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स्पार्क प्रोजेक्ट

फोलो फादर
साक्षी भाव

र्ृति
( संर्लन )
स्पार्क (SpARC)

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स्पार्क (SpARC – Spiritual Applications Research Centre)

स्पार्क (SpARC) एर् अनस


ु ंधान प्रभाग ( Researvh Wing ) है , जो कर् दे श तथा विदे श र्े
अनेर् स्थनों पर र्ार्क र्र रहा है। स्पार्क (SpARC) शब्द र्ा विस्तार ( Full form )
Spiritual Applications Research Centre है और इसर्ा लक्ष्र् है विश्ि नि-ननर्ाकण
र्े र्ार्क र्े अध्र्ात्र् एिं विज्ञान र्ो एर्-दस
ु रे र्ा सह्र्ोगी बनाना। इसी लक्ष्र्-पूनतक र्े ललए
स्पार्क र्नन-चचंतन और विचार सागर र्ंथन र्े द्िारा ईश्िरीर् ज्ञान र्ो िैज्ञाननर् पष्ठृ ्भलू र्
और विज्ञान र्े विरोधोक्तत र्ुतत शाखाओं र्ो आध्र्ाक्त्र्र् पष्ठृ ्भूलर् प्रदान र्रते हुए दोनों
र्ो एर्-दस
ु रे र्े सर्ीप लार्र आपस र्े लर्लर्र र्ार्क र्रने र्े ललए तैर्ार र्र रहा है।

इस र्ार्क र्े तीव्र गनत र्े अग्रेसर होने र्े ललए तथा जीिन र्े सर्स्त पह्लुओ र्े
आध्र्ाक्त्र्र्ता र्ा प्रर्ोग और उपर्ोग से प्राप्त पररणर्ो र्ो सर्वर्ाकन्र् बनाने र्े ललए
प्रभािशाली विचध, साधन और तर्नीर् र्ा विर्ास र्रने आदद र्ार्क र्े स्पार्क सवक प्रर्ार र्े
अनस
ु ंधानों र्ो प्रोत्साहिि र्रिा िै।

लोर्ल चैप्टर –

स्पार्क र्ी गनतविचधर्ों र्ो और अचधर् गनतशील बनाने र्े ललए दे श-विदे श र्े स्पार्क र्े
लोर्ल चैप्टसक चल रहे है। एर् अथिा एर् से अचधर् सेिार्ेन्र, शहर, राज्र् अथिा दे श र्े 5
से अचधर् बी.र्े. भाई-बह्नों र्े सर्ह
ू जब लर्लर्र स्पार्क र्े गनतविचध र्ो र्ार्ाकक्न्ित र्रते
है उसे स्पार्क लोर्ल चैप्टर ( Local Chapter ) र्हा जाता है। कर्सी भी स्थान पर लोर्ल
चैप्टर शुरु र्रने र्े ललए र्ह आिश्र्र् है कर् उस स्थान र्े सेिार्ेन्र र्ी प्रभारी बहन र्ी
स्िीर्ृनत से सेिार्ेन्र पर 5 से अचधर् भाई-बहनों र्ा एर् ग्रुप तैर्ार कर्र्ा जाए। सभी भाई-
बहने सप्ताह र्े, 15 ददन र्े र्ा र्ास र्े र्र् से र्र् एर् बार आपस र्े लर्ल्र्र ईश्िरीर्
ज्ञानबबन्द ु पर रुह-ररहान, विचार-सागर र्ंथन र्रे तथा र्ार्यशाकला और पररचचाक आदद र्ार्कक्रर्
र्ा आर्ोजन र्रे । ब्र.र्ु. भाई-बहनों र्े आध्र्ाक्त्र्र् उन्ननत र्े साथ-साथ अन्र् आत्र्ाओं र्ी
सेिा र्रने र्े ललए निीन विचधर्ों र्ा ननर्ाकण र्र सर्ें।

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साक्षी भाव
अभी आप एर्-एर् र्ास्टर रचनर्ता हो तो र्ास्टर रचनर्ता अपनी रचना से भी अपनी पॉिर
र्ो परख सर्ते हैं। जैसा बीज होता है िैसा ही फल ननर्लता है। अगर बीज पािरफुल नहीं
होता है तो र्हााँ-र्हााँ फूल ननर्लेंगे, फल ननर्लेंगे लेकर्न स्िीर्ार र्रने र्ोग्र् नहीं होते हैं।
जो बहुत सुन्दर ि खुशबुदार होंगे, जो फल अच्छा होगा उनर्ो ही खरीद र्रें गे ना। अगर
बीज ही पािरफुल नहीं होता है तो रचना भी जो पैदा होती है िह स्िीर्ार र्रने र्ोग्र् नहीं
होती। इसललए अपनी लाइट र्ी परसेंटेज र्ो बढ़ाओ। ददन प्रनत ददन सभी र्े र्स्तर् और
नर्न ऐसे ही सविकस र्रें जैसे आप र्ा प्रोजेतटर शो सविकस र्रता है। र्ोई भी सार्ने आर्ेंगे
िह चचत्र आपर्े नर्नों र्ें दे खेंगे, नर्न दे खते ही बुविर्ोग द्िारा अनेर् साक्षात्र्ार होंगे। ऐसे
साक्षात्र्ार र्ूतक अपने र्ो बनाना है। लेकर्न साक्षात्र्ार र्ूतक िह बन सर्ेंगे जो सदै ि साक्षी
र्ी क्स्थनत र्ें क्स्थत होंगे। उनर्े नर्न प्रोजेतटर र्ा र्ार् र्रें गे। उनर्ा र्स्तर् सदै ि
चर्र्ता हुआ ददखाई पड़ेगा। होली र्े बाद सांग बनाते हैं ना। दे िताओं र्ो सजार्र र्स्तर्
र्ें बल्ब जलाते हैं। र्ह सांग तर्ों बनाते हैं? र्ह कर्स सर्र् र्ा प्रैक्तटर्ल रूप है ? इस
सर्र् र्ा। जो कफर आपर्े र्ादगार बनाते आते हैं। तो एर्-एर् र्े र्स्तर् र्ें लाइट दे खने
र्ें आर्े। विनाश र्े सर्र् भी र्ह लाइट रूप आपर्ो बहुत र्दद दे गी। र्ोई कर्स भी िक्ृ त्त
िाला आपर्े सार्ने आर्ेंगे। िह इस दे ह र्ो न देख आपर्े चर्र्ते हुए इस बल्ब र्ो दे खेंगे।
जो बहुत तेज़ लाइट होती है और उसर्ो जब दे खने लगते हैं तो दस
ू री सारी चीज़ नछप जाती
है। िैसे ही क्जतनी-क्जतनी आप सभी र्ी लाइट तेज़ होगी उतना ही उन्हों र्ो आपर्ी दे ह
दे खते हुए भी नहीं दे खने आएगी। जब दे ह र्ो दे खेंगे ही नहीं तो तर्ोगुणी दृक्ष्ठट और िक्ृ त्त
स्ितः ही ख़त्र् हो जाएगी। र्ह परीक्षाएं आनी हैं। सभी प्रर्ार र्ी पररक्स्थनतर्ााँ पास र्रनी
है।

( 02-02-70 )

परु
ु षाथक र्ी र्र्जोरी र्े र्ारण संर्ल्पों र्ी रचना होती है , इसललए अब इनर्ो नार् ननशााँ से
ख़त्र् र्र दे ना है। सार्ार रूप र्ें र्ख्
ु र् गण
ु तर्ा स्पष्ठट दे खने र्ें आर्े? क्जस गण
ु से
सम्पूणकता सर्ीप देखने आती थी? िह तर्ा गुण था? क्जस गुण र्ो दे ख सभी र्हते थे कर्
सार्ार होते भी अर्वर्तत अनुभि होता है। िह तर्ा गुण था? (हरे र् ने सुनार्ा) सभी बातों
र्ा रहस्र् तो एर् ही है। लेकर्न इस क्स्थनत र्ो र्हा जाता है -उपरार्। अपने दे ि से भी
उपराम। उपराम और दृष्टा।
जो साक्षी बनते हैं उनर्ा ही दृष्ठटांत दे ने र्ें आता है। तो साक्षी दृष्ठटा र्ा साबुत और रष्ठटान्त
र्े रूप र्ें सार्ने रखना है। एर् तो अपनी बुवि से उपरार्। संस्र्ारों से भी उपरार्। र्ेरे
संस्र्ार है, इस र्ेरेपन से भी उपरार्। संस्र्ारों से भी उपरार्। र्ेरे संस्र्ार हैं इस र्ेरेपन से

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भी उपरार्। र्ें र्ह सर्झती हूाँ, इस र्ैं-पन से भी उपरार्। र्ैं तो र्ह सर्झती हूाँ। नहीं।
लेकर्न सर्झो बापदादा र्ी र्ही श्रीर्त है। जब ज्ञान र्ी बवु ि र्े बाद र्ैं-पन आता है तो िह
र्ैं-पन भी नर्
ु सान र्रता है। एर् तो र्ैं शरीर हूाँ र्ह छोड़ना है , दस
ू रा र्ैं सर्झती हूाँ, र्ैं
ज्ञानी आत्र्ा हूाँ, र्ैं बवु िर्ान हूाँ, र्ह र्ैं-पन भी लर्टाना है। जहााँ र्ैं शब्द आता है िहां
बापदादा र्ाद आर्े। जहााँ र्ेरी सर्झ आती है िहां श्रीर्त र्ाद आर्े। एर् तो र्ैं -पन लर्टाना
है दस
ू रा र्ेरा-पन। िह भी चगराता है। र्ह र्ैं और र्ेरा तर्
ु और तेरा र्ह चार शब्द हैं इनर्ो
लर्टाना है। इन चार शब्दों ने ही सम्पण
ू कता से दरू कर्र्ा है। इन चार शब्दों र्ो सम्पण
ू क
लर्टाना है। सार्ार र्े अक्न्तर् बोल चेर् कर्र्े, हर बात र्ें तर्ा सुना? बाबा-बाबा। सविकस र्ें
सफलता न होने र्ी र्रे तशन भी र्ौन सी बात र्ें थी? सर्झाते थे हर बात र्ें बाबा-बाबा
र्हर्र बोलो तो कर्सर्ो भी तीर लग जार्ेगा। जब बाबा र्ाद आता तो र्ैं -र्ेरा,त-ू तेरा ख़त्र्
हो जाता है। कफर तर्ा अिस्था हो जाएगी? सभी बातें प्लेन हो जार्ेंगी कफर प्लेन र्ाद र्ें
ठहर सर्ेंगे।

( 26-03-70 )

क्जतना संस्र्ारों र्ो सर्ानता र्ें लािेंगे उतना ही सर्ीप आर्ेंगे। र्ौन से संस्र्ार? सार्ार
रूप र्े संस्र्ार उपरार् और साक्षी दृष्ठटा र्ह सार्ार र्े सम्पूणक क्स्थनत र्े श्रेष्ठठ लक्षण थे।
इन संस्र्ारों र्ें सर्ानता लानी है। इन गुणों से सिक र्े ददलों पर विजर्ी होंगे। जो संगर् पर
सिक र्े ददलों पर विजर्ी बनता है िही भविष्ठर् र्ें विश्ि र्हाराजन बनते हैं। विश्ि र्ें सिक आ
जाते हैं। तो बीज र्हााँ डालना है फल िहां लेना है।

( 02-04-70 )

