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1

ी गु च र

ॐ ​
गु ​
द ा ​
नमो ​
नमः  
 
 
 
​ मा लनी
2

ाथना

गुरा दः अना द चा गुह परम दै


वथं

गरु
ोह परथाराम ना थी त मै ी गुवेनमः ।।

( ी गु गीता - लोक - १३ )

गु ह आ द और अनं
त ह । वह ह े
ठ पुष ह और उनसेमहान कोई नह ं
है।

ऐसेगु जो सदा व यमान ह और परम वा त वकता का बोध करातेह उ ह मे


रा
नमन है।

इस ाथना केसाथ म इस कृ त को भगवान ् ी द ा य


े और ी सा समथ के
चरणकमल म अ पत करती हू ँ। भगवान ् ी द ा ये और ी सा समथ क
असीम कृ
पा और आशीवाद नेमे
रेजीवन म जो अन गनत चम कार कयेह उनका
वणन करनेम श द असमथ ह । म उनकेचरण म शत शत नमन करती हू ँ।

   
यह कृत मे
रेइ ट केचरण कमल म मे
रा आभार, े
म और भि त अ पत करने
का के
वल एक छोटा सा यास है।

-0-
3

आभार

सव थम म अपनेमाता पता का आभार य त करती हूँजो मेरेपहलेगु ह ।


उ ह नेन के
वल मझ
ुेज म दया बि क हर कदम पर मे
रा मागदशन करकेजीवन
म सफलता का माग श त कया है।

आ याि मक पथ पर ी सा नाथ क कृ पा सेजब म अ सर हुई तो दो गुओं


नेमेर सहायता क । रेक ह लर ी नागाजनु सं
ह ने यान लगानेक व धय
क श ा द और परा मड मा टर ी वमसी करण नेतो जीवन के त मे रे
ि टकोण को ह बदलकर मझुेएक नया ज म दया । जीवन केकई क ठन न
का उ र उ ह नेइतनी सरलता केसाथ दया क मे रेअ दर केअं त वं
द के
समाधान म मझ ुेबड़ी सहायता मल । येदोन ी सा का आशीवाद थेमे रे
लए।

म अपनी य सखी शमा मान सं ह क ऋणी रहूं


गी िजसने ी सा म मे र
आ था को और सुढ़ कया । शमा नेह पहल बार मझ ुेसा च र द थी
िजसकेमा यम सेमनेसा क श ाओंकेबारेम ान ा त कया । सा मे रे
जीवन म २००५ सेथेक तुउनके व प को समझनेम सहायता शमा नेक
थी। कायालय म वो मझ
ुसेघं
ट सा क बात करती थी और वो पल कसी स संग
सेकम नह ं थेमे
रेलए । इस तरह सा नाथ म मे
र आ था गहर होती गयी ।

शमा का मे रेजीवन म एक बहु त अहम ्थान है


, वह ी सा क दतू बनकर मेरे
जीवन म एक ऐसेसमय पर आई जब म अने क सम याओंसेघर हु ई थी और
बड़ी व च बात हैक दो वष केबाद जब सम याएंदरूहु तो वो भी दरूचल
गयी । इस लए मे रा व वास और भी गहरा हु
आ हैक ी सा ह शमा के प म
वषम प रि थ तय म नरं तर मे
रेसाथ रहेऔर मेरेक ट को अपनेऊपर ले
कर
मेरेसाथ चलतेरहे। मे र ी सा सेशमा के लए ये ाथना रहे गी क वो सदा
सखुी रहे।

इस थ को लखनेम इ टरने ट पर उपल ध अनेक ोत नेशोध म मे र


सहायता क । व भ न वे
बसाइट सेत य को संक लत करकेमने ी गु च र
को सं त प म पाठक के सम तत
ु करनेका एक यास कया है।
4

ऐसा माना जाता हैक ी गु च र का पठन द ा ये जयंती , गु पू


णमा और
अ य शभु दन को करना चा हए पर तुइस थ का पठन एक दन म करना
असं भव तीत होता है। इसी के ि टगत म आपकेसम येसं त संकरण
तत
ु कर रह हूँ। इस पुतक को ८ घंट म पढ़ा जा सकता है। साधारणतः
स ताह पारायण कया जाता हैक तुइस पुतक केमा यम सेतीन दवसीय
पारायण को भी बड़ी आसानी सेकम समय म कया जा सकता है।

म आशा करती हूँक आप सब इस थ को पढ़ कर ी गु द ा य


े का
आशीवाद ा त करगे।

-0-
5

तावना

ी गुच र मू
त ( मा, व णुऔर महेश) केअवतार ी गु द ा य ेक
जीवनी है। इस थ को अ यं
त प व माना जाता है य क इसम द ा ये के
अवतार ीपाद ीव लभ और ी गु नर सं ह सर वती केजीवन और उनके
चम कार का वणन है। द स दाय केअनस ुार भगवान ्द ा य
े केपहले
अवतार ीपाद ीव लभ, दसुरेअवतार ी गु नर सं
ह सर वती, तीसरेऔर चौथे
अवतार अ कलकोट के वामी समथ महाराज और मा ण य भुतथा पां चवे
अवतार शड के ी सा नाथ मानेजातेह ।

इस थ क रचना मराठ म ी सर वती गं गाधर ने१४वेशता द म क थी


बाद म सभी भाषाओ म इसका अनव ुाद हु
आ । थ म गु केमह व पर
नामधारक और स ध मु न केबीच वातालाप के प म काश डाला गया है।
इसेपढनेवालेपाठक को सखु शां
त ा त होती हैऔर उनकेसब मनोरथ स ध
होतेह।

मझुे ी गुच र लखनेक े


रणा वयंभगवान ्दता य े नेद थी। सा
स च र पढ़तेपढ़तेमे रेमन म ी सा नाथ क भि त गाढ़ हु ई और उ ह ने
ह मझुे अ कलकोट महाराज और ी गु च र पठन के लए े रत कया । सभी
सा भ त को व दत ह हैक ी सा अपनेहर भ त सेनरालेअं दाज़ म
वातालाप करतेह और उ ह अ छेकम के लए े रत करतेह । उनकेआदे श को
वीकार करकेमनेभी एक दन ी गुच र को पढनेका न चय कया क तु
यह थ मझ
ुेकह ंनह ंमला । जगह जगह पछ ूताछ क क तुकसी को ी
द ा य
े केबारेम जानकार नह ंथी जब क ी सा नाथ केबारेम सबको ान
था । हार कर मनेगगूल म भगवान ् द ा य
े केबारेम जानकार ा त क तो
पता चला ी गु च र का पठन अ धकतर महारा , म य दे श, गजुरात, आं
देश और कनाटक म होता है। मेरेमन म इ छा जागत ृ हु
ई क ी सा नाथ
िजनकेअवतार ह उन भगवान ् द ा य
े केबारेम उ र भारत केलोग को भी
जाग क करना चा हए।

एक दन गग ूल से ी गु च र डाउनलोड करकेबड़ी धा केसाथ मने७ दन


का पारायण आर भ कर दया। जैसेजैसेइसेपढ़ती गयी मे
रेमन म भि त भी
बढती गयी । थ के५२वेअ याय म उ ले ख कया गया हैक जो भ त धा
6

केसाथ पढ़ते ह उ ह ी गु सख
ु शांत दे
तेह , उनकेसब मनोरथ स ध होतेह
और तो और भगवान ् द ा य
े व न म भी दशन दे तेह । पठन समा त करके
रा को सोनेसेपहलेमने ी गु से ाथना क '' गुदे व भि तपव
ूक कयेगए
मेरेपारायण को य द आपने वीकार कया हो तो कृ
पया मझ
ुेभी व न म दशन
द िजये'' ।

मझुेअच भा तब हु आ जब अगलेदन ातः काल को मने रा के व न को याद


कया । उस व न को याद करकेआज भी मझ ुेरोमां
च होता है। मने व न म
दे
खा '' कसी नेघं ट बजायी और जै सेह मनेदरवाज़ा खोला तो देखा एक ल बा
सा साधूमे रेसामनेखड़ा था िजसकेगलेम सां प , शर र केऊपर वालेभाग म
कोई व नह ंशायद वभूत थी और नचले भाग म कोई व था। उसने न
कया ‘’ तम
ुनेमझ ुे य बलुाया है‘’? व न म भी मझ ुेअपनी त या व दत
थी , म अवाक होकर उस साधूको दे ख रह थी। जैसे ह मने उसेअ दर आने का
नमंण दया, वो अ तधान हो गया । दरवाज़ा बं द करकेजै सेह म अ दर आई
तो देखा बै
ठक केसोफेपर गेए व म हाथ म ा लए एक साधूजप कर
रहा था । '' मझ
ुेआज भी सोच कर व मय होता है क या वयं ी व णु
और ी शव नेमझ ुे व न म दशन दए थे? अब सं दे
ह कहाँरहता हैक
भगवान ् द ा य
े मू त केसा ात अवतार ह ।

इस अनभुूत से े
रत हो कर मनेन चय कया था क म भगवान ी द ा य े
का जीवन च र अ धक सेअ धक लोग तक पहु

चाउं
गी िजससेसबका क याण हो
सके।

म भगवान ्द ा य
े क जीवनी ी गु च र और ी सा नाथ क जीवनी सा
स च र क ऋणी हू ँिजनकेकारण अ याि मक पथ पर म ती ता सेअ सर हु

और इस पथ पर जो भी मने ा त कया वो सब इ ह के ी चरण म अ पत
करती हू
ँ।

-0-
7

ी गुच र

वषय सच
ूी

अ याय शीषक

१ नामधारक ​
को ​ी ​
गु​
का ​व न, स ध ​
मुन​
का ​ानोपदे
श, सं
सार क
रचना, यग
ु का वणन ।

२ सं
द पक ​
क ​
गु​
भि त ।

३ अ बर श को दव
ुास मु
न का ाप, ी द ा य
े का ज म ।

४ ीपाद ी व लभ का ज म ।

५ रावण और गोकण महाबले


वर ।

६ गोकण का मह व और राजा को मह या केपाप सेमिुत, शव


आराधना सेमला कुठ रोगी को मो ​।

७ ा मणी और पु को ीपाद ी व लभ का आशीवाद , श न दोष


आराधना का मह व ।

८ धोबी को ीगु का आशीवाद ।

९ व लभे
श क र ा ।

१० ी नर सं
ह सर वती का ज म और उनकेचम कार, नरहर बने ी
नर सं
ह सर वती ।

११ ी गु अपने
प रवार सेमले
, ा मण क उदर पीड़ा दरूहु
ई , सयमदे

को जीवनदान ।

१​
२ भारत के मख
ु तीथ े।

१३ गु का मह व , धौ य ऋ ष वारा श य क पर ा ।

१४ ी गु केचम कार -​ मं
दबुध बालक को ान क ाि त, नधन ा मण
का भोज, गर ब ा मण को धन क ाि त ।
8

१५ आद ुबरुव ृ क महानता, गं
गानज
ु को ी गु केदशन , काशी याग
या ा ।

१६ ा मणी को सं
तान ाि त और मह य केपाप सेमिुत, ी गु के
चम कार सेमत
ृ बालक जी वत हु
आ ।

१७ ी गु केचम कार सेबाँ


झ गाय दध
ू दे
नेलगी, गं
गापरुम मठ क
थापना ।

१८           ​ी ​
गु ​
का ​वराट प, ध ृ
ट ​ा मण  ​
का ​
अहं
कार, वे
द  ​
का ​
व ले
षण ।
१९ ह रजन ​
बना ​
व वान ​
्ा मण, कम ​
पर ​
या यान,​वभू
त ​
क  ​
म हमा ।
२० ा मण वधवा का मत
ृ प त जी वत हु
आ ।
२१ नार का यवहार सं
हता ।

२२ सम पत े
मका, राजकु
मार और मंकु
मार क शव भि त ।

२३ क छ - दे
वयानी क कथा, सोमवार के त क म हमा ।

२४ ​ ा मण का सं
क प, ा मण का आचरण ।

२५ ६० वष क ी को सं
तान ाि त, नरहर ​का कुठ रोग दरूहु
आ ।

२६ सयमदे
व क काशीख ड या ा ।

२७ अनं
त त क म हमा ।

२८ महा शवरा को तं
तक
ुक ीशै
ल या ा, आठ थान पर ी गु नेएक
साथ दशन दए ।

२९ नं
द ा मण का कुठ रोग दरूहु
आ, कवी नरहर ी गु का भ त बना

३० पाबती क भि त ।

३१ अमरजा सं
गम और ी गु क महानता ।

३२ गु गीता का सार ।

३३ २४ गु
9

३४ धोबी का पन
ुज म, यवन राजा क भि त ।

३५ ी गु क ीशै
ल या ा ।

३६ उपसं
हार
10

अ याय – ​

नामधारक ​
को ​ी ​
गु​
का ​व न, स ध ​
मुन​
का ​ानोपदे
श, सं
सार क रचना, यग

का वणन ।

नामधारक ​
को ​ी ​
गु​
का ​व न

वभ न​ सांसा रक ​यथाओं से
​ ​त ​नामधारक ​ी ​गु​ क ​
तलाश ​म​ नकल ​पडा ​
।​
मन ​

ी​
गु​का ​
नाम ​
जपते हु
​ए​उसनेयू
​ ​ाथना ​
ँ क '' ​
हे
गुदे
​ व, ​
आप ​
तो ​
पारस ​
क ​
तरह ​
पा पय ​
को
अपने​पश ​से पुया मा ​
​ बना ​
दे
तेह, ​
​ फर ​
मझ
ुे इतने
​ क ट ​य ​
​ उठाने पड़ ​
​ रहे
ह?​
​ आपके
त​मे
र ​ धा ​म​कोई ​
कमी ​
रह ​
गयी ​है
​या ?

इस ​
कलयग म​
ु​ आप ​ ह ​मू त - ​ मा , ​व णुऔर ​
​ महेश​के​
एकमा ​अवतार ​
ह​।​
हे​ी
नर संह​
सर वती , ​
आप ​
ह ​भ त ​ के​लए ​दया ​
न ध​और ​उनकेपथ ​दशक ​
​ ह। ​
िजस ​कार
एक ​माँ
अपने
​ शशु
​ का ​
​ प र याग ​नह ंकरती ​
​ उसी ​कार ​
आप ​
भी ​
मझुे
अपने
​ ​दय ​
से लगा

कर ​
रख ​य क ​
आप ​ ह ​
मेरे
माता, ​
​ पता, ​
बध
ंू सखा ​
,​ और ​सव व ​ह​

आप ​ ह ​इस ​व व​केसरं क , ​
​ दे
वताओं के
​ पोषक ​
​ और ​स पणू​ान ​सेप रपण
​ ू​ह। ​
आपने ह

राजा ​
बल ​ को ​
पाताल ​
का ​नरेश​बनाया ​
था, ​
आपने ह ​
​ वभीषण ​
को ​
लकंा ​
का ​
सा ा य ​स पा
था और ​ आपने ह ​
​ इस ​प ृवी ​
को ​ य ​ से मुत ​
​ करके​उसे​ा मण ​ को ​
दान ​
म​ दया था,
आपने ह ​व
​ ु​को ​
अनंत​ बनाया ​था ​
।​
इन ​
सब ​ के​
बदले म​
​ आपने ​या ​हण ​ कया ​था ​? ​
हे
नाथ , ​
आप ​वयं दे
​वी ​
ल मी ​ के वामी ह , ​ फर ​येतुछ ​
​ भ त​ आपको ​या ​ अपण ​ कर
सकता ​ है? ​या ​
माँअपने
​ शशु
​ से
​ दध
​ ू​के​बदले म​
​ कसी ​
चीज़ ​
क ​अपेा ​रखती ​है?​इसी
कार ​
भ त​ से​कसी ​
चीज़ ​ क ​अपेा ​रख ​
कर ​उसेवरदान ​
​ दे
ना ​
आपको ​शोभा ​
नह ंदे
​ता ​भु !
सभी ​जल ​ोत ​ व ण​ देवता ​क ​उपासना ​नह ंकरते
​ ले
​ कन ​वषा ​
के​
देवता ​
उन ​सभी ​ पर
समान ​प ​ सेजल ​
​ बरसाते ह​
​ ।

मे
रेपव
​ ूज ​वष ​ से आपक ​
​ उपासना ​करतेआ​
​ रहेह​
​ ।​
हेगु, ​
​ उन ​वारा ​
आपके​चरण ​ म
अ पत ​भि त ​ का ​
फल ​दान ​करतेहु
​ए​मझ
ुेइन ​
​ क ट ​सेमुत ​
​ क िजये ।​
​ म​आपक ​ शरण ​

हू
हे

​ नाथ ! ​
​ मे रे
पापकम ​
​ को ​मा ​
करते हु
​ए​मझ
ु​ पर ​
कृपा ​ि ट ​
डा लए ​।​
अगर ​
बालक ​से
माता ​
कुपत ​ हो ​
जायेतो ​
​ वो ​
पता ​
क ​शरण ​
म​जाता ​
हैपर ​
​ मेरेतो ​
​ माता ​
और ​पता ​
दोन ​

आप ​ह ​। या ​ आप ​मे
र ​र ा​नह ंकरगे
​ ? ​या ​
आप ​इस ​अबोध ​बालक ​क ​दयनीय ​ यथा
नह ं
सन
​ ुगे?''

इस ​कार ​ाथना ​
करते
हु
​ए​
चलतेचलते
​ नामधारक ​
​ थक ​
के​
एक ​
व ृ​
क ​
छाया ​
म​सो ​
गया ​

नीं
द​
म​उसे एक ​व न ​
​ हु
आ​।​
उसेएक ​
​ द य व प​के​
दशन ​
हु
ए-​घग

ुरालेके
​ श, ​
शर र ​
पर
11

भ म​ के​नशान, ​
दयालु
तज
​ेोमय ​
मख
ु​।​
वह ​ी ​
गु​
को ​
तरु

त​पहचान ​
गया ​
। ​ी ​
गु​
ने
उसके

शीश ​
पर ​
हाथ ​
रख ​
कर ​
उसे
आशीवाद ​
​ दया ​

स ध​
मुन​
का ​ानोपदे

नामधारक ​ी ​ गु​के​व न ​से अ यं


​ त ​स न ​
हु
आ​और ​उसी ​
रा तेपर ​
​ चलता ​
रहा ​
।​
थोड़ी
दरू​पर ​
उसने ​व न ​
से​मलती ​ जल
ुती ​
एक ​
आकृ त​
दे
खी ​
।​
उसने उस ​
​ साधूको ​
​ वन ता ​के
साथ ​णाम ​ कया ​
और ​
बोला '' ​भु
आप ​
​ कौन ​
ह​
और ​
कहाँसे
​ पधारे
​ ह,​
​ कृ
पया ​
मझ
ु​ अ ानी
को ​
बताएं ।
'' ​

स ध​मुन​
यूँबोले
​ म​
'' ​ एक ​योगी ​हूँप ृवी ​
,​ और ​आकाश ​ दोन ​
ह ​
मे
रेनवास ​थान ​
​ ह​।​
कई
तीथ ​
क ​
या ा ​
करनेके
​ प चात ​
​ म​ यहाँ पर ​
​ पहुं
चा ​
हू
। ​ी ​

​ गु​नर सं
ह​सर वती ​
मे
रेगु​
​ ह​।​
वे
गु​ म, ​ व णु और ​
​ महेश ​के​अवतार ​ ह​और ​ हमेशा ​यान ​
म न​ रहतेह,​
​ भीमा ​
और
अमरजा ​
न दय ​के​
सग ंम ​के​नकट ​ गं
गापरु​उनका ​ नवास ​थान ​
है।​
​मृ यल
ुोक ​
केवा सय

के​
क याणाथ ​वेइस ​
​ प ृवी ​
पर ​
अवत रत ​ हुए​ह​।​
उनके​ भ त ​के​
पास ​
अ न,​पशु गाय )
(​
और ​
धन ​
क ​कोई ​
कमी ​नह ंहोती'' ​
​ ।

यह ​
सन
ु​कर ​
नामधारक ​
ने
​न ​ कया '' ​
मे
रे
पव
​ूज ​
नेकई ​
​ पी ढ़य ​
से​ी ​
गु​
क ​
उपासना ​

है
​फर ​
वे
आज ​
​ भी ​तकूल​प रि थ तय ​ म​जीवनयापन ​
करनेको ​
​ ववश ​य ​
ह ?''

ी​ स ध​ बोले तम
'' ​ु​ी ​गु​म​आ था ​
भी ​रखतेहो ​
​ और ​
उन ​
पर ​
सद
ंे
ह​भी ​
करतेहो ? ​
​ तुहार
आ था ​ अभी ​
अपण ू​है।​
​अगर ​ कसी ​
भ त​ से​ मा, ​
व णु और ​
​ महे
श ​ो धत ​
हो ​
जाएँऔर

वो ​ी ​
गु​ क ​शरण ​ लेतो ​ी ​
​ गु​उसक ​ र ा​
अव य ​करगे क तु
​ कसी ​
​ कारणवश ​ उससे
अगर ​ी ​ गु​कुपत ​ हो ​
जाएँतो ​ मा, ​
​ व णुऔर ​
​ महेश​भी ​
उसक ​ सहायता ​नह ंकर

सकगे ।
'' ​

नामधारक ​
नेपछ
​ुा '' ​
कृपया ​
मझ ुेबताये
​ ​ क ​ी ​
गु​
को ​मू त​का ​
अवतार ​य ​
माना ​
जाता ​
है
और ​
ऐसा ​य ​है​क​ भ त​ से अगर ​ी ​
​ गु​कुपत ​
हो ​
जाएँतो ​ मा, ​
​ व णुऔर ​
​ महेश​भी
उसक ​सहायता ​
नह ं कर ​
​ सकते ?​इसके​बारेम​
​ मझ
ुे​व तारपवूक ​
बताएंता क ​ी ​
​ गु​म
मे
र ​
आ था ​और ​ढ ​ हो ​
सके ।
''​

ी​स ध​ बोले चार ​


'' ​ वे
द ​ मा ​
के​
चार ​
मख
ु​ के​व प ​ह। ​
वे
द ​
से१८ ​
​ परु
ाण ​
अि त व ​

आये थे
​ ।​
​ ऐसा ​
माना ​जाता ​
हैक ​वापर ​
​ यग
ु​ म​ व णुके​
​ अवतार ​ यास ​
ने​म ​सू ​के
मा यम ​सेप ृवी ​
​ को ​ान ​
सेआलो कत ​
​ कया ​ था ​
।​
ऋष​ मुनय ​
ने ​ान ​
का ​
येउपदे
​ श
यास ​
मह ष ​
सेसन
​ ुा ​
जो ​
अब ​
म​
तुहे सन
​ुा ​
रहा ​
हू
ँ ।
''​
12

सं
सार ​
क ​
रचना

ी​स ध​ नेनामधारक ​
​ को ​
सस
ंार ​
क ​रचना ​
के​बारेम​
​ यू बताया '' ​
ँ​ व व​क ​उ प ​ के
समय ​आ दनारायण, ​ी ​ व णुएक ​
​ वट ​प ​पर ​
लेटेथे
​ और ​
​ उनक ​ इ छा ​
सेउनक ​
​ ना भ ​
से
कमल ​अि त व ​ म ​आया , ​
िजसपर ​चार ​
मखु ​वाले ​ मा ​वराजमान ​ थे।​
​ उ ह​ अपनी
ेटता ​
का ​ान ​
होता ​
इसकेपहले
​ ह ​ी ​
​ व णु ने
​कहा '' ​
​ म​
इधर ​हू
ँमझ
​ुे नमन ​
​ करो '' ​
। ​ मा
ने
उनको ​
​ नम कार ​कया ​और ​
उनके​व प ​ क ​शं सा ​
क।​ इससे ​स न ​होकर ​ी ​ व णु ने

मा ​
को ​
चार ​
वे
द​दे
कर ​
उनके अनस
​ ुार ​
सस
ंार ​
रचने क ​
​ आ ा​ द ​

मा ​
ने
सस
​ंार ​
क ​
रचना ​
क ​
िजसमे
कई ​
​ जीव ​
तथा ​
अचे
तन ​
त व​
शा मल ​
थे
जस
​ ैे

वे
दज - ​
िजनक ​
उ प कट ​
​ से
होती ​
​ है

अं
डज - ​
जो ​
अ ड ​
से
​नकलते
ह​
​जस
ैेप ी​
​ ।

जरज - ​
िजनका ​
ज म​
गभ ​
से
होता ​
​ है
जस
​ ैे
मानव ​
​ ।

उ भज - ​
जो ​
प ृवी ​
केभीतर ​
​ से
​नकलते
ह​
​जस
ैेवन प त ​
​ ।

इसी ​कार ​ मा ​
ने
तीन ​
​ लोक ​
सिृ
जत ​कये
।​
​इस ​
सज
ृन ​ या ​का ​
वणन ​ म ​वव
ैत ​
परु
ाण
म​दया ​गया ​
है
।​
​ इसकेप चात ​ मा ​
​ ने
एक ​
​ एक ​
यग
ु​को ​
बल
ुाकर ​
उ ह​
प ृवी ​
पर ​
जाने


आ ा​ द ​

यग
ु​का ​
वणन

सबसे पहले
​ य योपवीत ​
​ और ​ ा ​ क ​माला ​
धारण ​ कये कृ
,​ त​
यगु​आया ​।​
वह ​ानी,
स यवाद ​और ​आसि त ​र हत ​
था ​
।​
उसने पछ
​ुा '' ​
प ृवी ​
लोक ​
के​
लोग ​
झठ
ूेऔर ​
​ पापी ​
ह। ​

वहां
पर ​
​ कै
सेरह ​
​ सकँ
ूगा ? ​ मा ​
नेउसे
​ आ वासन ​
​ दया ​क​शी ​ह ​
म​वहां
दस
​ुरे यग
​ ु​को
भे
जगं
ूा ​
तम
ु​थोड़े
समय ​
​ के ​लए ​
ह ​
वहाँ
पर ​
​ रहोगे।

उसके​
बाद ​
य ​क ​साम ी ​
लए ​भार ​
भरकम ​शर र ​
वाला ​त
ेा ​
यग
ु​आया ​
।​
इस ​
यग
ु​म
ा मण ​
क ​संया ​
अ धक ​
थी ​
और ​
लोग ​
धा मक ​
अनु ठान ​
अ धक ​करते
थे
​।​लोग ​
धम ​
का
स मान ​
करतेथे
​।

इसके​बाद ​ मा ​
के​
पास ​
धनष बाण ​
ु​ और ​ अ य​ अ -​श ​लए ​वापर ​
यग
ु​आया ​।​ वह
दयालुहोने
​ के​
​ साथ ​
साथ ​
दुट ​व ृ ​
का ​
भी ​
था ​
।​
उसम ​
नै
तकता ​
के​
साथ ​
साथ ​
दरु
ाचार ​
भी
गोचर ​
था।
13

आ खर ​म​ भयानक ​
आकृ त​
वाला ​कलयगु​कट ​हु
आ​ ।​ वह ​
व ृध , ​
नदयी, ​
सघ
ंषरत ​ और
घनौना ​
था ​
।​
वह ​
बचकाना ​ यवहार ​
करता ​
हु
आ ​ मा ​ के​पास ​आया , ​
एक ​
घडी ​
हँ
सता ​तो
दस
ूर ​घडी ​
लोग ​
क ​नंदा ​
करता। ​
ऐसा ​
अटपटा ​
आचरण ​ देख​कर ​ मा ​ने​न ​कया '' ​
तम

न न ​य ​हो ​
और ​
इस ​कार ​अपश द ​य ​बोल ​
रहे
हो ''?

कल​ ने
अपने
​ चर ​
​ का ​
वणन ​इस ​कार ​ कया '' ​
न नता ​
और ​
अभ ​ वाणी ​
वो ​
मा यम ​ह
िजनसे​
म ​प ृवी ​के​लोग ​पर ​
आ मण ​ क ँ
गा ​ अतः ​
म ​कसी ​सेनह ं
​ डरता'' ​
​ । ​ मा
मुकु
राकर ​
बोले जाओ ​
'' ​ और ​
प ृवी ​
वा सय ​
को ​
अपने दु
​ वचार ​
का ​भाव ​
दखाओ''​ ।

कल​बोला '' ​
म ​वाथ ​
हू
और ​

​ धम ​
का ​
नाश ​
करता ​
हू
।​
ँमझ
ुेववाद ​य ​
​ है
और ​
​ म​
दसूर ​

ीय ​
और ​धन ​ के​त ​
आस त ​
हू
। ​

​ म ​ढ गय ​का ​
म ​और ​
गण
ुीजन ​
का ​
श ु
हू
​ँ ।
''​

मा ​
बोले कलयग
'' ​ ु​म​लोग ​
क ​आयुअ य​
​ यगु​क ​
तलुना ​
म​छोट ​
होगी ​
और ​
वो ​
अ य
यग
ु​क ​ भांत​ न ठायुत ​
तप या ​
करके​ म ान ​ा त ​
नह ं
कर ​
​ पाएं
गे।​
​इस लए ​कलयगु
म​लोग ​अ पावधी ​ म​ह ​ान ​ा त ​
करनेका ​यास ​
​ करगे तुहे
,​ ऐसे
​ लोग ​
​ क ​सहायता
करनी ​
होगी ''​

क ल​
बोला '' ​
ऐसे
लोग ​
​ मे
रे
श ु
​ ​गे
ह । ​
म ​
ऐसे
लोग ​
​ से
डरता ​
​ हू

,​फर ​
प ृवी ​
पर ​
कै
सेजाऊं?

मा ​
बोले अपने
'' ​ साथ '' ​
​ कल '' ​
और '' ​
आ मा '' ​
को ​
लेजाओ , ​
​ येदोन ​
​ प ृवी ​
वा सय ​
को
अधा मक ​आचरण ​ हे
तु​ेरत ​करगे और ​
​ अ छे लोग ​
​ सेभी ​
​ पाप ​
कम ​
करवाएँगे ।
''​

कल​ बोला '' ​


वो ​
सब ​लोग ​
मेरेश ु
​ ह​
​ जो ​
धा मक ​
ह गे, ​ी ​व णु और ​
​ भगवान ्​शव ​

आ था ​ रखते ह, ​
​ परु
ाण ​
सन
ुते ह,​
​ जो ​दान ​
पुय ​
करते ह​
​ तथा ​
िजनके​ मन ​नमल ​ ह​।​
वह
दस
ूर ​ओर ​वो ​सब ​लोग ​
जो ​वाथ ​
ह गे प नी ​
,​ और ​
ब चे ह ​
​ िजनके ​लए ​सब ​
कु
छ​ह गे जो
,​
माता ​पता ​
का ​ नरादर ​
करगे वे
,​द​शा म​
​ िजनक ​कोई ​
आ था ​ न​
होगी ​
और ​
जो ​ी ​
व णु
और ​
भगवान ् ​शव ​म​भेद​
करते ह ​
​ वो ​
सब ​मझ
ुे अ यं
​ त ​य ​ह गे ।
''​

मा ​
बोले तम
'' ​ु​चतरु​
हो ​
शी ​ह ​
लोग ​
तुहारे
अनस
​ ुार ​
चलगे
ले
​ कन ​
जो ​
थोड़े
लोग ​
​ धा मक
वृ ​केह गे
​ तम
,​ु​उ ह​क ट​ मत ​
दे
ना ''​

कल​ बोला '' ​


म ​
न ठु
र​
हू
ँकृ
​ पया ​
मझुे बताएं
​ क​
​ धमा माओं
क ​
​ कस ​कार ​
सहायता ​
क ँ
?
प ृवी ​
पर ​
मे
रा ​
आचरण ​
कैसा ​
होना ​
चा हए ?''

मा ​
बोले तुहारे
'' ​ मागदशन ​
​ हे
तुम '' ​
​ कल​और ​
आ मा '' ​
को ​
साथ ​
भे
ज​ रहा ​
हूँके
,​वल
सदाचार ​
ह ​तमु​पर ​
वजय ​ा त ​
कर ​
सकगेबाक ​
​ सब ​
शी ​
ह ​तुहारेदास ​
​ ह गे ।
''​
14

क ल​
ने
पछ
​ुा '' ​
साधू
कौन ​
​ हैउसे
?​ कै
​ से
पहचाना ​
​ जाये
?''

मा ​
बोले तम
'' ​ु​ऐसे लोग ​
​ को ​
मत ​
सताना ​
जो ​
व वान ्ह गे
​ , ​ी ​
हर ​
क ​
भि त ​
करते
ह गे
​ ,
जो ​
माता ​पता, ​
गाय, ​
तल
ुसी ​
जस
ैे पौध ​
​ क ​
सेवा ​
करगे ।
''​

क ल​
ने
पछ
​ुा '' ​ी ​
गु​
का ​या ​
मह व ​
हैउनक ​या ​
?​ पहचान ​
होगी ?''

मा ​
बोले गु
'' ​ का ​
​ अथ ​ स ध,​ र​और ​ऊ​का ​
अथ ​ी ​
गणे श​हैजो ​
​ क '' ​
गु'' ​ह​ । ​ मा,
व ण,ु​
महेश, ​माता, ​पता ​
सब ​
प ृवी ​
पर ​
गु​के​
समान ​ह। ​
गु​ न ठा ​और ​ ववेक​ से अिजत

ान ​
के​व प ​ ह। ​
गु​ र हत ​
धम ​शा ​ अ ययन ​ न फल ​ होता ​
है।​
​गु​ ह ​
भि त , ​ बुधी
और ​ कम ​ के​पथ ​पर ​श य​ का ​मागदशन ​ करता ​
है
।​गु​वारा ​दान ​ान ​ के​अभाव ​ म
भवसागर ​ पार ​
करना ​ क ठन ​होता ​
है।​
​गु​ अ धकार ​
भरे मायावी ​
​ जग
ंल ​ म ​ान ​का ​काश
फैलाकर ​हमे अ ान ​
​ से मुत ​
​ करता ​है।​
​ गु​क ​से
वा ​
ह ​स ची ​सेवा ​
है,​यह ​
हमारे शर र,

वचार ​और ​वाणी ​
को ​पव ​ करती ​है।​
​इस ​वषय ​
पर ​
म​ तुहेएक ​
​ कथा ​
सन ुाता ​
हू
ँ ।
''​

-0-

अ याय - २

सं
द पक ​
क ​
गु​
भि त

गोदावर तट पर अं गरस ऋ ष केआ म म संद पक नाम का श य गु वे


द धम
क से वा बड़ी लगन केसाथ कर रहा था ।

एक दन वे द धम नेसभी श य को बल ुाकर कहा '' मने गत ज म म बहुत पाप


कयेह िजनमेसेकु छ मेर तप या केफल व प न ट हो गए ह और कु छ अभी
बाक ह । जब तक म उन कम का दं ड न भगुत लँ ूतब तक मझुेमो क
ाि त नह ंहोगी । द ु
कम का दंड तो दे
वताओंको भी भग ुतना पड़ता है
, फर म
तो केवल एक मानव हू । इन कु
ँ कम सेमिुत अ छे व य केरहतेह ा त
कर ले नी चा हए इस लए म काशी जाकर अपनेपाप कम का ायि चत करना
चाहता हूँ। तुहेइस अव ध म मे र सेवा करनी होगी । िजसका सं
क प ढ हो
वह इस काय के लए आगेआये''।

सं
द पक नेइस काय को वीकार करतेहु
ए कहा '' गुदे
व म आपक से
वा परू
न ठा सेक ँ
गा , कृ
पया आदे
श द क मझ
ुे या करना होगा ''।
15

वे
द धम बोले'' म अँ
धा, लं
गड़ा और कुठ रोगी बन जाऊं गा और तुहे२१ वष
तक इस अव था म मेर सेवा करनी होगी । अगर तुहार ढ इ छा हो तभी इस
काय को वीकार करना अ यथा नह ं''।

सं
द पक बोला '' गुदे
व आपकेसाथ म भी अँधा लं
गड़ा और कुठ रोगी बन
जाऊं
गा और परू
ेय न क ँगा क आप अपनेपाप सेमुत हो जाएँ''।

यह सन ुकर वे
द धम अ यं त स न हु ए और बोले'' मे
रेपाप कम का ायि चत
के वल म ह कर सकता हू, पु, श य या अ य कोई
ँ मे
रेपाप का ायि चत नह ं
कर सकता , इ ह मझुेअपनेशर र को क ट दे कर ह न ट करना होगा । इस
प रि थ त म मेर से
वा करना अ यंत क ठन होगा , मझ
ुेशी ह काशी लेचलो
''।

गु श य काशी पहु ं
चेऔर का बलेवर म रहनेलगे। मुन नेम णक णका म
नान करके व वे वर क पज
ूा क । ऐसा करतेह उनकेशर र पर कुठ रोग के
ल ण दखनेलगे ।

धीरेधीरेकुठ रोग उनकेपरूेशर र पर फ़ैल गया और उनक ि ट भी जाती रह ।


मुन का शर र पीप सेभर गया और दग ु ध आने लगी । वह चड चडे हो गए और
छोट छोट बात पर सं द पक को कोसनेलगे। वह बड़ी इमानदार सेगु क से वा
करता और उनके लए दरूदरूतक भटक कर भ ा मां ग कर लाता । मु न बात
बात पर उस पर ो धत हो उठते, े म सेपरोसा भोजन उठा कर बाहर फक दे ते
, कसी दन श य को खब ू मारतेपीटते, उसेतरह तरह सेयातनाएंदे ते।
पर तुसंद पक के लए गु ह काशी व वे वर थे, यहाँतक क वह काशी म रहते
हु
ए भी काशी व वे वर केदशन करने नह ं गया । उसे गु क से वा केअ त र त
अ य कसी चीज़ क अ भलाषा नह ंथी । गु उसेतरह तरह सेपी ड़त करते
क तुवह कभी पलट कर जवाब न दे ता बि क उ ह मा, व णुऔर महे श का
प जानकर उनक से वा म ल न रहता ।

उसक यह भावना देख कर काशी व वेवर स न हुए और एक दन उसकेसामने


कट हो कर उसेवरदान मां
गनेको कहा। गु क आ ा के बना उसनेवरदान
मां
गना अ वीकार कर दया । वह गु केपास जा कर बोला '' काशी व वे
वर
मझ
ुसे स न होकर मझ ुेवरदान दे
ना चाहतेह अगर आप आ ा द तो म आपके
अ छे व य क कामना क ँ?''
16

यह सन
ुकर वे
द धम ो धत हो गए और बोले'' अगर ऐसा करोगे तो मझ
ुे अगले
जनम म भी ऐसी पीड़ा सहनी पड़े
गी और मे
रेमो का रा ता बा धत होगा ''।

संद पक काशी व वे वर केपास गया और बोला '' मे रेगु को मे


रा आपसेवरदान
ा त करना वीकार नह ं । '' यह सनुकर काशी व वे वर न र होकर ी व णु
केपास गए और उ ह सब कु छ बताया । ी व णुनेऐसेश य को दे खनेक
इ छा कट क । अब काशी व वे वर और ी व णु दोन सं
द पक केपास पहुं
चे
और बोले'' गु के त तुहार भि त सेहम बहु त स न ह और तुहेवरदान
दे
ना चाहतेह , जो चाहो मां
गो ''।

सं
द पक बोला '' हेनारायण , घनेजं
गल म जो वष तक तप या करतेह आप
उ ह भी नराश करतेह, मनेतो आपक आराधना भी नह ंक फर भी मझ ु पर
येवशेष अनकु पा कैसी ?''

ी व णुबोले'' तम
ुनेअपनेगु क जो से वा क हैवो मझ ुे ा त हु
यी हैअतः
म ऐसेभ त केवश म रहता हू ँऔर उ ह आशीवाद दे ता हू
। ऐसी प नी जो प त

क सेवा करती है
, जो लोग ा मण , स या सय और यो गय का स कार करते ह
वो मृयु केप चात व णल ुोक म थान ा त करते ह ''।

सं
द पक बोला '' भ,ुमे
रेलए तो मे
रेगु ह सव व ह और मझ ुेव वास हैक
म उनक कृ पा सेवेद शा का ान ा त कर लँग
ूा, चँ
ूक मेरेगु ह मे
रे
भगवान ्
है, इस लए मुतय का आशीवाद भी मझ
ुे ा त है
, इस लए म अपने
गु क सेवा करना ह बेहतर समझं

ूा ''।

ी व णुगदगद होकर बोले'' सं


द पक तम ु सभी श य म से े
ठ हो, तम
ु मझ
ुे
अ यं
त य हो, मझ
ुसेवरदान मां ग लो ''।

सं
द पक बोला '' अगर ऐसी बात हैतो आप मझ
ु पर इतनी कृ
पा क िजयेक मेरे
गु म मे
र आ था और गाढ़ हो और म उनक से वा अ छ तरह सेकर सकँू''।
ी व णु
नेतथा तु
कहा ।

जब वे
द धम नेयह सन ुा तो वेभी स न हु
ए और सं द पक सेबोले'' तम
ु सभी
श य म से े ठ हो । तम
ु काशी म ह रहो, तुहारेमख
ु सेनकला हर वा य
स य होगा, तम
ु पर कु बे
र देवता क खब
ू अनक ु पा रहेगी और तुहेखबू धन
मलेगा । जो भ त तुहेयाद करगेउनकेक ट मटगे''।
17

यह कहकर वेद धम अपनेअसल प म आ गए। उनकेशर र पर रोग का कोई


नशान न था । उ ह नेयेसब सं
द पक क पर ा ले
नेहे
तुकया था।

इस कार मा नेक ल को सं
द पक क कथा सनुाई। वह बोले'' हेनामधारक,
तुहेभी गु म ऐसी आ था रखनी चा हए और उसी न ठा और भि त सेसे वा
करो तब नि चत प सेतम ु इस संसार केदख
ु सेमुत हो जाओगे। अपने
इि य , मन और बुध को वश म करो तब तम
ु परमे वर को ा त कर लोगे '' ।

-०-

अ याय - ३

अ बर श को दव
ुासा मु
न का ाप, ी द ा य
े का ज म ।

अ बर श को दव
ुासा मु
न का ाप

नामधारक बोला'' वामीजी आपने ी गु के व प का वणन कर मे रेअ ान को


दरू कया है
। कृपया मझ
ुेबताएंक आप कहाँनवास करते ह ? आप कस कार
का भोजन करतेह ? म आपक से वा करना चाहता हू
, मझ
ँ ुेअपनेश य के प
म वीकार क िजये''।

ी स ध नेनामधारक को गलेसेलगाकर इस कार आशीवाद दया, '' ी गु


केजीवन च र का पाठ अमतृपान स श हैइसे
म बार बार पढता हू। इस केपाठ

का फल अ वतीय है, इससेसखु-सम ृध क ाि त होती है
, सब रोग दरूहोते
ह,
बरुे ह का भाव नह ंरहता यहाँतक क इस पुतक केभि तपव ूक पठन से
मह या जै
सेसकल पाप सेमिुत मलती है''।

नामधारक बोला '' ओ क णा केसागर, आप मझ


ुे वयं ी गु ह तीत होतेह।
म ी गु केजीवन केबारेम जाननेके लए आतरुहू ँ। कृ
पया मे
रेअ ान के
अं
धकार को सयू केसमान काशवान ी गु केबारेम अवगत करवा कर दरू
क िजये''।

ी स ध नेनामधारक को अ थ व ृ (जो क क पव ृ क तरह सबक


मनोकामनाओंको पण
ू करने
वाला है
) क छाओं
म बठाया और ी गु केबारेम
वणन लगे।
18

उ ह नेबताया '' तुहेजीवन म अने


क क ट भोगनेपड़तेह य क तमु ी गु
को नह ंसमझते , अपनेअ छेकम और अटू ट धा केमा यम से ी गु को
स न करो और मन वां छत फल पाओ ''।

नामधारक बोला '' म इस भवसागर म अपनेपाप कम क अि न म झल ुस रहा


हू
, ोध, माया, मोह केभं
ँ वर म फंस कर अपनी दशा खो बै
ठा हू
, कृ
ँ पा कर के
मझुेउस पार लेच लए और मो द िजये'' ।

ी स ध बोले'' चं तत मत हो व स, तम
ु शी ह मोह, माया केब धन से
मुत हो जाओगे और तुहार वप याँ भी दरूह गी । जो लोग ी गु क शि त
पर संदे
ह करतेह उ ह क ठनाइय और दा र य म जीवनयापन करना पड़ता है।
इस लए संशय मत करो ी गु दया केसागर ह वो तुहेसब कु छ दगे। िजस
कार मेघ जल बरसातेह उसी तरह ी गु भी भ त पर अनुह क वषा करते
ह। इस लए स चेमन से ी गु क आराधना करो ''।

नामधारक बोला '' मेरा सं


शय अब दरूहु
आ हैऔर म ी गु का जीवन व ृा त
सन
ुनेको आतरु हू ँ। कृपया मझ
ुेबताएंक या ी गु का ज म भारतवष म
हु
आ था ''?

