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“मीठे ब े - तु ारा चेहरा सदा खुशनुम: हो, बोल म िह त और ि ट हो, तो तु ारी बात का भाव पड़ेगा''
ः- कौन सी ुटी व कत बाप का है, जो कोई भी मनु नहीं कर सकता?
उ र:- िव म शा ापन करना वा पितत सृि को पावन बनाना, यह ुटी बाप क है। कोई भी मनु िव
म पीस कर नहीं सकते। भल का े आिद करते ह, पीस ाइज़ दे ते ह लेिकन पीस ापन तब हो जब
पहले ो रटी म रहे। ो रटी से ही पीस और ासपट िमलती है। बाप आकर ऐसी पिव दुिनया ापन
करते ह, जहाँ पीस होगी।
गीत:- तु ीं हो माता िपता...
बाप बैठ समझाते ह तुम भारतवासी ा बन पड़े हो। यह ा भी समझते ह हम ा थे िफर 84 ज ों के बाद ा बनते
ह। भारत म 84 ज इन ल ी-नारायण के ही िगनगे। बाप भी यहाँ ही आये ह। शव जय ी भी भारत म ही होती है।
बाबा कहते ह म पितत शरीर म वेश कर पितत दुिनया म ही आता ँ। न रवन पावन िफर न रवन पितत। इस समय
पितत तो सभी ह ना। सिवसएबुल ब ों क बुि म सारा िदन यही नॉलेज रहती है। बाप कहते ह - गृह वहार म रहते
एक तो पिव रहो और बाबा को याद करो। सतसं ग भी सुबह और शाम को होते ह। िदन म तो वहार म रहते ह, भि
करते ह। कोई िकसक पूजा करते, कोई िकसक । वा व म ी को तो कहते ह पित ही तु ारा सब कु छ है िफर उनको तो
िकसक पूजा करनी नहीं है। पित को ही गु ई र समझते ह। पर ु यह िवकारी के लए थोड़ेही कहा जा सकता है। पितयों
का पित, गु ओं का गु तो एक ही िनराकार परमिपता परमा ा है। तुम सब हो ाइड् स, एक ही ाइड ुम है। वह िफर पित
को समझ लेते ह। वा व म बाप तो आकर माताओं का मतबा ऊंच करते ह। गाया भी जाता है पहले ल ी, पीछे नारायण।
तो ल ी क इ त जा ी ठहरी। तो ग का मा लक बनने का िकतना नशा होना चािहए, क पहले भी शव जय ी
मनाई थी। बाबा आया था ग क ापना क थी। बाप आकर राजयोग सखलाते ह। हम रा भी लेते ह और पुरानी
दुिनया का िवनाश भी होना है। और कोई क बुि म यह बात हो न सक। बुि म यह सब बात धारण रह तो खुशनुम: रह।
िह त और ि ट चािहए। इसम बोलने क ै स करनी होती है, बै र र लोग भी ै स करते ह तो अ े बन जाते ह।
न रवार तो होते ह। फ ास, सेके ास, थड ास, फोथ ास तो होते ही ह। ब ों क अव ाय भी ऐसी ह।
ब ों म तो ब त िमठास चािहए। मधुरता और श ों म बात करने से भाव पड़ेगा। तो पीस ापन करने वाला एक ही
बाप है, बुलाते भी उनको ह। बाप कहते ह मुझे ाइज़ ा दगे! म तो तुम ब ों को ाइज़ दे ता ँ। तुम पीस, ासपट
ापन करते हो रीयल। पर ु तुम हो गु । आगे चलकर भाव िनकलता रहेगा। समझते भी ह बी.के . बड़ी कमाल करते ह।
िदन- ितिदन सुधरते भी जायगे। कोई के पास धन जा ी होता है तो मकान भी अ े -अ े माबल के बनाते ह। तुम भी
जा ी सीखते जायगे तो िफर यह च आिद भी आलीशान बनते जायगे। हर बात म टाइम लगता है। यह तो ब त बड़ा
