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ऋ वेद
सं कृत सा ह य काशन
© १९७९
सं कृत सा ह य काशन
सं करण : २०१६
ISBN : 978-93-5065-223-7
VP : 1750.5H16*
सं कृत सा ह य काशन के लए
व बु स ाइवेट ल.
एम-१२, कनाट सरकस, नई द ली-११०००१
ारा वत रत
अपनी बात
थम मंडल
सू वषय मं सं.
१. अ न का वणन एवं तु त १-९
तु त, धन ा त १-३
दे वता को तृ त करना, यशोगान, क याणकारी, नम कार ४-७
कमफलदातृ, ाथना ८-९
२. वायु, इं , व ण आ द क तु त १-९
आ ान, तु त, शंसा १-३
अ क ा त, आ ान ४-८
बल व कम हेतु ाथना ९
३. अ नीकुमार क तु त १-१२
पालक, बु मान्, श ुनाशक १-३
सोमपान हेतु आ ान ४-५
अ वीकार हेतु ाथना ६
व ेदेवगण का आ ान ७-९
सर वती का आ ान, ध यवाद, तु त १०-१२
४. इं का वणन एवं तु त १-१०
आ ान, गाय क तु त, आ ान, शरण १-४
दे श नकाला, कृपा ५-६
सोमरस सम पत ७
इं क तु त ८-१०
तीय मंडल
सू वषय मं सं.
१. अ न क तु त १-१६
पालक, गृहप त, व णु १-३
र क, दानदाता, श शाली, य क ा ४-६
र नधारक, तेज वी, पालक, क याणक ा, श ुनाशक ७-९
वभु, ह दाता १०-११
ल मी का वास १२
जह्वा का नमाण १३
वृ , लता आ द म रहना, मलना-अलग होना, गोदाता १४-१६
२. अ न का वणन १-१३
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तृतीय मंडल
सू वषय मं सं.
१. अ न क तु त १-२३
वाहक, स मधा, उ म बंधु, बढ़ाना, शु , धारण करना १-६
माता- पता-धरती, आकाश, करण, जल बहाना, लोकपोषण, शयन,
काशमान ७-१२
ज म, बढ़ना, तेज, तु त, य , अनु ह, होता, भू म याचना १३-२३
२. अ न का वणन १-१५
सं कार, पूजन, तु त, हतकारक, य मंडप, अ न, अ ाथ जाना, ाता, चार ओर
जाने वाले, जा वामी १-१०
गरजना, वगारोहण, धन-अ याचना ११-१५
३. अ न का वणन १-११
षत न करना, ेरणा, सुख चाहना १-३
चतुथ मंडल
सू वषय मं सं.
१. अ न एवं व ण क तु त १-२०
ेरक, से , ाता, द तशाली, पूजनीय, आ ान १-७
वालाएं, उ रवेद , सचन, े , तु त, अं गरा का य फलदाता, उद्घाटन ८-१५
उषा, ऊपर प ंचना, गोधन, तु त, पूजनीय १६-२०
२. अ न क तु त १-२०
थापना, दशनीय, तु त, आ ान, ह अ , र क दानी, स करना, सेवा १-९
होता, छांटना, मेधावी, धन मांगना १०-१३
अर ण मंथन, द त यु , गाएं नकालना, गोधन, संप , अ न धारण,
वरे य १४-२०
३. अ न क तु त १-१६
य वामी, तय करना, तो , कारण पूछना, फलदाता, कहानी, स य प १-८
ध याचना, सव जाना, पहाड़ उखाड़ना, न दय का बहना, कु टलबु , उ त
पंचम मंडल
सू वषय मं सं.
स तम मंडल
सू वषय मं सं.
१. अ न क तु त १-२५
अर ण, पूजनीय, वालायु , संतानदाता कुशल, पु -पौ वाला धन मांगना, रा स
को जलाना, स होना, आ ान १-९
तु त १०
जायु घर, र ाथ आ ह ११-१३
सेवा करना, र क प र मा १४-१६
धन वामी होने क कामना, ह , स ययु १७-१९
अ दे न,े सहायक बनने, मृ यु से छु ड़ाने हेतु ाथना, धनी होना, पूण आयु वाला होने
अ म मंडल
सू वषय मं सं.
१. इं क तु त १-३४
अ भलाषा, श ुनाशक, र ाथ तु त, वप यां पार करना, व धारक, १-६
गान, श ुनग रयां तोड़ना, शी गामी घोड़े, गाय क तु त, आ मण हेतु जाना ७-११
सुधारना, व धारी, वृ हंता, स करना, कामना, जल हना १२-१७
८९. इं क तु त १-१२
श ुजेता, भाग रखना, नेम ऋ ष, बढ़ाना, रोना, कट करना, शरभ, व मारना, सोम
लाना, व ा त १-९
जल हना, वाणी क उ प , परा म दखाने क ाथना १०-१२
९०. म , व ण, अ नीकुमार एवं सूया क तु त १-१६
ह व बनाना, कम करना, दे व त, नशीला सोम, र ा याचना, शंसा करने का आ ह,
थान दे खना, आ ान १-८
न त करना, ह ले जाना, शंसा उपदे शक, उषा का दखाई दे ना, थत होना,
गोवध न करने का आ ह, द तशाली ९-१६
९१. अ न का वणन व तु त १-२२
अ दे ना, द तशाली, अ तशय युवा, बुलाना, आ ान, सागरवासी, नकट आने व
क को बढ़ाने का आ ह, आ ान, यश वी, व लत होना, तोता १-१२
सेवा करना, अ न म जल का होना, र ायु होना, आ ान, अ न क उ प , दे व
का चार ओर बैठना, धारण करना १३-१९
लक ड़यां धारण, काठ, बढ़ाना २०-२२
९२. अ न व म द्गण क तु त १-१४
तु तय का जाना, वग म रहना, कांपना, वीरपु मलना, श ु का अ न करना,
पा मलना, दशनीय, दाता े , यशदाता १-९
अ त य, धन न लाना, तुत, तु त, सोमपान हेतु ाथना १०-१४
नवम मंडल
सू वषय मं सं.
१. सोम क तु त १-१०
सोम नचोड़ना, बैठना, अ तशय दाता, बल व अ मांगना, सेवा करना, दशाप व
दस उंग लयां, तीन जगह, रहना, शु , धन ा त १-१०
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दशम मंडल
सू वषय मं सं.
१. अ न क तु त १-७
पूण करना, म थत, त ऋ ष, सेवा, य ापक, ना भ, व तारक १-७
२. अ न क तु त व वणन १-७
े होता, मेधावी, ाता, धनी, य क ा, ापक, उ प १-७
३. अ न का वणन व तु त १-७
भयानक, चमकना, जाना, स होना, ा त करना, ेतवण, आ ान १-७
४. अ न क तु त १-७
सुखद, घूमना, धारण, नवास, स करना, मथना, बु मान् १-७
५. अ न का वणन १-७
धनधारक, र ा करना, बढ़ाना, सेवा १-४
शं सत, जलवास, उ प ५-७
६. अ न का वणन व तु त १-७
बढ़ना, अजेय, ग तशील, तेज चलना, तु त, संप थान, अनुगमन १-७
७. अ न का वणन व तु त १-७
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थम मंडल
सू —१ दे वता—अ न
सू —२ दे वता—वायु आ द
सू —३ दे वता—अ नीकुमार
सू —४ दे वता—इं
सू —५ दे वता—इं
सू —७ दे वता—इं
सू —८ दे वता—इं
सू —९ दे वता—इं
सू —१० दे वता—इं
सू —११ दे वता—इं
सू —१३ दे वता—अ न आ द
सू —१४ दे वता—अ न
सू —१५ दे वता—ऋतु आ द
सू —१६ दे वता—इं
सू —२० दे वता—ऋभुगण
सू —२३ दे वता—वायु आ द
सू —२४ दे वता—अ न आ द
सू —२५ दे वता—व ण
सू —२६ दे वता—अ न
सू —२७ दे वता—अ न
सू —२८ दे वता—इं आ द
सू —२९ दे वता—इं
य च स य सोमपा अनाश ता इव म स.
आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (१)
हे इं ! तुम सोमपानक ा एवं स यवाद हो. हम कोई स नह ह. हे अनंत
धनशाली इं ! हम सुंदर और अग णत गाय और अ ारा उ म धनवान् बनाओ. (१)
श वाजानां पते शचीव तव दं सना.
आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (२)
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सू —३० दे वता—इं
सू —३१ दे वता—अ न
सू —३२ दे वता—इं
सू —३३ दे वता—इं
सू —३६ दे वता—अ न
सू —४० दे वता— ण पत
सू —४१ दे वता—व ण आ द
सू —४२ दे वता—पूषा
सू —४३ दे वता— आद
सू —४४ दे वता—अ न आ द
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सू —४५ दे वता—अ न
वम ने वसूँ रह ाँ आ द याँ उत. यजा व वरं जनं मनुजातं घृत ुषम्.. (१)
हे अ न! तुम इस अनु ान म वसु , और आ द य का यजन करो. तुम शोभन
य करने वाले, जाप त मनु ारा उ पा दत एवं जल स चने वाल क भी अचना करो. (१)
ु ीवानो ह दाशुषे दे वा अ ने वचेतसः.
तान् रो हद गवण य ंशतमा वह.. (२)
हे अ न! वशेष बु वाले दे वता ह दे ने वाले यजमान को फल दे ते ह. हे रो हत अ
के वामी एवं तु तपा अ न! तुम ततीस दे व को यहां ले आओ. (२)
यमेधवद व जातवेदो व पवत्.
अ र वम ह त क व य ध ु ी हवम्.. (३)
हे अनेक कम करने वाले एवं सव अ न! यमेधा, अ , व प और अं गरा नामक
ऋ षय के समान क व क पुकार भी सुनो. (३)
म हकेरव ऊतये यमेधा अ षत.