ी स ध बोले'' हेव स, तम ुनेमझुे ी गु क जीवनगाथा कहनेको े रत


कया है। उनका जीवन तो कामधे नुसुश हैिजसमेतुहेजीवन केहर रस क
अनभुूत होगी'' । ी हर और ी हर अलग अलग समय और काल म भ त के
उ धार हे तुप ृवी पर अवत रत हुए थे। मु तय म तीन त व व यमान ह -
म म राजस , व णु म साि वक और शव म ताम सक गण
ु पर येतीनो पथ
ृक
नह ंहोते'' ।

'' परुातन काल म अ बर श नामक राजा थेजो नयम सेएकादशी का त रखते


थे । उ ह ने ी व णु
को प ृवी पर बल
ुाया था ।

अ बर श क पर ा लेनेहे
तुएक बार दव
ुासा ऋ ष उनकेपास अ त थ बनकर
गए। उस दन साधन वादशी का मह
ुत सयूदय केप चात के वल २४ मनट के
लए था । अ बर श नेआदरपव
ूक ऋ ष का वागत कया और भोजन करनेके
लए नान इ या द करकेशी लौट कर आनेक ाथना क । दव ुासा ऋ ष नान
करनेनद क ओर चलेगए। वादशी समा त होनेको आई पर ऋ ष नह ंलौटे ।
अ बर श असमं
जस म पड गए और उ ह त टू टनेका भय सतानेलगा । त न
19

टू
टेइस लए अ बर श नेजल और भोजन हण कया क इतनेम दवूासा ऋ ष
आ पहुं
चेऔर अ बर श पर ो धत हो कर उ ह ाप देदया ।

अ बर श ने ी व णुसेर ा क वनती क और वो अपनेभ त क र ा के


लए वै
कुठ सेप ृवी पर आ गए । ी व णुनेदव
ूासा ऋ ष को समझाया क
उ ह नेअ बर श को यथ ह कसी और वण म ज म ले नेका ाप दया और
ऋ ष सेआ ह कया क़ वह अ बर श केबजाय वयं उ ह ाप द ।

दवूासा नेवचार कया क़ प ृवी केवा सय को ी व णुको देखनेका सौभा य


कहाँ ा त होगा और लोग केक याण के लए उ ह ने ी व णु को आदे
श दया
''आप को प ृवी पर अधम का नाश करनेहेतुदस अवतार धारण कर भ त का
उ धार करना होगा '' । ी व णुनेऋ ष केआ ह को वीकार कया । इन दस
अवतार का वणन भागवत म कया गया है।

एक बार मा, व णु
और महे
श भे
स बदल कर सती अनस
ुयूा केपास गए । सती
अनस
ुयूा ऋ ष अ ी क सम पत और कत यपरायण प नी थी । अब म तुहेये
कथा सनुाता हू
ँ''।

ी द ा य
े का ज म

मा ड क रचना केसमय चार ओर के वल जल था। फर एक अं डे( हर य


गभ ) म सेव व क़ उ प ी हु यी । मा को हर य गभ कहा गया हैजो दो
भाग म वभािजत हु आ िजनसेप ृवी और आकाश अि त व म आये। मा ने
१४ भवुन, १० दशाएं, मि त क , वाणी , समय , छह श ुजै सेलालसा, ोध
इ या द क रचना क । मा नेसात मानस पु क भी रचना क १- मार च , २
- अ ी , ३ - अं
गीरस , ४ - पल
ु ती , ५ - पल
ुाहा , ६ - ातु
और ७ - व स ठ ।

इन सब म से ी गु का ज म अ ी केघर म हु आ । अनसय ूा ( वे
ष र हत )
अ ी ऋ ष क धम प नी थी । वह अ यंत सशुील और सुदर थी । उनक न ठा
दे
खकर वग म दे वताओंको भी इ या होनेलगी । एक बार दे
वराज इ अ य
दे
वताओंकेसाथ मा, व णुऔर महेश केपास गए और बोले'' अनसय ूा एक
महान और कत यपरायण नार हैजो शर र मन और वचन सेअपने पत अ ी क
से
वा म ल न है। वह आ त य म भी कसी सेपीछेनह ंहैऔर कोई भी उसके
घर सेनराश नह ंलौटता । उस सेसय ू, पवन, अि न और देवता भी डरतेह,
20

कसी दन वह वग पर भी वजय ा त कर ले
गी । इस लए भु
हमार सहायता
क िजये
'' ।

यह सनुकर मा, व णुऔर महे श नेसती अनसय ूा क पर ा ले नेक ठानी ।


तीनो साधओ
ु ंका भेस धारण करकेअ ी मु न केआ म पहु ं
चे
। उस समय अ ी
नान और पज ूा इ या द के लए नद तट पर गए हु ए थे। तीनो अ त थय ने
अनसयूा सेभोजन कराने का आ ह कया िजसे उ ह ने सहष वीकार कर लया ।
उ ह नेतीनो को आदरपव ूक बठाया और भोजन परोसनेलगी । अ त थय ने
अनसयूा क पर ा के लए एक और शत रखी । उ ह नेकहा '' दे वी तुहारे
आलौ कक स दय के वषय म सन ुकर हम बहु त दरूसेआए ह । हमार इ छा है
क तमु अपनेसारेव उतार कर हमेभोजन कराओ । अगर तुहेयह शत
मा य नह ंतो हम भोजन हण नह ं करगे''।

यह व च शत सन ुकर अनसयूा असमंजस म पड़ गयी । बुधमान तो वह थी ह


तरु

त समझ गयी क पर म उसक पर ा ले नेआयेह और अ त थ भी पु के
समान होतेह, य द अ त थ भोजन का तर कार करकेचलेगए तो अपक त होगी
। अपनेप त ता धम और प त ऋ ष अ ी केतपोबल पर पण ू व वास करकेवह
न न अव था म भोजन परोसने को सहमत हो गयी । अनसय
ूा क भि त देख कर
मूत स न हु ए और तीन नेअबोध शशओ ु ंका प धारण कर लया । यह
दे
ख कर अनसय ूा आ चयच कत हो गयी और दौड़ कर तीनो शशओ ु ंको दय से
लगा कर तनपान कराया । या अ भत ु शि त थी इस प त ता नार म क वो
मुतय क माता बन ग ।

अपरा न अ ी आ म लौटेऔर अनसय ूा को तीन शशओ ु ंको झलूा झलुातेहु



लो रयांगातेदे
खा तो हैरान हो गए । अ ी अपनेतपोबल क शि त सेतीनो
शशओु ंको पहचान गए और उ ह नम कार कया । मू त अ यंत स न होकर
उनकेसम कट हो गए और वरदान मांगनेको कहा । अनसयूा नेआ ह कया
क तीनो शशुआ म म उनकेपु बन कर रह और मू तयांनेतथा तुकहा ।
वह तीनो आ म म पलने लगे, इस कार मा - च , व णु - द ा और शव -
दव
ुासा कहलाये।

कु
छ वष केबाद च चंलोक और दव
ुासा वन म तप करने
चलेगए । द ा या
द ा य
े आ म म ह रहे। उ ह ने
ह ी गु पीठ क थापना क और इसी नाम
सेव यात हु
ए । -०-
21

अ याय - ४

ीपाद ी व लभ का ज म

ी स ध बोले'' हेनामधारक, ी व णुनेप ृवी पर साधओ ु ंकेसं


र ण और
दुट को दि डत करनेकेउ देय सेदस अवतार धारण कये जैसेम य, क छ,
वराह, नर सं
ह, वामन, प शरु
ाम, राम, कृण, बुध और कि क । भागीरथ ने
अपनेपव ूज केउ धार हे तुगंगा को प ृवी पर लानेकेअथक यास कयेथे ।
इसी तरह एक ा मण नार ने ी द ा य े क आराधना क और ी गु नेउसके
घर म ज म लया। अब म तुहेयह कथा सन ुाता हू
ँ''।

''परू
ब क ओर पठापरु म अ पलराज नामक ा मण रहता था, उसक प नी
सम ु त एक प त ता ी थी । एक बार अमाव या के दन उ ह नेघर पर एक
बहु त बड़ा आयोजन कया । उस दन ी द भे स बदल कर उनकेघर भ ा
मांगनेगए । आम तौर पर ऐसेआयोजन वाले दवस पर भ ा नह ंदे ते।
य य प आमंत साधूसं त नेउस दन भोजन नह ंकया था, फर भी सम ु त ने
भ ा डाल द । इसेदे
ख कर ी द इतने स न हु ए क उ ह नेसम ु त को
अपनेअसल व प म दशन दए। उ ह नेपछ ुा माँ तुहे या चा हए ?

समु त नेकहा '' हेदया न ध, भ त केसं र क, आपक क त १४ भव ुन म फै ल


हु
यी है
, आपनेमझ ुेमाँकह केपक ुारा हैतो मेर इ छा आप जै सा यात और
बुध पु ा त करनेक है। मे र कई सं तान हुयी िजनमेसेकु छ मृ युको
ा त हु
ए ।जी वत संतान म सेएक अँ धा और दसूरा लंगड़ा है
, एक अ छेपु के
बना मे
रा जीवन यथ है। या आप मे र येमनोकमना परू करगे ? ''

ी द नेयू ँआशीवाद दया ''तुहारेपु का यश परू


ेकलयग ु म होगा, वह
व वान होगा और तुहार सम त इ छाओं को पण
ू करे
गा'' । यह कह कर ी द
अं
तधान हो गए ।

सम ु त नेजब येबात अपनेप त को बताई तो वह आनं दत हुए । दोन को परू



व वास था क ी द उनकेपु बनकर घर म ज म लगे। अ पलराज नेबताया
'' ी द माहु र और को हापरुम नवास करतेह और हर रोज़ म यान को साधू
केभे स म घर घर जा कर भ ा मां गतेह । इस लए कसी साधूको खाल हाथ
मत लौटाओ और हमे शा भ ा दो ''।
22

कुछ दन केबाद उ ह पुर न क ाि त हु ई उसे ी द का अवतार मानकर


उ ह नेशशुका '' ीपाद '' नामकरण कया । बालक ीपाद बचपन सेह बहु त
बुधमान था ।सात वष क आयुम ह उसेचार वे द कं
ठ त थे, मीमां
सा , तक
शा म भी वह नपण ु था । नगर के ा मण को भी वह आचार, यवहार,
ायि च , वेदां
त, भा य और वेदाथ अ य वषय पर या यान दे ता था । जब
बालक सोलह वष का हु आ तब माता पता उसके ववाह केबारेम वचार करने
लगे। ीपाद नेउ ह सचे त कया '' म एक मचार और योगी हू
ँमेरा नाम ी
व लभ है। म हर ी को माता व प समझता हू ँ। म अब वन क ओर
थान कर केतप या करना चाहता हू ँ, मे
रेजीवन का ल य द य ान ा त
करना है''।

यह सन ुकर माता पता बहु त दख


ुी हुए और उ ह साधूक कह वष परु ानी बात
क मृ त हो आई । फर भी पु े म म वह खदु को रोक नह ंसकेऔर माँ बोल
'' हमेतम ुसेआशा थी क व ृधाव था म तम ु हमार दे खभाल करोगे , तुहेदेख
कर म अपनेसारेदःु ख तकल फ भल ू गयी, मे
रेदो और बे टेह िजनमेसेएक
अँ धा दस
ूरा लंगड़ा हैउनक देख रे
ख कौन करे गा? व ृधाव था म हम कौन सहारा
देगा ? '' यह कह कर माँबे
होश हो गयी । ीपाद नेमाँ को सांवना द और बोले
'' माता दखुी न हो म तुहार यह मनोकामना भी पण ूक ँ गा मझु पर व वास
करो और सख ुपवूक जीवन यतीत करो ''।

यह कह कर ीपाद नेअपनेलं गड़ेऔर नेह न भाई क ओर े मपव


ूक देखा और
उसक ि ट लौट आई, इसी कार लं गड़ेभाई केदोन पै र ठ क हो गए और वो
चलनेलगा । दोन ह वे द, शा और याकरण के व वान बन गए । दोन ने
ीपाद केचरण पश करकेआशीवाद ा त कया । िजस कार पारस को पश
करकेलोहा सोना बन जाता हैउसी कार ीपाद केआशीवाद सेदोन भाई ानी
बन गए । ीपाद नेदोन भाइय को आशीवाद दे तेहुए कहा '' तम
ु पु पौ के
साथ सख ुपव
ूक रहोगे
, अपनेमाता पता क से वा करो और अंत म मिुत पाओ ''

फर वह माँसेबोले'' अब तो तम
ु सं
तुट हो ना ? तुहारेपु सौ साल िजयगे
और तमु उनकेपु पौ केसाथ सख ुपव
ूक रहोगी । तुहारेपु को यश, सखु,
धन-धा य सब कु
छ ा त होगा । अब मझुेवन जानेसेमत रोको । मझ ुेउ र
क और जा कर साधओ
ुं का मागदशन करना है
’’।
23

यह कह कर ीपाद काशी क ओर थान कर गए और वह रहनेलगे। कु



दन वहांरह कर उ ह नेब नारायण तथा और तीथ थल केदशन कयेऔर
एक दन गोकण पहु ं
चे। -०-

अ याय - ५

रावण और गोकण महाबले


वर

नामधारक नेपछ
ुा '' हे वामी, वै
सेतो मू
त ह स ध थे
, फर वह तीथ या ा
पर य गए वशे षकर गोकण ? उस थान का या मह व है?''

ी स ध बोले'' म तुहारेइस न से ी गु केजीवन केबारेम वणन करने


के लए े रत हु
आ हू
ँ। ीपाद ी व लभ गोकण पहुं
चे
, रा तेम उ ह नेबहु

सारेश य बनायेऔर उनको ान दया। गोकण ी शव का स ध तीथ थान
हैऔर बारह यो त लग म सेएक है। यहाँ पर शव लं
ग क थापना ी गणे श
नेक थी और उसेमहाबले वर भी कहतेह । अब म तुहेउस थान क कथा
सन
ुाता हू
''।

''रावण क माता कै कया (पल


ुि त क प नी - पलुि त मा केमानस प थे )
महान शव भ त थी । वह हर रोज़ एक नए शव लं ग क पज
ूा करती थी । एक
दन उ ह कह ंसेभी नया शव लं ग ा त नह ंहु आ । उ ह ने म ट का
शव लंग बनाया और उसक पज ूा करनेलगी । यह देख कर रावण बोला '' मे

माता म ट के शव लं ग क पजूा कर रह हैयह मेरेलए दभ
ुा य क बात है ''।
उसनेपछ ुा '' माँतम
ु इस शव लंग क उपासना कर के या ा त करना चाहती
हो ? ''

माँबोल '' म ृयोपरां


त म शवजी केकै लाश म थान ा त करना चाहती हू ँ''
यह सन ुकर रावण बोला '' इतनी सी बात के लए तुहेक ट उठानेक
आव यकता नह ंहै , म कैलाश को ह तुहारेपास ला दं

ूा '' । यह कह कर वह
कै
लाश जा पहुं
चा और उसेअपने२० हाथ से चं ड़तापव
ूक हलाने लगा । जब वह
कै
लाश परबत को उठानेका य न करनेलगा तो सात पाताल कां प उठे
, शे
ष ने
फन हलाया , कछु आ भयभीत हो गया। देवराज इ और वग केसम त दे वता
है
रान रह गए। पावती शवजी केपास पहु ं
ची और ाथना करनेलगी '' हे वामी,
आज कै लाश म ये या हो रहा है? इस संकट सेसब परे
शान हैऔर आप इतनी
शां
त मुा म बैठेह, इस वप सेहमार र ा क िजये'' । शवजी बोले'' डरो
24

नह ंमे
रा भ त रावण खे
ल रहा है''। पावती नेडरेहु
ए दे
वताओं
क र ा करने

फर से ाथना क ।

शवजी नेरावण केदस सर और बीस हाथ को कै लास परबत केनीचेदबा


दया। रावण जोर जोर सेशव जी क ाथना करकेअपने ाण क भीख मां गने
लगा । शवजी को दया आई और उ ह नेउसेबाहर नकाला । रावण नेअपना
सर काट कर हाथ को वीणा और अपनी आं
त ड़य को तार बनाकर साम वे
द और
अ य राग का गायन कया । उसनेशवजी क तु त नौ रस और छ ीस राग
म क । यह सनुकर शवजी वत हो गए और उससेवरदान मां गनेको कहा ।

रावण बोला '' हेदे


व केदे व , ल मी मेर दासी है। मे रेपास आठ न धयांह
मा मेरेपज
ुार ह, ३३ करोड़ दे
वता मे
रेसेवक ह , सयू, चंमा, व ण और वायु
मेर आ ा का पालन करतेह। अि न मे रेव धोता है, यम मे र आ ा के बना
कसी के ाण नह ंहरता, इ जीत मे रा पु और कुभकण मे रा भाई है
, कामधे
नु
मेरे वार पर खड़ी रहती हैऔर आज म कै लाश को अपनी माता के लए लेजाने
आया हूँ। कृपया मेर माँक यह इ छा परू क िजये''।

शवजी बोले'' कै लाश लेजानेक आव यकता ह या हैम तुहेअपना


आ म लं ग दे
ता हूँजो मेर आ मा हैवो तुहार हर कामना क पत ू करे गा ''
शवजी नेरावण को आ म लं ग देकर कहा '' नान करनेकेप चात इसेएक
पव थान पर था पत करके सूत का पठन करो और १०८ लाख मंो चारण
करो । जो इस लं ग क तीन वष तक लगातार उपासना करे गा उसेमेर शि त
ा त हो जाएगी । इस लं ग का वामी चरं जीव होगा और इसकेदशन मा से
सम त पाप ीण हो जायगेक तुजब तक लं का नह ंपहुं
चोगेतब तक इसे
धरती पर मत रखना '' । आ म लं ग लेकर रावण लं का क ओर थान कर गया
। इतनेम नारद मु न इ केपास पहुं
चेऔर बोले'' भुआप आराम सेकै से
बैठेह उधर रावण अमर हो गया है। कल वह आपसे अ धक यश वी हो जाएगा ।
शव जी नेउसेआ म लं ग देकर वरदान दया है क तीन वष तक उसक
उपासना करनेसेवह वयंइ वर बन जाये गा । फर आप ३३ करोड़ दे वताओं क
र ा कै सेकरगे। अ छा होगा य द आप भी उसक दासता वीकार करकेउवशी,
र भा और मे नका को भी उसक से वा म भे
ज द । परेशान होकर इ नेनारद से
राय मांगी और उ ह ने मा केपास जानेक सलाह द । इ मा केपास
गए और दोन सलाह मशवरा करके ी व णुकेपास पहु ं
चे। ी व णुपरू बात
सन ुकर ो धत हु ए और शव जी केपास जा कर उनसे न कया '' आपने उस
25

दुट रावण को आ म लं
ग य दया ? उस उ पाती रा स नेसारेदे
वता बं
धक
बना लए ह अब वह वग पर भी अ धप य ा त कर ले
गा।

शव जी बोले'' म उसक भि त सेअ त स न हु आ और अगर आज वह


पारवती भी मांग ले
ता तो म उसेभी देदे ता''। व णुजी बोले''आप रा स को
ऐसेवरदान दे तेह क वो देवताओंऔर ा मण को क ट पहु चाते
ह और अंत म
मझुेप ृवी पर उनकेउ धार हे तुअवतार ले ना पड़ता है''। ''आपनेरावण को वो
लंग कब दया था ?'' दो घं टेपव ू, शवजी नेउ र दया। ी व णुनेतरु ं

सदुशन च चला कर सरू ज को छु पा दया और नारद को उसेसंया करनेके
लए उ े रत करनेको भे जा । फर उ ह नेगणे श जी को कहा '' हर काय को
आर भ करनेसेपव ू तुहार आराधना अ नवाय है । तमु ह व नहता हो और
काय को सफल करतेहो । रावण नेशव जी को ठग कर आ म लं ग ा त कर
लया है। इस लए तमु मचार बालक का प धारण कर केरावण का व वास
जीत कर आ म लं ग को वा पस लेकर आओ, जब रावण संया म ल न होगा तब
तम
ु आ म लं ग धरती पर रख देना''।

नारद नेरावण केपास पहुचकर उसक तु


ँ त क और बोले'' आपनेशव जी को
स न करकेइस अ भत ु आ म लंग को ा त कया है , इसक शि त असाधारण
है
, आओ म आपको इसके वल ण गण ु का ववरण सन ुाता हू
ँ''। रावण ने
अ व वास सेनारद को लंग केदशन दरूसेह करवाए। नारद बोले'' या तुहे
पता हैयह लं ग अि त व म कैसेआया था? ''एक बार मा, व णुऔर महे श
ने मा ड खं ड म सोयेहुए एक कालेसगुि धत हरन का शकार करकेउसका
मां
स हण कया। उस हरन के सर पर तीन सीं ग और नीचेतीन लं ग थे।
तीनो दे
व नेएक एक लं ग को अपनेअ म लंग के प म अपने पास रख लया ।
जो भी तीन वष तक इस लं ग क आराधना करता हैवह इ वर व को ा त करता
हैऔर उसके नवास थल को कै लाश कहतेह ''।

रावण नेउसेबीच म टोकतेहु ए कहा'' मे


रेपास इस कथा को सन ुनेका समय
नह ंहैमझ
ुेशी ह लं का पहु

चना हैइस लए मे रेरा ते
सेहटो । नारद बोले''यह
संया काल है। तमु वेद के ाता हो इस लए तुहेवे द के नयमो का आचरण
करना चा हए । चलो संया आरंभ करतेह।'' इतनेम गणे श जी मचार बालक
के प म वहां कट हु ए और दव ुास ( एक कार क घास) तोड़नेलगे। रावण
नेसोचा यह बालक मेरेसाथ छल नह ंकरे गा और संया परू होनेतक उसेलं ग
स पनेका न चय कया।
26

रावण को अपनी ओर आतेदे ख वह बालक भाग खड़ा हु


आ । रावण नेउसेपछ
ुा
''कौन हो तम
ु, तुहारेमाता पता कौन ह ? ''

गणे श जी बोले'' तम
ु यह सब य पछ ू रहेहो ? या मेरेमाता पता तुहारे
कज़दार ह ? रावण मुकु रा कर बोला '' मझ
ुसेडरो मत , म केवल तुहारेवषय
म जाननेको उ सक ु हू
ँ। गणेश जी बोले''म ी शव का पु हू ँमे
र माँका नाम
पावती है
। मे
रेपता नं द बैल क सवार करतेह और भ ा सेजीवनयापन करते
ह '' ।

रावण बोला '' तीत होता हैतुहारेपता नधन हैऔर घर घर जा कर भ ा


मां
गतेह इस लए तम ु उदास दखतेहो । तम ु मे
रेसाथ सोनेक नगर लं का म
चलो और वह रहो । म तुहेसब कु छ दंग
ूा । गणे
श बोले'' लं
का म बहु
त रा स
रहतेह वो मझ
ुे मार डालगे। म तुहारेसाथ नह ंचल सकता ''।

रावण नेफर उस बालक सेयाचना क क संया समा त करने तक वह लं ग को


हाथ म पकड़ कर खड़ा रहे। गणेश हच कचाते हु
ए बोले''म एक नादान बालक हूँ
और इस भार शव लं ग को पकड़ नह ंपाउँ
गा इस लए मझुेजानेदो ''। रावण के
बार बार अनरुोध करनेपर वह सहमत गया। नि च त होकर रावण समुदर
कनारेसंया के लए चला गया ।

गणेश जी नेरावण को सचे त कया ''देख लो जब शव लंग मझुेभार लगे गा तब


म इसे धरती पर रख दं

ूा ''। यह कह कर गणेश जी शव लं ग को पकड़ कर खड़े
हो गए और आकाश म सारेदे वता इस अ भतु घटना का दशन कर रहेथे । जब
रावण अि न दे वता को अघ देरहा था तो गणे श जी नेरावण को बलुाया और
कहा '' म थक गया हू ँशव लं ग को शी आ कर वा पस लो''। रावण नेथोडा
समय और कनेका इशारा कया और फर से यानम न हो गया । गणे श जी ने
एक बार फर आवाज़ लगायी ले कन रावण यान लगा कर बै ठा रहा । यह देख
कर उ ह व णुजी क आ ा ात हु यी और शव लंग को धरती पर रख दया।
सारेदेवता इसकेसा ी थेवेसब अ यं त स न हु ए और फूल क वषा करके
गणेश जी को आशीवाद दया।

रावण नेवा पस आकर जब यह य देखा तो कुपत हु


आ और गणे श जी को
पीटनेलगा । उसनेआ म लं
ग को उठानेका हर सं
भव यास कया पर वफल
रहा । प ृवी काँ
प उठ लेकन आ म लंग नह ंहला । गुसेम रावण नेउसे
धरती म सेउखाड़नेका य न कया तो आ म लंग क आकृ त गोकण ( गाय के
27

कान ) जै
सी हो गयी । इस लए इस थान को गोकण कहा गया हैऔर रावण ने
इसेबलपवूक उठानेका य न कया इस लए इसका नाम महाबले वर पड़ा ।

नराश हो कर रावण वन म तप करनेचला गया । इस थान केमह व को


दशानेवाल अ य कथाएंभी ह। इस कथा का वणन क द परु
ाण म कया गया
है''।

-०-

अ याय - ६

गोकण का मह व और राजा को मह या केपाप सेमिुत मल , शव आराधना


सेमला कुठ रोगी ी को मो ।​

राजा को मह या केपाप सेमिुत मल

नामधारक नेपछ
ुा '' वामी, गोकण क या ा कसनेक थी और उ ह या लाभ
पहु

चा था?''

ी स ध यूँबोले'' इ वाकुवं
श का एक शरू वीर राजा था । वह शा का ाता
, दयालुऔर साहसी था। एक बार वह शकार पर गया। जं गल म उसने एक दानव
का शकार कया। वह तीर खाकर धरती पर गर कर पीड़ा सेकराहने लगा । यह
देख कर उसका भाई रोनेलगा । दानव ने ाण यागनेसेपहलेभाई सेअपनी
मृ युका तशोध ले नेका वचन लया । दानव का भाई राजा केपास मनु य के
प म गया और महल म रसोइयेक नौकर करने लगा। एक दन राजा नेमहल
म भोज का आयोजन कया िजसमेऋ ष व स ठ और अ य मु न भी आये ।
अवसर पा कर रसोइयेनेऋ ष व स ठ को मानव का मां स परोस दया। यह दे ख
कर ऋ ष व स ठ ो धत हु ए और राजा को मरा स बननेका ाप देदया ।
बना कारण ाप दए जाने पर राजा बहु
त नराश हु ए और जवाब म ऋ ष व स ठ
को ाप दे नेलगेपर महारानी म यं ती नेबीच-बचाव कया। उसने राजा को अपने
गु को ाप दे नेसेरोका और ऋ ष व स ठ से ाप सेमुत करनेक वनती
क । थोड़ी दे
र म ऋ ष व स ठ भी शां त हो गए और बोले'' १२ वष तक वन म
रहनेकेबाद राजा ाप मुत हो जायगे''।

ाप के भाव सेराजा क म पद नामक एक मरा स बनकर एक घनेजं गल


म चलेगए। एक बार एक ा मण द प त उस जं गल सेगज़ुरा और रा स नेउस
ा मण को अपना शकार बनाया। उसक प नी रोती बलखती रह पर रा स पर
28

कोई असर न हु आ। ा मण क प नी नेवह पर सती होनेहोनेका न चय


कया और चता म वे श करनेसेपहलेउसनेरा स को ाप दया '' १२ वष के
बाद जब तमु मानव प म आओगे और जैसेह अपनी प नी को पश करोगे तब
तुहार म ृ
युहो जाएगी ''।

१२ वष केप चात जब राजा ाप मुत हु आ तो उसनेयह बात अपनी प नी को


बताई। रानी बहु
त दख
ुी हु
ई और बोल '' १२ वष केयह क ट हमारेलए कम थे ?
हमारेवं
श म कोई पु नह ं है। अब हम या कर ? ''

महाराज नेराज परुो हत को बल


ुाकर सलाह मां गी '' मनेएक ा मण क ह या क
हैमझ ुेइस पाप सेमिुत कस कार ा त होगी ?'' परु ो हत नेमहाराज को
तीथया ा करनेक सलाह द । महाराज नेएक केबाद एक तीथ केदशन कर
दान पुय कया, ा मण और नधन को भोज दया क तु ाप क काल छाया
सेछु टकारा नह ंमला''। एक दन भा यवश महाराज को गौतम ऋ ष केदशन
हु
ए। ऋ ष नेपछ ुा '' एक राजा होतेहु
ए तमु इस कार य भटक रहेहो ?'' जब
राजा नेगौतम मु न को अपनी कहानी सन ुाई तो वह बोले'' नराश न हो, ी
शव तुहार सहायता करगे । तमु गोकण जाओ और वहांपर तम ु ाप सेमिुत
पाओगे। म ृ यज

ुय गोकण म नवास करतेह। अि न और च मा का काश
अ धकार को दरूकर सकतेह ले कन फर भी सय ू क आव यकता पड़ती है । इसी
कार के
वल तीथ या ा सेतुहारेपाप न ट नह ंह गे । गोकण वह थान हैजहाँ
पर सारेपाप नाश होतेह, उस तीथ केदशन से१००० म ह याओंकेपाप भी
न ट होतेह। गोकण भी कै लाश केसमान है । उस थान पर मा और व णु ने
भी तप या करकेफल पाया है । उस थान पर ी व णुक े रणा से ी गणेश
नेशव लं ग क थापना क थी। सभी दे वता, दानव, ऋ ष, मु न, स ध वहां ी
शव क पज ूा करकेचार पुषाथ ा त करते ह। यह तीथ सबसे े ठ है

कृत यग
ु म यह शव लं ग सफ़े द था, त
ेा यग
ु म लाल , वापर यग ु म पीला और
कलयगु म काला हु
आ। इस शव लं ग केनीचेस त पाताल ह । इसकेदशन मा
से मह या और सकल पाप न ट होतेह और भ त मो ा त करतेह। यहाँ
रहनेवालेअंत म कैलाश जातेह। नानोपरांत यहाँर ववार, सोमवार और बध ुवार
को दया गया दान उ म होता है। इस तीथ पर मकर संां त और महा शवरा
के दन दशन और पज ूा अचना करने का अलग ह मह व है । भोलेनाथ हमारेकम
केअनसुार हम दं
ड देतेह, माघ मास म शवरा वालेदन त रख कर बे ल प
सेशव जी क पज ूा करनेसे वग म थान अव य मलता है ''।
29

गौतम मुन बोले'' म गोकण बहु


त बार गया हू ँऔर आज तुहेइस स ब ध म
एक बहु
त ह आ चयजनक घटना सन ुाता हू
ँ'' ।

शव आराधना सेमला कुठ रोगी ी को मो

'' एक बार म एक पेड़ क छाया म व ाम कर रहा था तो दे


खा क कुठ रोग से
पी ड़त एक बढ ू औरत मर रह थी। वह अ यंत दयनीय दशा म थी, कई दन से
भख ूी, तन पर कपडेभी नह ंथे। ऐसी अव था म उसने ाण यागेतो वहांपर
शवदतू उसेकैलाश म लेजानेके लए पहुच गए। उसनेअपनेजीवन म अने
ँ क
पापकम कयेथे। वह रोज़ मां स खाती और म यपान करती थी । एक दन उसने
एक बछड़ेको मे मना समझ कर मार दया था । जब उसेअपनेअपराध का पता
चला तो बहु त दखुी हु
ई । वह कुप और नेह न थी तथा भीख मां ग कर
जीवनयापन करती थी । उसकेपास रहनेको घर नह ंथा । उसेकुठ रोग हु आ
और ऐसी दयनीय अव था म ह वो व ृध हो गयी।

शवरा के दन अ धक संया म भ त गोकण जा रहेथे। भीख क आस म


वह भी उनकेपीछेचल पड़ी। त केकारण उस दन उसेकसी नेभोजन नह ं
दया और खेल खे
ल म एक भ त नेउसकेहाथ म बे
ल प थमा दया। वह खाने
लायक नह ंथा इस लए गुसे
म उसनेउसेनीचेफक दया जो भा यवश शव लं

पर जा गरा। इस कारणवश उसेशवरा वालेदन भख ूेपे
ट शव जी क पजूा
बेल प सेकरनेका फल ा त हुआ। इस सेशव जी स न हु ए और शवदत

उसेशवलोक लेगए'' ।

यह कथा सन
ुकर महाराज बहुत स न हुए । उ ह नेगोकण जा कर शव जी का
आशीवाद ा त कया और सारेपाप सेमुत हो गए। ीपाद व लभ भी गोकण
गए और वहांपर उ ह नेतीन वष यतीत कये।

-०-

अ याय - ७

ा मणी और पु को ीपाद ी व लभ का आशीवाद, श न दोष आराधना का


मह व ।

ा मणी और पु को ीपाद ी व लभ का आशीवाद


30

नामधारक नेपछ
ुा '' ीपाद ी व लभ गोकण म कतनेवष रहेऔर फर या
हु
आ था?''

ी स ध बोले" ी गु गुत प सेवहां३ वष रहनेकेप चात ी गर , चार


मह न केबाद नव ृ
त सं
गम और फर कृणा नद केतट पर कु
रवपरुपहु

चे''।

'' कु
रवपरुम एक व वान ्ा मण रहता था। उसक प नी का नाम अि बका था।
उनक सभी सं तान क म ृ युहो गयी थी और अं
त म केवल एक पु जी वत रहा
जो मंदबुध था। इस कारण ा मण परे शान था और बहु
त बार अपनेपु को
मारता पीटता था। थोड़ेसमय केबाद ा मण क भी म ृ युहो गयी। उसक प नी
आजी वका के लए भीख मां गती थी। उसका पु बड़ा हु
आ क तुमं दबुध होने
केकारण सब उसका उपहास करतेथे और कोई भी उसेअपनी बे
ट देनेको तै
यार
न हुआ ।

लोग क बात सेदख ुी हो कर एक दन उसनेनद म डूब कर ाण यागनेका


न चय कया। यह दे ख कर उसक माँनेभी उसकेसाथ ाण यागनेका वचार
कया और साथ चल पड़ी। दोन कृणा नद केतट पर पहुचे
, वहांपर ीपाद ी
व लभ को दे
ख कर माता नेउ ह णाम कया और बोल '' हेगुदे व, हमने ाण
यागनेका न चय कया हैक तुआ मह या करना पाप है , हमेअपनेकम से
मिुत कै
सेमले गी?''

ी गु नेपछ
ूा '' कन क ट नेतुहेआ मह या करनेको ववश कया है?''

माता नेइस कार नवे दन कया '' वामी, मनेअनेक तीथ क या ा क , पु


ाि त के लए त रखेक तुमझ ुेएक मंदबुध संतान क ाि त हुई । मेर
आपसे ाथना हैक अगले जनम म मझुेआप जै सा ते
ज वी पु ा त हो जो मे

अगल पी ढ़य का उ धार करे''।

उसक भि त से ी गु स न हु ए और बोले'' तुहार इ छा पण


ू होगी, वाले
न द नेइ वर क उपासना क इस लए ी कृण उनकेघर म रहे , इसी तरह तम

भी न टापव
ूक उपासना करोगी तो तुहार मनोकामना भी पण
ू होगी ''।

माता ने न कया " वाल ने ी हर क कस कार आराधना क थी ? उ ह ने


कौन से त रखेथे?''
31

ी गु बोले'' उ ह नेहर '' श न - दोष '' को शव जी क पज


ूा क थी । इस
स ब ध म क ध परु ाण म वणन कया गया है , सन
ुो ''।

शन दोष आराधना का मह व

'' उ जैन म एक यायपरायण राजा च से न राज करतेथे । म णभ , जो एक


महान शवभ त थे , उनके धान सलाहकार थे
। शवजी नेउनक भि त से स न
होकर उ ह '' चंताम ण '' दान कया जो उ ह नेअपनेराजा च से न को दे
दया। चं
ताम ण के पश मा सेसभी मनोरथ स ध होतेथे , लोहा सोना बन
जाता था। इस लए सभी पडोसी राज म उसे ा त करनेक होड़ लग गयी। कु छ
नेचंसे न को धन का लालच भी दया पर चं ताम ण ा त करनेम कोई सफल
न हु आ । एक श न - दोष दवस पर जब चंसे न शव आराधना कर रहेथे,
तब सभी राजाओंनेमलकर उ जै न पर आ मण कर दया। महाराज को शव
आराधना करतेहुए दे ख कर कुछ वाल केब च नेभी प थर का शव लं ग बना
कर फू ल प सेशव जी क पज ूा करनेलगे
। थोड़ी दे
र बाद सब ब च क माताएं
वहांआई और उ ह घर लेगयी। पर तुएक बालक वह बै ठा रहा। रात होनेलगी
तो उसक माँउसेढू ंढती हु
ई वहांआई और गुसेम उसनेशव लं ग तोड़ दया
और बालक को पीट कर घर लेगयी।

बालक रोता रोता सो गया। शवजी उसक भि त देख कर गदगद हु


ए और उ ह ने
रात रात वहांएक सुदर मं दर का नमाण कर केउसकेअ दर बहु
मूय प थर
का शव लंग था पत कर दया। उ ह नेबालक को जगाकर उससेवरदान मांगने
को कहा । बालक बहु त खशु हु
आ और उसनेअपनी माँके लए मा याचना क ।
शव जी बोले'' तुहार माँनेसंया क पजूा केदशन कयेइस लए उ ह अगले
जनम म कृण नामक ते ज वी पु क ाि त होगी और तुहेधन ऐ वय ा त
ह गे
''।

श ुसे
नाओंनेजब येचम कार दे खा तो उ ह अच भा हु
आ। उ ह नेमहाराज को
म ता का स दे
श भे
जा िजसेउ ह नेसहष वीकार कया''।

ीपाद ीव लभ नेश न दोष आराधना का मह व उस ा मण ी को समझा


कर उसेऔर उसकेपु को आशीवाद दया। आशीवाद ा त होते ह वह मं दबुध
बालक वे
द, शा , तक और भा य का व वान ्
बन गया । यह चम कार देख कर
ा मण ी ने ी गु को नमन कया और बोल '' आप सा ात ्
इ वर ह, हम
32

न टापव
ूक आपक उपासना करगे
। भ,ु अगलेजनम म मझ
ुेआप जै
सा
काशवान पु ा त हो ''।

इस कार वह रोज़ भि तपव ूक ी गु क पजूा करनेलगी। शी ह उसकेपु


का ववाह सं
प न हुआ और उसेसं तान क भी ाि त भी हु
ई। जो भ त ी गु
क भि त करते ह उ ह भी इसी कार सख
ु शां
त और धन ऐ वय ा त होते ह।

-०-

अ याय - ८

धोबी को ीगु का आशीवाद

कु
रवपरु म एक धोबी रहता था जो ी गु का अन य भ त था। जब ीपाद ी
व लभ नद म नान करनेजातेतो वह भी साथ जाता और उ ह णाम करके
उनकेव धोता।

उसक सेवा सेह षत हो कर एक दन ी गु नेपछ


ुा '' तमु मेरेलए इतने क ट
य उठातेहो ? जाओ घर जाओ और सख
ुपवूक रहो ''। धोबी गह
ृ थी और प रवार
के त मोह याग कर ी गु केआ म म रह कर उनक से वा करनेलगा।

एक बार बसं त ऋतुकेबै साख मास म एक यवन राजा बहु मूय व और र न


सेसस ुि जत अपने हरम क सुदर ि य , से वक , हाथी, घोड़ और वा य यं के
साथ नद तट पर आया। राजा केऐ वय को दे खकर धोबी नेसोचा '' काश म भी
ऐसेजीवन का आनं द लेसकता ''। उसके वचार जान कर ीगु नेपछ ुा '' या
सोच रहेहो ''? धोबी बोला '' इस राजा नेकस दे वता क पज ूा करकेऐसा सख ुी
जीवन पाया होगा ? पर तुमझ ुेइनक लालसा नह ं , आपकेचरणकमल म सं सार
केसब सख ु मेरेपास ह ''। ी गु बोले'' तम ु अपनेजीवन म कतने संघष कर
रहेहो । या ऐसा राजसी जीवन जीनेक तुहार इ छा है? इस कार का
भौ तक जीवन मो केरा तेको बा धत करता हैक तुतुहेऐ वय क लालसा
हैतो बे हतर होगा क तमु कसी यवन राजप रवार म जनम ले कर सारेसख
ु भोगो
''। धोबी ाथना करनेलगा '' भुमझ ुेअपनेसमीप ह रहनेद िजये''। ी गु
बोले'' अगलेजनम म तम ु बीदर केराजप रवार म ज म लोगेऔर मे रा भी
अगला ज म होगा जब लोग मझ ुेनर सं ह सर वती केनाम सेजानगे। म एक
स यासी का जीवन यतीत क ँ गा ''। उ ह नेएक बार और उससे न कया ''
33

तम
ु राजसी जीवन का आनं
द इस जनम म ले
ना चाहतेहो या फर अगलेजनम
म ?''

धोबी बोला '' भु


इस जनम म तो म व ृध हो चकुा हू
ँ। म इन सख
ु का उपभोग
अगलेजनम म बचपन सेकरना चाहू ँ
गा ''। इसकेकुछ दन बाद धोबी क म ृयु
हो गयी और उसका ज म बीदर केराजप रवार म हु आ । इसका ववरण इस
पुतक के३३ वेअ याय म कया गया है ।

ीपाद ी व लभ नेकु
रवपरु म अपनेनवास केदौरान अनेक चम कार दखाए
िजनका वणन करना मझु अ ानी केसाम य सेपरेहै। ी गु के नवास करने
केकारण यह बहुत स द तीथ थान बन गया ।

ीपाद ी व लभ आि वन मास म गु वादशी के दन कृणा नद म अ य हो


गए। भ त को इस थान पर आज भी ी गु क उपि थ त क अनभ त होती
ुू
है

-०-

अ याय - ९

व लभे
श क र ा

नामधारक ने न कया '' कृ


पया मझ
ुे ीपाद ीव लभ केअ य अवतार केबारे
म बताएं''।

ी स ध बोले'' ीपाद ीव लभ नेभ त के हत के लए कई अवतार धारण


कयेथे। ी गु क भि त कभी नरथक नह ंहोती हैवह कसी को नराश नह ं
करतेह । इस लए स चे दय सेउनक भि त करो। लो अब म तुहेएक और
कथा सन
ुाता हू

''।

''व लभे
श नामक एक ा मण यापार ी गु का भ त था। वह हर वष उनके
दशन हेतुकुरवपरु जाता था। एक बार उसनेसं क प लया क यापार म लाभ
हुआ तो १००० ा मण को भोज दं ग
ूा। भा यवश उसनेखबू लाभ कमाया और ी
गु का नाम जपता हु आ लाभ म कमाए धन केसाथ वह कु रवपरुक ओर चल
पड़ा। इस बात का पता कुछ चोर को चल गया और वो उसकेपीछेलग गए। एक
रात चोर नेव लभे श क ह या कर द और सारा धन चरु ा कर भागनेलगे।
इतनेम ी गु माथेपर जटाएं , हाथ म ख ग और शल ू लए वहां पर कट हो
34

गए। उ ह नेतीनो चोर को मार डाला। ले


कन चौथा चोर उनकेपै र पकड़ कर
मा मां
गनेलगा। वह बोला '' भुम नरपराध हू ँमझ
ुेमालम ू नह ंथा क ये
लोग एक ा मण क ह या कर दगे। मझ ु पर दया क िजये''।
यह सनु कर ीपाद मु
न नेउसेमत
ृ ा मण क दे ह पर वभू
त लगानेक आ ा
द । वभू त के पश से ा मण जैसेनीं
द सेजाग कर उठ बै
ठा। ीपाद मु

वहां
सेतरुं
त अ य हो गए ।

व लभे
श नेचोर से न कया '' इन तीन क ह या कसनेक है?''

