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ओम् शान्ति। मीठे -मीठे रूहानी


बच्चों प्रति रूहानी बाप कहिे तक
राह िच तिखलािा हूँ परन्तु पहले
अपने कच आत्मा तनश्चय कर बै ठच।
िे ही-अतिमानी हचकर बै ठच िच तिर
िुमकच राह बहुि सहज िे खने
आये गी। िक्ति मागग में आधाकल्प
ठचकरें खाई हैं । िक्ति मागग की
अथाह सामग्री है । अब बाप ने
समझाया है बे हि का बाप एक ही है ।
बाप कहिे हैं िुमकच रास्ता बिा रहा
हूँ । िु तनया कच यह िी पिा नहीों कौन
सा रास्ता बिािे हैं ! मुक्ति-
जीवनमुक्ति, गति-सद्गति का। मु क्ति
कहा जािा है शाक्तन्तधाम कच। आत्मा
शरीर तबगर कुछ िी बचल नहीों
सकिी। कमेक्तियचों द्वारा ही आवाज़
हचिा है , मुख से आवाज़ हचिा है ।
मुख न हच िच आवाज़ कहाूँ से
आये गा। आत्मा कच यह कमे क्तियाों
तमली हैं कमग करने के तलए। रावण
राज्य में िु म तवकमग करिे हच। यह
तवकमग छी-छी कमग हच जािे हैं ।
सियु ग में रावण ही नहीों िच कमग
अकमग हच जािे हैं । वहाूँ 5 तवकार
हचिे नहीों। उसकच कहा जािा है -
स्वगग । िारिवासी स्वगग वासी थे , अब
तिर कहें गे नकगवासी। तवषय वैिरणी
निी में गचिा खािे रहिे हैं । सब एक-
िच कच िु :ख िे िे रहिे हैं । अब कहिे
हैं बाबा ऐसी जगह ले चलच जहाूँ िु :ख
का नाम न हच। वह िच िारि जब
स्वगग था िब िु :ख का नाम नहीों था।
स्वगग से नकग में आये हैं , अब तिर
स्वगग में जाना है । यह खे ल है । बाप ही
बच्चों कच बै ठ समझािे हैं । सच्ा-
सच्ा सिसोंग यह है । िुम यहाूँ सि
बाप कच याि करिे हच वही ऊोंच िे
ऊोंच िगवान है । वह है रचिा, उनसे
वसाग तमलिा है । बाप ही बच्चों कच
वसाग िें गे। हि का बाप हचिे हुए िी
तिर याि करिे हैं - हे िगवान् , हे
परमतपिा परमात्मा रहम करच।
िक्ति मागग में धक्के खािे -खािे है रान
हच गये हैं । कहिे हैं - हे बाबा, हमकच
सुख-शाक्तन्त का वसाग िच। यह िच बाप
ही िे सकिे हैं सच िी 21 जन्म के
तलए। तहसाब करना चातहए। सियु ग
में जब इनका राज्य था िच जरूर
थचडे मनु ष्य हचोंगे। एक धमग था, एक
ही राजाई थी। उनकच कहा जािा है
स्वगग , सुखधाम। नई िु तनया कच कहा
जािा है सिचप्रधान, पुरानी कच
िमचप्रधान कहें गे। हर एक चीज़
पहले सिचप्रधान तिर सिच-रजच-िमच
में आिी है । छचटे बच्े कच सिचप्रधान
कहें गे। छचटे बच्े कच महात्मा से िी
ऊोंच कहा जािा है । महात्मायें िच
जन्म लेिे तिर बडे हचकर तवकारचों
का अनु िव करके घरबार छचड
िागिे हैं । छचटे बच्े कच िच तवकारचों
का पिा नहीों है । तबल्कुल इनचसेंट हैं
इसतलए महात्मा से िी ऊोंच कहा
जािा है । िे विाओों की मतहमा गािे हैं
- सवगगुण सम्पन्न..... साधुओों की यह
मतहमा किी नहीों करें गे । बाप ने
तहों सा और अतहों सा का अथग समझाया
है । तकसकच मारना इसकच तहों सा
कहा जािा है । सबसे बडी तहों सा है
काम कटारी चलाना। िे विायें तहों सक
नहीों हचिे। काम कटारी नहीों चलािे।
बाप कहिे हैं अब मैं आया हूँ िुमकच
मनु ष्य से िे विा बनाने । िे विा हचिे हैं
सियु ग में। यहाूँ कचई िी अपने कच
िे विा नहीों कह सकिे। समझिे हैं
हम नीच पापी तवकारी हैं । तिर अपने
कच िे विा कैसे कहें गे इसतलए तहन्िू
धमग कह तिया है । वास्तव में आति
सनािन िे वी-िे विा धमग था। तहन्िू िच
तहन्िु स्तान से तनकाला है । उन्चों ने
तिर तहन्िू धमग कह तिया है । िुम
कहें गे - हम िे विा धमग के हैं िच िी
तहन्िू में लगा िें गे। कहें गे हमारे पास
कॉलम ही तहन्िू धमग का है । पतिि
हचने के कारण अपने कच िे विा कह
नहीों सकिे हैं ।