राज तम वराणाम नं शु े ण शो चषा.. (४)
ौढ़कमा एवं य य से सुशो भत ऋ षय ने अपनी र ा के लए य के म य शु
काश ारा चमकने वाले अ न का आ ान कया था. (४)
घृताहवन स येमा उ षु ुधी गरः.
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सू —४८ दे वता—उषा
सू —४९ दे वता—उषा
सू —५० दे वता—सूय
सू —५१ दे वता—इं
सू —५२ दे वता—इं
सू —५३ दे वता—इं
सू —५४ दे वता—इं
सू —५५ दे वता—इं
दव द य व रमा व प थ इ ं न म ा पृ थवी चन त.
भीम तु व मा चष ण य आतपः शशीते व ं तेजसे न वंसगः.. (१)
इं का भाव आकाश क अपे ा अ धक व तृत है. पृ वी भी इं क मह ा क
समानता नह कर सकती. श ु के लए भयंकर एवं बु मान् इं अपने भ जन के
न म श ु को संताप दे ते ह. जैसे सांड़ यु के लए अपने स ग तेज करता है, उसी
कार इं अपने व को तेज करने के लए रगड़ते ह. (१)
सो अणवो न न ः समु यः त गृ णा त व ता वरीम भः.
इ ः सोम य पीतये वृषायते सना स यु म ओजसा पन यते.. (२)
आकाश म ा त इं र तक फैले ए जल को उसी कार हण कर लेते ह, जस
कार सागर वशाल जलरा श को अपने म समेट लेता है. इं सोमरस पीने के लए बैल के
समान दौड़ कर जाते ह एवं वे महान् यो ा चरकाल से अपने वृ वधा दकम क शंसा
चाहते ह. (२)
वं त म पवतं न भोजसे महो नृ ण य धमणा मर य स.
वीयण दे वता त चे कते व मा उ ः कमणे पुरो हतः.. (३)
सू —५७ दे वता—इं
सू —५८ दे वता—अ न
सू —५९ दे वता—अ न
सू —६० दे वता—अ न
सू —६१ दे वता—इं
सू —६२ दे वता—इं
सू —६३ दे वता—इं
सू —६५ दे वता—अ न
सू —६६ दे वता—अ न
सू —६७ दे वता—अ न
सू —६८ दे वता—अ न
सू —६९ दे वता—अ न
सू —७० दे वता—अ न
सू —७१ दे वता—अ न
सू —७२ दे वता—अ न
सू —७३ दे वता—अ न
सू —७४ दे वता—अ न
सू —७५ दे वता—अ न
सू —७६ दे वता—अ न
सू —७७ दे वता—अ न
सू —७८ दे वता—अ न
सू —७९ दे वता—अ न
सू —८० दे वता—इं
सू —८२ दे वता—इं
सू —८३ दे वता—इं
सू —८४ दे वता—इं
सू —९१ दे वता—सोम
सू —९४ दे वता—अ न
सू —९५ दे वता—अ न
सू —९६ दे वता—अ न
सू —९७ दे वता—अ न
सू —९८ दे वता—अ न
सू —९९ दे वता—अ न
सू —१०० दे वता—इं
सू —१०१ दे वता—इं
सू —१०२ दे वता—इं
सू —१०३ दे वता—इं
सू —१०४ दे वता—इं
इ ं म ं व णम नमूतये मा तं शध अ द त हवामहे.
रथं न गा सवः सुदानवो व मा ो अंहसो न पपतन.. (१)
हम र ा के लए इं , म , व ण, अ न, म द्गण एवं अ द त को बुलाते ह.
नवास थान दे ने वाले शोभनदानयु दे व पाप से बचाकर हमारा उसी कार पालन कर,
सू —१०८ दे वता—इं और अ न
सू —१०९ दे वता—इं और अ न
व यं मनसा व य इ छ ा नी ास उत वा सजातान्.
ना या युव म तर त म ं स वां धयं वाजय तीमत म्.. (१)
हे इं और अ न! धन क कामना करता आ म तु ह जा त या बंधु के समान समझता
.ं मेरी उ म बु तु हारे अ त र कसी अ य क द ई नह है. उसी बु से मने तु हारी
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सू —११० दे वता—ऋभुगण
सू —१११ दे वता—ऋभुगण
सू —११३ दे वता—उषा और रा
सू —११४ दे वता—
सू —११५ दे वता—सूय
च ं दे वानामुदगादनीकं च ु म य व ण या नेः.
आ ा ावापृ थवी अ त र ं सूय आ मा जगत थुष .. (१)
म , व ण एवं अ न के च ,ु करण के समूह एवं आ यकारी सूय उदय ए ह.
उ ह ने धरती, आकाश एवं दोन के म य भाग को तेज से पूण कया है. वे जंगम एवं थावर
के व प ह. (१)
सू —१२१ दे वता—इं
सू —१२३ दे वता—उषा
सू —१२४ दे वता—उषा
सू —१२५ दे वता—दान
सू —१२६ दे वता—भावय आद
सू —१२७ दे वता—अ न
सू —१२८ दे वता—अ न
सू —१२९ दे वता—इं
यं वं रथ म मेधसातयेऽपाका स त म षर णय स ानव नय स.
स म भ ये करो वश वा जनम्.
सा माकमनव तूतुजान वेधसा ममां वाचं न वेधसाम्.. (१)
हे य गामी एवं अ न दत इं ! य लाभ के लए तुम अ धक ानसंप यजमान के
पास जाते हो और धन, व ा आ द से उसे उ त बनाते हो. उसे तुरंत सफल-मनोरथ एवं
अ यु कर दो. हे इं ! तुम सम त पुरो हत म उ म हो. जस शी ता से तुम हमारी तु त
वीकार करते हो, उसी शी ता से हमारे ारा दया आ ह व भी हण करो. (१)
स ु ध यः मा पृतनासु कासु च ा य इ भर तये नृ भर स तूतये नृ भः.
यः शूरैः व१: स नता यो व ैवाजं त ता.
तमीशानास इरध त वा जनं पृ म यं न वा जनम्.. (२)
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सू —१३० दे वता—इं
सू —१३१ दे वता—इं
सू —१३२ दे वता—इं
वया वयं मघव पू धन इ वोताः सास ाम पृत यतो वनुयाम वनु यतः.
ने द े अ म ह य ध वोचा नु सु वते.
अ म य े व चयेमा भरे कृतं वाजय तो भरे कृतम्.. (१)
हे सुख वामी इं ! य द तुम हमारी र ा करोगे तो हम बल सेना वाले श ु को भी
हरा दगे. जो श ु हम मारने के लए त पर ह गे, उन पर हम हार करगे. पूव धन से यु
इस नकटवत यह म ह व दे ने वाले यजमान से बार-बार कहो, यु म वजय पाने वाले
तु हारे उ े य से हम ह व प अ लाते ह. (१)
वजषे भर आ य व म युषबुधः व म स ाण य व म स.
अह ो यथा वदे शी णाशी ण पवा यः.
अ म ा ते स यक् स तु रातयो भ ा भ य रातयः.. (२)
जो वीर पु ष यु म मारे जाते ह, उ ह इं वग दे ते ह. यु वग ा त का न कपट
माग है. इं ऐसे यु के आगे रहते ह एवं जो य क ा ातःकाल जागते ह, उनके श ु का
सू —१३३ दे वता—इं
सू —१३४ दे वता—वायु
सू —१३५ दे वता—वायु
सू —१३७ दे वता— म और व ण
सू —१३८ दे वता—पूषा
सू —१४० दे वता—अ न
सू —१४१ दे वता—अ न
सू —१४२ दे वता—अ न
सू —१४३ दे वता—अ न
सू —१४५ दे वता—अ न
सू —१४६ दे वता—अ न
सू —१४७ दे वता—अ न
सू —१४८ दे वता—अ न
सू —१४९ दे वता—अ न
सू —१५० दे वता—अ न
सू —१५१ दे वता— म व व ण
सू —१५२ दे वता— म व व ण
सू —१५३ दे वता— म व व ण
सू —१५४ दे वता— व णु
सू —१५५ दे वता—इं व व णु
सू —१५६ दे वता— व णु
सू —१६१ दे वता—ऋभु
सू —१६२ दे वता—अ
सू —१६३ दे वता—अ
सू —१६५ दे वता—इं
सू —१६९ दे वता—इं
सू —१७० दे वता—इं
न नूनम त नो ः क त े द यद तम्.
अ य य च म भ स चरे यमुताधीतं व न य त.. (१)
इं ने कहा—“आज या कल वा तव म कुछ नह है. जो काय व च है, उसे कौन
जानता है? अ य लोग का मन इतना चंचल होता है क वे जो भी पढ़ते ह, सो भूल जाते ह.”
(१)
क न इ जघांस स ातरो म त तव.
ते भः क प व साधुया मा नः समरणे वधीः.. (२)
अग य बोले—“हे इं ! तुम या मुझे मारना चाहते हो? अपने ाता म त के साथ
जाकर भली कार य के भाग का भोग करो. सं ाम म हमारी ह या मत करना.” (२)
क नो ातरग य सखा स त म यसे.
व ा ह ते यथा मनोऽ म य म द स स.. (३)
इं बोले—“हे भाई अग य! तुम म होकर हमारा अपमान य कर रहे हो? तु हारे
मन म जो बात है, उसे हम जानते ह. तुम हम ह दे ना नह चाहते हो.” (३)
अरं कृ व तु वे द सम न म धतां पुरः. त ामृत य चेतनं य ं ते तनवावहै.. (४)
हे ऋ वजो! तुम वेद को अलंकृत करो एवं हमारे सामने अ न को जलाओ. हम और
तुम उस अ न म अमृत क सूचना दे ने वाला यह करगे.” (४)
वमी शषे वसुपते वसूनां वं म ाणां म पते धे ः.
इ वं म ः सं वद वाध ाशान ऋतुथा हव ष.. (५)
अग य ने कहा—“हे धन के अ धप त, म के म , सबके वामी एवं आ य इं !
