You are on page 1of 11

13-11-2023 प्रात: मुरली ओम्

शान्ति "बापदादा" मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम्हारी सच्ची-सच्ची
दीपावली तो नई दु ननया में होगी,
इसनलए इस पुरानी दु ननया के
झठ
ू े उत्सव आनद दे खने की नदल
तुम्हें नही ीं हो सकती”
प्रश्न:- तुम होलीहं स हो, तुम्हारा
कततव्य क्या है ?
उत्तर:- हमारा मुख्य कततव्य है एक
बाप की याद में रहना और सबका
बुन्तियोग एक बाप के साथ
जुडाना। हम पवित्र बनते और
सबको बनाते हैं । हमें मनुष्य को
दे िता बनाने के कततव्य में सदा
तत्पर रहना है । सबको दु :खों से
वलबरे ट कर, गाइड बन मुन्ति-
जीिनमुन्ति का रास्ता बताना है ।
गीत:- तुम्हें पाके हमने जहााँ पा
वलया है ........
ओम् शान्ति। बच्चों ने गीत सुना।
बच्े कहते हैं हम स्वगग की राजाई
का वसाग पाते हैं । उसे कभी कचई
जला न सके, कचई छीन न सके,
वह वसाग हमसे कचई जीत न सके।
आत्मा कच बाप से वसाग ममलता है
और ऐसे बाप कच बरचबर मात-
मपता भी कहते हैं । मात-मपता कच
पहचानने वाला ही इस सों स्था में आ
सकता है । बाप भी कहते हैं मैं
बच्चों के सम्मुख प्रत्यक्ष हच पढाता
हूँ , राजयचग मसखाता हूँ । बच्े
आकर बे हद के बाप कच अपना
बनाते हैं , जीते जी। धमग के बच्े
जीते जी मलए जाते हैं । आप हमारे
हैं , हम आपके हैं । तुम हमारे क्चों
बने हच? कहते हच - बाबा, आपसे
स्वगग का वसाग लेने हम आपके बने
हैं । अच्छा बच्े , ऐसे बाप कच कभी
फारकती नहीों दे ना। नहीों तच
नतीजा क्ा हचगा? स्वगग की राजाई
का पूरा वसाग तुम पा नहीों सकेंगे।
बाबा-मम्मा महाराजा-महारानी
बनते हैं ना, तच पुरुषाथग कर इतना
वसाग पाना है । परन्तु बच्े पु रुषाथग
करते-करते मफर फारकती दे दे ते
हैं । मफर जाकर मवकारचों में फूँसते हैं
वा हे ल में मगरते हैं । हे ल नकग कच,
हे मवन स्वगग कच कहा जाता है ।
कहते हैं हम सदा स्वगग के मामलक
बनने के मलए बाप कच अपना बनाते
हैं क्चोंमक अभी हम नकग में हैं ।
हे मवनली गॉड फादर, जच स्वगग का
रचमयता है वह जब तक न आये
तब तक कचई हे मवन जा न सके।
उसका नाम ही है हे मवनली गॉड
फादर। यह भी तुम अभी जानते
हच। बाप कह रहे हैं - बच्े , तुम
समझते हच, बरचबर बाप से वसाग
पाने के मलए हम बाप के पास आये
हैं , 5 हजार वषग पहले मुआमफक।
परन्तु मफर भी चलते -चलते माया
के तूफान एकदम बरबाद कर दे ते
हैं । मफर पढाई कच छचड़ दे ते हैं ,
गचया मर गये। ईश्वर का बनकर
मफर अगर हाथ छचड़ मदया तच गचया
नई दु मनया से मरकर पुरानी दु मनया
में चला गया। हे मवनली गॉड फादर
ही नकग के दु :ख से मलबरे ट कर
मफर गाइड बन स्वीट साइलेन्स
हचम में ले जाते हैं , जहाूँ से हम
आत्मायें आई हैं । मफर स्वीट हे मवन
की राजाई दे ते हैं । दच चीज़ दे ने बाप
आते हैं - गमत और सद्गमत। सतयुग
है सुखधाम, कमलयुग है दु :खधाम
और जहाूँ से हम आत्मायें आती हैं
वह है शान्तन्तधाम। यह बाप है ही
शान्तन्तदाता, सुखदाता फार फ्युचर।
इस अशान्त दे श से पहले शान्तन्त
दे श में जायेंगे। उसकच स्वीट
साइलेन्स हचम कहा जाता है , हम
रहते ही वहाूँ हैं । यह आत्मा कहती
है मक हमारा स्वीट हचम वह है मफर