चोर बोला '' एक महान योगी नेअपने शलू सेइन चोर को मार डाला। उ ह ने
तुहारे लए मे रे ाण क र ा क । उ ह नेमझ ुेतुहार मतृ दे
ह पर वभू त
लगानेक आ ा द और इस कार तुहेजी वत करकेअ य हो गए। वह ी
शव केअ त र त अ य कोई नह ं हो सकते
थे।

ा मण समझ गया क यह सब ी गु ीपाद ी व लभ नेकया है । सारा धन


समेट कर वह कु
रवपरुपहु

चा और ी गु क पादक
ुाओंक पज
ूा करनेकेप चात
उसने४००० ा मण को भोज दया'' ।

हेनामधारक, ीपाद ी व लभ अ य हो गए क तुआज भी वह भ त क


पक
ुार सन
ुकर उनक र ा के लए आते
ह।

-०-

अ याय – १०

ी नर सं
ह सर वती का ज म और उनकेचम कार, नरहर बने ी नर सं

सर वती ।

ी नर सं
ह सर वती का ज म और उनकेचम कार

हमने७व अ याय म ा मण ी क कहानी पढ़ हैिजसनेश न दोष केअवसर


पर भगवान ्शंकर क पजूा क थी। म ृ
योपरां
त उसनेबदर रा य केकरंिजया म
एक ा मण प रवार म ज म लया। उसका नाम अ बा भवानी रखा गया। उसका
ववाह माधव नामक एक शव भ त केसाथ हु आ। अपनेप त केसाथ अ बा
भवानी नेबड़ी भि त केसाथ शव क आराधना क । १६ वष क आयु म उसे एक
पु क ाि त हु ई। वह शशुबचपन सेह अनोखा था। ज म ले तेह उसने ''ॐ''
श द का उ चारण कया। यो त षय नेभ व यवाणी क क यह बालक बड़ा
35

होकर एक महान योगी और जगतगु होगा। वह मचार होगा और परू प ृवी


उसक क त का गण ुगान करेगी। वह तुहारेसारेक ट दरूकरे गा। '' शा ल ाम
दे
व '' नाम सेउसका नामकरण कया गया क तुसब उसे '' नरहर '' केनाम से
जानते थेऔर '' नर सं
ह सर वती '' केनाम सेवह व यात हु आ।
एक दन अ बा नेअपनेप त सेबालक को दध ू पलानेके लए एक दाई रखने
क इ छा य त क । उसके तन म बालक के लए पया त दध ू नह ंआ रहा
था। यह सन ु कर बालक मुकु राया और उसनेअपनी माँके तन को पश
कया। ऐसा करतेह अ बा के तन दध ू सेभीग गए । बालक क यह ल ला दे ख
कर माता पता बहु त स न हु ए और उसेभगवान ् का अवतार मान कर णाम
कया।

बालक हर समय '' ॐ '' का उ चारण करता रहता था और उसकेमह ं


ु सेकोई
और श द नह ंनकलता था। यह दे ख कर माता पता चं तत हो गए क कह ं
बालक मकू तो नह ंक तु ानी स जन नेउ ह ढाढस बंधाया क बालक को सब
ान हैपर तुवह जान बझ
ूकर मौन धारण कयेहुए है

बालक जब ७ वष का हु आ तो उसका य ोपवीत संकार करना आव यक हो गया


पर माता पता चं तत हो गए क बालक सेगाय ी म का उ चारण कस कार
करवाएंगे। माता पता को दखुी दे
ख कर बालक नेउनकेपास जाकर उ ह धीरज
रखनेका इशारा कया। एक बार उसनेएक लोहेकेडं डेको हाथ लगाया तो वो
सोनेम प र णत हो गया। यह दे ख कर माता पता है रान रह गए और उ ह ने
उसकेहाथ म और लोहा दया जो सोना बन गया। तब उ ह ने उसे पछ
ुा क '' पु
तम
ु कस कार बोलोगे?'' बालक नेइशारेसेसमझाया क जब य ोपवीत धारण
क ँगा तब बोलँ ग
ूा। माता पता ने स नता केसाथ य ोपवीत संकार का
आयोजन कया। कु छ लोग को उसक सफलता पर सं देह हो रहा था क तुसब
बं
धूऔर ा मण बल ुायेगए। समारोह शु हु
आ। थम दवस पर बालक केके श
काटेगए , दसुरेदन उसेय ोपवीत पहनाया गया और पता नेनरहर केकान
म गाय ी म का उ चारण कया िजसेउसनेमन म दोहराया। इसकेप चात
भ ा लेकर उसक माता आई और उसेऋ वे द पढनेको कहा । नरहर ने''
अि न मीले'' का वाचन कया। दस ूर भ ा लेतेहु
ए नरहर ने'' यजव ुद इशे वा''
का, तीसर भ ा केबाद सामवे द से'' अ न आयाह '' सनुाया तो लोग है
रान रह
गए। उसेचार वे द का ाता जान कर सबने णाम कया।
36

नरहर नेमाता केसमीप जाकर कहा '' माता तम


ुनेमझुेभ ा मां
गने का आदे

दया हैइस लए अब म इसी कार जीवनयापन क ँ गा, मझ
ुेतीथ या ा करनेक
अनमु त दो ''।
यह सनुकर माँबहु
त दख
ुी हु
ई और बे
होश हो कर गर पड़ी। होश म आने केबाद
वह बोल '' अब तक हम चं तत थेक तमु कुछ नह ंबोलतेथेऔर आज हम
बहु
त स न ह क तम ु बोलनेलगेऔर अब तम ु हमेछोड कर जा रहेहो, बढ
ुापे
म हमार देखभाल कौन करे
गा ?''

नरहर बोला '' आप चं ता न कर माता, आपकेचार पु ह गेऔर वो आपक


दे
खभाल करगे।'' यह कहकर उसनेउ ह आशीवाद दया। ऐसा करतेह अ बा को
अपना गत ज म याद आ गया और उसने ीव लभ को अपनेसामनेखड़ेदे खा।
उसनेवन ता केसाथ नरहर को णाम कया। नरहर नेकहा '' माता यह एक
रह य है। हम स यासी प रवार केबं
धन सेमुत रहतेह। मझुे
मेरा कम करने
दो और तीथ या ा पर जानेक अनमु त दो''।
माँबोल '' य पु कोई भी धम ७ वष क अ पायु म संयास क अनम ु त नह ं
दे
ता तुहे मचय के१२ वष परू ेकरनेह गे। वेद केअनस ुार इसकेबाद
गह
ृ था म और उसकेप चात वान था म और अं त म स यासा म होतेह।
इस लए तमु मचया म म वे द का अ ययन करो फर ववा हत जीवन यतीत
करो, उसकेबाद य और अ य संकार करो तब स यासी बनो। बचपन म
स यासी बनना उ चत नह ं
है।

नरहर बने ी नर सं
ह सर वती

नरहर नेमाँके न का यू ँउ र दया '' माता, यह शर र नाशवान है, इसका


या भरोसा ? तुहार सलाह उनके लए ठ क हैजो म ृ युपर वजय पा चक ुेह ।
जब तक शर र व थ हैतब तक अ छेकम कर ले नेचा हए। इस लए यह कम
बचपन सेह करनेचा हए। जीवन केतीन चरण है- बा याव था, यव ुाव था और
व ृधाव था क तुम ृ युअ नि चत है
। यमराज हमारेजीवन क घ ड़याँगन रहे
ह। जीवन ती ग त सेआगेभाग रहा हैऔर हमारेपास समय कम है । इस लए
जो लोग प व कम नह ंकरतेवो पशुसमान ह। गह ृ, प नी, माता और ब चे
सदा नह ंरहतेइस लए बुधमान लोग छोट आयुसेह अ छेकृय करतेह।
मझुेजानेसेमत रोको । यह जीवन एक व न क तरह हैऔर यह काया न वर
है''।माता बोल '' पु अब तमु मझ
ुेसलाह मत दो । तम ुनेबताया क मे रेचार
37

पु ह गेइस लए कम सेकम जब तक मे रा एक पु नह ं हो जाता तब तक तुहे


मे
रेपास रहना होगा। अगर तम
ुनेमे
र बात नह ंमानी तो म यह पर अपने ाण
याग दं

ूी ''।
नरहर मुकु रा कर बोले'' मे
र वाणी अस य नह ंहोगी माता, जब तुहारेदो पु
हो जायगेतब तम ु मझ
ुे थान करनेक अनम ु त देना। म तुहारेपास एक वष
और रहूँ
गा''।एक वष बाद नरहर नेमाता पता सेवदा ल । उ ह नेनरहर को
वन तापव
ूक णाम कया और बोले'' आप हमारेकु लदे
वता ह इस लए आपको
कुछ नह ंकह सकते। हमार गल तय को मा कर । भगवन शं कर क कृ पा से
आप हमारेपु बन कर आयेऔर हम यश वी बनाया। हम आपकेदशन अब कब
ह गे?नरहर बोले'' आप लोग जब भी मे रा मरण करगे म आपकेपास आऊं गा।
आपकेदो पु और एक पुी होगी। आपकेसम त क ट दरूहो जायगे और अंत म
मिुत ा त करगे । अब मझ ुेब नारायण जाना है। आ ा द िजये''।

माता पता, नगर केसब वासी नरहर केसाथ चल पड़े । सबनेकहा '' यह
नि चत ह कोई अवतार ह, नह ं
तो ७ वष क आयु
म चार वे
द का ान कैसे हो
सकता है?'' सबनेउ ह णाम कया और अपनेघर को लौट गए पर तुमाता
पता उनकेसाथ चलतेरहेतब नरहर उनकेसम ीपाद ीव लभ के प म
कट हु
ए। माता पता उनकेचरण म गर पड़ेऔर नरहर उ ह आशीवाद दे कर
आगेचलेगए।

नरहर ब नारायण गए । रा ते म उ ह नेकाशी म तप या और योग साधना क


और व वे वर केदशन भी कये । बहुत स यासी उनकेदशनाथ आये । वहांपर
एक बढ़ूेस यासी '' कृण सर वती '' थेिजनको म केदशन हुए थे। उ ह ने
सभी स या सय सेकहा '' नरहर कोई मामल ू स यासी नह ंभगवत अवतार ह
इनका स कार करो और इनसे आशीवाद लो ''।यह सनुकर सब लोग नरहर केपास
गए और बोले'' आपक बड़ी कृ पा होगी अगर आप धम केअनस ुार स यास क
द ा ल और हमार से वा वीकार कर। इस कलयग ु म स या सय को तुछ
समझा जाता हैऔर उनका नरादर होता है । ७ व शता द म शं कराचाय ने
स यासधम को पन ुज वत कया था क तुअब क ल के भाव म स या सय का
तर कार होता है
, कृ
पया हमारा उ धार कर। नरहर नेउनक ाथना वीकार क
और ी कृण सर वती सेसंयास क द ा ल ''।
38

नामधारक ने न कया '' जब नरहर वयं ी गु द ा ये केअवतार थेतो


उ ह नेकसी अ य गु का श य होना य वीकार कया ?''

ी स ध बोले'' परु
ानेसमय म व श ठ ी राम केऔर संद पनी ी कृण के
गु थेइसी कार से ी कृण सर वती नरहर केगु हु ए और इस कारण वो
नर सं
ह सर वती कहलाये। मनुय केअवतार म मानव केर त रवाज को
अपनातेहु
ए नरहर ने ी कृण सर वती को गु वीकार कया।

पहलेगु भगवान ् शं
कर थे
, ी व णुदस
ुरे
, मदेव तीसरेथे
। इनकेबाद व स ठ
, पराशर और यास हु ए जो ी व णुकेअवतार थेत प चात शक ु, गौडपाद,
गो व द गु, शंकराचाय, व व वय, या बोि ग रय, ग रराज, इ वा तथ और
भार त तथ हुए । इनकेबाद व यार य, ीपदामन
ुी, व या तथ, मा लअनंद,
दे
ओ तथ, सर व त तथ, सर वती यदेओवे और उनके श य कृण सर वती हु ए।
यह गु परंपरा थी।

ीगु नर संह सर वती वे


द के ाता के प म काशी म व यात हु ए । इसके
प चात वह अपनेश य समे त ब नारायण गए । म गर , नवखं ड केदशन
करकेवेगं गा सागर पहुं
चे
, गं
गा केतट केदशन करकेवे याग पहु चे
। एक
व वान ् ा मण नेउ ह वहांपर देखा। ी गु नेउसेसंयास धारण करवाया
और '' माधव सर वती '' नामकरण कया। बाद म ी गु केअने
क श य हु ए।

-०-

अ याय - ११

ी गु अपनेप रवार से मले


, ा मण क उदर पीड़ा दरू हु
ई, सयमदे
व को
जीवनदान ।

ी गु अपनेप रवार सेमले

स ध बोले'' ी गु याग म कु छ समय तक रहे। उनकेकई श य हु


ए िजनमे
सेबाल सर वती, कृणा, उपे सर वती, माधव सर वती, सदानं द सर वती,
यां
जोती सर वती और म( स ध) मख ु थे
। वेद ण केतीथ थल केदशनाथ
गए और करं िजया लौटेजहाँघर-घर म उनका आदर स कार हु
आ। माता नेउ ह
दे
खतेह पहचान लया क वे ीपाद ीव लभ ह। वह अपनेभा य पर ह षत
हु
यी। उ ह ने ी गु सेभवसागर सेमुत करने का आ ह कया। ी गु बोले''
अगर कोई यि त स यास हण करता हैतो उसक ४२ पी ढ़य का उ धार होता
39

है( २१ पता क और २१ माता क पी ढयां)। उनकेपु को म ृ


युका भय नह ं
रहता। तुहारेपु सौ वष िजयगेऔर अं त म तम ु काशी जाओगे
, जहाँतुहे
मिुत ा त होगी''।

रतना, उनक ब हन ने ी गु से न कया '' म प रवार केबं


धन सेमुत हो
कर तप या करना चाहती हू
ँ। मे
र मदद क िजये
''।

ी गु बोले'' तम
ु मिुत चाहती हो तो अपनेप त क से वा करो। हम अपने
कम
केअनसुार क ट मलतेह। नार को मिुत उसकेप त केमा यम सेमलती है
इस लए प त को परमे वर मान कर उनक से वा करो, येवे
द, परु
ाण और शा म
कहा गया है
''।

वह बोल '' आपको तो भत


ू वतमान भ व य सब व दत है
। मे
रा भ व य बताएं
'' ।

ी गु बोले'' गत ज म म तम ुनेएक गाय को पैर सेध का दया था और


तम
ुनेअडोस पड़ोस केद प तय म कलह करवाया इस लए तुहेकुठ रोग होगा
और तुहारा प त तुहारा प र याग करकेस यासी बन जाये
गा । कुट रोग के
नवारणाथ तमु मेरेपास द ण म भीमा नद केतट पर पाप वनाशी आओगी ''।

त प चात ी गु गौतम मु न क तपो थल य बकेवर गए । भगवान ् शं


कर
गौतम मु न क तप या से स न हुए और लोग केक याण हेतुगोदावर नद
को धरती पर लायेथे
। ी गु गोदावर तट क या ा करतेमं
ज रका पहु
चेजहाँ
एक ा मण माधावारा य रहता था जो उ ह बहु
त ेम करता था। ी गु को
दे
खतेह उसनेसंकृ त म उनक तु त क । ी गु अ यंत स न हुए और उसे
अपनेअसल प म दशन दए । ा मण उनकेचरण पर गर पड़ा और ी गु
नेउसेआशीवाद दया।

ा मण क उदर पीड़ा दरूहु


उसकेबाद ी गु मे वर गए जहाँएक ा मण उदर क ती पीड़ा से त


था। वह कु
छ खा नह ंपाता था य क खातेह उसेपीड़ा होनेलगती थी । इस
कारण वह कई दन सेभख ूा था।
थक हार कर उसने ाणांत करनेका वचार कया। यह जान कर ी गु नेउसे
अपनेपास बल ुाया और उस सेआ मह या करनेका कारण पछ ुा। उसनेउ ह
अपनी पीड़ा बताई तो ी गु बोले'' म तुहेएक औष ध दे
ता हू
ँऔर आज से
तम
ु दोन समय भोजन हण करोगे ''। ा मण को ी गु क बात सन ुकर
40

व वास नह ंहु
आ। इतनेम नद केतट पर ामा धकार आया। ी गु नेउससे
उसका प रचय पछुा।
वह बोला '' म क ड य गो का ा मण हू ँमे
रा नाम सयमदे
व है। ​म कां
ची से
आया हूँ। म एक वष सेएक यवन राजा केपास काम करता हू
ँ। बड़ेभा य से
आज आपकेदशन ा त हु ए ह िजस कार गं
गा नान सेपाप धल ु जातेह,
च मा क शीतलता सेशर र को ठं डक मलती है
, क पत क ाि त सेदा र य
का अं
त होता है, उसी कार आपकेदशन सेसम त क ट दरूहोते ह''।

सयमदे व बोला '' गुदेव इस ा मण नेकल एक माह केबाद भोजन कया था


और इसेउदर पीड़ा हु ई । आज अगर येफर भोजन करता हैऔर उसकेउपरां त
अगर इसक म ृ युहो जाती हैतो उसका िज मे
वार म कहलाऊं
गा ''। ी गु बोले
'' शं
का मत करो । यह औष ध घी म तलकेउसेदे ना और साथ म भोजन म
मीठा दधू दे
ना''। सयमदे व ने ी गु को अपनेघर पधारनेका आ ह कया िजसे
उ ह ने वीकार कया।

घर पर सयमदे
व और उसक प नी ने ी गु और उनके श य क आराधना क
और उनका खबू आदर स कार कया। सबनेमलकर ेम सेभोजन कया। भोजन
करतेह ा मण क उदर पीड़ा मट गयी। ी गु का यह चम कार दे
ख कर सब
आ चयच कत रह गए । ी गु नेसयमदे व और उसकेप रवार को आशीवाद
दया।

सयमदे
व को जीवनदान

सयमदेव ने ीगु केचरण पश करकेकहा '' गुदेव आप मू


त केसा ात ्
अवतार ह । अ ानतावश आप हम मानव दखतेह जब क आप सव यापी ह।
आपक म हमा का गण
ुगान करनेम हम असमथ ह''।
म एक यवन राजा का सेवक हू
ँजो बहु
त नदयी है। वह हर वष एक ा मण को
आमंत करकेउसक ह या करता है । आज उसनेमझ ुेबल
ुाया है
। अगर म उसके
पास जाऊं
गा तो नि चत हैक वो मेर ह या कर दे
गा।

ी गु नेउसके सर पर हाथ रखतेहु


ए कहा '' तम
ु नभय होकर राजा केपास
जाओ। वह तुहेसरु त मेरेपास भे
ज देगा। मझ
ु पर व वास करो । जब तक
तम
ु वा पस नह ं आओगे
म यह पर रहूँ
गा। तमु मे
रेभ त हो, तुहेधन और सख

शांत ा त होगी।
41

सयमदे
व ी गु का नाम लेता हु
आ राजा केपास गया। उसेदे
खतेह राजा मह


फे
र कर महल केअ दर चला गया।

सयमदे व नेसोचा, िजस भ त क र ा वयं ी गु करते ह उसका येराजा या


अ हत करे गा। भला सप का या साम य क वो ग ड़ को हा न पहु
चाये? एक
हाथी भला शेर को या मारे
गा । ी गु केभ त को म ृ
युका कै
सा भय ?

राजा गहर न ा म सो गया। उसने व न म देखा क एक ा मण उसे पीट रहा


है। नींद सेजाग कर जब वो बाहर आया तो उसनेसयमदे व को दे
खा । राजा
उसकेपै र म पड़ कर रोनेलगा '' आप मेरे वामी ह । आपको यहाँकसने
बलुाया है। आप यहाँसे स नतापव
ूक घर जाएं
''। यह कहकर उसने सयमदेव को
अ छेव और आभषूण केसाथ वदा कया।
सयमदे व नेनद तट पर जाकर सबसे पहले ी गु केदशन कयेऔर उ ह सारा
व ृा त सन
ुाया। उ ह नेउसेदोबारा आशीवाद दया और द ण क ओर चलेगए।
सयमदेव नेहाथ जोड़कर ाथना क '' भुमझ ुेअपनेचरण म जगह द िजयेम
आपकेसाथ ह चलँ ग
ूा। िजस कार गंगा नद हम सबकेपाप हरनेधरती पर आई
हैउसी कार आप भी हमेमो देनेपधारेह ''।

ी गु बोले'' म एक उ देय हेतुद ण क ओर जा रहा हूँ। म १५ वष केबाद


तुहेफर मलँ ग
ूा। उस समय तमु मे
रेपास अपने
प रवार स हत आओगे । इस लए
अब घर जाकर सख ुपवूक जीवन बताओ''।
ीगु नेआरो य भवानी वै
जनाथ म गु
त प सेकु
छ समय तक नवास कया।

-०-

अ याय - १ ​

भारत के मख
ु तीथ े

ी गु गु त प सेआरो य भवानी म रहे य क उनकेपास बहु त भ त आने


लगेथेिजनमेअ छे , बरु

, स जन, द ु
ट, हर जा त और पं
थ केलोग सि म लत
थे
। परशरुाम ने य का नाश करकेजो भू म ा त क थी वो सब ायि चत के
प म उ ह ने ा मण को दान म देद थी। फर भी ा मण नेउनसेऔर
भूम मांगी । इस लए उ ह नेसमु को पीछेकरकेऔर भू म बनायींिजसे
ा मण नेफर सेमां गी । वो भू
म भी ा मण को दान म देकर परशरु ाम
42

समु म गुत प सेरहे। इसी कार ी गु भी सब श य को तीथ या ा पर


भे
ज कर गु
त प सेरहे

भ त नेपछ
ुा '' गुदे
व आप हमसेवमख ु य ह ? वे
द और शा केअनसुार
गु केचरण म ह सब तीथ ह। आप क पत के प म हमारेपास ह फर हम
कह ं
और जानेक आव यकता या है''।

ी गु बोले'' तम
ु स यासी हो इस लए तुहेतीथ म जाकर अपनेमन को ि थर
करना चा हए। म ीशैल जाऊंगा और तमु लोग मझुेवह पर मलना'' ।

भ त ने न कया '' गु क आ ा को नह ंमाननेवालेनरक को ा त होते


ह।
इस लए हम तीथ या ा पर जायगे
पर तु
आप कृ
पया हमेबताएंक हम कन े
केदशन कर ?''

ी गु बोले'' भागीरथी नद केतट पर ि थत काशी एक मख ु तीथ थान है।


नद तट पर तम ु ६० योजन (१२० मील) चल कर ६० ायि चत (
मतलब - १२०० बार गाय ी म जाप) करो। फर याग म १२० करो ।
यमनुा केतट पर २५ ाम और सर वती तट पर ४० ाम ह। नद म रोज़ नान
करो। यह य केसामान फल दे गा और अंत म म क ाि त होगी।

व ण, कुवत , नावे
नी, वत ता, सर वती, म धा, अि कनी, मधम
ुती,
पयि वनी, वती, दे
वनद न दय म नान करनेकेबाद ायि चत करो। इससे
मह या केपाप सेभी मिुत मले गी। चंबाघा, रे
वती, सरय,ूगौतमी, वे
दका,
कौ शक , म दा कनी, सह ावा , पण
ू बहुदा, अ णा न दय म नान करो। न दय
केसंगम म नान करना भी याग नान का फल दे ता है

पुकर, वैरोच न, फा ग,ुगया तीथ, सेतब


ु ध, रामेवर, ीरं
ग प मनाभ, पुषो म,
नेमशारा य, ब नारायण, कु े, ी शैय, पत ृतीथ, के दार, को ट, नमदा,
मुते वर, कुज, कोकमख ुी, भास, गोकण और शं ख कण अ य मख ु तीथ े
ह। अयो या, मथरु ा, कां
ची, वारका, गया, शा ल ाम और श ब ाम वो महान
नगर ह जहाँ मो मलता है

गोदावर केदशन वाजपे य य का फल दे ता है


, तम
ु भीमे वर, व सं गम और
कु
श, पणू, नावे
नी, तग

ुभ , भीमा, प पा सरोवर, ह रहर, पं
ढरपरु
, मा ु
लंग और
भीमा-अमरजा केसं गम पर गंगापरु केदशन अव य करना। अमरजा केतट पर
अ वथ व ृ है, उ र म वाराणसी, पवू म पाप वनाशी, पद, च तीथ, केशोदे
व,
43

वनायक,को टतीथ, म मथ तीथ और क ले


वर ह। तम
ु वरद माल भा और
नव ृ सं
गम केदशन भी करना।

जब गु ह का सं ह रा श म वे श होता हैतब सभी न दय का भागीरथी म


संगम होता है
। जब गु का क या राशी म वे श होता हैतो भागीरथी और कृणा
का संगम होता हैउस समय पातालगं गा म नान करकेमि लकाजन ु केदशन
करो। कावे
र सं गम, पयि वनी और भावना शनी न दय म नान वशे ष फलदायक
है
। समु कं दा, शेषा , ी रंगनाथ, प मनाभ, ीमत अनं त, माम ला,
कुभकोनम, क याकु मार , म य तथ, प तीथ, रामे वर, धनषुकोट , को हापरुम
महाल मी , कृणा नद का उ गम थल महाबले वर, बहे, कोले
गां
व म नर सं हदे
व,
भलवाडी म भव ुनेवर , प ुाल , छाया भगवती, वेत ग
ं और क याण केभी
दशन करना।

कहतेह क जब नद म पहल वषा का जल मलता हैतो नद मा सक धम म


होती हैऔर उस समय नद म नान विजत होता है
। सभी भ त ने ी गु को
णाम कया और तीथ या ा के लए चल पड़े

-०-

अ याय - १३

गु का मह व, धौ य ऋ ष वारा श य क पर ा ।

गु का मह व

नामधारक ने न कया '' जब सारेश य तीथ या ा करनेचलेगए तो ी गु


क सेवा कसनेक ?''

स ध बोले'' ी गु का जीवन तो कामधे नुस श है। ी गु वै


जनाथ के नकट
आरो य भवानी म गु त प सेनवास कर रहेथे । म उनकेसाथ था। एक दन
उनकेपास एक ा मण आया और बोला '' भ,ुम यान लगानेक को शश
करता हूँक तुमे रा मन अशां
त रहता है
। आपको दे ख कर बड़ी स नता हो रह
है
, कृपा करकेमझुे ान अिजत करकेमिुत पानेका माग बताइए। मे रेएक गु
थेजो अ त कठोर श द का योग करकेमे रे दय को क ट पहु
चाते
थे और मझुे
अनु चत सेवा करनेको कहतेथे। उ ह नेमझ ुेतक, याकरण, भा य इ या द का
44

कोई ान नह ंदया। वो कहतेथेक मे


रा मन अशां
त है
। इस लए ो धत हो कर
मनेउनका याग कर दया ''।

ी गु बोले'' तम ु मख
ू हो, अपनेगु केसाथ छल करकेतम ुनेखदु को त
पहुं
चाई है
। तम
ु दस ूर के लए अपश द का योग करते हो, तुहे ान क ाि त
कैसेहोगी ? गु पी कामधे नुका याग कर तम
ु मे
रेपास य आयेहो ? गु
सेवा ह वो मा यम हैिजससेवे द , शा का ान होता हैऔर आठ स धयाँ
ा त होती ह ''।

यह सनुकर वह ा मण ी गु केचरण पर म तक रख कर ाथना करने लगा


'' गुदे
व कृ
पया मझ
ुेबताइए क गु कौन होता हैऔर उनक से
वा कस कार
क जाती है?''

ी गु नेउसेइस कार ान दया '' माता, पता, मा, व णुऔर महेवर


गु ह। उनक सेवा बड़ी न ठा और भि त सेक जाती है
। म तुहेएक कहानी
सन
ुाता हू

धौ य ऋ ष वारा श य क पर ा

धौ य ऋ ष वारावती म नवास करतेथे। उनकेतीन श य थे- आ णी, बैद


और उपम य।ुपरु
ानेसमय म गु, ान दे
नेकेपहलेश य क पर ा लेते थे

धौ य नेएक दन आ णी सेकहा '' मे रेखे


त म जाओ और उसमे नहर का पानी
भर दो। आ णी खे त म गया और उसनेदे खा क खेत म धान क फसल थी ।
खे त नहर सेऊपर वाल ज़मीन पर थे। उसनेप थर लगा कर खेत क ओर पानी
मोड़नेका य न कया और खद ु नहर केआर पार ले
ट गया ता क पानी क एक
धारा खे त म वे श कर सके। जब वह शाम तक नह ंलौटा तो गुदेव खे त म
उसको ढू ँ
ढ़तेहु
ए गए । वो आशंकत थेक उसेकसी सां प नेन काटा हो। उ ह ने
उसेजोर सेबल ुाया। उनक आवाज़ सन ु कर वह नहर केपास सेउठ कर आया
और उ ह णाम कया। उसेदे ख कर धौ य ने स न हो कर आशीवाद दया ''
तुहेसार व याएँ ा त ह गी। घर जाकर सख ुपव
ूक गहृ थ जीवन यतीत करो
''।

धौ य नेबै
द सेकहा '' खेत म जाकर फसल को देखो और ठ क समय पर कटाई
करकेउसे घर लाओ। बैद नेगु क आ ानसुार हर रोज़ खे
त म जाकर फसल क
दे
ख रे
ख क और कटाई केसमय उसेके वल एक बैल वाल गाड़ी द गयी। उसने
45

फसल क कटाई करकेउसेगाडी म लाद कर एक तरफ बैल और दसूर तरफ खद ु


जत
ु कर खीचनेक को शश क । बड़ी मिुकल सेवो कुछ दरूतक गाडी को खीं

सका। रा तेम एक जगह बै
ल क चड म फंस गया तो उसने अके
लेगाडी खीची ।
इस यास म उसक गदन म मोच आ गयी और वो अ धक क ट म था। इतने म
गुदे
व वहांआ गए और उसेउस क ट सेमुत करकेआशीवाद दया '' तम ु वेद
शा के ाता बनोगे
''।

तीसरा श य उपम युमोटा और सुत था। धौ य नेउसेपशओ ु ंको जं


गल म
चरानेक आ ा द । उपम युपशओ ु ंको ले
कर जं
गल म जाता क तुभख ू लगते
ह ज द घर आ जाता। यह दे ख कर गुदेव नेउसेसयूा त तक जं गल म रहने
क आ ा द । उपम युनेअब पशओ ु ंको नद के कनारेचरनेके लए छोड़ कर
आस पास के ा मण घर सेभ ा मां ग कर खाना शु कर दया। एक दन
गुदेव नेपछ
ुा '' तम
ु कस कार जी वकोपाजन करते हो ''? जब उसनेबताया तो
गु नेकहा '' तमु अकेलेकस कार भोजन कर सकतेहो ? आगेसेसार भ ा
आ म म दे कर दोबारा जं
गल जाओ ''।

अब उपम युनेअपनी भख ू शांत करनेके लए गाय का दध ू पीना आर भ कर


दया। जब गु को इसका पता चला तो उ ह नेऐसा करनेसेभी मना कर दया।
एक दन उसनेजं गल म ई केपे ड़ सेनकलते एक सफ़े द पदाथ को दे
खा। उसने
उस पेड़ केप सेनकलतेसफ़े द पदाथ को पीनेक को शश क तो उसक कु छ
बँद
ू उसक आँ ख म गर िजससेउपम युअँ धा हो गया। वह डर गया क अब
गुदेव ो धत हो जायगे
, कसी कार पशओ ु ंको एक त करकेवह घर क और
चल पड़ा क तुरा ता न दखनेकेकारण एक कु ए म गर गया। जब शाम तक
वह नह ंलौटा तो गुदे
व उसेढू ँ
ढनेनकल पड़े । जंगल म जाकर उ ह नेजब
आवाज़ द तो उपम यु नेकुए म सेजवाब दया।

धौ य नेअि वनीकु
मार म पढ़कर उसक ि ट वा पस दलाई। उसनेगु को
णाम कया। उ ह नेउसेआशीवाद दया '' घर जाओ और गह ृ थ जीवन
सख
ुपवूक बताओ तुहारा खबू नाम होगा। तुहारा एक श य उ क
ं कान केकं
डल

और शेष को ा त करेगा और राजा ज मजय सेसप का य करवाएगा िजसमे
सभी सप क ब ल देद जायगी ''।

ऋ ष केकथन अनस ुार उ क


ं नेराजा ज मजय सेसप य करवाया िजसमे
असंय सप का नाश हुआ, उसमेदे
वराज इ भी आयेथे।''
46

ी गु बोले'' यह सब गु क कृ
पा सेहु
आ। गु ह तुहेमिुत दलाएं
गे
। उ ह
स न करो ''।

ा मण बोला '' गुदे


व आपनेबलकु ल सह श ा द है। मनेअपनेगु को
ो धत कया हैअब उनक कृ पा कै
से ा त क ? मे
र वाणी सेउनके दय को
क ट पहुं
चा है
। अब बे
हतर तो यह होगा क म अपने ाण याग दँ
ू''।

यह सनुकर ी गु को दया आ गयी। उ ह नेउसेआशीवाद दे


तेहु
ए कहा '' तुहे
म पापमुत करता हू
ँजाओ अपनेगु का यान करो ''।

ा मण ने ी गु को णाम करतेहु ए उनक म हमा का बखान कया '' आप


जगतगु और मुतय केअवतार ह । सय ू केसम अँ धे
रा कस कार ठहर
सकता है?आप हमार र ा क िजये''।

ी गु नेजै सेह अपना हाथ उसकेसर पर रखा, जै


सेपारस के पश सेलोहा
सोनेम बदल जाता हैबलकु ल उसी तरह, ा मण को वे
द शा और म का
ान हो गया ।

वह ा मण अपनेगु केपास चला गया और ी गु भलवाडी केसमीप


भवुनेवर गए और कृणा नद केतट पर एक आद ुबर व ृ केनीचेगु
त प से
नवास कया।

-०-

अ याय - १ ​

ी गु केचम कार ​- मं
दबुध बालक को ान क ाि त, नधन ा मण का
भोज, गर ब ा मण को धन क ाि त ।

मं
दबुध बालक को ान क ाि त

ी गु नेभव
ुनेवर म आद ुबर व ृ केनीचेगुत प सेरहकर चतम
ुास
सं
क प पण
ू कया फर भी उनका सय
ुश चार दशाओं
म फ़ै
ल गया ।

नामधारक बोला '' ी गु गु


त प म य नवास करतेथे? उ ह नेअनु
ठान
य कया ? वेभ ा य मां गते
थे?''

स ध बोले'' भगवन शं
कर और ी गु द ा ये को भ ा य है। ी गु अपने
भ त केक ट दरूकरने के लए सभी तीथ का मण करतेथे
। उनकेपास छोट
47

छोट बात ले
कर बहु
त लोग आनेलगेिजससेउ ह परेशानी होनेलगी थी इस लए
वेकुछ समय तक गु त प सेरहे। क तुिजस कार क तरू का सग ुंध छुपा
नह ं
रह सकता उसी कार ी गु का यश भी छु
प ना सका।

कवीर म एक व वान ्ा मण रहता था। उसका एक मं द बुध पु था। जब वह


सात वष का हु
आ तो उसका उपनयन संकार हु आ क तुमं द बुध होनेके
कारण वह संया और गाय ी म का पाठ नह ंकर पाता था । कु
छ समय बाद
उसकेमाता पता क म ृ युहो गयी और आस पास केसभी ा मण उसका
उपहास करनेलगे'' तम
ुनेअपनेव वान पता क अपक त करायी है , तुहारा
जीवन यथ है ान र हत मनु य का कोई आदर नह ंकरता''। सभी क मती
प थर म सेचं ताम ण ेठ है , जा अपनेराजा का स मान करती हैऔर राजा
भी व वान का आदर करते ह''।

उस बालक ने ा मण सेसध ुार का उपाय पछ


ूा और उ ह ने
उसेभ ा मां
गने क
सलाह द । हतो सा हत होकर एक दन वह ाणां त करनेकेउ देय सेजंगल म
गया। संया को वह भलवाडी पहु ं
चा। वह भव
ुनेवर केदशन करनेगया और
मंदर केबाहर सार रात बैठा रहा। ातः उसनेअपनी िज वा काट कर दे
वी को
अपण कर दया और ाथना क '' अगर आपनेदया नह ंक तो म अपना सर
काट कर आपकेचरण म चढ़ा दं गूा ''।
उस रात दे
वी उसके व न म आकर बोल '' ओ मचार मझु पर ो धत न हो।
कृणा नद केतट पर औद ुबरुव ृ केनीचेएक अवतार पुष बै
ठेह। उनकेपास
जाओ, वह तुहार मनोकामना पण
ू करगे''। व न सेजागकर वह सीधा ी गु
केपास पहुं
चकर उनकेचरण म गरा और उनक तु त क । ी गु स न हु ए
और उसेवरद ह त दान कया। ऐसा करतेह उसे ान क ाि त हो गयी और
वो व वान ्
बन गया''।

कहतेह अगर कोई कौवा मानसरोवर म डु


बक लगाता हैतो वो हं
स बन जाता है
इसी कार जो गु केचरण कमल क आराधना करता हैवो व वान ् बनता है

इस लए गु ह सवशि तमान ह उनक म हमा का गणुगान करना चा हए।
नधन ा मण का भोज

एक गाँ
व म क यप गो का भा कर नामक ा मण रहता था। वह अ यं
त नधन
था। एक बार उसनेगाँ
व म एक धनी यि त को समाराधन ( ा मण को भोज)
48

करतेदे
खा िजसमे ी गु भी पधारेथे
। तब सेउसकेमन म भी समाराधन करने
क इ छा हु
ई क तुवह द र था इस लए उसक इ छा मन म ह रह गयी थी ।

एक बार उसनेसमाराधन करनेका सं


क प ले
कर भ ा सेथोडा आटा और चावल
एक त कया । येदे
ख कर संप न ा मण नेउसका उपहास कया '' जो कु

भी य तम
ुनेएक त कया हैइसका य द एक कण भी ये क ा मण को बांटा
जाए तो भी कम पड़े
गा''।

उसक भि त से स न होकर ी गु नेएक दन भा कर को समाराधन करने


क आ ा द। धापव
ूक वह घी और सि जयांखर द कर लाया, नान करके
उसनेभोजन तै यार कया। सब ा मण नेमन म सोचा क आज उ ह साधारण
भोजन मले गा और वो भी आधापे ट खा कर उठना होगा। ी गु नेभा कर को
सब ा मण को आमंत करनेका आदे श दया क तुउसनेआ ह कया क
बे
हतर होगा य द मठ का कोई श य येकाय करे यो क सारे ा मण उसका
उपहास कर चक ुेह। ी गु ने ाथना वीकार क और भा कर वारा बनाये
भोजन पर ी गु नेव बाँ
ध कर अपनेपा सेतीथ छड़क दया और बोले''
इस कपडे को परू तरह हटायेबना इसम सेभोजन परोसो ''।

सभी ा मण भोजन के लए बै ठे
। हज़ार को भोजन परोसनेकेबाद भी पा म
भोजन बचा था। ा मण नेभोजन कया, उसकेबाद उनक पि नयाँऔर ब चे
भी आये , गं
गापरु केसब नवासी भी सप रवार आयेऔर सबनेभरपे ट भोजन
कया। सब केबाद म भा कर नेभोजन कया उसकेबाद भी भोजन बचा था। ी
गु नेउसे आदेश दया क इस भोजन को नद म बहा दो ता क जलचर क भखू
भी त ृ
त हो जाये।

यह ीगु का अ भत ु चम कार था क तीन लोग का भोजन ४००० लोग ने


खाया था । ी गु नेऐसेअसंय चम कार कयेथे।

गर ब ा मण को धन क ाि त

व ण सं गम को द ण क काशी कहतेह। ी गु नेवहांप च गं गा सं


गम के
नकट १२ वष यतीत कयेथे। येन दयाँशव, भ , भोगावती, कुभी और
सर वती ह। यह काशी और याग केसमान तीथ े हैजहाँक पत स श
आद ुबरुव ृ और अमरेवर का मं
दर ि थत ह। ६४ यो गनीयां
यहाँनवास करती
49

थी। इसकेआस पास ८ तीथ ह - शुल तीथ, पाप वना शनी, क या तीथ, स ध
वरद, याग तीथ, शि त तीथ, अमर तीथ और को ट तीथ।

औद ुबरुव ृ केनीचेनवास करतेहु ए ी गु हर रोज भ ा ले नेअमरपरुजाते


थेजहाँएक व वान ् ा मण रहता था। उसक प नी बड़ी न ठावान ी थी।
उसकेघर केदरवाज़ेकेपास एक से म क बेल थी। िजस दन उनकेघर पर
अनाज नह ंहोता था उस दन वो से म पर नवाह करतेथे । वो ी गु केभ त
थेऔर एक दन उ ह ने ी गु को घर पर भ ा के लए आमंत कया। भ ा
लेकर ी गु नेउ ह सम ृध ा त करने का आशीवाद दया और घर सेनकलते
हु
ए सेम क बेल को तोड़ दया। यह देख कर ा मण क प नी रोने लगी '' हमारे
नवाह का एकमा आधार न ट हो गया है''। यह सन
ुकर ा मण बोला '' ी गु
पर संदे
ह मत करो । हो सकता हैऐसा करनेम भी हमारा कोई हत छु
पा हुआ हो
। डरो मत ी गु हमारेसंर क ह, येभी उनका ह आशीवाद है''।

ा मण नेबेल को साफ़ करनेके लए जै


सेह उसक जड़ को उखाड़ा उसे
धरती
केनीचेएक स क सेभरा हु आ पा मला। उसक प नी को ी गु को कोसने
पर प चा ाप हु
आ ।

दोन तरु

त ी गु केपास गए और उनसे मा मां
ग कर उनका आशीवाद ा त
कया।

ी गु नेउ ह सं
तान, सख
ु और सम ृध ाि त का आशीवाद देकर कहा '' इस
बात को गु
त रखो नह ंतो सारा धन न ट हो जाये
गा ''। -०-

अ याय – १५

औद ुबरुव ृ क महानता, गं
गानज
ु को ी गु केदशन, काशी याग या ा ।

औद ुबरुव ृ क महानता

नामधारक ने न कया - ''अ वथ व ृ क महानता का वणन वे


द म भी कया
गया हैफर उसेछोड़कर ी गु नेऔद ुबरु व ृ को य चनुा था?''
स ध बोले '' ी व णुनेजब नर सं ह अवतार म हर यक यप का वध कया
था तो उ ह नेअपनेनाखन
ू सेरा स को चीरा िजससेनाखनू म वष फ़ैल गया
और उ ह बहु त अ धक ताप का अनभुव हुआ था। उस समय दे वी ल मी ने
नर सं
ह केनाखन ू को औद ुबरु केफल म लगाया था िजससेउ ह शीतलता का
50

अनभुव हु आ और वष उतर गया। इस लए उ ह नेऔद ुबरु व ृ को आशीवाद


दया '' तम
ु पर सदा फल लगगेऔर तुहार पज ूा क पत केसमान होगी।
न संतान ि य को तुहार पज
ूा करनेसेसंतान क ाि त होगी और तुहारे
दशन मा सेवष का भाव समा त हो जायेगा ''।

औद ुबरु व ृ का मह व कलयगु म क पत केस श है । इस लए ी गु ने


इसकेनीचे नवास कया था। मा, व णुऔर महे श इस व ृ केनीचे ी
द ा य
े के प म नवास करतेह। जब ी गु यहाँरहतेथेतो हर रोज दोपहर
को ६४ यो गनीयांउ ह नद केअ दर अपनेमहल म लेजाकर उनक आराधना
करके भोजन करवाती और वा पस उ ह औद ुबरु व ृ केपास छोड़ कर जाती
थी।

गं
गानज
ु को ी गु केदशन

गंगानज
ु एक कसान था । उसकेखे त नद केपास थे। एक दन दोपहर को उसने
दे
खा क ६४ यो गनीयां ी गु को नद केअ दर लेकर जा रह थी। ी गु के
लए नद केबीचो बीच रा ता बन गया था । थोड़ी दे
र बाद वह उसी रा तेसे
बाहर आ गए। अगलेदन गं गानज
ु भी ी गु केपीछेचल दया। उसने देखा क
नद केनीचेएक भ य महल था िजसमेक मती प थर केभवन थे । ी गु को
एक सस ुि जत सं
हासन पर बठा कर उनक आरती क गयी। गं गानज
ु को देख
कर ी गु ने न कया '' तम ु यहाँकै
सेआयेहो ?'' उसनेउ ह णाम कया
और बोला '' भुआपकेदशन के लए म आपकेपीछेयहाँ तक आया हूँ''।

ी गु नेउसेआशीवाद दया '' तुहारेसम त क ट अब दरू ह गेऔर सभी


मनोकामनाएंपण ू ह गी, लेकन तम
ुनेयहाँजो भी देखा उसे कसी को नह ं
बताओगे '' ।गं
गानज
ु जब खे त म वा पस आया तो उसेधरती मेगडी हु
ई नध
मल । उसनेअपनी प नी और ब च समे त ी गु क खबू सेवा क ।

काशी याग या ा

माघ पूणमा के दन गं
गानज
ु ी गु सेबोला " काशी याग म नान पुय फल
दे
ता हैक तु यह मे
रेलए कस कार संभव होगा गुदेव ?''

