी है।

( 02-02-70 )

र्हारचथर्ों र्ी ननशानी होगी प्रैक्तटस र्ी और प्रैक्तटर्ल हुआ। घोड़ेसिार प्रैक्तटस र्रने र्े बाद
प्रैक्तटर्ल र्ें आर्ेंगे। और प्र्ादे प्लान्स ही सोचते रहें गे। र्ह अंतर होता है। बच्चों र्ो र्ुख से
र्ह शब्द भी नहीं बोलना चादहए कर् अटें शन है , प्रैक्तटस र्रें गे। अभी िह क्स्थनत भी पार हो
गई। अभी तो जो संर्ल्प हो िह र्र्क हो। संर्ल्प और र्र्क र्ें अन्तर नहीं होना चादहए। िह
बचपन र्ी बातें हैं। संर्ल्प र्रना, प्लान्स बनाना कर्र उसपर चलना, अब िह ददन नहीं। अब
पढाई र्हाँ तर् पहुंची है? अब तो अक्न्तर् स्टे ज पर है। र्हारथीपन र्े तर्ा गुण और र्त्तकर्वर्
होते हैं, इसर्ो भी ध्र्ान दे ना है। आज िाही सन
ु ाने और अंनतर् क्स्थनत र्े स्िरुप र्ा साक्षात्र्ार
र्राने आर्े हैं। सविकसएबुल तर्ा र्र सर्ते हैं, तर्ा नहीं र्र सर्ते हैं, तर्ा र्ह सर्ते हैं, तर्ा
नहीं र्ह सर्ते हैं? अब से धारणा र्रने से ही अंनतर् र्ूत्तक बनेंगे, सार्ार सबूत दे खा ना प्रैक्तटस
और प्रैक्तटर्ल एर् सर्ान था कर् अलग-अलग था। जो सोच िाही र्र्क था। बच्चों र्ा र्त्तकर्वर्
ही है र्ॉलो र्रना। पाँि र्े ऊपर पाँि। र्ुल स्टे प लेने र्ा अथक ही है पाँि र्े ऊपर पाँि। जैसे
र्े िैसे र्ोलो र्रें गे।

( 26-03-70 )

अब बापदादा ऐसा र्ास्टर सिकशक्ततर्ान बनाने र्ी पढ़ाई पढ़ा रहे हैं , जो कर्सर्े भी सरू त र्ें
उसर्ी क्स्थनत और संर्ल्प स्पष्ठट सर्झ सर्ो। शर् भी न रहे । स्पष्ठट र्ालूर् पड़ जार्े। र्ह
है अंनतर् पढ़ाई र्ी स्टे ज। सार्ार रूप र्ें थोड़ी सी झलर् अंत र्ें ददखाई। जो सार्ार रूप र्ें
साथ थे उन्होंने र्ई ऐसी बातें नोट र्ी हैं। ऐसी ही क्स्थनत नंबरिार सभी बच्चों र्ी होनी है।
जब ऐसी क्स्थनत होती जाएगी तब अक्न्तर् स्िरुप और भविष्ठर् स्िरुप आप सभी र्ी सरू त से
सभी र्ो स्पष्ठट ददखने र्ें आएगा। जब तर् साक्षात ् सार्ार रूप नहीं बने हैं तब तर् साक्षात्र्ार
नहीं हो सर्ता है। इसललए इस सब्जेतट पर अनत सर्ीप रत्नों र्ो ध्र्ान दे ना है। क्जतना
सर्ीप उतना ही स्िर्ं भी स्पष्ठट और दस
ू रे भी उनर्े आगे स्पष्ठट ददखाई दें गे।

( 02-04-70 )

5
बापदादा र्ा अपने से साक्षात्र्ार र्राने ललए तर्ा बनना पड़ेगा? र्ोई भी चीज़ र्ा साक्षात्र्ार
कर्स र्ें होता है ? दपकण र्ें। तो अपने र्ो दपकण बनाना पड़ेगा। दपकण तब बनेंगे जब सम्पण
ू क
अपकण होंगे। सम्पण
ू क अपकण तो श्रेष्ठठ दपकण, क्जस दपकण र्ें स्पष्ठट साक्षात्र्ार होता है। अगर
र्थार्ोग्र् र्थाशक्तत अपकण हैं तो दपकण भी र्थार्ोग्र् र्थाशक्तत है। सम्पण
ू क अथाकत ् स्िर्ं र्े
भान से भी अपकण। अपने र्ो तर्ा सर्झना है? विशेष र्ुर्ारी र्ा र्त्तकर्वर् र्ही है जो सभी
बापदादा र्ा साक्षात्र्ार र्राएं। लसर्क िाणी से नहीं लेकर्न अपनी सरू त से। जो बाप र्ें विशेषताएं
थीं सार्ार र्ें, िे अपने र्ें लानी हैं। र्ह है विशेष ग्रुप। इस ग्रुप र्ो जैसे सार्ार र्ें र्हते थे
जो ओटे सो अजुकन सर्ान अल्ला। तो इस ग्रुप र्ो भी सर्ान अल्ला बनना है। ऐसे र्रर्े
ददखाना जैसे र्क्स्तष्ठर् र्ें र्ह नतलर् चर्र्ता है ऐसे सक्ृ ष्ठट र्ें स्िर्ं र्ो चर्र्ाना है। ऐसा
लक्ष्र् रखना है।

( 05-04-70 )

ब्राह्र्णों र्ो बत्रर्ूनतक लशि िंशी र्हते हो ना। बत्रर्ूनतक बाप र्े बच्चे स्िर्ं भी बत्रर्ूनतक हैं। बाप
भी बत्रर्ूनतक है। जैसे बाप बत्रर्ूनतक है िैसे आप भी बत्रर्ूनतक हो? तीन प्रर्ार र्ी लाइट्स साक्षात्र्ार
र्ी आती है? िह र्ालूर् है र्ौन सी है, जो ब्राह्र्णों र्े तीन प्रर्ार र्ी लाइट्स साक्षात्र्ार
होते रहते हैं? आप लोगों से लाइट र्ा साक्षात्र्ार होता र्ालूर् पड़ता है ? बत्रर्ूनतकिंशी बत्रर्ूनतक
बच्चों र्ी तीन प्रर्ार र्ी लाइट्स र्ा साक्षात्र्ार होता है। िह र्ौन सी लाइट्स हैं ? एर् तो
लाइट र्ा साक्षात्र्ार होता है नर्नों से। र्हते हैं ना कर् नर्नों र्ी ज्र्ोनत। नर्न ऐसे ददखाई
पड़ेंगे जैसे नर्नों र्ें दो बड़े बल्ब जल रहे हैं। दस
ू री होती है र्स्तर् र्ी लाइट। तीसरी होती हैं
र्ाथे पर लाइट र्ा क्राउन। अभी र्ह र्ोलशश र्रना है जो तीनों ही लाइट्स र्ा साक्षात्र्ार हो।
र्ोई भी सार्ने आर्े तो उनर्ो र्ह नर्न बल्ब ददखाई पड़े। ज्र्ोनत ही ज्र्ोनत ददखाई दें । जैसे
अंचधर्ारे र्ें सच्चे हीरे चर्र्ते हैं ना। जैसे सचक लाइट होती है , बहुत फ़ोसक से और अच्छी रीनत
र्ैलाते हैं – इस रीनत से र्स्तर् र्े लाइट्स र्ा साक्षात्र्ार होगा। और र्ाथे पर जो लाइट र्ा
क्राउन है िह तो सर्झते हो। ऐसे बत्रर्ूनतक लाइट्स र्ा साक्षात्र्ार एर्-एर् से होना है। तब
र्हें गे र्ह तो जैसे फ़ररश्ता है। सार्ार र्ें नर्न, र्स्तर् और र्ाथे र्े क्राउन र्े साक्षात्र्ार
स्पष्ठट होंगे।
नर्नों तरर् दे खते-दे खते लाइट दे खेंगे। तम्
ु हारी लाइट र्ो दे ख दस
ू रे भी जैसे लाइट हो जार्ेंगे।
कर्तनी भी र्न से िा क्स्थनत र्ें भारीपन हो लेकर्न आने से ही हल्र्ा हो जाए। ऐसी स्टे ज
अब पर्डनी है। तर्ोंकर् आप लोगों र्ो दे खर्र और सभी भी अपनी क्स्थनत ऐसी र्रें गे। अभी
से ही अपना गार्न सन
ु ेंगे। द्िापर र्ा गार्न र्ोई बड़ी बात नहीं है। लेकर्न ऐसे साक्षात्र्ारर्त
ू क
और साक्षात ् र्ूतक बनने से अभी र्ा गार्न अपना सुनेंगे। आप र्े आगे आने से लाइट ही लाइट
दे खने र्ें आर्े। ऐसे होना है। र्धुबन ही लाइट र्ा घर हो जार्ेगा। र्ह दीिे आदद दे खते भी

6
जैसे कर् नहीं दे खेंगे। जैसे ितन र्ें लाइट ही लाइट दे खने र्ें आती है िैसे र्ह स्थल
ू ितन
लाइट र्ा हाउस हो जार्ेगा। जब आप चैतन्र् लाइट हाउस हो जार्ेंगे तो कर्र र्ा र्धब
ु न भी
लाइट हाउस हो जार्ेगा। अभी र्ह है लास्ट पढ़ाई र्ी लास्ट सब्जेतट – प्रैक्तटर्ल र्ें। थ्र्ोरी
र्ा र्ोसक सर्ाप्त हुआ। प्रैक्तटर्ल, र्ोसक र्ी लास्ट सब्जेतट हैं। इस लास्ट सब्जेतट र्ें बहुत
फ़ास्ट परु
ु षाथक र्रना पड़ेगा। इसी स्टे ज र्े ललए ही गार्न है।

( 19-06-70 )

प्राक्प्त स्िरुप बनने से औरों र्ो प्राक्प्त र्रा सर्ते हो। तो सदैि अपने र्ो दाता अथिा र्हादानी
सर्झना है। र्हाज्ञानी बनने र्े बाद र्हादानी र्ा र्तकर्वर् चलता है। र्हाज्ञानी र्ी परख
र्हादानी बनने से होती है। सैर र्रना अच्छा लगता है। क्जन्हों र्ो सैर र्रने र्ी आदत होती
है, िह सदै ि सैर र्रते हैं। र्हाँ भी ऐसे है। क्जतना स्िर्ं सैर र्रें गे उतना औरों र्ो भी
बुद्चधर्ोग से सैर र्राएँगे। आप लोगों से साक्षात्र्ार होना है। जैसे सार्ार रूप र्े सार्ने आने
से हरे र् र्ो भािना अनुसार साक्षात्र्ार िा अनुभि होता था। ऐसे आप लोगों द्िारा भी सेर्ंड
बाई सेर्ंड अनेर् अनुभि िा साक्षात्र्ार होंगे। ऐसे दशकनीर् र्ूतक िा साक्षात्र्ार र्ूतक तब बनेंगे
जब अर्वर्तत आर्ृनत रूप ददखार्ेंगे। र्ोई भी सार्ने आर्े तो उसे शरीर न ददखाई दे लेकर्न
सूक्ष्र्ितन र्ें प्रर्ाशर्र् रूप ददखाई दे । लसर्क र्स्तर् र्ी लाइट नहीं लेकर्न सारे शरीर द्िारा
लाइट र्े साक्षात्र्ार होंगे। जब लाइट ही लाइट दे खेंगे तो स्िर्ं भी लाइट रूप हो जार्ेंगे।

( 26-06-70 )

आज बापदादा कर्स रूप से दे ख रहे हैं ? एर्-एर् र्े र्ुखड़े र्े अन्दर तर्ा दे ख रहे हैं ? जान
सर्ते हो ? हरे र् र्हाँ तर् अर्वर्तत-र्ूतक, आर्षकण-र्ूतक, अलौकर्र्-र्ूतक और हवषकत-र्ूतक बने हैं
? र्ह दे ख रहे हैं। चारों ही लक्षण इस र्ुखड़े से ददखाई पड़ते हैं। र्ौन-र्ौन र्हाँ तर् बने
हैं, िह हरे र् र्ा र्ुखड़ा साक्षात्र्ार र्राता है। जैसे दपकण र्ें स्थूल चेहरा दे खते हैं िैसे दपकण र्ें
र्ह लक्षण भी दे खते हो ? दे खने से अपना साक्षात्र्ार तर्ा होता है ? चारों लक्षण से विशेष
र्ौन सा लक्षण अपने र्ें दे खते हो ? अपने आप र्ो दे खने र्ा अभ्र्ास हरे र् र्ो होना चादहए।
अक्न्तर् स्टे ज ऐसी होनी है क्जसर्ें हरे र् र्े र्ख
ु ड़े र्ें र्ह सिक लक्षण प्रलसद्ध रूप र्ें ददखाई
पड़ेंगे। अभी र्ोई गप्ु त है, र्ोई प्रत्र्क्ष है। र्ोई गण
ु विशेष है र्ोई उनसे र्र् है। लेकर्न
सम्पण
ू क स्टे ज र्ें र्ह सभी लक्षण सर्ान रूप र्ें और प्रत्र्क्ष रूप र्ें ददखाई दें गे। क्जससे सभी
र्ी नम्बरिार प्रत्र्क्षता होनी है। क्जतना-क्जतना क्जसर्ें प्रत्र्क्ष रूप र्ें गण
ु आते जाते हैं उतनी-
उतनी प्रत्र्क्षता भी होती जा रही है।

( 27-07-70 )

7
विश्ि र्ा आधार आप आत्र्ाओं र्े ऊपर है। तो जो विश्ि र्े आधारर्त
ू क और उद्धारर्त
ू क हैं
ऐसी र्नू तकर्ों र्े र्ख
ु से र्र्ज़ोरी र्े शब्द शोभते नहीं हैं। अब तो हरेर् र्ी र्नू तक र्ें सभी र्ो
तर्ा साक्षात्र्ार होगा? बापदादा र्ा। ऐसी अलौकर्र् झलर् सभी र्ी र्त
ू क र्ें ददखाई दे नी है जो
र्ोई भी उस झलर् र्ो दे खर्र कफ़दा हो जाए। सभी र्ो कफ़दा र्र सर्ेंगे। र्ोई र्ो
र्क्ु ततधार्, र्ोई र्ो जीिनर्क्ु ततधार्। र्ोई भी ऐसा न रहे जो आप लोगों से अपना र्था पाटक
हक़ न ले ले। सभी आत्र्ाओं र्ो आप लोगों द्िारा अपना-अपना र्था पाटक तथा बाप र्ा िसाक
ज़रूर लेना है।आपर्ी र्ूतक र्ें ऐसी झलर् होनी है कर् जो र्ोई भी अपना िसाक लेने से िंचचत
नहीं रहें गे। ऐसे अपने र्ो दाता र्े बच्चे दाता सर्झना है। दे ने िालों र्ें र्लर् और झलर्
रहती है। अभी िह र्जक है। उन संस्र्ारों र्ो अब इर्जक र्रो।

( 30-07-70 )

अर्त
ृ बेले उठने से लेर्र हर र्र्क, हर संर्ल्प और हर िाणी र्ें भी रे ग्र्ल
ू र। एर् भी बोल ऐसा
न ननर्ले जो र्वर्थक हो। इस दनु नर्ा र्े जो बड़े आदर्ी हैं िह लोग जब स्पीच र्रते हैं तो उन्हों
र्े बोलने र्े शब्द भी कर्तस कर्र्े जाते हैं। आप भी बड़े से बड़े आदर्ी हो ना। तो आपर्े
बोल भी कर्तस होने चादहए। र्ार्ा र्ी लर्तस न हो। ऐसे रे ग्र्ूलर बनने िालों र्ी सविकस सर्ल
हुई पड़ी है। सम्र्ेलन र्ा हर र्ार्क र्रते भी र्ह र्भी नहीं भूलना कर् हर् विश्ि र्े आगे
साक्षात्र्ारर्ूतक हैं। साक्षात्र्ार र्ूतक बनने से आप र्े द्िारा बापदादा र्ा साक्षात्र्ार स्ितः ही
होगा। िह तब र्र सर्ेंगे जब स्िर्ं र्ो ज्ञान, र्ोग र्ा प्रत्र्क्ष प्रर्ाण बनार्ेंगे। क्जतना स्िर्ं
र्ो प्रत्र्क्ष प्रर्ाण बनार्ेंगे उतना बाप र्ो प्रत्र्क्ष र्र सर्ेंगे।

( 06-08-70 )

हरे र् अपने लाइट और र्ाईट र्ो दे ख परख सर्ते हैं? अपने आप र्ो परखने र्ी शक्तत अपने
र्ें अनुभि र्रते हो? अपने र्ो अब तर् परु
ु षाथी र्त
ू क सर्झते हो िा साक्षात ् और साक्षात्र्ार
र्ूतक भी सर्झते िा अनुभि र्रते हो? िा सर्झते हो कर् र्ह अक्न्तर् स्टे ज है ? अभी-अभी
आपर्े भतत आपर्े सम्र्ुख आर्ें तो आपर्ी सूरत से उनर्ी कर्स र्ूतक र्ा साक्षात्र्ार होगा।
र्ौन-सा साक्षात्र्ार होगा? साक्षात्र्ार र्ूतक सदै ि सम्पण
ू क क्स्थनत र्ा साक्षात्र्ार र्रार्ेंगे, लेकर्न
अभी अगर आपर्े सार्ने र्ोई आर्े तो उन्हें ऐसा साक्षात्र्ार र्रा सर्ेंगे ? ऐसे तो नहीं कर्
आपर्े पुरुषाथक र्ी उतराई और चढ़ाई र्ा उन्हें साक्षात्र्ार होता रहे गा। र्ोटो ननर्ालते सर्र्
अगर र्ोई भी हलचल होती है तो र्ोटो ठीर् ननर्लेगा? ऐसे ही हर सेर्ण्ड ऐसे ही सर्झो कर्
हर्ारा र्ोटो ननर्ल रहा है। र्ोटो ननर्ालते सर्र् सभी प्रर्ार र्ा ध्र्ान ददर्ा जाता है िैसे
अपने ऊपर सदै ि ध्र्ान रखना है। एर्-एर् सेर्ण्ड इस सिोत्तर् िा पुरुषोत्तर् संगर्र्ुग र्ा

8
ड्रार्ा रूपी र्ैर्रे र्ें आप सभी र्ा र्ोटो ननर्लता जाता है। जो िही चचत्र कर्र चररत्र र्े रूप
र्ें गार्न होता आएगा। और अभी र्े लभन्न-लभन्न स्टे ज र्े चचत्र, लभन्न-लभन्न रूप र्ें पज
ू े
जार्ेंगे। हर सर्र् र्ह स्र्नृ त रखो कर् अपना चचत्र ड्रार्ा रूपी र्ैर्रे र्े सार्ने ननर्ाल रहा हूँ।
अब र्े एर्-एर् चचत्र एर्-एर् चररत्र गार्न और पज
ू न र्ोग्र् बनने िाले हैं। जैसे र्हाँ भी जब
आप लोग र्ोई ड्रार्ा स्टे ज पर र्रते हो और साक्षात्र्ार र्रते हो तो कर्तना ध्र्ान रखते हो।
ऐसे ही सर्झो बेहद र्ी स्टे ज र्े बीच पाटक बजा रही हूँ िा बजा रहा हूँ। सारे विश्ि र्ी आत्र्ाओं
र्ी नज़र र्ेरी तरर् है। ऐसे सर्झने से सम्पण ू कता र्ो जल्दी धारण र्र सर्ेंगे।

( 05-11-70 )