हम जच इस समय नॉलेज पढते हैं ,
उससे हमकच स्वगग की राजधानी
ममलेगी। बाप का नाम ही है
हे मवनली गॉड फादर, मलबरे टर,
गाइड, नॉलेजफुल, न्तिसफुल, ज्ञान
का सागर। रहममदल भी है । सब
पर रहम करते हैं । तत्चों पर भी
रहम करते हैं । सभी दु :ख से छूट
जाते हैं । दु :ख तच जानवर आमद
सबकच हचता है ना। कचई कच मारच
तच दु :ख हचगा ना। बाप कहते हैं
मनुष्य मात्र तच क्ा, सभी कच दु :ख
से मलबरे ट करता हूँ । परन्तु
जानवरचों कच तच नहीों ले जायेंगे। यह
मनुष्यचों की बात है । ऐसा बेहद का
बाप एक ही है बाकी तच सब दु गगमत
में ले जाते हैं । तुम बच्े जानते हच
बेहद का बाप ही स्वगग की वा
मुन्तिधाम की मगफ्ट दे ने वाला है ।
वसाग दे ते हैं ना। ऊोंच ते ऊोंच एक
बाप है । सभी भि उस भगवान्
बाप कच याद करते हैं । मिमियन
भी गॉड कच याद करते हैं । हे मवनली
गॉड फादर है मशव। वही
नॉलेजफुल, न्तिसफुल है । इसका
अथग भी तुम बच्े जानते हच। तुम्हारे
में भी नम्बरवार हैं । कचई तच
मबल्कुल ऐसे हैं जच मकतना भी ज्ञान
का श्रोंगार करच मफर भी मवकारचों में
मगरें गे , गन्दी दु मनया दे खेंगे।
कई बच्े दीपमाला दे खने जाते हैं ।
वास्तव में हमारे बच्े यह झूठी
दीपमाला दे ख नहीों सकते। परन्तु
ज्ञान नहीों है तच मदल हचगी। तुम्हारी
दीवाली तच है सतयुग में , जबमक
तुम पमवत्र बन जाते हच। तुम बच्चों
कच समझाना है मक बाप आते ही हैं
स्वीट हचम वा स्वीट हे मवन में ले
जाने। जच अच्छी रीमत पढें गे , धारणा
करें गे , वही स्वगग की राजधानी में
आयेंगे। परन्तु तकदीर भी चामहए
ना। श्ीमत पर नहीों चलेंगे तच श्ेष्ठ
नहीों बनेंगे। यह है श्ी मशव
भगवानुवाच। जब तक मनुष्यचों कच
बाप की पहचान नहीों ममली है तब
तक भन्ति करते रहें गे। जब मनिय
पक्का हच जायेगा तच मफर भन्ति
आपेही छचड़ें गे। तुम हच हचलीनेस।
गॉड फादर के डायरे क्शन अनुसार
सभी कच पमवत्र बनाते हच। वह तच
मसफग महन्दु ओों कच वा मुसलमानचों
कच मिमियन बनायेंगे। तुम तच
आसुरी मनुष्यचों कच पमवत्र बनाते हच।
जब पमवत्र बनें तब हे मवन वा स्वीट
हचम में जा सकें। नन बट वन, तुम
मसवाए एक बाप के और कचई कच
याद नहीों करते हच। एक बाप से ही
वसाग ममलना है तच जरूर उस एक
बाप कच ही याद करें गे। तुम पमवत्र
बन औरचों कच पमवत्र बनाने की
मदद करते हच। वह नन्स कचई
पमवत्र नहीों बनाती हैं , न आप समान
नन्स बनाती हैं । मसफग महन्दू से
मिमियन बनाती हैं । तुम हचली नन्स
पमवत्र भी बनाती हच और सभी
आत्माओों का एक गॉड फादर से
बुन्तियचग जुटाती हच। गीता में भी है
ना - दे ह समहत दे ह के सभी
सम्बन्ध छचड़ अपने कच आत्मा
समझ बाप कच याद करच। मफर
नॉलेज कच धारण करने से ही
राजाई ममलेगी। बाप की याद से ही
एवरहे ल्दी बनें गे और नॉलेज से
एवरवेल्दी बनेंगे। बाप तच है ही ज्ञान
सागर। सभी वेदचों-शास्त्चों का सार
बतलाते हैं । ब्रह्मा के हाथ में शास्त्
मदखाते हैं ना। तच यह ब्रह्मा है ।
मशवबाबा इनके द्वारा सभी वेदचों
शास्त्चों का सार समझाते हैं । वह है
ज्ञान का सागर। इनके द्वारा तुमकच
नॉलेज ममलती रहती है । तुम्हारे
द्वारा मफर औरचों कच ममलती रहती
है ।
कई बच्े कहते हैं - बाबा, हम यह
