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ी गु च र
ॐ
गु
द ा
नमो
नमः
मा लनी
2
ाथना
गरु
ोह परथाराम ना थी त मै ी गुवेनमः ।।
( ी गु गीता - लोक - १३ )
गु ह आ द और अनं
त ह । वह ह े
ठ पुष ह और उनसेमहान कोई नह ं
है।
यह कृत मे
रेइ ट केचरण कमल म मे
रा आभार, े
म और भि त अ पत करने
का के
वल एक छोटा सा यास है।
-0-
3
आभार
-0-
5
तावना
ी गुच र मू
त ( मा, व णुऔर महेश) केअवतार ी गु द ा य ेक
जीवनी है। इस थ को अ यं
त प व माना जाता है य क इसम द ा ये के
अवतार ीपाद ीव लभ और ी गु नर सं ह सर वती केजीवन और उनके
चम कार का वणन है। द स दाय केअनस ुार भगवान ्द ा य
े केपहले
अवतार ीपाद ीव लभ, दसुरेअवतार ी गु नर सं
ह सर वती, तीसरेऔर चौथे
अवतार अ कलकोट के वामी समथ महाराज और मा ण य भुतथा पां चवे
अवतार शड के ी सा नाथ मानेजातेह ।
केसाथ पढ़ते ह उ ह ी गु सख
ु शांत दे
तेह , उनकेसब मनोरथ स ध होतेह
और तो और भगवान ् द ा य
े व न म भी दशन दे तेह । पठन समा त करके
रा को सोनेसेपहलेमने ी गु से ाथना क '' गुदे व भि तपव
ूक कयेगए
मेरेपारायण को य द आपने वीकार कया हो तो कृ
पया मझ
ुेभी व न म दशन
द िजये'' ।
इस अनभुूत से े
रत हो कर मनेन चय कया था क म भगवान ी द ा य े
का जीवन च र अ धक सेअ धक लोग तक पहु
ं
चाउं
गी िजससेसबका क याण हो
सके।
म भगवान ्द ा य
े क जीवनी ी गु च र और ी सा नाथ क जीवनी सा
स च र क ऋणी हू ँिजनकेकारण अ याि मक पथ पर म ती ता सेअ सर हु
ई
और इस पथ पर जो भी मने ा त कया वो सब इ ह के ी चरण म अ पत
करती हू
ँ।
-0-
7
ी गुच र
वषय सच
ूी
अ याय शीषक
१ नामधारक
को ी
गु
का व न, स ध
मुन
का ानोपदे
श, सं
सार क
रचना, यग
ु का वणन ।
२ सं
द पक
क
गु
भि त ।
३ अ बर श को दव
ुास मु
न का ाप, ी द ा य
े का ज म ।
४ ीपाद ी व लभ का ज म ।
९ व लभे
श क र ा ।
१० ी नर सं
ह सर वती का ज म और उनकेचम कार, नरहर बने ी
नर सं
ह सर वती ।
११ ी गु अपने
प रवार सेमले
, ा मण क उदर पीड़ा दरूहु
ई , सयमदे
व
को जीवनदान ।
१
२ भारत के मख
ु तीथ े।
१३ गु का मह व , धौ य ऋ ष वारा श य क पर ा ।
१४ ी गु केचम कार - मं
दबुध बालक को ान क ाि त, नधन ा मण
का भोज, गर ब ा मण को धन क ाि त ।
8
१५ आद ुबरुव ृ क महानता, गं
गानज
ु को ी गु केदशन , काशी याग
या ा ।
१६ ा मणी को सं
तान ाि त और मह य केपाप सेमिुत, ी गु के
चम कार सेमत
ृ बालक जी वत हु
आ ।
१८ ी
गु
का वराट प, ध ृ
ट ा मण
का
अहं
कार, वे
द
का
व ले
षण ।
१९ ह रजन
बना
व वान
्ा मण, कम
पर
या यान,वभू
त
क
म हमा ।
२० ा मण वधवा का मत
ृ प त जी वत हु
आ ।
२१ नार का यवहार सं
हता ।
२२ सम पत े
मका, राजकु
मार और मंकु
मार क शव भि त ।
२३ क छ - दे
वयानी क कथा, सोमवार के त क म हमा ।
२४ ा मण का सं
क प, ा मण का आचरण ।
२५ ६० वष क ी को सं
तान ाि त, नरहर का कुठ रोग दरूहु
आ ।
२६ सयमदे
व क काशीख ड या ा ।
२७ अनं
त त क म हमा ।
२८ महा शवरा को तं
तक
ुक ीशै
ल या ा, आठ थान पर ी गु नेएक
साथ दशन दए ।
२९ नं
द ा मण का कुठ रोग दरूहु
आ, कवी नरहर ी गु का भ त बना
।
३० पाबती क भि त ।
३१ अमरजा सं
गम और ी गु क महानता ।
३२ गु गीता का सार ।
३३ २४ गु
9
३४ धोबी का पन
ुज म, यवन राजा क भि त ।
३५ ी गु क ीशै
ल या ा ।
३६ उपसं
हार
10
अ याय –
१
नामधारक
को ी
गु
का व न, स ध
मुन
का ानोपदे
श, सं
सार क रचना, यग
ु
का वणन ।
नामधारक
को ी
गु
का व न
वभ न सांसा रक यथाओं से
त नामधारक ी गु क
तलाश म नकल पडा
।
मन
म
ी
गुका
नाम
जपते हु
एउसनेयू
ाथना
ँ क ''
हे
गुदे
व,
आप
तो
पारस
क
तरह
पा पय
को
अपनेपश से पुया मा
बना
दे
तेह,
फर
मझ
ुे इतने
क ट य
उठाने पड़
रहे
ह?
आपके
तमे
र धा मकोई
कमी
रह
गयी है
या ?
इस
कलयग म
ु आप ह मू त - मा , व णुऔर
महेशके
एकमा अवतार
ह।
हेी
नर संह
सर वती ,
आप
ह भ त केलए दया
न धऔर उनकेपथ दशक
ह।
िजस कार
एक माँ
अपने
शशु
का
प र याग नह ंकरती
उसी कार
आप
भी
मझुे
अपने
दय
से लगा
कर
रख य क
आप ह
मेरे
माता,
पता,
बध
ंू सखा
, और सव व ह
।
आप ह इस व वकेसरं क ,
दे
वताओं के
पोषक
और स पणूान सेप रपण
ूह।
आपने ह
राजा
बल को
पाताल
का नरेशबनाया
था,
आपने ह
वभीषण
को
लकंा
का
सा ा य स पा
था और आपने ह
इस प ृवी
को य से मुत
करकेउसेा मण को
दान
म दया था,
आपने ह व
ुको
अनंत बनाया था
।
इन
सब के
बदले म
आपने या हण कया था ?
हे
नाथ ,
आप वयं दे
वी
ल मी के वामी ह , फर येतुछ
भ त आपको या अपण कर
सकता है? या
माँअपने
शशु
से
दध
ूकेबदले म
कसी
चीज़
क अपेा रखती है?इसी
कार
भ त सेकसी
चीज़ क अपेा रख
कर उसेवरदान
दे
ना
आपको शोभा
नह ंदे
ता भु !
सभी जल ोत व ण देवता क उपासना नह ंकरते
ले
कन वषा
के
देवता
उन सभी पर
समान प सेजल
बरसाते ह
।
मे
रेपव
ूज वष से आपक
उपासना करतेआ
रहेह
।
हेगु,
उन वारा
आपकेचरण म
अ पत भि त का
फल दान करतेहु
एमझ
ुेइन
क ट सेमुत
क िजये ।
मआपक शरण
म
हू
हे
ँ
नाथ !
मे रे
पापकम
को मा
करते हु
एमझ
ु पर
कृपा ि ट
डा लए ।
अगर
बालक से
माता
कुपत हो
जायेतो
वो
पता
क शरण
मजाता
हैपर
मेरेतो
माता
और पता
दोन
ह
आप ह । या आप मे
र र ानह ंकरगे
? या
आप इस अबोध बालक क दयनीय यथा
नह ं
सन
ुगे?''
इस कार ाथना
करते
हु
ए
चलतेचलते
नामधारक
थक
के
एक
व ृ
क
छाया
मसो
गया
।
नीं
द
मउसे एक व न
हु
आ।
उसेएक
द य व पके
दशन
हु
ए-घग
ं
ुरालेके
श,
शर र
पर
11
भ म केनशान,
दयालु
तज
ेोमय
मख
ु।
वह ी
गु
को
तरु
ं
तपहचान
गया
। ी
गु
ने
उसके
शीश
पर
हाथ
रख
कर
उसे
आशीवाद
दया
।
स ध
मुन
का ानोपदे
श
स धमुन
यूँबोले
म
'' एक योगी हूँप ृवी
, और आकाश दोन
ह
मे
रेनवास थान
ह।
कई
तीथ
क
या ा
करनेके
प चात
म यहाँ पर
पहुं
चा
हू
। ी
ँ
गुनर सं
हसर वती
मे
रेगु
ह।
वे
गु म, व णु और
महेश केअवतार हऔर हमेशा यान
म न रहतेह,
भीमा
और
अमरजा
न दय के
सग ंम केनकट गं
गापरुउनका नवास थान
है।
मृ यल
ुोक
केवा सय
के
क याणाथ वेइस
प ृवी
पर
अवत रत हुएह।
उनके भ त के
पास
अ न,पशु गाय )
(
और
धन
क कोई
कमी नह ंहोती''
।
यह
सन
ुकर
नामधारक
ने
न कया ''
मे
रे
पव
ूज
नेकई
पी ढ़य
सेी
गु
क
उपासना
क
है
फर
वे
आज
भी तकूलप रि थ तय मजीवनयापन
करनेको
ववश य
ह ?''
ी स ध बोले तम
'' ुी गुमआ था
भी रखतेहो
और
उन
पर
सद
ंे
हभी
करतेहो ?
तुहार
आ था अभी
अपण ूहै।
अगर कसी
भ त से मा,
व णु और
महे
श ो धत
हो
जाएँऔर
वो ी
गु क शरण लेतो ी
गुउसक र ा
अव य करगे क तु
कसी
कारणवश उससे
अगर ी गुकुपत हो
जाएँतो मा,
व णुऔर
महेशभी
उसक सहायता नह ंकर
सकगे ।
''
नामधारक
नेपछ
ुा ''
कृपया
मझ ुेबताये
क ी
गु
को मू तका
अवतार य
माना
जाता
है
और
ऐसा य हैक भ त से अगर ी
गुकुपत
हो
जाएँतो मा,
व णुऔर
महेशभी
उसक सहायता
नह ं कर
सकते ?इसकेबारेम
मझ
ुेव तारपवूक
बताएंता क ी
गुम
मे
र
आ था और ढ हो
सके ।
''
सं
सार
क
रचना
ीस ध नेनामधारक
को
सस
ंार
क रचना
केबारेम
यू बताया ''
ँ व वक उ प के
समय आ दनारायण, ी व णुएक
वट प पर
लेटेथे
और
उनक इ छा
सेउनक
ना भ
से
कमल अि त व म आया ,
िजसपर चार
मखु वाले मा वराजमान थे।
उ ह अपनी
ेटता
का ान
होता
इसकेपहले
ह ी
व णु ने
कहा ''
म
इधर हू
ँमझ
ुे नमन
करो ''
। मा
ने
उनको
नम कार कया और
उनकेव प क शं सा
क। इससे स न होकर ी व णु ने
मा
को
चार
वे
ददे
कर
उनके अनस
ुार
सस
ंार
रचने क
आ ा द
।
मा
ने
सस
ंार
क
रचना
क
िजसमे
कई
जीव
तथा
अचे
तन
त व
शा मल
थे
जस
ैे
–
वे
दज -
िजनक
उ प कट
से
होती
है
।
अं
डज -
जो
अ ड
से
नकलते
ह
जस
ैेप ी
।
जरज -
िजनका
ज म
गभ
से
होता
है
जस
ैे
मानव
।
उ भज -
जो
प ृवी
केभीतर
से
नकलते
ह
जस
ैेवन प त
।
इसी कार मा
ने
तीन
लोक
सिृ
जत कये
।
इस
सज
ृन या का
वणन म वव
ैत
परु
ाण
मदया गया
है
।
इसकेप चात मा
ने
एक
एक
यग
ुको
बल
ुाकर
उ ह
प ृवी
पर
जाने
क
आ ा द
।
यग
ुका
वणन
सबसे पहले
य योपवीत
और ा क माला
धारण कये कृ
, त
यगुआया ।
वह ानी,
स यवाद और आसि त र हत
था
।
उसने पछ
ुा ''
प ृवी
लोक
के
लोग
झठ
ूेऔर
पापी
ह।
म
वहां
पर
कै
सेरह
सकँ
ूगा ? मा
नेउसे
आ वासन
दया कशी ह
मवहां
दस
ुरे यग
ुको
भे
जगं
ूा
तम
ुथोड़े
समय
के लए
ह
वहाँ
पर
रहोगे।
उसके
बाद
य क साम ी
लए भार
भरकम शर र
वाला त
ेा
यग
ुआया
।
इस
यग
ुम
ा मण
क संया
अ धक
थी
और
लोग
धा मक
अनु ठान
अ धक करते
थे
।लोग
धम
का
स मान
करतेथे
।
इसकेबाद मा
के
पास
धनष बाण
ु और अ य अ -श लए वापर
यग
ुआया । वह
दयालुहोने
के
साथ
साथ
दुट व ृ
का
भी
था
।
उसम
नै
तकता
के
साथ
साथ
दरु
ाचार
भी
गोचर
था।
13
आ खर म भयानक
आकृ त
वाला कलयगुकट हु
आ । वह
व ृध ,
नदयी,
सघ
ंषरत और
घनौना
था
।
वह
बचकाना यवहार
करता
हु
आ मा केपास आया ,
एक
घडी
हँ
सता तो
दस
ूर घडी
लोग
क नंदा
करता।
ऐसा
अटपटा
आचरण देखकर मा नेन कया ''
तम
ु
न न य हो
और
इस कार अपश द य बोल
रहे
हो ''?
कल ने
अपने
चर
का
वणन इस कार कया ''
न नता
और
अभ वाणी
वो
मा यम ह
िजनसे
म प ृवी केलोग पर
आ मण क ँ
गा अतः
म कसी सेनह ं
डरता''
। मा
मुकु
राकर
बोले जाओ
'' और
प ृवी
वा सय
को
अपने दु
वचार
का भाव
दखाओ'' ।
कलबोला ''
म वाथ
हू
और
ँ
धम
का
नाश
करता
हू
।
ँमझ
ुेववाद य
है
और
म
दसूर
क
ीय
और धन केत
आस त
हू
।
ँ
म ढ गय का
म और
गण
ुीजन
का
श ु
हू
ँ ।
''
मा
बोले कलयग
'' ुमलोग
क आयुअ य
यगुक
तलुना
मछोट
होगी
और
वो
अ य
यग
ुक भांत न ठायुत
तप या
करके म ान ा त
नह ं
कर
पाएं
गे।
इस लए कलयगु
मलोग अ पावधी मह ान ा त
करनेका यास
करगे तुहे
, ऐसे
लोग
क सहायता
करनी
होगी ''
।
क ल
बोला ''
ऐसे
लोग
मे
रे
श ु
गे
ह ।
म
ऐसे
लोग
से
डरता
हू
ँ
,फर
प ृवी
पर
कै
सेजाऊं?
मा
बोले अपने
'' साथ ''
कल ''
और ''
आ मा ''
को
लेजाओ ,
येदोन
प ृवी
वा सय
को
अधा मक आचरण हे
तुेरत करगे और
अ छे लोग
सेभी
पाप
कम
करवाएँगे ।
''
मा
बोले तम
'' ुचतरु
हो
शी ह
लोग
तुहारे
अनस
ुार
चलगे
ले
कन
जो
थोड़े
लोग
धा मक
वृ केह गे
तम
,ुउ हक ट मत
दे
ना ''
।
मा
बोले तुहारे
'' मागदशन
हे
तुम ''
कलऔर
आ मा ''
को
साथ
भे
ज रहा
हूँके
,वल
सदाचार
ह तमुपर
वजय ा त
कर
सकगेबाक
सब
शी
ह तुहारेदास
ह गे ।
''
14
क ल
ने
पछ
ुा ''
साधू
कौन
हैउसे
? कै
से
पहचाना
जाये
?''
मा
बोले तम
'' ुऐसे लोग
को
मत
सताना
जो
व वान ्ह गे
, ी
हर
क
भि त
करते
ह गे
,
जो
माता पता,
गाय,
तल
ुसी
जस
ैे पौध
क
सेवा
करगे ।
''
क ल
ने
पछ
ुा '' ी
गु
का या
मह व
हैउनक या
? पहचान
होगी ?''