तुम म त से कहो क हमारा य पूरा हो गया है. तुम ठ क समय पर आकर हमारा ह
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सू —१७३ दे वता—इं
सू —१७४ दे वता—इं
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सू —१७५ दे वता—इं
सू —१७६ दे वता—इं
म स नो व यइ य इ म दो वृषा वश.
ऋघायमाण इ व स श ुम त न व द स.. (१)
हे सोम! तुम हमारी धन ा त के लए इं को स करो एवं कामवष इं के भीतर
वेश करो. तुम श ु क हसा करते ए उ ह घेर लेते हो. कोई भी श ु तु हारे समीप नह
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सू —१७७ दे वता—इं
सू —१७८ दे वता—इं
सू —१७९ दे वता—र त
सू —१८८ दे वता—आ य (अ न)
सू —१८९ दे वता—अ न
सू —१९० दे वता—बृह प त
सू —१९१ दे वता—जल आ द
सू —१ दे वता—अ न
वम ने ु भ वमाशुशु ण वमद् य वम मन प र.
वं वने य वमोषधी य वं नृणां नृपते जायसे शु चः.. (१)
हे मनु य के पालक एवं प व अ न! तुम य के दन जल, पाषाण, वन एवं
ओष धय से द तशाली प म उ प हो जाओ. (१)
तवा ने हो ं तव पो मृ वयं तव ने ं वम न तायतः.
तव शा ं वम वरीय स ा चा स गृहप त नो दमे.. (२)
हे अ न! य के होता, पोता, ऋ वज् और ने ा जो कम करते ह, वह तु हारा है. तुम
अ नी हो. य क इ छा करने पर तुम शा ता का काम भी करने लगते हो. तु ह अ वयु
एवं ा हो. मेरे इस य गृह म तु ह गृहप त हो. (२)
वम न इ ो वृषभः सताम स वं व णु गायो नम यः.
वं ा र य वद् ण पते वं वधतः सचसे पुर या.. (३)
हे अ न! स जन क मनोकामना पूण करने के कारण तुम इं हो. तु ह ब त से
भ ारा तुत एवं नम कार करने यो य व णु हो. तुम मं के पालक एवं धन के ाता
ा हो. तुम व वध पदाथ का नमाण करते एवं सबक बु य म नवास करते हो. (३)
वम ने राजा व णो धृत त वं म ो भव स द म ई ः.
वमयमा स प तय य स भुजं वमंशो वदथे दे व भाजयुः.. (४)
हे अ न! तुम तधारी राजा व ण एवं तु तयो य श ुनाशक म हो. तु ह स जन
के र क एवं ापक दान वाले अयमा तथा अंश अथात् सूय हो. तुम सभी का य सफल
बनाओ. (४)
वम ने व ा वधते सुवीय तव नावो म महः सजा यम्.
वमाशुहेमा र रषे व ं वं नरां शध अ स पु वसुः.. (५)
सू —२ दे वता—अ न
सू —३ दे वता—अ न
सू —४ दे वता—अ न
सू —५ दे वता—अ न
सू —६ दे वता—अ न
सू —७ दे वता—अ न
सू —८ दे वता—अ न
सू —९ दे वता—अ न
सू —१० दे वता—अ न
सू —११ दे वता—इं
सू —१२ दे वता—इं
सू —१३ दे वता—इं
सू —१४ दे वता—इं
सू —१५ दे वता—इं
सू —१६ दे वता—इं
सू —१७ दे वता—इं
सू —१८ दे वता—इं
सू —१९ दे वता—इं
सू —२० दे वता—इं
सू —२१ दे वता—इं
क केषु म हषो यवा शरं तु वशु म तृप सोमम पब णुना सुतं यथावशत्.
स ममाद म ह कम कतवे महामु ं सैनं स े वो दे वं स य म ं स य इ ः.. (१)
पू य, परम श शाली एवं सबको तृ त करने वाले इं ने पूवकाल म क ई कामना
के अनुसार जौ के स ु से मला आ सोमरस व णु के साथ पया. महान् सोमरस ने इं
को महान् कम करने क ेरणा द . स य एवं द त सोमरस स चे एवं द त इं को ा त
करे. (१)
अध वषीमाँ अ योजसा व युधाभवदा रोदसी अपृणद य म मना वावृधे.
अध ा यं जठरे ेम र यत सैनं स े वो दे वं स य म ं स य इ तुः.. (२)
इं ने अपने बल से क व असुर को यु के ारा परा जत एवं धरती-आकाश को चार
ओर से पूण कया. इं पए ए सोमरस के बल से वृ ा त करते ह. इं ने आधा सोम
अपने पेट म रख लया और आधा अ य दे व म बांट दया. स य एवं द त सोमरस स चे तथा
द त इं को ा त करे. (२)
साकं जातः तुना साकमोजसा वव थ साकं वृ ो वीयः सास हमृधो वचष णः.
दाता राधः तुवते का यं वसु सैनं स े वो दे वं स य म ं स य इ ः.. (३)
हे इं ! तुम य के साथ उ प ए हो एवं अपनी श से व को वहन करना चाहते
हो. तुमने वीर कम से वृ ा त करके हसक को हराया एवं भले-बुरे का वचार कया.
तुम तु तक ा को मनोवां छत धन दो. स य एवं द त सोमरस स चे एवं तेज वी इं को
ा त करे. (३)
तव य य नृतोऽप इ थमं पू द व वा यं कृतम्.
य े व य शवसा ा रणा असुं रण पः.
भुव म यादे वमोजसा वदा ज शत तु वदा दषम्.. (४)
हे सबको नचाने वाले इं ! तु हारे ारा ाचीन समय म कया गया मानव हतसाधक
कम वग म स आ, तुमने अपने बल से वृ असुर के ाण हरण करके उसके ारा
रोका आ जल वा हत कया. इं ने अंधकार प से सम त व को ा त करने वाले
असुर को अपने बल से न कया. वे शत तु इं अ एवं ह ा त कर. (४)
सू —२४ दे वता—बृ ण प त
सू —२५ दे वता— ण पत
सू —२६ दे वता— ण पत
सू —२८ दे वता—व ण
सू —३० दे वता—इं आ द
सू —३३ दे वता—
सू —३५ दे वता—अपांनपात् (अ न)
सू —३६ दे वता—इं आ द
सू ४० दे वता—सोम व पूषा
सू ४१ दे वता—इं , वायु आ द
सू —१ दे वता—अ न
सू —२ दे वता—वै ानर अ न
सू —३ दे वता—वै ानर अ न
सू —४ दे वता—आ य
सू —५ दे वता—अ न
सू —६ दे वता—अ न
सू —७ दे वता—अ न
सू —९ दे वता—अ न
सू —१० दे वता—अ न
सू —११ दे वता—अ न
सू —१३ दे वता—अ न
सू —१४ दे वता—अ न
सू —१५ दे वता—अ न
सू —१६ दे वता—अ न
सू —१७ दे वता—अ न
सू —१८ दे वता—अ न
सू —१९ दे वता—अ न
सू —२० दे वता—अ न
सू —२१ दे वता—अ न
सू —२३ दे वता—अ न
सू —२४ दे वता—अ न
सू —२५ दे वता—अ न
सू —२६ दे वता—अ न
सू —२७ दे वता—अ न
सू —२८ दे वता—अ न
सू —२९ दे वता—अ न
सू —३० दे वता—इं
सू —३१ दे वता—इं
सू —३२ दे वता—इं
सू —३३ दे वता—इं
सू —३४ दे वता—इं
सू —३५ दे वता—इं
सू —३६ दे वता—इं
सू —३७ दे वता—इं
सू —३८ दे वता—इं
सू —३९ दे वता—इं
सू —४० दे वता—इं
सू —४१ दे वता—इं
आ तू न इ म य
् घुवानः सोमपीतये. ह र यां या वः.. (१)
हे व धारी इं ! होता ारा बुलाए ए तुम ह र नामक घोड़ क सहायता से सोम
पीने के लए मेरे य म मेरे सामने ज द आओ. (१)
स ो होता न ऋ वय त तरे ब हरानुषक्. अयु ातर यः.. (२)
हे इं ! हमारे य म तु ह बुलाने के लए होता ठ क समय पर बैठ चुका है. कुश को
एक- सरे से मलाकर बछाया गया है एवं ातःसवन म सोम नचोड़ने के लए प थर एक-
सरे से मल गए ह. (२)
इमा वाहः य त आ ब हः सीद. वी ह शूर पुरोळाशम्.. (३)
हे तु तय ारा मलने वाले इं ! तु हारे लए ये तु तयां क जा रही ह. तुम इन
कुशा पर भली कार बैठो. हे शूर! इस पुरोडाश को खाओ. (३)
रार ध सवनेषु ण एषु तोमेषु वृ हन्. उ थे व गवणः.. (४)
हे तु तय ारा शंसनीय एवं वृ हंता इं ! हमारे ारा बोले गए तीन तो एवं
उ थ म रमण करो. (४)
मतयः सोमपामु ं रह त शवस प तम्. इ ं व सं न मातरः.. (५)
हे महान्, सोमपानक ा एवं श के वामी इं ! जस कार गाएं बछड़ को चाटती
ह, उसी कार हमारी तु तयां तु ह चाटती ह. (५)
सू —४२ दे वता—इं
सू —४३ दे वता—इं
सू —४५ दे वता—इं
सू —४६ दे वता—इं
सू —४७ दे वता—इं
सू —४८ दे वता—इं
सू —४९ दे वता—इं
सू —५० दे वता—इं
सू —५१ दे वता—इं
सू —५२ दे वता—इं
सू —५९ दे वता— म
सू —६० दे तवा—ऋभुगण
सू —६१ दे वता—उषा
सू —६२ दे वता—इं , व ण आ द
सू —१ दे वता—अ न, व ण
सू -२ दे वता—अ न
सू -३ दे वता—अ न
सू -४ दे वता—अ न
सू -५ दे वता—अ न
सू -६ दे वता—अ न
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सू -७ दे वता—अ न
सू -८ दे वता—अ न
सू -९ दे वता—अ न
सू -१० दे वता—अ न
सू -११ दे वता—अ न
सू —१२ दे वता—अ न
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सू —१४ दे वता—अ न आ द
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सू —१७ दे वता—इं
सू —१८ दे वता—इं
सू —१९ दे वता—इं
सू —२० दे वता—इं
सू —२१ दे वता—इं
सू —२२ दे वता—इं
सू —२३ दे वता—इं
सू —२४ दे वता—इं
सू —२५ दे वता—इं
को अ नय दे वकाम उश य स यं जुजोष.