र्ुख्र् एर् बात ध्र्ान र्ें रखने और र्र्क र्ें धारण र्रने िाली र्ौन सी है , क्जससे इस
सफलता स्िरुप र्ो प्रैक्तटर्ल र्ें ला सर्ते हो? िह र्ौन सी बात है? अगर उस बात र्ो
धारण र्र लें तो सफलता स्िरूप बन सर्ते हैं। (साक्षीपन) हााँ र्ह बात ठीर् है। आज
बापदादा भी साक्षी अिस्था र्ी राखी बााँधने र्े ललए आर्े हैं। अगर र्ह साक्षीपन र्ी राखी
सदै ि बंधी हुई हो तो सविकस र्ी सफलता बहुत जल्दी ननर्लेगी। अभी क्जस र्तकर्वर् र्ें र्ास
लगता है उस र्तकर्वर् र्ें एर् घंटा भी नहीं लगेगा। र्ह साक्षीपन र्ी राखी बांधनी है। औरों
र्ो तो प्र्रू रटी र्ी राखी बााँधते हो लेकर्न बापदादा आज र्ह साक्षीपन र्ी राखी बााँध रहे हैं।
क्जतना साक्षी रहें गे उतना साक्षात्र्ारर्ूतक और साक्षात ् र्ूतक बनेंगे। साक्षीपन र्र् होने र्े
र्ारण साक्षात ् और साक्षात्र्ारर्त
ू क भी र्र् बने हैं। इसललए र्ह अभ्र्ास र्रो। र्ौन-सा

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अभ्र्ास? अभी-अभी आधार ललर्ा, अभी-अभी न्र्ारे हो गए। र्ह अभ्र्ास बढ़ाना अथाकत ्
सम्पण
ू कता और सर्र् र्ो सर्ीप लाना है।
ननर्ाकण बनने से प्रत्र्क्ष प्रर्ाण बन सर्ेंगे। ननर्ाकण बनने से विश्ि र्ा ननर्ाकण र्र सर्ेंगे।
सर्झा। ऐसी क्स्थनत र्ो धारण र्रने र्े ललए साक्षीपन र्ी राखी बांधनी है। जब पहले से ही
साक्षीपन र्ी राखी बााँध र्े जार्ेंगे तो राखी र्ी सविकस सफलतापि
ू कर् होगी।

( 06-08-70 )

ऐसी क्स्थनत अब ज़रूर होनी चादहए। जो बन्धनर्त ु त र्ी क्स्थनत सन


ु ाई कर् शरीर र्ें रहते हुए
लसफक ननलर्त्त ईश्िरीर् र्तकर्वर् र्े ललए आधार ललर्ा हुआ है। अधीनता नहीं। ननलर्त्त आधार
ललर्ा है। जो ननलर्त्त आधार शरीर र्ो सर्झेंगे िह र्भी भी अधीन नहीं बनेंगे। ननलर्त्त
आधारर्त
ू क ही सिक आत्र्ाओं र्े आधारर्त
ू क बन सर्ते हैं। जो स्िर्ं ही अधीन हैं िह उिार
तर्ा र्रें गे। इसललए सविकस र्ी सफलता भी इतनी है क्जतनी अधीनता से परे हरे र् है। तो
सिक र्ी सफलता र्े ललए सिक अधीनता से परे होना बहुत ज़रूरी है। इस क्स्थनत र्ो बनाने र्े
ललए ऐसे दो शब्द र्ाद रखो क्जससे सहज ही ऐसी क्स्थनत र्ो पा सर्ो। िह र्ौन-से दो शब्द
हैं ? जब बन्धनर्ुतत हो जार्ेंगे तो जैसे टे लीफोन र्ें एर्-दो र्ा आिाज़ र्ैच र्र सर्ते हैं,
िैसे र्ोई र्े संर्ल्प र्ें तर्ा है , िह भी र्ैच र्रें गे। अभी अजुन बन रहे हो, इसललए सोचना
पड़ता है। दो शब्द हैं - (1) साक्षी और (2) साथी। एर् तो साथी र्ो सदै ि साथ रखो। दस
ू रा
- साक्षी बनर्र हर र्र्क र्रो। तो साथी और साक्षी - र्े दो शब्द प्रैक्तटस र्ें लाओ तो र्ह
बन्धनर्ुतत र्ी अिस्था बहुत जल्दी बन सर्ती है । सिकशक्ततर्ान र्ा साथ होने से शक्ततर्ााँ
भी सिक प्राप्त हो जाती हैं। और साथ-साथ साक्षी बनर्र चलने से र्ोई भी बन्धन र्ें फंसेंगे
नहीं। तो बन्धनर्ुतत हुए हो ना। इसर्े ललए र्े दो शब्द सदै ि र्ाद रखना।

( 13-03-71 )

सदा अपने र्ो लशि-शक्तत िा अष्ठट भुजाधारी अथिा अष्ठट शक्ततधारी सर्झने से एर् तो
सदा साथीपन र्ा अनुभि र्रें गे और दस
ू रा सदा अपनी स्टे ज साक्षीपन र्ी अनुभि र्रें गे।
एर् साथी और दस
ू रा साक्षी, र्ह दोनों अनभ
ु ि होंगे, क्जसर्ो दस
ू रे शब्दों र्ें साक्षी अिस्था
अथाकत ् बबन्द ु रूप र्ी स्टे ज र्हा जाता है और साथीपन र्ा अनुभि अथाकत ् अर्वर्तत क्स्थनत
र्ा अनुभि र्हा जाता है। अष्ठट शक्तत र्ी धारणा होने से इन दोनों क्स्थनत र्ा अनुभि सदा
सहज और स्ित: र्रें गे। ऐसे अनुभि र्रें गे जैसे र्ोई सार्ार र्ें साथ होता है तो कफर र्ब
भी अपने र्ें अर्ेलापन िा र्र्जोरीपन अनुभि नहीं होती है। इस रीनत से जब सिकशक्ततिान
लशि और शक्तत दोनों र्ी स्र्नृ त रहती है तो चलते-कफरते बबल्र्ुल ऐसे अनुभि र्रें गे जैसे
सार्ार र्ें साथ हैं और हाथ र्ें हाथ है।

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( 31-05-72 )

अभी अचल, अडोल, अटल क्स्थनत र्ें क्स्थत हो? जो र्हािीरों र्ी क्स्थनत गाई हुई है, उस
र्ल्प पहले र्े गार्न िा िणकन हुई क्स्थनत र्ें क्स्थत हो? िा अपने अंनतर् साक्षीपन,
हवषकतर्ुख, न्र्ारी और अनत प्र्ारी क्स्थनत र्े सर्ीप आ रहे हो, कर् िह क्स्थनत अभी दरू है?
अभी बहुत र्ड़े पेपर तो आने िाले हैं। पेपर र्ो बहुत सर्र् हो जाता है तो पढ़ाई र्ें
अलबेलापन हो जाता है। कफर जब इक्म्तहान र्े ददन नजदीर् होते हैं तो कफर अटें शन दे ते हैं।
तो र्ह अभी तो र्ुछ नहीं दे खा। पहले र्े पेपर र्ुछ अलग हैं, लेकर्न अभी तो ऐसे पेपसक
आने िाले हैं जो स्िप्न र्ें, संर्ल्प र्ें भी नहीं होगा। प्रैक्तटस ऐसी होनी चादहए जैसे हद र्ा
ड्रार्ा साक्षी हो दे खा जाता है। कफर चाहे ददकनार् हो िा हंसी र्ा हो, दोनों पाटक र्ो साक्षी हो
दे खते हैं, अन्तर नहीं होता है तर्ोंकर् ड्रार्ा सर्झते हैं। तो ऐसी एर्रस अिस्था होनी चादहए।
चाहे रर्णीर् पाटक हो, चाहे र्ोई स्नेही आत्र्ा र्ा गम्भीर पाटक भी हो तो भी साक्षी होर्र
दे खो। साक्षी दृष्ठटा र्ी अिस्था होनी चादहए। घबराई हुई र्ा र्ि
ु र्रती हुई अिस्था ना हो।
र्ोई घबराते भी नहीं हैं, र्ि
ु र्ें लग जाते हैं। ज़रूर र्ुछ र्ल्र्ाण होगा। लेकर्न साक्षी दृष्ठटा
र्ी स्टे ज बबल्र्ुल अलग है। इसर्ो ही एर्रस अिस्था र्हा जाता है। िह तब होगी जब एर्
ही बाप र्ी र्ाद र्ें सदा र्ग्न होंगे। बाप और िसाक, बस, तीसरा ना र्ोई। और, र्ोई बात
दे खते-सुनते िा र्ोई संबंध-सम्पर्क र्ें आते हुए ऐसे सर्झेंगे जैसे साक्षी हो पाटक बजा रहे हैं।
बुवि उस लग्न र्ें र्ग्न। बाप और िसे र्ी र्स्ती रहे । इसललए अब ऐसी स्टे ज बनाओ, इसर्े
ललए अपनी परख र्रने र्े ललए र्ह पेपर आते हैं। नहीं तो र्ालूर् र्ैसे पड़े? हरे र् र्ी अपनी
क्स्थनत र्ो परखने र्े ललर्े थर्ाकर्ीटर लर्लते हैं, क्जससे अपनी क्स्थनत र्ो स्िर्ं परख सर्ो।
र्ोई र्ो र्हने र्ी दरर्ार नहीं , घबराना नहीं, गहराई र्ें जाओ तो घबराहट बंद हो जािेगी।
गहराई र्ें न जाने र्ारण घबराते हो।

( 19-09-72 )

इस बेहद र्े खेल र्ा नार् ही है - िैरार्टी ड्रार्ा अथाकत ् खेल। तो उसर्ें िैरार्टी संस्र्ार ि
िैरार्टी स्िभाि ि िैरार्टी पररक्स्थनतर्ााँ दे खर्र र्भी विचललत होंगे तर्ा ? र्ा उसे भी
साक्षी हो एर्-रस क्स्थनत र्ें क्स्थत हो दे खेंगे ? तो अगर र्ह सर्झो ि र्ाद रखो कर् र्ह
एर् िैरार्टी खेल है तो जो परू
ु षाथक र्रने र्ें र्क्ु श्र्ल सर्झते हो, तर्ा िह सहज नहीं हो
जार्ेगा ?
र्ह दो शब्द भी भूल जाते हो, र्ेले र्ो भी और खेल र्ो भी भूल जाते हो और भूलने से ही
स्िर्ं र्ो परे शान र्रते हो। तर्ोंकर् स्र्नृ त अथाकत ् साक्षीपन र्ी सीट छोड़ दे ते हो। सीट र्ो
छोड़र्र अगर र्ोई ड्रार्ा दे खे तो कफर तर्ा हाल होगा उसर्ा ? तो सीट पर सैट होर्र
िैरार्टी ड्रार्ा र्ी स्र्नृ त रखते हुए, अगर एर्-एर् पाटक धारी र्ा हर पाटक देखो तो सदै ि हवषकत

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रहें गे। र्ुख से िाह- िाह ननर्लेगी। िाह! र्ीठा ड्रार्ा! र्ह तर्ा हुआ, तर्ों हुआ र्ह नहीं
ननर्लेगा बक्ल्र् िाह-िाह शब्द र्ख
ु से ननर्लेंगे अथाकत ् सदा खश
ु ी र्ें झर्
ू ते रहें गे। सदा
अपने र्ो र्ास्टर सिकशक्ततिान ् अनभ
ु ि र्रें गे।

( 08-07-73 )

‘स्र्नृ त र्ें रहने से सर्थी आती है।’ अगर सर्थी होगी तो र्ोई भी पररक्स्थनत स्िक्स्थनत र्ो
डगर्ग नहीं र्रे गी। परीक्षाओं र्ो एर् खेल सर्झर्र चलेंगे। अगर खेल र्ें र्ा नाटर् र्ें
कर्सी प्रर्ार र्ी पररक्स्थनत दे खते तो डगर्ग होते हैं तर्ा? र्ोई र्रे िा र्ुछ भी हो लेकर्न
क्स्थनत डगर्ग नहीं होगी। तर्ोंकर् सर्झते हैं र्ह खेल है। ऐसे ही पररक्स्थनतर्ों र्ो एर् पाटक
सर्झो। पररक्स्थनत र्े पाटक र्ो साक्षी हो दे खने से डगर्ग नहीं होंगे , र्ुरझार्ेंगे नहीं, र्जा
आएगा। र्ुरझाते तब हैं जब ड्रार्ा र्ी प्िाइन्ट र्ो भूल जाते हैं।

