You are on page 1of 3

01-03-2022 ात:मुरली ओम् शा "बापदादा"' मधुबन

“मीठे ब े - तु अपनी तकदीर हीरे जैसी बनानी है, पु षाथ कर बाप से ग का पूरा-पूरा वसा लेना है''
ः- कौन सा राज़ बुि म अगर युि यु बैठ जाए तो अपार खुशी रहेगी?
उ र:- डामा का। इस डामा म हर ए र को अिवनाशी पाट िमला आ है, जो बजाना ही है। कोई का भी पाट
िघसता वा िमटता नहीं। बनी बनाई बन रही... इसम हेर-फेर भी नहीं हो सकती। क पूरा होगा तो िफर
से वही पाट सेके बाई सेके रपीट होगा। यह ब त गु राज़ है जो युि यु बुि म बैठे तो खुशी
रहे। नहीं तो मूँ झते ह। बाबा कहते ह ब े मूँ झो नहीं। बाप म िन य रख पूरा वसा लेने का पु षाथ करो।
गीत:- तु पाके हमने .....

ओम् शा । मीठे -मीठे ई रीय ब ों ने गीत सुना। डामा अनुसार समझ म आता है िक तुम अभी बने हो ई र के ब े। ई र
से तुम ग का मा लक बनने आये हो अथवा रा लेने आये हो। नक के मनु मा तो यह जानते ही नहीं िक ग ा
होता है! तुम तो जानते हो बाबा ग क ापना करते ह। रावण िफर नक क ापना करते ह। यह भी कोई नहीं जानते।
तुम जानते हो हम बाबा से ग क राजाई ले रहे ह। जब कोई मनु मरते ह तो कहते ह ग पधारा। गोया अपने को कहते
ह हम नक म ह और सब नक के मा लक ह। यह िब ु ल सहज बात है, मूँ झने क दरकार नहीं। तु ारी तकदीर अब हीरे
जैसी बन रही है। हीरे जैसी तकदीर बाप के सवाए कोई बना नहीं सकते। तुम जानते हो िक बाप से हम ग का वसा ले रहे
ह। नक िकतना समय चलता है, कोई को भी समझाओ तो कहते ह सतयुग को तो लाखों वष ए। तुम हो गॉड फादरली
ू डे । गॉड फादर ारा ग का वसा पा रहे हो। िफर बाबा को भूलते ों हो - यह बाबा को समझ म नहीं आता है।
तूफान तो ब त आयगे। तब ा िबगर मेहनत तुम ग के मा लक बन जायगे। कोई मरा तो कहते ह गवासी आ। िफर
रोते ों हो? तुमको ता लयाँ बजानी चािहए, खुशी मनानी चािहए! अगर ग म जाना इतना सहज है िफर तो सबको गोली दे
दो तो ग म प ँच जाय। िफर यहाँ दु:ख म रहने क दरकार ही ा पड़ी है। दु:ख म मनु जहर खाकर भी मर जाते ह।
सपाही िकतने मरते ह। एक दो को भी मारते ह। बाबा कहते ह - सबको समझाओ जबिक ग गया तो िफर तुम रोते ों
हो? वा व म न कोई ग म जा सकते ह, न वािपस िनवाणधाम म जा सकते ह। अब तुमको ग म चलने का उपाय बाप
ही बताते ह। ग का रचियता जब ग रचे तब तो ग म कोई जावे ना। अब ग का रचियता बाप आया आ है। यह भी
तुम ब े ही जानते हो जब रावणरा शु होता है तो दे वी दे वताय वाम माग म चले जाते ह। उसी समय से िवकार शु हो
जाते ह। रावणरा कब शु होता है, उसका कोई िदन मुकरर नहीं है। तुम ब े यह थोड़ेही कह सकगे - बाबा ने कब इनम
वेश िकया। जब सा ा ार आ तब आया वा कब? सा ा ार तो भि माग म भी ऐसे ही होते ह। पता नहीं पड़ता िक
बाबा िकस समय आया। कृ के आने क घड़ी िदखाते ह। शवबाबा क घड़ी आिद कु छ होती नहीं। बाबा तो मा लक है।
कब आते ह, पता नहीं पड़ता है। यहाँ मुरली से समझ जाते ह।