को वा महेऽवसे पायाय स म े अ नौ सुतसोम ई े .. (१)
आज कौन मानव हतैषी, दे वा भलाषी एवं कामनापूण मनु य इं के साथ म ता करना
चाहता है? सोमरस नचोड़ने वाला कौन सा यजमान अ न व लत होने पर महान् तथा
पार प ंचाने वाले आ य के लए इं क तु त करता है? (१)
सू —२६ दे वता—इं
सू —२९ दे वता—इं
सू —३० दे वता—इं
सू —३२ दे वता—इं
सू —३३ दे वता—ऋभुगण
सू —३४ दे वता—ऋभुगण
सू —३५ दे वता—ऋभुगण
सू —३६ दे वता—ऋभुगण
सू —३७ दे वता—ऋभुगण
सू —३९ दे वता—द ध ा
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सू —४२ दे वता— सद यु आ द
सू —४८ दे वता—वायु
सू —५० दे वता—बृह प त आ द
सू —५१ दे वता—उषा
सू —५२ दे वता—उषा
सू —५७ दे वता— े प त आ द
सू —५८ दे वता—अ न आ द
सू —१ दे वता—अ न
सू —२ दे वता—अ न
सू —३ दे वता—अ न
वम ने व णो जायसे य वं म ो भव स य स म ः.
वे व े सहस पु दे वा व म ो दाशुषे म याय.. (१)
हे अ न! तुम उ प होते ही व ण, (अंधकार नवारक एवं व लत) होकर म
( हतकारी) बन जाते हो. सब दे वगण तु हारे पीछे चलते ह. हे बल के पु ! ह दे ने वाले
यजमान के इं तु ह हो. (१)
वमयमा भव स य कनीनां नाम वधावनगु ं बभ ष.
अ त म ं सु धतं न गो भय पती समनसा कृणो ष.. (२)
हे अ न! तुम क या के लए अयमा ( नयमन करने वाले) बनते हो. हे वधावान्
अ न! तुम ही गोपनीय नाम ‘वै ानर’ धारण करते हो. जब तुम प त-प नी को एक मन
वाला बना दे ते हो, तब वे तु ह म मानकर गाय के ध-घी से स चते ह. (२)
तव ये म तो मजय त य े ज नम चा च म्.
पदं य णो पमं नधा य तेन पा स गु ं नाम गोनाम्.. (३)
हे अ न! तु हारे बैठने के लए म द्गण अंत र को साफ करते ह. हे इं ! तु हारे
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सू —४ दे वता—अ न
सू —५ दे वता—आ ी
सू —६ दे वता—अ न
अ नं तं म ये यो वसुर तं यं य त धेनवः.
अ तमव त आशवोऽ तं न यासो वा जन इषं तोतृ य आ भर.. (१)
सू —७ दे वता—अ न
सू —८ दे वता—अ न
सू —९ दे वता—अ न
सू —१० दे वता—अ न
अ न ओ ज मा भर ु नम म यम गो.
नो राया परीणसा र स वाजाय प थाम्.. (१)
हे अबाध ग त वाले अ न! तुम हमारे लए सबसे उ म धन लाओ. हम सव ात
धन से मलाओ एवं हमारे लए अ पाने का माग बनाओ. (१)
वं नो अ ने अ त वा द य मंहना.
वे असुय१ मा ह ाणा म ो न य यः.. (२)
सू —११ दे वता—अ न
सू —१३ दे वता—अ न
सू —१४ दे वता—अ न
सू —१५ दे वता—अ न
सू —१६ दे वता—अ न
सू —१७ दे वता—अ न
सू —१८ दे वता—अ न
सू —१९ दे वता—अ न
सू —२१ दे वता—अ न
सू —२२ दे वता—अ न
सू —२३ दे वता—अ न
सू —२४ दे वता—अ न
सू —२५ दे वता—अ न
अ छा वो अ नमवसे दे वं गा स स नो वसुः.
रास पु ऋषूणामृतावा पष त षः.. (१)
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सू —२६ दे वता—अ न
सू —२७ दे वता—अ न
सू —२८ दे वता—अ न
सू —३२ दे वता—इं
सू —३३ दे वता—इं
सू —३४ दे वता—इं
सू —३५ दे वता—इं
य ते सा ध ोऽवस इ तु मा भर.
अ म यं चषणीसहं स नं वाजेषु रम्.. (१)
हे इं ! तु हारा अ तशय साधक य कम हमारी र ा करे. वह कम सबको परा जत
करने वाला एवं शु है. यु म सरे उसे नह हरा सकते. (१)
सू —३६ दे वता—इं
सू —३७ दे वता—इं
सू —३८ दे वता—इं
सू —३९ दे वता—इं
सू —६२ दे वता— म व व ण
सू —६३ दे वता— म व व ण
सू —६४ दे वता— म व व ण
सू —६५ दे वता— म व व ण
सू —६६ दे वता— म व व ण
आ च कतान सु तू दे वौ मत रशादसा.
व णाय ऋतपेशसे दधीत यसे महे.. (१)
हे ानी ! तुम शोभन कम वाले एवं श ुनाशक म व व ण को पुकारो तथा
जल प, अ के वामी एवं महान् व ण को ह दो. (१)
ता ह म व तं स यगसुय१ माशाते.
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सू —६७ दे वता— म व व ण
सू —६८ दे वता— म व व ण
सू —६९ दे वता— म व व ण
सू —७० दे वता— म व व ण
सू —७१ दे वता— म व व ण
सू —७२ दे वता— म व व ण
सू —७९ दे वता—उषा
सू —८० दे वता—उषा
सू —८३ दे वता—पज य
सू —८४ दे वता—पृ वी
ब ळ था पवतानां ख ं बभ ष पृ थ व.
या भू म व व त म ा जनो ष म ह न.. (१)
हे महती एवं श शा लनी पृ वी! तुम सभी ा णय को स करती हो एवं धारण
करती हो. (१)
तोमास वा वचा र ण त ोभ य ु भः.
या वाजं न हेष तं पे म य यजु न.. (२)
हे वचरण करने वाली पृ वी! तोता ग तशील तो से तु हारी शंसा करते ह. हे
ेतरंग वाली! तुम घोड़े के समान गरजने वाले बादल को र फकती हो. (२)
हा च ा वन पती मया दध य जसा.
य े अ य व ुतो दवो वष त वृ यः.. (३)
हे पृ वी! तु हारे बादल जब चमकते ए जल बरसाते ह, तब तुम अपनी श ारा
वन प तय को धारण करती हो. (३)
सू —८५ दे वता—व ण
सू —८६ दे वता—इं व अ न
सू —१ दे वता—अ न
सू —२ दे वता—अ न
सू —३ दे वता—अ न
सू —४ दे वता—अ न
सू —५ दे वता—अ न
सू —६ दे वता—अ न
सू —७ दे वता—वै ानर (अ न)
सू —९ दे वता—वै ानर (अ न)
सू —१० दे वता—अ न
सू —११ दे वता—अ न
सू —१२ दे वता—अ न
सू —१३ दे वता—अ न
सू —१४ दे वता—अ न
सू —१५ दे वता—अ न
सू —१६ दे वता—अ न
सू —१७ दे वता—इं
सू —१८ दे वता—इं
सू —१९ दे वता—इं
सू —२० दे वता—इं
सू —२१ दे वता—इं
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सू —२२ दे वता—इं
य एक इ षणीना म ं तं गी भर यच आ भः.
यः प यते वृषभो वृ णयावा स यः स वा पु मायः सह वान्.. (१)
जो एकमा इं जा ारा वप य म बुलाने यो य ह, जो तोता क पुकार
सुनकर दौड़े आते ह, जो कामवष , श शाली, स यभाषी, श ुनाशक, वशाल बु वाले
एवं श ुपराभवकारी ह, उ ह हम इन तु तय ारा बुलाते ह. (१)
तमु नः पूव पतरो नव वाः स त व ासो अ भ वाजय तः
न ाभं ततु र पवते ाम ोघवाचं म त भः श व म्.. (२)
नौ महीने वाला य करने वाले, बु मान्, हमारे स त अं गरा आ द पूव पु ष ने
आ मणकारी श ु का दमन करने वाले, ग तसंप , अ त मणहीन आदे श वाले तथा
पवत पर थत इं को अ का वामी बनाकर तु तयां क . (२)
तमीमह इ म य रायः पु वीर य नृवतः पु ोः.
यो अ कृधोयुरजरः ववा तमा भर ह रवो मादय यै… (३)
हम इं से ब त पु -पौ स हत, अनेक सेवक स हत, व वध पशु से यु , सदा
रहने वाला, नाशर हत एवं सुख दे ने वाला धन मांगते ह. हे ह र नामक घोड़ के वामी इं !
तुम हमारे सुख के लए हम वह धन दो. (३)
त ो व वोचो य द ते पुरा च ज रतार आनशुः सु न म .
क ते भागः क वयो ख ः पु त पु वसोऽसुर नः.. (४)
हे इं ! तु हारे पुराने तोता ने जस सुख को ा त कया था, उसे हम भी बताओ. हे
धर श ु को ःख दे ने वाले ब त ारा बुलाए ए, असुरनाशक एवं अ धक संप वाले
इं ! तु हारे लए कौन सा भाग एवं ह न त कया गया है? (४)
तं पृ छ ती व ह तं रथे ा म ं वेपी व वरी य य नू गीः.