( 28-04-77 )

अपने र्ो इस ड्रार्ा र्े अन्दर विशेष पाटक बजाने िाले, विशेष पाटक धारी सर्झते हो? विशेष
पाटक र्ी विशेषता तर्ा है, उसर्ो जानते हो? विशेषता र्ह है कर् बाप र्े साथ साथी बन पाटक
बजाते हो, और साथ-साथ हर पाटक अपने साक्षीपन र्ी क्स्थनत र्ें क्स्थत हो बजाते हो। तो
विशेषता हुई - ‘बाप र्े साथ साथी र्ी और साक्षीपन र्ी।’ उस विशेषता र्े र्ारण ही विशेष
पाटक धारी गाए जाते हैं। तो अपने आपर्ो सदा चैर् (Check;ननरीक्षण) र्रो कर् हर पाटक
बजाते हुए दोनों ही विशेषताएं रहती हैं? नहीं तो साधारण पाटक धारी र्हलाए जार्ेंगे। बाप
श्रेष्ठठ और बच्चे साधारण! र्ह शोभेगा नहीं।
र्ख्
ु र् संस्र्ार भरने र्ा सर्र् अभी है। आत्र्ा र्ें हर जन्र् र्े संस्र्ारों र्ा ररर्ाडक इस
सर्र् भर रहे हो। तो ररर्ाडक भरने र्े सर्र् सेर्ेण्ड-सेर्ेण्ड र्ा अटें शन रखा जाता है। कर्सी
भी प्रर्ार र्े टें शन (तनाि) र्ा अटें शन; टें शन र्ें अटें शन रहे । अगर कर्सी भी प्रर्ार र्ा
टें शन होता है , तो ररर्ाडक ठीर् नहीं भर सर्ेगा। सदा र्ाल र्े ललए श्रेष्ठठ नार् र्े बजाए, र्ही
गार्न होता रहे गा कर् क्जतना अच्छा भरना चादहए, उतना नहीं भरा है। इसललए हर प्रर्ार र्े
टें शन से परे , स्िर्ं और सर्र् र्ा, बाप र्े साथ र्ा अटें शन रखते हुए सेर्ेण्ड-सेर्ेण्ड र्ा,
पाटक बजाओ। र्ास्टर सिकशक्ततिान, आलर्ाइटी अथॉररटी (ALMIGHTY Authority) र्ी
सन्तान - ऐसी नॉलेजफुल (Knowledgeful;ज्ञान सागर) आत्र्ाओं र्ें टें शन र्ा आधार दो
शब्द हैं। र्ौन से दो शब्द? ‘तर्ों और तर्ा?’ कर्सी भी बात र्ें, र्ह तर्ों हुआ? र्ह तर्ा
हुआ? जब र्ह दो शब्द बुवि र्ें आ जाते हैं, तब कर्सी भी प्रर्ार र्ा टें शन पैदा होता है।
लेकर्न संगर्र्ुगी श्रेष्ठठ पाटक धारी आत्र्ाएं तर्ों, तर्ा र्ा टें शन नहीं रख सर्ती हैं, तर्ोंकर्
सब जानते हैं। ‘साक्षी और साथीपन’ र्ी विशेषता से, ड्रार्ा र्े हर पाटक र्ो बजाते हुए र्भी

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टें शन नहीं आ सर्ता। तो अपने इस विशेष र्ल्र्ाणर्ारी सर्र् र्ो सर्झते हुए हर सेर्ेण्ड
र्े संस्र्ारों र्ा ररर्ाडक नम्बरिन स्टे ज र्ें भरते जाओ।

( 09-05-77 )

छोटे से विघ्नों र्ो, तर्ों र्े तिेश्चन उठने से र्वर्थक संर्ल्पों र्ी तर्ू (Queue;र्तार) लग
जाती है, और उसी तर्ू र्ो सर्ाप्त र्रने र्ें र्ाफी सर्र् लग जाता है। इसललए र्ुख्र्
र्र्ज़ोरी है, जो ज्ञान स्िरूप अथाकत ् नॉलेजफुल क्स्थनत र्ें क्स्थत होते हुए, विघ्नों र्ो पार
नहीं र्र पाते हैं। ज्ञानी हो, लेकर्न ज्ञान-स्िरूप होना है।
िातािरण प्रभाि तर्ों डालता है ? उसर्ा भी र्ारण? अपने पॉिरफुल िक्ृ त्त द्िारा िार्र्
ु ण्डल
र्ो पररितकन र्रने िाले हैं , र्ह स्र्नृ त भूल जाते हो। जब र्हते ही हो विश्िपररितकर् हैं तो
विश्ि र्े पररितकन र्ें िार्ुर्ंडल र्ो भी पररितकन र्रना है। अशुि र्ो ही शुि बनाने र्े ललए
ननलर्त्त हो। कफर र्ह तर्ों सोचते हो कर् िार्ुर्ण्डल ऐसा था, इसललए र्र्ज़ोर हो गर्ा। जब
है ही र्ललर्ग
ु ी, तर्ोप्रधान, आसरु ी सक्ृ ष्ठट, उसर्ें िातािरण अशि
ु न होगा तो तर्ा होगा?
तर्ोगणु ी सक्ृ ष्ठट र्े बीच रहते हुए, िातािरण र्ो पररितकन र्रना, र्ही ब्राह्र्णों र्ा र्त्तकर्वर्
है। र्त्तकर्वर् र्ी स्र्नृ त र्ें रहने से अथाकत ् रचतापन र्ी क्स्थनत र्ें क्स्थत रहने से, िातािरण
अथाकत ् रचना र्े िश नहीं होंगे। तो जो सोचना चादहए कर् पररितकर् होर्े पररितकन र्ैसे र्रूाँ,
इस सोचने र्े बजाए र्ह सोचने लग जाते कर् िातािरण ऐसा है इसललए र्र्ज़ोर हो गर्ा हूाँ,
िातािरण बदलेगा तो र्ैं बदलंग
ू ी, िातािरण अच्छा होगा तो क्स्थनत अच्छी होगी। लेकर्न
िातािरण र्ो बदलने िाला र्ौन? र्ह भूल जाते हो। इस र्ारण थोड़े से िातािरण र्ा प्रभाि
पड़ जाता है।
और तर्ा र्हते कर् सम्बन्धी नहीं सुनते िा संग अच्छा नहीं है , इस र्ारण शक्ततशाली नहीं
बनते। बाप-दादा ने तो पहले से ही सुना ददर्ा है कर् हर आत्र्ा र्ा अपना-अपना अलग-
अलग पाटक है। र्ोई सतोगुणी, र्ोई रजोगुणी, र्ोई तर्ोगुणी। जब िैरार्टी आत्र्ाएं हैं और
िैरार्टी ड्रार्ा है, तो सब आत्र्ाओं र्ो एर् जैसा पाटक हो नहीं सर्ता। अगर कर्सी आत्र्ा र्ा
तर्ोगुणी अथाकत ् अज्ञान र्ा पाटक है , तो शुभ भािना और शुभर्ार्ना से उन आत्र्ा र्ो
शाक्न्त और शक्तत र्ा दान दो। लेकर्न उसी अज्ञानी र्े पाटक र्ो दे ख , अपनी श्रेष्ठठ क्स्थनत र्े
अनुभि र्ो भूल तर्ों जाते हो? अपनी क्स्थनत र्ें हलचल तर्ों र्रते हो? साक्षी हो पाटक दे खते
हुए, जो शक्तत र्ा दान दे ना है , िह दो। लेकर्न घबराओ र्त। अपने सतोप्रधान पाटक र्ें
क्स्थत रहो। तर्ोगुणी आत्र्ा र्े संग र्े रं ग र्ा प्रभाि पड़ने र्ा र्ारण है - सदा बाप र्े
श्रेष्ठठ संग र्ें नहीं रहते। सदा श्रेष्ठठ संग र्ें रहने िाले र्े ऊपर और र्ोई संग र्ा रं ग प्रभाि
नहीं डाल सर्ता। तो ननिारण र्ा सोचो।

( 31-05-77 )

8
सदै ि साक्षीपन र्ी सीट पर क्स्थत होर्र रहते हुए हर एतट अपनी और दस
ू रों र्ी दे खते
हो? र्ोई ड्रार्ा र्ी सीन सीट पर क्स्थत ही दे खने र्ें र्जा आता है। र्ोई भी सीन सीट र्े
बबना नहीं दे खा जाता। तो साक्षीपन र्ी सीट पर सदा क्स्थत रहते हो? र्ह बेहद र्ा ड्रार्ा
सदा चलता रहता है। र्ह दो-तीन घंटे र्ा नहीं, अविनाशी है तो सदा दे खने र्े ललए सीट भी
सदा चादहए। ऐसे नहीं दो घंटे सीट पर बैठा कफर उतर जाओ। तो सदा साक्षी हो दे खेंगे
िह ‘र्भी हार और जीत’ र्े दृश्र् र्ो दे खर्र डगर्ग नहीं होंगे। सदा एर् रस रहें गे। ड्रार्ा
र्ाद रहे तो सदा एर्रस रहें गे। ड्रार्ा र्ो भूले तो डगर्ग रहें गे। अगर ड्रार्ा र्भी-र्भी र्ाद
रहता तो राज्र् भी र्भी-र्भी र्रें गे? अगर साक्षी र्भी-र्भी रहते तो स्िगक र्ें साथी भी
र्भी-र्भी होंगे। नॉलेजफुल तो हो ना? सब जानते हो लेकर्न जानते हुए भी ‘साक्षीपन’ र्ी
स्टे ज पर न रहने र्ा र्ारण अटें शन र्ें अलबेलापन,स्िाचचंतन र्ी बजाए अपना र्वर्थक बातों
र्ें स्िचचन्तन र्ो गंिा दे ते। स्िचचन्तन र्ें न रहने िाला साक्षी नहीं रह सर्ता। परचचन्तन
र्ो सर्ाप्त र्रने र्ा आधार तर्ा है ? अगर हर आत्र्ा र्े प्रनत शुभ चचन्तर् होंगे तो
परचचन्तन र्भी नहीं र्रें गे। तो सदा शुभचचन्तन और शुभचचन्तर् रहने से सदा साक्षी रहें गे।
साक्षी अथाकत ् अभी भी साथी और भविष्ठर् र्ें भी साथी।

( 14-06-77 )