स्िक्स्थनत र्ो र्ास्टर सिकशक्ततर्ान र्हा जाता है। तो र्ास्टर सिकशक्ततर्ान बने हो ना। इस
क्स्थनत र्ें सिक पररक्स्थतर्ों से पार हो जाते हैं। इस क्स्थनत र्ें स्िभाि अथाकत ् सिक र्ें स्ि र्ा
भाि अनुभि होता है। और अनेर् पुराने स्िभाि सर्ाप्त हो जाते हैं। स्िभाि अथाकत ् स्ि र्ें
आत्र्ा र्ा भाि दे खो कर्र र्ह भाि-स्िभाि र्ी बातें सर्ाप्त हो जाएगी। सार्ना र्रने र्ी सिक
शक्ततर्ां प्राप्त हो जार्ेंगी। जब तर् र्ोई सूक्ष्र् िा स्थूल र्ार्ना है तब तर् सार्ने र्रने र्ी
शक्तत नहीं आ सर्ती। र्ार्ना सार्ना र्रने नहीं देती। इसललए ब्राह्र्णों र्ा अक्न्तर् स्िरूप
तर्ों गार्ा जाता है , र्ालूर् है? इस क्स्थनत र्ा िणकन है इच्छा र्ात्रर् ् अविद्र्ा। अब अपने
पूछो इच्छा र्ात्रर् ् अविद्र्ा ऐसी क्स्थनत हर् ब्राह्र्णों र्ी बनी है ? जब ऐसी क्स्थनत बनेगी तब
जर्जर्र्ार और हाहार्ार भी होगी। र्ह है आप सभी र्ा अक्न्तर् स्िरुप। अपने स्िरुप र्ा
साक्षात्र्ार होता है सदैि अपने सम्पूणक और भविष्ठर् स्िरुप ऐसे ददखाई दें जैसे शरीर छोड़नेिाले
र्ो बद्
ु चध र्ें स्पष्ठट रहता है कर् अभी-अभी र्ह छोड़ नर्ा शरीर धारण र्रना है। ऐसे सदै ि
बुद्चध र्ें र्ही रहे कर् अभी-अभी इस स्िरुप र्ो धारण र्रना है। जैसे स्थूल चोला बहुत जल्दी
धारण र्र लेते हो िैसे र्ह सम्पूणक स्िरुप धारण र्रो। इसललए सम्पूणक स्िरुप र्ो अभी-अभी
धारण र्रने र्ी अपने से प्रनतज्ञा र्रो। प्रर्त्न नहीं। प्रर्त्न और प्रनतज्ञा र्ें बहुत र्र्क है।
प्रनतज्ञा एर् सेर्ण्ड र्ें र्ी जाती है। प्रर्त्न र्ें सर्र् लगता है। इसललए अब प्रर्त्न र्ा सर्र्
भी गर्ा। अब तो प्रनतज्ञा और सम्पूणक रूप र्ी प्रत्र्क्षता र्रनी है। साक्षात ् बाप सर्ान साक्षात्र्ार
र्त
ू क बनना है। ऐसे अपने आपर्ो साक्षात्र्ार र्त
ू क सर्झने से र्भी भी हार नहीं खार्ेंगे। अभी
प्रनतज्ञा र्ा सर्र् है न कर् हार खाने र्ा।

( 03-12-70 )

आज र्ा ददिस लसर्क स्र्नृ त-ददिस नहीं र्नाना लेकर्न आज र्ा ददिस सर्थी बढ़ाने र्ा ददिस
र्नाना। आज र्ा ददिस क्स्थनत िा स्टे ज ट्रान्सर्र र्रने र्ा ददिस सर्झो। जैसे आजर्ल
ट्रान्सपेरेंट चीजें अच्छी लगती हैं ना। िैसे अपने र्ो भी ऐसी ट्रान्सपेरेंट क्स्थनत र्ें ट्रान्सर्र

9
र्रना है। ऐसे ट्रान्सपेरेंट हो जाओ जो आपर्े शरीर र्े अन्दर जो आत्र्ा विराजर्ान है िह
स्पष्ठट सभी र्ो ददखाई दे । आपर्ा आक्त्र्र् स्िरूप उन्हों र्ो अपने आक्त्र्र् स्िरूप र्ा
साक्षात्र्ार र्रार्े। इसर्ो ही र्हते हैं अर्वर्क्तत िा आक्त्र्र् क्स्थनत र्ा अनभ
ु ि र्राना।

( 18-01-71 )

र्ास्टर सिकशक्ततिान अथाकत ् सिक शक्ततर्ों र्ो धारण र्रने िाले। अपने शक्तत-स्िरूप र्ा
साक्षात्र्ार होता है? अर्वर्तत ितन र्ें हरे र् र्ा शक्तत रूप दे खते हैं तो तर्ा ददखाई दे ता
होगा? ितन र्ें भी बापदादा र्ी अलौकर्र् प्रदशकनी है। उनर्े चचत्र कर्तने होंगे? आप र्े चचत्र
चगनती र्ें आ सर्ते हैं लेकर्न बापदादा र्े प्रदशकनी र्े चचत्र चगन सर्ते हो? बापदादा ननर्न्त्रण
दे ते हैं। ननर्न्त्रण दे ने िाला तो ननर्न्त्रण दे ता है , आने िालों र्ा र्ार् है पहुँचना। बापदादा
आप सभी से र्रोड़ गुणा ज्र्ादा खुशी से ननर्न्त्रण दे ते हैं। हरे र् र्ो अनुभि हो सर्ता है।
अर्वर्तत क्स्थनत र्ा अनुभि र्ुछ सर्र् लगातार र्रो तो ऐसे अनुभि होंगे जैसे साइन्स द्िारा
दरू र्ी चीजें सार्ने ददखाई दे ती हैं, ऐसे ही अर्वर्तत ितन र्ी एक्तटविटी र्हाँ स्पष्ठट ददखाई
दे गी। बद्
ु चधबल द्िारा अपने सिकशक्ततिान र्े स्िरूप र्ा साक्षात्र्ार र्र सर्ते हैं। ितकर्ान
सर्र् स्र्नृ त र्र् होने र्े र्ारण सर्थी भी नहीं है। र्वर्थक संर्ल्प, र्वर्थक शब्द, र्वर्थक र्र्क
हो जाने र्ारण सर्थक नहीं बन सर्ते हो। र्वर्थक र्ो लर्टाओ तो सर्थक हो जार्ेंगे।

( 21-01-71 )

क्जतना जो स्िर्ं क्जतने गुणों से सम्पन्न होता है उतना औरों र्ें भी भर सर्ता है। हरे र्
रचनर्ता र्ी सरू त रचना से ददखाई दे ती है। सविकस आप लोगों र्े ललए एर् दपकण है , क्जस
दपकण द्िारा अपने अन्दर र्ी क्स्थनत र्ो दे ख सर्ते हो। जैसे दपकण र्ें अपनी सरू त सहज और
स्पष्ठट ददखाई दे ती है। ऐसे सविकस र्े दपकण द्िारा अपनी र्ीचसक-सूरत नहीं, सीरत र्ा सहज
स्पष्ठट साक्षात्र्ार होता है। िह है सूरत र्ा आइना, र्ह है सीरत र्ा आइना। हरे र् र्ो अपना
साक्षात्र्ार स्पष्ठट होता है ? होना चादहए। अगर अब तर् स्पष्ठट साक्षात्र्ार नहीं होगा तो अपने
र्ो सम्पण
ू क र्ैसे बना सर्ेंगे। जब अपनी र्र्ज़ोररर्ों र्ा र्ालर्
ू होगा तब तो शक्तत भर सर्ेंगे।
इसललए अगर स्िर्ं र्े साक्षात्र्ार र्ें र्ोई स्पष्ठटीर्रण न हो तो ननलर्त्त बनी हुई बहनों द्िारा
र्दद ले अपना स्पष्ठट साक्षात्र्ार र्रने र्ा प्रर्त्न ज़रूर र्रना। र्ह बापदादा र्ा र्ार् नहीं है ,
बापदादा र्ा र्त्तकर्वर् है इशारा दे ना।

( 22-01-71 )

10
तम्
ु हारी अक्न्तर् स्टे ज है - साक्षात्र्ार र्त
ू क। जैसा-जैसा साक्षात ् र्त
ू क बनेंगे िैसे ही साक्षात्र्ारर्त
ू क
बनेंगे। जब सभी साक्षात ् र्त
ू क बन जार्ेंगे तो संस्र्ार भी सभी र्े साक्षात ् र्त
ू क सर्ान बन
जार्ेंगे। अपने र्ो ननलर्त्त सर्झर्र र्दर् उठाना है। जैसे आप लोगों से ईश्िरीर् स्नेह, श्रेष्ठठ
ज्ञान और श्रेष्ठठ चररत्रों र्ा साक्षात्र्ार होता है , िैसे अर्वर्क्तत क्स्थनत र्ा भी उतना ही स्पष्ठट
साक्षात्र्ार हो। ऐसा प्लैन बनाना चादहए जो र्ोई भी र्हसस
ू र्रे - र्ह तो चलता कर्रता
र्ररश्ता है। जैसे सार्ार रूप र्ें र्ररश्तेपन र्ा अनभ
ु ि कर्र्ा ना। इतनी बड़ी क्ज़म्र्ेिारी होते
भी आर्ारी और ननरार्ारी क्स्थनत र्ा अनभ
ु ि र्राते रहे । आप लोगों र्ा भी अक्न्तर् स्टे ज र्ा
स्िरूप स्पष्ठट ददखाई देना चादहए। र्ोई कर्तना भी अशान्त िा बेचन ै घबरार्ा हुआ आिे लेकर्न
आपर्ी एर् दृक्ष्ठट, स्र्नृ त और िवृ त्त र्ी शक्तत उनर्ो बबल्र्ुल शान्त र्र दे । भले कर्तना भी
र्ोई र्वर्तत भाि र्ें हो लेकर्न आप लोगों र्े सार्ने आते ही अर्वर्तत क्स्थनत र्ा अनुभि र्रे ।
आप लोगों र्ी दृक्ष्ठट कर्रणों जैसा र्ार्क र्रे । अभी तर् र्े ररजल्ट र्ें र्ास्टर सूर्क र्े
सर्ान नॉलेज र्ी लाइट देने र्े र्त्तकर्वर् र्ें सर्ल हुए हो लेकर्न कर्रणों र्ी र्ाइट से हरे र्
आत्र्ा र्े संस्र्ार रूपी र्ीटाणु र्ो नाश र्रने र्ा र्त्तकर्वर् र्रना है। लाइट दे ने र्ें पास हो।
र्ाइट दे ने र्ा र्त्तकर्वर् अब रहा हुआ है।

( 26-01-71 )

हरे र् आत्र्ा र्े ददल पर बाप र्ी प्रत्र्क्षता र्ा झण्डा लहराओ। िह तब होगा जब शक्तत-
स्िरूप र्ी प्रत्र्क्षता होगी। शक्तत-स्िरूप से ही सिकशक्ततिान र्ो प्रत्र्क्ष र्र सर्ते हो। शक्तत-
स्िरूप अथाकत ् संहारी और अलंर्ारी। क्जस सर्र् स्टे ज पर आते हो उस सर्र् पहले अपनी
क्स्थनत र्ी स्टे ज अच्छी तरह से ठीर् बनार्र कर्र उस स्टे ज पर आओ, क्जससे लोगों र्ो
आपर्ी आन्तररर् स्टे ज र्ा साक्षात्र्ार हो। जैसे और तैर्ाररर्ाँ र्रते हो, िैसे र्ह भी अपनी
तैर्ारी दे खो कर् अलंर्ारी बनर्र स्टे ज पर आ रही हूँ। लाइट-हाउस, र्ाइट-हाउस -- दोनों ही
स्िरूप इर्जक रूप र्ें हों। जब दोनों स्िरूप होंगे तब ठीर् रीनत से गाइड बन सर्ेंगे। आपर्े
‘बाप’ शब्द र्ें इतना स्नेह और शक्तत भरी हुई हो जो र्ह शब्द ज्ञान-अंजन र्ा र्ार् र्रे ,
अनाथ र्ो सनाथ बना दे । इस एर् शब्द र्ें इतनी शक्तत भरो। क्जस सर्र् स्टे ज पर आते हो
उस सर्र् र्ी क्स्थनत एर् तो तरस र्ी हो, दस
ू री तरर् र्ल्र्ाण र्ी भािना, तीसरी तरर् अनत
स्नेह र्े शब्द, चौथी तरर् स्िरूप र्ें शक्ततपन र्ी झलर् हो। अपनी स्र्नृ त और क्स्थनत र्ो
ऐसा पािरर्ुल बनार्र ऐसे सर्झो कर् अपने र्ई सर्र् र्े पर्
ु ारते हुए भततों र्ो अपने द्िारा
बाप र्ा साक्षात्र्ार र्राने र्े ललए आई हूँ। इस रीनत से अपने रूहानी रूप, रूहानी दृक्ष्ठट,
र्ल्र्ाणर्ारी िवृ त्त द्िारा बाप र्ो प्रत्र्क्ष र्र सर्ती हो।

( 11-02-71 )

11
जैसे अपने इस जन्र् र्ें बचपन र्ी बातें स्पष्ठट स्र्नृ त र्ें आती हैं, िैसे ही जो र्ल र्े आपर्े
संस्र्ार थे िह र्ल र्े संस्र्ार आज र्े जीिन र्ें संस्र्ारों र्े सर्ान स्पष्ठट स्र्नृ त र्ें आते हैं
िा स्र्नृ त र्ें लाना पड़ता है? जो सर्झते हैं कर् हर्ारे सतर्ग
ु ी संस्र्ार ऐसे ही र्झ
ु े स्पष्ठट
स्र्नृ त र्ें आते हैं जैसे इस जीिन र्े बचपन र्े संस्र्ार स्पष्ठट स्र्नृ त र्ें आते हैं, िह हाथ
उठाओ। र्ह स्पष्ठट स्र्नृ त र्ें आना चादहए। सार्ार रूप र्ें (ब्रह्र्ा बाप र्ें) स्पष्ठट स्र्नृ त र्ें थे
ना। र्ह स्र्नृ त तब होगी जब अपने आक्त्र्र्-स्िरूप र्ी स्र्नृ त स्पष्ठट और सदार्ाल रहे गी।
तो कर्र र्ह स्र्नृ त भी स्पष्ठट और सदार्ाल रहे गी। अभी आक्त्र्र्-क्स्थनत र्ी स्र्नृ त र्ब-र्ब
दे ह र्े पदे र्े अन्दर नछप जाती है। इसललए र्ह स्र्नृ त भी पदे र्े अन्दर ददखाई दे ती है ,
स्पष्ठट नहीं ददखाई दे ती है। आक्त्र्र्-स्र्नृ त स्पष्ठट और बहुत सर्र् रहने से अपना भविष्ठर्
िसाक अथिा अपने भविष्ठर् र्े संस्र्ार स्िरूप र्ें सार्ने आर्ेंगे। आपने चचत्र र्ें तर्ा ददखार्ा
है? एर् तरर् विर्ार भागते, दस
ू री तरर् बुद्चध र्ी स्र्नृ त बाप और भविष्ठर् प्राक्प्त र्ी तरर्।
र्ह लक्ष्र्ी-नारार्ण र्ा चचत्र ददखार्ा है ना। र्ह चचत्र कर्सर्े ललए बनार्ा है ? दस
ू रों र्े ललए
र्ा अपनी क्स्थनत र्े ललए? तो भविष्ठर् संस्र्ारों र्ो स्पष्ठट स्र्नृ त र्ें लाने र्े ललए आक्त्र्र्-
स्िरूप र्ी स्र्नृ त सदार्ाल और स्पष्ठट रहे । जैसे र्ह दे ह स्पष्ठट ददखाई दे ती है , िैसे अपनी
आत्र्ा र्ा स्िरूप स्पष्ठट ददखाई दे अथाकत ् अनुभि र्ें आर्े।

( 11-03-71 )

सिक र्ी सर्लता र्े ललए सिक अधीनता से परे होना बहुत ज़रूरी है। इस क्स्थनत र्ो बनाने र्े
ललए ऐसे दो शब्द र्ाद रखो क्जससे सहज ही ऐसी क्स्थनत र्ो पा सर्ो।दो शब्द हैं - (1) साक्षी
और (2) साथी। एर् तो साथी र्ो सदै ि साथ रखो। दस
ू रा - साक्षी बनर्र हर र्र्क र्रो। तो
साथी और साक्षी - र्े दो शब्द प्रैक्तटस र्ें लाओ तो र्ह बन्धनर्ुतत र्ी अिस्था बहुत जल्दी
बन सर्ती है।जो िरदान र्े अचधर्ारी बन जाते हैं िह कर्सर्े अधीन नहीं होते। सर्झा? तो
अब अधीनता सर्ाप्त, अचधर्ार शुरू। र्ब र्ोई अधीनता र्ा संर्ल्प भी न आर्े। ऐसा पतर्ा
ननश्र्च है। ननश्चर् र्ें र्भी परसेन्टे ज नहीं होती है। शक्ततसेना ने अपने र्ें तर्ा धारणा र्ी?
जब स्नेह और शक्तत सर्ान होंगे कर्र तो सम्पूणक हो ही गर्े। अपने शूरिीर रूप र्ा साक्षात्र्ार
कर्र्ा है? शरू िीर र्भी कर्ससे घबराते नहीं। लेकर्न शरू िीर र्े सार्ने आने िाले घबराते हैं।
तो अभी जो शरू िीरता र्ा साक्षात्र्ार कर्र्ा, सदै ि िही सार्ने रखना। और आज जो दो शब्द
सन
ु ार्े िह सदै ि र्ाद रखना।

( 13-03-71 )

र्र्कणा द्िारा गुणों र्ा दान र्रने र्े र्ारण र्ौनसी र्ूतक बन जार्ेंगे? र्ररश्ता। र्र्क अथाकत ्
गुणों र्ा दान र्रने से उनर्ी चलन और चेहरा - दोनों ही र्ररश्ते र्ी तरह ददखाई दें गे। दोनों

12
प्रर्ार र्ी लाइट होगी अथाकत ् प्रर्ाशर्र् भी और हल्र्ापन भी। जो भी र्दर् उठे गा िह हल्र्ा।
बोझ र्हसस
ू नहीं र्रें गे। जैसे र्ोई शक्तत चला रही है। हर र्र्क र्ें र्दद र्ी र्हसस
ू ता र्रें गे।
हर र्र्क र्ें सिक द्िारा प्राप्त हुआ िरदान अनभ
ु ि र्रें गे। दस
ू रे , हर र्र्क द्िारा र्हादानी बनने
िाला सिक र्ी आशीिाकद र्े पात्र बनने र्े र्ारण सिक िरदान र्ी प्राक्प्त अपने जीिन र्ें अनभ
ु ि
र्रें गे। र्ेहनत से नहीं, लेकर्न िरदान र्े रूप र्ें। तो र्र्क र्ें दान र्रने िाला एर् तो र्ररश्ता
रूप नज़र आर्ेगा, दस
ू रा सिक िरदानर्त
ू क अपने र्ो अनभ
ु ि र्रे गा। तो अपने र्ो चेर् र्रो -
र्ोई भी दान र्रने र्ें र्र्ी तो नहीं र्रते हैं? तीनों दान र्रते हैं? तीनों र्ा दहसाब कर्स-न-
कर्स रूप से परू ा र्रना चादहए। इसर्े ललए तरीर्े, चान्स ढूंढ़ो। ऐसे नहीं - चान्स लर्ले तो
र्रें गे। चान्स लेना है, न कर् चान्स लर्लेगा। ऐसे र्हादानी बनने से कर्र लाइट और र्ाइट र्ा
गोला नज़र आर्ेगा। आपर्े र्स्तष्ठर् से लाइट र्ा गोला नज़र आर्ेगा और चलन से, िाणी
से नॉलेज रूपी र्ाइट र्ा गोला नज़र आर्ेगा अथाकत ् बीज नजर आर्ेगा। र्ास्टर बीजरूप हो
ना। ऐसे लाइट और र्ाइट र्ा गोला नज़र आने िाले साक्षात ् और साक्षात्र्ारर्ूतक बन जार्ेंगे।

( 15-04-71 )

जैसे र्ोई ऊंच र्ुल र्ा बच्चा होता है तो िह भले गरीब बन जार्े लेकर्न उसर्ी झलर् और
र्लर् ददखाती है कर् र्ह र्ोई ऐसे ऊंच र्ुल र्ा है। िैसे ही जो सदै ि खज़ाने से सम्पन्न होगा
उसर्ी सरू त से र्भी नछप नहीं सर्ता। आपर्े पास दपकण है ? सदै ि साथ रखते हो? हर सर्र्
दपकण दे खते रहते हो? र्ई ऐसे भी होते हैं क्जनर्ो बार-बार दपकण दे खने र्ी आिश्र्र्ता भी
नहीं होती है। तो आप सेर्ेण्ड-सेर्ेण्ड दे खते हो िा दे खने र्ी आिश्र्र्ता ही नहीं पड़ती? जब
तर् अपनी चेकर्ं ग र्ा नेचरल अभ्र्ास हो जार्े तब तर् बार-बार चेकर्ं ग र्रनी पड़ती है। धीरे-
धीरे कर्र ऐसे बन जार्ेंगे जो बार-बार दे खने र्ी भी दरर्ार नहीं पड़ेगी। सदै ि सजे-सजार्े ही
रहें गे। जब तर् र्ह सदै ि सजे-सजार्े रहने र्ी आदत पड़ जार्े तब तर् बार-बार अपने र्ो
दे खना और बनाना पड़ता है। जब दो-चार बार दे ख ललर्ा कर् जब र्ार्ा कर्सी भी प्रर्ार से,
कर्स भी रीनत से र्ेरे श्रंग
ृ ार र्ो बबगाड़ नहीं सर्ती, कर्र बार-बार दे खने र्ी ज़रूरत ही नहीं।
कर्र तो अपना साक्षात्र्ार दस
ू रों र्े द्िारा भी आपर्ो होता रहे गा। दस
ू रे स्िर्ं िणकन र्रें गे,
गुण गान र्रें गे।

( 20-05-71 )

