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* समुमं

थन सेनकले
थेये
14 र न, जाने
इनके
पीछेछपे
अथ
पं
च ां
ग केअनु सार हर साल का तक महीनेक कृण प योदशी केदन धनवंत र योदशी मनाई जाती है
।मा यता
केअनु सार, इसी दन समुमं थन सेभगवान ध वंत र कट ए थे । इस लए इस दन भगवान ध वं
त र क वशे ष
पू
जा क जाती है । समुमं थन सेध वतंर केसाथ अ य र न भी नकले थे
। आज हम आपको समुमं थन क पू री
कथा व उसम छपे लाइफ मै
नजेमट केसू के बारेम बता रहे
ह-

ये
हैसमुमं
थन क कथा

धम थं के अनु
सार, एक बार मह ष वासा के ाप के कारण वग ीहीन (ऐ य, धन, वै भव आ द) हो गया। तब
सभी देवता भगवान व णु के पास गए। भगवान व णु नेउ ह असुर केसाथ मलकर समुमं थन करने का उपाय
बताया और येभी बताया क समुमं थन को अमृत नकले गा, जसेहण कर तु म अमर हो जाओगे । यह बात जब
दे
वता ने असु
र के राजा ब ल को बताई तो वे
भी समुमं थन केलए तैयार हो गए। वासुक नाग क ने ती बनाई
गई और मंदराचल पवत क सहायता से समुको मथा गया। समुमं थन सेउ चैवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, ल मी,
भगवान ध व त र स हत 14 र न नकले ।

या सीख

समुमं थन को अगर लाइफ मै नजेमट केनज रए सेदे


खा जाए तो हम पाएं
गेक सीधे-सीधेकसी को अमृ त
(परमा मा) नह मलता। उसकेलए पहले मन को वकार को र करना पड़ता है और अपनी इंय पर नयंण
करना पड़ता है। समुमंथन म 14 नंबर पर अमृ
त नकला था। इस 14 अं क का अथ हैयेहै5 कमे यां,5
जने यां तथा अ य 4 ह- मन, बु , च और अहं कार। इन सभी पर नयंण करनेके बाद म परमा मा ा त होते
ह।
1. कालकू
ट वष

समुमं थन म से सबसे पहले कालकूट वष नकला, जसे भगवान शव नेहण कर लया। इससे ता पय हैक
अमृत (परमा मा) हर इं
सान केमन म थत है। अगर हम अमृ त क इ छा है तो सबसे
पहले हम अपने मन को
मथना पड़ेगा। जब हम अपने मन को मथगे
तो सबसे पहले बु
रेवचार ही बाहर नकलगे। यही बु
रे
वचार वष है।
हम इन बु
रेवचार को परमा मा को सम पत कर देना चा हए और इनसे मु हो जाना चा हए।

2. कामधे
नु

समुमंथन म सरेम म नकली कामधे न।ुवह अ नहो (य ) क साम ी उ प करनेवाली थी। इस लए


वाद ऋ षय ने उसेहण कर लया। कामधे नुतीक हैमन क नमलता क । य क वष नकल जाने के
बाद
मन नमल हो जाता है
। ऐसी थ त म ई र तक प ं
चना और भी आसान हो जाता है

3. उ चैवा घोड़ा

समुमं थन के दौरान तीसरे


नं
बर पर उ चैवा घोड़ा नकला। इसका रं ग सफेद था। इसे
असुर के
राजा ब ल ने
अपने पास रख लया। लाइफ मै नजेमट क सेदे
ख तो उ चैवा घोड़ा मन क ग त का तीक है । मन क ग त
ही सबसेअ धक मानी गई है। य द आपको अमृत (परमा मा) चा हए तो अपनेमन क ग त पर वराम लगाना होगा।
तभी परमा मा सेमलन सं भव है।

4. ऐरावत हाथी

समुमं थन म चौथे
नं
बर पर ऐरावत हाथी नकला, उसकेचार बड़े-बड़ेदां
त थे
। उनक चमक कैलाश पवत सेभी
अ धक थी। ऐरावत हाथी को दे
वराज इंनेरख लया। ऐरावत हाथी तीक है बु का और उसकेचार दां
त लोभ,
मोह, वासना और ोध का। चमकदार (शु व नमल) बु से ही हम इन वकार पर काबू
रख सकते ह।

5. कौ तु
भमण

समुमंथन म पां
चवेम पर नकली कौ तु
भ म ण, जसेभगवान व णु
नेअपनेदय पर धारण कर लया।
कौ तु
भ म ण तीक है
भ का। जब आपके मन सेसारे
वकार नकल जाएं
ग,े
तब भ ही शे ष रह जाएगी। यही
भ ही भगवान हण करगे ।