बाप समझाते ह म कालों का काल ँ, म सबको वािपस ले गया था। सतयुग म तो थोड़े थे, क लयुग म िकतने ढे र मनु ह।
सभी आ ाओं को वािपस जाना है। ज र प ा चािहए ले जाने वाला। म हानी प ा बनकर आया ँ, तुमको ले जाऊंगा।
नई दुिनया के लए तुमको पढ़ा रहा ँ। नक, ग ा है, िकतना समय चलता है, कब शु होता है। कोई भी सं ासी आिद
नहीं जानते ह। रचता भी एक है, सृि भी एक है। शा ों म तो आताल-पाताल आिद ब त सृि याँ बना दी ह, जनको ढू ढते
रहते ह। समझते ह एक-एक ार म दुिनया है। बाप कहते ह म िफर से तुमको गीता का ान सुनाता ँ। ाइ को िफर
अपने समय पर आना है। डामा एक ही है। सतयुग म सवाए दे वी-दे वता रा के और कोई होता नहीं। अभी तुम जानते हो
हम बाबा से वसा लेने आये ह। याद करते ही ह हे पितत-पावन आओ। तो ज र सं गम पर ही आना पड़ेगा। अभी तुम जानते
हो हम यहाँ ों आये ह? ा लेने आये ह? तुम कहगे हम बाबा का वसा लेने आये ह। हम राजयोग सीख रहे ह। क -क
वसा लेते ह और गँ वाते ह। अभी िफर पु षाथ करना है। पूरी नॉलेज लेकर औरों को दे नी है। नहीं तो वृि कै से होगी। गीत
िकतना अ ा है। इनका अथ तुम ब े ही समझते हो। गीत िकतना मीठा है, तु ारे िदल से लगता है। बाबा आपसे हम ऐसा
रा लेते ह जो कोई भी लूट न सके । यह है अिवनाशी वसा, जो अिवनाशी बाप से िमलता है। अनािद व ड डामा अनुसार
अथवा गीता के कथन अनुसार िफर से बाबा गीता सुनाने आया है, जसम राजयोग सखाया था। शा ों म तो अगड़म-बगड़म
कर िदया है। युि से समझाने वाला भी चािहए। कोई कहते ह ोित ोत समा गया। आ ा तो अिवनाशी है। उनको पाट
भी अिवनाशी बजाना है, उनका पाट कभी िघस नहीं सकता। कभी िमट नहीं सकता। बनी बनाई बन रही... उसम अदली-
बदली भी हो नहीं सकती। िकतना व र है। इतनी छोटी सी आ ा म अिवनाशी पाट भरा आ है। क पूरा होगा तो िफर
ऐसे ही पाट रपीट करगे। सेके बाई सेके वैसे ही पास होगा। डामा को भी पूरा युि यु समझना है। कई तो इन बातों
म मूँ झते ह। पहले तो बाप म िन य होना चािहए िक बाप से ज र वसा िमलना है। क -क भारत को ही िमलता है। 84
म मूँ झते ह। पहले तो बाप म िन य होना चािहए िक बाप से ज र वसा िमलना है। क -क भारत को ही िमलता है। 84
ज भी लेने पड़े। वण भी ज र समझाने ह। यह ृित एक दो को िदलानी है िक हम बेहद के बाप से बेहद का वसा ले रहे
ह। सभी तो नहीं आकर पढ़गे। दे खते हो से र खुलते जाते ह, जहाँ नकवासी आकर गवासी बनते ह। बाबा को लखते ह
हम ब कर सकते ह। मुझे कोई व ु म मम नहीं है। यह सब कु छ ई र अथ है। अब आप जो राय दो। म भी लखता
ँ, भल आपस म राय करो, जहाँ अ लोक ी हो, वहाँ से र खोलो। िह ते मदा मददे बाप है। बाबा िकतना खुश होता
है। िदल म समझता है ऐसा दान तो अ ा होता है, ब तों को कौड़ी से हीरे जैसा बनाना। यह बड़े ते बड़ी हॉ टल भी है,
कालेज भी है। सफ 3 पैर पृ ी का चािहए। िकतना सहज रीित बाबा कौड़ी से हीरे जैसा बनाते ह। ऐसा बाबा रहते दे खो
िकतना साधारण ह। कहाँ आये ह, कोई राजा के पास ों नही आये! कहते ह म साधारण बूढ़े तन म आता ँ, जसने 84
ज ए ूरेट पूरे िकये ह। सतयुग का फ ि तो यह है ना। इनका नाम भी रखा है - ाम और सु र। तुम ब े इसका
भी अथ समझते हो, उ ों ने अथ को न समझने के कारण काला कर िदया है। मु शवबाबा का लं ग भी काला। कृ ,
राम को भी काला कर िदया है। एक तरफ गोरा िफर दूसरे तरफ काला ों? जग ाथ के म र म श ऐसी िदखाते ह जैसे
अ कन लोग। कहाँ -कहाँ नारायण को भी काला कर िदया है। कहाँ ल ी को भी ऐसा ही िदखाते ह। अब व र लगता है -
मनु ों क बुि कै सी है। बाबा ही स मत दे ते ह, अपने साथ िमलने के लए। बाक तो य तप दान पु आिद करते ह,
मु त म पैसे बरबाद करते रहते ह। िफर ों कहते ह - पितत-पावन आओ। याद ों करते ह? गं गा जमुना, नाले आिद
िकतने ह। बाबा ने भी ब त तीथ आिद िकये ह। अभी तुम मो िबलवेड लक सतारे नक ग को जान गये हो। मनु मरते
ह तो कहते ह ग गया। तो उनको भी समझाओ, ग िकसको कहते ह। हम जानते ह तब तो समझाते ह। हमको भी ग
ापन करने वाला बाप िमला है, वह नॉलेज दे रहे ह। हमारा कोई मनु गु नहीं है। सतगु एक बाबा है, वही पितत-
पावन है, जसको बुलाते ह। िनराकार को ही बुलाते ह ना, जसको तुम ान सागर कहते हो। वह सत- चत-आनं द प है,
ान का सागर है। हमको तो नॉलेज है नहीं। दे खा भी जाता है, उनके पास जो नॉलेज है वह कोई के पास नहीं है। तुमको
िकतना गदगद होना चािहए। पितत-पावन गॉड फादर हमको पढ़ाते ह। वह हमारा बाप टीचर सतगु है, इसम घुटका खाने
क बात नहीं है। अपनी रचना को तो स ालना ही है। अगर यहाँ आकर बैठ जाय - यह तो सं ा सयों का ान हो गया।
गृह वहार म रहते ए तुम एक घ टा, आधा घ टा िनकाल सकते हो। पहले 7 रोज़ भ ी म पड़ना पड़े। 7 िदन कोई क
याद न आये, कोई को च ी न लख। िब ु ल सबको भूल जाना है। तुम ब त वष भ ी म रहे, िफर भी तकदीर... कोई को
तो माया खींच लेती है। ऐसी माया बल है।