दोनों बाप र्े स्नेही हो? बाप सर्ान बनना अथाकत ् लाईट रूप आत्र्ा स्िरूप र्ें क्स्थत होना
और दादा सर्ान बनना अथाकत ् ‘फररश्ता’। दोनों बाप र्ो स्नेह र्ा ररटनक (Return) दे ना पड़े।
तो स्नेह र्ा ररटनक दे रहे हो? फररश्ता बनर्र चलते हो कर् पांच तत्िों से अथाकत ् लर्ट्टी से
बनी हुई दे ह अथाकत ् धरनी अपने तरफ आर्वषकत र्रती? जब आर्ारी हो जाएंगे तो र्ह दे ह
(धरनी) आर्वषकत नहीं र्रे गी। बाप सर्ान बनना अथाकत ् डबल लाईट बनना। दोनों ही लाईट
हैं? िह आर्री रूप र्ें, िह ननरार्ारी रूप र्ें। तो दोनों सर्ान हो ना? सर्ान बनेंगे तो सदा
सर्थक और विजर्ी रहें गे। सर्ान नहीं तो र्भी हार, र्भी जीत, इसी हलचल र्ें होंगे।
अचल बनने र्ा साधन है सर्ान बनना। चलते-कफरते सदै ि अपने र्ो ननरार्ारी आत्र्ा र्ा
र्र्क र्रते अर्वर्तत फररश्ता सर्झो। तो सदा ऊपर रहें गे, उड़ते रहें गे खश
ु ी र्ें। फररश्ते सदै ि
उड़ते हुए ददखाते हैं। फररश्ते र्ा चचत्र भी पहाड़ी र्े ऊपर ददखाएंगे। फररश्ता अथाकत ् ऊाँची
स्टे ज पर रहने िाला। र्ुछ भी इस दे ह र्ी दनु नर्ा र्ें होता रहे , लेकर्न फररश्ता ऊपर से
साक्षी हो सब पाटक दे खता रहे और सर्ाश दे ता रहे । सर्ाश भी दे ना है तर्ोंकर् र्ल्र्ाण र्े
प्रनत ननलर्त्त है। साक्षी हो दे खते सर्ाश अथाकत सहर्ोग दे ना है। सीट से उतर र्र सर्ाश
नहीं दी जाती। सर्ाश दे ना ही ननभाना है। ननभाना अथाकत ् र्ल्र्ाण र्ी सर्ाश दे ना, लेकर्न
ऊाँची स्टे ज पर क्स्थत होर्र दे ना - इसर्ा विशेष अटें शन हो। ननभाना अथाकत ् लर्तस नहीं हो
जाना, लेकर्न ननभाना अथाकत ् िक्ृ त्त- दृक्ष्ठट से सहर्ोग र्ी सर्ाश दे ना। कफर सदा कर्सी भी

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प्रर्ार र्े िातािरण र्े सेर् र्ें नहीं आएगा। अगर सेर् आता तो सर्झना चादहए साक्षीपन
र्ी स्टे ज पर नहीं हैं। र्ार्क र्े साथी नहीं बनना है , बाप र्े साथी बनना है। जहााँ साक्षी
बनना चादहए िहााँ साथी बन जाते तो सेर् लगता। ऐसे ननभाना सीखेंगे तो दनु नर्ा र्े आगे
लाईट हाउस बन र्रर्े प्रख्र्ात होंगे।

( 25-06-77 )

साक्षीपन र्ी सीट शान र्ी सीट है , इस सीट पर बैठने िाले परे शानी से छूट जाते हैं। जो
र्ुछ भी ड्रार्ा र्ें होता है उसर्ें र्ल्र्ाण ही भरा हुआ है, अगर र्ह स्र्नृ त र्ें सदा रहे तो
र्र्ाई जर्ा होती रहे गी। सर्झदार बच्चे र्ही सोचें गे कर् जो र्ुछ होता है िह र्ल्र्ाणर्ारी
है। तर्ों तर्ा र्ा तिेशचन सर्झदार र्े अन्दर उठ नहीं सर्ता। अगर स्र्नृ त रहे कर् र्ह
संगर्र्ुग र्ल्र्ाणर्ारी र्ुग है, बाप भी र्ल्र्ाणर्ारी है तो श्रेष्ठठ स्टे ज बनती जार्ेगी। चाहे
बाहर र्ी रीनत से नुर्सान भी ददखाई दे लेकर्न उस नुर्सान र्ें भी र्ल्र्ाण सर्ार्ा हुआ है,
ऐसा ननश्चर् हो। जब बाप र्ा साथ और हाथ है तो अर्ल्र्ाण हो नहीं सर्ता। अभी पेपर
बहुत आर्ेंगे, उसर्ें तर्ा तर्ों र्ा तिेशचन न उठे । र्ुछ भी होता है होने दो।। बाप हर्ारा
हर् बाप र्े तो र्ोई र्ुछ नहीं सर्ता, इसर्ो र्हा जाता है ननश्चर् बुवि। बात बदल जाए
लेकर्न आप न बदलो - र्ह है ननश्चर्। र्भी भी र्ार्ा से परे - शान तो नहीं होते हो? र्भी
िातािरण से र्भी घर िालों से, र्भी ब्राह्र्णों से परे शान होते हो। शान र्ी सीट पर रहो।
साक्षीपन र्ी सीट शान र्ी सीट है इससे परे न हो तो परे शानी खत्र् हो जार्ेगी। प्रनतज्ञा
र्रो कर् र्भी भी र्ोई बात र्ें न परे शान होंगे न र्रें गे। जब नालेजफुल बाप र्े बच्चे बन
गर्े, बत्रर्ालदशी बन गर्े तो परे शान र्ैसे हो सर्ते। संर्ल्प र्ें भी परे शानी न हो। तर्ों
शब्द र्ो सर्ाप्त र्रो। तर्ों शब्द र्े पीछे बड़ी तर्ू है।

( 07-03-81 )

बेहद र्ें आने से बेहद र्ा सम्बन्ध, बेहद र्ा ज्ञान, बेहद र्ी िक्ृ त्त, बेहद र्ा रूहानी स्नेह
द:ु ख र्ो सर्ाप्त र्र सख
ु स्िरूप बना दे ते हैं। रूहानी नालेज र्े र्ारण, हर आत्र्ा र्ी र्र्क
र्हानी र्े पाटक र्े संस्र्ारों र्ी लाइट और र्ाइट होने र्े र्ारण जो भी दे खेंगे , सन
ु ेंगे, सम्पर्क
र्ें, सम्बन्ध र्ें आर्ेंगे, हर र्र्क र्ें अनत न्र्ारे और अनत प्र्ारे होंगे। न्र्ारे और प्र्ारे बनने
र्ी सर्ानता होगी। कर्स सर्र् प्र्ारा बनना है , कर्स सर्र् न्र्ारा बनना है - र्ह पाटक
बजाने र्ी विशेषता आत्र्ा र्ो सदा सख
ु ी और शान्त बना दे ती है। रूहानी सम्बन्ध होने र्े
र्ारण, बुवि सदा एर्ाग्र रहती है। हलचल र्ें नहीं आते हैं। अभी द:ु खी, अभी सुखी र्ह
हलचल सर्ाप्त हो जाती है। साथ-साथ एर्ाग्रता र्े र्ारण ननणकर् शक्तत, सर्ाने र्ी शक्तत,
सार्ना र्रने र्ी शक्तत, सिक शक्ततर्ााँ हर आत्र्ा र्े पाटक और अपने पाटक र्ो अच्छी तरह से

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जानर्र पाटक र्ें आते हैं। इसललए अचल और साक्षी रहते हैं। ऐसी तर्दीरिान आत्र्ा हर
संर्ल्प और र्र्क र्ो, हर बात र्ो बत्रर्ालदशी र्ी क्स्थनत र्ें क्स्थत हो दे खती है। इसललए
तिेश्चन र्ार्क सर्ाप्त हो जाता। र्ह तर्ों, र्ह तर्ा - र्ह तिेश्चन र्ार्क है। सदा फुल
स्टाप।
सभी सदा साक्षी क्स्थनत र्ें क्स्थत हो हर पाटक बजाते हो? साक्षीपन र्ी स्टे ज र्ार्र् रहती
है? र्भी साक्षी र्े बजाए पाटक बजातेबजाते पाटक र्ें साक्षीपन र्ी स्टे ज र्ो भल
ू तो नहीं
जाते? जो साक्षी होगा िह र्भी भी कर्सी पाटक र्ें चलार्र्ान नहीं होगा। न्र्ारा होगा, प्र्ारा
भी होगा। अच्छे र्ें अच्छा, बुरे र्ें बुरा ऐसे नहीं होगा। साक्षी अथाकत ् सदा हर र्ार्क र्रते हुए
र्ल्र्ाण र्ी िक्ृ त्त र्ें रहने िाले। जो र्ुछ हो रहा है उसर्ें र्ल्र्ाण भरा हुआ है। अगर र्ोई
र्ार्ा र्ा विघ्न भी आता तो उससे भी लाभ उठार्र, लशक्षा लेर्र आगे बढ़े गें, रूर्ेंगे नहीं।
ऐसे हो? सीट पर बैठर्र खेल दे खते हो। साक्षीपन है सीट। इस सीट पर बैठर्र ड्रार्ा दे खो
तो बहुत र्जा आर्ेगा। सदा अपने र्ो साक्षी र्ी सीट पर सेट रखो, कफर िाह ड्रार्ा िाह!
र्ही गीत गाते रहें गे।

( 15-04-81 )

सभी सदा साक्षी क्स्थनत र्ें क्स्थत हो, हर र्र्क र्रते हो? जो साक्षी हो र्र्क र्रते हैं उन्हें
स्ित: ही बाप र्े साथीपन र्ा अनुभि भी होता है। साक्षी नहीं तो बाप भी साथी नहीं
इसललए सदा साक्षी अिस्था र्ें क्स्थत रहो। दे ह से भी साक्षी। जब दे ह र्े सम्बन्ध और दे ह
र्े साक्षी बन जाते हो तो स्ित: ही इस पुरानी दनु नर्ा से साक्षी हो जाते हो। दे खते हुए,
सम्पर्क र्ें आते हुए सदा न्र्ारे और प्र्ारे । र्ही स्टे ज सहज र्ोगी र्ा अनुभि र्राती है। तो
सदा साक्षी इसर्ो र्हते हैं - साथ र्ें रहते हुए भी ननलेप। आत्र्ा ननलेप नही है लेकर्न
आत्र्अलभर्ानी स्टे ज ननलेप है अथाकत ् र्ार्ा र्े लेप ि आर्षकण से परे है। न्र्ारा अथाकत ्
ननलेप। तो सदा ऐसी अिस्था र्ें क्स्थत रहते हो? कर्सी भी प्रर्ार र्ी र्ार्ा र्ा िार न हो।
बाप पर बललहार जाने िाले र्ार्ा र्े िार से सदा बचे रहें गे। बललहार िालों पर िार नहीं हो
सर्ता। तो ऐसे हो ना? जैसे फस्टक चांस लर्ला है िैसे ही बललहार और र्ार्ा र्े बार से परे
रहने र्ें भी फस्टक। फस्टक र्ा अथक ही है फास्ट जाना। तो इस क्स्थनत र्ें सदा फस्टक । सदा
खश
ु रहो, सदा खश
ु नशीब रहो।

( 02-10-81 )

र्र्क बन्धन से र्ुतत क्स्थनत र्ा अनुभि र्रने र्े ललए र्र्कर्ोगी बनो:- सदा हर र्र्क र्रते,
र्र्क र्े बन्धनों से न्र्ारे और बाप र्े प्र्ारे - ऐसी न्र्ारी और प्र्ारी आत्र्ार्ें अपने र्ो
अनुभि र्रते हो? र्र्कर्ोगी बन, र्र्क र्रने िाले र्भी भी र्र्क र्े बन्धन र्ें नहीं आते हैं, िे

