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14-02-2024 प्रात: मुरली ओम्

शान्ति "बापदादा" मधुबन


“मीठे बच्चे - अन्तममुखी हो अपने
कल्याण का ख्याल करो, घूमने-
फिरने जाते हो तो एकान्त में
फिचार सागर मंथन करो, अपने
से पूछो - हम सदा हफषुत रहते
हैं ”
प्रश्न:- रहमददल बाप के बच्चों कच
अपने पर कौन-सा रहम करना
चादहए?
उत्तर:- जैसे बाप कच रहम पड़ता है
दक मेरे बच्े काों टे से फूल बनें , बाप
बच्चों कच गुल-गु ल बनाने की
दकतनी मेहनत करते हैं तच बच्चों
कच भी अपने ऊपर तरस आना
चादहए दक हम बाबा कच बुलाते हैं -
हे पदतत-पावन आओ, फूल
बनाओ, अब वह आये हैं तच क्या
हम फूल नहीों बनें गे! रहम पड़े तच
दे ही-अदभमानी रहें । बाप जच सुनाते
हैं उसकच धारण करें ।
ओम् शान्ति। यह तो बच्चे समझते
हैं - यह बाप भी है , टीचर भी है ,
सतगुरू भी है । तो बाप बच्चोों से
पूछते हैं कि तुम यहााँ जब आते हो
तो इन लक्ष्मी-नारायण िे और
सीढी िे कचत्र िो दे खते हो? जब
दोनोों िो दे खा जाता है तो एम
ऑब्जेक्ट और सारा चक्र बुद्धि में
आ जाता है कि हम दे वता बनिर
किर ऐसे सीढी उतरते आये हैं । यह
ज्ञान तुम बच्चोों िो ही कमलता है ।
तुम हो स्टू डे न्ट। एम ऑब्जेक्ट
सामने खडा है । िोई भी आये तो
उनिो समझाओ - यह एम
ऑब्जेक्ट है । इस पढाई से यह
दे वी-दे वता जािर बनते हैं । किर
84 जन्म िी सीढी उतरते हैं , किर
ररपीट िरना है । बहुत इजी नॉलेज
है किर भी पढते -पढते नापास क्ोों
हो पडते हैं ? उस कजस्मानी पढाई से
भी यह ईश्वरीय पढाई कबल्कुल
सहज है । एम ऑब्जेक्ट और 84
जन्मोों िा चक्र कबल्कुल सामने
खडा है । यह दोनोों कचत्र कवकजकटों ग
रूम में भी होने चाकहए। सकविस
िरने िे कलए सकवि स िा हकियार
भी चाकहए। सारा ज्ञान इसमें ही है ।
यह पुरुषािि भी हम अभी िरते हैं ।
सतोप्रधान बनने िे कलए बहुत
मेहनत िरनी है । इसमें अन्तमुि खी
हो कवचार सागर मों िन िरना है ।
घूमने -किरने जाते हो तो भी बुद्धि में
यही होना चाकहए। यह तो बाबा
जानते हैं कि नम्बरवार हैं । िोई
अच्छी तरह समझते हैं तो जरूर
पुरूषािि िरते होोंगे, अपने िल्याण
िे कलए। हर एि स्टू डे न्ट समझते
हैं यह अच्छा पढते हैं । खुद नहीों
पढते हैं तो अपने िो ही घाटा
डालते हैं । अपने िो तो िुछ
लायि बनाना चाकहए। तुम भी
स्टू डे न्ट हो, सो भी बेहद बाप िे!
यह ब्रह्मा भी पढते हैं । यह लक्ष्मी-
नारायण है मतिबा और सीढी है 84
जन्मोों िे चक्र िी। यह पहले नम्बर
िा जन्म, यह लास्ट नम्बर िा
जन्म। तुम दे वता बनते हो। अन्दर
आने से ही सामने एम ऑब्जेक्ट
और सीढी पर समझाओ। रोज
आिर इनिे सामने बैठो तो स्मृकत
आये। तुम्हारी बुद्धि में है कि बेहद
िा बाप हमिो समझा रहे हैं । सारे
चक्र िा ज्ञान तुम्हारी बुद्धि में
भरपूर है तो कितना हकषित रहना
चाकहए। अपने से पू छना चाकहए कि
हमारी वह अवस्िा क्ोों नहीों रहती?