तु व ाभं तु वकू म रभोदां गातु मषे न ते तु म छ.. (५)
य कम करने वाले एवं गुणवणनयु वाणी वाले यजमान व धारी, रथ पर बैठने वाले,
अनेक य को वीकार करने वाले एवं अनेक य के करने हेतु श दे ने वाले इं क पूजा
सू —२३ दे वता—इं
सू —२४ दे वता—इं
सू —२५ दे वता—इं
सू —२६ दे वता—इं
सू —२७ दे वता—इं
सू —२८ दे वता—गो व इं
सू —२९ दे वता—इं
सू —३० दे वता—इं
सू —३१ दे वता—इं
सू —३२ दे वता—इं
सू —३३ दे वता—इं
सू —३४ दे वता—इं
सं च वे ज मु गर इ पूव व च व त व वो मनीषाः.
पुरा नूनं च तुतय ऋषीणां पर पृ इ अ यु थाका.. (१)
हे इं ! तुम म ब त से तु त-वचन मलते ह. तोता क व तृत वचारधाराएं तु ह
से नकलती ह. ाचीन एवं वतमान ऋ षय क तु तयां, मं एवं उपासना इं के वषय म
एक- सरे से बढ़कर ह. (१)
पु तो यः पु गूत ऋ वाँ एकः पु श तो अ त य ैः.
रथो न महे शवसे युजानो ३ मा भ र ो अनुमा ो भूत्.. (२)
हम लोग ब त ारा बुलाए गए, ब त ारा ो सा हत महान्, अ तीय एवं ब त
ारा तुत इं को य ारा स करते ह. इं रथ के समान महान् श ा त करने के
लए हमारे ारा सदा तु त का वषय बन. (२)
न यं हस त धीतयो न वाणी र ं न तीद भ वधय तीः.
य द तोतारः शतं य सह ं गृण त गवणसं शं तद मै.. (३)
सेवाकम एवं तु त-वचन इं को बाधा नह प ंचा सकते. इं क वृ करती ई
तु तयां उनके सामने जाती ह. सैकड़ एवं हजार तोता तु तपा इं क तु त करके उ ह
स करते ह. (३)
अ मा एत १ चव मासा म म इ े यया म सोमः.
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सू —३५ दे वता—इं
सू —३६ दे वता—इं
सू —३७ दे वता—इं
सू —३८ दे वता—इं
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सू —३९ दे वता—इं
सू —४० दे वता—इं
सू —४१ दे वता—इं
सू —४२ दे वता—इं
य मै पपीषते व ा न व षे भर.
अर माय ज मयेऽप ाद्द वने नरे.. (१)
हे अ वयुगण! पीने के इ छु क, सब कुछ जानने वाले, अ धक ग तशील, य म
उप थत रहने वाले, सबसे आगे चलने वाले एवं यु के नेता इं को सोमरस दो. (१)
एमेनं येतन सोमे भः सोमपातमम्. अम े भऋजी षण म ं सुते भ र भः.. (२)
हे अ वयुगण! तुम सोमरस लेकर अ त अ धक सोम पीने वाले इं के पास जाओ. तुम
नचोड़े ए सोम से भरे पा को लेकर श ुंजयी इं के पास जाओ. (२)
यद सुते भ र भः सोमे भः तभूषथ. वेदा व य मे धरो धृष त मदे षते.. (३)
हे अ वयुगण! नचुड़े ए एवं द तशाली सोमरस के साथ तुम इं के सामने जाओ.
मेधावी इं तु हारी सभी इ छाएं जानते ह एवं श ु का नाश करते ए अ भलाषाएं पूरी
करते ह. (३)
सू —४३ दे वता—इं
सू —४४ दे वता—इं
सू —४६ दे वता—इं
सू —४७ दे वता—सोम, पृ वी आ द
सू —४८ दे वता—अ न
सू —५३ दे वता—पूषा
सू —५४ दे वता—पूषा
सू —५५ दे वता—पूषा
सू —५६ दे वता—पूषा
सू —५८ दे वता—पूषा
सू —५९ दे वता—इं व अ न
सू —६० दे वता—इं व अ न
व१ या व गू पु ता तो न तोमोऽ वद म वान्.
आ यो अवाङ् नास या ववत े ा सथो अ य म मन्.. (१)
सुंदर एवं ब त ारा बुलाए गए अ नीकुमार जहां कह रहते ह, वह ह स हत
तो उ ह त के समान ा त ह . इसी तो ने अ नीकुमार को मेरी ओर अ भमुख कया
था. हे अ नीकुमारो! तुम तोता क तु तय पर परम स होते हो. (१)
अरं मे ग तं हवनाया मै गृणाना यथा पबाथो अ धः.
प र ह य तयाथो रषो न य परो ना तर तुतुयात्.. (२)
हे अ नीकुमारो! मेरे बुलाने पर तुम भली कार आओ एवं मेरी तु त सुनकर सोमरस
पओ. श ु से हमारे घर क इस कार र ा करो क कोई भी उसे हा न न प ंचावे (२)
अका र वाम धसो वरीम ता र ब हः सु ायणतमम्.
उ ानह तो युवयुवव दा वां न तो अ य आ न्.. (३)
हे अ नीकुमारो! तु हारे कारण सोमरस नचोड़ा गया है, मुलायम कुश बछाए गए ह,
तु हारी कामना करता आ तोता हाथ जोड़कर तु त करता है एवं तु ह ा त करते ए
प थर सोमरस नकाल रहे ह. (३)
ऊ व वाम नर वरे व था रा तरे त जू णनी घृताची.
होता गूतमना उराणोऽयु यो ना या हवीमन्.. (४)
हे अ नीकुमारो! ह एवं घृत के वामी अ न तु हारे य म ऊंचे उठते ह. जो तोता
तु हारा तो बोलता है, वही तोता अनेक य क ा एवं उ साही होता है. (४)
अ ध ये हता सूय य रथं त थौ पु भुजा शतो तम्.
माया भमा यना भूतम नरा नृतू ज नम य यानाम्.. (५)
हे ब त के र क अ नीकुमारो! सूयपु ी तु हारे शतर क रथ म आ य लेने के लए
बैठ थी. तुम य पा , दे व क इसी ज म क बु से बु मान् नेता और नृ य करने वाले
बनो. (५)
युवं ी भदशता भरा भः शुभे पु मूहथुः सूयायाः.
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सू —६४ दे वता—उषा
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सू —६७ दे वता— म व व ण
सू —६८ दे वता—इं व व ण
सू —६९ दे वता—इं व व णु
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सू —७३ दे वता—बृह प त
सू —७४ दे वता—सोम व
सू —७५ दे वता—वम आ द
सू —१ दे वता—अ न
सू —२ दे वता—आ ी
सू —३ दे वता—अ न
सू —४ दे वता—अ न
सू —५ दे वता—वै ानर अ न
सू —६ दे वता—वै ानर अ न
सू —७ दे वता—अ न
सू —८ दे वता—अ न
सू —९ दे वता—अ न
सू —१० दे वता—अ न
सू —११ दे वता—अ न
सू —१२ दे वता—अ न
सू —१४ दे वता—अ न
सू —१५ दे वता—अ न
सू —१६ दे वता—अ न
सू —१७ दे वता—अ न
सू —१९ दे वता—इं
सू —२० दे वता—इं
सू —२२ दे वता—इं
सू —२३ दे वता—इं
सू —२४ दे वता—इं
सू —२५ दे वता—इं
सू —२६ दे वता—इं
सू —२७ दे वता—इं
सू —२८ दे वता—इं
सू —२९ दे वता—इं
सू —३० दे वता—इं
सू —३१ दे वता—इं
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सू —३२ दे वता—इं
शं न इ ा नी भवतामवो भः शं न इ ाव णा रातह ा.
श म ासोमा सु वताय शं योः शं न इ ापूषणा वाजसातौ.. (१)
इं एवं अ न अपने र ासाधन ारा हमारे लए शां तकारक ह . यजमान ारा ह
ा त करने वाले इं एवं व ण हमारे लए शां तदाता ह . इं एवं सोम हमारे लए शां त तथा
सुख के कारण बन. इं तथा पूषा हम यु म शां तकारक ह . (१)
शं नो भगः शमु नः शंसो अ तु शं नः पुर धः शमु स तु रायः.
शं नः स य य सुयम य शंसः शं नो अयमा पु जातो अ तु.. (२)
भग एवं नराशंस हमारे लए शां त दे ने वाले ह . पुरं एवं सम त संप यां हम शां त
द. शोभन यम से यु स य का वचन हम शां तदाता हो. अनेक बार उ प अयमा हमारे लए
शां त द. (२)
शं नो धाता शमु धता नो अ तु शं न उ ची भवतु वधा भः.
शं रोदसी बृहती शं नो अ ः शं नो दे वानां सुहवा न स तु.. (३)
धाता दे व एवं धता व ण हम शां त द. अ के साथ धरती हम शां त दे . वशाल ावा-
पृ थवी हम शां त द. दे व क उ म तु तयां हम शां त द. (३)
शं नो अ न य तरनीको अ तु शं नो म ाव णाव ना शम्.
शं नः सुकृतां सुकृता न स तु शं न इ षरो अ भ वातु वातः.. (४)
यो त पी मुख वाले अ न हम शां त द. म , व ण एवं अ नीकुमार हम शां त द.
उ म कम करने वाले के उ म कम हम शां त द. चलने वाली हवा हम शां त दे . (४)
शं नो ावापृ थवी पूव तौ शम त र ं शये नो अ तु.
शं न ओषधीव ननो भव तु शं नो रजस प तर तु ज णुः.. (५)
ावा-पृ थवी पहली बार पुकारने पर ही हम शां त द. अंत र हमारे दे खने के लए
शां तदाता हो. ओष धयां तथा वृ हम शां त द. लोक के प त इं हम शां त द. (५)
सू —४१ दे वता—इं ा द
वो य ष
े ु दे वय तो अच ावा नमो भः पृ थवी इष यै.
