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26-05-2023 प्रात: मुरली ओम्

शान्ति "बापदादा" मधुबन


“हे मीठे लाल - रात को जागकर
मोस्ट बील्वेड बाप को याद करो,
दे ही-अभिमानी बनो, श्रीमत
कहती है बाप समान भनरहं कारी
बनो”

प्रश्न:- शशवबाबा के साथ ब्रह्मा की


मत बहुत नामीग्रामी है - क्यों?
उत्तर:- क्योंशक ब्रह्मा बाबा
शशवबाबा का एक ही मुरब्बी बच्चा
है । इसे अपनी मत का अहों कार
नहीों है । सदै व कहते हैं - तुम
हमेशा बाप की ही श्रीमत समझय,
इसमें ही तुम्हारा कल्याण है । बाबा
दे खय शकतना शनरहों कारी है ,
माताओों कय कहते हैं वन्दे मातरम् ।
मातायें ज्ञान गोंगा हैं , शन्ति सेना हैं ,
इन्हें आगे रखना है , ररगार्ड दे ना है ।
इसमें दे ह-अशिमान नहीों आना
चाशहए।

गीत:- जय शपया के साथ है ...

ओम् शान्ति। गीत की पहली


लाइन बच्चों ने सुनी। कहते हैं जच
पपया के साथ है ....। परन्तु साथ में
इकट्ठे रहने का क्वेश्चन ही नहीों
उठता। जच बाप के बने हैं वे साथ हैं
ही। जच बाप के बनते हैं वे ब्राह्मण
भल कहााँ भी रहें उनके पलए तच
ज्ञान बरसात है । जच पिवबाबा के
पचत्रे-पचपत्रयााँ बन प्रपतज्ञा करते हैं -
बाबा, हम सदा पपवत्र रहें गे, ज्ञान
अमृत पपयेंगे - उनके पलए ही ज्ञान
की बरसात है । अमृत कचई जल
नहीों, ज़हर की भें ट में ज्ञान कच
अमृत कहा गया है । तच तुम हच
पाण्डव सम्प्रदाय। यादव सम्प्रदाय,
कौरव सम्प्रदाय का गायन है ना -
क्या करत भये। तुम पाण्डवचों पर है
ज्ञान अमृत की बरसात। बाकी जच
कौरव-यादव हैं उन पर ज्ञान अमृत
की बरसात नहीों है । यह भी बच्े
जानते हैं - यादव-कौरव बहुत हैं ।
पाण्डव बहुत थचडे हैं । गाया भी
जाता है राम गयच, रावण गयच..
पजनकी बहुत सम्प्रदाय है । राम की
सम्प्रदाय पाण्डव बहुत थचडे हैं । यह
है पाण्डव गवमेन्ट, श्रीमत पर चलने
वाले। यह जैसे भगवान की गवमेन्ट
है । परन्तु है गु प्त। तुम जानते हच
हम श्रीमत पर चल भारत का बेडा
पार कर रहे हैं । जच श्रीमत पर
चलते हैं वे अपना बेडा पार करते
हैं । यादव और कौरवचों के पास
पकतने महल हैं । तुम बच्चों कच
कुछ भी नहीों। तीन पैर पृ थ्वी के भी
तुम्हारे नहीों। सब उन्चों का है । यह
भी गाया हुआ है , पजनकच तीन पैर
पृथ्वी के नहीों पमलते थे उन्चों की
पवजय हुई और वह पवश्व के मापलक
बन गये। पाण्डव िक्ति सेना गुप्त
है । िास्त्चों में भी पदखाते हैं जुआ
खेला, पाण्डवचों का राज्य था पिर
जुआ में हराया, अभी न तच है राज्य,
न है जुआ की बात। यह सब झूठ
है । तुम बरचबर पाण्डव हच।
पिवबाबा है रूहानी पण्डा। बच्चों
कच रूहानी यात्रा पसखलाने आया
है । इस ब्रह्मा तन से श्रीमत दे ते हैं ।
जैसे पिवबाबा की श्रीमत गाई हुई