क्ा िारण है जो हकषित रहने में
रोला पडता है ? जो कचत्र बनाते हैं
उन्ोों िी बुद्धि में भी होगा कि यह
हमारा भकवष्य पद है , यह हमारी
एम ऑब्जेक्ट है और यह 84 िा
चक्र है । गायन भी है सहज
राजयोग। सो तो बाबा रोज समझाते
रहते हैं कि तुम बे हद बाप िे बच्चे
हो तो स्वगि िा वसाि जरूर लेना
चाकहए और सारे चक्र िा भी राज
समझाया है तो जरूर वह याद
िरना पडे और किर बातचीत
िरने िे मैनसि भी अच्छे चाकहए।
चलन बहुत अच्छी चाकहए। चलते -
किरते िाम-िाज िरते बुद्धि में
कसिि यही रहे कि हम बाप िे पास
पढने िे कलए आये हैं । यह ज्ञान ही
तुमिो साि ले जाना है । पढाई तो
सहज है । परन्तु अगर पूरी रीकत
नहीों पढें गे तो टीचर िो जरूर यह
ख्याल रहे गा कि अगर क्लास में
बहुत डल बच्चे होोंगे तो हमारा नाम
बदनाम होगा। इजािा नहीों
कमलेगा। गवमेन्ट िुछ नहीों दे गी।
यह भी स्कूल है ना। इसमें इजािा
आकद िी बात नहीों। किर भी
पुरुषािि तो िराया जाता है ना।
चलन िो सुधारो, दै वीगुण धारण
िरो। िैरे क्टर अच्छे चाकहए। बाप
तो तुम्हारे िल्याण िे कलए आये हैं ।
परन्तु बाप िी श्रीमत पर चल नहीों
सिते। श्रीमत िहे यहााँ जाओ तो
जायेंगे नहीों। िहें गे यहााँ गमी है ,
यहााँ ठण्डी है । बाप िो पहचानते
नहीों कि िौन हमिो िहते हैं ? यह
साधारण रि ही बुद्धि में आता है ।
वह बाप बुद्धि में आता ही नहीों है ।
बडे राजाओों िा कितना सबिो डर
रहता है । बडी अिॉररटी होती है ।
यहााँ तो बाप िहते हैं मैं गरीब
कनवाज हाँ । मुझ रचता और रचना
िे आकद-मध्य-अन्त िो िोई नहीों
जानते हैं । कितने ढे र मनुष्य हैं ।
िैसी-िैसी बातें िरते हैं , क्ा-क्ा
बोलते हैं । भगवान् क्ा चीज होती
है , यह भी जानते नहीों। वन्डर है
ना। बाप िहते हैं मैं साधारण तन
में आिर अपना और रचना िे
आकद-मध्य-अन्त िा पररचय दे ता
हाँ । 84 िी यह सीढी कितनी
क्लीयर है ।
बाप िहते हैं मैं ने तुमिो यह
बनाया िा, अब किर बना रहा हाँ ।
तुम पारसबुद्धि िे किर तुमिो
पत्थरबुद्धि किसने बनाया?
आधािल्प रावण राज्य में तुम
कगरते ही आते हो। अब तुमिो
तमोप्रधान से सतोप्रधान जरूर
बनना है । कववेि भी िहता है बाप
है ही सत्य। वह जरूर सत्य ही
बतायेंगे। यह ब्रह्मा भी पढते हैं , तुम
भी पढते हो। यह िहते हैं मैं भी
स्टू डे न्ट हाँ । पढाई पर अटे न्शन दे ता
हाँ । एक्ूरेट िमाि तीत अवस्िा तो
अभी बनी नहीों है । ऐसा िौन होगा
जो इतना ऊोंच पद पाने िे कलए
पढाई पर ध्यान नहीों दे गा। सब
िहें गे ऐसा पद तो जरूर पाना
चाकहए। बाप िे हम बच्चे हैं तो
जरूर माकलि होने चाकहए। बािी
पढाई में उतराई-चढाई तो होती ही
है । अब तुमिो एिदम ज्ञान िा
तन्त (सार) कमला है । शुरू में तो
पुराना ही ज्ञान िा। धीरे -धीरे तुम
समझते ही आये हो। अभी समझते
हैं ज्ञान तो सचमुच अभी हमिो
कमलता है । बाप भी िहते हैं आज
मैं तुमिो गुह्य-गुह्य बातें सुनाता हाँ ।
िट से तो िोई जीवनमुद्धि पा
नहीों सिता। सारा ज्ञान उठा नहीों
सिता। पहले यह सीढी िा कचत्र
िोडे ही िा। अब समझते हैं बरोबर
हम ऐसे चक्र लगाते हैं । हम ही
स्वदशिन चक्रधारी हैं । बाबा ने हम
आत्माओों िो सारे चक्र िा राज
समझा कदया है । बाप िहते हैं
तुम्हारा धमि बहुत सुख दे ने वाला
है । बाप ही आिर तुमिो स्वगि िा
माकलि बनाते हैं । औरोों िे सुख िा