येषां ा यसमा न व ा व व वय त व ननो न शाखाः.. (१)
हे दे वो! जन मेधा वय के तो वृ क शाखा के समान सब ओर वशेष प से
जाते ह, वे ही दे वा भलाषी तोता य म अपनी तु तय ारा सभी दे व क अचना करते ह.
वे ही दे व को ा त करने के लए ावा-पृ थवी क अचना करते ह. (१)
य एतु हे वो न स त छ वं समनसो घृताचीः.
तृणीत ब हर वराय साधू वा शोच ष दे वयू य थुः.. (२)
सू —४४ दे वता—द ध ा
सू —४६ दे वता—
सू —४७ दे वता—जल
सू —४८ दे वता—ऋभु
सू —४९ दे वता—जल
सू —५० दे वता— म आ द
सू —५१ दे वता—आ द य
सू —५२ दे वता—आ द य
सू —५४ दे वता—वा तो प त
सू —५५ दे वता—वा तो प त आ द
सू —५६ दे वता—म द्
सू —६० दे वता—सूय आ द
सू —६१ दे वता— म व व ण
सू —६२ दे वता— म व व ण
सू —६३ दे वता—सूय व व ण
सू —६४ दे वता— म व व ण
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सू —६५ दे वता— म व व ण
सू —६६ दे वता—आ द य आ द
सू —७५ दे वता—उषा
सू —७६ दे वता—उषा
सू —७७ दे वता—उषा
सू —७८ दे वता—उषा
सू —७९ दे वता—उषा
सू —८० दे वता—उषा
सू —८१ दे वता—उषा
सू —८२ दे वता—इं व व ण
सू —८४ दे वता—इं व व ण
सू —८५ दे वता—इं व व ण
सू —८६ दे वता—व ण
(८)
सू —८७ दे वता—व ण
सू —८८ दे वता—व ण
शु युवं व णाय े ां म त व स मी षे भर व.
य ईमवा चं करते यज ं सह ामघं वृषणं बृह तम्.. (१)
हे व स ! तुम अ भलाषापूरक व ण के त वयं शु एवं य लगने वाली तु त
उ चा रत करो. वे य यो य, अनेक धन के वामी, अ भलाषापूरक एवं व तृत सूय को
हमारे सामने लाते ह. (१)
अधा व य स शं जग वान नेरनीकं व ण य मं स.
व१यद म धपा उ अ धोऽ भ मा वपु शये ननीयात्.. (२)
म इस समय शी ता से व ण के दशन करके अ न क वाला क तु त करता ं.
जस समय व ण प थर क सहायता से नचोड़े गए शोभन सोमरस को अ धक मा ा म पी
लेते ह, उस समय मुझे अपने शोभनरथ के दशन कराते ह. (२)
आ य हाव व ण नावं य समु मीरयाव म यम्.
अ ध यदपां नु भ राव ेङख ईङखयावहै शुभे कम्.. (३)
जस समय म और व ण नाव पर सवार ए थे. नाव को हमने सागर के बीच चलाया
था एवं जल पर तैरती ई नाव पर हम थे, उस समय हमने नाव पी झूले पर सुख के न म
ड़ा क थी. (३)
व स ं ह व णो ना ाधा ष चकार वपा महो भः.
तोतारं व ः सु दन वे अ ां या ु ाव ततन या षासः.. (४)
मेधावी व ण ने रात एवं दन का व तार करते ए उ म दन म तोता मुझ व स
को नाव पर चढ़ाया था एवं र ासाधन ारा शोभनकम वाला बनाया था. (४)
सू —८९ दे वता—व ण
सू —९० दे वता—वायु
सू —९१ दे वता—वायु
सू —९२ दे वता—वायु
सू —९३ दे वता—इं व अ न
सू —९४ दे वता—इं व अ न
सू —९७ दे वता—इं आ द
सू —९९ दे वता—इं व व णु
परो मा या त वा वृधान न ते म ह वम व ुव त.
उभे ते व रजसी पृ थ ा व णो दे व वं परम य व से.. (१)
हे व णु! श द, पश आ द पंचत मा ा से अतीत तु हारा शरीर जब वामन अवतार
के समय बढ़ता है, तब तु हारी म हमा कोई नह जान सकता. हम तु हारे दो लोक अथात्
धरती एवं अंत र को जानते ह, पर परम लोक को तुम ही जानते हो. (१)
सू —१०१ दे वता—पज य
त ो वाचः वद यो तर ा या एत े मधुदोघमूधः.
स व सं कृ वन् गभमोषधीनां स ो जातो वृषभो रोरवी त.. (१)
हे ऋ ष! उ ह तीन वचन को बोलो, जनके अ भाग म ओम है एवं जो जल का
दोहन करते ह. पज य अपने साथ रहने वाली बजली पी अ न को उ प करते ह एवं
ओष धय म गभ धारण करते ह. वे शी उ प होकर बैल के समान बार-बार श द करते ह.
(१)
यो वधन ओषधीनां यो अपां यो व य जगतो दे व ईशे.
स धातु शरणं शम यंस वतु यो तः व भ ् य१ मे.. (२)
ओष धय एवं जल को बढ़ाने वाले तथा सारे संसार के वामी पज य तीन कार क
भू मय से यु घर एवं सुख दान कर. पज य हम तीन ऋतु म रहने वाली शोभन यो त
द. (२)
तरी व व त सूत उ व थावशं त वं च एषः.
पतुः पयः त गृ णा त माता तेन पता वधते तेन पु ः.. (३)
पज य का एक प ब चे दे ने म असमथ बूढ़ गाय के समान है और सरा प गाय के
समान जल सव करने वाला है. पज य इ छानुसार अपना शरीर बदलते ह. धरती माता
भूलोक पी पता से जल पी ध लेती है. इसके पता एवं ा णवग पी पु बढ़ते ह. (३)
य मन् व ा न भुवना न त थु त ो ाव ेधा स ुरापः.
यः कोशास उपसेचनासो म वः ोत य भतो वर शम्.. (४)
पज य दे व वे ह, जन म सभी भुवन थत ह. उन म ुलोक आ द तीन लोक थत ह
एवं जन म तीन थान से जल टपकता है. सबके भगोने वाले तीन कार के मेघ पज य के
सू —१०२ दे वता—पज य
सू —१०३ दे वता—मंडूक
सू —१०४ दे वता—सोम आ द
सू —१ दे वता—इं
सू —२ दे वता—इं
सू —४ दे वता—इं आ द
सू —५ दे वता—अ नीकुमार
सू —६ दे वता—इं
सू —७ दे वता—म द्गण
आ नो व ा भ त भर ना ग छतं युवम्.
द ा हर यवतनी पबतं सो यं मधु.. (१)
हे दशनीय अ नीकुमारो! अपने सोने के रथ ारा सभी र ासाधन को लेकर आओ
एवं मधुर सोमरस पओ. (१)
आ नूनं यातम ना रथेन सूय वचा.
भुजी हर यपेशसा कवी ग भीरचेतसा.. (२)
हे ह वभो ा, सोने से अलंकार धारण करने वाले, तु तयो य एवं शंसनीय ान वाले
अ नीकुमारो! सूय के समान चमक ले रथ के ारा हमारे समीप आओ. (२)
आ यातं न ष पया त र ात् सुवृ भः.
पबाथो अ ना मधु क वानां सवने सुतम्.. (३)
हे अ नीकुमारो! हमारी शोभन तु तयां सुनकर तुम अंत र लोक से धरती पर आओ
एवं क वगो ीय ऋ षय के य म नचोड़े ए सोमरस को पओ. (३)
आ नो यातं दव पया त र ादध या.
पु ः क व य वा मह सुषाव सो यं मधु.. (४)
हे म यलोक को ेम करने वाले अ नीकुमारो! वग एवं अंत र से आओ. क व
ऋ ष के पु ने यहां तु हारे लए मधुर सोमरस नचोड़ा है. (४)
आ नो यातमुप ु य ना सोमपीतये.
वाहा तोम य वधना कवी धी त भनरा.. (५)
हे अ नीकुमारो! सोम पीने के लए हमारे इस तु तपूण य म आओ. हे वृ करने
वाले, क व एवं नेता अ नीकुमारो! अपनी बु और काम से तोता को बढ़ाओ. (५)
य च वां पुर ऋषयो जु रेऽवसे नरा. आ यातम ना गतमुपेमां सु ु त मम.. (६)
हे नेता अ नीकुमारो! पुराने समय म ऋ षय ने तु ह जब भी अपनी र ा के लए
बुलाया, तब तुम आए थे. तुम मेरी इस शोभन तु त को सुनकर आओ. (६)
दव ोचनाद या नो ग तं व वदा. धी भव स चेतसा तोमे भहवन ुता.. (७)
हे सूय को जानने वाले अ नीकुमारो! तुम वग एवं अंत र से हमारे समीप आओ. हे
तोता को उ म ान दे ने वाले अ नीकुमारो! बु के साथ आओ. हे पुकार सुनने वाले
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सू —९ दे वता—अ नीकुमार
सू —११ दे वता—अ न
सू —१२ दे वता—इं
सू —१३ दे वता—इं
इ ः सुतेषु सोमेषु तुं पुनीत उ यम्. वदे वृध य द सो महा ह षः.. (१)
इं सोमरस नचुड़ जाने पर य करने वाले एवं तोता को प व करते ह एवं बढ़े ए
बल के लाभ के लए महान् ए ह. (१)
स थमे ोम न दे वानां सदने वृधः. सुपारः सु व तमः सम सु जत्.. (२)
वे इं व तृत ोम प दे व थान म दे व को बढ़ाते ह. इं य कम पूरा करने वाले,
शोभन यश वाले एवं जल पीने के लए वृ के वजेता ह. (२)
तम े वाजसातय इ ं भराय शु मणम्. भवा नः सु ने अ तमः सखा वृधे.. (३)
म अ ा त के हेतु होने वाले सं ाम म सहायता के लए श शाली इं को बुलाता ं.