अिी िुम जानिे हच - हम पू ज्य िे विा


थे , अब पुजारी बने हैं । पूजा िी पहले
तसिग तशव की करिे हैं तिर
व्यतिचारी पुजारी बनें । बाप एक है
उनसे वसाग तमलिा है । बाकी िच
अने क प्रकार की िे तवयाूँ आति हैं ।
उनसे कचई वसाग नहीों तमलिा है । इस
ब्रह्मा से िी िुमकच वसाग नहीों तमलिा।
एक है तनराकारी बाप, िू सरा है
साकारी बाप। साकारी बाप हचिे हुए
िी हे िगवान, हे परमतपिा कहिे
रहिे हैं । लौतकक बाप कच ऐसे नहीों
कहें गे। िच वसाग बाप से तमलिा है ।
पति और पत्नी हाि पाटग नर हचिे हैं
िच उनकच आधा तहस्सा तमलना
चातहए। पहले आधा उनका तनकाल
बाकी आधा बच्चों कच िे ना चातहए।
परन्तु आजकल िच बच्चों कच ही सारा
धन िे िे िे हैं । कचई-कचई का मचह
बहुि हचिा है , समझिे हैं हमारे मरने
बाि बच्ा ही हकिार रहे गा।
आजकल के बच्े िच बाप के चले
जाने पर माूँ कच पू छिे िी नहीों।
कचई-कचई मािृ -स्नेही हचिे हैं । कचई
तिर मािृ -द्रचही हचिे हैं । आजकल
बहुि करके मािृ द्रचही हचिे हैं । सब
पैसे उडा िे िे हैं । धमग के बच्े िी
कचई-कचई ऐसे तनकल पडिे हैं जच
बहुि िोंग करिे हैं । अब बच्चों ने गीि
सुना, कहिे हैं बाबा हमकच सुख का
रास्ता बिाओ - जहाूँ चै न हच। रावण
राज्य में िच सुख हच न सके। िक्ति
मागग में िच इिना िी नहीों समझिे तक
तशव अलग है , शों कर अलग है । बस
माथा टे किे रहच, शास्त्र पढ़िे रहच।
अच्छा, इससे क्या तमलेगा, कुछ िी
पिा नहीों। सवग के शाक्तन्त का, सुख
का िािा िच एक ही बाप है । सियु ग
में सुख िी है िच शाक्तन्त िी है । िारि
में सुख शाक्तन्त थी, अब नहीों है
इसतलए िक्ति करिे िर-िर धक्के
खािे रहिे हैं । अिी िुम जानिे हच
शाक्तन्तधाम, सुखधाम में ले जाने वाला
एक ही बाप है । बाबा हम तसिग
आपकच ही याि करें गे , आपसे ही
वसाग लेंगे। बाप कहिे हैं िे ह सतहि
िे ह के सवग सम्बन्चों कच िू ल जाना है ।
एक बाप कच याि करना है । आत्मा
कच यहाूँ ही पतवत्र बनना है । याि नहीों
करें गे िच तिर सज़ायें खानी पडें गी।
पि िी भ्रष्ट हच जाये गा इसतलए बाप
कहिे हैं याि की मेहनि करच।
आत्माओों कच समझािे हैं । और कचई
िी सिसोंग आति ऐसा नहीों हचगा जहाूँ
ऐसे कहे - हे रूहानी बच्चों। यह है
रूहानी ज्ञान, जच रूहानी बाप से ही
बच्चों कच तमलिा है । रूह अथाग ि्
तनराकार। तशव िी तनराकार है ना।
िुम्हारी आत्मा िी तबन्दी है , बहुि
छचटी। उनकच कचई िे ख न सके,
तसवाए तिव्य दृतष्ट के। तिव्य दृतष्ट बाप
ही िे िे हैं । िगि बै ठ हनू मान, गणे श
आति की पूजा करिे हैं अब उनका
साक्षात्कार कैसे हच। बाप कहिे हैं
तिव्य दृतष्ट िािा िच मैं ही हूँ । जच बहुि
िक्ति करिे हैं िच तिर मैं ही उनकच
साक्षात्कार करािा हूँ । परन्तु इससे
िायिा कुछ िी नहीों। तसिग खु श हच
जािे हैं । पाप िच तिर िी करिे हैं ,
तमलिा कुछ िी नहीों। पढ़ाई तबगर
कुछ बन थचडे ही सकेंगे । िे विायें
सवगगुण सम्पन्न हैं । िु म िी ऐसे बनच