मा
बोले गु
'' का
अथ स ध, रऔर ऊका
अथ ी
गणे शहैजो
क ''
गु'' ह । मा,
व ण,ु
महेश, माता, पता
सब
प ृवी
पर
गुके
समान ह।
गु न ठा और ववेक से अिजत
ान
केव प ह।
गु र हत
धम शा अ ययन न फल होता
है।
गु ह
भि त , बुधी
और कम केपथ पर श य का मागदशन करता
है
।गुवारा दान ान केअभाव म
भवसागर पार
करना क ठन होता
है।
गु अ धकार
भरे मायावी
जग
ंल म ान का काश
फैलाकर हमे अ ान
से मुत
करता है।
गुक से
वा
ह स ची सेवा
है,यह
हमारे शर र,
वचार और वाणी
को पव करती है।
इस वषय
पर
म तुहेएक
कथा
सन ुाता
हू
ँ ।
''
-0-
अ याय - २
सं
द पक
क
गु
भि त
सं
द पक नेइस काय को वीकार करतेहु
ए कहा '' गुदे
व म आपक से
वा परू
न ठा सेक ँ
गा , कृ
पया आदे
श द क मझ
ुे या करना होगा ''।
15
वे
द धम बोले'' म अँ
धा, लं
गड़ा और कुठ रोगी बन जाऊं गा और तुहे२१ वष
तक इस अव था म मेर सेवा करनी होगी । अगर तुहार ढ इ छा हो तभी इस
काय को वीकार करना अ यथा नह ं''।
सं
द पक बोला '' गुदे
व आपकेसाथ म भी अँधा लं
गड़ा और कुठ रोगी बन
जाऊं
गा और परू
ेय न क ँगा क आप अपनेपाप सेमुत हो जाएँ''।
यह सन ुकर वे
द धम अ यं त स न हु ए और बोले'' मे
रेपाप कम का ायि चत
के वल म ह कर सकता हू, पु, श य या अ य कोई
ँ मे
रेपाप का ायि चत नह ं
कर सकता , इ ह मझुेअपनेशर र को क ट दे कर ह न ट करना होगा । इस
प रि थ त म मेर से
वा करना अ यंत क ठन होगा , मझ
ुेशी ह काशी लेचलो
''।
गु श य काशी पहु ं
चेऔर का बलेवर म रहनेलगे। मुन नेम णक णका म
नान करके व वे वर क पज
ूा क । ऐसा करतेह उनकेशर र पर कुठ रोग के
ल ण दखनेलगे ।
यह सन
ुकर वे
द धम ो धत हो गए और बोले'' अगर ऐसा करोगे तो मझ
ुे अगले
जनम म भी ऐसी पीड़ा सहनी पड़े
गी और मे
रेमो का रा ता बा धत होगा ''।
सं
द पक बोला '' हेनारायण , घनेजं
गल म जो वष तक तप या करतेह आप
उ ह भी नराश करतेह, मनेतो आपक आराधना भी नह ंक फर भी मझ ु पर
येवशेष अनकु पा कैसी ?''
ी व णुबोले'' तम
ुनेअपनेगु क जो से वा क हैवो मझ ुे ा त हु
यी हैअतः
म ऐसेभ त केवश म रहता हू ँऔर उ ह आशीवाद दे ता हू
। ऐसी प नी जो प त
ँ
क सेवा करती है
, जो लोग ा मण , स या सय और यो गय का स कार करते ह
वो मृयु केप चात व णल ुोक म थान ा त करते ह ''।
सं
द पक बोला '' भ,ुमे
रेलए तो मे
रेगु ह सव व ह और मझ ुेव वास हैक
म उनक कृ पा सेवेद शा का ान ा त कर लँग
ूा, चँ
ूक मेरेगु ह मे
रे
भगवान ्
है, इस लए मुतय का आशीवाद भी मझ
ुे ा त है
, इस लए म अपने
गु क सेवा करना ह बेहतर समझं
ग
ूा ''।
सं
द पक बोला '' अगर ऐसी बात हैतो आप मझ
ु पर इतनी कृ
पा क िजयेक मेरे
गु म मे
र आ था और गाढ़ हो और म उनक से वा अ छ तरह सेकर सकँू''।
ी व णु
नेतथा तु
कहा ।
जब वे
द धम नेयह सन ुा तो वेभी स न हु
ए और सं द पक सेबोले'' तम
ु सभी
श य म से े ठ हो । तम
ु काशी म ह रहो, तुहारेमख
ु सेनकला हर वा य
स य होगा, तम
ु पर कु बे
र देवता क खब
ू अनक ु पा रहेगी और तुहेखबू धन
मलेगा । जो भ त तुहेयाद करगेउनकेक ट मटगे''।
17
इस कार मा नेक ल को सं
द पक क कथा सनुाई। वह बोले'' हेनामधारक,
तुहेभी गु म ऐसी आ था रखनी चा हए और उसी न ठा और भि त सेसे वा
करो तब नि चत प सेतम ु इस संसार केदख
ु सेमुत हो जाओगे। अपने
इि य , मन और बुध को वश म करो तब तम
ु परमे वर को ा त कर लोगे '' ।
-०-
अ याय - ३
अ बर श को दव
ुासा मु
न का ाप, ी द ा य
े का ज म ।
अ बर श को दव
ुासा मु
न का ाप
ी स ध बोले'' चं तत मत हो व स, तम
ु शी ह मोह, माया केब धन से
मुत हो जाओगे और तुहार वप याँ भी दरूह गी । जो लोग ी गु क शि त
पर संदे
ह करतेह उ ह क ठनाइय और दा र य म जीवनयापन करना पड़ता है।
इस लए संशय मत करो ी गु दया केसागर ह वो तुहेसब कु छ दगे। िजस
कार मेघ जल बरसातेह उसी तरह ी गु भी भ त पर अनुह क वषा करते
ह। इस लए स चेमन से ी गु क आराधना करो ''।
अ बर श क पर ा लेनेहे
तुएक बार दव
ुासा ऋ ष उनकेपास अ त थ बनकर
गए। उस दन साधन वादशी का मह
ुत सयूदय केप चात के वल २४ मनट के
लए था । अ बर श नेआदरपव
ूक ऋ ष का वागत कया और भोजन करनेके
लए नान इ या द करकेशी लौट कर आनेक ाथना क । दव ुासा ऋ ष नान
करनेनद क ओर चलेगए। वादशी समा त होनेको आई पर ऋ ष नह ंलौटे ।
अ बर श असमं
जस म पड गए और उ ह त टू टनेका भय सतानेलगा । त न
19
टू
टेइस लए अ बर श नेजल और भोजन हण कया क इतनेम दवूासा ऋ ष
आ पहुं
चेऔर अ बर श पर ो धत हो कर उ ह ाप देदया ।
एक बार मा, व णु
और महे
श भे
स बदल कर सती अनस
ुयूा केपास गए । सती
अनस
ुयूा ऋ ष अ ी क सम पत और कत यपरायण प नी थी । अब म तुहेये
कथा सनुाता हू
ँ''।
ी द ा य
े का ज म
इन सब म से ी गु का ज म अ ी केघर म हु आ । अनसय ूा ( वे
ष र हत )
अ ी ऋ ष क धम प नी थी । वह अ यंत सशुील और सुदर थी । उनक न ठा
दे
खकर वग म दे वताओंको भी इ या होनेलगी । एक बार दे
वराज इ अ य
दे
वताओंकेसाथ मा, व णुऔर महेश केपास गए और बोले'' अनसय ूा एक
महान और कत यपरायण नार हैजो शर र मन और वचन सेअपने पत अ ी क
से
वा म ल न है। वह आ त य म भी कसी सेपीछेनह ंहैऔर कोई भी उसके
घर सेनराश नह ंलौटता । उस सेसय ू, पवन, अि न और देवता भी डरतेह,
20
कसी दन वह वग पर भी वजय ा त कर ले
गी । इस लए भु
हमार सहायता
क िजये
'' ।
कु
छ वष केबाद च चंलोक और दव
ुासा वन म तप करने
चलेगए । द ा या
द ा य
े आ म म ह रहे। उ ह ने
ह ी गु पीठ क थापना क और इसी नाम
सेव यात हु
ए । -०-
21
अ याय - ४
ीपाद ी व लभ का ज म
''परू
ब क ओर पठापरु म अ पलराज नामक ा मण रहता था, उसक प नी
सम ु त एक प त ता ी थी । एक बार अमाव या के दन उ ह नेघर पर एक
बहु त बड़ा आयोजन कया । उस दन ी द भे स बदल कर उनकेघर भ ा
मांगनेगए । आम तौर पर ऐसेआयोजन वाले दवस पर भ ा नह ंदे ते।
य य प आमंत साधूसं त नेउस दन भोजन नह ंकया था, फर भी सम ु त ने
भ ा डाल द । इसेदे
ख कर ी द इतने स न हु ए क उ ह नेसम ु त को
अपनेअसल व प म दशन दए। उ ह नेपछ ुा माँ तुहे या चा हए ?
फर वह माँसेबोले'' अब तो तम
ु सं
तुट हो ना ? तुहारेपु सौ साल िजयगे
और तमु उनकेपु पौ केसाथ सख ुपव
ूक रहोगी । तुहारेपु को यश, सखु,
धन-धा य सब कु
छ ा त होगा । अब मझुेवन जानेसेमत रोको । मझ ुेउ र
क और जा कर साधओ
ुं का मागदशन करना है
’’।
23
अ याय - ५
नामधारक नेपछ
ुा '' हे वामी, वै
सेतो मू
त ह स ध थे
, फर वह तीथ या ा
पर य गए वशे षकर गोकण ? उस थान का या मह व है?''
नह ंमे
रा भ त रावण खे
ल रहा है''। पावती नेडरेहु
ए दे
वताओं
क र ा करने
क
फर से ाथना क ।
दुट रावण को आ म लं
ग य दया ? उस उ पाती रा स नेसारेदे
वता बं
धक
बना लए ह अब वह वग पर भी अ धप य ा त कर ले
गा।
गणे श जी बोले'' तम
ु यह सब य पछ ू रहेहो ? या मेरेमाता पता तुहारे
कज़दार ह ? रावण मुकु रा कर बोला '' मझ
ुसेडरो मत , म केवल तुहारेवषय
म जाननेको उ सक ु हू
ँ। गणेश जी बोले''म ी शव का पु हू ँमे
र माँका नाम
पावती है
। मे
रेपता नं द बैल क सवार करतेह और भ ा सेजीवनयापन करते
ह '' ।
कान ) जै
सी हो गयी । इस लए इस थान को गोकण कहा गया हैऔर रावण ने
इसेबलपवूक उठानेका य न कया इस लए इसका नाम महाबले वर पड़ा ।
-०-
अ याय - ६
नामधारक नेपछ
ुा '' वामी, गोकण क या ा कसनेक थी और उ ह या लाभ
पहु
ं
चा था?''
ी स ध यूँबोले'' इ वाकुवं
श का एक शरू वीर राजा था । वह शा का ाता
, दयालुऔर साहसी था। एक बार वह शकार पर गया। जं गल म उसने एक दानव
का शकार कया। वह तीर खाकर धरती पर गर कर पीड़ा सेकराहने लगा । यह
देख कर उसका भाई रोनेलगा । दानव ने ाण यागनेसेपहलेभाई सेअपनी
मृ युका तशोध ले नेका वचन लया । दानव का भाई राजा केपास मनु य के
प म गया और महल म रसोइयेक नौकर करने लगा। एक दन राजा नेमहल
म भोज का आयोजन कया िजसमेऋ ष व स ठ और अ य मु न भी आये ।
अवसर पा कर रसोइयेनेऋ ष व स ठ को मानव का मां स परोस दया। यह दे ख
कर ऋ ष व स ठ ो धत हु ए और राजा को मरा स बननेका ाप देदया ।
बना कारण ाप दए जाने पर राजा बहु
त नराश हु ए और जवाब म ऋ ष व स ठ
को ाप दे नेलगेपर महारानी म यं ती नेबीच-बचाव कया। उसने राजा को अपने
गु को ाप दे नेसेरोका और ऋ ष व स ठ से ाप सेमुत करनेक वनती
क । थोड़ी दे
र म ऋ ष व स ठ भी शां त हो गए और बोले'' १२ वष तक वन म
रहनेकेबाद राजा ाप मुत हो जायगे''।
कृत यग
ु म यह शव लं ग सफ़े द था, त
ेा यग
ु म लाल , वापर यग ु म पीला और
कलयगु म काला हु
आ। इस शव लं ग केनीचेस त पाताल ह । इसकेदशन मा
से मह या और सकल पाप न ट होतेह और भ त मो ा त करतेह। यहाँ
रहनेवालेअंत म कैलाश जातेह। नानोपरांत यहाँर ववार, सोमवार और बध ुवार
को दया गया दान उ म होता है। इस तीथ पर मकर संां त और महा शवरा
के दन दशन और पज ूा अचना करने का अलग ह मह व है । भोलेनाथ हमारेकम
केअनसुार हम दं
ड देतेह, माघ मास म शवरा वालेदन त रख कर बे ल प
सेशव जी क पज ूा करनेसे वग म थान अव य मलता है ''।
29
यह कथा सन
ुकर महाराज बहुत स न हुए । उ ह नेगोकण जा कर शव जी का
आशीवाद ा त कया और सारेपाप सेमुत हो गए। ीपाद व लभ भी गोकण
गए और वहांपर उ ह नेतीन वष यतीत कये।
-०-
अ याय - ७
नामधारक नेपछ
ुा '' ीपाद ी व लभ गोकण म कतनेवष रहेऔर फर या
हु
आ था?''
'' कु
रवपरुम एक व वान ्ा मण रहता था। उसक प नी का नाम अि बका था।
उनक सभी सं तान क म ृ युहो गयी थी और अं
त म केवल एक पु जी वत रहा
जो मंदबुध था। इस कारण ा मण परे शान था और बहु
त बार अपनेपु को
मारता पीटता था। थोड़ेसमय केबाद ा मण क भी म ृ युहो गयी। उसक प नी
आजी वका के लए भीख मां गती थी। उसका पु बड़ा हु
आ क तुमं दबुध होने
केकारण सब उसका उपहास करतेथे और कोई भी उसेअपनी बे
ट देनेको तै
यार
न हुआ ।
ी गु नेपछ
ूा '' कन क ट नेतुहेआ मह या करनेको ववश कया है?''
शन दोष आराधना का मह व
श ुसे
नाओंनेजब येचम कार दे खा तो उ ह अच भा हु
आ। उ ह नेमहाराज को
म ता का स दे
श भे
जा िजसेउ ह नेसहष वीकार कया''।
न टापव
ूक आपक उपासना करगे
। भ,ु अगलेजनम म मझ
ुेआप जै
सा
काशवान पु ा त हो ''।
-०-
अ याय - ८
कु
रवपरु म एक धोबी रहता था जो ी गु का अन य भ त था। जब ीपाद ी
व लभ नद म नान करनेजातेतो वह भी साथ जाता और उ ह णाम करके
उनकेव धोता।
तम
ु राजसी जीवन का आनं
द इस जनम म ले
ना चाहतेहो या फर अगलेजनम
म ?''
ीपाद ी व लभ नेकु
रवपरु म अपनेनवास केदौरान अनेक चम कार दखाए
िजनका वणन करना मझु अ ानी केसाम य सेपरेहै। ी गु के नवास करने
केकारण यह बहुत स द तीथ थान बन गया ।
-०-
अ याय - ९
व लभे
श क र ा
''व लभे
श नामक एक ा मण यापार ी गु का भ त था। वह हर वष उनके
दशन हेतुकुरवपरु जाता था। एक बार उसनेसं क प लया क यापार म लाभ
हुआ तो १००० ा मण को भोज दं ग
ूा। भा यवश उसनेखबू लाभ कमाया और ी
गु का नाम जपता हु आ लाभ म कमाए धन केसाथ वह कु रवपरुक ओर चल
पड़ा। इस बात का पता कुछ चोर को चल गया और वो उसकेपीछेलग गए। एक
रात चोर नेव लभे श क ह या कर द और सारा धन चरु ा कर भागनेलगे।
इतनेम ी गु माथेपर जटाएं , हाथ म ख ग और शल ू लए वहां पर कट हो
34
व लभे
श नेचोर से न कया '' इन तीन क ह या कसनेक है?''