ी गु बोले'' प च गं
गा म नान याग नान समान फल दे ता है
। जग
ुल
ुह
काशी और को हापरुगया क तरह है
। अगर तम
ु काशी याग केदशन चाहतेहो
तो म कराऊं
गा ''।
51

ी गु शेर क खाल पर बै ठेथेउ ह नेगं गानज


ु को ऑखं बंद करकेउनको
पकड़नेक आ ा द । एक ण म वेदोन याग पहु ँ
च गए। वहा नान करकेवो
दोन दोपहर को काशी गए , काशी व वे वर केदशन करकेवेगया गए और
संया तक औद ुबरुव ृ केनीचेपहु

च गए।

ी गु नेअब औद ुबरु व ृ छोड़नेका न चय कया। ६४ यो गनीयांनेउनसे


आ ह कया '' आप हम छोड़ कर य जा रहेह ? आपकेदशन सेहमारेसब
पाप न ट हो गए और सम त क ट दरूहो गए ह ''।

ी गु मुकु रा कर बोले'' म इस व ृ केनीचेसदै व नवास क ँगा। अमरपरु


मे
रा थान हैजो लोग तुहार , इस औद ुबरु व ृ और पादक ुाओंक पज ूा करगे
उनक सभी इ छाएंपरू ह गी और उ ह चार पुषाथ क ाि त होगी। जो कोई
भी पाप वनाशी, क या और स ध तीथ म नान करके६० दन तक इस
औद ुबरु व ृ और पादक
ुाओं क पज
ूा करे
गा उसेसंतान क ाि त होगी। इस व ृ
केनीचेशुध मन सेकया गया मंो चारण शभ ु फल दे गा। इस व ृ क एक
लाख प र माय करनेसेकुट रोग सेमिुत मले गी''।

इस तरह ी गु नेउस े क महानता का वणन कया। यह ान देकर ी


गु गं
गापरुचलेगए।

-०-

अ याय - १६

ा मणी को सं
तान ाि त और मह य केपाप सेमिुत, ी गु केचम कार
सेमतृ बालक जी वत हु
आ ।

ा मणी को सं
तान ाि त और मह या केपाप सेमिुत

गंगाधर नामक एक ा मण शरोल म रहता था। उसक प नी बहु त ह सशुील


और सम पत थी । उसेकेवल एक ह चं ता थी क वो न संतान थी। उसकेब चे
होतेपर तुज म लेतेह मर जातेथे। उसनेअने क त रखेपर कोई फायदा न
हु
आ। ा मण नेभ व यवाणी क क यह सब पव ू कम का फल है । जो ि याँ
गभपात करवाती ह वो बाँ
झ हो जाती ह, जो लोग गाय या घोड़ेक म ृ युका
कारण बनतेह या दस
ूर का धन हड़प ले तेह वो सब अगलेजनम म न सं तान
होतेह।
52

एक ा मण नेउसेबताया '' तम ुनेएक शौ नक गो के ा मण सेकु छ पये


उधार लए क तुउसे चकुाया नह ं
था । वो बार बार तम
ुसे पये
मां
गता रहा और
आ खर म तं ग आकर उसनेआ मह या कर ल थी। उसक आ मा तुहारेपु को
जी वत नह ंरहनेदेरह है। यह सनुकर उस औरत ने ा मण को कोई हल
सझ
ुानेको कहा ।
ा मण बोला '' उस ा मण का अं तम संकार नह ंहो पाया था । इस लए तमु
कृणा नद केतट पर जाकर पाप वनाशी म नान करो और एक मह नेतक
उपवास रखो, औद ुबरु व ृ क पज
ूा करो, ी गु को अ भषेक करो, क या तीथ
म नान करके कसी शौ नक गो के ा मण को १०० पयेद णा दो और
ा मण केअं तम संकार केकम पण ू करो तब ी गु तुहार र ा करगे ''।

ा मण केकहेअनस ुार उस ी ने ी गु क पजूा क । तीन दन बाद शौ नक


गो का ा मण उस ी के व न म आया और उसेपीटनेलगा। डर कर उस
ी नेऔद ुबरु व ृ केनीचेआकर ी गु क शरण ल । उ ह नेउस ा मण
को कहा '' अगर तमुनेमे र भ त को परेशान कया तो म तुहेदं
ड दं

ूा। जो कु

भी यह ी तुहेदे
ती हैइसेलो और यहाँ सेचलेजाओ''।

उस ा मण ने ी गु को णाम कया और े
त यो न सेमुत करने
क ाथना
क।

ी गु ने ा मण ी को कहा '' तुहारेपास जो भी धन हैउसे


इस ा मण के
नाम पर दान कर दो '' । उ ह नेउस ा मण क आ मा सेकहा '' दस दन के
बाद तम
ु मुत हो जाओगे ''।

उसकेबाद ७ दन और उस ी नेसं
तान ाि त के लए औद ुबरुव ृ क पज
ूा
क । ी गु नेउसके व न म आकर उसेआशीवाद दया '' तुहारेसारेद ुकम
अब न ट हो गए ह । तुहेअब सं
तान क ाि त होगी ''।

ा मण ी मह या केपाप सेमुत हो गयी और ा मण पशाच क यो न से


मुत हो गया ​
था। ी गु ने१० दन बाद ी के व न म आकर उसे२
ना रयल दए और उ यापन करनेको कहा। ा मण द प त नेभि त केसाथ ी
गु क आराधना क ।

थोड़ेसमय बाद उनकेदो पु हु


ए। जब पु थोड़ेबड़ेहु
ए तो उनका उपनयन
संकार हु
आ । छोटेपु का उपनयन संकार संप न हो रहा था क बीच म
53

बालक बीमार हु
आ और उसक म ृ
युहो गयी। यह दे
ख कर ा मण द प त वलाप
करनेलगे।

ा मण ी बोल '' ी गु आप तो दाता ह। मनेआप पर भरोसा कया था फर


मेरेसाथ येसब कै सेहु
आ ? मह या केपाप सेमुत होनेम आपक शरण म
आई थी । मे रेसाथ तो ऐसा हु
आ जैसेकोई गाय कसी शेर सेबचनेकसी यवन
केपास गयी और उसी नेउसक ह या कर द हो ''।

अगल सब ुह गाँ
व केसब लोग उस बालक का अंतम संकार करनेएक त हु ए
क तु ी बालक केशव को दय सेलगा कर बै ठ रह । उसनेशव का अं तम
संकार करनेका वरोध कया और बोल '' मझ
ुेभी इसी केसाथ जला दो ''।

ी गु केचम कार सेमत


ृ बालक जी वत हु

गाँ
व के ा मण नेउसक मख ूता पर उसका उपहास ​कया '' कह ं
माँ भी ब चेके
साथ ाण यागती है? आ मह या करना घोर पाप है । दोपहर हो गयी पर उसने
अंतम संकार न होनेदया। उसी समय वहांपर एक स यासी आये ।

स यासी बोले'' जो भी इस द ु
नया म आता हैएक दन उसे जाना पड़ता है
। तम

यथ वलाप कर रह हो। जल म बल ुबल
ुा कतनी दे र ठहरता है, ऐसा ह हैये
जीवन। येशर र पां च त व सेबना है , जब येत व बखरतेह तो जीवन भी
समा त हो जाता है। इन त व केगण ु साि वक, ताम सक, और राज सक होतेह
। साि वक द या त व, राजस मनु य त व और ताम सक रा स त व होता है।
मनुय इ ह केअनस ुार कम करता हैऔर फल पाता है ।

माया मोह के भाव म मनु य दःु


ख ा त करता है । येसब गत ज म केकृय
केफल है । वयंदेवताओंको भी येसब सहना पड़ता है । जब एक ी गभवती
होती हैतो आर भ म ण ू का कोई आकार नह ं होता, धीरेधीरेवो बढ़ता हैऔर
उसमेजीवन का सं चार होता है
। इससेयह व दत ह हैक एक दन उसेन ट
होना है
। यह शर र पानी केबलुबल
ुेक तरह है , कोई बा यकाल म, तो कोई यौवन
म तो कोई व ृधाव था म म ृ युको ा त होता है। यह सब गत ज म केफल के
आधार पर होता है। मनु य म केवश म माता पता भाई पु प नी आ द बं धन
सेमो हत होता हैऔर इस कार वह उलझता ह जाता है । यह शर र बाहर से
सुदर दखता हैजब क यह हाडमां स, र त, मू और मै ल केअ त र त और कु छ
भी नह ं है

54

मनुय केज म लेतेह उसकेसख ु-दःु


ख तय हो जातेह। म ृ युपर कसी ने
वजय ा त नह ंक । तमुने व न म धन क न ध दे खी क तुयथाथ म
उसका या योजन ? तम ुनेहजार यो नय म ज म लया - पश,ुप ी, क ट,
मनुय उनमेसे कतनी यो नय का ान हैतुहे? अगर गत ज म म तम ु
मनुय थेतो या तम
ु बता सकतेहो क तुहार माँ , प नी, पुी कौन थीं?
अगर तुहेइनक म ृत नह ंतो य वलाप करती हो क यह मे रा पु है? इस
शव को अं
तम संकार के लए ा मण को देदो'' ।

ा मणी बोल '' आपनेजो कु छ कहा म उससेसहमत नह ंहू ँ। अगर इ वर


भा य नह ंबदल सकतेतो कोई उनसे े म य करे? अगर पारस के पश से
लोहा सोनेम प रव तत न हो तो पारस का या मह व रह जाता है? ी नर सं

सर वती मूत केअवतार ह। उ ह नेहमेपु दया, उनका आशीवाद अस य
कैसेहो सकता है? उनकेहोतेहुए मझुपर येवप कै से आ सकती है? इस लए
मने ाण यागनेका न चय कया है''।

यह सनुकर स यासी बोला '' अगर ऐसा हैतो तुहेइस बालक केशव को ले
कर
औद ुबरुव ृ केनीचे ी गु केपास जाना चा हए ''।

ा मणी नेऐसा ह कया। अपनेमत ृ पु केशव को ी गु केपादक ुाओंपर


रख कर वह रोनेलगी। शाम होनेलगी तो ा मण नेअं तम संकार के लए
शव को माँ
गा क तुवह नह ंमानी। सबनेकहा '' जब शव सेदग ु ध आयेगी तो
यह मखू ी वयंह शव को देदे गी ''। यह कह कर सभी अपनेघर को चले
गए। केवल ा मण द प त व ृ केनीचेबै ठेरहे। आधी रात को वेदोन भी थक
कर सो गए।

ा मणी ने व न म एक स यासी को देखा िजसकेशर र पर वभूत के नशान,


गलेम ा क माला, हाथ म शल ू और शर र पर शेर क खाल का व था।
उसनेपछूा '' तम
ु इस कार मझ
ुेदोषी ठहरा कर वलाप य करती हो ? तुहारे
पु को या हु आ है? यह कह कर उसनेमत ृ बालक केशव पर थोड़ी वभूत
लगायी और उसकेमह ं
ु म सां
स फं
क जै
ू सेउसमे ाण डालेह । ऐसा करतेह
बालक केहाथ पै र हलनेलगेऔर वह जी वत हो गया।

यह दे
ख कर पहलेतो ा मणी डर गयी और उसनेसोचा क वह सब केवल व न
हैक तुउसनेदेखा क बालक जी वत था और उसका शर र भी गरम था। बालक
नेखानेको कु
छ माँ
गा। स न हो कर उसनेअपनेप त को उठाया। दोन ने ी
55

गु केपादक
ुाओंको णाम कया और अपनेकठोर श द के लए ी गु से
मा क ाथना क ।

सब
ुह सारे ा मण शव केअं
तम संकार के लए आयेतो बालक को जी वत दे

कर है
रान हो गये। ी गु का चम कार देख कर सबनेउनक म हमा का
गण
ुगान कया।
-०-

अ याय – १७

ी गु केचम कार सेबाँ


झ गाय दध
ू दे
नेलगी, गं
गापरुम मठ क थापना ।

ी गु केचम कार सेबाँ


झ गाय दध
ू दे
नेलगी

ी गु सं
गम केसमीप रहतेथेऔर भ ा मां गनेगं
गापरु जातेथे
। गं
गापरु म
१०० ा मण प रवार रहतेथे
। उनमेसेएक नधन ा मण प रवार था िजनके
पास एक बढ
ू भस थी जो दध
ू नह ंदे
ती थी पर तुउसका उपयोग वो सामान ढोने
के लए करतेथे
। उससेजो धन उ ह ा त होता उसी पर उनका नवाह होता था।

एक दन ी गु दोपहर को उनकेघर भ ा मां गनेगए। अ य ा मण प रवार


है
रान रह गए क उनकेघर का वा द ट भोजन छोड़कर ी गु उस गर ब
ा मण केघर य गए क तु ी गु का अनुह नराला था वह अमीर गर ब म
कोई भे
दभाव नह ंकरतेथे
। ी कृण नेदय
ुधन केमहल म न जा कर वदरुके
घर गए और उनका स कार वीकार कया था। इसी कार ी गु को भी साि वक
लोग य थे । ी गु केआशीवाद सेदभ
ुा य भी सौभा य म प रव तत हो जाता
है

बै
साख का मास था और सय ू क गम सेधरती तप रह थी । जब ी गु
ा मण केघर पहु ं
चेतो वह घर पर नह ंथा। उसक प नी नेउ ह णाम करके
आदरपव ूक बठाया और बोल '' मे
रेप त शी ह अनाज लेकर घर आतेह गेआप
थोड़ी दे
र ती ा क िजये
''।

ी गु बोले'' वो भस जो हैतुहारेघर म , मझ
ुेउसका दध
ू य नह ंपलाती
तम
ु ?''
ा मणी ने ी गु को बताया क यह भस दध
ू नह ं
देती ।
56

ी गु बोले'' तम
ु झठ
ू बोलती हो जाओ जाकर उसका दध
ू दह
ु कर मझ
ुे
पलाओ''।

ी गु क आ ा का पालन करती हु ई वह ी दध
ू नकालनेलगी तो भस के
तन सेदध ू क धारा फूट पड़ी। यह दे
ख कर वह त ध रह गयी । वह समझ
गयी क येकोई मामल ू स यासी नह ंबि क सा ात ्इ वर ह । उसनेदध

उबालकर आदर स हत ी गु को दया। ी गु ने स न होकर उसेसम ृध
ाि त का आशीवाद दया और संगम को लौट गए।

ा मण जब लौटा तो प नी नेउसेसारा व ृा त सन
ुाया। दोन द प त सं
गम पर
ी गु केपास गए और उनक पज ूा क । ी गु का आशीवाद ा त करनेके
बाद उनको एक पु और पुी हु ए और उ ह बहु त सारेधन क ाि त भी हुई।
उ ह नेउसकेबाद सख
ुपवूक जीवन यतीत कया।
गं
गापरुम मठ क थापना

अगलेदन कु छ लोग भस को सामान ढोनेके लए लेजानेआयेतो ा मण ने


उसेदेनेसेमना कर दया ।उसने उ ह बताया क भस अब दध
ू दे
ती हैऔर हमारे
लए अब येकामधे नुहै
। यह सन ुकर सब हैरान थे
। येबात गाँ
व केमुय
अ धकार केकान तक भी पहु ं
ची। वो ा मण केघर गया और उस चम कार के
बारेम पछ
ूा। ा मण नेअ धकार को परू कहानी सन
ुाई।
यह सनुकर ामा धप त क धा जाग उठ और वह अपने प रवार स हत ी गु
केदशन के लए सं गम गया। उसने ी गु को णाम करकेउनक तु त क ।
ी गु नेउससेउसकेआनेका कारण पछ ूा । उसनेहाथ जोड़ कर ाथना क ''
गुदे
व, इस कार जंगल म रहनेसेअ छा होगा क आप नगर केअ दर मठ म
रह और हम सभी अ ा नय को अ या म का ान द। म आपके लए मठ
बनवाऊंगा ''।

ी गु नेसोचा क अब लोग केसामने कट होनेका समय आ गया हैऔर


उ ह ने ामा धप त का ताव वीकार कर लया। वह ी गु को पालक म
बठा कर वा य यंो केसाथ नगर म लाया जहांलोग ने ी गु का स कार
कया और उनक आराधना क । सब लोग ने ी गु केनाम क गजना क ।

ी गु नगर केद ण वार पर पहु ं


चे
। वहांपर पीपल केपे
ड़ म एक आ मक
पशाच रहता था। वो गत ज म म बहु
त नदयी था। उसनेपेड़ केआस पास के
57

सभी घर न ट कर दए थेपर जै सेह उसने ी गु को दे खा वै


सेह वो उनके
पास दौड़ केगया और उनकेचरण को णाम करकेमिुत क ाथना करने
लगा। ी गु नेकहा '' सं गम पर जाओ, उसमे नान करतेह तुहारेपाप कम
न ट हो जायगेऔर तम ु मुत हो जाओगे''। पशाच नेजै सेह संगम म नान
कया, वह पाप मुत हो कर मनु य के प म आ गया । िजसनेभी इस घटना
को सनुा वो बोला '' हेगु, आप सामा य मनु य नह ं, द ा य
े केअवतार ह। हे
ी गु दे
व द ''।

अपनेवचन केअनसुार ामा धप त ने ी गु के लए मठ क थापना क जहां


पर हर रोज़ उनक पज
ूा होती थी। ी गु क क त चार ओर फ़ैल गयी और
गं
गापरुएक पुय े म प रव तत हो गया।

-०-

अ याय ­ ​
१८ 
ी ​
गु ​
का ​
वराट ​प, ध ृ
ट ​ा मण  ​
का ​
अहं
कार, वे
द  ​
का ​
व ले
षण । 
ी ​
गु ​
का ​
वराट ​प
गं
गापरु केसमीप कुमसी गाँव म तीन वे
द का ाता व म भारती रहता था।
वो नरहर का भ त था। ी गु केबारेम सन ुकर उसनेउनक आलोचना करते
हु
ए कहा '' एक स यासी को इस कार का राजसी जीवन शोभा नह ं
देता है''।

एक दन ी गु ने ामा धप त को कु मसी जाने क तैयार करनेको कहा। हाथी,


घोड़े
, बजंी और बहु
त सारेलोग को बल
ुाया गया। ी गु को पालक म बठा कर
एक भ य जल ुस
ू कुमसी क ओर बढ़ा।

उस दन जब व म नरहर के यान म बै
ठा तो उसेकुछ नह ंदखाई दया ।
उसनेबहुत सारेलोग को नरहर के प म हाथ म ला ठयांलेकर आते दे
खा। यह
दे
ख कर वह अचं भत रह गया और जलुस
ू केआगेधरती पर ले ट कर ाथना
करनेलगा '' आप ह मूत और जगतगु ह। अ ानतावश म आपको पहचान
नह ंपाया था । दया करकेमझुेअपनेदशन कराइयेसव यापी वामी नर सं ह
सर वती। म यहाँहर स यासी को एक ह प म दे ख रहा हू

। इनमेसेआपको
पहचान नह ंपा रहा हू
ँ फर आपको कस कार नम कार क ँ? मने अनेक पाप
कम कयेह पर हर रोज़ आपक मानसपज ूा करता हू
ँलगता हैआज उसी का फल
58

मला हैमझ
ु।े आप आज मझुेपापमुत करनेमे
रेसम वयं कट हु
ए ह
इस लए कृ
पया मझ
ुेअपनेदशन द िजये भु
''।

ी गु ने व म को अपनेअसल व प म दशन दए और बोले'' तम


ुनेमे

आलोचना क थी और कहा क म ढ गी हू
ँअब मझ
ुेदे
ख कर बताओ क ढ गी
कौन है?''

व म बोला '' भुमे र अ ानता को न ट करकेमझ


ुे मा क िजये
। म अ ान
केसमुदर म डू ब रहा हू
ँमझ
ुे ान क नैया म अपनेसाथ लेच लए। ी कृण
नेअजनु को वराट प दखाया था इसी तरह आज आपने मझ
ु पर कृपा क है।
हे ी गु, आपक महानता का वणन करनेम हम मख ू मानव असमथ ह ''।
ी गु बोले'' तुहेपरमाथ का ान हु
आ हैअब तम
ु जीवन म ृ
युकेच से
मुत हो जाओगे '' ।

व म को इस कार आशीवाद दे
कर ी गु गं
गापरुलौट गए।

धृ
ट ा मण का अहं
कार

वदरु म एक नदयी यवन राजा था। वह अपनेमहल म ा मण का समागम


बल
ुाकर वेद केअथ पछ ूता था और यथ म उनकेसाथ तक वतक करता था ।
वह कहता था क अगर ह द ू य म पशओुं
क ब ल देसकतेह तो वे
यवन को
पशओुं क ह या का दोषी य मानते ह ?

एक दन उसकेपास तीन वे द के ाता दो ा मण आयेऔर बोले'' आपकेनगर


म अगर कोइ ानी ा मण हो तो उसेहमारेसाथ वाद ववाद के लए आमंत
क िजये
। '' उनसे
वाद ववाद के लए कोई ा मण आगेनह ंआया तो उ ह ने
देश
केसभी भाग म जाकर अपने ान का लोहा मनवानेका न चय कया।

एक दन वो कु मसी पहु

चेऔर उ ह ने व म को चन
ुौती द । जब उसने
चनुौती
वीकार नह ं
क तो ा मण उससेव वता का माणप मां गनेलगे

व म ने फर एक बार वाद ववाद के लए उ ह श टतापव ूक इनकार कर


दया और बोला '' अगर आप इतने
ह इ छु
क ह तो गं
गापरुम मे
रेगुदे
व रहते

। च लए उनकेपास चलते ह''।
59

व म उन ा मण केसाथ गंगापरुआया और सबने ी गु को णाम कया।


उसनेउ ह ा मण केआनेका उ देय बताया।

ी गु ने ा मण सेपछ ुा '' तम
ु स यासी हो तुहेवजय और पराजय से या
योजन ? तम ु यथ केवाद ववाद म य पड़ना चाहतेहो ? इससेतुहे या
ा त होगा ?''

ा मण नेकहा '' हमनेपरू


ेदे
श का मण कया हैऔर हर थान सेवजय के
माणप ा त कयेह । इस लए आप और व म कृपया हमारेसाथ वाद
ववाद कर ''।

ी गु बोले'' अहं
कार पतन का कारण होता है
। बाल क या ग त हुई थी ?
बाणासरुने या पा लया था? रावण और कौरव का भी वनाश हुआ था । वयं
म को भी सारेवे
द का ान नह ं है
। इस लए तमु भी अ छ तरह वचार करके
इस उ देय को याग दो ''।

फर भी अहं
कार ा मण अपनी िजद पर अड़े
रहे

वे
द का व ले
षण

ी गु बोले'' ऋ षय को भी वे
द का ान अिजत करनेके लए क ठनाइय का
सामना करना पड़ा था। कलयग
ु म मनु य क आयुइतनी छोट हैक उसमे
वेद
का स पण
ू ान ा त करना असं भव है
''।

भर वाज ऋ ष ने मदे व सेवे


द का ान देनेका आ ह कया था । मदे
व ने
उ ह पहाड़ स श वे
द केतीन ढेर दखाए। यह देख कर भर वाज है
रान रह गए
और उ ह ने मदेव सेउनमेसेथोड़ेसेवेद को देनेक ाथना क । मदे
व ने
उ ह तीन मुठय भर वे द दए और भार वाज मुन इनका अ यन भी परू तरह
नह ंकर सकेथे।तीनो वे
द केम को अलग करकेचौथा वेद बना िजसे अथव
वे
द कहते ह।

यास ऋ ष, जो भगवान ्व णुकेअवतार थे , नेचार वेद का ान अपनेचार


श य को दया था । उ ह नेऋ वेद का ान '' प यल '' को दया था । ऋ वे

ऊंचा था, ल बी गदन, तेज़ नज़र और सय ू क तरह चमक ला था। उसका गो
अ और गु मा थे । उसका छं
द गाय ी और उपवे
द आयव ुद था । ऋ वे
द के५
भाग थेिजनमे६ ा मण और अर य थे ।
60

यास नेदस
ुरेश य ' वैश पायन ' को यजव
ुद क श ा द थी । इसम य क
या क व ततृ जानकार थी। उसका गो भार वाज था और वह दबुला पतला
था। उसका छंद टु
प और गु महा व णुथे । वह भी सय
ू समान उ जवल था,
उसका उपवेद धनव
ुद था और भाग ८६ थे।
यास नेतीसरा वे
द '' जै
मनी ''को सन ुाया था । इसम सं
गीत का ान था। वह
ल बा,शां
त और नयंत था। उसकेह ठ लाल और हाथ म एक डं डा था। उसका
गो क यप, गु और छंद '' जाती '' था। उसका उपवे
द ग धव था।

यास नेअथव वे
द का ान '' सम
ु तु'' को दया था। उसकेगु दे
वे
श, गो
बै
जन, छं
द वछ द और उपवे
द अ शा थे
। इसके९ भाग और ५ क प ह''।

ी गु बोले'' इन वे
द का स पण
ू ान कसी को भी नह ंहो सकता। इनके
कसी एक भाग का ान लेकर तमु कस कार वयंको ानी कहते हो ?

वे
द के ाता होनेकेकारण ा मण का आदर होता हैयहाँतक क राजा भी
उ ह स मान देतेथे। उ ह '' भस
ूरु केदे
वता '' मानतेथे
। ा मण केवश म
तीन दे
वता थेयहाँतक क इंा और अ य दे वता भी उनक म शि त सेडरते
थे
। ी व णु भी उनका आदर करते थे।

क तुकलयग
ु म ा मण नेअपने संकार याग दए। वैदक पथ छोड़ने
केबाद
उनक शि त ीण हो गयी। वो न न वग क से वा और वे
द का यापार करने
लगे। वे
द केबहु
त भाग ह क तु
उनमेसेबहुत भाग लुत हो गए।

तम
ु कहतेहो तुहेवेद का ान है
, उनमेसेकसी भी एक वेद का अं
त तुहे
व दत है? इस लए यथ केवाद ववाद म मत पड़ो। यहाँसेजाओ और अपने
जीवन को अहं
कार से सत कर केन ट मत करो''।

दोन ध ृट ा मण अपनी िजद पर अड़ेरहे'' हमारेसाथ चचा क िजयेया हम


व वता के माणप द िजये''।

उनक बात से ी गु ो धत हो गए और बोले'' ठ क हैिजस कार चह


ूा साँ

क टोकर को कुतरता हैऔर पतं
गा वाला सेलपटता हैउसी कार तम ु भी
अपनेसवनाश को आमंत कर रहेहो ''।
61

-०-

अ याय – ​
१९ 

ह रजन बना व वान ्ा मण, कम पर या यान, वभू


त क म हमा ।

ह रजन बना व वान ्ा मण

ी गु नेइतनेम सामनेसेएक आदमी को जाते दे


खा। उ ह ने
अपनेश य को
भेजकर उसेबल
ुवाया। वह ह रजन था, उसने ी गु को णाम करकेमिुत क
ाथना क ।

ी गु नेश य को ७ रे खाएं खीचनेक आ ा द । उ ह ने ह रजन को पहल रे


खा
लांघनेको कहा। उसनेजब रे खा लां
घी तो ी गु नेपछ ुा तमु कौन हो ? उसने
कहा म करात हू ँ। दस
ूर रेखा लांघनेकेबाद उसेथोडा और ान हु आ। तीसर
रे
खा लां
घनेकेबाद वो बोला क म गं गासत
ु हू

, चौथी केबाद बोला म शु हूँ
,
पां
चवी रे
खा लां
घनेकेबाद वो बोला म सोमद वै य हूँ
, छठ केबाद बोला म
य हू
ँमे
रा नाम गोदावर है। सातवी और अं तम रेखा पार करनेकेबाद वह
बोला म ा मण हू ँ, मझ
ुेवेद, शा और याकरण का ान हैऔर म अ यापक
हू

ी गु बोले'' येदो ा मण वेद पर चचा करना चाहतेह तम


ु इनकेसाथ चचा
कर सकतेहो। यह कहकर उ ह नेथोड़ी सी वभू त ा मण केशर र पर लगायी
िजससेवह और ते जवान लगा।

येचम कार दे ख कर ा मण क घ गी बं
ध गयी और वो भय सेकां
पने
लगे। वे
ी गु केचरण पर पड कर मा क ाथना करने लगे'' हम मा करकेमिुत
द िजये
। आप मूत केअवतार और इस जगत केगु ह, आपक म हमा
अपर पार है
''।

ी गु बोले'' तम
ुने व म को पी ड़त कया और भी अनेक पाप कम कयेह
इस लए तमु दोन मरा स बनकर अपनेपाप का दं
ड भग
ुतोगे''।
उन दोन नेफर ाथना क '' हमेइस भवसागर सेकस कार मिुत मले
गी
?''
62

ी गु बोले'' तम
ु १२ वष तक म रा स रहोगे फर एक दन तुहे
शुनारायण नामक एक ा मण मलेगा जो तुहेइस यो न सेमुत करे
गा। अब
तम
ु नद क ओर जाओ ''।
ह रजन ा मण ी गु सेबोला '' म ा मण था फर मे
रा पतन य हु
आ ?
मनेकौन सेपाप कयेथे? कृ
पया मझुे
बताएं''।

कम पर या यान

ी गु बोले'' म तुहेतुहारेगत ज म केबारेम बताता हू ँ


। मनु य अपने
कम केअनस ुार जीवन ा त करता है । अगर शू कसी ा मण ी केसाथ
अवां छत स ब ध रखता हैतो वो चं डाल बनता है
। ा मण और अ य जाती के
जो लोग शुध आचरण नह ंकरतेउनका पतन होना नि चत है । जो अपने माता
पता प नी या गु का प र याग करता हैवो भी चं डाल बनता है। जो अपने
कुलदेवता का तर कार करकेअ य दे वताओंक पज ूा करता है
, झठू बोलता है ,
पशओ ु ंक ह या करता है, पुी या घोड़ को बे
चता है, वन को आग लगता है,
बछड़े को गाय सेअलग करता हैया बै ल क सवार करता हैवो चं डाल बनता है।

अगर कोई ा मण तीथ े म जाकर भी नान नह ं करता और ६ कम को नह


करता, प नी केजी वत रहतेकसी अ य ी सेववाह करता है, जो वधवा
ीय केसाथ स ब ध रखता हैवह पतन क ओर अ सर होता है । इसी कार
जो कुओंऔर जल ोत को तोड़ता है , ा मण प रवार म कलह उ प न करता
है
, गु या म क प नी केसाथ अनु चत स ब ध रखता है, संया केसमय
भोजन करता है, युध केमै दान सेअपनेगु को अके ला छोड़कर भाग जाता
है
, ा ध संकार नह ंकरता, अपनेगण ु का बखान करता हैऔर रोग क
जानकार लए बना औष ध दे ता हैवो हर को क ट पहु

चाता और अपनेअगले
ज म म चंडाल केप रवार म ज म लेता है

जो कोई गाय केदध


ू म पानी मलाता हैकुे
क यो न को ा त होता है
। जो वे

क आलोचना करता हैया ा मण का नरादर करता हैवो मूाशय म प थर क
सम या सेक ट पाता है। जो कोई म हलाओंकेगभपात का दोषी होता हैवो
नपसं
ुक बनता हैया न संतान रहता है

जो सोनेक चोर करता हैउसेउपदंश होता है


, जो पुतक चरु
ाता हैवो ि टह न
बनता है
, जो म केघर चोर करता हैउसेगदन क ं थय म बीमार होती है
,
जो भोजन चरुाता हैवो रसोल से त होता है
, जो दस
ूरेक प नी को भगा कर
63

लेजाता हैवो मरा स बनता है। जो भगवान ्


को अ पत राशी या गाय केदध

को चरु
ाता हैवो कुठ रोग सेपी ड़त होता है

या भचार केफल का ववरण महाभारत केशां तपव म दया गया है। जो दस


ूरे
क प नी का आ लं गन करता हैवो १०० ज म के लए कुा और एक ज म म
सप बनता है। जो दस
ूरेक प नी केगु त अं
ग को दे
खता हैवो ि टह न बनता
है
, जो म क प नी या मामी/मौसी केसाथ स भोग करता हैवो कुा बनता
है
।''

व म नेपछुा '' अगर कसी नेयेपाप कम कयेभी ह तो उ ह इनसे


मिुत
कै
सेमलेगी ?''

ी गु बोले'' अगर दयपव ूक ायि चत कया जायेतो पाप सेमिुत मलती


है
। कम वपक म ायि चत केबारेम बताया गया है । मदं
ड म - ा मण
को गहन सेलद गाय को दान दो, अगर येसं भव नह ंहो तो धन देसकतेहो।
अगर पाप यादा बड़ा न हो तो सोनेक अशफ सेकाम चल सकता है । अगर
प त प नी नेमलकर कोई पाप कया हो तो दोन को ायि चत करना चा हए या
१०००० गाय ी जाप करके१२ ा मण को भोज दे ना चा हए। गाय ी ,
जाप त सेछोटेपाप कम सेमिुत मलती है। इसम दन म के वल एक
समय भोजन या मधक ुर ( ा मण सेल गयी भ ा ) और ३ दन का उपवास
रखना होता है

अत म भोजन के१५ कौर ातः और १२ कौर रा म लया जाता हैनह ं


तो मधकुर भोजन के८ कौर सबुह और रा म ले
तेह। ३ दन घी और ३ दन
दधू लो, ३ दन केवल वायुसे
वन पर और ३ दन केवल दध
ू पर और अगले२१
दन केवल दध
ू पर नवाह करो। दब
ुल यि त तल, गरुऔर लाह लेसकते ह।

पण म कु
छ व ृ केप को पानी म डालकर लया जाता है । अपनेपाप
को सब लोग केसामने वीकार करना पड़ता है । तीथ म तीथ थान म
नान करकेगाय ी म का १२०० जाप कया जाता है
। इससेमनुय हर कार
केपाप सेमुत होता है
। से
तबुध
ं म नान सेगभपात केपाप सेमिुत मलती
है
, गाय ी म केएक करोड़ जाप से मह या केपाप सेभी मिुत मलती है।

वे
द म सेप मं
सुत, इं म , शनुः शे
प, अपमा य, त व नोह, पुषसूत के
दै
नक पाठ सेसारेपाप सेमिुत मलती है। ायि चत केबाद प च ग य -
64

गाय का दध
ू, घी, दह , गोबर और गौ मू केसे
वन सेअ ानवश कयेगए पाप
सेभी मिुत मलती है ।

मह या, म यपान, गु क प नी सेस भोग, सोनेक चोर या इन सभी पाप


म कसी का सहयोग दे ना घोर पाप ह जो ी गु क अनक
ु पा सेह न ट हो
सकते ह''।

ी गु नेह रजन सेकहा '' तमु गत ज म म ा मण थेक तुतम ुनेमाता


पता को क ट पहु

चाया था इस लए चं
डाल बने
। तम
ु सं
गम म एक माह तक रोज़
नान करो पाप मुत हो जाओगे''।

वह बोला '' मानसरोवर म नान करकेकौवा भी हं


स बन जाता हैइसी कार
आपकेदशन पाकर म भी प व हो गया हू ँ
। पारस के पश सेलोहा सोनेम
प रव तत होकर या फर वा पस लोहा बन सकता है? इस लए अब मझ ुे
ा मण म ह सि म लत कर ल िजये''।

ी गु मुकुरा कर बोले'' तम
ु न न कुल म ज मेहो फर ा मण कै सेबन
सकतेहो ? व वा म य थे क तुअपनी तप या केबलसे म ऋ ष
कहलाये। इं तथा अ य दे वताओंनेकहा क अगर हमारेगु व श ट आपको
मऋ ष मानगेतो हमेकोई आप नह ंहोगी। व श ट नह ंमानेऔर ो धत
होकर व वा म नेगु व श ट के१०० पु का वध कर दया। बाद म उ ह
अपनेकयेपर पछतावा हु आ और उ ह नेफर सेतप या क िजसे मेनका नेभं

कया। उ ह नेतीसर बार यास कया और तब मऋ ष कहलाये। इसी कार
तम
ु भी अगलेजनम म ा मण कु ल म ज म लोगे । तब तक तुहार ताम सक
व ृ ी गु क से वा करनेसेऔर उनकेआशीवाद सेन ट हो जाएगी।

सं
गम म नान करतेह ह रजन सब कु
छ भल
ू गया और अपनी परु
ानी अव था
म वा पस आ गया।

वभू
त क म हमा

व म नेपछ
ुा '' गुदे
व वह चं
डाल सं
गम म नान करनेकेप चात सब कु

कै
सेभल
ू गया ?
65

ी गु बोले'' जब मनेउसेवभू त लगाई तो उसने ान पाया । नद म नान


करतेह वभू त धल
ु गयी और उसका ान भी लु त हो गया। इस वभूत को
धारण करतेह मनु य प व होकर ान ा त करता है
''।

वह एक कहानी सन
ुानेलगे-
''कृ
त यग
ु म वामदेव नामक एक महायोगी रहतेथे
। वह हर रोज़ वभू त धारण
करतेथे। एक दन वे ौ चारा य नामक जंगल म घम
ू रहेथे तो एक मरा स
नेउन पर आ मण कया। जै सेह उसनेवामदेव को दबोचा उनकेशर र क कुछ
वभू
त उसकेशर र पर लग गयी।

लो फर या था , मरा स केसारेपाप मट गए और उसे ान ा त हो गया


। उसनेवामदेव को नम कार कया और मिुत क ाथना करनेलगा। उ ह ने
रा स सेउसका प रचय पछ
ूा तो वो बोला '' मझ
ुेमे
रेगत २५ जनम याद आ गए
ह। म एक नदयी राजा था मे
रा नाम दजुय था। मनेसभी को पी ड़त कया था
इस लए नरक म गया और १०० वष के लए े त बन गया। फर मैकुा, सयार
और अ य जानवर क यो नय म रहा। अं त म मरा स बना। इतनेजानवर
का शकार करकेभी मेर भख
ू यास नह ंमटती क तुआपके पश सेमे रेसभी
पाप मट गए ह । हेगुदेव मझ
ुेमिुत द िजये। कृ पया मझ
ुेबताएंक आपके
शर र केभ म के पश सेमझुेकस कार ान क ाि त हु ई ?''