टाइम तो अभी आया है , जबकि
मौत सामने खडा है । यह एरोप्लेन,
कबजकलयााँ आकद पहले नहीों िी।
उन्ोों िे कलए तो अभी जैसे स्वगि
है । कितने बडे -बडे महल बनाते हैं ।
समझते हैं अभी तो हमिो बहुत
सुख है । लन्दन में कितना जल्दी
पहुाँ च जाते हैं । बस, यही स्वगि
समझते हैं । अब उन्ोों िो जब िोई
समझाये कि स्वगि तो सतयुग िो
िहा जाता है , िकलयुग िो िोडे ही
स्वगि िहें गे। निि में शरीर छोडा तो
जरूर पुनजिन्म भी निि में ही लेंगे।
आगे तुम भी यह बातें नहीों समझते
िे। अब समझते हो। रावण राज्य
आता है तो हम कगरने लग जाते हैं ,
सब कविार आ जाते हैं । अभी
तुमिो सारा ज्ञान कमला है तो चलन
आकद भी बहुत रॉयल होनी चाकहए।
अभी तुम सतयुग से भी जास्ती
वैल्युबुल हो। बाप जो ज्ञान िा
सागर है वह सारा ज्ञान अभी दे ते
हैं । और िोई भी मनुष्य ज्ञान और
भद्धि िो समझ न सिें। कमक्स
िर कदया है । समझते हैं शास्त्र
पढना - यह ज्ञान है और पूजा
िरना भद्धि है । तो अब बाप गुल -
गुल बनाने िे कलए कितनी मेहनत
िरते हैं । बच्चोों िो भी तरस आना
चाकहए कि हम बाबा िो बुलाते हैं
पकततोों िो आिर पावन बनाओ,
िूल बनाओ। अब बाप आये हैं तो
अपने पर भी रहम िरना चाकहए।
क्ा हम ऐसे िूल नहीों बन सिते!
अब ति हम बाबा िे कदल तख्त
पर क्ोों नहीों चढे हैं ! अटे न्शन नहीों
दे ते। बाप कितना रहम कदल है ।
बाप िो बुलाते ही हैं पकतत दु कनया
में कि आिर पावन बनाओ। तो
जैसे बाप िो रहम पडता है , ऐसे
बच्चोों िो भी रहम पडना चाकहए।
नहीों तो सतगु रू िे कनदों ि ठौर न
पायें। यह तो किसिो स्वप्न में भी
नहीों होगा कि सतगुरू िौन? लोग
गुरूओों िे कलए समझ लेते हैं कि
िहााँ श्राप न दे दे वें, अिृपा न हो
जाए। बच्चा पैदा हुआ, समझेंगे
गुरू िी िृपा हुई। यह है
अल्पिाल िे सु ख िी बात। बाप
िहते हैं - बच्चे , अपने पर रहम
िरो। दे ही-अकभमानी बनो तो
धारणा भी होगी। सब-िुछ आत्मा
ही िरती है । मैं भी आत्मा िो
पढाता हाँ । अपने िो आत्मा पक्का
समझो और बाप िो याद िरो।
बाप िो याद ही नहीों िरें गे तो
कविमि कवनाश िैसे होोंगे। भद्धि
मागि में भी याद िरते हैं - हे
भगवान् रहम िरो। बाप कलबरे टर
भी है तो गाइड भी है ...... यह भी
उनिी गुप्त मकहमा है , बाप आिर
सब बतलाते हैं कि भद्धि मागि में
तुम याद िरते हो। मैं आऊोंगा तो
जरूर अपने समय पर। ऐसे जब
चाहाँ तब आऊों, यह नहीों। डरामा में
जब नूाँध है तब आता हाँ । बािी ऐसे
ख्यालात भी िभी नहीों आते हैं ।
तुमिो पढाने वाला वह बाप है । यह
भी उनसे पढते हैं । वह तो िभी भी
िोई ख़ता (भूल) नहीों िरते ,
किसिो रों ज नहीों िरते। बािी सब
नम्बरवार टीचर हैं । वह सच्चा बाप
तुमिो सत्य ही कसखलाते हैं । सच्चे
िे बच्चे भी सच्चे। किर झूठे िे
बच्चे बनने से आधािल्प झूठे बन
पडते हैं । सच्चे बाप िो ही भूल
जाते हैं ।
पहले -पहले तो समझाओ कि यह
सतयुगी नई दु कनया है या पु रानी
दु कनया है ? तो मनुष्य समझें यह प्रश्न
बहुत अच्छा पूछते हैं । इस समय
सभी में 5 कविार प्रवेश हैं । वहााँ 5
कविार होते नहीों। यह है तो बहुत
सहज बात समझने िी, परन्तु जो
खुद ही नहीों समझते तो वह
प्रदशिनी में क्ा समझायेंगे? सकविस
िे बदले कडस सकविस िरिे
आयेंगे। बाहर में जािर सकविस
िरना मासी िा घर नहीों है । बडी