चोर बोला '' एक महान योगी नेअपने शलू सेइन चोर को मार डाला। उ ह ने
तुहारे लए मे रे ाण क र ा क । उ ह नेमझ ुेतुहार मतृ दे
ह पर वभू त
लगानेक आ ा द और इस कार तुहेजी वत करकेअ य हो गए। वह ी
शव केअ त र त अ य कोई नह ं हो सकते
थे।
-०-
अ याय – १०
ी नर सं
ह सर वती का ज म और उनकेचम कार, नरहर बने ी नर सं
ह
सर वती ।
ी नर सं
ह सर वती का ज म और उनकेचम कार
नरहर बने ी नर सं
ह सर वती
माता पता, नगर केसब वासी नरहर केसाथ चल पड़े । सबनेकहा '' यह
नि चत ह कोई अवतार ह, नह ं
तो ७ वष क आयु
म चार वे
द का ान कैसे हो
सकता है?'' सबनेउ ह णाम कया और अपनेघर को लौट गए पर तुमाता
पता उनकेसाथ चलतेरहेतब नरहर उनकेसम ीपाद ीव लभ के प म
कट हु
ए। माता पता उनकेचरण म गर पड़ेऔर नरहर उ ह आशीवाद दे कर
आगेचलेगए।
ी स ध बोले'' परु
ानेसमय म व श ठ ी राम केऔर संद पनी ी कृण के
गु थेइसी कार से ी कृण सर वती नरहर केगु हु ए और इस कारण वो
नर सं
ह सर वती कहलाये। मनुय केअवतार म मानव केर त रवाज को
अपनातेहु
ए नरहर ने ी कृण सर वती को गु वीकार कया।
पहलेगु भगवान ् शं
कर थे
, ी व णुदस
ुरे
, मदेव तीसरेथे
। इनकेबाद व स ठ
, पराशर और यास हु ए जो ी व णुकेअवतार थेत प चात शक ु, गौडपाद,
गो व द गु, शंकराचाय, व व वय, या बोि ग रय, ग रराज, इ वा तथ और
भार त तथ हुए । इनकेबाद व यार य, ीपदामन
ुी, व या तथ, मा लअनंद,
दे
ओ तथ, सर व त तथ, सर वती यदेओवे और उनके श य कृण सर वती हु ए।
यह गु परंपरा थी।
-०-
अ याय - ११
ी गु बोले'' तम
ु मिुत चाहती हो तो अपनेप त क से वा करो। हम अपने
कम
केअनसुार क ट मलतेह। नार को मिुत उसकेप त केमा यम सेमलती है
इस लए प त को परमे वर मान कर उनक से वा करो, येवे
द, परु
ाण और शा म
कहा गया है
''।
व वास नह ंहु
आ। इतनेम नद केतट पर ामा धकार आया। ी गु नेउससे
उसका प रचय पछुा।
वह बोला '' म क ड य गो का ा मण हू ँमे
रा नाम सयमदे
व है। म कां
ची से
आया हूँ। म एक वष सेएक यवन राजा केपास काम करता हू
ँ। बड़ेभा य से
आज आपकेदशन ा त हु ए ह िजस कार गं
गा नान सेपाप धल ु जातेह,
च मा क शीतलता सेशर र को ठं डक मलती है
, क पत क ाि त सेदा र य
का अं
त होता है, उसी कार आपकेदशन सेसम त क ट दरूहोते ह''।
घर पर सयमदे
व और उसक प नी ने ी गु और उनके श य क आराधना क
और उनका खबू आदर स कार कया। सबनेमलकर ेम सेभोजन कया। भोजन
करतेह ा मण क उदर पीड़ा मट गयी। ी गु का यह चम कार दे
ख कर सब
आ चयच कत रह गए । ी गु नेसयमदे व और उसकेप रवार को आशीवाद
दया।
सयमदे
व को जीवनदान
सयमदे
व ी गु का नाम लेता हु
आ राजा केपास गया। उसेदे
खतेह राजा मह
ं
ु
फे
र कर महल केअ दर चला गया।
-०-
अ याय - १
२
भारत के मख
ु तीथ े
भ त नेपछ
ुा '' गुदे
व आप हमसेवमख ु य ह ? वे
द और शा केअनसुार
गु केचरण म ह सब तीथ ह। आप क पत के प म हमारेपास ह फर हम
कह ं
और जानेक आव यकता या है''।
ी गु बोले'' तम
ु स यासी हो इस लए तुहेतीथ म जाकर अपनेमन को ि थर
करना चा हए। म ीशैल जाऊंगा और तमु लोग मझुेवह पर मलना'' ।
व ण, कुवत , नावे
नी, वत ता, सर वती, म धा, अि कनी, मधम
ुती,
पयि वनी, वती, दे
वनद न दय म नान करनेकेबाद ायि चत करो। इससे
मह या केपाप सेभी मिुत मले गी। चंबाघा, रे
वती, सरय,ूगौतमी, वे
दका,
कौ शक , म दा कनी, सह ावा , पण
ू बहुदा, अ णा न दय म नान करो। न दय
केसंगम म नान करना भी याग नान का फल दे ता है
।
-०-
अ याय - १३
गु का मह व, धौ य ऋ ष वारा श य क पर ा ।
गु का मह व
ी गु बोले'' तम ु मख
ू हो, अपनेगु केसाथ छल करकेतम ुनेखदु को त
पहुं
चाई है
। तम
ु दस ूर के लए अपश द का योग करते हो, तुहे ान क ाि त
कैसेहोगी ? गु पी कामधे नुका याग कर तम
ु मे
रेपास य आयेहो ? गु
सेवा ह वो मा यम हैिजससेवे द , शा का ान होता हैऔर आठ स धयाँ
ा त होती ह ''।
धौ य ऋ ष वारा श य क पर ा
धौ य नेबै
द सेकहा '' खेत म जाकर फसल को देखो और ठ क समय पर कटाई
करकेउसे घर लाओ। बैद नेगु क आ ानसुार हर रोज़ खे
त म जाकर फसल क
दे
ख रे
ख क और कटाई केसमय उसेके वल एक बैल वाल गाड़ी द गयी। उसने
45
धौ य नेअि वनीकु
मार म पढ़कर उसक ि ट वा पस दलाई। उसनेगु को
णाम कया। उ ह नेउसेआशीवाद दया '' घर जाओ और गह ृ थ जीवन
सख
ुपवूक बताओ तुहारा खबू नाम होगा। तुहारा एक श य उ क
ं कान केकं
डल
ु
और शेष को ा त करेगा और राजा ज मजय सेसप का य करवाएगा िजसमे
सभी सप क ब ल देद जायगी ''।
ी गु बोले'' यह सब गु क कृ
पा सेहु
आ। गु ह तुहेमिुत दलाएं
गे
। उ ह
स न करो ''।
-०-
अ याय - १
४
ी गु केचम कार - मं
दबुध बालक को ान क ाि त, नधन ा मण का
भोज, गर ब ा मण को धन क ाि त ।
मं
दबुध बालक को ान क ाि त
ी गु नेभव
ुनेवर म आद ुबर व ृ केनीचेगुत प सेरहकर चतम
ुास
सं
क प पण
ू कया फर भी उनका सय
ुश चार दशाओं
म फ़ै
ल गया ।
स ध बोले'' भगवन शं
कर और ी गु द ा ये को भ ा य है। ी गु अपने
भ त केक ट दरूकरने के लए सभी तीथ का मण करतेथे
। उनकेपास छोट
47
छोट बात ले
कर बहु
त लोग आनेलगेिजससेउ ह परेशानी होनेलगी थी इस लए
वेकुछ समय तक गु त प सेरहे। क तुिजस कार क तरू का सग ुंध छुपा
नह ं
रह सकता उसी कार ी गु का यश भी छु
प ना सका।
एक गाँ
व म क यप गो का भा कर नामक ा मण रहता था। वह अ यं
त नधन
था। एक बार उसनेगाँ
व म एक धनी यि त को समाराधन ( ा मण को भोज)
48
करतेदे
खा िजसमे ी गु भी पधारेथे
। तब सेउसकेमन म भी समाराधन करने
क इ छा हु
ई क तुवह द र था इस लए उसक इ छा मन म ह रह गयी थी ।
सभी ा मण भोजन के लए बै ठे
। हज़ार को भोजन परोसनेकेबाद भी पा म
भोजन बचा था। ा मण नेभोजन कया, उसकेबाद उनक पि नयाँऔर ब चे
भी आये , गं
गापरु केसब नवासी भी सप रवार आयेऔर सबनेभरपे ट भोजन
कया। सब केबाद म भा कर नेभोजन कया उसकेबाद भी भोजन बचा था। ी
गु नेउसे आदेश दया क इस भोजन को नद म बहा दो ता क जलचर क भखू
भी त ृ
त हो जाये।
गर ब ा मण को धन क ाि त
थी। इसकेआस पास ८ तीथ ह - शुल तीथ, पाप वना शनी, क या तीथ, स ध
वरद, याग तीथ, शि त तीथ, अमर तीथ और को ट तीथ।
दोन तरु
ं
त ी गु केपास गए और उनसे मा मां
ग कर उनका आशीवाद ा त
कया।
ी गु नेउ ह सं
तान, सख
ु और सम ृध ाि त का आशीवाद देकर कहा '' इस
बात को गु
त रखो नह ंतो सारा धन न ट हो जाये
गा ''। -०-
अ याय – १५
औद ुबरुव ृ क महानता, गं
गानज
ु को ी गु केदशन, काशी याग या ा ।
औद ुबरुव ृ क महानता
गं
गानज
ु को ी गु केदशन
गंगानज
ु एक कसान था । उसकेखे त नद केपास थे। एक दन दोपहर को उसने
दे
खा क ६४ यो गनीयां ी गु को नद केअ दर लेकर जा रह थी। ी गु के
लए नद केबीचो बीच रा ता बन गया था । थोड़ी दे
र बाद वह उसी रा तेसे
बाहर आ गए। अगलेदन गं गानज
ु भी ी गु केपीछेचल दया। उसने देखा क
नद केनीचेएक भ य महल था िजसमेक मती प थर केभवन थे । ी गु को
एक सस ुि जत सं
हासन पर बठा कर उनक आरती क गयी। गं गानज
ु को देख
कर ी गु ने न कया '' तम ु यहाँकै
सेआयेहो ?'' उसनेउ ह णाम कया
और बोला '' भुआपकेदशन के लए म आपकेपीछेयहाँ तक आया हूँ''।
काशी याग या ा
माघ पूणमा के दन गं
गानज
ु ी गु सेबोला " काशी याग म नान पुय फल
दे
ता हैक तु यह मे
रेलए कस कार संभव होगा गुदेव ?''
ी गु बोले'' प च गं
गा म नान याग नान समान फल दे ता है
। जग
ुल
ुह
काशी और को हापरुगया क तरह है
। अगर तम
ु काशी याग केदशन चाहतेहो
तो म कराऊं
गा ''।
51
-०-
अ याय - १६
ा मणी को सं
तान ाि त और मह य केपाप सेमिुत, ी गु केचम कार
सेमतृ बालक जी वत हु
आ ।
ा मणी को सं
तान ाि त और मह या केपाप सेमिुत
उस ा मण ने ी गु को णाम कया और े
त यो न सेमुत करने
क ाथना
क।
उसकेबाद ७ दन और उस ी नेसं
तान ाि त के लए औद ुबरुव ृ क पज
ूा
क । ी गु नेउसके व न म आकर उसेआशीवाद दया '' तुहारेसारेद ुकम
अब न ट हो गए ह । तुहेअब सं
तान क ाि त होगी ''।
बालक बीमार हु
आ और उसक म ृ
युहो गयी। यह दे
ख कर ा मण द प त वलाप
करनेलगे।
अगल सब ुह गाँ
व केसब लोग उस बालक का अंतम संकार करनेएक त हु ए
क तु ी बालक केशव को दय सेलगा कर बै ठ रह । उसनेशव का अं तम
संकार करनेका वरोध कया और बोल '' मझ
ुेभी इसी केसाथ जला दो ''।
गाँ
व के ा मण नेउसक मख ूता पर उसका उपहास कया '' कह ं
माँ भी ब चेके
साथ ाण यागती है? आ मह या करना घोर पाप है । दोपहर हो गयी पर उसने
अंतम संकार न होनेदया। उसी समय वहांपर एक स यासी आये ।
स यासी बोले'' जो भी इस द ु
नया म आता हैएक दन उसे जाना पड़ता है
। तम
ु
यथ वलाप कर रह हो। जल म बल ुबल
ुा कतनी दे र ठहरता है, ऐसा ह हैये
जीवन। येशर र पां च त व सेबना है , जब येत व बखरतेह तो जीवन भी
समा त हो जाता है। इन त व केगण ु साि वक, ताम सक, और राज सक होतेह
। साि वक द या त व, राजस मनु य त व और ताम सक रा स त व होता है।
मनुय इ ह केअनस ुार कम करता हैऔर फल पाता है ।
यह सनुकर स यासी बोला '' अगर ऐसा हैतो तुहेइस बालक केशव को ले
कर
औद ुबरुव ृ केनीचे ी गु केपास जाना चा हए ''।
यह दे
ख कर पहलेतो ा मणी डर गयी और उसनेसोचा क वह सब केवल व न
हैक तुउसनेदेखा क बालक जी वत था और उसका शर र भी गरम था। बालक
नेखानेको कु
छ माँ
गा। स न हो कर उसनेअपनेप त को उठाया। दोन ने ी
55
गु केपादक
ुाओंको णाम कया और अपनेकठोर श द के लए ी गु से
मा क ाथना क ।
सब
ुह सारे ा मण शव केअं
तम संकार के लए आयेतो बालक को जी वत दे
ख
कर है
रान हो गये। ी गु का चम कार देख कर सबनेउनक म हमा का
गण
ुगान कया।
-०-
अ याय – १७
ी गु सं
गम केसमीप रहतेथेऔर भ ा मां गनेगं
गापरु जातेथे
। गं
गापरु म
१०० ा मण प रवार रहतेथे
। उनमेसेएक नधन ा मण प रवार था िजनके
पास एक बढ
ू भस थी जो दध
ू नह ंदे
ती थी पर तुउसका उपयोग वो सामान ढोने
के लए करतेथे
। उससेजो धन उ ह ा त होता उसी पर उनका नवाह होता था।
बै
साख का मास था और सय ू क गम सेधरती तप रह थी । जब ी गु
ा मण केघर पहु ं
चेतो वह घर पर नह ंथा। उसक प नी नेउ ह णाम करके
आदरपव ूक बठाया और बोल '' मे
रेप त शी ह अनाज लेकर घर आतेह गेआप
थोड़ी दे
र ती ा क िजये
''।
ी गु बोले'' वो भस जो हैतुहारेघर म , मझ
ुेउसका दध
ू य नह ंपलाती
तम
ु ?''
ा मणी ने ी गु को बताया क यह भस दध
ू नह ं
देती ।
56
ी गु बोले'' तम
ु झठ
ू बोलती हो जाओ जाकर उसका दध
ू दह
ु कर मझ
ुे
पलाओ''।
ी गु क आ ा का पालन करती हु ई वह ी दध
ू नकालनेलगी तो भस के
तन सेदध ू क धारा फूट पड़ी। यह दे
ख कर वह त ध रह गयी । वह समझ
गयी क येकोई मामल ू स यासी नह ंबि क सा ात ्इ वर ह । उसनेदध
ू
उबालकर आदर स हत ी गु को दया। ी गु ने स न होकर उसेसम ृध
ाि त का आशीवाद दया और संगम को लौट गए।
ा मण जब लौटा तो प नी नेउसेसारा व ृा त सन
ुाया। दोन द प त सं
गम पर
ी गु केपास गए और उनक पज ूा क । ी गु का आशीवाद ा त करनेके
बाद उनको एक पु और पुी हु ए और उ ह बहु त सारेधन क ाि त भी हुई।
उ ह नेउसकेबाद सख
ुपवूक जीवन यतीत कया।
गं
गापरुम मठ क थापना
-०-
अ याय
१८
ी
गु
का
वराट प, ध ृ
ट ा मण
का
अहं
कार, वे
द
का
व ले
षण ।
ी
गु
का
वराट प
गं
गापरु केसमीप कुमसी गाँव म तीन वे
द का ाता व म भारती रहता था।
वो नरहर का भ त था। ी गु केबारेम सन ुकर उसनेउनक आलोचना करते
हु
ए कहा '' एक स यासी को इस कार का राजसी जीवन शोभा नह ं
देता है''।
उस दन जब व म नरहर के यान म बै
ठा तो उसेकुछ नह ंदखाई दया ।
उसनेबहुत सारेलोग को नरहर के प म हाथ म ला ठयांलेकर आते दे
खा। यह
दे
ख कर वह अचं भत रह गया और जलुस
ू केआगेधरती पर ले ट कर ाथना
करनेलगा '' आप ह मूत और जगतगु ह। अ ानतावश म आपको पहचान
नह ंपाया था । दया करकेमझुेअपनेदशन कराइयेसव यापी वामी नर सं ह
सर वती। म यहाँहर स यासी को एक ह प म दे ख रहा हू
ँ
। इनमेसेआपको
पहचान नह ंपा रहा हू
ँ फर आपको कस कार नम कार क ँ? मने अनेक पाप
कम कयेह पर हर रोज़ आपक मानसपज ूा करता हू
ँलगता हैआज उसी का फल
58
मला हैमझ
ु।े आप आज मझुेपापमुत करनेमे
रेसम वयं कट हु
ए ह
इस लए कृ
पया मझ
ुेअपनेदशन द िजये भु
''।
व म को इस कार आशीवाद दे
कर ी गु गं
गापरुलौट गए।
धृ
ट ा मण का अहं
कार
एक दन वो कु मसी पहु
ं
चेऔर उ ह ने व म को चन
ुौती द । जब उसने
चनुौती
वीकार नह ं
क तो ा मण उससेव वता का माणप मां गनेलगे
।
ी गु ने ा मण सेपछ ुा '' तम
ु स यासी हो तुहेवजय और पराजय से या
योजन ? तम ु यथ केवाद ववाद म य पड़ना चाहतेहो ? इससेतुहे या
ा त होगा ?''
ी गु बोले'' अहं
कार पतन का कारण होता है
। बाल क या ग त हुई थी ?