बाप कहते ह ब े, धीरे-धीरे प रप अव ा म आते जाओ। तुम जानते हो हमारे 84 ज पूरे ए ह। तु ारी बुि म सारा
झाड़, सब धम ह। वहाँ भी अलग-अलग से न ह। यहाँ भी ऐसे है, वहाँ भी ऐसे है। बाक मो िकसको भी िमल नहीं
सकता। ऐसे नहीं बुदबुदे िमसल आ ा परमा ा म लीन हो जायेगी। िफर तो सारा पाट ही खलास हो जाये। सब ोित- ोत
म समा जाय, खेल ही न चले। यह सब झूठ है। झूठ तो िब ु ल झूठ, सच क र ी भी नहीं। भि म कोई मुख मीठा थोड़ेही
होता है। तुम ब े जानते हो - मुख मीठा कौन कराते ह! तो बाप क पढ़ाई म पूरा ान दे ना चािहए। पुरानी दुिनया को दे ख
ल ू मत बन जाओ। दे ह-अ भमान म मत आओ। अब तो अपनी बैग-बैगेज तैयार कर टा फर कर दो। अब यह दुिनया
खलास होनी है। बाबा कहते ह सब कु छ इ ोर कर दो। भि माग म करते हो तो अ काल के लए फल िमल जाता है।
समझते ह ई र ने िदया। अभी तुम भी दे ते हो तो बाबा िफर रटन म दे ते ह। डायरे होने के कारण तुमको 21 ज का
इ ोरे िमलता है। बाबा कहते ह दे खो हमने फुल इ ोर िकया तो फुल राजाई िमलती है। वह है ज ानी इ ोरे , यह
है हानी बाप के साथ। ई र अथ दान करते ह ना। तो ई र रटन म दे ते ह। वह तो भि माग म भी दाता है तो ान माग
म भी दाता है। यह है बेहद क पढ़ाई, बेहद क बादशाही के लए। अब जतना चाहो उतना लो। िव क राजाई ले सकते
हो। पु षाथ क जय है। को शश करो - िवजय माला म िपरो जाओ। मूँ झते हो तो सजन राय बताने वाला बैठा है। तुम जानते
हो हमने अनेक बार बादशाही ली है और गॅ वाई है। यह ान अभी है, सतयुग म िफर भूल जायेगा। अ ा!

मीठे -मीठे सक लधे ब ों ित मात-िपता बापदादा का याद- ार और गुडमािनग। हानी बाप क हानी ब ों को नम े।

धारणा के लए मु सार:-

1) पुरानी दुिनया को दे ख ल ू नहीं बनना है। अपनी बैग बैगेज टांसफर कर दे नी है। अपना सब कु छ इ ोर कर दे ना है।

2) कोई भी व ु म अगर मम नहीं है तो िफर कौड़ी से हीरे जैसा बनने क सेवा करनी है। दान करने से ही ान धन बढ़े गा।

वरदान:- िनिम पन क ृित से हर पेपर म पास होने वाले एवररेडी, न ोमोहा भव


एवररेडी का अथ ही है - न ोमोहा ृित प। उस समय कोई भी सं बं धी अथवा व ु याद न आये।
िकसी म भी लगाव न हो, सबसे ारा और सबका ारा। इसका सहज पु षाथ है िनिम भाव। िनिम
समझने से “िनिम बनाने वाला'' याद आता है। मेरा प रवार है, मेरा काम है - नहीं। म िनिम ँ। इस
िनिम पन क ृित से हर पेपर म पास हो जायगे।
ोगन:- ा बाप के सं ार को अपना सं ार बनाना ही फालो फादर करना है।

You might also like