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30-12-2022 ात:मुरली ओम् शा "बापदादा"' मधुबन

मीठे ब े - दूरदे श से बाप आये ह धम और रा दोनों क ापना करने, जब दे वता धम है तो राजाई भी दे वताओं क है,
दूसरा धम वा रा नहीं
ः- सतयुग म सब पु आ ाय ह, कोई पाप आ ा नहीं, उसक िनशानी ा है?
उ र:- वहाँ कोई कमभोग (बीमारी) आिद नहीं होता है। यहाँ बीमा रयाँ आिद स करती ह िक आ ाय पापों क
सज़ा कमभोग के प म भोग रही ह, जसे ही पा का िहसाब-िकताब कहा जाता है।
ः- बाप के िकस इशारे को दूरादे शी ब े ही समझ सकते ह?
उ र:- बाप इशारा करते ह - ब े तुम बुि योग क दौड़ी लगाओ। यहाँ बैठे बाप को याद करो। ार से याद
करगे तो तुम बाप के गले का हार बन जायगे। तु ारे ेम के ऑसू माला का दाना बन जाते ह।
गीत:- आ खर वह िदन आया आज.....

ओम् शा । ब ों ने गीत सुना। गीत का अथ समझा। भारत तो ब त बड़ा है। सारे भारत को नहीं पढ़ाया जा सकता है। यह
तो पढ़ाई है - कॉलेज खुलते जायगे। यह ई बेहद के बाप क युिनव सटी। इनको कहा जाता है - पा व गवम । गवम
कहा जाता है सावर ी को। अब तुम ब े जानते हो - सावर ी ापन हो रही है। धम पलस सावर ी। रलीजो
पोलीिटकल... दे वी-दे वता धम भी ापन हो रहा है और कोई भी धम वाले राजाई नहीं ापन करते। वह सफ धम ापन
करते ह। बाबा कहते ह म आिद सनातन धम और राजाई ापन कर रहा ँ, इस लए रलीजो पोलीिटकल कहा जाता है।
ब ों को ब त दूरादे श बुि बनना चािहए। बाप दूरदे श से आये ए ह। यूँ दूरदे श से तो सब आ ाय आती ह। तुम भी दूरदे श
से आये हो। नया धम जो ापन करने आते ह - उनक आ ाय दूर से आती ह। वह है धम ापक और इसको कहा जाता है
धम और सावर ी ापक। भारत म सावर ी थी। महाराजा-महारानी थे। महाराजा ी नारायण, महारानी ी ल ी। तो अब
तुम ब े कहगे हम ीमत पर चल रहे ह। बाबा, जसको हम सब भारतवासी पुकारते आये ह िक आओ - आकर पुरानी
दुिनया को बदल नई सुख क दुिनया ापन करो। पुराने घर और नये घर म अ र तो होता है ना। बुि म नया मकान ही
याद रहता है। आजकल तो मकान ब त फैशनबुल बनते ह। ाल करते रहते ह - ऐसा-ऐसा मकान बनाय। तुम जानते हो
हम अपना धम और राजाई ापन कर रहे ह। ग म हम हीरे-जवाहरों के महल बनायगे। दूसरे धम वाले ऐसे नहीं समझते।
जैसे ाइ ि यन धम ापन करने आया, यह उस समय नहीं समझते, जब वृि होती है तब नाम रखते ह ि यन
धम। इ ामी आिद धम कोई भी िनशानी वा नाम नहीं रहता। तु ारी िनशानी शु से लेकर अभी तक चलती रहती है।
ल ी-नारायण के च ह - यह भी जानते हो तो इ ों का रा सतयुग म था। तुमको यह ान वहाँ नहीं होगा िक पा म
िकसक राजधानी थी, ूचर म िकसक राजधानी होगी। सफ ेजे को जानते ह, बस। अभी तुम पा , ेजे , ुचर को
जानते हो। पहले-पहले हमारा धम था, िफर यह धम आये ह। सं गम पर ही बाप बैठ समझाते ह। अभी तुम ि कालदश बन
गये हो। सतयुग म ि कालदश नहीं होंगे। वहाँ तो राजाई करते रहगे और धम का नाम-िनशान नहीं रहेगा। अपनी मौज म
राजाई करते रहगे।