जैसे बापदादा र्ो बत्रर्ूनतक र्हते हैं िैसे आप एर्-एर् र्े एर् र्ूतक से तीन र्ूतक र्ा साक्षात्र्ार
होता है। बाप तो तीन दे िताओं र्ा रचनर्ता होने र्े र्ारण बत्रर्ूनतक र्हलाते हैं। लेकर्न आप
एर्-एर् र्े र्ूतक से तीन र्ूतक र्ा साक्षात्र्ार होता है? िह तीन र्ूतक र्ौनसी हैं? शक्ततर्ों द्िारा
र्ौनसी तीन र्ूनतकर्ों र्ा साक्षात्र्ार होता है? आप लोगों द्िारा अभी तीन र्तकर्वर् होते हैं। र्ई

13
आत्र्ाओं र्े अन्दर दै िी संस्र्ारों र्ी रचना िा स्थापना र्राते हो। तो र्ह स्थापना र्ा र्ार्क
भी र्रते हो। और र्ई आत्र्ाओं र्े संस्र्ार ऐसे हैं जो र्ुछ ननबकल हैं’। अपने संस्र्ारों र्ा
पररितकन नहीं र्र सर्ते िा अपने संस्र्ारों र्ो सेिा र्ें नहीं लगा सर्ते , उन्हों र्ो र्दद दे
आगे बढ़ाना - र्ह है पालना। पालना र्ें छोटे से बड़ा र्रना होता है। और कर्र र्ई आत्र्ार्ें
जो अपनी शक्तत से परु ाने संस्र्ारों र्ो लर्टा नहीं सर्ती, उन्हों र्े भी र्ददगार बन उनर्े
विर्र्ों र्ो नाश र्रने र्ें र्ददगार बनते हो। तीनों र्तकर्वर् चल रहे हैं। इन तीन र्तकर्वर्ों र्े
ललए तीन र्त
ू क र्ौनसी हैं? क्जस सर्र् र्ोई आत्र्ा र्ें नर्े दै िी संस्र्ारों र्ी रचना र्राती हो,
उस सर्र् बनती हो ज्ञानर्ूतक। और क्जस सर्र् पालना र्राती हो तो उस सर्र् रहर् और
स्नेह दोनों र्ूनतक र्ी आिश्र्र्ता है। अगर रहर् नहीं आता है तो स्नेह भी नहीं। तो पालना र्े
सर्र् एर् रहर्ददल और स्नेह र्ूतक। और क्जस सर्र् र्ोई र्े पुराने संस्र्ारों र्ा नाश र्राती
हो उस सर्र् शक्तत-स्िरूप और दस
ू रा रोब र्े बजार् रूहाब र्ें। जब तर् रूहाब र्ें नहीं ठहरते
तब तर् उनर्े विर्र्ों र्ा विनाश नहीं र्रा सर्ते। जैसे अज्ञान-र्ाल र्ें र्ोई र्ी बुराई छुड़ाने
र्े ललए रोब रखा जाता है। र्हाँ रोब तो नहीं लेकर्न रूहाब र्ें ठहरना पड़ता है। अगर रूहाब
र्ें न ठहरो तो उनर्े परु ाने संस्र्ारों र्ा नाश नहीं र्रा सर्ेंगी। शक्तत रूप र्ें विशेष इस रूहाब
र्ी धारणा र्रती हो। इन गुणों द्िारा र्ह तीन र्तकर्वर् र्रती हो। र्ोई र्ें अगर रूहाब र्ी
र्र्ी है तो पालना र्र सर्ती हो लेकर्न उनर्े संस्र्ारों र्ो नाश नहीं र्र सर्ती। लसर्क तरस
और स्नेह है तो विनाश र्राने र्ा र्त्तकर्वर् नहीं। स्नेह, रहर् नहीं तो पालना र्ा र्त्तकर्वर् नहीं।
रूहाब ज्र्ादा है लेकर्न रहर् र्र् है तो पालना र्ें इतना र्ददगार नहीं, लेकर्न र्ोई र्े विर्र्ों
र्ा नाश र्राने र्ें र्ददगार हैं। और कर्र नॉलेजर्ुल नहीं हैं तो नर्े संस्र्ारों र्ी रचना नहीं
र्रा सर्ती। र्ोई र्ें र्ौनसा विशेष गुण है, र्ोई र्ें र्ौनसा विशेष गुण है। लेकर्न चादहए
तीनों ही। अगर तीनों र्ें ही प्रैक्तटर्ल र्ें सर्ानता है तो कर्र सफ़लता बहुत जल्दी लर्लती है।
नहीं तो र्ोई बात र्ी र्र्ी होने र्ारण जो सम्पण ू क सफ़लता होनी चादहए और जल्दी होनी
चादहए उसर्ें टाइर् लग जाता है। तो अभी लक्ष्र् र्ह रखना है कर् तीनों र्तकर्वर् र्रने र्े ललए
र्ह र्ुख्र् गुण र्ूतक बनना है। उसर्ें र्र्ी न हो। कर्र सर्र् र्ो नज़दीर् लार्ेंगे। र्ह सर्ानता
लानी है, जो बाप र्ें सिक गुणों र्ी सर्ानता है।

( 08-06-71 )

क्जतना संस्र्ारों र्ा संस्र्ार र्रें गे उतना ही सत्र्ार लर्लेगा। सभी आत्र्ार्ें आपर्े आगे र्न
से नर्स्र्ार र्रें गी। एर् होता है हाथों से नर्स्र्ार र्रना, दस
ू रा होता है र्न से। र्न ही र्न
र्ें गण
ु गाते रहें । जैसे भक्तत भी एर् तो बाहर र्ी होती है , दस
ू री होती है र्ानलसर्। तो बाहर
से नर्स्र्ार र्रना- र्ह र्ोई बड़ी बात नहीं है। लेकर्न र्न से नर्स्र्ार र्रें गे, गण
ु गार्ेंगे
बाप र्े कर् इन्हों र्ो बनाने िाला र्ौन? दस
ू रा, जो उन्हों र्े अपने दृढ़ विचार हैं उनर्ो भी
आपर्े सुनार्े हुए श्रेष्ठठ विचारों र्े आगे झुर्ा दें गे। तो नर्स्र्ार हुआ ना। र्न से नर्स्र्ार

14
र्रें , र्ह परू
ु षाथक र्रना है। बाहर र्े भतत नहीं बनाना है। लेकर्न र्ानलसर् नर्स्र्ार र्रने
िाले बनाने हैं। िही भतत बदल र्र ज्ञानी बन जार्ें। क्जतना-क्जतना बद्
ु चध र्ो सदै ि स्िच्छ
अथाकत ् एर् र्ी र्ाद र्ें अपकण र्रें गे उतना ही स्िर्ं दपकण बन जार्ेंगे। दपकण र्े सार्ने आने
से न चाहते हुए भी अपना स्िरूप ददखाई दे ता है। इस रीनत से जब सदै ि एर् र्ी र्ाद र्ें
बद्
ु चध र्ो अपकण रखेंगे तो आप चैतन्र् दपकण बन जार्ेंगे। जो भी सार्ने आर्ेंगे िह अपना
साक्षात्र्ार िा अपने स्िरूप र्ो सहज अनुभि र्रते जार्ेंगे। तो दपकण बनना, क्जससे स्ित: ही
साक्षात्र्ार हो जार्े। र्ह अच्छा है ना। दरू से ही र्ालर्
ू पड़ता है ना कर् र्ोई सचकलाइट है।
भले र्हाँ भी, कर्तने भी बड़े संगठन र्ें हों, लेकर्न संगठन र्े बीच र्ें दरू से ही र्ालूर् पड़े
कर् र्ह सचकलाइट है अथाकत ् र्ागक ददखाते रहें ।

( 10-06-71 )

साक्षात्र्ारर्ूतक तब बनेंगे जब आर्ार र्ें होते ननरार्ार अिस्था र्ें होंगे। अगर ऐसे सर्झेंगे कर्
अन्त तर् अभ्र्ासी रहना है ; तो इस पहले पाठ र्ो पररपति र्रने र्ें ढीलापन आ जार्ेगा।
कर्र ननरन्तर सहज र्ाद िा स्िरूप र्ी क्स्थनत र्ी सर्लता र्ो दे खेंगे नहीं। शरीर छोड़ेंगे तब
सर्ल होंगे? लेकर्न नहीं, र्ह आक्त्र्र्-स्िरूप र्ा अनुभि अन्त र्े पहले ही र्रना है। जैसे
अनेर् जन्र् अपनी दे ह र्े स्िरूप र्ी स्र्नृ त नेचरल रही है , िैसे ही अपने असली स्िरूप र्ी
स्र्नृ त र्ा अनुभि भी थोड़ा सर्र् भी नहीं र्रें गे तर्ा? र्ह होना चादहए? र्ह पहला पाठ
र्म्पलीट हो ही जार्ेगा। इस आत्र्-अलभर्ानी र्ी क्स्थनत र्ें ही सिक आत्र्ाओं र्ो साक्षात्र्ार
र्राने र्े ननलर्त्त बनेंगे। तो र्ह अटे न्शन रखना पड़े। आत्र्ा सर्झना - र्ह तो अपने स्िरूप
र्ी क्स्थनत र्ें क्स्थत होना है ना। जैसे ब्रह्र्ार्ुर्ार िा ब्रह्र्ार्ुर्ारी र्हने से ब्रह्र्ा बाप िा
ब्रह्र्ार्ुर्ारपन र्ा स्िरूप भूलता है तर्ा? चलते-कर्रते ‘र्ैं ब्रह्र्ार्ुर्ार हूँ’ - र्ह भूलता है
तर्ा? ज्ब र्ह नहीं भूलता, लशििंशी होने र्े नाते अपना आक्त्र्र्-स्िरूप तर्ों भूलते हो?
बापदादा र्हते हो ना। जब ‘लशि बाबा’ शब्द र्हते हो तो ननरार्ारी स्िरूप सार्ने आता है ना।
तो जैसे ब्रह्र्ार्ुर्ार-पन र्ा स्िरूप चलते-कर्रते पतर्ा हो गर्ा है , ऐसे ही अपना लशििंशी र्ा
स्िरूप तर्ों भूलना चादहए।
िरदान िह दे सर्ता है जो साक्षात्र्ारर्त
ू क होगा। र्ोई भतत र्ो भी िरदान प्राप्त होता है तो
साक्षात्र्ारर्त
ू क द्िारा होता है ना। तो साक्षात ् और साक्षात्र्ारर्त
ू क बनने से ही िरदाता र्त
ू क बन
सर्ेंगे। बाप दाता र्े बच्चे दाता बनना है। लेने िाले नहीं लेकर्न दे ने िाले। हर सेर्ेण्ड, हर
संर्ल्प र्ें देना है। जब दाता बन जार्ेंगे तो दाता र्ा र्ख्
ु र् गण
ु र्ौनसा होता है ? उदारचचत्त।
जो औरों र्े उद्धार र्े ननलर्त्त होंगे, तो िह अपना नहीं र्र सर्ेंगे? सदै ि ऐसे सर्झो कर् हर्
दाता र्े बच्चे हैं, एर् सेर्ेण्ड भी दे ने र्े लसिार् न रहे । उसी र्ो र्हा जाता है र्हादानी। सदै ि
दे ने र्े द्िार खुले हों।

15
सदै ि सर्झते हो हर् स्िदे शी हैं, र्ह विदे श र्ी चीज़ टच भी नहीं र्रनी है ? ऐसा अपने ऊंचे
दे श र्ा, आत्र्ा र्े रूप से परर्धार् दे श है और इस ईश्िरीर् पररिार र्े दहसाब से र्धब
ु न ही
अपना दे श है, दोनों दे श र्ा नशा रखो। हर् स्िदे शी हैं, विदे श र्ी चीजों र्ो टच भी नहीं र्र
सर्ते। अब पािरर्ुल रचनर्ता बनो। रचनर्ता ही र्र्ज़ोर होंगे तो रचना तर्ा रचें गे। अलंर्ारी
बनर्र ननर्लना है। ननरन्तर एर्रस क्स्थनत र्ें क्स्थत हो ददखाने र्ा इग्जैम्पल बनना, जो
सभी र्ो साक्षात्र्ार हो। द्िापर र्ें तो भतत लोग साक्षात्र्ार र्रें गे , लेकर्न र्हाँ सारा दै िी
पररिार आप साक्षात ् र्त
ू क से साक्षात्र्ार र्रे । जर्ा र्रना है। र्र्ार्ा और खार्ा - र्ह तो 63
जन्र्ों से र्रते आर्े। अब जर्ा र्रने र्ा सर्र् है। गँिाने र्ा नहीं है।
जो र्र्क, संर्ल्प र्रो - अपने र्ें लाइट होने से िह र्र्क र्थाथक होगा। ऐसे लाइट रूप अथिा
ट्रान्सपेरेन्ट बनो। र्ह भट्ठी पाण्डि भिन र्ो ट्रान्सपेरेन्ट चैतन्र् प्रदशकनी बनार्ेगी और सभी
र्ो साक्षात्र्ार र्रने र्ी आर्षकण हो कर् र्ह (चैतन्र् प्रदशकनी) जार्र दे खें। सभी बातों र्ें विन
र्रना ही है। िन नम्बर र्ें आना है। पुराने संर्ल्प, संस्र्ार सर्ेटर्र खत्र् र्रना अथाकत ् सर्ा
दे ना है, जो कर्र इर्जक न हों। जो चाहे सो र्र सर्ते हो, लेकर्न चाहना र्ें विल-पािर हो।
क्जतनी िवृ त्त पािरर्ुल होगी उतना िार्ुर्ण्डल भी पािरर्ुल बनता है।

( 28-07-71 )

अभी-अभी र्ा अपना साक्षात्र्ार हो रहा है ? (दादी र्ो) दे खो, र्ह है साक्षात्र्ारर्ूतक और आप
हो साक्षी।अगर डबल क्राउन धारण नहीं र्रें गे तो भविष्ठर् र्ें भी डबल क्राउन तो लर्ल ही
नहीं सर्ता।अगर अभी-अभी अपना संगर्र्ुगी ताज, नतलर् और तख्तनशीन पुरूषोत्तर्, र्र्ाकदा
सम्पन्न स्िरूप दे खो और साथ-साथ अपना भविष्ठर् स्िरूप भी दे खो; तो दोनों से र्ौनसा रूप
स्पष्ठट, आर्षकणर्ूतक, अलौकर्र्, ददर्वर् िा रूहानी दे खने र्ें आर्ेगा? अभी र्ा िा भविष्ठर् र्ा?
तो अपने स्िरूपों र्ा सदा साक्षात्र्ार र्रते और र्राते रहते हो कर् अभी पदे र्े अन्दर तैर्ार
हो रहे हो?
अभी डबल ररर्ाइन होने आर्े हो। र्ाइनल र्ी डेट र्ौनसी है ? अगर पहले से नहीं होगी तो
आप लोगों र्े भतत और प्रजा आपर्े सम्पूणक स्िरूपों र्ा साक्षात्र्ार र्ैसे र्रें गे? कर्र नहीं तो
आप र्े चचत्र भी टे ढ़े-बांर्े बनार्ेंगे! अगर आपर्े सम्पण
ू कता र्ा, र्ाइनल स्टे ज र्ा साक्षात्र्ार
नहीं र्रें गे तो चचत्र तर्ा बनार्ेंगे? चचत्र भी ररर्ाइन नहीं बनार्ेंगे। तो पहले से ही अपना
सम्पण
ू क साक्षात्र्ार र्राना है। अभी आपर्े भततों र्ें गुणगान र्रने र्े संस्र्ार भरें गे तो
द्िापरर्ग
ु र्ें उतरते ही आपर्े चचत्रों र्े आगे गण
ु गान र्रें गे। सब आत्र्ाओं र्ें सिक रीनत-रस्र्
र्े संस्र्ार तो अभी से ही भरने हैं ना, भरने र्ा सर्र् है। कर्र है प्रैक्तटर्ल र्रने र्ा सर्र्।
जैसे-जैसे आप आत्र्ा र्ें सारे र्ल्प र्े पज्
ू र् और पज
ु ारीपन र्े दोनों ही संस्र्ार अभी भर रहे
हैं। क्जतना पूज्र् बनेंगे उसी प्रर्ाण पज
ु ारीपन र्ी स्टे ज भी आटोर्ेदटर्ली बनती जार्ेगी। तो
जैसे आप आत्र्ाओं र्ें सारे र्ल्प र्े संस्र्ार भरते हैं। िैसे ही आपर्े भततों र्ें भी अभी ही

16
संस्र्ार भरें गे। तो जैसे आपर्ा स्िरूप होगा िैसे ही संस्र्ार भरें गे। इसललए अभी जल्दी-जल्दी
अपने र्ो र्ाइनल स्टे ज पर ले जाओ। ऐसी र्ाइनल स्टे ज बनाओ जो अब भी र्ाइन न पड़े।
जो डबल ररर्ाइन हो जार्ेंगे उनर्ो र्ाइन नहीं पड़ेगा। र्ाइनल िाले र्ा र्ोई र्ाइल नहीं रह
जाता। इसललए जो भी र्ुछ र्ाइल रहा हुआ है उसर्ो खत्र् र्रो।

( 11-09-71 )

स्टे ज पर जब सविकस पर आते हो तो आपर्ी सूरत ऐसे अनुभि होनी चादहए जैसे प्रोजेतटर र्ी
र्शीन होती है - उसर्ें स्लाइड्स चेन्ज होती जाती हैं। कर्तना अटे न्शन से दे खते हैं! िह सीन
स्पष्ठट ददखाई दे ती है। िैसे जब सविकस र्ी स्टे ज पर आते हो - एर्-एर् र्ी सरू त प्रोजेतटर-शो
र्ी र्शीन र्ाकर्र् ददखाई दे । रहर्ददल र्ा गुण सूर त से ददखाई दे ना चादहए। बेहद र्े िैरागी
हो तो बेहद िैराग्र् र्ी रे खार्ें सूरत से ददखाई दे नी चादहए। आलर्ाइटी अथॉररटी द्िारा ननलर्त्त
बने हुए हो तो अथॉररटी र्ा रूप ददखाई दे ना चादहए। जैसे उसर्ें भी स्लाइड्स भर लेते हैं, कर्र
एर्-एर् स्पष्ठट ददखाई दे ता है। इसी रीनत से आत्र्ा र्ें जो सिक गुणों र्े िा सिक शक्ततर्ों र्े
संस्र्ार भरे हुए हैं िह एर्-एर् संस्र्ार सरू त से स्पष्ठट ददखाई दें । इसर्ो र्हा जाता है सविकस।
जैसे सार्ार रूप र्ा इग्जैम्पल दे खा, सूरत से हर गुण र्ा प्रत्र्क्ष साक्षात्र्ार कर्र्ा। र्ालो
र्ादर। र्ैसी भी अथॉररटी िाला आर्े िा र्ैसे भी र्ड
ू िाला आर्े लेकर्न गुणों र्ी पसकनैललटी,
रूहाननर्त र्ी पसकनैललटी, सिक शक्ततर्ों र्ी पसकनैललटी र्े सार्ने तर्ा र्रें गे? झुर् जार्ेंगे।
अपना प्रभाि नहीं डाल सर्ेंगे।

( 09-10-71 )

जैसे एर् सेर्ेण्ड र्ें स्िीच ऑन और ऑर् कर्र्ा जाता है , ऐसे ही एर् सेर्ेण्ड र्ें शरीर र्ा
आधार ललर्ा और कर्र एर् सेर्ेण्ड र्ें शरीर से परे अशरीरी क्स्थनत र्ें क्स्थत हो सर्ते हो?
अभी-अभी शरीर र्ें आर्े, कर्र अभी-अभी अशरीरी बन गर्े - र्ह प्रैक्तटस र्रनी है। इसी र्ो
ही र्र्ाकतीत अिस्था र्हा जाता है। ऐसा अनुभि होगा। जब चाहे र्ोई र्ैसा भी िस्त्र धारण
र्रना िा न र्रना - र्ह अपने हाथ र्ें रहे गा। आिश्र्र्ता हुई धारण कर्र्ा, आिश्र्र्ता न
हुई तो शरीर से अलग हो गर्े। ऐसे अनभ ु ि इस शरीर रूपी िस्त्र र्ें हो। र्र्क र्रते हुए भी
अनभ
ु ि ऐसा ही होना चादहए जैसे र्ोई िस्त्र धारण र्र और र्ार्क र्र रहे हैं। र्ार्क परू ा हुआ
और िस्त्र से न्र्ारे हुए। शरीर और आत्र्ा - दोनों र्ा न्र्ारापन चलते-कर्रते भी अनभ
ु ि होना
है। जैसे र्ोई प्रैक्तटस हो जाती है ना। लेकर्न र्ह प्रैक्तटस कर्नर्ो हो सर्ती है? जो शरीर र्े
साथ िा शरीर र्े सम्बन्ध र्ें जो भी बातें हैं , शरीर र्ी दनु नर्ा, सम्बन्ध िा अनेर् जो भी
िस्तुएं हैं उनसे बबल्र्ुल डडटै च होंगे,ज़रा भी लगाि नहीं होगा, तब न्र्ारा हो सर्ेंगे। अगर
सूक्ष्र् संर्ल्प र्ें भी हल्र्ापन नहीं है, डडटै च नहीं हो सर्ते तो न्र्ारे पन र्ा अनुभि नहीं र्र