बाणासरुने या पा लया था? रावण और कौरव का भी वनाश हुआ था । वयं
म को भी सारेवे
द का ान नह ं है
। इस लए तमु भी अ छ तरह वचार करके
इस उ देय को याग दो ''।
फर भी अहं
कार ा मण अपनी िजद पर अड़े
रहे
।
वे
द का व ले
षण
ी गु बोले'' ऋ षय को भी वे
द का ान अिजत करनेके लए क ठनाइय का
सामना करना पड़ा था। कलयग
ु म मनु य क आयुइतनी छोट हैक उसमे
वेद
का स पण
ू ान ा त करना असं भव है
''।
यास नेदस
ुरेश य ' वैश पायन ' को यजव
ुद क श ा द थी । इसम य क
या क व ततृ जानकार थी। उसका गो भार वाज था और वह दबुला पतला
था। उसका छंद टु
प और गु महा व णुथे । वह भी सय
ू समान उ जवल था,
उसका उपवेद धनव
ुद था और भाग ८६ थे।
यास नेतीसरा वे
द '' जै
मनी ''को सन ुाया था । इसम सं
गीत का ान था। वह
ल बा,शां
त और नयंत था। उसकेह ठ लाल और हाथ म एक डं डा था। उसका
गो क यप, गु और छंद '' जाती '' था। उसका उपवे
द ग धव था।
यास नेअथव वे
द का ान '' सम
ु तु'' को दया था। उसकेगु दे
वे
श, गो
बै
जन, छं
द वछ द और उपवे
द अ शा थे
। इसके९ भाग और ५ क प ह''।
ी गु बोले'' इन वे
द का स पण
ू ान कसी को भी नह ंहो सकता। इनके
कसी एक भाग का ान लेकर तमु कस कार वयंको ानी कहते हो ?
वे
द के ाता होनेकेकारण ा मण का आदर होता हैयहाँतक क राजा भी
उ ह स मान देतेथे। उ ह '' भस
ूरु केदे
वता '' मानतेथे
। ा मण केवश म
तीन दे
वता थेयहाँतक क इंा और अ य दे वता भी उनक म शि त सेडरते
थे
। ी व णु भी उनका आदर करते थे।
क तुकलयग
ु म ा मण नेअपने संकार याग दए। वैदक पथ छोड़ने
केबाद
उनक शि त ीण हो गयी। वो न न वग क से वा और वे
द का यापार करने
लगे। वे
द केबहु
त भाग ह क तु
उनमेसेबहुत भाग लुत हो गए।
तम
ु कहतेहो तुहेवेद का ान है
, उनमेसेकसी भी एक वेद का अं
त तुहे
व दत है? इस लए यथ केवाद ववाद म मत पड़ो। यहाँसेजाओ और अपने
जीवन को अहं
कार से सत कर केन ट मत करो''।
-०-
अ याय –
१९
येचम कार दे ख कर ा मण क घ गी बं
ध गयी और वो भय सेकां
पने
लगे। वे
ी गु केचरण पर पड कर मा क ाथना करने लगे'' हम मा करकेमिुत
द िजये
। आप मूत केअवतार और इस जगत केगु ह, आपक म हमा
अपर पार है
''।
ी गु बोले'' तम
ुने व म को पी ड़त कया और भी अनेक पाप कम कयेह
इस लए तमु दोन मरा स बनकर अपनेपाप का दं
ड भग
ुतोगे''।
उन दोन नेफर ाथना क '' हमेइस भवसागर सेकस कार मिुत मले
गी
?''
62
ी गु बोले'' तम
ु १२ वष तक म रा स रहोगे फर एक दन तुहे
शुनारायण नामक एक ा मण मलेगा जो तुहेइस यो न सेमुत करे
गा। अब
तम
ु नद क ओर जाओ ''।
ह रजन ा मण ी गु सेबोला '' म ा मण था फर मे
रा पतन य हु
आ ?
मनेकौन सेपाप कयेथे? कृ
पया मझुे
बताएं''।
कम पर या यान
पण म कु
छ व ृ केप को पानी म डालकर लया जाता है । अपनेपाप
को सब लोग केसामने वीकार करना पड़ता है । तीथ म तीथ थान म
नान करकेगाय ी म का १२०० जाप कया जाता है
। इससेमनुय हर कार
केपाप सेमुत होता है
। से
तबुध
ं म नान सेगभपात केपाप सेमिुत मलती
है
, गाय ी म केएक करोड़ जाप से मह या केपाप सेभी मिुत मलती है।
वे
द म सेप मं
सुत, इं म , शनुः शे
प, अपमा य, त व नोह, पुषसूत के
दै
नक पाठ सेसारेपाप सेमिुत मलती है। ायि चत केबाद प च ग य -
64
गाय का दध
ू, घी, दह , गोबर और गौ मू केसे
वन सेअ ानवश कयेगए पाप
सेभी मिुत मलती है ।
ी गु मुकुरा कर बोले'' तम
ु न न कुल म ज मेहो फर ा मण कै सेबन
सकतेहो ? व वा म य थे क तुअपनी तप या केबलसे म ऋ ष
कहलाये। इं तथा अ य दे वताओंनेकहा क अगर हमारेगु व श ट आपको
मऋ ष मानगेतो हमेकोई आप नह ंहोगी। व श ट नह ंमानेऔर ो धत
होकर व वा म नेगु व श ट के१०० पु का वध कर दया। बाद म उ ह
अपनेकयेपर पछतावा हु आ और उ ह नेफर सेतप या क िजसे मेनका नेभं
ग
कया। उ ह नेतीसर बार यास कया और तब मऋ ष कहलाये। इसी कार
तम
ु भी अगलेजनम म ा मण कु ल म ज म लोगे । तब तक तुहार ताम सक
व ृ ी गु क से वा करनेसेऔर उनकेआशीवाद सेन ट हो जाएगी।
सं
गम म नान करतेह ह रजन सब कु
छ भल
ू गया और अपनी परु
ानी अव था
म वा पस आ गया।
वभू
त क म हमा
व म नेपछ
ुा '' गुदे
व वह चं
डाल सं
गम म नान करनेकेप चात सब कु
छ
कै
सेभल
ू गया ?
65
वह एक कहानी सन
ुानेलगे-
''कृ
त यग
ु म वामदेव नामक एक महायोगी रहतेथे
। वह हर रोज़ वभू त धारण
करतेथे। एक दन वे ौ चारा य नामक जंगल म घम
ू रहेथे तो एक मरा स
नेउन पर आ मण कया। जै सेह उसनेवामदेव को दबोचा उनकेशर र क कुछ
वभू
त उसकेशर र पर लग गयी।
वामदे
व बोले'' वभू
त क अपार शि त है
। उ ह नेभ म को हाथ म ले
कर शव
म पढ़ा और रा स को देदया''।
वामदे
व मू त केअवतार थे
। जगतगु के प म वेलोग केउ धार हे
तुप ृवी
पर जगह जगह घम
ुतेथे। इस कार उ ह नेएक मरा स को मो दया।
-०-
अ याय - २०
ा मण वधवा का मत
ृ प त जी वत हु
आ
गं
गापरु म रहतेहु
ए ी गु क क त दे
श केकोनेकोनेम फ़ै
ल गयी। अने
क
भ त का उ धार कया था उ ह ने
।
ी गु मुकुरायेऔर बोलेइसकेमत
ृ प त को मेरेसामनेलाओ। ी गु नेतीथ
शव केऊपर छड़क कर अपनी ते जोमय ि ट े मपवूक उस मत ृ यवुक पर डाल
और वो यव
ुक उठ कर बैठ गया जै
सेकसी न ा सेजागत ृ हु
आ हो। उसने अपनी
प नी सेपछ
ूा क येस यासी कौन ह तो प नी नेउसेसारा व ृा त सन
ुाया। तब
दोन प त प नी ने ी गु को णाम करकेउनसे ाथना क । सब लोग इस
चम कार को दे
ख कर स न थे ।
-०-
अ याय - २१
नार का यवहार सं
हता
भी हु
आ तब भी उसका नरादर नह ंकरना चा हए। प त क न कपट से
वा से
मूत द ा य
े स न होते
ह।
जो कु
छ बह
ृ प त नेलोपामुा को बताया वह सब स यासी नेसा व ी को बताया।
बहृ प त नेवधवा का आचरण कै सा होना चा हए इस बारेभी बताया '' अगर प त
क मृ युप नी केसामनेहोती हैतो उसेसती होना चा हए। अगर वो गभवती है ,
उसका छोटा शशुहो या प त क म ृ युदरू कसी थान पर होती हैतो उसे
वधवा के प म जीवन यतीत करना चा हए। उसे अपनेसर केसारेबाल कटवा
लेनेचा हए नह ंतो प त नरक को जाता है । नानोपरांत उसेदन म के वल एक
बार भोजन करना चा हए। उसेच ायण करना चा हए , िजसकेतहत शुल प
के थम दवस पर भोजन का एक कौर और हर दन एक एक कौर बढ़ा कर
पूणमा को १५ कौर खाना चा हए। इसी कार कृण प म भोजन का एक एक
कौर घटा कर अमावस को के वल एक कौर हण करना चा हए। उसे मं गल नान,
दधू पीना, शैया पर सोना और पान खाना विजत है । अगर उसका कोई पु नह ं
हो तो उसेतलापण करके ी व णुक पज ूा करकेअपनेमत ृ प त क इ छा के
अनसुार आचरण करना चा हए। वधवा को सफ़े द व धारण करनेचा हए।
वै
साख मास म उसेएक मटट का बतन,का तक म एक द प कसी ा मण को
दान करना चा हए। तीथ या य को छतर और जत ूेदान करनेचा हए। वह
का तक म केवल एक अनाज का भोजन हण करे , हर त का उ यापन अव य
करे। अगर उसका कोई पु हैतो उसक इ छा केअनसुार जीवन यतीत करे
। इस
71
स यासी बोले'' बह
ृ प त नेयेसब लोपामुा को सन
ुाया था ''।
-०-
अ याय - २२
सम पत े
मका, राजकु
मार और मंकु
मार क शव भि त ।
सम पत े
मका
वेया नेसौगं
ध ल '' म परू न ठा से३ दन तक प नी बनकर तुहार से वा
क ँ
गी। वैय नेशव लंग उसेदेदया और बोला '' येशव लं
ग मझ
ुे मे
रे ाण के
समान य हैअगर इसेकु छ हो गया तो म अपने ाण याग दं
ग
ूा। इस लए इसे
कसी सरु त थान पर रखो''।
राजकु
मार और मंकु
मार क शव भि त
73
-०-
74
अ याय - २३
क छ - दे
वयानी क कथा, सोमवार के त क म हमा ।
क छ - दे
वयानी क कथा
इ नेबह
ृ प त से ाथना क '' आप दे
वताओं केगु ह, शुाचाय मत
ृ संजीवनी
म सेरा स को जी वत कर देतेह इस लए अब आपको ह कु छ करना होगा ''।
बह
ृ प त बोले'' अगर सं
जीवनी म को ६ कान सन
ुते
ह तो वो न फल हो जाता
है
। इस लए हमेकसी को शुाचाय का श य बनाकर भे जना होगा जो वो म
सीख कर हमारेपास लौटेगा । म अपनेपु क छ को इस वशे ष काय के लए
भे
जता हू
ँ''।
को दे
खकर उसपर मो हत हो गयी और उसनेअपनेपता सेउसेश य वीकार
कर ले
नेक ाथना क । शुाचाय नेपुी केकहनेपर क छ को श य वीकार
कया और वो आ म म ह रहनेलगा।
रा स को क छ पर सं देह हु
आ क कह ंयेदे वताओंका गु तचर हुआ तो मतृ
संजीवनी म सीख ले
गा और दे वता हम युध म परािजत क़र दगे। उ ह ने एक
दन जंगल म क छ क ह या क़र द । जब संया को वह आ म नह ंपहु ं
चा तो
दे
वयानी नेपता को उसे ढूढ क़र लाने क ाथना क । शु को यान म ात हो
गया क क छ क म ृ युहो गयी है। उ ह नेसंजीवनी म पढ़ क़र उसेजी वत
क़र दया। येदेख क़र रा स नेएक बार फर क छ को मार क़र उसकेशर र के
टु
कड़ को जं गल म चार दशाओंम बखे र दया। दे
वयानी फर दख
ुी हु
ई। शु को
अपनी पुी सेबड़ा नेह था इस लए उ ह नेक छ को दोबारा जी वत क़र दया।
दे
वयानी बोल '' अगर ऐसा हैतो आप अपनेम केसाथ रह म अपने ाण
याग देती हू
ँ'' । येकह कर वो बेहोश हो कर गर पड़ी। शु नेउसेउठा कर
संजीवनी म का उपदे
श दया। जब वो म दे
वयानी को सन
ुा रहेथे
, उदर म
क छ नेभी सन ुा और उसेयाद कर केवो भी उदर केबाहर नकल गया ।
फल व प शु क म ृ युहो गयी। देवयानी नेम पढ़ कर शु को जी वत
कया। इस कार इस म को तीन लोग नेसन ुा।
76
क छ बोला '' तम
ुने यथ ह मझ ुे ाप दया है। तुहारेपता नेशा के
व ध तुहेमंोपदे श दया इस लए अब येम नरथक होगा''।
क छ बह
ृ प त केपास वा पस आ गया और सभी दे
वता स न हो गए।
ी गु बोले'' ी के लए से
वा ह धान म है
। उसेअपनेप त क से
वा
करकेउसक इ छा सेह सारेकाय करनेचा हए''।
सोमवार के त क म हमा
राजा चै
वमा क पुी सीमं
तनी बहु
त ह सुदर और सश ुील थी क तु योि शय
नेभ व यवाणी क थी क राजकुमार १४ वष क आयुम ह वधवा हो जाएगी।
सब लोग येसन ु कर बहु
त दखुी थे। एक बार य नावा य क प नी मैय ेी
राजमहल म आई। उ ह नेसीमंतनी को सोमवार त करनेका सझ ुाव दया ।
सीमंतनी न ठापव
ूक त करनेलगी।
कुछ समय बाद सीमं
तनी का ववाह राजा इ सेन केपु चं गद सेहु
आ । एक
बार वह म केसाथ का लंद नद के कनारेगया और नद म डू ब गया। बहु
त
यास केबावजदू उसका कोई पता नह ंचला। सीमंतनी और उसकेमाता पता
शोक त हो गए। अवसर पाकर राजा केश ओ ु ंनेआ मण करकेरा य हड़प
77
लया। सीमं
तनी सती होना चाहती थी क तुशा केअनसुार जब तक प त का
शव नह ंमलता वह सती नह ंहो सकती थी । इस लए वह सोमवार त और शव
जी क पज
ूा न ठापव
ूक करती रह ।
चं गद जब नद म डू बा तो नाग क याय उसेपातळ म वासु
क केपास लेगयीं ।
अ दर एक वशाल नगर था िजसके वार सोनेकेऔर र क नाग थे । राजा
त क एक भ य सं हासन पर बै ठेथे। चं गद को उनकेसामनेलाया गया।
त क नेउसकेबारेम जानकार ा त करकेकु छ दन महल म आनं दपवूक रहने
क अनम ु त देद । कु
छ दन केबाद चं गद नेत क से ाथना क '' म अपने
माता पता क इकलौती सं तान हूँऔर अभी अभी मे रा ववाह हु
आ है । मे
रा
प रवार मे
रेलए शोकाकु ल होगा कृपया मझुे
यहाँसेजानेक आ ा द''।
सीमं तनी को दे
ख कर चं गद नेसोचा '' येतो मे र य प नी लगती हैक तु
इसनेमं गलसू कु मकुम धारण कया हु आ हैजब क उसेतो वधवा के प म
होना चा हए था '' । वह उसकेपास आया और उसका प रचय पछ ूने लगा। स खय
नेउसेपरू कहानी सन ुा द । सीमंतनी नेपछुा '' आप कौन ह, दे
वता या ग धव
? आप मे रा प रचय य मां ग रहेह ? उसनेइतनेम अपनेप त को पहचान
लया और वह रोनेलगी। चं गद नेउसेसां वना द और बोला '' दखुी न हो
तुहारा प त तुहेआज सेतीसरेदन मले गा । येबात गुत रखना ''।
-०-
अ याय – २४
ा मण का सं
क प, ा मण का आचरण ।
ा मण का सं
क प
ी गु ने ा मणी सेपछ
ुा '' या भोज तुहे वा द ट लगा ? तम
ुनेसदा अपने
प त क़ आलोचना क़ , अब ुहेतिृत हु ई क़ नह ं ?''
ा मण ने न कया '' कृ
पया मझ
ुेबताएंक कन घर म भोजन विजत है?''