वामदे
व बोले'' वभू
त क अपार शि त है
। उ ह नेभ म को हाथ म ले
कर शव
म पढ़ा और रा स को देदया''।

रा स बोला '' हेजगतगु, गत ज म म मने कुछ अ छेकम भी कये ह गे


िजस
कारण आज आपकेदशन हु ए ह । राजा होते
हुए मनेजल ोत का नमाण कया,
ा मण को भू म और गाय दान म दए इस लए आज मझ ुेयेसौभा य ा त
हु
आ है'' । येकहकर उसनेअपनेशर र पर वभू त लगाई। ऐसा करतेह उसे
द य शर र क ाि त हुई।

वामदे
व मू त केअवतार थे
। जगतगु के प म वेलोग केउ धार हे
तुप ृवी
पर जगह जगह घम
ुतेथे। इस कार उ ह नेएक मरा स को मो दया।

येभ म क म हमा का वणन था। म भी गु केआशीवाद के बना शि तह न


होता है
। गु क कृपा के बना मिुत का कोई रा ता नह ं
है। गु ह सं
र क और
मिुतदाता ह। ''
66

-०-

अ याय - २०

ा मण वधवा का मत
ृ प त जी वत हु

गं
गापरु म रहतेहु
ए ी गु क क त दे
श केकोनेकोनेम फ़ै
ल गयी। अने

भ त का उ धार कया था उ ह ने

गोपीनाथ नामक एक धनवान ा मण माहु


र म रहता था। उनका द नामक एक
पु था, ५ वष क आयुम उसका उपनयन संकार और १२ वष क आयुम
ववाह स प न हु
आ। द क प नी सा व ी, बहु
त ह सुदर और कत यपरायण
ी थी।

ववाह केथोड़ेदन केबाद दभ ुा य सेद को य रोग हु आ और कसी भी


औष ध सेउसका रोग ठ क नह ं हु
आ। उसक प नी नेउसक खब ू से
वा क क तु
कोई फायदा न हुआ। उसनेभोजन याग दया। इस कारणवश सा व ी नेभी
भोजन याग दया। ३ वष वो उसी अव था म रहा , उसकेशर र सेभी दग ुध
आनेलगी थी । कोई च क सक भी उसकेपास जानेको तै यार न हुआ पर तु
उसक प नी उसक से वा करती रह । उसने
मूयवान व याग कर एक साधारण
जीवन शैल अपना ल थी। प त िजतना भोजन ले ता वह भी उतना ह हण
करती। द का प रवार धनवान था क तुपु और पु वधुको इस कार क ट
सहतेदेख कर वेभी दख ुी हु
ए। उ ह नेपु केजीवन के लए, जप तप, य ,
ा मण भोज , दान पुय सब कया पर तु सब न फल रहे।

एक दन पुवधूनेअपनेसास ससरुसे ाथना क '' हम कसी अ छे थान पर


जाकर रहनेक आ ा द िजयेता क वहांपर मे रेप त वा य लाभ ा त कर
सक। ी गु नर संह सर वती गं
गापरु म नवास करतेह उनक कृपा सेअने क
भ त केदःु
ख दरूहु
ए ह । इस लए हमेभी उनकेपास जानेक आ ा द िजये
''।

उ ह गंगापरु जानेक अनमु त मल गयी। प त प नी गं गापरु क और चल पड़े


क तुदभुा यवश रा तेम यवुक क म ृयुहो गयी। सा व ी धरती पर सर पटक
कर रोनेलगी। लोग नेउसे सांवना द लेकन वो रोती रह '' मनेअपनेप त को
उसकेमाता पता सेअलग कया। इनक म ृ युका कारण म हू ँ। मझ
ुसेघोर
अपराध हुआ है । अब म उनको या मखु दखाउंगी ? वह इस कार वलाप करने
67

लगी। आ खर म उसनेप त क चता केसाथ जलकर सती बननेका न चय


कया।

तभी एक द य व प वालेस यासी वहांपर आये , उनकेशर र पर भ म और


गलेम ा क माला थी। उसके वलाप का कारण जान कर वह बोले'' तुहे
इस यवुक क म ृ युपर वलाप करनेक आव यकता नह ंहै य क हर कोई
अपनेगत ज म केपाप का फल भोगता है । जो भी इस द ुनया म आता हैएक
दन वो चला भी जाता है
। जब गंगा नद म बाढ़ आती हैतो िजस कार इधर
उधर सेलकड़ी केल ठेएक थान पर इक ठेहोतेह फर अलग हो जाते ह वै
से
ह हम मनु य ह। िजस तरह अलग अलग प ी दन म कसी व ृ क छाओंम
बैठ कर संया को उड़ जातेह वै
सा ह यह गह ृ थ जीवन है। माया मोह केवश म
मत होकर हम प त प नी पु पुी माँपता आ द बं धन म उलझतेह। धरती
पर जीवन पानी का केवल एक बलुबलुा है। जीवन क सीमा छोट हैऔर जीवन
केवल एक व न मा हैइस लए वलाप मत करो ''।

स यासी बोले'' जो भी व ध नेलखा था वो हु


आ । क तुतम
ु अपने बीमार प त
को लेकर ी गु सेमलनेइतनी दरूसेआई हो इस लए एक बार जाकर उनके
दशन कर लो यो क ी गु तो काल को भी वश म कर सकतेह '' । उ ह ने
उसकेमाथेपर भ म लगा कर ४ ा केमनके दए और बोले'' २ ा तम ु
अपनेगलेम बां धो और २ अपनेमत ृ प त केकान म बांधो। ी गु का
ा भषे
क करकेवो तीथ अपनेऔर प त केऊपर छडको और तब सती होना ''
येकहकर स यासी चलेगए।

सा व ी नेसती क तै यार क । उसनेसभी ा मण बलुाये


, नान करकेरेशमी
साड़ी पहन कर ह द कु मकुम गहन सेउसनेसगं
ृार कया।सब लोग उसकेमतृ
प त केशर र को नद केपास लेजा रहेथेऔर वो अि न पा लए सबसे आगे
चल रह थी। उस ण म वह बलकु ल ल मी लग रह थी और सभी लोग उसके
साहस को दे
ख कर हैरान थे

उसनेमन म ी गु से ाथना क '' हे मू त आपक क त दरूदरूतक फैल है


और आपकेपास अने क स धयाँह। अगर कोई कसी राजा केपास याय के
लए ाथना करता हैतो उसे याय मलता है । अगर कोई कसी च क सक के
पास रोग नवारण हे
तुजाता हैतो उसेसहायता मलती है
। म २० गाँ
व को पार
68

करकेअपनेप त को लेकर आपकेपास आ रह थी फर मे


रेप त क म ृ
युआधे
र ते
म कै
सेहो गयी ? इस न का उ र ले
नेम आपकेपास आ रह हू
ँ''।

उसनेएक अ व थ व ृ केनीचे ी गु को दे खा और उ ह नम कार कया। ी


गु नेउसेसदा सौभा यवती रहनेका आशीवाद दया। उसनेउ ह दोबारा णाम
कया तो ी गु नेउसे ८ पु क ाि त का आशीवाद दया। ा मण ने ी गु
को बताया क इस ी केप त क म ृयुहो चक
ु हैऔर येसती होनेसेपहले
आपकेदशनाथ आई है ।

ी गु मुकुरायेऔर बोलेइसकेमत
ृ प त को मेरेसामनेलाओ। ी गु नेतीथ
शव केऊपर छड़क कर अपनी ते जोमय ि ट े मपवूक उस मत ृ यवुक पर डाल
और वो यव
ुक उठ कर बैठ गया जै
सेकसी न ा सेजागत ृ हु
आ हो। उसने अपनी
प नी सेपछ
ूा क येस यासी कौन ह तो प नी नेउसेसारा व ृा त सन
ुाया। तब
दोन प त प नी ने ी गु को णाम करकेउनसे ाथना क । सब लोग इस
चम कार को दे
ख कर स न थे ।

एक नं दक बोला '' ा मण अपनेभा य केअनस


ुार मर गया क तुवो दोबारा
जी वत कैसेहु
आ ?'' ी गु बोले'' मने मदे
व सेआ ह करकेइसकेअगले
ज म म से३० वष इस ज म के लए दे ने
क ाथना क थी ''। सबने ी गु क
म हमा का गणुगान कया। ा मण द प त ने ी गु क आराधना क और
ा मण एवं गर ब को दान दया।

-०-

अ याय - २१

नार का यवहार सं
हता

स यासी नेसा व ी को नार के यवहार केबारेम उपदे


श दया ।

स यासी बोले'' नार के यवहार सेस बंधत उपदे


श क द परुाण केकाशी खंड
म दया गया है । अग त मु न काशी म रहतेथे। उनक प नी लोपामुा एक
प त ता नार थी। व य ग र परबत अगि त मु न के श य थे
। एक दन नारद
नेव य सेकहा '' तम ु हर तरह से ेठ हो क तुमेगर केसमान ऊंचे नह ं
हो ''। इस बात पर ो धत हो कर व य बढ़नेलगा ऊपर उठतेउठतेवह
आसमान को छूगया। इससेद ण दशा अ धकार म डू ब गयी । इस कारण
ा मण अपनेदै नक संकार नह ंकर पा रहेथेऔर सबनेइं केपास अपनी
69

सम या बताई। इं मा केपास सम या लेकर पहु ंचे


। मदेव नेकहा ''
अगि त व य केगु ह उ ह द ण क ओर भे ज दो तब वतः व य उ ह
नम कार करनेनीचेझक ुे
गा। तब अगि त को उसेकहना होगा क '' तम ु इसी
मुा म रहोगेऔर ऊपर नह ंउठोगे''। इस कार सम या का समाधान हु
आ।

इं उस समय बह ृ प त और अ य दे वताओंकेसाथ अगि त मु न सेमलने


काशी गए थे । उ ह नेमु न को नम कार करकेउनक तु
त क । उस समय
बह
ृ प त नेएक प त ता प नी केगण ु का वणन कया था। उ ह नेबताया ''
अ ंधती, सा व ी, अनसयूा, ल मी, पारवती, शंता पा, मेनका, सन
ुी त, संया दे
वी,
सयूकांता और वाहा दे वी सब प त ता ीयांथीं
। इसी तरह लोपामुा भी एक
प त ता नार है । हर न ठावान प नी अपनेप त को भोजन करवानेकेउपरा त
भोजन करती है । वो अ त थय , बड़ेबजुगु, और अपनेप त का आदर करती है ।
अपनेप त को वो भगवान ् शंकर केसमान मानती है । वह उसक से वा दन रात
करती हैऔर उसकेसोनेकेबाद ह सोती है । ातः काल वह अपने प त सेपहले
उठती है, आँगन साफ़ करके नहा धो कर अपने
​ प त क पज ूा करकेउसका पादतीथ
हण करती है। प त जब घर पर हो तभी वो सुदर व पहन कर गहन से
सगं
ृार करती है। प त सेकठोर वचन नह ंकहती और उसक हर इ छा का यान
रखती है । जब वह बाहर जाती हैतो परायेमद को नह ंदे खती और काम ख़ म
होते ह घर आ जाती है ।

अपनेप त क अनम ु त सेह वो त उपवास आ द रखती हैऔर प त क आ ा


के बना कोई दान पुय का काय नह ंकरती। कसी भी उ सव समारोह म प त
क अनम ु त के बना नह ं जाती, अगर प त स न हैतो वो उदास नह ंहोती और
अगर प त शोक त हो तो वो आनं दत नह ंरहती। मा सक धम म वो प त के
सामनेनह ंआती न ह वे द को सन ुती है
। चौथेदन ह वो प त केपास आती है
और उसक अनप ुि थ त म वो बाहर के वल सयू केह दशन करती है । पत क
ल बी आयुके लए वो ह द कु मकु
म काजल, मंगलसू और चू ड़याँपहनती है

वो नाि तक और जो ीयांऔर केप तय को मत करती ह ऐसेलोग से
म ता नह ंरखती।

कसी भी ी को अपनेमाता पता केघर या ससरु


ाल वाल केघर सेदरूनह ं
रहना चा हए । पीसनेवालेसल केऊपर कभी नह ंबै ठना चा हए। उसेप त के
साथ अ छा यवहार करना चा हए। प त गर ब, दब
ुल, अभागा, बीमार और मखू
70

भी हु
आ तब भी उसका नरादर नह ंकरना चा हए। प त क न कपट से
वा से
मूत द ा य
े स न होते
ह।

जो प नी अपनेप त सेबरु ा यहवार करती हैवो अगले७ ज म तक कुतया,


लोमड़ी, गंग
ूी या द र बनती है
। अ छ प नी कभी ऊं चे वर म बात नह ं करती
और बड़ेबज ुगु केसामनेनह ंहं सती। वह परायेमद को काम वासना क ि ट
सेनह ंदेखती। प नी प त क आ मा होती है। ववा हत ी को शभ
ु माना जाता
हैऔर वधवा को अमां ग लक माना जाता हैक तुअपनेपु के लए वो अशभ ु
नह ंहोती ।

अगर कोई प नी अपनेप त केसाथ सती होती हैतो वो यश वी होती है । वो


अपने४२ पी ढ़य का उ धार करती । अगर कोई प त पापी भी होगा तो भी वो
उसे वग लेजाती हैएक सती सेयम केसे वक भी डरतेह। दसूर ओर अगर
कोई ी य भचार म ल त होती हैतो उसक ४२ पी ढयांनरक को जाती ह ''।

जो कु
छ बह
ृ प त नेलोपामुा को बताया वह सब स यासी नेसा व ी को बताया।
बहृ प त नेवधवा का आचरण कै सा होना चा हए इस बारेभी बताया '' अगर प त
क मृ युप नी केसामनेहोती हैतो उसेसती होना चा हए। अगर वो गभवती है ,
उसका छोटा शशुहो या प त क म ृ युदरू कसी थान पर होती हैतो उसे
वधवा के प म जीवन यतीत करना चा हए। उसे अपनेसर केसारेबाल कटवा
लेनेचा हए नह ंतो प त नरक को जाता है । नानोपरांत उसेदन म के वल एक
बार भोजन करना चा हए। उसेच ायण करना चा हए , िजसकेतहत शुल प
के थम दवस पर भोजन का एक कौर और हर दन एक एक कौर बढ़ा कर
पूणमा को १५ कौर खाना चा हए। इसी कार कृण प म भोजन का एक एक
कौर घटा कर अमावस को के वल एक कौर हण करना चा हए। उसे मं गल नान,
दधू पीना, शैया पर सोना और पान खाना विजत है । अगर उसका कोई पु नह ं
हो तो उसेतलापण करके ी व णुक पज ूा करकेअपनेमत ृ प त क इ छा के
अनसुार आचरण करना चा हए। वधवा को सफ़े द व धारण करनेचा हए।

वै
साख मास म उसेएक मटट का बतन,का तक म एक द प कसी ा मण को
दान करना चा हए। तीथ या य को छतर और जत ूेदान करनेचा हए। वह
का तक म केवल एक अनाज का भोजन हण करे , हर त का उ यापन अव य
करे। अगर उसका कोई पु हैतो उसक इ छा केअनसुार जीवन यतीत करे
। इस
71

कार का आचरण े ठ माना गया हैइससेवधवा केप त क आ मा को शाि त


ा त होती हैऔर वो वग को जाता है''।

स यासी बोले'' बह
ृ प त नेयेसब लोपामुा को सन
ुाया था ''।
-०-

अ याय - २२

सम पत े
मका, राजकु
मार और मंकु
मार क शव भि त ।

सम पत े
मका

अगलेदन जब ा मण द प त ी गु केपास गए तो सा व ी ने न कया ''


गुदे
व जब म अपनेप त केशव पर वलाप कर रह थी तो एक स यासी आये
और उ ह नेमझ
ुे४ ा केमनके दया। वो स यासी कौन थे?''

ी गु मुकु रा कर बोले'' तुहार भि त को दे ख कर म वयंतुहारेपास आया


था। ा क म हमा अनं त है
। जो ा धारण करतेह उ ह पाप छू तेतक
नह ं। मनु य को १००० ा क माला धारण करनी चा हए नह ंतो कम सेकम
१०८ ा क माला को धारण कया जा सकता है । ा धारण करनेक सह
प ध त केअनस ुार मनु य को ३२ गलेम, ४० सर पर, १ भौह केबीच म, २४
बाजओु ंम और १०७ छाती पर चां द , सोना, मूयवान प थर जै
सेह रे
, प ने
, मोती
या मग ं
ुेक माला म धारण करना चा हए। केमनक को शर र पर धारण
करके नान करनेसेगं गा नान का फल ा त होता है । इनक पजूा शव लंग क
पज
ूा केसमान है । ा १,५,११ और १४ मख ुी होतेह। अब म तुहेइनसे
स बं धत एक कहानी सन ुाता हू
ँ''।

'' क मीर केराजा भ से


न का सध
ुम नामक एक पु था। राजा केमंी केपु का
नाम तारक था। दोन एक ह आयुकेथेऔर उनमेबहु त गहर दो ती थी। दोन
ह शव भ त थेऔर गलेम ा पहन कर शर र पर भ म लगतेथे । उनको
क मती व , सोनेऔर अ य क मती प थर केआभष ूण सेकोई लगाव नह ं
था।

एक बार पराशर ऋ ष राज महल म आये


। राजा नेउनका खब
ू स कार कया और
अपनेपु के वषय म बताया। ऋ ष बोले'' तुहारेपु और मंी पु क गत
72

ज म क कहानी बहु त ह रोचक है।नंद ाम म एक वे या रहती थी। वह बहुत


सुदर थी। उसकेपास सोनेकेच पल, मूयवान आभष ूण, शैया इ या द थे ।
उसका महल क मती प थर का बना हुआ था िजसमेएक भ य रं गमंच था जहाँ
पर वो न ृ
य करती थी। उसकेकई से
वक थे। उसनेउन सबकेगलेम ा बाँध
कर उ ह न ृय सखाया। वो बहु
त बड़ी शवभ त थी और ा मण को खब ू दान
दे
ती थी।

एक बार एक स प न वै य उसकेपास आया। उसनेगलेम ा धारण कया


हु
आ था और हाथ म एक बहु मूय शव लं ग था जो सय
ू केसमान व लत था।
वेया उस शव लं ग को पानेके लए आतरुहो उठ और वै य सेउसक मां ग कर
बै
ठ । वह उसेएक शत पर दे नेको मान गया। शत थी क वे या ३ दन तक
उसक प नी बनकर उसक से वा करे
गी। वह मान गयी तो वैय बोला '' तम
ु वेया
हो जो कसी एक के त सम पत नह ंहोती। इस लए तुहेमे रे त समपण का
सौगं
ध लेना होगा ''।

वेया नेसौगं
ध ल '' म परू न ठा से३ दन तक प नी बनकर तुहार से वा
क ँ
गी। वैय नेशव लंग उसेदेदया और बोला '' येशव लं
ग मझ
ुे मे
रे ाण के
समान य हैअगर इसेकु छ हो गया तो म अपने ाण याग दं

ूा। इस लए इसे
कसी सरु त थान पर रखो''।

वो मान गयी और उसनेमं च पर एक तं भ को वह शव लं ग ा केसाथ बाँध


दया । रात को अचानक उस कमरेम आग लग गयी और मं च परू तरह जल
कर राख हो गया और शव लं ग भी न ट हो गया । शोक त हो कर वै य ने
अपने ाण याग दए। वे या इससेबहुत दखुी हु ई और वै य को दए वचन
अनसुार प नी होनेकेनातेउसनेसती होनेका न चय कर लया । सभी नेउसे
समझाया क तुवो नह ं मानी। उसने ा मण को बल ुाकर दान दया , ​
जस
ैेह वह
चता जलाकर उसमे वे श करनेलगी इतने म ी शव कट हु ए और अपने दोन
हाथ सेउसेचता सेबाहर नकाल लाये । वो बोले'' तुहार भि त सेम स न
हु
आ तम ु सचमच ु एक सती हो। वरदान मां
गो। तुहार पर ा ले नेम वयंवै य
के प म आया था ,मनेह मं च को आग लगायी थी ।

वेया बोल '' भुकृपया मझ


ुेमेरेसगेस बि धय और सेवक केसाथ आपके
लोक म लेजाइये'' । ी शव द य वमान म उन सबको कै
लास लेगए।

राजकु
मार और मंकु
मार क शव भि त
73

पराशर ऋ ष बोले'' वेया केपास एक पालतूब दर और एक मगुा थेिज ह ने


राजकुमार और मंकु मार के प म ज म लया है। गत ज म क शव भि त ह
उ ह राजसी सख
ु के त उदासीन बना रह है''।

राजा बोले'' आपनेइनकेगत ज म क कहानी तो सन


ुा द क तुइनकेभ व य
केबारेम कु छ नह ं
बताया''।

ऋ ष बोले'' इनकेभ व य केबारेम सन ुकर तुहेदःुख होगा । तुहारा पु केवल


२ वष जी वत रहे गा और बाद म उसक म ृ युहो जाएगी। इसके ाण क र ा के
लए तमु उमाकांत ी शं कर जी क आराधना सूत केमा यम सेकरो।
सूत का बहु त मह व हैतुहारेपु के ाण अव य बचगे । चार वेद मदेव के
चार मखु सेनकलेथे। सूत यजव ुद का भाग है। मदेव नेइसका ान
मार च और अ को दया था और उ ह नेआगेअपनेश य को बताया था इस
कार प ृवीवा सय को इसका ान हु आ। इसकेपठन सेसारेपाप न ट हो जाते
ह। तमु एक सौ ा मण को आमंत करके ी शव शं कर के१० ००० ा भषे

करवाओ । तुहारेपु क आयु ल बी होगी ''।

राजा नेपराशर ऋ ष केकहेअनस ुार सब कुछ कया क तुराजकु मार अचानक


बीमार पड़ा और बेहोश हो गया। उसकेशर र पर तीथ छड़का गया और ा मण
ने केअ त भी उसपर डाले । उनसेडर कर यमदतू उसकेशर र केपास नह ं
आयेऔर थोड़ी दे र केबाद राजकु मार होश म आ गया। इस कार उसक म ृ यु
टल गयी।

राजा ने स न होकर ा मण को दान दया। इतनेम नारद मु न वहांआये और


बोले'' हेराजन, जब यमदत ू तुहारेपु को लेजा रहेथेतो शवदत
ू नेउनपर
आ मण करकेउसे छुड़ाया था । यमराज ी शं
कर केपास गए और न कया ''
आपकेदत ू नेमे रेदत
ू पर आ मण य कया ? '' ी शं कर बोले'' जब
राजकुमार को जीवन दान दया गया था तो तुहारेदत
ू नेच गु त को पछ
ूेबना
राजकुमार के ाण य हरे?'' जब च गु त का अ भलेख दे
खा गया तो पाया क
राजकुमार क आयु१२ वष सेबढाकर १०००० वष कर द गयी थी। येदे ख कर
यमराज को पछतावा हुआ ''।

सूत क इतनी म हमा है


-०-
74

अ याय - २३

क छ - दे
वयानी क कथा, सोमवार के त क म हमा ।

क छ - दे
वयानी क कथा

सा व ी ने ी गु से न कया '' हमारा भ व य कैसा होगा ? मझ


ुेकस कार
का आचरण करना चा हए ? मझ
ुेकोई मंोपदे श द िजये
''।

ी गु बोले'' एक प नी को अपनेप त क सेवा सम पत भाव सेकरनी चा हए,


उसेमो के लए कसी और म क आव यकता नह ं है
। ी को मंोपदे
श दे
ना
तो वप को आमंत करनेकेसमान है । क छ देवयानी क कथा इसका माण
है
''।

परुानेसमय म देवताओंऔर रा स केम य हमे शा युध होता रहता था। रा स


केगु, शुाचाय मत ृ संजीवनी म पढ़ कर मत ृ रा स को जी वत कर दे तेथे

इससेदे वता परे
शान हो उठे
। इं ने ी शंकर केपास जाकर यह सम या बताई।
ो धत होकर शं
कर जी नेनंद को आदे श दया क शु को बल ुा कर लाये। नं

जब शु केपास पहु ं
चेतो वे यान म थे। नं
द नेउ ह उसी अव था म उठा कर
शंकर जी केसम तत
ु कर दया। शंकर जी नेउ ह नगल लया क तुकु छ
दन केबाद शु मू केमा यम सेशं कर जी केशर र सेबाहर आ गए। उ ह ने
दोबारा रा स को म सेजी वत करना आर भ कर दया।

इ नेबह
ृ प त से ाथना क '' आप दे
वताओं केगु ह, शुाचाय मत
ृ संजीवनी
म सेरा स को जी वत कर देतेह इस लए अब आपको ह कु छ करना होगा ''।

बह
ृ प त बोले'' अगर सं
जीवनी म को ६ कान सन
ुते
ह तो वो न फल हो जाता
है
। इस लए हमेकसी को शुाचाय का श य बनाकर भे जना होगा जो वो म
सीख कर हमारेपास लौटेगा । म अपनेपु क छ को इस वशे ष काय के लए
भे
जता हू
ँ''।

क छ शुाचाय केपास पहु ं


चा और उ ह णाम करकेउनकेसामने खड़ा हो गया।
शु नेपछ ूा '' तम
ु कौन हो और मे
रेपास कस लए आयेहो ?'' क छ बोला ''
म ा मण कु मार हूँ
। आपक क त सन ु कर आपसे ान ा त करनेआपकेपास
आया हू

।'' उस समय शु क पुी दे वयानी अपनेपता केपास ह थी वह क छ
75

को दे
खकर उसपर मो हत हो गयी और उसनेअपनेपता सेउसेश य वीकार
कर ले
नेक ाथना क । शुाचाय नेपुी केकहनेपर क छ को श य वीकार
कया और वो आ म म ह रहनेलगा।

रा स को क छ पर सं देह हु
आ क कह ंयेदे वताओंका गु तचर हुआ तो मतृ
संजीवनी म सीख ले
गा और दे वता हम युध म परािजत क़र दगे। उ ह ने एक
दन जंगल म क छ क ह या क़र द । जब संया को वह आ म नह ंपहु ं
चा तो
दे
वयानी नेपता को उसे ढूढ क़र लाने क ाथना क । शु को यान म ात हो
गया क क छ क म ृ युहो गयी है। उ ह नेसंजीवनी म पढ़ क़र उसेजी वत
क़र दया। येदेख क़र रा स नेएक बार फर क छ को मार क़र उसकेशर र के
टु
कड़ को जं गल म चार दशाओंम बखे र दया। दे
वयानी फर दख
ुी हु
ई। शु को
अपनी पुी सेबड़ा नेह था इस लए उ ह नेक छ को दोबारा जी वत क़र दया।

इस बार रा स नेक छ को एकादशी त वालेदन मारनेका न चय कया।


उ ह नेउसेमार कर उसकेमांस को शराब म मलाकर शुाचाय को पला दया।
दे
वयानी फर क छ के लए य हो उठ और पता सेउसेफर जी वत करने क
ाथना करनेलगी। इस बार शु नेउसे बताया क क छ उनकेउदर केअ दर है
य द उसेजी वत कया गया तो उ ह खद ु ाण यागनेपड़गे। देवयानी बोल ''
आप सब को जी वत करनेवालेह तो वयंकै सेमर सकतेह ? क छ मे र
आ मा हैअगर वो जी वत नह ंहु
आ तो म अपने ाण याग दंग
ूी ''।
शु बोले'' संजीवनी म का ान मे रेअ त र त कसी और को नह ंहै
। इसका
ान कसी को नह ंदया जा सकता। अगर इसेतीन लोग नेसन ु लया तो
इसका भाव न ट हो जाता है । दे
वयानी बोल '' आप इसका ान मझ ुेद िजयेम
आपको जी वत क ँ गी'' ।शु बोले'' शा केअनसुार ी को म का ान
दे
ना विजत है
''।

दे
वयानी बोल '' अगर ऐसा हैतो आप अपनेम केसाथ रह म अपने ाण
याग देती हू
ँ'' । येकह कर वो बेहोश हो कर गर पड़ी। शु नेउसेउठा कर
संजीवनी म का उपदे
श दया। जब वो म दे
वयानी को सन
ुा रहेथे
, उदर म
क छ नेभी सन ुा और उसेयाद कर केवो भी उदर केबाहर नकल गया ।
फल व प शु क म ृ युहो गयी। देवयानी नेम पढ़ कर शु को जी वत
कया। इस कार इस म को तीन लोग नेसन ुा।
76

क छ नेअब शु को णाम करकेवहांसे थान करनेक अनम ु त मां


गी।
दे
वयानी बोल '' मनेतुहेतीन बार जी वत कया है। म तम
ुसे े
म करती हूँ
इस लए तुहेमझुसेववाह करना होगा ''।
क छ बोला '' तम
ु मेरेगु क पुी हो इस नातेमे
र ब हन हु
ई। तम
ुनेमझ
ुेबार
बार जी वत कया हैइस नातेतमु मेर माता हु
ई। अगर म तमुसेववाह क ँ
गा
तो लोग मेर नंदा करगे

इस बात से ो धत होकर दे वयानी नेक छ को ाप दया '' इस म का ान


तुहेकोई फल नह ंदे
गा ''।

क छ बोला '' तम
ुने यथ ह मझ ुे ाप दया है। तुहारेपता नेशा के
व ध तुहेमंोपदे श दया इस लए अब येम नरथक होगा''।

क छ बह
ृ प त केपास वा पस आ गया और सभी दे
वता स न हो गए।

ी गु बोले'' ी के लए से
वा ह धान म है
। उसेअपनेप त क से
वा
करकेउसक इ छा सेह सारेकाय करनेचा हए''।

सोमवार के त क म हमा

सा व ी ने ीगु सेकसी अ छे त क जानकार दे


नेक ाथना क ।

ी गु बोले'' म अखं ड सौभा य ा त करनेम सहायता करनेवाले त बारे


तुहेबताता हू
ँ। इसकेबारेम सत ू नेसभी ऋ षय को बताया था । इस त को
करनेके लए सोमवार को ी शव क पज ूा करकेउपवास रखना पड़ता है। इसे
ववा हता, कु
मा रयाँ
, वधवाएं
, छोटेबड़ेपुष नार कोई भी कर सकता है।

राजा चै
वमा क पुी सीमं
तनी बहु
त ह सुदर और सश ुील थी क तु योि शय
नेभ व यवाणी क थी क राजकुमार १४ वष क आयुम ह वधवा हो जाएगी।
सब लोग येसन ु कर बहु
त दखुी थे। एक बार य नावा य क प नी मैय ेी
राजमहल म आई। उ ह नेसीमंतनी को सोमवार त करनेका सझ ुाव दया ।
सीमंतनी न ठापव
ूक त करनेलगी।
कुछ समय बाद सीमं
तनी का ववाह राजा इ सेन केपु चं गद सेहु
आ । एक
बार वह म केसाथ का लंद नद के कनारेगया और नद म डू ब गया। बहु

यास केबावजदू उसका कोई पता नह ंचला। सीमंतनी और उसकेमाता पता
शोक त हो गए। अवसर पाकर राजा केश ओ ु ंनेआ मण करकेरा य हड़प
77

लया। सीमं
तनी सती होना चाहती थी क तुशा केअनसुार जब तक प त का
शव नह ंमलता वह सती नह ंहो सकती थी । इस लए वह सोमवार त और शव
जी क पज
ूा न ठापव
ूक करती रह ।
चं गद जब नद म डू बा तो नाग क याय उसेपातळ म वासु
क केपास लेगयीं ।
अ दर एक वशाल नगर था िजसके वार सोनेकेऔर र क नाग थे । राजा
त क एक भ य सं हासन पर बै ठेथे। चं गद को उनकेसामनेलाया गया।
त क नेउसकेबारेम जानकार ा त करकेकु छ दन महल म आनं दपवूक रहने
क अनम ु त देद । कु
छ दन केबाद चं गद नेत क से ाथना क '' म अपने
माता पता क इकलौती सं तान हूँऔर अभी अभी मे रा ववाह हु
आ है । मे
रा
प रवार मे
रेलए शोकाकु ल होगा कृपया मझुे
यहाँसेजानेक आ ा द''।

त क नेउसेबहु मूय व आभषूण को देकर एक घोडा और नाग कु मार को


साथ भेजकर वदा कया । जब वो का लं
द नद केतट पर पहु ं
चा तो सीमंतनी
सोमवार का त करनेनद पर आई हुई थी। चं गद को नद सेबाहर आते दे

उसनेसोचा '' कौन हैयेद य पुष इसेमनेकह ंदेखा है'' । उसनेअपनी
स खय को उसकेबारेम पता लगानेको भे
जा।

सीमं तनी को दे
ख कर चं गद नेसोचा '' येतो मे र य प नी लगती हैक तु
इसनेमं गलसू कु मकुम धारण कया हु आ हैजब क उसेतो वधवा के प म
होना चा हए था '' । वह उसकेपास आया और उसका प रचय पछ ूने लगा। स खय
नेउसेपरू कहानी सन ुा द । सीमंतनी नेपछुा '' आप कौन ह, दे
वता या ग धव
? आप मे रा प रचय य मां ग रहेह ? उसनेइतनेम अपनेप त को पहचान
लया और वह रोनेलगी। चं गद नेउसेसां वना द और बोला '' दखुी न हो
तुहारा प त तुहेआज सेतीसरेदन मले गा । येबात गुत रखना ''।

चं गद नाग कु मार केसाथ अपनेमाता पता सेमला और सीमं तनी के पता


केरा य म पहु ं
चा। राजा इंसे
न का रा य श ओ
ु ंकेहाथ म चला गया था और
उ ह नेराजा को कारागार म डाल दया था। नगर केपास पहु ंचकर उसने
नागकुमार केहाथ श ुराजा को त क का स देश भजवाया क येरा य इ से न
को वा पस कर दो अ यथा युध के लए तै यार रहो । राजा डर गया और उसने
त क क आ ा वीकार करतेहु ए इ से न को कारागार सेमुत करकेदोबारा
सं
हासन पर बठा दया। इ से न नेचंगद को गलेसेलगाया और धम ू धाम के
78

साथ सीमंतनी और चं गद का ववाह दोबारा रचाया गया। इस कार सीमं


तनी
नेसोमवार त केमा यम सेसौभा य सख
ु और सम ृध ा त क ।''
ी गु केकथन अनस
ुार ा मण द प त नेसोमवार का त कया। उससेउ ह
सख
ु सम ृध और सं
तान क ाि त हु
ई। वो हर वष ी गु केदशनाथ गं
गापरु
आते थे

-०-

अ याय – २४

ा मण का सं
क प, ा मण का आचरण ।

ा मण का सं
क प

एक शुध आचरण वाला ा मण था । वह अनाज क भ ा मां ग कर जीवनयापन


करता पर तु कसी केघर पर भोजन नह ंकरता था। उसक प नी गुसै ल
वभाव क थी और उससेअसं तुट रहती थी। एक बार एक धनी यि त ने
गं गापरु म ा मण को भोज दया। चँ
ूक ा मण कसी केघर पर भोजन नह ं
करता था इस लए उसक प नी को आमंत नह ंकया गया। ा मणी बहु त दखुी
हुई क उसेअ छेभोजन और मठाई खानेसेवं चत रहना पड़ रहा है
। एक अ य
अवसर पर एक ा मण ने ा ध के लए अपनेघर पर सभी ा मण द प तय
को आमंत कया। वह अ छ द णा, वा द ट भोजन और व इ या द भी
दान म देरहा था। उसनेप त सेभोज पर जानेक इ छा य त क तो उसने
वयंजानेसेमना कर दया और उसे अकेलेह चलेजाने क अनम ु त देद । वह
ा मण केघर गयी और अके लेभोज म आने क वीकृ त मांगी क तुवह बोला
'' मनेके वल द प तय को आमंत कया हैइस लए तम ु अपने प त केसाथ आ
सकती हो''।

वह और दखुी हो गयी और ी गु नर संह सर वती केपास जा कर अपना दख ुड़ा


रोनेलगी । उसनेउनसे ाथना क क वेउसकेप त सेआमंण वीकार करने
को कह। येसन ुकर ी गु मुकु रायेऔर एक श य को भे जकर ा मण को
अपनेपास बलुाया। उ ह ने ा मण सेकहा '' तुहार प नी क इ छा हैक वो
वा द ट भोजन खाए इस लए तुहेभोज का आमंण वीकार करना चा हए।
प नी क इ छाओंक पत ू करना तुहारा कत य है'' । ा मण बोला '' गुदे

79

मनेकसी केघर भोजन न करनेका त लया हैक तुय द यह आपका आदे



हैतो म इसेमान कर भोज का नमंण वीकार करता हू

''।

वेदोन द प त भोज पर गए जहाँपर उ ह वा द ट भोजन परोसा गया। भोजन


हण करतेसमय ा मणी नेदे खा क उनकेसाथ कुे और सअ
ूर भी भोजन कर
रहेथे। येदेख कर उसेघण ृा हु
ई और वो उठ कर घर आ गयी। उसकेप त ने
कहा '' तुहारेकारण मनेअपना त तोडा और आज कुेऔर सअ ूर केसाथ
भोजन करना पड़ा'' । वेदोन ी गु केपास गए।

ी गु ने ा मणी सेपछ
ुा '' या भोज तुहे वा द ट लगा ? तम
ुनेसदा अपने
प त क़ आलोचना क़ , अब ुहेतिृत हु ई क़ नह ं ?''

ा मणी बोल '' गुदेव म मख


ू ी हू

। मनेअपनेप त को क ट पहु

चाया है।
कृपया मझ
ुे मा कर''।
ा मण का आचरण

ी गु ने ा मण सेकहा '' अब तुहार प नी तुहार इ छा केअनस ुार चले


गी।
म तुहेधा मक आचरण के वषय म बताता हू ँ
। अगर कसी ा मण को धा मक
अनु ठान या समारोह के लए ा मण क आव यकता हो तो तुहेभोज पर जाना
चा हए । अगर तम ु नह ंजातेहो तो येअपराध होगा। तुहेगु, श य, मामा,
ससरु, भाई और सं त केघर पर भोजन करना चा हए। अगर तमु गाय ी म का
पाठ करते हो तो तम
ु अपराधी नह ं
हो ''।

ा मण ने न कया '' कृ
पया मझ
ुेबताएंक कन घर म भोजन विजत है?''

ी गु बोले'' तुहेऐसेलोग केघर पर भोजन नह ंकरना चा हए जो माता


पता क से वाएँले
तेह, लालची ह, प नी और ब च को ट करकेदान दे तेह,
जो घमं डी, याचक, आ म शं सक, चापलस ू या नवा सत ह और वै वदेव को नह ं
मानते। नदयी, या भचार , आड बर करनेवाला, प नी का प र याग करने वाला
प त, प त का प र याग करनेवाल ी, शराब बे
चनेवाला ा मण, जआ ुर ,
वे या, चोर, जो न य नान और संया ा ध इ या द संकार नह ंकरता, ोह ,
दसूर का तर कार करने वाला, जो माता पता का प र याग करता हो, गौ, ा मण
या ी क ह या करनेवाला, न सं तान, जो दान पुय नह ंकरता ऐसेलोग के
घर म भोजन विजत है । अगर कोई अमाव या के दन भोजन हण करता हैतो
वो एक माह के लए नै तक स गण ु सेवं चत रहता है
। जब तक पुी केघर
80

सं
तान नह ंहोती उसकेघर पर भोजन विजत है
। अगर धम केअनस
ुार आचरण
कया जायेतो येसब पाप ीण होतेह ।

ा मण नेफर पछ ुा '' कृ
पया मझ
ुेबताएंक ा मण को कन दै
नक कम का
पालन करना चा हए ''।

ी गु बोले'' ऋ ष पराशर नेनेमीशारा य म इन दैनक कम का वणन कया


है
। ा मण को ातः म महुत ( सय
ू ूदय से२ घं टेपहले ) म जाग कर ी गु
या इ वर को णाम करना चा हए। उसेकसी जल ोत केपास द ण पि चम
दशा म न यकम के लए जाना चा हए। रा को द ण मख ु और ातः काल म
उ र मखु बैठना चा हए और हाथ, पै र को मटट और पानी सेसाफ़ करना
चा हए। उसकेबाद २ आचमन करनेचा हए ( के शव, नारायण और माधव को
णाम करना चा हए )। अगर पास म पानी न हो तो आख और कान को पश
करना चा हए। ा मण केदा हनेकान केपास सात दे वता रहतेह।

हथे
ल पर तीथ

अं
गठूेक जड़ म म तीथ, हथे
ल पर अि न तीथ, अं
गठूेक जड़ और पहल
ऊँ
गल म पत ृ तीथ, चारो उँ
ग लय केअंतम भाग म देव तीथ और छोट ऊँ
गल
क जड़ म ऋ ष तीथ व यमान ह। पतर को तपण दे तेसमय इन तीथ के
मा यम सेदे
ना चा हए।

आचमन

के
शव, नारायण और माधव को णाम करतेहु ए जल म तीथ से हण करना
चा हए। थोडा जल गो व द को णाम करनेकेप चात नीचेछोड़ दे
ना चा हए।
वषा जल म भीग जानेया शवया ा सेवा पस आनेकेबाद शुधी के लए २
आचमन ले नेचा हए।

दां
त और मह

ुक व छता

दातनु सेदां
त क सफाई पव दन, तपद, षि ट, नवमी, वादशी, श नवार,
ा ध और ववाह के दन को नह ंकरनी चा हए। इसका मतलब येनह ंक इन
दन को दां
त क सफाई न क जाए। के वल दातनु का योग नह ंकरना चा हए।

नान
81

ातः काल के नान सेमनु य को काम वासना, बल, जीवन, बुधी, आनं द और
ऊजा क ाि त होती है। गह
ृ थ और वान थ को ातः काल और म या न को
नान करना चा हए। स यासी, तप वी और साधओ ु ंको तीन बार और मचार
को एक बार नान करना चा हए। अगर जल का अभाव हो तो अि न नान यानी
सयू के काश म खड़ेहोना, म नान यानी शर र पर पानी छड़क कर
अपो ह त म पढना, भ नान यानी शर र पर भ म को लगाना, वायुनान
यानी गाय केपै
र केनीचेक धल ू लगाना, तीथ नान यानी यान म ी व णु
क मत ू को लाना, अप व ः प व ोवा म का उ चारण करकेशर र पर पानी
छड़कना नान केसमान ह है । दब
ुल यि त गम पानी म कपडा डु बोकर शर र
साफ़ कर सकता है।

व थ यि तय को ठ डेपानी से नान करना चा हए। अगर पानी यादा ठं डा


हो तो गरम पानी का योग कर सकतेह। नान करनेम परे शानी हो तो
उप नान ( हाथ, पै
र और शर र को गीलेकपडे सेपोछना ) कया सकता है। जल
प व होता हैगरम पानी और भी प व कहलाता है । गहृ थ को गरम पानी से
नहाना चा हए और बीच म आचमन करना चा हए। ीय को रोज सर केऊपर
पानी डाल कर नान नह ंकरना चा हए। घर म नान करते हु
ए अघमषण ( पाप
नाश का म ) नह ंपढना चा हए। तपण भी नह ंकरना चा हए । पु केज म
वालेदन, ा ध, म ृ य,ुसंांत, पूणमा और अमाव या वालेदन को गरम पानी
से नान नह ंकरना चा हए। हाथ म दभ ले कर उनसेसर पर बाल को बाँ ध ल
और अपो ह त म और तीन बार गाय ी म पढ़तेहु ए नान कर। पहलेठंडा
पानी और फर गरम पानी ले ना चा हए।

नद म नान करतेहु ए नद क धारा क ओर मख ु करकेअघमषण पढ़। घर म


नान ातः काल म परू ब मखु और संया म पि चम क ओर मह ं
ु करकेकर।
रोने
, उलट , स भोग और द ुव न केबाद नान करनेसेशुधी होती है। गहृथ
को गीला गेआ व धारण नह ंकरना चा हए। उप व का धारण ज़ र कर,
अगर ऐसा न कया तो नान का फल रा स को ा त होता है । ा मण को
सफ़ेद धोती और ऊपर वालेभाग पर कोई अंगव अव य धारण करना चा हए।

भ म

नान केप चात शा ानस ुार शर र पर भ म लगाना चा हए। अगर भ म उपल ध


न हो तो गोपीचंदन लगाया जा सकता है। ल बी आयुके लए भ म को म य
ऊँ
गल सेलगाये , भि त के लए तजनी (अंगठूेसेदसूर ऊँगल ), भोजन के लए
82

अना मका (चौथी ऊँगल ) का योग कर। ा ध, उपनयन और ववाह समारोह


और अं ये
ि ट केबाद कयेगए नान केबाद भ म नह ंलगाना चा हए।

दभ

इनका योग य य और तपण के लए कया जाता है। दव


ूा, वला, दभ, कु
श,
कुद, गेहू

, धान, मोल, नागरमोथा, भ और मुथ का योग दभ के लए कया
जाता है
। इ ह भा पद और ावण अमाव या के दन लाया जाता हैऔर परू ेवष
के लए भ डारण कया जाता है । दभ केअं
तम भाग म मा, जड़ म , और
म य भाग म व णुव यमान होतेह। दभ क प व क को ऊँ गल म रखा जाता
है
। इससेपाप न ट होते ह।

जप, तप, होम, वे


द का पाठ करतेसमय दभ धारण करनेके लए सोनेचां
द क
अंगूठय को उतारनेक आव यकता नह ंहोती। िजसका पता हो उसेतजनी म
अंगठ
ू नह ंपहननी चा हए। ९ र न वाल अंगठू सम त पाप न ट करती है ।
ा मण को कम सेकम एक र न वाल अं गठ
ू का धारण अव य करना चा हए।
संया

ा मण को संया, शाम के नान केतरु ं


त बाद और ातः काल जब आकाश म
न गोचर होता हैतब करनी चा हए। सयूदय केसमय सय ू को अ य दे ना
चा हए। अगर अ य का समय बीत गया तो एक और अ य दे ना चा हए। मं
दे

रा स सय ू केसाथ नरंतर युध करतेह, सय ू केरा तेम कोई बाधा ना आये
इस लए अ य चढ़ाया जाता है। येअ य रा स को श केसमान लगतेह ।
जल चढातेहु ए चार तरफ '' असावा द य मा..'' म का उ चारण करतेहु ए
प र मा कर ।

गाय ी पाठ

इसकेप चात सभी ऋ षय का मरण करकेगाय ी म का पाठ कर। इसके


लए ा , मग

ूेया सफ़े द मो तय क माला का उपयोग कया जा सकता है ।
माला म कोई मोती टू
टा हु
आ न हो। जाप करतेहु
ए मौन रह, ातः काल और
म या न क संया खड़े होकर और शाम क संया बैठ कर कर।

घर म गाय ी पाठ शभु फल देता है


। कह बाहर करो तो दगुन
ुा फल मलता है।
नद तट पर तीन गन ुा फल, गौशाशाळा म या तल
ुसी व ृ
दावन केपास दस गनुा
फल मलता है । अि नहो केपास १०० गन ुा फल, तीथ े या मं दर म १०००
83

गन
ुा, ी व णुकेपास एक करोड़ गन
ुा और ी शव केपास असी मत फल क
ाि त होती है

टू
टेहुए लकड़ी केप टेपर य द गाय ी जाप करो तो क ट मलतेह, घास पर
करो तो दभ
ुा य, प थर पर करो तो रोग होता है
। भ मासन पर करनेसेरोग दरू
होतेह, क बल पर करो तो आनं द क ाि त होती है , कालेहरन क खाल के
आसन पर करो तो ान, शे र क खल पर करो तो मो , कु शासन सेस मोहन
व या क ाि त होती है
, सब रोग और पाप ​भी दरूहोते ह।

ातः काल म गाय ी का यान कु मार प म कया जाता है। उनका रं


ग लाल
और व भी लाल होतेह। वो कलहं
स क सवार करती है
, उनकेचार हाथ और
चार मख
ु होतेह।

म या न को गाय ी माता केयव


ुती प का यान कया जाता है
। उनका रं
ग और
व दोन वेत होतेह। वो बै
ल क सवार करती हैऔर उनकेपां
च मख
ु होतेह।

संयाकाळ म गाय ी माता का यान एक व ृध म हला के प म कया जाता है



उनका रं
ग और व दोन कालेहोतेह। वो ग ड़ क सवार करती ह और उनके
चार मख
ु होते
ह।

सनमखु, स पटु, वतत, व तत ृ, वमखु, मखु, चतमुख,


ु पंचमखु, ष मख ु,
अधोमख
ु, यापंज लक, शकत, यमपाश, ाि थत, स मख ुो मखु, ल ब, मओ ु ि त,
म य कु म, वराह, स हा ं
ती, महा ाि त, मुगर, और प लव ये२४ मुाएँह।
इन मुाओ केसाथ म का उ चारण अ छेफल दे ता है
। गाय ी केतीन चरण
ह उनका पाठ वराम दए बना नह ं करना चा हए।