हे इं ! तुम हमारा इ छत धन बढ़ाने के लए हमारे म बनो. (३)
इयं त इ गवणो रा तः र त सु वतः. म दानो अ य ब हषो व राज स.. (४)
हे तु तय ारा सेवा करने यो य इं ! सोमरस नचोड़ने वाले यजमान क यह आ त
तु ह ा त होती है. तुम स होकर इस य म वराजो. (४)
नूनं त द द नो य वा सु व त ईमहे. र य न मा भरा व वदम्.. (५)
हे इं ! सोमरस नचोड़ने वाले हम जस धन क अ भलाषा करते ह, वह हम दो. तुम
हम वग दे ने वाला व च धन दो. (५)
तोता य े वचष णर त शधयद् गरः. वया इवानु रोहते जुष त यत्.. (६)
हे इं ! वशेष प से दे खने वाले तोता जस समय तु हारे त श ु को हराने म
समथ तु तयां करते ह एवं उनके ारा तु ह स करते ह, उस समय तुम म सभी गुण इस
कार आ जाते ह जैसे एक वृ म ब त सी शाखाएं होती ह. (६)
नव जनया गरः शृणुधी ज रतुहवम्. मदे मदे वव था सुकृ वने.. (७)
हे इं ! तुम पहले के समान तोता ारा तु तयां उ प कराओ एवं तोता क
पुकार सुनो. तुम सोमरस ारा स ता ा त करके शोभन कम करने वाले यजमान को
मनचाहा फल दे ते हो. (७)
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सू —१४ दे वता—इं
सू —१५ दे वता—इं
सू —१६ दे वता—इं
सू —१७ दे वता—इं
सू —१८ दे वता—आ द य आ द
सू —१९ दे वता—अ न आ द
सू —२१ दे वता—इं
ओ यम आ रथम ा दं स मूतये.
यम ना सुहवा वतनी आ सूयायै त थथुः.. (१)
हे शोभन-आ ान वाले एवं का शत माग वाले अ नीकुमारो! सूया को प नी प म
वरण करने के लए तुम जस रथ पर बैठे थे, म अपनी र ा के न म उसी अ तसुंदर रथ
को बुलाता ं. (१)
पूवापुषं सुहवं पु पृहं भु युं वाजेषु पू म्.
सचनाव तं सुम त भः सोभरे व े षसमनेहसम्.. (२)
हे सौभ र ऋ ष! क याणका रणी तु तय ारा पूववत तोता को पु करने वाले,
य म शोभन आ ान वाले, ब त ारा अ भल षत, सबके र क, यु म आगे रहने वाले,
सबके ारा से , श ु से े ष करने वाले एवं पापर हत इस रथ क तु त करो. (२)
इह या पु भूतमा दे वा नमो भर ना.
अवाचीना ववसे करामहे ग तारा दाशुषो गृहम्.. (३)
हे अनेक श ु को परा जत करने वाले, द गुणयु एवं ह दाता यजमान के घर
जाने वाले अ नीकुमारो! हम इस य कम क र ा के लए तु ह अपने सामने बुलावगे. (३)
युवो रथ य प र च मीयत ईमा य ा मष य त.
अ माँ अ छा सुम तवा शुभ पती आ धेनु रव धावतु.. (४)
सू —२३ दे वता—अ न
सू —२४ दे वता—इं
सू —२५ दे वता— म व णा द
सू —३२ दे वता—इं
सू —३३ दे वता—इं
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सू —३४ दे वता—इं
ए या ह ह र भ प क व य सु ु तम्.
दवो अमु य शासतो दवं यय दवावसो.. (१)
हे इं ! तुम अपने ह र नामक घोड़ के ारा क वगो ीय ऋ षय क सुंदर तु त के
सामने आओ. हे द तह व वाले इं ! तुम ुलोक का शासन करते हो, इस लए ुलोक म
जाओ. (१)
आ वा ावा वद ह सोमी घोषेण य छतु.
दवो अमु य शासतो दवं यय दवावसो.. (२)
हे इं ! इस य म सोमलता कुचलने के प थर तु ह सोम वाला कहते ए तु हारे लए
सोम द. हे द त ह व वाले इं ! तुम ुलोक का शासन करते हो, इस लए ुलोक म जाओ.
(२)
अ ा व ने मरेषामुरां न धूनुते वृकः.
दवो अमु य शासतो दवं यय दवावसो.. (३)
इस य म सोमलता कुचलने वाले प थर सोमलता को इस कार कं पत करते ह,
जस कार भे ड़या भेड़ को कंपाता है. हे द त ह व वाले इं ! तुम ुलोक का शासन करते
हो, इस लए ुलोक म जाओ. (३)
आ वा क वा इहावसे हव ते वाजसातये.
दवो अमु य शासतो दवं यय दवावसो.. (४)
हे इं ! क वगो ीय ऋ ष तु ह र ा एवं अ पाने के लए इस य म बुलाते ह. हे द त
ह व वाले इं ! तुम ुलोक का शासन करते हो, इस लए ुलोक म जाओ. (४)
दधा म ते सुतानां वृ णे न पूवपा यम्.
दवो अमु य शासतो दवं यय दवावसो.. (५)
हे इं ! य के ारंभ म जस कार अ भलाषापूरक वायु को सोमरस दया जाता है,
उसी कार तु ह नचोड़ा आ सोमरस म ं गा. हे द त ह व वाले इं ! तुम ुलोक का शासन
करते हो, इस लए ुलोक म जाओ. (५)
म पुर धन आ ग ह व तोधीन ऊतये.
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सू —३६ दे वता—इं
सू —३७ दे वता—इं
े ं
द वृ तूय वा वथ सु वतः शचीपत इ व ा भ त भः.
मा य दन य सवन य वृ ह ने पबा सोम य व वः.. (१)
हे श शाली इं ! यु म तुम सम त र ासाधन ारा ा ण एवं सोमरस नचोड़ने
वाले यजमान क र ा करो. हे नदार हत, व धारी एवं वृ हंता इं ! तुम मा यं दन सवन
का सोमरस पओ. (१)
सेहान उ पृतना अ भ हः शचीपत इ व ा भ त भः.
मा य दन य सवन य वृ ह ने पता सोम य व वः.. (२)
हे य कम के वामी एवं उ इं ! तुम श ु क सभी सेना को परा जत करके
सभी र ासाधन ारा ा ण क र ा करो. हे नदार हत व धारी एवं वृ हंता इं ! तुम
मा यं दन सवन करके सोमरस पओ. (२)
एकराळ य भुवन य राज स शचीपत इ व ा भ त भः.
मा य दन य सवन य वृ ह ने पबा सोम य व वः.. (३)
हे य वामी इं ! तुम इस भवन के एकमा राजा के प म सुशो भत हो. तुम अपने
सम त र ासाधन ारा ा ण क र ा करो. हे नदार हत, व धारी एवं वृ हंता इं ! तुम
मा यं दन सवन म सोमरस पओ. (३)
स थावाना यवय स वमेक इ छचीपत इ व ा भ त भः.
मा य दन य सवन य वृ ह ने पबा सोम य व वः.. (४)
हे य वामी इं ! एकमा तुम ही एक- सरे से मले ए ुलोक एवं धरती को अलग
करते हो. तुम अपने सम त र ासाधन ारा ा ण क र ा करो. हे नदार हत, व धारी
एवं वृ हंता इं ! तुम मा यं दन सवन म सोमरस पओ. (४)
े य च युज वमी शषे शचीपत इ व ा भ त भः.
म
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सू —३८ दे वता—इं व अ न
सू —३९ दे वता—अ न
सू —४० दे वता—इं व अ न
सू —४१ दे वता—व ण
सू —४२ दे वता—व ण आ द
सू —४३ दे वता—अ न
सू —४४ दे वता—अ न
सू —४५ दे वता—इं
सू —४६ दे वता—इं आ द
सू —४७ दे वता—आ द य
म ह वो महतामवो व ण म दाशुषे.
यमा द या अ भ हो र था नेमघं नशदनेहसो व ऊतयः सुऊतयो व ऊतयः.. (१)
हे महान् म एवं व ण! ह व दे ने वाले यजमान क तुम जो र ा करते हो, वह महान्
है. हे आ द यो! तुम श ु के हाथ से जस यजमान क र ा करते हो, उसे पाप नह छू
सकता. तु हारी र ाएं उप वर हत एवं शोभन ह. (१)
वदा दे वा अघानामा द यासो अपाकृ तम.
प ा वयो यथोप र १ मे शम य छतानेहसो व ऊतयः सुऊतयो व ऊतयः.. (२)
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सू —४८ दे वता—सोम
सू —४९ दे वता—अ न
अ न आ या न भह तारं वा वृणीमहे.
आ वामन ु यता ह व मती य ज ं ब हरासदे .. (१)
हे अ न! तुम य के यो य अ य अ नय के साथ आओ. हम होता के प म तु हारा
वरण करते ह. अ वयुजन ारा हाथ म उठाया गया एवं घृतपूण ुच तु ह कुश पर सब
ओर बैठावे. (१)
अ छा ह वा सहसः सूनो अ रः च ु र य वरे.
ऊज नपातं घृतकेशमीमहेऽ नं य ेषु पू म्.. (२)
हे बल के पु एवं अं गरागो ीय अ न! य म तु ह ा त करने के लए ुच चलते ह.
हम पालनक ा, द त वाला वाले एवं ाचीन अ न क य म तु त करते ह. (२)
अ ने क ववधा अ स होता पावक य यः.
म ो य ज ो अ वरे वी ो व े भः शु म म भः.. (३)
हे अ न! तुम मेधावी, कमफल का नमाण करने वाले, प व क ा, दे व को बुलाने
वाले एवं य के यो य हो. हे द त अ न! तुम स करने यो य, अ तशय य पा एवं य
म मेधावी ऋ वज ारा मननीय तो ारा तु त करने यो य हो. (३)
अ ोघमा वहोशतो य व दे वाँ अज वीतये.