17
सर्ेंगे। तो अब र्हारचथर्ों र्ो र्ह प्रैक्तटस र्रनी है। बबल्र्ुल ही न्र्ारे पन र्ा अनभ
ु ि हो। इसी
स्टे ज पर रहने से अन्र् आत्र्ाओं र्ो भी आप लोगों से न्र्ारे पन र्ा अनभ
ु ि होगा, िह भी
र्हसस
ू र्रें गे। जैसे र्ोग र्ें बैठने र्े सर्र् र्ई आत्र्ाओं र्ो अनभ
ु ि होता है ना -- र्ह डड्रल
र्राने िाले न्र्ारी स्टे ज पर हैं। ऐसे चलते-कर्रते र्ररश्तेपन र्े साक्षात्र्ार होंगे। र्हाँ बैठे हुए
भी अनेर् आत्र्ाओं र्ो, जो भी आपर्े सतर्ग ु ी र्ैलर्ली र्ें सर्ीप आने िाले होंगे उन्हों र्ो
आप लोगों र्े कर्ररश्ते रूप और भविष्ठर् राज्र्-पद र्े - दोनों इर्ट्ठे साक्षात्र्ार होंगे। जैसे शरू

र्ें ब्रह्र्ा र्ें सम्पण
ू क स्िरूप और श्रीर्ृष्ठण र्ा - दोनों साथ-साथ साक्षात्र्ार र्रते थे, ऐसे अब
उन्हों र्ो तम्
ु हारे डभले रूप र्ा साक्षात्र्ार होगा। जैसे-जैसे नंबरिार इस न्र्ारी स्टे ज पर आते
जार्ेंगे तो आप लोगों र्े भी र्ह डभले साक्षात्र्ार होंगे। अभी र्ह परू ी प्रैक्तटस हो जाए तो र्हाँ-
िहाँ से र्ही सर्ाचार आने शुरू हो जार्ेंगे। जैसे शुरू र्ें घर बैठे भी अनेर् सर्ीप आने िाली
आत्र्ाओं र्ो साक्षात्र्ार हुए ना। िैसे अब भी साक्षात्र्ार होंगे। र्हाँ बैठे भी बेहद र्ें आप लोगों
र्ा सूक्ष्र् स्िरूप सविकस र्रे गा। अब र्ही सविकस रही हुई है। सार्ार र्ें सभी इग्जाम्पल तो
दे ख ललर्ा। सभी बातें नंबरिार ड्रार्ा अनुसार होनी हैं। क्जतना-क्जतना स्िर्ं आर्ारी र्ररश्ते
स्िरूप र्ें होंगे उतना आपर्ा र्ररश्ता रूप सविकस र्रेगा। आत्र्ा र्ो सारे विश्ि र्ा चक्र लगाने
र्ें कर्तना सर्र् लगता है ? तो अभी आपर्े सूक्ष्र् स्िरूप भी सविकस र्रें गे। लेकर्न जो इस
न्र्ारी क्स्थनत र्ें होगें , स्िर्ं र्ररश्ते रूप र्ें क्स्थत होगें । शुरू र्ें सभी साक्षात्र्ार हुए हैं। र्ररश्ते
रूप र्ें सम्पूणक स्टे ज और परु ु षाथी स्टे ज - दोनों अलग-अलग साक्षात्र्ार होता था। जैसे सार्ार
ब्रह्र्ा और सम्पूणक ब्रह्र्ा र्ा अलग-अलग साक्षात्र्ार होता था, िैसे अन्र् बच्चों र्े साक्षात्र्ार
भी होंगे। हंगार्ा जब होगा तो सार्ार शरीर द्िारा तो र्ुछ र्र नहीं सर्ेंगे और प्रभाि भी
इस सविकस से पड़ेगा। जैसे शुरू र्ें भी साक्षात्र्ार से ही प्रभाि हुआ ना। परोक्ष-अपरोक्ष अनुभि
ने प्रभाि डाला िैसे अन्त र्ें भी र्ही सविकस होनी है। अपने सम्पूणक स्िरूप र्ा साक्षात्र्ार
अपने आप र्ो होता है ? अभी शक्ततर्ों र्ो पुर्ारना शुरू हो गर्ा है। अभी परर्ात्र्ा र्ो र्र्
पुर्ारते हैं, शक्ततर्ों र्ी पर्
ु ार तेज रफ़्तार से चालू हो गई है। तो ऐसी प्रैक्तटस बीच-बीच र्ें
र्रनी है। आदत पड़ जाने से कर्र बहुत आनन्द र्ील होगा। एर् सेर्ेण्ड र्ें आत्र्ा शरीर से
न्र्ारी हो जार्ेगी, प्रैक्तटस हो जार्ेगी। अभी र्ही परू
ु षाथक र्रना है।

( 21-01-72 )

परु
ु षाथी र्ो सदैि एिर रे डी रहना है। कर्सर्ो इन्तजार न र्रना पड़े। अपना परू ा इन्तजार्
होना चादहए। हर् सर्र् र्ो सर्ीप लार्ेंगे, न कर् सर्र् हर्र्ो सर्ीप लार्ेगा - नशा र्ह होना
चादहए। क्जतना अपने सार्ने सम्पण
ू क स्टे ज सर्ीप होती जािेगी उतनी विश्ि र्ी आत्र्ाओं र्े
आगे आपर्ी अक्न्तर् र्र्ाकतीत स्टे ज र्ा साक्षात्र्ार स्पष्ठट होता जर्ेगा। इससे जज र्र सर्ते
हो कर् साक्षात्र्ारर्ूतक बन विश्ि र्े आगे साक्षात्र्ार र्राने र्ा सर्र् नजदीर् है िा नहीं। सर्र्

18
तो बहुत जल्दी-जल्दी दौड़ लगा रहा है। सर्र् र्ी रफ़्तार अनभ ु ि से तेज तो अनभ
ु ि होती है
ना। इस दहसाब से अपनी सम्पण ू क स्टे ज भी स्पष्ठट और सर्ीप होनी चादहए।
जैसे बाप र्े तीन रूप प्रलसद्ध हैं, िैसे अपने तीनों रूपों र्ा साक्षात्र्ार होता रहता है? जैसे
बाप र्ो अपने तीनों रूपों र्ी स्र्नृ त रहती है, ऐसे ही चलते-कर्रते अपने तीनों रूपों र्ी स्र्नृ त
रहे कर् हर् र्ास्टर बत्रर्नू तक हैं। तीनों र्त्तकर्वर् इर्ट्ठे साथ-साथ चलने चादहए। ऐसे नहीं-स्थापना
र्ा र्त्तकर्वर् र्रने र्ा सर्र् अलग है , विनाश र्ा र्त्तकर्वर् र्ा सर्र् अलग है , कर्र और आना
है। नहीं। नई रचना रचते जाते हैं और परु ानी र्ा विनाश। आसरु ी संस्र्ार िा जो भी र्र्जोररर्ाँ
हैं उनर्ा विनाश भी साथ-साथ र्रते जाना है। नर्े संस्र्ार ला रहे हैं, पुराने संस्र्ार खत्र् र्र
रहे हैं। तो सम्पूणक और शक्तत रूप, विनाशर्ारी रूप न होने र्ारण सफ़लता न हो पाती है।
दोनों ही साथ होने से सफ़लता हो जाती है। र्ह दो रूप र्ाद रहने से दे िता रूप आपेही आिेगा।
दोनों रूप र्े स्र्नृ त र्ो ही र्ाइनल पुरूषाथक र्ी स्टे ज र्हें गे। अभी-अभी ब्राह्र्ण रूप अभी-
अभी शक्तत रूप। क्जस सर्र् क्जस रूप र्ी आिश्र्र्ता है उस सर्र् िैसा ही रूप धारण र्र
र्त्तकर्वर् र्ें लग जार्ें - ऐसी प्रैक्तटस चादहए। िह प्रैक्तटस तब हो सर्ेगी जब एर् सेर्ेण्ड र्ें
दे ही-अलभर्ानी बनने र्ा अभ्र्ास होगा।

( 28-02-72 )

लाइट तो बने हो लेकर्न लाइट-हाऊस हो चारों ओर अंधर्ार र्ो दरू र्र लाइट र्ैलाओ। सभी
र्ो इतनी रोशनी प्राप्त र्राओ जो िह अपने आपर्ो दे ख सर्ें। अभी तो अपने आपर्ो भी दे ख
नहीं सर्ते। जैसे बहुत अंधर्ार होता है तो न अपने र्ो, न दस
ू रे र्ो दे ख सर्ते हैं। तो ऐसे
लाइट-हाऊस बनो जो सभी अपने आपर्ो तो दे ख सर्ें। जैसे दपकण र्े आगे जो भी होता है
उसर्ो स्िर्ं र्ा साक्षात्र्ार होता है। ऐसे दपकण बने हो? अगर इतने सभी दपकण बन अपना
र्तकर्वर् र्रने शुरू र्र दें तो तर्ा चारों ओर सिाकत्र्ाओं र्ो स्िर्ं र्ा साक्षात्र्ार नहीं हो जािेगा?
जब कर्सर्ो साक्षात्र्ार हो जाता है तो उनर्े र्ुख से जर्-जर् र्ा नारा ज़रूर ननर्लता है।
ऐसे दपकण तो बने हो ना? सारे ददन र्ें कर्तनों र्ो स्िर्ं र्ा साक्षात्र्ार र्राते हो? जो सार्ने
आता है िह साक्षात्र्ार र्रता है ? अगर दपकण पािरर्ुल न हो तो रीर्ल रूप र्े बजार् और
रूप ददखाई दे ता है। होगा पतला, ददखाई पड़ेगा र्ोटा। तो ऐसे पािरर्ुल दपकण बनो जो सभी
र्ो स्िर्ं र्ा साक्षात्र्ार र्रा सर्ो अथाकत ् आप लोगों र्े सार्ने आते ही दे ह र्ो भल
ू अपने
दे ही रूप र्ें क्स्थत हो जार्ें। िास्तविर् सविकस अथिा सविकस र्ी सर्लता र्ा रूप र्ह है।

( 09-11-72 )

अपने अंनतर् स्िरूप र्ा साक्षात्र्ार होता रहता है ? तर्ोंकर् क्जतना- क्जतना नज़दीर् आते जाते
हैं उतना ऐसे अनुभि होगा, जैसे र्ोई सम्र्ुख िस्तु ददखाई दे रही है। ऐसे ही अनुभि होगा

19
कर् अभी-अभी र्ह बनेंगे। जैसे िद्
ृ ध अिस्था िालों र्ो र्ह सदा स्र्नृ त रहती है कर् अभी- अभी
िद्
ृ ध हूं, अभी-अभी जार्र बच्चा बनंग
ू ा। ऐसे ही अपने अंनतर् स्िरूप र्ी स्र्नृ त नहीं लेकर्न
सम्र्ख
ु स्पष्ठट रूप से साक्षात्र्ार होता है-अभी र्ह हूं, कर्र र्ह बनेंगे? तो ऐसे अपनी अंनतर्
स्टे ज र्ी सर्ीपता र्ा अनभ
ु ि होता है? अपरोक्ष स्पष्ठट साक्षात्र्ार होता है ? जैसे आइने र्ें
अपना रूप स्पष्ठट ददखाई दे ता है , िैसे ही इस नॉलेज र्े दपकण र्ें ऐसा ही अपना अंनतर् स्िरूप
स्पष्ठट ददखाई दे-जैसे र्ोई बहुत अच्छा सन्
ु दर चोला सार्ने रखा हो और र्ालर्
ू हो कर् हर्र्ो
अभी र्ह धारण र्रना है तो न चाहते हुर्े भी जैसा-जैसा सर्र् नजदीर् धारण र्रने र्ा आता
रहे गा तो अटें शन जािेगा तर्ोंकर् सार्ने ददखाई दे रहा है। ऐसा ही अपना अंनतर् स्िरूप सार्ने
ददखाई दे ता है और उस स्िरूप तरर् अटें शन जाता है ? िह लाइट र्ा स्िरूप र्हो िा चोला
र्हो, लाइट ही लाइट ददखाई पड़ेगी। र्ररश्तों र्ा स्िरूप तर्ा होता है ? लाइट। दे खने िाले भी
ऐसे अनुभि र्रें गे कर् र्ह लाइट र्े िस्त्रधारी हैं, लाइट ही इन्हों र्ा ताज है , लाइट ही िस्त्र हैं,
लाइट ही इन्हों र्ा श्रंग
ृ ार है। जहां भी दे खेंगे तो लाइट ही दे खेंगे। र्स्तर् र्े ऊपर दे खेंगे तो
लाइट र्ा क्राउन ददखाई पड़ेगा। नैनों र्ें भी लाइट र्ी कर्रणें ननर्लती हुई ददखाई दें गी। तो
ऐसा रूप सार्ने ददखाई पड़ता है ? तर्ोंकर् र्ाइट रूप अथाकत ् शक्तत रूप र्ा जो पाटक चलता है
िह प्रलसद्ध कर्ससे होगा? लाइट रूप से र्ोई भी सार्ने आर्े तो एर् सेर्ेण्ड र्ें अशरीरी बन
जार्े - िह लाइट रूप से ही होगा। ऐसा चलता-कर्रता लाइट-हाऊस हो जािेंगे जो कर्सी र्ो भी
र्ह शरीर ददखाई नहीं पड़ेगा। विनाश र्े सर्र् पेपर र्ें पास होना है तो सिक पररक्स्थनतर्ों र्ा
सार्ना र्रने र्े ललर्े लाइट-हाऊस होना पड़े, चलते-कर्रते अपना र्ह रूप अनुभि होना चादहए।
र्ह प्रैक्तटस र्रनी है। शरीर बबल्र्ुल भूल जार्े।स्िर्ं भी अपने र्ो लाइट रूप अनुभि र्रो तो
दस
ू रे भी िही अनुभि र्रें गे। अंनतर् सविकस, अंनतर् स्िरूप र्ही है। इससे सारे र्ारोबार भी
लाइट अथाकत ् हल्र्े होंगे। जैसे सार्ार र्ें आर्ार र्ा अनुभि र्रते थे ना। र्शक र्ें रहते भी
र्ररश्ते र्ा अनुभि र्रते थे। ऐसी स्टे ज तो आनी है ना। शुरू-शुरू र्ें बहुतों र्ो र्ह साक्षात्र्ार
होते थे। लाइट ही लाइट ददखाई दे ती थी। अपने लाइट र्े क्राउन र्े भी अनेर् बार साक्षात्र्ार
र्रते थे। जो आदद र्ें सैम्पल था िह अंत र्ें प्रैक्तटर्ल स्िरूप होगा। संर्ल्प र्ी लसद्चध र्ा
साक्षात्र्ार होगा। जैसे िाचा से आप डार्रे तशन दे ती हो ना, िैसे संर्ल्प से सारे र्ारोबार चला
सर्ती हो। नीचे पथ्
ृ िी से ऊपर तर् डार्रे तशन लेते रहते हैं, तो तर्ा श्रेष्ठठ संर्ल्प से र्ारोबार
नहीं चल सर्ती है? साईंस ने र्ॉपी तो साइलेंस से ही कर्र्ा है। तो एग्जाम्पल देने अथक पहले
से ही स्पष्ठट रूप र्ें आपर्े सार्ने है।

( 22-11-72 )

जब सर्र् भी शॉटक (Short) है तो प्लान भी शाटक चादहए। शाटक हो लेकर्न पॉिरर्ुल हो। िह
दो शब्द र्ौन-से हैं? भविष्ठर् प्लान प्रैक्तटर्ल रूप र्ें दो शब्दों र्े आधार पर ही होना है। एर्
तो ‘साक्षात ् बाप-र्ूतक’ और दस
ू रा ‘साक्षी और साक्षात्र्ार-र्ूत’क । जब तर् र्ह दोनों र्ूतक न बनी

20
हैं, तब तर् सारे विश्ि र्ा पररितकन थोड़े सर्र् र्ें र्र नहीं पार्ेंगे। इस प्लान र्ो प्रैक्तटर्ल
र्ें लाने र्े ललर्े जैसे अब भी स्टे ज और स्पीच तैर्ार र्रते हो, िैसे ही आप र्ो अपनी क्स्थनत
र्ी स्टे ज तैर्ार र्रनी पड़े।
अपने र्ीचसक द्िारा फ्र्च
ू र र्ा साक्षात्र्ार र्रने र्े ललए, जैसे लभन्न-लभन्न पॉइन्ट्स सोचते
हुए स्टे ज तैर्ार र्रते हो िैसे ही इस सरू त र्े बीच जो भी र्ख् ु र् र्र्ेक्न्रर्ाँ हैं, उन र्र्ेक्न्रर्ों
द्िारा बाप र्े चररत्र, बाप र्े र्तकर्वर् र्ा साक्षात्र्ार हो, बाप र्े गणु ों र्ा साक्षात्र्ार हो। र्ह
लभन्न-लभन्न पॉइन्ट्स तैर्ार र्रनी पड़े। नर्नों द्िारा नजर से ननहाल र्र सर्ो। अथाकत ् नर्नों
र्ी दृक्ष्ठट द्िारा उन आत्र्ाओं र्ी दृक्ष्ठट, िवृ त्त, स्र्नृ त और र्ृनत चेन्ज र्र दो। र्क्स्तष्ठर् द्िारा
अपने ि सभी र्े स्िरूपों र्ा स्पष्ठट साक्षात्र्ार र्राओ। होंठों द्िारा रूहानी र्ुस्र्राहट से
अविनाशी खुशी र्ा अनुभि र्राओ। सारे चेहरे द्िारा ितकर्ान श्रेष्ठठ पोजीशन और भविष्ठर्
पोजीशन (Position) र्ा साक्षात्र्ार र्राओ। अपने श्रेष्ठठ संर्ल्प द्िारा अन्र् आत्र्ाओं र्े
र्वर्थक संर्ल्पों ि विर्ल्पों र्ी बहती हुई बाढ से और अपनी शक्तत से अल्प सर्र् र्ें कर्नारा
र्र ददखाओ। र्वर्थक संर्ल्पों र्ो शुद्ध संर्ल्पों र्ें पररिनतकत र्र डालो। अपने एर् बोल द्िारा
अनेर् सर्र् र्ी तड़पती हुई आत्र्ाओं र्ो अपने ननशाने र्ा, अपनी र्ंक्जल र्े दठर्ाने र्ा
अनुभि र्राओ। िह एर् बोल र्ौन-सा? ‘लशि बाबा।’ लशि बाबा र्हने से ही दठर्ाना ि ननशाना
लर्ल जार्। अपने हर र्र्क अथाकत ् चररत्र द्िारा, चररत्र लसर्क बाप र्े नहीं हैं, आप हर श्रेष्ठठ
आत्र्ा र्े श्रेष्ठठ र्र्क भी चररत्र हैं। साधारण र्र्क र्ो चररत्र नहीं र्हें गे। तो हर श्रेष्ठठ र्र्क रूपी
चररत्र द्िारा बाप र्ा चचत्र ददखाओ। जब ऐसी रूहानी प्रैक्तटर्ल स्पीच र्रें गे तब थोड़े सर्र् र्ें
विश्ि र्ा पररितकन र्रें गे। इसर्े ललए स्टे ज भी चादहए।
स्टे ज र्ी तैर्ारी र्ें तर्ा-तर्ा र्ुख्र् साधन अपनाते हो। िह तो जानते हो न? िह आप लोगों
र्ी विशेष ननशानी है। स्टे ज र्ो सर्ेद र्रते हो, र्ही आप लोगों र्ी र्ख्
ु र् ननशानी अथिा
लसम्बल (Symbol) है। जैसे ड्रेस प्रलसद्ध है ना। तो जैसी आत्र्ा र्ी स्टे ज , िैसी बाहर र्ी
स्टे ज र्ो भी रूप दे ते हो। तो र्ह बातें जो स्थूल स्टे ज पर रखने र्ा प्रर्त्न र्रते हो। उनर्ें
से अगर एर् चीज भी स्र्नृ त र्ें न रहती है िा सही रूप र्ें नहीं होती है तो स्टे ज र्ी झलर्
अच्छी नहीं ददखाई दे ती। इसी प्रर्ाण जब अपनी क्स्थनत र्ी स्टे ज द्िारा प्रैक्तटर्ल स्पीच
र्रनी है तो इसर्े ललर्े भी इन सभी बातों र्ी तैर्ारी चादहए, लाइट चादहए अथाकत ् डबल लाइट
स्िरूप र्ी स्टे ज चादहए। र्ह तो जानते हो न? दोनों ही लाइट। अगर स्टे ज पर र्ोई हल्र्ा न
हो, उठने बैठने र्ें भारी हो तो स्पीच सन
ु ने र्े बजार् लोग उसर्ो ही दे खने लग जार्ेंगे। तो
र्हाँ पर डबल लाइट र्ी क्स्थनत चादहए। और र्ाइर् ऐसा पॉिरर्ुल हो, जो दरू तर् आिाज़
स्पष्ठट रूप र्ें पहुंच जार्े। तो र्ाइर् र्ें भी र्ाइट हो। एर् संर्ल्प र्रो, एर् नजर डालने से
ही िह नजर और िह संर्ल्प लाइट हाउस र्ा र्ार्क र्रे । एर् स्थान पर होते हुए भी अनेर्
आत्र्ाओं पर आप र्े श्रेष्ठठ संर्ल्प और ददर्वर् नजर र्ा प्रभाि पड़े। ऐसा पॉिरर्ुल र्ाइर्
बनाना पड़े। तो र्ाइर् र्ौनसा हुआ -’संर्ल्प और नजर’, ‘ददर्वर् और रूहानी दृक्ष्ठट।’ ऐसे ही
र्वहाइटनेस (Whiteness) अथाकत ् स्िच्छ बद्
ु चध चादहए उनर्ें जरा भी र्ोई दाग न हो। अगर

