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21-12-2021 ात:मुरली ओम् शा "बापदादा"' मधुबन

“मीठे ब े - तु ारा चेहरा सदा खुशनुम: हो, बोल म िह त और ि ट हो, तो तु ारी बात का भाव पड़ेगा''
ः- कौन सी ुटी व कत बाप का है, जो कोई भी मनु नहीं कर सकता?
उ र:- िव म शा ापन करना वा पितत सृि को पावन बनाना, यह ुटी बाप क है। कोई भी मनु िव
म पीस कर नहीं सकते। भल का े आिद करते ह, पीस ाइज़ दे ते ह लेिकन पीस ापन तब हो जब
पहले ो रटी म रहे। ो रटी से ही पीस और ासपट िमलती है। बाप आकर ऐसी पिव दुिनया ापन
करते ह, जहाँ पीस होगी।
गीत:- तु ीं हो माता िपता...

ओम् शा । ब ों ने िकसक मिहमा सुनी? ा क , सर ती क वा शव क ? जब कहते ह तु ारे सवाए और कोई नहीं तो


दूसरे िफर िकसक मिहमा क जा सकती है। भल ा ण चोटी ह पर ु उनके ऊपर शवबाबा है ना। उनके सवाए और कोई
क मिहमा नहीं है। अब ब तों को पीस ाइज़ भी दे ते ह। इस दुिनया के समाचार भी सुनने चािहए। तुमको नई दुिनया के
समाचार बुि म ह। अब हम जाते ह नई दुिनया म। तो तुम ब े जानते हो िक एक के सवाए और कोई क मिहमा नहीं है।
बाप कहते ह म ँ तुम पिततों को पावन बनाने वाला। म नहीं होता तो तुम ा ण थोड़ेही होते। तुम ा ण अब सीख रहे हो,
बाप से वसा पा रहे हो। शू तो वसा पा न सक। तो ब लहारी एक बाप क है। भल हानी सेवाधारी ा णों का भी गायन
है। दे वी-दे वताओं का भी गायन है। पर ु अगर शवबाबा न हो तो इनका भी गायन कहाँ से आये! गाते भी ह मेरा तो एक
शवबाबा, दूसरा न कोई। वसा भी उनसे ही िमलता है। बाबा कहता है - मुझे कोई पीस ाइज़ नहीं िमलती है। हम तो
िन ाम सेवाधारी ह। हमको ा मैडल दगे? ा मुझे कोई मैडल दगे! म ाइज़ ा क ँ गा! कोई सोने आिद का मैडल
बनाकर दे ते ह वा अखबार म डालते ह। मेरे लए ा करगे? ब े म तो बाप ँ। बाप का फ़ज है - पिततों को पावन बनाना।
डामा अनुसार मुझे सबको मुि -जीवनमुि दे नी है। सेक म जीवनमुि ? जैसे जनक का नाम है वह िफर अनु जनक बना।
ऐसे यहाँ भी नाम है। जैसे कोई का ल ी नाम है, अब वह जीवनबं ध म है और तुम अब स ी ल ी, स े नारायण बन रहे
हो। भारत म ही ऐसे नाम ब तों के ह और धम वालों के ऐसे-ऐसे नाम नहीं सुनगे। भारत म ों रखते ह? ोंिक यह बड़ों के
यादगार ह। नहीं तो फ़क दे खो िकतना है। यहाँ के ल ी-नारायण नाम वाले म रों म जाकर सतयुगी ल ी-नारायण के आगे
माथा टे कते ह, पूजा करते ह। उ ों को कहगे ी ल ी, ी नारायण। अपने को ी नहीं कह सकते ह। पितत े कै से हो
सकता है। वह कहगे हम िवकारी पितत ह, यह िनिवकारी पावन ह। ह तो वह भी मनु । वह पा होकर गये ह। यह सब