है , वैसे ब्रह्मा की भी गाई हुई है
क्यचोंपक पिर भी पिवबाबा का एक
ही मुरब्बी बच्ा है । इस द्वारा
पकतने मु खवोंिावली रचे जाते हैं ।
पपवत्रता का कोंगन बाँधवाकर कहते
हैं - पजतना मेरी मत पर चलेंगे
उतना मचस्ट बील्वेड बनेंगे। तुम्हारा
हीरे जैसा जीवन बनेगा। पिवबाबा
कहते हैं - इनका (ब्रह्मा का) और
तुम्हारा कनेक्शन मे रे साथ है । हीरे
जैसा जन्म तुमकच पमलता है
इसपलए अब दे ही-अपभमानी बनच।
पजतना पिव-बाबा कच याद करें गे
उतना दे ही-अपभमानी बनेंगे तच
माया वार नहीों करे गी।
बापदादा की हमेिा बच्चों पर नज़र
रहती है । अगर बच्े कुछ भी
बेकायदे चलते हैं तच बापदादा का
नाम बदनाम करते हैं । तच पिक्षा
दे नी पडती है - ऐसे काम नहीों
करना। नाम बदनाम करने वाले के
पलए कहा जाता है सतगु रू का
पनोंदक ठौर न पाये। ऐसा कचई
उल्टा कततव्य नहीों करना है । तुम
बच्े जानते हच - पजतना बाबा कच
याद करें गे उतना पवकमत पवनाि
हचोंगे। याद में रहने वाले कच ही
दे ही-अपभमानी कहा जाता है । दे ह-
अपभमान हचने से माया का वार
जचर से हचगा। बडी मोंपजल है ।
स्कॉलरपिप लेते हैं । पकतने ब्राह्मण
बनने वाले हैं । गाया जाता है 33
करचड दे वी-दे वतायें । पवजय माला
में वह आते हैं जच दे ही-अपभमानी
बनते हैं । दे ह-अपभमानी बनना
माना माया का वार हचना। दे ही-
अपभमानी बनना माना बाप का
बनना। यह बात बडी सूक्ष्म है ।
पुरुषाथत कर बाप कच याद करना
है । वह बाप भी है , साजन भी है ।
अपार सुख दे ने वाला है । कहते हैं
तुम बच्चों के पलए हथेली पर
बपहश्त ले आया हाँ । पसित तुम
श्रीमत पर चलच। श्रीमत कहती है
दे ही-अपभमानी भव। दे ह-अपभमान
ने तुम्हारा बेडा गकत पकया है । माया
तुमकच दे ह-अपभमानी बनाती है ।
रूहानी बाप कच सब भूले हुए हैं ।
अभी बाप ने आकर पररचय पदया
है । तुम अपने कच अिरीरी आत्मा
समझच। मेरा तच पिवबाबा और
वसात (स्वगत की राजाई) बस। दे ह-
अपभमान में आकर मेरा कहा तच
स्वगत का राज्य ले नहीों सकेंगे। हम
आत्मा हैं - यह पक्का पनश्चय करच।
यह जच आत्मा सच परमात्मा का
भूसा बुक्ति में भरा हुआ है , वह
पनकाल दच। अभी दे ही-अपभमानी
बनच। बाप कच याद करच तच तुम्हारा
बेडा पार हचगा। श्रीमत पर चलच।
दे ही-अपभमानी नहीों बनेंगे तच माया
बेडा गकत कर दे गी। ऐसे बहुतचों का
बेडा माया ने गकत पकया है क्यचोंपक
श्रीमत पर नहीों चलते हैं । यु ि का
मैदान है । तुम्हें पकसी भी बात में
हार नहीों खानी है । काम का भूत तच
एकदम पुजात -पुजात (टु कडा-टु कडा)
कर दे ता है । से केण्ड नम्बर है क्रचध
का भूत। क्रचध से एक दच कच
मारकर खलास करते हैं । यादवचों
का क्रचध बढे गा। एकदम जैसे
डे पवल बन जायेंगे। क्रचध भी बडा
भारी दु श्मन है । काम कच नहीों