रूहानी हॉन्तिटल खचलते हैं , जहाूँ
रचगी मनुष्य आकर मनरचगी बनेंगे
और स्वगग का वसाग लेंगे, अपना
जीवन सफल करें गे , बहुत सु ख
पायेंगे। तच इतने सबकी आशीवाग द
जरूर उनकच ममलेगी। बाबा ने उस
मदन भी समझाया था मक गीता,
भागवत, वेद, उपमनषद आमद सब
जच भी भारत के शास्त् हैं , यह
शास्त् अध्ययन करना, यज्ञ, तप,
व्रत, नेम, तीथग आमद करना यह सब
भन्ति मागग की सामग्री रूपी छाों छ
है । एक ही श्ीमत भगवत गीता के
भगवान् से भारत कच मक्खन
ममलता है । श्ीमत भगवत गीता कच
भी खण्डन मकया हुआ है , जच ज्ञान
सागर पमतत-पावन मनराकार
परममपता परमात्मा के बदले श्ी
करष्ण का नाम डालकर छाों छ बना
मदया है । एक ही मकतनी बड़ी भारी
भूल है । अभी तुम बच्चों कच ज्ञान
सागर डायरे क्ट ज्ञान दे रहे हैं ।
अभी तुम जानते हच मक यह सरमि
चि कैसे मफरता है , यह सरमि रूपी
झाड़ की वरन्ति कैसे हचती है ? तुम
ब्राह्मण हच चचटी, मशवबाबा है
ब्राह्मणचों का बाप। मफर ब्राह्मण से
दे वता मफर क्षमत्रय, वैश्य, शूद्र
बनेंगे। यह हच गई बाजचली। इसकच
84 जन्चों का चि कहा जाता है ।
वेद सम्मेलन करने वालचों कच भी
तुम समझा सकते हच। भन्ति है
छाों छ, ज्ञान है मक्खन। मजससे
मुन्ति-जीवनमुन्ति ममलती है । अब
अगर तुमकच मवस्तार से ज्ञान
समझना है तच धैयगवत हचकर सुनच।
ब्रह्माकुमाररयाों तुमकच समझा
सकती हैं । शास्त्चों में भी मलखा हुआ
है भीष्ममपतामह, अश्वस्थामा आमद
कच मपछाड़ी में इन बच्चों ने ज्ञान
मदया है । अन्त में यह सब समझ
जायेंगे मक यह तच ठीक कहते हैं ,
अन्त में आयेंगे जरूर। तुम प्रदशगनी
करते हच, मकतने हजार मनुष्य आते
हैं परन्तु मनियबुन्ति सब थचड़े ही बन
जाते। कचटचों में कचई ही मनकलते हैं
जच अच्छी रीमत समझकर मनिय
करते हैं । अच्छा!
मीठे -मीठे मसकीलधे लकी ज्ञान
मसतारचों प्रमत, मात-मपता बापदादा
का नम्बरवार पु रुषाथग अनुसार
याद-प्यार और गुडमॉमनगग। रूहानी
बाप की रूहानी बच्चों कच नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) पमवत्र बन आप समान पमवत्र
बनाना है । एक बाप के मसवाए
मकसी कच भी याद नहीों करना
है ।
2) अनेक आत्माओों की आशीवाग द
लेने के मलए रूहानी हॉन्तिटल
खचलनी है । सबकच गमत-सद्गमत
की राह बतानी है ।
वरदान:- ब्रह्मा बाप को फालो
कर फर्स्ट ग्रेड में आने वाले
समान भव
सभी बच्ों का ब्रह्मा बाप से बहुत
प्यार है , प्यार की वनशानी है समान
बनना। इसमें सदा यही लक्ष्य रखो
वक पहले मैं , ईष्यात िश पहले मैं
नहीं, िह नुकसान करता है ।
लेवकन फालो फादर करने में पहले
मैं कहा और वकया तो फर्स्त के
साथ में आप भी फर्स्त हो जायेंगे।
जैसे ब्रह्मा बाप नम्बरिन बनें ऐसे
फालो करने िाले भी नम्बरिन का
लक्ष्य रखो। ओटे सो अव्वल अजुतन,
सबको फर्स्त में आने का चां स है ।
फर्स्त ग्रे ड बे हद में है कम नहीं।
स्लोगन:- सफलतामूतत बनना है तो
स्व सेिा और औरों की सेिा साथ-
साथ करो।
मातेश्वरी जी के महावाक्य:-
“यह ईश्वरीय सतसों ग कॉमन
सतसोंग नहीों है ”
अपना यह जच ईश्वरीय सतसोंग है ,
कॉमन सतसोंग नहीों है । यह है
ईश्वरीय स्कूल, कॉलेज। मजस
कॉलेज में अपने कच रे ग्युलर स्टडी