अभी तुम सारे च को जानते हो। मनु यह तो नहीं जानते ह िक बरोबर दे वी-दे वता धम था। पर ु वह कै से ापन आ,
िकतना समय चला - यह नहीं जानते ह। तुम जानते हो सतयुग म इतने ज रा िकया िफर ेता म इतने ज लये। इ ों
को भी जानना पड़ेगा। ब े जानते ह बरोबर बेहद का बाप हमको पढ़ाते ह। तुम जानते हो कृ क आ ा का यह ब त
ज ों के अ का ज है, इनम ही आकर वेश िकया है। इनका नाम ा ज र चािहए। ा सो िव ु, िव ु सो ा।
यह ि मूित क नॉलेज ब त स ुल है। यह िनराकार बाप शव, इनसे यह वसा िमलता है। िनराकार से वसा कै से िमला - यह
जािपता ा ारा ा ण सो दे वता बन रहे ह। िफर वही दे वताय 84 ज ों के बाद ा ण बनते ह। यह च बुि म रहना
चािहए। हम सो ा ण, ा के ब े सो ( शव) के ब े। हम आ ाय िनराकारी ब े ह। बाप को याद करते ह। इन
च ों पर समझाना ब त सहज है। तप ा कर रहे ह िफर सतयुग म आयगे। तु ारी बुि म रहना चािहए - हम मनु से
दे वता बन रहे ह। िफर दे वता धम का बादशाह बन रा करगे। योग से ही तु ारे िवकम िवनाश होंगे। अगर अभी भी पाप
करते रहगे तो ा बनगे। या ा पर जब जाते ह तो पाप नहीं करते ह। पिव भी ज र रहते ह। समझते ह दे वताओं के पास
जाते ह। म र म भी हमेशा ान करके जाते ह। ान ों करते ह? एक तो िवकार म जाते ह, दूसरा लेटीन म जाते ह। िफर
बनकर दे वताओं का दशन करने जाते ह। या ा पर कब पितत नहीं बनते। 4 धामों क प र मा पावन होकर दे ते ह। तो
पिव ता है मु । दे वताय भी अगर पितत होते तो फ़क ा रहा। दे वताय पावन ह, हम पितत ह। तुम जानते हो बाबा ने

हमको ा ारा गोद लया है। यूँ तो तुम सब आ ाय हमारे ब े हो, पर ु तुमको पढ़ाऊं कै से? राजयोग कै से सखलाऊं?
हमको ा ारा गोद लया है। यूँ तो तुम सब आ ाय हमारे ब े हो, पर ु तुमको पढ़ाऊं कै से? राजयोग कै से सखलाऊं?
तुम मीठे -मीठे ब ों को ग का मा लक कै से बनाऊं? तुम जानते हो बाबा नई दुिनया ापन करते ह। तो भगवान ज र
ब ों को लायक बनाकर वसा दगे। कहाँ लायक बनायगे? सं गमयुग म। बाप कहते ह, म सं गम पर आता ँ। यह बीच का
ा ण धम ही अलग हो जाता है। क लयुग म है शू धम। सतयुग म है दे वता धम। यह है ा ण धम। तुम ा ण धम के
हो। यह सं गमयुग ब त छोटा है। अभी तुम सारे च को जान गये हो। दूरादे शी बन गये हो।