''मं''का ता पय मन और '' '' का ाण सेहै


। मंो चारण इस लए मन और
ाण केसंय सेकरना चा हए।

मचार और गहृ थ को गाय ी जाप दन म १०८ बार करना चा हए। वान थ,


य त और स यासी को १००० बार । अगर कसी कार क असु वधा हो तो कम से
कम दन म १० बार कर लेना चा हए। मन म जाप करना उ म होता है। धीरेधीरे
करना म यम और जोर जोर सेकरना नकृटतम होता है । माला जपते हु
ए मुय
मनकेका उ लंघन नह ंकरना चा हए नह ंतो ३ ाणायाम करने पड़तेह, १ करोड़
गाय ी जाप सेसभी मनोरथ स ध होतेह। जाप केबाद खड़ेहोकर उप थान
84

म कर और दस दशाओंको नमन , ​ा मण, गु, अपनेगो और अपना नाम


लेकर संया का समापन कर।

घर को हर रोज व छ करकेफश को गोबर और पानी सेलेपना चा हए। आँ


गन
और पज ूा थल म रं
गोल सजाएँ
। गह
ृ थ केघर म गाय, शा ल ाम अव य होने
चा हए।

पज
ूा व ध
ा मण को संया और दे वताओंक पज ूा रोज करनी चा हए। जो ऐसा नह ं
करता
वो पशुसमान है। ातः काल क पज ूा १६ उपचार केसाथ और रा क पज ूा म
केवल घी के दए क आरती क जाये । जो लोग इ वर क पजूा नह ं
करते यमराज
उ ह दि डत करतेह। आराधना के८ थल और वा तुइस कार ह - मं दर,
हवनकंड ( होम इ या द करने
ु वाला थान ), अि न, सय
ू, जल, दल, ा मण और
स गु। ा मण को इ वर क पज ूा वे
द केम से
, ी और अ य वण के
लोग को इ वर क पज ूा परु
ाण केम सेकरनी चा हए।

व ृ और जंगल सेलायेफू ल म यम मह व केऔर खर देगए न न मानेजाते


ह। घर म लगायेपौधेउ म होतेह। क ड़ केकु तरेहु
ए और छेद वालेफू
ल का
योग विजत है
, ी दग ुा को दव
ूा, ी गणे
श को तल
ुसी, धो केफूल और ई ी
व णुको और ी शव को के वडा न चढ़ाएं
। जल केकलश को बायींओर और
पज
ूा साम ी को दा हनेओर रख।
१६ उपचार का पालन कर। पं
चामत
ृ (दधू, दह , घी चीनी और शहद), शं
ख को
बायींओर, घं
ट को दा हनी ओर रख। इ वर को नम कार करकेआचमन कर,
मनोरथ, समय, वष, आयान, ऋत,ूमाह, प , त थ, न , ह का नाम ले कर
संक प ल। जल और पंचामत
ृ नान अ भषे क, पुष सूत, व णु सूत, ी सूत,
ल मी सूत, सूत, पवमान सूत इ या द मंो चारण कर।

अ भषेक केबाद सभी मू तय को सख ूेकपडेसेपोछकर अपने थान पर रख,


उ ह व , आभष ूण, च दन, कुमकुम, फू
ल, तल
ुसी, बे
ल इ या द चढ़ाकर ाथना
कर '' मे
र र ा क िजये भु'' । मरु
झायेऔर इ वर पर चढ़ा केउतारेहु
ए फू

माथेसेलगाकर पानी म बहा देनेचा हए। अगरब ी को माथेसेलगाकेतीथ को
हण क िजये।

भोजन के नयम
85

भोजन क शुधी और खाना पकातेहु ए होनेवालेपां


च पाप के नवारण के लए
ातः और रा को भोजन सेपहलेवैवदे
व कर। इ वर के लए ातः काल म
होम कया जाता है , ेत के लए ब ल द जाती हैऔर प ओ ु ंके लए तपण
दया जाता है। रा को भोजन करतेसमय अ त थ क ती ा करनी चा हए ।
अ त थ या कोई स यासी आयेतो उसेभोजन और जल द िजये ।

भोजन करनेसेपहलेहाथ, पैर और महं


ु धोएं। चार च ाहु
तय केबाद पांच
ानाहु
तयाँल। भोजन करतेसमय मौन रह, भोजन पा म भोजन न छोड़, जल
हण करतेसमय व न न हो, भोजन करतेसमय य द द पक बझ ु जाए तो जब
तक द पक न जलाएंतब तक भोजन हण न कर, भोजन करतेसमय मा सक
धम म जो ि याँ हो उनक आवाज़ न सन
ु और कसी को पश न कर।
अगर भोजन म क ड़ेया बाल दखेतो उसेछोड़ द िजयेऔर उस ​
पर तीथ छडक,
ा मण को याज और लहसन नह ं हण करना चा हए। साि वक भोजन
ानवधक होता हैऔर ताम सक भोजन सेअ ान बढ़ता है

भोजन करतेसमय पहलेतरल पदाथ हण कर । भोजनोपरांत हाथ महं


ु अ छेसे
साफ़ कर और दो बार आचमन कर फर पान ल और परु ाण सनु। सोनेसेपहले
इ वर से ाथना कर और सारेदन केकम उ ह अ पत कर द।

दन केसमय, ा ध दन म, पवकाल, मल ू, मख, रे


वती न म स भोग
विजत है
। वयंसेबड़ी ी केसाथ भी स भोग नह ंकरना चा हए और उस
समय घणृा, वषाद, उदासीनता इ या द भाव मन म नह ंआनेचा हए।

इन नयम का पालन करकेएक गह ृ थ भी मचार कहलाता है


। िजन ा मण
नेइनका पालन कया उ ह नेअ छेपरलोक को ा त कया''।

ी गु ने ा मण केआचरण केस ब ध म व तत ृ प सेजानकार द । वो


बोले'' अपनेघर को व छ रखो । ाथना क को व छ करकेउसेरं गोल से
सजाओ। मौन धारण करके यान और ईश आराधना करो। लकड़ी और प थर क
मूतय क भी पज ूा कर सकतेहो। एक साफ़ सथुरेआसन पर बै ठो, ाणायाम
करो, इ वर को भि तपवूक फू
ल अ पत करकेपज
ूा करो, ी व णु को तल
ुसी और
ी शव को बे ल प , ी गणेश को दव
ूा अ पत करके धापव ूक पज ून करो।
म या न म अ त थय को भोजन करवाओ चाहेवो उ च कु ल का हो या न न
वग का। भोजन के लए के लेया कमल प उ म है । ता बेकेपा म भोजन
नह ंकरना चा हए। भोजन म सव थम मीठे य का से वन करो। चावल का सेवन
86

पहलेमत करो। कसी का छोड़ा हुआ भोजन हण मत करो। भोजनोपरां


त ता बल

(पान) लो। घी या ते
लयुत भोजन हण करनेम कोई हा न नह ंहै
। भोजन के
बाद वे
द का पठन करना चा हए।

शमशान, जीण शीण मं दर, नद तट, बा बी या चौराहेम सोना विजत है


। येसारे
नयम पराशर ऋ ष नेतय कयेथे। जो भी इन नयम का पालन करे गा उसे
कोई क ट नह ंहोगा, दे
वता उससे स न ह गे, उसकेघर पर कामधे नुऔर ल मी
नवास करगी। वह म ानी कहलाये
गा''।

येसब ान ा त करके ा मण संतु


ट हुआ और बोला '' हेदया केसागर,
आपनेयेअवतार भ तो केक याण और उ ह मो दलानेके लए लया है ।
आप ान के व प ह और आज आपनेमे रेमन केअ धकार को दरू कया है
''।

येकहकर उसने ी गु का चरण पश कया । उ ह नेउसेआशीवाद दया। येगु


च र का सार है
, जो कोई भी इसका वन करे
गा उसका अ ान न ट होगा । ये
ान के काशपज

ु स श है''।
-०-

अ याय - २५

६० वष क ी को सं
तान ाि त, नरहर का कुठ रोग दरूहु
आ ।

६० वष क ी को सं
तान ाि त

सोमनाथ नामक शौ नक गो का एक ा मण था । उसक प नी गं गा एक


प त ता और सम पत ग ृ हणी थी। वह ६० वष क हो गयी क तुउसक कोई
सं
तान न थी। वह रोज़ ी गु केपास जाकर उनक पज ूा करती थी। उसक
भि त से स न होकर एक दन ी गु नेउसक इ छा पछ ू । वो बोल '' गुदे

एक ी का जीवन सं
तान के बना नरथक है। पु के बना घर जं गल क तरह
हैन सं तान द प त नरक को ा त होतेह। कृ पया मझ
ुेआशीवाद द िजयेक
अगलेज म म मझ ुेपु क ाि त हो''।

ी गु बोले'' अ व थ क पज
ूा न फल नह ंहोती। भीमा-अमरजा संगम पर एक
अ व थ व ृ हैिजसमे म रहता हू
​ ँ। उसक पज ूा करो । अ व थ केमह व बारे
परुाण म भी वणन कया गया है । उस व ृ क जड़ म मदे
व, म य भाग म ी
व णुऔर सबसेऊपर रहतेह। उस व ृ केअ दर अि न दे वता का नवास
87

है
। आषाढ़, पौष या चै मास म जब गु शु अ त नह ंहो, जब चंमा अनक ल
ुू
हो तो कसी शभु दन उपवास रखो और अ व थ क पज ूा करो। र ववार, संांत
या संया को इस व ृ को पश नह ं
करना चा हए, व ृ क जड़ को गोबर सेले प
कर रंगोल सजाओ, व ृ को मू त समझ कर १६ उपचर केसाथ पज ून करो,
पुष सूत का उ चारण करो और व ृ केचार ओर प र मा करो । इस व ृ के
चार ओर २ लाख प र माय मह या केपाप सेभी मिुत दलाती है । इससे
चार पुषाथ ा त होतेह और पु क ाि त भी होती है''।

''अ व थ केनीचेश नवार को कया गया म ृ यज



ुय जाप आकि मक म ृ य टालता
हैऔर ल बी आयुदे ता है
, इसकेनीचेएक ा मण को भोजन कराना अने क
ा मण को भोजन करानेका फल दे
ता है
, एक अ व थ व ृ लगाने से४२ पी ढ़य
का उ धार होता है
, क तुएक भी व ृ को काटना बहु
त बड़ा अपराध है
। इस व ृ
केनीचेकया गया होम एक य केबराबर फल दे ता है
। प र माओंकेदसवे
ह सेसमान होम करके ा मण को भोजन कराओ और सोनेका अ वथ दान
करो ''।

ा मणी नेआ ानस


ुार ी गु क पज ूा क । तीसरेदन उसे व न हु आ, एक
ा मण नेउसेगं
गापरु जाकर ी गु केचार ओर ७ बार प र मा करके साद
हण करनेको कहा िजससेउसक मनोकामना पण ू होगी। चौथेदन उसनेवैसा
ह कया । ी गु नेउसे २ फल खानेको दए। उसने त परूा करकेअ व थ क
पज
ूा क और ी गु के दए दोन फल खाए।
ी गु केकहेअनसुार ९ मास केबाद उसेपुी क ाि त हु
ई िजसेले
कर वो
ीगु केदशनाथ गयी ।

ी गु मुकु रा कर बोले'' तुहेएक और पु क ाि त होगी। बोलो तुहे या


चा हए ३० वष क आयुवाला एक बुधमान पु या १०० वष क आयु वाला मख

पु ?''

ा मणी बोल '' मझ


ुेऐसा बुधमान पु चा हए िजसके५ पु ह ''। ी गु ने
तथा तुकह कर उसेआशीवाद दया। ी गु केकहेअनस ुार उसेएक बुधमान
पु क ाि त हु
ई िजसकेचार पु हु
ए। उसकेदामाद नेभी य करकेयश
अिजत कया और '' द त '' केनाम सेजाना गया।

नरहर का कुठ रोग दरूहु



88

एक बार नरहर नामक एक ा मण ी गु केपास गं गापरु आया। ी गु को


णाम करकेवो बोला '' गुदे व मे
रा जीवन यथ है
। मझुेयजव ुद का ान है
क तुकोई मझुेकम का ड के लए आमंत नह ं करता यो क म कुठ रोग से
पी ड़त हू

। मनेअने
क तीथ थल क या ा क क तुमे रा रोग ठ क नह ंहु
आ ।
कृपा करकेमे
र मदद क िजये
''।

ी गु नेउसेऔद ुबरु व ृ क सखूी लकड़ी का ल ठा दे


कर कहा '' सं
गम पर
जाओ और इसे भीमा नद केतट पर परू ब क ओर धरती म लगाओ। नान करके
अ व थ व ृ क पजूा करो फर दोबारा नान करकेइस लकड़ी केल ठेको दन
म तीन बार जल चढाओ। जब इसम हरेप ेउगगेतो तुहारेसारेपाप न ट ह गे
और रोग ठ क हो जाये
गा।

नरहर ने ी गु केकथन अनस ुार लकड़ी केल ठेको भीमा नद केतट पर


लगाकर दन म तीन बार जल चढ़ाना आर भ कर दया। लोग नेउसका उपहास
कया '' तम
ु पागल हो गए हो या ? या सख ूी लकड़ी म भी कभी ह रयाल
आती है? नरहर ने धापव ूक जल चढ़ाना जार रखा और साथ म उसने७
दन का उपवास भी कया।

ी गु के श य नेउ ह नरहर क से वा के वषय म बताया। वेबोले'' मनुय


को उसकेकम केअनस ुार फल ा त होता है। इस स ब ध म क द परु ाण म
एक कहानी हैजो म तुहेसन
ुाता हू
ँ''।

सतू नेऋ षय को येकहानी सन ुाई थी '' परु


ातन समय म पां
चाल रा य म राजा
स के तुका राज था। उनका पु धनंजय एक बार अपनेसे वक, शबद केसाथ
जंगल म गया। शबद नेएक शव मं दर केपास सेशव लं ग केआकार वाला
एक प थर उठा लया। राजकु मार नेपछुा '' यहाँपर इतनेसारेशव लंग ह फर
तम
ु इस प थर का या करोगे?'' शबद बोला '' म हर रोज़ इसक पज ूा क ँगा
कृपया आप मझुे पज
ूा क व ध बताएं''।
राजकुमार बोला '' इस शव लं
ग को घर म था पत करो और फू ल एवंबे
ल प
सेइसक पज ूा करो। हर रोज एक नयी चता क भ म का नै वेय अ पत करो।
जो कुछ भी खा सख ूा भोजन तुहारेघर म बनेगा उसेभी अ पत करो। शबर
शव लंग घर लेगया और रोज़ उसक पज ूा करनेलगा। एक दन उसेनै वेय के
लए ताज़ी चता का भ म नह ंमला। वो दख ुी हो गया तो उसक प नी बोल ''
मेरेशर र को जलाकर उस भ म को शव जी को अ पत कर दो ''। येसन ुकर
89

शबर बहुत नराश हु


आ और बोला '' ऐसा करकेम घोर अपराध क ँगा ''। प नी
बोल '' आज नह ंतो कल म ृ युतो तय है, अगर येशर र शव जी को अ पत
क ँगी तो कै
लास म थान ा त क ँ गी। इस लए तम
ु मे
र चता क भ म आज
शव जी को अपण कर दो ''।

शबर नेप नी क चता जलाकर भ म शव जी को अपण कर दया। पज ूा केबाद


रोज़ क तरह उसनेप नी को साद ले नेको आवाज़ लगायी तो वो मुकुराती हु

घर सेबाहर आई। घर म सब कु छ सामा य था जै
सेकु
छ न हुआ हो। येदे खकर
शबर आ चयच कत रह गया। उसक प नी बोल '' तुहार आवाज़ सन ुकर म नीं द
सेजागी ''। उनक भि त से स न होकर शव जी उनकेसम कट हुए। दोन
नेउ ह णाम कया और शव जी का आशीवाद ा त कया। गु भि त क
म हमा अपर पार है। जो गु केश द म गाढ़ आ था रखे गा उसेमनोवां छत
फल क ाि त होगी।

ी गु एक दन सं गम पर कुठ रोगी ा मण को देखने


गए। उसक भि त सेवे
स न हुए और उ ह नेलकड़ी केल ठेपर अपनेपा म सेतीथ छड़का। दे खते
दे
खतेसखूी लकड़ी पर हरेप ेउग आये । ा मण का रोग भी ठ क हो गया और
उसका शर र व थ हो कर चमकनेलगा। नरहर ने ी गु को णाम करके
उनक तु त क । उसने ी गु क म हमा पर ८ लोक रचेिज ह आज भी
गं
गापरुम संया क आरती केबाद गाया जाता है।

नरहर को आशीवाद दे कर ी गु मठ म लौट गए। नरहर भी उनकेसाथ था।


उ ह नेनरहर को '' योगे
वर '' नाम दया और उसे
अपने
प रवार केसाथ मठ म
रहनेका आदे श दया। बाद म ी गु नेउसे'' व या सर वती '' म का
उपदे
श भी दया था ।

-०-

अ याय - २६

सयमदे
व क काशीख ड या ा

नामधारक नेपछ
ुा '' मे
रेपरु
ख नेकस कार ी गु क से
वा क थी '' ?
90

ी स ध बोले'' तुहारेपरदादा सयमदे व ने ी गु क पजूा ओस ाम म क थी


उनसे ीगु को बहु त ने ह था'' । कु छ दन केबाद ीगु गं गापरु म आकर
रहनेलगेऔर उनक क त दरूदरूतक फ़ै ल गयी। उनकेबारेम जानकर सयमदे व
भी गंगापरुआ गए और मठ म पहु ं
चकर उ ह ने ी गु को णाम कया। ी गु
ने स न होकर उ ह आशीवाद दया '' तम ु ज म ज मा तर तक मे रेभ त
रहोगे
। जाओ सं गम पर नान करकेभोजन करनेमठ म आओ '' । नान करके
सयमदे व ने ी गु क पज ूा क और नै वेय अ पत कया। फर उ ह ने ी गु
केसाथ भोजन कया। ी गु नेउनकेप रवार का कु शल े म पछ
ुा तो सयमदेव
नेबताया '' मे
रेस ब धी और पु उ र कां ची म रहतेह, वे
सब सखु सेह क तु
म अब आपक से वा करना चाहता हूँ
''।

ी गु बोले'' मे
र से वा का पथ द ुकर है
। म कभी नगर म तो कभी वन म
रहता हू

। अगर तुहारा मन ि थर हो तभी इस बारेम वचार करो''।

सयमदे
व बोला '' आपकेभ त को कै
सा डर ?''

तीन माह केबाद एक दन ी गु सयमदे व केसाथ सं गम पर गए और अ व थ


क छाओंम व ाम कर रहेथेक इतनी दे र म बहुत बड़ा तफ़ूान आया और
बा रश होनेलगी। सयमदे व ने ी गु को बा रश सेबचानेके लए उनकेऊपर
एक कपडा डाल कर उसेपकड़ कर खड़ा हो गया। उस रात को बहु त ठ ड भी थी।
ी गु नेसयमदे व को मठ सेलकड़ी लानेका आदे श दया। जं गल म चार ओर
अँधेरा था बा रश हो रह थी और बीच बीच म बजल भी चमक रह थी। ी गु
नेसयमदे व को सचे त करतेहु
ए दाई और बायींओर दे खनेसेमना कया।
सयमदे व कसी कार मठ पहु ं
चा और लकड़ी ले कर जंगल क ओर चल पडा।
कौतहूलवश उसनेदाई और बायींओर दे खा तो दो नाग को उसकेसाथ चलते
दे
खा। ी गु का नाम मरण करता हु आ वो सीधा ी गु केपास पहु ं
चा। दोन
नाग ने ी गु को णाम कया और अ तधान हो गए।

ी गु बोले'' तम
ु इतने
डरेहु
ए य हो ? इन दो नाग को तुहार र ा के लए
मनेह भेजा था। म तुहेगु क से
वा केबारेम एक कथा सनुाता हू
ँ''।

एक बार पारवती नेशव जी से न कया '' ी गु क न ठापव


ूक भि त कस
कार क जा सकती है?''

ी शव बोले'' जो भ त ी गु क से वा धापव
ूक करते ह उनकेसब मनोरथ
स ध होतेह। एक बार मा ने'' व थ ा मण '' का अवतार लया । उपनयन
91

संकार सं
प न होनेकेबाद उ ह वेद शा क श ा हे
तुगु केआ म म भे
जा
गया जहाँ
उ ह नेगु क खब ू से
वा क ।

एक बार बहुत तेज़ वषा हुई और आ म म भी पानी आ गया। गु नेउ ह


आदेश दया '' एक ऐसे थायी गह ृका नमाण करो िजसमेसब सु वधाएंहो और
जो कभी परुाना न हो '' ।गु क प नी बोल '' मे
रेलए ऐसी चोल लेकर आओ
िजसेन तो बन ुा गया हो और ना ह सला गया हो''। गु का पु बोला '' मे रे
लए ऐसी पादकुाएंलाओ िज ह पहन कर म कसी भी थान पर पहु ँ
च जाऊंऔर
जल पर भी चल सकँ ू'' ।गु क पुी बोल '' मे
रेलए कान क बा लयाँ
, हाथी क
दां
त सेबना खलौना जो एक तं भ पर खड़ा हो और ऐसा पा िजसमेभोजन सदा
गम रहेऔर िजस पर कभी का लख न चढ़ेलेकर आओ''।

श य चं तत था क येसब कहाँ से ा त क ँ
गा । वो वन म गया जहाँ
उसे
एक
स यासी मला। उसनेपछ
ूा '' व स तम
ु य य हो ?''
श य बोला '' मेरा सौभा य हैक आप केदशन हु ए ह ।कृ
पया मे रा मागदशन
क िजये क म अपनेगु और उनकेप रवार वारा इि छत व तओ ु ंको कस
कार ा त कर सकता हू ँ'' । स यासी बोला '' चं
तत मत हो काशी जाकर
व वेवर क पजूा करो वहांपर सभी क मनोकामनाएंपण ू होती ह ''।
श य नेपछ
ुा '' काशी कहाँ
पर है
, म वहा कै
सेपहु

च सकता हू
ँ? ''

स यासी बोला '' ​


म तुहेवहांपर लेचलँ

ूा, तुहारेकारण मझ
ुेभी काशी दशन
का सौभा य ा त होगा''।

काशी म स यासी नेश य सेकहा '' अं तर हया ा, द ण मानस या ा, उत ्


मानस या ा करनेकेप चात नान करो फर ओं ोशी या ा, कृण और शुल
प या ाय करने केबाद नौ शव लं ग क पजूा करके व वे
वर क आराधना करो
तो तुहार इ छाओंक पत ू होगी'' । श य नेजब येसब कया तो शव जी ने
स न होकर उसकेसम कट होकर वरदान मां गनेको कहा। श य नेजब
अपनी इ छा बताई तो शं कर जी नेउसेवो सब दान कया और बोले'' तम ु
व वकमा केसमान यो य बनोगे'' । उसने गु और उसकेप रवार वारा इि छत
व तओु ंका नमाण कु शलता पवूक कया। जब गु और उनकेप रवार नेउ ह
दे
खा तो वेभी बड़े स न हु ए। गु नेउसेआशीवाद दया '' तमु सभी व याओं
म वीण बनोगे ''।
92

इस कार ी गु नेगु क महानता बारेया यान दया। उस समय सय ूदय हो


रहा था ,सयमदे व बोला '' जब आप काशी या ा का व ृा त सन
ुा रहेथेतो मझ
ुे
भी उस थान केदशन हु ए और ऐसा तीत हु आ क मानो म आपकेसाथ काशी
दशन के लए गया हू ँ
। सयमदे व ने८ लोक पढ कर ी गु क आराधना क जो
आज भी गं गापरुम आरती केसमय पढ़ेजातेह। उसक भि त से स न होकर
ी गु बोले'' जाओ अपने प रवार को भी यहाँ
लेकर आओ और सब मे रेसाथ ह
रहो''।

सयमदेव अपनेप रवार को ले कर भा पद शुध १४, अनं त चतद ुशी वाले दन


गं
गापरुपहु ं
चा। इस बार उसनेक नड़ म ८ लोक पढ़ कर ी गु क तु त क ।
ी गु नेउसकेप रवार को भी आशीवाद दया और बोले'' आज सभी ा मण
अनंत क पज ूा करतेह। तम ु भी करो'' । सयमदे
व बोला '' आप ह मे रेलए
अनंत ह '' । ी गु नेउसेअनं त क पज ूा करनेका आदेश दया।

-०-

अ याय - २७

अनं
त त क म हमा

ी गु नेसयमदे व को अनं त त केमह व केबारेम बताया। उ ह नेबताया ''


पां
डूकेपु धमराज नेइस त को करकेअपनेसा ा य को कौरव सेवा पस
पाया था। सा ा य को जए ु म हारनेकेबाद पां
डव जंगल म अनेक क ट अनभुव
कर रहेथे । कौरव नेदव ुासा ऋ ष को जं
गल म पां डव को पी ड़त करनेके लए
भेजा क तु ी कृण नेउनक र ा क । एक बार ौपद और प च पां डव ने ी
कृण सेक ट नवारण हे तुकोई उपाय सझ
ुानेका आ ह कया। तब ी कृण ने
उ ह अनं त त करनेक सलाह द थी । उ ह नेबताया '' भा पद शुध १४ को
अनंत क पज ूा करो । इस त क म हमा केबारेम म तुहेएक कथा सन ुाता
हू

कृ
त यगु म व स ठ गो का सम
ु तुनामक ा मण रहता था। उसक प नी का
नाम द ा और पुी का नाम सश
ुीला था। अपनी पहल प नी क म ृ युकेबाद
उसनेककशा नाम क ी सेदस
ूरा ववाह कया। वो ी हर रोज सम
ु तुऔर
उसक पुी केसाथ कलह करती थी िजस कारण ा मण दखुी रहता था।
93

सश
ुीला जब थोड़ी बड़ी हु
ई तो क ड य सेउसका ववाह हु
आ। आषाढ़ और ावन
मास म पुी दामाद ा मण केघर म ह थेक तुककशा केरोज़ केकलह से
तं
ग आकर कौि ड य नेअपनेघर जानेक अनम ु त मां
गी। येसनु​कर ा मण
दख
ुी हु आ और उसनेअपनी प नी को खब ू कोसा क इस ी केकारण मेरा
प रवार मझ
ुसेअलग हो रहा हैऔर घर जं गल बन गया है। येप नी नह ंमे

श ु है

कौि ड य नेउसेढाढस बंधाया और १२ दन और कनेको मान गया।१३वेदन


समु तुनेपुी को वदा करनेहेतुप नी से वा द ट भोजन बनानेको कहा क तु
वो कमरेम दरवाज़ा बंद करकेबैठ गयी। आ खर म सम ु तुनेखदु ह पुी को
वदा कया।

अगलेदन ातः काल कौि ड य नद केतट पर नान करनेगया।। सश ुीला ने


वहां
बहुत ीय को लाल व म कसी देवता क पजूा करते दे
खा। उसने उनके
पास जाकर पजूा केबारेम जानकार ल । उ ह नेबताया क वेअनं त क पज ूा
कर रह ह िजससेसभी मनोरथ स ध होतेह। सश ुीला नेपजूा व ध क भी
जानकार ल , एक लाल धागे के१४ गाँ
ठ बाँ
ध कर उसने अनंत को था पत कया,
एक दभ सेशे ष को बनाया और १६ उपचर केसाथ उसनेअनं त क पज ूा क ।
उसकेबाद उसनेअनं त का लाल धागा अपनेहाथ पर बाँ
धा।

एक दन क ड य नेउस लाल धागेको दे खा और ो धत होकर बोला क तम ुने


येलाल धागा मझुेअपनेवश म करनेके लए बाँ धा है
। सशुीला नेउसे समझाया
क येअनंत है, िज ह नेहमेयेसखु और सम ृध दान क है । कौि ड य ने
प नी क एक न सन ुी और गुसेम अनंत को जलती आग म फक कर बोला ''
यह सम ृध मझ ुेमेर तप या से ा त हु
ई है
'' । दखुी होकर सशुीला नेअनंत
को आग सेनकलनेका य न कया क तुअनं त ुध हो चक ुेथे। दे खते
दे
खतेकौि ड य क सम ृध छन गयी और वो द र हो गया। उसेअब अपने
कयेपर पछतावा हुआ और उसनेशपथ ल क जब तक अनं त को नह ंदेखगं
ूा
तब तक अ न जल हण नह ं क ँ
गा।

येसंक प ले
कर वो सश
ुीला केसाथ जंगल क ओर चल पडा। रा ते म उसनेफल
सेलदेएक पेड़ को दे
खा िजसेकसी प ी नेनह ं छुआ था । उसनेपे
ड़ सेपछ
ुा ''
या तम
ुनेअनंत को दे
खा है
? पे
ड़ बोला नह ं
, क तुअगर तमु अनं
त सेमलो तो
मे
रेबारेम अव य बताना। थोडा आगेउसनेएक गाय और उसकेबछड़ेको दे खा
जो घास खानेका यास कर रहेथेक तुखानेम सफल नह ंहो रहेथे। आगे
94

उसनेएक बड़ेबै ल और दो झील को देखा िजनका जल कोई नह ंपीता था, थोड़ी


दरू पर उसनेएक हाथी और एक गधेको दे खा जो मक
ू थे
, कौि ड य नेसब से
पछुा '' या तम
ुनेअनंत को दे
खा है
? सबनेकहा नह ंक तुअगर तम ु अनं त से
मलो तो हमारेबारेम अव य बताना। आ खर म थक कर कौि ड य एक व ृ क
छाओं म बै
ठ गया।

वहांपर एक बढूा ा मण आया और कौि ड य क परे शानी का कारण पछ


ुनेलगे
। जब उसनेकारण बताया तो वो बोला म तुहेअनं
त सेमलवाता हूँ
। कौि ड य
को वह ा मण एक सुदर नगर म लेगया और एक महल म सुदर सं हासन
पर बठाकर अपनेअसल व प म आ गया। येदेख कर कौि ड य
आ चयच कत रह गया। अनं त को अपनेसम दे ख कर वह स न हो गया और
उनक तु त क । अनंत नेउसे तीन वरदान दए, पहला वरदान धम क ाि त,
दस
ूरा वरदान सम ृध और तीसरेवरदान म उसेवैकुठ म थान मला।

कौि ड य नेअनं त सेपेड़, झील, हाथी, गधे , गाय और बैल केबारेम न


कया। अनंत नेबताया '' फलदार व ृ एक ा मण था िजसेअपने ान पर गव
था क तुउसनेअपने ान को आगेनह ं बां
टा इस लए वो ऐसा फलदार व ृ बना
िजसकेफल को कोई हाथ नह ंलगाता है । गाय नेबं जर भू म एक ा मण को
दान म दया था, बै ल एक ऐसा धनी ा मण था िजसनेकभी दान पुय नह ं
कया था, दो झील दो बहनेथी जो अपनी सं प का आदान दान आपस म एक
दस
ूरेकेसाथ ह करती थी, हाथी तुहारा ोध और गधा तुहारा अ भमान है , वो
बढ
ूा ा मण म था। तम ुनेिजस िजस को दे खा उन सबको अब मिुत मल गयी
है

अनं
त का आशीवाद ा त करकेकौि ड य नेसख
ुपव
ूक जीवन यतीत करकेअं

म वग म थान ा त कया ''।

ी कृण नेयेकथा यु धि ठर को सनुाई थी । उ ह नेअनं


त क पज ूा करके
अपना सा ा य वा पस पाया। ी गु नेसयमदे व को येकहानी सन
ुाकर उसके
पु नागनाथ को ये त करनेको कहा। उ ह ने ी गु केआदे श का पालन
कया। उसकेबाद सयमदेव अपनेगाँव गया और अपनेप रवार को वहांपर छोड़
कर ी गु केपास लौट गया।

-०-
95

अ याय - २८

महा शवरा को तं
तक
ु क ीशै
ल या ा, आठ थान पर ी गु नेएक साथ
दशन दए ।

महा शवरा को तं
तक
ुक ीशै
ल या ा

तं
तकु नामक एक बन ुकर ीगु का भ त था। वो भि तपव ूक ी गु क से वा
करता था । वह दोपहर तक अपना काम करता था फर नान करके ी गु के
मठ का आँ गन साफ़ करता था। एक बार शवरा केकु छ दन पव
ू उसका सारा
प रवार ीशैल गया। उ ह नेतं
तक
ु को साथ चलनेको कहा तो वो बोला '' मेरा
ीशैल मे
रे ी गु केचरण म है'' । वो घर पर ह रहा।

महा शवरा वालेदन सं गम पर जाकर उसने ी गु को णाम कया। ी गु


बोले'' तुहारा सम त प रवार ीशै ल केदशन करनेगया है या तम ु भी दशन
करना चाहोगे? मे रेसाथ चलो म तुहे ी शै ल दखाऊं गा। आख बं
द करकेमेर
पादक ुाओंको जोर सेपकड़ो। येकहकर ी गु उसेएक ण म ी शै ल लेगए।
वो जब नद म नान करने गया तो उसेवहां
उसकेस ब धी मले । उ ह नेपछ
ुा
'' तमु यहाँछु
प छुप कर य आयेहो ? उसनेकहा '' म ी गु केसाथ आया
हूँ
'' । कसी नेउसपर भरोसा नह ं कया। नानोपरां त बेल प लेकर उसने
मि लकाजन ु केदशन कये । शव लं ग पर मि लकाजन
ु के थान पर उसनेजब
ी गु को दे
खा तो दं
ग रह गया। पजूा करकेवो ी गु केपास आया तो उ ह ने
पछूा '' तम
ु यहाँपर रहोगेया मे
रेसाथ वा पस चलोगे?''

तं
तक
ु बोला '' आज मनेएक चम कार दे खा है
, मने ी शं
कर के थान पर
आपको देखा था। जब आप गं
गापरुम ह थे
तो लोग आपको दे
खनेइतनी दरू य
जातेह ?

ी गु बोले'' इ वर हर थान पर हैक तुहर थान का अपना मह व होता है



इस थान केमह व केबारेम क दपरु ाण म वणन कया गया है, सन
ुो ।''
करात देश का राजा वमशन था। उसनेआस पास केरा य केसभी राजाओंको
युध म हरा दया था। वह या भचार , मांसाहार क तुभगवान ्
का बड़ा भ त
था। उसक प नी जो बड़ी धमपरायण थी, नेएक बार उससेउसकेआचरण केबारे
म न कया। राजा बोला '' म तुहेगत ज म क कहानी सन
ुाता हू

। म प पा
नगर म एक कुेक यो न म था । शवरा ी वालेदन जब सब लोग शव जी
96

क पजूा कर रहेथेतो म भी कु
छ खानेक इ छा सेमं दर म गया । लोग म
मझ
ुेप थर मार कर भगा दया और म मं दर केचार ओर भाग कर अंत म एक
नालेम शरण ल । मनेशव जी क पज ूा दे
खी क तुलोग नेमझुेजो प थर मारे
उससेमेर मृयुवह पर हो गयी। मंदर केसामनेमेर मृयुहु
ई इस पुय कम
केकारण म इस ज म म राजा बना क तुकुेक व ृ इस ज म म भी नह ं
गयी इस लए मे
रा आचरण ऐसा है
''।

रानी नेपछ
ुा '' आपने अपने
गत ज म केबारेम बताया हैअब मे
रेगत ज म के
बारेम भी बताइये''।

राजा बोला '' तम


ु गत ज म म एक कपोती थी । तमु अपनी च च म मांस का
टु
कड़ा लए उड़ रह थी जब एक चील तम ु पर झपटा । तम
ु गर वन म जाकर
चार ओर च कर काटनेलगी उसकेनीचेएक शव मं दर था। अं
त म तम
ु थक
गयी और मं दर के शखर पर बैठ गयी । उस चील नेतमु पर वह आ मण
कया और मार डाला। शव मं दर केच कर काटनेका जो पुय कम तमुनेकया
उसकेबदलेम इस ज म म तम ु रानी बनी''।
रानी नेफर न कया '' हमारा भ व य कै सा होगा ?'' राजा बोला '' म स धु
नरेश और तम ु संजय देश क राजकु मार होकर मेर प नी बनोगी, फर म सौरा
का राजा और तम ु क लंग क राजकु मार बनकर मझ ुसेववाह करोगी, चौथेज म
म म गां धार नरेश और तम ु मगध क राजकु मार और मे र रानी बनोगी, पां
चवे
ज म म म आवं ती नरे
श और तम ु दसन म ज म ले कर फर मे र प नी बनोगी,
उसकेबाद म अनं त नरेश और तम ु यया त क पुी बनकर मझ ुसेववाह करोगी,
सातवेज म म म पा य नरे श ' पांया वमा '' हू

गा और तम ु वदभ क
राजकुमार '' वासम
ुती '' मझ
ुसेववाह करोगी। बहु त सारेय य करकेम संयास
लँग
ूा और अगि त मु न केआ म म म व या हण क ँ गा और अं त म
तुहारेसाथ वग म जाउं गा ''।

ये ीशै ल केमह व का वणन था। ी गु बोले' गं


गापरुम क ले वर व यमान
ह उ ह मि लकाजन ु का प समझ कर उनक पज ूा करो' । तं
तक
ु बोला '' जब
मनेमि लकाजन ु के थान पर आपको दे
खा तो म और तीथ म जाकर पज ूा य
क ँ?''
97

ी गु नेतं तक
ु को आँख बं
द करकेउनक पादक
ुाओंको पकड़नेको कहा। तरु


ह वो गंगापरु पहु

च गए। ी गु नेतं
तक
ु को नगर म भे
जकर उनके श य को
बल
ुा लानेको कहा।
तं
तकु को दाढ़ कटवा कर देखा तो लोग नेउस बारे न कया । वो बोला '' म
ीशै
ल गया था येलो बुका और साद'' ।लोग नेउसका उपहास कया '' हमने
तुहे ातः काल को यहाँपर दे
खा था फर तमु इतनी ज द ीशैल जाकर वा पस
कै
सेआये?'' उसनेबताया '' मझुे ी गु अपनेसाथ वहांपर लेगए थेउ ह ने
ह तमु लोग को बल
ुा लानेमझुे यहाँपर भे
जा है
''।

येचम कार दे
ख कर लोग आ चयच कत रह गए और सबने ी गु क तु त
क । तं
तक
ु केस ब धी ीशै ल से१५ दन केबाद लौटेवो भी इस चम कार के
बारेम सन
ुकर है
रान रह गए।

आठ थान पर ी गु नेएक साथ दशन दए

एक बार द पवाल यौहार केअवसर पर ी गु केसात भ त नेउ ह अपने घर


पर आमंत कया। ी गु उन सब से े म करतेथेइस लए अब सम या येहु ई
क कसका नमंण वीकार कया जाए कसका नह ं । वेबोले'' तम
ु सब सात
अलग थान पर रहतेहो इस लए म सबकेघर पर कै सेजा सकता हूँ? इस लए
आपस म तम ु ह न चय कर लो क मझ ुेकसकेघर जाना है'' ।सबने ीगु को
अपनेघर पर अ त थ बननेक ाथना क और आपस म लड़नेलगे । ी गु ने
हर भ त को अलग सेबल ुाकर कहा क वो उसी केघर पर आएं गे
। भ त ने ी
गु से ाथना क '' हेगु आप ह हमारेएकमा सहारा ह अगर आप हमार
उपेा करगेतो हम यह पर ाणांत कर लगे। हमारेलए आपकेवचन ह जीवन
का आधार ह '' । इस कार सबने ाथना क और अपनेघर को लौट गए।

ीगु नेसबको वचन दया क वो उन सभी का आ त य वीकार करगे । एक


भ त नेपछ
ुा '' हम कै
सेमान क आप हम सभी केघर आयगे ?'' ी गु नेहर
भ त को अलग सेबल ुाया और बोले'' म के
वल तुहारेघर आऊं गा क तुतमु
येबात कसी को नह ंबताना''।

जब गं गापरुवा सय को येबात पता चल तो उ ह ने ाथना क '' आप द पावल


यौहार पर कृपया गं
गापरु म ह रह'' । ी गु नेउ ह वचन दया क वेउनके
पास ह यौहार मनाएंगे।
98

नरक चतद ुशी वालेदन ी गु ने८ प धारण कयेऔर सात भ त केघर


गए और गं गापरु म भ त केसाथ भी रहे। उ ह नेसबक पज
ूा उनकेघर म
वीकार क ।

थोड़ेदन केबाद सभी भ त का तक पू णमा वालेदन एक दसूरेसेमले। सबने


अपना अपना अनभुव सनुाया क द पावल वालेदन ी गु उनकेघर पर थे ।
गं
गापरु केभ त नेकहा क ी गु तो द पावल पर मठ म ह थे । सबने ी
गु को चढ़ायेव दखाए तो भ त केसमझ म आया क ी गु ८ प म
सबकेपास थे। सबको ात हुआ क ीगु मू त के प ह और उनक आ था
और गहर हुई।

जो भी ी गु क भि त करता हैउसकेसब मनोरथ स ध होतेह। गु भि त


का रसा वादन करनेहे तु ान क आव यकता होती है । मख
ू और अ ानी गु
भि त क म हमा नह ं जान पाते
। इस अमत ृ को चखने के लए ान और भि त
चा हए। वे
द भी कहतेह क जो भी गु को के वल एक मनु य जानकर उनक
अवहेलना करता हैवो पशुका ज म लेता है
। ी गुच र पाठ भी वेद शा के
पाठ केसमान है। गु ह मिुतदाता ह जो भी गंगापरुजा कर ी गु क से वा
करता हैउसक सभी मनोकामनाएंपरू होती ह। इस लए भि तपव ूक मन क
शुध करकेइस थ का पठन क िजयेऔर गं गापरुकेदशन भी अव य कर।

-०-

अ याय - ​
२९

नं
द ​ा मण ​
का ​
कुठ ​
रोग ​
दरू​
हु
आ, ​
कवी ​
नरहर ​ी ​
गु​
का ​
भ त​
बना ​

नं
द ​ा मण ​
का ​
कुठ ​
रोग ​
दरू​
हु

नंद ​
नामक ​ एक ​ा मण ​ कुठ ​रोग ​से पी ड़त ​
​ था ​
।​३​ वष ​तक ​
उसने उपवास ​
​ रखा ​
और
तलुजापरु​भवानी ​
क ​
आराधना ​ क ,​ भ वाडी ​ के​नकट ​भवुने वर ​
म​ ७​माह ​
तक ​उसने दन

रात ​
दे
वी ​
क ​भि त ​
क।​ एक ​ दन ​
देवी ​
ने उसे
​ ​व न ​म​आकर ​ी ​ गु​ केपास ​
​ गंगापरु​
जाने
क ​आ ा​ द।​नद
ं​बोला '' ​
आप ​वयं दे
​ वी ​
ह​
और ​ मझ
ुे एक ​
​ मनु य​के पास ​
​ रोग ​नवारण ​
हेतु
भेज​रह ​हैये
​ उ चत ​तीत ​
​ नह ंहोता। ​
​ म​ यह ​ आपके​ चरण ​ म​पड़ा ​
रहू

गा ​क तु ​कसी
मनु य​के​पास ​
नह ं
जाउं
​ गा'' ​
।​पज
ुार ​ को ​भी ​
ऐसा ​
ह ​व न ​ हु
आ। ​उसने और ​
​ कुछ​लोग ​ने
नंद ​
को ​समझाया ​क​उसे दे
​वी ​
के​कहे अनस
​ ुार ​
गंगापरु​जाना ​
चा हए ​
पर तु जब ​
​ वो ​
नह ं
माना ​
तो ​
उ ह नेउसे
​ मं
​ दर ​ म​आने से
​ रोक ​
​ दया ​गया । ​नदं​केपास ​
​ कोई ​वक प ​नह ंरह

99

गया ​और ​वो ​


गं
गापरु​
चला ​
गया। ​मठ ​
म​पहु

चकर ​
उसने
जस
​ ैे
ह ​ी ​
​ गु​
को ​णाम ​
कया ​
तो
वो ​
बोले दे
'' ​वी ​
को ​
छोड़कर ​एक ​मनुय​के​
पास ​
तम
ु​य ​
आयेहो ? ​
​ मझ
ु​पर ​
सद
ंे
ह​
करोगेतो

रोग ​कस ​कार ​ठक​ होगा ?''