बात और कोई नहीं जानते। तुमको बाप बैठ समझाते ह और हर कार के डायरे न भी दे ते ह। अब िवराट प का च भी
ज र होना चािहए। दे वताय ही िफर अ म आकर शू बनते ह। वैरायटी है ना। दूसरे कोई का ऐसा िवराट प बना आ नहीं
है। 84 ज भी तुम ही लेते हो। पू पुजारी भी तुम ही बनते हो। इतने ढे र पुजा रयों के लए िफर पू भी ब त चािहए
ना। तो िकतने च बैठ बनाये ह। हनुमान को भी पू बना रखा है। तो िवराट प का च भी ज री है। िहसाब चािहए
ना। िकस िहसाब से हम 84 ज लेते ह। ऊपर म चोटी भी ज र दे नी पड़े। िव ु का प भी ठीक है ोंिक वृि माग है
ना। ा णों क चोटी भी ीयर कर बतानी चािहए। च इतना बड़ा बनाना चािहए जो लखत भी आ जाए। समझानी तुम
ब त सहज दे सकते हो। वा व म बाबा को ाइज़ कु छ भी नहीं िमलती। ाइज़ तुमको िमलती है। ो रटी, पीस और
ासपट का रा तुम ही ापन करते हो। तुम िकसको भी कह सकते हो - हम यह ापना कर रहे ह। हम जो इतनी सिवस
करते ह, उनक ाइज़ हमको िमलती है - िव क बादशाही। िकतनी अ समझने क बात है। बाक यहाँ िकसको पीस
ाइज़ ा िमलेगी? तुम लख सकते हो िक हम ो रटी पीस ासपट 2500 वष के लए ापन कर रहे ह ीमत पर।
पर ु ब ों को इतना नशा चढ़ा आ नहीं है। नशा िकसको चढ़े गा? ा शवबाबा को? जनको पूरा नशा चढ़ता है, वह उस
नशे से समझाते ह। पहले तो नशा ा को चढ़ता है, इस लए शवबाबा कहते ह फालो फादर। तुमको भी इतना ऊंच पु षाथ
कर यह बनना है। यह बाबा कहते ह हमको बाप से श ा िमल रही है। तुम भी शवबाबा को याद करो। हम तो पु षाथ ह।
शव-बाबा कहते ह मेरी तो ुटी है पावन बनाने क , इसम मेरी मिहमा ा करगे। मुझे ाइज़ ा दगे? कोई भी मेरी यह
ुटी ले कै से सकते। आजकल ब तों को पीस ाइज़ िमलती रहती है। तो तुम राय दे सकते हो - आप पीस ापन कर
सकगे ा? पीस ापन करने वाला तो एक ही बाप है। पहले चािहए ो रटी। पीस तो है शा धाम, सुखधाम म।
इनकारपो रयल व ड म या कारपो रयल पैराडाइज़ म। यह भी समझाना पड़े। पीस ापन करने वाला कौन है? तुम बुलाते भी
हो िक आकर पावन दुिनया ापन करो। यह कौन समझाते ह? दोनों इक े ह ना! चाहे दोनों का नाम लो, चाहे एक का नाम
लो। ब ू बादशाह, पी वजीर। तुम ा समझते हो? िवचार सागर मं थन कौन करता है? शवबाबा करेगा या ा? ह तो
दोनों इक े ना। यह बात गुड़ जाने गुड़ क गोथरी जाने। तुमको पता नहीं पड़ता िक कौन डायरे न दे रहा है च बनाने और
समझाने के लए। हम जो हानी सिवस कर रहे ह वह भी डामानुसार। पढ़ने और पढ़ाने वाले कभी भी छपे नहीं रह सकते।
हाँ , तूफान तो ज र आयगे। यह 5 िवकार ही तं ग करते ह। रावणरा म बुि रांग काम ही कराती है ोंिक बुि को ताला
लग जाता है। माया ने सबको ताला लगा िदया है। ान का तीसरा ने अभी िमला है।