तुम जानते हो यह बाबा का रथ है, इनको नं दीगण भी कहते ह। सारा िदन सवारी थोड़ेही होती है। आ ा शरीर पर सारा िदन
सवारी करती है। अलग हो जाए तो शरीर न रहे। बाबा तो आ-जा सकता है ोंिक उनक अपनी आ ा है। तो म इनम सदै व
नहीं रहता ँ, सेक म आ-जा सकता ँ। मेरे जैसा तीखा राके ट कोई हो नहीं सकता। आजकल राके ट, एरो ेन आिद िकतनी
चीज़ बनाई ह। पर ु सबसे तीखी आ ा है। तुम बाप को याद करो - यह आया। आ ा को िहसाब-िकताब अनुसार ल न म
ज लेना होगा तो सेक म वहाँ जाकर गभ म वेश करेगी। तो सबसे तीखी दौड़ी पहनने वाली आ ा है। अभी आ ा
अपने घर म जा नहीं सकती ोंिक वह ताकत ही नहीं रही है। कमजोर हो गई है, उड़ नहीं सकती। आ ा पर पापों का बोझ
ब त है, शरीर पर अगर बोझा होता तो आग से पिव हो जाता, पर ु आ ा म ही खाद पड़ती है। तो आ ा ही साथ म
िहसाब-िकताब ले जाती है इस लए कहा जाता है - पा का कमभोग है। आ ा सं ार साथ म ले जाती है। कोई ज से
लं गड़ा होता है तो कहा जाता है पा म ऐसे कम िकये ह। ज -ज ा र के कम ह जो भोगने पड़ते ह। सतयुग म है ही पु
आ ा। वहाँ यह बात होती नहीं। यहाँ ह सब पाप आ ाय। सं ा सयों को भी अधाग (लकवा) हो जाए तो कहगे कमभोग।
अरे महा ा ी ी 108 जगतगु को िफर यह बीमारी ों? कहगे कमभोग। दे वताओं के लए ऐसे नहीं कहगे। गु मरेगा तो
फालोअस को ज र अ़फसोस होगा। बाप पर भी जा ी लव होता है तो रोते ह। ी का पित से जा ी लव होगा तो रोयेगी।
पित दु:खी करने वाला होगा तो नहीं रोयेगी। मोह नहीं होगा तो समझेगी भावी। तु ारा भी बाप के साथ ब त लव है।
िपछाड़ी म बाबा चला जायेगा - तुम कहगे ओहो! बाबा चला गया, जसने इतना सुख िदया! िपछाड़ी म ब त रहते ह। बाप से
ब त लव रहता है। तुम कहगे बाबा हमको राजाई दे कर चला गया। ेम के ऑसू आयगे, दु:ख के नहीं। यहाँ भी ब े ब त
समय के बाद आकर बाप से िमलते ह तो ेम के ऑसू आते ह। यह ेम के ऑसू िफर माला का दाना बन जायगे। हमारा
पु षाथ ही है िक हम बाबा के गले का हार बन, इस लए बाबा को याद करते रहते ह।

