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05-07-2023 ात:मुरली ओम् शा "बापदादा"' मधुबन

“मीठे ब े - यह ऑलमाइटी गवम है, बाप के साथ धमराज भी है, इस लए बाप को अपने िकये ए पाप बताओ तो
आधा माफ हो जायेगा''
ः- राजधानी का मा लक और जा म सा कार िकस आधार पर बनते ह?
उ र:- राजधानी का मा लक बनने के लए पढ़ाई पर पूरा ान चािहए। पढ़ाई से ही पद क ाि होती है।
सा कार जा बनने वाले नॉलेज लगे, बीज भी बोयगे (सहयोगी बनगे), पिव भी रहगे लेिकन पढ़ाई पर
पूरा ान नहीं दगे। पढ़ाई पर ान तब हो जब पहले प ा िन य हो िक हम यं भगवान् पढ़ाने आते
ह। अगर पूरा िन य नहीं तो यहाँ बैठे भी जैसे भु ू ह। अगर िन य है तो रे ुलर पढ़ना चािहए। धारण
करना चािहए।
गीत:- नयन हीन को राह िदखाओ भू........

ओम् शा । क लयुग को अंधेर नगरी कहा जाता है ोंिक सब आ ाय उझाई ई ह, ऐसे नहीं िक आं खों से अंधे ह। अंधेरी
नगरी म सब ान ने हीन अ े क औलाद अंधे ह। तमो धान बन गये ह। हम सब आ ाओं का बाप वह परमा ा है, जब
हम सब आ ाय वहाँ मूलवतन म रहती ह तो जागती ोत ह। पहले-पहले सतो धान स े सोने थे। सतयुग को कहा ही
जाता है गो डन एज। िह ी म पारसपुरी कहा जाता है। अब तो है आइरन एज अथात् तमो धान प र बुि । सतयुग म है
घर-घर सोझरा, क लयुग म है घर-घर अ यारा। दे वी-दे वता धम ाय:लोप हो गया है। सब धम , कम ह। अपने को
दे वता कहला नहीं सकते ोंिक िवकारी ह। बाबा ने सावरकर का िमसाल बताया था। उनको कहा गया िक आिद सनातन तो
दे वता धम था। तुम िफर आिद सनातन िह ू महासभा ों कहते हो? बोला - दादा जी, हम लोग अपने को दे वता कह नहीं
सकते ोंिक हम अपिव ह। तो अब दे वता धम क ापना हो रही है ोंिक यह िमशनरी है ना। जैसे ाइ आया तो
ि यन थे नहीं। इस समय भी दे वता धम है नहीं। अब ा णों क ापना ई है। ा ण िफर दे वी-दे वता होने ह।
परमिपता परमा ा कहते ह - म ँ दे वी-दे वता धम क ापना करने वाला। म तुम आ ाओं का पारलौिकक िपता ँ, जो म
तुम सबको भेज दे ता ँ। जैसे वह ि यन क िमशनरी है, वैसे यह दे वता धम क िमशनरी ह। यं पारलौिकक परमिपता
परमा ा कहते ह - ब े, तुम जो भी सुनते आये हो सब झूठ। भल डामा अनुसार िफर भी यह होना है। पर ु इस माया क
बॉ ेज से छु ड़ाने क -क म आकर समझाता ँ और आकर ा ारा दे वता धम क ापना कराता ँ। ापर से िफर और
अनेक धम ापन होते ह। उस समय दे वता धम है नहीं। उसको कहा जाता है - रावण रा । गीता तो है भारत का सव म
शा ोंिक भगवान् का गाया आ है। और सभी शा मनु ों के गाये ए ह। ीकृ ने तो सतयुग म ाल पाई है।
अब बाबा कहते ह - म आया ँ ल ी-नारायण का रा ापन करने, भारत म। ऐसे और कोई गीता सुनाने वाला कह न
सके । भगवान् ही कहते ह - हे भारतवासी ब े, म आया ँ, ा ारा दे वता धम ापन करने। पहले तो ा ारा ा ण
चािहए। दे वताय तो ाल भोगते ह। वह िकसका क ाण नहीं करते। वह तो राजे लोग ह। वहाँ स ि ब त है। माया
होती नहीं इस लए उनको ग कहा जाता है। अब भारत नक है। और कोई भी गीता सुनाने वाले ऐसे कह न सक िक काम
महाश ु है, इन पर िवजय पाने से तुम ग के मा लक बनोगे। भल तुम सारे भारत म जाओ, कोई भी ऐसा कह नहीं सकता
ोंिक खुद ही िवकारी है। उन िबचारों को भी यह पता नहीं िक सबका अ म ज है। बाबा बतलाते ह िक पहले तो इनका
यह ब त ज ों के अ का ज है, जसम म वेश करता ँ अथात् अब सारे सृि का ही अ है। इस एक ज के लए
तुम पिव ता का बीड़ा उठाओ। यह कोई झूठ बात तो नहीं। महाभारी लड़ाई भी दे ख रहे हो। थोड़ी-थोड़ी रहसल होती रहेगी।
ब ों ने िवनाश- ापना का सा ा ार िकया है। इससे स होता है - अ म ज है। और गीता सुनाने वाले ऐसा कह न
सक िक यह अ म ज है इस लए पिव ता का बीड़ा उठाओ। तु ारा यह राजयोग है। तुम तप ा करते हो, राजाई के
लए। अब यह स ी कमाई करनी है। इस अ म ज म प रनाथ से पारसनाथ बनते हो। िब ु ल ऊंच पद पाते हो।