करनी है , बाकी तच मसफग सतसोंग
करना, थचड़ा समय वहाूँ सुना मफर
तच जैसा है वैसा ही बन जाता है
क्चोंमक वहाूँ कचई रे ग्युलर पढाई
नहीों ममलती है , जहाूँ से कचई
प्रालब्ध बनें इसमलए अपना सतसोंग
कचई कॉमन सतसोंग नहीों है । अपना
तच ईश्वरीय कॉले ज है , जहाूँ
परमात्मा बैठ हमें पढाते हैं और
हम उस पढाई कच पूरा धारण कर
ऊोंच पद कच प्राप्त करते हैं । जैसे
रचज़ाना स्कूल में मास्टर पढाए
मडग्री दे ता है वैसे यहाूँ भी स्वयों
परमात्मा गुरू, मपता, टीचर के रूप
में हमकच पढाए सवोत्तम दे वी
दे वता पद प्राप्त कराते हैं इसमलए
इस स्कूल में ज्वाइन्ट हचना जरूरी
है । यहाूँ आने वाले कच यह नॉलेज
समझना जरूर है , यहाूँ कौनसी
मशक्षा ममलती है ? इस मशक्षा कच
लेने से हमकच क्ा प्रान्तप्त हचगी! हम
तच जान चुके हैं मक हमकच खुद
परमात्मा आकर मडग्री पास कराते
हैं और मफर एक ही जन् में सारा
कचसग पूरा करना है । तच जच शुरू से
लेकर अन्त तक इस ज्ञान के कचसग
कच पूरी रीमत उठाते हैं वच फुल पास
हचोंगे, बाकी जच कचसग के बीच में
आयेंगे वच तच इतनी नॉलेज कच
उठायेंगे नहीों, उन्चों कच क्ा पता
आगे का कचसग क्ा चला? इसमलए
यहाूँ रे ग्युलर पढना है , इस नॉलेज
कच जानने से ही आगे बढें गे
इसमलए रे ग्यु लर स्टडी करनी है ।
“परमात्मा का सच्चा बच्चा बनते
कोई संशय में नही ं आना
चालहए”
जब परमात्मा खुद इस सरमि पर
उतरा हुआ है , तच उस परमात्मा कच
हमें पक्का हाथ दे ना है लेमकन
पक्का सच्ा बच्ा ही बाबा कच
हाथ दे सकता है । इस बाप का हाथ
कभी नहीों छचड़ना, अगर छचड़ें गे तच
मफर मनधण का बन कहाूँ जायेंगे!
जब परमात्मा का हाथ पकड़ मलया
तच मफर सूक्ष्म में भी यह सोंकल्प
नहीों चामहए मक मैं छचड़ दू ूँ वा सोंशय
नहीों हचना चामहए। पता नहीों हम
पार करें गे वा नहीों, कचई ऐसे भी
बच्े हचते हैं जच मपता कच न
पहचानने के कारण मपता के भी
सामने पड़ते हैं और ऐसे भी कह
दे ते हैं हमकच कचई की भी परवाह
नहीों है । अगर ऐसा ख्याल आया तच
ऐसे न लायक बच्े की सम्भाल
मपता कैसे करे गा मफर तच मानच मक
मगरा मक मगरा क्चोंमक माया तच
मगराने की बहुत कचमशश करती है
क्चोंमक परीक्षा तच अवश्य लेगी मक
मकतने तक यचिा रूसतम
पहलवान है ! अब यह भी जरूरी है ,
मजतना मजतना हम प्रभु के साथ
रूसतम बनते जायेंगे उतना माया
भी रूसतम बन हमकच मगराने की
कचमशश करे गी। जचड़ी पूरी बनेगी
मजतना प्रभु बलवान है तच माया भी
उतनी बलवानी मदखलायेगी, परन्तु
अपने कच तच पक्का मनिय है
आखरीन भी परमात्मा महान
बलवान है , आखरीन उनकी जीत
है । श्वाों सच श्वाों स इस मवश्वास में न्तस्थत
हचना है , माया कच अपनी बलवानी
मदखलानी है , वह प्रभु के आगे
अपनी कमजचरी नहीों मदखायेगी,
बस एक बारी भी कमजचर बना तच
खलास हुआ इसमलए भल माया
अपना फचसग मदखलाये , परन्तु अपने
कच मायापमत का हाथ नहीों छचड़ना
है , वच हाथ पूरा पकड़ा तच मानच
उनकी मवजय है , जब परमात्मा
हमारा मामलक है तच हाथ छचड़ने
का सोंकल्प नहीों आना चामहए।
परमात्मा कहता है , बच्े जब मैं
खुद समथग हूँ , तच मेरे साथ हचते तुम
भी समथग अवश्य बनेंगे। समझा
बच्े।
ओम् शान्ति।

You might also like