जीता तच पपवत्र दु पनया का मापलक
बन नहीों सकेंगे । क्रचध दु श्मन भी
ऐसा है जच खुद कच भी और औरचों
कच भी दु :ख दे ते हैं । यह भी है
भावी। अब यादव, कौरव, पाण्डव
क्या करते हैं ? यह तुम ही जानते
हच। यह है पाण्डव गवमेन्ट। अब
तुम दे खते हच पाण्डवचों का राज्य तच
है नहीों। तीन पैर पृ थ्वी के भी नहीों
पमलते हैं । उन्चों का तच दे खच
पकतना दबदबा है । तुम बच्चों में
बहुत थचडे हैं जच नारायणी निे में
रहते हैं । निे सभी में है नुकसान।
दे ह-अपभमान में आने से बडा
नुकसान है । तच बाप समझाते हैं
तुम सदै व पिवबाबा कच याद करच।
ऐसे मत समझच यह ब्रह्मा ज्ञान दे ते
हैं । समझाते हैं पिव बाबा कच याद
करच। पिवबाबा कहते हैं मेरे साथ
यचग लगाओ। यह ब्रह्मा भी मेरे साथ
यचग लगाते हैं । मुझे याद करें गे तच
मैं मदद करता रहाँ गा। दे ह-
अपभमानी बनने से माया वार करती
रहे गी। और पिर एक दच कच दु :ख
दे ते रहें गे। इसमें भी दच हैं बडे
दु श्मन। नम्बरवार तच हचते हैं ना।
काम-क्रचध है प्रत्यक्ष पवकार। मचह-
लचभ आपद तच गु प्त हैं । तच इन भूतचों
पर पवजय पानी है ।
बाप कहते हैं अभी तुमकच तीन पै र
पृथ्वी के नहीों पमलते हैं , मैं पिर
तुमकच पवश्व का मापलक बनाता हाँ ।
बाप की हमेिा पदल हचती है बच्ा
नाम पनकाले। कचई पू छे तुम
पकसके बच्े हच, तच फ़लक से
उत्तर दे ना चापहए। ओहच, बाप ने
बच्चों कच बहुत ऊोंचा बनाया है ।
लौपकक बच्े हचते हैं कचई
इन्जीपनयर, कचई बैररस्टर, कचई
क्या - तच बाप खुि हचते हैं । कचई-
कचई बच्े तच बाप की इज्जत लेने में
भी दे री नहीों करते हैं । तुमकच तच
बाप की इज्जत बढानी है ना। कुल
कलोंपकत बच्े के पलए तच बाप
कहें गे मुआ भला। यह बाप भी ऐसे
कहें गे तुम कामी, क्रचधी बनकर
ईश्वरीय कुल कच कलोंक लगाते हच।
बाप से वसात तच पूरा लेना चापहए।
दे खते हच यह मम्मा-बाबा पहले
नम्बर में लक्ष्मी-नारायण बनते हैं ।
तच क्यचों न हम उनके तख्त पर जीत
पा लें । बरचबर तुम मााँ -बाप के
तख्त कच जीतते हच ना। बच्े तख्त
पर बै ठेंगे तच खुद नीचे आ जायेंगे।
अब राजधानी स्थापन हच रही है ।
बाप कहते हैं राजाई प्राप्त करच।
प्रजा में नहीों जाना है । नारायणी
निा रहना चापहए। भल प्रजा में भी
बहुत धनवान हचते हैं , परन्तु पिर
भी प्रजा कहें गे ना। राजाओों से भी
प्रजा में साहकार हचते हैं । इस समय
गवमेन्ट कोंगाल है । कजात लेती है तच
प्रजा साहकार हुई ना। बाप
समझाते हैं तुम जानते हच भारत की
गवमेन्ट यह लक्ष्मी-नारायण थे , अब
पिर बन रहे हैं । बाप की श्रीमत पर
चलने से बेडा पार हचता है । श्रेष्ठ
बनेंगे। नहीों तच माया खा जायेगी।
बहुतचों कच खा गई है । भल यहााँ से
पनकले हैं , बडे लखपपत बन गये हैं ।
भाजी (सब्जी) बेचने वाले आज