ी​
गु​ ने
उसके​
​ मन ​
क ​
बात ​ कह ​
द ​
थी, ​
येदे
​ख​कर ​
वो ​
घबरा ​
गया ​
और ​ी ​
गु​केचरण ​
​ म
गरकर ​ाथना ​करनेलगा '' ​
​ म​मखू​हू
ँमझ
​ ुे​मा ​
कर ​द िजयेम​
​ आपक ​ शरण ​म​आया ​
हूँ
मे
र ​
र ा​क िजये।​
म​इस ​
रोग ​सेपी ड़त ​
​ हू
ँमे
​रे
सगे
​ स बि धय ​
​ नेभी ​
​ मझ
ुेछोड़ ​
​ दया ​
है


चं
दला ​
दे
वी ​
ने
मझ
​ुे आपके
​ पास ​
​ भे
जा ​
हैमझ
​ुेइस ​कार ​
​ मत ​ दु
का रये ।
''​

ी​
गु​ नेअपने
​ ​श य​सोमनाथ ​
सेकहा '' ​
​ इसे
सग
​ ंम ​
म​लेजा ​
​ कर ​नान ​
कराओ ​
और
अ वा थ ​
क ​
पजूा ​
करनेके​
​ बाद ​
इसके
परु
​ ाने व ​
​ फक ​कर ​
इसे
नए ​
​ व ​ पहना ​
कर ​
मठ ​

भोजन ​
के​लए ​
लाओ''​

नद ​
म ​नान ​करते ह ​
​ नदं​के शर र ​
​ का ​
कुठ ​रोग ​
ठक​ हो ​
गया ​ ।​
अ व थ​ क ​ पज
ूा ​
करके वो

मठ ​
म​ आया ​तो ​ी ​
गु​ने पछ
​ूा '' ​
देखो ​
तो ​
तुहारा ​
रोग ​दरू​हुआ​ क​ नह ं ।​
'' ​वो ​
बोला ''
गुदेव​मे
रेजां
​ घ​पर ​
अभी ​भी ​
कुछ​ नशान ​ रह ​
गए ​
ह'' ​
। ​ी ​
गु​ बोले तम
'' ​ुने मझ
​ु​पर ​सद
ंेह
कया ​था ​
इस लए ​येरोग ​
​ थोडा ​
सा ​
रह ​गया ​
है​क तु यहाँ
​ रहकर ​
​ रोज़ ​ मे
र ​तु त​
करते हु
​ ए
का य ​
क ​रचना ​
करोगेतो ​
​ शी ​रोग ​परू​तरह ​
ठक​ हो ​
जाये गा''​

नं
द ​
ने ​ाथना ​
क '' ​
गुदे
व​
म​अश त​
हू

।​
​ आपक ​तु
त​करते
हु
​ए​
का य ​
क ​
रचना ​
कस
कार ​
क ंगा ?''

ी​
गु​ने उसक ​
​ जीभ ​
पर ​थोडा ​
भ म​लगाया। ​ऐसा ​
करते ह ​
​ नद
ं​ बुधमान ​ बन ​गया ​और
ी​
गु​ क ​तुत​म​इस ​कार ​ का य ​
रचने लगा- '' ​
​ म​भवसागर ​म​ डू
ब​रहा ​
था, ​वेदज,
अं
डज, ​
उ भज, ​जरज ​और ​ वभ न​ पशु यो नय ​
​ म​ भटक ​रहा ​
था। ​मनुय​ ज म​ इनमे
सबसे​े ठ​है
।​
मझ
ुेकु
​ छ ​ान ​नह ंथा ​
​ क तु ​ा मण ​ज म​ ले
कर ​मने ​ान ​
अिजत ​ कया
।अगर ​ा मण ​
मख
ू​हो ​
तो ​
उसे​ी ​
गु​का ​ान ​
भला ​कस ​कार ​होगा ?

नार ​
और ​ पुष ​
के​मलन ​ से गभ ​
​ अि त व ​म​आता ​ है
।​एक ​माह ​
म​ठोस ​ण
ू​ बनता ​है,
दस
ूरे माह ​
​ म​ सर ​
और ​परै​आकार ​लेते
ह, ​
​ जब ​पाँ
च ​त व ​का ​
गभ ​म​समावेश​होता ​
हैतो


ू​ म​ आ मा ​वेश​ करती ​हैपां
,​ चवेमास ​
​ म​केश​और ​ वचा ​
बनतेह, ​
​ छठेमास ​
​ म ​ण ू​म
वासो वास ​ होता ​
हैसातव ​
,​ मास ​
म​म जा, ​
कान, ​जीभ ​
और ​मि त क ​का ​
वकास ​ होता
है
।​इस ​कार ​माता ​
के​गभ ​ म​मे
रा ​
वकास ​हो ​
रहा ​
था ​
।​
माता ​के​
गभ ​म​भी ​
मनेक ट
अनभुव ​ कये जब ​
,​ वह ​
गम , ​नमक न, ​
ख टे अ लय​
,​ और ​चटपटे पदाथ ​
​ का ​
सेवन ​
करती
थी ​
तो ​
मझ
ुे क ट ​
​ होता ​
था ​

100

फर ​
मनेज म​
​ लया। ​मेर ​
आयु​नधा रत ​ थी ​
िजसमे से
​ आधा ​
​ ह सा ​मने​न ा​
म​गंवाया,
बचा ​
हु
आ​ भाग ​
बा यकाल, ​ यौवन ​
और ​ व ृधाव था ​ म​वभािजत ​ हु
ए। ​
बा यकाल ​म​मझुे
जब ​
उदर ​
म​पीड़ा ​
हु
ई​तो ​
माता ​
ने
समझा ​
​ मझुे भख
​ ू​ लगी ​
हैऔर ​
​ उसने दध
​ू​ पलाया ​
और ​
जब
मझुेभख
​ू​लगती ​ तो ​
वो ​
सोचती ​
क​ मझुेपीड़ा ​
​ हो ​
रह ​
हैऔर ​
​ वो कडवी ​दवाई ​पलाती ​
थी ​

जब ​मझ
ुेक ड़े
​ काटते
​ थे
​ और ​
​ म​रोता ​
था ​
तो ​
वो ​
मझुेलो रयां​
​ सनुा ​
कर ​
चपु​करवाती ​
थी ​
या
सोचती ​
थी ​क​मझुे दु
​ ट​आ माएं परे
​ शान ​ कर ​रह ​
ह, ​
और ​
वो ​
कभी ​म ​ पढने लगती ​
​ तो
कभी ​
तं​का ​
काल ​
धागा ​बां
धती थी ।

यव
ुाव था ​
म​काम ​
वासना ​
ने
मझ
​ ुेजकड ​
​ रखा ​
था ​
।​
माता, ​ पता ​
और ​
गु​
का ​
तर कार ​
करके
म​के
वल ​
नार ​
के​त ​आस त ​ रहा। ​
अ भमान ​
के वश ​
​ म​ मनेसाधू
​ सत
​ ं​
और ​बड़े
बढ
​ू​क ​भी
अवहेलना ​
क ​
।​
ऐसेम ​ी ​
​ गु​सेमझ
​ ुेअनरु
​ ाग ​
कैसे होता ?''

व ृधाव था ​
म​म रोग ​सेपी ड़त ​
​ रहा ​
।​ प रवार ​
का ​
पोषण ​
करतेकरते
​ बाल ​
​ पक ​गए , ​
मे
रे
दां
त​टू
ट​गए, ​वण ​
शि त ​ीण ​ हो ​
गयी ​और ​ि ट ​भी ​
कमज़ोर ​
हो ​
गयी ​
।​
ऐसी ​
अव था ​ म
भी ​
मने​ी ​
गु​क ​
सेवा ​
नह ं
क ​
​ ।​आप ​ह ​ मा ड ​ के सरं क ​
​ और ​मिुतदाता ​
ह। ​
इस लए
मझु​पर ​
दया ​
करकेमझ
​ ुेमुत ​
​ क िजये ।
''​

अश त​ नदं​
नेइस ​कार ​ी ​
​ गु​
क ​तु त​
म​ का य ​
क ​
रचना ​
क।​ये
दे
​ ख​
कर ​
सब ​
च कत
थे।​
​ उ ह ने कहा '' ​
​ वे
द​भी ​
कहतेह​
​ क ​ी ​
गु​के​चरण ​अत​पावन ​
ह​
उनकेचरण ​
​ के​सवा
भवसागर ​ सेमिुत ​
​ का ​
और ​
कोई ​
आधार ​नह ंहै
​। ​ी ​
गु​
क ​
क णा ​सेह ​
​ सबकेपाप ​
​ न ट
होतेह​
​ । ​ी ​
गु​नर संह​सर वती ​
कामधे नुह​
​ इस लए ​उनक ​भि त ​
करके​
ह ​
मो ​ा त
होगा ''​

नं
द ​को ​
क व वर ​
क ​
उपा ध ​
मल ​।​
उसके​
जां
घ​पर ​
कुठ ​
रोग ​
के​
नशान ​
धीरे
धीरे
​ ​मट
गए। ​
उसनेभि त ​
​ और ​ धा ​
से
​ी ​
गु​
क ​
से
वा ​
क।

कवी ​
नरहर ​ी ​
गु​
का ​
भ त​
बना

एक ​
बार ​
कुछ​ श य ​ी ​
गु​ को ​
अपनेनगर ​
​ लेगए। ​
​ वह ​थान ​क ले वर ​
के​
तीथ ​
के​प ​

जाना ​
जाता ​
था। ​
नगर ​
म​ नरहर ​ नामक ​
एक ​ा मण ​रहता ​
था ​
जो ​
क ले वर ​
का ​
बहु
त​बड़ा
भ त​ था। ​
वो ​
हर ​
रोज़ ​
क ले वर ​क ​तुत​म​ ५​
छंद ​क ​रचना ​करता ​
और ​न ठापवूक
उनक ​आराधना ​ करता ​
था ​

लोग ​
नेउसे
​ ​ी ​
गु​क ​म हमा ​
के​
बारे
म​
​ बताया ​
और ​
उनक ​शंसा ​
म​छं
द​
रचने का ​
​ आ ह
कया। ​
नरहर ​
बोला ' ​
मनेअपनी ​
​ िज वा ​
क लेवर ​
को ​
सम पत ​
कर ​
द ​
है
और ​
​ अब ​म​ कसी
मनुय​क ​शंसा ​
म​ छंद ​
क ​
रचना ​नह ं
कर ​
​ सकता। ​
रोज़ ​
क ​
तरह ​
एक ​
दन ​
वो ​
क ले वर
101

क ​
पजूा ​
करने मं
​ दर ​गया। ​
पज
ूा ​
करते करते
​ उसे
​ नीं
​ द​आ​ गयी ​
और ​ उसने ​व न ​
म​देखा ​

शव लं
ग​ पर ​ी ​
गु​ बठ
ैेह​
​ और ​वो ​
उनक ​ पज
ूा ​
कर ​
रहा ​
है
।​
थोड़ी ​
देर​
बाद ​
शव लं ग​
गायब ​हो
गया ​
और ​ी ​गु​ह ​ दखे। ​ी ​
​ गु​ मुकु राए ​
और ​ न ​ कया '' ​
तम
ु​ कसी ​
मनु य​को ​
नह ं
पज
ूते फर ​
​ मेर ​
पजूा ​य ​कर ​रहेहो ?'' ​
​ नीं
द​सेजाग ​
​ कर ​
नरहर ​ को ​
अपने​कये पर ​
​ बहु

प चा ाप ​
हु
आ​ ।​वो ​
समझ ​गया ​ क ​ी ​
नर सं ह​सर वती ​ी ​शव ​के अवतार ​
​ ह।

त ण​वो ​ी ​
गु​ के​
पास ​
पहुं
चा, ​
उ ह ​णाम ​
करके ​मा ​ाथना ​
क '' ​
आपक ​महानता ​
का
ान ​
मझ
ुे नह ं
​ था ​
​ इस लए ​आपको ​ समझ ​ नह ं
सका। ​
​ आप ​
तो ​वयंक ले
​ वर ​
केअवतार ​
​ ह।
जब ​कामधे नु घर ​
​ पर ​
हो ​
तो ​
कसी को ​या ​ डर ? ​
मझ
ुेकृ
​पया ​
आशीवाद ​ द िजये
।​
​ आज ​के
बाद ​
म आपक ​ सेवा ​
करना ​
चाहता ​हू
ँ ।
''​

ी​गु​ने​स न ​ होकर ​
नरहर ​
को ​
व ​दए ​और ​श य ​वीकार ​ कया। ​ी ​गु​
बोले''
क ले वर ​
महान ​
हैतम
​ ु​उनक ​पज
ूा ​
करतेरहो ​
​ ।​
नरहर ​
बोला '' ​
जब ​
आप ​वयं क ले
​ वर ​

तो ​
म​आपक ​पजूा ​य ​ न​
क ँ? ​
म आपके चरण ​
​ सेदरू​
​ कह ं नह ं
​ जाउं
​ गा '' ​
।​
इस ​कार
नरहर ​ी ​
गु​का ​
महान ​
भ त​बन ​गया।

०-
-​

अ याय - ​
३०

पाबती ​
क ​
भि त

गं
गापरु​
म​पाबती ​नाम ​ का ​
एक ​
पुया मा ​
कसान ​रहता ​
था। ​ी ​
गु​जब ​ातः ​
काल ​
सग
ंम
पर ​
जातेथे
​ तो ​
​ रोज ​वो ​
उ ह ​णाम ​करता ​
था ​
इसी ​कार ​
म या न ​
म​जब ​ी ​गु​मठ ​
को
लौटतेतो ​
​ भी ​
वो उ ह ​णाम ​ करता ​
।​
उसके​खेत​सगंम ​
के​रा ते
म​
​ थे
।​
एक ​ दन ​ी ​
गु​ने
उससे पछ
​ुा '' ​
तमु​रोज़ ​इस ​कार ​
मझ
ुे​णाम ​करने के​
​ लए ​क ट ​य ​
उठातेहो ? ​
​ तुहार
या ​
इ छा ​
है?''

कसान ​
बोला '' ​
मे
र ​के
वल ​ये
इ छा ​
​ है​क​ मेरेखे
​त ​म​अ छ ​ फसल ​
हो'' ​
। ी​
गु​नेपछ
​ुा ''
तम
ुने
खे
​ त​म​ कौन ​ सी ​
फसल ​लगाई ​
है पाबती ​
?'' ​ बोला '' ​
खे
त​म​
जवार ​क ​फसल ​लगी ​
है

आप ​
क ​कृ
पा ​से इस ​
​ वष ​
अ छ ​फसल ​ है।​मे
र ​वनती ​ है
​क​आप ​
एक ​ बार ​
मे
रे
खे
​ त​म
चलकर ​
अपनी ​कृपा ​ि ट ​
फसल ​
पर ​
डाल''​

ी​
गु​ उसके​ खेत ​म​गए ​और ​ बोले अगर ​
'' ​ तम मझ
ु​ पर ​
ु​ व वास ​
करतेहो ​
​ तो ​
जस
ैा ​
म​ कहू ँ
वै
सा ​
करो''​
। पाबती ​
बोला '' ​
म​ मन ​क ​गहराई ​
सेआप ​
​ म ​ धा ​
रखता ​
हू

।​जसैा ​
आप ​कहगे
वै
सा ​
ह ​
क ं गा''​
। ी​
गु​बोले म या न ​
'' ​ को ​
जब ​
तक ​
म​लौटू

गा ​
इस ​
फसल ​को ​
काट ​
दो '' ​
ये
कह ​
कर ​ी ​गु​ सगंम ​
को ​
चले गए।पाबती ​
​ फसल ​काटनेक ​
​ अनमुत ​ ले
ने
राज व ​
​ अ धकार
102

के​
पास ​गया ​ क तु वो ​
​ बोला ​क​इस ​वष ​
फसल ​ अ छ ​ हैऔर ​
​ इसे गत ​
​ वष ​के दर ​
​ पर ​
काटने
क ​अनम ुत ​ नह ंमल ​
​ सकती। ​पाबती ​
बोला '' ​
म​ दगुनुे दर ​
​ देदं
​ ग
ूा ​क तु फसल ​
​ काटने क

अनमुत ​ द''​
।​उसेइस ​
​ शत ​पर ​
अनमु त ​ा त ​ हो ​
गयी। ​ उसने कु
​ छ​मजदरू​ लगा ​ कर ​
फसल
क ​कटाई ​ शु ​कर ​
द। ​ उसक ​ प नी ​और ​ब चो ​ ने उसको ​
​ रोकने का ​
​ बहुत ​य न ​ कया
क तु कोई ​
​ लाभ ​
न​ हु
आ। ​उसक ​ प नी ​
नेअ धकार ​
​ केपास ​
​ जाकर ​ शकायत ​ क '' ​मे
रेपत

एक ​
स यासी ​ क ​बात ​म​ आकर ​ इतनी ​
अ छ ​ फसल ​ को ​समय ​ सेपव
​ ू​काट ​
कर ​ हमे इस ​
​ वष
भोजन ​ से वं
​ चत ​कर ​रहेह​
​ कोई ​
इ ह​रोको'' ​
।अ धकार ​ नेलोग ​
​ को ​
भे ज​कर ​ कसान ​ से
उसक ​ मख
ूतापण ू​ कम ​ का ​
कारण ​पछ
ुा ​
।​पाबती ​ बोला '' ​यद​ आपको ​ कोई ​सद ंेह​हैतो ​
​ म
अनाज ​ के​प ​म​भगुतान ​क ँ गा ​
और ​आपके घर ​
​ पर ​अपने पशु
​ भी ​
​ रख ​
दंग
ूा'' ​
। ी​ गु​ जब
संगम ​से लौटे
​ तो ​
​ पाबती ​नेउ ह ​णाम ​
​ करके​ बताया ​ क​ फसल ​ काट ​द ​गयी ​ है। ​ी ​
​ गु
बोले तम
'' ​ुने ​यथ ​ह ​समय ​ से पहले
​ फसल ​
​ काट ​ द '' ​
।​पाबती ​बोला '' ​
मझ
ुे आप ​
​ पर ​परूा
भरोसा ​है
।​आपके आदे
​ शानस ुार ​
मने ये
​ सब ​
​ कया ​ है ।
''​

ी​गु​
बोले तुहे
'' ​ तुहार ​
​ भि त ​
का ​
फल ​
अव य ​ा त ​
होगा'' ​
।पाबती ​
ने
प नी ​
​ और ​
ब च
को ​
समझाया '' ​ी ​
गु​शव ​
जी ​
के​
अवतार ​
ह​उनके​आशीवाद ​से हमे
​ कोई ​
​ हा न ​
नह ं
होगी ​
​ ।
उ ह ने
ये
​ आदे
​ श​ कसी ​
कारण ​
सेह ​
​ दया ​
होगा''​

एक ​
ह ते के​
​ अ दर ​
मल
ू​ न के​
​ दन ​
भार ​वषा ​
सेसबक ​
​ फसल ​न ट​ हो ​
गयी ​
क तु
पाबती ​
को ​
कोई ​
नुसान ​
नह ं
हु
​आ। ​
पाबती ​
क ​
प नी ​
और ​
ब च ​
को ​ी ​
गु​को ​
कोसनेपर

बहु
त​पछतावा ​हु
आ।

०-
-​

अ याय - ​
३१

अमरजा ​
सग
ंम ​
और ​ी ​
गु​
क ​
महानता

ी​
गु​अपने ​श य ​से बोले
​ अि वन ​
'' ​ १४ ​
वालेपव ​
​ दन ​
पर ​
हम ​
प रवार ​
स हत ​शाल (
याग,​
काशी ​
और ​
गया ) ​म ​नान ​
करगे। श य​बोले इतनी ​
'' ​ ल बी ​
या ा ​
क ​
तय
ैार ​
केलए

हमेकु
​छ​समय ​चा हए ''​

ी​
गु​बोले ये
'' ​ तीथ थल ​
​ समीप ​
ह ​
ह​इस लए ​
वशेष​
तय ैार ​
क ​
आव यकता ​ नह ंहै​'' ​

येकहकर ​
​ वेउ ह​
​ सगंम ​
पर ​
लेगए। ​नान ​
​ करनेके​
​ प चात ​वेबोले
​ ये
'' ​सग
​ ंम ​
भी ​याग
समान ​
हैभीमा ​
​ यहाँ पर ​
​ उ र​दशा ​
म​बहती ​
है।​
​अमरजा ​ सग
ंम ​भी ​गं
गा-​
यमन
ुा ​
सग
ंम
समान ​
ह ​
पव ​ है
।​इसके आस ​
​ पास ​
८​अ य​तीथ थल ​
ह''​

103

श य न
​ेपछ
​ूा '' ​
इस ​
नद ​
का ​
नाम ​
अमरजा ​य ​
पड़ा ?''

ी​
गु​बोले दे
'' ​वताओं का ​
​ ज लं धर ​
रा स ​
के​
साथ ​युध ​हो ​
रहा ​
था। ​
इं ​
शकंर ​जी ​केपास

जाकर ​बोले दे
'' ​वता ​
जब ​रा स ​ को ​
मारतेह​
​तो ​
उनके र त​
​ क ​बद

ू​ म​सेनए ​
​ रा स ​ ज म​ ले
रहेह​
​ और ​ इस ​ तरह ​
वेतीन ​
​ लोक ​ म​ फ़ै
ल​गए ​
ह​।​
उ ह ने बहु
​ त​देवताओं को ​
​ मार ​ दया ​
है ।
'' ​
येसन
​ ु​कर ​ शव ​जी ​ो धत ​हो ​
गए ​और ​ ​प ​ धारण ​
करके​ रा स ​ का ​
सहंार ​
करने लगे
​ ।
इं​बोले '' ​भु कृ
​ पा ​
करके​मतृ​देवताओं को ​
​ जी वत ​
करने का ​
​ भी ​
उपाय ​
बताएं ।शं
''​ कर ​
जी ​ने
उस ​समय ​ अमत ृ​म ​ पढ़कर ​ एक ​ कलश ​म​अमत ृ​ दया ​
िजसे इं​
​ नेदे
​वताओं पर ​
​ छड़क
कर ​उ ह​ जी वत ​ कया। ​
जब ​इं​ देवताओं को ​
​ जी वत ​कर ​रहे थे
​ तब ​
​ अमतृ​ क ​ कुछ​बँ द

धरती ​
पर ​ गर ं और ​
​ वहांपर ​
​ एक ​ नद ​बन ​
गयी। ​
इस ​नद ​का ​नाम ​अमरजा ​ पड़ा ​
।​इसम
नान ​करने से
​ असमय ​
​ मृ यु टलती ​
​ हैऔर ​
​ सारेरोग ​
​ दरू​
होते ह। ​
​ ये नद ​
​ भीमा ​ नद ​ से
मलती ​है और ​
​ वो ​
सग
ंम ​वे णी ​सगंम ​क ​
तरह ​पव ​ है
।​माघ ​और ​ का तक ​ मास ​ म,
सोमवती, ​ संां त ​हण ​पव ​
वाले ​दन ​म​इस ​
नद ​म ​नान ​करने का ​
​ वशेष​फल ​ मलता ​ है।

इस ​
सगंम ​पर ​
जो ​
अ व थ​ वृ ​ हैवो ​
​ सभी ​
मनोकामनाएं पण
​ू​ करने वाला ​
​ है
।​उसपर ​म​भी
नवास ​
करता ​हू

।​इस ​
वृ ​को ​पज
ूने के​
​ प चात ​सगंमे वर ​
क ​पज
ूा ​करो ​
।​
येभी ​ीशै
​ ल​ के
मि लकाजन ु​के​
समान ​ह। ​
नद
ं​ और ​
चडंी ​
को ​णाम ​करो , ​
तीन ​
प र माय ​करके शव ​
​ जी ​
के
दशन ​करो।इससे एक ​
​ मील ​
दरू​ काशी ​यानी ​
वाराणासी ​ तीथ ​
है
। ​भर वाज ​गो ​ का ​
एक
ा मण ​ शव ​
जी ​
का ​
बड़ा ​
भ त​ था। ​
वो ​
न नाव था ​म​घम ूता ​
था। ​
लोग ​उसेपागल ​
​ कहते थे
​ ।
उसके​दो ​
भाई ​
थे
,​इ वर ​
और ​पांडु
रं
ग। ​
एक ​बार ​
उ ह ने काशी ​
​ या ा ​
का ​
सकं प​ कया। ​
उसी
समय ​ शव ​
जी ​
का ​
एक ​
भ त​ उनके​ पास ​आकर ​बोला '' ​
तमु​इतनी ​
दरू​
काशी ​य ​ जातेहो ?

काशी ​
व वे वर ​
तो ​
यह ​
पर ​
ह'' ​
।भाइय ​नेउससे
​ पछ
​ ुा '' ​
कहाँहै
​ हमे
?​ ​दखाओ''​।

उस ​
भ त​ नेनद ​
​ म ​नान ​
कया ​और ​यान ​ म​बठ
ै​गया। ​शकंर ​
जी ​
उनकेसम ​कट ​
​ हु
ए​

उसने उनसे
​ काशी ​
​ व वे वर ​
क ​मतू ​था पत ​ करने क ​ाथना ​
​ क।​ शक ंर ​
जी ​
नेउसक

इ छा ​
परू ​
क ​
और ​म णक णका ​ कं
ुड​
बन ​ गया ​
और ​ उसी ​
म​सेकाशी ​
​ व वे षर ​
बाहर ​
आये

उ र​दशा ​क ​
ओर ​बहती ​
भागीरथी ​
स श​ एक ​
नद ​ भी ​
अि त व ​म​आई ​ ।​
काशी ​
के​
सभी
पुय ​े​ वहां
पर ​
​ बन ​
गए ​
।​दोन ​
भाइय ​ ने उस ​थान ​
​ पर ​
काशी ​
व वे वर ​क ​पज
ूा ​
क ​
।​
वे
दोन ​
पढ
ंरपरु​
म​रहनेलगे
​ और ​
​ लोग ​
उ ह '' ​
आरा ये के
'' ​ नाम ​
​ सेजानते
​ थ''े
​ ।

ये
कथा ​
​ सन
ुकर ​
सबने
वहां
​ पर ​नान ​
​ कया ​
और ​
व वे
वर ​
क ​
आराधना ​
क।

ी​गु​बोले ये
'' ​दे
​खो ​
यहाँपर ​
​ पाप वनाशी ​
तीथ ​
है
।​
इसम ​नान ​ करते ह ​
​ सारे
पाप ​
​ न ट​
होते
ह'' ​
। ी​
गु​ ने अपनी ​
​ ब हन ​
रतना ​
को ​
वहांपर ​
​ बल
ुाया ​
और ​बोले तम
'' ​ुनेएक ​
​ ब ल ​क ​
डड
ंे
से मारकर ​
​ ह या ​
क ​
थी ​
इस लए ​कुठ ​
रोग ​
सेपी ड़त ​
​ हो। ​
इस ​
तीथ ​
म ​नान ​
करते ह ​
​ तुहारा
104

रोग ​
ठक​हो ​
जाये
गा। '' ​
उसने​ी ​
गु​
क ​
आ ा​
मानकर ​
तीन ​
दन ​
तीथ ​
म ​नान ​
कया ​
और
उसका ​
रोग ​
समल न ट​
ू​ हो ​
गया।

ी​गु​बोलेइससे
​ थोड़ी ​
​ दरू​
को ट ​तीथ ​
है
।​इसम ​संां त, ​हण, ​
पूणमा ​
और ​अमाव या ​
को
नान ​
करके​गाय ​या ​
बछड़ा ​दान ​
करना ​चा हए ​
।​
इससे आगे
​ ​ ​तीथ ​है
जो ​
​ गया ​
केसमान

पव ​ हैवहां
​ पर ​ा ध ​
​ करने चा हए। ​
​ इसके​ आगे च ​
​ तीथ ​
हैजो ​वारका ​
​ स श​ हैउसके
,​
बाद ​
म मथ ​तीथ ​
हैउसके
,​ परू
​ ब​म​क ले वर ​
है
जो ​
​ गोकण ​महाबले वर ​
स श​है।​
इन ​
८​
पुय
थाल ​केदशन ​
​ सेअने
​ क​ पुयफल ​ा त ​ होते
ह ''​
​ ।

सबने
इन ​
​ तीथ ​
म ​नान ​
करके
पज
​ ूा ​
क ​
और ​
समाराधन ​
कया।

०-
-​

अ याय - ​
३२

गु​
गीता ​
का ​
सार

नामधारक ​ने
​स ध​मुन​ को ​णाम ​करके​
कहा '' ​
गुदेव​आपने​ी ​
गु​ केजीवन ​
​ केबारे
​ म

बताकर ​मझ पर ​
ु​ उपकार ​कया ​है।​
​इस ​ान ​
को ​
पा ​
कर ​मे
रे
सब ​
​ पाप ​न ट​ हो ​
गए ​
ह​
।​मझ
ुे
धम ​
का ​
सार ​ात ​
हु
आ​है। ​ी ​
​ गु​क पत ​ स श​ ह​वस ठ​ और ​
शकु​ जसैेऋष​
​ भी ​
उनके
दखाए ​
रा ते
पर ​
​ चलतेह। ​
​ अब ​कृपया ​
मझ
ुेस गु​
​ के​वषय ​
म​बताये ।
''​

ी​स ध​ बोले नामधारक ​


'' ​ मझ
ुे ​स नता ​
हो ​
रह ​
है​क​
तम
ुनेऐसा ​ न ​
​ कया ​
िजसका
उ र​
पा ​
कर ​
माया ​और ​
अ ान ​
दरू​
होते
ह​
​तथा ​ान ​का ​
अलख ​
जलता ​
है ।
''​

एक ​बार ​
जब ​ी ​
शकंर ​
कै
लास ​परबत ​
पर ​बठ
ैेहु
​ ए​
थेतो ​
​ दे
वी ​
पावती ​ने
उनसे
​ इस ​कार

ाथना ​
क '' ​
हे
दे
​ व ​
के​
दे
व, ​
इस ​ मा ड ​
के​गु, ​
कृ
पया ​
मझ
ुेगु​
​ म ​दान ​क िजये
और

कोई ​
ऐसा ​
उपाय ​
बतायेिजससे
​ मे
​र ​
आ मा ​परमा मा ​
म​
लन​ हो ​
जाये ।
''​

शं
कर ​
जी ​
बोले दे
'' ​वी ​
इस ​ न ​
को ​
आज ​तक ​
कसी ​
नह ंपछ
​ुा। ​
तम
ु​ मे
रा ​
ह ​
अ भ न ​प ​
हो
इस लए ​
आज ​म​तुहे इसका ​ान ​
​ दे
ता ​
हू

।​
इससेसभी ​
​ लोग ​
लाभाि वत ​
ह गे ।
''​

वे
द, ​
शा , ​परु
ाण, ​
इ तहास, ​म ​ तं​ व या, ​म ृ
त -​
जरन-​
मारण ​
और ​अ य​ वषय ​मनुय
को ​ मत ​करते ह। ​
​ गु​ भि त ​का ​
सार ​
समझे ​बना ​
लोग ​
य ,​तप, ​त, ​
दान ​
पुय, ​वचन,
तीथ ​
या ाय ​
इ या द ​करते ह​
​जब क ​ स य​ यह ​
है
​क​गु​के​ान ​सेह ​
​ अ व या, ​माया ​
और
अ ान ​का ​
नाश ​होता ​
है
। ​ी ​
गु​ क ​से
वा ​
के​
मा यम ​सेसारे
​ पाप ​
​ न ट​होतेह, ​
​ आ मा ​
पव
होकर ​
परमा मा ​म​लन​ हो ​
जाती ​
है

105

गु​का ​
पादतीथ ​
तीथ ​े​म ​नान ​
के​
समान ​
है।​
यह ​
तीथ ​
काशी ​
और ​याग ​
तीथ ​
के​
स श
पावन ​
है
। ​
सदा ​ी ​
गु​का ​यान ​
करो, ​
उनका ​
नाम ​
जपो, ​
उनक ​आ ा​ मानो, ​
से
वा ​
और
आराधना ​करो। ​
न ठापव
ूक ​
गु​क ​भि त ​
करके मनु
​ य​इ वर ​
बन ​
सकता ​
है

गुश द​
​ का ​
अथ ​अ धकार ​और ​​का ​
अथ ​काश ​है
।​
गु​ का ​
अथ ​
है
​म ​का ​
वो ​ान ​
िजससे
अ ान ​का ​
अ धकार ​न ट​होता ​
है
।​
गुसे
​ ता पय ​
​ माया ​
और ​अ ान ​
है
जब क ​​
​ से ता पय

म​से है
​ जो ​
​ माया ​
और ​
अ ान ​का ​
नाश ​
करतेह। ​
​ गु​ क ​शि त ​
असीम ​
हैऔर ​
​ दे
वता ​
भी
इसे​ा त ​
करने म​
​ अ म​ ह। ​
गु​अ वतीय ​ह।

एक ​साधक ​ को ​चा हए ​क ​
वो ​
गु​ को ​अ छा ​आसन, ​ शैया, ​
व ​ और ​सभी ​साधन ​दान
करे उनक ​
,​ सेवा ​
परू​भि त ​और ​ धा ​ सेकरे
​ और ​
​ उनके सामने
​ परू​
​ तरह ​समपण ​ करने म

कोई ​
सक ंोच ​न​करे ।​
मनु य​के​कम ​उसे नरक ​
​ क ​ओर ​अ सर ​ करते ह​
​ क तु गु​
​ उ ह​ इस
भवसागर ​ से मिुत ​
​ दलाते ह। ​ी ​
​ गु​ ह ​ मा , ​व ण,ु​महे
श​ और ​पर म ​ ह,​ वह ​इस
मा ड ​ के​ नमाता ​ और ​
इस ​ सस
ंार ​के​
क ट ​ सेमिुतदाता ​
​ ह​।​
गु​ भि त ​ अपनाने से

आख ​ खलुती ​ह​और ​ान ​ का ​
उदय ​होता ​
है
।​
​ माता ​
पता ​भाई ​
और ​वो ​
सभी ​लोग ​ जो ​
हमे
अ छ ​ श ा ​देते ह, ​
​ हमारेगु​
​ ह। ​इस ​ मा ड ​ म​ इतनी ​व वधता ​होते हु
​ए​ भी ​
इसम
अखं डता ​
है। ​ी ​
गु​ ह ​हमारेसरं क ​
​ ह। ​
अगर ​ी ​शकंर ​
या ​ी ​व णुकुपत ​
​ ह ​
तो ​ी ​गु
उनसे हमार ​
​ र ा​कर ​सकते ह​
​ क तु ​ी ​
गु​ो धत ​ हो ​
जाएँतो ​वयं
​ ​ी ​
शकंर ​या ​ी ​
व णु
भी ​
हमार ​ सहायता ​ नह ंकर ​
​ सकते । ​
िजस ​कार ​ि टह न ​ यि त ​काश ​ को ​नह ं दे
​ख
सकता ​ उसी ​तरह ​अ ानी ​को ​
भी ​ी ​
गु​ क ​म हमा ​का ​
बोध ​
नह ंहोता। ​ी ​
​ गु​ स ाट ​ क
तरह ​इस ​
ससंार ​म​ मनु य​क ​जीवन ​ल ला ​
का ​
दशन ​करते ह।

ी​
गु​ का ​यान ​
और ​उनक ​तु त ​ी ​
शव ​ और ​उनका ​
गण
ुगान ​ करनेके
​ समान ​
​ है
। ​ी ​
गु
सय
ू​के​ समान ​काशवान, ​ उ जवल, ​ अजर ​ अमर ​
और ​ अनंत ​ह। ​
वेआनं
​ द ​
क ​मतू,
महानतम ​और ​सनातन ​ह। ​उनक ​ क त​ म​रोज़ ​
व ृध ​
होती ​
है
और ​
​ उनक ​ म हमा ​
कभी ​
नह ं
घटती ​
।​वे
द​और ​मनु भी ​ी ​
​ गु​ क ​म हमा ​का ​
वणन ​
इस ​कार ​करते ह। ​
​ इस लए ​
सदैव ​ी
गु​का ​यान ​
करो। ​
आ म ान ​ से ज म​
​ ज मा तर ​ केपाप ​
​ न ट​होतेह​
​इस लए ​आ म ​ान
सेबढ़कर ​
​ कोई ​ान ​नह ंहै
​ । ​ी ​
​ गु​क ​ सेवा ​
सेबढ़कर ​
​ कोई ​तप या ​
नह ंहै
​ और ​
​ उनक ​ द
हु
ई ​श ा​ सेबड़ा ​
​ कोई ​ान ​नह ंहै
​ । ​ी ​
​ गु​ जग नाथ ​ह​और ​तीन ​
लोक ​केईश ​
​ ह। ​ी ​
गु
ह ​ मा ड ​ह​और ​हमार ​आ मा ​ह ​इस ​ व व​ क ​
आ मा ​है।​
इस लए ​ान ​देने
वाले​ी ​
गु
केआगे
​ सदा ​
​ नतम तक ​ रहो।

जो ​
मनुय​ अपनी ​
तप या ​
और ​ान ​
के​
अहंकार ​
म​रहतेह, ​
​ सां
सा रक ​
व तओुंसे
​ आस त

होतेह​
​वो ​
कुहार ​
के​
प हये
पर ​
​ घम
ूते​मटट ​केघड़ ​
​ केसमान ​
​ है।​
​दे
वता, ​
ग धव, ​
पत,ृय

,​क नर, ​ऋष​ और ​ स ध​पुष ​
को ​
भी ​
गु​ से
वा ​
के​बना ​मो ​क ​ाि त ​
नह ंहोती।

106

इस लए ​ी ​
गु​ के​
चरण ​पश ​ करो ​
जो ​ेठ​ ह, ​
सख
ु​ और ​ान ​ दे
नेवाले
​ ह। ​
​ उनका ​
आ द​ न
अंत​व दत ​है।वह ​
​ तीन ​
गण
ु(​ स व, ​
तामस ​ और ​राजस ) ​
से मुत ​
​ ह। ​
जीवन ​
का ​
एकमा
उ देय ​ान ​क ​ाि त ​
हैजो ​ी ​
​ गु​क ​कृपा ​
से ह ​
​ परू​होती ​
है
।​
अं तम ​वास ​
तक ​ी ​
गु
का ​
नाम ​
जपो ​
और ​ उनका ​
कभी ​प र याग ​मत ​ करो। ​ानी ​
कभी ​ी ​गु​का ​नरादर ​
नह ं
करते और ​
​ उनसे कभी ​
​ अस य ​मत ​बोलो। ​
जो ​ी ​
गु​ का ​
तर कार ​करते ह​
​वो ​
नरक ​
म​जाते
ह। ​
जो ​
उनसे​यथ ​वाद ​ववाद ​
करते ह​
​ वो ​ मरा स ​ बनकर ​ बज
ंर ​
और ​ नजल ​भूम​ पर
रहतेह।

हेपावती, ​
​ अगर ​देवता, ​
मुन​भी ​ाप ​
दे
ते ह​
​ तो ​ी ​
गु​ अपने श य ​
​ को ​बचा ​
लगे उनके
,​
आगे ऋष​
​ मुन​ भी ​
शि तह न ​
ह। ​
हेदे
​वी, ​म ृ
त​और ​वेद ​
केअनस
​ ुार ​ी ​
गु​ह ​
पर म ​ह।
ी​
गु​को ​णाम ​ करो ​
जो ​
क ​
सव यापी, ​
अनं त,​ नराकार, ​
नगण आ म ानी , ​
ु, ​ अखंड​
और
काशवान ​ह। ​
जो ​
भी ​यान ​
म ​म ​ सेएक व ​ा त ​
​ करता ​
हैवो ​
​ कुड लनी ​जागत करता ​
ृ​ है
और ​मो ​ पाता ​
है
।​अ ानी ​के
वल ​सस
ंार ​
पर ​वजय ​ पाता ​
है
जब क ​ानी ​ी ​
​ गु​के​दखाए
रा तेपर ​
​ चल ​कर ​कम ​और ​अकम यता ​ का ​ान ​ा त ​करता ​
है

     
जो ​
गु​गीता ​
को ​
सनुतेपढ़ते
​ ​लखते या ​
​ इसे दान ​
​ म​
दे
तेह​
​उनके सब ​
​ मनोरथ ​
स ध​होतेह।

दःु
ख ​नवारण ​हेतु सदा ​
​ गु​ गीता ​
का ​
पाठ ​
करो। ​
इसका ​
एक ​एक ​ श द​मृयुपर ​
​ वजय
दलाता ​
हैदःु
,​ ख​ नवारण, ​
रोग ​और ​
य ,​ रा स, ​
भतू​े
त, ​
चोर, ​
शरे​
आद​ जानवर ​के​
भय
सेमुत ​
​ करता ​
है।

हेदे
​वी, ​
गु​गीता ​
का ​
पाठ ​
दभासन ​या ​वे
त​
आसन ​ पर ​
बठ
ैकर ​यान ​
लगाकर ​
करो ​
।​
शाि त
ाि त ​के​लए ​उ र​ दशा ​क ओर ​ वेत​
आसन, ​स मोहन ​के​लए ​
परूब​दशा ​
म​ लाल
आसन, ​ श ुनाश ​
​ के​लए ​द ण​ दशा ​
म​काला ​
और ​
सम ृध ​
के​लए ​
पि चम ​
दशा ​क ​
ओर
मखु​करके पीले
​ आसन ​
​ का ​योग ​
करो।

गु​ गीता ​
का ​पठन ​
शाि त ​
और ​शि त ​दान ​करता ​ हैगण
,​ ु​ का ​वकास ​और ​दु कम ​का
नाश ​करता ​ है,​वजय ​दलाता ​
है
, ​ह ​
क ​पीड़ा ​
से मिुत ​
​ देता ​
हैदु व न ​
,​ न ट​करता ​है
,
ीय ​ को ​
सतंान ​
और ​सौभा य ​दान ​
करता ​है
।​ अगर ​कोई ​वधवा ​बना ​ कसी ​
इ छा ​के
इसका ​ पठन ​ करती ​
है
तो ​
​ उसको ​
मिुत ​ मलती ​ है अगर ​
,​ कसी ​अ भलाषा ​केसाथ ​
​ पढ़ती ​
है
तो ​उसे अगले
​ जनम ​
​ म​ अ छा ​
पत​ मलता ​हैऔर ​
​ उसके​सभी ​क ट, ​पाप ​
और ​अ भशाप
न ट​ होतेह। ​
​ जो ​
लोग ​
इ छाओं क ​
​ पतू​के​लए ​गु​ गीता ​
का ​
पठन ​करते ह​
​ उनके​ लए ​
वो
क पत ​ के​स श​ हैअ छ ​
,​ सोच ​
वाल ​
के​ लए ​वो ​
चंताम ण ​स श​ है
,​जो ​
लोग ​
इसेमिुत

ा त​ करने के​
​ लए ​
पढ़ते ह​
​उनको ​मिुत ​मलती ​हैऔर ​
​ जो ​
लोग ​
सांसा रक ​
सखु​ क ​ाि त
के​ लए ​पढ़ते ह​
​उनको ​सभी ​
सखु ​ा त ​
होतेह। ​
​ इसका ​पठन ​नद ​या ​समु​ तट ​
पर, ​
दे
वी,
107

शव ​जी , ​
व णु जी ​
​ या ​
कसी ​
अ य​देवता ​
के​
मंदर ​
म, ​
मठ, ​
गो ​
सदन, ​
वट, ​
आवंला, ​
आम
वृ ​के​
नीचे तल
,​ुसी ​
या ​
धो ​
पौध ​
केपास, ​
​ शमशान ​
या ​कसी ​
साफ़ ​
सथ
ुरे नजन ​थान ​
​ पर
भी ​
कया ​जा ​
सकता ​
है