सं
तान नह ंहोती उसकेघर पर भोजन विजत है
। अगर धम केअनस
ुार आचरण
कया जायेतो येसब पाप ीण होतेह ।
ा मण नेफर पछ ुा '' कृ
पया मझ
ुेबताएंक ा मण को कन दै
नक कम का
पालन करना चा हए ''।
हथे
ल पर तीथ
अं
गठूेक जड़ म म तीथ, हथे
ल पर अि न तीथ, अं
गठूेक जड़ और पहल
ऊँ
गल म पत ृ तीथ, चारो उँ
ग लय केअंतम भाग म देव तीथ और छोट ऊँ
गल
क जड़ म ऋ ष तीथ व यमान ह। पतर को तपण दे तेसमय इन तीथ के
मा यम सेदे
ना चा हए।
आचमन
के
शव, नारायण और माधव को णाम करतेहु ए जल म तीथ से हण करना
चा हए। थोडा जल गो व द को णाम करनेकेप चात नीचेछोड़ दे
ना चा हए।
वषा जल म भीग जानेया शवया ा सेवा पस आनेकेबाद शुधी के लए २
आचमन ले नेचा हए।
दां
त और मह
ं
ुक व छता
दातनु सेदां
त क सफाई पव दन, तपद, षि ट, नवमी, वादशी, श नवार,
ा ध और ववाह के दन को नह ंकरनी चा हए। इसका मतलब येनह ंक इन
दन को दां
त क सफाई न क जाए। के वल दातनु का योग नह ंकरना चा हए।
नान
81
ातः काल के नान सेमनु य को काम वासना, बल, जीवन, बुधी, आनं द और
ऊजा क ाि त होती है। गह
ृ थ और वान थ को ातः काल और म या न को
नान करना चा हए। स यासी, तप वी और साधओ ु ंको तीन बार और मचार
को एक बार नान करना चा हए। अगर जल का अभाव हो तो अि न नान यानी
सयू के काश म खड़ेहोना, म नान यानी शर र पर पानी छड़क कर
अपो ह त म पढना, भ नान यानी शर र पर भ म को लगाना, वायुनान
यानी गाय केपै
र केनीचेक धल ू लगाना, तीथ नान यानी यान म ी व णु
क मत ू को लाना, अप व ः प व ोवा म का उ चारण करकेशर र पर पानी
छड़कना नान केसमान ह है । दब
ुल यि त गम पानी म कपडा डु बोकर शर र
साफ़ कर सकता है।
भ म
दभ
गाय ी पाठ
गन
ुा, ी व णुकेपास एक करोड़ गन
ुा और ी शव केपास असी मत फल क
ाि त होती है
।
टू
टेहुए लकड़ी केप टेपर य द गाय ी जाप करो तो क ट मलतेह, घास पर
करो तो दभ
ुा य, प थर पर करो तो रोग होता है
। भ मासन पर करनेसेरोग दरू
होतेह, क बल पर करो तो आनं द क ाि त होती है , कालेहरन क खाल के
आसन पर करो तो ान, शे र क खल पर करो तो मो , कु शासन सेस मोहन
व या क ाि त होती है
, सब रोग और पाप भी दरूहोते ह।
पज
ूा व ध
ा मण को संया और दे वताओंक पज ूा रोज करनी चा हए। जो ऐसा नह ं
करता
वो पशुसमान है। ातः काल क पज ूा १६ उपचार केसाथ और रा क पज ूा म
केवल घी के दए क आरती क जाये । जो लोग इ वर क पजूा नह ं
करते यमराज
उ ह दि डत करतेह। आराधना के८ थल और वा तुइस कार ह - मं दर,
हवनकंड ( होम इ या द करने
ु वाला थान ), अि न, सय
ू, जल, दल, ा मण और
स गु। ा मण को इ वर क पज ूा वे
द केम से
, ी और अ य वण के
लोग को इ वर क पज ूा परु
ाण केम सेकरनी चा हए।
भोजन के नयम
85
अ याय - २५
६० वष क ी को सं
तान ाि त, नरहर का कुठ रोग दरूहु
आ ।
६० वष क ी को सं
तान ाि त
ी गु बोले'' अ व थ क पज
ूा न फल नह ंहोती। भीमा-अमरजा संगम पर एक
अ व थ व ृ हैिजसमे म रहता हू
ँ। उसक पज ूा करो । अ व थ केमह व बारे
परुाण म भी वणन कया गया है । उस व ृ क जड़ म मदे
व, म य भाग म ी
व णुऔर सबसेऊपर रहतेह। उस व ृ केअ दर अि न दे वता का नवास
87
है
। आषाढ़, पौष या चै मास म जब गु शु अ त नह ंहो, जब चंमा अनक ल
ुू
हो तो कसी शभु दन उपवास रखो और अ व थ क पज ूा करो। र ववार, संांत
या संया को इस व ृ को पश नह ं
करना चा हए, व ृ क जड़ को गोबर सेले प
कर रंगोल सजाओ, व ृ को मू त समझ कर १६ उपचर केसाथ पज ून करो,
पुष सूत का उ चारण करो और व ृ केचार ओर प र मा करो । इस व ृ के
चार ओर २ लाख प र माय मह या केपाप सेभी मिुत दलाती है । इससे
चार पुषाथ ा त होतेह और पु क ाि त भी होती है''।
-०-
अ याय - २६
सयमदे
व क काशीख ड या ा
नामधारक नेपछ
ुा '' मे
रेपरु
ख नेकस कार ी गु क से
वा क थी '' ?
90
ी गु बोले'' मे
र से वा का पथ द ुकर है
। म कभी नगर म तो कभी वन म
रहता हू
ँ
। अगर तुहारा मन ि थर हो तभी इस बारेम वचार करो''।
सयमदे
व बोला '' आपकेभ त को कै
सा डर ?''
ी गु बोले'' तम
ु इतने
डरेहु
ए य हो ? इन दो नाग को तुहार र ा के लए
मनेह भेजा था। म तुहेगु क से
वा केबारेम एक कथा सनुाता हू
ँ''।
ी शव बोले'' जो भ त ी गु क से वा धापव
ूक करते ह उनकेसब मनोरथ
स ध होतेह। एक बार मा ने'' व थ ा मण '' का अवतार लया । उपनयन
91
संकार सं
प न होनेकेबाद उ ह वेद शा क श ा हे
तुगु केआ म म भे
जा
गया जहाँ
उ ह नेगु क खब ू से
वा क ।
श य चं तत था क येसब कहाँ से ा त क ँ
गा । वो वन म गया जहाँ
उसे
एक
स यासी मला। उसनेपछ
ूा '' व स तम
ु य य हो ?''
श य बोला '' मेरा सौभा य हैक आप केदशन हु ए ह ।कृ
पया मे रा मागदशन
क िजये क म अपनेगु और उनकेप रवार वारा इि छत व तओ ु ंको कस
कार ा त कर सकता हू ँ'' । स यासी बोला '' चं
तत मत हो काशी जाकर
व वेवर क पजूा करो वहांपर सभी क मनोकामनाएंपण ू होती ह ''।
श य नेपछ
ुा '' काशी कहाँ
पर है
, म वहा कै
सेपहु
ँ
च सकता हू
ँ? ''
-०-
अ याय - २७
अनं
त त क म हमा
कृ
त यगु म व स ठ गो का सम
ु तुनामक ा मण रहता था। उसक प नी का
नाम द ा और पुी का नाम सश
ुीला था। अपनी पहल प नी क म ृ युकेबाद
उसनेककशा नाम क ी सेदस
ूरा ववाह कया। वो ी हर रोज सम
ु तुऔर
उसक पुी केसाथ कलह करती थी िजस कारण ा मण दखुी रहता था।
93
सश
ुीला जब थोड़ी बड़ी हु
ई तो क ड य सेउसका ववाह हु
आ। आषाढ़ और ावन
मास म पुी दामाद ा मण केघर म ह थेक तुककशा केरोज़ केकलह से
तं
ग आकर कौि ड य नेअपनेघर जानेक अनम ु त मां
गी। येसनुकर ा मण
दख
ुी हु आ और उसनेअपनी प नी को खब ू कोसा क इस ी केकारण मेरा
प रवार मझ
ुसेअलग हो रहा हैऔर घर जं गल बन गया है। येप नी नह ंमे
र
श ु है
।
येसंक प ले
कर वो सश
ुीला केसाथ जंगल क ओर चल पडा। रा ते म उसनेफल
सेलदेएक पेड़ को दे
खा िजसेकसी प ी नेनह ं छुआ था । उसनेपे
ड़ सेपछ
ुा ''
या तम
ुनेअनंत को दे
खा है
? पे
ड़ बोला नह ं
, क तुअगर तमु अनं
त सेमलो तो
मे
रेबारेम अव य बताना। थोडा आगेउसनेएक गाय और उसकेबछड़ेको दे खा
जो घास खानेका यास कर रहेथेक तुखानेम सफल नह ंहो रहेथे। आगे
94
अनं
त का आशीवाद ा त करकेकौि ड य नेसख
ुपव
ूक जीवन यतीत करकेअं
त
म वग म थान ा त कया ''।
-०-
95
अ याय - २८
महा शवरा को तं
तक
ु क ीशै
ल या ा, आठ थान पर ी गु नेएक साथ
दशन दए ।
महा शवरा को तं
तक
ुक ीशै
ल या ा
तं
तकु नामक एक बन ुकर ीगु का भ त था। वो भि तपव ूक ी गु क से वा
करता था । वह दोपहर तक अपना काम करता था फर नान करके ी गु के
मठ का आँ गन साफ़ करता था। एक बार शवरा केकु छ दन पव
ू उसका सारा
प रवार ीशैल गया। उ ह नेतं
तक
ु को साथ चलनेको कहा तो वो बोला '' मेरा
ीशैल मे
रे ी गु केचरण म है'' । वो घर पर ह रहा।
तं
तक
ु बोला '' आज मनेएक चम कार दे खा है
, मने ी शं
कर के थान पर
आपको देखा था। जब आप गं
गापरुम ह थे
तो लोग आपको दे
खनेइतनी दरू य
जातेह ?
क पजूा कर रहेथेतो म भी कु
छ खानेक इ छा सेमं दर म गया । लोग म
मझ
ुेप थर मार कर भगा दया और म मं दर केचार ओर भाग कर अंत म एक
नालेम शरण ल । मनेशव जी क पज ूा दे
खी क तुलोग नेमझुेजो प थर मारे
उससेमेर मृयुवह पर हो गयी। मंदर केसामनेमेर मृयुहु
ई इस पुय कम
केकारण म इस ज म म राजा बना क तुकुेक व ृ इस ज म म भी नह ं
गयी इस लए मे
रा आचरण ऐसा है
''।
रानी नेपछ
ुा '' आपने अपने
गत ज म केबारेम बताया हैअब मे
रेगत ज म के
बारेम भी बताइये''।
ी गु नेतं तक
ु को आँख बं
द करकेउनक पादक
ुाओंको पकड़नेको कहा। तरु
ं
त
ह वो गंगापरु पहु
ँ
च गए। ी गु नेतं
तक
ु को नगर म भे
जकर उनके श य को
बल
ुा लानेको कहा।
तं
तकु को दाढ़ कटवा कर देखा तो लोग नेउस बारे न कया । वो बोला '' म
ीशै
ल गया था येलो बुका और साद'' ।लोग नेउसका उपहास कया '' हमने
तुहे ातः काल को यहाँपर दे
खा था फर तमु इतनी ज द ीशैल जाकर वा पस
कै
सेआये?'' उसनेबताया '' मझुे ी गु अपनेसाथ वहांपर लेगए थेउ ह ने
ह तमु लोग को बल
ुा लानेमझुे यहाँपर भे
जा है
''।
येचम कार दे
ख कर लोग आ चयच कत रह गए और सबने ी गु क तु त
क । तं
तक
ु केस ब धी ीशै ल से१५ दन केबाद लौटेवो भी इस चम कार के
बारेम सन
ुकर है
रान रह गए।
-०-
अ याय -
२९
नं
द ा मण
का
कुठ
रोग
दरू
हु
आ,
कवी
नरहर ी
गु
का
भ त
बना
।
नं
द ा मण
का
कुठ
रोग
दरू
हु
आ
नंद
नामक एक ा मण कुठ रोग से पी ड़त
था
।३ वष तक
उसने उपवास
रखा
और
तलुजापरुभवानी
क
आराधना क , भ वाडी केनकट भवुने वर
म ७माह
तक उसने दन
रात
दे
वी
क भि त
क। एक दन
देवी
ने उसे
व न मआकर ी गु केपास
गंगापरु
जाने
क आ ा द।नद
ंबोला ''
आप वयं दे
वी
ह
और मझ
ुे एक
मनु यके पास
रोग नवारण
हेतु
भेजरह हैये
उ चत तीत
नह ंहोता।
म यह आपके चरण मपड़ा
रहू
ँ
गा क तु कसी
मनु यकेपास
नह ं
जाउं
गा''
।पज
ुार को भी
ऐसा
ह व न हु
आ। उसने और
कुछलोग ने
नंद
को समझाया कउसे दे
वी
केकहे अनस
ुार
गंगापरुजाना
चा हए
पर तु जब
वो
नह ं
माना
तो
उ ह नेउसे
मं
दर मआने से
रोक
दया गया । नदंकेपास
कोई वक प नह ंरह
99
ी
गु ने
उसके
मन
क
बात कह
द
थी,
येदे
खकर
वो
घबरा
गया
और ी
गुकेचरण
म
गरकर ाथना करनेलगा ''
ममखूहू
ँमझ
ुेमा
कर द िजयेम
आपक शरण मआया
हूँ
मे
र
र ाक िजये।
मइस
रोग सेपी ड़त
हू
ँमे
रे
सगे
स बि धय
नेभी
मझ
ुेछोड़
दया
है
।
चं
दला
दे
वी
ने
मझ
ुे आपके
पास
भे
जा
हैमझ
ुेइस कार
मत दु
का रये ।
''
ी
गु नेअपने
श यसोमनाथ
सेकहा ''
इसे
सग
ंम
मलेजा
कर नान
कराओ
और
अ वा थ
क
पजूा
करनेके
बाद
इसके
परु
ाने व
फक कर
इसे
नए
व पहना
कर
मठ
म
भोजन
केलए
लाओ''
।
नद
म नान करते ह
नदंके शर र
का
कुठ रोग
ठक हो
गया ।
अ व थ क पज
ूा
करके वो
मठ
म आया तो ी
गुने पछ
ूा ''
देखो
तो
तुहारा
रोग दरूहुआ क नह ं ।
'' वो
बोला ''
गुदेवमे
रेजां
घपर
अभी भी
कुछ नशान रह
गए
ह''
। ी
गु बोले तम
'' ुने मझ
ुपर सद
ंेह
कया था
इस लए येरोग
थोडा
सा
रह गया
हैक तु यहाँ
रहकर
रोज़ मे
र तु त
करते हु
ए
का य
क रचना
करोगेतो
शी रोग परूतरह
ठक हो
जाये गा''
।
नं
द
ने ाथना
क ''
गुदे
व
मअश त
हू
ँ
।
आपक तु
तकरते
हु
ए
का य
क
रचना
कस
कार
क ंगा ?''
ी
गुने उसक
जीभ
पर थोडा
भ मलगाया। ऐसा
करते ह
नद
ं बुधमान बन गया और
ी
गु क तुतमइस कार का य
रचने लगा- ''
मभवसागर म डू
बरहा
था, वेदज,
अं
डज,
उ भज, जरज और वभ न पशु यो नय
म भटक रहा
था। मनुय ज म इनमे
सबसेे ठहै
।
मझ
ुेकु
छ ान नह ंथा
क तु ा मण ज म ले
कर मने ान
अिजत कया
।अगर ा मण
मख
ूहो
तो
उसेी
गुका ान
भला कस कार होगा ?
नार
और पुष
केमलन से गभ
अि त व मआता है
।एक माह
मठोस ण
ू बनता है,
दस
ूरे माह
म सर
और परैआकार लेते
ह,
जब पाँ
च त व का
गभ मसमावेशहोता
हैतो
ण
ू म आ मा वेश करती हैपां
, चवेमास
मकेशऔर वचा
बनतेह,
छठेमास
म ण ूम
वासो वास होता
हैसातव
, मास
मम जा,
कान, जीभ
और मि त क का
वकास होता
है
।इस कार माता
केगभ ममे
रा
वकास हो
रहा
था
।
माता के
गभ मभी
मनेक ट
अनभुव कये जब
, वह
गम , नमक न,
ख टे अ लय
, और चटपटे पदाथ
का
सेवन
करती
थी
तो
मझ
ुे क ट
होता
था
।
100
फर
मनेज म
लया। मेर
आयुनधा रत थी
िजसमे से
आधा
ह सा मनेन ा
मगंवाया,
बचा
हु
आ भाग
बा यकाल, यौवन
और व ृधाव था मवभािजत हु
ए।
बा यकाल ममझुे
जब
उदर
मपीड़ा
हु
ईतो
माता
ने
समझा
मझुे भख
ू लगी
हैऔर
उसने दध
ू पलाया
और
जब
मझुेभख
ूलगती तो
वो
सोचती
क मझुेपीड़ा
हो
रह
हैऔर
वो कडवी दवाई पलाती
थी
।
जब मझ
ुेक ड़े
काटते
थे
और
मरोता
था
तो
वो
मझुेलो रयां
सनुा
कर
चपुकरवाती
थी
या
सोचती
थी कमझुे दु
टआ माएं परे
शान कर रह
ह,
और
वो
कभी म पढने लगती
तो
कभी
तंका
काल
धागा बां
धती थी ।
यव
ुाव था
मकाम
वासना
ने
मझ
ुेजकड
रखा
था
।
माता, पता
और
गु
का
तर कार
करके
मके
वल
नार
केत आस त रहा।
अ भमान
के वश
म मनेसाधू
सत
ं
और बड़े
बढ
ूक भी
अवहेलना
क
।
ऐसेम ी
गुसेमझ
ुेअनरु
ाग
कैसे होता ?''