जो हमारे पुराने ब े ह, जनको माया ने भ ीभूत िकया है, उ ों को आकर जगाया है। यह गोरा था। अब सब आ ाय
काली तमो धान ह। आ ा ही काली और गोरी बनती है। आ ा को िनलप कहना िब ु ल साफ झूठ है। आ ा सं ार ले
जाती है। अब बाबा कहते ह तुम ब े हो ई रीय मत पर। यूरोिपयन लोग भी कहते ह - भारत म गॉड-गॉडेज क राजधानी
थी। भगवान् राम, भगवती सीता, पर ु उनको भगवान् कह नहीं सकगे। वह तो िडटीजम है। वहाँ भगवान् कोई नहीं है।
भगवान् तो एक है। दे वताय तीन ह। बाक है मनु सृि । जैसे ाइ ने आकर धम ापन िकया, ि यन थे नहीं। वैसे
अब दे वता धम ाय: लोप है। सबसे उ म धम है दे वताओं का। बाबा कहते ह पहले-पहले यह हानी ा ण धम रचता ँ।
यह हानी ा ण परमधाम का रा ा बताने वाले ह। कहते ह भ ों को घर बैठे भगवान् िमलता है। तो बाबा बतलाते ह
पहले न र म भ ज र दे वताय होंगे। ल ी-नारायण ने पहले-पहले भि माग शु िकया। सोमनाथ का म र उ ों ने
बनाया, िकतना साफ-साफ बतलाते ह। यह नॉलेज उठायगे भी वह जो राजधानी के मा लक बनने होंगे। िफर जो जा म
सा कार बनने होंगे वह ान भी सुनगे। बीज भी बोयगे लेिकन पढ़ाई ादा नहीं पढ़गे। पिव रहगे। बाबा कहते ह - ब े,
यह पढ़ाई है। पढ़ाई से ही पद िमलना है। ब त ऊंच ते ऊंच पद है। पहले तो यह िन य चािहए िक भगवान् हम ब ों को
पढ़ाने आये ह, न िक ीकृ । बाक हाँ , इस पढ़ाई से हम ीकृ बनगे। ि -ि ेज तो तुम सब बनते हो। जनको यह
पूरा िन य नहीं वह इस ू ल म ऐसे बैठे रहते जैसे कोई भु ू । अगर िन य है तो रे ुलर पढ़ना है। नहीं तो कु छ समझा नहीं
है। यह अिवनाशी ाल िमलती है, अिवनाशी बाबा ारा। बाक सब क दा खल हो जायगे। बाक थोड़े रहगे, जब तक हम
तैयार हो जाय। िफर वह ख़लास हो जायगे। हम-तुमने क पहले यह सब दे खा था। अब दे ख रहे ह। अभी कहगे िक 5
हजार वष बाद िफर यह धम ापन कर रहा ँ ोंिक उनम ा और सृि के आिद-म -अ का ान हो नहीं सकता।
यह ान बाबा ही आकर दे ते ह। ा अथात् जहाँ आ ाय अ े िमसल रहती ह। वह सं ासी लोग िफर को ई र
कह दे ते ह। अब तो है त । परमिपता परमा ा तो है शव। वह लोग तो ोहम् भी कहते, शवोहम् भी कहते रहते।
पर ु शव तो है ा-िव ु-शं कर का रचियता। कहते ह ना - भागीरथ ने गं गा लाई। वह यह भागीरथ मनु है। नं दीगण तो
िफर जानवर हो गया। उ ोंने गऊशाला अ र सुना है तो िफर बैल को रख िदया है। म रों म भी राइट च ह - ल ी-
नारायण, सीता-राम के । बस, यह है ऊंच ते ऊंच जो ाल भोगते ह। जा भी ाल भोगती है। ल ी-नारायण दी फ ,
दी सेके , थड........ 8 बादशाही चलती ह। ब े रा करते ह। सीता-राम का भी ऐसे चलता है। िफर गाया जाता है
जगद ा आिद दे वी और ा आिद दे व। एडम-ईव - यह दोनों अब काले ह िफर गोरे बनने ह। दुिनया इन बातों को नहीं
जानती। काली, दुगा, अ ा - सब एक के ही नाम ह। स ा नाम सर ती है। तो आ ा काली होती है, बाक कोई काला
मुँ ह थोड़ेही होता है। इस समय सब आ ाय काली ह। हम सब ब र थे। अब बाबा ने हमको अपनी सेना बनाया है। अब
रावण पर जीत पा रहे ह।