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सदा बन्धनर्ुतत-र्ोगर्ुतत होते। र्र्कर्ोगी र्भी अच्छे िा बुरे र्र्क र्रने िाले र्वर्क्तत र्े
प्रभाि र्ें नहीं आते। ऐसा नहीं कर् र्ोई अच्छा र्र्क र्रने िाला र्नेतशन र्ें आर्े तो उसर्ी
खश
ु ी र्ें आ जाओ और र्ोई अच्छा र्र्क न र्रने िाला सम्बन्ध र्ें आर्े तो गस्
ु से र्ें आ
जाओ - र्ा उसर्े प्रनत ईष्ठर्ाक िा घण
ृ ा पैदा हो। र्ह भी र्र्कबन्धन है। र्र्कर्ोगी र्े आगे र्ोई
र्ैसा भी आ जाए - स्िर्ं सदा न्र्ारा और प्र्ारा रहे गा। नॉलेज द्िारा जानेगा, इसर्ा र्ह
पाटक चल रहा है। घण
ृ ा िाले से स्िर्ं भी घण
ृ ा र्र ले र्ह हुआ र्र्क र्ा बन्धन। ऐसा र्र्क र्े
बन्धन र्ें आने िाला एर्रस नहीं रह सर्ता। र्भी कर्सी रस र्ें होगा र्भी कर्सी रस र्ें।
इसललए अच्छे र्ो अच्छा सर्झर्र साक्षी होर्र दे खो और बुरे र्ो रहर्ददल बन रहर् र्ी
ननगाह से पररितकन र्रने र्ी शुभ भािना से साक्षी हो दे खो। इसर्ो र्हा जाता है -
‘र्र्कबन्धन से न्र्ारे '। तर्ोंकर् ज्ञान र्ा अथक है सर्झ। तो सर्झ कर्स बात र्ी? र्र्क र्े
बन्धनों से र्ुतत होने र्ी सर्झ र्ो ही ज्ञान र्हा जाता है। ज्ञानी र्भी भी बन्धनों र्े िश
नहीं होंगे। सदा न्र्ारे । ऐसे नहीं र्भी न्र्ारे बन जाओ तो र्भी थोड़ा सा सेर् आ जाए। सदा
विर्र्ाकजीत बनने र्ा लक्ष्र् रखो। र्र्कबन्धन जीत बनना है। र्ह बहुतर्ाल र्ा अभ्र्ास
बहुतर्ाल र्ी प्रालब्ध र्े ननलर्त्त बनार्ेगा। और अभी भी बहुत विचचत्र अनभ
ु ि र्रें गे। तो
सदा र्े न्र्ारे और सदा र्े प्र्ारे बनो। र्ही बाप सर्ान र्र्कबन्धन से र्ुतत क्स्थनत है।

( 18-04-82 )

प्रर्ोग र्रने िाले प्रर्ोगी सदा हर स्िरूप र्े, हर पाइंट र्े, हर प्राक्प्त स्िरूप र्े प्रर्ोग र्रते
हुए उस क्स्थनत र्ो अनुभि र्रते हैं। लेकर्न र्भी सफलता र्ा अनुभि र्रते, र्भी र्ेहनत
अनुभि र्रते। लेकर्न प्रर्ोगी होने र्े र्ारण, बवु ि अभ्र्ास र्ी प्रर्ोगशाला र्ें बबजी रहने र्े
र्ारण 75% र्ार्ा से सेफ रहते हैं। र्ारण? प्रर्ोगी आत्र्ा र्ो शौर् रहता है कर् नर्े ते नर्े
लभन्नलभन्न अनभ
ु ि र्रर्े दे खे। इसी शौर् र्ें लगे रहने र्े र्ारण र्ार्ा से प्रर्ोगशाला र्ें
सेफ रहते हैं। लेकर्न एर्रस नहीं होते। र्भी अनुभि होने र्े र्ारण बहुत उर्ंग उत्साह र्ें
झूर्ते और र्भी विचध द्िारा लसवि र्ी प्राक्प्त र्र् होने र्े र्ारण उर्ंग उत्साह र्ें फर्क पड़
जाता है। उर्ंग उत्साह र्र् होने र्े र्ारण र्ेहनत अनभ
ु ि होती है। इसललए र्भी
सहजर्ोगी, र्भी र्ेहनत िाले र्ोगी। ‘‘हूाँ ही’’ र्े बजार् ‘‘हूाँ हूाँ’’। ‘‘आत्र्ा हूाँ’’ बच्चा हूाँ, र्ास्टर
सिक शक्ततिान हूाँ’’ - इस स्र्नृ त द्िारा लसवि र्ो पाने र्ा बार-बार प्रर्त्न र्रना पड़ता है।
इसललए र्भी तो इस स्टे ज पर क्स्थत होते जो सोचा और अनभ ु ि हुआ। र्भी बार-बार सोचने
द्िारा स्िरूप र्ी अनभ
ु नू त र्रते हैं। इसर्ो र्हा जाता है - प्रर्ोगी आत्र्ा। अचधर्ार र्ा
स्िरूप है सहजर्ोगी। बार-बार अध्र्र्न र्रने र्ा स्िरूप है प्रर्ोगी आत्र्ा। तो आज दे ख रहे
थे- सहज र्ोगी र्ौन और प्रर्ोगी र्ौन है ? प्रर्ोगी भी र्भी र्भी सहजर्ोगी बन जाते है।
लेकर्न सदा नहीं। क्जस सर्र् जो पोजीशन होती है , उसी प्रर्ाण स्थल
ू चेहरे र्े पोज़ भी
बदलते है। र्न र्ी पोजीशन र्ो भी दे खते हैं। और पोज़ र्ो भी दे खते हैं। सारे ददन र्ें

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कर्तनी पोज़ बदलते हो। अपने लभन्न-लभन्न पोज़ र्ो जानते हो ? स्िर्ं र्ो साक्षी होर्र
दे खते हो? बापदादा सदा र्ह बेहद र्ा खेल जब चाहे तब दे खते रहते हैं।

( 15-01-83 )

सदा साक्षीपन र्ी क्स्थनत र्ें क्स्थत रहते हुए ड्रार्ा र्े हर दृश्र् र्ो दे खते हो? साक्षीपन र्ी
क्स्थनत सदा ड्रार्ा र्े अन्दर हीरो पाटक बजाने र्ें सहर्ोगी होती है। अगर साक्षीपन नहीं तो
हीरो पाटक बजा नहीं सर्ते। हीरो पाटक धारी से साधारण पाटक धारी बन जाते हैं। साक्षीपन र्ी
स्टे ज सदा ही डबल हीरो बनाती है। एर् हीरे सर्ान बनाती है और दस
ू रा हीरो पाटक धारी
बनाती है। साक्षीपन अथाकत ् दे ह से न्र्ारे , आत्र्ा र्ाललर्पन र्ी स्टे ज पर क्स्थत रहे । दे ह से
भी साक्षी। र्ाललर्। इस दे ह से र्र्क र्राने िाली, र्रने िाली नहीं। ऐसी साक्षी क्स्थनत सदा
रहती है? साक्षी क्स्थनत सहज पुरूषाथक र्ा अनुभि र्राती है तर्ोंकर् साक्षी क्स्थनत र्ें कर्सी
भी प्रर्ार र्ा विघ्न र्ा र्क्ु श्र्लात आ नहीं सर्ती। र्ह है र्ूल अभ्र्ास। र्ही साक्षी क्स्थनत
र्ा पहला और लास्ट पाठ है। तर्ोंकर् लास्ट र्ें जब चारों ओर र्ी हलचल होगी, तो उस
सर्र् साक्षी क्स्थनत से ही विजर्ी बनेंग।े तो र्ही पाठ पतर्ा र्रो।

( 14-04-83 )

सदा अपने र्ो हर र्दर् र्ें साक्षी और सदा बाप र्े साथी - ऐसे अनुभि र्रते हो? जो सदा
साक्षी होगा िह सदा ही हर र्र्क र्रते हर र्दर् उठाते र्र्क र्े बन्धन से न्र्ारे और बाप र्े
प्र्ारे , तो ऐसे साक्षीपन अनुभि र्रते हो? र्ोई भी र्र्कक्न्रर्ााँ अपने बन्धन र्ें नहीं बााँधे
इसर्ो र्हा जाता है - ‘साक्षी’। ऐसे साक्षी हो? र्ोई भी र्र्क अपने बन्धन र्ें बााँधता है तो
उसर्ो साक्षी नहीं र्हें गे। फाँसने िाला र्हें गे। न्र्ारा नहीं र्हें गे। र्भी आाँख भी धोखा न दे ।
शारीररर् सम्बन्ध र्ें आना अथाकत ् आाँख र्ा धोखा खाना। तो र्ोई भी र्र्ेक्न्रर् धोखा न दे ।
साक्षी रहें और सदा बाप र्े साथी रहें । हर बात र्ें बाप र्ाद आिे। र्हान आत्र्ार्ें भी नहीं ,
ननलर्त्त आत्र्ार्ें भी नहीं लेकर्न बाबा ही र्ाद आर्े। र्ोई भी बात आती है तो पहले बाप
र्ाद आता र्ा ननलर्त्त आत्र्ार्ें र्ाद आती? सदा एर् बाप दस
ू रा न र्ोई, आत्र्ार्ें सहर्ोगी
हैं लेकर्न साथी नहीं है, साथी तो बाप है। सहर्ोगी र्ो अपना साथी सर्झना र्ह रांग है। तो
सदा सेिा र्े साथी लेकर्न सेिा र्ें साथी बाप है। ननलर्त्त सहर्ोग दे ते हैं , ऐसा सदा स्र्नृ त
स्िरूप हो! कर्सी दे हधारी र्ो साथी बनार्ा तो उड़ती र्ला र्ा अनभ
ु ि नहीं हो सर्ता।
इसललए हर बात र्ें ‘बाबा-बाबा’ र्ाद रहे । र्ुर्ार डबल लाइट हैं, संस्र्ार स्िभाि र्ा भी बोझ
नहीं। र्वर्थक संर्ल्प र्ा भी बोझ नहीं। इसर्ो र्हा जाता है ‘हल्र्ा’। क्जतने हल्र्े होंगे उतना
सहज उड़ती र्ला र्ा अनभ
ु ि र्रें गे। अगर जरा भी र्ेहनत र्रनी पड़ती है तो जरूर र्ोई
बोझ है। तो ‘बाबा-बाबा’ र्ा आधार ले उड़ते रहो। र्ही अविनाशी आधार है।

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( 09-05-83 )