व ृधाव था
मम रोग सेपी ड़त
रहा
। प रवार
का
पोषण
करतेकरते
बाल
पक गए ,
मे
रे
दां
तटू
टगए, वण
शि त ीण हो
गयी और ि ट भी
कमज़ोर
हो
गयी
।
ऐसी
अव था म
भी
मनेी
गुक
सेवा
नह ं
क
।आप ह मा ड के सरं क
और मिुतदाता
ह।
इस लए
मझुपर
दया
करकेमझ
ुेमुत
क िजये ।
''
अश त नदं
नेइस कार ी
गु
क तु त
म का य
क
रचना
क।ये
दे
ख
कर
सब
च कत
थे।
उ ह ने कहा ''
वे
दभी
कहतेह
क ी
गुकेचरण अतपावन
ह
उनकेचरण
केसवा
भवसागर सेमिुत
का
और
कोई
आधार नह ंहै
। ी
गु
क
क णा सेह
सबकेपाप
न ट
होतेह
। ी
गुनर संहसर वती
कामधे नुह
इस लए उनक भि त
करके
ह
मो ा त
होगा ''
।
नं
द को
क व वर
क
उपा ध
मल ।
उसके
जां
घपर
कुठ
रोग
के
नशान
धीरे
धीरे
मट
गए।
उसनेभि त
और धा
से
ी
गु
क
से
वा
क।
कवी
नरहर ी
गु
का
भ त
बना
एक
बार
कुछ श य ी
गु को
अपनेनगर
लेगए।
वह थान क ले वर
के
तीथ
केप
म
जाना
जाता
था।
नगर
म नरहर नामक
एक ा मण रहता
था
जो
क ले वर
का
बहु
तबड़ा
भ त था।
वो
हर
रोज़
क ले वर क तुतम ५
छंद क रचना करता
और न ठापवूक
उनक आराधना करता
था
।
लोग
नेउसे
ी
गुक म हमा
के
बारे
म
बताया
और
उनक शंसा
मछं
द
रचने का
आ ह
कया।
नरहर
बोला '
मनेअपनी
िज वा
क लेवर
को
सम पत
कर
द
है
और
अब म कसी
मनुयक शंसा
म छंद
क
रचना नह ं
कर
सकता।
रोज़
क
तरह
एक
दन
वो
क ले वर
101
क
पजूा
करने मं
दर गया।
पज
ूा
करते करते
उसे
नीं
दआ गयी
और उसने व न
मदेखा
क
शव लं
ग पर ी
गु बठ
ैेह
और वो
उनक पज
ूा
कर
रहा
है
।
थोड़ी
देर
बाद
शव लं ग
गायब हो
गया
और ी गुह दखे। ी
गु मुकु राए
और न कया ''
तम
ु कसी
मनु यको
नह ं
पज
ूते फर
मेर
पजूा य कर रहेहो ?''
नीं
दसेजाग
कर
नरहर को
अपनेकये पर
बहु
त
प चा ाप
हु
आ ।वो
समझ गया क ी
नर सं हसर वती ी शव के अवतार
ह।
त णवो ी
गु के
पास
पहुं
चा,
उ ह णाम
करके मा ाथना
क ''
आपक महानता
का
ान
मझ
ुे नह ं
था
इस लए आपको समझ नह ं
सका।
आप
तो वयंक ले
वर
केअवतार
ह।
जब कामधे नु घर
पर
हो
तो
कसी को या डर ?
मझ
ुेकृ
पया
आशीवाद द िजये
।
आज के
बाद
म आपक सेवा
करना
चाहता हू
ँ ।
''
ीगुनेस न होकर
नरहर
को
व दए और श य वीकार कया। ी गु
बोले''
क ले वर
महान
हैतम
ुउनक पज
ूा
करतेरहो
।
नरहर
बोला ''
जब
आप वयं क ले
वर
ह
तो
मआपक पजूा य न
क ँ?
म आपके चरण
सेदरू
कह ं नह ं
जाउं
गा ''
।
इस कार
नरहर ी
गुका
महान
भ तबन गया।
०-
-
अ याय -
३०
पाबती
क
भि त
गं
गापरु
मपाबती नाम का
एक
पुया मा
कसान रहता
था। ी
गुजब ातः
काल
सग
ंम
पर
जातेथे
तो
रोज वो
उ ह णाम करता
था
इसी कार
म या न
मजब ी गुमठ
को
लौटतेतो
भी
वो उ ह णाम करता
।
उसकेखेतसगंम
केरा ते
म
थे
।
एक दन ी
गुने
उससे पछ
ुा ''
तमुरोज़ इस कार
मझ
ुेणाम करने के
लए क ट य
उठातेहो ?
तुहार
या
इ छा
है?''
कसान
बोला ''
मे
र के
वल ये
इ छा
हैक मेरेखे
त मअ छ फसल
हो''
। ी
गुनेपछ
ुा ''
तम
ुने
खे
तम कौन सी
फसल लगाई
है पाबती
?'' बोला ''
खे
तम
जवार क फसल लगी
है
।
आप
क कृ
पा से इस
वष
अ छ फसल है।मे
र वनती है
कआप
एक बार
मे
रे
खे
तम
चलकर
अपनी कृपा ि ट
फसल
पर
डाल''
।
ी
गु उसके खेत मगए और बोले अगर
'' तम मझ
ु पर
ु व वास
करतेहो
तो
जस
ैा
म कहू ँ
वै
सा
करो''
। पाबती
बोला ''
म मन क गहराई
सेआप
म धा
रखता
हू
ँ
।जसैा
आप कहगे
वै
सा
ह
क ं गा''
। ी
गुबोले म या न
'' को
जब
तक
मलौटू
ं
गा
इस
फसल को
काट
दो ''
ये
कह
कर ी गु सगंम
को
चले गए।पाबती
फसल काटनेक
अनमुत ले
ने
राज व
अ धकार
102
के
पास गया क तु वो
बोला कइस वष
फसल अ छ हैऔर
इसे गत
वष के दर
पर
काटने
क अनम ुत नह ंमल
सकती। पाबती
बोला ''
म दगुनुे दर
देदं
ग
ूा क तु फसल
काटने क
अनमुत द''
।उसेइस
शत पर
अनमु त ा त हो
गयी। उसने कु
छमजदरू लगा कर
फसल
क कटाई शु कर
द। उसक प नी और ब चो ने उसको
रोकने का
बहुत य न कया
क तु कोई
लाभ
न हु
आ। उसक प नी
नेअ धकार
केपास
जाकर शकायत क '' मे
रेपत
एक
स यासी क बात म आकर इतनी
अ छ फसल को समय सेपव
ूकाट
कर हमे इस
वष
भोजन से वं
चत कर रहेह
कोई
इ हरोको''
।अ धकार नेलोग
को
भे जकर कसान से
उसक मख
ूतापण ू कम का
कारण पछ
ुा
।पाबती बोला '' यद आपको कोई सद ंेहहैतो
म
अनाज केप मभगुतान क ँ गा
और आपके घर
पर अपने पशु
भी
रख
दंग
ूा''
। ी गु जब
संगम से लौटे
तो
पाबती नेउ ह णाम
करके बताया क फसल काट द गयी है। ी
गु
बोले तम
'' ुने यथ ह समय से पहले
फसल
काट द ''
।पाबती बोला ''
मझ
ुे आप
पर परूा
भरोसा है
।आपके आदे
शानस ुार
मने ये
सब
कया है ।
''
ीगु
बोले तुहे
'' तुहार
भि त
का
फल
अव य ा त
होगा''
।पाबती
ने
प नी
और
ब च
को
समझाया '' ी
गुशव
जी
के
अवतार
हउनकेआशीवाद से हमे
कोई
हा न
नह ं
होगी
।
उ ह ने
ये
आदे
श कसी
कारण
सेह
दया
होगा''
।
एक
ह ते के
अ दर
मल
ू न के
दन
भार वषा
सेसबक
फसल न ट हो
गयी
क तु
पाबती
को
कोई
नुसान
नह ं
हु
आ।
पाबती
क
प नी
और
ब च
को ी
गुको
कोसनेपर
बहु
तपछतावा हु
आ।
०-
-
अ याय -
३१
अमरजा
सग
ंम
और ी
गु
क
महानता
ी
गुअपने श य से बोले
अि वन
'' १४
वालेपव
दन
पर
हम
प रवार
स हत शाल (
याग,
काशी
और
गया ) म नान
करगे। श यबोले इतनी
'' ल बी
या ा
क
तय
ैार
केलए
हमेकु
छसमय चा हए ''
।
ी
गुबोले ये
'' तीथ थल
समीप
ह
हइस लए
वशेष
तय ैार
क
आव यकता नह ंहै''
।
येकहकर
वेउ ह
सगंम
पर
लेगए। नान
करनेके
प चात वेबोले
ये
'' सग
ंम
भी याग
समान
हैभीमा
यहाँ पर
उ रदशा
मबहती
है।
अमरजा सग
ंम भी गं
गा-
यमन
ुा
सग
ंम
समान
ह
पव है
।इसके आस
पास
८अ यतीथ थल
ह''
।
103
श य न
ेपछ
ूा ''
इस
नद
का
नाम
अमरजा य
पड़ा ?''
ी
गुबोले दे
'' वताओं का
ज लं धर
रा स
के
साथ युध हो
रहा
था।
इं
शकंर जी केपास
जाकर बोले दे
'' वता
जब रा स को
मारतेह
तो
उनके र त
क बद
ं
ू मसेनए
रा स ज म ले
रहेह
और इस तरह
वेतीन
लोक म फ़ै
लगए
ह।
उ ह ने बहु
तदेवताओं को
मार दया
है ।
''
येसन
ुकर शव जी ो धत हो
गए और प धारण
करके रा स का
सहंार
करने लगे
।
इंबोले '' भु कृ
पा
करकेमतृदेवताओं को
जी वत
करने का
भी
उपाय
बताएं ।शं
'' कर
जी ने
उस समय अमत ृम पढ़कर एक कलश मअमत ृ दया
िजसे इं
नेदे
वताओं पर
छड़क
कर उ ह जी वत कया।
जब इं देवताओं को
जी वत कर रहे थे
तब
अमतृ क कुछबँ द
ू
धरती
पर गर ं और
वहांपर
एक नद बन
गयी।
इस नद का नाम अमरजा पड़ा
।इसम
नान करने से
असमय
मृ यु टलती
हैऔर
सारेरोग
दरू
होते ह।
ये नद
भीमा नद से
मलती है और
वो
सग
ंम वे णी सगंम क
तरह पव है
।माघ और का तक मास म,
सोमवती, संां त हण पव
वाले दन मइस
नद म नान करने का
वशेषफल मलता है।
इस
सगंम पर
जो
अ व थ वृ हैवो
सभी
मनोकामनाएं पण
ू करने वाला
है
।उसपर मभी
नवास
करता हू
ँ
।इस
वृ को पज
ूने के
प चात सगंमे वर
क पज
ूा करो
।
येभी ीशै
ल के
मि लकाजन ुके
समान ह।
नद
ं और
चडंी
को णाम करो ,
तीन
प र माय करके शव
जी
के
दशन करो।इससे एक
मील
दरू काशी यानी
वाराणासी तीथ
है
। भर वाज गो का
एक
ा मण शव
जी
का
बड़ा
भ त था।
वो
न नाव था मघम ूता
था।
लोग उसेपागल
कहते थे
।
उसकेदो
भाई
थे
,इ वर
और पांडु
रं
ग।
एक बार
उ ह ने काशी
या ा
का
सकं प कया।
उसी
समय शव
जी
का
एक
भ त उनके पास आकर बोला ''
तमुइतनी
दरू
काशी य जातेहो ?
काशी
व वे वर
तो
यह
पर
ह''
।भाइय नेउससे
पछ
ुा ''
कहाँहै
हमे
? दखाओ''।
उस
भ त नेनद
म नान
कया और यान मबठ
ैगया। शकंर
जी
उनकेसम कट
हु
ए
।
उसने उनसे
काशी
व वे वर
क मतू था पत करने क ाथना
क। शक ंर
जी
नेउसक
इ छा
परू
क
और म णक णका कं
ुड
बन गया
और उसी
मसेकाशी
व वे षर
बाहर
आये
।
उ रदशा क
ओर बहती
भागीरथी
स श एक
नद भी
अि त व मआई ।
काशी
के
सभी
पुय े वहां
पर
बन
गए
।दोन
भाइय ने उस थान
पर
काशी
व वे वर क पज
ूा
क
।
वे
दोन
पढ
ंरपरु
मरहनेलगे
और
लोग
उ ह ''
आरा ये के
'' नाम
सेजानते
थ''े
।
ये
कथा
सन
ुकर
सबने
वहां
पर नान
कया
और
व वे
वर
क
आराधना
क।
ीगुबोले ये
'' दे
खो
यहाँपर
पाप वनाशी
तीथ
है
।
इसम नान करते ह
सारे
पाप
न ट
होते
ह''
। ी
गु ने अपनी
ब हन
रतना
को
वहांपर
बल
ुाया
और बोले तम
'' ुनेएक
ब ल क
डड
ंे
से मारकर
ह या
क
थी
इस लए कुठ
रोग
सेपी ड़त
हो।
इस
तीथ
म नान
करते ह
तुहारा
104
रोग
ठकहो
जाये
गा। ''
उसनेी
गु
क
आ ा
मानकर
तीन
दन
तीथ
म नान
कया
और
उसका
रोग
समल न ट
ू हो
गया।
ीगुबोलेइससे
थोड़ी
दरू
को ट तीथ
है
।इसम संां त, हण,
पूणमा
और अमाव या
को
नान
करकेगाय या
बछड़ा दान
करना चा हए
।
इससे आगे
तीथ है
जो
गया
केसमान
पव हैवहां
पर ा ध
करने चा हए।
इसके आगे च
तीथ
हैजो वारका
स श हैउसके
,
बाद
म मथ तीथ
हैउसके
, परू
बमक ले वर
है
जो
गोकण महाबले वर
स शहै।
इन
८
पुय
थाल केदशन
सेअने
क पुयफल ा त होते
ह ''
।
सबने
इन
तीथ
म नान
करके
पज
ूा
क
और
समाराधन
कया।
०-
-
अ याय -
३२
गु
गीता
का
सार
नामधारक ने
स धमुन को णाम करके
कहा ''
गुदेवआपनेी
गु केजीवन
केबारे
म
बताकर मझ पर
ु उपकार कया है।
इस ान
को
पा
कर मे
रे
सब
पाप न ट हो
गए
ह
।मझ
ुे
धम
का
सार ात
हु
आहै। ी
गुक पत स श हवस ठ और
शकु जसैेऋष
भी
उनके
दखाए
रा ते
पर
चलतेह।
अब कृपया
मझ
ुेस गु
केवषय
मबताये ।
''
एक बार
जब ी
शकंर
कै
लास परबत
पर बठ
ैेहु
ए
थेतो
दे
वी
पावती ने
उनसे
इस कार
ाथना
क ''
हे
दे
व
के
दे
व,
इस मा ड
केगु,
कृ
पया
मझ
ुेगु
म दान क िजये
और
कोई
ऐसा
उपाय
बतायेिजससे
मे
र
आ मा परमा मा
म
लन हो
जाये ।
''
शं
कर
जी
बोले दे
'' वी
इस न
को
आज तक
कसी
नह ंपछ
ुा।
तम
ु मे
रा
ह
अ भ न प
हो
इस लए
आज मतुहे इसका ान
दे
ता
हू
ँ
।
इससेसभी
लोग
लाभाि वत
ह गे ।
''
वे
द,
शा , परु
ाण,
इ तहास, म तं व या, म ृ
त -
जरन-
मारण
और अ य वषय मनुय
को मत करते ह।
गु भि त का
सार
समझे बना
लोग
य ,तप, त,
दान
पुय, वचन,
तीथ
या ाय
इ या द करते ह
जब क स य यह
है
कगुकेान सेह
अ व या, माया
और
अ ान का
नाश होता
है
। ी
गु क से
वा
के
मा यम सेसारे
पाप
न टहोतेह,
आ मा
पव
होकर
परमा मा मलन हो
जाती
है
।
105
गुका
पादतीथ
तीथ ेम नान
के
समान
है।
यह
तीथ
काशी
और याग
तीथ
के
स श
पावन
है
।
सदा ी
गुका यान
करो,
उनका
नाम
जपो,
उनक आ ा मानो,
से
वा
और
आराधना करो।
न ठापव
ूक
गुक भि त
करके मनु
यइ वर
बन
सकता
है
।
गुश द
का
अथ अ धकार और का
अथ काश है
।
गु का
अथ
है
म का
वो ान
िजससे
अ ान का
अ धकार न टहोता
है
।
गुसे
ता पय
माया
और अ ान
है
जब क
से ता पय
मसे है
जो
माया
और
अ ान का
नाश
करतेह।
गु क शि त
असीम
हैऔर
दे
वता
भी
इसेा त
करने म
अ म ह।
गुअ वतीय ह।
एक साधक को चा हए क
वो
गु को अ छा आसन, शैया,
व और सभी साधन दान
करे उनक
, सेवा
परूभि त और धा सेकरे
और
उनके सामने
परू
तरह समपण करने म
कोई
सक ंोच नकरे ।
मनु यकेकम उसे नरक
क ओर अ सर करते ह
क तु गु
उ ह इस
भवसागर से मिुत
दलाते ह। ी
गु ह मा , व ण,ुमहे
श और पर म ह, वह इस
मा ड के नमाता और
इस सस
ंार के
क ट सेमिुतदाता