करचडपपत हच गये हैं । बाबा के पास
आते हैं , कहते हैं बाबा अभी तच
पैसा बहुत हच गया है । बाबा कहते
हैं तुम्हारे ऊपर बचझा बहुत है ,
पिवबाबा से तुमने पालना बहुत ली
है । कजात हुआ ना, इसपलए
खबरदार रहना। तच वे भी समझते
हैं बचझा उतार ले वें। ऐसे बहुत
पमलते हैं । कराची में तुम बक्तच्यााँ
भागी थी। कुछ ले आई थी क्या?
कुछ भी नहीों। पिवबाबा के खजाने
से तुम्हारी परवररि हुई। जच कचई-
कचई पिवबाबा के पपछाडी सरे ण्डर
हुए उनसे तुम बच्चों की पालना
हुई। इस बाबा कच थचडे -ही पता था
पक यह आपस में पमलकर ऐसे आ
जायेंगे। पिवबाबा ने उनकी बुक्ति में
डाला और भट्ठी बननी थी, तच सब
भागकर आ गये। तच परवररि के
पलए भी कचई बपल चढे । पिर उनसे
कई भाग गये। माया ने हार क्तखला
दी। माया भी कचई कम समथत नहीों
है । अब उस पर जीत पानी है बाप
की याद से। यचग अक्षर नहीों बचलच।
कई बच्े कहते हैं यचग में पबठाओ।
लेपकन यह आदत पड जायेगी तच
चलते-पिरते तुम याद नहीों कर
सकेंगे। नयचों कच भी यह नहीों
पसखाना है पक यचग में बैठच। नये
कच तुम अपने सामने पबठाते हच तच
वह नाम-रूप में िाँस पडता है ।
अनुभव ऐसा कहता है , इसपलए
मना की जाती है । मााँ -बाप कच एक
जगह याद करना हचता है क्या? तुम
उठते-बैठते, सपवतस करते बाबा कच
याद करच। बाबा के जच लाल हचोंगे,
वे रात कच जागकर भी याद करते
रहें गे। ऐसा मचस्ट बील्वेड बाबा
पजससे पवश्व का मापलक बनते हैं ,
तच क्यचों न उनकच याद करें गे ।
पारलौपकक बाप से अथाह सु ख का
वसात पमलता है । तुम अभी से
पुरुषाथत करते हच, मे हनत करते हच
जच पिर जन्म-जन्मान्तर ईश्वरीय
प्रालब्ध तुम भचगते हच। ऐसे नहीों,
वहााँ सतयुग में तुम ऐसे कमत करते
हच तब राजाई पमलती है । नहीों, यहााँ
के ही पुरुषाथत से प्रालब्ध पाते हच।
बडा भारी पद है । ऐसे बहुत आये
पिर आश्चयतवत सु नन्ती, कथन्ती,
पिर भागन्ती हच गये । बहुत सेन्टसत
भी स्थापन करन्ती, पिर भागन्ती,
पगरन्ती हच गये.. कचई सेन्टर स्थापन
करके भी आपहस्ते -आपहस्ते पगर
पडते हैं । वण्डरिुल माया है ना।
माया झट नाक से पकड लेती है
इसपलए बाप कहते हैं पनरन्तर याद
करच। समझच पिवबाबा समझाते
हैं । इनसे मम्मा तीखी है । बाबा
पनराकार, पनरहों कारी है । तुम बच्चों
कच भी समझना है , हम पनराकारी
आत्मा हैं , पनरहों कारी बनना है तब
ही वसात पायेंगे। दे ह-अपभमान नहीों
आना चापहए। बहुत मीठा बनना
है । वहााँ माया हचती नहीों। तच क्यचों न
बाप से वसात ले लेवें। बाबा का राइट
है ण्ड बन जायें। वह कौन बनते हैं ?
जच सेन्टर स्थापन करते हैं । कमाल
करते हैं , पकतनचों का कल्याण करते
हैं । कचई सेन्टसत स्थापन कर पिर
चले जाते हैं । उनका भी िल पमल
जाता है । एक तरि जमा, दू सरे