ना। बाकी िच वह है सब िक्ति मागग
का साक्षात्कार। सचमुच कृष्ण से
झूलच, स्वगग में उनके साथ रहच। वह
िच पढ़ाई पर है । तजिना श्रीमि पर
चलेंगे उिना ऊोंच पि पायें गे। श्रीमि
िगवान की गाई हुई है । कृष्ण की
श्रीमि नहीों कहें गे। परमतपिा
परमात्मा की श्रीमि से कृष्ण की
आत्मा ने यह पि पाया है । िुम्हारी
आत्मा िी िे विा धमग में थी अथाग ि्
कृष्ण के घराने में थी। िारिवातसयचों
कच यह पिा नहीों है तक राधे -कृष्ण
आपस में क्या लगिे थे । िचनचों ही
अलग-अलग राजाई के थे । तिर
स्वयों वर बाि लक्ष्मी-नारायण बनिे
हैं । यह सब बािें बाप ही आकर
समझािे हैं । अब िु म पढ़िे ही हच
स्वगग का तप्रन्स-तप्रन्सेज बनने के
तलए। तप्रन्स-तप्रन्सेज का जब स्वयों वर
हचिा है िब तिर नाम बिलिा है । िच
बाप बच्चों कच ऐसा िे विा बनािे हैं ।
अगर बाप की श्रीमि पर चलेंगे िच।
िुम हच मुख वोंशावली, वह हैं कुख
वोंशावली। वह ब्राह्मण लचग हतथयाला
बाों धिे हैं काम तचिा पर तबठाने का।
अिी िुम सच्ी-सच्ी ब्राह्मतणयाों
काम तचिा से उिार ज्ञान तचिा पर
तबठाने हतथयाला बाों धिे हच। िच वह
छचडना पडे । यहाूँ के बच्े िच लडिे -
झगडिे पैसा िी सारा बरबाि करिे
हैं । आजकल िु तनया में बहुि गन्द है ।
सबसे गन्दी बीमारी है बाइसकचप।
अच्छे बच्े िी बाइसकचप में जाने से
खराब हच पडिे हैं इसतलए बी.के. कच
बाइसकचप में जाना मना है । हाूँ , जच
मजबू ि हैं , उनकच बाबा कहिे हैं वहाूँ
िी िुम सतवगस करच। उनकच
समझाओ यह िच है हि का
बाइसकचप। एक बे हि का
बाइसकचप िी है । बे हि के
बाइसकचप से ही तिर यह हि के
झूठे बाइसकचप तनकले हैं ।
अिी िुम बच्चों कच बाप ने समझाया
है - मूलविन जहाूँ सिी आत्मायें
रहिी हैं तिर बीच में है सूक्ष्मविन।
यह है - साकार विन। खे ल सारा
यहाूँ चलिा है । यह चक्र तिरिा ही
रहिा है । िुम ब्राह्मण बच्चों कच ही
स्विशग न चक्रधारी बनना है । िे विाओों
कच नहीों। परन्तु ब्राह्मणचों कच यह
अलोंकार नहीों िे िे हैं क्यचोंतक
पुरूषाथी हैं । आज अच्छे चल रहे हैं ,
कल तगर पडिे हैं इसतलए िे विाओों
कच िे िे िे हैं । कृष्ण के तलए तिखािे
हैं स्विशग न चक्र से अकासुर-बकासुर
आति कच मारा। अब उनकच िच
अतहों सा परमचधमग कहा जािा है तिर
तहों सा कैसे करें गे ! यह सब है
िक्तिमागग की सामग्री। जहाूँ जाओ
तशव का तलोंग ही हचगा। तसिग नाम
तकिने अलग-अलग रख तिये हैं ।
तमट्टी की िे तवयाूँ तकिनी बनािे हैं ।
श्रृोंगार करिे हैं , हज़ारचों रूपया खचग
करिे हैं । उत्पति की तिर पूजा
करें गे , पालना कर तिर जाए डु बचिे
हैं । तकिना खचाग करिे हैं गु तडयचों की
पूजा में। तमला िच कुछ िी नहीों। बाप
समझािे हैं यह सब पैसे बरबाि
करने की िक्ति है , सीढ़ी उिरिे ही
आये हैं । बाप आिे हैं िच सबकी
चढ़िी कला हचिी है । सबकच
शाक्तन्तधाम-सुखधाम में ले जािे हैं ।
पैसे बरबाि करने की बाि नहीों।