21
स्टे ज पर र्ोई दाग होगा, र्वहाइटनेस नहीं होगी तो सभी र्ा अटे न्शन न चाहते भी उस तरर्
जार्ेगा। और बात र्ें सलोगन्स (Slogans) र्ा श्रंग
ृ ार चादहर्े। इस क्स्थनत र्ी स्टे ज पर र्ौन-
से सलोगन र्ा श्रंग
ृ ार चादहर्े?-क्स्थनत र्ी स्टे ज और प्रैक्तटर्ल र्न, िाणी, र्र्क र्ी स्पीच।
ऐसी स्टे ज र्े ललर्े सलोगन र्ौन-से चादहर्े?
एर् ‘र्ैं आत्र्ा विश्ि-र्ल्र्ाण र्े श्रेष्ठठ र्तकर्वर् र्े प्रनत सिकशक्ततिान ् बाप द्िारा ननलर्त्त बनी
हुई हूँ’ - र्ह सलोगन स्र्नृ त र्ें रहे । इस क्स्थनत र्ें अगर र्ह सलोगन र्ाद न रहे गा तो स्टे ज
सन्
ु दर नहीं लगेगी। विशेष धारणाओं र्े ही सलोगन्स हैं। दस ू रा सलोगन, र्ैं आत्र्ा र्हादानी
और िरदानी हूँ। क्जन भी आत्र्ाओं र्ो दान लेने र्ा िा देने र्ा साहस नहीं हैं उन र्ो भी
िरदाता बाप द्िारा लर्ले हुए िरदानों द्िारा अपनी क्स्थनत र्े सहर्ोग द्िारा िरदान दे ना है।
तो सलोगन तर्ा हुआ? ‘र्ैं र्हादानी और िरदानी हूँ’ - र्ह है स्पष्ठटीर्रण। तीसरी बात र्ुझ
आत्र्ा र्ो अपने चररत्र, बोल ि संर्ल्प द्िारा अपने र्ूतक र्ें सभी आत्र्ाओं र्ो बापदादा र्ी
सूरत और सीरत र्ा साक्षात्र्ार र्राना है। इस प्रर्ार जो स्टे ज र्ो सुन्दर बनाने र्ा सलोगन
है िह भी स्र्नृ त र्ें रखना है। ऐसी अपनी स्टे ज और स्पीच र्ो तैर्ार र्रो। स्टे ज पर र्ुसी
पर बैठो अथाकत ् अपनी स्टे ट्स र्ी र्ुसी पर बैठो। तो स्टे ज, स्पीच, और स्टे ट्स र्े तीनों ही
आिश्र्र् हैं, कर्र थोड़े सर्र् र्ें विश्ि र्ो पररिनतकत र्र लेंगे। र्ह र्रना तो आता है न? लेकर्न
र्ह भी ध्र्ान रखना कर् स्टे ज ऐसी र्ज़बूत हो, एर्-रस, अचल और अडोल हो जो र्ोई भी
तूर्ान और र्ोई भी िातािरण उसर्ो दहला न सर्े। ऐसी अपनी तैर्ारी र्रो, तर्ा ऐसी प्रैक्तटस
है? तर्ा ऐसे एिररे डी हो और एिर हैप्पी (Ever-Happy) हो? जो एर् सेर्ेण्ड र्ें जैसी
क्स्थनत, जैसा स्थान और जैसी आत्र्ाओं र्ी धरती उसी प्रर्ाण थोड़े सर्र् र्ें अपनी स्टे ज
तैर्ार र्र प्रैक्तटर्ल स्पीच र्र सर्ो।

( 25-05-73 )

अचधर्ारी िह बनेंगे जो अभी से अपने स्िभाि, संस्र्ार और संर्ल्प र्े अधीन नहीं बनेंगे। जो
अभी भी अपने संर्ल्प र्े अधीन होता है तो तर्ा िह अचधर्ारी हुआ? िह संर्ल्पों र्े भी
अधीन हुआ ना? तो इसललर्े अब संर्ल्पों र्े भी अधीन नहीं, स्िभाि और संस्र्ार र्े भी
अधीन नहीं होना है। जो अब से इन सबर्े अचधर्ारी बनेंगे, िह ही िहाँ राज्र्-अचधर्ारी बनेंगे।
अब दहसाब ननर्ालो कर् कर्तना अधीन रहते हैं और कर्तना अचधर्ारी रहते हैं। कर्र उसर्ी
ररजल्ट से स्िर्ं भी अपने भविष्ठर् र्ा साक्षात्र्ार र्र सर्ते हो। अथाकत ् अपने-आप र्ो परखने
र्े आईने र्ें अपने ितकर्ान और भविष्ठर् 21 जन्र्ों र्े ललए हर्ारे फ्र्च
ू र र्े र्ीचसक तर्ा होंगे
िह भी दे ख सर्ते हो। आप अपने 21 जन्र्ों र्े र्ीचसक भी दे ख सर्ते हो अगर आपर्ा अपने-
आपर्ो परखने र्ी शक्तत र्ा आइना इतना पॉिरर्ुल हुआ तो।

( 23-09-73 )

22
बत्रर्नू तक बाप से बत्रर्नू तक िंशािली हरे र् र्ें आज तीन लाइट दे ख रही हैं कर् तीनों ही लाइट अपनी
तरर् आर्वषकत र्रने िाली हैं िा नम्बरिार हैं? जब तीनों ही लाइट जगर्गाती हुई ददखाई दें
तब ही सबर्ो साक्षात्र्ार र्रा सर्ेंगे। प्र्ोररटी र्ी लाइट, सतोप्रधान ददर्वर्- दृक्ष्ठट र्ी लाइट
और र्स्तर् र्णण र्ी लाइट र्ह तीनों ही सम्पण
ू क बनाने र्ी र्ख्
ु र् बातें हैं। तो अपने आप से
पछ
ू ो कर् सदा सतोप्रधान आक्त्र्र् दृक्ष्ठट, सदा हर संर्ल्प, हर बोल ि र्र्क र्ें प्र्ोररटी र्ी
झलर् र्हाँ तर् आर्ी है ? तर्ा सदा स्र्नृ त स्िरूप बने हो? अगर आप र्ें एर् बात र्ी भी
र्र्ी है तो बत्रर्ूनतक लाइट र्ा साक्षात्र्ार नहीं र्रा सर्ोगे। र्ही प्र्ोररटी सबसे श्रेष्ठठ और सहज
पक्ब्ललसटी है और र्ही अक्न्तर् पक्ब्ललसटी र्ा रूप है। जो अन्र् र्ोई भी आत्र्ाएं र्र नहीं
सर्तीं। विश्ि पररितकन र्े र्ार्क र्ें सबसे पॉिरर्ुल पक्ब्ललसटी र्ा साधन आप विशेष आत्र्ाओं
र्ा र्ही है। जैसे स्थूल कर्ल्र् दे खने से आज र्े लोग प्रभावित होते हैं, िैसे ही आप सबर्े
र्स्तर् और नर्न ऐसे विचचत्र अनुभि र्राने र्ी कर्ल्र् ददखािें, तो लोग तर्ा पररितकन र्ें
नहीं आिेंगे? जैसे पदे र्े सार्ने बैठने से लभन्न-लभन्न दृश्र् पदे पर ददखाई दे ते हैं िैसे ही
आपर्े सार्ने आने से अनेर् प्रर्ार र्ी ददर्वर्-दृक्ष्ठट ददखाई दे गी।
पहले तर्ा साक्षात्र्ार-र्ूतक तैर्ार हो? तर्ोंकर् भक्तत र्ें भी ननर्र् है कर् जरा भी खक्ण्डत र्ूनतक
पूज्र् र्ा र्क्न्दर र्े र्ोग्र् नहीं बन सर्ती, और न दशकनीर्-र्ूत्तक ही बन सर्ती है। ड्रार्ा र्ा
पदाक खुल जाए और र्ूनतक सम्पन्न नहीं हो, तो तर्ा र्ह शोभेगा? जैसे श्रंग
ृ ार र्ें सोलह श्रंग
ृ ार
प्रलसद्ध हैं, तो तर्ा ऐसे ही सम्पूणक सोलह र्ला सम्पन्न बने हो? र्ा सर्र् पर क्जस र्ला
र्ी आिश्र्र्ता हो, तर्ा उस सर्र् िह र्ला स्िरूप र्ें नहीं ला सर्ते? र्दद स्र्नृ त र्ें आता
है लेकर्न स्िरूप र्ें नहीं आ पाता हो तो आपर्ो सर्लता र्ैसे होगी?

( 24-04-74 )

जब से बाप र्े बने, तब से िसे र्े अचधर्ारी बने। िसाक तर्ा है ? तर्ा िसे र्ें सिक प्राक्प्त ि
सिक र्ा अखुट खज़ाना अनुभि र्रते हो? जब िसे र्े अचधर्ारी हैं तो अचधर्ारी र्ी ननशानी
तर्ा है? अचधर्ारी बाप-सर्ान सदा र्ल्र्ाणर्ारी, रहर्ददल, र्हाज्ञानी, गुणदानी, बाप र्ा हर
संर्ल्प, हर बोल, हर र्र्क द्िारा साक्षात्र्ार र्राने िाला, साक्षात बाप-सर्ान होगा। ऐसे
अचधर्ारी र्ा गार्न है कर् उसर्े जीिन र्ें अप्राप्त र्ोई िस्तु नहीं। जो सिक र्ें सम्पन्न होता
है, उसर्ी आंख ि बद्
ु चध र्ोई कर्सी तरर् नहीं डूबती। िह सदा रूहानी नज़र र्ें रहते हैं, अनेर्
र्वर्थक संर्ल्पों ि अनेर् तरर् बद्
ु चध ि दृक्ष्ठट जाने से परे , सिक कर्क्रों से र्ाररग और अपने बाप
द्िारा लर्ले हुए खजाने र्ें सदा रर्ण र्रता रहता है। उनर्ो दस
ू रा र्ोई अन्र् संर्ल्प र्रने
र्ी भी र्ुसकत नहीं रहती, तर्ोंकर् बाप द्िारा लर्ले हुए खजाने र्ो, स्िर्ं र्े प्रनत ि सिक-
आत्र्ाओं र्े प्रनत बाँटने ि धारण र्रने र्ें िह बहुत बबज़ी रहता है। सबसे बड़े-ते-बड़ा
धन्धा, सबसे बड़े-ते-बड़ा दान र्ा सबसे बड़े-ते-बड़ा पण्
ु र् जो भी र्हो, िह र्ही है।

23
( 02-05-74 )

तर्ा अपने सम्पण ू क ननशाने र्े नज़दीर् पहुंचे हो? तर्ा ननशाने पर पहुँचने र्ी ननशाननर्ाँ ददखाई
दे ती हैं? तर्ा सम्पण ू क ननशाने र्े नज़दीर् पहुंचने र्ी ननशानी र्ा डबल नशा उत्पन्न होता
है? पहला नशा है-र्र्ाकतीत अथाकत ् सिक र्र्क बन्धनों से र्त
ु त, न्र्ारे बन, प्रर्ृनत द्िारा ननलर्त्त-
र्ात्र र्र्क र्राना। ऐसे र्र्ाकतीत अिस्था र्ा अनभ
ु ि होगा। न्र्ारे बनने र्ा परू
ु षाथक बार-बार
नहीं र्रना पड़ेगा। सहज और स्ित: ही अनुभि होगा कर् र्राने िाला और र्राने िाली र्ह
र्र्ेक्न्रर्ाँ स्िर्ं से, हैं ही अलग। दस
ू रा नशा है-विश्ि र्ा र्ाललर् बनने र्ा, कर् ऐसे अनुभि
र्रें गे जैसे कर् स्थूल चोला ि िस्त्र तैर्ार हुआ सार्ने ददखाई दे रहा है और ननश्चर् होगा कर्
िस्त्र तैर्ार है और थोड़े ही सर्र् र्ें उसे धारण र्रना है। िह सिकगुण सम्पन्न और सतोप्रधान
नर्ा शरीर स्पष्ठट ददखाई दे गा और चलते-कर्रते र्ह नशा और खुशी होगी कर् र्ल र्ह पुराना
शरीर छोड़ नर्ा शरीर धारण र्रें गे। जरासा संर्ल्प भी उत्पन्न नहीं होगा, कर् दै िी-पद प्राप्त
होगा र्ा नहीं, दे िता बनेंगे अथिा नहीं और राजा बनेंगे र्ा प्रजा? ऐसे संशर् र्ा संर्ल्प भी
उत्पन्न नहीं होगा तर्ोंकर् सार्ने स्पष्ठट ददखाई दे रहा है कर् आज हर् र्ह हैं और र्ल र्ह
होंगे। ज्ञान र्े तीसरे नेत्र द्िारा र्ोग-र्ुतत अथाकत ् सदा र्ोगी होने र्े र्ारण बुद्चध र्ी लाइन
क्तलर्र अथाकत ् स्पष्ठट होने र्े र्ारण ननश्चर् बद्
ु चध विजर्क्न्त र्े आधार से अनुभि होगा कर्
अनेर् बार र्ह चोला धारण कर्र्ा है और अब भी र्रना ही है। ऐसा अटल विश्िास होगा और
स्पष्ठट साक्षात्र्ार होगा। र्ह बनेंगे अथिा नहीं बनेंगे?-र्ह हलचल जब तर् बद्
ु चध र्ें है, तब
तर् ही क्स्थनत र्ें भी हलचल है।

( 04-07-74 )

अब आप लोगों र्ो भी अर्वर्तत ितनिासी स्टे ज तर् पहुँचना है , तभी तो आप साथ चल


सर्ेंगे। अभी र्ह सार्ार से अर्वर्तत रूप र्ा पाटक तर्ों हुआ?-सबर्ो अर्वर्तत क्स्थनत र्ें क्स्थत
र्राने तर्ोंकर् अब तर् उस स्टे ज तर् नहीं पहुंचे हैं। अभी अक्न्तर् पुरूषाथक र्ह रह गर्ा है।
इसी से ही साक्षात्र्ार होंगे। सार्ार स्िरूप र्े नशे र्ी प्िाइन्ट्स तो बहुत हैं कर् र्ैं श्रेष्ठठ
आत्र्ा हूं, र्ैं ब्राह्र्ण हूं और र्ैं शक्तत हूं। इस स्र्नृ त से तो आपर्ो नशे और खश
ु ी र्ा अनभ
ु ि
होगा। लेकर्न जब तर् इस अर्वर्तत स्िरूप र्ें , लाइट र्े र्ाबक र्ें स्िर्ं र्ो अनभ
ु ि न कर्र्ा
है, तब तर् औरों र्ो आपर्ा साक्षात्र्ार नहीं हो सर्ेगा। तर्ोंकर् जो दै िी स्िरूप र्ा साक्षात्र्ार
भततों र्ो होगा, िह लाइट रूप र्ी र्ाबक र्ें चलते-कर्रते रहने से ही होगा। साक्षात्र्ार भी लाइट
र्े बबना नहीं होता है। स्िर्ं जब लाइट-रूप र्ें क्स्थत होंगे, आपर्े लाइट रूप र्े प्रभाि से ही
उनर्ो साक्षात्र्ार होगा। क्जसे शास्त्रों र्ें ददखाते हैं कर् र्ंस ने र्ुर्ारी र्ो र्ारा, तो िह उड़
गई, साक्षात ्-रूपधारी हो गई और कर्र आर्ाशिाणी र्ी। िैसे ही आप लोगों र्ा साक्षात्र्ार

24
हो, तो ऐसा अनभ
ु ि होगा कर् र्ानो र्ह दे िी द्िारा आर्ाशिाणी हो रही है। िह सन
ु ने र्ो
इच्छुर् होंगे कर् र्ह दे िी र्ा शक्तत र्ेरे प्रनत तर्ा आर्ाशिाणी र्रती है। आप र्ें अब र्ह
निीनता ददखाई दे । साधारण बोल नज़र न आर्ें, ऊपर से आर्ाशिाणी हो रही है , बस ऐसा
अनभ
ु ि हो। इसललर्े र्हा कर् अब ज्िालार्ख
ु ी बनने र्ा सर्र् है। अब आपर्ा गोपीपन र्ा
पाटक सर्ाप्त हुआ। र्हारथी जो आगे बढ़ते जा रहे हैं, उनर्ा इस रीनत सविकस र्रने र्ा पाटक
भी ऑटोर्ेदटर्ली बदली होता जाता है। पहले आप लोग भाषण आदद र्रती थीं और र्ोसक
र्राती थीं। अभी चेर्रर्ैन र्े रूप र्ें थोड़ा बोलती हो, र्ोसक आदद आपर्े जो साथी हैं, िह
र्राते हैं। अभी इस सर्र्, र्ोई र्ो आर्षकण र्रना, दहम्र्त और उल्लास र्ें लाना, र्ह सविकस
रह गई है, तो र्र्क आ जाता है ना? इससे भी आगे बढ़ र्र र्ह अनुभि होगा जैसे कर्
आर्ाशिाणी हो रही है। र्हें गे र्ह र्ोई अितार हैं-और र्ह र्ोई साधारण शरीरधारी नहीं हैं।
अितार प्रगट हुए है। जैसे कर् साक्षात्र्ार र्ें अनुभि र्रते-र्रते दे िी प्रगट हुई है। र्हािातर्
बोले और प्रार्:लोप। अभी र्ी स्टे ज ि पुरूषाथक र्ा लक्ष्र् र्ह होना है।

( 15-09-74 )

अब तो सर्र्-प्रर्ाण सप्ताह र्ोसक र्े बजार् अपने िरदानों द्िारा, अपनी सिकशक्ततर्ों र्े द्िारा
सेर्ेण्ड र्ा र्ोसक बताओ; तब ही सिक आत्र्ाओं र्ो रूहों र्ी दनु नर्ा र्ें बाप र्े साथ ले जा
सर्ेंगे। अशरीरी भि, ननरार्ारी भि, ननरहंर्ारी और ननविकर्ारी भि र्ा िरदान, िरदाता द्िारा
प्राप्त हो चर्
ु ा है न? अब ऐसे िरदान र्ो सार्ार रूप र्ें लाओ! अथाकत ् स्िर्ं र्ो ज्ञान-र्ूतक, र्ाद-
र्ूतक और साक्षात्र्ार-र्ूतक बनाओ। जो भी सार्ने आर्े, उसे र्स्तर् द्िारा र्स्तर्-र्णण ददखाई
दे , नैनों द्िारा ज्िाला ददखाई दे और र्ुख द्िारा िरदान र्े बोल ननर्लते हुए ददखाई दें । जैसे
अब तर् बापदादा र्े र्हािातर्ों र्ो सार्ार स्िरूप दे ने र्े ललए ननलर्त्त बनते आर्े हो, अब
इस स्िरूप र्ो सार्ार बनाओ।

( 18-01-75 )

सर्र्-प्रर्ाण अभी अपने सब सब्जेतट्स र्े खाते र्ो चेर् र्रो कर् र्हाँ तर् जर्ा कर्र्ा है ि
र्न, िाणी, र्र्क द्िारा र्हाँ तर् हर सब्जेतट र्ो सम्पन्न कर्र्ा है। सिक -गण
ु सम्पन्न बने हैं
र्ा गण
ु -सम्पन्न ही बने हैं? र्ल्र्ाणर्ारी बने हैं अथिा विश्ि-र्ल्र्ाणिारी बने हैं? अब अगर
चेर् र्रें गे तो चेर् र्रने र्े बाद सम्पन्न र्रने र्ा र्ुछ सर्र् है। लेकर्न र्ुछ सर्र् र्े बाद
सम्पन्न र्रने र्ा सर्र् भी सर्ाप्त हो जार्ेगा। कर्र तर्ा र्रें गे? सम्पन्न बनी हुई आत्र्ाओं
र्ो दे खने िाले बन जार्ेंगे। सीट लेने िाले नहीं बन सर्ेंगे। तो साक्षात्र्ार र्त
ू क बनना है र्ा
साक्षात्र्ार र्रने िाला बनना है ?
ऐसे साक्षात्र्ार र्ूतक बनने र्े ललर्े सार रूप र्ें तीन बातें अपने र्ें दे खो –