आज बापदादा इस परु ानी दनु नर्ा और परु ाने राज्र् र्ी दनु नर्ा, जड़जड़ीभत
ू हुई दनु नर्ा र्ा
सर्ाचार सन
ु रहे थे। बापदादा दे ख रहे थे कर् र्ेरे बच्चों र्ो परु ानी दनु नर्ा र्ें कर्तना सहन
र्रना पड़ता है। आत्र्ा र्े ललए र्ौजों र्ा सर्र् है लेकर्न शरीर से सहन भी र्रना पड़ता
है। अपने राज्र् र्ें प्रर्ृनत आप सबर्ी दासी होगी। िैसे भी दालसर्ााँ बहुत होंगी और प्रर्ृनत र्े
पांचों ही तत्ि सदा आज्ञार्ारी सेिाधारी होंगे। लेकर्न अपना राज्र् स्थापन र्रने र्े ललए
पुराने र्ो ही नर्ा बनाना है। पुरानी र्ें सेिाधारी बनना ही पड़ता है। अभी र्ी र्ह सेिा
जन्र्-जन्र्ान्तर र्ी सेिा से र्ुतत र्र दे ती है। इस सेिा र्े फलस्िरूप प्रर्ृनत और चैतन्र्
सेिाधारी आपर्े चारों ओर घूर्ते रहें गे। हाक्जर र्ाललर्, हााँ जी र्ाललर्, र्ही सदा र्ीठा-र्ीठा
साज सुनते रहें गे। इसललए सदार्ाल र्ी सिक प्राक्प्त र्े आगे र्ह थोड़ा बहुत सहन र्रना भी
सहन र्रना नहीं लगता। श्रेष्ठठ सेिा र्े नशे और खुशी र्ें सहन र्रना एर् चररत्र रूप र्ें
बदल जाता है। भागित आप सबर्े सहन शक्तत र्े चररत्रों र्ा र्ादगार है। तो सहन र्रना
नहीं लेकर्न र्ादगार चररत्र बन रहे हैं। अभी तर् भी र्ही गार्न सुन रहे हो कर् भगिान र्े
बच्चों ने बाप र्े लर्लन र्े स्नेह र्ें तर्ा-तर्ा कर्र्ा। गोपी िल्लभ र्े गोप गोवपर्ाओं ने
तर्ा-तर्ा कर्र्ा। तो र्ह सहन र्रना नहीं लेकर्न सहन ही शक्ततशाली बना रहे हैं। सहन
शक्तत से र्ास्टर सिकशक्ततिान बनते हो। सहन र्रना लगता है कर् खेल लगता है ? र्न तो
सदा नाचता रहता है ना। तो र्न र्ी खुशी र्ह थोड़ा बहुत सहन भी, खुशी र्ें पररितकन र्र
दे ती है। तन भी तेरा, र्न भी तेरा। तो क्जसर्ो तेरा र्हा िह जाने। आप तो न्र्ारे और
प्र्ारे रहो। लसफक क्जस सर्र् तन र्ा दहसाब कर्ताब चुततू र्रने र्ा पाटक बजाते हो उस
सर्र् र्ह ननरन्तर स्र्नृ त रहे कर् बाबा आप जानो आपर्ा र्ार् जाने। र्ैं बीर्ार हूाँ, नहीं
र्ेरा शरीर बीर्ार है , नहीं, तेरी अर्ानत है तुर् जानो। र्ैं साक्षीदृष्ठटा बन आपर्े अर्ानत र्ी
सेिा र्र रही हूाँ। इसर्ो र्हा जाता है - ‘साक्षीदृष्ठटा’। ट्रस्टी बनना।
ऐसे ही र्न भी तेरा। र्ेरा है ही नहीं। र्ेरा र्न नहीं लगता, र्ेरा र्ोग नहीं लगता, र्ेरी बवु ि
एर्ाग्र नहीं होती। र्ह ‘र्ेरा’ शब्द हलचल पैदा र्रता है। र्ेरा है र्हााँ। र्ेरापन लर्टाना ही
सिक बन्धन र्त
ु त बनना है। र्ेरा धन, र्ेरी पत्नी, र्ेरा पनत, र्ेरा बच्चा ज्ञान र्ें नहीं चलता,
उसर्ी बवु ि र्ा ताला खोल दो। लसफक उन्हों र्ा तर्ों सोचते हो! र्ेरे र्े भाि से तर्ों सोचते!
र्ह र्भी भी र्ोई बच्चे ने अभी तर् नहीं र्हा है कर् र्ेरे गांि र्ी िा दे श र्ी आत्र्ा र्ा
ताला खोलो। र्हते र्ेरी पत्नी र्ा, र्ेरे बच्चों र्ा, र्ेरेपन र्ा भाि, बेहद र्ें नहीं ले आता।
इसललए बेहद र्ी शभ
ु भािना हर आत्र्ा र्े प्रनत रखते हुए सिक र्े साथ उन आत्र्ाओं र्ो
भी दे खो। तर्ा सर्झा! तेरा तो तेरा हो गर्ा। र्ेरा र्ोई बोझ नहीं। चाहे बापदादा र्हााँ भी
सेिा प्रनत ननलर्त्त बनािे। तन द्िारा सेिा र्रािे, र्न द्िारा र्न्सा सेिा र्रािे, जहााँ रखे,
क्जस हाल र्ें रखे, चाहे दाल-रोटी खखलािे, चाहे 36 प्रर्ार र्े पर्िान खखलािे। लेकर्न जब

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र्ेरा र्ुछ नहीं तो तेरा तू जानो। आप तर्ों सोचते हो? भगिान अपने बच्चों र्ो सदा तन से,
र्न से, धन से सहज रखेगा। र्ह बाप र्ी गैरन्टी है। कफर आप लोग तर्ों बोझ उठाते हो ?
सब र्ुछ तेरा र्रने िाले हो तो जो बाप खखलािे तो खाओ, वपओ और र्ौज र्रो, र्ाद र्रो।
लसफक एर् डडर्ट
ु ी आपर्ी है बस। बार्ी सब डडर्ट
ु ी बाबा आपेही ननभार्ेंग।े एर् ही डडर्ट
ु ी तो
र्र सर्ते हो ना! र्ेरा र्हते हो तब र्न चंचल होता है। र्ही सोचते हो ना कर् र्ह र्क्ु श्र्ल
बात है। र्क्ु श्र्ल है नहीं लेकर्न र्र दे ते हो। र्ेरेपन र्ा भाि र्क्ु श्र्ल बना दे ता। और तेरेपन
र्ा भाि सहज बना दे ता है। विश्ि र्ल्र्ाण र्ी भािना रखो तो विश्ि-र्ल्र्ाण र्ा र्तकर्वर्
जल्दी सर्ाप्त हो जार्ेगा। और अपने राज्र् र्ें चले जार्ेंगे।

( 19-05-83 )

सदा हर र्ार्क र्रते स्िर्ं र्ो साक्षी क्स्थनत र्ें क्स्थत रख र्ार्क र्राने िाली न्र्ारी आत्र्ा हूाँ
- ऐसा अनुभि र्रते हो? साक्षीपन र्ी क्स्थनत सदा हर र्ार्क सहज सफल र्रती है। साक्षीपन
र्ी क्स्थनत कर्तनी प्र्ारी लगती है! साक्षी बन र्ार्क र्रने िाली आत्र्ा सदा न्र्ारी और बाप
र्ी प्र्ारी है। तो इसी अभ्र्ास से र्र्क र्रने िाली अलौकर्र् आत्र्ा हूाँ, अलौकर्र् अनुभूनत
र्रने िाली, अलौकर्र् जीिन, श्रेष्ठठ जीिन िाली आत्र्ा हूाँ - र्ह नशा रहता है ना? र्र्क
र्रते र्ही अभ्र्ास बढ़ाते रहो। र्ही अभ्र्ास र्र्ाकतीत क्स्थनत र्ो प्राप्त र्रा दे गा। इसी
अभ्र्ास र्ो सदा आगे बढ़ाते, र्र्क र्रते न्र्ारे और बाप र्े प्र्ारे रहना। इसर्ो र्हते हैं -
‘श्रेष्ठठ आत्र्ा'।

( 19–03-88 )

ब्राह्र्ण जीिन र्ें अगर खुशी नहीं तो ब्राह्र्ण बनर्र तर्ा कर्र्ा! ब्राह्र्ण जीिन अथाकत ्
खुशी र्ी जीिन। र्भी-र्भी बापदादा दे खते हैं, र्ोई-र्ोई र्े चेहरे जो होते हैं ना िह थोड़ा
सा.... तर्ा होता है? अच्छी तरह से जानते हैं, तभी हंसते हैं। तो बापदादा र्ो ऐसा चेहरा
दे ख रहर् भी आता और थोड़ा सा आश्चर्क भी लगता। र्ेरे बच्चे और उदास! हो सर्ता है
तर्ा? नहीं ना! उदास अथाकत ् र्ार्ा र्े दास। लेकर्न आप तो र्ास्टर र्ार्ापनत हो। र्ार्ा
आपर्े आगे तर्ा है? चींटी भी नहीं है , र्री हुई चींटी। दरू से लगता है क्जंदा है लेकर्न होती
र्री हुई है। लसफक दरू से परखने र्ी शक्तत चादहए। जैसे बाप र्ी नॉलेज विस्तार से जानते
हो ना, ऐसे र्ार्ा र्े भी बहुरूपी रूप र्ी पहचान, नॉलेज अच्छी तरह से धारण र्र लो। िह
लसफक डराती है, जैसे छोटे बच्चे होते हैं ना तो उनर्ो र्ााँ बाप ननभकर् बनाने र्े ललए डराते हैं।
र्ुछ र्रें गे नहीं, जानबूझर्र डराने र्े ललए र्रते हैं। ऐसे र्ार्ा भी अपना बनाने र्े ललए
बहुरूप धारण र्रती है। जब बहुरूप धारण र्रती है तो आप भी बहुरूपी बन उसर्ो परख
लो। परख नहीं सर्ते हैं ना, तो तर्ा खेल र्रते हो? र्ि
ु र्रने शुरू र्र दे ते हो हार्, र्ार्ा

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आ गई! और र्ुि र्रने से बवु ि, र्न थर् जाता है। कफर थर्ािट से तर्ा र्हते हो? र्ार्ा
बड़ी प्रबल है, र्ार्ा बड़ी तेज है। र्ुछ भी नहीं है। आपर्ी र्र्जोरी लभन्न-लभन्न र्ार्ा र्े
रूप बन जाती है। तो बापदादा सदा हर एर् बच्चे र्ो खश
ु नसीब र्े नशे र्ें , खश
ु नर्
ु ा चेहरे र्ें
और खश
ु ी र्ी खरु ार् से तन्दरूस्त और सदा खश
ु ी र्े खज़ानों से सम्पन्न देखने चाहते हैं।
जीिन र्ें चादहए तर्ा? खरु ार् और खज़ाना। और तर्ा चादहए? तो आपर्े पास खश
ु ी र्ी
खरु ार् है र्ा स्टॉर् र्भी खत्र् हो जाता है? खश
ु ी र्ा खज़ाना अखट
ु है। अखट
ु है ना? और
क्जतना खचो उतना बढ़े । अगर और र्ोई भी परू
ु षाथक नहीं र्रो लसफक एर् लक्ष्र् रखो - र्ुछ
भी हो जाए, चाहे अपने र्न र्े क्स्थनत द्िारा, चाहे र्ोई अन्र् आत्र्ाओं द्िारा, चाहे प्रर्ृनत
द्िारा, चाहे िार्ुर्ण्डल द्िारा र्ुछ भी हो जाए, र्ुझे खुशी नहीं छोड़नी है। र्ह तो सहज
पुरूषाथक है ना र्ा खुशी खखसर् जाती है? सहज है र्ा र्भी-र्भी र्ुक्श्र्ल है? दृढ़ संर्ल्प
रखो और बातों र्ो भूल जाओ। एर् ही बात पतर्ी रखो - र्ुझे खुश रहना है। तो बातें तर्ा
लगें गी? खेल। और अपनी खेल दे खने र्ी साक्षीपन र्ी सीट पर सदा क्स्थत रहो। चाहे र्ोई
अपर्ान र्रने िाला हो, आपर्ो परे शान र्र नीचे उतारने िाले हों, लेकर्न आप साक्षीपन र्ी
सीट से नीचे नहीं आओ। नीचे आ जाते हो तभी खुशी र्र् हो जाती है।
बापदादा ने पहले भी दो शब्द सुनार्े हैं - साथी और साक्षी। जब बापदादा साथ है तो
साक्षीपन र्ी सीट सदा र्जबूत रहती है। र्हते सभी हो बापदादा साथ है , बापदादा साथ है
लेकर्न र्ार्ा र्ा प्रभाि भी पड़ता रहता और र्हते भी रहते हो बापदादा साथ है , बापदादा
साथ है। साथ है, लेकर्न साथ र्ो ऐसे सर्र् पर र्ूज़ नहीं र्रते हो, कर्नारे र्र दे ते हो।
जैसे र्ोई साथ र्ें होता है ना, र्ोई बहुत ऐसा र्ार् पड़ जाता है र्ा र्ोई ऐसी बात होती है
तो साथ र्भी ख्र्ाल नहीं होता, बातों र्ें पड़ जाते हैं। ऐसे साथ है र्ह र्ानते भी हो, अनुभि
भी र्रते हो। र्ोई है जो र्हे गा साथ नहीं है ? र्ोई नहीं र्हता। सब र्हते हैं र्ेरे साथ है,
र्ह भी नहीं र्हते कर् तेरे साथ है। हर एर् र्हता है र्ेरे साथ है। र्ेरा साथी है। र्न से
र्हते हो र्ा र्ुख से? र्न से र्हते हो?
बापदादा तो खेल देखते हैं, बाप साथ बैठे हैं और अपनी पररक्स्थनत र्ें , उसर्ो सार्ना र्रने
र्ें इतना र्स्त हो जाते हैं जो दे खते नहीं हैं कर् साथ र्ें र्ौन हैं। तो बाप भी तर्ा र्रते?
बाप भी साथी से साक्षी बनर्र खेल दे खते हैं। ऐसे तो नहीं र्रो ना। जब साथी र्हते हो तो
साथ तो ननभाओ, कर्नारा तर्ों र्रते हो? बाप र्ो अच्छा नहीं लगता। बाप र्ही शभ
ु आशा
रखते हैं और है भी कर् एर्-एर् बच्चा स्िराज्र् अचधर्ारी सो विश्ि अचधर्ारी है। आप लोग
प्रजा हैं तर्ा! प्रजा तो नहीं बनना है ना? राजे, र्हाराजे, विश्ि राजे हो ना! प्रजा बनाने िाले
हो, प्रजा बनने िाले नहीं हो। राजा बनने िाले, प्रजा बनाने िाले हो। तो राजा र्हााँ बैठता है ?
तख्त पर बैठता है ना! जब प्रैक्तटर्ल र्ें राजा र्े नशे र्ें होता है तो तख्त पर बैठता है ना!
तो साक्षीपन र्ा तख्त छोड़ो नहीं। जो अलग- अलग पुरूषाथक र्रते हो उसर्ें थर् जाते हो।
आज र्न्सा र्ा कर्र्ा, र्ल िाचा र्ा कर्र्ा, सम्बन्ध-सम्पर्क र्ा कर्र्ा तो थर् जाते हो। एर्
ही पुरूषाथक र्रो कर् साक्षी और खुशनुर्: तख्तनशीन रहना है। र्ह तख्त र्भी नहीं छोड़ना