बाप बैठ समझाते ह तुम भारतवासी ा बन पड़े हो। यह ा भी समझते ह हम ा थे िफर 84 ज ों के बाद ा बनते
ह। भारत म 84 ज इन ल ी-नारायण के ही िगनगे। बाप भी यहाँ ही आये ह। शव जय ी भी भारत म ही होती है।
बाबा कहते ह म पितत शरीर म वेश कर पितत दुिनया म ही आता ँ। न रवन पावन िफर न रवन पितत। इस समय
पितत तो सभी ह ना। सिवसएबुल ब ों क बुि म सारा िदन यही नॉलेज रहती है। बाप कहते ह - गृह वहार म रहते
एक तो पिव रहो और बाबा को याद करो। सतसं ग भी सुबह और शाम को होते ह। िदन म तो वहार म रहते ह, भि
करते ह। कोई िकसक पूजा करते, कोई िकसक । वा व म ी को तो कहते ह पित ही तु ारा सब कु छ है िफर उनको तो
िकसक पूजा करनी नहीं है। पित को ही गु ई र समझते ह। पर ु यह िवकारी के लए थोड़ेही कहा जा सकता है। पितयों
का पित, गु ओं का गु तो एक ही िनराकार परमिपता परमा ा है। तुम सब हो ाइड् स, एक ही ाइड ुम है। वह िफर पित
को समझ लेते ह। वा व म बाप तो आकर माताओं का मतबा ऊंच करते ह। गाया भी जाता है पहले ल ी, पीछे नारायण।
तो ल ी क इ त जा ी ठहरी। तो ग का मा लक बनने का िकतना नशा होना चािहए, क पहले भी शव जय ी
मनाई थी। बाबा आया था ग क ापना क थी। बाप आकर राजयोग सखलाते ह। हम रा भी लेते ह और पुरानी
दुिनया का िवनाश भी होना है। और कोई क बुि म यह बात हो न सक। बुि म यह सब बात धारण रह तो खुशनुम: रह।
िह त और ि ट चािहए। इसम बोलने क ै स करनी होती है, बै र र लोग भी ै स करते ह तो अ े बन जाते ह।
न रवार तो होते ह। फ ास, सेके ास, थड ास, फोथ ास तो होते ही ह। ब ों क अव ाय भी ऐसी ह।
ब ों म तो ब त िमठास चािहए। मधुरता और श ों म बात करने से भाव पड़ेगा। तो पीस ापन करने वाला एक ही
बाप है, बुलाते भी उनको ह। बाप कहते ह मुझे ाइज़ ा दगे! म तो तुम ब ों को ाइज़ दे ता ँ। तुम पीस, ासपट
ापन करते हो रीयल। पर ु तुम हो गु । आगे चलकर भाव िनकलता रहेगा। समझते भी ह बी.के . बड़ी कमाल करते ह।
िदन- ितिदन सुधरते भी जायगे। कोई के पास धन जा ी होता है तो मकान भी अ े -अ े माबल के बनाते ह। तुम भी
जा ी सीखते जायगे तो िफर यह च आिद भी आलीशान बनते जायगे। हर बात म टाइम लगता है। यह तो ब त बड़ा
इ तहान है। तमो धान से सतो धान बनना है। बस और कोई से हमारा तैलुक ही नहीं। तमो धान से सतो धान कै से बन,
वह युि बाप बैठ बताते ह। गीता म भी है - मनमनाभव। पर ु इनका अथ नहीं समझते। अब बाप स ुख बैठ समझाते ह।
ब े जानते ह - आधाक है भि , आधाक है ान। सतयुग ेता म भि होती नहीं। ान है िदन, भि है रात। मनु
का ही िदन और रात होता है। यह है बेहद क बात। ा का िदन, ा क रात। िदन म दे खो ल ी-नारायण क राजधानी
है ना। अभी है रात। यह पहेली िकतनी अ है। ा बनने म 5 हजार वष लगते ह। 84 ज लेते ह ना। तुम कहगे हम
सो दे वता बनते ह। यह तो बुि म अ रीित याद करना चािहए। सृि च बुि म रहना चािहए। इन ल ी-नारायण के
च को दे ख ब त खुश होना चािहए। यह है एम आ े । राजयोग सीख रहे ह - नर से नारायण बनने के लए। कृ
सतयुग का ि था। वहाँ थोड़ेही बैठ गीता सुनायगे। िकतनी भूल है। यह भूल बाप के िबगर कोई बता न सके । यह भी तुम
ब े ही जानते हो और तो सब िवषय सागर म गोते खाते रहते ह। ब तों को तो माया एकदम गले से पकड़ गटर म डाल दे ती
है। बाप कहते ह - गटर म मत िगरो। नहीं तो ब त पछताना पड़ेगा। पछताना न पड़े इस लए बाप समझाते ह। कईयों को तो
ब त जोश आता है, झट मान लेते ह। कई लखते ह बाबा पहले से ही सगाई क ई है। अब ा कर? बाबा कहते ह - तुम
कमाल करके िदखाओ। उनको पहले से ही बोल दो। तुमको पित क आ ा पर चलना पड़ेगा। यह गैर ी करनी होगी िक हम
पिव रहगी। पहले से ही लख दे , जो हम कहगे वह मानगी। लखाकर लो िफर कोई परवाह नहीं। क ा तो लखवा न
सके । उनको पु षाथ करना चािहए हमको शादी नहीं करनी है। क ाओं को तो ब त खबरदार रहना है। अ ा।