25
1. सिक-अचधर्ारी बने हैं? 2. परोपर्ारी बने हैं? 3. सिक प्रनत सत्र्ारी बने हैं? अथाकत ् सिक र्ो
सत्र्ार दे ने और लेने र्ोग्र् बने हैं? र्ाद रखो कर् सत्र्ार दे ना ही लेना है।
इन तीन बातों र्े आधार से ही विश्ि र्े आगे विश्ि-र्ल्र्ाणर्ारी प्रलसद्ध होंगे। सिक-अचधर्ारी
र्ा अथक है-सिक-र्र्ेक्न्रर्ों पर अचधर्ार।

( 10-02-75 )

जैसे आज हद र्ा लसनेर्ा ि ड्रार्ा र्ललर्ुगी र्नुष्ठर्ों र्े आर्षकण र्ा र्ुख्र् र्ेन्र है-छोड़ना
चाहते हुए और न दे खना चाहते हुए भी हद र्े एतटसक र्ी एतट अपनी ओर खींच लेती है , लेकर्न
उसर्ा आधार लाईट है , ऐसे ही इस अक्न्तर् सर्र् र्ें र्ार्ा र्े आर्षकण र्ी अनत र्े बाद
अन्त होने पर, बेहद र्े हीरो एतटसक, जो सदा जीरो स्िरूप र्ें क्स्थत होते हुए जीरो बाप र्े
साथ हर पाटक बजाने िाले हैं और ददर्वर् ज्र्ोनत स्िरूप िाले क्जनर्ी क्स्थनत भी लाइट र्ी है
और स्टे ज पर हर पाटक भी लाइट र्ें हैं - अथाकत ् जो डबल लाइट िाले र्ररश्ते हैं - िे हर आत्र्ा
र्ो स्ित:ही अपनी तरर् आर्वषकत र्रें गे। आजर्ल र्ी दनु नर्ा र्ें ड्रार्ा र्े अनतररतत और
र्ौनसी िस्तु है जो ऐसे र्ररश्तों र्े नर्नों जैसी आर्षकण र्रने िाली हैं? टी.िी.। जैसे टी.िी.
द्िारा इस संसार र्ी र्ैसीर्ैसी सीन-सीनररर्ाँ दे खते हुए र्ई आर्वषकत होते, अथाकत ् चगरती
र्ला र्ें जाते हैं - ऐसे ही र्ररश्तों र्े नर्न ददर्वर् दरू -दशकन र्ा र्ार् र्रें गे। हर एर् र्े नर्नों
द्िारा लसर्क इस संसार र्े ही नहीं लेकर्न तीनों लोर्ों र्े दशकन र्रें गे। ऐसे र्ररश्तों र्े र्स्तर्
र्ें चर्र्ती हुई र्णण आत्र्ाओं र्ो सचक-लाइट ि लाइट हाऊस र्े सर्ान स्िर्ं र्ा स्िरूप, स्ि-
र्ागक और श्रेष्ठठ र्ंक्ज़ल र्ा स्पष्ठट साक्षात्र्ार र्रार्ेंगी।

( 05-09-75 )

सदै ि र्ह स्र्नृ त र्ें रखो कर् ‘र्ैं हाईएस्ट और होलीएस्ट हूँ।’ जब र्ह प्रत्र्क्ष रूप र्ें अथाकत ्
संर्ल्प और स्िरूप र्ें स्र्नृ त रहे गी तब ही प्रत्र्क्षता िषक र्ना सर्ेंगे। ऊँचे से ऊँचे बाप र्ो
प्रत्र्क्ष र्रने र्े ललए जब तर् स्िर्ं स्िरूप र्ें होलीएस्ट और हाईएस्ट नहीं बने हैं तो बाप र्ो
प्रत्र्क्ष र्ैसे र्रें गे? स्िर्ं र्ें बाप-सर्ान गण
ु और र्तकर्वर् र्ो प्रख्र्ात र्रना ही बाप र्ो प्रत्र्क्ष
र्रना है। ऊँचे र्ार् से ऊँचे बाप र्ा नार् होगा। अपनी रूहानी र्रू त से रूहानी बाप र्ी
प्रत्र्क्षता र्रनी है जो हर आत्र्ा हर ब्राह्र्ण र्ें ब्रह्र्ा बाप र्ो दे खे। रचना अपने रचनर्ता
र्ो ददखार्े। हर एर् र्े र्ख
ु से एर् ही बोल ननर्ले कर् ‘स्िर्ं भगिान ने इन्हें इतना तर्दीरिान
बनार्ा है।’ हर-एर् र्ी तर्दीर बाप-दादा र्ी तस्िीर र्ो प्रलसद्ध र्रे । हर एर् अपने र्ो ऐसा
ददर्वर्-स्िच्छ दपकण बनाओ कर् हर दपकण द्िारा अनेर्ों र्ो बाप-दादा र्ा साक्षात्र्ार हो। साक्षात ्
बाप सर्ान र्ी क्स्थनत ही बाप र्ा साक्षात्र्ार र्रा सर्ती है।

26
आजर्ल र्ैजॉररटी आत्र्ाओं र्ी इच्छा तर्ा है ? सख
ु -शाक्न्त र्ी प्राक्प्त र्ी इच्छा तो है , लेकर्न
विशेष जो भतत आत्र्ाएँ हैं उन्हों र्ी इच्छा तर्ा है ? र्ैजॉररटी भततों र्ी इच्छा लसर्क एर्
सेर्ेण्ड र्े ललर्े भी लाइट दे खने र्ी है। तो िह इच्छा र्ैसे पण
ू क होगी? िह इच्छा पण
ू क र्रने
र्े साधन ब्राह्र्णों र्े नर्न हैं। इन नर्नों द्िारा बाप र्े ज्र्ोनतस्िरूप र्ा साक्षात्र्ार हो। र्ह
नर्न, नर्न नहीं ददखाई दें गे अवपतु लाइट र्ा गोला ददखाई दें गे। जैसे आर्ाश र्ें चर्र्ते हुए
लसतारे ददखाई दे ते हैं, िैसे र्ह आंखों र्े तारे लसतारे -सर्ान चर्र्ते हुए ददखाई दें । लेकर्न िह
तब ददखाई दें गे जब स्िर्ं लाइट-स्िरूप र्ें क्स्थत रहें गे। र्र्क र्ें भी लाइट अथाकत ् हल्र्ापन
और स्िरूप भी लाइट-स्टे ज भी लाइट हो। जब ऐसा पुरूषाथक ि क्स्थनत ि स्र्नृ त-स्िरूप विशेष
आत्र्ाओं र्ा रहे गा, तो विशेष आत्र्ाओं र्ो दे ख सिक पुरूषाचथकर्ों र्ा भी र्ही पुरूषाथक रहे गा।
बार-बार र्र्क र्रते हुए चेर् र्रो कर् र्र्क र्ें लाइट और हल्र्ापन है ? र्र्क र्ा बोझ तो नहीं
है? र्र्क र्ा बोझ अपने तरर् खींचेगा। अगर र्र्क र्ें बोझ नहीं तो अपने तरर् णखंचाि नहीं
र्रें गे बक्ल्र् र्र्कर्ोग र्ें पररितकन हो जार्ेंगे।

( 23-01-76 )

अभी तो चलते-कर्रते ऐसे अनुभि होना चादहर्े जैसे सार्ार र्ो दे खा -- चलते-कर्रते र्ा तो
र्ररश्ते रूप र्ा र्ा भविष्ठर् रूप र्ा अनुभि होता था, तभी तो औरों र्ो भी होता था। र्ैं टीचर
हूँ, र्ैं सेिाधारी हूँ - र्ह तो जैसा सर्र्, िैसा स्िरूप हो जाता है। अब स्िर्ं र्ो र्ररश्ते रूप
र्ें अनभ ु ि र्रो तो साक्षात्र्ार होगा। साक्षात्र्ार र्ा रूप र्ौन-सा है? र्ररश्ता रूप बनना।
चलते कर्रते ‘र्ररश्ता स्िरूप’। अगर साक्षात ् र्ररश्ते नहीं बनेंगे तो साक्षात्र्ार र्ैसे र्रा
सर्ेंगे? तो टीचसक र्े ललर्े अब विशेष पुरूषाथक र्ौन-सा है? र्ही कर् र्ररश्ता इस सार्ार सक्ृ ष्ठट
पर आर्ा हूँ सेिा अथक। र्ररश्ते प्रर्ट होते हैं, कर्र सर्ा जाते हैं। र्ररश्ते सदा इस सार्ारी
सक्ृ ष्ठट पर ठहरते नहीं, र्र्क कर्र्ा और गार्ब! तो जब ऐसे र्ररश्ते होंगे तो इस दे ह और दे ह
र्े सम्बन्ध ि पुरानी दनु नर्ा र्ें पाँि नहीं दटर्ेगा। जब र्हते हो कर् हर् बाप र्े स्नेही हैं; तो
बाप सूक्ष्र्ितन-िासी और आप सारा ददन स्थूलितन-िासी, तो स्नेही र्ैसे? तो सूक्ष्र्ितन-
िासी र्ररश्ते बनो। सिक आर्षकणों र्ा लगािों र्े ररश्ते और रास्ते बन्द र्रो तो र्हें गे कर् बाप
स्नेही हो। र्हाँ होते हुए भी जैसे कर् नहीं है - र्ह है लास्ट स्टे ज। विशेष सेिाथक ननलर्त्त हो, तो
परू
ु षाथक र्ें भी विशेष होना चादहर्े। जब दस ू रों र्ो चलते-कर्रते र्ह अनभ ु ि होगा कर् आप लोग
र्ररश्ते हैं, तो दस
ू रे भी प्रेरणा ले सर्ेंगे। अगर सार्ार सक्ृ ष्ठट र्ी स्र्नृ त से परे हो जाओ तो
जो छोटी-छोटी बातों र्ें टाइर् िेस्ट र्रते हो, िह नहीं होगा। तो अब हाई जम्प लगाओ -
सार्ार सक्ृ ष्ठट से एर्दर् र्ररश्तों र्ी दनु नर्ा र्ें ि र्ररश्ता स्िरूप इसर्ो र्हते हैं हाई जम्प।

( 02-02-76 )

27
र्ास्टर सिकशक्ततिान अथाकत ् सर्थक स्िरूप। सर्थक अथाकत ् शक्तत। कर्र िह गार्ब तर्ों हो जाती
है? र्ारण? एर् शब्द र्ी गलती र्रते हो। र्ौन-सी गलती? बाप र्हते हैं ‘सार्ारी सो
अलंर्री’ बनो। लेकर्न बन तर्ा जाते हो? अंलर्ारी र्े बजाए दे ह-अहंर्ारी बन जाते हैं। बद्
ु चध
र्े अहंर्ारी, नार् और शान र्े अहंर्ारी बन जाते हो। सदा सार्ने अलंर्ारी स्िरूप र्ा लसम्बल
(Symbol;चचन्ह) होते हुए भी अपने अलंर्ारों र्ो धारण नहीं र्र पाते। जैसे हद र्े राजर्ुर्ार
और राजर्ुर्ाररर्ाँ भी सदा सजे सजाएँ रॉर्ललटी (ROYALTY) र्ें होते हैं। िैसे ही ब्राह्र्ण
र्ुल र्ी श्रेष्ठठ आत्र्ाएं सदा अलंर्ारों से सजे-सजाएं होने चादहए। र्ह अलंर्ार ब्राह्र्ण जीिन
र्ा श्रंग
ृ ार हैं, न कर् दे िता जीिन र्ा। तो अपने अलंर्ार र्े श्रंग
ृ ार र्ो सदा र्ार्र् रखो। लेकर्न
र्रते तर्ा हो, एर् अलंर्ार र्ो पर्ड़ते तो दस
ू रे अलंर्ार र्ो छोड़ दे ते हैं। र्ोई तीन पर्ड़
सर्ते हैं तो र्ोई चार पर्ड़ सर्ते हैं। बाप-दादा भी बच्चों र्ा खेल दे खते रहते हैं। भुजा अथाकत ्
शक्तत, क्जस शक्तत र्े आधार से ही अलंर्ारी बन सर्ते हैं, िह शक्ततर्ों रूपी भुजार्ें दहलती
रहती हैं। जब भुजाएं दहलती रहती हैं तो सदा अलंर्ारी र्ैसे बन सर्ते हैं? इसललए कर्तनी
भी र्ोलशश र्रते हैं अलंर्ारी बनने र्ी, लेकर्न बन नहीं सर्ते। तो एर् शब्द र्ौन-सा र्ाद
रखना है? कर्सी भी प्रर्ार र्े ‘अहंर्ारी’ नहीं लेकर्न अलंर्ारी बनना है। सदा अलंर्ारी स्िरूप
र्ें क्स्थत न होने र्े र्ारण स्िर्ं र्ा, बाप र्ा साक्षात्र्ार नहीं र्रा सर्ते। इसललए अपने
शक्तत रूपी भुजाओं र्ो र्जबत
ू बनाओ, नहीं तो अलंर्ारों र्ी धारणा नहीं र्र सर्ेंगे।
( 02-02-77 )

बाप-दादा श्रेष्ठठ आत्र्ाओं र्ो सदा श्रेष्ठठ नज़र से देखते हैं। श्रेष्ठठ तर्दीर र्ी रे खाएं दे खते हैं।
र्ही आत्र्ाएं विश्ि र्े सार्ने चर्र्ते हुए लसतारे हैं। विश्ि आपर्े र्ल्प पहले िाले सम्पन्न-
स्िरूप, पूज्र्-स्िरूप र्ा सुलर्रण र्र रहा है, इसललए अपना सम्पन्न स्िरूप प्रैतटीर्ल र्ें
प्रख्र्ात र्रो। बीती हुई र्र्ज़ोररर्ों पर र्ुल स्टाप लगाओ तब सम्पन्न रूप र्ा साक्षात्र्ार
होगा। सब पुराने संस्र्ार और स्िभाि दृढ़ संर्ल्प रूपी आहुनत से सर्ाप्त र्रो। दस ू रों र्ी
र्र्ज़ोरी र्ी नर्ल र्त र्रो। अिगुण धारण र्रने िाली बुद्चध र्ा नाश र्रो, ददर्वर् गुण
धारण र्रने िाली सतोप्रधान बुद्चध धारण र्रो। अचधर्ारी और सत्र्ारी दोनों र्ा बैलेन्स बराबर
रखना है। दस
ू रों र्ी र्र्ज़ोरी र्ो विस्तार र्ें नहीं लाओ और अपनी र्र्ज़ोरी र्ो नछपाओ नहीं।
सर्लता र्ें स्िर्ं और असर्लता र्ें दस
ू रों र्ो दोषी र्त बनाओ। शान और र्ान र्ा
त्र्ाग, साधनों र्ा त्र्ाग र्ही र्हान त्र्ाग है। सार्ार बाप र्े सर्ान अल्पर्ाल र्ी र्दहर्ा र्े
त्र्ागी बनो तब ही श्रेष्ठठ भाग्र्िान बन सर्ेंगे। लशि बाबा इन सब बातों से ललबरे शन चाहते
हैं।

( 06-02-77 )

28
सदै ि भतत आत्र्ाओं, लभखारी आत्र्ाओं और प्र्ासी आत्र्ाओं र्े सार्ने अपने र्ो साक्षात ्
बाप और साक्षात्र्ार र्त्त
ू क सर्झर्र चलो। तीनों ही लाइन लम्बी हैं। इस तर्ू (पंक्तत) र्ो
सर्ाप्त र्रने र्ें लग जाओ। प्र्ासी आत्र्ाओं र्ी प्र्ास बझ
ु ाओ, लभखाररर्ों र्ो दान दो। भततों
र्ो भक्तत र्ा र्ल बाप र्े लर्लन र्ा र्ागक बताओ। इस तर्ू र्ो सम्पन्न र्रने र्ें बबज़ी रहें गे
तो स्िर्ं र्े प्रनत तर्ों र्ी तर्ू सर्ाप्त हो जािेगी। सर्र् र्ी इन्तज़ार र्ें नहीं रहो लेकर्न
तीनों प्रर्ार र्ी आत्र्ाओं र्ो सम्पन्न बनाने र्े इन्तज़ार् र्ें रहो। अब तो नहीं पछ
ू ें गे कर्
विनाश र्ब होगा। तर्ू र्ो सर्ाप्त र्रो तो पररितकन र्ा सर्र् भी सर्ाप्त हो जाएगा। संगर्
र्ा सर्र् सतर्ुग से श्रेष्ठठ नहीं लगता है? थर् गर्े हो तर्ा? जब पूछते हो विनाश र्ब होगा
तो थर्े हुए हो तब तो पूछते हो। बाप र्ा बच्चों से अनत स्नेह है। बाप र्ो र्ह र्ेला अच्छा
लगता है। और बच्चों र्ो स्िगक अच्छा लगता है। स्िगक तो 21 जन्र् लर्लेगा ही लेकर्न र्ह
संगर् नहीं लर्लेगा। तो थर् र्त जाओ। सेिा र्ें लग जाओ तो प्रत्र्क्ष र्ल अनुभि र्रें गे।
भविष्ठर् र्ल तो आपर्ा ननक्श्चत है ही लेकर्न प्रत्र्क्ष र्ल र्ा अनुभि सुख सारे र्ल्प र्ें नहीं
लर्लेगा। इसललए भततों र्ी पर्
ु ार सुनो। रहर्ददल बनो, र्हादानी बन र्हान पुण्र्आत्र्ा र्ा
पाटक बजाओ।

( 13-01-78 )

जैसे अभी र्ा लर्लन सम्पन्न स्टे ज र्ा अनुभि र्राता है ऐसे ननरन्तर लर्लन र्नाओ। सुनने
र्ा ररटनक सदा बाप सर्ान सम्पन्न स्िरूप र्ें ददखाओ। अनेर् तड़पती हुई आत्र्ाओं र्े इन्तज़ार
र्ो सर्ाप्त र्रो - सम्पन्न दशकनीर् र्ूतक बन अनेर्ों र्ो दशकन र्राओ। अब द:ु ख अशाक्न्त र्ी
अनुभूनत अनत र्ें जा रही है - उन्हें अपनी अक्न्तर् स्टे ज द्िारा सर्ाप्त र्रने र्ा र्ार्क अनत
तीव्रता से र्रो। र्ास्टर रचता र्ी स्टे ज पर क्स्थत हो अपनी रचना र्े बेहद द:ु ख और अशाक्न्त
र्ी सर्स्र्ा र्ो सर्ाप्त र्रो - द:ु ख हताक सुख र्ताक र्ा पाटक बजाओ। सुख शाक्न्त र्े खज़ाने
से अपनी रचना र्ो र्हादान और िरदान दो, रचना र्ी पुर्ार सन
ु ने र्ें आती है! िा अपनी ही
जीिन र्ी र्हानी दे खने और सुनाने र्ें बबज़ी हो ! अपने जीिन र्े र्र्ों र्ी र्हानी जानने
िाले बत्रर्ालदशी बने हो ना। तो अभी हर र्र्क अन्र् आत्र्ाओं र्े र्ल्र्ाण प्रनत र्ार्क र्ें
लगाओ। अपनी र्हानी ज्र्ादा िणकन न र्रो - र्ेरा भी र्ुछ र्रो िा र्ेरा भी र्ुछ सन
ु ो, र्ेरे
र्ैसले र्रने र्ें सर्र् दो - अब अनेर्ों र्े र्ैसले र्रने िाले बनो - हरेर् र्े र्र्क गनत र्ो
जान गनत सद्गनत दे ने र्े र्ैसले र्रो - र्ैलसललटीज़ (Facilities) न लो - अब तो दाता बनर्र
दो।

( 27-11-78 )