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है। र्ोई राजा ऐसे सीररर्स होर्र तख्त पर बैठे, बैठा तख्त पर हो लेकर्न बहुत क्रोधी हो,
आफीलशर्ल हो तो अच्छा लगेगा? र्हें गे र्ह तो राजा नहीं है। तो आप सदा तख्तनशीन है
ना! िह राजे तो र्भी तख्त पर बैठते, र्भी नहीं बैठते लेकर्न साक्षीपन र्ा तख्त ऐसा है
क्जसर्ें हर र्ार्क र्रते भी तख्तनशीन, उतरना नहीं पड़ता है। सोते भी तख्तनशीन, उठते-
चलते, सम्बन्ध-सम्पर्क र्ें आते तख्तनशीन। तख्त पर बैठना आता है कर् बैठना नहीं आता
है, खखसर् जाते हो? साक्षीपन र्े तख्तनशीन आत्र्ा र्भी भी र्ोई सर्स्र्ा र्ें परे शान नहीं
हो सर्ती। सर्स्र्ा तख्त र्े नीचे रह जार्ेगी और आप ऊपर तख्तनशीन होंगे। सर्स्र्ा
आपर्े ललए लसर नहीं उठा सर्ेगी, नीचे दबी रहे गी। आपर्ो परे शान नहीं र्रे गी और र्ोई र्ो
भी दबा दो तो अन्दर ही अन्दर खत्र् हो जार्ेगा ना। तो बापदादा र्ो ऐसे सर्र् पर
आश्चर्क लगता है, आप नहीं आश्चर्क र्रना। अपने पर भले र्रना, दस
ू रे पर नहीं र्रना। तो
आश्चर्क लगता है कर् र्ह र्ेरे बच्चे तर्ा र्र रहे हैं! तख्त से उतर रहे हैं। जब तख्तनशीन
रहने र्े संस्र्ार अब से ही डालेंगे तब विश्ि र्े तख्त पर भी बैठेंगे। र्हााँ सदार्ाल
तख्तनशीन नहीं होंगे तो िहााँ भी सदा अथाकत ् क्जतना सर्र् फुल है , उतना सर्र् नहीं बैठ
सर्ेंगे। संस्र्ार सब अभी भरने हैं। कफर िही भरे हुए संस्र्ार सतर्ुग र्ें र्ार्क र्रें गे। रॉर्ल्टी
र्े संस्र्ार अभी से भरने हैं। ऐसे नहीं सोचना कर् अभी र्ुछ सर्र् तो पड़ा है , इतने र्ें
विनाश तो होना नहीं है , र्ह नहीं सोचना। विनाश होना है अचानर्। पूछर्र नहीं आर्ेगा कर्
हााँ तैर्ार हो! सब अचानर् होना है। आप लोग भी ब्राह्र्ण र्ैसे बनें ? अचानर् ही सन्दे श
लर्ला, प्रदशकनी दे खी, सम्पर्क-सम्बन्ध हुआ बदल गर्े। तर्ा सोचा था कर् इस तारीख र्ो
ब्राह्र्ण बनेंगे? अचानर् हो गर्ा ना! तो पररितकन भी अचानर् होना है। आपर्ो पहले र्ार्ा
और ही अलबेला बनार्ेगी, सोचें गे हर्ने तो दो हजार सोचा था - िह भी पूरा हो गर्ा, अभी
तो थोड़ा रे स्ट र्र लो। पहले र्ार्ा अपना जाद ू फैलार्ेगी, अलबेला बनार्ेगी। कर्सी भी बात
र्ें, चाहे सेिा र्ें, चाहे र्ोग र्ें, चाहे धारणा र्ें, चाहे सम्बन्ध-सम्पर्क र्ें र्ह तो चलता ही है ,
र्ह तो होता ही है ...., ऐसे पहले र्ार्ा अलबेला बनाने र्ी र्ोलशश र्रे गी। कफर अचानर्
विनाश होगा, कफर नहीं र्हना कर् बापदादा ने सुनार्ा ही नहीं, ऐसा भी होना है तर्ा!
इसललए पहले ही सुना दे ते हैं - अलबेले र्भी भी कर्सी भी बात र्ें नहीं बनना। चार ही
सबजेतट र्ें अलटक , अभी भी र्ुछ हो जाए तो अलटक । उस सर्र् नहीं र्हना बापदादा अभी
आओ, अभी साथ ननभाओ, अभी थोड़ी शक्तत दे दो, उस सर्र् नहीं दें गे। अभी क्जतनी
शक्तत चादहए, जैसी चादहए उतनी जर्ा र्र लो। सबर्ो खल
ु ी छुट्टी है, खल
ु े भण्डार हैं,
क्जतनी शक्तत चादहए, जो शक्तत चादहए ले लो। पेपर र्े सर्र् टीचर िा वप्रन्सीपाल र्दद
नहीं र्रता।

( 23-02-97 )

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र्रनहार अलग है, र्रािनहार अलग है। ब्रह्र्ा बाप र्ा दस
ू रा अनुभि भी सुना है कर् र्ह
र्र्ेक्न्रर्ां, र्र्कचारी हैं। तो रोज रात र्ी र्चहरी सन
ु ी है ना! तो र्ाललर् बन इन र्र्ेक्न्रर्ों
रूपी र्र्कचाररर्ों से हालचाल पछ
ू ा है ना! तो जैसे ब्रह्र्ा बाप ने र्ह अभ्र्ास फाउण्डेशन बहुत
पतर्ा कर्र्ा, इसललए जो बच्चे लास्ट र्ें भी साथ रहे उन्होंने तर्ा अनभ
ु ि कर्र्ा? कर् बाप
र्ार्क र्रते भी शरीर र्ें होते हुए भी अशरीरी क्स्थनत र्ें चलते कफरते अनभ ु ि होता रहा। चाहे
र्र्क र्ा दहसाब भी चतु तू र्रना पड़ा लेकर्न साक्षी हो, न स्िर्ं र्र्क र्े दहसाब र्े िश रहे , न
औरों र्ो र्र्क र्े दहसाब-कर्ताब चत
ु तू होने र्ा अनभ
ु ि र्रार्ा। आपर्ो र्ालर्
ू पड़ा कर् ब्रह्र्ा
बाप अर्वर्तत हो रहा है, नहीं र्ालूर् पड़ा ना! तो इतना न्र्ारा, साक्षी, अशरीरी अथाकत ्
र्र्ाकतीत स्टे ज बहुतर्ाल से अभ्र्ास र्ी तब अन्त र्ें भी िही स्िरूप अनभ
ु ि हुआ। र्ह
बहुतर्ाल र्ा अभ्र्ास र्ार् र्ें आता है।ऐसे नहीं सोचो कर् अन्त र्ें दे हभान छोड़ दें गे, नहीं।
बहुतर्ाल र्ा अशरीरीपन र्ा, दे ह से न्र्ारा र्रािनहार क्स्थनत र्ा अनुभि चादहए। अन्तर्ाल
चाहे जिान है, चाहे बूढ़ा है, चाहे तन्दरूस्त है, चाहे बीर्ार है, कर्सर्ा भी र्भी भी आ
सर्ता है। इसललए बहुतर्ाल साक्षीपन र्े अभ्र्ास पर अटे न्शन दो। चाहे कर्तनी भी
प्रार्ृनतर् आपदार्ें आर्ेंगी लेकर्न र्ह अशरीरीपन र्ी स्टे ज आपर्ो सहज न्र्ारा और बाप
र्ा प्र्ारा बना दे गी। इसललए बहुतर्ाल शब्द र्ो बापदादा अण्डरलाइन र्रा रहे हैं। तर्ा भी
हो, सारे ददन र्ें साक्षीपन र्ी स्टे ज र्ा, र्रािनहार र्ी स्टे ज र्ा, अशरीरीपन र्ी स्टे ज र्ा
अनुभि बार-बार र्रो, तब अन्त र्ते फररश्ता सो दे िता ननक्श्चत है।

( 18-01-03 )

बापदादा ने दे खा है कर् स्र्नृ त र्ें ज्ञान भी रहता है, नशा भी रहता है, ननश्चर् भी रहता है,
लेकर्न अभी एडीशन चादहए - चलन और चेहरे से ददखाई दे । बुवि र्ें र्ाद सब रहता है,
र्नत र्ें भी आता है लेकर्न अब स्िरूप र्ें आिे। जब साधारण रूप र्ें भी अगर र्ोई बडे
आतर्ूपेशन िाला है र्ा र्ोई साहूर्ार र्ा बच्चा एड्र्ूर्ेटे ड है तो उसर्ी चलन से ददखाई
पड़ता है कर् र्ह र्ुछ है। उनर्ा र्ुछ न र्ुछ न्र्ारापन ददखाई दे ता है। तो इतना बड़ा भाग्र्,
िसाक भी है, पढाई और पद भी है। स्िराज्र् तो अभी भी है ना! प्राक्प्तर्ा भी सब हैं , लेकर्न
चलन और चेहरे से भाग्र् र्ा लसतारा र्स्तर् र्ें चर्र्ता हुआ ददखाई दे , िह अभी एडीशन
चादहए। अभी लोगों र्ो आप श्रेष्ठठ भाग्र्िान आत्र्ाओं द्िारा र्ह अनभ
ु ि होना है , चादहए
नहीं, होना है कर् र्ह हर्ारे इष्ठटदे ि है , इष्ठटदे विर्ााँ हैं। र्ह हर्ारे हैं। जैसे ब्रह्र्ा बाप र्ें दे खा
- साधारण तन र्ें होते भी आदद र्े सर्र् भी ब्रह्र्ा बाप र्ें तर्ा ददखाई दे ता था, र्ृष्ठण
ददखाई दे ता था ना। आदद िालों र्ो अनभ
ु ि है ना! तो जैसे आदद र्ें ब्रह्र्ा बाप द्िारा र्ृष्ठण
ददखाई दे ता था ऐसे ही लास्ट र्ें तर्ा ददखाई देता था? अर्वर्तत रूप ददखाई दे ता था ना!
चलन र्ें, चेहरे र्ें ददखाई ददर्ा ना! अभी बापदादा विशेष ननलर्त्त बच्चों र्ो र्ह होर्िर्क दे
रहा है कर् अभी ब्रह्र्ा बाप सर्ान अर्वर्तत रूप ददखाई दे । चलन और चेहरे से र्र् से र्र्

18
108 र्ाला र्े दाने तो ददखाई दे िे। बापदादा नार् नहीं चाहते हैं, नार् नहीं बताते हैं - 108
र्ौन हैं लेकर्न उनर्ी चलन और चेहरा स्ित: ही प्रत्र्क्ष हो।

( 30-11-04 )