ह।
गु भि त अपनाने से
आख खलुती हऔर ान का
उदय होता
है
।
माता
पता भाई
और वो
सभी लोग जो
हमे
अ छ श ा देते ह,
हमारेगु
ह। इस मा ड म इतनी व वधता होते हु
ए भी
इसम
अखं डता
है। ी
गु ह हमारेसरं क
ह।
अगर ी शकंर
या ी व णुकुपत
ह
तो ी गु
उनसे हमार
र ाकर सकते ह
क तु ी
गुो धत हो
जाएँतो वयं
ी
शकंर या ी
व णु
भी
हमार सहायता नह ंकर
सकते ।
िजस कार ि टह न यि त काश को नह ं दे
ख
सकता उसी तरह अ ानी को
भी ी
गु क म हमा का
बोध
नह ंहोता। ी
गु स ाट क
तरह इस
ससंार म मनु यक जीवन ल ला
का
दशन करते ह।
ी
गु का यान
और उनक तु त ी
शव और उनका
गण
ुगान करनेके
समान
है
। ी
गु
सय
ूके समान काशवान, उ जवल, अजर अमर
और अनंत ह।
वेआनं
द
क मतू,
महानतम और सनातन ह। उनक क त मरोज़
व ृध
होती
है
और
उनक म हमा
कभी
नह ं
घटती
।वे
दऔर मनु भी ी
गु क म हमा का
वणन
इस कार करते ह।
इस लए
सदैव ी
गुका यान
करो।
आ म ान से ज म
ज मा तर केपाप
न टहोतेह
इस लए आ म ान
सेबढ़कर
कोई ान नह ंहै
। ी
गुक सेवा
सेबढ़कर
कोई तप या
नह ंहै
और
उनक द
हु
ई श ा सेबड़ा
कोई ान नह ंहै
। ी
गु जग नाथ हऔर तीन
लोक केईश
ह। ी
गु
ह मा ड हऔर हमार आ मा ह इस व व क
आ मा है।
इस लए ान देने
वालेी
गु
केआगे
सदा
नतम तक रहो।
जो
मनुय अपनी
तप या
और ान
के
अहंकार
मरहतेह,
सां
सा रक
व तओुंसे
आस त
होतेह
वो
कुहार
के
प हये
पर
घम
ूतेमटट केघड़
केसमान
है।
दे
वता,
ग धव,
पत,ृय
,क नर, ऋष और स धपुष
को
भी
गु से
वा
केबना मो क ाि त
नह ंहोती।
106
इस लए ी
गु के
चरण पश करो
जो ेठ ह,
सख
ु और ान दे
नेवाले
ह।
उनका
आ द न
अंतव दत है।वह
तीन
गण
ु( स व,
तामस और राजस )
से मुत
ह।
जीवन
का
एकमा
उ देय ान क ाि त
हैजो ी
गुक कृपा
से ह
परूहोती
है
।
अं तम वास
तक ी
गु
का
नाम
जपो
और उनका
कभी प र याग मत करो। ानी
कभी ी गुका नरादर
नह ं
करते और
उनसे कभी
अस य मत बोलो।
जो ी
गु का
तर कार करते ह
वो
नरक
मजाते
ह।
जो
उनसेयथ वाद ववाद
करते ह
वो मरा स बनकर बज
ंर
और नजल भूम पर
रहतेह।
हेपावती,
अगर देवता,
मुनभी ाप
दे
ते ह
तो ी
गु अपने श य
को बचा
लगे उनके
,
आगे ऋष
मुन भी
शि तह न
ह।
हेदे
वी, म ृ
तऔर वेद
केअनस
ुार ी
गुह
पर म ह।
ी
गुको णाम करो
जो
क
सव यापी,
अनं त, नराकार,
नगण आ म ानी ,
ु, अखंड
और
काशवान ह।
जो
भी यान
म म सेएक व ा त
करता
हैवो
कुड लनी जागत करता
ृ है
और मो पाता
है
।अ ानी के
वल सस
ंार
पर वजय पाता
है
जब क ानी ी
गुकेदखाए
रा तेपर
चल कर कम और अकम यता का ान ा त करता
है
।
जो
गुगीता
को
सनुतेपढ़ते
लखते या
इसे दान
म
दे
तेह
उनके सब
मनोरथ
स धहोतेह।
दःु
ख नवारण हेतु सदा
गु गीता
का
पाठ
करो।
इसका
एक एक श दमृयुपर
वजय
दलाता
हैदःु
, ख नवारण,
रोग और
य , रा स,
भतूे
त,
चोर,
शरे
आद जानवर के
भय
सेमुत
करता
है।
हेदे
वी,
गुगीता
का
पाठ
दभासन या वे
त
आसन पर
बठ
ैकर यान
लगाकर
करो
।
शाि त
ाि त केलए उ र दशा क ओर वेत
आसन, स मोहन केलए
परूबदशा
म लाल
आसन, श ुनाश
केलए द ण दशा
मकाला
और
सम ृध
केलए
पि चम
दशा क
ओर
मखुकरके पीले
आसन
का योग
करो।
गु गीता
का पठन
शाि त
और शि त दान करता हैगण
, ु का वकास और दु कम का
नाश करता है,वजय दलाता
है
, ह
क पीड़ा
से मिुत
देता
हैदु व न
, न टकरता है
,
ीय को
सतंान
और सौभा य दान
करता है
। अगर कोई वधवा बना कसी
इ छा के
इसका पठन करती
है
तो
उसको
मिुत मलती है अगर
, कसी अ भलाषा केसाथ
पढ़ती
है
तो उसे अगले
जनम
म अ छा
पत मलता हैऔर
उसकेसभी क ट, पाप
और अ भशाप
न ट होतेह।
जो
लोग
इ छाओं क
पतूकेलए गु गीता
का
पठन करते ह
उनके लए
वो
क पत केस श हैअ छ
, सोच
वाल
के लए वो
चंताम ण स श है
,जो
लोग
इसेमिुत
ा त करने के
लए
पढ़ते ह
उनको मिुत मलती हैऔर
जो
लोग
सांसा रक
सखु क ाि त
के लए पढ़ते ह
उनको सभी
सखु ा त
होतेह।
इसका पठन नद या समु तट
पर,
दे
वी,
107
शव जी ,
व णु जी
या
कसी
अ यदेवता
के
मंदर
म,
मठ,
गो
सदन,
वट,
आवंला,
आम
वृ के
नीचे तल
,ुसी
या
धो
पौध
केपास,
शमशान
या कसी
साफ़
सथ
ुरे नजन थान
पर
भी
कया जा
सकता
है
।
ीगुका
भ त अगर
मखूभी
होगा
तब
भी
उसका
उ धार
होगा यो क ी
गुवयं म
हइस लए वे
सदा
पव ह।
वो
जहाँनवास
करतेह
वहां
इ वर,
तीथ
और पीठ
नवास
करते
ह।
गुगीता
का पठन अगर कोई
बठैकर,
शैया
पर
लेटकर,
खड़े हो
कर,
चलतेचलते
,
बातचीत
करते ,घड़ुसवार
या
हाथी क
सवार करते भी
करता हैतो
भी
मगंल
ह
होगा।
पाठक
का
दोबारा
ज मनह ंहोगा।
वह
ज म मृयुके
च
सेमुत
हो
जाता
है।
आ मा
और इ वर
एक
ह
।
िजस कार
समु
म
जल,
पा म
दध
ूएक
होते
ह
उसी
तरह ानी
और
इ वर
एक
ह।
हे
पावती, ी
गुका
आशीवाद ा त
होते
ह
भ त केसभी
सदंे
हमट
जाते
ह,
दे
वी
सर वती
उसक िज वा पर
वास
करती
हैउसे
, सब
सखु ा त
होकर
अतं
ममिुत
मलती है
।उसको
उसकेपठन, त
और तप या
केशभ
ुफल ा त
होतेह।
हेवाराने
नी (
सुदर
मखुवाल ),
मने तुहे
संय
शा का स धां तबताया था ना,
एक
इ वर,
एक धम,
एक भि त,
एक
तप या ी गुकेअ त र त
और कुछनह ं है
। ी
गु से
बड़ा
और ऊं
चा स धांतऔर कु
छनह ंहै
।िजस
घर
म ी
गु,
माता, पता,
प रवार
और वश
ं
का
आदर होता
है
वो
घर
भा यशाल होता
है
तथा
िजस
घर
मइनका तर कार होता
हैउसका
पतन नि चत है
।
अगर
गुगीता
का
पठन
या ा
के
दौरान,
युध
मया
श ु
के
आ मण
के समय
कया
जाये
तो
वजय क ाि त
होती
हैऔर
मृ योपरां
तमिुत मलती
है
।वह
अगर इसका
पठन
कुवचार
केसाथ
नि दत थान पर कया
जाए
तो
इसके
बरु
ेप रणाम
होते
ह।
तम
ुमझुेय हो
इस लए मने तुहे
गु
गीता
का
सार
सन
ुाया
है
।
इसका वणन के
वल ऐसे
लोगो
के
सम करो
जो
माया
और मोह
सेदरू
ह
और भि त मलन ह,
ऐसे लोग
को
इसका
ान
मत
दो
जो
कपट ,
धत नाि तक
ू, हऔर यथ
मवाद ववाद
करते ह।
इस कार
गु गीता
का
सार
भगवन
शक
ंर
और
पारवती
के
बीच
सव
ंाद
केप
म
क दपरु
ाण
केउ रखं
डमव णत
है
।
०-
-
अ याय -
३३
108
२४ गु
साधूबोले''
मझ
ुेआनं
द और सं
तिुट आ म बोध से ा त हु
ए ह। मझुे ान परू
े
मा ड म या त हर त व और जीव से ा त हु
आ है
। उनमे से२४ गु मखु
ह।
हवा मे
र दस
ूर गु है। िजस कार हवा लोग को शीतलता दान करती हैऔर
हर अ छेबरुेगं
ध को वयंम अं तल न कर लेती हैउसी कार मनु
य को भी
सहनशील और शांत रहते
हुए सां
सा रकता सेअ ल त रहना चा हए।
मे
रा तीसरा गु आकाश है । आकाश वशाल होता हैऔर कई रंग म दखाई देता
है
।कभी काला ,
नीला कभी गहरेबादल सेघरा क तुयेसभी रं
ग आते जातेह।
आकाश इनकेरं ग म कभी नह ंरं गता और सदा बे
रं
ग और शुध बना रहता है
।
इसी तरह साधूको भी आकाश क तरह व तत ृ और राग- वे
ष सेमुत रहना
चा हए।
अि न मेर
चौथी गु है
। िजस कार अि न सब आहु तय को समान प से
वीकार करकेदेने
वाल केपाप को भ म करती हैउसी तरह साधूको भी बना
प पात केछोटेबड़े सबकेदान को वीकार करकेउ ह आशीवाद दे
ना चा हए।
मे
रा पां
चवांगु सय
ू है
। सयू का आशीवाद परू प ृवी और उसपर बसेहर जीव को
समान प से ा त होता है । वह ी म ऋतूम जल को भाप के प म ले कर
फर वषा ऋतूम उसेबा रश के प म इस प ृवी को दान करता है । उसी तरह
साधूको भी समदश होते हु
ए इस सं
सार से ान ा त कर के फर यह पर लोगो
म चा रत करना चा हए। िजस कार सय ू अपने काश म हर चीज़ को प ट
109
कबतूर मे
रा छठा गु है
। एक कबत
ूर,
कबत
ूर और उसकेब चेपे ड़ पर रहतेथे।
एक दन एक शकार नेउनकेब च को जाल म फां स लया। जब कबतूर और
कबतूर शाम को आयेतो ब च को उस हाल म दे ख कर वयंभी उसी फंदेम
जा उलझेऔर इस कार सबक म ृ युहो गयी। उनसेमनेसीखा क मनु य भी
इसी तरह र त केमायाजाल म उलझ कर ज म म ृ युकेच म फं सकर दःुख
ा त करता है
।
मे
रा सां
तवा गु अजगर है। अजगर आलसी होता है । वह शकार क तलाश म
नह ंजाता बि क जो जीव उसकेआस पास आता हैउसेखाता है । उससेमने
सीखा क ानी पुष को सं सार केसखु केपीछेनह ं भागना चा हए बि क ि थर
रह कर आ म चं तन करना चा हए। जो कु
छ भी ई वर क कृ पा सेमलेउसी म
सं
तोष करके नरंतर यान करना चा हए।
हाथी मे
रा दसवांगु है
। वन म हाथी का शकार करनेके लए शकार हा थनी
का योग करतेह। जब हाथी काम- वासना केवश म मत होकर उसकेपास
जाता हैतो उसेज़ंज़ीर म जकड लया जाता है। उसी तरह आदमी भी प और
यौवन के त मो हत होकर अपनेमो का रा ता बा धत करता है। रावण और
दय
ुधन इसकेउदहारण ह।
चीं
ट खा य व तए
ुंएक त करती रहती हैक तुन वयंखाती हैन कसी को
खानेदे
ती है
। अं
त म उससेशि तशाल जीव उसेखा जातेह। मनुय भी इसी
110
मेर तेरहवी गु एक वे या है
। उसनेवलासी पुष क से
वा म अपना जीवन बता
दया और व ृधाव था म या ध और एकाक पन से त होकर अनभ ुव कया क
ई वर क से वा म जीवन बताया होता तो आज मिुत ा त होती और इस कार
नराशापण
ू जीवन जीनेको बा य न होती। उससेमनेसीखा क वषय वासना
दःु
ख का भं वर हैिजसेयाग कर ह आदमी अ या म केमाग पर चल सकता है।
च मा मे रा सोलहवांगु है
। च मा क अपनी कोई रोशनी नह ंहोती वो के
वल
सय
ू के काश को ह त बंबत करता है
। उसी तरह मनु
य भी अपनेवा त वक
व प या न आ मा का त ब ब होता हैजब क उसका मि त क केवल एक छाया
मा होता है। च मा का व प हर १५ दन म घटता बढ़ता रहता हैउसी तरह
मनुय केजीवन म भी सख ु दःु
ख आतेरहतेह इनकेवश म आकर उसेअि थर
नह ं
होना चा हए।
स यासी को भी सांसा रक सख
ु, र त केमायाजाल म उलझना नह ंचा हए।
इस लए भं
वरा मे
रा १७ वांगु है
।
हरन को सं
गीत बहु त य होता हैअतः शकार उसक इसी कमज़ोर का फायदा
उठता है
। मेरे१८ व गु हरन नेमझ ुेसखाया क मनुय को कमज़ो रय केवश
म नह ंहोना चा हए,
नह ं
तो उसका पतन नि चत है
।
एक दन मनेदे खा क एक प ी मरेहु ए चह
ूेको उठाकर लेजा रहा था और उस
शकार के लए उसपर कौओंऔर चील नेआ मण कया। थक कर उस प ी ने
शकार को नीचेगराकर एक पे ड़ पर जा बै
ठा। उसेदेखकर मनेसमझा क जब
तक मानव सां सा रक साधन केपीछेभागता हैतब तक वह अ य लोग केसाथ
तयो गता करनेम सं घषरत होता है
। क तुजब वह अपनी लालसा पर वजय
पा ले
ता हैतो शांत ा त करता है
। वह प ी मे
रा १९ वां
गु है
।
एक बार मनेदेखा क एक ग ृ
हणी अ त थय हे
तुभोजन बनानेके लए सल पर
मसला पीस रह थी क तुउसकेहाथ क चू ड़याँउसकेकाय म बाधा डाल रह
थी। उससेमनेसीख ल क म क ाि त एकांत थल म ह क जा सकती है
जब बहुत सारे मम
ुुुएक साथ रहतेह तो वेएक दसुरेके लए यवधान पै दा
करते ह।
ततै
या झींगेको
अपनेघोसलेम बं द करके भन भनाता है ।
छोटेझीं
गेको
भन भनानेकेअ त र त कु
छ नह ंसन
ुायी दे
ता अतः वह भी ततैयेक तरह बन
जाता है
। उसी कार एक स चेश य को भी अपनेगु को ह आदश मानकर
उनका ह अनसुरण करना चा हए।
112
मे
रा २४ वांगु जल है
। िजस कार जल एक समान सबक यास बझ
ुाता हैउ ह
शीतलता दान करता हैउसी तरह एक स चेस यासी को भी वन तापव ूक
आचरण करते हु
ए सबको एक समान उपदे
श दे