बाबा का फरमान है - याद क या ा करते रहो। जैसे दौड़ाया जाता है फलाने ान को हाथ लगाकर आओ, िफर न रवार
होता है। यहाँ भी जतना बाबा को जा ी याद करगे, जो पहले दौड़ी लगाकर जायगे वही िफर पहले ग म लौट आकर रा
करगे। तुम सब आ ाय बुि के योग से दौड़ रही हो। यहाँ बैठे ए वहाँ दौड़ रही हो। हम शव-बाबा के ब े ह। बाबा इशारा
करते ह - मुझे याद करो, दूरादे शी बनो। तुम दूरदे श से आये हो। अब यह पराया दे श िवनाश हो जायेगा। इस समय तुम रावण
के दे श म हो, यह धरनी रावण क है। िफर तुम बेहद के बाप क धरनी पर आयगे। वहाँ है रामरा । रामरा बाप ापन
करते ह। िफर आधा म रावण रा डामा अनुसार नूँ धा आ है। यह सब बात तुम ब े ही जानते हो इस लए तुम पूछते
हो, कोई नहीं बता सके गा। अगर कहे आ ा का फादर, गॉड फादर है। अ ा - तुमको उनसे ा वसा िमलना चािहए? यह
है पितत दुिनया। बाप ने पितत दुिनया तो नहीं रची है ना। कोई को भी समझाना ब त सहज है। च िदखाना पड़े। ि मूित
का च िकतना अ ा है। ऐसा कायदे अनुसार ि मूित शव का च कहाँ है नहीं। ा को दाढ़ी िदखाते ह। िव ु और
शं कर को नहीं िदखाते ह। उनको दे वता समझते ह। ा तो जािपता है। कोई ने कै से, कोई ने कै से बनाया है। अभी तुम
ब ों क बुि म यह सब बात ह, और कोई क बुि म नहीं आता है। जैसे बांवरे ह। रावण को ों जलाते ह - कु छ पता ही
नहीं। रावण है कौन? कब से आया? कह दे ते ह अनािद काल से जलाते ह। तुम समझते हो - यह आधाक का दु न है।
दुिनया म अनेक मत ह, जसने जो समझाया वह नाम रख िदया। कोई ने महावीर नाम डाल िदया। अब महावीर तो हनूमान
को िदखाते ह। यहाँ आिद दे व महावीर नाम ों रखा है? म र म महावीर, महावीरनी और तुम ब े बैठे हो। उ ोंने माया
पर जीत पाई है इस लए महावीर कहा जाता है। तुम भी अनायास ही अपनी जगह पर आकर बैठे हो। वह तु ारा यादगार है।
वह है जड़। िफर भी च ज र लगाना पड़े, जब तक चैत के पास आकर समझ। दे लवाड़ा म र का राज़ ब त अ ा
समझा सकते हो। यह पढ़कर गये ह तब भि माग म यह यादगार बने ह। तु ारी राजधानी ापन करने म बड़ी मेहनत
लगती है। गा लयाँ भी खानी पड़ती ह ोंिक कलं गीधर बनना है। अभी तुम सब गाली खाते हो। सबसे जा ी ािन मेरी क
है। िफर जािपता ा को भी गाली दे ते ह। िम स ी आिद सब िबगड़ पड़ते ह। िव ु वा शं कर को थोड़ेही गाली दगे।
बाप कहते ह - म गाली खाता ँ। तुम ब े बने हो तो तुमको भी िह ा लेना पड़ता है। नहीं तो यह अपने ध े म था, गाली
क बात ही नहीं। सबसे जा ी गाली मुझे दे ते ह। अपना धम-कम भूल गये ह। िकतना समझाते ह। अ ा!

मीठे -मीठे सक लधे ब ों ित मात-िपता बापदादा का याद- ार और गुडमािनग। हानी बाप क हानी ब ों को नम े।
धारणा के लए मु सार:-

1) दूरादे शी बनना है। याद क या ा से िवकम का िवनाश करना है। या ा पर कोई भी पाप कम नहीं करने ह।

2) महावीर बन माया पर जीत पानी है। ािन से डरना नहीं है, कलं गीधर बनना है।

वरदान:- सव शि यों का अनुभव करते ए समय पर सि ा करने वाले िन त िवजयी भव


सव शि यों से स िन यबुि ब ों क िवजय िन त है ही। जैसे िकसी के पास धन क , बुि क वा
स -स क क शि होती है तो उसे िन य रहता है िक यह ा बड़ी बात है! आपके पास तो सब
शि यां ह। सबसे बड़ा धन अिवनाशी धन सदा साथ है, तो धन क भी शि है, बुि और पोजीशन क
भी शि है, इ सफ यूज़ करो, के ित काय म लगाओ तो समय पर िवि ारा सि ा होगी।
ोगन:- थ दे खने वा सुनने का बोझ समा करना ही डबल लाइट बनना है।

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