29
ऐसा अभ्र्ास आप सबर्ा हो - र्र्ेक्न्रर्ों द्िारा र्र्क होता रहे लेकर्न र्न्सा शक्तत द्िारा
िार्र्
ु ण्डल शक्ततशाली, स्नेह सम्पन्न, सिक र्े सहर्ोग र्े िार्ब्रेशन र्ा र्ैला हुआ हो - क्जस
भी स्थान पर जाएं तो र्ह र्ररश्ता रूप ददखाई दे । र्र्क र्र रहे हैं लेकर्न एर् ही सर्र् पर
र्र्क ओर र्न्सा दोनों सेिा र्ा बैलेन्स हो। जैसे शरू
ु -शरू
ु र्ें र्ह अभ्र्ास र्रार्ा था र्र्क भल
बहुत साधारण हो लेकर्न क्स्थनत ऐसी र्हान हो जो साधारण र्ार् होते हुए भी साक्षात्र्ार र्त्त ू क
ददखाई दें - र्ोई भी स्थल
ू र्ार्क धोबीघाट र्ा सर्ाई आदद र्ा र्र रहे हैं, भण्ड़ारे र्ा र्ार्क र्र
रहे हैं लेकर्न क्स्थनत ऐसी र्हान हो - ऐसा भी सर्र् प्रैक्तटर्ल र्ें आिेगा जो दे खने िाले र्ही
िणकन र्रें गे कर् इतनी र्हान आत्र्ार्ें र्ररश्ता रूप और र्ार्क तर्ा र्र रही हैं। र्ार्क साधारण
और क्स्थनत अनत श्रेष्ठठ। जैसे सतर्ुगी शहज़ाददर्ों र्ी आत्र्ार्ें जब आती थीं तो िह भविष्ठर्
र्े रूप प्रैक्तटर्ल र्ें दे खते हुए आश्चर्क खाती थीं ना कर् इतने बड़े र्हाराजे और र्ार्क तर्ा र्र
रहे हैं। विश्ि र्हाराजा और भोजन बना रहे हैं। िैसे ही आने िाली आत्र्ार्ें र्ह िणकन र्रें गी
कर् हर्ारे इतने श्रेष्ठठ पूज्र् ईष्ठट दे ि और र्ह र्ार्क र्र रहे हैं! चलते-कर्रते ईष्ठटदेि र्ा दे िी
र्ा साक्षात्र्ार स्पष्ठट ददखाई दे । अन्त र्ें पूज्र् स्िरूप प्रत्र्क्ष दे खने लगें गे र्ररश्ता रूप प्रत्र्क्ष
ददखाई दे ने लगेगा। जैसे र्ल्प पहले र्ा भी गार्न है अजुकन र्ा - साधारण सखा रूप भी दे खा
लेकर्न िास्तविर् रूप र्ा साक्षात्र्ार र्रने र्े बाद िणकन कर्र्ा कर् आप तर्ा हो! इतना श्रेष्ठठ
और िह साधारण सखा रूप! इसी रीनत आपर्े भी साक्षात्र्ार होंगे चलतेकर्रते। ददर्वर् दृक्ष्ठट र्ें
जार्र दे खें िह बात और है। जैसे शुरू र्ें चलते-कर्रते दे खते रहते थे। र्ह ध्र्ान र्ें जार्र
दे खने र्ी बात नहीं। जैसे एर् सार्ार बाप र्ा आदद र्ें अनुभि कर्र्ा िैसे अन्त र्ें अभी
सबर्ा साक्षात्र्ार होगा। र्ह साधारण रूप गार्ब हो जािेगा, र्ररश्ता रूप र्ा पूज्र् रूप दे खेंगे।
जैसे शुरू र्ें आर्ारी ब्रह्र्ा और श्रीर्ृष्ठण र्ा साथ-साथ साक्षात्र्ार होता था। िैसे अभी भी र्ह
साधारण रूप दे खते हुए भी ददखाई न दे । आपर्े पज् ू र् देिी र्ा देिता रूप र्ा र्ररश्ता रूप
दे खें। लेकर्न र्ह तब होगा जब आप सबर्ा परू
ु षाथक दे खते हुए न दे खने र्ा हो - तब ही अनेर्
आत्र्ाओं र्ो भी आप र्हान आत्र्ाओं र्ा र्ह साधारण रूप दे खते हुए भी नहीं ददखाई दे गा।
आंख खुले-खुले एर् सेर्ेन्ड र्ें साक्षात्र्ार होगा। ऐसी स्टे ज बनाने र्े ललए विशेष अभ्र्ास
बतार्ा कर् दे खते हुए भी न दे खो, सुनते हुए भी न सुनो। एर् ही बात सन ु ो और एर् बबन्द ु
र्ो ही दे खो। विस्तार र्ो न दे ख एर् सार र्ो दे खो। विस्तार र्ो न सुनते हुए सदा सार र्ो
ही सन
ु ो।

( 10-12-78 )

स्िर्ं द्िारा बाप र्ा साक्षात्र्ार र्राने र्े ललए र्स्तर् पर भाग्र् र्ा लसतारा सदा चर्र्ता
रहे । सदा अपने र्स्तर् पर भाग्र् र्ा लसतारा चर्र्ता हुआ ददखाई दे ता है ? र्ा लसतारे र्ी
चर्र् र्े आगे र्भी-र्भी र्ार्ा र्े बादल भी आ जाते हैं? अगर बादल होते हैं तो लसतारे नछप
जाते हैं और बादल नहीं होते तो बहुत सुन्दर चर्र्ते रहते हैं। ऐसे आपर्े भाग्र् र्ा लसतारा

30
सदा चर्र्ता है र्ा बादल आ जाते हैं? ब्राह्र्ण बने और लसतारा चर्र्ा, लेकर्न लसतारे र्े
आगे बादल न आएं। लसतारे र्ी चर्र् नछपने न दें , र्ह है अटे न्शन। जैसे र्ोटो ननर्ालते
हैं, अगर बादल आगे आ जाएं तो र्ोटो ठीर् ननर्लेगा? र्ीचसक ही नहीं ददखाई दें गे, ऐसे ही
अगर चर्र्ते हुए लसतारे र्े आगे बादल आ जाएं तो साक्षात्र्ार र्ैसे र्राएंगे। आप तो बाप
र्ो प्रत्र्क्ष र्राने िाले अथाकत ् स्िर्ं द्िारा बाप र्ा साक्षात्र्ार र्राने िाले हो। बादलों र्े बीच
से र्ैसे साक्षात्र्ार होगा? तो साक्षात्र्ार र्ब र्रार्ेंगे? तर्ा जब विनाश होगा तब, अभी ही
ऐसा बनना पड़ेंगा अगर बहुत सर्र् र्ा बादलों र्ो दरू र्रने र्ा अभ्र्ास नहीं होगा तो बादल
भी उसी सर्र् लास्ट घड़ी आर्ेंगे। साक्षात्र्ार र्े ललए खड़े हों और बादल आ जाएं तो सारा
प्रोग्रार् ही अपसेट हो जार्ेगा। अब ऐसे अभ्र्ासी बनो जो दरू से ही बादल भाग जाएं। जैसे
साइन्स र्े साधन तूर्ान र्ो, पहाडों र्े रास्ते र्ो चेन्ज र्र सर्ते हैं ना। िह साइन्स तो
अपूणक है। साइन्स र्भी सम्पूणक हो नहीं सर्ती तर्ोंकर् र्नुष्ठर्-र्त है। र्भी नीचे र्भी ऊपर
होती रहती है। तो अनलॉर्ुल हो गई ना। बाप र्ी श्री र्त पर चलने िाले तो जो चाहें िह र्र
सर्ते हैं। तो विघ्नों र्ो दरू र्रने र्ा बहुत सर्र् र्ा अभ्र्ास चादहए।

( 26-11-79 )

जहान र्े लसतारे िा जहान र्े नरू , आप सबर्े ऊपर सबर्ी नज़र है। सबर्ो इन्तज़ार है। कर्स
बात र्ा? भक्तत र्ागक र्ें एर् शंर्र र्े ललए र्ह ददर्ा है कर् आँख खोली और पररितकन हो
गर्ा लेकर्न र्ह गार्न आप लशििंशी नरू जहान र्ा है। र्ह जहान र्ी आँखें जब अपनी
सम्पूणक स्टे ज तर् पहुँचेंगी अथाकत ् सम्पूणकता र्ी आँख खोलेंगी तो सेर्ेण्ड र्ें पररितकन हो
जार्ेगा। तो जहान र्े नरू , बताओ, सम्पण ू त
क ा र्ी ऑख र्ब खोलेंगे? ऑख खोली तो अब भी
है लेकर्न अभी बीच-बीच र्ें र्ार्ा र्ी धूल पड़ जाती है तो ऑखें दहलती रहती हैं। जैसे स्थूल
ऑखों र्ें भी धूल पड़ जाती है तो ऑख र्ा तर्ा हाल होता है। एर्ाग्र रीनत से दृक्ष्ठट नहीं दे
सर्ेंगे। सारा विश्ि आप जहान र्े ऑखों र्ी एर् सेर्ेण्ड र्ी दृक्ष्ठट लेने र्े ललए इन्तज़ार र्ें
है कर् र्ब हर्ारे इष्ठट दे िों िा दे विर्ों र्ी हर्ारे ऊपर दृक्ष्ठट पड़ेगी। जो हर् नज़र से ननहाल हो
जार्ेंगे। ऐसे नज़र से ननहाल र्रने िाले अगर स्िर्ं अपनी ऑख र्लते रहें गे तो नज़र से
ननहाल र्ैसे र्रें गे। नज़र से ननहाल होने िालों र्ी लम्बी तर्ू हैं। इसललए सदा सम्पण
ू कता र्ी
ऑख खल
ु ी रहे । बाप दादा जहान र्े नरू ों र्ा िन्डरर्ुल दृश्र् दे खते हैं। जहान र्े नरू भी अपने
नर्नों र्ो एर्ाग्र नहीं रख सर्ते। र्ोई ननहाल र्रते-र्रते हल्र्े से झट
ु र्े भी खा लेते हैं। अब
झट
ु र्े िाले नज़र से ननहाल र्ैसे र्रें गे। संर्ल्पों र्ा घट
ु र्ा ही झट
ु र्ा है। आपर्े भतत आपर्ो
दे ख रहे हैं। और दशकनीर् र्त
ू क झट
ु र्े खा रहे हैं। तो भततों र्ा तर्ा हाल होगा। इसललए ऑखों
र्ा र्लना और झट
ु र्ा खाना बन्द र्रना पड़े, तब दशकनीर् र्त
ू क बन सर्ते हो।

( 24-12-79 )

31
जैसे सार्ार र्ें दे खा बीच-बीच र्ें र्ारोबार र्ें रहते भी गर्
ु अिस्था र्ी अनभ
ु नू त होती थी ना।
सन
ु ते-सन
ु ाते डार्रे तशन दे ते अन्डरग्राउण्ड हो जाते थे। तो अभी इस अभ्र्ास र्ी लहर चादहए।
चलते-चलते दे खें कर् र्ह जैसे कर् गार्ब है। इस दनु नर्ा र्ें है नहीं। र्ह र्ररश्ता इस दे ह र्ी
दनु नर्ा और दे ह र्े भान से परे हो गर्े। इसर्ो ही सब साक्षात्र्ार र्हें गे। जो भी सार्ने आर्ेगा
िह इसी स्टे ज र्ें साक्षात्र्ार र्ा अनभ
ु ि र्रे गा। जैसे शरू
ु र्ें साक्षात्र्ार र्ी लहर थी ना। उसी
से ही आिाज र्ैला ना। चाहे जाद ू अथिा र्ुछ भी सर्झते थे परन्तु आिाज तो इससे हुआ
ना। ऐसी स्टे ज र्ें जब अनुभि सर्ान साक्षात्र्ार होंगे तो कर्र प्रत्र्क्षता होगी। नार् बाला
होगा। साक्षात्र्ार होगा। प्रत्र्क्षर्ल अनुभि होगा। इसी प्रत्र्क्ष र्ल र्ी सीजन र्ें प्रत्र्क्षता
होगी। इसी र्ो ही िरदानी रूप र्हा जाता। जो आर्े िह अनुभि र्र जाए। बात र्रते-र्रते
खुद भी गुर् दस
ू रे र्ो भी गुर् र्र दें गे। र्ह भी होना है। िाणी द्िारा र्ार्क चलार्र दे ख रहे
हैं। लेकर्न र्ह अनुभि र्रने और र्राने र्ी स्टे ज सर्स्र्ाओं र्ा हल सेर्ेण्ड र्ें र्रे गी। टाइर्
र्र् और सर्लता ज्र्ादा होगी।

( 20-01-81 )
र्हािीर बच्चों र्ा िाहन है श्रेष्ठठ क्स्थनत और अलंर्ार हैं सिकशक्ततर्ाँ :- सभी अपने र्ो र्हािीर
सर्झते हो ना? र्हािीर अथाकत ् सदा शस्त्रधारी। शक्ततर्ों र्ो िा पाण्डिों र्ो सदा िाहन र्ें
ददखाते हैं और शस्त्र भी ददखाते हैं। शस्त्र अथाकत ् अलंर्ार। तो िाहनधारी भी और अलंर्ारधारी
भी। िाहन है श्रेष्ठठ क्स्थनत और अलंर्ार हैं सिकशक्ततर्ाँ। ऐसे िाहनधारी और अलंर्ारधारी ही
साक्षात्र्ारर्ूत्तक बन सर्ते हैं। तो साक्षात बन सब र्ो बाप र्ा साक्षात्र्ार र्राना र्ह है र्हािीर
बच्चों र्ा र्तकर्वर्।

( 13-11-81 )

जैसे भततों र्ो िा आत्र्ज्ञाननर्ों र्ा ि र्ोई-र्ोई परर्ात्र्-ज्ञाननर्ों र्ो ददर्वर् दृक्ष्ठट द्िारा
ज्र्ोनत बबन्द ु आत्र्ा र्ा साक्षात्र्ार होता है, तो साक्षात्र्ार अल्पर्ाल र्ी चीज है , साक्षात्र्ार
र्ोई अपने अभ्र्ास र्ा र्ल नहीं है। र्ह तो ड्रार्ा र्ें पाटक िा िरदान है। लेकर्न एिररे डी
अथाकत ् साथ चलने र्े ललए सर्ान बनी हुई आत्र्ा साक्षात्र्ार द्िारा आत्र्ा र्ो नहीं दे खेंगी
लेकर्न बद्
ु चधर्ोग द्िारा सदा स्िर्ं र्ो साक्षात ् ‘ज्र्ोनत बबन्द ु आत्र्ा' अनभ
ु ि र्रे गी। साक्षात ्
स्िरूप बनना सदार्ाल है और साक्षात्र्ार अल्पर्ाल र्ा है। साक्षात स्िरूप आत्र्ा र्भी भी
र्ह नहीं र्ह सर्ती कर् र्ैंने आत्र्ा र्ा साक्षात्र्ार नहीं कर्र्ा है। र्ैंने दे खा नहीं है । लेकर्न
िह अनभ
ु ि द्िारा साक्षात ् रूप र्ी क्स्थनत र्ें क्स्थत रहें गी। जहाँ साक्षात स्िरूप होगा िहाँ
साक्षात्र्ार र्ी आिश्र्र्ता नहीं। ऐसे साक्षात आत्र्ा स्िरूप र्ी अनुभूनत र्रने िाले अथाटी
से, ननश्चर् से र्हें गे कर् र्ैंने आत्र्ा र्ो दे खा तो तर्ा लेकर्न अनुभि कर्र्ा है। तर्ोंकर् दे खने

32
र्े बाद भी अनभ
ु ि नहीं कर्र्ा तो कर्र दे खना र्ोई र्ार् र्ा नहीं। तो ऐसे साक्षात ् आत्र्-
अनभ
ु िी चलते-कर्रते अपने ज्र्ोनत स्िरूप र्ा अनभ
ु ि र्रते रहें गे।

( 27-03-82 )

र्ाद और सेिा इसी बैलन्स द्िारा बाप र्ी ब्लैलसंग लर्लती रहे गी। बैलेन्स सबसे बड़ी र्ला है।
हर बात र्ें बैलेन्स हो तो नम्बरिन सहज ही बन जार्ेंगे। बैलेन्स ही अनेर् आत्र्ाओं र्े आगे
क्ब्लसर्ुल जीिन र्ा साक्षात्र्ार र्रार्ेगा। बैलेन्स र्ो सदा स्र्नृ त र्ें रखते, सिक प्राक्प्तर्ों र्ा
अनुभि र्रते स्िर्ं भी आगे बढ़ो और औरों र्ो भी बढ़ाओ।

( 21-02-83 )

आज सिक शक्ततर्ों र्ा सागर बाप, शक्तत सेना र्ो देख रहे हैं। हर एर् र्े र्स्तर् बीच बत्रशूल
अथाकत ् बत्रर्ूनतक स्र्नृ त र्ी स्पष्ठट ननशानी ददखाई दे ती है। शक्तत र्ी ननशानी बत्रशूल ददखाते हैं।
तो हरे र् बत्रशूलधारी शक्तत सेना हो ना। बापदादा और आप। र्ह बत्रर्ूनतक सदा स्पष्ठट रूप र्ें
रहती है िा र्भी र्जक र्भी इर्जक होती है? बापदादा र्े साथ-साथ र्ैं श्रेष्ठठ शक्ततशाली आत्र्ा
हूँ, र्ह भी र्ाद रहता है ? इसी बत्रर्ूनतक स्र्नृ त से शक्तत र्ें लशि ददखाई दे गा। र्ई र्क्न्दरों र्ें
बापदादा र्े र्म्बाइण्ड र्ादगार लशि र्ी प्रनतर्ा र्े साथ उसी प्रनतर्ा र्ें र्नुष्ठर् आर्ार भी
ददखाते हैं। र्ह बापदादा र्ा र्म्बाइण्ड र्ादगार है। साथ-साथ शक्तत भी ददखाते हैं। तो इस
बत्रर्ूनतक स्र्नृ त स्िरूप क्स्थनत से सहज ही साक्षात्र्ार र्ूतक बन जार्ेंगे। अब सेिाधारी र्ूतक, भाषण
र्ताक र्ूतक, र्ास्टर लशक्षर् बने हो। अभी साक्षात र्त
ू क बनना है। सहज र्ोगी बने हो लेकर्न
श्रेष्ठठ र्ोगी बनना है। तपस्िी बने हो, र्हातपस्िी और बनना है।
आजर्ल सेिा र्हो, तपस्र्ा र्हो, पढ़ाई र्हो, पुरूषाथक र्हो, पवित्रता र्ी सीर्ा र्हो, कर्स
लहर र्ें चल रही है , जानते हो? सहज र्ोगी र्े ‘‘सहज’’ शब्द र्ी लहर चल रही है। लेकर्न
लास्ट सर्र् र्े प्रर्ाण ितकर्ान र्नुष्ठर् आत्र्ाओं र्ो, िाणी र्ी नहीं लेकर्न श्रेष्ठठ िार्ब्रेशन, श्रेष्ठठ
िार्ुर्ण्डल, क्जससे साक्षात्र्ार सहज हो जाए, इसी र्ी आिश्र्र्ता है। अनुभि भी साक्षात्र्ार
सर्ान है। सनु ाने िाले तो बहुत हैं क्जन्हों र्ो सन
ु ाते हो िो भी सन
ु ाने र्ें र्र् नहीं। लेकर्न
र्र्ी है साक्षात्र्ार र्राने र्ी। िह नहीं र्रा सर्ते। र्ही विशेषता, र्ही निीनता, र्ही
लसद्चध, आप श्रेष्ठठ आत्र्ाओं र्ें है। इसी विशेषता र्ो स्टे ज पर लाओ। इसी विशेषता र्े आधार
पर सभी िणकन र्रें गे कर् हर्ने दे खा, हर्ने पार्ा! हर्ने लसर्क सन
ु ा नहीं लेकर्न साक्षात ् बाप
र्ी झलर् अनभ
ु ि र्ी। र्लानी बहन िा र्लाना भाई बोल रहे थे, र्ह अनभ
ु ि नहीं। लेकर्न
इन्हीं द्िारा र्ोई अलौकर्र् शक्तत बोल रही थी। जैसे आदद र्ें ब्रह्र्ा र्ो साक्षात्र्ार हुआ विशेष
शक्तत र्ा तो तर्ा िणकन कर्र्ा! र्ह र्ौन था, तर्ा था! ऐसे सुनने िालों र्ो अनुभि हो कर्
र्ह र्ौन थे? लसर्क पाइंटस नहीं सुने लेकर्न र्स्तर् बीच पाइंट आर् लाइट (Point Of Light)

33
ददखाई दे । र्ह निीनता ही सभी र्ी पहचान र्ी आँख खोलेगी। अभी पहचान र्ी आँख नहीं
खल
ु ी है। अभी तो दस
ू रों र्ी लाइन र्ें आपर्ो भी ला रहे हैं। जैसे र्ह-र्ह हैं िैसे र्ह भी है।
जैसे िह भी र्ह र्हते हैं िैसे र्ह भी र्हते हैं। र्ह भी र्रते हैं। लेकर्न र्ह िो ही हैं क्जसर्ा
हर् आह्िान र्रते हैं, क्जसर्ा इन्तजार र्र रहे हैं। अभी इस अनभ
ु नू त र्ी आिश्र्र्ता है।
इसर्ा साधन है लसर्क एर् शब्द र्ो चेन्ज र्रो। सहज र्ोगी र्ी लहर र्ो चेन्ज र्रो। सहज
शब्द पवित्र प्रिवृ त्त र्ें नहीं र्ज
ू र्रो। लेकर्न सिक लसद्चध स्िरूप बनने र्ें र्ज
ू र्रो। श्रेष्ठठ र्ोगी
र्ी लहर, र्हातपस्िी र्त
ू क र्ी लहर, साक्षात्र्ार र्त
ू क बनने र्ी लहर, रूहाननर्त र्ी लहर, अब
इसर्ी आिश्र्र्ता है। अब र्ह रे स र्रो। सन्दे श कर्तनों र्ो ददर्ा, र्ह तो 7 ददन र्े र्ोसक
िालों र्ा र्ार् है। िो भी र्ह सन्दे श दे सर्ते हैं। लेकर्न र्ह रे स र्रो - अनुभि कर्तनों र्ो
र्रार्ा! अनुभि र्राना है, अनुभिी बनाना है। र्ह लहर अभी चारों ओर होनी चादहए।