आज बापदादा अपने सदा सन्तष्ठु ट रहने िाले सन्तष्ठु ट र्खणर्ों र्ो देख रहे हैं। एर्-एर्
सन्तष्ठु टर्खण र्ी चर्र् से चारों ओर कर्तनी सन्
ु दर चर्र् चर्र् रही है। हर एर्
सन्तुष्ठटर्खण कर्तनी बाप र्ी प्र्ारी हर एर् र्ी प्र्ारी अपनी भी प्र्ारी है। सन्तुष्ठटता सिक
र्ो प्र्ारी है। सन्तुष्ठटता सदा सिक प्राक्प्त सम्पन्न है तर्ोंकर् जहााँ सन्तुष्ठटता है िहााँ अप्राप्त
र्ोई िस्तु नहीं। सन्तुष्ठट आत्र्ा र्ें सन्तुष्ठटता र्ा नेचरल नेचर है। सन्तुष्ठटता र्ी शक्तत
स्ित: और सहज चारों ओर िार्ुर्ण्डल फैलाती है । उनर्ा चेहरा उनर्े नर्न िार्ुर्ण्डल र्ें
भी सन्तुष्ठटता र्ी लहर फैलाते हैं। जहााँ सन्तुष्ठटता है िहााँ और विशेषतार्ें स्ित: ही आ जाती
हैं। सन्तुष्ठटता संगर् पर विशेष बाप र्ी दे न है। सन्तुष्ठटता र्ी क्स्थनत परक्स्थनत र्े ऊपर
सदा विजर्ी है। परक्स्थनत बदलती रहती है लेकर्न सन्तुष्ठटता र्ी शक्तत सदा प्रगनत र्ो
प्राप्त र्रती रहती है। कर्तनी भी पररक्स्थनत सार्ने आर्े लेकर्न सन्तुष्ठटर्खण र्े आगे हर
सर्र् प्रर्ृनत एर् पपेटशो र्ाकफर् ददखाई दे ती है र्ार्ा और प्रर्ृनत र्ा पपेट शो। इसललए
सन्तुष्ठट आत्र्ा र्भी परे शान नहीं होती। पररक्स्थनत र्ा शो र्नोरं जन अनुभि होता है। र्ह
र्नोरं जन अनुभि र्रने र्े ललए अपने क्स्थनत र्ी सीट सदा साक्षीदृष्ठटा र्ें क्स्थत रहने िाली
र्ह र्नोरं जन अनुभि र्रती है। दृष्ठर् कर्तना भी बदलता लेकर्न साक्षी दृष्ठटा र्ी सीट पर
क्स्थत रहने िाली सन्तुष्ठट आत्र्ा साक्षी हो हर पररक्स्थनत र्ो स्ि क्स्थनत से बदल दे ती है।
तो हर एर् अपने र्ो चेर् र्रे कर् र्ैं सदा सन्तुष्ठट हूाँ? सदा? सदा हैं िा र्भी र्भी हैं?

( 20-10-08 )

पररिार र्े साथ ही सेिा र्ें , सम्बन्ध र्ें रहते हो। ऐसे नहीं कर् हर्ारा तो बाप से ही
र्नेतशन है, पररिार से नहीं हुआ तो तर्ा हुआ। पररिार र्ा ननश्चर् तो आपर्ा 21 जन्र्
चलना है। जानते हो ना! पररिार र्े साथ ही सम्बन्ध र्ें आने से र्ालर्
ू होता है कर् र्ैं इतने
बड़े पररिार र्ें सभी से ननश्चर्बवु ि हो चल रहे हैं, पररिार र्ें चलने र्े ललए र्ह अटे न्शन
दे ना पड़ता है कर् पररिार र्ें हर एर् र्े संस्र्ार लभन्न-लभन्न हैं और होंगे। आपर्ा र्ादगार
र्ाला है, र्ाला र्ें दे खो र्हााँ एर् नम्बर और र्हााँ 108िां नम्बर तर्ोंकर् पररिार र्ें लभन्न-
लभन्न संस्र्ार हैं। तो इतने बड़े पररिार र्ें चलते संस्र्ारों र्ो सर्झ एर् दो र्ें एर् पररिार,
एर् बाप एर् राज्र्, तो एर् होर्े चलना है। पररिार र्ें जैसे बड़ा पररिार है , ऐसे ही एर् दो
र्ें बड़ी ददल, हर एर् र्े प्रनत शभ
ु भािना, शभ
ु र्ार्ना र्ी क्स्थनत र्ें क्स्थत हो चलना है
तर्ोंकर् पररिार र्े बीच ही संस्र्ार स्िभाि आता है। लेकर्न र्ोई सर्झे पररिार से तर्ा है ,

19
बाबा से तो है। लेकर्न र्हााँ धर्क और राज्र् दोनों र्ी स्थापना है , लसफक धर्क नहीं है , दस
ू रे
जो भी धर्क वपता आर्े हैं उनर्ा लसफक धर्क है , राज्र् नहीं है , र्हााँ तो आप सबर्ो राज्र् भी
र्रना है। तो राज्र् र्ें पररिार र्ी आिश्र्र्ता होती है और 21 जन्र् लभन्न-लभन्न रूप से
पररिार र्े साथ ही रहना है , पररिार र्ो छोड़ र्हााँ जा नहीं सर्ते। तो चेर् र्रो ऐसे नहीं
सर्झना कर् बाप जाने र्ैं जानं।ू बाप से ही र्ार्क है लेकर्न अगर इन चार ननश्चर् र्ें से एर्
भी ननश्चर् र्र् है तो हलचल र्ें आ जार्ेंगे। सेिा र्े साथी, बाप तो सर्ाश दे ने िाले हैं
लेकर्न साथी र्ौन? सार्ार र्ा साथ तो पररिार र्ा है तो बाप ने दे खा है कर् तीन ननश्चर्
र्ें र्ैजाररटी ठीर् चल रहे हैं लेकर्न पररिार र्े साथ र्ें ननभाना, संस्र्ार लर्लाना, एर्-एर्
र्ो र्ल्र्ाण र्ी भािना से देखना और चलना, इसर्ें र्ई बच्चे र्थाशक्तत बन जाते हैं।
लेकर्न बाप ने देखा कर् जो पररिार र्े ननश्चर् र्ें नॉलेजफुल होर्े सदा बाप सर्ान साक्षीपन
र्ी क्स्थनत र्ें साथ र्ें आते हैं, रहते हैं िही नम्बरिन र्ा नम्बरिन डडिीजन र्ें आते हैं।
हर एर् िगक सारे इक्न्डर्ा र्ें अपने अपने सेन्टसक र्ो र्ह सेिा दे िे और जो भी िह सर्झते
हैं कर् र्ह िी.आई.पी ऐसा है , तो िह सभी िगक िाले एर् स्थान पर अपना-अपना चुना हुआ
िी.आई. पी. सब िगक िाले र्ीदटंग र्रो, र्ह प्लैन बापदादा ने ददर्ा है , तो सभी ऐसे र्रो
और उन्हों र्ो ननलर्त्त बनाओ। उन्हों र्ी विशेष सेिा र्रो, जो र्ाइर् र्े साथ स्नेही
सहर्ोगी बन जाएं। लसफक र्ाइर् नहीं बनें लेकर्न स्नेही सहर्ोगी बनें तर्ोंकर् स्नेह और
सहर्ोग से उन्हों र्ो आशीिाकद लर्लती है , पुरूषाथक र्ें आगे बढ़ने र्ी। तो बापदादा और भी
जो िगक आर्े हैं उन सभी िगो र्ो र्ह रहे हैं, इसी सीजन र्ें बापदादा हर ग्रुप र्ा ररजल्ट
दे खने चाहते हैं। र्धुबन र्ें नहीं भी आिे लेकर्न अपने िगक र्ा जो हे ड तिाटक र हो उसर्ें
इर्ठ्ठा र्रें कफर बापदादा ररजल्ट दे ख र्रर्े सीजन र्े लास्ट र्ें ऐसे सहर्ोचगर्ों से लर्लने र्ा
सोचें गे। तो सुना, र्ह र्रना है। आशा ने ददर्ा था? (आशा बहन-ओ.आर.सी) आपने ददर्ा था
ना। अच्छी बात है, अगर िगक िाले स्पष्ठट सर्झने चाहे तो इनसे सर्झ लेना। बापदादा र्ह
तर्ों र्हते हैं तर्ोंकर् आप लोग जो पतर्े ब्राह्र्ण हैं उन्हों र्ो सर्र् पर साक्षी होर्े दे खना
पड़ेगा, र्न्सा सेिा इतनी बढ़े गी जो आप लोगों र्े साथी बनर्े िह सेिा र्रें । िह सेिा र्रें
और आप साक्षी होर्े र्न्सा सेिा र्रो। जैसे ब्रह्र्ा बाप ने सेिा लार्र् बनार्ा, स्िर्ं साक्षी
होर्र दे खा ना। ऐसे जो ननलर्त्त बड़ी आत्र्ार्ें हैं , जो सविकस र्ो बढ़ाने िाली हैं, िह सर्र्
पर और सेिा र्ें बबजी रहती हैं , लेकर्न र्ह सेिा आपर्े र्ोग्र् तैर्ार कर्र्े हुए र्रें , क्जसर्ी
आिाज र्ें अनभ
ु ि र्ी आर्षकण हो, पोजीशन र्ी आर्षकण नहीं लेकर्न अनभ
ु ि र्ी आर्षकण।
र्थ
ू , पोलीदटशन, स्पोटक , एडलर्ननस्ट्रे शन:- र्ह एर् बात सभी र्ो र्रनी है इसललए साथ र्ें
उठार्ा है। तो िगक िालों र्ी सेिा पर बापदादा खश
ु है लेकर्न अभी आप साक्षी दृष्ठटा बनते
जाओ। आपर्ा अभी र्ार् है दस
ू रे ग्रप
ु र्ो तैर्ार र्रना तर्ोंकर् अचानर् ऐसे सरर्र्स्टांश
बनेंगे जो आप लोगों र्ो बहुत तपस्र्ा िरनी पड़ेगी। र्न्सा सेिा र्रनी पड़ेगी। सर्र् नाजुर्
आ रहा है और बढ़ता रहे गा। अभी र्न्सा सेिा इतनी फोसक से नहीं हो रही है। हो रही है ,
र्ोई र्ोई र्ा र्न्सा सेिा र्ा प्रभाि भी पड़ रहा है लेकर्न बहुत र्र्। और लास्ट र्े सर्र्

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र्न्सा सेिा र्े लसिाए िाचा नहीं चलेगी। क्जन्हों र्ो ननलर्त्त बनार्ेंगे उन्हों र्ो भी अभी
चांस है, जब नाज़र्
ु सर्र् आर्ेगा तो उन्हों र्ो भी चांस नहीं लर्लेगा इसललए अभी उन्हों
र्ो चांस दे दो, नजदीर् आर्ेंगे, िाररस भी बन सर्ते हैं तर्ोंकर् अभी हालातें आपर्े हर ग्रप

र्े र्ार्क र्ो र्दद र्र रही हैं। अभी सभी सर्झते हैं र्ुछ होना चादहए, होना चादहए।
बबचारों र्ो पता तो है नहीं लेकर्न चाहना है र्ुछ पररितकन होना चादहए। आप तो जानते हो
ना कर् पररितकन होना है और तर्ा होना है। िह चचंता र्ें है , तर्ा होगा, तर्ा होगा! आप
जानते हो कर् हर्ारा राज्र् आना ही है , खश
ु ी है। अनत र्ें जा रहा है और अन्त होर्े आदद
आनी है इसललए आप सविकस र्रने िालों र्ो अभी जल्दी-जल्दी छांटों और उन्हों र्ो आगे
बढ़ाओ। अच्छा-अच्छा तो र्हते हैं अभी उन्हों र्ो अच्छा बनाने र्ी सेिा दो। आप साक्षी
दृष्ठटा बनर्े उनर्ो शक्तत दो।

( 15-12-09 )

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