अ भ यां स सु धता वसो ग ह म द व धी त भ हतः.. (४)
हे अ तशय युवा एवं न य अ न! मुझ ोहशू य यजमान क अ भलाषा करने वाले दे व
को ह भ ण के लए लाओ. हे नवास थान दे ने वाले अ न! सु न हत अ को लेकर
आओ एवं तु तय ारा था पत होकर स बनो. (४)
सू —५० दे वता—इं
सू —५१ दे वता—इं
ो अ मा उप तु त भरता य जुजोष त.
उ थै र य मा हनं वयो वध त सो मनो भ ा इ य रातयः.. (१)
हे ऋ वजो! इं सेवा करते ह, इस लए उनके पास जाकर तु त करो. लोग सोमरस
पीने वाले इं के अ को उ थ मं ारा बढ़ाते ह. इं के दान क याण करने वाले ह. (१)
अयुजो असमो नृ भरेकः कृ ीरया यः.
पूव र त वावृधे व ा जाता योजसा दा इ य रातयः.. (२)
कसी क सहायता न लेने वाले, अ तीय, दे व म मुख और वनाशर हत इं ाचीन
जा का अ त मण करके बढ़ते ह. इं के दान क याण करने वाले ह. (२)
अ हतेन चदवता जीरदानुः सषास त.
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सू —५२ दे वता—इं
सू —५३ दे वता—इं
सू —५४ दे वता—इं
सू —५५ दे वता—इं
सू —५६ दे वता—आ द य
सू —५७ दे वता—इं
सू —५८ दे वता—व ण
सू —५९ दे वता—इं
सू —६० दे वता—अ न
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सू —६३ दे वता—अ न आ द
सू —६४ दे वता—अ न
सू —६५ दे वता—इं
सू —६६ दे वता—इं
सू —६७ दे वता—इं
सू —६८ दे वता—सोम
सू —६९ दे वता—इं
सू —७० दे वता—इं
सू —७१ दे वता—इं
सू —७३ दे वता—अ न
सू —७७ दे वता—इं
सू —७८ दे वता—इं
सू —७९ दे वता—इं
आ नो व ासु ह इ ः सम सु भूषतु.
उप ा ण सवना न वृ हा परम या ऋचीषमः.. (१)
सभी यु म बुलाने यो य इं हमारी तु तय का अनुभव कर. इं वृ नाशक, वशाल
या वाले एवं तु तय ारा अ भमुख करने यो य ह. (१)
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सू —८० दे वता—इं
पा तमा वो अ धस इ म भ गायत.
व ासाहं शत तुं मं ह ं चषणीनाम्.. (१)
हे ऋ वजो! सोमरस पीने वाले अपने इं क वशेष प से तु त करो. इं सभी
श ु को हराने वाले, सौ य करने वाले एवं जा को सवा धक धन दे ने वाले ह. (१)
पु तं पु ु तं गाथा यं१ सन ुतम्. इ इ त वीतन.. (२)
हे ऋ वजो! तुम अनेक लोग ारा बुलाए ए, ब त से लोग ारा तु त, य गान के
यो य एवं सनातन प से स दे व वशेष को इं कहना. (२)
इ इ ो महानां दाता वाजानां नृतुः. महाँ अ भ वा यमत्.. (३)
हम महान् अ दे ने वाले, ब सं यक धन दे ने वाले और सबको बचाने वाले इं हमारे
सामने आकर धन दान कर. (३)
अपा श य धसः सुद य हो षणः. इ दो र ो यवा शरः.. (४)
शोभन ना सका वाले इं ने भली कार होम करने वाले सुद नामक ऋ ष के दए ए
सोमरस को पया था, जो भुने ए जौ से मला तथा पा म नचुड़ रहा था. (४)
त व भ ाचते ं सोम य पीतये. त द य य वधनम्.. (५)
हे ऋ वजो! सोमरस पीने के लए इं के सामने जाकर उनक तु त करो. वह
सोमपान ही इं को बढ़ाता है. (५)
अ य पी वा मदानां दे वो दे व यौजसा. व ा भ भुवना भुवत्.. (६)
द तशाली इं सोम के नशीले रस को पीकर अपनी श ारा सारे संसार को
परा जत करते ह. (६)
यमु वः स ासाहं व ासु गी वायतम्. आ यावय यूतये.. (७)
हे तोता! ब त को परा जत करने वाले एवं सभी तु तवचन म ा त इं को र ा के
लए भली कार बुलाओ. (७)
यु मं स तमनवाणं सोमपामनप युतम्. नरमवाय तुम्.. (८)
श ुसंहारक, स ा वाले, अ य ारा अना ांत, सोमरस पीने वाले, यु मश ु ारा
अपरा जत एवं नेता इं को कोई बाधा नह प ंचा सकता. (८)
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सू —८२ दे वता—इं
सू —८४ दे वता—इं
सू —८५ दे वता—इं
सू —८६ दे वता—इं
सू —८७ दे वता—इं
सू —८८ दे वता—इं
सू —९० दे वता— म व व ण
ऋध ग था स म यः शशमे दे वतातये.
यो नूनं म ाव णाव भ य आच े ह दातये.. (१)
जो मनु य यजमान क अ भलाषा पूण करने के लए म व व ण को अपने सामने
करता है, वह इस कार य के लए ह व तैयार करता है, यह स य है. (१)
वष ा उ च सा नरा राजाना द घ ु मा.
ता बा ता न दं सना रथयतः साकं सूय य र म भः.. (२)
अ यंत बढ़े ए बल वाले, दे खने म वशाल, य कम के नेता, द तशाली व अ तशय
व ान् वे म व व ण दोन भुजा के समान सूय क करण के साथ कम करते ह. (२)
यो वां म ाव णा जरो तो अ वत्. अयःशीषा मदे रघुः.. (३)
हे म व व ण! जो ग तशील यजमान तु हारे सामने जाता है, वह दे व का त होता
है, उसका सर सोने से सुशो भत होता है एवं नशीला सोम ा त करता है. (३)
न यः संपृ छे न पुनहवीतवे न संवादाय रमते.
त मा ो अ समृते यतं बा यां न उ यतम्.. (४)
हे म व व ण! जो श ु भली कार पूछने पर भी स नह होता और जो बार-बार
बुलाने एवं बातचीत करने पर भी आनं दत नह होता, आज हम उसके साथ यु से बचाओ.
हम उसक भुजा से बचाओ. (४)
म ाय ाय णे सच यमृतावसो.
व यं१ व णे छ ं वचः तो ं राजसु गायत.. (५)
हे य पी धन वाले उद्गाताओ! तुम म एवं अयमा के लए सेवा करने यो य एवं
य शाला म उ प तु तयां सुनाओ. तुम व ण के लए स ता दे ने वाले गीत गाओ एवं
द तशाली म , अयमा और व ण क शंसा करो. (५)
ते ह वरे अ णं जे यं व वेकं पु ं तसॄणाम्.
ते धामा यमृता म यानामद धा अ भ च ते.. (६)
सू —९१ दे वता—अ न
अद श गातु व मो य म ता यादधुः.
उपो षु जातमाय य वधनम नं न त नो गरः.. (१)
यजमान जन अ न म य कम का आ ान करता है, वे ही माग को जानने वाल म
े उ प ए ह. आय को बढ़ाने वाले एवं उ प अ न के समीप हमारी तु तयां जाती ह.
(१)
दै वोदासो अ नदवाँ अ छा न म मना.
अनु मातरं पृ थव व वावृते त थौ नाक य सान व.. (२)
दवोदास के ारा बुलाए ए अ न ने पृ वी माता के सामने य म दे व के लए ह
वहन नह कया, य क दवोदास ने अ न को बलपूवक बुलाया था. अ न वग के ऊंचे
थान पर ही रहे. (२)
य मा े ज त कृ य कृ या न कृ वतः.
सह सां मेधसाता वव मनाऽ नं धी भः सपयत.. (३)
हे मनु यो! क य कम करने वाले लोग से अ य जाएं कांपती ह, इस लए हजार
संप य के दे ने वाले अ न क सेवा तुम वयं अपने कम ारा करो. (३)
सू —१ दे वता—पवमान सोम
सू —२ दे वता—पवमान सोम
सू —३ दे वता—पवमान सोम
सू —४ दे वता—पवमान सोम
सू —६ दे वता—पवमान सोम
सू —७ दे वता—पवमान सोम
सू —८ दे वता—पवमान सोम
सू —९ दे वता—पवमान सोम
सू —१३ दे वता—सोम
सू —१४ दे वता—सोम
सू —१५ दे वता—सोम
सू —१६ दे वता—सोम
सू —१७ दे वता—सोम
सू —१८ दे वता—सोम
सू —२० दे वता—सोम
सू —२१ दे वता—सोम
सू —२२ दे वता—सोम
सू —२३ दे वता—सोम
सू —२४ दे वता—सोम
सू —२८ दे वता—सोम
सू —२९ दे वता—सोम
सू —३० दे वता—सोम
सू —३१ दे वता—सोम
सू —३२ दे वता—सोम
सू —३३ दे वता—सोम
सू —३४ दे वता—सोम
सू —३५ दे वता—सोम
सू —३६ दे वता—सोम
सू —३७ दे वता—सोम
सू —३८ दे वता—सोम
सू —३९ दे वता—सोम
सू —४० दे वता—सोम
सू —४१ दे वता—सोम
सू —४२ दे वता—सोम
सू —४५ दे वता—सोम
सू —४६ दे वता—सोम
वृषा सोम ुमाँ अ स वृषा दे व वृष तः. वृषा धमा ण द धषे.. (१)
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अभी नव ते अ हः य म य का यम्.
व सं न पूव आयु न जातं रह त मातरः.. (१)
गाएं जस कार थम अव था म उ प बछड़े को चाटती ह, उसी कार ोहर हत
जल इं के य एवं सुंदर सोम के पास जाते ह. (१)
पुनान इ दवा भर सोम बहसं र यम्.
वं वसू न पु य स व ा न दाशुषो गृहे.. (२)
हे द तशाली एवं शु होते ए सोम! तुम हमारे लए दोन लोक म बढ़ने वाला धन