( 10-11-83 )

‘उड़ती र्ला होना अथाकत ् सिक र्ा भला होना।’ जब सभी बच्चों र्ी एर्रस उड़ती र्ला बन
जार्ेगी तो सिक र्ा भला अथाकत ् पररितकन र्ा र्ार्क सम्पन्न हो जार्ेगा। अभी उड़ती र्ला है
लेकर्न उड़ती र्े साथ-साथ स्टे जेस है। र्भी बहुत अच्छी स्टे ज है और र्भी स्टे ज र्े ललए
पुरूषाथक र्रने र्ी स्टे ज हैं। सदा और र्ैजारटी र्ी उड़ती र्ला होना अथाकत ् सर्ाक्प्त होना।
अभी सभी बच्चे जानते हैं कर् उड़ती र्ला ही श्रेष्ठठ क्स्थनत है। उड़ती र्ला ही र्र्ाकतीत क्स्थनत
र्ो प्राप्त र्रने र्ी क्स्थनत है। उड़ती र्ला ही दे ह र्ें रहते, दे ह से न्र्ारी ओर सदा बाप और
सेिा र्ें प्र्ारे-पन र्ी क्स्थनत है। उड़ती र्ला ही विधाता और िरदाता स्टे ज र्ी क्स्थनत है।
उड़ती र्ला ही चलते कर्रते र्ररश्ता िा दे िता दोनों रूप र्ा साक्षात्र्ार र्राने िाली क्स्थनत है।
उड़ती र्ला सिक आत्र्ाओं र्ो लभखारीपन से छुड़ाए बाप र्े िसे र्े अचधर्ारी बनाने िाली है।
सभी आत्र्ार्ें अनुभि र्रें गी कर् हर् सब आत्र्ाओं र्े इष्ठट दे ि िा इष्ठट दे विर्ाँ िा ननलर्त्त
बने हुए जो भी अनेर् दे ितार्ें हैं, सभी इस धरनी पर अितररत हो गए हैं। सतर्ुग र्ें तो सब
सद्गनत र्ें होंगे लेकर्न इस सर्र् जो भी आत्र्ार्ें है - सिक र्े सद्गनतदाता हो। जैसे र्ोई भी
ड्रार्ा जब सर्ाप्त होता है तो अन्त र्ें सभी एतटसक स्टे ज पर सार्ने आते हैं। तो अभी र्ल्प
र्ा ड्रार्ा सर्ाप्त होने र्ा सर्र् आ रहा है। सारी विश्ि र्ी आत्र्ाओं र्ो चाहे स्िप्न र्ें , चाहे
एर् सेर्ण्ड र्ी झलर् र्ें , चाहे प्रत्र्क्षता र्े चारों ओर र्े आिाज द्िारा र्ह जरूर साक्षात्र्ार
होना है कर् इस ड्रार्ा र्े हीरो पाटकधारी स्टे ज पर प्रत्र्क्ष हो गर्े। धरती र्े लसतारे , धरती पर
प्रत्र्क्ष हो गर्े। सब अपने-अपने इष्ठट देि र्ो प्राप्त र्र बहुत खश
ु होंगे। सहारा लर्लेगा। अभी
इर्जक र्रो िह दृश्र् र्ैसा होगा। इसी अक्न्तर् दृश्र् र्े ललए अभी से बत्रर्ालदशी बन दे खो कर्
र्ैसा सन्
ु दर दृश्र् होगा और कर्तने सन्
ु दर हर् होंगे। सजे सजार्े ददर्वर् गण
ु र्त्त
ू क र्ररश्ते सो
दे िता, इसर्े ललए अभी से अपने र्ो सदा र्ररश्ते स्िरूप र्ी क्स्थनत र्ा अभ्र्ास र्रते हुए
आगे बढ़ते चलो। जो चार विशेष सब्जेतट हैं - ज्ञान र्ूतक, ननरन्तर र्ाद र्ूतक, सिक ददर्वर्गुण

34
र्त
ू क, एर् ददर्वर् गण
ु र्ी भी र्र्ी होगी तो 16 र्ला सम्पन्न नहीं र्हें गे। 16 र्ला, सिक और
सम्पण
ू क र्ह तीनों र्दहर्ा हैं। सिकगण
ु सम्पन्न र्हते हो, सम्पण
ू क ननविकर्ारी र्हते हो
और 16 र्ला सम्पन्न र्हते हो। तीनों विशेषतार्ें चादहए। 16 र्ला अथाकत ् सम्पन्न भी
चादहए, सम्पण
ू क भी चादहए और सिक भी चादहए। तो र्ह चेर् र्रो। सन
ु ार्ा था ना कर् र्ह िषक
बहुतर्ाल र्े दहसाब र्ें जर्ा होने र्ा है कर्र बहुतर्ाल र्ा दहसाब सर्ाप्त हो जार्ेगा, कर्र
थोड़ा र्ाल र्हने र्ें आर्ेगा, बहुतर्ाल नहीं। बहुतर्ाल र्े परू ु षाथक र्ी लाइन र्ें आ जाओ।
तभी बहुतर्ाल र्ा राज्र् भाग्र् प्राप्त र्रने र्े अचधर्ारी बनेंगे। नहीं तो बहुत र्ाल र्ा राज्र्
भाग्र् बदल र्ुछ र्र् राज्र् भाग्र् प्राप्त होने र्े अचधर्ारी बनेंगे। दो चार जन्र् भी र्र् हुआ
तो बहुतर्ाल र्ें चगनती नहीं होगी। पहला जन्र् हो और पहला प्रर्ृनत र्ा श्रेष्ठठ सुख हो। िन-
िन- िन हो। सबर्ें िन हो। उसर्े ललए तर्ा र्रना पड़ेगा? सेिा भी नम्बरिन, क्स्थनत भी
नम्बरिन तब तो िन-िन र्ें आर्ेंगे ना! तो सतर्ुग र्े आदद र्ें आने िाले नम्बरिन आत्र्ा
र्े साथ पाटक बजाने िाले और नम्बरिन जन्र् र्ें पाटक बजाने िाले। तो संित भी आरम्भ आप
र्रें गे। पहले-पहले जन्र् िाले ही पहली तारीख पहला र्ास पहला संित शुरू र्रें गे। र्ररश्तेपन
र्ी ड्रेस पहनने आती है ना! र्ह चर्र्ीली ड्रेस है। र्ह स्र्नृ त और स्िरूप बनना अथाकत ् र्ररश्ता
ड्रेस धारण र्रना। चर्र्ने िाली चीज़ दरू से ही आर्वषकत र्रती है। तो र्ह र्ररश्ता ड्रेस अथाकत ्
र्ररश्ता स्िरूप दरू दरू तर् आत्र्ाओं र्ो आर्वषकत र्रे गी।

( 20-02-86 )

र्ह रूहानी विचचत्र तारार्ण्डल है। आप रूहानी लसतारों र्ा प्रभाि विश्ि पर पड़ता है। तो विश्ि
र्े स्थूल लसतारों र्ा भी प्रभाि विश्ि पर पड़ता है। क्जतना शक्ततशाली आप स्िर्ं लसतारे बनते
हो उतना विश्ि र्ी आत्र्ाओं पर प्रभाि पड़ रहा है और आगे पड़ता ही रहे गा। जैसे क्जतना
घोर अक्न्धर्ारा होता है तो लसतारों र्ी ररर्णझर् ज्र्ादा स्पष्ठट ददखाई देती है। ऐसे अप्राक्प्त
र्ा अंधर्ार बढ़ता जा रहा है और क्जतना बढ़ता जा रहा है , बढ़ता जार्ेगा उतना ही आप
रूहानी लसतारों र्ा विशेष प्रभाि अनुभि र्रते जार्ेंगे। सभी र्ो धरती र्े चर्र्ते हुए लसतारे
ज्र्ोनत-बबन्द ु र्े रूप र्ें प्रर्ाशर्र् र्ार्ा र्ररश्ते र्े रूप र्ें ददखाई दें गे। जैसे अभी आर्ाश र्े
लसतारों र्े पीछे िह अपना सर्र्, एनजी और धन लगा रहे है , ऐसे रूहानी लसतारों र्ो दे ख
आश्चर्कित होते रहें गे। जैसे अभी आर्ाश र्ें लसतारों र्ो दे खते हैं ऐसे इस धरती र्े र्ण्डल र्ें
चारों ओर र्ररश्तों र्ी झलर् और ज्र्ोनतर्कर् लसतारों र्ी झलर् दे खेंगे, अनभ
ु ि र्रें गे - र्ह
र्ौन हैं, र्हाँ से इस धरती पर अपना चर्त्र्ार ददखाने आर्े हैं ! जैसे स्थापना र्े आदद र्ें
अनभ
ु ि कर्र्ा है कर् चारों ओर ब्रह्र्ा और र्ृष्ठण र्े साक्षात्र्ार र्ी लहर र्ैलती गई। र्ह र्ौन
है? र्ह तर्ा ददखाई दे ता है? र्ह सर्झने र्े ललए बहुतों र्ा अटे न्शन गर्ा। ऐसे अब अन्त
र्ें चारों ओर र्ह दोनों रूप ‘ज्र्ोनत और र्ररश्ता’ उसर्ें बापदादा और बच्चे सबर्ी झलर्
ददखाई दे गी। और सभी र्ा एर् से अनेर्ों र्ा इसी तरर् स्ित: ही अटे न्शन जार्ेगा। अभी र्ह

35
ददर्वर् दृश्र् आप सबर्े सम्पन्न बनने तर् रहा हुआ है। र्ररश्ते पन र्ी क्स्थनत सहज और
स्ित: अनभ ु ि र्रें तब िह साक्षात ् र्ररश्ते साक्षात्र्ार र्ें ददखाई दें गे। र्ह िषक र्ररश्तेपन र्ी
क्स्थनत र्े ललए विशेष ददर्ा हुआ है।

( 09-04-86 )

भाग्र्िान आत्र्ा र्ो र्ोई अप्राक्प्त है ही नहीं। तो जहाँ सिक प्राक्प्तर्ाँ होंगी, िहाँ सदा हवषकत
होंगे। र्ोई र्ो अल्पर्ाल र्ी लॉटरी भी लर्लती है तो उसर्ा चेहरा भी ददखाता है कर् उसर्ो
र्ुछ लर्ला है। तो क्जसर्ो पद्र्ापद्र् भाग्र् प्राप्त हो जाए िह तर्ा रहे गा? सदा हवषकत। ऐसे
हवषकत रहो जो र्ोई भी दे खर्र पछ
ू े कर् तर्ा लर्ला है? क्जतना-क्जतना पुरूषाथक र्ें आगे बढ़ते
जार्ेंगे उतना आपर्ो बोलने र्ी भी आिश्र्र्ता नहीं रहे गी। आपर्ा चेहरा बोलेगा कर् इनर्ो
र्ुछ लर्ला है, तर्ोंकर् चेहरा दपकण होता है। जैसे दपकण र्ें जो चीज जैसी होती है , िैसी ददखाई
दे ती है। तो आपर्ा चेहरा दपकण र्ा र्ार् र्रे । इतनी आत्र्ाओं र्ो जो सन्दे श लर्ला है तो
इतना सर्र् र्हाँ लर्लेगा जो आप लोग बैठर्र सन
ु ाओ। सर्र् भी नाजुर् होता जार्ेगा, तो
सुनाने र्ा भी सर्र् नहीं लर्लेगा। तो कर्र सेिा र्ैसे र्रें गे? अपने चेहरे से। जैसे म्र्ुक्जर्र्
र्े चचत्रों से सेिा र्रते हो। चचत्र दे खर्र प्रभावित होते हैं ना। तो आपर्ा चैतन्र् चचत्र सेिा र्े
ननलर्त्त बन जार्े - ऐसे तैर्ार चचत्र हो? इतने चैतन्र् चचत्र तैर्ार हो जार्ें तो आिाज बुलन्द
र्र दें गे। सदै ि चलते-कर्रते, उठते-बैठते र्ह स्र्नृ त रखो कर् हर् चैतन्र् चचत्र हैं। सारे विश्ि
र्ी आत्र्ाओं र्ी हर्ारे तरर् नज़र है। चैतन्र् चचत्र र्ें सबर्े आर्षकण र्ी बात र्ौन सी होती
है? सदा खुशी होगी।

( 18-01-91 )

जैसे आदद र्ें ब्रह्र्ा बाप र्ो साधारण न दे ख र्ृष्ठण र्े रूप र्ें अनुभि र्रते थे। साक्षात्र्ार
अलग चीज़ है लेकर्न साक्षात स्िरूप र्ें र्ृष्ठण ही दे खते, खाते-पीते चलते थे। ऐसा है ना? तो
स्थापना र्ें एर् बाप ने कर्र्ा, अन्त र्ें आप बच्चे भी आत्र्ाओं र्े आगे साक्षात दे िी-दे िता
ददखाई दें गे। िह सर्झेंगे ही नहीं कर् र्ह र्ोई साधारण हैं। िही पज्
ू र्पन र्ा प्रभाि अनभ
ु ि
र्रें गे, तब बाप सदहत आप सभी र्े प्रत्र्क्षता र्ा पदाक खल
ु ेगा। अभी अर्ेले बाप र्ो नहीं र्रना
है। बच्चों र्े साथ प्रत्र्क्ष होना है। जैसे स्थापना र्ें ब्रह्र्ा र्े साथ विशेष ब्राह्र्ण भी स्थापना
र्े ननलर्त्त बनें, ऐसे सर्ाक्प्त र्े सर्र् भी बाप र्े साथ-साथ अनन्र् बच्चे भी दे ि रूप र्ें
साक्षात अनभ
ु ि होंगे। इसर्े ललए र्ही जो आज सन
ु ार्ा अभी से प्रालब्ध स्िरूप र्ें क्स्थत रहो।
छोड़ो छोटी-छोटी बातों र्ो, अब ऊंचे जाओ। विशेष प्रालब्ध स्िरूप र्ा साक्षात्र्ार स्िर्ं भी र्रो
और र्राओ।

36
( 13-11-97 )

र्धब
ु न र्ा िार्ब्रेशन तो चारों ओर र्ैलेगा ही। इसर्ें र्ररश्ते स्िरूप र्ें र्र्कर्ोगी, डबल
लाइट, लाइट र्े शरीर से, लाइट बन र्र्क र्र रहे हैं। बोलो तो भी र्ररश्ते रूप र्ें , र्ार् र्रो
र्ररश्ते रूप र्ें। क्जससे र्ार् है िही एर् सन
ु े दस
ू रा सन
ु े ही नहीं। िातािरण तर्ों बनता है ?
बापदादा ने दे खा है र्ोई भी छोटी बात र्ा िातािरण बनने र्ा र्ारण जो बात र्रते हैं ना, िह
ऐसे र्रते हैं जो क्जसर्ा उस बात से सम्बन्ध ही नहीं है, उनर्े भी र्ानों र्ें पड़ती है। उनर्ा
भी र्वर्थक संर्ल्प चलना शुरू हो जाता है। इसललए र्ररश्ता अथाकत ् क्जसर्ा र्ार् िही सन
ु े।
क्जतना र्ार् है उतना ही बोले, र्हानी बनार्े नहीं बोले। र्था नहीं र्रो। र्था हर्ेशा लर्तस
भी होती है और लम्बी भी होती है। तो ब्रह्र्ा बाप र्े प्र्ार र्ा ररटनक है - ब्रह्र्ा बाप सर्ान
र्र्कर्ोगी र्ररश्ता भि। बापदादा र्ही र्ह रहे हैं - इस क्स्थनत र्ी धरनी तैर्ार र्रो तो बापदादा
साक्षात बाप बच्चों द्िारा साक्षात्र्ार अिश्र् र्रार्ेगा। ‘साक्षात ् बाप और साक्षात्र्ार’ - र्ह दो
शब्द र्ाद रखना। बस हैं ही र्ररश्ते। सेिा भी र्रते हैं, ऊपर र्ी स्टे ज से र्ररश्ते आर्े, सन्दे श
ददर्ा कर्र ऊपर चले गर्े अथाकत ् ऊँची स्र्नृ त र्ें चले गर्े।
अभी सर्र् अनुसार जैसे र्हाँ-र्हाँ पानी र्े प्र्ासी हैं, ऐसे ितकर्ान सर्र्
शुद्ध, शाक्न्तर्र्, सुखर्र् िार्ब्रेशन र्े प्र्ासी हैं। र्ररश्ते रूप से ही िार्ब्रेशन र्ैला सर्ते
हो। र्ररश्ता अथाकत ् सदा ऊँच क्स्थनत र्ें रहने िाले। र्ररश्ता अथाकत ् पुराने संसार और परु ाने
संस्र्ार से नाता नहीं। अभी संसार पररितकन आप सबर्े संस्र्ार पररितकन र्े ललए रूर्ा हुआ
है।

( 16-12-00 )

सभी टीचसक तो हैं ही बापदादा र्े राइट हैण्डस। पाण्डि लेफ्ट हैण्ड नहीं हैं , पाण्डि भी राइट
हैण्ड हैं। लेफ्ट हैण्ड तो दस
ू रे हैं, आप सब राइट हैण्डस हो। टीचसक र्ो अभी साक्षात्र्ार र्ूतक
बनना है। अभी थोड़ा सा र्ह `र्ैं' र्ो आज र्ुल सरेण्डर र्रें गे ना तो साक्षात्र्ार होने शुरू हो
जार्ेंगे। र्ह र्ैं पन र्ा पदाक थोड़ा आगे आ जाता है , र्ह पदाक हट जार्ेगा तो हर एर् से बाप
र्ा साक्षात्र्ार होगा। तब र्ह नारा लगेगा - साक्षात ् बाप आ गर्े, आ गर्े, आ गर्े। साक्षात्र्ार
ददर्वर् दृक्ष्ठट से नहीं, साक्षात ् रूप र्ा साक्षात्र्ार होगा। सबर्े र्ख
ु से एर् ही आिाज ननर्लेगा
- र्ह तो साक्षात ् बाप हैं। ऐसी तैर्ारी र्र रहे हो ना!

( 28-02-03 )

‘‘सिक खज़ानों से सम्पन्न अपने चेहरे िा चलन से अलौकर्र्ता र्ा साक्षात्र्ार र्राओ’’। बापदादा
हर बच्चे र्े चेहरे से दे खते हैं कर् खज़ाने जर्ा कर्तने हैं। खज़ाने तो लर्ले लेकर्न हर एर् ने

37
कर्तना जर्ा र्ा खाता बढ़ार्ा है , िह हर एर् र्े चेहरे से, चलन से ददखाई दे ता है और आप
सब भी अपने आपर्ो जानते हो कर् र्ैंने कर्तना जर्ा कर्र्ा है ? अभी बापदादा र्ी र्ही ददल
र्ी आश है कर् खज़ाने लर्ले तो हैं लेकर्न अब सर्र् लसर्क िणकन र्रने र्ा नहीं है लेकर्न
आपर्ा चेहरा और चलन प्रत्र्क्ष अनभ
ु ि र्रार्े कर् र्ह आत्र्ार्ें र्ोई विशेष हैं, न्र्ारे हैं और
परर्ात्र् प्र्ारे हैं तर्ोंकर् आगे चलर्र सर्र् पररितकन होने से आपर्ी सेिा लसर्क िणकन र्रने
से नहीं, सर्र् नाजर्
ु होने से इतना सर्र् र्ोई ननर्ाल नहीं सर्ेगा लेकर्न आपर्े खज़ाने
सम्पन्न चेहरे से, चलन से आपर्ी अलौकर्र्ता र्ा दरू से ही साक्षात्र्ार होगा। तो ऐसा परू
ु षाथक
अभी अपना प्रत्र्क्ष र्रो। जैसे ब्रह्र्ा बाप र्ो दे खा, चाहे संगठन र्े बीच र्ें भी रहा तो भी
दरू से िह पसकनैललटी चर्र् अनुभि हुई।

( 25-10-09 )

अधधर् जानर्ारी र्े सलए सम्पर्क र्रे :-

सम्पर्क : आध्र्ाक्त्र्र् अनुप्रर्ोग अनुसध


ं ान र्ेन्र

SpARC – Spiritual Applications Research Centre

बेह्तर विश्ि ननर्ाकण अर्ादर्ी,

ज्ञान सरोर्र, आबू पर्कत – 307501

राजस्िान, भारत

मोबाईल : +919414003497, +919414082607

38
फैक्स : 02974-238951

ई-मेल : bksparc@gmail.com

sparc@bkivv.org

39

You might also like