तरि ना हच जाती है । यह तच बाप
जानते हैं । ब्रह्मा भी जान सकते हैं ।
एक ही यह मुरब्बी बच्ा है । तुम
सब हच पचत्रे पचपत्रयााँ । तुम जानते हच
मम्मा नम्बरवन जाती है । बाबा
सेकेण्ड नम्बर में आते हैं । तच
माताओों का ररगाडत बहुत करना
पडे । बाबा कहते हैं वन्दे मातरम्।
तच बच्चों कच भी वन्दे मातरम् करना
पडे । माता पबगर उिार हच न
सके। वास्तव में तच हैं सब सीतायें।
सब सजपनयााँ हैं - एक साजन की
अथवा सब बच्े हैं एक बाप के।
बाप खुद कहते हैं वन्दे मातरम्।
जैसे कमत मैं करू
ों गा, मुझे दे ख बच्े
भी ऐसा करें गे । तच माताओों की
सम्भाल करनी है । इन पर
अत्याचार बहुत हचते हैं । कचई पवघ्न
डालते हैं तच भी पबचारी मातायें
बााँ धेली हच जाती हैं । पाप का घडा
ऐसे भरता है , असु र मारते हैं तच
पापात्मा बन पडते हैं । है तच सब
डरामा अनुसार, इसकच कचई पमटा
नहीों सकते। कल्प पहले मु आपिक
हरे क अपना वसात लेने वाले हैं ।
साक्षात्कार हचता है - कौन अच्छे -
अच्छे मददगार हचते हैं । पिवबाबा
कहते हैं मैं तच दाता हाँ , कुछ लेता
नहीों हाँ । अगर यह ख्याल आता है
पक हम दे ते हैं , अहों कार आया तच
यह मरे । पिवबाबा तच कहते हैं तुम
पठक्कर-पभत्तर दे कर ररटनत में
पकतना लेते हच! बाबा हमेिा दाता
है । पिवबाबा कच मैं दे ता हाँ - यह
बुक्ति में कभी नहीों आना चापहए। मैं
एक पैसा दे कर लाख लेता हाँ , 21
जन्म के पलए राज्य-भाग्य ले ता हाँ ।
बाप है सद्गपत दाता, झचली भरने
वाला। गु प्त दान करना हचता है ,
बाबा भी गुप्त है । अच्छा।
मीठे -मीठे पसकीलधे बच्चों प्रपत
मात-पपता बापदादा का याद, प्यार
और गु डमापनिंग। रूहानी बाप की
रूहानी बच्चों कच नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) दे ही-अपभमानी बन माया पर
जीत अवश्य पानी है । रात कच
जागकर भी मचस्ट बील्वेड बाप
कच याद करना है ।
2) बाप समान पनराकारी,
पनरहों कारी बनना है । पिवबाबा
कच दे ते हैं - यह तच सोंकल्प में
भी नहीों लाना है ।

वरदान:- समय के महत्व को


जान व्यर्थ को समर्थ में पररवतथन
करने वाली नॉले जफुल महान
आत्मा िव
63 जन्म तय व्यथड गोंवाया अिी
समथड बनने का यह एक जन्म है ,
इसे व्यथड नहीों गोंवाना क्योंशक सोंगम
की यह एक-एक घडी पदमयों की
कमाई जमा करने की है , यह
कमाई की सीज़न का युग है
इसशलए किी िी समथड कय छयड
व्यथड तरफ नहीों जाना। नालेजफुल
बन जय शजतना स्वयों समथड बनें गे
उतना औरयों कय समथड बनायेंगे।
ऐसा जय समय के महत्व कय जानते
हैं वह स्वत: महान बन जाते हैं ।

स्लोगन:- एक बाप के फरमान पर


चलते चलय तय सारी शवश्व आप पर
स्वत: कुबाड न जायेगी।
ओम् शान्ति।

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