बाबा कहते ह म तुमको सब शा ों-वेदों का सार ा ारा सुनाता ँ। ा को हाथ म शा िदखाते ह। शा तो एक होना
चािहए ना। तो अब ा के हाथ म है - शरोमणी गीता। बाबा बैठ ा ारा सब वेदों- ं थों का सार बताते ह। उनको गीता
कहा जाता है। बाक कोई शा नहीं ह। बुि म गीता है। गीता म भगवानुवाच है िक काम महाश ु है तो गीता सुनाने वालों
को भी कहना चािहए िक इन पर जीत पहनो तो ग के मा लक बनगे। वह तो ऐसे कभी नहीं कहगे। सब झूठ बोलते रहते
ह। हम भी झूठ बोलते थे। हमने भी ब त गु िकये। अजुन को भी कहा है ना इन सबको भूलो। तु ारे इन गु ओं को भी
पावन करने वाला म ँ। अब तुम जो पढ़े हो वह भूल जाओ। न सुना आ अब म सुनाता ँ। अब तुम कौड़ी से हीरे जैसा
बनते हो। अब यह सब ख़लास होना है। तुम ब ों ने िवनाश- ापना दे खी है, इस लए पु षाथ कर रहे ह, बाबा के पास
सबका पोतामेल रहता है। लखकर दे ते ह - म ऐसा पापी था, यह िकया ोंिक धमराज बाबा कहते ह - हमको सुनाने से
आधा माफ कर दगे। वह सब ायवेट रहता है। पढ़ा और िफर फाड़ िदया। यह ऑलमाइटी गवम है। अभी अजुन छोटा
झाड़ है, इसका माली खुद भगवान है। धीरे-धीरे वृि होगी। माया झट मुरझा दे ती है। कहाँ क बात कहाँ कहानी के प म
बना दी है। कहाँ हमारे ल ी-नारायण मयादा पु षो म और पु षो नी महान् पिव थे। यहाँ तो सब अपिव ह। वह था
पिव गृह आ म धम। यहाँ अपिव गृह अधम है। पूछते ह िफर दुिनया कै से चलेगी? बाबा कहते ह यह दुिनया रहनी
ही नहीं है। ख़लास होनी है। यह अ म ज है इस लए काम कटारी चलाना छोड़ दो। तुमको ज -ज ा र िवकारी माँ -
बाप से िवष का वसा िमलता आया। अब म ऑड ने िनकालता ँ - िवष का वसा बं द करो। नहीं तो वैकु जा नहीं सकगे।
िवकारों पर जीत पहनगे तो ग म जायगे, नहीं तो पाताल। राम रा आकाश तो रावण रा पाताल। यह डामा है। इस
समय दे वता धम वाले और धम म कनवट हो गये ह। अपने असली धम को नहीं जानते ह। कोई धम म थोड़ा सुख दे खा तो
झट कनवट हो जाते ह, इसको कहते है हाफ का । यहाँ भी जो ा ण का म आये लेिकन पु षाथ म कमजोर ह तो जा
पद िमलेगा। साफ बात बतलाते ह।

यह जो कहते ह ऋिष-मुिन आिद ि कालदश थे, लेिकन जब जगत िम म कहते ह तो िफर ि कालदश कै से होंगे? ब त
गपोड़े लगाये ह। कहते ह फलाना िनवाणधाम गया - यह भी गपोड़ा। सबको पाट बजाकर यहाँ हा जर होना है। सबका गाइड
बाबा है। बाबा िकसी से भि छु ड़ाते नहीं। जब तक प रप अव ा नहीं है तो भल भि करते रह। याद रखना - हम कोई
का गु नहीं। जैसे तुम सुनते हो वैसे हम भी सुन रहे ह शवबाबा से। हम सबका गु वह एक िनराकार है। अ ा!

मीठे -मीठे सक लधे ब ों ित मात-िपता बापदादा का याद, ार और गुडमॉिनग। हानी बाप क हानी ब ों को नम े।

धारणा के लए मु सार:-

1) इस अ म ज म पिव ता क ित ा कर पान का बीड़ा उठाना है। आ ा को काले से गोरा सतो धान बनाने का
1) इस अ म ज म पिव ता क ित ा कर पान का बीड़ा उठाना है। आ ा को काले से गोरा सतो धान बनाने का
पु षाथ करना है।

2) अिवनाशी ाल बनाने के लए िन यबुि बन पढ़ाई रे ुलर पढ़नी है। बाक जो अब तक पढ़ा है वह बुि से भूल जाना
है।

वरदान:- िवजय के उमं ग-उ ाह ारा नाउ ींदी को उ ीदों म प रवतन करने वाले िन यबुि भव
अगर िन य अटू ट है तो िवजय सदा है ही, िवजय का उमं ग-उ ाह सदा रहे, नाउ ींदी के सं ार न हों।
कोई भी मु कल काय इतना सहज अनुभव हो जैसे कोई बड़ी बात ही नहीं है ोंिक अनेक बार काय कर
चुके ह, कोई नई बात नहीं कर रहे ह, इस लए नाउ ीदीं का नामिनशान भी न रहे, कोई भी भाव-
सं ार म यह सं क न आये िक पता नहीं यह प रवतन होगा या नहीं, ह ही सदा के िवजयी।
ोगन:- शि शाली बनना है तो सदा खजानों क ृित और समरण म रहो।

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