6. क पवृ

समुमं थन म छठे म म नकला इ छाएंपू


री करनेवाला क पवृ, इसे दे
वता नेवग म था पत कर दया।
क पवृ तीक है आपक इ छा का। क पवृसे जुड़ ा लाइफ मै
नज
ेमट सूहैक अगर आप अमृ त (परमा मा)
ा त केलए यास कर रहेह तो अपनी सभी इ छा का याग कर द। मन म इ छाएंह गी तो परमा मा क
ा त सं
भव नह है

7. रं
भा अ सरा

समुमंथन म सातवेम म रं भा नामक अ सरा नकली। वह सु



दर व व आभू षण पहनेई थ । उसक चाल मन
को लु
भाने
वाली थी। ये
भी दे
वता के पास चल गई। अ सरा तीक हैमन म छपी वासना का। जब आप कसी
वशेषउ ेय म लगे होते
ह तब वासना आपका मन वच लत करने का यास करती ह। उस थ त म मन पर
नयंण होना ब त ज री है।
8. दे
वी ल मी

समुमं थन म आठवेथान पर नकल दे वी ल मी। असु


र, दे
वता, ऋ ष आ द सभी चाहतेथे क ल मी उ ह मल
जाएं
, ले
कन ल मी ने भगवान व णु
का वरण कर लया। लाइफ मै नज
ेमट के नज रए सेल मी तीक है धन, वै
भव,
ऐ य व अ य सां
सा रक सु
ख का। जब हम अमृत (परमा मा) ा त करना चाहते
ह तो सां
सा रक सु
ख भी हम
अपनी ओर ख चते ह, ले
कन हम उस ओर यान न देकर केवल ई र भ म ही यान लगाना चा हए।

9. वा णी दे
वी

समुमं थन सेनौवेम म नकली वा णी दे वी, भगवान क अनु म त से


इसेदै
य नेलेलया। वा णी का अथ है
म दरा यानी नशा। यह भी एक बु
राई है
। नशा कैसा भी हो शरीर और समाज केलए बु
रा ही होता है
। परमा मा को
पाना हैतो सबसे पहलेनशा छोड़ना होगा तभी परमा मा से सा ा कार सं
भव है

10. चं
मा

समुमं थन म दसव म म नकले चंमा। चं मा को भगवान शव ने अपनेम तक पर धारण कर लया। चं मा


तीक हैशीतलता का। जब आपका मन बु रेवचार, लालच, वासना, नशा आ द सेमु हो जाएगा, उस समय वह
चं मा क तरह शीतल हो जाएगा। परमा मा को पानेकेलए ऐसा ही मन चा हए। ऐसे
मन वालेभ को ही अमृ त
(परमा मा) ा त होता है

11. पा रजात वृ

इसकेबाद समुमं थन से
पा रजात वृ नकला। इस वृक वशे षता थी क इसेछू
ने सेथकान मट जाती थी।
यह भी दे
वता केह से म गया। लाइफ मै
नजेमट क सेदे
खा जाए तो समुमंथन से पा रजात वृके
नकलने का अथ सफलता ा त होनेसेपहलेमलने वाली शां
त है
। जब आप (अमृ त) परमा मा केइतने
नकट
प ं
च जातेह तो आपक थकान वयं ही र हो जाती हैऔर मन म शां त का अहसास होता है

12. पां
चज य शं

समुमं थन से बारहव म म पां


चज य शं ख नकला। इसे भगवान व णु ने
लेलया। शंख को वजय का तीक
माना गया है
साथ ही इसक व न भी ब त ही शुभ मानी गई है। जब आप अमृ
त (परमा मा) से
एक कदम र होते
ह तो मन का खालीपन ई रीय नाद यानी वर से
भर जाता है। इसी थ त म आपको ई र का सा ा कार होता है

13 व 14. भगवान ध वं
त र व अमृ
त कलश

समुमं थन से सबसे अं
त म भगवान ध वं त र अपनेहाथ म अमृत कलश लेकर नकले । भगवान ध वंत र तीक ह
नरोगी तन व नमल मन के । जब आपका तन नरोगी और मन नमल होगा तभी इसके भीतर आपको परमा मा क
ा त होगी। समुमं थन म 14 नंबर पर अमृत नकला। इस 14 अंक का अथ है
येहै5 कम यां , 5 जनने यां
तथा अ य 4 ह- मन, बु , च और अहं कार। इन सभी पर नयंण करनेकेबाद म परमा मा ा त होतेह।

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