बाबा कहते ह तुमने मुझे ा समझा, जो कहते हो - हे पितत-पावन आकर पावन बनाओ, ा मेरा यही ध ा है! बाप ब ों
से हॅसीकु ड़ी करते ह। तुम बुलाते हो बाबा हम पितत हो गये ह, आकर पावन बनाओ। बाबा पराये दे श म आते ह। यह पितत
दुिनया है ना! मुझे इनम वेश होकर पावन बनाना है। यह तो िफर आकर पावन शरीर लगे। मेरी तकदीर म तो यह भी नहीं
है। मुझे पितत शरीर म ही आना पड़ता है। यह नॉलेज सुनकर ब तों को खुशी ब त होती है। यह िकतनी भारी नॉलेज है। तो
पु षाथ भी पूरा करना चािहए। अ े पु षा थयों के नाम तो बाबा गायन करते ह। मनु तो मौज उड़ाते ह। समझते ह हम
जैसे ग म बैठे ह। यहाँ तो सहन करना पड़ता है। जो बाप खलावे, िपलावे, जहाँ भी िबठावे। कदम-कदम ीमत पर चलना
है। अ ा!

मीठे मीठे सक लधे ब ों ित मात-िपता बापदादा का याद- ार और गुडमािनग। हानी बाप क हानी ब ों को नम े।
धारणा के लए मु सार:-

1) याद शवबाबा को करना है, फालो ा बाबा को करना है। ा बाप के समान ऊंच पु षाथ करना है। ई रीय नशे म
रहना है।

2) तमो धान से सतो धान बनना है, बाक िकसी बात क परवाह नहीं करनी है। कदम-कदम ीमत पर चलना है।

वरदान:- सं गमयुग पर अती य सुख का अनुभव करने वाले डबल ाि के अ धकारी भव


जो ब े सं गमयुग पर अती य सुख का अनुभव कर लेते ह उ सदा शा और खुशी क डबल ाि का
नशा रहता है ोंिक अती य सुख म यह दोनों ाि यां समाई ई ह। अभी आप ब ों को जो बाप और
वस क ाि है यह सारे क म नहीं हो सकती। इस समय क ाि अती य सुख और नॉलेज भी िफर
कभी नहीं िमल सकती। तो इस डबल ाि के अ धकारी बनो।
ोगन:- एक दो के सं ारों को जानते ए उनसे िमलकर चलना - यही उ ित का साधन है।

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