इ तहान है। तमो धान से सतो धान बनना है। बस और कोई से हमारा तैलुक ही नहीं। तमो धान से सतो धान कै से बन,
वह युि बाप बैठ बताते ह। गीता म भी है - मनमनाभव। पर ु इनका अथ नहीं समझते। अब बाप स ुख बैठ समझाते ह।
ब े जानते ह - आधाक है भि , आधाक है ान। सतयुग ेता म भि होती नहीं। ान है िदन, भि है रात। मनु
का ही िदन और रात होता है। यह है बेहद क बात। ा का िदन, ा क रात। िदन म दे खो ल ी-नारायण क राजधानी
है ना। अभी है रात। यह पहेली िकतनी अ है। ा बनने म 5 हजार वष लगते ह। 84 ज लेते ह ना। तुम कहगे हम
सो दे वता बनते ह। यह तो बुि म अ रीित याद करना चािहए। सृि च बुि म रहना चािहए। इन ल ी-नारायण के
च को दे ख ब त खुश होना चािहए। यह है एम आ े । राजयोग सीख रहे ह - नर से नारायण बनने के लए। कृ
सतयुग का ि था। वहाँ थोड़ेही बैठ गीता सुनायगे। िकतनी भूल है। यह भूल बाप के िबगर कोई बता न सके । यह भी तुम
ब े ही जानते हो और तो सब िवषय सागर म गोते खाते रहते ह। ब तों को तो माया एकदम गले से पकड़ गटर म डाल दे ती
है। बाप कहते ह - गटर म मत िगरो। नहीं तो ब त पछताना पड़ेगा। पछताना न पड़े इस लए बाप समझाते ह। कईयों को तो
ब त जोश आता है, झट मान लेते ह। कई लखते ह बाबा पहले से ही सगाई क ई है। अब ा कर? बाबा कहते ह - तुम
कमाल करके िदखाओ। उनको पहले से ही बोल दो। तुमको पित क आ ा पर चलना पड़ेगा। यह गैर ी करनी होगी िक हम
पिव रहगी। पहले से ही लख दे , जो हम कहगे वह मानगी। लखाकर लो िफर कोई परवाह नहीं। क ा तो लखवा न
सके । उनको पु षाथ करना चािहए हमको शादी नहीं करनी है। क ाओं को तो ब त खबरदार रहना है। अ ा।
बाबा कहते ह तुमने मुझे ा समझा, जो कहते हो - हे पितत-पावन आकर पावन बनाओ, ा मेरा यही ध ा है! बाप ब ों
से हॅसीकु ड़ी करते ह। तुम बुलाते हो बाबा हम पितत हो गये ह, आकर पावन बनाओ। बाबा पराये दे श म आते ह। यह पितत
दुिनया है ना! मुझे इनम वेश होकर पावन बनाना है। यह तो िफर आकर पावन शरीर लगे। मेरी तकदीर म तो यह भी नहीं
है। मुझे पितत शरीर म ही आना पड़ता है। यह नॉलेज सुनकर ब तों को खुशी ब त होती है। यह िकतनी भारी नॉलेज है। तो
पु षाथ भी पूरा करना चािहए। अ े पु षा थयों के नाम तो बाबा गायन करते ह। मनु तो मौज उड़ाते ह। समझते ह हम
जैसे ग म बैठे ह। यहाँ तो सहन करना पड़ता है। जो बाप खलावे, िपलावे, जहाँ भी िबठावे। कदम-कदम ीमत पर चलना
है। अ ा!
मीठे मीठे सक लधे ब ों ित मात-िपता बापदादा का याद- ार और गुडमािनग। हानी बाप क हानी ब ों को नम े।
धारणा के लए मु सार:-
1) याद शवबाबा को करना है, फालो ा बाबा को करना है। ा बाप के समान ऊंच पु षाथ करना है। ई रीय नशे म
रहना है।
2) तमो धान से सतो धान बनना है, बाक िकसी बात क परवाह नहीं करनी है। कदम-कदम ीमत पर चलना है।