ी​गु​का ​
भ त​ अगर ​
मखू​भी ​
होगा ​
तब ​
भी ​
उसका ​
उ धार ​
होगा ​यो क ​ी ​
गु​वयं ​म
ह​इस लए ​वे
सदा ​
​ पव ​ ह​।​
वो ​
जहाँ​नवास ​
करतेह​
​ वहां
इ वर, ​
​ तीथ ​
और ​ पीठ ​
नवास ​
करते
ह। ​
गु​गीता ​
का ​पठन ​अगर ​कोई ​
बठै​कर, ​
शैया ​
पर ​
लेट​कर, ​
खड़े हो ​
​ कर, ​
चलतेचलते
​ ,
बातचीत ​
करते ,​घड़ुसवार ​
या ​
हाथी ​क ​
सवार ​करते भी ​
​ करता ​हैतो ​
​ भी ​
मगंल ​
ह ​
होगा।
पाठक ​
का ​
दोबारा ​
ज म​नह ंहोगा। ​
​ वह ​
ज म​ मृयुके
​ च ​
​ सेमुत ​
​ हो ​
जाता ​
है।

आ मा ​
और ​इ वर ​
एक ​
ह​
।​
िजस ​कार ​
समु​
म​
जल, ​
पा म
​​दध
ू​एक ​
होते
ह​
​उसी ​
तरह ​ानी
और ​
इ वर ​
एक ​
ह।

हे
पावती, ​ी ​
​ गु​का ​
आशीवाद ​ा त ​
होते
ह ​
​ भ त​ केसभी ​
​ सदंे
ह​मट ​
जाते
ह, ​
​ दे
वी ​
सर वती
उसक ​िज वा ​पर ​
वास ​
करती ​
हैउसे
,​ सब ​
​ सखु ​ा त ​
होकर ​
अतं​
म​मिुत ​
मलती ​है
।​उसको
उसकेपठन, ​त ​
​ और ​तप या ​
केशभ
​ु​फल ​ा त ​
होतेह।

हेवाराने
​ नी ( ​
सुदर ​
मखु​वाल ), ​
मने तुहे
​ संय ​
​ शा ​ का ​स धां त​बताया ​था ​ना, ​
एक
इ वर, ​
एक ​धम, ​
एक ​भि त, ​
एक ​
तप या ​ी ​गु​केअ त र त​
​ और ​ कुछ​नह ं है
​। ​ी ​
​ गु​ से
बड़ा ​
और ​ऊं
चा ​स धांत​और ​कु
छ​नह ंहै
​।​िजस ​
घर ​
म ​ी ​
गु, ​
माता, ​पता, ​
प रवार ​
और ​ वश

का ​
आदर ​होता ​
है
वो ​
​ घर ​
भा यशाल ​होता ​
है
तथा ​
​ िजस ​
घर ​
म​इनका ​ तर कार ​ होता ​
हैउसका

पतन ​ नि चत ​है

अगर ​
गु​गीता ​
का ​
पठन ​
या ा ​
के​
दौरान, ​
युध ​
म​या ​
श ु
के
​ आ मण ​
​ के समय ​
​ कया ​
जाये
तो ​
वजय ​क ​ाि त ​
होती ​
हैऔर ​
​ मृ योपरां
त​मिुत ​मलती ​
है
।​वह ​
अगर ​इसका ​
पठन
कुवचार ​
केसाथ ​
​ नि दत ​थान ​पर ​कया ​
जाए ​
तो ​
इसके
बरु
​ ेप रणाम ​
​ होते
ह।

तम
ु​मझुे​य ​हो ​
इस लए ​मने तुहे
​ गु​
​ गीता ​
का ​
सार ​
सन
ुाया ​
है
।​
इसका ​ वणन ​के
वल ​ऐसे
लोगो ​
के​
सम ​ करो ​
जो ​
माया ​
और ​मोह ​
सेदरू​
​ ह​
और ​भि त ​म​लन​ ह, ​
ऐसे लोग ​
​ को ​
इसका
ान ​
मत ​
दो ​
जो ​
कपट , ​
धत नाि तक ​
ू, ​ ह​और ​ यथ ​
म​वाद ​ववाद ​
करते ह।

इस ​कार ​
गु ​गीता ​
का ​
सार ​
भगवन ​
शक
ंर ​
और ​
पारवती ​
के​
बीच ​
सव
ंाद ​
के​प ​

क दपरु
ाण ​
केउ रखं
​ ड​म​व णत ​
है

०-
-​

अ याय - ​
३३
108

२४ गु

एक बार राजा यद ुवन म एक साधूसेमले । साधूको आनं दत और आ म


सं
तु ट दे
खकर उ ह बड़ा आ चय हु
आ। उ ह ने न कया ​'' ​भुआप माया
मोह केबं
धन सेमुत ह , ​
आपनेयेवै
रा य और ान कहाँसे ा त कया ? ''

साधूबोले​'' ​
मझ
ुेआनं
द और सं
तिुट आ म बोध से ा त हु
ए ह। मझुे ान परू

मा ड म या त हर त व और जीव से ा त हु
आ है
। उनमे से२४ गु मखु
ह।

मेर थम गु प ृवी है- प ृवी धै


य सं
यम और े म क मत ू है, जो लाख जीव
का भार उठाती है
। लोग उसकेसीनेको चीर कर गह ृ नमाण, ​
कृ ष इ या द करते
ह क तुवह अपने थान पर अ डग रहती है । प ृवी के
वल मानव केक याण के
लए व यमान है । उससेमनेश ा ल क मनु य का अि त व भी के वल दसूर
के हत के लए हैऔर ानी पुष को प ृवी केसमान ह स ह णु होना चा हए।

हवा मे
र दस
ूर गु है। िजस कार हवा लोग को शीतलता दान करती हैऔर
हर अ छेबरुेगं
ध को वयंम अं तल न कर लेती हैउसी कार मनु
य को भी
सहनशील और शांत रहते
हुए सां
सा रकता सेअ ल त रहना चा हए।

मे
रा तीसरा गु आकाश है । आकाश वशाल होता हैऔर कई रंग म दखाई देता
है
।​कभी काला ​, ​
नीला कभी गहरेबादल सेघरा क तुयेसभी रं
ग आते जातेह।
आकाश इनकेरं ग म कभी नह ंरं गता और सदा बे
रं
ग और शुध बना रहता है

इसी तरह साधूको भी आकाश क तरह व तत ृ और राग- वे
ष सेमुत रहना
चा हए।

अि न मेर ​
चौथी गु है
। िजस कार अि न सब आहु तय को समान प से
वीकार करकेदेने
वाल केपाप को भ म करती हैउसी तरह साधूको भी बना
प पात केछोटेबड़े सबकेदान को वीकार करकेउ ह आशीवाद दे
ना चा हए।

मे
रा पां
चवांगु सय
ू है
। सयू का आशीवाद परू प ृवी और उसपर बसेहर जीव को
समान प से ा त होता है । वह ी म ऋतूम जल को भाप के प म ले कर
फर वषा ऋतूम उसेबा रश के प म इस प ृवी को दान करता है । उसी तरह
साधूको भी समदश होते हु
ए इस सं
सार से ान ा त कर के फर यह पर लोगो
म चा रत करना चा हए। िजस कार सय ू अपने काश म हर चीज़ को प ट
109

दखाता हैउसी तरह साधूको भी लोग को माया का प प ट दखाकर उ ह


अ याि मक पथ पर अ सर करना चा हए ।

कबतूर मे
रा छठा गु है
। एक कबत
ूर, ​
कबत
ूर और उसकेब चेपे ड़ पर रहतेथे।
एक दन एक शकार नेउनकेब च को जाल म फां स लया। जब कबतूर और
कबतूर शाम को आयेतो ब च को उस हाल म दे ख कर वयंभी उसी फंदेम
जा उलझेऔर इस कार सबक म ृ युहो गयी। उनसेमनेसीखा क मनु य भी
इसी तरह र त केमायाजाल म उलझ कर ज म म ृ युकेच म फं सकर दःुख
ा त करता है

मे
रा सां
तवा गु अजगर है। अजगर आलसी होता है । वह शकार क तलाश म
नह ंजाता बि क जो जीव उसकेआस पास आता हैउसेखाता है । उससेमने
सीखा क ानी पुष को सं सार केसखु केपीछेनह ं भागना चा हए बि क ि थर
रह कर आ म चं तन करना चा हए। जो कु
छ भी ई वर क कृ पा सेमलेउसी म
सं
तोष करके नरंतर यान करना चा हए।

मेरेआठव गु समु नेमझुेसखाया क िजस कार अने क न दय केसमाने के


बावजदू समु समतल रहता हैऔर कनारेतोड़ कर नह ंबहता, ​
उसी तरह साधूभी
जीवन म सखु दखु सेअ भा वत रहकर ि थर और ग भीर बना रहता है । समु
अगाध अद य और अजे य होता हैउसी तरह साधू
को भी गहरा होना चा हए।

मेरा अगला गु पतं गा है। पतंगा द पक को छूनेको आतरु रहता हैऔर


अ ानतावश खद ु को न ट कर लेता है। इसी कार मनुय भी माया सेआक षत
होकर सां
सा रक सखु सेमो हत होता हैऔर अपनेजीवन केअ याि मक ल य से
दरूहो जाता है।

हाथी मे
रा दसवांगु है
। वन म हाथी का शकार करनेके लए शकार हा थनी
का योग करतेह। जब हाथी काम-​ वासना केवश म मत होकर उसकेपास
जाता हैतो उसेज़ंज़ीर म जकड लया जाता है। उसी तरह आदमी भी प और
यौवन के त मो हत होकर अपनेमो का रा ता बा धत करता है। रावण और
दय
ुधन इसकेउदहारण ह।
चीं
ट खा य व तए
ुंएक त करती रहती हैक तुन वयंखाती हैन कसी को
खानेदे
ती है
। अं
त म उससेशि तशाल जीव उसेखा जातेह। मनुय भी इसी
110

तरह धन संचत करता रहता हैऔर एक दन चोर वो सब लटू कर लेजातेह।


इस लए चीं
ट भी मे
र गु है
। उससेमनेप र म का मह व भी सीखा।

लालच केमारेमछल चारा नगल कर कां टेम फं


स जाती है। उस सेमनेसीखा
क आदमी भी लोभ से सत होकर वनाश को ा त होता है । मछल िजस कार
अपनेघर ( जल ) को नह ंछोड़ती उसी तरह मनु
य को भी अपनेल य को नह ं
छोड़ना चा हए।

मेर तेरहवी गु एक वे या है
। उसनेवलासी पुष क से
वा म अपना जीवन बता
दया और व ृधाव था म या ध और एकाक पन से त होकर अनभ ुव कया क
ई वर क से वा म जीवन बताया होता तो आज मिुत ा त होती और इस कार
नराशापण
ू जीवन जीनेको बा य न होती। उससेमनेसीखा क वषय वासना
दःु
ख का भं वर हैिजसेयाग कर ह आदमी अ या म केमाग पर चल सकता है।

एक बार मनेएक तीर बनानेवालेको त मयता केसाथ अपनेतीर को ते


ज़ करते
हु
ए दे
खा। उसका यान अपनेकाय म इतना क त था क पास सेगज़ ुरतेराजा
क सवार का भी उसेयान न रहा। मने अनभ
ुव कया क सं सार म मत करने
वाल चीज़ क उपेा करकेहमेअपना यान अपनेअ याि मक ल य क ओर
क त करना चा हए।

शशुकतनेमासम ू और अ हड होतेह। उनकेमन म कसी के त राग वे ष


नह ंहोता। उ ह बा य व तए ुंआनंदत नह ंकरती बि क वे वयंम ह खश ु रह
कर और को भी उ ला सत करतेह। उनसेमनेसीखा क एक बुध यि त का
आचरण भी वै सा होना चा हए। आनं
द अ त न हत होना चा हए न क बा य।

च मा मे रा सोलहवांगु है
। च मा क अपनी कोई रोशनी नह ंहोती वो के
वल
सय
ू के काश को ह त बंबत करता है
। उसी तरह मनु
य भी अपनेवा त वक
व प या न आ मा का त ब ब होता हैजब क उसका मि त क केवल एक छाया
मा होता है। च मा का व प हर १५ दन म घटता बढ़ता रहता हैउसी तरह
मनुय केजीवन म भी सख ु दःु
ख आतेरहतेह इनकेवश म आकर उसेअि थर
नह ं
होना चा हए।

ान क तलाश म मनेपाया क भं वरा फू


ल क सग ुं
ध सेमो हत होकर उसपर
बै
ठता हैऔर रात को फू
ल क पं
खुड़य म कैद हो जाता है
। इससेसीख ले
तेहु

111

स यासी को भी सांसा रक सख
ु, ​र त केमायाजाल म उलझना नह ंचा हए।
इस लए भं
वरा मे
रा १७ वांगु है

हरन को सं
गीत बहु त य होता हैअतः शकार उसक इसी कमज़ोर का फायदा
उठता है
। मेरे१८ व गु हरन नेमझ ुेसखाया क मनुय को कमज़ो रय केवश
म नह ंहोना चा हए, ​
नह ं
तो उसका पतन नि चत है

एक दन मनेदे खा क एक प ी मरेहु ए चह
ूेको उठाकर लेजा रहा था और उस
शकार के लए उसपर कौओंऔर चील नेआ मण कया। थक कर उस प ी ने
शकार को नीचेगराकर एक पे ड़ पर जा बै
ठा। उसेदेखकर मनेसमझा क जब
तक मानव सां सा रक साधन केपीछेभागता हैतब तक वह अ य लोग केसाथ
तयो गता करनेम सं घषरत होता है
। क तुजब वह अपनी लालसा पर वजय
पा ले
ता हैतो शांत ा त करता है
। वह प ी मे
रा १९ वां
गु है

एक बार मनेदेखा क एक ग ृ
हणी अ त थय हे
तुभोजन बनानेके लए सल पर
मसला पीस रह थी क तुउसकेहाथ क चू ड़याँउसकेकाय म बाधा डाल रह
थी। उससेमनेसीख ल क म क ाि त एकांत थल म ह क जा सकती है
जब बहुत सारे मम
ुुुएक साथ रहतेह तो वेएक दसुरेके लए यवधान पै दा
करते ह।

सप कभी अपनेलए गह ृ न मत नह ंकरता। सफ़ेद चीं


टयाँजो नवास बनाती ह
वह उसी म रहता है। इसी तरह स यासी को भी ऐ वय क व तएुंएक त नह ं
करना चा हए बि क बंधन सेमुत हो कर वन म रहना चा हए।

मेर २२ वींगु मकड़ी है। मकड़ी जीवनभर जाल बन


ुती हैऔर अं त म उसी म
फंस जाती है
। इसी तरह मनुय भी जीवन भर वषयास त रहता हैऔर अं तम
समय म भी उनसेअ ल त नह ंहो पाता। मकड़ी सेमनेसीखा क मानव को
वलास व तओुं सेअस ब ध रहकर ई वर का यान करना चा हए।

ततै
या झींगेको ​
अपनेघोसलेम बं द करके भन भनाता है । ​
छोटेझीं
गेको
भन भनानेकेअ त र त कु
छ नह ंसन
ुायी दे
ता अतः वह भी ततैयेक तरह बन
जाता है
। उसी कार एक स चेश य को भी अपनेगु को ह आदश मानकर
उनका ह अनसुरण करना चा हए।
112

मे
रा २४ वांगु जल है
। िजस कार जल एक समान सबक यास बझ
ुाता हैउ ह
शीतलता दान करता हैउसी तरह एक स चेस यासी को भी वन तापव ूक
आचरण करते हु
ए सबको एक समान उपदे
श दे
ना चा हए।

इस तरह मनेई वर वारा सिृ


जत इस परू ेसं
सार को गु मानकर ान ा त
कया और अपनेअ याि मक ल य को पाया।

-0-

अ याय - ​
३४

धोबी ​
​ का ​
पन
ुज म, ​
यवन ​
राजा ​
क ​
भि त ​

हमने धोबी ​
​ के​बारे म​
​ ८वे अ याय ​
​ म​ पढ़ा ​
था ​
। ​ीपाद ​ीव लभ ​ के​आशीवाद ​ से उसने

अगले जनम ​
​ म​एक ​ यवन ​ राज ​
प रवार ​म​ज म​ लया ​और ​बीदर ​का ​
राजा ​
बना। ​गत ​ज म
के​
कम ​ के फल ​
​ से वो ​
​ बड़ा ​
दयालु और ​
​ धमपरायण ​ राजा ​
था। ​
वो ​
सब ​
धम ​ का ​
आदर ​ करता ​था
और ​ा मण ​ सेउसे
​ ​वशेष ​नेह​था। ​यवन ​के धम ​
​ गु​ा मण ​ और ​वैदक ​ धम ​को ​
तुछ
समझते थे
​ ​क तु राजा ​
​ कहता ​
था ''​
परमा मा ​एक ​है
के
​ वल ​उनके नाम ​
​ भ न​ ह। ​
सब ​
मनु य
प च​ भतू​ सेबने
​ ह। ​
​ प ृवी ​
सबक ​ माता ​है
,​गाय ​
अलग ​ रं
ग ​क ​होती ​
है​क तु दध
​ू​तो ​वेत
होता ​
हैआभष
,​ ूण ​अलग ​ अलग ​ आकार ​ म​होतेह​
​ क तु उसका ​
​ धातुयानी ​
​ सोना ​तो ​
एक ​है

इस लए ​धम ​ और ​ जा तय ​ के नाम ​
​ पर ​
लोग ​का ​
बटवारा ​
करना ​अनु चत ​है ।
''​

राजा ​न प ता ​के​
साथ ​राज ​
कर ​
रहा ​
था। ​
एक ​बार ​
उसे जां
​ घ​ पर ​रसोल ​हुई। ​वैय ​
हक म
क ​ दवाई ​
का ​
कु
छ​असर ​न​हु
आ​ ।​
उसके​ कारण ​ राजा ​
को ​
बड़ा ​
क ट​ हु
आ​ और ​एक ​ दन ​उसने
ा मण ​ को ​
बल
ुाकर ​
उपाय ​सझ
ुाने को ​
​ कहा। ​उ ह ने सझ
​ ुाव ​ दया '' ​
येरोग ​
​ गत ​
ज म​ के
पाप ​का ​
फल ​है।​
​आप ​तीथ ​े ​क ​या ा ​
करके​ दान ​
पुय ​करके​ सतंो ​
क ​सग ंती ​
क िजये।
आप ​ अगर ​पाप ​
वनाशी ​
तीथ ​
म ​नान ​करगे तो ​
​ रोग ​
अव य ​दरू​हो ​
जाएगा ''​।

राजा ​
पाप ​वनाशी ​ तीथ ​
गया ​
।​
वहां
पर ​
​ वो ​
एक ​
स यासी ​
से मला। ​
​ उसने रसोल ​
​ को ​
दे
ख​कर
कहा '' ​
शी ​ह ​तमु​ एक ​
स यासी ​
से
​मलोगे और ​
​ तुहारा ​
रोग ​
ठक​हो ​
जाएगा। ​
म​
तुहेएक

कहानी ​सनुाता ​
हू
ँ ।
''​

उ जैन​म​ एक ​ा मण ​
रहता ​
था ​
।​
उसने ​ा मण ​
के​न य​संकार ​
जस
ैे​नान, ​
संया ​पज
ूा
इ या द क
​म ​
छोड़ ​दए ​
और ​पं
गला ​नाम ​
क ​एक ​
वेया ​
के​
साथ ​
रहने
लगा। ​
​ एक ​बार ​
उनके
113

घर ​
ऋषभ ​मु न​आये।​
दोन ​
नेऋष​
​ का ​
खब
ू​स कार ​कया ​
और ​
दन ​
रात ​
उनक ​
से
वा ​
क।
व ृधाव था ​
म ​ा मण ​
और ​
पं
गला ​
दोन ​
क ​मृ
युहो ​
​ गयी।

अगले जनम ​
​ म ​ा मण ​ व बाहु राजा ​
​ का ​
पु​ बना। ​जब ​वो ​
बड़ी ​
रानी ​
सम
ुत ​ के गभ ​
​ म​पल
रहा ​
था ​
तो ​
ई या ​से​त​ हो ​कर ​
छोट ​रानी ​
ने सम
​ ुत ​ को ​वष ​देदया ​
​ ।बड़ी ​
रानी ​
के ​ाण ​
तो
बच ​गए ​क तु ​वष ​
के​भाव ​से उसे
​ ​वचा ​का ​
रोग ​हो ​
गया ​
।​रानी ​
नेपु​
​ को ​
ज म​ दया ​
और
उसके​ शर र ​पर ​
भी ​
वस
ैा ​
ह ​रोग ​
था ​
।​राजा ​
नेवैय ​
​ को ​
बल
ुाकर ​ इलाज ​कराया ​ क तु कोई

लाभ ​न​हु
आ। ​ राजा ​
छोट ​रानी ​
क ​बात ​म​आ​ गया ​ और ​उसे भय ​
​ हुआ​ क​ येरोग ​
​ राज ​
घराने
म​भी ​
फ़ैल​ जाएगा ​इस लए ​ उसने एक ​
​ मछु आरे को ​
​ बलुाकर ​रानी ​
और ​पु​ को ​
जगंल ​म​ छोड़
कर ​आने क ​
​ आ ा​ द ​
।​रानी ​
अपने पु​
​ के​साथ ​जग ंल ​म​ भखू​ यास ​
से तड़पती ​
​ हुई​
भटक
रह ​थी ​
क ​एक ​मं दर ​
म​पहुं
ची। ​
वहांपर ​
​ उसे कु
​ छ ​ ीय ​ नेबताया ​
​ क ​राजा ​
प माकर ​ बहु

दयालु ह​
​ वो ​
तुहार ​मदद ​अव य ​ करगे ।​इतने म​
​ राज ​महल ​ क ​कुछ​से वकाएँ भी ​
​ वहांआई

।​
सम ुत ​ने उ ह​
​ अपनी ​
कहानी ​सनुाई ​
और ​वो ​
उसे राजमहल ​
​ म​ लेगयीं
​ ।​
राजा ​
बड़ा ​
दयालु था

उसने सम
​ ुत ​ के रहने
​ का ​
​ महल ​ म ​बंध​कर ​दया ​।

एक ​बार ​
महल ​म​
ऋषभ ​मुन​आये ।​
प माकर ​
ने
सम
​ ुत ​केवषय ​
​ म​
उ ह​बताया। ​
वेबोले
​ ''
जो ​
बीत ​गया ​
उसके​
लए ​वलाप ​ करना ​
यथ ​
है
।​
इस लए ​इस ​
नाशवान ​
शर र ​
के​
लए ​शोक
मत ​करो। ​
अपने गत ​
​ ज म​के​ पाप ​
कम ​के​
अनस
ुार ​
हमेक ट​
​ मलते ह​
​।​मिुत ​के​लए
भगवान ् शक
​ंर ​
क ​
भि त ​
करो''​

सम
ुत ​बोल '' ​
म​अपना ​
रा य ​
छोड़ ​ कर ​
यहाँ
आई ​
​ हूँ
और ​
​ आज ​ मेर ​ि थ त​ कतनी ​ दयनीय
है
।​
म​जीवन ​ यागना ​
चाहती ​
हू
ँ ।​
'' ​ येकह ​
​ कर ​
वो ​
मुन​के​
चरण ​ पर ​गर ​पड़ी। ​
मु न​को ​
उस
पर ​
दया ​
आ​ गयी ​
और ​
गत ​ज म​ म​उसके पु( ​ा मण ) ​वारा ​
​ क ​गयी ​
सेवा ​
भी ​
उ ह​याद
आ​ गयी ​
।​
उ ह नेथोडा ​
​ भ म​ उसके​ माथे
पर ​
​ लगाया ​और ​थोडा ​
जीभ ​
पर ​डाला। ​
समुत ​ का
पु​ठक​ हो ​
गया ​
और ​
माता ​
पु​ दोन ​
क ​ वचा ​
सामा य ​
हो ​
गयी। ​
दोन ​को ​
आशीवाद ​ देकर
मुन​चलेगए।

स यासी ​
के​
आशीवाद ​का ​
फल ​ऐसा ​
होता ​
है
।​अगर ​
तम
ु​कसी ​
सत
ं​क ​
से
वा ​
करोगे
तो ​
​ तुहार
रसोल ​
भी ​
ठक​हो ​
जाएगी'' ​
स यासी ​
बोला ​

यवन ​
राजा ​
हाथ ​ जोड़ ​
कर ​
बोला '' ​
कृ
पया ​
मझुेबताएं
​ क​
​ ऐसे
स यासी ​
​ कहाँ
पर ​
​ मलगे ?''
स यासी ​
बोला '' ​
भीमा ​
नद ​
केतट ​
​ पर ​
गं
गापरु​
म ​ी ​
गु​
रहते
ह। ​
​ तम
ु​उनके
पास ​
​ जाओ''​

114

राजा ​
गं
गापरु​
गया ​तो ​
लोग ​
ने
बताया ​क ​ी ​
​ गु​सग
ंम ​पर ​
गए ​
ह। ​
ये
सन
​ुकर ​राजा ​
भी ​
उसी
ओर ​चल ​पडा। ​
रा ते म​
​ उसने​ी ​
गु​को ​
दे
खा। ​
वो ​
पालक ​सेउतर ​
​ गया ​
और ​ी ​गु​ को
णाम ​
कया।

ी​गु​
बोले हे
'' ​रजाक, ​
​ तम
ु​इतने
समय ​
​ सेकहाँ
​ थे
​ तुहे
?​ म​
​ बहु
त​समय ​
के​
बाद ​
दे
ख​रहा
हू
ँ ।
''​

येसन
​ुकर ​
उसेगत ​
​ ज म​ क ​याद ​
आ​गयी। ​
वो ​ी ​
गु​
के​
चरण ​
पर ​गर ​पडा ​
और ​बोला ''
गुदे
व​आपनेमझ
​ ुेइतनी ​
​ दरू​य ​रखा ​
हैराजसी ​
?​ सख
ु​म​म​
सब ​कुछ​भलू​ गया ​
था। ​
अब
आपक ​शरण ​
म​हू

।​
मझ
ुेमुत ​
​ क िजये
।​इस ​
रोग ​
सेबहु
​ त​
अ धक ​
पी ड़त ​
हू
ँ ।
''​

ी​
गु​ मुकु रा ​
कर ​
बोले '' ​दखाओ ​ कहाँ पर ​
​ है
रोग ? '' ​
​ राजा ​
जां
घ​पर ​
रसोल ​
ढू

ढने
लगा

क तु वो ​
​ तो ​
गायब ​थी। ​
राजा ​बोला '' ​भुआपके
​ आशीवाद ​
​ से मने
​ राज ​
​ घराने
के​
​ सख
ु​को
भोगा ​
है।​
​ मे
र ​सार ​
इ छाएं अब ​
​ परू​हो ​गयीं
ह। ​
​ मे
र ​ाथना ​ है
​क​आप ​मेरे
महल ​
​ म​चलकर
मे
रेप रवार ​
​ को ​आशीवाद ​द''​।

ी​
गु​बोले म​
'' ​ स यासी ​
हू

महल ​
​ म​मेरा ​या ​
काम ? ​
तम
ु​यवन ​
हो ​
तुहारेनगर ​
​ म​
हर ​
दन
गाय ​
क ​
ह या ​होती ​
है
ये
​ बहु
​ त​बड़ा ​
पाप ​
है
।​अपने रा य ​
​ म​इस ​
पाप ​
को ​
रोको''​

राजा ​
बोला '' ​
म​ अब ​
राजा ​
नह ं
रजाक ​
​ हू
ँआपका ​
,​ भ त। ​
कृ
पा ​
करके​
मझ
ुेअपने
​ चरण ​
​ म
थान ​
द िजये ।
''​

ी​गु​
सोचने लगे
​ ।​
​ इस ​
कलयग ु​ म​पाप ​
और ​ूरता ​
बढ़े
गी, ​
अ छा ​
होगा ​
अगर ​
म​ये
​थान
छोड़ ​
कर ​
गौतमी (​
गोदावर ) ​
क ​
ओर ​ थान ​ क ँ।​
मठ ​को ​
लौटतेसमय ​
​ राजा ​
ने
​ी ​
गु​
को
पालक ​
म​ बठाकर ​खदु​उनक ​ पादक
ुाएंउठा ​
​ केचला।

ी​
गु​बोले तुहे
'' ​ घोड़े
​ क ​
​ सवार क
​रनी ​चा हए ​तम
ु​यहाँ
के
​ राजा ​
​ हो। ​
तुहारे
लोग ​ा मण

स यासी ​
क ​
से वा ​
करनेसे
​तुहार ​
​ नंदा ​
करगे ।
''​

राजा ​
बोला '' ​
लोग ​
के​लए ​म​राजा ​
हो ​
सकता ​
हू
ँपर ​
​ आपके​लए ​
आपका ​
भ त​
रजाक ​हू ँ


आपक ​ि ट ​ पड़तेह ​
​ मे
रा ​
शर र ​
कं
दन ​
ु बन ​
गया ​
है
और ​
​ मे
रे
सब ​
​ मनोरथ ​
स ध​
हो ​
गए ​
ह ''​

ी​
गु​बोले अगर ​
'' ​ म​तुहारे
साथ ​
​ चलँ

ूा ​
तो ​ा मण ​
के​
न य​संकार ​
नह ं
कर ​
​ पाउँ
गा।
इस लए ​
म​आगे जाऊँ
​ गा ​
और ​
तम मझ
ु​ ुे
​मलने पाप ​
​ वनाशी ​
आओ'' ​
।​
येकहकर ​ी ​
​ गु
अ तधान ​
हो ​
गए।

पाप ​
वनाशी ​
म ​ी ​
गु​
के​दशन ​
कर ​
के​
राजा ​
नेफर ​
​ उ ह​महल ​
चलने का ​
​ आ ह​ कया।
नगर ​
को ​
सजाया ​
गया ​
वा य ​
यं ​
के​
साथ ​ी ​
गु​को ​
पालक ​
म​लाया ​
गया। ​
लोग ​
नेनौ

115

र न ​
को ​
उनके​सर ​
पर ​
वारा ​
और ​
आरती ​क।​यवन ​ ने राजा ​
​ को ​
कोसा ​
क तु ​ा मण ​ बहु

स न ​
थे । ​
महल ​
म ​ी ​गु​ का ​
खबू​स कार ​ कया ​गया। ​राज ​
प रवार ​
ने ​ी ​गु​का
आशीवाद ​ा त ​
कया ​
। ​ी ​
गु​नेराजा ​
​ से
पछ
​ुा '' ​या ​
तुहार ​इ छा ​
अब ​परू​
हुई ?''

राजा ​
बोला '' ​
म​
ने
राजसी ​
​ सख
ु​को ​
भोग ​
लया ​
है
अब ​
​ आपक ​
से
वा ​
करना ​
चाहता ​
हू
ँ ।
''​

ी​
गु​ नेउसे
​ ​ीशै
ल​आने
क ​
​ आ ा​
द ​
और ​
ना सक ​
चले
गए। ​
​ गौतमी ​
म ​नान ​
करके​
वे
गं
गापरु​
लौट ​
गए।

ी​
गु​ नेसब ​
​ श य ​
को ​
बल
ुाकर ​
कहा '' ​
अगर ​
म​यहाँ
रहा ​
​ तो ​
राजा ​
और ​
उसके​
लोग ​
रोज़
आकर ​ मझ
ुेपीड़ा ​
​ दगे
।​
​भ त ​केसाथ ​
​ ढ गी ​
भी ​
आयगेइस लए ​
​ अब ​म​गुत ​प ​
से
​ीशै
ल​ म
रहना ​
चाहता ​
हू
ँक तु
​ गं
​गापरु​
म​भी ​
सदा ​नवास ​
क ँ
गा।

०-
-​

अ याय - ​
३५

ी​
गु​
क ​ीशै
ल​
या ा

सभी ​श य ​ ने
​ी ​
गु​
से
पछ
​ुा '' ​
आप ​
ह ​
हमार ​
अमूय ​
न ध​
ह। ​
फर ​
हम ​
छोड़कर ​
आप ​य
जा ​
रहे
ह ?''

ी​
गु​ मुकु रा ​
कर ​
बोले तम
'' ​ु​लोग ​
चं तत ​मत ​
होना। ​
म​गु त ​प ​
से यहाँ
​ पर ​
​ सदा ​
नवास
क ँ
गा। ​ातःकाल ​ हर ​दन ​ अमरजा ​
सगंम ​म ​नान ​क ँगा, ​म या न ​को ​
गं
गापरु​
मठ ​

नगणु​ पजूा ​वीकार ​क ँ गा ​
और ​
भ त ​ को ​
दशन ​दंग
ूा ​
।​
केवल ​ढ गी ​
लोग ​
सेदरू​
​ रहनेके

लए ​
म ​ीशै ल​ जा ​
रहा ​
हूँ
।​मन ​
म​ ज़रा ​
भी ​
सद
ंे
ह​ मत ​लाना , ​
गं
गापरु​म​म​सदै
व​ नवास
क ं
गा''​

ये
आ वासन ​
​ देकर ​ी ​
​ गु​ीशैल​ क ​
ओर ​
चलेगए। ​
​ भ त​ कुछ​
दरू​
तक ​
उनके​
साथ ​
गए।
जब ​
वो ​
वा पस ​
आये तो ​
​ मठ ​
म ​ी ​
गु​
को ​
दे
ख​कर ​
च कत ​
रह ​
गए। ​
कु
छ​दे
र​
के​
बाद ​ी ​
गु
अ तधान ​हो ​
गए। ​
सबने​ी ​
गु​
का ​
एक ​
और ​
चम कार ​
दे
खा।

ी​गु​ीशैल​के​तल ​पर ​
बहती ​
पातळ ​
गंगा ​
गए ​
।​
उ ह नेभ त ​
​ को ​
फू
ल ​
का ​
आसन ​
बनाने
को ​
कहा ​
और ​बोले इस ​
'' ​ पर ​
बठ
ैकर ​म​नद ​ क ​
दसूर ​ओर ​
जाऊं
गा ​और ​
मि लकाजन
ु​के
दशन ​क ँ
गा'' ​
। ​
भ त ​ नेकद ल ​
​ प ​पर ​
शवेत
ंी, ​
कमल, ​
मालती, ​
क हे
र​आद​ पुप ​
से
सुदर ​
आसन ​ तय
ैार ​कया ​
और ​नद ​तट ​
पर ​
लगा ​दया।
116

​ी ​
गु​माघ ​मास ​के​ कृण ​ प ​म ​
शुवार ​ वाले​दन ​
संया ​को ​
जब ​ गु​ क या ​रा श ​
म​ था,
उस ​पुप​आसन ​ पर ​बठैकर ​ चलेगए। ​ थान ​
​ करने से
​ पहले
​ वे
​ बोले
​ म​
'' ​ ऐसे ​थान ​पर ​जा
रहा ​
हू
ँजहाँ
​ पर ​
​ आनं द​ होगा ​
। ​
वहां
पहु
​ ँ
च​ कर ​
म​ तुहारे​लए ​
पु प​ भेट​ म​भेजगं
ूा ​
िजसे तम
​ ु
सब ​आपस ​ म​बाँट​ले ना। ​
तमु​रोज़ ​
उनक ​ पज
ूा ​
करना ​
।​गायन ​मझुे ​य ​ है जो ​
,​ भ त​ मे र
म हमा ​का ​
गणुगान ​ करगे म​
​ उनके​
पास ​ सदा ​
रहू

गा। ​
उ ह​ सब ​सखु ​ क ​ाि त ​ होगी''​
।ये
कहकर ​ी ​ गु​अ तधान ​ हो ​
गए। ​
थोड़ी ​
देर​
बाद ​
कुछ​ना वक ​नद ​ क ​ दसूर ​ओर ​से आये
​ ।

उ ह नेबताया '' ​
​ हमने नद ​
​ के​उस ​
पार ​
एक ​स यासी ​को ​
हाथ ​
म​डडंा ​
ले कर ​
देखा। ​
उनके परै

म​सोने क ​
​ पादक
ुाएं थीं
​ ।​उ ह नेअपना ​
​ नाम ​नर संह​सर वती ​बताया। ​ उ ह ने आपके
​ ​लए
एक ​स देश​ दया ​है म​
'' ​ कद ल ​वन ​
जा ​
रहा ​
हू
ँ​क तु गं
​गापरु​म​सदा ​ रहूँ
गा। ​
येफू
​ ल​ तुहारे
लए ​भे
ज​रहा ​
हू

।​इ ह​ आपस ​ म​बाँ
ट​लो''​
।सबने दे
​खा ​
थोड़ी ​
दे
र​बाद ​चार ​फूल​ पानी ​
म​बहते
हु
ए ​आये िज ह ​
​ सयमदे व, ​नद
ं, ​
नरहर ​ और ​ मने स ध ​
(​ मुन) ​ लए। ​ ये ह ​
​ वो ​
पु प​ है ,
नामधारक ​को ​स ध​ मु न​ने दखाया।

श द ​ी ​गु​ क ​
म हमा ​
का ​
गण
ुगान ​
करने म​
​ असमथ ​ ह। ​ी ​
गु​का ​
जीवन ​
अथाह ​
समु​क
तरह ​
हैमने
​ तुहे
​ उसका ​
​ कुछ​ भाग ​
सन
ुाया ​
है
।​जो ​
इ ह​
सनुगे,​पढगे या ​
​ लखगेउ ह​
​ सब ​
सख

ा त​ह गे।​अमतृ​स श ​ी ​गु​क ​जीवन ​गाथा ​
के​
पठन ​से चार ​
​ पुषाथ ​
और ​
परमाथ ​

ाि त ​
होगी।

०-
-​

अ याय - ​
३६

उपसं
हार

ी​गु​चर ​ का ​वण ​
करने के
​ बाद ​
​ नामधारक ​ न पहृ​होकर ​गर ​
पड़ा ​
और ​
समाधी ​ म​चला
गया। ​
उसके​ शर र ​
सेपसीना ​
​ बहनेलगा, ​
​ गला ​ंध​गया ​
और ​आखँ​ सेअ ध
​ ुारा ​
बहने लगी ​
​ ।
वो ​
मखु​सेएक ​
​ श द​ भी ​
नह ंबोल ​
​ पाया। ​ी ​
स ध​ उसक ​ येि थ त​
​ दे
ख​ कर ​
बड़े ​स न ​हुए
और ​इस ​कार ​ उसे समाधी ​
​ मल । ​समाधी ​ा त ​होना ​
सौभा य ​
था ​क तु जन हत ​
​ के​लए
उसे जगाना ​
​ भी ​
आव यक ​ था। ​
इस लए ​ स ध​ मुन​ने उसके​
​ शर र ​
पर ​े
म​से हाथ ​
​ फेर​
कर
उसे बल
​ुाया '' ​य ​ श य​ होश ​
म​आओ। ​ तुहे​ानोदय ​ हु
आ​ हैऔर ​
​ आगे चल ​
​ कर ​
मो ​ क
ाि त ​
भी ​
होगी। ​तम
ु​इस ​कार ​यान ​ म​ ह ​
रहोगेतो ​
​ लोग ​को ​
कस ​कार ​जागत करोगे
ृ​ ?
तम
ुने मझ
​ ुे ​ी ​
गु​ चर ​ सनुानेको ​
​ कहा ​और ​मने सन
​ ुाया। ​
अब ​
तुहे इसे
​ जन ​
​ जन ​तक
पहुं
चाना ​
है
''
117

नामधारक ​ने​ी ​
गु​के​चरण ​ पर ​
सर ​रख ​
कर ​ाथना ​क '' ​
आप ​वयं​ी ​गु​
का ​प ​ह।
आपने ​ी ​
गु​चर ​ सनुाकर ​मझु​पर ​
उपकार ​कया ​
है ​क तु मे
​र ​
तृणा ​
तृ त​
नह ं
हु
​ यी ​
है

कृ
पया ​
मझुे ​ी ​
गु​चर ​ एक ​बार ​फर ​
से सन
​ुाइए '' ​
।​स ध​ मुन​ने​ी ​
गु​चर ​ का
सारां
श​नामधारक ​को ​
दोबारा ​
सन
ुाया ​
। ​ी ​
गु​अ तधान ​ हो ​
गए ​
क तु वो ​
​ आज ​
भी ​
अपने
स चेभ त ​
​ को ​
दशन ​दे
तेह।

नामधारक ​
ने
पछ
​ुा '' ​
कृ
पया ​
मझ
ुे​ी ​
गुच र ​
केस ताह ​
​ पारायण ​
क ​
व ध​
बताएं ।
''​

ी​स ध​ बोले '' ​ी ​


गुच र ​ का ​
पठन ​ कसी ​ भी ​
समय ​शुध ​मन ​से​कया ​जा ​
सकता ​है

स ताह ​पारायण ​ का ​
फल ​अ धक ​ शभुदायक ​ होता ​
है।​
इसके ​लए ​
एक ​साफ़ ​
सथुरा ​थान ​चनु
कर ​
भगवान ् द ा य
​ े​के​ च ​के​सम ​ाथना ​ करो , ​योत ​
जलाओ ​ और ​पाठ ​
आर भ ​ करो।
परूे
स ताह ​
​ अपने इि य ​
​ को ​
वश ​म​ रखो। ​
रात ​को ​
ह का ​
भोजन ​लो। ​
कुछ​
लोग ​ परू
ा​
स ताह
त​रखते ह​
​ क तु ये
​ सभ
​ ंव ​
न​हो ​
तो ​
एक ​कार ​ का ​
अनाज ​हण ​ कर ​
सकते हो। ​
​ ८वे​दन ​
एक
ा मण ​ द पत​ को ​
भोजन ​करवा ​कर ​द णा ​ दो। ​
अगर ​
पारायण ​शुध ​मन ​से भि तपव
​ ूक
कया ​
जाए ​तो ​ी ​गु​व न ​ म​ दशन ​ दे
कर ​सभी ​ इ छाएंपरू​
​ करते ह। ​
​ इसके पठन ​
​ सेभत
​ ू

त​ का ​
भय ​भी ​
मटता ​ हैऔर ​
​ मन ​ शां
त​होता ​
है।

नामधारक ​
ने
एक ​
​ बार ​
फर ​
से
​ी ​
स ध​
मुन​
का ​
आभार ​
य त​
कया ​

भगवान ्
​ी ​
द ा य
े​को ​
सम पत !

ॐ​
तत ​
सत ्

श कोष
118

श द अथ

अ वथ - पीपल

औद ुबरु- बरगद

नामधारक स ध मु
न का श य

स ध मु
न ी गु नर सं
ह सर वती के
श य

मानसपु मन क शि त सेसिृ
जत पु

आ म लं
ग आ मा का एक प

सूत ऋ वे
द म क तु

श न दोष माह का १३व दन जो श नवार


हो। इस दन श न क पजूा क जाती हैऔर यह दन शवजी केनटराज प
सम पत है
। कहतेह इस दन शव पारवती े म भाव म होतेह और भ त क
सभी इ छाएंपरू करते
ह ।

अि नमीले- ऋ वे
द का एक म

यजव
ुद इशे
वा यजव
ुद का एक म
अि न आयाह सामवे
द का एक म

चतम
ुास संक प स या सय वारा एक थान
पर चार माह रहकर अ हं
सा पालन का त

समाराधन - ा मण भोज

वै
वदे
व अि नदे
व को खा या न अपण

अपो ह त मं शुध का मं
119

सव ी सा नाथापनाम तु

ले
खका का प रचय
120

मा लनी का ज म १९ फरवर १९७१ को आं दे श म हुआ था ​। उ ह ने कू


ल क
श ा झारख ड और पं जाब म तथा कॉले
ज क श ा चं डीगढ़ म ा त क ​।
पं
जाब यूनव सट सेउ ह ने१९९२ म अंे जी सा ह य तथा १९९४ म इ तहास म
नातको र क ड ीयां हा सल क ।

उ ह नेअपना क रयर १९९८ म हमाचल दे


श सरकार से
वा म बतौर राजप त
अ धकार आर भ कया। आज कल वह महाम हम रा यपाल हमाचल दे श क

स स चव के प म काय कर रह ं
है।

माया गौतम क लेखन म गहर च है​। वह क वता और लघुकहा नयांभी


लखती ह तथा लो गं
ग का उ ह बहु
त शौक है​। ी गु च र उनक पहल कृत
है।

-0-

 
121

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