समझ चाकहए। बाबा हरे ि िी
चलन से समझ जाते हैं । बाप तो
बाप है किर तो बाप भी िहें गे यही
डरामा में िा। िोई भी आता है तो
ब्रह्मािुमारी िा समझाना ठीि है ।
नाम भी ब्रह्मािुमारी ईश्वरीय कवश्व
कवद्यालय है । नाम बाला भी
ब्रह्मािुमाररयोों िा होना है । इस
समय सब 5 कविारोों में कहरे हुए हैं ।
उन्ोों िो जािर समझाना कितना
मुद्धिल होता है । िुछ भी समझते
नहीों हैं कसिि इतना िहें गे ज्ञान तो
अच्छा है । खुद समझते नहीों हैं ।
कवघ्न िे पीछे कवघ्न पडता रहता है ।
किर युद्धियाों भी रचनी पडती हैं ।
पुकलस िा पहरा रखो, कचत्र
इनश्योर िरा दो। यह यज्ञ है इसमें
कवघ्न जरूर पडें गे। सारी पुरानी
दु कनया इनमें स्वाहा होनी है । नहीों
तो यज्ञ नाम क्ोों पडे । यज्ञ में स्वाहा
होना है । इसिा रूद्र ज्ञान यज्ञ नाम
पडा है । ज्ञान िो पढाई भी िहा
जाता है । यह पाठशाला भी है तो
यज्ञ भी है । तुम पाठशाला में
पढिर दे वता बनते हो किर यह
सब-िुछ इस यज्ञ में स्वाहा हो
जाता है । समझा वही सिेंगे जो
रोज प्रै द्धक्टस िरते रहें गे। अगर
प्रैद्धक्टस नहीों होगी तो वह क्ा बात
िर सिेंगे । दु कनया िे मनुष्योों िे
कलए स्वगि अभी है , अल्पिाल िे
कलए। तुम्हारे कलए स्वगि आधािल्प
िे कलए होगा। यह भी डरामा बना
हुआ है । कवचार किया जाता है तो
बडा वन्डर लगता है । अब रावण
राज्य ख़त्म हो रामराज्य स्िापन
होता है । इसमें लडाई आकद िी
िोई भी बात नहीों। यह सीढी दे ख
लोग बडा वन्डर खाते हैं । तो बाप ने
क्ा-क्ा समझाया है , यह ब्रह्मा भी
बाप से ही सीखा है जो समझाते
रहते हैं । बद्धच्चयाों भी समझाती हैं ।
जो बहुतोों िा िल्याण िरते हैं
उन्ोों िो जरूर जास्ती िल
कमलेगा। पढे हुए िे आगे अनपढे
जरूर भरी ढोयेंगे। बाप रोज-रोज
समझाते हैं - अपना िल्याण िरो।
इन कचत्रोों िो सामने रखने से ही
नशा चढ जाता है इसकलए बाबा ने
िमरे में यह कचत्र रख कदये हैं । एम
ऑब्जेक्ट कितनी सहज है , इसमें
िैरे क्टसि बहुत अच्छे चाकहए। कदल
साि तो मुराद हाों कसल हो सिती
है । अच्छा!
मीठे -मीठे कसिीलधे बच्चोों प्रकत
मात-कपता बापदादा िा याद-प्यार
और गु डमॉकनिंग। रूहानी बाप िी
रूहानी बच्चोों िो नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा स्मृकत में रखना है कि हम
बेहद बाप िे स्टू डे न्ट हैं ,
भगवान् हमें पढाते हैं , इसकलए
अच्छी तरह पढिर बाप िा
नाम बाला िरना है । अपनी
चलन बडी रॉयल रखनी है ।
2) बाप समान रहमकदल बन िाों टे
से िूल बनना और दू सरोों िो
िूल बनाना है । अन्तमुिखी बन
अपने वा दू सरोों िे िल्याण िा
कचन्तन िरना है ।
िरदान:- हलचल में फदलफिकस्त
होने के बजाए बडी फदल रखने
िाले फहम्मतिान भि
कभी भी कचई शारीररक बीमारी हच,
मन का तूफान हच, धन में या प्रवृदि
में हलचल हच, सेवा में हलचल हच -
उस हलचल में ददलदशकस्त नहीों
बनच। बड़ी ददल वाले बनच। जब
दहसाब-दकताब आ गया, ददद आ
गया तच उसे सचच-सचचकर,
ददलदशकस्त बन बढाओ नहीों,
दहम्मत वाले बनच, ऐसे नहीों सचचच
हाय क्या कर
ों ... दहम्मत नहीों हारच।
दहम्मतवान बनच तच बाप की मदद
स्वत: दमलेगी।
स्लोगन:- दकसी की कमजचरी कच
दे खने की आों खें बन्द कर मन कच
अिमुदखी बनाओ।
ओम् शान्ति।

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