तिर िक्तिमागग में िु म पैसे बरबाि
करिे -करिे इनसालवे न्ट बन गये हच।
सालवे न्ट, इनसालवे न्ट बनने की कथा
बाप बै ठ समझािे हैं । िुम इन लक्ष्मी-
नारायण की तडनायस्टी के थे ना।
अब िुमकच नर से नारायण बनने की
तशक्षा बाप िे िे हैं । वच लचग िीजरी की
कथा, अमर कथा सुनािे हैं । है सब
झूठ। िीजरी की कथा िच यह है ,
तजससे आत्मा का ज्ञान का िीसरा
ने त्र खु लिा है । सारा चक्र बु क्ति में आ
जािा है । िुमकच ज्ञान का िीसरा ने त्र
तमल रहा है , अमरकथा िी सुन रहे
हच। अमर बाबा िुमकच कथा सुना रहे
हैं - अमरपुरी का मातलक बनािे हैं ।
वहाूँ िुम किी मृत्यु कच नहीों पािे।
यहाूँ िच काल का मनु ष्यचों कच तकिना
डर रहिा है । वहाूँ डरने की, रचने की
बाि नहीों। खु शी से पुराना शरीर
छचड नया ले लेिे हैं । यहाूँ तकिना
मनु ष्य रचिे हैं । यह है ही रचने की
िु तनया। बाप कहिे हैं यह िच बना-
बनाया डरामा है । हर एक अपना-
अपना पाटग बजािे रहिे हैं । यह
िे विायें मचहजीि हैं ना। यहाूँ िच
िु तनया में अने क गु रू हैं तजनकी
अने क मिें तमलिी हैं । हर एक की
मि अपनी। एक सन्तचषी िे वी िी है
तजसकी पूजा हचिी है । अब सन्तचषी
िे तवयाूँ िच सियु ग में हच सकिी हैं ,
यहाूँ कैसे हच सकिी। सियु ग में
िे विायें सिै व सन्तु ष्ट हचिे हैं । यहाूँ िच
कुछ न कुछ आश रहिी है । वहाूँ
कचई आश नहीों हचिी। बाप सबकच
सन्तुष्ट कर िे िे हैं । िु म पद्मपति बन
जािे हच। कचई अप्राप्त वस्तु नहीों
रहिी तजसकी प्राक्तप्त की तचों िा हच।
वहाूँ तचों िा हचिी ही नहीों। बाप कहिे
हैं सवग का सद्गति िािा िच मैं ही हूँ ।
िुम बच्चों कच 21 जन्म के तलए खु शी
ही खु शी िे िे हैं । ऐसे बाप कच याि िी
करना चातहए। याि से ही िुम्हारे पाप
िस्म हचोंगे और िुम सिचप्रधान बन
जायें गे। यह समझने की बािें हैं ।
तजिना औरचों कच जास्ती समझायें गे
उिना प्रजा बनिी जाये गी और ऊोंच
पि पायें गे। यह कचई साधू आति की
कथा नहीों हैं । िगवान बै ठ इनके मुख
द्वारा समझािे हैं । अिी िुम सन्तुष्ट
िे वी-िे विा बन रहे हच। अिी िुमकच
व्रि िी रखना चातहए - सिै व पतवत्र
रहने का क्यचोंतक पावन िु तनया में
जाना है िच पतिि नहीों बनना है । बाप
ने यह व्रि तसखाया है । मनु ष्यचों ने
तिर अने क प्रकार के व्रि बनाये हैं ।
अच्छा!

मीठे -मीठे तसकीलधे बच्चों प्रति माि-


तपिा बापिािा का याि-प्यार और
गु डमॉतनग ग। रूहानी बाप की रूहानी
बच्चों कच नमस्ते।

धारणा के लिए मु ख्य सार:-


1) एक बाप की मि पर चल सिा
सन्तुष्ट रह सन्तचषी िे वी बनना है ।
यहाूँ कचई िी आश नहीों रखनी
है । बाप से सवग प्राक्तप्तयाों कर
पद्मपति बनना है ।
2) सबसे गों िा बनाने वाला
बाइसकचप (तसने मा) है । िुम्हें
बाइसकचप िे खने की मना है ।
िुम बहा-िु र हच िच हि और
बे हि के बाइसकचप का राज़
समझ िू सरचों कच समझाओ।
सतवगस करच।
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