ना चा हए।
-0-
अ याय -
३४
धोबी
का
पन
ुज म,
यवन
राजा
क
भि त
।
हमने धोबी
केबारे म
८वे अ याय
म पढ़ा
था
। ीपाद ीव लभ केआशीवाद से उसने
अगले जनम
मएक यवन राज
प रवार मज म लया और बीदर का
राजा
बना। गत ज म
के
कम के फल
से वो
बड़ा
दयालु और
धमपरायण राजा
था।
वो
सब
धम का
आदर करता था
और ा मण सेउसे
वशेष नेहथा। यवन के धम
गुा मण और वैदक धम को
तुछ
समझते थे
क तु राजा
कहता
था ''
परमा मा एक है
के
वल उनके नाम
भ न ह।
सब
मनु य
प च भतू सेबने
ह।
प ृवी
सबक माता है
,गाय
अलग रं
ग क होती
हैक तु दध
ूतो वेत
होता
हैआभष
, ूण अलग अलग आकार महोतेह
क तु उसका
धातुयानी
सोना तो
एक है
।
इस लए धम और जा तय के नाम
पर
लोग का
बटवारा
करना अनु चत है ।
''
राजा न प ता के
साथ राज
कर
रहा
था।
एक बार
उसे जां
घ पर रसोल हुई। वैय
हक म
क दवाई
का
कु
छअसर नहु
आ ।
उसके कारण राजा
को
बड़ा
क ट हु
आ और एक दन उसने
ा मण को
बल
ुाकर
उपाय सझ
ुाने को
कहा। उ ह ने सझ
ुाव दया ''
येरोग
गत
ज म के
पाप का
फल है।
आप तीथ े क या ा
करके दान
पुय करके सतंो
क सग ंती
क िजये।
आप अगर पाप
वनाशी
तीथ
म नान करगे तो
रोग
अव य दरूहो
जाएगा ''।
राजा
पाप वनाशी तीथ
गया
।
वहां
पर
वो
एक
स यासी
से मला।
उसने रसोल
को
दे
खकर
कहा ''
शी ह तमु एक
स यासी
से
मलोगे और
तुहारा
रोग
ठकहो
जाएगा।
म
तुहेएक
कहानी सनुाता
हू
ँ ।
''
उ जैनम एक ा मण
रहता
था
।
उसने ा मण
केन यसंकार
जस
ैेनान,
संया पज
ूा
इ या द क
म
छोड़ दए
और पं
गला नाम
क एक
वेया
के
साथ
रहने
लगा।
एक बार
उनके
113
घर
ऋषभ मु नआये।
दोन
नेऋष
का
खब
ूस कार कया
और
दन
रात
उनक
से
वा
क।
व ृधाव था
म ा मण
और
पं
गला
दोन
क मृ
युहो
गयी।
अगले जनम
म ा मण व बाहु राजा
का
पु बना। जब वो
बड़ी
रानी
सम
ुत के गभ
मपल
रहा
था
तो
ई या सेत हो कर
छोट रानी
ने सम
ुत को वष देदया
।बड़ी
रानी
के ाण
तो
बच गए क तु वष
केभाव से उसे
वचा का
रोग हो
गया
।रानी
नेपु
को
ज म दया
और
उसके शर र पर
भी
वस
ैा
ह रोग
था
।राजा
नेवैय
को
बल
ुाकर इलाज कराया क तु कोई
लाभ नहु
आ। राजा
छोट रानी
क बात मआ गया और उसे भय
हुआ क येरोग
राज
घराने
मभी
फ़ैल जाएगा इस लए उसने एक
मछु आरे को
बलुाकर रानी
और पु को
जगंल म छोड़
कर आने क
आ ा द
।रानी
अपने पु
केसाथ जग ंल म भखू यास
से तड़पती
हुई
भटक
रह थी
क एक मं दर
मपहुं
ची।
वहांपर
उसे कु
छ ीय नेबताया
क राजा
प माकर बहु
त
दयालु ह
वो
तुहार मदद अव य करगे ।इतने म
राज महल क कुछसे वकाएँ भी
वहांआई
।
सम ुत ने उ ह
अपनी
कहानी सनुाई
और वो
उसे राजमहल
म लेगयीं
।
राजा
बड़ा
दयालु था
उसने सम
ुत के रहने
का
महल म बंधकर दया ।
एक बार
महल म
ऋषभ मुनआये ।
प माकर
ने
सम
ुत केवषय
म
उ हबताया।
वेबोले
''
जो
बीत गया
उसके
लए वलाप करना
यथ
है
।
इस लए इस
नाशवान
शर र
के
लए शोक
मत करो।
अपने गत
ज मके पाप
कम के
अनस
ुार
हमेक ट
मलते ह
।मिुत केलए
भगवान ् शक
ंर
क
भि त
करो''
।
सम
ुत बोल ''
मअपना
रा य
छोड़ कर
यहाँ
आई
हूँ
और
आज मेर ि थ त कतनी दयनीय
है
।
मजीवन यागना
चाहती
हू
ँ ।
'' येकह
कर
वो
मुनके
चरण पर गर पड़ी।
मु नको
उस
पर
दया
आ गयी
और
गत ज म मउसके पु( ा मण ) वारा
क गयी
सेवा
भी
उ हयाद
आ गयी
।
उ ह नेथोडा
भ म उसके माथे
पर
लगाया और थोडा
जीभ
पर डाला।
समुत का
पुठक हो
गया
और
माता
पु दोन
क वचा
सामा य
हो
गयी।
दोन को
आशीवाद देकर
मुनचलेगए।
स यासी
के
आशीवाद का
फल ऐसा
होता
है
।अगर
तम
ुकसी
सत
ंक
से
वा
करोगे
तो
तुहार
रसोल
भी
ठकहो
जाएगी''
स यासी
बोला
।
यवन
राजा
हाथ जोड़
कर
बोला ''
कृ
पया
मझुेबताएं
क
ऐसे
स यासी
कहाँ
पर
मलगे ?''
स यासी
बोला ''
भीमा
नद
केतट
पर
गं
गापरु
म ी
गु
रहते
ह।
तम
ुउनके
पास
जाओ''
।
114
राजा
गं
गापरु
गया तो
लोग
ने
बताया क ी
गुसग
ंम पर
गए
ह।
ये
सन
ुकर राजा
भी
उसी
ओर चल पडा।
रा ते म
उसनेी
गुको
दे
खा।
वो
पालक सेउतर
गया
और ी गु को
णाम
कया।
ीगु
बोले हे
'' रजाक,
तम
ुइतने
समय
सेकहाँ
थे
तुहे
? म
बहु
तसमय
के
बाद
दे
खरहा
हू
ँ ।
''
येसन
ुकर
उसेगत
ज म क याद
आगयी।
वो ी
गु
के
चरण
पर गर पडा
और बोला ''
गुदे
वआपनेमझ
ुेइतनी
दरूय रखा
हैराजसी
? सख
ुमम
सब कुछभलू गया
था।
अब
आपक शरण
महू
ँ
।
मझ
ुेमुत
क िजये
।इस
रोग
सेबहु
त
अ धक
पी ड़त
हू
ँ ।
''
ी
गु मुकु रा
कर
बोले '' दखाओ कहाँ पर
है
रोग ? ''
राजा
जां
घपर
रसोल
ढू
ँ
ढने
लगा
क तु वो
तो
गायब थी।
राजा बोला '' भुआपके
आशीवाद
से मने
राज
घराने
के
सख
ुको
भोगा
है।
मे
र सार
इ छाएं अब
परूहो गयीं
ह।
मे
र ाथना है
कआप मेरे
महल
मचलकर
मे
रेप रवार
को आशीवाद द''।
ी
गुबोले म
'' स यासी
हू
ँ
महल
ममेरा या
काम ?
तम
ुयवन
हो
तुहारेनगर
म
हर
दन
गाय
क
ह या होती
है
ये
बहु
तबड़ा
पाप
है
।अपने रा य
मइस
पाप
को
रोको''
।
राजा
बोला ''
म अब
राजा
नह ं
रजाक
हू
ँआपका
, भ त।
कृ
पा
करके
मझ
ुेअपने
चरण
म
थान
द िजये ।
''
ीगु
सोचने लगे
।
इस
कलयग ु मपाप
और ूरता
बढ़े
गी,
अ छा
होगा
अगर
मये
थान
छोड़
कर
गौतमी (
गोदावर )
क
ओर थान क ँ।
मठ को
लौटतेसमय
राजा
ने
ी
गु
को
पालक
म बठाकर खदुउनक पादक
ुाएंउठा
केचला।
ी
गुबोले तुहे
'' घोड़े
क
सवार क
रनी चा हए तम
ुयहाँ
के
राजा
हो।
तुहारे
लोग ा मण
स यासी
क
से वा
करनेसे
तुहार
नंदा
करगे ।
''
राजा
बोला ''
लोग
केलए मराजा
हो
सकता
हू
ँपर
आपकेलए
आपका
भ त
रजाक हू ँ
।
आपक ि ट पड़तेह
मे
रा
शर र
कं
दन
ु बन
गया
है
और
मे
रे
सब
मनोरथ
स ध
हो
गए
ह ''
।
ी
गुबोले अगर
'' मतुहारे
साथ
चलँ
ग
ूा
तो ा मण
के
न यसंकार
नह ं
कर
पाउँ
गा।
इस लए
मआगे जाऊँ
गा
और
तम मझ
ु ुे
मलने पाप
वनाशी
आओ''
।
येकहकर ी
गु
अ तधान
हो
गए।
पाप
वनाशी
म ी
गु
केदशन
कर
के
राजा
नेफर
उ हमहल
चलने का
आ ह कया।
नगर
को
सजाया
गया
वा य
यं
के
साथ ी
गुको
पालक
मलाया
गया।
लोग
नेनौ
115
र न
को
उनकेसर
पर
वारा
और
आरती क।यवन ने राजा
को
कोसा
क तु ा मण बहु
त
स न
थे ।
महल
म ी गु का
खबूस कार कया गया। राज
प रवार
ने ी गुका
आशीवाद ा त
कया
। ी
गुनेराजा
से
पछ
ुा '' या
तुहार इ छा
अब परू
हुई ?''
राजा
बोला ''
म
ने
राजसी
सख
ुको
भोग
लया
है
अब
आपक
से
वा
करना
चाहता
हू
ँ ।
''
ी
गु नेउसे
ीशै
लआने
क
आ ा
द
और
ना सक
चले
गए।
गौतमी
म नान
करके
वे
गं
गापरु
लौट
गए।
ी
गु नेसब
श य
को
बल
ुाकर
कहा ''
अगर
मयहाँ
रहा
तो
राजा
और
उसके
लोग
रोज़
आकर मझ
ुेपीड़ा
दगे
।
भ त केसाथ
ढ गी
भी
आयगेइस लए
अब मगुत प
से
ीशै
ल म
रहना
चाहता
हू
ँक तु
गं
गापरु
मभी
सदा नवास
क ँ
गा।
०-
-
अ याय -
३५
ी
गु
क ीशै
ल
या ा
सभी श य ने
ी
गु
से
पछ
ुा ''
आप
ह
हमार
अमूय
न ध
ह।
फर
हम
छोड़कर
आप य
जा
रहे
ह ?''
ी
गु मुकु रा
कर
बोले तम
'' ुलोग
चं तत मत
होना।
मगु त प
से यहाँ
पर
सदा
नवास
क ँ
गा। ातःकाल हर दन अमरजा
सगंम म नान क ँगा, म या न को
गं
गापरु
मठ
म
नगणु पजूा वीकार क ँ गा
और
भ त को
दशन दंग
ूा
।
केवल ढ गी
लोग
सेदरू
रहनेके
लए
म ीशै ल जा
रहा
हूँ
।मन
म ज़रा
भी
सद
ंे
ह मत लाना ,
गं
गापरुममसदै
व नवास
क ं
गा''
।
ये
आ वासन
देकर ी
गुीशैल क
ओर
चलेगए।
भ त कुछ
दरू
तक
उनके
साथ
गए।
जब
वो
वा पस
आये तो
मठ
म ी
गु
को
दे
खकर
च कत
रह
गए।
कु
छदे
र
के
बाद ी
गु
अ तधान हो
गए।
सबनेी
गु
का
एक
और
चम कार
दे
खा।
ीगुीशैलकेतल पर
बहती
पातळ
गंगा
गए
।
उ ह नेभ त
को
फू
ल
का
आसन
बनाने
को
कहा
और बोले इस
'' पर
बठ
ैकर मनद क
दसूर ओर
जाऊं
गा और
मि लकाजन
ुके
दशन क ँ
गा''
।
भ त नेकद ल
प पर
शवेत
ंी,
कमल,
मालती,
क हे
रआद पुप
से
सुदर
आसन तय
ैार कया
और नद तट
पर
लगा दया।
116
ी
गुमाघ मास के कृण प म
शुवार वालेदन
संया को
जब गु क या रा श
म था,
उस पुपआसन पर बठैकर चलेगए। थान
करने से
पहले
वे
बोले
म
'' ऐसे थान पर जा
रहा
हू
ँजहाँ
पर
आनं द होगा
।
वहां
पहु
ँ
च कर
म तुहारेलए
पु प भेट मभेजगं
ूा
िजसे तम
ु
सब आपस मबाँटले ना।
तमुरोज़
उनक पज
ूा
करना
।गायन मझुे य है जो
, भ त मे र
म हमा का
गणुगान करगे म
उनके
पास सदा
रहू
ँ
गा।
उ ह सब सखु क ाि त होगी''
।ये
कहकर ी गुअ तधान हो
गए।
थोड़ी
देर
बाद
कुछना वक नद क दसूर ओर से आये
।
उ ह नेबताया ''
हमने नद
केउस
पार
एक स यासी को
हाथ
मडडंा
ले कर
देखा।
उनके परै
मसोने क
पादक
ुाएं थीं
।उ ह नेअपना
नाम नर संहसर वती बताया। उ ह ने आपके
लए
एक स देश दया है म
'' कद ल वन
जा
रहा
हू
ँक तु गं
गापरुमसदा रहूँ
गा।
येफू
ल तुहारे
लए भे
जरहा
हू
ँ
।इ ह आपस मबाँ
टलो''
।सबने दे
खा
थोड़ी
दे
रबाद चार फूल पानी
मबहते
हु
ए आये िज ह
सयमदे व, नद
ं,
नरहर और मने स ध
( मुन) लए। ये ह
वो
पु प है ,
नामधारक को स ध मु नने दखाया।
श द ी गु क
म हमा
का
गण
ुगान
करने म
असमथ ह। ी
गुका
जीवन
अथाह
समुक
तरह
हैमने
तुहे
उसका
कुछ भाग
सन
ुाया
है
।जो
इ ह
सनुगे,पढगे या
लखगेउ ह
सब
सख
ु
ा तह गे।अमतृस श ी गुक जीवन गाथा
के
पठन से चार
पुषाथ
और
परमाथ
क
ाि त
होगी।
०-
-
अ याय -
३६
उपसं
हार
ीगुचर का वण
करने के
बाद
नामधारक न पहृहोकर गर
पड़ा
और
समाधी मचला
गया।
उसके शर र
सेपसीना
बहनेलगा,
गला ंधगया
और आखँ सेअ ध
ुारा
बहने लगी
।
वो
मखुसेएक
श द भी
नह ंबोल
पाया। ी
स ध उसक येि थ त
दे
ख कर
बड़े स न हुए
और इस कार उसे समाधी
मल । समाधी ा त होना
सौभा य
था क तु जन हत
केलए
उसे जगाना
भी
आव यक था।
इस लए स ध मुनने उसके
शर र
पर े
मसे हाथ
फेर
कर
उसे बल
ुाया '' य श य होश
मआओ। तुहेानोदय हु
आ हैऔर
आगे चल
कर
मो क
ाि त
भी
होगी। तम
ुइस कार यान म ह
रहोगेतो
लोग को
कस कार जागत करोगे
ृ ?
तम
ुने मझ
ुे ी
गु चर सनुानेको
कहा और मने सन
ुाया।
अब
तुहे इसे
जन
जन तक
पहुं
चाना
है
''
117
नामधारक नेी
गुकेचरण पर
सर रख
कर ाथना क ''
आप वयंी गु
का प ह।
आपने ी
गुचर सनुाकर मझुपर
उपकार कया
है क तु मे
र
तृणा
तृ त
नह ं
हु
यी
है
।
कृ
पया
मझुे ी
गुचर एक बार फर
से सन
ुाइए ''
।स ध मुननेी
गुचर का
सारां
शनामधारक को
दोबारा
सन
ुाया
। ी
गुअ तधान हो
गए
क तु वो
आज
भी
अपने
स चेभ त
को
दशन दे
तेह।
नामधारक
ने
पछ
ुा ''
कृ
पया
मझ
ुेी
गुच र
केस ताह
पारायण
क
व ध
बताएं ।
''
नामधारक
ने
एक
बार
फर
से
ी
स ध
मुन
का
आभार
य त
कया
।
भगवान ्
ी
द ा य
ेको
सम पत !
ॐ
तत
सत ्
।
श कोष
118
श द अथ
अ वथ - पीपल
औद ुबरु- बरगद
नामधारक स ध मु
न का श य
स ध मु
न ी गु नर सं
ह सर वती के
श य
मानसपु मन क शि त सेसिृ
जत पु
आ म लं
ग आ मा का एक प
सूत ऋ वे
द म क तु
त
अि नमीले- ऋ वे
द का एक म
यजव
ुद इशे
वा यजव
ुद का एक म
अि न आयाह सामवे
द का एक म
चतम
ुास संक प स या सय वारा एक थान
पर चार माह रहकर अ हं
सा पालन का त
समाराधन - ा मण भोज
वै
वदे
व अि नदे
व को खा या न अपण
अपो ह त मं शुध का मं
119
सव ी सा नाथापनाम तु
ले
खका का प रचय
120
-0-
121